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- लंदन। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित कोविड-19 टीका 56-69 आयु समूह के लोगों तथा 70 साल से अधिक के बुजुर्गों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में महत्वपूर्ण सुधार करने में कारगर रहा है।इस टीके से संबंधित यह जानकारी गुरुवार को पत्रिका लैंसेट में प्रकाशित हुई जिसका विकास भारतीय सीरम संस्थान के साथ मिलकर किया जा रहा है। अध्ययन में 560 स्वस्थ वयस्कों को शामिल किया गया और पाया गया कि सीएचएडीओएक्स 1 एनकोव-19 नाम का यह टीका युवा वयस्कों की तुलना में अधिक आयु समूह के लोगों के लिए अधिक उत्साहजनक है। इसका मतलब है कि यह टीका अधिक आयु समूह के लोगों में कोरोना वायरस के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर सकता है।अनुसंधानकर्ताओं ने उल्लेख किया कि यह निष्कर्ष उत्साहजनक है क्योंकि अधिक आयु समूह के लोगों को कोविड-19 संबंधी जोखिम अधिक होता है। इसलिए कोई ऐसा टीका होना चाहिए जो अधिक आयु समूह के लोगों के लिए कारगर हो। ऑक्सफोर्ड टीका समूह से जुड़े डॉक्टर महेशी रामासामी ने अधिक आयु समूह के लोगों में टीके के अच्छे परिणामों पर खुशी व्यक्त की। ब्रिटेन ऑक्सफोर्ड टीके की 10 करोड़ खुराक का पहले ही ऑर्डर दे चुका है।
- लंदन। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय छात्र संघ से जुड़े भारतीय मूल के छात्र सहित कुछ अन्य छात्रों ने परिसर को मांसाहार मुक्त बनाने का अभियान शुरू किया है ताकि विश्वविद्यालय अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लक्ष्य को प्राप्त कर सके।ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वोरसेस्टर कॉलेज के विहान जैन ने दो अन्य सहपाठियों के साथ मिलकर एक प्रस्ताव तैयार किया है और छात्र संघ से अनुरोध किया है कि विश्वविद्यालय के भोजन से बीफ और मांस हटा दिया जाए। इस प्रस्ताव पर हाल ही में हुए मतदान के दौरान 31 लोगों ने पक्ष में, नौ लोगों ने विपक्ष में वोट डाला जबकि 13 लोग अनुपस्थित रहे। प्रस्ताव में कहा गया है, ब्रिटेन का प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय होने के नाते पूरा देश ऑक्सफोर्ड नेतृत्व की ओर आस लगाए बैठा हुआ है, लेकिन ऑक्सफोर्ड ने जलवायु परिवर्तन में नेतृत्व नहीं दिखाया है। उसमें कहा गया है कि संस्थान अपने भोजन और परिसर के अन्य रेस्तरां में बीफ और मांस का भोजन बंद करने से कार्बन उत्सर्जन को लेकर 2030 के अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकेगा। इस प्रस्ताव के पारित होने का अर्थ है कि छात्र संघ अब सक्रियता से विश्वविद्यालय और अन्य कॉलेजों में मांसाहारी भोजन में कमी लाने या उसे बंद करने की दिशा में काम करेगा।
- मॉस्को। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को ब्रिक्स देशों से कोरोना वायरस का टीका विकसित करने के लिए संयुक्त प्रयास का आह्वान किया है। उन्होंने सुझाव दिया कि रूस द्वारा विकसित कोविड-19 के टीके स्पुतनिक-5 का उत्पादन चीन और भारत में किया जा सकता है, जो पांच देशों के समूह के सदस्य हैं।पुतिन ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए 12वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, "हमारा मानना है कि ब्रिक्स देशों द्वारा टीकों के विकास और अनुसंधान के लिए केंद्र की स्थापना को गति देना महत्वपूर्ण है, जिसे हम अपने दक्षिण अफ्रीकी दोस्तों की पहल पर करने के लिए सहमत हुए थे।" इस शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग, ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने भाग लिया। इसकी मेजबानी राष्ट्रपति पुतिन ने की।'स्पुतनिक न्यूज' के मुताबिक, पुतिन ने कहा कि रूस का स्पुतनिक-5 टीका जो अगस्त में पंजीकृत किया गया था, उसका उत्पादन ब्रिक्स के दो सदस्य देशों चीन और भारत में किया जा सकता है। पुतिन ने कहा, ''रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष ने स्पुतनिक-5 वैक्सीन के नैदानिक परीक्षणों के संचालन को लेकर अपने ब्राज़ीली और भारतीय साझेदारों के साथ समझौते किए हैं। इसने चीन और भारत में दवा कंपनियों के साथ एक समझौता भी किया है ताकि इन देशों में टीके का उत्पादन शुरू किया जा सके, जिससे न केवल उनकी जरूरतें पूरी होंगी, बल्कि वे अन्य देशों की भी मदद कर सकेंगे।'' गौरतलब है कि 11 अगस्त को रूस कोरोना वायरस के टीके को पंजीकृत कराने वाला दुनिया का पहला देश बन गया, जिसका नाम स्पुतनिक-5 है। गामालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ने इस टीके को विकसित किया है, जबकि रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (आरडीआईएफ) विदेशों में इस टीके के उत्पादन और संवर्धन में निवेश कर रहा है। वेक्टर रिसर्च सेंटर द्वारा निर्मित एक अन्य रूसी टीका एपिकोरोनावैक अक्टूबर में पंजीकृत किया गया था।
- टोक्यो। जापान के प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने दक्षिण चीन सागर और प्रशांत द्वीपीय देशों में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए एक ऐतिहासिक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।अमरीका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के क्वाड गठबंधन के विदेश मंत्रियों के टोक्यो में हाल में हुए सम्मेलन के कुछ ही सप्ताह बाद यह पारस्परिक समझौता हुआ है। इसमें जापानी और ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों को एक-दूसरे के यहां जाने और प्रशिक्षण पाने की सुगमता होगी और वे संयुक्त अभियान आयोजित कर सकेंगे। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने कहा है कि इस संधि से दोनो देशों के बीच रक्षा संबंध और सहयोग और मजबूत होगा।----
- मेक्सिको सिटी। पश्चिमी मेक्सिको में गैस से भरे एक ‘डबल-ट्रैंकर ट्रक' के अनियंत्रित होकर पलट जाने से उसमें आग लग गई और फिर विस्फोट हो गया। इस घटना में ट्रक चालक के अलावा आसपास के वाहनों में सवार कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई। अधिकारियों ने बताया कि वहां आसपास के वाहनों में बैठे लोगों को बाहर निकलने का समय ही नहीं मिला और वे जिंदा ही जल गए। अभियोजन कार्यालय ने बताया कि आसपास खड़े तीन वाहनों में सवार लोगों के शवों के टुकड़े सड़क पर बिखरे पड़े दिखे। मेक्सिको में पिछले कुछ वर्षों में ऐसे ट्रकों से कई सड़क हादसों की घटनाएं हुई हैं।
- जेनेवा। यह गुलाबी हीरा "द स्पिरिट ऑफ द रोज़" के नाम से जाना जाता है। बाजार में इसकी कीमत काफी अधिक है क्योंकि दुनिया भर में गुलाबी हीरे की सप्लाई करने वाली खान बंद हो चुकी है और यह हीरा दुर्लभ श्रेणी में आ गया है। एक बेहद दुर्लभ, बैंगनी-गुलाबी रंग के हीरे की नीलामी रिकॉर्ड करीब 1.9 अरब रुपयों में हुई है। स्विट्जरलैंड के जेनेवा में इस नायाब हीरे की नीलामी सोथेबी ने की। इस हीरे की खोज रूस की खान में हुई थी और हीरे की सुंदरता और विशिष्टता के कारण इसे "प्रकृति का एक सच्चा चमत्कार" भी कहा जाता है।"द स्पिरिट ऑफ द रोज़" नामक 14.83 कैरेट का यह हीरा रूस में पाए जाने वाले सबसे बड़े गुलाबी क्रिस्टल में से एक है। इसका आकार अंडाकार है। सोथेबी के मुताबिक अनुमान लगाया जा रहा था कि यह दो करोड़ 33 लाख अमेरिकी डॉलर से लेकर तीन करोड़ 80 लाख अमेरिकी डॉलर के बीच कीमत पाएगा। इस हीरे की बोली की शुरुआत एक करोड़ 60 लाख अमेरिकी डॉलर से शुरू हुई और दो करोड़ 10 लाख अमेरिकी डॉलर पर जाकर रुकी। कमीशन मिलाकर यह हीरा रिकॉर्ड कीमत पर बिका. इस हीरे के खरीदार ने टेलीफोन पर बोली लगाई और उसने अपनी पहचान नहीं जाहिर की।हाल के सालों में यह देखा गया है कि प्राकृतिक रूप से रंगीन हीरे न केवल पसंद किए जाते हैं, बल्कि दुनिया के सबसे अमीर लोगों द्वारा भी खरीदे जाते हैं। सफेद हीरे के उलट ये पत्थर जाली की एक विशेष परत से सुसज्जित हैं जो रंग को प्रभावित करने वाले प्रकाश को रोकने में सक्षम है। दुनिया के सबसे प्रसिद्ध गुलाबी हीरे ऑस्ट्रेलिया की प्रमुख अर्जेल खदान में पाए जाते हैं और यहां से सबसे अधिक आपूर्ति की जाती है. हालांकि, हाल के दिनों में खदान में इस तरह के गुलाबी हीरे का खनन लगभग बंद हो गया है, जिसके कारण खदान में खनन रोक दिया गया है।गुलाबी हीरे को जुलाई 2017 में रूसी हीरा निर्माता अलरोसा ने एक खदान से पाया था। यह ताइपेई, हांगकांग और सिंगापुर जैसे प्रमुख शहरों में भी प्रदर्शित किया गया है। यूरोप के सबसे बड़े ऑनलाइन हीरा व्यापारी टोबियास कोरमंड कहते हैं, "जैसे कि गुलाबी हीरे समय के साथ और अधिक दुर्लभ हो जाते हैं, भाग्यशाली खरीदार के लिए यह बढ़ती कीमतों के कारण आने वाले सालों में बहुत ही आकर्षक साबित होगा। सोथेबी का कहना है कि अब तक बिकने वाले दस सबसे महंगे हीरों में से पांच गुलाबी रंग के हीरे थे।
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तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति ने जो अपने फेवरेट कुत्ते के लिए किया उसे सुनकर आप जरुर अचंभित हो जाएंगे। दरअसल, तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति गुरबांगुली बेर्दयमुखमेदोव ने अपने फेवरेट कुत्ते की करीब 19 फुट की ऊंची मूर्ति देश की राजधानी के चौराहे पर बनवा डाली। 2007 तुर्कमेनिस्तान की सत्ता पर काबिज गुरबांगुली बेर्दयमुखमेदोव ने बीते बुधवार को अलबी प्रजाति के इस कुत्ते की इस मूर्ति का बकायदा औपचारिक अनावरण किया। इस मूर्ति की खासियत है कि ये कुत्ते की मूर्ति सोने से कोटेड है।
जिस कुत्ते की ये प्रतिमा है उसे मध्य एशियाई अलबी प्रजाति के रूप में जाना जाता है, इसका यहां सम्मान किया जाता है। इस नस्ल के कुत्ते यहीं पैदा होते हैं इसलिए उन्हें तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रीय पहचान से भी जोड़ कर देखा जाता है। सोने से कोटेड इस मूर्ति के बारे में तुर्कमेनिस्तान सरकार ने बताया कि इस कुत्ते की मूर्ति कांसे से बनाई गई है और इस पर 24 कैरेट सोने की परत चढ़ाई गई है। मूर्ति की ऊंचाई 19 फुट की है। फोटो और वीडियो के अनुसार जो अब इंटरनेट पर वायरल हो रही है उसके अनुसार कुत्ते की प्रतिमा अनावरण समारोह में गीत, नृत्य और एक वास्तविक अलाबाई पिल्ला भी शामिल हुआ। न्यूयॉर्क की एक पोस्ट के अनुसार, कैनाइन प्रतिमा के नीचे के पेडस्टल में एक रैपराउंड एलईडी स्क्रीन है, जिसमें विभिन्न सेटिंग्स में चारों ओर दौड़ते कुत्ते की देश की प्यारी नस्ल दिखाई दे रही है। -
इस देश में है यह दिलचस्प नियम
अपने देश से किसी अन्य देश में जाने के लिए जो सबसे जरूरी दस्तावेज होता है, वो है पासपोर्ट। इससे अंतरराष्ट्रीय यात्रा कर रहे व्यक्ति की पहचान और राष्ट्रीयता प्रमाणित होती है, लेकिन ध्यान रहे कि अगर बिना पासपोर्ट के आप किसी और देश में दाखिल हुए और पकड़े गए तो वहां के कानून के हिसाब से आपको सख्त से सख्त सजा दी जाएगी। आपको जानकर हैरानी होगी कि ब्रिटेन की महारानी अकेली ऐसी ब्रितानी हैं, जिन्हें पासपोर्ट की कोई जरूरत नहीं होती है। वह बिना पासपोर्ट के ही सभी देशों की यात्रा कर सकती हैं। हालांकि उनके पास कुछ गोपनीय दस्तावेज होते हैं, जो अपने आप में पासपोर्ट के समान होते हैं।
अगर आप सोच रहे होंगे कि पासपोर्ट का चलन तो पिछले 100 साल में ही शुरू हुए हैं तो आप पूरी सच्चाई नहीं जानते। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फारस के राजा आर्थरजेक्सीज प्रथम ने एक अधिकारी को एक प्रपत्र दिया था, जिसके आधार पर वह पूरे जूडिया में बिना किसी रोक-टोक के यात्रा कर सकता था। इसका जिक्र नेहेमियाह की पुस्तक में मिलता है।
पासपोर्ट पर तस्वीरों का चलन प्रथम विश्व युद्ध के बाद शुरू हुआ था। उससे पहले पासपोर्ट पर उसके धारक की तस्वीर नहीं होती थी। इसके पीछे वजह ये बताई जाती है कि जर्मनी के एक जासूस ने नकली अमेरिकी पासपोर्ट के सहारे ब्रिटेन में प्रवेश कर लिया था। आपको जानकर हैरानी होगी कि पहले जो पासपोर्ट जारी किए जाते थे, उसपर अपनी पसंदीदा तस्वीर लगाने की इजाजत होती थी। इतना ही नहीं, लोगों को अपने परिवार के पूरे सदस्यों के साथ वाली यानी ग्रुप फोटो भी लगाने की इजाजत थी।
पॉलिनेशियाई संप्रभु देश टोंगा में एक समय था जब गैर-नागरिकों को पासपोर्ट बेचे जाते थे, जिसकी कीमत 20 हजार डॉलर यानी आज के हिसाब से करीब 14 लाख 94 हजार होती थी। दरअसल, वहां के दिवंगत राजा तौफा आहातुपु चतुर्थ ने देश की आमदनी बढ़ाने के लिए ऐसा किया था। अमेरिका में ऐसा नियम है कि अगर आपका वजन बहुत अधिक कम या ज्यादा हो गया तो आपको नया पासपोर्ट बनवाना पड़ेगा। इसके अलावा अगर आपने अपने चेहरे की सर्जरी करवाई है, चेहरे पर टैटू बनवाया है या चेहरे से टैटू हटवाया है, तो भी आपके लिए नया पासपोर्ट बनवाना जरूरी हो जाता है। - लॉस एंजिलिस। शोधार्थियों ने सूती कपड़े का ऐसा पुन: इस्तेमाल किया जाने वाला मास्क विकसित किया है जो एक घंटे सूरज की रोशनी में रहने पर 99.99 प्रतिशत जीवाणु और वायरस को मार सकता है। अलग अलग तरह के कपड़ों से बनते वाले मास्क खांसते और छींकते वक्त निकलने वाली बूंदों को रोकते हैं जिससे कोविड-19 समेत अन्य बीमारियों के प्रसार को कम करने में मदद मिल सकती है। ''एसीएस अप्लाइड मटेरियल एंड इंटरफेसेज '' जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, मास्क पर लगे जीवाणु और वायरस संक्रामक हो सकते हैं। अमेरिका में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने एक नया सूती कपड़ा विकसित किया है जो सूरज की रोशनी में आने पर '' प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन स्पाइजेस '' (आरओएस) छोड़ती है जो कपड़े पर लगे सूक्ष्म विषाणुओं को मार देती है और यह धोने योग्य, पुन: इस्तेमाल योग्य और लगाने के लिए सुरक्षित रहता है। उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति दोपहर के भोज के समय सूरज की रोशनी में अपने मास्क को रखकर जीवाणु मुक्त कर सकता है । टीम ने पाया कि रोज बंगाल डाइ से बना कपड़ा फोटोसैनेटाइजर के तौर पर सूरज की रोशनी में आने पर एक घंटे में उसपर लगे 99.99 प्रतिशत जीवाणुओं को मार देता है और 30 मिनट के अंदर टी7 '' बैक्टरियाफैज '' को 99.99 फीसदी सक्रिय कर देता है। टी7 बैक्टरियाफैज के बारे में माना जाता है कि यह वायरस कुछ कोरोना वायरस की तुलना में आरओएस के लिए अधिक प्रतिरोधी है।
- नई दिल्ली। हीरे की अंगूठी का अपना एक अलग क्रेज है। हीरे की क्लियरिटी औक रंग के हिसाब से इसकी कीमत भी तय होती है। कई बार इसकी कीमत करोड़ो में पहुंच जाती है। जी हां, यह सच है और ऐसा ही एक उदाहरण जिनेवा में देखने को मिला है। यहां पर हीरे एक अंगूठी 20 करोड़ रुपए से अधिक कीमत पर बिकी है ! इतनी कीमत में कई ऑडी-मर्सिडीज कार आ सकती है !जिनेवा में एक नीलामी में एक अंगूठी को 20 करोड़ रुपये से भी ज्यादा में बेचा गया। इसमें जड़ा हुआ एक दुर्लभ बैंगनी रंग के हीरे के कारण इसकी कीमत ने इतनी ऊंचाई को छुआ है। यह एक वल्र्ड रिकॉर्ड भी है। इसे कुल 2.77 मिलियन अमेरिकी डॉलर यानी भारतीय मूल्य में 20 करोड़ (20,67,45,875.00) में बेचा गया।समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक 1.05 कैरेट के हीरे को प्लेटिनम और सोने की अंगूठी पर जड़ा गया है। इस हीरे के बेहद खास रंग की वजह से इसे इतनी ऊंची कीमत पर बेचा गया। फैंसी फिंगर रिंग को टियारा जेम्स और ज्वैलरी डीएमसीसी ने खरीदा था, जो दुबई के भारतीय एक्सपर्ट आशीष विजय जैन के स्वामित्व में थी।आम तौर पर हीरे का रंग सफेद होता है। इसलिए लाल रंग के हीरे को बेहद दुर्लभ माना जाता है। यही वजह है कि यह सबसे महंगा होता है। जेमोलॉजिस्ट लाल हीरे के बनने की वजह का पता लगाने के लिए लंबे समय से इस पर रिसर्च और बहस कर रहे हैं। इसके बाद, कुछ लोग इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि लाल रंग हीरे की संरचना में ग्लाइडिंग परमाणुओं की उपस्थिति के कारण होता है। इसके निर्माण के दौरान, एक हीरा अपने परमाणु संरचना को बदल देता है, जिससे मणि को एक विशेष रंग मिलता है।
- दुबई। बहरीन के प्रिंस खलीफा बिन सलमान अल खलीफा का बुधवार को निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे।खलीफा, विश्व में सबसे ज्यादा समय तक सेवा देने वाले प्रधानमंत्रियों में से एक थे जिन्होंने अपने राष्ट्र की सरकार का कई दशकों तक नेतृत्व किया। साल 2011 की अरब क्रांति के दौरान भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते उन्हें हटाने की मांग भी उठी थी। बहरीन की सरकारी समाचार एजेंसी ने उनके निधन की घोषणा की और कहा कि अमेरिका के मेयो क्लिनिक में खलीफा का इलाज चल रहा था। प्रिंस खलीफा की ताकत और संपत्ति की झलक इस छोटे से देश में चहुंओर दिखाई पड़ती है। देश के शासक के साथ उनका चित्र कई दशकों तक सरकारी दीवारों की शोभा बढ़ाता रहा। खलीफा का अपना एक निजी द्वीप था जहां वह विदेशी आगंतुकों से मुलाकात करते थे। प्रिंस, खाड़ी देशों में नेतृत्व करने की पुरानी परंपरा का प्रतिनिधित्व करते थे जिसमें सुन्नी अल खलीफा परिवार के प्रति समर्थन जताने वालों को पुरस्कृत किया जाता था। हालांकि उनके तौर तरीकों को 2011 के विरोध प्रदर्शन के दौरान चुनौती मिली थी।-----
- लंदन। दुनिया भर में सरकारों द्वारा कोविड-19 का प्रसार रोकने के लिये उपाय के तौर पर लागू किए गए 'लॉकडाउन' को कोलिंस शब्दकोश ने वर्ष 2020 का शब्द घोषित किया है। शब्दकोश के मुताबिक लॉकडाउन को यात्रा, सामाजिक मेलजोल और सार्वजनिक स्थानों पर पहुंच पर लगाई गई सख्त पाबंदी के तौर पर परिभाषित किया गया है।कोलिंस ने कहा, "हमारे कोशकार ने लॉकडाउन का चयन साल के शब्द के तौर पर किया क्योंकि दुनिया भर के अरबों लोगों का यह साझा अनुभव था जिन्होंने कोविड-19 के प्रसार के खिलाफ जंग में सामूहिक भूमिका अदा की।" कोलिंस में भाषा सामग्री परामर्शदाता हेलन न्यूजटीड ने कहा, "भाषा हमारे आसपास की दुनिया को परिलक्षित करती है और 2020 में वैश्विक महामारी का प्रभुत्व रहा।" उन्होंने कहा, "लॉकडाउन ने हमारे काम करने, पढऩे, खरीदारी और सामाजिक मेलजोल के तरीके को प्रभावित किया। बहुत से देश लॉकडाउन के दूसरे चरण को लागू करने जा रहे हैं और यह साल का ऐसा शब्द नहीं है जिसका जश्न मनाया जाए लेकिन यह संभवत: दुनिया के अधिकतर हिस्सों के लिये वर्ष का निचोड़ है।" शब्दकोश ने कहा कि उसने वर्ष 2020 के दौरान 2.5 करोड़ से भी ज्यादा बाद लॉकडाउन शब्द का इस्तेमाल दर्ज किया जबकि इससे पहले के साल में इसे सिर्फ 4000 बार दर्ज किया गया था। साल के 10 शीर्ष शब्दों की कोलिंस की सूची में महामारी से जुड़े कई शब्द हैं जिसमें फरलो या अस्थायी रूप से कर्मचारियों की छंटनी, 'सेल्फ आइसोलेट' (खुद पृथकवास में रहना) आदि शामिल हैं।शब्द कोरोना वायरस भी इस सूची में शामिल है जिसमें असाधारण रूप से 35 हजार गुना की बढ़ोतरी देखी गई। इसे विषाणुओं के ऐसे समूह के रूप में परिभाषित किया गया है जो श्वसन तंत्र में कोविड-19 समेत संक्रामक बीमारी की वजह बनता है। हालांकि सामाजिक दूरी, सामाजिक प्रभाव- व्यवहार और मानव जीवन का तरीका- भी इस सूची में शामिल है। शब्दकोश के मुताबिक 2020 में हालांकि सिर्फ महामारी से संबंधित शब्द ही चर्चा में नहीं थी।मेक्जिट या प्रिंस हैरी और उनकी पत्नी मेगन का शाही परिवार से अलग होने के फैसले के लिये इस्तेमाल किया जाना वाला शब्द भी बेहद चर्चा में रहा। कोलिंस के मुताबिक 'ब्लैक लाइव्स मैटर' शब्द ने भी 2020 में काफी सुर्खियां बटोरीं।---
- नई दिल्ली। अमेरिका में वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसे रासायनिक यौगिकों का पता लगाया है, जो कोरोना वायरस को मानवीय कोशिकाओं में प्रवेश करने और अपने जैसे और वायरस पैदा करने के लिए आवश्यक दो प्रोटीन को बाधित करने में सक्षम हैं।इस यौगिक की मदद से कोविड-19 का प्रभावी टीका बनाने में मदद मिल सकती है। कोविड-19 के लिए जिम्मेदार सार्स-कोव-2 वायरस कई चरणों में शरीर पर हमला करता है। यह पहले फेफड़ों में प्रवेश करता है और मानवीय शरीर के कोशिका तंत्र पर कब्जा करके अपने जैसे कई वायरस पैदा कर देता है। ये दोनों शुरुआती चरण संक्रमण के लिहाज से अहम हैं। 'साइंस एडवांसेज पत्रिका में प्रकाशित नए अध्ययन में पाया गया कि कई मौजूदा रासायनिक यौगिक मानव कोशिकाओं में संक्रमण के लिए आवश्यक लाइजोसोमल प्रोटीज कैथेप्सीन एल प्रोटीन और कोशिकाओं में और वायरस पैदा करने में अहम भूमिका निभाने वाले मुख्य प्रोटीज एप्रो को बाधित कर सकते हैं। अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ फ्लोरिडा हेल्थ में एसोसिएट प्रोफेसर यू चेन ने कहा कि यदि वैज्ञानिक इन दोनों प्रक्रियाओं को रोकने या बहुत हद तक काबू करने में सक्षम यौगिकों को विकसित कर लें, तो इससे कोरोना वायरस संक्रमण के उपचार में मदद मिल सकती है। यह अनुसंधान करने वाली टीम में यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना के अनुसंधानकर्ता भी शामिल हैं।---
- -लोगों से कहा- आपने अमेरिका के लिए नया दिन सुनिश्चित कियावाशिंगटन। अमेरिका में उपराष्ट्रपति निर्वाचित कमला हैरिस ने अमेरिकियों से कहा कि उन्होंने जो बाइडेन को राष्ट्रपति के तौर पर निर्वाचित करके अमेरिका के लिए नया दिन सुनिश्चित किया है।भारतीय मूल की कमला हैरिस(56) ने परिणामों की घोषणा के बाद देशवासियों को पहली बार संबोधित करते हुए कहा, जनता के पास बेहतर भविष्य के निर्माण की ताकत है। उन्होंने शनिवार को डेलावेयर के विलमिंग्टन में कहा, आपने स्पष्ट संदेश दिया। आपने उम्मीद, एकता, शालीनता, विज्ञान और सत्य को चुना। आपने अमेरिका के लिए नया दिन सुनिश्चित किया। हैरिस ने अपनी मां श्यामला गोपालन के बारे में कहा कि जब वह पहली बार अमेरिका आई थीं, तो उन्होंने इस पल के बारे में नहीं सोचा होगा।गौरतलब है कि भारतवंशी कमला देवी हैरिस ने अमेरिका की निर्वाचित उपराष्ट्रपति बनकर इतिहास रच दिया है। वह अमेरिका में इस पद के लिए निर्वाचित होने वाली पहली महिला हैं। यही नहीं, हैरिस देश की पहली भारतवंशी, अश्वेत और अफ्रीकी अमेरिकी उपराष्ट्रपति होंगी। राष्ट्रपति चुनाव के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से उम्मीदवार रहे जो बाइडेन ने अगस्त में उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के रूप में हैरिस को चुना था। राष्ट्रपति पद के अपने सपनों को हैरिस ने चुनाव प्रचार हेतु वित्तीय संसाधनों के अभाव का हवाला देते हुए त्याग दिया था। अपने पूर्व प्रतिद्वंद्वी बाइडेन की किसी समय हैरिस कटु आलोचक थीं। 56 वर्षीय हैरिस सीनेट के तीन एशियाई अमेरिकी सदस्यों में से एक हैं।हैरिस ने कई मिसालें कायम की है। वह सान फ्रांसिस्को की डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी बनने वाली पहली महिला, पहली भारतवंशी और पहली अफ्रीकी अमेरिकी हैं। ओबामा के कार्यकाल में वह फीमेल ओबामा के नाम से लोकप्रिय थीं। कैलिफोर्निया के ओकलैंड में 20 अक्टूबर 1964 को जन्मी कमला देवी हैरिस की मां श्यामला गोपालन 1960 में भारत के तमिलनाडु से यूसी बर्कले पहुंची थीं, जबकि उनके पिता डोनाल्ड जे हैरिस 1961 में ब्रिटिश जमैका से इकोनॉमिक्स में स्नातक की पढ़ाई करने यूसी बर्कले आए थे। यहीं अध्ययन के दौरान दोनों की मुलाकात हुई और मानव अधिकार आंदोलनों में भाग लेने के दौरान उन्होंने विवाह करने का फैसला कर लिया।हाई स्कूल के बाद हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने वाली कमला अभी सात ही बरस की थीं, जब उनके माता-पिता एक दूसरे से अलग हो गए। कमला और उनकी छोटी बहन माया अपनी मां के साथ रहीं और उन दोनों के जीवन पर मां का बहुत प्रभाव रहा। हालांकि वह दौर अश्वेत लोगों के लिए सहज नहीं था। कमला और माया की परवरिश के दौरान उनकी मां ने दोनों को अपनी पृष्ठभूमि से जोड़े रखा और उन्हें अपनी साझा विरासत पर गर्व करना सिखाया। वह भारतीय संस्कृति से गहरे से जुड़ी रहीं।कमला ने अपनी आत्मकथा 'द ट्रुथ्स वी होल्ड' में लिखा है कि उनकी मां को पता था कि वह दो अश्वेत बेटियों का पालन पोषण कर रही हैं और उन्हें सदा अश्वेत के तौर पर ही देखा जाएगा, लेकिन उन्होंने अपनी बेटियों को ऐसे संस्कार दिए कि कैंसर अनुसंधानकर्ता और मानवाधिकार कार्यकर्ता श्यामला और उनकी दोनों बेटियों को ' श्यामला एंड द गल्र्स' के नाम से जाना जाने लगा। हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अध्ययन के बाद हैरिस ने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की। वह 2003 में सान फ्रांसिस्को की शीर्ष अभियोजक बनीं। वह 2010 में कैलिफोर्निया की अटॉर्नी बनने वाली पहली महिला और पहली अश्वेत व्यक्ति थीं। हैरिस 2017 में कैलिफोर्निया से जूनियर अमेरिकी सीनेटर चुनी गईं। कमला ने 2014 में जब अपने साथी वकील डगलस एम्पहॉफ से विवाह किया तो वह भारतीय, अफ्रीकी और अमेरिकी परंपरा के साथ साथ यहूदी परंपरा से भी जुड़ गईं।
- नई दिल्ली। दुनिया में इन दिनों भारतवंशियों के नाम की धूम है और इनमें भी महिलाओं ने अपना परचम बुलंद किया है। दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका में जहां भारतीय मूल की कमला हैरिस उपराष्ट्रपति पद पर निर्वाचित हुई हैं, वहीं न्यूजीलैंड में प्रियंका राधाकृष्णन ने लेबर पार्टी की जेसिंडा आर्डन सरकार में जगह बनाकर एक नयी मिसाल कायम की है। ऐसा पहली बार हुआ है, जब न्यूजीलैंड की सरकार में किसी भारतीय ने जगह बनाई हो।1979 में चेन्नई में जन्मी प्रियंका राधाकृष्णन केरल मूल के माता-पिता की संतान हैं। राजनीति का कौशल उन्हें अपने पुरखों से मिला। उनके परदादा डॉ. सी. आर. कृष्णा पिल्लई का नाम केरल में बहुत सम्मान से लिया जाता है। वामपंथ की राजनीति में अपना गहरा दखल रखने वाले डॉ. पिल्लई ने केरल राज्य की स्थापना में खास भूमिका निभाई थी।प्रियंका का बचपन सिंगापुर में गुजरा और फिर वह न्यूजीलैंड चली गईं। उन्होंने वेलिंगडन की विक्टोरिया यूनिवर्सिटी से डेवलेपमेंटल स्टडीज में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की। पढ़ाई के बाद उन्होंने ऑकलैंड में बसे भारतीय समुदाय के लोगों के बीच सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम किया और तकरीबन 27 साल की उम्र में 2006 में न्यूजीलैंड की लेबर पार्टी में शामिल हो गईं।प्रियंका ने शुरू में पार्टी की आंतरिक विकास नीति प्रक्रिया पर काम किया और पार्टी के स्थानीय और क्षेत्रीय संगठन में सक्रिय रहीं। इस दौरान वह अपने कार्य से पार्टी नेतृत्व की नजरों में अपनी जगह बनाती रहीं। इसी का नतीजा था कि 2014 के चुनाव में उन्हें लेबर पार्टी की क्रमवार सूची में 23वां स्थान मिला। पार्टी के किसी नये सदस्य को इससे पहले कभी इस सूची में इतना ऊंचा स्थान नहीं मिला था। हालांकि लेबर पार्टी के वोट में कमी आने के कारण प्रियंका उस वर्ष चुनाव नहीं लड़ सकीं।प्रियंका के पार्टी की सूची में आगे बढ़ते रहने का सिलसिला लगातार चलता रहा और वह 2017 में इस सूची में 12वां स्थान हासिल करने में कामयाब रहीं। तीन साल के भीतर 23 से 12 पर पहुंचना अपने आप में बड़ी बात थी और वह भी तब जब वह संसद की सदस्य नही थीं। पार्टी में अपने कदम मजबूती से जमा चुकीं प्रियंका को 27 जून 2019 को जातीय मामलों के लिए संसदीय निजी सचिव नियुक्त किया गया और सरकारी कामकाज में उन्हें पहली महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई। 2020 में प्रियंका ने मौंकीकी से चुनाव जीतकर संसद की तरफ कदम बढ़ाया और दो नवंबर को उन्हें कई विभागों का मंत्री बनाकर पार्टी के लिए उनके कामकाज और उनकी बेहतरीन नेतृत्व क्षमता को सम्मान दिया गया। प्रियंका की इस सफलता पर केरल में उत्साह का माहौल है। कांग्रेस नेता शशि थरूर और राज्य के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन सहित कई लोगों ने उनकी इस उपलब्धि के लिए उनकी सराहना की है।विजयन ने लिखा, मुझे यह जानकर अपार हर्ष हुआ कि प्रियंका राधाकृष्णन न्यूजीलैंड में भारतीय मूल की पहली मंत्री बनी हैं। लेबर पार्टी की इस नेता की जड़ें केरल से जुड़ी हैं। केरल की जनता की तरफ से हम उन्हें हार्दिक बधाई देते हैं।
- वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडेन ने शनिवार को रिपब्लिकन पार्टी के अपने प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रंप को कड़े मुकाबले में हरा दिया। प्रमुख अमेरिकी मीडिया संगठनों की रिपोट्र्स में यह जानकारी दी गई है।सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार पेन्सिलवेनिया राज्य में जीत दर्ज करने के बाद 77 वर्षीय पूर्व उपराष्ट्रपति बाइडेन अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति होंगे। इस राज्य में जीत के बाद बाइडेन को 270 से अधिक इलेक्टोरल कॉलेज वोट मिल गये जो जीत के लिए जरूरी थे। पेन्सिलवेनिया के 20 इलेक्टोरल वोटों के साथ बाइडेन के पास अब कुल 273 इलेक्टोरल वोट हो गए हैं।
- वाशिंगटन। अमेरिका में पिछले कुछ दशकों में सबसे अधिक आरोप-प्रत्यारोप वाले राष्ट्रपति चुनावों में से एक के लिए मंगलवार को बड़ी संख्या में मतदाता मतदान करने के लिए निकले और कई मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की कतारें देखी गयी।इस चुनाव में राष्ट्रपति और रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के सामने डेमोक्रेटिक पार्टी के जो बाइडेन हैं। कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बीच करीब 10 करोड़ अमेरिकी पूर्व-मतदान में अपना वोट डाल चुके हैं और माना जा रहा है कि देश के एक सदी के इतिहास में इस बार सर्वाधिक मतदान हो सकता है। इस साल करीब 23.9 करोड़ लोग मताधिकार के योग्य हैं । अमेरिका में करीब 40 लाख भारतीय मूल के लोग हैं जिनमें से 25 लाख मतदाता हैं। यहां 13 लाख से अधिक भारतीय-अमेरिकी टेक्सास, मिशिगन, फ्लोरिडा और पेनसिल्वेनिया जैसे अहम राज्यों के मतदाता हैं। मतदान का समय अलग-अलग राज्यों के लिए भिन्न है।शुरुआत में बड़ी संख्या में लोगों के मतदान के लिए निकलने की खबरें आयीं। पेनसिल्वेलिया में सैकड़ों लोगों को मतदान शुरू होने से पहले ही मतदान केंद्रों के बाहर कतारों में देखा गया। मंगलवार तड़के प्रचार से लौटे ट्रंप (74) ने अमेरिकी जनता से उन्हें वोट देने की अपील की है। उन्होंने चुनावी रैलियों में खुद के नृत्य के एक छोटे से वीडियो के साथ ट्वीट किया, ''मतदान करें, मतदान करें, मतदान करें।'' बाइडेन (77) ने भी जनता से मतदान करने की अपील करते हुए कहा, ''मतदान का दिन है। जाइए, वोट दीजिए अमेरिका।''उन्होंने ट्वीट किया, ''2008 और 2012 में आपने इस देश का नेतृत्व करने के लिए बराक ओबामा का साथ देने में मुझ पर भरोसा जताया। आज मैं एक बार फिर आपसे विश्वास जताने के लिए कह रहा हूं। मुझ पर और कमला (हैरिस) पर भरोसा जताइए। हम वादा करते हैं कि आपको निराश नहीं करेंगे।'' उपराष्ट्रपति पद की डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस ने मतदाताओं से कहा कि ''अगर आपने मतदान कर दिया है तो शुक्रिया। लेकिन हमें अब भी आपकी मदद की जरूरत है...20 मिनट निकालिए और मतदाताओं को मतदान केंद्रों को खोजने में मदद कीजिए।''
- इजमिर (तुर्की)। तुर्की और यूनान में आए जबरदस्त भूकंप के करीब 34 घंटे बाद रविवार को पश्चिमी तुर्की की एक इमारत के मलबे में दबे 70 वर्षीय व्यक्ति को बचावकर्मियों ने निकाला। बुजुर्ग को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। भूकंप से हुई तबाही में 46 लोगों की जान गई है जबकि 900 से अधिक लोग घायल हुए हैं।तुर्की के आपदा एवं आपातकालीन प्रबंधन विभाग ने कहा कि इजमिर शहर में मलबे से और शव निकाले जाने के बाद मृतकों की संख्या बढ़कर 44 तक पहुंच गई है जोकि इस देश का तीसरा सबसे बडा शहर है। शुक्रवार को आए भूकंप से यूनान में दो किशोरों की मौत हुई है।बचाव दल ने रविवार मध्यरात्रि को एक इमारत के मलबे में दबे 70 वर्षीय अहमत सितिम को जीवित बाहर निकालने में कामयाबी हासिल की। स्वास्थ्य मंत्री फहरेतिन कोका ने ट्वीट किया कि बुजुर्ग व्यक्ति ने बाहर आकर कहा, ' मैंने उम्मीद कभी नहीं छोड़ी थी।'
- नई दिल्ली। पाकिस्तान के मंत्री फवाद चौधरी ने जम्मू-कश्मीर में पुलवामा आतंकी हमले में अपने देश की भूमिका स्वीकार की है। उन्होंने पाकिस्तान की संसद को बताया कि 2019 में पुलवामा आतंकी हमला इमरान खान सरकार की एक बड़ी सफलता थी।पहली बार पाकिस्तान के किसी मंत्री ने इस बात को स्वीकार किया है जिसे भारत हमेशा से कहता रहा है कि पाकिस्तान प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से भारत पर हमला करने वाले आतंकी गुटों को बढ़ावा देता है और उनका समर्थन करता है। पुलवामा हमले के जबाव में भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण शिविरों पर बमबारी की थी। पाकिस्तान स्थित इस आतंकी गुट ने हमले की जिम्मेदारी ली थी। विदेश मंत्रालय की कल साप्ताहिक मीडिया बैठक के दौरान प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने एक बार फिर पाकिस्तान की आलोचना करते हुये कहा कि वह भारत के खिलाफ आतंकवाद पर रोक लगाने में नाकाम रहा है।
- लॉस एंजिलिस (अमेरिका)। वैज्ञानिकों ने एक ऐसे विशालकाय पक्षी के जीवाश्म की पहचान की है जो लगभग पांच करोड़ साल पहले पाया जाता था और जिसके पंख 21 फुट लंबे होते थे। अंटार्कटिका से 1980 के दशक में बरामद जीवाश्म दक्षिणी समुद्रों में विचरण वाले पक्षियों के एक विलुप्त समूह के सबसे पुराने विशालकाय सदस्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं।तुलनात्मक रूप से समुद्र के ऊपर विचरण करने वाले पक्षियों में वांडरिंग अल्बाट्रॉस को सबसे बड़ा उडऩे वाला पक्षी कहा जाता है और इनके पंख, सभी परिंदों में सबसे ज्यादा लंबे यानी साढ़े 11 फुट तक फैल सकते हैं। पेलेगोर्निथिड कहे जाने वाले, पक्षियों ने आज के अल्बाट्रोस की तरह एक स्थान को भरा और कम से कम छह करोड़ वर्षों तक पृथ्वी के महासागरों में व्यापक रूप से यात्रा की। जर्नल साइंटिफिक रिपोट्र्स में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, एक दूसरा पेलगोर्निथिड जीवाश्म, जो जबड़े की हड्डी का हिस्सा है, लगभग चार करोड़ साल पहले का है। अमेरिका में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले में एक स्नातक छात्र पीटर क्लोइस ने कहा, हमारी जीवाश्म खोज, जिसमें पांच से छह मीटर के पंखों-लगभग 20 फुट- वाले पक्षी शामिल हैं, से पता चलता है कि डायनासोर के विलुप्त होने के बाद पक्षी वास्तव में अपेक्षाकृत तेजी से विशाल आकार के लिए विकसित हुए और कई वर्षों तक महासागरों के ऊपर घूमते रहे।
- ताइपे। ताइवान का एक एफ-5ई लड़ाकू विमान बृहस्पतिवार सुबह एक प्रशिक्षण अभियान के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें पायलट की मौत हो गई। रक्षा मंत्रालय ने यह जानकारी दी। मंत्रालय के मुताबिक दुर्घटना का कारण अभी पता नहीं चल पाया है लेकिन इससे वायुसेना के पुराने होते बेड़े की संभावित समस्या रेखांकित होती है। बता दें कि ताइवान इस समय चीन के बढ़ते खतरे का सामना कर रहा है। मंत्रालय ने बताया कि विमान ताइतुंग के पूर्वी काउंटी के चिहंग हवाई ठिकाने से उड़ान भरने के दो मिनट के भीतर प्रशांत महासागर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। मंत्रालय के मुताबिक पायलट, कैप्टन चू कुआन-मेंग को समुद्र में से निकाल तो लिया गया, लेकिन तट पर मौजूद अस्पताल ले जाए जाने के करीब एक घंटे बाद उन्हें डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। वर्ष 1970 के दशक की शुरुआत में बने एफ-5ई लडाकू विमान को अबतक कई बार अपडेट किया गया है। ताइवान एफ-16 के 66 विमान प्राप्त करने वाला है और वर्तमान में अमेरिका से खरीदे गए विमानों के उन्नयन में लगा हुआ है। चीन का सामना करने के उद्देश्य से ताइवान चार अरब डॉलर से अधिक मूल्य की मिसाइलों और अन्य तकनीकी प्रणालियों की खरीद के साथ अपने तटीय सीमा सुरक्षा को भी उन्नत कर रहा है।
- लंदन। गरीब बच्चों के लिये स्थापित एक भारतीय धर्मार्थ संस्था की ब्रिटिश शाखा ने ब्रिटेन में बच्चों की भूख के वहनीय और संभव समाधान के तौर पर भारत में जांचे-परखे अत्याधुनिक रसोई के मॉडल को अपनाया है। अक्षय पात्र फाउंडेशन यूके ने इंग्लैंड में मध्यावधि विद्यालय अवकाश की अवधि के दौरान जरुरतमंद बच्चों को मुफ्त भोजन उपलब्ध कराने के लिये जीएमएसपी फाउंडेशन से हाथ मिलाया है। इस महीने शुरू हुई नयी जीएमएसपी अक्षय पात्र रसोई लंदन में कम लागत में हजारों बच्चों को पोषण वाला भोजन उपलब्ध कराएगी। जीएमएसपी अक्षय पात्र रसोई के तहत ब्रिटेन में प्रत्येक भोजन पर भारत में भी एक बच्चे का भोजन प्रायोजित किया जाएगा। ‘गॉड माई साइलेंट पार्टनर' (जीएमएसपी) के संस्थापक रमेश सचदेव ने कहा, हमने देखा कि अक्षय पात्र फाउंडेशन ने किस पैमाने पर तेजी के साथ भारत में स्कूली बच्चों को पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध कराया। हम जानते हैं कि बढ़ती भोजन असमानताओं से निपटने के लिये ब्रिटेन को अभी इसी की जरूरत है। इस पारिवारिक फाउंडेशन का गठन ब्रिटेन और भारत में जरूरतमंद लोगों की मदद के उद्देश्य से किया गया था।
- नई दिल्ली। बांग्लादेश और भारत के बीच विमान सम्पर्क आज फिर शुरू हो गया। दोनों देशों के बीच एयर बबल समझौते के तहत ढाका से दो उड़ानें रवाना हुई। ढाका में भारतीय उच्चायुक्त विक्रम दोरईस्वामी और बांग्लादेश के नागरिक उड्डयन प्राधिकरण के अध्यक्ष एयर वाइस मार्शल मफीदुर रहमान ने इस सेवा का उद्घाटन किया।कोरोना संक्रमण के कारण दोनों देशों के बीच करीब आठ महीने बाद उड़ान सेवाएं फिर से शुरू हुई हैं। इससे दोनों तरफ के यात्रियों खासतौर से भारत में तत्काल मेडिकल सहायता के इच्छुक लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। एयर बबल समझौते के तहत सप्ताह में 28 उड़ानें बांग्लादेश से और 28 भारत से संचालित होगी। बांग्लादेशी एयरलाइन्स की उड़ानें ढाका से दिल्ली, कोलकाता और चेन्नई आएंगी, जबकि भारतीय उड़ानें दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और मुम्बई से ढाका जाएंगी।
- वॉशिंगटन। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चंद्रमा की सतह पर पानी की खोज की है। बड़ी बात यह है कि चंद्रमा की सतह पर यह पानी सूरज की किरणें पडऩे वाले इलाके में खोजी गई है। इस बड़ी खोज से न केवल चंद्रमा पर भविष्य में होने वाले मानव मिशन को बड़ी ताकत मिलेगी। बल्कि, इनका उपयोग पीने और रॉकेट ईंधन उत्पादन के लिए भी किया जा सकेगा। इस पानी की खोज नासा की स्ट्रेटोस्फियर ऑब्जरवेटरी फॉर इंफ्रारेड एस्ट्रोनॉमी (सोफिया) ने की है।सोफिया ने चंद्रमा के दक्षिणी गोलार्ध में स्थित,पृथ्वी से दिखाई देने वाले सबसे बड़े गड्ढों में से एक क्लेवियस क्रेटर में पानी के अणुओं का पता लगाया है। पहले के हुए अध्ययनों में चंद्रमा की सतह पर हाइड्रोजन के कुछ रूप का पता चला था, लेकिन पानी और करीबी रिश्तेदार माने जाने वाले हाइड्रॉक्सिल की खोज नहीं हो सकी थी।वॉशिंगटन में नासा मुख्यालय में विज्ञान मिशन निदेशालय में एस्ट्रोफिजिक्स डिवीजन के निदेशक पॉल हट्र्ज ने कहा कि हमारे पास पहले से संकेत थे कि H2O जिसे हम पानी के रूप में जानते हैं, वह चंद्रमा के सतह पर सूर्य की ओर मौजूद हो सकता है। अब हम जानते हैं कि यह वहां है। यह खोज चंद्रमा की सतह की हमारी समझ को चुनौती देती है। इससे हमें और गहन अंतरिक्ष अन्वेषण करने की प्रेरणा मिलती है।नेचर एस्ट्रोनॉमी के नवीनतम अंक में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, इस स्थान के डेटा से 100 से 412 पार्ट प्रति मिलियन की सांद्रता में पानी का पता चला है। तुलनात्मक रूप में सोफिया ने चंद्रमा की सतह पर जितनी पानी की खोज की है उसकी मात्रा अफ्रीका के सहारा रेगिस्तान में मौजूद पानी की तुलना में 100 गुना कम है। छोटी मात्रा के बावजूद यह खोज नए सवाल उठाती है कि चंद्रमा की सतह पर पानी कैसे बनता है। इससे भी बड़ा सवाल कि यह चंद्रमा के कठोर और वायुमंडलहीन वातावरण में कैसे बना रहता है।नासा की योजना चांद पर मानव बस्तियां बसाने की है। नासा पहले से ही आर्टेमिस प्रोग्राम के जरिए 2024 तक चांद की सतह पर मानव मिशन भेजने की तैयारी कर रही है। नासा अपने आर्टेमिस प्रोग्राम के जरिए चांद की सतह पर 2024 तक इंसानों को पहुंचाना चाहता है। इसके जरिए चांद की सतह पर मानव गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाएगा। चांद पर मौजूद इंसान उन क्षेत्रों का पता लगाएंगे जहां पहले कोई नहीं पहुंचा है या जो अब तक अछूते रहे हैं।
- लंदन। दिल्ली के एक ई-रिक्शा चालक का बेटा ऑनलाइन चंदा जुटाकर लंदन स्थित विश्व प्रसिद्ध इंग्लिश नेशनल बेले स्कूल (ईएनबीएस) में दाखिला हासिल कर अपना सपना साकार कर पाने में कामयाब रहा। कमल सिंह की यह कहानी सोशल मीडिया पर छाई हुई है।इस नृत्य प्रशिक्षु ने रविवार को स्कूल में प्रशिक्षण के पहले दो हफ्ते पूरे कर लिए हैं। कोविड-19 की सख्त पाबंदियों के बीच संस्थान में मास्क लगाकर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। बीस वर्षीय कमल सिंह ने स्कूल से नृत्य के कोर्स का फीस भरने एवं ब्रिटेन की राजधानी में रहने के खर्च को पूरा करने के लिए चंदा के रूप में जुटाने 20764 पाउंड जुटाए। उनकी मदद करने वाले सैकड़ों लोगों मे ऋतिक रोशन जैसे बॉलीवुड अभिनेता भी शामिल थे।कमल सिंह ने कहा, मुझे अभी बहुत अजीब सा लगा रहा है, जैसे कि कोई चमत्कार है कि मैं ईएनबीएस में नृत्य कोर्स कर रहा हूं।नई दिल्ली में एक नृत्य स्कूल के निदेशक फर्नांडो एगुइलेरा से कुछ साल पहले अचानक से मुलाकात हो गई थी जिसने कमल सिंह की जिंदगी बदल दी। इसके बाद उन्हें नृत्य पसंद आने लगा और वह मुश्किल प्रशिक्षण से गुजरे। उन्होंने नृत्य करना 17 साल की उम्र में शुरू किया तो यह उनके लिए चुनौतीपूर्ण रहा।एगुइलेरा को सिंह की प्रतिभा पर यकीन था और उन्होंने कमल सिंह को एक दिन में आठ- नौ घंटे प्रशिक्षण दिया। कुछ सालों के कड़े प्रशिक्षण के बाद लंदन में जाने-माने नृत्य स्कूल में प्रवेश के साथ उनका सपना सच हो गया। इसके बाद कंल सिंह को आर्थिक परेशानियों से पार पाना था। कमल सिंह ने बताया, मैं उन लोगों का आभारी हूं जिन्होंने मुझे चंदा दिया। आपकी दयालुता की वजह से मैं अपना मकसद और सपना पूरा कर पा रहा हूं। ।