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-पं. प्रकाश उपाध्याय
कई लोगों के हाथों पर तिल पाए जाते हैं। हथेली पर कुछ जगह पर तिल का पाया जाना बेहद शुभ माना जाता है। वहीं, हथेली पर मौजूद कुछ तिल अशुभ भी माने जाते हैं। हस्तरेखा विद्या की मदद से हथेली पर मौजूद रेखाओं, तिल और योगों से भविष्य का पता लगाया जा सकता है। इसलिए आइए जानते हैं हथेली पर पाए जाने वाले कौन से तिल शुभ होते हैं और कौन से अशुभ माने जाते हैं-
हथेली पर मौजूद शुभ तिल
1- हस्तरेखा विद्या के अनुसार, जिस व्यक्ति के शनि पर्वत के ऊपर तिल पाया जाता है वह खूब मान-सम्मान और सुख-संपत्ति बटोरता है। शनि पर्वत पर तिल व्यक्ति के सुखी जीवन को दर्शाता है।
2- भाग्यशाली लोगों के गुरू पर्वत के ऊपर तिल पाया जाता है। जिस व्यक्ति के गुरु पर्वत पर तिल होता है, उसे जीवन में धन की कमी नहीं होगी। ऐसे लोगों का जीवन सुख-सुविधाओं से भरा रहता है।
3- अनामिका अंगुली पर तिल का निशान व्यक्ति को सरकारी क्षेत्र में उपलब्धि और मान-सम्मान दिलाता है।
4- हस्तरेखा विद्या के अनुसार, जिन लोगों के अंगूठे पर तिल का निशान होता है, उन्हें वैवाहिक जीवन में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। माना जाता है कि ऐसे लोग रूल्स को फॉलो करते हैं और न्याय का साथ देने वाले होते हैं।
5- हस्तरेखा विद्या के अनुसार, जिन व्यक्तियों की सबसे छोटी अंगुली के ऊपर तिल का निशान होता है। ऐसे लोग को पैतृक संपत्ति मिलने की संभावना रहती है।
हथेली पर मौजूद अशुभ तिल
1- सबसे चोटी अंगुली के नीचे मौजूद बुध पर्वत पर तिल का निशान शुभ नहीं माना जाता है। ऐसे व्यक्ति के मान-सम्मान में कमी आती है।
2- नामिका अंगुली के नीचे सूर्य पर्वत पाया जाता है। इस जगह पर तिल होने का अर्थ है कि सरकारी नौकरी मिलने में या सरकारी मामलों में मुश्किलें आ सकती है। -
ज्योतिषशास्त्र की तरह अंक ज्योतिष से भी जातक के भविष्य, स्वभाव और व्यक्तित्व का पता लगता है। जिस तरह हर नाम के अनुसार राशि होती है उसी तरह हर नंबर के अनुसार अंक ज्योतिष में नंबर होते हैं। अंकशास्त्र के अनुसार अपने नंबर निकालने के लिए आप अपनी जन्म तिथि, महीने और वर्ष को इकाई अंक तक जोड़ें और तब जो संख्या आएगी, वही आपका भाग्यांक होगा। उदाहरण के तौर पर महीने के 8, 17 और 26 तारीख को जन्मे लोगों का मूलांक 8 होगा।
आइए जानते हैं कैसा रहेगा यह सप्ताह-
मूलांक 1 : मार्च माह का यह आखिरी सप्ताह मूलांक 1 वालों के लिए मंगलकारी साबित होगा। नौकरी-कारोबार में तरक्की के नए अवसर मिलेंगे। ऑफिस में अपने परफॉर्मेंस पर फोकस करें। सफलता प्राप्त करने के लिए खूब मेहनत करें। इस वीक फैमिली के सपोर्ट से सभी कार्यों में बड़ी कामयाबी मिलेगी। रिश्तों में प्यार और विश्वास बढ़ेगा। रोमांटिक लाइफ अच्छी रहेगी। आर्थिक मामलों में यह सप्ताह बेहद शुभ रहने वाला है। आय में वृद्धि के योग बनेंगे।
मूलांक 2 : मूलांक 2 वालों के लिए यह सप्ताह तरक्की के कई अवसर लाएगा। नौकरी-व्यापार में परिस्थितियां धीरे-धीरे अनुकूल होंगी। हर क्षेत्र में मनचाही सफलता मिलेगी। धन आगमन के नए मार्ग बनेंगे। कई सोर्स से रुपए-पैसे आएंगे। कर्ज से मुक्ति मिलेगी। वैवाहिक जीवन की दिक्कतों को सुलझाने की कोशिश करें। सप्ताह के अंत तक, रिश्तों की कड़वाहट दूर होगी और साथी संग रिश्ता मजबूत होगा। जीवन में सुख-शांति बरकरार रहेगी।
मूलांक 3 : इस वीक मूलांक 3 के जातक आर्थिक मामलों में भाग्यशाली बने रहेंगे। पुराने निवेशों से धन लाभ होगा। आय के नए स्त्रोत बनेंगे। पारिवारिक जीवन में सुख-शांति बनी रहेगी। जीवनसाथी संग रिश्ता मजबूत होगा। प्रेम-संबंधों में मधुरता आएगी। आज ऑफिस में धैर्य बनाए रखें। अपने सपने को साकार करने के लिए निरंतर प्रयास करते रहें। क्रोध से बचें। जल्दबाजी में कोई फैसला न लें। दोस्तों से चल रहे विवादों को सुलझाने की कोशिश करें।
मूलांक 4 : मार्च माह का यह आखिरी सप्ताह मूलांक 4 वालों के लिए बेहद शुभ साबित होगी। लंबे समय से रुके हुए कार्यों में बड़ी सफलता मिलेगी। सभी जरूरी कार्य बिना किसी विघ्न-बाधा के संपन्न होंगे। आर्थिक स्थिति में धीरे-धीरे सुधार आएगा। रोमांटिक लाइफ अच्छी रहेगी। रिश्तों में मिठास बढ़ेगी । कुछ जातक इस वीक परिजनों से प्रेमी की मुलाकात करा सकते हैं। यह सप्ताह पारिवारिक जीवन में सुख-समृद्दि और खुशहाली लेकर आएगा।
मूलांक 5 : इस सप्ताह मूलांक 5 वालों के जीवन में खुशियों का माहौल होगा। घर में शादी-विवाह के कार्यक्रमों का आयोजन हो सकता है। धन लाभ के नए अवसर मिलेंगे। आय में वृद्धि के नए स्त्रोत बनेंगे। पुराने निवेशों से अच्छा रिटर्न मिलेगा। हालांकि, प्रोफेशनल लाइप में ऑफिस पॉलिटिक्स के चलते थोड़ी डिस्टर्बेंस रहेगी। कार्यों में मन नहीं लगेगा। इस दौरान पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ में संतुलन बनाए रखें। क्रोध के अतिरेक से बचें। धैर्य बनाए रखें। सप्ताह के अंत तक सबकुछ बढ़िया हो जाएगा।
मूलांक 6 : इस सप्ताह मूलांक 6 वालों के जीवन में कई उतार-चढ़ाव आएंगे। ऑफिस में कार्यों की चुनौतियां बढ़ेंगी। साथ ही नए प्रोजेक्ट पर काम करने का अवसर मिलेगा। आर्थिक मामलों में इस वीक भाग्यशाली बने रहेंगे। पुराने निवेशों से खूब धन लाभ होगा। पारिवारिक जीवन में शुभ समाचार की प्राप्ति होगी। यह सप्ताह फ्यूचर से जुड़े बड़े फैसले लेने के लिए लाभकारी साबित होगा।
मूलांक 7 : इस वीक मूलांक 7 वालों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी। अचानक से धन लाभ के योग बनेंगे। वैवाहिक जीवन में खुशियां आएंगी। लव लाइफ अच्छी रहेगी। इस सप्ताह फैमिली इश्यूज को सुलझाने की कोशिश करें। अगर आप चाहते हैं, तो नए प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी ले सकते हैं। सभी जरूरी कार्य बिना किसी टेंशन के आसानी से सफल होंगे। आने वाले दिनों में नए परिवर्तनों को स्वीकार करने के लिए तैयार रहें।
मूलांक 8 : यह सप्ताह मूलांक 8 वालों के लिए शुभ फलदायी साबित होगा। वैवाहिक जीवन की दिक्कतें दूर होंगी। विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता हासिल होगी। आने वाले दिनों में खर्चों पर बहुत कंट्रोल रखना होगा, वरना आपका बजट बिगड़ सकता है। सप्ताह के अंत तक शुभ समाचार की प्राप्ति होगी। पारिवारिक जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आएगी।
मूलांक 9 : मूलांक 9 वालों के जीवन में यह सप्ताह कई बड़े बदलाव लाएगा। आर्थिक स्थिति में धीरे-धीरे सुधार होगा। पुराने निवेशों से धन लाभ होगा। पारिवारिक जीवन में सुख-शांति और खुशहाली बरकरार रहेगी। सरकारी नौकरी की तैयारियों कर रहे विद्यार्थियों को ज्यादा मेहनत करनी होगी। कार्यस्थल पर अचानक से चुनौतियां बढ़ सकती हैं। इस वीक के अंत तक परिजनों के साथ धार्मिक कार्यों में शामिल होंगे। जिससे मन प्रसन्न रहेगा। - ब्रह्मांड में कई भौगोलिक घटनाएं होती रहती हैं, जिसमें सूर्य और चंद्र ग्रहण प्रमुख घटनाओं में से एक हैं। बीते वर्ष भी हमें चंद्र ग्रहण देखने को मिला था। वहीं, इस बार भी चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। इस कड़ी में साल का पहला चंद्र ग्रहण 25 मार्च को लगेगा। ग्रहण के दौरान हमें सूतक काल जैसी अवधि भी देखने को मिलती है।2024 में कब लगेगा चंद्र ग्रहण ?अब सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि साल 2024 का पहला चंद्रग्रहण किस दिन लगने वाला है, तो आपको बता दें कि यह होली के दिन यानि कि 25 मार्च को लगेगा, जिस दिन रंग खेला जाएगा। यह एक उपच्छाया ग्रहण होगा।क्या होता है उपच्छाया ग्रहणअब सवाल है कि आखिर उपच्छाया ग्रहण क्या होता है, तो आपको बता दें कि पूर्ण उपच्छाया चंद्र ग्रहण वह होता है, जिसमें चंद्रमा उपच्छाया के संपर्क में आए बिना, पृथ्वी के उपच्छाया शंकु में पूरी तरह डूब जाता है। इसे हम उपच्छाया चंद्रग्रहण कहते हैं, जो कि 25 मार्च को लगने वाला है।क्या भारत में दिखेगा चंद्र ग्रहण ?चंद्रग्रहण एक बड़ी खगोलीय घटना है। ऐसे में अब आपके मन में यह सवाल भी होगा कि क्या हम इस बार चंद्र ग्रहण को देख सकते हैं। 25 मार्च को होने वाला उपच्छाया चंद्र ग्रहण एक बहुत ही हल्का चंद्र ग्रहण होगा, जिसमें चंद्रमा पृथ्वी की छाया के सबसे बाहरी किनारे से होकर गुजरता है। यह यूरोप, उत्तर और पूर्वी एशिया, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, आर्कटिक और अंटार्कटिका के अधिकांश हिस्सों से दिखाई देगा। ऐसे में भारत में इस चंद्र ग्रहण को नहीं देखा जा सकेगा।चंद्र ग्रहण 2024 तिथि25 मार्च 2024पेनुम्ब्रा से पहला संपर्कसुबह 10:24 बजेचंद्र ग्रहण की अधिकतम सीमा12:43पेनुम्ब्रा के साथ अंतिम संपर्क03:01 अपराह्नउपच्छाया चरण की अवधि04 घंटे 36 मिनट 56 सेकंडउपछाया चंद्र ग्रहण का परिमाण0.952024 में लगने वाले कुल ग्रहणसाल 2024 में कुल 5 ग्रहण लगने वाले हैं। इन पांच ग्रहणों में से 2 सूर्य ग्रहण और 3 चंद्र ग्रहण शामिल हैं।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
हाथों की रेखाओं में भी कई राज छुपे होते हैं। हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, हथेली पर मौजूद रेखाओं से प्रेम जीवन, करियर, सेहत, और शादी के बारे में भी पता लगाया जा सकता है। हथेली की कुछ रेखाएं बेहद शुभ मानी जाती हैं, जो मजबूत आर्थिक स्थिति की ओर इशारा करती हैं। जिस व्यक्ति के हाथ में ऐसी रेखाएं होती हैं, उस पर माँ लक्ष्मी की कृपा भी बनी रहती है। ऐसे व्यक्ति को पैसे कमाने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है।
1- अंगूठे पर मछली, वीणा या सरोवर का निशान होना शुभ माना जाता है, ऐसे व्यक्ति को खूब यश प्राप्त होता है। ऐसे चिह्न वाले व्यक्ति बड़े बिजनेसमैन बनते हैं और इनके पास समृद्धि टिकती है। ऐसे निशान बहुत ही बारीकी से देखे जाने पर मिलते हैं।
2- अनामिका उंगली के नीचे पुण्य रेखा और मणिबंध से शनि रेखा मध्यमा उंगली तक जाने पर राजसुख की प्राप्ति होती है। जिस व्यक्ति के हाथ में ऐसी रेखा होती है उसके ऊपर शनिदेव की भी असीम कृपा बनी रहती है। शनि शुभ हो तो जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
3- जिस व्यक्ति की हथेली के एकदम बीच वाले हिस्से पर कोई बाण, तोरण, रथ, ध्वजा या चक्र का निशान दिखता है, वह जीवन में खूब तरक्की करते हैं। ऐसे लोगों को जीवन में राजसुख मिलता है। ऐसे लोगों को धन-दौलत की कमी नई रहती है। - हिंदू धर्म में फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का बड़ा महत्व है। पंचांग के अनुसार, इस साल 20 मार्च को रंगभरी एकादशी मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है। काशी में बड़े धूमधाम से रंगभरी एकादशी मनाई जाती है। इस दिन बाबा विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार किया जाता है। हर साल काशी में रंगभरी एकादशी के दिन से होली की शुरुआत होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भोलेनाथ संग विवाह होने के बाद पहली बार काशी आई थी। इसी खुशी में बाबा विश्वनाथ को रंगभरी एकादशी के दिन दूल्हे की तरह सजाया जाता है।रंगभरी एकादशी के दिन काशी में शिव-पार्वती और शिवगण की झांकी निकाली जाती है। इस दिन से ही काशी में होली के पर्व का आरंभ होता है और शिव भक्त बड़े हर्षोल्लास के साथ रंगभरी एकादशी मनाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव जब पहली बार मां पार्वती को काशी लेकर आए थे। भोलेनाथ के भक्तों ने अबीर, गुलाल और रंगे बिरंगे फूलों से माता पार्वती का स्वागत किया था। इसलिए हर साल काशी में रंगभरी एकादशी के दिन होली मनाने की परंपरा चली आ रही है।रंगभरी एकादशी का महत्व : काशी में रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ का दूल्हे के रूप में श्रृंगार किया जाता है और बड़े धूमधाम से शिवजी का मां पार्वती के साथ गौना कराया जाता है।इसके बाद ही माता पार्वती पहली बार अपने ससुराल के लिए प्रस्थान करती है और काशी में होली की शुरुआत होती है।रंगभरी एकादशी कैसे मनाई जाती है?रंगभरी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें। स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें। इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करें। इसके बाद मां गौरी और शिवजी की विधिवत पूजा करें। उन्हें गुलाल, अबीर, फूल, अक्षत, इत्र, बेलपत्र अर्पित करें। इसके बादा माता पार्वती को श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें। अंत में सभी देवी-देवताओं के साथ उनकी आरती उतारें।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
धीरे-धीरे मौसम में होली का खुमार दिखने लगा है। बाजार पर भी होली का खुमार धीरे-धीरे आने लगा है।लेकिन होली से आठ दिन पहले लगने वाले होलाष्टक इस बार 17 मार्च से लगेंगे। होलाष्टक में किसी तरह के मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। साथ ही 14 मार्च से सूर्य देव के मीन राशी में प्रवेश करने से खरमास भी शुरु हो गया है। ऐसे में एक माह तक विवाह,गृह प्रवेश आदि मांगलिक कार्यों पर रोक रहेगी। होलाष्टक 25 मार्च को समाप्त होंग। जबकि 13 अप्रैल को खरमास की समाप्ति होगी।
आचार्य अमित भारद्वाज ने बताया कि होली से आठ दिन पहले होलाष्टक लग जाते हैं। ऐसे में किसी तरह के मांगलिक कार्यों की मनाही होती है। इन दिनों में दान,पुण्य व पूजा का विशेष महत्व होता है। इसके साथ ही काशी पंचांग के अनुसार सूर्य देव कुंभ राशी ने निकलकर 14 मार्च की रात्री 12.24 बजे मीन राशी में प्रवेश कर चुके हैं। इसके साथ ही खरमास की भी शुरुआत हो गई है। सूर्य देव मीन राशी में 13 अप्रैल की रात्री 9.03 बजे तक रहेंगे। इसके बाद मेश राशि में प्रवेश करने पर खरसाम का समापन होगा। खरमास में शादी-विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि मांगलिक काम नहीं की मनाही होती है।
होलाष्टक में देवी देवताओं की पूजा का विशेष महत्व- पंचाग के अनुसार होलिका दहन से पहले आठ दिन पहले होलाष्टक की शुरुआत होगी। जिसका समापन 25 मार्च को होगा। फाल्गुन अष्टमी से होलिका दहन तक शुभ कार्यों की मनाही होती है। लेकिन मान्यताओं के अनुसार इन दिनों में देवी देवातओँ की अराधना से विशेष फल प्राप्त होता है।
ये काम करने श्रेयष्कर-
आचार्य अमित भारद्वाज ने बताया कि खरमास व होलाष्टक में दान, जप-तप, गुरु, गौ माता के सेवा, तीर्थ यात्रा, भगवान सूर्य की उपासना फलदायी मानी गई है। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
हिंदू धर्म में भगवान सूर्य को प्रत्यक्ष देवता के रूप में रोजाना पूजा जाता है. भगवान सूर्य की उपासना के लिए संक्रांति तिथि को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि जब सूर्य एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे संक्रांति के नाम से जाना जाता है. देश के विभिन्न हिस्सों में संक्रांति को पर्व के रूप में मनाया जाता है. आइए जानते हैं, मीन संक्रांति कब है और इसका शुभ मुहूर्त क्या महत्व है?
धार्मिक मान्यता है कि हर महीने जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं उस दिन संक्रांति मनाई जाती है. इस दिन तीर्थ स्थल पर नदी में स्नान, दान और सूर्य को अर्घ्य देना विशेष फलदायी माना गया है. पितरों की आत्मा की शांति के लिए संक्रांति पर तर्पण करने से परिवार और आने वाली पीढ़ियां खुशी से रहती हैं. प्रत्येक संक्रांति का अपना अलग महत्व है. मार्च में मीन संक्रांति मनाई जाएगी, इसी दिन से खरमास की शुरुआत होगी.
मीन संक्रांति तिथि
पंचांग के अनुसार, सूर्य देव 14 मार्च 2024, गुरुवार के दिन मीन राशि में प्रवेश करेंगे. इसी दिन पवित्र स्नान और दान-पुण्य का भी कार्य किया जाएगा. मीन संक्रांति के दिन पुण्य काल दोपहर 12:46 से शाम 6:29 तक रहेगा. वहीं महा पुण्य काल दोपहर 12:46 से दोपहर 2:46 के बीच रहेगा. मीन संक्रांति का क्षण दोपहर 12:46 पर होगा.
मीन संक्रांति योग
मीन संक्रांति के दिन फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है और इस दिन वैधृति योग का निर्माण होगा. साथ ही भरणी नक्षत्र में सूर्य देव राशि परिवर्तन करेंगे. इस दिन गुरुवार का दिन रहेगा और बव व बालव करण का भी निर्माण होगा. इस योग में पूजा करने से लोगों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती है.
मीन संक्रांति महत्व
धार्मिक मान्यता है कि मीन संक्रांति पर गंगा स्नान करने से व्यक्ति को ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है. मीन संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की विधिवत उपासना करने से जीवन में सभी प्रकार की सफलताएं मिलती हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है. साथ ही इस दिन सूर्य देव की उपासना करने से कुंडली में उत्पन्न हो रहे ग्रह दोष भी दूर होते हैं. मीन संक्रांति के दिन सूर्य देव की उपासना करने से धन-ऐश्वर्य और आरोग्यता का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है और इस दिन दान-पुण्य को विशेष महत्व दिया गया है. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में सूर्य पूजा कर के अर्घ्य देने से शारीरिक परेशानियां दूर होती हैं और सूर्य भगवान के आशीर्वाद से सभी दोष भी दूर हो जाते हैं.
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
हिंदू धर्म में फाल्गुन अमावस्या काफी महत्वपूर्ण मानी गई है जो हर साल फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष में आती है. महाशिवरात्रि पर्व के बाद आने वाली ये अमावस्या 10 मार्च को है. इस दौरान लोग पितरों की आत्मा की शांति के लिए दान, तर्पण और श्राद्ध करते हैं, जबकि कुछ लोग इस दिन व्रत भी रहते हैं.
फाल्गुन अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का भी खास महत्व है. इसके पीछे यह मान्यता है कि फाल्गुन अमावस्या के दिन देवताओं का वास संगम के तट पर होता है. धर्म शास्त्रियों का मानना है कि फाल्हुन अमावस्या पर पितरों का तर्पण किया जाए, तो साल भर की अमावस्या के तर्पण का लाभ मिल जाता है
फाल्गुन अमावस्या पर इस बार विशेष योग भी बन रहा है. ऐसे में आप फाल्गुन अमावस्या पर कुछ उपाय करके अपने जीवन में खुशियां ला सकते हैं और पितरों को प्रसन्न भी कर सकते हैं. आइए जानते हैं कौन से हैं वो उपाय जिनको करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और आपको सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.
फाल्गुन अमावस्या के उपाय
फाल्गुन अमावस्या पर भगवान शिव की आराधना करें. नियमपूर्वक शिव सहस्त्रनाम या शिव के पंचाक्षरी मंत्र का पाठ करने से शनि के प्रकोप का भय चला जाता है और सभी बाधाएं दूर होती हैं. साथ ही इससे पितर भी प्रसन्न होते हैं.
फाल्गुन अमावस्या के दिन दान-पुण्य करने का बहुत महत्व है. इस दिन गरीब लोगों को भोजन कराना और पैसों का दान करना उत्तम होता है. ऐसी मान्यता है कि इस उपाय को करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है. इस दिन आप अपनी श्रद्धा अनुसार कपड़े, चीनी, शक्कर, अनाज आदि चीजों का भी दान कर सकते हैं.
अगर आप फाल्गुन अमावस्या पर पितरों को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो पशु-पक्षियों को दाना डालें. मान्यता है कि ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति के जीवन की परेशानियां दूर होती हैं.
अगर आप पितृ दोष का सामना कर रहे हैं, तो फाल्गुन अमावस्या के दिन निम्न मंत्र का जाप करें. ऐसा माना जाता है कि इस उपाय को करने से पितृ दोष से छुटकारा मिलता है और पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं.
फाल्गुन अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान, जप-तप और दान करने का विधान है, इसलिए इस दिन पवित्र नदी में स्नान करें और और विशेष चीजों का दान करें. इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें. इस दिन पितरों की मोक्ष प्राप्ति की प्रार्थना करें.
फाल्गुन अमावस्या के दिन पीपल का पेड़ लगाएं और उस पेड़ की सेवा जरूर करें. ऐसा करने से पितर संतुष्ट होते हैं और पितरों के कष्ट कम होते हैं और उनकी नाराजगी दूर होती है.
इस अमावस्या के दिन संपूर्ण गीता पढ़ना संभव नहीं, तो सातवें अध्याय का पाठ जरूर करें. इस दिन पीपल के पेड़ पर मीठा जल अर्पित करें और सरसों के तेल का दीपक जलाएं. ऐसा करने से पितरों द्वारा मिलने वाला कष्ट दूर होता है.
फाल्गुन अमावस्या पर क्या न करें?
फाल्गुन अमावस्या पर रात में सुनसान जगह जाने से बचें. ऐसे स्थानों पर नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव अधिक बढ़ जाता है.
फाल्गुन अमावस्या के दिन किसी दूसरे के घर का खाना खाने से बचना चाहिए. इससे पुण्य फल समाप्त हो सकता है.
फाल्गुन अमावस्या के दिन गुस्सा करने से बचना चाहिए. इस दिन लड़ाई-झगड़ा करने से भी बचें.
फाल्गुन अमावस्या पर नए कपड़े, झाड़ू आदि खरीदने से बचें. इस दिन कोई भी शुभ काम करने से बचना चाहिए.
फाल्गुन अमावस्या के दिन नाखून नहीं काटने चाहिए. ऐसा करने से धन हानि हो सकता है.
फाल्गुन अमावस्या के दिन पैसों का लेन-देन करने से बचें. इससे आर्थिक परेशानियां बढ़ सकती हैं. -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
हिंदू धर्म में वास्तु का बड़ा महत्व है। मान्यता है कि वास्तु के नियमों का पालन करने से जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। इससे करियर, लव, फाइनेंस और हेल्थ से जुड़ी सभी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। साथ ही परिवार के सभी सदस्यों को जीवन के हर क्षेत्र में अपार सफलता मिलती है और कभी भी धन की तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है। वास्तु के अनुसार, घर के बाहर लगी नेम प्लेट का भी घर के सदस्यों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। गलत तरीके से नेम प्लेट लगाने पर जीवन में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं घर के बाहर नेम प्लेट लगाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
नेम प्लेट से जुड़े वास्तु टिप्स :
-नेम प्लेट को की साफ-सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए।
-वास्तु में आयताकार की नेमप्लेट शुभ मानी गई है।
-नेम प्लेट को मुख्यद्वार के दाएं तरफ लगाना चाहिए।
-नेम प्लेट पर लिखे हुए शब्द स्पष्ट से रुप से नजर आना चाहिए।
-नेम प्लेट टूटा-फूटा,ढीला या उस पर छेद नहीं होना चाहिए।
-नेम प्लेट पर भगवान गणेश या स्वास्तिक का चिन्ह बनवा सकते हैं।
-नेम प्लेट अगर टूट जाए या फिर पॉलिश उतर जाएं, तो इसे तुरंत बदल देना चाहिए।
-नेम प्लेट के पीछे मकड़ी छिपकली या चिड़िया का वास नहीं होना चाहिए।
-नेम प्लेट पर व्हाइट, येलो और केसरिया से मिलते-जुलते रंगों का प्रयोग करना चाहिए।
-वास्तु के अनुसार, प्लास्टिक से बनी नेम प्लेट का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
-तांबा, स्टील या पीतल की धातु से बनी नेम प्लेट लगा सकते हैं।
-इसके अलावा लकड़ी या पत्थन से बने नेम प्लेट का भी प्रयोग कर सकते हैं। -
तिल और ज्योतिष का संबंध :- समुद्र शास्त्र वैदिक ज्योतिष की एक शाखा है जिसमें तिल के महत्व, शक्तियों और उनके प्रभावों के बारे में बताया गया है। इनका असर मनुष्य के व्यक्तित्व, स्वभाव और उनके भाग्योदय पर पड़ता है। हमारे शरीर में ये विभिन्न आकार और रंग रूप के होते हैं। समुद्र विज्ञान में शरीर के अलग-अलग हिस्सों में तिल के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव को बताया गया है। कहा जाता है कि शरीर पर तिल ग्रह की स्थिति और उनके प्रभावों को दर्शाता है।
तिल का प्रभाव आकार के अनुसार :-
1. छोटा- कम प्रभावशाली2. बड़ा- अति शुभ3. लंबा- शुभ4. रूप के अनुसार5. त्रिकोणीय- मिश्रित परिणाम6. टेढ़ा मेढ़ा- शुभ परिणामकारी7. गोल- शुभ8. वर्गाकार- अंत तक अप्रत्याशित फल परंतु मुश्किलों को दूर करने वालारंग के अनुसार :-यदि तिल लाल, हल्का भूरा, चंदन अथवा हरा पन्ना जैसे रंग का हो तो वह भाग्यशाली होता है।काले रंग के तिल को अच्छा नहीं माना जाता है। इसका मतलब होता है कि जीवन में बाधाएं आएँगी।शरीर के विभिन्न भागों पर तिल का फल :-माथे पर तिल (Mole on forehead)1. माथे के बीच वाले भाग में तिल निर्मल प्यार की निशानी है। माथे के दाहिने तरफ का तिल किसी विषय में निपुणता, पर बायीं तरफ का तिल फिजूलखर्ची का भी प्रतीक होता है। माथे के तिल के संबंध में एक मत यह भी है कि दायीं ओर का तिल धन वृद्धिकारक और बायीं तरफ का तिल घोर निराशापूर्ण जीवन का सूचक होता है।2. यदि किसी व्यक्ति के माथे के बीच में तिल हो तो वह व्यक्ति शांत, बुद्धिमान, परिश्रमी और दिल का साफ होता है।3. यदि किसी के माथे में दाहिनी ओर तिल हो तो वह व्यक्ति धनवान होता है।4. यदि माथे में बायीं ओर तिल हो तो वह व्यक्ति स्वार्थी होता है।भौंह पर तिल, (Mole on brow)-भौंह के बीच में तिल होने का मतलब होता है कि उस व्यक्ति के अंदर एक लीडर की विशेषता होगी। उसके जीवन में आर्थिक संपन्नता आएगी।-यदि भौंह पर बायीं ओर तिल हो तो व्यक्ति डरपोक होगा और बिज़नेस और नौकरी में उसे कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।-वहीं भौंह पर दाहिनी ओर तिल है तो व्यक्ति को वैवाहिक जीवन में ख़ुशियाँ एवं संतान सुख प्राप्त होगा।-जिसकी दोनों भौहों पर तिल हो वह अकसर यात्रा करता रहता है। दाहिनी भौंह पर तिल सुखमय और बायीं भौंह पर तिल दुखमय दांपत्य जीवन का संकेत देता है।आँखों पर तिल (Mole on eyes)-यदि किसी की दाहिनी आँख पर तिल का निशान हो तो वह व्यक्ति ईमानदार, मेहनती और विश्वास करने योग्य होता है।-बायीं आँख पर तिल का होना व्यक्ति के अंहकार और आशावादी सोच को दर्शाता है।-आंख की पुतली पर तिल दायीं पुतली पर तिल हो तो व्यक्ति के विचार उच्च होते हैं। बायीं पुतली पर तिल वालों के विचार बुरे होते हैं। पुतली पर तिल वाले लोग आम तौर पर भावुक होते हैं।-पलकों पर तिल आंख की पलकों पर तिल हो तो व्यक्ति संवेदनशील होता है। दायीं पलक पर तिल वाले बायीं वालों की अपेक्षा ज़्यादा संवेदनशील होते हैं।-नाक पर तिल (Mole on nose)1. ऐसा माना जाता है कि जिस व्यक्ति की नाक पर (ठीक बीच पर) तिल होता है तो वह क्रोधी और बिना सोचे-समझे निर्णय लेने वाला होता है।-2. यदि किसी की नाक की दाहिनी तरफ तिल हो तो वह व्यक्ति कम मेहनत के बल पर अधिक धन पाने में कामयाब होता है।-3. यदि नाक की बायीं ओर तिल हो तो व्यक्ति को सफलता पाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है।-4. यदि नाक के नीचे तिल हो तो व्यक्ति कामुक और विपरीत लिंग को आकर्षित करने वाला होगा।-5. व्यक्ति प्रतिभा संपन्न और सुखी होता है। महिलाओं की नाक पर तिल उनके सौभाग्यशाली होने का सूचक है।-गाल पर तिल (Mole on the cheek)1. गाल पर तिल गाल पर लाल तिल शुभ फल देता है। बाएं गाल पर काला तिल व्यक्ति को निर्धन, किंतु दाएं गाल पर काला तिल धनी बनाता है।2. जिसके बायें गाल पर तिल हो तो वह व्यक्ति अल्पभाषी, अधिक गुस्से वाला और धन ख़र्च करने वाला होता है।3. यदि किसी के दायें गाल पर तिल हो तो व्यक्ति का स्वभाव आक्रामक होता है। इसके अलावा वह तर्कवादी और धन कमाने में अग्रणी होता है।कान पर तिल (Mole on ear)1. यदि किसी के कान पर तिल हो तो उसका जीवन भौतिक सुखों से युक्त होता है।2. यदि कान के ठीक ऊपर तिल हो तो व्यक्ति बुद्धिमान होता है।3. कान पर तिल व्यक्ति की लम्बी आयू होने का भी संकेत देता है।होंठ पर तिल (Mole on lips)1. यदि किसी व्यक्ति के होंठ पर तिल होता है तो उन्हें अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए, क्योंकि उन्हें मोटापा और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं।2. यदि आपके नीचे वाले होंठ पर तिल है तो आप फूडी नेचर के होंगे। इसके अलावा नाटक में आपकी विशेष रुचि होगी।3. होंठ पर तिल वाले व्यक्ति बहुत प्रेमी हृदय के होते हैं। यदि तिल होंठ के नीचे हो तो गरीबी छाई रहती है।4. मुंह पर तिल मुखमंडल के आसपास का तिल स्त्री तथा पुरुष दोनों के सुखी संपन्न एवं सज्जन होने के सूचक होते हैं। मुंह पर तिल व्यक्ति को भाग्य का धनी बनाता है। उसका जीवन साथी बहुत अच्छा होता है।जीभ पर तिल (Mole on tongue)1. यदि किसी शख्स की जीभ पर तिल है तो उसे स्वास्थ्य, शिक्षा एवं स्पीच संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।2. यदि किसी व्यक्ति की जीभ की नोक पर तिल हो तो वह व्यक्ति बहुत कूटनीतिज्ञ होता है। वह परिस्थितियों को काबू करने में सक्षम होता है। वह व्यक्ति अधिक फूडी भी होता है।ठोड़ी पर तिल (Mole on the chin)1. ठोड़ी पर तिल जिस स्त्री की ठोड़ी पर तिल होता है, उसमें मिलनसारिता की कमी होती है और वह थोड़ी अक्खड़ होती हैं।2. यदि किसी की ठोड़ी के बीच पर तिल होता है तो उस व्यक्ति को यात्रा करना अच्छा लगता है। उसे नई-नई जगहों पर जाना पसंद होता है।3. यदि किसी की ठोड़ी के दाहिने हिस्से में तिल हो तो वह व्यक्ति तर्कवादी और कूटनीतिक विचारों वाला होता है।4. वहीं जिस व्यक्ति की ठोड़ी पर बायीं ओर तिल हो तो वह व्यक्ति ईमानदार और स्पष्टवादी होता है।गर्दन पर तिल (Mole on neck)1. गले पर तिल वाला वयक्ति आरामतलब होता है। गले पर सामने की ओर तिल हो तो जातक के घर मित्रों का जमावड़ा लगा रहता है। मित्र सच्चे होते हैं। गले के पृष्ठ भाग पर तिल होने पर जातक कर्मठ होता है।2. यदि किसी व्यक्ति की गर्दन पर ठीक सामने तिल हो तो वह भाग्यशाली और कला से निपुण होता है।3. वहीं गर्दन के पीछे वाले भाग पर तिल का होना व्यक्ति के क्रोधी को स्वभाव को दर्शाता है।कंधे पर तिल1. कंधों पर तिल दाएं कंधे पर तिल का होना दृढ़ता तथा बाएं कंधे पर तिल का होना तुनकमिजाजी का सूचक होता है।2. यदि किसी व्यक्ति के बायें कंधे पर तिल का निशान हो तो वह व्यक्ति ज़िद्दी स्वभाव का होता है।3. यदि किसी व्यक्ति के दायें कंधे पर तिल का निशान हो तो वह साहसी और बुद्धिमान होता है।भुजा पर तिल (Mole on arm)-यदि किसी व्यक्ति की दाहिनी भुजा में तिल हो तो वह बुद्धिमान और चालाक होता है।-बायीं भुजा में तिल का होना व्यक्ति की भौतिक सुखों की कामना को दर्शाता है लेकिन वास्तव में वह सामान्य जीवन जीता है।बांह पर तिल1. बांह पर तिल दाहिनी बांह पर तिल वाला व्यक्ति प्रतिष्ठित व बुद्धिमान होता है। लोग उसका आदर करते हैं। बायीं बांह पर तिल हो तो व्यक्ति झगड़ालू होता है। उसका हमेशा निरादर होता है। उसकी बुद्धि मैं बुरे विचार भरे होते है।हाथों पर तिल (Mole on hands)1. हाथों पर तिल जिसके हाथों पर तिल होते हैं वह चालाक होता है। दायीं हथेली पर तिल हो तो बलवान और दायीं हथेली के पीछे भाग में हो तो धनवान होता है। बायीं हथेली पर तिल हो तो वह खर्चीला तथा बायीं हथेली के पीछे भाग पर तिल हो तो कंजूस होता है।कोहनी पर तिल (Mole on elbow)-यदि किसी व्यक्ति की कोहनी पर तिल हो तो उसका मतलब होता है कि वह व्यक्ति बेचैन, कला में निपुण, धनी और ट्रैवल लवर होगा।कलाई पर तिल (Mole on wrist)-यदि किसी व्यक्ति की कलाई पर तिल होता है तो वह व्यक्ति कलात्मक होता है। उसके मन में नए-नए विचार आते हैं। ऐसे लोग अच्छे पेंटर और लेखक होते हैं।हथेली पर तिल (Mole on the palm)-यदि किसी की हथेली पर तिल का निशान हो तो उस व्यक्ति को कठिनाई का सामना करना पड़ता है।-सामुद्रिक शास्त्र में मनुष्य की हथेली पर मौजूद तिलों के बारे में विस्तार से बताया गया है। कहते हैं कि हथेली पर कुछ तिल शुभ होते हैं और कुछ अशुभ होते हैं। हथेली में कुछ खास जगह पर तिल होने से बहुत से लोग धनवान बनते हैं।-मान्यता है कि दाहिनी हथेली के ऊपरी हिस्से पर तिल को बहुत शुभ माना जाता है। कहते हैं कि ऐसा तिल व्यक्ति को धनवान बनाता है। वहीं बाएं हाथ के ऊपरी हिस्से की हथेली पर तिल होने से व्यक्ति जो भी पैसा कमाता वह तुरंत खर्च हो जाता है।उंगली पर तिल (Mole on finger)-ऐसा कहा जाता है कि जिसकी उंगलियों पर तिल का निशान होता है। वह व्यक्ति विश्वासपात्र नहीं होता है। उसे चीज़ों को बढ़ा चढाकर कहने की आदत होती है।-कनिष्ठा पर तिल कनिष्ठा (छोटी उंगली) पर तिल हो तो वह व्यक्ति संपत्तिवान होता है, किंतु उसका जीवन दुखमय होता है।-अनामिका पर तिल जिसकी अनामिका (तीसरी उंगली) पर तिल हो तो वह ज्ञानी, यशस्वी, धनी और पराक्रमी होता है।--मध्यमा पर तिल मध्यमा (बीच की उंगली) पर तिल उत्तम फलदायी होता है। व्यक्ति सुखी होता है। उसका जीवन शांतिपूर्ण होता है।-तर्जनी पर तिल जिसकी तर्जनी (पहली उँगली) पर तिल हो, वह विद्यावान, गुणवान और धनवान किंतु शत्रुओं से पीड़ित होता है।-अंगूठे पर तिल अंगूठे पर तिल हो तो व्यक्ति कार्यकुशल, व्यवहार कुशल तथा न्यायप्रिय होता है।पसलियों पर तिल (Mole on ribs)-दाहिनी पसली पर तिल का निशान यह बताता है कि व्यक्ति झूठ बोलने में माहिर और कई चीज़ों से भयभीत होता है।-वहीं बायीं पसली पर तिल व्यक्ति के सामान्य जीवन को दर्शाता है।-पीठ पर तिल (mole on back)1. पीठ पर रीढ़ की हड्डी के आसपास का तिल का होना सक्सेस, फेम और लीडरशिप को बताता है।2. यदि किसी व्यक्ति के शोल्डर ब्लेड्स के नीचे तिल हो तो उस व्यक्ति को जीवन में संघर्ष करना पड़ेगा।3. यदि किसी व्यक्ति के शोल्डर ब्लेड्स के ऊपर तिल का निशान हो तो वह व्यक्ति साहस के साथ चुनौतियों का सामना करता है।सीने पर तिल (Mole on chest)1. छाती पर तिल छाती पर दाहिनी ओर तिल का होना शुभ होता है। ऐसी स्त्री पूर्ण प्यारी होती है। पुरुष भाग्यशाली होते हैं। छाती पर बायीं ओर तिल रहने से पत्नी पक्ष की ओर से असहयोग की संभावना बनी रहती है। छाती के मध्य का तिल सुखी जीवन दर्शाता है। यदि किसी स्त्री के हृदय पर तिल हो तो वह सौभाग्यवती होती है।2. जिस व्यक्ति के सीने पर तिल का निशान होता है उसकी कामुक प्रवृत्ति तीक्ष्ण होती है।3. जिन महिलाओं के दाहिने सीने में तिल का निशान होता है तो उनके अंदर ड्रग्स और शराब के अलावा अन्य प्रकार का नशा करने की प्रवृत्ति पायी जाती है। वहीं यदि पुरुष के सीने में दाहिनी ओर तिल हो तो उसे आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।4. जिन पुरुषों के सीने में बायीं ओर तिल का निशान होता है तो वे चतुर स्वभाव के होते हैं लेकिन दोस्तों और रिश्तेदारों से उनके संबंध अच्छे नहीं रहते हैं। वहीं महिलाओं के बायें सीने में तिल हो तो वे शांत स्वभाव की होती हैं और परिवार, रिश्तेदारों और सहकर्मियों से उनके अच्छे संबंध होते हैं।नाभि पर तिल (mole on navel)-जिन महिलाओं की नाभि में अथवा इसके आसपास तिल का निशान होता है तो ऐसी महिलाओं का वैवाहिक जीवन सुखी होता है।-किसी पुरुष के नाभि पर बायीं ओर तिल का निशान उसके समृद्ध जीवन को दर्शाता है। उसकी संतान को भी प्रसिद्धि मिलती है।पेट पर तिल (Mole on the stomach)1. पेट पर तिल का निशान किसी व्यक्ति को हमेशा जोशीला बनाए रखता है।2. अगर किसी पुरुष के उदर पर दाहिनी ओर तिल हो वह उसके मजबूत आर्थिक पृष्ठभूमि को दिखाता है। वहीं महिलाओं के लिए यह कमज़ोरी को दर्शाता है।3. यदि पेट पर दाहिनी ओर तिल हो तो आमदनी की सुगमता को दर्शाता है।4. व्यक्ति चटोरा होता है। ऐसा व्यक्ति भोजन का शौकीन व मिष्ठान्न प्रेमी होता है। उसे दूसरों को खिलाने की इच्छा कम रहती है।नितंब पर तिल (mole on buttock)-जिन लोगों के दोनों नितंब पर तिल हो तो ऐसे व्यक्ति ख़ुशमिजाज़, प्रिय और विश्वास योग्य होते हैं।-जिनके दायीं नितंब पर तिल हो तो ऐसे व्यक्ति क्रिएटिव और बुद्धिमान होते हैं।-जिन लोगों के बायें नितंब पर तिल होता है तो ऐसे लोग सामान्य आमदनी के बावजूद अपने जीवन से संतुष्ट दिखाई देते हैं।कमर पर तिल (mole on waist)यदि किसी व्यक्ति की कमर पर तिल होता है तो उस व्यक्ति की जिंदगी सदा परेशानियों से घिरी रहती है।जांघ पर तिल (mole on thigh)-जिन लोगों की दायीं जंघा पर दिल का निशान हो तो ऐसे लोग मध्यम स्वभावी और निडर होते हैं।-बायीं जांघ पर तिल का निशान किसी व्यक्ति की कलात्मक क्षमता को दर्शाता है लेकिन ऐसे व्यक्ति आलसी और अधिक सामाजिक नहीं होते हैं।घुटने पर तिल (mole on knee)-दाहिने घुटने पर तिल होने से गृहस्थ जीवन सुखमय और बायें पर होने से दांपत्य जीवन दुखमय होता है। यदि किसी व्यक्ति के बायें घुटने पर तिल का निशान हो तो ऐसे व्यक्ति साहसी और रिस्क लेने वाले होते हैं। ऐसे लोग एक राजा की तरह अपना जीवन व्यतीत करते हैं।-जिन लोगों के दायें घुटने पर तिल होता है ऐसे लोगों का प्रेमजीवन कामयाब होता है। ऐसे लोग सभी से मित्र जैसा व्यवहार करते हैं।पिण्डली पर तिल (Sesame on the shin)-दायीं पिंडली पर तिल का होना अच्छा माना जाता है। ऐसे लोग कामयाब और समृद्धिशाली होते हैं। ऐसे व्यक्ति राजनीति में अधिक सक्रिय होते हैं और महिलाओं के द्वारा इन्हें अधिक सहयोग प्राप्त होता है।-बायीं पिण्डली पर तिल वाले व्यक्ति मेहनती होते हैं। उन्हें काम के सिलसिले में यात्रा करनी पड़ती है और उनके मित्रों की संख्या अधिक होती है।टाँग पर तिल (mole on leg)जिन लोगों के टांग पर तिल होता है ऐसे व्यक्ति बिना सोचे समझें कार्य करते हैं। वे परिणाम की चिंता नहीं करते हैं। इसलिए ऐसे लोग अक्सर कंट्रोवर्सी में घिरे रहते हैं।टखने पर तिल (mole on ankle)यदि किसी के दायें टखने पर तिल होता है तो ऐसे व्यक्ति संभावित अनुमान लगाने वाले और अधिक बातूनी होते हैं। जबकि बायें टखने पर तिल के निशान वाले लोग अधिक धार्मिक प्रवृत्ति के होते हैं।पैर पर तिल (mole on leg)-पैरों पर तिल हो तो जीवन में भटकाव रहता है। ऐसा व्यक्ति यात्राओं के शौकीन होते है।-यदि किसी व्यक्ति के दायें पाँव पर तिल का निशान हो तो ऐसे लोगों को अच्छा जीवनसाथी प्राप्त होता है और उनका पारिवारिक जीवन संतोषजनक रहता है।-अगर बायें पैर पर तिल हो तो व्यक्ति को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है और जीवनसाथी से भी उसके मतभेद रहते हैं।-यदि तलवे पर तिल हो तो स्वास्थ्य संबंधी परेशानी, दुश्मनों से चुनौती आदि का सामना करना पड़ता है।-पैर की उंगलियों पर तिल (mole on toe)यदि किसी के पैर की उंगलियों पर तिल हो तो ऐसे व्यक्तियों का वैवाहिक जीवन सुखी नहीं होता है। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
वास्तु के अनुसार, फिश एक्वेरियम घर की सुंदरता बढ़ाने के साथ जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली भी लाता है, लेकिन फिश एक्वेरियम रखते समय वास्तु से जुड़ी कुछ खास बातों का जरूर ध्यान रखना चाहिए। घर में फिश एक्वेरियम रखने के लिए सही दिशा, मछलियों की संख्या समेत वास्तु के नियमों का जरूर पालन करना चाहिए। मान्यता है इससे घर-परिवार में खुशियों का माहौल रहता है। परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम-सद्भाव बढ़ता है और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता की राह आसान होती है। साथ ही धन आगमन के नए मार्ग प्रशस्त होते हैं।
आइए जानते हैं घर में फिश एक्वेरियम रखने के वास्तु टिप्स...
घर में कैसे रखें फिश एक्वेरियम?
-वास्तु के अनुसार, घर या ऑफिस में उत्तर,पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा(ईशान कोण में फिश एक्वेरियम रखा जा सकता है।
-मान्यता है कि घर के उत्तर दिशा में फिश एक्वेरियम रखने से करियर में तरक्की के भरपूर अवसर मिलते हैं।
वहीं, घर के पूर्व दिशा में फिश एक्वेरियम रखने से जीवन में खुशहाली आती है।
-वास्तु के मुताबिक, बेडरूम में फिश एक्वेरियम नहीं रखना चाहिए।
-वास्तु में 8-9 मछलियां एक्वेरियम में रखना शुभ माना गया है।
-किचन में फिश एक्वेरियम नहीं रखना चाहिए। मान्यता है कि इससे घर की नेगेटिविटी बढ़ती है।
-फिश एक्वेरियम का पानी समय-समय पर बदलते रहना चाहिए।
-वास्तु के अनुसार, फिश एक्वेरियम में गोल्डन फिश, फ्लावर हॉर्न और एंजिल फिश रखना शुभ होता है।
-इसके अलावा फिश एक्वेरियम की रोजाना सफाई करते रहें।
-घर के दक्षिण दिशा में फिश एक्वेरियम रखना शुभ नहीं माना जाता है।
-वास्तु के मुताबिक, 8 गोल्डन फिश के साथ एक काली मछली रखना शुभता का प्रतीक होता है। - -पं. प्रकाश उपाध्याय
वास्तुशास्त्र के अनुसार चीजों को सही दिशा में होना बहुत जरूरी होता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार अगर चीजों सही जगह नहीं हो तो वास्तुदोष लग सकता है। घर में भी कई बातों का खास ध्यान रखना चाहिए। वास्तुशास्त्र के अनुसार आर्थिक संकट की वजह से घर में चीजों का सही न होना भी हो सकता है। व्यक्ति दिन-रात मेहनत करने के बाद भी आर्थिक संकटों से परेशान रहता है। अगर आप भी इस तरह की परेशानी का सामना कर रहे हैं तो अपनी समस्या को हल करने के लिए वास्तु शास्त्र को अपनाएं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में वास्तु दोष होने के कारण कई बार बेवजह धन खर्च या आर्थिक समस्याएं आती हैं। वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि घर में क्या-क्या और कौन-कौन से बदलाव कर खुशहाली और सुख-समृद्धि को पा सकते हैं।
आर्थिक पक्ष को मजबूत करने के लिए आज ही घर में अपनाएं ये चीजें-
शाम के समय घर में रोशनी करें- वास्तु शास्त्र के अनुसार, शाम के समय यानी गोधूलि बेला में घर के कोने-कोने में प्रकाश होना चाहिए। पौराणिक कथाओं के अनुसार, शाम के वक्त देवी-देवता पृथ्वी लोक का विचरण करते हैं। ऐसे में शाम के वक्त लाइट बंद रखने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद नहीं प्राप्त होता है।
रसोई हमेशा साफ और स्वच्छ रखें-
रसोई को घर का महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया है। ऐसे में इस स्थान का ज्यादा ध्यान रखना चाहिए। कहते हैं कि रसोईघर की दीवारें लाल, पीले या फिर नारंगी रंग की होनी चाहिए। इसके साथ ही रसोई हमेशा साफ और स्वच्छ रहनी चाहिए। साफ-सफाई करने से मां लक्ष्मी का साथ सदैव बना रहता है।
पानी का टंकी में डालें ये चीजें-
वास्तुशास्त्र के अनुसार पानी की टंकी में शंख, चांदी का सिक्का या चांदी का कछुआ डालना शुभ होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, ऐसा करने से सभी तरह के दोषों से मुक्ति मिलती है और घर में सुख-शांति के अलावा समृद्धि भी आती है।
नीले रंग का पिरामिड-
घर की उत्तर दिशा को समृद्धि का कारक माना जाता है। कहते हैं कि इस दिशा में नीले रंग का पिरामिड लगाने से तरक्की के साथ-साथ मां लक्ष्मी का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। - भगवान गणेश हिंदू धर्म में प्रथम पूजनीय देवता हैं। किसी भी शुभ कार्य और पूजा को शुरू करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। जैसा कि सभी जानते हैं कि भगवान श्री गणेश सुख-समृद्धि के देवता हैं और उनकी कृपा से जीवन के सभी कार्य बिना किसी बाधा के पूरे हो जाते हैं, इसलिए लोग घर के मंदिर में भगवान गणेश की मूर्ति रखते हैं। यूं तो गणेश जी की सूंड को लेकर अलग-अलग धर्मों में अलग-अलग धारणाएं हैं। हमने अपने घरों में गणेश जी की मूर्ति हमेशा बायीं और मुड़ी हुई देखी है। ऐसा कहा जाता है कि दक्षिण दिशा की ओर सूंड वाली गणेश जी की मूर्ति घर में नहीं रखी जाती है। यदि गणेश जी की मूर्ति की सूंड दक्षिण दिशा की ओर मुड़ी हुई हो तो यह शुभ नहीं होता है। वह मूर्ति अपने आप टूट जाती है।आमतौर पर गणेश जी की मूर्ति में दक्षिण की ओर सूंड केवल मंदिरों में ही देखी जाती है। कहा जाता है कि गणेश जी की दक्षिणमुखी मूर्ति की पूजा विधि-विधान से करनी चाहिए। अगर उस पूजा में कोई गलती हो जाए तो गणेश जी नाराज भी हो सकते हैं। लेकिन अगर हम भगवान गणेश की दक्षिण दिशा की ओर सूंड वाली मूर्ति की पूजा करते हैं तो भगवान गणेश की कृपा हम पर लगातार बनी रहती है। दक्षिण मुखी सूंड वाली मूर्ति की अगर सही विधि से पूजा की जाए तो यह मनोवांछित फल देती है। आइए जानते हैं कि गणेश जी की सूंड किस तरफ होनी चाहिए।????सूँड़ की दिशा के आधार पर गणेश मूर्तियाँ तीन प्रकार की होती हैं। सूँड़ की दिशा जानने के लिए यह देखना चाहिए कि शुरुआत में सूँड़ ने कौन सी दिशा ली हैवाममुखी/इदमपुरी विनायक:इन्हें वास्तु गणेश कहा जाता है क्योंकि ऐसा कहते हैं कि ये घर में वास्तु संबंधी समस्याओं को दूर करते हैं।यह बायीं सूँड़ वाली मूर्ति अपने उपासकों के लिए सफलता के साथ शांति और खुशी की भावना लाती है।बाईं ओर चंद्रमा के गुण हैं जो पारिवारिक संबंध बनाते हैं। यह हमारी इड़ा नाड़ी का प्रतिनिधित्व करता है।दक्षिणाभिमुखी मूर्ति या दक्षिण मूर्तिदाहिनी ओर सूँड़ वाली मूर्ति के चारों ओर बड़ी मात्रा में ऊर्जा होती है। इस मूर्ति के लिए कठोर पूजा अनुष्ठानों की आवश्यकता होती है क्योंकि यह सूर्य या पिंगला नाड़ी की शक्ति से जुड़ी है।विघ्न विनाश, शत्रु पराजय, विजय प्राप्ति, उग्रता और शक्ति प्रदर्शन जैसे कार्यों के लिए ऐसी मूर्ति की पूजा फलदायी मानी जाती है।सुषुम्ना गणेश- सूँड़ मध्य मेंयह दुर्लभ है और इसका अर्थ है कि शरीर की सभी इंद्रियों के बीच पूर्ण एकता है व कुंडलिनी शक्ति स्थायी रूप से सहस्रार (मुकुट चक्र) तक पहुंच गई है।इसकी पूजा रिद्धि-सिद्धि, कुंडलिनी जागरण, मोक्ष, समाधि आदि के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। संत समाज ऐसी मूर्ति की ही पूजा करता है।
- विद्वानों का मानना है कि पूजा के स्थान पर देवी देवताओं के यंत्र रख कर उनकी पूजा उपासना करने से अधिक उत्तम फल मिलता है, क्योंकि देवी-देवता यंत्र में स्वयं वास करते हैं। अतः मंत्रों की तरह ही यंत्र भी शीघ्र सिद्धि देने वाले होते हैं। यों भी कहा जा सकता है कि यंत्र, मंत्रों का चित्रात्मक प्रदर्शन हैं, देवता का शरीर है और मंत्र देवता की आत्मा।भुवनेश्वरी क्रम चंडिका में लिखा है कि भगवान शिव देवी पार्वती को कह रहे हैं हे प्रिये पार्वती जैसे प्राणी के लिए शरीर आवश्यक है और दीपक के लिए तेल आवश्यक है ठीक उसी प्रकार देवताओं के लिए यंत्र आवश्यक हैं। यही बात कुलार्णावतन्त्र नामक ग्रंथ में भी वर्णित है।यन्त्रमित्याहुरेतस्मिन् देवः प्रीणातिः ।शरीरमिव जीवस्य दीपस्य स्नेहवत् प्रिये।।कुछ प्रसिद्ध प्रमुख यंत्रों का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है श्रीयंत्र- इस यंत्र से श्री वृद्धि अर्थात लक्ष्मी जी की अपार कृपा होती है और धन की कमी नहीं रहती।इसके दर्शन मात्र से अनेक यज्ञों का फल प्राप्त होता है। इसकी पूजा अर्चना करने से अल्प समय में ही मनचाही कामना पूरी होती है। घर में धन-धान्य भरपूर रहता है।श्रीमहामृत्युंजय यंत्रमारक दशाओं के लगने के पूर्व इसकी आराधना से प्राणघातक दुर्घटना, संकट, बीमारी, महामारी, मारकेश, अकाल मौत, अरिष्ट ग्रहों का दोष, शत्रु भय, मुकदमेबाजी आदि का निवारण होता है।बगलामुखी यंत्रशत्रुओं के विनाश या दमन के लिए, वाद-विवाद या मुकदमे में विजय पाने हेतु व बाधाओं को दूर करने के लिए यह यंत्र महान सहायक सिद्ध होता है। मान-सम्मान के साथ सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।बीसा यंत्रजिसके पास बीसा यंत्र होता है, भगवान् उसकी हर प्रकार से सहायता करते हैं। साधकों की हर मुश्किल आसान हो जाती है। प्रातः उठते ही इसके दर्शन करने से बाधाएं दूर होकर कार्यों में सफलता मिलती है और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।श्रीकनकधारा यंत्रलक्ष्मी प्राप्ति के लिए और दरिद्रता दूर करने के लिए यह रामबाण यंत्र है। यह यंत्र अष्टसिद्धि व नवनिधियों को देने वाला है।कुबेर यंत्रधन के देवता कुबेर की कृपा से धन की प्राप्ति होती है। दरिद्रता के अभिशाप से मुक्ति मिलती है।श्रीमहालक्ष्मी यंत्रइसकी अधिष्ठात्री देवी कमला हैं, जिनके दर्शन व पूजन से घर में लक्ष्मी का स्थायी वास होता है।सूर्य यंत्रसदैव स्वस्थ रहने की आकांक्षा हो, तो भगवान् सूर्य की प्रार्थना करनी चाहिए। इससे तमाम रोगों का शमन होता है। व्यक्तित्व में तेजस्विता आती हैपंचादशी यंत्रयह यंत्र भगवान शंकर की कृपा और धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष की प्राप्ति कराता है।श्रीगणेश यंत्रइससे विभिन्न प्रकार की उपलब्धियां और सिद्धियां मिलती हैं। धन की प्राप्ति, अष्ट सिद्धि एवं नव निधि की प्राप्ति हेतु भी इसका प्रयोग होता हैश्रीमंगल यंत्रइसकी उपासना से उच्च रक्तचाप एवं मंगल ग्रह जनित रोगों का निवारण होता है और इसमें ऋणमुक्ति की अद्वितीय क्षमता होती है।
- -पं. प्रकाश उपाध्यायसामुद्रिक शास्त्र के अनुसार, हाथ के अलावा उंगलियों की बनावट, पैरों का आकार और माथे की लकीरें भी व्यक्ति के भविष्य से जुड़ी कई विशेष बातों के बारे में संकेत देती हैं। माथे की लकीरों के मदद से किसी भी व्यक्ति के भविष्य में होने वाली शुभ-अशुभ घटनाओं, आर्थिक स्थिति और स्वभाव के बारे में पता लगाया जा सकता है। मान्यता है कि माथे की कुछ रेखाएं व्यक्ति के सुख-सौभाग्य का प्रतीक होती हैं। आइए जानते हैंम माथे की लकीरों से जुड़े कुछ खास बातों के बारे में...माथे की पहली लकीरमान्यता है कि माथे की पहली लकीर व्यक्ति के जीवन में धन-दौलत का प्रतीक मानी जाती है। माथे की पहली लकीर जितनी स्पष्ट और गहरी होगी, ऐसे लोग उतना ही धनी होंगे। वहीं, जिन लोगों की यह लकीर स्पष्ट नहीं होती हैं, उन्हें जीवन में आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।माथे की दूसरी लकीरमाथे की दूसरी लकीर अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक मानी जाती है। मान्यता है कि दूसरी लकीर जितनी साफ और स्पष्ट होती है, व्यक्ति का स्वास्थ्य उतना ही अच्छा रहता है। वहीं, अगर ये लकीर पतली और अस्पष्ट दिखाई देती हैं, तो ऐसे व्यक्ति को जीवन में स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।माथे की तीसरी लकीरमान्यता है कि भाग्यशाली लोगों के माथे पर तीसरी लकीर पाई जाती है। यह रेखा बहुत कम लोगों के माथे पर होती है।माथे की चौथी लकीरकहा जाता है कि जिन व्यक्ति के माथे पर चौथी लकीर होती है, ऐसे लोगों को 26 से 40 वर्ष के बीच कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन 40 वर्ष के बाद इन्हें जीवन में खूब सफलता मिलती है।माथे की पांचवी लकीरमाथे की पांचवी लकीर को शुभ नहीं माना जाता है। मान्यता है कि ऐसे लोगों को जीवन मुश्किलों से घिरा होता है। मन चिंतित रहता है।माथे की छठी लकीरमाथे की छठी लकीर को दैवीय लकीर कहा जाता है। यह नाक की सीधी तरफ उपर की ओर जाती है। मान्यता है कि जिस व्यक्ति की माथे पर छठी लकीर होती हैं और ऐसे लोगों को जीवन के हर क्षेत्र में अपार सफलता मिलती है।
- हनुमान (संस्कृत: हनुमान्, आंजनेय और मारुति भी) परमेश्वर की भक्ति की सबसे लोकप्रिय अवधारणाओं और भारतीय महाकाव्य रामायण में सबसे महत्वपूर्ण पात्रों में प्रधान हैं। भारत में हनुमानजी के मंदिर बहुतायक में मिलते हैं। आज हम आपको ऐसे ही कुछ प्रसिद्ध हनुमान मंदिरों के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जहां रोजाना बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं।1. हनुमानगढ़ी, अयोध्या :-धर्म ग्रंथों के अनुसार अयोध्या भगवान श्रीराम की जन्मस्थली है। यहां का सबसे प्रमुख श्रीहनुमान मंदिर हनुमानगढ़ी के नाम से प्रसिद्ध है। यह मंदिर राजद्वार के सामने ऊंचे टीले पर स्थित है। इसमें 60 सीढिय़ां चढऩे के बाद श्री हनुमान जी का मंदिर आता है। यह मंदिर काफी बड़ा है। मंदिर के चारों ओर निवास योग्य स्थान बने हैं, जिनमें साधु-संत रहते हैं। हनुमानगढ़ी के दक्षिण में सुग्रीव टीला व अंगद टीला नामक स्थान हैं। इस मंदिर की स्थापना लगभग 300 साल पहले स्वामी अभया रामदास जी ने की थी।2. सालासर बालाजी हनुमान मंदिर, सालासर (राजस्थान) :-हनुमानजी का यह मंदिर राजस्थान के चूरू जिले में है। गांव का नाम सालासर है, इसलिए सालासर वाले बालाजी के नाम यह मंदिर प्रसिद्ध है। हनुमानजी की यह प्रतिमा दाड़ी व मूंछ से सुशोभित है। यह मंदिर पर्याप्त बड़ा है। चारों ओर यात्रियों के ठहरने के लिए धर्मशालाएं बनी हुई हैं। दूर-दूर से श्रद्धालु यहां अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं और मनचाहा वरदान पाते हैं। इस मंदिर के संस्थापक श्री मोहनदासजी बचपन से श्री हनुमान जी के प्रति अगाध श्रद्धा रखते थे। माना जाता है कि हनुमान जी की यह प्रतिमा एक किसान को जमीन जोतते समय मिली थी, जिसे सालासर में सोने के सिंहासन पर स्थापित किया गया है। यहाँ हर साल भाद्रपद, आश्विन, चैत्र एवं वैशाख की पूर्णिमा के दिन विशाल मेला लगता है।3. हनुमान धारा, चित्रकूट, (उत्तर प्रदेश) :-उत्तर प्रदेश के सीतापुर नामक स्थान के समीप यह हनुमान मंदिर स्थापित है। सीतापुर से हनुमान धारा की दूरी तीन मील है। यह स्थान पर्वतमाला के मध्यभाग में स्थित है। पहाड़ के सहारे हनुमानजी की एक विशाल मूर्ति के ठीक सिर पर दो जल के कुंड हैं, जो हमेशा जल से भरे रहते हैं और उनमें से निरंतर पानी बहता रहता है। इस धारा का जल हनुमानजी को स्पर्श करता हुआ बहता है। इसीलिए इसे हनुमान धारा कहते हैं। धारा का जल पहाड़ में ही विलीन हो जाता है। उसे लोग प्रभाती नदी या पातालगंगा कहते हैं। इस स्थान के बारे में एक कथा इस प्रकार प्रसिद्ध हैश्रीराम के अयोध्या में राज्याभिषेक होने के बाद एक दिन हनुमानजी ने भगवान श्रीरामचंद्र से कहा- हे भगवन। मुझे कोई ऐसा स्थान बतलाइए, जहां लंका दहन से उत्पन्न मेरे शरीर का ताप मिट सके। तब भगवान श्रीराम ने हनुमानजी को यह स्थान बताया।4. श्री संकटमोचन मंदिर, वाराणसी, (उत्तर प्रदेश) :-यह मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में स्थित है। इस मंदिर के चारों ओर एक छोटा सा वन है। यहां का वातावरण एकांत, शांत एवं उपासकों के लिए दिव्य साधना स्थली के योग्य है। मंदिर के प्रांगण में श्रीहनुमानजी की दिव्य प्रतिमा स्थापित है। श्री संकटमोचन हनुमान मंदिर के समीप ही भगवान श्रीनृसिंह का मंदिर भी स्थापित है। ऐसी मान्यता है कि हनुमानजी की यह मूर्ति गोस्वामी तुलसीदासजी के तप एवं पुण्य से प्रकट हुई स्वयंभू मूर्ति है।इस मूर्ति में हनुमानजी दाएं हाथ में भक्तों को अभयदान कर रहे हैं एवं बायां हाथ उनके ह्रदय पर स्थित है।प्रत्येक कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को हनुमानजी की सूर्योदय के समय विशेष आरती एवं पूजन समारोह होता है। उसी प्रकार चैत्र पूर्णिमा के दिन यहां श्रीहनुमान जयंती महोत्सव होता है। इस अवसर पर श्रीहनुमानजी की बैठक की झांकी होती है और चार दिन तक रामायण सम्मेलन महोत्सव एवं संगीत सम्मेलन होता है।5. हनुमान मंदिर, इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) :-इलाहाबाद किले से सटा यह मंदिर लेटे हुए हनुमान जी की प्रतिमा वाला एक छोटा किन्तु प्राचीन मंदिर है। यह सम्पूर्ण भारत का केवल एकमात्र मंदिर है जिसमें हनुमान जी लेटी हुई मुद्रा में हैं। यहां पर स्थापित हनुमान जी की प्रतिमा 20 फीट लम्बी है। जब वर्षा के दिनों में बाढ़ आती है और यह सारा स्थान जलमग्न हो जाता है, तब हनुमानजी की इस मूर्ति को कहीं ओर ले जाकर सुरक्षित रखा जाता है। उपयुक्त समय आने पर इस प्रतिमा को पुन: यहीं लाया जाता है।6. मेहंदीपुर बालाजी मंदिर, मेहंदीपुर, (राजस्थान) :-राजस्थान के दौसा जिले के पास दो पहाडिय़ों के बीच बसा हुआ मेहंदीपुर नामक स्थान है। यह मंदिर जयपुर-बांदीकुई-बस मार्ग पर जयपुर से लगभग 65 किलोमीटर दूर है। दो पहाडिय़ों के बीच की घाटी में स्थित होने के कारण इसे घाटा मेहंदीपुर भी कहते हैं। जनश्रुति है कि यह मंदिर करीब 1 हजार साल पुराना है। यहां पर एक बहुत विशाल चट्टान में हनुमान जी की आकृति स्वयं ही उभर आई थी। इसे ही श्री हनुमान जी का स्वरूप माना जाता है। इनके चरणों में छोटी सी कुण्डी है, जिसका जल कभी समाप्त नहीं होता। यह मंदिर तथा यहाँ के हनुमान जी का विग्रह काफी शक्तिशाली एवं चमत्कारिक माना जाता है तथा इसी वजह से यह स्थान न केवल राजस्थान में बल्कि पूरे देश में विख्यात है। कहा जाता है कि मुगल साम्राज्य में इस मंदिर को तोडऩे के अनेक प्रयास हुए परंतु चमत्कारी रूप से यह मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ।इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहां ऊपरी बाधाओं के निवारण के लिए आने वालों का तांता लगा रहता है। मंदिर की सीमा में प्रवेश करते ही ऊपरी हवा से पीडि़त व्यक्ति स्वयं ही झूमने लगते हैं और लोहे की सांकलों से स्वयं को ही मारने लगते हैं। मार से तंग आकर भूत प्रेतादि स्वत: ही बालाजी के चरणों में आत्मसमर्पण कर देते हैं।7. डुल्या मारुति, पूना, (महाराष्ट्र) :-पूना के गणेशपेठ में स्थित यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है। श्रीडुल्या मारुति का मंदिर संभवत: 350 वर्ष पुराना है। संपूर्ण मंदिर पत्थर का बना हुआ है, यह बहुत आकर्षक और भव्य है। मूल रूप से डुल्या मारुति की मूर्ति एक काले पत्थर पर अंकित की गई है। यह मूर्ति पांच फुट ऊंची तथा ढाई से तीन फुट चौड़ी अत्यंत भव्य एवं पश्चिम मुख है। हनुमानजी की इस मूर्ति की दाईं ओर श्रीगणेश भगवान की एक छोटी सी मूर्ति स्थापित है। इस मूर्ति की स्थापना श्रीसमर्थ रामदास स्वामी ने की थी, ऐसी मान्यता है। सभा मंडप में द्वार के ठीक सामने छत से टंगा एक पीतल का घंटा है, इसके ऊपर शक संवत् 1700 अंकित है।8. श्री कष्टभंजन हनुमान मंदिर, सारंगपुर, (गुजरात) :-अहमदाबाद भावनगर रेलवे लाइन पर स्थित बोटाद जंक्शन से सारंगपुर लगभग 12 मील दूर है। यहां एक प्रसिद्ध मारुति प्रतिमा है। महायोगिराज गोपालानंद स्वामी ने इस शिला मूर्ति की प्रतिष्ठा विक्रम संवत् 1905 आश्विन कृष्ण पंचमी के दिन की थी। जनश्रुति है कि प्रतिष्ठा के समय मूर्ति में श्री हनुमान जी का आवेश हुआ और यह हिलने लगी। तभी से इस मंदिर को कष्टभंजन हनुमान मंदिर कहा जाता है। यह मंदिर स्वामीनारायण सम्प्रदाय का एकमात्र हनुमान मंदिर है।9. यंत्रोद्धारक हनुमान मंदिर, हंपी, (कर्नाटक) :-बेल्लारी जिले के हंपी नामक नगर में एक हनुमान मंदिर स्थापित है। इस मंदिर में प्रतिष्ठित हनुमानजी को यंत्रोद्धारक हनुमान कहा जाता है। विद्वानों के मतानुसार यही क्षेत्र प्राचीन किष्किंधा नगरी है। वाल्मीकि रामायण व रामचरित मानस में इस स्थान का वर्णन मिलता है। संभवतया इसी स्थान पर किसी समय वानरों का विशाल साम्राज्य स्थापित था। आज भी यहां अनेक गुफाएं हैं। इस मंदिर में श्रीराम नवमी के दिन से लेकर तीन दिन तक विशाल उत्सव मनाया जाता है।10. गिरजाबंध हनुमान मंदिर, रतनपुर (छत्तीसगढ़) :-बिलासपुर से 25 कि. मी. दूर एक स्थान है रतनपुर। इसे महामाया नगरी भी कहते हैं। यह देवस्थान पूरे भारत में सबसे अलग है। इसकी मुख्य वजह मां महामाया देवी और गिरजाबंध में स्थित हनुमानजी का मंदिर है। खास बात यह है कि विश्व में हनुमान जी का यह अकेला ऐसा मंदिर है जहां हनुमान नारी स्वरूप में हैं। इस दरबार से कोई निराश नहीं लौटता। भक्तों की मनोकामना अवश्य पूरी होती है।11. उलटे हनुमान का मंदिर, साँवरे, इंदौर (मध्यप्रदेश) :-भारत की धार्मिक नगरी उज्जैन से केवल 30 किमी दूर स्थित है यह धार्मिक स्थान जहाँ भगवान हनुमान जी की उल्टे रूप में पूजा की जाती है। यह मंदिर साँवरे नामक स्थान पर स्थापित है इस मंदिर को कई लोग रामायण काल के समय का बताते हैं। मंदिर में भगवान हनुमान की उलटे मुख वाली सिंदूर से सजी मूर्ति विराजमान है। सांवेर का हनुमान मंदिर हनुमान भक्तों का महत्वपूर्ण स्थान है यहाँ आकर भक्त भगवान के अटूट भक्ति में लीन होकर सभी चिंताओं से मुक्त हो जाते हैं। यह स्थान ऐसे भक्त का रूप है जो भक्त से भक्ति योग्य हो गया।उलटे हनुमान कथा :-भगवान हनुमान के सभी मंदिरों में से अलग यह मंदिर अपनी विशेषता के कारण ही सभी का ध्यान अपनी ओर खींचता है। साँवेर के हनुमान जी के विषय में एक कथा बहुत लोकप्रिय है। कहा जाता है कि जब रामायण काल में भगवान श्री राम व रावण का युद्ध हो रहा था, तब अहिरावण ने एक चाल चली. उसने रूप बदल कर अपने को राम की सेना में शामिल कर लिया और जब रात्रि समय सभी लोग सो रहे थे, तब अहिरावण ने अपनी जादुई शक्ति से श्री राम एवं लक्ष्मण जी को मूर्छित कर उनका अपहरण कर लिया। वह उन्हें अपने साथ पाताल लोक में ले जाता है। जब वानर सेना को इस बात का पता चलता है तो चारों ओर हडकंप मच जाता है। सभी इस बात से विचलित हो जाते हैं।इस पर हनुमान जी भगवान राम व लक्ष्मण जी की खोज में पाताल लोक पहुँच जाते हैं और वहां पर अहिरावण से युद्ध करके उसका वध कर देते हैं तथा श्री राम एवं लक्ष्मण जी के प्राँणों की रक्षा करते हैं। उन्हें पाताल से निकाल कर सुरक्षित बाहर ले आते हैं। मान्यता है की यही वह स्थान था जहाँ से हनुमान जी पाताल लोक की और गए थे। उस समय हनुमान जी के पाँव आकाश की ओर तथा सर धरती की ओर था जिस कारण उनके उल्टे रूप की पूजा की जाती है।12. प्राचीन हनुमान मंदिर, कनॉट प्लेस, (नई दिल्ली) :-यहां महाभारत कालीन श्री हनुमान जी का एक प्राचीन मंदिर है। यहाँ पर उपस्थित हनुमान जी स्वंयम्भू हैं। बालचन्द्र अंकित शिखर वाला यह मंदिर आस्था का महान केंद्र है। दिल्ली का ऐतिहासिक नाम इंद्रप्रस्थ शहर है, जो यमुना नदी के तट पर पांडवों द्वारा महाभारत-काल में बसाया गया था। तब पांडव इंद्रप्रस्थ पर और कौरव हस्तिनापुर पर राज्य करते थे। ये दोनों ही कुरु वंश से निकले थे। हिन्दू मान्यता के अनुसार पांडवों में द्वितीय भीम को हनुमान जी का भाई माना जाता है। दोनों ही वायु-पुत्र कहे जाते हैं। इंद्रप्रस्थ की स्थापना के समय पांडवों ने इस शहर में पांच हनुमान मंदिरों की स्थापना की थी। ये मंदिर उन्हीं पांच में से एक है।13. श्री बाल हनुमान मंदिर, जामनगर, (गुजरात) :-सन् 1540 में जामनगर की स्थापना के साथ ही स्थापित यह हनुमान मंदिर, गुजरात के गौरव का प्रतीक है। यहाँ पर सन् 1964 से श्री राम धुनी का जाप लगातार चलता आ रहा है, जिस कारण इस मंदिर का नाम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है।14. बेट द्वारका हनुमान दंडी मंदिर, (गुजरात) :-बेट द्वारका से चार मील की दूरी पर मकर ध्वज के साथ में हनुमानजी की मूर्ति स्थापित है। कहते हैं कि पहले मकरध्वज की मूर्ति छोटी थी परंतु अब दोनों मूर्तियां एक सी ऊंची हो गई हैं। अहिरावण ने भगवान श्रीराम लक्ष्मण को इसी स्थान पर छिपा कर रखा था।जब हनुमानजी श्रीराम-लक्ष्मण को लेने के लिए आए, तब उनका मकरध्वज के साथ घोर युद्ध हुआ। अंत में हनुमानजी ने उसे परास्त कर उसी की पूंछ से उसे बांध दिया। उनकी स्मृति में यह मूर्ति स्थापित है। कुछ धर्म ग्रंथों में मकरध्वज को हनुमानजी का पुत्र बताया गया है, जिसका जन्म हनुमानजी के पसीने द्वारा एक मछली से हुआ था।15. महावीर हनुमान मंदिर, पटना, (बिहार) :-पटना जंक्शन के ठीक सामने महावीर मंदिर के नाम से श्री हनुमान जी का मंदिर है। उत्तर भारत में माँ वैष्णों देवी मंदिर के बाद यहाँ ही सबसे ज्यादा चढ़ावा आता है। इस मंदिर के अन्तर्गत महावीर कैंसर संस्थान, महावीर वात्सल्य हॉस्पिटल, महावीर आरोग्य हॉस्पिटल तथा अन्य बहुत से अनाथालय एवं अस्पताल चल रहे हैं। यहाँ श्री हनुमान जी संकटमोचन रूप में विराजमान हैं।16. श्री पंचमुख आंजनेयर हनुमान, ( तमिलनाडु) :-तमिलनाडु के कुम्बकोनम नामक स्थान पर श्री पंचमुखी आंजनेयर स्वामी जी (श्री हनुमान जी) का बहुत ही मनभावन मठ है। यहाँ पर श्री हनुमान जी की पंचमुख रूप में विग्रह स्थापित है, जो अत्यंत भव्य एवं दर्शनीय है। यहाँ पर प्रचलित कथाओं के अनुसार जब अहिरावण तथा उसके भाई महिरावण ने श्री राम जी को लक्ष्मण सहित अगवा कर लिया था, तब प्रभु श्री राम को ढूँढ़ने के लिए हनुमान जी ने पंचमुख रूप धारण कर इसी स्थान से अपनी खोज प्रारम्भ की थी। और फिर इसी रूप में उन्होंने उन अहिरावण और महिरावण का वध भी किया था। यहाँ पर हनुमान जी के पंचमुख रूप के दर्शन करने से मनुष्य सारे दुस्तर संकटों एवं बंधनों से मुक्त हो जाता है
- बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायज्योतिष शास्त्र में सूर्य को ग्रहों का राजा कहा जाता है और यह हर एक महीने में राशि परिवर्तन करते हैं, जिसे सूर्य संक्रांति के नाम से जाना जाता है। सूर्य की आज 13 फरवरी से अपनी राशि परिवर्तित हुई है। सूर्य मकर राशि की यात्रा को समाप्त कर कुंभ राशि में आ गए हैं। जहां पर वे 14 मार्च तक इसी राशि में विराजमान रहेंगे। आइये जानते हैं कि इस सूर्य के इस राशि परिवर्तन से किन राशि के जातकों को फायदा होगा और किसे सतर्क रहने की आवश्यकता है।इन राशियों को हो सकता है लाभसूर्य के राशि बदलने से मिथुन, तुला और सिंह राशि को फायदा मिल सकता है। कामकाज में अच्छा परिणाम पहले के मुकाबले में दिखाई देगा। नौकरीपेशा जातकों को नई नौकरी के अच्छे प्रस्ताव आ सकते हैं। किसी पुराने विवाद का निपटारा होने की वजह से आपको राहत मिलेगी।इन राशियों पर पड़ सकता है नकारात्मक प्रभावदरअसल वैदिक ज्योतिष में सूर्य-शनि की युति को अच्छा नहीं माना जाता है क्योंकि सूर्य और शनि आपस में शत्रुता का भाव रखते हैं। ऐसे में इसके चलते कुछ राशि के जातकों के इसका प्रतिकूल असर भी देखने को मिल सकता है। नौकरी और व्यापार में रुकावटें आ सकती हैं। सूर्य के कुंभ राशि में गोचर करने से और शनि के साथ युति होने से कर्क, वृश्चिक, मकर, कुंभ और मीन राशि वालों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। जो लोग नौकरीपेशा है उन्हें नौकरी में काम के सिलसिले में कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। कार्यक्षेत्र में विवाद और तनाव हावी रह सकता है। व्यापार करने वाले लोगों को हानि भी हो सकती है। ऐसे में कोई भी निर्णय लेने से पहले कई बार सोच-विचार करना होगा। बेफिजूल के खर्चों में इजाफा हो सकता है। किसी को कर्ज देने से आपको बचना होगा।सूर्य को मजबूत करने के उपायसूर्य से संबंधित चीजें जैसे तांबे का बर्तन, पीले या लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, माणिक्य, लाल चंदन आदि का दान करें। अपनी श्रद्धानुसार इन चीजों में से किसी भी चीज का दान किया जा सकता है। इससे कुंडली में सूर्य के दोष दूर हो जाते हैं एवं धन, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
इस साल 14 फरवरी को बसंत पंचमी मनाई जाएगी। इस दिन बुद्धि, विवेक, ज्ञान और विद्या की देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था। इसलिए बसंत पंचमी के मौके पर मां शारदा की पूजा-आराधना की जाती है। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए कई सरल उपाय किए जाते हैं धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से मां सरस्वती सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं और सफलता की राह में आने वाले बाधाओं से छुटकारा दिलाती हैं।
-आइए जानते हैं बसंत पंचमी पर राशिनुसार किए जाने वाले उपाय...
मेष राशि : बसंत पंचमी के दिन पूजा के दौरान सरस्वती कवच का पाठ करें। इससे पढ़ाई में मन लगेगा और निर्णय लेने की क्षमता बेहतर होगी।
वृषभ राशि : मां सरस्वती का सफेद चंदन से तिलक करें और उन्हें पूजा के दौरान पीले फूल अर्पित करें। मान्यता है कि ऐसा करने से तरक्की की राह में आने वाली बाधाएं दूर होंगी।
मिथुन राशि : पूजा के दौरान मां सरस्वती को पेन अर्पित करें और इस पेन का इस्तेमाल शुभ कार्यों की शुरुआत के लिए करें। इससे सभी कार्य बिना किसी विघ्न-बाधा के सफल होंगे।
कर्क राशि : मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए खीर का भोग लगा सकते हैं।
सिंह राशि : इस दिन पूजा के दौरान गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करें।
कन्या राशि : बसंत पंचमी के दिन गरीब बच्चों को पेन, किताबें, पेंसिल और कॉपी का दान कर सकते हैं। इससे शैक्षिक कार्यों में आने वाली परेशानियां दूर होंगी।
तुला राशि : ब्राह्मण को पीला या सफेद रंग का वस्त्र दान करें। इसके साथ ही पूजा में पीले रंग का लड्डू भोग लगाएं।
वृश्चिक राशि : स्मरण शक्ति को बेहतर बनाने के लिए मां सरस्वती की विधिवत पूजा करें और उन्हें पेन अर्पित करें। पूजा के बाद इस कलम का इस्तेमाल शुभ कार्यों के लिए करें।
धनु राशि : धनु राशि के जातक मां शारदा को प्रसन्न करने के लिए पीले रंग की मिठाई का भोग लगा सकते हैं।
मकर राशि : बसंत पंचमी के मौके पर गरीबों और जरुरतमंदों को अनाज और धन का दान करें।
कुंभ राशि : कुंभ राशि वालों को इस दिन गरीब बच्चों को पढ़ाई-लिखाई से जुड़ी वस्तुओं का दान करना चाहिए।
मीन राशि : मीन राशि के लोगों को इस दिन ब्राह्मणों को पीले रंग का वस्त्र दान करना चाहिए। इससे करियर में आ रही बाधाओं से छुटकारा पाया जा सकता है। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
इस साल 14 फरवरी 2024 को बसंत पंचमी मनाई जा रही है। बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन मां शारदा की पूजा-आराधना का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता की विधिवत पूजा करने से बुद्धि, विवेक और गुण-ज्ञान की प्राप्ति होती है। ज्योतिष शास्त्र में बसंत पंचमी के मौके पर कुछ चीजों की खरीदारी करना बेहद मंगलकारी माना गया है। आइए जानते हैं कि सरस्वती पूजन के दिन किन चीजों की खरीदारी से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है ?
मोरपंखी का पौधा
बसंत पंचमी के दिन मोर पंखी का पौधा घर ला सकते हैं। इस पौधे को जोड़े में घर की पूर्व दिशा में लगाना बेहद शुभ माना गया है। मान्यता है कि इस मयूर पंखी का पौधा घर में लगाने से बच्चों का पढ़ाई में मन लगता है और मां सरस्वती की कृपा हमेशा बनी रहती है।
मां सरस्वती की प्रतिमा
बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की प्रतिमा या फोटो घर पर ला सकते हैं। मान्यता है कि रोजाना मां शारदा का स्मरण करने और उनकी पूजा करने से एकाग्रता बढ़ती है।
बासुरी या वाद्य यंत्र
संगीत में रुचि रखने वाले लोगों को सरस्वती पूजा के दिन बासुरी या वाद्य यंत्र घर लाना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से मां प्रसन्न होती हैं।
शादी से जुड़ी खरीदारी
बसंत पंचमी के दिन शादी का जोड़ा या गहनों की खरीदारी करना बेहद मंगलकारी माना जाता है। कहा जाता है कि इससे सुख-सौभाग्य बढ़ता है।
भूमि या वाहन की खरीदारी
बसंत पंचमी के मौके पर भूमि या वाहन की खरीदारी भी बेहद शुभ होती है। माना जाता है इससे घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
ज्योतिष शास्त्र की तरह ही हस्तरेखा भी से भी व्यक्ति के भाग्य का पता लगाया जा सकता है। हस्तरेखा विद्या में हाथों की लकीरों से जुड़ी जानकारी पाई जाती है, जो व्यक्ति के स्वास्थ्य, विवाह, भाग्य और आर्थिक स्थिति जैसी तमाम चीजों पर रौशनी डालती है। हाथों पर मौजूद कुछ रेखाएं बेहद ही शुभ मानी जाती हैं। ऐसी रेखाएं जिस व्यक्ति के हाथ पर मौजूद होती हैं, वह जीवन में खूब तरक्की करता है और उसे धन कमाने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती।
-आइए जानते हैं ऐसे ही शुभ रेखाओं के बारे में---
हाथों की शुभ लकीरें-चिन्ह
1- कुछ लोगों की हथेली पर त्रिशूल चिन्ह पाया जाता है, जो बेहद ही शुभ माना जाता है। मान्यता है कि शनि पर्वत पर अगर यह निशान मौजूद हो तो व्यक्ति का भाग्य साथ देता है और शनि देव की असीम कृपा भी बनी रहती है।
2- हथेली पर सूर्य पर्वत और गुरु का पर्वत उभरा हुआ होना बेहद भाग्यशाली माना जाता है। ऐसे व्यक्ति की आर्थिक स्थिति अच्छी रहती हैं और वह समाज में खूब मान-सम्मान भी कमाता है।
3- हथेली पर चक्र, रथ, झंडा या धनुष का निशान मौजूद होना भी बेहद शुभ माना जाता है। जिन लोगों के हाथों पर यह निशान मौजूद होता है, उन्हें भाग्य का साथ मिलता है।
4- मछली, तलवार और मंदिर जैसे चिन्ह हथेली पर मौजूद होना बेहद ही लाभदायक माना जाता है। ऐसा व्यक्ति जीवन में खूब तरक्की करता है।
5- हथेली पर पहाड़ या छाते जैसे निशान मौजूद होना भी बेहद लकी माना जाता है। ऐसे व्यक्ति को पैसा कमाने में ज्यादा मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ता। - पंडित प्रकाश उपाध्यायपौष पूर्णिमा कल 25 जनवरी को मनाई जाएगी। हिंदू कैलेंडर के अनुसार पौष माह की पूर्णिमा तिथि 24 जनवरी 2024 की रात 9:24 बजे से शुरू होकर 25 जनवरी 2024 की रात 11:30 बजे समाप्त होगी। इसलिए पूर्णिमा 25 जनवरी को मनाई जाएगी।पौष पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने को भी महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि पौष माह में पडऩे वाली पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी अपने आठों स्वरूप के साथ जागृत रहती हैं और पृथ्वी लोक पर भ्रमण करती हैं, इसलिए पौष माह की पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। इसके अलावा पौष माह की पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने को भी महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा मानते हैं कि पौष माह की पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ की पूजा की जाए तो घर से नकारात्मकता दूर होती है। ज्योतिष शास्त्र में पीपल के पत्ते से जुड़े कुछ उपाय भी बताए गए हैं., जो पौष पूर्णिमा के दिन करने से आर्थिक समस्या दूर होती हैं। आज जानते हैं ये उपाय....- पौष माह की पूर्णिमा वाले दिन पीपल का एक पत्ता लेकर उसे गंगाजल या तुलसी के जल में भिगोकर रख दें। रात के वक़्त चंद्रमा की पूजा करने के बाद उस पत्ते को जल से निकाल लें। अब लाल चंदन से उस पर "श्रीं" लिखें, यह माता लक्ष्मी का बीज़ मंत्र है। अब पीपल के पत्ते को लाल कलावे से बांध दें और लाल कपड़े में लपेटकर अपने घर के धन स्थान पर रखें। आप इसे मंदिर में भी रख सकते हैं। अब माता लक्ष्मी का ध्यान करें और उनके मंत्रों का जाप निरंतर करते रहें।-पौष माह की पूर्णिमा से लेकर आने वाले 5 शुक्रवार तक आपको पीपल का पत्ता सूखने से पहले बदलना होगा। अंतिम शुक्रवार के दिन पीपल के पत्ते को पवित्र नदी में बहा दें। मान्यता के अनुसार ऐसा करने से कर्ज़ से मुक्ति मिलती है और घर की आर्थिक स्थिति मज़बूत होती है।
- पंडित प्रकाश उपाध्यायज्योतिष शास्त्र में कुछ पेड़ पौधों को बहुत चमत्कारिक माना गया है। इन पौधों को घर में होने से कई तरह की समस्याओं से मुक्ति मिलती है। ये पेड़ पौधे ना केवल घर की हवा को साफ सुथरा रखते हैं बल्कि धन, ऐश्वर्य और सम्मान में भी काफी वृद्धि करते हैं। इसलिए इन पेड़ पौधों को चमत्कारिक भी माना गया है। जिन घरों में ये पेड़ पौधे होते हैं, वहां बरकत होती है और जीवन में शुभता और सकारात्मकता आती है। वास्तु शास्त्र में इन पेड़ पौधों के बारे में बताया गया है कि ये धन, सुख और समृद्धि को आकर्षित करते हैं। आइए जानते हैं इन चमत्कारिक पौधों के बारे में...तुलसी का पौधाहिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को बहुत पूजनीय माना गया है और इस पौधे को घर के उत्तर, उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में लगाएं और हर रोज पूजा करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, घर में तुलसी का पौधा होना से जीवन सुख-शांति बनी रहती है और कई तरह की परेशानियां दूर रहती हैं। तुलसी का संबंध भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी से माना गया है। घर में तुलसी होने से सौभाग्य में वृद्धि होती है इसलिए इसे श्रीतुलसी कहा जाता है।शमी का पेड़शमी का पेड़ घर की दक्षिण दिशा में लगाना चाहिए। इस पेड़ को घर में लगाना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा करने से शनि के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है और घर में सुख समृद्धि बढ़ती है। शमी का पेड़ होने से भगवान शिव का भी आशीर्वाद रहता है और नौकरी व व्यवसाय में काफी उन्नति होती है। घर में इस पेड़ के होने से पारिवारिक सदस्यों में आपसी प्रेम बना रहता है और सभी सदस्यों की अच्छी तरक्की होती है।स्पाइडर प्लांटस्पाइडर प्लांट को घर में लगाने से कई फायदे मिलते हैं। इसे घर के उत्तर, उत्तर-पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा में लगाना बहुत शुभ माना जाता है। इस पौधे के घर में होने से आसपास की हवा स्वच्छ रहती है और आरोग्य की भी प्राप्ति होती है। यह पौधा कई तरह की बीमारियों का अंत करता है और जीवन में नई सकारात्मक ऊर्जा लाता है। अगर कार्यक्षेत्र में कोई समस्या चल रही है तो स्पाइड प्लांट को पास में रखने से जीवन को नई दिशा मिलती है।क्रासुला का पौधाक्रासुला का पौधा होना बहुत शुभ माना जाता है और घर के वास्तु दोष को भी दूर करता है। इस पौधे को घर के मेन गेट के दाहिनी दिशा में रखना चाहिए। इस पौधे को होने से आर्थिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है और धन आगमन के नए स्रोत खुलने शुरू हो जाते हैं। इस पौधे के घर में होने से पारिवारिक सदस्यों के बीच स्नेह बना रहता है और रिश्तों में भी मजबूती आती है। साथ ही अगर आपकी तरक्की में कोई बाधा आ रही है तो वह भी दूर हो जाती है।मनी प्लांटमनी प्लांट घर में होना अच्छा माना जाता है। जैसे कि इसके नाम से पता चलता है कि यह पौधा धन संबंधित समस्याओं को खत्म करता है। जैसे जैसे यह पौधा बढ़ता है, वैसे वैसे धन और सम्मान भी बढऩे लगता है। ज्योतिष में इस पौधे का संबंध भौतिक सुख-सुविधाओं के स्वामी शुक्र ग्रह से माना गया है इसलिए मनी प्लांट घर में सौभाग्य को बढ़ाता है और जीवन में नई ऊर्जा का संचार करता है।अपराजिता का पौधाअपराजिता का पौधा तुलसी के समान बहुत पवित्र माना जाता है। इस पौधे की बेल का लाभ लेने के लिए इसे घर की पूर्व, उत्तर, उत्तर-पूर्व दिशा में लगाना चाहिए। इस बेल का संबंध माता लक्ष्मी से माना गया है। घर में इस पौधे के होने से मां लक्ष्मी स्वयं घर में विराजमान रहती है और नौकरी व व्यापार में काफी अच्छी तरक्की होती है। यह पौधा भगवान विष्णु और महादेव को भी बेहद प्रिय है। इस पौधे से धन धान्य की कमी दूर होती है और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
- -पं. प्रकाश उपाध्यायहस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, हथेली की लकीरों के अलावा अंगूठ के निशान और बनावट के माध्यम से भी व्यक्ति के जीवन से जुड़ी कई दिलचस्प बातों का पता लगाया जा सकता है। मान्यता है कि अंगूठे पर मौजूद कुछ रेखाएं व्यक्ति के सुख-सौभाग्य का प्रतीक होती हैं। वहीं, कुछ रेखाओं से जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आइए अंगूठे के बनावट, आकार, लकीरों और चिन्ह के जरिए व्यक्ति के बारे में खास बाते जानते हैं।अंगूठों के आकार से जानें व्यक्ति का स्वभाव---जिन व्यक्ति के दोनों अंगूठे लंबे और कठोर होते हैं। कहा जाता है कि ऐसे व्यक्ति समझदार, सतर्क, होशियार और कड़ी मेहनत स्वभाव के होते हैं। ऐसे व्यक्ति अपने विचारों को लेकर स्पष्ट होते हैं और जल्दी किसी के बहकावे में नहीं आते हैं।-हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, जिन लोगों के अंगूठे लंबे, पतले और लचीले होते हैं। ऐसे व्यक्ति बहुत भावुक होते हैं। यह दूसरों के कष्ट को अपना समझकर हर किसी की मदद के लिए तैयार रहते हैं।-मान्यता है कि अगर हाथ खोलने पर अंगूठा पहली उंगली से 90 डिग्री का कोण बनाएं, तो ऐसे व्यक्ति बहुत समझदार और सुलझे हुए होते हैं। 90 डिग्री से ज्यादा कोण बनने पर एक व्यक्ति दृढ़ निश्चयी होते हैं। वहीं, कहा जाता है कि 45 डिग्री से कम होने पर व्यक्ति बहुत अपने हितों पर ज्यादा ध्यान देता है।-कहा जाता है कि अंगूठा जितना ज्यादा झुकने वाला होता है, व्यक्ति स्वभाव से उतना ही मिलनसार और खुशमिजाज होता है।अंगूठे के तीन भाग देते हैं कई संकेतअंगूठे का पहला भाग : व्यक्ति के हाथों की उंगलियों की तरह अगूंठे पर भी तीन रेखाएं मौजूद होते हैं। मान्यता है कि अगर अंगूठे का पहला भाग अगर बड़ा हो, तो ऐसा व्यक्ति आत्मनिर्भर और दृढ़ निश्चयी होता है। इन्हें जीवन में कभी धन की तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है।मध्य भाग : हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार, व्यक्ति के अंगूठे का मध्य भाग लंबा होता है, तो ऐसे लोग बहुत बुद्धिमान होते हैं। इन तर्क शक्ति भी शानदार होती है।अंतिम भाग : मान्यता है कि जिन व्यक्ति की अंगूठे का अंतिम भाग लंबा होता है, ऐसे लोगों को जीवन बहुत सुख-सुविधाओं में व्यतीत होता है और इन्हें जीवन में कभी भी किसी चीज की कमी नहीं रहती है।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, हथेलियों पर मौजूद रेखाओं के माध्यम से व्यक्ति के जीवन से जुड़े कई खास बातों का पता लगाया जा सकता है। हथेली की कुछ रेखाएं सुख-सौभाग्य का प्रतीक मानी जाती है। मान्यता है कि जिन व्यक्तियों की हथेली पर ये रेखाएं होती हैं, ऐसे लोग अकूत धन-संपत्ति के मालिक होते है। जीवन में कभी धन की तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है और लोगों को जीवन के हर क्षेत्र में अपार सफलता मिलती है। ऐसे ही हथेली पर मंगल रेखा भी बेहद शुभ मानी जाती है। मान्यता है कि हथेली पर मंगल रेखा बनने से जीवन के हर मोड़ पर भाग्य साथ देता है और जीवन सुख-सुविधाओं मं व्यतीत होता है। आइए जानते हैं मंगल रेखा के बारे में...
मंगल लाइन
मंगल रेखा जीवन रेखा के समानांतर होती है। मान्यता है कि जिन व्यक्ति की हथेलियों पर मंगल लाइन होती है। ऐसे लोगों की जीवन में कभी आर्थिक तंगी नहीं होती है। नौकरी-कारोबार में अपार सफलता मिलती है और सभी कार्य बिना किसी विघ्न-बाधा के पूरे होते हैं ।
मंगल लाइन क्या है?
मान्यता है कि जिन व्यक्तियों की हथेली पर एक से ज्यादा मंगल लाइन होती है। ऐसे लोग बहुत लकी होते हैं। मंगल रेखा जिस व्यक्ति की हथेली पर पायी जाती है। उन पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा होती है। इनके पास अचल धन-संपत्ति होती है। व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। नौकरी-कारोबार में धन लाभ होता है। जीवन में तरक्की के कई अवसर मिलते हैं और व्यक्ति ऊर्जा और आत्मविश्वास से भरपूर रहता है। साथ ही ऐसे लोग मेंटली और फिजिकली बहुत स्ट्रॉन्ग होते हैं। - -पं. प्रकाश उपाध्यायघर में पॉजिटिविटी रहती है माहौल खुशनुमा हो जाता है। वहीं, नेगेटिव एनर्जी बढ़ने से परिवार और संबंधों में तनाव पैदा हो सकते हैं, जिससे घर की सुख-शांति छिन सकती है। घर में नेगेटिव एनर्जी के प्रभाव से आर्थिक समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए इस स्टोरी के माध्यम से हम आपको ऐसे इजी तरीके बताने वाले हैं, जो घर की पॉजिटिविटी तो बढ़ाएंगे ही साथ ही आपकी आर्थिक स्थिति को भी सुधार सकते हैं।वास्तु टिप्स-1. घर को साफ-सुथरा रखें: घर में मौजूद गंदगी निगेटिव एनर्जी अट्रैक्ट करती है। इसलिए हमेशा अपने घर को साफ-सुथरा रखने की कोशिश करें। वहीं, फालतू समान इकट्ठा करके न रखें। कबाड़ को आज ही घर से बाहर करें।2. दीपक जलाएं: घर के प्रवेशद्वार पर संध्या के समय रोज दीपक जलाएं, जिससे सकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश कर सके। मान्यता है संध्या के समय मुख्य द्वार पर दीपक जलाने से मां लक्ष्मी का आगमन होता है।3. तोरण लगाएं: घर से नेगेटिव एनर्जी को दूर भागने के लिए आम के पत्तों का तोरण बनाकर मुख द्वार पर लगाएं। ध्यान रखें की तोरण में इस्तेमाल किए गए पत्ते हरे-भरे होने चाहिए न की कटे-फटे।4. नमक: अगर आपके घर में हर रोज क्लेश का माहौल बना रहता है तो हो सकता है इसके पीछे निगेटिव एनर्जी हो। इसलिए पानी में नामक मिलाकर पोंछा लगाने से घर की नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो सकती है।5. सूर्य को जल दें: रोजाना सूर्य को जल देने से कुंडली में सूर्य ग्रह को मजबूत बनाया जा सकता है। सूर्य ग्रह का संबंध मान-सम्मान और पद-प्रतिष्ठा से माना जाता है।6. तुलसी पूजन- तुलसी जी को रोजाना अर्घ्य दें और सुबह-शाम इनके समक्ष घी का दीपक जलाएं। तुलसी जी मां लक्ष्मी जी का रूप मानी जाती हैं। वहीं, शुक्रवार का व्रत रखने और लक्ष्मी सूक्तम का पाठ करने से भी आर्थिक दिक्कतों से राहत मिल सकती है।