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- हेल्थ को हेल्दी रखने के लिए हेल्दी ब्रेकफास्ट बेहद जरूरी है. हेल्थ एक्सपर्ट् कहते हैं कि सुबह का नाश्ता आपको दिन भर ऊर्जा देता रहता है. लिहाजा आप की सिरदर्द और थकावट जैसी समस्याओं से दूर रहते हैं. अब सवाल आता है कि हेल्दी ब्रेकफास्ट के लिए क्या खाया जाए? इस खबर में हम आपके लिए दो ऐसी चीजों के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जिन्हें ब्रेकफास्ट में शामिल करने से आपको जबरदस्त लाभ मिलेंगे.सेहत के लिए ड्राई फूट्स काफी जरूरी होते हैं. यह हमारे शरीर को कई पोषक तत्व प्रदान करते हैं. भारत में कई तरह के ड्राई फूट्स होते हैं. लेकिन सिर्फ मखाने का सेवन कर आपकी सेहत को कई तरह के फायदे मिलते हैं. यह सेहत के लिए बहुत ही लाभकारी होते हैं. रोजाना सुबह खाली पेट 4 मखानों का सेवन करने से कई तरह के फायदे मिलते हैं.1. नाश्ते में मखाना खाने के फायदेजिन लोगों को डायबिटीज होती है वह हर दिन सुबह उठ कर यदि खाली पेट 4 मखाने खाते हैं तो उनकी शुगर हमेशा कंट्रोल में रहता है.सुबह खाली पेट मखाना खाने से आपका दिल मजबूत रहता है. अगर आप को हार्ट से संबंधित कोई भी बीमारी है तो आपको मखाना जरूर खाना चाहिए यह आपके दिल को स्वस्थ्य रखता है.रोज सुबह उठते ही मखाने का सेवन जरूर करना चाहिए. मखाना खाने से आपका तनाव दूर हो जाता है. साथ ही इससे नींद की समस्या भी ठीक हो जाती है.कई लोगों की किडनियां बहुत कम उम्र में ही खराब हो जाती हैं. मगर, इससे बचा जा सकता है अगर आप रोज मखाने खाती हैं तो इससे आपकी किडनी डिटॉक्सी फाई होती रहती है और मजबूत बनी रहती है.2. नाश्ते में ओट्स के लाभनाश्ते में ओट्स का सेवन करने से सेहत के लिए बेहद फायदे मिलते हैं. ओट्स को जौ से तैयार किया जाता है, यह बाजार में कई तरह के फ्लेवर में मिलता है. नाश्ते में रोजाना आप अगर 30 से 40 ग्राम ओट्स का सेवन करते हैं तो इससे आपके शरीर को कई तरह के फायदे होते हैं. इसमें पाया जाने वाला विशेष प्रकार का फाइबर ‘बीटा ग्लूकैन’ शरीर को खूब फायदा पहुंचाता है.हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से ग्रस्त लोगों के लिए ओट्स का सेवन बहुत फायदेमंद है. इसमें पाया जाने वाला फाइबर उच्च रक्तचाप की समस्या कम करता है.नाश्ते में ओट्स खाने से जल्दी-जल्दी भूख लगने की समस्या भी नहीं होती और पेट साफ रहता है. पेट साफ रहने से किसी भी रोग के होने की संभावना नहीं रहती.ओट्स खाने से कब्ज के रोगियों को फायदा मिलता है. इसमें पाए जाने वाले अनसॉल्युबल फाइबर से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है और पाचन शक्ति बढ़ती है.ओट्स में कैल्शियम, पोटेशियम, विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स और मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में होता है. यह आपके नर्वस सिस्टम को दुरुस्त रखता है.ओट्स में फाइबर और मैग्नीशियम पाया जाता है जो दिमाग में सेरोटोनिन की मात्रा को बढ़ाता है. इसे खाने से मस्तिष्क शांत रहता है. ओट्स का सेवन करने वालों को नींद भी अच्छी आती है.
- आपने देखा होगा कि घर के बड़े-बुजुर्ग बच्चों को दूध पीने पर बहुत जोर देते हैं। कभी-कभी दूध न पीने पर मां-बाप की डांट-फटकार भी सुननी पड़ती है। इसकी वजह है दूध में मौजूद पोषण तत्व जिससे सेहत को कई लाभ मिलते हैं। लेकिन, देखा गया है कुछ लोग दूध का पाचन नहीं कर पाते हैं। मेडिकल भाषा में इसे लैक्टोज इन्टॉलरेंस कहा जाता है। नतीजन, कई तरह की डाइजेस्टिव समस्याओं से उन्हें दो-चार होना पड़ता है।शरीर में दूध का पाचन कैसे होता हैपाचन प्रक्रिया मुंह में शुरू होती है, जहां आपकी थोड़ी एसिडिक सलाइवा दूध के साथ मिलती है और इसे तोडऩा शुरू कर देती है। जब आप दूध को निगलते हैं, तो यह अन्नप्रणाली और पेट में जाता है। पेट में गैस्ट्रिक जूस दूध को और ब्रेकडाउन करते हैं और उसमें मौजूद किसी भी जीवित बैक्टीरिया को मार देता है। पेट फिर दूध को छोटी आंत में भेजता है, जहां पोषक तत्व - जैसे अमीनो एसिड, प्रोटीन बिल्डिंग ब्लॉक, फैटी एसिड, फैट बिल्डिंग ब्लॉक अवशोषित होते हैं। वहीं, अवशोषित न होने वाली सामग्री बड़ी आंत में चली जाती है और मलाशय के माध्यम से उसे बाहर निकाल दिया जाता है। अपशिष्ट तरल पदार्थ भी यूरिन पास करने के दौरान निष्काषित होते हैं।दूध का पाचन : लैक्टेज की भूमिकाहर किसी का शरीर दूध के लिए नहीं बना है। जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, आपके शरीर में लैक्टेज का उत्पादन कम हो जाता है। लैक्टोज मिल्क और अन्य डेयरी उत्पादों के डाइजेशन के लिए एक महत्वपूर्ण एंजाइम है। छोटी आंत लैक्टेज उत्पन्न करती है। यदि आपका शरीर लैक्टेज की एक छोटी मात्रा का उत्पादन करता है, तो आपको लैक्टोज इन्टॉलरेंस हो सकता है। हर व्यक्ति में लैक्टेज का लेवल अलग-अलग होता है। कुछ लोगों में लैक्टेज इतना कम होता है कि उन्हें दूध को हजम करना मुश्किल हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिस्कंफर्ट होता है।दूध का पाचन होने में कितना समय लगता है?पश्चिमी आहार में कई लोग दूध को ठीक से पचा नहीं पाते हैं। लैक्टोज दूध में पाया जाने वाला नेचुरल शुगर है, और लैक्टेज एक एंजाइम है जो लोगों को इसे पचाने में मदद करता है। बचपन के बाद, आपका शरीर दूध को पचाने के लिए कम लैक्टेज का उत्पादन करता है। क्योंकि दूध में सभी छह पोषक तत्व होते हैं; प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, मिनरल और पानी। दूध आपके पेट से गुजरता हुआ छोटी आंत और फिर बड़ी आंत में पहुंचता है। यह अनुमान लगाया जाता है कि भोजन पेट में कम से कम चार से पांच घंटे रहता है। उसी तरह कम वसा वाले दूध की तुलना में अधिक वसा वाला दूध चार से पांच घंटे तक रहता है। दूध छोटी आंत में गुजरता है जहां अधिकांश पोषक तत्व पचते और अवशोषित होते हैं। छोटी आंत से गुजरने में एक मिश्रित भोजन को तीन से पांच घंटे लग सकते हैं। बचा हुआ दूध 24 घंटे तक की अवधि के दौरान बड़ी आंत से गुजरता है, जहां कुछ पानी और विटामिन और मिनरल्स अवशोषित होते हैं। यह सिर्फ एक अनुमान पर आधारित हैं, और दूध के अलग प्रकार के लिए पाचन का समय अलग-अलग हो सकता है।
- छोटे बच्चों के नेल पॉलिश लगे हाथ दिखने में कितने सुंदर लगते हैं। जैसा रंग मां को पंसद होता है, अक्सर बच्चे को भी वैसा ही रंग लगाया जाता है या फिर मां खुद ही बच्चे को लगा देती है। लेकिन सवाल ये है कि क्या छोटे बच्चों को नेल पॉलिश लगाना सुरक्षित है। विशेषज्ञों के मुताबिक, नेल पॉलिश में ऐसे कई कैमिकल होते हैं जो बच्चे के नाखून के स्वास्थ्य को और बच्चे के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए 1-2 दिन नेल पॉलिश लगाने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन रोजाना लगाकर रखने से इन्फेक्शन का डर रहता है।छोटे बच्चों को नेल पॉलिश लगाने से उन्हें ओनाइकोमाइकोसिस फंगल इन्फेक्शन हो सकता है। यह नाखूनों में होने वाला फंगल इन्फेक्शन है। इस इन्फेक्शन की वजह से नाखूनों का रंग बदलना, नाखूनों का पतला होना और नाखूनों का टूटना जैसी परेशानियां होती हैं। इसलिए छोटे बच्चों को नाखूनों पर नेल पॉलिश नहीं लगानी चाहिए।बैक्टीरियल इनफेक्शनबैक्टीरियल इन्फेक्शन में Paronychia इन्फेक्शन होता है। इस इन्फेक्शन में नाखूनों के चारों तरफ सूजन आ जाती है। अगर बच्चे को नेलपेंट लगाया जाता है तो उससे उसे पारोनाचिया बैक्टीरियल इन्फेक्शन हो सकता है।नाखूनों का रूखापननेलपेंट लगाने से नाखूनों में ड्राईनेस होने लगती है। छोटे बच्चों के नाखून बहुत मुलायम होते हैं जिस वजह से नेलपेंट के नाखूनों में कैमिकल सीधे चला जाता है। यह कैमिकल उनकी त्वचा के लिए भी हानिकारक होता है।पेट से जुड़ी परेशानियांछोटे बच्चों को जब नेलपेंट लगाया जाता है तो कई बार वे नाखून को मुंह में डालते हैं। जिससे कैमिकल शरीर के अंदर जाता है और छोटे बच्चों को पेट से जुड़ी पेरशानियां होने लगती हैं। एक लेयर के ऊपर दूसरी लेयर लगाने से नाखून खराब होने लगते हैं।गैस की दिक्कतछोटे बच्चों को अगर आप रोजाना नेल पॉलिश लगाते हैं और कई दिनों तक लगी रहने देते हैं तो उन्हीं नाखूनों को वो चूसते हैं और उन्हें गैस संबंधी परेशानियां होने लगती हैं। नाखूनों को चूसने से नेल पॉलिश का कैमिकल पेट में जाता है और अन्य परेशानियां होने लगती हैं। साथ ही एक ही नाखून पर बार-बार नेलपेंट लगाने से उस पर कोटिंग होती रहती है और नाखून की त्वचा पर नमी होने लगती है, जिस वजह से फंगल इंफेक्शन जल्दी होता है।नेलपेंट लगाते समय किन बातों का ध्यान रखें- 1-2 दिन के लिए बच्चों को नेल पॉलिश लगाने में कोई दिक्कत नहीं है।-अगर आप बच्चों को नेल पॉलिश लगा रहे हैं तो ध्यान रहे कि नेल पॉलिश में ऐसे कैमिकल न हों, जो बच्चे की स्किन को नुकसान करें।-नाखूनों की सफाई का ध्यान रखें। ज्यादा नेल थिनर का प्रयोग न करें।-छोटा बच्चा अगर नाखूनों पर नेलपेंट लगाने की जिद कर रहा है तो हाथों पर नेल पेंट लगाने के बजाए पैरों पर लगाएं। इससे वह हाथों को नाखूनों को चूसता भी है तो उससे नेलपेंट उसके पेट में नहीं जाएगा।-बच्चों के नाखून ज्यादा बड़ा न होने दें।-अमूमन कोशिश करें कि बच्चे से नेलपेंट दूर रखी जा रही हो।-बच्चे को शुरुआत में हल्के रंग ही लगाएं।-मां को देखकर छोटे बच्चे नेलपेंट लगाने की जिद करते हैं, लेकिन 1-2 दिन से ज्यादा नेल पेंट लगाने से उन्हें कोई नुकसान नहीं होता, लेकिन उससे ज्यादा समय तक लगाने से नुकसान होता है।
- भारत में बैगन को कई तरह से खाया जाता है. इसे कहीं सब्जी तो कहीं भरवा बैंगन और भरते के रूप में खाया जाता है, हम सब बैंगन का तो सेवन करते हैं, लेकिन हम बैंगन के पत्तों को भूल जाते हैं. इसलिए आज हम आपके लिए लेकर आए हैं बैंगन के पत्तों के फायदे. जाने माने आयुर्वेद डॉक्टर अबरार मुल्तानी के अनुसार, हां बैंगन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, वहीं उसकी पत्तियां भी सेहत को जबरदस्त लाभ दे सकती हैं.बैंगन के पत्तों के फायदे1. किडनी को साफ करते हैंडॉक्टर अबरार मुल्तानी कहते हैं कि बैंगन की पत्तियां किडनी के लिए डिटॉक्सिफायर का काम करती हैं. ये नैचुरल तरीके से किडनी को साफ करने में मदद करती हैं. इसके लिए आपको एक बर्तन में थोड़ा पानी रखना है और फिर उसमें 5-6 बैंगन की पत्तियों को डालकर उबाल लेना है. अब इस पानी को छान लें और कम से कम दिन में तीन बार इसका सेवन करें.2. कोलेस्ट्रॉल स्तर कम करते हैंअगर आप बैंगन के पत्तों का सेवन करते हैं, तो ये आपके बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद कर सकते हैं. अगर कोलेस्ट्रॉल कम होगा, तो इससे आपका वजन कम होने में भी मदद मिल सकती है.3. सूजन को कम करते हैंहम देखते हैं कि व्यक्ति कई बार अलग-अलग तरह की सूजन से पीड़ित होता है. कई लोग कैंसर से पैदा होने वाली सूजन से परेशान रहते हैं. ऐसे में अगर आप बैंगन के पत्तों का सेवन करते हैं, तो ये आपकी सूजन को कम करके आपको आराम देने का काम कर सकते हैं. क्योंकि इन पत्तों में फाइटोकेमिकल्स मौजूद होता है, जिसकी वजह से सूजन कम करने में मदद कर पाते हैं.4. खून की कमी को दूर करते हैंबैंगन की पत्तियां एनीमिया से जूझ रहे लोगों के लिए फायदेमंद हैं. बैंगन की पत्तियों का सेवन करने से ये शरीर में होने वाली खून की कमी को भी दूर करने में मदद करती हैं.5 शुगर लेवल कंट्रोल रखेडॉक्टर अबरार मुल्तानी के अनुसार, अगर आप मधुमेह की समस्या से पीडि़त हैं तो भी आपको सफेद बैंगन की पत्तियों का सेवन अवश्य करना चाहिए. दरअसल, सफेद बैंगन की पत्तियों में फाइबर और मैग्नेशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं और यह पोषक तत्व आपके रक्त में शुगर के स्तर को नियंत्रित करते हैं.
- हर फल के अपने फायदे होते हैं, जैसे- नाशपाती। ये हमारी इम्यूनिटी को बूस्ट करने में काफी मदद करते हैं और वजन कम करने में भी लाभदायक होते हैं। वहीं, इसमें पाए जाने वाले खनिज, फाइटोन्यूट्रिएंट्स, डाइट फाइबर, विटामिन और पॉलीफेनोल्स जैसे पोषक तत्व काफी फायदा देते हैं। इस मौसमी फल को खाने से हमारे शरीर को कई लाभ मिलते हैं, लेकिन अगर नाशपाती का ज्यादा सेवन किया जाए तो ये हमें फायदे की जगह पर नुकसान दे सकता है। इसलिए हमें इनका ज्यादा सेवन करने से बचना चाहिए। तो चलिए आपको बताते हैं कि किन लोगों को इनका ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए, नहीं तो फायदे की जगह पर नुकसान हो सकते हैं।एलर्जी वाले लोगों कोअगर आपको एलर्जी की समस्या है, तो आपको नाशपाती का ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए। दरअसल, जब नाशपाती से आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली मिलती है, तब इससे एलर्जी होती है। ऐसे में इसके कुछ प्रोटीन हानिकारक साबित हो जाते हैं, और ये एक तरह का पदार्थ पूरे शरीर में छोड़ता है जिसकी वजह से एलर्जी होती है।पेट से जुड़ी दिक्कतों वाले लोगों कोजिन लोगों के पेट में दिक्कत होती है, जिन्हें पेट से जुड़ी समस्याओं से जूझना पड़ता है। ऐसे लोगों को नाशपाती का ज्यादा सेवन करने से बचना चाहिए। अगर ऐसे लोग इसका ज्यादा सेवन करते हैं, तो इसमें मौजूद फाइबर पेट में ऐंठन, कब्ज, आंतों की गैस, दस्त, कब्ज जैसी समस्याएं पैदा या इन्हें बढ़ा सकता है।ब्लड प्रेशर की दिक्कत वालों कोनाशपाती में जिंक, पोटैशियम और मैग्नीशियम मौजूद होते हैं, जो हमारे ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। लेकिन दूसरी तरफ अगर आप इनका ज्यादा सेवन करते हैं, तो ये आपका ब्लड प्रेशर लेवल बिगाड़ सकता है। ऐसे में आपको कई दिक्कतें हो सकती हैं। जैसे- सांस लेने में दिक्कतें, हिहाइड्रेशन, चक्कर आना, मतली, बेहोशी जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।
- सेहत के लिए लहसुन कितना ज्यादा फायदेमंद होता है, ये तो हम सभी जानते हैं, लेकिन क्या आपने कभी लहसुन का रायता खाया है? वैसे तो इसके बारे में कम ही लोग जानते हैं, लेकिन अगर आप बिरयानी और पुलाव के शौकीन है तो हो सकता है कि आपने किसी रेस्त्रां में इसे बिरयानी या पुलाव के साथ टेस्ट किया हो. बिरयानी या सोया पुलाव के साथ लहसुन का रायता बहुत गजब का लगता है. इसे बनाना भी बहुत आसान है. यहां जानिए इसकी रेसिपी और अब की बार जब भी पुलाव ट्राई बनाइएगा, लहसुन का रायता साथ में बनाकर चटकारे लगाएं.सामग्री : 200 ग्राम ताजा दही, दो डंठल हरा धनिया, 7 से 8 मोटी लहसुन की कलियां, 4 से 5 हरी मिर्च, दो चुटकी हींग, आधा चम्मच जीरा, आधा चम्मच पुदीना पाउडर या ताजा पुदीना की 6 से 7 पत्तियां, चौथाई चम्मच काला नमक और सफेद नमक स्वादानुसार.रायता बनाने की विधि1- रायता बनाने के लिए सबसे पहले दही को अच्छी तरीके से मथ लें. अगर दही खट्टा हो तो उसमें थोड़ा दूध मिलाएं, पानी नहीं. पानी मिलाने से दही छाछ की तरह पतला हो जाता है. जबकि दूध डालकर उसमें गाढ़ापन बना रहता है और खटास कम हो जाती है. अपने स्वादानुसार दही में खट्टापन रखें.2- इसके बाद हरे धनिया और हरी मिर्च को पानी से धो लें. फिर सिल पर बटने से सारी चीजों को एक साथ बारीक पीस लें. ये सारी चीजें जब चटनी की शक्ल ले लें, तो आप इसे दही में डाल दें और मथानी से एक बार फिर से मथ लें.3- मथने के बाद दही में काफी सुंदर हरा रंग आ जाएगा. कुछ देर के लिए इसे फ्रिज में रख दें. तब तक पुलाव बनने दें. इसके बाद गर्मागर्म पुलाव को इस रायते, पापड़ और अचार के साथ खाएं.सुझाव– ध्यान रहे रायते के लिए सामग्री को मिक्सी में न पीसें. सिल पर पिसी सामग्री का बहुत अच्छा टेस्ट आता है.– अगर आप ज्यादा तीखा या कम तीखा खाते हैं तो हरी मिर्च की मात्रा को अपने हिसाब से बढ़ा और घटा भी सकते हैं.– लहसुन का रायता बनाने के लिए हमेशा ताजे दही का ही इस्तेमाल करें, साथ ही दही में गाढ़ापन होना चाहिए. अगर आप पहले का रखा दही इस्तेमाल करेंगे तो रायता मजेदार नहीं लगेगा.
- कई लोग ऐसे होते हैं जिन्हें ड्राई फूट्स डाइजेस्ट नहीं होते यानी उनके शरीर का टेम्परेचर बहुत गर्म होता है इसलिए उन्हें कोई भी गर्म चीज डाइजेस्ट नहीं हो पाती। ऐसे में वे ड्राई फ्रूट्स नहीं खाते लेकिन इम्युनिटी बढ़ाने के साथ ड्राई फ्रूट्स कई बीमारियों से भी बचाते हैं। ऐसे में अगर आपको भी ड्राई फ्रूट्स डाइजेस्ट नहीं होते, तो आप इन्हें भीगाकर खा सकते हैं। वहीं कुछ ड्राई फ्रूट्स ऐसे हैं जिनका पानी पीने से भी आप स्वस्थ रहते हैं। आज हम आपको किशमिश का पानी पीने के फायदे बता रहे हैं।ऐसे रखें किशमिश का पानी2 कप पानी और 150 ग्राम किशमिश लें। एक पैन में, पानी डालें और उबाल लें। किशमिश को इसमें डालें और इसे रात भर भिगो दें। सुबह इस पानी को छान लें और धीमी आंच पर गर्म करें। इस पानी को सुबह खाली पेट पिएं। सुनिश्चित करें कि इस पानी को पीने के बाद अगले 30 मिनट तक आप कुछ न खाएं पिएं।इसे पीने के फायदे-किशमिश का पानी पीने से आपको अपने शरीर से सभी हानिकारक विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलेगी। यह ड्रिंक लीवर की जैव रासायनिक प्रक्रिया में सुधार करता है और आपको रक्त को साफ करने में मदद करता है।-किशमिश का पानी आपके रक्त के शुद्धिकरण का काम करता है और आपके दिल की सेहत को बनाए रखने में मदद करता है। यह आपके शरीर से खराब कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करता है।
- भारतीय घरों में सब्जी में तड़का लगाने से लेकर हर तरह के अचार में राई का प्रयोग किया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि राई सिर्फ तड़का लगाने के काम ही नहीं आती, यह एक गुणकारी हर्ब भी है जो हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होती है।आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि राई किन बीमारियों में फायदेमंद है और इसका कैसे इस्तेमाल किया जाए।सिर दर्द हो जाएगा छू मंतर!राई के बारीक दाने सिर दर्द और माइग्रेन में काफी लाभकारी माने जाते हैं। राई में भरपूर मात्रा में मैग्नीशियम होता है जो हमारे नर्वस सिस्टम को रिलैक्स करता है। किसी भी तरह के सिर दर्द से जूझ रहे लोगों को राई का सेवन करने के अलावा इसे पीसकर माथे पर लगाना चाहिए. इससे काफी आराम मिलता है।सूजन और मोच में लाभकारीराई के औषधीय गुण सूजन को कम करने में मदद करते हैं। शरीर के किसी भी हिस्से पर सूजन आने पर राई को पीसकर इसका लेप लगाना चाहिए। इसके अलावा मोच आने पर भी आप इसे पीसकर अरंड के पत्ते पर इसका लेप लगाकर गुनगुना करके दर्द वाली जगह पर बांध सकते हैं। इससे काफी आराम मिलेगा।वात-पित्त में फायदेमंदराई के दाने वात, पित्त और कफ को नियंत्रित करने में भी कारगर है।वजन घटाना है तो राई की मदद लेंराई में कम कैलोरी और ज्यादा फाइबर की मात्रा होती है इसलिए यह वजन घटाने में भी मदद करती है।राई से चमक उठेगा चेहराराई को रात भर पानी में भिगोकर सुबह इस पानी को त्वचा पर लगाने से त्वचा की कई तरह की समस्याएं दूर हो जाती हैं, क्योंकि राई में मायरोसीन, सिनिग्रिन जैसे तत्व पाए जाते हैं।
- अगर आप भी अपने बच्चे के दिमाग को तेज करना चाहती हैं तो ये खबर आपके काम की है. कॉम्पिटिशन के इस दौर में हर कोई चाहता है कि उनका बच्चा भी हर चीज में आगे रहे. चाहे बात पढ़ाई की हो या फिर खेल-कूद की. बच्चे शारीरिक और मानसिक रूप से हेल्दी रखने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है हेल्दी डाइट.अपने बच्चों को मानसिक रूप से तेज बनाने के लिए उन्हें वह भोजन दें जो उनके ब्रेन को भरपूर पोषण दे. इस खबर में हम आपके लिए ऐसे ही 6 फूड्स के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जो बच्चों के ब्रेन डेवलपमेंट के लिए बहुत ही जरूरी माने जाते हैं.मछलीबच्चों का दिमाग तेज करने के लिए मछली जरूरी है. फैटी फिश जैसे कि सैल्मन, ट्यूना और मैकरेल में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है, जो मस्तिष्क के ऊतकों के ब्लॉक बनाने में मदद करता है. ओमेगा-3 फैटी एसिड के और भी कई फायदे होते हैं. इससे शिशु के मस्तिष्क के कार्यों और विकास में मदद मिलती है.अंडाअंडा भी बच्चों की सेहत के लिए जरूरी है. इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड, ल्यूटिन, कोलिन और जिंक होता है. ये सभी पोषक तत्व शिशु की ध्यान लगाने की क्षमता को बढ़ाते हैं. कोलिक एसिटेकोलिन या मेमोरी स्टेम सेल्स बनाने में मदद करता है. इस तरह अंडा खाने से बच्चों की याददाश्त में सुधार आता है।साबुत अनाजसाबुत अनाज बच्चों के दिमाग को निरंतर एनर्जी देता रहता है. ये रक्त वाहिकाओं में ग्लूकोज को धीरे से रिलीज करता है, जिससे शिशु के शरीर में दिनभर एनर्जी बनी रहती है. इसमें मस्तिष्क के सही तरह से कार्य करने के लिए जरूरी फोलिक एसिड भी होता है.ओट्सओट्स विटामिन ई, जिंक और विटामिन बी कॉम्प्लेक्स प्रचुरता में पाया जाता है. ओटमील में फाइबर भी उच्च मात्रा में होता है जिससे शिशु के शरीर को एनर्जी मिलती है. बच्चों को नाश्ते में ओट्स खिलाने से मस्तिष्क के कार्यों में सुधार आने में मदद मिलती है.दहीबच्चों के ब्रेन डेवलपमेंट में दूध से ज्यादा दही का योगदान होता है. अगर बच्चों को नियमित रूप से दही दिया जाए तो ब्रेन सेल्स फ्लेक्सिबल होते हैं, जिससे दिमाग को सिग्नल लेने और उस पर क्विक रिऐक्शन देने की क्षमता भी बढ़ ताजी है.ये सब्जियांतेज दिमाग के लिए पालक, केले, ब्रोकोली और अन्य पत्तेदार हरी सब्जियां सहायक होती हैं. कुछ अन्य सब्जियां जैसे टमाटर भी बेहतर हैं, यहां तक कि ब्लूबेरी, रास्पबेरी और ब्लैकबेरी भी एंटीऑक्सिडेंट से भरे होते हैं, जो मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकता है.
- लौंग काफी स्वास्थ्यवर्धक जड़ी-बूटी है, जो कई शारीरिक समस्याओं के इलाज में मददगार होती है. ऐसी ही एक समस्या गले की खराश है. जिसे लौंग के सेवन से खत्म किया जा सकता है, लेकिन उसके लिए आपको खास तरीके से लौंग खाना होता है. गले में संक्रमण, बारिश, सर्दी के मौसम, ठंडा-गरम खाने या मौसम में बदलाव के कारण गले में खराश हो सकती है.गले में खराश के लिए कैसे खाएं लौंग?आयुर्वेदिक विशेषज्ञ डॉ. अबरार मुल्तानी के मुताबिक, लौंग में प्रचुर मात्रा में एंटी-इंफ्लामेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो संक्रमण या मौसम में बदलाव होने के कारण हो रही गले की खराश को दूर करने में मदद करते हैं. गले की खराश दूर करने के लिए आयुर्वेद में लौंग का इस्तेमाल बताया गया है, जो कि कुछ ही मिनटों में गले की खराश को दूर कर देगा. डॉ. मुल्तानी ने बताया कि आप 2 लौंग लेकर उसे धीमी आंच पर धीरे-धीरे भून लीजिए. जिससे लौंग फूल जाएंगे. अब इन लौंग को मुंह में रखकर धीरे-धीरे चूसना है. याद रखिए इन्हें तुरंत निगलना नहीं है. इससे आपको गले की खराश के कारण हो रही खांसी और बोलने में दर्द से राहत मिलेगी.लौंग के अन्य फायदे00 लौंग में मौजूद eugenol लिवर के लिए फायदेमंद होता है.00 कई अध्ययनों में पाया गया है कि लौंग शरीर में ब्लड शुगर मेंटेन करने वाले इंसुलिन का उत्पादन बढ़ाने में मददगार होता है.00 लौंग का सेवन हड्डियों की कमजोरी दूर करता है.00 लौंग का सेवन मुंह की दुर्गंध को मिटाने का भी काम करता है.
- बालों की समस्या से ज्यादातर लोग परेशान रहते हैं। असमय बाल पकना... झडऩा और पतला होना एक आम समस्या है। आज हम एक उपाय बता रहे हैं जो काफी कारगर है... इसका इस्तेमाल करके आप भी काले, घने बाल पा सकते हैं। यह तेल बाल भी तेजी से उगाता है।रतनजोत का उपयोग सौंदर्य और सेहत दोनों के लिए किया जाता है। ब्यूटी प्रॉडक्ट्स बनाने में भी इसका उपयोग होता है और कई तरह आयुर्वेदिक दवाएं बनाने में भी इसका उपयोग किया जाता है। अगर आपके बाल बहुत पतले हैं, बहुत झड़ रहे हैं या आपके बालों के सफेद होने की गति बढ़ गई है। तो आप सरसों तेल के साथ रजनजोत का उपयोग करें। इसका उपयोग कैसे करना है, इस बारे में यहां जानें।रतनजोत ऑइल बनाने के लिए आपको रतनजोत के अलावा सिर्फ सरसों के तेल की जरूरत है। हालांकि आप चाहें तो इस तेल को और भी इंग्रीडिऐंट्स मिलाकर रिच कर सकती हैं। लेकिन हम यहां साधारण रतनजोत तेल के बारे में बात कर रहे हैं।1 कप सरसों का तेल2 लकड़ी रतनजोत (1-1 इंच की)सबसे पहले रतनजोत को तोड़कर बारीक कर लें। इसकी लकड़ी एक के ऊपर एक परत की तरह चढ़ी हुई होती है। इन्हें तोड़कर हटा लें ताकि यह तेल में आसानी से और जल्दी पक सके। सरसों तेल को लोहे के बर्तन में धीमी आंच पर गर्म होने के लिए रख दें। जब तेल गर्म हो जाए तो इसमें तोड़ा हुआ रतनजोत मिक्स कर लें। अब इसे 4 से 5 मिनट के लिए धीमी आंच पर पकाएं। जब तेल अच्छी तरह पक जाए तो गैस बंद कर दें और तेल को ठंडा होने के लिए रख दें। इसके बाद छलनी की मदद से तेल छानकर किसी कांच की शीशी में भरकर रख लें।इस विधि से करना है उपयोगतैयार रतनजोत ऑइल को शैंपू करने से एक दिन पहले बालों में लगाएं। रात को इस तेल की मालिश करके सो जाएं और सुबह उठकर शैंपू कर लें। आपने जो तेल तैयार किया है यह लाल रंग का तेल होता है। क्योंकि रतनजोत को तेल में पकाने पर यह लाल रंग छोड़ता है। पकने के बाद रतनजोत के सारे गुण सरसों तेल में आ जाते हैं और जब आप इस तेल से सिर में मालिश करती हैं तो आपके बाल काले बनते हैं।आप चाहे जितने भी तेल अपने बालों में क्यों ना उपयोग कर लें। लेकिन आज के समय में भी शुद्ध सरसों तेल का कोई मुकाबला नहीं। यह तेल आपके बालों को मोटा और घना बनाने में मदद करता है। जब आप इसमें रतनजोत को पका लेती हैं तो यह आपके बालों दोगुनी गति से लाभ पहुंचाने लगता है। इसे लगाने से आपके बाल काले तो होते ही हैं, साथ ही तेजी से नए बाल आने भी लगते हैं।अगर आपको हर दिन शैंपू करना पसंद है या फिर आप हर दूसरे दिन शैंपू करती हैं तो आपको रतनजोत मिक्स सरसों तेल का उपयोग जरूर करना चाहिए। क्योंकि हर दिन शैंपू करने से आपके बालों का प्राकृतिक ऑइल निकल जाता है। इससे बालों की जड़े रूखी और कमजोर हो जाती हैं। साथ ही सिर की त्वचा अपनी नमी खो देती और इन दोनों वजहों के चलते बाल बहुत तेजी से गिरने लगते हैं। लेकिन जब आप रतनजोत ऑइल लगाती हैं तो आपके बालों की ये सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।रतनजोत एक खास ऐंटीबायोटिक होता है। इसमें ऐसे गुण पाए जाते हैं, जो आपके सिर की त्वचा को शांत और नमीयुक्त बनाए रखते हैं। इससे आपके सिर पर नए बाल आने की प्रक्रिया तेज होती है। रतनजोत को प्राकृतिक हेयर कलर से भरपूर माना जाता है। इसका कारण यह है कि इसे बालों में लगाने से आपके बाल काले और घने बनते हैं। सरसों तेल के साथ जब आप इसे पकाकर अपने बालों में लगाती हैं तो आपके बाल मोटे भी हो जाते हैं। अगर आपके बाल बहुत कमजोर और पतले हैं तो हम आपको यह तेल ट्राई करने के लिए जरूर कहेंगे। आप हर रोज रात को सोने से पहले इस तेल से बालों की जड़ों में अच्छी तरह मसाज करें और फिर अगली सुबह शैंपू कर लें।
- कहते हैं कि सभी की हाथों की रोटियों का स्वाद अलग-अलग होता है। जैसे कोई रोटी नरम बनाता है, तो किसी के हाथ की रोटियां थोड़ी मोटी और कड़क लगती है। आप अगर अपनी रोटियां और भी मुलायम बनाना चाहते हैं, तो ये टिप्स आपके काम आएंगे--रोटी बनाने के लिए आटा और पानी मात्रा पर खास ध्यान दें। अगर आटा एक कप ले रहे हैं तो पानी आधा कप लेकर गूंदें। आप चाहें तो आटे में एक चौथाई छोटा चम्मच नमक मिला लें।-आटे को छलनी से छानना भी जरूरी होता है क्योंकि दरदरे आटे की रोटियां मुलायम नहीं बनती हैं। हालांकि, छानने गेहूं से चोकर निकल जाता है। यह फायदेमंद माना जाता है, लेकिन इस आटे की रोटियां मोटी बेलनी पड़ती हैं। जबकि पतली रोटी बनाने के लिए आटा छना हुआ ही इस्तेमाल करना चाहिए।-रोटी बनाने के लिए मुलायम आटा इसलिए गूंदा जाता है क्योंकि इससे रोटिया नर्म और सॉफ्ट बनती हैं। जबकि सख्त आटे की पूड़ियां अच्छी लगती हैं।-आटा गूंदने के लिए इसे परात में रखें। आटे के बीच में एक बड़ा गड्ढा बना लें। इस पर पानी डालें और किनारे के आटे को बीच में रखते जाएं। फिर इसे अच्छी तरह मिला लें। जरूरत के हिसाब से थोड़ा-थोड़ा करके पानी छिड़कते जाएं।-आटे को हाथ से मैश करते जाएं। धीरे-धीरे यह गूंथ जाएगा और बर्तन या हाथ में चिपकेगा नहीं। ऐसे आटे से बनी रोटियां नर्म बनती हैं।-गूंदा हुआ आटा इतना मुलायम होना चाहिए कि उंगली से दबाने पर आसानी से दब जाए।-इस आटे पर थोड़ा-सा घी या तेल लगाकर 15-20 मिनट तक कपड़े से ढककर रख दें। ऐसा करने से आटे की ऊपरी परत सूखेगी नहीं और सभी रोटियां बनती हैं।-तय समय बाद आटे को फिर से एक बार गूंद लें। एक लोई लेकर पहले इसे पलथन (सूखा आटा) में लपेटें और बेल लें। बेलते वक्त जरूरत के अनुसार रोटी पर पलथन लगा लें।-गोल रोटी बनाने के लिए एक लोइ लें और पहले गोल कर लें। फिर बीच से दबाकर पलथन लपेटें। चकले पर रखकर हथेलियों से दबा दें। फिर पलथन लगाकर -बेलन से बीच में दबाते हुए बेलते जाएं। एक-दो बार और पलथन लगा लें।-रोटी को बेलने के बाद चकले पर ज्यादा देर तक नहीं रखनी चाहिए। ऐसा करने से इसकी सिकाई नहीं हो पाती जिससे यह फूलती नहीं है।-तवे पर रोटी डालने से पहले इसमें लगे ज्यादा पलथन को झाड़ भी सकती हैं।-तवे पर रोटी डालते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि इसमें सेल न पड़े। यानी रोटी सिकुड़ने नहीं चाहिए। नहीं तो यह फूलेगी नहीं।-तवे को पहले तेज आंच पर गर्म कर लें। फिर मीडियम धीमी करके इस पर रोटी डालें।-तवे पर रोटी डालने के बाद 30 सेकेंड के बाद पलट दें।-फिर आंच तेज करके रोटी को पलटकर सेंके। सेंकते वक्त रोटी का ऊपरी हिस्सा आंच पर रखें। ऐसा करने से रोटी जरूर फूलेगी।-अगर धीमी आंच पर रोटी सेंकेंगे, तो यह नरम नहीं बनेगी। रोटियां सेंकते वक्त आंच को मीडियम-हाई करते रहें।-यह पूरा काम प्रैक्टिस का है। अगर आप अपनी मां को रोटियां बनाते देखते होंगे तो वो ऐसा ही तरीका आजमाती होंगी।-कई रोटियां बनाने के बाद तवे पर लगा अतिरिक्त आटे को कपड़े से पोंछकर साफ कर दें। नहीं तो इसकी जलन रोटियां पीली सी हो जाएंगी।-कुछ लोग नर्म रोटियां बनाने के लिए आटें में थोड़ा-सा दही या दूध भी मिला लेते हैं।
- आपकी सेहत को दुरुस्त बनाए रखने में सुबह के नाश्ते का बहुत बड़ा हाथ होता है। लेकिन कई बार समय की कमी या खान-पान की गलत आदतों की वजह से लोग सुबह का नाश्ता या तो ज्यादातर स्किप कर देते हैं या फिर खाली पेट भूख शांत करने के लिए कुछ भी खा लेते हैं। अगर आप भी ऐसा ही कुछ करते हैं तो सतर्क हो जाएं। आपकी छोटी सी गलती आपकी सेहत पर भारी पड़ सकती है। आइए जानते हैं कई घंटों की फास्टिंग के बाद सुबह उठकर व्यक्ति को खाली पेट कौन सी चीजें नहीं खानी चाहिए।चाय-कॉफी-अकसर लोग अपने दिन की शुरूआत करने के लिए चाय या कॉफी का सहारा लेते हैं। अगर आप भी ऐसा करते हैं तो तुरंत अपनी इस आदत को बदल डालिए। खाली पेट चाय या कॉफी का सेवन करने से पेट गैस की समस्या हो सकती है। सुबह चाय या कॉफी खाली पेट नहीं बल्कि बिस्किट, ब्रेड के साथ लें।टमाटर-टमाटर का सेवन खाली पेट करने से पेट में टैनिक ऐसिड की मात्रा बढ़ जाती है जो पेट या सीने में जलन की समस्या पैदा कर सकता है।अमरूद-अमरूद पाचन के लिए अच्छा माना जाता है। लेकिन अमरूद में मौजूद विटामिन सी की वजह से इसका खाली पेट सेवन पेट दर्द की समस्या पैदा कर सकता है।
- संतरा सेहत के लिहाज से एक शानदार फल है. वजन कम करना हो या फिर इम्युनिटी बढ़ानी हो संतरा इसके लिए बेहतर विकल्प है. संतरे में विटामिन और मिनरल, बीटा-कैरोटीन, पोटैशियम, मैग्नीशियम और फाइबर होता है. ये विटामिन सी से भरपूर होते हैं. संतरा आपके स्वास्थ्य के लिए कई तरीके से लाभदायक है. इसमें एंटीवायरल, एंटीमाइक्रोबॉयल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं. ये कई क्रोनिक बीमारियों का इलाज करने में मदद कर सकते हैं. संतरा वजन घटाने में मदद कर सकता है. संतरे में मौजूद फाइबर आपका पेट भरा रखता है और आप कम खाना खाते हैं. इसमें कैलोरी कम होती है. आप इसका जूस भी पी सकते हैं.त्वचा की उम्र बढ़ाता हैसंतरे में ऑर्गेनिक एसिड, विटामिन, मिनरल, विटामिन सी और फ्लेवोनोइड होते हैं. ये आपकी त्वचा को स्वस्थ रखने का काम करते हैं. ये त्वचा को हाइड्रेटेड रखता है. ये कोलेजन उत्पादन में तेजी ला सकता है.ब्लड प्रेशर को कंट्रोलसंतरा ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने में मदद करता है. इसमें पोटैशियम अधिक होता है. ये ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने का काम करता है.कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता हैसंतरा फाइबर (पेक्टिन) से भरपूर होता है. फाइबर लीवर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है.हृदय स्वास्थ्य रखता हैसंतरा दिल को स्वस्थ्य रखता है. इसमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है. ये कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम रखकर हृदय रोग को रोकने में मदद कर सकते हैं. इसमें मौजूद विटामिन सी खून को जमने से भी रोकता है. ये दिल के दौरे के जोखिम को कम करता है.इम्युनिटी बढ़ाने में मददसंतरा विटामिन सी से भरपूर होता है. ये पोषक तत्व इम्युनिटी बढ़ाने में मदद कर सकता है. इन फलों में फोलेट और कॉपर जैसे कई अन्य आवश्यक पोषक तत्व होते हैं, जो इम्युनिटी बढ़ाने में मदद कर सकते हैं.संतरा खाने का सही समयसंतरे को खाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि सुबह और रात में इसे न खाएं. संतरे को हमेशा दिन के समय में खाएं. साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि इसे हमेशा खाना खाने के 1 घंटा पहले या बाद में खाएं. पहले खाने से भूख बढ़ती है और बाद में खाने से भोजन पचाने में आपको मदद मिलती है.
- गुड़ एक ऐसी चीज है, जो सेहत के लिए जबरदस्त लाभकारी है. इसके नियमित सेवन से आप कई गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं. यह न सिर्फ खाने में टेस्टी है बल्कि यह कई औषधीय गुणों से भरपूर है. आमतौर पर लोग सर्दियों के मौसम में ही इसका प्रयोग करते हैं, जबकि इसे साल भर खाया जा सकता है और शरीर को इसे ढेरों लाभ भी मिलते हैं. गुड़ आयरन का बहुत बड़ा स्रोत है. अगर आपका हिमोग्लोबिन कम है तो रोजाना गुड़ खाने से तुरंत लाभ मिलने लगेगा. गुड़ खाने से शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की मात्रा बढ़ जाती है. यही वजह है कि प्रेग्नेंट महिलाओं को डॉक्टर गुड़ खाने की सलाह देते हैं. आप सुबह उठकर 50 ग्राम गुड़ खा सकते हैं.1. फेफड़ों के संक्रमण से बचाता हैगुड़ शरीर में रक्त की सफाई कर मेटाबॉलिज्म रेट को भी नियंत्रित करता है. इसके अलावा गुड़ गले और फेफड़ों के संक्रमण के इलाज में फायदेमंद होता है.2. पेट की समस्याओं से पाइए निजातगुड़ पेट से संबंधित कई समस्याओं का रामबाण इलाज है. आपको गैस या एसिडिटी की शिकायत है तो गुड़ खाने से लाभ मिलेगा.3. जोड़ों के दर्द की समस्या का समाधानजोड़ों में दर्द की समस्या होने पर गुड़ का अदरक के साथ प्रयोग काफी लाभदायक सिद्ध होता है. प्रतिदिन गुड़ के एक टुकड़े के साथ अदरक खाने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है.4. हड्डियों को मजबूत बनाता है गुड़गुड़ में भरपूर मात्रा में कैल्शियम और फास्फोरस पाया जाता है. यह दोनों तत्व हड्डियों को मजबूती देने में बेहद मददगार हैं. गुड़ के साथ अदरक खाने से जोड़ों के दर्द से छुटकारा मिलता है.5. शरीर को दिनभर रखेगा एक्टिवगुड़ शरीर को मजबूत और एक्टिव बनाए रखता है. शरीरिक कमजोरी दूर करने के लिए दूध के साथ गुड़ का सेवन करने से ताकत आती है और शरीर ऊर्जावान बना रहता है. अगर आपको दूध नहीं पसंद है तो एक कप पानी में पांच ग्राम गुड़, थोड़ा सा नींबू का रस और काला नमक मिलाकर सेवन करने से आपको थकान महसूस नहीं होगी.इस तरह करें गुड़ का सेवनबासी मुंह गुड़ खाना चाहिए अगर गुड़ के साथ गुनगुना पानी भी हो तो कहने ही क्या. इससे शरीर को काफी उर्जा मिलती है. खून साफ होता है. कई तरह की बीमारी दूर होती हैं. इससे पूरे दिन एसिडिटी नहीं होती. बस शर्त ये है कि इसे बासी मुंह मतलब खाली पेट खाना है.
- अगर आप भी घंटों वर्कआउट करने के बाद अपना बढ़ता वजन कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं तो इमली का ये नेचुरल उपाय आपकी मदद कर सकता है। इमली में कैल्शियम, विटामिन सी, ई और बी के अलावा आयरन, फॉस्फोरस, पोटेशियम, मैंगनीज और फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है। जो इम्यूनिटी को स्ट्रॉन्ग बनाने के साथ शरीर की एनर्जी बढ़ाने और मोटापा कम करने में मदद करता है।डायबिटीज कंट्रोल रखने में करता है मदद-डायबिटीज रोगियों के लिए इमली का सेवन बेहद फायदेमंद माना जाता है। इमली ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करके शरीर में कार्बोहाइड्रेट्स को एब्जॉर्ब होने से रोकती है। ब्लड शुगर कंट्रोल में रखने के लिए इमली का थोड़ा सा रस ही काफी होता है।इम्यूनिटी बढ़ाता है-इमली में प्रचूर मात्रा में विटामिन सी और एंटी ऑक्सीडेंट्स मौजूद होते हैं जो इम्यूनिटी अच्छी बनाए रखने के साथ शरीर को कई तरह के वायरल इंफेक्शन से भी दूर रहते हैं।मोटापे से छुटकारा-इमली में मौजूद हाइड्रोसिट्रिक एसिड शरीर में बनने वाले फैट को धीरे-धीरे कम करके ओवरईटिंग की आदत से भी दूर रखने में मदद करता है। जिसकी वजह से व्यक्ति को वजन बढ़ने का खतरा नहीं रहता है।लू से बचाव-इमली का सेवन लू से बचाव करने में बहुत मदद करता है। इसके लिए एक ग्लास पानी में 25 ग्राम इमली भिगोकर इसका पानी पीने से लू नहीं लगती। इसके अलावा इमली का गूदा हाथ- पैर के तले पर लगाने से भी लू का असर खत्म हो जाता है।ब्लड प्रेशर करती है कंट्रोलइमली में प्रचूर मात्रा में मौजूद आयरन और पोटेशियम ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने के साथ रेड ब्लड सेल्स को भी बनाने में मदद करते हैं।
- संतरा एक रसदार फल है। इसमें कई सारे पोषक तत्व होते हैं। संतरे में विटामिन और मिनरल, बीटा-कैरोटीन, पोटैशियम, मैग्नीशियम और फाइबर होता है। ये विटामिन सी से भरपूर होते हैं। संतरा स्वास्थ्य के लिए कई तरीके से लाभदायक है। ये वजन घटाने में मदद कर सकता है। ये इम्युनिटी बढ़ाता है। इसमें एंटीवायरल, एंटीमाइक्रोबॉयल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। ये कई क्रोनिक बीमारियों का इलाज करने में मदद कर सकते हैं। आइए जानें संतरे के स्वास्थ्य लाभ क्या हैं।वजन घटाने में मदद कर सकते हैंसंतरे में फाइबर होता है। ये वजन घटाने में मदद कर सकता है। संतरे में मौजूद फाइबर आपका पेट भरा रखता है और आप कम खाना खाते हैं। इसमें कैलोरी कम होती है। इसका सेवन कई तरह से किया जा सकता है जैसे चाट और जूस आदि।त्वचा की उम्र बढऩे से रोकता हैसंतरे में ऑर्गेनिक एसिड, विटामिन, मिनरल, विटामिन सी और फ्लेवोनोइड होते हैं। ये आपकी त्वचा को स्वस्थ रखने का काम करते हैं। ये त्वचा को हाइड्रेटेड रखता है। ये कोलेजन उत्पादन में तेजी ला सकता है।ब्लड प्रेशर को कंट्रोलसंतरे में पोटैशियम अधिक होता है। ये ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करता है।कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कमसंतरे का जूस खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर सकता है। संतरा फाइबर (पेक्टिन) से भरपूर होता है। फाइबर लीवर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है।हृदय स्वास्थ रखता हैइसमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है। ये कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम रखकर हृदय रोग को रोकने में मदद कर सकते हैं। इसमें मौजूद विटामिन सी खून को जमने से भी रोकता है। ये दिल के दौरे के जोखिम को कम करता है। संतरे में पोटैशियम ब्लड प्रेशर को कम कर सकता है और हृदय रोगों के जोखिम को कम कर सकता है।इम्युनिटी बढ़ाने में मददसंतरा विटामिन सी से भरपूर होता है. ये पोषक तत्व इम्युनिटी बढ़ाने में मदद कर सकता है। इन फलों में फोलेट और कॉपर जैसे कई अन्य आवश्यक पोषक तत्व होते हैं, जो इम्युनिटी बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।किडनी की पथरी को रोक सकता है -साइट्रेट की कमी से किडनी की पथरी हो सकती है। संतरे साइट्रेट के स्तर को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं, जिससे किडनी की पथरी के खतरे को कम किया जा सकता है। संतरे में कैल्शियम होता है जो पथरी के खतरे को कम कर सकता है।
- बहुत से लोग नाश्ते में फलों का जूस पीना पसंद करते हैं। आप शाम के समय भी फलों के जूस का सेवन कर सकते हैं। ये एक हेल्दी विकल्प है। ये न केवल आपको हाइड्रेटेड रखता है, बल्कि कई स्वास्थ्य समस्याओं से लडऩे में भी मदद करता है। अंगूर कई स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है। अंगूर विटामिन सी और के, एंटीऑक्सीडेंट और कई अन्य आवश्यक विटामिन और मिनरल से भरपूर होता है। कई स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने के लिए अंगूर के जूस का सेवन कर सकते हैं। आइए जानें अंगूर का जूस आपके स्वास्थ्य के लिए कैसे लाभदायक है।-त्वचा के लिए फायदेमंद - अंगूर का जूस आपकी त्वचा के लिए अच्छा होता है। इसे पीने से आपकी त्वचा हेल्दी रहती है। अंगूर के जूस का सेवन आप डिटॉक्स ड्रिंक के रूप में कर सकते हैं। ये त्वचा संबंधित कई समस्याओं से लडऩे में मदद कर सकता है। सूजन को कम कर सकता है। ये आपकी त्वचा पर एक एंटी एजिंग प्रभाव छोड़ता है।इम्युनिटी बढ़ाने के लिए - अंगूर का जूस कई स्वास्थ्य समस्याओं से लडऩे में मदद कर सकता है। अंगूर का रस आपकी इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करता है। इसमें एंटी- ऑक्सीडेंट, एंटी-वायरल और एंटी-बैक्टीरियल गुण भी होते हैं। ये सामान्य सर्दी, खांसी, फ्लू और बुखार को दूर करने में मदद करता है। ये आपकी इम्युनिटी को मजबूत करता है। स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को रोकने में मदद कर सकता है।हाई ब्लड प्रेशर के लिए - अंगूर के जूस में पोटैशियम होता है। ये हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने का काम करता है। हाई ब्लड प्रेशर कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण है। अंगूर का जूस पीने से आप हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित कर सकते हैं। अंगूर फाइबर से भी भरपूर होते हैं।हृदय को स्वस्थ रखने के लिए - अंगूर के जूस में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स आपको हृदय की बीमारियों से बचाने में मदद कर सकते हैं। अंगूर का रस कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कंट्रोल करता है।अस्थमा - अंगूर का इस्तेमाल कई उपचारों के लिए किया जाता है। अस्थमा के रोगियों के लिए ये फायदेमंद है। दमा या अस्थमा जैसी समस्याओं की संभावना को कम करता है। ये फेफड़ों में पानी की कमी को पूरा करता है.हड्डियों के लिए है फायदेमंद - अंगूर में कई पोषक तत्व होते हैं। इसमें कॉपर, आयरन और मैंगनीज होता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है। नियमित रूप से इसका सेवन ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों से बचाने में मदद कर सकता है। मैंगनीज हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
- केले बहुत जल्दी काले पडऩे लगते हैं और खराब हो जाते हैं। जब हम उन केलों को खा नहीं पाते तो काले पडऩे पर फेंक देते हैं। लेकिन इनको खराब होने से बचाने के लिए आप केलों को फ्रीज कर सकते हैं। फ्रीज हुए केले बहुत से रेसिपी के काम आ सकते हैं। इन्हें आप स्मूदी में मिला सकते हैं, इनके द्वारा पैनकेक बना सकते हैं, आप बहुत सी बेक होने वाली चीजों में इसका प्रयोग कर सकते हैं या इस प्रकार के केलों की आइस क्रीम भी बना सकते हैं।केला फ्रीज किस प्रकार से करें-केले को फ्रीज करने से पहले सबसे पहले आपको उसे छीलना होगा। छीलने के बाद आप उसे पूरे को भी फ्रीज कर सकते हैं या उसकी स्लाइस बना कर और मैश करके भी उसे फ्रीज कर सकते हैं। आपको केले तब फ्रीज करने होते हैं जब वह पूरी तरह से पक चुके हों और जब उसका छिलका पूरी तरह से ब्राउन हो चुका हो क्योंकि अगर आप एक बार केले को फ्रीज में रख देते हैं तो उसके बाद वह और अधिक नहीं पकेगा।1. साबूत केलायह तरीका सबसे आसान और सिंपल होता है और इसका प्रयोग आप स्मूदी, बनाना ब्रेड या मफिंस बनाने के लिए प्रयोग कर सकते हैं। आप सीधा केले को छील कर उसे एक बर्तन या बैग में डाल कर फ्रीज में रख दें और आप चाहें तो एक ही कंटेनर में कई केले भी रख सकते हैं। इसके लिए आप केलों को थोड़े थोड़े भाग में काट कर रख सकते हैं ताकि जगह बच सके।2. मैश किए हुए केलेकेले से बनने वाली रेसिपी में मैश किए हुए केलों का भी प्रयोग किया जाता है जैसे बनाना ब्रेड आदि। अगर आप केलों को मैश करके उन्हें फ्रीज कर देंगे तो इससे भविष्य में अगर आप किसी चीज को बेक करेंगे तो आपका समय बचेगा। सबसे पहले केले का छिलका उतार के उसे मैश कर लें। फिर फ्रीजर के लिए सुरक्षित होने वाले एक प्लास्टिक बैग में रख लें। बैग को बंद करने से पहले उसमें से सारी हवा निकाल दें। फिर उसे फ्रीजर में रख दें। अगर आप छोटे छोटे भागों में केलों को फ्रीज करते है तो जब आपको किसी एक रेसिपी के लिए इसकी जरूरत होती है तो आपका सारा भाग निकालने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।3. स्लाइस केलेअगर आपके पास किसी प्रकार का ब्लेंडर नहीं है तो आप केलों को पहले स्लाइस कर लें। इसके लिए आपको सीधा केलों को छीलना है। उनकी एक से दो इंच की स्लाइस काट लेने है। इसके बाद एक बेकिंग शीट को वैक्स की एक परत से लपेटें और उनके ऊपर कटे हुए केलों को रख दें। फिर इसको अपने फ्रीजर में दो से तीन घंटे के लिए रख दें। इससे केले एक दूसरे से चिपकेंगे नहीं।जब केले एक बार फ्रीज हो चुके हों तो आपको एक एयर टाइट कंटेनर में केले डाल कर उन्हें तब तक फ्रिजर में रखें जब तक केले प्रयोग में नहीं आते। इस प्रकार के फ्रीज हुए केलों का प्रयोग आप बनाना ब्रेड में, मफिन, आइसक्रीम या पैन केक बनाने के लिए कर सकते हैं।
- क्या आप जानते हैं आयुर्वेद के अनुसार आपकी प्रकृति के लिए कौन-सा तेल सबसे बेस्ट है? आयुर्वेद के अनुसार जिस तरह आपको अपनी प्रकृति के हिसाब से भोजन करना होता है, उसी तरह भोजन को बनाने के लिए भी प्रकृति के अनुसार ही तेल का उपयोग करना चाहिए। जी हां, आपको खाना बनाने के लिए भी अपनी प्रकृति के अनुरूप ही तेल का चुनाव करना चाहिए। खाना बनाने वाले तेल भी आपके शरीर के अनुसार ही हो तो आप हमेशा स्वस्थ रह सकते हैं।आयुर्वेद के अनुसार शरीर वात, पित्त और कफ से बना होता है। इनमें से किसी का भी असंतुलन होने पर व्यक्ति रोगों से घिर जाता है। अगर शरीर में वात बढ़ता है तो व्यक्ति को हड्डियों, जोड़ों में दर्द होने की समस्या हो सकती है। इसके विपरीत अगर पित्त बढ़ता है, तो व्यक्ति को गुस्सा बहुत आता है। साथ ही त्वचा रोग भी पित्त बढऩे पर होने लगते हैं। शरीर में कफ की मात्रा बढऩे पर व्यक्ति को खांसी, जुखाम या बलगम की समस्या हो सकती है। ऐसे में आपको स्वस्थ रहने के लिए तीनों दोषों को संतुलन में रखना बहुत जरूरी होता है।वात प्रकृति के लिए तेलवात प्रकृति वाले व्यक्तियों का शरीर दुबला-पतला होता है। इनकी स्किन ड्राय और ठंडी होती है। वात प्रकृति वालों को कभी भूख बहुत ज्यादा लगती है, तो कभी कम। इन लोगों को ठंडी चीजों का सेवन करने से बचना होता है। ठंडा वातावरण और ठंडी चीजों के सेवन से उन्हें वात दोष हो सकता है। इसलिए इन लोगों को हमेशा गर्म तासीर की चीजों का सेवन करना चाहिए। वात प्रकृति के लोगों को खाना बनाने के लिए भी गर्म तासीर वाले तेल का इस्तेमाल करना चाहिए।सरसों का तेल और मूंगफली का तेल तासीर में गर्म होती है। इसलिए वात प्रकृति के लोग खाना बनाने के लिए इन तेलों का इस्तेमाल कर सकते हैं। मूंगफली के तेल में ढेरों पोषक तत्व होते हैं। दोनों तेल वायु को बढऩे से रोकते हैं और वात दोष को संतुलित करते हैं।पित्त प्रकृति के लिए तेलपित्त प्रकृति के लोगों को शरीर बेहद नाजुक होता है। इन लोगों को गर्मी बिल्कुल सहन नहीं होती है। इन्हें त्वचा रोग और मुंह में छाले बहुत परेशान करते हैं। इन लोगों को प्यास बहुत ज्यादा लगती है। पित्त प्रकृति के लोगों को गुस्सा बहुत जल्दी आता है। इन्हें ठंडा वातावरण और ठंडी चीजों का सेवन करना पसंद होता है। ऐसे लोगों को गर्म तेल से उन्हें नुकसान हो सकता है।नारियल के तेल की तासीर बहुत ठंडी होती है। ऐसे में पित्त प्रकृति वाले लोगों के लिए इसका सेवन करना बेहद लाभकारी हो सकता है। इससे उन्हें पेट में ठंडक मिलेगी और दोष संतुलन में रहेगा। साथ ही घी पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में लाभकारी होता है। गाय का घी कई रोगों को दूर करने में मददगार होता है।कफ प्रकृति के लिए तेलकफ प्रकृति के व्यक्ति मजबूत होते हैं, लेकिन हमेशा सुस्ती रहती है। इन लोगों को नींद बहुत अधिक आती है। भूख लगना, शरीर में भारीपन, शरीर में गीलापन महसूस होना और आलस कफ प्रकृति के लोगों के लक्षण होते हैं। इन लोगों को भी अपनी प्रकृति को ध्यान में रखकर ही खाना बनाने वाले तेल का इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसे लोगों को सरसों का तेल और तिल का तेल तासीर में गर्म होते हैं। इनका सेवन कफ वाले लोग आसानी से कर सकते हैं। इनके उपयोग से कफ दोष संतुलन में रहता है।
- हम अक्सर अपने आस पड़ोस के लोगों से सुनते हैं कि वह सोने से पहले बिस्तर में नींबू रख लेते हैं। जब भी हम ये बात सुनते हैं तो दिमाग में एक ही सवाल आता है कि लोग ऐसा करते क्यों हैं? अगर आपके दिमाग में भी यह सवाल उठता है तो ये खबर आपके काम की है।दरअसल, तकिए के पास नींबू रखकर सोने को ज्यादातर लोग टोटका या पुरानी सोच से जोड़कर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन हेल्थ एक्सपट्र्स के अनुसार ना तो ये कोई टोटका है और ना ही कोई पुरानी सोच, बल्कि ऐसा करने से स्वास्थ संबंधित कई फायदे होते हैं।नींबू में विटामिन सी, विटामिन, बी, कैल्शियम, फ़ास्फ़ोरस, मैग्नीशियम, प्रोटीन और कार्बोहाईड्रेट भरपूर होता है, जो शरीर को गठिया रोग, हाई ब्लडप्रेशर, हाइपर टेंशन और हार्ट फेलियर के खतरे से बचाता है।नींबू का आयुर्वेद में खास महत्व है। नींबू एंटीबैक्टीरियल होने के साथ-साथ एंटीऑक्सीडेंट भी है, यह और अधिक आसानी से सांस लेने में मदद कर सकता है। अगर कोई अस्थमा या सर्दी से पीडि़त हैं तो उसके वायुमार्ग को खोलने में मदद करने के लिए उशखे बिस्तर के पास नींबू रख देने से लाभ मिलता है।1. सांस लेने में नहीं होगी परेशानीकई लोगों को सोते समय नाक बंद होने के कारण कई बार नींद नहीं आती। अगर आपके साथ भी ऐसा होता है तो ऐसी स्थिति में नींबू के टुकड़े को तकिये के पास रखिए, क्योंकि नींबू की सुगंध से सांस लेने की समस्या में राहत तो मिलती ही है साथ ही, नींद भी अच्छी आती है।2. ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए फायदेमंदलो ब्लड प्रेशर के मरीज अगर रात को सोते समय अपने बिस्तर के बगल में नींबू का टुकड़ा रख लें, तो सुबह उनको फ्रेश महसूस होगा। ऐसा नींबू की खुशबू के कारण होता है, क्योंकि नींबू के गुणों के ऊपर हुए रिसर्च के मुताबिक उसकी खुशबू शरीर में सेरोटिन का लेवल बढ़ाने में मदद करती है, जो लो ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए लाभकारी है।3. दिमाग को शांत रखता है नींबूकई लोग अधिक थक जाते हैं तो तनाव बढ़ जाता है। ऐसे में रात के वक्त उन्हें नींद नहीं आती तो नींबू इसमें मदद कर सकता है। रात को सोने से पहले नींबू को दो फांके करके बिस्तर के पास रख लें। नींबू में मौजूद एंटीबैक्टीरियल तत्व दिमाग शांत रखेंगे, जिससे आप एक स्वस्थ नींद ले सकेंगे।4. इस बीमारी से मिलेगी राहतदिनभर की भागदौड़ और अगले दिन के कामों की चिंता के चलते कई लोगों को इनसोमेनिया यानी अनिद्रा या कम नींद की समस्या होती है। ऐसे में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। अगर इनसोमेनिया की समस्या होने पर रोज रात को नींबू का टुकड़ा बिस्तर के नजदीक रख दें। नींबू की खुशबू से दिमाग कुछ ही देर में एकदम शांत हो जाएगा और चैन की नींद आएगी।5. मच्छर-मक्खियों के आतंक से राहतकुछ लोग मच्छर-मक्खियों के आतंक के चलते पूरी नींद नहीं ले पाते। लिहाजा शरीर पर इसका बुरा असर पड़ता है। अगर आप भी घर में मौजूद मच्छर, मक्खी या किसी अन्य कीड़े-मकोड़ों से परेशान हैं, तो हमेशा सोने से पहले घर के चारों कोनों समेत बिस्तर के पास नींबू का टुकड़ा काट कर रख दें। इसकी सुगंध से मच्छर-मक्खियां ही नहीं, बल्कि कीड़े-मकोड़े भी करीब नहीं आ सकेंगे।
- दूध पीना सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है, ये तो आप जानते ही होंगे। यह हमारे शरीर को पोषित कर उसे मजबूत बनाता है और बीमारियों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है। इसमें विटामिन से लेकर प्रोटीन, कैल्शियम आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो अच्छी सेहत के लिए बहुत जरूरी होते हैं। यही वजह है कि दूध और उससे बने उत्पादों को दैनिक आहार में शामिल करने की सलाह दी जाती है। अक्सर लोग रात में सोने से पहले दूध पीते हैं। दरअसल, इससे अच्छी नींद में मदद मिलती है और अनिद्रा की समस्या भी दूर होती है। कई लोग दूध में हल्दी मिलाकर भी पीते हैं, क्योंकि इससे दूध के फायदे दोगुने हो जाते हैं। लेकिन क्या आपने लहसुन वाले दूध और उसके फायदों के बारे में सुना है? आयुर्वेद में इसे कई समस्याओं के लिए लाभकारी बताया गया है।लहसुन वाले दूध के फायदेलहसुन वाले दूध के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है, जिससे बीमारियों से बचने में मदद मिलती है। रात को सोने से पहले इस खास दूध के सेवन से कोलेस्ट्रॉल को भी कम करने में मदद मिलती है। इसके अलावा इस दूध को स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए भी लाभकारी माना जाता है और साथ ही इसे मुंह की दुर्गंध की समस्या भी दूर होती है।इन समस्याओं को दूर करता है लहसुन वाला दूधलहसुन वाला दूध सीने में जलन, गैस्ट्रिक (कब्ज) और पेप्टिक अल्सर की समस्याओं को कम करने में तो कारगर है ही, साथ ही जिन्हें साइटिका की समस्या है, उनके लिए भी यह दूध फायदेमंद हो सकता है। दरअसल, साइटिका में कमर से लेकर पैरों की नसों में बहुत तेज दर्द होता है और लहसुन दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है।लहसुन वाला दूध बनाने की सामग्रीएक गिलास दूध3-4 लहसुन की कलियांदो चम्मच पाम मिश्रीआप चाहें तो हल्दी भी मिला सकते हैंकैसे बनाएं लहसुन वाला दूधलहसुन को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें या उसे पीस लें और उसे दूध के साथ उबलने के लिए डाल दें। जब तक लहसुन नरम न हो जाए, तब तक दूध को उबालते रहें। फिर उसमें पाम मिश्री डालें और उसके घुलने तक दूध को उबलते रहने दें। बस आपका इम्यूनिटी बूस्टर 'लहसुन वाला दूध' तैयार है। आप उसे थोड़ी देर बाद पी सकते हैं।
- शायद! आप नहीं जानते होंगे कि फ्रिज में कुछ चीजें जमाकर आप चेहरे को साफ और बेदाग बना सकते हैं. फ्रिज में जमी ये चीजें प्राकृतिक रूप से चेहरे पर ग्लो लाती हैं और मुंहासों, ब्लैकहेड्स व तैलीय त्वचा से राहत प्रदान करती हैं. चेहरे की अधिकतर समस्याओं का कारण ढीली त्वचा व रोमछिद्रों का खुल जाना होता है. ये घरेलू उपाय इसी मूल समस्या को जड़ से मिटाकर मुंहासों, बेजान व तैलीय त्वचा आदि परेशानियों से राहत देते हैं. आमतौर पर, आप फ्रिज में जमी बर्फ को त्वचा के लिए इस्तेमाल करते हैं. लेकिन यहां आपको बर्फ के साथ कुछ और भी चीजों की जानकारी मिलेगी, जिन्हें जमाकर इस्तेमाल करने के बारे में आप ने कभी सोचा नहीं होगा.बर्फआप फ्रिज में जमी बर्फ को त्वचा के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. बर्फ लगाने से आपकी स्किन की थकान कम हो जाती है और आंखों के नीचे व त्वचा पर आई सूजन में भी कमी देखने को मिलती है. आप चेहरे पर रोजाना बर्फ लगाकर उसकी चमक को बढ़ा सकते हैं.ब्यूटी टिप्स: चंदन का पेस्टआप ने कभी चंदन का पेस्ट जमाकर त्वचा पर इस्तेमाल करने के बारे में सोचा है? अगर नहीं, तो आप ये उपाय आजमा कर देखिए. यह उपाय आजमाने से तुरंत आपकी त्वचा पर चमक आ जाती है. चंदन का पेस्ट त्वचा के संक्रमण और दाग-धब्बों को दूर करने में मदद करता है. वहीं, इसकी मदद से झुर्रियों से भी छुटकारा मिलता है.फ्रूट जूसफ्रूट जूस का सेवन सेहत के लिए लाभकारी होता है. लेकिन इनमें मौजूद पोषण को काफी जल्दी चेहरे को प्रदान करने के लिए आप संतरे, पपीते, तरबूज, नींबू के रस को फ्रिज में जमाकर त्वचा पर लगा सकते हैं.चमकदार चेहरा पाने के उपाय: नारियल पानीआप चेहरे के मुंहासे कम करने के लिए नारियल पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं. नारियल पानी में काफी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं और इसके इस्तेमाल से त्वचा हाइड्रेट होती है. आप इसको स्किन टोनर के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं.ग्रीन टीआप ग्रीन टी को भी फ्रिज में जमाकर चेहरे पर लगा सकते हैं. इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स रोमछिद्रों को खोलने में मदद करते हैं और त्वचा की सूजन व पिग्मेंटेशन को कम करते हैं.-
- आज हम आपके लिए लेकर आए हैं पुदीना का मास्क. जो आपकी त्वचा (skin) और चेहरे (face) का खास ख्याल रखेगा. इसके उपयोग से आप पिंपल्स और चेहरे के दाग धब्बे (Pimples and facial spots) हटा सकती हैं. आम तौर पर पुदीने (mint) उपयोग गर्मियों में शिंकजी से लेकर चटनी तक में किया जाता है. इससे शरीर को कई लाभ मिलते हैं, लेकिन ये बात बहुत कम लोग जानते हैं कि यह सेहत से साथ त्वचा के लिए भी लाभकारी है.स्किन के लिए क्यों खास है पुदीनास्किन एक्सपर्ट्स की मानें तो पुदीने (mint) के पत्ते में विटामिन ए और सी की भरपूर मात्रा होती है, जो त्वचा में निखार लाने के साथ- साथ पिंपल्स और मुंहासों को भी ठीक करने में मदद करता है. इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो त्वचा में हार्मफुल बैक्टीरिया को पनपे से रोकते हैं. इसमें सेलेसिक एसिड होता है, जो मुंहासों को ठीक करता है.पुदीना, त्वचा को हाइड्रेटेड और रिफ्रेश रखने में मदद करता है. इस खबर में हम आपको पुदीना के पत्तों से तैयार तीन मास्क के बारे में बता रहे हैं. नीचे जानिए पुदीने के पत्ते का इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं.1. डल स्किन के लिएसामग्री- 10 पुदीने के पत्ते लें. इसके साथ ही एक चम्मच पपीते का गूदा और चुटकी भर हल्दी ले लें.बनाने का तरीकाग्लोइंग फेस मास्क बनाने के लिए पपीते के गूदे को मिलाकर एक पेस्ट तैयार कर लें.इस मिश्रण को चेहरे पर लगाने के बाद सर्कुलकृर मोशन में लगाएं.करीब 20 मिनट के लिए छोड़ दें और बाद में पानी से धो लें.2. मुहांसों से पाएं छुटकारासामग्री-10 पुदीने के पत्ते और एक चम्मच एलोवेरा जेल ले लें.बनाने की विधि-सबसे पहले पुदीने के पत्ते को अच्छे से धो लें और मिश्रण तैयार कर लें.इस मिश्रण में एलोवेरा जेल मिलाएं.इन दोनों चीजों को अच्छे से मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें.इस पेस्ट को लगाने से चेहरे पर लगाने के 20 मिनट बाद पानी से धो लें.3. डीप क्लींजिंग के लिएसामग्री-10 पुदीने के पत्ते लें. इसके अलावा एक चम्मच दही और आधा चम्मच ऑलिव ऑयल ले लें.बनाने की विधिइन सभी चीजों को मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें.मिश्रण को करीब 5 मिनट तक मिलाएंअब इसे चेहरे पर लगाएंकरीब 20 मिनट बाद पानी से धो लें.इसके बाद त्वचा में मॉश्चराइजर लगाएं.-
- भारत के कई हिस्सों में मॉनसून पहुंच चुका है और दिल्ली समेत कुछ हिस्सों में बहुत जल्द आने वाला है. लेकिन बारिश के मौसम के साथ कई गंभीर इंफेक्शन भी आते हैं. जिनके कारण आपको और आपके बच्चे को सर्दी-खांसी, जुकाम, बुखार समेत कई बीमारियां हो सकती हैं. यह इंफेक्शन कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों को जल्दी अपनी चपेट में ले लेते हैं. लेकिन, आयुर्वेदिक डॉक्टर डॉ. अबरार मुल्तानी के मुताबिक आप 4 देसी काढ़ों की मदद से बरसात के मौसम में इंफेक्शन से दूर रह सकते हैं. आइए इन देसी काढ़े बनाने की विधि (Kadha Recipe) जानते हैं.बरसात के मौसम में जरूर पीएं ये देसी काढ़ेआयुर्वेदिक विशेषज्ञ डॉ. अबरार मुल्तानी का कहना है कि बारिश का मौसम कई हानिकारक और बीमार करने वाले सूक्ष्मजीवों के लिए काफी उपयुक्त होता है. इस दौरान इन हानिकारक बैक्टीरिया, वायरस, फंगस आदि के विकास की गति काफी होती है और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोग काफी जल्दी बीमार पड़ जाते हैं. हालांकि, ऐसा नहीं है कि ये बीमारियां मजबूत इम्युनिटी वाले लोगों को अपनी चपेट में नहीं ले सकती हैं. इसलिए हमें एहतियातन मॉनसून के मौसम में निम्नलिखित चार देसी काढ़ों का सेवन जरूर करना चाहिए.गुड़, जीरा और काली मिर्च का काढ़ाइस काढ़े को बनाने के लिए आप 1/4 चौथाई चम्मच काली मिर्च और एक चम्मच जीरा को एक गिलास पानी में डालकर तबतक उबालें, जबतक कि पानी आधा ना हो जाए. आप इस काढ़े में गुड़ को शामिल करके इसका स्वाद बढ़ा सकते हैं. इसके बाद गैस से उतारकर इस काढ़े को दिन में 2 से 3 बार पीएं.काढ़ा बनाने की विधि: सफेद प्याज का काढ़ाआप सफेद प्याज का काढ़ा पीकर भी मॉनसून में इंफेक्शन से बचाव कर सकते हैं. आप सफेद प्याज को अच्छी तरह साफ कर लें और 1 गिलास पानी में उबालें. जब पानी आधा हो जाए, तो गुड़ मिलाकर इसका स्वाद बढ़ा सकते हैं. यह देसी काढ़ा खांसी, सर्दी-जुकाम आदि से राहत प्रदान करता है.काली मिर्च, अजवाइन, तुलसी और अदरक का देसी काढ़ाआप सबसे पहले अदरक को साफ करके उसके छोटे-छोटे टुकड़े काट लें. इसके बाद एक गिलास पानी में अदरक के टुकड़े, एक चम्मच अजवाइन, 4-5 तुलसी के पत्ते और एक चुटकी काली मिर्च का पाउडर डालकर उबालें. जब पानी उबलकर आधा हो जाए, तो इसका सेवन करें. यह बारिश के मौसम में होने वाली खांसी व सर्दी-जुकाम की समस्या से राहत प्रदान करता है.सर्दी-खांसी के लिए काली मिर्च का काढ़ाआप बारिश के मौसम में काली मिर्च का काढ़ा भी बना सकते हैं. यह बनाने में काफी आसान होता है और शरीर को फायदे देता है. इसे बनाने के लिए एक गिलास पानी में 5 से 6 काली मिर्च और स्वादानुसार काला नमक डालकर उबालें. जब पानी आधा हो जाए, तो इसका सेवन करें.-