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- बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायहिंदू नवसंवत्सर के हिसाब से साल 2023 का सावन महीना 59 दिनों का होगा। ऐसा अद्भुत संयोग 19 सालों बाद बनने जा रहा है। इसका मुख्य कारण अधिकमास का होना है। जिसे हिंदू धर्म ग्रंथों में मलमास कहते हैं। क्या होता है मलमास ?हिंदू कैलेंडर में हर तीन साल में एक बार एक अतिरिक्त माह का प्राकट्य होता है, जिसे अधिकमास, मलमास या पुरुषोत्तम मास के नाम से जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, जब सूर्य राशि बदलते हुए एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे संक्रांति कहते हैं। सौर मास में 12 संक्रांति और 12 राशियां होती है, लेकिन जिस माह में संक्रांति नहीं होती है। तब अधिक मास या मलमास होता है। अधिकमास, पुरुषोत्तम मास या मलमास में शुभ कार्य वर्जित होते हैं क्योंकि यह मास मलिन होता है। इस लिए इसे मलमास कहते हैं।साल 2023 में मलमास कब से कब तक?इस साल 18 जुलाई से 16 अगस्त 2023 तक मलमास रहेगा।पुरुषोत्तम मास में क्या करें.....साल में अधिक माह होने के कारण अधिकमास और अधिकमास भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इसलिए इस मास में भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है। मलमास में ग्रह शांति, दान-पुण्य, तीर्थ यात्रा, विष्णु मंत्रों का जाप करना चाहिए। इससे मलमास के अशुभ फल ख़त्म हो जाते हैं और पुण्यफल प्राप्त होते हैं। कहा जाता है कि मलमास में भगवान विष्णु की पूजा करने वाले साधकों को भगवान विष्णु स्वयं आशीर्वाद देते हैं, उनके पापों का शमन करते हैं और उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं।बहुत से जातक पुरुषोत्तम महीने में उपवास रखते हैं। मास खत्म करने के बाद वे दान- दक्षिणा करते हैं।क्या है अधिकमास का पौराणिक आधारअधिक मास से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार दैत्यराज हिरण्यकश्यप ने कठोर तप से ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया और उनसे अमरता का वरदान मांगा, लेकिन अमरता का वरदान देना निषिद्ध है इसीलिए ब्रह्मा जी ने उसे कोई और वरदान मांगने को कहा।तब हिरण्यकश्यप ने ब्रह्मा जी से कहा कि, आप ऐसा वरदान दे दें, जिससे संसार का कोई नर, नारी, पशु, देवता या असुर उसे मार ना सके और उसे वर्ष के सभी 12 महीनों में भी मृत्यु प्राप्त ना हो। उसकी मृत्यु ना दिन का समय हो और ना रात को। वह ना ही किसी अस्त्र से मरे और ना किसी शस्त्र से। उसे ना घर में मारा जाए और ना ही घर से बाहर। ब्रह्मा जी ने उसे ऐसा ही वरदान दे दिया।इस वरदान के मिलते ही हिरण्यकश्यप स्वयं को अमर और भगवान के समान मानने लगा। तब भगवान विष्णु अधिक मास में नरसिंह अवतार (आधा पुरुष और आधे शेर) के रूप में प्रकट हुए और शाम के समय देहरी के नीचे अपने नाखूनों से हिरण्यकश्यप का सीना चीन कर उसे मृत्यु के द्वार भेज दिया।------
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। इस महीने में शिवभक्त पूरी श्रद्धा के साथ भोलेनाथ का पूजन करते हैं और शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। इसमें भी सोमवार के दिन भोलेनाथ की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। शिवभक्तों के लिए अच्छी खबर ये है कि इस साल अधिकमास होने की वजह से सावन के महीने में 8 सोमवार पड़ेंगे। इस साल सावन का महीना 4 जुलाई से शुरू होने जा रहा है। पंचांग के अनुसार, सावन का पहला सोमवार 10 जुलाई को पड़ेगा, इसके बाद 17 जुलाई को दूसरा, 24 जुलाई को तीसरा, 31 जुलाई को चौथा, 7 अगस्त को पांचवा, 14 अगस्त को छठा, 21 अगस्त को सातवां और 29 अगस्त को आठवां और अंतिम सोमवार पड़ेगा.
कब शुरु होगा सावन?
इसका पहला सोमवार 10 जुलाई को होगा और 28 अगस्त को सावन का आखिरी सोमवार का व्रत रखा जाएगा। इस बार सावन दो महीने तक चलेगा और 31 अगस्त को समाप्त होगा। यानी 59 दिनों तक भगवान शिव को प्रसन्न करने के उपाय किये जा सकते हैं। इंदौर के पंडित चंद्रशेखर मलतारे ने बताया कि किस विधि से पूजा करने पर महादेव का आशीर्वाद मिलेगा।
पहले सोमवार की पूजा
सावन के पहले सोमवार को पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 38 मिनट से शुरू होकर 7 बजकर 22 मिनट तक चलेगा। शास्त्रों के मुताबिक प्रदोष काल में पूजा करने से शिव प्रसन्न होते हैं, इसीलिए शाम के मुहूर्त में पूजा करने से बहुत ही शुभ फल मिलेगा। सबसे पहले भगवान शिव का जलाभिषेक करें। पूजा के दौरान शिव को प्रिय बेलपत्र, धतूरा, भांग, फल और कच्चा दूध अर्पण करें। कुंवारी लड़कियां अगर इस मुहूर्त में महादेव को प्रसन्न करेंगी तो उनको मनचाहा वर शिव से प्राप्त होगा।
सोमवार के व्रत का महत्व
मान्यता है कि सावन के सोमवार को व्रत-पूजन से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं। अगर शादी का योग नहीं बन रहा है या अच्छे रिश्ते नहीं मिल पा रहे हैं तो सावन के सोमवार का व्रत जरूर करें। ऐसा करने से विवाह से जुड़ी अड़चनें दूर होती हैं। धन की कमी दूर करने के लिए सोमवार के दिन शमी के पौधे की जड़ में जल अर्पण करें। अधिक मास की वजह से इस बार आप 4 के बजाए 8 सोमवार का व्रत कर सकते हैं। भगवान विष्णु को अधिक मास का स्वामी माना जाता है। इसीलिए शिव साधना के साथ ही भगवान विष्णु की पूजा करना भी बहुत शुभ रहेगा। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
साल 2023 में श्रावण मास का प्रारंभ 4 जुलाई दिन मंगलवार से हो रहा है. सावन का पहला दिन बेहद खास है क्योंकि इस दिन 3 शुभ संयोग बन रहे हैं. जिसके कारण इस साल आपकी झोली भगवान शिव और माता गौरी की कृपा से भर जाएगी. सावन माह भगवान शिव का प्रिय महीना है और इसमें माता गौरी की भी विशेष पूजा अर्चना की जाती है. उनके आशीर्वाद से सुहागन महिलाओं को अखंड सौभाग्य, संतान और सुखी दांपत्य जीवन प्राप्त होता है. इस बार श्रावण मास का समापन 31 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा को होगा. अधिक मास जुडऩे के कारण सावन 59 दिनों का हो गया है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं सवन के पहले दिन बने वाले 3 शुभ संयोगों के बारे में.
सावन 2023 का पहला दिन
सावन माह का पहला दिन 4 जुलाई मंगलवार को है. उस दिन श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि है. सावन कृष्ण प्रतिपदा तिथि दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक है, उसके बाद से द्वितीया तिथि शुरू हो जाएगी.
सावन के पहले दिन इंद्र योग और पूर्वाषाढा नक्षत्र है. पूर्वाषाढा नक्षत्र प्रात:काल से लेकर सुबह 08:25 बजे तक है, उसके बाद से उत्तराषाढा नक्षत्र प्रारंभ होगा. वहीं इन्द्र योग प्रात:काल से लेकर सुबह 11:50 बजे तक है, उसके बाद से वैधृति योग है. इन्द्र योग और पूर्वाषाढा नक्षत्र शुभ माने जाते हैं.
3 शुभ संयोग में सावन का पहला दिन
इस साल 2023 में सावन के पहले दिन 3 शुभ संयोग बन रहे हैं.
1. पहला सबसे बड़ा संयोग यह है कि श्रावण मास के पहले ही दिन मंगला गौरी व्रत है. इस दिन सुहागन महिलाएं माता पार्वती के साथ भगवान भोलेनाथ की पूजा करती हैं. माता गौरी को 16 श्रृंगार की सामग्री अर्पित करती हैं. शिव और गौरी कृपा से संतान, सुखी दांपत्य और पति को लंबी उम्र प्राप्त होती है.
2. सावन के पहले दिन दूसरा शुभ संयोग है त्रिपुष्कर योग का. इस दिन त्रिपुष्कर योग दोपहर 01 बजकर 38 मिनट से प्रारंभ हो रहा है और अगले दिन सुबह 05 बजकर 28 मिनट तक रहेगा. त्रिपुष्कर योग में आप जो भी शुभ कार्य और पूजा पाठ करेंगे, उसका तीन गुना फल आपको प्राप्त होगा.
3. सावन के पहले दिन तीसरा शुभ संयोग है शिववास का. 4 जुलाई को प्रात:काल से ही शिववास मां गौरी के साथ है. यह दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक है. शिववास में ही रुद्राभिषेक करते हैं. जो लोग सावन के पहले दिन रुद्राभिषेक कराना चाहते हैं, उनके लिए शुभ संयोग बना है. -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
कई बार वास्तु की सही जानकारी न होने पर लोगों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। घर में वास्तु दोष होने पर नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। परिवार में सदस्यों के बीच कलह होती रहती है। यहां तक इसका वैवाहिक जीवन पर भी बुरा असर पड़ता है। जानें घर में किन चीजों का बदलाव करके वास्तु दोष से निजात पाया जा सकता है।
जानें वास्तु दोष दूर करने के आसान उपाय-
1. उत्तर दिशा में फाउंटेन रखना आर्थिक रूप से लाभकारी होता है। पर घर में द्वार के सामने दूसरा द्वार बनवाने से बचें, इससे धन संचय नहीं हो पाता।
2. रसोई में काले रंग के पत्थर का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इससे स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
3. घर में जगह-जगह धार्मिक या देवी-देवताओं के चित्र ना लगाएं।
4. घर में रंगों का चुनाव करते समय ध्यान दें कि दक्षिण पश्चिम दिशा में हरा रंग होने से आपसी संबंध प्रभावित होते हैं।
5. अगर अग्नि कोण में कोई पानी की टंकी, कुआं, बोरिंग है, तो ऐसे में हमारे जीवन में धन का आगमन बाधित हो जाता है, क्योंकि यह अग्नि का स्थान है और जल तत्व यहां पर नकारात्मक प्रभाव देता है। ऐसे में कर्ज होने की भी संभावना बनती है तथा नकद पैसा नहीं आ पाता। पैसे को लेकर निरंतर संघर्ष और चिंता बनी ही रहती है। पैसा फंसने की भी संभावना बनी रहती है।
6. इसके उपाय में किसी भी प्रकार के पानी के गड्ढे, बोरिंग, टंकी को बंद कर दें, तो बहुत राहत आती है तथा धन आगमन के स्रोत खुलने शुरू हो जाते हैं।
7. आपको आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है, धन आगमन में दिक्कत हो रही है, तो अपने घर के अग्नि कोण अर्थात दक्षिण पूर्व दिशा को देखें। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में चीजों को सही दिशा में रखना बहुत जरूरी होता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार अगर चीजों को सही दिशा में नहीं रखा जाए तो वास्तुदोष लग सकता है। घर में घड़ी का सही दिशा होना बहुत जरूरी होता है। अगर घड़ी गलत दिशा में लगी हुई है तो आर्थिक, मानसिक और शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
आइए जानते हैं घड़ी को लेकर क्या कहता है वास्तुशास्त्र...
सही दिशा एवं सही स्थान पर लगी हुई घड़ी हमारे भाग्य को सही दिशा में ले जा सकती है। दिशा ही नहीं, घड़ी का रंग एवं उसका आकार भी महत्वपूर्ण है। आइए जानते हैं कि घड़ी किस दिशा में और कैसे लगानी चाहिए।
●पूर्व दिशा में लगी हुई घड़ी शुभ होती है। उत्तर दिशा में लगी घड़ी भी शुभ फल देती है।
●पश्चिम दिशा में घड़ी नहीं लगानी चाहिए। यदि लगानी पड़े, तो गोल घड़ी लग सकती है।
●दक्षिण दिशा में घड़ी किसी भी सूरत में नहीं लगानी चाहिए। यह घड़ी आपके लिए बुरा समय लाती है तथा घर/ऑफिस में परेशानियां बढ़ाती है।
●दरवाजे के ऊपर घड़ी कभी नहीं लगानी चाहिए। बंद घड़ी कभी ना रखें। इसे हमेशा समय पर ही रखना चाहिए। सूइयां समय से आगे या पीछे नहीं रखनी चाहिए।
● घर में कभी भी टूटी हुई घड़ी नहीं रखनी चाहिए। टूटी हुई घड़ी रखने से घर का वातावरण खराब होता है। टूटी हुई घड़ी को दुर्भाग्य का सूचक माना जाता है।
● घर में हल्के रंग की घड़ी लगानी चाहिए। गहरे रंग की घड़ी लगाने से घर में नकारात्मकता आती है। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
विदेश से पढऩे का सपना हर किसी का होता है। हर कोई विदेश से पढ़कर सफल होना चाहता है। अगर आप भी विदेश से पढ़ाई का मौका देख रहे हैं, तो वास्तु टिप्स की मदद ले सकते हैं। घर में पढ़ाई के कमरे में कुछ वास्तु नियमों को अपनाकर आप विदेश में पढ़ाई करने का सपना साकार कर सकते हैं। आचार्य मुकुल रस्तोगी के अनुसार शयन कक्ष उत्तर-पश्चिम दिशा में रखें। पलंग भी इसी दिशा में होना चाहिए। शयन कक्ष में लाल रंग का कम प्रयोग करें या न करें तो बेहतर है।
कमरे की उत्तर-पश्चिम दीवार पर एक विश्व का मानचित्र लगाएं। इस दिशा में एक ग्लोब भी लगाएं तथा बच्चे को बोलें कि उसे रोज घुमाए। यह दिशा चंद्रमा से संबंधित होने के कारण विदेश जाने में सहायता करती है। इस दिशा में चंद्रमा का चित्र लगाएं।हर मंगलवार हनुमानजी की पूजा करके प्रसाद बाटें तथा हनुमान चालीसा का पाठ करें।जिस कॉलेज में पढऩा चाहते हैं, उस कॉलेज का चित्र अपने बेड के सामने लगाएं ताकि वह हर समय दिखता रहे।
सुबह उठकर ईश्वर से भी कामना करें कि आपको वो अपने कार्य में सपलता प्रदान करें। पढ़ाई के लिए विदेश जाने का सपना देख रहे हैं, तो अपना कोई भी डॉक्यूमेंट और पर्सनल चीजों जैसे बैग, किताबें दक्षिण-पश्चिम को छोड़कर किसी और दिशा में रखें। अगर आपकी विदेश यात्रा के लिए कई अड़चने आ रही हैं, तो दक्षिण-पूर्व दिशा में भी कम चीजें रखें। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
ज्योतिष शास्त्र में हस्तरेखा का बहुत ही बड़ा महत्व है। मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि हस्तरेखा की सहायता से किसी व्यक्ति के भविष्य का अनुमान लगाया जा सकता है। हस्तरेखा ज्योतिष में किसी व्यक्ति के हाथ के आकार, हथेली की लकीर आदि का अध्ययन करके उस व्यक्ति के भविष्य की जानकारी का पता लगाया जाता है। आइए जानते उन रेखाओं के बारे में जिनसे जिंदगी की महत्वपूर्ण बातों का पता लगाया जा सकता है।
धनपति योग बनाती हैं यह रेखाएं
अगर आपकी हथेली पर जीवन रेखा भाग्य रेखा से दूर है तो यह धनपति योग बनाता है। जिस व्यक्ति की हथेली पर यह दोनों रेखाएं दूर होती हैं वे काफी भाग्यशाली होते हैं। ऐसे व्यक्ति के लिए चारों तरफ से धन का आगमन होता है।
लक्ष्मी योग
शुक्र पर्वत पर कमल का चिह्न होना लक्ष्मी योग बनाता है। ऐसे योग वाले व्यक्ति ना सिर्फ खुद धनवान होते हैं बल्कि जो इनके संपर्क में आते हैं यह उनके भाग्य को भी जगा देते हैं।
भाग्यलक्ष्मी योग
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, अगर हथेली पर भाग्य रेखा सूर्य पर्वत पर आकर रुक जाए तो यह भाग्यलक्ष्मी योग बनाता है। ऐसे लोगों को राजयोग का सुख मिलता है और भौतिक सुख-सुविधाओं की कोई कमी नहीं होती है। -
- पं. प्रकाश उपाध्याय
पूजा-पाठ, पितृ तर्पण आदि कामों में लौंग का इस्तेमाल किया जाता है. मान्यता है कि लौंग में सकारात्मक ऊर्जा होती है. ज्योतिष शास्त्र में भी लौंग के कई सारे उपाय बताए गए हैं, जिन्हें करने से छोटी-बड़ी सभी समस्याओं का समाधान होता है. कहा जाता है कि लौंग के टोटके करने से धन से जुड़ी समस्या, शारीरिक और मानसिक तनाव के साथ ही साथ नजर दोष से भी छुटकारा मिलता है. तो चलिए जानते हैं ज्योतिष शास्त्र के इन उपायों के बारे में.
लौंग के उपाय-
- अगर आपके काम बनते-बनते बिगड़ जाते हैं या उनमें कोई भी बाधा उत्पन्न होती है तो आपको हनुमानजी की पूजा करते समय सरसों के तेल का दीपक जलाना है और इसमें 2 लौंग डाल कर उनकी आरती करें. इससे आपको हर काम में सफलता प्राप्त होगी.
- घर में किसी सदस्य या बच्चे को बुरी नजर लग गई है तो आप 5 सबूत लौंग लें और उसे 7 बार सीधा और 7 बार उल्टा वारकर (सिर से पैर तक उतार) लें और जला दें. ऐसा करने से नजरदोष खत्म हो जाएगा.
- कुंडली में राहु-केतु दोष है तो आपको हर शनिवार को लौंग का दान करना चाहिए. इसके अलावा शिवलिंग पर भी लौंग अर्पित करें. ऐसा करने से राहु-केतु के बुरे प्रभाव कम होते हैं.
- अगर आप किसी जरूरी काम के लिए बाहर जा रहे हैं तो घर से निकलते समय मुंह में 2 लौंग रखकर निकलें. और वहां जाकर लौंग के कुछ अवशेष मुंह से फेंक दें. ऐसा करने से आपको कार्य में सफलता मिल सकती है.
- आर्थिक तंगी से छुटकारा पाने के लिए धन की देवी मां लक्ष्मी को लाल गुलाब के साथ 2 लौंग अर्पित करें. ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है. साथ ही धन-धान्य की कमी नहीं होती है. -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
अक्सर माता-पिता को यह बात परेशान करती है कि उनके बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता। अगर ऐसा है तो कुछ बातों का ध्यान रखना अच्छा साबित होगा। जिसमें से सबसे प्रमुख उनके कमरे का वास्तु है। कई बार बच्चे वास्तु दोष के कारण तनाव में रहते हैं और उनका मन पढ़ाई में नहीं लगता है। ऐसे में वास्तु के कुछ उपाय बच्चों के भविष्य व करियर के लिए लाभकारी साबित हो सकते हैं।
जानें इनके बारे में-
1. कमरे की पूर्व दिशा में एक उगते हुए सूर्य का चित्र लगाएं। साथ ही उसके पीछे कोई दरवाजा खिड़की न हो, इससे ध्यान ज्यादा भटकेगा।
2. प्रयास करें कि कमरे में सूर्य के प्रकाश की समुचित व्यवस्था हो। कमरे की पूर्व दिशा या ईशान कोण में देवी सरस्वती का चित्र लगाएं।
3. पढ़ते समय मेज पर एक पानी का गिलास भरकर रखें। अध्ययन कक्ष में कोई भारी सामान न रखें। कमरा जितना खाली और साफ-सुथरा होगा, पढ़ाई में उतना मन लगेगा।
4. वास्तु के अनुसार, बच्चों के स्टडी रूम में हमेशा हल्के रंग का कलर करवाना चाहिए। हल्का पीला, हल्का गुलाबी, हल्का हरा यह रंग उन्हें पढ़ाई व लक्ष्य में ध्यान केंद्रित करने में मदद करते हैं।
5. वास्तु के अनुसार, बच्चों के स्टडी रूम मे ग्लोब रखना शुभ माना जाता है। कमरे में ग्लोब को उत्तर पूर्व दिशा में रखने से बच्चों का पढ़ाई में मन लगता है और उन्हें सफलता हासिल होती है। -
पं. प्रकाश उपाध्याय
घर में मनी प्लांट, तुलसी के पौधे सभी लगाते हैं। लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि घर में नीम का पेड़ लगाना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि नीम का पेड़ लगाने से कई ग्रहों से राहत मिलती है। इसके अलावा नीम के पेड़ से राहु दोष भी कम होते हैं। यही नहीं इसकी लकड़ी से शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं। घर में अगर नीम का पेड़ हो तो राहु-केतु के खराब दोषों से राहत मिलती है। नीम का पेड़ जहां औषधि युक्त माना गया है, वहीं इसकी लकड़ी शनि के कई दोषों को दूर करती है। कहते हैं कि शनि के अशुभप्रभावों को कम करने के लिए गले में नीम की लकड़ी की छोटी सी माला पहननी चाहिए।
अगर आपकी राशि कुंभ है या फिर आप उत्तर भादपद नक्षत्र में पैदा हुए हैं, तो नीम का पेड़ घर में जरूर लगाएं, ये आपको लाभ देता है और आपके आर्थिक पक्ष को मजबूत करता है। इसके अलावा मकर राशि के लोग भी अपने घर में नीम का पेड़ लगाएं, ऐसा करने से उन्हें काफी लाभ होगा। इसके अलावा इसकी लकड़ी भी यज्ञ और फर्नीचर के काम आती है। अगर आपको स्किन से जुड़ी कोई समस्या है तो नीम की लकड़ी से पलंग बनवाकर उस पर सोना चाहिए, इससे स्किन समस्या कम होती है।
इसके अलावा नीम की लकड़ी से हवन करने से भी घर में नकारात्मक शक्तियां नहीं रहती और घर में सुख शांति रहती है।जिस पर पितृदोष होता है उन्हें घर की दक्षिण दिशा में नीम का पेड़ लगाने से पितृ प्रसन्न होते हैं और वास्तु दोष समाप्त होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार आपको अपने घर के उत्तर-पश्चिम कोने में नीम का पेड़ लगाना चाहिए। अगर पेड़ लगाने की जगह न हो तो आप घर में बड़े गमले में भी इसे लगा सकते हैं। - हमारे रसोईघर में 9 ग्रहों का वास होता है। जिनमें मुख्य रूप से 9 प्रकार के मसालों को मान्यता दी गई है, जो अपने गुणों, स्वाद व रंगों के आधार पर भिन्न-भिन्न ग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसीलिये इन मसालों को रसोईघर की मसालदानी में एक साथ रखने का विधान है। भारतीय रसोई में मिलने वाले मसाले सेहत के लिए तो अच्छे होते ही हंै साथ ही उन के सेवन से ग्रहों पर भी अनुकूल प्रभाव पड़ता है।इन आवश्यक मसालों के रसोई घर में रखने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और परिवार में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। आइये जान लें ये 9 मसाले कौन-कौन से हैं और ये किस प्रकार ग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैं1. नमक - सूर्य2. सौंफ- शुक्र , चन्द्र3. लाल मिर्च, दालचीनी, मेथी- मंगल4. जीरा - राहु केतु5. धनिया, हरी इलायची, हींग -बुध6. काली मिर्च - शनि7. अमचूर - केतु8. गर्म मसाला - राहु9. जौ- सूर्य, गुरुनमकइनमें नमक रसोई का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। नमक का सेवन करने से हमारा सूर्य ग्रह मजबूत होता है। सूर्य को कॅरिअर और निरोगी शरीर का कारक माना जाता है। सूर्य को प्रसन्न करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है और करिअर में भी काफी तरक्की होती है।सौंफसौंफ खाने से हमारा शुक्र और चंद्र अच्छा होता है , इसे मिश्री के साथ या उस के बिना भी खाने के बाद लेना चाहिए। इससे एसिडिट जैसी समस्या कम होती। मंगलवार को सौंफ को गुड़ के साथ सेवन करें जब आप घर से किसी काम के लिए निकल रहे हों, इससे आप का मंगल काम पूरा करने में आपका साथ देगा।दालचीनीअगर किसी का मंगल और शुक्र कुपित है,तो थोड़ी सी दालचीनी को शहद में मिलाकर पानी के साथ लें । इस से आप के शरीर में शक्ति बढ़ेगी और स्वास्थ्य में सुधार होगा और कफ की समस्या में राहत मिलेगी।काली मिर्चकाली मिर्च के सेवन से शनि देव प्रसन्न होते हैं। इस के सेवन से कफ की समस्या कम होती है और हमारी स्मरण शक्ति भी बढ़ती है। तांबे के किसी बर्तन में काली मिर्च डालकर खाने की टेबल पर रखें ये घर को नकारात्मक शक्तियां से बचाता है।जौजौ के प्रयोग से सूर्य ग्रह और गुरु ग्रह ठीक होते हंै। जौ का प्रयोग हवन में भी किया जाता है। ऐसा करने से सूर्य ग्रह और गुरु ग्रह मजबूत होते हैं। जौ हमारी रसोई में आसानी से मिल जाती है। शनिवार को जौ और काले तिल बहते पानी में प्रवाहित करने से शनि की दशा में भी लाभ मिलता है।हरी इलायचीइस के प्रयोग से बुध ग्रह मजबूत होता है। अगर किसी को दूध पचाने में परेशानी होती है तो हरी इलायची उस में पकाकर फिर दूध का सेवन करें।
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-पंडित प्रकाश उपाध्याय
लोग जीवन में ऐसी मुश्किल परिस्थिति का सामना करते हैं जिससे निकल पाना आसान नहीं होता है। ऐसा कई बार घर में वास्तु दोष की वजह से भी होता है। इसके लिए हमारे वास्तु शास्त्र में कई ऐसे उपाय बताए गए हैं जिसे अपनाकर जीवन में सुख-समृद्धि वापस लाई जा सकती है। जिससे घर में वास्तुदोष नहीं होता और लोग सुखी रहते हैं। आइए आज जानते हैं वास्तु के अनुसार घर के कमरे, हॉल, किचन, बाथरुम और बेडरुम किस दिशा में होने चाहिए।
पूर्व दिशा- पूर्व दिशा में सूर्योदय होता है। इस दिशा से सकारात्मक व ऊर्जावान किरणें हमारे घर में प्रवेश करती हैं। इसलिए घर का मेनगेट इस दिशा में ही होना चाहिए।
पश्चिम दिशा- आपका रसोईघर या टॉयलेट इस दिशा में होना चाहिए। हालांकि, यह भी ध्यान रखें कि रसोईघर और टॉयलेट पास- पास न हो।
उत्तर दिशा- उत्तर दिशा में घर के सबसे ज्यादा खिड़की और दरवाजे होने चाहिए। घर की बालकॉनी व वॉश बेसिन भी इसी दिशा में होना चाहिए। यदि मेनगेट भी इसी दिशा में है और अति उत्तम है।
दक्षिण दिशा- दक्षिण दिशा में किसी भी प्रकार का खुलापन या शौचालय आदि नहीं होना चाहिए। यदि इस दिशा में द्वार या खिड़की है तो घर में नकारात्मक ऊर्जा रहेगी और ऑक्सीजन का लेवल भी कम हो जाएग। इससे घर में कलह बढ़ता है।
उत्तर-पूर्व दिशा- इसे ईशान दिशा भी कहते हैं। यह दिशा जल का स्थान है। इस दिशा में बोरिंग, स्वीमिंग पूल, पूजास्थल आदि होना चाहिए।
उत्तर-पश्चिम दिशा- इसे वायव्य दिशा भी कहते हैं। इस दिशा में आपका बेडरूम, गैरेज, गौशाला आदि होना चाहिए।
दक्षिण-पूर्व दिशा- इसे घर का आग्नेय कोण कहते हैं। यह अग्नि तत्व की दिशा है। इस दिशा में गैस, बॉयलर, ट्रांसफॉर्मर आदि होना चाहिए।
दक्षिण-पश्चिम दिशा- इस दिशा को नैऋत्य दिशा कहते हैं। इस दिशा में खुलापन अर्थात खिड़की, दरवाजे बिलकुल ही नहीं होना चाहिए। - पंडित प्रकाश उपाध्यायशनि ग्रह 17 जनवरी से ही कुंभ राशि में गोचर कर रहे हैं। इस दौरान 30 जनवरी को अस्त होकर 6 मार्च को उदय हुए थे। अब वे 17 जून 2023 की रात 10 बजकर 48 मिनट पर अपनी वक्री चाल चलेंगे। 4 नवंबर 2023 को प्रात:: 8:26 बजे तक वक्री रहकर एक बार पुन: मार्गी हो जाएंगे। शनि के वक्री होने पर इन 4 राशियों पर असर पड़ेगा और उन्हें संभलकर रहना होगा। आइये जानते हैं ये कौन सी राशियां हैं।मेष राशि : इस राशि में पहले से ही गुरु, राहु और बुध ग्रह विराजमान है। जब जब कुंभ में शनि वक्री होंगे को करिअॅर और नौकरी में इस जातक के लोगों को सतर्क रहना होगा। मेहनत का फल नहीं मिल पाएगा। कार्य का भी अधिक दबाव रहेगा। आपको शारीरिक और मानसिक परेशानी होने के संकेत हैं।कर्क राशि : इस राशि में मंगल देव विराजमान हैं। शनि 8वें भाव में जब वक्री होकर तो यह शुभ नहीं माना जा रहा है क्योंकि इस राशि पर पहले ही शनि की ढैया चल रही है। ऐसे में आपको हर कार्य को बहुत सोच समझकर करना होगा। नौकरीपेशा हैं तो कोई गलत न करें। व्यापारी हैं तो निवेश के जोखिम से बचें। सेहत का भी ध्यान रखना होगा। हालांकि जातक सभी संकटों से बाहर निकल जाएंगे।तुला राशि : इस राशि में केतु ग्रह विराजमान हैं। पंचम भाव से शनि का वक्री गोचर संबंधों के बीच गलतफहमियां पैदा करेगा जिसके चलते तनाव उत्पन्न होगा। नौकरी में सतर्कता से काय करते हुए वाद विवाद से बचकर रहना होगा। छात्रों के लिए यह समय अच्छा नहीं माना जा रहा है। हालांकि इससे आर्थिक हालात पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। माता की सेहत का ध्यान रखना होगा।कुंभ राशि : आपकी राशि में शनिदेव विराजमान होकर वक्री हो रहे हैं। ऐसे में इस राशि के जातक मानसिक तनाव और दबाव महसूस करेंगे। कोई भी फैसला लेने से पहले 10 बार जरूर विचार कर लें। जल्दबाजी में लिया गया फैसला नुकसान दे सकता है। नौकरी में समय सामान्य रहेगा। व्यापारी हैं तो जरूर लाभ होगा। पति-पत्नी के बीच तनाव उत्पन्न हो सकता है।वक्री शनि से बचने के लिए आजमाएं ये उपाय- प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ें।- पराई स्त्री से कभी संबंध न रखें।- कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलाएं।- अभी से ही प्रदोष या अमावस्या का व्रत रखना प्रारंभ कर दें।- रविवार के दिन भैरव महाराज को कच्चा दूध अर्पित करें।- अंधे, अपंगों, सेवकों और सफाइकर्मियों से अच्छा व्यवहार रखें।- शराब पीना, जुआ खेलना, ब्याज का धंधा तुरंत बंद कर दें।- शनिवार के दिन तिल, उड़द, भैंस, लोहा, तेल, काला वस्त्र, काली गौ और जूता दान देना चाहिए।- शनिवार के दिन छाया दान करें अर्थात कटोरी में थोड़ा-सा सरसों का तेल लेकर अपना चेहरा देखकर शनि मंदिर में अपने पापों की क्षमा मांगते हुए रख आएं।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
हिंदू धर्म में गंगा दशहरा का दिन बेहद पावन व पवित्र माना गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। इस साल गंगा दशहरा 30 मई 2023, मंगलवार को है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन ही मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं। कहते हैं कि इस दिन दान-पुण्य करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में वर्णित है कि गंगा दशहरा के दिन कुछ चीजों का दान करने से जातक को जीवन में किसी चीज की कमी नहीं रहती है। गंगा स्नान मात्र से ही व्यक्ति के 10 तरह के पाप कटने की मान्यता है।
गंगा दशहरा शुभ मुहूर्त-
ज्येष्ठ दशमी तिथि प्रारंभ 29 मई 2023 को सुबह 11 बजकर 49 मिनट से और दशमी तिथि का समापन 30 मई को दोपहर 01 बजकर 07 मिनट पर। इस दिन हस्त नक्षत्र 30 मई को सुबह 04 बजकर 29 मिनट से प्रारंभ होगा और 31 मई को सुबह 06 बजे तक रहेगा।
गंगा दशहरा के दिन बन रहे शुभ योग-
गंगा दशहरा के दिन रवि और सिद्धि योग का शुभ संयोग बन रहा है। इस दिन शुक्र का प्रवेश कर्क राशि में हो रहा है। शुक्र के कर्क राशि में जाने से धन योग बनेगा। इस दिन रवि योग पूरे दिन रहेगा। सर्वार्थ सिद्धि योग 29 मई को रोता 09 बजकर 01 मिनट से प्रारंभ होगा और 30 मई को रात 08 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगा। ज्योतिष शास्त्र में सिद्धि व रवि योग को अत्यंत शुभ माना गया है।
गंगा दशहरा के दिन इन चीजों का करें दान-
मान्यता है कि गंगा दशहरा के दिन जिस भी चीज का दान किया जाता है उसकी संख्या 10 होनी चाहिए। जिस वस्तु से पूजन करें उनकी संख्या भी दस होनी चाहिए। कहा जाता है कि ऐसा करने से भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है। इस दिन दक्षिणा भी 10 ब्राह्मणों को देनी चाहिए। गंगा दशहरा के दिन जल, अन्न, फल, वस्त्र, पूजन, श्रृंगार सामग्री, घी, नमक, शक्कर व सवर्ण का दान करना अत्यंत शुभ व लाभकारी माना गया है। - पंडित प्रकाश उपाध्यायगुरुवार 25 मई से गुरु-पुष्य योग का बहुत ही शुभ संयोग बन गया है। वैदिक ज्योतिष में गुरु-पुष्य योग को बहुत ही शुभ माना गया है। गुरु-पुष्य योग में शुभ कार्यों और शुभ खरीदारी करना बहुत ही शुभ माना जाता है। पुष्य नक्षत्र सभी 27 नक्षत्रों में सबसे अच्छा नक्षत्र माना जाता है। इस कारण से सभी नक्षत्रों का इसे राजा कहा जाता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं के अनुसार इस नक्षत्र में किया जाने वाला कार्यों में सफलता जरूर मिलती है। जब भी गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र पड़ता है इस संयोग को गुरु-पुष्य योग कहा जाता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सालभर में गुरु-पुष्य योग दो से तीन बार ही बनता है। जब जब गुरु-पुष्य नक्षत्र का संयोग बनता है तो कुछ राशि के जातकों के ऊपर इसका बहुत ही शुभ प्रभाव देखने को मिलता है। आइए जानते हैं गुरु-पुष्य योग किन-किन राशियों को लाभ दिलाने वाला है।हिंदू पंचांग के अनुसार गुरु-पुष्य योग 25 मई को सूर्योदय के समय से लेकर शाम 05 बजकर 54 मिनट तक है। इस दिन शाम को 05:54 बजे के बाद से अश्लेषा नक्षत्र प्रारंभ है। ऐसे में 25 मई को सुबह से लेकर शाम 05:54 बजे तक शुभ वस्तुओं की खरीदारी कर सकते हैं।वृषभ राशिइस राशि के स्वामी ग्रह शुक्र ग्रह होते हैं और ज्योतिष में शुक्र ग्रह को सुख, वैभव और ऐशोआराम का कारक ग्रह होता है। 25 मई को गुरु-पुष्य योग बनने से नौकरीपेशा जातकों को नई नौकरी की खोज पूरी होगी। आपको अच्छी जगह पर नौकरी के प्रस्ताव मिल सकते हैं। वहीं जो लोग बिजनेस करते हैं उनके लिए इस योग से अच्छी सफलता मिलने के संकेत हैं। व्यापार में अच्छा खासा मुनाफा मिलने के योग हैं। परिवार में सुख-शांति रहेगी और वैवाहिक जीवन में खुशियों के पल बीतेंगे।मिथुन राशिवैदिक ज्योतिष शास्त्र की गणना के मुताबिक मिथुन राशि के जातकों के लिए गुरु पुष्य योग बहुत ही फायदे दिलाने वाला साबित होगा । इन राशि के जातकों को अचानक से धन लाभ के अवसर प्राप्त होंगे। भाग्य का अच्छा साथ मिलने से अंसभव से दिखने वाला कार्य भी बहुत ही आसानी से निपट जाएगा। नौकरी के लिहाज से अच्छा समय आने वाला है आपका प्रमोशन और वेतन में वृद्धि दोनों ही संभव है।सिंह राशिगुरु पुष्य योग का संयोग सिंह राशि के जातकों के लिए किसी तरह से वरदान से कम नहीं होगा। कार्यस्थल पर आपको अच्छे अवसर प्राप्त होंगे। समाज में अच्छा मान-सम्मान हासिल होगा। आपकी विचारों की प्रशंसा हर एक जगह होगी। नौकरीपेशा जातकों के लिए प्रमोशन के योग हैं। नई योजनाएं फलीभूत होंगी।कन्या राशिगुरु पुष्य योग कन्या राशि के जातकों के लिए फायदेमंद रहेगा। रूके और अधूरे काम में गति आएगी जिससे आपकी आर्थिक स्थिति में इजाफा होगा। धन लाभ के बेहतरीन मौके मिलेंगे। सेहत अच्छी रहेगी और समाज के लोगों का समर्थन आपकी तरफ रहेगा।
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
शनि जयंती इस बार 19 मई को मनाई जाएगी. इस दिन शहर के शनि मंदिरों में कई अनुष्ठान होंगे. जब किसी व्यक्ति के ऊपर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या आती है तो वह चिंतित हो जाता है. ऐसे में व्यक्ति को घबराने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि शनि जयंती पर कुछ खास उपाय के जरिए इस प्रभाव को कम कर सकते है.
ज्योतिष को मानने वाले अधिकांश लोग शनि से डरते हैं, लेकिन हकीकत में शनि से डरने की जरूरत नहीं है. शनि एक मात्र ऐसा ग्रह है, जो सबसे अधिक समय तक राशि में रहता है. ऐसे में अगर व्यक्ति की राशि पर ढैय्या या साढ़ेसाती है तो उसे सही रास्ते पर चलना चाहिए जिससे परेशानी के बजाय स्वयं को ताकत मिलेगी.
शनि जयंती पर खासकर जिन लोगों की कुंडली में शनि श्रापित अवस्था में है या किसी पाप ग्रह के साथ है या फिर जिस किसी राशि पर शनि की ढैय्या या साढ़ेसाती चल रही है तो उन्हें शनि जयंती पर शनि देव का सरसों के तेल से अभिषेक करना चाहिए. इसके अलावा शनि मंत्र ‘ओम शं शनैश्चराय नमः’ का जाप करते हुए शमी की पत्तियां चढ़ानी चाहिए. इससे शनि की कुपित दृष्टि से राहत मिलती है.साथ ही हनुमान जी की पूजा-आराधना करने से भी शनि का प्रभाव कम होता है. -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार हिंदू धर्म में जेष्ठ माह की पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है. पंचांग के अनुसार जेष्ठ माह शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 4 जून को होगी. हिंदू कैलेंडर के अनुसार जेष्ठ माह साल का तीसरा महीना होता है. जेष्ठ का अर्थ बड़ा अर्थात विद्वान के रूप में बताया गया है. ऐसे ही जेष्ठ माह की पूर्णिमा भी विशेष तौर पर मनाई जाती है.
हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व माना जाता है. जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली के लिए जेष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन व्रत और पूजा करने का विधान है. जेष्ठ पूर्णिमा का दिन भगवान विष्णु और शिव को समर्पित दिन है. इस दिन पूजा पाठ, दान ध्यान और स्नान करने का महत्व होता है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने, व्रत एवं दान-पुण्य करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है. ऐसे में इस दिन पूजा अर्चना के साथ कुछ उपाय करने से विशेष लाभ प्राप्त होंगे.
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की पूजा का महत्व
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की पूजा करने से अपार धन की प्राप्ति होने की धार्मिक मान्यता भी बताई गई है. कहा जाता है कि इस दिन विधि विधान के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करने से उनकी कृपा सदैव बनी रहती है. ज्येष्ठ पूर्णिमा पर स्नान, ध्यान, दान आदि करने का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन चंद्रमा के निमित्त चीजें दान करने का भी विशेष महत्व बताया गया है. ज्येष्ठ पूर्णिमा पर चांदी, फल, फूल, चावल, शक्कर, जरूरत मंदो को खाना, दही, मोती आदि चीजे दान करने से काफी लाभ मिलता है.
सिद्ध योग मनाई जाएगी ज्येष्ठ पूर्णिमा
ज्येष्ठ पूर्णिमा के महत्व को लेकर हमने ज्योतिष शास्त्र की जानकार से बातचीत की. वह बताती है की साल 2023 में होने वाली पूर्णिमा सबसे खास और महत्वपूर्ण है. ज्येष्ठ पूर्णिमा 4 जून 2023 को रविवार के दिन सिद्ध योग में मनाई जाएगी. सिद्ध योग में किए गए कार्य सिद्ध ही होते हैं. यह पूर्णिमा लोगो के सबसे खास बताई जाती है. यह पूर्णिमा साल में होने वाली सभी पूर्णिमा से बड़ी होती है. यह बिना देरी के फल देने वाली होती है. जेष्ठ माह की पूर्णिमा पर पितरों के निमित्त कार्य करने का विशेष महत्व होता है. -
पं. प्रकाश उपाध्याय
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है। निर्जला एकादशी का महत्व सभी एकादशी में सबसे अधिक होता है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को अतिप्रिय होती है। इस दिन विधि- विधान से भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह में दो बार एकादशी पड़ती है। साल में कुल 24 एकादशी पड़ती है। आइए जानते हैं निर्जला एकादशी डेट, पूजा- विधि, महत्व, शुभ मुहूर्त और सामग्री की पूरी लिस्ट...
कब है निर्जला एकादशी--
इस साल 31 मई, 2023 को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
मुहूर्त-
एकादशी तिथि प्रारम्भ - मई 30, 2023 को 01:07 पी एम बजे
एकादशी तिथि समाप्त - मई 31, 2023 को 01:45 पी एम बजे
पारण (व्रत तोड़ने का) समय - 1 जून, 2023 को 05:24 ए एम से 08:10 ए एम
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय - 01:39 पी एम
इस व्रत में इस नियम का पालन किया जाता है
निर्जला एकादशी के व्रत में पानी का सेवन भी नहीं किया जाता है। इस दिन जल का त्याग करना होता है।
मिलता है सालभर की एकादशी व्रत करने का फल
निर्जला एकादशी का व्रत रखने से सालभर की एकादशी व्रत का फल मिल जाता है।
निर्जला एकादशी पूजा- विधि------
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
भगवान की आरती करें।
भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
निर्जला एकादशी महत्व---
इस पावन दिन व्रत रखने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है।
इस व्रत को करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी का व्रत रखने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
एकादशी पूजा सामग्री लिस्ट--
श्री विष्णु जी का चित्र अथवा मूर्ति
पुष्प
नारियल
सुपारी
फल
लौंग
धूप
दीप
घी
पंचामृत
अक्षत
तुलसी दल
चंदन
मिष्ठान -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
वट सावित्री 19 मई को है। ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन वट सावित्री का व्रत रखा जाता है। अमावस्या तिथि 18 मई को रात में 9:02 मिनट से प्रारंभ होगी और 19 मई को रात 8: 32 मिनट तक रहेगी। ऐसे में वट सावित्री का व्रत 19 मई को ही रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि मान्यताओं के अनुसार वट सावित्री के दिन सुहागिन महिलाएं वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस पेड़ में भगवान विष्णु, ब्रह्मा जी और शिवजी का वास है। इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा करने से पति और परिवार को सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है और पति की अकाल मृत्यु का खतरा टल जाता है।
पूजा- विधि
इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
इस पावन दिन वट वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व होता है।
वट वृक्ष के नीचे सावित्रि और सत्यवान की मूर्ति को रखें।
इसके बाद मूर्ति और वृक्ष पर जल अर्पित करें।
इसके बाद सभी पूजन सामग्री अर्पित करें।
लाल कलावा को वृक्ष में सात बार परिक्रमा करते हुए बांध दें।
इस दिन व्रत कथा भी सुनें।
इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
वट सावित्रि पूजा सामग्री की लिस्ट
सावित्री-सत्यवान की मूर्तियां
बांस का पंखा
लाल कलावा
धूप
दीप
घी
फल
पुष्प
रोली
सुहाग का सामान
पूडियां
बरगद का फल
जल से भरा कलश - बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायरसोईघर किसी भी मकान का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। रसोईघर के वास्तु में की गई गलती घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ाती है और इसका बुरा असर पूरे परिवार पर पड़ता है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए वास्तु शास्त्र में कुछ चीजों को रसोईघर में रखने की सख्त मनाही की गई है।रसोई में न रखें ये चीजें-रसोई में टूटे हुए या चटके हुए बर्तनों का ना तो कभी इस्तेमाल करें और ना ही उसव वहां रखें। टूटे-फूटे बर्तन आर्थिक तंगी का कारण बनते हैं।-सुरक्षा की दृष्टि से घर में फस्र्ट एड किट का होना जरूरी है, लेकिन इसे किचन में रखने की गलती न करें। वास्तु के मुताबिक रसोई में दवाइयां रखने से घर का मुखिया हमेशा बीमार बना रहता है। वहीं अन्य सदस्यों को भी कोई न कोई बीमारी हो जाती है।-सही जगह पर आइना लगाना घर में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ा देता है लेकिन रसोईघर में आईना का इस्तेमाल घर में क्लेश का कारण बन सकता है।-रसोई में हमेशा उपयोगी और अच्छी चीजें ही रखना चाहिए और रसोई को हमेशा साफ रखना चाहिए। रसोई में रात भर छोड़े जूठे बर्तन छोडऩे से मां लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं और यह आर्थिक तंगी का कारण बनते हैं। इसलिए यदि आप इन्हें साफ नहीं कर पाते हैं, तो पानी से अच्छी तरह से धोकर रखें।-रात भर रखा रहने वाला गुथा हुआ आटा घर पर शनि और राहु का नकारात्मक प्रभाव डालता है। इसीलिए कभी भी बासी आटे की रोटी नहीं बनानी चाहिए।----
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-पं. प्रकाश उपाध्याय
हर व्यक्ति अपने जीवन में धन को लेकर सुरक्षित रहना चाहता है। हर व्यक्ति चाहता है कि उसे कभी भी जीवन में किसी के आगे धन के मामले में हाथ ना फैलाना पड़े। जिसके लिए वह दिन-रात परिश्रम करके धन कमाता है और उसे बुरे वक्त के लिए जोड़कर रखता है, लेकिन कई बार व्यक्ति के लाख प्रयास करने के बावजूद उसे अपनी मेहनत का फल प्राप्त नहीं होता।
जिस वजह से कई बार वह हताश और निराश सा हो जाता है। इसी वजह से रत्न शास्त्र में कई सारे ऐसे चमत्कारी रत्नों के बारे में बताया गया है, जिसे पहनने मात्र से व्यक्ति को जीवन में धन से जुड़े मामलों में सफलता प्राप्त होती है। ऐसे ही कुछ रत्नों के बारे में हम आपको बताने वाले हैं। उपरोक्त रत्न यदि आप धारण करते हैं, तो अवश्य ही इससे आपको जीवन में धन के विषय में अत्यधिक चिंता करने की आवश्यकता नहीं रहती है।
ग्रीन एवेंच्युरिन
रत्न शास्त्र के मुताबिक,उपरोक्त रत्न यदि कोई व्यापारी व्यक्ति पहनता है, तो उसके व्यापार में पैसों की आवक बनी रहती है। यह रत्न धन के मामले में काफी लकी माना गया है, जो भी व्यक्ति इस रत्न को धारण करता है, वह जीवन में कभी भी धन को लेकर चिंतित नहीं रहता।
सुनहला रत्न
धन के मामले में यह रत्न भी बेहद चमत्कारी माना गया है। यदि आपका कोई काम नहीं बन रहा है, तो सुनहला रत्न पहनने मात्र से आपके जीवन में आपको तरक्की प्राप्त होती है और आपके काम बिना रुके पूर्ण हो जाते हैं। इस रत्न को पहनने से आपको अपने निर्धारित लक्ष्य की भी प्राप्ति अवश्य हो जाती है।
गारनेट रत्न
रत्न शास्त्र में इस रत्न को भी बेहद उपयोगी बताया गया है। इस रत्न को धारण करने से आपको अपने कर्जों से जल्द छुटकारा मिलता है, इसके साथ ही यह रत्न आपको आपके प्रत्येक काम में धन का फायदा कराता है।
मैलाकाईट
यह रत्न भी धन के मामले में बेहद लकी माना जाता है। कहा जाता है जो भी व्यक्ति इस रत्न को अपने पर्स में रखता है, उसके धन में वृद्धि अवश्य होती है। इस रत्न को ऊर्जा चुंबकीय भी कहा जाता है, जिस कारण इसे अपने पास रखने मात्र से व्यक्ति के धन में बढ़ोतरी होती है।
पाइराइट
यह रत्न व्यक्ति के धन में वृद्धि के साथ-साथ उसके भाग्य को भी चमकाता है। इस रत्न को धारण करने से व्यक्ति के जीवन में धन का आवागमन बढ़ जाता है, और उससे अपने प्रत्येक कार्य में सफलता प्राप्त होने लगती है।
ग्रीन जेड
यह रत्न व्यक्ति की वित्तीय क्षमताओं को पूर्ण करने में सहायता प्रदान करता है। इसके साथ ही इसके प्रयोग से व्यक्ति को निर्णय लेने में आसानी रहती हैं। यह रत्न व्यक्ति को धन का लाभ भी कराता है। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की दक्षिण-पूर्व दिशा में पीला रंग से पेंट कराया जाना सही नहीं माना जाता है। ऐसा करने पर कई परेशानियां भी हो सकती हैं। इसके अलावा, घर के कई सदस्य बीमारी के चपेट में भी आ सकते हैं। घर के दक्षिण-पूर्व दिशा में पीला रंग कराने से कोई विशेष लाभ नहीं होता है। आइए जानते हैं ऐसा करने से क्या-क्या हानि हो सकती है।
1.पीले रंग का प्रयोग करने से इस रंग से जुड़ी दिशाओं के तत्व निश्चित रूप से परिवार के मुखिया और माता के स्वास्थ्य को हानि पहुंचाती है।
2. पीला रंग दक्षिण-पूर्व दिशा, घर के मध्य और कुछ हद तक घर के उत्तर-पूर्व से जुड़ा होता है। इसलिए अग्नि कोण में पीला रंग होने से इन दिशाओं से जुड़े तत्वों को नुकसान होना तय है।
3. खनिजों और विटामिनों की कमी, परिवार के मुखिया को पेट संबंधी समस्या, हाथों में दर्द, छोटे बेटे को परेशानी और जीवन में बार-बार रुकावटें आने लगती हैं। इसलिए कोशिश करें कि आग्नेय दिशा में पीले रंग का प्रयोग न करें। -
पं. प्रकाश उपाध्याय
ज्योतिष शास्त्र में हस्त रेखा को बहुत बड़ा महत्व दिया गया है। माना जाता है कि हस्तरेखा की सहायता से किसी व्यक्ति के भविष्य का अनुमान लगाया जा सकता है। हस्तरेखा ज्योतिष में किसी व्यक्ति के हाथ के आकार, हथेली की लकीर आदि का अध्ययन करके उस व्यक्ति के भविष्य की जानकारी का पता लगाया जाता है। आइए जानते उन रेखाओं के बारे में जिनसे जिंदगी की महत्वपूर्ण बातों का पता लगाया जा सकता है।1.विवाह रेखायह रेखा छोटी वाली उंगली के नीचे समानांतर पाई जाती है। ये रेखा जितनी साफ होगी वैवाहिक जीवन उतना ही अच्छा होगा। इस रेखा के ऊपर या नीचे की तरफ जाने से विवाह समस्या का कारण बनता है। इस रेखा का टूटा होना विवाह विच्छेद का कारण बनता है।2.प्रेम रेखाचंद्रमा या शुक्र पर्वत पर छोटी रेखाओं का होना प्रेम की सूचना देता है। अगर यह खासकर गुलाबी हो तो प्रेम संबंध की शुरुआत मानी जाती है। वहीं जब यह अत्यंत उभरा हुआ हो तो प्रेम विवाह के योग बनते हैं। अगर दोनों पर्वतों पर जाल हो तो प्रेम विवाह में सफलता नहीं मिलती है।3.संतान रेखाविवाह रेखा के ऊपर और शुक्र पर्वत की जड़ में संतान रेखा की स्थितियां होती हैं। यहां पाए जाने वाले क्रॉस, तिल, शाखा संतानोत्पत्ति में परेशानी खड़ी करते हैं।4.रोजगार रेखाशनि पर्वत पर पाई जाने वाली रेखा और हाथ में ऊपर उठने वाली रेखा रोजगार के क्षेत्र को निर्धारित करती है। अगर पर्वतों का उभार कम और हाथ की रंगत कम हो तो इससे रोजगार में समस्या आती है।5.स्वास्थ्य रेखाजीवन रेखा से बुध पर्वत की ओर जाने वाली रेखा से स्वास्थ्य के बारे में जाना जा सकता है। इस रेखा पर अगर वर्ग हो तो बहुत उत्तम होता है। लेकिन अगर क्रॉस, स्टार जैसे चिन्ह रेखाओं पर हो तो इसे अच्छा नहीं मानी जाता है। -
-पं. प्रकाश उपाध्याय
सनातन परंपरा के अनुसार प्रतिदिन की जाने वाली ईश्वर की पूजा साधक को शुभ फल देने वाली मानी गई है. हिंदू मान्यता के अनुसार तमाम तरह की देवी-देवताओं की पूजा करने से न सिर्फ घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है, बल्कि साधक के जीवन से दु:ख-दरिद्रता भी दूर होती है. हिंदू धर्म में प्रत्येक देवी-देवता की पूजा करने का अलग-अलग विधान बताया गया है. उनके पूजा में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री भी अलग होती है. ईश्वर से जुड़ी हर पूजा या फिर अनुष्ठान में फूल का प्रयोग किया जाता है. बगैर फूल के किसी भी भगवान की पूजा अधूरी मानी जाती है.
धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रत्येक देवी-देवता को अलग-अलग प्रकार के फूल पसंद होते हैं. पूजा करते समय यदि आप उनके पसंद का फूल अर्पित करते हैं तो आपको अधिक फल प्राप्त होते हैं. आपकी मनचाही इच्छाएं भी पूर्ण हो जाती हैं और भगवान की विशेष कृपा बनी रहती है. आइए जानते हैं कौन से देवी-देवता को किस तरह के फूल अर्पित करने से प्राप्त होते हैं शुभ फल.
गणेश भगवान –
हिंदू धर्मिक मान्यता के अनुसार किसी भी मांगलिक या शुभ कार्य प्रारंभ करने से पहले भगवान गणेश की आराधना की जाती है. ऐसे में उनकी पूजा करते समय ध्यान न सिर्फ उनकी प्रिय दूर्वा बल्कि उनकी पसंद का फूल भी चढ़ाएं. हिंदू मान्यता के अनुसार गणपति को गुड़हल और गेंदा का पुष्प बहुत प्रिय है. ऐसे में उनकी पूजा में इसे जरूर रखें. भगवान गणेश की पूजा में कभी भूलवश भी तुलसीदल न चढ़ाएं.
शिव भगवान –
माना जाता है कि भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उन पर एक लोटा जल चढ़ाना लाभकारी माना जाता है लेकिन यदि आप इसके साथ उन्हें बेलपत्र, धतूरा, सफेद आक का फूल, अक्षत, कुश आदि चीजें अर्पित करते हैं तो आपको पूजा के शुभ फल प्राप्त होते हैं।
भगवान विष्णु –
धार्मिक मान्यता के अनुसार श्री हरि को तुलसी जी अति प्रिय हैं. ऐसे में विष्णु पूजा करते समय तुलसी के पत्तों की इस्तेमाल अवश्य किया जाता है, लेकिन यदि पूजा करते समय उन्हें कमल, चमेली, वैजयंती का फूल चढ़ाया जाए तो वे शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं.
मां लक्ष्मी –
धन की देवी माने जाने वाली माता लक्ष्मी जिस भी भक्त पर प्रसन्न रहती हैं उनके जीवन में कभी आर्थिक परेशानियां नहीं आती है. उन्हें प्रसन्न करने के लिए- पूजा के दौरान- उन पर कमल के पुष्प अर्पित करें. यह बहुत लाभकारी माना जाता है.
हनुमान जी –
पौराणिक कथाओं के अनुसार हनुमान जी कलयुग के देवता माने जाते हैं. उनको प्रसन्न करने के, हनुमान पूजा करते समय उन पर लाल रंग के पुष्प अर्पित करें, जैसे की लाल गेंदे का फूल, गुड़हल आदि. -
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार व्यक्ति के जीवन में रत्नों का काफी महत्व होता है। ज्योतिष के अनुसार रत्नों को धारण करने से ग्रहों के अशुभ प्रभाव को दूर किया जा सकता है। इसके अलावा, आपके रुके हुए काम में भी सफलता मिल सकती है। ऐसे ही एक रत्न पुखराज के बारे में आज जानेंगे जिसे येलो सफायर भी कहते हैं। इसे बृहस्पति ग्रह का रत्न माना जाता है और बृहस्पति- ज्ञान, भाग्य, समृद्धि और खुशी प्रदान करने वाले देवता माने जाते हैं।
अगर आप पुखराज नहीं खरीद सकते हैं तो इसका उपरत्न टोपाज भी धारण कर सकते हैं। यह भी काफी कारगर और लाभदायी होता है। लेकिन कहा जाता है कि वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर, कुंभ और लग्न वाले लोगों को ये रत्न पहनने से बचना चाहिए। वहीं धनु और मीन वालों के लिए इस रत्न को धारण करना बेहद शुभ माना गया है। आइए जानते हैं इन दोनों राशि वालों को इस रत्न को कब और कैसे धारण करना चाहिए।
धनु राशि
धनु राशि का स्वामी बृहस्पति माना जाता है। इस राशि वाले जातक स्वभाव से मेहनती और साहसी होते हैं। इनमें किसी भी काम को करने के लिए गजब ऊर्जा होती है। ऐसा कहा जाता है कई बार इनके अधिक जोश की वजह से भी इनके कुछ काम बनते-बनते बिगड़ जाते हैं। ऐसे में इस राशि वाले जातकों को पुखराज पहनने की सलाह दी जाती है। यह रत्न आपके अंदर धैर्य रखने के साथ मन को शांत रखने में भी मदद करता है।
मीन राशि
मीन राशि का भी स्वामी बृहस्पति माना जाता है। मीन राशि वाले लोग काफी आध्यामिक होते हैं। माना जाता है कि इस राशि के लोगों के लिए पुखराज तनाव कम करने में मदद करता है। साथ ही यह मीन राशि वाले लोगों के दिमाग और मन को भी शांत रखता है। अगर इस राशि के बिजनसमैन पुखराज धारण करते हैं तो उन्हें व्यापार को आगे बढ़ाने में मदद मिलती है। इसके अलावा, यह रत्न आपको बीमारियों से भी बचाता है।
कब और कैसे करें रत्न धारण
पुखराज धारण का सबसे शुभ दिन एकादशी या फिर गुरुवार होता है। पुखराज को सोने की अंगूठी में इस तरह से जड़वाएं कि पहनने के बाद यह पीछे से आपकी त्वचा को टच करें। गुरुवार के दिन सुबह स्नान करने के बाद इस अंगूठी को दूध और गंगाजल में डालें। इसके बाद इसको शहद से स्नान करवाएं। उसके बाद इसे साफ पानी से धोने के बाद अपनी तर्जनी उंगली (Index Finger) में पहन लें। इसे पहनते समय 'ऊं ब्रह्म ब्र्हस्पतिये नम' मंत्र का जाप जरूर करें।