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नई दिल्ली। सरकार प्रत्यक्ष कर विवाद समाधान योजना ‘विवाद से विश्वास 2.0’ की शुरूआत एक अक्टूबर से करेगी। ‘विवाद से विश्वास’ योजना 2.0 की घोषणा मूल रूप से जुलाई में प्रस्तुत बजट 2024-25 में लंबित कुछ आयकर विवादों के समाधान के लिए की गई थी। वित्त मंत्रालय ने अधिसूचना में कहा, ‘‘ केंद्र सरकार प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास योजना 2024 को लागू करने की तारीख एक अक्टूबर 2024 तय करती है।’’करीब 35 लाख करोड़ रुपये की 2.7 करोड़ प्रत्यक्ष कर मांगों पर विभिन्न कानूनी मंचों पर विवाद जारी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा था कि सरकार करों को सरल बनाने, करदाता सेवाओं में सुधार करने, कर निश्चितता प्रदान करने और राजस्व बढ़ाने के साथ-साथ मुकदमेबाजी को कम करने के अपने प्रयास जारी रखेगी। सरकार प्रत्यक्ष करों के तहत मामलों के लिए ‘विवाद से विश्वास’ योजना का पहला चरण 2020 में लाई थी। करीब एक लाख करदाताओं ने इस योजना का लाभ उठाया और सरकार को करीब 75,000 करोड़ रुपये का कर हासिल हुआ था।
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नई दिल्ली। एप्पल आईफोन 16 और 16 Pro सीरीज़ की बिक्री भारत में आज यानी शुक्रवार, 20 सितंबर से शुरू हो गई है। नए iPhone 16 सीरीज़ मॉडल की प्री-ऑर्डर बुकिंग 13 सितंबर से भारत समेत कई अन्य देशों में शुरू हुई थी, और अब जो लोग इसे पहले से ऑर्डर कर चुके हैं, उन्हें शुक्रवार सुबह 8 बजे से अपने नए iPhone मिलने शुरू हो गए हैं। Apple Store के दरवाजे सुबह 8 बजे खोल दिए गए और इसके साथ ही ग्राहकों की आईफोन स्टोर पर भी लंबी लाइन देखने को मिली। आईफोन खरीदने के लिए ग्राहक Apple BKC स्टोर (मुंबई) या Apple Saket स्टोर (दिल्ली) जा सकते हैं। इसके अलावा, वे देशभर में मौजूद अधिकृत resellers पर भी निर्भर कर सकते हैं ताकि अपना iPhone 16 मॉडल ले सकें, या फिर ऑनलाइन डिलीवरी का इंतजार कर सकते हैं। Apple स्टोर खुलने से पहले ही सुबह-सुबह लोग स्टोर के बाहर दौड़ते हुए दिखे। आईफोन को लेकर ऐसा ही क्रेज पिछली बार भी देखा गया था जब iPhone 15 लॉन्च हुआ था।
iPhone 16 और 16 Pro की भारत में कीमतेंApple ने iPhone 16 और 16 Pro की भारत में आधिकारिक कीमतें जारी कर दी हैं। यहां सभी मॉडल्स की कीमतों की जानकारी दी गई है:iPhone 16:128GB: ₹79,900256GB: ₹89,900512GB: ₹1,09,900iPhone 16 Plus:128GB: ₹89,900256GB: ₹99,900512GB: ₹1,11,900iPhone 16 Pro:128GB: ₹1,19,900256GB: ₹1,29,900512GB: ₹1,49,9001TB: ₹1,69,900iPhone 16 Pro Max:256GB: ₹1,44,900512GB: ₹1,64,9001TB: ₹1,84,900Apple आईफोन 16 सीरीज के लॉन्च डे पर खास बैंक ऑफर्स, कार्ड पर मिलेगा अतिरिक्त कैशबैकएप्पल अपने प्रोडक्ट्स के लॉन्च डे पर ग्राहकों के लिए खास बैंक ऑफर्स लेकर आता है। अगर आपके पास कुछ चुनिंदा बैंक कार्ड्स हैं, तो आपको इन ऑफर्स के तहत अतिरिक्त कैशबैक का फायदा मिल सकता है। इसलिए, अगर आप एप्पल का नया प्रोडक्ट खरीदने की सोच रहे हैं, तो रजिस्टर पर भुगतान करने से पहले इन बैंक ऑफर्स को जरूर चेक करें। ये ऑफर्स आपको अच्छी बचत का मौका दे सकते हैं।कंपनी कुछ बैंक कार्ड्स पर 5000 रुपये तक का डिस्काउंट दे रही है। यह डिस्काउंट स्पेशल लॉन्च ऑफर के तहत चुनिंदा बैंक कार्ड्स पर उपलब्ध है। अगर आप सही बैंक कार्ड का इस्तेमाल करते हैं, तो आप इस ऑफर का फायदा उठाकर अपने पसंदीदा आईफोन 16 को कम कीमत में खरीद सकते हैं।iPhone 16 और 16 प्रो सीरीज के फीचर्सएप्पल ने अपने नए iPhone 16 और iPhone 16 Plus मॉडल्स को लॉन्च किया है, जिनमें कुछ छोटे लेकिन अहम बदलाव किए गए हैं। इन दोनों मॉडलों में सबसे बड़ा अंतर उनके साइज़ में है। iPhone 16 में 6.1-इंच की डिस्प्ले है, जबकि iPhone 16 Plus में इससे बड़ी 6.7-इंच की डिस्प्ले दी गई है।दोनों डिवाइसेज़ की बैटरी लाइफ पहले से ज्यादा लंबी है और कैमरा सिस्टम को भी अपग्रेड किया गया है। इसके अलावा, इनमें एप्पल का लेटेस्ट A18 प्रोसेसर दिया गया है, जो अगले महीने आने वाले iOS 18.1 अपडेट के साथ Apple Intelligence फीचर्स को सपोर्ट करेगा।ये डिवाइसेज़ पांच रंगों में उपलब्ध हैं: टील (teal), पिंक (pink), अल्ट्रामरीन (ultramarine), सफेद (white), और काला (black)।iPhone 16 Pro में 6.3-इंच की डिस्प्ले है, जबकि iPhone 16 Pro Max में 6.9-इंच की बड़ी स्क्रीन दी गई है। दोनों मॉडलों में बेज़ल को पहले से कम किया गया है। इन Pro मॉडल्स को A18 Pro चिप द्वारा पावर किया गया है, जो तेज़ स्पीड, बेहतर बैटरी परफॉर्मेंस और जनरेटिव AI (Artificial Intelligence) वर्कलोड्स के लिए स्पेशल AI क्षमताओं के साथ आता है।कैमरे के मामले में भी iPhone 16 Pro और Pro Max में बड़ा अपग्रेड किया गया है। दोनों में 48MP का प्राइमरी कैमरा है, जिसमें दूसरा-जेनरेशन का quad-pixel sensor और नया 5x टेलीफोटो लेंस है, जो पहले केवल Pro Max में ही उपलब्ध था।इन Pro वर्शन में 48MP का ultra-wide कैमरा भी शामिल है, जो मैक्रो फोटो और कम रोशनी में बेहतर परफॉर्मेंस देता है। यह फीचर्स खासकर फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए बेहद उपयोगी साबित होंगे। Apple ने एक नया डेडिकेटेड कैमरा बटन भी पेश किया है, जिससे फोटो और वीडियो लेते समय और भी सटीक और कई-लेयर वाले कंट्रोल्स मिलते हैं।इसके अलावा, iPhone 16 Pro सीरीज में एक नया “Desert Titanium” रंग भी लॉन्च किया गया है, जिसकी काफी समय से अटकलें लगाई जा रही थीं और Apple ने इसे अपने इवेंट में आधिकारिक रूप से पेश कर दिया। -
नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र या ‘विकसित भारत’ बनाने के एजेंडे को आगे बढ़ाने में बैंकिंग क्षेत्र को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। सीतारमण ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र के 90वें स्थापना दिवस पर पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, “प्रधानमंत्री की तरफ से निर्धारित एजेंडे को आगे बढ़ाने में बैंकों को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी और आपकी भूमिका से हम इस सपने को हासिल करने में और तेजी लाएंगे।”उन्होंने कहा कि बैंकों को बुनियादी ढांचा क्षेत्र को सशक्त रफ्तार देने, एमएसएमई क्षेत्र को जरूरत के हिसाब से वित्त मुहैया कराने, बैंक सेवाओं से वंचित आबादी को बैंक दायरे में लाने और बीमा पहुंच बढ़ाने में मदद करनी होगी। सीतारमण ने कहा कि प्रौद्योगिकी बैंक परिदृश्य को तेजी से बदल रही है क्योंकि यह सभी ग्राहकों को सुरक्षित एवं आसानी से संचालित किया जा सकने वाला डिजिटल बैंकिंग अनुभव देती है। हालांकि इसके साथ ही उन्होंने बैंकों के लिए प्रौद्योगिकी सुरक्षा पर भी जोर देने के लिए कहा।
वित्त मंत्री ने कहा, “आप (बैंक) ऐसी डिजिटल प्रणाली नहीं रख सकते हैं जो कहीं भी हैक हो जाए और पूरी प्रणाली एवं उस पर आधारित भरोसा खतरे में पड़ जाए। इसके लिए आपको एक मजबूत प्रणाली चाहिए। आपको हर बार यह सुनिश्चित करना होगा कि पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम मौजूद हैं और किसी भी आपातकालीन स्थिति में किस तरह के कदम उठाने होंगे।”वित्त मंत्री ने डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने में एकीकृत भुगतान प्रणाली यूपीआई की बढ़ती लोकप्रियता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर तत्काल होने वाले सभी डिजिटल भुगतानों में से 45 प्रतिशत भारत में होते हैं। उन्होंने कहा कि यूपीआई भुगतान व्यवस्था इस समय सात देशों में चालू हो चुकी है। -
नयी दिल्ली. सरकार ने घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल के लिए अप्रत्याशित लाभ कर को घटाकर शून्य प्रति टन कर दिया है। कर की नयी दर 18 सितंबर यानी आज से प्रभावी हो गईं। कर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (एसएईडी) के रूप में लगाया जाता है। दो सप्ताह में औसत तेल की कीमतों के आधार पर हर पखवाड़े इसे अधिसूचित किया जाता है। इससे पहले, संशोधन 31 अगस्त से प्रभावी हुआ था। उस समय कच्चे पेट्रोलियम पर अप्रत्याशित लाभ कर 1,850 रुपये प्रति टन निर्धारित किया गया था। मंगलवार को जारी आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, डीजल, पेट्रोल और विमान ईंधन (एटीएफ) के निर्यात पर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क को शून्य कर दिया गया है। नई दरें 18 सितंबर से प्रभावी होंगी। देश में पहली बार एक जुलाई 2022 को अप्रत्याशित लाभ पर कर लगाया था। इस कदम के साथ ही भारत उन देशों की सूची में शामिल हो गया था जो ऊर्जा कंपनियों को अप्रत्याशित रूप से होने वाले लाभ पर कर लगाते हैं।
- नयी दिल्ली. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को कहा कि भारत से इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के निर्यात की काफी संभावनाएं हैं। खासकर उन बाजारों में जहां भारतीय विनिर्माता पहले से ही पारंपरिक इंजन वाले बाइक बेच रहे हैं। यहां रिवोल्ट मोटर्स की इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल पेश किये जाने के मौके पर गडकरी ने कहा कि भारत में विनिर्मित मोटरसाइकिलों में से 50 प्रतिशत का निर्यात किया जाता है। बजाज ऑटो, हीरो मोटोकॉर्प और टीवीएस जैसी प्रमुख कंपनियों की अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बड़ी उपस्थिति है। मंत्री ने रिवोल्ट मोटर्स को पड़ोसी देशों के साथ-साथ अफ्रीका और लातिन अमेरिका में भी बाजार तलाशने को कहा। रिवोल्ट मोटर्स की प्रवर्तक कंपनी रतन इंडिया एंटरप्राइजेज की सह संस्थापक और चेयरपर्सन अंजलि रतन ने कहा कि कंपनी ने शुरुआत में श्रीलंका को निर्यात की योजना बनाई है। कंपनी नेपाल, अफ्रीका और लातिन अमेरिकी देशों में भी निर्यात के अवसर तलाश रही है।रिवोल्ट मोटर्स ने मंगलवार को अपनी कम्यूटर बाइक आरवी1 के दो संस्करण पेश किये। इसकी शुरूआती कीमत 84,990 रुपये और 99,990 रुपये है। अंजलि रतन ने बाद में एक बातचीत में कहा कि रिवोल्ट मोटर्स अगले पांच साल में हर साल एक उत्पाद पेश करने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि कंपनी अगले एक से डेढ़ साल में बिक्री नेटवर्क की संख्या बढ़ाकर 500 करेगी, जो अभी 125 है। रतन ने कहा कि इस वित्त वर्ष के अंत तक कंपनी के डीलरशिप की संख्या बढ़कर 250 तक पहुंचने की उम्मीद है।
- नयी दिल्ली. जीएसटी परिषद ने रविवार को विभिन्न स्वास्थ्य और जीवन बीमा उत्पादों के प्रीमियम पर जीएसटी दर का सुझाव देने और 30 अक्टूबर तक अपनी रिपोर्ट देने के लिए 13 सदस्यीय मंत्रिसमूह (जीओएम) का गठन किया। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी मंत्री समूह के संयोजक हैं। इस समूह के सदस्यों में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश, गोवा, गुजरात, मेघालय, पंजाब, तमिलनाडु और तेलंगाना के सदस्य शामिल हैं। नौ सितंबर को हुई जीएसटी परिषद की 54वीं बैठक में जीवन और चिकित्सा बीमा पर जीएसटी के मौजूदा कर ढांचे की जांच और समीक्षा के लिए एक मंत्री समूह गठित करने का फैसला किया गया। बीमा प्रीमियम पर कराधान के बारे में परिषद द्वारा अंतिम फैसला नवंबर में होने वाली अगली बैठक में मंत्री समूह की रिपोर्ट के आधार पर लिए जाने की संभावना है। वर्तमान में बीमा प्रीमियम पर 18 प्रतिशत माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाया जाता है।पैनल के संदर्भ की शर्तों (टीओआर) में वरिष्ठ नागरिकों, मध्यम वर्ग, मानसिक बीमारी वाले व्यक्तियों जैसी विभिन्न श्रेणियों के लिए व्यक्तिगत, समूह, पारिवारिक फ्लोटर और अन्य चिकित्सा बीमा सहित स्वास्थ्य/चिकित्सा बीमा की कर दर का सुझाव देना भी शामिल है। साथ ही, टर्म इंश्योरेंस, निवेश योजनाओं के साथ जीवन बीमा (चाहे व्यक्तिगत हो या समूह) और पुनर्बीमा सहित जीवन बीमा पर कर दरों का सुझाव देना भी शामिल है। जीएसटी परिषद सचिवालय द्वारा जीवन एवं स्वास्थ्य बीमा पर जीओएम के गठन पर जारी कार्यालय ज्ञापन में कहा गया है, “जीओएम को 30 अक्टूबर, 2024 तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है।” पश्चिम बंगाल सहित कुछ विपक्षी शासित राज्यों ने स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी से पूरी तरह छूट की मांग की थी, जबकि कुछ अन्य राज्य कर को घटाकर पांच प्रतिशत करने के पक्ष में थे। यहां तक कि परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने भी जुलाई में इस मुद्दे पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर कहा था कि “जीवन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी लगाना जीवन की अनिश्चितताओं पर कर लगाने के समान है।”
- हांगकांग। कैथे पैसिफिक एयरवेज की इकाई कैथे कार्गो ने कहा है कि भारतीय एयरलाइन कंपनियां विभिन्न माल ढुलाई के लिए उसके हांगकांग स्थित कार्गो टर्मिनल का उपयोग करें। उसने कहा कि इसके लिए वह एक एयरलाइन के साथ सक्रिय रूप से बातचीत कर रही है। कैथे कार्गो टर्मिनल के मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) मार्क वाट्स के अनुसार, 27 लाख टन की वार्षिक क्षमता वाली यह सुविधा हांगकांग में उड़ान भरने वाली सभी एयरलाइनों के लिए खुली है। वाट्स ने कहा, “वर्तमान में हमारे पास कोई भारतीय एयर कैरियर नहीं है, लेकिन मैं निश्चित रूप से चाहूंगा कि अधिक भारतीय एयर कैरियर कैथे कार्गो टर्मिनल का उपयोग करें। हम इस समय एक के साथ सक्रिय रूप से चर्चा कर रहे हैं।” उन्होंने उस भारतीय एयरलाइन कंपनी का नाम बताने से इनकार कर दिया, जिसके साथ बातचीत चल रही है।वाट्स ने कहा कि एक लाख वर्ग मीटर में फैली यह सुविधा "अल्पावधि और मध्यम अवधि के लिए सही आकार की है" और इसमें आगे विस्तार की गुंजाइश है। उन्होंने कहा, “हमारी समग्र सुविधा के आकार के संदर्भ में, हम वास्तव में सोचते हैं कि हम अल्पावधि और मध्यम अवधि के लिए सही आकार के हैं... हांगकांग में सामान्य कार्गो के मामले में हमारे पास बढ़ने के लिए बहुत सारे अवसर हैं। विशेष कार्गो के संदर्भ में, हम लगातार बाजार की समीक्षा करते हैं, और हम सिस्टम की निगरानी के लिए कार्गो के भीतर सुविधाओं का निर्माण करने पर विचार करेंगे।” भारत में कंपनी के विस्तार के बारे में, वॉट्स ने कहा कि कैथे कार्गो की दुनिया के दूसरे हिस्से में कार्गो टर्मिनल संचालित करने की तत्काल कोई योजना नहीं है। उन्होंने हालांकि कहा, "... मैं बस इतना ही कहूंगा कि कभी भी करेंगे, ऐसा कभी नहीं कहना चाहिए। अगर भारत या दुनिया में कहीं भी अच्छा अवसर मिलता है, जहां कैथे कार्गो टर्मिनल के लिए निवेश हो सकता है, तो हम उस पर विचार करेंगे।"
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नयी दिल्ली। स्थानीय शेयर बाजारों की दिशा इस सप्ताह अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के ब्याज दर पर निर्णय से तय होगी। इसके अलावा वैश्विक मोर्चे पर कई वृहद आर्थिक आंकड़े और विदेशी निवेशकों की गतिविधियां भी बाजार को दिशा देंगी। विश्लेषकों ने यह राय जताई है। भारतीय शेयर बाजार के लिए बीता सप्ताह काफी उल्लेखनीय रहा। बृहस्पतिवार को निफ्टी और सेंसेक्स दोनों अपने सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गए। उसी दिन बीएसई के 30 शेयरों वाले सेंसेक्स ने पहली बार 83,000 अंक के स्तर को पार किया।
स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट लि. के शोध प्रमुख संतोष मीणा ने कहा, ‘‘इस सप्ताह साल का सबसे महत्वपूर्ण घटनाक्रम होने जा रहा है। फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) की बैठक 18 सितंबर को होगी। यह लगभग तय है कि इससे ब्याज दर में कटौती चक्र की शुरुआत होगी। अमेरिका में आम सहमति ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती को लेकर है। हालांकि, कुछ बाजार भागीदार ब्याज दर में आधा प्रतिशत कटौती की उम्मीद कर रहे हैं।'' मीणा ने कहा, ‘‘इस तरह का कदम वैश्विक बाजारों के लिए एक महत्वपूर्ण सकारात्मक संकेतक होगा, खासकर भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए। इससे डॉलर कमजोर होगा और अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल में कमी आएगी, जिससे भारतीय शेयर बाजारों में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) का प्रवाह बढ़ेगा।'' उन्होंने कहा कि इसके अलावा जापान के मुद्रास्फीति आंकड़े शुक्रवार को आने हैं, जिसके बाद बैंक ऑफ जापान (बीओजे) की मौद्रिक नीति की घोषणा होगी। उन्होंने कहा कि विदेशी संस्थागत निवेशकों का प्रवाह, भू-राजनीतिक घटनाक्रम और कच्चे तेल के दाम भी बाजार के लिए महत्वपूर्ण रहेंगे। मास्टर कैपिटल सर्विसेज लि. की निदेशक पल्का अरोड़ा चोपड़ा ने कहा, ‘‘बाजार का परिदृश्य प्रमुख घरेलू और वैश्विक आर्थिक आंकड़ों...मसलन भारत की थोक मुद्रास्फीति, अमेरिका के औद्योगिक उत्पादन, अमेरिकी केंद्रीय बैंक के ब्याज दर पर निर्णय तथा अमेरिका के बेरोजगारी दावों के आंकड़ों से तय होगा।'' बीते सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 1,707.01 अंक या 2.10 प्रतिशत के लाभ में रहा। वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 504.35 अंक या 2.02 प्रतिशत चढ़ गया। रेलिगेयर ब्रोकिंग के वरिष्ठ उपाध्यक्ष-शोध अजित मिश्रा ने कहा, ‘‘आगे की ओर देखें, तो यह सप्ताह काफी महत्वपूर्ण है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दर पर निर्णय की घोषणा 18 सितंबर को होगी। घरेलू स्तर पर बाजार भागीदारों की निगाह थोक मुद्रास्फीति के आंकड़ों और विदेशी कोषों के प्रवाह पर रहेगी।'' जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ‘‘13 सितंबर को समाप्त सप्ताह में एक जो प्रमुख बात रही, वह यह कि एफआईआई ने सप्ताह के सभी दिन लिवाली की।'' उन्होंने कहा कि दो कारण हैं कि एफआईआई ने अपनी रणनीति को बदल दिया है। एक, अब इस बात पर आम सहमति है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक इस महीने से दरों में कटौती शुरू कर देगा, जिससे अमेरिका में बॉन्ड पर प्रतिफल घट जाएगा। इससे उभरते बाजारों में निवेश बढ़ेगा। दूसरा, भारतीय बाजार काफी जुझारू है और यदि एफआईआई यहां निवेश नहीं करते हैं, तो यह एक खराब रणनीति होगी।''
- नयी दिल्ली। जीएसटी जांच शाखा डीजीजीआई ने वित्त वर्ष 2023-24 में 2.01 लाख करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी से जुड़े 6,084 मामलों का पता लगाया है। यह राशि 2022-23 के दौरान 4,872 मामलों में पकड़ी गई 1.01 लाख करोड़ रुपये की जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) चोरी से दोगुनी है। जांच के दौरान ऑनलाइन गेमिंग, बीएफएसआई सेवाएं और धातु कारोबार सबसे अधिक कर चोरी की आशंका वाले क्षेत्र के रूप में उभरे हैं। इसके अलावा 2023-24 में 26,605 करोड़ रुपये के स्वैच्छिक कर का भुगतान किया गया, जो 2022-23 के 20,713 करोड़ रुपये से अधिक है। जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार कर चोरी के लगभग 46 प्रतिशत मामले कर का भुगतान न करने (गुप्त आपूर्ति और कम मूल्यांकन के जरिये) से संबंधित हैं। इसके अलावा 20 प्रतिशत मामले फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) से संबंधित हैं, और 19 प्रतिशत मामले आईटीसी का गलत लाभ उठाने से संबंधित हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि 2023-24 के दौरान ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र में 78 मामलों में 81,875 करोड़ रुपये की अधिकतम कर चोरी पायी गई। इसके बाद बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं और बीमा (बीएफएसआई) क्षेत्र में 171 मामलों में 18,961 करोड़ रुपये की कर चोरी पकड़ी गई। लोहा, तांबा, स्क्रैप और मिश्र धातु क्षेत्रों में जीएसटी चोरी के 1,976 मामले पकड़े गए, जिनमें 16,806 करोड़ रुपये की कर चोरी हुई। पान मसाला, तंबाकू, सिगरेट और बीड़ी उद्योग में 212 मामलों के साथ 5,794 करोड़ रुपये की कर चोरी हुई।
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नई दिल्ली। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि पांच सितंबर को शुरू की गई सरकार की सब्सिडी वाले प्याज की बिक्री की पहल से कुछ ही दिनों में प्रमुख शहरों में कीमतों में गिरावट आई है।मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि दिल्ली में प्याज की खुदरा कीमत 60 रुपये से घटकर 55 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई, जबकि मुंबई में 61 रुपये से घटकर 56 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई। चेन्नई में खुदरा कीमत 65 रुपये से घटकर 58 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई।
सरकार ने मोबाइल वैन और एनसीसीएफ और नैफेड के आउटलेट के जरिए 35 रुपये प्रति किलोग्राम की सब्सिडी दर पर प्याज की बिक्री शुरू की है। दिल्ली और मुंबई में शुरू हुआ यह कार्यक्रम अब चेन्नई, कोलकाता, पटना, रांची, भुवनेश्वर और गुवाहाटी सहित अन्य प्रमुख शहरों में भी फैल चुका है।बढ़ती मांग को देखते हुए सरकार ने सब्सिडी वाले प्याज की मात्रा बढ़ाने और वितरण चैनलों का विस्तार करके ई-कॉमर्स मंच, केंद्रीय भंडार आउटलेट और मदर डेयरी के सफल स्टोर को शामिल करने का फैसला किया है।सरकार ने प्रमुख शहरों में प्याज़ का थोक निपटान भी शुरू कर दिया है। यह दिल्ली, मुंबई और चेन्नई में पहले ही शुरू हो चुका है, और हैदराबाद, बेंगलुरु और कोलकाता और अंततः सभी राज्यों की राजधानियों तक इसे विस्तारित करने की योजना है। रसद आपूर्ति में सुधार और कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने के लिए सड़क और रेल नेटवर्क दोनों को शामिल करते हुए एक दोहरी परिवहन रणनीति लागू की जा रही है।उपभोक्ता मामले विभाग मांग और मूल्य प्रवृत्तियों के आधार पर लक्षित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रहा है। मंत्रालय ने कहा कि 4.7 लाख टन प्याज के बफर स्टॉक और पिछले वर्ष की तुलना में खरीफ बुवाई क्षेत्र में वृद्धि के साथ “सरकार को उम्मीद है कि आने वाले महीनों में प्याज की कीमतें नियंत्रण में रहेंगी।” इसमें कहा गया है कि उन्नत खुदरा और थोक बिक्री रणनीतियों के संयोजन से कीमतों में स्थिरता आएगी और किफायती प्याज की व्यापक उपलब्धता सुनिश्चित होगी। - नयी दिल्ली ।इस साल जुलाई में खनन और विनिर्माण क्षेत्रों के खराब प्रदर्शन की वजह से देश की औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर सुस्त पड़कर 4.8 प्रतिशत पर आ गई। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की तरफ से गुरुवार को औद्योगिक उत्पादन के ये आंकड़े जारी किए गए। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के संदर्भ में मापा जाने वाला कारखाना उत्पादन जुलाई, 2023 में 6.2 प्रतिशत बढ़ा था। एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, इस साल जुलाई में देश का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक 4.8 प्रतिशत बढ़ा था। आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन जुलाई में 4.6 प्रतिशत बढ़ा जबकि एक साल पहले इसी महीने में यह 5.3 प्रतिशत बढ़ा था। खनन क्षेत्र की वृद्धि दर जुलाई, 2024 में 3.7 प्रतिशत रही जबकि बिजली उत्पादन में 7.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों (अप्रैल-जुलाई) में देश का औद्योगिक उत्पादन 5.2 प्रतिशत की दर से बढ़ा है जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 5.1 प्रतिशत बढ़ा था।
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नयी दिल्ली. खुदरा महंगाई दर अगस्त महीने में मामूली बढ़कर 3.65 प्रतिशत रही। यह भारतीय रिजर्व बैंक के चार प्रतिशत के लक्ष्य के दायरे में है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई, 2024 में 3.6 प्रतिशत थी जबकि बीते वर्ष अगस्त में यह 6.83 प्रतिशत थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की विज्ञप्ति के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की महंगाई अगस्त महीने में मामूली बढ़कर 5.66 प्रतिशत रही जो जुलाई में 5.42 प्रतिशत थी। सरकार ने रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी दी हुई है।
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नई दिल्ली।, सोशल मीडिया कंपनी मेटा ने अपने मैसेजिंग मंच व्हाट्सएप के बिज़नेस खंड में कई नई खूबियां एवं सुविधाओं को पेश करते हुए कहा है कि अधिक संख्या में कारोबार अपने ग्राहकों से जुड़ने के लिए इस मैसेजिंग सेवा का सहारा ले रहे हैं। व्हाट्सएप बिज़नेस खंड में अब छोटे कारोबार के लिए सत्यापित बैज उपलब्ध होगा जो उपभोक्ताओं के साथ भरोसा और साख स्थापित करने का काम करेगा।फेसबुक, व्हाट्सएप एवं इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया मंचों का परिचालन करने वाली कंपनी मेटा ने यहां आयोजित ‘व्हाट्सएप बिजनेस समिट’ में त्वरित संदेश सेवा से जुड़े अनुभव को बेहतर करने के लिए कृत्रिम मेधा (एआई) ‘टूल’ पर भी प्रकाश डाला। मेटा ने कहा कि व्हाट्सएप बिज़नेस ऐप से सीधे एआई टूल को सक्रिय किया जा सकेगा। इस तरह कारोबार अपने ग्राहकों के साथ अधिक कुशलता से जुड़ सकेंगे।
मेटा ने इस टूल का हाल ही में भारत में परीक्षण शुरू किया है, और इसके शुरुआती नतीजे रोमांचक हैं। इसके साथ ही मेटा ने व्हाट्सएप बिज़नेस ऐप पर ग्राहक के हिसाब से तैयार संदेश भेजने की सुविधा देने का ऐलान किया। इसने भारत में छोटे व्यवसायों की वृद्धि को अपना समर्थन देने की प्रतिबद्धता भी जताई।कंपनी के बयान के मुताबिक, सत्यापित बैज वाले व्हाट्सएप बिजनेस अकाउंट रखने वाले छोटे कारोबार के लिए अपने ग्राहकों के बीच अपनी विश्वसनीयता स्थापित करने में मदद मिलेगी। मेटा ने कहा कि नई सुविधाओं और अपडेट की शृंखला देश भर के व्यवसायों को अपनी उपस्थिति बढ़ाने और ग्राहकों के लिए बेहतरीन इन-चैट अनुभव बनाने में मदद करेगी। इससे कारोबारी क्षेत्रों को आगामी त्योहारी मौसम से पहले अपना प्रदर्शन बेहतर करने का मौका भी मिलेगा। मेटा इंडिया की उपाध्यक्ष संध्या देवनाथन ने कहा, ‘‘जिस तरह से हम किसी कारोबार को व्हाट्सएप करते हैं, वह लगातार बढ़ रहा है। जिस तरह से भारतीय व्यवसायों को व्हाट्सएप कर रहे हैं, वह किसी से कम नहीं है।’’ -
नई दिल्ली। जी-20 शेरपा अमिताभ कांत ने कहा है कि अगले दशक में दुनिया की कुल वृद्धि में 20 प्रतिशत योगदान भारत का होगा। इसका प्रमुख कारण यह है कि देश वैश्विक स्तर पर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है।कांत ने यहां आइमा के सम्मेलन में कहा कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है और पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
उन्होंने कहा, ‘‘अगले तीन साल में, हम जापान और जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे। एक ऐसी दुनिया में जो वृद्धि के लिए आकांक्षी है…दूसरी तरफ भारत वृद्धि को गति देने वाली एक बहुत ही मजबूत शक्ति के रूप में उभरा है।’’कांत ने कहा कि अगले दशक में दुनिया की कुल वृद्धि में 20 प्रतिशत का योगदान भारत का होगा। उन्होंने कहा, ‘‘आज हम जो देख रहे हैं वह हमारी आर्थिक स्थिति में पीढ़ियों में एक बार होने वाला बदलाव है। कुछ साल पहले, हम पांच कमजोर देशों में शामिल थे और एक दशक में हम शीर्ष पांच में आ गए।’’जी-20 शेरपा ने कहा कि देश को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए गांवों में रहने वाले लोगों के जीवन को बदलने, स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार लाने और पोषण मानकों को बढ़ाने की जरूरत है। कांत ने कहा कि भारत को भविष्य में वृद्धि के लिए कई ‘चैंपियन’ राज्यों की जरूरत है।उन्होंने कहा, ‘‘यदि भारत को अगले तीन दशकों में नौ से 10 प्रतिशत की दर से वृद्धि हासिल करनी है और 2047 तक एक विकसित अर्थव्यवस्था बनना है, तो हमें अपने सीखने के परिणामों (कौशल), अपने स्वास्थ्य क्षेत्रों और पोषण मानकों में बड़े पैमाने पर सुधार करने की आवश्यकता है।’’कांत के अनुसार, इसका मतलब है कि बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे कई राज्यों को बदलने की जरूरत है। इन राज्यों में देश की लगभग 50 प्रतिशत आबादी रहती है। उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम उन्हें बदलें। यह जरूरी है कि वे मानव विकास सूचकांक में सुधार के मुख्य सूत्रधार बनें।’’ कांत ने कहा कि भारत की शीर्ष 50 प्रतिशत आबादी वास्तव में वृद्धि सृजित करती है और समृद्धि लाती है। वहीं मुख्य रूप से ग्रामीण इलाकों में रहने वाली नीचे की 50 प्रतिशत आबादी बुनियादी जीवनस्तर हासिल करने के लिए कृषि श्रम या सरकार की कल्याणकारी योजनाओं पर निर्भर है। उन्होंने कहा, ‘‘यह महत्वपूर्ण है कि हम इन लोगों के जीवन में बदलाव लाएं।’’ - नई दिल्ली। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को बताया कि भारत के सेमीकंडक्टर मिशन (सेमीकॉन इंडिया) के दूसरे चरण पर काम आगे बढ़ चुका है और इसे अगले तीन-चार महीनों में शुरू किया जाएगा। इसके तहत सरकार देश में चिप संयंत्र स्थापित करने वाली इकाइयों को वित्तीय मदद मुहैया करवाएगी।वैष्णव ने उत्तर प्रदेश के नोएडा में सेमीकॉन इंडिया के संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सेमीकॉन 1.0 की तुलना में इस योजना का स्तर कहीं अधिक व्यापक होगा। हालांकि मंत्री ने यह नहीं बताया कि सेमीकॉन कार्यक्रम के अगले चरण के लिए आवंटन राशि कितनी होगी।वैष्णव ने बताया, ‘हम सेमीकॉन कार्यक्रम के प्रथम चरण के व्यावहारिक रूप से पूरा होने के स्तर पर हैं। अब हम सेमीकॉन 2.0 की योजना बना रहे हैं और यह प्रथम चरण से कहीं अधिक विस्तृत होगा।’मंत्री ने घोषणा की कि देश में उत्तर प्रदेश सेमीकंडक्टर संयंत्र वाला चौथा राज्य होगा। अभी तक गुजरात, असम और महाराष्ट्र में चिप इकाइयों को मंजूरी मिली है।वैष्णव ने बताया कि सेमीकॉन 2.0 के तहत इकोसिस्टम साझेदारों, उपकरण विनिर्माताओं, फैब्स, एटीएमपी व संपूर्ण सेमीकंडकर इकोसिस्टम पर बराबर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। नई योजना में तीन मुख्य क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है : उपकरण विनिर्माताओं को आकर्षित करना, चुनिंदा सामग्री के विकास को बढ़ावा देना और भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए अनिवार्य रासायनिक आपूर्ति को सुनिश्चित करना। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत के सेमीकंडक्टर मिशन के प्रथम चरण में पांच चिप परियोजनाओं के लिए 76,000 करोड़ रुपये का परिव्यय मंजूर किया है।
- नई दिल्ली। केंद्र सरकार देश में त्योहारी सीजन के दौरान मिठाई, नमकीन और दुग्ध उत्पादों में मिलावट को रोकने के लिए सक्रिय हो गई है। सरकार त्योहारी सीजन के दौरान खासकर दीवाली पर मिठाइयों, नमकीन, दूध और दूध से बने उत्पादों जैसे घी, खोया, पनीर आदि में मिलावट की जांच के लिए विशेष अभियान चलाने जा रही है।केंद्र सरकार की एजेंसी भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने राज्यों के खाद्य संरक्षा विभागों और FSSAI के सभी क्षेत्रीय निदेशकों को मिलावट खोरों के खिलाफ अभियान चलाने को कहा है।निर्माण व बिक्री पर रखी जाएगी कड़ी नजरFSSAI ने मिठाई, नमकीन और दुग्ध उत्पादों में मिलावट को रोकने के लिए राज्यों के खाद्य संरक्षा विभागों को जारी एक आदेश में कहा कि देश में आने वाले त्योहारी सीजन के दौरान मिठाई, नमकीन, दूध और दूध से बने उत्पाद जैसे घी, खोया, पनीर आदि की मांग बढ़ जाती है और जिसके परिणामस्वरूप उपभोक्ता की बढ़ती मांगों को पूरा करने और अधिक कमाई के लिए ऐसे उत्पादों में मिलावट करने की आशंका भी बढ़ जाती है। इसलिए इस मिलावट को रोकने के लिए खाद्य सुरक्षा अधिकारियों द्वारा विशेष निगरानी अभियान चलाने की जरूरत है।इस अभियान के तहत त्योहारी मौसम के दौरान मिठाई, नमकीन, दूध और दूध से बने उत्पाद जैसे घी, खोया, पनीर आदि के निर्माण और बिक्री पर कड़ी निगरानी रखी जाए। इस सीजन के दौरान ऐसी किसी भी गड़बड़ी को रोकने के लिए लगातार सतर्कता/निगरानी अभियान चलाए जाने चाहिए।साथ ही जहां उपलब्ध हो, वहां प्रमुख बाजारों में या विशिष्ट खुफिया इनपुट के आधार पर चिन्हित स्थानों पर मिलावट की जांच करने के लिए food safety on wheels (FSW) मोबाइल वैन तैनात किए जाने चाहिए। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसे उत्पाद खाने के लिए सुरक्षित हैं और संबंधित खाद्य उत्पाद मानकों के अनुसार बने हैं।
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- ट्रेड कनेक्ट ई-प्लेटफॉर्म: निर्यात, आयात से जुड़ी हर जानकारी होगी उपलब्ध
नई दिल्ली। सरकार ने बुधवार को निर्यात और आयात से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी देने के लिए व्यापार पोर्टल शुरू किया। इस कदम से सभी उद्यमियों को मदद मिलेगी। ‘ट्रेड कनेक्ट ई-प्लेटफॉर्म’ को सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (MSME) मंत्रालय, भारत निर्यात-आयात बैंक, TCS, वित्तीय सेवा विभाग और विदेश मंत्रालय के सहयोग से तैयार किया गया है।वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने पोर्टल पेश करते हुए कहा कि यह मंच सीमा शुल्क, नियमों समेत सभी प्रकार की सूचनाएं एक ही जगह पर उपलब्ध कराएगा। पोर्टल निर्यातकों को व्यापक समर्थन और संसाधन प्रदान कर सूचना की कमी की समस्या को दूर करने का काम करेगा।विदेश व्यापार महानिदेशक (DGFT) संतोष कुमार सारंगी ने कहा कि यह निर्यातकों को तत्काल समय पर महत्वपूर्ण व्यापार-संबंधी जानकारी उपलब्ध कराएगा। साथ ही उन्हें विदेश में भारतीय दूतावास, वाणिज्य विभाग, निर्यात संवर्धन परिषद जैसी प्रमुख सरकारी संस्थाओं और विशेषज्ञों से जोड़ेगा। उन्होंने कहा कि यह मंच निर्यातकों को निर्यात के हर चरण में सहायता करने के लिए तैयार किया गया है। यह मंच छह लाख से अधिक आईईसी (आयात-निर्यात कोड) धारकों, 180 से अधिक भारतीय दूतावास के अधिकारियों, 600 से अधिक निर्यात संवर्धन परिषद के अधिकारियों के अलावा DGFT, वाणिज्य विभाग और बैंकों के अधिकारियों को जोड़ेगा।गोयल ने कहा कि पोर्टल को नियमित रूप से अद्यतन किया जाएगा और संबंधित पक्षों की प्रतिक्रिया के आधार पर 2025 में इसका दूसरा संस्करण पेश करने में मदद मिलेगी। इसे क्षेत्रीय भाषाओं में भी जारी किया जाएगा।उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक व्यापार संकट की स्थिति में है लेकिन यह दुनिया में भारत की बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने का हमारा प्रयास है।’’ सारंगी ने कहा कि दूसरे संस्करण में बैंक, बीमा और लॉजिस्टिक जैसी अन्य सेवाएं शामिल होंगी। वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा, ‘‘यह निर्यातकों के लिए एक चैटजीपीटी होगा… हम चाहते हैं कि उद्यमी व्यापार में आगे बढ़ें। जब तक हमारे पास उद्यमी नहीं होंगे, तब तक (2030 तक) वस्तुओं और सेवाओं के 2,000 अरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल होगा।’’
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नई दिल्ली। केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आज ऐलान किया कि 2025 के मध्य तक देश के उन 25 हजार गांवों तक टेलीकॉम और मोबाइल इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी, जहां अभी तक ये सुविधाएं नहीं उपलब्ध हो पाईं हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इसका उद्देश्य देश के हर इलाके में पूरी तरह से पहुंच सुनिश्चित करना है। सरकारी कपनी BSNL अगले साल के मध्य तक 1 लाख टेलीकॉम टावरों के साथ अपना 4G नेटवर्क लॉन्च करेगी।
लगाए जा चुके कुल 4 लाख 50 हजार टावरसिंधिया ने अखिल भारतीय प्रबंधन संघ के 51वें राष्ट्रीय प्रबंधन सम्मेलन में कहा कि देशभर में कुल 4 लाख 50 हजार टावर लगाए जा चुके हैं, लेकिन कुछ गांव अभी भी जुड़े नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘हमने लगभग 20 हजार टावर लगाने और इस पहल के लिए 45 हजार करोड़ रुपये की प्रतिबद्धता जताई है, जिसे 2025 के मध्य तक पूरा कर लिया जाएगा।’पूर्वोत्तर भारत में सबसे अधिक कनेक्टिविटी की कमीसिंधिया ने बताया कि देश में सबसे ज्यादा बिना कनेक्टिविटी वाले गांव पूर्वोत्तर भारत में हैं, जिनकी संख्या लगभग 6 हजार है। उन्होंने कहा कि इन गांवों में से आधे को टेलीकॉम सेवाओं से जोड़ा जा चुका है। बता दें कि सिंधिया पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास मंत्रालय का भी कार्यभार संभालते हैं।उन्होंने यह भी बताया कि कनेक्शन विस्तार, स्वदेशी टेलीकॉम उत्पादन और नई टेक्नोलॉजी का विकास सरकार के तीन प्रमुख लक्ष्यों में शामिल है। देश ‘भारत 6जी एलायंस’ के तहत मोबाइल फोन का उत्पादन कर रहा है और सरकार का लक्ष्य है कि इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय पेटेंट का 10 प्रतिशत हिस्सा हासिल करे।पहले की समय सीमाओं में हुई देरीभारत टेलीकॉम कनेक्टिविटी के लिए पहले निर्धारित समयसीमाओं को पूरा करने में संघर्ष करता रहा है। जुलाई 2019 में, तत्कालीन दूरसंचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कंपनियों से एक साल के भीतर उन सभी 43 हजार गांवों को जोड़ने का आह्वान किया था, जहां बेसिक टेलीफोन सेवाएं नहीं थीं।अप्रैल 2023 में, तत्कालीन दूरसंचार राज्य मंत्री देवुसिंह चौहान ने कहा था कि 2024 तक 4G कनेक्शन से रहित 38,000 से अधिक गांवों को जोड़ा जाएगा।BSNL के 4G नेटवर्क रोलआउट के माध्यम से दूर-दराज और कठिन क्षेत्रों के गांवों को जोड़ा जाना था, लेकिन BSNL के 4G सेवा लॉन्च की योजनाएं बार-बार देरी का शिकार हुई हैं, जबकि रिलायंस जियो (Reliance Jio), भारती एयरटेल (Bharti Airtel) और वोडाफोन आइडिया जैसी प्राइवेट टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर कंपनियां पहले ही 4G सेवाएं लॉन्च कर चुकी हैं। BSNL की डेडलाइन्स दिसंबर 2023 और जून 2024 तक कई बार असफल रही हैं। -
तिरुवनंतपुरम. ‘एअर इंडिया एक्सप्रेस' ने केरल से सऊदी अरब की राजधानी रियाद के लिए उड़ान सेवा शुरू करने की प्रवासी भारतीयों की लंबे समय से की जा रही मांग को स्वीकार कर लिया है। तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा लिमिटेड (टीआईएएल) ने मंगलवार को यह जानकारी दी। टीआईएएल ने कहा कि ‘एअर इंडिया एक्सप्रेस' ने दक्षिणी राज्य के प्रवासियों को ‘ओणम' उपहार के रूप में नौ सितंबर को तिरुवनंतपुरम से रियाद के लिए अपनी उड़ान सेवा शुरू की। उड़ान संख्या -आईएक्स 521 प्रत्येक सोमवार को रात्रि 7:55 बजे तिरुवनंतपुरम से रवाना होगी और रात 10:40 बजे रियाद पहुंचेगी। टीआईएएल ने एक विज्ञप्ति में कहा कि वापसी की उड़ान आईएक्स 522 उसी दिन रात 11:20 बजे रियाद से रवाना होगी और मंगलवार को सुबह साढ़े सात बजे केरल की राजधानी पहुंचेगी। विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘सऊदी अरब में कामकाज कर रहे केरल और तमिलनाडु के प्रवासियों को नई सेवा से लाभ होगा। तिरुवनंतपुरम से सऊदी अरब के दम्माम तक सीधी सेवा है।''
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नयी दिल्ली. देश की सबसे बड़ी कार विनिर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया इलेक्ट्रिक वाहन खरीदारों के लिए एक समग्र परिवेश स्थापित करना चाहती है। कंपनी अगले साल की शुरुआत में अपना पहला बैटरी चालित मॉडल पेश करने की तैयारी कर रही है। कंपनी इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग संबंधी बुनियादी ढ़ांचा स्थापित करने तथा ऐसे मॉडल को दोबारा बेचने के अवसर जैसे अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर भी विचार करेगी। उद्योग निकाय सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) के 64वें वार्षिक सत्र से इतर मारुति सुजुकी इंडिया (एएसआई) के वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी (विपणन व बिक्री) पार्थ बनर्जी ने पत्रकारों से कहा, ‘‘ हम न केवल उत्पाद पेश करने जा रहे हैं, बल्कि हम मूल रूप से उन ग्राहकों के लिए एक संपूर्ण परिवेश प्रदान करने जा रहे हैं जो इलेक्ट्रिक वाहन परिवार का हिस्सा बनने को तैयार हैं।'' उन्होंने कहा कि ईवी उपयोगकर्ताओं के लिए सबसे बड़ी चिंता बैटरी को एक बार चार्ज करने पर वाहन कितना चलेगा, इसको लेकर है। बनर्जी ने कहा, ‘‘ दूसरा, यह ईवी बुनियादी ढ़ांचा है और तीसरा यह पांच साल बाद पुराने वाहन के लिए क्या मूल्य मिलेगा।
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छत्तीसगढ़ के पांच जिले शामिल
नयी दिल्ली.सरकार झारखंड और छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिलों और आदिवासी क्षेत्रों में दलहन विशेष रूप से 'अरहर' और 'उड़द' की खेती को प्रोत्साहित कर रही है। इस पहल का मकसद उत्पादन और किसानों की आय को बढ़ावा देना है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि यह पहल, गैर-परंपरागत दाल उत्पादक क्षेत्रों पर केंद्रित है। यह एक प्रायोगिक परियोजना है। इसे सफल होने पर पूरे देश में विस्तारित किया जा सकता है, जिससे भारत की आयात पर निर्भरता कम हो सकती है। इस परियोजना के संचालन का जिम्मा भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) को सौंपा गया है। उसने झारखंड में चार और छत्तीसगढ़ में पांच जिलों को इसके कार्यान्वयन के लिए चुना है। एनसीसीएफ की प्रबंध निदेशक अनीस जोसेफ चंद्रा ने पीटीआई-भाषा से कहा, “हम झारखंड और छत्तीसगढ़ के चुनिंदा नक्सल प्रभावित और आदिवासी क्षेत्रों में इस खरीफ सत्र में अरहर और उड़द उत्पादन को बढ़ावा दे रहे हैं, जिसमें महिला किसान भी शामिल हैं।” लक्षित जिलों में छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव, जशपुर, बस्तर और मोहला मानपुर तथा झारखंड के पलामू, कटिहार, दुमका और गढ़वा शामिल हैं। चालू खरीफ सत्र के लिए हाइब्रिड बीज वितरित किए गए हैं। किसानों को सहकारी समिति को अपनी उपज बेचने के लिए एनसीसीएफ के पोर्टल पर पहले से पंजीकरण कराने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रौद्योगिकी से कम परिचय वाले किसानों के लिए ऑफलाइन आवेदन उपलब्ध हैं। एनसीसीएफ न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर दालों की खरीद करेगा, लेकिन अगर बाजार मूल्य एमएसपी से अधिक हो जाता है तो किसान निजी व्यापारियों को बेच सकते हैं। चंद्रा ने कहा, "सुनिश्चित खरीद से किसानों को खेती का विस्तार करने और अपनी आय बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा, साथ ही भारत के दाल आयात को कम करने में मदद मिलेगी।" एनसीसीएफ सरकारी बफर स्टॉक (अतिरिक्त भंडारण) के लिए दालों की खरीद करता है। उसका इस पहल के माध्यम से अपने कुल लक्ष्य की आधी मात्रा प्राप्त करने का लक्ष्य है। सहकारी समिति दाल उत्पादकों के साथ अनुबंध खेती में भी शामिल है, जिससे उन्हें एनसीसीएफ या निजी व्यापारियों को बेचने का विकल्प मिल रहा है। -
नयी दिल्ली. डिजिटल मामलों में महारथ रखने वाली पीढ़ी 'जेनरेशन जेड' उपभोग के रुझानों में बड़े बदलाव की पटकथा लिखकर भारत के उपभोक्ता बाजारों में महत्वपूर्ण जगह बना रही है। बर्नस्टीन की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई। वर्ष 1995 से 2010 के बीच जन्मे लोगों को 'जेनरेशन जेड' में शामिल किया जाता है।
रिपोर्ट के मुताबिक विभिन्न ब्रांड इस पीढ़ी के साथ गहरा संबंध बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जो डिजिटल रूप से काफी पारंगत और मोबाइल ऐप को तरजीह देने वाली है। यह पीढ़ी सोशल मीडिया से लेकर टैक्सी लेने और खाना मंगाने तक के लिए मोबाइल का सहारा लेती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय जेनरेशन जेड दुनिया में सबसे बड़ी है, जो ऑनलाइन खरीदारी करती है, काम करती है और खाना मंगाती है। इसमें कहा गया कि भारतीय जेनरेशन जेड दुनिया की 20 प्रतिशत और भारत की आबादी का लगभग 27 प्रतिशत हिस्सा है। रिपोर्ट में पाया गया कि जेन जेड डिजिटल रूप से अग्रणी और नए जमाने के ब्रांड्स को प्राथमिकता दे रही है। भारत की कुल खपत में जेन जेड की लगभग 17 प्रतिशत हिस्सेदारी है, और इसमें वृद्धि की काफी गुंजाइश है।
- नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ‘एक राज्य, एक ग्रामीण बैंक’ नीति के अंतर्गत क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) को एकीकृत करने की योजना बना रहा है। इस कदम का उद्देश्य क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की दक्षता में सुधार लाना और प्रायोजक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बीच अनुचित प्रतिस्पर्धा को रोकना है।खबरों के अनुसार ‘एक राज्य, एक ग्रामीण बैंक नीति पर विचार किया जा रहा है और इस पर काम चल रहा है। इसका लक्ष्य क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की संख्या को मौजूदा 43 से घटाकर करीब 30 करने की है।’ इसके परिणामस्वरूप प्रदर्शन के आधार पर एक राज्य के भीतर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का एक प्रायोजक बैंक में विलय किया जाएगा। इससे प्रत्येक राज्य में एक प्रायोजक बैंक होगा जो उस राज्य के अन्य ग्रामीण बैंकों की परिसंपत्तियों को अपने में मिलाएगा।क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक क्षेत्रीय स्तर पर खोले जाते हैं और इनका मकसद ग्रामीण क्षेत्रों को वित्तीय सेवाएं मुहैया कराना होता है। इस तरह के बैंकों को आरआरबी अधिनियम, 1976 के तहत केंद्र सरकार, राज्य सरकार और प्रायोजक बैंकों की ओर से पूंजी प्रदान की जाती है।देश का सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक सर्वाधिक 14 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का प्रायोजक है। इसके बाद पंजाब नैशनल बैंक 9, केनरा बैंक 4, बैंक ऑफ बड़ौदा तथा इंडियन बैंक 3-3, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया 2, यूको बैंक, जम्मू ऐंड कश्मीर बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूनियन बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र 1-1 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के प्रायोजक हैं।राज्यों की बात करें तो आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल में 3-3 आरआरबी हैं, जबकि बिहार, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तेलंगाना में 2-2 आरआरबी हैं। वित्त वर्ष 2024 में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों ने अभी तक का सर्वाधिक 7,571 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया था और उनके सकल गैर-निष्पादित आस्तियों का अनुपात 6.1 फीसदी रहा, जो 10 साल में सबसे कम है।पिछले महीने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के शीर्ष अधिकारियों की बैठक हुई थी। इसमें प्रायोजक बैंकों को व्यावसायिक प्रदर्शन में सुधार लाने, डिजिटल प्रौद्योगिकी सेवाओं को उन्नत बनाने और एमएसएमई क्लस्टरों में विकास को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया गया था। आरआरबी से कहा गया था कि समय के साथ प्रासंगिक बने रहने के लिए वे अपनी प्रौद्योगिकी को अपडेट करें। वित्त मंत्री ने कहा कि मोबाइल बैंकिंग जैसी डिजिटल बैंकिंग सेवाएं चुनौतीपूर्ण यातायात संपर्क वाले क्षेत्रों, जैसे पूर्वोत्तर के राज्यों और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होंगी।
- मुंबई. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने बृहस्पतिवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के नए बाहरी सदस्यों की नियुक्ति समय पर हो जाएगी। यहां वार्षिक ‘फिबैक' कार्यक्रम के मौके पर संवाददाताओं से दास ने कहा कि एमपीसी की बैठक सात अक्टूबर से शुरू हो रही है। यह तभी हो सकती है जब सभी सदस्य मौजूद होंगे। उन्होंने कहा, “नए सदस्यों की नियुक्ति तो होनी ही चाहिए तभी हम बैठक कर सकते हैं। ऐसा होना चाहिए। हमें उम्मीद है कि नए सदस्य समय पर नियुक्त हो जाएंगे।” तीन बाहरी सदस्यों - आशिमा गोयल, जयंत वर्मा और शशांक भिड़े का चार साल का कार्यकाल चार अक्टूबर को समाप्त हो रहा है। समिति में नियुक्तियां सरकार द्वारा की जाती हैं। एमपीसी की अध्यक्षता आरबीआई के गवर्नर करते हैं और इसमें छह सदस्य होते हैं। इसमें गवर्नर समेत रिजर्व बैंक के तीन प्रतिनिधि होते हैं, जबकि अन्य तीन बाहरी सदस्य होते हैं। प्रस्ताव को सार्वजनिक किए जाने से पहले सदस्य दर निर्धारण पर मतदान करते हैं और बराबरी की स्थिति में गवर्नर के पास निर्णायक मत होता है। दर निर्धारण समिति में हाल ही में कुछ असहमति देखी गई है, जिसमें गोयल ने ब्याज दरों में कटौती के पक्ष में वर्मा का साथ दिया है, जबकि अन्य चार ने लगातार मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने का पक्ष लिया है। इससे लगातार नौ एमपीसी बैठकों में केंद्रीय बैंक ने ब्याज दर के मोर्चे पर यथास्थिति कायम रखी है। असहमत एमपीसी सदस्यों के अनुसार, ब्याज दरों में कटौती में देरी से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर में कमी आ सकती है।
- मुंबई. बैंकों में घटते जमा स्तर को लेकर जताई जा रही चिंताओं के बीच भारतीय बैंक संघ (आईबीए) ने बृहस्पतिवार को कहा कि आसान नियमों के कारण खुदरा जमा बैंकों से म्यूचुअल फंड योजनाओं में जा रही है। आईबीए के चेयरमैन एम वी राव ने यहां आयोजित सालाना फिबैक सम्मेलन में कहा कि म्यूचुअल फंड कंपनियों के लिए आसान नियमों की वजह से निवेशकों को अधिक रिटर्न दे पाना आसान होता है। हालांकि, कोटक म्यूचुअल फंड के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) नीलेश शाह ने इस दावे को समझ पाने में असमर्थता जताई कि बैंकों की धीमी जमा वृद्धि का दोष म्यूचुअल फंड कंपनियों पर किस तरह डाला जा सकता है। दरअसल, एक साल से अधिक समय से बैंकिंग प्रणाली में कम जमा वृद्धि देखी जा रही है। ऐसे में ऋण मांग को बनाए रखने की इसकी क्षमता पर चिंता जताई जा रही है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्त दास सहित उद्योग का मानना है कि बचतकर्ता अपना पैसा उच्च प्रतिफल वाले म्यूचुअल फंड (एमएफ) में लगाना पसंद करते हैं और म्यूचुअल फंड योजनाओं का प्रबंधन करने वाली कंपनियों के मासिक प्रवाह में वृद्धि से इसकी पुष्टि भी होती है। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के प्रमुख राव ने कहा कि बैंकों के लिए कोष का निवेश विनियमों से तय होता है जबकि एमएफ कंपनियों पर ऐसे प्रतिबंध नहीं हैं। उन्होंने कहा कि एमएफ कंपनियों को कोई अंतिम उपयोग सत्यापन का सामना नहीं करना पड़ता है और बैंक ग्राहकों को अपना फंड उनके पास रखने का ‘निर्देश' नहीं दे सकते हैं। राव ने यह भी कहा कि 99 प्रतिशत म्यूचुल फंड निवेशक कोई शोध नहीं करते हैं और अपने दांव लगाने के लिए एक समूह के रूप में कार्य करते हैं, जिसके जोखिम भरे नतीजे सामने आ सकते हैं। इसके उलट प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य शाह ने धीमी जमा वृद्धि के लिए सरकारी शेष राशि को बैंकिंग प्रणाली से बाहर ले जाने, छोटी बचत योजनाओं की मौजूदगी और मुद्रा वितरण को बैंकों के विशेष अधिकार में रखने जैसे कारकों की ओर इशारा किया। शाह ने अमेरिका और अन्य बाजारों के अनुभव भी साझा किए, ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में जमा वृद्धि सुस्त पड़ने के ऐसे आरोप नहीं लगाए जाते हैं। हालांकि, शाह ने कहा कि उन्होंने मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि सरकारी शेष राशि बैंकों में जमा हो जिससे सरकार को सालाना 12,000 करोड़ रुपये तक का ब्याज भी मिलेगा।