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नयी दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) महंगाई को काबू में लाने को लेकर काफी आगे है। लेकिन इसके बावजूद अगस्त और अक्टूबर में द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में और वृद्धि कर सकता है। एसबीआई रिसर्च ने सोमवार को एक रिपोर्ट में यह कहा। इसमें यह भी कहा गया है, ‘‘ऐसा लगता है कि महंगाई दर अपने उच्चस्तर पर पहुंच चुकी है। खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में करीब आठ साल के उच्च स्तर 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गयी। मई में यह कुछ नरम पड़कर 7.04 प्रतिशत पर आ गयी। एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट ‘इकोरैप' के अनुसार मुख्य (कोर) मुद्रास्फीति भी मई में नरम पड़कर 6.09 प्रतिशत रही जो अप्रैल में 6.97 प्रतिशत थी। रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘हमारा मानना है कि आरबीआई मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये काफी आगे है और फेडरल रिजर्व (अमेरिकी केंद्रीय बैंक) अमेरिका में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए रिजर्व बैंक के मॉडल को अपना सकता है...। अमेरिका में महंगाई दर मई में चार दशक के उच्चस्तर 8.6 प्रतिशत पर पहुंच गयी है। यह रिपोर्ट भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने लिखी है। रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसी संभावना है कि आरबीआई अगस्त में मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में वृद्धि पर विचार कर सकता है। इसका कारण जून में मुद्रास्फीति सात प्रतिशत से ऊपर रह सकती है। अक्टूबर की मौद्रिक नीति समीक्षा में इसमें वृद्धि की जा सकती है। इससे नीतिगत दर महामारी-पूर्व स्तर 5.5 प्रतिशत से ऊपर निकल सकती है। उल्लेखनीय है कि आरबीआई ने महंगाई को काबू में लाने के लिये मई में नीतिगत दर रेपो में 0.40 प्रतिशत और जून में 0.5 प्रतिशत की वृद्धि की है। इससे रेपो दर 4.9 प्रतिशत पर पहुंच गयी है। इसमें 2022-23 में औसत महंगाई दर 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है। हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि तिमाही में मुद्रास्फीति के आंकड़े आरबीआई के अनुमान से अलग हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘ऐसा लगता है कि मुद्रास्फीति 7.8 प्रतिशत के अपने उच्च स्तर पर पहुंच गयी है। यह थोड़ी राहत की बात है। रिजर्व बैंक ने इस महीने मौद्रिक नीति समीक्षा में चालू वित्त वर्ष के लिये मुद्रास्फीति के अनुमान को 5.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इसके 7.5 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 7.4 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 6.2 प्रतिशत तथा चौथी तिमाही में 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।
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मुंबई. भारतीय कंपनियों ने मई में 190 लेनदेन में कुल 19.1 अरब डॉलर के ‘सौदे' किए हैं। यह पिछले साल की समान अवधि की तुलना में दोगुना से ज्यादा है। इसमें आधे से ज्यादा हिस्सेदारी अडाणी समूह के सीमेंट कंपनी होल्सिम के 10.5 अरब डॉलर के अधिग्रहण सौदे की है। ग्रांट थॉर्नटन भारत ने सोमवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि विलय और अधिग्रहण, निजी इक्विटी और आईपीओ जैसी गतिविधियों का आंकड़ा मई, 2021 में 7.96 अरब डॉलर रहा था। रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल, 2022 की तुलना में मई के दौरान कुल सौदों के मूल्य में 59 प्रतिशत की कमी आई है। अप्रैल में निजी क्षेत्र की दो कंपनियों एचडीएफ़सी बैंक और एचडीएफसी लिमिटेड के बीच करीब 40 अरब डॉलर का विलय सौदा हुआ था। रिपोर्ट के अनुसार, अडाणी समूह द्वारा होल्सिम से एसीसी और अंबुजा सीमेंट्स को खरीदने के अलावा मई, 2022 में रिलायंस और बोधि ट्री ने वियाकॉम18 में दो अरब डॉलर का निवेश किया था। इसके अलावा आलोच्य माह के दौरान 10 करोड़ डॉलर से अधिक के 13 बड़े सौदे हुए। इनका मूल्य 5.1 अरब डॉलर बैठता है। रिपोर्ट में कहा गया कि सौदों की संख्या मई में 190 रही, जो एक साल पहले के इसी महीने में 120 थी। वहीं, अप्रैल 2022 की तुलना में पिछले महीने देश में केवल तीन प्रतिशत अधिक सौदे हुए। ग्रांट थॉर्नटन भारत की भागीदार शांति विजेता ने कहा, ‘‘सौदों की संख्या के लिहाज से मई में स्टार्टअप, ई-कॉमर्स और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र का हिस्सा सबसे अधिक रहा। वहीं मूल्य के हिसाब से विनिर्माण, मीडिया और मनोरंजन, ऊर्जा क्षेत्र का सबसे अधिक योगदान रहा।'' इस दौरान विलय और अधिग्रहण के 11.9 अरब डॉलर के कुल 40 सौदे हुए।
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नयी दिल्ली. भारतीय रेल स्टार्टअप कंपनियों को वित्तपोषण उपलब्ध कराने के लिए सालाना 50 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश करेगी। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस तरह के अन्य गठजोड़ के उलट नवोन्मेषण के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) नवोन्मेषक के पास ही रहेगा। भारतीय रेल नवाचार नीति के तहत रेलवे स्टार्टअप में निवेश करेगी। इससे उसे सीधे स्टार्टअप से नवाचारों के अधिग्रहण में मदद मिलेगी। रेल मंत्री ने औपचारिक रूप से नीति का शुभारंभ करते हुए मीडिया को बताया, ‘‘इस नीति का वार्षिक बजट लगभग 40-50 करोड़ रुपये होगा और मंडल रेल प्रबंधकों के लिए एक अतिरिक्त कोष होगा ताकि वे ‘ऑन-फील्ड' समस्याओं का ‘ऑन-फील्ड' समाधान ढूंढ सकें। -
मुंबई। सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) पर सरकार का खर्च 2022 में 12.1 प्रतिशत बढ़कर 9.5 अरब डॉलर होने का अनुमान है। अनुसंधान फर्म गार्टनर की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई। रिपोर्ट में कहा गया कि 2021 में सरकार के आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) खर्च में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी और ऐसे में 2022 में वृद्धि अनुमान कम है। कंपनी ने वैश्विक स्तर पर आईटी खर्च में पांच प्रतिशत बढ़ोतरी का अनुमान लगाया है।
गार्टनर की प्रमुख विश्लेषक अपेक्षा कौशिक ने कहा कि वैश्विक रुझानों के विपरीत भारत में 2022 के दौरान सभी क्षेत्रों में वृद्धि होगी। फर्म का अनुमान है कि सॉफ्टवेयर क्षेत्र में 27.9 प्रतिशत और आईटी सेवा क्षेत्र में 13.4 प्रतिशत की वृद्धि होगी। इसके अलावा अन्य क्षेत्रों - दूरसंचार सेवाओं, आंतरिक सेवाएं, डेटा सेंटर सिस्टम और उपकरण खंड में एकल अंकीय वृद्धि का अनुमान है। -
अहमदाबाद। रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से गुजरात का हीरा उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है। युद्ध के कारण इस उद्योग में कार्यरत लाखों श्रमिकों की आजीविका पर गंभीर संकट है। विशेषरूप से सौराष्ट्र क्षेत्र के ग्रामीण हिस्से में कार्यरत इकाइयां इस घटनाक्रम से सबसे अधिक प्रभावित हुई हैं। उद्योग के प्रतिनिधियों ने बताया कि ये इकाइयां प्रसंस्करण और पॉलिश करने के लिए रूस से छोटी मात्रा में हीरों का आयात करती हैं। रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद के क्षेत्रीय चेयरमैन दिनेश नवादिया ने कहा कि राज्य के हीरा उद्योग में करीब 15 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है। रूस से छोटे आकार के कच्चे हीरों की आपूर्ति में कमी के कारण गुजरात के व्यापारी अफ्रीकी देशों और अन्य जगहों से कच्चा माल खरीदने को मजबूर हैं, जिससे उनका मुनाफा प्रभावित हो रहा है। इसलिए राज्य की हीरा इकाइयों ने अपने श्रमिकों और पॉलिश करने वालों के काम के घंटों में कटौती की है जिससे उनकी आजीविका प्रभावित हुई है। बड़े आकार के हीरों का प्रसंस्करण मुख्य रूप से राज्य के सूरत शहर की इकाइयों में किया जाता है।
अमेरिका को भारत से 70 प्रतिशत कटे और पॉलिश हीरों का निर्यात किया जाता है। उसने रूसी कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। नवादिया ने कहा कि अमेरिका में कुछ बड़ी कंपनियों ने पहले ही उन्हें ई-मेल भेजकर कहा है कि वे रूसी सामान नहीं खरीदेंगी। उन्होंने कहा कि इस वजह से विशेषरूप से सौराष्ट्र के भावनगर, राजकोट, अमरेली और जूनागढ़ जिलों के हीरा श्रमिक बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। इसके अलावा राज्य के उत्तरी हिस्से के श्रमिकों पर भी इसका असर पड़ा है। नवादिया ने कहा, ‘‘हम रूस से लगभग 27 प्रतिशत कच्चे हीरे का आयात कर रहे थे। लेकिन युद्ध के कारण अब इतनी मात्रा गुजरात में प्रसंस्करण इकाइयों तक नहीं पहुंच रही है, जिससे वहां काम प्रभावित हो रहा है।'' उन्होंने कहा कि गुजरात में हीरा प्रसंस्करण में शामिल पूरे श्रमबल का लगभग 50 प्रतिशत छोटे आकार के हीरों पर काम करता है, जिन्हें स्थानीय रूप से ‘पटली' कहा जाता है। उन्होंने बताया कि युद्ध से पहले गुजरात में पॉलिश के लिए आयात किए जाने वाले 30 प्रतिशत कच्चे हीरे रूस की हीरा खनन कंपनी अलरोसा से आते थे। गुजरात में पॉलिश और प्रसंस्करण के लिए आने वाले हीरों में से 60 प्रतिशत रूस से आते हैं। इनमें से ज्यादातर छोटे आकार के हीरे हैं। file photo -
नयी दिल्ली. कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने शुक्रवार को विदेश से 60 लाख टन कोयला मंगाने के लिए मध्यम अवधि की दो निविदाएं जारी की। आगामी मानसून सत्र के दौरान कोयले की कमी की आशंका के बीच पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए यह कोयला मंगाया जा रहा है। इन दोनों निविदाओं में यह विकल्प भी है कि जरूरत पड़ने पर बोली की मात्रा को 60 लाख टन से बढ़ाकर 120 लाख टन किया जा सकता है। इससे पहले, सीआईएल ने बिजली संयंत्रों को ईंधन की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए 24.16 लाख टन कोयले का आयात करने को लेकर पहली निविदा जारी की थी। अप्रैल में जीवाश्म ईंधन की कमी के कारण हुई बिजली कटौती की पुनरावृत्ति से बचने के लिए सरकार कोयले का भंडार बनाने को लेकर कंपनी से कदम उठाने को कहा है। उसके बाद कंपनी ने निविदाएं जारी की है। कोल इंडिया ने एक बयान में कहा, "सरकार के निर्देशानुसार स्वदेशी कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में कोयले के भंडार को बढ़ाने के लिए कंपनी ने शुक्रवार को विदेशों से कोयले मंगाने के लिए 30-30 लाख टन की दो अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली वाली ई-निविदाएं जारी कीं।" कंपनी ने कहा कि हालांकि सीआईएल देश की घरेलू मांग को पूरा करने के लिए उत्पादन बढ़ाने की पुरजोर कोशिश कर रही है, लेकिन भविष्य में कोयले की आपूर्ति की कमी से निपटने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। यह निविदा अगले महीने से लेकर अगले साल जून तक के लिए है। न्यूनतम मांग मात्रा 50,000 टन होगी।
प्रतिस्पर्धी बोलियों के जरिए मांगे गए 60 लाख टन कोयले के लिए, देश के पूर्वी और पश्चिमी तटों पर नौ बंदरगाहों की पहचान की गई है। इससे पहले सीआईएल ने बुधवार को एक अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली ई-निविदा जारी की, जिसमें 24.16 लाख टन कोयले के आयात के लिए बोलियां मांगी गईं थीं। बिजली उत्पादक कंपनियों (जेनको) और स्वतंत्र बिजली संयंत्रों (आईपीपी) की ओर से कोयला मंगाया जा रहा है, जो उनसे प्राप्त मांग पर आधारित है। हालांकि, कोयले का आयात सीआईएल के लिए एक नया काम है। इससे पहले बृहस्पतिवार को जारी बयान के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के दौरान ईंधन के आयात के लिए वर्तमान अल्पकालिक निविदा के तहत कोयला किसी भी देश से प्राप्त किया जा सकता है। जब कोयले की मांग सबसे ज्यादा है, ऐसे समय में केंद्र ने ईंधन के आयात के माध्यम से महारत्न कंपनी को जेनको और आईपीपी को कोयले की आपूर्ति बढ़ाने के लिए एक केंद्रीकृत एजेंसी के रूप में नामित किया था। कंपनी के निदेशक मंडल ने पिछले हफ्ते सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई को विदेशों से कोयले की निकास के लिए दो अंतरराष्ट्रीय निविदाएं- अल्पकालिक और मध्यम अवधि की... जारी करने के लिए अपनी मंजूरी दे दी थी। -
नयी दिल्ली. उपभोक्ता उत्पाद बनाने वाली प्रमुख कंपनी सैमसंग ने भारत के युवाओं के लिए राष्ट्रीय स्तर की शिक्षण एवं नवोन्मेष प्रतियोगिता शुरू की है जिसमें उन्हें जमीनी स्तर की समस्याओं के समाधान के लिए नवाचारी विचारों का खाका पेश करना होगा। सैमसंग इंडिया ने एक बयान में 'सॉल्व फॉर टुमॉरो' प्रतियोगिता के पहले संस्करण की शुरुआत की घोषणा करते हुए कहा कि वह देश के युवाओं को आम लोगों की जिंदगी में आमूलचूल बदलाव लाने वाले नवाचारी विचार पेश करने के लिए आमंत्रित करती है। इस प्रतियोगिता के पहले साल में शिक्षा, पर्यावरण, स्वास्थ्य देखभाल और कृषि क्षेत्रों से जुड़ी बुनियादी समस्याओं को दूर करने वाले नवाचारी विचार आमंत्रित किए गए हैं। संयुक्त राष्ट्र ने भी भारत के लिए घोषित टिकाऊ विकास लक्ष्यों में इन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी हुई है। सैमसंग ने बयान में कहा, "साल भर चलने वाले इस कार्यक्रम का अंत तीन राष्ट्रीय विजेताओं के ऐलान के साथ होगा। इन युवाओं के पास एक करोड़ रुपये तक का अनुदान पाने और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में अपने विचार को अगले मुकाम तक ले जाने का मौका होगा।" 'सॉल्व फॉर टुमॉरो' प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू हो गई है और 31 जुलाई तक आवेदन किए जा सकते हैं। इस प्रतियोगिता में शीर्ष 10 स्थान पर रहने वाली टीमों को सैमसंग इंडिया के कार्यालय, शोध एवं विकास केंद्र और बेंगलुरु स्थित सैमसंग ओपेरा हाउस जाने का मौका भी मिलेगा। वहां पर ये युवा प्रतियोगी सैमसंग के शोधकर्ताओं एवं कर्मचारियों से संवाद भी कर सकेंगे।
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मुंबई। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार तीन जून को समाप्त सप्ताह में 30.6 करोड़ डॉलर घटकर 601.057 अरब डॉलर पर आ गया। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार इससे पिछले सप्ताह, विदेशी मुद्रा भंडार 3.854 अरब डॉलर बढ़कर 601.363 अरब डॉलर हो गया था। 20 मई को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 4.23 अरब डॉलर बढ़कर 597.509 अरब डॉलर रहा था। समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का कारण विदेशी मुद्रा आस्तियों में आई गिरावट है जो कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण घटक है। आंकड़ों के अनुसार समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 20.8 करोड़ डॉलर घटकर 536.779 अरब डॉलर रह गयी। डॉलर में अभिव्यक्त विदेशी मुद्रा भंडार में रखे जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियों में यूरो, पौंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में मूल्यवृद्धि अथवा मूल्यह्रास के प्रभावों को शामिल किया जाता है। आंकड़ों के अनुसार, आलोच्य सप्ताह में स्वर्ण भंडार का मूल्य भी 7.4 करोड़ डॉलर घटकर 40.843 अरब डॉलर रह गया। समीक्षाधीन सप्ताह में, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 2.8 करोड़ डॉलर घटकर 18.41 अरब डॉलर रह गया। आईएमएफ में रखे देश का मुद्रा भंडार 50 करोड़ डॉलर बढ़कर 5.025 अरब डॉलर पर पहुंच गया।
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नयी दिल्ली. दिल्ली सर्राफा बाजार में शुक्रवार को सोना 58 रुपये की गिरावट के साथ 50,793 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गया। एचडीएफसी सिक्योरिटीज ने यह जानकारी दी। इससे पिछले कारोबारी सत्र में सोना 50,851 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था। इसी तरह, चांदी की कीमत भी 601 रुपये गिरकर 60,914 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई। पिछले कारोबारी सत्र में चांदी 61,515 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना मामूली गिरावट के साथ 1,846 डॉलर प्रति औंस पर आ गया जबकि चांदी का भाव 21.69 डॉलर प्रति औंस पर लगभग अपरिवर्तित रहा। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक (जिंस) तपन पटेल ने कहा कि अमेरिका का बांड पर मिलने वाले प्रतिफल और डॉलर में मजबूती से सोने में बिकवाली देखी गई।
- संयुक्त राष्ट्र,। भारत से गेहूं के निर्यात पर पाबंदी में जो अपवाद हैं, उनके चलते 2022-23 में निर्यात 70 लाख टन रहने का अनुमान है। यह बीते पांच साल में भारत के औसत निर्यात से अधिक होगा। संयुक्त राष्ट्र की खाद्य एजेंसी ‘द फूड ऐंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (एफएओ) ने यह कहा।इन अपवादों में पहले तय हो चुकीं अनुबंध प्रतिबद्धताएं, सरकार से सरकार को बिक्री और खाद्य सुरक्षा के उद्देश्य से किया जाने वाला निर्यात शामिल है।एफएओ ने गुरुवार को खाद्य परिदृश्य जारी किया जिसमें कहा गया कि वैश्विक गेहूं बाजार 2022-23 का सत्र बहुत अधिक अनिश्चितता के बीच शुरू हो रहा है। इसमें कहा गया, ‘‘यूक्रेन में जारी लड़ाई, कई देशों में कारोबार नीति परिवर्तनों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊंची कीमतें गेहूं बाजार के परिदृश्य को आकार देंगे।खाद्य एजेंसी ने कहा कि गेहूं की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमतें 2008 के बाद अब इतनी बढ़ी हैं जिनका कारण है कुछ प्रमुख निर्यातक देशों में उपज की कमी से वैश्विक उपलब्धता कम होना, यूक्रेन और भारत समेत गेहूं निर्यात नहीं होना। इसके अलावा 2022-23 में आपूर्ति संबंधी चिंताओं के कारण भी दबाव बढ़ रहा है।वर्ष 2022 के लिए वैश्विक गेहूं उत्पादन 2021 के रिकॉर्ड स्तर से 0.8 फीसदी घटकर 77.1 करोड़ टन रहने का अनुमान है जो बीते चार साल में पहली गिरावट होगी। ऑस्ट्रेलिया, भारत, मोरक्को और यूक्रेन में साल-दर-साल आई गिरावट कनाडा, ईरान और रूस में अनुमानित बढ़त पर भारी पड़ेगी। इसमें कहा गया कि गेहूं के निर्यात पर भारत में पिछले महीने जो पाबंदी लगाई गई उससे 2022-23 में विदेशों में आपूर्ति प्रभावित होगी जबकि 2021-22 में देश की बाजार में हिस्सेदारी काफी बढ़ गई थी। हालांकि पहले की अनुबंध प्रतिबद्धताओं, सरकार से सरकार को बिक्री और खाद्य सुरक्षा उद्देश्यों को इस पाबंदी से छूट हासिल है और इनके तहत निर्यात 2022-23 में 70 लाख टन रहने का अनुमान है जो बीते पांच साल में भारत के औसत निर्यात से अधिक होगा।
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नयी दिल्ली। मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने सावधानी बरतते हुए कहा कि क्रिप्टो करेंसी को फिएट करेंसी बनने की परीक्षा पास करनी अभी बाकी है।उन्होंने साथ ही कहा कि क्रिप्टो करेंसी को विनियमित करना भी मुश्किल होगा।फिएट करेंसी सरकार द्वारा समर्थित मुद्रा है, और यह किसी कीमती धातु की जगह सरकार में भरोसे पर टिकी होती है।उन्होंने आगे कहा कि फिएट करेंसी के विपरीत, क्रिप्टो मुद्राएं निहित मूल्य, व्यापक स्वीकार्यता और मौद्रिक इकाई जैसी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सकती हैं।नागेश्वरन ने विकेंद्रीकृत वित्त (डीएफआई) का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘हालांकि, इसे नवाचार माना जाता है, लेकिन मैं अपना निर्णय सुरक्षित रखूंगा कि क्या यह वास्तव में नवाचार है या यह कुछ ऐसा है, जिसका हमें पछतावा होगा।’’उन्होंने एसोचैम के एक कार्यक्रम में कहा कि वह आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर से सहमत हैं, जो कह रहे हैं कि क्रिप्टो करेंसी और विकेंद्रीकृत वित्त के संबंध में यह नियामक मध्यस्थता का मामला अधिक लग रहा है, बजाए कि वास्तविक वित्तीय नवाचार के।उन्होंने कहा, ‘‘फिएट मुद्राओं के विकल्प के रूप में क्रिप्टो करेंसी को कई उद्देश्यों को पूरा करना होगा। इसमें निहित मूल्य होना चाहिए। इसकी व्यापक स्वीकार्यता होनी चाहिए और यह एक मौद्रिक इकाई होनी चाहिए... इस लिहाज से क्रिप्टो या डीएफआई जैसे नए नवाचार को अभी परीक्षा पास करनी बाकी है।’’
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नयी दिल्ली। कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने देश में बिजली संयंत्रों को ईंधन की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए 24.16 लाख टन कोयले का आयात करने के लिए पहली निविदा जारी की है।अप्रैल में जीवाश्म ईंधन की कमी के कारण हुई बिजली कटौती की पुनरावृत्ति से बचने के लिए सरकार द्वारा कोयले का भंडार बनाने के लिए सभी प्रयास करने के मद्देनजर यह विकास महत्वपूर्ण है।कंपनी ने एक बयान में कहा, "पहली बार कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने बुधवार को एक अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली ई-निविदा जारी की, जिसमें 24.16 लाख टन कोयले के आयात के लिए बोलियां मांगी गईं।"उत्पादन कंपनियों (जेनकोस) और स्वतंत्र बिजली संयंत्रों (आईपीपी) की ओर से कोयला मंगाया जा रहा है, जो उनसे प्राप्त मांग पर आधारित है।बयान में कहा गया है कि यह मांग चालू वित्त वर्ष 2022-23 की जुलाई-सितंबर अवधि के लिए है।हालांकि, कोयले का आयात सीआईएल के लिए एक नया काम है। कंपनी ने सात राज्य जेनकोस और 19 आईपीपी से मांगपत्र प्राप्त करने के एक सप्ताह के अंदर युद्धस्तर पर निविदा को अंतिम रूप देकर जारी किया है।
चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के लिए सूखे ईंधन के आयात के लिए वर्तमान अल्पकालिक निविदा के तहत कोयला किसी भी देश से प्राप्त किया जा सकता है।जब कोयले की मांग सबसे ज्यादा है, ऐसे समय में केंद्र ने सूखे-ईंधन के आयात के माध्यम से महारत्न फर्म को जेनकोस और आईपीपी को कोयले की आपूर्ति बढ़ाने के लिए एक केंद्रीकृत एजेंसी के रूप में नामित किया था।कंपनी के निदेशक मंडल ने पिछले हफ्ते सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई को विदेशों से कोयले की निकास के लिए दो अंतरराष्ट्रीय निविदाएं- अल्पकालिक और मध्यम अवधि जारी करने के लिए अपनी मंजूरी दे दी थी।बोली प्राप्त करने की अंतिम तिथि 29 जून है।सीआईएल ने कहा कि निविदा की किसी भी बारीकियों पर स्पष्टीकरण मांगने के लिए 14 जून को निविदा-पूर्व बैठक का विकल्प है।बोली प्रक्रिया के माध्यम से चुनी गई सफल एजेंसी जेनको और आईपीपी के बिजली संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति करेगी।सरकार ने सीआईएल को इससे पहले अगले 13 महीनों के लिए बिजली उपयोगिताओं हेतु 1.2 करोड़ टन कोयला आयात करने के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया था। -
अहमदाबाद | गुजरात सरकार ने राज्य में ऑटो-रिक्शा के किराए में दो रुपये की वृद्धि को बुधवार को मंजूरी दे दी। राज्य में वाहन संघों द्वारा किराये में वृद्धि की मांग की जा रही थी जिसके मद्देनजर सरकार ने यह घोषणा की। राज्य के परिवहन मंत्री पूर्णेश मोदी ने विभिन्न ऑटो-रिक्शा संघों के प्रतिनिधियों से मुलाकात के बाद यह घोषणा की कि न्यूनतम किराया मौजूदा 18 रुपये से बढ़ाकर 20 रुपये कर दिया गया है, और इसके बाद प्रत्येक किलोमीटर के लिए किराए को वर्तमान 13 रुपये से बढ़ाकर 15 रुपये कर दिया गया है। मोदी ने गांधीनगर में पत्रकारों से कहा, ‘‘हालांकि यूनियनों ने मांग की थी कि न्यूनतम किराया 30 रुपये तक बढ़ाया जाए। लेकिन हमने वर्तमान में केवल दो रुपये की बढ़ोतरी कर किराये को 18 रुपये से 20 रुपये करने की मंजूरी दी है। इसी तरह, हमने प्रति किलोमीटर के वास्ते किराए में दो रुपये की बढ़ोतरी को मंजूरी दी है। नई दरें 10 जून से लागू होंगी।'' उन्होंने कहा कि संघों ने भी नई किराया दरों पर सहमति जताई है और उसी के संबंध में समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। नया किराया 31 मार्च, 2023 तक लागू रहेगा, और संघों ने उस तारीख से पहले कोई और वृद्धि नहीं किये जाने या कोई आंदोलन शुरू नहीं करने पर सहमति व्यक्त की है। मंत्री ने कहा, ‘‘हम किराए में बढ़ोतरी के मुद्दे का एक सौहार्दपूर्ण समाधान लेकर आए हैं। नई दरों के लागू होने से ऑटो-रिक्शा चालकों को प्रति दिन लगभग 100 रुपये अधिक कमाने में मदद मिलेगी। हमने वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए निर्णय लिया है।'' गौरतलब है कि इससे पहले, राज्य में ऑटो किराए को पिछले साल नवंबर में संशोधित किया गया था, जब न्यूनतम शुल्क 15 रुपये से बढ़ाकर 18 रुपये और इसके बाद प्रतिकिलोमीटर के लिए किराया 10 रुपये से बढ़ाकर 13 रुपये कर दिया गया था। -
नयी दिल्ली | वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि सरकार की नीतियों और उसके द्वारा उठाए गए सक्रिय कदमों से देश को कोविड-19 महामारी के कारण पैदा हुई स्थिति से उबरने में मदद मिली। उन्होंने कहा कि इन कदमों में कॉरपोरेट कर में कटौती और अर्थव्यवस्था का डिजिटलीकरण जैसे उपाय शामिल हैं। उन्होंने आजादी के अमृत महोत्सव के तहत विशेष सप्ताह समारोह में आयोजित कार्यक्रम - 'भारत की आर्थिक यात्रा @75' में कहा कि भारत ने अपने मजबूत बुनियादी ढांचे के साथ चुनौतियों का सामना किया और सफलता पाई। इस कार्यक्रम का आयोजन आर्थिक मामलों के विभाग और सेबी ने मिलकर किया था।
वित्त मंत्री ने कहा कि 2014 से सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों ने अर्थव्यवस्था और लोगों को मुश्किल समय का मुकाबला करने में सक्षम बनाया। महामारी के दौरान सरकार के लक्षित दृष्टिकोण ने नागरिकों की मदद की। सीतारमण ने कहा, ‘‘अर्थव्यवस्था को उबारने तथा (2014 के बाद से) वृद्धि की सभी बाधाओं को दूर करने के बावजूद चुनौतियां थीं, और ऐसे में जो बड़े कदम उठाए गए- कॉरपोरेट कर को कम करना, अर्थव्यवस्था का डिजिटलीकरण, आईबीसी कोड, जीएसटी - उसने हमें ऐसे हालात का सामना करने के लिए तैयार किया, जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी।'' उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में कोविड के बावजूद भारतीय खुदरा निवेशकों ने शेयर बाजार तक पहुंचने के लिए ऑनलाइन साधन खोजे हैं और निवेशक शिक्षा में सेबी की भूमिका रही है। -
मुंबई. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बढ़ती महंगाई को काबू में लाने के लिये बुधवार को प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 4.9 प्रतिशत कर दिया। आरबीआई के इस कदम से कर्ज महंगा होगा और कर्ज की मासिक किस्त यानी ईएमआई बढ़ेगी।
इससे पहले, चार मई को आरबीआई ने अचानक से रेपो दर में 0.4 प्रतिशत की वृद्धि की थी।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि एमपीसी ने आम सहमति से नीतिगत दर में 0.5 प्रतिशत की वृद्धि का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि महंगाई दर चालू वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में छह प्रतिशत से ऊपर बने रहने की आशंका है। आरबीआई मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई दर को ध्यान में रखता है। खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में आठ साल के उच्च स्तर 7.79 प्रतिशत रही। यह केंद्रीय बैंक के संतोषजनक स्तर से कहीं अधिक है। आरबीआई को खुदरा महंगाई दो से छह प्रतिशत के दायरे में रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 में आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। -
नई दिल्ली। भारतीय रिज़र्व बैंक ने व्यक्तिगत आवासीय ऋण की वर्तमान सीमा में बढ़ोत्तरी कर दी है। सहकारी बैंकों को भी यह सुविधा उपलब्ध होगी। भारतीय रिज़र्व बैंक ने एक बयान में बताया है कि प्राथमिक नगरीय सहकारी बैंकों - यूसीबी के लिए प्रथम श्रेणी के नगरों के लिए ये सीमा दोगुनी करके 30 लाख से 60 लाख और द्वितीय श्रेणी के नगरों के लिए 70 लाख से एक करोड़ 40 लाख रुपये कर दी गई है। सौ करोड़ रुपये से कम की कुल राशि वाले ग्रामीण सहकारी बैंकों के लिए यह सीमा 20 लाख से 50 लाख तय की गई है। जबकि, शेष ग्रामीण सहकारी बैंकों के लिए यह सीमा 30 लाख से बढ़ाकर 75 लाख कर दी गई है। रिज़र्व बैंक ने कहा है कि 2011 में प्राथमिक सहकारी बैंकों और 2009 में आवासीय ऋण की सीमा में वृद्धि की गई थी। इसी के मद्देनज़र इस वर्ष भी इस प्रकार के ऋणों की सीमा बढाई गई है।इसी तरह उचित मूल्य में आवासीय भवनों की बढ़ती जरूरत को देखते हुए बैंक ने राजकीय सहकारी बैंकों और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों को कॉमर्शियल रियल इस्टेट-रिहायशी आवासीय भवनों के लिए वित्त उपलब्ध कराने की अनुमति देने का निर्णय लिया है। इस बारे में बाद में विस्तार से अधिसूचना जारी की जाएगी। भारतीय रिज़र्व बैंक ने शहरी सहकारी बैंकों को अपने ग्राहकों को उनके द्वार तक बैंक सेवाएं बढ़ाने की अनुमति देने का निर्णय लिया है। सूचीबद्ध व्यवसायिक बैंकों को इसकी पहले से ही अनुमति दी जा चुकी है। -
नयी दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि राज्यों के वाहन ईंधन पर मूल्य वर्धित कर (वैट) घटाने से मुद्रास्फीतिक दबाव को कम करने में मदद मिलेगी। केंद्र सरकार पहले ही राज्यों से पेट्रोल और डीजल पर वैट घटाने का आग्रह कर चुकी है। अब रिजर्व बैंक के गवर्नर ने भी केंद्र के सुर में सुर मिलाते हुए वाहन ईंधन पर वैट घटाने की वकालत की है। उन्होंने बुधवार को चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा पेश करने के बाद कहा कि राज्यों के पेट्रोल और डीजल पर लगाए जाने वाले मूल्य वर्धित कर को घटाने से मुद्रास्फीतिक दबाव को कम करने में मदद मिलेगी। सरकार ने पिछले महीने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में आठ रुपये और डीजल पर छह रुपये लीटर की कटौती की थी। इससे आम लोगों को कुछ राहत मिली है। सरकार ने लोगों को और राहत देने के लिए राज्यों से भी वैट घटाने का अनुरोध किया था। हालांकि, ज्यादातर राज्यों ने सरकार के इस अनुरोध को अनदेखा किया है। दास ने कहा कि 21 मई को ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कटौती के बाद शहरी परिवारों के बीच एक सर्वेक्षण में पाया गया कि इस कदम से उनकी मुद्रास्फीति अपेक्षाओं में उल्लेखनीय कमी आई है। उन्होंने कहा, ‘‘इस स्थिति में राज्यों का पेट्रोल और डीजल पर वैट घटाना मुद्रास्फीति के साथ-साथ अपेक्षाओं के दबाव को कम करने में मदद कर सकता है।'' इससे पहले केंद्रीय वित्त मंत्री र्निमला सीतारमण और पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पूरी समेत मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों ने भी राज्यों से ईंधन पर वैट घटाने की अपील की थी। - मुंबई। शेयर बाजारों में बुधवार को लगातार चौथे कारोबारी सत्र मे गिरावट रही और बीएसई सेंसेक्स 214.85 अंक और नीचे आ गया। भू-राजनीतिक संकट और आपूर्ति श्रृंखला में बाधाओं के बीच भारतीय रिजर्व बैंक के नीतिगत दर में 0.50 प्रतिशत की वृद्धि के फैसले के बाद बाजार नुकसान के साथ बंद हुए। विदेशी संस्थागत निवेशकों की पूंजी निकासी जारी रहने और कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से भी बाजार पर असर पड़ा। तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 214.85 अंक यानी 0.39 प्रतिशत की गिरावट के साथ 54,892.49 अंक पर बंद हुआ। इसी तरह, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 60.10 अंक यानी 0.37 प्रतिशत की गिरावट के साथ 16,356.25 अंक पर बंद हुआ। सेंसेक्स के शेयरों में भारती एयरटेल के शेयर में सबसे अधिक 3.31 प्रतिशत की गिरावट हुई। आईटीसी, रिलायंस इंडस्ट्रीज, एशियन पेंट्स, इंडसइंड बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और कोटक महिंद्रा के शेयर भी नुकसान में रहे। वहीं, दूसरी तरफ लाभ में रहने वाले शेयरों में टाटा स्टील, भारतीय स्टेट बैंक, डॉ. रेड्डीज, बजाज फाइनेंस, टीसीएस, टाइटन और मारुति शामिल हैं। रिजर्व बैंक की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये बुधवार को रेपो दर में 0.5 प्रतिशत की वृद्धि की। इससे मकान, वाहन और अन्य कर्ज की मासिक किस्त यानी ईएमआई बढ़ेगी। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ‘‘गवर्नर का यह बयान कि अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है और पुनरुद्धार गति पकड़ रहा है, बाजार के नजरिये से उत्साहजनक है।'' उन्होंने कहा, ‘‘आरबीआई ने 2022-23 के लिये आर्थिक वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत और मुद्रास्फीति 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। यह बताता है कि मौद्रिक नीति वास्तविकताओं पर आधारित है। मुद्रास्फीति का अधिक अनुमान यह दर्शाता है कि केंद्रीय बैंक महंगाई को लेकर काफी गंभीर है।'' इसके अलावा बीएसई स्मॉलकैप में 0.33 प्रतिशत और मिडकैप में 0.15 प्रतिशत की गिरावट आई।एशिया के अन्य बाजारों में चीन का शंघाई कंपोजिट, जापान का निक्की और हांगकांग का हैंगसेंग बढ़त में रहे जबकि दक्षिण कोरिया का कॉस्पी नुकसान में रहा। यूरोप के प्रमुख बाजारों में दोपहर के कारोबार में गिरावट का रुख था जबकि अमेरिकी शेयर बाजार मंगलवार को मजबूती लेकर बंद हुआ। इस बीच, अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.93 उछलकर 121.69 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। शेयर बाजारों के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने मंगलवार को 2,293.98 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे।
- नयी दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने प्रौद्योगिकी आधारित नयी विश्व व्यवस्था की चुनौतियों एवं अवसरों का जिक्र करते हुए बुधवार को कहा कि प्रत्यक्ष नकद अंतरण, आधार, यूपीआई जैसे कदमों के जरिये भारत ने प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपनी ताकत का प्रदर्शन किया है और अब हमें इसके आधार पर ‘‘भविष्योन्मुखी कार्यबल'' बनाने की जरूरत है जो औद्योगिक क्रांति 4.0 से उत्पन्न बदलाव से निपटने में सक्षम हो । केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपतियों एवं राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों के निदेशकों की विजिटर कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन प्रधान ने कहा कि देश में यूनिकार्न की बढ़ती संख्या मजबूत होते उद्यमिता के माहौल का परिचायक है । उन्होंने छात्रों को रोजगार मांगने वाला नहीं बल्कि रोजगार प्रदाता बनने का आह्वान किया । शिक्षा मंत्री ने डिजिटल शिक्षा के क्षेत्र में सरकार द्वारा उठाये गए विभिन्न कदमों का उल्लेख किया और शिक्षा को औपनिवेशिक काल से बाहर निकालने के लिये प्रौद्योगिकी के उपयोग की जरूरत बतायी । प्रौद्योगिकी आधारित नयी विश्व व्यवस्था की चुनौतियों एवं अवसरों का जिक्र करते हुए धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि प्रत्यक्ष नकद अंतरण, आधार, यूपीआई जैसे कदमों के जरिये भारत ने प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अपनी ताकत का प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा, ‘‘ अब हमें इसके (प्रौद्योगिकी) आधार पर ‘‘भविष्योन्मुखी कार्यबल'' बनाने की जरूरत है जो औद्योगिक क्रांति 4.0 से उत्पन्न बदलाव से निपटने में सक्षम हो ।'' शिक्षा मंत्री ने एलुमनी नेटवर्क को और मजबूत बनाने तथा भारत में पढ़ो कार्यक्रम सहित भारतीय शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण की दिशा में उठाये जा रहे प्रयासों से जुड़ने पर जोर दिया। विजिटर कांफ्रेंस का उद्घाटन मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में किया था ।इस सम्मेलन के विभिन्न सत्रों के दौरान उच्च शिक्षण संस्थानों की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग, अकादमिक संस्थानों एवं उद्योगों के बीच गठजोड़, स्कूलों का संयोजन, उच्च एवं व्यवसायिक शिक्षा, उभरती प्रौद्योगिकियों में बीच शिक्षा एवं शोध जैसे विषयों पर चर्चा हुई । गौरतलब है कि राष्ट्रपति 161 उच्च शिक्षा के केंद्रीय संस्थानों के विजिटर हैं।
- न्यूयॉर्क/मॉस्को। सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी आईबीएम ने रूस में कर्मचारियों की छंटनी के साथ अपने कारोबार को व्यवस्थित तरीके से समेटना शुरू कर दिया है। आईबीएम के भारतीय मूल के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अरविंद कृष्णा ने यह जानकारी देते कहा कि कंपनी देश में अपने कर्मचारियों के साथ खड़ी रहेगी। इससे पहले मार्च में कंपनी ने यूक्रेन पर सैन्य हमले की वजह से रूस में अपने कारोबार को बंद करने की घोषणा की थी। इस दौरान कई पश्चिमी देशों ने भी रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे। आईबीएम ने मंगलवार को कहा कि उसने रूस में अपने कारोबार को व्यवस्थित रूप से बंद करने का निर्णय लिया है। आईबीएम के चेयरमैन कृष्णा ने एक बयान में कहा, ‘‘मैंने सात मार्च को यूक्रेन युद्ध के कारण रूस में कंपनी के कारोबारी परिचालन को बंद करने का अपना निर्णय साझा किया था। प्रभावित क्षेत्रों में कर्मचारियों तथा उनके परिवारों की सुरक्षा और देखभाल पर महीनों से हमारा ध्यान केंद्रित है।
- मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को कहा कि सरकार मुद्रास्फीति की वर्तमान स्थिति को लेकर सचेत है। उन्होंने यह भी कहा कि यह केंद्र पर निर्भर है कि वह कीमतों में वृद्धि को काबू में लाने के लिए आपूर्ति व्यवस्था में और सुधार करे। दास ने केंद्रीय बैंक के मुख्यालय में आयोजित संवादाता सम्मेलन में कहा, ‘‘मुझे यकीन है कि सरकार मुद्रास्फीति की वर्तमान स्थिति को लेकर सर्तक है और अब सरकार को आगे आपूर्ति-पक्ष से जुड़े उन उपायों पर निर्णय लेना है.... जिन्हें वे आवश्यक समझते हैं।’’ दास की तरफ से यह बयान आरबीआई के चालू वित्त वर्ष के लिए अपने मुद्रास्फीति के अनुमान को एक प्रतिशत बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत करने के बाद आया है। इससे पहले यह अनुमान 5.7 प्रतिशत पर था।उल्लेखनीय है कि सरकार ने पिछले महीने ईंधन पर उत्पाद शुल्क में 9.5 रुपये लीटर की कटौती की थी। इससे आम लोगों को राहत मिलने के साथ कच्चे माल की लागत कम हुई। इसके अलावा गेहूं और चीनी जैसे खाद्य पदार्थों के निर्यात पर पाबंदी या उसे कम करने के भी उपाए किए। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि सटीक उपाय क्या हो सकते हैं, इस पर विचार या टिप्पणी करना उनका काम नहीं है।उन्होंने कहा, ‘‘इस पर निर्णय लेना सरकार पर निर्भर करता है और मुझे भरोसा है कि वह निर्णय लेंगे। जब भी जरुरत होगी सरकार कदम उठाएगी।’’इससे पहले, दास ने मौद्रिक नीति समिति के निर्णय की जानकारी देते हुए राज्य सरकारों की तरफ से लगाये जाने वाले वैट में कटौती की वकालत की थी। उन्होंने कहा कि केंद्र के उत्पाद शुल्क में कटौती से शहरी महंगाई को लेकर दबाव कम होने की उम्मीद है।गवर्नर ने कहा, ‘‘देश भर में पेट्रोल और डीजल पर राज्यों द्वारा लगाए जाने वाले मूल्य वर्धित कर (वैट) में और कमी निश्चित रूप से मुद्रास्फीति के साथ-साथ अपेक्षाओं के दबाव को कम करने में मदद कर सकता है।’’उन्होंने कहा सरकार और आरबीआई के बीच हर मुद्दे को लेकर लगातार संवाद होता है और इसमें क्रिप्टोकरेंसी जैसे मुद्दे भी शामिल है। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर ने कहा कि केंद्रीय बैंक वित्त वर्ष के अंत तक डिजिटल मुद्रा की शुरुआत के साथ सरकार की घोषणा को लागू करेगा।
- नयी दिल्ली। जर्मनी की स्पोर्ट्स लग्जरी कार कंपनी पोर्श ने भारत में पुरानी यानी सेकेंड हैंड कारों के बाजार में कदम रखा है।पोर्श 'अप्रूव्ड' कार्यक्रम अब पुरानी कारों पर 12 माह की न्यूनतम वृहद वॉरंटी के साथ देशभर में उपलब्ध है। इसमें सड़क किनारे 24 घंटे की सेवा भी शामिल है।पोर्श इंडिया के ब्रांड निदेशक मैनोलिटो वुजिसिक ने कहा कि इस पहल का उद्देश्य आने वाले वर्षों में भारत की सड़कों पर पोर्श वाहनों की संख्या को बढ़ाना है।उन्होंने कहा, ‘‘पोर्श इंडिया के लिए सेकेंड हैंड कारों के बाजार में अपनी सेवाओं का विस्तार एक महत्वपूर्ण कदम है। यह कार की बिक्री के बाद ग्राहकों को संतुष्ट करने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। साथ ही यह उन ग्राहकों के प्रति भी हमारी प्रतिबद्धता को बताता है जिनके पास कभी पोर्श वाहन नहीं रहा है।’’ उन्होंने बताया कि पोर्श ‘अप्रूव्ड’ कार्यक्रम के तहत उच्च स्तर की गुणवत्ता की पेशकश की जाती है। प्रत्येक पुरानी पोर्श गाड़ी को 111 जांच के बिंदुओं से गुजरना पड़ता है।
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मुंबई। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने चालू वित्त वर्ष के लिए घरेलू हवाई अड्डों पर अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की संख्या के अपने अनुमान को संशोधित किया है। एजेंसी ने सोमवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की संख्या 2022-23 में कोविड-19 महामारी-पूर्व के 80-85 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच जाएगी। इससे पहले यह अनुमान 70 से 75 प्रतिशत का था। वहीं मई में अंतराष्ट्रीय यात्रियों की संख्या पहले से ही महामारी पूर्व के 72 प्रतिशत पर पहुंच गई है। इक्रा ने एक विज्ञप्ति में कहा कि मार्च के अंत में अंतराष्ट्रीय अनुसूचित उड़ानों का संचालन फिर से शुरू होने से अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की संख्या में वृद्धि हुई है। रेटिंग एजेंसी के अनुसार अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए प्रमुख स्थान दक्षिण-पूर्व एशिया, पश्चिमी एशिया और यूरोप हैं। गौरतलब है कि कोविड महामारी के बीच दो साल के अंतराल के बाद 27 मार्च, 2022 को अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का वाणिज्यिक संचालन फिर से शुरू हुआ था। इससे पहले ‘बायोबबल' समझौते के तहत अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का संचालन किया जा रहा था। इक्रा में कॉरपोरेट रेटिंग के वरिष्ठ विश्लेषक अभिषेक लाहोटी ने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक उड़ानों का संचालन फिर से शुरू करने से यातायात में तेजी से सुधार आया है।'' उन्होंने कहा, ‘‘पिछले दो माह में अंतरराष्ट्रीय यातायात में स्वस्थ वापसी या भरपाई को ध्यान में रखते हुए वित्त वर्ष 2022-23 में अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की संख्या महामारी-पूर्व के 80 से 85 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है। इससे पहले यह अनुमान 70 से 75 प्रतिशत था। -
नयी दिल्ली। टाटा मोटर्स ने सोमवार को कहा कि उसे ब्लूस्मार्ट इलेक्ट्रिक मोबिलिटी से 10,000 एक्सप्रेस-टी ईवी इकाइयों की आपूर्ति का ऑर्डर मिला है। कंपनी ने एक बयान में कहा कि 10,000 इकाइयों का यह सौदा भारत का अबतक का सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) बेड़े का ऑर्डर है। यह ऑर्डर, दोनों कंपनियों के बीच पिछले साल अक्टूबर में 3,500 एक्सप्रेस-टी ईवी की आपूर्ति के लिए हुए सौदे के अतिरिक्त है। इनकी आपूर्ति जल्द शुरू होगी। टाटा मोटर्स पैसेंजर वेहिकल्स के प्रबंध निदेशक शैलेश चंद्रा ने कहा, ‘‘टाटा मोटर्स क्षेत्र के तेजी से विद्युतीकरण की दिशा में सक्रियता से कदम बढ़ा रही है। और यह खुशी की बात है कि जानेमाने फ्लीट एग्रिगेटर हरित परिवहन को बढ़ावा देने के लिए हमारे साथ हैं।'' उन्होंने कहा कि कंपनी को ब्लूस्मार्ट इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के साथ जुड़ाव जारी रखने की खुशी है और इसके तहत 10,000 एक्सप्रेस-टी ईवी को देशभर में तैनात किया जाएगा।
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नयी दिल्ली। मारुति सुजुकी इंडिया ने हरियाणा में अपने मानेसर कारखाने में 20 एमडब्ल्यूपी (मेगावॉट पीक) क्षमता का सौर बिजली संयंत्र लगाया है। कंपनी ने सोमवार को बयान में कहा कि इस इकाई से सालाना 28,000 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होगा। यह कारखाने में सालाना 67,000 से अधिक कारों के उत्पादन के लिये बिजली की जरूरत को पूरा करने के बराबर है। मारुति सुजुकी इंडिया के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) हिसाशी ताकेयूची ने बयान में कहा ‘‘नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग समय की जरूरत है। हम देश को नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों के मामले में समृद्ध बनाने के सरकार के दृष्टिकोण को लेकर प्रतिबद्ध हैं।'' उन्होंने कहा कि यह कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने की दिशा में उठाया गया कदम है। ताकेयूची ने कहा, हमारी कंपनी परिचालन को अनुकूलतम बनाने के लिये सतत ऊर्जा विकल्पों के उपयोग को लेकर प्रतिबद्ध है। सौर ऊर्जा संयंत्र से उत्पादित बिजली मानेसर कारखाने की 11.5 प्रतिशत जरूरत को पूरा करेगी।'' मारुति सुजुकी ने कहा कि वह 2014 से सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा दे रही है। उस समय उसने मानेसर कारखाने में एक एमडब्ल्यूपी क्षमता की इकाई लगायी थी। इस संयंत्र की क्षमता बढ़ाकर बाद में 1.3 एमडब्ल्यूपी कर दी गयी। मानेसर में इस नये संयंत्र के साथ कंपनी की सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता बढ़कर 26.3 एमडब्ल्यूपी हो गयी है। कंपनी के अनुसार, इस नये बिजली संयंत्र से सालाना 20,000 टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी।










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