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पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के चेयरमैन प्रदीप टंडन ने बजट की सराहना की
कहा, बजट से स्वास्थ्य एवं शिक्षा आदि नियामक सुधारों में सुधार शुरू करते हुए देश की क्षमता को खोलना
रायपुर। पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के चेयरमैन प्रदीप टंडन ने कहा कि बजट का उद्देश्य विकास को गति देना और कराधान, शहरी विकास, खनन, वित्तीय क्षेत्र, बिजली और नियामक सुधारों में सुधार शुरू करते हुए देश की क्षमता को खोलना है। समावेशी विकास और अर्थव्यवस्था को समृद्ध बनाने के लिए मध्यम वर्ग के खर्च को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। एमएसएमई वर्गीकरण के लिए 2.5 गुना की निवेश सीमा से इस सबसे बड़े क्षेत्र में अवसरों को बढ़ावा मिलेगा। फुटवियर, चमड़ा और खिलौने उद्योग को बढ़ावा देने से 22 लाख नौकरियां, 4 लाख करोड़ का राजस्व और 1.1 लाख करोड़ से अधिक का निर्यात होगा। मछली उत्पादन और जलीय कृषि, समुद्री क्षेत्र में समुद्री खाद्य निर्यात भारतीय अनन्य आर्थिक क्षेत्र से मत्स्य पालन के स्थायी दोहन के लिए एक सक्षम ढांचा लाएगा और उच्च समुद्र नए अवसर पैदा करेगा और अर्थव्यवस्था को समृद्ध करेगा। हर जिले में कैंसर अस्पताल खोलना और शहरों को बदलने के उद्देश्य से शहरी चुनौती निधि, प्राथमिक विद्यालयों में ब्रॉडबैंड सुविधा से शिक्षा और सामाजिक चेतना के नए रास्ते खुलेंगे। विस्तारित जल जीवन मिशन के साथ बढ़ी हुई लागत से न केवल पीने योग्य पानी उपलब्ध होगा बल्कि पाइप निर्माण को और बढ़ावा मिलेगा। 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पादन से नए रास्ते खुलेंगे। संशोधित उड़ान योजना, चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ 120 नए गंतव्यों को जोड़कर यात्रा-पर्यटन और बुनियादी ढांचा उद्योग को बढ़ावा देगी, जिससे 4 करोड़ यात्रियों को सुविधा मिलेगी। बीमा एफडीआई को 74% से बढ़ाकर 100% करने से नई और सस्ती योजनाएं शुरू होंगी। एलआरएस प्रेषणों पर टीसीएस की सीमा 7 लाख से बढ़ाकर 10 लाख रुपये, टीडीएस सीमा 6 लाख रुपये, निर्दिष्ट वित्तीय संस्थानों से 10 लाख रुपये तक के शिक्षा ऋण पर टीसीएस हटाने से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और खर्च करने की शक्ति को बढ़ावा मिलेगा। करदाताओं के लिए बिना किसी शर्त के दो स्व-कब्जे वाली संपत्तियों के वार्षिक मूल्य को शून्य के रूप में दावा करने की सुविधा से भवन बुनियादी ढांचा उद्योग को और बढ़ावा मिलेगा। -
नयी दिल्ली. ओला इलेक्ट्रिक की जनवरी में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन खंड में हिस्सेदारी बढ़कर 25 प्रतिशत हो गई और इसके साथ ही कंपनी ने इस खंड में अपना खोया दबदबा वापस हासिल कर लिया। कंपनी बयान के अनुसार इस महीने उसने 22,656 वाहनों का पंजीकरण किया। इलेक्ट्रिक स्कूटर एसवन श्रृंखला की मजबूत बिक्री और भारत में सेवा स्टोर की संख्या को 4,000 तक बढ़ाना इसकी मुख्य वजह रही। ओला इलेक्ट्रिक ने कहा कि मासिक आधार पर उसकी बिक्री 65 प्रतिशत बढ़ी और इसी के दम पर उसकी बाजार हिस्सेदारी बढ़कर 25 प्रतिशत हो गई। कंपनी ने शुक्रवार को अपने ‘जनरेशन 3' प्लेटफॉर्म पर विकसित एस1 ब्रांड के तहत आठ स्कूटर मॉडल पेश किए, जिनकी कीमत 79,999 रुपये से 1,69,999 रुपये के बीच है।
- नयी दिल्ली. मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने शुक्रवार को कहा कि भू-राजनीतिक और नीतिगत अनिश्चितताओं के बीच वैश्वीकरण का स्वर्णिम दौर शायद खत्म हो रहा है जिसके चलते वृद्धि में सुस्ती आई है। बजट से पहले संसद में पेश आर्थिक समीक्षा के मुताबिक, आने वाले वित्त वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था 6.3-6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है। यह वृद्धि दर विकसित देश बनने के लिए जरूरी आठ प्रतिशत वृद्धि से बहुत कम है। नागेश्वरन ने कहा, ''वैश्वीकरण का युग खत्म हो गया है... वैश्वीकरण की अनुकूल हवाएं अब अधिक प्रतिकूल होती जा रही हैं... निवेश के मोर्चे पर और व्यापार के मोर्चे पर भू-राजनीतिक और नीतिगत अनिश्चितता है। वृद्धि अनुमान भी इसे दर्शा रहा है।'' समीक्षा से संकेत मिलता है कि भारत की वृद्धि दर धीमी पड़ रही है, जबकि 2047 तक विकसित देश के लक्ष्य को हासिल करने के लिए लगभग सालाना आठ प्रतिशत की दर से बढ़ने की जरूरत है। आर्थिक सुस्ती के लिए बाहरी क्षेत्र को दोषी ठहराते हुए नागेश्वरन ने कहा, ''1980 के बाद से वैश्वीकरण का स्वर्णिम युग, जो शायद 2016 तक था, अब खत्म होने वाला है।'' हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि कुछ सकारात्मक बातें भी हो सकती हैं, जिनसे आने वाले वर्षों में अनुकूल माहौल बन सकता है। नागेश्वरन ने कहा, ''अभी हम उतार-चढ़ाव की स्थिति में हैं। हमें अपनी योजना और वृद्धि के लिए अपने नीतिगत ढांचे में ध्यान में रखना होगा, जो इस वैश्विक वातावरण में भारत की आकांक्षाओं का ख्याल रखेगा।
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नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में आईआईटी को लेकर बड़ी घोषणा की है। उन्होंने ऐलान किया है कि आईआईटी की क्षमता को बढ़ाया जाएगा। वित्त मंत्री ने बजट में घोषणा करते हुए कहा कि पांच आईआईटी में एडिशनल इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया जाएगा। इसके साथ ही आईआईटी पटना का विस्तार भी किया जाएगा।
5 नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर स्किलिंग की स्थापना की जाएगीनिर्मला सीतारमण ने कहा, “कौशल और उच्च स्तरीय शिक्षा में निवेश ‘मेक फॉर इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ विनिर्माण के लिए आवश्यक है, युवाओं को कौशल से लैस करने के लिए वैश्विक विशेषज्ञता और साझेदारी के साथ 5 नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर स्किलिंग की स्थापना की जाएगी। इसके अलावा, 2014 के बाद से आरंभ किए गए पांच आईआईटी में 6500 अतिरिक्त छात्रों को शिक्षा सुविधा देने के लिए एडिशनल इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया जाएगा।”अगले वर्ष मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में 10हजार अतिरिक्त सीटों को जोड़ा जाएगाउन्होंने आगे बताया, “500 करोड़ रुपये के व्यय के साथ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फॉर एजुकेशन की स्थापना की जाएगी। साथ ही, आगामी पांच वर्षों में अतिरिक्त 75,000 सीटों की वृद्धि के लक्ष्य के साथ, अगले वर्ष मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में 10,हजार अतिरिक्त सीटों को जोड़ा जाएगा।”सार्वजनिक शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश को लेकर बड़ी घोषणावित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सार्वजनिक शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश को लेकर बड़ी घोषणा की है। उन्होंने बताया, “जिज्ञासा, नवाचार और युवा मस्तिष्कों में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने के लिए आगामी पांच वर्षों में सरकारी स्कूलों में 50,000 अटल टिंकरिंग लैब की स्थापना की जाएगी। इसके अलावा, भारतनेट परियोजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों के सभी सेकेंडरी स्कूलों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी उपलब्ध कराई जाएगी। स्कूल तथा उच्च शिक्षा में भारतीय भाषाओं की डिजिटल पुस्तकों को उपलब्ध कराने के उद्देश्य से भारतीय भाषा पुस्तक परियोजना का कार्यान्वयन किया जाएगा।”सभी जिला अस्पतालों में डे केयर कैंसर केंद्र स्थापित किए जाएंगेउन्होंने कहा, “आगामी तीन वर्षों में सभी जिला अस्पतालों में डे केयर कैंसर केंद्र स्थापित किए जाएंगे। वित्तीय वर्ष 2025-26 में 200 केंद्र स्थापित किए जाएंगे।” वित्त मंत्री ने बजट पेश करते हुए कहा कि पिछले 10 वर्षों में हमारे विकास के ट्रैक रिकॉर्ड और ढांचागत सुधारों ने विश्व का ध्यान हमारी ओर खींचा है। इस अवधि के दौरान, भारत की योग्यता और सामर्थ्य में भरोसा बढ़ा है। -
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज (1 फरवरी) बजट भाषण में सीनियर सिटिजन्स के लिए बड़ी राहत की घोषणा की है। उन्होंने कहा, “सीनियर सिटिजन्स के लिए इंटरेस्ट इनकम पर टैक्स डिडक्शन लिमिट को बढ़ाकर 1 लाख रुपए किया जाएगा।”
सीनियर सिटिजन्स के लिए इंटरेस्ट इनकम पर टैक्स डिडक्शन की मौजूदा लिमिट 50,000 थी, जिसे अब डबल करते हुए 1 लाख रुपए कर दिया गया है। इसके अलावा, सरकार ने सीनियर और सुपर सीनियर सिटिज़न्स को भी राहत दी है, जिनके पास पुराने नेशनल सेविंग्स स्कीम (NSS) अकाउंट्स हैं। जिन अकाउंट्स में अब इंटरेस्ट नहीं मिलता, उन पर किए गए विड्रॉल्स को 29 अगस्त 2024 के बाद टैक्स फ्री कर दिया जाएगा।साथ ही, सरकार ने NPS वत्सल्य अकाउंट्स को भी उसी तरह का टैक्स बेनिफिट देने का प्रस्ताव रखा है जैसा सामान्य NPS अकाउंट्स को मिलता है, हालांकि यह ओवरऑल लिमिट्स के तहत ही रहेगा।सरकार करेगी TDS को आसान: निर्मला सीतारमणवित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को TDS (स्रोत पर कर कटौती) के नियमों को सरल बनाने की घोषणा की है, जिससे अनुपालन (compliance) का बोझ कम होगा। 2025-26 का बजट पेश करते हुए उन्होंने कहा कि नई कर योजनाएं मुख्य रूप से मध्यम वर्ग के लिए आयकर सुधार (income tax reforms), TDS में बदलाव और अनुपालन में आसानी लाने पर केंद्रित होंगी।इसके साथ ही, सरकार अगले हफ्ते संसद में नया आयकर (Income Tax – I-T) विधेयक पेश करेगी। सीतारमण ने कहा कि सुधार कोई मंजिल नहीं होते बल्कि अच्छे शासन और मजबूत अर्थव्यवस्था के लिए माध्यम होते हैं। उन्होंने बताया कि नया आयकर विधेयक मौजूदा कानून के मुकाबले आधा छोटा होगा और इसमें स्पष्ट और सरल भाषा का प्रयोग किया जाएगा। सरकार ने RBI की उदार प्रेषण योजना (liberalised remittance scheme) के तहत विदेश प्रेषण (remittances) पर TCS की सीमा को ₹7 लाख से बढ़ाकर ₹10 लाख करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा, वित्त मंत्री ने बताया कि EV बैटरी उत्पादन के लिए 35 नई वस्तुओं और मोबाइल फोन बैटरी उत्पादन के लिए 28 नई वस्तुओं को पूंजीगत वस्तुओं (capital goods) की छूट सूची में शामिल किया जाएगा। -
नई दिल्ली। केंद्रीय बजट से पहले एलपीजी सिलेंडर के दामों में बड़ी राहत दी गई है। ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने 19 किलो के एलपीजी कमर्शियल सिलेंडर की कीमत में 7 रुपये की कटौती की है। ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने एलपीजी गैस सिलेंडरों के दामों में यह संशोधन संसद में आज सुबह 11 बजे पेश होने वाले वित्तीय बजट से पहले किया है।
14 किलोग्राम के घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमत में कोई संशोधन नहींगैस सिलेंडर के दामों में कटौती के बाद दिल्ली में 19 किलोग्राम के कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर की कीमत 1,809 रुपये से घटकर 1,797 रुपये हो गई है। हालांकि, 14 किलोग्राम के घरेलू एलपीजी सिलेंडर की कीमत में कोई संशोधन नहीं किया गया है। कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर की मुंबई में पुरानी दरें 1,756 रुपये, कोलकाता में 1,911 रुपये और चेन्नई में 1,966 रुपये थीं।कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर होटल और रेस्टोरेंट में किया जाता है इस्तेमालकमर्शियल एलपीजी सिलेंडर को होटल और रेस्टोरेंट जैसे व्यवसायों में इस्तेमाल किया जाता है। संशोधित दरें वैश्विक बाजार की स्थितियों में उतार-चढ़ाव से प्रभावित ईंधन मूल्य समायोजन के एक व्यापक पैटर्न का हिस्सा है। तेल कंपनियां अक्सर कच्चे तेल की दरों और अन्य आर्थिक कारकों में बदलाव के आधार पर एलपीजी की कीमतों में बदलाव करती हैं। इससे पहले पिछले दिसंबर में तेल कंपनियों ने 19 किलोग्राम के कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर की कीमत में 62 रुपये की बढ़ोतरी की थी। एलपीजी की कीमतें स्थानीय करों और परिवहन लागत में अंतर के कारण राज्यों में अलग-अलग होती हैं।एविएशन टर्बाइन फ्यूल की कीमतों में भी 1.5 प्रतिशत की कमीयह संशोधन 1 जनवरी को इसी तरह की कीमतों में कटौती के बाद किया गया है, जब लगातार पांच बढ़ोतरी के बाद कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में 14.5 रुपये की कमी की गई थी। उस दौरान दिल्ली में कीमत 1,804 रुपये प्रति सिलेंडर थी। इस बीच, एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) की कीमतों में भी 1.5 प्रतिशत की कमी देखी गई है। दिल्ली में इसकी कीमत 1,401.37 रुपये प्रति किलोलीटर घटकर 90,455.47 रुपये प्रति किलोलीटर हो गई है। -
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया बजट, कहा- मध्यम वर्ग की बढ़ेगी खर्च करने की क्षमता
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को आम बजट 2025-26 पेश किया। बजट भाषण की शुरुआत करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि यह बजट आम आदमी की खर्च करने की क्षमता बढ़ाने वाला होगा।बजट 2025: गरीब, युवा, अन्नदाता और महिलाओं पर केंद्रितइसके अलावा उन्होंने कहा कि बजट का उद्देश्य देश की अर्थव्यवस्था की विकास दर को बढ़ाना, समावेशी विकास सुनिश्चित करते हुए निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ाना, घरेलू भावना को ऊपर उठाना और बढ़ते हुए मध्यम वर्ग की खर्च करने की क्षमता को बढ़ाना है। वित्त मंत्री ने कहा कि बजट 2025 में गरीब, युवा, अन्नदाता और महिलाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए 10 व्यापक क्षेत्रों को शामिल किया है। कृषि, एमएसएमई, निवेश और निर्यात विकास के इंजन हैं।”किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट को 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया हैबजट में वित्त मंत्री द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की लिमिट को 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया है। इससे किसानों को सस्ता लोन पाने में मदद मिलेगी। इससे पहले वित्त मंत्री द्वारा शुक्रवार को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश किया गया। सर्वेक्षण में बताया गया कि वित्त वर्ष 2025-26 में वैश्विक अनिश्चितता के बीच भारत की जीडीपी 6.3-6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, महंगाई नियंत्रण में है। वित्त वर्ष 25 के अप्रैल- दिसंबर की अवधि में औसत महंगाई कम होकर 4.9 हो गई है, जो कि वित्त वर्ष 24 में 5.4 प्रतिशत थी।महंगाई को स्थिर करने में सरकार के सक्रिय नीतिगत हस्तक्षेप महत्वपूर्णसर्वेक्षण में कहा गया कि महंगाई को स्थिर करने में सरकार के सक्रिय नीतिगत हस्तक्षेप महत्वपूर्ण रहे हैं। इन उपायों में आवश्यक खाद्य पदार्थों के लिए बफर स्टॉक को मजबूत करना, समय-समय पर खुले बाजार में सामान जारी करना और आपूर्ति की कमी के दौरान आयात को आसान बनाने के प्रयास शामिल हैं। चुनौतियों के बावजूद भारत में महंगाई प्रबंधन के लिए सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) का अनुमान है कि भारत की खुदरा महंगाई धीरे-धीरे वित्त वर्ष 2026 में लगभग 4 प्रतिशत के लक्ष्य के अनुरूप हो जाएगी। -
नई दिल्ली। बजट से पहले भारतीय शेयर बाजार शनिवार के विशेष कारोबारी सत्र में हरे निशान में खुला। बाजार में चौतरफा खरीदारी देखी जा रही है। सुबह 9:42 पर सेंसेक्स 206 अंक या 0.27 प्रतिशत की तेजी के साथ 77,706 और निफ्टी 55 अंक या 0.24 प्रतिशत की बढ़त के साथ 23,563 पर था।
लार्ज कैप की अपेक्षा मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में तेजीलार्ज कैप की अपेक्षा मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में अधिक तेजी देखी जा रही है। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 435 अंक या 0.81 प्रतिशत की तेजी के साथ 54,147 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 171 अंक या 1.01 प्रतिशत की तेजी के साथ 17,078 पर था।बजट में सरकार का फोकस आर्थिक वृद्धि और खपत को बढ़ाने पर होगाऑटो, पीएसयू बैंक, फाइनेंशियल सर्विसेज, फार्मा, एफएमसीजी, मेटल, रियल्टी, एनर्जी, प्राइवेट बैंक और इन्फ्रा इंडेक्स में तेजी देखी जा रही है। हालांकि, आईटी इंडेक्स में लाल निशान में कारोबार हो रहा है। बाजार के जानकारों का कहना है कि इस बार के बजट में सरकार का फोकस आर्थिक वृद्धि और खपत को बढ़ाने पर होगा। सरकार इसके लिए इनकम टैक्स स्लैब में छूट के साथ स्टैंडर्ड डिडक्शन में छूट बढ़ाने का ऐलान कर सकती है।बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश बढ़ाने की सरकार की नीति जारी रहेगीइसके अलावा उम्मीद की जा रही है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2025-26 के बजट में विकास को गति देने और अर्थव्यवस्था में अधिक नौकरियां पैदा करने के लिए बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश बढ़ाने की सरकार की नीति को जारी रखेंगी।नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर 1,784 शेयर हरे निशान मेंनेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर 1,784 शेयर हरे निशान में और 478 लाल निशान में हैं। शनिवार के कारण एशिया के सभी शेयर बाजार बंद हैं।अमेरिकी शेयर बाजार शुक्रवार को मिले जुले बंद हुए थे। बजट से पहले भारतीय शेयर बाजार में तेजी देखी जा रही है। शुक्रवार को सेंसेक्स 740.76 अंक या 0.97 प्रतिशत की तेजी के साथ 77,500.57 और निफ्टी 258.90 अंक या 1.11 प्रतिशत की तेजी के साथ 23,508.40 पर बंद हुआ था। -
नयी दिल्ली. मजबूत वैश्विक संकेतों और जोरदार घरेलू मांग के कारण राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में शुक्रवार को सोने की कीमत 84,900 रुपये प्रति 10 ग्राम के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। अखिल भारतीय सर्राफा संघ यह जानकारी दी। 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने में लगातार तीसरे सत्र में तेजी जारी रही और यह 1,100 रुपये की तेजी के साथ 84,900 रुपये प्रति 10 ग्राम के नए शिखर पर पहुंच गई। एक जनवरी को स्थानीय बाजार में सोना 79,390 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा था, जिसके बाद से इसमें 5,510 रुपये या सात प्रतिशत की तेजी आई है। 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने में 1,100 रुपये की तेजी आई और यह अबतक के सर्वोच्च स्तर 84,500 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया, जबकि इसका पिछली बंद भाव 83,400 रुपये प्रति 10 ग्राम था। शुक्रवार को चांदी 850 रुपये की तेजी के साथ 95,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई। बृहस्पतिवार को चांदी 94,150 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ जिंस विश्लेषक सौमिल गांधी ने कहा, ‘‘कीमती धातुओं में तेजी जारी है, शुक्रवार को दिन के कारोबार के दौरान हाजिर सोना नए सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गया और 2,800 डॉलर प्रति औंस के स्तर को लांघ गया, जबकि दिल्ली बाजार में हाजिर सोने की कीमत 84,000 रुपये के स्तर को पार कर गई।'' अप्रैल डिलिवरी के लिए कॉमेक्स सोना वायदा अंतरराष्ट्रीय बाजारों में 2,842.40 डॉलर प्रति औंस पर स्थिर रहा। दिन के कारोबारी सत्र के दौरान, सोने ने 2,859.45 डॉलर प्रति औंस के नए सर्वकालिक उच्चस्तर को छुआ। मिराए एसेट शेयरखान के एसोसिएट उपाध्यक्ष, बुनियादी मुद्रा एवं जिंस प्रवीण सिंह ने कहा कि निवेशक शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए जाने वाले 2025-26 के केंद्रीय बजट का इंतजार कर रहे हैं।
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नई दिल्ली। देश की आर्थिक विकास दर को तेज करने के लिए सरकार को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) से जुड़े क्षेत्रों में सुधार करने की आवश्यकता है। आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में यह जानकारी दी गई है कि एमएसएमई को अधिक दक्षता और कम लागत के साथ काम करने में सक्षम बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को नई नीतियां और सुधार लागू करने होंगे। रिपोर्ट में कहा गया कि एमएसएमई सेक्टर पर अधिक नियामक बोझ होने से ऑपरेशनल लागत बढ़ जाती है जिससे व्यवसायों के लिए कम लागत में कार्य करना मुश्किल हो जाता है। इस बोझ को कम करने के लिए सरकार को कदम उठाने होंगे ताकि व्यवसायों को अपनी क्षमता को बढ़ाने और नई विकास योजनाओं को अपनाने का अवसर मिल सके।
आर्थिक सर्वेक्षण में यह भी कहा गया कि पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियां लागू की हैं हालांकि फिर भी कई चुनौतियां जैसे ज्यादा नियमों और जटिल प्रक्रियाओं का होना, रोजगार वृद्धि की धीमी गति, और नई तकनीकों और इनोवेशन को अपनाने में रुकावटें बनी हुई हैं। इसके अलावा, भारत में अधिकतर एमएसएमई कंपनियां छोटी ही रह जाती हैं।केंद्र सरकार ने एमएसएमई सेक्टर के लिए सुधारों की दिशा में जिनमें कराधान प्रणाली को सरल बनाना, श्रम कानूनों में बदलाव, और व्यापार कानूनों को अपराधमुक्त बनाने जैसे कई अहम कदम उठाए हैं। इसके अलावा, राज्य सरकारें भी नियमों को आसान बनाने और प्रक्रियाओं को डिजिटलीकरण करने की दिशा में काम कर रही हैं ताकि एमएसएमई को तेजी से बढ़ने का अवसर मिले। आर्थिक सर्वेक्षण में यह भी कहा गया कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस 2.0 को राज्य सरकारों की अगुवाई में लागू करना होगा ताकि व्यवसायों के सामने आ रही मुश्किलों को हल किया जा सके। इस प्रकार, एमएसएमई सेक्टर को अधिक स्वतंत्रता और बेहतर नीतिगत समर्थन देने से देश की आर्थिक वृद्धि को गति मिल सकती है और रोजगार के नए अवसर पैदा हो सकते हैं। -
नई दिल्ली । वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज शुक्रवार को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश किया। रिपोर्ट में बताया गया कि मार्च 2024 तक देश में 7.75 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) सक्रिय हैं। इसके तहत किसानों को 9.81 लाख करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है।
केंद्र सरकार लगातार किसानों को आसान और सस्ते लोन देने के प्रयास कर रही है। खासकर छोटे और सीमांत किसानों को लाभ देने के लिए केसीसी का विस्तार किया गया है जिससे खेती की उत्पादकता और किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिल रही है। आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक 1.24 लाख किसान क्रेडिट कार्ड मत्स्य पालन और 44.40 लाख केसीसी पशुपालन से जुड़े लोगों को जारी किए गए हैं।सरकार ने किसानों को तेजी से कर्ज देने और ब्याज सब्सिडी स्कीम (MISS) को और प्रभावी बनाने के लिए किसान ऋण पोर्टल (KRP) शुरू किया है। इसके जरिए कर्ज मंजूरी और दावों के निपटारे की प्रक्रिया को डिजिटलीकृत किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक 31 दिसंबर 2024 तक 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक दावों का निपटारा किया जा चुका है। वर्तमान में 5.9 करोड़ किसान केसीसी योजना के तहत लाभान्वित हो रहे हैं और उन्हें किसान ऋण पोर्टल के माध्यम से जोड़ा गया है। इससे किसानों को जल्दी और पारदर्शी तरीके से लोन मिल सकेगा।सरकार ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वे अपने कुल लोन का कम से कम 40 प्रतिशत प्राथमिकता वाले क्षेत्रों, जैसे कृषि और छोटे किसानों के लिए आवंटित करें। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि छोटे और सीमांत किसानों को आसानी से कर्ज मिल सके और वे महंगे निजी कर्जदाताओं पर निर्भर न रहें।आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया कि सरकार के इन प्रयासों से गैर-बैंकिंग कर्जदाताओं (जैसे साहूकार) पर किसानों की निर्भरता 1950 में 90 फीसदी से घटकर 2022 में सिर्फ 25 फीसदी रह गई है। यानी अब ज्यादातर किसान बैंक और संस्थागत स्रोतों से लोन ले रहे हैं जिससे उनकी आर्थिक सुरक्षा बढ़ी है।रिपोर्ट के मुताबिक, 2014-15 से 2024-25 तक कृषि क्षेत्र को दिए जाने वाले लोन में 12.98% की औसत वार्षिक वृद्धि हुई है। 2014-15 में जहां किसानों को 8.45 लाख करोड़ रुपये का लोन दिया गया था, वहीं 2023-24 में यह बढ़कर 25.48 लाख करोड़ रुपये हो गया।रिपोर्ट में खास बात यह है कि छोटे और सीमांत किसानों को मिलने वाले लोन में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। छोटे किसानों को 2014-15 में 3.46 लाख करोड़ रुपये (41%) का लोन मिला था जो 2023-24 में बढ़कर 14.39 लाख करोड़ रुपये (57%) हो गया। इसका मतलब है कि अब ज्यादा छोटे किसान बैंकों से लोन लेकर अपनी खेती में सुधार कर पा रहे हैं। -
नई दिल्ली। भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लिए हर साल लगभग 8% की आर्थिक वृद्धि बनाए रखनी होगी। यह बात वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में कही गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि यह वृद्धि दर आवश्यक है हालांकि इसे हासिल करने में वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक परिस्थितियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
वहीं अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का अनुमान है कि 2027-28 तक भारत की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर और 2029-30 तक 6.3 ट्रिलियन डॉलर की हो जाएगी। हालांकि, हालिया आर्थिक आंकड़े बताते हैं कि कुछ चुनौतियां भी हैं। जुलाई-सितंबर 2024 तिमाही में भारत की जीडीपी 5.4% बढ़ी जो RBI के 7% अनुमान से कम थी। इसी तरह, अप्रैल-जून 2024 तिमाही में भी वृद्धि अपेक्षा से कम रही। इसके बावजूद भारत 2023-24 में 8.2% वृद्धि दर के साथ दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ता अर्थव्यवस्था वाला देश बना रहा। इससे पहले, 2022-23 में 7.2% और 2021-22 में 8.7% की वृद्धि दर दर्ज की गई थी।भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए वृद्धि दर का अनुमान 7.2% से घटाकर 6.6% कर दिया जबकि सरकार 6.4% वृद्धि की उम्मीद कर रही है। वहीं, 2025-26 में आर्थिक वृद्धि दर 6.3% से 6.8% के बीच रहने का अनुमान है।केंद्र सरकार लंबे समय तक स्थिर आर्थिक वृद्धि बनाए रखने के लिए अनुसंधान और विकास (R&D), सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) और पूंजीगत वस्तु क्षेत्र को मजबूत करने पर ध्यान दे रही है। इन प्रयासों का मकसद उत्पादन, नवाचार (इनोवेशन) को बढ़ावा देना और भारत को वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना है। -
नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024-25 के लिए आर्थिक सर्वेक्षण लोकसभा और राज्यसभा में पेश किया। इसके तुरंत बाद, दोनों सदनों को दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया। परंपरा अनुसार वित्त मंत्री ने अगले वित्तीय वर्ष- 2025-26 के लिए बजट प्रस्तुति से एक दिन पहले संसद में अर्थव्यवस्था की पूर्व-बजट विस्तृत स्थिति का दस्तावेज पेश किया।
आर्थिक सर्वेक्षण क्या है ?वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग के आर्थिक प्रभाग द्वारा तैयार और मुख्य आर्थिक सलाहकार की देखरेख में तैयार किया गया आर्थिक सर्वेक्षण दस्तावेज, 2024-25 (अप्रैल-मार्च) की अर्थव्यवस्था की स्थिति और विभिन्न संकेतकों और अगले वित्तीय वर्ष के लिए कुछ दृष्टिकोण के बारे में जानकारी देता है।आर्थिक सर्वेक्षण दस्तावेज आम तौर पर शनिवार को पेश किए जाने वाले 2025-26 के वास्तविक बजट के स्वर और बनावट के बारे में भी कुछ जानकारी देता है।रिपोर्ट के अनुसार पहला आर्थिक सर्वेक्षण 1950-51 में अस्तित्व में आया था, जब यह बजट दस्तावेजों का हिस्सा हुआ करता था। 1960 के दशक में इसे बजट दस्तावेजों से अलग कर दिया गया और केंद्रीय बजट से एक दिन पहले इसे पेश किया गया।अर्थव्यवस्था की क्या है स्थिति ?चालू वित्त वर्ष 2024-25 की जुलाई-सितंबर तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था वास्तविक रूप से 5.4 प्रतिशत बढ़ी। बता दें तिमाही वृद्धि आरबीआई के 7 प्रतिशत के पूर्वानुमान से काफी कम थी। अप्रैल-जून तिमाही में भी भारत की जीडीपी अपने केंद्रीय बैंक के अनुमान से धीमी गति से बढ़ी। रिजर्व बैंक ने अपनी नवीनतम मौद्रिक नीति में 2024-25 के लिए भारत के विकास पूर्वानुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया था। सरकार को 6.4 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद है।बात करें वित्त वर्ष 2023-24 की तो इस दौरान भारत की जीडीपी में 8.2 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि हुई और यह सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बनी रही। वहीं 2022-23 में अर्थव्यवस्था 7.2 प्रतिशत और 2021-22 में 8.7 प्रतिशत बढ़ी।बजट सत्र 2025ज्ञात हो, संसद का बजट सत्र आज शुक्रवार 31 जनवरी से शुरू हो गया है और तय कार्यक्रम के अनुसार 4 अप्रैल को समाप्त होगा। इसी क्रम में बजट 1 फरवरी को पेश किया जाएगा। बजट के दिन वित्त मंत्री सुबह 11 बजे लोकसभा में केंद्रीय बजट पेश करेंगी। बजट भाषण में सरकार की राजकोषीय नीतियों, राजस्व और व्यय प्रस्तावों, कराधान सुधारों और अन्य महत्वपूर्ण घोषणाओं की रूपरेखा होगी। इस आगामी बजट प्रस्तुति के साथ, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आठवां बजट पेश करेंगी। -
नयी दिल्ली. भारत के स्मार्टफोन बाजार में पिछले साल यानी 2024 में आईफोन विनिर्माता एप्पल आपूर्ति मूल्य के मामले में 23 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ सबसे आगे रही, जबकि चीन का स्मार्टफोन ब्रांड वीवो मात्रा के लिहाज से सबसे आगे रहा। शोध फर्म काउंटरपॉइंट रिसर्च की बृहस्पतिवार को जारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। दिसंबर तिमाही के दौरान एप्पल की मात्रा के लिहाज से हिस्सेदारी सालाना आधार पर नौ प्रतिशत से बढ़कर 11 प्रतिशत हो गई। मात्रा के लिहाज से एप्पल पांचवें स्थान पर रही। हालांकि, काउंटरपॉइंट रिसर्च के अनुमान के अनुसार, आईफोन विनिर्माता वार्षिक डेटा सेट में शीर्ष पांच स्मार्टफोन ब्रांड में शामिल नहीं है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2024 में स्मार्टफोन बिक्री सालाना आधार पर एक प्रतिशत की वृद्धि के साथ 15.3 करोड़ इकाई रही है। काउंटरपॉइंट रिसर्च की वरिष्ठ शोध विश्लेषक शिल्पी जैन ने कहा कि भारत का स्मार्टफोन बाजार परिपक्वता के संकेत दे रहा है, जिसमें पारिस्थितिकी तंत्र में नए उपयोगकर्ताओं के कम प्रवेश से मात्रा प्रभावित हुई है। जैन ने कहा, “हर साल शुरुआती और मध्यम श्रेणी के स्मार्टफोन में सुधार जारी रहने के कारण फोन बदलने का चक्र बढ़ रहा है। साथ ही, महंगे स्मार्टफोन की ओर रुझान बढ़ रहा है, प्रीमियम खंड के स्मार्टफोन (30,000 रुपये से अधिक कीमत वाले) की बिक्री में दहाई प्रतिशत अंक की वृद्धि हुई है। इससे थोक मूल्य में नौ प्रतिशत की सालाना वृद्धि हुई है - जो अबतक का सर्वाधिक रिकॉर्ड है।” काउंटरपॉइंट की स्मार्टफोन बाजार पर मासिक रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर तिमाही में भी वीवो ने देश के स्मार्टफोन बाजार में बढ़त हासिल की और इसकी हिस्सेदारी 20 प्रतिशत हो गई, जो दिसंबर, 2023 की तिमाही में 17 प्रतिशत थी। आलोच्य तिमाही के दौरान, शाओमी 16 प्रतिशत मात्रा हिस्सेदारी के साथ वीवो के बाद दूसरे, सैमसंग 15 प्रतिशत के साथ तीसरे और ओप्पो 14 प्रतिशत के साथ चौथे स्थान पर रहा। साल 2024 के वार्षिक मूल्य हिस्सेदारी सूची में, सैमसंग 22 प्रतिशत के साथ एप्पल के बाद दूसरे स्थान पर है। दक्षिण कोरियाई स्मार्टफोन विनिर्माता सैमसंग के बाद वीवो 16 प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर है। ओप्पो की हिस्सेदारी 16 प्रतिशत और शाओमी की नौ प्रतिशत है।
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नयी दिल्ली. अगले वित्त वर्ष (2025-26) के बजट में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए पूंजीगत व्यय में 20 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया जा सकता है। इससे लोगों के हाथ खर्च के लिए अधिक पैसा होगा। इसके अलावा अगले वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.4 प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य रखा जा सकता है। वित्तीय सेवा कंपनी ईवाई ने बृहस्पतिवार को एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया है। ईवाई इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार डी के श्रीवास्तव ने कहा कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत को वृद्धि की गति को बनाए रखने के लिए घरेलू मांग पर काफी हद तक निर्भर रहना पड़ सकता है। उन्होंने कहा, “...इसलिए अगले वित्त वर्ष (2025-26) के बजट में भारत सरकार के पूंजीगत व्यय में वृद्धि की गति को बहाल किया जाना चाहिए। इसे कुछ दरों को तर्कसंगत बनाने और आयकर कटौती के माध्यम से पूरक बनाया जा सकता है, जिसका उद्देश्य व्यक्तिगत, विशेष रूप से निम्न आय और निम्न मध्यम आय वर्ग के लोगों के हाथों में खर्च योग्य आय को बढ़ाना है।” आगामी बजट में राजकोषीय मोर्चे और विकासोन्मुख उपायों के बीच संतुलन होना चाहिए।
श्रीवास्तव ने कहा, “पूंजीगत व्यय में वृद्धि तथा उपभोक्ताओं, विशेषकर शहरी उपभोक्ताओं के हाथों में अधिक खर्च योग्य आय उपलब्ध कराना, घरेलू मांग में वृद्धि को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण होगा।” ईवाई इकनॉमी वॉच की जनवरी, 2025 की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि सरकार अपने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ सकती है, जिससे अगले वित्त के लिए राजकोषीय घाटा जीडीपी के 4.4 प्रतिशत पर आ जाएगा। सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए 4.9 प्रतिशत के घाटे का लक्ष्य रखा है और ईवाई को उम्मीद है कि एक फरवरी को पेश किए जाने वाले 2025-26 के बजट में संशोधित अनुमानों में यह आंकड़ा 4.8 प्रतिशत पर आ जाएगा। वित्तीय परामर्श कंपनी डेलॉयट की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार का कहना है कि मुद्रास्फीति लंबे समय तक अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है, जिसके चलते आगामी बजट में भी इस पर खासा ध्यान देना होगा। आर्थिक समीक्षा में सिफारिश की गई है कि भारत के मुद्रास्फीति के लक्ष्य से संबंधित ढांचे में खाद्य कीमतों को शामिल न किया जाए, क्योंकि खाद्य मुद्रास्फीति मुख्य रूप से मांग आधारित होने के बजाय आपूर्ति पर आधारित होती है। उन्होंने कहा कि हम कृषि मूल्य शृंखला को मजबूत बनाने, उत्पादन को प्रोत्साहित करने और आपूर्ति-पक्ष के ढांचागत मुद्दों का समाधान निकालने के उद्देश्य से दीर्घकालिक समाधान पर ध्यान केंद्रित किए जाने की उम्मीद करते हैं। असल में इन मुद्दों के चलते वितरण लागत में बढ़ोतरी होती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को वित्त वर्ष 2025-26 के लिए केंद्रीय बजट पेश करेंगी। -
ह्यूस्टन. गुंजन केडिया को यूएस बैंकॉर्प का अगला मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) नियुक्त किया गया है। वह कंपनी का नेतृत्व करने वाली पहली भारतीय अमेरिकी होंगी। यह घोषणा बैंकिंग क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण क्षण है, क्योंकि केडिया ने अमेरिका के सबसे बड़े वित्तीय संस्थानों में से एक का प्रभार संभाला है। वह 15 अप्रैल को वार्षिक शेयरधारकों की बैठक के बाद सीईओ का पद संभालेंगी और निदेशक मंडल में भी शामिल होंगी। केडिया (54) एंडी सेसेरे का स्थान लेंगी, जो कार्यकारी चेयरमैन की भूमिका में होंगे।
केडिया 2016 से यूएस बैंकॉर्प से जुड़ी हैं और वित्तीय सेवा उद्योग में लगभग तीन दशक का अनुभव रखती हैं। बैंक में शामिल होने से पहले उन्होंने स्टेट स्ट्रीट फाइनेंशियल, बीएनवाई मेलॉन, मैकिन्जे एंड कंपनी और पीडब्ल्यूसी में वरिष्ठ कार्यकारी भूमिकाएं निभाई हैं। केडिया ने अपने पूरे करियर में वित्तीय क्षेत्र में अपने नेतृत्व और प्रभाव के जरिये पहचान बनाई। उन्हें अमेरिकी बैंकिंग और वित्त क्षेत्र में सबसे शक्तिशाली महिलाओं की सूची में सात बार और बैरन की अमेरिकी वित्त में 100 सबसे प्रभावशाली महिलाओं की सूची में दो बार नामित किया गया है। उन्होंने बयान में कहा, ‘‘हम ईमानदारी और वृद्धि को गति देने के लिए सही तरीके से कारोबार करने की ठोस नींव पर आगे बढ़ेंगे।
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नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के सूचकांक के अनुसार सितंबर 2024 तक पूरे भारत में डिजिटल पेमेंट में साल-दर-साल 11.1 प्रतिशत की दोहरे अंकों की वृद्धि दर्ज की गई। यह जानकारी केंद्रीय बैंक के बयान में दी गई।
आरबीआई ने डिजिटल पेमेंट इंडेक्स में वृद्धि का बताया कारणज्ञात हो, सितंबर 2024 के लिए आरबीआई का डिजिटल भुगतान सूचकांक (RBI-DPI) मार्च 2024 के 445.5 से बढ़कर 465.33 पर पहुंच गया। आरबीआई ने कहा कि आरबीआई के डिजिटल भुगतान सूचकांक में वृद्धि इस अवधि के दौरान देश भर में भुगतान बुनियादी ढांचे और भुगतान प्रदर्शन में वृद्धि के कारण हुई।सूचकांक अर्ध-वार्षिक आधार पर किया जाता है प्रकाशितआरबीआई 1 जनवरी, 2021 से मार्च 2018 को आधार मानकर देश भर में भुगतान के डिजिटलीकरण की सीमा को मापने के लिए एक समग्र आरबीआई-डिजिटल भुगतान सूचकांक प्रकाशित कर रहा है। सूचकांक अर्ध-वार्षिक आधार पर प्रकाशित किया जाता है।सूचकांक में पांच पैरामीटर शामिलसूचकांक में पांच पैरामीटर शामिल हैं जो विभिन्न अवधियों में देश में डिजिटल भुगतान की गहनता और पैठ को मापने में सक्षम बनाते हैं। ये पैरामीटर हैं भुगतान सक्षमकर्ता (भार 25 प्रतिशत); भुगतान अवसंरचना – मांग-पक्ष कारक (10 प्रतिशत); भुगतान अवसंरचना – आपूर्ति-पक्ष कारक (15 प्रतिशत); भुगतान प्रदर्शन (45 प्रतिशत); और उपभोक्ता केंद्रितता (5 प्रतिशत)।भारत में डिजिटल भुगतान की वृद्धि में सबसे महत्वपूर्ण योगदानकर्ता यूपीआईआरबीआई ने इस सप्ताह की शुरुआत में एक रिपोर्ट में बताया था कि यूपीआई अपनी उपयोगिता और उपयोग में आसानी के कारण भारत में डिजिटल भुगतान की वृद्धि में सबसे महत्वपूर्ण योगदानकर्ता रहा है।यूपीआई की हिस्सेदारी 2019 में 34 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 83 प्रतिशत हुईरिपोर्ट के अनुसार, देश के डिजिटल भुगतान में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) की हिस्सेदारी 2019 में 34 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 83 प्रतिशत हो गई है, जिसमें पिछले पांच वर्षों में 74 प्रतिशत की उल्लेखनीय सीएजीआर (संचयी औसत वृद्धि दर) है। इसके विपरीत, डिजिटल भुगतान की मात्रा में आरटीजीएस, एनईएफटी, आईएमपीएस, क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड आदि जैसी अन्य भुगतान प्रणालियों की हिस्सेदारी इसी अवधि के दौरान 66 प्रतिशत से घटकर 17 प्रतिशत रह गई।यूपीआई लेनदेन की मात्रावृहद स्तर पर, यूपीआई लेनदेन की मात्रा 2018 में 375 करोड़ से बढ़कर 2024 में 17,221 करोड़ हो गई, जबकि लेनदेन का कुल मूल्य 2018 में ₹5.86 लाख करोड़ से बढ़कर 2024 में ₹246.83 लाख करोड़ हो गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह मात्रा और मूल्य के मामले में क्रमशः 89.3 प्रतिशत और 86.5 प्रतिशत की पांच साल की सीएजीआर है। -
नयी दिल्ली. आभूषण और खुदरा विक्रेताओं की भारी लिवाली के कारण बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने की कीमत 910 रुपये चढ़कर 83,750 रुपये प्रति 10 ग्राम के अबतक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह जानकारी दी। पिछले कारोबारी सत्र में 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत 82,840 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुई थी। एक जनवरी से देखा जाए तो सोना 79,390 रुपये प्रति 10 ग्राम से 4,360 रुपये बढ़कर 83,750 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गई है। दो दिनों की गिरावट के बाद, 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना भी बुधवार को 910 रुपये बढ़कर 83,350 रुपये प्रति 10 ग्राम के नए उच्च स्तर पर पहुंच गया। मंगलवार को यह 82,440 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुई थी। चांदी की कीमत 1,000 रुपए के उछाल के साथ 93,000 रुपए प्रति किलोग्राम हो गई, जो पिछले कारोबारी दिन 92,000 रुपए प्रति किलोग्राम थी। वैश्विक स्तर पर जिंस बाजार में सोना वायदा 2,794.70 डॉलर प्रति औंस पर स्थिर रहा।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक (जिंस) सौमिल गांधी ने कहा, ‘‘बुधवार को सोने में तेजी आई। इसका कारण कारोबारियों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड की अपेक्षित टैरिफ योजना को देखते हुए सुरक्षित निवेश को तरजीह दी।'' हालांकि, एशियाई जिंस बाजार चांदी वायदा 30.99 डॉलर प्रति औंस पर रहा।
एलकेपी सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष शोध विश्लेषक (जिंस और मुद्रा), जतीन त्रिवेदी ने कहा, ‘‘बाजार प्रतिभागी अमेरिकी फेडरल रिजर्व (फेड) की ब्याज दर नीति के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि तत्काल ब्याज दर में कटौती की संभावना नहीं दिखती, लेकिन आगे का मार्गदर्शन, सोने की अगली दिशा निर्धारित करने में महत्वपूर्ण होगा।'' -
नयी दिल्ली. मूडीज एनालिटिक्स ने बुधवार को कहा कि रुपये में गिरावट, घटते विदेशी निवेश और अस्थिर मुद्रास्फीति के बीच भारत को वर्ष 2025 में 6.4 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि हासिल करने के लिए अपनी राजकोषीय एवं मौद्रिक नीति में बदलाव करने होंगे। विश्लेषक फर्म मूडीज एनालिटिक्स ने उम्मीद जताई कि वित्त वर्ष 2025-26 का एक फरवरी को आने वाला बजट घरेलू मांग खासकर निवेश का समर्थन करेगा जबकि राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.5 प्रतिशत से कम रखने का लक्ष्य रखा जाएगा। वित्त वर्ष 2023-24 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.6 प्रतिशत था, जो वित्त वर्ष 2024-25 में घटकर 4.9 प्रतिशत रह जाने का अनुमान है। मूडीज एनालिटिक्स में सह-अर्थशास्त्री अदिति रमण ने कहा, "भारत 2025 में मुश्किल हालात का सामना कर रहा है। रुपये में आ रही कमजोरी, घटता विदेशी निवेश और अस्थिर मुद्रास्फीति सबसे बड़े आर्थिक जोखिम वाले क्षेत्र हैं। अगर भारत को 6.4 प्रतिशत की वृद्धि हासिल करनी है, तो राजकोषीय और मौद्रिक नीति में बदलाव की जरूरत है, जो साल की पहली छमाही में हो सकते हैं।" रेटिंग एजेंसी मूडीज की सहयोगी इकाई ने कहा कि 2024 में भारत एशिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक था लेकिन पहली तीन तिमाहियों में इसकी जीडीपी वृद्धि कम हुई है। दिसंबर तिमाही में जीडीपी वृद्धि में तेजी आने से कैलेंडर वर्ष 2024 में कुल मिलाकर 6.8 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है। इसके मुताबिक, इसकी तुलना 2023 की 7.8 प्रतिशत वृद्धि से की जाए तो अर्थव्यवस्था की नरमी वर्ष 2025 के लिए सतर्क रुख अपनाने का संकेत दे रही है। ब्याज दरें लंबे समय तक ऊंची रहने से घरेलू मांग कम होगी। इसके अलावा अमेरिका में भारतीय आयातों पर शुल्क बढ़ने से निर्यात परिवेश चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) 2024-25 के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) के लिए इथेनॉल खरीद कीमतों में संशोधन को मंजूरी दे दी। भारत सरकार के इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम के तहत यह अवधि 1 नवंबर, 2024 से 31 अक्टूबर, 2025 तक विस्तारित है। सी-हैवी मोलासेस (सीएचएम) से प्राप्त ईबीपी कार्यक्रम के लिए इथेनॉल की एक्स-मिल कीमत 56.58 रुपए प्रति लीटर से 57.97 रुपए प्रति लीटर तय की गई है।
इस मंजूरी से न केवल सरकार को इथेनॉल आपूर्तिकर्ताओं के लिए मूल्य स्थिरता और लाभकारी मूल्य प्रदान करने की नीति जारी रखने में सुविधा होगी, बल्कि कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम करने, विदेशी मुद्रा की बचत करने और पर्यावरण को लाभ पहुंचाने में भी मदद मिलेगी। गन्ना किसानों के हित में जीएसटी और परिवहन शुल्क पहले की तरह अलग से देय होंगे। सीएचएम इथेनॉल की कीमतों में 3 प्रतिशत की वृद्धि से बढ़े हुए मिश्रण लक्ष्य को पूरा करने के लिए इथेनॉल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित होगी।आपको बता दें सरकार इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम लागू कर रही है, जिसके तहत तेल विपणन कंपनियां 20 प्रतिशत तक इथेनॉल के साथ मिश्रित पेट्रोल बेचती हैं। वैकल्पिक और पर्यावरण अनुकूल ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए यह कार्यक्रम पूरे देश में लागू किया जा रहा है। इसका उद्देश्य ऊर्जा आयात पर निर्भरता को कम करना और कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देना भी है।गौरतलब हो, पिछले दस वर्षों (31.12.2024 तक) के दौरान, सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) द्वारा पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण के परिणामस्वरूप लगभग 1,13,007 करोड़ रुपए से अधिक की विदेशी मुद्रा की बचत हुई है और लगभग 193 लाख मीट्रिक टन कच्चे तेल की जगह इथेनॉल मिश्रित तेल का उपयोग हुआ है। सरकार ने पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य पहले के 2030 की जगह 2025-26 कर दिया है।वहीं, ईबीपी कार्यक्रम के तहत सरकार द्वारा किए गए उपायों के कारण देश भर में ग्रीनफील्ड और ब्राउनफील्ड डिस्टिलरीज के नेटवर्क, भंडारण और लॉजिस्टिक सुविधाओं के अलावा रोजगार के अवसरों और विभिन्न हितधारकों के बीच देश के भीतर मूल्य के बंटवारे के रूप में निवेश हुआ है। सभी डिस्टिलरी इस योजना का लाभ उठा सकेंगी और उनमें से बड़ी संख्या में ईबीपी कार्यक्रम के लिए इथेनॉल की आपूर्ति किए जाने की उम्मीद है।इससे विदेशी मुद्रा बचत, कच्चे तेल के विकल्प के रूप में, पर्यावरणीय लाभ और गन्ना किसानों को जल्दी भुगतान में मदद मिलेगी। -
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को हरित प्रौद्योगिकियों के लिए महत्वपूर्ण खनिज संसाधनों के लिए ‘राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन’ को मंजूरी दी। एनसीएमएम 16,300 करोड़ रुपये के व्यय वाला एक मिशन है। मिशन का प्रारंभिक चरण छह साल का होगा। इसके तहत 7 सालों में 34,300 करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा।
मिशन का उद्देश्य भारतीय सार्वजनिक उपक्रमों और निजी क्षेत्र की कंपनियों को विदेशों में महत्वपूर्ण खनिज संपत्ति हासिल करने और संसाधन संपन्न देशों के साथ व्यापार बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना है।महत्वपूर्ण खनिज क्षेत्र में देश की आत्मनिर्भरता के लिए एक प्रभावी ढांचा स्थापित करने की आवश्यकता को देखते हुए वित्त मंत्री ने 23 जुलाई 2024 को 2024-25 के केंद्रीय बजट में क्रिटिकल मिनरल मिशन की स्थापना की घोषणा की थी।केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित ‘राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन’, मूल्य श्रृंखला के सभी चरणों को शामिल करेगा, जिसमें खनिज अन्वेषण, खनन, लाभकारी, प्रसंस्करण और अंतिम उत्पादों से पुनर्प्राप्ति शामिल है। यह मिशन देश के भीतर और इसके अपतटीय क्षेत्रों में महत्वपूर्ण खनिजों की खोज को तेज करेगा। इसका उद्देश्य महत्वपूर्ण खनिज खनन परियोजनाओं के लिए एक फास्ट ट्रैक नियामक अनुमोदन प्रक्रिया बनाना है।इसके अतिरिक्त मिशन महत्वपूर्ण खनिज अन्वेषण के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करेगा और ओवरबर्डन और टेलिंग्स से इन खनिजों की वसूली को बढ़ावा देगा। इसमें देश के भीतर महत्वपूर्ण खनिजों के भंडार के विकास का भी प्रस्ताव है।मिशन में खनिज प्रसंस्करण पार्कों की स्थापना और महत्वपूर्ण खनिजों के पुनर्चक्रण का समर्थन करने के प्रावधान शामिल हैं। यह महत्वपूर्ण खनिज प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान को भी बढ़ावा देगा। यह महत्वपूर्ण खनिजों पर उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव करेगा।वहीं, संपूर्ण-सरकारी दृष्टिकोण अपनाते हुए मिशन अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए संबंधित मंत्रालयों, सार्वजनिक उपक्रमों, निजी कंपनियों और अनुसंधान संस्थानों के साथ मिलकर काम करेगा। -
भुवनेश्वर. खनन समूह वेदांता ने मंगलवार को कहा कि उसकी एक लाख करोड़ रुपये की एल्युमीनियम रिफाइनरी और स्मेल्टर (धातु को गलाने वाली) परियोजना ओडिशा के रायगड़ा जिले में स्थापित की जाएगी। कंपनी के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कहा कि परियोजना का पहला चरण अगले तीन साल में चालू होने की उम्मीद है, जिसे बाद में विस्तारित किया जाएगा। वेदांता ने पिछले साल अक्टूबर में घोषणा की थी कि वह ओडिशा में 60 लाख टन सालाना क्षमता वाली एल्युमिना रिफाइनरी और 30 लाख टन प्रतिवर्ष क्षमता वाला हरित एल्युमीनियम संयंत्र स्थापित करने के लिए एक लाख करोड़ रुपये का निवेश करेगी। उस समय हालांकि यह नहीं बताया गया था कि इसे कहां स्थापित किया जाएगा।
राज्य के व्यापार सम्मेलन ‘उत्कर्ष ओडिशा-मेक इन ओडिशा' के मौके पर अग्रवाल ने कहा, ‘‘हम रायगड़ा जिले में 60 लाख टन प्रतिवर्ष क्षमता की एल्युमीनियम रिफाइनरी और 30 लाख टन सालाना क्षमता का एल्युमीनियम स्मेल्टर संयंत्र स्थापित करेंगे। इसके लिए कुल निवेश लगभग एक लाख करोड़ रुपये होगा।'' उन्होंने कहा कि खनन समूह को रायगड़ा जिले में सिजिमाली बॉक्साइट खदान मिली है, जिसे अब विकसित किया जा रहा है। अग्रवाल ने अक्टूबर में यहां मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी के साथ अपनी बैठक के दौरान एक लाख करोड़ रुपये के निवेश से राज्य में एक एल्युमीना रिफाइनरी और एक एल्युमीनियम संयंत्र स्थापित करने का वादा किया था। अग्रवाल ने कहा कि वेदांता समूह ने पहले ही ओडिशा में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि का महत्वपूर्ण निवेश किया है। कंपनी झारसुगुड़ा में 18 लाख टन प्रतिवर्ष क्षमता वाले स्मेल्टर संयंत्र और लांजीगढ़ में 35 लाख टन सालाना क्षमता वाली एल्युमीना रिफाइनरी का संचालन कर रही है। - मुंबई । महाराष्ट्र सरकार ने बढ़ते प्रदूषण की वजह से मुंबई महानगर पालिका क्षेत्र में डीजल-पेट्रोल गाड़ियों पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। राज्य सरकार ने खराब होती वायु गुणवत्ता के मद्देनजर मुंबई महानगर क्षेत्र (MMR) में पेट्रोल और डीजल वाहनों पर प्रतिबंध पर स्टडी के लिए सात सदस्यीय समिति का गठन किया है, जो अगले 3 महीने में अपने सुझाव सौंपेगी। MMR में ठाणे, रायगढ़ और पालघर जिलों के क्षेत्र भी शामिल हैं।22 जनवरी को जारी सरकारी आदेश (GR) के अनुसार, भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के सेवानिवृत्त अधिकारी सुधीर कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली समिति इस संबंध में स्टडी कर तीन महीने के भीतर अपनी सिफारिशों के साथ रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।महाराष्ट्र के परिवहन आयुक्त, मुंबई के संयुक्त पुलिस आयुक्त (यातायात), महानगर गैस लिमिटेड के प्रबंध निदेशक, महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (महावितरण) के परियोजना प्रबंधक, सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) के अध्यक्ष और संयुक्त परिवहन आयुक्त समिति में शामिल हैं। जीआर के अनुसार, समिति को क्षेत्र के विशेषज्ञों को फेलो सदस्य के रूप में शामिल करने और उनसे फीडबैक लेने के अधिकार दिए गए हैं।बंबई उच्च न्यायालय ने नौ जनवरी को स्वत: संज्ञान वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुंबई में बढ़ते यातायात और बढ़ते प्रदूषण से जीवन पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की। उच्च न्यायालय ने कहा था कि वाहनों से निकलने वाला उत्सर्जन वायु प्रदूषण का प्रमुख स्रोत है और मुंबई में वाहनों की बढ़ती संख्या तथा प्रदूषण को नियंत्रित करने के मौजूदा उपाय अपर्याप्त साबित हो रहे हैं। इसका संज्ञान लेते हुए, राज्य सरकार ने MMR में पेट्रोल एवं डीजल से चलने वाले वाहनों पर प्रतिबंध लगाने, केवल सीएनजी एवं इलेक्ट्रिक वाहनों को अनुमति देने की व्यवहार्यता पर स्टडी करने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित की। अदालत ने इस बात पर गहन स्टडी किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया कि क्या डीजल और पेट्रोल से चलने वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना उचित होगा । अदालत ने बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPCB) को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि लकड़ी और कोयले का उपयोग करने वाली शहर की बेकरी प्राधिकारियों द्वारा निर्धारित एक वर्ष की समय-सीमा के बजाय छह महीने के भीतर गैस या अन्य हरित ईंधन का उपयोग करने लगें।
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नयी दिल्ली। देश की सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) के अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के शुद्ध लाभ में 64 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसकी प्रमुख वजह भंडारण और विदेशी मुद्रा विनिमय पर नुकसान है। इसके चलते कंपनी ने ईंधन की रिकॉर्ड बिक्री से हुआ लाभ गंवा दिया। कंपनी ने सोमवार को शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि उसे वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में 2,873.53 करोड़ रुपये का एकल शुद्ध लाभ हुआ है, जो गत वित्त वर्ष 2023-24 की समान अवधि में 8,063.69 करोड़ रुपये था। हालांकि, जुलाई-सितंबर, 2024 की तुलना में कंपनी का लाभ बढ़ा है। जुलाई-सितंबर तिमाही में कंपनी ने 189.01 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया था।
आईओसी के निदेशक (वित्त) अनुज जैन ने कहा कि लाभ में गिरावट मुख्य रूप से भंडार और विदेशी मुद्रा विनिमय में हुए नुकसान की वजह से आई है। कंपनी को तीसरी तिमाही में भंडारण पर 7,800 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसके अलावा विदेशी मुद्रा विनिमय के चलते उसे 1,900 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। इसके अलावा क्रैक - कच्चे माल (कच्चे तेल) की लागत और तैयार उत्पाद की कीमत के बीच का अंतर - कम हो गया। उन्होंने कहा कि डीजल के लिए यह अक्टूबर-दिसंबर 2023 में 19.18 डॉलर प्रति बैरल से घटकर अक्टूबर-दिसंबर 2024 में 10.8 डॉलर प्रति बैरल हो गया। इसी तरह पेट्रोल के लिए यह 7.04 डॉलर प्रति बैरल से घटकर 3.63 डॉलर प्रति बैरल हो गया। आईओसी के चेयरमैन ए एस साहनी ने कहा कि कंपनी ने 2.61 करोड़ टन से अधिक की अपनी अबतक की किसी तिमाही की सबसे ऊंची बिक्री दर्ज की। यह गत वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 6.2 प्रतिशत अधिक है। इसकी वजह यह है कि कंपनी ने ईंधन बिक्री की अपनी मुख्य क्षमता पर पुनः ध्यान केंद्रित किया है। इस तिमाही में पेट्रोरसायन कारोबार में भी सात प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि गैस कारोबार 24 प्रतिशत बढ़ा। साहनी ने कहा कि उद्योग में आईओसी की बाजार हिस्सेदारी अक्टूबर, 2024 तिमाही के 41.1 प्रतिशत से बढ़कर समीक्षाधीन तिमाही में 41.3 प्रतिशत हो गई। उन्होंने कहा कि कंपनी का ध्यान मुख्य तेल शोधन और विपणन के साथ ही पेट्रोरसायन कारोबार पर है, क्योंकि यह कंपनी के लिए नकदी का मुख्य स्रोत है। - नयी दिल्ली. चालू रबी सत्र 2024-25 में अबतक गेहूं की बुवाई का रकबा 2.77 प्रतिशत बढ़कर 324.38 लाख हेक्टेयर हो गया है। वहीं, तिलहन खेती का रकबा घट गया है। सोमवार को जारी कृषि मंत्रालय के आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। मुख्य रबी (सर्दियों) फसल गेहूं की बुवाई पूरी हो गई है और अप्रैल से कटाई शुरू होगी।आंकड़ों के अनुसार, 27 जनवरी तक गेहूं का रकबा एक साल पहले के 315.63 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 324.38 लाख हेक्टेयर हो गया। इस रबी मौसम में अबतक दलहन की बुवाई का रकबा 139.29 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 142.49 लाख हेक्टेयर हो गया, जबकि मोटे अनाज की बुवाई 55.67 लाख हेक्टेयर पर स्थिर रही। हालांकि, तिलहनों की बुवाई का कुल रकबा 27 जनवरी तक घटकर 98.18 लाख हेक्टेयर रह गया, जबकि एक साल पहले की इसी अवधि में यह 108.52 लाख हेक्टेयर था। रबी फसलों की बुवाई का कुल रकबा पहले के 643.72 लाख हेक्टेयर से बढ़कर इस बार 655.88 लाख हेक्टेयर हो गया।