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-पंडित प्रकाश उपाध्याय
इस साल की अंतिम एकादशी कल यानी 19 दिसंबर को पड़ रही है. पौष माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली इस एकादशी को सफला एकादशी भी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की अराधना की जाती है और व्रत भी रखा जाता है.
आइए जाने इस व्रत का शुभ मुहूर्त और महत्व-----
हिंदू धर्म में हर माह के कृष्णपक्ष और शुक्लपक्ष को एकादशी का व्रत रखा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन जो भी भक्त भगवान विष्णु की अराधना करते हैं और व्रत रखते हैं उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है. श्री विष्णु की इस पूजा का विशेष धार्मिक महत्व होता है. पंचाग के अनुसार इस एकादशी को सफला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस साल की अंतिम एकादशी व्रत कल 19 दिसंबर 2022 को रखा जाएगा. आइए जानते हैं पूजा करने के लिए सबसे शुभ मुहूर्त क्या है और इसका महत्व क्या है.
एकादशी का शुभ मुहूर्त
इस बार पंचाग के अनुसार साल की अखिरी एकादशी यानी सफला एकादशी 19 दिसंबर 2022, सोमवार को पड़ रही है. पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 03 बजकर 32 मिनट से प्रारंभ होगा जो अगले दिन यानी 20 नवंबर को 2 बजकर 32 मिनट पर खत्म होगा. व्रत का पारण 20 दिसंबर 2022 की सुबह 08:05 से 09:13 बजे के बीच किया जा सकेगा.
सफला एकादशी व्रत की पूजन विधि
इस दिन कोशिश करें कि सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें. यदि संभव हो तो गंगा के तट पर जाकर स्नान करें और अगर ऐसा संभव न हो तो घर में स्नान करते वक्त पानी में गंगा जल अवश्य ढाल लें. स्नान करने के बाद सूर्य को अर्घ्य दें और व्रत का संकल्प करें. इसके बाद किसी पाटे या पूजन स्थल पर पीला कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान विष्णु की मूर्ति या फोटो रखें. इसके बाद उनपर पीले पुष्प, पीले फल आदि चढ़ाएं और एकादशी व्रत की कथा पढ़ें. अंत में भगवान विष्णु की आरती भी करें और प्रसाद बांटें.
भूलकर भी न करें ये कार्य----
कोशिश करें कि इस दिन तामसिक भोजन न करें. मान्यता है कि एकादशी के दिन प्याज, लहसुन के सेवन से पूजा का शुभ फल नहीं मिलता है.
इस दिन किसी से भी लड़ाई-झगड़ा नहीं करना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान विष्णु नाराज हो जाते हैं और इससे व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार की समस्याएं आने लगती हैं.
एकादशी के दिन बाल और नाखून नहीं कटवाने चाहिए. माना जाता है कि इससे घर में दरिद्रता आती है और ग्रह दोष का भी खतरा होता है.
इस दिन चावल का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए. इसके अलावा इस दिन घर में झाड़ू का भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
एकादशी के दिन चावल के सेवन पर मनाही है। इसका दुष्परिणाम व्यक्ति को अगले-जन्म में भोगना पड़ता है। साथ ही इस दिन घर में झाड़ू के इस्तेमाल पर भी पाबंदी है। झाड़ू के उपयोग से छोटे जीवों की हत्या का भय बढ़ जाता है -
नया साल 2023 आने में अब कुछ दिन ही शेष हैं। नए साल पर लोग घर की साज-सज्जा के लिए कई तरह के शो पीस लाते हैं। क्या आप जानते हैं कि वास्तु शास्त्र में भी कुछ चीजों को घर पर रखना अति शुभ माना गया है। मान्यता है कि इन चीजों को घर पर रखने से मां लक्ष्मी का आगमन होता है। ऐसे में नए साल की शुरुआत से पहले ही अपने घर पर इन चीजों को ले आएं-
पंडित प्रकाश उपाध्याय
लाफिंग बुद्धा- लाफिंग बुद्धा घर में रखना अति शुभ माना गया है। वास्तु के अनुसार, जिस घर में लाफिंग बुद्धा की मूर्ति होती है वहां सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। ध्यान रहे कि इस मूर्ति को उत्तर-पूर्व दिशा में ही रखें।
तुलसी का पौधा- मान्यता है कि तुलसी में मां लक्ष्मी का वास होता है। अगर आप नए साल में आर्थिक उन्नति चाहते हैं तो नए साल की शुरुआत से पहले ही घर में तुलसी का पौधा लगाएं।
मोर पंख- भगवान श्रीकृष्ण को मोरपंख अति प्रिय हैं। कहते हैं कि जिस घर में मोर पखं होता है वहां खुशहाली का वास होता है।
धातु का कछुआ- वास्तु के मुताबिक, घर में धातु का कछुआ रखना अति शुभ माना गया है। कहते हैं कि यह घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
दक्षिणावर्ती शंख- दक्षिणावर्ती शंख को खरीदने के बाद उसकी विधि पूर्वक पूजा करके लाल कपड़े में लपेटकर तिजोरी में रखें। मान्यता है कि ऐसा करने से सुख-समृद्धि का घर में आगमन होता है। -
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
पैसा हम सभी के लिए बेहद महत्वपूर्ण चीज है। जिसके जरिए हम जीवन में सभी तरह के ऐश और आराम से जुड़ी चीजें खरीद पाते हैं। जिसकी सहायता से हम सभी तरह की भौतिक व सांसारिक सुख सुविधाओं का लाभ ले सकते हैं। वास्तु शास्त्र में कुछ आसान से सिद्धान्त बताए गए हैं जिसकी मदद से आप अपने जीवन स्तर में सुधार कर बहुत सारा धन लाभ, सुख शांति हासिल कर सकते हैं।
1.पानी का रिसाव- वास्तु शास्त्र के अनुसार किचन, बाथरूम या यहां तक की अगर घर के गार्डन में भी पानी का लीकेज, धन के लीकेज को दर्शाता है। पानी के लीकेज या अगर घर में कोई पाइप टूट गई हो तो उसे जल्द से जल्द ठीक करा लेना चाहिए क्योंकि वह बहुत बड़ा आर्थिक नुकसान ला सकता है।
2. बाथरूम - घर में बाथरूम और शौचालय वास्तु शास्त्र को ध्यान में रखकर नहीं बनाने से वित्तीय नुकसान के साथ ही साथ स्वास्थ्य और नींद में गिरावट की समस्या हो सकती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में बाथरूम और शौचालय उत्तर पश्चिम या उत्तर पूर्व दिशा में बनाने चाहिए।
3. मेन गेट- वास्तु शास्त्र के घर का मेन गेट किसी भी चीज के प्रवेश का अहम रास्ता होता है। जिससे होकर कोई भी घर के अंदर प्रवेश करती है। घर का मेन गेट पॉजिटिव एनर्जी, धन और सुख- समृद्धि को अपनी ओर आकर्षित करता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के मेन गेट में नेम प्लेट, विंड चाइम्स, पौधे लगाकर रखना बेहद लाभकारी माना जाता है। - अक्सर लोग अपने घर को सजाने-संवारने के लिए पेड़-पौधे लगाते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, कुछ पौधे ऐसे भी होते हैं जो जीवन में परेशानियों का कारण बनते हैं। कहा जाता है कि यदि ऐसे पौधे आस पास लगे हों या गलती से उग गए हों तो घर की शांति भंग हो जाती है और परिवार के सदस्यों की तरक्की रुक जाती है। ऐसे में चलिए जानते हैं उन पौधों के बारे में जो घर के आस पास नकारात्मकता बढ़ाते हैं...बबूल का पेड़अक्सर के आस पास बबूल का पेड़ अपने आप ही उग जाता है। लेकिन वास्तु के अनुसार बबूल के पेड़ का घर के आस पास उगना शुभ नहीं माना जाता है। बबूल के पेड़ की वजह से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि बबूल के पेड़ में कांटे होते हैं, जो कार्य में बाधा के साथ नकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं घर के सदस्यों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ता है।बेर का पेड़ भी होता है अशुभवास्तु शास्त्र के अनुसार, बेर के पेड़ में कांटे होने की वजह से घर के आस पास नकारात्मकता बढ़ जाती है। कहा जाता है कि जिस घर के आस पास बेर का पेड़ लगा होता है वहां से मां लक्ष्मी नाराज होकर चली जाती हैं।नींबू और आंवले का पेड़बहुत से लोग अपने घर या गार्डन में आंवला और नींबू का पेड़ लगाते हैं। लेकिन वास्तु शास्त्र के अनुसार इन पौधों को भी शुभ नहीं माना जाता है। यदि आपके घर में या फिर घर के बाहर नींबू या आंवले का पेड़ लगा है तो उसे कटवा दें, क्योंकि इनके मौजूद रहने से घर में क्लेश बढ़ता है और तनाव की स्थिति निर्मित होती है।पीपल का पेड़पीपल के पेड़ में देवताओं के वास होता है। इसकी पूजा की जाती है, लेकिन घर के पास पीपल का पेड़ शुभ नहीं होता। इसकी छाया को अशुभ माना गया है। कहते हैं कि जहां तक पीपल के पेड़ की छाया जाती है, वहां तक वह विनाश करता है। इसलिए घर के आस पास पीपल का पेड़ न उगने दें।
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करियर में क्या करना है किस दिशा में आगे बढ़ना है। इस सवाल से हमारा रोजाना सामना होता है। क्या चुनना हमारे करियर के लिए सबसे सही होगा या हम क्या बनना चाहते हैं ऐसे हजारों सवाल रोजाना हमारे सामने आते रहते हैं। करियर चुनने में आने वाली समस्या दिन प्रतिदिन हमें बड़ी लगने लगती है। ऐसे में हम अपने से बड़े लोगों के पास जाकर सलाह मशवरा करते हैं ताकि हम अपने जीवन से जुड़ा यह अहम फैसला ले पाएं। करियर को चुनने के लिए कई बार ज्योतिषी परामर्श लेना भी बहुत मददगार साबित होता है। आइए जानते हैं किस राशि के लिए कौन सा करियर ऑप्शन होगा सबसे सही
मिथुन: इस राशि के लोग जिज्ञासु और साहसी स्वभाव के होते हैं। इन्हें नए विषयों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने में खासा रुचि होती है। मिथुन राशि के लोग इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस और विज्ञापन को बतौर करियर चुन सकते हैं।
सिंह: इस राशि के लोग दृढ़ निश्चयी, भावुक और कल्पनाशील स्वभाव के होते हैं। अपने बेहतरीन काम से यह बहुत से लोगों को प्रेरित करते हैं। प्रोजेक्ट मैनेजमेंट, पब्लिक स्पीकिंग और एक्टिंग में यह आसानी से फिट बैठ सकते हैं। शिक्षा, काउंसलिंग और समस्या समाधान से जुड़े विषय यह करियर के रूप में चुन सकते हैं।
मकर: इस राशि के लोग रचनात्मक विचारों वाले और दृढ़ निश्चयी होते हैं। यह जीवनभर एक ही लक्ष्य का पीछा करते हैं। हर काम को करने के पीछे इनका कुछ न कुछ छिपा हुआ उद्देश्य होता है। मकर राशि के लोग राजनीति, वित्त और वकालत के क्षेत्र में अपना करियर सोच सकते हैं। इस राशि के लोग इंजीनियरिंग व इमरजेंसी प्रबंधन में अपना करियर बना सकते हैं।
कन्या: इस राशि के जातक बुद्धिमान और व्यवस्थित तरीके से रहना पसंद करते हैं। वह छोटी से छोटी चीजों पर भी बेहद ध्यान देते हैं। ऐसे लोगों को साइंस, रिसर्च और लेखा- जोखा के क्षेत्र में अपना करियर तलाश करना चाहिए। इन्हें सामाजिक कार्य, वकालत और चिकित्सा के क्षेत्र में खासी रुचि रहती है।
वृश्चिक: इस राशि के जातक कोई भी काम योजना बना कर करते हैं। किसी भी काम को वृश्चिक राशि के लोग पूरे मन से करते हैं। लोगों की मदद करने की इनकी प्रवृत्ति होने के कारण इस राशि के लोग पुनर्वास, परामर्श और मनोवैज्ञानिक के क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं।
मेष: इस राशि के लोगों में प्रतिस्पर्धा और आत्मविश्वास की कोई कमी नहीं होती इसीलिए यह अपने प्रोफेशनल जीवन में बहुत अच्छा प्रदर्शन करते हैं। इस राशि के लोग पुलिस अधिकारी, सैनिक, डॉक्टर, जैसे क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं।
कुंभ: इस राशि के लोगों को आजादी बेहद पसंद होती है। कुंभ राशि के लोग उन सभी चीजों में अच्छा प्रदर्शन करते हैं जिनमें क्रिएटिविटी की जरूरत होती है। इस राशि के लोग ट्रेनर, डिजाइनर, वैज्ञानिक और डेटा एनालिस्ट के क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं।
धनु: इस राशि के लोग मनोरंजन और दयालु स्वभाव के होते हैं। रोजाना की दिनचर्या से इस राशि के लोग जल्दी ऊब जाते हैं। इस राशि के लोग प्रशिक्षिक, पर्सनल ट्रेनर और विकास अधिकारी के क्षेत्र में यह अपना करियर बना सकते हैं।
वृष: इस राशि के लोग दृढ़ निश्चयी, वफादार और बेहद भरोसेमंद स्वभाव के होते हैं। वृषभ राशि के लोग वित्तीय सलाहकार, फैशन डिजाइनर, वकील ,मैनेजर जैसे पद बतौर करियर चुन सकते हैं।
कर्क: इस राशि के जातक सबका ख्याल रखने वाले, भरोसेमंद और समस्याओं का समाधान करने वाले होते हैं। पर्सनल और प्रोफेशनल जीवन को लेकर यह सबसे अच्छी सलाह देते हैं।कर्क राशि के लोग नर्सिंग, चिकित्सा, सोशल वर्क, टीचिंग के क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं।
तुला: इस राशि के लोग बेहद काफी फ्रेंडली स्वभाव के होते हैं। यह अधिक से अधिक लोगों के साथ घुलना-मिलना पसंद करते हैं। तुला राशि के लोग मानव संसाधन प्रबंधन, कानूनी विश्लेषण, बिजनेसमैन और राजनायिक के क्षेत्र में अपना करियर बना सकते हैं।
मीन: इस राशि के लोग बेहद संवेदनशील होते हैं। मीन राशि के लोग चिकित्सक, नर्स, मनोवैज्ञानिक, सेल्समैन के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। -
-बालोद से प्रकाश उपाध्याय
वास्तु शास्त्र में कई नियमों के बारे में बताया गया है। कहते हैं कि इन नियमों का पालन करने से धन संबंधी परेशानियों से छुटकारा पाया जा सकता है। कई बार हम अनजाने में कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते है जो हमारी आर्थिक तंगी का कारण बनती हैं। जानें घर में आर्थिक समृद्धि व बरकत लाने के लिए आसान वास्तु टिप्स-
रसोईघर में न रखें दवाएं
रसोईघर में भोजन बनाया जाता है। लेकिन यहां दवा या उसका बॉक्स आदि न रखें। कहते हैं कि ऐसा करने से वास्तु दोष होता है और इसका परिवार के सदस्यों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
बॉथरूम में न रखें ये चीजें
वास्तु के अनुसार, अगर बाथरूम इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं तो इसका दरवाजा बंद कर दें। इसके अलावा बाथरूम में टूटा शीशा, टूटी चप्पल, गीले कपड़े और खाली बाल्टी न रखें। मान्यता है कि ऐसा करने से वास्तु दोष होता है।
तिजोरी के पास न रखें ये चीजें
वास्तु के अनुसार, घर या ऑफिस की तिजोरी में सबसे कीमती सामान ही रखें। अगर आप तिजोरी में बेकार या बिना काम की चीजें रखते हैं तो मां लक्ष्मी का घर में आगमन नहीं होता है। घर में धन आगमन में बाधाएं आती हैं। - कई बार ऐसा होता है कि हमारे लाख चाहने के बाद भी बेटा या बेटी की शादी के योग नहीं बन पाते हैं और शादी में बार - बार रुकावट आ जाती है। ज्योतिष और वास्तु में ऐसे कई उपाय भी बताए गए हैं, जिनके जरिए शादी में आ रही बाधा को कम किया जा सकता है। वास्तु शास्त्र में एक फूल के बारे में जिक्र किया गया है, जिसे घर की सही दिशा में लगाना शुभ होता है। इससे जल्द विवाह के योग बनते हैं। चलिए जानते हैं इस पौधे के बारे में...पियोनिया के फूलवास्तु शास्त्र में पियोनिया के फूलों को बेहद चमत्कारी माना गया है। पियोनिया के पौधे पर लगने वाले फूल को फूलों की रानी कहा जाता है। पियोनिया के फूल को सौंदर्य व रोमांस का प्रतीक माना जाता है, इसलिए पियोनिया को घर पर लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और इसके प्रभाव से शादी में आ रही बाधा दूर होती है।शीघ्र विवाह के लिए कारगर उपायवास्तु शास्त्र के अनुसार, यदि विवाह योग्य किसी लड़के या लड़की के विवाह में समस्या आ रही है, तो घर पर पियोनिया का पौधा लगाना शुभ होता है। पौधे की जगह आप घर पर पियोनिया की पेंटिंग या फूल भी लगा सकते हैं।आपसी प्रेम के लिएवास्तु शास्त्र के अनुसार, यदि आपके भी घर में हर छोटी-छोटी बात पर विवाद होने लगता है, तो पियोनिया की पेंटिंग या इसका पौधा घर पर लगाएं। इस पौधे को दक्षिण पश्चिम दिशा की ओर लगाएं। इस दिशा का संबंध परिवार में रहने वाले लोगों के बीच के संबंध को दर्शाता है।बगीचे में इस दिशा में लगाएं पियोनिया का पौधावहीं यदि आप बगीचे में पियोनिया का पौधा लगा रहे हैं, तो घर के प्रवेश द्वार के दाहिनी ओर लगाएं। वास्तु शास्त्र के अनुसार इससे आपके घर में सकारात्मकता का वास होगा।
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- बालोद से प्रकाश उपाध्याय
ऐसी मान्यता है कि खरमास के दौरान विवाह आदि सभी तरह के शुभ कार्य वर्जित हो जाते हैं. खरमास में सूर्य देव की विशेष आराधना करनी चाहिए. आइए जानते हैं खरमास का धार्मिक महत्व क्या होता है.
16 दिसंबर 2022 को जैसे ही सूर्य धनु राशि की यात्रा शुरू करेंगे खरमास प्रारंभ हो जाएगा. खरमास के दौरान किसी भी तरह का शुभ और मांगलिक कार्य नहीं नहीं किया जाता है. हिंदू धर्म में इस समय को अशुभ समय माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर एक माह में सूर्य अपनी राशि परिवर्तन करते हैं. सूर्य देव 16 दिसंबर 2022 से 14 जनवरी 2023 तक धनु राशि में रहेंगे फिर इसके बाद 15 जनवरी 2023 को मकर राशि में आ जाएंगे तब खरमास खत्म हो जाएगा. ऐसी मान्यता है कि खरमास के दौरान विवाह आदि सभी तरह के शुभ कार्य वर्जित हो जाते हैं. खरमास में सूर्य देव की विशेष आराधना करनी चाहिए. आइए जानते हैं खरमास का धार्मिक महत्व क्या होता है.
खरमास का अर्थ
खरमास जैसे कि इसके नाम से स्पष्ट होता है कि अशुभ महीना. खर का मतलब दूषित और मास का मतलब महीने से होता है. वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब- जब सूर्य धनु और मीन राशि में प्रवेश करते हैं तब खरमास शुरू हो जाता है. यह खरमास एक महीने तक चलता है. वैदिक ज्योतिष के अनुसार खरमास में सूर्य की गति और तेज इन दो महीनों में धीमी पड़ जाती है. जिस कारण से बृहस्पति ग्रह निस्तेज हो जाते हैं. हिंदू धर्म में शुभ और मांगलिक कार्य संपन्न करने के लिए देवगुरु बृहस्पति का उच्च प्रभाव में होना बेहद आवश्यक होता है. इस वजह से खरमास के दौरान कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है. खरमास में गृह-प्रवेश, मुंडन संस्कार, सगाई समारोह और कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. एक सौर वर्ष में दो बार खरमास लगता है. जब सूर्य धनु और मीन राशि में प्रवेश करते हैं तब खरमास लगता है.
खरमास के दौरान क्या करें
खरमास लगने पर किसी भी तरह का शुभ और मांगलिक कार्य करना वर्जित होता है. ऐसे में खरमास के दिनों में भगवान सूर्यदेव की विशेष पूजा-अर्चना करनी चाहिए. पूजा के अलावा दान, पुण्य और स्नान का विशेष महत्व होता है. खरमास में भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधान होता है. खरमास में सूर्य देव की पूजा और उन्हें सुबह जल अर्पित करने से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. खरमास में मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए.
खरमास की पौराणिक कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक बार की बात है कि सूर्य देव अपने सातों घोड़े के साथ रथ पर सवार होकर पूरे ब्रह्मांड के चक्कर लगा रहे थे. सूर्य जब पूरे ब्रह्मांड का चक्कर लगा रहे थे तो उस दौरान उनके कहीं भी रुकना नहीं था. अगर सूर्यदेव रूक जाते तो पूरी सृष्टि में जनजीवन भी रुक जाता. रथ में सातों घोड़े लगातार चल रहे हैं जिस कारण से वे थक और प्यास से व्याकुल हो गए. भगवान सूर्यदेव अपने घोड़ों की ऐसी दशा को देखकर अपने रथ को तालाब के किनारे पहुंचें. जहां पर सूर्य देव दो गधे दिखाई दिए. तब सूर्यदेव ने इन दोनों को अपने रथ में लगा लिया और अपने घोड़ों को आराम करने के लिए वहीं पर छोड़ दिया. जब रथ में दोनों गधों को जोड़कर चलाया गया तब रथ की गति काफी धीमी हो गई . इस दौरान एक महीने का चक्र पूरा हुआ और सूर्यदेव के घोड़ों ने आराम और खाना पानी पी कर फिर से तैयार हो गए. एक महीने के बाद सूर्य देव ने दोबारा से अपने घोड़ों को रथ में लगा दिया. इसी एक माह को खरमास कहा जाता है.
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-पंडित प्रकाश उपाध्याय
सूर्यदेव और भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित पौष माह का विशेष महत्व माना जाता है। पौष मास में पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में होता है, इसीलिए इस मास को पौष मास कहा जाता है। इस मास में सूर्यदेव की उपासना करना बहुत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस माह सूर्यदेव की उपासना से यश में वृद्धि होती है और मनुष्य तेजस्वी बनता है।
इस मास को छोटा पितृ पक्ष के रूप में भी जानते हैं। इस माह में पिंडदान, श्राद्ध, तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। यह माह धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। पौष मास में कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। पौष मास में सुबह स्नान करने के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य प्रदान करें। जल में सिंदूर, लाल फूल और थोड़ा सा अक्षत डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य प्रदान करें। पौष मास में भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा करना शुभ फलदायी है। इस माह नियमित रूप से श्रीमद्भागवत गीता का पाठ और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। इस माह लाल या फिर पीले रंग के वस्त्र धारण करें। पौष मास में दान का विशेष महत्व है। इस मास में जरूरतमंदों को कंबल, गर्म कपड़े, गुड़, तिल आदि का दान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। पूर्वजों की आत्मा शांति के लिए इस माह तर्पण, पिंडदान करना चाहिए। पौष मास में गुड़ का सेवन करना अच्छा माना जाता है। पौष मास में बैंगन, मूली, मसूर की दाल, फूल गोभी, उड़द की दाल का सेवन नहीं करना चाहिए। पौष मास में चीनी का सेवन न करें। पौष मास में खरमास आरंभ हो जाएंगे इसलिए इस माह मांगलिक कार्यों को करने की मनाही होती है। इस माह आने वाली पौष अमावस्या और पौष पूर्णिमा का विशेष महत्व है। पितृदोष, कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए इस दिन उपवास रखने के साथ विशेष पूजा अर्चना की जाती है। - कई लोगों को घर में पक्षियों को रखने का शौक होता है खासकर तोते को पालना। लेकिन तोता पालने से पहले ये जरूर जान लें कि यह पक्षी आपके लिए शुभ फल कारक है या अशुभ।वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की उत्तर दिशा में तोता या फिर तोता रखना बहुत ही शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इससे बच्चों का पढ़ाई में मन लगता है और उनकी स्मरण शक्ति बढ़ती है। ऐसा माना जाता है कि घर में तोते के होने से परिवार के सदस्यों को बीमारियों का खतरा कम हो जाता है और लोगों के मन में निराशा भी कम होती है।-वहीं माना जाता है कि घर में तोता पालने या फिर उसकी तस्वीर को रखने से राहु केतु और शनि की बुरी नजर घर पर नहीं पड़ती है। इसे पालने से घर में किसी की अकाल मृत्यु भी नहीं होती है।-घर में तोते को पिंजरे में रखा जाता है। किसी भी पक्षी को पिंजरे में कैद रखना शुभ नहीं होता है, लेकिन यदि ऐसा कर रहे हैं, तो इस बात का अवश्य ध्यान में रखें कि तोता हमेशा खुश रहे, क्योंकि यदि तोता नाराज हो जाए तो वह आपके घर को बद्दुआ भी दे सकता है जिसका नकारात्मक प्रभाव आपके जीवन पर पड़ सकता है।-माना जाता है कि तोता को पालने से पति पत्नी का रिश्ता बेहतर होता है। साथ ही माहौल में सकारात्मकता बढ़ती है।- तोता पालना अशुभ फल भी दे सकते हैं। यदि किसी की कुंडली में तोते का योग नहीं है और वह तोता पालता है तो यह उसके लिए अपव्यय का कारण हो सकता है।- ऐसा भी कहा जाता है कि अगर तोता खुश नहीं होता है, तो वह अपने मालिकों को बददुआ देता है। किसी जीव या पक्षी को बंधक बनाकर रखना उचित नहीं होता है।-अगर किसी के घर में लड़ाई-झगड़े का माहौल हो तो तोता उन शब्दों को सुनता है और फिर उन्हें दोहराता है। ऐसे तोते का फल शुभ नहीं होता है। इसलिए लोग तोते को सीता-राम, राधे कृष्ण, श्रीहरि कहना पहले सिखाते हैं।
- --पंडित प्रकाश उपाध्यायवैदिक ज्योतिष में शुक्र को शुभ ग्रह माना गया है। शुक्र ग्रह की कृपा से जातक को भोग विलास,भूमि,भवन और वाहन का सुख प्राप्त होता है। शुक्र देव जब कुंडली में मजबूत होते हैं तो जातक को स्त्री सुख की प्राप्ति होती है। शुक्र देव 29 दिसंबर को शनि की राशि मकर में प्रवेश करेंगे और 22 जनवरी तक वहीं विराजमान रहने वाले हैं। शुक्र के इस गोचर से 3 राशियों को लाभ ही लाभ होगा। जानें वो 3 राशियां कौन सी है ?मेष राशिइस राशि के जातकों के लिए शुक्र का गोचर आपके दसवें भाव से होगा। दसवें भाव से जातक के कार्य स्थल और कर्म का विचार किया जाता है। शुक्र का गोचर इस भाव में बेहद अच्छे फल देने वाला माना गया है। शुक्र की सप्तम दृष्टि आपके चौथे भाव पर होगी। इस गोचर के प्रभाव से आपको कार्यस्थल पर बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। भौतिक सुख सुविधाओं की प्राप्ति आपको इस समय होगी। अगर आप खुद का काम करते हैं तो इस समय आपको बड़ा निवेश प्राप्त हो सकता है। इस गोचर के दौरान आपको महिला सहकर्मी की मदद से किसी बड़े पद की प्राप्ति हो सकती है। इस दौरान अगर आप साझेदारी में कोई काम शुरू करना चाह रहे हैं तो समय अच्छा रह सकता है।कन्या राशिइस राशि के जातकों के लिए शुक्र दूसरे और नवम भाव के स्वामी होते हैं। शुक्र का गोचर अब आपके पंचम स्थान से होने जा रहा है। पंचम भाव से जातक की शिक्षा, प्रेम और संतान का विचार किया जाता है। पंचम भाव में विराजमान शुक्र की दृष्टि आपके एकादश भाव पर होगी। शुक्र के इस गोचर के कारण नवीन प्रेम संबंध स्थापित होने का योग है। इस दौरान आपको संतान पक्ष से शुभ समाचार प्राप्त होंगे। इस गोचर के कारण स्त्री जातकों को अपने व्यापार में बेहद अच्छा मुनाफा होगा। इस समय सिनेमा जगत से जुड़े जातकों को अच्छी प्रसिद्धि प्राप्त होगी। अगर आप विदेशों में कारोबारी संबंध बनाने की सोच रहे है तो उसके लिए आप प्रयास करना शुरू कर दें।मकर राशिइस राशि के जातकों के लिए शुक्र परम राजयोग कारक कहे गए हैं। शुक्र पंचम और दशम के स्वामी होकर बेहद शुभ फल प्रदान करते हैं। शुक्र का गोचर अब इस राशि के जातकों के लिए लग्न से ही होने वाला है। लग्न में विराजमान शुक्र की दृष्टि आपके सप्तम भाव पर होगी। लग्न से जातक के व्यक्तित्व के बोध होता है। शुक्र के प्रभाव से आपको इस समय हर जगह से लाभ होता हुआ प्रतीत हो रहा है। इस गोचर काल में आपको अपनी पत्नी से सहयोग प्राप्त होगा। इस समय आपको अपने काम को आगे बढ़ाने के लिए धन की जरूरत है तो वो परिवार की मदद से पूरी की जायेगी। इस गोचर काल के दौरान आपकी वाणी बड़ी मधुर और प्रभावी होगी। आपकी वाणी के प्रभाव से कई कार्य आप सम्पादित करेंगे।
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घर में हैप्पी वाइब्स के लिए आपको कई छोटी-छोटी चीजों पर ध्यान देना चाहिए। जैसे, घर में पौधे लगाने से घर में पॉजिटिव एनर्जी बनी रहती है। आइए, जानते हैं कौन-सी हैं वे चीजें
हैप्पी वाइब्स के लिए घर में जरूर रखें ये चीजें
जिंदगी में गुड वाइब्स का बहुत ही महत्व होता है। खुश रहने और घर में पॉजिटिव एनर्जी बनाए रखने के लिए छोटी-छोटी चीजें भी बहुत मैटर करती हैं। ऐसे में घर में हैप्पी वाइब्स के लिए आपको कई छोटी-छोटी चीजों पर ध्यान देना चाहिए। जैसे, घर में पौधे लगाने से घर में पॉजिटिव एनर्जी बनी रहती है इसलिए अगर आप घर में इनडोर प्लांट लगाते हैं, तो यह घर के माहौल और मूड के लिए कुछ चीजों को घर में जरूर रखें।
कलरफुल पेंटिंग
घर में कलरफुल पेंटिंग रखना न भूलें। इससे भी घर में पॉजिटिव वाइब्स आती है। जानवरों और पक्षियों की पेंटिंग रखने से मन शांत रहता है। वहीं, आप श्री गणेश और कृष्ण जी और राधा रानी की पेटिंग भी घर में लगा सकते हैं। ये काफी शुभ मानी जाती है।
विंड चाइम
विंड चाइम की आवाज को काफी पॉजिटिव माना जाता है। कहते हैं इसकी मीठा आवाज सुनकर मन खुश हो जाता है इसलिए आपको विंड चाइम भी ड्राइंग रूम में जरूर लगाना चाहिए।
स्टार लाइट्स
रात के वक्त आपको अपना घर और भी खूबसूरत नजर आएगा, अगर आप घर में स्टार या राइज लाइट्स लगाएंगे। गुड लक और हैप्पी वाइब्स के लिए लाइट्स को भी घर में जरूर लगाएं।
एसेंसियल ऑयल्स
ऑयल्स भी आपके दिमाग को शांत रखने के लिए कारगर हैं। शाम के समय डिफ्यूजर में आप लैवेंडर, रोज या फिर रोज मेरी ऑयल्स डाल सकते हैं। इससे पूरे घर में महक रहती है और मन भी काफी खुश रहता है। आप अपनी पसंद का कोई भी ऑयल खरीद सकते हैं। -
पंडित प्रकाश उपाध्याय
हाथों में मणिबंध रेखाएं व्यक्ति के जीवन को बहुत प्रभावित करती हैं। मणिबंध रेखा एक भी हो सकती हैं और एक से अधिक भी। ये उलझी हुई भी हो सकती हैं। मणिबंध रेखाओं को हस्त रेखाओं का मूल भी कहा जाता है। यदि हाथ में दो मणिबंध रेखाएं हैं तो यह मजबूत मनोबल का संकेत देती हैं। मणिबंध रेखाएं व्यक्ति में हिम्मत बढ़ाती हैं। यदि हाथ में एक ही मणिबंध रेखा हो और जीवन रेखा भी इससे जुड़ी हो तो व्यक्ति सुखी और लंबा जीवन जीता है। लेकिन यदि मणिबंध रेखा बीच में टूटी हुई हो अथवा दो रेखाएं आधी-अधूरी बन रही हों तो यह जीवन में रोग का संकेत देता है। ऐसे लोगों की 40 साल की उम्र में कोई रोग घेर सकता है। यह रोग व्यक्ति को जीवनभर परेशान कर सकता है।
यदि ऊपर की मणिबंध रेखा तो पूरी हो, लेकिन नीचे की दूसरी मणिबंध रेखाएं इसे काटती हुई ऊपर की ओर जाएं तो यह जीवन में व्यक्ति के धैर्य की परीक्षा लेती हैं। यदि कलाई पर टूटी अथवा बिखरी हुई मणिबंध रेखाएं हों तो ऐसे लोगों को बुढ़ापे में संतान का सुख नहीं मिलता। यदि मणिबंध रेखाएं तीन या इससे अधिक हों तो बुढ़ापे में संतान का सुख मिलता है। हाथ में मणिबंध रेखाएं पूरी नहीं बन पाती तो यह कॅरियर को प्रभावित करती हैं। ऐसे लोग नौकरी और व्यापार को लेकर उलझन में रहते हैं। ऐसे लोग आर्थिक रूप से परेशान भी होते हैं। -
--पंडित प्रकाश उपाध्याय
व्यक्ति की दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए धन की आवश्यकता होती है। लेकिन जीवन में ऐसा भी समय आ जाता है जब व्यक्ति आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। कड़ी मेहनत के बाद भी जातक को असफलता हाथ लगती है। लेकिन इस बात से परेशान होने की जरूरत नहीं है। कई बार धन आगमन में बाधाएं वास्तु दोष भी डालता है। ऐसे में आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए आजमाएं ये आसान वास्तु टिप्स-
सही दिशा में रखें तिजोरी-
वास्तु के अनुसार, तिजोरी को सही दिशा में रखना बहुत जरूरी होता है। इसलिए तिजोरी को हमेशा दक्षिण दिशा में ही रखें और उसका दरवाजा उत्तर दिशा में खुलता हो। मान्यता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में धन आगमन होता है।
घर में रंगों का महत्व-
वास्तु के अनुसार, घर की दीवारों पर सही रंगों का इस्तेमाल करना बेहद जरूरी होता है। कई बार सही रंगों का घर में इस्तेमाल न करने पर जातक को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वास्तु के मुताबिक, कमरे की पूर्व दिशा में सफेद रंग, पश्चिम में नीला, उत्तर में हरा और दक्षिण दिशा में लाल रंग लगाना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।
घर को रखें साफ-सुथरा-
घर में गंदगी रखने से मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं। कहते हैं कि जिन घरों में साफ-सफाई नहीं होती है, वहां मां लक्ष्मी का वास नहीं होता है। ऐसे में घरों में बरकत नहीं जाती है। इसलिए जातक को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। घर में साफ-सफाई करने से आर्थिक तंगी दूर होती है। -
-बालोद से प्रकाश उपाध्याय
वास्तु शास्त्र, भारतीय वास्तुकला की एक प्राचीन परंपरा है जिसके जरिए हमें दिशाओं का सही ज्ञान प्राप्त होता है। आज हम आपको कुछ आसान से वास्तु टिप्स बताएंगे जिसकी मदद से धन को आकर्षित किया जा सकता है। इन टिप्स को अपनाकर घर में वित्तीय प्रवाह को अधिक सुचारू बनाया जा सकता है।
कुबेर यंत्र- धन के स्वामी भगवान कुबेर को प्रसन्न करने के लिए घर के ईशान कोण में कुबेर यंत्र लगाएं। इससे भगवान कुबेर प्रसन्न होते हैं और परिवार में संपन्नता और समृद्धि आती है। इस दिशा में रखा कोई भी भारी फर्नीचर उस जगह से हटा दें।
स्टोर रूम- वास्तु शास्त्र साफ- सफाई पर बहुत जोर देता है। इसके अनुसार घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने के लिए अव्यवस्थित चीजों को व्यवस्थित करने का प्रयास करना चाहिए। इसके लिए घर में एक स्टोर रूप होना बेहद आवश्यक है। उपयोग में नहीं आने वाली चीजें स्टोर रूम में रख देनी चाहिए। ताकि घर को आसानी से व्यवस्थित किया जा सकें।
पानी की टंकी- घर में लगी पानी की टंकी को कभी भी दक्षिण-पूर्व या उत्तर -पूर्व दिशा में नहीं लगाना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसा करने से भारी वित्तीय हानि होती है। वह स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का भी सामना करना पड़ जाता है।
स्नान घर- वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के उत्तर- पूर्व या उत्तर- पश्चिम दिशा में स्नान घर बनाना चाहिए। ऐसा करने से परिवार में धन- लाभ का योग बनता है। -
वास्तु शास्त्र के अनुसार, शाम के समय कुछ कार्यों को करने की मनाही है। मान्यता है कि इन कार्यों को शाम के वक्त करने से मां लक्ष्मी रूठ सकती हैं। कहते हैं कि ये कार्य घर में नकारात्मक ऊर्जा को लाते हैं। जिससे घर की बरकत व सुख-समृद्धि कम होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूरज डूबते समय और उसके बाद नेगेटिव शक्तियां एक्टिव हो जाती हैं। जानें सूर्यास्त के समय किन कामों को नहीं करना चाहिए।
1. शाम के वक्त तुलसी के पौधे के नीचे दीपक लगाना बहुत शुभ माना गया है। हालांकि सूर्यास्त के बाद तुलसी के पौधे को न छुएं। मान्यता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं।
2. शाम के समय किसी गरीब या जरूरतमंद को खाली हाथ न लौटाएं। अपनी सामथ्र्यनुसार कुछ न कुछ जरूर दान करें।
3. सूर्यास्त के समय व उसके बाद कभी झगड़ा नहीं करना चाहिए। शाम के समय लड़ाई-झगड़ा करने से मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं। कहते हैं कि ऐसा करने से घर में गरीबी व कंगाली आती है।
4. वास्तु के अनुसार, शाम के वक्त किसी को पैसे उधार नहीं देने चाहिए। मान्यता है कि शाम के वक्त उधार दिए गए पैसे वापस नहीं आते हैं।
5. वास्तु शास्त्र के मुताबिक, शाम के समय घर के मुख्य द्वार को थोड़ी देर के लिए खुला रखना चाहिए। सूर्यास्त के समय दरवाजा बंद नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि इस समय ही मां लक्ष्मी घर में प्रवेश करती हैं। घर का मुख्य द्वार बंद रखने से मां लक्ष्मी का आगमन नहीं होता है। -
आचार्य चाणक्य के अनुसार,धन उन्हीं लोगों को फलता-फूलता है, जो संयम से इसे सुरक्षित रखते हैं. लेकिन जो इसकी कदर नहीं करता है, वह अर्श से फर्श पर आ जाते हैं.
पैसों के बिना जीवन जीना नामुमकिन है. पैसा एक ऐसी चीज है, जो हमें हर अच्छे और बुरे की पहचान करवा देता है. चाणक्य नीति के अनुसार, जो धन का मूल्य समझता है, वह संपन्न और समृद्ध रहता है. लेकिन जो इसकी कदर नहीं करता है, वह अर्श से फर्श पर आ जाते हैं. आचार्य चाणक्य के अनुसार,धन उन्हीं लोगों को फलता-फूलता है, जो संयम से इसे सुरक्षित रखते हैं. आचार्य चाणक्य ने धन के इस्तेमाल के कुछ तरीके बताएं इनका पालन करने वाले संकट के दौर में भी सुखी रहते हैं.
सुरक्षा से करें इस्तेमाल
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति धन का इस्तेमाल सुरक्षा, दान और निवेश के तौर पर करता है, वह संकट के दौर में भी हंसकर जीवन गुजारता है. धन का इस्तेमाल सही जगह और समय के अनुसार ही करना चाहिए. कहते हैं न जितनी चादर हो उतने ही पैर फैलाने चाहिए. धन का अनावश्यक खर्च करने वालों को आपदाओं में दुख और दरिद्रता का ही सामना करना पड़ता है.
बेवजह न करें खर्च
आचार्य चाणक्य के अनुसार, धन की बचत का सबसे अच्छा तरीका है बेवजह खर्चों पर रोक लगाना. चाणक्य के अनुसार कब, कितना पैसा और कहां खर्च करना है- इसका हिसाब रखने वाले दूसरों की नजर में जरूर कंजूस कहलाएं लेकिन ऐसे लोग बुरी से बुरी परिस्थितियों में भी अपना जीवन सामन्य तरीके से जी लेते हैं.
दान करें
आचार्य चाणक्य का मानना है कि कमाई का कुछ हिस्सा दान और पुण्य के कामों में लगाने से इसमें दोगुनी वृद्धि होती है. दान से बड़ा कोई धन नहीं और किसी जरूरतमंद व्यक्ति कि सामथ्र्य अनुसार मदद करने से मां लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है.
जरूरतों को रखें सीमित
जिस तरह संतुलित आहार हमारे शरीर को लंबे समय तक स्वस्थ रखता है, उसी प्रकार धन खर्च का संतुलन मनुष्य को विपत्तिकाल में भी दुख नहीं पहुंचाता. धन को बहुत सर्तकता के साथ खर्च करें, इसके लिए जरूरी है अपनी जरूरतें सीमित रखें. जितनी जरूरत है, उतना ही खर्च करें.
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-बालोद से प्रकाश उपाध्याय
अगर कोई व्यक्ति सपने में सूर्य, इंद्रधनुष और चंद्रमा को देखे तो उसने जीवन में कई प्रकार सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। आइए विस्तार से जानते हैं कौन-कौन से सपना शुभ माना जाता है।
हर एक व्यक्ति को रात में सपना जरूर आता है। सपने में व्यक्ति कई चीजों को देखता है, जिसमें कुछ सपने अच्छे तो कुछ बहुत ही डरावने किस्म के होते हैं. स्वप्न शास्त्र के अनुसार, सपने व्यक्ति के भविष्य के बारे में कुछ संकेत देने की बात करते हैं। स्वप्न शास्त्र के अनुसार सपनों का प्रभाव मनुष्य के जीवन पर गहरा होता है। भविष्य पुराण के अनुसार सपनों का संबंध सूर्य उपासना से गहरा होता है, अगर कोई व्यक्ति सपने में सूर्य, इंद्रधनुष और चंद्रमा को देखे तो उसने जीवन में कई प्रकार सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
आइए विस्तार से जानते हैं कौन-कौन से सपना शुभ माना जाता है।
इन चीजों के सपनों में देखना शुभ---
किसी नदी या समुद्र का जल पीना
पहाड़ का गिरना
रथ की सवारी करना
सोने के आभूषण देखना
पेड़ लगाना
बालों का झडऩा
दर्पण में देखकर श्रृंगार करना
पानी में रहने वाले जानवारों का देखना
कमल का देखना
जुआ खेलने का सपना
मलत्याग का सपना
सपने में अगर दिखे ये चीजें तो मिलता है राजसुख----
बंधी हुई गाय
भैंस को देखने
शेर का देखना
किसी मनुष्य के कई सिर अथवा हाथ का दिखाई देना
सपनों में इनका हमेशा कहना माने
सपने में अगर कोई देवगण, देवी-देवता, महापुरुष, वृद्ध व्यक्ति, पितर देव और गुरु दिखाई दे और वे कुछ करने के लिए बोलें तो हमेशा उनकी बात का पालन करना चाहिए।
सपने में मोर देखना
स्वप्न शास्त्र के अनुसार अगर कोई व्यक्ति सपने में मोर को देखता है तो वह बहुत शुभ सपना होता है. मोर भगवान को बहुत ही प्रिय होता है. साथ मोरपंख से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है। इसलिए जब सपने में मोर नाचते हुए दिखाई दे तो समझ जाना चाहिए कि आपके ऊपर दैवीय कृपा बरसने वाली है.
सपने में कौवे को देखना
सपने में कौवे को देखना शुभ माना गया है. यह सपना धन प्राप्ति के संकेत देता है. इसके अलावा हंस का देखना भी शुभ सपना है। - --बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायजॉब या बिजनेस में यदि आपके आस -पास का वातावरण नकारात्मक है। आप अंदर से खुश महसूस नहीं करते हैं, तो ऐसा माहौल आपको काम करने में बाधा उत्पन्न कर सकता है। इसके लिए ज्योतिष शास्त्र में कुछ उपाय बताएं गए है। जिनकी मदद से आप अपने आसपास के माहौल को काम करने लायक बना सकते हैं। आइए जानते हैं उन आसान उपायों के बारे में-रोज क्वार्ट्ज-रोज क्वार्ट्ज स्टोन अपने वर्क टेबल पर रखने या उससे बनी ब्रेसलेट हाथों में पहने से 20-25 दिनों के भीतर आप अपने आसपास के वातावरण में बदलाव होता हुआ महसूस करेंगे। स्टोन को हाथ में लेकर अपनी सभी इच्छाएं बोले उसके बाद उसे नमक के पानी में धुल कर अपने बाएं हाथ मे धारण करें।नमक-नकारात्मक माहौल में रहने से नकारात्मक विचार आपके अंदर आने लगते हैं इसीलिए उन्हें बाहर निकालने के लिए सप्ताह में पानी में थोड़ा सा नमक डाल कर स्नान करें और ग्रीन तारा ॐ तारे तुत्तारे तुरे सोहा मंत्र का जाप करें। रात को सोने से पहले और सुबह उठकर 20 बार इस मंत्र का जाप करें। जिसके बाद आप अंदर से शांत और हल्का महसूस करेंगे।ईविल ऑय-यदि आप लगातार एक के बाद एक इंटरव्यू दें रहे हैं लेकिन सफलता फिर भी आपको नहीं मिल रही है। इसके पीछे शायद आपके नकारात्मक विचार भी हो सकते हैं। तो इन विचारों को दूर करने के लिए अपने प्रेजेंट को स्वीकार करते हुए यह सोचे कि आगे जो कुछ भी होगा मेरे लिए कुछ न कुछ बेहतर होगा। बुरी नजर को दूर करने के लिए काले मोती वाला ब्रेसलेट जिसमें ईविल ऑय जड़ा हुआ धारण करें।
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-पंडित प्रकाश उपाध्याय
साल में कुल 12 सक्रांति पड़ती है, जिसमें से धनु सक्रांति का विशेष बताया गया है. ग्रहों के राजा सूर्य जब धनु राशि में प्रवेश करते हैं तो धनु संक्रांति होती है. धनु संक्रांति आते ही अगले 30 दिन के लिए मुंडन, सगाई और गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्यों पर विराम लग जाता है. इस अवधि को खरमास या मलमास भी कहा जाता है. इस साल सूर्य 16 दिसंबर 2022 को धनु राशि में प्रवेश करेंगे और इसी दिन से खरमास प्रारंभ हो जाएगा. आइए आपको खरमास का महत्व और इसमें बंद कार्यों के बारे में बताते हैं.
कैसे लगता है खरमास?
हिन्दू पंचांग के अनुसार, एक वर्ष में कुल 12 संक्रांतियां होती हैं. सूर्य जब धनु और मीन में प्रवेश करते हैं, तो इन्हें क्रमश: धनु संक्रांति और मीन संक्रांति कहा जाता है. सूर्य जब धनु व मीन राशि में रहते हैं, तो इस अवधि को मलमास या खरमास कहा जाता है. इसमें शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं.
क्यों बंद होते हैं शुभ कार्य
ज्योतिषियों की मानें तो गुरु देव बृहस्पति धनु राशि के स्वामी हैं. बृहस्पति का अपनी ही राशि में प्रवेश इंसान के लिए अच्छा नहीं होता है. ऐसा होने पर लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर पड़ जाता है. इस राशि में सूर्य के कमजोर होने कारण इसे मलमास कहते हैं. ऐसा कहा जाता है कि खरमास में सूर्य का स्वभाव उग्र हो जाता है. सूर्य के कमजोर स्थिति में होने की वजह से इस महीने शुभ कार्यों पर पाबंदी लग जाती है.
खरमास में नहीं करने चाहिए ये काम
1. खरमास में शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं. इस समय अगर विवाह किया जाए तो भावनात्मक और शारीरिक सुख दोनों नहीं मिलते हैं.
2. इस समय मकान का निर्माण या संपत्ति की खरीदारी वर्जित होती है. इस दौरान बनाए गए मकान आमतौर पर कमजोर होते हैं और उनसे निवास का सुख नहीं मिल पाता है.
3. खरमास में नया कार्य या व्यापार शुरू न करें. इससे व्यापार में शुभ फलों के प्राप्त होने की संभावना बहुत कम हो जाती है.
4. इस दौरान द्विरागमन, कर्णवेध और मुंडन जैसे कार्य भी वर्जित होते हैं, क्योंकि इस अवधि के किए गए कार्यों से रिश्तों के खराब होने की सम्भावना होती है.
5. इस महीने धार्मिक अनुष्ठान न करें. हर रोज किए जाने वाले अनुष्ठान कर सकते हैं. - वास्तु शास्त्र में धन वृद्धि के लिए वैसे तो मनी प्लांट को लगाने की बात कही जाती है, लेकिन बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि मनी प्लांट से भी ज्यादा चमत्कारी और प्रभावशाली होता है क्रासुला का पौधा। क्रासुला के पौधे को मनी ट्री, फ्रेंडशिप ट्री, लकी प्लांट, जेड प्लांट के नाम से भी जाना जाता है। इसके नाम से ही इसकी खासियत का पता लग जाता है। तो चलिए जानते हैं इस चमत्कारी पौधे के बारे में...शुभकारी है पौधावास्तु शास्त्र में क्रासुला के पौधे को बेहद शुभ और चमत्कारी माना गया है। कहते हैं ये पौधा चुंबक की तरह पैसों को अपनी ओर खींचता है। कहा जाता है कि इस पौधे को घर में लगाने से व्यक्ति की आर्थिक समस्याएं खत्म हो जाती हैं। साथ ही धन के नए रास्ते खुलते हैं।सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है ये पौधाक्रासुला के पौधे को घर या ऑफिस में इस पौधे को लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यदि आपके पास पैसा खूब आता है लेकिन टिकता नहीं, तो आप क्रासुला का पौधा लगा सकते हैं।घर में इस जगह लगाएं क्रासुलाइस पौधे के बारे में मान्यता है कि यह सकारात्मक ऊर्जा और धन को अपनी ओर खींचता है। इसे घर के मुख्य द्वार के दायीं तरफ लगाएं। फिर देखिए, कैसे आपके घर में धन की वर्षा होने लगेगी।क्रासुला के पौधे को लगाने में ज्यादा मेहनत नहीं लगती। इसका पौधा खरीद के किसी गमले या जमीन में लगा दें, फिर ये अपने आप फैलता रहेगा। इसे धूप या छांव कहीं भी लगाया जा सकता है।---
- सूर्य एक आत्मा कारक ग्रह हैं और हर महीने वो राशि परिवर्तन करते हैं। 16 दिसम्बर को सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेंगे जिसे धनु संक्रांति भी कहा जाता है। देव गुरु बृहस्पति की राशि में आकर सूर्य देव बेहद शुभ हो जाते हैं। धनु राशि अग्नि तत्व की राशि है वहीं सूर्य ग्रहों के राजा है। सूर्य का धनु राशि में प्रवेश 3 राशियों के लिए बेहद शुभ रहने वाला है। आइये जानते है कि वो 3 राशियां कौन कौन सी है।मेष राशिइस राशि के जातकों के लिए सूर्य पंचम भाव के स्वामी होते है। पंचम भाव से शिक्षा, प्रेम और संतान का विचार किया जाता है। सूर्य का गोचर अब आपके नवम भाव में होगा जो की भाग्य का स्थान है। सूर्य की दृष्टि आपके तीसरे स्थान में जा रही है जो की साहस और पराक्रम का भाव है। सूर्य के इस गोचर से सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे जातकों को शुभ परिणाम प्राप्त होंगे। इस समय आपको संतान पक्ष से शुभ समाचार प्राप्त होगा। इस समय की गई यात्राओं से आपको लाभ होगा। किसी धार्मिक यात्रा पर जाने के योग बन रहे है। इस समय अपने प्रेमी के द्वारा गुप्त मदद मिलेगी।तुला राशिइस राशि के जातकों के लिए सूर्य लाभ स्थान यानी एकादश भाव के स्वामी होते है। इस समय सूर्य का गोचर आपके तीसरे भाव में होगा। तीसरे भाव से भाइयों, साहस और पराक्रम का विचार किया जाता है। सूर्य की दृष्टि इस समय आपके भाग्य स्थान पर होगी। सूर्य के इस गोचर के फलस्वरूप आपको काम के सिलसिले में की गई यात्राओं से लाभ होगा। इस समय आपके पिता से आपको बड़ी मदद मिल सकती है। आपके भाग्य का आपको पूरा साथ मिलने वाला है। आप अगर निवेश करने की सोच रहे है तो यह सही समय है। व्यापारी वर्ग को इस समय बढ़िया मुनाफा होगा।कुम्भ राशिइस राशि के जातकों के लिए सूर्य सप्तम भाव के स्वामी होते है। सप्तम भाव से जीवनसाथी और साझेदारी का विचार किया जाता है। सूर्य का गोचर आपके लाभ स्थान में होने जा रहा है। सूर्य की दृष्टि आपके पंचम भाव यानी की संतान भाव पर होगी। सूर्य का यह गोचर छात्र वर्ग के लिए बेहद शुभ है। इस समय अगर साझेदारी में कोई काम शुरू करना चाह रहे है तो कर सकते है। आपकी पत्नी के माध्यम से आपको कोई बड़ा लाभ हो सकता है। शेयर मार्किट में निवेश करने वाले जातक इस समय सोच समझकर धन खर्च करे। संतान पक्ष की ओर से आपको कोई शुभ समाचार प्राप्त हो सकता है।
- हिन्दू धर्म में अग्नि की बड़ी महत्ता बताई गयी है। बिना अग्नि के मनुष्यों का जीवन संभव नहीं और इसीलिए हम अग्नि को देवता की भांति पूजते हैं। इसी अग्नि के अधिष्ठाता अग्निदेव बताये गए हैं जिनकी उत्पत्ति स्वयं परमपिता ब्रह्मा से हुई मानी गयी है। हिन्दू धर्म में पंचमहाभूतों की जो अवधारणा है उनमें से एक अग्नि हैं। अन्य चार पृथ्वी, जल (वरुण), वायु एवं आकाश हैं।हिन्दू धर्म के दस दिग्पाल भी माने गए हैं और अग्निदेव उनमें से एक हैं। वे आग्नेय दिशा के अधिष्ठाता हैं। वैदिक काल में अग्नि को त्रिदेवों में से एक माना गया है। वैदिक काल के त्रिदेवों में अन्य दो इंद्र और वरुण थे। पौराणिक काल में भी अग्नि का महत्व काफी रहा और 18 महापुराणों में से एक अग्नि पुराण उन्हें ही समर्पित है।विश्व साहित्य का सबसे प्रथम शब्द अग्नि ही है। इसका कारण ये है कि सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद का प्रथम सूक्त अग्नि शब्द से ही आरम्भ होता है। केवल ऋग्वेद में ही अग्नि से सम्बंधित 200 से भी अधिक सूक्त हैं। इसके अतिरिक्त ऐतरेय ब्राह्मण में भी बारम्बार अग्नि को ही प्रथम देव कहा गया है। इन्हे यज्ञ का प्रधान माना गया है। इन्हे देवताओं का मुख कहा गया है, क्योंकि यज्ञ में डाला गया हर हविष्य अग्नि के मुख द्वारा ही अन्य देवताओं तक पहुँचता है।अग्नि की कुल सात जिह्वाएँ बताई गयी हैं जिनसे वे हविष्य ग्रहण करते हैं। वे हैं - काली, कराली, मनोजवा, सुलोहिता, धूम्रवर्णी, स्फुलिंगी तथा विश्वरुचि। ऐसी मान्यता है कि अग्नि देवताओं के रक्षक हैं और किसी भी युद्ध में वे देवताओं के आगे-आगे चलते हैं। कई स्थानों पर इन्हे देवताओं का सेनापति भी कहा गया है। सभी प्रकार के रत्न अग्नि से ही उत्पन्न हुए माने जाते हैं और अग्निदेव ही समस्त रत्नों को धारण करते हैं।अग्नि की पत्नी स्वाहा बताई गयी है जो प्रजापति दक्ष की पुत्री थी। कहते हैं कि अग्नि देव अपनी पत्नी से इतना प्रेम करते हैं कि उनके बिना वे कोई भी हविष्य ग्रहण नहीं करते। यही कारण है कि अग्नि में समर्पित सभी चीजों के अंत में "स्वाहा" का उच्चारण करना आवश्यक है। इनके 4 पुत्र बताये गए हैं - पावक, पवमान, शुचि एवं स्वरोचिष। इनमें से स्वरोचिष ने ही द्वितीय मनु का पदभार संभाला था। इसके अतिरिक्त रामायण में वानर सेना के सेनापति नील भी अग्नि के ही पुत्र माने जाते हैं। इनके सभी पुत्र-पौत्रादियों की संख्या उनन्चास बताई गयी है।अग्निदेव बहुत जल्दी क्रुद्ध होने वाले देव हैं। साथ ही उनकी भूख भी अत्यंत तीव्र है। महाभारत में अग्निदेव की भूख शांत करने के लिए अर्जुन और श्रीकृष्ण ने उन्हें खांडव वन को खाने को कहा। उसी वन में तक्षक भी रहता था जिसकी रक्षा के लिए स्वयं इंद्र आये। तब श्रीकृष्ण और अर्जुन ने इंद्र को रोका जिससे अग्नि से समस्त वन को खा लिया। इससे प्रसन्न होकर उन्होंने अर्जुन को "गांडीव" नामक अद्वितीय धनुष और एक दिव्य रथ प्रदान किया।वैदिक ग्रंथों में अग्निदेव को लाल रंग के शरीर के रूप में वर्णित किया गया है, जिसके तीन पैर, सात भुजाएं, सात जीभ और तेज सुनहरे दांत होते हैं। अग्नि देव दो चेहरे, काली आँखें और काले बाल के साथ घी के साथ घिरे होते हैं। अग्नि देव के दोनों चेहरे उनके फायदेमंद और विनाशकारी गुणों का संकेत करते हैं। उनकी सात जीभें उनके शरीर से विकिरित प्रकाश की सात किरणों का प्रतिनिधित्व करती हैं। उनका वाहन भेड़ है। कुछ छवियों में अग्नि देव को एक रथ पर सवारी करते हुए भी दिखलाया गया है जिसे बकरियों और तोतों द्वारा खींचा जा रहा होता है।
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बालोद से प्रकाश उपाध्याय
28 नवंबर 2022 सोमवार को मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी को राम जानकी-विवाह महोत्सव है। वाल्मीकि रामायण में वर्णित है कि भगवान राम का भूमि पुत्री सीता के साथ विवाह बंधन मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी को हुआ था। इसलिए प्रतिवर्ष इस उत्सव का आयोजन किया जाता है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार विवाह केवल शारीरिक मिलन का ही आयोजन नहीं है बल्कि दो आत्माओं का मिलन है। वैवाहिक संबंधों की पुष्टि और सुदृढता, कुल वृद्धि और गृहस्थ जीवन में सुख-शांति और प्रेम के लिए राम-जानकी विवाह का उत्सव का किया जाता है। श्रीराम-जानकी विवाह पवित्रता, विश्वास की पराकाष्ठा और तन-मन के पवित्र मिलन का संकेतक है। श्रीराम-जानकी विवाह महोत्सव में साधक गण भगवान राम और सीता के विग्रह को सज्जित करते हैं। उन्हें सुंदर वस्त्रों और पुष्पमाला से सुसज्जित करके परस्पर वैवाहिक प्रतीक के रूप में उन्हें दूसरे को समर्पित कर देते हैं। इस अवसर पर रामायण अथवा रामचरितमानस में वर्णित राम विवाह प्रसंग के कथा सुनने से परिवार और गृहस्थ जीवन में सुख-शांति मिलती है। साथ-साथ विवाह योग्य युवक-युवतियों को भी श्रीराम-जानकी विवाह का प्रसंग अवश्य सुनना चाहिए। श्रीराम-जानकी विवाह के प्रसंग को सुनने से पारिवारिक एकता, पति-पत्नी का आपसी विश्वास, स्नेह और माधुर्य हमेशा बना रहता है।
श्रीराम-सीता के विग्रह को सज्जित करने के पश्चात भगवान राम-सीता के विग्रह को फल, फूल, द्रव्य, नैवेद्य, मिष्ठान का भोग लगाकर उनकी विशिष्ट पूजा करनी चाहिए। हिंदू धर्म में मान्यता है कि भगवान राम एक मर्यादा पुरुष हैं और सीता माता उनके जीवन की आदिशक्ति हैं। सीता माता के साथ रहते हुए ही भगवान राम रावण का वध कर सके। उन्हीं के साथ रहते हुए पृथ्वी को रावण सहित राक्षसों के अत्याचारों से मुक्त किया। श्रीराम जी का सीता माता के साथ का पाणिग्रहण संस्कार न होता तो पूरी पृथ्वी पर रावण का आतंक फैल जाता। जैसे मां पार्वती के बिना शिव अधूरे हैं, ऐसे ही मां सीता के बिना राम अधूरे हैं और सीता माता आद्या शक्ति है जो पल-पल पर भगवान राम को मर्यादित जीवन की याद कराती हैं। -
हस्तरेखा विज्ञान में विभिन्न तरह की रेखाओं का विस्तार से वर्णन मिलता है, लेकिन इनमें जीवन रेखा, मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा केा प्रमुख तीन रेखा माना गया है। इसके साथ ही भाग्य रेखा और मंगल रेखाएं भी हाथों में मिलती हैं। अनेक हाथों में रेखाएं दोमुखी होती हैं। दोमुखी रेखाओं का जीवन में व्यापक असर पड़ता है। इन्हीं में से एक है जीवन रेखा।
-दोमुखी जीवन व्यक्ति के विवाह का संकेत भी देती है। बाहर की ओर जीवन रेखा से निकली रेखा व्यक्ति की दूर राज्य और बिल्कुल अलग संस्कृति में शादी का संकेत होती है। ऐसे लोगों की आजीविका भी घर से दूर होती है। इसी तरह यदि शाखा अंदर की ओर है तो शादी बिल्कुल नजदीक होती है और ये अपनी आजीविका भी घर के पास रहकर ही कमाते हैं।
-यदि जीवन रेखा और मस्तिष्क रेखा ऊपर से अलग-अलग हों तो ऐसे लोग अपना काम खुद करते हैं। इस तरह के लोग दूसरे का हस्तक्षेप बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं होता। इनका स्वभाव भी क्रोधी होता है। इनका सामाजिक दायरा बहुत छोटा होता है।
-जीवन रेखा को नीचे की ओर काटने वाली रेखाएं व्यक्ति के स्वास्थ्य का संकेत देती है। ये रेखाएं जिस उम्र में जीवन रेखा काटती हैं उस उम्र में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
-हाथ में जीवन रेखा व्यक्ति के जीवन के बारे में बहुत से सवालों का जवाब देती है। यदि हाथ में जीवन रेखा दोमुखी है और दूसरी शाखा बाहर की ओर हो तो ऐसे लोग विदेश जाकर स्थायी रूप से बस जाते हैं, लेकिन यदि जीवन रेखा से निकली दूसरी शाखा अंदर की ओर हो तो ऐसे लोग विदेश तो जाते हैं, लेकिन निश्चित समय के बाद धन कमाकर लौट आते हैं।