- सती: भगवान शंकर की पहली पत्नी। अपने पिता प्रजापति दक्ष के यज्ञ में अपने प्राणों की आहुति देने वाली इन देवी का माहात्म्य इतना है कि उसके बाद पति परायण सभी स्त्रियों को सती की ही उपमा दी जाने लगी।
- साध्वी: ऐसी स्त्री जो आशावादी हो।
- भवप्रीता: जिनकी भगवान शिव पर अगाध प्रीति हो।
- भवानी: समस्त ब्रह्माण्ड ही जिनका भवन हो।
- भवमोचनी: संसार बंधनों से मुक्त करने वाली।
- आर्या: देवी, पुरुषश्रेष्ठ की पत्नी।
- दुर्गा: दुर्गमासुर का वध करने वाली, अपराजेय।
- जया: जो सदैव विजयी हो।
- आद्या: सभी का आरम्भ।
- त्रिनेत्रा: तीन नेत्रों वाली।
- शूलधारिणी:शूल को धारण करने वाली।
- पिनाकधारिणी: जो भगवान शिव का धनुष धारण कर सकती हो।
- चित्रा: अद्वितीय सुंदरी।
- चण्डघण्टा: प्रचण्ड स्वर में नाद करने वाली।
- महातपा:अत्यंत कठिन तपस्या करने वाली।
- मन: मानस शक्ति।
- बुद्धि: सर्वज्ञता।
- अहंकारा: अभिमान करने वाली।
- चित्तरूपा: वो जो मनन की अवस्था में है।
- चिता: मृत्युशैय्या के समान।
- चिति: सब को चेतना प्रदान करने वाली।
- सर्वमन्त्रमयी: सभी मंत्रों का ज्ञान रखने वाली।
- सत्ता: जो सबसे परे है।
- सत्यानन्दस्वरूपिणी: जो अनन्त आनंद का रूप हो।
- अनन्ता: जिनका कोई अंत नहीं।
- भाविनी: सभी की जननी।
- भाव्या: ध्यान करने योग्य।
- भव्या: भव्य स्वरूपा।
- अभव्या: जिससे बढ़कर भव्य कुछ नहीं।
- सदागति: मोक्ष प्रदान करने वाली।
- शाम्भवी: शम्भू (भगवान शंकर का एक नाम) की पत्नी।
- देवमाता: देवताओं की माता।
- चिन्ता: चिंतन करने वाली।
- रत्नप्रिया: जिन्हे आभूषणों से प्रेम हो।
- सर्वविद्या: ज्ञान का भंडार।
- दक्षकन्या: प्रजापति दक्ष की पुत्री।
- दक्षयज्ञविनाशिनी: दक्ष के यज्ञ का विनाश करने वाली।
- अपर्णा: तपस्या के समय पूर्ण निराहार रहने वाली।
- अनेकवर्णा: अनेक रंगों वाली।
- पाटला: रक्तिम (लाल) रंग वाली।
- पाटलावती: लाल पुष्प एवं वस्त्र धारण करने वाली।
- पट्टाम्बरपरीधाना: रेशमी वस्त्र धारण करने वाली।
- कलामंजीरारंजिनी: पायल को प्रसन्नतापूर्वक धारण करने वाली।
- अमेय: जो सीमा से परे हो।
- विक्रमा: अनंत पराक्रमी।
- क्रूरा: दुष्टों के प्रति क्रूर।
- सुन्दरी: अनिंद्य सुंदरी।
- सुरसुन्दरी: जिनके सौंदर्य की कोई तुलना ना हो।
- वनदुर्गा: वन की देवी।
- मातंगी: मतंगा की देवी।
- मातंगमुनिपूजिता: गुरु मतंगा द्वारा पूजनीय।
- ब्राह्मी: भगवान ब्रह्मा की शक्ति का स्रोत।
- माहेश्वरी: महेश की शक्ति।
- इंद्री: देवराज इंद्र की शक्ति।
- कौमारी: किशोरी।
- वैष्णवी: भगवान विष्णु की शक्ति।
- चामुण्डा: चंड और मुंड का नाश करने वाली।
- वाराही: वराह पर सवार होने वाली।
- लक्ष्मी: सौभाग्य की देवी।
- पुरुषाकृति: जो पुरुष का रूप भी धारण कर सके।
- विमिलौत्त्कार्शिनी: आनंद प्रदान करने वाली।
- ज्ञाना: ज्ञानी।
- क्रिया: हर कार्य का कारण।
- नित्या: नित्य समरणीय।
- बुद्धिदा: बुद्धि प्रदान करने वाली।
- बहुला: जो विभिन्न रूप धारण कर सके।
- बहुलप्रेमा: सर्वप्रिय।
- सर्ववाहनवाहना: सभी वाहनों पर सवार होने वाली।
- निशुम्भशुम्भहननी: शुम्भ एवं निशुम्भ का वध करने वाली।
- महिषासुरमर्दिनि: महिषासुर का वध करने वाली।
- मधुकैटभहंत्री: मधु एवं कैटभ का नाश करने वाली।
- चण्डमुण्ड विनाशिनि: चंड और मुंड का नाश करने वाली।
- सर्वासुरविनाशा: सभी राक्षसों का नाश करने वाली।
- सर्वदानवघातिनी: सबके संहार में समर्थ।
- सर्वशास्त्रमयी: सभी शास्त्रों में निपुण।
- सत्या: सदैव सत्य बोलने वाली।
- सर्वास्त्रधारिणी: सभी शस्त्रों को धारण करने वाली।
- अनेकशस्त्रहस्ता: हाथों में अनेक हथियार धारण करने वाली।
- अनेकास्त्रधारिणी: अनेक हथियारों को धारण करने वाली।
- कुमारी: कौमार्य धारण करने वाली।
- एककन्या: सर्वोत्तम कन्या।
- कैशोरी: किशोर कन्या।
- युवती: सुन्दर नारी।
- यति: तपस्विनी।
- अप्रौढा: जो कभी वृद्ध ना हो।
- प्रौढा: प्राचीन।
- वृद्धमाता: जगतमाता, शिथिल।
- बलप्रदा: बल प्रदान करने वाली।
- महोदरी: ब्रह्माण्ड को धारण करने वाली।
- मुक्तकेशी: खुले केशों वाली।
- घोररूपा: भयानक (दुष्टों के लिए) रूप वाली।
- महाबला: अपार शक्ति की स्वामिनी।
- अग्निज्वाला: अग्नि के समान तेजस्विनी।
- रौद्रमुखी: भगवान रूद्र के समान रूप वाली।
- कालरात्रि: रात्रि के समान काले रंग वाली।
- तपस्विनी: तपस्या में रत।
- नारायणी: भगवान नारायण की शक्ति।
- भद्रकाली: काली का रौद्र रूप।
- विष्णुमाया: भगवान विष्णु की माया।
- जलोदरी: ब्रह्माण्ड निवासिनी।
- शिवदूती: भगवान शिव की दूत।
- करली: हिंसक।
- अनन्ता: जिसके स्वरुप का कोई छोर ना हो।
- परमेश्वरी: प्रथम पूज्य देवी।
- कात्यायनी: ऋषि कात्यायन द्वारा पूजनीय।
- सावित्री: सूर्यनारायण की पुत्री।
- प्रत्यक्षा: वास्तविकता।
- ब्रह्मवादिनी: हर स्थान पर वास करने वाली।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
रत्न ज्योतिष में फिरोजा को गुरु ग्रह का रत्न माना गया है। मान्यता है कि फिरोजा रत्न पहनने से जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। फिरोजा को गुडलक का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि फिरोजा पहनने से आर्थिक स्थिति में सुधार आता है और धन लाभ के नए मौके मिलते हैं। नेगेटिविटी को दूर करने के लिए फिरोजा रत्न पहनना लाभकारी माना जाता है। वैवाहिक जीवन में खुशहाली और करियर में सफलता के लिए यह भी रत्न पहना जा सकता है।आइए जानते हैं इस रत्न को धारण करने के नियम और फायदे...फिरोजा रत्न कब धारण करें :फिरोजा रत्न पहनने के लिए सबसे उत्तम दिन गुरुवार और शुक्रवार माना जाता है। सुबह के समय इस रत्न को धारण करना शुभ रहेगा।अनामिका उंगली में फिरोजा पहना चाहिए।फिरोजा रत्न पहनने वालों को साबुन से स्नान करते समय इस रत्न को उतारकर रख देना चाहिए। साबुन से रत्न का रंग फीका पड़ जाता है।इस रत्न को पहनने से पहले दूध और गंगाजल में डूबोकर इसे अभिमंत्रित कर लें।इस रत्न को अंगूठी के अलावा ब्रेसलेट या लॉकेट की तरह भी पहना जा सकता है।फिरोजा पहनने के लाभ :मान्यता है कि फिरोजा रत्न पहनने से कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति मजबूत होती है.कॉन्फिडेंस की कमी को दूर करने के लिए भी फिरोजा रत्न लाभकारी माना जाता है।वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाने के लिए फिरोजा रत्न धारण कर सकते हैं।रत्न ज्योतिष में नौकरी-कारोबार में सफलता प्राप्ति के लिए भी फिरोजा रत्न पहनना शुभ फलदायी माना गया है।क्रिएटिविटी से जुड़े लोगों के लिए यह रत्न धारण करना बेहद शुभ रहेगा। - हिंदू पंचाग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा के दिन शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इस साल शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर को मनाई जा रही है। शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। यह महत्वपूर्ण तिथि है। पूरे साल में से सिर्फ शरद पूर्णिमा के दिन ही चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन आसमान से अमृत वर्षा होती है। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजने की परंपरा चली आ रही है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन से सर्दियों की शुरुआत हो जाती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन चंद्रमा धरती के सबसे करीब होता है। चंद्रमा की दूधिया रोशनी धरती को नहलाती है। इन दूधिया रोशनी के बीच पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है।पौराणिक मान्यताओं अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन ही मां लक्ष्मी की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी। इस दिन मां लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं। अपने भक्तों पर धन की देवी कृपा बरसाती हैं। शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की चांदनी से पूरी धरती सराबोर रहती है और अमृत की बरसात होती है। इन्हीं मान्यताओं के आधार पर ऐसी परंपरा बनाई गई है कि रात को चंद्रमा की चांदनी में खीर रखने से उसमें अमृत समा जाता है।शरद पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान करने की परंपरा है। यदि ऐसा नहीं कर सकते हैं तो घर में पानी में ही गंगाजल मिलाकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं और इस स्थान को गंगाजल से पवित्र कर लें। इस चौकी पर अब मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें और लाल चुनरी पहनाएं। इसके साथ ही धूप, दीप, नैवेद्य और सुपारी आदि अर्पित करें। मां लक्ष्मी की पूजा करते हुए ध्यान करते हुए लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें। शाम को भगवान विष्णु की पूजा करें और तुलसी पौधा के पास घी का दीपक जलाएं।इसके साथ ही, चंद्रमा को अर्घ्य दें। चावल और गाय के दूध की खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखें। कुछ घंटों के लिए खीर रखने के बाद उसका भोग लगाएं और प्रसाद के रूप में पूरे परिवार को खिलाएं। पं. पुरेंद्र उपाध्याय ने बताया कि नारद पुराण के अनुसार ऐसा माना गया है कि इस दिन लक्ष्मी मां अपने हाथों में वर और अभय लिए घूमती हैं। इस दिन मां लक्ष्मी अपने जागते हुए भक्तों को धन और वैभव का आशीष देती हैं। शाम होने पर सोने, चांदी या मिट्टी के दीपक से आरती की जाती है। रातभर महालक्ष्मी का ध्यान और पूजा-अर्चना करने वाले भक्त को लक्ष्मी जी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- अक्सर देखा गया है कि बच्चों का अचानक से पढ़ाई लिखाई से मन नहीं लगता और पढ़ाई से संबंधित चीजों को याद रख पाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। साथ ही वर्तमान समय में शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ते कंपटीशन की वजह से बच्चे अक्सर तनाव में भी देखे गए हैं। बच्चों की इन समस्या का एक कारण कहीं ना कहीं वास्तु दोष भी हो सकता है। वास्तु दोष की वजह से बच्चे अक्सर बीमार रहते हैं या पढ़ाई में ध्यान नहीं लगता या आलस्य हावी रहता है। आज हम आपको वास्तु के कुछ ऐसे उपाय बताने जा रहे हैं, जिससे बच्चों की स्मरण शक्ति और बुद्धि में वृद्धि होती है और मन में उल्लास बना रहता है। आइए जानते हैं बच्चों की दुविधाओं को दूर करने के वास्तु उपाय...इस रंग की ना हों दीवारेंवास्तु शास्त्र के अनुसार, बच्चे जहां पढ़ाई करते हों वहां की दीवारे हमेशा बादामी, आसमानी, सफेद या हल्का फिरोजी रंग की होनी चाहिए। साथ बच्चों की स्टडी टेबल भी इसी रंग की हों तो और भी बेहतर रहेगा। बच्चों के पढ़ाई के कमरे कभी भी नीले, काले या लाल पेंट के नहीं होने चाहिए, ऐसा होने से बच्चों की पढ़ाई को नुकसान होता है।
- ज्योतिष एवं वास्तुशास्त्र में मोर के पंखों का अति महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। मोरपंख को घर में रखना शुभ माना जाता है। भगवान श्री कृष्ण ने अपने मुकुट पर स्थान दे कर मोरपंख को सम्मान दिया। मोर को देवताओं का पक्षी होने का भी गौरव प्राप्त है, मोर सरस्वती देवी का भी वाहन है, इसलिए विद्यार्थी मोरपंख को अपनी पाठ्य-पुस्तकों के मध्य भी रखते आ रहे हैं।घर के दक्षिण-पूर्व कोण में मोरपंख लगाने से बरकत बढ़ती है व अचानक कष्ट नहीं आता है।यदि मोरपंख किसी मंदिर में श्री राधा-कृष्ण की मूर्ति के मुकुट में 40 दिन के लिए स्थापित कर प्रतिदिन माखन-मिश्री का भोग सायंकाल में लगाएँ, 41वें दिन उसी मोरपंख को मंदिर से दान, दक्षिणा, भोग प्रसाद चढ़ाकर घर लाकर अपने खजाने या लॉकर में स्थापित करें तो आप स्वयं ही अनुभव करेंगें कि धन, सुख-शान्ति की वृद्धि हो रही है। सभी रुके हुए कार्य भी इस प्रयोग के कारण बनते जा रहे हैं।ज्योतिष आचार्यों के अनुसार मोरपंख में कालसर्पदोष के दुष्प्रभाव को दूर करने की अद्भुत क्षमता है, कालसर्प दोष वाले व्यक्ति को अपने तकिए के कवर के अंदर 9 मोरपंख पूर्णिमा के दिन अथवा किसी भी शुभ मुहूर्त में रखना चाहिए, इससे किसी भी प्रकार का दुःस्वप्न नहीं आता है। अन्य उपायों के साथ मोरपंख के प्रयोग से कालसर्प दोष को प्रभावहीन किया जा सकता है।मोरपंख के पंखे के बारे में आपने सुना होगा, मोरपंख की हवा से किसी भी व्यक्ति के उपर भूत-प्रेत के साए अथवा नकारात्मक उर्जाओं को समाप्त किया जा सकता है।मोर की सर्प से शत्रुता होती है, तथा सर्प को ज्योतिष शास्त्र में राहु-केतु की संज्ञा दी गई है, यदि मोरपंख को घर के पूर्वी और उत्तर-पश्चिम दीवार में या अपनी जेब व डायरी में रखें तो राहु-केतु अथवा इनसे बनने वाला कालसर्प योग व्यक्ति को कम से कम प्रभावित करता है।बालक के सिर की दाहिनी तरफ दिन-रात एक मोरपंख चांदी के ताबीज में डालकर रखने से बालक डरता नहीं है तथा नजरदोष और अला-बला से बचा रहता है।मोरपंख का प्रयोग वास्तु दोष के शमन हेतु भी किया जाता है।मोरपंख का प्रयोग एवं उसे घर में रखने से आर्थिक तंगी दूर होती है तथा घर में सुख-शांति का वास होता है।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार,किसी व्यक्ति की हथेली पर मौजूद रेखा,पर्वत और चिन्ह समेत कई निशान व्यक्ति के जीवन के बारे में कई शुभ-अशुभ संकेत देती है। हथेली पर कुछ रेखाओं या चिन्हों का बेहद शुभ माना गया है। वहीं, कुछ संकेत व्यक्ति के जीवन में मिलने वाले कष्टों की ओर इशारा करते हैं। हथेली पर कई बार क्रॉस,जाल,त्रिभुज,द्वीप समेत कई निशान नजर आते हैं। आइए रेखाओं के जरिए बने इन निशानों का मतलब जानते हैं...ग्रिल का निशान : हथेली पर जब आड़ी व तिरछी रेखाएं एक स्थान पर अधिक मात्रा में दिखती हैं, तो ये जाल जैसा निशान बनाती हैं। हस्तरेखा शास्त्र में हथेली पर ग्रिल का निशान बनना एक नकारात्मक संकेत माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा व्यक्ति दुनिया से अलगाव महसूस करता है। काफी मेहनत के बाद ही व्यक्ति को निराशा का सामना करना पड़ता है। जीवन काफी संघर्ष से भरा रहता है।क्रॉस का निशान : हथेली पर क्रॉस का निशान जीवन में बदलाव की ओर इशारा करता है। शनि पर्वत पर क्रॉस का निशान कष्टकारी माना जाता है। वहीं, गुरु पर्वत पर उभार के साथ क्रॉस का निशान बनना एक अच्छा संकेत माना जाता है। मान्यता है कि ऐसे व्यक्ति को समाज में खूब मान-सम्मान मिलता है।त्रिभुज का निशान : हथेली पर चंद्र रेखा, शुक्र पर्वत और आयु रेखा पर त्रिभुजा का निशान बनना एक अच्छा संकेतम माना जाता है। मान्यता है कि भाग्यशाली लोगों के मस्तिष्क रेखा पर त्रिभुज का निशान होता है। इन्हें समाज में खूब मान-सम्मान मिलता है।द्वीप का निशान : हथेली पर द्विप का निशान भी शुभ नहीं माना जाता है। मान्यता है कि यह जीवन में अनिश्चितता,तनाव और कठिनाईयों का संकेत देता है। मान्यता है कि इससे व्यक्ति मान-सम्मान में कमी आती है। मानसिक अशांति रहती है।- - वास्तु शास्त्र में कुछ पेड़ पौधों को बेहद शुभ माना गया है। इन पौधों को घर में लगाने से कई तरह की समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है। यह पेड़ पौधे ना केवल घर की ऊर्जा को सकारात्मक बनाते हैं बल्कि यह घर में धन, ऐश्वर्य और सम्मान को भी आकर्षित करते हैं। इसलिए इन पौधों को चमत्कारी भी माना जाता है। जो लोग अपने घर में ये पेड़ पौधे लगाते हैं उनके यहां बरकत होती है और जीवन में शुभता आती है। वास्तु शास्त्र में बताया गया है, कि ये पेड़ पौधे धन, सुख और समृद्धि को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। ऐसे में आइए आज हम आपको पांच ऐसे पौधों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो घर के लिए बहुत ही शुभ माने जाते हैं।तुलसीहिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को पूजनीय माना गया है। वहीं वास्तु शास्त्र में भी तुलसी के पौधे को बड़ा महत्व दिया गया है। वास्तु के अनुसार, इस पौधे को घर के उत्तर, उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में लगाना चाहिए। तुलसी का पौधा हमारे जीवन में सुख-शांति लाता है और कई तरह की परेशानियों को दूर करता है। तुलसी का संबंध भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी से माना गया है, इसलिए इसकी रोजाना पूजा की जाती है।शमी का पेड़वास्तु शास्त्र में शमी के पेड़ को बेहद शुभ माना जाता है। इसे घर की दक्षिण दिशा में लगाना चाहिए। इससे घर में शनि के अशुभ प्रभाव दूर हो जाते हैं और घर में सुख समृद्धि का वास होता है। घर में शमी का पेड़ लगाने से भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है और नौकरी व व्यवसाय में भी काफी तरक्की होती है। इस पेड़ के होने से घर के सदस्यों में आपसी प्रेम बना रहता है।मनी प्लांटघर में मनी प्लांट का होना बहुत ही अच्छा माना जाता है। इस पौधे का काम धन संबंधित समस्याओं को खत्म करना है। मान्यता है कि जैसे-जैसे यह पौधा बढ़ता है, वैसे वैसे ही आपकी धन और सम्मान भी बढ़ने लगती है। वास्तु शास्त्र में इस पौधे का संबंध भौतिक सुख-सुविधाओं के स्वामी शुक्र ग्रह से बताया गया है, इसलिए मनी प्लांट सौभाग्य को बढ़ाता है।अपराजिता का पौधाअपराजिता का पौधा बहुत पवित्र माना जाता है। इस पौधे को घर की पूर्व, उत्तर, उत्तर-पूर्व दिशा में लगाना चाहिए। इस बेल का संबंध माता लक्ष्मी से होता है। इस पौधे को घर में लगाने से मां लक्ष्मी स्वयं घर में विराजमान होती है। साथ ही इससे नौकरी व व्यापार में भी काफी तरक्की होती है। यह पौधा भगवान विष्णु और महादेव को बेहद प्रिय है। इससे घर में धन धान्य की कमी नहीं होती।आंवला का पौधावास्तु शास्त्र में आंवले के पौधे को भी बेहद शुभ माना जाता है। इसे लगाते समय ध्यान रखें कि इसे घर की उत्तर या पूर्व दिशा में ही लगाएं। आंवला का पौधा और आंवला दोनों ही भगवान विष्णु के प्रिय हैं। ऐसे में इसे घर में लगाने से भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है।
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माता पार्वती ही संसार की समस्त शक्तियों का स्रोत हैं। उन्ही का एक रूप माँ दुर्गा को भी माना जाता है। उनपर आधारित ग्रन्थ "दुर्गा सप्तसती" में माँ के 108 नामों का उल्लेख है। प्रातःकाल इन नामों का स्मरण करने से मनुष्य के सभी दुःख दूर होते हैं। आइये उन नामों और उनके अर्थों को जानें:
- -पं. प्रकाश उपाध्यायज्योतिषशास्त्र के अनुसार कई तरह के दोष होते हैं जिनकी वजह से जीवन में परेशानियां आने लगती है। उन्हीं दोषों में से एक है पितृ दोष। पितृ दोष की वजह से कई तरह की परेशानियां होने लगती है। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार कुंडली में दूसरे, चौथे, पांचवें, सातवें, नौवें और दसवें भाव में सूर्य राहु या सूर्य शनि की युति बनने पर पितृ दोष लग जाता है। सूर्य के तुला राशि में रहने पर या राहु या शनि के साथ युति होने पर पितृ दोष का प्रभाव बढ़ जाता है। इसके साथ ही लग्नेश का छठे, आठवें, बारहवें भाव में होने और लग्न में राहु के होने पर भी पितृ दोष लगता है। पितृ दोष की वजह से व्यक्ति का जीवन परेशानियों से भर जाता है।पितृ दोष दूर करने का उपायइस दोष से मुक्ति के लिए अमावस्या के दिन पितर संबंधित कार्य करने चाहिए। शास्त्रों में कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या का महत्व पितर संबधित कार्यों के लिए विशेष माना गया है। पितरों का इस अमावस्या में श्राद्ध किये जाने पर इस तिथि को सर्वपितृ अमावस्या कहते हैं। इस दिन सभी पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है। पितरों की तिथि याद न होने पर सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध और तर्पण किया जा सकता है। यह मोक्षदायिनी अमावस्या 2 अक्टूबर, 2024 को है। मान्यता है कि अंतिम दिन सर्वपितृ अमावस्या को पितृ अपने धाम लौट जाते हैं। पितृ परिवार की खुशहाली देखकर प्रसन्न होते हैं। पितृ पक्ष में खुश रहकर दान-पुण्य करना चाहिए। सर्वपितृ अमावस्या के दिन गाय को भोजन भी अवश्य कराएं। इस बात का ध्यान रखें कि आपको गाय को सात्विक भोजन ही करवाना है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गाय को भोजन कराने से पितृ दोष दूर हो जाता है।
- पं. प्रकाश उपाध्यायग्रहों के राजकुमार बुध 23 सितंबर की सुबह 10 बजकर 10 मिनट पर सिंह राशि की यात्रा समाप्त करके अपनी स्वयं की राशि कन्या में प्रवेश करेंगे। जहां ये 10 अक्तूबर की सुबह 11 बजकर 19 मिनट तक गोचर करेंगे, उसके बाद तुला राशि में चले जाएंगे। आइये जाने इनके राशि परिवर्तन का अन्य राशियों पर कैसा प्रभाव पड़ेगा ?मेष राशि-राशि से छठे शत्रु भाव में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता विशेष करके स्वास्थ्य संबंधी चिंता परेशान कर सकती है। चर्म रोग, एलर्जी तथा दावाओं के रिएक्शन से बचें। विवादित मामले कोर्ट कचहरी से बाहर ही सुलझाएं। इस अवधि के मध्य किसी को भी अधिक धन उधार के रूप में न दें अन्यथा आर्थिक हानि का सामना करना ही पड़ेगा। यात्रा देशाटन का लाभ मिलेगा। दूसरे देश के लिए वीजा आदि का आवेदन भी कर सकते हैं।वृषभ राशि-राशि से पंचम विद्या भाव में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव बेहतरीन सफलता कारक रहेगा, विशेष करके विद्यार्थियों और प्रतियोगिता में बैठने वाले छात्रों के लिए तो यह समय किसी वरदान से कम नहीं है, जैसी सफलता चाहें हासिल कर सकते हैं। प्रेम संबंधी मामलों में प्रगाढ़ता आएगी। नए प्रेम प्रसंग की शुरुआत के भी योग बन रहे हैं। प्रेम विवाह भी करना चाहें तो अवसर अनुकूल रहेगा। संतान के दायित्व की पूर्ति होगी। नव दंपति के लिए संतान प्राप्ति एवं प्रादुर्भाव के भी योग हैं।मिथुन राशि-राशि से चतुर्थ सुख भाव में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव हर तरह से लाभदायक रहेगा। सोची समझी सभी रणनीतियां कारगर सिद्ध होंगी। मित्रों और संबंधियों से भी सुखद समाचार प्राप्ति के योग है। स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। विदेशी कंपनियों में सर्विस अथवा नागरिकता के लिए किया गया प्रयास भी सफल रहेगा। किसी सरकारी टेंडर के लिए आवेदन करना चाह रहे हों तो उस दृष्टि से भी ग्रह-गोचर अनुकूल रहेगा। मकान वाहन का भी क्रय कर सकते हैं।कर्क राशि-राशि से तृतीय पराक्रम भाव में गोचर करते हुए बुध आपके स्वभाव में सौम्यता तो लाएंगे ही अत्यधिक ऊर्जावान भी बनाएंगे। परिवार के सदस्यों और मित्रों से सहयोग मिलेगा। धर्म और आध्यात्म के प्रति रुचि बढ़ेगी। जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए आगे आएंगे। विद्यार्थी वर्ग विदेश में पढ़ाई करने के लिए जाने का प्रयास कर रहे हों तो उस दृष्टि से भी ग्रह-गोचर अनुकूल रहेगा। परिवार में मांगलिक कार्यों का सुअवसर आएगा माहौल भी खुशनुमा रहेगा।सिंह राशि-राशि से द्वितीय धन भाव में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव आर्थिक पक्ष तो मजबूत करेगा ही आकस्मिक धन प्राप्ति का योग भी बनेगा। काफी दिनों का दिया गया धन भी वापस मिलने की उम्मीद है। अपनी वाणी कुशलता के बल पर कठिन हालात को भी आसानी से नियंत्रित कर लेंगे। जो लोग नीचा दिखाने की कोशिश में लगे थे वही मदद के लिए आगे आएंगे। चर्म रोग से सावधान रहना पड़ेगा। कार्यक्षेत्र में षड्यंत्र का शिकार होने से बचें। विवादित मामलों से दूर ही रहें।कन्या राशि-अपनी स्वयं की राशि कन्या में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है। काफी दिनों के रुके हुए कार्य बनेंगे। आर्थिक तंगी दूर होगी। नए लोगों से मेलजोल बढ़ेगा। सरकारी विभागों के प्रतीक्षित कार्य संपन्न होंगे। किसी नए टेंडर के लिए आवेदन करना हो तो उस दृष्टि से भी समय अनुकूल रहेगा। सामाजिक पद प्रतिष्ठा बढ़ेगी। वैवाहिक वार्ता सफल रहेगी। ससुराल पक्ष से भी सहयोग के योग। इन सब के बावजूद साझा व्यापार करने से परहेज करें।तुला राशि-राशि से बारहवें व्यय भाव में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव सामान्य फल कारक ही रहेगा यद्यपि यात्राओं की अधिकता रहेगी। विद्यार्थी वर्ग दूसरे देश में पढ़ाई करने के लिए जाने का प्रयास कर रहे हों तो उनके लिए समय और अनुकूल रहेगा। विदेशी कंपनियों में सर्विस अथवा दूसरे देश के लिए वीजा आदि का आवेदन करना चाह रहे हों तो भी समय अनुकूल रहेगा। विदेशी नागरिकता के लिए भी प्रयास कर सकते हैं। गुप्त शत्रुओं से बचें। आर्थिक मामलों में लेनदेन के प्रति सावधानी बरतें।वृश्चिक राशि-राशि से एकादश लाभ भाव में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव हर तरह से आय के स्रोतों की वृद्धि करेगा। प्रतीक्षित कार्यों का निपटारा होगा। परिवार के वरिष्ठ सदस्यों तथा बड़े भाइयों से भी सहयोग मिलेगा। केंद्र अथवा राज्य सरकार के विभागों में भी सर्विस आदि के लिए आवेदन करना हो तो उस दृष्टि से यह समय सफलता दायक रहेगा। संतान संबंधी चिंता में कमी आएगी। नए प्रेम प्रसंग की शुरुआत के योग। प्रेम विवाह भी कर सकते हैं।धनु राशि-राशि से दशम कर्म भाव में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव हर तरह से लाभदायक ही रहेगा। विशेष करके कार्य व्यापार में तो उन्नति होगी ही किसी भी बड़े से बड़े अनुबंध पर हस्ताक्षर करना हो तो उस दृष्टि से भी समय अनुकूल रहेगा। शासन सत्ता का पूर्ण सहयोग मिलेगा। जमीन-जायदाद संबंधी मामलों का निपटारा होगा। मकान अथवा वाहन का भी क्रय कर सकते हैं। माता-पिता के स्वास्थ्य के प्रति चिंतनशील रहें। रणनीतियां कारगर सिद्ध होगी। योजनाएं गोपनीय रखें आगे बढ़ें।मकर राशि-राशि से नवम भाग्य भाव में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव कार्य व्यापार में तो उन्नति देगा ही धर्म और आध्यात्म के प्रति रुझान भी बढ़ाएगा। तीर्थ यात्रा करेंगे। जरूरतमंद लोगों की मदद करने में आगे रहेंगे। इस अवधि में जो भी कार्य आरंभ करेंगे उसी में सफलता मिलेगी। वैवाहिक वार्ता सफल रहेगी। नए लोगों से मेलजोल बढ़ेगा। जिसका परिणाम दूरगामी रहेगा। विदेशी नागरिकता के लिए प्रयास कर रहे हों तो उस दृष्टि से भी समय सर्वदा अनुकूल रहेगा।कुंभ राशिराशि से अष्टम आयु भाव में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव अप्रत्याशित परिणाम दिलाएगा। उतार-चढ़ाव की अधिकता रहेगी। स्वास्थ्य पर कुछ प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। विद्यार्थियों और प्रतियोगिता में बैठने वाले छात्रों को परीक्षा में अच्छे अंक लाने के लिए और प्रयास करने होंगे। संतान संबंधी चिंता परेशान कर सकती है। प्रेम संबंधी मामले में उदासीनता रहेगी, इसलिए कार्य के प्रति चिंतनशील रहें। आपके अपने ही लोग षड्यंत्र कर सकते हैं। हर कार्य और निर्णय बहुत सोच विचार कर ही लें।मीन राशिराशि से सप्तम दांपत्य भाव में गोचर करते हुए बुध का प्रभाव हर तरह से लाभदायक ही रहेगा। योजनाएं तो फलीभूत होंगी ही सरकारी विभागों के प्रतीक्षित कार्य संपन्न होंगे। किसी बड़े अनुबंध पर हस्ताक्षर करना हो तो उस दृष्टि से भी समय अनुकूल रहेगा। वैवाहिक वार्ता सफल रहेगी। इस अवधि के मध्य भावनाओं में बहकर लिया गया निर्णय नुकसानदेय सिद्ध हो सकता है। स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। विलासिता पूर्ण वस्तुओं पर खर्च होगा। वाहन का भी क्रय कर सकते हैं।
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पं. प्रकाश उपाध्याय
पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्र मास में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से होती है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक पितृ पक्ष रहता है। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत अधिक महत्व होता है। पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है। पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान पितर संबंधित कार्य करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। 17 सितंबर 2024 को स्नानदान पूर्णिमा लगते ही पितृपक्ष शुरू हो जाएगा। पितृ पक्ष 17 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर तक रहेगा। ब्रह्म पुराण के मुताबिक मनुष्य को पूर्वजों की पूजा करनी चाहिए और उनका तर्पण करना चाहिए। पितरों का ऋण श्राद्ध के जरिए चुकाया जा सकता है।
तर्पण करने से पितरों की आत्मा को मिलती है शांति
श्राद्ध के दौरान सबसे पहले प्रातःकाल स्नानादि करने के बाद हाथ में जल, कुश, अक्षत, तिल आदि लेकर पितरों को जल अर्पित करने को तर्पण कहते हैं। इसके बाद दोनों हाथ जोड़कर पितरों का ध्यान करते हुए उन्हें आमंत्रित करते हुए जल ग्रहण करने की प्रार्थना की जाती है। मान्यता है कि तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। साथ ही व्यक्ति को उनका आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। ईश्वर का भजन करना चाहिए। इसके बाद अपने पूर्वजों का स्मरण करके उन्हें प्रणाम करना चाहिए और उनके गुणों को याद करना चाहिए।
पिंडदान से दिया जाता है पितरों को भोजन
पिंडदान का अर्थ होता है अपने पितरों को भोजन का दान देना। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष में हमारे पूर्वज के गाय, कुत्ता, कुआं, चींटी या देवताओं के रूप में आकर भोजन ग्रहण करते हैं। इसलिए पितृ पक्ष के दौरान भोजन के पांच अंश निकालने का विधान है। पिंडदान के दौरान मृतक के निमित्त जौ या चावल के आटे को गूंथ कर गोल आकृति वाले पिंड बनाए जाते हैं। इसलिए इसे पिंडदान कहा जाता है। -
हिन्दू धर्म में पीपल के पेड़ को देवों के रूप में माना जाता है। वहीं, इस पेड़ की पूजा भी की जाती है। कहा जाता है कि पीपल के पेड़ में पूर्वजों का निवास होता है। इतना ही नहीं, आयुर्वेद में पीपल के पेड़ को औषधीय गुणों से भरपूर भी माना जाता है। हालांकि, हमारे समाज में पीपल के पेड़ से जुड़े कुछ अंधविश्वास या मिथ फैले हुए हैं। इसमें सबसे आम है- रात के समय पीपल के पेड़ पर आत्माओं का वास होता है। इसलिए रात के समय पीपल के पेड़ के नीचे नहीं सोना चाहिए। आपने अपने बड़े-बुजुर्गों से भी अक्सर सुना होगा कि रात में पीपल के पेड़ के नीचे बिलकुल न सोएं। रात में इस पेड़ को छूना अशुभ होता है और नेगेटिव एनर्जी मिलती है। लेकिन, क्या वाकई ये सच है?
पीपल के पेड़ के नीचे सोने से जुड़े अंधविश्वासपीपल के पेड़ के नीचे सोने से अक्सर मना किया जाता है। कहा जाता है कि पीपल के पेड़ पर भूत-प्रेत या आत्माएं रहती हैं। रात के समय, आत्माएं ज्यादा शक्तिशाली हो जाती है। ऐसे में इनसे बचने के लिए रात में पीपल के पेड़ के नीचे नहीं सोना चाहिए।पीपल के पेड़ के नीचे कब नहीं जाना चाहिए?पीपल के पेड़ के नीचे रात के समय नहीं सोना चाहिए। दरअसल, रात में पीपल के पेड़ के नीचे सोने से शरीर में ऑक्सीजन का स्तर कम हो सकता है। इससे आपको बेचैनी या घुटन महसूस हो सकती है।रात में पीपल के पेड़ के नीचे क्यों नहीं सोना चाहिए?रात के समय पेड़ हवा में कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं। अधिक समय तक मानव शरीर के लिए कार्बन डाइऑक्साइड वाले वातावरण में रहना सही नहीं होता है। अगर कोई व्यक्ति लंबे समय तक कार्बन डाइऑक्साइड लेता है, तो इससे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो सकती है। इसलिए ही साइंस या विज्ञान में रात को पीपल के पेड़ के नीचे सोने से मना किया जाता है।”अगर पीपल के पेड़ की बात करें, तो यह काफी घना होता है। इसमें काफी पत्तियां होती हैं, इसलिए दिन के समय इस पेड़ से ऑक्सीजन सही मात्रा में मिलता है। वहां, अगर रात की बात करें, तो यह कार्बन डाइऑक्साइड भी अधिक मात्रा में छोड़ता है। घने पेड़ों के नीचे सोने से शरीर को अधिक कार्बन डाइटऑक्साइड मिल जाता है। इससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और व्यक्ति को सफोकेशन फील हो सकते हैं। यही वजह है कि पीपल के पेड़ के नीचे सोने से या फिर बैठने से भी मना किया जाता है।रात में कौन-से पेड़ के नीचे नहीं सोना चाहिए?रात में सिर्फ पीपल के पेड़ के नीचे ही नहीं, बल्कि किसी भी घने पेड़ के नीचे सोने से बचना चाहिए। क्योंकि घने पेड़ के नीचे सोने से आपको दिक्कत हो सकती है।” क्या वाकई रात में पीपल के पेड़ के नीचे नहीं सोना अशुभ होता है? - -पं. प्रकाश उपाध्यायकई बार हम जाने अनजाने में किचन में कुछ ऐसी वस्तुएं रख देते हैं, जिनसे घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार काफी बढ़ जाता है। वास्तु शास्त्र में किचन से जुड़े कई नियम बताए गए हैं। किचन की नकारात्मक ऊर्जा से परिवर के सदस्यों की सेहत भी प्रभावित हो सकती है। वहीं, किचन में पॉजिटिव एनर्जी बनी रहे तो घर की सुख-समृद्धि भी बनी रहती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, आइए जानते हैं किचन में किन चीजों को नहीं रखना चाहिए-कांटेदार पौधे- किचन में मुरझाए पौधे रखना शुभ नहीं माना जाता है। वहीं, किचन के किसी भी कोने में सूखे हुए कांटेदार पौधे नहीं रखना चाहिए। इससे घर में नेगेटिव एनर्जी प्रवेश करती है।टूटे बर्तन- किचन में टूटे या चिटके हुए बर्तन नहीं रखने चाहिए। टूटे-फूटे डिब्बे भी रसोई में न रखें, इन बर्तनों से घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ सकती है।फटी-टूटी तस्वीरें- ज्यादातर लोग अपने किचन को एस्थेटिक लुक देने के लिए तस्वीरें लगाते हैं। वहीं, किचन में टूटी-फूटी या फटी हुई तस्वीर बिल्कुल भी नहीं लगानी चाहिए। इससे घर-परिवार में लड़ाई झगड़े का माहौल बनता है।टूटा कांच- किचन के किसी भी कोने में टूटा हुआ कांच या शीशा नहीं रखना या लगाना चाहिए। टूटा हुआ कांच नकारात्मक ऊर्जा का केंद्र बनता है। किचन में शीशा लगाना भी शुभ नहीं माना जाता है।गंदा पुराना पोंछा- कई बार लोग जल्दबाजी के चक्कर में या फिर आलस के चक्कर में किचन में गंदे, कटे-फटे कपड़े पोंछे के रूप में रख देते हैं। आपकी ये गलती वास्तु दोष के साथ-साथ नेगेटिव एनर्जी का कारण भी बन सकती है। इसलिए किचन में पुराना या गंदा कपड़ा न रखें।दवाई- किचन में दवाइयां रखने से नेगेटिव एनर्जी बढ़ जाती है। ऐसे में परिवार की सेहत पर भी असर पद सकता है। इसलिए कभी भी किचन में दवाइयां न रखें।
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पंडित प्रकाश उपाध्याय से जानें आज का स्वास्थ्य राशिफल
मेषआज के दिन आपको अपनी पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं पर विचार करने की जरूरत है। आज के दिन आपकी शारीरिक ऊर्जा में उतार-चढ़ाव रह सकता है।वृषभआज के दिन आपका स्वास्थ्य बेहतर रह सकता है। इसके लिए आपको पर्याप्त मात्रा में पानी पीने के साथ ही भरपूर नींद भी लेनी चाहिए।मिथुनअगर के दिन आपको दिमाग पर ज्यादा प्रेशर लेने की जरूरत नहीं है। आज आपको अपने स्वास्थ्य को पहली प्राथमिकता देनी चाहिए। इससे मेंटल हेल्थ को भी फायदा पहुंच सकता है।कर्कआज के दिन आपका स्वास्थ्य पूरा दिन ऊर्जावान रह सकता है। इसके लिए आपको सुनिश्चित करना चाहिए कि आप जिन शारीरिक गतिविधियों में शामिल हैं क्या वे वास्तव में लाभकारी हैं।सिंहआज के दिन आपको अपनी दिनचर्या में संतुलित आहार को जरूर शामिल करना चाहिए। अगर आप जंक फूड्स खाते हैं तो इससे पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैंकन्याआज आपको अपने स्वास्थ्य संबंधी दिनचर्या पर ध्यान देने के लिए एक अच्छा दिन है। आज के दिन आपको कार्डियो और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग जैसी एक्टिविटीज करनी चाहिए।तुलाआज आपके स्वास्थ्य के लिए संतुलन बनाए रखना बहुत अहम है। आज के दिन आपको ज्यादा देर तक लैपटॉप या मोबाइल की स्क्रीन के सामने अधिक समय नहीं बिताना चाहिए।वृश्चिकआज के दिन आपको सुबह जल्दी उठकर योग और प्राणायाम करने की आवश्यकता है। इससे आपको पुरानी बीमारियों में आराम देखने को मिल सकता है।धनुआज के दिन आपको अपनी शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाने की जरूरत है। इसके लिए आपको खुद पर भरोसा रखना चाहिए साथ ही आहार विचार पर भी काबू रखना चाहिए।मकरआज के दिन मकर राशि के लोगों को एक स्थिर दिनचर्या बनाए रखना चाहिए। आज आपको माइंडफुलनेस का भी अभ्यास करना चाहिए।कुंभआज के दिन प्रोसेस्ड और जंक फूड्स खाने से परहेज करें साथ ही साथ खुद को किसी न किसी काम में व्यस्त रखें ताकि मन में बहुत अधिक विचार न आएं।मीनआज आपको अपनी ऊर्जा को बचाकर रखना चाहिए और उसका उपयोग सही दिशा में करना चाहिए। अगर आपको पहले से ही कोई शारीरिक समस्या है तो चिकित्सक की सलाह जरूर लें। -
पंडित प्रकाश उपाध्याय से जानें आज का स्वास्थ्य राशिफल
मेषआज आप ऊर्जा का एक अच्छा खासा स्तर देख सकते हैं। आज के दिन आपको सक्रिय रहना है और अच्छा भोजन करना है। इससे पूरा दिन शरीर में ऊर्जा की कमी नहीं होगी।वृषभआज आप अपनी सामान्य दिनचर्या पर टिके रहने में आराम महसूस कर सकते हैं। इसलिए ऐसी गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करें जो वास्तव में आपके मन और दिमाग को शांती देती हो।मिथुनआज के दिन आपको अपने दिमाग को स्थिर रखकर विचारों पर भी काबू करने की जरूरत है। आज के दिन आराम करने के साथ ही छोटे-छोटे ब्रेक लें। इससे थकान नहीं होगी।कर्कआज आपमें संवेदनशीलता और सकारात्मकता देखने को मिल सकती है। आज के दिन अपने भावनात्मक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए आपको विचारों पर काबू रखना होगा।सिंहआज के दिन सिंह राशि के लोग प्रेरित महसूस करेंगे और चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहेंगे। इसके लिए आपको खुद पर बहुत ज्यादा दबाव देने की जरूरत नहीं है।कन्याआज का दिन आपके लिए बेहतर होने के साथ ही उपयोगी भी रह सकता है। लेकिन आपको इस बात का ध्यान रखना है कि आज आपको अनहेल्दी चीजें खाने से परहेज करना है।तुलाआज आप खुद पर बहुत ज्यादा दबाव न डालें और काम को लेकर अधिक चिंतित न रहें। आज के दिन आप केवल वही काम करें, जिन्हें करने से आपको वास्तव में खुशी मिलती हो।वृश्चिकआज के दिन आपको सामान्य से थोड़ा ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। अगर आप अपनी गलत आदतों को फॉलो कर रहे हैं तो इससे आपकी शारीरिक ऊर्जा कम हो सकती है।धनुआज आपकी साहसिक भावना आपको कुछ नया करने के लिए प्रेरित कर सकती है। आज के दिन आपको शारीरिक गतिविधियों में ज्यादा से ज्यादा शामिल रहने की जरूरत है।मकरआज का दिन आपके लिए अच्छा हो सकता है। आज आपको सुबह जल्दी उठकर प्राणायाम और माइंडफुलनेस का अभ्यास करना चाहिए। इससे मेंटल हेल्थ अच्छी रहेगी।कुंभआज आपको अपने दिमाग पर काबू रखते हुए अपनी मेंटल हेल्थ के बारे में सोचना चाहिए। इसके लिए आप को हेल्दी डाइट लेने के साथ ही साथ माइंड से जुड़ी एक्सरसाइज भी करनी चाहिए।मीनआज के दिन आपको आंतरिक खुशी मिलने का एहसास हो सकता है। आज के दिन आपको पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं में लाभ देखने को मिल सकता है। -
पंडित प्रकाश उपाध्याय से जानें आज का स्वास्थ्य राशिफल
मेषआज आपको सक्रिय रहने की जरूरत पड़ सकती है। जो आपके शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए बहुत अच्छा है। इसके लिए आपको खुद पर बहुत अधिक दबाव नहीं डालना है।वृषभआपका शारीरिक स्वास्थ्य आमतौर पर स्थिर नजर आ रहा है, लेकिन आज ज्यादा खाने-पीने से बचना आपके लिए ज़रूरी है। इसके लिए संतुलित आहार खाने पर ध्यान देना चाहिए।मिथुनअगर आप बहुत अधिक काम कर रहे हैं, तो कुछ मामलों में आपको मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए ऐसे में दिमाग को शांत रखें।कर्कआज भावनात्मक रूप से आपके लिए स्वस्थ रहना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि आज के दिन आप सामान्य से ज़्यादा संवेदनशील महसूस कर सकते हैं।सिंहआज आपकी ऊर्जा का स्तर बहुत अच्छा है, इसे बेहतर और स्थिर बनाए रखने के लिए आपको सुबह उठकर योग, प्राणायाम और माइंडफुलनेस का अभ्यास करना है।कन्याआज अपनी आदतों पर ध्यान देने के लिए आपके पास एक अच्छा दिन और मौका है। आज के दिन आपको तनाव लेने से बचना है और शारीरिक गतिविधियों में जरूर शामिल होना है।तुलाआज आपके स्वास्थ्य के लिए संतुलन बहुत ज़रूरी है। आज के दिन काम और आराम दोनों के लिए समय निकालें। इससे आपको ज्यादा थकान भी महसूस नहीं होगी और शरीर को आराम भी मिलेगा।वृश्चिकआज के दिन आपको अपनी ऊर्जा को व्यायाम या किसी स्पोर्ट्स एक्टिविटी की ओर लगाना चाहिए। इसके साथ ही संतुलित आहार पर भी ध्यान देना न भूलें।धनुआज आपकी साहसिक भावना आपको नई शारीरिक गतिविधियों में शामिल होने की प्रेरणा दे सकती है। इसलिए आज के दिन आपको आलस और नींद को दूर रखना है।मकरअगर आप ज्यादा शारीरिक गतिविधियों में शामिल नहीं होना चाहते हैं तो इसके लिए हल्का व्यायाम, जैसे टहलना या स्ट्रेचिंग आदि जैसी एक्टिविटीज कर सकते हैं।कुंभआज के दिन आपकी सेहत अच्छी रह सकती है। हो सकता है जिस स्वास्थ्य समस्या या पुरानी बीमारी के लिए आप परेशान हैं। वह योग और प्राणायाम के जरिए ठीक हो सकती है।मीनस्वस्थ रहने के लिए आपको संतुलित आहार खाने के साथ ही खुद के लिए तनावपूर्ण स्थिति बनाने से बचना है। आज के दिन अपने आहार और विचार दोनों पर काबू रखें। - -पं. प्रकाश उपाध्यायस्वास्तिक, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण और बेहद शुभ चिन्ह माना जाता है। यह एक प्राचीन प्रतीक है जिसका उपयोग सदियों से सकारात्मक ऊर्जा और शुभता को आकर्षित करने के लिए किया जाता रहा है। वास्तु शास्त्र में भी स्वास्तिक को बहुत खास चिन्ह माना जाता है। ये न केवल सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है बल्कि धन और समृद्धि को भी आकर्षित करता है। अक्सर आपने देखा होगा की लोग अपने घर में अलग अलग जगहों पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाते हैं, मगर बहुत से लोग जानकारी के अभाव में स्वास्तिक बनाते समय कुछ गलतियां कर देते हैं। इसलिए आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं कि घर पर स्वास्तिक चिन्ह बनाने का क्या नियम है। साथ ही ये भी जानेंगे कि स्वास्तिक को घर के किस स्थान पर बनाना चाहिए ताकि जातक को इसका पूरा लाभ मिल सके।स्वास्तिक का महत्वस्वास्तिक को सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। यह घर में नकारात्मक ऊर्जा को दूर रखने में मदद करता है और सकारात्मक वातावरण बनाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, स्वास्तिक को धन का देवता कुबेर से जोड़ा जाता है। इसे सही स्थान पर बनाने से घर में धन की आवक बढ़ती है। स्वास्तिक घर में सुख-शांति का वातावरण बनाता है। यह परिवार के सदस्यों के बीच आपसी प्रेम और सौहार्द को बढ़ावा देता है।घर में स्वास्तिक बनाने का सही स्थान:मुख्य द्वारघर का मुख्य द्वार घर में प्रवेश करने वाला पहला स्थान होता है। इसलिए मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाना बहुत शुभ माना जाता है। यह घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाता है और नकारात्मक ऊर्जा को बाहर रखता है। इसके लिए 9 इंच लंबा और चौड़ा सिंदूर से दरवाजे पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाना चाहिए।पूजा घरपूजा घर को घर का सबसे पवित्र स्थान माना जाता है। पूजा घर में स्वास्तिक बनाना धार्मिक दृष्टिकोण से भी शुभ होता है। यह पूजा करते समय मन को एकाग्र करने में मदद करता है।तिजोरी या धन रखने का स्थानअगर आप अपने घर में धन रखते हैं तो तिजोरी या धन रखने वाले स्थान पर स्वास्तिक बनाना बहुत लाभदायक होता है। यह धन को सुरक्षित रखने में मदद करता है और धन में वृद्धि करता है।रसोई घररसोई घर में अन्न का भंडार होता है। इसलिए रसोई घर में स्वास्तिक बनाना अन्न के भंडार को बढ़ाने में मदद करता है।स्वास्तिक बनाते समय ध्यान रखने वाली बातें:स्वास्तिक को हमेशा दक्षिणावर्त दिशा में बनाना चाहिए। स्वास्तिक को लाल, पीले या हरे रंग से बनाना शुभ माना जाता है। स्वास्तिक को रोली, चंदन या कुमकुम से बनाया जा सकता है। साथ ही स्वास्तिक को शुभ मुहूर्त में ही बनाना चाहिए। स्वास्तिक एक ऐसा शुभ चिन्ह है जो न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि वास्तु शास्त्र के अनुसार भी बहुत महत्वपूर्ण है। इसे सही स्थान पर बनाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाता है, धन और समृद्धि आती है और परिवार में सुख-शांति का वातावरण बना रहता है।
- रक्षा बंधन भाई-बहनों के बीच के अनूठे बंधन का एक आनंदमय उत्सव है, जो प्यार, हंसी और यादों से भरा है। इस दिन, बहनें अपने भाइयों की कलाई पर एक पवित्र धागा राखी बांधती हैं। यह धागा सुरक्षा और आजीवन देखभाल का प्रतीक है।बदले में भाई अपनी बहनों की रक्षा और समर्थन करने की प्रतिज्ञा करते हैं और प्यार के प्रतीक के रूप में उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं। यह त्योहार परंपरा और भावनाओं का एक जीवंत मिश्रण है, जहां परिवार इकट्ठा होते हैं, मिठाइयां बांटी जाती हैं।रक्षा बंधन 18 या 19 अगस्त, कब मनाया जाएगा?राखी का पवित्र त्यौहार हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस साल रक्षाबंधन 19 अगस्त, सोमवार को मनाया जाएगा।रक्षा बंधन 2024: शुभ समय या शुभ मुहूर्तद्रिक पंचांग के अनुसार, राखी बांधने का सबसे अनुकूल समय अपराह्न काल के दौरान होता है, जो दोपहर के समय पड़ता है। यदि यह समय चूक जाता है तो प्रदोष के दौरान अनुष्ठान किया जा सकता है। हालांकि, यह सलाह दी जाती है कि भद्रा काल के दौरान रक्षा बंधन बांधने से बचना चाहिए।राखी बांधने का शुभ मुहूर्त: दोपहर 1:30 बजे से रात 9:08 बजे तकअपराहन समय मुहूर्त: दोपहर 1:43 बजे से शाम 4:20 बजे तक
- -पं. प्रकाश उपाध्यायशनि गोचर बेहद ही स्लो स्पीड में करते हैं। सैर्टन ग्रह को एक ही राशि में दोबारा गोचर करने में लगभग 30 साल का समय लगता है। इसलिए 30 सालों के बाद 2023 से कुंभ राशि में विराजमान हैं शनि, जो अगले साल राशि बदलने वाले हैं। एक राशि में शनि 2 साल से ज्यादा विराजमान रहते हैं। वर्तमान की बात करें तो शनि कुंभ राशि में वक्री यानि उलटी चाल चल रहे हैं। शनि की चाल उलटी हो या सीधी हर राशि को प्रभावित करती है। ऐसे में आइए जानते हैं शनि के कुंभ गोचर से 230 दिनों में किन राशियों की तकदीर पलटेगी और क्या-क्या बदलाव हो सकते हैं-शनि के कुंभ गोचर का प्रभावशनि देव ने 30 साल बाद 2023 में अपनी कुंभ राशि में प्रवेश किया था। शनि के कुंभ गोचर से शश नामक राजयोग बना हुआ है। यह राजयोग तब तक रहने वाला है, जब तक शनि देव कुंभ राशि में रहेंगे। इस वक्त शनि वक्री हैं, जो नवंबर के महीने में मार्गी होने वाले हैं।कब और कैसे बनता है शश राजयोग?ज्योतिष विद्या के अनुसार शनि जब अपनी उच्च राशि में कुंडली के केंद्र भाव में या स्वराशि में विराजमान रहते हैं तब शश राजयोग का निर्माण करते हैं। यह राजयोग जनवरी, 2023 से बना है, जो मार्च 28, 2025 तक रहने वाला है।मेष राशिमेष राशि के लोगों के लिए शनि की चाल आने वाले 230 दिनों में लाभकारी साबित हो सकती है। शनि के शुभ प्रभाव से कई कार्यो में सफलता मिलेगी। समाज में आपकी पद-प्रतिष्ठा बढ़ेगी। आर्थिक मामलों में आपको सोच समझकर डिसीजन लेने की जरूरत है। वहीं, इन्वेस्टमेंट के कई नए ऑप्शन इस दौरान आपको मिल सकते हैं।सिंह राशिकुंभ राशि में विराजमान शनि आने वाले 230 दिनों तक सिंह राशि वालों के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं। इस राशि के जातकों को आर्थिक लाभ होने की संभावना है। व्यापारियों को कई अच्छे इन्वेस्टर्स मिल सकते हैं। लव लाइफ में थोड़े बहुत उतार-चढ़ाव रहेंगे, जिन्हें बातचीत करके निपटाया जा सकता है। करियर लाइफ में कई टास्क मिल सकते हैं, जो आपकी ग्रोथ में मदद कर सकते हैं।तुला राशिशनि आने वाले 230 दिनों में कुंभ राशि में विराजमान रहकर तुला राशि वालों के लिए गुड न्यूज ला सकते हैं। आपकी लाइफ में पॉजिटिविटी बनी रहेगी। सेहत में थोड़ा बहुत उतार-चढ़ाव बना रहेगा। इसलिए हेल्थ पर ध्यान देने की जरूरत है। स्टूडेंट्स को कोई गुड न्यूज भी मिल सकती है। वहीं, परिवार के सदस्यों के साथ घूमने भी जा सकते हैं। आर्थिक स्थिति भी अच्छी रहने वाली है।230 दिनों तक शनि की साढ़े साती किस राशि पर?कुंभ राशि में शनि के गोचर से साढ़ेसाती और ढैय्या के बुरे प्रभाव के कारण 5 राशियों को संभलकर रहने की जरूरत है। कर्क राशि, वृश्चिक राशि, मकर राशि, कुंभ राशि और मीन राशि वालों को शनि ग्रह का बुरा प्रभाव कष्ट दे सकता है।
- पंडित प्रकाश उपाध्यायसनातन शास्त्रों में अमावस्या तिथि का बेहद खास महत्व बताया गया है। यह पर्व भगवान विष्णु और पितरों की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है। साल भर में कुल 12 अमावस्या आती हैं, जिनका अपना-अपना महत्व है। सावन में मनाई जाने वाली हरियाली अमावस्या को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह त्योहार महादेव के प्रिय महीना यानी सावन में मनाया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं हरियाली अमावस्या का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।पंचांग के अनुसार उदया तिथि के अनुसार सावन की हरियाली अमावस्या रविवार, 04 अगस्त को मनाई जाएगी।हरियाली अमावस्या पूजा विधिअमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। साफ वस्त्र धारण कर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। मंदिर की सफाई कर गंगाजल का छिड़काव शुद्ध करें। चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति को विराजमान करें। अब महादेव का अभिषेक करें और बेलपत्र, धतूरा और फूल समेत आदि चीजें अर्पित करें और माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की चीजें अर्पित करें। इसके पश्चात देशी घी का दीपक जलाकर आरती करें और शिव मंत्रों का जप करें। खीर, फल और हलवे का भोग लगाएं और लोगों में प्रसाद का वितरण करें। अंत में महादेव से जीवन में सुख-शांति की कामना करें। इस दिन श्रद्धा अनुसार दान करना चाहिए।भगवान शिव के मंत्र1. सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।उज्जयिन्यां महाकालं ओम्कारम् अमलेश्वरम्॥परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।।2. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
3. नमामिशमीशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद स्वरूपं।।4. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥5. ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। - -पं. प्रकाश उपाध्यायसौर मंडल के सभी ग्रह राशियां और नक्षत्र अपनी स्थिति में बदलाव करते हैं। जिस तरह से राशियों पर ग्रहों का गोचर मानव जीवन को प्रभावित करता है, उसी तरह से नक्षत्र परिवर्तन का भी प्रभाव पड़ता है। वर्तमान स्थिति में सूर्य देव शनि के पुष्य नक्षत्र में गोचर कर रहे हैं और 02 अगस्त 2024 तक इसी नक्षत्र में रहेंगे।इसके बाद 02 अगस्त को रात 10:15 बजे सूर्य अश्लेषा नक्षत्र में प्रवेश कर जाएंगे और 16 अगस्त तक इस नक्षत्र में रहेंगे। अश्लेषा नक्षत्र के स्वामी बुध हैं और सूर्य की स्थिति में यह बदलाव कुछ राशियों के जातकों को शुभ फल प्रदान करेगा। इन जातकों को जीवन के कई पहलुओं में सफलता मिलने की संभावना है। जानें सूर्य के बुध नक्षत्र में प्रवेश करने पर राशियों को क्या सकारात्मक परिणाम मिलने वाले हैं-सूर्य नक्षत्र परिवर्तन से इन राशियों को लाभ-वृष राशि- सूर्य का नक्षत्र परिवर्तन वृष राशि के जातकों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होता है। धर्म-कर्म में आपकी रुचि बढ़ेगी और रुके हुए कार्यों में सफलता हासिल करेंगे। आपके जीवन की विघ्न-बाधा दूर होगी। आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और कार्यस्थल पर लोगों से तारीफ मिलेगी, जिससे आपका मनोबल बढ़ेगा और आप लगन से काम करेंगे। पदोन्नति की प्रबल संभावना है और वेतन भी बढ़ सकता है।मिथुन राशि- सूर्य का नक्षत्र परिवर्तन मिथुन राशि के लिए फलदायी साबित होता है। आपको अपने करियर में तरक्की मिलेगी। जातकों को भाग्य का साथ मिलेगा और नौकरीपेशा लोग अपने करियर में सफलता की उम्मीद कर सकते हैं। व्यवसायी व्यक्ति कई बड़े मुनाफों की उम्मीद कर सकते हैं। इस अवधि में आपको अच्छा पैसा कमाने का अवसर मिलेगा। आप पैसों की बचत करने में सफल रहेंगे। इस दौरान आपकी सेहत अच्छी रहेगी।तुला राशि- सूर्य नक्षत्र परिवर्तन से तुला राशि के जातकों को बंपर लाभ होगा। इस अवधि में आपको भाग्य का साथ मिलेगा औ कार्यक्षेत्र में सफल होंगे। तुला राशि के जातक अगर विदेश में नौकरी करने की योजना बना रहे हैं तो इस अवधि में उनकी इच्छा पूरी हो सकती है। आप अपने लक्ष्यों का पाने में सफल रहेंगे। तुला राशि के जातकों को विदेश यात्रा का मौका मिलता है।कुंभ राशि- प्रोफेशनल लाइफ में आपके सपने साकार हो सकते हैं। बुजुर्गों का आशीर्वाद मिलेगा। सूर्य का नक्षत्र परिवर्तन कुंभ राशि वालों के लिए बहुत फलदायी रहेगा। इस अवधि में आपको अपने करियर में तरक्की मिलेगी। जातकों को भाग्य का साथ मिलेगा और नौकरीपेशा वाले लोग अपने करियर में सफलता की उम्मीद कर सकते हैं।
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पंडित प्रकाश उपाध्याय से जानें आज का स्वास्थ्य राशिफल
मेष
शारीरिक गतिविधियों के लिए आज का दिन काफी अच्छा है। इसलिए आज आपको खेलकूद, जिम या किसी अन्य गतिविधि में भाग लेना चाहिए, जो आपको एक्टिव रखे।वृषभआज आप कुछ हद तक दबाव में हो सकते हैं। ज्यादा काम करने के बजाय आराम करने पर ज्यादा ध्यान दें। आज के दिन आपको अपने मूड को स्थिर करने में मदद करने के लिए संतुलित आहार खाना है।मिथुनआज आपकी मानसिक दशा अच्छी रह सकती है। अगर आपका मन उदास होता है या किसी गलत काम की ओर केंद्रित होता है तो ऐसे में मन को झकझोरने वाली गतिविधियों में भाग लें।कर्कआज आपको भावनात्मक रूप से पोषित होने की आवश्यकता है। आज के दिन आपको खुद को प्रोत्साहित करने वाले व्यक्तियों के साथ रहना है।सिंहआज आपको अपनी कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। इसके लिए आप स्विमिंग, साइकिल या रनिंग जैसी कार्डियो एक्टिविटीज में शामिल हो सकते हैं।कन्याआज के दिन आपको अपने पाचन तंत्र का खासतौर पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए। ऐसे खाद्य पदार्थों से दूर रहें जिन्हें पचाना आपके शरीर के लिए मुश्किल हो।तुलाआज के दिन आपको अपने जीवन में संतुलन बनाए रखने के लिए मन को संतुलित रखना है। आपको उन कार्यों पर ज्यादा जोर लगाना है, जिनसे आपको वाकई खुशी मिलती है।वृश्चिकआज के दिन आपको अपने प्रजनन स्वास्थ्य पर पूरा ध्यान देना चाहिए। जरूरत पड़ने पर अपनी नियमित जांच के बारे में सोचें। योग और व्यायाम से यह समस्या कम हो सकेगी।धनुआज अपनी पीठ के निचले हिस्से पर ध्यान दें। इसके लिए आपको ज्यादा वजन उठाने से बचना है साथ ही कोर को मज़बूत बनाने वाले व्यायाम भी करने हैं।मकरइस समय आपकी हड्डियों को काम करने की ज़रूरत है। विटामिन डी और कैल्शियम के सेवन करना काफी जरूरी है। बहुत ज़्यादा कॉफ़ी पीने से बचेंकुंभआज के दिन अपने रक्त संचार को बढ़ाने पर ध्यान दें। इसके लिए आपको स्विमिंग करने के साथ ही ब्रिस्क वॉकिंग करने पर भी जोर देना चाहिए। इससे ब्लड सर्कुलेशन अच्छा रहेगा।मीनआज आपको एक्सरसाइज करने के अलावा खुद को संक्रमण से बचाने पर भी ध्यान देने की जरूरत है। किसी भी तरह के संक्रमण से बचने के लिए अपने पैरों को सूखा और साफ़ रखें। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
सावन माह भगवान भोलेनाथ की पूजा-आराधना के लिए बेहद शुभ समय माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि सावन में शिवजी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती है और जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। वास्तु में सावन माह से जुड़े कुछ उपाय बताए गए हैं। कहा जाता है कि सावन में वास्तु के इन उपायों को अपनाने से जीवन के सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है और धन, सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है।
आइए जानते हैं सावन में शिवजी की कृपा पाने के वास्तु उपाय...
सावन से जुड़े वास्तु उपाय :
वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाने के लिए सावन माह में पति या पत्नी को शिवजी की पूजा-आराधना करना चाहिए और शिवलिंग पर पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से मैरिड लाइफ की दिक्कतें दूर होती है।
भगवान शिव को बेलपत्र और बेल का पौधा अत्यंत प्रिय है। इस माह में शिवलिंग पर जल और बेलपत्र अर्पित करना चाहिए। साथ ही उत्तर-पूर्ण दिशा में बेल का पौधा लगाना चाहिए। मान्यता है कि इससे घर में दरिद्रता नहीं आती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।
वास्तु के अनुसार, सावन माह में घर के उत्तर दिशा में शिव परिवार की तस्वीर लगाना चाहिए, लेकिन शिव ताडंव मुद्रा या शिवजी के क्रोध वाली तस्वीर लगाने से बचना चाहिए।
सावन माह में घर में शिवलिंग स्थापित करना बेहद शुभ माना गया है। हालांकि, शिवलिंग स्थापित करते समय दिशा का खास ध्यान रखें। घर के उत्तर-पूर्व दिशा में शिवलिंग स्थापित करना शुभ होता है। मान्यता है कि इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
सावन में घर के मुख्यद्वार पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। इस माह में रोजाना शिव मंदिर जाएं। शिवलिंग पर बेलपत्र और जल अर्पित करें। मान्यता है कि ऐसा करने से शिवजी प्रसन्न होते हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। - पंडित प्रकाश उपाध्याय से जानें आज का स्वास्थ्य राशिफलमेषमेष राशि वाले लोगों के लिए आज का दिन आनंदमयी हो सकता है। आपको आज के दिन बीमारियों के प्रति सावधान रहना चाहिए। ऐसे में आपको अपने उपर ध्यान देना चाहिए और मोटिवेट़ेड रहना चाहिए।वृषभआज आप पहले की अपेक्षा काफी स्वस्थ महसूस कर सकते हैं। अगर आपको अंदर से किसी प्रकार की समस्या महसूस हो रही है तो ऐसे में बिना लापरवाही किए चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।मिथुनआज के दिन आपको अपनी शरीरिक गतिविधियों पर निगरानी करनी चाहिए। अगर आप अंदर से अस्वस्थ महसूस कर रहे हैं तो इसके लिए आपको पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए।कर्कआज के दिन आपको मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है। आज के दिन क्षणिक सुख लेने के बजाय आपको शरीर पर मेहनत करने की आवश्यकता हैसिंहआज के दिन आपको पोषक तत्वों की मात्रा पर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए आपको जंक और प्रोसेस्ड फूड्स से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।कन्याअगर आप हार्ट के मरीज हैं तो ऐसे में लंबे समय तक कार्डियो और रनिंग जैसी एक्सरसाइज करने से परहेज करें। इसके लिए आपको लो इंटेंसिटी वर्कआउट करना चाहिए।तुलाआज के दिन आपको अपनी डाइट में पोषक तत्वों को शामिल करना चाहिए और दिनभर में कम से कम एक से दो फलों का सेवन जरूर करना चाहिए।वृश्चिकआज के दिन आपको अपने शरीर में ज्यादा तनाव लेने से बचाना है। अगर आप लगातार तनाव का सामना कर रहे हैं तो ऐसे में अपने जीवन में चल रहे अन्य पहलुओं पर भी ध्यान देना चाहिए।धनुआज के दिन आपको बहुत ज्यादा मेहनत करने के बजाय शरीर को आराम देने की भी जरूरत है। आपको अपनी जीवनशैली पर काबू रखना चाहिए।मकरआज के दिन आपको अपनी शरीर में होने वाली कमियों जैसे खून की कमी, पोषक तत्वों की कमी आदि पर नजर बनानी है और उन्हें ठीक करना है।कुंभकुंभ राशि के लोगों का दिन आज स्वस्थ और अच्छा बीत सकता है। अगर आप पुरानी किसी बीमारी से जूझ रहे हैं तो इससे राहत मिल सकती है।मीनमीन राशि के लोगों को आज छोटी-मोटी स्वास्थ्य समस्याओं को नजरअंदाज करने के बजाय आयुर्वेद का सहारा लेना चाहिए। इससे स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।
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पंडित प्रकाश उपाध्याय से जानें आज का स्वास्थ्य राशिफल
मेषमेष राशि के जातकों को आज सेहत को दुरुस्त रखने और बीमारियों से बचने की जरूरत है। अगर आप पहले से किसी स्वास्थ्य संबंधी समस्या से जूझ रहे हैं तो आपको आराम मिल सकता है।वृषवृष राशि के जातकों के लिए आज का दिन बेहतर साबित हो सकता है। आज के दिन आपको भरपूर आराम करने के अलावा पर्याप्त मात्रा में पानी भी पीना चाहिए।मिथुनमिथुन राशि के जातकों को आज खुद संयम बरतने की शिक्षा देनी चाहिए। आज के दिन आपको अपनी मेंटल हेल्थ को दुरुस्त रखने में मदद मिल सकती है।कर्ककर्क राशि के लोगों के स्वास्थ्य में आज के दिन पॉजिटिव रिजल्ट देखने को मिल सकते हैं। आज आपको अपने शरीर के सभी अंगों की प्रतिक्रियाओं पर नजर बनाए रखनी है।सिंहसिंह राशि के लोगों को आज खानपान को लेकर सतर्क रहना चाहिए। आज के दिन खुद को लोगों के बीच रखें। अपने सोशल सर्कल को बढ़ाएं, इससे आपका मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।कन्याकन्या राशि के लोगों को फिट रहने के लिए आज खानपान में बदलाव करने के साथ ही तरह-तरह की एक्सरसाइज करने की जरूरत है। आज के दिन शरीर को उर्जामयी बनाए रखें।तुलातुला राशि के जातकों को आज तरल पदार्थों को बैलेंस रखने के लिए घर पर तरह-तरह की ड्रिंक्स जैसे सत्तू ड्रिंक, शरबत आदि पीना चाहिए।वृश्चिकवैश्विक राशि के जातकों के लिए आज योग और प्राणायाम करना चाहिए। अगर आप आज के दिन प्राणायाम में ध्यान लगाते हैं तो इससे न केवल मन शांत होगा, बल्कि सेहत भी अच्छी रहेगी।धनुआज के दिन आपको अपनी शरीर के प्रति किसी भी प्रकार की लापरवाही करने से बचना चाहिए। आज के दिन आपको स्वास्थ्य के प्रति प्रोत्साहन मिल सकता है।मकरमकर राशि के लोगों को आज गर्मी के प्रति सचेत रहने की जरूरत है। अगर आज आप सेहत के प्रति लापरवाही करते हैं तो इससे सेहत को भारी नुकसान हो सकते हैं।कुंभइस राशि के लोगों को आज के दिन स्ट्रेस कम करने की जरूरत है। आज के दिन घर, ऑफिस या पारिवारिक तनाव लेने से बचना चाहिए। इससे सेहत अच्छी रहेगी।मीनआज अगर आप अपनी मेंटल हेल्थ पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। अगर आप इसके प्रति लापरवाही करते हैं तो आपको नकारात्मक रिजल्ट मिल सकते हैं। - सावन के पवित्र महीने की शुरुआत हो चुकी है। शिवजी के इस प्रिय महीने में उन्हें मनाने के लिए सभी भक्त उनकी पूजा अर्चना करते हैं। पूजा करते वक्त जिस चीज की सबसे पहले जरूरत पड़ती है वो है बाती। बिना बाती के तो पूजा शुरू ही नहीं हो सकती। कई लोग बाजार से रेडीमेड घी की बाती खरीद कर लाते हैं। इन्हें दिए में लगाकर आसानी से प्रज्वलित किया जा सकता है। लेकिन ये अक्सर मोमबत्ती और मिलावटी घी से बनाई जाती हैं। आज हम आपको घर पर ही दीया बाती बनाने का तरीका बताने वाले हैं। ये आम दीया बाती से बिल्कुल अलग हैं। इन्हें जलाने से आपके घर में कपूर की खुशबु फैल जाएगी जिससे माहौल में पॉजिटिविटी बनी रहेगी।चाहिए होंगी ये चीजेंदेसी घी से तैयार स्पेशल दीया बाती को बनाने के लिए आपको बहुत ही कम चीजों की जरूरत पड़ेगी। इसे बनाना भी बेहद आसान है। इसके लिए बस आपको लगभग 1 कटोरी देसी घी, 6 से 7 कपूर के टुकड़े और लगभग 30 रूई की बातियों की जरूरत होगी। आप अपने हिसाब से इनकी क्वांटिटी को कम या ज्यादा कर सकते हैं।बेहद आसान है बनाने का तरीकाहोममेड दीया बाती बनाने के लिए सबसे पहले एक पैन में देसी घी को रखकर गर्म कर लें। इसके बाद इसे थोड़ी देर हल्का सा ठंडा होने के लिए छोड़ दें। अब कपूर के टुकड़ों को पीसकर एक फाइन यानी बारीक पाउडर तैयार कर लें। पिसे हुए कपूर के चूरे को इस देसी घी में डालकर अच्छे से मिक्स कर लें। अब बारी है बाती बनाने की। इसके लिए आपको बर्फ जमाने वाली ट्रे की जरूरत होगी। इस आइस क्यूब ट्रे के हर खांचे में रूई की गोल-गोल बाती बनाकर रखते जाएं। अब इनमें देसी घी वाले मिक्सचर को धीरे-धीरे डाल दें। ध्यान रहे कि बाती का सिरा ऊपर की तरफ उठा हो। अब इन्हें लगभग आधे घंटे के लिए फ्रिज में छोड़ दें। ये जमने के बाद सख्त हो जाएंगी।ऐसे करें इस्तेमालफ्रिज में जमने के बाद बाती सख्त हो जाएंगी। अब आप जब चाहे इन्हें इस्तेमाल कर सकते हैं। सुबह शाम जब भी भगवान शिव की पूजा करें इनमें से एक बाती को दीए में लगाकर प्रज्वलित करें। इसके जलते ही पूरे घर का वातावरण कपूर की भीनी-भीनी महक से भर जाएगा। इससे घर की सारी नेगेटिव एनर्जी दूर हो जाएगा और घर में शांत और पॉजिटिव माहौल तैयार होगा।