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- आयुर्वेद में कई ऐसी उत्तम औषधियों के बारे में बताया गया है, जो स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होती हैं. चिरायता भी उन्हीं में से एक है. जिसमें नीम और कालमेघ दोनों के गुण पाए जाते हैं. चिरायता का इस्तेमाल मोटापा और मधुमेह जैसी समस्याओं से बहुत जल्दी राहत प्रदान करता है. यह एक इम्युनिटी बूस्टिंग एजेंट है, जो सर्दी-खांसी को जड़ से खत्म कर देता है.चिरायता की खासियत?आयुर्वेदिक विशेषज्ञ डॉ. अबरार मुल्तानी के मुताबिक, चिरायता को अंग्रेजी में Swertia के नाम से जाना जाता है. इसमें एंटी-इंफ्लामेटरी, एंटीऑक्सीडेंट, हेप्टोप्रोटेक्टिव, लैक्सेटिव, हाइपोग्लाइसेमिक, डाइजेस्टिव गुण होते हैं, जो संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं. इसकी मदद से लिवर की कार्यक्षमता, भूख, पाचन, मेटाबॉलिज्म, वेट लॉस आदि काफी आसानी से किया जा सकता है.चिरायता के कमाल के फायदेचिरायता में स्वास्थ्यवर्धक और पोषक गुणों का खजाना है. यह स्वाद में जितना कड़वा होता है, गंभीर बीमारियों से उतना ज्यादा ही बचाव करता है. आइए चिरायता के इस्तेमाल से मिलने वाले फायदे जानते हैं.तेजी से घटाता है मोटापातेजी से मोटापा घटाने के लिए चिरायता के सूखे पत्ते काफी फायदेमंद होते हैं. इनमें मौजूद फाइबर और जरूरी पोषण आपके अस्वस्थ खानपान की आशंका को कम करने में मदद करते हैं. वहीं, चिरायता का सेवन शरीर में बुरे कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी घटाता है. इसके सेवन से मेटाबॉलिज्म तेज होता है, जिस कारण शरीर में फैट बर्निंग की प्रक्रिया तेज होती है. आप इसके लिए चिरायता के सूखे पौधे से तैयार काढ़ा पी सकते हैं.मधुमेह का इलाजहाइपोग्लाइसेमिक होने के कारण चिरायता में ब्लड शुगर का स्तर घटाने वाले असाधारण गुण होते हैं. इसका सेवन करने से शरीर में इंसुलिन का उत्पादन करने वाली सेल्स की सक्रियता बढ़ जाती है. इस कारण शरीर में ब्लड शुगर का स्तर कम होने लगता है और मधुमेह से राहत मिल जाती है. मधुमेह रोगी चिरायता के सूखे पत्तों का काढ़ा पीकर डायबिटीज से राहत प्राप्त कर सकते हैं.इम्युनिटी बूस्ट होती हैसंक्रमण से लड़ने व बचाव के लिए चिरायता का सेवन काफी पुराने समय से किया जाता रहा है. इसमें मौजूद एंटीवायरल, एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण काफी मजबूत होते हैं. यह सामान्य सर्दी-जुकाम से राहत देने में काफी कारगर साबित होता है. अगर आपके शरीर पर कोई जख्म हो गया है, तो चिरायता के इस्तेमाल से उसे भी जल्दी ठीक किया जा सकता है.स्किन डिसऑर्डर का इलाजजैसा कि हमने अभी जाना कि चिरायता में एंटीऑक्सीडेंट, एंटीमाइक्रोबियल और एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं, इसलिए यह हमारे खून को साफ करने में मदद करता है. यह खून से टॉक्सिन निकालकर विभिन्न स्किन डिसऑर्डर से राहत देता है. क्योंकि, अधिकतर स्किन डिसऑर्डर का कारण आपके खून में टॉक्सिन्स का होना होता है. जिस कारण आपको खुजली, रैशेज, सूजन, जलन आदि समस्याएं हो सकती हैं.
- हम भोजन के अलावा फलों का सेवन करते हैं, ताकि हमें कुछ हेल्दी मिल सके। मौसम के हिसाब से हम लोग फल बदलते रहते हैं। कभी तरबूज तो कभी सेब का सेवन किया जाता है। लेकिन इसके अलावा हम लोग ड्राई फ्रूट्स का भी सेवन करते हैं, ताकि पोषक तत्व मिल सके। वैसे तो लगभग सभी ड्राई फ्रूट्स अपनी-अपनी जगह काफी फायदेमंद होते हैं, लेकिन अखरोट का सेवन करने से हमें काफी ज्यादा फायदे मिलते हैं। अखरोट में प्रोटीन, फैट, कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन कॉपर, ओमेगा-3 फैटी एसिड, मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड, फॉस्फोरस, सेलेनियम, जिंक, फाइबर और कार्बोहाइड्रेट की भरपूर मात्रा पाई जाती है। हमारे दिमाग के लिए अखरोट काफी अच्छा माना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भीगे हुए अखरोट खाने के क्या फायदे हैं? अगर नहीं, तो चलिए जानते हैं।दांतों और हड्डियों के लिए सहीअखरोट में अल्फा-लिनोलेनिक एसिड होने की वजह से ये हमारी हड्डियों के साथ-साथ हमारे दांतों को मजबूत करने में भी मदद कर सकता है। इसके लिए आप रोज रात को अखरोट के दाने भीगा सकते हैं और फिर सुबह इनका सेवन कर सकते हैं।दिल के लिए फायेदमंदभीगे हुए अखरोट में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है, जो खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने और दिल को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है। अखरोट वैसे भी दिल के लिए फायेदमंद माना जाता है और भीगे हुए अखरोट का सेवन करने से ये फायदे और भी बढ़ जाते हैं।वजन कम करने में मददगारआज के दौर में लगभग हर कोई अपने बढ़ते वजन से परेशान है। ऐसे में इसे कम करने में आपकी मदद भीगे हुए अखरोट कर सकते हैं। भीगे हुए अखरोट में कैलोरी कम और प्रोटीन की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो वजन को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है।डायबिटीजभीगे अखरोट का सेवन डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद हो सकता है। ऐसे लोगों को भीगे अखरोट खाने से उनका ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है। साथ ही डायबिटीज की समस्या को कम करने में मदद मिल सकती है।पेट से जुड़ी दिक्कतें हो सकती हैं दूरहम पेट की कई दिक्कतों जैसे- कब्ज, पाचन प्रणाली में होने वाली दिक्कतों से जूझते हैं। अखरोट में फाइबर की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो आपको पेट से जुड़ी दिक्कतों में आराम पाने में मदद कर सकता है।
- आप इम्युनिटी मजबूत करना चाहते हैं और वजन कम करने की चाह रखते हैं तो कद्दू आपके लिए बेहतर विकल्प है. जी हां कद्दू (kaddu) से सेहत के लिए चमत्कारिक लाभ मिलते हैं. बारिश के मौसम में होने वाली सर्दी-खांसी में कद्दू खाने से बहुत आराम मिलता है. कद्दू में मौजूद विटामिन ए (Vitamin-A), कैरोटीन, जैंथिन और जेक्सैंथिन इंफेक्शन से लड़ने, इम्यूनिटी को बढ़ावा देने और तेजी से ठीक होने में मदद करता है.कद्दू में पाए जाने वाला विटामिन बी और बी-6 विशेष रूप से, शरीर की सूजन को कम करने में मदद करते हैं. कद्दू बारिश के मौसम में होने वाले पिंपल्स और डैंड्रफ से छुटकारा भी दिलाता है.कद्दू आयरन से भरपूर होता है. आयरन एक आवश्यक तत्व है और हम इसे अपने भोजन विकल्पों से प्राप्त करते हैं. आयरन के कम लेवल से एनीमिया हो सकता है, जिससे एनर्जी का लेवल कम होना, चक्कर आना, त्वचा और नाखूनों का पीला होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं. ऐसे में कद्दू शरीर में आयरन की कमी पूरी करता है.कद्दू के अन्य फायदे ----------00 कद्दू में विटामिन ए भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो आंखों के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है. कद्दू में पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं, जो बढ़ती उम्र के साथ आपकी आंखों का ध्यान रखते हैं.00 कद्दू का गूदा और बीज विटामिन सी और बीटा-कैरोटीन दोनों से भरपूर होते हैं. इसमें पोषक तत्वों का शक्तिशाली कॉम्बिनेशन होने के कारण इम्यूनिटी को बढ़ावा मिलता है.00 कद्दू में पाए जाने वाला बीटा-कैरोटीन , विटामिन ए में परिवर्तित हो जाता है. यह वाइट ब्लड सेल्स के निर्माण को ट्रिगर करता है जो इंफेक्शन्स से लड़ने में मदद करते हैं.00 कद्दू के बीजों से भरा एक-चौथाई कप हमारे दिनभर की मैग्नीशियम की आवश्यकता को पूरा करता है. यह दिल को स्वस्थ और सक्रिय रखने के लिए बहुत फायदेमंद है. यह ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने और आघात से सुरक्षित रखने में मददगार होता है.
- संतरा पपीता सेब और आम को खाने के बाद ज्यादातर लोग इसके छिलके को कूड़े में फेंक देते हैं तो अब ऐसा न करें। जी हां इन छिलकों का इस्तेमाल आप अपने स्किन केयर रूटीन में कर सकती हैं।फलों के गूदे और रस से चेहरे को खूबसूरत बनाने के बारे में तो बहुत पढ़ा और इस्तेमाल किया होगा लेकिन क्या आप जानती हैं सिर्फ फल ही नहीं, उनके छिलके भी त्वचा को सुंदर और स्वस्थ बनाने का काम करते हैं। तो कैसे इनका इस्तेमाल सौंदर्य निखारने के लिए कर सकते हैं, आज इसी के बारे में जानेंगे।सेबसामग्री- एक सेब का छिलका, थोड़ा-सा कच्चा दूधविधि-दूघ और सेब के छिलकों को मिक्सी में पीसकर पेस्ट बना लें। पेस्ट को चेहरे पर लगाएं और सूखने पर पानी से चेहरा धो लें। त्वचा पर जमी गंदगी साफ हो जाएगी।अनारसामग्री- एक टेबलस्पून अनार के छिलके का पाउडर, आवश्यकतानुसार गुलाब जल, थोड़ा-सा नींबू का रसविधि- एक बोल में सारी चीज़ें मिलाकर पेस्ट तैयार करें। पेस्ट को चेहरे पर लगाएं और सूखने पर चेहरा धो लें। यह पैक नियमित लगाने से मुंहासों की समस्या से छुटकारा मिलेगा।पपीतासामग्री- थोड़ा-सा पपीते का छिलका, 1 टेबलस्पून शहद, 1/4 टीस्पून हल्दी पाउडरविधि-मिक्सी में पपीते का छिलका पीसकर पेस्ट बना लें। पेस्ट में शहद और हल्दी मिलाकर चेहरे पर लगाएं। सूखने पर चेहरा धो लें। हफ्ते में दो बार यह पैक लगाएं और फर्क देखें।केलासामग्री- एक केले का छिलकाविधि-केले के छिलके को अंदर की ओर से चेहरे पर अच्छी तरह रगड़ें और सूखने पर चेहरा ठंडे पानी से धो लें। कुछ ही दिनों में फर्क नजर आने लगेगा।आमसामग्री- एक आम का छिलका, एक टीस्पून गेहूं का आटा, आवश्यकतानुसार पानीविधि-आम के छिलके को सुखाकर पाउडर बना लें। पाउडर में आटा और पानी मिलाकर पेस्ट बनाएं। पेस्ट को चेहरे पर लगाएं और सूखने पर धो लें।संतरासामग्री- एक टेबलस्पून संतरे के छिलके का पाउडर, दो टेबलस्पून दहीविधि-दोनों चीज़ें मिलाकर पेस्ट तैयार करें और चेहरे पर लगाएं। 15 मिनट बाद चेहरा धो लें। अच्छे नतीजों के लिए हफ्ते में दो बार इसे लगाएं।एवॉकाडोसामग्री- एक एवॉकाडो का छिलका, दो टेबलस्पून गेहूं का आटा, थोड़ा-सा दूधविधि-छिलके को मिक्सी में पीसने के बाद उसमें आटा और दूझ मिलाकर पेस्ट तैयार करें। पेस्ट को चेहरे पर लगाएं और सूखने पर गुनगुने पानी से चेहरा धो लें। त्वचा खिल उठेगी।
- किडनी स्टोन की समस्या आम होती जा रही है। ऐसे में किडनी के लिए डाइट काफी मायने रखती है। गुर्दे की बीमारियों की रोकथाम और प्रबंधन के लिए जरूरी कदम उठाने की जरूरत है। ऐसे कई खाद्य पदार्थ हैं जो इस काम में आपकी मदद कर सकते हैं। हेल्दी डाइट के साथ हम अपनी किडनी को भी पूरी तरह से सेफ रख सकते हैं। इस बात के लिए ये जानना बहुत जरूरी है कि किडनी का काम शरीर में खून को साफ करना और अपशिष्ट उत्पादों को शरीर से बाहर निकालना होता है। ऐसे में फिट बॉडी में हेल्दी किडनी के लिए सिलेक्टेड फूड का सेवन काफी फायदेमंद माना जाता है। कैसा हो वो फूड, आइए जानें।रेड बेलपेपरलाल शिमला मिर्च में पोटैशियम की मात्रा कम होती है, पर यह एकमात्र कारण नहीं है कि ये गुर्दे के लिए सही है। ये विटामिन सी, ए, बी 6, फोलिए एसिड व फाइबर का बेहतरीन सोर्स भई है। इनमें लाइकोपीन भी होता है, जो एक एंटीऑक्सीडेंट है।प्याजप्याज, आमतौर पर आपको हर किचन में आसानी से मिल जाएगा। साथ ही साथ किडनी डााइट प्लान में इसे भी खासी इंपॉर्टेंस दी जाती है। दरअसल, प्याज में फ्लेवोनाइड, विशेष रूप से क्वेरसेटिन, एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट भी प्रचुर मात्रा में होता है, जो हार्ट डिजीज को कम करने और कई तरह के कैंसर से भी बचाव करता है और इस तरह से ये पोटैशियम में कम और क्रोमियम का एक अच्छा स्त्रोत है।फूलगोभीफूलगोभी, विटामिन सी, फोलेट व फाइबर का अच्छा सोर्स है। ये किडनी को ऐसे विषाक्त पदार्थों से बेअसर करने में मदद करती है, जो कोशिका झिल्ली व डीएनए को नुकसान पहुंचा सकते हैं। किडनी के लिहाज से ये फायदेमंद हो सकती है।सेबसेब पेक्टिन का एक अच्छा स्त्रोत है, एक घुलनशील फाइबर जो कोलेस्ट्रॉल और ग्लूकोज के स्तर को कम करने में मदद करता है। यह विटामिन सी, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत भी है जो मस्तिष्क के कोशिकाओं की भी रक्षा कर सकता है।पालकयह पत्तेदार हरी सब्जी विटामिन ए, सी, के, आयरन, मैग्नीशियम और फोलेट का बेहतरीन सोर्स है। पालक में पाया जाने वाला बीटा-कैरोटीन आपकी इम्यूनिटी पावर को बढ़ावा देने के नजरिए से भी महत्वपूर्ण है। आप अपने सलाद, सूप या सैंडविच में भी पालक को शामिल कर सकते हैं।
- सुपर फूड की बात की जाए तो इसमें दूध का नाम सबसे पहले हम ले सकते हैं। एक कम्पलीट न्यूट्रीशियस फ़ूड आइटम है जो शरीर की जरूरत के हिसाब से कैल्शियम, विटामिन डी, पोटेशियम की जरूरत को पूरा करता है। इसके अनेक फायदे हैं। कुछ लोग इसे ठंडा पीना पसंद करते हैं तो कुछ लोग इसे गर्मा गर्म। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर दूध को पीने का सही तरीका क्या हो सकता है। क्या इन दोनों तरह के दूध में न्यूट्रीशनल वैल्यू अलग-अलग हो जाते हैं या एक ही जैसे रहते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो इनके अपने -अपने फायदे हैं। दूध को ठंडा पिया जाए या गर्म, यह पूरी तरह से मौसम और समय पर निर्भर करता है।मौसम के हिसाब सेठंडा दूध दिन के समय या फिर गर्मी में पीना ज्यादा फायदेमंद होता है। इसके सेवन से बॉडी की गर्मी खत्म होती है और शरीर अंदर से ठंडा होता है। जबकि अगर सर्दी के मौसम में रात के वक्त दूध पीना हो तो आप गर्म दूध का सेवन कर सकते है। गर्म दूध शरीर को गर्म रखता है और ठंड से बचाता है।पाचन तंत्र के लिए क्या है बेहतरदरअसल गर्म दूध को पचाना आसान होता है। गर्म दूध के सेवन से डायरिया, गैस जैसी डाइजेशन रिलेटेड प्रॉब्लम से बचा जा सकता है। दरअसल गर्म दूध में ट्रिपलोफान और मेलाटोनिन पाया जाता है और इसमें मौजूद एमिनो एसिड गर्म होने पर एक्टिव हो जाता है। इस वजह से अगर रात में गर्म पिया जाए तो नींद अच्छी आती है। दूसरी ओर ठंडा दूध में कैल्शियम इंटेक अधिक होता है जिससे कई बार ठंडा पीने से पेट में जलन और एसिडिटी में आराम मिलता है। यही नहीं इसमें इलेक्ट्रोलाइट होने की वजह से यह बॉडी को हाइड्रेटेड रखता है। इसलिए रात के समय ठंडा दूध नहीं पीने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने पर कफ, कोल्ड जैसी दिक्कतें आ सकती हैं।वजन को करता है कितना प्रभावितकुछ लोग दूध को वजन बढऩे का एक कारण मानते हैं जो बिलकुल गलत है। दूध में पाया जाने वाला कैल्शियम मेटाबोलिज्म बढ़ाता है जिससे की बॉडी तेज़ी से कैलोरी बर्न करती है.। यही नहीं, ठंडा दूध पीने से पेट काफी लंबे टाइम तक भरा रहता है और भूख नहीं लगती।
- अगर आप भी खाने-पीने के शौकीन हैं और अपने आहार में गुणकारी सब्जियों को शामिल कीजिए। ऐसी ही एक सब्जी है सहजन यानी मुनगा। अंग्रेजी में ड्रमस्टिक या मोरिंगा कहा जाता है। आप जानकर हैरान होंगे कि हमारा देश मोरिंगा का सबसे बड़ा उत्पादक है। सहजन का पेड़ बहुत ही तेजी से बढ़ता है और इसकी फलियों के साथ इसके पत्ते और फूल का भी इस्तेमाल खाने के लिए किया जाता है। सहजन के ये तीनों हिस्सा बहुत गुणकारी हैं। यह बहुत ही स्वादिष्ट बनता है। सहजन में प्रोटीन, अमीनो एसिड, बीटा कैरटीन और विभिन्न फीनॉलिक होते हैं जो हाई ब्लड प्रेशर रोगी के लिए काफी फायदेमंद होते हैं।सहजन फली के कई लाभ-सहजन की फली में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम होता है।-बच्चों के लिए बहुत फायदेमंद है. इससे हड्डियां और दांत मजबूत होते हैं।- गर्भवती महिलाओं को फली खाने से बच्चों में कैल्शियम की मात्रा भरपूर मिलती है।- यह मोटापा कम करने और शरीर की बढ़ी चर्बी को दूर करता है।- फॉस्फोरस की मात्रा अधिक होने से यह शरीर की अतिरिक्त कैलोरी को कम करता है।-सहजन के सेवन से खून साफ होता है।-सहजन की फली का सेवन करने से गर्भवतियों को डिलिवरी के समय अधिक दर्द नहीं होता।-कैंसर के लिए सहजन काफी लाभदायक है।-मधुमेह के विमारी में भी सहजन लाभदायक है।-हृदय को स्वस्थ रखने में सहजना लाभकारी है।- सहजन लिवर के लिए काफी फायदेमंद है ।-इम्युनिटी बढ़ाने के लिए भी सहजन का उपयोग किया जाता है।-त्वचा के लिए भी सहजन काफी गुणकारी है।सहजन की पत्ती को कैसे उपयोग करेंसहजन की पत्ती में हाई ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने के गुण हैं। हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को सहजन की पत्तियों को एक ग्लास पानी में उबाल लें। जब पानी उबल कर आधा हो जाए तो इसे ठंडा कर लें और छानकर पी लें लेकिन ये पानी रोज नहीं पीना है। दो दिन तक लगातार पीकर फिर इसे छोड़ दें। जब ब्लड प्रेशर सामान्य या कम हो जाए तो इसे सप्ताह में एक दिन ले सकते हैं। प्रेशर कम हो जाए तो आप दो-दो दिन को अंतराल पर पी सकते हैं लेकिन ध्यान रहे आपको अपना प्रेशर रोज मापना है ताकि आपको पता चल सके कि कितना कम हुआ है? यदि कम हो जाए तो इसे सप्ताह में एक दिन ले सकते हैं।(नोट- किसी भी उपाय का इस्तेमाल करने से पहले एक बार किसी योग्य चिकित्सक की सलाह अवश्य ले लें। यहां हम केवल एक जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं)
- जन्म के 6 महीने बाद शिशु कुछ खाद्य पदार्थ जैसे फल, कुछ डेरी प्रोडक्ट्स खिलाए जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि बच्चों के लिए पोषक तत्व को उनकी डाइट में जोडऩा जरूरी है। लेकिन अगर हम बात पौष्टिक खाने की कर रहे हैं तो हम घी को कैसे भूल सकते हैं। पर माएं अपने बच्चे को घी खिलाने से पहले कई सवालों से घिर जाती हैं। वे सोचती हैं कि क्या इतने छोटे बच्चे को खिलाना फायदेमंद है ? कहीं इसके सेवन से कोई नुकसान तो नहीं?शिशु को घी खिलाना कितना है सुरक्षित?6 महीने के बाद बच्चा घी का सेवन कर सकता है। इस पर हुई एक रिसर्च के मुताबिक 6 से 8 महीने के शिशु की डाइट में 0.6 kcal/g को जोड़ सकते हैं। वहीं 12 से 23 महीने के बच्चे की डाइट में 1 kcal/g जोड़ सकते हैं। ऐसा करने से उर्जा भरपूर मिलती है। इस शोध के मुताबिक बच्चे की डाइट में घी के साथ-साथ गुड, शहद, मक्खन, तेल आदि को भी उनकी डाइट में उर्जा के लिए जोड़ सकते हैं।बच्चे के लिए घी की सीमित मात्रा क्या है?हम सब जानते हैं कि घी उर्जा का प्रमुख स्रोत है। ऐसे में शिशु और छोटे बच्चों की डाइट में 1 टीस्पून घी जोड़ सकते हैं। इसकी जानकारी इंडियन जर्नल ऑफ़ प्रैक्टिकल पीडियाट्रिक्स में दी गई है।बच्चों और शिशु को घी देना कितना है फायदेमंद?घी के अंदर भरपूर मात्रा में विटामिन ए, फैटी एसिड, ऊर्जा, कोलेस्ट्रोल, कैलोरी, मोनो अनसैचुरेटेड फैटी एसिड, विटामिन डी आदि महत्वपूर्ण तत्व पाए जाते हैं जो बच्चों के विकास में बेहद काम आ सकते हैं।हड्डियों को मजबूत बनाएं घी - घी के सेवन से बच्चों की हड्डियों के लिए जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं। घी के अंदर विटामिन ए और विटामिन डी मौजूद होते हैं जो हड्डी से जुड़ी बीमारियों जैसे ओस्टियोपोरोसिस, हड्डियों के विकास का रोग आदि को दूर करने में फायदेमंद हैं। ऐसे में घी के सेवन से बच्चों की हड्डियां मजबूत होती है और उनका विकास भी प्रभावी ढंग से किया जा सकता है।इम्यूनिटी को बढ़ाएगी - बच्चों की इम्यूनिटी को बूस्ट करने में घी बेहद मददगार साबित हो सकता है। घी के सेवन से प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने में मदद मिल सकती है। ऐसे में बच्चों की डाइट में 1 टीस्पून की जोडऩा एक बेहतर विकल्प हो सकता है।ऊर्जा का प्रमुख स्रोत जी - जैसा कि हमने ऊपर भी बताया बच्चों में उर्जा के लिए घी उनकी डाइट में जोडऩा जरूरी है। ऐसे में हम कह सकते हैं कि घी एनर्जी बूस्टर का काम करता है।वजन को बढ़ाए घी - अगर आप अपने शिशु का वजन बढ़ाना चाहते हैं तो घी को उनकी डाइट में जोडऩा एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि घी में फैट मौजूद होता है। ऐसे में घी को जोडऩे से वजन बढ़ाया जा सकता है वहीं ये ऊर्जा का भी स्रोत है। लेकिन इसकी अधिकता बच्चे का वजन ज्यादा मात्रा में भी बढ़ा सकता है।बच्चों का स्टैमिना बढ़े - घी के उपयोग से बच्चों की सहनशक्ति यानी स्टैमिना और याददाश्त को बढ़ाया जा सकता है। हालांकि घी का सहनशीलता से क्या संबंध है इस पर और रिसर्च चल रही है। ऐसे में सहनशक्ति को बढ़ाने के लिए बच्चों की डाइट में घी को जोडऩे से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।घी देते वक्त बरतने वाली सावधानियां-1 - बच्चों को सीमित मात्रा में घी दें।2 - अगर घी के सेवन से बच्चों में एलर्जी दिखाई दे तो तुरंत उसका सेवन रोकें और डॉक्टर से संपर्क करें।3 - बच्चे की डाइट में शुद्ध देशी घी को जोड़ें।घी खिलाने का तरीकाशिशु की डाइट में घी हलवे, खिचड़ी, दलिया, रोटी, चावल आदि में मिला कर दिया जा सकता है। इसके अलावा घी के लड्डू से भी बच्चों के शरीर में घी पहुंचाया जा सकता है लेकिन लड्डू खिलाने से पहले ध्यान रहे कि लड्डुओं का सेवन सीमित मात्रा में कराएं क्योंकि लड्डू में शुगर भी मौजूद होता है।
- आप अंदाजा नहीं लगा सकते हैं कि 2 चम्मच मेथी पुरुषों के स्वास्थ्य के लिए कितनी कमाल की चीज है. मेथी के सेवन से पुरुषों में यौन समस्याओं की जड़ को खत्म किया जा सकता है. मेंथी में ऐसे कई स्वास्थ्यवर्धक गुण मौजूद होते हैं. जो पुरुषों और महिलाओं के लिए बहुत जरूरी होते हैं. इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन डी, सॉल्यूबल और इनसॉल्यूबल फाइबर, आयरन, बायोटीन आदि पोषक तत्व होते हैं.पुरुषों में होने वाली यौन समस्याओं के पीछे के मुख्य कारण टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन में कमी, रक्त प्रवाह में बाधा और स्पर्म क्वालिटी का गिरना होता है. 2 चम्मच मेथी का सेवन इन तीनों कारणों को सुधारकर पुरुषों में सेक्शुअल प्रॉब्लम्स का निवारण करता है. आप मेथी के दानों को खाना बनाते समय डाल सकते हैं और इसके दानों का चूर्ण व काढ़े का भी सेवन कर सकते हैं.अगर आप रोजाना 2 चम्मच मेथी का सेवन करते हैं, तो आपके शरीर में टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन का स्तर सुधरता है. मधुमेह, मोटापा या उम्र बढ़ने के कारण पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर गिरने लगता है और सेक्शुअल फंक्शन, एनर्जी में कमी आने लगती है. अध्ययनों के मुताबिक, मेथी में मौजूद furostanolic saponins कंपाउंड टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन का उत्पादन बढ़ाता है. इसके अलावा, मेथी का सेवन स्पर्म क्वालिटी को भी बढ़ाता है, जिससे पुरुषों में बांझपन की समस्या नहीं होती है.पुरुषों में रक्त प्रवाह बाधित हो जाने से जननांग तक ताजा व ऑक्सीजन वाला खून नहीं पहुंच पाता है और उनमें कामेच्छा में कमी और नपुंसकता की समस्या हो सकती है. लेकिन मेथी का सेवन शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर घटाकर रक्त प्रवाह बेहतर बनाता है और पुरुषों में नपुंसकता व इरेक्शन की कमी को सुधारता है.मेथी खाने के लाभमहिलाओं में स्तनपान को बेहतर बनाता हैवजन घटाने में मददगारसूजन से राहतदर्द से राहत, आदि
- मखाना सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है। मखाने में कैलोरी और फैट काफी कम मात्रा में पाया जाता है। मखाना एंटी ऑक्सीडेंट्स का भंडार होता है, जो हृदय और किडनी संबंधित समस्याओं से बचाने में काफी मददगार साबित होता है। क्या आपने कभी दूध में मखाना उबालकर इसका सेवन किया है? अगर नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम आपको दूध में मखाना उबालकर खाने के कुछ स्वास्थ्य फायदों के बारे में बताएंगे।1. पेट संबंधी समस्याओं में फायदेमंदमखाने को पुराने समय से ही हृदय के लिए फायदेमंद माना गया है। मखाना एंटी ऑक्सीडेंट्स का भंडार है, जो पेट संबंधी समस्याओं से राहत दिलाने में मददगार होता है। मखाने में फाइबर की उच्च मात्रा पाई जाती है, जो पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने के साथ ही कब्ज आदि से भी छुटकारा दिलाता है। वहीं मखाने को दूध में उबालने से दूध में पाए जाने वाला लैक्टॉस भी मखाने में अवशोषित होता है, जो पेट दर्द, ब्लोटिंग आदि समस्याओं में मददगार साबित होता है।2. डायबिटीज में मददगारडायबिटीज की समस्या में भी मखाना और दूध का सेवन एक साथ करना काफी लाभदायक माना जाता है। दूध में मखाना उबालकर खाने से ब्लड ग्लूकोज और ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित होता है। डायबिटीज के मरीज दूध में मखाना उबालकर बेझिझक इसका सेवन कर सकते हैं। इसके नियमित सेवन से उनका ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित होगा। मखाने में एंटी डायबिट प्रॉपर्टीज पाई जाती हैं, जो डायबिटीज के लक्षणों से भी बचाते हैं।3. जोड़ों के दर्द में सहायकआमतौर पर कैल्शियम की कमी के कारण जोड़ों में दर्द की समस्या होती है। मखाने को दूध में उबालकर खाना हड्डियों के लिए किसी औषधि से कम नहीं है। मखाना और दूध दोनों ही कैल्शियम का बेहतरीन स्त्रोत हैं। दोनों ही एंटी इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज से भरपूर होते हैं, जो जोड़ों के दर्द और सूजन आदि की समस्या में काफी प्रभावशाली माने जाते हैं।4. कमजोरी दूर करेदूध और मखाना दोनों ही एनर्जी का एक बेहतरीन स्त्रोत हैं। दोनों का सेवन करने मात्र से ही शरीर में इंस्टेंट एनर्जी आती है। मखाने को दूध में उबालकर खाने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है। मखाना और दूध का सेवन करने से शरीर में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स औऱ फाइबर आदि जैसे कई पोषक तत्व अवशोषित होते हैं, जो शारीरिक कमजोरी को दूर करने में सहायक होते हैं।5. अनिद्रा में फायदेमंदअगर आप भी अनिद्रा के शिकार हैं तो मखाना और दूध का सेवन कर सकते हैं। एक शोध की मानें तो अनिद्रा की समस्या में मखाने का सेवन करना काफी फायदेमंद होता है। वहीं दूध पीने से भी आपको नींद नहीं आने की समस्या में राहत मिलती है। इसके लिए आप रात के समय दूध में उबले हुए मखाने खाएं और बचा हुआ दूध पीकर सो जाएं। इससे आपको जल्दी नींद आएगी।6. हृदय के लिए फायदेमंदमखाने में मैगनीशियम, कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन और फ्लेवेनॉइड्स आदि जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो हृदय रोगों के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। वहीं हाल ही में हुए एक शोध की मानें तो नियमित तौर पर दूध-मखाना का सेवन करने से कोरोनरी आर्टरी डिजीज होने की आशंका काफी कम हो जाती है।(नोट-मखाने को दूध में उबालकर खाना बेहद फायदेमंद है। अगर आप प्रेगनेंसी या फिर किसी बीमारी में इसका सेवन कर रहे हैं तो एक बार चिकित्सक की सलाह जरूर लें। )
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कई तरह की बीमारियों से लडऩे और शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए आयन बेहद जरूरी है। आयरन से ही शरीर में हीमोग्लोबिन बनता है और अगर हीमोग्लोबिन कम हुआ तो एनीमिया की बीमारी हो सकती है। इसके अलावा शरीर में खून की कमी होने पर चक्कर आना, कमजोरी, बेहोशी आदि समस्याएं होने लगती हैं। शरीर में आयरन की कमी से खून की कमी हो जाती है। अगर सही समय पर खून की कमी को पूरा नहीं किया गया तो हमें कई गंभीर बीमारियां भी हो सकती है। जब शरीर में मौजूद आयरन, हमारे शरीर में मौजूद प्रोटीन के साथ कॉम्बिनेशन तैयार करता है, तब हीमोग्लोबिन का उत्पादन होता है, जो शरीर के लिए बेहद जरूरी है।
क्या है एनीमियाएनीमिया एक ऐसी बीमारी है, जो व्यक्ति के शरीर में खून की कमी या हीमोग्लोबिन की कमी के वजह से होती है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और व्यक्ति कमजोर होने लगता है। महिलाओं, बच्चों में और लंबे समय से चल रही बीमारियों से पीडि़त लोगों को एनीमिया आसानी से हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, दुनिया में करीब 80 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो आयरन की कमी से जूझ रहे हैं, जबकि इनमें से 30 प्रतिशत लोग एनीमिया के शिकार हैं।खून की कमी के लक्षण - चक्कर आना या बेहोश होना, सांस की तकलीफ होना, बहुत कमजोरी और थकान महसूस होना, दिल की धड़कन तेज़ होना, त्वचा पीली पडऩा, सिर में दर्द होना, हाथ पैर हर वक्त ठंडा रहना।इन चीजों से बढ़ता है खून1.किशमिश का सेवनकिशमिश शरीर में खून की कमी को पूरा करने में मदद करती है। खून की कमी को दूर करने के लिए 4 से 5 किशमिश को गुनगुने पानी में अच्छे से धो लें और इसके बाद पीने लायक दूध में डालकर इन्हें उबाल लें। गुनगुना होने पर इसका सेवन करें। आप दिन में दो बार ऐसा कर सकते हैं।2.पालक का सेवन जरूरीपालक में आयरन भरपूर मात्रा होती है, जो शरीर में खून की कमी को दूर करने में काफी फायदेमंद है। पालक की सब्जी या साग के रूप में पालक का सेवन कर सकते हैं।3.टमाटर का रोज करें सेवनशरीर में खून की कमी को ठीक करने में टमाटर बहुत काम की चीज है। आप इसे सलाद के रूप में या सब्जी और सूप के रूप में रोजाना जरूर सेवन करें।4. चुकंदर का सेवन भी जरूरीरोजाना चुकंदर के सेवन से शरीर में खून की मात्रा को पर्याप्त स्तर तक लाया जा सकता है। चुकंदर और अनार को मिलाकर जूस पीने से भी काफी फायदा मिलता है। दोनों का जूस बनाकर पीने से शरीर में खून बनाया जा सकता है। - बारिश के मौसम में सर्दी-जुकाम और खांसी होना आम बात है, लेकिन अगर सही समय पर इनका इलाज न किया जाए तो ये कई बीमारियों का कारण बन सकती हैं. ऐसे में हम आपके लिए लेकर आए हैं काली मिर्च के फायदे जी हां छोटी सी काली मिर्च सेहत के लिए बड़े कमाल की चीज है, क्योंकि यह न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाती है बल्कि हमें कई गंभीर बीमारियों से दूर रखती है.कई रिसर्च शोध और वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार भी इस बारे में पुष्टि की जा चुकी है कि काली मिर्च हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद साबित होती है. इसमें पाए जाने वाले तत्व विटामिन ए और विटामिन ई शरीर के लिए बेहद जरूरी हैं.काली मिर्च में क्या-क्या पाया जाता हैकाली मिर्च में पैपरीन नामक तत्व पाया जाता है. यह तत्व औषधीय गुणों से भरपूर है. इसके अलावा काली मिर्च में आयरन, पोटैशियम, मैग्नीशियम, मैंग्नीज, जिंक, क्रोमियम, विटामिन ए और अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो एक स्वस्थ्य शरीर के लिए जरूरी माने जाते हैं.काली मिर्च के फायदेआंखों के लिए लाभकारीकाली मिर्च आंखों की रोशनी के लिए फायदेमंद मानी जाती है. इसको घी के साथ सेवन करने से आंखों की रोशनी को बढ़ाया जा सकता है.सर्दी-खांसी और जुकाम से राहतसर्दी, खांसी और जुकाम से पीड़ित लोगों को ही लिए काली मिर्च एक बेहतरीन औषधि के रूप में कार्य कर सकती है. आयुर्वेद में भी इसके सेवन से सर्दी और जुकाम की समस्याओं को ठीक करने की बात कही गई है. आप शहद के साथ काली मिर्च के पाउडर को खा सकते हैं.इन बीमारियों से बचाने में करती है मददकाली मिर्च एंटीऑक्सीडेंट में उच्च होती है, इसमें मजबूत एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं. काली मिर्च से सूजन संबंधी बीमारियां, हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियों के होने की संभावना कम हो जाती है.डायबिटीज के मरीजों के लिए लाभकारीकाली मिर्च डायबिटीज के मरीजों के लिए भी लाभकारी है. अगर काली मिर्च का सेवन नियमित रूप से किया जाए तो यह ब्लड शुगर लेवल को संतुलित बनाए रखकर डायबिटीज के खतरे को काफी हद तक कम कर देती है.
- फिट और स्वस्थ्य रहने के लिए लोग अपनी लाइफ में कई तरह के बदलाव लाते हैं. कुछ जिम जाते हैं तो कोई रनिंग करता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि रस्सी कूदने से सेहत को जबरदस्त फायदे मिलते हैं? जी हां रस्सी कूदने से न सिर्फ वजन कम होता है बल्कि इससे हमें कई दूसरी तरह के फायदे भी मिलते हैं.दरअसल, ऑफिस जाने वाले लोगों के पास समय की कमी होती है, जिसकी वजह से वह जिम नहीं जा पाते हैं या रनिंग और जॉगिंग जैसे फिजिकल एक्सरसाइज नहीं कर पाते हैं. ऐसे में उनके लिए रस्सी कूदना बेहद लाभकारी हो सकता है. कई शाध के अनुसार यह पता चला है कि, रोजाना रस्सी कूदने से हृदय और मानसिक स्वास्थ्य बना रहता है साथ में यह स्टैमिना को भी बढ़ाता है.स्वस्थ्य और फिट रहने के लिए आपको खानपान के साथ एक्सरसाइज पर भी फोकस करने की जरूरत होती है. रस्सी कूदने से आपकी मांसपेशियां मजबूत होती हैं. साथ ही दिल की बीमारी का खतरा भी कम होता है उन्होंने बताया कि पेट की चर्बी को घटाना सबसे मुश्किल काम है, ऐसे में अगर आप पेट की चर्बी को कम करना चाहते हैं तो आप रेगुलर रस्सी कूदें, इससे आपके पेट की चर्बी तेजी से कम होगी.रस्सी कूदने के 4 फायदेरस्सी कूदने से आपका शरीर शांत और लचीला बनता है. कूदने से मांसपेशियों को बहुत ताकत मिलती है और उन्हें आराम मिलता है.मध्यम-तीव्रता में रस्सी कूदने से चिंता और अवसाद कम हो सकता है. व्यायाम आपके शरीर और मस्तिष्क में रक्त परिसंचरण को बढ़ा सकता है.लगातार काम करने से अगर आप थका हुआ महसूस करते हैं तो स्किपिंग सहनशक्ति में सुधार कर सकती है, आप जितना अधिक आप नियमित रूप से स्किपिंग करते हैं, उतना ही आपकी सहनशक्ति बढ़ती है.एक रिपोर्ट के मुताबिक रस्सी कूदना सबसे अच्छा कार्डियो व्यायाम है, क्योंकि यह हृदय गति को बढ़ाता है. इससे हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा काफी कम हो सकता है.
- क्या आपको रायता खाना पसंद है? रायता अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तरीकों से बनाया जाता है। प्याज के रायते में दही और प्याज दोनों के पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इसलिए प्याज का रायता खाने से स्वास्थ्य को कई लाभ मिलते हैं। नियमित रूप से प्याज का रायता खाने से दही और प्याज दोनों के फायदे सेहत को मिलते हैं।दही में पो तत्वविटामिन बी5 और बी12 , पोटैशियम ,आयोडीन, जिंक,फास्फोरस , राइबोफ्लेविन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सोडियम।प्याज में पोषक तत्वविटामिन ए, बी और सी , फोलिक एसिड, कैल्शियम , मैग्नीशियम, आयरन।प्याज के रायते के फायदेप्याज का रायता पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसके सेवन से हृदय स्वास्थ्य बेहतर होता है और यह पाचन क्रिया को भी बेहतर बनाता है। गर्मी के मौसम में प्याज का रायता खाने से बॉडी हाइड्रेट रहती है और शरीर को एनर्जी मिलती है।हड्डियों को मजबूत बनाए प्याज का रायताअक्सर शरीर में कैल्शियम की कमी होने पर हड्डियों में दर्द होना शुरू हो जाता है। ऐसे में कैल्शियम युक्त डाइट या सप्लीमेंट लेना बहुत जरूरी होता है। प्याज और दही दोनों कैल्शियम का अच्छा स्त्रोत है। आप चाहें तो अपनी हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए प्याज के रायते को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। प्याज का रायता खाने से जोड़ों में दर्द की समस्या भी दूर होती है।गर्मी में बॉडी को हाइड्रेट रखे प्याज का रायतागर्मियों में प्याज का रायता खाना बेहद लाभकारी माना जाता है। इसके सेवन से शरीर की गर्मी दूर होती है। गर्मी में रायता को डाइट में शामिल करने से शरीर को ठंडक मिलती है और लू लगने का जोखिम कम होता है। सफेद प्याज लू से बचाता है। साथ ही प्याज का रायता बॉडी को डिहाइड्रेशन से बचाता है और बॉडी को हाइड्रेट रखने में मदद करता है।हृदय के लिए फायदेमंद प्याज का रायताप्याज का रायता खाने से हृदय स्वास्थ्य बेहतर रहता है। प्याज का रायता शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल को नियंत्रित रखता है। इसके अलावा यह ट्राइग्लिसराइड्स लेवल को भी कंट्रोल में रखता है। प्याज में एंटीक्लोटिंग गुण होते हैं, जो खून के थक्कों को बनने से रोकता है। ब्लड क्लोटिंग के जोखिम को कम करने के लिए आप प्याज के रायते का सेवन कर सकते हैं।इम्यूनिटी बढ़ाए प्याज का रायताप्याज में काफी अच्छी मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है। साथ ही दही में जिंक भी होता है। इसलिए इन दोनों से मिलकर बने रायते को खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। इसके अलावा प्याज के रायते में एंटीबैक्टीरियल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं, जो बार-बार होने वाले सर्दी-खांसी में राहत दिलाते हैं। प्याज सर्दी-खांसी की समस्या को दूर करने में मददगार होता है। साथ ही इसके सेवन से सूजन या इंफ्लामेशन की दिक्कत भी ठीक होती है।पाचन क्रिया को मजबूत बनाए प्याज का रायतागर्मी के दिनों में नियमित रूप से प्याज के रायते का सेवन करने से पाचन क्रिया को बेहतर किया जा सकता है। दही में काफी अच्छी मात्रा में प्रोबायोटिक्स होता है, जो पाचन को बेहतर करने में मददगार होता है। प्याज के रायते को लंच में शामिल करने से पेट से जुड़े रोग जैसे-गैस, अपच, कब्ज और एसिडिटी की समस्या दूर होती है।प्याज के रायते से मिलेगी एनर्जीदही में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन होता है। साथ ही यह विटामिंस और मिनरल्स से भी भरपूर होता है। ऐसे में इसे प्याज के साथ मिलाकर खाने से आप एनर्जेटिक महसूस कर सकते हैं। प्याज का रायता कमजोरी को दूर करने में सहायक होता है। इसके सेवन से आप दिनभर ऊर्जावान बने रह सकते हैं।प्याज का रायता बनाने की रेसिपीप्याज का रायता बनाना बहुत आसान है। आप इसे आसानी से घर पर ही बना सकते हैं। इसके लिए आपको बहुत ज्यादा सामग्री की भी जरूरत नहीं होती है।आवश्यक सामग्री प्याज : 2 ,दही : 1 कटोरी, हरी मिर्च : 1 , धनिया पत्तियां : बारीक कटी हुई, तेल : तड़के के लिए, राई : 1 चम्मच, नमक : स्वादानुसारविधि- प्याज का रायता बनाने के लिए सबसे पहले प्याज को बारीक काट लें। इसके बाद दही को अच्छी तरह से फेंट लें। अब एक कटोरी में कटे हुए प्याज और दही को अच्छी तरह से मिला लें। इसमें हरी मिर्च, धनिया पत्तियां और नमक डाल दें। अब एक पैन में तेल गर्म करें। इसमें तड़का लगाने के लिए राई के दाने डाल दें। आखिरी में इस तड़के को दही और प्याज के मिश्रण में मिला दें। अब आप इसे अपने लंच में शामिल कर सकते हैं। साथ ही इससे मिलने वाले फायदों को पा सकते हैं।
- काले रंग को अच्छा नहीं माना जाता है, इसलिए हमारे मन में काली चीजों के लिए एक गलत राय पहले से ही कायम हो जाती है. लेकिन यहां आपको कुछ काली चीजों के बारे में जानने को मिलेगा, जो आपके स्वास्थ्य के लिए वरदान साबित हो सकती हैं. आप इन काले फूड्स को सेहत को बुरी नजर (स्वास्थ्य समस्याएं) से बचाने वाले नजरबट्टू की तरह भी देख सकते हैं. इन काले फूड्स को आप हरी और पत्तेदार सब्जियों से कम समझने की भूल बिल्कुल ना करें. ये 5 काले फूड्स पोषण से भरपूर हैं और आपकी सेहत को मजबूत बनाते हैं.स्वास्थ्यवर्धक 5 काले फूड्सआयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉ. अबरार मुल्तानी के मुताबिक यहां बताए जा रहे काले फूड्स काफी स्वास्थ्यवर्धक माने जाते हैं. जिससे शरीर को जरूरी पोषण प्राप्त होता है और आप शरीर और दिमाग दोनों से मजबूत बनते हैं.काले अंगूरकाले अंगूर में काफी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं. जो आपकी कोशिकाओं को डायबिटीज, अल्जाइमर, दिल की बीमारी आदि से सुरक्षा प्रदान करते हैं. यह आपके दिल और दिमाग के लिए काफी फायदेमंद फूड है और इसके सेवन से स्वस्थ बाल और त्वचा प्राप्त की जा सकती है.काले तिलकाले तिल में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं. इनका इस्तेमाल करने से बाल झड़ने, सफेद बाल, दांतों के रोग, खांसी आदि समस्याओं से राहत पाई जा सकती है. सोंठ के साथ तिल का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से जोड़ों के दर्द से भी राहत मिलती है. इसमें कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व भी पाए जाते हैं. यह ब्लीडिंग रोकने के भी काम आते हैं.चिया सीड्सचिया सीड्स छोटे-छोटे काले बीज होते हैं. जिनमें फाइबर, प्रोटीन, कैल्शियम, मैंगनीज, मैग्नेशियम, फोस्फोरस आदि जरूरी पोषक तत्व मौजूद हैं. आपको चिया सीड्स के अंदर काफी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स भी मिलेंगे, जो कोशिकाओं को फ्री-रेडिकल्स से बचाते हैं. आपको इन बीज के सेवन से मोटापा घटाने, दिल के रोगों से बचाने, हड्डियों को मजबूत बनाने आदि फायदे प्राप्त होते हैं. इसे वीर्यवर्धक के रूप में भी काफी बेहतरीन माना जाता है.काली मिर्चकाली मिर्च भारतीय रसोई में आसानी से मिलने वाला मसाला है और यह एंटी-कैंसरस भी है. स्वास्थ्य की दृष्टि से यह काफी फायदेमंद होता है. काली मिर्च में एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं. काली मिर्च का सेवन आपके दिमाग, ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल लेवल आदि को संतुलित बनाने में मदद करता है. इसके इस्तेमाल से दर्द से भी राहत प्राप्त की जा सकती है.काली उड़द की दालकाली उड़द की दाल में अधिकतर दालों के मुकाबले ज्यादा प्रोटीन होता है. इसके अलावा इसमें विटामिन ए, सोडियम, पोटैशियम, फोलेट, जिंक जैसे कई पोषक तत्व होते हैं. इसके इस्तेमाल से सिरदर्द, डैंड्रफ, नक्सीर आदि से राहत पाई जा सकती है. यह लिवर, पुरुषों व महिलाओं के यौन स्वास्थ्य आदि के लिए काफी बढ़िया फूड है.
- हाथ या पांव में मोच आना आम बात है, लेकिन जब मोच आ जाती है तब असहनीय दर्द होता है, ये दुखदायी हो जाता है। इस मोच को ठीक करने में हल्दी और चूना का इस्तेमाल रामबाण है।मोच को ठीक करने के लिए कैसे तैयार करें ये देसी दवापैर या हाथ की मोच को ठीक करने में हल्दी और चूना की ये देसी दवा बहुत कारगर है। आज भी कई घरों में इस नुस्खे का इस्तेमाल किया जाता है। हल्दी चूना का ये नुस्खा निम्न तरीके से करें तैयार--सबसे पहले एक चम्मच हल्दी और एक चम्मच चूना लें।-चूना और हल्दी को मिलाएं। इसे थोड़ा गर्म कर लें।-गुनगुने से इस इस पेस्ट को मोच वाली जगह पर लेप की तरह लगाएं।-लेप लगाने के बाद पट्टी बांध दें।-जब तक पैर या हाथ की सूजन चली न जाए तब तक इस नुस्खे का इस्तेमाल करें।-इस तरह हल्दी-चूना लगाने से आपके पैर या हाथ की सूजन जल्द से जल्द खत्म हो जाएगी। साथ ही दर्द में भी आराम मिलेगा।हल्दी के फायदेहल्दी में एंटी-इंफ्लामेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं। जो जोड़ों के दर्द से लेकर हाथ या पांव में आने वाली सूजन में भी लाभकारी होती है। अमूमन भारतीय घरों में हल्दी का प्रयोग खाने-पीने में होता है। लेकिन इसे शरीर पर लगाने से भी कई फायदे मिलते हैं। हल्दी में पाया जाने वाला करक्युमिन दर्द को ठीक करने में बहुत लाभकारी है। हल्दी की तासीर गर्म होती है। जब मोच आ जाती है, तब उस जगह आई सूजन को हील करने में हल्दी बहुत गुणकारी तरीके से काम करती है। हल्दी की गर्माहट की वजह से सूजन कम होने लगती है।चूना के फायदेचूना को कैल्शियम कार्बोनेट भी कहा जाता है। चूना कैल्शियम का अच्छा स्रोत माना जाता है। कैल्शियम हड्डियों की मजबूत के लिए फायदेमंद है। जब आप हल्दी और चूना से बना ये घरेलू नुस्खा मोच को ठीक करने के लिए करते हैं तो चूना और हल्दी दोनों मिलकर काम करते हैं और सूजन को कम करते हैं।
- कुछ ऐसी चीजों के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जिनका सेवन करने से आपको एसिडिटी से राहत मिल सकती है. उल्टा सीधा खानपान और खराब लाइफस्टाइल की वजह से एसिडिटी की समस्या हो जाती है, जो लोग ज्यादा खट्टा और मसाले वाले खाने का अधिक सेवन करते हैं और पानी कम पीते हैं उन्हें भी यह परेशानी होती है.यह पाचन तंत्र से संबंधित आम समस्या है, अत्यधिक तैलीय और मसालेदार भोजन करने से पेट में पित्त के बढ़ने से एसिडिटी की शिकायत हो जाती है और पेट में जलन एवं खट्टी डकारों का सामना व्यक्ति को करना पड़ता है. हमारे पेट में हाइड्रोक्लोरिक एसिड पेपसीन मौजूद होता है जो भोजन के पाचन में अहम भूमिका निभाता है.तरबूज का सेवन करेंनैचुरल तरीके से एसिडिटी की समस्या में तरबूज आराम दिलाता है. क्योंकि इसमें अधिक मात्रा में फाइबर होता है, जो डाइजेशन को बढ़िया रखता है. इसके साथ ही खाने को पचाने में मदद करता है. लिहाजा अगर आप एसिडिटी की समस्या से नैचुरल तरीके से राहत चाहते हैं तो तरबूज खाना आज से शुरू कर दें.खीरा का करें सेवनखीरा सेहत के लिए बेहद लाभकारी है. कई लोग तो ऐसे होते हैं कि अगर सलाद में खीरा नहीं हुआ तो उनका पेट भी नहीं भरता. इसके सेवन से एसिडिटी की समस्या में राहत मिल सकती है. इसमें प्रचुर मात्रा में पानी होता है, जो शरीर को हाइड्रेट रहता है. इसे खाने से एसिड रिफ्लैक्स कम हो जाता है, जिससे कि एसिडिटी की समस्या में आराम मिलता है.नारियल पानी भी जरूरीनारियल पानी को सुबह पीने से शरीर डिटॉक्सीफाई होता है, जिससे कि गैस की समस्या में आराम मिलता है. नारियल पानी में फाइबर और एंटी ऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में होता है. अगर आपको गैस की समस्या है तो आप डाइट में नारियल पानी शामिल करें.केले का सेवन जरूरीकेला सेहत के लिए बेहद लाभाकारी होता है. इसका सेवन करने से भी आपको काफी हद तक गैस की समस्या में आराम मिलेगा. केले में एसिड रिफ्लैक्स होता है. इसके साथ ही इसमें कैल्शियम, आयरन, एंटी ऑक्सीडेंट्स और पोटैशियम जैसे पोषक तत्व होते हैं, ये सभी तत्व म्यूकस पैदा करते हैं, इससे पीएच का स्तर कम होता है और एसिडिटी की समस्या कंट्रोल होती है.
- हरी मिर्च ज्यादातर लोग खाना पसंद करते हैं. खाने को स्वादिष्ट बनाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है. कई तरह की चटनियों में भी हरी मिर्च मिलाई जाती है. हाल में हुए कई शोध के अनुसार, हरी मिर्च खाने से कई स्वास्थ्य संबंधी कई तरह की समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो हरी मिर्च में विटामिन सी पर्याप्त मात्रा में होता है, जो सेहत को कई बीमारियों से बचाता है. हरी मिर्च में विटामिन ए, बी6, सी, आयरन, कॉपर, पोटेशियम, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट भरपूर मात्रा में पाया जाता है. इसमें बीटा कैरोटीन, क्रीप्टोक्सान्थिन, लुटेन -जॅक्सन्थिन आदि स्वास्थ्यवर्धक चीजें मौजूद हैं, जो शरीर को स्वस्थ्य रखने में अहम रोल अदा करती हैं.कई गंभीर बीमारियों से बचाती है हरी मिर्चखाने में तीखापन लाने वाली हरी मिर्च स्वाद के साथ सेहत के लिए भी फायदेमंद होती है. हरी मिर्च का सेवन कर हम कई गंभीर बीमारियों से भी बच सकते हैं. यह वजन घटाने से लेकर ब्लड सर्कूलेशन में तेजी लाने का काम करती है.इम्युनिटी करती है मजबूतअगर आपके शरीर की इम्युनिटी कमजोर है तो हरी मिर्च आपके काम आ सकती है, क्योंकि यह इम्यूनिटी को मजबूत करती है. यही वजह है कि कोरोना काल में हरी मिर्च खाने पर जोर दिया जा रहा है. हरी मिर्च में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो शरीर को बैक्टीरिया-फ्री रखने में मदद कर सकता है.खून का फ्लो तेज होता हैहरी मिर्च में कैप्सियासिन नामक यौगिक मौजूद होता है, जो इसे तीखा बनाता है. मिर्च खाने से खून साफ होता है और नसों में खून का फ्लो तेजी से होता है, जिससे चेहरे पर पिंपल्स की समस्या से भी छुटाकारा पाया जा सकता है.स्किन को हेल्दी बनाती है हरी मिर्चहरी मिर्च आपके चेहरे पर निखार लाने में मदद करती है. इसमें विटामिन ई और विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो आपकी स्किन को हेल्दी रखने में मदद कर सकता है.आंखों के लिए भी है लाभकारीहरी मिर्च आंखों की रोशनी को बढ़ाने में मददगार होती है, क्योंकि इसमें विटामिन ए पाया जाता है, जो आंखों की रोशनी को बढ़ाने में मदद कर सकता है.
- महामारी से लड़ने के लिए शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का मजबूत होना बेहद जरूरी है. भारत सरकार के आयुष मंत्रालय की ओर से इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए कई उपाय बताए गए हैं. जिसमें से एक है गिलोय का काढ़ा. इस खबर में हम आपके लिए लेकर आए हैं गिलोय का काढ़े से होने वाले फायदे और उसको बनाने का तरीका.गिलोय का काढ़ा तैयार करने का सामानदो कप पानीएक चम्मच हल्दी2 इंच अदरक का टुकड़ागिलोय के एक-एक इंच के 5 टुकड़े6-7 तुलसी के पत्तेस्वादानुसार गुड़गिलोय का काढ़ा बनाने का तरीकाएक पैन में 2 कप पानी लेंअब इसे मीडियम आंच पर उबलने के लिए रख दें.बाकी सभी सामग्री को डालें और गिलोय भी डाल दें.फिर धीमी आंच पर इसे कुछ समय के लिए पकने दें.जब पानी आधा रह जाए और सभी चीजें अच्छे से पक जाएं तो गैस बंद कर दें.किसी कपड़े या छन्नी से इसे छानकर कप में डालें और चाय की तरह पीएं.इसलिए भी खास है गिलोय का काढ़ाआयुर्वेद में कई रोगों के इलाज में गिलोय का इस्तेमाल किया जाता है. यह काफी सस्ती आयुर्वेदिक औषधि है. गिलोय को गुडूची या अमृता के नाम से भी जाना जाता है. गिलोग का रस, और काढ़ा डेंगू, चिकनगुनिया, बुखार जैसी गंभीर बीमारियों में दिया जाता है. इसके अलावा बदलते मौसम में गिलोय कई तरह के वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन से भी बचाता है.कितनी मात्रा में पीएं गिलोय का काढ़ाआप गिलोय का काढ़ा प्रतिदिन एक कप पी सकते हैं. इससे ज्यादा नहीं पीना चाहिए, क्योंकि ज्यादा का सेवन आपको नुकसान पहुंचा सकता है. अगर आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो आपको डॉक्टर की परामर्श के बाद ही इसे पीना चाहिए.गिलोय का काढ़ा पीने के 5 फायदे?गठिया रोग में भी गिलोय बहुत फायदेमंद होता है.इसे पीने से शरीर कई तरह के संक्रमण और संक्रामक तत्वों से बच सकता है.इसमें मौजूद अदरक और हल्दी मिलकर इम्यूनिटी बढ़ाने का काम करते हैं.ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए भी फायदेमंद है गिलोय.आयुर्वेद में डायबिटीज के मरीजों को गिलोय खाने की सलाह दी जाती है.
- सेब का सिरका कई स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है. वजन घटाने के लिए लोकप्रिय रूप से इसका इस्तेमाल किया जाता है. सेब का सिरका आपको कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से लड़ने में मदद कर सकता है. ये डायबिटीज रोगियों के लिए काफी फायदेमंद है. क्योंकि ये बल्ड शुगर के लेवल को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है. ऐप्पल साइडर सिरका सौंदर्य लाभों से भरपूर होता है. सेब का सिरका गले में खराश के लक्षणों को भी कम करने में आपकी मदद कर सकता है. गले की खराश को दूर करने के लिए आप इसका सेवन कर सकते हैं. गले में खराश एक आम समस्या है जो अक्सर बदलते मौसम के कारण होती है. इस स्वास्थ्य समस्या को दूर करने के लिए सेब के सिरके का इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं आइए जानें.सेब के सिरके का इस्तेमालसेब के सिरके में कई गुण होते हैं जो गले की खराश से लड़ने में आपकी मदद कर सकते हैं. सेब के सिरके में कई विटामिन, एंजाइम, प्रोटीन और लाभ पहुंचाने वाले बैक्टीरिया होते हैं. कई अध्ययनों के अनुसार गले में खराश के लिए सेब के सिरके का इस्तेमाल कई तरीको से कर सकते हैं.एक गर्म पानी लें और उसमें एक बड़ा चम्मच एप्पल साइडर विनेगर मिलाएं. अच्छी तरह मिलाने के बाद इसमें 2 बड़े चम्मच शहद मिलाएं. इस मिश्रण को दिन में एक बार पी सकते हैं. ये खांसी से लड़ने में भी मदद कर सकता है.एक बड़े गिलास गर्म पानी में एक बड़ा चम्मच एप्पल साइडर विनेगर मिला सकते हैं. इसे दिन में एक बार पी सकते हैं.गले में खराश से लड़ने के लिए एक बहुत ही प्रभावी मिश्रण तैयार कर सकते हैं. इसके लिए आप सेब के सिरके को दालचीनी और अन्य रसोई सामग्री के साथ मिला सकते हैं. एक कप गर्म पानी में एक बड़ा चम्मच एप्पल साइडर विनेगर, एक बड़ा चम्मच दालचीनी, एक बड़ा चम्मच शहद और एक बड़ा चम्मच नींबू मिलाएं. आप इसे चाय के रूप में पी सकते हैं. इस मिश्रण से गरारे भी कर सकते हैं.गले में खराश के लिए नमक का पानी एक लोकप्रिय घरेलू उपचार है. आप गरारे करने के लिए नमक के पानी में एक बड़ा चम्मच सेब का सिरका मिला सकते हैं. इसके लिए गर्म पानी का इस्तेमाल करें.
- गुलाब का नाम सुनते ही होंठो पर एक हल्की मुस्कान आ जाती है, हैं न। गुलाब एक ऐसा फूल है जिसका पौधा कंटीला होने के बावजूद फूल इतना मनमोहक होता है कि सबका दिल महक और सुंदरता से मोह लेता है। इसके मुग्ध रूप के अलावा औषधीय गुण भी अनगिनत हैं। आयुर्वेद में गुलाब का इस्तेमाल कई बीमारियों के लिए इलाज के रूप में प्रयोग किया जाता है। चलिये इसके बारे में आगे विस्तार से जानते हैं।गुलाब मधुर, कड़वा, तीखा, शीतल, लघु, चिकना, वातपित्त कम करने वाला, लिबिडो, हृदय संबंधी बीमारी, पौष्टिकता सोखने का गुण, रुचिकारक, खाना पचाने में सहायक, आंखों के लिए फायदेमंद, शुक्रल , दीपन , वर्ण्य तथा रसायन गुण से भरपूर होता है। गुलाब के फूल शीतल, वर्ण्य, वातपित्त कम करने वाला, विदाह नाशक या जलने की अनुभूति कम करने में सहायक, कास या खांसी, श्वसनिकाशोथ , व्रण या अल्सर (घाव), श्वास दौर्गन्ध्य (सांस की बदबू), अजीर्ण या बदहजमी, आध्मान या पेट फूलना, उदरशूल या पेट में दर्द, त्वक् रोग या चर्म रोग, हृदय रोग, ज्वर, विसर्प या हर्पिज, अर्श या बवासीर तथा सामान्य दौर्बल्य या कमजोरी में लाभप्रद होते हैं।मुंह संबंधी रोगगुलाब के फूलों का हिम बनाकर गरारा करने से मुंह की सूजन, सांस की बदबू, तथा गले के दर्द के इलाज में मदद मिलती है। इसके अलावा गुलाब के पत्तों को चबाने से भी मुंह और होंठों की सूजन कम होती है।सिर में होने वाले घावगुलाब के पत्तों को पीसकर लेप करने से सिर में होने वाले घाव, नेत्राभिष्यन्द या केटेरेक्ट (मोतियाबिंद) , दंतरोग तथा अर्श या पाइल्स में लाभ पहुंचाता है।पलकों की सूजनगुलाब के फूलों को पीसकर लगाने से पलकों की सूजन कम होने लगती है। इसके अलावा दांत पर मलने से दांत संबंधी रोगों से निजात पाने में मदद मिलती है। इसके अलावा गुलाब के अर्क को 2-2 बूंद आंखों में डालने से आंखों के बीमारी से राहत दिलाने में बहुत फायदेमंद होता है।ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के इलाज मेंगुलाब के फूलों का प्रयोग फेफड़ों की बीमारी, टी.बी. की चिकित्सा में किया जाता है। इससे इस रोग के इलाज में मदद मिलती है।पेट संबंधी रोग में फायदेमंद गुलाब2-4 ग्राम गुलाब फूल के चूर्ण को शहद के साथ सेवन करने से कब्ज, उदावर्त तथा अतिसार या दस्त में लाभ होता है।यकृत रोग के इलाज मेंलाल गुलाब के फूलों का प्रयोग रक्तज-विकार तथा यकृत से संबंधित बीमारियों की चिकित्सा में किया जाता है।घाव को ठीक करने मेंगुलाब के फलों को पीसकर घाव के ऊपर डालने से घाव से बहता हुआ खून कम होने लगता है और घाव जल्दी सूखने लगता है।बुखार से राहतअगर बुखार कम होने का नाम नहीं ले रहा है तो गुलाब से बने गुलकन्द का सेवन करने से पित्त ज्वर में लाभ होता है।गुलाब का इस्तेमाल कैसे करना चाहिएयदि आप किसी ख़ास बीमारी के घरेलू इलाज के लिए गुलाब का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही इसका उपयोग करें।
- फिटकरी सेहत के साथ स्किन के लिए भी फायदेमंद है. हमने देखा है कि जब पिछले दिनों कोरोना की दूसरी लहर अपने पीक पर थी तब गले और सांस संबंधी दिक्कतों को दूर करने के लिए लोगों को फिटकरी के गरारे करने की सलाह दी जा रही थी. फिटकरी कई तरह से फायदेमंद है. यदि आपको सूखी खांसी हो रही है या खांसने पर बहुत अधिक बलगम निकल रहा है तो दोनों ही परिस्थितियों में फिटकरी का उपयोग आपके लिए बहुत लाभकारी है.खांसी के साथ बलगम आने पर ऐसे करें उपयोगआयुर्वेद डॉक्टर अबरार मुल्तानी के अनुसार, खांसी के साथ बलगम आने पर आप फिटकरी के पानी से गरारे कर सकते हैं. इसके अलावा फिटकरी पर शहद लगाकर चाटने से भी आपकी समस्या का उपचार हो जाएगा. उन्होंने बताया कि फिटकरी का चूर्ण बनाकर भी शहद के साथ आप उसका आसानी से सेवन कर सकते हैं, इससे खांसी से राहत मिलेगी.दांत दर्द से राहत दिलाएगी फिटकरीडॉक्टर अबरार मुल्तानी कहते हैं कि अगर आपको दांत में दर्द है तो राहत पाने के लिए आप फिटकरी का इस्तेमाल कर सकते हैं. फिटकरी के पाउडर को एक गिलास पानी में मिलाकर इससे कुछ मिनट तक गरारे करें. ऐसा करने से दांद दर्द से राहत मिलेगी साथ ही मुंह से आने बदबू से निजात मिलेगी.यूरीन इंफेक्शन में लाभकारी है फिटकरीडॉक्टर अबरार मुल्तानी कहते हैं किगर्मियों के मौसम में कई लोगों को यूरीन इंफेक्शन हो जाता है, ऐसे में वेजाइना को फिटकरी के पानी से दिन में दो से तीन बार साफ करें. ऐसा करने से इंफेक्शन के कारण हो रही खुजली, लालपन, जलन आदि से आपको राहत मिल जाएगी, इसलिए प्राथमिक उपचार के तौर पर इसे जरूर आजमाकर देखें.बुखार में लाभकारी है फिटकरीअगर आपको बुखार है तो फिटकरी का उपयोग बहुत लाभकारी होता है. डॉक्टर अबरार मुल्तानी कहते हैं कि बुखार आने पर आप फिटकरी के पानी से स्नान जरूर करें. बुखार यदि अधिक है तो एक चुटकी फिटकरी का पाउडर लें, उसमें सौंठ को मिलाएं और बताशे के साथ इस मिश्रण का सेवन करें. दिन में दो बार इस उपाय को करने से धीरे- धीरे आपके शरीर का तापमान कम होने लगेगा.झुर्रियां कम करेअगर आपके चेहरे या हाथ-पैर में झुर्रियां दिखने लगी हैं तो इन्हें कम करने के लिए भी आप फिटकरी का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए आप फिटकरी के टुकड़े से कुछ मिनट के लिए चेहरे और हाथ-पैर की मसाज करें फिर पानी से धो लें.
- आयुर्वेद, चरक संहिता, सुश्रुत संहिता आदि में पान के पत्ते को काफी स्वास्थ्यवर्धक बताया गया है। पुराने समय में राजा-महाराजा हर रात खाना खाने के बाद पान चबाना पसंद करते थे। पान के सेवन से शादीशुदा पुरुषों को कमाल के फायदे मिलते हैं। यह उनकी सेक्शुअल लाइफ के लिए लौंग, सौंफ या इलायची के नुस्खों से बहुत ही ज्यादा कारगर उपाय साबित होता है. लेकिन पान के फायदे और भी बहुत होते हैं...पान के पत्ते हृदय के लिए बेहतरीन टॉनिक का भी काम करता है. इसमें एंटी-डायबिटिक, एंटी-इंफ्लामेटरी, एंटी-इंफेक्टिव, एंटी-सेप्टिक और दुर्गंध दूर करने वाले गुण होते हैं. इसके साथ इसमें सौंफ, सुपारी, इलायची, लौंग व गुलकंद मिलाने से यौन स्वास्थ्य को मजबूती भी मिलती है.पुरुषों के लिए ज्यादा गुणकारीपान खाने से पुरुषों की सेक्शुअल लाइफ को चमत्कारिक फायदे प्राप्त होते हैं. यह लौंग, सौंफ या इलायची के किसी भी नुस्खे से बहुत ज्यादा असरदार होता है. क्योंकि, इसमें आपको इन चीजों के साथ गुलकंद और सुपारी भी मिलती हैं. पान के साथ यह सभी चीजें शादीशुदा पुरुषों के यौन स्वास्थ्य के लिए बहुत ज्यादा प्रभावशाली हो जाती हैं. इससे पुरुषों में कामेच्छा में कमी (लिबिडो), नपुंसकता, टेस्टोस्टेरोन में कमी, जननांगों में रक्त प्रवाह आदि सुधर जाता है.कब्ज से राहत दिलाता है पानआयुर्वेद में कब्ज के इलाज के लिए पान को काफी असरदार बताया गया है. यह शरीर में पीएच लेवल को सामान्य बनाता है और पेट की परेशानी से राहत प्रदान करता है. इसके लिए आप पान के पत्ते के टुकड़े करके एक गिलास पानी में डालकर रातभर रख दें. यह पानी अगली सुबह खाली पेट पी लें.कटने, खुजली व जलन से राहतअगर किसी चीज से कटने, खुजली व जलन के कारण आपको समस्या हो रही है, तो आप पान के पत्ते का उपयोग कर सकते हैं. इसके एनलजेसिक गुण तुरंत राहत प्रदान करते हैं. इसके लिए पान के पत्ते का पेस्ट बनाएं और प्रभावित जगह पर लगाएं. यह त्वचा के अंदर जाकर दर्द व जलन से राहत दिलाता है.संक्रमण या सेप्टिक से राहतपान के पत्ते में एंटी-सेप्टिक व एंटी-फंगल गुण होते हैं, जो फंगल इंफेक्शन व सेप्टिक होने से राहत देते हैं. इसके लिए आपको पान के पत्ते का पेस्ट प्रभावित जगह पर लगाना होता है. पान के पत्ते का उपयोग जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए भी किया जाता है.मुंह की दुर्गंध के लिए पानपान खाने से मुंह की दुर्गंध दूर होती है. इसमें काफी मात्रा में एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं, जो मुंह की दुर्गंध का कारण बनने वाले बैक्टीरिया का खात्मा कर देते हैं. इसके अलावा यह दांतों में होने वाली कैविटी, प्लेक, सड़न, सूजन, दर्द आदि से भी राहत देता है. राजा-महाराजा अपना यौन स्वास्थ्य सुधारने के साथ मुंह की दुर्गंध भागने के लिए भी हर रात खाना खाने के बाद पान चबाना पसंद करते थे.
- हम में से अधिकतर लोग फ्रिज में खाने-पीने का लगभग हर एक सामान फ्रिज में रखते हैं। खासतौर पर ऐसी चीजें, जो जल्दी खराब होने की संभावना होती है। इन्हीं में से एक है दूध। फ्रिज में हम दूध को इसलिए रखते हैं, ताकि वह फटे न और लंबे समय तक उसका इस्तेमाल किया जा सके। लेकिन आपको बता दें कि फ्रिज में खाद्य पदार्थ को रखने का भी एक तरीका होता है। अगर आप गलत तरीके से फ्रिज में दूध या फिर कोई अन्य खाद्य पदार्थ रखते हैं, तो इससे आपके सेहत को नुकसान हो सकता है। साथ ही उन खाद्य पदार्थों में बैक्टीरिया पनपने का खतरा ज्यादा रहता है। आज हम आपको इस लेख में दूध और रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली खाद्य सामाग्री को फ्रिज में रखने का सही तरीका बताने जा रहे हैं, ताकि आपकी इन चीजों में बैक्टीरिया पनपने का खतरा कम हो सके। चलिए जानते हैं इस बारे में-दूध को सही तरीके से स्टोर करने का तरीकाअगर आप दूध को फ्रिज के सबसे ऊपर वाले शेल्फ पर रखते हैं, तो यह आपके दूध रखने का सबसे गलत तरीका है। एक्सपर्ट का मानना है कि फ्रिज के ऊपर की सबसे ऊपर की शेल्फ तुलनात्मक रूप से सबसे थोड़ी गर्म होती है। ऐसे में हाई रिस्क फूड्स जैसे- दूध, रॉ मीट ऐसे स्थान पर रखना सेफ नहीं होता है। इसलिए दूध या फिर रॉ मीट को फ्रिज के निचले शेल्फ पर रखें। या फिर फ्रिज के बैक पोर्शन के पास दूध रखें। इस तरह दूध में बैक्टीरिया पनपने का खतरा कम होता है।वहीं, अगर आप आलू फ्रिज में रखते हैं, तो यह आपकी सबसे बड़ी गलती हो सकती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि आलू को कभी भी फ्रिज में नहीं रखना चाहिए। दरअसल, ठंडे तापमान में आलू में मौजूद स्टार्च चीनी में बदल जाता है। ऐसे में अगर आप इस आलू को बैक्ड करते हैं या फिर तलते हैं, तो यह शक्कर एनीमा एसिड के साथ मिलकर एक्रिलामाइड का उत्पादन करता है, जो स्वास्थ्य के लिए काफी नुकसानदेय है।टॉप और मिडिल शेल्फ में क्या रखें?टॉप या मिडिल शेल्फ में आप रेडी-टू-ईट, डेयरी प्रोडक्ट्स (पनीर, दही, चीज इत्यादि), पका हुआ मीट, पैकेड फूड्स, बचा हुआ पका खाना और सलाद जैसी चीजें रख सकते हैं। इन चीजों को टॉप या फिर मिडिल शेल्फ में रखने से बैक्टीरिया पनपने का खतरा कम होता है। क्योंकि इनके खराब होने की संभावना काफी कम होती हैं।सबसे निचले शेल्फ में क्या रख सकते हैं?फ्रिज में अगर आप कच्चा मीट, चिकन, मछली और अन्य कच्चे खाद्य पदार्थों को रख रहे हैं, तो इसे सीलबंद डिब्बे में सबसे निचले शेल्फ में रखें। खासतौर पर कच्चे मांस को इस स्थान पर रख़ने से यह जल्दी खराब नहीं होते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि फ्रिज के निचले शेल्फ में रखी चीजों को अच्छे से लपेटे या फिर सीलबंद कंटेनर में रखें। ताकि ये अन्य खाद्य पदार्थों के संपर्क में आने से बच सके।कैसे रखें सलाद ड्रॉवर में सामान?फ्रिज के इस हिस्से में कच्चे फल और सब्जियों को रखने से पहले इन्हें अच्छे से धोएं। सब्जियों को खराब होने से बचाने के लिए इन्हें किसी कागज या फिर हवादार कपड़े में लपेटें। धनिया पत्ती या फिर अन्य पत्ते वाली चीजों को रखने के लिए किसी नम कपड़े से उन्हें लपेटें, इससे पत्तेदार सब्जियां जल्द खराब नहीं होंगी।फ्रिज में खाद्य पदार्थों को रखने से पहले यह जानना जरूरी है कि कौन सी चीजें कहां रखना सही है। ऐसा करने से आप अपने खाद्य पदार्थों को खराब होने से बचा सकेंगे। साथ ही इससे बीमारियों का खतरा भी कम हो सकेगा। इसके अलावा आप इन खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल लंबे समय तक कर सकते हैं।
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सरसों का तेल न सिर्फ खाने को स्वादिष्ट बनाता है बल्कि इसके सेवन से सेहत को भी कई फायदे होते हैं. उत्तर भारत में मुख्य रूप से इसका इस्तेमाल खाना बनाने के लिए किया जाता है. गर्म तासीर का यह तेल जीवाणुरोधी भी होता है. आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल कई बीमारियों को दूर करने के लिए भी किया जाता है. सरसों का तेल दरअसल सरसों के पौधे के बीज से बनाया जाता है जो कई तरह का होता है. काले सरसों जिसे ब्रैसिका निग्रा कहते हैं जबकि भूरे रंग के भारतीय सरसों को ब्रैसिका जुनसिया कहा जाता है. इसके अलावा, सफेद सरसों भी पाया जाता है जिसे ब्रैसिका हिर्टा कहा जाता है. सरसों के कच्चे तेल में भरपूर मात्रा में ओमेगा 3 पाया जाता है. इसके अलावा, इसमें ओमेगा-6 लिनोलेनिक एसिड, मोनोअनसेचुरेटेड फैटी एसिड होते हैं. इसके फायदों की बात करें तो यह त्वचा संबंधी समस्याओं से लेकर ज़ुकाम-खासी, मांसपेशियों में दर्द को ठीक करने के लिए भी प्रयोग किया जाता है. आइए जानते हैं इसके अन्य फायदों (Benefits) के बारे में.
सरसों के तेल के कई फायदे-
-यह पाचनतंत्र को ठीक रखता है और भूख बढ़ाने में भी मदद करता है. अगर आप भूख न लगने की समस्या से जूझ रहे हैं तो खाने में सरसों के तेल का इस्तेमाल शुरू कर दें.
- इसके नियमित सेवन से वजन घटाने में मदद मिलती है. इसकी मालिश कर भी शरीर की एक्स्ट्रा चर्बी कम कर सकते हैं.
- सरसों का तेल अस्थमा पीड़ित लोगों के लिए भी काफी असरदार है. सरसों के तेल में कपूर को डालकर गर्म करें और पीठ और सीने पर मालिश करें, अस्थमा में आराम मिलेगा.
-सरसों के तेल की मालिश से नवजात शिशु के शरीर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और ब्लड सर्कुलेशन भी बेहतर होता है.
-जो लोग गठिये से परेशान हैं उन्हें सरसों के तेल में कपूर मिलाकर मालिश करनी चाहिए. इससे दर्द में काफी आराम मिलता है.
-अगर आप खांसी से परेशान हैं तो दवा की तरह 1 चम्मच सरसों का तेल पी लें. खांसी व गले के दर्द में काफी आराम मिलेगा.
-नाभि में सरसों का तेल डालने से फटे होंठ की समस्या ठीक हो जाती है.
- सरसों का तेल नाक में डालने से जुकाम में राहत मिलता है. एंटीबैक्टीरियल खूबियों से भरपूर इन तेल से नाक में खुजली और सूखापन जैसी समस्याओं में भी आराम मिलता है.
-सरसों के तेल को हल्दी से बने उबटन में मिलाकर लगाएं तो स्किन की ड्राईनेस खत्म होती है.
-दांत दर्द हो तो आप सरसों के तेल में हल्दी और नमक मिलाकर नियमित रूप से दांतों और मसूड़ों की मसाज करें. दांत दर्द की समस्या में आराम मिलेगा.
- यह बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करता है, ऐसे में रिफाइंड ऑयल की तुलना में सरसों के तेल में खाना पकाने से हृदय रोग की संभावना लगभग 70 फीसदी तक कम हो सकती है.