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-पं. प्रकाश उपाध्याय
कई लोगों को बहुत मेहनत करने के बाद भी सफलता नहीं मिलती है। इसके अलावा हमेशा गृह कलह और घर में तू-तू, मैं-मैं की स्थिति रहती है। इसका बहुत बड़ा कारण आपके घर का वास्तु भी है। अगर आपके घर का वास्तु सही नहीं है तो जीवन में आपको कई तरह की समस्याओं जैसे खराब स्वास्थ्य, करियर में परेशानियां, धन की हानि और व्यापार में असफलता जैसी परेशानियां लगी रहती है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए वास्तु शास्त्र में कुछ उपाय बताए गए हैं जिनको आप घर में बिना तोड़फोड़ किए हुए अपना सकते हैं।
घर के ईशान कोण में रखें ये चीजें
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का उत्तर पूर्वी कोना जिसे ईशान कोण भी कहा जाता है, को एक्टिव करना चाहिए। इस दिशा में आप उड़ते हुए पक्षियों की तस्वीर, नदियों या उगते सूरज की तस्वीर को लगा सकते हैं। ऐसा करना घर में पॉजिटिव एनर्जी लाता है और निगेटिव एनर्जी को कम करता है।
किचन से वास्तु दोष हटाने के लिए करें ये उपाय
अगर आपकी रसोई वास्तु के अनुसार गलत जगह पर है तो आप अग्नि कोण में लाल बल्ब लगा सकते हैं। इसे हर रोज सुबह शाम जलाएं। ऐसा करने से रसोई का वास्तु दोष दूर होता है और घर में सुख समृद्धि आती है।
घर की पश्चिम दिशा में करें ये काम
अगर आपके घर के पश्चिम दिशा में कोई वास्तु दोष है तो इसके लिए आप इस दिशा में शनि यंत्र की स्थापना कर सकते हैं। ऐसा करने के बाद आप कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं।
इस दिशा में लगाएं गणेश जी की मूर्ति
अगर घर के अग्नि कोण में वास्तु दोष है तो इस दिशा में आप गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर लगा सकते हैं। इसके अलावा आप इस दिशा में मनी प्लांट का पौधा भी लगा सकते हैं। ऐसा करने से घर में कभी भी धन–समृद्धि की कोई कमी नहीं होगी। परिवार के बीच प्रेम भाव बना रहेगा। नौकरी–व्यवसाय में भी जल्दी सफलता मिलेगी। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
वास्तु शास्त्र में बच्चों से जुड़े कई उपाय बताए गए हैं। घर में वास्तु दोष का प्रभाव बच्चों की पढ़ाई पर भी पढ़ता है। अक्सर माता-पिता की यह शिकायत होती है कि बच्चे उनका कहना नहीं मानते। ऐसे में वे सबसे पहले उनके सोने एवं पढ़ने का कमरा चेक करें कि वह किस दिशा में है। जानें वास्तु शास्त्र में वर्णित कुछ आसान उपाय जिन्हें अपनाकर आप अपने बच्चों का भविष्य सुधार सकते हैं।
1. बच्चों का कमरा दक्षिण-पश्चिम दिशा में होगा तो वे आपकी बात बिलकुल नहीं सुनेंगे। उनका कमरा घर की उत्तर-पूर्व दिशा में करें।
2. सिरहाना पूर्व दिशा की ओर करवाएं और पूर्व दिशा में उगते हुए सूर्य का चित्र लगाएं।
3. उनके कमरे में ईशान कोण ज्यादा भारी न हो। यदि संभव हो तो ईशान कोण बिलकुल खाली रखें।
4. बच्चों के कमरे में किसी भी तरह का फालतू सामान न रखें।
5. घर के दक्षिण-पश्चिम कोण की सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने के लिए असली स्फटिक के दो गोलों का इस्तेमाल करें। इन्हें प्रयोग करने से पहले एक हफ्ते तक नमक के पानी में रखें। उसके बाद धोकर कांच की प्लेट में रखें। इन्हें धूप में तीन घंटे रखकर दोबारा घर के अंदर रख दें।
6. दक्षिण-पश्चिम दिशा में अपने परिवार के सदस्यों का मुस्कराता हुआ चित्र लगाएं।
7. घर में महाभारत या युद्ध के मैदान जैसे हिंसक चित्र न लगाएं।
8. चाकू, छुरी, कैंची, सुई आदि वस्तुएं खुली न रखें तथा रसोई में भी लटकाकर न रखें। - बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायदूर्वा, जिसे हम हिंदी में दूब भी कहते हैं, का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व है। शायद ही ऐसी कोई पूजा हो जो दूर्वा के बिना संपन्न होती हो। आम तौर पर लोग दूर्वा और घास को एक ही समझते हैं किन्तु ऐसा नहीं है। दूर्वा घास का ही एक प्रकार है जो हरे रंग की होती है और पृथ्वी पर फ़ैल कर बढ़ती है और कभी ऊपर नहीं उठती।पुराणों के अनुसार दूर्वा की उत्पत्ति समुद्र मंथन से मानी गयी है। इसे समुद्र मंथन से निकले 84 अन्य रत्नों में से एक माना जाता है। कथा के अनुसार मंदराचल की रगड़ से श्रीहरि की जांघ का एक रोम टूट गया और उसी से दूर्वा का जन्म हुआ। नारायण के शरीर का भाग होने के कारण ये परम पवित्र कहलाई। जब अमृत प्राप्त होने के बाद समुद्र मंथन का समापन हुआ तो नारायण ने मोहिनी रूप धर कर कुछ समय के लिए अमृत को इसी दूर्वा पर रख दिया। अमृत का स्पर्श होने से इसकी पवित्रता और बढ़ गयी और ये वनस्पति अमर हो गयी। इसीलिए दूर्वा ही एक ऐसी वनस्पति है जो किसी भी परिस्थित में बिना किसी की सहायता के स्वयं बढ़ सकती है। इसे अमृता, अनंता, गौरी, महौषधि, शतपर्वा, भार्गवी इत्यादि नामों से भी जानते हैं।समुद्र मंथन के सन्दर्भ में ही दूर्वा के लिए हमारे धर्म ग्रंथों में एक श्लोक आता है -त्वं दूर्वे अमृतनामासि सर्वदेवैस्तु वन्दिता।वन्दिता दह तत्सर्वं दुरितं यन्मया कृतम॥विष्णवादिसर्वदेवानां दूर्वे त्वं प्रीतिदा यदा।क्षीरसागर संभूते वंशवृद्धिकारी भव।।मान्यता है कि दूर्वा यज्ञ में तीन महान अवगुणों - आणव, कार्मण एवं मायिक का नाश कर देती है। हिन्दू कर्मकांडों एवं सभी 16 संस्कारों में दूर्वा का प्रयोग किया जाता है। कोई भी मांगलिक अवसर दूर्वा की उपस्थिति के बिना अधूरा माना जाता है।स्त्रियों को विशेष कर दूर्वा का पूजन करने को कहा गया है। ऐसी मान्यता है ऐसा करने से उनका सुहाग अखंड रहता है। महान पतिव्रताओं जैसे माता सीता और दमयन्ती द्वारा भी दूर्वा के पूजन का वर्णन हमें ग्रंथों में मिलता है। ऐसी मान्यता है कि जो कोई भी स्त्री दूर्वा द्वारा पूजन करती है वो अपने पति के साथ उसी के लोक को प्राप्त करती है।वैसे तो दूर्वा सभी देवताओं को अत्यंत प्रिय है किन्तु विशेष रूप से श्रीगणेश को ये अति प्रिय है। इसके विषय में एक कथा पुराणों में आती है कि श्रीगणेश ने अनलासुर से युद्ध किया और उसे जीवित ही निगल कर देवताओं को भयमुक्त किया। जब श्रीगणेश ने अनलासुर को निगला तो उसके ताप से उनके उदर में भयानक पीड़ा होने लगी। तब महर्षि कश्यप ने उन्हें दूर्वा की 21 गांठें खाने को दी जिसे खाने के बाद उन्हें उस ताप से मुक्ति मिली। तभी से श्रीगणेश को दूर्वा चढ़ाने का विशेष विधान है।श्रीगणेश को आम तौर पर 11 दूर्वा चढ़ाई जाती है और प्रत्येक के साथ उनका एक मन्त्र बोला जाता है। श्रीगणेश के ये 11 मन्त्र हैं - ऊँ गं गणपतेय नम:, ऊँ गणाधिपाय नम:, ऊँ उमापुत्राय नम:, ऊँ विघ्ननाशनाय नम:, ऊँ विनायकाय नम:, ऊँ ईशपुत्राय नम:, ऊँ सर्वसिद्धिप्रदाय नम:, ऊँएकदन्ताय नम:, ऊँ इभवक्त्राय नम:, ऊँ मूषकवाहनाय नम: एवं ऊँ कुमारगुरवे नम:।दूर्वा को औषधीय गुणों से परिपूर्ण माना गया है। कहा जाता है कि त्रिफ़ल के अतिरिक्त केवल दूर्वा ही ऐसी वनस्पति है जो तीन मुख्य विकारों - वात, पित्त और कफ का नाश करती है। इसे प्राकृतिक रूप से सबसे प्रभावकारी एंटीबायोटिक माना गया है जिसके सेवन से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
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- पं. प्रकाश उपाध्याय
घर में पौधे लगाने से न केवल वातावरण को शुद्ध रखने बल्कि साज-सज्जा और पॉजिटिव एनर्जी बनाए रखने में भी मदद मिलती है। ऐसा ही एक पौधा है मनी प्लांट, इसका जैसा नाम, वैसा ही काम है। मनी प्लांट की बहुत ज्यादा देख-भाल करने की जरूरत नहीं पड़ती है। वास्तु के अनुसार, घर में सही जगह और सही तरीके से मनी प्लांट लगाने से सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी हो सकती है। इसलिए आइये जानते हैं मनी प्लांट को किस तरह और घर के किस कोने में रखने से धन लाभ हो सकता है-
कैसे और कहां लगाएं?
मनी प्लांट को पानी में भी उगाया जा सकता है। नीले रंग की बोतल या ट्रांसपेरेंट कलर के वास में पानी भरकर मनी प्लांट लगा दें। बोतल या वास को उत्तर की दिशा में रखें। अपनी फाइनेंशियल सिचुएशन को बेहतर बनाने के लिए इस बोतल या वास में एक चांदी का सिक्का डाल दें। वहीं, अपने सामाजिक रिश्तों को सुधारने और मजबूत बनाने के लिए आप हरे रंग की बोतल या वास में पूरब की दिशा में मनी प्लांट लगाएं। स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्कतों को दूर करने के लिए आप मनी प्लांट को पानी में रखकर घर के मंदिर में भी रख सकते हैं। बस यह ध्यान रखें की आपको पानी को रोज बदलना पड़ेगा और बोतल को हफ्ते में एक बार साफ जरूर करें।
मिट्टी में लगाएं
अगर आप मिट्टी में मनी प्लांट लगाना चाह रहे हैं तो इसे दक्षिण-पूर्व दिशा में रखें। मिट्टी के गमले में मनी प्लांट लगाएं और एक ताम्बे का सिक्का पॉट में डाल दें। इससे धन हानि से बचेंगे और भाग्योदय भी होगा। वहीं, नाम और शोहरत कमाने के लिए लाल रंग के पॉट में मनी प्लांट लगाकर साउथ यानी दक्षिण दिशा में रखें।
ध्यान रखें
मनी प्लांट की बेल को नीचे की ओर न बढ़ने दें। इसे किसी रस्सी या ट्रेल की मदद से ऊपर के डायरेक्शन में प्लेस करें ताकि ये ऊपर की ओर बढ़े। ऊपर के डायरेक्शन में मनी प्लांट बढ़ना बेहद ही शुभ माना जाता है। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
पूरे 19 साल बाद ऐसा दुर्लभ संजोग बना था कि साल 2023 का सावन कल 59 दिनों का हो गया। इसका सबसे बड़ा कारण इस दौरान अधिक मास या मलमास का पड़ना था। आखिरकर वह दिन आ गया जब 18 जून को शुरू हुआ मलमास समाप्त हो जाएगा। यह 16 अगस्त का दिन है जिस दिन अमावस्या की तिथि भी है। ऐसी मान्यता है कि अमावस्या के दिन स्नान दान करने के साथ पितरों का श्राद्ध और तर्पण करना बहुत शुभ माना जाता है। आइए जानते हैं अधिक मास अमावस्या का शुभ मुहूर्त और उपाय के बारे में विस्तार से।
अमावस्या का शुभ मुहूर्त
सनातन हिंदू पंचांग के अनुसार सावान माह के कृष्ण पक्ष की तिथि को अमावस्या का त्यौहार मनाया जाता है। इस साल अधिक मास की अमावस्या तिथि 15 अगस्त को दिन में 12 बजकर 42 मिनट से शुरू होगी। जबकि यह 16 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 07 मिनट पर समाप्त होगा। हालांकि, उदया तिथि मान्य होने के कारण अधिक मास अमावस्या का त्यौहार 16 अगस्त को ही मनाया जाएगा।
अधिक मास अमावस्या की पूजा विधि
अधिक मास की अमावस्या के दिन आप ब्रह्म मुहूर्त में उठकर ही स्नान–ध्यान करें। इस दिन गंगा स्नान या किसी भी पवित्र नदी में स्नान का बहुत महत्व है। अगर आप किसी भी कारण से गंगा स्नान करने के लिए नहीं जा पा रहे हैं तो घर में नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर नहा लें। नहाने के पश्चात आप भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। इस दिन अपने पितरों की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण भी कर सकते हैं।
अधिक मास अमावस्या के उपाय
इस दिन सबसे अधिक महत्व गंगा स्नान का होता है। इस दिन भक्तों को गणेश जी की पूरे विधि–विधान से पूजा करना चाहिए और भोग में लड्डू चढ़ाना चाहिए। इसके अलावा, अमावस्या को पास के किसी शिव मंदिर में जाकर भगवान महादेव का रुद्राभिषेक करें। साथ ही उन्हें सबसे पसंदीदा बेलपत्र और धतूरे का अर्पण भी करें। इस दिन पितरों का श्राद्ध, तर्पण करना भी लाभकारी माना जाता है। -
प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में पैसे का बहुत बड़ा महत्व होता है। पैसों की तंगी की वजह से लोगों के जीवन के कई महत्वपूर्ण काम रुक जाते हैं। पैसों के लिए व्यक्ति काफी मेहनत भी करते हैं ताकि वह अपने परिवार को बेहतरीन जीवन दे सकें। हालांकि, काफी कोशिश करने के बाद भी कई लोग पैसा कमाने में कामयाब नहीं हो पाते हैं। इस समस्या में कई ऐसे रत्न हैं जो आपकी मदद कर सकते हैं। आइए जानते हैं ऐसे 5 रत्नों के बारे में जो आपको हमेशा के लिए पैसों की तंगी से छुटकारा दिला सकते हैं।
सुनहला रत्न
रत्न शास्त्र के अनुसार सुनहला रत्न लोगों की आर्थिक उन्नति के लिए काफी शुभ होता है। इस रत्न का संबंध गुरु से होता है। ऐसी मान्यता है कि सुनहला रत्न धारण करने से धन लाभ होने के साथ फिजूलखर्ची पर भी काबू पाया जा सकता है।
हरा जेड स्टोन
रत्नशास्त्र के अनुसार जेड स्टोन व्यापार करने वाले लोगों के लिए बहुत शुभ माना जाता है। यह आपके व्यापार की उन्नति और धन समृद्धि में मददगार साबित होता है।
टाइगर रत्न
अगर आप बार-बार किसी व्यापार में असफल हो रहे हैं तो टाइगर रत्न आपकी काफी मदद कर सकता है। इसके अलावा, अगर आपके पास हमेशा पैसों की तंगी रहती है तो इसमें भी यह आपकी मदद करेगा।
ग्रीन एवेंच्यूरिन
रत्नशास्त्र के अनुसार यह बिजनेसमैन के लिए काफी शुभ होता है। इसके अलावा यह पैसों की तंगी को भी रोकता है। इसके अलावा यह धन वृद्धि के लिए भी काफी फायदेमंद साबित होता है। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
घर का पूजा स्थल मंत्रों के जाप और दीपक की रोशनी से काफी सकारात्मक और अध्यात्म ऊर्जा से भरपूर होता है। लेकिन पूजा-घर में रखी कुछ वस्तुएं घर की नकारात्मकता को बढ़ा सकती है। इससे घर में गृह-क्लेश की स्थिति बनी रहेगी। घर के सदस्यों को सभी शुभ कार्यों में बाधा का सामना करना पड़ेगा और घर की आर्थिक स्थिति आए दिन खराब होती जाएगी। चलिए जानते हैं कि वास्तु के अनुसार घर के मंदिर में किन-चीजों को रखना अशुभ माना जाता है?
बिखरी और फैली हुई चीजें:घर के मंदिर में कुछ भी बिखरा हुआ या फैला हुआ ना रहने दें। पूजा-घर की नियमित साफ-सफाई सुनिश्चित करें और मंदिर में स्थिति भगवान की प्रतिमा समेत सभी चीजों पर जमीं धूल-मिट्टी को साफ करें और चीजों को सुव्यवस्थित ढंग से रखें। इससे सकारात्मक ऊर्जा बढ़ेगी और घर में सुख-शांति बनी रहेगी।
चप्पल-जूते ना पहनें: घर के मंदिर में जूता-चप्पल पहनकर बिल्कुल भी ना जाएं और ना ही मंदिर में गंदे जूते-चप्पल को रखने के लिए कोई जगह बनाएं। इससे घर में नकारात्मक बढ़ सकती है। इसलिए यह सुनिश्चित करें घर के मंदिर में कोई भी फुटवियर रखने का स्पेस ना हो और घर का कोई भी सदस्य जूते-चप्पल पहनकर मंदिर में ना प्रवेश करें।
टूटी-हुई मूर्तियां ना रखें: वास्तु के अनुसार, घर के मंदिर में रखी हुई टूटी मूर्तियां अशुभ फलदायी हो सकती हैं। पूजा-स्थल पर टूटी-हुई मूर्तियां रखने से नकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है। इसलिए याद रखें कि घर के मंदिर में भगवान की टूटी मूर्तियां ना रखें।
लेदर की वस्तुएं ना रखें: घर के मंदिर में लेदर से बनी वस्तुएं जैसे पर्श, बेल्ट और बैग को नहीं रखना चाहिए। वास्तु के अनुसार, यह वस्तुएं घर में नकारात्मकता लाती हैं और यह मंदिर के वातावरण को अशुद्ध बनाती हैं। इसलिए लेदर से बनी वस्तुओं को घर के मंदिर में रखने से परहेज करें।
पूजा-स्थल पर घड़ी ना रखें: घर के पूजा-स्थल पर घड़ी नहीं रखना चाहिए। समय को महत्व देना जरूरी है, हालांकि मंदिर में घड़ी लगे रहने के कारण पूजा करते समय आपको ध्यान करने में दिक्कत हो सकती है। इसलिए आध्यात्मिकता से जुड़ने के लिए घर के मंदिर में घड़ी लगाने से बचना चाहिए।
डस्टबिन ना रखें: घर के मंदिर में डस्टबिन रखना अशुभ होता है। यह घर में नेगेटिविटी लाता है। इसलिए पूजा-घर पवित्र और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर बनाए रखने के लिए यहां डस्टबिन रखने से बचें। मंदिर के बाहर डस्टबिन रख सकते हैं। हालांकि इसकी नियमित सफाई जरूर करें।
इलेक्ट्राॉनिक गैजेट:मान्यता है कि घर के मंदिर में इलेक्ट्रॉनिक गैजेट भी नहीं रखना चाहिए। इससे आध्यात्मिक ऊर्जा से जुड़ने में दिक्कतें महसूस हो सकती है और आप ध्यान केंद्रित नहीं कर पाएंगे। इसलिए पूजा-स्थल पर किसी भी प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक गैजेट का इस्तेमाल करने से बचें।
इन तस्वीरों को ना लगाएं: घर के मंदिर में ऐसे कोई भी पोस्टर और तस्वीरे नहीं लगाना चाहिए, जो दुख, हिंसा, या नकारात्मक भावनाओं का संकेत देते हों। इसके बजाय आप पेंटिंग या कोई कला से जुड़ी कोई तस्वीरें पूजा घर में लगा सकते हैं, जो सकारात्मक और आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ावा दें। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
अगर आप जीवन में खूब मेहनत करते हैं लेकिन उसके अनुरूप सफलता नहीं मिलती तो इसका एक कारण आपके घर का वास्तु दोष भी हो सकता है। ऐसे लोग अपने दैनिक जीवन में वास्तु संबंधी कुछ भूल करते रहते हैं जिससे उन्हें मानसिक तनाव और आर्थिक रूप से परेशान होना पड़ता है। इसके अलावा वास्तु दोष आपके घर में निगेटिव एनर्जी को भी बढ़ता है। -----आइए जानते हैं वास्तुशास्त्र में बताया गए कुछ टिप्स के बारे में जिससे जीवन में चल रही परेशानी से बहुत हद तक छुटकारा मिल सकता है।
1. ध्यान रखें कि आपके घर का रसोईघर ईशान कोण में ही होना चाहिए। इसके अलावा, रसोई घर के अंदर गैस–चूल्हे को आग्नेय कोण में रख दें। ऐसा करने से आपके घर में धन का प्रवाह बना रहेगा।
2. घर के दीवारों पर धन की देवी माता लक्ष्मी की तस्वीर जरूर लगाएं। तस्वीर लगाते समय यह ध्यान रखें कि माता लक्ष्मी कमल के आसन पर विराजमान हों। ऐसी तस्वीर घर में धन–समृद्धि के लिए शुभ माना जाता है।
3. अगर आपके घर का मुखिया प्रत्येक दिन भगवान शिव और चंद्र देव के मंत्रों का जाप करता है तो घर में हमेशा सुख और शांति का वास रहता है।
4. अगर आपके घर को लोगों की बुरी नजर लग गई है तो आप घर के मुख्य दरवाजे पर काले घोड़े की नाल लगा सकते हैं। ध्यान रखें, घोड़े के नाल का मुख नीचे की तरफ होना चाहिए।
5. घर के बीचो-बीच या हॉल को हमेशा खाली रखने की कोशिश करें। जब हम बहुत सारे सामान को इस जगह पर रख देते हैं तो घर में प्रवेश करने वाली सकारात्मक ऊर्जा बाधित हो जाती है। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
हिंदू धर्म में पेड़-पौधों की पूजा की जाती है। खासतौर पर पूजा-पाठ में आम की पेड़ की लकडिय़ों और पत्तियों का इस्तेमाल बेहद शुभ माना जाता है। वास्तु शास्त्र में सभी दुख-दुविधाओं से छुटकारा पाने और सुख सौभाग्य के लिए आम के पत्तियों से जुड़े खास उपाय बताए गए हैं। इन उपायों से व्यक्ति के जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में धन-संपन्नता और खुशहाली आती है। चलिए जानते हैं इन उपायों के बारे में...
आर्थिक तंगी दूर करने के उपाय-
रुका हुआ धन वापस पाने या धन की कमी को दूर करने के लिए आम के 11 पत्तियों की डाली को 11 बार कच्चे सूत से लपेटकर शहद में डुबोकर शिवलिंग के अशोक सुंदरी की जगह पर अर्पित करें। ध्यान रखें कि शहद से डुबे हुए भाग का मुख शिवलिंग की ओर हो। मान्यता है कि इन उपायों को करने से धन की तंगी दूर होती है और घर में धन-संपन्नता बढ़ती है।
बुरी नजर होगी दूर-
घर के मुख्यद्वार पर आम के पत्तों का तोरण लगाने से घर की सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। परिवार के किसी भी सदस्य को बुरी नजर नहीं लगती है। घर की पॉजिटिविटी से हमेशा मांगलिक कार्यों के योग बनते हैं और घर में सुख-समृद्धि के मार्ग खुलते हैं।
धन लाभ के उपाय-
वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा के दौरान आम के पत्तों पर बारिश का जल छिड़कने से धन की तंगी दूर होती है और धन लाभ के कई स्त्रोत बनते हैं।
गणेश जी को चढ़ाए आम का पत्ता-
वास्तु के अनुसार, शुभ कार्यों में गणेश जी को आम का पत्ता अर्पित करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-सुविधाओं की कभी कमी नहीं रहती है और व्यक्ति के घर में धन-समृद्धि आती है। पूजा के दौरान घर के मंदिर आम के पत्तों से सजाना भी मंगलकारी माना जाता है।
करियर में सफलता-
मान्यता है करियर में आ रही बाधाओं से निपटने के लिए आम के पेड़ की जड़ों पर जल अर्पित करना चाहिए और आम के पेड़ को प्रणाम करें। ऐसी करने मात्र से करियर से जुड़ी दिक्कतें दूर होती हैं और सफलता के मार्ग खुलते हैं। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
प्रत्येक साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज का त्यौहार मनाया जाता है। कई जगह किसे सिंघारा तीज या श्रावणी तीज भी कहते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह व्रत महादेव और माता पार्वती के मिलन के उपलक्ष्य में रखा जाता है। नवविवाहित और सुहागिन महिलाओं के लिए यह व्रत अत्यंत पावन और फलदाई माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को रखना वाली औरतों के पति की आयु लंबी होती है साथ ही उसे संतान सुख भी प्राप्त होता है।
डेट और शुभ मुहूर्त
सनातन हिंदू पंचांग के अनुसार साल 2023 के सावन महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 18 अगस्त को रात 8 बजकर 1 मिनट पर होगी। जबकि इसकी समाप्ति अगले दिन 19 अगस्त को रात 10 बजकर 19 मिनट पर होगा। हालांकि, उदया तिथि मान्य होने के कारण हरियाली तीज 19 अगस्त को मनाई जाएगी।
बन रहे तीन शुभ योग
बता दें कि इस बार हरियाली तीज पर तीन शुभ संयोग बन रहे हैं। तीज के इस मौके पर सिद्धि योग, त्रिग्रही योग और बुधादित्य योग बन रहा है। ऐसी मान्यता है कि इस योग के दौरान जो भी भक्त पूरी श्रद्धा और भक्ति भाव से भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन करें उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। बता दें कि इस दिन शुक्र, मंगल और चंद्रमा कन्या राशि में त्रिग्रही योग बनाएंगे। साथ ही बुध और सूर्य मिलकर सिंह राशि में बुधादित्य योग का निर्माण करेंगे। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहों की चाल से शुभ और अशुभ योग बनते हैं। कर्म फलदाता शनि ग्रह पहले ही अपनी मूल राशि कुंभ में प्रवेश कर चुका है और इस स्थान पर त्रिकोण राजयोग बना रहा है। शनि के स्थान परिवर्तन से अचानक धन लाभ होता है और भाग्य में वृद्धि होती है। शनि चुनिंदा राशियों को उनके जीवन में फलदायी परिणामों का आशीर्वाद देते हैं।
जानें वर्तमान में शनि की स्थिति से किन राशि वालों को हो रहा लाभ-
कुंभ राशि-
केंद्र त्रिकोण राजयोग के कारण कुंभ राशि वालों के लिए शुभ समय आ रहा है। इस दौरान आप आत्मविश्वास से भरपूर रहेंगे। इस अवधि में आप कार्यों में सफलता हासिल करेंगे। परिवार के साथ क्वालिटी टाइम बिताने का यह सबसे अच्छा समय होगा और आपको परिवार के सदस्यों से पूरा सहयोग मिलेगा। विवाहित लोगों के लिए भी यह समय अच्छा रहने वाला है। व्यापारियों को लाभ मिलेगा।
वृषभ राशि-
वृषभ राशि के जातकों के लिए पिछली परेशानियों से तेजी से बाहर निकलने के लिए योग सबसे अच्छा समय है। लोगों की आय में वृद्धि होगी और उनके करियर में भी सही वृद्धि का अनुभव होगा। यह आपकी वर्तमान नौकरी को बदलने और कार्य क्षेत्र में लोकप्रियता हासिल करने का भी अनुकूल समय है। आपके व्यापार में मुनाफे की संभावना रहेगी। केंद्र त्रिकोण योग में फालतू खर्चे भी कम होंगे और मनोकामनाएं पूरी करने का बेहतरीन मौका भी मिलेगा।
सिंह राशि-
केंद्र त्रिकोण राजयोग सिंह राशि के जातकों को प्लानिंग तरीके से परेशानी से बाहर निकलने का अवसर प्रदान करेगा। शनि ग्रह आपके बच्चे से संबंधित शुभ समाचार भी प्रदान करता है। भाग्य के कारण जातकों को अदालती या कानूनी मामलों से जल्दी बाहर निकलने में मदद मिलेगी और उन्हें अपने जीवन साथी से पूरा सहयोग मिलेगा। आप अपने वित्तीय मुनाफे में वृद्धि करेंगे। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
ज्योतिष शास्त्र में मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के कई उपाय बताए गए हैं। ज्योतिष नियम के अनुसार, कुछ चीजों को पर्स में रखने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और धन का घर में आगमन होता है। मान्यता है कि जेब या पर्स में रुद्राक्ष रखने से धन की कमी होती है। जानें ऐसी चीजों के बारे में जो धन लाभ में सहायक होती हैं।
चांदी का सिक्का- अगर आपके पास चांदी का सिक्का है तो इसे अपनी पर्स या बैग में रखें। मान्यता है कि इस सिक्के को मां लक्ष्मी को अर्पित करने के बाद अपनी पर्स में रख लें। ऐसा करने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
कौड़ी- मान्यता है कि 7 कौडिय़ां अपनी पर्स में रखने से आर्थिक तंगी दूर होती है। मां लक्ष्मी का घर में आगमन होता है।
श्री यंत्र- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, श्री यंत्र को पर्स या जेब में रखने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसके साथ ही आर्थिक उन्नति मिलने की मान्यता है।
गोमती चक्र- गोमती चक्र को पर्स में रखने से आर्थिक स्थिति में सुधार होने से साथ ही कर्ज से मुक्ति मिलने की मान्यता है।
चावल- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, 21 चावल अपनी पर्स में रखना लाभकारी होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से बेवजह के खर्च से मुक्ति मिलती है। मां लक्ष्मी को कुछ चावल अर्पित करें और फिर उनमें से 21 चावल अपनी पर्स में रख लें। मान्यता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
बड़ों से मिले पैसे- अक्सर हमारे बड़े-बुजुर्ग आशीष के तौर पर कुछ पैसे देते हैं। कहा जाता है कि बड़ों की ओर से मिले पैसे संभालकर पर्स में रखने चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति को जीवन में आर्थिक तंगी का कम ही सामना करना पड़ता है।
एक रुपए का नोट- कहा जाता है कि पर्स में हर व्यक्ति को एक का नोट रखना चाहिए और इसे कभी खर्च नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से आपके ओर धन का खिंचाव होने की मान्यता है।
पीपल का पत्ता-पीपल के पेड़ की हिंदू धर्म में पूजा की जाती है। कहते हैं कि गंगाजल से पीपल के पत्ते को धोने के कारण उसे अपनी पर्स में रखना चाहिए। ऐसा करने से आर्थिक स्थिति में सुधार व धन लाभ होने की मान्यता है। - बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायहिंदू धर्म में तिलक लगाने की परंपरा प्राचीन है। धार्मिक ग्रंथों में विभिन्न प्रकार के तिलक लगाने का वर्णन मिलता है। मंदिरों या किसी भी मांगलिक कार्य में चंदन, रोली व सिंदूर का तिलक लगाया जाता है। वहीं, शिव भक्त साधू-संत अक्सर त्रिपुंड लगाते हैं, जिसका बड़ा ही महत्व होता है। आज हम जानेंगे सनातनी धर्म में तिलक और त्रिपुंड लगाने का क्या महत्व है तथा किस दिन किस प्रकार का तिलक लगाएं और इस में कौन कौन देवता निवास करते हैं !ज्योतिष के अनुसार यदि तिलक धारण किया जाता है तो सभी पाप नष्ट हो जाते है सनातन धर्म में शैव, शाक्त, वैष्णव और अन्य मतों के अलग-अलग तिलक होते हैं।ललाट अर्थात माथे पर भस्म या चंदन से तीन रेखाएं बनाई जाती हैं उसे त्रिपुंड कहते हैं। शैव संप्रदाय के लोग इसे धारण करते हैं। शिवमहापुराण के अनुसार त्रिपुंड की तीन रेखाओं में से हर एक में नौ-नौ देवता निवास करते हैं।त्रिपुंड के देवताओ के नाम इस प्रकार हैं-1- अकार, गार्हपत्य अग्नि, पृथ्वी, धर्म, रजोगुण, ऋग्वेद, क्रियाशक्ति, प्रात:स्वन तथा महादेव- ये त्रिपुंड की पहली रेखा के नौ देवता हैं।2- ऊंकार, दक्षिणाग्नि, आकाश, सत्वगुण, यजुर्वेद, मध्यंदिनसवन, इच्छाशक्ति, अंतरात्मा और महेश्वर- ये त्रिपुंड की दूसरी रेखा के नौ देवता हैं।3- मकार, आहवनीय अग्नि, परमात्मा, तमोगुण, द्युलोक, ज्ञानशक्ति, सामवेद, तृतीयसवन तथा शिव- ये त्रिपुंड की तीसरी रेखा के नौ देवता हैं।त्रिपुंड का मंत्र-ओम त्रिलोकिनाथाय नम:तिलक के प्रकार :तिलक कई प्रकार के होते हैं - मृतिका, भस्म, चंदन, रोली, सिंदूर, गोपी आदि।-सनातन धर्म में शैव, शाक्त, वैष्णव और अन्य मतों के अलग-अलग तिलक होते हैं।जैसे- चंदन का तिलक लगाने से पापों का नाश होता है, व्यक्ति संकटों से बचता है, उस पर लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है, ज्ञानतंतु संयमित व सक्रिय रहते हैं।चन्दन के प्रकार- हरि चंदन, गोपी चंदन, सफेद चंदन, लाल चंदन, गोमती और गोकुल चंदन।तिलक लगाने के लाभ1. तिलक करने से व्यक्त्वि प्रभावशाली हो जाता ह। दरअसल, तिलक लगाने का मनोवैज्ञानिक असर होता है, क्योंकि इससे व्यक्ति के आत्मविश्वास और आत्मबल में भरपूर इजाफा होता है।2. ललाट पर नियमित रूप से तिलक लगाने से मस्तक में तरावट आती है। लोग शांति व सुकून अनुभव करते हैं। यह कई तरह की मानसिक बीमारियों से बचाता है।3. दिमाग में सेराटोनिन और बीटा एंडोर्फिन का स्राव संतुलित तरीके से होता है, जिससे उदासी दूर होती है और मन में उत्साह जागता है। यह उत्साह लोगों को अच्छे कामों में लगाता है।4. इससे सिरदर्द की समस्या में कमी आती है।5. हल्दी से युक्त तिलक लगाने से त्वचा शुद्ध होती है। हल्दी में एंटी बैक्टिीरियल तत्व होते हैं, जो रोगों से मुक्त करता है।6. धार्मिक मान्यता के अनुसार, चंदन का तिलक लगाने से मनुष्य के पापों का नाश होता है। लोग कई तरह के संकट से बच जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, तिलक लगाने से ग्रहों की शांति होती है।7. माना जाता है कि चंदन का तिलक लगाने वाले का घर अन्न-धन से भरा रहता है और सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है।किस दिन किस का तिलक लगाये :यदि वार अनुसार तिलक धारण किया जाए तो उक्त वार से संबंधित ग्रहों को शुभ फल देने वाला बनाया जा सकता है।-सोमवार - सोमवार का दिन भगवान शंकर का दिन होता है तथा इस वार का स्वामी ग्रह चंद्रमा हैं। चंद्रमा मन का कारक ग्रह माना गया है। मन को काबू में रखकर मस्तिष्क को शीतल और शांत बनाए रखने के लिए आप सफेद चंदन का तिलक लगाएं।-मंगलवार - मंगलवार को हनुमानजी का दिन माना गया है। इस दिन का स्वामी ग्रह मंगल है। मंगल लाल रंग का प्रतिनिधित्व करता है। इस दिन लाल चंदन या चमेली के तेल में घुला हुआ सिंदूर का तिलक लगाने से ऊर्जा और कार्यक्षमता में विकास होता है।बुधवार -बुधवार को जहां मां दुर्गा का दिन माना गया है वहीं यह भगवान गणेश का दिन भी है।इस दिन का ग्रह स्वामी है बुध ग्रह। इस दिन सूखे सिंदूर (जिसमें कोई तेल न मिला हो) का तिलक लगाना चाहिए।गुरुवार -गुरुवार को बृहस्पतिवार भी कहा जाता है। बृहस्पति ऋषि देवताओं के गुरु हैं। इस दिन के खास देवता हैं ब्रह्मा। इस दिन का स्वामी ग्रह है बृहस्पति ग्रह।गुरु को पीला या सफेद मिश्रित पीला रंग प्रिय है। हल्दी या गोरोचन का तिलक भी लगा सकते हैं।शुक्रवार-शुक्रवार का दिन भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मीजी का रहता है। इस दिन का ग्रह स्वामी शुक्र ग्रह है।हालांकि इस ग्रह को दैत्यराज भी कहा जाता है। दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य थे। इस दिन लाल चंदन लगाने से तनाव दूर रहता है ।शनिवार - शनिवार को भैरव, शनि और यमराज का दिन माना जाता है। इस दिन के ग्रह स्वामी है शनि ग्रह। शनिवार के दिन विभूत, भस्म या लाल चंदन लगाना चाहिए जिससे भैरव महाराज प्रसन्न रहते हैं।रविवार- रविवार का दिन भगवान विष्णु और सूर्य का दिन रहता है। इस दिन के ग्रह स्वामी है सूर्य ग्रह, जो ग्रहों के राजा हैं। इस दिन लाल चंदन या हरि चंदन लगाएं।
- पंडित प्रकाश उपाध्यायजीवन में तरक्की और उन्नति को बरकरार रखने के लिए वास्तु नियमों का पालन जरूरी है। इसकी अनदेखी करने पर जातक को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। वास्तु शास्त्र में आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए कई उपाय बताए गए हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में -- अगर आप आर्थिक तंगी से परेशान हैं, तो शुक्रवार के दिन नीम की लकड़ी को घर लें आएं। अब साफ पानी में नीम की लकड़ी को अच्छे से धोकर कांच के बर्तन में रख दें। इसके बाद कांच के बर्तन को नमक मिला पानी से भर दें। इस उपाय को करने से आर्थिक समस्या दूर होती है।- धन की देवी मां लक्ष्मी को लाल रंग अति प्रिय है। इसके लिए शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी को लाल गुलाब की माला अर्पित करें। साथ ही विधि पूर्वक मां लक्ष्मी की पूजा उपासना करें। घर की महिलाएं मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कमल का फूल और सफेद मिठाई अर्पित करें।- हर शनिवार के दिन पीपल के जड़ में जल का अर्घ्य दें। इसके पश्चात, वृक्ष की तीन बार परिक्रमा करें। इस उपाय को करने से धन संबंधी परेशानियां दूर होती हैं।- अगर आप कारोबार में तरक्की पाना चाहते हैं, तो गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार के दिन मां लक्ष्मी को लाल गुलाब अर्पित करें। साथ ही रोजाना सुगंध लगाकर कार्य स्थल पर जाएं। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। कार्यस्थल पर कमल के फूल पर विराजमान मां लक्ष्मी की तस्वीर लगाएं।- अगर आप पैसों की तंगी से परेशान हैं और इससे निजात पाना चाहते हैं, तो शुक्ल पक्ष में चंद्रमा को दूध का अर्घ्य दें। इस उपाय को करने से अटका हुआ धन वापस प्राप्त होता है।----
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-पंडित प्रकाश उपाध्याय
घर में कई ऐसी चीजें मौजूद होती है, जो नेगेटिविटी का कारण बनती हैं और जिसे हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन यह ऊर्जाएं घर के माहौल को नकारात्मक बनाती है और घर में अक्सर लड़ाई-झगड़े और क्लेश की स्थिति बनी रहती है। चलिए हम आपको घर में मौजूद उन चीजों के बारे में बताते हैं, जो घर की नेगेटिविटी बढ़ाती हैं। इन चीजों को आज ही घर से बाहर निकाल दें।
रुकी हुई घड़ी
घर में कभी लंबे समय से बंद पड़ी घड़ी को ना रखें। वास्तु के अनुसार, इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रसार बढ़ता है। जब घड़िया रुकती हैं तो यह पता चलता है कि समय रुक गया है। इसका एक नकारात्मक अर्थ है, जो नकारात्मक परिणाम ला सकता है।
टूटे हुए ग्लास
घर में टूटे हुए कांच के ग्लास नहीं रखने चाहिए। मान्यता है कि इससे भाग्य के साथ विश्वासघात का सामना करना पड़ता है और आपके बारे में गपशप बढ़ जाती है। आप अपने शब्दों या दूसरों के द्वारा बोले गए शब्दों के कारण भी परेशान हो सकते हैं।
टूटे हुए बर्तन और क्रॉकरी
वास्तु के अनुसार,घर में टूटे हुए बर्तन या क्रॉकरी का इस्तेमाल करना गरीबी के संकेत देते हैं। कभी भी ऐसे ग्लास या बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, जो टूटे हुए हों। यह दुर्भाग्य का कारक माने जाते हैं।
सूखे फूल
ये किसी खूबसूरत चीज के मृत्यु का दुखद संकेत हैं। कभी भी घर में सूखे फूलों को नहीं छोड़ना चाहिए। इससे घर में नकारात्मकता बढ़ती है। इसलिए सूखे फूलों को काटकर बगीचे में फेंक देना चाहिए।
पुराने कैलेंडर
नया सा आते ही या उससे पहले ही पुराने कैलेंडर को बाहर कर देना चाहिए। पुराने कैलेंडर अतीत का संकेत देते हैं, वे पिछले वर्षों की अतीत की ऊर्जाओं को धारण करते हैं और पुरानी बातों को सोचने के बजाय आगे की ओर बढ़ना ज्यादा बेहतर है।
कांटेदार पौधे
घर में कांटेदार पौधे जैसे कैक्टस इत्यादि को नहीं लगाना चाहिए। इससे घर में नेगेटिविटी बढ़ती है। कांटे वाले कैक्टस के पौधों को मेनगेट के बाहर छोड़ना बेहतर होता है। ताकि वे सुरक्षात्मक ऊर्जा ला सकें।
खाली कुर्सी
घर में कभी भी स्थायी रूप से एक खाली कुर्सी रखना शुभ नहीं है। मान्यता है कि यह हानिकारक आत्माओं को घर में आमंत्रित करता है। इसलिए यह सुनिश्चित करें कि कोई उस पर नियमित रूप से बैठता हो या उसे पूरी तरह से हटा दिया जाए। - -पंडित प्रकाश उपाध्यायहस्तरेखा विज्ञान के जरिए लोगों के भविष्य के बारे में कई तरह के अनुमान लगाए जाते हैं। हाथों की लकीरों का ज्योतिष शास्त्र में अच्छा खासा महत्व है। आपके हाथों की लकीरें आपकी भविष्य, भूत और वर्तमान के बारे में काफी कुछ बता पाने में सक्षम हैं। आज हम आपको बताएंगे हाथ में वी आकार के निशान के बारे में। जिस भी व्यक्ति के हाथ में मध्यमा और तर्जनी के नीचे ये निशान होता है, वह बहुत ही लकी होता है। परिवार से लेकर धन और सुख समृद्धि सभी इस व्यक्ति को नसीब होती है।आइए जानते हैं इस निशान के बारे में ---कहा जाता है कि जिन लोगों के हाथों में वी का निशान है, तो वे बहुत ही भाग्यशाली हैं। वे लोग सकारात्मक विचार के होते हैं और अपने परिवार और दोस्तों की मदद के लिए हमेशा खड़े रहते हैं। अगर भरोसा करने की बात हो , तो इनसे ज्यादा भरोसेमंद इंसान कोई नहीं है। यह भी कहा जाता है कि इस निशान वाले लोगों को अपने शुरू के जीवन में कई संघर्ष झेलने पड़ते हैं, जो चीजें लोगों को आसानी से मिल जाती हैं, इन लोगों को उसे पाने के लिए पापड़ बेलने पड़ते हैं, लेकिन 35 साल की उम्र के बाद से इन लोगों के जीवन में बदलाव आता है और ये लोग जीवन में तरक्की पाने लगते हैं और धन दौलत सब खड़ा करके दिखाते हैं।
- - जानें भद्रा में राखी क्यों नहीं बांधते हैंबालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायहिंदू पंचांग के अनुसार हर साल सावन महीने की पूर्णिमा तिथि पर रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है। भारत में वैसे तो कई तरह के पर्व और त्योहार मनाए जाते हैं, लेकिन रक्षाबंधन का अलग ही महत्व है। हर साल ये पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई में राखी बांधती हैं और उनकी लंबी आयु की कामना करती हैं। वहीं भाई प्रेमरूपी रक्षा धागे को बंधवा कर बहन की उम्र भर रक्षा करने का संकल्प लेते हैं। रक्षाबंधन एक ऐसा त्योहार है, जिसे मनाते तो सिर्फ एक दिन हैं, लेकिन इससे बनने वाले रिश्ते जिंदगी भर निभाए जाते हैं। हालांकि इस साल भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन एक नहीं बल्कि 2 दिन माना जा रहा है। जानिए इसका क्या कारण है और बहनें किस दिन भाइयों की कलाई पर राखी बांधेंगी...रक्षाबंधन पर भद्रा का सायासावन पूर्णिमा पर रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है और इस साल सावन माह की पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त को है, लेकिन कहा जा रहा है कि इस साल 30 अगस्त को पूर्णिमा वाले दिन भद्रा का साया है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि यदि श्रावण पूर्णिमा तिथि पर भद्रा का साया हो तो भद्राकाल तक राखी नहीं बांधी जा सकती है। उसके समापन के बाद ही राखी बांधी जाती है, क्योंकि भद्रा काल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है। ऐसे में इस साल रक्षाबंधन का पर्व 30 और 31 अगस्त दो दिन मनाया जाएगा।रक्षाबंधन कब है -30 या 31 अगस्त ?पंचांग के अनुसार सावन महीने की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 30 अगस्त को सुबह 10 बजकर 58 मिनट से हो रही है। इसका समापन 31 अगस्त को सुबह 07 बजकर 05 मिनट पर होगा। 30 अगस्त को पूर्णिमा तिथि की शुरुआत से ही यानी सुबह 10 बजकर 58 मिनट से भद्रा शुरू हो जा रही है और रात 09 बजकर 01 मिनट तक है।ऐसे में 30 अगस्त को भद्रा के कारण राखी बांधने का मुहूर्त दिन में नहीं है। इस दिन रात में 9 बजे के बाद राखी बांधने का मुहूर्त है। इसके अलावा 31 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक है और इस समय में भद्रा नहीं है। ऐसे में 31 अगस्त को सुबह 7 बजे तक बहनें भाई को राखी बांध सकती हैं। इस प्रकार से इस साल रक्षाबंधन 2 दिन 30 और 31 अगस्त को मनाया जा सकता है।राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 202330 अगस्त को राखी बांधने का मुहूर्त- रात 09 बजकर 01 से31 अगस्त को राखी बांधने का मुहूर्त: सूर्योदय काल से सुबह 07 बजकर 05 मिनट तकभद्रा में राखी क्यों नहीं बांधते हैंकहा जाता है कि शूर्पणखा ने अपने भाई रावण को भद्रा काल में राखी बांध दी थी, जिस वजह से रावण के पूरे कुल का सर्वनाश हो गया। इसलिए ऐसा माना जाता है कि भद्राकाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए। यह भी कहा जाता है कि भद्रा में राखी बांधने से भाई की उम्र कम होती है।
- बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायवास्तु शास्त्र की मानें तो घर में मौजूद कई ऐसी चीजें है जिसका प्रतिकूल प्रभाव हमारे जीवन पर देखा जा सकता है जैसे कि घर में खाली पड़ी कोई चीज।अक्सर घर में कुछ ऐसी चीजें होती हैं, जिनका खाली रहना दुष्प्रभाव देने लगता है। घर में कंगाली आती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में रखी खाली चीजों का असर आपकी प्रगति पर पड़ता है। आइए जानते हैं क्या हैं वो चीज़ें।पूजा घर में जलपात्र न रखें खालीपूजा घर में पूजन सामग्री,जैसे घंटी, धूप , जलपात्र आदि रखा जाता है। वास्तु के अनुसार पूजा के बाद जलपात्र को कभी भी खाली नहीं छोडऩा चाहिए । जलपात्र यानि जल कलश में गंगाजल रख कर उसमें तुलसी पत्ता रखना चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान को भी प्यास लगती है और जलपात्र भरा रहने से भगवान जल ग्रहण करते हैं। मंदिर में जलपात्र खाली रहने से घर और जीवन में नकारात्मक प्रभाव डालता है जिससे आर्थिक संकट भी आता है।अन्न भंडार न रखें खालीवास्तु शास्त्र के अनुसार कभी भी अन्न का भंडार खाली नहीं रहना चाहिए। खाली होने से पहले ही उसे भर देना चाहिए। भरा हुआ अन्न का भंडार समृद्धि का प्रतीक है। यह जीवन में सकारात्मकता लाता है। मां अन्नपूर्णा धन-धान्य, ऐश्वर्य और सौभाग्य की देवी हैं। इनकी हर रोज पूजा करने से घर अन्न भंडार से भरा रहता है।तिजोरी न रखें खालीघर की तिजोरी हो या पर्स कभी भी खाली नहीं रखना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार खाली तिजोरी या पर्स हमेशा कंगाली की ओर ले जाते हैं। इसीलिए तिजोरी में हमेशा आप कौड़ी, गोमती चक्र, शंख भी रख सकते हैं। यह आपकी समृद्धि का प्रतीक है।बाथरूम की खाली बाल्टीवास्तुशास्त्र के अनुसार बाथरूम में कभी भी खाली बाल्टी नहीं रखनी चाहिए। बाथरूम में रखी खाली बाल्टी नकारात्मक ऊर्जा को लाती है, जिससे हजार परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अगर आप बाल्टी का प्रयोग नहीं कर रहे हैं तो उसमें हमेशा पानी भरकर रखें। बाथरूप में नीले रंग की बाल्टी का प्रयोग करें, जब बाल्टी का प्रयोग हो जाए तो उसे जल से भरकर रख दें, उसे खाली न छोड़ें।
- बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायसाल का पुरुषोत्तम मास यानी मल मास शुरू हो चुका है। शास्त्रों में अधिक मास का बड़ा ही महत्व बताया गया है। इस महीने में भगवान पुरुषोत्तम की उपासना करने वाले को हर प्रकार के सुख-साधनों की प्राप्ति होती है। इस मास के दौरान जातक यदि ये उपाय अपनाते हैं, तो उनके जीवन में होनी वाली परेशानियां दूर हो सकती हैं।1. अगर आप अपने किसी विशेष कार्य की सफलता सुनिश्चित करना चाहते हैं तो अधिक मास के दौरान जल में कुछ बूंद दूध और केसर मिश्रित करके प्रतिदिन भगवान विष्णु को अर्पित करें और भी बेहतर होगा, अगर आप दक्षिणावर्ती शंख में डालकर भगवान को अर्पित करें।2. अगर आप या आपके परिवार का कोई भी सदस्य कर्ज की किश्तों से परेशान हैं तो पुरुषोत्तम महीने के दौरान पडऩे वाले शनिवार के दिन स्नान आदि के बाद पीपल के पेड़ में जल डालें और साथ ही तेल का दीपक जलाएं।3. जीवन में किसी भी प्रकार की परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए आप इस दौरान श्री विष्णु सहस्त्रनाम् में दिये भगवान विष्णु के इस मंत्र का जप करें। मंत्र है- यस्य स्मरण मात्रेन जन्म संसार बन्धनात्?। विमुच्यते नमस्तमै विष्णवे प्रभविष्णवे॥4. अगर आपको अपनी नौकरी से संबंधित किसी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है या आपका प्रमोशन अटक गया है, तो पुरुषोत्तम महीने के दौरान अधिक श्रावण शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि यानि 27 जुलाई को घर पर पांच छोटी कन्याओं को भोजन के लिए आमंत्रित करें और उन्हें भोजन कराएं। भोजन में दूध, चावल से बनी खीर जरूर होनी चाहिए । भोजन कराने के बाद उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेना न भूलें। लेकिन अगर किसी कारणवश कन्याएं आपके घर भोजन करने न आ सकें, तो उनके निमित्त एक थाली में भोजन निकालकर उनके घर दे आएं।5. अगर आपका मन किसी बात को लेकर उलझा हुआ है, तो पुरुषोत्तम महीने के दौरान जब भी आपको मौका मिले, किसी धार्मिक स्थल की यात्रा पर जरूर जाएं। अगर आप कहीं बाहर धार्मिक यात्रा पर जाने में समर्थ नहीं हैं, तो घर के आस-पास किसी विष्णु मंदिर में जाकर या घर पर ही भगवान विष्णु की प्रतिमा के आगे हाथ जोडक़र प्रणाम करें।6. किसी भी तरह के भय, बाधा आदि से छुटकारा पाने के लिए इस अधिक मास के दौरान श्री विष्णु सहस्त्रनाम् में रचित इस मंत्र का जप करें । मंत्र है-नम: समस्त भूतानां आदि भूताय भूभृते। अनेक रुप रुपाय विष्णवे प्रभविष्णवे॥7. अपनी धन-संपदा में वृद्धि करना चाहते हैं, तो पुरुषोत्तम मास के दौरान श्री विष्णु के साथ-साथ माता महालक्ष्मी की भी उपासना करें । साथ ही माता के इस मंत्र का जप करें। मंत्र है- 'श्रीं ह्रीं श्रीं'।8. अपने दांपत्य रिश्ते को मजबूत बनाये रखना चाहते हैं, तो अधिक मास के दौरान पडऩे वाली दो एकादशी तिथि में सवा किलो अनाज लेकर एक पीले रंग के कपड़े की पोटली में बांधकर विष्णु मंदिर में दान कर दें। आपको बता दें कि इस बीच एकादशी तिथि 29 जुलाई और 11 अगस्त को पड़ेंगी।9. समाज में अपना नाम चमकाने के लिए, अपनी अलग पहचान बनाने के लिए आप श्री विष्णु सहस्त्रनाम् में दिये भगवान विष्णु के इस मंत्र का जप करें। मंत्र है- जगत्प्रभुं देव देव मनन्तं पुरुषोत्तमम्?। स्तुवन् नाम सहस्त्रेण पुरुष: सत तोत्थित:।।10. परिवार में सुख-शांति बनाये रखने के लिए पुरुषोत्तम मास के दौरान प्रतिदिन स्नान आदि के बाद भगवान विष्णु के सामने हाथ जोडक़र गायत्री मंत्र का पाठ करें। गायत्री मंत्र इस प्रकार है- ओम भूर्भुव स्व:। तत् सवितुर्वरेण्यं। भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्॥11. आर्थिक तरक्की के साथ-साथ अच्छा स्वास्थ्य पाने के लिए अधिक मास के दौरान रविवार को छोडक़र बाकी दिनों में स्नान आदि के बाद तुलसी के पौधे में जल डालना चाहिए और शाम के समय घी का दीपक जलाना चाहिए।12. अगर आप अपने करियर को एक ऊंचे मुकाम तक पहुंचाना चाहते हैं तो पुरुषोत्तम मास के दौरान प्रतिदिन इस मंत्र का जप करें। मंत्र है- ईशान: प्राणद: प्राणो ज्येष्ठ: श्रेष्ठ: प्रजापति:। हिरण्यगर्भो भूगर्भो माधवो मधुसूदन:।।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
इस समय अधिक मास चल रहा है। 24 जुलाई को श्रावण अधिकमास का पहला प्रथम सोमवार है। सावन का महीना भगवान शंकर को समर्पित होता है और अधिकमास में भगवान विष्णु की पूजा का बहुत अधिक महत्व होता है। इस माह में विधि- विधान से भगवान शंकर और भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना की जाती है। श्रावण अधिक मास के सोमवार का बहुत अधिक महत्व होता है। भगवान शंकर का दिन सोमवार होता है। 24 जुलाई को श्रावण अधिकमाास का पहला सोमवार है। इस दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है।
आइए जानते हें सावन के पहले सोमवार की पूजा- विधि, महत्व और सामग्री की पूरी लिस्ट...
पूजा- विधि ---
सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ वस्त्र धारण करें।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।
शिवलिंग में गंगा जल और दूध चढ़ाएं।
भगवान शिव को पुष्प अर्पित करें।
भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करें।
भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
भगवान शिव का अधिक से अधिक ध्यान करें।
अधिकमास में ये 2 ग्रह चाल बदलकर मचाएंगे उथल- पुथल, बदल जाएगा इन राशियों का भाग्य, पढ़ें मेष से लेकर मीन राशि तक का हाल
सावन सोमवार व्रत का महत्व---
सावन के सोमवार का बहुत अधिक महत्व होता है। सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। सोमवार का व्रत करने से भगवान शंकर की विशेष कृपा प्राप्त होती है। सावन का महीना भगवान शिव को अतिप्रिय होता है, जिस वजह से इस माह के सोमवार का महत्व सबसे अधिक होता है।
पूजन सामग्री की लिस्ट-
पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि। - बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायअधिकमास या मलमास आज से शुरू हो गया है। 18 जुलाई से शुरू होकर यह मास 16 अगस्त तक रहेगा। इस महीने को पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है क्योंकि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने उनको अपना नाम दिया था। पुरुषोत्तम मास का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस माह भगवान विष्णु की आराधना और भागवत कथा श्रवण करना बेहद पुण्यदायी माना गया है। मान्यता है कि इस मास किए गए धार्मिक कार्यों और पूजा पाठ का फल अधिक मिलता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। ज्योतिष शास्त्र में मलमास का महत्व बताते हुए, कुछ ऐसी चीजों के बारे में भी जानकारी दी गई है कि इस अवधि में भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए कौन सी चीजें करनी चाहिए और कौन सी नहीं...1- धर्म कर्म के कार्यों के लिए अधिकमास बेहद उपयोगी माना गया है। इस मास में भगवान कृष्ण और नरसिंह भगवान की कथाओं को सुनना चाहिए। दान पुण्य के कार्य करने चाहिए। अधिकमास में श्रीमद्भगवद्गीता, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ, राम कथा और गीता का अध्याय करना चाहिए। सुबह शाम ' ओम नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए।2- अधिकमास में जप तप के अलावा भोजन का भी ध्यान रखना चाहिए। इस पूरे मास में एक समय ही भोजन करना चाहिए। इस मास में चावल, जौ, तिल, केला, दूध, दही, जीरा, सेंधा नमक, ककड़ी, गेहूं, बथुआ, मटर, पान सुपारी, कटहल, मेथी आदि चीजों के सेवन का विधान है। इस मास में ब्राह्मण, गरीब व जरूरतमंद को भोजन करना चाहिए और दान करना चाहिए।3- अधिकमास में दीपदान करने का विशेष महत्व है। साथ ही इस माह एक बार ध्वजा दान भी अवश्य करना चाहिए। इस अवधि में दान पुण्य के कार्य करना, सामाजिक व धार्मिक कार्य, साझेदारी के कार्य, वृक्ष लगाना, सेवा कार्य, मुकदमा लगाना आदि कार्यों में कोई दोष नहीं होता है।4- अधिकमास में विवाह तय कर सकते हैं और सगाई भी कर सकते हैं। भूमि व मकान खरीदने का कॉन्ट्रैक्ट कर सकते हैं। साथ ही आप शुभ योग व मुहूर्त में खरीदारी भी कर सकते हैं। इसके अलावा आप संतान के जन्म संबंधी कार्य कर सकते हैं, सीमांत, शल्य कार्य आदि कार्य भी कर सकते हैं।मलमास में क्या ना करें1- अधिकमास या मलमास में मांस-मछली, शहद, मसूर दाल और उड़द दाल, मूली, प्याज-लहसुन, नशीले पदार्थ, बासी अन्न, राई आदि चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए।2- इस माह नामकरण, श्राद्ध, तिलक, मुंडन, कर्णछेदन, गृह प्रवेश, संन्यास, यज्ञ, दीक्षा लेना, देव प्रतिष्ठा, विवाह आदि शुभ व मांगलिक कार्यों को करना वर्जित बताया गया है।3- अधिकमास में घर, मकान, दुकान, वाहन, वस्त्र आदि की खरीदारी नहीं करना चाहिए। हालांकि शुभ मुहूर्त निकलवाकर आभूषण खरीद सकते हैं।4- अधिकमास में शारीरिक और मानसिक रूप से किसी का अहित नहीं करना चाहिए। इस माह अपशब्द, क्रोध, गलत कार्य करना, चोरी, असत्य बोलना, गृहकलह आदि चीजें नहीं करना चाहिए। साथ ही तालाब, बोरिंग, कुआं आदि का त्याग करना चाहिए।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
हिंदू धर्म में सावन के सोमवार का विशेष महत्व है। इस दिन सुहागिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं सावन सोमवार का व्रत और भगवान शिव का विधि-विधान से पूजा करती हैं। मान्यता है कि सावन सोमवार का व्रत रखने से भक्तों के सभी संकट दूर होते हैं और भगवान शिव सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। इसके साथ ही यह भी माना जाता है कि कुंवारी कन्याओं द्वारा सावन सोमवार के दिन विशेष उपाय करने से मनचाहे वर की मनोकामना पूरी होती है। चलिए सावन सोमवार के उपायों के बारे में जानते हैं।
सावन सोमवार के उपाय
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सावन के महीने में सोमवार की शाम को कुछ खास उपायों से लव मैरिज की राह आसान हो जाती है और भगवान भोलेनाथ की कृपा से मनचाहे जीवनसाथी की मनोकामना पूरी होती है।
बेलपत्र के उपाय
सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना करते हुए 108 बेलपत्र पर चंदन से श्रीराम लिखें। इस बेलपत्र को शिवलिंग पर चढ़ाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से भक्तों की सभी मनोकामना पूरी होती है। आपकी भी मनचाहे जीवनसाथी की मनोकामना पूरी होगी।
शिवलिंग पर चढ़ाएं केसर दूध
सोमवार के दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक का विशेष महत्व है। ऐसे में जिन जातकों को विवाह में अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है, वह सावन के सोमवार को दूध में केसर मिलाकर भगवान शिव को अर्पित कर सकते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से विवाह में आ रही सभी बाधाएं दूर होती हैं और योग्य वर की प्राप्ति होती है।
108 शिवलिंग बनाएं
सावन के सोमवार को शाम के समय तालाब के साफ मिट्टी से 108 शिवलिंग बनाएं। पान के पत्ते पर एक लौंग और इलायची रखकर भगवान शिव को अर्पित करें। इसके साथ ही 'ओम गौरी शंकराय नम:' और 'ओम पार्वतीपताय नम:' मंत्रों का 108 बार जाप करें। अगले दिन इस शिवलिंग को नदी में प्रवाहित कर दें। मान्यता है कि ऐसा करने से मनपसंद जीवनसाथी से शादी की इच्छा पूरी होती है।
मां पार्वती की अराधना
शास्त्रों के अनुसार, मां पार्वती की विधि-विधान से भी पूजा करने से शादी में आ रही अड़चनों से छुटकारा मिलता है। इसके लिए प्रदोष काल में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करें और माता को 16 श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें। साथ ही 'ओम श्री वर प्रदाय श्री नम:' मंत्रों का जाप करते हुए मां को पान के पत्ते से सिंदूर चढ़ाएं। ऐसा करने से मां पार्वती प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
मौली के उपाय
विवाह में आ रही बाधाओं से छुटकारा पाने के लिए सोमवार की शाम को शिवजी और मां पार्वती की मूर्ति पर 7 बार मौली बांधकर दोनों का बंधन कराएं। मान्यता है कि इस उपाय को करने से विवाह में आ रही सभी अड़चने दूर होती है और मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
व्यक्ति के जीवन में कई समस्याएं आती हैं। कई बार कुछ मुश्किलें हल हो जाती हैं और कुछ परेशानियां मानसिक तनाव बढ़ा देती हैं। कई बार समस्याओं का समाधान व्यक्ति के हाथ में होता है लेकिन उसका ध्यान नहीं जाता है। वास्तु के अनुसार रसोई की व्यवस्था पर भी ध्यान देना चाहिए। रसोई हमारे घर का बहुत महत्त्वपूर्ण भाग होती है। यह सही प्रकार से बनी हो तो हमारे जीवन में सुख, स्वास्थ्य आदि आते हैं। रसोई इस प्रकार होनी चाहिए।
1. वास्तु शास्त्र के अनुसार, रसोई में चूल्हा पूर्व दिशा में होना चाहिए। उत्तर या दक्षिण दिशा में नहीं होना चाहिए। कहते हैं कि पूर्व दिशा में चूल्हा रखने से घर में सुख-समृद्धि आती है।
2. वास्तु शास्त्र के अनुसार, खाना बनाने वाली महिला का मुख खाना बनाते समय पूर्व की ओर होना चाहिए।
3. पानी की व्यवस्था सिंक एवं वाटर फिल्टर उत्तर की ओर हों। वास्तु के अनुसार, ऐसा होने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का वास नहीं होता है।
4. वास्तु के अनुसार, फ्रिज रसोई के उत्तर-पश्चिम में होना चाहिए।
5. ओवर हेड कैबिनेट्स दक्षिण एवं पश्चिम दिशा में होनी चाहिए।
6. वास्तु शास्त्र के अनुसार, रसोई में झूठे बर्तन नहीं छोड़ना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से घर में दरिद्रता नहीं आती है। - बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायऐसी मान्यता है कि जिन घरों का वास्तु ठीक और संतुलित रहता है वहां पर कभी भी दरिद्रता, आर्थिक या मानसिक परेशानियां नहीं रहती है। ऐसे घर में सदैव मां लक्ष्मी का वास होता है जिससे घर में सुख-समृद्धि और संपन्नता बनी रहती है। वहीं दूसरी तरफ अगर घर में किसी भी प्रकार का कोई वास्तु दोष होता है वहां पर नकारात्मकता और दरिद्रता का बोलबाला होता है। घर में छोटी-छोटी बातों पर अक्सर झगड़े होने लगते हैं। अगर घर के बेडरूम में किसी भी प्रकार का वास्तु दोष होता है तो पति-पत्नी के बीच में वैवाहिक जीवन मधुर नहीं रह पाता है। ऐसे में आइए जानते हैं बेडरूम में वास्तु संबंधित दोष कैसे होते हैं इसके उपाय।1- बेडरूम में नहीं होना चाहिए आईनावास्तु शास्त्र के अनुसार बेडरूम में आईना लगाना वास्तु दोष का कारण माना जाता है। अगर बेडरूम में आइना लगा हुआ है तो वहां पर रहने वाले पति-पत्नी के बीच में अक्सर अनबन होती रहती है। ऐसे में अगर बेडरूम में आइना है तो रात में सोते समय उसे किसी कपड़े से ढक देना चाहिए। रात में पति-पत्नी का आइने में प्रतिबिंब देखने पर मन में एक दूसरे के प्रति सम्मान की कमी आती है जिससे छोटी-छोटी बातों पर झगड़े शुरू हो जाते हैं। अगर संभव हो तो बेडरूम में आइना न रखें।2- बेडरूम में नहीं होनी चाहिए भगवान की तस्वीरवास्तु शास्त्र के अनुसार शयनकक्ष की दीवारों पर देवी-देवताओं की तस्वीरें लगाना शुभ नहीं माना जाता है। अक्सर लोग अपने बेडरूम में भगवान की तस्वीरों को लगा देते हैं। वहीं अगर आपको बेडरूम में भगवान की तस्वीर को लगाना चाहते हैं तो भगवान कृष्ण और राधा रानी की फोटो को लगा सकते हैं।3- आग्रेय कोण में न रखें कोई भारी चीजवास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण-पूर्व की दिशा को आग्रेय कोण कहा जाता है। आग्रेय कोण में कभी भी कोई भारी-भरकम चीज को नहीं रखना चाहिए। इससे घर में बेवजह के लड़ाई-झगड़े बढ़ते हैं और रिश्तों में तनाव पैदा होता है।4- इस दिशा में होना चाहिए बेडवास्तु के अनुसार अगर बेडरूम में बेड सही दिशा में नहीं रखा होता है तो घर में बहुत जल्द ही नकारात्मक ऊर्जा फैलती है और जीवन से सुख-समृद्धि दूर हो जाती है। इसकी वजह से अक्सर परिवार के सदस्यों के बीच लड़ाई- झगड़े होते रहते हैं। वास्तु शास्त्र के नियम के अनुसार कमरे में बेड की दिशा दक्षिण या फिर पश्चिम दिशा में होनी चाहिए।5- बेड के आसपास न रखें झूठे बर्तनअक्सर कई लोगों की आदत होती है कि वे रात और दिन के समय बेड पर बैठकर खाते-पीते हैं और झूठे बर्तन को वहीं छोड़ देते हैं। ऐसे में इस आदत से घर में लक्ष्मी का वास नहीं होता है और व्यक्ति को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ता है।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
कई बार हमारी अनजाने में की गई गलतियां घर में वास्तु दोष का कारण बन जाती है। अक्सर हम घर में ऐसा सामान रख लेते हैं जो हमारे काम का नहीं होता है और इससे नकारात्मक ऊर्जा आती है। जीवन में कई बार बाधाएं खत्म ही होने का नाम नहीं लेतीं। एक के बाद एक बाधाएं मन को बेचैनी और निराशा से भर देती हैं। अगर ऐसा है तो घर के वास्तु पर ध्यान दें-
1. घर की रसोई का सीधा संबंध परिवार के सदस्यों की सेहत व आर्थिक स्थिति से होता है। ऐसे में ध्यान रहे कि गैस चूल्हा गलती से भी गंदा न छोड़ें। गंदा रहने की स्थिति में आपको आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है।
2. कमरों से नकारात्मक ऊर्जा को बाहर निकालने के लिए आप धूपबत्ती या अगरबत्ती जला सकते हैं। वास्तु के अनुसार, ऐसा करने से रात को नींद अच्छी आती है।
3. वास्तु के अनुसार, खिड़की या दरवाजों पर आप सेलेनाइट पत्थर रखकर घर पर बाहर से आने वाली नकारात्मक ऊर्जा को रोक सकते हैं। यह एक सफेद रंग का सल्फेट से बना पत्थर होता है।
4. वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में रखा बेकार का सामान नकारात्मक ऊर्जा का कारण बनता है। ऐसे में घर में रखा अनुपयोगी सामान बाहर निकाल दें।
5. घर की उत्तर-पूर्व दिशा को बेहद शुभ माना गया है। कहते हैं कि इस दिशा में भगवान का वास होता है। वास्तु के अनुसार, ईशान कोण से भारी वजन की वस्तुएं हटा दें।
6. घर में बिना ताले की चाबी हो अथवा बिना चाबी के ताला हो, इनको तुरंत हटा दें। कहते हैं कि ऐसी चीजें घर में नकारात्मक ऊर्जा का कारण बनती है।
7. घर में जंग लगी वस्तुओं, रद्दी सामान को हटाएं। जंग लगी वस्तुएं नकारात्मक ऊर्जा को तेजी से अपनी ओर खींचती हैं।
8. बंद घड़ी, टूटे बर्तन आदि भी बाहर निकालें। वास्तु के अनुसार, घर में रखी बंद घड़ी या टूटे बर्तन आर्थिक तंगी या दरिद्रता घर में खींचते हैं।