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- पंडित प्रकाश उपाध्याय
मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित है। मान्यता है कि मंगलवार के दिन विधि-विधान से हनुमान जी की पूजा करने से सुखों की प्राप्ति होती है और सभी प्रकार का भय समाप्त हो जाता है। मंगलवार के दिन हनुमान जी के लिए व्रत रखने से जातक के सभी संकट टल जाते हैं। इसीलिए हनुमान जी को संकटमोचन भी कहा जाता है। इस दिन वास्तु में बताए गए कुछ उपाय अवश्य करने चाहिए, आइए जानते हैं इनके बारे में।
मंगलवार के दिन सुबह और शाम के समय हनुमानजी की मूर्ति के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करें। दीप में लाल रंग की बाती का प्रयोग करें। अगर लाल रंग की बाती न हो तो घी में थोड़ा सा सिंदूर डाल दें। मंगलवार को एक निश्चित समय पर हनुमानजी की मूर्ति के समक्ष बैठकर दीप प्रज्ज्वलित कर पाठ करें। मंगलवार के दिन गुड़ और भुने हुए चने बंदरों को या फिर लाल रंग की गाय को खिला सकते हैं। हनुमानजी को बूंदी का प्रसाद प्रिय है। मंगलवार के दिन हनुमानजी के मंदिर में बूंदी का प्रसाद भेंट करें। प्रसाद को घर पर नहीं लाना है। इसे मंदिर के आसपास मौजूद लोगों में बांट दें। मंगलवार को 108 तुलसी के पत्तों पर राम नाम लिखकर हनुमानजी को तुलसी माला पहनाएं। इस दिन जरूरतमंदों को भोजन कराएं। ऐसा करने से कभी भी धन और अन्न की कमी नहीं होगी। मंगलवार के दिन हनुमान जी को चोला चढ़ाएं। इस दिन सुंदरकांड का पाठ करें। हनुमान जी को केवड़े का इत्र और गुलाब के फूलों की माला अर्पित करें। मंगलवार के दिन बजरंगबाण का पाठ करने से शत्रुओं से मुक्ति मिलती है। मंगलवार को नमक का सेवन करने से बचें। मंगलवार के दिन किसी को ऋण नहीं दें। किसी पर भी इस दिन क्रोध न करें। मंगलवार के दिन कांटा, छुरी, कैंची जैसी धारदार चीजें नहीं खरीदनी चाहिए। - बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायजीवन में हर कोई सुख-समृद्धि व तरक्की चाहता है। लेकिन कई बार लोग कड़ी मेहनत करने के बाद भी सफलता हासिल नहीं कर पाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी परेशानियो का कारण वास्तु दोष भी हो सकता है। अनजाने में हम अक्सर ऐसी चीजों को घर ले आते हैं जो वास्तु दोष का कारण बनती है। वास्तु शास्त्र में कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं जिन्हें अपनाकर व्यक्ति जीवन में सुख-समृद्धि हासिल कर सकता है।जानें मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कुछ आसान वास्तु टिप्स-रात को सोने से पहले अपनाएं ये वास्तु टिप्स-1. वास्तु शास्त्र में घर का हर कोना काफी महत्वपूर्ण माना गया है। ऐसे में रात को सोने से पहले घर की रसोई, बाथरूम के अलावा कुछ हिस्सों से संबंधित कार्य करके घर की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त किया जा सकता है।2. रात को सोने से पहले किचन में एक बाल्टी पानी भरकर रख दें। वास्तु के अनुसार, ऐसा करने से जातक को कर्ज से मुक्ति मिलती है और आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।3. वास्तु शास्त्र के अनुसार, बाथरूम में कभी बाल्टी खाली नहीं रखनी चाहिए। मान्यता है कि रात को सोने से पहले बाथरूम में भरी बाल्टी रखनी चाहिए। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।4. वास्तु शास्त्र के अनुसार, रोजाना शाम को मुख्य द्वार पर दीपक जलाना चाहिए। इसके साथ ही मुख्य द्वार पर एक लाइट भी जलानी चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी का घर में आगमन होता है।
- पंडित प्रकाश उपाध्यायसाल 2023 की शुरुआत होने में अब थोड़ा ही समय बाकी रह गया है. ज्योतिषविदों का कहना कि साल 2023 लव और रिलेशनशिप के मामले में सिंह, कन्या और वृश्चिक राशि के जातकों के लिए बहुत लकी रहने वाला है. जबकि धनु और मकर राशि के जातकों को बहुत संभलकर रहना होगा. आइए जानते हैं कि ये नया साल प्रेम संबंधों के मोर्चे पर सभी राशियों को कैसे परिणाम देने वाला है.मेषरिलेशनशिप के मामले में साल 2023 मेष राशि के लिए मिला जुला रहने वाला है. रिश्तों के प्रति आप ईमानदार रहेंगे. यदि आप अविवाहित हैं तो अप्रैल से अगस्त माह के दौरान आपके जीवन में किसी खास इंसान की एंट्री हो सकती है. वैवाहिक जीवन की बात करें तो राहु-केतु की स्थिति के प्रभावस्वरूप दांपत्य जीवन में तनाव बढ़ने की आशंका है.वृषभ- वृषभ राशि के जातकों के लिए यह वर्ष प्रेम संबंधों में मधुरता लेकर आएगा. खासतौर से जनवरी से अप्रैल तक आपके रिश्ते में बहुत मजबूती रहेगी. 2023 में विवाह के योग बनते दिखाई दे रहे हैं. रिश्ते में मिठास और रोमांस बढ़ेगा. हालांकि साल के आखिरी महीने दिसंबर में आपको थोड़ा सावधान रहने की आवश्यकता होगी. स दौरान आपकी टेढ़ी बातचीत रिश्ते में तनाव आ सकता है।मिथुन-मिथुन राशि के लिए यह साल औसत रहेगा. वैवाहिक जीवन में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं. जनवरी के महीने में आपको बहस, वाद-विवाद और झगड़े से जुड़ी परेशानियां होंगी. हालांकि ये ऐसी समस्याएं धीरे-धीरे दूर होने लगेंगी. जो लोग प्रेम संबंध में हैं, वे अप्रैल के बाद अपने प्रिय को शादी के लिए प्रपोज कर सकते हैं.कर्कप्रेम और वैवाहिक जीवन की बात करें तो इस वर्ष कर्क राशि के जातकों को अपने रिश्ते में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं. साल की शुरुआत में आपके वैवाहिक जीवन में तनाव और टकराव की स्थिति बन सकती है. हालांकि अप्रैल में गुरु देव बृहस्पति की चाल बदलने के बाद रिश्तों में सकारात्मकता आएगी. इसके बाद आप पार्टनर के साथ सुखद पलों का आनंद लेते दिखाई देंगे.सिंहसिंह राशि के जातकों के लिए महीना प्रेम संबंधों के लिहाज से बहुत अच्छा रहने वाला है. इस वर्ष आपका पार्टनर बेहद समझदार और बुद्धिमान होगा. उनकी बुद्धिमानी से आपके रिश्ते में खुशहाली आएगी. आपके रिश्ते से कड़वाहट, शिकायत, नीरसता जैसे शब्द गायब हो जाएंगे. अविवाहित जातकों के लिए विवाह के योग बनेंगे।कन्यारिलेशनशिप के लिहाज से कन्या राशि के जातकों के लिए साल 2023 बहुत ही अच्छा रहेगा. साल की शुरुआत में शनि और शुक्र आपके पांचवें भाव में स्थित होंगे, जिसके परिणामस्वरूप आपको अपना रिश्ता मजबूत बनाने के कई मौके मिलेंगे. ऐसे में यदि आप अपने रिश्ते के प्रति सच्चे और ईमानदार होंगे तो आपके रिश्ते में मधुरता आएगी और नजदीकियां बढ़ेंगी.तुलाइस वर्ष तुला राशि के जातकों के प्रेम जीवन में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहेगी. आपके रिश्ते में मिठास और रोमांस बढ़ेगा. पार्टनर के साथ मिलकर खुशी के पलों का लुत्फ भी उठाएंगे. लेकिन आपको अपने रिश्ते के प्रति ईमानदार, वफादार रहना होगा, अन्यथा आपके रिश्ते में कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.वृश्चिकवृश्चिक राशि के जातकों के लिए साल 2023 प्रेम के मोर्चे पर महत्वपूर्ण रहने वाला है. यदि आप सिंगल हैं तो आपके जीवन में प्यार दस्तक दे सकता है, जिसके साथ आप बेहद सहज महसूस करेंगे. रिश्तों आपको गजब का सामंजस्य देखने को मिलेगा. फरवरी से लेकर मार्च तक की अवधि में आपके संबंध में प्रेम और रोमांस की वृद्धि होगी. प्यार और भी ज्यादा गहरा होता प्रतीत होगा. आप बेझिझक अपने दिल की बात एक-दूसरे से कह सकेंगे.धनु-लव या रिलेशनशिप के मामले में धनु राशि राशि वालों को साल 2023 में ज्यादा सावधान रहना होगा. आपको कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. प्रेम संबंध में तनाव बढ़ने की संभावना रहेगी. पार्टनर के साथ आपकी नोक-झोंक, झड़प बढ़ सकती है. रिश्ते टूटने की कगार तक जा सकते हैं. खासतौर से आपको अक्टूबर तक बहुत संभलकर रहना होगा.मकर- मकर राशि के जातकों को इस साल रिश्तों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होगी. इस दौरान यदि आप अपने पार्टनर के दृष्टिकोण को समझने का प्रयास नहीं करेंगे तो वे आपसे नाराज हो सकते हैं. रिश्ता टूटने तक की नौबत आ सकती है। इसलिए सलाह दी जाती है कि सावधान रहें और परिस्थितियों को प्यार से हैंडल करने की कोशिश करें.कुंभकुंभ राशि के जातकों के लिए वर्ष की शुरुआत प्रेम संबंधों के लिहाज से अच्छी रहेगी। जनवरी और फरवरी के महीने आपको बेहद खुशनुमा महसूस होंगे. लेकिन 13 मार्च 2023 को जब पांचवें भाव में मंगल का गोचर होगा, तब आपके रिश्ते में तनावपूर्ण स्थितियां पनप सकती हैं. ऐसे में आपका प्रियतम के साथ वाद-विवाद या झगड़ा होने की भी आशंका है.मीनमीन राशि को भी इस साल प्यार के मामले में मिले-जुले परिणाम प्राप्त हो सकते हैं. आपको अपने प्रियतम से दूर रहना पड़ सकता है. रिश्तों के प्रति आपको बहुत ईमानदार रहने की जरूरत होगी. हालांकि इस राशि के जातकों को पार्टनर का पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा. पार्टनर की सलाह लेकर किए गए फैसलें कभी विफल नहीं होंगे. जो लोग किसी को पसंद करते हैं या किसी से शादी करना चाहते हैं तो उनके लिए भी समय अनुकूल रहने वाला है.
- भगवान श्रीराम के दो पुत्र हुए - लव और कुश। निर्वाण लेते समय श्रीराम ने अपने साम्राज्य को स्वयं और अपने अनुज पुत्रों में समान रूप से बाँट दिया। लव को जो राज्य मिला उसका नाम उन्होंने लव नगर रखा। आज पाकिस्तान का लाहौर ही वो नगर था। कुश के राज्य का नाम कुश नगर पड़ा जिसे आज पाकिस्तान के कसूर के नाम से जाना जाता है। लव का वंश अधिक नहीं चला किन्तु कुश के वंशजों से अपने राज्य को बहुत बढ़ाया। आइये इस पर एक दृष्टि डालते हैं:श्रीराम के दो पुत्र हुए - लव और कुश।कुश के पुत्र अतिथि हुए।अतिथि के पुत्र का नाम निषध था।निषध के पुत्र नल हुए।नल के पुत्र नभस हुए।नभस के पुत्र का नाम पुण्डरीक था।पुण्डरीक के क्षेमधन्वा नामक पुत्र हुए।क्षेमधन्वा के देवानीक हुए।देवानीक के अहीनगर हुए।अहीनर के पुत्र का नाम रूप था।रूप के रुरु नामक पुत्र हुए।रुरु के पारियात्र नामक पुत्र हुए।पारियात्र के पुत्र का नाम दल था।दल के पुत्र शल हुए।शल के पुत्र का नाम उक्थ था।उक्थ के वज्रनाभ नामक पुत्र हुए।वज्रनाभ से शंखनाभ हुए।शंखनाभ के व्यथिताश्व नामक पुत्र हुए।व्यथिताश्व से विश्?वसह हुए।विश्वसह के पुत्र का नाम हिरण्यनाभ था।हिरण्यनाभ से पुष्य हुए।पुष्य से ध्रुवसन्धि का जन्म हुआ।ध्रुवसन्धि से सुदर्शन हुए।सुदर्शन के पुत्र अग्निवर्णा थे।अग्निवर्णा से शीघ्र नामक पुत्र हुए।शीघ्र से मुरु हुए।मरु से प्रसुश्रुत हुए।प्रसुश्रुत के पुत्र का नाम सुगन्धि था।सुगवि से अमर्ष नामक पुत्र हुए।अमर्ष से महास्वन हुए।महास्वन से विश्रुतावन्त हुए।विश्रुतावन्त के पुत्र का नाम बृहदबल था। ये कोसल साम्राज्य के अंतिम प्रतापी राजा माने जाते हैं। महाभारत में दिग्विजय के समय भीम ने इन्हें परास्त किया और उसके बाद कर्ण ने अपनी दिग्विजय यात्रा में इनपर विजय प्राप्त की। इन्होंने महाभारत के युद्ध में कौरवों का साथ दिया और युद्ध के 13वें दिन अभिमन्यु के हाथों इनकी मृत्यु हुई।बृहदबल के पुत्र बृहत्क्षण थे।वृहत्क्षण से गुरुक्षेप का जन्म हुआ।गुरक्षेप से वत्स हुए।वत्स से वत्सव्यूह हुए।वत्सव्यूह के पुत्र का नाम प्रतिव्योम था।प्रतिव्योम से दिवाकर का जन्म हुआ।दिवाकर से सहदेव नामक पुत्र जन्मे।सहदेव से बृहदश्व हुए।वृहदश्व से भानुरथ हुए।भानुरथ से सुप्रतीक हुए।सुप्रतीक से मरुदेव का जन्म हुआ।मरुदेव ने सुनक्षत्र को पुत्र रूप में प्राप्त किया।सुनक्षत्र से किन्नर नामक पुत्र हुए।किन्नर से अंतरिक्ष हुए।अंतरिक्ष से सुवर्ण हुए।सुवर्ण से अमित्रजित् हुए।अमित्रजित् के पुत्र का नाम वृहद्राज था।वृहद्राज से धर्मी का जन्म हुआ।धर्मी से कृतन्जय का जन्म हुआ।कृतन्जय से जयसेन हुए।जयसेन से सिंहहनु हुए।सिंहहनु से शुद्धोदन का जन्म हुआ।शुद्धोदन ने माया देवी से विवाह किया जिनसे इन्हें सिद्धार्थ नामक पुत्र की प्राप्ति हुई। सिद्धार्थ ने राज्य त्याग दिया और संन्यास ग्रहण कर लिया। यही आगे चल कर गौतम बुद्ध के नाम से प्रसिद्ध हुए और इन्होंने अपना बौद्ध धर्म चलाया। सद्धार्थ ने यशोधरा से विवाह किया जिनसे उन्हें राहुल नामक पुत्र की प्राप्ति हुई। चूँकि उनके पिता ने संन्यास ग्रहण कर लिया था इसी कारण अपने दादा शुद्धोधन के बाद सीधे उन्हें ही सिंहासन प्राप्त हुआ। यहाँ से आप इक्षवाकु कुल का अंत मान सकते हैं क्यूंकि इनके पिता सिद्धार्थ ने हिन्दू धर्म छोड़ बौद्ध धर्म चलाया और राहुल को भी बौद्ध धर्म की दीक्षा दी। हालाँकि आगे इनके वंश में भी कई राजाओं ने बौद्ध धर्म को मानने से इंकार कर दिया और हिन्दू धर्म के साथ जुड़े रहे।राहुल से प्रसेनजित का जन्म हुआ।प्रसेनजित् से क्षुद्रक जन्मे।क्षुद्रक से कुंडक का जन्म हुआ।कुंडक के पुत्र सुरथ हुए।सुरथ के दो पुत्र हुए - सुमित्र और कुरुम। सुमित्र प्रसिद्ध राजा बनें किन्तु वंश कुरुम का ही चला।कुरुम से कच्छ हुए।कच्छ से बुधसेन हुए।बुधसेन के पश्चात जो वंश वर्णन उपलब्ध हंै किन्तु इसकी प्रमाणिकता के विषय में कोई ठोस प्रमाण नहीं है। बुधसेन का वंश राजस्थान के राज परिवार तक जाता है और उनके आखिरी वंशज सवाई भवानी सिंह माने जाते हैं जिनकी मृत्यु 2011 में हो गयी। उनकी केवल एक पुत्री दीया कुमारी है। दीया कुमारी जयपुर राजघराने की राजकुमारी व राजसमंद लोकसभा क्षेत्र से भाजपा सांसद है।
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पंडित प्रकाश उपाध्याय
नया साल 2023 शुरू होने में अब सिर्फ 8 दिन बाकी रह गए हैं. नए साल को लेकर हर कोई उत्सुक है. हर इंसान चाहता है कि नया साल उसके जीवन में नई खुशियां, नई उम्मीदें और उन्नति लेकर आए. यह साल शादी-विवाह के लिहाज से बहुत ही खास रहने वाला है. इस साल शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्यों के लिए कई शुभ मुहूर्त आएंगे. श्रावण मास के साथ लग रहे अधिक मास और देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी के चातुर्मास को छोड़ दें तो लगभग हर महीने शहनाइयां गूंजेंगी. नए साल में शादी-विवाह के कुल 64 शुभ मुहूर्त रहेंगे. आइए आपको साल 2023 में शादी-विवाह की शुभ तिथियों के बारे में बताते हैं.
जनवरी 2023
रविवार, 15 जनवरी
सोमवार, 16 जनवरी
बुधवार, 18 जनवरी
गुरुवार, 19 जनवरी
बुधवार, 25 जनवरी
गुरुवार, 26 जनवरी
शुक्रवार, 27 जनवरी
सोमवार, 30 जनवरी
मंगलवार, 31 जनवरी
फरवरी 2023
सोमवार, 6 फरवरी
मंगलवार, 7 फरवरी
बुधवार, 8 फरवरी
गुरुवार, 9 फरवरी
शुक्रवार, 10 फरवरी
रविवार, 12 फरवरी
सोमवार, 13 फरवरी
मंगलवार, 14 फरवरी
बुधवार, 15 फरवरी
शुक्रवार, 17 फरवरी
बुधवार, 22 फरवरी
गुरुवार, 23 फरवरी
मंगलवार, 28 फरवरी
मार्च 2023
बुधवार, 1 मार्च
रविवार, 5 मार्च
सोमवार, 6 मार्च
गुरुवार, 9 मार्च
शनिवार, 11 मार्च
सोमवार, 13 मार्च
अप्रैल 2023- अप्रैल में गुरु देव बृहस्पति का तारा अस्त रहेगा, इसलिए इस महीने शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्य वर्जित रहेंगे.
मई 2023
शनिवार, 6 मई
सोमवार, 8 मई
मंगलवार, 9 मई
बुधवार, 10 मई
गुरुवार, 11 मई
सोमवार, 15 मई
मंगलवार, 16 मई
शनिवार, 20 मई
सोमवार, 21 मई
मंगलवार, 22 मई
शनिवार, 27 मई
सोमवार, 29 मई
मंगलवार, 30 मई
जून 2023
गुरुवार, 1 जून
शनिवार, 3 जून
सोमवार, 5 जून
मंगलवार, 6 जून
बुधवार, 7 जून
रविवार, 11 जून
सोमवार, 12 जून
शुक्रवार, 23 जून
शनिवार, 24 जून
सोमवार, 26 जून
मंगलवार, 27 जून
जुलाई से नवंबर- 29 जून को देवशयनी एकादशी है. इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं, जिसके चलते शुभ व मांगलिक कार्य वर्जित हो जाते हैं. इसके बाद भगवान विष्णु 23 नवंबर 2023 को जब योग निद्रा से बाहर आएंगे, तभी शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी. यानी हिंदू धर्म में 29 जून 2023 से लेकर 23 नवंबर 2023 तक शादी-विवाह नहीं होंगे.
नवंबर 2023
गुरुवार, 23 नवंबर
शुक्रवार, 24 नवंबर
सोमवार, 27 नवंबर
मंगलवार, 28 नवंबर
बुधवार, 29 नवंबर
दिसंबर 2023
मंगलवार, 5 दिसंबर
बुधवार, 6 दिसंबर
गुरुवार, 7 दिसंबर
शुक्रवार, 8 दिसंबर
शनिवार, 9 दिसंबर
सोमवार, 11 दिसंबर
शुक्रवार, 15 दिसंबर
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पंडित प्रकाश उपाध्याय
नए साल 2023 की शुरुआत होने वाली है. नया साल आते ही हर घर में सबसे पहले नए साल का कैलेंडर आता है. ताकि साल के दिन, तारीख, व्रत, त्योहार, छुट्टी आदि के बारे में पता किया जा सके. क्या आप जानते हैं कि वास्तु शास्त्र में कैलेंडर को लेकर कई खास नियम बताए गए हैं जिनका पालन करना बहुत जरूर माना जाता है. कैलेंडर से जुड़ी गलतियां इंसान की तरक्की, उन्नति में बाधाएं उत्पन्न कर सकती हैं. आइए आपको कैलेंडर से जुड़े नियम और गलतियों के बारे में बताते हैं.
इस दिशा में न लगाएं कैलेंडर
कैलेंडर को समय का शुभ सूचक माना जाता है. वास्तु के अनुसार, कैलेंडर को भी दक्षिण दिशा में बिल्कुल नहीं लगाना चाहिए. इससे घर में रहने वाले सदस्यों पर बुरा असर पड़ता है और तरक्की भी रुक जाती है. इसके अलावा, कैलेंडर को मेन गेट या दरवाजे के पीछे भी कभी नहीं लगाना चाहिए.
कैलेंडर के साथ न लगाएं ऐसी तस्वीरें-
इस बात का विशेष ख्याल रखें कि घर में जिन जगहों पर कैलेंडर लगाया जाता है, वहां युद्ध, खून-खराबे का दृश्य, पतझड़, सूखे पेड़ या अवसाद से जुड़ी तस्वीरें नहीं लगानी चाहिए. इससे इंसान के जीवन में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है. आपके घर की सुख शांति भी भंग हो सकती है.
पुराने कैलेंडर पर नया कैलेंडर
कभी भी नए कैलेंडर को पुराने कैलेंडर के ऊपर नहीं लगाना चाहिए. ऐसा करने से भी घर में नकारात्मकता का संचार होता है. इसके साथ ही कई बार आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. अगर आप नए साल का कैलेंडर लेने जा रहे हैं तो ध्यान रखें कि वो फटा हुआ न हो. इससे घर में वास्तु दोष पैदा होता है.
घर की इश दिशा में कैलेंडर लगाना शुभ
घर में कैलेंडर को हमेशा पूर्व दिशा, पश्चिम दिशा और उत्तर दिशा में ही लगाना चाहिए. कैलेंडर को पूर्व दिशा में लगाने से जीवन में तरक्की और सुख-समृद्धि आती है. जबकि पश्चिम दिशा में लगा कैलेंडर जरूरी कार्यों में तेजी लाता है. वास्तु में उत्तर दिशा को कुबेर की दिशा कहा जाता है. इसलिए इस दिशा में कैलेंडर को लगाने से आर्थिक मोर्चे पर खूब लाभ मिलता है.
इन रंगों का कैलेंडर शुभ
वास्तु के अनुसार, हरा, नीला, सफेद, गुलाबी और लाल रंग के कैलेंडर को घर में लगाना शुभ माना गया है. -
आपने कुछ लोगों को देखा होगा कि जिनका बैंक अकाउंट महीने की आखिरी तारीख आने से पहले ही खाली हो जाता है. इन लोगों के सिर पर हमेशा किसी न किसी का कर्जा चढ़ा रहता है. इनके खर्चे चाहकर भी नियंत्रण में नहीं रह पाते हैं. ज्योतिषियों का कहना है कि ऐसी स्थिति में अगर घर में कुछ खास चीजें लाकर रख दी जाएं तो आर्थिक समस्याओं का निपटारा हो सकता है. आइए आज आपको ऐसी कुछ चुनिंदा और चमत्कारी चीजों के बारे में बताते हैं.
लघु नारियल-
लघु नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है. लघु नारियल सामान्य नारियल की तुलना में बहुत छोटा है. ऐसा कहते हैं कि जिन घरों में लघु नारियल रखा जाता है, वहां कभी धन की कमी नहीं रहती है. ये न सिर्फ आर्थिक मोर्चे पर आपको लाभ देता है, बल्कि अन्न के भंडार भी कभी खाली नहीं होने देता है.
धातु का कछुआ-
आपने कई लागों के घर में चांदी, पीतल या कांसे का कछुआ रखा देखा होगा. कछुए को भगवान विष्णु का ही अवतार माना जाता है. ऐसा कहते हैं कि कछुआ रखने से धन से जुड़ी परेशानी खत्म हो जाती हैं. आर्थिक समृद्धि के लिए कछुए को हमेशा उत्तर दिशा में ही रखें.
पीरामिड-
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में पिरामिड रखने से आर्थिक संपन्नता बढ़ती है. ऐसा कहते हैं कि जिस घर में क्रिस्टल का पीरामिड होता है, उसके सदस्यों की आय में तेजी से वृद्धि होती है. साथ ही सकारात्मक ऊर्जा का भी विकास होता है. पिरामिड को हमेशा ऐसी जगह पर रखना चाहिए, जहां घर के लोग सबसे ज्यादा समय व्यतीत करते हैं.
गोमती चक्र-
शास्त्रों में गोमती चक्र को बहुत ही शुभ बताया गया है. गोमती चक्र गोमती नदी में चक्र की आकृति में पाए जाने वाला एक पत्थर है. ये चक्र घर में रखने से नकारात्मक ऊर्जा कोसों दूर रहती है और घर की सुख, शांति और आर्थिक संपन्नता को किसी की बुरी नजर नहीं लगती. ऐसा कहते हैं कि 11 गोमती चक्र पीले कपड़े में लपेटकर तिजोरी में रखने से माता लक्ष्मी की विशेष कृपा मिलती है.
कमलगट्टे की माला-
अगर आपके घर में रुपये-पैसे की तंगी रहती है और तो अपने घर के मंदिर में कमलगट्टे की माला लाकर रख लीजिए. ऐसा कहते हैं कि कमलगट्टे की माला से धन प्राप्ति के मार्ग खुल जाते हैं. इस माला के साथ अपने इष्टदेव का नाम 108 बार जपें. इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा. -
--पंडित प्रकाश उपाध्याय
वास्तु शास्त्र का ऐसा मानना है कि जीवन में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह की ऊर्जाओं को प्रभाव व्यक्ति के आसपास मौजूद वस्तुओं पर बहुत हद तक निर्भर करता है. जिस स्थान पर व्यक्ति रहता है अथवा काम करता है वहां पर मौजूद चीजों का उसके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है. यह प्रभाव सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह का होता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मौजूद चीजें अगर सही दिशा नहीं होती है तो इसका नकारात्मक प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है.
नकारात्मक प्रभाव के कारण व्यक्ति को आर्थिक और मानसिक दोनों तरह के कष्ट उठाने पड़ते हैं. इसके अलावा घर पर कुछ ऐसी चीजें भी होती है जो घर के वास्तु को प्रभावित करती हैं. जिसके कारण घर में वास्तु दोष हमेशा रहता है. आज हम आपको घर पर मौजूद ऐसी 5 चीजों के बारे में जानकारी देंगे जो घर में मौजूद हों तो हमेशा नकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और उस घर में रहने वाले हर एक सदस्य के जीवन पर बुरा प्रभाव डालती हैं.
गंदगी
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर पर नकारात्मक ऊर्जा का सबसे बड़ा स्त्रोत घर में फैली गंदगी ही होता है. जिस घर में गंदगी रहती है वहां पर दरिद्रता और बीमारियां हावी रहती है. वैदिक ज्योतिष शास्त्र में शुक्र को सभी तरह के भौतिक सुख-सुविधाओं को प्रदान करने वाला ग्रह माना गया है. जिस व्यक्ति के जीवन में शुक्र ग्रह मजबूत रहते हैं उन्हें सभी तरह के भोग-विलास की चीजों का सुख मिलता रहता है. शु्क्र ग्रह को साफ-सफाई बहुत ही प्रिय होती है. इसके अलावा मां लक्ष्मी को भी साफ-सफाई बेहद ही पसंद होती है. मां लक्ष्मी धन और सुख-समृद्धि की देवी हैं
घर पर कबाड़ का सामान
कई लोगों की यह आदत होती है वे बेकार और खराब हो चुकी चीजों को घर में सहेज कर रख लेते हैं. इस आदत से घर में वास्तु दोष पैदा होता रहता है. घर पर टूटी-फूटी चीजों और बेकार हो चुके सामान से नकारात्मक ऊर्जा पैदा होती रहती है. ऐसे में अगर आपके घर पर जो चीजें बेकार हो गई हों उसे फौरन ही घर से निकाल दें. या फिर खराब चीजों का तुरंत ही बनवाकर उसका इस्तेमाल करते रहें. वास्तु में टूटे बर्तन, टूटी खड़ी, टूटे दरवाजे और टूटी हुई खिड़कियों से नकारात्मक ऊर्जा पैदा होती रहती है. इस कारण से घर में वास्तु दोष बना रहता है जिसके कारण उस घर में रहने वाले सभी सदस्यों को आर्थिक और मानसिक परेशानियों से सामना करना पड़ता है.
बिखरा सामान
वास्तु शास्त्र के अनुसार जिन घरों में रखी चीजें हमेशा इधर-उधर फैली हुई होती हैं वहां पर भी वास्तु दोष रहता है. घर के कमरों में चीजों अगर फैली हुई होती है तो व्यक्ति के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. सूखे पौधे
कई लोगों को घर में पौधे लगाने का शौक तो रहता है लेकिन इसकी उचित देखभाल नहीं कर पाते हैं जिससे पौधा सूख जाता है. वास्तु शास्त्र में सूखे फूल-पौधे से नकारात्मक ऊर्जा पैदा होती रहती है. अगर आपके घर में कोई पौधा सूख गया हो तो इसे तुरंत हटा देना चाहिए. जिन घरों में सूखे पौधे रहते हैं वहां पर रहने वाले सदस्यों के बीच मनमुटाव और कलह बढ़ने लगती है. इसके अलावा घर में कांटेदार पौधे को भी लगाना वर्जित माना गया है.
मकड़ी के जाले
अक्सर घरों में मकड़ी के जाले लग जाते हैं. वास्तु में मकड़ी के जाले को बहुत ही अशुभ माना जाता है. जाले नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माने जाते हैं. मकड़ी के जाले होने से घरों में आर्थिक परेशानियां और मानसिक अशांति फैलती है इस कारण से समय-समय पर घर के कोनों की साफ-सफाई जरूर करते रहना चाहिए. - गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरितमानस ज्ञान के सागर के समान है। इसमें ज्ञान की ऐसी गूढ़ बातें लिखी है जो हर किसी को पता होनी चाहिए। मानस में ही तुलसीदास जी ने उन 14 प्रकार के व्यक्तियों के बारे में बताया है जो जीवित होते हुए भी मरे हुए के समान हैं।रामचरितमानस के लंका कांड में 30वें दोहे में रावण और अंगद के बीच एक बहुत सुन्दर संवाद है। उस संवाद में जब रावण अंगद को अपनी शक्ति के बारे में बताता है तब अंगद उसे धिक्कारते हुए कहते हैं कि वो तो पहले ही मरे हुए के समान है। तब अंगद उसे उन 14 प्रकार के व्यक्तियों के बारे में बताते हैं जो मृत ही माने गए हैं। अंगद कहते हैं -जौं अस करौं तदपि न बड़ाई। मुएहि बधें नहिं कछु मनुसाई॥कौल कामबस कृपिन बिमूढ़ा। अति दरिद्र अजसी अति बूढ़ा॥अर्थात: यदि ऐसा करूँ तो भी इसमें कोई बड़ाई नहीं है। मरे हुए को मारने में कुछ भी पुरुषत्व नहीं है। वाममार्गी, कामी, कंजूस, अत्यंत मूढ़, अति दरिद्र, बदनाम, बहुत बूढ़ा।सदा रोगबस संतत क्रोधी। बिष्नु बिमुख श्रुति संत बिरोधी॥तनु पोषक निंदक अघ खानी जीवत सव सम चौदह प्रानी॥अर्थात: नित्य का रोगी, निरंतर क्रोधयुक्त रहने वाला, भगवान्न विष्णु से विमुख, वेद और संतों का विरोधी, अपना ही शरीर पोषण करने वाला, पराई निंदा करने वाला और पाप की खान - ये चौदह प्राणी जीते ही मुर्दे के समान हैं।इस प्रकार वे 14 प्रकार के प्राणी हैं -वाम मार्गी: ऐसा व्यक्ति जो सारी दुनिया से उल्टा चले और जो हर चीज में कमी निकलता हो। जो परम्पराओं और समाज के नियम को ना मानता हो और केवल अपनी ही करता हो।कामी: ऐसा व्यक्ति जो सदा काम वासना के आधीन रहता हो। जैसे रावण ने काम के वश होकर माता सीता का हरण कर लिया।कंजूस: कृपण व्यक्ति जो केवल धन संचय में लगा रहता हो। जो व्यक्ति लोक कल्याण के लिए दान देने से बचे और सारा धन केवल स्वयं के लिए ही सहेज कर रखे।अत्यंत मूढ़: ऐसा व्यक्ति जो मूर्ख हो और सही और गलत के बीच में अंतर ना कर सके। जिसके पास अपना विवेक ना हो और जो बिना सोचे समझे ना करने योग्य कार्य भी करे। जैसे रावण ने हित अहित का विचार किये बिना ही माता सीता का हरण कर लिया।अत्यंत दरिद्र: दरिद्रता को भी शास्त्रों में श्राप माना गया है। ऐसा व्यक्ति जो अत्यंत दरिद्र हो वो भी मृत ही है। इसका वास्तविक अर्थ ये है कि जो दरिद्र हो उसे दुत्कारना नहीं चाहिए क्यूंकि वो पहले से ही कठिन जीवन जी रहा है। यथा संभव उसकी सहायता करनी चाहिए।कलंकित: ऐसा व्यक्ति जो अपने कार्यों के कारण बदनाम हो। जो घर, समाज और राष्ट्र में कुख्यात हो वो भी मरे हुए के समान ही है क्यूंकि कोई भी उसका सम्मान नहीं करता।अत्यंत वृद्ध: अत्यंत वृद्ध व्यक्ति भी मरे हुए के समान है किन्तु वो अक्षम और दूसरों पर आश्रित हो जाता है। उसकी शक्ति और बुद्धि दोनों अक्षम हो जाते हैं और परिवार वाले भी उसकी मृत्यु की कामना ताकि उसे उस कष्ट से मुक्ति मिल सके।सदा का रोगी: ऐसा व्यक्ति जो हमेशा किसी ना किसी रोग से ग्रस्त रहता हो वो भी मरे हुए के समान ही है। सदा व्याधि से घिरा व्यक्ति कभी जीवन का कोई आनंद नहीं उठा सकता और स्वयं ही मुक्ति की कामना करने लगता है।सदा का क्रोधी: सदैव क्रोध में रहने वाले की मति भ्रष्ट हो जाती है और वो सही और गलत में अंतर नहीं कर पाता। छोटी छोटी बात पर क्रोधित होने वाला व्यक्ति कभी प्रसन्न नहीं रहता और उसका मन कभी भी उसके वश में नहीं रहता। वो दूसरों से अधिक स्वयं का ही अहित करता है।विष्णु विमुख: जो व्यक्ति श्रीहरि से विमुख रहता हो उसके जीवन का भी कोई महत्त्व नहीं है क्यूंकि श्रीहरि ही भवसागर से तारने वाले हैं। विष्णु द्रोही का कभी भी हित नहीं हो सकता और संसार में कोई भी उसकी रक्षा नहीं कर सकता। जिस प्रकार विष्णु द्रोही होने कारण रावण भी अंतत: मृत्यु को प्राप्त हुआ।वेद और संतों का विरोधी: जो व्यक्ति वेदों और संतों का अपमान करता है उसका भी कल्याण नहीं हो सकता। वेद और संत दोनों समाज को सही मार्ग में ले जाने वाले हैं और उसका विरोध कर कोई भी सुरक्षित नहीं रह सकता।केवल अपना ही पोषण करने वाला: ऐसा व्यक्ति जिसके जीवन का लक्ष्य केवल अपने ही शरीर का पोषण करना हो उसके जीवन का भी कोई मूल्य नहीं है। ऐसे व्यक्ति सदैव सोचते हैं कि हर चीज पहले उन्हें ही मिल जाये। वे कभी भी किसी का कल्याण नहीं कर सकते और ना ही उनका कभी कल्याण हो सकता है।पर निंदक: जो सदैव दूसरों की निंदा करता हो उसका कोई भविष्य नहीं होता। ऐसे व्यक्ति सदैव दूसरों में दोष देखते हैं और स्वयं के दोषों को समझ कर उसका निवारण करने में असमर्थ रहते हैं।पाप की खान: जो व्यक्ति सदैव पाप कर्म में लिप्त रहता हो और पाप के कर्म से अपने परिवार का पालन करता हो वो भी कभी सुखी नहीं हो सकता। जो व्यक्ति अपने श्रम से कमाए गए धन से अपना और अपने परिवार का पोषण ना करता हो वो मृत ही है।
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हाथ की रेखाएं आपके जीवन के बारे में बहुत कुछ बताती है। हस्त रेखा शास्त्र के अनुसार हाथ की रेखाएं आपके भाग्य से लेकर करियर तक सबकुछ बताने में मदद करती है। हाथ की रेखाएं किसी भी व्यक्ति का जीवन धन व ऐश्वर्य से भरा होगा या फिर संघर्षों से। हथेली में बहुत सी रेखाएं होती है। जो आपके स्वभाव और व्यवहार के बारे में बहुत कुछ कहती है। आइए जानते हैं हस्तरेखा के अनुसार आपका करियर किस क्षेत्र में बन सकता है।
तर्जनी उंगली के नीचे होता है गुरु पर्वत। जिस व्यक्ति की हथेली में गुरु पर्वत उभरा हुआ होता है। ऐसे लोग शिक्षा, चिकित्सा, मैनेजमेंट और सरकारी सेवाओं में जाते हैं।
मध्यमा उंगली के नीचे होता है शनि पर्वत। हस्तरेखा के अनुसार जिस व्यक्ति की हथेली की शनि पर्वत बाहर उभरा हुआ होता है। ऐसे लोगों का जीवन कठिनाइयों से भरा होता है। ऐसा व्यक्ति ठेकेदारी का कारोबार कर सकते हैं।
अनामिका उंगली के नीचे होता है सूर्य पर्वत। यदि किसी व्यक्ति की हथेली में सूर्य और बुध पर्वत उभरे हुए होते हैं तो ऐसे लोग चिकित्सीय सेवाओं में अपना करियर बना कर बेहद मान- सम्मान कमा सकते हैं।
जिस व्यक्ति की हथेली में चंद्रमा उभरा हुआ होता है। ऐसे लोग साहित्य, पत्रकारिता, कला के करियर बनाते हैं। -
घर और ऑफिस में अब छोटे पौधों लगाना बेहद आम बात है। पौधे न सिर्फ ताजगी का एहसास कराते हैं बल्कि उस जगह की शोभा को भी बढ़ाते हैं। घर में यदि वास्तु-शास्त्र को ध्यान में रखकर सही तरीके से पौधे लगाए जाएं। तो इससे घर में सुख, शांति बनी रहती है और तरह -तरह की समस्याएं भी दूर रहती हैं। वास्तु-शास्त्र के अनुसार घर में पेड़- पौधे लगाते समय कुछ नियमों का पालन करना बेहद जरूरी होता है।
- पौधे घर में पॉजिटिव एनर्जी का निर्माण करते हैं। वास्तु-शास्त्र के अनुसार घर में पौधे लगाते वक्त कुछ नियमों का पालन करना होता है। यदि इन नियमों का सही तरीके से पालन किया जाए तो हर काम अच्छे से होता है और घर में निगेटिव एनर्जी का प्रवेश नहीं होता है।
- वास्तु-शास्त्र के अनुसार घर में बागवानी के लिए उत्तर और पूर्व दिशा बेहद शुभ मानी जाती है। अगर इस दिशा में बगीचा लगाया जाता है तो इससे आपके घर में हमेशा पॉजिटिव एनर्जी बनी रहती है और निगेटिव एनर्जी दूर रहती है।
- वास्तु-शास्त्र के अनुसार गार्डन को कभी भी दक्षिण या पश्चिम दिशा में नहीं बनाना चाहिए। यदि इस दिशा में पौधे लगाएं जाए तो यह निगेटिव एनर्जी को आमंत्रित करता है।
- यदि उत्तर दिशा में पौधे लगाए जाएं। तो यह आपके करियर में नए अवसर लाता है और करियर में तरक्की हासिल करने में मदद करता है। वास्तु-शास्त्र के अनुसार तुलसी के पौधे को उत्तर दिशा में लगाने से घर में सुख-समृद्धि आती है।
- वास्तु-शास्त्र के अनुसार कभी भी कांटेदार पौधे को उत्तर दिशा में नहीं लगाना चाहिए।
- घर में यदि आप कोई फलदार पेड़ लगाना चाह रहे हैं तो इसे हमेशा पूर्व दिशा में लगाएं। वास्तु-शास्त्र के अनुसार फलदार पेड़ लगाना बहुत शुभ माना जाता है।
- यदि आप अपने घर में लाल या गुलाबी रंग का कोई फूल लगाने के बारे में सोच रहे हैं तो वास्तु शास्त्र के अनुसार इसे दक्षिण-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम दिशा में लगाना चाहिए। इन आसान से टिप्स को आजमाने से अपने जीवन में पॉजिटिव बदलाव और खुशियां आने लगती है। - आमतौर पर व्यक्ति के शरीर के विभिन्न अंगों पर तिल मिलता है। लेकिन हथेली में मिलने वाला तिल व्यापक प्रभाव डालता है। विभिन्न पर्वतों पर तिल के परिणाम भी अलग-अलग होते हैं। यदि किसी पुरुष या महिला की हथेली में शुक्र पर्वत पर तिल हो तो पत्नी या पति से निरंतर विवाद रहता है। ऐसे लोगों का वैवाहिक जीवन का अधिकांश समय विवादों में ही गुजरता है। इसी तरह यदि मंगल पर्वत और जीवन रेखा की उत्पत्ति के स्थान पर तिल हो तो सिर में चोट लगने की आशंका बनी रहती है। इस तरह के लोगों का स्वभाव भी थोड़ा सख्त प्रकृति का होता है।बुध पर्वत के नीचे मंगल क्षेत्र पर तिल होने की स्थिति में व्यक्ति को संपत्ति में नुकसान की आशंका रहती है। गुरु पर्वत पर तिल का परिणाम अच्छा माना गया है। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार यदि किसी महिला या पुरुष के गुरु पर्वत पर तिल है तो यह आर्थिक समृद्धि का संकेत है। ऐसे लोग आर्थिक रूप से बहुत ही संपन्न प्रवृत्ति के होते हैं और इनके हाथों में निरंतर पैसा आता रहता है। हालांकि ऐसे लोगों के विवाह में कुछ अड़चन अवश्य आती हैं। इसी तरह शनि पर्वत पर तिल होना भी व्यक्ति के धनी होने का संकेत है। लेकिन ऐसे लोगों को बिजली और आग से बचकर रहना चाहिए। सूर्य पर्वत पर तिल को अच्छा नहीं माना गया है। हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार यदि सूर्य पर्वत पर तिल है तो व्यक्ति को जीवन में किसी मामले में अपमान का सामना करना पड़ सकता है।
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वैदिक ज्योतिष शास्त्र में 12 राशियों का जिक्र किया गया है। हर राशि की लव लाइफ, करियर और स्वभाव अलग होता है। राशियों के जरिए ही व्यक्ति के प्यार और रिश्तों का आंकलन किया जाता है। ज्योतिषाचार्य से जानिए आने वाले सप्ताह में किन राशि वालों के लव लाइफ में आएंगे उतार-चढ़ाव और किनका सप्ताह रहेगा शानदार।
पढ़ें मेष से लेकर मीन राशि तक का हाल...
मेष: आप अपने आस-पास की अराजकता का सामना करते हुए कुछ संयम बनाए रख सकते हैं। इस सप्ताह रोमांस आपको ढूंढ लेगा। उबाऊ, नियमित सामान को रास्ते से हटा दें, और फिर आप वास्तव में अपनी कल्पना को वास्तविकता में बदल सकते हैं। आपके और आपकी भावनाओं के बीच गहरा बंधन स्पष्ट होगा। अपना विश्वास रखें और अपनी भावनाओं को समझें। पारस्परिक संबंधों में यथार्थवाद बनाए रखें।
वृष: इस सप्ताह पार्टनरशिप के भविष्य को लेकर आपकी योजनाओं में बदलाव हो सकता है। रोमांटिक पूर्ति के लिए आपकी उम्मीदों को चुनौती दी जाएगी। जिस तरह से आप अपने वर्तमान या पूर्व प्रेम संबंधों के बारे में महसूस करते हैं, वह आपके मित्रों और परिचितों द्वारा आपके सामने रखी गई राय और उदाहरणों के परिणामस्वरूप बदल सकता है। अभी, शायद आप प्रतिबद्धता से अधिक स्वतंत्रता को महत्व देते हैं।
मिथुन: आपके निजी जीवन में बड़े बदलाव आने की संभावना है जो इस सप्ताह स्पष्ट हो जाएगी। ये परिवर्तन आपके व्यवहार में और विशेष रूप से आपकी भावनात्मक स्थिरता में महत्वपूर्ण सुधारों से जुड़े हैं। यदि दैनिक जीवन बहुत अधिक प्रतिबंधात्मक लगता है तो अपने प्रियजनों पर अपना गुस्सा निकालने की कोई आवश्यकता नहीं है। समाधान के लिए किसी और को परेशान न करें; आपको इसे अपने भीतर खोजने की जरूरत है।
कर्क: इस सप्ताह अपने रोमांटिक जीवन में नई जान फूंकना उतना ही आसान हो सकता है, जितना कि पुरानी यादों को सुलझाना। यह सप्ताह अतीत के अपने प्यार को दिखाने का है। अब यह प्रतिबिंबित करने का एक अच्छा समय है कि आपकी परवरिश ने रोमांटिक रिश्तों के प्रति आपके दृष्टिकोण को कैसे प्रभावित किया है। आत्म-चिंतन या इस विषय पर साथी के साथ बात करने से रोमांटिक लक्ष्यों के बारे में अधिक उत्पादक चर्चा हो सकती है।
सिंह: जो लोग सक्रिय रूप से जीवनसाथी की तलाश कर रहे हैं, उनके लिए यह सप्ताह भाग्यशाली रहेगा। हालांकि यह संभव है कि अतीत में आपको सामान्य रुचियों के कारण कुछ सफलता मिली हो, इस सप्ताह आपकी मुलाकात किसी ऐसे व्यक्ति से होने की संभावना है जो आपसे बहुत प्रेम करता है।। यदि आपके माता-पिता आपके लिए एक उपयुक्त साथी की तलाश कर रहे हैं, तो वे आपको एक अनोखी संभावना से आश्चर्यचकित कर सकते हैं।
कन्या : यह सप्ताह आपके जीवन में एक संभावित नया रोमांटिक साथी ला सकता है, हालांकि, आप पहली बार में पूरी बात को लेकर आशंकित महसूस कर सकते हैं। शुरुआत में, आपकी अनिच्छा स्पष्ट होगी, लेकिन जैसे-जैसे आप एक-दूसरे को जानेंगे, आपका संशय कम होने लगेगा और आपको संभावनाएं दिखाई देने लगेंगी। यदि आपको अभी भी इस व्यक्ति की क्षमता पर संदेह है, तो आपको किसी विश्वसनीय मित्र की राय लेनी चाहिए।
तुला: इस सप्ताह अपने रोमांटिक जीवन को अगले स्तर पर ले जाएं। नए विचारों और गतिविधियों को अपनी दिनचर्या में शामिल करने की सलाह दी जाती है। इस सप्ताह मोहक और मोहक के बीच की सीमाएं धुंधली हो गई हैं। यदि आप अपने वर्तमान संबंधों से ऊब चुके हैं, तो जो परिचित है उससे चिपके रहने के बजाय कुछ अज्ञात क्षेत्रों की खोज करने पर विचार करें।
वृश्चिक: अपने करीबी लोगों का समर्थन हासिल करने का सबसे अच्छा तरीका है, उनके साथ दया और दया से पेश आना। आपके अक्खड़ स्वभाव और क्रूर व्यवहार ने आपके आस-पास के लोगों में कुछ हद तक भय को प्रेरित किया होगा। इस सप्ताह दुनिया के साथ अपना एक अलग हिस्सा साझा करें। अपने कोमल और प्यार भरे चेहरे पर रखो और उन्हें अपनी गर्मजोशी, भक्ति और देखभाल करने वाली प्रकृति दिखाओ।
धनु: इस सप्ताह आप खुद को तार्किक दिमाग और भावनाओं के बीच फंसा हुआ पा सकते हैं। यदि अतीत की कोई भयानक स्मृति उभरती है, तो आप अपने रिश्ते के जीवन के एक निश्चित पहलू पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। आप इस समस्या को और अधिक तेजी से और आसानी से हल कर सकते हैं, यदि इससे बाहर निकलने के अपने तरीके को युक्तिसंगत बनाने के बजाय, आप केवल असुविधाजनक भावनाओं को महसूस करते हैं और इसके माध्यम से आगे बढ़ते हैं।
मकर: इस सप्ताह आप चिंतनशील मूड में हो सकते हैं, जो आपको सुखद लेकिन आत्मविश्लेषी मन की स्थिति में ला सकता है। आपका अंतर्ज्ञान और किसी मुद्दे की तह तक जाने की क्षमता दोनों में सुधार होगा। यह एक आकस्मिक परिचित के साथ दोस्ती को एक अलग रास्ते पर ले जाने का समय हो सकता है। जो अपने विचार व्यक्त करते हैं वे प्रिय होते हैं, इसलिए स्वयं को प्रकट करने में संकोच न करें।
कुंभ: इस सप्ताह आपके प्रेम जीवन में थोड़े रोमांच का लाभ मिल सकता है। यदि आप अविवाहित हैं और प्यार की तलाश में हैं, तो एक ऐसी यात्रा की योजना बनाएं जो आपके क्षितिज को व्यापक करे और आपका दिल शुरू करने के लिए एक अच्छी जगह है। यदि आप पहले से ही एक प्रतिबद्ध रिश्ते में हैं, तो एक साथ यात्रा आपके साथी के साथ आपके संबंध को मजबूत और विस्तृत कर सकती है। यदि आप और आपके साथी घर के अंदर सीमित हैं, तो एक मजेदार छुट्टी के साथ कहीं घुमने जा सकते हैं।
मीन: इस सप्ताह आप अपनी वर्तमान प्रेम व्यवस्था में कुछ बदलाव करने के लिए प्रेरित होंगे। एक आसान कदम जो आप उठा सकते हैं वह है अपने रोमांटिक मेल-मिलाप के लिए एक नई समय सारिणी की व्यवस्था करना। या, यदि आप कोई स्थान साझा करते हैं, तो आप घरेलू कार्यों को विभाजित करने के अपने वर्तमान दृष्टिकोण का पुनर्मूल्यांकन कर सकते हैं। यदि आप अविवाहित हैं, तो आप अपनी स्थिति बदलने और नियमित आधार पर किसी को बाहर आमंत्रित करने के बारे में सोच सकते हैं। -
- पंडित प्रकाश उपाध्याय
हस्तरेखा विज्ञान में केवल रेखाओं को ही नहीं देखा जाता बल्कि उंगलियां और अंगूठे को भी देखा जाता है। हाथ में अंगूठे की स्थिति जीवन के बारे में बहुत कुछ बताती है। जब बच्चा जन्म लेता है तो उसका अंगूठा मुट्टी में बंद रहता है। लेकिन जैसे जैसे वह बड़ा होता है तो अंगूठा सक्रिय होने लगता है। हस्तरेखा विज्ञान में अंगूठा आपके बौद्धिक स्तर का प्रतीक भी है। जानिए अंगूठे से जुड़े कुछ ऐसे ही रोचक तथ्यों के बारे में।
-यदि किसी व्यक्ति का अंगूठा 90 डिग्री कोण पर झुका हुआ होता है तो ऐसे व्यक्ति बहुत ही दृढ निश्चयी होते हैं। ये किसी भी काम को किए बिना चैन नहीं लेते।
-यदि अंगूठा पीछे की ओर मुड़ जाए तो यह व्यक्ति की फिजूलखर्ची को दर्शाता है। ऐसा व्यक्ति अनावश्यक खर्च करता है। स्वभाव में ऐसे लोग गंभीर नहीं होते।
-यदि अंगूठा सीधा है तो ऐसा व्यक्ति ना केवल सोच-समझकर बात करता है बल्कि बहु सोच समझकर खर्च करता है।
-यदि तर्जनी और अंगूठे बीच की दूरी खुलते वक्त बेहद कम हो तो ऐसे व्यक्ति बहुत की कंजूस प्रवृत्ति के होते हैं। ऐसे लोग जरुरी काम पर भी खर्च नहीं कर पाते। ऐसे लोग केवल बैंक में ही रुपयों को देखकर खुश होते रहते हैं। -
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
इस साल की अंतिम एकादशी कल यानी 19 दिसंबर को पड़ रही है. पौष माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली इस एकादशी को सफला एकादशी भी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की अराधना की जाती है और व्रत भी रखा जाता है.
आइए जाने इस व्रत का शुभ मुहूर्त और महत्व-----
हिंदू धर्म में हर माह के कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष को एकादशी का व्रत रखा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन जो भी भक्त भगवान विष्णु की अराधना करते हैं और व्रत रखते हैं उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है. श्री विष्णु की इस पूजा का विशेष धार्मिक महत्व होता है. पंचाग के अनुसार इस एकादशी को सफला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस साल की अंतिम एकादशी व्रत कल 19 दिसंबर 2022 को रखा जाएगा. आइए जानते हैं पूजा करने के लिए सबसे शुभ मुहूर्त क्या है और इसका महत्व क्या है.
एकादशी का शुभ मुहूर्त
इस बार पंचाग के अनुसार साल की अखिरी एकादशी यानी सफला एकादशी 19 दिसंबर 2022, सोमवार को पड़ रही है. पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 03 बजकर 32 मिनट से प्रारंभ होगा जो अगले दिन यानी 20 नवंबर को 2 बजकर 32 मिनट पर खत्म होगा. व्रत का पारण 20 दिसंबर 2022 की सुबह 08:05 से 09:13 बजे के बीच किया जा सकेगा.
सफला एकादशी व्रत की पूजन विधि
इस दिन कोशिश करें कि सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें. यदि संभव हो तो गंगा के तट पर जाकर स्नान करें और अगर ऐसा संभव न हो तो घर में स्नान करते वक्त पानी में गंगा जल अवश्य ढाल लें. स्नान करने के बाद सूर्य को अर्घ्य दें और व्रत का संकल्प करें. इसके बाद किसी पाटे या पूजन स्थल पर पीला कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान विष्णु की मूर्ति या फोटो रखें. इसके बाद उनपर पीले पुष्प, पीले फल आदि चढ़ाएं और एकादशी व्रत की कथा पढ़ें. अंत में भगवान विष्णु की आरती भी करें और प्रसाद बांटें.
भूलकर भी न करें ये कार्य----
कोशिश करें कि इस दिन तामसिक भोजन न करें. मान्यता है कि एकादशी के दिन प्याज, लहसुन के सेवन से पूजा का शुभ फल नहीं मिलता है.
इस दिन किसी से भी लड़ाई-झगड़ा नहीं करना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान विष्णु नाराज हो जाते हैं और इससे व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार की समस्याएं आने लगती हैं.
एकादशी के दिन बाल और नाखून नहीं कटवाने चाहिए. माना जाता है कि इससे घर में दरिद्रता आती है और ग्रह दोष का भी खतरा होता है.
इस दिन चावल का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए. इसके अलावा इस दिन घर में झाड़ू का भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
एकादशी के दिन चावल के सेवन पर मनाही है। इसका दुष्परिणाम व्यक्ति को अगले-जन्म में भोगना पड़ता है। साथ ही इस दिन घर में झाड़ू के इस्तेमाल पर भी पाबंदी है। झाड़ू के उपयोग से छोटे जीवों की हत्या का भय बढ़ जाता है -
नया साल 2023 आने में अब कुछ दिन ही शेष हैं। नए साल पर लोग घर की साज-सज्जा के लिए कई तरह के शो पीस लाते हैं। क्या आप जानते हैं कि वास्तु शास्त्र में भी कुछ चीजों को घर पर रखना अति शुभ माना गया है। मान्यता है कि इन चीजों को घर पर रखने से मां लक्ष्मी का आगमन होता है। ऐसे में नए साल की शुरुआत से पहले ही अपने घर पर इन चीजों को ले आएं-
पंडित प्रकाश उपाध्याय
लाफिंग बुद्धा- लाफिंग बुद्धा घर में रखना अति शुभ माना गया है। वास्तु के अनुसार, जिस घर में लाफिंग बुद्धा की मूर्ति होती है वहां सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। ध्यान रहे कि इस मूर्ति को उत्तर-पूर्व दिशा में ही रखें।
तुलसी का पौधा- मान्यता है कि तुलसी में मां लक्ष्मी का वास होता है। अगर आप नए साल में आर्थिक उन्नति चाहते हैं तो नए साल की शुरुआत से पहले ही घर में तुलसी का पौधा लगाएं।
मोर पंख- भगवान श्रीकृष्ण को मोरपंख अति प्रिय हैं। कहते हैं कि जिस घर में मोर पखं होता है वहां खुशहाली का वास होता है।
धातु का कछुआ- वास्तु के मुताबिक, घर में धातु का कछुआ रखना अति शुभ माना गया है। कहते हैं कि यह घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
दक्षिणावर्ती शंख- दक्षिणावर्ती शंख को खरीदने के बाद उसकी विधि पूर्वक पूजा करके लाल कपड़े में लपेटकर तिजोरी में रखें। मान्यता है कि ऐसा करने से सुख-समृद्धि का घर में आगमन होता है। -
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
पैसा हम सभी के लिए बेहद महत्वपूर्ण चीज है। जिसके जरिए हम जीवन में सभी तरह के ऐश और आराम से जुड़ी चीजें खरीद पाते हैं। जिसकी सहायता से हम सभी तरह की भौतिक व सांसारिक सुख सुविधाओं का लाभ ले सकते हैं। वास्तु शास्त्र में कुछ आसान से सिद्धान्त बताए गए हैं जिसकी मदद से आप अपने जीवन स्तर में सुधार कर बहुत सारा धन लाभ, सुख शांति हासिल कर सकते हैं।
1.पानी का रिसाव- वास्तु शास्त्र के अनुसार किचन, बाथरूम या यहां तक की अगर घर के गार्डन में भी पानी का लीकेज, धन के लीकेज को दर्शाता है। पानी के लीकेज या अगर घर में कोई पाइप टूट गई हो तो उसे जल्द से जल्द ठीक करा लेना चाहिए क्योंकि वह बहुत बड़ा आर्थिक नुकसान ला सकता है।
2. बाथरूम - घर में बाथरूम और शौचालय वास्तु शास्त्र को ध्यान में रखकर नहीं बनाने से वित्तीय नुकसान के साथ ही साथ स्वास्थ्य और नींद में गिरावट की समस्या हो सकती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में बाथरूम और शौचालय उत्तर पश्चिम या उत्तर पूर्व दिशा में बनाने चाहिए।
3. मेन गेट- वास्तु शास्त्र के घर का मेन गेट किसी भी चीज के प्रवेश का अहम रास्ता होता है। जिससे होकर कोई भी घर के अंदर प्रवेश करती है। घर का मेन गेट पॉजिटिव एनर्जी, धन और सुख- समृद्धि को अपनी ओर आकर्षित करता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के मेन गेट में नेम प्लेट, विंड चाइम्स, पौधे लगाकर रखना बेहद लाभकारी माना जाता है। - अक्सर लोग अपने घर को सजाने-संवारने के लिए पेड़-पौधे लगाते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, कुछ पौधे ऐसे भी होते हैं जो जीवन में परेशानियों का कारण बनते हैं। कहा जाता है कि यदि ऐसे पौधे आस पास लगे हों या गलती से उग गए हों तो घर की शांति भंग हो जाती है और परिवार के सदस्यों की तरक्की रुक जाती है। ऐसे में चलिए जानते हैं उन पौधों के बारे में जो घर के आस पास नकारात्मकता बढ़ाते हैं...बबूल का पेड़अक्सर के आस पास बबूल का पेड़ अपने आप ही उग जाता है। लेकिन वास्तु के अनुसार बबूल के पेड़ का घर के आस पास उगना शुभ नहीं माना जाता है। बबूल के पेड़ की वजह से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि बबूल के पेड़ में कांटे होते हैं, जो कार्य में बाधा के साथ नकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं घर के सदस्यों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ता है।बेर का पेड़ भी होता है अशुभवास्तु शास्त्र के अनुसार, बेर के पेड़ में कांटे होने की वजह से घर के आस पास नकारात्मकता बढ़ जाती है। कहा जाता है कि जिस घर के आस पास बेर का पेड़ लगा होता है वहां से मां लक्ष्मी नाराज होकर चली जाती हैं।नींबू और आंवले का पेड़बहुत से लोग अपने घर या गार्डन में आंवला और नींबू का पेड़ लगाते हैं। लेकिन वास्तु शास्त्र के अनुसार इन पौधों को भी शुभ नहीं माना जाता है। यदि आपके घर में या फिर घर के बाहर नींबू या आंवले का पेड़ लगा है तो उसे कटवा दें, क्योंकि इनके मौजूद रहने से घर में क्लेश बढ़ता है और तनाव की स्थिति निर्मित होती है।पीपल का पेड़पीपल के पेड़ में देवताओं के वास होता है। इसकी पूजा की जाती है, लेकिन घर के पास पीपल का पेड़ शुभ नहीं होता। इसकी छाया को अशुभ माना गया है। कहते हैं कि जहां तक पीपल के पेड़ की छाया जाती है, वहां तक वह विनाश करता है। इसलिए घर के आस पास पीपल का पेड़ न उगने दें।
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करियर में क्या करना है किस दिशा में आगे बढ़ना है। इस सवाल से हमारा रोजाना सामना होता है। क्या चुनना हमारे करियर के लिए सबसे सही होगा या हम क्या बनना चाहते हैं ऐसे हजारों सवाल रोजाना हमारे सामने आते रहते हैं। करियर चुनने में आने वाली समस्या दिन प्रतिदिन हमें बड़ी लगने लगती है। ऐसे में हम अपने से बड़े लोगों के पास जाकर सलाह मशवरा करते हैं ताकि हम अपने जीवन से जुड़ा यह अहम फैसला ले पाएं। करियर को चुनने के लिए कई बार ज्योतिषी परामर्श लेना भी बहुत मददगार साबित होता है। आइए जानते हैं किस राशि के लिए कौन सा करियर ऑप्शन होगा सबसे सही
मिथुन: इस राशि के लोग जिज्ञासु और साहसी स्वभाव के होते हैं। इन्हें नए विषयों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने में खासा रुचि होती है। मिथुन राशि के लोग इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस और विज्ञापन को बतौर करियर चुन सकते हैं।
सिंह: इस राशि के लोग दृढ़ निश्चयी, भावुक और कल्पनाशील स्वभाव के होते हैं। अपने बेहतरीन काम से यह बहुत से लोगों को प्रेरित करते हैं। प्रोजेक्ट मैनेजमेंट, पब्लिक स्पीकिंग और एक्टिंग में यह आसानी से फिट बैठ सकते हैं। शिक्षा, काउंसलिंग और समस्या समाधान से जुड़े विषय यह करियर के रूप में चुन सकते हैं।
मकर: इस राशि के लोग रचनात्मक विचारों वाले और दृढ़ निश्चयी होते हैं। यह जीवनभर एक ही लक्ष्य का पीछा करते हैं। हर काम को करने के पीछे इनका कुछ न कुछ छिपा हुआ उद्देश्य होता है। मकर राशि के लोग राजनीति, वित्त और वकालत के क्षेत्र में अपना करियर सोच सकते हैं। इस राशि के लोग इंजीनियरिंग व इमरजेंसी प्रबंधन में अपना करियर बना सकते हैं।
कन्या: इस राशि के जातक बुद्धिमान और व्यवस्थित तरीके से रहना पसंद करते हैं। वह छोटी से छोटी चीजों पर भी बेहद ध्यान देते हैं। ऐसे लोगों को साइंस, रिसर्च और लेखा- जोखा के क्षेत्र में अपना करियर तलाश करना चाहिए। इन्हें सामाजिक कार्य, वकालत और चिकित्सा के क्षेत्र में खासी रुचि रहती है।
वृश्चिक: इस राशि के जातक कोई भी काम योजना बना कर करते हैं। किसी भी काम को वृश्चिक राशि के लोग पूरे मन से करते हैं। लोगों की मदद करने की इनकी प्रवृत्ति होने के कारण इस राशि के लोग पुनर्वास, परामर्श और मनोवैज्ञानिक के क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं।
मेष: इस राशि के लोगों में प्रतिस्पर्धा और आत्मविश्वास की कोई कमी नहीं होती इसीलिए यह अपने प्रोफेशनल जीवन में बहुत अच्छा प्रदर्शन करते हैं। इस राशि के लोग पुलिस अधिकारी, सैनिक, डॉक्टर, जैसे क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं।
कुंभ: इस राशि के लोगों को आजादी बेहद पसंद होती है। कुंभ राशि के लोग उन सभी चीजों में अच्छा प्रदर्शन करते हैं जिनमें क्रिएटिविटी की जरूरत होती है। इस राशि के लोग ट्रेनर, डिजाइनर, वैज्ञानिक और डेटा एनालिस्ट के क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं।
धनु: इस राशि के लोग मनोरंजन और दयालु स्वभाव के होते हैं। रोजाना की दिनचर्या से इस राशि के लोग जल्दी ऊब जाते हैं। इस राशि के लोग प्रशिक्षिक, पर्सनल ट्रेनर और विकास अधिकारी के क्षेत्र में यह अपना करियर बना सकते हैं।
वृष: इस राशि के लोग दृढ़ निश्चयी, वफादार और बेहद भरोसेमंद स्वभाव के होते हैं। वृषभ राशि के लोग वित्तीय सलाहकार, फैशन डिजाइनर, वकील ,मैनेजर जैसे पद बतौर करियर चुन सकते हैं।
कर्क: इस राशि के जातक सबका ख्याल रखने वाले, भरोसेमंद और समस्याओं का समाधान करने वाले होते हैं। पर्सनल और प्रोफेशनल जीवन को लेकर यह सबसे अच्छी सलाह देते हैं।कर्क राशि के लोग नर्सिंग, चिकित्सा, सोशल वर्क, टीचिंग के क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं।
तुला: इस राशि के लोग बेहद काफी फ्रेंडली स्वभाव के होते हैं। यह अधिक से अधिक लोगों के साथ घुलना-मिलना पसंद करते हैं। तुला राशि के लोग मानव संसाधन प्रबंधन, कानूनी विश्लेषण, बिजनेसमैन और राजनायिक के क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं।
मीन: इस राशि के लोग बेहद संवेदनशील होते हैं। मीन राशि के लोग चिकित्सक, नर्स, मनोवैज्ञानिक, सेल्समैन के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। -
-बालोद से प्रकाश उपाध्याय
वास्तु शास्त्र में कई नियमों के बारे में बताया गया है। कहते हैं कि इन नियमों का पालन करने से धन संबंधी परेशानियों से छुटकारा पाया जा सकता है। कई बार हम अनजाने में कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते है जो हमारी आर्थिक तंगी का कारण बनती हैं। जानें घर में आर्थिक समृद्धि व बरकत लाने के लिए आसान वास्तु टिप्स-
रसोईघर में न रखें दवाएं
रसोईघर में भोजन बनाया जाता है। लेकिन यहां दवा या उसका बॉक्स आदि न रखें। कहते हैं कि ऐसा करने से वास्तु दोष होता है और इसका परिवार के सदस्यों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
बॉथरूम में न रखें ये चीजें
वास्तु के अनुसार, अगर बाथरूम इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं तो इसका दरवाजा बंद कर दें। इसके अलावा बाथरूम में टूटा शीशा, टूटी चप्पल, गीले कपड़े और खाली बाल्टी न रखें। मान्यता है कि ऐसा करने से वास्तु दोष होता है।
तिजोरी के पास न रखें ये चीजें
वास्तु के अनुसार, घर या ऑफिस की तिजोरी में सबसे कीमती सामान ही रखें। अगर आप तिजोरी में बेकार या बिना काम की चीजें रखते हैं तो मां लक्ष्मी का घर में आगमन नहीं होता है। घर में धन आगमन में बाधाएं आती हैं। - कई बार ऐसा होता है कि हमारे लाख चाहने के बाद भी बेटा या बेटी की शादी के योग नहीं बन पाते हैं और शादी में बार - बार रुकावट आ जाती है। ज्योतिष और वास्तु में ऐसे कई उपाय भी बताए गए हैं, जिनके जरिए शादी में आ रही बाधा को कम किया जा सकता है। वास्तु शास्त्र में एक फूल के बारे में जिक्र किया गया है, जिसे घर की सही दिशा में लगाना शुभ होता है। इससे जल्द विवाह के योग बनते हैं। चलिए जानते हैं इस पौधे के बारे में...पियोनिया के फूलवास्तु शास्त्र में पियोनिया के फूलों को बेहद चमत्कारी माना गया है। पियोनिया के पौधे पर लगने वाले फूल को फूलों की रानी कहा जाता है। पियोनिया के फूल को सौंदर्य व रोमांस का प्रतीक माना जाता है, इसलिए पियोनिया को घर पर लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और इसके प्रभाव से शादी में आ रही बाधा दूर होती है।शीघ्र विवाह के लिए कारगर उपायवास्तु शास्त्र के अनुसार, यदि विवाह योग्य किसी लड़के या लड़की के विवाह में समस्या आ रही है, तो घर पर पियोनिया का पौधा लगाना शुभ होता है। पौधे की जगह आप घर पर पियोनिया की पेंटिंग या फूल भी लगा सकते हैं।आपसी प्रेम के लिएवास्तु शास्त्र के अनुसार, यदि आपके भी घर में हर छोटी-छोटी बात पर विवाद होने लगता है, तो पियोनिया की पेंटिंग या इसका पौधा घर पर लगाएं। इस पौधे को दक्षिण पश्चिम दिशा की ओर लगाएं। इस दिशा का संबंध परिवार में रहने वाले लोगों के बीच के संबंध को दर्शाता है।बगीचे में इस दिशा में लगाएं पियोनिया का पौधावहीं यदि आप बगीचे में पियोनिया का पौधा लगा रहे हैं, तो घर के प्रवेश द्वार के दाहिनी ओर लगाएं। वास्तु शास्त्र के अनुसार इससे आपके घर में सकारात्मकता का वास होगा।
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- बालोद से प्रकाश उपाध्याय
ऐसी मान्यता है कि खरमास के दौरान विवाह आदि सभी तरह के शुभ कार्य वर्जित हो जाते हैं. खरमास में सूर्य देव की विशेष आराधना करनी चाहिए. आइए जानते हैं खरमास का धार्मिक महत्व क्या होता है.
16 दिसंबर 2022 को जैसे ही सूर्य धनु राशि की यात्रा शुरू करेंगे खरमास प्रारंभ हो जाएगा. खरमास के दौरान किसी भी तरह का शुभ और मांगलिक कार्य नहीं नहीं किया जाता है. हिंदू धर्म में इस समय को अशुभ समय माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर एक माह में सूर्य अपनी राशि परिवर्तन करते हैं. सूर्य देव 16 दिसंबर 2022 से 14 जनवरी 2023 तक धनु राशि में रहेंगे फिर इसके बाद 15 जनवरी 2023 को मकर राशि में आ जाएंगे तब खरमास खत्म हो जाएगा. ऐसी मान्यता है कि खरमास के दौरान विवाह आदि सभी तरह के शुभ कार्य वर्जित हो जाते हैं. खरमास में सूर्य देव की विशेष आराधना करनी चाहिए. आइए जानते हैं खरमास का धार्मिक महत्व क्या होता है.
खरमास का अर्थ
खरमास जैसे कि इसके नाम से स्पष्ट होता है कि अशुभ महीना. खर का मतलब दूषित और मास का मतलब महीने से होता है. वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब- जब सूर्य धनु और मीन राशि में प्रवेश करते हैं तब खरमास शुरू हो जाता है. यह खरमास एक महीने तक चलता है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार खरमास में सूर्य की गति और तेज इन दो महीनों में धीमी पड़ जाती है. जिस कारण से बृहस्पति ग्रह निस्तेज हो जाते हैं. हिंदू धर्म में शुभ और मांगलिक कार्य संपन्न करने के लिए देवगुरु बृहस्पति का उच्च प्रभाव में होना बेहद आवश्यक होता है. इस वजह से खरमास के दौरान कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है. खरमास में गृह-प्रवेश, मुंडन संस्कार, सगाई समारोह और कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. एक सौर वर्ष में दो बार खरमास लगता है. जब सूर्य धनु और मीन राशि में प्रवेश करते हैं तब खरमास लगता है.
खरमास के दौरान क्या करें
खरमास लगने पर किसी भी तरह का शुभ और मांगलिक कार्य करना वर्जित होता है. ऐसे में खरमास के दिनों में भगवान सूर्यदेव की विशेष पूजा-अर्चना करनी चाहिए. पूजा के अलावा दान, पुण्य और स्नान का विशेष महत्व होता है. खरमास में भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधान होता है. खरमास में सूर्य देव की पूजा और उन्हें सुबह जल अर्पित करने से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. खरमास में मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए.
खरमास की पौराणिक कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक बार की बात है कि सूर्य देव अपने सातों घोड़े के साथ रथ पर सवार होकर पूरे ब्रह्मांड के चक्कर लगा रहे थे. सूर्य जब पूरे ब्रह्मांड का चक्कर लगा रहे थे तो उस दौरान उनके कहीं भी रुकना नहीं था. अगर सूर्यदेव रूक जाते तो पूरी सृष्टि में जनजीवन भी रुक जाता. रथ में सातों घोड़े लगातार चल रहे हैं जिस कारण से वे थक और प्यास से व्याकुल हो गए. भगवान सूर्यदेव अपने घोड़ों की ऐसी दशा को देखकर अपने रथ को तालाब के किनारे पहुंचें. जहां पर सूर्य देव दो गधे दिखाई दिए. तब सूर्यदेव ने इन दोनों को अपने रथ में लगा लिया और अपने घोड़ों को आराम करने के लिए वहीं पर छोड़ दिया. जब रथ में दोनों गधों को जोड़कर चलाया गया तब रथ की गति काफी धीमी हो गई . इस दौरान एक महीने का चक्र पूरा हुआ और सूर्यदेव के घोड़ों ने आराम और खाना पानी पी कर फिर से तैयार हो गए. एक महीने के बाद सूर्य देव ने दोबारा से अपने घोड़ों को रथ में लगा दिया. इसी एक माह को खरमास कहा जाता है.
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-पंडित प्रकाश उपाध्याय
सूर्यदेव और भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित पौष माह का विशेष महत्व माना जाता है। पौष मास में पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में होता है, इसीलिए इस मास को पौष मास कहा जाता है। इस मास में सूर्यदेव की उपासना करना बहुत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस माह सूर्यदेव की उपासना से यश में वृद्धि होती है और मनुष्य तेजस्वी बनता है।
इस मास को छोटा पितृ पक्ष के रूप में भी जानते हैं। इस माह में पिंडदान, श्राद्ध, तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। यह माह धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। पौष मास में कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। पौष मास में सुबह स्नान करने के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य प्रदान करें। जल में सिंदूर, लाल फूल और थोड़ा सा अक्षत डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य प्रदान करें। पौष मास में भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा करना शुभ फलदायी है। इस माह नियमित रूप से श्रीमद्भागवत गीता का पाठ और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। इस माह लाल या फिर पीले रंग के वस्त्र धारण करें। पौष मास में दान का विशेष महत्व है। इस मास में जरूरतमंदों को कंबल, गर्म कपड़े, गुड़, तिल आदि का दान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। पूर्वजों की आत्मा शांति के लिए इस माह तर्पण, पिंडदान करना चाहिए। पौष मास में गुड़ का सेवन करना अच्छा माना जाता है। पौष मास में बैंगन, मूली, मसूर की दाल, फूल गोभी, उड़द की दाल का सेवन नहीं करना चाहिए। पौष मास में चीनी का सेवन न करें। पौष मास में खरमास आरंभ हो जाएंगे इसलिए इस माह मांगलिक कार्यों को करने की मनाही होती है। इस माह आने वाली पौष अमावस्या और पौष पूर्णिमा का विशेष महत्व है। पितृदोष, कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए इस दिन उपवास रखने के साथ विशेष पूजा अर्चना की जाती है। - कई लोगों को घर में पक्षियों को रखने का शौक होता है खासकर तोते को पालना। लेकिन तोता पालने से पहले ये जरूर जान लें कि यह पक्षी आपके लिए शुभ फल कारक है या अशुभ।वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की उत्तर दिशा में तोता या फिर तोता रखना बहुत ही शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इससे बच्चों का पढ़ाई में मन लगता है और उनकी स्मरण शक्ति बढ़ती है। ऐसा माना जाता है कि घर में तोते के होने से परिवार के सदस्यों को बीमारियों का खतरा कम हो जाता है और लोगों के मन में निराशा भी कम होती है।-वहीं माना जाता है कि घर में तोता पालने या फिर उसकी तस्वीर को रखने से राहु केतु और शनि की बुरी नजर घर पर नहीं पड़ती है। इसे पालने से घर में किसी की अकाल मृत्यु भी नहीं होती है।-घर में तोते को पिंजरे में रखा जाता है। किसी भी पक्षी को पिंजरे में कैद रखना शुभ नहीं होता है, लेकिन यदि ऐसा कर रहे हैं, तो इस बात का अवश्य ध्यान में रखें कि तोता हमेशा खुश रहे, क्योंकि यदि तोता नाराज हो जाए तो वह आपके घर को बद्दुआ भी दे सकता है जिसका नकारात्मक प्रभाव आपके जीवन पर पड़ सकता है।-माना जाता है कि तोता को पालने से पति पत्नी का रिश्ता बेहतर होता है। साथ ही माहौल में सकारात्मकता बढ़ती है।- तोता पालना अशुभ फल भी दे सकते हैं। यदि किसी की कुंडली में तोते का योग नहीं है और वह तोता पालता है तो यह उसके लिए अपव्यय का कारण हो सकता है।- ऐसा भी कहा जाता है कि अगर तोता खुश नहीं होता है, तो वह अपने मालिकों को बददुआ देता है। किसी जीव या पक्षी को बंधक बनाकर रखना उचित नहीं होता है।-अगर किसी के घर में लड़ाई-झगड़े का माहौल हो तो तोता उन शब्दों को सुनता है और फिर उन्हें दोहराता है। ऐसे तोते का फल शुभ नहीं होता है। इसलिए लोग तोते को सीता-राम, राधे कृष्ण, श्रीहरि कहना पहले सिखाते हैं।
- --पंडित प्रकाश उपाध्यायवैदिक ज्योतिष में शुक्र को शुभ ग्रह माना गया है। शुक्र ग्रह की कृपा से जातक को भोग विलास,भूमि,भवन और वाहन का सुख प्राप्त होता है। शुक्र देव जब कुंडली में मजबूत होते हैं तो जातक को स्त्री सुख की प्राप्ति होती है। शुक्र देव 29 दिसंबर को शनि की राशि मकर में प्रवेश करेंगे और 22 जनवरी तक वहीं विराजमान रहने वाले हैं। शुक्र के इस गोचर से 3 राशियों को लाभ ही लाभ होगा। जानें वो 3 राशियां कौन सी है ?मेष राशिइस राशि के जातकों के लिए शुक्र का गोचर आपके दसवें भाव से होगा। दसवें भाव से जातक के कार्य स्थल और कर्म का विचार किया जाता है। शुक्र का गोचर इस भाव में बेहद अच्छे फल देने वाला माना गया है। शुक्र की सप्तम दृष्टि आपके चौथे भाव पर होगी। इस गोचर के प्रभाव से आपको कार्यस्थल पर बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। भौतिक सुख सुविधाओं की प्राप्ति आपको इस समय होगी। अगर आप खुद का काम करते हैं तो इस समय आपको बड़ा निवेश प्राप्त हो सकता है। इस गोचर के दौरान आपको महिला सहकर्मी की मदद से किसी बड़े पद की प्राप्ति हो सकती है। इस दौरान अगर आप साझेदारी में कोई काम शुरू करना चाह रहे हैं तो समय अच्छा रह सकता है।कन्या राशिइस राशि के जातकों के लिए शुक्र दूसरे और नवम भाव के स्वामी होते हैं। शुक्र का गोचर अब आपके पंचम स्थान से होने जा रहा है। पंचम भाव से जातक की शिक्षा, प्रेम और संतान का विचार किया जाता है। पंचम भाव में विराजमान शुक्र की दृष्टि आपके एकादश भाव पर होगी। शुक्र के इस गोचर के कारण नवीन प्रेम संबंध स्थापित होने का योग है। इस दौरान आपको संतान पक्ष से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। इस गोचर के कारण स्त्री जातकों को अपने व्यापार में बेहद अच्छा मुनाफा होगा। इस समय सिनेमा जगत से जुड़े जातकों को अच्छी प्रसिद्धि प्राप्त होगी। अगर आप विदेशों में कारोबारी संबंध बनाने की सोच रहे है तो उसके लिए आप प्रयास करना शुरू कर दें।मकर राशिइस राशि के जातकों के लिए शुक्र परम राजयोग कारक कहे गए हैं। शुक्र पंचम और दशम के स्वामी होकर बेहद शुभ फल प्रदान करते हैं। शुक्र का गोचर अब इस राशि के जातकों के लिए लग्न से ही होने वाला है। लग्न में विराजमान शुक्र की दृष्टि आपके सप्तम भाव पर होगी। लग्न से जातक के व्यक्तित्व के बोध होता है। शुक्र के प्रभाव से आपको इस समय हर जगह से लाभ होता हुआ प्रतीत हो रहा है। इस गोचर काल में आपको अपनी पत्नी से सहयोग प्राप्त होगा। इस समय आपको अपने काम को आगे बढ़ाने के लिए धन की जरूरत है तो वो परिवार की मदद से पूरी की जायेगी। इस गोचर काल के दौरान आपकी वाणी बड़ी मधुर और प्रभावी होगी। आपकी वाणी के प्रभाव से कई कार्य आप सम्पादित करेंगे।