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- पं. प्रकाश उपाध्याय
हस्तरेखा शस्त्र के अनुसार, व्यक्ति की हथेली की रेखाओं से प्रेम, व्यापार, भाग्य, धन और सेहत का पता लगाया जा सकता है। हाथों की रेखाओं से कई शुभ योगों का निर्माण भी होता है। हाथों में योग बनना लाभकारी माना जाता है। योगों का शुभ प्रभाव जीवन की मुश्किलों को कम कर देता है। कुछ शुभ योग भाग्यशाली किस्मत की ओर इशारा भी करते हैं। आइए जानते हैं रेखाओं से बने ऐसे ही कुछ शुभ योगों के बारे में-
शंख योग
जब हथेली में अंगूठे का भाग यानी शुक्र पर्वत अच्छा होता है और वहां से कोई रेखा निकलकर सूर्य पर्वत की ओर और दूसरी रेखा शनि पर्वत पर जाकर मिलती है, तब इससे शंख योग का निर्माण होता है। हथेली में शंख योग बनने से व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता हासिल होती है। जीवन में धन-धान्य की कमी नहीं रहती है। ऐसे लोग मुश्किल परिस्थितियों को भी अच्छे से संभालना जानते हैं।
शुभ कर्तरी योग
शुभ कर्तरी योग तब बनता है जब हथेली के बीच का हिस्सा बाकी हिस्सों के मुकाबले दबा हो और भाग्य रेखा शनि पर्वत तक जाती हो। साथ ही गुरु और सूर्य पर्वत भी अच्छी स्थिति में हो। जिन व्यक्तियों के हाथ में शुभ कर्तरी योग पाया जाता है वे आर्थिक रूप से समृद्ध रहते हैं और जीवन में खूब तरक्की भी करते हैं।
भाग्य योग
जब भाग्य रेखा गुरु पर्वत या चंद्र पर्वत से शुरू होती है और दिखने में लंबी, स्पष्ट और डार्क नजर आती है तब भाग्य योग बनता है। हथेली में भाग्य योग बनने पर व्यक्ति को सफलता हासिल करने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है। वहीं, ऐसे व्यक्ति खूब धन-दौलत भी कमाते हैं।
गजलक्ष्मी योग
हाथों की लकीरों से बना गजलक्ष्मी योग बेहद ही शुभ माना जाता है। जब मणिबंध से शुरू भाग्य रेखा शनि पर्वत तक जाती है और सूर्य रेखा गाढ़ी और स्पष्ट दिखती है तब गजलक्ष्मी योग का निर्माण होता है। जिन लोगों के हाथ में गजलक्ष्मी योग पाया जाता है, वे बेहद ही भाग्यशाली माने जाते हैं। ऐसे लोगों को व्यापार में खूब कामयाबी मिलती है और इन्हें ज्यादा आर्थिक दिक्कतें नहीं झेलनी पड़ती है। - - पं. प्रकाश उपाध्यायप्रत्येक माह की पूर्णिमा तिथि जगत के पालनकर्ता श्री हरि विष्णु भगवान और माता लक्ष्मी को समर्पित होती है। लेकिन शास्त्रों के अनुसार वैशाख पूर्णिमा सभी में श्रेष्ठ मानी गई है। वैशाख मास की पूर्णिमा को वैशाखी पूर्णिमा, पीपल पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन विशेष रूप से पीपल के पौधे और वृक्ष की पूजा जल चढ़ाकर पूजा की जाती है और परिवार के मंगल, उन्नति, विकास और समृद्धि की कामना की जाती है। भगवान बुद्ध को इसी पावन तिथि के दिन बिहार के पवित्र तीर्थ स्थान बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी।वैशाख पूर्णिमा के दिन हज़ारों श्रद्धालु पवित्र तीर्थ स्थलों में स्नान,दान कर पुण्य अर्जित करते हैं। पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्त्व माना गया है। स्कन्द पुराण के अनुसार वैशाख पूर्णिमा का महत्त्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि वैशाख मास को ब्रह्मा जी ने सब मासों में उत्तम सिद्ध किया है। अतः यह मास भगवान विष्णु को अति प्रिय है।पंचांग के अनुसार, वैशाख पूर्णिमा की तिथि की शुरुआत 22 मई को शाम 06 बजकर 47 मिनट पर होगी और वहीं, इसका समापन अगले दिन यानी 23 मई को शाम 07 बजकर 22 मिनट पर होगा। ऐसे में वैशाख पूर्णिमा व्रत 23 मई को किया जाएगा।क्या है पुष्करणी और उसकी महिमास्कन्द पुराण के अनुसार पूर्व काल में वैशाख मास की एकादशी तिथि को अमृत प्रकट हुआ, द्वादशी को भगवान विष्णु ने उसकी रक्षा की, त्रयोदशी को श्रीविष्णु ने देवताओं को सुधापान कराया तथा चतुर्दशी को देवविरोधी दैत्यों का संहार किया और वैशाख की पूर्णिमा के दिन ही समस्त देवताओं को उनका साम्राज्य प्राप्त हो गया। अतः देवताओं ने प्रसन्न होकर इन तीन तिथियों को वर दिया -'वैशाख मास की ये तीन शुभ तिथियां मनुष्य के समस्त पापों का नाश करने वाली तथा सब प्रकार के सुख प्रदान करने वाली हों'। वैशाख के शुक्ल पक्ष त्रयोदशी से लेकर पूर्णिमा तक की तिथियां 'पुष्करणी ' कही गयीं हैं,ये बड़ी पवित्र और शुभकारक हैं एवं सब पापों का क्षय करने वाली हैं।इनमें स्नान, प्रभु का ध्यान एवं दान-पुण्य करने से पूरे माह स्नान का फल मिल जाता है । महीने भर नियम निभाने में असमर्थ प्राणी यदि उक्त तीन दिन भी कामनाओं का संयम कर सके तो उतने से ही पूर्ण फल को पाकर भगवान विष्णु के धाम में आनंद का अनुभव करता है। जो मनुष्य वैशाख मास में अंतिम तीन दिन गीता का पाठ करता है,उसे प्रतिदिन अश्वमेघ यज्ञ का फल प्राप्त होता है ऐसा शास्त्रों का कथन है।जो इन तीन दिनों में विष्णुसहस्त्र नाम का पाठ करता है उसे भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है।धर्मराज की पूजावैशाख माह की पूर्णिमा के दिन मृत्यु के देवता धर्मराज के निमित्त भी व्रत रखने का विधान है। इस दिन जल से भरा हुआ कलश,छाता ,जूते,पंखा,सत्तू,पकवान आदि दान करना चाहिए । इस दिन किया गया दान गोदान के समान फल देने वाला होता है और ऐसा करने से धर्मराज प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
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- पं. प्रकाश उपाध्याय
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, हथेली की रेखाओं के अलावा शरीर के अलग-अलग अंगों पर बने तिलों का भी विशेष महत्व होता है। व्यक्ति के हाथ में कई रेखाएं होती हैं। हथेली की रेखाओं से व्यक्ति के भविष्य और स्वभाव का पता चलता है। तिल से भी व्यक्ति के भाग्य, तरक्की और स्वभाव की जानकारी मिलती है।
आइए जानते हैं शरिर में मौजूद तिल के शुभ और अशुभ फल के बारे में----
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, अनामिका अंगुली के नीचे मौजूद बुध पर्वत पर बना तिल व्यक्ति को नुकसान और कष्ट पहुंचाता है।
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, सूर्य पर्वत यानी अनामिका अंगुली के नीचे जगह पर तिल होने का अर्थ है कि सरकारी मामलों या सरकारी नौकरी में कष्ट हो सकता है।
जिन लोगों के अंगूठे पर तिल का निशान होता है। ऐसा माना जाता है कि वह न्याय का साथ देने वाले होते हैं और उन्हें वैवाहिक जीवन में कष्टों का सामना करना पड़ता है।
माना जाता है कि अनामिका अंगुली पर तिल होता है वह सरकारी क्षेत्र में उपलब्धि और मान-सम्मान प्राप्त करते हैं।
शनि पर्वत के ऊपर बना तिल व्यक्ति के मान-सम्मान और सुख संपत्ति का संकेत देता है। माना जाता है कि शनि पर्वत के ऊपर बना तिल व्यक्ति को सुखी और धनवान रहने का इशारा देता है।
जिन व्यक्तियों की सबसे छोटी अंगुली के ऊपर तिल का निशान होता है। हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, ऐसे लोग को पैतृक संपत्ति मिलने का योग रहता है।
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, हथेली पर गुरू पर्वत के ऊपर तिल का अर्थ होता है कि व्यक्ति के जीवन में धन की कमी नहीं होगी। ऐसे लोगों का जीवन सुख-सुविधाओं से भरा होता है। -
- पं. प्रकाश उपाध्याय
घर की पॉजिटिविटी बढ़ाने के लिए साफ-सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए। लेकिन अक्सर घर की अच्छे से क्लीनिंग करने के बावजूद छत और कोनों पर लगे जले को नजरअंदाज कर देते हैं। जिससे घर में वास्तुदोष उत्पन्न हो सकता है। कहा जाता है कि घर में मकड़ी का जाला ज्यादा लगने से परिवार के सदस्यों को लाइफ में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। घर में हमेशा धन की तंगी रह सकती है। कार्यों में बाधाए आ सकती हैं। परिजनों के स्वभाव में आलस्य, चिड़चिड़ापन और नेगेटिविटी बढ़ सकती है। आइए विस्तार से जानते हैं घर में मकड़ी का जाला लगे रहने से क्या प्रभाव पड़ता है?
वास्तु के नियम :
-वास्तु के अनुसार, बेडरूम में मकड़ी का जाला लगने से मानसिक तनाव बढ़ता है। पति-पत्नी के बीच हमेशा अनबन की स्थिति बनी रहती है और वैवाहिक जीवन में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
-वास्तु के मुताबिक, लंबे समय तक घर के कोनों पर मकड़ी का जाला लगने से परिवार के सदस्यों को धन से जुड़ी दिक्कतें बनी रहती है और धीरे-धीरे धन हानि होने लगता है।
-घर के मंदिर में भी मकड़ी का जाला कभी न लगने दें। भगवान की तस्वीरों की साफ-सफाई का खास ध्यान रखें। मान्यता है कि मंदिर में जाला लगना व्यक्ति के दुर्भाग्य का कारण बन सकता है।
-किचन में मकड़ी का जाला लगना भी अशुभ होता है। मान्यता है कि इससे परिवार के सदस्यों को हमेशा किसी न किसी से बीमारी का सामना करना पड़ता है। इसलिए किचन में गैस और सिंक के नीचे लगे जाले को समय-समय पर साफ करते रहें।
मकड़ी का जाला बढ़ाता है वास्तु दोष
मान्यता है कि घर में मकड़ी का जाला लगने से वास्तु दोष उत्पन्न होता है। जिसके कारण पारिवारिक जीवन में अक्सर तनाव की स्थिति बन सकती है। इससे बच्चों के स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। घर-परिवार में अशांति का माहौल रहता है। इससे जीवन में सुख-समृद्धि की कभी आती है। इसलिए घर में कोनों पर मकड़ी का जाला दिखने पर इसे तुरंत हटा दें। - -पं. प्रकाश उपाध्यायअंक ज्योतिष द्वारा अंकों के माध्यम से व्यक्ति के विषय एवं उसके भविष्य को जानने का प्रयास किया जाता है। यदि किसी व्यक्ति का जन्म 23 अप्रैल को हुआ है तो उसकी जन्म तारीख के अंकों का योग 2+3=5 आता है। यानि 5 उस व्यक्ति का मूलांक कहा जाएगा। अगर किसी की जन्मतिथि दो अंकों यानी 11 है तो उसका मूलांक 1+1= 2 होगा। अंक शास्त्र के माध्यम से जानते हैं आज यानी शुक्रवार 3 मई को आपका मूलांक, शुभ अंक और लकी रंग कौन सा है।मूलांक 1पेशेवर कार्यों में आपको अच्छी सफलता मिलने की संभावना है। काम के सिलसिले में छोटी यात्राएं संभव हैं। लेकिन सेहत के लिहाज से आज का दिन मिलाजुला रहने वाला होगा। प्रेम जीवन जीने वाले जातकों के बीच कुछ मतभेद पनप सकते हैं।शुभ अंक- 35शुभ रंग- गहरा लालमूलांक 2(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 2, 11, 20 या 29 तारीख को हुआ है तो मूलांक 2 होगा)नौकरीपेशा जातकों को लिए दिन शानदार रहेगा। ऑफिस में आपके काम की तारीफ होगी। आप कोई भी काम करें तो उसमें एकाग्रता जरूर बना कर रखें। प्रेम संबंधों में सावधानी रखें और गुस्से को काबू में रखें।शुभ अंक - 31शुभ रंग - बैंगनीमूलांक 3आज आपके करियर में उछाल देखने को मिल सकता है। आप अपने कौशल के बल पर कोई भी मुकाम हासिल करने में कामयाब रहेंगे। पार्टनर की तरफ आपका रूझान बढ़ेगा। व्यापार करने वाले जातकों अच्छा मुनाफा हासिल हो सकता है।शुभ अंक - 26शुभ रंग - लेमनमूलांक 4नौकरीपेशा जातकों को कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। अपने साथी के प्रति मन में कुछ ख्याल आ सकते हैं जिसको आपको जरूर पूरा करना होगा। आपके द्वारा बनाई गई योजनाएं कारगर साबित होंगी। शिक्षा के लिए किए जाने वाले प्रयास सफल होंगे।शुभ अंक - 15शुभ रंग - नारंगीमूलांक 5नौकरी के बेहतर अवसर आपको मिल सकते हैं। जिसमें वेतनवृद्धि और प्रमोशन के योग भी है। जीवन शैली में बदलाव आ सकता है। किसी खास व्यक्ति से आपकी मुलाकात हो सकती है। अचानक धन लाभ भी होगा जिसमें आपका किसी को दिया हुआ उधार धन वापस मिल सकता है। दिनभर सकारात्मक नजरिया बना रहेगा। पार्टनर संग रिश्ते बेहतर रहेंगे।शुभ अंक - 17शुभ रंग- पीलामूलांक 6धार्मिक कार्यों के प्रति आपका रूझान बढ़ेगा। आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होगी जिससे आप मुश्किल से मुश्किल काम बहुत ही आसानी से करने में कामयाब रहेंगे। कुछ पारिवारिक समस्याओं से जूझना पड़ सकता है जिसमें आपको तालमेल बनाकर चलना होगा। आपकी सेहत में कुछ नुकसान होने का अंदेशा है।शुभ अंक - 10शुभ रंग - गुलाबीमूलांक 7आज आपको किसी तरह की खुशखबरी सुनने को मिल सकती है। धर्म-कर्म की तरफ आपका रूझान बढ़ सकता है। दिन लाभ से भरा रह सकता है। परिवार के सदस्यों की जररूतों को ध्यान में रखते हुए आपके कुछ एक्ट्रा खर्चें हो सकते हैं।शुभ अंक - 6शुभ रंग - लालमूलांक 8पूरा दिन सकारात्मकता से भरा रहने वाला होगा। कार्यक्षेत्र में आपको मान-सम्मान और प्रतिष्ठा मिलेगी। कला कौशल के बल पर आप आज मुश्किल से मुश्किल काम को आसानी से करने में कामयाब होंगे। परिवार के सदस्यों का अच्छा साथ मिलेगा।शुभ अंक - 1शुभ रंग - नीलामूलांक 9आज का दिन आपके लिए मिलाजुला रहने वाला होगा। कार्यों में तेजी आएगी। काम के सिलसिले में यात्राएं कर सकते हैं। जीवनसाथी का अच्छा साथ मिलने से मन में चल रही किसी समस्या से छुटकारा मिल सकता है। आज आपको आवेश में आकर कोई भी काम नहीं करना है।शुभ अंक-15शुभ रंग - सफेद
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
वास्तु शास्त्र के अनुसार, हमारी दिनचर्या में कई ऐसी आदतों के बारे में बताया गया है, जो व्यक्ति के जीवन में नेगेटिविटी का कारण बन सकता है। साथ ही इन गलत आदतों से वास्तु दोष भी लगता है। इन्हीं आदतों में से एक बिस्तर पर बैठकर भोजन करना भी शामिल है। जिसकी वजह से व्यक्ति को जीवन में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।-----------------आइए जानते हैं कि वास्तु में बिस्तर पर बैठकर भोजन करना शुभ होता है या अशुभ...
बिस्तर पर भोजन करने के नुकसान :
-वास्तु के अनुसार, बिस्तर पर बैठकर खाना खाने से घर में दरिद्रता का वास होता है।
-ऐसा करने से जातक को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है।
-मान्यता है कि बिस्तर पर बैठकर भोजन करने से मां लक्ष्मी नाराज हो जाती है।
-बिस्तर पर बैठकर खाना खाने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और वास्तु दोष भी उत्पन्न होता है।
-यह भी कहा जाता है कि बिस्तर पर बैठकर भोजन करने से राहु अशुभ फल देते हैं और घर में अशांति फैली रहती है।
-ऐसा करने से मां अन्नपूर्णा नाराज हो सकती हैं। इसलिए बिस्तर पर बैठकर भोजन करें।
भोजन से जुड़े वास्तु टिप्स :
-रात में डिनर के बाद गंदे बर्तन तुरंत साफ कर देना चाहिए। मान्यता है कि किचन को गंदा रखने से मां अन्न पूर्णा रुष्ट हो सकती हैं।
-वास्तु के अनुसार, हमेशा जमीन में बैठकर पालथी मार कर आराम से भोजन करना चाहिए।
-इसके अलावा आप डाइनिंग टेबल पर भी बैठकर खाना खा सकते हैं।
-भोजन करते समय हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठना चाहिए। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
देवगुरु बृहस्पति को ज्योतिष में विशेष स्थान प्राप्त है। देवगुरु बृहस्पति की कृपा से व्यक्ति का भाग्योदय होना तय है। देवगुरु बृहस्पति को गुरु को ज्ञान, शिक्षक, संतान, बड़े भाई, शिक्षा, धार्मिक कार्य, पवित्र स्थल, धन, दान, पुण्य और वृद्धि आदि का कारक ग्रह कहा जाता है। बृहस्पति ग्रह 27 नक्षत्रों में पुनर्वसु, विशाखा, और पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र के स्वामी होते हैं। देवगुरु बृहस्पति 1 मई को राशि परिवर्तन करेंगे। इस दिन देवगुरु बृहस्पति मेष राशि से वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे। ज्योतिष गणनाओं के अनुसार देवगुरु वृषभ राशि में प्रवेश कर कुछ राशि वालों पर विशेष कृपा करेंगे तो कुछ राशि वालों को सावधान रहने की आवश्यकता होगी। आइए जानते हैं गुरु के राशि परिवर्तन करने से कैसा रहेगा सभी राशियों का हाल। पढ़ें मेष से लेकर मीन राशि तक का हाल...
वृषभ राशि-
धन- लाभ होगा, जिससे आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।
व्यवसाय में लाभ के योग बनेंगे।
भाई-बहन से मदद मिल सकती है।
साहस और पराक्रम में वृद्धि होगी।
मान- सम्मान और पद- प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।
जीवनसाथी के साथ समय व्यतीत करने का अवसर मिलेगा।
कार्यों में सफलता के योग बन रहे हैं।
भाग्य का साथ मिलेगा।
नौकरी और व्यापार के लिए समय शुभ रहेगा।
आपके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना होगी।
परिवार के सदस्यों के साथ समय व्यतीत करने का अवसर मिलेगा।
दांपत्य जीवन में सुख का अनुभव करेंगे।
परिवार से अचानक शुभ समाचार की प्राप्ति हो सकती है।
सिंह राशि-
नौकरी और व्यापार के लिए समय शुभ है।
मान- सम्मान मिलेगा।
कार्यों में सफलता मिलेगी।
दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा।
परिवार के सदस्यों के साथ समय व्यतीत करेंगे।
आपको शुभ परिणाम प्राप्त होंगे।
नौकरी की तलाश कर रहे लोगों को शुभ समाचार मिल सकता है।
प्रमोशन या आर्थिक लाभ के भी योग बनेंगे।
किसी नए काम की शुरुआत के लिए सूर्य गोचर लाभकारी रहेगा।
शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए ये समय किसी वरदान से कम नहीं है।
लेन- देन के लिए समय शुभ है।
कन्या राशि-
इस दौरान पारिवारिक रिश्तों में मधुरता बढ़ेगी।
नौकरी की तलाश कर रहे लोगों को शुभ परिणाम मिल सकता है।
आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होगी।
दांपत्य जीवन सुखद रहेगा।
धन लाभ होगा, जिससे आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।
धन से जुड़े मामलों में सफलता हासिल होगी।
समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा।
पद- प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।
निवेश से लाभ होगा। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
रसोई घर या किचन की ऊर्जा सकारात्मक होना बेहद जरूरी है। वहीं, कई बार हम जाने-अनजाने में रसोई घर में ऐसी चीज रख देते हैं, जिनसे नेगेटिव ऊर्जा का संचार होता है। किचन की नेगेटिव एनर्जी आपके भोजन को भी प्रभावित कर सकती है, जिससे स्वास्थ्य पर भी असर पड़ सकता है। इसलिए खुद को और परिवार को स्वस्थ रखने और घर में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने के लिए किचन में रखी इन चीजों को आज ही बाहर निकाल दें-
किचन में क्या नहीं रखना चाहिए?
1- कभी भी किचन में ज्यादा समय तक गुथा हुआ आटा नहीं रखना चाहिए। फ्रिज या किचन में रात भर के लिए गुथा हुआ आटा रखने से राहु और शनि के बुरा प्रभाव झेलने पड़ सकते हैं साथ ही नेगेटिव ऊर्जा भी बढ़ जाती है।
2- कुछ लोग अपने किचन को सजाने के लिए शीशे का इस्तेमाल करते हैं। वहीं, किचन में लगा कांच का शीशा नेगेटिव ऊर्जा का कारण बन सकता है। रसोई घर में आईना लगाने से घर की सुख-शांति छिन सकती है।
3- किचन में गंदगी नकारात्मक ऊर्जा का कारण बनती है। वहीं, कभी भी रात में किचन में झूठे बर्तन नहीं छोड़ने चाहिए। रातभर किचन में झूठे बर्तन रखने से मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं और आपकी आर्थिक स्थिति भी डगमगा सकती है।
4- कुछ लोगों को किचन में दवाइयां रखने की आदत होती है। घर के रसोई में दवाइयां रखने से घर के सदस्यों खासतौर पर मुखिया की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए रसोई घर में दवाइयां न रखें।
5- घर के किचन में टूटे और चटके हुए बर्तन नहीं रखने चाहिए। टूटे-फूटे बर्तनों का इस्तेमाल करने से भाग्य पर ताला लग सकता है और बनते हुए काम भी बिगड़ सकते हैं। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
सनातन धर्म में चैत्र नवरात्रि का अत्यधिक धार्मिक महत्व है। इन 9 शुभ दिन पर भक्त उपवास रखते हैं और दशमी तिथि पर पारण करते हैं। नवरात्रि एक साल में चार बार आती है, जिसमें चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि का खास महत्व है। नवरात्रि व्रत के दौरान कुछ चीजों को करने से माँ दुर्गा नाराज हो सकती हैं और आर्थिक स्थिति भी प्रभावित हो सकती है। इसलिए व्रत रखा हो या नहीं 9-17 अप्रैल तक भूलकर भी न करें ये काम-
चैत्र नवरात्रि में क्या न करें?
1. गंदगी और अंधेरा- ध्यान रखें चैत्र नवरात्रि के इन 9 दिनों तक घर में गंदगी या किसी भी कोने में अंधेरा न रहे। माना जाता है की जहां अंधेरा या गंदगी का वास होता है वहां, माता लक्ष्मी और माँ दुर्गा का आगमन नहीं होता है।
2. बाल और नाखून न काटें- चैत्र नवरात्रि के 9 दिनों तक बाल और नाखून काटने से बचें। माना जाता है की नवरात्रि के दौरान नाखून या बाल कटवाने से माँ दुर्गा नाराज हो सकती हैं।
3. काले वस्त्र- धर्मिक मान्यताओं के अनुसार, किसी भी शुभ अवसर या फिर पूजा-पाठ के दौरान काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए। इसलिए चैत्र नवरात्रि के 9 दिन काले रंग के कपड़े पहनने से बचें। दुर्गा माता की असीम कृपा पाने के लिए इस दिन लाल, गुलाबी, पीले या हरे रंग के वस्त्र धारण करना अत्यंत शुभ रहेगा।
4. मास-मदिरा- चैत्र नवरात्रि के दौरान भूलकर भी मास-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। इन दिनों तामसिक भोजन का सेवन करने से माता दुर्गा और धन की देवी माँ लक्ष्मी नराज हो सकती हैं।
5. अपमान- कोशिश करें की इन दिनों आप किसी का दिल न दुखाएं और वाद-विवाद से भी बचें। किसी का भी अपमान करने से बचें और न ही किसी का मजाक उड़ाएं। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
इस साल 9 अप्रैल से बेहद शुभ संयोग में चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है और इसका समापन 17 अप्रैल को होगा। हर साल चैत्र माह शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि का आरंभ होता है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के मां शैलपुत्री, मां ब्रह्माचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कुष्मांडा, स्कंदमाता, मां कात्यायनी, कालरात्रि, मां महागौरी और देवी सिद्धिदात्री समेत 9 स्वरूपों की पूजा-आराधना का बड़ा महत्व है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है और इसके बाद मां शैलपुत्री की पूजा-आराधना की जाती है। नवरात्रि में मां दुर्गा का आशीर्वाद पाने के लिए शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना, विधि-विधान से पूजन के साथ पूजा में कुछ विशेष चीजों को जरूर शामिल करना चाहिए। आइए जानते हैं-
चैत्र नवरात्रि का शुभ मुहूर्त : चैत्र माह के प्रतिपदा तिथि का आरंभ 8 अप्रैल को रात 11 बजकर 50 मिनट पर होगा और 9 अप्रैल को रात 8 बजकर 30 मिनट पर समाप्त होगा। इसलिए उदयाथिति के अनुसार, नवरात्रि के पहले दिन यानी 9 अप्रैल को कलश स्थापना की जाएगी।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त : इस दिन सुबह 5 बजकर 52 मिनट से लेकर 10 बजकर 4 मिनट तक पहला कलश स्थापना मुहूर्त बन रहा है। इसके बाद 11 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक घट स्थापना कर सकेंगे।
नवरात्रि की पूजन सामग्री : इसके अलावा मां दुर्गा की पूजा के लिए तस्वीर, लाल रंग का कपड़ा, फल, फूल,माला, आम का पत्ता, लौंग, सुपारी, इलायची, बंदनवार, हल्दी की गांठ, रोली, मौली, कमल गट्टा, सूखा नारियल, नैवेध, शहद, घी, शक्कर, पंचमेवा, जावित्री, गंगाजल, दूध, दही, नवग्रह पूजन के लिए रंग-बिरंगे चावल, धूप-दीप, वस्त्र और पूजा की थाली समेत सभी सामग्री एकत्रित कर लें।
मां दुर्गा की श्रृंगार सामग्री : मां दुर्गा को श्रृंगार सामग्री अर्पित करने के लिए लाल चुनरी, लाल चूड़ियां, सिंदूर, बिंदी, काजल, मेहंदी, शीशा, बिछिया, इत्र, मंगलसूत्र, लिपस्टिक, नथ, गजरा, कंघी, कान की बली समेत 16 श्रृंगार की सामग्री रख लें।
कलश स्थापना की सामग्री : कलश स्थापित करने के लिए मिट्टी का घड़ा, मिट्टी, मिट्टी का ढक्कन, नारियल, जल, गंगाजल, मिट्टी का दीपक, हल्दी-अक्षत और लाल रंग का वस्त्र चाहिए।
कलश स्थापना की विधि:
नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठें। स्नानादि के बाद साफ वस्त्र धारण करें।
इसके बाद घर के मंदिर को साफ करें। मंदिर को फूलों से सजाएं।
घट स्थापना के लिए एक मिट्टी के कलश में पानी भरकर रख दें।
कलश में सिक्का, सुपारी, आम का पत्ते जरूर डालें।
इसके बाद एक लाल कपड़ा बिछाकर उसपर चावल का ढेर बनाएं।
अब चावल के ढेर पर कलश स्थापित करें। कलश पर कलावा बांध दें।
इसके साथ ही कलश पर स्वास्तिक भी बनाएं।
फिर एक मिट्टी के बर्तन में मिट्टी और जौ मिलाएं। इसमें थोड़ा पानी छिड़कें और इसे भी स्थापित कर दें।
अब मंदिर में मां दुर्गा की प्रतिमा रखें। सभी देवी-देवताओं कआ आह्वान करें।
सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें और सभी मां दुर्गा समेत सभी देवी-देवताओं की आरती करें।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
घर में पॉजिटिव एनर्जी बनी रहती है तो धन-धान्य भी बढ़ता है। घर की नेगेटिव एनर्जी तरक्की में बाधा उत्पन्न कर सकती है। नकारात्मक ऊर्जा बढ़ने से सुख-समृद्धि पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। वहीं, वास्तु शास्त्र के अनुसार, कुछ आसान उपायों की मदद से घर की नेगेटिव एनर्जी को कम किया जा सकता है।
अपने घर की सुख-समृद्धि को बढ़ाने के लिए रोज करें ये काम-
1. घर को साफ-सुथरा रखें: घर में मौजूद गंदगी निगेटिव एनर्जी अट्रैक्ट करती है। इसलिए हमेशा अपने घर को साफ-सुथरा रखने की कोशिश करें। वहीं, फालतू समान इकट्ठा करके न रखें। कबाड़ को आज ही घर से बाहर करें।
2. दीपक जलाएं: घर के प्रवेशद्वार पर संध्या के समय रोज दीपक जलाएं, जिससे सकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश कर सके। मान्यता है संध्या के समय मुख्य द्वार पर दीपक जलाने से मां लक्ष्मी का आगमन होता है।
3. तोरण लगाएं: घर से नेगेटिव एनर्जी को दूर भागने के लिए आम के पत्तों का तोरण बनाकर मुख द्वार पर लगाएं। ध्यान रखें की तोरण में इस्तेमाल किए गए पत्ते हरे-भरे होने चाहिए न की कटे-फटे।
4. नमक: अगर आपके घर में हर रोज क्लेश का माहौल बना रहता है तो हो सकता है इसके पीछे निगेटिव एनर्जी हो। इसलिए पानी में नामक मिलाकर पोंछा लगाने से घर की नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो सकती है।
5- सूर्य को जल दें: रोजाना सूर्य को जल देने से कुंडली में सूर्य ग्रह को मजबूत बनाया जा सकता है। सूर्य ग्रह का संबंध मान-सम्मान और पद-प्रतिष्ठा से माना जाता है।
6- तुलसी पूजन: तुलसी जी को रोजाना अर्घ्य दें और सुबह-शाम इनके समक्ष घी का दीपक जलाएं। तुलसी जी मां लक्ष्मी जी का रूप मानी जाती हैं। वहीं, शुक्रवार का व्रत रखने और लक्ष्मी सूक्तम का पाठ करने से भी आर्थिक दिक्कतों से राहत मिल सकती है। - एक मंत्र - जिसका शाब्दिक अर्थ है "वह जो मन की रक्षा करता है" - संस्कृत अक्षरों की एक श्रृंखला है जो एक विशेष बुद्ध या बोधिसत्व की ऊर्जा को जागृत करती है। यह एक पवित्र ध्वनि के रूप में काम करती है जो हमारे और दूसरों के लिए आशीर्वाद लाती है, और हमारे दिमाग को अधिक दयालु और बुद्धिमान में बदलने के लिए एक उपकरण के रूप में काम करती है।प्रातः से लेकर रात्रि तक बोलने चाहिए ये 10 मंत्र......1. सुबह उठते ही अपनी दोनों हथेलियां देखकर ये मन्त्र बोलें (कर दर्शन मंत्र)कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वति।करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम् ।।2. धरती पर पैर रखने से पहले ये मंत्र बोलेंसमुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमण्डले ।विष्णुपत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्वमे ॥3. दातून (मंजन) से पहले ये मंत्र बोलेंआयुर्बलं यशो वर्च: प्रजा: पशुवसूनि च।ब्रह्म प्रज्ञां च मेधां च त्वं नो देहि वनस्पते।।4. नहाने से पहले ये मंत्र बोलेंस्नान मन्त्र गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु॥5. सूर्य को अर्ध्य देते समय ये मंत्र बोलेंॐ भास्कराय विद्महे, महातेजाय धीमहितन्नो सूर्य:प्रचोदयात6. भोजन से पहले ये मंत्र बोलेंॐ सह नाववतु, सह नौ भुनक्तु, सह वीर्यं करवावहै ।तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ॥ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥अन्नपूर्णे सदापूर्णे शंकर प्राण वल्लभे।ज्ञान वैराग्य सिद्धयर्थ भिखां देहि च पार्वति।।ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम् ।
ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्म समाधिना ।।7. भोजन के बाद ये मंत्र बोलेंअगस्त्यम कुम्भकर्णम च शनिं च बडवानलनम।भोजनं परिपाकारथ स्मरेत भीमं च पंचमं ।।
अन्नाद् भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसंभवः।यज्ञाद भवति पर्जन्यो यज्ञः कर्म समुद् भवः।।8. अध्ययन (पढाई) से पहले ये मंत्र बोलें (सरस्वती मंत्र)ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।।कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्।9. शाम को पूजा करते वक़्त ये मंत्र बोलें (गायत्री मंत्र)ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्यधीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।10. रात को सोने से पहले ये मंत्र बोलें (विशेष विष्णु शयन मंत्र)अच्युतं केशवं विष्णुं हरिं सोमं जनार्दनम्।हसं नारायणं कृष्णं जपते दु:स्वप्रशान्तये।। -
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
इस साल होली पर चंद्र ग्रहण लगा था, जो कि भारत में नहीं दिखाई दिया था इसी वजह से ग्रहण के नियमों का पालन भारत में नहीं किया गया. अब कुछ ही दिन में साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है. यह सूर्य ग्रहण नवरात्रि से पहले लगने वाला है. धार्मिक और ज्योतिष रूप से ग्रहण को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है लेकिन इसे अशुभ माना गया है. ऐसे में आइए जानते हैं साल का पहला सूर्य ग्रहण कब लगने वाला है और कहां-कहां दिखेगा.
कब लगेगा अप्रैल 2024 का सूर्य ग्रहण
साल का पहला सूर्य ग्रहण 8 और 9 अप्रैल की बीच रात को लगने वाला है. यह सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल को रात 9 बजकर 12 मिनट से शुरू होकर देर रात 2 बजकर 22 मिनट तक रहेगा. सूतक काल ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले ही शुरू हो जाता है लेकिन चंद्र ग्रहण की तरह ही यह सूर्य ग्रहण भी भारत में नहीं दिखेगा जिसके चलते ग्रहण का कोई भी नियम भारत में लागू नहीं होगा.
कहां-कहां दिखाई देगा अप्रैल का सूर्य ग्रहण?
साल 2024 का पहला सूर्य ग्रहण भारत के अलावा कनाडा, मेक्सिको, यूनाइटेड स्टेट्स, कोलंबिया, कोस्टारिका, अरूबा, बर्मुडा, करेबियन नीदरलैंड, क्यूबा, डोमिनिका, रूस, पोर्तो रिको, ग्रीनलैंड, आयरलैंड, आइसलैंड, जमाइका, नॉर्वे, पनामा, निकारगुआ, सैंट मार्टिन, स्पेन समेत दुनिया की कई जगहों पर दिखाई देने वाला है. हालांकि 8 अप्रैल 2024 को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा इसलिए इस ग्रहण का कोई भी नियम लागू नहीं होगा.
सूर्य ग्रहण का ज्योतिष से संबंध
पंचांग के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन चैत्र अमावस्या पड़ती है. इस साल 8 अप्रैल को चैत्र अमावस्या है और 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है. ज्योतिष के अनुसार ग्रहण के समय कोई भी मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है. इसके अलावा सूतक काल के दौरान भी हर शुभ काम की मनाही होती है. ऐसा कहा जाता है कि ग्रहण के दौरान राहु-केतु का प्रभाव बढ़ जाता है. इसलिए इस दौरान कोई भी मांगलिक कार्य करने से बचें.
सूर्य ग्रहण राशियों पर प्रभाव
साल के पहले सूर्य ग्रहण का असर सभी 12 राशियों पर पडे़गा. हालांकि वृषभ, मिथुन, सिंह राशि के जातकों के लिए शुभ होने वाला है तो वहीं, मेष, तुला और कुंभ राशि के लोगों को सावधानी बरतने की जरूरत है. - पंडित प्रकाश उपाध्यायकुछ रेखा प्यार और रिश्तों के बारे में भी जानकारी दे सकती हैं। आसान शब्दों में कहें तो ये निशान धनवान बनने के संकेत होते हैं। अगर आपकी हथेली पर भी 'वी' का निशान है, तो आपकी किस्मत भी एक दिन जरूर बदलेगी। आइए जानते हैं इसके बारे में सबकुछ।अक्षर वी यदि आप दाएं हाथ के हैं, तो बाएं हाथ की रेखाएं आपके व्यक्तित्व को प्रकट करेंगी, जबकि दाएं हाथ की रेखाएं उस पथ की नियति को प्रकट करेंगी जिस पर आप चल रहे हैं। यदि आप अपने दाहिने हाथ पर वी अक्षर ढूंढ रहे हैं, तो आपको इसे अपनी तर्जनी के नीचे, शीर्ष प्रमुख हृदय रेखा पर ढूंढना चाहिए। माना जाता है कि "वी" अक्षर वाले पुरुष और महिलाएं जीवन में बहुत भाग्यशाली होते हैं और उन्हें खूब सफलता मिलती है। हस्तरेखा शास्त्र में कहा गया है कि इस रेखा के होने का मतलब है कि आपकी उन्नति होने वाली है।हस्तरेखा विशेषज्ञों के अनुसार तर्जनी और मध्यमा अंगुली के मध्य "वी" का निशान होना शुभ माना जाता है। हथेली पर "वी" के निशान वाले लोग सकरात्मक सोच से भरे होते हैं। ऐसे लोग कठिन से कठिन परिस्थिति में भी नहीं घबराते। जिन लोगों के हाथ में ये निशान होता है उनकी किस्मत 35 वर्ष के बाद से बदलने लगती है। उन्हें हर काम में सफलता मिलती है। 40 वर्ष की उम्र के बाद इन जातकों के जीवन में धन की कभी कमी नहीं होती है।हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, जिन लोगों की हथेली पर "वी" का निशान होता है वे दिल से दयावान होते हैं। ये दूसरों की मदद करते हैं और ऐसे लोगों पर आंख मूंदकर कर भरोसा किया जा सकता है।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
ज्योतिष विद्या की तरह ही हस्तरेखा से भी व्यक्ति के भाग्य का आंकलन किया जाता है। हाथों पर मौजूद रेखाओं से करियर, लव लाइफ, विवाह और स्वास्थ्य जैसे कई टॉपिक्स के बारे में पता लगाया जा सकता है। हथेली पर मौजूद रेखाओं से कई योग भी बनते हैं। हथेली की रेखाओं से बने कुछ योग काफी शुभ माने जाते हैं। इन योग के निर्माण से व्यक्ति को जीवन में कामयाबी और धन लाभ के कई अवसर भी प्राप्त होते हैं। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ योगों के बारे में-
गजलक्ष्मी योग
हाथों की लकीरों से बना गजलक्ष्मी योग बेहद ही शुभ माना जाता है। जब मणिबंध से शुरू भाग्य रेखा शनि पर्वत तक जाती है और सूर्य रेखा गाढ़ी और स्पष्ट दिखती है तब गजलक्ष्मी योग का निर्माण होता है। जिन लोगों के हाथ में गजलक्ष्मी योग पाया जाता है, वे बेहद ही भाग्यशाली माने जाते हैं। ऐसे लोगों को व्यापार में खूब कामयाबी मिलती है और इन्हें ज्यादा आर्थिक दिक्कतें नहीं झेलनी पड़ती है।
भाग्य योग
जब भाग्य रेखा गुरु पर्वत या चंद्र पर्वत से शुरू होती है और दिखने में लंबी, स्पष्ट और डार्क नजर आती है तब भाग्य योग बनता है। हथेली में भाग्य योग बनने पर व्यक्ति को सफलता हासिल करने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है। वहीं, ऐसे व्यक्ति खूब धन-दौलत भी कमाते हैं।
शुभ कर्तरी योग
शुभ कर्तरी योग तब बनता है जब हथेली के बीच का हिस्सा बाकी हिस्सों के मुकाबले दबा हो और भाग्य रेखा शनि पर्वत तक जाती हो। साथ ही गुरु और सूर्य पर्वत भी अच्छी स्थिति में हो। जिन व्यक्तियों के हाथ में शुभ कर्तरी योग पाया जाता है वे आर्थिक रूप से समृद्ध रहते हैं और जीवन में खूब तरक्की भी करते हैं। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
हिंदू धर्म में पूजा-पाठ के दौरान स्वास्तिक का चिन्ह बनाना बेहद शुभ माना गया है। मान्यता है कि इससे घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। स्वास्तिक को प्रथम पूजनीय देवता श्री गणेश का प्रतीक माना जाता है। इसलिए सभी मांगलिक कार्यों के शुभारंभ में स्वास्तिक बनाया जाता है। स्वास्तिक की आठ भुजाएं होती हैं। जिसे पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु, आकाश का प्रतीक माना गया है। साथ ही मुख्य चार भुजाएं, चार वेदों, चार दिशाओं और चार पुरुषार्थ(धर्म,अर्थ, काम और मोक्ष ) का प्रतीक मानी गई हैं। वास्तु के अनुसार, घर में सकारात्मक ऊर्जा के संचार के लिए स्वास्तिक बनाते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए।
आइए जानते हैं स्वास्तिक से जुड़े वास्तु टिप्स...
00 घर या ऑफिस में पूर्व, उत्तर-पूर्व और उत्तर दिशा में स्वास्तिक बनाना चाहिए।
00 घर में अष्टधातु या तांबे का स्वास्तिक लगाना भी मंगलकारी माना गया है।
00 बच्चों के स्टडी रूम में दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्वास्तिक लगा सकते हैं।
00 घर में स्वास्तिक बनाने के लिए हमेशा सिंदूर का इस्तेमाल करें।
00 वास्तु के अनुसार, स्वास्तिक के आसपास जूत-चप्पल नहीं उतारना चाहिए।
00 वास्तु दोषों से मुक्ति पाने के लिए नौ उंगली लंबा और चौड़ा स्वास्तिक बनाना चाहिए।
00 घर में सकारात्मक ऊर्जा के संचार के लिए मुख्यद्वार पर स्वास्तिक बना सकते हैं।
00 मान्यता है कि तिजोरी पर सिंदूर से स्वास्तिक बनाने से धन-संपत्ति में वृद्धि हो सकती है।
00 कहा जाता है कि घर के आंगन के बीच में स्वास्तिक बनाने से नेगेटिविटी दूर होती है।
00 घर के सामने कोई पेड़ या खंभा नजर आए तो मुख्यद्वार पर स्वास्तिक बनाना शुभ होता है। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
कई लोगों के हाथों पर तिल पाए जाते हैं। हथेली पर कुछ जगह पर तिल का पाया जाना बेहद शुभ माना जाता है। वहीं, हथेली पर मौजूद कुछ तिल अशुभ भी माने जाते हैं। हस्तरेखा विद्या की मदद से हथेली पर मौजूद रेखाओं, तिल और योगों से भविष्य का पता लगाया जा सकता है। इसलिए आइए जानते हैं हथेली पर पाए जाने वाले कौन से तिल शुभ होते हैं और कौन से अशुभ माने जाते हैं-
हथेली पर मौजूद शुभ तिल
1- हस्तरेखा विद्या के अनुसार, जिस व्यक्ति के शनि पर्वत के ऊपर तिल पाया जाता है वह खूब मान-सम्मान और सुख-संपत्ति बटोरता है। शनि पर्वत पर तिल व्यक्ति के सुखी जीवन को दर्शाता है।
2- भाग्यशाली लोगों के गुरू पर्वत के ऊपर तिल पाया जाता है। जिस व्यक्ति के गुरु पर्वत पर तिल होता है, उसे जीवन में धन की कमी नहीं होगी। ऐसे लोगों का जीवन सुख-सुविधाओं से भरा रहता है।
3- अनामिका अंगुली पर तिल का निशान व्यक्ति को सरकारी क्षेत्र में उपलब्धि और मान-सम्मान दिलाता है।
4- हस्तरेखा विद्या के अनुसार, जिन लोगों के अंगूठे पर तिल का निशान होता है, उन्हें वैवाहिक जीवन में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। माना जाता है कि ऐसे लोग रूल्स को फॉलो करते हैं और न्याय का साथ देने वाले होते हैं।
5- हस्तरेखा विद्या के अनुसार, जिन व्यक्तियों की सबसे छोटी अंगुली के ऊपर तिल का निशान होता है। ऐसे लोग को पैतृक संपत्ति मिलने की संभावना रहती है।
हथेली पर मौजूद अशुभ तिल
1- सबसे चोटी अंगुली के नीचे मौजूद बुध पर्वत पर तिल का निशान शुभ नहीं माना जाता है। ऐसे व्यक्ति के मान-सम्मान में कमी आती है।
2- नामिका अंगुली के नीचे सूर्य पर्वत पाया जाता है। इस जगह पर तिल होने का अर्थ है कि सरकारी नौकरी मिलने में या सरकारी मामलों में मुश्किलें आ सकती है। -
ज्योतिषशास्त्र की तरह अंक ज्योतिष से भी जातक के भविष्य, स्वभाव और व्यक्तित्व का पता लगता है। जिस तरह हर नाम के अनुसार राशि होती है उसी तरह हर नंबर के अनुसार अंक ज्योतिष में नंबर होते हैं। अंकशास्त्र के अनुसार अपने नंबर निकालने के लिए आप अपनी जन्म तिथि, महीने और वर्ष को इकाई अंक तक जोड़ें और तब जो संख्या आएगी, वही आपका भाग्यांक होगा। उदाहरण के तौर पर महीने के 8, 17 और 26 तारीख को जन्मे लोगों का मूलांक 8 होगा।
आइए जानते हैं कैसा रहेगा यह सप्ताह-
मूलांक 1 : मार्च माह का यह आखिरी सप्ताह मूलांक 1 वालों के लिए मंगलकारी साबित होगा। नौकरी-कारोबार में तरक्की के नए अवसर मिलेंगे। ऑफिस में अपने परफॉर्मेंस पर फोकस करें। सफलता प्राप्त करने के लिए खूब मेहनत करें। इस वीक फैमिली के सपोर्ट से सभी कार्यों में बड़ी कामयाबी मिलेगी। रिश्तों में प्यार और विश्वास बढ़ेगा। रोमांटिक लाइफ अच्छी रहेगी। आर्थिक मामलों में यह सप्ताह बेहद शुभ रहने वाला है। आय में वृद्धि के योग बनेंगे।
मूलांक 2 : मूलांक 2 वालों के लिए यह सप्ताह तरक्की के कई अवसर लाएगा। नौकरी-व्यापार में परिस्थितियां धीरे-धीरे अनुकूल होंगी। हर क्षेत्र में मनचाही सफलता मिलेगी। धन आगमन के नए मार्ग बनेंगे। कई सोर्स से रुपए-पैसे आएंगे। कर्ज से मुक्ति मिलेगी। वैवाहिक जीवन की दिक्कतों को सुलझाने की कोशिश करें। सप्ताह के अंत तक, रिश्तों की कड़वाहट दूर होगी और साथी संग रिश्ता मजबूत होगा। जीवन में सुख-शांति बरकरार रहेगी।
मूलांक 3 : इस वीक मूलांक 3 के जातक आर्थिक मामलों में भाग्यशाली बने रहेंगे। पुराने निवेशों से धन लाभ होगा। आय के नए स्त्रोत बनेंगे। पारिवारिक जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी। जीवनसाथी संग रिश्ता मजबूत होगा। प्रेम-संबंधों में मधुरता आएगी। आज ऑफिस में धैर्य बनाए रखें। अपने सपने को साकार करने के लिए निरंतर प्रयास करते रहें। क्रोध से बचें। जल्दबाजी में कोई फैसला न लें। दोस्तों से चल रहे विवादों को सुलझाने की कोशिश करें।
मूलांक 4 : मार्च माह का यह आखिरी सप्ताह मूलांक 4 वालों के लिए बेहद शुभ साबित होगी। लंबे समय से रुके हुए कार्यों में बड़ी सफलता मिलेगी। सभी जरूरी कार्य बिना किसी विघ्न-बाधा के संपन्न होंगे। आर्थिक स्थिति में धीरे-धीरे सुधार आएगा। रोमांटिक लाइफ अच्छी रहेगी। रिश्तों में मिठास बढ़ेगी । कुछ जातक इस वीक परिजनों से प्रेमी की मुलाकात करा सकते हैं। यह सप्ताह पारिवारिक जीवन में सुख-समृद्दि और खुशहाली लेकर आएगा।
मूलांक 5 : इस सप्ताह मूलांक 5 वालों के जीवन में खुशियों का माहौल होगा। घर में शादी-विवाह के कार्यक्रमों का आयोजन हो सकता है। धन लाभ के नए अवसर मिलेंगे। आय में वृद्धि के नए स्त्रोत बनेंगे। पुराने निवेशों से अच्छा रिटर्न मिलेगा। हालांकि, प्रोफेशनल लाइप में ऑफिस पॉलिटिक्स के चलते थोड़ी डिस्टर्बेंस रहेगी। कार्यों में मन नहीं लगेगा। इस दौरान पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में संतुलन बनाए रखें। क्रोध के अतिरेक से बचें। धैर्य बनाए रखें। सप्ताह के अंत तक सबकुछ बढ़िया हो जाएगा।
मूलांक 6 : इस सप्ताह मूलांक 6 वालों के जीवन में कई उतार-चढ़ाव आएंगे। ऑफिस में कार्यों की चुनौतियां बढ़ेंगी। साथ ही नए प्रोजेक्ट पर काम करने का अवसर मिलेगा। आर्थिक मामलों में इस वीक भाग्यशाली बने रहेंगे। पुराने निवेशों से खूब धन लाभ होगा। पारिवारिक जीवन में शुभ समाचार की प्राप्ति होगी। यह सप्ताह फ्यूचर से जुड़े बड़े फैसले लेने के लिए लाभकारी साबित होगा।
मूलांक 7 : इस वीक मूलांक 7 वालों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी। अचानक से धन लाभ के योग बनेंगे। वैवाहिक जीवन में खुशियां आएंगी। लव लाइफ अच्छी रहेगी। इस सप्ताह फैमिली इश्यूज को सुलझाने की कोशिश करें। अगर आप चाहते हैं, तो नए प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी ले सकते हैं। सभी जरूरी कार्य बिना किसी टेंशन के आसानी से सफल होंगे। आने वाले दिनों में नए परिवर्तनों को स्वीकार करने के लिए तैयार रहें।
मूलांक 8 : यह सप्ताह मूलांक 8 वालों के लिए शुभ फलदायी साबित होगा। वैवाहिक जीवन की दिक्कतें दूर होंगी। विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता हासिल होगी। आने वाले दिनों में खर्चों पर बहुत कंट्रोल रखना होगा, वरना आपका बजट बिगड़ सकता है। सप्ताह के अंत तक शुभ समाचार की प्राप्ति होगी। पारिवारिक जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आएगी।
मूलांक 9 : मूलांक 9 वालों के जीवन में यह सप्ताह कई बड़े बदलाव लाएगा। आर्थिक स्थिति में धीरे-धीरे सुधार होगा। पुराने निवेशों से धन लाभ होगा। पारिवारिक जीवन में सुख-शांति और खुशहाली बरकरार रहेगी। सरकारी नौकरी की तैयारियों कर रहे विद्यार्थियों को ज्यादा मेहनत करनी होगी। कार्यस्थल पर अचानक से चुनौतियां बढ़ सकती हैं। इस वीक के अंत तक परिजनों के साथ धार्मिक कार्यों में शामिल होंगे। जिससे मन प्रसन्न रहेगा। - ब्रह्मांड में कई भौगोलिक घटनाएं होती रहती हैं, जिसमें सूर्य और चंद्र ग्रहण प्रमुख घटनाओं में से एक हैं। बीते वर्ष भी हमें चंद्र ग्रहण देखने को मिला था। वहीं, इस बार भी चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। इस कड़ी में साल का पहला चंद्र ग्रहण 25 मार्च को लगेगा। ग्रहण के दौरान हमें सूतक काल जैसी अवधि भी देखने को मिलती है।2024 में कब लगेगा चंद्र ग्रहण ?अब सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि साल 2024 का पहला चंद्रग्रहण किस दिन लगने वाला है, तो आपको बता दें कि यह होली के दिन यानि कि 25 मार्च को लगेगा, जिस दिन रंग खेला जाएगा। यह एक उपच्छाया ग्रहण होगा।क्या होता है उपच्छाया ग्रहणअब सवाल है कि आखिर उपच्छाया ग्रहण क्या होता है, तो आपको बता दें कि पूर्ण उपच्छाया चंद्र ग्रहण वह होता है, जिसमें चंद्रमा उपच्छाया के संपर्क में आए बिना, पृथ्वी के उपच्छाया शंकु में पूरी तरह डूब जाता है। इसे हम उपच्छाया चंद्रग्रहण कहते हैं, जो कि 25 मार्च को लगने वाला है।क्या भारत में दिखेगा चंद्र ग्रहण ?चंद्रग्रहण एक बड़ी खगोलीय घटना है। ऐसे में अब आपके मन में यह सवाल भी होगा कि क्या हम इस बार चंद्र ग्रहण को देख सकते हैं। 25 मार्च को होने वाला उपच्छाया चंद्र ग्रहण एक बहुत ही हल्का चंद्र ग्रहण होगा, जिसमें चंद्रमा पृथ्वी की छाया के सबसे बाहरी किनारे से होकर गुजरता है। यह यूरोप, उत्तर और पूर्वी एशिया, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, आर्कटिक और अंटार्कटिका के अधिकांश हिस्सों से दिखाई देगा। ऐसे में भारत में इस चंद्र ग्रहण को नहीं देखा जा सकेगा।चंद्र ग्रहण 2024 तिथि25 मार्च 2024पेनुम्ब्रा से पहला संपर्कसुबह 10:24 बजेचंद्र ग्रहण की अधिकतम सीमा12:43पेनुम्ब्रा के साथ अंतिम संपर्क03:01 अपराह्नउपच्छाया चरण की अवधि04 घंटे 36 मिनट 56 सेकंडउपछाया चंद्र ग्रहण का परिमाण0.952024 में लगने वाले कुल ग्रहणसाल 2024 में कुल 5 ग्रहण लगने वाले हैं। इन पांच ग्रहणों में से 2 सूर्य ग्रहण और 3 चंद्र ग्रहण शामिल हैं।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
हाथों की रेखाओं में भी कई राज छुपे होते हैं। हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, हथेली पर मौजूद रेखाओं से प्रेम जीवन, करियर, सेहत, और शादी के बारे में भी पता लगाया जा सकता है। हथेली की कुछ रेखाएं बेहद शुभ मानी जाती हैं, जो मजबूत आर्थिक स्थिति की ओर इशारा करती हैं। जिस व्यक्ति के हाथ में ऐसी रेखाएं होती हैं, उस पर माँ लक्ष्मी की कृपा भी बनी रहती है। ऐसे व्यक्ति को पैसे कमाने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है।
1- अंगूठे पर मछली, वीणा या सरोवर का निशान होना शुभ माना जाता है, ऐसे व्यक्ति को खूब यश प्राप्त होता है। ऐसे चिह्न वाले व्यक्ति बड़े बिजनेसमैन बनते हैं और इनके पास समृद्धि टिकती है। ऐसे निशान बहुत ही बारीकी से देखे जाने पर मिलते हैं।
2- अनामिका उंगली के नीचे पुण्य रेखा और मणिबंध से शनि रेखा मध्यमा उंगली तक जाने पर राजसुख की प्राप्ति होती है। जिस व्यक्ति के हाथ में ऐसी रेखा होती है उसके ऊपर शनिदेव की भी असीम कृपा बनी रहती है। शनि शुभ हो तो जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
3- जिस व्यक्ति की हथेली के एकदम बीच वाले हिस्से पर कोई बाण, तोरण, रथ, ध्वजा या चक्र का निशान दिखता है, वह जीवन में खूब तरक्की करते हैं। ऐसे लोगों को जीवन में राजसुख मिलता है। ऐसे लोगों को धन-दौलत की कमी नई रहती है। - हिंदू धर्म में फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का बड़ा महत्व है। पंचांग के अनुसार, इस साल 20 मार्च को रंगभरी एकादशी मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है। काशी में बड़े धूमधाम से रंगभरी एकादशी मनाई जाती है। इस दिन बाबा विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार किया जाता है। हर साल काशी में रंगभरी एकादशी के दिन से होली की शुरुआत होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भोलेनाथ संग विवाह होने के बाद पहली बार काशी आई थी। इसी खुशी में बाबा विश्वनाथ को रंगभरी एकादशी के दिन दूल्हे की तरह सजाया जाता है।रंगभरी एकादशी के दिन काशी में शिव-पार्वती और शिवगण की झांकी निकाली जाती है। इस दिन से ही काशी में होली के पर्व का आरंभ होता है और शिव भक्त बड़े हर्षोल्लास के साथ रंगभरी एकादशी मनाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव जब पहली बार मां पार्वती को काशी लेकर आए थे। भोलेनाथ के भक्तों ने अबीर, गुलाल और रंगे बिरंगे फूलों से माता पार्वती का स्वागत किया था। इसलिए हर साल काशी में रंगभरी एकादशी के दिन होली मनाने की परंपरा चली आ रही है।रंगभरी एकादशी का महत्व : काशी में रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ का दूल्हे के रूप में श्रृंगार किया जाता है और बड़े धूमधाम से शिवजी का मां पार्वती के साथ गौना कराया जाता है।इसके बाद ही माता पार्वती पहली बार अपने ससुराल के लिए प्रस्थान करती है और काशी में होली की शुरुआत होती है।रंगभरी एकादशी कैसे मनाई जाती है?रंगभरी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें। स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें। इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करें। इसके बाद मां गौरी और शिवजी की विधिवत पूजा करें। उन्हें गुलाल, अबीर, फूल, अक्षत, इत्र, बेलपत्र अर्पित करें। इसके बादा माता पार्वती को श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें। अंत में सभी देवी-देवताओं के साथ उनकी आरती उतारें।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
धीरे-धीरे मौसम में होली का खुमार दिखने लगा है। बाजार पर भी होली का खुमार धीरे-धीरे आने लगा है।लेकिन होली से आठ दिन पहले लगने वाले होलाष्टक इस बार 17 मार्च से लगेंगे। होलाष्टक में किसी तरह के मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। साथ ही 14 मार्च से सूर्य देव के मीन राशी में प्रवेश करने से खरमास भी शुरु हो गया है। ऐसे में एक माह तक विवाह,गृह प्रवेश आदि मांगलिक कार्यों पर रोक रहेगी। होलाष्टक 25 मार्च को समाप्त होंग। जबकि 13 अप्रैल को खरमास की समाप्ति होगी।
आचार्य अमित भारद्वाज ने बताया कि होली से आठ दिन पहले होलाष्टक लग जाते हैं। ऐसे में किसी तरह के मांगलिक कार्यों की मनाही होती है। इन दिनों में दान,पुण्य व पूजा का विशेष महत्व होता है। इसके साथ ही काशी पंचांग के अनुसार सूर्य देव कुंभ राशी ने निकलकर 14 मार्च की रात्री 12.24 बजे मीन राशी में प्रवेश कर चुके हैं। इसके साथ ही खरमास की भी शुरुआत हो गई है। सूर्य देव मीन राशी में 13 अप्रैल की रात्री 9.03 बजे तक रहेंगे। इसके बाद मेश राशि में प्रवेश करने पर खरसाम का समापन होगा। खरमास में शादी-विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि मांगलिक काम नहीं की मनाही होती है।
होलाष्टक में देवी देवताओं की पूजा का विशेष महत्व- पंचाग के अनुसार होलिका दहन से पहले आठ दिन पहले होलाष्टक की शुरुआत होगी। जिसका समापन 25 मार्च को होगा। फाल्गुन अष्टमी से होलिका दहन तक शुभ कार्यों की मनाही होती है। लेकिन मान्यताओं के अनुसार इन दिनों में देवी देवातओँ की अराधना से विशेष फल प्राप्त होता है।
ये काम करने श्रेयष्कर-
आचार्य अमित भारद्वाज ने बताया कि खरमास व होलाष्टक में दान, जप-तप, गुरु, गौ माता के सेवा, तीर्थ यात्रा, भगवान सूर्य की उपासना फलदायी मानी गई है। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
हिंदू धर्म में भगवान सूर्य को प्रत्यक्ष देवता के रूप में रोजाना पूजा जाता है. भगवान सूर्य की उपासना के लिए संक्रांति तिथि को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि जब सूर्य एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे संक्रांति के नाम से जाना जाता है. देश के विभिन्न हिस्सों में संक्रांति को पर्व के रूप में मनाया जाता है. आइए जानते हैं, मीन संक्रांति कब है और इसका शुभ मुहूर्त क्या महत्व है?
धार्मिक मान्यता है कि हर महीने जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं उस दिन संक्रांति मनाई जाती है. इस दिन तीर्थ स्थल पर नदी में स्नान, दान और सूर्य को अर्घ्य देना विशेष फलदायी माना गया है. पितरों की आत्मा की शांति के लिए संक्रांति पर तर्पण करने से परिवार और आने वाली पीढ़ियां खुशी से रहती हैं. प्रत्येक संक्रांति का अपना अलग महत्व है. मार्च में मीन संक्रांति मनाई जाएगी, इसी दिन से खरमास की शुरुआत होगी.
मीन संक्रांति तिथि
पंचांग के अनुसार, सूर्य देव 14 मार्च 2024, गुरुवार के दिन मीन राशि में प्रवेश करेंगे. इसी दिन पवित्र स्नान और दान-पुण्य का भी कार्य किया जाएगा. मीन संक्रांति के दिन पुण्य काल दोपहर 12:46 से शाम 6:29 तक रहेगा. वहीं महा पुण्य काल दोपहर 12:46 से दोपहर 2:46 के बीच रहेगा. मीन संक्रांति का क्षण दोपहर 12:46 पर होगा.
मीन संक्रांति योग
मीन संक्रांति के दिन फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है और इस दिन वैधृति योग का निर्माण होगा. साथ ही भरणी नक्षत्र में सूर्य देव राशि परिवर्तन करेंगे. इस दिन गुरुवार का दिन रहेगा और बव व बालव करण का भी निर्माण होगा. इस योग में पूजा करने से लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती है.
मीन संक्रांति महत्व
धार्मिक मान्यता है कि मीन संक्रांति पर गंगा स्नान करने से व्यक्ति को ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है. मीन संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की विधिवत उपासना करने से जीवन में सभी प्रकार की सफलताएं मिलती हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है. साथ ही इस दिन सूर्य देव की उपासना करने से कुंडली में उत्पन्न हो रहे ग्रह दोष भी दूर होते हैं. मीन संक्रांति के दिन सूर्य देव की उपासना करने से धन-ऐश्वर्य और आरोग्यता का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है और इस दिन दान-पुण्य को विशेष महत्व दिया गया है. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में सूर्य पूजा कर के अर्घ्य देने से शारीरिक परेशानियां दूर होती हैं और सूर्य भगवान के आशीर्वाद से सभी दोष भी दूर हो जाते हैं.
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
हिंदू धर्म में फाल्गुन अमावस्या काफी महत्वपूर्ण मानी गई है जो हर साल फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष में आती है. महाशिवरात्रि पर्व के बाद आने वाली ये अमावस्या 10 मार्च को है. इस दौरान लोग पितरों की आत्मा की शांति के लिए दान, तर्पण और श्राद्ध करते हैं, जबकि कुछ लोग इस दिन व्रत भी रहते हैं.
फाल्गुन अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का भी खास महत्व है. इसके पीछे यह मान्यता है कि फाल्गुन अमावस्या के दिन देवताओं का वास संगम के तट पर होता है. धर्म शास्त्रियों का मानना है कि फाल्हुन अमावस्या पर पितरों का तर्पण किया जाए, तो साल भर की अमावस्या के तर्पण का लाभ मिल जाता है
फाल्गुन अमावस्या पर इस बार विशेष योग भी बन रहा है. ऐसे में आप फाल्गुन अमावस्या पर कुछ उपाय करके अपने जीवन में खुशियां ला सकते हैं और पितरों को प्रसन्न भी कर सकते हैं. आइए जानते हैं कौन से हैं वो उपाय जिनको करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और आपको सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.
फाल्गुन अमावस्या के उपाय
फाल्गुन अमावस्या पर भगवान शिव की आराधना करें. नियमपूर्वक शिव सहस्त्रनाम या शिव के पंचाक्षरी मंत्र का पाठ करने से शनि के प्रकोप का भय चला जाता है और सभी बाधाएं दूर होती हैं. साथ ही इससे पितर भी प्रसन्न होते हैं.
फाल्गुन अमावस्या के दिन दान-पुण्य करने का बहुत महत्व है. इस दिन गरीब लोगों को भोजन कराना और पैसों का दान करना उत्तम होता है. ऐसी मान्यता है कि इस उपाय को करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है. इस दिन आप अपनी श्रद्धा अनुसार कपड़े, चीनी, शक्कर, अनाज आदि चीजों का भी दान कर सकते हैं.
अगर आप फाल्गुन अमावस्या पर पितरों को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो पशु-पक्षियों को दाना डालें. मान्यता है कि ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति के जीवन की परेशानियां दूर होती हैं.
अगर आप पितृ दोष का सामना कर रहे हैं, तो फाल्गुन अमावस्या के दिन निम्न मंत्र का जाप करें. ऐसा माना जाता है कि इस उपाय को करने से पितृ दोष से छुटकारा मिलता है और पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं.
फाल्गुन अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान, जप-तप और दान करने का विधान है, इसलिए इस दिन पवित्र नदी में स्नान करें और और विशेष चीजों का दान करें. इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें. इस दिन पितरों की मोक्ष प्राप्ति की प्रार्थना करें.
फाल्गुन अमावस्या के दिन पीपल का पेड़ लगाएं और उस पेड़ की सेवा जरूर करें. ऐसा करने से पितर संतुष्ट होते हैं और पितरों के कष्ट कम होते हैं और उनकी नाराजगी दूर होती है.
इस अमावस्या के दिन संपूर्ण गीता पढ़ना संभव नहीं, तो सातवें अध्याय का पाठ जरूर करें. इस दिन पीपल के पेड़ पर मीठा जल अर्पित करें और सरसों के तेल का दीपक जलाएं. ऐसा करने से पितरों द्वारा मिलने वाला कष्ट दूर होता है.
फाल्गुन अमावस्या पर क्या न करें?
फाल्गुन अमावस्या पर रात में सुनसान जगह जाने से बचें. ऐसे स्थानों पर नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव अधिक बढ़ जाता है.
फाल्गुन अमावस्या के दिन किसी दूसरे के घर का खाना खाने से बचना चाहिए. इससे पुण्य फल समाप्त हो सकता है.
फाल्गुन अमावस्या के दिन गुस्सा करने से बचना चाहिए. इस दिन लड़ाई-झगड़ा करने से भी बचें.
फाल्गुन अमावस्या पर नए कपड़े, झाड़ू आदि खरीदने से बचें. इस दिन कोई भी शुभ काम करने से बचना चाहिए.
फाल्गुन अमावस्या के दिन नाखून नहीं काटने चाहिए. ऐसा करने से धन हानि हो सकता है.
फाल्गुन अमावस्या के दिन पैसों का लेन-देन करने से बचें. इससे आर्थिक परेशानियां बढ़ सकती हैं. -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
हिंदू धर्म में वास्तु का बड़ा महत्व है। मान्यता है कि वास्तु के नियमों का पालन करने से जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। इससे करियर, लव, फाइनेंस और हेल्थ से जुड़ी सभी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। साथ ही परिवार के सभी सदस्यों को जीवन के हर क्षेत्र में अपार सफलता मिलती है और कभी भी धन की तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है। वास्तु के अनुसार, घर के बाहर लगी नेम प्लेट का भी घर के सदस्यों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। गलत तरीके से नेम प्लेट लगाने पर जीवन में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं घर के बाहर नेम प्लेट लगाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
नेम प्लेट से जुड़े वास्तु टिप्स :
-नेम प्लेट को की साफ-सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए।
-वास्तु में आयताकार की नेमप्लेट शुभ मानी गई है।
-नेम प्लेट को मुख्यद्वार के दाएं तरफ लगाना चाहिए।
-नेम प्लेट पर लिखे हुए शब्द स्पष्ट से रुप से नजर आना चाहिए।
-नेम प्लेट टूटा-फूटा,ढीला या उस पर छेद नहीं होना चाहिए।
-नेम प्लेट पर भगवान गणेश या स्वास्तिक का चिन्ह बनवा सकते हैं।
-नेम प्लेट अगर टूट जाए या फिर पॉलिश उतर जाएं, तो इसे तुरंत बदल देना चाहिए।
-नेम प्लेट के पीछे मकड़ी छिपकली या चिड़िया का वास नहीं होना चाहिए।
-नेम प्लेट पर व्हाइट, येलो और केसरिया से मिलते-जुलते रंगों का प्रयोग करना चाहिए।
-वास्तु के अनुसार, प्लास्टिक से बनी नेम प्लेट का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
-तांबा, स्टील या पीतल की धातु से बनी नेम प्लेट लगा सकते हैं।
-इसके अलावा लकड़ी या पत्थन से बने नेम प्लेट का भी प्रयोग कर सकते हैं।