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- बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रह समय-समय पर एक राशि से दूसरी राशि में भ्रमण करते हैं। शनि के बाद राहु और केतु को सबसे धीमी गति से चलने वाला माना गया है। ं राहु और केतु लगभग डेढ़ वर्ष तक एक राशि में भ्रमण कर अपना फल लंबे समय तक प्रदान करते हैं। इस महीने 30 अक्तूबर को केतु अपना राशि परिवर्तन करने जा रहे हैं । केतु का गोचर अब कन्या राशि में होगा और अगले डेढ़ साल तक यहीं स्थित रहेगा। इस गोचर से 3 राशियां हैं। इन राशि वाले जातकों को इस दौरान सावधान रहने की जरूरत है। आइये जानते हैं ये राशियां कौन सी हैं।वृष राशिवृष राशि के जातकों के लिए केतु का गोचर पंचम भाव में होगा। केतु के इस गोचर के कारण वृष राशि के जातकों को अपने रिश्तों के प्रति बहुत सावधान रहना होगा। इस राशि के जातकों को सलाह है कि वे अपने प्रेम संबंधों में सावधानी बरतें। प्रेमी के साथ तनाव और गलतफहमी या बढऩे की संभावना है। इस समय छात्र वर्ग को भी अच्छे परिणाम नहीं प्राप्त होंगे। उच्च शिक्षा करने वाले छात्रों को इस दौरान परेशानी हो सकती है। वृष राशि के जातकों को आर्थिक क्षेत्र में भी थोड़ा कमजोर महसूस होगा। व्यापार में उतना निवेश नहीं आ पाएगा। संतान पक्ष के साथ मतभेद हो सकते हैं और स्वास्थ्यगत परेशानियां भी हो सकती हैं।तुला राशितुला राशि के जातकों के लिए केतु का गोचर अब द्वादश भाव से होगा। इस भाव से व्यक्ति के खर्च का और विदेश यात्रा का बोध होता है तो इस भाव में विराजमान केतु की दृष्टि आपके अष्टम, छठे और चतुर्थ भाव पर होगी। केतु के इस गोचर के कारण तुला राशि के जातकों की आमदनी कम होगी और कुछ अप्रत्याशित खर्च सामने आएंगे। आपके शत्रु आपके ऊपर हावी होने का पूरा प्रयास करेंगे। इस दौरान सावधानी से वाहन चलाइए क्योंकि दुर्घटना होने की आशंका है। हृदय से जुड़ी बीमारी वाले जातक खासतौर से सावधानी बरतें। यह गोचर मानसिक कष्ट में वृद्धि कर सकता है। केतु का प्रभाव आपके जीवन में आमूलचूल परिवर्तन करने वाला होगा। इस दौरान आपकी विदेश जाने की इच्छा भी पूरी हो सकती है। अगर आप लेखक हैं तो आपके लेखन में निखार लाने का काम केतु के गोचर के दौरान होगा। ज्योतिष और तंत्र मंत्र से जुड़े जातकों को केतु अच्छी सफलता देने वाला होगा।कुंभ राशिकुंभ राशि के जातकों के लिए केतु का गोचर अष्टम भाव से होगा। इस भाव से अचानक से होने वाली घटनाओं का विचार किया जाता है। इस भाव में विराजमान केतु की दृष्टि आपके द्वादश भाव, आपके वाणी भाव और आपके चतुर्थ भाव यानी मां के घर पर होगी। केतु के इस गोचर के कारण आपके वैवाहिक जीवन में तनाव की स्थिति दिखाई दे रही है। पत्नी के साथ झगड़ा बढ़ सकता हैं। दूसरी ओर आपके कार्यक्षेत्र में भी कुछ असफलताओं को लेकर आप परेशान रहेंगे। व्यर्थ की यात्राओं से आपका मन खिन्न रहेगा। केतु के इस गोचर के कारण कोर्ट कचहरी के मामलों में आपका समय बर्बाद होगा। आपकी वाणी की कटुता पारिवारिक जीवन में तनाव पैदा करने का काम करेगी इसलिए अपनी वाणी को मधुर रखिए। इस गोचर के दौरान आप अपनी मां की सेहत को लेकर थोड़े परेशान भी हो सकते हैं। मानसिक कष्ट में वृद्धि संभव है।
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श्रीमद्भगवतगीता को उपनिषदों का सार कहा गया है। जो सभी हिंदू धर्मग्रंथों में सर्वमान्य है। भगवत गीता में बताए गए उपदेश जीवन को सही तरीके से जीने की सीख देते हैं। अगर लाइफ में सफल होना है तो गीता के इन इन 5 उपदेश को जरूर ध्यान में रखें। ये उपदेश केवल करियर ही नहीं बल्कि पर्सनल लाइफ में भी सक्सेजफुल होने में मदद करेंगे। हर छोटी बात पर टेंशन लेने और डिप्रेशन में जाने से बचने में भी हेल्प करेंगे।
किसी चीज से ज्यादा लगाव
अगर आप किसी चीज से, इंसान से या फिर सक्सेज पाने के लिए बहुत ज्यादा लगाव रखेंगे। तो ये आपके लिए नुकसानदेह हो सकता है। गीता में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिया था कि बहुत ज्यादा लगाव इंसान में क्रोध और निराशा पैदा कर सकता है। क्योंकि जब वो चीज इंसान को नहीं मिलती तो गुस्सा और हताशा आती है। जिससे सारे काम बिगड़ जाते हैं।
निडर बनें
गीता में कृष्ण ने उपदेश दिया है कि हमेशा निडर होकर काम करना चाहिए। अगर आप डरेंगे तो अपने लक्ष्यों से भटक जाएंगे और काम को पूरा नहीं कर पाएंगे। इसलिए डर कर नहीं लाइफ की परेशानियों का सामना करना चाहिए।
शक की आदत ना पालें
बहुत सारे लोगों को अपने ऊपर भरोसा नहीं होता। वो हमेशा सोचते हैं कि क्या ये काम मैं कर पाऊंगा। गीता में श्रीकृष्ण उपदेश देते हैं कि खुद के कामों पर संदेह ना करें। जो भी काम करें आत्मविश्वास के साथ करें। इससे काम में सक्सेज मिलने के ज्यादा चांस रहते हैं।
क्रोध ना करें
क्रोध करने से सारे काम बिगड़ जाते हैं। केवल काम ही नहीं क्रोध से रिश्ते भी बिगड़ते हैं। इसलिए खुद को शांत और संयत रखने की कोशिश करें।
परिणाम के बारे में पहले ना सोचें
अगर आप किसी काम को करने से पहले ही उसके रिजल्ट के बारे में सोचेंगे तो काम सही नहीं होंगे। इसलिए पहले पूरी कोशिश के साथ काम को पूरा करें। उसके आने वाले परिणाम के बारे में ना सोचें। इससे सफल होने के चांस बढ़ जाते हैं। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सुहागिनें अपने पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए करवा चौथ का व्रत रखती है। इस साल 1 नवंबर 2023 को करवा चौथ मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में पूजा-पाठ के दौरान वास्तु के नियमों का पालन करना बहुत जरूरी माना जाता है। मान्यता वास्तु के नियमों का ध्यान रखकर किए गए धर्म-कर्म के कार्य सफल होते हैं और जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। वास्तु में करवा चौथ की पूजा से भी जुड़े कुछ खास नियम बताए गए हैं। विवाहित महिलाएं करवा चौथ के दिन वास्तु के कुछ बातों का ध्यान रखकर अपनी मैरिड लाइफ को सुखी और खुशहाल बना सकती हैं। चलिए जानते हैं कि करवा चौथ की पूजा के स्पेशल वास्तु टिप्स...
सरगी खाते समय दिशा का ध्यान रखें
करवा चौथ के दिन सुबह सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण कर लेना चाहिए। सरगी को दक्षिण दिशा में मुख करके ग्रहण करना बेहद शुभ और फलदायी माना गया है।
करवा चौथ की पूजा थाली
करवा चौथ की थाली तैयार करते समय वास्तु के नियमों का पालन जरूर करें। वास्तु के अनुसार, पूजा थाली में कलश या करवे का रंग लाल होना चाहिए और कलश पर कलावा जरूर बांधें। थाली में चलनी,घी का दीपक, फूल, हल्दी, चंदन, मिठाई, शहद, चावल, कुमकुम, ड्राई फ्रूट्स और पानी से भरा ग्लास रखना चाहिए।
करवा चौथ की पूजा
वास्तु शास्त्र के मुताबिक, दक्षिण दिशा की ओर मुख करके करवा चौथ की पूजा नहीं करना चाहिए। करवा चौथ की पूजा करते समय मुख उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए। घर के मंदिर में करवा चौथ की पूजा करना शुभ माना गया है।
करवा चौथ की व्रत कथा
वास्तु के अनुसार, करवा चौथ की व्रत कथा सुनते समय मुख उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में रखें। मान्यता है कि ऐसा करने से पति-पत्नी के बीच सभी मनमुटाव दूर होता है और मैरिड लाइफ में खुशहाली आती है।
चंद्रदेव को अर्घ्य देने की दिशा
करवा चौथ के दिन चांद निकलने के बाद उत्तर-पश्चिम दिशा में मुख करके चंद्रदेव को को अर्घ्य दें। यह चंद्रमा की दिशा मानी जाती है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
धार्मिक मान्यता है कि रत्नों का जीवन पर बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसकी मदद से रिलेशनशिप, करियर और आर्थिक मामलों में आने वाली परेशानियों से छुटकारा पाया जा सकता है, लेकिन बिना ज्योतिषीय सलाह के रत्न धारण करने से जातक को विपरीत परिणाम मिल सकते हैं। इसलिए कोई भी रत्न पहनने से पहले ज्योतिषाचार्य से जरूर सुझाव लें। रत्न शास्त्र में कई ऐसे रत्न हैं, जो जातक की आर्थिक तंगी दूर करने में लाभदायक माने जाते हैं और इन्हें धारण करने से मात्र कुछ ही दिनों में अच्छे रिजल्ट्स मिलने लगते हैं। चलिए जानते हैं कि धन लाभ के लिए कौन-सा रत्न धारण करना चाहिए?
सिट्रीन(सुनहला)
सुख-समृद्धि और खुशहाली के लिए सुनहला रत्न धारण करना बेहद शुभ माना जाता है। सुनहला रत्न जातक के आत्मविश्वास, क्रिएटिविटी और सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि करता है। मान्यता है कि इसे धारण करने से आर्थिक स्थिति में सुधार आता है और धन की तंगी दूर होती है। साथ ही इस रत्न को पहनने से तरक्की के अवसरों में वृद्धि होती है।
पाइराइट(फूल्स गोल्ड)
इस रत्न को फूल्स गोल्ड भी कहते हैं। मान्यता है कि पाइराइट पहनने से किस्मत सूर्य की तरह चमकती है। व्यक्ति के कार्य-व्यापार में सौ गुना अधिक तरक्की करता है। जिन लोगों को कड़ी मेहनत के बावजूद परिणाम अच्छे नहीं मिलते हैं, उन्हें यह रत्न जरूर धारण करना चाहिए। इस रत्न के शुभ प्रभाव से व्यक्ति को आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है।
ग्रीन जेड
आर्थिक मामलों में भाग्य चमकाने के लिए जेड स्टोन पहनना भी बेहद लाभदायक साबित हो सकता है। मान्यता है कि जेड स्टोन पहनने से जातक के सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है और हर काम में भाग्य साथ देता है। इसे धारण करने से व्यक्ति को सोच-समझकर आर्थिक फैसला लेने में मदद मिलता है।
गारनेट
रत्न शास्त्र में गारनेट पहनना बेहद शुभ माना गया है। कहा जाता है कि गारनेट धारण करने से आर्थिक दिक्कतें कम होती हैं और व्यक्ति को धन की तंगी से आराम मिलता है। इसे पहनने से धन-दौलत में वृद्धि होती है और जातक का जीवन सुख-सुविधाओं में व्यतीत होता है। -
अखंड सौभाग्य की कामना के साथ सुहागिनें करवा चौथ व्रत रखती हैं। कुंवारी लड़कियां मनपसंद हमसफर पाने के लिए भी करवा चौथ व्रत करती हैं। हर साल करवा चौथ व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस साल करवा चौथ व्रत 01 नवंबर 2023, बुधवार को रखा जाएगा। हिंदू धर्म के अनुसार, सुहागिनें सास द्वारा दी गई सरगी खाकर व्रत की शुरु करती हैं और फिर पूरे दिन निर्जला व्रत रखने के बाद शाम को चंद्रदेव को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोलती हैं। अगर आप पहली बार करवा चौथ व्रत रखने जा रही हैं तो यहां जान लें कैसे रखें व्रत व सरगी खाने का समय-
1. सबसे पहले व्रती महिला को सुबह उठकर बड़ों का आशीर्वाद लेना चाहिए। फिर सरगी खाकर व्रत की शुरुआत करनी चाहिए। पहली बार करवा चौथ व्रत करने पर विवाहित महिला को सास सरगी में फल, मिठाई, कपड़े और श्रृंगार आदि का सामान देती है।
2. करवा चौथ व्रत में पूरे 16 श्रृंगार करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसलिए करवा चौथ व्रत से पहले या उस दिन हाथों में मेहंदी रचा सकते हैं।
3. करवा चौथ पूजन में साड़ी का लहंगा या साड़ी पहनना अत्यंत शुभ माना जाता है। अगर शादी का जोड़ा संभव नहीं है तो लाल साड़ी या लहंगा पहन सकती हैं।
4. अगर लाल रंग के कपड़े नहीं हैं तो पहले करवा चौथ व्रत में हरा, मैरून या गुलाबी रंग के वस्त्र धारण कर सकते हैं। इस व्रत में काला, सफेद या नीले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए।
करवा चौथ व्रत में सरगी किस समय खानी चाहिए
सरगी का अर्थ सुबह होने से पहले का भोजन है। इसलिए इसे सूर्योदय से पूर्व खा लेना चाहिए। महिलाएं करीब सुबह 3-4 बजे उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर सरगी खाती हैं। ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि सुबह 05 बजे से पहले सरगी खा लेना चाहिए और फिर व्रत की शुरुआत करनी चाहिए। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
वास्तु शास्त्र में घर बनाने से लेकर घर में चीजों को रखने के कई नियम बताए गए हैं। घर को बनाते समय कई बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी माना जाता है। घर अगर सही दिशा और तरीके से बनाया जाए तो जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। वहीं, घर बनाते समय वास्तु के नियमों का पालन न करने पर नेगेटिव एनर्जी और वास्तु दोष लगने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए आइए जानते हैं वास्तु के कुछ नियम, जिन्हें नए घर बनाते समय ध्यान रखना बेहद जरूरी माना जाता है।
बिल्डिंग के चारों ओर जगह छोड़ना बहुत शुभ होता है। भवन की ऊंचाई का नियम इस प्रकार है कि ऊपर वाली मंजिल की ऊंचाई नीचे वाली से कम होती जाएगी। बालकनी उत्तर एवं पूर्व दिशा की ओर ही शुभ होती है। दक्षिण एवं पश्चिम की ओर बालकनी नहीं बनानी चाहिए। मुख्य द्वार अन्य सभी द्वारों से बड़ा होना शुभ माना जाता है।
दिशा का रखें विशेष ध्यान
घर बनाते समय उत्तर की दिशा में जल से जुड़ी चीजें बनानी चाहिए। उत्तर पूर्व दिशा को ईशान कोण भी कहते हैं। इस दिशा में स्विमिंग पूल बनवाना बेहद ही शुभ माना जाता है। वहीं दक्षिण दिशा को ज्यादातर खुला रखना चाहिए और किसी भी तरह का भारी समान इस दिशा में नहीं रखना चाहिए। वास्तु विद्या के अनुसार दक्षिण दिशा में खिड़की या गेट नहीं बनवाना चाहिए क्योंकि इससे घर में नेगेटिव एनर्जी बढ़ जाती है। - -पं. प्रकाश उपाध्यायहथेली पर मौजूद रेखा व्यक्ति के वर्तमान और भविष्य के बारे में कई संकेत देती है। हथेलियों की रेखाओं की मदद से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति, धन-दौलत और सेहत का अनुमान लगाया जा सकता है। हथेलियों की कुछ रेखाएं व्यक्तियों के लिए बेहद सौभाग्यशाली मानी जाती है। हथेलियों पर इन रेखाओं के मौजूद होने से व्यक्ति के जीवन में धन, सुख और वैभव की कमी नहीं रहती है और जीवन के हर मार्ग पर सफलता मिलती है। चलिए जानते हैं हथेलियों के इन रेखाओं के बारे में...त्रिशूल के निशानजिन व्यक्ति की हथेलियों पर त्रिशूल के निशान पाए जाते हैं। ऐसे जातक बेहद सौभाग्यशाली माने जाते हैं। ऐसे लोगों को जीवन सुख-सुविधाओं से भरपूर होता है। यह बेहद आलीशान जिंदगी जीत हैं। जीवन में कभी भी किसी चीज की कमी नहीं रहती है। साथ ही समाज में यश और कीर्ति बढ़ता है।मछली के निशानहथेलियों पर मछली का निशान भी बेहद शुभ माना जाता है। ऐसे लोगों को जीवन में कभी भी धन, सुख और समृद्धि की कमी नहीं होती है। जिन जातकों की हथेली पर मछली का चिन्ह होता है, उन्हें किसी भी काम में बाधाओं का सामना नहीं करना पड़ता है। ऐसे व्यक्ति अपने हुनर के बदौलत देश-दुनिया में एक अलग पहचान बनाते हैं।कमल के निशानहस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, हथेलियों पर कमल का निशान बेहद शुभ माना जाता है। जिन व्यक्ति के हथेलियों पर कमल का चिन्ह होता है। ऐसे जातकों के सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है और जीवन खुशहाली में व्यतीत होता है।स्वास्तिक का निशानजिन लोगों की हथेली पर स्वास्तिक का निशान होता है, वह बेहद लकी माने जाते हैं। ऐसे व्यक्तियों के जीवन में अपार सफलता मिलती है। ऐसे लोग बेहद अमीर होते हैं और जीवन में आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है।त्रिकोण के निशानहथेलियों की भाग्य रेखा पर त्रिकोण बनने से व्यक्ति अचल संपत्ति का मालिक होता है। जातक के जीवन में धन और सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही व्यक्ति को पैतृक संपत्ति मिलती है और धन आगमन के मार्ग हमेशा खुले रहते हैं।
- -पं. प्रकाश उपाध्यायजीवन में हर कोई कामना करता है कि उसके घर में हमेशा खुशियां बनी रहे और कभी सपने में भी दुख-दुर्भाग्य न आने पाए. अपनी इन्हीं खुशियों को बनाए रखने के लिए वह अपने घर में तमाम सुख-सुविधा की चीजों को खरीद कर लाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि घर के भीतर प्रत्येक चीज को रखने के लिए एक दिशा और एक स्थान निर्धारित होता है और गलत दिशा या गलत स्थान पर रखने पर आपको उसके नकारात्मक फल प्राप्त हो सकते हैं. आइए वास्तु से जानते हैं कि घर के किस कोने में कौन सा सामान रखना उचित होता है.कहां रखना चाहिए फ्रिजयदि आप अपने घर में फ्रिज रखने के लिए सही स्थान ढूढ़ रहे हैं तो जान ले कि वास्तु के अनुसार इसके लिए दक्षिण-पश्चिम कोना सबसे उचित होता है. वास्तु के अनुसार कभी भूलकर भी फ्रिज को उत्तर या पूर्व दिशा में नहीं रखना चाहिए.वाशिंग मशीन की सही दिशायदि आप अपने घर में वाशिंग मशीन के लिए सही दिशा का चयन करना चाहते हैं तो जान लें कि वास्तु के अनुसार इसके लिए दक्षिण-पूर्व की दिशा सबसे सही मानी गई है. मान्यता है कि इस दिशा में रखा बिजली का उपकरण खूब चलता है.कहां पर रखें सोफावास्तु के अनुसार ड्राइंग रूम की शान बढ़ाने वाले सोफा को हमेशा दक्षिण या पश्चिम दिशा की ओर रखना चाहिए. इस दिशा में रखा सोफा सुख-समृद्धि और सामंजस्य को बढ़ाने वाला साबित होता है.कहां लगाएं टीवीवास्तु के अनुसार घर में टीवी को लगाने के लिए सबसे उत्तम स्थान घर का ड्राइंग रूम होता है. वास्तु के अनुसार टीवी को हमेशा पूर्व की दिशा की ओर लगाना चाहिए. वास्तु के अनुसार कभी भूलकर भी अपने घर के बेडरूम में टीवी नहीं लगाना चाहिए.किचन में कहां रखे चूल्हावास्तु के अनुसार घर के किचन में रखे चूल्हे का न सिर्फ आपकी सेहत से बल्कि आपके सौभाग्य से भी संबंध होता है. ऐसे में इसे किचन में हमेशा सही दिशा में रखना चाहिए. वास्तु के अनुसार किचन को हमेशा दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना चाहिए. इसे यहां पर कुछ ऐसे रखना चाहिए कि खाना बनाते समय आपका मुंह पूर्व की ओर रहे.
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- पं. प्रकाश उपाध्याय
घर में रखी गयी हर एक चीज पॉजिटिव या नेगेटिव तौर पर घर को प्रभावित करती है। वहीं, कई बार जाने-अनजाने में हम कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जो घर में वास्तु दोष का कारण बनती हैं। घर में वास्तु दोष होने पर कार्यों में बाधाएं उतपन्न होने लगती हैं। गलत दिशा में या अनजाने में गलत ढंग से रखी गयी कुछ वस्तुओं से घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। वहीं, कुछ ऐसी भी अनुपयोगी वस्तुएं हैं, जिन्हें घर में रखने से नेगेटिव एनर्जी फैलती है और बैड लक का कारण भी बनती है। इसलिए अगर आपके घर में भी ये वस्तुएं मौजूद हैं तो इन्हें आज ही घर से बाहर निकाल फेकना बेहतर रहेगा।
वास्तु दोष का कारण बनने वाली वस्तुएं
घर में बिना चाबी के ताले तथा बिना तालों की चाबियां हों, तो उन्हें हटा देना चाहिए वरना जीवन में बाधाएं आती रहेंगी। पुराने पेन, टीवी, बंद घड़ी, लोहा आदि घर में रखने से नकारात्मकता फैलती है। छत पर रखा हुआ कबाड़, लकड़ी आदि तनाव व अड़चन पैदा करते हैं। इसलिए इन चीजों को तुरंत हटा दें। वहीं, सोते समय सिर के पास पानी की बोतल आदि नहीं रखना चाहिए। इससे मानसिक परेशानी आ सकती हैं।
अनुपयोगी चीजें
कुछ लोगों को पुराने अखबार इकठ्ठा करने की आदत होती है। वहीं, घर में पुराने अखबार या डायरी जमा करने से कार्यों में रुकावटें पैदा हो सकती हैं। वहीं, कुछ लोग स्टोर रूम में फालतू का सामान रखते हैं, जिन्हें उपयोग नहीं हो रहा होता है। ऐसी सामान भी नहीं रखने चाहिए। इससे माता लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं और अर्थीक समस्याएं आ सकती हैं। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
यूं तो शिवजी की भक्ति कभी भी की,किसी भी दिन की जाए वो शुभ ही होती है। लेकिन धार्मिक मान्यता के अनुसार सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है, इस दिन शिव की पूजा करना सबसे लाभदायक होता है। भगवान शिव ही सृष्टि के नियंत्रक हैं। विशेषकर सोमवार के दिन इनकी पूजा से नवग्रहों की शांति की जा सकती है। आइए जानते हैं।
सूर्य ग्रह
सूर्य को आत्मा का कारक माना जाता है। इस ग्रह की कृपा और शुभ फल पाने के लिए आप शिवलिंग पर लाल चंदन का लेप करें या तिलक लगाएं। इससे आपकी कुंडली में सूर्य ग्रह मजबूत होगा।
चंद्रमा
चंद्रमा मन का कारक होता है। अगर आपकी कुंडली में चंद्र देव कमजोर स्थिति में हैं तो शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं। इससे चंद्रमा की स्थिति अच्छी होगी। आपकी सेहत ठीक रहेगी साथ ही ऐसा करने से मानसिक शांति भी बनी रहेगी।
मंगल ग्रह
इस ग्रह को सभी ग्रहों का सेनापति कहा जाता है। इसकी मजबूत स्थिति आपको साहसी और ऊर्जावान बनाती है। इस ग्रह की शांति के लिए आप शिवलिंग पर शहद से अभिषेक करें या फिर पंचामृत चढ़ाएं, इससे मंगल देव की कृपा आपके जीवन में बनी रहेगी।
बुध ग्रह
इस ग्रह को बुद्धि का कारक माना जाता है। बुध देव को प्रसन्न करने के लिए आप शिव जी की पूजा में बिल्व पत्र एवं दूर्वा का प्रयोग जरूर करें। कुंडली में बुध ग्रह की मजबूत स्थिति से आपको सामाजिक मान सम्मान मिलता है,व्यापार अच्छा चलता है।
बृहस्पति ग्रह
ज्योतिष में गुरु ग्रह को भाग्य और धन का कारक माना जाता है। इस ग्रह की शांति के लिए भीगी हुई चने की दाल एवं पीले पुष्प शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए। जीवन में यदि आपका भाग्य साथ नहीं दे रहा,आर्थिक परेशानियां हैं तो इसका मतलब बृहस्पति ग्रह कमजोर स्थिति में है, ऐसे में यह उपाय करने से लाभ मिलेगा।
शुक्र ग्रह
शुक्र देव आकर्षण, ऐश्वर्य, सौभाग्य, धन, प्रेम और वैभव के कारक हैं। इस ग्रह के कमजोर होने से जीवन में सुख नहीं मिलता। इस ग्रह को प्रसन्न करने के लिए आपको शिवलिंग का दही-बूरा से अभिषेक करना चाहिए।
शनि देव
शनि देव न्याय के देवता माने जाते हैं। यह कर्म के अनुसार जातक को फल देते हैं। कुंडली में इनकी स्थिति मजबूत करने एवं इनकी कृपा पाने के लिए पूजा के बाद शिवजी की आरती धूप बत्ती से करनी चाहिए।
राहु-केतु
कुंडली में राहु की शुभ स्थिति होने पर उच्च पदों की प्राप्ति होती है। वहीं, कुंडली में केतु शुभ भाव में बैठते हैं तो व्यक्ति को जीवन में मान-सम्मान, धन और संतान की प्राप्ति होती है। कुंडली में राहु केतु की स्थिति को शुभ करने के लिए शिवलिंग पर जल की धारा अर्पित करें। साथ ही भांग धतूरा अर्पित करें। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
हथेलियों पर बन रहे कुछ योग जातक के जीवन में सुख-सौभाग्य का कारक माने जाते हैं। जिन व्यक्ति की हथेली पर यह योग बनता है, ऐसे लोग बहुत भाग्यशाली होते हैं। उन्हें किसी चीज की कमी नहीं रहती है और जीवन सुख-सुविधाओं में व्यतीत होता है। ऐसे व्यक्ति को करियर, प्रेम और व्यापार में अपार सफलता मिलती है। इन्हीं शुभ योगों में से एक योग पुष्कल योग है। जिन जातकों के हथेलियों पर पुष्कल योग बनता है। उन्हें जीवन में कभी भी धन की तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है। ऐसे लोग अपार धन-संपदा के मालिक होता हैं और राजाओं की तरह अपना जीवन जीते हैं। चलिए हथेलियों पर पुष्कल योग बनने के लाभ जानते हैं।
हथेलियों पर पुष्कल योग
हथेली पर शनि और शुक्र रेखा स्पष्ट होने के साथ शुक्र पर्वत से भाग्य रेखा की शुरुआत होने पर हथेलियों पर पुष्कल योग बनता है। जिन व्यक्तियों की हथेली पर पुष्कल योग बनता है, वे बहुत लकी माने जाते हैं।
स्वभाव में विनम्रता
हस्तरेखा शास्त्र के मुताबिक, जिन व्यक्ति की हथेलियों पर पुष्कल योग बनता है वह स्वभाव से बेहद सरल और विनम्र होते हैं। ऐसे लोग बातचीत के जरिए लोगों को इंप्रेस कर देते हैं। अपने बेहतरीन कम्युनिकेशन स्किल के चलते इन्हें कार्य और व्यापार में खूब तरक्की मिलती है।
व्यावसायिक सफलता
मान्यता है कि हथेलियों पर पुष्कल योग बनने से जातक के जीवन में सुख-सौभाग्य की कमी नहीं रहती है। व्यक्ति को करियर में अपार सफलता मिलती है और किसी भी काम में असफलता का सामना नहीं करना पड़ता है। ऐसे लोग आर्थिक मामलों में सुखी और धन-संपन्न रहते हैं।
समाजिक पद
प्रतिष्ठा: जिन जातकों की हथेलियों पर पुष्कल योग बनता है। मान्यता है कि उन्हें समाज में बहुत मान-सम्मान मिलता है। ऐसे जातक का व्यक्तित्व बहुत आकर्षक होता है। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
धार्मिक मान्यताओं में नवरात्रि का विशेष महत्व माना जाता है। माता दुर्गा को समर्पित है नवरात्रि के नौ दिन। इन दिनों माता के स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान माता रानी की पूजा अर्चना करने से मां दुर्गा को प्रसन्न किया जा सकता है। कुछ ही दिनों में नवरात्रि का पावन पर्व 15 अक्टूबर से शुरू होने वाला है। वहीं, घर में कुछ चीजें रखने से नकारात्मकता प्रवेश करती है और सुख समृद्धि पर बुरा प्रभाव डालती है। ऐसे में नवरात्रि शुरू होने से पहले ही इन चीजों को घर से बाहर निकाल फेंके।
फटी पुस्तकें
कई लोग पूजा पाठ से जुड़ी धार्मिक पुस्तक अपने घर में रखते हैं। वहीं, पुस्तकें जब पुरानी हो जाती हैं तो वे फटने लगती हैं। कभी भी घर में कटी-फटी या गले पन्नों वाली धार्मिक पुस्तक नहीं रखना चाहिए। इससे नकारात्मक ऊर्जा आती है। इन्हें बहते जल में नवरात्रि से पहले प्रवाहित कर दें।
खंडित मूर्ति
घर में या फिर मंदिर में खंडित मूर्ति रखना बेहद अशोक माना जाता है। टूटी फूटी या जल गई मूर्ति रखने से बनने वाले काम भी बिगड़ने लगते है। इसलिए अगर आपके भी घर में खंडित मूर्तियां मौजूद हैं तो उन्हें नवरात्रि से पहले किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर दें।
बंद घड़ी
वास्तु शास्त्र के मुताबिक कभी भी घर में बंद घड़ी नहीं रखनी चाहिए। ऐसा कहा जाता है बंद घड़ी रखने से किस्मत भी बंद घड़ी जैसी हो जाती है। इसलिए नवरात्रि से पहले ही अपने घर से बंद घड़ी बाहर निकाल फेंके। बंद घड़ी या खराब ताला रखने से तरक्की भी रुक जाती है।
जूते चप्पल
कई बार लोग ऐसे जूते चप्पल घर में समेट कर रखते हैं जिन्हें वे ना तो पहनते हैं ना ही किसी काम आते हैं। वास्तु विद्या के अनुसार, कभी भी घर में फटे पुराने जूते चप्पल नहीं रखना चाहिए, जिनका आप इस्तेमाल न करते हो। इससे घर में नेगेटिव एनर्जी बढ़ जाती है। - बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायइस साल 15 अक्तूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। इसका समापन 24 अक्तूबर को दशहरा यानी विजयादशमी वाले दिन होगा। नवरात्रि के नौ दिन बहुत ही पवित्र माने जाते हैं। इस बीच कई तरह के अनुष्ठान और धार्मिक कार्य किए जाते हैं। साथ ही इस दौरान कुछ चीजों को खरीदकर घर लाना भी शुभ माना गया है। मान्यता है कि इससे घर में सुख-शांति और बरकत बढ़ती है। चलिए जानते हैं उन चीजों के बारे में...कलशकलश को शुभता का प्रतीक माना जाता है और नवरात्रि की शुरुआत भी कलश स्थापना से होती है। ऐसे में आप शारदीय नवरात्रि में अपने घर कलश जरूर लेकर आएं। आप अपनी क्षमता के अनुसार मिट्टी, पीतल, चांदी या सोने का कलश घर ला सकते हैं।मां दुर्गा की मूर्तिनवरात्रि मां दुर्गा को समर्पित है। ऐसे में इस नवरात्रि आप अपने पूजा घर के लिए मां दुर्गा की मूर्ति खरीद लाएं और विधि पूर्वक पूजा करें। नवरात्रि बाद भी इस मूर्ति की पूजा करते रहें। इससे माता राना की कृपा आपके ऊपर बनी रहेगी।माता रानी के पद चिह्नइस बार शारदीय नवरात्रि में आप मां दुर्गा के पद चिह्न खरीद कर अपने घर लाएं और उनका पूजन करें। मां दुर्गा के पद चिह्न बहुत ही शुभ माने जाते हैं। इनकी पूजा से घर में शुभता बनी रहती है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि देवी के पद चिह्न को फर्श पर न लगाएं। ऐसा करने से उस पर आपके परिवार के सदस्यों के पैर पड़ते हैं और इससे माता रानी का अपमान होता है। इसलिए मां दुर्गा के पद चिह्न को आप पूजा स्थान के पास लगाएं।दुर्गा बीसा यंत्रदुर्गा बीसा यंत्र को बहुत चमत्कारिक यंत्र माना जाता है। शास्त्रों में मान्यता है कि सिद्ध किया हुआ दुर्गा बीसा यंत्र अपने पास रखने से धन की हानि नहीं होती है। साथ ही समस्त प्रकार के बुरे दिनों से रक्षा होती है। नवरात्रि में इस यंत्र की पूजा का विशेष महत्व है। इसे सिद्ध करने के लिए नवरात्रि सबसे अच्छा समय माना गया है। इसलिए इस बार शारदीय नवरात्रि में दुर्गा बीसा यंत्र जरूर घर ले आएं।पताका या ध्वजशारदीय नवरात्रि के पहले दिन ही लाल रंग का त्रिकोणीय पताका खरीदकर लाएं। इसे बहुत शुभ माना जाता है। नवरात्रि में माता के समक्ष इस पताके को रख कर नौ दिनों तक पूजा करें। इसके बाद नवमी के दिन उस पताका को मां के मंदिर की गुंबद में लगा दें। इससे परिवार में सुख समृद्धि आती है।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, किसी जातक की हथेलियों पर मौजूद कुछ रेखाएं और चिन्ह बेहद शुभ माने जाते हैं। हथेलियों पर ये निशान होने पर जातक जीवन सुख-सुविधाओं और खुशहाली से भरपूर होता है। ऐसे लोगों पर देवी-देवताओं की विशेष कृपा रहती हैं और जीवन में किसी भी क्षेत्र में दुख और बाधाओं का सामना नहीं करना पड़ता है। जिन व्यक्ति की हथेलियों पर ऐसी रेखाएं बनती हैं वे बहुत सौभाग्यशाली माने जाते हैं। चलिए जानते हैं कि हथेलियों पर किन रेखाओं को बेहद शुभ माना जाता है?
कमल का निशान
जिन व्यक्ति की हथेलियों पर कमल का निशान बनता है, उन्हें जीवन में कभी भी धन-संपत्ति की कमी नहीं रहती है। सूर्य पर्वत पर कमल का निशान बनने से व्यक्ति अपार धन-दौलत का मालिक होता है और उसे जीवन में कभी धन की तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है।
स्वास्तिक का चिन्ह
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, हथेली पर स्वास्तिक का चिन्ह बेहद शुभ फलदायी होता है। यह भगवान गणेश का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि जिन लोगों की हथेलियों पर स्वास्तिक का निशान बनता है, उन्हें समाज में खूब मान-सम्मान मिलता है। ऐसे लोग बहुत प्रतिभाशाली होते हैं और उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में अपार सफलता मिलती है।
चक्र का निशान
हथेलियों पर चक्र का चिन्ह बनना भी जातक के जीवन में सुख-सौभाग्य का संकेत देता है। जिस व्यक्ति के हाथ में चक्र का निशान होते हैं वह अपार धन-संपदा के मालिक होते हैं। ऐसे लोगों की समाज में खूब यश-कीर्ति बढ़ती है।
मछली का निशान
हस्तरेखा के अनुसार, हथेलियों पर मछली का निशान बनना भी बेहद शुभ होता है। ऐसे जातकों को करियर में खूब सफलता मिलती है। धन, सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। व्यक्ति का भाग्य साथ देता है और रिश्तों में मधुरता भी बनी रहती है। व्यक्ति का जीवन खुशहाली में व्यतीत होता है।
शंख का चिन्ह
हथेलियों पर शंख का चिन्ह बनना भी बहुत मंगलकारी माना जाता है। मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु को शंख बहुत प्रिय है। जिन जातकों की हथेलियों पर शंख का निशान बनता है, ऐसे लोगों पर मां लक्ष्मी और विष्णुजी हमेशा मेहरबान रहते हैं। ऐसे जातकों को सभी कार्यों में जीत मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली की कमी नहीं रहती है। - बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायमाना जाता है कि पूर्वजों की तस्वीर लगाने से घर के लोगों पर पूर्वजों का पूरा आशीर्वाद भी बना रहता है। साथ ही पूर्वजों की तस्वीरें घर की सुख समृद्धि का कारण बनती हैं। घर में पूर्वजों की तस्वीर रखना सही रहता है, लेकिन उनकी तस्वीरों को रखते समय कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए, नहीं तो आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।घर के मंदिर में न लगाएं पूर्वजों की तस्वीरकुछ लोग अपने पूर्वजों की तस्वीर घर के मंदिर में लगा कर उनकी पूजा करते हैं। शास्त्रों के अनुसार भले ही पूर्वजों का स्थान उच्च और आदरणीय माना गया है, लेकिन पितर और देवताओं का स्थान अलग-अलग होता है। ऐसे में पूजास्थल पर पितरों की तस्वीर लगाने से आपको परेशानियां हो सकती हैं और इससे देवता भी नाराज होते हैं।लटका कर न रखें पूर्वजों की तस्वीरकभी भी पूर्वजों की तस्वीर को घर में लटका कर नहीं रखना चाहिए। पूर्वजों की तस्वीर को किसी लकड़ी स्टैंड पर रखना चाहिए। इसके अलावा कुछ लोग ऐसी जगहों पर पूर्वजों की तस्वीरें लगा देते हैं, जहां पर सबकी नजर उस पर पड़ती है, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। आते-जाते मृत लोगों की तस्वीरों पर नजर पडऩे से मन में निराशा उत्पन्न होती है।इन स्थानों पर भी न लगाएं पूर्वजों की तस्वीरपितरों की तस्वीर शयनकक्ष, घर के बिल्कुल मध्य स्थान या फिर रसोई घर में नहीं लगाना चाहिए। इससे पितर नाराज होते हैं, जिसका बुरा प्रभाव घर की सुख-शांति पर पड़ता है और घर में कलह की स्थिति उत्पन्न होती है।जीवित लोगों की तस्वीरों के साथ न लगाएं पूर्वजों की तस्वीरपितरों की तस्वीर को कभी भी जीवित लोगों की तस्वीरों के साथ नहीं लगाना चाहिए। ऐसा करने से जीवित लोगों की आयु कम होने लगती है। साथ ही उस व्यक्ति पर नकारात्मक प्रभाव पडऩे लगता है।घर में इन जगहों पर लगाएं पूर्वजों की तस्वीरवास्तु शास्त्र के अनुसार पूर्वजों की तस्वीर घर की उत्तर दिशा की दीवार पर लगाना सही रहता है, इससे उनका मुख दक्षिण दिशा की ओर रहता है और दक्षिण दिशा यम और पितरों की दिशा होती है।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
वैदिक ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति ग्रह को गुरु माना गया है। देवगुरु बृहस्पति धनु और मीन राशि के स्वामी ग्रह हैं। कर्क राशि में इन्हें उच्च और मकर राशि में नीच का माना गया है। देवगुरु बृहस्पति को एक राशि से दूसरी राशि में आने में करीब एक साल का समय लगता है। वर्तमान में गुरु मेष राशि में वक्री अवस्था में हैं। गुरु 4 सितंबर को वक्री अवस्था में आए थे। किसी भी ग्रह की वक्री अवस्था से अर्थ उसकी उल्टी चाल से है। गुरु 31 दिसंबर 2023 तक वक्री रहेंगे। 12 साल बाद मेष राशि में गुरु के वक्री होने से कुछ राशियों को सकारात्मक परिणाम मिलने की संभावना है।
जानें इन राशियों के बारे में-
मेष राशि
देवगुरु बृहस्पति की वक्री अवस्था में मेष राशि वालों को सुखद परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। इस दौरान आप आर्थिक लाभ का अनुभव कर सकते हैं। इसके साथ ही करियर में उत्तम परिणाम मिल सकते हैं। व्यापारियों को वक्री गुरु की अवधि में ज्यादा मुनाफा हो सकता है। गुरु की उल्टी चाल आपको समाज में मान-सम्मान दिला सकती है।
सिंह राशि
सिंह राशि के तहत जन्म लेने वाले जातकों को वक्री गुरु खूब लाभकारी परिणाम देंगे। वक्री गुरु की अवधि में आपको निवेश का पूरा-पूरा लाभ मिलेगा। सफलता आपके कदम चूमेगी। आपको अपने पिता का भरपूर सहयोग मिलेगा। करियर की बात करें तो आपको प्रमोशन मिल सकता है। कोई लंबे समय से अटका प्रोजेक्ट आखिरकार पूरा हो जाएगा। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले जातकों को सफलता मिल सकती है।
मीन राशि
मीन राशि वालों के वक्री गुरु की अवधि में लाभ ही लाभ हो सकता है। 31 दिसंबर तक की अवधि आपके जीवन में सकारात्मक परिणाम ला सकती है। इस दौरान आपको आर्थिक लाभ होने के आसार हैं। आप परिवार के साथ अच्छा समय बिताएंगे। वैवाहिक जीवन अच्छा रहने वाला है। लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल होंगे। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
घर बनवाने के लिए प्लॉट करते समय वास्तु के नियमों का जरूर पालन करना चाहिए। इन नियमों को नजरअंदाज करने पर घर की नेगेटिविटी बढ़ती है और परिजनों को जीवन में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसलिए प्लॉट खरीदते समय वास्तु दोषों से बचने के लिए कुछ खास बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। इससे घर में खुशहाली आएगी और सुख-समृद्धि में बढ़ोत्तरी होगी। चलिए जानते हैं प्लॉट खरीदते समय वास्तु के किन नियमों का पालन करना चाहिए?
जमीन का आकार: वास्तु के अनुसार, वर्गाकार या आयताकार जमीन पर मकान बनवाना बेहद शुभ होता है। यह घर के सदस्यों के सुख-सौभाग्य में वृद्धि करता है। वृत्ताकार आकार की भूमि पर घर बनाना शुभ नहीं होता है। व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए वृत्ताकार भूमि का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसी तरह से त्रिभुजाकार जमीन पर घर बनाने से धन हानि होता है और व्यक्तियों का जीवन बाधाओं से घिर जाता है।
दिशा को ना करें अनदेखा: वास्तु शास्त्र के अनुसार, जमीन खरीदते समय इस बात पर ध्यान दें कि मकान का मुख्यद्वार उत्तर या पूर्व दिशा में हो। इसके अलावा ईशान कोण यानी उत्तर पूर्व दिशा की ओर बना मकान भी बेहद शुभ माना जाता है। साथ मकान का मुख्यद्वार दक्षिण दिशा में ना हो।
ऐसी जगह ना लें जमीन: मकान बनाने के लिए भूमि खरीदते समय इस बात का ध्यान रखें कि वहां कभी भी श्मशान ना रहा हो। साथ ही अस्पताल और पुलिस थाने के पास जमीन लेने से बचना चाहिए। ऐसा करने से घर में सुख-शांति बाधित रहती है।
प्लॉट की मिट्टी: वास्तु के अनुसार, लाल, भूरी और पीली मिट्टी पर मकान बनवाना शुभ होता है। इस मिट्टी में घर पर पेड़-पौधे आसानी से लग जाते हैं। वहीं रेतीली मिट्टी वाला प्लॉट खरीदने से बचना चाहिए। यह मिट्टी घर के नींव का भार उठाने में सक्षम नहीं होती है।-9406363514
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
पितृ पक्ष की शुरुआत 29 सितंबर से हो चुकी है। कल यानी 3 अक्टूबर 2023 पितृ पक्ष की पंचमी तिथि है। इस दिन उन लोगों का श्राद्ध होता है, जिनकी मृत्यु पंचमी तिथि में हुई हो। इसे कुंवारा पंचमी भी कहते हैं क्योंकि इसदिन घर के ऐसे मृतकों और पितरों का श्राद्ध भी किया जाता है, जो अविवाहित थे। मान्यता है पंचमी तिथि के दिन कुंवारे पितरों का श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और उनकी कृपा हमेशा घर पर बनी रहती है। चलिए पंचमी तिथि की श्राद्ध विधि और नियम जानते हैं।
कुंवारा पंचमी का शुभ मुहूर्त: पितृ पक्ष में पंचमी तिथि 3 अक्टूबर 2023 को सुबह 06: 11 ए एम पर शुरू होगा और 4 अक्टूबर 2023 को 5:33 ए एम पर समाप्त होगा। इसलिए पंचमी तिथि का श्राद्ध 3 अक्टूबर 2023 को किया जाएगा।
पंचमी श्राद्ध की विधि:
कुंवारा पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठें। स्नानादि के बाद साफ कपड़े पहनें।
श्राद्ध के लिए पितरों के पसंद का भोजन बनाएं।
साथ ही खीर जरूर बनाएं और पितरों के लिए अग्नि में खीर अर्पित करें।
ब्राह्मणों को भोज कराएं। अपनी क्षमता के अनुसार उन्हें दान-दक्षिणा दें।
श्राद्ध के दिन चींटी, कुत्ता, कौवा और गाय के लिए खाना जरूर निकालें।
इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को भी भोजन कराएं।
इस दौरान आप ब्राह्मणों को धोती-कुर्ता, गमछा और जूते-चप्पल का दान कर सकते हैं।
अंत में पितरों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें और ब्राह्मणों का आशीर्वाद लें।
पंचमी श्राद्ध में ना करें ये गलतियां:
कुंवारा पंचमी के दिन प्याज, लहसुन, लौकी, काला नमक, सफेद तिल, सत्तू र सरसों का साग, मसूर दाल और मांस-मदिरा का सेवन ना करें। शास्त्रों के अनुसार, पंचमी श्राद्ध में तामसिक भोजन करने से पितर नाराज होते हैं।कुंवारा पंचमी के दौरान मांगलिक कार्य वर्जित माना गया है। इस दिन झूठ ना बोलें। किसी का अपमान ना करें। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में किए जाने वाले श्राद्ध का काफी महत्व है. 16 दिनों तक चलने वाले पितृ पक्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होते हैं और अश्विनी मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को इनका समापन होता है. इस दौरान तिथि अनुसार पितरों का श्राद्ध, तर्पण आदि किया जाता है. मान्यता है कि श्राद्ध और तर्पण करने से पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है और उनका आशीर्वाद हमेशा उनके परिवार के साथ रहता है. घर में खुशहाली और जीवन में तरक्की पाने के लिए पितरों का प्रसन्न रहना काफी जरूरी होती है.
जो लोग पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध नहीं करते, उन्हें ना सिर्फ पितृ दोष लगता है, बल्कि उनका जीवन तमाम तरह की परेशानियों से घिर जाता है. ऐसे में पितरों का श्राद्ध करना काफी जरूरी माना गया है. लेकिन कई लोग ऐसे भी होते हैं चजो किसी कारण चाहकर भी वधि विधान से श्राद्ध कर्म नहीं कर पाते. ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए. आइए जानते हैं.
अगर आप लाख कोशिशों के बाद भी किसी कारणवश पितरों का विधि विधान से श्राद्ध नहीं कर पा रहे हैं तो परेशान होने की जरूर नहीं. सनातन धर्म में हर एक गलती के लिए कोई ना कोई उपाय या विधि जरूर मौजूद है. इस स्थिति से निकलने के लिए भी एक उपाय बताया गया है,
अगर न कतर पाएं श्राद्ध तो करें ये उपाय
वैसे तो हर व्यक्ति पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म जरूर करता है. लेकिन अगर आप किसी कारणवश श्राद्ध कर्म नहीं कर पा रहे हैं तो आप ग्रंथो के अनुसार एक उपाय कर सकते हैं. आपको एक शांत स्थान पर जा कर नीचे बताए गए मंत्र का जाप करना है और पितरों के प्रति सम्मान प्रकट करना है. मंत्र हैं –
न में अस्ति वित्तं न धनं च नान्यच्,
श्राद्धोपयोग्यं स्वपितृन्नतोस्मि ।
तृप्यन्तु भक्त्या पितरो मयैतौ,
कृतौ भुजौ वर्त्मनि मारुतस्य ।। इस मंत्र का अर्थ यह है – हे मेरे पितृगण, मेरे पास श्राद्ध के उपयुक्त धन और धान्य आदि मौजूद नहीं है. अतः शास्त्रों के अनुसार मैं एकांत स्थान पर बैठ कर पूरी श्रद्धा और भक्ति से अपने दोनों हाथ आकाश की ओर उठा दिए हैं. आपसे आग्रह है कि कृपया आप मेरी श्रद्धा और भक्ति से ही तृप्त हो जाइए. आपको बता दें कि इस तरीके से कोई भी व्यक्ति पितरों का श्राद्ध कर सकता है. -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
हिंदू धर्म में पितरों की शांति व तृप्ति के लिए पितृ पक्ष मनाया जाता है। पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म और पिंडदान किए जाने की परंपरा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष प्रारंभ होते हैं और आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक रहते हैं। इस साल पितृ पक्ष 29 सितंबर से प्रारंभ होंगे और 14 अक्टूबर तक रहेंगे। पूर्णिमा श्राद्ध को श्राद्धि पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। पूर्णिमा श्राद्ध हर साल भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि को किया जाता है।
श्राद्ध कर्म 2023 के शुभ मुहूर्त-
भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध जैसे कि पितृ पक्ष श्राद्ध, पार्वण श्राद्ध होते हैं। इन श्राद्धों को संपन्न करने के लिए कुतुप, रौहिण आदि मुहूर्त शुभ मुहूर्त माने गये हैं। अपराह्न काल समाप्त होने तक श्राद्ध सम्बन्धी अनुष्ठान संपन्न कर लेने चाहिये। श्राद्ध के अंत में तर्पण किया जाता है।
कुतुप मूहूर्त - 11:47 एएम से 12:35 पी एम
अवधि - 00 घंटे 48 मिनट्स
रौहिण मूहूर्त - 12:35 पी एम से 01:23 पी एम
अवधि - 00 घंटे 48 मिनट्स
अपराह्न काल - 01:23 पी एम से 03:46 पी एम
अवधि - 02 घंटे 23 मिनट्स
प्रतिपदा तिथि कब से कब तक है:
प्रतिपदा तिथि 29 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 26 मिनट से प्रारंभ होगी और 30 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में प्रतिपदा तिथि 29 सितंबर को मनाई जाएगी।
पिंडदान कौन कर सकता है- ब्रह्मवैवर्त पुराण में वर्णित है कि पितरों और पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए सबसे बड़ा पुत्र अपने पिता और अपने वंशज का श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करता है। पितृऋण से मुक्ति पाने के लिए बेटों का पिंडदान करना जरूरी माना गया है। लेकिन अगर किसी व्यक्ति के पुत्र नहीं है तो ऐसे में परिवार पुत्री, पत्नी और बहू श्राद्ध और पिंड दान कर सकती हैं।-9406363514
- -पं. प्रकाश उपाध्यायधार्मिक मान्यताओं में भाद्रपद पूर्णिमा का खास महत्व माना जाता है। इस साल बेहद ही शुभ संयोग में 29 सितंबर के दिन भाद्रपद की पूर्णिमा पड़ेगी। भाद्रपद पूर्णिमा से ही पितृपक्ष की शुरुआत होती है लेकिन इस दिन श्राद्ध कर्म नहीं होते हैं। शुक्रवार के दिन भाद्रपद पूर्णिमा पड़ने से इसका महत्व काफी बढ़ जाता है। वहीं, भाद्रपद पूर्णिमा पर कुछ उपाय करने से माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के साथ पितरों का आशीर्वाद भी मिल सकता है। इसलिए आइए जानते हैं भाद्रपद पूर्णिमा के शुभ योग, उपाय और शुभ मुहूर्त-भाद्रपद पूर्णिमा शुभ मुहूर्तभाद्रपद पूर्णिमा तिथि की शुरुआत- 28 सितंबर 2023, शाम 06:50भाद्रपद पूर्णिमा तिथि समाप्ति- 29 सितंबर 2023, दोपहर 03.25चंद्रोदय समय- शाम 06 बजकर18 मिनट परभाद्रपद पूर्णिमा पर 4 शुभ योगों के निर्माण से ये पूर्णिमा बेहद ही पुण्यदायक मानी जा रही है। इस साल भाद्रपद पूर्णिमा पर अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग ध्रुव योग और वृद्धि योग का महासंयोग बनने वाला है।भाद्रपद पूर्णिमा शुभ योगध्रुव योग - 29 सितंबर, रात 08:03 - शाम 04:27, 30 सितंबरवृद्धि योग - 28 सितंबर, रात 11:55 - रात 08:03, 29 सितंबरसर्वार्थ सिद्धि योग - 29 सितंबर, रात 11:18 - सुबह 06:13, 30 सितंबरअमृत सिद्धि योग - 29 सितंबर, रात 11:18 - सुबह 06:13, 30 सितंबरभाद्रपद पूर्णिमा उपायऐसी मान्यता है की पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ में माता लक्ष्मी का वास होता है। इसलिए मां लक्ष्मी को खुश करने के साथ-साथ अपने पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए भाद्रपद पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ की पूजा जरूर करें। भाद्रपद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से परिवार में सुख शांति का माहौल बना रहता है। इस दिन दान पुण्य करने और सत्यनारायण कथा पाठन से माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होगा साथ ही घर में धन-धान्य की कमी भी दूर होगी।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
वास्तु शास्त्र में, तुलसी के पौधे का सूखना अक्सर घर में नकारात्मक ऊर्जा या संतुलन का प्रतिबिम्ब माना जाता है। भगवान श्री हरी विष्णु जी को तुलसी बहुत प्रिय है। ऐसी मान्यता है की बिना तुलसी की पत्तियों के प्रभु को भोग नहीं लगता है। वहीं, माता लक्ष्मी का रूप मानी जाती हैं तुलसी जी। इसलिए तुलसी जी हरी-भरी रहें तो घर में सुख-संपदा भी बनी रहती है। वहीं, तुलसी जी की विधिवत पूजा करनी चाहिए साथ ही कुछ नियमों का पालन भी करना जरूरी माना गया है। इसलिए श्री नारायण और माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए इस विधि से तुलसी-पूजन करें।
तुलसी पूजन-नियम
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी जी का रोजाना जलाभिषेक करना चाहिए। वहीं, रविवार और एकादशी के दिन तुलसी के पौधे में भूलकर भी जल नहीं चढ़ाना चाहिए। बिना स्नान किए तुलसी के पत्तों को स्पर्श करने से भी बचना चाहिए। ऐसी मान्यता है की तुलसी माता प्रभु नारायण के लिए एकादशी और रविवार के दिन निर्जला व्रत रखती हैं। इसलिए इन दोनों दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना निषेध माना गया है। वहीं, शास्त्रों की माने तो सूर्य के अस्त होने के बाद संध्या के समय तुलसी के पत्तों को न तो स्पर्श करना चाहिए और न ही तोड़ना चाहिए।
तुलसी पूजा-विधि
सुबह उठने के बाद स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।
इसके बाद तुलसी माता का जलाभिषेक करें।
अब इन्हें सिंदूर या चंदन लगाएं।
लाल या गुलाबी रंग के फूल चढ़ाएं।
इसके बाद तुलसी जी के पास घी का दीपक जलाएं।
तुलसी उपाय
घर परिवार में सुख समृद्धि और खुशियां लाने के लिए संध्या के वक्त भी तुलसी जी के पास घी का दीपक रखें। तुलसी स्त्रोत का पाठ करने और तुलसी मैय्या की विधिवत उपासना करने से माता लक्ष्मी और भगवन विष्णु का आशीर्वाद सदैव बना रहता है। - -पं. प्रकाश उपाध्यायजीवन में कई बार बहुत मेहनत करने के बाद भी सफलता नहीं मिलती है। किसी भी काम में भाग्य साथ नहीं देता है। व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। कई बार कुछ चीजों को शेयर करने से व्यक्ति अपना गुडलक भी दूसरों में बांट देता है और जीवन में नकारात्मकता बढ़ जाती है। अगर आप भी जीवन में खुशहाली चाहते हैं तो भूलकर भी इन चीजों को दूसरों के साथ शेयर ना करें। चलिए जानते हैं...घड़ीवास्तु शास्त्र के अनुसार, किसी को अपनी भी शेयर नहीं करना चाहिए। इससे व्यक्ति का समय खराब हो सकता है और जीवन के हर क्षेत्र में असफलताओं का सामना करना पड़ सकता है।पिलो शेयर ना करेंकिसी के साथ अपनी फेवरेट पिलो शेयर ना करें। मान्यता है कि दूसरों को अपना पिलो शेयर करने से सुख-शांति में बाधा आती है।जूते-चप्पलवास्तु के अनुसार, एक-दूसरे को जूते-चप्पल शेयर करके पहनने से जीवन पर नकारात्मक असर पड़ता है और व्यक्ति का जीवन मुसीबतों से भरा रहता है।परफ्यूमपरफ्यूम और इत्र व्यक्ति के मूड पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। यह आपके व्यक्तित्व को निखारता है। इसलिए किसी के साथ अपना परफ्यूम ना शेयर करें।ब्रेसलेटकुछ लोग नेगेटिविटी दूर करने के लिए और गुडलक के लिए हाथों में ब्रेसलेट पहनते हैं। मान्यता है कि ब्रेसलेट शेयर करने से व्यक्ति अपने जीवन की पॉजिटिविटी भी बांट देता है।अंगूठीवास्तु के मुताबिक, दूसरों को अपनी अंगूठी भी शेयर नहीं करनी चाहिए। कहा जाता है कि इससे व्यक्ति के वैवाहिक जीवन, स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ता है।कलमअपनी फेवरेट पेन को दूसरों के साथ शेयर ना करें। कहा जाता है कलम शेयर करने से व्यक्ति अपनी सफलता भी साझा करता है।
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-पंडित प्रकाश उपाध्याय
हिंदू धर्म में जीवन के हर पहलू में वास्तु का बड़ा महत्व है। वास्तु के अनुसार, जीवन में किए गए छोटे-छोटे शुभ कार्यों से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है और जातक का भाग्य चमकने लगता है। व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। साथ ही जीवन सुख-सुविधाओं और खुशहाली में व्यतीत होता है। घर में सकारात्मक ऊर्जा और धन-संपन्नता के लिए वास्तु के कुछ उपाय बहुत लाभकारी माने जाते हैं। इन उपायों से जीवन की हर एक बाधा दूर की जा सकती है। चलिए जानते हैं...
तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाएं
रोजाना तुलसी के पौधे पर जल चढ़ाने और शाम को दीपक जलाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है। धार्मिक मान्यता है कि इससे जातकों को जीवन में कभी भी धन की तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है और जीवन सुख-सुविधाओं से भरपूर रहता है।
कुबेर यंत्र स्थापित करें
घर के उत्तर-पूर्व कोने में कुबेर यंत्र स्थापित करना बेहद मंगलकारी माना जाता है। वास्तु के मुताबिक, घर में कुबेर यंत्र होने से सुख-समृ्द्धि और खुशहाली आती है। लेकिन वास्तु के इन नियमों का पालन करने के साथ धन का प्रबंधन भी समझदारी से करें।
गंगाजल छिड़के
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, घर की दरिद्रता को दूर करने के लिए रोजाना घर के उत्तर-पूर्व कोने में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से घर की सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और आर्थिक स्थित मजबूत होती है।
तिजोरी रखने की दिशा
धन-दौलत में बढ़ोत्तरी के लिए घर की अलमारी रखते समय वास्तु का खास ध्यान रखना चाहिए। घर के दक्षिण-पश्चिम दिशा में अलमारी या तिजोरी रखने से धन-संपदा में वृद्धि होती है और व्यक्ति आर्थिक रूप से सुखी और संपन्न रहता है।
इस दिशा में ना रखें फर्नीचर
घर के उत्तर-पूर्व दिशा में भारी फर्नीचर या जूते-चप्पल का रैक नहीं रखना चाहिए। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी को धन, वैभव, सुख, संपदा और भौतिक सुख-सुविधा प्रदान करने वाली देवी माना जाता है। धन प्राप्ति और जीवन में सुख-समृद्धि पाने के लिए मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जिन व्यक्तियों के ऊपर मां लक्ष्मी की कृपा हो जाती है उनके पास धन-दौलत और सुख-सुविधा की कोई भी कमी नहीं रहती है। मां लक्ष्मी की कृपा पाने और उन्हें प्रसन्न करने के लिए व्यक्ति कई तरह के या ज्योतिषीय उपाय करता है। शास्त्रों में मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपायों के बारे में बताया गया है।
कुछ आदतों को अपनाकर मां लक्ष्मी को कैसे प्रसन्न किया जा सकता है आइए जानते हैं....
सुबह उठकर प्रवेश द्वार को धोएं
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां लक्ष्मी को साफ-सफाई अत्यंत ही प्रिय होती है। ऐसी मान्यता है कि मां लक्ष्मी उन्हीं घरों में निवास करती हैं जहां पर साफ-सफाई होती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मुख्य द्वार बहुत ही साफ-सुथरा रहना चाहिए। ऐसे में हर दिन सुबह उठकर भगवान का स्मरण करते हुए घर के मुख्य द्वार को पानी से जरूर धोएं। साथ ही प्रवेश द्वार पर रंगोली और तोरणद्वार सजाएं। इससे मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न होती हैं और उस घर में सुख-समृद्धि लाती हैं।
मुख्य दरवाजे पर दीपक जरूर जलाएं
घर का मुख्य द्वार बहुत ही खास माना जाता है। ऐसे में सुबह रंगोली बनाने के साथ-साथ शाम के समय घर के मुख्य दरवाजे पर घी का दीपक जलाकर रखए दें। इस उपाय से मां लक्ष्मी बहुत जल्दी प्रसन्न होती हैं और घर सुख-सौभाग्य से भरकर रख देती हैं।
तुलसी की पूजा
मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय होती है। ऐसी मान्यता है कि जिन घरों में तुलसी के पौधे की नियमित रूप से पूजा होती है वहां पर मां लक्ष्मी का वास जरूर होता है। रोजाना सुबह तुलसी के पौधे को जल चढ़ाने और शाम के समय घी का दीपक जलाने पर घर में सुख-समृद्धि और संपन्नता आती है।
सूर्यदेव को जल चढ़ाएं
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जो लोग नियमित रूप से सूर्यदेव को जल चढ़ाते हैं उनके घर सुख-समृद्धि और वैभव बना रहता है। रोजाना सूर्यदेव को जल चढ़ाने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है।
तिलक का उपाय
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सुबह-सुबह पूजा करने के बाद माथे पर चंदन का तिलक जरूर लगाना चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार सुबह -सुबह पूजा करने के बाद माथे पर तिलक लगाने से मां लक्ष्मी जल्द प्रसन्न होती हैं।