भगवान बालाजी, माताओं श्रीदेवी-भूदेवी की गाजे-बाजे के साथ निकली भव्य शोभायात्रा
-टी सहदेव
भिलाई नगर। आंध्र साहित्य समिति ने शुक्रवार को सेक्टर 05 स्थित बालाजी मंदिर की 51 वीं वर्षगांठ पर भगवान बालाजी तथा माताओं श्रीदेवी-भूदेवी की भव्य शोभायात्रा निकाली। अध्यक्ष पीवी राव एवं सचिव पीएस राव के नेतृत्व में रंगबिरंगे फूलों, झालरों, झूमरों तथा सतरंगी लाइटों से सजे वाहन से निकाली गई इस अभूतपूर्व शोभायात्रा में दक्षिण भारतीयों समेत विभिन्न प्रांतों के सैकड़ों भक्तगण शामिल हुए। पारंपरिक वाद्ययंत्रों, ढोल-नगाड़ों, गाजे-बाजों एवं आतिशबाजी के बीच शोभायात्रा बालाजी मंदिर से शुरू होकर सेंट्रल एवन्यू रोड, जेपी चौक, अंडर ब्रिज, घड़ी चौक, जीई रोड, न्यू बसंत टाकीज रोड, जलेबी चौक, सुभाष चौक, 18 नंबर सड़क, अमरजीवी पोट्टि श्रीरामुलु चौक, कैंप के तेलुगु बहुल क्षेत्रों के सभी प्रमुख मार्गों से होते हुए श्रीराम मंदिर तक निकाली गई, जहां से मध्यरात्रि को वापस बालाजी मंदिर लौटी। शेषनाग आसन पर विराजमान इष्टदेव की शोभायात्रा के इस अद्भुत नजारे को लोगों ने घर की छतोंं और बाल्कनियों से देखा। मंदिर के कपाट बंद होने से पहले भगवान बालाजी को एकांत सेवा अर्पित की गई।
स्वागत में बिछाए गए पलक पांवड़े
इस दौरान आंध्र महिला मंडली के सदस्यों ने भगवान को प्रसन्न करने के लिए गरबा की तर्ज पर दक्षिण भारतीय पारंपरिक नृत्य कोलाटम पेश किया। आमतौर पर यह नृत्य धार्मिक कार्यक्रमों में प्रस्तुत किया जाता है। वहीं युवक-युवतियां, बच्चे और पुरुष भी ढोल-नगाड़ों की धुन पर भगवान की भक्ति में लीन होकर जमकर नाचे। भगवान के स्वागत में महिलाओं तथा युवतियों ने रास्तों को पारंपरिक एवं आधुनिक रंगोलियों से सजाया। शोभायात्रा का स्वागत न केवल दक्षिण भारतीयों, वरन विभिन्न समुदायों के लोगों ने भी किया। जहां-जहां से शोभायात्रा गुजरी भक्तगणों द्वारा पुष्पवर्षा की गई। रास्ते भर नगर भ्रमण में शामिल श्रद्धालुओं के लिए स्टाॅल लगाकर शीतलपेय, फलाहार, हलवा तथा खिलाड़ी का प्रबंध किया गया। जगह-जगह उनकी आरती भी उतारी गई। भगवान बालाजी की माताओं सहित तेलुगुबहुल कैंप क्षेत्रों में यह पहली शोभायात्रा थी। इससे पहले खुर्सीपार में शोभायात्रा निकाली जाती थी। शोभायात्रा को भव्यता देने में उपाध्यक्षों बीए नायडु व के सुब्बाराव एवं कोषाध्यक्ष टीवीएन शंकर, सह कोषाध्यक्ष एनएस राव तथा संयुक्त सचिवों के लक्ष्मीनारायण व एस रवि की अहम भूमिका रही।
सुप्रभातम से हुआ अनुष्ठानारंभ
धार्मिक अनुष्ठान का शुभारंभ ब्रह्ममुहूर्त में सुप्रभातम से हुआ, जिसमें भगवान बालाजी से वैदिक मंत्रोच्चार के साथ प्रार्थना की गई कि हे गोविंद उठो! हे गरुड़ध्वज जागो! हे कमलाकांत उठकर तीनों लोकों को मंगलमय बनाओ। सुप्रभातम के पश्चात पंडित गोपालाचारी ने भगवान बालाजी के उत्सव विग्रह को पंचामृत तथा शिवनाथ नदी से लाए अभिमंत्रित पवित्र जल से स्नान कराकर नूतन वस्त्र पहनाए। उसके बाद जल से भरे सौ कलशों को भगवान के सामने स्थापित किया गया और पंडित ने बड़ी श्रद्धा से मंत्रों का उच्चारण करते हुए प्रधान कलशों सहित प्रत्येक कलश के जल से भगवान का अभिषेक किया। कलशाभिषेक के बाद पंडित के साथ-साथ भक्तों ने भगवान बालाजी की कृपा पाने के लिए सहस्रनामार्चना की। इस दौरान श्रीकाकुलम से आए के गोविंदराव और के उपेंद्र ने नादस्वरम पर तथा साईं कुमार ने ढोल पर संगति की।
सनातन रस्मों के साथ कल्याणोत्सव
सहस्रनामार्चना के बाद भगवान बालाजी और श्रीदेवी-भूदेवी का कल्याणोत्सव (विवाहोत्सव) शुरू हुआ। जिसमें विधिविधान एवं वैदिक मंत्रोच्चार के बीच प्रभु बालाजी के उत्सव विग्रह को वर के रूप में नए वस्त्रों तथा स्वर्णाभूषणों से अलंकृत किया गया और श्रीदेवी-भूदेवी के विग्रहों का वधू के रूप में श्रृंगार किया गया। मंदिर के मंडप में भगवान बालाजी को विशेष आसन पर, जबकि श्रीदेवी-भूदेवी को शेषनाग आसन पर स्थापित किया गया, जहां उनके दिव्य सौंदर्य की एक झलक पाने के लिए भक्तों में होड़ मच गई। वर-वधुओं के अलौकिक और अप्रतिम सौंदर्य से अभिभूत भक्तों ने इस दौरान गोदान, वस्त्रदान एवं कन्यादान समेत सभी सनातन रस्में निभाईं। वहीं पंडितों ने इष्टदेव बालाजी की ओर से प्रतीकात्मक रूप से दोनों देवियों को मंगलसूत्र अर्पित किया। इस अनुष्ठान में टीवीएन शंकर दंपति मुख्य यजमान के रूप में बैठे। विवाहोत्सव संपन्न होने के बाद दोपहर को भोग वितरण किया गया।
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