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-पं. प्रकाश उपाध्याय
हस्तरेखा विज्ञान में हाथों के विभिन्न प्रकार का वर्णन है। वैदिक ज्योतिष में चार प्रकार के हाथों का वर्णन मिलता है। इन चारों तरह के हाथों का अर्थ भी अलग-अलग होता है। जानिए किस तरह के होते हैं ये हाथ और क्या पड़ता है इनका जीवन पर असर-
वायु
चौकोर हथेली और थोड़ा लंबी उंगलियां वाला हाथ इस श्रेणी में आता है। ऐसे लोग बाहर ज्यादा समय बिताना पसंद करते हैं। ऐेसे लोग तनाव अधिक लेते हैं और व्यस्त रहते हैं। ये अच्छे वक्ता होते हैं और अपनी बातों को दूसरे लोगों तक अच्छे से पहुंचा देते हैं।
अग्नि
आयताकार और असमान उंगलियों के साथ समतल हाथ इस श्रेणी में रखा जाता है। ऐसे लोग बेहद ही ऊर्जावान और रोमांच को पसंद करने वाले होते हैं। ऐसे लोग अक्सर व्यस्त रहते हैं। इस हाथ वाले लोग राजनीति के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करते हैं। ये लोग अच्छे मार्गदर्शक भी होते हैं।
जल
लंबी उंगली, आयताकार और सपाट स्थिति जल श्रेणी के हाथों का संकेत है। ऐसे हाथ वाले लोग बहुत ही संवेदनशील और भावात्मक होते हैं। हालांकि ऐसे लोग अपनी भावनाओ पर नियंत्रण रखते हैं। ये अच्छे श्रोता होते हैं।
पृथ्वी
यदि हथेली चौकोर और उंगलियां छोटी तो इस तरह का हाथ पृथ्वी कहलता है। हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार इन हाथों वाले लोग मजबूत व्यक्तित्व के होते हैं। उनमें नेतृत्व क्षमता कूट-कूटकर भरी होती है। अपने कार्यों के लिए ये हमेशा सजग रहते हैं। ये किसी भी गलत बात को स्वीकार नहीं करते। - अगर कोई काम वास्तु के हिसाब से न हो और गलत किया जाए तो उसका नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। इससे लोग कंगाल भी हो सकते हैं और आर्थिक स्थिति भी काफी खराब हो सकती है। ऐसे में धार्मिक शास्त्रों में कुछ बातों का उल्लेख किया गया है और बताया गया है कि वास्तु के मुताबिक कौन सी चीजें घर में नहीं लानी चाहिए।बड़ी प्रतिमाधार्मिक मान्यताओं के मुताबिक घर में कभी भी 6 इंच से बड़ी भगवान की प्रतिमा को नहीं रखना चाहिए। दरअसल, इसके पीछे कारण बताया जाता है कि बड़ी प्रतिमाओं की नियमित विधि-विधान से पूजा होनी चाहिए। हालांकि कई बार संपूर्ण ज्ञान नहीं होने के कारण दोषपूर्वक पूजा होती है, जिसके कारण लोगों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।कंटीले पेड़धार्मिक मान्यताओं के अनुसार घर में कभी भी कंटीले पौधे नहीं रखने चाहिए। इसके अलावा जिनमें कांटे होते हैं वो पौधे भी नहीं उगाने चाहिए। हालांकि गुलाब इसका एक अपवाद है. घर में गुलाब उगाए जा सकते हैं, लेकिन कैक्टस या बबूल को घर में नहीं लगाना चाहिए।शालिग्रामधार्मिक मान्यताओं के मुताबिक घर में शालिग्राम रखा जाए, तो उसकी विधि विधान से पूजा करना अनिवार्य होता है। शालिग्राम एक सुंदर, चिकना और चमकीला पत्थर होता और ग्रंथों में इसे भगवान विष्णु का प्रतिरूप माना गया है। इस पत्थर को अगर घर लाते हैं तो इसकी पूजा के कठिन नियमों का पालन करना होता है। अगर इन नियमों का पालन नहीं किया जाए तो भाग्य में काफी अड़चने देखने को मिलती हैं। इसलिए यदि आप सक्षम है पूजा करने में , तभी शालिग्राम पूजा घर में रखें अन्यथा नहीं।
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ड्रीमकैचर मूल रूप से अमेरिका की उत्पत्ति है और यह उनकी परंपरा का प्रतिनिधित्व करते हैं। आजकल दुनिया के अन्य हिस्सों में समान रूप से भी ड्रीम कैचर काफी लोकप्रिय हो गए हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं ड्रीम कैचर आखिर है क्या? ड्रीम कैचर एक लकड़ी का घेरा होता है जिस पर एक जाल या जाला बुना जाता है जिसे पंख, मोती, कीमती पत्थर आदि से सुसज्जित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि ड्रीम कैचर घर में सकारात्मक ऊर्जा लाते हैं और आपके घर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाते हैं। डरावने सपने से बचने के लिए फेंगशुई में ड्रीमकैचर के बारे में विस्तार से बताया गया है। फेंगशुई के अनुसार जो व्यक्ति अपने घर में ड्रीम कैचर लगाते हैं उनके घर में नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। फेंगशुई के अनुसार जिन लोगों को लगातार बुरे और डरावने सपने आते हैं उन्हें अपने घर में ड्रीमकैचर लगाना चाहिए। ऐसा करने से उस व्यक्ति को बुरे सपनों से छुटकारा मिल सकता है। आइए जानते हैं कहां और किस दिशा में ड्रीम कैचर लगाना चाहिए।
ड्रीम कैचर को कहां लटकाएंफेंगशुई के अनुसार, ड्रीम कैचर को बालकनी, आंगन या खिड़की में लटका देना चाहिए क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित करता है और आपको नकारात्मक विचारों और ऊर्जा से बचाता है। ड्रीम कैचर को इस तरह रखा जाना चाहिए कि कोई भी इसके नीचे न बैठे और न ही इसके नीचे से गुजरे, अन्यथा यह प्रतिकूल प्रभाव ला सकता है या यह आपकी आर्थिक वृद्धि को बाधित कर सकता है। इसे दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखने से आपके घर का वास्तु सुधरता है। लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि ड्रीमकैचर आपके पास बुरे सपने आने से रोकता है। ड्रीमकैचर को कुछ अन्य स्थानों पर भी लटकाया जा सकता है।बेडरूम:ड्रीम कैचर को बेडरूम की खिड़की या बिस्तर के पास रखा जा सकता है ताकि यह आपको बुरे सपने से बचा सके और आप सुरक्षित महसूस करें।लिविंग रूम:ड्रीम कैचर को आपके लिविंग रूम में मुख्य द्वार पर लगा सकते हैं। इसकी सकारात्मक ऊर्जा लोगों के बीच सद्भाव को बेहतर बनाने में मदद करेगी।कार्यस्थल :यदि आप ड्रीम कैचर को अपने कार्यस्थल पर अपनी सीट पर रखते हैं, तो यह आपको अपने काम पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करेगी। यहआपको कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित करेगा।कार में :आप अपनी कार में भी ड्रीम कैचर रियर व्यू मिरर में लगा सकते हैं ताकि ड्राइविंग करते समय आप सकारात्मक विचारों से भरें रहें और अपने गंतव्य पर सुरक्षित पहुँच सकें।- - बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायघर में वास्तुदोष होने से व्यक्ति मानसिक रूप से हमेशा परेशान रहता है। खासतौर से यदि बेडरूम का वास्तु खराब हो तो इसका असर शादीशुदा जिंदगी पर भी पड़ता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार कुछ ऐसे आसान उपाय हैं जिन्हें अपनाकर आप अपने वैवाहिक जीवन में सुख और शांति ला सकते हैं।-वास्तु विज्ञान के अनुसार भारी-भरकम फर्नीचर घर में अनेक परेशानियों को लेकर आता है। अत: ध्यान रहे कि पति-पत्नी के शयनकक्ष में वजन में हल्का और लकड़ी का फर्नीचर ही लगाएं। यदि भारी फर्नीचर घर में पहले से ही है तो उसे रूम की दक्षिण या पश्चिम की दीवार की ओर रखें।-हल्के रंग का फर्नीचर बैडरूम में पॉजिटिव एनर्जी को बनाए रखता है एवं गहरे रंग का फर्नीचर नकारात्मकता को बढ़ावा देता है।-पलंग खरीदते या बनवाते समय लकड़ी का ध्यान रखना बेहद जरूरी है क्यों कि कुछ लकडिय़ां वास्तु में शुभ और कुछ अशुभ मानी गईं हैं। शीशम,चन्दन,अशोक,सागवान,साल,अर्जुन या नीम की लकड़ी का बना हुआ फर्नीचर खरीदें,यह शुभ फल देने वाले होते हैं।-वास्तु के अनुसार आपके बेडरूम में खिड़की जरूर होनी चाहिए। इससे कमरे में सकारात्मक ऊर्जा आती है जिसका अच्छा प्रभाव पति-पत्नी के रिश्तों पर पड़ता है।-यदि पति-पत्नी के रिश्तों में तनाव रहता है तो कमरे में ताज़ा फूल रखने चाहिए,पर ध्यान रहे कि इन्हें सूखने पर तुरंत बदलते रहें।-अगर पति-पत्नी के बीच दूरियां पैदा हो रही हों तो बेडरूम में लाल रंग की दो मोमबत्तियां जलाएं ऐसा करने से दोनों के बीच का रिश्ता मजबूत होगा।-शयन कक्ष में कभी भी आईना न लगाएं। अगर आईना हो तो इस बात का ध्यान रखें कि वह आईना इस तरह हो कि सुबह सोकर उठते ही सीधे आईने पर नजर न जाये। इससे नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है,जिससे दांपत्य जीवन में कड़वाहट घुल सकती है।-पति-पत्नी जिस बिस्तर का इस्तेमाल सोने के लिए करते हैं उसमें हमेशा एक ही गद्दा होना चाहिए। यदि डबल बेड है तो डबल बेड का गद्दा लगाएं। दो गद्दों वाले बिस्तर पर सोने से पति-पत्नी के रिश्तों में खटास आ सकती है।-कमरे की दीवारों को हमेशा हल्के रंग से पेंट करवाएं। हो सके तो शयनकक्ष में हल्का गुलाबी या लाइट पीच कलर करवाएं, इससे दोनों के बीच प्यार बढ़ेगा और एक नयी ऊर्जा का संचार होगा।-बेडरूम की साफ-सफाई के वक़्त नमक के पानी का पोंछा लगवायें। नमक को सकारात्मक ऊर्जा का बहुत बड़ा श्रोत माना गया है। साथ ही इस कमरे में जाले न जमने दें। जालों से जीवन में नकारात्मकता आती है।-पति-पत्नी में में अटूट प्रेम और जुड़ाव के लिए शयनकक्ष की उत्तर की दीवार पर राधाकृष्ण की तस्वीर लगाएं।
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हर व्यक्ति के जीवन में कोई न कोई रहस्य छुपा होता है। कहते हैं कि हाथ की रेखाएं बनती-बिगड़ती रहती हैं, लेकिन कुछ रेखाएं हमेशा रहती हैं और भविष्य के बारे में काफी सही संकेत देती हैं। हाथ की कुछ रेखाएं मनुष्य की नौकरी य व्यापार की भी जानकारी देता है। जो व्यक्ति सरकारी नौकरी की तमन्ना रखता है तो उसके मन में बस एक ही सवाल कौंधता है कि क्या उसकी सरकारी नौकरी लगेगी या नहीं।
वैसे तो कहते हैं कर्म के अनुसार ही हाथ की रेखाओं में बदलाव होता है। लेकिन आज हम आपको बताएंगे हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार वो कौन सी रेखाएं और स्थितियां हैं जो सरकारी नौकरी मिलने का संकेत देती हैं।
आइए जानते हैं-
00 यदि किसी व्यक्ति की हथेली में सूर्य पर्वत उठा हुआ हो और इस पर्वत पर बिना किसी रुकावट के सीधी रेखा बन रही हो तो सरकारी नौकरी का प्रबल योग बनते हैं।
00 यदि किसी व्यक्ति की हथेली में सूर्य रेखा गुरु पर्वत की ओर जा रही हो तो ऐसा व्यक्ति एक बड़ा सरकारी अधिकारी बनता है।
00 यदि किसी व्यक्ति की हथेली में बुध पर्वत पर त्रिभुज की आकृति बन रही हो तो ऐसे व्यक्ति को सरकारी नौकरी में उच्च पद मिलता है।
00 यदि किसी जातक की हथेली में भाग्य रेखा से शाखा रेखा निकलती हुई बृहस्पति पर्वत की ओर जा रही हो तो ऐसे व्यक्ति को सरकारी नौकरी मिलने की प्रबल संभावनाएं रहती हैं।
00 यदि भाग्य रेखा, जीवन रेखा को काटे और गुरू- शनि पर्वत के बीच से निकले तो ऐसे जातकों को भी सरकारी नौकरी मिलती है।
00 किसी व्यक्ति की हथेली पर गुरु और सूर्य पर्वत उभरा हुआ होता है तो उस व्यक्ति में कौशल और निपुणता भरी रहती है। ऐसे व्यक्ति को जीवनकाल के 30 वर्षों के अंदर ही कोई सरकारी नौकरी मिल सकती है। -
मार्च के महीने में कई बड़े ग्रहों का राशि परिवर्तन होना है। ग्रह-नक्षत्रों के परिवर्तन का सीधा असर मानवीय जीवन पर पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र में वर्णित सभी 12 राशियों पर इसका असर देखने को मिलता है। जानिए ज्योतिषाचार्य प. प्रकाश उपाध्याय जी से किन राशि वालों के लिए मार्च का महीना लेकर आएगा शुभ परिणाम और किन्हें हो सकता है नुकसान। पढ़ें मेष से लेकर मीन राशि तक का हाल...
मेष राशि- माह के प्रारंभ में मन परेशान रहेगा। संयत रहें। धैर्यशीलता में कमी रहेगी। क्रोध व आवेश के अतिरेक से बचें। 13 मार्च के बाद क्रोध में कमी आएगी। जीवनसाथी के स्वास्थ्य में सुधार होगा। कारोबारी कार्यों में भागदौड़ अधिक रहेगी। मित्रों से व्यर्थ के वाद विवाद से बचें। वाहन सुख में वृद्धि हो सकती है। 16 मार्च के बाद खर्चों में वृद्धि होगी। संतान के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। शैक्षिक कार्यों के प्रति सचेत रहें। कठिनाइयां आ सकती हैं। कारोबार के लिए विदेश यात्रा लाभप्रद रहेगी।
वृष राशि- माह के प्रारंभ में वाणी में मधुरता रहेगी। परंतु मन अशांत रहेगा। आत्मविश्वास भी भरपूर रहेगा। व्यर्थ के क्रोध से बचें। परिवार का साथ मिलेगा। 13 मार्च के बाद बातचीत में संतुलित रहें। मानसिक शांति के लिए प्रयास करें। वाहन के रखरखाव पर खर्च बढ़ सकते हैं। मन परेशान हो सकता है। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। मित्रों का सहयोग मिलेगा। 16 मार्च से मानसिक परेशानी बढ़ सकती है। माता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। रहन-सहन कष्टमय हो सकता है।
मिथुन राशि- मास के प्रारंभ में मन में शांति और प्रसन्नता रहेगी। आत्मविश्वास से लबरेज रहेंगे। कार्यक्षेत्र में परिश्रम अधिक रहेगा। स्वास्थ्य में गिरावट हो सकती है। 13 मार्च के बाद स्वास्थ्य में सुधार तो होगा। परंतु मन अशांत रहेगा। संयत रहें। व्यर्थ के क्रोध से बचें। शैक्षिक कार्यों में सुधार होगा। वस्त्र उपहार में मिल सकते हैं। किसी मित्र का आगमन हो सकता है। परिवार में शांति बनाए रखने का प्रयास करें। 17 मार्च से कारोबार में कठिनाई आ सकती हैं। आत्म विश्वास में कमी भी आएगी।
चाणक्य नीति : स्वस्थ रहने के लिए जरूर करें इन चीजों का सेवन, बीमारियां रहेंगी कोसों दूर
कर्क राशि- मास के प्रारंभ में मन प्रसन्न रहेगा। आत्मविश्वास भरपूर रहेगा। पारिवारिक जीवन सुखमय रहेगा। कारोबार की स्थिति मास के प्रारंभ में संतोषजनक रहेगी, परंतु सात मार्च से कुछ कठिनाइयां आ सकती हैं। 27 मार्च के बाद पुन: कारोबार में प्रगति दिखाई देगी। परिवार का सहयोग भी मिलेगा। आय में वृद्धि होगी। वाहन सुख में वृद्धि हो सकती है। शैक्षिक कार्यों के प्रति सचेत रहें।
सिंह राशि- 14 मार्च तक तो आत्मविश्वास से लबरेज रहेंगे। तत्पश्चात धैर्यशीलता में कमी आ सकती है। बातचीत में संतुलन बनाए रखें। सात मार्च के बाद कारोबार की स्थिति में सुधार होगा। लाभ के अवसर मिल सकते हैं। परंतु मास के अंत में पुन: कुछ परेशानियां आ सकती हैं। किसी मित्र के सहयोग से नौकरी में अवसर मिल सकते हैं। परंतु किसी दूसरे स्थान पर जाना पड़ सकता है।
कन्या राशि- माह के प्रारंभ में आत्मविश्वास में कमी रहेगी। कारोबार में कठिनाइयां आ सकती हैं। भागदौड़ अधिक रहेगी। 13 मार्च के बाद धैर्यशीलता में कमी रहेगी। संयत रहें। परिवार में शांति बनाए रखने के प्रयास करें। वाहन सुख में कमी आ सकती है। नौकरी में कठिनाइयां आ सकती है। 16 मार्च से कोई अतिरिक्त जिम्मेदारी मिल सकती है। कार्यक्षेत्र में परिश्रम अधिक रहेगा। 17 मार्च से मन प्रसन्न रहेगा। पिता के स्वास्थ्य में सुधार होगा। कारोबार पर ध्यान दें। भागदौड़ अधिक रहेगी।
तुला राशि- मन प्रसन्न रहेगा। आत्मविश्वास भी बहुत रहेगा। संगीत में रुचि बढ सकती है। शैक्षिक कार्यों में सफलता मिलेगी। 14 मार्च तक आय की स्थिति पर्याप्त रहेगी। तदुपरांत आय में कमी व खर्च अधिक हो सकते हैं। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। किसी नए कारोबार का प्रस्ताव मिल सकता है। वाहन सुख में वृद्धि हो सकती है। संपत्ति का विस्तार होगा। परंतु पिता के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखें।
वृश्चिक राशि- मास के प्रारंभ में मन में उतार चढ़ाव रहेंगे। जीवनसाथी के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। नौकरी में कार्यक्षेत्र में बदलाव हो सकता है। वाहन के रखरखाव तथा वस्त्रों आदि पर खर्च बढ़ सकते हैं। 16 मार्च से धैर्यशीलता में कमी आएगी। संयत रहें। परंतु माता के स्वास्थ्य में सुधार होगा। 17 मार्च से कारोबार में आय में वृद्धि होगी। भवन सुख में वृद्धि हो सकती है। माता का साथ रहेगा।
धनु राशि- माह के प्रारंभ में मन प्रसन्न तो रहेगा। परंतु संतान के स्वास्थ्य से परेशान भी हो सकते हैं। 13 मार्च से संतान के स्वास्थ्य में सुधार होगा। शैक्षिक कार्यों के सुखद परिणाम मिलेंगे। कला या संगीत के प्रति रुझान बढ़ सकता है। किसी मित्र के सहयोग से आय में वृद्धि के साधन बन सकते हैं। 16 मार्च के बाद नौकरी में तरक्की के मार्ग प्रशस्त होंगे। कार्यभार में वृद्धि होगी। आय में वृद्धि होगी। 17 मार्च के बाद कारोबार में कठिनाइयां आ सकती हैं। कारोबार में भागदौड़ बढ़ेगी। पिता का साथ मिलेगा।
मकर राशि- मानसिक शांति रहेगी। आत्मविश्वास भरपूर रहेगा। बातचीत में संतुलित रहें। सात मार्च से वाणी के प्रभाव में वृद्धि होगी। किसी मित्र के सहयोग से कारोबार की स्थिति में सुधार होगा। कारोबार में लाभ के अवसर मिलेंगे। 14 मार्च के बाद परिश्रम अधिक रहेगा। माता-पिता का सानिध्य मिलेगा। भवन सुख में वृद्धि होगी। किसी संपत्ति से आय के साधन बन सकते हैं।
कुंभ राशि- मन परेशान हो सकता है। मानसिक शांति के लिए प्रयास करें। सात मार्च के बाद कारोबार की स्थिति में सुधार होगा। आय में वृद्धि होगी। शैक्षिक कार्यों के सुखद परिणाम मिलेंगे। संतान सुख में वृद्धि हो सकती है। परंतु माता-पिता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। जीवनसाथी का साथ मिलेगा। वाहन के रखरखाव पर खर्च बढ़ सकते हैं। नौकरी में यात्रा पर जाना पड़ सकता है। रहन-सहन अव्यवस्थित रहेगा।
मीन राशि- आत्मविश्वास से लबरेज रहेंगे। परंतु मन में आशा निराशा के भाव भी हो सकते हैं। जीवनसाथी के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। कारोबार में व्यवधान भी रहेंगे। 13 मार्च के बाद नौकरी में तरक्की के अवसर मिल सकते हैं। कार्यक्षेत्र में वृद्धि होगी। कार्यक्षेत्र में परिश्रम अधिक रहेगा। कार्यक्षेत्र में वृद्धि होगी। कार्यक्षेत्र में परिश्रम अधिक रहेगा। अफसरों से सदभाव बनाकर रखें। वाहन चलाते समय सचेत रहें। भवन सुख में वृद्धि हो सकती है। 16 मार्च के बाद आत्मसंयत रहें। अपनी भावनाओं को वश में रखें। 17 मार्च से परिवार में शांति रहेगी। -
हस्तरेखा विज्ञान में केवल हाथों की रेखाएं और उसके प्रकार शामिल नहीं हैं। उंगलियां और नाखून भी इसी का हिस्सा हैं। प्रत्येक उंगली की अपनी विशेषता है। हस्तरेखा विज्ञान में प्रत्येक उंगली एक ग्रह का प्रतिनिधित्व करती है। उंगली की लंबाई भी परिणाम को प्रभावित करती है। जानिए क्या कहती हैं आपकी उंगलियां।
-लंबी तर्जनी उंगली वाले लोगों का झुकाव सत्ता संभालने और दूसरों को नियंत्रित करने में होता है। ऐसे लोगों के लक्ष्य ऊंचे होते हैं।
-छोटी तर्जनी के लोग प्रतिद्वंद्वियों से किसी भी सलाह को स्वीकार नहीं करते। वे हमेशा इसे अस्वीकार कर देते हैं।
-लंबे अंगूठे वाले लोग प्यार और शैक्षिक क्षेत्र में उत्कृष्ट होते हैं। वे सौभाग्यशाली होते हैं। जीवन में प्रगति करते हैं। ऐसे लोग आत्मविश्वास से भरे हुए होते हैं।
-छोटा अंगूठे वाले लोग खुद पर भरोसा नहीं करते। ऐसे लोग कड़ी मेहनत और धैर्य के साथ सफलता पाते हैं।
-मोटा एवं ठोस अंगूठे वाला व्यक्ति साधारण जीवन जीता है। धन को खर्च करने में ऐसे व्यक्ति बेहद समझदार होते हैं।
-यदि अंगूठा सपाट, पतला और असमान है तो वे किसी ना किसी काम के लिए हमेशा अधीर रहते हैं। उन्हें धीमा, स्थिर और योजनाबद्ध जीवन पसंद नहीं होता। ऐसे लोग हमेशा आनंद की तलाश रहते हैं।
-लंबी, सीधी और गोल मध्यमा उंगली वाले लोग भाग्यशाली होते हैं। यदि मध्यमा उंगली छोटी है तो व्यक्ति मेहनती होता है। - बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी 12 राशियों में कुछ राशियां ऐसी होती है जिन पर शनिदेव ज्यादा मेहरबान रहते हैं। शनि साढ़ेसाती या ढैय्या चलने पर इन राशियों पर कोई ज्यादा विपरीत असर नहीं पड़ता है। आइए जानते हैं कौन-कौन सी हैं वे राशियां।तुला राशितुला राशि शनिदेव की प्रिय राशियों में से एक होती है। तुला राशि शनिदेव की उच्च की राशि होती है। शनिदेव इस राशि वालों पर हमेशा ही अपनी कृपाद्दष्टि रखते हैं। इस राशि के जातकों के जीवन में शनि देव हर तरह की खुशियां प्रदान करते हैं। कार्यों में असफलताएं मिलने पर इस राशि के लोग ज्यादा निराश नहीं होते हैं क्योंकि उन्हें इस बात का अनुभव रहता है कि ये असफलताएं ज्यादा दिनों तक नहीं रहने वाली हैं। इन राशि वालों को भाग्य का अच्छा साथ मिलता है। भाग्याशाली के साथ इस राशि लोग काफी मेहनती और ऊर्जावान होते हैं।मकर राशिशनिदेव की दूसरी प्रिय राशि मकर होती है। इस राशि पर शनि का अशुभ प्रभाव बहुत ही कम देखने को मिलता है। क्योंकि मकर राशि के स्वामी शनिदेव ही होते हैं। स्वामी ग्रह होने के कारण मकर राशि पर शनि जब शुभ स्थान पर होते हैं तो इस राशि के लोग अपने-अपने कार्यक्षेत्र में अच्छी सफलता को प्राप्त करते हैं। भाग्य का अच्छा साथ मिलने से सभी तरह के कार्य फौरन ही पूरे हो जाते हैं।कुंभ राशिकुंभ राशि के स्वामी ग्रह भी शनिदेव होते हैं। शनिदेव को दो राशियों का स्वामी बनाया गया है। शनिदेव अपनी विशेष कृपा से कुंभ राशि के लोगों को मालामाल करते हैं। कुंभ राशि वालों पर शनिदेव के साथ मां लक्ष्मी का भी आशीर्वाद प्राप्त रहता है। इस राशि के लोगों को किसी भी काम में सफलता पाने के लिए बहुत ही कम प्रयास करने पड़ते हैं। शनिदेव की कृपा के चलते इनको अचानक धन प्राप्ति होता है।
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रंग और उमंग से भरी जिस होली का इंतजार लोगों को पूरे साल बना रहता है, उसका एक अलग ही रंग ब्रज मंडल में देखने को मिलता है. लगभग 40 दिनों तक मनाए जाने वाले फाग पर्व को यहां पर अलग-अलग जगह पर अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है, लेकिन बरसाना में मनाई जाने वाली होली इन सभी में सबसे अलग होती है. यही कारण है कि यहां पर खेली जाने वाली लड्डू और लट्ठमार होली को न सिर्फ खेलने बल्कि देखने के लिए हजारों-हजार लोग देश-विदेश से पहुंचते हैं. आइए जानते हैं कि आखिर कब खेली जाएगी लड्डू और लट्ठमार होली.
कब खेली जाएगी लट्ठमार होली
बरसाना की लट्ठमार होली की चर्चा किए बगैर होली की बात अधूरी मानी जाती है. दुनिया भर में प्रसिद्ध बरसाना की रंगीली गली में मनाई जाने वाली लट्ठमार होली इस साल 28 फरवरी 2023 को मनाई जाएगी. बरसाना की लट्ठमार होली को राधा रानी और भगवान श्रीकृष्ण के प्रेम का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण ने राधा एवं गोपियों के साथ इस होली की परंपरा की शुरुआत की थी. तब से चली आ रही लट्ठमार होली को खेलने और इसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से यहां पर पहुंचते हैं. लट्ठमार होली को खेलने के लिए आज भी नंदगांव के पुरुष और बरसाने की महिलाएं ही भाग लेती हैं. जिसमें महिलाएं पुरुषों पर लाठियां भांजती हैं तो वहीं पुरुष उनसे बचने के लिए ढाल का प्रयोग करते हैं.
किस दिन होगी लड्डूमार होली
बरसाना में लट्ठमार की तरह लड्डूमार होली भी विश्वप्रसिद्ध है. लड्डूमार होली हर साल लाडिली जी के मंदिर में आयोजित की जाती है. यह होली लट्ठमार होली से एक दिन पहले होती है, जिसके लिए लाडिली जी के महल से भगवान श्रीकृष्ण के नंदगांव में फाग का निमंत्रण भेजा जाता है. उसके बाद नंदगांव से पुरोहित रूपी सखा राधा रानी के महल में स्वीकृति का संदेश भेजा जाता है. मान्यता है कि वहां पुरोहित या फिर कहें पंडा का भव्य स्वागत होता है और उसे खाने के लिए ढेर सारे लड्डू दिए जाते हैं. मान्यता है कि इतने सारे लड्डू को देखकर वह खुशी के मारे पागल हो जाता है और उन लड्डुओं को खाने की बजाय लुटाने लगता है. तब से यह परंपरा हर साल निभाई जाती है और इस लड्डूमार होली को खेलने से पहले श्री जी मंदिर में लाडली जी को लड्डू अर्पित किए जाते हैं.
कैसे हुई लड्डूमार होली की शुरुआत
मान्यता ये भी है कि जब नंदगांव से आए पुरोहित को खाने के लिए लड्डू दिए तो उसी समय कुछ गोपियों ने पुरोहित को गुलाल लगा दिया. चूंकि उस समय पंडे के पास गोपियों को लगाने के लिए गुलाल नहीं था, तो उसने गोपियों पर पास रखे लड्डू ही फेंकने शुरू कर दिए. मान्यता है कि तभी से लड्डूमार होली खेली जाने लगी. लड्डू मार होली वाले दिन देखते ही देखते कई टन लड्डू लुटा दिए जाते हैं. इस दिन राधा रानी और भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति के रंग में रंगने और लड्डू प्रसाद को पाने के लिए लिए हजारों की संख्या पर बरसाना पहुंचते हैं. -
वास्तु शास्त्र में कुछ फूलों का विशेष महत्व है। वास्तु शास्त्र में पेड़-पौधे के बारे में उल्लेख किया गया है। घर में कई ऐसे पेड़-पौधे होते हैं, जो घर की समस्याएं ठीक कर देते हैं। हम कभी-कभी कुछ ऐसे पेड़-पौधे भी लगा देते हैं, जिसका प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है। ये प्रभाव कभी अच्छा होता है, तो कभी ये बुरा भी साबित होता है। इन्हीं में से एक है गुड़हल का फूल।
ये घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। गुड़हल के फूल बहुत खूबसूरत होते हैं। वास्तु शास्त्र में इन फूलों का विशेष महत्व बताया गया है। ये फूल जीवन की कई परेशानियों को दूर करने का काम करते हैं। आइए जानते हैं किस तरह आप घर में सुख-समृद्धि लाने के लिए गुड़हल के फूल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
--सूर्य दोष को दूर करने के लिए गुड़हल बहुत फायदेमंद होता है। घर की पूर्व दिशा में गुड़हल के फूल का पौधा लगाएं। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। गुड़हल के फूलों को स्टडी टेबल पर रखने से बच्चों का पढ़ाई में मन लगता है।
--गुड़हल का फूल भी मंगल दोष को दूर करने के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इस फूल की तरह मंगल ग्रह का रंग भी लाल है। घर में गुड़हल के फूल का पौधा लगाएं। इससे मंगल दोष दूर होता है। इससे जीवन में आ रही परेशानियां दूर होती हैं।
--गुड़हल का फूल सूर्यदेव को अत्यंत प्रिय है। गुड़हल के फूल के बिना सूर्य देव की पूजा अधूरी मानी जाती है। जल में गुड़हल के फूल डालकर नियमित रूप से सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए। इससे आपको ऊर्जावान बने रहने में मदद मिलेगी।
--मंगलवार के दिन हनुमान जी को लाल गुड़हल का फूल चढ़ाएं। ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है। शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी को गुड़हल का फूल चढ़ाएं। इससे आर्थिक परेशानी दूर होती है। घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। -
वास्तु के अनुसार आर्थिक प्रगति सीधे तौर पर घर के पूर्व और उत्तर-पूर्व दिशा से संबंधित है। वास्तु एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस दिशा में अगर किसी भी तरह का कोई वास्तु दोष है तो व्यक्ति को पैसों से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही इन दिशाओं का सही ढ़ग से प्रयोग न करने पर व्यक्ति को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। करियर में सफलता और आर्थिक संपन्नता लाने के लिए इन दिशाओं का किस तरह इस्तेमाल करना चाहिए।
1. घर की उत्तर दिशा में नीले रंग का पिरामिड रखना शुभ माना जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार नीले रंग का पिरामिड उत्तर दिशा में रखने से धन का भंडार खाली नहीं जाता है।
2. वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के उत्तर दिशा में कांच का कटोरा रखना चाहिए। साथ ही इस कटोरी में एक चांदी का सिक्का भी रखना चाहिए। ऐसा करने से घर में हमेशा मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
3. घर की उत्तर दिशा में तुलसी का पौधा लगाना शुभ माना गया है। इसके अलावा आंवले का पेड़ लगाना भी बहुत अच्छा माना जाता है। यह परिवार कोआर्थिक रूप से समृद्ध बनाने में मदद करता है।
4. वास्तुशास्त्र के अनुसार, भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की प्रतिमा को घर की उत्तर पूर्व दिशा में रखना चाहिए। साथ ही, भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की प्रतिमा के आगे रोजाना एक मिट्टी का दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने से घर में कभी भी धन की कमी नहीं होगी।
5. वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर दिशा का स्वामी कुबेर हैं, जिन्हें धन के देवता कहा जाता है। घर के उत्तर दिशा में सेफ या लॉकर रखना चाहिए। ऐसा करने से घर में कभी भी धन की कमी नहीं होगी। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार ग्रह नक्षत्र समय समय पर गोचर करते हैं। ग्रह नक्षत्रों का मानव जीवन पर विशेष प्रभाव पड़ता है। ग्रहों का परिवर्तन जहां कुछ राशियों के लिए शुभ माना जाता है वहीं कुछ राशियों के लिए अशुभ। मार्च माह में 4 ग्रह राशि परिवर्तन करने जा रही हैं। जहां मंगल ग्रह मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे, वहीं शुक्र मेष राशि में संचरण करेंगे। इसके साथ ही 15 मार्च को सूर्य देव मीन राशि में गोचर करेंगे। और 16 मार्च को बुध ग्रह भी मीन राशि में प्रवेश कर जाएंगे। ग्रहों के इन राशि परिवर्तन का प्रभाव कई राशियों पर देखने को मिलेगा। लेकिन कुछ राशियां ऐसी हैं जिनको ग्रहों के इन गोचर के दौरान धनलाभ और उन्नति के योग प्राप्त हो सकते हैं। आइए जानते हैं कौन सी हैं वो राशियां-
वृष राशि
वृषभ राशि के जातकों के लिए ग्रहों के राशि परिवर्तन मार्च के महीने में लाभ और सुख प्रदान देने वाला हो सकता है। इस महीने आप कोई नया कार्य शुरू कर सकते हैं। आपकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार आ सकता है। वहीं इस महीने आपको अटका हुआ धन प्राप्त हो सकता है।
कर्क राशि
कर्क राशि वालों के लिए मार्च के महीने मेइन होने वाले ग्रह गोचर अनुकूल साबित हो सकते हैं। यह महीना कर्क राशि वालों के व्यापारियों के लिए लाभकारी हो सकता है। दैनिक व्यापारियों को भी इस समय अच्छा लाभ मिलने की संभावना है। कर्क राशि वालों की इस महीने मान-सम्मान में वृद्धि होगी। नौकरीपेशा लोगों को को कार्यस्थल पर कोई नई जिम्मेदारी मिल सकती है।
तुला राशि
तुला राशि के जातकों के लिए मार्च का महीना शुभ साबित हो सकता है। इस समय आपको कार्यक्षेत्र में तरक्की और पदोन्नति मिल सकती है। छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए बेहतर अवसर मिल सकते हैं। दांपत्य जीवन में भी मधुर बनी रहने की संभावना है। कारोबारियों को लाभ मिलेगा और आय नए स्रोत खुल सकते हैं। जो जातक अकेले हैं उन्हें जीवनसाथी मिल सकता है। - बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायवास्तु शास्त्र की मानें तो वास्तु के नियम सिर्फ घर के अंदर ही नहीं घर के बाहर भी लागू होते हैं। घर के पार्किंग एरिया पर भी वास्तु के सिद्धांत लागू होते हैं। अक्सर देखा गया है कि घर की बनावट और सजावट को लेकर तो वास्तु सिद्धांतों का पालन किया जाता है, परन्तु पार्किंग एरिया पर ध्यान नहीं दिया जाता। गलत दिशा में रखा हुआ वाहन आपकी परेशानी का कारण बन सकता है। वहीं सही दिशा में रखा गया वाहन आपकी सुख-समृद्धि में चार चांद लगा सकता है। आइए जानें, कैसा होना चाहिए आपके घर का पार्किंग या गैरेज?किस दिशा में होवास्तु शास्त्र के अनुसार पार्किंग स्थल भूखंड के आग्नेय (दक्षिण-पूर्व) या वायव्य (उत्तर-पश्चिम) कोण में होना चाहिए। वायव्य में वाहन पार्क करना सबसे श्रेष्ठ माना गया है। वायव्य के पश्चिम में गैरेज होने पर कार स्वामी की यात्राएं सुखद और सफल रहती हैं। आग्नेय में कार खड़ी करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसमें बहुत अधिक ईंधन नहीं होना चाहिए क्योंकि यहां पर अग्नि तत्व की प्रधानता होती है, जिससे अग्नि दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।एक ही स्थान पर शुभ नहींकई बार देखा गया है कि लोग शौक में वाहन तो खरीद लेते हैं लेकिन उस पर यात्रा बहुत कम कर पाते हैं, यह भी एक वास्तु दोष है। जो गाडिय़ां काफी दिनों तक खड़ी ही रहती हैं उनके मालिकों को मानसिक तनाव और धन हानि का सामना करना पड़ता है। वाहन वही शुभ रहता है जो कम से कम स्थिर यानी खड़े रहें। जब भी ग्रह स्वामी को वाहन की आवश्यकता पड़े, उस समय उसका वाहन यात्रा करने के लिए तैयार होना चाहिए।इन बातों का रखें ध्यान- पार्किंग एरिया के फर्श का ढलान उत्तर दिशा की तरफ रखना चाहिए।- यदि गाड़ी खराब हो जाए तो उसे शीघ्र ही ठीक करवाकर रखनी चाहिए,अन्यथा ऐसी गाड़ी वास्तुदोष उत्पन्न करती है।-इसकी छत मुख्य भवन और चहारदीवारी को नहीं छूनी चाहिए एवं गैरेज के चारों ओर कम से कम दो तीन फुट चौड़ी खुली जगह रखें।- ध्यान रखना चाहिए कि गैरेज में गाड़ी खड़ी करने के बाद उसके चारों ओर जगह छूटनी चाहिए, ताकि व्यक्ति बिना किसी रुकावट के इसके चारों ओर पैदल घूम सके।-कभी भी वाहन ईशान (उत्तर-पूर्व ) कोण में नहीं खड़ा करना चाहिए, इस दिशा में गाड़ी खड़ी होने पर परिवार के सदस्यों को बहुत अधिक मानसिक तनाव रहता है। यहां पर बना गैराज घर के मुखिया को महत्वपूर्ण निर्णय लेने में भ्रमित रखता है।- एक बात ध्यान रखने वाली है कि गैराज के सामने का रास्ता बिल्कुल साफ-सुथरा रखें ताकि कार बिना किसी रुकावट के आ-जा सके।-गैराज की दीवारों को रंगने के लिए सफेद, पीला या हल्के रंग शुभ माने गए हैं।
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हिंदू धर्म में होली के त्योहार का विशेष महत्व होता है। सभी को होली का इंतजार बेसब्री से होता है। होली के त्योहार पर सभी लोग एक दूसरे के साथ रंगों और फूलों से होली खेलते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार होलिका दहन 7 मार्च को जबकि 8 मार्च को रंगों वाली होली खेली जाएगी। इस बार होली के बाद ग्रहों की चाल से बहुत ही अच्छा राजयोग बनने जा रहा है। यह राजरोग गजलक्ष्मी राजयोग के नाम से जाना जाता है। इस राजयोग से सभी सभी 12 राशियों में कुछ राशि वालों को बहुत ही अच्छा रहने वाला होगा।
होली के बाद गजलक्ष्मी राजयोग
वैदिक ज्योतिष में ग्रहों की चाल और राशि परिवर्तन का विशेष महत्व होता है। ग्रहों की चाल के बदलने पर शुभ और अशुभ योगों का निर्माण होता है जिसे कारण से जातकों के जीवन पर प्रभाव पड़ता है। आपको बता हैं कि इस साल कई बड़े ग्रहों का राशि परिवर्तन होने वाला है। साल के पहले महीने में सबसे ज्यादा प्रभावी और धीमी चाल से चलने वाले ग्रह शनि ग्रह का राशि परिवर्तन हो चुका है। अब 13 महीनों में एक बार राशि बदलने वाले सबसे बड़े और शुभ ग्रह देवगुरु बृहस्पति अपनी राशि बदलेंगे।
22 अप्रैल 2023 को देवगुरु बृहस्पति मेष राशि में गोचर करेंगे। गुरु पिछले लगभग 13 महीनों से अपनी स्वयं की राशि मीन में विराजमान थे। गुरु के मेष राशि में गोचर करने पर वहां पर पहले से चंद्रमा मौजूद रहेंगे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब मेष राशि में गुरु और चंद्रमा दोनों की ही एक राशि में होते हैं तो गजलक्ष्मी राजयोग बनता है। यह राजयोग शुभ माना जाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार गजलक्ष्मी राजयोग से कई राशियों पर शुभ प्रभाव देखने को मिलेगा। आर्थिक स्थिति में मजबूती आएगी क्योंकि धन का लाभ होगा। अन्य साधनों से धन की प्राप्ति होगी।
मेष राशि
होली के बाद मेष राशि में गुरु-चंद्रमा की युति से गजलक्ष्मी राजयोग बनेगा। यह राजयोग आपकी राशि के लग्न भाव में होने जा रहा है। इससे आपको आर्थिक मोर्चे पर मजबूती मिलेगी। धन लाभ के बेहतीन मौके मिलेंगे। नौकरीपेशा जाताकों के प्रमोशन और आय में इजाफा देखने को मिलेगा। मान-सम्मान में वृद्धि होगी और भाग्य का साथ मिलेगा।
मिथुन राशि
मिथुन राशि के लोगों को भी गुरु-चंद्रमा से बना गजलक्ष्मी राजयोग अच्छा समय का संकेत है। भाग्य का साथ मिलने से इस दौरान कई तरह के रूके हुए काम पूरे होंगे। व्यापारी वर्ग को व्यापार में मुनाफा और अनेक तरह की लाभ की संभावनाएं पैदा होंगी। जो काम पिछले कई दिनों या फिर महीनों से फंसे हुए थे वे अब आसानी के साथ पूरे होंगे।
धनु राशि
मेष राशि में बना गजलक्ष्मी राजयोग धनु राशि वालों के लिए शुभ और सुनहरा अवसर लेकर आ रहा है। धन के अच्छे स्त्रोत दिखाई देंगे। करियर में तरक्की मिलने की संभावना है। जो लोग नौकरी बदलना चाह रहे हैं उनकी नौकरी के लिए एक साथ कई अच्छे प्रस्ताव आ सकते हैं। व्यापार में आपके द्वारा बनाई गई योजना अब जमीन पर दिखाई देने लगेगी। - बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायसामुद्रिक शास्त्र में शरीर की बनावट और खास चिह्न के जरिए व्यक्तिव और भविष्य के बारे में जानकारी दी जाती है। सामुद्रिक शास्त्र में बताया गया है कि ऐसी कन्या जिसकी आंखों में ये विशेषता हो वो ससुराल में खुशहाली लाती हैं। शादी के बाद कुछ लोगों की सोए किस्मत जाग उठती है। सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार कुछ स्त्रियों में ये खास चिह्न होते हैं, जो किस्मत को जगा सकते हैं। ऐसी स्त्री से शादी के बाद जातक का भाग्य का सितारा चमक उठता है।आंखेंऐसी स्त्री जिसकी आंखे हिरणी जैसी सुंदर और बड़ी होती हैं, उनका घर में प्रवेश मंगलकारी माना जाता है। ऐसी स्त्री से शादी के बाद पुरुष का भाग्य चमक उठता है। अगर किसी स्त्री की आंखें काली, बड़ी और पलकें छोटी हों तो ऐसी स्त्री को बहुत ही सौभाग्यशाली माना जाता है।तलवे पर निशानअगर किसी स्त्री के तलवे पर त्रिकोण बना हो तो ऐसी स्त्री बहुत बुद्धिमान होती है। सोच समझकर ही निर्णय लेने वाली ऐसी स्त्री परिवार को बांध कर चलती है। अगर तलवों पर शंख, कमल या फिर चक्र बना हो तो ऐसी स्त्री किस्मत की धनी मानी जाती है। जिसके पैर गुलाबी आभा लिए हो और बहुत कोमल हों वो भी भाग्य की धनी कही जाती हैं।मस्साअगर किसी स्त्री के नाक के अगले हिस्से पर तिल या मस्सा हो तो ऐसी स्त्री बहुत अच्छी किस्मत वाली होती है। अगर किसी के बाएं गाल पर तिल हो तो वो खाने की शौकीन हो सकती है तो ऐसी स्त्रियां परिवार को हमेशा खुश रखती हैं और घर में बरकत लाती हैं।
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होली सनातनियों के सबसे बड़े त्योहार में से एक है। कांशी पंचाग के अनुसार होलिका दहन के उपरांत शुभ कार्य के सभी दरवाजे खुल जाते हैं। दो दिनों का यह त्योहार खुशिंया लेकर आता है। लेकिन यह त्योहार जितना महत्वपूर्ण है इससे मनाने वाला काल (समय) भी उतना ही महत्वपूर्ण है। क्योंकि भद्रा काल में होलिका दहन नहीं होता। इस काल में अगर होलिका दहन किया जाता है तो इसका काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए तिथि की भूमिका अहम हो जाती है।
प्रदोष काल में सात मार्च को होलिका दहन-
पंड़ित प्रकाश उपाध्याय बतातें हैं कि काशी पंचाग के अनुसार सात मार्च को होलिका दहन की जाएगी। बतातें हैं कि होलिका दहन प्रदोष काल में करना उत्तम होता है। फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि 06 मार्च दिन मंगलवार को शाम 04.17 बजे प्रारंभ होगी और इस तिथि का समापन सात मार्च दिन बुधवार को शाम 6.10 बजे होगा। फाल्गुन पूर्णिमा तिथि में प्रदोष काल में होलिका दहन होती है। ऐसे में इस साल होलिका दहन सात मार्च दिन मंगलवार को होगा।
सुबह में भ्रदा, होलिका दहन के लिए ढ़ाई घंटे का समय --
होलिका दहन के दिन सात मार्च को भद्रा सुबह 5.15 बजे तक है। ऐसे में प्रदोष काल में होलिका दहन के समय भद्रा का साया नहीं रहेगा। सात मार्च को होलिका दहन का मुहूर्त शाम को 6.24 बजे से रात 8.51 बजे तक है। इस दिन होलिका दहन का कुल समय दो घंटे 27 मिनट का है।
आठ मार्च को मनाई जाएगी होली--
होलिका दहन के अगले दिन होली का त्योहार मनाया जाएगा। ऐसे में इस साल होली का त्योहार आठ मार्च दिन बुधवार को मनाया जाएगा। आठ मार्च को चैत्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि शाम 07 बजकर 43 मिनट तक है। - - बालोद से पं. प्रकाश उपाध्यायवास्तु शास्त्र कई उपायों से भरा पड़ा है और ऐसे ही उपायों में से एक है वास्तु में समुद्री नमक का उपयोग। समुद्री नमक में घर से नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने की शक्ति होती है। नमक में सोखने और सुखाने का गुण होता है। अगर सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए तो यह घर से नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित कर सकता है। हालांकि नमक का ज्यादा इस्तेमाल प्रतिकूल प्रभाव भी ला सकता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार वास्तु उपायों या समाधानों की मदद से व्यक्ति ऊर्जा को संतुलित कर सकता है और प्रचुरता और समृद्धि को आमंत्रित कर सकता है। वास्तु दोषों को दूर करने के लिए नमक का विभिन्न प्रकार से उपयोग सुखी जीवन प्राप्त करने के लिए उपयोगी हो सकता है। नमक को पर्यावरण शोधक के रूप में जाना जाता है। यह अपने अवशोषित गुण के कारण हमारे परिवेश से नकारात्मक क्षेत्र को हटा देता है। यह आपके घर, आत्मा और शरीर को शुद्ध कर सकता है और आपको सकारात्मक जीवन जीने की अनुमति देता है। बहुत से लोग वास्तु में नमक के उपयोग से सहमत नहीं हैं वास्तु शास्त्र में नमक आपकी आभा और आपके आसपास के वातावरण को शुद्ध करता है।समुद्री नमक के उपाय---अगर आप थका हुआ और नकारात्मक ऊर्जा से घिरे हुए महसूस कर रहे हैं तो नमक के पानी से स्नान करें। एक बाल्टी में थोड़ा सा नमक डालकर सिर से पांव तक नकारात्मक प्रभावों को धो लें। आप तरोताजा और ऊर्जावान महसूस करेंगे।-यदि आपको मनचाहा परिणाम नहीं मिल रहा है तो रोज सुबह हाथ में थोड़ा सा नमक लेकर सिर और शरीर पर पांच से सात बार घुमाएं और फिर इसे पानी में बहा दें। यह आपकी सारी नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित कर लेगा और आप उत्साहित महसूस करेंगे।-घर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए अपने कमरे में एक कटोरी पानी में नमक डालकर रखें। यह आसानी से सुलभ होना चाहिए। इस नमकीन पानी को नियमित रूप से बदलें। इस पानी को वॉशरूम या सिंक में फ्लश करना याद रखें। यह आपको छूना या बाहर गिरना नहीं चाहिए। यह कटोरा आपके कमरे की सारी नकारात्मक ऊर्जा को सोख लेगा।-अपने घर के फर्श को समय-समय पर नमकीन पानी से पोछें। यह घर की सारी नकारात्मकता को सोख लेगा।-बाथरूम में नमक या सेंधा नमक का प्रयोग करें। इसे किसी ऐसे कोने में रख दें जहां से यह दिखाई न दे। यह बाथरूम की सारी नकारात्मक ऊर्जा को सोख लेगा। यदि आपके बाथरूम में वास्तु दोष है तो नमक का उपयोग करने से नकारात्मक परिणामों को कम करने में मदद मिलेगी।-धूल या गंदगी घर में संचित नकारात्मक ऊर्जा का संकेत है इसलिए सभी वस्तुओं को नमक के पानी से साफ करें। पानी में थोड़ा सा नमक डालकर चीजों को साफ कर लीजिए। इससे घर में सकारात्मकता बढ़ेगी।
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सभी का जीवन उतार- चढ़ाव से भरा है। सुख और दुःख दोनों ही जीवन का हिस्सा है। दोनों ही बहुत लंबे समय तक नहीं टिकते हैं पर कई बार दुःख की घड़ी इतनी भयावह होती है कि लोग उसकी वजह से बहुत जल्दी अधिक परेशान हो जाते हैं।
कई बार हम उस परेशानी के पीछे का कारण जान लेते हैं और कई बार चाहकर भी जान नहीं पाते। अक्सर घर की सजावट करते समय लोग वास्तु को नजरअंदाज कर देते हैं जिसकी वजह से घर में वास्तु से जुड़ी बहुत सारी परेशानियां आती है और जिस घर में वास्तु दोष होता है। वहां मां लक्ष्मी का वास नहीं होता है।
वास्तु शास्त्र में हर वस्तु और उसके रंग का महत्व है। आज हम आपको एक ऐसे ही एक रंग के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी मदद से आप अपने घर का वास्तु अच्छा कर सकते हैं।
वास्तु शास्त्र के अनुसार प्रकृति से संबंधित है। पेड़ -पौधे, हरि सब्जियों, दालें और बेड इस रंग का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह रंग मनुष्य और प्रकृति के बीच तालमेल बिठाने का काम करता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार हरे रंग की वस्तु को पूर्व व दक्षिण पूर्व दिशा में सबसे अच्छा माना जाता है। आप चाहे तो इस दिशा में एक छोटा सा बगीचा या पौधा रख सकते हैं।
वास्तु शास्त्र के अनुसार इस दिशा और इस रंग का संबंध लकड़ी से हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार इस क्षेत्र में हरे रंग की चीजें रखने पर घर-परिवार में तरक्की आती है। हरे रंग की वस्तु पूर्व दिशा में रखने पर बड़े बेटे की उन्नति होती है। वहीं हरे रंग की वस्तु को दक्षिण पूर्व दिशा में रखने पर बड़ी बेटी को लाभ प्राप्त होता है। - बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायहस्तरेखा विज्ञान में धन योग के बारे में विस्तार से वर्णन मिलता है। इन रेखाओं से यह पता चल सकता है कि जातक के जीवन में कितना धन मिलेगा। यदि मंगल क्षेत्र से कोई रेखा निकलकर मस्तिष्क रेखा को काटकर हृदय रेखा तक पहुंचे तो यह धन लाभ का संकेत देती हैं। जितनी कम उम्र में ये रेखाएं जीवन रेखा को काटकर हृदय रेखा तक पहुंचती हैं, उतने ही कम समय में सफलता मिलती है। हालांकि ये योग बहुत कम हाथों में मिलते हैं।यदि कोई रेखा जीवन रेखा के पीछे शुक्र पर्वत से शुक्र होकर मस्तिष्क रेखा तक पहुंचे और एक रेखा जीवन रेखा से निकलकर हृदय रेखा तक पहुंचे तो इससे बनने वाले त्रिकोण से अत्यधिक धन लाभ का संकेत देता है। ऐसे लोग जिस उम्र में अपना नया काम शुरू करते हैं उसके पांच साल के अंदर ही बड़ा धन लाभ मिलता है। यदि मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा के बीच क्रॉस का निशान बने तो यह भी जीवन में अत्यधिक धनलाभ का संकेत देती है। यदि भाग्य रेखा केवल हृदय रेखा तक ही जाकर मिल रुक जाए तो इन लोगों को जीवनसाथी समान क्षेत्र में काम करने वाला होता है। इस तरह के लोग प्रेम विवाह करते हैं।
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हाथ में कुछ संकेत ऐसे होते हैं जो आपके भाग्यशाली का प्रमाण देते हैं। यदि किसी व्यक्ति के हाथ में ये चिह्न या संकेत मौजूद हैं तो तय मानिए कि वह भाग्यशाली है और उसके जीवन में किसी भी चीज की कमी नहीं रहने वाली। ये संकेत केवल भाग्यशाली हाथों में ही मिलते हैं। जानिए अपने हाथ में ऐसे ही पांच संकेतों के बारे में जो आपको भाग्यशाली बनाते हैं।
-यदि उंगलियों पर खड़ी रेखाएं दिखाई देती हैं तो यह बहुत भाग्यशाली होने का निशान है। शर्त यही है कि ये खड़ी रेखाएं चारों उंगलियों पर होनी चाहिए और स्पष्ट रूप से दिखनी भी चाहिए। यदि ये रेखाएं उंगलियों के मध्य पोर पर हों तो कम उम्र में ही इच्छा पूरी हो जाती हैं। यदि ये रेखाएं केवल दो या तीन उंगलियों में हैं तो इनका लाभ नहीं मिल पाता।
-हाथ में दूसरा भाग्यशाली संकेत है शुक्र पर्वत। यदि शुक्र पर्वत पर ज्यादा खड़ी रेखाएं हैं तो ये पैसे की कमी नहीं होने देती। यदि ये रेखाएं लेटी हुई हों तो पैसे की दिक्कत बनी रहती है। ऐसे लोगों के जीवन में पैसे आता है और खर्च हो जाता है। ऐसे लोगों को संभलकर चलना चाहिए।
-यदि व्यक्ति के हाथ में जीवन रेखा दो मुखी हो और आखिर में यह मत्स्य के निशान में बदल जाए तो इन्हें अचानक धन की प्राप्ति होती है। ऐसे लोगों को जीवन में अचानक तरक्की मिलती है। इस स्थिति में 30 साल की उम्र से फायदा मिलना शुरू हो जाता है। हालांकि यह रेखा किसी से कटी हुई नहीं होनी चाहिए।
-यदि जीवन रेखा के साथ-साथ मस्तिष्क रेखा और भाग्य रेखा भी अच्छी हो तो यह अच्छा संकेत है। जीवन रेखा से निकलकर एक रेखा बुध पर्वत की ओर जाए और भाग्य रेखा शनि पर्वत तक पहुंचे तो इन रेखाओं से बनने वाला त्रिभुज धनलाभ दिलाता है।
-यदि भाग्य रेखा शनि पर्वत तक पहुंचे और हृदय रेखा से निकलकर एक रेखा मस्तिष्क रेखा से मिल जाए तो इससे बनने वाला क्रॉस का निशान भाग्यशाली होने का संकेत है। ऐसे लोगों की किस्मत 25-30 साल की उम्र में खुलती है। - इस समय फाल्गुन का महीना चल रहा है। हर माह में एक बार अमावस्या तिथि पड़ती है। हिंदू धर्म में अमावस्या का बहुत अधिक महत्व होता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार सोमवती अमावस्या का बहुत अधिक महत्व होता है। सोमवार को पडऩे वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। फाल्गुन माह की अमावस्या 20 फरवरी, सोमवार को पड़ रही है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण भी किया जाता है। अमावस्या तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व होता है। नदी में स्नान के बाद सूर्य को अघ्र्य देकर पितरों का तर्पण किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या के दिन महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना के लिए व्रत रखती हैं।आइए जानते हैं फाल्गुन अमावस्या पूजा- विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व...मुहूर्त- --फाल्गुन, कृष्ण अमावस्या प्रारम्भ - 04:18 पी एम, फरवरी 19फाल्गुन, कृष्ण अमावस्या समाप्त - 12:35 पी एम, फरवरी 20साल 2023 का सबसे बड़ा राशि परिवर्तन अप्रैल में, मेष से लेकर मीन राशि वाले होंगे प्रभावित, पढ़ें राशिफलसोमवती अमावस्या का महत्व---धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व होता है। इस पावन दिन पितरों का तर्पण करने से उनका विशेष आर्शीवाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है।-इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व होता है।-सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा- अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।-इस पावन दिन माता लक्ष्मी की पूजा करना भी शुभ होता है।सोमवती अमावस्या पूजा- विधि---- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इस दिन पवित्र नदी या सरवोर में स्नान करने का महत्व बहुत अधिक होता है। आप घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं।- स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।- सूर्य देव को अघ्र्य दें।-अगर आप उपवास रख सकते हैं तो इस दिन उपवास भी रखें।-इस दिन पितर संबंधित कार्य करने चाहिए।-पितरों के निमित्त तर्पण और दान करें।-इस पावन दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।- इस पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है।-इस दिन विधि- विधान से भगवान शंकर की पूजा- अर्चना भी करें।
- बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायमहाशिवरात्रि का पर्व शनिवार 18 फरवरी को मनाया जाएगा। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव का पूजन, व्रत -उपवास रखने से उनका असीम आशीर्वाद जातक को मिलता है। इस महाशिवरात्रि पर ग्रहों के कुछ ऐसे संयोग बन रहे हैं, जो 6 राशियों के लिए काफी लाभदायक साबित होंगे, खासकर उनके स्वास्थ्य को लेकर। तो जानते हैं ये 6 भाग्यशाली राशियां कौन-कौन सी हैं।1. मेष राशिमेष राशि वाले लोगों के लिए महाशिवरात्रि का दिन काफी अच्छा साबित हो सकता है। इस दिन मेष राशि के लोग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार महसूस कर सकते हैं। इस दिन वे अधिक ऊर्जा का अनुभव करेंगे। मेघ राश के जातकों को भगवान शिव की आराधना करने से पुरानी बीमारियों से भी निजात मिल सकता है।2. सिंह राशिसिंह राशि वाले लोगों के लिए भी महाशिवरात्रि अच्छा साबित हो सकता है। सिंह राशि अपनी शक्ति के लिए जाने जाते हैं। महाशिवरात्रि के दिन वे अच्छे स्वास्थ्य और ऊर्जा का अनुभव कर सकते हैं। सिंह राशि के लोगों को अच्छी सेहत के लिए योग, वॉक और एक्सरसाइज पर पूरा ध्यान देना चाहिए। इससे वे हमेशा स्वस्थ महसूस कर सकते हैं।3. धनु राशिधनु राशि के लोग साहसी और मौज-मस्ती वाले होते हैं। इस महाशिवरात्रि पर धनु राशि के लोग समग्र कल्याण का अनुभव कर सकते हैं। इस महाशिवरात्रि पर इस राशि के जातकों को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत है। इस राशि के जातक योग करेंगे, काम से थोड़ा ब्रेक लेंगे तो उन्हें अपने स्वास्थ्य में सुधार देखने को मिल सकता है।4. वृष राशिवृष राशि के लोग अपनी दृढ़ता और कड़ी मेहनत के लिए जाने जाते हैं। ये लोग अधिक काम करना पसंद करते हैं, जिससे इनका स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। महाशिवरात्रि पर वृष राशि के लोग अपने स्वास्थ्य में वृद्धि का अनुभव कर सकते हैं। इसके लिए इस राशि के जातक योग करें, ध्यान लगाएं। इससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होने लगेगा।5. कन्या राशिकन्या राशि के लिए भी महाशिवरात्रि पर अच्छे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में वृद्धि का अनुभव कर सकते हैं। इसके लिए आपको पौष्टिक भोजन का सेवन करना शुरू करना चाहिए। साथ ही योग करना भी शुरू कर देना चाहिए। ध्यान लगाएं और भगवान शिव से अच्छे स्वास्थ्य की कामना करें।6. मकर राशिमकर राशि के लोग कड़ी मेहनत वाले होते हैं। व्यस्तता की वजह से वे अपने स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना जरूरी नहीं समझते हैं। इस महाशिवरात्रि पर वे समग्र कल्याण में वृद्धि का अनुभव कर सकते हैं। इसके लिए योग करें और ध्यान लगाएं। खान-पान का भी विशेष ध्यान दें। महाशिवरात्रि पर आपको अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार का अनुभव हो सकता है।
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हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस साल महाशिवरात्रि का त्योहार शनिवार, 18 फरवरी 2023 को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से मनुष्य के सभी दुःखों का नाश हो जाता है। उस भक्त को महादेव का विशेष आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
महाशिवरात्रि का महत्व----
आध्यात्म में रुचि रखने वाले लोगों के लिए महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है। गृहस्थ जीवन में रुचि रखने वाले लोग महाशिवरात्रि को शिव विवाह उत्सव के रूप में मनाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान और माता पार्वती का विवाह हुआ था। वहीं आध्यात्म में रुचि रखने वाले लोगों के लिए महाशिवरात्रि के दिन शिव जी ने अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर कैलाश पर्वत में एकात्म हो गए थे। यौगिक परंपरा में शिव जी को भगवान की जगह नहीं पूजा जाता। उन्हें उस गुरु के रूप में पूजा जाता है जिससे पहली बार ज्ञान उपजा था।
महाशिवरात्रि के दिन क्या करें-
● महाशिवरात्रि के दिन शरीर और मन की शुद्धता के लिए व्रत रखें। व्रत के समय फल का सेवन करें।
● मन और आत्मा की शांति के लिए महाशिवरात्रि के दिन ध्यान करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि अगर आप रोजाना ध्यान नहीं कर सकते तो साल में एक दिन महाशिवरात्रि को जरूर ध्यान करें।
● महाशिवरात्रि के दिन ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें। यह मंत्र कुल 5 शब्दों से मिल कर बना है जो इन 5 तत्व पृथ्वी, आग, पानी, वायु और ईथर का प्रतिनिधित्व करता है।
● महाशिवरात्रि के दिन ॐ नमः शिवाय के साथ ही साथ शिव तांडव स्तोत्रम और काल भैरव अष्टम का जाप करना चाहिए।
● महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करने से वातावरण की निगेटिव एनर्जी की जगह पॉजिटिव एनर्जी का फ्लो होने लगता है।
● महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाएं। -
हिंदू नववर्ष 'विक्रम संवत 2080' इस बार 22 मार्च, बुधवार से शुरू हो रहा है. इसकी शुरुआत बुधवार से हो रही है. इसलिए, बुध इस नए साल के राजा माने जा रहे हैं और शुक्र इस नए साल के मंत्री माने जा रहे हैं. 2080 का नव संवत्सर "पिंगल" नाम से पुकारा जाएगा. पिंगल नामक संवत के प्रभाव से विकास के कार्यों में बाधा की स्थिति देखने को मिल सकती है।
इस समय पर राजा और मंत्री दोनों के कारण स्थिति थोड़ी मुश्किल हो सकती है. इस बार दुर्लभ संयोग के साथ इस नवसंवत्सर की शुरुआत हो रही है. क्योंकि 30 साल बाद शनि ने कुंभ राशि में प्रवेश किया है और साथ ही 12 साल बाद गुरु मेष राशि में प्रवेश करेंगे. तो आइए जानते हैं कि ये नया हिंदू नववर्ष किन राशियों के लिए अच्छा रहने वाला है।
इन राशियों के लिए शुभ रहेगा हिंदू संवत---
1. मिथुन राशि
व्यक्तित्व प्रभावी बना रहेगा. श्रेष्ठ कार्यों को गति दे पाएंगे. प्रबंधन प्रशासन पर भरोसा बढ़ेगा. भाग्य का सहयोग बढ़ेगा. उद्योग व्यापार से जुड़े जन अधिक अच्छा करेंगे. योजनागत ढंग से कार्य करेंगे. चर्चाओं में सफलता पाएंगे. उत्तरार्ध में सूर्यदेव का लाभ स्थान में रहना श्रेष्ठ परिणामों का कारक बनेगा. निरंतरता बनाए रखेंगे. उपलब्धियों में वृद्धि होगी. निसंकोच आगे बढ़ेंगे. विस्तार की योजनाएं आकार लेंगी. संपूर्ण माह श्रेष्ठ फलों को देने वाला है. सहज सतर्कता से कार्य करते रहें. बड़ों का सानिध्य बनाए रखें. लक्ष्य पर ध्यान दें।
2. सिंह राशि
पुण्यकार्यों पर फोकस बना रहेगा. पेशेवरों के लिए अवसर बढ़ेंगे. सबको साथ लेकर चलेंगे. साझेदारी की भावना बनी रहेगी. विपक्ष कमजोर रहेगा. धर्म कार्यों से जुड़ेंगे. उत्तरार्ध में अवरोधों में तेजी से कमी आएगी. भूमि-भवन के मामले बनेंगे. यात्राओं की संभावना बढ़ेगी. उत्तरार्ध में बड़ों की सेवा सत्कार बनाए रखेंगे. परिजनों के साथ सलाह से कार्य करेंगे. रिश्तों को निभाएंगे. संबंधों के बल मिलेगा. संस्कार परंपराओं पर जोर देंगे. नपातुला जोखिम ही लें. वाणिज्यिक कार्यों में स्पष्टता लाएं. कामकाजी प्रबंधन पर ध्यान बढ़ाएं।
3. तुला राशि
बड़े लक्ष्यों पर फोकस रखेंगे. धार्मिक एवं मनोरंजक यात्राएं होंगी. मन की बात कहने में सहज रहेंगे. अध्ययन अध्यापन में बेहतर करेंगे. समय उत्तरोत्तर संवरेगा. लक्ष्य को प्राप्त करेंगे. रोग दोष अवरोध हटेंगे. पेशेवर बेहतर प्रदर्शन करेंगे. सेवाक्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि अर्जित कर सकते हैं. सभी को जोड़कर आगे बढ़ेंगे. विपक्ष शांत होगा. लंबित कार्यों को आगे बढ़ाएं।
4. धनु राशि
समय उत्तरोत्तर शुभता बढ़ाने वाला है. साहस पराक्रम और संपर्क बेहतर बना रहेगा. शुभ सूचनाएं प्राप्त होंगी. मित्रों के साथ श्रेष्ठ पल साझा करेंगे. पठन पाठन में बेहतर रहेंगे. नवीन प्रयासों से सभी प्रभावित होंगे. घर में सुख सौख्य रहेगा. संसाधनों में वृद्धि होगी. भावुकता और अतिउत्साह पर नियंत्रण रखें. अनुशासन बनाए रखें. आर्थिक मामलों में धैर्य बढ़ाएं. बड़ों की सलाह पर ध्यान दें. यात्रा पर जाना पड़ सकता है. वाणी व्यवहार प्रभावशाली रहेगा. मेहमान आएंगे। -
बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्याय
ज्योतिष शास्त्र में रोटी से जुड़े कुछ आसान उपाय बताए गए हैं, जिसे करने से जातक को राहत मिलती है। आर्थिक तंगी से परेशान लोग माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए ये उपाय कर सकते हैं। सदियों से सनातन धर्म मानने वालों के घरों में यह परंपरा चली आ रही है कि रोटी बनाते समय पहली रोटी गाय के लिए और आखिरी रोटी कुत्ते के लिए निकाली जाती है। आप भी रोटी से संबंधित कुछ उपाय करके अपनी समस्याएं दूर कर सकते हैं।आइए जानते हैं क्या हैं वो उपाय।-यदि किसी व्यक्ति पर शनि की ढैय्या या साढ़ेसाती चल रही हो तो उसे अमावस्या या किसी भी शनिवार को 2 बासी रोटी और खीर गाय को खिलानी चाहिए। मान्यता है कि इस उपाय से शनि देव का प्रकोप कम हो जाता है।-जिस व्यक्ति की कुंडली में राहु दोष है उन्हें रोजाना किसी एक रोटी पर सरसों का तेल लगाकर काले कुत्ते को खिला देना चाहिए। इस उपाय से घर में सुख-शांति बनी रहती है।-अगर आपके काम लंबे समय से अटके हुए हैं तो ऐसे में रोजाना 5 बासी रोटी के छोटे-छोटे टुकड़े करके पक्षियों को दाने के रूप में खिलाना शुरू कर दें। ऐसा करने से नवग्रह शांत हो जाते हैं और कामयाबी कदम चूमने लगती है।-खाना बनाते समय एक रोटी गाय के लिए निकालें। इससे घर में समृद्धि आएगी।