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- देहरादून। केंद्र ने देहरादून से अयोध्या, वाराणसी और अमृतसर के लिए उड़ानों के परिचालन को सोमवार को मंजूरी दे दी। एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, तीनों उड़ान सेवाएं बुधवार से शुरू होंगी।उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का आभार जताया। देहरादून-वाराणसी उड़ान पंतनगर होते हुए जाएगी। अयोध्या के नवनिर्मित राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले धामी ने सिंधिया को पत्र लिखकर इन शहरों के बीच उड़ान सेवाएं शुरू करने का अनुरोध किया था।
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नई दिल्ली। सरकार ने नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड (एनसीईएल) के माध्यम से संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और बांग्लादेश को 64,400 टन प्याज के निर्यात की अनुमति दे दी है। वाणिज्य मंत्रालय ने इस बारे में अधिसूचना जारी की है। बांग्लादेश को जहां 50,000 टन प्याज के निर्यात की अनुमति दी गई है, वहीं यूएई को 14,400 टन प्याज का निर्यात किया जाएगा। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना में कहा, ‘‘एनसीईएल के माध्यम से संयुक्त अरब अमीरात को तिमाही 3,600 टन की सीमा के साथ 14,400 टन प्याज का निर्यात अधिसूचित किया गया है।'' डीजीएफटी वाणिज्य मंत्रालय की इकाई है जो आयात और निर्यात से संबंधित मानदंड को देखती है।बांग्लादेश को निर्यात के बारे में कहा गया है कि इसका तौर-तरीका एनसीईएल उपभोक्ता मामलों के विभाग के साथ विचार-विमर्श में तय करेगा। हालांकि, प्याज के निर्यात पर अभी प्रतिबंध है लेकिन सरकार कुछ मित्र देशों को एक निश्चित मात्रा में इसके निर्यात की अनुमति देती है। इस निर्यात की अनुमति सरकार द्वारा अन्य देशों से मिले अनुरोधों के आधार पर दी जाती है। पिछले साल आठ दिसंबर को सरकार ने घरेलू उपलब्धता बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रण में रखने के मकसद से इस साल 31 मार्च तक प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इससे पहले केंद्र ने अक्टूबर, 2023 में उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए खुदरा बाजार में 25 रुपये प्रति किलोग्राम की रियायती दर पर बफर स्टॉक के प्याज की बिक्री बढ़ाने का फैसला किया था। कीमतों पर काबू पाने के लिए सरकार पहले भी कई कदम उठा चुकी है। सरकार ने 28 अक्टूबर को 31 दिसंबर, 2023 तक प्याज निर्यात पर 800 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) लगाया था। अगस्त में भारत ने प्याज पर 31 दिसंबर, 2023 तक 40 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगाया था। चालू वित्त वर्ष में एक अप्रैल, 2023 से चार अगस्त, 2023 के बीच देश से 9.75 लाख टन प्याज का निर्यात किया गया। मूल्य के लिहाज से शीर्ष तीन आयातक देश बांग्लादेश, मलेशिया और संयुक्त अरब अमीरात हैं।
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नयी दिल्ली. केंद्रीय इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हरियाणा के हिसार में जिंदल स्टेनलेस लिमिटेड की स्टेनलेस स्टील क्षेत्र में स्थापित देश की पहली हरित हाइड्रोजन परियोजना का सोमवार को उद्घाटन किया। हरित हाइड्रोजन इकाई को जिंदल स्टेनलेस लिमिटेड (जेएसएल) ने हाइजेनको के सहयोग से स्थापित किया है। इसका लक्ष्य कार्बन उत्सर्जन में लगभग 2,700 टन प्रतिवर्ष की कटौती करना है। सिंधिया ने इस्पात सचिव नागेंद्र नाथ सिन्हा की उपस्थिति में इस परियोजना का ऑनलाइन उद्घाटन करते हुए कहा, ‘‘जेएसएल नवाचार के मामले में सबसे आगे रही है। मैं छत और फ्लोटिंग दोनों के साथ पहली हाइड्रोजन-आधारित इस्पात इकाई लगाने के लिए जेएसएल और हाइजेनको की सराहना करता हूं।'' हरित हाइड्रोजन इकाई के भीतर जलाशय में तैरते सौर पैनल लगे हैं जो पानी के वाष्पीकरण को कम करने में भी मदद करेंगे। इस संयंत्र को निर्माण-स्वामित्व-संचालन-हस्तांतरण मॉडल पर हाइजेनको लिमिटेड के साथ साझेदारी में विकसित किया गया है। हरित हाइड्रोजन का इस्तेमाल जेएसएल हिसार इकाई में स्टेनलेस स्टील निर्माण प्रक्रियाओं में करेगी। इस मौके पर जिंदल स्टेनलेस के प्रबंध निदेशक अभ्युदय जिंदल ने कहा कि हरित हाइड्रोजन स्टेनलेस स्टील उत्पादन का एक अनिवार्य तत्व है और पारंपरिक प्रक्रियाओं के जरिये हाइड्रोजन का उत्पादन कार्बन डाई-ऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने में मदद करता है।
- नयी दिल्ली. टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ने बृहस्पतिवार को कहा कि गुजरात के धोलेरा में पीएसएमसी के साथ साझेदारी में 91,000 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले सेमीकंडक्टर विनिर्माण संयंत्र का निर्माण इसी साल शुरू होने की उम्मीद है और इससे 20,000 से अधिक रोजगार पैदा होंगे। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पीएसएमसी के साथ साझेदारी में धोलेरा में सेमीकंडक्टर निर्माण संयंत्र लगाने के टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। यह भारत का पहला वाणिज्यिक सेमीकंडक्टर संयंत्र होगा। इसके साथ ही यह टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स का वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग में प्रवेश का भी माध्यम होगा। टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा, "टाटा समूह की देश में कई क्षेत्रों में अग्रणी रहने की परंपरा है, और हमें विश्वास है कि सेमीकंडक्टर विनिर्माण में भी हमारा प्रवेश इस विरासत को आगे बढ़ाएगा।" टाटा समूह की कंपनी ने एक बयान में कहा, "इस संयंत्र का निर्माण इस साल 91,000 करोड़ रुपये (11 अरब अमेरिकी डॉलर) के कुल निवेश के साथ शुरू होगा और इससे क्षेत्र में 20,000 से अधिक प्रत्यक्ष एवं परोक्ष कुशल नौकरियां पैदा होंगी।" टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ने भारत का पहला कृत्रिम मेधा (एआई)-सक्षम अत्याधुनिक संयंत्र लगाने के लिए पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉर्पोरेशन (पीएसएमसी) के साथ मिलकर काम किया है। इसकी विनिर्माण क्षमता प्रति माह 50,000 वेफर्स तक होगी। यहां पर वाहन, कंप्यूटिंग और डेटा स्टोरेज, वायरलेस संचार और एआई जैसे बाजारों में बढ़ती मांग को संबोधित करते हुए बिजली प्रबंधन आईसी, डिस्प्ले ड्राइवर, माइक्रोकंट्रोलर (एमसीयू) और उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग लॉजिक जैसे अनुप्रयोगों के लिए चिप बनाए जाएंगे।
- नयी दिल्ली। भारतीय अर्थव्यवस्था वर्ष 2023 के अंतिम तीन महीनों में उम्मीद से कहीं बेहतर 8.4 प्रतिशत की दर से बढ़ी जो डेढ़ साल में सबसे अधिक है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 8.4 प्रतिशत रही जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह 4.3 प्रतिशत थी। इसने समूचे वित्त वर्ष (2023-24) के लिए वृद्धि अनुमान को बढ़ाकर 7.6 प्रतिशत कर दिया है। चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि का यह अनुमान जनवरी में लगाए गए 7.3 प्रतिशत के पिछले अनुमान से बेहतर है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक भी क्रमशः 6.7 प्रतिशत और 6.3 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान जता चुके हैं। तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) की वृद्धि को विनिर्माण क्षेत्र में 11.6 प्रतिशत की वृद्धि से मजबूती मिली। इस दौरान सेवा क्षेत्र में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई लेकिन तिमाही के दौरान कृषि क्षेत्र में 0.8 प्रतिशत की मामूली गिरावट दर्ज की गई। इस अवधि में निजी उपभोग वृद्धि भी धीमी पड़कर 3.6 प्रतिशत रही। कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि निजी उपभोग में सुस्ती उच्च जीडीपी वृद्धि के लिए चिंता की बात है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिसंबर तिमाही के जीडीपी आंकड़ों पर कहा कि उनकी सरकार तेज आर्थिक वृद्धि को कायम रखने के लिए प्रयास जारी रखेगी। प्रधानमंत्री ने कहा, "वित्त वर्ष 2023-24 की तीसरी तिमाही में 8.4 प्रतिशत की मजबूत जीडीपी वृद्धि भारतीय अर्थव्यवस्था की ताकत और इसकी क्षमता को दर्शाती है। हमारे प्रयास तेज आर्थिक वृद्धि के लिए जारी रहेंगे जो 140 करोड़ भारतीयों को बेहतर जीवन जीने और एक विकसित भारत बनाने में मदद करेगा।" तीसरी तिमाही में उच्च वृद्धि दर और समूचे वित्त वर्ष के लिए संशोधित अनुमान यह संकेत देता है कि भारत वैश्विक वृद्धि में गिरावट के दौर में भी सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का अपना रूतबा कायम रखेगा। इसके साथ ही एनएसओ ने राष्ट्रीय खातों के अपने दूसरे अग्रिम अनुमान में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए देश की वृद्धि दर के बढ़कर 7.6 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया है। इस साल जनवरी में जारी पहले अग्रिम अनुमान में जीडीपी वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। एनएसओ ने पिछले वित्त वर्ष 2022-23 के लिए जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को भी संशोधित कर सात प्रतिशत कर दिया है। पहले इसके 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में सकल मूल्य-वर्धन (जीवीए) के हिसाब से विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 11.6 प्रतिशत बढ़ा जबकि एक साल पहले की समान अवधि में इसमें 4.8 प्रतिशत की गिरावट आई थी। वहीं आलोच्य अवधि में खनन और उत्खनन में 7.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो एक साल पहले सिर्फ 1.4 प्रतिशत थी। निर्माण क्षेत्र ने अपनी वृद्धि दर को एक साल पहले की तरह 9.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।
- नयी दिल्ली। सरकार ने आगामी खरीफ सत्र के लिए फॉस्फेटिक एवं पोटाश (पीएंडके) उर्वरकों पर 24,420 करोड़ रुपये की सब्सिडी देने की गुरुवार को घोषणा की। सरकार ने कहा है कि किसानों को प्रमुख पोषक तत्व डीएपी 1,350 रुपये प्रति क्विंटल के दाम पर मिलती रहेगी। सरकार ने कहा कि डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) के साथ, अन्य प्रमुख पीएंडके उर्वरकों की खुदरा कीमतें स्थिर रहेंगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में पीएंडके उर्वरकों पर एक अप्रैल से 30 सितंबर तक के खरीफ सत्र के लिए 'पोषक तत्व-आधारित सब्सिडी' (एनबीएस) दरें तय करने के लिए उर्वरक विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने मंत्रिमंडल में लिए गए इस फैसले की संवाददाताओं को जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘‘एक अप्रैल से 30 सितंबर तक के खरीफ सत्र 2024-25 के लिए पीएंडके उर्वरकों पर 24,420 करोड़ रुपये की पोषक तत्व-आधारित सब्सिडी को मंजूरी दी गई है।'' उन्होंने कहा कि आगामी खरीफ सत्र के लिए नाइट्रोजन (एन) पर सब्सिडी 47.02 रुपये प्रति किलोग्राम, फॉस्फेटिक (पी) पर 28.72 रुपये प्रति ग्राम, पोटाश (के) पर 2.38 रुपये प्रति किलोग्राम और सल्फर (एस) पर 1.89 रुपये प्रति किलोग्राम तय की गई है। फॉस्फेटिक उर्वरकों पर सब्सिडी रबी सत्र 2023 के 20.82 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़ाकर खरीफ सत्र 2024 के लिए 28.72 रुपये प्रति किलोग्राम कर दी गई है। हालांकि, ख़रीफ सत्र 2024 के लिए नाइट्रोजन (एन), पोटाश (के) और सल्फर (एस) पर सब्सिडी में कोई बदलाव नहीं किया गया है। ठाकुर ने कहा, ‘‘इस सब्सिडी के साथ 1,350 रुपये प्रति बोरी (50 किलोग्राम) पर बेची जा रही डीएपी (डाई-अमोनियम फॉस्फेट) आगामी खरीफ सत्र में भी उसी भाव पर उपलब्ध होगी।'' इसके साथ ही उन्होंने कहा कि म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) भी 1,670 रुपये प्रति बोरी और एनपीके 1,470 रुपये प्रति बोरी मिलेगी। डीएपी पर आयात निर्भरता को कम करने के लिए मंत्रिमंडल ने एनबीएस योजना के तहत तीन नए उर्वरक ग्रेड को शामिल करने को भी मंजूरी दी। उर्वरक कंपनियों को अनुमोदित और अधिसूचित दरों के अनुरूप सब्सिडी दी जाएगी ताकि किसानों को सस्ती कीमतों पर उर्वरक उपलब्ध कराया जा सके। सरकार उर्वरक निर्माताओं/आयातकों के माध्यम से किसानों को रियायती कीमतों पर 25 ग्रेड के पीएंडके उर्वरक उपलब्ध करा रही है। पीएंडके उर्वरकों पर सब्सिडी वर्ष 2010 से एनबीएस योजना द्वारा शासित है। मंत्री ने कहा कि अपने किसान-हितैषी दृष्टिकोण के अनुरूप, सरकार किसानों को किफायती कीमतों पर पीएंडके उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सरकार ने चालू वित्त वर्ष में जनवरी तक उर्वरक सब्सिडी के रूप में लगभग 1.71 लाख करोड़ रुपये प्रदान किए हैं। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए, सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए 1.89 लाख करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान के मुकाबले 1.64 लाख करोड़ रुपये की उर्वरक सब्सिडी आवंटित की है।
- नयी दिल्ली। सरकार ने 2024-25 रबी विपणन सत्र के लिए गेहूं खरीद का लक्ष्य तीन से 3.2 करोड़ टन तय किया है। खाद्य मंत्रालय नेगुरुवार को यह जानकारी दी। सरकार के गेहूं खरीद के लक्ष्य को कुछ कम माना जा रहा है। कृषि मंत्रालय को फसल वर्ष 2023-24 (जुलाई-जून) में 11.4-11.5 करोड़ टन के रिकॉर्ड गेहूं उत्पादन की उम्मीद है। इसके बावजूद सरकार द्वारा खरीद का लक्ष्य कम रखा गया है। बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी में केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा की अध्यक्षता में में राज्यों के खाद्य सचिवों की बैठक हुई थी। इसी बैठक में विचार-विमर्श के बाद गेहूं खरीद का लक्ष्य तय किया गया है। मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘‘विचार-विमर्श के बाद आगामी रबी विपणन सत्र 2024-25 के दौरान गेहूं की खरीद का अनुमान तीन से 3.2 करोड़ टन का तय किया गया है।'' गेहूं के अलावा, मंत्रालय ने चावल के मामले में रबी धान खरीद का लक्ष्य 90 लाख से एक करोड़ टन तय किया है। सरकार ने रबी मोटे अनाज/बाजरा (श्रीअन्न) के लिए 6,00,000 टन का खरीद लक्ष्य भी निर्धारित किया है।बैठक में केंद्र ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से फसलों के विविधीकरण और आहार में पोषण बढ़ाने के लिए बाजरा की खरीद पर ध्यान केंद्रित करने को कहा है। सरकार ने 2023-24 के सत्र में 3.41 करोड़ टन के लक्ष्य के मुकाबले लगभग 2.62 करोड़ टन गेहूं की खरीद की थी। 2022-23 में गेहूं की खरीद 4.44 करोड़ टन के लक्ष्य के मुकाबले केवल 1.88 करोड़ टन थी। उत्पादन में गिरावट के कारण खरीद कम रही थी। खाद्य सचिव ने हाल में कहा था कि पंजाब-हरियाणा सीमा पर किसानों के आंदोलन से खरीद परिचालन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। आमतौर पर गेहूं की खरीद अप्रैल से मार्च तक की जाती है। हालांकि, इस साल केंद्र ने बाजार में फसल की आवक के हिसाब से राज्यों को गेहूं खरीद की अनुमति दी है। ज्यादातर राज्यों में गेहूं की आवक मार्च के पहले पखवाड़े में शुरू हो जाती है। उत्तर प्रदेश और कुछ गेहूं उत्पादक राज्यों ने संकेत दिया है कि वे एक मार्च खरीद शुरू करेंगे।
सरकार सार्वजनिक वितरण को केंद्रीय पूल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं और धान की खरीद करती है। इनका वितरण राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत किया जाता है। प्रत्येक विपणन सत्र की शुरुआत में केंद्र सरकार राज्यों और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के साथ विचार-विमर्श के बाद खरीद लक्ष्य तय करती है।
- नयी दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को भरोसा जताया कि भारतीय उद्योग जगत आजादी की 100वीं वर्षगांठ पर 2047 तक देश को एक विकसित राष्ट्र या ‘विकसित भारत' बनाने के उद्देश्य से देश के विकासात्मक लक्ष्यों के साथ खुद को जोड़ लेगा। सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्पष्ट रूप से संकेत दिया है कि आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर भारत प्रदान करने के लिए ‘विकसित भारत' का लक्ष्य हासिल करना है। उद्योग निकाय फिक्की द्वारा आयोजित ‘विकसित भारत@2047: विकसित भारत और उद्योग' पर एक सत्र को संबोधित करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि 2047 के लक्ष्य को हासिल करने में उद्योग जगत की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। सीतारमण ने कहा, “स्वतंत्रता संग्राम के दौरान आप भारत के साथ थे, आपने औपनिवेशिक दबाव के बावजूद उद्योग और क्षमता का निर्माण किया... इसलिए भारतीय उद्योग ने हमेशा उस भावना को बनाए रखा है और बाधाओं के बावजूद राष्ट्रीय हित में आगे बढ़ता रहा।” उन्होंने कहा, “मैं नहीं समझ पा रही हूं कि 2047 तक विकसित भारत के निर्माण के इस खेल में उन्हें कैसे छोड़ा जाएगा। इसलिए भारत के उद्योग के लिए यह स्वाभाविक होना चाहिए कि वह खुद को भारत के विकासात्मक हितों के साथ जोड़ ले, और आखिरकार उद्योग ही पहला योगदानकर्ता और प्रथम लाभार्थी होगा।” वित्त मंत्री ने उद्योग जगत को यह आश्वासन भी दिया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के तीसरे कार्यकाल में भी सुधार जारी रहेंगे। अप्रैल-मई में होने वाले आम चुनाव के बाद नई सरकार का गठन होगा।सीतारमण ने कहा कि भारत पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। मंत्री ने कहा कि पिछले 10 साल के दौरान सरकार द्वारा कई सुधार किए गए हैं और यह सिलसिला जारी रहेगा।
- मुंबई। वाहन विनिर्माता कंपनी स्कोडा ऑटो के वैश्विक मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) क्लॉस जेलमर ने मंगलवार को कहा कि कंपनी के लिए भारत सबसे आशाजनक वृद्धि वाला बाजार है और यह स्कोडा के अंतरराष्ट्रीय विस्तार में अहम भूमिका निभाएगा। चेक कंपनी के प्रमुख जेलमर ने एक ऑनलाइन संबोधन में भारत के लिए कंपनी की रूपरेखा का जिक्र करते हुए कहा कि स्कोडा एक साल के भीतर भारत में कॉम्पैक्ट एसयूवी खंड में कदम रखेगी और बाजार में अपना इलेक्ट्रिक वाहन भी लेकर आएगी। उन्होंने कहा, ‘‘हम वैश्विक बाजारों के अनुरूप तत्काल कदम उठाने की अपनी क्षमता लगातार बढ़ा रहे हैं। यहां पर भारत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यूरोप एक मुख्य बाजार के रूप में अहम है लेकिन हमारा रणनीतिक ध्यान एक नई अंतरराष्ट्रीय बुनियाद तैयार करने पर है ताकि हम दो मजबूत पैरों पर खड़े हो सकें।'' इसके अलावा जेलमर ने कहा, ‘‘भारत हमारी वैश्विक वृद्धि में एक महत्वपूर्ण योगदान देने वाला देश और आने वाले वर्षों के लिए सबसे आशाजनक वृद्धि का बाजार है।'' स्कोडा ऑटो इंडिया वर्ष 2030 तक भारतीय बाजार में अपनी हिस्सेदारी को बढ़ाकर पांच प्रतिशत तक ले जाना चाहती है। उन्होंने कहा कि भारतीय बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए एक बिल्कुल नई कॉम्पैक्ट एसयूवी उतारने की योजना है जिसे एक साल के भीतर पेश किया जाएगा। दरअसल, भारत में एसयूवी का बाजार बड़ी तेजी से विकसित हो रहा है और स्कोडा भी इसमें अपनी हिस्सेदारी बढ़ानी चाहती है। इसके अलावा कंपनी भारत में इलेक्ट्रिक वाहन खंड में भी उतरने की तैयारी कर रही है। कंपनी अपनी वैश्विक ईवी एन्याक का भारत में परीक्षण पहले ही शुरू कर चुकी है। एन्याक के इस साल के अंत में भारतीय बाजार में आने की उम्मीद है।
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नयी दिल्ली. बेंगलुरु से संचालित अंतरिक्ष स्टार्टअप ‘स्पेसफील्ड्स' ने सोमवार को कहा कि उसने ‘टर्नकी सॉलिड रॉकेट प्रोपल्सन' प्रणाली के विनिर्माण के वास्ते अपने उपक्रम के लिए आठ लाख डॉलर की राशि जुटाई है। भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु के परिसर में 2021 में स्थापित ‘स्पेसफील्ड्स' के सीड फंडिंग के चरण में अमेरिका की एचवीबी 88 एंजिल्स और दिल्ली की ओ2 एंजिल्स नेटवर्क अग्रणी रहीं। स्टार्टअप की योजना है कि आने वाले महीनों में विभिन्न कार्यों के लिए उसके कर्मियों की संख्या को दोगुना किया जाए। अपूर्व मासूक, सुदर्शन सामल और रौनक अग्रवाल द्वारा स्थापित स्टार्टअप को ‘स्टार्टअप इंडिया सीड फंड' से भी धन मिला है और बोइंग इंडिया तथा कर्नाटक एवं ओडिशा सरकारों की ओर से भी अतिरिक्त अनुदान मिला है.
- नयी दिल्ली. सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली उत्पादक कंपनी एनटीपीसी लि. ने सोमवार को कहा कि रवीन्द्र कुमार कंपनी के निदेशक (परिचालन) का पदभार तत्काल प्रभाव से संभाल लिया है। कंपनी ने बयान में कि इससे पहले वह एनटीपीसी लि. के निदेशक (परिचालन) के विशेष कार्याधिकारी थे।कुमार 1989 में स्नातक इंजीनियर प्रशिक्षु अधिकारी के रूप में एनटीपीसी से जुड़े। उनके पास परियोजना को चालू करने, परिचालन और रखरखाव, इंजीनियरिंग तथा परियोजना प्रबंधन में 34 साल से अधिक का अनुभव है।
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-कार्बन डाईऑक्साइड नियंत्रण और हरित पर्यावरण निर्माण की दिशा में जिन्दल स्टील एंड पॉवर का बड़ा कदम-हम सतत विकास एवं पर्यावरण संतुलन के प्रति समर्पित: नवीन जिन्दलरायपुर। जिन्दल स्टील एंड पॉवर (जेएसपी) ने कार्बन डाईऑक्साइड नियंत्रण और हरित पर्यावरण निर्माण के क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाया है। कंपनी ने कार्बन नेट जीरो लक्ष्य के अनुरूप अपने अंगुल स्टील कॉम्प्लेक्स में 10 इलेक्ट्रिक बसें एवं 27 इलेक्ट्रिक एसयूवी उतारी हैं और सौर ऊर्जा उत्पादन की भी शुरुआत की है। यह पहल पर्यावरण संतुलन और कार्बन फुटप्रिंट घटाने की दिशा में जेएसपी की प्रतिबद्धता में एक मील का पत्थर है।अंगुल स्टील कॉम्पलेक्स में रविवार देर शाम इलेक्ट्रिक गाडिय़ों को हरी झंडी दिखाते हुए जेएसपी के चेयरमैन श्री नवीन जिन्दल ने कहा, “ जिन्दल स्टील एंड पॉवर सतत विकास और पर्यावरण संतुलन के प्रति समर्पित हैं।" श्री जिन्दल ने कहा कि, “;अंगुल प्लांट क्षेत्र में इलेक्ट्रिक गाडिय़ां चलना और सौर ऊर्जा प्लांट चालू होना कार्बन नेट जीरो का लक्ष्य हासिल करने और आने वाली पीढिय़ों के लिए स्वच्छ वातावरण उपलब्ध कराने एवं हरित धरती निर्माण का सपना साकार करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।"जेएसपी अंगुल ने कुल 27 इलेक्ट्रिक बसों और 45 इलेक्ट्रिक एसयूवी के ऑर्डर दिए हैं। ये सभी शून्य उत्सर्जन वाले वाहन हैं। इस कदम से प्लांट क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन घटेगा और दोपहिया वाहन का उपयोग कम होगा, जिससे यातायात सुरक्षाको भी बढ़ावा मिलेगा। कंपनी ने इन वाहनों के निर्माण में वैश्विक मानकों के पालन पर जोर दिया है।अपनी हरित प्रतिबद्धता को और मजबूत करते हुए जेएसपी अंगुल ने प्रति वर्ष 2 करोड़ 10 लाख यूनिट की कुल उत्पादन क्षमता के साथ एक रूफटॉप सौर प्लांट चालू किया है। इस पहल से वार्षिक कार्बन फुटप्रिंट में 18,000 टन कमी आने का अनुमान है, जो एक दशक में लगभग 3.6 लाख पेड़ लगाने के पर्यावरणीय लाभ के बराबर है। इन महत्वपूर्ण निवेशों के साथ जेएसपी ने अपने संचालन में सस्टेनेबिलिटी को एकीकृत करके भारतीय स्टील जगत मेंएक नया मानक स्थापित किया है। कंपनी नेतृत्व के सहयोग एवं मार्गदर्शन में जेएसपी इलेक्ट्रिक वाहन और स्वच्छ ऊर्जा उपायों को अपनाने की दिशा में अधिक सजग और प्रतिबद्ध है।जिन्दल स्टील एंड पावर के बारे में:जेएसपी स्टील, माइनिंग और इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की एक अग्रणी कंपनी है। दुनिया भर में 12 अरब (बिलियन) अमेरिकी डालर निवेश के साथ कंपनी आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में अपनी भागीदारी बढ़ाने के लिए निरंतर अपनी क्षमता और दक्षता में इजाफा कर रही है। -
मुंबई. श्रम सुधारों की वकालत करते हुए 16वें वित्त आयोग के चेयरमैन और नीति आयोग के पूर्व चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया ने शनिवार को कहा कि भारत के लिए बेरोजगारी कोई समस्या नहीं है, लेकिन अल्प-रोजगार जरूर एक समस्या है। उन्होंने यहां दो दिवसीय एबीपी नेटवर्क के 'आइडियाज ऑफ इंडिया समिट 3.0' के समापन सत्र में उम्मीद जताई कि अगले 10 वर्षों में देश में नौकरियों की समस्या हल हो जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे विचार में बेरोजगारी वास्तव में भारत की समस्या नहीं है। हमारी समस्या अल्प-रोजगार है, इसलिए उत्पादकता कम है। ऐसे में जो काम एक व्यक्ति कर सकता है, वह अक्सर दो लोगों या शायद तीन लोगों द्वारा किया जाता है। इसलिए मैं सोचता हूं कि नौकरियों की वास्तविक चुनौती अच्छी तनख्वाह वाली उच्च उत्पादकता वाली नौकरियां पैदा करना है।'' उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की भाषा में भारत एक श्रम-प्रचुर और पूंजी-कमी वाला देश है।
पनगढ़िया ने कहा, ‘‘हमें ऐसी स्थिति मिली, जहां अधिकांश पूंजी बहुत कम श्रमिकों के साथ काम कर रही है। दूसरी ओर कृषि, सूक्ष्म और लघु उद्यमों में श्रमिकों की एक बड़ी संख्या है, जहां पूंजी मुश्किल से मौजूद है। बहुत सारे श्रमिक हैं, जो बहुत कम पूंजी के साथ काम कर रहे हैं।'' उन्होंने कहा कि देश को अभी भी श्रम और व्यापार कानूनों को ठीक करने की जरूरत है, ‘‘अन्य देशों की तुलना में, सुरक्षा का स्तर ऊंचा है जिसे कम करने की जरूरत है।'' उन्होंने कहा, ‘‘भारत में आम सहमति बनाना लोकतांत्रिक सुधार प्रक्रिया का एक हिस्सा है, जिससे कानून पारित करना धीमी प्रक्रिया हो जाती है।'' उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में श्रम कानून पेश किए गए थे। इसके बाद, किसी भी सरकार ने साहस नहीं दिखाया। मोदी सरकार ने कानून पारित किए गए हैं। अब राज्यों को कानूनों को लागू करने के लिए नियम तैयार करने हैं। सुधारों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘श्रम कानूनों का कार्यान्वयन, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों और बैंकों का निजीकरण कुछ महत्वपूर्ण सुधार हैं जिन्हें करने की आवश्यकता है।'' पनगढ़िया ने कहा कि कुल मिलाकर हम एक अच्छी स्थिति में हैं। ये समस्याएं हैं, लेकिन मुझे लगता है कि हम अगले 10 वर्षों में इन्हें हल कर लेंगे। मैं बहुत आशावादी हूं कि नौकरियों की समस्या भी हल हो जाएगी। - मुंबई। देश में धार्मिक पर्यटन से जुड़ी गतिविधियों के जोर पकड़ने से अगले चार-पांच वर्षों में करीब दो लाख रोजगार अवसर पैदा होने की उम्मीद है। एनएलबी सर्विसेज ने यह संभावना जताई है। वैश्विक प्रौद्योगिकी एवं डिजिटल प्रतिभा समाधान प्रदाता एनएलबी सर्विसेज के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सचिन अलुग ने यह अनुमान जताया है। उन्होंने कहा कि भारत में धार्मिक पर्यटन के वर्ष 2023 से 2030 के बीच सालाना 16 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है। अलुग ने कहा कि घरेलू पर्यटन में धार्मिक पर्यटन की हिस्सेदारी इस समय 60 प्रतिशत है लेकिन आने वाले समय में यह अनुपात बढ़ने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि हाल ही में अयोध्या में भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद धार्मिक पर्यटन को और भी बढ़ावा मिल सकता है। अलुग ने कहा, ‘‘अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन से आतिथ्य एवं यात्रा सेवाओं से जुड़ी करीब 25,000 नौकरियां बढ़ने की उम्मीद है।'' उन्होंने कहा, ‘‘अगले चार-पांच वर्षों में धार्मिक पर्यटन से दो लाख रोजगार अवसर पैदा होने का अनुमान है। वर्ष 2028 तक 60 अरब डॉलर के अनुमानित राजस्व के साथ धार्मिक पर्यटन अस्थायी और स्थायी दोनों तरह के कामगारों के लिए रोजगार के रास्ते खोलेगा।'' उन्होंने उद्योग रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि कोविड महामारी के बाद तीर्थयात्रा के लिए होने वाली रात्रिकालीन यात्राएं बढ़ गईं और वर्ष 2021-2022 में दान राशि में भी 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई। उन्होंने कहा, ‘‘हम देशभर में खासकर धार्मिक पर्यटकों की सेवा के लिए नए उद्यमों में छह से आठ प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद करते हैं।'' अलुग ने कहा कि उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, ओडिशा जैसे राज्यों के कई छोटे शहरों और गैर-मेट्रो शहरों में पर्यटकों की बड़ी आमद देखी जा रही है। पर्यटन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में धार्मिक स्थलों पर आए पर्यटकों से 1.34 लाख करोड़ रुपये की आय हुई थी।
- नयी दिल्ली। केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने गुरुवार को कहा कि सरकार को मार्च से गेहूं खरीद शुरू होने से पहले किसानों की चिंता के समाधान की उम्मीद है। चोपड़ा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार आगे की बातचीत और पंजाब-हरियाणा सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों की चिंताओं का समाधान करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसान नेताओं की भूजल स्तर और मिट्टी की गुणवत्ता कम होने जैसी चिंताओं को देखते हुए उन्हें एक प्रस्ताव दिया था। हालांकि, उन्होंने प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। चोपड़ा ने कहा, ‘‘जैसा कि कृषि मंत्री ने कहा है, हम आगे की बातचीत के लिए इच्छुक हैं। हम उनसे बात करके खुश हैं। शायद, हम पूरी मंशा बताने में सक्षम नहीं हुए। मुझे लगता है कि निरंतर बातचीत से असहमति को दूर किया जा सकता है।'' किसान फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी और कृषि कर्ज माफ करने समेत विभिन्न मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या मौजूदा विरोध के कारण गेहूं की खरीद प्रभावित होगी, चोपड़ा ने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि गेहूं खरीद शुरू होने से काफी पहले ही मुद्दों का समाधान हो जाएगा। मुझे नहीं लगता कि इसका कोई प्रभाव पड़ेगा।'' उन्होंने यह भी कहा कि गेहूं की फसल अच्छी स्थिति में है और अगर मौजूदा मौसम अगले 10-15 दिनों तक बना रहता है तो सरकार को फसल वर्ष 2023-24 (जुलाई-जून) में अच्छी पैदावार की उम्मीद है। कृषि मंत्रालय ने 2023-24 फसल वर्ष के लिए गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड 11.4 करोड़ टन होने का अनुमान लगाया है, जबकि फसल वर्ष 2022-23 में यह 10.77 करोड़ टन था। गेहूं खरीद पर सचिव ने कहा कि कई राज्यों के साथ चर्चा के बाद, बाजार में आवक के साथ मार्च के पहले पखवाड़े में गेहूं खरीद की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है। कुछ क्षेत्रों में, गेहूं बाजार में जल्दी आ जाता है। लेकिन चूंकि खरीद एक अप्रैल से शुरू होती है, इसके कारण खरीद नहीं हो पाती। उन्होंने कहा कि चावल को छोड़कर गेहूं, गेहूं का आटा, चीनी और खाद्य तेल की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं। सचिव ने कहा कि एथनॉल उत्पादन के लिए चीनी के और इस्तेमाल की अनुमति देने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
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नयी दिल्ली. कमजोर वैश्विक संकेतों के बीच राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में बुधवार को सोने का भाव 150 रुपये की तेजी के साथ 62,850 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया। एचडीएफसी सिक्योरिटीज ने यह जानकारी दी। पिछले कारोबारी सत्र में सोना 62,700 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था।
चांदी की कीमत भी 100 रुपये की तेजी के साथ 75,700 रुपये प्रति किलोग्राम हो गयी। पिछले कारोबारी सत्र में यह 75,600 रुपये प्रति किलोग्राम पर थी। एचडीएफसी सिक्योरिटीज में वरिष्ठ विश्लेषक (जिंस) सौमिल गांधी ने कहा, ‘‘विदेशी बाजारों में तेजी के बीच दिल्ली के बाजारों में सोने की हाजिर कीमतें (24 कैरेट) 62,850 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रही थी, जो पिछले बंद भाव के मुकाबले 150 रुपये की तेजी है।'' अंतरराष्ट्रीय बाजार कॉमेक्स में हाजिर सोना तेजी के साथ 2,027 डॉलर प्रति औंस पर रहा, जो पिछले बंद भाव से नौ डॉलर की तेजी है। गांधी ने कहा कि मौजूदा भू-राजनीतिक अनिश्चितता के बीच बुधवार को सोने की कीमतों में तेजी आई, जिससे तेजी का रुझान बना रहा। इसके अलावा चांदी भी तेजी के साथ 23.06 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रही थी। पिछले कारोबारी सत्र में चांदी 23.01 डॉलर प्रति औंस रही थी। एलकेपी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषण विभाग के उपाध्यक्ष, जतिन त्रिवेदी ने कहा, ‘‘बाजार सहभागियों को बुधवार को अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक का ब्योरा जारी होने का बेसब्री से इंतजार है, जो भविष्य के मौद्रिक नीति निर्णयों के बारे में जानकारी प्रदान कर सकता है। -
मुंबई. एचडीएफसी लाइफ ने मंगलवार को विदेश में पढ़ाई कर रहे ‘देसी' छात्रों के लिए एक नई नकदीरहित (कैशलेस) स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू की। इसके लिए प्रीमियम का भुगतान अमेरिकी डॉलर में करना होगा। कंपनी ने एक बयान में कहा कि वैश्विक छात्र स्वास्थ्य सेवा योजना 12-40 आयु वर्ग के उन छात्रों के लिए है, जो विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं या इसकी तैयारी कर रहे हैं। यह पेशकश कंपनी की गिफ्ट सिटी आईएफएससी स्थित इकाई - एचडीएफसी लाइफ इंटरनेशनल द्वारा की जा रही है। बीमाकर्ता ने कहा कि यह योजना 30 लाख अमेरिकी डॉलर तक का कवरेज देती है।
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नई दिल्ली। रेडिसन होटल ग्रुप, EaseMyTrip और Jeewani ग्रुप के साथ मिलकर अयोध्या में 150 कमरों वाला रेडिसन ब्लू होटल बना रहा है। इसकी घोषणा उन्होंने मंगलवार को की। होटल 2027 में ऑपरेशनल हो जाएगा। पिछले दिनों रेडिसन ने पार्क इन के साथ अयोध्या में डेब्यू की घोषणा की थी। इस तरह से यह उनका दूसरा होटल होगा।
राम मंदिर से 2 किलोमीटर की दूरी पर होगा होटलघोषणा करते हुए कंपनी ने कहा, यह होटल अयोध्या में श्री राम मंदिर से 2 किलोमीटर दूर होगा। यह हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशन के पास भी है और नेशनल हाइवे-27 के जरिए यहां पहुंचा जा सकता है।रेडिसन होटल समूह के चेयरमेन केबी काचरू ने कहा कि उन्होंने अयोध्या में एक और होटल खोलने का फैसला किया क्योंकि बहुत से लोग इस पावन शहर को देखना चाहते हैं।रेडिसन होटल ग्रुप के केबी कचरू ने कहा कि अयोध्या उनके लिए एक बड़ा बाजार है। उनकी 2024 और उसके बाद भी वहां विस्तार करने की योजना है। मेहमान 2-5 किलोमीटर के भीतर आसपास के धार्मिक स्थलों जैसे हनुमान गढ़ी, कनक भवन, नागेश्वरनाथ मंदिर और त्रेता के ठाकुर के दर्शन कर सकते हैं।जीवनी हॉस्पिटैलिटी के डायरेक्टर ध्रुव जीवनी ने कहा कि वे अपनी विशेषज्ञता का उपयोग करके मेहमानों को अयोध्या में एक शानदार अनुभव देना चाहते हैं।EaseMyTrip के सीईओ और को-फाउंडर निशांत पिट्टी ने कहा कि वे शहर में हॉस्पिटैलिटी ऑप्शन को बेहतर बनाने और यात्रियों को शानदार अनुभव देने के लिए समर्पित हैं। रेडिसन ने इसके पहले पहले वृन्दावन, उत्तर प्रदेश और उज्जैन मध्य प्रदेश में ब्रांडेड होटल खोलने की योजना की घोषणा की थी। - नई दिल्ली। सरकार ने कहा है कि प्याज के निर्यात पर से पाबंदी नहीं हटी है और यह 31 मार्च तक जारी रहेगी. ऐसी खबर थी कि सरकार ने प्याज निर्यात पर से प्रतिबंध हटा लिया है. इसे देखते हुए सरकार की तरफ से यह नई जानकारी दी गई है. एक आला अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध 31 मार्च की पूर्व घोषित समय सीमा तक जारी रहेगा, क्योंकि सरकार कीमतों को नियंत्रण में रखने और घरेलू सप्लाई बनाए रखने की इच्छुक है.सरकार ने 8 दिसंबर 2023 को 31 मार्च तक प्याज के निर्यात पर रोक लगा दी थी. सरकार के मुताबिक, यह नियम अब भी जारी है. उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने बताया कि प्याज निर्यात पर प्रतिबंध नहीं हटाया गया है. यह लागू है और स्थिति में कोई बदलाव नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर प्याज की पर्याप्त घरेलू उपलब्धता सुनिश्चित करना है.प्याज की कीमतों में हो गई बढ़ोतरीप्याज पर निर्यात प्रतिबंध हटाने की रिपोर्ट पर देश के सबसे बड़े थोक प्याज बाजार लासलगांव में 19 फरवरी को मॉडल थोक प्याज की कीमतें 40.62 प्रतिशत बढ़कर 1,800 रुपये प्रति क्विंटल हो गईं, जो 17 फरवरी को 1,280 रुपये प्रति क्विंटल थीं. सूत्रों ने कहा कि आम चुनावों से पहले, 31 मार्च के बाद भी प्रतिबंध हटाए जाने की संभावना नहीं है, क्योंकि रबी (सर्दियों) प्याज का उत्पादन विशेष रूप से महाराष्ट्र में कम बुवाई के कारण कम होने की उम्मीद है.22.7 मिलियन टन उत्पादन का अनुमान2023 के रबी सीजन में प्याज का उत्पादन 22.7 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया गया था. कृषि मंत्रालय के अधिकारी आने वाले दिनों में प्रमुख उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात में रबी प्याज कवरेज (बुवाई) का आकलन करेंगे. इस बीच, अंतर-मंत्रालयी समूह से मंजूरी के बाद केस-टू-केस आधार पर मित्र देशों को प्याज के निर्यात की अनुमति दी गई है.प्याज निर्यातकों के मुताबिक, वैश्विक बाजार में प्याज की जबरदस्त कमी है और ताजा प्याज का एकमात्र स्रोत भारत ही है. अंतरराष्ट्रीय कीमतें 1000-1400 डॉलर प्रति टन के बीच हैं, जबकि भारतीय प्याज 350 डॉलर प्रति टन पर उपलब्ध है.सरकार ने खुद बेचा प्याजदरअसल, अक्टूबर महीने में प्याज अचानक महंगा हो गया था. 30 से 35 रुपये किलो बिकने वाला प्याज अचानक 70 रुपये किलो हो गया था. महंगाई को नियंत्रित करने के लिए सरकार के ऊपर दवाब बढ़ता जा रहा था. ऐसे में केंद्र सरकार ने 8 दिसंबर को प्याज के निर्यात पर बैन लगा दिया. इससे कीमतें कम भी हो गईं. घरेलू मार्केट में आवक बढ़ने से अभी प्याज का खुदरा प्राइस 25 से 30 रुपये किलो के बीच है. वहीं, सरकार ने भी नाफेड और अन्य सरकारी एजेंसियों के माध्यम से 25 रुपये किलो प्याज बेचा था. इससे आम जनता को काफी राहत मिली थी.
- मुंबई।एयरलाइन कंपनी एतिहाद ने कोविड-19 महामारी के बाद घरेलू बाजार में मजबूत वृद्धि देखी है और 2023 की तुलना में इस साल अधिक भारतीय यात्रियों के उड़ान भरने की उम्मीद है। एयरलाइन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि पिछले साल लगभग 30 लाख भारतीयों ने हवाई यात्रा के लिए एतिहाद की सेवाएं ली थीं। एयरलाइन के मुख्य राजस्व और वाणिज्यिक अधिकारी आरिक डे ने कहा, "एतिहाद वास्तव में भारतीय बाजार में धमाकेदार वापसी कर चुका है। हमारी संख्या कोविड-19 महामारी से पहले की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक है।" उन्होंने कहा कि एयरलाइन ने 2023 में ही "काफी मजबूती से" वापसी की है। "हमने क्षमता में 40 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की और फिर 2024 में हम लगभग 35-40 प्रतिशत की और वृद्धि के साथ वर्ष समाप्त करने की योजना बना रहे हैं।" वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसके अलावा एयरलाइन ने पिछले साल लगभग 30 लाख भारतीयों को यात्रा कराई और जाहिर तौर पर इस साल भी यह संख्या बढ़ने वाली है।
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- जल संरक्षण एवं मृदा प्रबंधन श्रेणी में सीएसआर एवं सस्टेनेबिलिटी अवार्ड
-जेएसपी फाउंडेशन की चेयरपर्सन श्रीमती शालू जिन्दल ने टीम को बधाई दी
रायपुर। जिन्दल स्टील एंड पावर (जेएसपी) को एकीकृत वाटरशेड प्रबंधन परियोजनाओं के माध्यम से ओडिशा के अंगुल में किसानों की तरक्की में योगदान करने के लिए जल संरक्षण एवं मृदा प्रबंधन श्रेणी में सीएसआर एवं सस्टेनेबिलिटी अवार्ड - 2024 से सम्मानित किया गया है। यह परियोजना नाबार्ड ( नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट) के सहयोग से चलाई जा रही है। जेएसपी को यह सम्मान राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्षा सुश्री रेखा शर्मा ने 15 फरवरी 2024 को नई दिल्ली में आयोजित प्रभावी सतत व्यापार प्रथाओं पर राष्ट्रीय सम्मेलन (नेशनल कॉन्क्लेव ऑन इम्पैक्टफुल सस्टेनेबिल बिजनेस प्रैक्टिसेज) में कंपनी के प्रतिनिधि को प्रदान किया।
ऑल इंडिया बिजनेस एंड कम्युनिटी फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस सम्मान समारोह में केंद्र लाल बहादुर शास्त्री फाउंडेशन के अध्यक्ष श्री सुनील शास्त्री और वरिष्ठ राजनेता डॉ. विजय जॉली की उल्लेखनीय उपस्थिति रही। जेएसपी ने अपने चेयरमैन श्री नवीन जिन्दल के नेतृत्व में अंगुल जिले के तुबे, कुलेई, देरजंग, मराटीरा और मढियामुंडा गांवों में प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन और कृषि विकास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जेएसपी की सामाजिक शाखा जेएसपी फाउंडेशन ने देरजंग और तुबे में वाटरशेड परियोजनाओं के माध्यम से मिट्टी का कटाव कम करने और भूजल पुनर्भरण (ग्राउंडवाटर रिचार्ज) को अधिकतम करने में अभूतपूर्व सफलता पाई है, जिससे कृषि उत्पादन और किसानों की आमदनी में वृद्धि हुई है।
टीम को बधाई देते हुए जेएसपी फाउंडेशन की चेयरपर्सन श्रीमती शालू जिन्दल ने कहा, ;जेएसपी स्थानीय पारिस्थितिकी में सतत सुधार का हिमायती है और यह वाटरशेड परियोजना किसानों को आर्थिक रूप से उन्नत बनाने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उन्होंने इस सम्मान के लिए निर्णायक मंडल का धन्यवाद किया। 2012 में नाबार्ड के सहयोग से शुरू की गई वाटरशेड परियोजनाओं के कारण अंगुल क्षेत्र में मिट्टी की नमी में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। इससे उत्साहित किसानों ने नकदी फसल की नई किस्मों को आजमाया और फसल प्रणाली बदलकर एक के बजाय दो और तीन फसल उगाने लगे। आज नकदी फसल उनकी प्राथमिकता बन गई है। इस पहल से पलायन थमा है और स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ी है। किसानों की आय में इजाफा हुआ है और वे `1.5 लाख से 5.5 लाख रुपये से भी अधिक कमाने लगे हैं। जेएसपी फाउंडेशन ने स्थानीय किसानों के सशक्तीकरण के लिए गांवों में किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन में भी महत्वपूर्ण सहयोग किया है।
- नयी दिल्ली. केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने दवा का नमूना एकत्र करने की समान पद्धति अपनाकर बाजार में उपलब्ध दवाओं और सौंदर्य प्रसाधनों की गुणवत्ता और उनके असर की निगरानी के लिए नये दिशानिर्देश जारी किए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत काम करने वाले शीर्ष दवा नियामक ने कहा कि वर्तमान में दवाओं के एकत्र नमूने ज्यादातर बड़े ब्रांड के हैं और इन्हें केवल शहरी या उपनगरीय स्थानों से एकत्र किया गया है। पिछले सप्ताह अधिसूचित दवाओं, सौंदर्य प्रसाधनों और चिकित्सा उपकरणों के नमूनों के लिए नए दिशानिर्देशों में कहा गया है कि आंतरिक स्थानों या ग्रामीण क्षेत्रों को इसमें शामिल नहीं किया गया है जिससे सूदूर स्थित उपयोगकर्ता या अंतिम उपयोगकर्ता को प्राप्त दवाओं की गुणवत्ता का आकलन नहीं किया गया। दस्तावेज में कहा गया है कि पिछले रुझानों में यह देखा गया है कि नमूना चयन और नमूने के स्थान आदि के लिए कोई परिभाषित पद्धति नहीं है। नये दिशानिर्देशों में कहा गया है कि कुछ क्षेत्रों में सौंदर्य प्रसाधन के नमूने एकत्र नहीं किए गए। इनमें कहा गया है कि ऐसे बिक्री केंद्रों का कोई केंद्रीकृत डेटाबेस नहीं है जहां नकली उत्पादों की सूचना दी गई हो। इसमें कहा गया है कि ऐसे केंद्रों पर नियमित निगरानी रखी जानी चाहिए।दस्तावेज में कहा गया है कि यह दिशानिर्देश राज्य और केंद्र सरकारों के दवा नियामक प्राधिकरणों के तहत दवा निरीक्षकों के लिए दवा के नमूने एकत्र करने की समान पद्धति को अपनाने और बाजार में उपलब्ध दवाओं और सौंदर्य प्रसाधनों की गुणवत्ता और उनके असर की निगरानी में उपयोगी होंगे। नए मानदंडों के अनुसार, प्रत्येक औषधि निरीक्षक अपने नियंत्रण प्राधिकारी के परामर्श से अपने कार्यालय के अंतर्गत आने वाले संपूर्ण क्षेत्र को निगरानी के दायरे में लाने के लिए नमूना स्थानों को अंतिम रूप देने के लिए मासिक और वार्षिक आधार पर नमूना एकत्र करने की एक योजना तैयार करेगा। नमूना एकत्र करने की योजना में ग्रामीण तथा आदिवासी क्षेत्र, चुनिंदा बीमारियों वाले क्षेत्र में उपयोग की जाने वाली दवाएं और मौसमी बीमारियों की दवाएं आदि शामिल होंगी। दिशानिर्देशों में कहा गया है कि यह महत्वपूर्ण है कि पर्याप्त मात्रा में नमूने एकत्र किए जाएं और प्रयोगशाला में भेजे जाएं ताकि परीक्षण रिपोर्ट जारी करने से पहले प्रयोगशाला द्वारा आवश्यक होने पर सभी मापदंडों का परीक्षण और पुन: परीक्षण किया जा सके। इनमें कहा गया है कि प्रत्येक दवा नियंत्रण कार्यालय मासिक आधार पर पंजीकृत फार्मासिस्ट और मालिक के नाम के साथ उन थोक/खुदरा दुकानों की एक सूची तैयार करेगा, जहां पर नकली उत्पादों के होने की सूचना मिलती है। दिशानिर्देशों में कहा गया है कि नकली उत्पादों की बिक्री और वितरण में शामिल थोक और खुदरा दुकानों की एक केंद्रीकृत सूची तैयार करने और जनता को इन दुकानों से खरीदी गई दवा के उपयोग से बचने के लिए व्यापक प्रचार करने के वास्ते उपरोक्त सूची उनके प्रधान कार्यालय को साझा की जाएगी।
- नयी दिल्ली. इंडिया यामाहा मोटर अपने 125 सीसी स्कूटर मॉडल रे जेडआर 125 एफआई हाइब्रिड और फैसिनो 125 एफआई हाइब्रिड की लगभग तीन लाख इकाइयां वापस मंगा रही है। स्कूटर में ब्रेक के कलपुर्जे को ठीक करने के लिए इसे वापस मंगाया जा रहा है। दोपहिया वाहन बनाने वाली जापान की कंपनी ने कहा कि वह एक जनवरी, 2022 से चार जनवरी, 2024 के बीच विनिर्मित स्कूटर इकाइयों को तत्काल प्रभाव से वापस मंगा रही है। कंपनी ने बयान में कहा कि वह उत्पादों की उच्च गुणवत्ता और सुरक्षा मानक को लेकर प्रतिबद्ध है। इसी के तहत इंडिया यामाहा मोटर (आईवाईएम) ने स्वैच्छिक रूप से 125 सीसी के स्कूटरों की लगभग 3,00,000 इकाइयों को वापस मंगाने की घोषणा की है। बयान के अनुसार, वाहन वापस मंगाने का उद्देश्य रे जेडआर 125 एफआई हाइब्रिड और फैसिनो 125 एफआई हाइब्रिड स्कूटर मॉडल (जनवरी 2022 के बाद के मॉडल) की चुनिंदा इकाइयों में ‘ब्रेक लीवर' के काम करने से जुड़ी समस्या का हल करना है। आईवाईएम ने बयान में कहा, ‘‘संबंधित ग्राहकों को कलपुर्जे मुफ्त उपलब्ध कराए जा रहे हैं।''ग्राहक वाहन वापस मंगाये जाने की पात्रता के बारे में जानने के लिए कंपनी की वेबसाइट के सेवा अनुभाग पर जा सकते हैं और अपने चेसिस नंबर का विवरण दर्ज कर सकते हैं। इसके अलावा, ग्राहक मदद के लिए समीप के यामाहा सेवा केंद्र पर जा सकते हैं।
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नयी दिल्ली. रिलायंस फाउंडेशन और राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) ने पांच लाख युवाओं को साइबर सुरक्षा, कृत्रिम मेधा समेत विभिन्न क्षेत्रों में हुनरमंद बनाने के लिए भागीदारी की है। कंपनी ने बृहस्पतिवार को एक बयान में कहा कि इन युवाओं को आने वाले तीन साल में नए जमाने के कौशल अलग-अलग पाठ्यक्रमों के माध्यम से सिखाए जाएंगे। इस साझेदारी में पाठ्यक्रम विकास और युवाओं की क्षमता निर्माण के साथ शिक्षा प्रौद्योगिकी, साइबर सुरक्षा, कृत्रिम मेधा (एआई) जैसे क्षेत्रों में हुनरमंद बनाने पर ध्यान दिया जाएगा। रिलायंस फाउंडेशन के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) जगन्नाथ कुमार ने कहा, “भारत में दुनिया की सबसे बड़ी युवा जनसंख्या है, और यह हमारा प्रयास है कि हम उन्हें भविष्य के लिए जरूरी कौशल के साथ तैयार करें। एनएसडीसी के साथ यह साझेदारी युवाओं के कौशल विकास में मदद करेगा।” -
नयी दिल्ली. सोने में निवेश को लेकर आकर्षण बना हुआ है। इसका पता इस बात से चलता है कि गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में जनवरी में 657 करोड़ रुपये निवेश किए गए, जो इससे पिछले महीने की तुलना में सात गुना है। उद्योग संगठन एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) ने यह जानकारी दी। विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक स्तर पर जारी तनाव और अमेरिका में उच्च मुद्रास्फीति के बीच निवेश के लिए सोना एक सुरक्षित विकल्प है। उद्योग संगठन के आंकड़ों से पता चलता है कि इस निवेश के साथ जनवरी के अंत तक गोल्ड फंड की प्रबंधन के तहत संपत्ति (एयूएम) 1.6 प्रतिशत बढ़कर 27,778 करोड़ रुपये हो गई। यह राशि दिसंबर 2023 के अंत में 27,336 करोड़ रुपये थी। आंकड़ों के मुताबिक जनवरी में गोल्ड ईटीएफ में शुद्ध निवेश इससे पिछले महीने के 88.3 करोड़ रुपये से बढ़कर 657.4 करोड़ रुपये हो गया। टाटा गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड की पेशकश से छह करोड़ रुपये जुटाए गए।
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के विश्लेषक मेल्विन सैंटारिटा ने कहा कि मौजूदा भू-राजनीतिक तनाव और अमेरिकी मुद्रास्फीति के उच्च स्तर के चलते सोने की लोकप्रियता बनी रहने की उम्मीद है। गोल्ड ईटीएफ के तहत घरेलू भौतिक सोने की कीमत पर नजर रखी जाती है। इसमें किया गया निवेश सोने की कीमतों पर आधारित होते हैं। इस कोष के अंतर्गत जुटायी गयी राशि सर्राफा में निवेश की जाती है।

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