- Home
- धर्म-अध्यात्म
-
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
छोटी-छोटी चीजों को मिलाने के बाद ही एक मकान घर बनता है. घर की हर छोटी चीज का अपना अलग महत्व और योगदान है. ये चीजें घर में सम्पन्नता और समृद्धि के द्वार को खोलती हैं. घर में रखी ये चीजें इंसान को भाग्यशाली बनाती हैं. लेकिन इनका गलत प्रयोग हमारी मुश्किलें बढ़ा सकता है. आर्थिक मोर्चे पर हमें कंगाल कर सकता है.
आइए आज घर की छोटी-छोटी चीजों के भाग्य पर असर के बारे में विस्तार से जानते हैं.
झाड़ू
झाड़ू को घर की आर्थिक स्थिति से जोड़कर देखा जाता है. झाड़ू का अनादर करना, पैर लगना, फेंकना या घर में टूटी झाड़ू रखना आर्थिक तंगी को बढ़ावा देता है. वास्तु के अनुसार, झाड़ू को घर में छुपाकर रखना चाहिए. इसके हाथ वाले हिस्से को हमेशा नीचे रखना चाहिए. सूर्यास्त के समय और सूर्यास्त के बाद झाड़ू लगाने से निश्चित ही घर में नकारात्मक ऊर्जा और दरिद्रता का प्रभाव बढ़ता है.
कैंची
कैंची घर के रिश्तों में बड़ी भूमिका निभाती हैं. इसके गलत प्रयोग से घरेलू रिश्ते बिगड़ सकते हैं. वास्तु के अनुसार, कैंची को कपड़े या कागज में लपेटकर रखने से रिश्ते बेहतर बने रहते हैं. बिना कारण कैंची न चलाने से बचना चाहिए. इससे घर में वाद-विवाद बढ़ता है और रिश्ते खराब होते हैं. कैंची कभी भी दूसरों को न दें. इससे उस इंसान से आपके संबंध खराब हो सकते हैं.
चाकू
घर में रहने वाले लोग कैसे हैं और घर में संतान की स्थिति क्या होगी, ये आप चाकू देखकर जान सकते हैं. चाकू हमेशा किचन में उल्टा रखना चाहिए. इसकी धार नीचे रहनी चाहिए. इससे संतान पक्ष बेहतर रहता है. बिना धार वाला चाकू या जंग लगा चाकू आकस्मिक स्वास्थ्य समस्याएं दे सकता है. घर में बहुत बड़ा चाकू रखने से दांपत्य जीवन पर बुरा असर पड़ता है. अगर कोई व्यक्ति आपको धार वाली तरफ से चाकू दे तो समझ लें कि वह व्यक्ति स्वार्थी है.
पायदान
पायदान से घर में खुशियां भी आती हैं और मुश्किलें भी. पायदान हमेशा साफ होना चाहिए. ये कटा-फटा बिल्कुल न हो. गंदा और फटा हुआ पायदान घरेलू समस्याओं को बढ़ावा देता है. पायदान को रोज सुबह साफ करके दरवाजे पर रखें और ईश्वर से आगमन की प्रार्थना करें. पायदान पर स्वस्तिक, शंख आदि चिह्न न हों. इससे आपके घर में विपत्तियां आने लगेंगी.
घर में कभी न रखें ये चीजें
वास्तु के अनुसार, घर में भूलकर भी कांटेदार पौधे, ताजमहल, रोते हुए बच्चे, महाभारत, हिंसक पशु या फिर किसी युद्ध की तस्वीर नहीं लगानी चाहिए. ऐसी तस्वीरें घर के भीतर नकारात्मकता लाती हैं. इसके अलावा, आपके घर के नल कभी खराब नहीं होने चाहिए. घर में खराब पड़े इलेक्ट्रोनिक डिवाइस भी नकारात्मकता को बढ़ावा देते हैं. -
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
मां लक्ष्मी की पूजा-अराधना हर कोई उन्हें प्रसन्न रखना चाहता है। इसके लिए लोग विभिन्न उपाय करते हैं। धन-समृद्धि के लिए लोग घर में मनी प्लांट भी लगाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि मनी प्लांट को घर में लगाने से धन-समृद्धि बनी रहेगी और सकारात्मकता का वास होगा। अब हम आपको बताएंगे कि मनी प्लांट को घर में लगाने के बाद शुक्रवार को धन लाभ पाने के लिए क्या उपाय करने चाहिए। शुक्रवार मां लक्ष्मी की अराधना के लिए बहुत खास है।
इसलिए शुक्रवार को मनी प्लांट की जड़ में लाल रंग का धागा बांधना चाहिए। इससे धनलाभ तो होता ही साथ ही घर में सकारात्मकता भी बनी रहती है। यह भी कहा जाता है कि शुक्रवार को मनी प्लांट की जड़ में कच्चा दूध अर्पित करनी चाहिए। ऐसा करने से जो धन आता है, उसमें तेजी आती हैं। अगर आपको रात में सोने में परेशानी होती है तो आप इसे अपने बेडरुम में किसी कोने में रख सकते हैं।
मनी प्लांट को रोज पानी देने और पर्याप्त रोशनी से यह 12 फीट तक भी बढ़ सकता है। अगर आप चाहते हैं आपके जीवन में गुडलक आता रहे तो हमेशा मनी प्लांट की अच्छे से देखभाल करें। मनी प्लांट को हमेशा अपने घर में अंदर ही रखना चाहिए। घर के बाहर नहीं रखना चाहिए। -
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
कई बार लोग अच्छी कमाई करते हैं लेकिन धन का संचय नहीं कर पाते हैं। जबकि कुछ लोग कम कमाई करते हैं लेकिन उनके हाथ में धन सदैव रहता है। अगर आपके हाथ में धन नहीं टिकता है तो वास्तु शास्त्र में कुछ आसान उपाय बताए हैं। कई बार वास्तु दोष के कारण भी घर में धन का आगमन नहीं होता है। जानें घर संचय के लिए सरल वास्तु टिप्स-
1. घर की इस दिशा में न रखें कूड़ादान- घर की साफ-सफाई का सीधा प्रभाव हमारी आर्थिक स्थिति पर पड़ता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के उत्तर पूर्व यानी ईशान कोण में कूड़ादान या कचरा नहीं रखना चाहिए। मान्यता है कि इस दिशा में गंदगी रखने से घर में धन का आगमन नहीं होता है।
2. नल से नहीं टपकना चाहिए पानी- वास्तु शास्त्र के अनुसार, टोंटी से निरंतर पानी टपकना अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि यह अशुभता का संकेत हैं। नल से पानी गिरते रहने से धन खर्च में वृद्धि होती है। इससे घर में बरकत का वास नहीं होता है।
3. रसोई घर इस दिशा में न बनाएं- वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर की रसोई आग्नेय कोण यानी दक्षिण-पूर्व दिशा में होनी चाहिए। पश्चिम दिशा में रसोई घर होने से घर में धन का आगमन अच्छा रहता है लेकिन बरकत नहीं होती है। यानी धन आते ही खर्च होता रहता है।
4. तिजोरी की दिशा- घर में तिजोरी की दिशा का प्रभाव आर्थिक स्थिति पर पड़ता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, तिजोरी को दक्षिण दिशा की दीवार से सटाकर इस तरह से बनवाना चाहिए ताकि उसका मुख उत्तर दिशा की ओर रहे। मान्यता है कि तिजोरी का मुख उत्तर दिशा की ओर होने से मां लक्ष्मी का घर में आगमन होता है।
5. टूटा बेड न रखें- घर में कोई भी टूटी-फूटी चीज नहीं रखनी चाहिए। वास्तु नियमानुसार, घर में टूटा हुआ बेड या पलंग नहीं रखना चाहिए इससे आर्थिक तंगी दूर होती है और घर में धन का आवक बढ़ता है। -
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
होली सनातनियों के सबसे बड़े त्योहार में से एक है। कांशी पंचाग के अनुसार होलिका दहन के उपरांत शुभ कार्य के सभी दरवाजे खुल जाते हैं। दो दिनों का यह त्योहार खुशिंया लेकर आता है। लेकिन यह त्योहार जितना महत्वपूर्ण है इससे मनाने वाला काल (समय) भी उतना ही महत्वपूर्ण है। क्योंकि भद्रा काल में होलिका दहन नहीं होता। इस काल में अगर होलिका दहन किया जाता है तो इसका काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए तिथि की भूमिका अहम हो जाती है।
प्रदोष काल में सात मार्च को होलिका दहन :
पंड़ित प्रकाश उपाध्याय बतातें हैं कि काशी पंचाग के अनुसार सात मार्च को होलिका दहन की जाएगी। बतातें हैं कि होलिका दहन प्रदोष काल में करना उत्तम होता है। फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि 06 मार्च दिन मंगलवार को शाम 04.17 बजे प्रारंभ होगी और इस तिथि का समापन सात मार्च दिन बुधवार को शाम 6.10 बजे होगा। फाल्गुन पूर्णिमा तिथि में प्रदोष काल में होलिका दहन होती है। ऐसे में इस साल होलिका दहन सात मार्च दिन मंगलवार को होगा।
सुबह में भ्रदा, होलिका दहन के लिए ढ़ाई घंटे का समय :
होलिका दहन के दिन सात मार्च को भद्रा सुबह 5.15 बजे तक है। ऐसे में प्रदोष काल में होलिका दहन के समय भद्रा का साया नहीं रहेगा। सात मार्च को होलिका दहन का मुहूर्त शाम को 6.24 बजे से रात 8.51 बजे तक है। इस दिन होलिका दहन का कुल समय दो घंटे 27 मिनट का है।
आठ मार्च को मनाई जाएगी होली :
होलिका दहन के अगले दिन होली का त्योहार मनाया जाएगा। ऐसे में इस साल होली का त्योहार आठ मार्च दिन बुधवार को मनाया जाएगा। आठ मार्च को चैत्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि शाम 07 बजकर 43 मिनट तक है। -
पंडित प्रकाश उपाध्याय
भगवान शिवजी की पूजा-आराधना और मंत्रोचार से व्यक्ति के जीवन में चल रही कई प्रकार की परेशानियां फौरन ही दूर हो जाती हैं. शास्त्रों में सोमवार, प्रदोष व्रत, शिवरात्रि और महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ की पूजा-आराधना का विशेष महत्व होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है. इस बार महाशिवरात्रि का त्योहार 18 फरवरी को है. वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी 12 राशियों में से कुछ ऐसी राशियां होती है जिन पर भोलनाथ की विशेष कृपा हमेशा रहती है.
आइए जानते है भगवान शिव की प्रिय राशि वालों लोगों को इस महाशिवरात्रि पर कैसे पूजा करनी चाहिए.
मेष राशि
राशिचक्र में मेष राशि पहली राशि होती है. मेष राशि के स्वामी ग्रह मंगलदेव होते हैं. मेष राशि भगवान की प्रिय राशियों में से एक होती है. मेष राशि के लोगों के लिए महाशिवरात्रि का पर्व बहुत ही शुभ रहने वाला होगा. इस दिन भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होगी और हर तरह की मनोकामनाएं जल्द ही पूरी होंगी.
वृष राशि
इस राशि के स्वामी ग्रह शुक होते हैं. शुक्र सुख, वैभव और ऐशोआराम प्रदान करने वाला ग्रह माना जाता है. इसके अलावा शुक्रदेव भगवान शिव के भक्त हैं. ऐसे में महाशिवरात्रि पर इस राशि के लोगों पर भोलेनाथ की विशेष कृपा मिलती है. बाधाएं दूर होती हैं.
मिथुन राशि
मिथुन राशि पर बुध ग्रह का आधिपत्य हासिल है. यानी मिथुन राशि के स्वामी बुधदेव हैं. बुध ग्रह को चंद्रदेवता के कुल का माना जाता है. ऐसे में भगवान शिव की विशेष कृपा इस राशि पर हमेशा होती है. इस बार महाशिवरात्रि पर मिथुन राशि के जातकों को कई तरह के शुभ समाचार प्राप्त होंगे.
कर्क राशि
कर्क राशि के स्वामी चंद्र देव हैं और चंद्रमा भोलेनाथ के भक्त हैं. भगवान शिव अपने माथे पर हमेशा चंद्र धारण करते हैं इसलिए कर्क राशि भगवान शिव की प्रिय राशियों में से एक होती है. महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ को गंगाजल से अभिषक करने पर सभी तरह की मनोकामनाएं जल्दी पूरी हो जाती हैं.
सिंह राशि
सिंह राशि के स्वामी ग्रह सूर्यदेव हैं. सूर्यदेव भगवान शिव की आराधना करते हैं. सिंह राशि पर भी भोलेनाथ की कृपा बनी रहती है. शिवजी हर तरह की मनोकामना को पूरा करने के लिए सिंह राशि के जातकों पर मेहरनबान रहते हैं. ऐसे में इस राशि के जातकों को महाशिवरात्रि पर शिवजी की विशेष पूजा-आराधना करनी चाहिए.
तुला राशि
तुला राशि के स्वामी भी शुक्र देव हैं. ऐसे में महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ का आशीर्वाद आपके ऊपर रहेगा. महाशिवरात्रि पर शिवजी की पूजा-उपासना करने पर आपको सभी संकटों से मुक्ति मिलेगी.
मकर राशि
मकर राशि के स्वामी ग्रह शनिदेव होते हैं. शनिदेव महादेव की भक्त हैं. ऐसे में यह राशि भी भोलेनाथ की प्रिय राशियों में से एक होती है. भगवान शिव और शनि दोनों का ही इस राशि पर विशेष कृपा बनी रहती है. ऐसे में इस महाशिवरात्रि पर भोलनाथ का जलाभिषेक और मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए.
कुंभ राशि
शनिदेव मकर राशि के अलावा कुंभ राशि राशि के भी स्वामी ग्रह हैं. ऐसे में यह राशि भी भोलेनाथ की प्रिय राशियों में एक राशि होती है. - बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायरुद्राक्ष शब्द की व्युत्युपत्ति , दो अलग-अलग शब्दों 'रुद्र' और 'अक्ष' से हुई है। 'रुद्र' शब्द भगवान शिव का वैदिक नाम है और 'अक्ष' शब्द का अर्थ है आंसूओं की बूंदें। इस प्रकार रुद्राक्ष का अर्थ है भगवान शिव के आंसू। आपने लोगों को कई कामों के लिए रुद्राक्ष धारण करते हुए देखा होगा । रुद्राक्ष मुख्य रूप से शक्ति प्राप्प्त करने और स्वस्थ जीवन जीने के लिए पहना जाता है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसान रुद्राक्ष भगवान शिव से जुड़ा हुआ है इसलिए जो भी व्यक्ति इसे धारण करता है उसे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। रुद्राक्ष प्राचीन काल से अपने औषधीय और दैवीय गुणों के लिए हिंदुओं और बौद्धों के बीच लोकप्रिय है।आज हम रुद्राक्ष के कुछ प्रकारों की जानकारी दे रहे हैं, माना जाता है कि इन्हें धारण करने से सुखी जीवन जीने में मदद मिलती है।गौरी शंकर रुद्राक्षप्राकृतिक रूप से जुड़े दो रूद्राक्षों को गौरी शंकर रूद्राक्ष कहा जाता है। यह रूद्राक्ष भगवान शिव एवं माता पार्वती का प्रत्यक्ष स्वरूप है। इसे धारण करने वाले को शिव और शक्ति दोनों की कृपा प्राप्त होती है। यह रूद्राक्ष गृहस्थ सुख की प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि गौरी शंकर रुद्राक्ष न केवल पहनने वालों और उनके लाइफ पार्टनर के बीच बल्कि उनके परिवार और दोस्तों के साथ भी प्रगाढ़ता बढ़ाता है। संतान प्राप्ति चाहते हैं तो इस गौरी शंकर रुद्राक्ष को जरूर पहनें। इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति के ज्ञान में वृद्धि होती है और जीवन में सही दिशा में चलने में मदद मिलती है। चमत्कारिक गौरी शंकर रुद्राक्ष का स्वामी ग्रह शुक्र हैं इसलिए इसे पहनने से व्यक्ति को जीवन का हर तरह का भौतिक सुख मिलता है।दो मुखी रुद्राक्षमाना जाता है कि दो मुखी रुद्राक्ष शादी संबंधित समस्यों को कम करने में मदद करता है। इसका प्रयोग आप तब भी कर सकते है जब आपकी शादी में देरी हो रही हो। यह निर्णय लेने की क्षमता में सुधार लाता है।- चार मुखी रुद्राक्षचार मुखी रुद्राक्ष ग्रहों के प्रभाव को कम करने के लिए सबसे अच्छा माना जा ता है जो सुखी मैरिड लाइफ में बाधाएं कम करने में मदद करता है। यह हमें अपने निकट के लोगों के प्रति अधिक समझदार और प्रेमपूर्ण होने के लिए प्रोत्साहित करता है।-पंचमुखी रुद्राक्षपंचमुखी रुद्राक्ष सुरक्षित होता है और यह पुरुषों, महिलाओं और बच्चों, हर किसी के लिए अच्छा है। यह सामान्य खुशहाली, स्वास्थ्य और स्वतंत्रता के लिए है। यह आपके ब्लड प्रेशर को कम करता है, आपकी तंत्रिकाओं को शांत करता है और स्नायु तंत्र में एक तरह की शांति और सतर्कता लाता है।-छह मुखी रुद्राक्षहिंदू ज्योतिष के अनुसानु छह मुखी रुद्राक्ष को किसी व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति ग्रह को मजबूत करने के लिए धारण किया जाता है। यह व्यक्ति की शादी जल्दी कराने में भी मदद करता है। रिश्तों में परेशानी का सामना कर रहे मैरिड कपल्स को भी इसे पहनने की सलाह दी जाती है।-सात मुखी रुद्राक्षसात मुखी रुद्राक्ष विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए है जो शादी में समस्याओं का सामना कर रही हैं। सही जीवन साथी पाने के लिए उन्हें मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए और 16 सोमवार का उपवास भी करना चाहिए।-तेरह मुखी रुद्राक्षतेरह मुखी रुद्राक्ष आपके मन में शांति लाने में मदद करता है और आपके आस-पास की बुराइयों को दूर करता है। यह जीवन में सकारात्मकता भी लाता है और आपके परिवार और दोस्तों के साथ आपके संबंधों को बढ़ाने में मदद करता है।-पन्द्रह मुखी रुद्राक्षअगर आपका दिल टूटा है और इससे उबरने के दौरान आपको परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, तो 15 मुख रुद्राक्ष आपक
-
धन के बिना जीवन अकल्पनीय है। धन-दौलत हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है। पैसा कमाने व बचत करने के लिए लोग दिन-रात मेहनत करते हैं। लेकिन कई बार पैसा कमाने के बाद भी जातक को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। अगर तमाम कोशिशों के बाद भी आपको धन संबंधी परेशानियां बनी रहती हैं और धन हाथ में नहीं टिकता है तो आप भी वास्तु शास्त्र में वर्णित ये आसान उपाय कर सकते हैं। मान्यता है कि इन उपायों का पालन करने से जातक की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
1. भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर-
घर में भगवान गणेश की मूर्ति अत्यंत शुभ माना गया है। शुभ व मांगलिक कार्यों में प्रथम पूजनीय देवता भगवान गणेश है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। विघ्नहर्ता यानी बाधाओं को दूर करने वाले। ऐसे में धन संबंधी परेशानी को दूर करने के लिए घर में भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा या मूर्ति रखनी चाहिए।
2. नारियल-
मान्यता है कि जिस घर में केवल नारियल होता है वहां मां लक्ष्मी का हमेशा वास होता है और उनकी कृपा बनी रहती है। नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है। मान्यता है कि घर में नारियल रखने से जातक को आर्थिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
3. पूजा घर में रखें शंख-
घर के मंदिर में शंख का रखना अति उत्तम माना गया है। मान्यता है कि शंख रखने से घर का वास्तु दोष दूर होता है। धन संबंधी परेशानियों से छुटकारा मिलता है। शास्त्रों में शंख भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को अतिप्रिय माना गया है।
4. मां लक्ष्मी व भगवान कुबेर की तस्वीर-
वास्तु शास्त्र के अनुसार, धन से जुड़ी समस्याओं से निवारण के लिए घर मे माता लक्ष्मी के साथ कुबेर जी की तस्वीर लगानी चाहिए। मां लक्ष्मी धन की देवी हैं और भगवान कुबेर धन देवता माने गए हैं। इस तरह से इन दोनों की कृपा से आर्थिक तंगी दूर होती है।
5. बांसुरी और मोर पंख-
वास्तु नियमानुसार, पूजा स्थल में एक बांसुरी जरूर रखें। मानयता है कि घर में बांस की बांसुरी रखन से सुख-समृद्धि का आगमन होता है। व्यापार में वृद्धि के साथ नौकरी में तरक्की मिलती है। इसके साथ ही वास्तु दोष समाप्त होता है। आय में वृद्धि होती है। आर्थिक तंगी से भी छुटकारा मिलने की मान्यता है। -
आय और व्यय दोनों अलग-अलग चीजें हैं। कई बार लोग अच्छी कमाई करते हैं लेकिन धन का संचय नहीं कर पाते हैं। जबकि कुछ लोग कम कमाई करते हैं लेकिन उनके हाथ में धन सदैव रहता है। अगर आपके हाथ में धन नहीं टिकता है तो वास्तु शास्त्र में कुछ आसान उपाय बताए हैं। कई बार वास्तु दोष के कारण भी घर में धन का आगमन नहीं होता है।
--जानें घर संचय के लिए सरल वास्तु टिप्स-
1. घर की इस दिशा में न रखें कूड़ादान- घर की साफ-सफाई का सीधा प्रभाव हमारी आर्थिक स्थिति पर पड़ता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के उत्तर पूर्व यानी ईशान कोण में कूड़ादान या कचरा नहीं रखना चाहिए। मान्यता है कि इस दिशा में गंदगी रखने से घर में धन का आगमन नहीं होता है।
2. नल से नहीं टपकना चाहिए पानी- वास्तु शास्त्र के अनुसार, टोंटी से निरंतर पानी टपकना अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि यह अशुभता का संकेत हैं। नल से पानी गिरते रहने से धन खर्च में वृद्धि होती है। इससे घर में बरकत का वास नहीं होता है।
3. रसोई घर इस दिशा में न बनाएं- वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर की रसोई आग्नेय कोण यानी दक्षिण-पूर्व दिशा में होनी चाहिए। पश्चिम दिशा में रसोई घर होने से घर में धन का आगमन अच्छा रहता है लेकिन बरकत नहीं होती है। यानी धन आते ही खर्च होता रहता है।
4. तिजोरी की दिशा- घर में तिजोरी की दिशा का प्रभाव आर्थिक स्थिति पर पड़ता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, तिजोरी को दक्षिण दिशा की दीवार से सटाकर इस तरह से बनवाना चाहिए ताकि उसका मुख उत्तर दिशा की ओर रहे। मान्यता है कि तिजोरी का मुख उत्तर दिशा की ओर होने से मां लक्ष्मी का घर में आगमन होता है।
5. टूटा बेड न रखें- घर में कोई भी टूटी-फूटी चीज नहीं रखनी चाहिए। वास्तु नियमानुसार, घर में टूटा हुआ बेड या पलंग नहीं रखना चाहिए इससे आर्थिक तंगी दूर होती है और घर में धन का आवक बढ़ता है। -
होली के बाद इन राशियों की चमकेगी किस्मत, पूरे एक साल तक हर क्षेत्र में मिलेगी कामयाबी
--पंडित प्रकाश उपाध्यायसाल 2023 के शुरू होते ही कई ग्रहों का राशि परिवर्तन भी शुरू हो गया है। ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के राशि परिवर्तन को बेहद खास माना जाता है। जब भी ग्रह एक राशि से निकल कर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो इसका प्रभाव समस्त मानव जीवन पर देखने को मिलता है। ग्रहों के स्थान परिवर्तन से कुछ राशियों के जातक पर शुभ प्रभाव पड़ता है, तो वहीं कुछ राशियों पर इसका अशुभ प्रभाव भी देखने को मिलता है। इस साल अप्रैल महीने में ग्रहों का बड़ा हेर फेर होने वाला है। 22 अप्रैल 2023 को गुरु ग्रह 12 साल बाद मेष राशि में गोचर कर रहे हैं, जिसकी वजह से 12 साल बाद मेष राशि में गुरु और सूर्य ग्रह की युति बनने जा रही है। इस युति का प्रभाव सभी राशियों के जातकों पर देखने को मिलेगा। कुछ राशियां ऐसी हैं, जिनको इस युति के प्रभाव से धन लाभ और तरक्की मिलने के योग बन रहे हैं। आइए जानते हैं ये राशियां कौन सी हैं…मेष राशिज्योतिष के अनुसार, गुरु का गोचर मेष राशि की कुंडली के पहले भाव यानी लग्न में होने जा रहा है। इसकी पंचम दृष्टि इस राशि के संतान भाव पर और नवम दृष्टि भाग्य स्थान पर होगी। ऐसे में गुरु ग्रह 22 अप्रैल से पूरे एक साल तक आपके लिए गुरु शुभ परिणाम लेकर आएंगे। इस दौरान आपकी तरक्की होगी, मान-सम्मान में वृद्धि होगी और आर्थिक क्षेत्र में उन्नति के योग बनेंगे। इस समय आपको धर्म या रोजगार के लिए लंबी यात्रा करनी पड़ सकती है, जिसका भविष्य में आपको लाभ मिलेगा।कर्क राशिकर्क राशि वाले जातकों के लिए सूर्य और गुरु ग्रह की युति करियर और व्यापार के मामले में लाभदायक साबित हो सकती है, क्योंकि ये युति कर्क की राशि से दशम स्थान में बनने जा रही है। जिसे कर्म का भाव माना गया है। ऐसे में इस समय नौकरी की तलाश कर रहे लोगों को गुरु ग्रह के प्रभाव से नई नौकरी का प्रस्ताव आ सकता है। इसके अलावा आप जहां काम कर रहे हैं, वहां आपका सम्मान बढ़ेगा। साथ ही धन लाभ के अच्छे संकेत हैं।मीन राशिसूर्य और गुरु ग्रह की युति मीन राशि से दूसरे भाव में बनने जा रही है। जिसे धन और वाणी कहा जाता है। इसलिए इस समय आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार देखने को मिलेगा। इस दौरान आप अपनी बातों से दूसरों को प्रभावित करने में कामयाब होंगे। कारोबारियों को इस अवधि में अटका हुआ धन प्राप्त हो सकता है। -
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
सनातन परंपरा में शिव साधना के लिए महाशिवरात्रि को अत्यंत ही शुभ और शीघ्र फलदायी माना गया है. यही कारण है कि भोले के भक्त इस पावन पर्व का पूरे साल इंतजार करते हैं. हिंदू मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि पर की गई पूजा का साधक को पूरा फल मिलता है, जिससे उसके जीवन से जुड़े कष्ट पलक झपकते दूर होते हैं और उसे सभी प्रकार की सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. पंचांग के अनुसार इस साल महाशिवरात्रि के पर्व के साथ शनि प्रदोष और सर्वार्थ सिद्ध का भी सुखद संयोग बन रहा है. ऐसे में इसका न सिर्फ धार्मिक बल्कि ज्योतिषीय महत्व भी बढ़ गया है. आइए महाशिवरात्रि पर शिव एवं शनि पूजा से जुड़े अचूक उपाय जानते हैं.
शिव पूजा से दूर होंगे शनि संबंधी सारे दोष
ज्योतिष के अनुसार यदि आपकी कुंडली में शनि दोष आपके कष्टों का बड़ा कारण बन रहा है तो आप उससे बचने के लिए इस महाशिवरात्रि पर महादेव की पूजा का महाउपाय अवश्य करें. मान्यता है कि यदि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा में शमी पत्र चढ़ाकर महामृत्युंजय मंत्र का श्रद्धा और विश्वास के साथ जप किया जाए तो व्यक्ति को शनि दोष का दुष्प्रभाव नहीं होता है. महाशिवरात्रि पर शनि संबंधी दोष को दूर करने के लिए विशेष रूप से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें. यदि आप किसी कारण से भगवान शिव का रुद्राभिषेक न करा पाएं तो आप महाशिवरात्रि पर भगवान शंकर की पूजा में शिव सहस्रनाम या शिव के पंचाक्षरी मंत्र का रुद्राक्ष की माला से जप जरूर करें.
शिव पूजा से मिलेगी कालसर्प दोष से मुक्ति
सनातन परंपरा में सर्प को भगवान शिव के गले का हार और महादेव को काल का भी काल माना गया है. ऐसे में यदि आपकी कुंडली में कालसर्प दोष आपके तमाम कष्टों का कारण बन रहा है और उसके कारण आपके जीवन से जुड़ी प्रगति रुकी हुई है तो आपको इस महाशिवरात्रि पर इससे बचने के लिए भगवान शिव की पूजा का सरल उपाय जरूर करना चाहिए. मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति महाशिवरात्रि पर यदि उज्जैन स्थित महाकालेश्वर या फिर नासिक स्थित त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग या फिर प्रयागराज स्थित तक्षकेश्वर महादेव मंदिर में विधि-विधान से पूजा और रुद्राभिषेक करवाता है तो उसे कुंडली से जुड़े इस दोष से मुक्ति मिल जाती है. कालसर्प दोष से बचने के लिए महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा चढ़ाएं. -
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
हिंदू धर्म में पूर्णिमा का बहुत अधिक महत्व होता है। माघ मास की पूर्णिमा साल की दूसरी पूर्णिमा होती है। हर साल फरवरी माह में ही माघ माह की पूर्णिमा पड़ती है। पूर्णिमा तिथि पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि- विधान से पूजा- अर्चना की जाती है। पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा- अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान का भी बहुत अधिक महत्व होता है। इस दिन दान करने से भी कई गुना फल की प्राप्ति होती है। इस पावन दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए आरती करनी चाहिए। आरती करने से भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है। आगे पढ़ें भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती-
भगवान विष्णु की आरती-
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय...॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय...॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय...॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय...॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय...॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय...॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय...॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय...॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय...॥
माता लक्ष्मी की आरती-----
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत, मैया जी को निशदिन * सेवत हरि विष्णु विधाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर गाता
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत,
मैया जी को निशदिन सेवत हरि विष्णु विधाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2 -
हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) पर्व का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है। इस बार यह पावन पर्व 18 फरवरी 2023, शनिवार को पड़ रही है. फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन पड़ने वाले इस त्योहार मे महादेव की साधना-आराधना करना अत्यंत ही शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवरात्रि के दिन महादेव और माता पार्वती का विवाह हुआ था।
ऐसे में इस पावन रात्रि पर महादेव की पूजा करने से भक्त को कई गुना अधिक लाभ होता है और उस पर हमेशा भोले भंडारी की कृपा बनी रहती है। महाशिवरात्रि के दिन शिव पूजा के लिए किए जाने वाले जप-तप, पूजा-पाठ आदि करने के लिए कई जरूरी नियम बताए गये हैं।
आइए महाशिवरात्रि पर महादेव संग माता पार्वती की पूजा से जुड़े सभी जरूरी नियम जानते हैं----
महाशिवरात्रि की पूजा करते समय शिवलिंग पर दूध, दही, शहद से अभिषेक करना बहुत शुभ माना जाता है, इसलिए कोशिश करें कि पूजा के वक्त आपके पास ये चीजें पहले से उपलब्ध हों. इसी प्रकार शिव पूजा के दौरान शिवलिंग के पास घी का दीपक जलाकर रखना भी शुभ माना जाता है।
भगवान शिव की पूजा के वक्त अक्सर लोग तांबे के लोटे का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन, इस बात का ध्यान रखें कि तांबे के लोटे से शिवलिंग पर जल अर्पित करना तो बहुत शुभ माना जाता है, लेकिन उसी तांबे के लोटे से दूध अर्पित करना दोष माना गया है. ऐसे में शिव पूजा के दौरान इस गलती को करने से बचें।
महाशिवरात्रि की पूजा के दौरान जो भी भोग आप शिवलिंग पर चढ़ाते हैं, उसे ग्रहण नहीं करना चाहिए, बल्कि उसके अलावा जो भी भोग अलग रखा हो, उसे आप न सिर्फ ग्रहण कर सकते हैं बल्कि लोगों को बांट भी सकते हैं।
महाशिवरात्रि पर पूजा करते समय दिशा भी ध्यान रखें. भगवान शिव की पूजा करते समय कोशिश करें कि आपका मुख पूर्व या उत्तर की तरफ हो. इसके अलावा इस बात का भी ध्यान रखें कि आप सिले हुए वस्त्र पहन कर पूजा न करें।
शिवलिंग पर चढ़ाई जाने वाले बेलपत्र और शमी पत्र के वज्र हिस्से को अलग कर देना चाहिए. गौरतलब है कि बेलपत्र की डंठल की ओर जो मोटा भाग होता है, उसे वज्र कहा जाता है।
महाशिवरात्रि की पूजा के दौरान तुलसी का इस्तेमाल भूलकर भी नहीं करना चाहिए. इसके अलावा इस बात का भी ध्यान रखें की शंख से शिवलिंग का जलाभिषेक न करें. माना जाता है कि इससे शुभ फल मिलने के बजाए दोष लगता है।
महाशिवरात्रि पर रखा जाने वाला व्रत साधक की सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला माना गया है. मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर मस्तक पर लाल चंदन का त्रिपुण्ड और बाहों पर भस्म लगाना भी शुभ प्रदान करता है। -
हिंदू धर्म में भगवान हनुमान जी की कृपा पाने के लिए हनुमान चालीसा और बजरंग बाण का पाठ करने की धार्मिक मान्यता है. हनुमान जी कलयुग के देवता हैं और ये आज भी इस पृथ्वी पर सशरीर मौजूद हैं। हनुमान जल्द प्रसन्न करने वाले देवता हैं।
हनुमान जी की उपासना करने पर भक्त के सभी दुख, परेशानियां, भय और बीमारियां फौरन ही दूर हो जाते हैं. हर तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए और भय से मुक्ति पाने के लिए नियमित रूप से अगर हनुमान चालीसा पाठ के साथ बजरंग बाण का पाठ किया जाय तो यह बहुत लाभकारी होता है।
आइए जानते हैं बजरंग बाण का पाठ किस तरह से करना चाहिए-
-बजरंग बाण का पाठ करने से सबसे पहले भगवान गणेश के नाम और मंत्रों का मन में उच्चारण करें फिर इसके बाद प्रभु राम और माता सीता का ध्यान करें।
– प्रभु राम का जाप करने के बाद हनुमान जी का स्मरण करते हुए अपनी मनोकामनों को पूरा करने की बात करते हुए बजरंग बाण का पाठ करने का संकल्प लें।
– बजरंग बाण का पाठ करने के बाद हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें।
– बजरंग बाण का पाठ सूर्योदय के समय करना करना ज्यादा लाभदायक होता है।
– बजरंग बाण का पाठ करने के लिए कुश से बने आसन पर बैठकर करना चाहिए।
– बजरंग बाण के पाठ के साथ हनुमान जी को धूप, दीप, फूल और सिंदूर लगाकर पूजा-अर्चना करें।
– बजरंग बाण के पाठ में शब्दों का उच्चारण सही ढ़ग से करना चाहिए।
– हनुमान जी भोग में तुलसी दल, लडूडू, पान के पत्ते और मौसमी फल जरूर चढ़ाएं।
बजरंग बाण का पाठ करने से इन परेशानियों से मिलती है मुक्ति
– बजरंग बाण का नियमित रूप से पाठ करने पर विवाह में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं।
– कुंडली में मौजूद अशुभ ग्रहों के दोष को दूर करने के लिए बजरंग बाण का पाठ करना लाभदायी होता है. ग्रह दोषों से मुक्ति के लिए ज्योतिषी बजरंग बाण के पाठ करने की सलाह देते हैं।
– अगर किसी व्यक्ति को कोई गंभीर बीमारी से ग्रस्त हो तो इससे निजात पाने के लिए बजरंग बाण का पाठ करना शुभ माना जाता है।
– करियर में सफलता पाने के लिए और कार्यक्षेत्र में किसी समस्या का सामना करने पर इसे दूर करने के लिए बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए।
– घर में किसी प्रकार का वास्तुदोष होने पर बजरंग बाण का पाठ करना अचूक ऊपाय है. जिन घरों में बजरंग बाण और हनुमान चालीसा का पाठ होता है वहां पर नकारात्मक ऊर्जाएं नहीं रहती है।
– कुंडली में मांगलिक दोष और शनि दोष से छुटकारा पाने के लिए बजरंग बाण का पाठ करना बहुत ही कारगर उपाय होता है।
– जीवन में अगर लगातार कोई न कोई परेशानी बनी रहती है तो नियमित रूप से बजरंग बाण का पाठ करना फलदायी माना जाता है। -
महाशिवरात्रि शिव भक्तों के लिए बहुत बड़ा त्योहार होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का त्योहार हर साल मनाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा-आराधना करने का विशेष महत्व होता है. महाशिवरात्रि पर जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और मंत्रों का जाप करने से भगवान शिव हर तरह की मनोकामनाओं को पूरी करते हैं।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार महाशिवरात्रि पर कई तरह के उपाय किए जाते हैं जो व्यक्ति के जीवन में कई तरह की परेशानियों और बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है. इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 18 फरवरी 2023 को है. आइए जानते हैं इस वर्ष महाशिवरात्रि पर पूजा का शुभ महूर्त और ज्योतिष उपाय।
महाशिवरात्रि पर आर्थिक दिक्कतों को दूर करने के उपाय
महाशिवरात्रि का त्योहार शिवजी की आराधना करने के लिए सबसे खास माना जाता है. अगर किसी को नौकरी या व्यापार में आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग का शहद से अभिषेक करें. इस महाशिवरात्रि पर आर्थिक सफलता प्राप्त करने के लिए चांदी के पात्र से भगवान शिव का जलाभिषेक करें और इस दौरान लगातार ऊं नम: शिवाय और ऊं पार्वतीपत्ये नम: का जाप करें. महाशिवरात्रि के पावन दिन पर भगवान शिव की कृपा पाने के लिए शिवलिंग का दही से रुद्राभिषेक करें इससे धन में वृद्धि का फल प्राप्त होगा।
इस महाशिवरात्रि पर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए गन्ने के रस से भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करें. धन प्राप्ति की मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए शिवलिंग पर महाशिवरात्रि के त्योहार के मौके पर शहद और घी से अभिषेक करें. इस महाशिवरात्रि पर सभी तरह की मनोकामनाओं को पूरा करने और भगवान शिव की विशेष कृपा पाने के लिए भगवान शिव की पूजा में चढ़ाने वाली सभी सामग्री को शिवलिंग पर अर्पित करें।
महाशिवरात्रि पूजा मुहूर्त 2023
निशिता काल पूजा: 18 फरवरी को दोपहर 12:16 बजे से 1:06 बजे तक निशिता काल पूजा की अवधि: 50 मिनट महाशिवरात्रि पारण मुहूर्त: 19 फरवरी, रविवार को सुबह 06:57 बजे से दोपहर 03:33 बजे तक। -
हर इंसान सोते समय कभी न कभी कोई न कोई सपना जरूर देखता है. ये सपने कभी शुभ और मन को खुशी देने वाले होते हैं तो वहीं, कुछ सपने इतने डरावने होते हैं कि आदमी अचानक से नींद से चौंककर उठ जाता है। सपने बुरे हों या फिर अच्छे, इन्हें लेकर मान्यता है कि ये भविष्य में घटने वाली चीजों के बारे में पूर्व संकेत देकर जाते हैं, जब कभी कोई बुरा सपना बार-बार आपको आता है तो उसको लेकर भी कोई न कोई संकेत छिपा रहता है, लेकिन जब यही सपने आपको परेशानी का सबब बन जाए तो आपको इनसे बचने के लिए उन ज्योतिष उपायों को एक बार जरूर आजमाना चाहिए जो आपको इस मुसीबत से मुक्ति दिलाने में मददगार साबित हो सकते हैं।
आइए जानते हैं रात में आने वाले बुरे सपनो से बचने के कुछ कारगर ज्योतिष उपाय-
ज्योतिष अनुसार यदि आपको बार-बार बुरे सपने दिखाई देते हैं तो रात में सोने से पहले हनुमान चालीसा का पाठ करें. संकट मोचन सभी कष्टों को हरने वाले माने जाते हैं, ऐसे में उनका पाठ करने से आपको कोई भी बुरा सपना नहीं आएगा. इसके अलावा आपकी आस्था जिस भी भगवान में हैं उनको याद करके सोएं।
यदि आपके सपने में सांप बार-बार दिखाई देता है तो संभवता यह काल सर्प दोष का संकेत हो सकता है. ऐसे सपनो से बचने के लिए भोलेनाथ की अराधना करें. खास करके सोमवार के दिन शिवलिंग पर जल, दूध और फल अर्पित करें. इसके अलावा सूर्य अराधना भी ऐसे सपनो से बचने के लिए कारगर मानी जाती है।
सोते समय सही दिशा का भी ध्यान रखना चाहिए. यदि आपको बार-बार डरावने सपने आते हैं तो आपने सोने की दिशा में बदलाव करें. ज्योतिष अनुसार बुरे सपनो से बचने के लिए कोशिश करें कि उत्तर तथा पश्चिम दिशा में सिर करके न सोएं. वहीं, दक्षिण और पूर्व दिशा की ओर सिर रखकर सोना शुभ माना जाता है, और इससे आपको बुरे सपने भी परेशान नहीं करते हैं।
अगर आप डरावने सपनो से छुटकारा पाना चाहते हैं तो कोशिश करें कि अपने बेडरूम जूते-चप्पल न रखें. माना जाता है कि इससे निगेटिविटी फैलती है और आपको मानसिक तौर पर भी परेशान रहने लगते हैं।
क्यों आते हैं बुरे सपने
ऐसा कई लोगों के साथ होता है कि उन्हें एक ही प्रकार के सपने बार-बार आते हैं. इसके कारण उनकी नींद भी टूट जाती है और मन में डर भी बना रहता है कि कहीं कोई अशुभ घटना न घट जाए. उन्हें सपनो में कोई खास व्यक्ति, जगह या घटना बार-बार दिखई देती है. मान्यता है कि यदि ऐसे सपने आपको बार-बार दिखाई देते हैं तो यह असफलता या आत्मविश्वास की कमी को दिखाता है।
बुरे सपनों का क्या होता है मतलब
यदि सपने में बार-बार सांप का दिखाई देनी किसी अशुभ घटना का संकेत माना जाता है. ऐसे सपनो को नजरअंदाज न करके, बल्कि उसके सही उपचार को खोजें।
अगर आपके सपनो में कोई जीवत व्यक्ति मृत दिखाई दे तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है. माना जाता है कि ऐसा होने से उस व्यक्ति की उम्र में वृद्धि होती है. ऐसे सपना बुरा नहीं माना जाता है।
यदि सपने में खुद को उड़ते हुए देखें तो ऐसा होना शुभ माना जाता है. इसके अलावा अगर आप खुद को किसी नदी में नहाते हुए देखें तो इसका मतलब यह होता है कि आपको अपने कार्यक्षेत्र में सफलता मिलने वाली है। -
हर काम में हो रहे हैं विफल तो यह रेखा देखिए
पंडित प्रकाश उपाध्याय
कई बार खूब मेहनत के बावजूद मनवांछित सफलता नहीं मिल पाती। ऐसा होने पर हम मानते हैं कि भाग्य साथ नहीं दे रहा। लेकिन क्या आपको पता है कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में भाग्योदय का समय तय है। इसे आप इस तरह भी समझ सकते हैं कि व्यक्ति को अनुकूल परिणाम मिलने में ग्रहों की अनुकूलता होने लगती है। यदि ग्रह आपके अनुकूल हैं तो आपको अपने किए गए प्रयायों के अच्छे परिणाम मिलेंगे, लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि भाग्योदय हो गया है तो परिश्रम और कर्म करना ही छोड़ दें। ऐसा करने पर भाग्य अनुकूल होने के बावजूद कोई परिणाम नहीं दे पाएगा। हाथ में भाग्य की अनुकूलता एवं उदय की स्थिति सूर्य रेखा से पता चलती है। हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार यदि किसी जातक के हाथ में सूर्य रेखा हृदय रेखा के पास से शुरू हो रही है तो इनका भाग्योदय 56 साल के आसपास होगा। लेकिन यह तभी संभव होगा जब जातक के हाथ में अच्छी एवं स्पष्ट सूर्य रेखा भी हो। यह स्थिति होने पर व्यक्ति का चौथा चरण सुखमय होता है।हाथ में मणिबंध या इसके आसपास से शुरू होने वाली सूर्य रेखा भाग्य रेखा के पास एवं समानान्तर अपने स्थान को पहुंच तो हस्तरेखा विज्ञान में इसे अच्छी स्थिति माना गया है। ऐसे लोग जिस काम में भी हाथ डालते हैं वहां सफलता, सम्मान और पैसा सबकुछ पाते हैं। हालांकि स्थिति इसके उलट होने पर यदि सूर्य रेखा ना हो, अथवा कटी एवं टूटी होकर छोटे-छोटे टुकड़ों में आगे बढ़े तो ऐसे व्यक्ति का जीवन निराशामय हो जाता है। यदि भाग्य रेखा भी नहीं है तो स्थिति और खराब हो सकती है। -
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
सनातन परंपरा के अनुसार व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक, उसका जुड़ाव गंगा जल से किसी न किसी प्रकार से होता है. चाहे वो कोई धार्मिक अनुष्ठान हो, कोई शुभ कार्यक्रम या किसी व्यक्ति की अंतिम यात्रा, हर जगाह गंगा जल का उपायोग किया जाता है. मान्यता है कि जो कोई भी गंगा नदी में स्नान करता है या डुबकी लगाता है, उसके जीवन के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे कोई रोग आसानी से छूता भी नहीं है.
जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा से मां गंगा की अराधना करते हैं उनकी मनचाही इच्छाएं पूर्ण होती है. इसके साथ-साथ यदि आप गंगा जी से जुड़े कुछ उपाय करते हैं तो आपको और अधिक लाभ मिलता है, साथ ही आपकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार आता है. तो आइए जानते है गंगा जल से जुड़े कुछ ज्योतिष उपाय
भगवान शिव की पूजा करते समय गंगा जल का प्रयोग करना बहु शुभ माना जाता है. मान्यता है कि शिव जी की जटाओं से निकली गंगा जी को उनकी पूजा करते समय अवश्य इस्तेमाल करना चाहिए. जो भी भक्त प्रतिदिन शिवलिंग पर गंगा जल चढ़ाता है, उनके जीवन में आने वाली परेशानियां कम हो जाती हैं.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार घर में गंगा जल रखने का विशेष स्थान भी होता है. अत्यंत पवित्र और पूजनीय माना गया गंगा जल हमेशा घर के ईशान कोण में रखा जाना चाहिए. यदि यह संभव न हो तो, घर में बने पूजा स्थल पर भी आप गंगा जल रख सकते हैं.
अधिकतर लोग गंगा जल को प्लास्टिक के डिब्बे या किसी बोतल में रखते हैं. ज्योतिष अनुसार ऐसा नहीं करना चाहिए. मान्यता है कि पूजा में प्लास्टिक के उपयोग से चाजें अशुद्ध हो जाती हैं.
ज्योतिष अनुसार यदि आपके घर में किसी प्रकार की नकारात्मकता है, या आपके परिवार में किसी न किसी व्यक्ति की तबियत खराब रहती है, तो रोजाना घर में सुबह पूजा करने के बाद, तांबे के लोटे में गंगा जल डालकर, उसे पूरे घर में छिड़के. माना जाता है कि ऐसा करने से सारी नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है. आपका स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा.
यदि आपके उपर कर्ज का अधिक बोझ है, या कई प्रयासों के बावजूद आप इससे उभर नहीं पा रहे हैं तो गंगा जल से जुड़े ये उपाय बहुत कारगर साबित होगा. घर की उत्तर दिशा में किसी पवित्र स्थान पर, पीतल के बर्तन में गंगा जल रखने से जीवन में आने वाली बड़ी सी बड़ी समस्याएं हल हो जाती हैं. ऐसा करने से आपकी आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी. - अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि के निर्माणाधीन मंदिर में स्थापित होने वाली दो शालिग्राम शिलाएं अयोध्या लाई गई हैं। कहा जाता है कि ये शिलाएं करीब छह करोड़ साल पुरानी हैं। दोनों शिलाएं 40 टन की हैं। एक शिला का वजन 26 टन जबकि दूसरे का 14 टन है।शालिग्राम शिला को काफी पवित्र माना जाता है। ये पत्थर नेपाल की पवित्र काली गंडकी नदी से निकाले गए हैं। छह करोड़ वर्ष पुराने दो शालीग्राम पत्थरों को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि में रखा जाएगा। इन शिलाओं का इस्तेमाल यहां निर्माण हो रहे श्री राम मंदिर में भगवान श्री राम के बाल्य स्वरूप की मूर्ति और माता सीता की मूर्ति बनाने के लिए किया जाएगा।वैज्ञानिक शोध के अनुसार, शालिग्राम एक प्रकार का जीवाश्म पत्थर है। धार्मिक आधार पर शालिग्राम का प्रयोग भगवान का आह्वान करने के लिए किया जाता है। शालिग्राम वैष्णवों द्वारा पूजी जाने वाली सबसे पवित्र शिला है। इसका उपयोग भगवान विष्णु को एक अमूर्त रूप में पूजा करने के लिए किया जाता है। शालिग्राम की पूजा भगवान शिव के अमूर्त प्रतीक के रूप में 'लिंगम' की पूजा के बराबर मानी जाती है। आज शालिग्राम विलुप्त होने के कगार पर हैं। केवल दामोदर कुंड में कुछ शालिग्राम पाए जाते हैं, जो गंडकी नदी से 173 किमी की दूरी पर है।गौतमीय तंत्र के अनुसार, काली-गंडकी नदी के पास शालाग्राम नामक एक बड़ा स्थान है। उस जगह पर जो पत्थर दिखते हैं, उन्हें शालाग्राम शिला कहा जाता है। हिंदू परंपरा के अनुसार 'वज्र-कीट' नामक एक छोटा कीट इन्हीं शिलाओं में रहता है। कीट का एक हीरे का दांत होता है जो शालिग्राम पत्थर को काटता है और उसके अंदर रहता है। शालिग्राम पर निशान इसे एक विशेष महत्व देते हैं, जो अक्सर भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र की तरह दिखाई देते हैं। शालिग्राम अलग-अलग रंगों में मिलते हैं, जैसे लाल, नीला, पीला, काला, हरा। सभी वर्ण बहुत पवित्र माने जाते हैं। पीले और स्वर्ण रंग के शालिग्राम को सबसे शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि यह भक्त को अपार धन और समृद्धि प्रदान करता है। शालिग्राम के कई रुप होते हैं, कुछ अंडाकार तो कुछ में छेद होता है और अन्य में शंख, चक्र, गदा या पद्म आदि के निशान भी बने होते हैं। शालिग्राम अक्सर भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों जैसे नरसिंह अवतार, कूर्म अवतार आदि से जुड़े होते हैं।वैष्णवों के अनुसार शालिग्राम 'भगवान विष्णु का निवास स्थान' है और जो कोई भी इसे रखता है, उसे प्रतिदिन इसकी पूजा करनी चाहिए। उसे कठोर नियमों का भी पालन करना चाहिए जैसे बिना स्नान किए शालिग्राम को न छूना, शालिग्राम को कभी भी जमीन पर न रखना, गैर-सात्विक भोजन से परहेज करना और बुरी प्रथाओं में लिप्त न होना।स्वयं भगवान कृष्ण ने महाभारत में युधिष्ठिर को शालिग्राम के गुण बताए हैं। मंदिर अपने अनुष्ठानों में किसी भी प्रकार के शालिग्राम का उपयोग कर सकते हैं। जिस स्थान पर शालिग्राम पत्थर पाया जाता है वह स्वयं उस नाम से जाना जाता है और भारत के बाहर 'वैष्णवों' के लिए 108 पवित्र तीर्थ स्थानों में से एक है।देवउठनी एकादशी के दिन भगवान शालिग्राम और तुलसी के विवाह की परंपरा है। एक कथा के अनुसार तुलसी ने भगवान विष्णु को पत्थर बनने का श्राप दिया था इसलिए भगवान विष्णु को शालिग्राम बनना पड़ा और इस रूप में उन्होंने माता तुलसी जो कि लक्ष्मी का ही रुप मानी जाती है उनसे विवाह किया। माना जाता है कि शालिग्राम और भगवती स्वरूपा तुलसी का विवाह करने से सारे अभाव, कलह, पाप, दुख और रोग दूर हो जाते हैं।मान्यतओं के मुताबिक, जिस घर में शालिग्राम की रोज पूजा होती है वहां सभी दोष दूर होते हैं और नकारात्मकता नहीं रहती है। इसके अलावा इस घर में विष्णुजी और महालक्ष्मी निवास करती हैं। शालिग्राम को स्वयंभू माना जाता है इसलिए कोई भी व्यक्ति इन्हें घर या मंदिर में स्थापित करके पूजा कर सकता है। माना जाता है कि शालिग्राम को अर्पित किया हुआ पंचामृत प्रसाद के रूप में लेने से मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। पूजा में शालिग्राम पर चढ़ाया हुआ जल भक्त यदि अपने ऊपर छिड़कता है तो उसे सभी तीर्थों में स्नान के समान पुण्य फल की प्राप्ति होता है।----
-
5 फरवरी को माघ मास की पूर्णिमा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन विधि- विधान से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा- अर्चना करनी चाहिए। मां लक्ष्मी को धन की देवी भी कहा जाता है। जिस व्यक्ति पर मां लक्ष्मी की कृपा हो जाती है उसको जीवन में कभी भी आर्थिक समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है।
मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए मां लक्ष्मी के दिन कुछ खास उपाय किए जाते हैं। इन उपायों को करने से मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है। आइए जानते हैं मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए क्या करें-
मां को लाल वस्त्र अर्पित करें
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूर्णिमा के दिन मां को लाल वस्त्र अर्पित करने चाहिए। आप मां को सुहाग का सामना भी अर्पित कर सकते हैं। ऐसा करने से मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है और आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
मां लक्ष्मी को पुष्प अर्पित करें
पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी को पुष्प अर्पित करें। अगर संभव हो तो मां लाल रंग के पुष्प अर्पित करने चाहिए।
विष्णु भगवान की पूजा करें
पूर्णिमा के दिन धन- प्राप्ति के लिए विष्णु भगवान की पूजा भी करें। विष्णु भगवान की पूजा करने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए हर शुक्रवार को माता लक्ष्मी और विष्णु भगवान की पूजा करें।
खीर का भोग लगाएं
पूर्णिमा के दिन श्री लक्ष्मीनारायण भगवान और मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं। इस उपाय को करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है और धन- लाभ होता है। -
मीन राशि का स्वामी गुरु बृहस्पति है। 19 फरवरी से 20 मार्च के बीच जन्मे लोग मीन राशि के होते हैं। इस राशि के लोगों के मन में भय और असुरक्षा की भावना होती है। मीन राशि के लोग संवेदनशील, विचारशील और अत्यधिक भावुक होते हैं। इस राशि के लोग अपने जीवनसाथी के प्रति बेहद समर्पित होते हैं। मीन राशि के लोग आशावादी और निराशावादी दोनों स्वभाव के होते हैं।
रत्नशास्त्र में हर राशि के लिए एक विशेष रत्न के बारे में बताया गया है जिसे धारण करने से ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है और बिगड़े हुए काम बनने लगते हैं। इससे जीवन में आने वाली मुसीबत को पार करने में मदद मिलती है। आइये जानते हैं मीन राशि के लिए भाग्यशाली रत्न।
ज्योतिष शास्त्र की बारहवीं राशि मीन के लिए भाग्यशाली रत्न एक्वामरीन है। इस रत्न को धारण करने से मीन राशि वालों के लिए सबसे महत्वपूर्ण ग्रह नेपच्युन संतुष्ट होता है। यह रत्न मीन राशि वालों के जीवन मे सकारात्मक प्रभाव डालने के साथ ही साथ उन्हें आकर्षक और निडर बनाता है। मन और मस्तिष्क के बीच आपसी तालमेल बिठाने में मदद करता है। मीन राशि की महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति के लिए यह रत्न बहुत मददगार साबित होता है।
मीन राशि की महिलाएं को उचित फैसला लेने में मदद करता है। इसके अलावा मीन राशि के जातक नीलम, ब्लडस्टोन, जेड, माणिक्य, और जैस्पर रत्न धारण कर सकते हैं।
फाइल फोटो -
माघ पूर्णिमा 5 फरवरी को है। संपूर्ण भारत में, विशेषकर प्रयागराज में गंगा स्नान के लिए इस ठंड में भी लाखों लोग आते हैं। आस्थावादियों को इस दिन का सालभर से इंतजार रहता है। उनका यह इंतजार पूरा होने को है। खत्म इसलिए नहीं, क्योंकि सनातन मान्यता के अनुसार कोई चीज खत्म नहीं होती, बस अपना रूप बदलती है। 84 लाख योनियों की अवधारणा इसकी पुष्टि करती है। और फिर यहां तो रूप भी नहीं बदल रहा है। यह एक पूर्णिमा से दूसरी पूर्णिमा के बीच की यात्रा है। पौष से माघ पूर्णिमा। यह यात्रा के आरंभ होने से उसके पूर्ण होने की यात्रा है यानी माघ प्रतिपदा से माघ पूर्णिमा की। भौतिकता से अध्यात्म की यात्रा। सदियों से इस दिन के साक्षी होते आए हैं, वे हजारों-लाखों लोग, जो प्रयागराज में गंगा के तट पर कल्पवासी होते हैं। यह कल्पवास की पूर्णता का दिन है।
हमारी संस्कृति की यही तो विशेषता है कि तमाम तरह के भोगों के बीच व्यक्ति को योगी होने का भी अवसर देती है। माघ का महीना ऐसा ही अवसर है। लेकिन बहुत ही विचित्र और अद्भुत। साधना के लिए वन में कठोर तप नहीं, सिर्फ सूर्योदय से पूर्व स्नान। गंगाजी में स्नान हो जाए तो अच्छा। पूरे माह हो जाए तो बहुत अच्छा वरना सिर्फ एक दिन माघ पूर्णिमा पर ही गंगा स्नान करने से पूरे वर्ष की साधना का फल मिल जाता है। यह भी न हो पाए तो घर में पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लो तो वह भी अच्छा। इतना भी नहीं हो पा रहा है, तो गंगाजल के छींटे मार लो। और यह भी नहीं तो मानसिक स्नान की भी व्यवस्था है। यानी धर्म आपकी सुविधा का पूरा ध्यान रख रहा है। कितना उदार है हमारा धर्म और कितने व्यावहारिक हैं हमारे धार्मिक विश्वास।
हमारे वैदिक ऋषि इस बात को जानते थे कि मन की शुद्धि के साथ-साथ तन की शुद्धि भी बहुत जरूरी है। क्योंकि गंदे पात्र में रखी हुई अच्छी वस्तु भी खराब हो जाती है इसलिए मन को रखनेवाले तन रूपी पात्र का भी साफ रहना जरूरी है और यों शुरू हुई स्नान की प्रथा।
पौराणिक कथाएं कहती हैं, इस दिन भगवान विष्णु का वास गंगा में होता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन देवता भी प्रयाग में गंगा स्नान के लिए आते हैं। गंगा यानी मां। सृष्टि के पालक विष्णु यानी पिता। यह एक पिता के घर आने का भी दिन है। जिस प्रकार एक व्यक्ति दिनभर काम करने के बाद अपने घर लौटता है, उसी प्रकार सृष्टि के कार्यों में व्यस्त श्रीहरि के यह घर लौटने का दिन है। अपने परिवार के पास। पिता जब घर आता है तो परिवार में सभी के लिए कुछ-न-कुछ उपहार भी जरूर लाता है। सुख-समृद्धि, आरोग्यता और मोक्ष-प्राप्ति ऐसे ही उपहार हैं।
हमारे पर्व और धार्मिक मेले दान से भी जुड़े हैं। इसके पीछे भावना है कि हमें अपनी खुशियों को आपस में बांटना चाहिए। माघ पूर्णिमा के दिन ललिता जयंती भी मनाई जाती है। दस महाविद्याओं में ये तीसरी महाविद्या हैं। इन्हें त्रिपुर सुंदरी के नाम से भी जाना जाता है। -
हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित मानी गई है। इस समय माघ माह चल रहा है। माह महीने को देवताओं का महीना माना गया है। मान्यता है कि माघ माह में स्नान व दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। ऐसे में इस महीने में पड़ने वाली एकादशी का महत्व बढ़ जाता है। माङ माह में पड़ने वाली एकादशी को जया एकादशी कहते हैं। इस साल जया एकादशी 1 फरवरी 2023, बुधवार को है। एकादशी के दिन विधि- विधान से भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। मनुष्य पृथ्वी लोक के सभी सुखों को भोगकर अंत में मोक्ष को जाता है।
जया एकादशी शुभ मुहूर्त 2023-
एकादशी तिथि 31 जनवरी 2023 को सुबह 11 बजकर 53 मिनट से प्रारंभ होगी और 1 फरवरी 2023 को दोपहर 02 बजकर 01 मिनट पर समाप्त होगी।
जया एकादशी महत्व-
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। इस व्रत का पालन करने से मनुष्य को कष्टों से मुक्ति मिलती है और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इतना ही नहीं जया एकादशी की तिथि जन्म एवं पूर्व जन्म के सभी पापों का नाश करने के लिए उत्तम तिथि है।
एकादशी पूजा- विधि:
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।
अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
भगवान की आरती करें।
जया एकादशी 2023 व्रत पारण का समय-
जया एकादशी व्रत का पारण 02 फरवरी 2023 को किया जाएगा। व्रत पारण का शुभ समय सुबह 07 बजकर 09 मिनट से सुबह 09 बजकर 19 मिनट तक रहेगा।
-- -
हथेली में सूर्य पर्वत शनि की ओर झुक जाए तो व्यक्ति जज एवं सफल अधिवक्ता होता है। यदि सूर्य पर्वत दूषित हो जाए तो व्यक्ति अपराधी प्रवृत्ति का हो जाता है। यदि सूर्य एवं शुक्र पर्वत उभार वाले है तो व्यक्ति विपरीत लिंग के प्रति शीघ्र एवं स्थायी प्रभाव डालने वाला, धनवान, परोपकारी, सफल प्रशासक, सौंदर्य और विलासिताप्रिय होता है। सूर्य पर्वत पर जाली हो तो गर्व करने वाला, लेकिन कुटिल स्वभाव का होता है। ऐसा व्यक्ति किसी पर विश्वास नहीं करता। तारे का चिह्न होने पर धनहानि होती है, लेकिन प्रसिद्धि अप्रत्याशित रूप से मिलती है। गुणा का चिन्ह हो तो सट्टा या शयेर में धन का नाश हो सकता है। सूर्य पर्वत पर त्रिभुज हो तो उच्च पद की प्राप्ति, प्रतिष्ठा तथा प्रशासनिक लाभ होते हैं। सूर्य पर्वत पर चौकड़ी हो तो लाभ तथा सफलता की प्राप्ति होती है।
सूर्य पर्वत एवं बुध पर्वत के संयुक्त उभार की स्थिति में व्यक्ति में योग्यता, चतुराई तथा निर्णय शक्ति अधिक होती है। ऐसा व्यक्ति श्रेष्ठ वक्ता, सफल व्यापारी या उच्च स्थानों का प्रबंधक होता है। ऐसे व्यक्तियों में धन पाने की असीमित महत्वाकांक्षा होती है। हथेली में सूर्य पर्वत के साथ यदि बृहस्पति का पर्वत भी उन्नत हो तो व्यक्ति विद्वान, मेधावी और धार्मिक विचारों वाला होता है। अनामिका उंगली के मूल में सूर्य का स्थान होता है। सूर्य का उभार जितना अधिक होगा, प्रभाव भी उतना ही अधिक मिलेगा। सूर्य पर्वत का उभार अच्छा, स्पष्ट होने के साथ सरल सूर्य रेखा हो तो व्यक्ति श्रेष्ठ प्रशासक, पुलिसकर्मी, सफल उद्यागेपति होता है। यदि पर्वत अधिक उभार वाला हो और रेखा कटी या टूटी हो तो व्यक्ति अभिमानी, स्वार्थी, क्रूर, कंजूस और अविवेकी होता है। -
अयोध्या के राम मंदिर का काम तेजी से चल रहा है. रामलला की प्रतिमा को लेकर भी लोगों में बहुत ही ज्यादा उत्साह दिख रहा है. अयोध्या के इस भव्य मंदिर में रामलला की मूर्ति शालिग्राम पत्थर से तैयार की जाएगी. ये शालिग्राम पत्थर नेपाल की गंडकी नदी से लाए जा रहे हैं. जानकारों के मुताबिक, ये पत्थर दो टुकड़ों में है और इन दोनों शिलाखंडों का कुल वजन 127 क्विंटल है. इन शिलाखंडों को 02 फरवरी तक अयोध्या लाया जाएगा.
अयोध्या में राम जन्मभूमि का काम बहुत ही तेजी से चल रहा है. 2024 में जनवरी तक राम जन्मभूमि का ग्राउंड फ्लोर तैयार कर दिया जाएगा. जानकारों के मुताबिक, अभी इन शिलाखंडों को नेपाल के जनकपुर लाया गया है. जनकपुर के मुख्य मंदिर में पूजा-अर्चना की गई. साथ ही इन शिलाखंडों की पूजा भी शुरू हो गई है. विशेष पूजा के बाद इन शिलाखंडों को भारत लाया जाएगा और 31 जनवरी तक ये शिलाखंड गोरखपुर के गोरक्षपुर लाए जाएंगे.
क्या है शालिग्राम पत्थरों की मान्यता
शास्त्रों के मुताबिक, शालिग्राम में भगवान विष्णु का वास माना जाता है. पौराणिक ग्रंथों में माता तुलसी और भगवान शालिग्राम का जिक्र भी किया गया है. इसलिए इन शिलाखंडों को बहुत ही खास माना जा रहा है. लोगों के मुताबिक, इन शिलाखंडों का धार्मिक महत्व है. क्योंकि इनका संबंध भगवान विष्णु से है.
इन पत्थरों की सबसे महत्वपूर्ण बात है कि ये शिलाखंड ज्यादातर गंडकी नदी में ही पाए जाते हैं. हिमालय के रास्ते में पानी चट्टान से टकराकर इस पत्थर को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ देता है और नेपाल के लोग इन पत्थरों को खोज कर निकालते हैं और उसकी पूजा करते हैं.
मान्यता के अनुसार, 33 तरीके के शालिग्राम होते हैं. शालिग्राम का पत्थर भगवान विष्णु के 24 अवतारों से जोड़ा जाता है. मान्यता है कि जिस घर में शालिग्राम का पत्थर होता है, वहां घर में सुख-शांति बनी रहती है और आपसी प्रेम बना रहता है. साथ ही माता लक्ष्मी की भी कृपा बनी रहती है.
गंडकी नदी से निकली शालिग्राम शिला को देखेंगे विशेषज्ञ
शालिग्राम शिला का विशेष महत्व है. हालांकि अभी तकनीकी विशेषज्ञों का पैनल परीक्षण कर भव्य मूर्ति के लिए उसकी अनुकूलता और क्षरण जैसी बातों पर मंथन करेगा. जानकारी के अनुसार, प्रख्यात चित्रकार वासुदेव कामथ के अलावा रामलला की मूर्ति बनाने में पद्मभूषण शिल्पकार राम वनजी सुथार को जिम्मेदारी दी गई है. राम सुथार ने स्टैचू ऑफ़ यूनिटी का भी शिल्प तैयार किया है. हाल ही में अयोध्या में लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि स्वरूप वीणा को स्थापित किया गया है. उस वीणा को राम सुथार और उनके बेटे अनिल राम सुथार ने तैयार किया है.
वहीं मूर्ति बनाने के पहले चरण की ज़िम्मेदारी संभालने वाले चित्रकार वासुदेव कामथ अंतर्रराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकार हैं जिन्हें स्केच और पोर्ट्रेट बनाने में विशेष ख्याति प्राप्त है. इसके अलावा मूर्तिकार पद्मविभूषण सुदर्शन साहू, पुरातत्ववेत्ता मनइया वाडीगेर तकनीकी विशेषज्ञ और मंदिर बनाने वाले वास्तुकार भी मूर्ति के निर्धारण में भूमिका निभाएंगे. रामलला की मूर्ति ऐसी होगी जिसमें मंदिर के वास्तु की दृष्टि से समन्वय होगा. रामनवमी के दिन रामलला के ललाट पर सूर्य की किरणें पड़ेंगी.
शिलाओं से बनेगी रामलला की मूर्ति
रामलला की मूर्ति तैयार करने के लिए जिन मूर्तिकारों और कलाकारों का चयन किया गया है. रामलला की मूर्ति 5 से साढ़े 5 फीट की बाल स्वरूप की होगी. मूर्ति की ऊंचाई इस तरह तय की जा रही है कि रामनवमी के दिन सूर्य की किरणें सीधे रामलला के माथे पर पड़ें. -
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
होली हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है. फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को होलिका दहन होता है और उसके अगले दिन यानी चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि के दिन होली खेली जाती है. होली के 8 दिन पहले होलाष्टक लग जाते हैं. होलाष्टक का समापन होलिका दहन के साथ ही होता है. इस अवधि में शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं. आइए जानते हैं कि इस साल होलाष्टक कब से लग रहे हैं और इस दौरान कौन से कार्य नहीं करने चाहिए.
होलाष्टक कब से शुरू?
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल होलिका दहन 7 मार्च 2023 को होगा. जबकि 8 मार्च को रंग वाली होली खेली जाएगी. होली के आठ दिन पहले होलाष्टक लग जाते हैं. इसलिए इस वर्ष 28 फरवरी से होलाष्टक शुरू हो जाएंगे और 7 मार्च तक रहेंगे.
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या है?
होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा को किया जाता है. पंचांग के अनुसार, इस साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 06 मार्च को शाम 04 बजकर 17 मिनट से लेकर अगले दिन 07 मार्च को शाम 06 बजकर 09 मिनट तक रहेगी. होलिका दहन 07 मार्च को किया जाएगा. जबकि 08 मार्च को रंग वाली होली खेली जाएगी.
होलाष्टक में न करें ये 5 काम
1. होलाष्टक में शादी-विवाह और सगाई जैसे मांगलिक कार्यों के अलावा मुंडन और नामकरण जैसे संस्कार नहीं करने चाहिए.
2. होलाष्टक में भवन निर्माण, वाहन, प्लॉट या किसी प्रॉपर्टी को खरीदना या बेचना वर्जित है.
3. होलाष्टक में भूलकर भी यज्ञ और हवन जैसे कार्य ना करें.
4. होलाष्टक में शुभ कार्यों की शुरुआत बिल्कुल न करें. अगर आप किसी नई दुकान का शुभारंभ करने वाले हैं तो होलाष्टक से पहले या बाद में करें.
5. होलाष्टक में सोने या चांदी के आभूषण खरीदने से बचें. आप होलाष्टक से पहले या बाद में इन्हें खरीद सकते हैं.
होलाष्टक में क्यों नहीं करते शुभ काम?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार प्रेम के देवता कामदेव ने भोलेनाथ की तपस्या भंग कर दी थी. इससे नाराज होकर भगवान शिव ने कामदेव को फाल्गुन अष्टमी के दिन भस्म कर दिया था. जब कामदेव की पत्नी रति ने शिवजी की उपासना की और कामदेव को फिर से जीवित करने की प्रार्थना की, तब शिवजी को उस पर दया आई. इसके बाद शिवजी ने कामदेव में फिर से प्राण भर दिए. कहते हैं कि तभी से होलाष्टक मनाने की परंपरा चली आ रही है. होलिका दहन के साथ ही होलाष्टक का अंत हो जाता है.