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पेरिस. फ्रांस के नये प्रधानमंत्री सेबेस्तियन लेकोर्नू ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। लेकोर्नू ने एक दिन पहले ही अपने मंत्रिमंडल का गठन किया था और वह एक महीने से भी कम समय तक पद पर रहे। लेकोर्नू के इस्तीफे के बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के पास बहुत कम विकल्प बचे हैं।
फ्रांसीसी राष्ट्रपति कार्यालय ने एक बयान में कहा कि राष्ट्रपति मैक्रों ने लेकोर्नू का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। कई ओपिनियन पोल के अनुसार मैक्रों की लोकप्रियता गिरकर रिकार्ड निचले स्तर पर पहुंच गई है। लेकोर्नू सितंबर में फ्रांस्वा बायरू के स्थान पर प्रधानमंत्री बने थे। पिछले साल मैक्रों द्वारा अचानक चुनाव की घोषणा किये जाने के बाद से फ्रांसीसी राजनीति में राजनीतिक गतिरोध है। नेशनल असेंबली में धुर-दक्षिणपंथी और वामपंथी सांसदों के पास 320 से अधिक सीट हैं, जबकि मध्यमार्गी और उनके सहयोगी रूढ़िवादियों के पास 210 सीट हैं और किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं है। मैक्रों के भरोसेमंद सहयोगी लेकोर्नू ने कहा कि एक आम सहमति बनाने में नाकाम रहने के बाद अब पद पर बने रहने की कोई स्थिति नहीं थी। लेकोर्नू ने अपने त्यागपत्र में कहा, ‘‘किसी को भी अपने देश को हमेशा अपनी पार्टी से पहले रखना चाहिए।'' अगले राष्ट्रपति चुनाव में दो वर्ष से भी कम समय बचा है और ऐसे में मैक्रों के विरोधियों ने लेकोर्नू के चौंकाने वाले इस्तीफे का तत्काल लाभ उठाने की कोशिश की। धुर दक्षिणपंथी नेशनल रैली ने उनसे शीघ्र नये संसदीय चुनाव कराने या इस्तीफा देने की मांग की। धुर दक्षिणपंथी नेता मरीन ले पेन ने कहा, ‘‘इन परिस्थितियों में कोई और उपाय नहीं है। इन परिस्थितियों में एकमात्र समझदारी भरा कदम चुनाव की ओर लौटना है।'' पिछली रात ही नियुक्त किए गए मंत्रियों को कार्यवाहक मंत्री बनने की विचित्र स्थिति का सामना करना पड़ा। उन्हें अब नयी सरकार बनने तक दिन-प्रतिदिन के मामलों का प्रबंधन करना होगा, जबकि उनमें से कुछ ने औपचारिक रूप से पद भी नहीं संभाला था। लेकोर्नू द्वारा मंत्रियों के चयन की राजनीतिक हलकों में आलोचना की गई थी, विशेष रूप से पूर्व वित्त मंत्री ब्रूनो ले मायेर को रक्षा मंत्रालय में वापस लाने के उनके निर्णय की। अन्य प्रमुख पद पिछले मंत्रिमंडल से काफी हद तक अपरिवर्तित रहे, रूढ़िवादी ब्रूनो रिताइलो आंतरिक मंत्री बने रहे, जो पुलिस और आंतरिक सुरक्षा के प्रभारी थे, जीन-नोएल बारोत विदेश मंत्री जबकि गेराल्ड डर्मैनिन को न्याय मंत्रालय का प्रभार दिया गया था। नेशनल असेंबली में आम सहमति बनाने की कोशिश में, लेकोर्नू ने अपने मंत्रिमंडल के गठन से पहले सभी राजनीतिक ताकतों और ट्रेड यूनियन से सलाह-मशविरा किया था। -
नई दिल्ली। अमेरिका और जापान के तीन वैज्ञानिकों को प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) पर महत्वपूर्ण खोज के लिए 2025 का नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) शरीर-क्रिया विज्ञान या चिकित्सा (Physiology or Medicine) के क्षेत्र में प्रदान किया गया है।
कैरोलीन्स्का इंस्टीट्यूट (Karolinska Institutet) की नोबेल असेंबली ने घोषणा की कि मैरी ई. ब्रनको (अमेरिका), फ्रेड रैम्सडेल (अमेरिका) और शिमोन साकागुची (जापान) को यह पुरस्कार संयुक्त रूप से दिया जाएगा। विजेताओं के बीच 1.1 करोड़ स्वीडिश क्रोनर (Swedish Kronor) की राशि समान रूप से बांटी जाएगी।नोबेल समिति ने कहा कि यह पुरस्कार ‘पेरिफेरल इम्यून टॉलरेंस’ (Peripheral Immune Tolerance) पर उनकी खोजों के लिए दिया गया है, जो एक ऐसी प्रक्रिया है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को अपने ही ऊतकों पर हमला करने से रोकती है। वैज्ञानिकों ने रेगुलेटरी टी-सेल्स (Regulatory T Cells) की पहचान की, जिन्हें प्रतिरक्षा प्रणाली के सुरक्षा प्रहरी कहा जाता है। ये टी-सेल्स सुनिश्चित करते हैं कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली संतुलित रहे और अपने ही अंगों पर आक्रमण न करे।उनकी खोजों ने पेरिफेरल टॉलरेंस नामक नए शोध क्षेत्र की नींव रखी, जिसने कैंसर, ऑटोइम्यून बीमारियों (Autoimmune Diseases) और अंग प्रत्यारोपण (Organ Transplantation) के इलाज के नए रास्ते खोले हैं। इनमें से कई उपचार वर्तमान में क्लीनिकल ट्रायल्स (Clinical Trials) में हैं।नोबेल समिति के अध्यक्ष ओले कैंपे (Olle Kämpe) ने कहा, “उनकी खोजों ने यह समझने में निर्णायक भूमिका निभाई है कि प्रतिरक्षा प्रणाली कैसे काम करती है और क्यों हम सभी गंभीर ऑटोइम्यून बीमारियों से पीड़ित नहीं होते।”मैरी ई. ब्रनको का जन्म 1961 में हुआ था। उन्होंने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी (Princeton University) से पीएचडी की है और वर्तमान में इंस्टीट्यूट फॉर सिस्टम्स बायोलॉजी (Institute for Systems Biology), सिएटल में सीनियर प्रोग्राम मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। फ्रेड रैम्सडेल का जन्म 1960 में हुआ था और उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया-लॉस एंजिलिस (UCLA) से 1987 में पीएचडी की। वे वर्तमान में सोनोमा बायोथेराप्यूटिक्स (Sonoma Biotherapeutics), सैन फ्रांसिस्को में वैज्ञानिक सलाहकार हैं। शिमोन साकागुची का जन्म 1951 में हुआ था। उन्होंने क्योटो यूनिवर्सिटी (Kyoto University) से 1976 में एमडी और 1983 में पीएचडी की है। वे वर्तमान में ओसाका यूनिवर्सिटी (Osaka University) के इम्यूनोलॉजी फ्रंटियर रिसर्च सेंटर (Immunology Frontier Research Center) में विशिष्ट प्रोफेसर हैं।पिछले वर्ष 2024 का नोबेल पुरस्कार अमेरिकी वैज्ञानिक विक्टर एम्ब्रोस (Victor Ambros) और गैरी रुवकुन (Gary Ruvkun) को माइक्रोआरएनए (microRNA) और इसके माध्यम से जीन नियमन (Gene Regulation) की खोज के लिए दिया गया था। -
सिदोअर्जो (इंडोनेशिया). इंडोनेशिया के एक इस्लामिक बोर्डिंग स्कूल में मंगलवार को प्रार्थना कक्ष के ढह जाने के बाद लापता छात्रों की तलाश कर रहे बचावकर्मियों ने सप्ताहांत में दो दर्जन से अधिक शव बरामद किए, जिससे मृतकों की संख्या 40 हो गई। इंडोनेशिया की राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण एजेंसी के अनुसार, बचावकर्मियों को केवल सप्ताहांत में 26 शव मिले। इंडोनेशिया के जावा द्वीप के पूर्वी हिस्से में सिदोअर्जो में स्थित सौ साल पुराने अल खोजिनी स्कूल में 30 सितंबर को एक इमारत ढह गई और सैकड़ों छात्र उसके नीचे दब गए जिनमें से अधिकतर बच्चें 12 से 19 वर्ष आयु के थे। अधिकारियों ने बताया कि केवल एक छात्र सुरक्षित बच गया, जबकि 95 अन्य को इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। इस दुर्घटना में आठ अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए और रविवार को भी अस्पताल में इलाजरत रहें। टेन्थ नवम्बर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के निर्माण विशेषज्ञ मुदजी इरमावन ने कहा, "तीसरी मंजिल के निर्माण के लिए कंक्रीट डालते समय निर्माण कार्य भार सहन नहीं कर सका क्योंकि यह मानकों के अनुरूप नहीं था।" सिदोअर्जो जिला प्रमुख सुबांडी ने कहा कि स्कूल प्रबंधन ने निर्माण कार्य शुरू करने से पहले आवश्यक अनुमति के लिए आवेदन नहीं किया था। इस दुर्घटना के बाद से स्कूल अधिकारियों की ओर से कोई टिप्पणी नहीं आई है।
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काठमांडू. पूर्वी नेपाल में विभिन्न स्थानों पर कल रात से हो रही मूसलाधार बारिश के कारण भूस्खलन और बाढ़ आई, जिसके कारण रविवार सुबह तक कम से कम 51 लोगों की मौत हो गई। सशस्त्र पुलिस बल (एपीएफ) के प्रवक्ता कालिदास धौवजी ने बताया कि पिछले दो दिनों में भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन के कारण कोशी प्रांत में इल्लम जिले के विभिन्न स्थानों पर कम से कम 37 लोगों की मौत हुई है। राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण एवं प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीआरआरएमए) ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि इन 37 लोगों में से देउमाई और माईजोगमाई नगरपालिका क्षेत्रों में आठ- आठ लोगों की मौत हुई, इल्लम नगरपालिका और संदकपुर ग्रामीण नगरपालिका में छह-छह, मंगसेबुंग में तीन और फाकफोकथुम गांव में एक व्यक्ति की मौत हुई है। बाढ़ और भूस्खलन के कारण उदयपुर में दो और पंचथार में एक व्यक्ति की मौत हो गई। इसके अलावा, रौतहट में बिजली गिरने से तीन और खोतांग जिले में दो लोगों की मौत हो गई।
इस बीच, पंचथार जिले में भारी बारिश के कारण सड़कें क्षतिग्रस्त होने के कारण हुई एक दुर्घटना में छह लोगों की मौत हो गई। रसुवा जिले के लांगटांग संरक्षण क्षेत्र में उफनती नदी में बह जाने से कम से कम चार लोग लापता हो गए, और इल्लम, बारा तथा काठमांडू में बाढ़ की घटनाओं में एक-एक व्यक्ति लापता हैं। धौबाजी ने बताया कि लांगंग क्षेत्र में ट्रैकिंग अभियान पर गए 16 लोगों में से चार लोग भी लापता हो गए हैं। नेपाल सेना, नेपाल पुलिस और एपीएफ के जवान बचाव अभियान में शामिल हैं।
सुरक्षाकर्मियों ने विमान से इल्लम जिले से एक गर्भवती महिला सहित चार लोगों को बचाया और उन्हें धरान नगरपालिका के एक अस्पताल में भर्ती कराया। नेपाल के सात प्रांतों में से पांच प्रांतों में मानसून सक्रिय है जिनमें कोशी, मधेश,बागमती, गण्डकी और लुम्बिनी शामिल हैं। पड़ोसी देश को मदद की पेशकश करते हुए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, ‘‘नेपाल में भारी बारिश से हुई जनहानि और क्षति दुखद है। इस कठिन समय में हम नेपाल की जनता और सरकार के साथ हैं।'' मोदी ने ‘एक्स' पर लिखा, ‘‘एक मित्रवत पड़ोसी और प्रथम प्रतिक्रियादाता के रूप में, भारत हरसंभव सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।'' इस बीच, नेपाल सरकार ने मौसम में सुधार को देखते हुए कुछ वाहनों को काठमांडू आने-जाने की अनुमति दे दी है। काठमांडू घाटी में रविवार को, पिछले दो दिनों की तुलना में कम बारिश हुई और कुछ राष्ट्रीय राजमार्गों से भूस्खलन के कारण हुई रुकावटें हटा दी गई हैं। एनडीआरआरएमए द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, ‘‘मानसून काउंटर कमांड पोस्ट के निर्णय के अनुसार, राष्ट्रीय राजमार्गों के बीच में रुकी आपातकालीन सेवाओं, माल परिवहन, यात्री वाहनों और छोटी दूरी के वाहनों को स्थानीय अधिकारियों के साथ समन्वय में सड़कों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए अपने गंतव्य की ओर जाने की अनुमति दी जाएगी।'' हलांकि, अगले आदेश तक जोखिम भरी सड़कों और राजमार्गों पर रात में वाहनों का आवागमन प्रतिबंधित कर दिया गया है। नेपाली अधिकारियों ने शनिवार को लगातार बारिश और अगले तीन दिनों तक भूस्खलन की संभावना के कारण काठमांडू से वाहनों के प्रवेश और निकास पर प्रतिबंध लगा दिया। बागमती और पूर्वी राप्ती नदियों के आसपास के क्षेत्रों के लिए भी रेड अलर्ट जारी किया गया।
अधिकारियों ने बताया कि मानसून के सक्रिय रहने के कारण शुक्रवार रात से काठमांडू और देश के अन्य हिस्सों में लगातार बारिश हो रही है। खराब मौसम के कारण शनिवार को भी त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (टीआईए) से घरेलू उड़ानें रोक दी गईं। टीआईए, काठमांडू के महाप्रबंधक हंसा राज पाण्डे ने कहा कि काठमांडू, भरतपुर, जनकपुर, भद्रपुर, पोखरा और तुमलिंगतार से घरेलू उड़ानें अगली सूचना तक रोक दी गई हैं।
- सिएटल (अमेरिका). अमेरिका में एच-1बी वीजा आवेदनों के लिए 1,00,000 अमेरिकी डॉलर के शुल्क के खिलाफ स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं, धार्मिक समूहों, विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों और अन्य लोगों के एक समूह ने शुक्रवार को एक संघीय अदालत में मुकदमा दायर किया। समूह ने मुकदमा दायर करते हुए कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन की इस योजना ने ‘‘नियोक्ताओं, श्रमिकों और संघीय एजेंसियों को अराजक स्थिति में डाल दिया है।'' ट्रंप प्रशासन ने नए एच1बी कामकाजी वीजा के लिए 1,00,000 अमेरिकी डॉलर के एकमुश्त शुल्क की घोषणा की है। सैन फ्रांसिस्को स्थित ‘यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट' में दायर मुकदमे में कहा गया है कि एच-1बी कार्यक्रम स्वास्थ्य सेवा कर्मियों और शिक्षकों की नियुक्ति का एक महत्वपूर्ण मार्ग है। मुकदमे में कहा गया है कि यह अमेरिका में नवोन्मेष एवं आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है और नियोक्ताओं को विशिष्ट क्षेत्रों में रिक्तियां भरने का अवसर प्रदान करता है। ‘डेमोक्रेसी फॉरवर्ड फाउंडेशन' और ‘जस्टिस एक्शन सेंटर' ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ‘‘इस मामले में कोई राहत नहीं मिलने पर अस्पतालों को चिकित्सा कर्मचारियों, गिरजाघरों को पादरियों एवं कक्षाओं को शिक्षकों की कमी का सामना करना पड़ेगा और देश भर के उद्योगों के ऊपर प्रमुख नवोन्मेषकों को खोने का खतरा है।'' इसमें बताया गया कि मुकदमे में अदालत से इस आदेश पर तुरंत रोक लगाने का अनुरोध किया गया है।
- ह्यूस्टन/हैदराबाद. अमेरिका के टेक्सास प्रांत में एक गैस स्टेशन पर अज्ञात हमलावरों ने 27 वर्षीय भारतीय छात्र की गोली मारकर हत्या कर दी । अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। चंद्रशेखर पोल कथित तौर पर डलास के गैस स्टेशन पर अंशकालिक रूप से काम कर रहे थे, जहां शुक्रवार को गोलीबारी हुई थी। स्थानीय मीडिया ने बताया कि गोलीबारी की यह घटना लूट के दौरान हुई। डलास पुलिस विभाग ने कहा कि मामले की जांच जारी है।पुलिस के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हम इस दुखद घटना से जुड़ी परिस्थितियों की जांच कर रहे हैं और मामले को स्पष्ट करने के लिए काम कर रहे हैं।'' मृतक के भाई दामोदर ने संवाददाताओं को बताया कि चंद्रशेखर ने हैदराबाद से डेंटल सर्जरी में स्नातक की डिग्री हासिल की थी और दो साल पहले ‘एमएस' करने के लिए अमेरिका गए थे। चंद्रशेखर ने नॉर्थ टेक्सास विश्वविद्यालय, डेंटन में डेटा एनालिटिक्स में मास्टर डिग्री के लिए नामांकन कराया था। चंद्रशेखर के भाई ने बताया कि उसने छह महीने पहले ही डिग्री पूरी की थी और नौकरी की तलाश में था। उन्होंने बताया कि चंद्रशेखर अपना खर्च वहन करने के लिए गैस स्टेशन पर अंशकालिक रूप से काम करता था। छात्र की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी ने शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की। मृतक छात्र के परिवार को सहायता का आश्वासन देते हुए रेवंत रेड्डी ने कहा कि उनकी सरकार पार्थिव शरीर को वापस लाने के लिए हरसंभव सहयोग करेगी। डलास काउंटी मेडिकल परीक्षक कार्यालय ने अभी तक मृत्यु का आधिकारिक कारण जारी नहीं किया है, न ही मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया है, जो कि पार्थिव शरीर को स्वदेश भेजने के लिए एक आवश्यक दस्तावेज है। भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के विधायक टी हरीश राव ने हत्या को 'दुखद' बताते हुए कहा कि उन्होंने और पार्टी के अन्य नेताओं ने शोक संतप्त परिवार से मुलाकात की और संवेदना व्यक्त की। ह्यूस्टन स्थित भारतीय महावाणिज्य दूतावास (सीजीआई) स्थानीय अधिकारियों और पीड़ित परिवार के साथ समन्वय कर रहा है। महावाणिज्य दूतावास ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा कि इस मामले की जांच जारी है तथा इस कठिन समय में वह परिवार को निरंतर सहायता प्रदान कर रहा है। इसके एक अधिकारी ने कहा, ‘‘हम पीड़ित परिवार को हर संभव राजनयिक सहायता प्रदान कर रहे हैं, जिसमें स्थानीय अधिकारियों के साथ संवाद को सुविधाजनक बनाना और आवश्यक कागजी कार्रवाई में तेजी लाना शामिल है। '
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मॉस्को. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ वार्षिक शिखर वार्ता के लिए दिसंबर में भारत आएंगे, जिसकी तैयारियां "जोर-शोर से" जारी हैं। रूसी राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन ने बृहस्पतिवार ने यह जानकारी दी। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने एक साक्षात्कार में कहा, “हां, हमने राष्ट्रपति की भारत यात्रा की समय-सीमा तय कर ली है। यात्रा नए साल की शुरुआत से पहले होगी।” पेसकोव ने कहा, “यात्रा की तैयारियां जोरों पर हैं।”
रूसी राष्ट्रपति ने आखिरी बार 2021 में नयी दिल्ली का दौरा किया था।भारत और रूस के बीच एक व्यवस्था है जिसके तहत भारत के प्रधानमंत्री और रूसी राष्ट्रपति संबंधों के संपूर्ण पहलुओं की समीक्षा के लिए हर साल एक शिखर सम्मलेन आयोजित करते हैं। अब तक, भारत और रूस में बारी-बारी से 22 वार्षिक शिखर वार्ता हो चुके हैं।पिछले साल जुलाई में, प्रधानमंत्री मोदी वार्षिक शिखर वार्ता के लिए मॉस्को गए थे। -
बोगो (फिलीपीन). मध्य फिलीपीन में आए विनाशकारी भूकंप के बाद बचावकर्मियों ने ढहे मकानों और अन्य क्षतिग्रस्त इमारतों में खुदाई करने वाले वाली मशीनों और खोजी कुत्तों की मदद से जीवित लोगों की तलाश की। फिलीपीन में आए शक्तिशाली भूकंप के कारण कम से कम 72 लोगों की मौत हो गई है और 200 से अधिक लोग घायल हुए हैं। अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार की रात लगभग 10 बजे 6.9 तीव्रता का भूकंप आया जिससे सेबू प्रांत के बोगो शहर और आसपास के गांवों में कई मकान, नाइट क्लब और व्यापारिक इमारतें ढह गईं तथा इनके मलबे में कई लोग फंस गए। इस भूकंप के कारण मारे गए लोगों की संख्या और बढ़ने की आशंका है। छिटपुट बारिश और क्षतिग्रस्त पुलों एवं सड़कों के कारण बचाव अभियान में बाधा पैदा हुई है।
नारंगी और पीले रंग की हैट पहने बचावकर्मियों ने एक ढही इमारत के मलबे में जीवित लोगों की तलाश करने के लिए स्पॉटलाइट, एक खुदाई मशीन एवं खोजी कुत्तों की मदद ली। भूकंप का केंद्र बोगो से लगभग 19 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में पांच किलोमीटर की गहराई में था। बोगो सेबू प्रांत का एक तटीय शहर है और इसकी आबादी लगभग 90,000 है। बोगो शहर के आपदा-शमन अधिकारी रेक्स यगोट ने बुधवार को ‘एसोसिएटेड प्रेस' को बताया कि भूस्खलन और चट्टानों से प्रभावित एक पहाड़ी गांव में झुग्गियों में खोज और बचाव कार्य में तेजी लाने के लिए बचावर्मियों ने वहां एक खुदाई मशीन ले जाने का प्रयास किया। एक अन्य आपदा न्यूनीकरण अधिकारी ग्लेन उर्सल ने कहा, ‘‘इस क्षेत्र में बचाव अभियान चलाना कठिन है क्योंकि यहां खतरनाक स्थितियां हैं।'' उन्होंने बताया कि कुछ जीवित लोगों को पहाड़ी गांव से अस्पताल लाया गया है। फिलीपीन ज्वालामुखी एवं भूकंप विज्ञान संस्थान ने कुछ देर के लिए सुनामी की चेतावनी जारी की थी और लोगों को सेबू तथा निकटवर्ती प्रांतों लेयते एवं बिलिरान के तटीय क्षेत्रों से दूर रहने की सलाह दी थी लेकिन कुछ ही घंटों बाद चेतावनी हटा ली गई। घबनाए हुए हजारों लोगों ने चेतावनी वापस लिए जाने के बावजूद अपने घरों में लौटने से इनकार कर दिया और वे रुक-रुक कर हो रही बारिश के बावजूद रात भर घास के खुले मैदानों और उद्यानों में ही रहे। भूकंप प्रभावित शहरों और कस्बों में स्कूल एवं सरकारी कार्यालय बंद कर दिए गए हैं और इमारतों की सुरक्षा की जांच की जा रही है। ‘फिलीपीन इंस्टीट्यूट ऑफ वोल्केनोलॉजी एंड सीस्मोलॉजी' के निदेशक टेरेसिटो बैकोलकोल ने बताया कि मंगलवार रात आए भूकंप के बाद 600 से अधिक झटके महसूस किए गए। सेबू और अन्य प्रांत उस उष्णकटिबंधीय तूफान से अभी उबर रहे थे जिसने शुक्रवार को मध्य क्षेत्र में तबाही मचाई थी जिससे कम से कम 27 लोगों की मौत हो गई थी। - वाशिंगटन. अमेरिका के उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को लिसा कुक को फिलहाल फेडरल रिजर्व गवर्नर बने रहने की अनुमति दे दी तथा उन्हें केंद्रीय बैंक से तत्काल हटाने संबंधी ट्रंप प्रशासन के अनुरोध पर कार्रवाई करने से इनकार कर दिया। एक आदेश में, उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह जनवरी में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कुक को फेड बोर्ड से हटाने के अनुरोध पर दलीलों को सुनेगा। अदालत इस बात पर विचार करेगी कि कुक के पक्ष में निचली अदालत के फैसले को रोका जाए या नहीं, जबकि ट्रंप द्वारा उन्हें बर्खास्त करने संबंधी फैसले के खिलाफ उनकी चुनौती जारी रहेगी। इसके अलावा, न्यायाधीश दिसंबर में एक संबंधित कानूनी लड़ाई में भी सुनवाई कर रहे हैं, जिसमें ट्रंप द्वारा अन्य स्वतंत्र संघीय एजेंसियों की निगरानी करने वाले बोर्ड के सदस्यों को बर्खास्त करने की कार्रवाई शामिल है। लेकिन मामले में यह दूसरा मुद्दा कुक के मामले पर सीधा प्रभाव डाल सकता है कि क्या संघीय न्यायाधीशों के पास बर्खास्तगी को रोकने का अधिकार है। ट्रंप ने फेड की ब्याज दर निर्धारण समिति की सितंबर की बैठक से पहले कुक को हटाने की कोशिश की थी। लेकिन एक न्यायाधीश ने फैसला सुनाया कि बर्खास्तगी अवैध थी, और एक अपील अदालत ने ट्रंप प्रशासन की अपील को खारिज कर दिया। पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा फेड बोर्ड में नियुक्त की गई कुक ने कहा है कि वह अपनी नौकरी नहीं छोड़ेंगी। उनके वकीलों में से एक, एब्बे लोवेल ने कहा है कि वह ‘‘सीनेट द्वारा पुष्टि किये गये बोर्ड गवर्नर के रूप में अपने कर्तव्यों का पालन करना जारी रखेंगी।'' इसके अलावा, सीनेट रिपब्लिकन ने हाल में फेड बोर्ड में एक रिक्त पद के लिए ट्रंप द्वारा नामित स्टीफन मिरान की नियुक्ति की पुष्टि की थी। कुक और मिरान दोनों ने फेड की हाल में हुई बैठक में हिस्सा लिया था। कुक को वोट देने का अगला मौका फेड की ब्याज दर निर्धारण समिति की बैठक में मिलेगा। यह बैठक 28-29 अक्टूबर को निर्धारित है। ट्रंप ने कुक पर ऋण धोखाधड़ी का आरोप लगाया है क्योंकि उन्होंने फेड बोर्ड में शामिल होने से पहले जून और जुलाई 2021 में मिशिगन और जॉर्जिया में दो संपत्तियों को ‘‘प्राथमिक आवास'' के रूप में बताया था। कुक ने कोई भी गलत काम करने से इनकार किया है और उन पर कोई अपराध का आरोप नहीं लगाया गया है।
- लंदन. गरीबी में पले-बढ़े 18 वर्षीय छात्र-अन्वेषक आदर्श कुमार को बुधवार को लंदन में एक समारोह में एक लाख अमेरिकी डॉलर के ‘ग्लोबल स्टूडेंट प्राइज 2025' का विजेता घोषित किया गया। आदर्श को 148 देशों से प्राप्त लगभग 11,000 नामांकनों और आवेदनों में से इस वार्षिक पुरस्कार के लिए चुना गया। यह पुरस्कार ऐसे असाधारण छात्र को दिया जाता है जिसने शिक्षा और समग्र समाज पर वास्तविक प्रभाव डाला हो। बिहार के चंपारण में जन्मे आदर्श का पालन-पोषण अकेले उनकी मां ने किया है। उनकी मां ने आदर्श की पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए दूसरे के घरों में झाड़ू-पोछा का काम किया। आदर्श जयपुर के जयश्री पेरीवाल इंटरनेशनल स्कूल (जेपीआईएस) में 30 लाख रुपये की पूर्ण छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले पहले छात्र बने और अब वह दूसरों को भी इसे प्राप्त करने के लिए मदद करते हैं। लंदन में पुरस्कार प्राप्त करने के बाद आदर्श ने कहा, ‘‘यह पुरस्कार जीतना अविश्वसनीय है।''उन्होंने कहा, ‘‘ग्लोबल स्टूडेंट प्राइज जीतने से मुझे और ज्यादा मेहनत करने का आत्मविश्वास मिला है। दूसरों के लिए मेरा संदेश यही है: खुद वह बनिए जो आप देखना चाहते हैं। बदलाव पहले अपने अंदर से शुरू होना चाहिए और फिर दुनिया में। दुनिया उन लोगों का सम्मान करती है जो सपने देखने की हिम्मत रखते हैं, इसलिए कृपया बड़े सपने देखें।'' आदर्श को यूट्यूब और गूगल से छोटी उम्र में ही ‘कोडिंग' और स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी का तब तब पता चला जब उनकी मां ने उन्हें लैपटॉप दिलाने के लिए अपनी जीवन भर की बचत खर्च कर दी थी। उन्होंने आठवीं कक्षा में अपना पहला उद्यम शुरू किया, जो असफल रहा। लेकिन उनके दूसरे उद्यम, ‘मिशन बदलाव' ने 1,300 परिवारों को आयुष्मान भारत कार्ड, पेंशन, कोविड-19 टीके और स्कूल नामांकन जैसी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने में मदद की। आदर्श 14 साल की उम्र में महज 1,000 रुपये लेकर आईआईटी-जेईई की कोचिंग की तलाश में कोटा चले गए। कोचिंग की लागत उनके बजट से बाहर होने के कारण, उन्होंने लाइब्रेरी के मुफ्त वाई-फाई का इस्तेमाल ईमेल भेजने के लिए किया और आखिरकार पाठ्यक्रम में शामिल होने, स्टार्ट-अप में इंटर्नशिप करने और संस्थापकों के साथ काम करने में कामयाब रहे। ‘‘स्किलज़ो'' का जन्म अंततः एक ऐसे मंच के रूप में हुआ जो उद्यमिता कौशल में पहुंच, मार्गदर्शन और कार्यक्रम की सहूलियत देता है। इससे 20,000 से अधिक वंचित छात्र लाभान्वित हुए हैं, जिनमें से अनेक अब छात्रवृत्ति प्राप्त कर रहे हैं, उद्यम शुरू कर रहे हैं और राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं जीत रहे हैं। पुरस्कार प्रदान करने वाली संस्था चेग इंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और अध्यक्ष नाथन शुल्ट्ज़ ने कहा, ‘‘आदर्श की कहानी एक व्यक्तिगत विजय से कहीं अधिक है - यह दुनिया भर के युवा परिवर्तनकर्ताओं के साहस और धैर्य का एक शक्तिशाली प्रतीक है, जिनकी आवाज सुनी जानी चाहिए और जिनकी कहानियां दुनिया को प्रेरित कर सकती हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘ आदर्श जैसी कहानियां हमें याद दिलाती हैं कि जब छात्रों को उनके दृष्टिकोण पर काम करने के लिए समर्थन और मंच दिया जाता है, तो वे कितना असाधारण प्रभाव डाल सकते हैं।''
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काठमांडू. नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने बुधवार को अपने सरकारी आवास पर 10 दिवसीय ‘बड़ा दशईं' या ‘विजयादशमी' त्योहार के नौवें दिन महा नवमी मनाई। नेपाल के राष्ट्राध्यक्ष ने इस अवसर पर देवी नवदुर्गा के अवतार के रूप में नौ कन्याओं की पूजा की तथा अपने आधिकारिक आवास शीतल निवास में एक विशेष समारोह में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार पूजा-अर्चना की। परंपरा के अनुसार, राष्ट्राध्यक्ष महा नवमी के दिन ‘नवकन्या' अनुष्ठान करते हैं।
आश्विन शुक्ल प्रतिपदा या चंद्र कैलेंडर के अनुसार शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि से शुरू होकर ‘बड़ा दशईं' अगली पूर्णिमा, कोजाग्रत पूर्णिमा तक चलता है। लोग कोजाग्रत पूर्णिमा तक भोज का आयोजन करके और माथे पर टीका लगाकर इस त्योहार को मनाते हैं। काठमांडू लगभग सुनसान है, क्योंकि राजधानी में रहने वाले आधे लोग त्योहार के लिए अपने पैतृक स्थानों पर लौट गए हैं। इस बीच, मंगलवार और बुधवार को विजयादशमी के 8वें और 9वें दिन काठमांडू और आसपास के दुर्गा मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखी गई। इस अवसर पर हजारों लोगों ने काठमांडू के विभिन्न मंदिरों में देवी दुर्गा की पूजा-अर्चना की। ‘द हिमालयन'अखबार की खबर के मुताबिक देश भर में सुरक्षा बलों ने बुधवार को ‘कोट पूजा' या शस्त्रागार पूजा की। -
न्यूयॉर्क/वाशिंगटन/ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि उन्होंने सात वैश्विक संघर्षों को खत्म कराने में भूमिका निभाई है, इसके बावजूद अगर नोबेल पुरस्कार उन्हें नहीं दिया जाता है तो यह अमेरिका के लिए ‘‘बड़े अपमान की बात'' होगी। गाजा संघर्ष को समाप्त कराने की योजना का जिक्र करते हुए ट्रंप ने मंगलवार को क्वांटिको में सैन्य अधिकारियों को अपने संबोधन में कहा, ‘‘मुझे लगता है, हमने इसे सुलझा लिया है। अब, हमास को सहमत होना होगा और अगर वे नहीं मानते, तो उनके लिए बहुत मुश्किल होगा। सभी अरब, मुस्लिम राष्ट्र इससे सहमत हैं। इजराइल सहमत है। यह एक अद्भुत बात है कि सभी साथ आ गए हैं।'' ट्रंप ने कहा कि अगर सोमवार को घोषित गाजा संघर्ष को समाप्त कराने की उनकी योजना कामयाब हो जाती है तो उन्होंने कुछ ही महीनों में आठ संघर्षों को सुलझा लिया है। ट्रंप ने कहा, ‘‘यह शानदार है। कोई ऐसा कभी नहीं कर पाया। फिर भी, ‘क्या आपको नोबेल पुरस्कार मिलेगा?' बिल्कुल नहीं। वे इसे किसी ऐसे व्यक्ति को देंगे जिसने कुछ भी नहीं किया। वे इसे ऐसे व्यक्ति को देंगे जिसने डोनाल्ड ट्रंप के विचारों और युद्ध को सुलझाने के लिए क्या किया गया, इस पर कोई किताब लिखी है... जी हां, नोबेल पुरस्कार किसी लेखक को मिलेगा। लेकिन देखते हैं क्या होता है।'' उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारे देश के लिए बड़े अपमान की बात होगी। मैं आपको बता दूं कि मैं ऐसा नहीं चाहता। मैं चाहता हूं कि यह देश को मिले। यह सम्मान देश को मिलना ही चाहिए क्योंकि ऐसा कुछ पहले कभी नहीं हुआ। इस बारे में सोचिएगा जरूर। मुझे लगता है कि यह (गाजा संघर्ष को समाप्त करने की योजना) सफल होगा। मैं यह बात हल्के में नहीं कह रहा, क्योंकि मैं समझौतों के बारे में किसी से भी ज्यादा जानता हूं।'' उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन, आठ समझौते करना वाकई सम्मान की बात है।
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नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने सोमवार को बड़ा ऐलान किया। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा कि अब विदेशों में बनी हर फिल्म पर 100 फीसदी टैरिफ लगेगा। उनका कहना है कि दूसरे देशों ने अमेरिका का मूवी-मेकिंग बिजनेस चुरा लिया है, जो कि बच्चे के हाथ से कैंडी छीनने जैसा है। ट्रंप ने इस पोस्ट में कैलिफोर्निया को खास तौर पर निशाना बनाया। उन्होंने वहां के गवर्नर को कमजोर और नाकाम बताया।
ट्रंप ने दावा किया कि उनका मकसद है कि अमेरिका में फिर से फिल्में बनें, जिससे जॉब्स बढ़ें और इंडस्ट्री मजबूत हो।हॉलीवुड का बुरा हाल, विदेशी ऑफर्स का असरट्रंप ने दावा किया कि उनका मकसद अमेरिका में फिर से फिल्मों का निर्माण कराना है, ताकि रोजगार बढ़े और इंडस्ट्री मजबूत हो।उन्होंने मई में भी हॉलीवुड की हालत पर चिंता जताई थी। उस समय कहा था कि अमेरिकी मूवी इंडस्ट्री “बहुत तेजी से मर रही है”, क्योंकि विदेशी देश टैक्स छूट और कैश रिबेट देकर अमेरिकी फिल्ममेकर्स को आकर्षित कर रहे हैं। ट्रंप ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बताते हुए कहा था कि यह “प्रोपेगैंडा का हिस्सा” है। तब उन्होंने वाणिज्य विभाग जैसी अमेरिकी एजेंसियों को टैरिफ लागू करने का अधिकार देने की बात कही थी।फर्नीचर इंडस्ट्री का भी बुरा हाल: ट्रंपइसके साथ ही ट्रंप ने कहा कि उत्तरी कैरोलिना की फर्नीचर इंडस्ट्री भी बुरे दौर से गुजर रही है। उन्होने ट्रुथ सोशल पर लिखा कि उत्तरी कैरोलिना का फर्नीचर इंडस्ट्री पूरी तरह खत्म हो गया है। चीन और कुछ अन्य देशों ने अमेरिकी व्यापारियों से यह उद्योग छीन लिया है। इसलिए जो भी देश अमेरिका में फर्नीचर नहीं बनाएगा उसके सामान पर भारी टैरिफ लगाया जाएगा। ट्रंप ने यह भी कहा कि इस बारे में और डिटेल बाद में शेयर किए जाएंगे। -
काठमांडू. 'जेन-जेड' विरोध प्रदर्शनों के दौरान नेपाल की विभिन्न जेलों से भागे 7,700 से अधिक कैदी या तो वापस लौट आए हैं या उन्हें उनके संबंधित हिरासत केंद्रों में वापस लाया गया है। प्राधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी। जेल प्रबंधन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, आठ और नौ सितंबर को 'जेन-जेड' विरोध प्रदर्शनों के दौरान, देश भर के हिरासत केंद्रों से कुल 14,558 कैदी भाग गए थे। सुरक्षा बलों के साथ झड़प के दौरान दस कैदियों की मौत हो गई है, जबकि 7,735 कैदी जेलों में लौट आए हैं। कुछ कैदी स्वेच्छा से वापस लौट आये हैं, जबकि अन्य को सुरक्षा बलों ने गिरफ्तार कर लिया है।
हालांकि, विभिन्न जेलों से 6,813 कैदी अभी भी फरार हैं। सरकार ने फरार कैदियों की गिरफ्तारी के लिए अभियान शुरू कर दिया है। -
संयुक्त राष्ट्र.विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत अपने विकल्प का चुनाव करने की स्वतंत्रता हमेशा कायम रखेगा और यह समकालीन विश्व में तीन प्रमुख सिद्धांत 'आत्मनिर्भरता', 'आत्मरक्षा' और 'आत्मविश्वास पर आगे बढ़ रहा है। जयशंकर ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें उच्चस्तरीय सत्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘भारत के लोगों की ओर से नमस्कार।'' वैश्विक नेताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत समकालीन विश्व में तीन प्रमुख सिद्धांत 'आत्मनिर्भरता', 'आत्मरक्षा' और 'आत्मविश्वास- के सिद्धांत पर आगे बढ़ रहा है। विदेश मंत्री ने कहा कि 'आत्मनिर्भरता' का अर्थ है, ‘‘अपनी क्षमताएं बढ़ाना, अपनी ताकत बढ़ाना और अपनी प्रतिभा को आगे बढ़ने देना।'' उन्होंने कहा, ‘‘चाहे विनिर्माण क्षेत्र में हो, अंतरिक्ष कार्यक्रमों में हो, दवाइयों के उत्पादन में हो या डिजिटल अनुप्रयोगों में हो, हम इसके परिणाम देख ही रहे हैं। भारत में निर्माण और नवाचार से विश्व को भी लाभ होता है।'' जयशंकर ने ‘आत्मरक्षा' पर विस्तार से बात करते हुए कहा कि भारत अपने लोगों की रक्षा और देश व विदेश में उनके हितों को सुरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, ‘‘ इसका मतलब आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करना , हमारी सीमाओं की मजबूत सुरक्षा, विभिन्न देशों के साथ साझेदारी कायम करना और विदेश में अपने समुदाय की सहायता करना है।'' उन्होंने कहा कि ‘आत्मविश्वास' का तात्पर्य है कि सबसे अधिक आबादी वाले देश, और तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में, ‘‘हमें पता हो कि फिलहाल हम कहां है और भविष्य में हमें कहां होना है। भारत अपने विकल्प का चुनाव करने की स्वतंत्रता हमेशा कायम रखेगा और हमेशा ग्लोबल साउथ की आवाज बना रहेगा।'' जयशंकर ने कहा कि ऐसे समय में जब यूक्रेन और पश्चिम एशिया में दो अहम संघर्ष जारी हैं तो यह प्रश्न अवश्य पूछा जाना चाहिए कि क्या संयुक्त राष्ट्र अपेक्षाओं पर खरा उतरा है। उन्होंने कहा, "हममें से प्रत्येक के पास शांति और समृद्धि में योगदान देने का अवसर है। संघर्षों के मामले में, विशेष रूप से यूक्रेन और गाजा में यहां तक कि उन देशों ने भी संघर्ष का प्रभाव महसूस किया है जो सीधे तौर पर इसमें शामिल नहीं हैं।'' विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘जो राष्ट्र सभी पक्षों के साथ तालमेल बिठा सकते हैं उन्हें समाधान खोजने के लिए आगे आना चाहिए। भारत शत्रुता समाप्त करने का आह्वान करता है और शांति बहाल करने में मदद करने वाली किसी भी पहल का समर्थन करेगा।'' उन्होंने कहा कि ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा, विशेष रूप से 2022 के बाद से संघर्ष और व्यवधान की सबसे अधिक शिकार रही हैं। जयशंकर ने व्यापार के मुद्दे पर भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा, अब हम शुल्क में अस्थिरता और अनिश्चित बाज़ार का सामना कर रहे हैं। परिणामस्वरूप, जोखिम से बचना अहम होता जा रहा है, चाहे वह आपूर्ति के सीमित स्रोतों से हो या किसी खास बाजार पर अत्यधिक निर्भरता से।'' उनकी यह टिप्पणी दुनिया भर के देशों पर अमेरिका द्वारा शुल्क लगाए जाने की पृष्ठभूमि में आई है। ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाया है, जिसमें 25 प्रतिशत शुल्क रूस से तेल की खरीद पर लगाया गया है।
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आइजोल. मिजोरम की सबसे बुजुर्ग महिला लालनेइहसांगी का वृद्धावस्था संबंधी बीमारियों के कारण यहां एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 108 वर्ष की थीं। उनके परिवार ने यह जानकारी दी। महिला के परिवार ने बताया कि शनिवार शाम करीब सात बजकर 55 मिनट पर आइज़ोल के ‘एबेनेजर मेडिकल सेंटर' में उनका निधन हो गया। अंतिम संस्कार रविवार अपराह्न करीब एक बजे आइजोल के खटला मोहल्ले में उनके आवास पर किया जाएगा। लालनेइहसांगी को स्थानीय लोग प्यार से ‘पी बुआंगी' कहते थे। उन्हें 13 सितंबर को समाज कल्याण मंत्री लालरिनपुई ने मिजोरम की सबसे बुजुर्ग महिला घोषित किया था। आइजोल के वेंघलुई इलाके में जन्मी और पली-बढ़ी लालनेइहसांगी 14 अप्रैल को 108 वर्ष की हो गईं।
उन्होंने कोलकाता के बेहाला गर्ल्स होम में काम किया था, जिसके कारण उन्होंने पुनर्वास केंद्र में काम करने वाली मिजो समुदाय की पहली महिला होने का गौरव हासिल किया। समाज में उनके योगदान के लिए उन्हें 2022 में ‘वुमेन ऑफ सब्सटेंस' पुरस्कार से सम्मानित किया . - वॉशिंगटन। अमेरिका और कोलंबिया के बीच तनाव उस समय और बढ़ गया, जब अमेरिकी विदेश विभाग ने घोषणा की कि वह लैटिन अमेरिकी देश कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेत्रो का वीज़ा रद्द कर रहा है। यह फैसला न्यूयॉर्क में हुए एक प्रदर्शन के बाद लिया गया, जिसमें पेत्रो ने अमेरिकी सैनिकों से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश को न मानने की अपील की थी। विदेश विभाग ने सोशल मीडिया पर कहा, “हम पेत्रो का वीज़ा उनके लापरवाह और भड़काऊ कृत्यों के कारण रद्द करेंगे।” पेत्रो संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक अधिवेशन में भाग लेने के लिए आए थे। शुक्रवार को गाज़ा युद्ध के खिलाफ पास में आयोजित एक प्रदर्शन के दौरान उन्होंने कहा, “मैं अमेरिका की सेना के सभी सैनिकों से कहता हूं, अपनी बंदूकें मानवता पर न तानो” और ट्रंप के आदेशों की अवज्ञा करो।” यह स्पष्ट नहीं है कि इस फैसले के चलते पेत्रो को अमेरिका से अपेक्षित समय से पहले लौटना पड़ा या नहीं। विदेश विभाग ने यह भी स्पष्ट नहीं किया कि वीज़ा रद्द होने से उनकी भविष्य की यात्राओं पर असर पड़ेगा या नहीं।
- वाशिंगटन,। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को कहा कि वह ओरेगॉन के पोर्टलैंड शहर में सेना भेजेंगे, तथा ‘‘घरेलू आतंकवादियों'' से निपटने में जरूरत पड़ने पर इसके इस्तेमाल की अनुमति देंगे। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि वह रक्षा विभाग को निर्देश दे रहे हैं कि वह ‘‘युद्धग्रस्त पोर्टलैंड की रक्षा के लिए आवश्यकतानुसार सैनिक उपलब्ध कराए।'' ट्रंप ने कहा कि यह निर्णय अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन संस्थानों की सुरक्षा के लिए आवश्यक था, जिसे उन्होंने ‘‘एंटीफा और अन्य घरेलू आतंकवादियों के निशाने पर'' बताया। रूढ़िवादी कार्यकर्ता चार्ली किर्क की हत्या के बाद से, राष्ट्रपति ट्रंप ने ‘रैडिकल लेफ्ट'' का सामना करने के अपने प्रयासों को तेज कर दिया है, जिसे वे देश की राजनीतिक हिंसा की समस्याओं के लिए जिम्मेदार मानते हैं। उन्होंने गर्मियों में लॉस एंजिलिस में नेशनल गार्ड और सक्रिय-ड्यूटी वाली मरीन को तैनात किया था।पोर्टलैंड स्थित आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) केंद्र लगातार प्रदर्शनों का निशाना रहा है, जिससे कई बार हिंसक झड़पें भी हुईं। कुछ संघीय एजेंट घायल हुए हैं और कई प्रदर्शनकारियों पर हमले का आरोप लगाया गया है। वहीं टेनेसी में मेमफिस, नेशनल गार्ड सैनिकों की संख्या बढ़ाने के लिए तैयारी कर रहा है और शुक्रवार को रिपब्लिकन गवर्नर बिल ली ने कहा कि ये शहर में अपराध का मुकाबला करने में योगदान देंगे।
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संयुक्त राष्ट्र.विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि आतंकवाद विकास के लिए "लगातार खतरा" बना हुआ है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि दुनिया को आतंकवादी गतिविधियों के प्रति न तो सहिष्णुता दिखानी चाहिए और न ही उन्हें सहयोग देना चाहिए। यहां जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि जो देश किसी भी मोर्चे पर आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं, वे "समग्र रूप से अंतरराष्ट्रीय समुदाय की बड़ी सेवा" करते हैं। अंतरराष्ट्रीय शांति और वैश्विक विकास के बीच संबंधों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में दोनों में गिरावट आई है। उन्होंने कहा, "विकास के लिए एक निरंतर खतरा आतंकवाद है जो शांति में बाधा डालने वाला है।" उन्होंने कहा, "यह जरूरी है कि दुनिया आतंकवादी गतिविधियों के प्रति न तो सहिष्णुता दिखाए और न ही उन्हें सहयोग दे।" जयशंकर ने कहा कि जैसे-जैसे दुनिया संघर्ष, आर्थिक दबाव और आतंकवाद का सामना कर रही है, बहुपक्षवाद और संयुक्त राष्ट्र की सीमाएं स्पष्ट दिखाई दे रही हैं। उन्होंने कहा, "बहुपक्षवाद में सुधार की आवश्यकता पहले कभी इतनी अधिक नहीं थी।" उन्होंने कहा कि आज अंतराष्ट्रीय हालात राजनीतिक और आर्थिक दोनों ही दृष्टि से अस्थिर है। जयशंकर ने कहा, "जी-20 के सदस्य के रूप में हमारी विशेष जिम्मेदारी है कि हम इसकी स्थिरता को मजबूत करें तथा इसे अधिक सकारात्मक दिशा प्रदान करें, जो कि वार्ता और कूटनीति के माध्यम से आतंकवाद का दृढ़तापूर्वक मुकाबला करके तथा मजबूत ऊर्जा एवं आर्थिक सुरक्षा की आवश्यकता को समझकर सर्वोत्तम ढंग से किया जा सकता है।"
- काठमांडू. नेपाल की प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने मंगलवार को निर्वाचन आयोग के अधिकारियों के साथ आम चुनाव की तैयारियों पर चर्चा की। कार्की (73) के 12 सितंबर को नेपाल का प्रधानमंत्री बनने के साथ देश में जारी राजनीतिक अनिश्चितता का दौर खत्म हो गया। भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के मुद्दे को लेकर युवाओं के नेतृत्व में अपनी सरकार के खिलाफ प्रदर्शनों के बाद केपी शर्मा ओली को प्रधानमंत्री पद से हटना पड़ा था। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने प्रधानमंत्री कार्की की सिफारिश पर प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया और नए चुनाव कराने के लिए पांच मार्च की तारीख की घोषणा की। अधिकारियों के अनुसार, सिंह दरबार स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय में हुई बैठक के दौरान प्रधानमंत्री कार्की और कार्यवाहक मुख्य निर्वाचन आयुक्त राम प्रसाद भंडारी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने आवश्यक कानूनी संशोधनों, चुनाव प्रबंधन, संसाधन जुटाने और अन्य संबंधित मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। बैठक में शामिल कानून मंत्री अनिल कुमार सिन्हा ने संवाददाताओं को बताया कि चर्चा का मुख्य विषय चुनाव तैयारियों में बाधा उत्पन्न करने वाले किसी भी मुद्दे की पहचान करना और उसका समाधान करना था। बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में निर्वाचन आयोग के प्रवक्ता नारायण प्रसाद भट्टराई ने इसे आम चुनाव की तैयारियों के संबंध में सरकार के साथ प्रारंभिक बातचीत बताया। उन्होंने कहा कि सरकार और निर्वाचन आयोग दोनों इस बात पर सहमत हुए कि नए चुनाव निर्धारित समय पर कराए जाने चाहिए।
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नई दिल्ली। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने अफ्रीका और एशिया के नौ देशों के नागरिकों के लिए टूरिस्ट और वर्क वीजा पर अस्थायी रोक लगा दी है। हालांकि इस पर अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन एक आंतरिक इमिग्रेशन सर्कुलर से यह जानकारी सामने आई है। यह कदम सुरक्षा, स्वास्थ्य और माइग्रेशन को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच उठाया गया माना जा रहा है।
UAE Visa Ban से कौन-कौन से देश प्रभावित हैंसर्कुलर के अनुसार, 2026 से निम्न देशों के नागरिक यूएई में नए टूरिस्ट वीजा या वर्क परमिट के लिए आवेदन नहीं कर पाएंगे:अफगानिस्तानलीबियायमनसोमालियालेबनानबांग्लादेशकैमरूनसूडानयूगांडाध्यान देने वाली बात यह है कि यह केवल वीजा रोक है, यात्रा पर पूरी पाबंदी नहीं। जिन लोगों के पास पहले से वैध यूएई वीजा है, वे यूएई में कानूनी रूप से रह सकते हैं या काम कर सकते हैं।यूएई सरकार ने अभी तक आधिकारिक कारण नहीं बताया है, लेकिन रिपोर्ट्स में कुछ मुख्य वजहें सामने आई हैं:अधिकारियों ने कहा है कि यह कदम संभावित खतरों से बचाव के लिए है। इसमें फर्जी दस्तावेज़, आतंकवाद संबंधी खतरे और अवैध प्रवास जैसी समस्याओं को ध्यान में रखा गया है।कुछ देशों के साथ द्विपक्षीय तनाव भी इस नीति को प्रभावित कर सकते हैं। यूएई कभी-कभी अपनी वीजा नीतियों के माध्यम से कूटनीतिक संदेश भी देता है। COVID-19 महामारी के बाद स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर वीजा प्रक्रिया में सतर्कता बनी हुई है। कुछ देशों में स्वास्थ्य जांच की कमी और कमजोर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के कारण जोखिम देखा गया है। -
न्यूयॉर्क. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को यहां अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से मुलाकात की तथा ‘‘वर्तमान चिंता'' के विभिन्न द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की।। दोनों नेताओं के बीच यह बातचीत ऐसे समय हुई, जब संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) का उच्च-स्तरीय 80वां सत्र शुरू होने वाला है। लोटे न्यूयॉर्क पैलेस में रुबियो और जयशंकर के बीच यह बैठक रूस से तेल की खरीद को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाए जाने के बाद, आमने-सामने की पहली मुलाकात है। इसके साथ ही भारत पर अमेरिका द्वारा लगाया गया टैरिफ बढ़कर 50 प्रतिशत हो गया है। जयशंकर ने सोशल मीडिया पर कहा, ‘‘आज सुबह न्यूयॉर्क में विदेश मंत्री मार्को रुबियो से मिलकर अच्छा लगा। हमारी बातचीत में वर्तमान चिंता के कई द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा हुई। प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में प्रगति के लिए निरंतर जुड़ाव के महत्व पर सहमति बनी। हम संपर्क में बने रहेंगे।'' दोनों नेता पिछली बार जुलाई में वाशिंगटन में क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए मिले थे। यह द्विपक्षीय बैठक ऐसे दिन हुई, जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने को लेकर भी बातचीत होने वाली है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को न्यूयॉर्क में अमेरिकी पक्ष से मुलाकात करेगा। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार समझौते पर शीघ्र निष्कर्ष निकालने के लिए चर्चा को आगे बढ़ाना है।'' बयान में कहा गया है कि 16 सितंबर को अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय के अधिकारियों की भारत यात्रा के दौरान व्यापार समझौते के विभिन्न पहलुओं पर सकारात्मक चर्चा हुई थी और इस संबंध में प्रयास तेज करने का निर्णय लिया गया था। विदेश मंत्री जयशंकर संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्च-स्तरीय सत्र में हिस्सा लेने के लिए रविवार को न्यूयॉर्क पहुंचे थे। वह सत्र के इतर द्विपक्षीय और बहुपक्षीय बैठकें करेंगे और 27 सितंबर को आम बहस में यूएनजीए मंच से राष्ट्रीय वक्तव्य देंगे।
- लंदन. ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा ने अमेरिका और इजराइल के विरोध को दरकिनार करते हुए फलस्तीनी राष्ट्र को औपचारिक रूप से मान्यता देने की रविवार को पुष्टि की। राष्ट्रमंडल में शामिल और इजराइल के लंबे समय से सहयोगी इन देशों की यह पहल गाजा में जारी युद्ध में इजराइल की हरकतों के प्रति बढ़ते आक्रोश को दर्शाती है। इस बीच, इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि फलस्तीनी राष्ट्र की स्थापना "नहीं होगी।" उन्होंने विदेशी नेताओं पर हमास को "इनाम" देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "ऐसा नहीं होगा। जॉर्डन नदी के पश्चिम में फलस्तीनी राष्ट्र की स्थापना नहीं होगी।"ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केअर स्टॉर्मर इजराइल के खिलाफ कड़ा रुख नहीं अपनाने के लिए अपनी सत्तारूढ़ लेबर पार्टी में भारी दबाव का सामना कर रहे थे। ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य फलस्तीनियों और इजराइलियों के बीच शांति की उम्मीदों को जिंदा रखना है। हालांकि, उन्होंने कहा कि यह हमास के लिए कोई तोहफा नहीं है। स्टार्मर ने एक वीडियो संदेश में कहा, “मैं शांति और द्वि-राष्ट्र समाधान की आशा को पुनर्जीवित करने के लिए इस महान देश के प्रधानमंत्री के रूप में स्पष्ट रूप से कहता हूं कि ब्रिटेन औपचारिक रूप से फलस्तीन राष्ट्र को मान्यता देता है।” उन्होंने कहा, “हमने 75 साल से भी पहले इजराइल राष्ट्र को यहूदी लोगों की मातृभूमि के रूप में मान्यता दी थी। आज हम उन 150 से अधिक देशों में शामिल हो गए हैं, जो फलस्तीनी राष्ट्र को भी मान्यता देते हैं। यह फलस्तीनी और इजराइली लोगों के लिए एक बेहतर भविष्य की प्रतिज्ञा है।” जुलाई में स्टॉर्मर ने कहा था कि अगर इजराइल गाजा पट्टी में संघर्ष-विराम के लिए सहमत नहीं होता है, तो ब्रिटेन फलस्तीनी राष्ट्र को मान्यता देगा। इस सप्ताह संयुक्त राष्ट्र महासभा में फ्रांस समेत और अधिक देशों के ऐसा करने की उम्मीद है। ब्रिटेन की तरह फ्रांस भी सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में शामिल है। आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज ने अपने बयान में कहा कि रविवार को तीन देशों की ओर से की गईं घोषणाएं “द्वि-राष्ट्र समाधान को नयी गति देने के समन्वित अंतरराष्ट्रीय प्रयास का हिस्सा हैं।” फलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने ब्रिटेन की घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप न्यायपूर्ण शांति कायम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण व आवश्यक कदम है। ब्रिटेन ने अमेरिका के विरोध को दरकिनार करते हुए यह कदम उठाया है। कुछ दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिटेन की यात्रा के दौरान इस योजना से असहमति जताई थी। ट्रंप ने कहा था, “इस मामले पर मैं प्रधानमंत्री (स्टॉर्मर) से असहमत हूं।”अमेरिका और इजराइल सरकार के साथ-साथ विभिन्न आलोचकों ने इस योजना की निंदा करते हुए कहा है कि यह हमास और आतंकवाद को बढ़ावा देगी। आलोचकों का तर्क है कि मान्यता देना अनैतिक और एक खोखला कदम है, क्योंकि फलस्तीनी लोग दो क्षेत्रों- वेस्ट बैंक और गाजा- में विभाजित हैं, जिनकी कोई मान्यता प्राप्त अंतरराष्ट्रीय राजधानी नहीं है। पिछले 100 वर्षों में पश्चिम एशिया की राजनीति में फ्रांस और ब्रिटेन की ऐतिहासिक भूमिका रही है। प्रथम विश्व युद्ध में ओटोमन साम्राज्य की हार के बाद दोनों देशों ने इस क्षेत्र का विभाजन किया था। इस विभाजन के परिणामस्वरूप, तत्कालीन फलस्तीन पर ब्रिटेन का शासन स्थापित हुआ। ब्रिटेन ने ही 1917 में बैल्फोर घोषणापत्र भी तैयार किया था, जिसमें “यहूदी लोगों के लिए एक राष्ट्र” की स्थापना का समर्थन किया गया था। हालांकि, घोषणापत्र के दूसरे भाग को दशकों से काफी हद तक नजरअंदाज किया गया है। इसमें कहा गया है कि “ऐसा कुछ भी नहीं किया जाएगा, जिससे फलस्तीनी लोगों के नागरिक व धार्मिक अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े।” लंदन में स्थित रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट में पश्चिम एशिया सुरक्षा के वरिष्ठ अनुसंधान विद बुर्कू ओजेलिक ने कहा, “फ्रांस और ब्रिटेन के लिए फलस्तीन को मान्यता देना महत्वपूर्ण है, क्योंकि पश्चिम एशिया में इन दोनों देशों की विरासत रही है।” उन्होंने कहा, “लेकिन मुझे लगता है कि फलस्तीन के मामले में अमेरिका को साथ लिये बिना जमीनी स्तर पर बहुत कम बदलाव आएगा।” ब्रिटेन में फलस्तीनी मिशन के प्रमुख हुसम जोमलोट ने ‘बीबीसी' से कहा कि मान्यता देने से औपनिवेशिक काल की एक गलती सुधर जाएगी। जोमलोट ने कहा, “मुझे लगता है कि आज ब्रिटेन…
- काठमांडू. नेपाल की प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने रविवार को अंतरिम सरकार में पांच नये मंत्रियों को शामिल किया। इसके साथ ही कार्की के मंत्रिमंडल में सदस्यों की संख्या बढ़कर नौ हो गई। राष्ट्रपति कार्यालय के सूत्रों के अनुसार, कार्की की सिफारिश के बाद राष्ट्रपति रामचन्द्र पौडेल ने अनिल कुमार सिन्हा, महावीर पुन, संगीता कौशल मिश्रा, जगदीश खरेल और मदन परियार को नया मंत्री नियुक्त किया। इन मंत्रियों का शपथ ग्रहण समारोह सोमवार को राष्ट्रपति भवन में होगा।सूत्रों के अनुसार, सिन्हा को उद्योग एवं वाणिज्य, पुन को शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, मिश्रा को स्वास्थ्य एवं जनसंख्या, खरेल को सूचना एवं संचार और परियार को कृषि मंत्रालय का प्रभार दिया जाएगा। इसके साथ ही अब मंत्रिमंडल में नौ मंत्री हो गए हैं, जिनमें प्रधानमंत्री भी शामिल हैं, जिन्होंने कई महत्वपूर्ण विभाग अपने पास रखे हैं।
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न्यूयॉर्क/वाशिंगटन. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि एच-1बी वीजा के लिए एक लाख अमेरिकी डॉलर का नया शुल्क नये आवेदकों के लिए है और उन्हें इस शुल्क का एकमुश्त भुगतान करना होगा। यह स्पष्टीकरण अमेरिका में काम कर रहे हज़ारों पेशेवरों के लिए बड़ी राहत की बात है जो इस नए नियम से प्रभावित होने को लेकर चिंतित हैं, इनमें बड़ी संख्या में भारतीय हैं । अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) ने शनिवार को एक बयान में कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप का नया एच-1बी वीज़ा शुल्क केवल नये आवेदकों पर लागू होगा। ट्रंप प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि 21 सितंबर की प्रभावी घोषणातिथि से पहले जमा किया गया एच1 बी वीजा आवेदन इससे प्रभावित नहीं होगा। इसके अलावा वर्तमान में अमेरिका से बाहर रहने वाले वीज़ा धारकों को भी देश में दोबारा प्रवेश के लिए शुल्क का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है। व्हाइट हाउस की प्रवक्ता टेलर रोजर्स ने बताया, ‘‘राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिकी कामगारों को प्राथमिकता देने का वादा किया था और यह समझदारी भरा कदम उसी का परिणाम है। उन्होंने कहा, ‘‘यह उन अमेरिकी व्यवसायों को भी निश्चितता प्रदान करता है जो वास्तव में हमारे महान देश में बेहद कुशल कामगारों को लाना चाहते हैं, लेकिन प्रणाली की गड़बड़ी के कारण उन्हें आगे नहीं आने दिया जा रहा है।'' व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने बताया कि एक लाख अमेरिकी डॉलर का शुल्क एकमुश्त है जो केवल नये आवेदन पर लागू होता है। ‘‘यह केवल नए वीज़ा पर लागू होता है, नवीनीकरण या मौजूदा वीज़ा धारकों पर नहीं...।'' यूएससीआईएस निदेशक जोसेफ एडलो ने एक ज्ञापन में कहा कि ट्रंप की ओर से शुक्रवार को जारी की गई घोषणा केवल उन पर लागू होगी जो अब आवेदन करेंगे। यह घोषणा उन लोगों पर लागू नहीं होती है जो "उद्घोषणा की प्रभावी तिथि से पहले दायर किये गये आवेदनों के लाभार्थी हैं, वर्तमान में स्वीकृत आवेदनों के लाभार्थी हैं, या जिनके पास वैध रूप से जारी एच-1बी गैर-आप्रवासी वीज़ा हैं।





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