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- शनि देव के नाम से हर कोई भयभीत हो जाता है। शनि को ज्योतिष में क्रूर और पापी ग्रह कहा जाता है। शनि के अशुभ प्रभावों से व्यक्ति का जीवन बुरी तरह प्रभावित हो जाता है। शनि के अशुभ प्रभावों की वजह से जहां व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है वहीं शनि के शुभ प्रभावों से व्यक्ति का जीवन राजा के समान हो जाता है। शनि रंक को भी राजा बना देते हैं। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार दो राशियों पर शनि देव की विशेष कृपा रहती है। इन राशियों के स्वामी शनि देव हैं। ऐसा माना जाता है कि ये राशियां शनि देव को प्रिय होती हैं। आइए जानते हैं किन राशियों पर रहते हैं शनि देव मेहरबान...कुंभ राशिज्योतिष मान्यताओं के अनुसार कुंभ राशि के स्वामी शनिदेव हैं।कुंभ राशि पर शनि देव मेहरबान रहते हैं।इस राशि के जातकों का सरल स्वभाव शनि देव को पसंद आता है।कुंभ राशि के जातक जरूरतमंद लोगों की मदद करते हैं। शनि देव को ऐसे लोग प्रिय होते हैं जो जरूरतमंद लोगों की मदद करते हैं।मकर राशिज्योतिष मान्यताओं के अनुसार मकर राशि के स्वामी भी शनिदेव हैं।मकर राशि के जातकों पर शनिदेव की विशेष कृपा रहती है।इनका स्वभाव शनि देव को काफी पसंद आता है।मकर राशि के जातकों का भाग्य हमेशा उनका साथ देता है।ये लोग परेशानियों से हमेशा दूर रहते हैं।
- 2 जून को मंगल राशि परिवर्तन कर कर्क राशि में प्रवेश कर चुके हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार ग्रहों के राशि परिवर्तन का सभी राशियों पर प्रभाव पड़ता है। मंगल के शुभ प्रभाव से व्यक्ति को जीवन में सभी तरह के सुखों की प्राप्ति होती है तो वहीं अशुभ प्रभावों से जीवन प्रभावित हो जाता है। मंगल 20 जुलाई तक कर्क राशि में ही रहेंगे। मंगल का कर्क राशि में प्रवेश कुछ राशियों के लिए शुभ नहीं कहा जा सकता है। इन राशियों को 20 जुलाई तक सावधान रहने की आवश्यकता है। आइए जानते हैं किन राशियों को 20 जुलाई तक रहना होगा सावधान....कर्क राशिकर्क राशि के जातकों के लिए मंगल का राशि परविर्तन शुभ नहीं रहने वाला है।परिवार के सदस्यों के साथ समय व्यतीत करें।स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।वृश्चिक राशिमंगल का कर्क राशि में प्रवेश वृश्चिक राशि के जातकों के लिए शुभ नहीं कहा जा सकता है।स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।मानसिक तनाव हो सकता है।इस समय सफलता प्राप्त करने के लिए अधिक मेहनत करनी होगी।धनु राशिधनु राशि के जातकों को इस समय अपना विशेष ध्यान रखना होगा।परिवार के सदस्यों के साथ मनमुटाव हो सकता है।धन- खर्च सोच- समझकर ही करें।आर्थिक पक्ष कमजोर हो सकता है।वृष राशिवृष राशि के जातकों के लिए मंगल का राशि परिवर्तन मिला- जुला रहेगा।इस समय वाद- विवाद से दूर रहें, नहीं तो नुकसान हो सकता है।परिवार के सदस्यों का सहयोग मिलेगा।कार्यक्षेत्र में तरक्की के योग बन रहे हैं।धन- खर्च सोच- समझकर ही करें।मिथुन राशिमिथुन राशि के जातकों को मंगल के कर्क राशि में प्रवेश करने से मिले- जुले फल की प्राप्ति होगी।इस समय स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना होगा।आर्थिक पक्ष कमजोर हो सकता है।दांपत्य जीवन में आनंद का अनुभव करेंगे।वाद- विवाद से दूर रहें।कन्या राशिकन्या राशि के जातकों के लिए ये समय सामान्य रहेगा।स्वास्थ्य का ध्यान रखें।आर्थिक पक्ष भी सामान्य रहेगा।सफलता मिलने के योग हैं, लेकिन मेहनत अधिक करनी होगी।मकर राशिमकर राशि के जातकों को मिले- जुले परिणाम मिलेंगे।वाद- विवाद से दूर रहें।पारिवारिक जीवन में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।आर्थिक पक्ष सामान्य रहेगा।
- हम अक्सर अपने आस पड़ोस के लोगों से सुनते हैं कि वह सोने से पहले बिस्तर में नींबू रख लेते हैं. जब भी हम ये बात सुनते हैं तो दिमाग में एक ही सवाल आता है कि लोग ऐसा करते क्यों हैं? दरअसल, तकिए के पास नींबूर रखकर सोने को ज्यादातर लोग टोटका या पुरानी सोच से जोड़कर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार ना तो ये कोई टोटका है और ना ही कोई पुरानी सोच, बल्कि ऐसा करने से स्वास्थ संबंधित कई फायदे होते हैं.नींबू की खासियतनींबू में विटामिन सी, विटामिन, बी, कैल्शियम, फ़ास्फ़ोरस, मैग्नीशियम, प्रोटीन और कार्बोहाईड्रेट भरपूर होता है, जो शरीर को गठिया रोग, हाई ब्लडप्रेशर, हाइपर टेंशन और हार्ट फेलियर के खतरे से बचाता है.क्या कहते हैं हेल्थ एक्सपर्ट्सहेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो नींबू एंटीबैक्टीरियल होने के साथ-साथ एंटीऑक्सीडेंट भी है, यह आपको और अधिक आसानी से सांस लेने में मदद कर सकता है. अगर आप अस्थमा या सर्दी से पीड़ित हैं तो आपको अपने वायुमार्ग को खोलने में मदद करने के लिए अपने बिस्तर के पास नींबू रखना चाहिए.तकिए के पास नींबू रखकर सोने के फायदेदिमाग को शांत रखता है नींबूकई लोग अधिक थक जाते हैं तो तनाव बढ़ जाता है. ऐसे में रात के वक्त उन्हें नींद नहीं आती. अगर आपके साथ भी यह समस्या है तो आप नींबू के इस घरेलू नुस्खे को आजमा सकते हैं. अगर आपको भी कभी-कभी ऐसी ही समस्या होती है तो रात को सोने से पहले नींबू को दो फांके करके बिस्तर के पास रख लें. नींबू में मौजूद एंटीबैक्टीरियल तत्व दिमाग शांत रखेंगे, जिससे आप एक स्वस्थ नींद ले सकेंगे.ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए फायदेमंदलो ब्लड प्रेशर के मरीज अगर रात को सोते समय अपने बिस्तर के बगल में नींबू का टुकड़ा रख लें, तो सुबह उनको फ्रेश महसूस होगा. ऐसा नींबू की खुशबू के कारण होता है, क्योंकि नींबू के गुणों के ऊपर हुए रिसर्च के मुताबिक उसकी खुशबू शरीर में सेरोटिन का लेवल बढ़ाने में मदद करती है, जो लो ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए लाभकारी है.सांस लेने में नहीं होगी परेशानीकई लोगों को सोते समय नाक बंद होने के कारण कई बार नींद नहीं आती. अगर आपके साथ भी ऐसा होता है तो ऐसी स्थिति में नींबू के टुकड़े को तकिये के पास रखिए, क्योंकि नींबू की सुगंध से सांस लेने की समस्या में राहत तो मिलती ही है. साथ ही, नींद भी अच्छी आती है.मच्छर-मक्खियों के आतंक से राहतकुछ लोग मच्छर-मक्खियों के आतंक के चलते पूरी नींद नहीं ले पाते. लिहाजा शरीर पर इसका बुरा असर पड़ता है. अगर आप भी घर में मौजूद मच्छर, मक्खी या किसी अन्य कीड़े-मकोड़ों से परेशान हैं, तो हमेशा सोने से पहले घर के चारों कोनो समेत बिस्तर के पास नींबू का टुकड़ा काट कर रख दें. इसकी सुगंध से मच्छर-मक्खियां ही नहीं, बल्की कीड़े-मकोड़े भी आपके करीब नही आ सकेंगे.इस बीमारी से मिलेगी राहतदिनभर की भागदौड़ और अगले दिन के कामों की चिंता के चलते कई लोगों को इनसोमेनिया यानी अनिद्रा या कम नींद की समस्या होती है. ऐसे में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. अगर आपको भी इनसोमेनिया की समस्या है तो रोज रात को नींबू का टुकड़ा अपने बिस्तर के नजदीक रख दें. लिहाजा आप देखेंगे कि नींबू की खुशबू से आपका दिमाग कुछ ही देर में एकदम शांत हो जाएगा और आप चैन से नींद ले सकेंगे.
- हिंदू धर्म में लाल रंग का बहुत महत्व है. बात चाहे पूजन के दौरान भगवान की मूर्ति के नीचे वस्त्र बिछाने की हो या सुहाग के रंग की हो या फिर अन्य शुभ कार्यों में प्रमुख रंगों के उपयोग की हो, सभी में लाल रंग का उपयोग ही ज्यादा होता है. लाल के अलावा हिंदू धर्म में पीले और नीले रंग को भी खासी प्रमुखता दी गई है. इन्हीं तीन रंगों में हरा, केसरिया, नारंगी आदि रंग समाए हुए हैं. इनकी अहमियत को ऐसे भी समझ सकते हैं कि पंच तत्वों में से एक अग्नि की लौ में भी यही तीन रंग नजर आते हैं. आज जानते हैं कि लाल रंग की क्या खात बातें हैं.- लाल रंग अग्नि, रक्त और मंगल ग्रह का भी रंग है.- लाल रंग उत्साह, सौभाग्य, उमंग, साहस और नए जीवन का प्रतीक है. हालांकि, लाल रंग उग्रता का भी प्रतीक है. लिहाजा जिन लोगों को क्रोध ज्यादा आता है, उन्हें लाल रंग के कपड़े कम पहनने की सलाह दी जाती है.- हिन्दू धर्म में लाल रंग को सुहाग का रंग माना गया है, इसलिए विवाहित महिलाएं लाल रंग की साड़ी और लाल सिंदूर लगाती हैं.- यहां तक कि लाल रंग का संबंध प्रकृति से भी है. आप देखेंगे तो पाएंगे लाल रंग या उससे मेल खाते रंगों के ही फूल सबसे ज्यादा पाए जाते हैं.- लाल और केसरिया रंग सूर्योदय और सूर्यास्त के भी रंग है.- लाल रंग माता लक्ष्मी का पसंदीदा रंग है. मां लक्ष्मी लाल वस्त्र पहनती हैं और लाल रंग के कमल पर शोभायमान रहती हैं. उनकी पूजन करने के दौरान भी लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर उनकी प्रतिमा रखकर की जाती है.- रामभक्त हनुमान को भी लाल और सिन्दूरी रंग प्रिय हैं इसलिए उन्हें सिन्दूर अर्पित किया जाता है.- मां दुर्गा के मंदिरों में भी लाल रंग का उपयोग सबसे ज्यादा किया जाता है.- कहा जाता है कि यह रंग चिरंतन, सनातनी, पुनर्जन्म की धारणाओं को बताने वाला रंग है.- हिंदू धर्म में विवाह के समय दूल्हा-दुल्हन के शादी के जोड़े में लाल रंग को ही प्रमुखता दी जाती है. इस रंग को उनके भावी जीवन में आने वाली खुशियों से जोड़ा जाता है.-सुहाग, खुशी के अलावा केसरिया रंग त्याग, बलिदान, शौर्य, वीरता, ज्ञान, शुद्धता और सेवा का भी प्रतीक है. चाहे राम, कृष्ण और अर्जुन के रथों का ध्वज हो या शिवाजी की सेना का ध्वज हो, सभी का रंग केसरिया ही था.- सनातन धर्म साधु-संन्यासी भी केसरिया रंग के वस्त्र ही पहनते हैं. यह उनके मोक्ष के मार्ग पर चलने के संकल्प को दर्शाता है. भगवा वस्त्रों को संयम, संकल्प और आत्मनियंत्रण का भी प्रतीक माना गया है.
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प्राचीन काल से ही भारत में गोधन को मुख्य धन मानते आए हैं और हर प्रकार से गौरक्षा,गौसेवा एवं गौपालन पर ज़ोर दिया जाता रहा है। हमारे हिन्दू शास्त्रों, वेदों में गौरक्षा,गौ महिमा, गौ पालन आदि के प्रसंग भी अधिकाधिक मिलते हैं। गाय, भगवान श्री कृष्ण को अतिप्रिय है। गौ पृथ्वी का प्रतीक है। गौ माता में सभी देवी-देवता विद्धमान रहते है सभी वेद भी गौओं में प्रतिष्ठित है। गाय से प्राप्त सभी घटकों में जैसे दूध, घी, गोबर अथवा गौमूत्र में सभी देवताओं के तत्व संग्रहित रहते हैं। माना जाता है कि धरती पर गाय ही ऐसा एक मात्र प्राणी है जो ऑक्सीजन ग्रहण करती है और ऑक्सीजन ही छोड़ती है। वास्तुशास्त्र और चीनी मान्यता फेंगशुई के अनुसार घर में कामधेनु गाय की मूर्ति रखने से अनेक लाभ मिलते हैं।
संतान प्राप्ति के लिएमान्यता है कि अपने बछड़े को स्तनपान करा रही गाय का गैजेट शयनकक्ष में लगाने से नि:संतानता की समस्या दूर होती है और स्वस्थ व गुणवान संतान की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि अपने बछड़े को दूध पिला रही गाय के प्रतीक रूप को घर में स्थापित करने से न सिर्फ योग्य संतान की प्राप्ति होती है, बल्कि ऐसी संतान को कभी भी धन का अभाव नहीं होता। गाय के इस प्रतीक को दंपत्ति अपने बेडरूम में इस तरह रहें जिससे उनकी नजऱ बार-बार इस पर पड़े।सौभाग्य के लिएसिक्कों के ढेर पर बैठी हुई गाय का प्रतीक रूप वास्तु और फेंग्शुई में बहुत लोकप्रिय है। ऐसा प्रतीक घर या दफ्तर कहीं भी स्थापित किया जा सकता है, जो कि परिवार व संस्थान के लिए सौभाग्य व समृद्धि आमंत्रित करता है। व्यापार में वृद्धि के लिए इसे कार्यालय में रखना एक बहुत ही कारगर उपाय है जिसके परिणामस्वरूप सकारात्मकता और सफलता मिलती है। ध्यान रहे गाय के प्रतीक को हमेशा दक्षिण-पूर्व दिशा में रखने से परिणाम बहुत अच्छे मिलते हैं।मिलती है मानसिक शांतिकई बार जीवन में ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं कि ये तय करना मुश्किल हो जाता है कि क्या सही है और क्या गलत,उस स्थिति से निपटने के लिए घर या कार्यालय में गाय की प्रतिमा को रखना काफी लाभप्रद हो सकता है क्योंकि ये व्यक्ति की सहनशीलता को बढ़ाती है, जिससे व्यक्ति सही निर्णंय लेने में सक्षम बनता है। गाय का यह गैजेट न सिर्फ मानसिक शांति प्रदान करता है, बल्कि हमारी उचित इच्छाओं को पूरी करने में मददगार भी होता है। कामधेनु गाय का यह प्रतीक कठिन दौर व मुश्किलों से जूझने की शक्ति भी प्रदान करता है। मानसिक शांति के लिए भी इसे घर में दक्षिण-पूर्व में स्थापित करना चाहिए। इसे तस्वीर के रूप में भी दीवार पर लगाया जा सकता है।करियर में सफलता के लिएयदि किसी मनुष्य को अपने करियर में बार-बार असफलता या बहुत तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है और लगातार प्रयास करने के वाबजूद सफलता प्राप्त नहीं हो रही है,तो अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए वह अपने स्टडी रूम या ऑफिस में गाय की मूर्ति को लगाकर शुभ परिणाम प्राप्त कर सकता है। आप जो भी काम करते हैं,ये आपके फोकस को बढ़ाने में आपकी मदद करेगी एवं करियर संबंधी दिक्क्तों को दूर करने में सहायता करती है। इसे अपने ऑफिस टेबल पर स्थापित करें यह आपको मेहनत का उचित फल दिलाने में सहायक होगी। पढ़ाई में एकाग्रता व परीक्षा में सफलता पाने के लिए इसे विद्यार्थियों की स्टडी टेबल पर रखना चाहिए।--- - जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 303
(साधना-मार्ग सावधानी का मार्ग है, जैसे मार्ग में चलते हुये असावधानी हो तो दुर्घटना घट जाती है, ऐसे ही साधना की महत्वपूर्ण सावधानियों से अवगत होना आवश्यक है. जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज इसी विषय पर राय प्रदान कर रहे हैं...)
कोई अपना नुकसान करे तो उसकी होड़ नहीं करना है। जो अच्छा कर रहा है, अरे! देखो ये आँसू बहा रहा है, और मैं पत्थर सरीखा बैठा हूँ, केवल भगवन्नाम ले रहा हूँ। इतना अहंकार है मुझको। क्या है मेरे पास? क्या मैं रूप में कामदेव हूँ, क्या मैं धन में कुबेर हूँ, क्या मैं ऐश्वर्य में इंद्र हूँ, क्या मैं बुद्धि में बृहस्पति हूँ, क्या हूँ मैं, किस बात का अहंकार है मुझको जो भगवान के सामने भी हमारे हृदय में दैन्य भाव नहीं आता, आँसू नहीं आते, ये फील करना है। बार-बार, बार-बार फील करने से फिर आँसू आने लगेंगे। लेकिन ऐसा करने पर भी अगर आँसू नहीं आते तो परेशान न हों। रूपध्यान करते रहो, लगे रहो पीछे, एक दिन आयेगा। आज नहीं कल। रूपध्यान सबसे प्रमुख है, उसका अभ्यास, लगातार करना चाहिये। वो पक्का हो जाय। वो जड़ है, जड़। जैसे मकान की नींव पक्की हो जाय फिर चाहे जितनी ऊँची बिल्डिंग बना लो कोई डर नहीं, कोई खतरा नहीं। तो इस प्रकार आप लोग सावधान होकर साधना करें तो वास्तविक फल प्राप्त करेंगे और हमको भी बड़ी खुशी होगी।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: 'साधना-नियम' पुस्तक०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vedik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)×(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.)* - रत्न ग्रहों पर सीधा असर डालते हैं. ज्योतिष में विस्तार से इनके लाभ-हानि और इनसे जुड़े उपायों के बारे में बताया गया है. ऐसा ही एक रत्न है माणिक्य. चूंकि सूर्य अग्नि प्रधान ग्रह है और माणिक्य उसका प्रमुख रत्न है. लिहाजा माणिक्य बहुत शक्तिशाली रत्न है. यह आंखों, हड्डियों, ह्रदय और नाम-प्रतिष्ठा पर सीधा असर डालता है. माणिक्य कई रंगों का होता है, लेकिन गुलाबी रंग का माणिक्य काफी प्रभावशाली होता है और जल्दी असर दिखाता है. हालांकि यह असर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों हो सकते हैं.कैसे पहनें माणिक्यहमेशा गुलाबी या लाल रंग के पारदर्शी माणिक्य को ही पहनने के लिए चुनें. इसे सोने या ताम्बे में पहनना चाहिए. इसे रविवार के दिन दोपहर में अनामिका अंगुली में धारण करना अच्छा होता है.माणिक्य पहनने के फायदे-नुकसानमाणिक्य पहनने से होने वाली लाभ-हानि पहचानना काफी आसान है. लाभ होने की स्थिति में चेहरा चमकने लगता है और आत्मविश्वास बढ़ जाता है. वहीं राजकीय और प्रशासन से जुड़े कामों में विशेष लाभ होने लगता है. पिता और परिवार से रिश्ते अच्छे होने लगते हैं. इसके नकारात्मक असर को जानना है तो इसे शारीरिक समस्याओं से जान सकते हैं, जैसे- इसे पहनने के बाद लगातार सर में दर्द होने लगता है. हड्डियों में और आंखों में समस्या होने लगती हैं. इसके अलावा मानहानि और पारिवारिक जीवन में समस्याएं आना भी इसके नकारात्मक प्रभाव की निशानी हैं.माणिक्य पहनते समय रखें इन बातों का ध्यानयदि माणिक्य पहन रहें हैं तो इसके साथ हीरा, नीलम, गोमेद और लहसुनियां कभी नहीं पहनना चाहिए. वहीं माणिक्य के साथ पीला पुखराज धारण करना सर्वोत्तम होता है. इसके अलावा कुछ और बातों का भी ध्यान रखना चाहिए.- कोशिश करें कि कुंडली दिखाकर ही माणिक्य या अन्य कोई भी रत्न धारण करें. यदि कुंडली नहीं है तो जरूरत के अनुसार माणिक्य धारण कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए विशेषज्ञ से परामर्श लें कि इससे आपको इससे कोई नुकसान तो नहीं होगा.- मेष, सिंह और धनु लग्न में माणिक्य पहनना सर्वोत्तम होता है. वहीं कर्क, वृश्चिक और मीन लग्न में यह साधारण परिणाम देता है.- वृषभ लग्न में विशेष दशाओं में ही माणिक्य धारण कर सकते हैं.- कन्या, मकर, मिथुन, तुला और कुम्भ लग्न में माणिक्य धारण करना खतरनाक हो सकता है.- जिन लोगों को उच्च रक्तचाप या ह्रदय रोग है उन्हें बहुत सोच-समझकर और विशेषज्ञ से परामर्श के बाद ही माणिक्य पहनना चाहिए.- जिन लोगों के सम्बन्ध पिता के साथ ठीक नहीं हैं, उनके लिए भी माणिक्य पहनना हानिकारक हो सकता है.- जो लोग शनि से सम्बंधित क्षेत्रों में हैं, उन्हें भी माणिक्य धारण नहीं करना चाहिए.
- नींद में आए सपनों के पीछे अवचेतन मन में चल रहे विचार तो जिम्मेदार होते ही हैं। इसके अलावा सपने भविष्य के कई इशारे भी देते हैं. भविष्य के ये संकेत समझने के लिए हिंदू धर्म में स्वप्न शास्त्र लिखा गया है. इसमें कमोबेश हर सपने के शुभ-अशुभ परिणामों के बारे में बताया गया है. आज जानते हैं कि सपने में पानी दिखने के क्या मतलब होते हैं.सपने में नदी देखनास्वप्न शास्त्र के मुताबिक सपने में नदी देखना बहुत शुभ होता है. इसके अलावा नदी में स्वयं को पानी में तैरते हुए देखना भी अच्छा होता है. इसका मतलब है कि जल्दी ही आपके सपने और इच्छाएं पूरी होने वाली हैं. साथ ही आपको सफलता पाने के नए अवसर भी मिलेंगे.सपने में समुद्र देखनासपने में समुद्र का पानी देखना अच्छा नहीं होता है. यदि ऐसा सपना आए तो वाणी पर नियंत्रण रखें क्योंकि समुद्र का पानी खारा होता है. ऐसे सपने का मतलब है कि आप कड़वा बोलकर किसी वाद-विवाद में फंस सकते हैं.सपने में बाढ़ का पानी देखनाबाढ़ का पानी देखना भी अशुभ संकेत माना गया है. इससे मतलब है कि कोई अशुभ समाचार प्राप्त हो सकता है. ऐसा सपना देखने पर तुरंत इसके उपाय करने चाहिए.सपने में गंदा या साफ पानी देखनासपने में गंदा पानी देखना भी शुभ नहीं माना जाता है. वहीं साफ पानी देखने का मतलब है कि कामों में सफलता मिलेगी. खासकरके यह नौकरी और व्यापार में तरक्की का इशारा देता है.सपने में बारिश देखनायह सपना आपकी जिंदगी के लिए शुभ संकेत है. यह बताता है कि जल्द ही आपको सफलता मिलने वाली है या कहीं से शुभ समाचार भी मिल सकता है.सपने में कुएं का पानी देखनाकुएं का पानी देखना भी शुभ होता है. यह सपना संकेत देता है कि आपको अचानक धन लाभ हो सकता है.
- जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 302
(साधक को सदा गुरु के सिद्धान्त के अनुकूल ही सोचना, चलना चाहिये. इसके अतिरिक्त और कुछ महत्वपूर्ण मार्गदर्शन, जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज की श्रीवाणी में...)
मनुष्य में एक ही विशेषता है, वह यह कि वह किसी तत्व का सत्य ज्ञान प्राप्त कर सकता है। लेकिन जब तक उस तत्व के अनुकूल बार-बार विचार न किया जाय, वह ज्ञान मिट जाता है एवं मनुष्य को और भी पतन के गर्त में गिरा देता है।
बार-बार विचार हो और सदा हो, और अनुकूल ही हो, बस, यदि यह समझ में कभी आ जायेगा तो भविष्य बन जायेगा। इसके साथ यह भी ध्यान रखना होगा कि इष्टदेव एवं गुरु के प्रति निष्ठा करता रहे। यदु वहीं गड़बड़ हुई तो सब महल ढह जायेगा। और ऐसे व्यवहार से इष्टदेव अथवा गुरु को और भी दुःख देने के हम कारण बन जायेंगे। भावार्थ यह कि चार पैसे की खोपड़ी को उधर न लगाया जाए, सदा अनुकूल चिन्तन एवं कृपा को ही सोचा जाय। संसारी जीवों से कम से कम व्यवहार किया जाय, कम से कम सोचा जाय, कम से कम सुना जाय, कम से कम बोला जाय।
केवल गुरु के मिलन का महत्व सोच-सोचकर ही जीव का परम कल्याण हो सकता है क्योंकि वह प्रत्यक्ष है। यदि बुद्धि का व्यापार बंद न होगा तो अनन्त जन्म में भी कुछ न मिलेगा। यही एकमात्र विचारणीय है।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: अध्यात्म सन्देश पत्रिका, नवम्बर 1999 अंक०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vedik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 301
(किस प्रकार की साधना से लाभ होगा, किससे नहीं, आइये जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज के इस प्रवचन-अंश से जानें, यह अंश उनके द्वारा प्रगटित प्रवचन-श्रृंखला 'दिव्य-स्वार्थ' से लिया गया है, जो उन्होंने 8-प्रवचनों में सन 1992 में दी थी, यह अंश 5-वें प्रवचन का है, जो उन्होंने 28 जनवरी 1992 में दी थी।)
...गौरांग महाप्रभु ने दो प्रकार की साधना बताया है। एक अनासंग साधना, एक सासंग साधना। तो अनासंग साधना माने आसंग रहित और सासंग साधना माने आसंग सहित और आसंग माने मन का चिन्तन भगवान का हो। मन का संग भगवान के रूपध्यान में हो, वो साधना सासंग साधना है।
अनासंग साधना के लिये उन्होंने कहा, करोड़ों कल्प किये जाओ इससे कुछ नहीं मिलेगा। अब ये अलग बात है कि कोई कहे साहब नथिंग से समथिंग अच्छा है, ठीक है, गधा-गधा कहने से राम-राम कहना अच्छा ही है, लेकिन यह साधना नहीं है। फिर आप जब बहुत दिन हो जाते हैं, तो कहते हैं, महाराज जी! हमको तो बहुत दिन हो गये कुछ लड्डू-पेड़ा मिला नहीं। जब साधना ही गलत हो रही है, तो माइलस्टोन तुम्हें कहाँ मिल जायेगा कि हम दस मील चले आये, बीस मील चले आये, अरे मार्ग से आगे बढ़ो। तुम तो एक ही जगह पर खड़े-खड़े मार्चिंग कर रहे हो।
तो सासंग साधना यानी स्मरण भक्ति सबसे प्रमुख है, और स्मरण भक्ति कहीं भी किसी भी पोजिशन में सदा की जा सकती है, ये भी रियायत दे दिया भगवान ने। लैट्रिन में बैठे हैं दस मिनिट बैठना है उसमें, रूपध्यान करो। फालतू टाइम न खराब करो। कहीं भी जाओ, ट्रेन में बैठे हैं, सफर कर रहे हैं, बारह घंटे ट्रेन में चलना है। हाँ यहाँ से वहाँ पहुँचने तक बीच में कोई काम खास है। अरे एक जगह चाय पीना है। कब? दो घंटे बाद पीयेंगे, अच्छा! अब दो घंटे तो कोई काम नहीं? नहीं। स्मरण करो। आँख खोलकर स्मरण करो, नहीं तुम्हारा सामान उठा ले जाय, कोई और कहो कृपालु ने कहा है, आँख बंद करके रूपध्यान करो। हाँ, यानी तुम्हारे मस्तिष्क में पहले यह खूब भरना चाहिये कि स्मरण भक्ति ही वास्तविक भक्ति है।
स्मरण भक्ति के बिना कोई भी साधना, साधना कैसे कहलायेगी, साधना का मतलब, हम दास वो स्वामी। जब स्वामी ही नहीं आया हमारे अंतःकरण में, तो हम भक्ति कहाँ कर रहे हैं? किसकी कर रहे हैं?
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: 'दिव्य-स्वार्थ' प्रवचन-श्रृंखला०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vedik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - हस्तरेखा विज्ञान में नाखूनों के बारे में भी विस्तार से बताया गया है. नाखूनों के आकार, उनकी बनावट और रंग कई तरह के होते हैं. हस्तरेखा (Hastrekha) विज्ञान के मुताबिक नाखून भी व्यक्ति के भविष्य और उसके बारे में काफी कुछ बताते हैं. आज जानते हैं कि अलग-अलग तरह के नाखून कैसे संकेत देते हैं.लंबे नाखूनलंबे नाखून वाले लोगों का स्वभाव सरल और सहज होता है, लेकिन इनके अंदर रचनात्मकता और कल्पनाशीलता कूट-कूट कर भरी होती है. ऐसे लोग हर काम उत्साह के साथ करते हैं और उसका आनंद लेते हैं. इनमें बस एक कमजोरी होती है कि ये लोग दूसरों पर जल्दी भरोसा कर लेते हैं, जिससे उन्हें कई बार धोखे और नुकसान का सामना करना पड़ता है.गोल या अंडाकार नाखूनऐसे नाखूनों वाले लोग बहुत मिलनसार होते हैं. ये लोग अपने खुशनुमा व्यवहार से जल्दी ही दूसरों को अपना बना लेते हैं. इनकी बातें लोगों को बहुत बहुत प्रभावित करती हैं.चौड़े नाखूनजिन लोगों के नाखून चौड़े होते हैं, वे लोग अपने दिमाग का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. यह काफी सोच-विचार और चिंतन करते हैं. हर काम बुद्धिमत्ता और सोच-विचार से करने के कारण ये लोग जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाते हैं.चौकोर नाखूनचौकोर नाखून वाले लोग गंभीर स्वभाव के होते हैं. ये शांत और सरल प्रवृत्ति वाले होते हैं. इन लोगों में नेतृत्व करने की अच्छी क्षमता होती है. ऐसे लोग राजनीति के क्षेत्र में सफलता पाते हैं.बादाम के आकर जैसे नाखूनऐसे लोग बहुत दयालु और ईमानदार होते हैं. ऐसे लोगों को किसी काम की जिम्मेदारी सौंपते वक्त उन पर पूरा भरोसा किया जा सकता है. ये लोग गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करते हैं और अन्याय के खिलाफ आवाज भी उठाते हैं.तलवार जैसे आकार के लंबे नाखूनऐसे नाखून वाले जातक बहुत मेहनती होते हैं और उसी की दम पर जीवन में सफलता पाते हैं. ये लोग मन में जो भी ठान लें उसे पूरा करके ही दम लेते हैं.त्रिकोणीय नाखूनऐसे नाखून वाले लोग जिद्दी होते हैं और उन्हें गुस्सा भी ज्यादा आता है. ऐसे लोग बहुत जल्दी उत्तेजित हो जाते हैं.
- शुक्र देव ने 29 मई को मिथुन राशि में प्रवेश किया है। इस राशि में ये 22 जून 2021 तक विराजमान होंगे। ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह को वृषभ और तुला राशि का स्वामित्व प्राप्त है। कन्या शुक्र की नीच राशि है जबकि मीन उच्च राशि मानी जाती है। शुक्र देव समस्त प्रकार के भौतिक सुखों को प्रदान करने वाले हैं। शुक्र के मिथुन राशि में आने से कुछ विशेष राशियों को शुभ फलों की प्राप्ति होगी। ये राशियां इस प्रकार हैं-वृषभ राशि: धन बचत करने में होंगे सफलशुक्र के गोचर से आप धन की बचत करने में सफल होंगे। इस अवधि में आपका आर्थिक पक्ष मजबूत होगा। काफी दिनों पहले दिया हुआ धन वापस मिल सकता है। जमीन जायदाद से संबंधित मामले सुलझेंगे। आपकी संवाद शैली में सुधार होगा जिसके जरिए आप अपनी बातों से लोगों को प्रभावित कर पाने में सफल होंगे। वहीं विलासिता पूर्ण वस्तुओं पर भी अधिक धन खर्च कर सकते हैं। सामाजिक जीवन में जिम्मेदारियां बढ़ सकती हैं। समाज में मान-सम्मान, पद और प्रतिष्ठा भी बढ़ेगी।मिथुन राशि: व्यर्थ की चिंता से मुक्ति मिलेगीशुक्र के गोचर से आप बेकार की चिंताओं से मुक्त होंगे। साथ ही आपको इस अवधि में कई तरह के अप्रत्याशित शुभ फलों की प्राप्ति भी होगी। यदि आपकी सेहत कमजोर थी तो आपको इस समय स्वास्थ्य लाभ मिलने के योग बनेंगे। कला के क्षेत्र में रुचि बढ़ेगी। सरकारी कामकाज संपन्न होंगे। संतान के दायित्व की पूर्ति होगी। नव दंपति के लिए संतान प्राप्ति के योग बन सकते हैं।सिंह राशि: धन लाभ के बनेंगे योगइस अवधि में आपको धन लाभ के प्रबल योग बनेंगे। एक से अधिक स्रोतों से आय प्राप्त हो सकती है। इस अवधि में आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। ये समय बेहतरीन सफलता दायक रहेगा। यदि आप कोई भी बड़े से बड़ा कार्य आरंभ करना चाहें अथवा किसी नए अनुबंध पर हस्ताक्षर करना चाहें तो उस दृष्टि से भी अवसर बेहतरीन रहेगा। परिवार के वरिष्ठ सदस्यों और भाइयों से सहयोग मिलेगा। उच्चाधिकारियों से भी संबंध बिगडऩे न दें। विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षा में सफलता मिलेगी।कन्या राशि: कार्यक्षेत्र में होगी तरक्कीशुक्र के गोचर से आपको कार्यक्षेत्र में तरक्की मिलने की संभावना है। यदि नौकरी करते हैं तो उसमें इंक्रीमेंट या फिर पदोन्नति हो सकती है। वहीं व्यापार से जुड़े हैं तो लाभ प्राप्ति के योग बनेंगे। इस अवधि में आपको शासन सत्ता का पूर्ण सहयोग मिलेगा। अगर सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करना चाह रहे हों तो परिस्थितियां अनुकूल हैं। ठेकेदारी के काम से जुड़े हैं तो आपको बड़ा टेंडर मिल सकता है। बस अपनी योजनाओं को गोपनीय रखें।तुला राशि: भाग्य में होगी वृद्धिशुक्र के गोचर से आपके भाग्य में वृद्धि होगी। कर्म और भाग्य का मेल आपको बड़ी कामयाबी दिला सकता है। इस अवधि में आपकी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं। अगर कोई व्यापार शुरू करना चाहें या फिर नौकरी में परिवर्तन करना चाहते हैं तो सफलता मिलेगी। परिवार में मांगलिक कार्यों का भी शुभ अवसर आएगा। धर्म एवं आध्यात्म के प्रति रुचि बढ़ेगी। दान-पुण्य के कार्य कर सकते हैं।धनु राशि: वैवाहिक जीवन में आएंगे सुखी पलइस अवधि में आपके वैवाहिक जीवन में सुखी पल आएंगे। जीवनसाथी के साथ रिश्ते मधुर होंगे। यदि जीवनसाथी से मनमुटाव चल रहा था तो वह दूर होगा और रिश्ते में प्रेम बढ़ेगा। प्रेम विवाह करना चाह रहे हैं तो अवसर अनुकूल रहेगा। केंद्र अथवा राज्य सरकार के विभागों में प्रतिक्षित कार्य संपन्न होंगे। दैनिक व्यापारियों के लिए तो समय किसी वरदान से कम नहीं है।मीन राशि: भौतिक सुखों में वृद्धि होगीशुक्र के गोचर से आपके भौतिक सुखों में वृद्धि होगी। इस अवधि में आपकी प्रॉपर्टी में इजाफा हो सकता है। मकान-वाहन के खरीदने की संभावना है। जमीन जायदाद से जुड़े कार्य संपन्न होंगे। माता जी की सेहत बढिय़ा रहेगी। उनका आशीर्वाद आपको प्राप्त होगा। मानसिक अशांति दूर होगी। पारिवारिक जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन करेंगे। मित्रों और संबंधियों से सहयोग प्राप्त होगा।
- किसी व्यक्ति को हम उसके तौर-तरीके, आचार-व्यवहार, पसंद-नापसंद, बोलचाल आदि चीजों से परखते हैं। कुंडली और राशि से तो व्यक्ति के बारे में बहुत कुछ जाना जाता है। लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि आपका जन्म का महीना भी आपके बारे में बहुत कुछ बातें बताता है। जून का महीना शुरू होने जा रहा है। ऐसे में जानते हैं कि जून में जन्म लेने वाले जातक कैसे होते हैं?गुस्से के होते हैं तेजजून का महीना गर्म होता है। इस महीने जन्म लेने वाले जातक भी गर्म दिमाग के होते हैं। ये गुस्से के तेज होते हैं। इन्हें किसी भी समय गुस्सा आ सकता है और फिर गुस्से में ये किसी की भी नहीं सुनते हैं। यानी जून माह में जन्म लेने वालों को गुस्सा आना उनकी खास पहचान होती है।होते हैं मिलनसारजून माह में जन्म लेने वाले मिलनसार होते हैं। इस कारण इनके दोस्तों की संख्या अधिक होती है। ये अपने दोस्तों को भी खूब प्यार देते हैं। लेकिन अपने गर्म स्वभाव के कारण ये अपने दोस्तों से भी झगड़ा कर लेते हैं। हालांकि बाद में इन्हें उस बात का पछतावा भी होता है।रिलेशनशिप में होते हैं रोमांटिकजून में जिन जातकों का जन्म होता है वे रोमांटिक स्वभाव के होते हैं। अपने रिलेशनशिप से भावनात्मक रूप से जुड़ते हैं। लेकिन सार्वजनिक रूप से रोमांस करना इन्हें पसंद नहीं होता है, बल्कि चोरी-छिपे रोमांस करने में इन्हें खूब आनंद आता है। अपने रिश्ते को महत्व देते हैं। रिश्ते की खातिर ये दुनिया से भी भिड़ने को तैयार रहते हैं।किसी के अधीन रहकर कार्य करना पसंद नहींजिन जातकों का जन्म जून माह में होता है वे किसी के अधीन रहकर कार्य करना पसंद नहीं करते हैं। ये स्वतंत्र प्रवृत्ति के होते हैं। यदि कोई इन्हें किसी काम के लिए अधिक रोक-टोक करता है तो इन्हें सहन नहीं होता है। यदि जून माह में जन्म लेने वाले जातक किसी के अधीन रहकर कार्य भी करते हैं तो इन्हें उस काम में संतुष्टी नहीं होती है।स्वभाव से होते हैं चंचलजून माह में जन्मा व्यक्ति स्वभाव से चंचल होता है। अपने चंचल स्वभाव के कारण आप कई लोगों पर अपनी छाप छोड़ने में कामयाब होते हैं। आप पार्टियों में अपनी उपस्थिति से जान फूंक देते हैं। लेकिन अपने हितों को साधने के लिए ये डिप्लोमैटिक भी बन जाते हैं।अपने कार्य को देते हैं महत्वजिन लोगों का जन्म जून माह में होता है वे अपने कार्य के प्रति समर्पित होते हैं। अपने निजी जीवन के साथ साथ आप अपने व्यावसायिक जीवन में भी अधिक व्यस्त दिखाई पड़ते हैं। कई बार काम और अपने निजी जीवन के बीच तालमेल बनाना आपके लिए कठिन हो जाता है।
- वास्तुशास्त्र में बताई गई बातों और नियमों को ध्यान में रखा जाए तो जीवन की कई समस्याओं का समाधान हो सकता है। वास्तु में ऐसी बातें बताई गई हैं जिनको ध्यान में रखकर पारिवारिक, सामाजिक, कार्यक्षेत्र और आर्थिक हर तरह की समस्या से राहत पाई जा सकती है। यदि आप धन की तंगी से जूझ रहे हैं, तो वास्तु शास्त्र में इससे छुटकारा पाने के लिए भी उपाय बताए गए हैं। क्या आपको पता है कि घर में दर्पण का प्रयोग वास्तु के अनुसार करने से आप धन संबंधी समस्याओं से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। चलिए जानते हैं कैसे।यदि आपके घर में धन संबंधित समस्याएं चल रही हैं तो वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की डाइनिंग टेबल के सामने इस तरह से दर्पण लगाएं कि उसमें पूरी डाइनिंग टेबल दिखे। मान्यता है कि इससे घर में धन संबंधित समस्याएं नहीं होती हैं।वास्तुशास्त्र के अनुसार धन संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए घर में उत्तर और पूर्व दिशा की दीवार की ओर दर्पण लगाना चाहिए। वास्तु के अनुसार इन दिशाओं में दर्पण लगाने से व्यवसाय में आने वाली धन संबंधित समस्याएं दूर होती हैं इसके साथ ही अचानक धन लाभ के योग भी बनते हैं।वास्तुशास्त्र के अनुसार शयनकक्ष के दरवाजे के ठीक सामने दर्पण लगाने से घर में चल रही धन संबंधित समस्याएं धीरे-धीरे दूर होने लगती हैं। यदि आपके घर में किसी प्रकार से धन संबंधित समस्याएं चल रही हैं तो दर्पण के इस उपाय को आजमा सकते हैं।वास्तुशास्त्र के अनुसार दर्पण से जुड़ी हुई कुछ बातों को ध्यान में रखना भी आवश्यक होता है अन्यथा जहां दर्पण से धन की समस्याएं दूर हो सकती हैं वहां परेशानियां बढ़ भी सकती हैं। वास्तु कहता है कि मुख्य द्वार के ठीक सामने कभी दर्पण नहीं लगाना चाहिए। इससे आपके जीवन में धन संबंधित समस्याएं बढ़ सकती हैं। इसके अलावा घर में कभी भी आमने-सामने दो दर्पण नहीं लगाने चाहिए। इससे आपसी टकराव और कलह बढ़ती है। शयनकक्ष में कभी भी पलंग के सामने या पलंग के ठीक पीछे दर्पण नहीं लगाना चाहिए। इससे पति-पत्नी में अनबन हो सकती है।
- चीनी वास्तु को फेंगशुई कहा जाता है। इसके टिप्स बहुत ही आसान और कारगर माने गए हैं। इसलिए अब हमारे देश में भी फेंगशुई बहुत लोकप्रिय हो गया है। फेंगशुई के गैजेट्स को घर और व्यापार स्थल दोनों जगहों पर रखा जा सकता है। इससे सौभाग्य में वृद्धि होती है घर में सुख-शांति बनी रहती है। व्यापार और नौकरी में भी तरक्की होती है। फेंगशुई में ऐसी ही दो चीजें बताई गई हैं, जिन्हें घर में रखने से आप चोरी, डकैती जैसी घटनाओं से बच सकते हैं। फेंगशुई में नीले हाथी और गेंडे के आकार और स्वाभाव के कारण इन्हें बहुत शक्तीशाली प्रतीक माना गया है। घर के मुख्य द्वार पर इन्हें लगाने से सुरक्षा प्राप्त होती है। इन्हें घर और व्यापार स्थल पर रखकर आप कई तरह के लाभ प्राप्त कर सकते हैं।नीला हाथी और फिर गेंडे के शोपीस को लिविंग रुप के मुख्य द्वार के ऊपर बाहर की ओर मुंह करके रखना चाहिए। इससे आपके घर में किसी भी दुर्भावाना वाले व्यक्ति का आगमन नहीं होता है, जिससे आप कई तरह की अनुचित घटनाओं से बचे रह सकते हैं। फेंगशुई की इन चीजों को घर में रखने से चोरी जैसी दुर्घटनाएं होने के संभावना नहीं रहती है।अगर आप नौकरी पेशा हैं तो आपको आप इन दोनों मूर्तियों को अपनी काम करने की टेबल पर रखकर लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इन दोनों मूर्तियों के अपने कार्य स्थल पर रखने से आप ऑफिस में होने वाली बिन वजह की राजनीति से बच सकते हैं। इन्हें कार्य स्थल पर रखने से वातावरण शांत रहता है।व्यापार करने वालों के लिए नीला हाथी और गेंडे की मूर्ति व्यवसाय के स्थान पर रखने से लाभ प्राप्त होता है, क्योंकि जिस स्थान पर यह हाथी रखा होता है वहां की ऊर्जा में वृद्धि होती है। व्यापार स्थल पर यह मूर्तियां रखने से आपके प्रतियोगी और विरोधी आपसे आगे नहीं निकल पाते हैं। जिससे आपके व्यापार में तरक्की होती है।लेकिन हमेशा ध्यान रखें की हाथी की सूंड ऊपर की ओर होनी चाहिए। नीचे की तरफ सूंड वाली मूर्ति नहीं लगानी चाहिए।
- जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 300
(अनन्यता के पालन तथा साधना की निरंतरता के संबंध में जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज के द्वारा निःसृत प्रवचन अंश...)
...मेन पॉइन्ट ध्यान में रखो कि अंतःकरण गन्दा है, इसको शुद्ध करने के लिये शुद्ध में डुबोना है। तो इतनी चीज शुद्ध हैं - भगवान, भगवान को पा लेने वाला सन्त और भगवाब का नाम, रूप, गुण, लीला, धाम। इतने में कहीं मन रहे सब ठीक है, वो अनन्य है।
लेकिन इसके नीचे जो चार हैं - सात्विक, राजस, तामस और मायिक सामान - इनमें अटैचमेन्ट कहीं हुआ तो अनन्यता भंग हो गई। जैसे आप संसार में अपनी माँ से प्यार करते हैं, अपने बाप से प्यार करते हैं, अपनी बीबी से प्यार करते हैं, अपने पति से करते हैं, अपने बेटा, भाई, बहन, नाती, पोते से प्यार करते हैं, तो कोई बुरा नहीं मानता। किसी माँ ने कहा कि तुम अपनी स्त्री से क्यों प्यार करते हो जी, खाली हमसे किया करो। अरे हमारे चार बेटे हैं, तो किसी बेटे ने कहा कि और बेटों से प्यार न करना पापा, खाली हम ही से करना।
तो जैसे संसार में अपने ब्लड रिलेशन में प्यार करना मना नहीं। ऐसे ही भगवान कहते हैं कि हमारे परिवार में खूब प्यार करो, हमारे सन्त से, हमारे नाम से, हमारे गुण से, हमारी लीला से, हमारे धाम से। तो हमारा ही प्यार कहलायेगा वो। क्योंकि इनमें भेद नहीं होता। भगवान का नाम, रूप, लीला, गुण, धाम, सन्त इनमें सबमें सबका निवास है। कोई छोटा बड़ा नहीं है। भगवान में सब रहते हैं, सबमें भगवान रहते हैं। इसलिये भगवान श्रीकृष्ण सम्बन्धी सब वस्तुओं से कहीं भी मन का अटैचमेन्ट करो तो सही है और मायिक जीव या मायिक सामान में अटैचमेन्ट हुआ तो वो अन्य हो गया, वो अपराध हो गया। उस पर कृपा नहीं होगी। जरा भी कहीं गड़बड़ है, अटैचमेन्ट है, पॉइन्ट वन परसेन्ट भी, तो भगवान कहते हैं कि अभी दूर है।
यदा ह्योवैष एतस्मिन्नुदरमन्तरं कुरुते। अथ तस्य भयं भवति।(तैत्तिरियोपनिषद 2-7)
देखो पारस और लोहा अगर मिल जायें तो लोहा सोना बन जाता है। लेकिन अगर पारस लोहे के पास आ गया तो नहीं बनेगा। एक नंगा तार जा रहा है उसमें इलैक्ट्रिसिटी है, हम उसके पास उँगली ले गये, कोई बात नहीं, अभी नहीं बिजली आई तुम्हारे शरीर में, जब छू गया तो उसने पकड़ लिया। ऐसे ही मन केवल भगवान के एरिया वालों में 'ही' रहे, 'भी' नहीं।
अभ्यास करते-करते होगा एक दिन, एक साल में हो, एक जन्म में हो, हजार जन्म में करो। ये तो तुम्हारी स्पीड पर निर्भर है। एक आदमी दो कदम चले आगे और एक कदम पीछे तो वो बहुत दिन में पहुँचेगा मथुरा, एक आदमी लगातार चले तो जल्दी पहुँचेगा। एक दौड़ता हुआ चले तो और जल्दी पहुँचेगा, एक कार से जाय तो वो और जल्दी पहुँचेगा। तो ये तो अपनी अपनी साधना पर निर्भर है। लेकिन एक दिन वहीं पहुँचना होगा कि राधाकृष्ण के नाम, रूप, लीला, गुण, धाम, जन में ही मन लग जाय और कहीं न जाय। उसको कहते हैं अनन्य।
(प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज)
०० सन्दर्भ ::: 'हरि गुरु स्मरण' पुस्तक, प्रवचन संख्या 23०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vedik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - अपरा एकादशी व्रत 6 जून 2021 को है। अपरा एकादशी को अचला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को ही अपरा एकादशी या अचला एकादशी कहते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस एकादशी व्रत से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यह व्रत द्वादशी तिथि के दिन विधि-विधान से खोला जाता है।अपरा एकादशी 2021 का मुहूर्तएकादशी तिथि प्रारंभ- 04:07 एएम, जून 05, 2021एकादशी तिथि समाप्त- 06:19 एएम, जून 06, 2021व्रत पारण मुहूर्त- 05:12 ए एम से 07:59 ए एम, जून 07, 2021अपरा एकादशी व्रत विधिप्रातः सूर्योदय से पहले उठें। शौच क्रिया से निवृत्त होकर स्नान-ध्यान करें। व्रत का संकल्प लेकर विष्णु जी की पूजा करें। पूरे दिन अन्न का सेवन न करें। जरूरत पड़े तो फलाहार लें। शाम को विष्णु जी की आराधना करें। विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें। व्रत पारण के समय नियमानुसार व्रत खोलें। व्रत खोलने के पश्चात् ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें।इन बातों का रखें विशेष ध्यानएकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान नहीं करना चाहिए। जो लोग व्रत कर रहे हैं उन्हें व्रत तोड़ने से पहले हरि वासर समाप्त होने की प्रतीक्षा करनी चाहिए। हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि है। व्रत तोड़ने के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रातःकाल होता है। मध्याह्न के समय व्रत तोड़ने से बचना चाहिए।अपरा एकादशी का महत्वधार्मिक मान्यता के अनुसार, अपरा एकादशी अपार पुण्य फल प्रदान करने वाली पावन तिथि है। इस तिथि के दिन व्रत करने से व्यक्ति को उन सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है, जिसके लिए उसे प्रेत योनि में जाना पड़ सकता है। पद्मपुराण में बताया गया है कि इस एकादशी के व्रत से व्यक्ति को वर्तमान जीवन में चली आ रही आर्थिक परेशानियों से राहत मिलती है। अगले जन्म में व्यक्ति धनवान कुल में जन्म लेता है और अपार धन का उपभोग करता है। शास्त्रों में बताया गया है कि परनिंदा, झूठ, ठगी, छल ऐसे पाप हैं, जिनके कारण व्यक्ति को नर्क में जाना पड़ता है। इस एकादशी के व्रत से इन पापों के प्रभाव में कमी आती है और व्यक्ति नर्क की यातना भोगने से बच जाता है।
- जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 299
(आध्यात्मिक जगत के साथ ही भौतिक जगत के मनुष्यों के लिये भी लाभदायक मार्गदर्शन, यहाँ से पढ़ें..)
..निराशा आने का मतलब ये कि उसने (साधक) सारी भगवत्कृपाओं पर लात मार दिया। जितनी भगवत्कृपा उसके ऊपर हुई, महापुरुष कृपा हुई, उसका बार-बार चिन्तन नहीं किया। निराशा आते ही बुद्धि को फटकारना चाहिए, फिर तुमने अपराध किया, क्या कृपा बाकी है जो तुम्हारे ऊपर नहीं हुई।
प्रतिकूल चिन्तन की धारा चलने न पावे, चिन्तन शुरू होते ही तुरन्त समाप्त करो। जैसे किसी स्त्री के कपड़े में आग लग गई, खाना बनाते समय, वह वहीं दबा देती है उसको। अगर वो लापरवाही करे तो सब कुछ जल जायेगा। अतः हम खाली समय का सदुपयोग नहीं करते, गलत चिन्तन करते हैं। इससे निराशा आती है।
इसका सबसे बढ़िया इलाज ये ही है, मन को खाली न रहने दो। जहाँ जाओ, भगवत चिन्तन में लग जाओ। 'आनुकूलस्य संकल्पः'। याद रखो शरणागति में अनुकूल चिन्तन ही हो, इसी की प्रैक्टिस करो, कुछ और न सुनो, न कुछ और पढ़ो, न कुछ और सोचो और अगर कुछ पढ़ने, कुछ सुनने, कुछ सोचने में आवे, तुरन्त होशियार हो जाओ। तत्काल होशियार हो जाओ, जैसे कोई खाना चबाता है, कंकड़ आया और दाँत से दबाकर आँख को मींचकर कहता है, अरे! कंकड़ आ गया। फेंक दिया उसको। और चबाये ही जाय उसको तो लोग पागल कहेंगे। अरे! कंकड़ आया, दाँत के नीचे कट से हुआ और स्वाद खराब हुआ फिर भी तुम खाये जा रहे हो। बाल आया तुम्हारे खाने के साथ, तुम्हारी समझ में आ गया और फिर भी चबाये जा रहे हो, तो लोग उसको पागल कहेंगे।
तो उसी प्रकार कोई गड़बड़ आये, खोपड़ी में तुरन्त निकालो। जब ये ज्ञान है कि निराशा हानिकारक चीज है और वो आने लगी, होशियार क्यों नहीं हो गये, धिक्कारा क्यों नहीं, अपने आपको। तुरन्त सही चिन्तन शुरू क्यों नहीं किया? जब जानते हो कि चिन्तन में अनन्त शक्ति है, राक्षस बना दे, महापुरुष बना दे। सारा काम चिन्तन का है और कुछ है ही नहीं विश्व में। अधिक चिन्तन जिस चीज का करोगे वैसे ही बन जाओगे। अच्छाई का चिन्तन करो, अच्छे बन जाओगे। बुराई का चिन्तन कुछ दिन करो, कितना भी अच्छा हो, बुरे बन जाओगे।
चिन्तन की लिंक के अनुसार उत्थान-पतन दोनों संभव है। इसलिए मन को खाली नहीं रखो, गलत संग में नहीं डालो। गलत व्यक्तियों से बात न सुनो, न करो और कहीं कान में पड़ जाय तो उसको ऐसे फेंक दो जैसे कंकड़ को खाना खाते समय फेंक देते हैं।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: साधन साध्य पत्रिका, मार्च 2014 अंक०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vedik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 298
(संत तथा भगवान का जन्म/अवतार साधारण जीवों के जन्म से कैसे भिन्न है, जगदगुरु श्री कृपालु महाप्रभु जी की वाणी में यहाँ से पढ़ें...)
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एष आत्मापहृतपाप्मा विजरो विमृत्युर्विशोको।विजिघत्सोपिपासः सत्यकामः सत्यसंकल्पः।।(छांदोग्योपनिषद, 8-1-5)
वह ब्रम्ह पापरहित है, जरारहित है, उसकी मृत्यु नहीं होती, वह शोकरहित है, उसे भूख नहीं लगती, प्यास नहीं लगती, वह सत्यकाम है, सत्यसंकल्प है।
ब्रम्ह अथवा भगवान के ये आठ गुण भगवत्प्राप्ति के पश्चात जीव में भी आ जाते हैं। तत्पश्चात वह जीव महापुरुष अथवा भगवत्प्राप्त संत के नाम से अभिहित होता है।
किन्तु जब भगवान अथवा महापुरुष, मनुष्य रूप में इस धरा पर हमारे बीच अवतरित होते हैं, उनका तो जन्म भी देखा जाता है, जरा भी होती है, मृत्यु भी देखी जाती है। वे पाप अथवा पुण्य के कार्य करते दिखाई देते हैं। भूख लगने पर खाना भी खाते हैं तथा प्यास लगने पर पानी भी पीते हैं। फिर कैसे मानें कि वे आठ गुणों से युक्त हैं?
यों तो साधारण जीवों की आत्माओं के लिये भी कहा जा सकता है कि आत्मा का न जन्म होता है, न मृत्यु होती है, उसे न आग जला सकती है और न पानी ही गला सकता है। इत्यादि। फिर भगवान, महापुरुष अथवा साधारण जीव में हम भेद कैसे मानें?
कारागार में एक ही वेशभूषा में तीन व्यक्ति खड़े हैं। आप कहेंगे कि तीनों ही जेल में हैं, अवश्य कैदी हैं तीनों। किन्तु ऐसा नहीं है। उनमें एक कैदी है, दूसरा जेल का अधीक्षक है और तीसरा देश का राजा अथवा मिनिस्टर है। देखने में तीनों एक समान कैदी लगते हैं किन्तु कैदी को न्यायाधीश द्वारा उसके कुकृत्य की सजा देकर जेल में भेजा गया है। जबकि राजा अथवा मिनिस्टर जेल का निरीक्षण करने आया है, अधीक्षक जेल में प्रबंध करने आया है। ये दोनों स्वयं आये हैं और स्वयं जा सकते हैं किन्तु कैदी जेल में लाया गया है और सजा पूरी करने तक बंधन में रहेगा।
इसी प्रकार साधारण व्यक्ति (जीव) कर्मबन्धन में बंधकर प्रारब्धवश संसार में लाये जाते हैं किन्तु भगवान अथवा महापुरुष का कोई कर्मबन्धन नहीं है, वे स्वयं लोकहितार्थ संसार में स्वयं अवतरित होते हैं।
साधारण जीव अपने पूर्व निश्चित प्रारब्ध को भोगकर निश्चित समय पर मृत्यु को प्राप्त होता है किन्तु भगवान अथवा महापुरुष अपने निश्चित कार्यक्रम के पूरा होने पर, जब चाहें तब अपनी लीला संवरण करके, अपने लोक को प्रस्थान कर सकते हैं। वे आवश्यकतानुसार अपने समय में कमी अथवा वृद्धि करने में भी समर्थ हैं।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: अध्यात्म सन्देश पत्रिका, नवम्बर 1998 अंक०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vedik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - भारतीय वास्तु की तरह ही चीनी वास्तु भी होता है, जिसे फेंगशुई कहा जाता है। फेंगशुई में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देने और समस्याओं को दूर करने के लिए फेंगशुई प्रतीकों का प्रयोग किया जाता है। फेंगशुई के ये प्रतीक बाजार में आसानी उपलब्ध हो जातें हैं, इसलिए आजकल बहुत प्रचलित भी हो गए हैं। यदि किसी को व्यापार में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हो तो फेंगशुई के कुछ प्रतीको का प्रयोग करके समस्याओं से निजात पा सकते हैं साथ ही व्यवसाय में तरक्की भी होती है। तो आइए जानते हैं व्यापार में तरक्की प्राप्त करने के उपाय।यदि आप व्यवसाय करते हैं और आपको आए दिन व्यापार में कुछ न कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। अपने कार्यस्थल (ऑफिस, फैक्ट्री और दुकान) की उत्तर-पश्चिम दिशा में क्रिस्टल बॉल लटकानी चाहिए। इससे वहां कार्य करने वालों की ऊर्जा में वृद्धि होती है, जिससे आपके व्यवसाय को बढ़ावा मिलता है। इसके साथ ही इससे व्यपारिक घाटे में भी कमी आती है। इसके अलावा घर और कार्यालय में नौ छड़ी वाली विंड चाइम लगानी चाहिए। जब हवा से विंड चाइम हिलती हैं तब उसकी मधुर ध्वनि से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।कार्यक्षेत्र में प्रतियोगिता तो बनी ही रहती है यदि आपको अपने व्यवसाय में बार-बार विरोधियों के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हो, तो अपने घर और ऑफिस में ड्रैगन की मूर्ति रखनी चाहिए। लेकिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कछुए की पीठ पर बैठे ड्रैगन की ही मूर्ति लगाएं। माना जाता है कि इससे आपके विरोधी धीरे-धीरे विरोधी खुद ही परास्त होने लगते हैं।फेंगशुई के अनुसार प्रसिद्धि प्राप्त करने के लिए घर की दक्षिण दिशा में संध्या के समय लाल रंग का बल्ब जलाना चाहिए। इसके अलावा आप घर की दक्षिण-पूर्व दिशा यानी आग्नेय कोण में दीपक जलाना चाहिए। इससे घर की नकारात्मकता दूर होती है जिससे जातक को तरक्की और प्रसिद्धि पाने में सहायता मिलती है।
- ज्योतिष में शुक्र ग्रह को भौतिक सुख, वैवाहिक सुख, भोग-विलास, शौहरत, कला, प्रतिभा, सौन्दर्य, रोमांस, काम-वासना और फैशन-डिजाइनिंग आदि का कारक ग्रह माना जाता है। शुक्र के शुभ होने पर जहां व्यक्ति को भौतिक, शारीरिक और वैवाहिक सुखों की प्राप्ति होती है, वहीं शुक्र के अशुभ होने पर व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 28 मई को शुक्र मिथुन राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं। शुक्र का मिथुन राशि में प्रवेश कुछ राशियों के लिए अशुभ रह सकता है। इन राशियों के लोगों को विशेष सावधानी बरतनी होगी। आइए जानते हैं शुक्र का राशि परिवर्तन किन लोगों की मुश्किलें बढ़ा सकता है...कर्क राशिशुक्र का गोचर आपके 12वें भाव में होगा, जिसके कारण यह समय आपके लिए अच्छा साबित नहीं होगा।इस दौरान खर्चों में वृद्धि हो सकती है।धन खर्च सोच- समझकर ही करें।वाद- विवाद से दूर रहें।सेहत का ध्यान रखें।वृश्चिक राशिशुक्र गोचर काल में आपको शत्रुओं से सावधान रहने की जरूरत है।पैसों को सोच-समझकर खर्च करने की जरूरत है।इस दौरान मानसिक तनाव हो सकता है।वैवाहिक जीवन में उतार-चढ़ाव आ सकते हैं।स्वास्थ्य का ध्यान रखने की आवश्यकता है।मकर राशिमकर राशि वालों के 5वें भाव में शुक्र गोचर होगा।आपके लिए यह समय शुभ साबित नहीं होगा।धनी- हानि हो सकती है।इस दौरान आपको मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।स्वास्थ्य का ध्यान रखें।मीन राशिइस समय आपको कड़ी मेहनत करनी होगी।प्रेम-संबंध में परेशानी आ सकती है।सेहत का ध्यान रखने की जरूरत है।आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
- अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छी नींद लेना बहुत आवश्यक होता है। रात को सही प्रकार से नींद न आने पर हमारे पूरे दिन की गतिविधियों पर प्रभाव पड़ता है। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में कभी काम के दबाव के चलते तो कभी तनाव के कारण नींद न आने की समस्या आम हो गई है। कई बार लोग रात को नींद के लिए दवाओं का सहारा भी लेने लगते हैं लेकिन यह आपके स्वास्थय पर बुरा प्रभाव डलती हैं। इसके लिए आपको संतुलित दिनचर्या और खान-पान अच्छा रखने की आवश्यकता होती है लेकिन कई बार नींद में रात को बार-बार बाधा पड़ने के कई और कारण भी हो सकते हैं। वास्तु में नींद न आने और बार-बार नींद में बाधा आने के पीछे कई कारण बताए गए हैं। यदि आप वास्तु में बताई गई इन बातों को ध्यान में रखते हैं तो नींद न आने की सममस्या से छुटकारा पा सकते हैं।कई बार यदि कुछ सामान ज्यादा हो जाए तो पलंग के नीचे खसका देते हैं, लेकिन वास्तु के अनुसार पलंग के नीचे भूलकर भी बिन वजह का सामान नहीं रखना चाहिए। इससे नकारात्मक ऊर्जा बढ़ने लगत है जिसके कारण रात में बार-बार नींद में बाधा पड़ने की समस्या हो सकती है। इसके साथ ही अपना बिस्तर या फिर पलंग ठीक दरवाजे के सामने नहीं लगाना चाहिए। इससे भी आपकी नींद में रुकावट आती है।कई बार शयन कक्ष में फ्रिज आदि भी रख देते हैं लेकिन वास्तुशास्त्र कहता है कि शयनकक्ष में फ्रिज, इन्वर्टर या गैस सिलेंडर आदि चीजें नहीं रखनी चाहिए। ये चीजें आपकी आपकी नींद में रुकावट पैदा करने का कारण बन सकती हैं। इनसे आपको मानसिक तनाव का सामना भी करना पड़ सकता है, इसलिए यदि आपके शयनकक्ष में यदि ये सारी चीजें रखी हुई हैं तो वहां से हटा दें।वास्तुशास्त्र के अनुसार कभी भी लोहे का पलंग नहीं होना चाहिए पलंग हमेश लकड़ी का ही सही रहता है। वास्तु कहता है कि पलंग का आकार वृत्ताकार, अर्धचंद्राकार या धनुष के आकार का नहीं होना चाहिए। इससे आपको मानसिक बैचेनी हो सकती है। पलंग हमेशा आयताकार ही सही रहता है।वास्तुशास्त्र के अनुसार शयनकक्ष में कभी भी पलंग के सामने या फिर पीछे की और शीशा नहीं लगा होना चाहिए। इसके साथ ही शयनकक्ष में फालतू के बिजली उपकरण नहीं रखने चाहिए। यदि शयनकक्ष की कोई पंखा आदि खराब है या फिर आवाज करता है तो उसे तुरंत ठीक करवाना चाहिए। इसके अलावा शयनकक्ष में कभी भी कांटेदार पौधा या फिर नुकीला शोपीस नहीं रखना चाहिए।
- सुखी जीवन के लिए अपने तन और मन को सकारात्मक बनाए रखना जरूरी है। अगर इंसान सकारात्मक रहेगा तो परिवार के बाकी लोगों पर भी इसका असर पड़ेगा और घर में नकारात्मकता ऊर्जा कभी नहीं आएगी। इसके लिए इन उपायों का पालन करें ....1. सूर्यदेव हमारे जीवन की ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत हैं। सूर्यदेव के प्रकाश में रहने का प्रयास करें। घर के हर कोने में सूर्यदेव का प्रकाश अवश्य पहुंचे, ऐसा प्रबंध करें।2. प्रतिदिन प्रात: स्नान करें और स्नान के बाद शरीर को अच्छी तरह से सुखाएं। रोजाना नहाने से शरीर तो साफ रहता ही है। साथ ही तन और मन भी तरोताजा हो जाते हैं।3. प्रतिदिन सुबह उठकर गायत्री मंत्र का जाप करें। यह मंत्र मन को संतुष्टि देने वाला होता है और जीवन में सकारात्मक सोच का प्रवाह करता है।4. दिन में हल्का भोजन करें। जितनी भूख हो, उससे थोड़ा कम खाने का प्रयास करें। खाने के बाद टहलने की कोशिश जरूर करें। रात्रि को 6-7 बजे तक भोजन कर लेने की कोशिश करें।5. अपने दैनिक क्रियाकलाप में नारंगी रंग का प्रयोग करें, इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार बना रहता है। यह रंग आंखों को बेहद प्रिय लगता है और मन को खुशियां देने वाला होता है।6. घर में तुलसी का पौधा लगाएं। यह पौधा सकारात्मकता में वृद्धि करता है। इस पौधे का पौराणिक महत्व तो है ही। साथ ही इसका चिकित्सकीय महत्व भी है। इस पौधे की वजह से बहुत सारे बैक्टीरिया और वायरस घर में प्रवेश नहीं कर पाते।7. घर में गूगल का धुआं करें। इस धुएं से घर में छिपे वायरस और बैक्टीरिया मर जाते हैं। साथ ही मच्छर-मक्खी जैसे कीटाणु भी घर से दूर भाग जाते हैं। जिससे मन में प्रसन्नता आती है।8. घर में सरसों के तेल के दीये में लौंग डालकर जलाएं, ऐसा करने से सकारात्मकता में वृद्धि होती है। इस लौंग की खुशबू से जब घर महकता है तो इससे मन को खुशी और पॉजिटिविटी का संचार होता है।9. शीशे के बर्तन में नमक डालकर घर के किसी भी कोने में रख दें। घर में सुगंधित धूप जलाएं। धूप जलाने के बाद उसे घर के हर कोने में दिखाना बहुत जरूरी होता है।10. घर में समय-समय पर के कोने-कोने में गंगाजल का छिड़काव करते रहें। गंगाजल पवित्र होने के साथ ही चिकित्सकीय गुणों से भरपूर भी होता है। ऐसे में गंगाजल छिड़कने से बुरी शक्तियों का अंत होता है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ जाता है।
- माता लक्ष्मी हिन्दू धर्म की प्रमुख देवियों में से एक हैं. वे भगवान विष्णु की पत्नी हैं. उन्हें धन सम्पदा, शांति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है.शुक्रवार को होती है पूजासनातन धर्म में शुक्रवार को मां लक्ष्मी का दिन माना गया है. कहते हैं कि इस दिन लक्ष्मी पूजन (Devi Laxmi Puja) करने से धन की प्राप्ति होती है. ऐसे में अगर आपके घर भी मां लक्ष्मी नहीं टिक रही हैं तो शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी का पूजन करें. ऐसा करने से व्यक्ति को दरिद्रता, दुर्बलता, कृपण, असंतुष्टिपन और पिछड़ेपन से मुक्ति मिल जाती है.धन संपदा की होती है बरसातमान्यता है कि शुक्रवार को अगर पूरे विधि-विधान के साथ मां लक्ष्मी (Devi Laxmi) की पूजा की जाए तो व्यक्ति पर धन की वर्षा होती है. इस दिन लोगों को व्रत भी रखना चाहिए. इससे आपकी सारी मनोकामना पूर्ण हो सकती हैं. ऐसी मान्यता है कि शुक्रवार को मां लक्ष्मी की पूजा करने से वह जातकों पर धन वर्षा करती हैं.शुक्रवार को लक्ष्मी पूजन का तरीका1. अगर आपके हाथों में पैसा नहीं रुकता और बहुत ज्यादा खर्च होता है तो ऐसी तस्वीर लगाएं जिसमें मां लक्ष्मी खड़ी हों और उनके हाथों से धन गिर रहा हो.2. मां की तस्वीर के सामने दीया जलाएं.यह दीया हमेशा घी का ही होना चाहिए.3. मां लक्ष्मी को इत्र चढ़ाएं और उसी इत्र का नियमित प्रयोग करें.4. अगर बेवजह धन का ज्यादा खर्च हो रहा है तो मां के चरणों में हर दिन एक रुपये का सिक्का अर्पित करें और उसे जमा कर महीने के अंत में किसी सौभाग्य की धनी स्त्री को दे दें.5. मेष, सिंह और धनु राशि के लोगों के लिए वरलक्ष्मी के स्वरूप की पूजा करनी चाहिए.सही तरीके से करें आरतीअगर आप हर दिन मां लक्ष्मी का विधिवत पूजन नहीं कर पा रहे हैं तो हर शुक्रवार मां लक्ष्मी की आरती का पाठ करें. ऐसा करने से आपके सारे पाप नाश हो जाएंगे और मां की कृपा प्राप्त होगी. जातक इस बात का ध्यान रखें कि मां लक्ष्मी की आरती का उच्चारण गलत ना हो क्योंकि गलत उच्चारण के साथ आरती गाने का फल प्राप्त नहीं होता.ये है माता लक्ष्मी की आरतीॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी मातातुम को निश दिन सेवत, हर विष्णु विधाता….ॐ जय लक्ष्मी माताउमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग मातासूर्य चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाताॐ जय लक्ष्मी मातादुर्गा रूप निरंजनि, सुख सम्पति दाताजो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धि धन पाताॐ जय लक्ष्मी मातातुम पाताल निवासिनी, तुम ही शुभ दाताकर्म प्रभाव प्रकाशिनी, भव निधि की त्राताॐ जय लक्ष्मी माताजिस घर तुम रहती सब सद्गुण आतासब संभव हो जाता, मन नहीं घबराताॐ जय लक्ष्मी मातातुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाताखान पान का वैभव, सब तुमसे आताॐ जय लक्ष्मी माताशुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जातारत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाताॐ जय लक्ष्मी मातामहालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर गाताउर आनंद समाता, पाप उतर जाताॐ जय लक्ष्मी मातापिछड़ेपन से मिल जाती है मुक्तिमान्यता है कि गायत्री की एक किरण लक्ष्मी भी है. जो व्यक्ति इसे प्राप्त कर लेता है उसका जीवन सदा सुसम्पन्नों जैसी प्रसन्नताओं से भर जाता है. श्रद्धालुओं को शुक्रवार को मां लक्ष्मी का वृत भी रखना चाहिए. ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और मुंहमांगा वरदान देती हैं.
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जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 297
(भूमिका - जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज ने प्रस्तुत उद्धरण में यह समझाया है कि साधना, पूजा अथवा किसी भी प्रकार के आध्यात्मिक कर्म में कौन सी बात सर्वप्रमुख है? इस उद्धरण को पढ़कर हम यह समझेंगे कि किस प्रकार सभी साधनाओं में इस एक 'सावधानी' को जोड़ देने से हम उन साधनाओं के फल को प्राप्त कर लेते हैं, अन्यथा चूक जाते हैं...)
..वेद से लेकर रामायण तक सभी ग्रन्थ एक स्वर से कहते हैं कि भगवान् का ध्यान करना चाहिये। भगवान् के ध्यान से भगवान् मिलते हैं। वेदव्यास ने कहा;
आलोड्य सर्वशास्त्राणि विचार्य च पुनः पुन:।इदमेकं सुनिष्पन्नं ध्येयो नारायणो हरिः॥(महाभारत, नरसिंह पुराण)
मैंने छहों शास्त्रों को और पुराणों को बार-बार मथा और बार-बार चिन्तन किया तो एक निर्णय निकला - 'ध्येयो नारायणो हरिः', भगवान् का ध्यान करना चाहिये।
स्मर्तव्यः सततं विष्णुर्विस्मर्तव्यो न जातुचित्।(पद्म पुराण, उत्तर खण्ड 71.100)
भगवान् का निरन्तर स्मरण करो, उनको भूलो मत।
यहुर्लभं यदप्राप्यं मनसो यत्र गोचरम् ।तदप्यप्रार्थितो ध्यातो ददाति मधुसूदन:॥(गरुड़ पुराण)
ध्यान करने से जो अप्राप्य है वो भी भगवान् दे देते हैं।
भगवान् ब्रह्म कार्त्स्न्येन त्रिरन्वीक्ष्य मनीषया।तदध्यवस्यत् कूटस्थो रतिरात्मन् यतो भवेत्॥(भागवत 2.2.34)
तीन बार ब्रह्मा ने वेदों को मथा और मथकर एक निष्कर्ष निकला - भगवान् का ध्यान करना चाहिये। ध्यान, स्मरण। 'मनेर स्मरण प्राण'। समस्त साधनाओं में 'स्मरण' प्राण है और सब शरीरेन्द्रियाँ हैं। प्राण निकल गया तो ये शरीर शव हो जाता है, मुर्दा, मिट्टी। मिट्टी भी अच्छी होती है, उसमें खुशबू होती है। और इस मिट्टी में तो बदबू हो जाती है 24 घण्टे में। तो भगवान् का ध्यान करना चाहिये। ये सब शास्त्र वेद कह रहे हैं।
गीता में भरा पड़ा है। भगवान् बड़े सुलभ हैं, लेकिन कैसे? 'अनन्यचेता:', चित्त को भगवान् में ही लगाये रहो। 'ही'; अनन्य। फिर 'यो मां स्मरति'। 'स्मरण।'
अनन्याश्चिन्तयंतो मां ये जना: पर्युपासते।
चिन्तन, ध्यान।
ये तु सर्वाणि कर्माणि मयि संन्यस्य मत्पराः।अनन्येनैव योगेन मां ध्यायन्त उपासते॥(गीता 12.6)
'ध्यायन्त' मेरा ध्यान करे निरन्तर। यानी मन मुझमें लगा दे।
मय्येव मन आधत्स्व मयि बुद्धिं निवेशय।(गीता 12.8)
ध्यान करना है, ध्यान। ये ध्यान का काम कौन करता है? आँख, कान, नाक, त्वचा, रसना - ये पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ ध्यान नहीं कर सकती। आँख देखने का काम करती है, कान सुनने का, नासिका सूँघने का, रसना रस लेने का, त्वचा स्पर्श करने का। ध्यान करने का काम कौन करता है? मन, अन्त:करण, चित्त अनेक नाम हैं उसके।
तो ध्यान करना चाहिये भगवान् का, उसी का नाम भक्ति, उपासना, पूजा, पाठ जो कुछ शब्द बोलो। वो सब मन को करना है, इन्द्रियों को नहीं। तो भगवान् का ध्यान करना है, बस एक बात। दूसरी कोई बात न सुनो, न पढ़ो, न सोचो, न करो। ध्यान करना है और अगर कोई और बात पढ़ो, सुनो, करो, तो ध्यान नम्बर एक, बाद में और सब कुछ जैसे कीर्तन, भगवान् का नाम, रूप, गुण, लीला धाम ये गाते हैं। ये रसना का काम है बोलना। लेकिन नम्बर एक ध्यान, फिर गान। यानी इन्द्रियों को अगर साथ लेते हो तो कोई एतराज नहीं है, लेकिन अगर मन साथ में नहीं है तो जीरो में गुणा हो जायेगा। जीरो गुणा जीरो बराबर जीरो, जीरो गुणा लाख बराबर जीरो, जीरो गुणा करोड़ बराबर जीरो। उसका कोई परिणाम नहीं होगा। इसलिये ध्यान ही साधना है, उपासना है, भक्ति है।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: 'रूपध्यान विज्ञान' पुस्तक०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vedik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.)