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- सोनीपत। तोक्यो ओलंपिक में कुश्ती में कांस्य पदक जीतने वाले बजरंग पूनिया ने मंगलवार को यहां अपने पैतृक घर में पहुंचने के बाद अपना पदक मां के गले में डाल दिया। घर पहुंचने पर बजरंग का स्वागत उनकी मां, पत्नी संगीता और भाभी ने उनका पसंदीदा पकवान चूरमा खिलाकर किया। इस मौके पर बजरंग पूनिया ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ पैर में चोट होने के चलते कांस्य पदक से संतुष्ट हूं लेकिन देश को मुझ से स्वर्ण पदक की उम्मीद थी। मैं उस उम्मीद पर खरा नहीं उतर पाया और अब आगे मैं और मेहनत करूंगा।'' शहर में आयोजित एक अन्य कार्यक्रम में राज्य सरकार के विशेष प्रचार प्रकोष्ठ के ओएसडी गजेंद्र फोगाट ने ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाले पहलवान रवि दहिया के पिता राकेश दहिया को सम्मानित किया ।
- रोक्लाव। भारत की कंपाउंड वर्ग की लड़कियों और मिश्रित टीम ने मंगलवार को यहां विश्व युवा तीरंदाजी चैंपयिनशिप के रैंकिंग दौर में दो अंडर-19 विश्व रिकॉर्ड तोड़े। प्रिया गुर्जर, परनीत कौर और रिद्धु सेंतिलकुमार की टीम ने 2067 अंक के साथ पिछले रिकॉर्ड में 22 अंक का सुधार किया। प्रिया 696 अंक के साथ व्यक्तिगत वर्ग में शीर्ष पर रही जबकि परनीत ने तीसरा और रिद्धु ने चौथा स्थान हासिल किया। कीन सेंचिको, ब्रीना थियोडोर और सवाना वेंडरवियर की अमेरिकी तिकड़ी ने 2017 में रोसारियो में 2045 अंक के साथ पिछला विश्व रिकॉर्ड बनाया था। प्रिया ने कुशाल दलाल (705) के साथ मिलकर मिश्रित युगल में भी 1401 अंक के साथ पिछला विश्व रिकॉर्ड तोड़ा जो नताशा स्टुट्ज और मथियास फुर्ल्टन की जोड़ी के नाम था। नताशा और मथियास ने 2019 में मैड्रिड विश्व युवा चैंपियनशिप में 1387 अंक जुटाए थे। सत्रह साल की प्रिया ने कहा, ‘‘मैं बेहद खुश हूं कि मैंने आज जितने अंक जुटाए उससे अधिक अंक जुटा सकती हूं। अगर मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करूं तो इससे भी बेहतर नतीजे हासिल कर सकती हूं। मेरा लक्ष्य विश्व चैंपियन बनना है और मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करूंगी।'' लड़कों की कंपाउंड अंडर-18 टीम दूसरे स्थान पर रही। दलाल ने व्यक्तिगत रैंकिंग दौर में तीसरा स्थान हासिल किया। गत अंडर-18 रिकर्व विश्व चैंपियन कोमालिका बारी अंडर-21 जूनियर वर्ग में 656 अंक के साथ छठे स्थान पर रही। भारतीय महिला टीम ने कुल 1905 अंक के साथ पांचवां स्थान हासिल किया। रिकर्व अंडर-21 पुरुष टीम दूसरे स्थान पर रही। पार्थ सालुंखे (663) व्यक्तिगत वर्ग में सातवें स्थान पर रहे। पुरुष टीम ने 1977 अंक के साथ रूस के बाद दूसरा स्थान हासिल किया।
- रांची। पूर्व अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी गोपाल भेंगरा का लंबी बीमारी के बाद सोमवार को यहां निधन हो गया। भेंगरा ने 1978 में अर्जेन्टीना में हुए विश्व कप में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भेंगरा के निधन पर शोक जताते हुए कहा, ‘‘पूर्व अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी गोपाल भेंगरा के निधन की दुखद खबर मिली। गोपाल भेंगरा ने हमेशा देश का सिर ऊंचा रखा, फिर चाहे यह देश की सीमा हो या हॉकी का मैदान। भगवान दिवंगत आत्मा को शांति दे और परिवार को इस नुकसान से उबरने की हिम्मत दे।'' भेंगरा 75 वर्ष के थे। वह सेना का हिस्सा रहे। उन्हें रांची में निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह विश्व कप में पाकिस्तान और अर्जेन्टीना के खिलाफ खेले थे।
- -आनंद महिंद्रा हुए कायल-- लिखा मीराबाई चानू का यह भाव उन्हें गोल्ड मेडलिस्ट बनाता हैनई दिल्ली। भारतीय वेेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने तोक्यो ओलंपिक में न केवल रजत पदक हासिल कर भारतीयों के दिलों में अपनी जगह बना ली है, बल्कि उन्होंने नम्रता और कृतज्ञता का स्वर्ण पदक भी हासिल किया है। जी हां... यदि आप इस बारे में जानेंगे, तो आपका दिल भी मीराबाई चानू की दाद दिए बिना नहीं रहेगा।तोक्यो से लौटकर अपने गांव पहुंचते ही मीराबाई ने उसके गांव के आसपास से राजधानी इम्फाल तक नदी की रेत ढोने वाले ट्रकों के ड्राइवरों एवं उनके सहायकों को ढूंढ निकाला और उन्हें अपने घर बुलाकर ना केवल उनका सम्मान किया बल्कि उनके पांव छूकर उनसे आशीर्वाद भी लिया। मीरा बाई की इस सफलता के पीछे कहीं ना कहीं इन ट्रक चालकों और सहायकों की सहृदयता भी मददगार रही है।दरअसल मीराबाई का गांव "नांगपॉक काकचिंग" इम्फाल में स्थित "खुमान लाम्पाक" क्रीडा संकुल से लगभग 30 किमी दूर है और भारोत्तोलन के प्रशिक्षण के लिये प्रतिदिन इतनी दूर बस से जाने का खर्च करना मीराबाई के परिवार के लिए सम्भव नहीं था। सीखने का जुनून था इसलिए मीराबाई ने बीच का रास्ता निकाला और इस रास्ते से बालू ढुलाई करने वाले ट्रक चालकों से परिचय बढ़ाया और उनसे मदद ली। ग्रामीण भारतीयों में बसी अपनत्व एवं सहयोग की भावना ने अपना असर दिखाया और उस मार्ग से गुजरने वाले ट्रक चालकों ने मीरा बाई की मदद की। मीराबाई के क्रीडा संकुल जाने के समय में जो कोई भी ट्रक चालक उपलब्ध होता था, वह उन्हें मुफ्त में इम्फाल पहुंचा देता था। घर वापसी भी मीराबाई चानू की ऐसे ही होने लगी। यह क्रम करीब छह साल तक चलता रहा। इससे मीराबाई को काफी आर्थिक मदद मिली। अब जब मीराबाई ने ओलंपिक में रजत पदक हासिल किर लिया तो उन्होंने सबसे पहले उनकी सफलता के मददगार रहे ट्रक चालकों की सुध ली ताकि वे उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त कर सकें। उन्होंने ऐसे करीब डेढ़ सौ ट्रक चालकों और उनके सहायकों को ढूंढा और उन्हें सम्मानपूर्वक अपने घर बुलाया। चानू ने सभी को एक-एक शर्ट का कपड़ा और मणिपुरी गमछा भेंट कर उनके पैर छूए और वरिष्ठ सदस्यों से आशीर्वाद लिया और भोजन भी कराया। ऐसा करके मीराबाई ने साबित कर दिखाया कि उनका दिल खरा सोना है।एक तरफ मीराबाई चानू को मणिपुर के मुख्यमंत्री ने "अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक" का पद देकर उन्हें सम्मानित किया है, तो वहीं दूसरी तरफ मीरा बाई ने अपनी सफलता के मददगार रहे ट्रक चालकों और उनके सहायकों को सम्मानित कर पूरे देश का दिल एक बार फिर जीत लिया।मीरा बाई का यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और जो कोई इसे देख रहा है, वह उनकी तारीफ कर रहा है। इनमें महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिन्द्रा भी शामिल हैं। उन्होंने इस वीडियो को अपने सोशल मीडिया अकाउंट ट्वीटर पर पोस्ट लिया और लिखा-जहां तक मेरा सवाल है, मीराबाई चानू का यह भाव उन्हें गोल्ड मेडलिस्ट बनाता है। उन्हें चरण स्पर्श करते देख मेरी आंखें नम हो गई हैं। हमारे देश के सबसे खूबसूरत भावों में से एक...।श्री महिंद्रा के इस ट्वीट को बहुत से लोगों ने रिट्वीट किया और मीराबाई की तारीफ की।
- नई दिल्ली। ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा ने सोमवार को खुलासा किया कि तोक्यो खेलों में इतिहास रचने वाले प्रदर्शन के बाद उनका शरीर दुख रहा था, लेकिन उन्होंने जो एतिहासिक नतीजा हासिल किया उसे देखते हुए यह दर्द सहन करने में कोई समस्या नहीं थी।सरकार ने तोक्यो खेलों के भारत के सात पदक जीतने वाले खिलाडिय़ों और टीमों को स्वदेश पहुंचे पर सोमवार को सम्मानित किया। इस मौके पर भाला फेंक का ओलंपिक स्वर्ण जीतने वाले नीरज चोपड़ा ने कहा कि उन्हें पता था कि फाइनल में दूसरे प्रयास में उन्होंने भाले को 87.48 मीटर की दूरी तक फेंककर कुछ विशेष किया है। चोपड़ा ने इस दूरी के साथ स्वर्ण पदक अपने नाम किया। चोपड़ा ने कहा, ''मुझे पता था कि मैंने कुछ विशेष कर दिया है, असल में मैंने सोचा कि मैंने अपना निजी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। मेरी थ्रो काफी अच्छी गई थी।'' उन्होंने कहा, ''अगले दिन मेरे शरीर ने महसूस किया कि वह प्रदर्शन इतना विशेष था, शरीर दुख रहा था लेकिन यह दर्द सहन करने में कोई समस्या नहीं थी।'' चोपड़ा ने कहा, ''यह पदक पूरे देश के लिए है।''सेना के 23 साल के इस खिलाड़ी ने कहा कि देश के खिलाडिय़ों के लिए उनका एकमात्र संदेश यह है कि कभी भी डरो नहीं। उन्होंने कहा, ''मैं सिर्फ इतना कहना चाहता, विरोधी चाहे कोई भी हो, अपना सर्वश्रेष्ठ दो। आपको बस यही करने की जरूरत है और इस स्वर्ण पदक के यही मायने हैं। कभी विरोधी से मत डरो।'' चोपड़ा ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले 13 साल में पहले भारतीय खिलाड़ी के अलावा ट्रैक एवं फील्ड में स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय भी बने।
- तोक्यो। अपने संगी साथियों और दर्शकों के बिना तोक्यो ओलंपिक में भाग लेने वाले खिलाड़ी अभी से पेरिस ओलंपिक की कल्पना करने लग गये हैं और उन्हें उम्मीद है कि 2024 में परिस्थितियां पूरी तरह से बदली होंगी और उन्हें ओलंपिक माहौल में खुलकर जीने की छूट मिलेगी।तोक्यो ओलंपिक का आयोजन कोरोना वायरस महामारी के उत्पन्न हुई जटिलताओं के बीच निर्धारित समय से एक साल बाद किया गया। खिलाडिय़ों को अपने परिजनों और साथियों को जापान ले जाने से रोक दिया गया। उन्हें खाली स्टेडियमों में खेलना पड़ा और जापान में कहीं भी घूमने नहीं दिया गया। यही वजह है कि खिलाड़ी अभी से पेरिस ओलंपिक के सपने देखने लग गये हैं। यदि तब तक कोरोना वायरस पर काबू पा लिया जाता है तो पेरिस ओलंपिक खिलाडिय़ों के लिये किसी पार्टी से कम नहीं होंगे। खिलाड़ी वहां तोक्यो की सारी निराशा को भुलाकर ओलंपिक के वास्तविक माहौल का आनंद लेना चाहेंगे। पेरिस ओलंपिक के आयोजकों को भी उम्मीद है कि ओलंपिक 2024 तक महामारी खत्म हो जाएगी।पेरिस शहर की मेयर एनी हिंडाल्गो ने कहा, ''उम्मीद है कि हम पार्टी करने में सक्षम रहेंगे।'' लेकिन यदि कोरोना वायरस तब भी पार्टी की योजनाओं पर भारी पड़ता है तो फिर तोक्यो ने दिखा दिया कि महामारी के बावजूद ओलंपिक खेलों का आयोजन कैसे किया जाता है। तोक्यो में ओलंपिक खेल केवल प्रतिस्पर्धा तक सीमित रहे। वहां न दर्शक थे और न शहरों में पार्टियां हुईं। ओलंपियन एक दूसरे से मिल तक नहीं पाये। पेरिस ओलंपिक के आयोजकों ने करीब से इसे देखा। वे कह रहे थे कि भले ही वे परिस्थितियां बदलने की उम्मीद कर रहे हैं लेकिन उन्हें बुरी परिस्थितियों के लिये भी योजना बनानी होंगी। अधिकतर खिलाडिय़ों के लिये सबसे मुश्किल यह रहा कि वे अपने प्रियजनों को साथ लेकर जापान नहीं आ पाये। उनके प्रियजनों के पास उन्हें टीवी पर देखने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। अमेरिका की सर्फर कारिसा मूरे ने कहा कि पति से अलग रहना और उनके समर्थन के बिना खेलना बहुत बड़ी चुनौती थी। मूरे आखिर में स्वर्ण पदक जीतने में सफल रही लेकिन पति से विछोह उनके लिये पीड़ादायक था। इससे हालांकि उन्हें नया अनुभव और सीख भी मिली। मूरे ने कहा, ''मुझे यहां होने और बिना किसी समर्थन के अच्छा प्रदर्शन करने पर स्वयं पर गर्व है।''तोक्यो में खिलाडिय़ों की आम शिकायत थी कि वे खेल गांव में रहकर अपना समय व्यतीत नहीं कर पा रहे हैं। फिनलैंड के पहलवान इलियास कौसमैनन ने कहा, ''अपने साथी पहलवानों से प्रतिस्पर्धा से इतर मिलना और उनसे मित्रता करना, एक ओलंपियन के तौर पर मैं इसका अनुभव लेना पसंद करूंगा।'' रियो ओलंपिक 2016 के दौरान कनाडा के वॉलीबाल खिलाड़ी निकोलस हॉग खाली समय में जिम्नास्टिक या ट्रैक एवं फील्ड की स्पर्धाओं को देखने के लिये चले जाते थे या फिर अपने साथियों के साथ पार्टी करते थे लेकिन तोक्यो में उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं थी। उन्होंने कहा, ''जब मैं खाली होता था तो मैं टीवी के आगे बैठ जाता और मैं लगभग सभी खेल देख रहा था।''उम्मीद है कि तीन साल में परिस्थितियां बदलेंगी और पेरिस में ओलंपिक खेलों का आयोजन अपने पुराने जोशो खरोश और विविध रंगों के साथ होगा।
- सेंट एंड्यूज। भारत के शुभंकर शर्मा ने आखिरी दौर के अंतिम नौ होल में दो ईगल्स जमाये जिससे वह हीरो ओपन गोल्फ टूर्नामेंट में यहां संयुक्त 16वें स्थान पर रहे। शुभंकर के लिये यह सप्ताह अच्छा रहा। उन्होंने चार में से तीन दौर में समान 67 का स्कोर बनाया लेकिन तीसरे दौर में उन्होंने चार शॉट गंवाये जिससे आखिर में उनका कुल स्कोर 14 अंडर 274 रहा। शुभंकर ने पहले नौ होल में तीन बर्डी बनायी लेकिन दूसरे नौ होल का खेल उनके लिये उतार चढ़ाव वाला रहा जिसमें उन्होंने दो बोगी की लेकिन साथ ही दो ईगल्स भी जमाये। मई में हिम्मरलैंड में शीर्ष 10 में जगह बनाने के बाद संयुक्त 16वां स्थान शुभंकर के लिये सर्वश्रेष्ठ परिणाम है। गगनजीत भुल्लर ने रविवार को 69 का स्कोर बनाया तथा कुल आठ अंडर 280 के साथ संयुक्त 38वें स्थान पर रहे। एसएसपी चौरसिया को फिर से संघर्ष करना पड़ा और वह संयुक्त 75वें स्थान पर रहे। स्कॉटलैंड के ग्रांट फोरेस्ट ने इस टूर्नामेंट का खिताब जीता।
- ताम्पा (फ्लोरिडा) ।भारतीय मुक्केबाज मनदीप जांगड़ा ने स्थानीय खिलाड़ी डेवोन लिरा को तकनीकी नॉकआउट में हराकर अपना दूसरा पेशेवर मुकाबला जीता। यह 27 वर्षीय मुक्केबाज एशियाई चैंपियनशिप 2013 और राष्ट्रमंडल खेल 2014 का रजत पदक विजेता है। मनदीप इस वर्ष मार्च में पेशेवर बने। भारतीय मुक्केबाज ने लाइटवेट (61 किग्रा) वर्ग के चार दौर के मुकाबले में दूसरे दौर में ही नॉकआउट से जीत दर्ज की। मनदीप ने कहा, ‘‘मैं एमेच्योर में 69 किग्रा में खेलता था और मैंने नये भार वर्ग में फिट होने के लिये अपना वजन भी कम किया लेकिन मैं इससे खुश हूं।'' मनदीप ने पेशेवर मुक्केबाजी में अपने पदार्पण मुकाबले में अर्जेंटीना के लुसियानो रामोस को हराया था।
- पेरिस। ओलंपिक खेलों के अगले मेजबान पेरिस की मेयर ऐनी हिडाल्गो ने तोक्यो से लौटने पर सोमवार को यहां ओलंपिक ध्वज फहराया। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष थॉमस बाक ने तोक्यो समापन समारोह के दौरान रविवार को औपचारिक रूप से हिडाल्गो को ओलंपिक ध्वज सौंपा था। हिडाल्गो ने संवाददाताओं से कहा, ''ध्वज इस बात का प्रतीक है कि अब वास्तव में पेरिस में खेलों का आयोजन होगा और इससे जुड़े काम बहुत तेजी से आगे बढ़ेंगे।'' उन्होंने कहा, ''यह हमारे देश के लिए बहुत सकारात्मक होंगे। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण तोक्यो खेलों को 'बहुत कठिन परिस्थितियों में आयोजित' किया गया था। हिडाल्गो ने कहा कि फ्रांस के आयोजक सुरक्षा मुद्दों सहित पेरिस खेलों की तैयारी के लिए जापान के अपने समकक्षों से संपर्क में रहेंगे। ओलंपिक झंडे को पेरिस सिटी हॉल में फहराया जाएगा। इसके बाद एफिल टॉवर के पास ट्रोकेडरो स्क्वायर में इससे जुड़ा कार्यक्रम होगा, जहां फ्रांस की जनता पदक विजेताओं का स्वागत करेगी।
- - कांस्य पदक विजेता पहलवान बजरंग पुनिया भारत के ध्वजवाहक रहेतोक्यो। कोविड-19 वायरस और निकट आ रहे तूफान के बीच असाधारण तोक्यो ओलंपिक खेलों का रविवार को यहां रोशनी के फव्वारों के बीच समापन हो गया जिसमें उम्मीद और दृढ़ता का अभूतपूर्व प्रदर्शन दिखा।जापान की राजधानी में इतिहास के सबसे विशिष्ट खेलों का समापन शानदार आतिशबाजी के साथ हुआ जिसमें नृत्य, गायन और खुशियां मनाना शामिल रहा। कोविड-19 महामारी के दौरान जान गंवाने वालों को याद करते हुए आगे बढऩे के संदेश के साथ ओलंपिक ध्वज पेरिस को सौंपा गया जहां अगले ओलंपिक खेल तीन साल बाद आयोजित किये जायेंगे। वैश्विक स्वास्थ्य संकट के कारण एक साल देरी, बढ़ती लागत और आयोजन को लेकर स्थानीय लोगों की विभाजित राय के बीच तोक्यो ओलंपिक तमाम चुनौतियों को पार करते हुए समापन समारोह तक पहुंचे।अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष थॉमस बाक ने ओलंपिक खेलों का औपचारिक समापन करने के बाद कहा, ''एथलीट तेजी से आगे बढ़े और मजबूत हुए क्योंकि वे सभी एकजुट होकर खड़े थे। आप लोगों ने हमें खेलों के इस एकीकृत प्रतीक से प्रेरित किया। आपने महामारी में जिन परिस्थितियों का सामना किया, ये खेल इसलिये भी ज्यादा उल्लेखनीय थे। '' बाक के बिना खेलों का आयोजन मुमकिन नहीं हो पाता, उन्होंने कहा, ''महामारी के बाद पहली बार दुनिया एकजुट हुई। लोग भावनाओं से जुड़े थे, वे खुशी और प्रेरणा के पलों को साझा कर रहे थे। इससे हमें उम्मीद मिलती है, यह हमें भविष्य में भरोसा देता है। '' उन्होंने कहा, ''तोक्यो में ओलंपिक खेल 'उम्मीद, एकजुटता और शांति के ओलंपिक खेल' थे। आप जापानी लोगों ने जो हासिल किया है, उस पर आप बेहद गर्व कर सकते हो। सभी खिलाडिय़ों की ओर से हम आपको कहते हैं 'शुक्रिया तोक्यो, शुक्रिया जापान'। ''जापान का ध्वज 68 हजार दर्शकों की क्षमता वाले नेशनल स्टेडियम में फहराया गया जिसमें कोविड-19 महामारी के कारण दर्शकों की कमी थी। इसके बाद दुनिया भर के खिलाडिय़ों, गणमान्य व्यक्तियों और अधिकारियों के सामने समारोह शुरू हुआ। खिलाडिय़ों ने स्टेडियम में प्रवेश किया और मंच के चारों ओर एक घेरा बनाया। उद्घाटन समारोह में जहां खिलाड़ी 'फॉर्मल' पोशाक पहने थे तो वहीं समापन समारोह उनके लिये लुत्फ उठाने और 'रिलैक्स' होने का मौका था। काफी बड़ी संख्या में खिलाड़ी पहुंचे और वे अपने मोबाइल फोन से इस क्षण को कैद कर रहे थे। कुछ ध्वज फहरा रहे थे तो कुछ तोक्यो की उमस भरी शाम में पसीना पोछ रहे थे। समापन समारोह की थीम 'वल्र्ड वी शेयर' थी जिसमें रौशनी से लेकर संगीत के शो, आतिशबाजियां और स्टंट शामिल थे। ओलंपिक मशाल बुझाने से पहले पहली बार अगले मेजबान देश का राष्ट्रगान दिखाया गया जिसे मेजबान शहर में एक फिल्म के तौर पर फिल्माया गया। पहली बार ही समापन समारोह में अगले मेजबान देश से लाइव और शानदार जश्न दिखाया गया जिसमें पेरिस और फ्रांस 33वें ओलंपिक के मेजबान की भूमिका को अपनाता दिखा। इसमें संगीतकार छह विभिन्न स्थानों से परफोर्म कर रहे थे जिन्होंने पिछले कुछ महीनों में दुनिया के अनुभव को उजागर किया। इसमें संदेश था, ''हम दूर हैं, हम एक साथ होकर एक साथ खेल सकते हैं। ''तोक्यो के गर्वनर यूरिको कोइके ने ओलंपिक ध्वज बाक को सौंपा जिन्होंने इसे पेरिस की मेयर एने हिडाल्गो के सुपुर्द किया। तोक्यो ओलंपिक आयोजन समिति की अध्यक्ष सेको हाशिमोटो ने कहा, ''मैं सभी खिलाडिय़ों के प्रति अपना आभार और सम्मान व्यक्त करना चाहूंगी और उन सभी को भी जिन्होंने इन खेलों की तैयारियों के लिये और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिये इतनी सारी मुश्किलों को पार किया। '' बाक ने कीनिया की पेरेस जेपचिरचिर को महिला मैराथन स्पर्धा का स्वर्ण पदक जबकि पुरूष मैराथन का स्वर्ण एलियूड किपचोगे को दिया। तोक्यो के आसमान में रौशनी का फव्वारा फैल गया और फिर इनसे ओलंपिक रिंग बनी। कोरोना वायरस प्रोटोकॉल के कारण समारोह दर्शकों के बिना किया गया लेकिन आयोजकों ने स्टेडियम के अंदर स्क्रीन लगायी थी जिसमें दुनिया भर के प्रशंसकों के वीडियो दिखाये जा रहे थे। कांस्य पदक विजेता बजरंग पूनिया भारतीय दल के ध्वजवाहक थे और भारत के सबसे बड़े दल ने इतिहास में सबसे ज्यादा पदक हासिल कर खेलों को 'गुडबॉय' कहा। समापन समारोह एक वीडियो के साथ शुरू हुआ जिसमें 17 दिन की स्पर्धाओं का सार था।भारत सात पदक से अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करके निश्चित उज्जवल भविष्य की ओर देख सकता है जिसमें भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा ने 13 साल बाद पहला स्वर्ण दिलाया जो खेलों में ट्रैक एवं फील्ड स्पर्धा का देश का पहला पदक भी है। भारत ने इस स्वर्ण के अलावा दो रजत और चार कांस्य पदक भी जीते। अमेरिका पदक तालिका में 113 पोडियम स्थान से शीर्ष पर रहा जिसमें 39 स्वर्ण पदक थे जबकि चीन 38 स्वर्ण से 88 पोडियम स्थान से दूसरे स्थान पर रहा। मेजबान जापान 27 स्वर्ण सहित 58 पदकों से तीसरे स्थान पर रहा।
- तोक्यो। भाला फेंक के स्टार एथलीट नीरज चोपड़ा ने ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचने के बाद आगामी प्रतियोगिताओं में 90 मीटर भाला फेंकने को अपना अगला लक्ष्य बनाया है। ओलंपिक में भारत के दूसरे व्यक्तिगत स्वर्ण पदक विजेता नीरज तो शनिवार को ही खेलों के रिकार्ड (90.57 मीटर) को तोड़ने का प्रयास कर रहे थे लेकिन वह वहां तक नहीं पहुंच पाये। चोपड़ा ने अपने ऐतिहासिक प्रदर्शन के बाद कहा, ‘‘भाला फेंक एक तकनीकी स्पर्धा है और काफी कुछ दिन की फार्म पर निर्भर करता है। इसलिए मेरा अगला लक्ष्य 90 मीटर की दूरी तय करना है।'' उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस साल केवल ओलंपिक पर ध्यान दे रहा था। अब मैंने स्वर्ण पदक जीत लिया है तो मैं भावी प्रतियोगिताओं के लिये योजनाएं बनाऊंगा। भारत लौटने के बाद मैं अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिये विदेशों के वीजा हासिल करने की कोशिश करूंगा।'' चोपड़ा ने 13 जुलाई को गेटशीड डायमंड लीग से हटने के बाद कहा था कि वह ओलंपिक के बाद इस शीर्ष स्तर की एक दिन की सीरीज के बाकी चरणों में हिस्सा ले सकते हैं। लुसाने (26 अगस्त) और पेरिस (28 अगस्त) के चरणों के अलावा ज्यूरिख में नौ सितंबर को होने वाले फाइनल में भी भाला फेंक की स्पर्धा शामिल है। हरियाणा के पानीपत के खांद्रा गांव के रहने वाले 23 वर्षीय नीरज ने कहा कि वह किसी तरह के दबाव में नहीं थे और वैसा ही काम कर रहे थे जैसा कि अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के दौरान करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘किसी तरह का दबाव नहीं था और मैं इसमें (ओलंपिक) किसी अन्य प्रतियोगिता की तरह ही भाग ले रहा था। यह ऐसा ही था कि मैं पहले भी इन एथलीटों के खिलाफ भाग ले चुका हूं और चिंता की कोई बात नहीं है। इससे मैं अपने प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित कर पाया। इससे मुझे स्वर्ण पदक जीतने में मदद मिली।'' चोपड़ा ने कहा, ‘‘हां, मैं यह सोच रहा था कि भारत ने अब तक एक एथलेटिक्स में पदक नहीं जीता है लेकिन एक बार जब मेरे हाथ में भाला आया तो ये चीजें मेरे दिमाग में नहीं आयी। '' चोपड़ा ने ओलंपिक से पहले तीन अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया था लेकिन केवल एक में चोटी के एथलीट शामिल थे। उन्होंने कहा, ‘‘सबसे महत्वपूर्ण यह है कि मुझे ओलंपिक से पहले अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने का मौका मिला। मैं इसके लिये बेताब था। मैंने लक्ष्य ओलंपिक पोडियम कार्यक्रम (टॉप्स), भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) और भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) से कुछ प्रतियोगिताओं की व्यवस्था करने के लिये कहा। उन्होंने ऐसा किया जिसकी बदौलत मैं आज यहां हूं।'' चोपड़ा ने कहा, ‘‘मुझे जो भी सुविधाएं मिली उनके लिये मैं साइ, एएफआई और टॉप्स का आभारी हूं। ''चोपड़ा से पूछा गया कि वह अपने पहले दो प्रयास में लंबी दूरी तक भाला फेंकने में कैसे सफल रहे, उन्होंने कहा, ‘‘यदि पहला थ्रो अच्छा जाता है तो इससे दबाव समाप्त हो जाता है। ऐसा हुआ। दूसरा थ्रो भी बहुत अच्छा था। '' उन्होंने कहा, ‘‘दोनों अवसरों पर भाला छोड़ते ही मुझे लग गया था कि यह बहुत दूरी तक जाएगा। इससे दूसरे एथलीटों पर दबाव बन जाता है। '' अपने मित्र और पदक के दावेदार जर्मनी के योहानेस वेटर के बारे में चोपड़ा ने कहा, ‘‘वह संघर्ष कर रहा था। मैं नहीं जानता कि यह दबाव के कारण था या इसकी वजह बहुत अधिक प्रतियोगिताओं में भाग लेना था। वह अपनी लय में नहीं था।'' वेटर पहले तीन प्रयासों के बाद बाहर हो गये थे और कुल नौवें स्थान पर रहे।चोपड़ा ने अपनी सफलता का श्रेय अपने बचपन के कोच जयवीर चौधरी को भी दिया। वह जयवीर ही थे जिन्होंने उन्हें पानीपत के शिवाजी स्टेडियम में भाला फेंक से जुड़ने के लिये कहा था। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने जयवीर के साथ शुरुआत की। जब मैं भाला फेंक के बारे में कुछ भी नहीं जानता था तब उन्होंने मेरी बहुत मदद की। वह अब राष्ट्रीय शिविर में प्रशिक्षण दे रहे हैं। वह बेहद समर्पित हैं। जयवीर के साथ अभ्यास करने से मेरे मूल तकनीक में काफी सुधार हुआ।
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नयी दिल्ली/चंडीगढ़। भारत को एथलेटिक्स में पहला स्वर्ण पदक दिलाने वाले भाला फेंक के स्टार एथलीट नीरज चोपड़ा पर उनकी इस उपलब्धि के लिये देश भर से शनिवार को पुरस्कारों की ‘बरसात' हो रही है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने राज्य के खिलाड़ी चोपड़ा के लिये छह करोड़ रुपये के इनाम की घोषणा की है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी चोपड़ा को दो करोड़ रुपये का नकद इनाम देने की घोषणा की है। ओलंपिक में पदक विजेताओं और अन्य राज्यों के खिलाड़ियों के लिये भी पुरस्कारों की घोषणा की गई है। भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) और इंडियन प्रीमियर लीग फ्रेंचाइजी चेन्नई सुपर किंग्स ने भी चोपड़ा को एक-एक करोड़ रुपये का पुरस्कार देने की घोषणा की। बीसीसीआई ने अन्य पदक विजेता भारतीय खिलाड़ियों को भी नकद पुरस्कार देने की घोषणा की है। खट्टर ने कहा कि चोपड़ा को पंचकुला में बनने वाले एथलेटिक्स के सेंटर फॉर एक्सीलेंस का प्रमुख बनाया जाएगा। ओलंपिक में व्यक्तिगत स्पर्धा में देश के लिये दूसरा और ट्रैक-एंड-फील्ड में पहला स्वर्ण जीतकर नीरज चोपड़ा ने शनिवार को इतिहास रच दिया। खट्टर ने कहा, ‘‘हमारी खेल नीति के तहत नीरज को छह करोड़ रुपये का नकद पुरस्कार, क्लास वन की नौकरी और सस्ती दरों पर प्लॉट दिया जाएगा।'' अमरिंदर सिंह ने भी चोपड़ा की उपलब्धि की सराहना की और आधिकारिक बयान जारी करके उनके लिये दो करोड़ रुपये के नकद पुरस्कार की घोषणा की। अमरिंदर ने कहा कि यह समूचे देशवासियों और पंजाबियों के लिये गर्व का मौका है। सेना में कार्यरत नीरज चोपड़ा के परिवार की जड़ें पंजाब में हैं। खट्टर ने घोषणा की कि पहलवान रवि दहिया और बजरंग पूनिया के सोनीपत और झज्जर जिले स्थित पैतृक गांवों में इंडोर कुश्ती स्टेडियम बनाया जाएगा। तोक्यो ओलंपिक में हरियाणा के पहलवान रवि दहिया ने रजत और बजरंग पूनिया ने कांस्य पदक जीता। प्रदेश सरकार की पदक नीति के तहत कांस्य पदक जीतने वाले पूनिया को ढाई करोड़ का नकद इनाम, सस्ती दर पर भूखंड और सरकारी नौकरी दी जाएगी। रवि दहिया ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाले दूसरे पहलवान हैं। उन्हें चार करोड़ रुपये की इनामी राशि के अलावा, प्रथम श्रेणी की नौकरी और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण का एक भूखंड सस्ती दर पर दिया जाएगा। हरियाणा सरकार भारतीय महिला हॉकी टीम का हिस्सा रही प्रदेश की नौ खिलाड़ियों को भी 50-50 लाख का नकद इनाम देगी और ओलंपिक की किसी भी स्पर्धा में चौथे स्थान पर आने वाले राज्य के खिलाड़ी को भी इतनी ही रकम दी जाएगी। बीसीसीआई के सचिव जय शाह ने ट्वीट कर यह घोषणा भी की कि रजत पदक विजेता मीराबाई चानु और रवि दहिया को भी 50-50 लाख रुपये क्रिकेट बोर्ड देगा। मीराबाई चानु ने भारत के लिये तोक्यो ओलंपिक में वेटलिफ्टिंग में पहला पदक जीता था। रवि दहिया ओलंपिक में कुश्ती में सुशील कुमार (2012) के बाद रजत पदक जीतने वाली दूसरे पहलवान हैं। कांस्य पदक विजेता पहलवान बजरंग पूनिया, बॉक्सर लवलीना बारगोहेन और बैडमिंटन खिलाड़ी पी वी सिंधु को भी 25-25 लाख रुपये दिए जाएंगे। देश के लिये हॉकी में 41 साल बाद ओलंपिक पदक जीतने वाली पुरुष हॉकी टीम को भी 1.25 करोड़ रुपए बोर्ड देगा। कई निजी कंपनियों ने भी खिलाड़ियो के लिए इनाम और प्रोत्साहन की घोषणा की है।
आईपीएल फ्रेंचाइजी चेन्नई सुपर किंग्स चोपड़ा को एक करोड़ का नकद इनाम देने के अलावा 8758 नंबर की एक विशेष जर्सी भी उनके सम्मान में जारी करेगी। गुरुग्राम स्थित रियेल एस्टेट कंपनी एलान ग्रुप के अध्यक्ष राकेश कपूर ने नीरज चोपड़ा के लिए 25 लाख के इनाम की घोषणा की तो वहीं इंडिगो ने एक साल के लिये उन्हें असीमित मुफ्त यात्रा की पेशकश की है। चोपड़ा हरियाणा के पानीपत जिले के खांद्रा गांव के रहने वाले हैं। अभिनव बिंद्रा ने इससे पहले भारत के लिए 2008 के बीजिंग ओलंपिक में भारत के लिये व्यक्तिगत स्पर्धा में पहली बार निशानेबाजी का स्वर्ण पदक जीता था। इससे पहले मणिपुर सरकार ने चानु को एक करोड़ रुपये और सहायक पुलिस अधीक्षक (खेल) का नियुक्ति पत्र दिया था। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भारतीय महिला हॉकी टीम की सदस्य रहीं राज्य की वंदना कटारिया को 25 लाख रुपये के नकद पुरस्कार की घोषणा की जबकि झारखंड सरकार ने इसी टीम का हिस्सा रहीं अपने राज्य की दो खिलाड़ियों सलीमा टेटे और निक्की प्रधान को 50-50 लाख रुपये देने की घोषणा की है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौदान ने भी पुरुष हॉकी टीम का हिस्सा रहे प्रदेश के दो खिलाड़ियों विवेक सागर और नीलाकांत शर्मा के लिए एक-एक करोड़ रुपये के इनाम की घोषणा की है। -
नई दिल्ली। भारतीय पुरुष और महिला हॉकी टीमों ने तोक्यो ओलंपिक में ऐतिहासिक अभियान के बूते विश्व रैंकिंग में अपना सर्वश्रेष्ठ स्थान हासिल किया। पुरुष टीम तीसरे और महिला टीम आठवें स्थान पर पहुंच गयी। भारतीय पुरुष टीम ने ओलंपिक में ऐतिहासिक कांस्य पदक जीतकर 41 साल के पदक सूखे को समाप्त किया था। वह स्वर्ण पदक विजेता बेल्जियम और रजत पदक हासिल करने वाली आस्ट्रेलिया से पीछे है।
हॉकी इंडिया द्वारा जारी विज्ञप्ति में भारतीय पुरुष टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह ने कहा, यह उस खेल के प्रति हम सभी की कड़ी मेहनत और समर्पण का नतीजा है जिसे हम सभी प्यार करते हैं, जिसने हमें सब कुछ दिया है। उन्होंने कहा, रैंकिंग और 41 साल बाद ओलंपिक पदक से भारतीय हॉकी के बढऩे की शुरुआत हुई है। अब पीछे मुड़कर नहीं देखना, हमने अपने लिये मानदंड स्थापित कर दिया है और हम इससे आगे बढऩा ही चाहेंगे। पुरुष टीम ने जहां कांस्य पदक हासिल किया तो वहीं महिला टीम पदक से चूक गयी जिसे तीसरे स्थान के प्ले-ऑफ में ब्रिटेन से हार का सामना करना पड़ा और वह चौथे स्थान पर रही। महिला टीम की कप्तान रानी रामपाल ने कहा, हम पोडियम पर पहुंचने के बहुत करीब थे जो टीम को काफी दुख दे रहा है कि हम ऐसा नहीं कर पाये। हालांकि अच्छी चीज है कि हमने हाल के वर्षों में शानदार प्रगति की है और मुझे इस पर गर्व है। उन्होंने कहा, ओलंपिक में शीर्ष चार में रहना और विश्व रैंकिंग में आठवें स्थान पर पहुंचना हमारे लिये बहुत बड़ी चीज है जिससे हमारा आत्मविश्वास बढ़ा है और इससे हमें आगे बढऩे में निश्चित रूप से मदद मिलेगी। पुरुष टीम एफआईएच हॉकी प्रो लीग के दूसरे चरण के पहले तीन राउंड में शानदार प्रदर्शन के बूते पिछले साल मार्च में चौथे स्थान पर थी। वहीं महिला टीम की इससे पहले सर्वश्रेष्ठ विश्व रैंकिंग नौंवा स्थान थी जब उसने 2018 में लंदन में विश्व कप में क्वार्टर फाइनल तक पहुंचकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था। इससे टीम शीर्ष रैंकिंग की एशियाई टीम बनी थी और उसने जकार्ता में 2018 एशियाई खेलों में रजत पदक जीता था।
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- चीबा (जापान)। भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया भले ही स्वर्ण पदक जीतने की उम्मीदों को पूरा नहीं कर पाये हों लेकिन उन्होंने शनिवार को यहां कजाखस्तान के दौलत नियाजबेकोव को 8-0 से हराकर तोक्यो ओलंपिक की कुश्ती प्रतियोगिता में पुरुषों के 65 किग्रा भार वर्ग में कांस्य पदक जीत लिया। भारत ने इस पदक से किसी एक ओलंपिक खेलों में सर्वाधिक पदक जीतने के अपने पिछले रिकार्ड की बराबरी की। भारत का यह वर्तमान खेलों में कुल छठा और कुश्ती में दूसरा पदक है। इससे पहले रवि दहिया ने कुश्ती में पुरुषों के 57 किग्रा भार वर्ग में रजत पदक जीता था। भारत ने इससे पहले लंदन ओलंपिक 2012 में छह पदक जीते थे तब कुश्ती में सुशील कुमार ने रजत और योगेश्वर दत्त ने कांस्य पदक हासिल किया था। रवि दहिया और बजरंग के प्रदर्शन से भारतीय कुश्ती दल को कुछ राहत मिली क्योंकि उनसे पदक की काफी उम्मीदें लगायी गयी थी। पदक की प्रबल दावेदार विनेश फोगाट क्वार्टर फाइनल से आगे नहीं बढ़ पायी थी। सेमीफाइनल में हाजी अलीव के खिलाफ बजरंग को अपने कमजोर रक्षण के कारण हार झेलनी पड़ी थी लेकिन शनिवार को अपने रक्षण और आक्रमण का शानदार प्रदर्शन किया तथा नियाजबेकोव की एक नहीं चलने दी जिनसे वह 2019 में विश्व चैंपियनशिप के सेमीफाइनल में हार गये थे। बजरंग शुरू से ही दृढ़ इरादों के साथ मैट पर उतरे। उन्होंने पहले पीरियड दो अंक बनाये और इस बीच अपने रक्षण का अच्छा नमूना पेश किया। वह दूसरे पीरियड में अधिक आक्रामक नजर आये जिसमें उन्होंने छह अंक हासिल किये। बजरंग ने पीटीआई से कहा, ‘‘मैं खुश नहीं हूं। यह वो नतीजा नहीं है जो मैंने हासिल करने के लिये निर्धारित किया था। ओलंपिक पदक जीतना कोई छोटी उपलब्धि नहीं है लेकिन मैं कांस्य पदक के साथ खुशी से नहीं उछल सकता। '' हरियाणा के पहलवान ने कहा कि खेलों से पहले लगी घुटने की चोट से उनके प्रदर्शन पर असर पड़ा। बजरंग ने कहा, ‘‘अगर यह चोट नहीं होती तो शायद मैं अलग तरह से खेला होता। यह निश्चित रूप से एक कारण था। इससे मुझे परेशानी हुई और यह बात मेरे दिमाग में रही। लेकिन मेरे पास आराम करने का विकल्प नहीं था। सेमीफाइनल के बाद मुझे अपना सर्वश्रेष्ठ करना था और मैंने ऐसा ही किया। '' बजरंग को पहला अंक नियाजबेकोव की निष्क्रियता के कारण मिला। भारतीय पहलवान ने दाहिने पांव पर आक्रमण किया लेकिन नियाजबेकोव ने उनके सिर को पकड़ रखा था। बजरंग ने स्वयं को इससे मुक्त कराया और कजाखस्तानी पहलवान को आगे धकेलकर पहले पीरियड में 2-0 की बढ़त बनायी। उनका दाहिने पांव पर हमले से अंक नहीं बने लेकिन बजरंग ने हमले जारी रखे इसका परिणाम यह रहा कि उन्होंने जल्द ही 6-0 की मजबूत बढ़त हासिल कर ली। इसके बाद उनके लिये जीत हासिल करना आसान रहा। नियाजबेकोव रेपाशेज राउंड जीतकर कांस्य पदक के मुकाबले में पहुंचे थे। बजरंग ने शुक्रवार को किर्गीस्तान के अरनजर अकमातालीव और ईरान के मुर्तजा चेका घियासी को हराकर सेमीफाइनल में जगह बनायी थी जहां उन्हें अजरबेजान के अलीव से हार का सामना करना पड़ा था। भारत को कुश्ती में पदक दिलाने वाले पहले पहलवान खशाबा जाधव थे। उन्होंने 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था। उसके बाद सुशील ने बीजिंग में कांस्य और लंदन में रजत जबकि योगेश्वर ने कांस्य पदक जीता। साक्षी मलिक ने रियो ओलंपिक 2016 में कांसे का तमगा हासिल किया था।
- तोक्यो। भारत की अदिति अशोक ओलंपिक खेलों की गोल्फ स्पर्धा में पदक से मामूली अंतर से चूक गई और खराब मौसम से प्रभावित चौथे दौर में तीन अंडर 68 का स्कोर करके चौथे स्थान पर रही । अदिति का कुल स्कोर 15 अंडर 269 रहा और वह दो स्ट्रोक्स से चूक गई । ओलंपिक में ऐतिहासिक पदक के करीब पहुंची अदिति ने सुबह दूसरे नंबर से शुरूआत की थी लेकिन वह पिछड़ गई। रियो ओलंपिक में 41वें स्थान पर रही अदिति ने हालांकि आशातीत प्रदर्शन किया है । आखिरी दौर में उन्होंने पांचवें, छठे, आठवें, 13वें और 14वें होल पर बर्डी लगाया और नौवें तथा 11वें होल पर बोगी किये । दुनिया की नंबर एक गोल्फर नैली कोरडा ने दो अंडर 69 के साथ 17 अंडर कुल स्कोर करके स्वर्ण पदक जीता । जापान की मोने इनामी और न्यूजीलैंड की लीडिया को के बीच रजत पदक के लिये प्लेआफ खेला गया जिसमें इनामी ने बाजी मारी । तूफान के कारण कुछ समय खेल बाधित रहा जब 16 होल पूरे हो चुके थे । अदिति पूरे समय पदक की दौड़ में थी लेकिन दो बोगी से वह को से पीछे रह गई जिन्होंने आखिरी दौर में नौ बर्डी लगाये ।
- तोक्यो। स्टार एथलीट नीरज चोपड़ा ने तोक्यो ओलंपिक खेलों में शनिवार को भाला फेंक का स्वर्ण पदक अपने नाम करके भारत को ओलंपिक ट्रैक एवं फील्ड प्रतियोगिताओं में अब तक का पहला पदक दिलाकर नया इतिहास रचा।हरियाणा के खांद्रा गोव के एक किसान के बेटे 23 वर्षीय नीरज चोपड़ा ने अपने दूसरे प्रयास में 87.58 मीटर भाला फेंककर दुनिया को स्तब्ध कर दिया और भारतीयों को जश्न में डुबा दिया। एथलेटिक्स में पिछले 100 वर्षों से अधिक समय में भारत का यह पहला ओलंपिक पदक है। नीरज भारत की तरफ से व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी हैं इससे पहले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने बीजिंग ओलंपिक 2008 में पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल में स्वर्ण पदक जीता था। भारत का यह वर्तमान ओलंपिक खेलों में सातवां पदक है जो कि रिकॉर्ड है। इससे पहले भारत ने लंदन ओलंपिक 2012 में छह पदक जीते थे। नीरज को ओलंपिक से पहले ही पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा है और इस 23 वर्षीय एथलीट ने अपेक्षानुरूप प्रदर्शन करते हुए क्वालीफिकेशन में अपने पहले प्रयास में 86.59 मीटर भाला फेंककर शीर्ष पर रहकर फाइनल में जगह बनायी थी। फाइनल में उन्होंने पहले प्रयास में 87.03 मीटर भाला फेंका था और वह शुरू से ही पहले स्थान पर चल रहे थे। तीसरे प्रयास में वह 76.79 मीटर भाला ही फेंक पाये जबकि चौथे प्रयास में फाउल कर गये। उन्होंने छठे प्रयास में 84.24 मीटर भाला फेंका लेकिन इससे पहले उनका स्वर्ण पदक पक्का हो गया था।चेक गणराज्य के जाकुब वादलेच ने 86.67 मीटर भाला फेंककर रजत जबकि उन्हीं के देश के वितेजस्लाव वेस्ली ने 85.44 मीटर की दूरी तक भाला फेंका और कांस्य पदक हासिल किया। इस सत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले और स्वर्ण पदक के प्रबल दावेदार जर्मनी योहानेस वेटर 82.52 मीटर भाला फेंककर पहले तीन प्रयासों के बाद ही बाहर हो गये थे। वह नौवें स्थान पर रहे। उन्होंने इस साल अप्रैल और जून में 90 मीटर भाला फेंका था। शीर्ष आठ एथलीटों को तीन और प्रयास मिले जबकि फाइनल में पहुंचे 12 खिलाडिय़ों में से चार तीन प्रयास के बाद बाहर हो गये थे। भारत ने पहली बार एंटवर्प ओलंपिक 2020 में एथलेटिक्स में भाग लिया था लेकिन तब से लेकर रियो 2016 तक उसका कोई एथलीट पदक नहीं जीत पाया था। दिग्गज मिल्खा सिंह और पीटी ऊषा क्रमश 1960 और 1984 में मामूली अंतर से चूक गये थे। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) अब भी नार्मन प्रिचार्ड के पेरिस ओलंपिक 1900 में 200 मीटर और 200 मीटर बाधा दौड़ में जीते गये पदकों को भारत के नाम पर दर्ज करता है लेकिन विभिन्न शोध तथा अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स महासंघ (अब विश्व एथलेटिक्स) के अनुसार उन्होंने तब ग्रेट ब्रिटेन का प्रतिनिधित्व किया था।
- तोक्यो। भारतीय गोल्फर अदिति अशोक तोक्यो ओलंपिक में गोल्फ में भारत के पहले पदक की दावेदार बनी हुई हैं जिन्होंने तीसरे दौर में तीन अंडर 67 स्कोर करके दूसरा स्थान बनाये रखा है । अदिति तीन दौर के बाद 12 अंडर 201 के स्कोर के साथ अकेली दूसरे स्थान पर है । अमेरिका की नैली कोरडा उनसे तीन स्ट्रोक्स आगे है जिन्होंने इस दौर में दो अंडर 69 स्कोर किया । न्यूजीलैंड की लीडिया को, ऑस्ट्रेलिया की हन्ना ग्रीन, डेनमार्क की क्रिस्टीन पेडरसन और जापान की मोने इनामी 10 अंडर 203 के स्कोर के साथ तीसरे स्थान पर हैं । अदिति ने पांच बर्डी लगाये और दो बोगी किये । उन्होंने नौवें और 11वें होल पर बोगी करने के बाद 15वें और 17वें होल पर बर्डी लगाये । इससे पहले उन्होंने चौथे, छठे और सातवें होल पर भी बर्डी लगाये थे । भारत की दीक्षा डागर एक ओवर 72 के स्कोर के साथ निचले हाफ में है । अदिति का यह दूसरा ओलंपिक है । रियो (2016) में वह 41वें स्थान पर थी ।
- नयी दिल्ली। भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान खेल रत्न पुरस्कार का नाम अब राजीव गांधी खेल रत्न नहीं बल्कि मेजर ध्यानचंद खेल रत्न होगा । भारतीय हॉकी टीमों के तोक्यो ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन के बाद इस सम्मान का नाम महान हॉकी खिलाड़ी के नाम पर रखने का फैसला लिया गया ।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह घोषणा करते हुए कहा कि उन्हें देशवासियों के अनुरोध मिल रहे हैं कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद के नाम पर रखा जाये ।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया ,‘‘ देश को गर्वित कर देने वाले पलों के बीच अनेक देशवासियों का ये आग्रह भी सामने आया है कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद जी को समर्पित किया जाये। लोगों की भावनाओं को देखते हुए, इसका नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार किया जा रहा है। ’’प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि तोक्यो ओलंपिक में भारतीय पुरुष और महिला हॉकी टीमों के प्रदर्शन ने पूरे देश को रोमांचित किया है । उन्होंने कहा कि अब हॉकी में लोगों की दिलचस्पी फिर से बढ़ी है जो आने वाले समय के लिये सकारात्मक संकेत है । खेल रत्न सम्मान के तहत 25 लाख रुपये नकद पुरस्कार दिया जाता है ।
- तोक्यो। भारतीय महिला गोल्फर अदिति अशोक गुरुवार को यहां दूसरे दौर में पांच अंडर 66 के शानदार स्कोर के साथ तोक्यो खेलों की महिला गोल्फ स्पर्धा में एतिहासिक ओलंपिक पदक की दौड़ में बनी हुई हैं। तेइस साल की भारतीय खिलाड़ी ने कासुमिगासेकी कंट्री क्लब में दूसरे दौर में पांच बर्डी की और नौ अंडर 133 के कुल स्कोर से डेनमार्क की नेना कोर्स्ट्ज मैडसन (64) और एमिली क्रिस्टीन पेडरसन (63) के साथ संयुक्त दूसरे स्थान पर चल रही हैं। अदिति अपने दूसरे ओलंपिक में हिस्सा ले रही हैं और उनकी मां महेश्वरी उनके कैडी की भूमिका निभा रही हैं। वह शीर्ष पर चल रही दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी अमेरिका की नेली कोर्डा से चार शॉट पीछे हैं। टूर्नामेंट में हिस्सा ले रही एक अन्य भारतीय दीक्षा डागर दूसरे दौर में एक ओवर 72 के स्कोर से कुल छह ओवर 148 के स्कोर के साथ संयुक्त 53वें स्थान पर चल रही हैं। अदिति ने दूसरे, पांचवें, 15वें, 17वें और 18वें होल में बर्डी के साथ भारत के लिए गोल्फ में पहले ओलंपिक पदक की उम्मीद जीवंत रखी है। अदिति ने कहा, ‘‘अंतिम तीन होल में मैंने कुछ शॉट बचाए जो मेरे लिए अच्छी संख्या है।'' सप्ताहांत आंधी और तूफान की भविष्वाणी के कारण टूर्नामेंट को 54 होल का किया जा सकता है और ऐसे में अदिति को पता है कि पदक सुनिश्चित करने के लिए उन्हें अच्छा प्रदर्शन जारी रखना होगा। उन्होंने कहा, ‘‘इस पूरे हफ्ते इतनी सारी लड़कियों ने बर्डी की, विशेषकर इसलिए क्योंकि मौसम गर्म था और हालात अनुकूल थे।
- तोक्यो। भारत के पहलवान रवि कुमार दहिया तोक्यो ओलिंपिक में इतिहास रचने से चूक गए। उन्होंने खिताबी मुकाबले में वल्र्ड चैंपियन रूस के जावुर युगुऐव से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस तरह वह सुशील कुमार के बाद कुश्ती में सिल्वर मेडल जीतने वाले भारत के दूसरे पहलवान बन गए हैं। 130 करोड़ भारतीयों की गोल्ड मेडल उम्मीद के साथ उरते रवि ने वल्र्ड चैंपियन के आगे अपना शत प्रतिशत दिया। वह अंत तक लड़े, लेकिन 7-4 से हार गए।वल्र्ड चैंपियन जावुर ने आक्रामक शुरुआत की और भारतीय पहलवान के खिलाफ दो पॉइंट ले लिए। हालांकि, रवि ने भी जावुर के पैरों पर हमला किया और दो पॉइंट लेकर स्कोर 2-2 से बराबर किया, लेकिन जावुर ने राउंड खत्म होने से ठीक पहले दो पॉइंट लेकर 4-2 से बढ़त ले ली। दूसरे राउंड की शुरुआत में रवि ने विपक्षी पहलवार को दबोचने की पूरी कोशिश की, लेकिन वह पॉइंट नहीं ले सके। काफ फुर्तीले जावुर ने 3 पॉइंट लेकर 7-2 की बढ़त बना ली। हालांकि, यहां रवि ने पिन करने की पूरी कोशिश और इस कोशिश में दो पॉइंट अर्जित किए। इसके बाद वह पॉइंट नहीं जुटा सके। पहले दौर के बाद दहिया के पास 2-1 की बढ़त थी लेकिन सानायेव ने उनके बाएं पैर पर हमला बोलकर तीन बार उन्हें पलटने पर मजबूर करते हुए छह अंक ले लिये। ऐसा लग रहा था कि दहिया हार की तरफ बढ रहे हैं लेकिन संयम नहीं खोते हुए उन्होंने एक मिनट में बाजी पलट दी। दहिया ने पहले दौर में कोलंबिया के टिगरेरोस उरबानो आस्कर एडवर्डो को 13 . 2 से हराने के बाद बुल्गारिया के जॉर्जी वेलेंटिनोव वेंगेलोव को 14-4 से हराया। पूनिया 86 किग्रा वर्ग के सेमीफाइनल में हालांकि अमेरिका के 2018 विश्व चैम्पियन डेविड मौरिस टेलर से एकतरफा मुकाबले में हार गए। टेलर की तकनीकी दक्षता का पूनिया के पास कोई जवाब नहीं था।कुश्ती में पदक का इतिहासकेडी जाधव भारत को कुश्ती में पदक दिलाने वाले पहले पहलवान थे जिन्होंने 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था। उसके बाद सुशील ने बीजिंग में कांस्य और लंदन में रजत पदक हासिल किया। सुशील ओलंपिक में दो व्यक्तिगत स्पर्धा के पदक जीतने वाले अकेले भारतीय थे, लेकिन बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू ने कांस्य जीतकर बराबरी की। लंदन ओलंपिक में योगेश्वर दत्त ने भी कांस्य पदक जीता था। वहीं साक्षी मलिक ने रियो ओलंपिक 2016 में कांस्य पदक हासिल किया था।दहिया का रिकॉर्डदहिया ने 2015 में अंडर-23 विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीता था। उन्होंने प्रो कुश्ती लीग में अंडर-23 यूरोपीय चैंपियन और संदीप तोमर को हराकर खुद को साबित किया। उन्होंने 2020 में दिल्ली में एशियाई चैंपियनशिप जीती और अलमाटी में इसी साल फिर ये खिताब अपने नाम किया।
- तोक्यो। भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने जर्मनी को हराकर तोक्यो ओलिंपिक में कांस्य पदक जीत लिया है। भारत ने 1980 के बाद पहली बार ओलंपिक में कोई पदक अपने नाम किया है। सिमरनजीत सिंह के दो गोल की बदौलत भारत ने दो बार पिछडऩे के बाद जोरदार वापसी करते हुए गुरुवार को यहां रोमांच की पराकाष्ठा पर पहुंचे कांस्य पदक के प्ले ऑफ मुकाबले में जर्मनी को 5-4 से हराकर ओलंपिक में 41 साल बाद कांस्य पदक जीता।आठ बार की ओलंपिक चैंपियन और दुनिया की तीसरे नंबर की भारतीय टीम एक समय 1-3 से पिछड़ रही थी, लेकिन दबाव से उबरकर आठ मिनट में चार गोल दागकर जीत दर्ज करने में सफल रही। भारत के लिए सिमरनजीत सिंह (17वें मिनट और 34वें मिनट) ने दो जबकि हार्दिक सिंह (27वें मिनट), हरमनप्रीत सिंह (29वें मिनट) और रुपिंदर पाल सिंह ने एक-एक गोल किया। दुनिया की चौथे नंबर की टीम जर्मनी की ओर से तिमूर ओरूज (दूसरे मिनट), निकलास वेलेन (24वें मिनट), बेनेडिक्ट फुर्क (25वें मिनट) और लुकास विंडफेडर (48वें मिनट) ने गोल दागे। आखिरी वक्त में जिस तरह गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने जर्मन के हर हमले को कुंद कर दिया, वह फैन्स के जेहन में लंबे समय तक रहेगा। जीत के बाद सबसे ज्यादा मस्ती में श्रीजेश ही नजर आए।आठ बार की चैंपियन भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक में आखिरी पदक 1980 में मॉस्को में जीता था।
- तोक्यो । अपनी दिलेरी और जुझारूपन से इतिहास रच चुकी भारतीय महिला हॉकी टीम का ओलंपिक में पहली बार स्वर्ण जीतने का सपना दुनिया की दूसरे नंबर की टीम अर्जेंटीना ने बुधवार को सेमीफाइनल में 2 . 1 से जीत के साथ तोड़ दिया । भारतीय खिलाड़ियों के दिल इस हार से जरूर टूटे होंगे लेकिन उनका सिर फख्र से ऊंचा होगा क्योंकि ओलंपिक जाने से पहले किसी ने उनके अंतिम चार में पहुंचने की कल्पना भी नहीं की थी । भारत के पास अभी भी कांस्य पदक जीतने का मौका है जिसके लिये शुक्रवार को उसका सामना तीसरे चौथे स्थान के मुकाबले में ग्रेट ब्रिटेन से होगा । भारत के लिये गुरजीत कौर ने दूसरे मिनट में गोल किया लेकिन अर्जेंटीना के लिये कप्तान मारिया बारियोनुएवा ने 18वें और 36वें मिनट में पेनल्टी कॉर्नर तब्दील किये । इससे पहले भारतीय टीम ने तीन बार की चैम्पियन आस्ट्रेलिया को क्वार्टर फाइनल में 1 . 0 से हराकर पहली बार सेमीफाइनल में जगह बनाई थी ।भारतीय टीम 1980 के मास्को ओलंपिक में छह टीमों में चौथे स्थान पर रही थी । उस समय पहली बार ओलंपिक में महिला हॉकी को शामिल किया गया था और राउंड रॉबिन प्रारूप में मुकाबले खेले गए थे । फाइनल में अर्जेंटीना का सामना नीदरलैंड से होगा । भारत को दूसरे ही मिनट में गुरजीत ने बढत दिलाई जिसने क्वार्टर फाइनल में आस्ट्रेलिया के खिलाफ भी विजयी गोल दागा था । कप्तान रानी ने भारत को पेनल्टी कॉर्नर दिलाया जिसे गुरजीत ने गोल में बदला । इसके तीन मिनट बाद ही हालांकि अर्जेंटीना ने बराबरी का मौका गंवाया । मारिया जोस ग्रानाटो बायें फ्लैंक से गेंद लेकर आगे बढी और सर्कल के भीतर घुस गई हालांकि मुस्तैद भारतीय डिफेंडरों ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया । अर्जेंटीना को जवाबी हमलों के बीच आठवें मिनट में मिला पेनल्टी कॉर्नर भी बेकार गया । पहले क्वार्टर में भारतीयों ने गेंद पर नियंत्रण और बचाव दोनों में बाजी मारी । लेकिन दूसरे क्वार्टर में तस्वीर उलटी थी और अर्जेंटीना के तेवर बदले हुए थे । इसका फायदा उन्हें तीसरे ही मिनट में पेनल्टी कॉर्नर के रूप में मिला जिसे कप्तान मारिया ने गोल में बदला । भारत ने इसी क्वार्टर में फिर बढत बनाने का मौका गंवाया । भारत की ‘हैट्रिक गर्ल' वंदना कटारिया ने दाहिने फ्लैंक से अच्छा मूव बनाते हुए सर्कल के भीतर लालरेम्सियामी को गेंद सौंपी जो उस पर नियंत्रण नहीं बना सकी । दूसरे क्वार्टर में भारत को मिले दोनों पेनल्टी कॉर्नर बेकार गए । अर्जेंटीना को 28वें मिनट में पेनल्टी कॉर्नर मिला जिस पर आगस्टिना गोरजेलानी के शॉट को दीप ग्रेस इक्का ने बचाया । तीसरे क्वार्टर में भारत ने आक्रामक शुरूआत की और नेहा ने बायें फ्लैंक से गेंद लेकर डी के भीतर पहुंचाने की कोशिश की, लेकिन कामयाबी नहीं मिली । इस बीच अर्जेंटीना ने पेनल्टी कॉर्नर की मांग करते हुए अपना रेफरल गंवा दिया । जवाबी हमले में अर्जेंटीना ने पेनल्टी कॉर्नर बनाया जिसे गोल में बदलकर मारिया ने टीम को बढत दिला दी । भारत ने इस पेनल्टी के खिलाफ रेफरल भी लिया जो असफल रहा । आखिरी क्वार्टर में भारतीय खिलाड़ियों ने गोल करने की भरसक कोशिश की लेकिन अर्जेंटीना के डिफेंडरों ने उन्हें कामयाब नहीं होने दिया । आखिरी सीटी बजने से कुछ सेकंड पहले सर्कल के बाहर से उदिता की हिट पर नवनीत कौर के शॉट को अर्जेंटीना के डिफेंडर ने बाहर कर दिया । भारतीयों ने खतरनाक तरीके से गेंद के उछलने को लेकर रेफरल मांगा जो टीवी अंपायर ने खारिज कर दिया ।
- तोक्यो। भारत की स्टार मुक्केबाज लवलीना बोर्गोहेन को बुधवार को यहां महिला वेल्टरवेट वर्ग (69 किग्रा) के सेमीफाइनल में तुर्की की मौजूदा विश्व चैंपियन बुसेनाज सुरमेनेली के खिलाफ शिकस्त के साथ ब्रॉन्ज मेडल से संतोष करना पड़ा। ओलंपिक में पदार्पण कर रही विश्व चैंपियनशिप की दो बार की ब्रॉन्ज मेडल विजेता लवलीना के खिलाफ बुसेनाज ने शुरुआत से ही दबदबा बनाया और सर्वसम्मति से 5-0 से जीत दर्ज करने में सफल रही।तोक्यो खेलों में यह भारत का तीसरा पदक है। इससे पहले भारोत्तोलन में मीराबाई चानू ने रजत जबकि बैडमिंटन में पीवी सिंधु ने कांस्य पदक जीता। लवलीना का पदक पिछले नौ वर्षों में भारत का ओलंपिक मुक्केबाजी में पहला पदक है। लवलीना ओलिंपिक मुक्केबाजी प्रतियोगिता फाइनल में जगह बनाने वाली पहली भारतीय मुक्केबाज बनने के लिए चुनौती पेश कर रही थीं, लेकिन विश्व चैंपियन बुसेनाज ने उनका सपना तोड़ दिया। भारतीय मुक्केबाज के पास तुर्की की खिलाड़ी के दमदार मुक्कों और तेजी का कोई जवाब नहीं था। इस बीच हड़बड़ाहट में भी लवलीना ने गलतियां की।क्वॉर्टर फाइनल में लवलीना हालांकि चीनी ताइपै की पूर्व विश्व चैंपियन नीन चिन चेन को हराकर पहले ही पदक पक्का कर चुकी थीं। असम की 23 वर्षीय लवलीना ने विजेंदर सिंह (बीजिंग 2008) और एमसी मैरीकोम (लंदन 2012) की बराबरी की। विजेंदर और मैरीकोम दोनों ने कांस्य पदक जीते थे।
- नयी दिल्ली। तोक्यो ओलंपिक खेलों की पुरुष हॉकी स्पर्धा में भारत की हार के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि हार और जीत जीवन का हिस्सा है। भविष्य के लिए टीम को शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय टीम ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और यही मायने रखता है। भारतीय पुरुष हॉकी टीम अंतिम 11 मिनट के अंदर तीन गोल गंवाने के कारण तोक्यो ओलंपिक खेलों के सेमीफाइनल में विश्व चैंपियन बेल्जियम से 2-5 से हार गयी। प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘जीत और हार जीवन का हिस्सा है। हमारी पुरुष हॉकी टीम ने तोक्यो में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और यही मायने रखता है। अगले मैच के लिए और भविष्य के लिए टीम को शुभकामनाएं। भारत को अपने खिलाड़ियों पर गर्व है।'' बाद में प्रधानमंत्री ने भारतीय हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह से भी बात की।अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने प्रतियोगिता के दौरान भारतीय खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन की सराहना की और उन्हें अगले मैच के लिए शुभकामनाएं दीं। भारतीय टीम 49 वर्ष बाद हॉकी में ओलंपिक के सेमीफाइनल में पहुंची थी। लिहाजा देश भर की निगाहें आज के मैच पर थी। खुद प्रधानमंत्री ने भी आज का मैच देखा। उन्होंने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी। बाद में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के गुजरात के लाभार्थियों से संवाद करने के बाद मोदी ने ओलंपिक दल में शामिल खिलाड़ियों की जमकर सराहना की और कहा कि इस ओलंपिक में नए भारत का बुलंद आत्मविश्वास दिख रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘हर खेल में वह अपने से बेहतर खिलाड़ियों और टीमों को चुनौती दे रहे हैं। भारतीय खिलाड़ियों का जोश, जुनून और जज्बा आज सर्वोच्च स्तर पर है। यह आत्मविश्वास तब आता है, जब सही प्रतिभा की पहचान होती है और उसको प्रोत्साहन मिलता है। यह आत्मविश्वास तब आता है, जब व्यवस्थाएं बदलती हैं और पारदर्शी होती हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘यह नया आत्मविश्वास न्यू इंडिया की पहचान बन रहा है। आज भारत के हर कोने में यही आत्मविश्वास दिख रहा है।'' प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार ओलंपिक में भारत के अब तक के सबसे अधिक खिलाड़ियों ने क्वालीफाई किया है और वह भी 100 साल की सबसे बड़ी महामारी कोविड-19 से जूझते हुए। उन्होंने कहा, ‘‘कई तो ऐसे खेल हैं जिनमें हमने पहली बार क्वालीफाई किया है। सिर्फ क्वालीफाई ही नहीं किया बल्कि कड़ी टक्कर भी दे रहे हैं। हमारे खिलाड़ी हर क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहे हैं।'' बहरहाल, भारतीय टीम को अभी तक तोक्यो ओलंपिक में दो ही पदक हाथ लगे हैं। बैडमिंटन खिलाड़ी पी वी सिंधू ने लगातार दूसरे ओलंपिक में पदक जीता और उन्होंने चीन की आठवीं वरीय ही बिंग जियाओ को हराकर महिला एकल स्पर्धा का कांस्य पदक जीता। सिंधू से पहले भारोत्तोलक मीराबाई चानू ने रजत पदक जीता था।
- तोक्यो। भारतीय महिला हॉकी टीम पहले ही इतिहास रच चुकी है और अब उसका लक्ष्य तोक्यो ओलंपिक खेलों के सेमीफाइनल में अर्जेंटीना को हराकर अपनी उपलब्धियों को चरम पर पहुंचाना होगा। बुधवार को भारतीय महिलाएं उस उपलब्धि से आगे निकलकर पहली बार ओलंपिक फाइनल में पहुंचने की कोशिश करेंगी।भारत की आत्मविश्वास से भरी 18 सदस्यीय महिला टीम ने सोमवार को तीन बार के चैंपियन आस्ट्रेलिया को 1-0 से हराकर पहली बार ओलंपिक के सेमीफाइनल में प्रवेश किया।ड्रैग फ्लिकर गुरजीत कौर ने 22वें मिनट में भारत को मिले एकमात्र पेनल्टी कार्नर को गोल में बदला जो आखिर में निर्णायक साबित हुआ। इस मैच से पहले सभी परिस्थितियां रानी रामपाल की अगुवाई और सोर्ड मारिन की कोचिंग वाली टीम के खिलाफ थी। भारतीय महिला हॉकी टीम का ओलंपिक में इससे पहले सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन मास्को ओलंपिक 1980 में रहा था जब वह छह टीमों में चौथे स्थान पर रही थी। महिला हॉकी ने तब ओलंपिक में पदार्पण किया था और मैच राउंड रोबिन आधार पर खेले गये थे जिसमें शीर्ष पर रहने वाली दो टीमें फाइनल में पहुंची थी।भारतीय महिला टीम तोक्यो ओलंपिक के अपने प्रदर्शन से रैकिंग में सातवें स्थान पर पहुंच गयी है जो उसकी अभी तक की सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग है, लेकिन उसका सामना विश्व में नंबर दो अर्जेंटीना से होगा जो कि पांच साल पहले रियो खेलों में चूकने के बाद ओलंपिक में सफलता हासिल करने के लिये बेताब है।गोलकीपर सविता की अगुवाई में भारतीय रक्षापंक्ति ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ बेहतरीन खेल दिखाया और अपने एकमात्र गोल का अच्छी तरह से बचाव किया। गुरजीत, दीप ग्रेस एक्का, मोनिका और उदिता को लैस लियोन्स जैसी खिलाडिय़ों को रोकने के लिये इसी तरह के प्रयास जारी रखने होंगे। अर्जेंटीना की महिला टीम ने सिडनी 2000 और लंदन 2012 में रजत पदक जीता था लेकिन अभी तक स्वर्ण पदक हासिल नहीं कर पायी है। वह 2012 के बाद पहली बार सेमीफाइनल में पहुंची है। उसने क्वार्टर फाइनल में 2016 के ओलंपिक कांस्य पदक विजेता जर्मनी को 3-0 से हराया था। भारतीय टीम ने हालांकि लगातार तीन हार के बाद लगातार तीन जीत दर्ज की हैं और वह आत्मविश्वास से भरी है।इन दोनों टीमों के बीच हाल के रिकार्ड को देखा जाए तो अर्जेंटीना का पलड़ा भारी लगता है। इस वर्ष ओलंपिक से पहले भारतीय महिलाओं ने अर्जेंटीना का दौरा किया था। भारत ने वहां सात मैच खेले। इनमें से अर्जेंटीना की युवा टीम के खिलाफ उसने दोनों मैच 2-2 और 1-1 से ड्रा कराये। भारत इसके बाद अर्जेंटीना की बी टीम से खेला जिसमें उसे 1-2 और 2-3 से हार झेलनी पड़ी। अर्जेंटीना की सीनियर टीम के खिलाफ उसने पहला मैच 1-1 से ड्रा खेला लेकिन अगले दो मैच 0-2 और 2-3 से हार गया। भारतीय कप्तान रानी ने आस्ट्रेलिया पर जीत के बाद कहा था, हमने सेमीफाइनल में पहुंचकर इतिहास बना दिया है और अब हम सेमीफाइनल से आगे के बारे में सोच रहे हैं, क्योंकि हम यहीं पर नहीं रुकना चाहते हैं।