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-पं. प्रकाश उपाध्याय
वास्तु शास्त्र में, तुलसी के पौधे का सूखना अक्सर घर में नकारात्मक ऊर्जा या संतुलन का प्रतिबिम्ब माना जाता है। भगवान श्री हरी विष्णु जी को तुलसी बहुत प्रिय है। ऐसी मान्यता है की बिना तुलसी की पत्तियों के प्रभु को भोग नहीं लगता है। वहीं, माता लक्ष्मी का रूप मानी जाती हैं तुलसी जी। इसलिए तुलसी जी हरी-भरी रहें तो घर में सुख-संपदा भी बनी रहती है। वहीं, तुलसी जी की विधिवत पूजा करनी चाहिए साथ ही कुछ नियमों का पालन भी करना जरूरी माना गया है। इसलिए श्री नारायण और माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए इस विधि से तुलसी-पूजन करें।
तुलसी पूजन-नियम
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी जी का रोजाना जलाभिषेक करना चाहिए। वहीं, रविवार और एकादशी के दिन तुलसी के पौधे में भूलकर भी जल नहीं चढ़ाना चाहिए। बिना स्नान किए तुलसी के पत्तों को स्पर्श करने से भी बचना चाहिए। ऐसी मान्यता है की तुलसी माता प्रभु नारायण के लिए एकादशी और रविवार के दिन निर्जला व्रत रखती हैं। इसलिए इन दोनों दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना निषेध माना गया है। वहीं, शास्त्रों की माने तो सूर्य के अस्त होने के बाद संध्या के समय तुलसी के पत्तों को न तो स्पर्श करना चाहिए और न ही तोड़ना चाहिए।
तुलसी पूजा-विधि
सुबह उठने के बाद स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।
इसके बाद तुलसी माता का जलाभिषेक करें।
अब इन्हें सिंदूर या चंदन लगाएं।
लाल या गुलाबी रंग के फूल चढ़ाएं।
इसके बाद तुलसी जी के पास घी का दीपक जलाएं।
तुलसी उपाय
घर परिवार में सुख समृद्धि और खुशियां लाने के लिए संध्या के वक्त भी तुलसी जी के पास घी का दीपक रखें। तुलसी स्त्रोत का पाठ करने और तुलसी मैय्या की विधिवत उपासना करने से माता लक्ष्मी और भगवन विष्णु का आशीर्वाद सदैव बना रहता है। - -पं. प्रकाश उपाध्यायजीवन में कई बार बहुत मेहनत करने के बाद भी सफलता नहीं मिलती है। किसी भी काम में भाग्य साथ नहीं देता है। व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। कई बार कुछ चीजों को शेयर करने से व्यक्ति अपना गुडलक भी दूसरों में बांट देता है और जीवन में नकारात्मकता बढ़ जाती है। अगर आप भी जीवन में खुशहाली चाहते हैं तो भूलकर भी इन चीजों को दूसरों के साथ शेयर ना करें। चलिए जानते हैं...घड़ीवास्तु शास्त्र के अनुसार, किसी को अपनी भी शेयर नहीं करना चाहिए। इससे व्यक्ति का समय खराब हो सकता है और जीवन के हर क्षेत्र में असफलताओं का सामना करना पड़ सकता है।पिलो शेयर ना करेंकिसी के साथ अपनी फेवरेट पिलो शेयर ना करें। मान्यता है कि दूसरों को अपना पिलो शेयर करने से सुख-शांति में बाधा आती है।जूते-चप्पलवास्तु के अनुसार, एक-दूसरे को जूते-चप्पल शेयर करके पहनने से जीवन पर नकारात्मक असर पड़ता है और व्यक्ति का जीवन मुसीबतों से भरा रहता है।परफ्यूमपरफ्यूम और इत्र व्यक्ति के मूड पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। यह आपके व्यक्तित्व को निखारता है। इसलिए किसी के साथ अपना परफ्यूम ना शेयर करें।ब्रेसलेटकुछ लोग नेगेटिविटी दूर करने के लिए और गुडलक के लिए हाथों में ब्रेसलेट पहनते हैं। मान्यता है कि ब्रेसलेट शेयर करने से व्यक्ति अपने जीवन की पॉजिटिविटी भी बांट देता है।अंगूठीवास्तु के मुताबिक, दूसरों को अपनी अंगूठी भी शेयर नहीं करनी चाहिए। कहा जाता है कि इससे व्यक्ति के वैवाहिक जीवन, स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ता है।कलमअपनी फेवरेट पेन को दूसरों के साथ शेयर ना करें। कहा जाता है कलम शेयर करने से व्यक्ति अपनी सफलता भी साझा करता है।
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-पंडित प्रकाश उपाध्याय
हिंदू धर्म में जीवन के हर पहलू में वास्तु का बड़ा महत्व है। वास्तु के अनुसार, जीवन में किए गए छोटे-छोटे शुभ कार्यों से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है और जातक का भाग्य चमकने लगता है। व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। साथ ही जीवन सुख-सुविधाओं और खुशहाली में व्यतीत होता है। घर में सकारात्मक ऊर्जा और धन-संपन्नता के लिए वास्तु के कुछ उपाय बहुत लाभकारी माने जाते हैं। इन उपायों से जीवन की हर एक बाधा दूर की जा सकती है। चलिए जानते हैं...
तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाएं
रोजाना तुलसी के पौधे पर जल चढ़ाने और शाम को दीपक जलाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है। धार्मिक मान्यता है कि इससे जातकों को जीवन में कभी भी धन की तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है और जीवन सुख-सुविधाओं से भरपूर रहता है।
कुबेर यंत्र स्थापित करें
घर के उत्तर-पूर्व कोने में कुबेर यंत्र स्थापित करना बेहद मंगलकारी माना जाता है। वास्तु के मुताबिक, घर में कुबेर यंत्र होने से सुख-समृ्द्धि और खुशहाली आती है। लेकिन वास्तु के इन नियमों का पालन करने के साथ धन का प्रबंधन भी समझदारी से करें।
गंगाजल छिड़के
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, घर की दरिद्रता को दूर करने के लिए रोजाना घर के उत्तर-पूर्व कोने में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से घर की सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और आर्थिक स्थित मजबूत होती है।
तिजोरी रखने की दिशा
धन-दौलत में बढ़ोत्तरी के लिए घर की अलमारी रखते समय वास्तु का खास ध्यान रखना चाहिए। घर के दक्षिण-पश्चिम दिशा में अलमारी या तिजोरी रखने से धन-संपदा में वृद्धि होती है और व्यक्ति आर्थिक रूप से सुखी और संपन्न रहता है।
इस दिशा में ना रखें फर्नीचर
घर के उत्तर-पूर्व दिशा में भारी फर्नीचर या जूते-चप्पल का रैक नहीं रखना चाहिए। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी को धन, वैभव, सुख, संपदा और भौतिक सुख-सुविधा प्रदान करने वाली देवी माना जाता है। धन प्राप्ति और जीवन में सुख-समृद्धि पाने के लिए मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जिन व्यक्तियों के ऊपर मां लक्ष्मी की कृपा हो जाती है उनके पास धन-दौलत और सुख-सुविधा की कोई भी कमी नहीं रहती है। मां लक्ष्मी की कृपा पाने और उन्हें प्रसन्न करने के लिए व्यक्ति कई तरह के या ज्योतिषीय उपाय करता है। शास्त्रों में मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपायों के बारे में बताया गया है।
कुछ आदतों को अपनाकर मां लक्ष्मी को कैसे प्रसन्न किया जा सकता है आइए जानते हैं....
सुबह उठकर प्रवेश द्वार को धोएं
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां लक्ष्मी को साफ-सफाई अत्यंत ही प्रिय होती है। ऐसी मान्यता है कि मां लक्ष्मी उन्हीं घरों में निवास करती हैं जहां पर साफ-सफाई होती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मुख्य द्वार बहुत ही साफ-सुथरा रहना चाहिए। ऐसे में हर दिन सुबह उठकर भगवान का स्मरण करते हुए घर के मुख्य द्वार को पानी से जरूर धोएं। साथ ही प्रवेश द्वार पर रंगोली और तोरणद्वार सजाएं। इससे मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न होती हैं और उस घर में सुख-समृद्धि लाती हैं।
मुख्य दरवाजे पर दीपक जरूर जलाएं
घर का मुख्य द्वार बहुत ही खास माना जाता है। ऐसे में सुबह रंगोली बनाने के साथ-साथ शाम के समय घर के मुख्य दरवाजे पर घी का दीपक जलाकर रखए दें। इस उपाय से मां लक्ष्मी बहुत जल्दी प्रसन्न होती हैं और घर सुख-सौभाग्य से भरकर रख देती हैं।
तुलसी की पूजा
मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय होती है। ऐसी मान्यता है कि जिन घरों में तुलसी के पौधे की नियमित रूप से पूजा होती है वहां पर मां लक्ष्मी का वास जरूर होता है। रोजाना सुबह तुलसी के पौधे को जल चढ़ाने और शाम के समय घी का दीपक जलाने पर घर में सुख-समृद्धि और संपन्नता आती है।
सूर्यदेव को जल चढ़ाएं
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जो लोग नियमित रूप से सूर्यदेव को जल चढ़ाते हैं उनके घर सुख-समृद्धि और वैभव बना रहता है। रोजाना सूर्यदेव को जल चढ़ाने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है।
तिलक का उपाय
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सुबह-सुबह पूजा करने के बाद माथे पर चंदन का तिलक जरूर लगाना चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार सुबह -सुबह पूजा करने के बाद माथे पर तिलक लगाने से मां लक्ष्मी जल्द प्रसन्न होती हैं। - पंडित प्रकाश उपाध्यायहिंदू धर्म में मां लक्ष्मी को धन, वैभव, सुख, संपदा और भौतिक सुख-सुविधा प्रदान करने वाली देवी माना जाता है। धन प्राप्ति और जीवन में सुख-समृद्धि पाने के लिए मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जिन व्यक्तियों के ऊपर मां लक्ष्मी की कृपा हो जाती है उनके पास धन-दौलत और सुख-सुविधा की कोई भी कमी नहीं रहती है। मां लक्ष्मी की कृपा पाने और उन्हें प्रसन्न करने के लिए व्यक्ति कई तरह के ज्योतिषीय उपाय करता है। शास्त्रों में मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपायों के बारे में बताया गया है। कुछ आदतों को अपनाकर मां लक्ष्मी को कैसे प्रसन्न किया जा सकता है आइए जानते हैं....सुबह उठकर प्रवेश द्वार को धोएंधार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां लक्ष्मी को साफ-सफाई अत्यंत ही प्रिय होती है। ऐसी मान्यता है कि मां लक्ष्मी उन्हीं घरों में निवास करती हैं जहां पर साफ-सफाई होती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मुख्य द्वार बहुत ही साफ-सुथरा रहना चाहिए। ऐसे में हर दिन सुबह उठकर भगवान का स्मरण करते हुए घर के मुख्य द्वार को पानी से जरूर धोएं। साथ ही प्रवेश द्वार पर रंगोली और तोरणद्वार सजाएं। इससे मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न होती हैं और उस घर में सुख-समृद्धि लाती हैं।मुख्य दरवाजे पर दीपक जरूर जलाएंघर का मुख्य द्वार बहुत ही खास माना जाता है। ऐसे में सुबह रंगोली बनाने के साथ-साथ शाम के समय घर के मुख्य दरवाजे पर घी का दीपक जलाकर रख दें। इस उपाय से मां लक्ष्मी बहुत जल्दी प्रसन्न होती हैं और घर सुख-सौभाग्य से भरकर रख देती हैं।तुलसी की पूजामां लक्ष्मी और भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय होती है। ऐसी मान्यता है कि जिन घरों में तुलसी के पौधे की नियमित रूप से पूजा होती है वहां पर मां लक्ष्मी का वास जरूर होता है। रोजाना सुबह तुलसी के पौधे को जल चढ़ाने और शाम के समय घी का दीपक जलाने पर घर में सुख-समृद्धि और संपन्नता आती है।सूर्यदेव को जल चढ़ाएंवैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जो लोग नियमित रूप से सूर्यदेव को जल चढ़ाते हैं उनके घर सुख-समृद्धि और वैभव बना रहता है। रोजाना सूर्यदेव को जल चढ़ाने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है।तिलक का उपायवैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सुबह-सुबह पूजा करने के बाद माथे पर चंदन का तिलक जरूर लगाना चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार सुबह -सुबह पूजा करने के बाद माथे पर तिलक लगाने से मां लक्ष्मी जल्द प्रसन्न होती हैं।
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19 सितम्बर 2023 से 28 सितम्बर 2023 तक】
(आइये जाने इस से जोड़े कुछ रोचक तथ्य और गणेश स्थापना का महूर्त)भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से लेकर अनन्त चतुर्दशी के 10 दिन तक गणेश उत्सव मनाया जाता है। मान्यता है कि विघ्नहर्ता की दिल से पूजा करने से इन्सान को सुख, शान्ति और समृद्धि प्राप्त होती है और मुसीबतों से छुटकारा मिलता है।भगवान गणेश के जन्म दिन के उत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में जाना जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन, भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। यह मान्यता है कि भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष के दौरान भगवान गणेश का जन्म हुआ था। अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार गणेश चतुर्थी का दिन अगस्त अथवा सितम्बर के महीने में आता है।गणेशोत्सव अर्थात गणेश चतुर्थी का उत्सव, 10 दिन के बाद, अनन्त चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है और यह दिन गणेश विसर्जन के नाम से जाना जाता है। अनन्त चतुर्दशी के दिन श्रद्धालु-जन बड़े ही धूम-धाम के साथ सड़क पर जुलूस निकालते हुए भगवान गणेश की प्रतिमा का सरोवर, झील, नदी इत्यादि में विसर्जन करते हैं।(गणपति स्थापना और गणपति पूजा मुहूर्त)ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल के दौरान हुआ था इसीलिए मध्याह्न के समय को गणेश पूजा के लिये ज्यादा उपयुक्त माना जाता है। हिन्दु दिन के विभाजन के अनुसार मध्याह्न काल, अंग्रेजी समय के अनुसार दोपहर के तुल्य होता है।हिन्दु समय गणना के आधार पर, सूर्योदय और सूर्यास्त के मध्य के समय को पाँच बराबर भागों में विभाजित किया जाता है। इन पाँच भागों को क्रमशः प्रातःकाल, सङ्गव, मध्याह्न, अपराह्न और सायंकाल के नाम से जाना जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन, गणेश स्थापना और गणेश पूजा, मध्याह्न के समय की जानी चाहिये। वैदिक ज्योतिष के अनुसार मध्याह्न के समय को गणेश पूजा के लिये सबसे उपयुक्त समय माना जाता है। मध्याह्न मुहूर्त में, भक्त-लोग पूरे विधि-विधान से गणेश पूजा करते हैं जिसे षोडशोपचार गणपति पूजा के नाम से जाना जाता है।(गणेश चतुर्थी पर निषिद्ध चन्द्र-दर्शन)गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्र-दर्शन वर्ज्य होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चन्द्र के दर्शन करने से मिथ्या दोष अथवा मिथ्या कलंक लगता है जिसकी वजह से दर्शनार्थी को चोरी का झूठा आरोप सहना पड़ता है।पौराणिक गाथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण पर स्यमन्तक नाम की कीमती मणि चोरी करने का झूठा आरोप लगा था। झूठे आरोप में लिप्त भगवान कृष्ण की स्थिति देख के, नारद ऋषि ने उन्हें बताया कि भगवान कृष्ण ने भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चन्द्रमा को देखा था जिसकी वजह से उन्हें मिथ्या दोष का श्राप लगा है।नारद ऋषि ने भगवान कृष्ण को आगे बतलाते हुए कहा कि भगवान गणेश ने चन्द्र देव को श्राप दिया था कि जो व्यक्ति भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दौरान चन्द्र के दर्शन करेगा वह मिथ्या दोष से अभिशापित हो जायेगा और समाज में चोरी के झूठे आरोप से कलंकित हो जायेगा। नारद ऋषि के परामर्श पर भगवान कृष्ण ने मिथ्या दोष से मुक्ति के लिये गणेश चतुर्थी के व्रत को किया और मिथ्या दोष से मुक्त हो गये।(मिथ्या दोष निवारण मन्त्र)चतुर्थी तिथि के प्रारम्भ और अन्त समय के आधार पर चन्द्र-दर्शन लगातार दो दिनों के लिये वर्जित हो सकता है। धर्मसिन्धु के नियमों के अनुसार सम्पूर्ण चतुर्थी तिथि के दौरान चन्द्र दर्शन निषेध होता है और इसी नियम के अनुसार, चतुर्थी तिथि के चन्द्रास्त के पूर्व समाप्त होने के बाद भी, चतुर्थी तिथि में उदय हुए चन्द्रमा के दर्शन चन्द्रास्त तक वर्ज्य होते हैं। अगर भूल से गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्रमा के दर्शन हो जायें तो मिथ्या दोष से बचाव के लिये निम्नलिखित मन्त्र का जाप करना चाहिये-सिंहः प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः।सुकुमारक मारोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः॥(मुहूर्त)चतुर्थी का आरम्भ भाद्रमास के शुक्ल पक्ष की तृतीया यानी 18 सितम्बर सोमवार से ही अपराह्न 12:42 से हो जाएगा और फिर चतुर्थी 19 सितम्बर की अपराह्न 13:29 तक होगा। माना जाता है कि गणेशजी का जन्म मध्याह्न में हुआ था, इसलिए गणेशजी की पूजा भी दोपहर में की जाती है। गणेश जी को बुद्धि, विवेक, धन-धान्य, रिद्धि-सिद्धि का कारक माना जाता है। गणेश चतुर्थी पर उनकी पूजा करने से शुभ लाभ की प्राप्ति होती है और समृद्धि के साथ धन वृद्धि भी होती है। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
जीवन के हर पहलू में वास्तु का बड़ा महत्व है। वास्तु के अनुसार, जीवन में किए गए छोटे-छोटे शुभ कार्यों से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है और जातक का भाग्य चमकने लगता है। व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। साथ ही जीवन सुख-सुविधाओं और खुशहाली में व्यतीत होता है। घर में सकारात्मक ऊर्जा और धन-संपन्नता के लिए वास्तु के कुछ उपाय बहुत लाभकारी माने जाते हैं। इन उपायों से जीवन की हर एक बाधा दूर की जा सकती है।
तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाएं
रोजाना तुलसी के पौधे पर जल चढ़ाने और शाम को दीपक जलाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है। धार्मिक मान्यता है कि इससे जातकों को जीवन में कभी भी धन की तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है और जीवन सुख-सुविधाओं से भरपूर रहता है।
कुबेर यंत्र स्थापित करें
घर के उत्तर-पूर्व कोने में कुबेर यंत्र स्थापित करना बेहद मंगलकारी माना जाता है। वास्तु के मुताबिक, घर में कुबेर यंत्र होने से सुख-समृ्द्धि और खुशहाली आती है। लेकिन वास्तु के इन नियमों का पालन करने के साथ धन का प्रबंधन भी समझदारी से करें।
गंगाजल छिड़के
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, घर की दरिद्रता को दूर करने के लिए रोजाना घर के उत्तर-पूर्व कोने में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से घर की सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और आर्थिक स्थित मजबूत होती है।
तिजोरी रखने की दिशा
धन-दौलत में बढ़ोत्तरी के लिए घर की अलमारी रखते समय वास्तु का खास ध्यान रखना चाहिए। घर के दक्षिण-पश्चिम दिशा में अलमारी या तिजोरी रखने से धन-संपदा में वृद्धि होती है और व्यक्ति आर्थिक रूप से सुखी और संपन्न रहता है। इस दिशा में ना रखें फर्नीचर घर के उत्तर-पूर्व दिशा में भारी फर्नीचर या जूते-चप्पल का रैक नहीं रखना चाहिए। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। -
ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, कछुए की अंगूठी पहनना बेहद ही शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है की इस अंगूठी को पहनने से आर्थिक दिक्कतों को दूर किया जा सकता है। कछुए की अंगूठी धारण करने से माता लक्ष्मी की असीम कृपा भी प्राप्त होती है। वहीं, कुछ लोग कछुए की अंगूठी को गलत तरीके और गलत उंगली में धारण कर लेते हैं, जिससे पूर्ण फल की प्राप्ति नहीं मिल पाती है। इसलिए अगर आप भी आर्थिक दिक्कतों का सामना कर रहे हैं तो कछुए की अंगूठी धारण करें। आईए जानते हैं कि कछुए की अंगूठी को धारण करते समय किन बातों का ज्ञान विशेष तौर पर रखना चाहिए।
कछुए की अंगूठी धारण करने के नियम
1- कछुए की अंगूठी को धारण करने से पहले उसकी शुद्धि जरूर करनी चाहिए। इसलिए दूध और गंगाजल में कछुए की अंगूठी को कुछ घंटों के लिए डुबोकर रखें।
2- कछुए की अंगूठी को शुद्ध करने के बाद माता लक्ष्मी को चढ़ाए। फिर माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा करने के बाद ही इसे धारण करें।
3- गुरुवार या शुक्रवार के दिन इस अंगूठी को धारण करना शुभ माना जाता है।
4- कछुए की अंगूठी को सीधे हाथ की तर्जनी (पहली उंगली) या मध्यमा (बीच की उंगली) उंगली में धारण करना चाहिए।
5- वहीं, ध्यान रखें की कछुए की अंगूठी को धारण करने के बाद कछुए का मुख आपकी ओर होना चाहिए।
6- चांदी की बनी हुई कछुए की अंगूठी धारण करना बेहद शुभ माना जाता है। इससे आपके जीवन में चल रही आर्थिक परेशानियां भी दूर हो सकती हैं।
इस दिन करें धारण?
गुरुवार के दिन इस अंगूठी को शुद्ध करने के बाद आप माता लक्ष्मी को चढ़ाएं। फिर लक्ष्मी नारायण की साथ में विधिवत पूजा करें। अगले दिन शुक्रवार को लक्ष्मी माता की पूजा करने के बाद इस अंगूठी को धारण कर लें। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
किसी व्यक्ति के भविष्य के बारे में उसकी कुंडली, राशि के साथ-साथ हस्तरेखा द्वारा भी कई बातों का पता लगाया जा सकता है। हथेली पर कई ऐसे शुभ योग बनते हैं, जो व्यक्ति को धन, सुख-सौभाग्य और समृद्धि दिलाते हैं। ऐसे ही हथेलियों पर पुष्कल योग बनना बेहद शुभ माना जाता है। जिन व्यक्तियों का हथेली पर पुष्कल योग बनता है उसे धन दौलत की कभी कमी नहीं होती है और जीवन सुख-सुविधाओं में गुजरता है।
चलिए जानते हैं पुष्कल योग के बारे में...
हथेलियों पर पुष्कल योग
जब किसी व्यक्ति की हथेली पर शनि और शुक्र पर्वत स्पष्ट रहता है और शुक्र पर्वत से भाग्य रेखा की शुरू होती है और शनि पर्वत के मध्य तक पहुंचती है, तो ऐसे व्यक्ति की हथेली पर पुष्कल योग बनता है। जिन लोगों की हथेली पर पुष्कल योग बनता है, ऐसे जातक बहुत लकी माने जाते हैं उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। ऐसे लोगों आर्थिक रूप से धन-संपन्न रहते हैं और बहुत भाग्यशाली होते हैं।
करियर में सफलता
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, जिस व्यक्ति की हथेली पर पुष्कल योग बनता है, वहां निरंतर सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ते रहते हैं। ऐसे व्यक्ति को जीवन में असफलता का सामना नहीं करना पड़ता है और करियर और कारोबार में अपार सफलता मिलती है। इनका जीवन खुशहाली में व्यतीत होता है। यह कठिन परिस्थिति में खुश रहते हैं।
उदारवादी व्यक्ति
मान्यता है कि जिन लोगों की हथेली पर पुष्कल योग बनता है, वह अपने उदारवादी, विनम्र और दयालु स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। यह अतीत को भूल कठिन मेहनत करना पसंद करते हैं और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता अर्जित करते हैं।
समाजिक प्रतिष्ठा
जिन लोगों के हाथ पर पुष्कल योग बनता है, उनकी समाज में यश और कीर्ति बढ़ती है। ऐसे व्यक्तियों का लोगों के बीच मान-सम्मान बढ़ता है और वह दुख-सुख में लोगों का साथ नहीं छोड़ते हैं। समाजिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं और ऐसे लोग अपने अच्छे स्वभाव के लिए भी जाने जाते हैं। -
अगर आपके घर में अक्सर गृह-क्लेश का माहौल रहता है। घर के सदस्यों में अपने अनबन होती रहती है। आपसी स्नेह और प्रेमभाव की कमी हो गई। परिजनों को जीवन के हर क्षेत्र में कष्टों का सामना करना पड़ता हो। सफलता की राह में बाधाएं आती हों। मन अशांत रहता हो तो वास्तु के कुछ उपाय घर की नेगेटिविटी को दूर करने में आपकी बहुत मदद कर सकते हैं। इन उपायों से घर के माहौल को सकारात्मक बनाया जा सकता है। चलिए घर की सुख-शांति के लिए वास्तु के कुछ खास उपायों के बारे मे जानते हैं।
घर का मुख्यद्वार
घर को नेगेटिविटी से दूर रखने के लिए मुख्यद्वार के साफ-सफाई का खास ध्यान रखें। मेनगेट पर कोई भी चीज फैली और बिखरी हुई ना हो। मुख्यद्वार को साफ-सुथरा रखें। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करेगी। परिजनों से तकरार समाप्त होगी।
लिविंग रूम
लिविंग रूम में फर्नीचर को इस तरह से रखें ताकि लोग आमने-सामने बैठकर बात कर सकें। घर के कोनों में फर्नीचर ना रखें। मान्यता है कि इससे घर में नेगेटिविटी बढ़ती है और परिजनों में विवाद बढ़ता है।
घर का किचन
घर का किचन दक्षिण-पूर्व दिशा में होना चाहिए। साथ ही किचन में वेंटिलेनशन का व्यवस्था होनी चाहिए। वास्तु के मुताबिक,साथ ही किचन की दिवारों का रंग हल्का होना चाहिए। इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है।
बेडरूम का वास्तु
बेडरूम में बेड को दोनों साइड पर्याप्त जगहें होनी चाहिए। वास्तु के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम दिशा में बेडरूम होने से वैवाहिक जीवन में स्थिरता आती है। साथ ही रिश्तों में प्यार और मिठास बना रहता है। पति-पत्नी के बीच अनबन कम रहती हैं।
घर की दीवारों का रंग
रंगों से व्यक्तियों का भावनात्मक जुड़ाव होता है। इसलिए घर की दीवारों को पेंट करते समय रंगों का खास ध्यान रखना चाहिए। हल्के नीला, ग्रीन या पेस्टल रंग घर की ऊर्जा को सकारात्मक बनाते हैं। घर की दीवारों का रंग ज्यादा डार्क नहीं होना चाहिए। वास्तु के अनुसार, इससे मन अशांत रह सकता है। - इस वर्ष हरतालिका तीज पर कई अद्भुत संयोग बन रहे हैं। रवि और इन्द्र योग में इस वर्ष तीज की पूजा होगी जबकि साथ ही चित्रा और स्वाती नक्षत्र का भी निर्माण हो रहा है। हरतालिका तीज इस बार 18 सिंतबर को है। इस दिन शिव जी ने देवी पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकारा था, इसलिए यह व्रत सुहागिनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। हरतालिका तीज का व्रत शंकर-पार्वती को समर्पित है। कहते हैं पति की लंबी आयु, तरक्की और परिवार की खुशहाली के लिए ये व्रत बहुत महत्वपूर्ण है। कुंवारी लड़किया भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए इस दिन व्रत रखती हैं।शुभ मुहूर्त में पूजा की तैयारी में व्रतीभाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 17 सितंबर को सुबह 11.08 मिनट से शुरू हो कर 18 सितंबर को 12.39 तक रहेगी। इस दिन प्रदोष काल पूजा के लिए पहला मुहूर्त शाम 06.23 बजे से शाम 06.47 बजे तक का है। जो महिलाएं हरितालिका तीज की पूजा सुबह की बेला में करती हैं, उनके लिए 18 सितंबर को सुबह 06.07 से सुबह 08.34 तक पूजा का शुभ मुहूर्त है। हरतालिका तीज की पूजा रात्रि के चार प्रहर में करने का विधान है। ये व्रत सूर्योदय से शुरू होकर 24 घंटे बाद अगले दिन सूर्योदय पर समाप्त होता है। इस दिन स्त्रियां निर्जला व्रत रखती हैं।ग्रहों-नक्षत्रों के शुभ संयोग होगी पुण्यप्रदाहरतालिका तीज पर इस ग्रह-नक्षत्रों का अद्भुत संयोग बन रहा है, जो अत्यंत पुण्यप्रदा होगी। इस दिन रवि और इन्द्र योग में पूजा होगी, साथ ही चित्रा और स्वाती नक्षत्र का निर्माण हो रहा है। ऐसे में व्रती को अखंड सौभाग्य का वरदान मिलेगा। इन शुभ संयोग में हरतालिका तीज के दिन फूलों से बना फुलेरा बांधा जाना और उसके नीचे मिट्टी के शंकर व पार्वती स्थापना तथा रात्रि जागरण कर शिव-पार्वती की पूजा अर्चना बेहद शुभदायी होगी। इस विधि से पूजन करने से विवाहिता को सदा सौभाग्यवती रहना का आशीर्वाद प्राप्त होगा जबकि विवाह योग्य लड़कियों को अच्छा जीवनसाथी मिलेगा।
- -पं. प्रकाश उपाध्यायवास्तु के अनुसार, घर बनवाने के लिए प्लॉट करते समय वास्तु के नियमों का जरूर पालन करना चाहिए। इन नियमों को नजरअंदाज करने पर घर की नेगेटिविटी बढ़ती है और परिजनों को जीवन में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसलिए प्लॉट खरीदते समय वास्तु दोषों से बचने के लिए कुछ खास बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। इससे घर में खुशहाली आएगी और सुख-समृद्धि में बढ़ोत्तरी होगी। चलिए जानते हैं प्लॉट खरीदते समय वास्तु के किन नियमों का पालन करना चाहिए?जमीन का आकारवास्तु के अनुसार, वर्गाकार या आयताकार जमीन पर मकान बनवाना बेहद शुभ होता है। यह घर के सदस्यों के सुख-सौभाग्य में वृद्धि करता है। वृत्ताकार आकार की भूमि पर घर बनाना शुभ नहीं होता है। व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए वृत्ताकार भूमि का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसी तरह से त्रिभुजाकार जमीन पर घर बनाने से धन हानि होता है और व्यक्तियों का जीवन बाधाओं से घिर जाता है।दिशा को ना करें अनदेखावास्तु शास्त्र के अनुसार, जमीन खरीदते समय इस बात पर ध्यान दें कि मकान का मुख्यद्वार उत्तर या पूर्व दिशा में हो। इसके अलावा ईशान कोण यानी उत्तर पूर्व दिशा की ओर बना मकान भी बेहद शुभ माना जाता है। साथ मकान का मुख्यद्वार दक्षिण दिशा में ना हो।ऐसी जगह ना लें जमीनमकान बनाने के लिए भूमि खरीदते समय इस बात का ध्यान रखें कि वहां कभी भी श्मशान ना रहा हो। साथ ही अस्पताल और पुलिस थाने के पास जमीन लेने से बचना चाहिए। ऐसा करने से घर में सुख-शांति बाधित रहती है।प्लॉट की मिट्टीवास्तु के अनुसार, लाल, भूरी और पीली मिट्टी पर मकान बनवाना शुभ होता है। इस मिट्टी में घर पर पेड़-पौधे आसानी से लग जाते हैं। वहीं रेतीली मिट्टी वाला प्लॉट खरीदने से बचना चाहिए। यह मिट्टी घर के नींव का भार उठाने में सक्षम नहीं होती है।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
ज्योतिष विद्या के अनुसार, सही रत्न धारण करने से व्यक्ति को शुभ परिणाम मिल सकते हैं। कई बार ग्रहों की उथल-पुथल के चलते जिंदगी में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। वहीं, कुछ रत्न बेहद ही प्रभावशाली होते हैं, जिनको धारण करने के बाद आर्थिक स्थितियों को भी मजबूत बनाया जा सकता है। सही रत्न धारण करने से भाग्य को चमकाने और ग्रहों की स्थिति को सुधारने में भी मदद मिलती है। इसलिए आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ विशेष रत्नों के बारे में-
सिट्रीन स्टोन-
सिट्रीन स्टोन को द लक मर्चेंट स्टोन के नाम से भी जाना जाता है। ये रत्न दिखने में पीले या सुनहरे रंग का होता है। इस रत्न की मदद से आर्थिक समस्याओं को दूर किया जा सकता है।
गार्नेट-
रत्न शास्त्र के अनुसार, कुंडली में सूर्य ग्रह की स्थिति कमजोर होने पर लाल रंग का गार्नेट धारण करना शुभ माना जाता है। वहीं, इस रत्न को रविवार के दिन अनामिका उंगली में धारण करना चाहिए।
पुखराज-
पीले रंग का पुखराज बहुत ही प्रभावशाली माना जाता है। इसे धारण करने से धन से जुड़ी दिक्कतें दूर होने लगती हैं। वहीं, पुखराज को तर्जनी उंगली में धारण किया जा सकता है।
ग्रीन जेड-
अपने निर्णय लेने की क्षमता को सुधारना चाहते हैं तो ग्रीन जेड नामक रत्न को धारण करें। इस रत्न को धारण करने से दिमाग के फोकस पावर को बढ़ाने में मदद मिलती है। यह स्टोन लक को अट्रैक्ट करता है साथ ही क्रिएटिविटी भी बढ़ाता है।
नीलम-
नीले रंग का नीलम रत्न शनि का रत्न माना जाता है। वहीं, हर किसी को नीलम रत्न धारण करने की सलाह नहीं दी जाती है। नीलम जिसे सूट कर जाए उसकी किस्मत चमक जाती है। वहीं, नीलम रत्न धारण करने से शनि देव के अशुभ प्रभाव को कम करने में भी मदद मिलती है। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
इस समय गुरु वक्री अवस्था में हैं। 23 सितंबर तक गुरु वक्री ही रहेंगे। गुरु के वक्री रहने से कुछ राशि वालों का भाग्योदय हो रहा है तो कुछ राशि वालों को सावधान रहने की आवश्यकता है। देवगुरु बृहस्पति को ज्योतिष में विशेष स्थान प्राप्त है। देवगुरु बृहस्पति को गुरु को ज्ञान, शिक्षक, संतान, बड़े भाई, शिक्षा, धार्मिक कार्य, पवित्र स्थल, धन, दान, पुण्य और वृद्धि आदि का कारक ग्रह कहा जाता है। बृहस्पति ग्रह 27 नक्षत्रों में पुनर्वसु, विशाखा, और पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र के स्वामी होते हैं। इस समय देवगुरु बृहस्पति मेष राशि में विराजमान हैं।
आइए जानते हैं 23 सितंबर तक का समय सभी राशियों के लिए कैसा रहेगा-
मेष राशि- मन प्रसन्न रहेगा। आत्मविश्वास भरपूर रहेगा। नौकरी में तरक्की के मार्ग प्रशस्त होंगे। शासन सत्ता का सहयोग मिलेगा। सेहत का ध्यान रखें।
वृष राशि- मन परेशान रहेगा। सेहत का ध्यान रखें। पढ़ने में रुचि रहेगी। शैक्षिक कार्यों में सफल होंगे। मान-सम्मान की प्राप्ति होगी। किसी मित्र का सहयोग मिलेगा।
मिथुन राशि- मन प्रसन्न रहेगा। आत्मविश्वास भी भरपूर रहेगा। पर, बातचीत में संतुलित रहें। नौकरी में परिवर्तन के योग बन रहे हैं। किसी मित्र का सहयोग मिल सकता है।
कर्क राशि- मन में उतार-चढ़ाव रहेंगे। भवन सुख में वृद्धि होगी। घर-परिवार में धार्मिक कार्य होंगे। भवन की साज-सज्जा में खर्च करेंगे। भागदौड़ बढ़ेगी।
सिंह राशि- वाणी में मधुरता रहेगी। पारिवारिक जीवन सुखमय रहेगा। पिता की सेहत का ध्यान रखें। शैक्षिक कार्यों पर ध्यान दें। व्यवधान आ सकते हैं।
कन्या राशि- मन परेशान रहेगा। आत्मसंयत रहें। क्रोध के अतिरेक से बचें। कारोबार में कठिनाई आ सकती है। खर्चों की अधिकता रहेगी। परिवार में कष्ट बढ़ सकते हैं।
तुला राशि- मन प्रसन्न रहेगा। आत्मविश्वास भरपूर रहेगा। बौद्धिक कार्यों में व्यस्तता बढ़ेगी। आय में वृद्धि होगी। नौकरी में परिवर्तन की संभावना बन रही है।
वृश्चिक राशि- मन अशांत रहेगा। पठन-पाठन में रुचि रहेगी। शैक्षिक व शोधादि कार्यों में सफलता मिलेगी। शैक्षिक कार्यों के लिए विदेश यात्रा के योग बन रहे हैं।
धनु राशि- मन प्रसन्न रहेगा। भवन सुख में वृद्धि हो सकती है। पिता से धन की प्राप्ति हो सकती है। नौकरी में कार्यक्षेत्र में कठिनाई आ सकती है। परिश्रम अधिक रहेगा।
मकर राशि- मन अशांत रहेगा। आत्मसंयत रहें। धैर्यशीलता में कमी रहेगी। माता की सेहत में कुछ सुधार होगा। पिता से धन प्राप्ति हो सकती है। खर्चों में वृद्धि होगी।
कुंभ राशि- संयत रहें। धैर्यशीलता में कमी रहेगी। परिवार का साथ मिलेगा। धार्मिक संगीत के प्रति रुझान बढ़ सकता है। संतान की सेहत का ध्यान रखें।
मीन राशि- मन परेशान हो सकता है। संयत रहें। बातचीत में संयत रहें। भाई- बहन के साथ धार्मिक स्थान पर जा सकते हैं। भागदौड़ अधिक रहेगी। सेहत का ध्यान रखें। - -पं. प्रकाश उपाध्यायज्योतिषशास्त्र में सूर्यदेव को विशेष स्थान प्राप्त है। सूर्यदेव को सभी ग्रहों का राजा कहा जाता है। इस समय सूर्यदेव सिंह राशि में विराजमान हैं। आने वाले 21 दिनों तक सूर्यदेव इसी राशि में विराजमान रहेंगे। सूर्यदेव सिंह राशि में रहकर कुछ राशि वालों पर विशेष कृपा कर रहे हैं। इन राशि वालों के लिए आने वाले 21 दिन किसी वरदान से कम नहीं कहे जा सकते हैं। आइए जानते हैं, आने वाले 21 दिनों तक किन राशियों पर रहेगी सूर्यदेव की कृपा-मेष राशि-- जीवनसाथी के साथ समय व्यतीत करेंगे।-पारिवारिक जीवन सुखमय रहेगा।- धन- लाभ होगा।- कार्यक्षेत्र में आपके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना करेंगे।मिथुन राशि-- भाई- बहन का सहयोग मिलेगा।- इस समय किस्मत का साथ मिलेगा।- नौकरी और व्यापार के लिए ये समय किसी वरदान से कम नहीं है।- मान- सम्मान और पद- प्रतिष्ठा में वृद्दि के योग बन रहे हैं।- नया मकान या वाहन खरीद सकते हैं।सिंह--परिवार के सदस्यों का सहयोग प्राप्त करेंगे।-यह समय आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं रहने वाला है।-हर तरफ से लाभ होगा।-आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।-नौकरी और व्यापार के लिए समय शुभ रहेगा।धनु राशि-- नौकरी और व्यापार में तरक्की करेंगे।-धन- लाभ होगा, जिससे आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।-लेन- देन करने के लिए समय शुभ है।- निवेश करने से लाभ होगा।-दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
ज्योतिषशास्त्र में ग्रहों की चाल बदलने को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। ग्रहों के चाल बदलने का सभी राशियों पर प्रभाव पड़ता है। कुछ राशि वालों को शुभ तो कुछ राशि वालों को अशुभ फल की प्राप्ति होती है। 23 अगस्त से बुध देव सिंह राशि में वक्री होकर चल रहे हैं। 15 सितंबर तक बुध वक्री अवस्था में ही रहेंगे। बुध देव के वक्री होने से कुछ राशि वालों को लाभ हो रहा है। इन राशि वालों के लिए 15 सितंबर तक का समय वरदान के समान कहा जा सकता है। आइए जानते हैं, 15 सितंबर तक का समय किन राशि वालों के लिए शुभ रहेगा-
मेष राशि-
कार्यों के प्रति उत्साह रहेगा, परंतु बातचीत में संतुलित रहें।
धर्म-कर्म के प्रति रूझान बढ़ेगा।
माता का सहयोग मिलेगा।
माता से धन प्राप्ती के योग हो सकते हैं
किसी मित्र का आगमन हो सकता है।
बौद्धिक कार्यों से धर्नाजन होगा, नौकरी में स्थान परिवर्तन की संभावना बन रही है।
परिवार के संग किसी धार्मिक स्थान की यात्रा पर जाना हो सकता है।
मिथुन राशि-
कारोबार के विस्तार की योजना साकार होगी।
भाइयों का सहयोग मिलेगा लेकिन परिश्रम की अधिकता रहेगी।
घर-परिवार में मांगलिक कार्य होंगे।
वस्त्रादि उपहार भी मिल सकते हैं।
नौकरी में परिवर्तन के साथ दूसरे स्थान पर भी जाना पड़ सकता है।
आयात-निर्यात कारोबार में लाभ के अवसर प्राप्त होंगे।
माता का सानिंध्य मिलेगा, वाहन सुख में वृद्धि हो सकती है।
नौकरी में अफसरों का सहयोग मिलेगा।
सिंह राशि-
आत्मविश्वास से लबरेज रहेंगे, लेकिन आत्म संयत रहें।
घर-परिवार की सुख सुविधाओं का विस्तार होगा।
कार्यक्षेत्र में परिवर्तन संभव है, परिश्रम की अधिकता रहेगी।
माता का सानिंध्य व सहयोग मिलेगा।
लाभ में वृद्धि की संभावना है।
नौकरी में अफसरों का सहयोग मिलेगा।
धनु राशि-
आत्मविश्वास से परिपूर्ण रहेंगे, अध्ययन में रूचि रहेगी।
नौकरी में परिवर्तन की संभावना बन रही है, किसी दूसरे स्थान पर जाना पड़ सकता है।
भाइयों के सहयोग से परंतु परिश्रम की अधिकता रहेगी।
धार्मिक कार्यों में शामिल होने का अवसर प्राप्त होगा।
परिवार के सदस्यों के साथ समय व्यतीत करेंगे।
दांपत्य जीवन में सुख का अनुभव करेंगे। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
हस्तरेखा से आपने कई बार हथेलियों पर मौजूद रेखाओं से अपने करियर, लव लाइफ, किस्मत से जुड़ी कई बातों को जानने का प्रयास किया होगा। लेकिन व्यक्ति के जीवन के बारे हथेलियों की रेखाओं के साथ हाथों की कलाईयां पर मौजूद रेखाएं भी कई संकेत देती हैं। किसी व्यक्ति की कलाईयों पर मौजूद रेखाओं की संख्या से जीवन में मिलने वाले सुख-सौभाग्य के बारे में अनुमान लगाया जा सकता है। चलिए जानते हैं...
ब्रेसलेट लाइन:
हाथों की कलाईयों के पास ये रेखाएं क्षैतिज रेखाओं के रूप में मौजूद होती है। आमतौर पर हाथों की कलाईयों के पास 2-3 ब्रेसलेट लाइन होती है। मान्यता है कि हाथों की कलाईयों पर मौजूद ये ब्रेसलेट लाइन जितनी लंबी होती है, उस व्यक्ति की आयु उतनी ही लंबी होती है।
ब्रेसलेट लाइन से जानें जीवन काल :
हस्तरेखा के अनुसार, हाथों की कलाईयों पर मौजूद 1 ब्रेसलेट लाइन किसी व्यक्ति की आयु 25-28 के बीच दर्शाती है, 2 रेखाएं वाले व्यक्तियों की आयु 55-6- उम्र के बीच होती है। जिन व्यक्तियों की कलाईयों पर 3 ब्रेसलेट लाइन होती है उनकी उम्र 75-80 के बीच मानी जाती है और जिन लोगों की कलाईयों पर 4 रेखाएं होती हैं उनकी उम्र 80 वर्ष से अधिक होती है।
पहली ब्रेसलेट लाइन क्या दर्शाती है?
किसी व्यक्ति की कलाईयों पर मौजूद पहली ब्रेसलेट लाइन अच्छे स्वास्थ्य का संकेत देती है। यदि आपकी पहली ब्रेसलेट लाइन टूटी हुई है तो इसका मतलब है कि चुनौतियों या परिवर्तनों का सामना करना पड़ेगा और सपनों को साकार नहीं कर सकेंगे। अगर यही रेखा धुंधली नजर आए तो इसका मतलब है कि आप जीवन में अपने ही रास्तों पर चलने में सक्षम नहीं होंगे।
दूसरी ब्रेसलेट लाइन का महत्व
व्यक्ति की दूसरी ब्रेसलेट लाइन पहली ब्रेसलेट लाइन पर निर्भर करती है। यदि आपकी पहली ब्रेसलेट लाइन गहरी है और दूसरी लाइन हल्की है तो आप अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की उम्मीद कर सकते हैं। अगर आपकी दोनों लाइन्स गहरी हैं तो आप अपार सफलता और शक्तियों की अपेक्षा कर सकते हैं। ब्रेसलेट लाइन की दूसरी रेखा गहरी होने से व्यक्ति को आर्थिक सफलता मिलती है। वही हल्की रेखाएं आर्थिक दिक्कतों को दर्शाती हैं और टूटी हुई रेखा व्यक्ति के जीवन में धन के मामलों में बड़ी समस्याओं का संकेत देती है।
तीसरी ब्रेसलेट लाइन क्या दर्शाती है?
तीसरी ब्रेसलेट लाइन किसी व्यक्ति की 55-60 वर्ष के बाद के जीवन के बारे में बताती है। यह दो ब्रेसनेट लाइन्स से काफी कमजोर और हल्की होती है। यदि तीसरी ब्रेसलेट लाइन गहरी हो, तो बुढ़ापे तक व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और टूटी हुई तीसरी रेखा स्वास्थ्य और धन से जुड़ी दिक्कतों का संकेत देती है।
चौथी ब्रेसलेट लाइन क्या देती है संकेत?
किसी व्यक्ति की कलाईयों में चौथी ब्रेसलेट लाइन बड़ी मुश्किल से ही पाई जाती है। यह किसी व्यक्ति की लंबी आयु का संकेत देती है। मान्यता है कि ऐसे व्यक्तियों से लोग अधिक प्रभावित होते हैं। यदि चौथा ब्रेसलेट लाइन किसी की गहरी और घनी होती है तो ऐसे व्यक्ति का लोगों के बीच बहुत प्रभुत्व रहता है। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
आर्थिक रूप से समृद्ध रहने के लिए आपको घर में वास्तु का विशेष ध्यान रखना चाहिए। अघर आपके घर में वास्तु के हिसाब से चीजें नहीं हैं, तो इसकी वजह से कई दिक्कतें आ सकती हैं। ऐसा माना जाता है कि घर पर सुबह के समय वास्तु के हिसाब से काम करने से पॉजिटिव एनर्जी आती हैं और इससे आपको आर्थिक लाभ भी होता है। अगर आप सुबह के समय घर पर वास्तु के हिसाब से कुछ काम नहीं करते हैं, तो इससे कई नुकसान हो सकते हैं। अगर आप अपने जीवन से नेगेटिव एनर्जी को खत्म करना चाहते हैं और आर्थिक रूप से खुद को मजबूत बनाना चाहते हैं, तो सुबह नहाने के बाद घर पर ये काम जरूर करें। ऐसा करने से आपको धन लाभ होता है और जीवन में शांति बनी रहती है।
घर पर नहाने के बाद वास्तु के हिसाब से काम करने से आपको कई फायदे मिलते हैं। अगर आप नहाने के बाद वास्तु के हिसाब से काम करते हैं, तो इससे आपके जीवन में धनलाभ होता है और पॉजिटिव एनर्जी बनी रहती है। सुबह नहाने के बाद हिंदू धर्म के लोग अपने आराध्य भगवान की पूजा जरूर करते हैं। अगर आप सुबह स्नान करने के बाद ये काम करते हैं, तो आपको धन लाभ होगा और जीवन में शांति बनी रहेगी-
सुबह स्नान करने के बाद घर में गंगाजल से छिड़काव करना बहुत शुभ माना जाता है। सुबह स्नान करने के बाद घर में गंगाजल का छिड़काव करने से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है। स्नान के बाद घर के मुख्य द्वार पर गंगाजल का छिड़काव करने से आर्थिक हानि नहीं होती है और सकारात्मक एनर्जी का प्रवाह होता है।
स्नान करने के बाद घर में हल्दी का छिड़काव करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और शांति बनी रहती है। अगर आप घर में सुख और समृद्धि चाहते हैं, तो नहाने के बाद घर के मुख्य द्वार पर हल्दी के पानी का छिड़काव करना चाहिए।
घर में सुख समृद्धि बनाए रखने के लिए सुबह स्नान करने के बाद नमक पानी का छिड़काव करना चाहिए। ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा नहीं रहती है और धन लाभ होता है। - बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायसावन मास की समाप्ति जल्द ही होने जा रही है। 30 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा के साथ ही सावन मास समाप्त हो जाएगा। यह एक बड़ा अद्भुत संयोग है कि भगवान शिव की पूजा के लिए सर्वाधिक खास माने जाने वाला सावन का अंतिम प्रदोष और सावन का आखिरी सोमवार दोनों एक ही दिन यानी कि 28 अगस्त को है। इस दिन 5 शुभ योग बन रहे हैं। इन शुभ योग में भगवान शिव की पूजा करने से आपको विशेष फल की प्राप्ति होगी और हर मनोकामना सिद्ध होगी।जो लोग अभी तक रूद्राभिषेक या फिर भगवान शिव की पूजा से जुड़ा कोई अनुष्ठान नहीं कर पाए हैं। वे आखिरी प्रदोष पर पूजापाठ करके शिव कृपा का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।सावन के अंतिम प्रदोष का शुभ मुहूर्तसावन के अंतिम प्रदोष की तिथि 28 अगस्त को शाम को 6 बजकर 48 मिनट से 29 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 47 मिनट तक है। नियमानुसार प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में ही यानी कि सूर्यास्त के बाद करने का विधान है। इसलिए अंतिम प्रदोष का व्रत 28 अगस्त को ही रखा जाएगा।सावन के अंतिम प्रदोष पर बने हैं ये शुभ योगसावन के अंतिम प्रदोष पर 5 बेहद शुभ योग बन रहे हैं। पहला आयुष्?मान योग है जो कि सूर्योदय से लेकर सुबह 9 बजकर 56 मिनट तक है। उसके बाद सौभाग्य योग सुबह 9 बजकर 56 मिनट से पूरा दिन और फिर पूरी रात तक है। इसके अलावा सर्वार्थ सिद्धि योग मध्यरात्रि 2 बजकर 43 मिनट से 29 अगस्त को सुबह 5 बजकर 57 मिनट तक है। रवि योग मध्यरात्रि 2 बजकर 43 मिनट से 29 अगस्त को सुबह 5 बजकर 57 मिनट तक है। इस दिन क्या करेंप्रदोष के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और फिर शिवलिंग पर जलाभिषेक करके व्रत करने का संकल्प लें। शाम को सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में विधि विधान से शिव परिवार की पूजा करें। दूध, दही, गंगाजल, शहद और घर से अभिषेक करें। शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग, धतूरा, अक्षत और आंकड़े का फूल अर्पित करें। इसके बाद मन ही मन अपनी मनोकामना दोहराएं और भगवान शिव से प्रार्थना करें।इस दिन आप अपनी श्रद्धा के अनुसार शिव तांडव स्त्रोत या फिर शिव अष्ट स्त्रोत का पाठ भी कर सकते हैं।अगर आप प्रदोष का व्रत करते हैं तो अगले दिन व्रत का पारण करने के बाद जरूरतमंदों को दान जरूर करें और उसके बाद ही अन्न ग्रहण करें।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
घर की डाइनिंग टेबल पर रखीं कुछ चीजें घर का वास्तु बिगाड़ सकती हैं, जिसके कई बार घर के सदस्यों को सेहत, आर्थिक स्थिति, करियर और वैवाहिक जीवन में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। चलिए एस्ट्रोलॉजर, टैरो कार्ड रीडर और न्यूमरोलॉजर मनीषा कौशिक से जानते हैं कि डाइनिंग टेबल पर क्या रखना चाहिए और क्या नहीं रखना चाहिए?
दवाएं
घर के डाइनिंग टेबल पर दवाएं नहीं रखना चाहिए। लंबे समय से डाइनिंग टेबल पर रखी दवाएं बीमार व्यक्ति के साथ घर के अन्य सदस्यों पर भी नकारात्मक प्रभाव ढालती है और व्यक्ति को बीमारियों से ग्रसित कर सकती है।
कटलरी सेट
यदि आप भी कटलरी सेट के शौकीन हैं और डाइनिंग टेबल पर कटलरी का इस्तेमाल करते हैं तो नुकील चम्मचों को हमेशा नीचे की ओर रखें।
ताजे-फलों की टोकरी
डाइनिंग टेबल पर आप ताजे फलों की टोकरी रख सकते हैं। डाइनिंग टेबल पर कभी भी आर्टिफिशियल फ्रूट की टोकरी ना रखें और फ्रेश फ्रूट्स को ही टोकरी में रखने की कोशिश करें। इससे घर में सुख-शांति बढ़ेगी। -
सुहागिन महिलाओं के लिए हरियाली तीज का यह पर्व विशेष महत्व रखता है। हरियाली तीज के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करने के लिए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। इस दिन महिलाएं श्रृंगार करती हैं और हाथों में मेहँदी लगाती हैं। ये वो समय होता है जब सावन में प्रकृति ने हरियाली की चादर ओढ़ी हुई होती है। यही वजह है कि इस त्यौहार को हरियाली तीज कहते हैं। सुहागिन महिलाओं के लिए ये व्रत बेहद महत्वपूर्ण माना गया है।
हरियाली तीज का ये खूबसूरत त्यौहार श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। ये पर्व मुख्यतः उत्तर भारत में मनाये जाने का चलन है। उत्तर प्रदेश में इस दिन को कजली तीज के रूप में मनाया जाता है। प्रकृति के इस मनोरम क्षण का आनंद लेने के लिए महिलाएं झूले झूलती हैं, लोक गीत गाकर उत्सव मनाती हैं। हरियाली तीज के अवसर पर देशभर में कई जगह मेले लगते हैं और माता पार्वती की सवारी धूमधाम से निकाली जाती है। सौंदर्य और प्रेम का यह उत्सव भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।हरियाली तीज पूजा विधिशिव पुराण के अनुसार हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था इसलिए सुहागन स्त्रियों के लिए इस व्रत की बड़ी महिमा है। इस दिन महिलाएं महादेव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं।1. इस दिन साफ-सफाई कर घर को तोरण-मंडप से सजायें। एक चौकी पर मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, भगवान गणेश, माता पार्वती और उनकी सखियों की प्रतिमा बनायें।2. मिट्टी की प्रतिमा बनाने के बाद देवताओं का आह्वान करते हुए षोडशोपचार पूजन करें।3. हरियाली तीज व्रत का पूजन रात भर चलता है। इस दौरान महिलाएं जागरण और कीर्तन भी करती हैं।हरियाली तीज पर हर महिला को तीन बुराइयों को छोड़ने का संकल्प लेना चाहिए। ये तीन बातें इस प्रकार है...1. पति से छल-कपट2. झूठ व दुर्व्यवहार करना3. परनिंदा (दूसरो की बुराई करने से बचना)हरियाली तीज परंपरा
हरियाली तीज के इस त्यौहार से जुड़ी कई खूबसूरत परंपरा भी होती है। मान्यता के अनुसार शादी के बाद पड़ने वाली हरियाली तीज का बहुत महत्व बताया गया है। इस दौरान नवविवाहित लड़कियों को ससुराल से मायके बुला लिया जाता है।01. हरियाली तीज से एक दिन पहले नवविवाहित लड़की के ससुराल की तरफ से कपड़े, गहने, साज-श्रृंगार का सामान, मेहँदी, और फल मिठाई लड़की के मायके भेजी जाती है।02. कहा जाता है कि इस दिन हाथों में मेहँदी लगाने का बहुत महत्व होता है।03. हरियाली तीज के दिन महिलाएं दुल्हन की तरह सजती हैं। हाथों में मेहँदी और पैरों में आलता इनकी खूबसूरती को कई गुना बढ़ा देता है। मेहँदी और आलता सुहागिन महिलाओं की निशानी होती है।04. पूजा इत्यादि के बाद इस दिन सुहागिनें अपनी सास के पैर छूकर उन्हें सुहागी देती हैं। अगर किसी भी सूरत में सास नहीं होती हैं तो सुहागी घर की किसी भी अन्य सम्मानित महिला को दी जाती है।05. महिलाएं इस दिन साज-श्रृंगार कर के माँ पार्वती की पूजा करती हैं।06. इस दिन एक और खूबसूरत परंपरा का पालन किया जाता है जिसमें बागों में झूले लगाए जाते हैं और महिलाएं इस पर झूलती और लोक गीत पर नाचती-गाती हैं।हरियाली तीज का पौराणिक महत्वहिंदू धर्म में हर व्रत, पर्व और त्यौहार का पौराणिक महत्व होता है। और उससे जुड़ी कोई रोचक कहानी व कथा होती है। हरियाली तीज उत्सव को भी भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। इस कड़ी तपस्या और 108वें जन्म के बाद माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया। कहा जाता है कि श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को ही भगवान शंकर ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया । तभी से ऐसी मान्यता है कि, भगवान शिव और माता पार्वती ने इस दिन को सुहागन स्त्रियों के लिए सौभाग्य का दिन होने का वरदान दिया। इसलिए हरियाली तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन और व्रत करने से विवाहित स्त्री सौभाग्यवती रहती है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
हर किसी को धन की बहुत आवश्यकता होती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, कुछ उपायों को करने से घर में धन और वैभव बढ़ता है जिससे घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। चलिए वास्तु शास्त्र के मुताबिक घर में धन लाभ के विशेष उपायों के बारे में जानते हैं।
घर की तिजोरी: अगर आपके घर में भी धन रुकता ही नहीं है तो ऐसा घर की तिजोरी को गलत दिशा में रखने के कारण भी हो सकता है। वास्तुकार घर के वेल्थ कॉर्नर पर ही पर्स, ज्वेलरी, कीमती चीजें और फाइनेंसशियल डाक्यूमेंट्स को रखने की सलाह देते हैं। इससे धन में वृद्धि होती है, वहीं गलत दिशा में तिजोरी रखने से धन-हानि के योग बन सकते हैं।
किस दिशा में रखें तिजोरी?: वास्तु के अनुसार, घर की तिजोरी को दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थापित करना शुभ होता है। लेकिन लॉकर का दरवाजा उत्तर की ओर खुलना चाहिए। उत्तर दिशा धन के देव कुबेर देवता की मानी जाती है।
घर की सफाई: हिंदू मान्यताओं के अनुसार, साफ-सफाई वाले घर में देवी-देवताओं का वास होता है। इसलिए घर की साफ-सफाई के साथ घर के कोनों को साफ करना ना भूलें और वहां ज्यादा कूड़ा एकत्रित ना होने दें।
यहां रखे तिजोरी: वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के स्टोर रूम या किचन में पैसे, गहनों और कागजात की तिजोरी ना रखें। साथ ही तिजोरी या कैश बॉक्स को ऑफिस या घर में बीम के नीचे नहीं रखना चाहिए।
रंगों का ध्यान रख होगी धन-वृद्धि: वास्तु के अनुसार,किसी कीमती चीज को तिजोरी में रखने से पहले अपने तिजोरी के अंदर के हिस्से को लाल रंग से रंग दें। वहीं गहने और आभूषण रखने के लिए पीले रंग की ज्वेलरी बॉक्स का इस्तेमाल करें। रंगों का इस संयोजन तिजोरी में धन रुकने लगेगा।
तिजोरी को खाली ना रहने दें: वास्तु के अनुसार, घर की तिजोरी या कैश बॉक्स को कभी भी पूरी तरह से खाली ना छोड़े। यह धन की कमी को दर्शाता है। किसी भी परिस्थिति में आपकी तिजोरी या पर्स में कम से कम 1 रुपया तो जरूर रखा रहना चाहिए। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
कई लोगों को बहुत मेहनत करने के बाद भी सफलता नहीं मिलती है। इसके अलावा हमेशा गृह कलह और घर में तू-तू, मैं-मैं की स्थिति रहती है। इसका बहुत बड़ा कारण आपके घर का वास्तु भी है। अगर आपके घर का वास्तु सही नहीं है तो जीवन में आपको कई तरह की समस्याओं जैसे खराब स्वास्थ्य, करियर में परेशानियां, धन की हानि और व्यापार में असफलता जैसी परेशानियां लगी रहती है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए वास्तु शास्त्र में कुछ उपाय बताए गए हैं जिनको आप घर में बिना तोड़फोड़ किए हुए अपना सकते हैं।
घर के ईशान कोण में रखें ये चीजें
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का उत्तर पूर्वी कोना जिसे ईशान कोण भी कहा जाता है, को एक्टिव करना चाहिए। इस दिशा में आप उड़ते हुए पक्षियों की तस्वीर, नदियों या उगते सूरज की तस्वीर को लगा सकते हैं। ऐसा करना घर में पॉजिटिव एनर्जी लाता है और निगेटिव एनर्जी को कम करता है।
किचन से वास्तु दोष हटाने के लिए करें ये उपाय
अगर आपकी रसोई वास्तु के अनुसार गलत जगह पर है तो आप अग्नि कोण में लाल बल्ब लगा सकते हैं। इसे हर रोज सुबह शाम जलाएं। ऐसा करने से रसोई का वास्तु दोष दूर होता है और घर में सुख समृद्धि आती है।
घर की पश्चिम दिशा में करें ये काम
अगर आपके घर के पश्चिम दिशा में कोई वास्तु दोष है तो इसके लिए आप इस दिशा में शनि यंत्र की स्थापना कर सकते हैं। ऐसा करने के बाद आप कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं।
इस दिशा में लगाएं गणेश जी की मूर्ति
अगर घर के अग्नि कोण में वास्तु दोष है तो इस दिशा में आप गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर लगा सकते हैं। इसके अलावा आप इस दिशा में मनी प्लांट का पौधा भी लगा सकते हैं। ऐसा करने से घर में कभी भी धन–समृद्धि की कोई कमी नहीं होगी। परिवार के बीच प्रेम भाव बना रहेगा। नौकरी–व्यवसाय में भी जल्दी सफलता मिलेगी। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
वास्तु शास्त्र में बच्चों से जुड़े कई उपाय बताए गए हैं। घर में वास्तु दोष का प्रभाव बच्चों की पढ़ाई पर भी पढ़ता है। अक्सर माता-पिता की यह शिकायत होती है कि बच्चे उनका कहना नहीं मानते। ऐसे में वे सबसे पहले उनके सोने एवं पढ़ने का कमरा चेक करें कि वह किस दिशा में है। जानें वास्तु शास्त्र में वर्णित कुछ आसान उपाय जिन्हें अपनाकर आप अपने बच्चों का भविष्य सुधार सकते हैं।
1. बच्चों का कमरा दक्षिण-पश्चिम दिशा में होगा तो वे आपकी बात बिलकुल नहीं सुनेंगे। उनका कमरा घर की उत्तर-पूर्व दिशा में करें।
2. सिरहाना पूर्व दिशा की ओर करवाएं और पूर्व दिशा में उगते हुए सूर्य का चित्र लगाएं।
3. उनके कमरे में ईशान कोण ज्यादा भारी न हो। यदि संभव हो तो ईशान कोण बिलकुल खाली रखें।
4. बच्चों के कमरे में किसी भी तरह का फालतू सामान न रखें।
5. घर के दक्षिण-पश्चिम कोण की सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने के लिए असली स्फटिक के दो गोलों का इस्तेमाल करें। इन्हें प्रयोग करने से पहले एक हफ्ते तक नमक के पानी में रखें। उसके बाद धोकर कांच की प्लेट में रखें। इन्हें धूप में तीन घंटे रखकर दोबारा घर के अंदर रख दें।
6. दक्षिण-पश्चिम दिशा में अपने परिवार के सदस्यों का मुस्कराता हुआ चित्र लगाएं।
7. घर में महाभारत या युद्ध के मैदान जैसे हिंसक चित्र न लगाएं।
8. चाकू, छुरी, कैंची, सुई आदि वस्तुएं खुली न रखें तथा रसोई में भी लटकाकर न रखें। - बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायदूर्वा, जिसे हम हिंदी में दूब भी कहते हैं, का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व है। शायद ही ऐसी कोई पूजा हो जो दूर्वा के बिना संपन्न होती हो। आम तौर पर लोग दूर्वा और घास को एक ही समझते हैं किन्तु ऐसा नहीं है। दूर्वा घास का ही एक प्रकार है जो हरे रंग की होती है और पृथ्वी पर फ़ैल कर बढ़ती है और कभी ऊपर नहीं उठती।पुराणों के अनुसार दूर्वा की उत्पत्ति समुद्र मंथन से मानी गयी है। इसे समुद्र मंथन से निकले 84 अन्य रत्नों में से एक माना जाता है। कथा के अनुसार मंदराचल की रगड़ से श्रीहरि की जांघ का एक रोम टूट गया और उसी से दूर्वा का जन्म हुआ। नारायण के शरीर का भाग होने के कारण ये परम पवित्र कहलाई। जब अमृत प्राप्त होने के बाद समुद्र मंथन का समापन हुआ तो नारायण ने मोहिनी रूप धर कर कुछ समय के लिए अमृत को इसी दूर्वा पर रख दिया। अमृत का स्पर्श होने से इसकी पवित्रता और बढ़ गयी और ये वनस्पति अमर हो गयी। इसीलिए दूर्वा ही एक ऐसी वनस्पति है जो किसी भी परिस्थित में बिना किसी की सहायता के स्वयं बढ़ सकती है। इसे अमृता, अनंता, गौरी, महौषधि, शतपर्वा, भार्गवी इत्यादि नामों से भी जानते हैं।समुद्र मंथन के सन्दर्भ में ही दूर्वा के लिए हमारे धर्म ग्रंथों में एक श्लोक आता है -त्वं दूर्वे अमृतनामासि सर्वदेवैस्तु वन्दिता।वन्दिता दह तत्सर्वं दुरितं यन्मया कृतम॥विष्णवादिसर्वदेवानां दूर्वे त्वं प्रीतिदा यदा।क्षीरसागर संभूते वंशवृद्धिकारी भव।।मान्यता है कि दूर्वा यज्ञ में तीन महान अवगुणों - आणव, कार्मण एवं मायिक का नाश कर देती है। हिन्दू कर्मकांडों एवं सभी 16 संस्कारों में दूर्वा का प्रयोग किया जाता है। कोई भी मांगलिक अवसर दूर्वा की उपस्थिति के बिना अधूरा माना जाता है।स्त्रियों को विशेष कर दूर्वा का पूजन करने को कहा गया है। ऐसी मान्यता है ऐसा करने से उनका सुहाग अखंड रहता है। महान पतिव्रताओं जैसे माता सीता और दमयन्ती द्वारा भी दूर्वा के पूजन का वर्णन हमें ग्रंथों में मिलता है। ऐसी मान्यता है कि जो कोई भी स्त्री दूर्वा द्वारा पूजन करती है वो अपने पति के साथ उसी के लोक को प्राप्त करती है।वैसे तो दूर्वा सभी देवताओं को अत्यंत प्रिय है किन्तु विशेष रूप से श्रीगणेश को ये अति प्रिय है। इसके विषय में एक कथा पुराणों में आती है कि श्रीगणेश ने अनलासुर से युद्ध किया और उसे जीवित ही निगल कर देवताओं को भयमुक्त किया। जब श्रीगणेश ने अनलासुर को निगला तो उसके ताप से उनके उदर में भयानक पीड़ा होने लगी। तब महर्षि कश्यप ने उन्हें दूर्वा की 21 गांठें खाने को दी जिसे खाने के बाद उन्हें उस ताप से मुक्ति मिली। तभी से श्रीगणेश को दूर्वा चढ़ाने का विशेष विधान है।श्रीगणेश को आम तौर पर 11 दूर्वा चढ़ाई जाती है और प्रत्येक के साथ उनका एक मन्त्र बोला जाता है। श्रीगणेश के ये 11 मन्त्र हैं - ऊँ गं गणपतेय नम:, ऊँ गणाधिपाय नम:, ऊँ उमापुत्राय नम:, ऊँ विघ्ननाशनाय नम:, ऊँ विनायकाय नम:, ऊँ ईशपुत्राय नम:, ऊँ सर्वसिद्धिप्रदाय नम:, ऊँएकदन्ताय नम:, ऊँ इभवक्त्राय नम:, ऊँ मूषकवाहनाय नम: एवं ऊँ कुमारगुरवे नम:।दूर्वा को औषधीय गुणों से परिपूर्ण माना गया है। कहा जाता है कि त्रिफ़ल के अतिरिक्त केवल दूर्वा ही ऐसी वनस्पति है जो तीन मुख्य विकारों - वात, पित्त और कफ का नाश करती है। इसे प्राकृतिक रूप से सबसे प्रभावकारी एंटीबायोटिक माना गया है जिसके सेवन से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।