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- -पं. प्रकाश उपाध्यायज्योतिषशास्त्र में सूर्यदेव को विशेष स्थान प्राप्त है। सूर्यदेव को सभी ग्रहों का राजा कहा जाता है। इस समय सूर्यदेव सिंह राशि में विराजमान हैं। आने वाले 21 दिनों तक सूर्यदेव इसी राशि में विराजमान रहेंगे। सूर्यदेव सिंह राशि में रहकर कुछ राशि वालों पर विशेष कृपा कर रहे हैं। इन राशि वालों के लिए आने वाले 21 दिन किसी वरदान से कम नहीं कहे जा सकते हैं। आइए जानते हैं, आने वाले 21 दिनों तक किन राशियों पर रहेगी सूर्यदेव की कृपा-मेष राशि-- जीवनसाथी के साथ समय व्यतीत करेंगे।-पारिवारिक जीवन सुखमय रहेगा।- धन- लाभ होगा।- कार्यक्षेत्र में आपके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना करेंगे।मिथुन राशि-- भाई- बहन का सहयोग मिलेगा।- इस समय किस्मत का साथ मिलेगा।- नौकरी और व्यापार के लिए ये समय किसी वरदान से कम नहीं है।- मान- सम्मान और पद- प्रतिष्ठा में वृद्दि के योग बन रहे हैं।- नया मकान या वाहन खरीद सकते हैं।सिंह--परिवार के सदस्यों का सहयोग प्राप्त करेंगे।-यह समय आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं रहने वाला है।-हर तरफ से लाभ होगा।-आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।-नौकरी और व्यापार के लिए समय शुभ रहेगा।धनु राशि-- नौकरी और व्यापार में तरक्की करेंगे।-धन- लाभ होगा, जिससे आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।-लेन- देन करने के लिए समय शुभ है।- निवेश करने से लाभ होगा।-दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
ज्योतिषशास्त्र में ग्रहों की चाल बदलने को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। ग्रहों के चाल बदलने का सभी राशियों पर प्रभाव पड़ता है। कुछ राशि वालों को शुभ तो कुछ राशि वालों को अशुभ फल की प्राप्ति होती है। 23 अगस्त से बुध देव सिंह राशि में वक्री होकर चल रहे हैं। 15 सितंबर तक बुध वक्री अवस्था में ही रहेंगे। बुध देव के वक्री होने से कुछ राशि वालों को लाभ हो रहा है। इन राशि वालों के लिए 15 सितंबर तक का समय वरदान के समान कहा जा सकता है। आइए जानते हैं, 15 सितंबर तक का समय किन राशि वालों के लिए शुभ रहेगा-
मेष राशि-
कार्यों के प्रति उत्साह रहेगा, परंतु बातचीत में संतुलित रहें।
धर्म-कर्म के प्रति रूझान बढ़ेगा।
माता का सहयोग मिलेगा।
माता से धन प्राप्ती के योग हो सकते हैं
किसी मित्र का आगमन हो सकता है।
बौद्धिक कार्यों से धर्नाजन होगा, नौकरी में स्थान परिवर्तन की संभावना बन रही है।
परिवार के संग किसी धार्मिक स्थान की यात्रा पर जाना हो सकता है।
मिथुन राशि-
कारोबार के विस्तार की योजना साकार होगी।
भाइयों का सहयोग मिलेगा लेकिन परिश्रम की अधिकता रहेगी।
घर-परिवार में मांगलिक कार्य होंगे।
वस्त्रादि उपहार भी मिल सकते हैं।
नौकरी में परिवर्तन के साथ दूसरे स्थान पर भी जाना पड़ सकता है।
आयात-निर्यात कारोबार में लाभ के अवसर प्राप्त होंगे।
माता का सानिंध्य मिलेगा, वाहन सुख में वृद्धि हो सकती है।
नौकरी में अफसरों का सहयोग मिलेगा।
सिंह राशि-
आत्मविश्वास से लबरेज रहेंगे, लेकिन आत्म संयत रहें।
घर-परिवार की सुख सुविधाओं का विस्तार होगा।
कार्यक्षेत्र में परिवर्तन संभव है, परिश्रम की अधिकता रहेगी।
माता का सानिंध्य व सहयोग मिलेगा।
लाभ में वृद्धि की संभावना है।
नौकरी में अफसरों का सहयोग मिलेगा।
धनु राशि-
आत्मविश्वास से परिपूर्ण रहेंगे, अध्ययन में रूचि रहेगी।
नौकरी में परिवर्तन की संभावना बन रही है, किसी दूसरे स्थान पर जाना पड़ सकता है।
भाइयों के सहयोग से परंतु परिश्रम की अधिकता रहेगी।
धार्मिक कार्यों में शामिल होने का अवसर प्राप्त होगा।
परिवार के सदस्यों के साथ समय व्यतीत करेंगे।
दांपत्य जीवन में सुख का अनुभव करेंगे। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
हस्तरेखा से आपने कई बार हथेलियों पर मौजूद रेखाओं से अपने करियर, लव लाइफ, किस्मत से जुड़ी कई बातों को जानने का प्रयास किया होगा। लेकिन व्यक्ति के जीवन के बारे हथेलियों की रेखाओं के साथ हाथों की कलाईयां पर मौजूद रेखाएं भी कई संकेत देती हैं। किसी व्यक्ति की कलाईयों पर मौजूद रेखाओं की संख्या से जीवन में मिलने वाले सुख-सौभाग्य के बारे में अनुमान लगाया जा सकता है। चलिए जानते हैं...
ब्रेसलेट लाइन:
हाथों की कलाईयों के पास ये रेखाएं क्षैतिज रेखाओं के रूप में मौजूद होती है। आमतौर पर हाथों की कलाईयों के पास 2-3 ब्रेसलेट लाइन होती है। मान्यता है कि हाथों की कलाईयों पर मौजूद ये ब्रेसलेट लाइन जितनी लंबी होती है, उस व्यक्ति की आयु उतनी ही लंबी होती है।
ब्रेसलेट लाइन से जानें जीवन काल :
हस्तरेखा के अनुसार, हाथों की कलाईयों पर मौजूद 1 ब्रेसलेट लाइन किसी व्यक्ति की आयु 25-28 के बीच दर्शाती है, 2 रेखाएं वाले व्यक्तियों की आयु 55-6- उम्र के बीच होती है। जिन व्यक्तियों की कलाईयों पर 3 ब्रेसलेट लाइन होती है उनकी उम्र 75-80 के बीच मानी जाती है और जिन लोगों की कलाईयों पर 4 रेखाएं होती हैं उनकी उम्र 80 वर्ष से अधिक होती है।
पहली ब्रेसलेट लाइन क्या दर्शाती है?
किसी व्यक्ति की कलाईयों पर मौजूद पहली ब्रेसलेट लाइन अच्छे स्वास्थ्य का संकेत देती है। यदि आपकी पहली ब्रेसलेट लाइन टूटी हुई है तो इसका मतलब है कि चुनौतियों या परिवर्तनों का सामना करना पड़ेगा और सपनों को साकार नहीं कर सकेंगे। अगर यही रेखा धुंधली नजर आए तो इसका मतलब है कि आप जीवन में अपने ही रास्तों पर चलने में सक्षम नहीं होंगे।
दूसरी ब्रेसलेट लाइन का महत्व
व्यक्ति की दूसरी ब्रेसलेट लाइन पहली ब्रेसलेट लाइन पर निर्भर करती है। यदि आपकी पहली ब्रेसलेट लाइन गहरी है और दूसरी लाइन हल्की है तो आप अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की उम्मीद कर सकते हैं। अगर आपकी दोनों लाइन्स गहरी हैं तो आप अपार सफलता और शक्तियों की अपेक्षा कर सकते हैं। ब्रेसलेट लाइन की दूसरी रेखा गहरी होने से व्यक्ति को आर्थिक सफलता मिलती है। वही हल्की रेखाएं आर्थिक दिक्कतों को दर्शाती हैं और टूटी हुई रेखा व्यक्ति के जीवन में धन के मामलों में बड़ी समस्याओं का संकेत देती है।
तीसरी ब्रेसलेट लाइन क्या दर्शाती है?
तीसरी ब्रेसलेट लाइन किसी व्यक्ति की 55-60 वर्ष के बाद के जीवन के बारे में बताती है। यह दो ब्रेसनेट लाइन्स से काफी कमजोर और हल्की होती है। यदि तीसरी ब्रेसलेट लाइन गहरी हो, तो बुढ़ापे तक व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और टूटी हुई तीसरी रेखा स्वास्थ्य और धन से जुड़ी दिक्कतों का संकेत देती है।
चौथी ब्रेसलेट लाइन क्या देती है संकेत?
किसी व्यक्ति की कलाईयों में चौथी ब्रेसलेट लाइन बड़ी मुश्किल से ही पाई जाती है। यह किसी व्यक्ति की लंबी आयु का संकेत देती है। मान्यता है कि ऐसे व्यक्तियों से लोग अधिक प्रभावित होते हैं। यदि चौथा ब्रेसलेट लाइन किसी की गहरी और घनी होती है तो ऐसे व्यक्ति का लोगों के बीच बहुत प्रभुत्व रहता है। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
आर्थिक रूप से समृद्ध रहने के लिए आपको घर में वास्तु का विशेष ध्यान रखना चाहिए। अघर आपके घर में वास्तु के हिसाब से चीजें नहीं हैं, तो इसकी वजह से कई दिक्कतें आ सकती हैं। ऐसा माना जाता है कि घर पर सुबह के समय वास्तु के हिसाब से काम करने से पॉजिटिव एनर्जी आती हैं और इससे आपको आर्थिक लाभ भी होता है। अगर आप सुबह के समय घर पर वास्तु के हिसाब से कुछ काम नहीं करते हैं, तो इससे कई नुकसान हो सकते हैं। अगर आप अपने जीवन से नेगेटिव एनर्जी को खत्म करना चाहते हैं और आर्थिक रूप से खुद को मजबूत बनाना चाहते हैं, तो सुबह नहाने के बाद घर पर ये काम जरूर करें। ऐसा करने से आपको धन लाभ होता है और जीवन में शांति बनी रहती है।
घर पर नहाने के बाद वास्तु के हिसाब से काम करने से आपको कई फायदे मिलते हैं। अगर आप नहाने के बाद वास्तु के हिसाब से काम करते हैं, तो इससे आपके जीवन में धनलाभ होता है और पॉजिटिव एनर्जी बनी रहती है। सुबह नहाने के बाद हिंदू धर्म के लोग अपने आराध्य भगवान की पूजा जरूर करते हैं। अगर आप सुबह स्नान करने के बाद ये काम करते हैं, तो आपको धन लाभ होगा और जीवन में शांति बनी रहेगी-
सुबह स्नान करने के बाद घर में गंगाजल से छिड़काव करना बहुत शुभ माना जाता है। सुबह स्नान करने के बाद घर में गंगाजल का छिड़काव करने से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है। स्नान के बाद घर के मुख्य द्वार पर गंगाजल का छिड़काव करने से आर्थिक हानि नहीं होती है और सकारात्मक एनर्जी का प्रवाह होता है।
स्नान करने के बाद घर में हल्दी का छिड़काव करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और शांति बनी रहती है। अगर आप घर में सुख और समृद्धि चाहते हैं, तो नहाने के बाद घर के मुख्य द्वार पर हल्दी के पानी का छिड़काव करना चाहिए।
घर में सुख समृद्धि बनाए रखने के लिए सुबह स्नान करने के बाद नमक पानी का छिड़काव करना चाहिए। ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा नहीं रहती है और धन लाभ होता है। - बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायसावन मास की समाप्ति जल्द ही होने जा रही है। 30 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा के साथ ही सावन मास समाप्त हो जाएगा। यह एक बड़ा अद्भुत संयोग है कि भगवान शिव की पूजा के लिए सर्वाधिक खास माने जाने वाला सावन का अंतिम प्रदोष और सावन का आखिरी सोमवार दोनों एक ही दिन यानी कि 28 अगस्त को है। इस दिन 5 शुभ योग बन रहे हैं। इन शुभ योग में भगवान शिव की पूजा करने से आपको विशेष फल की प्राप्ति होगी और हर मनोकामना सिद्ध होगी।जो लोग अभी तक रूद्राभिषेक या फिर भगवान शिव की पूजा से जुड़ा कोई अनुष्ठान नहीं कर पाए हैं। वे आखिरी प्रदोष पर पूजापाठ करके शिव कृपा का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।सावन के अंतिम प्रदोष का शुभ मुहूर्तसावन के अंतिम प्रदोष की तिथि 28 अगस्त को शाम को 6 बजकर 48 मिनट से 29 अगस्त को दोपहर 2 बजकर 47 मिनट तक है। नियमानुसार प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में ही यानी कि सूर्यास्त के बाद करने का विधान है। इसलिए अंतिम प्रदोष का व्रत 28 अगस्त को ही रखा जाएगा।सावन के अंतिम प्रदोष पर बने हैं ये शुभ योगसावन के अंतिम प्रदोष पर 5 बेहद शुभ योग बन रहे हैं। पहला आयुष्?मान योग है जो कि सूर्योदय से लेकर सुबह 9 बजकर 56 मिनट तक है। उसके बाद सौभाग्य योग सुबह 9 बजकर 56 मिनट से पूरा दिन और फिर पूरी रात तक है। इसके अलावा सर्वार्थ सिद्धि योग मध्यरात्रि 2 बजकर 43 मिनट से 29 अगस्त को सुबह 5 बजकर 57 मिनट तक है। रवि योग मध्यरात्रि 2 बजकर 43 मिनट से 29 अगस्त को सुबह 5 बजकर 57 मिनट तक है। इस दिन क्या करेंप्रदोष के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और फिर शिवलिंग पर जलाभिषेक करके व्रत करने का संकल्प लें। शाम को सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में विधि विधान से शिव परिवार की पूजा करें। दूध, दही, गंगाजल, शहद और घर से अभिषेक करें। शिवलिंग पर बेलपत्र, भांग, धतूरा, अक्षत और आंकड़े का फूल अर्पित करें। इसके बाद मन ही मन अपनी मनोकामना दोहराएं और भगवान शिव से प्रार्थना करें।इस दिन आप अपनी श्रद्धा के अनुसार शिव तांडव स्त्रोत या फिर शिव अष्ट स्त्रोत का पाठ भी कर सकते हैं।अगर आप प्रदोष का व्रत करते हैं तो अगले दिन व्रत का पारण करने के बाद जरूरतमंदों को दान जरूर करें और उसके बाद ही अन्न ग्रहण करें।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
घर की डाइनिंग टेबल पर रखीं कुछ चीजें घर का वास्तु बिगाड़ सकती हैं, जिसके कई बार घर के सदस्यों को सेहत, आर्थिक स्थिति, करियर और वैवाहिक जीवन में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। चलिए एस्ट्रोलॉजर, टैरो कार्ड रीडर और न्यूमरोलॉजर मनीषा कौशिक से जानते हैं कि डाइनिंग टेबल पर क्या रखना चाहिए और क्या नहीं रखना चाहिए?
दवाएं
घर के डाइनिंग टेबल पर दवाएं नहीं रखना चाहिए। लंबे समय से डाइनिंग टेबल पर रखी दवाएं बीमार व्यक्ति के साथ घर के अन्य सदस्यों पर भी नकारात्मक प्रभाव ढालती है और व्यक्ति को बीमारियों से ग्रसित कर सकती है।
कटलरी सेट
यदि आप भी कटलरी सेट के शौकीन हैं और डाइनिंग टेबल पर कटलरी का इस्तेमाल करते हैं तो नुकील चम्मचों को हमेशा नीचे की ओर रखें।
ताजे-फलों की टोकरी
डाइनिंग टेबल पर आप ताजे फलों की टोकरी रख सकते हैं। डाइनिंग टेबल पर कभी भी आर्टिफिशियल फ्रूट की टोकरी ना रखें और फ्रेश फ्रूट्स को ही टोकरी में रखने की कोशिश करें। इससे घर में सुख-शांति बढ़ेगी। -
सुहागिन महिलाओं के लिए हरियाली तीज का यह पर्व विशेष महत्व रखता है। हरियाली तीज के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करने के लिए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। इस दिन महिलाएं श्रृंगार करती हैं और हाथों में मेहँदी लगाती हैं। ये वो समय होता है जब सावन में प्रकृति ने हरियाली की चादर ओढ़ी हुई होती है। यही वजह है कि इस त्यौहार को हरियाली तीज कहते हैं। सुहागिन महिलाओं के लिए ये व्रत बेहद महत्वपूर्ण माना गया है।
हरियाली तीज का ये खूबसूरत त्यौहार श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। ये पर्व मुख्यतः उत्तर भारत में मनाये जाने का चलन है। उत्तर प्रदेश में इस दिन को कजली तीज के रूप में मनाया जाता है। प्रकृति के इस मनोरम क्षण का आनंद लेने के लिए महिलाएं झूले झूलती हैं, लोक गीत गाकर उत्सव मनाती हैं। हरियाली तीज के अवसर पर देशभर में कई जगह मेले लगते हैं और माता पार्वती की सवारी धूमधाम से निकाली जाती है। सौंदर्य और प्रेम का यह उत्सव भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।हरियाली तीज पूजा विधिशिव पुराण के अनुसार हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था इसलिए सुहागन स्त्रियों के लिए इस व्रत की बड़ी महिमा है। इस दिन महिलाएं महादेव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं।1. इस दिन साफ-सफाई कर घर को तोरण-मंडप से सजायें। एक चौकी पर मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, भगवान गणेश, माता पार्वती और उनकी सखियों की प्रतिमा बनायें।2. मिट्टी की प्रतिमा बनाने के बाद देवताओं का आह्वान करते हुए षोडशोपचार पूजन करें।3. हरियाली तीज व्रत का पूजन रात भर चलता है। इस दौरान महिलाएं जागरण और कीर्तन भी करती हैं।हरियाली तीज पर हर महिला को तीन बुराइयों को छोड़ने का संकल्प लेना चाहिए। ये तीन बातें इस प्रकार है...1. पति से छल-कपट2. झूठ व दुर्व्यवहार करना3. परनिंदा (दूसरो की बुराई करने से बचना)हरियाली तीज परंपरा
हरियाली तीज के इस त्यौहार से जुड़ी कई खूबसूरत परंपरा भी होती है। मान्यता के अनुसार शादी के बाद पड़ने वाली हरियाली तीज का बहुत महत्व बताया गया है। इस दौरान नवविवाहित लड़कियों को ससुराल से मायके बुला लिया जाता है।01. हरियाली तीज से एक दिन पहले नवविवाहित लड़की के ससुराल की तरफ से कपड़े, गहने, साज-श्रृंगार का सामान, मेहँदी, और फल मिठाई लड़की के मायके भेजी जाती है।02. कहा जाता है कि इस दिन हाथों में मेहँदी लगाने का बहुत महत्व होता है।03. हरियाली तीज के दिन महिलाएं दुल्हन की तरह सजती हैं। हाथों में मेहँदी और पैरों में आलता इनकी खूबसूरती को कई गुना बढ़ा देता है। मेहँदी और आलता सुहागिन महिलाओं की निशानी होती है।04. पूजा इत्यादि के बाद इस दिन सुहागिनें अपनी सास के पैर छूकर उन्हें सुहागी देती हैं। अगर किसी भी सूरत में सास नहीं होती हैं तो सुहागी घर की किसी भी अन्य सम्मानित महिला को दी जाती है।05. महिलाएं इस दिन साज-श्रृंगार कर के माँ पार्वती की पूजा करती हैं।06. इस दिन एक और खूबसूरत परंपरा का पालन किया जाता है जिसमें बागों में झूले लगाए जाते हैं और महिलाएं इस पर झूलती और लोक गीत पर नाचती-गाती हैं।हरियाली तीज का पौराणिक महत्वहिंदू धर्म में हर व्रत, पर्व और त्यौहार का पौराणिक महत्व होता है। और उससे जुड़ी कोई रोचक कहानी व कथा होती है। हरियाली तीज उत्सव को भी भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। इस कड़ी तपस्या और 108वें जन्म के बाद माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया। कहा जाता है कि श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को ही भगवान शंकर ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया । तभी से ऐसी मान्यता है कि, भगवान शिव और माता पार्वती ने इस दिन को सुहागन स्त्रियों के लिए सौभाग्य का दिन होने का वरदान दिया। इसलिए हरियाली तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन और व्रत करने से विवाहित स्त्री सौभाग्यवती रहती है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
हर किसी को धन की बहुत आवश्यकता होती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, कुछ उपायों को करने से घर में धन और वैभव बढ़ता है जिससे घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। चलिए वास्तु शास्त्र के मुताबिक घर में धन लाभ के विशेष उपायों के बारे में जानते हैं।
घर की तिजोरी: अगर आपके घर में भी धन रुकता ही नहीं है तो ऐसा घर की तिजोरी को गलत दिशा में रखने के कारण भी हो सकता है। वास्तुकार घर के वेल्थ कॉर्नर पर ही पर्स, ज्वेलरी, कीमती चीजें और फाइनेंसशियल डाक्यूमेंट्स को रखने की सलाह देते हैं। इससे धन में वृद्धि होती है, वहीं गलत दिशा में तिजोरी रखने से धन-हानि के योग बन सकते हैं।
किस दिशा में रखें तिजोरी?: वास्तु के अनुसार, घर की तिजोरी को दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थापित करना शुभ होता है। लेकिन लॉकर का दरवाजा उत्तर की ओर खुलना चाहिए। उत्तर दिशा धन के देव कुबेर देवता की मानी जाती है।
घर की सफाई: हिंदू मान्यताओं के अनुसार, साफ-सफाई वाले घर में देवी-देवताओं का वास होता है। इसलिए घर की साफ-सफाई के साथ घर के कोनों को साफ करना ना भूलें और वहां ज्यादा कूड़ा एकत्रित ना होने दें।
यहां रखे तिजोरी: वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के स्टोर रूम या किचन में पैसे, गहनों और कागजात की तिजोरी ना रखें। साथ ही तिजोरी या कैश बॉक्स को ऑफिस या घर में बीम के नीचे नहीं रखना चाहिए।
रंगों का ध्यान रख होगी धन-वृद्धि: वास्तु के अनुसार,किसी कीमती चीज को तिजोरी में रखने से पहले अपने तिजोरी के अंदर के हिस्से को लाल रंग से रंग दें। वहीं गहने और आभूषण रखने के लिए पीले रंग की ज्वेलरी बॉक्स का इस्तेमाल करें। रंगों का इस संयोजन तिजोरी में धन रुकने लगेगा।
तिजोरी को खाली ना रहने दें: वास्तु के अनुसार, घर की तिजोरी या कैश बॉक्स को कभी भी पूरी तरह से खाली ना छोड़े। यह धन की कमी को दर्शाता है। किसी भी परिस्थिति में आपकी तिजोरी या पर्स में कम से कम 1 रुपया तो जरूर रखा रहना चाहिए। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
कई लोगों को बहुत मेहनत करने के बाद भी सफलता नहीं मिलती है। इसके अलावा हमेशा गृह कलह और घर में तू-तू, मैं-मैं की स्थिति रहती है। इसका बहुत बड़ा कारण आपके घर का वास्तु भी है। अगर आपके घर का वास्तु सही नहीं है तो जीवन में आपको कई तरह की समस्याओं जैसे खराब स्वास्थ्य, करियर में परेशानियां, धन की हानि और व्यापार में असफलता जैसी परेशानियां लगी रहती है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए वास्तु शास्त्र में कुछ उपाय बताए गए हैं जिनको आप घर में बिना तोड़फोड़ किए हुए अपना सकते हैं।
घर के ईशान कोण में रखें ये चीजें
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का उत्तर पूर्वी कोना जिसे ईशान कोण भी कहा जाता है, को एक्टिव करना चाहिए। इस दिशा में आप उड़ते हुए पक्षियों की तस्वीर, नदियों या उगते सूरज की तस्वीर को लगा सकते हैं। ऐसा करना घर में पॉजिटिव एनर्जी लाता है और निगेटिव एनर्जी को कम करता है।
किचन से वास्तु दोष हटाने के लिए करें ये उपाय
अगर आपकी रसोई वास्तु के अनुसार गलत जगह पर है तो आप अग्नि कोण में लाल बल्ब लगा सकते हैं। इसे हर रोज सुबह शाम जलाएं। ऐसा करने से रसोई का वास्तु दोष दूर होता है और घर में सुख समृद्धि आती है।
घर की पश्चिम दिशा में करें ये काम
अगर आपके घर के पश्चिम दिशा में कोई वास्तु दोष है तो इसके लिए आप इस दिशा में शनि यंत्र की स्थापना कर सकते हैं। ऐसा करने के बाद आप कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं।
इस दिशा में लगाएं गणेश जी की मूर्ति
अगर घर के अग्नि कोण में वास्तु दोष है तो इस दिशा में आप गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर लगा सकते हैं। इसके अलावा आप इस दिशा में मनी प्लांट का पौधा भी लगा सकते हैं। ऐसा करने से घर में कभी भी धन–समृद्धि की कोई कमी नहीं होगी। परिवार के बीच प्रेम भाव बना रहेगा। नौकरी–व्यवसाय में भी जल्दी सफलता मिलेगी। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
वास्तु शास्त्र में बच्चों से जुड़े कई उपाय बताए गए हैं। घर में वास्तु दोष का प्रभाव बच्चों की पढ़ाई पर भी पढ़ता है। अक्सर माता-पिता की यह शिकायत होती है कि बच्चे उनका कहना नहीं मानते। ऐसे में वे सबसे पहले उनके सोने एवं पढ़ने का कमरा चेक करें कि वह किस दिशा में है। जानें वास्तु शास्त्र में वर्णित कुछ आसान उपाय जिन्हें अपनाकर आप अपने बच्चों का भविष्य सुधार सकते हैं।
1. बच्चों का कमरा दक्षिण-पश्चिम दिशा में होगा तो वे आपकी बात बिलकुल नहीं सुनेंगे। उनका कमरा घर की उत्तर-पूर्व दिशा में करें।
2. सिरहाना पूर्व दिशा की ओर करवाएं और पूर्व दिशा में उगते हुए सूर्य का चित्र लगाएं।
3. उनके कमरे में ईशान कोण ज्यादा भारी न हो। यदि संभव हो तो ईशान कोण बिलकुल खाली रखें।
4. बच्चों के कमरे में किसी भी तरह का फालतू सामान न रखें।
5. घर के दक्षिण-पश्चिम कोण की सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने के लिए असली स्फटिक के दो गोलों का इस्तेमाल करें। इन्हें प्रयोग करने से पहले एक हफ्ते तक नमक के पानी में रखें। उसके बाद धोकर कांच की प्लेट में रखें। इन्हें धूप में तीन घंटे रखकर दोबारा घर के अंदर रख दें।
6. दक्षिण-पश्चिम दिशा में अपने परिवार के सदस्यों का मुस्कराता हुआ चित्र लगाएं।
7. घर में महाभारत या युद्ध के मैदान जैसे हिंसक चित्र न लगाएं।
8. चाकू, छुरी, कैंची, सुई आदि वस्तुएं खुली न रखें तथा रसोई में भी लटकाकर न रखें। - बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायदूर्वा, जिसे हम हिंदी में दूब भी कहते हैं, का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व है। शायद ही ऐसी कोई पूजा हो जो दूर्वा के बिना संपन्न होती हो। आम तौर पर लोग दूर्वा और घास को एक ही समझते हैं किन्तु ऐसा नहीं है। दूर्वा घास का ही एक प्रकार है जो हरे रंग की होती है और पृथ्वी पर फ़ैल कर बढ़ती है और कभी ऊपर नहीं उठती।पुराणों के अनुसार दूर्वा की उत्पत्ति समुद्र मंथन से मानी गयी है। इसे समुद्र मंथन से निकले 84 अन्य रत्नों में से एक माना जाता है। कथा के अनुसार मंदराचल की रगड़ से श्रीहरि की जांघ का एक रोम टूट गया और उसी से दूर्वा का जन्म हुआ। नारायण के शरीर का भाग होने के कारण ये परम पवित्र कहलाई। जब अमृत प्राप्त होने के बाद समुद्र मंथन का समापन हुआ तो नारायण ने मोहिनी रूप धर कर कुछ समय के लिए अमृत को इसी दूर्वा पर रख दिया। अमृत का स्पर्श होने से इसकी पवित्रता और बढ़ गयी और ये वनस्पति अमर हो गयी। इसीलिए दूर्वा ही एक ऐसी वनस्पति है जो किसी भी परिस्थित में बिना किसी की सहायता के स्वयं बढ़ सकती है। इसे अमृता, अनंता, गौरी, महौषधि, शतपर्वा, भार्गवी इत्यादि नामों से भी जानते हैं।समुद्र मंथन के सन्दर्भ में ही दूर्वा के लिए हमारे धर्म ग्रंथों में एक श्लोक आता है -त्वं दूर्वे अमृतनामासि सर्वदेवैस्तु वन्दिता।वन्दिता दह तत्सर्वं दुरितं यन्मया कृतम॥विष्णवादिसर्वदेवानां दूर्वे त्वं प्रीतिदा यदा।क्षीरसागर संभूते वंशवृद्धिकारी भव।।मान्यता है कि दूर्वा यज्ञ में तीन महान अवगुणों - आणव, कार्मण एवं मायिक का नाश कर देती है। हिन्दू कर्मकांडों एवं सभी 16 संस्कारों में दूर्वा का प्रयोग किया जाता है। कोई भी मांगलिक अवसर दूर्वा की उपस्थिति के बिना अधूरा माना जाता है।स्त्रियों को विशेष कर दूर्वा का पूजन करने को कहा गया है। ऐसी मान्यता है ऐसा करने से उनका सुहाग अखंड रहता है। महान पतिव्रताओं जैसे माता सीता और दमयन्ती द्वारा भी दूर्वा के पूजन का वर्णन हमें ग्रंथों में मिलता है। ऐसी मान्यता है कि जो कोई भी स्त्री दूर्वा द्वारा पूजन करती है वो अपने पति के साथ उसी के लोक को प्राप्त करती है।वैसे तो दूर्वा सभी देवताओं को अत्यंत प्रिय है किन्तु विशेष रूप से श्रीगणेश को ये अति प्रिय है। इसके विषय में एक कथा पुराणों में आती है कि श्रीगणेश ने अनलासुर से युद्ध किया और उसे जीवित ही निगल कर देवताओं को भयमुक्त किया। जब श्रीगणेश ने अनलासुर को निगला तो उसके ताप से उनके उदर में भयानक पीड़ा होने लगी। तब महर्षि कश्यप ने उन्हें दूर्वा की 21 गांठें खाने को दी जिसे खाने के बाद उन्हें उस ताप से मुक्ति मिली। तभी से श्रीगणेश को दूर्वा चढ़ाने का विशेष विधान है।श्रीगणेश को आम तौर पर 11 दूर्वा चढ़ाई जाती है और प्रत्येक के साथ उनका एक मन्त्र बोला जाता है। श्रीगणेश के ये 11 मन्त्र हैं - ऊँ गं गणपतेय नम:, ऊँ गणाधिपाय नम:, ऊँ उमापुत्राय नम:, ऊँ विघ्ननाशनाय नम:, ऊँ विनायकाय नम:, ऊँ ईशपुत्राय नम:, ऊँ सर्वसिद्धिप्रदाय नम:, ऊँएकदन्ताय नम:, ऊँ इभवक्त्राय नम:, ऊँ मूषकवाहनाय नम: एवं ऊँ कुमारगुरवे नम:।दूर्वा को औषधीय गुणों से परिपूर्ण माना गया है। कहा जाता है कि त्रिफ़ल के अतिरिक्त केवल दूर्वा ही ऐसी वनस्पति है जो तीन मुख्य विकारों - वात, पित्त और कफ का नाश करती है। इसे प्राकृतिक रूप से सबसे प्रभावकारी एंटीबायोटिक माना गया है जिसके सेवन से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
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- पं. प्रकाश उपाध्याय
घर में पौधे लगाने से न केवल वातावरण को शुद्ध रखने बल्कि साज-सज्जा और पॉजिटिव एनर्जी बनाए रखने में भी मदद मिलती है। ऐसा ही एक पौधा है मनी प्लांट, इसका जैसा नाम, वैसा ही काम है। मनी प्लांट की बहुत ज्यादा देख-भाल करने की जरूरत नहीं पड़ती है। वास्तु के अनुसार, घर में सही जगह और सही तरीके से मनी प्लांट लगाने से सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी हो सकती है। इसलिए आइये जानते हैं मनी प्लांट को किस तरह और घर के किस कोने में रखने से धन लाभ हो सकता है-
कैसे और कहां लगाएं?
मनी प्लांट को पानी में भी उगाया जा सकता है। नीले रंग की बोतल या ट्रांसपेरेंट कलर के वास में पानी भरकर मनी प्लांट लगा दें। बोतल या वास को उत्तर की दिशा में रखें। अपनी फाइनेंशियल सिचुएशन को बेहतर बनाने के लिए इस बोतल या वास में एक चांदी का सिक्का डाल दें। वहीं, अपने सामाजिक रिश्तों को सुधारने और मजबूत बनाने के लिए आप हरे रंग की बोतल या वास में पूरब की दिशा में मनी प्लांट लगाएं। स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्कतों को दूर करने के लिए आप मनी प्लांट को पानी में रखकर घर के मंदिर में भी रख सकते हैं। बस यह ध्यान रखें की आपको पानी को रोज बदलना पड़ेगा और बोतल को हफ्ते में एक बार साफ जरूर करें।
मिट्टी में लगाएं
अगर आप मिट्टी में मनी प्लांट लगाना चाह रहे हैं तो इसे दक्षिण-पूर्व दिशा में रखें। मिट्टी के गमले में मनी प्लांट लगाएं और एक ताम्बे का सिक्का पॉट में डाल दें। इससे धन हानि से बचेंगे और भाग्योदय भी होगा। वहीं, नाम और शोहरत कमाने के लिए लाल रंग के पॉट में मनी प्लांट लगाकर साउथ यानी दक्षिण दिशा में रखें।
ध्यान रखें
मनी प्लांट की बेल को नीचे की ओर न बढ़ने दें। इसे किसी रस्सी या ट्रेल की मदद से ऊपर के डायरेक्शन में प्लेस करें ताकि ये ऊपर की ओर बढ़े। ऊपर के डायरेक्शन में मनी प्लांट बढ़ना बेहद ही शुभ माना जाता है। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
पूरे 19 साल बाद ऐसा दुर्लभ संजोग बना था कि साल 2023 का सावन कल 59 दिनों का हो गया। इसका सबसे बड़ा कारण इस दौरान अधिक मास या मलमास का पड़ना था। आखिरकर वह दिन आ गया जब 18 जून को शुरू हुआ मलमास समाप्त हो जाएगा। यह 16 अगस्त का दिन है जिस दिन अमावस्या की तिथि भी है। ऐसी मान्यता है कि अमावस्या के दिन स्नान दान करने के साथ पितरों का श्राद्ध और तर्पण करना बहुत शुभ माना जाता है। आइए जानते हैं अधिक मास अमावस्या का शुभ मुहूर्त और उपाय के बारे में विस्तार से।
अमावस्या का शुभ मुहूर्त
सनातन हिंदू पंचांग के अनुसार सावान माह के कृष्ण पक्ष की तिथि को अमावस्या का त्यौहार मनाया जाता है। इस साल अधिक मास की अमावस्या तिथि 15 अगस्त को दिन में 12 बजकर 42 मिनट से शुरू होगी। जबकि यह 16 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 07 मिनट पर समाप्त होगा। हालांकि, उदया तिथि मान्य होने के कारण अधिक मास अमावस्या का त्यौहार 16 अगस्त को ही मनाया जाएगा।
अधिक मास अमावस्या की पूजा विधि
अधिक मास की अमावस्या के दिन आप ब्रह्म मुहूर्त में उठकर ही स्नान–ध्यान करें। इस दिन गंगा स्नान या किसी भी पवित्र नदी में स्नान का बहुत महत्व है। अगर आप किसी भी कारण से गंगा स्नान करने के लिए नहीं जा पा रहे हैं तो घर में नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर नहा लें। नहाने के पश्चात आप भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। इस दिन अपने पितरों की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण भी कर सकते हैं।
अधिक मास अमावस्या के उपाय
इस दिन सबसे अधिक महत्व गंगा स्नान का होता है। इस दिन भक्तों को गणेश जी की पूरे विधि–विधान से पूजा करना चाहिए और भोग में लड्डू चढ़ाना चाहिए। इसके अलावा, अमावस्या को पास के किसी शिव मंदिर में जाकर भगवान महादेव का रुद्राभिषेक करें। साथ ही उन्हें सबसे पसंदीदा बेलपत्र और धतूरे का अर्पण भी करें। इस दिन पितरों का श्राद्ध, तर्पण करना भी लाभकारी माना जाता है। -
प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में पैसे का बहुत बड़ा महत्व होता है। पैसों की तंगी की वजह से लोगों के जीवन के कई महत्वपूर्ण काम रुक जाते हैं। पैसों के लिए व्यक्ति काफी मेहनत भी करते हैं ताकि वह अपने परिवार को बेहतरीन जीवन दे सकें। हालांकि, काफी कोशिश करने के बाद भी कई लोग पैसा कमाने में कामयाब नहीं हो पाते हैं। इस समस्या में कई ऐसे रत्न हैं जो आपकी मदद कर सकते हैं। आइए जानते हैं ऐसे 5 रत्नों के बारे में जो आपको हमेशा के लिए पैसों की तंगी से छुटकारा दिला सकते हैं।
सुनहला रत्न
रत्न शास्त्र के अनुसार सुनहला रत्न लोगों की आर्थिक उन्नति के लिए काफी शुभ होता है। इस रत्न का संबंध गुरु से होता है। ऐसी मान्यता है कि सुनहला रत्न धारण करने से धन लाभ होने के साथ फिजूलखर्ची पर भी काबू पाया जा सकता है।
हरा जेड स्टोन
रत्नशास्त्र के अनुसार जेड स्टोन व्यापार करने वाले लोगों के लिए बहुत शुभ माना जाता है। यह आपके व्यापार की उन्नति और धन समृद्धि में मददगार साबित होता है।
टाइगर रत्न
अगर आप बार-बार किसी व्यापार में असफल हो रहे हैं तो टाइगर रत्न आपकी काफी मदद कर सकता है। इसके अलावा, अगर आपके पास हमेशा पैसों की तंगी रहती है तो इसमें भी यह आपकी मदद करेगा।
ग्रीन एवेंच्यूरिन
रत्नशास्त्र के अनुसार यह बिजनेसमैन के लिए काफी शुभ होता है। इसके अलावा यह पैसों की तंगी को भी रोकता है। इसके अलावा यह धन वृद्धि के लिए भी काफी फायदेमंद साबित होता है। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
घर का पूजा स्थल मंत्रों के जाप और दीपक की रोशनी से काफी सकारात्मक और अध्यात्म ऊर्जा से भरपूर होता है। लेकिन पूजा-घर में रखी कुछ वस्तुएं घर की नकारात्मकता को बढ़ा सकती है। इससे घर में गृह-क्लेश की स्थिति बनी रहेगी। घर के सदस्यों को सभी शुभ कार्यों में बाधा का सामना करना पड़ेगा और घर की आर्थिक स्थिति आए दिन खराब होती जाएगी। चलिए जानते हैं कि वास्तु के अनुसार घर के मंदिर में किन-चीजों को रखना अशुभ माना जाता है?
बिखरी और फैली हुई चीजें:घर के मंदिर में कुछ भी बिखरा हुआ या फैला हुआ ना रहने दें। पूजा-घर की नियमित साफ-सफाई सुनिश्चित करें और मंदिर में स्थिति भगवान की प्रतिमा समेत सभी चीजों पर जमीं धूल-मिट्टी को साफ करें और चीजों को सुव्यवस्थित ढंग से रखें। इससे सकारात्मक ऊर्जा बढ़ेगी और घर में सुख-शांति बनी रहेगी।
चप्पल-जूते ना पहनें: घर के मंदिर में जूता-चप्पल पहनकर बिल्कुल भी ना जाएं और ना ही मंदिर में गंदे जूते-चप्पल को रखने के लिए कोई जगह बनाएं। इससे घर में नकारात्मक बढ़ सकती है। इसलिए यह सुनिश्चित करें घर के मंदिर में कोई भी फुटवियर रखने का स्पेस ना हो और घर का कोई भी सदस्य जूते-चप्पल पहनकर मंदिर में ना प्रवेश करें।
टूटी-हुई मूर्तियां ना रखें: वास्तु के अनुसार, घर के मंदिर में रखी हुई टूटी मूर्तियां अशुभ फलदायी हो सकती हैं। पूजा-स्थल पर टूटी-हुई मूर्तियां रखने से नकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है। इसलिए याद रखें कि घर के मंदिर में भगवान की टूटी मूर्तियां ना रखें।
लेदर की वस्तुएं ना रखें: घर के मंदिर में लेदर से बनी वस्तुएं जैसे पर्श, बेल्ट और बैग को नहीं रखना चाहिए। वास्तु के अनुसार, यह वस्तुएं घर में नकारात्मकता लाती हैं और यह मंदिर के वातावरण को अशुद्ध बनाती हैं। इसलिए लेदर से बनी वस्तुओं को घर के मंदिर में रखने से परहेज करें।
पूजा-स्थल पर घड़ी ना रखें: घर के पूजा-स्थल पर घड़ी नहीं रखना चाहिए। समय को महत्व देना जरूरी है, हालांकि मंदिर में घड़ी लगे रहने के कारण पूजा करते समय आपको ध्यान करने में दिक्कत हो सकती है। इसलिए आध्यात्मिकता से जुड़ने के लिए घर के मंदिर में घड़ी लगाने से बचना चाहिए।
डस्टबिन ना रखें: घर के मंदिर में डस्टबिन रखना अशुभ होता है। यह घर में नेगेटिविटी लाता है। इसलिए पूजा-घर पवित्र और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर बनाए रखने के लिए यहां डस्टबिन रखने से बचें। मंदिर के बाहर डस्टबिन रख सकते हैं। हालांकि इसकी नियमित सफाई जरूर करें।
इलेक्ट्राॉनिक गैजेट:मान्यता है कि घर के मंदिर में इलेक्ट्रॉनिक गैजेट भी नहीं रखना चाहिए। इससे आध्यात्मिक ऊर्जा से जुड़ने में दिक्कतें महसूस हो सकती है और आप ध्यान केंद्रित नहीं कर पाएंगे। इसलिए पूजा-स्थल पर किसी भी प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक गैजेट का इस्तेमाल करने से बचें।
इन तस्वीरों को ना लगाएं: घर के मंदिर में ऐसे कोई भी पोस्टर और तस्वीरे नहीं लगाना चाहिए, जो दुख, हिंसा, या नकारात्मक भावनाओं का संकेत देते हों। इसके बजाय आप पेंटिंग या कोई कला से जुड़ी कोई तस्वीरें पूजा घर में लगा सकते हैं, जो सकारात्मक और आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ावा दें। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
अगर आप जीवन में खूब मेहनत करते हैं लेकिन उसके अनुरूप सफलता नहीं मिलती तो इसका एक कारण आपके घर का वास्तु दोष भी हो सकता है। ऐसे लोग अपने दैनिक जीवन में वास्तु संबंधी कुछ भूल करते रहते हैं जिससे उन्हें मानसिक तनाव और आर्थिक रूप से परेशान होना पड़ता है। इसके अलावा वास्तु दोष आपके घर में निगेटिव एनर्जी को भी बढ़ता है। -----आइए जानते हैं वास्तुशास्त्र में बताया गए कुछ टिप्स के बारे में जिससे जीवन में चल रही परेशानी से बहुत हद तक छुटकारा मिल सकता है।
1. ध्यान रखें कि आपके घर का रसोईघर ईशान कोण में ही होना चाहिए। इसके अलावा, रसोई घर के अंदर गैस–चूल्हे को आग्नेय कोण में रख दें। ऐसा करने से आपके घर में धन का प्रवाह बना रहेगा।
2. घर के दीवारों पर धन की देवी माता लक्ष्मी की तस्वीर जरूर लगाएं। तस्वीर लगाते समय यह ध्यान रखें कि माता लक्ष्मी कमल के आसन पर विराजमान हों। ऐसी तस्वीर घर में धन–समृद्धि के लिए शुभ माना जाता है।
3. अगर आपके घर का मुखिया प्रत्येक दिन भगवान शिव और चंद्र देव के मंत्रों का जाप करता है तो घर में हमेशा सुख और शांति का वास रहता है।
4. अगर आपके घर को लोगों की बुरी नजर लग गई है तो आप घर के मुख्य दरवाजे पर काले घोड़े की नाल लगा सकते हैं। ध्यान रखें, घोड़े के नाल का मुख नीचे की तरफ होना चाहिए।
5. घर के बीचो-बीच या हॉल को हमेशा खाली रखने की कोशिश करें। जब हम बहुत सारे सामान को इस जगह पर रख देते हैं तो घर में प्रवेश करने वाली सकारात्मक ऊर्जा बाधित हो जाती है। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
हिंदू धर्म में पेड़-पौधों की पूजा की जाती है। खासतौर पर पूजा-पाठ में आम की पेड़ की लकडिय़ों और पत्तियों का इस्तेमाल बेहद शुभ माना जाता है। वास्तु शास्त्र में सभी दुख-दुविधाओं से छुटकारा पाने और सुख सौभाग्य के लिए आम के पत्तियों से जुड़े खास उपाय बताए गए हैं। इन उपायों से व्यक्ति के जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में धन-संपन्नता और खुशहाली आती है। चलिए जानते हैं इन उपायों के बारे में...
आर्थिक तंगी दूर करने के उपाय-
रुका हुआ धन वापस पाने या धन की कमी को दूर करने के लिए आम के 11 पत्तियों की डाली को 11 बार कच्चे सूत से लपेटकर शहद में डुबोकर शिवलिंग के अशोक सुंदरी की जगह पर अर्पित करें। ध्यान रखें कि शहद से डुबे हुए भाग का मुख शिवलिंग की ओर हो। मान्यता है कि इन उपायों को करने से धन की तंगी दूर होती है और घर में धन-संपन्नता बढ़ती है।
बुरी नजर होगी दूर-
घर के मुख्यद्वार पर आम के पत्तों का तोरण लगाने से घर की सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। परिवार के किसी भी सदस्य को बुरी नजर नहीं लगती है। घर की पॉजिटिविटी से हमेशा मांगलिक कार्यों के योग बनते हैं और घर में सुख-समृद्धि के मार्ग खुलते हैं।
धन लाभ के उपाय-
वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा के दौरान आम के पत्तों पर बारिश का जल छिड़कने से धन की तंगी दूर होती है और धन लाभ के कई स्त्रोत बनते हैं।
गणेश जी को चढ़ाए आम का पत्ता-
वास्तु के अनुसार, शुभ कार्यों में गणेश जी को आम का पत्ता अर्पित करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-सुविधाओं की कभी कमी नहीं रहती है और व्यक्ति के घर में धन-समृद्धि आती है। पूजा के दौरान घर के मंदिर आम के पत्तों से सजाना भी मंगलकारी माना जाता है।
करियर में सफलता-
मान्यता है करियर में आ रही बाधाओं से निपटने के लिए आम के पेड़ की जड़ों पर जल अर्पित करना चाहिए और आम के पेड़ को प्रणाम करें। ऐसी करने मात्र से करियर से जुड़ी दिक्कतें दूर होती हैं और सफलता के मार्ग खुलते हैं। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
प्रत्येक साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज का त्यौहार मनाया जाता है। कई जगह किसे सिंघारा तीज या श्रावणी तीज भी कहते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह व्रत महादेव और माता पार्वती के मिलन के उपलक्ष्य में रखा जाता है। नवविवाहित और सुहागिन महिलाओं के लिए यह व्रत अत्यंत पावन और फलदाई माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को रखना वाली औरतों के पति की आयु लंबी होती है साथ ही उसे संतान सुख भी प्राप्त होता है।
डेट और शुभ मुहूर्त
सनातन हिंदू पंचांग के अनुसार साल 2023 के सावन महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 18 अगस्त को रात 8 बजकर 1 मिनट पर होगी। जबकि इसकी समाप्ति अगले दिन 19 अगस्त को रात 10 बजकर 19 मिनट पर होगा। हालांकि, उदया तिथि मान्य होने के कारण हरियाली तीज 19 अगस्त को मनाई जाएगी।
बन रहे तीन शुभ योग
बता दें कि इस बार हरियाली तीज पर तीन शुभ संयोग बन रहे हैं। तीज के इस मौके पर सिद्धि योग, त्रिग्रही योग और बुधादित्य योग बन रहा है। ऐसी मान्यता है कि इस योग के दौरान जो भी भक्त पूरी श्रद्धा और भक्ति भाव से भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन करें उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। बता दें कि इस दिन शुक्र, मंगल और चंद्रमा कन्या राशि में त्रिग्रही योग बनाएंगे। साथ ही बुध और सूर्य मिलकर सिंह राशि में बुधादित्य योग का निर्माण करेंगे। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहों की चाल से शुभ और अशुभ योग बनते हैं। कर्म फलदाता शनि ग्रह पहले ही अपनी मूल राशि कुंभ में प्रवेश कर चुका है और इस स्थान पर त्रिकोण राजयोग बना रहा है। शनि के स्थान परिवर्तन से अचानक धन लाभ होता है और भाग्य में वृद्धि होती है। शनि चुनिंदा राशियों को उनके जीवन में फलदायी परिणामों का आशीर्वाद देते हैं।
जानें वर्तमान में शनि की स्थिति से किन राशि वालों को हो रहा लाभ-
कुंभ राशि-
केंद्र त्रिकोण राजयोग के कारण कुंभ राशि वालों के लिए शुभ समय आ रहा है। इस दौरान आप आत्मविश्वास से भरपूर रहेंगे। इस अवधि में आप कार्यों में सफलता हासिल करेंगे। परिवार के साथ क्वालिटी टाइम बिताने का यह सबसे अच्छा समय होगा और आपको परिवार के सदस्यों से पूरा सहयोग मिलेगा। विवाहित लोगों के लिए भी यह समय अच्छा रहने वाला है। व्यापारियों को लाभ मिलेगा।
वृषभ राशि-
वृषभ राशि के जातकों के लिए पिछली परेशानियों से तेजी से बाहर निकलने के लिए योग सबसे अच्छा समय है। लोगों की आय में वृद्धि होगी और उनके करियर में भी सही वृद्धि का अनुभव होगा। यह आपकी वर्तमान नौकरी को बदलने और कार्य क्षेत्र में लोकप्रियता हासिल करने का भी अनुकूल समय है। आपके व्यापार में मुनाफे की संभावना रहेगी। केंद्र त्रिकोण योग में फालतू खर्चे भी कम होंगे और मनोकामनाएं पूरी करने का बेहतरीन मौका भी मिलेगा।
सिंह राशि-
केंद्र त्रिकोण राजयोग सिंह राशि के जातकों को प्लानिंग तरीके से परेशानी से बाहर निकलने का अवसर प्रदान करेगा। शनि ग्रह आपके बच्चे से संबंधित शुभ समाचार भी प्रदान करता है। भाग्य के कारण जातकों को अदालती या कानूनी मामलों से जल्दी बाहर निकलने में मदद मिलेगी और उन्हें अपने जीवन साथी से पूरा सहयोग मिलेगा। आप अपने वित्तीय मुनाफे में वृद्धि करेंगे। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
ज्योतिष शास्त्र में मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के कई उपाय बताए गए हैं। ज्योतिष नियम के अनुसार, कुछ चीजों को पर्स में रखने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और धन का घर में आगमन होता है। मान्यता है कि जेब या पर्स में रुद्राक्ष रखने से धन की कमी होती है। जानें ऐसी चीजों के बारे में जो धन लाभ में सहायक होती हैं।
चांदी का सिक्का- अगर आपके पास चांदी का सिक्का है तो इसे अपनी पर्स या बैग में रखें। मान्यता है कि इस सिक्के को मां लक्ष्मी को अर्पित करने के बाद अपनी पर्स में रख लें। ऐसा करने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
कौड़ी- मान्यता है कि 7 कौडिय़ां अपनी पर्स में रखने से आर्थिक तंगी दूर होती है। मां लक्ष्मी का घर में आगमन होता है।
श्री यंत्र- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, श्री यंत्र को पर्स या जेब में रखने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसके साथ ही आर्थिक उन्नति मिलने की मान्यता है।
गोमती चक्र- गोमती चक्र को पर्स में रखने से आर्थिक स्थिति में सुधार होने से साथ ही कर्ज से मुक्ति मिलने की मान्यता है।
चावल- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, 21 चावल अपनी पर्स में रखना लाभकारी होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से बेवजह के खर्च से मुक्ति मिलती है। मां लक्ष्मी को कुछ चावल अर्पित करें और फिर उनमें से 21 चावल अपनी पर्स में रख लें। मान्यता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
बड़ों से मिले पैसे- अक्सर हमारे बड़े-बुजुर्ग आशीष के तौर पर कुछ पैसे देते हैं। कहा जाता है कि बड़ों की ओर से मिले पैसे संभालकर पर्स में रखने चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति को जीवन में आर्थिक तंगी का कम ही सामना करना पड़ता है।
एक रुपए का नोट- कहा जाता है कि पर्स में हर व्यक्ति को एक का नोट रखना चाहिए और इसे कभी खर्च नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से आपके ओर धन का खिंचाव होने की मान्यता है।
पीपल का पत्ता-पीपल के पेड़ की हिंदू धर्म में पूजा की जाती है। कहते हैं कि गंगाजल से पीपल के पत्ते को धोने के कारण उसे अपनी पर्स में रखना चाहिए। ऐसा करने से आर्थिक स्थिति में सुधार व धन लाभ होने की मान्यता है। - बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायहिंदू धर्म में तिलक लगाने की परंपरा प्राचीन है। धार्मिक ग्रंथों में विभिन्न प्रकार के तिलक लगाने का वर्णन मिलता है। मंदिरों या किसी भी मांगलिक कार्य में चंदन, रोली व सिंदूर का तिलक लगाया जाता है। वहीं, शिव भक्त साधू-संत अक्सर त्रिपुंड लगाते हैं, जिसका बड़ा ही महत्व होता है। आज हम जानेंगे सनातनी धर्म में तिलक और त्रिपुंड लगाने का क्या महत्व है तथा किस दिन किस प्रकार का तिलक लगाएं और इस में कौन कौन देवता निवास करते हैं !ज्योतिष के अनुसार यदि तिलक धारण किया जाता है तो सभी पाप नष्ट हो जाते है सनातन धर्म में शैव, शाक्त, वैष्णव और अन्य मतों के अलग-अलग तिलक होते हैं।ललाट अर्थात माथे पर भस्म या चंदन से तीन रेखाएं बनाई जाती हैं उसे त्रिपुंड कहते हैं। शैव संप्रदाय के लोग इसे धारण करते हैं। शिवमहापुराण के अनुसार त्रिपुंड की तीन रेखाओं में से हर एक में नौ-नौ देवता निवास करते हैं।त्रिपुंड के देवताओ के नाम इस प्रकार हैं-1- अकार, गार्हपत्य अग्नि, पृथ्वी, धर्म, रजोगुण, ऋग्वेद, क्रियाशक्ति, प्रात:स्वन तथा महादेव- ये त्रिपुंड की पहली रेखा के नौ देवता हैं।2- ऊंकार, दक्षिणाग्नि, आकाश, सत्वगुण, यजुर्वेद, मध्यंदिनसवन, इच्छाशक्ति, अंतरात्मा और महेश्वर- ये त्रिपुंड की दूसरी रेखा के नौ देवता हैं।3- मकार, आहवनीय अग्नि, परमात्मा, तमोगुण, द्युलोक, ज्ञानशक्ति, सामवेद, तृतीयसवन तथा शिव- ये त्रिपुंड की तीसरी रेखा के नौ देवता हैं।त्रिपुंड का मंत्र-ओम त्रिलोकिनाथाय नम:तिलक के प्रकार :तिलक कई प्रकार के होते हैं - मृतिका, भस्म, चंदन, रोली, सिंदूर, गोपी आदि।-सनातन धर्म में शैव, शाक्त, वैष्णव और अन्य मतों के अलग-अलग तिलक होते हैं।जैसे- चंदन का तिलक लगाने से पापों का नाश होता है, व्यक्ति संकटों से बचता है, उस पर लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है, ज्ञानतंतु संयमित व सक्रिय रहते हैं।चन्दन के प्रकार- हरि चंदन, गोपी चंदन, सफेद चंदन, लाल चंदन, गोमती और गोकुल चंदन।तिलक लगाने के लाभ1. तिलक करने से व्यक्त्वि प्रभावशाली हो जाता ह। दरअसल, तिलक लगाने का मनोवैज्ञानिक असर होता है, क्योंकि इससे व्यक्ति के आत्मविश्वास और आत्मबल में भरपूर इजाफा होता है।2. ललाट पर नियमित रूप से तिलक लगाने से मस्तक में तरावट आती है। लोग शांति व सुकून अनुभव करते हैं। यह कई तरह की मानसिक बीमारियों से बचाता है।3. दिमाग में सेराटोनिन और बीटा एंडोर्फिन का स्राव संतुलित तरीके से होता है, जिससे उदासी दूर होती है और मन में उत्साह जागता है। यह उत्साह लोगों को अच्छे कामों में लगाता है।4. इससे सिरदर्द की समस्या में कमी आती है।5. हल्दी से युक्त तिलक लगाने से त्वचा शुद्ध होती है। हल्दी में एंटी बैक्टिीरियल तत्व होते हैं, जो रोगों से मुक्त करता है।6. धार्मिक मान्यता के अनुसार, चंदन का तिलक लगाने से मनुष्य के पापों का नाश होता है। लोग कई तरह के संकट से बच जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, तिलक लगाने से ग्रहों की शांति होती है।7. माना जाता है कि चंदन का तिलक लगाने वाले का घर अन्न-धन से भरा रहता है और सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है।किस दिन किस का तिलक लगाये :यदि वार अनुसार तिलक धारण किया जाए तो उक्त वार से संबंधित ग्रहों को शुभ फल देने वाला बनाया जा सकता है।-सोमवार - सोमवार का दिन भगवान शंकर का दिन होता है तथा इस वार का स्वामी ग्रह चंद्रमा हैं। चंद्रमा मन का कारक ग्रह माना गया है। मन को काबू में रखकर मस्तिष्क को शीतल और शांत बनाए रखने के लिए आप सफेद चंदन का तिलक लगाएं।-मंगलवार - मंगलवार को हनुमानजी का दिन माना गया है। इस दिन का स्वामी ग्रह मंगल है। मंगल लाल रंग का प्रतिनिधित्व करता है। इस दिन लाल चंदन या चमेली के तेल में घुला हुआ सिंदूर का तिलक लगाने से ऊर्जा और कार्यक्षमता में विकास होता है।बुधवार -बुधवार को जहां मां दुर्गा का दिन माना गया है वहीं यह भगवान गणेश का दिन भी है।इस दिन का ग्रह स्वामी है बुध ग्रह। इस दिन सूखे सिंदूर (जिसमें कोई तेल न मिला हो) का तिलक लगाना चाहिए।गुरुवार -गुरुवार को बृहस्पतिवार भी कहा जाता है। बृहस्पति ऋषि देवताओं के गुरु हैं। इस दिन के खास देवता हैं ब्रह्मा। इस दिन का स्वामी ग्रह है बृहस्पति ग्रह।गुरु को पीला या सफेद मिश्रित पीला रंग प्रिय है। हल्दी या गोरोचन का तिलक भी लगा सकते हैं।शुक्रवार-शुक्रवार का दिन भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मीजी का रहता है। इस दिन का ग्रह स्वामी शुक्र ग्रह है।हालांकि इस ग्रह को दैत्यराज भी कहा जाता है। दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य थे। इस दिन लाल चंदन लगाने से तनाव दूर रहता है ।शनिवार - शनिवार को भैरव, शनि और यमराज का दिन माना जाता है। इस दिन के ग्रह स्वामी है शनि ग्रह। शनिवार के दिन विभूत, भस्म या लाल चंदन लगाना चाहिए जिससे भैरव महाराज प्रसन्न रहते हैं।रविवार- रविवार का दिन भगवान विष्णु और सूर्य का दिन रहता है। इस दिन के ग्रह स्वामी है सूर्य ग्रह, जो ग्रहों के राजा हैं। इस दिन लाल चंदन या हरि चंदन लगाएं।
- पंडित प्रकाश उपाध्यायजीवन में तरक्की और उन्नति को बरकरार रखने के लिए वास्तु नियमों का पालन जरूरी है। इसकी अनदेखी करने पर जातक को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। वास्तु शास्त्र में आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए कई उपाय बताए गए हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में -- अगर आप आर्थिक तंगी से परेशान हैं, तो शुक्रवार के दिन नीम की लकड़ी को घर लें आएं। अब साफ पानी में नीम की लकड़ी को अच्छे से धोकर कांच के बर्तन में रख दें। इसके बाद कांच के बर्तन को नमक मिला पानी से भर दें। इस उपाय को करने से आर्थिक समस्या दूर होती है।- धन की देवी मां लक्ष्मी को लाल रंग अति प्रिय है। इसके लिए शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी को लाल गुलाब की माला अर्पित करें। साथ ही विधि पूर्वक मां लक्ष्मी की पूजा उपासना करें। घर की महिलाएं मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कमल का फूल और सफेद मिठाई अर्पित करें।- हर शनिवार के दिन पीपल के जड़ में जल का अर्घ्य दें। इसके पश्चात, वृक्ष की तीन बार परिक्रमा करें। इस उपाय को करने से धन संबंधी परेशानियां दूर होती हैं।- अगर आप कारोबार में तरक्की पाना चाहते हैं, तो गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार के दिन मां लक्ष्मी को लाल गुलाब अर्पित करें। साथ ही रोजाना सुगंध लगाकर कार्य स्थल पर जाएं। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। कार्यस्थल पर कमल के फूल पर विराजमान मां लक्ष्मी की तस्वीर लगाएं।- अगर आप पैसों की तंगी से परेशान हैं और इससे निजात पाना चाहते हैं, तो शुक्ल पक्ष में चंद्रमा को दूध का अर्घ्य दें। इस उपाय को करने से अटका हुआ धन वापस प्राप्त होता है।----
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-पंडित प्रकाश उपाध्याय
घर में कई ऐसी चीजें मौजूद होती है, जो नेगेटिविटी का कारण बनती हैं और जिसे हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन यह ऊर्जाएं घर के माहौल को नकारात्मक बनाती है और घर में अक्सर लड़ाई-झगड़े और क्लेश की स्थिति बनी रहती है। चलिए हम आपको घर में मौजूद उन चीजों के बारे में बताते हैं, जो घर की नेगेटिविटी बढ़ाती हैं। इन चीजों को आज ही घर से बाहर निकाल दें।
रुकी हुई घड़ी
घर में कभी लंबे समय से बंद पड़ी घड़ी को ना रखें। वास्तु के अनुसार, इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रसार बढ़ता है। जब घड़िया रुकती हैं तो यह पता चलता है कि समय रुक गया है। इसका एक नकारात्मक अर्थ है, जो नकारात्मक परिणाम ला सकता है।
टूटे हुए ग्लास
घर में टूटे हुए कांच के ग्लास नहीं रखने चाहिए। मान्यता है कि इससे भाग्य के साथ विश्वासघात का सामना करना पड़ता है और आपके बारे में गपशप बढ़ जाती है। आप अपने शब्दों या दूसरों के द्वारा बोले गए शब्दों के कारण भी परेशान हो सकते हैं।
टूटे हुए बर्तन और क्रॉकरी
वास्तु के अनुसार,घर में टूटे हुए बर्तन या क्रॉकरी का इस्तेमाल करना गरीबी के संकेत देते हैं। कभी भी ऐसे ग्लास या बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, जो टूटे हुए हों। यह दुर्भाग्य का कारक माने जाते हैं।
सूखे फूल
ये किसी खूबसूरत चीज के मृत्यु का दुखद संकेत हैं। कभी भी घर में सूखे फूलों को नहीं छोड़ना चाहिए। इससे घर में नकारात्मकता बढ़ती है। इसलिए सूखे फूलों को काटकर बगीचे में फेंक देना चाहिए।
पुराने कैलेंडर
नया सा आते ही या उससे पहले ही पुराने कैलेंडर को बाहर कर देना चाहिए। पुराने कैलेंडर अतीत का संकेत देते हैं, वे पिछले वर्षों की अतीत की ऊर्जाओं को धारण करते हैं और पुरानी बातों को सोचने के बजाय आगे की ओर बढ़ना ज्यादा बेहतर है।
कांटेदार पौधे
घर में कांटेदार पौधे जैसे कैक्टस इत्यादि को नहीं लगाना चाहिए। इससे घर में नेगेटिविटी बढ़ती है। कांटे वाले कैक्टस के पौधों को मेनगेट के बाहर छोड़ना बेहतर होता है। ताकि वे सुरक्षात्मक ऊर्जा ला सकें।
खाली कुर्सी
घर में कभी भी स्थायी रूप से एक खाली कुर्सी रखना शुभ नहीं है। मान्यता है कि यह हानिकारक आत्माओं को घर में आमंत्रित करता है। इसलिए यह सुनिश्चित करें कि कोई उस पर नियमित रूप से बैठता हो या उसे पूरी तरह से हटा दिया जाए। - -पंडित प्रकाश उपाध्यायहस्तरेखा विज्ञान के जरिए लोगों के भविष्य के बारे में कई तरह के अनुमान लगाए जाते हैं। हाथों की लकीरों का ज्योतिष शास्त्र में अच्छा खासा महत्व है। आपके हाथों की लकीरें आपकी भविष्य, भूत और वर्तमान के बारे में काफी कुछ बता पाने में सक्षम हैं। आज हम आपको बताएंगे हाथ में वी आकार के निशान के बारे में। जिस भी व्यक्ति के हाथ में मध्यमा और तर्जनी के नीचे ये निशान होता है, वह बहुत ही लकी होता है। परिवार से लेकर धन और सुख समृद्धि सभी इस व्यक्ति को नसीब होती है।आइए जानते हैं इस निशान के बारे में ---कहा जाता है कि जिन लोगों के हाथों में वी का निशान है, तो वे बहुत ही भाग्यशाली हैं। वे लोग सकारात्मक विचार के होते हैं और अपने परिवार और दोस्तों की मदद के लिए हमेशा खड़े रहते हैं। अगर भरोसा करने की बात हो , तो इनसे ज्यादा भरोसेमंद इंसान कोई नहीं है। यह भी कहा जाता है कि इस निशान वाले लोगों को अपने शुरू के जीवन में कई संघर्ष झेलने पड़ते हैं, जो चीजें लोगों को आसानी से मिल जाती हैं, इन लोगों को उसे पाने के लिए पापड़ बेलने पड़ते हैं, लेकिन 35 साल की उम्र के बाद से इन लोगों के जीवन में बदलाव आता है और ये लोग जीवन में तरक्की पाने लगते हैं और धन दौलत सब खड़ा करके दिखाते हैं।
- - जानें भद्रा में राखी क्यों नहीं बांधते हैंबालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायहिंदू पंचांग के अनुसार हर साल सावन महीने की पूर्णिमा तिथि पर रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है। भारत में वैसे तो कई तरह के पर्व और त्योहार मनाए जाते हैं, लेकिन रक्षाबंधन का अलग ही महत्व है। हर साल ये पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई में राखी बांधती हैं और उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं। वहीं भाई प्रेमरूपी रक्षा धागे को बंधवा कर बहन की उम्र भर रक्षा करने का संकल्प लेते हैं। रक्षाबंधन एक ऐसा त्योहार है, जिसे मनाते तो सिर्फ एक दिन हैं, लेकिन इससे बनने वाले रिश्ते जिंदगी भर निभाए जाते हैं। हालांकि इस साल भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन एक नहीं बल्कि 2 दिन माना जा रहा है। जानिए इसका क्या कारण है और बहनें किस दिन भाइयों की कलाई पर राखी बांधेंगी...रक्षाबंधन पर भद्रा का सायासावन पूर्णिमा पर रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है और इस साल सावन माह की पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त को है, लेकिन कहा जा रहा है कि इस साल 30 अगस्त को पूर्णिमा वाले दिन भद्रा का साया है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि यदि श्रावण पूर्णिमा तिथि पर भद्रा का साया हो तो भद्राकाल तक राखी नहीं बांधी जा सकती है। उसके समापन के बाद ही राखी बांधी जाती है, क्योंकि भद्रा काल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है। ऐसे में इस साल रक्षाबंधन का पर्व 30 और 31 अगस्त दो दिन मनाया जाएगा।रक्षाबंधन कब है -30 या 31 अगस्त ?पंचांग के अनुसार सावन महीने की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 30 अगस्त को सुबह 10 बजकर 58 मिनट से हो रही है। इसका समापन 31 अगस्त को सुबह 07 बजकर 05 मिनट पर होगा। 30 अगस्त को पूर्णिमा तिथि की शुरुआत से ही यानी सुबह 10 बजकर 58 मिनट से भद्रा शुरू हो जा रही है और रात 09 बजकर 01 मिनट तक है।ऐसे में 30 अगस्त को भद्रा के कारण राखी बांधने का मुहूर्त दिन में नहीं है। इस दिन रात में 9 बजे के बाद राखी बांधने का मुहूर्त है। इसके अलावा 31 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक है और इस समय में भद्रा नहीं है। ऐसे में 31 अगस्त को सुबह 7 बजे तक बहनें भाई को राखी बांध सकती हैं। इस प्रकार से इस साल रक्षाबंधन 2 दिन 30 और 31 अगस्त को मनाया जा सकता है।राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 202330 अगस्त को राखी बांधने का मुहूर्त- रात 09 बजकर 01 से31 अगस्त को राखी बांधने का मुहूर्त: सूर्योदय काल से सुबह 07 बजकर 05 मिनट तकभद्रा में राखी क्यों नहीं बांधते हैंकहा जाता है कि शूर्पणखा ने अपने भाई रावण को भद्रा काल में राखी बांध दी थी, जिस वजह से रावण के पूरे कुल का सर्वनाश हो गया। इसलिए ऐसा माना जाता है कि भद्राकाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए। यह भी कहा जाता है कि भद्रा में राखी बांधने से भाई की उम्र कम होती है।