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दीवाली पर माँ लक्ष्मी, सरस्वती एवं गणेशजी की पूजा की जाती है। इन दिन इन तीनों देवी-देवताओं की विशेष पूजा-अर्चना कर उनसे सुख-समृद्धि, बुद्धि तथा घर में शांति, तरक्की का वरदान माँगा जाता है। दीवाली पर देवी-देवताओं की पूजा में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखा जाता है जो निम्न प्रकार हैं-
पूजन सामग्रीदीवाली पूजा के सामान की लगभग सभी चीजें घर में ही मिल जाती हैं। कुछ अतिरिक्त चीजों को बाहर से लाया जा सकता है। ये वस्तुएं हैं- लक्ष्मी, सरस्वती व गणेश जी का चित्र या प्रतिमा, रोली, कुमकुम, चावल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, अगरबत्तियां, मिट्टी तथा तांबे के दीपक, रुई, कलावा (मौलि), नारियल, शहद, दही, गंगाजल, गुड़, धनिया, फल, फूल, जौ, गेहूँ, दूर्वा, चंदन, सिंदूर, घृत, पंचामृत, दूध, मेवे, खील, बताशे, गंगाजल, यज्ञोपवीत (जनेऊ), श्वेत वस्त्र, इत्र, चौकी, कलश, कमल गट्टे की माला, शंख, आसन, थाली, चांदी का सिक्का, देवताओं के प्रसाद हेतु मिष्ठान्न (बिना वर्क का)पूजन विधिदीवाली की पूजा में सबसे पहले एक चौकी पर सफेद वस्त्र बिछा कर उस पर माँ लक्ष्मी, सरस्वती व गणेश जी का चित्र या प्रतिमा को विराजमान करें। इसके बाद हाथ में पूजा के जलपात्र से थोड़ा-सा जल लेकर उसे प्रतिमा के ऊपर निम्न मंत्र पढ़ते हुए छिड़कें। बाद में इसी तरह से स्वयं को तथा अपने पूजा के आसन को भी इसी तरह जल छिड़ककर पवित्र कर लें।ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि:॥इसके बाद माँ पृथ्वी को प्रणाम करके निम्न मंत्र बोलें तथा उनसे क्षमा प्रार्थना करते हुए अपने आसन पर विराजमान हों।पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग ऋषिः सुतलंछन्दः कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता।त्वं च धारय माँ देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥पृथिव्यै नमः आधारशक्तये नमःइसके बाद "ॐ केशवाय नमः, ॐ नारायणाय नमः, ॐ माधवाय नमः" कहते हुए गंगाजल का आचमन करेंध्यान व संकल्पइस पूरी प्रक्रिया के बाद मन को शांत कर आँखें बंद करें तथा माँ को मन ही मन प्रणाम करें। इसके बाद हाथ में जल लेकर पूजा का संकल्प करें। संकल्प के लिए हाथ में अक्षत (चावल), पुष्प और जल ले लीजिए। साथ में एक रूपए (या यथासंभव धन) का सिक्का भी ले लें। इन सब को हाथ में लेकर संकल्प करें, कि मैं अमुक व्यक्ति अमुक स्थान व समय पर माँ लक्ष्मी, सरस्वती तथा गणेशजी की पूजा करने जा रहा हूं, जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हों। इसके बाद सबसे पहले भगवान गणेशजी व गौरी का पूजन कीजिए। तत्पश्चात कलश पूजन करें, फिर नवग्रहों का पूजन कीजिए। हाथ में अक्षत और पुष्प ले लीजिए, और नवग्रह स्तोत्र बोलिए। इसके बाद भगवती षोडश मातृकाओं का पूजन किया जाता है। इन सभी के पूजन के बाद 16 मातृकाओं को गंध, अक्षत व पुष्प प्रदान करते हुए पूजन करें। पूरी प्रक्रिया मौलि लेकर गणपति, माता लक्ष्मी व सरस्वती को अर्पण कर और स्वयं के हाथ पर भी बंधवा लें। अब सभी देवी-देवताओं के तिलक लगाकर स्वयं को भी तिलक लगवाएं। इसके बाद माँ महालक्ष्मी की पूजा आरंभ करें।माँ को रिझाने के लिए करें श्रीसूक्त, लक्ष्मीसूक्त व कनकधारा स्रोत का पाठ सबसे पहले भगवान गणेशजी, लक्ष्मीजी का पूजन करें। उनकी प्रतिमा के आगे 7, 11 अथवा 21 दीपक जलाएं तथा माँ को श्रृंगार सामग्री अर्पण करें। माँ को भोग लगा कर उनकी आरती करें। श्रीसूक्त, लक्ष्मीसूक्त व कनकधारा स्रोत का पाठ करें। इस तरह से आपकी पूजा पूर्ण होती है।क्षमा-प्रार्थनापूजा पूर्ण होने के बाद माँ से जाने-अनजाने हुए सभी भूलों के लिए क्षमा-प्रार्थना करें। उन्हें कहें- माँ न मैं आह्वान करना जानता हूँ, न विसर्जन करना। पूजा-कर्म भी मैं नहीं जानता। हे परमेश्वरि! मुझे क्षमा करो। मन्त्र, क्रिया और भक्ति से रहित जो कुछ पूजा मैंने की है, हे देवि! वह मेरी पूजा सम्पूर्ण हो। यथा-सम्भव प्राप्त उपचार-वस्तुओं से मैंने जो यह पूजन किया है, उससे आप भगवती श्रीलक्ष्मी प्रसन्न हों। (सभी आध्यात्मिक जानकारियों के लिये हमारे फेसबुक पेज श्रीजी की चरण सेवा के साथ जुड़े रहें।)दीपावली की लक्ष्मीजी की कथाहमारी लोक संस्कृति में दीपावली त्योहार और माता लक्ष्मी की बड़ी सौंधी सी कथा प्रचलित है। एक बार कार्तिक मास की अमावस को लक्ष्मीजी भ्रमण पर निकलीं। चारों ओर अंधकार व्याप्त था। वे रास्ता भूल गईं। उन्होंने निश्चय किया कि रात्रि वे मृत्युलोक में गुजार लेंगी और सूर्योदय के पश्चात बैकुंठधाम लौट जाएंगी, किंतु उन्होंने पाया कि सभी लोग अपने-अपने घरों में द्वार बंद कर सो रहे हैं।तभी अंधकार के उस साम्राज्य में उन्हें एक द्वार खुला दिखा जिसमें एक दीपक की लौ टिमटिमा रही थी। वे उस प्रकाश की ओर चल दीं। वहां उन्होंने एक वृद्ध महिला को चरखा चलाते देखा। रात्रि विश्राम की अनुमति माँग कर वे उस बुढ़िया की कुटिया में रुकीं।वृद्ध महिला लक्ष्मीदेवी को बिस्तर प्रदान कर पुन: अपने कार्य में व्यस्त हो गई। चरखा चलाते-चलाते वृद्धा की आंख लग गई। दूसरे दिन उठने पर उसने पाया कि अतिथि महिला जा चुकी है किंतु कुटिया के स्थान पर महल खड़ा था। चारों ओर धन-धान्य, रत्न-जेवरात बिखरे हुए थे।कथा की फलश्रुति यह है कि माँ लक्ष्मीदेवी जैसी उस वृद्धा पर प्रसन्न हुईं वैसी सब पर हों। और तभी से कार्तिक अमावस की रात को दीप जलाने की प्रथा चल पड़ी। लोग द्वार खोलकर लक्ष्मीदेवी के आगमन की प्रतीक्षा करने लगे।किंतु मानव समाज यह तथ्य नहीं समझ सका कि मात्र दीप जलाने और द्वार खोलने से महालक्ष्मी घर में प्रवेश नहीं करेंगी। बल्कि सारी रात परिश्रम करने वाली वृद्धा की तरह कर्म करने पर और अंधेरी राहों पर भटक जाने वाले पथिकों के लिए दीपकों का प्रकाश फैलाने पर घरों में लक्ष्मी विश्राम करेंगी। ध्यान दिया जाए कि वे विश्राम करेंगी, निवास नहीं। क्योंकि लक्ष्मी का दूसरा नाम ही चंचला है। अर्थात् अस्थिर रहना उनकी प्रकृति है।इस दीपोत्सव पर कामना करें कि राष्ट्रीय एकता का स्वर्णदीप युगों-युगों तक अखंड बना रहे। हम ग्रहण कर सकें नन्हे-से दीप की कोमल-सी बाती का गहरा-सा संदेश कि बस अंधकार को पराजित करना है और नैतिकता के सौम्य उजास से भर उठना है।न क्रोधो न च मात्सर्य न लोभो ना शुभामति:भवन्ति कृत पुण्यानां भक्तानां सूक्त जापिनाम्॥अर्थात् लक्ष्मी सूक्त का पाठ करने वाले की क्रोध, मत्सर, लोभ व अन्य अशुभ कर्मों में वृत्ति नहीं रहती। वे सत्कर्मों की ओर प्रेरित होते हैं।गणेश जी की आरतीजय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा,माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥१॥एक दंत दयावंत चार भुजाधारी।माथे पर तिलक सोहे, मुसे की सवारी॥२॥पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा।लड्डुवन का भोग लगे, संत करे सेवा॥३॥अंधन को आंख देत, कोढ़ियन को काया।बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥४॥सुर श्याम शरण आये सफल कीजे सेवा।जय गणेश देवा, जय गणेश जय गणेश॥५॥----------:::×:::----------लक्ष्मीजी की आरतीॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता।तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥ॐ॥उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम जग की माता।सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ॐ॥दुर्गारूप निरंजन, सुख संपत्ति दाता।जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धी धन पाता॥ॐ॥तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता।कर्मप्रभाव प्रकाशनी, क्षभवनिधि की त्राता॥ॐ॥जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्गुण आता।सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ॐ॥तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता।खान पान का वैभव, सब तुमसे आता॥ॐ॥शुभ गुण मंदिर, सुंदर क्षीरनिधि जाता।रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥ॐ॥महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता।उर आंनद समाता, पाप उतर जाता॥ॐ॥----------:::×:::---------- -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
12 नवंबर को दिवाली या दीपावली का त्योहार मनाया जाएगा। इस बार की दिवाली काफी खास और पुण्यदायक रहेगी। दिवाली पर लगभग 500 सालों के बाद पांच राज योग मिलकर अद्भुत महासंयोग बना रहे हैं। दिवाली पर गजकेसरी योग, सौभाग्य योग, आयुष्मान योग, बुधादित्य राजयोग और शश महापुरुष राजयोग का निर्माण होगा, जो शुक्र, शनि, चंद्रमा, गुरु और बुध की स्थिति के कारण बनेंगे। राजयोगों के निर्माण से दिवाली का दिन कुछ राशियों के लिए लाभदायक साबित होगी। इसलिए आइए जानते हैं दिवाली पर कौन सी राशियां लकी रहने वाली हैं-
मेष राशि
इस साल की दिवाली मेष राशि वालों के लिए बेहद ही लाभदायक मानी जा रही है। दिवाली पर बने राजयोग से आय में वृद्धि होने की संभावना है। जॉब कर रहे लोगों को अच्छा बोनस मिल सकता है। व्यापारियों के लिए दिन बेहद ही सुखद माना जा रहा है। सेहत और धन के मामले में भाग्यशाली रहने वाले हैं। पूरी श्रद्धा के साथ मां लक्ष्मी की पूजा करें।
धनु राशि
दिवाली पर बना पांच राजयोग का अद्भुत संयोग धनु राशि के लोगों के लिए फायदेमंद माना जा रहा है। आपको कोई शुभ समाचार प्राप्त हो सकता है। मां लक्ष्मी की कृपा से सुख-समृद्धि का आगमन होगा। दिवाली से ही आपके अच्छे दिनों की शुरुआत होगी। व्यापारियों के लिए दिन समृद्धि वाला माना जा रहा है।
मिथुन राशि
मिथुन राशि के लोगों के लिए इस बार की दिवाली बेहद ही खास रहने वाली है। आपको अपने किसी प्रिय परिजन या दोस्त से कोई उपहार मिल सकता है। नौकरी करने वालों का भाग्य साथ देगा। सेहत अच्छी रहेगी। वहीं, व्यापारियों को कोई बड़ा मुनाफा हाथ लग सकता है। मां लक्ष्मी का अभिषेक कच्चे दूध से करें। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों को दिवाली के त्योहार का बेसब्री से इंतजार रहता है। इस साल दिवाली या दीपावली 12 नवंबर 2023, रविवार को है। दिवाली के दौरान लोग अपने प्रियजनों को उपहार देते हैं और अपने घरों को रोशनी से सजाते हैं। दिवाली का त्योहार धनतेरस से प्रारंभ होकर भाईदूज के दिन समाप्त होता है। दिवाली के दिन शाम को शुभ मुहूर्त में महालक्ष्मी पूजा की जाती है। मां महालक्ष्मी, मां महाकाली और मां सरस्वती, मां लक्ष्मी के स्वरूप हैं जिनकी दिवाली के दौरान पूजा की जाती है। लक्ष्मी पूजा में कमल के फूल का बहुत महत्व है। जानें लक्ष्मी पूजा में कमल के फूल का महत्व-
लक्ष्मी पूजन में कमल के फूल का महत्व
अष्टकमल यानी आठ कमल के फूल मां लक्ष्मी को बहुत अतिप्रिय हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां लक्ष्मी का अवतार कमल के फूल से हुआ था। इसलिए लक्ष्मी पूजा के दौरान मां को आठ कमल के फूल चढ़ाए जाते हैं। अगर लक्ष्मी पूजा के दौरान कमल के फूल उपलब्ध नहीं हैं, तो भक्त मां लक्ष्मी को गुड़ भी चढ़ा सकते हैं।
लक्ष्मी पूजन मंत्र: ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद।
श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नमः॥
मां लक्ष्मी बीज मंत्र: लक्ष्मी बीज मंत्र एक शक्तिशाली मंत्र है जो जीवन से धन की कमी को दूर कर सकता है। मान्यता है कि मां लक्ष्मी को 8 कमल के फूल चढ़ाने और लक्ष्मी बीज मंत्र का जाप करने से भक्तों को कर्ज से मुक्ति मिलती है। ऐसा माना जाता है कि जब हम लक्ष्मी बीज मंत्र का जाप करते हैं तो बुद्धि तेज होती है और जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है।
दिवाली लक्ष्मी पूजन विधि:
1. सबसे पहले ईशान कोण या उत्तर दिशा में साफ-सफाई के बाद स्वास्तिक बनाएं। एक कटोरी चावल रखें। लकड़ी के पाट पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर रखें। ध्यान रहे कि माता लक्ष्मी की तस्वीर में गणेश जी और कुबेर जी की भी तस्वीर रहे।
2. सभी मूर्तियों या तस्वीरों पर जल छिड़ककर पवित्र करें।
3. अब कुश के आसन पर बैठकर माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर जी को वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, अक्षत और अंत में दक्षिणा चढ़ाएं।
4. माता लक्ष्मी सहित सभी देवी-देवताओं के मस्तक पर हल्दी, रोली और चावल लगाएं।
5. पूजा करने के बाद भोग या प्रसाद चढ़ाएं।
6. अंत में खड़े होकर देवी-देवताओं की आरती उतारें। आरती करने के बाद उस पर जल फेर दें।
8. पूजा के बाद घर के आंगन और मेनगेट में दीये जलाएं। एक दीपक यम के नाम का भी जलाना चाहिए। - धनतेरस पर इस बार पांच विशेष महायोग पड़ने से यह त्योहार बेहद सुख समृद्धि भरा हैं। लगभग 59 वर्षों के बाद धनतेरस पर गजकेसरी योग, कतरी शश योग, हर्ष उभयचारी योग, दुर्धर योग, धनलक्ष्मी योग बन रहे हैं। जो कि त्योहार के हिसाब से बेहद उत्तम माने जा रहे हैं। 59 वर्ष बाद इस बार धनतेरस पर पांच विशेष योग बन रहे हैं। इसके अतिरिक्त शुक्रवार का दिन तथा चंद्रमा और शुक्र ग्रह के एक साथ गोचर करने से भी त्योहार पर अद्भुत संयोग बना रहे हैं।धनतेरस पर हस्त नक्षत्र का शुभ संयोग बन रहा है। इसमें महामुहूर्त पर जमकर खरीदारी होने की संभावना है।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार का र्तिक कृष्णपक्ष त्रयोदशी भगवान विष्णु के अंशावतार और देवताओं के वैद्य भगवान धन्वन्तरि का समुद्र से प्राकट्य पर्व है। इस दिन आयुर्वेद के जन्मदाता भगवान धन्वंतरि की पूजन कर यम दीप प्रज्ज्वलित कर दान किया जाता है। इस पूजन से असामायिक मृत्यु भय से मुक्त होकर व्यक्ति सुख समृद्धि आरोग्यता को प्राप्त करता है।यह पर्व शिव-पार्वती व्रत पूजन प्रदोष व्यापिनी कोषाध्यक्ष कुबेर के पूजन विधि अनुसार मनाने का विधान है। पंचांग के अनुसार धनतेरस का शुभ मुहूर्त इस साल 10 नवंबर को दोपहर 11बजकर48 मिनट से शुरू होकर 11 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 32 मिनट पर समापन होगा। इसलिए प्रदोष काल संध्या पूजन का विशेष महत्व है। 10 नवंबर को धनतेरस शुक्रवार को आ रहा है। इसे कामेश्वरी जयंती भी कहते हैं।कन्या राशि के चंद्रमा, धनतेरस पर्व पर सोना चांदी, इलेक्ट्रोनिक आयटम, वस्त्र, नौकरी-व्यावसायिक, वाहन, प्रापर्टी को इस दिन करने से सुख समृद्धि प्राप्त होती है।
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10 नवंबर को धनतेरस मनाया जाएगा। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत शुक्रवार को दिन के 11:47 बजे से हो रही है। समापन शनिवार को दोपहर 1:13 बजे होगा। धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी, लक्ष्मी और कुबेर की पूजा की जाती है। इस दिन सोने, चांदी सहित घरेलू उपयोग की चीजें खरीदना शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भूमि, भवन, वाहन सहित अन्य नए सामानों के खरीदने से घर में सुख-समृद्धि आती है।
भगवान कुबेर और लक्ष्मी को सफेद मिष्ठान का लगाएं भोग
-पं. प्रकाश उपाध्याय
धनतेरस पर खरीदारी का शुभ मुहूर्त 10 नवम्बर को दिन में 11:47 बजे से 11 नवम्बर दोपहर 1:13 बजे तक रहेगा। खरीदारी के लिए दोनों दिन को शुभप्रद माना गया है। इस अवधि में किसी भी समय पूजा की जा सकती है। धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी, मां लक्ष्मी और कुबेर की पूजा होती है। पूजा में घी का दीपक जलाएं और पुष्प, फल चढ़ाने के बाद पूजा शुरू करें। इस दौरान भगवान कुबेर और लक्ष्मी को सफेद मिष्ठान का भोग लगाएं। धन्वंतरी को पीले रंग के मिष्ठान का भोग लगाना चाहिए।
धनतेरस पूजन विधि
धनतेरस की शाम के समय उत्तर दिशा में कुबेर, धनवंतरी भगवान और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पूजा के समय घी का दीपक जलाएं। कुबेर को सफेद मिठाई और भगवान धनवंतरी को पीली मिठाई चढ़ाएं। पूजा करते समय कुबेर मंत्र का जाप करना चाहिए। फिर धनवंतरी स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इसके बाद भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा करना चाहिए। माता लक्ष्मी और भगवान गणेश को भोग लगाएं और फूल चढ़ाना चाहिए। धनतरेस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है। शास्त्रों में वर्णित है की कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी की रात यम देवता का पूजन कर दक्षिण दिशा की ओर भेंट करता है उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। इसलिए इस दिन घर के बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर रखा जाता है। -
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
कुछ ही दिनों में दिवाली का त्योहार शुरू होने जा रहा है। 12 नवंबर के दिन दीपोत्सव का त्योहार पूरे जोरों-शोरों से मनाया जाएगा। दिवाली से पहले ही लोग साफ-सफाई शुरू कर देते हैं और तरह-तरह की चीजों से घर की सजावट करते हैं। वहीं, दिवाली पर मुख्य तौर पर मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा की जाती है। वहीं, वास्तु दोष से बचने और धन वृद्धि के लिए घर से कुछ चीजों को बाहर निकाल देना ही बेहतर रहेगा।
1. वस्तु विद्या के मुताबिक, घर में बंद घड़ी का होना बैड लक का कारण बना सकता है। इसलिए दीवाली से पहले ही बंद घड़ी को सही करवा लें या घर से बाहर निकाल दें।
2. घर में सूखे और कांटेदार पेड़-पौधे नहीं रखना चाहिए। इससे घर में निगेटिव एनर्जी बढ़ती है और करियर क्षेत्र में दिक्कतें आनी शुरू हो जाती हैं।
3. लक्ष्मी माता का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो फटे पुराने कपड़े घर से बाहर निकाल दें।
4. घर के मंदिर में कभी भी देवी-देवताओं की जली या टूटी हुई मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए। मंदिर में देवी देवताओं की फटी-कटी तस्वीर भी अशुभ माना जाता है।
5. खराब, पुराने ताले रखने से आर्थिक दिक्कतें परेशान कर सकती हैं। इसलिए दिवाली से पहले ही बिना चाबी वाले और खराब तालों को घर से बाहर निकाल दें।
6. कभी भी घर में टूटा हुआ कांच नहीं रखना चाहिए। ये नेगेटिव एनर्जी का सेंटर बनता है। वहीं, कांच में दरार आ जाने पर भी इसे बदलना या बाहर कर देना बेहतर रहेगा।
7. घर में टूटे-हुए बर्तन रखना भी अच्छा नहीं माना जाता है। इसलिए अगर आप गुड लक अट्रैक्ट करना चाहते हैं तो अपने घर में टूटे हुए बर्तन न रखें।
8. घर में मकड़ी के जाले दरिद्रता का कारण बन सकते हैं। ऐसा कहते हैं कि घर में जाले लग जाए तो व्यक्ति के भाग्य पर भी ताला लग जाता है।
9. आर्थिक दिक्कतों को दूर करना चाहते हैं तो पुराने जूते चप्पल भी घर में इकट्ठा करके न रखें।
10. महाभारत या फिर युद्ध की पेंटिंग घर में लगाना शुभ नहीं मानी जाती है। घर में ऐसी पेंटिंग लगाने से कलह-क्लेश का माहौल बनता है साथ ही परिवार के सदस्यों की सेहत भी प्रभावित हो सकती है।-Mobael No-9406363514
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कुंडली में राहु की अशुभ स्थिति के कारण जातक को जीवन में कई कष्टों का सामना करना पड़ता है। राहु के बुरे असर से जातक की मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। मन अशांत रहा है। व्यक्ति अक्सर असंमजस की स्थिति में रहता है और सभी कार्यों में आत्मविश्वास की कमी महसूस होती है। इस स्थिति में रत्न शास्त्र में कई ऐसे रत्नों के बारे में बता गया है, जिसे धारण करने से व्यक्ति राहु दोष से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। चलिए जानते हैं इस खास रत्न के बारे में...
गोमेद रत्न: रत्न शास्त्र के अनुसार, गोमेद रत्न धारण करने से राहु के अशुभ दोषों से छुटकारा मिलता है। इस रत्न को पहनने से व्यक्ति सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रहता हैं और जातक में आत्मविश्वास की कमी नहीं होती है। इस रत्न को पहनने से मानसिक तनाव दूर होता है और कुंडली में राहु की स्थिति मजबूत होती है, जिससे तरक्की की राह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। शत्रुओं से राहत मिलती है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। मान्यता है कि गोमेद धारण करने से जातक को बुरी नजर भी नहीं लगती है। अगर आप भी इन समस्याओं से गुजर रहे हैं तो ज्योतिषाचार्य की सलाह लेकर गोमेद पहन सकते हैं।
गोमेद धारण करने के नियम
गोमेद हमेशा सिल्वर अंगूठी या पेंडेंट में धारण करना चाहिए।
इस रत्न को आर्दा, शतभिषा या स्वाति नक्षत्र में पहनना शुभ माना जाता है।
गोमेद पहनने से पहले शुक्रवार के दिन इसे गंगाजल, दूध और शहद के घोल में डाल दें।
शनिवार के दिन स्नानादि के बाद अंगूठी को साफ कपड़े से पोछ लें।
'ऊँ रां राहवे' मंत्र का 108 बार जाप करते हुए गोमेद अंगूठी मध्यमा उंगली में धारण कर लें। -
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
ज्योतिष विद्या के अनुसार ग्रहों और राशियों का आंकलन करके व्यक्ति पर पड़ने वाले शुभ और अशुभ प्रभाव का पता लगाया जाता है। वहीं, हाथ में बनी रेखाओं से भी आप अपने भविष्य से जुड़ी कुछ जानकारियां हासिल कर सकते हैं। वहीं, हाथ पर कई रेखाएं और उभरे हुए हिस्से होते हैं, जिनसे कुछ विशेष योग का निर्माण भी होता है। ऐसा ही एक योग है शंख योग, जो बहुत ही लाभकारी माना जाता है। जब हथेली में अंगूठे का भाग यानी शुक्र पर्वत अच्छा होता है और वहां से कोई रेखा निकलकर सूर्य पर्वत की ओर और दूसरी रेखा शनि पर्वत पर जाकर मिलती है तब इससे शंख योग का निर्माण होता है।
हथेली में शंख योग के लाभ
व्यक्ति की हथेली पर शंकर योग बना बेहद ही शुभकारी माना जाता है। ऐसे लोग अपने जीवन में सफलता की ऊंचाइयां हासिल करते हैं। इन्हें जीवन में खूब मान-सम्मान भी मिलता है। जिस व्यक्ति के हाथ में ये योग होता है, उसे जीवन में धन-धान्य की कमी नहीं रहती है। वहीं, ऐसे लोग मुश्किल परिस्थितियों को अच्छे से संभालना जानते हैं। जिन व्यक्तियों की हथेली में शंख योग का निर्माण होता है, उन्हें अच्छे जीवनसाथी मिलते हैं। ऐसे लोगों का पूजा-पाठ करने में भी मन लगता है।
पाते हैं सफलता
हथेली में शंख योग बनने से व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता हासिल होती है। चाहे वह निजी जीवन हो या प्रोफेशनल लाइफ, शंख योग बनने के कारण किसी भी काम को ये सरलता और निपुणता के साथ पूरा करते हैं। ऐसे व्यक्ति अपनी बातों के जरिये लोगों का मन मोह लेते हैं। - हिंदू धर्म में दिवाली के त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। दिवाली के कुछ दिन पहले से ही घर की साफ-सफाई शुरू हो जाती है। धार्मिक मान्यता है कि साफ-सुथरे घर में मां लक्ष्मी का वास होता है।इस साल 12 नवंबर को दिवाली मनाई जाएगी। दिवाली के दिन क्लीनिंग का ध्यान रखने के साथ घर की सजावट में फेंगशुई की कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए। मान्यता है कि फेंगशुई के इन नियमों का पालन करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है,जिससे घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। परिवार के किसी भी सदस्यों को धन की तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है और सभी कार्यों में सफलता मिलती है। आइए जानते हैं कि दिवाली के डेकोरेशन के दौरान फेंगशुई के किन नियमों का पालन करना चाहिए?मुख्यद्वार और प्रवेशद्वार की सजावट:दिवाली की सजावट के दौरान प्रवेश द्वार पर आम के पत्तों का बंदनवार लगाएं और मां लक्ष्मी के पद चिन्ह लगाएं। इसके अलावा मुख्य द्वार पर स्वास्तिक जरूर बनाएं।मोरपंख लगाएं:फेंगशुई के अनुसार, दिवाली के दिन मोरपंख से पूजा-स्थल की सजावट करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। मोर पंख को घर के दक्षिण पूर्व दिशा में रखना शुभ माना जाता है।कछुआ:दिवाली के दिन घर के मंदिर में धातु से निर्मित फेंगशुई कछुआ स्थापित कर सकते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में बरकत आती है और जातक को कभी धन की तंगी नहीं रहती है।पिरामिड रखें:दिवाली के दिन आप घर में पिरामिड रख सकते हैं। मान्यता है कि घर में तांबे या पीतल का पिरामिड रखने से आर्थिक स्थिति में सुधार आता है। धन को लेकर समस्याएं दूर होती हैं।क्लीनिंग टिप्स:दिवाली के दिन घर के ईशान कोण और ब्रह्म स्थान की साफ-सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए। इन जगहों पर कोई भी चीज बिखरी हुई नहीं होनी चाहिए और ना ही कोई गंदगी होनी चाहिए।
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-पंडित प्रकाश उपाध्याय
आर्थिक रूप से समृद्ध रहने के लिए आपको घर में वास्तु का विशेष ध्यान रखना चाहिए। अघर आपके घर में वास्तु के हिसाब से चीजें नहीं हैं, तो इसकी वजह से कई दिक्कतें आ सकती हैं। ऐसा माना जाता है कि घर पर सुबह के समय वास्तु के हिसाब से काम करने से पॉजिटिव एनर्जी आती हैं और इससे आपको आर्थिक लाभ भी होता है। अगर आप सुबह के समय घर पर वास्तु के हिसाब से कुछ काम नहीं करते हैं, तो इससे कई नुकसान हो सकते हैं। अगर आप अपने जीवन से नेगेटिव एनर्जी को खत्म करना चाहते हैं और आर्थिक रूप से खुद को मजबूत बनाना चाहते हैं, तो सुबह नहाने के बाद घर पर ये काम जरूर करें। ऐसा करने से आपको धन लाभ होता है और जीवन में शांति बनी रहती है।
घर पर नहाने के बाद वास्तु के हिसाब से काम करने से आपको कई फायदे मिलते हैं। अगर आप नहाने के बाद वास्तु के हिसाब से काम करते हैं, तो इससे आपके जीवन में धनलाभ होता है और पॉजिटिव एनर्जी बनी रहती है। सुबह नहाने के बाद हिंदू धर्म के लोग अपने आराध्य भगवान की पूजा जरूर करते हैं। अगर आप सुबह स्नान करने के बाद ये काम करते हैं, तो आपको धन लाभ होगा और जीवन में शांति बनी रहेगी-
सुबह स्नान करने के बाद घर में गंगाजल से छिड़काव करना बहुत शुभ माना जाता है। सुबह स्नान करने के बाद घर में गंगाजल का छिड़काव करने से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है। स्नान के बाद घर के मुख्य द्वार पर गंगाजल का छिड़काव करने से आर्थिक हानि नहीं होती है और सकारात्मक एनर्जी का प्रवाह होता है।
स्नान करने के बाद घर में हल्दी का छिड़काव करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और शांति बनी रहती है। अगर आप घर में सुख और समृद्धि चाहते हैं, तो नहाने के बाद घर के मुख्य द्वार पर हल्दी के पानी का छिड़काव करना चाहिए।
घर में सुख समृद्धि बनाए रखने के लिए सुबह स्नान करने के बाद नमक पानी का छिड़काव करना चाहिए। ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा नहीं रहती है और धन लाभ होता है। -
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
हथेलियों पर बनने वाले कई शुभ योग जातक के धन-संपन्न और खुशहाल जीवन का संकेत देते हैं। मान्यता है कि हथेलियों पर मौजूद यह रेखाएं ऐसे शुभ योग का निर्माण करती हैं, जिससे जातक के धन और सुख-सौभाग्य में खूब वृद्धि होती है और ऐसे लोगों को जीवन में कभी धन की तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है। व्यक्ति अचल संपत्ति का मालिक होता है और समाज में उन्हें खूब मान-सम्मान मिलता है।
हथेलियों पर बनने वाले बेहद शुभ योग के बारे में जानते हैं---
अमला योग
हथेली पर सूर्य, चंद्रमा और शुक्र पर्वत ऊंचा होने के साथ चंद्र पर्वत से कोई रेखा बुध पर्वत तक जाने पर अमला योग बनता है। मान्यता है कि जिन लोगों की हथेली पर अमला योग बनता है वह भौतिक सुख-संपदा का मालिक होता है और समाज में उसकी खूब यश-कीर्ति बढ़ती है।
लक्ष्मी योग
मान्यता है कि जिन लोगों की हथेली पर शुक्र पर्वत पर कमल का निशान बनता है, उसे लक्ष्मी योग कहा जाता है। ऐसे लोग आर्थिक मामलों में बहुत भाग्यशाली होते हैं। इनके पास कभी भी धन-वैभव की कमी नहीं होती है और जीवन सुखमय व्यतीत होता है।
भाग्य योग
हथेलियों पर भाग्य रेखा लंबी और स्पष्ट हों। साथ ही भाग्य रेखा की शुरुआत चंद्र पर्वत या गुरु पर्वत से हो, तो ऐसे लोगों की हथेली पर भाग्य योग बनता है। मान्यता है कि हथेली पर भाग्य योग बनने से जातक को कार्य-व्यापार में अपार सफलता मिलती है और वैवाहिक जीवन में खुशहाली रहती है।
गजलक्ष्मी योग
यदि हथेली की भाग्य रेखा मणिबंध से शुरू होकर शनि पर्वत तक जाती है। साथ ही सूर्य रेखा बिल्कुल स्पष्ट और गहरी हो, तो इस योग को गजलक्ष्मी योग कहा जाता है। मान्यता है कि हथेली पर गजलक्ष्मी योग बनने से व्यक्ति अपने जीवन में खूब तरक्की करता है और अकूत संपत्ति का मालिक होता है। -
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
शादीशुदा महिलाएं करवा चौथ का व्रत अपनी सुहाग की सलामती के लिए रखती हूं इस साल करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर यानि बुधवार के दिन रखा जाएगा। करवा चौथ का निर्जला व्रत का पारण चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद किया जाता है। वहीं, करवा चौथ की पूजा के दौरान करवा चौथ की कथा का पाठ करना बेहद जरूरी माना जाता है। इसलिए लिए जानते हैं करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त और करवा चौथ की कथा-
करवा चौथ पर दुर्लभ संयोग
करवा चौथ पर 3 शुभ योग का इस साल निर्माण होगा। शिव योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और परिघ योग के शुभ संयोग में करवा चौथ मनाया जाएगा। सुबह 6:32 से सर्वार्थ सिद्धि योग की शुरुआत होगी, जो अगले दिन सुबह 4:34 तक रहेगा। वहीं, 2 बजकर 05 मिनट तक दोपहर के समय परिघ योग रहेगा, जिसके बाद से शिव योग की शुरुआत हो जाएगी। शिव योग अगले दिन तक रहने वाला है। करवा चौथ के दिन इस साल मृगशिरा नक्षत्र का निर्माण भी होगा।
करवा चौथ मुहूर्त
कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि की शुरुआत: रात 09:30, 31 अक्टूबर 2023 से
कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि का समापन: रात 09:19, 01 नवंबर 2023 तक
पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 05:44 से रात 07:02 तक, 01 नवंबर
करवा चौथ पर चांद निकालने का समय: रात 08:26, 01 नवंबर
करवा चौथ व्रत कथा
एक साहूकार के 7 लड़के और 1 लड़की थी। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सेठानी, उसकी बहुओं और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा था। रात के दौरान साहूकार के लड़के भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन करने का आग्रह किया। फिर बहन ने अपने भाई को बताया की आज उसने करवा चौथ का व्रत रखा है और चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत का पारण कर सकती है। भाइयों से अपनी बहन की ये हालत देखी नहीं जा रही थी। फिर सबसे छोटा भी दूर पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। वो दीपक ऐसा प्रतीत होता जैसे की चतुर्थी का चांद हो। उसे देख कर सातों भाइयों की एकलौती बहन अर्घ्य देकर भोजन करने बैठ जाती है। जैसे ही वह पहला टुकड़ा मुंह में डालती है, उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़े में बाल निकल आता है और तीसरा टुकड़ा मुंह में डालती है तभी पति के मौत की खबर उसे मिलती है। वह बेहद दुखी हो जाती है।
तब उसकी भाभी सच्चाई बताती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं। इस पर करवा संकल्प लेती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं करेगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवित करके रहेगी। वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है और देखभाल करती है। उसके ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह इकट्ठा करती जाती है।
एक साल बाद फिर चौथ का दिन जब आता है तब वह व्रत रखती है और शाम को सुहागिनों से अनुरोध करती है कि 'यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो' लेकिन हर कोई मना कर देती है। आखिर में एक सुहागन उसकी बात मान लेती है। इस तरह से उसका व्रत पूरा होता है और उसके सुहाग को नए जीवन का आर्शिवाद मिलता है। करवा चौथ की कथा को अलग-अलग तरीकों से कई सुहागिन महिलाएं करवा चौथ के दिन पढ़ती हैं। -
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
हिंदू धर्म में कार्तिक मास का बहुत महत्व है. इस माह को सर्वश्रेष्ठ माना गया है. इस माह में हिंदू धर्म के सभी प्रमुख त्योहार पड़ते हैं. आइये जानते हैं आखिर ये मास इतना खास और विशेष क्यों है.
कार्तिक मास को स्नान के विए बहुत विशेष माना गया है. इस माह में किसी भी पवित्र नदी में स्नान करना बहुत फलदायी होता है. साल 2023 में कार्तिक मास की शुरुआत 29 अक्टूबर 2023, रविवार के दिन से शुरु हो रही है. कार्तिक मास 27 नंवबर तक चलेगा. कार्तिक मास का समापन कार्तिक पूर्णिमा के दिन होता है. इस दिन लोग विशेष तौर पर गंगा में स्नान करने जाते हैं.
कार्तिक मास का महत्व
हिंदू धर्म में कार्तिक मास का बहुत विश्ष महत्व है. इस मास में श्री विष्णु जी के साथ तुलसी की भी पूजा अर्चना की जाती है. इस मास में स्नान, दान, दीप करने से कष्टों से छुटकारा मिलता है. पूरे कार्तिक के महीने में सुबह जल्दी उठकर स्नान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है.
कार्तिक मास क्यों है विशेष
कार्तिक मास में तामसिक भोदन का सेवन नहीं करना चाहिए. इस माह में प्याज, लहसुन,मांस और मदिरा का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए, कार्तिक का महिना पूजा के लिए बेहदशुभ माना जाता है. इस मास में लक्ष्मी जी कृपा प्राप्त करने का समय होता है. कार्तिक मास चातुर्मास का आखिरी और चौथा महिना होता है. कार्तिक मास में स्नान, दान, पूजा-पाठ का विशेष पहत्व है. इसीलिए इस माह में नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए.
कार्तिक मास में पड़ने वाले प्रमुख त्योहार
करवाचौथ
अहोई अष्टमी
रामा एकादशी
धनतेरस
काली चौदस
दिवाली
कार्तिक अमावस्या
गोवर्धन पूजा
भाई दूज
छठ पूजा
गोपा अष्टमी
देवउठनी एकादशी
तुलसी विवाह
देव दिवाली
कार्तिक पूर्णिमा - बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायइस महीने 30 अक्तूबर को राहु और केतु अपना राशि परिवर्तन करने वाले हैं। राहु इस समय मेष राशि में बृहस्पति के साथ विराजमान होकर गुरु चांडाल योग का निर्माण कर रहे हैं और 30 अक्तूबर को मेष राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करेंगे। राहु एक मायावी ग्रह है और हमेशा वक्री गति से ही चलता है। आइए जानते हैं राहु के इस राशि परिवर्तन से 12 राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा....मेष राशिमेष राशि के जातकों के लिए राहु का गोचर अब द्वादश भाव से होगा। इस भाव से मनुष्य के खर्चे, हानि, एकांत, आध्यात्मिक यात्रा और कारावास का विचार किया जाता है। राहु के इस गोचर के दौरान जातक के शत्रु गुप्त साजिश करेंगे। इस समय खर्च अत्यधिक बढ़ जाएंगे और आमदनी सीमित मात्रा में ही रहेगी। अगर जातक दिल से जुड़ी बीमारी से पीडि़त है तो इस गोचर में जातक को सावधान रहना होगा। शरीर में चोट भी लग सकती है। इसके अलावा वैवाहिक जीवन में भी राहु के कारण थोड़े तनाव की स्थिति दिखाई पड़ रही है।वृषभ राशिराहु के इस गोचर से वृष राशि के जातक लंबे समय से जिस योजना पर काम कर रहे हैं वह अब फलीभूत होने की कगार पर होगी। राहु के इस गोचर से अनियंत्रित खर्चों पर लगाम लगेगी। परिवार में मांगलिक कार्यों का आयोजन होगा। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी राहु का यह गोचर अनुकूल रहेगा। वृष राशि के जातक राहु के इस गोचर में किसी नए कार्य का शुभारंभ कर सकते हैं। अगर आप काफी समय से अपने किसी बिजनेस पार्टनर के साथ कोई नई कंपनी खोलना चाहते थे तो अब यह संभव हो जाएगा। राहु के इस गोचर में आप संपत्ति का क्रय भी कर सकते हैं।मिथुन राशिमिथुन राशि के जातकों के लिए राहु के इस गोचर से कार्यस्थल पर प्रभाव पड़ेगा। भाग्य में वृद्धि होगी और प्रमोशन भी किया जा सकता है। राजनीति और सरकारी सेवा में कार्यरत जातकों के लिए राहु का गोचर बढिय़ा रहेगा। राजनीति में मान और सम्मान बढ़ेगा। अगर आप पैतृक व्यवसाय संभाल रहे हैं तो राहु आपके धन की वृद्धि करने वाला होगा। हालांकि इस समय आपको अपनी वाणी में थोड़ी मधुरता रखनी होगी । राहु के प्रभाव से आपके शत्रु बलहीन हो जाएंगे और आप उन पर विजय प्राप्त करेंगे। अगर आप कार्य क्षेत्र बदलना चाहते हैं तो राहु के प्रभाव से ऐसा संभव है।कर्क राशिकर्क राशि के जातकों के लिए राहु का गोचर नवम भाव यानी कि धर्म के भाव से होगा। राहु के इस गोचर काल में जातक की संगत कुछ गलत लोगों की हो सकती है इसलिए सज्जनों की संगति करें और अपने आसपास के माहौल पर नजर बना कर रखें। किसी भी मित्र पर अत्यधिक भरोसा करना हानिकारक साबित हो सकता है। इस गोचर काल में आपके साहस और पराक्रम में वृद्धि होगी। यात्राओं से आपको लाभ होगा ,जनसंचार से जुड़े मामलों में फायदा होगा और शेयर मार्केट में भी आप अच्छा पैसा बनाने में सफल रहेंगे। जो छात्र रिसर्च में लगे हुए हैं उनके लिए भी राहु सफलता के नए रास्ते खोलने वाला होगा।सिंह राशिराहु के इस गोचर के कारण सिंह राशि के जातकों को आर्थिक संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इस समय आपको विशेष रूप से सलाह दी जाती है कि अपने ससुराल पक्ष के साथ किसी भी प्रकार का कोई आर्थिक लेनदेन न करें और किसी को अधिक धन उधार भी नहीं दें। राहु के इस गोचर के दौरान आपको अपनी वाणी पर विशेष ध्यान रखना होगा। खासतौर से अगर आप जनसंचार के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। व्यापारी वर्ग के लिए राहु का गोचर आय के नए रास्ते खोलने वाला होगा राहु का यह गोचर आपकी नौकरी में परिवर्तन का भी संकेत कर रहा है। स्वास्थ्य संबंधी कठिनाइयों से आपका सामना हो सकता है। इस दौरान अपनी आंखों का और अपने कंधों का विशेष रूप से ख्याल रखें।कन्याकन्या राशि के जातकों के लिए राहु का गोचर सप्तम भाव से यानी की पत्नी और साझेदारी के भाव से होगा। इस भाव में विराजमान राहु की दृष्टि आपके लाभ स्थान आपके लग्न स्थान और आपके तीसरे भाव पर होगी। राहु का यह गोचर आपके लिए शुभ और अशुभ दोनों प्रभाव देने वाला रहेगा। इस समय आपको अपनी पत्नी की सेहत को लेकर सावधान रहने की आवश्यकता है। आपको सलाह दी जाती है कि आपका वैवाहिक जीवन में आप किसी भी तनाव को उपस्थित नहीं होने दें। और ससुराल पक्ष के साथ किसी भी प्रकार का कोई लेनदेन नहीं करें। व्यापारी वर्ग के लिए राहु का यह गोचर नई कंपनी शुरू करने वाला, धन की व्यवस्था करवाने वाला और आय में वृद्धि करने वाला रहेगा। इस समय आपके मित्र आपके लिए फायदेमंद साबित होंगे। हालांकि राहु की दृष्टि लग्न भाव पर भी आ रही है इसलिए कार्यों में देरी होना और शरीर में आलस की वृद्धि होना यह दो अवगुण आपके चरित्र में देखे जा सकते हैं। अगर परिवार में कोई पैतृक संपत्ति का विवाद चल रहा था ,अगर भाई बहनों के साथ कोई मनमुटाव था तो राहु का यह गोचर आपको उन सब मामलों से बाहर निकलने का काम करेगा। आपका जीवन एक नई व्यवस्था में जाएगा। हालांकि उस व्यवस्था को स्वीकार करने में आपको समय लगेगा लेकिन अंततोगत्वा राहु के इस गोचर से आपके जीवन में सकारात्मक परिणाम आएंगे जो भविष्य में आपके लिए सुखद होंगे।तुला राशिराहु का गोचर तुला राशि के जातकों के लिए सबसे पहले तो उनकी नौकरी को बदलवाने का काम करेगा। इसके अलावा आपके वैवाहिक जीवन में जो तनाव, निराशा और अंधकार के बादल थे वह धीरे-धीरे हट जाएंगे। आपको बृहस्पति का शुभ फल प्राप्त होगा। राहु के इस गोचर से आप अपने शत्रुओं का संपूर्ण नाश करने में समर्थ होंगे और स्वास्थ्य की दृष्टि से भी यह गोचर अच्छा होगा। कार्यस्थल पर आपका मान सम्मान होगा। अगर आप लेखक हैं, मीडिया से जुड़े हुए हैं या फिर राजनीतिक सलाहकार हैं तो भी राहु का यह गोचर आपकी बुद्धि में वृद्धि करेगा। तुला राशि के जातकों को राहु के इस गोचर से कुछ ऐसे स्थानों से भी धन प्राप्त हो सकता है जिसकी आपने कभी उम्मीद नहीं की होगी।वृश्चिक राशिवृश्चिक राशि के जातकों के लिए राहु के इस गोचर के कारण आपको अपने प्रेम संबंधों में बहुत समझदारी के साथ आगे बढऩा होगा। विद्यार्थी वर्ग को अपनी संगत की ओर ध्यान देना होगा। अगर आप शेयर मार्केट में पैसा लगाते हैं तो किसी फाइनेंस एक्सपर्ट की सलाह पर ही पैसा लगाए। इस समय आपके कार्यों में आपको थोड़ी रुकावट महसूस होगी। भाग्य का साथ आपको काम मिलेगा हालांकि व्यापारी वर्ग के लिए राहु का यह गोचर एक से अधिक स्रोत बनाने का कार्य भी कर सकता है। अगर आपके पारिवारिक जीवन के लिहाज से देखें तो राहु का यह गोचर थोड़ा मानसिक कष्ट देता हुआ दिखाई पड़ रहा है।धनु राशिराहु के इस गोचर के कारण धनु राशि के जातकों के मानसिक कष्ट में वृद्धि हो सकती है। छोटी-छोटी बातों को लेकर आप अत्यधिक गहन चिंतन में जा सकते हैं जिसके कारण आपकी मानसिक शक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। अष्टम भाव पर राहु की दृष्टि वैवाहिक और व्यापारिक दृष्टि से उचित नहीं जान पड़ती। राहु के गोचर के कारण अचानक से कोई स्वास्थ्य कष्ट या कोई दुर्घटना जैसी चीज सामने आ सकती है। अगर आप आयात निर्यात से जुड़े हैं तो आपको मुनाफे में कमी दिखाई पड़ सकती है। राहु के इस गोचर के कारण आपका पारिवारिक माहौल तनावपूर्ण हो सकता है।मकर राशिराहु का यह गोचर मकर राशि के जातकों के जीवन में बहुत अत्यधिक बदलाव लेकर के आने वाला है। इस समय आपकी यात्राएं अधिक होगी और उन यात्राओं से लोग आपको पहचानेंगे, आपका सम्मान होगा और आपके लेखन में एक अलग ही प्रकार का रस उत्पन्न हो जाएगा। जिन जातकों का विवाह नहीं हुआ है उनके विवाह की संभावनाएं बनेगी। आपके जनसंचार और वाणी कौशल में एक अभूतपूर्व विस्तार राहु का यह गोचर देने वाला है। राहु का यह गोचर धार्मिक दृष्टि से भी आपके जीवन में परिवर्तन लाने वाला होगा।कुंभ राशिराहु के गोचर के कारण इस राशि के जातक को पारिवारिक संपत्ति प्राप्त होने के योग दिखाई दे रहे हैं। हालांकि, आपको अपने व्यवहार में थोड़ी और अधिक कार्य कुशलता लाने की आवश्यकता है। काफी समय से आपके शत्रु आपको परेशान कर रहे थे तो राहु की कृपा से आप अपने शत्रुओं का मर्दन करने में समर्थ होंगे। हालांकि, हृदय रोग से जुड़ी कोई बीमारी अगर आपको है तो आपको उसमें सावधान रहना होगा। राजनीति ,मीडिया, जनसंचार सिनेमा और लेखन से जुड़े लोगों को राहु अच्छा खासा फायदा देने वाला है। खासतौर से अगर आप लेखक हैं तो इस समय आपकी किताब प्रकाशित भी हो सकती है और उससे आपको अच्छी खासी प्रसिद्धि भी प्राप्त होगी।मीन राशिराहु के गोचर के कारण इस राशि के जातकों को यात्राओं से प्रसिद्धि प्राप्त होगी। आपको अपने भाइयों और मित्रों से धन प्राप्त होगा और सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे जातकों को सफलता प्राप्त होने की उम्मीद है। जिन लोगों का विवाह नहीं हो रहा है उनके विवाह होने की संभावना बनेगी। आपके जीवन में कर्म और धर्म का एक अद्भुत मेल होगा और धार्मिक यात्राओं में साधु संतों की संगत आपको अपने जीवन के प्रति एक नए नजरियों को देने का कार्य करेगी। अपनी पत्नी के साथ कहीं बाहर घूमने के लिए भी जा सकते हैं । वैवाहिक जीवन में भी खुशियों का संचार होगा और आनंदमय जीवन रहेगा।
- बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रह समय-समय पर एक राशि से दूसरी राशि में भ्रमण करते हैं। शनि के बाद राहु और केतु को सबसे धीमी गति से चलने वाला माना गया है। ं राहु और केतु लगभग डेढ़ वर्ष तक एक राशि में भ्रमण कर अपना फल लंबे समय तक प्रदान करते हैं। इस महीने 30 अक्तूबर को केतु अपना राशि परिवर्तन करने जा रहे हैं । केतु का गोचर अब कन्या राशि में होगा और अगले डेढ़ साल तक यहीं स्थित रहेगा। इस गोचर से 3 राशियां हैं। इन राशि वाले जातकों को इस दौरान सावधान रहने की जरूरत है। आइये जानते हैं ये राशियां कौन सी हैं।वृष राशिवृष राशि के जातकों के लिए केतु का गोचर पंचम भाव में होगा। केतु के इस गोचर के कारण वृष राशि के जातकों को अपने रिश्तों के प्रति बहुत सावधान रहना होगा। इस राशि के जातकों को सलाह है कि वे अपने प्रेम संबंधों में सावधानी बरतें। प्रेमी के साथ तनाव और गलतफहमी या बढऩे की संभावना है। इस समय छात्र वर्ग को भी अच्छे परिणाम नहीं प्राप्त होंगे। उच्च शिक्षा करने वाले छात्रों को इस दौरान परेशानी हो सकती है। वृष राशि के जातकों को आर्थिक क्षेत्र में भी थोड़ा कमजोर महसूस होगा। व्यापार में उतना निवेश नहीं आ पाएगा। संतान पक्ष के साथ मतभेद हो सकते हैं और स्वास्थ्यगत परेशानियां भी हो सकती हैं।तुला राशितुला राशि के जातकों के लिए केतु का गोचर अब द्वादश भाव से होगा। इस भाव से व्यक्ति के खर्च का और विदेश यात्रा का बोध होता है तो इस भाव में विराजमान केतु की दृष्टि आपके अष्टम, छठे और चतुर्थ भाव पर होगी। केतु के इस गोचर के कारण तुला राशि के जातकों की आमदनी कम होगी और कुछ अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। आपके शत्रु आपके ऊपर हावी होने का पूरा प्रयास करेंगे। इस दौरान सावधानी से वाहन चलाइए क्योंकि दुर्घटना होने की आशंका है। हृदय से जुड़ी बीमारी वाले जातक खासतौर से सावधानी बरतें। यह गोचर मानसिक कष्ट में वृद्धि कर सकता है। केतु का प्रभाव आपके जीवन में आमूलचूल परिवर्तन करने वाला होगा। इस दौरान आपकी विदेश जाने की इच्छा भी पूरी हो सकती है। अगर आप लेखक हैं तो आपके लेखन में निखार लाने का काम केतु के गोचर के दौरान होगा। ज्योतिष और तंत्र मंत्र से जुड़े जातकों को केतु अच्छी सफलता देने वाला होगा।कुंभ राशिकुंभ राशि के जातकों के लिए केतु का गोचर अष्टम भाव से होगा। इस भाव से अचानक से होने वाली घटनाओं का विचार किया जाता है। इस भाव में विराजमान केतु की दृष्टि आपके द्वादश भाव, आपके वाणी भाव और आपके चतुर्थ भाव यानी मां के घर पर होगी। केतु के इस गोचर के कारण आपके वैवाहिक जीवन में तनाव की स्थिति दिखाई दे रही है। पत्नी के साथ झगड़ा बढ़ सकता हैं। दूसरी ओर आपके कार्यक्षेत्र में भी कुछ असफलताओं को लेकर आप परेशान रहेंगे। व्यर्थ की यात्राओं से आपका मन खिन्न रहेगा। केतु के इस गोचर के कारण कोर्ट कचहरी के मामलों में आपका समय बर्बाद होगा। आपकी वाणी की कटुता पारिवारिक जीवन में तनाव पैदा करने का काम करेगी इसलिए अपनी वाणी को मधुर रखिए। इस गोचर के दौरान आप अपनी मां की सेहत को लेकर थोड़े परेशान भी हो सकते हैं। मानसिक कष्ट में वृद्धि संभव है।
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श्रीमद्भगवतगीता को उपनिषदों का सार कहा गया है। जो सभी हिंदू धर्मग्रंथों में सर्वमान्य है। भगवत गीता में बताए गए उपदेश जीवन को सही तरीके से जीने की सीख देते हैं। अगर लाइफ में सफल होना है तो गीता के इन इन 5 उपदेश को जरूर ध्यान में रखें। ये उपदेश केवल करियर ही नहीं बल्कि पर्सनल लाइफ में भी सक्सेजफुल होने में मदद करेंगे। हर छोटी बात पर टेंशन लेने और डिप्रेशन में जाने से बचने में भी हेल्प करेंगे।
किसी चीज से ज्यादा लगाव
अगर आप किसी चीज से, इंसान से या फिर सक्सेज पाने के लिए बहुत ज्यादा लगाव रखेंगे। तो ये आपके लिए नुकसानदेह हो सकता है। गीता में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिया था कि बहुत ज्यादा लगाव इंसान में क्रोध और निराशा पैदा कर सकता है। क्योंकि जब वो चीज इंसान को नहीं मिलती तो गुस्सा और हताशा आती है। जिससे सारे काम बिगड़ जाते हैं।
निडर बनें
गीता में कृष्ण ने उपदेश दिया है कि हमेशा निडर होकर काम करना चाहिए। अगर आप डरेंगे तो अपने लक्ष्यों से भटक जाएंगे और काम को पूरा नहीं कर पाएंगे। इसलिए डर कर नहीं लाइफ की परेशानियों का सामना करना चाहिए।
शक की आदत ना पालें
बहुत सारे लोगों को अपने ऊपर भरोसा नहीं होता। वो हमेशा सोचते हैं कि क्या ये काम मैं कर पाऊंगा। गीता में श्रीकृष्ण उपदेश देते हैं कि खुद के कामों पर संदेह ना करें। जो भी काम करें आत्मविश्वास के साथ करें। इससे काम में सक्सेज मिलने के ज्यादा चांस रहते हैं।
क्रोध ना करें
क्रोध करने से सारे काम बिगड़ जाते हैं। केवल काम ही नहीं क्रोध से रिश्ते भी बिगड़ते हैं। इसलिए खुद को शांत और संयत रखने की कोशिश करें।
परिणाम के बारे में पहले ना सोचें
अगर आप किसी काम को करने से पहले ही उसके रिजल्ट के बारे में सोचेंगे तो काम सही नहीं होंगे। इसलिए पहले पूरी कोशिश के साथ काम को पूरा करें। उसके आने वाले परिणाम के बारे में ना सोचें। इससे सफल होने के चांस बढ़ जाते हैं। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सुहागिनें अपने पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए करवा चौथ का व्रत रखती है। इस साल 1 नवंबर 2023 को करवा चौथ मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में पूजा-पाठ के दौरान वास्तु के नियमों का पालन करना बहुत जरूरी माना जाता है। मान्यता वास्तु के नियमों का ध्यान रखकर किए गए धर्म-कर्म के कार्य सफल होते हैं और जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। वास्तु में करवा चौथ की पूजा से भी जुड़े कुछ खास नियम बताए गए हैं। विवाहित महिलाएं करवा चौथ के दिन वास्तु के कुछ बातों का ध्यान रखकर अपनी मैरिड लाइफ को सुखी और खुशहाल बना सकती हैं। चलिए जानते हैं कि करवा चौथ की पूजा के स्पेशल वास्तु टिप्स...
सरगी खाते समय दिशा का ध्यान रखें
करवा चौथ के दिन सुबह सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण कर लेना चाहिए। सरगी को दक्षिण दिशा में मुख करके ग्रहण करना बेहद शुभ और फलदायी माना गया है।
करवा चौथ की पूजा थाली
करवा चौथ की थाली तैयार करते समय वास्तु के नियमों का पालन जरूर करें। वास्तु के अनुसार, पूजा थाली में कलश या करवे का रंग लाल होना चाहिए और कलश पर कलावा जरूर बांधें। थाली में चलनी,घी का दीपक, फूल, हल्दी, चंदन, मिठाई, शहद, चावल, कुमकुम, ड्राई फ्रूट्स और पानी से भरा ग्लास रखना चाहिए।
करवा चौथ की पूजा
वास्तु शास्त्र के मुताबिक, दक्षिण दिशा की ओर मुख करके करवा चौथ की पूजा नहीं करना चाहिए। करवा चौथ की पूजा करते समय मुख उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए। घर के मंदिर में करवा चौथ की पूजा करना शुभ माना गया है।
करवा चौथ की व्रत कथा
वास्तु के अनुसार, करवा चौथ की व्रत कथा सुनते समय मुख उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में रखें। मान्यता है कि ऐसा करने से पति-पत्नी के बीच सभी मनमुटाव दूर होता है और मैरिड लाइफ में खुशहाली आती है।
चंद्रदेव को अर्घ्य देने की दिशा
करवा चौथ के दिन चांद निकलने के बाद उत्तर-पश्चिम दिशा में मुख करके चंद्रदेव को को अर्घ्य दें। यह चंद्रमा की दिशा मानी जाती है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
धार्मिक मान्यता है कि रत्नों का जीवन पर बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसकी मदद से रिलेशनशिप, करियर और आर्थिक मामलों में आने वाली परेशानियों से छुटकारा पाया जा सकता है, लेकिन बिना ज्योतिषीय सलाह के रत्न धारण करने से जातक को विपरीत परिणाम मिल सकते हैं। इसलिए कोई भी रत्न पहनने से पहले ज्योतिषाचार्य से जरूर सुझाव लें। रत्न शास्त्र में कई ऐसे रत्न हैं, जो जातक की आर्थिक तंगी दूर करने में लाभदायक माने जाते हैं और इन्हें धारण करने से मात्र कुछ ही दिनों में अच्छे रिजल्ट्स मिलने लगते हैं। चलिए जानते हैं कि धन लाभ के लिए कौन-सा रत्न धारण करना चाहिए?
सिट्रीन(सुनहला)
सुख-समृद्धि और खुशहाली के लिए सुनहला रत्न धारण करना बेहद शुभ माना जाता है। सुनहला रत्न जातक के आत्मविश्वास, क्रिएटिविटी और सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि करता है। मान्यता है कि इसे धारण करने से आर्थिक स्थिति में सुधार आता है और धन की तंगी दूर होती है। साथ ही इस रत्न को पहनने से तरक्की के अवसरों में वृद्धि होती है।
पाइराइट(फूल्स गोल्ड)
इस रत्न को फूल्स गोल्ड भी कहते हैं। मान्यता है कि पाइराइट पहनने से किस्मत सूर्य की तरह चमकती है। व्यक्ति के कार्य-व्यापार में सौ गुना अधिक तरक्की करता है। जिन लोगों को कड़ी मेहनत के बावजूद परिणाम अच्छे नहीं मिलते हैं, उन्हें यह रत्न जरूर धारण करना चाहिए। इस रत्न के शुभ प्रभाव से व्यक्ति को आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है।
ग्रीन जेड
आर्थिक मामलों में भाग्य चमकाने के लिए जेड स्टोन पहनना भी बेहद लाभदायक साबित हो सकता है। मान्यता है कि जेड स्टोन पहनने से जातक के सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है और हर काम में भाग्य साथ देता है। इसे धारण करने से व्यक्ति को सोच-समझकर आर्थिक फैसला लेने में मदद मिलता है।
गारनेट
रत्न शास्त्र में गारनेट पहनना बेहद शुभ माना गया है। कहा जाता है कि गारनेट धारण करने से आर्थिक दिक्कतें कम होती हैं और व्यक्ति को धन की तंगी से आराम मिलता है। इसे पहनने से धन-दौलत में वृद्धि होती है और जातक का जीवन सुख-सुविधाओं में व्यतीत होता है। -
अखंड सौभाग्य की कामना के साथ सुहागिनें करवा चौथ व्रत रखती हैं। कुंवारी लड़कियां मनपसंद हमसफर पाने के लिए भी करवा चौथ व्रत करती हैं। हर साल करवा चौथ व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस साल करवा चौथ व्रत 01 नवंबर 2023, बुधवार को रखा जाएगा। हिंदू धर्म के अनुसार, सुहागिनें सास द्वारा दी गई सरगी खाकर व्रत की शुरु करती हैं और फिर पूरे दिन निर्जला व्रत रखने के बाद शाम को चंद्रदेव को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोलती हैं। अगर आप पहली बार करवा चौथ व्रत रखने जा रही हैं तो यहां जान लें कैसे रखें व्रत व सरगी खाने का समय-
1. सबसे पहले व्रती महिला को सुबह उठकर बड़ों का आशीर्वाद लेना चाहिए। फिर सरगी खाकर व्रत की शुरुआत करनी चाहिए। पहली बार करवा चौथ व्रत करने पर विवाहित महिला को सास सरगी में फल, मिठाई, कपड़े और श्रृंगार आदि का सामान देती है।
2. करवा चौथ व्रत में पूरे 16 श्रृंगार करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसलिए करवा चौथ व्रत से पहले या उस दिन हाथों में मेहंदी रचा सकते हैं।
3. करवा चौथ पूजन में साड़ी का लहंगा या साड़ी पहनना अत्यंत शुभ माना जाता है। अगर शादी का जोड़ा संभव नहीं है तो लाल साड़ी या लहंगा पहन सकती हैं।
4. अगर लाल रंग के कपड़े नहीं हैं तो पहले करवा चौथ व्रत में हरा, मैरून या गुलाबी रंग के वस्त्र धारण कर सकते हैं। इस व्रत में काला, सफेद या नीले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए।
करवा चौथ व्रत में सरगी किस समय खानी चाहिए
सरगी का अर्थ सुबह होने से पहले का भोजन है। इसलिए इसे सूर्योदय से पूर्व खा लेना चाहिए। महिलाएं करीब सुबह 3-4 बजे उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर सरगी खाती हैं। ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि सुबह 05 बजे से पहले सरगी खा लेना चाहिए और फिर व्रत की शुरुआत करनी चाहिए। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
वास्तु शास्त्र में घर बनाने से लेकर घर में चीजों को रखने के कई नियम बताए गए हैं। घर को बनाते समय कई बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी माना जाता है। घर अगर सही दिशा और तरीके से बनाया जाए तो जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। वहीं, घर बनाते समय वास्तु के नियमों का पालन न करने पर नेगेटिव एनर्जी और वास्तु दोष लगने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए आइए जानते हैं वास्तु के कुछ नियम, जिन्हें नए घर बनाते समय ध्यान रखना बेहद जरूरी माना जाता है।
बिल्डिंग के चारों ओर जगह छोड़ना बहुत शुभ होता है। भवन की ऊंचाई का नियम इस प्रकार है कि ऊपर वाली मंजिल की ऊंचाई नीचे वाली से कम होती जाएगी। बालकनी उत्तर एवं पूर्व दिशा की ओर ही शुभ होती है। दक्षिण एवं पश्चिम की ओर बालकनी नहीं बनानी चाहिए। मुख्य द्वार अन्य सभी द्वारों से बड़ा होना शुभ माना जाता है।
दिशा का रखें विशेष ध्यान
घर बनाते समय उत्तर की दिशा में जल से जुड़ी चीजें बनानी चाहिए। उत्तर पूर्व दिशा को ईशान कोण भी कहते हैं। इस दिशा में स्विमिंग पूल बनवाना बेहद ही शुभ माना जाता है। वहीं दक्षिण दिशा को ज्यादातर खुला रखना चाहिए और किसी भी तरह का भारी समान इस दिशा में नहीं रखना चाहिए। वास्तु विद्या के अनुसार दक्षिण दिशा में खिड़की या गेट नहीं बनवाना चाहिए क्योंकि इससे घर में नेगेटिव एनर्जी बढ़ जाती है। - -पं. प्रकाश उपाध्यायहथेली पर मौजूद रेखा व्यक्ति के वर्तमान और भविष्य के बारे में कई संकेत देती है। हथेलियों की रेखाओं की मदद से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति, धन-दौलत और सेहत का अनुमान लगाया जा सकता है। हथेलियों की कुछ रेखाएं व्यक्तियों के लिए बेहद सौभाग्यशाली मानी जाती है। हथेलियों पर इन रेखाओं के मौजूद होने से व्यक्ति के जीवन में धन, सुख और वैभव की कमी नहीं रहती है और जीवन के हर मार्ग पर सफलता मिलती है। चलिए जानते हैं हथेलियों के इन रेखाओं के बारे में...त्रिशूल के निशानजिन व्यक्ति की हथेलियों पर त्रिशूल के निशान पाए जाते हैं। ऐसे जातक बेहद सौभाग्यशाली माने जाते हैं। ऐसे लोगों को जीवन सुख-सुविधाओं से भरपूर होता है। यह बेहद आलीशान जिंदगी जीत हैं। जीवन में कभी भी किसी चीज की कमी नहीं रहती है। साथ ही समाज में यश और कीर्ति बढ़ता है।मछली के निशानहथेलियों पर मछली का निशान भी बेहद शुभ माना जाता है। ऐसे लोगों को जीवन में कभी भी धन, सुख और समृद्धि की कमी नहीं होती है। जिन जातकों की हथेली पर मछली का चिन्ह होता है, उन्हें किसी भी काम में बाधाओं का सामना नहीं करना पड़ता है। ऐसे व्यक्ति अपने हुनर के बदौलत देश-दुनिया में एक अलग पहचान बनाते हैं।कमल के निशानहस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, हथेलियों पर कमल का निशान बेहद शुभ माना जाता है। जिन व्यक्ति के हथेलियों पर कमल का चिन्ह होता है। ऐसे जातकों के सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है और जीवन खुशहाली में व्यतीत होता है।स्वास्तिक का निशानजिन लोगों की हथेली पर स्वास्तिक का निशान होता है, वह बेहद लकी माने जाते हैं। ऐसे व्यक्तियों के जीवन में अपार सफलता मिलती है। ऐसे लोग बेहद अमीर होते हैं और जीवन में आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है।त्रिकोण के निशानहथेलियों की भाग्य रेखा पर त्रिकोण बनने से व्यक्ति अचल संपत्ति का मालिक होता है। जातक के जीवन में धन और सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही व्यक्ति को पैतृक संपत्ति मिलती है और धन आगमन के मार्ग हमेशा खुले रहते हैं।
- -पं. प्रकाश उपाध्यायजीवन में हर कोई कामना करता है कि उसके घर में हमेशा खुशियां बनी रहे और कभी सपने में भी दुख-दुर्भाग्य न आने पाए. अपनी इन्हीं खुशियों को बनाए रखने के लिए वह अपने घर में तमाम सुख-सुविधा की चीजों को खरीद कर लाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि घर के भीतर प्रत्येक चीज को रखने के लिए एक दिशा और एक स्थान निर्धारित होता है और गलत दिशा या गलत स्थान पर रखने पर आपको उसके नकारात्मक फल प्राप्त हो सकते हैं. आइए वास्तु से जानते हैं कि घर के किस कोने में कौन सा सामान रखना उचित होता है.कहां रखना चाहिए फ्रिजयदि आप अपने घर में फ्रिज रखने के लिए सही स्थान ढूढ़ रहे हैं तो जान ले कि वास्तु के अनुसार इसके लिए दक्षिण-पश्चिम कोना सबसे उचित होता है. वास्तु के अनुसार कभी भूलकर भी फ्रिज को उत्तर या पूर्व दिशा में नहीं रखना चाहिए.वाशिंग मशीन की सही दिशायदि आप अपने घर में वाशिंग मशीन के लिए सही दिशा का चयन करना चाहते हैं तो जान लें कि वास्तु के अनुसार इसके लिए दक्षिण-पूर्व की दिशा सबसे सही मानी गई है. मान्यता है कि इस दिशा में रखा बिजली का उपकरण खूब चलता है.कहां पर रखें सोफावास्तु के अनुसार ड्राइंग रूम की शान बढ़ाने वाले सोफा को हमेशा दक्षिण या पश्चिम दिशा की ओर रखना चाहिए. इस दिशा में रखा सोफा सुख-समृद्धि और सामंजस्य को बढ़ाने वाला साबित होता है.कहां लगाएं टीवीवास्तु के अनुसार घर में टीवी को लगाने के लिए सबसे उत्तम स्थान घर का ड्राइंग रूम होता है. वास्तु के अनुसार टीवी को हमेशा पूर्व की दिशा की ओर लगाना चाहिए. वास्तु के अनुसार कभी भूलकर भी अपने घर के बेडरूम में टीवी नहीं लगाना चाहिए.किचन में कहां रखे चूल्हावास्तु के अनुसार घर के किचन में रखे चूल्हे का न सिर्फ आपकी सेहत से बल्कि आपके सौभाग्य से भी संबंध होता है. ऐसे में इसे किचन में हमेशा सही दिशा में रखना चाहिए. वास्तु के अनुसार किचन को हमेशा दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना चाहिए. इसे यहां पर कुछ ऐसे रखना चाहिए कि खाना बनाते समय आपका मुंह पूर्व की ओर रहे.
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- पं. प्रकाश उपाध्याय
घर में रखी गयी हर एक चीज पॉजिटिव या नेगेटिव तौर पर घर को प्रभावित करती है। वहीं, कई बार जाने-अनजाने में हम कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जो घर में वास्तु दोष का कारण बनती हैं। घर में वास्तु दोष होने पर कार्यों में बाधाएं उतपन्न होने लगती हैं। गलत दिशा में या अनजाने में गलत ढंग से रखी गयी कुछ वस्तुओं से घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। वहीं, कुछ ऐसी भी अनुपयोगी वस्तुएं हैं, जिन्हें घर में रखने से नेगेटिव एनर्जी फैलती है और बैड लक का कारण भी बनती है। इसलिए अगर आपके घर में भी ये वस्तुएं मौजूद हैं तो इन्हें आज ही घर से बाहर निकाल फेकना बेहतर रहेगा।
वास्तु दोष का कारण बनने वाली वस्तुएं
घर में बिना चाबी के ताले तथा बिना तालों की चाबियां हों, तो उन्हें हटा देना चाहिए वरना जीवन में बाधाएं आती रहेंगी। पुराने पेन, टीवी, बंद घड़ी, लोहा आदि घर में रखने से नकारात्मकता फैलती है। छत पर रखा हुआ कबाड़, लकड़ी आदि तनाव व अड़चन पैदा करते हैं। इसलिए इन चीजों को तुरंत हटा दें। वहीं, सोते समय सिर के पास पानी की बोतल आदि नहीं रखना चाहिए। इससे मानसिक परेशानी आ सकती हैं।
अनुपयोगी चीजें
कुछ लोगों को पुराने अखबार इकठ्ठा करने की आदत होती है। वहीं, घर में पुराने अखबार या डायरी जमा करने से कार्यों में रुकावटें पैदा हो सकती हैं। वहीं, कुछ लोग स्टोर रूम में फालतू का सामान रखते हैं, जिन्हें उपयोग नहीं हो रहा होता है। ऐसी सामान भी नहीं रखने चाहिए। इससे माता लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं और अर्थीक समस्याएं आ सकती हैं। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
यूं तो शिवजी की भक्ति कभी भी की,किसी भी दिन की जाए वो शुभ ही होती है। लेकिन धार्मिक मान्यता के अनुसार सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है, इस दिन शिव की पूजा करना सबसे लाभदायक होता है। भगवान शिव ही सृष्टि के नियंत्रक हैं। विशेषकर सोमवार के दिन इनकी पूजा से नवग्रहों की शांति की जा सकती है। आइए जानते हैं।
सूर्य ग्रह
सूर्य को आत्मा का कारक माना जाता है। इस ग्रह की कृपा और शुभ फल पाने के लिए आप शिवलिंग पर लाल चंदन का लेप करें या तिलक लगाएं। इससे आपकी कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत होगा।
चंद्रमा
चंद्रमा मन का कारक होता है। अगर आपकी कुंडली में चंद्र देव कमजोर स्थिति में हैं तो शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं। इससे चंद्रमा की स्थिति अच्छी होगी। आपकी सेहत ठीक रहेगी साथ ही ऐसा करने से मानसिक शांति भी बनी रहेगी।
मंगल ग्रह
इस ग्रह को सभी ग्रहों का सेनापति कहा जाता है। इसकी मजबूत स्थिति आपको साहसी और ऊर्जावान बनाती है। इस ग्रह की शांति के लिए आप शिवलिंग पर शहद से अभिषेक करें या फिर पंचामृत चढ़ाएं, इससे मंगल देव की कृपा आपके जीवन में बनी रहेगी।
बुध ग्रह
इस ग्रह को बुद्धि का कारक माना जाता है। बुध देव को प्रसन्न करने के लिए आप शिव जी की पूजा में बिल्व पत्र एवं दूर्वा का प्रयोग जरूर करें। कुंडली में बुध ग्रह की मजबूत स्थिति से आपको सामाजिक मान सम्मान मिलता है,व्यापार अच्छा चलता है।
बृहस्पति ग्रह
ज्योतिष में गुरु ग्रह को भाग्य और धन का कारक माना जाता है। इस ग्रह की शांति के लिए भीगी हुई चने की दाल एवं पीले पुष्प शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए। जीवन में यदि आपका भाग्य साथ नहीं दे रहा,आर्थिक परेशानियां हैं तो इसका मतलब बृहस्पति ग्रह कमजोर स्थिति में है, ऐसे में यह उपाय करने से लाभ मिलेगा।
शुक्र ग्रह
शुक्र देव आकर्षण, ऐश्वर्य, सौभाग्य, धन, प्रेम और वैभव के कारक हैं। इस ग्रह के कमजोर होने से जीवन में सुख नहीं मिलता। इस ग्रह को प्रसन्न करने के लिए आपको शिवलिंग का दही-बूरा से अभिषेक करना चाहिए।
शनि देव
शनि देव न्याय के देवता माने जाते हैं। यह कर्म के अनुसार जातक को फल देते हैं। कुंडली में इनकी स्थिति मजबूत करने एवं इनकी कृपा पाने के लिए पूजा के बाद शिवजी की आरती धूप बत्ती से करनी चाहिए।
राहु-केतु
कुंडली में राहु की शुभ स्थिति होने पर उच्च पदों की प्राप्ति होती है। वहीं, कुंडली में केतु शुभ भाव में बैठते हैं तो व्यक्ति को जीवन में मान-सम्मान, धन और संतान की प्राप्ति होती है। कुंडली में राहु केतु की स्थिति को शुभ करने के लिए शिवलिंग पर जल की धारा अर्पित करें। साथ ही भांग धतूरा अर्पित करें। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
हथेलियों पर बन रहे कुछ योग जातक के जीवन में सुख-सौभाग्य का कारक माने जाते हैं। जिन व्यक्ति की हथेली पर यह योग बनता है, ऐसे लोग बहुत भाग्यशाली होते हैं। उन्हें किसी चीज की कमी नहीं रहती है और जीवन सुख-सुविधाओं में व्यतीत होता है। ऐसे व्यक्ति को करियर, प्रेम और व्यापार में अपार सफलता मिलती है। इन्हीं शुभ योगों में से एक योग पुष्कल योग है। जिन जातकों के हथेलियों पर पुष्कल योग बनता है। उन्हें जीवन में कभी भी धन की तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है। ऐसे लोग अपार धन-संपदा के मालिक होता हैं और राजाओं की तरह अपना जीवन जीते हैं। चलिए हथेलियों पर पुष्कल योग बनने के लाभ जानते हैं।
हथेलियों पर पुष्कल योग
हथेली पर शनि और शुक्र रेखा स्पष्ट होने के साथ शुक्र पर्वत से भाग्य रेखा की शुरुआत होने पर हथेलियों पर पुष्कल योग बनता है। जिन व्यक्तियों की हथेली पर पुष्कल योग बनता है, वे बहुत लकी माने जाते हैं।
स्वभाव में विनम्रता
हस्तरेखा शास्त्र के मुताबिक, जिन व्यक्ति की हथेलियों पर पुष्कल योग बनता है वह स्वभाव से बेहद सरल और विनम्र होते हैं। ऐसे लोग बातचीत के जरिए लोगों को इंप्रेस कर देते हैं। अपने बेहतरीन कम्युनिकेशन स्किल के चलते इन्हें कार्य और व्यापार में खूब तरक्की मिलती है।
व्यावसायिक सफलता
मान्यता है कि हथेलियों पर पुष्कल योग बनने से जातक के जीवन में सुख-सौभाग्य की कमी नहीं रहती है। व्यक्ति को करियर में अपार सफलता मिलती है और किसी भी काम में असफलता का सामना नहीं करना पड़ता है। ऐसे लोग आर्थिक मामलों में सुखी और धन-संपन्न रहते हैं।
समाजिक पद
प्रतिष्ठा: जिन जातकों की हथेलियों पर पुष्कल योग बनता है। मान्यता है कि उन्हें समाज में बहुत मान-सम्मान मिलता है। ऐसे जातक का व्यक्तित्व बहुत आकर्षक होता है।