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- बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायइस साल 15 अक्तूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। इसका समापन 24 अक्तूबर को दशहरा यानी विजयादशमी वाले दिन होगा। नवरात्रि के नौ दिन बहुत ही पवित्र माने जाते हैं। इस बीच कई तरह के अनुष्ठान और धार्मिक कार्य किए जाते हैं। साथ ही इस दौरान कुछ चीजों को खरीदकर घर लाना भी शुभ माना गया है। मान्यता है कि इससे घर में सुख-शांति और बरकत बढ़ती है। चलिए जानते हैं उन चीजों के बारे में...कलशकलश को शुभता का प्रतीक माना जाता है और नवरात्रि की शुरुआत भी कलश स्थापना से होती है। ऐसे में आप शारदीय नवरात्रि में अपने घर कलश जरूर लेकर आएं। आप अपनी क्षमता के अनुसार मिट्टी, पीतल, चांदी या सोने का कलश घर ला सकते हैं।मां दुर्गा की मूर्तिनवरात्रि मां दुर्गा को समर्पित है। ऐसे में इस नवरात्रि आप अपने पूजा घर के लिए मां दुर्गा की मूर्ति खरीद लाएं और विधि पूर्वक पूजा करें। नवरात्रि बाद भी इस मूर्ति की पूजा करते रहें। इससे माता राना की कृपा आपके ऊपर बनी रहेगी।माता रानी के पद चिह्नइस बार शारदीय नवरात्रि में आप मां दुर्गा के पद चिह्न खरीद कर अपने घर लाएं और उनका पूजन करें। मां दुर्गा के पद चिह्न बहुत ही शुभ माने जाते हैं। इनकी पूजा से घर में शुभता बनी रहती है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि देवी के पद चिह्न को फर्श पर न लगाएं। ऐसा करने से उस पर आपके परिवार के सदस्यों के पैर पड़ते हैं और इससे माता रानी का अपमान होता है। इसलिए मां दुर्गा के पद चिह्न को आप पूजा स्थान के पास लगाएं।दुर्गा बीसा यंत्रदुर्गा बीसा यंत्र को बहुत चमत्कारिक यंत्र माना जाता है। शास्त्रों में मान्यता है कि सिद्ध किया हुआ दुर्गा बीसा यंत्र अपने पास रखने से धन की हानि नहीं होती है। साथ ही समस्त प्रकार के बुरे दिनों से रक्षा होती है। नवरात्रि में इस यंत्र की पूजा का विशेष महत्व है। इसे सिद्ध करने के लिए नवरात्रि सबसे अच्छा समय माना गया है। इसलिए इस बार शारदीय नवरात्रि में दुर्गा बीसा यंत्र जरूर घर ले आएं।पताका या ध्वजशारदीय नवरात्रि के पहले दिन ही लाल रंग का त्रिकोणीय पताका खरीदकर लाएं। इसे बहुत शुभ माना जाता है। नवरात्रि में माता के समक्ष इस पताके को रख कर नौ दिनों तक पूजा करें। इसके बाद नवमी के दिन उस पताका को मां के मंदिर की गुंबद में लगा दें। इससे परिवार में सुख समृद्धि आती है।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, किसी जातक की हथेलियों पर मौजूद कुछ रेखाएं और चिन्ह बेहद शुभ माने जाते हैं। हथेलियों पर ये निशान होने पर जातक जीवन सुख-सुविधाओं और खुशहाली से भरपूर होता है। ऐसे लोगों पर देवी-देवताओं की विशेष कृपा रहती हैं और जीवन में किसी भी क्षेत्र में दुख और बाधाओं का सामना नहीं करना पड़ता है। जिन व्यक्ति की हथेलियों पर ऐसी रेखाएं बनती हैं वे बहुत सौभाग्यशाली माने जाते हैं। चलिए जानते हैं कि हथेलियों पर किन रेखाओं को बेहद शुभ माना जाता है?
कमल का निशान
जिन व्यक्ति की हथेलियों पर कमल का निशान बनता है, उन्हें जीवन में कभी भी धन-संपत्ति की कमी नहीं रहती है। सूर्य पर्वत पर कमल का निशान बनने से व्यक्ति अपार धन-दौलत का मालिक होता है और उसे जीवन में कभी धन की तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है।
स्वास्तिक का चिन्ह
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, हथेली पर स्वास्तिक का चिन्ह बेहद शुभ फलदायी होता है। यह भगवान गणेश का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि जिन लोगों की हथेलियों पर स्वास्तिक का निशान बनता है, उन्हें समाज में खूब मान-सम्मान मिलता है। ऐसे लोग बहुत प्रतिभाशाली होते हैं और उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में अपार सफलता मिलती है।
चक्र का निशान
हथेलियों पर चक्र का चिन्ह बनना भी जातक के जीवन में सुख-सौभाग्य का संकेत देता है। जिस व्यक्ति के हाथ में चक्र का निशान होते हैं वह अपार धन-संपदा के मालिक होते हैं। ऐसे लोगों की समाज में खूब यश-कीर्ति बढ़ती है।
मछली का निशान
हस्तरेखा के अनुसार, हथेलियों पर मछली का निशान बनना भी बेहद शुभ होता है। ऐसे जातकों को करियर में खूब सफलता मिलती है। धन, सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। व्यक्ति का भाग्य साथ देता है और रिश्तों में मधुरता भी बनी रहती है। व्यक्ति का जीवन खुशहाली में व्यतीत होता है।
शंख का चिन्ह
हथेलियों पर शंख का चिन्ह बनना भी बहुत मंगलकारी माना जाता है। मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु को शंख बहुत प्रिय है। जिन जातकों की हथेलियों पर शंख का निशान बनता है, ऐसे लोगों पर मां लक्ष्मी और विष्णुजी हमेशा मेहरबान रहते हैं। ऐसे जातकों को सभी कार्यों में जीत मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली की कमी नहीं रहती है। - बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायमाना जाता है कि पूर्वजों की तस्वीर लगाने से घर के लोगों पर पूर्वजों का पूरा आशीर्वाद भी बना रहता है। साथ ही पूर्वजों की तस्वीरें घर की सुख समृद्धि का कारण बनती हैं। घर में पूर्वजों की तस्वीर रखना सही रहता है, लेकिन उनकी तस्वीरों को रखते समय कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए, नहीं तो आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।घर के मंदिर में न लगाएं पूर्वजों की तस्वीरकुछ लोग अपने पूर्वजों की तस्वीर घर के मंदिर में लगा कर उनकी पूजा करते हैं। शास्त्रों के अनुसार भले ही पूर्वजों का स्थान उच्च और आदरणीय माना गया है, लेकिन पितर और देवताओं का स्थान अलग-अलग होता है। ऐसे में पूजास्थल पर पितरों की तस्वीर लगाने से आपको परेशानियां हो सकती हैं और इससे देवता भी नाराज होते हैं।लटका कर न रखें पूर्वजों की तस्वीरकभी भी पूर्वजों की तस्वीर को घर में लटका कर नहीं रखना चाहिए। पूर्वजों की तस्वीर को किसी लकड़ी स्टैंड पर रखना चाहिए। इसके अलावा कुछ लोग ऐसी जगहों पर पूर्वजों की तस्वीरें लगा देते हैं, जहां पर सबकी नजर उस पर पड़ती है, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। आते-जाते मृत लोगों की तस्वीरों पर नजर पडऩे से मन में निराशा उत्पन्न होती है।इन स्थानों पर भी न लगाएं पूर्वजों की तस्वीरपितरों की तस्वीर शयनकक्ष, घर के बिल्कुल मध्य स्थान या फिर रसोई घर में नहीं लगाना चाहिए। इससे पितर नाराज होते हैं, जिसका बुरा प्रभाव घर की सुख-शांति पर पड़ता है और घर में कलह की स्थिति उत्पन्न होती है।जीवित लोगों की तस्वीरों के साथ न लगाएं पूर्वजों की तस्वीरपितरों की तस्वीर को कभी भी जीवित लोगों की तस्वीरों के साथ नहीं लगाना चाहिए। ऐसा करने से जीवित लोगों की आयु कम होने लगती है। साथ ही उस व्यक्ति पर नकारात्मक प्रभाव पडऩे लगता है।घर में इन जगहों पर लगाएं पूर्वजों की तस्वीरवास्तु शास्त्र के अनुसार पूर्वजों की तस्वीर घर की उत्तर दिशा की दीवार पर लगाना सही रहता है, इससे उनका मुख दक्षिण दिशा की ओर रहता है और दक्षिण दिशा यम और पितरों की दिशा होती है।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
वैदिक ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति ग्रह को गुरु माना गया है। देवगुरु बृहस्पति धनु और मीन राशि के स्वामी ग्रह हैं। कर्क राशि में इन्हें उच्च और मकर राशि में नीच का माना गया है। देवगुरु बृहस्पति को एक राशि से दूसरी राशि में आने में करीब एक साल का समय लगता है। वर्तमान में गुरु मेष राशि में वक्री अवस्था में हैं। गुरु 4 सितंबर को वक्री अवस्था में आए थे। किसी भी ग्रह की वक्री अवस्था से अर्थ उसकी उल्टी चाल से है। गुरु 31 दिसंबर 2023 तक वक्री रहेंगे। 12 साल बाद मेष राशि में गुरु के वक्री होने से कुछ राशियों को सकारात्मक परिणाम मिलने की संभावना है।
जानें इन राशियों के बारे में-
मेष राशि
देवगुरु बृहस्पति की वक्री अवस्था में मेष राशि वालों को सुखद परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। इस दौरान आप आर्थिक लाभ का अनुभव कर सकते हैं। इसके साथ ही करियर में उत्तम परिणाम मिल सकते हैं। व्यापारियों को वक्री गुरु की अवधि में ज्यादा मुनाफा हो सकता है। गुरु की उल्टी चाल आपको समाज में मान-सम्मान दिला सकती है।
सिंह राशि
सिंह राशि के तहत जन्म लेने वाले जातकों को वक्री गुरु खूब लाभकारी परिणाम देंगे। वक्री गुरु की अवधि में आपको निवेश का पूरा-पूरा लाभ मिलेगा। सफलता आपके कदम चूमेगी। आपको अपने पिता का भरपूर सहयोग मिलेगा। करियर की बात करें तो आपको प्रमोशन मिल सकता है। कोई लंबे समय से अटका प्रोजेक्ट आखिरकार पूरा हो जाएगा। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले जातकों को सफलता मिल सकती है।
मीन राशि
मीन राशि वालों के वक्री गुरु की अवधि में लाभ ही लाभ हो सकता है। 31 दिसंबर तक की अवधि आपके जीवन में सकारात्मक परिणाम ला सकती है। इस दौरान आपको आर्थिक लाभ होने के आसार हैं। आप परिवार के साथ अच्छा समय बिताएंगे। वैवाहिक जीवन अच्छा रहने वाला है। लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल होंगे। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
घर बनवाने के लिए प्लॉट करते समय वास्तु के नियमों का जरूर पालन करना चाहिए। इन नियमों को नजरअंदाज करने पर घर की नेगेटिविटी बढ़ती है और परिजनों को जीवन में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसलिए प्लॉट खरीदते समय वास्तु दोषों से बचने के लिए कुछ खास बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। इससे घर में खुशहाली आएगी और सुख-समृद्धि में बढ़ोत्तरी होगी। चलिए जानते हैं प्लॉट खरीदते समय वास्तु के किन नियमों का पालन करना चाहिए?
जमीन का आकार: वास्तु के अनुसार, वर्गाकार या आयताकार जमीन पर मकान बनवाना बेहद शुभ होता है। यह घर के सदस्यों के सुख-सौभाग्य में वृद्धि करता है। वृत्ताकार आकार की भूमि पर घर बनाना शुभ नहीं होता है। व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए वृत्ताकार भूमि का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसी तरह से त्रिभुजाकार जमीन पर घर बनाने से धन हानि होता है और व्यक्तियों का जीवन बाधाओं से घिर जाता है।
दिशा को ना करें अनदेखा: वास्तु शास्त्र के अनुसार, जमीन खरीदते समय इस बात पर ध्यान दें कि मकान का मुख्यद्वार उत्तर या पूर्व दिशा में हो। इसके अलावा ईशान कोण यानी उत्तर पूर्व दिशा की ओर बना मकान भी बेहद शुभ माना जाता है। साथ मकान का मुख्यद्वार दक्षिण दिशा में ना हो।
ऐसी जगह ना लें जमीन: मकान बनाने के लिए भूमि खरीदते समय इस बात का ध्यान रखें कि वहां कभी भी श्मशान ना रहा हो। साथ ही अस्पताल और पुलिस थाने के पास जमीन लेने से बचना चाहिए। ऐसा करने से घर में सुख-शांति बाधित रहती है।
प्लॉट की मिट्टी: वास्तु के अनुसार, लाल, भूरी और पीली मिट्टी पर मकान बनवाना शुभ होता है। इस मिट्टी में घर पर पेड़-पौधे आसानी से लग जाते हैं। वहीं रेतीली मिट्टी वाला प्लॉट खरीदने से बचना चाहिए। यह मिट्टी घर के नींव का भार उठाने में सक्षम नहीं होती है।-9406363514
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
पितृ पक्ष की शुरुआत 29 सितंबर से हो चुकी है। कल यानी 3 अक्टूबर 2023 पितृ पक्ष की पंचमी तिथि है। इस दिन उन लोगों का श्राद्ध होता है, जिनकी मृत्यु पंचमी तिथि में हुई हो। इसे कुंवारा पंचमी भी कहते हैं क्योंकि इसदिन घर के ऐसे मृतकों और पितरों का श्राद्ध भी किया जाता है, जो अविवाहित थे। मान्यता है पंचमी तिथि के दिन कुंवारे पितरों का श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और उनकी कृपा हमेशा घर पर बनी रहती है। चलिए पंचमी तिथि की श्राद्ध विधि और नियम जानते हैं।
कुंवारा पंचमी का शुभ मुहूर्त: पितृ पक्ष में पंचमी तिथि 3 अक्टूबर 2023 को सुबह 06: 11 ए एम पर शुरू होगा और 4 अक्टूबर 2023 को 5:33 ए एम पर समाप्त होगा। इसलिए पंचमी तिथि का श्राद्ध 3 अक्टूबर 2023 को किया जाएगा।
पंचमी श्राद्ध की विधि:
कुंवारा पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठें। स्नानादि के बाद साफ कपड़े पहनें।
श्राद्ध के लिए पितरों के पसंद का भोजन बनाएं।
साथ ही खीर जरूर बनाएं और पितरों के लिए अग्नि में खीर अर्पित करें।
ब्राह्मणों को भोज कराएं। अपनी क्षमता के अनुसार उन्हें दान-दक्षिणा दें।
श्राद्ध के दिन चींटी, कुत्ता, कौवा और गाय के लिए खाना जरूर निकालें।
इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को भी भोजन कराएं।
इस दौरान आप ब्राह्मणों को धोती-कुर्ता, गमछा और जूते-चप्पल का दान कर सकते हैं।
अंत में पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें और ब्राह्मणों का आशीर्वाद लें।
पंचमी श्राद्ध में ना करें ये गलतियां:
कुंवारा पंचमी के दिन प्याज, लहसुन, लौकी, काला नमक, सफेद तिल, सत्तू र सरसों का साग, मसूर दाल और मांस-मदिरा का सेवन ना करें। शास्त्रों के अनुसार, पंचमी श्राद्ध में तामसिक भोजन करने से पितर नाराज होते हैं।कुंवारा पंचमी के दौरान मांगलिक कार्य वर्जित माना गया है। इस दिन झूठ ना बोलें। किसी का अपमान ना करें। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में किए जाने वाले श्राद्ध का काफी महत्व है. 16 दिनों तक चलने वाले पितृ पक्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होते हैं और अश्विनी मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को इनका समापन होता है. इस दौरान तिथि अनुसार पितरों का श्राद्ध, तर्पण आदि किया जाता है. मान्यता है कि श्राद्ध और तर्पण करने से पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है और उनका आशीर्वाद हमेशा उनके परिवार के साथ रहता है. घर में खुशहाली और जीवन में तरक्की पाने के लिए पितरों का प्रसन्न रहना काफी जरूरी होती है.
जो लोग पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध नहीं करते, उन्हें ना सिर्फ पितृ दोष लगता है, बल्कि उनका जीवन तमाम तरह की परेशानियों से घिर जाता है. ऐसे में पितरों का श्राद्ध करना काफी जरूरी माना गया है. लेकिन कई लोग ऐसे भी होते हैं चजो किसी कारण चाहकर भी वधि विधान से श्राद्ध कर्म नहीं कर पाते. ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए. आइए जानते हैं.
अगर आप लाख कोशिशों के बाद भी किसी कारणवश पितरों का विधि विधान से श्राद्ध नहीं कर पा रहे हैं तो परेशान होने की जरूर नहीं. सनातन धर्म में हर एक गलती के लिए कोई ना कोई उपाय या विधि जरूर मौजूद है. इस स्थिति से निकलने के लिए भी एक उपाय बताया गया है,
अगर न कतर पाएं श्राद्ध तो करें ये उपाय
वैसे तो हर व्यक्ति पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म जरूर करता है. लेकिन अगर आप किसी कारणवश श्राद्ध कर्म नहीं कर पा रहे हैं तो आप ग्रंथो के अनुसार एक उपाय कर सकते हैं. आपको एक शांत स्थान पर जा कर नीचे बताए गए मंत्र का जाप करना है और पितरों के प्रति सम्मान प्रकट करना है. मंत्र हैं –
न में अस्ति वित्तं न धनं च नान्यच्,
श्राद्धोपयोग्यं स्वपितृन्नतोस्मि ।
तृप्यन्तु भक्त्या पितरो मयैतौ,
कृतौ भुजौ वर्त्मनि मारुतस्य ।। इस मंत्र का अर्थ यह है – हे मेरे पितृगण, मेरे पास श्राद्ध के उपयुक्त धन और धान्य आदि मौजूद नहीं है. अतः शास्त्रों के अनुसार मैं एकांत स्थान पर बैठ कर पूरी श्रद्धा और भक्ति से अपने दोनों हाथ आकाश की ओर उठा दिए हैं. आपसे आग्रह है कि कृपया आप मेरी श्रद्धा और भक्ति से ही तृप्त हो जाइए. आपको बता दें कि इस तरीके से कोई भी व्यक्ति पितरों का श्राद्ध कर सकता है. -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
हिंदू धर्म में पितरों की शांति व तृप्ति के लिए पितृ पक्ष मनाया जाता है। पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म और पिंडदान किए जाने की परंपरा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष प्रारंभ होते हैं और आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक रहते हैं। इस साल पितृ पक्ष 29 सितंबर से प्रारंभ होंगे और 14 अक्टूबर तक रहेंगे। पूर्णिमा श्राद्ध को श्राद्धि पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। पूर्णिमा श्राद्ध हर साल भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि को किया जाता है।
श्राद्ध कर्म 2023 के शुभ मुहूर्त-
भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध जैसे कि पितृ पक्ष श्राद्ध, पार्वण श्राद्ध होते हैं। इन श्राद्धों को संपन्न करने के लिए कुतुप, रौहिण आदि मुहूर्त शुभ मुहूर्त माने गये हैं। अपराह्न काल समाप्त होने तक श्राद्ध सम्बन्धी अनुष्ठान संपन्न कर लेने चाहिये। श्राद्ध के अंत में तर्पण किया जाता है।
कुतुप मूहूर्त - 11:47 एएम से 12:35 पी एम
अवधि - 00 घंटे 48 मिनट्स
रौहिण मूहूर्त - 12:35 पी एम से 01:23 पी एम
अवधि - 00 घंटे 48 मिनट्स
अपराह्न काल - 01:23 पी एम से 03:46 पी एम
अवधि - 02 घंटे 23 मिनट्स
प्रतिपदा तिथि कब से कब तक है:
प्रतिपदा तिथि 29 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 26 मिनट से प्रारंभ होगी और 30 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में प्रतिपदा तिथि 29 सितंबर को मनाई जाएगी।
पिंडदान कौन कर सकता है- ब्रह्मवैवर्त पुराण में वर्णित है कि पितरों और पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए सबसे बड़ा पुत्र अपने पिता और अपने वंशज का श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करता है। पितृऋण से मुक्ति पाने के लिए बेटों का पिंडदान करना जरूरी माना गया है। लेकिन अगर किसी व्यक्ति के पुत्र नहीं है तो ऐसे में परिवार पुत्री, पत्नी और बहू श्राद्ध और पिंड दान कर सकती हैं।-9406363514
- -पं. प्रकाश उपाध्यायधार्मिक मान्यताओं में भाद्रपद पूर्णिमा का खास महत्व माना जाता है। इस साल बेहद ही शुभ संयोग में 29 सितंबर के दिन भाद्रपद की पूर्णिमा पड़ेगी। भाद्रपद पूर्णिमा से ही पितृपक्ष की शुरुआत होती है लेकिन इस दिन श्राद्ध कर्म नहीं होते हैं। शुक्रवार के दिन भाद्रपद पूर्णिमा पड़ने से इसका महत्व काफी बढ़ जाता है। वहीं, भाद्रपद पूर्णिमा पर कुछ उपाय करने से माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के साथ पितरों का आशीर्वाद भी मिल सकता है। इसलिए आइए जानते हैं भाद्रपद पूर्णिमा के शुभ योग, उपाय और शुभ मुहूर्त-भाद्रपद पूर्णिमा शुभ मुहूर्तभाद्रपद पूर्णिमा तिथि की शुरुआत- 28 सितंबर 2023, शाम 06:50भाद्रपद पूर्णिमा तिथि समाप्ति- 29 सितंबर 2023, दोपहर 03.25चंद्रोदय समय- शाम 06 बजकर18 मिनट परभाद्रपद पूर्णिमा पर 4 शुभ योगों के निर्माण से ये पूर्णिमा बेहद ही पुण्यदायक मानी जा रही है। इस साल भाद्रपद पूर्णिमा पर अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग ध्रुव योग और वृद्धि योग का महासंयोग बनने वाला है।भाद्रपद पूर्णिमा शुभ योगध्रुव योग - 29 सितंबर, रात 08:03 - शाम 04:27, 30 सितंबरवृद्धि योग - 28 सितंबर, रात 11:55 - रात 08:03, 29 सितंबरसर्वार्थ सिद्धि योग - 29 सितंबर, रात 11:18 - सुबह 06:13, 30 सितंबरअमृत सिद्धि योग - 29 सितंबर, रात 11:18 - सुबह 06:13, 30 सितंबरभाद्रपद पूर्णिमा उपायऐसी मान्यता है की पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ में माता लक्ष्मी का वास होता है। इसलिए मां लक्ष्मी को खुश करने के साथ-साथ अपने पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए भाद्रपद पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ की पूजा जरूर करें। भाद्रपद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से परिवार में सुख शांति का माहौल बना रहता है। इस दिन दान पुण्य करने और सत्यनारायण कथा पाठन से माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होगा साथ ही घर में धन-धान्य की कमी भी दूर होगी।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
वास्तु शास्त्र में, तुलसी के पौधे का सूखना अक्सर घर में नकारात्मक ऊर्जा या संतुलन का प्रतिबिम्ब माना जाता है। भगवान श्री हरी विष्णु जी को तुलसी बहुत प्रिय है। ऐसी मान्यता है की बिना तुलसी की पत्तियों के प्रभु को भोग नहीं लगता है। वहीं, माता लक्ष्मी का रूप मानी जाती हैं तुलसी जी। इसलिए तुलसी जी हरी-भरी रहें तो घर में सुख-संपदा भी बनी रहती है। वहीं, तुलसी जी की विधिवत पूजा करनी चाहिए साथ ही कुछ नियमों का पालन भी करना जरूरी माना गया है। इसलिए श्री नारायण और माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए इस विधि से तुलसी-पूजन करें।
तुलसी पूजन-नियम
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी जी का रोजाना जलाभिषेक करना चाहिए। वहीं, रविवार और एकादशी के दिन तुलसी के पौधे में भूलकर भी जल नहीं चढ़ाना चाहिए। बिना स्नान किए तुलसी के पत्तों को स्पर्श करने से भी बचना चाहिए। ऐसी मान्यता है की तुलसी माता प्रभु नारायण के लिए एकादशी और रविवार के दिन निर्जला व्रत रखती हैं। इसलिए इन दोनों दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना निषेध माना गया है। वहीं, शास्त्रों की माने तो सूर्य के अस्त होने के बाद संध्या के समय तुलसी के पत्तों को न तो स्पर्श करना चाहिए और न ही तोड़ना चाहिए।
तुलसी पूजा-विधि
सुबह उठने के बाद स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।
इसके बाद तुलसी माता का जलाभिषेक करें।
अब इन्हें सिंदूर या चंदन लगाएं।
लाल या गुलाबी रंग के फूल चढ़ाएं।
इसके बाद तुलसी जी के पास घी का दीपक जलाएं।
तुलसी उपाय
घर परिवार में सुख समृद्धि और खुशियां लाने के लिए संध्या के वक्त भी तुलसी जी के पास घी का दीपक रखें। तुलसी स्त्रोत का पाठ करने और तुलसी मैय्या की विधिवत उपासना करने से माता लक्ष्मी और भगवन विष्णु का आशीर्वाद सदैव बना रहता है। - -पं. प्रकाश उपाध्यायजीवन में कई बार बहुत मेहनत करने के बाद भी सफलता नहीं मिलती है। किसी भी काम में भाग्य साथ नहीं देता है। व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। कई बार कुछ चीजों को शेयर करने से व्यक्ति अपना गुडलक भी दूसरों में बांट देता है और जीवन में नकारात्मकता बढ़ जाती है। अगर आप भी जीवन में खुशहाली चाहते हैं तो भूलकर भी इन चीजों को दूसरों के साथ शेयर ना करें। चलिए जानते हैं...घड़ीवास्तु शास्त्र के अनुसार, किसी को अपनी भी शेयर नहीं करना चाहिए। इससे व्यक्ति का समय खराब हो सकता है और जीवन के हर क्षेत्र में असफलताओं का सामना करना पड़ सकता है।पिलो शेयर ना करेंकिसी के साथ अपनी फेवरेट पिलो शेयर ना करें। मान्यता है कि दूसरों को अपना पिलो शेयर करने से सुख-शांति में बाधा आती है।जूते-चप्पलवास्तु के अनुसार, एक-दूसरे को जूते-चप्पल शेयर करके पहनने से जीवन पर नकारात्मक असर पड़ता है और व्यक्ति का जीवन मुसीबतों से भरा रहता है।परफ्यूमपरफ्यूम और इत्र व्यक्ति के मूड पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। यह आपके व्यक्तित्व को निखारता है। इसलिए किसी के साथ अपना परफ्यूम ना शेयर करें।ब्रेसलेटकुछ लोग नेगेटिविटी दूर करने के लिए और गुडलक के लिए हाथों में ब्रेसलेट पहनते हैं। मान्यता है कि ब्रेसलेट शेयर करने से व्यक्ति अपने जीवन की पॉजिटिविटी भी बांट देता है।अंगूठीवास्तु के मुताबिक, दूसरों को अपनी अंगूठी भी शेयर नहीं करनी चाहिए। कहा जाता है कि इससे व्यक्ति के वैवाहिक जीवन, स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ता है।कलमअपनी फेवरेट पेन को दूसरों के साथ शेयर ना करें। कहा जाता है कलम शेयर करने से व्यक्ति अपनी सफलता भी साझा करता है।
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-पंडित प्रकाश उपाध्याय
हिंदू धर्म में जीवन के हर पहलू में वास्तु का बड़ा महत्व है। वास्तु के अनुसार, जीवन में किए गए छोटे-छोटे शुभ कार्यों से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है और जातक का भाग्य चमकने लगता है। व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। साथ ही जीवन सुख-सुविधाओं और खुशहाली में व्यतीत होता है। घर में सकारात्मक ऊर्जा और धन-संपन्नता के लिए वास्तु के कुछ उपाय बहुत लाभकारी माने जाते हैं। इन उपायों से जीवन की हर एक बाधा दूर की जा सकती है। चलिए जानते हैं...
तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाएं
रोजाना तुलसी के पौधे पर जल चढ़ाने और शाम को दीपक जलाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है। धार्मिक मान्यता है कि इससे जातकों को जीवन में कभी भी धन की तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है और जीवन सुख-सुविधाओं से भरपूर रहता है।
कुबेर यंत्र स्थापित करें
घर के उत्तर-पूर्व कोने में कुबेर यंत्र स्थापित करना बेहद मंगलकारी माना जाता है। वास्तु के मुताबिक, घर में कुबेर यंत्र होने से सुख-समृ्द्धि और खुशहाली आती है। लेकिन वास्तु के इन नियमों का पालन करने के साथ धन का प्रबंधन भी समझदारी से करें।
गंगाजल छिड़के
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, घर की दरिद्रता को दूर करने के लिए रोजाना घर के उत्तर-पूर्व कोने में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से घर की सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और आर्थिक स्थित मजबूत होती है।
तिजोरी रखने की दिशा
धन-दौलत में बढ़ोत्तरी के लिए घर की अलमारी रखते समय वास्तु का खास ध्यान रखना चाहिए। घर के दक्षिण-पश्चिम दिशा में अलमारी या तिजोरी रखने से धन-संपदा में वृद्धि होती है और व्यक्ति आर्थिक रूप से सुखी और संपन्न रहता है।
इस दिशा में ना रखें फर्नीचर
घर के उत्तर-पूर्व दिशा में भारी फर्नीचर या जूते-चप्पल का रैक नहीं रखना चाहिए। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी को धन, वैभव, सुख, संपदा और भौतिक सुख-सुविधा प्रदान करने वाली देवी माना जाता है। धन प्राप्ति और जीवन में सुख-समृद्धि पाने के लिए मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जिन व्यक्तियों के ऊपर मां लक्ष्मी की कृपा हो जाती है उनके पास धन-दौलत और सुख-सुविधा की कोई भी कमी नहीं रहती है। मां लक्ष्मी की कृपा पाने और उन्हें प्रसन्न करने के लिए व्यक्ति कई तरह के या ज्योतिषीय उपाय करता है। शास्त्रों में मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपायों के बारे में बताया गया है।
कुछ आदतों को अपनाकर मां लक्ष्मी को कैसे प्रसन्न किया जा सकता है आइए जानते हैं....
सुबह उठकर प्रवेश द्वार को धोएं
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां लक्ष्मी को साफ-सफाई अत्यंत ही प्रिय होती है। ऐसी मान्यता है कि मां लक्ष्मी उन्हीं घरों में निवास करती हैं जहां पर साफ-सफाई होती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मुख्य द्वार बहुत ही साफ-सुथरा रहना चाहिए। ऐसे में हर दिन सुबह उठकर भगवान का स्मरण करते हुए घर के मुख्य द्वार को पानी से जरूर धोएं। साथ ही प्रवेश द्वार पर रंगोली और तोरणद्वार सजाएं। इससे मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न होती हैं और उस घर में सुख-समृद्धि लाती हैं।
मुख्य दरवाजे पर दीपक जरूर जलाएं
घर का मुख्य द्वार बहुत ही खास माना जाता है। ऐसे में सुबह रंगोली बनाने के साथ-साथ शाम के समय घर के मुख्य दरवाजे पर घी का दीपक जलाकर रखए दें। इस उपाय से मां लक्ष्मी बहुत जल्दी प्रसन्न होती हैं और घर सुख-सौभाग्य से भरकर रख देती हैं।
तुलसी की पूजा
मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय होती है। ऐसी मान्यता है कि जिन घरों में तुलसी के पौधे की नियमित रूप से पूजा होती है वहां पर मां लक्ष्मी का वास जरूर होता है। रोजाना सुबह तुलसी के पौधे को जल चढ़ाने और शाम के समय घी का दीपक जलाने पर घर में सुख-समृद्धि और संपन्नता आती है।
सूर्यदेव को जल चढ़ाएं
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जो लोग नियमित रूप से सूर्यदेव को जल चढ़ाते हैं उनके घर सुख-समृद्धि और वैभव बना रहता है। रोजाना सूर्यदेव को जल चढ़ाने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है।
तिलक का उपाय
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सुबह-सुबह पूजा करने के बाद माथे पर चंदन का तिलक जरूर लगाना चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार सुबह -सुबह पूजा करने के बाद माथे पर तिलक लगाने से मां लक्ष्मी जल्द प्रसन्न होती हैं। - पंडित प्रकाश उपाध्यायहिंदू धर्म में मां लक्ष्मी को धन, वैभव, सुख, संपदा और भौतिक सुख-सुविधा प्रदान करने वाली देवी माना जाता है। धन प्राप्ति और जीवन में सुख-समृद्धि पाने के लिए मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जिन व्यक्तियों के ऊपर मां लक्ष्मी की कृपा हो जाती है उनके पास धन-दौलत और सुख-सुविधा की कोई भी कमी नहीं रहती है। मां लक्ष्मी की कृपा पाने और उन्हें प्रसन्न करने के लिए व्यक्ति कई तरह के ज्योतिषीय उपाय करता है। शास्त्रों में मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपायों के बारे में बताया गया है। कुछ आदतों को अपनाकर मां लक्ष्मी को कैसे प्रसन्न किया जा सकता है आइए जानते हैं....सुबह उठकर प्रवेश द्वार को धोएंधार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां लक्ष्मी को साफ-सफाई अत्यंत ही प्रिय होती है। ऐसी मान्यता है कि मां लक्ष्मी उन्हीं घरों में निवास करती हैं जहां पर साफ-सफाई होती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मुख्य द्वार बहुत ही साफ-सुथरा रहना चाहिए। ऐसे में हर दिन सुबह उठकर भगवान का स्मरण करते हुए घर के मुख्य द्वार को पानी से जरूर धोएं। साथ ही प्रवेश द्वार पर रंगोली और तोरणद्वार सजाएं। इससे मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न होती हैं और उस घर में सुख-समृद्धि लाती हैं।मुख्य दरवाजे पर दीपक जरूर जलाएंघर का मुख्य द्वार बहुत ही खास माना जाता है। ऐसे में सुबह रंगोली बनाने के साथ-साथ शाम के समय घर के मुख्य दरवाजे पर घी का दीपक जलाकर रख दें। इस उपाय से मां लक्ष्मी बहुत जल्दी प्रसन्न होती हैं और घर सुख-सौभाग्य से भरकर रख देती हैं।तुलसी की पूजामां लक्ष्मी और भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय होती है। ऐसी मान्यता है कि जिन घरों में तुलसी के पौधे की नियमित रूप से पूजा होती है वहां पर मां लक्ष्मी का वास जरूर होता है। रोजाना सुबह तुलसी के पौधे को जल चढ़ाने और शाम के समय घी का दीपक जलाने पर घर में सुख-समृद्धि और संपन्नता आती है।सूर्यदेव को जल चढ़ाएंवैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जो लोग नियमित रूप से सूर्यदेव को जल चढ़ाते हैं उनके घर सुख-समृद्धि और वैभव बना रहता है। रोजाना सूर्यदेव को जल चढ़ाने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है।तिलक का उपायवैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सुबह-सुबह पूजा करने के बाद माथे पर चंदन का तिलक जरूर लगाना चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार सुबह -सुबह पूजा करने के बाद माथे पर तिलक लगाने से मां लक्ष्मी जल्द प्रसन्न होती हैं।
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19 सितम्बर 2023 से 28 सितम्बर 2023 तक】
(आइये जाने इस से जोड़े कुछ रोचक तथ्य और गणेश स्थापना का महूर्त)भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से लेकर अनन्त चतुर्दशी के 10 दिन तक गणेश उत्सव मनाया जाता है। मान्यता है कि विघ्नहर्ता की दिल से पूजा करने से इन्सान को सुख, शान्ति और समृद्धि प्राप्त होती है और मुसीबतों से छुटकारा मिलता है।भगवान गणेश के जन्म दिन के उत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में जाना जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन, भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। यह मान्यता है कि भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष के दौरान भगवान गणेश का जन्म हुआ था। अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार गणेश चतुर्थी का दिन अगस्त अथवा सितम्बर के महीने में आता है।गणेशोत्सव अर्थात गणेश चतुर्थी का उत्सव, 10 दिन के बाद, अनन्त चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है और यह दिन गणेश विसर्जन के नाम से जाना जाता है। अनन्त चतुर्दशी के दिन श्रद्धालु-जन बड़े ही धूम-धाम के साथ सड़क पर जुलूस निकालते हुए भगवान गणेश की प्रतिमा का सरोवर, झील, नदी इत्यादि में विसर्जन करते हैं।(गणपति स्थापना और गणपति पूजा मुहूर्त)ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल के दौरान हुआ था इसीलिए मध्याह्न के समय को गणेश पूजा के लिये ज्यादा उपयुक्त माना जाता है। हिन्दु दिन के विभाजन के अनुसार मध्याह्न काल, अंग्रेजी समय के अनुसार दोपहर के तुल्य होता है।हिन्दु समय गणना के आधार पर, सूर्योदय और सूर्यास्त के मध्य के समय को पाँच बराबर भागों में विभाजित किया जाता है। इन पाँच भागों को क्रमशः प्रातःकाल, सङ्गव, मध्याह्न, अपराह्न और सायंकाल के नाम से जाना जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन, गणेश स्थापना और गणेश पूजा, मध्याह्न के समय की जानी चाहिये। वैदिक ज्योतिष के अनुसार मध्याह्न के समय को गणेश पूजा के लिये सबसे उपयुक्त समय माना जाता है। मध्याह्न मुहूर्त में, भक्त-लोग पूरे विधि-विधान से गणेश पूजा करते हैं जिसे षोडशोपचार गणपति पूजा के नाम से जाना जाता है।(गणेश चतुर्थी पर निषिद्ध चन्द्र-दर्शन)गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्र-दर्शन वर्ज्य होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चन्द्र के दर्शन करने से मिथ्या दोष अथवा मिथ्या कलंक लगता है जिसकी वजह से दर्शनार्थी को चोरी का झूठा आरोप सहना पड़ता है।पौराणिक गाथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण पर स्यमन्तक नाम की कीमती मणि चोरी करने का झूठा आरोप लगा था। झूठे आरोप में लिप्त भगवान कृष्ण की स्थिति देख के, नारद ऋषि ने उन्हें बताया कि भगवान कृष्ण ने भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चन्द्रमा को देखा था जिसकी वजह से उन्हें मिथ्या दोष का श्राप लगा है।नारद ऋषि ने भगवान कृष्ण को आगे बतलाते हुए कहा कि भगवान गणेश ने चन्द्र देव को श्राप दिया था कि जो व्यक्ति भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दौरान चन्द्र के दर्शन करेगा वह मिथ्या दोष से अभिशापित हो जायेगा और समाज में चोरी के झूठे आरोप से कलंकित हो जायेगा। नारद ऋषि के परामर्श पर भगवान कृष्ण ने मिथ्या दोष से मुक्ति के लिये गणेश चतुर्थी के व्रत को किया और मिथ्या दोष से मुक्त हो गये।(मिथ्या दोष निवारण मन्त्र)चतुर्थी तिथि के प्रारम्भ और अन्त समय के आधार पर चन्द्र-दर्शन लगातार दो दिनों के लिये वर्जित हो सकता है। धर्मसिन्धु के नियमों के अनुसार सम्पूर्ण चतुर्थी तिथि के दौरान चन्द्र दर्शन निषेध होता है और इसी नियम के अनुसार, चतुर्थी तिथि के चन्द्रास्त के पूर्व समाप्त होने के बाद भी, चतुर्थी तिथि में उदय हुए चन्द्रमा के दर्शन चन्द्रास्त तक वर्ज्य होते हैं। अगर भूल से गणेश चतुर्थी के दिन चन्द्रमा के दर्शन हो जायें तो मिथ्या दोष से बचाव के लिये निम्नलिखित मन्त्र का जाप करना चाहिये-सिंहः प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः।सुकुमारक मारोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः॥(मुहूर्त)चतुर्थी का आरम्भ भाद्रमास के शुक्ल पक्ष की तृतीया यानी 18 सितम्बर सोमवार से ही अपराह्न 12:42 से हो जाएगा और फिर चतुर्थी 19 सितम्बर की अपराह्न 13:29 तक होगा। माना जाता है कि गणेशजी का जन्म मध्याह्न में हुआ था, इसलिए गणेशजी की पूजा भी दोपहर में की जाती है। गणेश जी को बुद्धि, विवेक, धन-धान्य, रिद्धि-सिद्धि का कारक माना जाता है। गणेश चतुर्थी पर उनकी पूजा करने से शुभ लाभ की प्राप्ति होती है और समृद्धि के साथ धन वृद्धि भी होती है। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
जीवन के हर पहलू में वास्तु का बड़ा महत्व है। वास्तु के अनुसार, जीवन में किए गए छोटे-छोटे शुभ कार्यों से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है और जातक का भाग्य चमकने लगता है। व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। साथ ही जीवन सुख-सुविधाओं और खुशहाली में व्यतीत होता है। घर में सकारात्मक ऊर्जा और धन-संपन्नता के लिए वास्तु के कुछ उपाय बहुत लाभकारी माने जाते हैं। इन उपायों से जीवन की हर एक बाधा दूर की जा सकती है।
तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाएं
रोजाना तुलसी के पौधे पर जल चढ़ाने और शाम को दीपक जलाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है। धार्मिक मान्यता है कि इससे जातकों को जीवन में कभी भी धन की तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है और जीवन सुख-सुविधाओं से भरपूर रहता है।
कुबेर यंत्र स्थापित करें
घर के उत्तर-पूर्व कोने में कुबेर यंत्र स्थापित करना बेहद मंगलकारी माना जाता है। वास्तु के मुताबिक, घर में कुबेर यंत्र होने से सुख-समृ्द्धि और खुशहाली आती है। लेकिन वास्तु के इन नियमों का पालन करने के साथ धन का प्रबंधन भी समझदारी से करें।
गंगाजल छिड़के
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, घर की दरिद्रता को दूर करने के लिए रोजाना घर के उत्तर-पूर्व कोने में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से घर की सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और आर्थिक स्थित मजबूत होती है।
तिजोरी रखने की दिशा
धन-दौलत में बढ़ोत्तरी के लिए घर की अलमारी रखते समय वास्तु का खास ध्यान रखना चाहिए। घर के दक्षिण-पश्चिम दिशा में अलमारी या तिजोरी रखने से धन-संपदा में वृद्धि होती है और व्यक्ति आर्थिक रूप से सुखी और संपन्न रहता है। इस दिशा में ना रखें फर्नीचर घर के उत्तर-पूर्व दिशा में भारी फर्नीचर या जूते-चप्पल का रैक नहीं रखना चाहिए। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। -
ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, कछुए की अंगूठी पहनना बेहद ही शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है की इस अंगूठी को पहनने से आर्थिक दिक्कतों को दूर किया जा सकता है। कछुए की अंगूठी धारण करने से माता लक्ष्मी की असीम कृपा भी प्राप्त होती है। वहीं, कुछ लोग कछुए की अंगूठी को गलत तरीके और गलत उंगली में धारण कर लेते हैं, जिससे पूर्ण फल की प्राप्ति नहीं मिल पाती है। इसलिए अगर आप भी आर्थिक दिक्कतों का सामना कर रहे हैं तो कछुए की अंगूठी धारण करें। आईए जानते हैं कि कछुए की अंगूठी को धारण करते समय किन बातों का ज्ञान विशेष तौर पर रखना चाहिए।
कछुए की अंगूठी धारण करने के नियम
1- कछुए की अंगूठी को धारण करने से पहले उसकी शुद्धि जरूर करनी चाहिए। इसलिए दूध और गंगाजल में कछुए की अंगूठी को कुछ घंटों के लिए डुबोकर रखें।
2- कछुए की अंगूठी को शुद्ध करने के बाद माता लक्ष्मी को चढ़ाए। फिर माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा करने के बाद ही इसे धारण करें।
3- गुरुवार या शुक्रवार के दिन इस अंगूठी को धारण करना शुभ माना जाता है।
4- कछुए की अंगूठी को सीधे हाथ की तर्जनी (पहली उंगली) या मध्यमा (बीच की उंगली) उंगली में धारण करना चाहिए।
5- वहीं, ध्यान रखें की कछुए की अंगूठी को धारण करने के बाद कछुए का मुख आपकी ओर होना चाहिए।
6- चांदी की बनी हुई कछुए की अंगूठी धारण करना बेहद शुभ माना जाता है। इससे आपके जीवन में चल रही आर्थिक परेशानियां भी दूर हो सकती हैं।
इस दिन करें धारण?
गुरुवार के दिन इस अंगूठी को शुद्ध करने के बाद आप माता लक्ष्मी को चढ़ाएं। फिर लक्ष्मी नारायण की साथ में विधिवत पूजा करें। अगले दिन शुक्रवार को लक्ष्मी माता की पूजा करने के बाद इस अंगूठी को धारण कर लें। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
किसी व्यक्ति के भविष्य के बारे में उसकी कुंडली, राशि के साथ-साथ हस्तरेखा द्वारा भी कई बातों का पता लगाया जा सकता है। हथेली पर कई ऐसे शुभ योग बनते हैं, जो व्यक्ति को धन, सुख-सौभाग्य और समृद्धि दिलाते हैं। ऐसे ही हथेलियों पर पुष्कल योग बनना बेहद शुभ माना जाता है। जिन व्यक्तियों का हथेली पर पुष्कल योग बनता है उसे धन दौलत की कभी कमी नहीं होती है और जीवन सुख-सुविधाओं में गुजरता है।
चलिए जानते हैं पुष्कल योग के बारे में...
हथेलियों पर पुष्कल योग
जब किसी व्यक्ति की हथेली पर शनि और शुक्र पर्वत स्पष्ट रहता है और शुक्र पर्वत से भाग्य रेखा की शुरू होती है और शनि पर्वत के मध्य तक पहुंचती है, तो ऐसे व्यक्ति की हथेली पर पुष्कल योग बनता है। जिन लोगों की हथेली पर पुष्कल योग बनता है, ऐसे जातक बहुत लकी माने जाते हैं उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। ऐसे लोगों आर्थिक रूप से धन-संपन्न रहते हैं और बहुत भाग्यशाली होते हैं।
करियर में सफलता
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, जिस व्यक्ति की हथेली पर पुष्कल योग बनता है, वहां निरंतर सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ते रहते हैं। ऐसे व्यक्ति को जीवन में असफलता का सामना नहीं करना पड़ता है और करियर और कारोबार में अपार सफलता मिलती है। इनका जीवन खुशहाली में व्यतीत होता है। यह कठिन परिस्थिति में खुश रहते हैं।
उदारवादी व्यक्ति
मान्यता है कि जिन लोगों की हथेली पर पुष्कल योग बनता है, वह अपने उदारवादी, विनम्र और दयालु स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। यह अतीत को भूल कठिन मेहनत करना पसंद करते हैं और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता अर्जित करते हैं।
समाजिक प्रतिष्ठा
जिन लोगों के हाथ पर पुष्कल योग बनता है, उनकी समाज में यश और कीर्ति बढ़ती है। ऐसे व्यक्तियों का लोगों के बीच मान-सम्मान बढ़ता है और वह दुख-सुख में लोगों का साथ नहीं छोड़ते हैं। समाजिक कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं और ऐसे लोग अपने अच्छे स्वभाव के लिए भी जाने जाते हैं। -
अगर आपके घर में अक्सर गृह-क्लेश का माहौल रहता है। घर के सदस्यों में अपने अनबन होती रहती है। आपसी स्नेह और प्रेमभाव की कमी हो गई। परिजनों को जीवन के हर क्षेत्र में कष्टों का सामना करना पड़ता हो। सफलता की राह में बाधाएं आती हों। मन अशांत रहता हो तो वास्तु के कुछ उपाय घर की नेगेटिविटी को दूर करने में आपकी बहुत मदद कर सकते हैं। इन उपायों से घर के माहौल को सकारात्मक बनाया जा सकता है। चलिए घर की सुख-शांति के लिए वास्तु के कुछ खास उपायों के बारे मे जानते हैं।
घर का मुख्यद्वार
घर को नेगेटिविटी से दूर रखने के लिए मुख्यद्वार के साफ-सफाई का खास ध्यान रखें। मेनगेट पर कोई भी चीज फैली और बिखरी हुई ना हो। मुख्यद्वार को साफ-सुथरा रखें। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करेगी। परिजनों से तकरार समाप्त होगी।
लिविंग रूम
लिविंग रूम में फर्नीचर को इस तरह से रखें ताकि लोग आमने-सामने बैठकर बात कर सकें। घर के कोनों में फर्नीचर ना रखें। मान्यता है कि इससे घर में नेगेटिविटी बढ़ती है और परिजनों में विवाद बढ़ता है।
घर का किचन
घर का किचन दक्षिण-पूर्व दिशा में होना चाहिए। साथ ही किचन में वेंटिलेनशन का व्यवस्था होनी चाहिए। वास्तु के मुताबिक,साथ ही किचन की दिवारों का रंग हल्का होना चाहिए। इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है।
बेडरूम का वास्तु
बेडरूम में बेड को दोनों साइड पर्याप्त जगहें होनी चाहिए। वास्तु के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम दिशा में बेडरूम होने से वैवाहिक जीवन में स्थिरता आती है। साथ ही रिश्तों में प्यार और मिठास बना रहता है। पति-पत्नी के बीच अनबन कम रहती हैं।
घर की दीवारों का रंग
रंगों से व्यक्तियों का भावनात्मक जुड़ाव होता है। इसलिए घर की दीवारों को पेंट करते समय रंगों का खास ध्यान रखना चाहिए। हल्के नीला, ग्रीन या पेस्टल रंग घर की ऊर्जा को सकारात्मक बनाते हैं। घर की दीवारों का रंग ज्यादा डार्क नहीं होना चाहिए। वास्तु के अनुसार, इससे मन अशांत रह सकता है। - इस वर्ष हरतालिका तीज पर कई अद्भुत संयोग बन रहे हैं। रवि और इन्द्र योग में इस वर्ष तीज की पूजा होगी जबकि साथ ही चित्रा और स्वाती नक्षत्र का भी निर्माण हो रहा है। हरतालिका तीज इस बार 18 सिंतबर को है। इस दिन शिव जी ने देवी पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकारा था, इसलिए यह व्रत सुहागिनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। हरतालिका तीज का व्रत शंकर-पार्वती को समर्पित है। कहते हैं पति की लंबी आयु, तरक्की और परिवार की खुशहाली के लिए ये व्रत बहुत महत्वपूर्ण है। कुंवारी लड़किया भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए इस दिन व्रत रखती हैं।शुभ मुहूर्त में पूजा की तैयारी में व्रतीभाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 17 सितंबर को सुबह 11.08 मिनट से शुरू हो कर 18 सितंबर को 12.39 तक रहेगी। इस दिन प्रदोष काल पूजा के लिए पहला मुहूर्त शाम 06.23 बजे से शाम 06.47 बजे तक का है। जो महिलाएं हरितालिका तीज की पूजा सुबह की बेला में करती हैं, उनके लिए 18 सितंबर को सुबह 06.07 से सुबह 08.34 तक पूजा का शुभ मुहूर्त है। हरतालिका तीज की पूजा रात्रि के चार प्रहर में करने का विधान है। ये व्रत सूर्योदय से शुरू होकर 24 घंटे बाद अगले दिन सूर्योदय पर समाप्त होता है। इस दिन स्त्रियां निर्जला व्रत रखती हैं।ग्रहों-नक्षत्रों के शुभ संयोग होगी पुण्यप्रदाहरतालिका तीज पर इस ग्रह-नक्षत्रों का अद्भुत संयोग बन रहा है, जो अत्यंत पुण्यप्रदा होगी। इस दिन रवि और इन्द्र योग में पूजा होगी, साथ ही चित्रा और स्वाती नक्षत्र का निर्माण हो रहा है। ऐसे में व्रती को अखंड सौभाग्य का वरदान मिलेगा। इन शुभ संयोग में हरतालिका तीज के दिन फूलों से बना फुलेरा बांधा जाना और उसके नीचे मिट्टी के शंकर व पार्वती स्थापना तथा रात्रि जागरण कर शिव-पार्वती की पूजा अर्चना बेहद शुभदायी होगी। इस विधि से पूजन करने से विवाहिता को सदा सौभाग्यवती रहना का आशीर्वाद प्राप्त होगा जबकि विवाह योग्य लड़कियों को अच्छा जीवनसाथी मिलेगा।
- -पं. प्रकाश उपाध्यायवास्तु के अनुसार, घर बनवाने के लिए प्लॉट करते समय वास्तु के नियमों का जरूर पालन करना चाहिए। इन नियमों को नजरअंदाज करने पर घर की नेगेटिविटी बढ़ती है और परिजनों को जीवन में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसलिए प्लॉट खरीदते समय वास्तु दोषों से बचने के लिए कुछ खास बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। इससे घर में खुशहाली आएगी और सुख-समृद्धि में बढ़ोत्तरी होगी। चलिए जानते हैं प्लॉट खरीदते समय वास्तु के किन नियमों का पालन करना चाहिए?जमीन का आकारवास्तु के अनुसार, वर्गाकार या आयताकार जमीन पर मकान बनवाना बेहद शुभ होता है। यह घर के सदस्यों के सुख-सौभाग्य में वृद्धि करता है। वृत्ताकार आकार की भूमि पर घर बनाना शुभ नहीं होता है। व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए वृत्ताकार भूमि का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसी तरह से त्रिभुजाकार जमीन पर घर बनाने से धन हानि होता है और व्यक्तियों का जीवन बाधाओं से घिर जाता है।दिशा को ना करें अनदेखावास्तु शास्त्र के अनुसार, जमीन खरीदते समय इस बात पर ध्यान दें कि मकान का मुख्यद्वार उत्तर या पूर्व दिशा में हो। इसके अलावा ईशान कोण यानी उत्तर पूर्व दिशा की ओर बना मकान भी बेहद शुभ माना जाता है। साथ मकान का मुख्यद्वार दक्षिण दिशा में ना हो।ऐसी जगह ना लें जमीनमकान बनाने के लिए भूमि खरीदते समय इस बात का ध्यान रखें कि वहां कभी भी श्मशान ना रहा हो। साथ ही अस्पताल और पुलिस थाने के पास जमीन लेने से बचना चाहिए। ऐसा करने से घर में सुख-शांति बाधित रहती है।प्लॉट की मिट्टीवास्तु के अनुसार, लाल, भूरी और पीली मिट्टी पर मकान बनवाना शुभ होता है। इस मिट्टी में घर पर पेड़-पौधे आसानी से लग जाते हैं। वहीं रेतीली मिट्टी वाला प्लॉट खरीदने से बचना चाहिए। यह मिट्टी घर के नींव का भार उठाने में सक्षम नहीं होती है।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
ज्योतिष विद्या के अनुसार, सही रत्न धारण करने से व्यक्ति को शुभ परिणाम मिल सकते हैं। कई बार ग्रहों की उथल-पुथल के चलते जिंदगी में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। वहीं, कुछ रत्न बेहद ही प्रभावशाली होते हैं, जिनको धारण करने के बाद आर्थिक स्थितियों को भी मजबूत बनाया जा सकता है। सही रत्न धारण करने से भाग्य को चमकाने और ग्रहों की स्थिति को सुधारने में भी मदद मिलती है। इसलिए आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ विशेष रत्नों के बारे में-
सिट्रीन स्टोन-
सिट्रीन स्टोन को द लक मर्चेंट स्टोन के नाम से भी जाना जाता है। ये रत्न दिखने में पीले या सुनहरे रंग का होता है। इस रत्न की मदद से आर्थिक समस्याओं को दूर किया जा सकता है।
गार्नेट-
रत्न शास्त्र के अनुसार, कुंडली में सूर्य ग्रह की स्थिति कमजोर होने पर लाल रंग का गार्नेट धारण करना शुभ माना जाता है। वहीं, इस रत्न को रविवार के दिन अनामिका उंगली में धारण करना चाहिए।
पुखराज-
पीले रंग का पुखराज बहुत ही प्रभावशाली माना जाता है। इसे धारण करने से धन से जुड़ी दिक्कतें दूर होने लगती हैं। वहीं, पुखराज को तर्जनी उंगली में धारण किया जा सकता है।
ग्रीन जेड-
अपने निर्णय लेने की क्षमता को सुधारना चाहते हैं तो ग्रीन जेड नामक रत्न को धारण करें। इस रत्न को धारण करने से दिमाग के फोकस पावर को बढ़ाने में मदद मिलती है। यह स्टोन लक को अट्रैक्ट करता है साथ ही क्रिएटिविटी भी बढ़ाता है।
नीलम-
नीले रंग का नीलम रत्न शनि का रत्न माना जाता है। वहीं, हर किसी को नीलम रत्न धारण करने की सलाह नहीं दी जाती है। नीलम जिसे सूट कर जाए उसकी किस्मत चमक जाती है। वहीं, नीलम रत्न धारण करने से शनि देव के अशुभ प्रभाव को कम करने में भी मदद मिलती है। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
इस समय गुरु वक्री अवस्था में हैं। 23 सितंबर तक गुरु वक्री ही रहेंगे। गुरु के वक्री रहने से कुछ राशि वालों का भाग्योदय हो रहा है तो कुछ राशि वालों को सावधान रहने की आवश्यकता है। देवगुरु बृहस्पति को ज्योतिष में विशेष स्थान प्राप्त है। देवगुरु बृहस्पति को गुरु को ज्ञान, शिक्षक, संतान, बड़े भाई, शिक्षा, धार्मिक कार्य, पवित्र स्थल, धन, दान, पुण्य और वृद्धि आदि का कारक ग्रह कहा जाता है। बृहस्पति ग्रह 27 नक्षत्रों में पुनर्वसु, विशाखा, और पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र के स्वामी होते हैं। इस समय देवगुरु बृहस्पति मेष राशि में विराजमान हैं।
आइए जानते हैं 23 सितंबर तक का समय सभी राशियों के लिए कैसा रहेगा-
मेष राशि- मन प्रसन्न रहेगा। आत्मविश्वास भरपूर रहेगा। नौकरी में तरक्की के मार्ग प्रशस्त होंगे। शासन सत्ता का सहयोग मिलेगा। सेहत का ध्यान रखें।
वृष राशि- मन परेशान रहेगा। सेहत का ध्यान रखें। पढ़ने में रुचि रहेगी। शैक्षिक कार्यों में सफल होंगे। मान-सम्मान की प्राप्ति होगी। किसी मित्र का सहयोग मिलेगा।
मिथुन राशि- मन प्रसन्न रहेगा। आत्मविश्वास भी भरपूर रहेगा। पर, बातचीत में संतुलित रहें। नौकरी में परिवर्तन के योग बन रहे हैं। किसी मित्र का सहयोग मिल सकता है।
कर्क राशि- मन में उतार-चढ़ाव रहेंगे। भवन सुख में वृद्धि होगी। घर-परिवार में धार्मिक कार्य होंगे। भवन की साज-सज्जा में खर्च करेंगे। भागदौड़ बढ़ेगी।
सिंह राशि- वाणी में मधुरता रहेगी। पारिवारिक जीवन सुखमय रहेगा। पिता की सेहत का ध्यान रखें। शैक्षिक कार्यों पर ध्यान दें। व्यवधान आ सकते हैं।
कन्या राशि- मन परेशान रहेगा। आत्मसंयत रहें। क्रोध के अतिरेक से बचें। कारोबार में कठिनाई आ सकती है। खर्चों की अधिकता रहेगी। परिवार में कष्ट बढ़ सकते हैं।
तुला राशि- मन प्रसन्न रहेगा। आत्मविश्वास भरपूर रहेगा। बौद्धिक कार्यों में व्यस्तता बढ़ेगी। आय में वृद्धि होगी। नौकरी में परिवर्तन की संभावना बन रही है।
वृश्चिक राशि- मन अशांत रहेगा। पठन-पाठन में रुचि रहेगी। शैक्षिक व शोधादि कार्यों में सफलता मिलेगी। शैक्षिक कार्यों के लिए विदेश यात्रा के योग बन रहे हैं।
धनु राशि- मन प्रसन्न रहेगा। भवन सुख में वृद्धि हो सकती है। पिता से धन की प्राप्ति हो सकती है। नौकरी में कार्यक्षेत्र में कठिनाई आ सकती है। परिश्रम अधिक रहेगा।
मकर राशि- मन अशांत रहेगा। आत्मसंयत रहें। धैर्यशीलता में कमी रहेगी। माता की सेहत में कुछ सुधार होगा। पिता से धन प्राप्ति हो सकती है। खर्चों में वृद्धि होगी।
कुंभ राशि- संयत रहें। धैर्यशीलता में कमी रहेगी। परिवार का साथ मिलेगा। धार्मिक संगीत के प्रति रुझान बढ़ सकता है। संतान की सेहत का ध्यान रखें।
मीन राशि- मन परेशान हो सकता है। संयत रहें। बातचीत में संयत रहें। भाई- बहन के साथ धार्मिक स्थान पर जा सकते हैं। भागदौड़ अधिक रहेगी। सेहत का ध्यान रखें। - -पं. प्रकाश उपाध्यायज्योतिषशास्त्र में सूर्यदेव को विशेष स्थान प्राप्त है। सूर्यदेव को सभी ग्रहों का राजा कहा जाता है। इस समय सूर्यदेव सिंह राशि में विराजमान हैं। आने वाले 21 दिनों तक सूर्यदेव इसी राशि में विराजमान रहेंगे। सूर्यदेव सिंह राशि में रहकर कुछ राशि वालों पर विशेष कृपा कर रहे हैं। इन राशि वालों के लिए आने वाले 21 दिन किसी वरदान से कम नहीं कहे जा सकते हैं। आइए जानते हैं, आने वाले 21 दिनों तक किन राशियों पर रहेगी सूर्यदेव की कृपा-मेष राशि-- जीवनसाथी के साथ समय व्यतीत करेंगे।-पारिवारिक जीवन सुखमय रहेगा।- धन- लाभ होगा।- कार्यक्षेत्र में आपके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना करेंगे।मिथुन राशि-- भाई- बहन का सहयोग मिलेगा।- इस समय किस्मत का साथ मिलेगा।- नौकरी और व्यापार के लिए ये समय किसी वरदान से कम नहीं है।- मान- सम्मान और पद- प्रतिष्ठा में वृद्दि के योग बन रहे हैं।- नया मकान या वाहन खरीद सकते हैं।सिंह--परिवार के सदस्यों का सहयोग प्राप्त करेंगे।-यह समय आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं रहने वाला है।-हर तरफ से लाभ होगा।-आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।-नौकरी और व्यापार के लिए समय शुभ रहेगा।धनु राशि-- नौकरी और व्यापार में तरक्की करेंगे।-धन- लाभ होगा, जिससे आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।-लेन- देन करने के लिए समय शुभ है।- निवेश करने से लाभ होगा।-दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
ज्योतिषशास्त्र में ग्रहों की चाल बदलने को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। ग्रहों के चाल बदलने का सभी राशियों पर प्रभाव पड़ता है। कुछ राशि वालों को शुभ तो कुछ राशि वालों को अशुभ फल की प्राप्ति होती है। 23 अगस्त से बुध देव सिंह राशि में वक्री होकर चल रहे हैं। 15 सितंबर तक बुध वक्री अवस्था में ही रहेंगे। बुध देव के वक्री होने से कुछ राशि वालों को लाभ हो रहा है। इन राशि वालों के लिए 15 सितंबर तक का समय वरदान के समान कहा जा सकता है। आइए जानते हैं, 15 सितंबर तक का समय किन राशि वालों के लिए शुभ रहेगा-
मेष राशि-
कार्यों के प्रति उत्साह रहेगा, परंतु बातचीत में संतुलित रहें।
धर्म-कर्म के प्रति रूझान बढ़ेगा।
माता का सहयोग मिलेगा।
माता से धन प्राप्ती के योग हो सकते हैं
किसी मित्र का आगमन हो सकता है।
बौद्धिक कार्यों से धर्नाजन होगा, नौकरी में स्थान परिवर्तन की संभावना बन रही है।
परिवार के संग किसी धार्मिक स्थान की यात्रा पर जाना हो सकता है।
मिथुन राशि-
कारोबार के विस्तार की योजना साकार होगी।
भाइयों का सहयोग मिलेगा लेकिन परिश्रम की अधिकता रहेगी।
घर-परिवार में मांगलिक कार्य होंगे।
वस्त्रादि उपहार भी मिल सकते हैं।
नौकरी में परिवर्तन के साथ दूसरे स्थान पर भी जाना पड़ सकता है।
आयात-निर्यात कारोबार में लाभ के अवसर प्राप्त होंगे।
माता का सानिंध्य मिलेगा, वाहन सुख में वृद्धि हो सकती है।
नौकरी में अफसरों का सहयोग मिलेगा।
सिंह राशि-
आत्मविश्वास से लबरेज रहेंगे, लेकिन आत्म संयत रहें।
घर-परिवार की सुख सुविधाओं का विस्तार होगा।
कार्यक्षेत्र में परिवर्तन संभव है, परिश्रम की अधिकता रहेगी।
माता का सानिंध्य व सहयोग मिलेगा।
लाभ में वृद्धि की संभावना है।
नौकरी में अफसरों का सहयोग मिलेगा।
धनु राशि-
आत्मविश्वास से परिपूर्ण रहेंगे, अध्ययन में रूचि रहेगी।
नौकरी में परिवर्तन की संभावना बन रही है, किसी दूसरे स्थान पर जाना पड़ सकता है।
भाइयों के सहयोग से परंतु परिश्रम की अधिकता रहेगी।
धार्मिक कार्यों में शामिल होने का अवसर प्राप्त होगा।
परिवार के सदस्यों के साथ समय व्यतीत करेंगे।
दांपत्य जीवन में सुख का अनुभव करेंगे।