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मां भगवती की आराधना का पर्व है नवरात्रि। मां भगवती के नौ रूपों की भक्ति करने से हर मनोकामना पूरी होती है। नौ शक्तियों से मिलन को नवरात्रि कहते हैं। देवी पुराण के अनुसार एक वर्ष में चार माह नवरात्र के लिए निश्चित हैं। वर्ष के प्रथम महीने अर्थात चैत्र में प्रथम नवरात्रि होती है। चौथे माह आषाढ़ में दूसरी नवरात्रि होती है। इसके बाद अश्विन मास में तीसरी और प्रमुख नवरात्रि होती है। इसी प्रकार वर्ष के ग्यारहवें महीने अर्थात
माघ में चौथी नवरात्रि का महोत्सव मनाने का उल्लेख एवं विधान देवी भागवत तथा अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। इनमें आश्विन मास की नवरात्रि सबसे प्रमुख मानी जाती है। दूसरी प्रमुख नवरात्रि चैत्र मास की होती है। इन दोनों नवरात्रियों को शारदीय व वासंती नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। इसके अतिरिक्त आषाढ़ तथा माघ मास की नवरात्रि गुप्त रहती है। इसके बारे में अधिक लोगों को जानकारी नहीं होती,इसलिए इन्हें गुप्त नवरात्रि भी कहते हैं। माना जाता है कि गुप्त और चमत्कारिक शक्तियां प्राप्त करने का यह श्रेष्ठ अवसर होता है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार गुप्त नवरात्रि में प्रमुख रूप से भगवान शंकर और देवी शक्ति की आराधना की जाती है। देवी दुर्गा शक्ति का साक्षात स्वरूप है। दुर्गा शक्ति में दमन का भाव भी जुड़ा है। यह दमन या अंत होता है शत्रु रूपी दुर्गुण, दुर्जनता, दोष, रोग या विकारों का। यह सभी जीवन में अड़चनें पैदा कर सुख-चैन छीन लेते हैं। यही कारण है कि देवी दुर्गा के कुछ खास और शक्तिशाली मंत्रों का देवी उपासना के विशेष काल में ध्यान शत्रु, रोग, दरिद्रता रूपी भय बाधा का नाश करने वाला माना गया है।
चैत्र प्रतिपदा से नवरात्रि का प्रारंभ होता है और इसी दिन से हिंदू नव वर्ष और नए विक्रम संवत का प्रारंभ भी माना जाता है। 21 मार्च 2015 से शुरू हो रहा विक्रम संवत 2072 और शक संवत 1937। धर्म ग्रंथों के अनुसार युगों में प्रथम सत्ययुग का प्रारम्भ भी चैत्र की प्रतिपदा तिथि से माना जाता है। साथ ही मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक भी इसी तिथि को हुआ था। माता के पवित्र रूप की आराधना- नवरात्र के पहले 3 दिन मां दुर्गा की पूजा होती है जो नकारात्मक प्रवृत्तियों को दूर करती हैं। अगले 3 दिन देवी लक्ष्मी की आराधना होती है जिससे सकरात्मक आचरण और विचार मिलता है और अंतिम 3 दिन मां सरस्वती की पूजा, ज्ञान और सचाई की रौशनी बिखेरने का प्रतीक है। शक्ति के 9 रूप मनुष्य की 9 अलग-अलग विशेषताओं के प्रतीक हैं। जिनमें स्मृति, श्रद्धा, लज्जा, भूख, प्यास, क्षमा, सौन्दर्य, दृष्टि और सच्चाई शामिल है। चैत्र नवरात्र बसंत ऋतु के दौरान आता है और इस समय धरती, सूर्य से अपेक्षाकृत अधिक नजदीक होती है और सबसे अधिक गुरुत्व बल झेल रही होती है। इस संदर्भ में नवरात्र, देवी दुर्गा को धन्यवाद कहने का त्योहार है जिन्होंने धरती की रक्षा करने के साथ ही यहां जीवन को विकसित करने में भी मदद की। -
इस साल नवरात्रि में माता का आगमन नौका पर और प्रस्थान डोली में होगा। पंचांग के अनुसार इस साल चैत्र नवरात्र के करीब 110 सालों बाद बेहद दुर्लभ संयोग बन रहे हैं। इस साल नवरात्रि से ही नव संवत्सर की शुरुआत हो जाएगी। नौ दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में भक्तगण सच्चे मन और श्रद्धा भाव से माता दुर्गा की पूजा करते हैं। इस साल नवरात्रि में चार विशेष संयोग बन रहे हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार 22 मार्च से नवरात्र शुरू हो जाएंगे। इस बार नवरात्र के साथ ही नव संवत्सर लग रहा है। शास्त्रों के अनुसार इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने पृथ्वी की रचना की थी। इस वजह से यह दिन और भी खास हो जाता है। इस दिन बुध ग्रह राजा और शुक्र ग्रह मंत्री होंगे। जिसकी वजह शिक्षा के क्षेत्र में कुछ बड़ा परिवर्तन होगा और महिलाओं को इस साल अपने काम में विशेष सफलता हासिल होगी।
नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कुष्मांडा, पांचवे दिन स्कंदमाता, छठे दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आंठवें दिन महागौरी और नौवे दिन सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।
इस साल नवरात्र में तीन दिन, 23, 27 और 30 तारीख को सर्वार्थ सिद्धि योग, 24,26, और 29 मार्च को रवियोग, ब्रह्म योग 22 मार्च को , अमृत सिद्धि योग 27 और 30 मार्च को पड़ेगा। -
- पं. प्रकाश उपाध्याय
मूनस्टोन वह रत्न है जो चंद्रमा से अपने गुण निकालता है। यह सकारात्मकता, चीजों में वृद्धि और मन की शांति का प्रदान करता है। मूनस्टोन, जिसे चंद्रकांत के नाम से भी जाना जाता है, फेल्डस्पार समूह का सदस्य है जो सुंदरता का प्रतीक है। यह पहनने वाले के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के साथ-साथ जीवन में शांति और संतुलन लाने के गुण रखता है। कर्क राशि के जातकों के लिए चंद्र रत्न सबसे ज्यादा लाभकारी है। इसे महिलाओं के लिए मास्टर हीलर माना जाता है। यह कर्क राशि वालों की गुणवत्ता को बढ़ाने की दिशा में काम करता है, खासतौर पर जो अपने परिवार के प्रति वफादार और जुड़े हुए हैं। दुनिया भर में पाए जाने वाले, मूनस्टोन को रोमन और यूनानियों द्वारा एक दिव्य रत्न माना जाता है, जो इसे अपने देवी-देवताओं से जोड़ते हैं।
मूनस्टोन को धारण करने की विधि व दिन-
मूनस्टोन सोमवार की शाम को काम करने वाले हाथ की छोटी उंगली में पहना जाना चाहिए (विशेष रूप से दाएं या बाएं नहीं, जिस हाथ से आप आमतौर पर लिखते हैं)। इसे पहनने से पहले, आपको हमेशा अपने ज्योतिषी से सलाह लेनी चाहिए क्योंकि मूनस्टोन को पवित्र जल (गंगाजल), ताजे दूध से धोना चाहिए और मंत्र से मंत्रमुग्ध करना चाहिए।
मूनस्टोन धारण करने के लाभ- शक्तिशाली पत्थर असंख्य लाभ प्रदान करता है। यह किसी व्यक्ति की मानसिक और भावनात्मक स्थिति को नियंत्रित करता है, ज्योतिष में रत्न को सबसे मूल्यवान माना जाता है। इसके साथ ही मूनस्टोन आध्यात्मिक विकास में मदद करता है। सकारात्मकता और मन की शांति को बढ़ाता है। आक्रामक पक्ष को कम करने में मदद करता है। पाचन संबंधी समस्याओं से छुटकारा पाने में मदद करता है। भावनाओं को संतुलित करता है और आपको आत्मविश्वासी और प्रभावशाली महसूस कराता है। व्यापार में वृद्धि और नौकरी के नए अवसरों के लिए नए रास्ते खोलता है।
मूनस्टोन के प्रकार-
व्हाइट मूनस्टोन
पीच या येलो मूनस्टोन
स्टार मूनस्टोन
ब्राउन मूनस्टोन
ब्लू शीन मूनस्टोन
कैट्स आई
रेनबो मूनस्टोन
ग्रीन मूनस्टोन - वास्तु शास्त्र में कुछ फूलों का विशेष महत्व है। इन्हीं में से एक है गुड़हल या जासवंत का फूल। ये घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। गुड़हल के फूल बहुत खूबसूरत होते हैं। वास्तु शास्त्र में इन फूलों का विशेष महत्व बताया गया है। ये फूल जीवन की कई परेशानियों को दूर करने का काम करते हैं। आइए जानते हैं किस तरह आप घर में सुख-समृद्धि लाने के लिए गुड़हल के फूल का इस्तेमाल कर सकते हैं।-सूर्य दोष को दूर करने के लिए गुड़हल बहुत फायदेमंद होता है। घर की पूर्व दिशा में गुड़हल के फूल का पौधा लगाएं। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। गुड़हल के फूलों को स्टडी टेबल पर रखने से बच्चों का पढ़ाई में मन लगता है।-गुड़हल का फूल भी मंगल दोष को दूर करने के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इस फूल की तरह मंगल ग्रह का रंग भी लाल है। घर में गुड़हल के फूल का पौधा लगाएं। इससे मंगल दोष दूर होता है। इससे जीवन में आ रही परेशानियां दूर होती हैं।-गुड़हल का फूल सूर्यदेव को अत्यंत प्रिय है। गुड़हल के फूल के बिना सूर्य देव की पूजा अधूरी मानी जाती है। जल में गुड़हल के फूल डालकर नियमित रूप से सूर्यदेव को अघ्र्य देना चाहिए। इससे आपको ऊर्जावान बने रहने में मदद मिलेगी।-मंगलवार के दिन हनुमान जी को लाल गुड़हल का फूल चढ़ाएं। ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है। शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी को गुड़हल का फूल चढ़ाएं। इससे आर्थिक परेशानी दूर होती है। घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
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पं. प्रकाश उपाध्याय
अपना घर हर किसी का सपना होता है। जिसमें परिवार के साथ हंसी खुशी रहा जा सके। वास्तुशास्त्र को ध्यान में रखकर घर का निर्माण करने से उसके प्रत्येक कोने में पॉजिटिव एनर्जी का वास होता है। वास्तु से जुड़े कुछ आसान से टिप्स जिनका प्रयोग करके आप अपने घर को शांतिपूर्ण और एक खुशहाल जगह में बदल सकते हैं। आइए जानते हैं नए घर के लिए वास्तु टिप्स-
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के दक्षिण पश्चिम दिशा में बच्चों का कमरा बनाना चाहिए। बच्चों को हमेशा दक्षिण या पूर्व दिशा की ओर सिर रखकर सोना चाहिए। ऐसा करने से मन हमेशा शांत रहता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में एक मेडिटेशन रूम होना चाहिए जिसमें बैठकर व्यक्ति आत्मनिरीक्षण कर उच्च शक्ति से जोड़ने का प्रयास कर सकें। घर का उत्तर-पूर्व कोना मेडिटेशन रूम के लिए सबसे सही रहेगा। ध्यान करते समय अपना मुख पूर्व दिशा की ओर रखें।
नए घर में प्रवेश करने से पहले हवन करना चाहिए। जिसके साथ ही भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। निगेटिव एनर्जी को घर से दूर रखने के लिए पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए।
घर में भूलकर भी रोते हुए बच्चे, डूबते सूरज, बेडरूम में समुद्र व बारिश की तस्वीर नहीं लगानी चाहिए। यह सभी चित्र मानसिक तनाव व वित्तीय हानि का कारण बन सकते हैं।
वास्तु शास्त्र के अनुसार किचन को सफेद रंग से पेंट करना चाहिए। सफेद रंग आशा और पवित्रता को दर्शाता है। यह रंग घर के अंदर पॉजिटिविटी को प्रोत्साहित करता है। -
आपने हथेली पर एक-दूसरे को काटती अनगिनत रेखाएं देखी होंगी. कई बार ये रेखाएं एक-दूसरे को काटते हुए हैशटैग (#) जैसा निशान बनाती हैं. चाइनीज पामिस्ट्री में ऐसे निशान '井' को गुडलक या शुभता का प्रतीक समझा जाता है. ऐसा कहते हैं कि जिन लोगों की हथेली पर ये निशान होता है, वो करियर में खूब तरक्की करते हैं। ऐसे भाग्यशाली लोगों के पास धन की कोई कमी नहीं रहती है. फिर चाहे ये निशान हथेली के किसी भी हिस्से पर ही क्यों न बनता हो. आइए आज आपको इस लकी साइन के बारे में विस्तार से बताते हैं।
कब अच्छे परिणाम देता है ये निशान?
हस्तरेखा शास्त्र के विशेषज्ञों की मानें तो यदि '#' या '井' का निशान हृदय रेखा पर हो तो ऐसे लोगों का करियर बहुत अच्छा होता है. इन लोगों की लीडरशिप क्वालिटी बेहतरीन होती है. यदि ये निशान हृदय रेखा और भाग्य रेखा के बीच में हो तो ऐसे लोग कारोबार में अच्छा प्रदर्शन करते हैं. यदि यह निशान हथेली के गुरु पर्वत (तर्जनी अंगुली के नीचे) पर बने तो इंसान के पास रुपये-पैसे की कोई कमी नहीं रहती है।
अगर यह निशान हथेली के बुध पर्वत (कनिष्ठा अंगुली के नीचे) बने तो ऐसे लोगों को समाज में बड़ा मान-सम्मान प्राप्त होता है. इनकी पद-प्रतिष्ठा का स्तर हमेशा ऊंचा रहता है. हथेली के शनि पर्वत (मध्यमा अंगुली के नीचे) पर ऐसा निशान इंसान के उच्च अधिकारी बनने का संकेत देता है।
अंगुलियों पर '#' के निशान का क्या है मतलब?
तर्जनी अंगुली (इंडेक्स फिंगर)- यदि हाथ की तर्जनी अंगुली पर '#' या '井' का निशान बने तो ऐसे लोगों के सरकारी संस्थाओं में कार्यरत रहने की संभावनाएं अधिक रहती हैं. करियर के मोर्चे पर ये लोग खूब तरक्की करते हैं।
मध्यमा अंगुली (मिडिल फिंगर)- मध्यमा अंगुली पर ऐसा चिह्न धन की निशानी होता है. ये लोग भी करियर में बहुत आगे रहते हैं. इन्हें हमेशा भाग्य का साथ मिलता है और ये एक बेहतरीन जीवन का आनंद लेते हैं।
अनामिका अंगुली (रिंग फिंगर)- जिन लोगों की अनामिका अंगुली पर ऐसा निशान होता है, वो जीवन में बहुत संतुष्ट रहते हैं. इनके पास धन बेशक न हो, पर किस्मत कभी इनका साथ नहीं छोड़ती है. ये लोग अपनी बौद्धिक क्षमता से बड़ी उपलब्धियों को हासिल करते हैं।
कनिष्ठा अंगुली (सबसे छोटी अंगुली)- कहते हैं कि बहुत कम लोगों की कनिष्ठा अंगुली पर ऐसे निशान देखने को मिलते हैं. ऐसे लोग अपने पेशेवर जीवन में बड़ी कामयाबी बटोरते हैं और खूब सारा पैसा कमाते हैं। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
साल का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल 2023 को है। सूर्य ग्रहण के समय सूर्य मेष राशि में रहेगा और इसका प्रभाव सभी 12 राशियों पर पड़ेगा। यह सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल को प्रात: 07:05 बजे से शुरू होकर दोपहर 12:29 बजे समाप्त होगा। सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है, जिससे सूर्य की दृष्टि पूरी तरह या आंशिक रूप से अवरुद्ध हो जाती है। आगामी ग्रहण एक आंशिक सूर्य ग्रहण है जिसका अर्थ है कि यद्यपि चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आता है, वे पूरी तरह से सीधी रेखा में संरेखित नहीं होते हैं और चंद्रमा केवल सूर्य के दृश्य को आंशिक रूप से अवरुद्ध करता है। जबकि ग्रहण खगोलीय दुनिया में एक अभिन्न भूमिका निभाता है, यह ज्योतिष पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। आपकी राशि के अनुसार, यहां कुछ ऐसे तरीके दिए गए हैं जिनसे यह सूर्य ग्रहण आप में से प्रत्येक को प्रभावित कर सकता है। इस बार का सूर्य ग्रहण खग्रास है। हालांकि यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा लेकिन ज्योतिष के अनुसार इसका प्रभाव सभी राशियों पर होगा। सूर्य ग्रहण का प्रभाव वैसे तो सभी राशियों पर पड़ेगा लेकिन कुछ राशियों पर इसका हानिकारक प्रभाव पड़ेगा तो कुछ पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। सूर्य ग्रहण का प्रभाव तीन राशियों के लिए सफलतादायक होगा। आइए जानते हैं कौन सी हैं वो भाग्यशाली राशियां।
वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातकों के लिए सूर्य ग्रहण शुभ प्रभाव लेकर आएगा। वृष राशि वालों के लिए सूर्य ग्रहण का सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा। इसके साथ ही वेतन वृद्धि होने के योग हैं। कार्यक्षेत्र में भी पदोन्नति होने की संभावना है।
मिथुन राशि
मिथुन राशि वालों के लिए सूर्य ग्रहण सकारात्मकता लेकर आएगा। मिथुन राशि के जातकों को अचानक आर्थिक लाभ मिलने की संभावना है। जिन जातकों का अपना व्यापार है उनके व्यापार में वृद्धि होने की संभावना है।
धनु राशि
धनु राशि के जातकों की बात करें तो यह सूर्यग्रहण उनके लिए भाग्योदय लेकर आएगा। भाग्य आपका पूरा साथ देगा। व्यापार में लाभ के नए अवसर मिल सकता है। इसके साथ ही वैवाहिक और पारिवारिक जीवन भी सुखी रहेगा। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
हिन्दू नववर्ष का आरंभ चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होता है। जिस प्रकार अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 01 जनवरी 2023 से नए साल की शुरुआत हो चुकी है ठीक उसी तरह चैत्र माह हिंदू कैलेंडर का पहला महीना कहलाता है। हिंदू नववर्ष चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि 22 मार्च को पड़ रही है। यानी 2023 में हिंदू नव वर्ष का आरंभ 22 मार्च से होगा। 22 मार्च 2023 दिन बुधवार को विक्रम संवत 2080 का आरंभ होगा। इस संवत्सर का नाम नल होगा और इसके अधिपति बुध ग्रह और मंत्री शुक्र ग्रह होंगे। इस नव संवत्सर में ऐसे कई मौके आएंगे, जिस शुभ मुहूर्त में व्यापारी अपनी बही का पूजन कर सकते हैं। आइए जानते हैं नवसंवत्सर 2080 के बारे में विशेष बातें।
हिन्दू नववर्ष का महत्व
हिन्दू नव वर्ष पूजा-पाठ के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। जब हिन्दू नव वर्ष का आरंभ होता है तब बसंत ऋतु का भी आगमन होता है। चैत्र माह और हिन्दू नव वर्ष का पहला पर्व मां दुर्गा के स्वागत से आरंभ होता है चैत्र प्रतिपदा से ही चैत्र नवरात्रि मनाई जाती है जो पूरे 9 दिन तक चलती है।
नव संवत्सर 2080 में होंगे 13 महीने---
हिंदू कैलेंडर के अनुसार वैसे तो हर साल 12 महीने का होता है, लेकिन इस बार अधिक मास होने से इस नव वर्ष में 13 महीने होंगे। यहां पढ़ें महीनों के नाम और तिथि।
नव संवत्सर 2080 के महीने तिथि
चैत्र माह 22 मार्च 2023 - 6 अप्रैल 2023
वैशाख माह 7 अप्रैल 2023 - 5 मई 2023
ज्येष्ठ माह 6 मई 2023 - 4 जून 2023
आषाढ़ माह 5 जून 2023 - 3 जुलाई 2023
श्रावण माह 4 जुलाई 2023 - 31 अगस्त 2023
(अधिक माह होने से यह महीना इस बार 60 दिन का होगा)
भाद्रपद माह 1 सितंबर 2023 - 29 सितंबर 2023
आश्विन माह 30 सितंबर 2023 - 28 अक्टूबर 2023
कार्तिक माह 29 अक्टूबर 2023 - 27 नवंबर 2023
मार्गशीर्ष माह 28 नवंबर 2023 - 26 दिसंबर 2023
पौष माह 27 दिसंबर 2023 - 25 जनवरी 2024
माघ माह 26 जनवरी 2024 - 24 फरवरी 2024
फाल्गुन माह 25 फरवरी 2024 - 25 मार्च 2024
नव संवत्सर 2080 में होंगे 13 महीने
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि शुरू - 21 मार्च 2023, रात 10.52
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि समाप्त - 22 मार्च 2023, रात 8.20
चैत्र नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त - सुबह 6:29 - सुबह 7:39 (22 मार्च 2023) -
ज्योतिष शास्त्र में ग्रह समय समय पर गोचर करके राजयोगों का निर्माण करते हैं. जिसका प्रभाव मानव जीवन और पृथ्वी पर पड़ता है. 700 साल बाद पांच राजयोग का संयोग बन रहा है. यह योग केदार, हंस, मालव्य, चतुष्चक्र और महाभाग्य है, जिनका प्रभाव सारी राशियों के जातकों पर देखने को मिलने वाला है. यह महासंयोग 28 मार्च को बनने वाला है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब कई राजयोग एक साथ बनते हैं तो राशियों पर बड़ा ही अद्भुत प्रभाव पड़ता है. लेकिन 4 राशियां ऐसी होंगी जिनपर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा।
आइए जानते हैं कि 700 बाद बन रहे इस अद्भुत संयोग से किन 4 राशियों के अच्छे दिन शुरू होने वाले हैं---
मिथुन
मिथुन राशि के जातकों को पंच राजयोगों का परिणाम एक साथ प्राप्त होगा. इससे बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा. इन राजयोगों के निर्माण से धन की प्राप्ति होगी. दफ्तर में नई जिम्मेदारियां प्राप्त होंगी. कर्मचारियों को प्रमोशन मिलने की संभावना बन रही है. आर्थिक स्थिति में सुधार होने की संभावना बन रही है. पारिवारिक जीवन में सुधार होगा।
कर्क
कर्क राशि के जातकों के लिए हंस और मालव्य राज योग का बनना अच्छा साबित होगा. इससे आपका भाग्य चमकेगा. करियर में इच्छानुसार परिणाम प्राप्त होगा. बेरोजगारों को नई नौकरी मिलेगी. विद्यार्थियों के लिए यह समय बहुत ही शानदार रहने वाला है. काम या व्यवसाय के लिए यात्रा करने की संभावना बन रही है. व्यापारी वर्ग के लिए ये समय अच्छा साबित होने वाला है. जो लोग निवेश के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं, उन्हें भी धन लाभ हो सकता है. समाज में मान सम्मान बढ़ेगा।
कन्या
कन्या राशि वालों के लिए 5 राजयोग का बनना बहुत ही अच्छा है. इस समय आपको जीवनसाथी का सहयोग मिलेगा. साथ ही जीवन साथी की तरक्की भी हो सकती है. कोई व्यापारिक समझौते हो सकते हैं. साझेदारी का काम भी करने के लिए ये समय सही है. जो लोग अविवाहित हैं, उनके रिश्ते की बात चल सकती है. दाम्पत्य जीवन में सुधार होगा।
मीन
मीन राशि के जातकों के लिए हंस और मालव्य राजयोग से शुभ संकेत आने की संभावना बन रही है. आपका मान-सम्मान बढ़ेगा. साहस में वृद्धि होगी. बिजनेस में अच्छी सफलता मिल सकती है. आपको अचानक से धन हासिल हो सकता है. नौकरी करने वाले जातकों के लिए यह राजयोग किसी तरह के वरदान से कम नहीं है. रुके हुए कामों में तेजी आएगी. नौकरी पेशा लोगों की कार्यस्थल में तारीफ होगी. आत्मविश्वास बढ़ेगा. सेहत में भी सुधार होगा। - पंडित प्रकाश उपाध्यायशनिदेव इस साल राशि परिवर्तन करने के बाद 14 मार्च को शतभिषा नक्षत्र में प्रवेश कर जाएंगे। आइए जानते हैं कौन-कौन सी हैं वे राशियां हैं, जिसे शनि के नक्षत्र परिवर्तन का सबसे ज्यादा लाभ मिल सकता है।वृषभ राशिशनि का नक्षत्र परिवर्तन इस राशि के जातकों के लिए शुभ रहेगा। शनिदेव आपकी कुंडली में केंद्र त्रिकोण में विराजमान होंगे। ऐसे में नौकरीपेशा जातकों के लिए नौकरी में कई तरह के सुनहरे अवसरों की प्राप्ति होगी। अचानक से धन लाभ होगा और कई तरह के बेहतरीन मौके मिलेंगे। जो लोग सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं उनके लिए शनि का नक्षत्र परिवर्तन किसी वरदान से कम नहीं है। प्रतियोगिता परीक्षा का परिणाम आपके पक्ष में आ सकता है। कुल मिलाकर यह नक्षत्र परिवर्तन छात्रों के लिए शुभ रहेगा। निवेश के नजरिए से आपके लिए सुनहरा मौका है।सिंह राशिसिंह राशि के लिए शनिदेव का नक्षत्र परिवर्तन शुभ और फलदायी रह सकता है। यह आपकी कुंडली में सातवें भाव में होगा। ऐसे में जो लोग किसी के साथ कोई व्यापार साझेदारी में करते हैं उनको अच्छा मुनाफा हो सकता है। नौकरी के बेहतर अवसर प्राप्त होंगे। अधूरे पड़े हुए कामों में तेजी आएगी। जीवन साथी का अच्छा साथ मिलेगा। किसी खास व्यक्ति से मुलाकात संभव है।मकर राशिमकर राशि वालों के लिए शनि का शतभिषा नक्षत्र में प्रवेश अच्छा और शुभ संकेत है। यह आपके दूसरे भाव में होगा। ऐसे में आपके सभी के साथ संबंध अच्छा रहेगा। कमाई और धन एकत्रित करने का अच्छा मौका हासिल होगा। कई दिनों की यात्रा पर जा सकते हैं जिससे आपके मन में कई-कई तरह की योजनाएं आएंगी। जातक को आकस्मिक धन लाभ के बेहतरीन मौके मिलेंगे।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
फाल्गुन मास की पूर्णिमा को रंगों का त्योहार कहा जाता है. इस दिन लोग एक दूसरे को गले मिलकर रंग लगाते हैं और बधाई देते हैं. हर साल होली का बेसब्री से लोगों को इंतजार रहता है, रंगों वाली होली लोगों के जीवन में खुशहाली लाती है, इस खुशहाली को बनाएं रखने के लिए जरूरी है कि आप होली पर अपने राशि अनुसार वस्त्र धारण करें आपके लिए बेहद शुभ साबित हो सकता है.
आइए जानते हैं किस राशि के लिए कौन सा रंग शुभ होगा...
मेष राशि
इस राशि के जतक को होली के दिन पीले या सफेद रंग के कपड़ों का चुनाव करें. क्योंकि ये रंग इस होली को खुशी और समृद्धि लाएगा.साथ ही बृहस्पति के साथ -साथ सूर्य आपके जीवन में अतिरिक्त रंग जोड़ देगा. इसके अलावा, अगर, होली खेलने से पहले आप भगवान गणेश की मूर्ति पर तिलक लगाते हैं तो आप पर प्रभु की कृपा बनी रहेगी
वृष राशि
वृषभ पुरुषों और महिलाओं को होली 2023 में फिरोजी, हरा, सफेद और अन्य उज्ज्वल रंग के कपड़ों का चयन करना चाहिए. होली की सुबह सूर्य देवता को अर्घ दें, ऐसा करने से आपका भाग्य बलवान होगा. हर क्षेत्र में आपको सफलता हासिल होगी.
मिथुन राशि
मिथुन के लिए पर्यावरण के अनुकूल और प्राकृतिक रंगों का सुझाव दिया जाता है. इस जातक के लोगों को होली खेलने से पहले अपने परिवार के साथ शिव मंदिर में पूजा करने से भाग्य में वृद्धि होगी.
कर्क राशि
कर्क राशि के जातक को होली के दिन सफेद रंग के कपड़े पहने. इसके साथ ही सफेद या सिल्वर कलर के रंगों का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके अलावा आप सुबह सबसे पहले घर के बड़ों को गुलाल लगाएं उनका आशीर्वाद प्राप्त करें.
सिंह राशि
सिंह राशि के जातक नारंगी रंग के कपड़े पहने और इसी रंग के कलर से होली भी खेलें. इससे आपको आने वाले दिनों में लाभ मिलेगा. नौकरी पेशा वालों को का मान सम्मान बढ़ेगा. सिंह राशि वाले होली के दिन अपने पिता का आशीर्वाद जरूर लें.
कन्या राशि
कन्या राशि के जातक को पृथ्वी तत्व की राशि मानी जाती है, होली 2023 को खुशनुमा बनाने के लिए हल्के रंग जैसे हरा, हल्का पीले रंग के कपड़े पहनें और इसी रंग से होली भी खेलें. ये शेड धन और समृद्धि को बढ़ावा देंगे और ये संबंधित शेड भी आपकी खुशी का कारण बन जाएंगे.
तुला राशि
तुला राशि के जातक को बैंगनी, गुलाबी या सफेद रंग के कपड़ों का चुनाव करना शुभ होगा. इससे जीवन में मधुरता आएगी और आने वाले दिनों में आपको सफलता मिलेगी. होली की सुबह आप सूर्य भगवान को जल चढ़ाएं.
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के लोगों को होली के दिन लाल और हरे रंग के कपड़े पहनें और इन्हीं रंग से होली भी खेलें. इस राशि के लोगों को रंगों का यह त्योहार सूखा होना चाहिए. आप समृद्धि और सुख के लिए क्रिमसन लाल, गुलाबी-लाल, फुचिया या सफेद का उपयोग कर सकते हैं.
धनु राशि
इस राशि के जातकों का स्वामी गुरु होता है. इस राशि के लोगों को होली के दिन पीले रंग के कपड़े पहना शुभ होगा. साथ ही इस राशि के लोगों को पीले रंग से होली खेलनी चाहिए. ऐसा करने से आपको उन्नति मिलेगी.
मकर राशि
मकर राशि के जातक का स्वामी शनि होता है इस राशि के जातक को नीले रंग के कपड़ों का प्रयोग करना चाहिए. इस दिन ये जातक हल्के और चमकदार नीले रंग के कपड़े पहने और इन्हीं रंग से होली भी खेलें तो आने वाले समय में शुभ संकेत मिलेगा.
कुंभ राशि
कुंभ राशि के लोग होली के दिन हरा, नीला और बैंगनी रंग के कपड़ों का इस्तेमाल करें. इससे आने वाले दिन में ऊर्जा मिलेगी और जीवन भी सुखमय होगा. इस दिन आपको शनि मंदिर में पूजा करना चाहिए सौभाग्य के लिए भगवान शनि को एक गुलाल चढ़ाए.
मीन राशि
मीन राशि का स्वामी बृहस्पति होता है. इसलिए इस राशि के जातक होली के दिन पीला, हल्का हरा, लाल और गुलाबी रंग के कपड़ों का चयन करना चाहिए. इस रंग के वस्त्र पहनें तो लाभ मिलेगा. -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
हर व्यक्ति अपने जीवन में सुख-समृद्धि, तरक्की और हर एक व्यक्ति के साथ अपने अच्छे संबंध चाहता है। हालांकि कई बार अनेक प्रयासों के बावजूद दुःख और परेशनियां हमारे जीवन पर हावी हो जाती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार इन परेशनियों का कारण कई बार हमारे आस-पास के परिवेश और घर के संरचना के पीछे छिपा होता है। वास्तु शास्त्र प्रकृति की पांच चीजों को सही स्थिति में रखने का तरीका है। जो पॉजिटिव एनर्जी को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए और अपने आस- पास के वातावरण को व्यवस्थित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। जो हमारे जीवन में सुख-समृद्धि और खुशियां लाने की क्षमता रखता है। आइए जानते हैं घर के लिए महत्वपूर्ण वास्तु टिप्स।
1. घर के एंट्रेंस गेट पर तुलसी का पौधा रखें। तुलसी का पौधा भगवान विष्णु से संबंधित है इसके अलावा इसके कई औषधीय फायदें भी है। यह निगेटिव एनर्जी को अवशोषित करके पॉजिटिव एनर्जी को बढ़ाता है। तुलसी के पौधे को घर के पूर्व दिशा में रखना चाहिए इसके अलावा इसे उत्तर या उत्तर- पूर्व दिशा में खिड़की के पास रखा जा सकता है।
2. उत्तर दिशा में सिर रखकर नहीं सोना चाहिए। उत्तर दिशा में सिर रखकर सोने से रातों को बुरे सपने आते हैं जिसकी वजह से नींद खराब होती है व रक्त विकार जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
3. उत्तर और पूर्व दिशा की दरवाजे और खिड़कियां दक्षिण और पश्चिम दिशा की तुलना में बड़ी होनी चाहिए। दक्षिण और पश्चिम दिशा में खिड़कियां न बनाएं।
4. दीवार पर हमेशा चलती हुई घड़ी लटकाएं। इसे पूर्व, पश्चिम और उत्तर दिशा में लगाना चाहिए। इन दिशाओं में घड़ी लटकाने से नए अवसर प्राप्त होते हैं। घर में हरे रंग की दीवार घड़ी नहीं लगानी चाहिए। यह हाथ में आए अवसर को भी छीन सकती है।
5. भारी फर्नीचर को दक्षिण, पश्चिम दीवार के पास रखना चाहिए। फर्नीचर में अधिक से अधिक लकड़ी से बनी वस्तु का ही प्रयोग करें। प्लास्टिक से बनी चीजों का उपयोग करने से बचें। धातु से बने फर्नीचर का उपयोग नहीं करना चाहिए। यह हमारे चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न कर देता है। जिससे निगेटिव एनर्जी में वृद्धि होती है।
6. गेट के पास शू रैक नहीं रखना चाहिए। यह निगेटिव एनर्जी को अपनी ओर आकर्षित करता है। शू रैक को पश्चिम और दक्षिण पश्चिम कोने की ओर रखना चाहिए। भूलकर भी इसे उत्तर, दक्षिण-पूर्व और पूर्व दिशा की ओर न रखें।
7. घर पर लगी नेमप्लेट को हमेशा साफ-सुथरा रखें। यह घर में रखने वाले लोगों के बारे में पहली छाप बनाता है और उनके बारे में सूचना देता है।
8. मेन गेट के जरिए लोग घर के अंदर प्रवेश करते हैं। इसजे साथ ही साथ तरह-तरह की ऊर्जा भी इसी रास्ते से होकर घर के अंदर प्रवेश करती है। घर में लगे बाकी दरवाजों की तुलना में घर का मेन गेट बड़ा होना चाहिए यह लकड़ी का बना हुआ होना चाहिए। मेन गेट को उत्तर, उत्तर-पूर्व या पश्चिम दिशा में बनाना चाहिए।
9. घर के सेंटर में भूलकर भी पिलर, सीढ़ियां नहीं बनाना चाहिए। इसकी वजह से धन हानि हो सकती है।
10. घर के दक्षिण, पश्चिम दीवार को उत्तर व पूर्व की दीवार की तुलना में बड़ा और मोटा होना चाहिए। घर का उत्तरपूर्व कोना ऊर्जा का उद्गम स्थल होता है। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
वास्तु एक्सपर्ट के अनुसार घर में रखा पौधा उस जगह की खूबसूरती को बढ़ाने में मदद करते हैं व साथ ही साथ ऊर्जा को संतुलित करने का भी काम करते हैं। आज हम आपको एक ऐसे पौधे के बारे में बताने जा रहे हैं जो यदि आपके घर के वातावरण को सूट कर जाए तो आपके लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता हैं वरना आपके तरक्की के रास्ते में बाधा उत्पन्न कर सकता है। आइए जानते हैं इस पौधें के बारे में।
1. बोनसाई का पेड़ बहुत छोटा और घना होता है। जल्दी फ्रस्टेट होने वाले या अधिक गुस्सा करने वाले लोगों को अपने घर के अंदर बोनसाई का पौधा रखने की सलाह दी जाती है। इसे सही दिशा में रखने से मन शांत रहता है और गुस्से पर भी काबू कर पाने में सफलता मिलती है।
2. आत्मविश्वास की कमी के कारण कई लोग आसानी से कोई फैसला नहीं ले पाते हैं और बहुत लंबे समय तक अपने फैसलों के लिए पछताते रहते हैं। वास्तु एक्सपर्ट के मुताबिक ऐसे लोग अपने घर में एक बोनसाई का पौधा जरूर रखें। बोनसाई प्लांट आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद करता है और व्यक्ति को धैर्यवान और तनावमुक्त बनाता है।
3. वास्तु एक्सपर्ट के मुताबिक बोनसाई प्लांट भूलकर भी पश्चिम दिशा की ओर नहीं रखना चाहिए। इससे बच्चों की क्रिएटिविटी और निर्णय लेने की क्षमता में कमी आती है। वह हमेशा अपने विचारों को लेकर उलझे हुए रहेंगे।
4. वास्तु एक्सपर्ट के अनुसार अगर आप अपने काम में किसी तरह की कोई दिक्कत या परेशानी का सामना कर रहे हैं तो घर में रखें बोनसाई प्लांट को बाहर कर दें। -
मान्यता है कि सबसे पहले होली खेलने की शुरुआत भगवान कृष्ण ने ही की थी. यही वजह है कि आज भी कृष्ण नगरी से ही सबसे पहले होली खेलने की शुरुआत होती है. होली सिर्फ रंग खेलने का ही नहीं भगवान की आराधना का भी दिन माना जाता है. जानें भगवान के चरणों में कौन सा रंग चढ़ा कर होली की शुरुआत करनी चाहिए।
होली के दिन भगवान श्री कृष्ण को पीले रंग का गुलाल लगाना चाहिए. वहीं इस दिन भगवान को भोग में पीले रंग की मिठाई और फल चढ़ाना चाहिए. इससे जीवन में खुशियां और प्रेम भर जाता है. वहीं राधा रानी को लाल या गुलाबी रंग के गुलाल अर्पित करें।
भगवान शिव जी को लाल या नीले रंग का गुलाल अर्पित करें साथ ही उनकी प्रिय भस्म जरूर चढ़ाएं. ऐसी मान्यता है कि होली के दिन यह उपाय करने से भोलेनाथ मनोकाना पूरी करते हैं।
भगवान श्री राम को होली के दिन पीले रंग के गुलाल चढ़ाने चाहिए साथ ही पीले रंग की मिठाई का भोग लगाना चाहिए. ऐसा करने ने जीवन में खुशियां आती हैं. शुभ ही शुभ होता है. माता सीता को लाल रंग का गुलाल ही लगाना चाहिए।
भगवान गणेश को प्रथम पूज्य माना गया है. होली के दिन भगवान श्री गणेश जी को सिंदूर और नारंगी रंग चढ़ाकर उनकी पूजा करें. मोदक का भोग लगाएं।
होली पर देवी दुर्गा, देवी लक्ष्मी और हनुमान जी को लाल रंग के गुलाल अर्पित करने पर इनकी कृपा बनी रहती है और भक्त को सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
होलिका दहन के दिन ही नहीं बल्कि होली के दिन की भी शुरुआत भक्तों को अपने आराध्य के श्री चरणों में रग-अबीर चढ़ा कर करनी चाहिए। - -पं. प्रकाश उपाध्यायहोलिका दहन का पर्व हर वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को लोग रंगोत्सव के रूप में होली पर्व मनाते हैं। सात मार्च को स्नान दान की पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। उपाध्याय जी ने बताया कि इस साल होली पर दो पूर्णिमा होने से रंगोत्सव, रंग गुलाल वाली होली आठ मार्च को मनायी जाएगी। दरअसल इस साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि का आरंभ छह मार्च को अपराह्नकाल पर होगा। इसके कारण प्रदोष व्यापिनी व्रत की पूर्णिमा का मान रहेगा और सात मार्च को सायंकाल तक काल तक रहने से उदयकालीन स्नान दान पूर्णिमा का मान होगा। उन्होंने कहा कि शास्त्र के अनुसार भद्रा मुक्त प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा पर ही होलिका दहन होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस साल होली पर्व ज्यादा खास रहने वाला है। दरअसल होली पर शनि 30 साल बाद स्वराशि कुंभ और 12 साल बाद देव गुरु बृहस्पति स्वराशि मीन में विराजमान रहने वाले हैं। इसके अलावा कुंभ राशि में त्रिग्रही योग बना रहेगा। होली पर ग्रहों की ऐसी स्थिति पूरे 30 साल बाद बन रही है।जानिए राशिनुसार कौन सी लकड़ी डालनी चाहिए==मेष और वृश्चिक राशि के लोग होलिका दहन के समय खैर की लकड़ी=वृष और तुला राशि वाले होलिका दहन वाले दिन गूलर की लकड़ी=मिथुन और कन्या राशि के लोगों के लिए अपामार्ग की लकड़ी=धनु और मीन राशि के लोगों के लिए पीपल की लकड़ी होलिका में डालें=परेशानियों या मुश्किलों के निवारण के लिए कुछ सटीक उपाय हैं जिन्हें कर सकते जैसे शरीर के उबटन को होलिका में जलाने से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं।=सफलता प्राप्ति के लिए होलिका दहन स्थल पर नारियल, पान तथा सुपारी भेंट करें।=गृह क्लेश से निजात पाने और सुख-शांति के लिए होलिका की अग्नि में जौ-आटा चढ़ाएं।=भय और कर्ज से निजात पाने के लिए नरसिंह स्रोत का पाठ करना लाभदायक होता है।=होलिका दहन के बाद जलती अग्नि में नारियल दहन करने से नौकरी की बाधाएं दूर होती हैं।=घर, दुकान और कार्यस्थल की नजर उतार कर उसे होलिका में दहन करने से लाभ होता है।=होलिका दहन के दूसरे दिन राख लेकर उसे लाल रुमाल में बाँधकर पैसों के स्थान पर रखने से बेकार खर्च रुक जाते हैं।=लगातार बीमारी से परेशान हैं, तो होलिका दहन के बाद बची राख मरीज़ के सोने वाले स्थान पर छिड़कने से लाभ मिलता है।
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-पंडित प्रकाश उपाध्याय
हिंदू धर्म में नवरात्रि के त्योहार का विशेष महत्व होता है. नवरात्रि पर देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की नौ दिनों तक पूजा-आराधना की जाती है. सालभर में कुल मिलाकर 4 नवरात्रि आते हैं जिसमें से शारदीय नवरात्रि, चैत्र नवरात्रि और दो गुप्त नवरात्रि होते हैं. 22 मार्च, बुधवार से चैत्र नवरात्रि शुरू हो जाएंगे. चैत्र नवरात्रि का त्योहार हिंदू नववर्ष के आरंभ के साथ शुरू हो जाता है. इस बार 22 मार्च से 31 मार्च 2023 तक चैत्र नवरात्रि चलेंगे. हिंदू पंचांग के अनुसार हर चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आरंभ हो जाते हैं. प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना के साथ ही नौ दिनों तक देवा आराधना का महापर्व शुरू हो जाता है.
शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए घटस्थापना की जाती है. चैत्र नवरात्रि रामनवमी के त्यौहार के साथ ही समापन हो जाता है. आइए जानते है चैत्र नवरात्रि का कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त क्या होगा और नवरात्रि की सभी तिथियों में देवी शक्ति के किन-किन रूपो की पूजा-आराधना की जाएगी.
चैत्र नवरात्रि प्रतिपदा तिथि और कलश स्थापना मुहूर्त
नवरात्रि पर कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है. इस बार चैत्र नवरात्रि 22 मार्च 2023 से शुरू हो जाएंगे. चैत्र प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 23 मिनट से सुबह 07 बजकर 32 मिनट तक रहेगा. फिर इसके भी दोपहर अभिजीत मुहूर्त में भी कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त रहेगा जिसमें घट स्थापना की जा सकेगी. घट स्थापना के लिए सुबह के समय करीब 1 घंटा 09 मिनट तक मां के भक्तों को समय मिलेगा.
चैत्र नवरात्रि 2023 व्रत और प्रमुख तिथियां
चैत्र नवरात्रि पहला दिन 22 मार्च 2023: घटस्थापना, मां शैलपुत्री पूजा चैत्र नवरात्रि दूसरा दिन 23 मार्च 2023: मां ब्रह्मचारिणी पूजा चैत्र नवरात्रि तीसरा दिन 24 मार्च 2023: मां चंद्रघंटा पूजा चैत्र नवरात्रि चौथा दिन 25 मार्च 2023 : मां कूष्माण्डा पूजा चैत्र नवरात्रि पांचवा दिन 26 मार्च 2023: स्कंदमाता पूजा चैत्र नवरात्रि छठा दिन 27 मार्च 2023: मां कात्यायनी पूजा चैत्र नवरात्रि सातवां दिन 28 मार्च 202: महासप्तमी, मां कालरात्रि पूजा चैत्र नवरात्रि आठवां दिन 29 मार्च 2023: दुर्गा अष्टमी, मां महागौरी पूजा चैत्र नवरात्रि नौवां दिन 30 मार्च 2023: राम नवमी चैत्र नवरात्रि दसवां दिन 31 मार्च 202: नवरात्रि पारण
राम नवमी तिथि
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर भगवान राम का जन्मोत्सव मनाया जाता है इस साल राम नवमी 30 मार्च, गुरुवार के दिन है. राम नवमी की चैत्र शुक्ल तिथि 29 मार्च को रात 09 बजकर 07 मिनट से शुरू हो जाएगी जो 30 मार्च को रात 11 बजकर 30 मिनट तक रहेगी. पंचांग की गणना के अनुसार राम नवमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त दिन में 11 बजकर 11 मिनट से दोपहर 01 बजकर 40 मिनट तक रहेगा. -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
हस्तरेखा विज्ञान में हाथों के विभिन्न प्रकार का वर्णन है। वैदिक ज्योतिष में चार प्रकार के हाथों का वर्णन मिलता है। इन चारों तरह के हाथों का अर्थ भी अलग-अलग होता है। जानिए किस तरह के होते हैं ये हाथ और क्या पड़ता है इनका जीवन पर असर-
वायु
चौकोर हथेली और थोड़ा लंबी उंगलियां वाला हाथ इस श्रेणी में आता है। ऐसे लोग बाहर ज्यादा समय बिताना पसंद करते हैं। ऐेसे लोग तनाव अधिक लेते हैं और व्यस्त रहते हैं। ये अच्छे वक्ता होते हैं और अपनी बातों को दूसरे लोगों तक अच्छे से पहुंचा देते हैं।
अग्नि
आयताकार और असमान उंगलियों के साथ समतल हाथ इस श्रेणी में रखा जाता है। ऐसे लोग बेहद ही ऊर्जावान और रोमांच को पसंद करने वाले होते हैं। ऐसे लोग अक्सर व्यस्त रहते हैं। इस हाथ वाले लोग राजनीति के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करते हैं। ये लोग अच्छे मार्गदर्शक भी होते हैं।
जल
लंबी उंगली, आयताकार और सपाट स्थिति जल श्रेणी के हाथों का संकेत है। ऐसे हाथ वाले लोग बहुत ही संवेदनशील और भावात्मक होते हैं। हालांकि ऐसे लोग अपनी भावनाओ पर नियंत्रण रखते हैं। ये अच्छे श्रोता होते हैं।
पृथ्वी
यदि हथेली चौकोर और उंगलियां छोटी तो इस तरह का हाथ पृथ्वी कहलता है। हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार इन हाथों वाले लोग मजबूत व्यक्तित्व के होते हैं। उनमें नेतृत्व क्षमता कूट-कूटकर भरी होती है। अपने कार्यों के लिए ये हमेशा सजग रहते हैं। ये किसी भी गलत बात को स्वीकार नहीं करते। - अगर कोई काम वास्तु के हिसाब से न हो और गलत किया जाए तो उसका नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। इससे लोग कंगाल भी हो सकते हैं और आर्थिक स्थिति भी काफी खराब हो सकती है। ऐसे में धार्मिक शास्त्रों में कुछ बातों का उल्लेख किया गया है और बताया गया है कि वास्तु के मुताबिक कौन सी चीजें घर में नहीं लानी चाहिए।बड़ी प्रतिमाधार्मिक मान्यताओं के मुताबिक घर में कभी भी 6 इंच से बड़ी भगवान की प्रतिमा को नहीं रखना चाहिए। दरअसल, इसके पीछे कारण बताया जाता है कि बड़ी प्रतिमाओं की नियमित विधि-विधान से पूजा होनी चाहिए। हालांकि कई बार संपूर्ण ज्ञान नहीं होने के कारण दोषपूर्वक पूजा होती है, जिसके कारण लोगों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।कंटीले पेड़धार्मिक मान्यताओं के अनुसार घर में कभी भी कंटीले पौधे नहीं रखने चाहिए। इसके अलावा जिनमें कांटे होते हैं वो पौधे भी नहीं उगाने चाहिए। हालांकि गुलाब इसका एक अपवाद है. घर में गुलाब उगाए जा सकते हैं, लेकिन कैक्टस या बबूल को घर में नहीं लगाना चाहिए।शालिग्रामधार्मिक मान्यताओं के मुताबिक घर में शालिग्राम रखा जाए, तो उसकी विधि विधान से पूजा करना अनिवार्य होता है। शालिग्राम एक सुंदर, चिकना और चमकीला पत्थर होता और ग्रंथों में इसे भगवान विष्णु का प्रतिरूप माना गया है। इस पत्थर को अगर घर लाते हैं तो इसकी पूजा के कठिन नियमों का पालन करना होता है। अगर इन नियमों का पालन नहीं किया जाए तो भाग्य में काफी अड़चने देखने को मिलती हैं। इसलिए यदि आप सक्षम है पूजा करने में , तभी शालिग्राम पूजा घर में रखें अन्यथा नहीं।
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ड्रीमकैचर मूल रूप से अमेरिका की उत्पत्ति है और यह उनकी परंपरा का प्रतिनिधित्व करते हैं। आजकल दुनिया के अन्य हिस्सों में समान रूप से भी ड्रीम कैचर काफी लोकप्रिय हो गए हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं ड्रीम कैचर आखिर है क्या? ड्रीम कैचर एक लकड़ी का घेरा होता है जिस पर एक जाल या जाला बुना जाता है जिसे पंख, मोती, कीमती पत्थर आदि से सुसज्जित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि ड्रीम कैचर घर में सकारात्मक ऊर्जा लाते हैं और आपके घर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाते हैं। डरावने सपने से बचने के लिए फेंगशुई में ड्रीमकैचर के बारे में विस्तार से बताया गया है। फेंगशुई के अनुसार जो व्यक्ति अपने घर में ड्रीम कैचर लगाते हैं उनके घर में नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। फेंगशुई के अनुसार जिन लोगों को लगातार बुरे और डरावने सपने आते हैं उन्हें अपने घर में ड्रीमकैचर लगाना चाहिए। ऐसा करने से उस व्यक्ति को बुरे सपनों से छुटकारा मिल सकता है। आइए जानते हैं कहां और किस दिशा में ड्रीम कैचर लगाना चाहिए।
ड्रीम कैचर को कहां लटकाएंफेंगशुई के अनुसार, ड्रीम कैचर को बालकनी, आंगन या खिड़की में लटका देना चाहिए क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित करता है और आपको नकारात्मक विचारों और ऊर्जा से बचाता है। ड्रीम कैचर को इस तरह रखा जाना चाहिए कि कोई भी इसके नीचे न बैठे और न ही इसके नीचे से गुजरे, अन्यथा यह प्रतिकूल प्रभाव ला सकता है या यह आपकी आर्थिक वृद्धि को बाधित कर सकता है। इसे दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखने से आपके घर का वास्तु सुधरता है। लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि ड्रीमकैचर आपके पास बुरे सपने आने से रोकता है। ड्रीमकैचर को कुछ अन्य स्थानों पर भी लटकाया जा सकता है।बेडरूम:ड्रीम कैचर को बेडरूम की खिड़की या बिस्तर के पास रखा जा सकता है ताकि यह आपको बुरे सपने से बचा सके और आप सुरक्षित महसूस करें।लिविंग रूम:ड्रीम कैचर को आपके लिविंग रूम में मुख्य द्वार पर लगा सकते हैं। इसकी सकारात्मक ऊर्जा लोगों के बीच सद्भाव को बेहतर बनाने में मदद करेगी।कार्यस्थल :यदि आप ड्रीम कैचर को अपने कार्यस्थल पर अपनी सीट पर रखते हैं, तो यह आपको अपने काम पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करेगी। यहआपको कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित करेगा।कार में :आप अपनी कार में भी ड्रीम कैचर रियर व्यू मिरर में लगा सकते हैं ताकि ड्राइविंग करते समय आप सकारात्मक विचारों से भरें रहें और अपने गंतव्य पर सुरक्षित पहुँच सकें।- - बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायघर में वास्तुदोष होने से व्यक्ति मानसिक रूप से हमेशा परेशान रहता है। खासतौर से यदि बेडरूम का वास्तु खराब हो तो इसका असर शादीशुदा जिंदगी पर भी पड़ता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार कुछ ऐसे आसान उपाय हैं जिन्हें अपनाकर आप अपने वैवाहिक जीवन में सुख और शांति ला सकते हैं।-वास्तु विज्ञान के अनुसार भारी-भरकम फर्नीचर घर में अनेक परेशानियों को लेकर आता है। अत: ध्यान रहे कि पति-पत्नी के शयनकक्ष में वजन में हल्का और लकड़ी का फर्नीचर ही लगाएं। यदि भारी फर्नीचर घर में पहले से ही है तो उसे रूम की दक्षिण या पश्चिम की दीवार की ओर रखें।-हल्के रंग का फर्नीचर बैडरूम में पॉजिटिव एनर्जी को बनाए रखता है एवं गहरे रंग का फर्नीचर नकारात्मकता को बढ़ावा देता है।-पलंग खरीदते या बनवाते समय लकड़ी का ध्यान रखना बेहद जरूरी है क्यों कि कुछ लकडिय़ां वास्तु में शुभ और कुछ अशुभ मानी गईं हैं। शीशम,चन्दन,अशोक,सागवान,साल,अर्जुन या नीम की लकड़ी का बना हुआ फर्नीचर खरीदें,यह शुभ फल देने वाले होते हैं।-वास्तु के अनुसार आपके बेडरूम में खिड़की जरूर होनी चाहिए। इससे कमरे में सकारात्मक ऊर्जा आती है जिसका अच्छा प्रभाव पति-पत्नी के रिश्तों पर पड़ता है।-यदि पति-पत्नी के रिश्तों में तनाव रहता है तो कमरे में ताज़ा फूल रखने चाहिए,पर ध्यान रहे कि इन्हें सूखने पर तुरंत बदलते रहें।-अगर पति-पत्नी के बीच दूरियां पैदा हो रही हों तो बेडरूम में लाल रंग की दो मोमबत्तियां जलाएं ऐसा करने से दोनों के बीच का रिश्ता मजबूत होगा।-शयन कक्ष में कभी भी आईना न लगाएं। अगर आईना हो तो इस बात का ध्यान रखें कि वह आईना इस तरह हो कि सुबह सोकर उठते ही सीधे आईने पर नजर न जाये। इससे नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है,जिससे दांपत्य जीवन में कड़वाहट घुल सकती है।-पति-पत्नी जिस बिस्तर का इस्तेमाल सोने के लिए करते हैं उसमें हमेशा एक ही गद्दा होना चाहिए। यदि डबल बेड है तो डबल बेड का गद्दा लगाएं। दो गद्दों वाले बिस्तर पर सोने से पति-पत्नी के रिश्तों में खटास आ सकती है।-कमरे की दीवारों को हमेशा हल्के रंग से पेंट करवाएं। हो सके तो शयनकक्ष में हल्का गुलाबी या लाइट पीच कलर करवाएं, इससे दोनों के बीच प्यार बढ़ेगा और एक नयी ऊर्जा का संचार होगा।-बेडरूम की साफ-सफाई के वक़्त नमक के पानी का पोंछा लगवायें। नमक को सकारात्मक ऊर्जा का बहुत बड़ा श्रोत माना गया है। साथ ही इस कमरे में जाले न जमने दें। जालों से जीवन में नकारात्मकता आती है।-पति-पत्नी में में अटूट प्रेम और जुड़ाव के लिए शयनकक्ष की उत्तर की दीवार पर राधाकृष्ण की तस्वीर लगाएं।
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हर व्यक्ति के जीवन में कोई न कोई रहस्य छुपा होता है। कहते हैं कि हाथ की रेखाएं बनती-बिगड़ती रहती हैं, लेकिन कुछ रेखाएं हमेशा रहती हैं और भविष्य के बारे में काफी सही संकेत देती हैं। हाथ की कुछ रेखाएं मनुष्य की नौकरी य व्यापार की भी जानकारी देता है। जो व्यक्ति सरकारी नौकरी की तमन्ना रखता है तो उसके मन में बस एक ही सवाल कौंधता है कि क्या उसकी सरकारी नौकरी लगेगी या नहीं।
वैसे तो कहते हैं कर्म के अनुसार ही हाथ की रेखाओं में बदलाव होता है। लेकिन आज हम आपको बताएंगे हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार वो कौन सी रेखाएं और स्थितियां हैं जो सरकारी नौकरी मिलने का संकेत देती हैं।
आइए जानते हैं-
00 यदि किसी व्यक्ति की हथेली में सूर्य पर्वत उठा हुआ हो और इस पर्वत पर बिना किसी रुकावट के सीधी रेखा बन रही हो तो सरकारी नौकरी का प्रबल योग बनते हैं।
00 यदि किसी व्यक्ति की हथेली में सूर्य रेखा गुरु पर्वत की ओर जा रही हो तो ऐसा व्यक्ति एक बड़ा सरकारी अधिकारी बनता है।
00 यदि किसी व्यक्ति की हथेली में बुध पर्वत पर त्रिभुज की आकृति बन रही हो तो ऐसे व्यक्ति को सरकारी नौकरी में उच्च पद मिलता है।
00 यदि किसी जातक की हथेली में भाग्य रेखा से शाखा रेखा निकलती हुई बृहस्पति पर्वत की ओर जा रही हो तो ऐसे व्यक्ति को सरकारी नौकरी मिलने की प्रबल संभावनाएं रहती हैं।
00 यदि भाग्य रेखा, जीवन रेखा को काटे और गुरू- शनि पर्वत के बीच से निकले तो ऐसे जातकों को भी सरकारी नौकरी मिलती है।
00 किसी व्यक्ति की हथेली पर गुरु और सूर्य पर्वत उभरा हुआ होता है तो उस व्यक्ति में कौशल और निपुणता भरी रहती है। ऐसे व्यक्ति को जीवनकाल के 30 वर्षों के अंदर ही कोई सरकारी नौकरी मिल सकती है। -
मार्च के महीने में कई बड़े ग्रहों का राशि परिवर्तन होना है। ग्रह-नक्षत्रों के परिवर्तन का सीधा असर मानवीय जीवन पर पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र में वर्णित सभी 12 राशियों पर इसका असर देखने को मिलता है। जानिए ज्योतिषाचार्य प. प्रकाश उपाध्याय जी से किन राशि वालों के लिए मार्च का महीना लेकर आएगा शुभ परिणाम और किन्हें हो सकता है नुकसान। पढ़ें मेष से लेकर मीन राशि तक का हाल...
मेष राशि- माह के प्रारंभ में मन परेशान रहेगा। संयत रहें। धैर्यशीलता में कमी रहेगी। क्रोध व आवेश के अतिरेक से बचें। 13 मार्च के बाद क्रोध में कमी आएगी। जीवनसाथी के स्वास्थ्य में सुधार होगा। कारोबारी कार्यों में भागदौड़ अधिक रहेगी। मित्रों से व्यर्थ के वाद विवाद से बचें। वाहन सुख में वृद्धि हो सकती है। 16 मार्च के बाद खर्चों में वृद्धि होगी। संतान के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। शैक्षिक कार्यों के प्रति सचेत रहें। कठिनाइयां आ सकती हैं। कारोबार के लिए विदेश यात्रा लाभप्रद रहेगी।
वृष राशि- माह के प्रारंभ में वाणी में मधुरता रहेगी। परंतु मन अशांत रहेगा। आत्मविश्वास भी भरपूर रहेगा। व्यर्थ के क्रोध से बचें। परिवार का साथ मिलेगा। 13 मार्च के बाद बातचीत में संतुलित रहें। मानसिक शांति के लिए प्रयास करें। वाहन के रखरखाव पर खर्च बढ़ सकते हैं। मन परेशान हो सकता है। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। मित्रों का सहयोग मिलेगा। 16 मार्च से मानसिक परेशानी बढ़ सकती है। माता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। रहन-सहन कष्टमय हो सकता है।
मिथुन राशि- मास के प्रारंभ में मन में शांति और प्रसन्नता रहेगी। आत्मविश्वास से लबरेज रहेंगे। कार्यक्षेत्र में परिश्रम अधिक रहेगा। स्वास्थ्य में गिरावट हो सकती है। 13 मार्च के बाद स्वास्थ्य में सुधार तो होगा। परंतु मन अशांत रहेगा। संयत रहें। व्यर्थ के क्रोध से बचें। शैक्षिक कार्यों में सुधार होगा। वस्त्र उपहार में मिल सकते हैं। किसी मित्र का आगमन हो सकता है। परिवार में शांति बनाए रखने का प्रयास करें। 17 मार्च से कारोबार में कठिनाई आ सकती हैं। आत्म विश्वास में कमी भी आएगी।
चाणक्य नीति : स्वस्थ रहने के लिए जरूर करें इन चीजों का सेवन, बीमारियां रहेंगी कोसों दूर
कर्क राशि- मास के प्रारंभ में मन प्रसन्न रहेगा। आत्मविश्वास भरपूर रहेगा। पारिवारिक जीवन सुखमय रहेगा। कारोबार की स्थिति मास के प्रारंभ में संतोषजनक रहेगी, परंतु सात मार्च से कुछ कठिनाइयां आ सकती हैं। 27 मार्च के बाद पुन: कारोबार में प्रगति दिखाई देगी। परिवार का सहयोग भी मिलेगा। आय में वृद्धि होगी। वाहन सुख में वृद्धि हो सकती है। शैक्षिक कार्यों के प्रति सचेत रहें।
सिंह राशि- 14 मार्च तक तो आत्मविश्वास से लबरेज रहेंगे। तत्पश्चात धैर्यशीलता में कमी आ सकती है। बातचीत में संतुलन बनाए रखें। सात मार्च के बाद कारोबार की स्थिति में सुधार होगा। लाभ के अवसर मिल सकते हैं। परंतु मास के अंत में पुन: कुछ परेशानियां आ सकती हैं। किसी मित्र के सहयोग से नौकरी में अवसर मिल सकते हैं। परंतु किसी दूसरे स्थान पर जाना पड़ सकता है।
कन्या राशि- माह के प्रारंभ में आत्मविश्वास में कमी रहेगी। कारोबार में कठिनाइयां आ सकती हैं। भागदौड़ अधिक रहेगी। 13 मार्च के बाद धैर्यशीलता में कमी रहेगी। संयत रहें। परिवार में शांति बनाए रखने के प्रयास करें। वाहन सुख में कमी आ सकती है। नौकरी में कठिनाइयां आ सकती है। 16 मार्च से कोई अतिरिक्त जिम्मेदारी मिल सकती है। कार्यक्षेत्र में परिश्रम अधिक रहेगा। 17 मार्च से मन प्रसन्न रहेगा। पिता के स्वास्थ्य में सुधार होगा। कारोबार पर ध्यान दें। भागदौड़ अधिक रहेगी।
तुला राशि- मन प्रसन्न रहेगा। आत्मविश्वास भी बहुत रहेगा। संगीत में रुचि बढ सकती है। शैक्षिक कार्यों में सफलता मिलेगी। 14 मार्च तक आय की स्थिति पर्याप्त रहेगी। तदुपरांत आय में कमी व खर्च अधिक हो सकते हैं। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। किसी नए कारोबार का प्रस्ताव मिल सकता है। वाहन सुख में वृद्धि हो सकती है। संपत्ति का विस्तार होगा। परंतु पिता के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखें।
वृश्चिक राशि- मास के प्रारंभ में मन में उतार चढ़ाव रहेंगे। जीवनसाथी के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। नौकरी में कार्यक्षेत्र में बदलाव हो सकता है। वाहन के रखरखाव तथा वस्त्रों आदि पर खर्च बढ़ सकते हैं। 16 मार्च से धैर्यशीलता में कमी आएगी। संयत रहें। परंतु माता के स्वास्थ्य में सुधार होगा। 17 मार्च से कारोबार में आय में वृद्धि होगी। भवन सुख में वृद्धि हो सकती है। माता का साथ रहेगा।
धनु राशि- माह के प्रारंभ में मन प्रसन्न तो रहेगा। परंतु संतान के स्वास्थ्य से परेशान भी हो सकते हैं। 13 मार्च से संतान के स्वास्थ्य में सुधार होगा। शैक्षिक कार्यों के सुखद परिणाम मिलेंगे। कला या संगीत के प्रति रुझान बढ़ सकता है। किसी मित्र के सहयोग से आय में वृद्धि के साधन बन सकते हैं। 16 मार्च के बाद नौकरी में तरक्की के मार्ग प्रशस्त होंगे। कार्यभार में वृद्धि होगी। आय में वृद्धि होगी। 17 मार्च के बाद कारोबार में कठिनाइयां आ सकती हैं। कारोबार में भागदौड़ बढ़ेगी। पिता का साथ मिलेगा।
मकर राशि- मानसिक शांति रहेगी। आत्मविश्वास भरपूर रहेगा। बातचीत में संतुलित रहें। सात मार्च से वाणी के प्रभाव में वृद्धि होगी। किसी मित्र के सहयोग से कारोबार की स्थिति में सुधार होगा। कारोबार में लाभ के अवसर मिलेंगे। 14 मार्च के बाद परिश्रम अधिक रहेगा। माता-पिता का सानिध्य मिलेगा। भवन सुख में वृद्धि होगी। किसी संपत्ति से आय के साधन बन सकते हैं।
कुंभ राशि- मन परेशान हो सकता है। मानसिक शांति के लिए प्रयास करें। सात मार्च के बाद कारोबार की स्थिति में सुधार होगा। आय में वृद्धि होगी। शैक्षिक कार्यों के सुखद परिणाम मिलेंगे। संतान सुख में वृद्धि हो सकती है। परंतु माता-पिता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। जीवनसाथी का साथ मिलेगा। वाहन के रखरखाव पर खर्च बढ़ सकते हैं। नौकरी में यात्रा पर जाना पड़ सकता है। रहन-सहन अव्यवस्थित रहेगा।
मीन राशि- आत्मविश्वास से लबरेज रहेंगे। परंतु मन में आशा निराशा के भाव भी हो सकते हैं। जीवनसाथी के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। कारोबार में व्यवधान भी रहेंगे। 13 मार्च के बाद नौकरी में तरक्की के अवसर मिल सकते हैं। कार्यक्षेत्र में वृद्धि होगी। कार्यक्षेत्र में परिश्रम अधिक रहेगा। कार्यक्षेत्र में वृद्धि होगी। कार्यक्षेत्र में परिश्रम अधिक रहेगा। अफसरों से सदभाव बनाकर रखें। वाहन चलाते समय सचेत रहें। भवन सुख में वृद्धि हो सकती है। 16 मार्च के बाद आत्मसंयत रहें। अपनी भावनाओं को वश में रखें। 17 मार्च से परिवार में शांति रहेगी। -
हस्तरेखा विज्ञान में केवल हाथों की रेखाएं और उसके प्रकार शामिल नहीं हैं। उंगलियां और नाखून भी इसी का हिस्सा हैं। प्रत्येक उंगली की अपनी विशेषता है। हस्तरेखा विज्ञान में प्रत्येक उंगली एक ग्रह का प्रतिनिधित्व करती है। उंगली की लंबाई भी परिणाम को प्रभावित करती है। जानिए क्या कहती हैं आपकी उंगलियां।
-लंबी तर्जनी उंगली वाले लोगों का झुकाव सत्ता संभालने और दूसरों को नियंत्रित करने में होता है। ऐसे लोगों के लक्ष्य ऊंचे होते हैं।
-छोटी तर्जनी के लोग प्रतिद्वंद्वियों से किसी भी सलाह को स्वीकार नहीं करते। वे हमेशा इसे अस्वीकार कर देते हैं।
-लंबे अंगूठे वाले लोग प्यार और शैक्षिक क्षेत्र में उत्कृष्ट होते हैं। वे सौभाग्यशाली होते हैं। जीवन में प्रगति करते हैं। ऐसे लोग आत्मविश्वास से भरे हुए होते हैं।
-छोटा अंगूठे वाले लोग खुद पर भरोसा नहीं करते। ऐसे लोग कड़ी मेहनत और धैर्य के साथ सफलता पाते हैं।
-मोटा एवं ठोस अंगूठे वाला व्यक्ति साधारण जीवन जीता है। धन को खर्च करने में ऐसे व्यक्ति बेहद समझदार होते हैं।
-यदि अंगूठा सपाट, पतला और असमान है तो वे किसी ना किसी काम के लिए हमेशा अधीर रहते हैं। उन्हें धीमा, स्थिर और योजनाबद्ध जीवन पसंद नहीं होता। ऐसे लोग हमेशा आनंद की तलाश रहते हैं।
-लंबी, सीधी और गोल मध्यमा उंगली वाले लोग भाग्यशाली होते हैं। यदि मध्यमा उंगली छोटी है तो व्यक्ति मेहनती होता है। - बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी 12 राशियों में कुछ राशियां ऐसी होती है जिन पर शनिदेव ज्यादा मेहरबान रहते हैं। शनि साढ़ेसाती या ढैय्या चलने पर इन राशियों पर कोई ज्यादा विपरीत असर नहीं पड़ता है। आइए जानते हैं कौन-कौन सी हैं वे राशियां।तुला राशितुला राशि शनिदेव की प्रिय राशियों में से एक होती है। तुला राशि शनिदेव की उच्च की राशि होती है। शनिदेव इस राशि वालों पर हमेशा ही अपनी कृपाद्दष्टि रखते हैं। इस राशि के जातकों के जीवन में शनि देव हर तरह की खुशियां प्रदान करते हैं। कार्यों में असफलताएं मिलने पर इस राशि के लोग ज्यादा निराश नहीं होते हैं क्योंकि उन्हें इस बात का अनुभव रहता है कि ये असफलताएं ज्यादा दिनों तक नहीं रहने वाली हैं। इन राशि वालों को भाग्य का अच्छा साथ मिलता है। भाग्याशाली के साथ इस राशि लोग काफी मेहनती और ऊर्जावान होते हैं।मकर राशिशनिदेव की दूसरी प्रिय राशि मकर होती है। इस राशि पर शनि का अशुभ प्रभाव बहुत ही कम देखने को मिलता है। क्योंकि मकर राशि के स्वामी शनिदेव ही होते हैं। स्वामी ग्रह होने के कारण मकर राशि पर शनि जब शुभ स्थान पर होते हैं तो इस राशि के लोग अपने-अपने कार्यक्षेत्र में अच्छी सफलता को प्राप्त करते हैं। भाग्य का अच्छा साथ मिलने से सभी तरह के कार्य फौरन ही पूरे हो जाते हैं।कुंभ राशिकुंभ राशि के स्वामी ग्रह भी शनिदेव होते हैं। शनिदेव को दो राशियों का स्वामी बनाया गया है। शनिदेव अपनी विशेष कृपा से कुंभ राशि के लोगों को मालामाल करते हैं। कुंभ राशि वालों पर शनिदेव के साथ मां लक्ष्मी का भी आशीर्वाद प्राप्त रहता है। इस राशि के लोगों को किसी भी काम में सफलता पाने के लिए बहुत ही कम प्रयास करने पड़ते हैं। शनिदेव की कृपा के चलते इनको अचानक धन प्राप्ति होता है।
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रंग और उमंग से भरी जिस होली का इंतजार लोगों को पूरे साल बना रहता है, उसका एक अलग ही रंग ब्रज मंडल में देखने को मिलता है. लगभग 40 दिनों तक मनाए जाने वाले फाग पर्व को यहां पर अलग-अलग जगह पर अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है, लेकिन बरसाना में मनाई जाने वाली होली इन सभी में सबसे अलग होती है. यही कारण है कि यहां पर खेली जाने वाली लड्डू और लट्ठमार होली को न सिर्फ खेलने बल्कि देखने के लिए हजारों-हजार लोग देश-विदेश से पहुंचते हैं. आइए जानते हैं कि आखिर कब खेली जाएगी लड्डू और लट्ठमार होली.
कब खेली जाएगी लट्ठमार होली
बरसाना की लट्ठमार होली की चर्चा किए बगैर होली की बात अधूरी मानी जाती है. दुनिया भर में प्रसिद्ध बरसाना की रंगीली गली में मनाई जाने वाली लट्ठमार होली इस साल 28 फरवरी 2023 को मनाई जाएगी. बरसाना की लट्ठमार होली को राधा रानी और भगवान श्रीकृष्ण के प्रेम का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण ने राधा एवं गोपियों के साथ इस होली की परंपरा की शुरुआत की थी. तब से चली आ रही लट्ठमार होली को खेलने और इसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से यहां पर पहुंचते हैं. लट्ठमार होली को खेलने के लिए आज भी नंदगांव के पुरुष और बरसाने की महिलाएं ही भाग लेती हैं. जिसमें महिलाएं पुरुषों पर लाठियां भांजती हैं तो वहीं पुरुष उनसे बचने के लिए ढाल का प्रयोग करते हैं.
किस दिन होगी लड्डूमार होली
बरसाना में लट्ठमार की तरह लड्डूमार होली भी विश्वप्रसिद्ध है. लड्डूमार होली हर साल लाडिली जी के मंदिर में आयोजित की जाती है. यह होली लट्ठमार होली से एक दिन पहले होती है, जिसके लिए लाडिली जी के महल से भगवान श्रीकृष्ण के नंदगांव में फाग का निमंत्रण भेजा जाता है. उसके बाद नंदगांव से पुरोहित रूपी सखा राधा रानी के महल में स्वीकृति का संदेश भेजा जाता है. मान्यता है कि वहां पुरोहित या फिर कहें पंडा का भव्य स्वागत होता है और उसे खाने के लिए ढेर सारे लड्डू दिए जाते हैं. मान्यता है कि इतने सारे लड्डू को देखकर वह खुशी के मारे पागल हो जाता है और उन लड्डुओं को खाने की बजाय लुटाने लगता है. तब से यह परंपरा हर साल निभाई जाती है और इस लड्डूमार होली को खेलने से पहले श्री जी मंदिर में लाडली जी को लड्डू अर्पित किए जाते हैं.
कैसे हुई लड्डूमार होली की शुरुआत
मान्यता ये भी है कि जब नंदगांव से आए पुरोहित को खाने के लिए लड्डू दिए तो उसी समय कुछ गोपियों ने पुरोहित को गुलाल लगा दिया. चूंकि उस समय पंडे के पास गोपियों को लगाने के लिए गुलाल नहीं था, तो उसने गोपियों पर पास रखे लड्डू ही फेंकने शुरू कर दिए. मान्यता है कि तभी से लड्डूमार होली खेली जाने लगी. लड्डू मार होली वाले दिन देखते ही देखते कई टन लड्डू लुटा दिए जाते हैं. इस दिन राधा रानी और भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति के रंग में रंगने और लड्डू प्रसाद को पाने के लिए लिए हजारों की संख्या पर बरसाना पहुंचते हैं.