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- हर कोई अपने परिवार को स्वस्थ रखना चाहता है। ऐसे में हेल्दी चीजों का सेवन करने और अपनी डेली रूटीन को हेल्दी बनाने के साथ ही अगर वास्तु से जुड़े कुछ उपाय अपना लें तो उससे भी आपकी सेहत को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है।खिड़की दरवाजे खोल देंसुबह जल्दी उठने की आदत डालें और सूर्योदय के समय घर की सभी खिड़कियां और दरवाजे कुछ देर के लिए खोल दें। उगते सूर्य की किरणें सेहत के लिए फायदेमंद होती हैं और घर में मौजूद बैक्टीरिया और वायरस भी इससे नष्ट हो जाते हैं, लेकिन दोपहर में 11-12 बजे सूर्य की किरणें नुकसानदेह हो जाती हैं इसलिए दोपहर के समय दक्षिण दिशा की खिड़कियां और दरवाजे बंद कर दें और दक्षिण दिशा में गहरे रंग का भारी पर्दा लगाएं।मुख्य द्वार पर इस बात का रखें ध्यानवास्तु शास्त्र की मानें तो घर का मुख्य द्वार यानी मेन गेट कभी भी टूटा-फूटा या दरार वाला नहीं होना चाहिए वरना इसका घर के मुखिया की सेहत पर काफी बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए घर के मुख्य द्वार को हमेशा साफ-सुथरा रखें और अच्छी हालत में रखें।सोते समय इस बात का रखें ध्यानरात को सोते समय इस बात का ध्यान रखें कि आपका सिर कभी भी उत्तर दिशा की ओर और पैर दक्षिण दिशा की तरफ न हो वरना सिर में दर्द और नींद न आने की समस्या हो सकती है। इसके अलावा रात में सोते समय आपका सिर उस तरफ भी नहीं होना चाहिए जिस तरह टॉयलेट है या वॉशिंग मशीन रखी हो। आप किस दिशा में सिर करके सोते हैं इसका भी आपकी मानसिक सेहत पर गहरा असर पड़ता है।घर में रखें साफ-सफाईवास्तु शास्त्र की मानें तो घर को हमेशा साफ सुथरा रखना चाहिए। अगर घर गंदा हो, घर की दीवारों पर जाले लगे होंगे तो इस बात का घर में रहने वाले लोगों पर नकारात्मक असर पड़ेगा और उसकी शारीरिक और मानसिक सेहत खराब हो जाएगी। इसलिए सफाई करते वक्त घर की दीवारें और कोनों में भी सफाई का विशेष ध्यान रखें।सीलन की समस्या ठीक करवाएंघर में अगर कहीं सीलन है तो समझ लीजिए कि घर वालों की सेहत खराब होने वाली है। वास्तु शास्त्र में दीवारों पर सीलन होना नकारात्मक स्थिति मानी जाती है। ऐसी जगह पर लंबे समय तक रहने से सांस और त्वचा संबंधी बीमारियां हो सकती हैं इसलिए घर में अगर कहीं सीलन हो तो उसकी तुरंत मरम्मत करवाएं।
- जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 275
साधक का प्रश्न ::: महाराज जी! संत के साथ रहने पर क्या परिवर्तन आता है और क्यों आता है? वाल्मीकि लुटेरा था और संत के साथ रहने से ब्रम्हर्षि हो गये। ऐसी कौन सी खास बात होती है जो संत के साथ रहने से जीवन में इतना परिवर्तन आ जाता है?
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा दिया गया उत्तर ::: खास बात क्या होती है? वो तो किसी आदमी को ठण्ड लग रही है, वो आग के पास जायेगा तो ठण्ड दूर होगी, लेकिन उसमें कुछ शर्तें हैं - संत एक चुम्बक है। चुम्बक पत्थर होता है न, और संसार के लोग यानी संसारियों का मन लोहा है। जैसे एक चुम्बक रख दो और चारों ओर लोहे की सुइयाँ खड़ी कर दो, तो जो सुई क्लीन लोहे की होगी, वो फौरन आ कर चिपक जायेगी, जिसमें थोड़ी मिलावट होगी वो धीरे-धीरे मिल जायेगी, जिसमें और मिलावट होगी, वो और धीरे-धीरे आयेगी, और जिसमें बहुत अधिक मिलावट होगी वो अपनी जगह हिलेगी, चलेगी नहीं और जो नकली होगी, लोहे की होगी ही नहीं, उस पर कोई असर नहीं होगा।
ऐसे ही भगवान जब अवतार लेते हैं या संत महात्मा जब किसी को मिलते हैं तो उसके अन्तःकरण की शुद्धि जितनी लिमिट की होती है, उसी हिसाब से वो अपने आप खिंच जाता है। एक सैकेण्ड में कम्प्लीट सरेण्डर हो सकता है, अगर अन्तःकरण शुद्ध मिल जाय, और अगर गड़बड़ है कुछ, तो जितनी गड़बड़ है उतनी ही देर में वो संत से खिंचेगा।
इसलिये कहते हैं एक घर में माँ है, बाप है, बेटा है, स्त्री है, पति है, दस आदमी हैं। एक संत का सत्संग सबको मिला। लेकिन सबका खिंचना अलग-अलग ढंग से है। किसी का फिफ्टी परसेन्ट, किसी का ट्वेन्टी परसेन्ट, किसी का नाइंटी परसेन्ट। तो जिसका हृदय जितना साफ है, शुद्ध है, उसी हिसाब से वो खिंच जाता है और जिसका हृदय बहुत गन्दा है वो गाली देता है संत को, भगवान को; खिंचने की कौन कहे।
पापवंत कर सहज सुभाऊ..
भगवान कहते हैं - भई! जो जितनी मात्रा का पापी होगा, पाप का अन्तःकरण होगा, उतनी ही देर में खिंचेगा;
यावत्पापैस्तु मलिनं हृदयं तावदेव हि।न शास्त्रे सत्यता बुद्धि: सद्बुद्धि: सद्गुरौ तथा।।
जितना अधिक मन मलिन होगा, अन्तःकरण गन्दा होगा, पापयुक्त होगा, उतना ही वह भगवान और संत पर विश्वास ही न करेगा। देखकर हँस देगा, वो जायेगा ही नहीं।
हमारे इण्डिया में पण्डित नेहरु थे प्राइम मिनिस्टर। वो कहते थे कि भगवान की बात सुनना गलत है, अगर सुन लिया और कहीं उधर चले गये तो हमारी पॉलिटिक्स बिगड़ जायेगी। इतना पाप का अन्तःकरण कि उसको भगवान की बात सुनने में एतराज है। वो पापात्मा जितना अधिक होगा, उतना वो दूर जायेगा भगवान से, संत से। और जितना अन्तःकरण शुद्ध होगा, उतनी ही जल्दी वो खिंच जायेगा।
वो तो ऐसा है जैसे गुड़ है, गुड़ से प्यार करने वाली जो मक्खियाँ हैं वो गुड़ कहीं पर रख दो, अपने आप आ जायेंगी। कोई मुरदा सड़क पर पड़ा है तो कौवे, गीध ये सब अपने आप आ जायेंगे। अपने आप खिंच जाते हैं वो।
जिस चित्तवृत्ति का व्यक्ति होगा, उस चित्तवृत्ति में खिंच जायेगा। शराबी से शराबी मिलेगा, बड़ी दोस्ती हो जायेगी, पण्डित से पण्डित मिलेगा, दोस्ती हो जायेगी। इसलिये संत से खिंच जाना, ये शुद्ध अन्तःकरण वाले होते हैं, वही खिंचते हैं, सब नहीं खिंचते।
बाप हिरण्यकशिपु गाली दे रहा है भगवान को, और उसका बेटा प्रह्लाद भगवान का भक्त है पूर्ण। ये सबके अपने-अपने संस्कार होते हैं। सबका अपना-अपना हृदय पाप-पुण्य से युक्त होता है, उसी हिसाब से उसका आकर्षण होता है।
एहि सर आवत अति कठिनाई,रामकृपा बिनु आई न जाई..
बड़ी भगवत्कृपा हो तो सत्संग में कोई जाय।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: 'प्रश्नोत्तरी' पुस्तक, भाग - 3, प्रश्न संख्या 43०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vedik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - मई का महीना ग्रहों की चाल के नजरिए से काफी अहम रहने वाला है। मई के महीने में चार ग्रह अपनी राशि बदलकर दूसरी राशि में आ जाएंगे। खास बात है कि इन चार ग्रहों में सभी वृषभ राशि में एक साथ भ्रमण करेंगे। इस महीने में बुध, शुक्र, सूर्य और शनि की चाल में बदलाव होगा। बुध 1 मई को वृषभ राशि में चले गए हैं। 4 मई को शुक्र भी अपनी स्वयं की राशि वृषभ राशि में गोचर कर रहे हैं। वहीं सूर्य भी जो सभी ग्रहों के राजा हैं वे भी मेष राशि को छोड़कर 14 मई 2021 को वृषभ राशि में प्रवेश कर जाएंगे। राहु भी इस समय वृषभ राशि में गोचर हैं।इन चार ग्रहों के अलावा शनि भी इसी माह अपनी चाल में बदलाव करेंगे। शनिदेव 23 मई से वक्री चाल से चलने लगेंगे। वक्री चाल का मतलब शनि अब उल्टी चाल से चलते हुए मकर राशि में भ्रमण करेंगे। मई के महीने में चार ग्रहों का एक ही राशि में रहना और शनि की चाल में बदलाव से इसका सभी 12 राशियों पर व्यापक प्रभाव देखने को मिलेगा।सभी 9 ग्रह किन-किन राशियों में भ्रमण कर रहे हैं आइए जानते हैं।सूर्य- 14 मई से सूर्य वृष राशि में रहेंगे।चंद्रमा- चंद्रमा हर ढाई दिन में राशि बदलते हैं।मंगल- मंगल इस माह मिथुन राशि में गोचर है।बुध- वाणी और बुद्धि का प्रतिनिधित्व करने वाले बुध ग्रह वृषभ राशि में हैं।गुरु- गुरु शनिदेव की राशि कुंभ में हैं।शुक्र- वैभव प्रदान करने वाले शुक्र ग्रह वृषभ राशि में हैं।शनि- शनि ग्रह मकर राशि में रहते हुए 23 मई को वक्री हो जाएंगे।राहु- इस वर्ष राहु वृषभ राशि में हैं।केतु- पूरे साल वृश्चिक राशि में रहेंगे। राहु-केतु हमेशा वक्री चाल से चलते हैं।वृषभ राशि में चार ग्रहों का एक साथ रहना और सभी 12 राशियों पर प्रभाव---मेष राशि- आपका आर्थिक पक्ष मजबूत रहेगा। आकस्मिक धन प्राप्ति के योग भी बनेंगे और दिया गया धन भी वापस मिलने की उम्मीद। पारिवारिक माहौल खुशनुमा रहेगा जमीन जायदाद से जुड़े मामलों का निपटारा होगा अपनी वाणी कुशलता के बल पर कठिन से कठिन हालात को भी आसानी से नियंत्रित कर लेंगे। विलासिता पूर्ण वस्तुओं के सुख की प्राप्ति होगी।वृषभ राशि- राशि में गोचर कर रहे ग्रहों के शुभ प्रभाव के परिणाम स्वरूप यह योग आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इसलिए जो कार्य आरंभ करेंगे उसी में सफल रहेंगे। अपनी योजनाओं को गोपनीय रखते हुए कार्य करेंगे तो और भी सफल रहेंगे।मिथुन राशि- राशि से हानि भाव में गोचर कर रहे बुध और राहु के साथ शुक्र के भी आ जाने से इनके अशुभ प्रभाव में कमी आएगी। शुक्र बारहवें भाव में अकेले योगकारक होते हैं जिसके फलस्वरूप विलासिता पूर्ण वस्तुओं तथा घूमने-फिरने पर अधिक खर्च होगा। किसी संबंधी अथवा मित्र के द्वारा अप्रिय समाचार प्राप्ति के योग।कर्क राशि- राशि से लाभ भाव में गोचर कर रहे इन ग्रहों का शुभ प्रभाव आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है। आय के साधन तो बढ़ेंगे ही परिवार के वरिष्ठ सदस्यों तथा भाइयों से सहयोग मिलेगा।सिंह राशि- राशि से दशम भाव में गोचर कर रहे ग्रहों का शुभ प्रभाव आपके लिए मान-सम्मान तथा पद और गरिमा की वृद्धि कराएगा। अपनी ऊर्जाशक्ति के बल पर कठिन हालात पर भी आसानी से नियंत्रण पा लेंगे। नौकरी में पदोन्नति तथा नए अनुबंध की प्राप्ति के योग।कन्या राशि- राशि से भाग्य भाव में गोचर कर रहे ग्रहों का शुभ प्रभाव आपके लिए भाग्य उन्नति का कारक रहेगा।तुला राशि- राशि से अष्टम भाव में गोचर कर रहे ग्रहों का प्रभाव मान सम्मान और यश प्राप्ति तो कराएगा किंतु स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। कार्यक्षेत्र में भी शत्रु सक्रिय रहेंगे।वृश्चिक राशि- राशि से सप्तम भाव में गोचर कर रहे शुक्र हर तरह से लाभदायक सिद्ध होंगे। विवाह से संबंधित वार्ता सफल रहेगी। ससुराल पक्ष से भी सहयोग मिलेगा।धनु राशि- राशि से छठे शत्रु भाव में गोचर कर रहे ग्रहों का प्रभाव आपके लिए काफी उतार-चढ़ाव वाला रहेगा। इस अवधि के मध्य किसी को भी अधिक धन उधार के रूप में न दें अन्यथा आर्थिक हानि की संभावना रहेगी।मकर राशि- राशि से पंचम विद्या भाव में बन रहा योग आपको हर तरह से कामयाब ही करेगा।कुंभ राशि- राशि से चतुर्थ सुखभाव में गोचर कर रहे ग्रहों के शुभ प्रभाव के परिणाम स्वरूप की सोची-समझी सभी रणनीतियां कारगर सिद्ध होगी। मकान वाहन का सुख मिलेगा। जमीन जायदाद से जुड़े कार्यो का निपटारा होगा।मीन राशि- राशि से पराक्रम भाव में बन रहा योग आप में साहस और पराक्रम की वृद्धि तो करेगा ही लिए गए निर्णय और किएगए कार्यों की सराहना भी होगी।
- किस दिशा में कौन सी चीज रखनी चाहिए इस बारे में बताने के साथ ही घर में मौजूद कई तरह के वास्तु दोष दूर करने में भी मदद करता है वास्तु शास्त्र ऐसी मान्यता है कि वास्तु के नियमों का पालन न करने पर व्यक्ति विशेष का स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि उसकी आर्थिक और सामाजिक स्थिति पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है . कई बार आपने महसूस किया होगा कि बिस्तर पर लेटने के बाद भी नींद नहीं आती, बुरे सपने आते हैं या अचानक नींद खुल जाती है- इसका कारण बेडरूम में मौजूद वास्तु दोष भी हो सकता है.बेड में बॉक्स बनाकर उसमें न रखें कोई सामानवास्तु शास्त्र के एक्सपर्ट्स की मानें तो बिस्तर या पलंग के नीचे रखी जाने वाली वस्तुएं बेडरूम के वास्तु दोष और ऊपर बताई गई समस्याओं के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं. इन दिनों घरों में जगह की कमी की वजह से अधिकतर लोग बेड में बॉक्स बनवाकर उसमें घर का पुराना सामान या रोजमर्रा में इस्तेमाल न होने वाली चीजें भर देते हैं लेकिन वास्तु एक्सपर्ट्स की मानें तो ऐसा बिल्कुल नहीं करना चाहिए.नकारात्मक ऊर्जा बढ़ने से सुख-शांति नष्ट हो जाएगीइसका कारण ये है कि आपके बिस्तर के नीचे का हिस्सा हवादार और पूरी तरह से साफ होना चाहिए. तभी बेडरूम में सकारात्मकता यानी पॉजिटिविटी बनी रहेगी और वहां सोने वाले व्यक्ति को अच्छी नींद आएगी. लेकिन अगर बिस्तर के नीचे घर का पुराना सामान या कबाड़ रखा हो तो इससे भी बेडरूम में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ने लगती है और शादीशुदा जीवन में दिक्कतें आने लगती हैं. इतना ही नहीं ऐसा करने से घर की सुख-शांति भी भंग हो जाती है.बेड को लेकर इन बातों का भी रखें ध्यान-बेडरूम में अपने बेड या बिस्तर को दीवार से एकदम सटाकर न लगाएं.-बिस्तर पूरी तरह से समतल होना चाहिए. कोई भी हिस्सा उभरा हुआ या गड्ढानुमा नहीं होना चाहिए.-बिस्तर के ही नहीं बल्कि गद्दे के नीचे भी कोई चीज न रखें.-बेड हमेशा लकड़ी का होना चाहिए और उसे बेडरूम के दक्षिण या पश्चिम हिस्से में रखना चाहिए.
- जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 274
(भूमिका - जगदगुरुत्तम स्वामी श्री कृपालु जी महाराज के श्रीमुख से यह समझने का प्रयास करें कि हमारे साध्य कौन हैं और हमारा वास्तविक कर्तव्य क्या है....)
(साधन-साध्य तत्वज्ञान)
...सभी विवेकी जीवों को यही निश्चय करना है कि हमारा लक्ष्य, हमारे सेव्य श्रीकृष्ण की सेवा ही है। वह सेवा भी उनकी इच्छानुसार हो। अपनी इच्छानुसार सेवा, सेवा नहीं है। वह तो अपने सुख वाली कही जायेगी। वह सेवाधिकार स्वाभाविक है। यथा,
दासभूतो हरेरेव नान्यस्यैव कदाचन। (चै.)
अर्थात समस्त जीवमात्र, अपने अंशी ब्रम्ह श्रीकृष्ण के नित्यदास हैं। यह दासत्व ही उनका स्व स्वरुप है। जिस प्रकार वृक्ष के अंश स्वरुप मूल, शाखा, उप शाखा, पत्रादि अपने अंशी वृक्ष की सेवा करते हैं अर्थात वृक्ष की जड़ें पृथिवी से तत्त्व निकाल कर वृक्ष को देती हैं। शाखा, पत्ते आदि भी सूर्यताप, वायु आदि के द्वारा सेवा करते हैं। इसी प्रकार जीवों को भी अपने अंशी श्रीकृष्ण की सेवा करनी है। यही ज्ञातव्य (जो जानना है) है, यही कर्तव्य है।
-- जगदगुरुत्तम स्वामी श्री कृपालु जी महाराज
०० सन्दर्भ ::: अध्यात्म सन्देश पत्रिका, अक्टूबर 2007 अंक०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vedic Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार मां लक्ष्मी को धन और ऐश्वर्य की देवी बताया गया है। मां लक्ष्मी की कृपा से ही समस्त लोकों में धन वैभव है। लोग मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने हेतु बहुत से उपाय करते हैं। आप भी घर में सही दिशा और सही स्थान पर दीपक प्रज्ज्वलित करके मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।- वास्तु में दिशाओं का बहुत महत्व माना गया है। वास्तु शास्त्र में हर कार्य के लिए एक सही दिशा बताई गई है। ज्यादातर लोग मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने हेतु उत्तर दिशा में दीपक प्रज्ज्वलित करते हैं लेकिन यह दिशा कुबेर की दिशा होती है। कम ही लोगों को पता होता है कि दक्षिण दिशा यम की दिशा होने के साथ लक्ष्मी जी की भी दिशा होती है। यदि आप धन संबंधी समस्याओं से मुक्ति पाना चाहते हैं तो प्रतिदिन तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए। इससे दरिद्रता दूर होती है और आपके ऊपर मां लक्ष्मी अपनी कृपा दृष्टि करती हैं।- हिंदू धर्म में तुलसी में दीपक जलाने की परंपरा बहुत पहले से चली आ रही है। पहले लोग घर के आंगन में तुलसी अवश्य लगाते थे और प्रतिदिन पूजन करते थे। आज के समय में घरों का आकार भले ही बदल गया हो लेकिन अब भी घरों में तुलसी रखने का बहुत महत्व माना जाता है। जिस घर में प्रतिदिन तुलसी को सींचा जाता है और दीपक जलाया जाता है वहां भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। जिससे घर में हमेशा सुख और समृद्धि का वास होता है। वास्तु के अनुसार घर में तुलसी रखने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।-आर्थिक तंगी से मुक्ति पाने और धन प्राप्ति के लिए प्रतिदिन अपने घर की देहरी की साफ-सफाई करने के बाद दीपक प्रज्ज्वलित करना चाहिए। रोज सुबह और शाम मुख्य द्वार पर तेल का दीपक जलाना चाहिए। इससे नकारात्मक चीजें घर के बाहर से ही वापस हो जाती हैं और घर में सकारात्मकता एवं समृद्धि का आगमन होता है।--
- जगद्गुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 273
साधक का प्रश्न ::: महाराज जी ! आपने बताया है कि सच्ची श्रद्धा हो, सच्चा संत हो और सच्चा सँग हो तो लक्ष्य की प्राप्ति हो जाती है। लेकिन अगर किसी की श्रद्धा न हो तो वह बेचारा क्या करेगा?
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा दिया गया उत्तर ::: उसके लिये भी मार्ग है, सच्चे संत का लगातार सँग करे। वह जब सुनेगा मानव देह क्यों मिला है? भगवान क्या है? उसकी प्राप्ति कैसे हो जाती है? कितनी सरल है? संसार क्या है? संसार का सुख क्या है? यह तमाम बातें तत्वज्ञान की जब सुनेगा तो सोचेगा अरे मैं बाद लापरवाही में पड़ा हूँ, केवल संसारी वैभव में सुख ढूँढ रहा हूँ। बहुत बड़ी गलती है। अब मुझे भी कुछ करना चाहिये परमार्थ के लिये। यानी वह भूख पैदा हो जायेगी, तत्वज्ञान से।
तो लगातार वास्तविक संत का सँग करे यह शर्त है। झूठ-मूठ को बैठे सुने तो भी सुनते-सुनते, फिर गहराई से समझेगा, फिर श्रद्धा अपने आप उत्पन्न हो जायेगी।
सतां प्रसंगान्मम वीर्यसंविदो भवन्ति हृत्कर्णरसायनाः कथाः।तज्जोषणादाश्वपवर्गवर्त्मनी श्रद्धा रतिर्भक्तिरनुक्रमिष्यति।।(भागवत 3-25-25)
भागवत में वेदव्यास ने यह आशा दिलाई है। बिना श्रद्धा वालों का भी काम बन जायेगा। बशर्ते वास्तविक संत का सँग लगातार करे, जबरदस्ती करे, करे। हमारे सत्संग में मुझे सैकड़ों सत्संगियों ने बताया है कि महाराज जी आपकी स्पीच हो रही थी अमुक जगह, मैं सड़क से जा रहा था, दो चार वाक्य कान में पड़े तो मैंने गाड़ी रोक दी और मैंने पूरा सुन लिया। बस आग लग गई। फिर दूसरे दिन से डेली सुनने लगा। और फिर इतनी प्यास लगी भगवान की। पहले मैं प्रकाण्ड नास्तिक था.....(आदि आदि) तो थोड़ी देर सुनने का प्रभाव सैकड़ों व्यक्तियों ने बताया है। और लगातार सुने, समझे। अरे सुनेगा तो समझेगा भी बुद्धि तो है ही है सबके। तो फिर उसकी इम्पोर्टेंस रियलाइज करेगा। तो श्रद्धा अपने आप पैदा होगी, बस बात बन गई।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: साधन साध्य पत्रिका, मार्च 2013 अंक०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vedic Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - संकट मोचक हनुमान जी अपने भक्तों के हर दुख और संकट को दूर करने वाले हैं। बजरंगबली की अराधना से भक्तों के जीवन में खुशियों का संचार होता है और रोग, भय सब दूर हो जाते हैं। वास्तु में कुछ आसान से उपाय बताए गए हैं जिनकी सहायता से पवनपुत्र हनुमान जी की कृपा पाई जा सकती है। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में।मंगलवार का दिन हनुमान जी का दिन माना जाता है। मंगलवार सुबह गाय को रोटी खिलाएं। हनुमान मंदिर में नारियल अर्पित करें। मंदिर में ध्वजा अर्पित कर भगवान से प्रार्थना करें। ऐसा करने से आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी। मंगलवार को जरूरतमंदों को दान करें। हनुमान जी को गुड़ का भोग लगाएं। गुड़ को बाद में गाय को खिला दें। हनुमान जी को लाल रंग का रुमाल अर्पित करें। मंगलवार और शनिवार को हनुमानजी का दिन कहा गया है। इस दिन पीपल की पूजा करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है। रोजाना सुबह या संध्या हनुमान जी के मंदिर में सरसों के तेल का दीया मिट्टी के दीपक में जलाएं। हनुमान चालीसा का पाठ करें। रामायण या श्रीरामचरितमानस का पाठ कर सकते हैं। हनुमान जन्मोत्सव पर पवनपुत्र का चित्र घर में पवित्र स्थान पर इस प्रकार लगाएं कि हनुमान जी दक्षिण दिशा की ओर देखते हुए नजर आएं। दक्षिण दिशा की ओर मुख कर बजरंगबली विशेष बलशाली हैं। जिस रूप में बजरंगबली अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रहे हो ऐसे चित्र घर में लगाने से किसी भी बुरी शक्ति का प्रवेश नहीं होता है। मंगलवार के दिन किसी को भी भूलकर भी धन नहीं दें। न ही इस दिन किसी से धन लें। मंगलवार के दिन सात्विक रहें। मंगलवार के दिन शृंगार का सामान न खरीदें।
- ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को न्याय का देवता कहा जाता है। शनिदेव जातक को उसके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। शनि की साढ़े सात साल तक चलने वाली ग्रह दशा शनि की साढ़ेसाती कही जाती है। शनि एक राशि से दूसरी राशि में जाने के लिए करीब ढाई साल का समय लेते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस दौरान अन्य ग्रहों की तुलना में शनि की चाल धीमी होती है। जिसके कारण शनि का प्रभाव व्यक्ति पर धीरे-धीरे पड़ता है।शनि की साढ़ेसाती के तीन चरण-ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि की साढ़ेसाती के तीन चरण होते हैं। जिसके आधार पर पता लगता है कि व्यक्ति की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती दशा चल रही है। शनि का एक चरण ढाई साल का होता है। पहले चरण में शनि जातक को मानसिक तौर पर परेशान करते हैं। यानी इस दौरान जातक को मानसिक तनाव या अचानक सिरदर्द हो सकता है।शनि अपनी साढ़ेसाती के दूसरे चरण में जातक को आर्थिक रूप से परेशान करते हैं। इस दौरान व्यक्ति को काम में असफलता मिलना, अपनों से धोखा, धन हानि होती है। शनि अपने तीसरे और अंतिम चरण में नुकसान की भरपाई करते हैं। यानी इस दौरान व्यक्ति की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार होता है।शनि की साढ़ेसाती के लक्षण-ज्योतिषचार्यों के अनुसार, अगर व्यक्ति को एक के बाद एक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। शनिवार के दिन कोई न कोई अप्रिय घटना घटित होने लगती है।शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय-शनि की साढ़ेसाती के दौरान व्यक्ति को शनिदेव के साथ हनुमान जी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। इस दौरान शिवलिंग की पूजा करने से भी शनि दोष से मुक्ति मिलती है। पीपल पर जल चढ़ाने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं। शनिवार और अमावस्या के दिन तेल का दान करने से शनिदेव के बुरे प्रभाव से मुक्ति मिलने की मान्यता है। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए हर दिन शनि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। कहा जाता है कि शनिवार के दिन लोहे के बर्तन, काला कपड़ा, सरसों तेल, काली दाल, काले चने और काले तिल दान करने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
- साल का पहला चंद्र ग्रहण मई के महीने में लगने जा रहा है। चंद्र ग्रहण का वैज्ञानिक महत्व होने के साथ ही धार्मिक और ज्योतिष महत्व भी होता है। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार चंद्र ग्रहण का प्रभाव सभी लोगों पर पड़ता है। हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है।कब लगेगा चंद्र ग्रहणसाल का पहला चंद्र ग्रहण 26 मई को लगने जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस दिन वैशाख पूर्णिमा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था।संपूर्ण भारत में नहीं दिखेगा ग्रहणचंद्र ग्रहण दोपहर में लगने जा रहा है, जिस वजह से ये ग्रहण संपूर्ण भारत में नहीं दिखाई देगा। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार ग्रहण का प्रभाव वहीं पड़ता है जहां ग्रहण दिखाई दे।चंद्र ग्रहण का समय-ग्रहण प्रारंभ- 26 मई को भारतीय समयानुसार दोपहर 2 बजकर 17 मिनट पर चंद्र ग्रहण लगेगा।ग्रहण समाप्त- शाम को 7 बजकर 19 मिनट यह चंद्र ग्रहण समाप्त हो जाएगा।सूतक काल मान्य नहीं होगा26 मई को लगने वाला यह चंद्र ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण होगा। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार उपछाया चंद्र ग्रहण लगने पर सूतक काल मान्य नहीं होता है। पूर्ण चंद्र ग्रहण लगने पर ही सूतक काल मान्य होता है। पूर्ण चंद्र ग्रहण के शुरू होने से 9 घंटे पहले सूतक काल प्रारंभ हो जाता है।वृश्चिक राशि पर लगेगा चंद्र ग्रहणज्योतिष गणनाओं के अनुसार साल का पहला चंद्र ग्रहण वृश्चिक राशि पर लगने जा रहा है। चंद्र ग्रहण का सबसे अधिक प्रभाव इसी राशि पर पड़ेगा।-File photo
- जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 272
(भूमिका - जैसे संसार में रोग के मूल का इलाज आवश्यक है, वैसे ही आध्यात्म में भी अन्तःकरण की अशुद्धि के मूल का इलाज आवश्यक है, आइये जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज के श्रीमुखारविन्द से इस इलाज को जानें...)
हर दोष की एक दवा है ज्यों ज्यों अन्तःकरण भगवान में अटैच्ड होगा त्यों त्यों शुद्ध होगा। जितनी लिमिट में शुद्ध होगा, उतनी लिमिट में काम, क्रोध, लोभ, अहंकार ये सब माया के दोष कम होते जायेंगे। और जब कम्पलीट सरेण्डर हो जायेगा तो समाप्त हो जायेंगे।
एक दोष चला जाय एक रहे, ऐसा नहीं हो सकता। ये सब माया के परिवार हैं और इनका परस्पर सम्बन्ध है। इसलिये एक नहीं जायेगा। सारे रोगों का जो मूल है वो है कामना, इच्छा बनाना, संसारी हो चाहे पारमार्थिक हो। हमने इच्छा बनाया बस फँस गये। अब अगर इच्छा पूरी होती है तो लोभ पैदा होगा और नहीं पूरी होती है तो क्रोध पैदा होगा। आगे हम चले गये फँसते हुये, अब बच नहीं सकते चाहे कितना ही बड़ा बुद्धिमान बृहस्पति क्यों न हो।
तो संसार सम्बन्धी कामना को डायवर्ट करके भगवान सम्बन्धी कामना बनाने का अभ्यास कर ले तब जड़ खतम हो तो सारी बीमारी खतम हो गई। ऊपर ऊपर से हमने पत्ते तोड़ दिये, कुछ डालें काट दीं, इससे पेड़ समाप्त नहीं होगा बल्कि वो और बलवान होगा।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: साधन साध्य पत्रिका, मार्च 2018 अंक०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vedic Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव की विधि- विधान से पूजा- अर्चना की जाती है। हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कालाष्टमी व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन व्रत रखने से भगवान भैरव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। जिस पर भैरव भगवान की कृपा होती है उसे जीवन में किसी भी तरह की समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है। आइए जानते हैं वैशाख माह की कालाष्टमी तिथि, पूजा- विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त...कालाष्टमी व्रत तिथिवैशाख माह में 3 मई, 2021, सोमवार को कालाष्टमी व्रत पड़ रहा है।कालाष्टमी व्रत शुभ मुहूर्त-अष्टमी तिथि प्रारंभ- 3 मई, 2021 को 1 बजकर 39 मिनट सेअष्टमी तिथि समाप्त- 4 मई,2021 को दोपहर 1 बजकर 10 मिनट परकालाष्टमी पूजा विधि-इस दिन सुबह जल्दी उठें।नित्य कर्म एवं स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ- स्वच्छ वस्त्र पहनें।इसके बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।घर के मंदिर में गंगाजल का छिड़काव करें।भगवान भैरव को फूल अर्पित करें।इस दिन भैरव बाबा का अधिक से अधिक ध्यान करें।भैरव चालीसा का पाठ करें।भैरव बाबा को भोग लगाएं। आप भैरव बाबा को फल, मिठाई, गुड से बनी चीजों का भोग लगा सकते हैं।भगवान भैरव की आरती करें।कालाष्टमी व्रत का महत्वइस पावन दिन व्रत रखने से भगवान भैरव का विशेष आर्शीवाद प्राप्त होता है।सभी तरह के भय, संकट और शत्रुओं से मुक्ति मिलती है।कालाष्टमी के दिन करें ये आसान उपाय-इस दिन भैरव बाबा को प्रसन्न करने के लिए काले कुत्ते को मीठी रोटी या दूध पीलाएं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से भैरव बाबा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
- ज्योतिष में 12 राशियां होती हैं। मान्यताओं के अनुसार हर राशि की अपनी खूबी होती है। राशियों के अनुसार व्यक्ति के स्वभाव का पता चल जाता है। किसी राशि के लोग काफी ईमानदार होते हैं तो किसी राशि के जातकों के गुस्सैल होते हैं। आज हम आपको उन राशियों के बारे में बताएंगे जो बुद्धिमान और तेज होते हैं। इन राशि वालों का दिमाग काफी तेज चलता है।मिथुन राशिमिथुन राशि के लोग काफी बुद्धिमान और तेज माने जाते हैं।अपने तेज दिमाग की मदद से ये कार्यों को आसानी से पूरा कर लेते हैं।ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार इस राशि के लोग पढ़ाई में भी काफी अच्छे होते हैं।मिथुन राशि के जातकों को बेवकूफ समझने की गलती न करें।कन्या राशिकन्या राशि के जातक काफी बुद्धिमान और निडर स्वभाव के होते हैं।वाद- विवाद में इनसे जीत पाना आसान नहीं होता है।इस राशि के जातक निर्णय लेने से पहले काफी सोच- विचार करते हैं।ये काफी अच्छे लीडर भी होते हैं।वृश्चिक राशिवृश्चिक राशि के जातक काफी तेज दिमाग के होते हैं।इस राशि के जातक गंभीर स्वभाव के होते हैं।इन लोगों को दूसरों की चालाकी बहुत जल्दी समझ में आ जाती है।वृश्चिक राशि के जातक पढ़ाई में भी काफी अच्छे होते हैं।इस राशि के जातक दूसरों की मन की बात तुरंत जान जाते हैं।कुंभ राशिकुंभ राशि के जातक दिमाग के काफी तेज होते हैं।कुंभ राशि वाले लोग काफी सरल और ईमानदार स्वभाव के होते हैं।इस राशि के लोगों को किताबें पढ़ने का शौक होता है।इस राशि के लोग अच्छे दोस्त भी होते हैं।
- सभी सेहतमंद रहें इसी कामना के साथ हम वास्तु में बताए गए कुछ आसान से उपायों को अपना सकते हैं। परिवार के बेहतर स्वास्थ्य और घर के भीतर बीमारी प्रवेश न कर पाए इसके लिए कुछ आसान से उपाय किए जा सकते हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।घर में स्वास्थ्य संबंधी परेशानी बनी रहती है तो इसका कारण वास्तुदोष हो सकता है। घर के मुख्य द्वार से ही नकारात्मकता घर में प्रवेश करती है। ऐसे में घर के मुख्य द्वार पर सफाई का विशेष ध्यान रखें। घर का मुख्य द्वार टूटा-फूटा नहीं होना चाहिए, इससे घर के सदस्यों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। घर के कोनों और दीवारों पर मकड़ी के जाले न हों। यह मानसिक तनाव बढ़ाता है। घर के मुख्य गेट पर रोजाना स्वास्तिक बनाएं। भवन के प्रवेशद्वार पर संगीतमय घंटियां लगाएं। घर का मध्य भाग खाली रखें। बीम के नीचे कभी नहीं सोएं। जरूरतमंदों को दान दें। अच्छी नींद जरूर लें। सोते समय सिर दक्षिण दिशा की तरफ हो और पैर उत्तर की तरफ। हर शनिवार काले उड़द और सरसो के तेल का दान करें। पवित्र भावना से हनुमान चालीसा का पाठ करने से हनुमानजी की कृपा प्राप्त होती है। जो हमें हर तरह की अनहोनी से बचाती है। घर की दक्षिण दिशा में हनुमान जी का चित्र लगाएं। वास्तु दोष को दूर करने के लिए घर में नौ दिन तक अखंड रामायण का पाठ कराएं। प्रतिदिन सुबह और शाम घर में कर्पूर जरूर जलाएं। घर में कांटेदार पौधे कभी न लगाएं। कमरों में प्राकृतिक रोशनी और हवा आने दें। हर पूर्णिमा भगवान शिव की पूजा करें।-file photo
- -कार्यक्रम का उद्देश्य महामारी के इस दौर में संकीर्तन की ध्वनि को पूरी दुनिया में पहुंचाना है ताकि इसका लाभ जन-जन को मिलेरायपुर। जगद्गुरु स्वामी श्री कृपालु जी महाराज की प्रमुख प्रचारिका पूजनीया रासेश्वरी देवी जी के मार्गदर्शन में ब्रज गोपिका सेवा मिशन द्वारा 2 मई से संकीर्तन महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है।इसका सीधा प्रसारण पूजनीया रासेश्वरी देवी जी के यूट्यूब चैनल पर किया जाएगा। यह कार्यक्रम एक पुकार है ईश्वर से उनके लिए, जो इस महामारी के ताप से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पीडि़त हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य महामारी के इस दौर में संकीर्तन की ध्वनि को पूरी दुनिया में पहुंचाना है ताकि इसका लाभ जन-जन को मिले। सभी मिलकर ईश्वर से प्रार्थना करें कि इस महामारी से पीडि़त जीवों पर वे अपनी कृपा वर्षा कर उन्हें आत्मशक्ति दें।आम जन भी पूजनीया रासेश्वरी देवी जी के यूट्यूब चैनल https://www.youtube.com/c/RaseshwariDeviJi/?sub_confirmation=1 के माध्यम से इस कार्यक्रम से जुड़कर प्रार्थना का हिस्सा बन सकते हैं। यह पूर्णत: नि:शुल्क है।5 मई तक चलने वाले चार दिवसीय इस कार्यक्रम के दौरान प्रति दिन तीन सत्र होंगे।- प्रथम सत्र प्रात: 5.15 से 7 बजे तक।-दिव्तीय सत्र- मध्यान्ह 9.00 बजे से 11.00 बजे तक।-तृतीय सत्र- संध्या 4.30 से 7.30 बजे तक।वहीं पूजनीय रासेश्वरी देवी द्वारा श्री रामचरित रहस्य विषय पर अपना व्याख्यान शाम 6.00 बजे से शाम 7.30 तक दिया जाएगा।
- जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 271
(भूमिका - साधना-मार्ग सावधानी का मार्ग है, जैसे मार्ग में चलते हुये असावधानी हो तो दुर्घटना घट जाती है, ऐसे ही साधना की महत्वपूर्ण सावधानियों से अवगत होना आवश्यक है. जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज इसी विषय पर मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं...)
..कोई अपना नुकसान करे तो उसकी होड़ नहीं करना है। जो अच्छा कर रहा है, अरे! देखो ये आँसू बहा रहा है, और मैं पत्थर सरीखा बैठा हूँ, केवल भगवन्नाम ले रहा हूँ। इतना अहंकार है मुझको। क्या है मेरे पास? क्या मैं रूप में कामदेव हूँ, क्या मैं धन में कुबेर हूँ, क्या मैं ऐश्वर्य में इंद्र हूँ, क्या मैं बुद्धि में बृहस्पति हूँ, क्या हूँ मैं, किस बात का अहंकार है मुझको जो भगवान के सामने भी हमारे हृदय में दैन्य भाव नहीं आता, आँसू नहीं आते, ये फील करना है। बार-बार, बार-बार फील करने से फिर आँसू आने लगेंगे। लेकिन ऐसा करने पर भी अगर आँसू नहीं आते तो परेशान न हों। रूपध्यान करते रहो, लगे रहो पीछे, एक दिन आयेगा। आज नहीं कल। रूपध्यान सबसे प्रमुख है, उसका अभ्यास, लगातार करना चाहिये। वो पक्का हो जाय। वो जड़ है, जड़। जैसे मकान की नींव पक्की हो जाय फिर चाहे जितनी ऊँची बिल्डिंग बना लो कोई डर नहीं, कोई खतरा नहीं। तो इस प्रकार आप लोग सावधान होकर साधना करें तो वास्तविक फल प्राप्त करेंगे और हमको भी बड़ी खुशी होगी।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: 'साधना-नियम' पुस्तक०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 270
(भूमिका - शास्त्रों में कहा गया; 'दानमेकं कलौयुगे', लेकिन दान का एक विस्तृत विज्ञान है। निम्न उद्धरण में जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा संक्षिप्त में प्रकाश डाला गया है। आगे भी अन्य प्रश्नोत्तरियों के माध्यम से 'दान' का सम्पूर्ण विज्ञान प्रस्तुत किया जायेगा...)
साधक का प्रश्न ::: दान कितने प्रकार का होता है?
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा उत्तर ::: भगवान् और महापुरुष के लिये जो करे वो निर्गुण है, देवताओं के लिये जो करे वो सात्विक है, मायिक मनुष्यों के लिये तो आप करते ही हैं। ये बाप के लिये, ये बेटा-बेटी के लिये। ये राजसिक और अगर आपने गलत पात्र में दे दिया पैसा तो नरक भी मिलेगा। अरे! तो हम कैसे जानें कि गलत पात्र है? ये तो आपको जानना पड़ेगा। या तो दान मत करो बिना जाने और करो तो समझ करके करो। गलत पात्र में आपने दान दिया। उसने उस पैसे से रिवॉल्वर खरीदा और चार के गोली मार दी। आप पैसा न देते तो रिवॉल्वर न खरीदता। तो गलत जगह दान देना, नरक मिलेगा। तो तामस दान, राजस दान, सात्विक दान तीनों गलत। केवल हरि और हरिजन (भगवान् और महापुरुष) ये दिव्य हैं, शुद्ध हैं इनको करने से ही भगवत् लाभ मिलेगा।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: 'प्रश्नोत्तरी' पुस्तक, भाग - 3०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - बात सुकून पाने की होती है तो हर किसी को अपना घर ही याद आता है., लेकिन कई बार आपने भी यह महसूस किया होगा कि घर में आते ही आपका मूड खराब हो जाता है, चिड़चिड़ापन महसूस होने लगता है, बिना वजह परिवार के सदस्यों के बीच लड़ाई-झगड़े होने लगते हैं, घर की चीजें जल्दी-जल्दी खराब होने लगती हैं और यहां तक आपका तनाव भी बढऩे लगता है। ये सारी चीजें घर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा की ओर इशारा करती हैं, लेकिन परेशान होने की बजाए आप वास्तु से जुड़े इन उपायों को आजमा सकते हैं, जिससे घर की निगेटिव एनर्जी दूर करने में मदद मिल सकती है और पॉजिटिव एनर्जी का संचार होगा।घर में साफ-सफाई बनाए रखेंघर से नकारात्मक ऊर्जा को बाहर करने का सबसे आसान तरीका है घर में साफ-सफाई और स्वच्छता बनाए रखें। अगर घर में झाड़ू-पोंछा नहीं होगा, दीवारों के कोने पर जाले होंगे, मेज-कुर्सी पर धूल होगी, गंदे कपड़े इधर-उधर बिखरे होंगे तो घर में पॉजिटिविटी कभी नहीं आएगी। इसलिए सबसे पहले की सफाई करें। रोजाना घर में झाड़ू-पोछा करें, हर दिन डस्टिंग करें ताकि सामानों पर धूल जमी न रहे। गंदे कपड़ों को अलग लॉन्ड्री बास्केट में रखें. ऐसा करने से निगेटिव एनर्जी घर में टिक भी नहीं पाएगी।खिड़की खोलें ताकि घर में आए धूपघर से निगेटिव एनर्जी को बाहर करने का एक और सबसे अच्छा तरीका है कि आप रोजाना घर की सभी खिड़कियों को कुछ देर के लिए जरूर खोलें। ऐसा करने से घर में धूप और ताजी हवा आएगी जिससे नकारात्मकता अपने आप बाहर निकल जाएगी। इसके अलावा इस बात का भी ध्यान रखें कि खिड़की-दरवाजे गंदे न हों। इन्हें भी साफ-सुथरा रखें।किचन में इस बात का रखें ध्यानहम जो खाते हैं उसका हमारी सेहत के साथ ही मन और मूड पर भी गहरा असर पड़ता है, इसलिए हमारा किचन जहां खाना बन रहा है उसका भी साफ-सुथरा होना बेहद जरूरी है। गैस स्टोव से लेकर किचन सिंक तक कोई भी चीज गंदी न रहे। साथ ही टूटे-फूटे बर्तन भी किचन में नहीं होने चाहिए, वरना इससे भी निगेटिव एनर्जी आ सकती है जिससे घर का माहौल खराब हो सकता है।घी का दीपक और अगरबत्ती जलाएंजिन घरों में नियमित रूप से सुबह-शाम पूजा होती है, वहां पर कभी भी निगेटिव एनर्जी नहीं रहती। इसलिए घर के मंदिर में रोजाना पूजा करें। सुबह और शाम के वक्त घी का एक दीपक जलाएं और पूजा के दौरान घंटी जरूर बजाएं। घंटी बजाने से भी घर में पॉजिटिव एनर्जी आती है। साथ ही आप चाहें तो घर के सभी कमरों में सुगंधित धूपबत्ती या अगरबत्ती भी जला सकते हैं। ऐसा करने से भी नकारात्मकता खत्म हो जाती है और माहौल सुगंधित और खुशनुमा रहता है।तुलसी का पौधा लगाएंघर की निगेटिव एनर्जी दूर कर पॉजिटिव एनर्जी के संचार के लिए आपको घर की उत्तर दिशा में तुलसी का एक पौधा जरूर लगाना चाहिए। तुलसी को लक्ष्मी का रूप माना जाता है। इसके अलावा घर के मुख्य दरवाजे पर भगवान गणेश की मूर्ति, स्वास्तिक और ऊं का निशान बनाएं. ऐसा करने से भी निगेटिव एनर्जी घर में प्रवेश नहीं कर पाएगी।
- भोजन का रंग और स्वाद बढ़ाने वाली हल्दी सेहत के लिए कितनी फायदेमंद है, ये तो हम सभी जानते हैं। कोरोना वायरस के समय हल्दी वाला दूध लोगों को संक्रमण से बचाने और इंफेक्शन से रिकवर होने में काफी मदद कर रहा है। सेहत के अलावा पूजा-पाठ और मांगलिक कार्यों में भी हल्दी काफी शुभ मानी जाती है, लेकिन इन सबके अलावा हल्दी आपके जीवन से जुड़ी परेशानियों को भी दूर कर सकती है।समस्याएं दूर करने में मदद कर सकती है हल्दीहल्दी का ज्योतिष शास्त्र में भी काफी महत्व है। ग्रह से संबंधित कोई परेशानी हो या फिर कोई आर्थिक समस्या, घर में कलह बढ़ गया हो या फिर नकारात्मक ऊर्जा का प्रकोप हो, धन की प्राप्ति की इच्छा हो या फिर जीवनसाथी का प्यार पाने की- इन सभी समस्याओं को दूर कर आपका जीवन बदलने में मदद कर सकते हैं हल्दी के कुछ आसान उपाय।1. अगर घर में किसी तरह का वास्तु दोष हो या फिर अगर घर में नकारात्मक ऊर्जा महसूस हो रही हो तो इस समस्या के समाधान में भी हल्दी आपकी मदद कर सकती है। घर के सभी कोनों में हल्दी पाउडर का छिड़काव करें, इससे वास्तु दोष खत्म हो जाएगा और घर में सुख-समृद्धि आएगी।2. इसके अलावा हर गुरुवार को घर में हल्दी के पानी का छिड़काव करने से भी घर में सकारात्मक ऊर्जा यानी पॉजिटिव एनर्जी का संचार होता है और मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं जिससे आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।3. अगर रात में सोते समय बुरे सपने आपको परेशान कर रहे हों तो हल्दी की गांठ पर मौली बांधकर उसे अपने सिरहाने रखकर सोएं। ऐसा करने से बुरे सपनों से बचने में मदद मिलेगी।4. जिन महिलाओं पति का प्यार न मिल रहा हो वे गुरूवार के दिन पीले वस्त्र पहनकर एक हल्दी की गांठ रखकर "ऊं रत्यै कामदेवाय: नम:" इस मंत्र का एक माला जाप करें और शाम के समय बेसन से बनी चीजें खाएं।5. रोजाना सुबह हल्दी का तिलक लगाकर ही घर से बाहर निकलें। ऐसा करने से व्यक्ति का दिमाग शांत रहता है और गुस्सा कम आता है। साथ ही नहाने के पानी में चुटकी भर हल्दी डालकर स्नान करने से भाग्य तेज होता है, मान सम्मान मिलता है और नौकरी मिलने के योग भी बनते हैं।
- सच्ची दोस्ती की परख संकट के समय में होती है। अगर आपकी मित्रता पक्की है तो आपका साथी दुख की घड़ी में भी आपके साथ डटकर खड़ा दिखाई देगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पांच राशि के जातक सच्चे मित्र बनते हैं। ये जातक दोस्ती की अहमियत को अच्छी तरह से समझते हैं। ये पांच राशि के जातक इस प्रकार हैं-वृष राशिज्योतिष विज्ञान के अनुसार, वृष राशि के जातक सच्ची दोस्ती निभाते हैं। ये जातक अपनी दोस्ती की अहमियत को अच्छी तरह से समझते हैं। इसलिए हर परिस्थिति में अपने दोस्त का साथ निभाते हैं। ये ना केवल व्यक्तिगत रूप से हेल्प करते हैं बल्कि अपने दोस्तों के लिए दूसरों से भी मदद मांगने से कतराते नहीं है।मिथुन राशिमिथुन राशि के जातक सच्चे मित्र होते हैं। अपने दोस्ती की खातिर ये कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार रहते हैं। अगर कोई इनके दोस्त की बुराई करता है तो उसे सुनना भी पसंद नहीं करते हैं। अपने दोस्त से ये सच्चे हृदय से लगाव रखते हैं और हर परिस्थिति में उनका साथ देते हैं।कर्क राशिकर्क राशि के जातकों की फ्रेंडशिप गजब की होती है। लोग इनकी दोस्ती का लोहा मानते हैं। जब भी कोई मुसीबत इनके दोस्त के ऊपर आती है तो ये हमेशा उनकी मदद करते हैं। इनके दोस्तों की संख्या भी अधिक होती है। अपनी मित्रता को लेकर ये भावुक होते हैं।सिंह राशिसिंह राशि के जातक दोस्ती यारी में कभी फायदा या नुकसान नहीं देखते हैं। अगर पूरी दुनिया इनकी दोस्ती के खिलाफ हो जाए तब भी ये अपने दोस्त के साथ खड़े नजर आते हैं। मिथुन और धनु राशि के जातकों से इनकी मित्रता गहरी होती है।मकर राशिमकर राशि के जातक अच्छे मित्र साबित होते हैं। इस राशि के लोग मित्रता के खातिर किसी भी हद तक जा सकते हैं। इनकी दोस्ती पर शक नहीं किया जा सकता है। अपने दोस्त के सुख-दुख में ये हमेशा उसके साथ नजर आते हैं।---
- जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 269
(भूमिका - प्रत्येक साधक और साधारण व्यक्ति के लिये भी नीचे उद्धरण में दिये गये एक-एक शब्द पर बारम्बार चिन्तन परमावश्यक है। क्योंकि इसमें छिपे रहस्य से अनजान हम सभी जाने-अनजाने एक महान अपराध के भँवर में फँस जाते हैं, जिसकी हमको बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है। जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा निःसृत इस उद्धरण पर आइये हम गंभीरतापूर्वक मनन करें...)
साधक का प्रश्न ::: महाराज जी! किसी साधक के बाहरी व्यवहार को देखकर कई बार दुर्भावना हो जाती है जबकि वह उच्च साधक होता है, इसका क्या उपाय है?
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा उत्तर ::: भगवान् की सब बातें अनन्त मात्रा की हैं। पूर्ण माने अनन्त मात्रा की हर बात। उनके संसार (ब्रह्माण्ड) अनन्त, नाम अनन्त, रूप अनन्त, गुण अनन्त, लीला अनन्त, धाम अनन्त और सन्त अनन्त। और ऐसे अनन्त हैं कि अनन्त से अनन्त निकालो तो भी अनन्त बचेगा;
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते।(वृहदारण्यक उप. 5-1-1)
पूर्ण से पूर्ण निकालो तो भी पूर्ण बचेगा। संसार में पूर्ण से पूर्ण निकालो तो जीरो बचेगा।
कौन जानता है? जब तक कोई पूर्ण न हो जाए तब तक कौन अधूरा है, कौन पूर्ण है यह जानना असम्भव है। बेपढ़ी लिखी अँगूठा छाप और चार-चार, छह-छह, बच्चे वाली गोपियाँ और ब्रह्मा, शंकर चरणधूलि चाहते हैं। जब ये कहो, तो लोग कहते हैं - 'क्या गपोड़े हैं आप भी!! हम जानते हैं उन गोपियों को, कब ब्याह हुआ और कब क्या हुआ। संसार में आसक्त हैं और आप कहते हैं कि उद्धव, ब्रह्मा, शंकर सब चरणधूलि माँगते हैं!!' इसलिए किसी के बारे में कभी कोई राय बनानी ही नहीं चाहिए।
अगर दोष देखा तो उसमें कमी मानेगा। उसकी बुद्धि उसमें दोष देखगी। ये हमसे कम अकल है, हमसे कम सुंदर है, हमसे कम पैसा है, हमसे कम नॉलिज है। ये सब विचार आयेगा, बस पतन हो गया। भीतर क्या उसके पास यह जानने की शक्ति नहीं है। तो ये बाहरी चीजों को देख कर क्या निर्णय करोगे? पता नहीं कौन कितना प्यार करता है भगवान् से, गुरु से? ये नापने का पैमाना तो किसी के पास है ही नहीं। तो बाहर की चीजों से क्या तुलना करेगा कोई।
एक संत थे। अभी पाँच सौ वर्ष पहले की बात है, गौरांग महाप्रभु के जमाने में। उनका नाम पुंडरीक विद्यानिधि था। वह बड़े ऐशो आराम के सामान में रहते थे। सोने का तो पलंग, कोई राजा महाराजा भी ऐसा नहीं रह सकता था जैसे वो रहते थे। गौरांग महाप्रभु ने कहा, 'भई! एक बहुत बड़े भक्त से मिलने जाना है हमको स्वयं।'
लोगों ने पूछा, 'महाराज जी! किसका मिलने जाना है?' तो उन्होंने कहा 'पुंडरीक विद्यानिधि से'। सब चौके। अरे! वह तो घोर संसारी है। कोई राजा महाराजा भी वैसा नहीं होगा। आपस में कहने लगे। महाप्रभु जी मुस्कराकर चल दिए। पीछे-पीछे सब गये कि मामला क्या है? महाप्रभु जी मजाक कर रहे हैं? क्या बात है, क्यों जा रहे हैं वहाँं? उसको आना चाहिए महाप्रभु जी के पास। गये। महाप्रभु जी को देख कर वो पलंग से उठ गए। दोनों गले मिले। ये सब दृश्य देख रहे हैं लोग। फिर उसी के पलंग पर वो भी बैठे और महाप्रभु जी भी बैठे उसी पर। ये भी लोगों ने देखा। ये कैसे बाबा जी हैं! और हमारे महाप्रभु जी के बराबर में बैठे हैं! तो गदाधर भट्ट थे, उनका ज्यादा दिमाग खराब हुआ। वो खास थे गौरांग महाप्रभु के, विद्वान् भी थे, शास्त्र वेद के।
खैर, वहाँ से महाप्रभु जी लौट आये और सब साथ चले आये। फिर अकेले में उन्होंने पूछा कि महाराज! ये आप वहाँ क्यों गए? और फिर गए तो ऐसी असभ्यता किया उन्होंने, उसी पलंग पर खुद बैठ गए और उसी पर आपको बिठा दिया? तो महाप्रभु जी ने भौंहे टेढ़ी की। उन्होंने कहा कि तुम सर्वज्ञ हो? नहीं महाराज! सर्वज्ञ तो आप हैं। फिर तुमने कैसे निश्चय किया? चले जाओ हमारे सामने से और जाकर के पुंडरीक विद्यानिधि की शरण में जाओ और उन्हें गुरु मानो और उनकी बताई साधना करो। अब आंख खुली उनकी। हा! महाराज जी सीरियस हो के कह रहे हैं। हम तो समझ रहे थे कि ये सब महाराज जी जोक कर रहे हैं आज? तो उन्हें जाना पड़ा।
तो कौन जान सकता है? बड़े-बड़े सम्राट हुए हमारे देश में ध्रुव, प्रह्लाद, अम्बरीष बड़े-बड़े वैभव स्वर्ग से भी बड़े और सब गृहस्थ। अम्बरीष हों, चाहे वशिष्ठ हों, सब स्त्री बच्चे वाले। अब उनको भी हम लोगों ने देखा होगा उस जमाने में। अरे तब भी तो हम थे। हमने कहा ये प्रह्लाद!, इनको महापुरुष कहते हैं लोग!!
इसलिए कोई महापुरुष हो, चाहे राक्षस हो अपने मन में दूसरे के प्रति हमेशा अच्छी भावना होनी चाहिए, जिससे अच्छा विचार अंतःकरण मे आवे। वो जो है वो ही रहेगा ही। वह राक्षस होगा तो राक्षस रहेगा। महापुरुष होगा तो महापुरुष रहेगा। हम अपने अंदर की दुर्भावना अगर लाते हैं, तो हमने तब अपना अंतःकरण बिगाड़ दिया। अब भगवान् जो थोड़ा पैर रखे थे आने के लिए, एबाउट टर्न चल दिए। क्योंकि तुम तो औरों को बुलाते हो। मैं ऐसे घर में नहीं रहता। इसलिए कहीं भी छोटापन नहीं देखना चाहिए। ये हमसे बड़ा है। हर एक के प्रति - 'सबहिं मानप्रद आप अमानी'।
एक उच्च साधक का लक्षण है किसी में भी दुर्भावना नहीं, पता नहीं कौन क्या है, किस-किस भाव से कौन उपासना करता है। सबके तरीके अलग-अलग हैं। आज कोई सचमुच भी मक्कार है तो क्यों है? प्रारब्ध के कारण है। वो 25 तारीख को उसका प्रारब्ध खतम हो जाएगा। तो फिर वो सदाचारी हो जाएगा पहले की तरह। और हम दुर्भावना किए बैठे हैं उसके ऊपर। हमारा तो सत्यानाश हो गया और वो तो बन गया। उसमें बहुत रहस्य हैं। इसलिए साधक को दूसरे की ओर देखना ही नहीं चाहिए। और देखे भी कभी या बुद्धि लग भी जाय तो पता नहीं कौन क्या है भैया, अपन झगड़े में न पड़ो। बीबी पति के, पति बीबी के अंदर की बात को नहीं जान सकता।
एक सेठ जी कभी भगवान् का नाम न ले और न मन्दिर जायें। सेठानी परेशान थी कि यह नास्तिक पति मिला। एक दिन सोते समय, अंगड़ाई लेते समय उन्होंने कहा 'राधे'। तो सबेरे स्त्री ने सब दान-पुण्य करना शुरू कर दिया। ब्राह्मण भोजन का इन्तजाम किया। खुशी मना रही थी। सेठ जी ने कहा- क्यों री, आज तो न जन्माष्टमी है, न रामनवमी है, कुछ त्यौहार तो नहीं! उन्होंने कहा आज बहुत बड़ा त्यौहार है पतिदेव! क्या? आपने आज सोते समय करवट बदलने लगे तो 'राधे' कहा। हा! राधे नाम निकल गया बाहर!!! भक्ति के तरीके अपने-अपने सबके हैं। स्त्री नहीं समझ पाई इतने दिन से।
और फिर एक बात सबसे बड़ी और है वह हमेशा ध्यान में रखो सब लोग कि कोई व्यक्ति खराब हो, राक्षस हो, भगवान् का निन्दक, सन्तों का निन्दक, सबसे बड़ा पाप ये ही है। ये लगातार करता हो। लेकिन एक बात बताओ कि ऐसा कोई पापी विश्व में है जिसके अंत:करण में भगवान् न बैठे हों? अरे! कुत्ता, बिल्ली, गधा कोई भी ऐसा प्राणी है जिसके भीतर भगवान् श्रीकृष्ण न बैठे हों? तो फिर तो बराबर हो ही गया तुम्हारे। और सब चीज़ का मूल्य कुछ नहीं है। एक तराजू में सोना भी रखा गया, चांदी भी रखा, हीरा भी रखा है और पारस भी रखा है और एक तराजू के पलड़े में खाली पारस रखा है। तो तोलोगे तो क्या बराबर ही निकलेगा। क्योंकि पारस दोनों में है। अब हीरे मोती की क्या कीमत है, हो न हो? पारस दोनों में है। तो भगवान् तो सब प्राणियों में हैं। इसीलिये वेदव्यास और तुलसीदास सब संतों ने कहा कि - 'पर पीडा सम नहिं अधमाई'।
सबसे बड़ा पाप है दूसरे को दुःख देना, ये न सोचना हैं कि इसके अंदर भी श्रीकृष्ण बैठे हैं। जैसे हम आज एस.पी. हैं, कलेक्टर हैं और हमारा कोई नौकर है, चपरासी है और हमने अपनी सीट के कारण डाँटा, फटकारा, दण्ड दिया। ये भूल गए कि इसके अंदर भी वही बैठे हैं जो हमारे अंदर हैं। तो ये सब सोचने की बात है। इसका अभ्यास करे धीरे-धीरे तो हृदय में कोई गलत चीज न आने पावे।
देखो, आप लोग दाल चावल सब खाते हैं। खाते-खाते कोई कंकड़ आ गया तो ऐसे मुँह बनाकर उसको हाथ से निकाल कर बाहर कर देते हैं। निगल नहीं जाते। धोखेे में चला जाय तो बात अलग है। ऐसे ही कोई भी अच्छी चीज आवे ठीक है। किसी का गुण आवे बहुत अच्छा है। अरे! चौबीस गुरु बनाये दत्तात्रेय ने। कुत्ते को गुरु बनाया, गधे को गुरु बनाया। भगवान् के अवतार थे दत्तात्रेय। लेकिन उन्होंने कहा - भई! इसमें भी ऐसे गुण है जो मनुष्यों से अधिक बलवान है। वो आदमी में नहीं है। किसी आदमी की नाक ऐसी है, जो बता दे कि इधर से गया है चोर? कोई आई. ए. एस. ऐसा हुआ आज तक? और कुत्ता बता देता है इधर से गया है, बारह घण्टे पहले, वह चलता है उसी-उसी रास्ते से, आगे-आगे। इसीलिये सब जगह अच्छी चीज जहाँ दिखाई पड़े, ले लो और जहां खराब चीज दिखाई पड़े वहाँ सोच लो कि पता नहीं क्या रहस्य है ऊपर-ऊपर से एक्टिंग कर रहा है खराबी की।
अरे! गोपियाँ कितनी गालियाँ देती थीं भगवान् को। हम लोग अगर वहाँ होते या रहे हों, तो सुने होंगे और कहा होगा, ये भगवान् की भक्त है! क्या अंडबंड बोल रही है।
एक सखी ने किशोरी जी से कहा कि तुम नन्दनन्दन से क्यों प्यार करती हो? वो तो बड़ा लम्पट है, हर लड़की के पीछे घूमता रहता है और सबको धोखा देता है। तो किशोरी जी ने कहा, सखि! तू नहीं जानती वो ऐसा क्यो करतें हैं? वो ऐसा इसलिए करते हैं कि हमारा उनका प्यार पब्लिक में आउट न हो। यानी एक दोष को भी गुण के रूप में ले लेना। प्रेमी की पहचान है। वेद की ऋचायें कहती हैं, अरे! मैं जानती हूँ अनादिकाल से। राजा बलि को ठगा और शूर्पणखा के नाक कान कटवा दिये, बाली को छिप कर मारा, मुझे सब मालूम है इसका पुराना चिट्ठा पहले का। तो सखि कहती है फिर छोड़ो! हटाओ। अरे! ये नहीं हो सकता। उसका चिन्तन, उससे प्यार, वह कम नहीं होगा। हम उस व्यवहार पर भी लट्टू हैं। देखो, सर्वसमर्थ हो कर भी और बालि को छिप कर मारा, ये कलंक मोल लिया। सभी संसार में बदनामी कि उसकी पीठ में मार रहे हैं। उसको माला पहना कर मार रहे हैं। मथुरा से भागकर द्वारिका चले गए, रणछोर की डिग्री लेने के लिए। सारी दुनियाँ में बदनामी हो गई। तुम्हारे भगवान कैसे हैं? तो कौन समझ सकता है? भगवान् का रहस्य तो खैर समझने की बात नहीं है। मनुष्यों में कौन उच्च कोटि का साधक है, कौन निम्न कोटि का है और कौन कब किसका पतन हो जाय ये भी एक स्ट्रांग पॉइन्ट है। समझे रहना चाहिए। एक क्षण के कुसंग ने अजामिल को इतना बड़ा पापी बना दिया। एक क्षण का, एक मिनिट का भी नहीं।
एक वेश्या को एक शूद्र दासी के लड़के ने चिपटा करके, नंगे होकर के प्यार किया, वो दृश्य एक सेकिण्ड को देखा और आँख बन्द करके भागा अजामिल, घर आया, लेकिन वो चिन्तन धंस गया था उसकी खोपड़ी में। अब फिर उस वेश्या के पीछे अपनी स्त्री को छोड़ दिया और सारा धन घर का बेच दिया और बुढ़ापे तक पड़ा रहा वहीं वेश्या के घर। तो इसलिए कौन कब उठेगा, कौन कब गिर जाएगा, कोई कह नहीं सकता। इस पर विश्वास नहीं करना है मन के ऊपर, कि हाँ हम तो समझते हैं। बड़े-बड़े योगी लोग गिर गए। इसलिए कभी, कभी भी दूसरे के प्रति दुर्भावना नहीं करना चाहिए। भले ही आपकी दुर्भावना सही हो उसके प्रति। एक तो सही है कि नहीं ये ही नहीं जान सकते तुम और जान भी लो तो इस क्षण में दुर्भावना है और अगले क्षण में उल्टा हो गया सब वो। उसका प्रारब्ध खतम हो गया। यही सब गड़बड़ियाँ तो हम करते हैं जो साधना करते हुए भी आगे नहीं बढ़ते। जिसको देखा ऐं! ये क्या है? ऐं! ये क्या है? ऐं! मैं-मैं बड़ा भक्त हूँ, मैं बड़ा सेवक हूँ, मैं बड़ा दानी हूँ; दिमाग में ऐसा रोग पैदा करके और सब जगह छोटी भावना कर लिया, तुच्छ भावना। इससे बचना चाहिए। बस कमाने पर ध्यान रखें।
हृदय के अंदर अच्छी अच्छी चीजों का, अच्छे अच्छे गुणों का, अच्छी-अच्छी बातों का चिन्तन हो। खराब बात कोई कहे तो सुनो नहीं, पढ़ो नहीं, सोचो नहीं। तुरन्त सँभल जाओ। जैसे कोई मच्छर काट लेता है तो होशियार हो जाता है। इसने काट लिया। किसी के ड्राइंग रुम में कोई अपने घर का कूड़ा कचरा फेंके तो कौन पसन्द करेगा, कौन स्वीकार करेगा, पचास गाली दे देगा वह घर वाला। ऐसे ही दिल तो ड्राइंग रूम है भगवान् के लिए। इसमें गंदी चीज कहीं से भी, कैसे भी तुम लाए तो गन्दा हो गया। भगवान् तो कहते हैं जो ला चुके हैं उसे निकालो। साफ करो। माँ, बाप, बेटा, स्त्री, पति, का प्यार ये सब संसार का, विषय भोग का, ये सब निकालो। और तुम ला रहे हो। तो भगवान् कहते हैं हमसे कहते हो आ जाओ, कहाँ आऊँ? कहीं जगह भी है?
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: 'प्रश्नोत्तरी' पुस्तक, भाग - 2०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 268
साधक का प्रश्न ::: दान कल्याणकारी है, इसका अर्थ क्या होता है, क्या हम पुण्य कमाते हैं?
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा उत्तर ::: कल्याण शब्द के कई अर्थ होते हैं, मैंने बताया न ! एक कल्याण भगवद् विषय सम्बन्धी, इसे भी कल्याण कहते हैं। बस चार जगह हैं - नम्बर एक भगवान् सम्बन्धी, नम्बर दो सात्विक; यह मायिक है, लेकिन मायिक में बेस्ट है, और नम्बर तीन है मनुष्य लोक और नम्बर चार है नरक। तो जिसको जो चाहिए उसी बात को करे। अरे भई देखो! एक लड़की है, उसकी शादी करना है। तो लड़कियाँ आपस में बात करती हैं; एक कहती है, हमें डॉक्टर चाहिए। एक कहती है, हम इन्जीनियर चाहते हैं; कोई कहती है, हम ये चाहते हैं, वो चाहते हैं। सबकी अपनी-अपनी पसन्द है, वो अपने बाप को बताएगी ऐसा हो वो लड़का। तो जिसको माया निवृत्ति की चाह हो, भगवान् की चाह हो, वह भगवान् के निमित्त सब करे। और जिसको स्वर्ग जाने की या देखने की चाह हो, तो उसका पुरुषार्थ करे। तो जिसके निमित्त होगा कोई भी साधन, तो उसी का फल मिलेगा।
यान्ति देवव्रता देवान् पितृ़न्यान्ति पितृव्रताः।भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति मद्याजिनोऽपि माम्।।(गीता 9-25)
अर्जुन से भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा - जो देवताओं की भक्ति करेंगे, स्वर्ग जायेंगे और जो पितरों की भक्ति करेंगे, वे पितृ लोक को जायेंगे। ऐसे ही जो मनुष्यों की भक्ति करेंगे वो उनके साथ जायेंगे। जो मेरी भक्ति करेंगे वे मुझको प्राप्त होंगे, सीधा सा गणित है। किसी की चार लड़कियाँ हैं - चार लड़कों से विवाह कर दिया, चारों एम. ए. हैं। एक आई. ए. एस. में आ गया वो कलेक्टर हो गया, उसकी बीबी कलेक्टर की बीबी हो गई। एक नहीं आया, वह क्लर्क हुआ तो उसकी बीबी बबुआइन हो गई, एक फटीचर हालत में रहा, कहीं सर्विस नहीं मिली भिखारी हो गया तो उसकी बीबी भिखारिन हो गई। तो जहाँ मन का अटैचमेन्ट होगा, उसी का फल मिल जाएगा।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: 'प्रश्नोत्तरी' पुस्तक०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 267
(भूमिका - किस प्रकार साधना और सिद्धान्त; ये दोनों ही अलग-अलग प्रकार से साधक के लिये आवश्यक है, इसी विज्ञान को जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज नीचे के उद्धरण में समझा रहे हैं..)
साधक का प्रश्न ::: भक्ति के लिये साधना अधिक आवश्यक है या सिद्धान्त ज्ञान?
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा उत्तर ::: सत्य व्यवहार हरि गुरु से करना है। संसार में तो काम कर दो किसी को मन देने की जरूरत नहीं। बायजीद, रहमान दो फकीर रातभर खुदा की बातें करते रहे, कुरान की बातें करते रहे। तो सबेरे रहमान ने कहा कि आज की रात धन्य हो गई कि हम लोग खुदा की बात करते रहे। तो दूसरे फकीर ने कहा कि नहीं आज की रात बहुत खराब गई कि बातें ही करते रहे, खुदा का ध्यान नहीं किया।
तो रूपध्यान, साधना ये तो ए-वन क्लास की चीज है। लेकिन उससे थक जाय तो गुरु के सिद्धान्त का श्रवण, पठन, मनन ये सब करें, लीला का चिन्तन पठन करें। तो श्रवण वगैरह साधना जो है ये नम्बर दो की है। नम्बर एक है रूपध्यान। वो चाहे गुरु का ध्यान करे, चाहे भगवान् का ध्यान करे, मन का लगाव एक जगह पर होता है। लेक्चर तो होता है कि हमारा जो अज्ञान है वो जाय या हमारा जो ज्ञान है पहले वाला गुरु ने दिया था वो ताजा हो जाय। पक्का हो जाय। बार-बार सुनने से तत्त्वज्ञान पक्का होता है लेकिन खाली खाना पकाने की किताब को रट ले इससे पेट नहीं भरेगा। खाली रेलवे के टाइम टेबल को याद कर लें इससे सफर नहीं पूरा हो जायेगा। वो तो अलग चीज है, वो तो करना पड़ेगा। तुमको रोटी बनाने का अभ्यास हो गया है। लेकिन बनाओ, खाओ, तब तो पेट भरेगा। खाली पढ़ा दिया स्कूल में कि ऐसे ऐसे रसगुल्ला बनता है। इससे क्या काम बनेगा। ठीक है वो भी जरूरी है।
सिद्धान्त बलिया चित्ते न कर आलस।(गौरांग महाप्रभु)
सिद्धान्त ज्ञान में आलस्य न करो लेकिन सिद्धान्त के साथ-साथ प्रैक्टिकल साधना भी करो। सिद्धान्त पक्का हो गया तो अब साधना में अधिक समय दो। बीच-बीच में सुन लो। आज कल तो बड़ा अच्छा है, कैसिट का जमाना है। गुरुजी हों चाहे न हों, घर में कैसिट लगा दो, सुन लो। अरे बड़ा लाभ है इस अविष्कार से। दर्शन भी करो और लेक्चर भी सुन लो। बहुत से गृहस्थी लोग करने लगे हैं ये। उनके पास आधा घण्टा, पौन घण्टा है, लगा दिया बैठकर सुन लिया अपना।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: 'प्रश्नोत्तरी' पुस्तक, भाग 3, प्रश्न संख्या 28०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - भगवान हनुमान का जन्मोत्सव हर साल चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है। इस बार हनुमान जन्मोत्सव 27 अप्रैल को है। इस दिन का बहुत ही खास महत्व होता है। हनुमान जन्मोत्सव पर भगवान हनुमान की पूजा-आराधना और कुछ उपायों का विशेष महत्व होता है। इस विशेष अवसर पर हनुमान जी की कृपा पाने के लिए ये चार उपाय जरूर करें। ये उपाय करने से आपके समस्त प्रकार के कष्ट मिट जाएंगे।हनुमान चालीसा का पाठहनुमान जन्मोत्सव के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। हनुमान चालीसा के पाठ में कोई विशेष नियम भी नहीं होता है। आप कहीं भी कभी भी हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते हैं। हनुमान चालीसा के पाठ करने से आप पर कभी भी कोई भी बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा। आप एक से अधिक हनुमान चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं।बजरंग बाण का पाठहनुमान जन्मोत्सव के दिन बजरंग बाण के पाठ से हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और सभी तरह के संकटों से मुक्ति मिलती है। आप पर भी अगर शनि का अशुभ प्रभाव है तो नित्य बजरंग बाण का पाठ करें। ऐसा करने से शनि का अशुभ प्रभाव दूर हो जाएगा।संकट मोचन हनुमान अष्टक का पाठसंकट मोचन हनुमान अष्टक का पाठ करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। हनुमाष्टक का पाठ करने से सभी संकटों से मुक्ति मिलती है और हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।श्री राम नाम का सुमिरनहनुमान जी को प्रसन्न करने का सबसे आसान उपाय है भगवान राम के नाम का सुमिरन करना। हनुमान जी भगवान राम के परम भक्त हैं और जो व्यक्ति श्री राम नाम का सुमिरन करता रहता है, उस पर हनुमान जी विशेष कृपा करते हैं। भगवान श्री राम के साथ माता सीता का भी सुमिरन करना चाहिए।हनुमान जी के समक्ष जलाएं दीपकहनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर हनुमान मंदिर में जाकर हनुमानजी के समक्ष एक सरसों के तेल का और एक शुद्ध घी का दीपक प्रज्ज्वलित करें इसके बाद आसन लगाकर वहीं पर हनुमान जी का ध्यान करें।
- जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 266
(भूमिका - प्रत्येक व्यक्ति भगवान के मार्ग पर, जिसे आध्यात्मिक मार्ग कहा जाता है; उस पर अलग-अलग गति से चलता है। गति की इस भिन्नता के पीछे कुछ कारण हैं, उन्हीं पर जगदगुरु श्री कृपालु महाप्रभु जी द्वारा सरल-शब्दों में प्रकाश डाला गया है...)
साधक का प्रश्न ::: कुछ लोग हरि गुरु की ओर तेजी से दौड़ते हैं कुछ लोग मेरी तरह ब्रेक लगाते रहते हैं ऐसा क्यों?
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा उत्तर ::: इसके दो कारण हैं। एक तो जिनके प्रारब्ध में, भाग्य में, यानी पूर्वजन्म में जिन लोगों ने विशेष साधना की है वो तेजी से बढ़ते हैं और दूसरा रीजन ये है कि इस जन्म में जिन लोगों ने सोचा है बार-बार हमें करना है, जल्दी करना है, अभी करना है, ये मनुष्य शरीर बरबाद न जाय, इन सब बातों को जो बार-बार सोचता है और संसार से वैराग्य होता है मन में, वो तेज चलता है। और जिसके पास दोनों हो गया; इस जन्म में भी सोचा और प्रारब्ध भी उसका मुआफिक था, अच्छा था, वो और तेज चलता है। कुछ तो ऐसे होते हैं, मीरा वगैरह हुई हैं जो कि बस थोड़ी सी कमी थी प्रारब्ध के बाद तो वो पूरी हो गई तुरन्त। और जिसने पहले नहीं कमाया है उसको अब कमाना है, मेहनत करे। असम्भव तो है ही नहीं। सवाल ही नहीं है। अगर पहले कमाया है तो जल्दी स्पीड में बढ़ेंगे हम, नहीं कमाया पहले तो धीरे-धीरे चलकर पहुंचेंगे। पहुँचना तो है ही है वहाँ।
लेकिन हर एक साधक को यही सोचना चाहिये कि प्रारब्ध खराब तब होता है नम्बर एक, मानवदेह न मिले; 'बड़े भाग्य मानुष तनु पावा।' सबसे बड़े भाग्य की बात तो ये ही है कि मनुष्य शरीर मिला। नम्बर दो, 'धन्यास्तु ये भारत भूमि भागे।' इण्डिया में जन्म हुआ। जहाँ मरने पर भी राम नाम सत्य बोलते हैं लोग। अँगड़ाई लेते हैं, तब भी राम-राम बोलते हैं। ऐसे देश में जन्म हुआ। और फिर अगर किसी को महापुरुष मिल गया असली तो बस कृपा की पराकाष्ठा हो गई। इससे आगे भगवान की और कोई कृपा नहीं है। अब इसके आगे लापरवाही है हमारी। जो हम तेज स्पीड में नहीं बढ़ते। सोचते नहीं। बार-बार सोचने से ही परवाह होती है। गति मिलती है।
आवृत्तिरसकृदुपदेशात्।(ब्रम्हसूत्र 4-1-1)
वैराग्य संसार में सबको होता है। बीबी ने अपमान किया, बाप ने अपमान किया, बेटे ने अपमान किया तो वैराग्य सबको होता है। लेकिन उस पर ज्यादा देर विचार नहीं करता। भूल जाता है। इसलिये भगवान की ओर ज्यादा तेज चल नहीं पाता। तो विचार मेन चीज है, बार-बार। भगवान ने दो वाक्य कहा है कि;
ध्यायतो विषयान् पुंसः संगस्तेषूपजायते।(गीता 2-62)
विषयान् ध्यायतश्चित्तं विषयेषु विषजते।मामनुस्मरतश्चित्तं मय्येव प्रविलीयते॥(भागवत 11-14-27)
मनुष्यों! दो बात याद रखो सब भूल जाओ तो भी कि संसार का बार-बार स्मरण करोगे तो संसार में अटैचमेन्ट हो जायेगा और मेरा स्मरण बार-बार करोगे तो मुझमें अटैचमेन्ट हो जायेगा। सब कुछ चिन्तन पर डिपैण्ड करता है।
होना न सोचे, कि हमसे नहीं होता, भगवान का चिन्तन नहीं होता। होना-वोना तो सिद्धि की बात है, हमको करना है। होना बाद में होता है। संसार में भी पहले शौक से सिगरेट पीता है आदमी। शौक से शराब पीता है बेमनी से फिर बाद में इन्ट्रैस्ट हो जाता है। ऐसे ही भगवान का विषय भी है। पहले मन लगाना होगा, प्रैक्टिस करना होगा, बार-बार, फिर लगने लगेगा। तो फिर चल पड़ेगी गाड़ी। लेकिन शुरू-शुरू में मुश्किल है थोड़ी-सी।
अब और कोई गति ही नहीं। आदमी अगर सोचे - देखो भई ! संसार में एक डॉक्टर से झगड़ा हो गया, तो दूसरा है, तीसरा है। संसार में तो बहुत से लोग हैं, हम जिनसे अपना काम बना लेते हैं, एक ने नहीं किया दूसरे ने किया लेकिन भगवान को छोड़कर कहाँ जायेंगे?
एक माया का एरिया है, एक भगवान का। और फिर जाकर देख लिया। हमारे संसार में कहते हैं कि गरम दूध पीकर के जब बिल्ली का मुँह जल जाता है तो वो छाछ को भी फूंक-फूंक कर पीती है। और हमारा तो रोज जल रहा है, संसार में। और फिर भी होश नहीं आता। वो कुत्ता होता है न, उसको डण्डा मारो तो रोता हुआ भागता है। कुछ दूर जाकर फिर गुस्से में देखता है मारने वाले को, दुश्मनी की भावना से और जहाँ उसने रोटी दिखाया तो पूँछ हिलाकर फिर आ जाता है। फिर डण्डा मार देता है वो। यही हाल हम लोगों का है। संसार से प्यार करते हैं, संसार वाले अपमान करते हैं, वैराग्य होता है, फिर वहीं जाकर सिर नाक रगड़ते हैं। वो श्मशान वैराग्य कहलाता है।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: 'प्रश्नोत्तरी' पुस्तक, भाग 3, प्रश्न संख्या 27०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.)