- Home
- बिजनेस
-
नयी दिल्ली. मजबूत वैश्विक रुख के बीच स्थानीय सर्राफा बाजार में सोमवार को सोने का भाव 200 रुपये की बढ़त के साथ 72,350 रुपये प्रति 10 ग्राम पर जा पहुंचा। अखिल भारतीय सर्राफा संघ के अनुसार इससे पिछले कारोबारी सत्र में शनिवार को 99.9 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना गिरावट दर्शाता 72,150 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था। चांदी की कीमत भी 1,000 रुपये के उछाल के साथ 83,500 रुपये प्रति किलोग्राम पर जा पहुंची। पिछले सत्र में चांदी 82,500 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी। राष्ट्रीय राजधानी में पिछले कारोबारी सत्र में 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना 200 रुपये मजबूत होकर 72,000 रुपये प्रति 10 ग्राम पर जा पहुंचा जो शनिवार को 71,800 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था। व्यापारियों ने सोने की कीमतों में तेजी का श्रेय स्थानीय आभूषण विक्रेताओं की बढ़ी हुई मांग तथा अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मजबूती के रुख को दिया। वैश्विक मोर्चे पर कॉमेक्स में सोना 2,481.80 डॉलर प्रति औंस पर बोला गया, जो पिछले दिन से 8.40 डॉलर प्रति औंस अधिक है। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक-जिंस सौमिल गांधी ने कहा, ‘‘सोमवार को सोने की कीमतों में तेजी आई क्योंकि पश्चिम एशिया संकटों के बीच भू-राजनीतिक चिंताओं ने सोने की सुरक्षित-निवेश विकल्प के रूप में मांग को बढ़ावा दिया।'' गांधी ने कहा कि इसके अलावा, व्यापारियों ने हाल ही में कमजोर वृहद आर्थिक आंकड़े द्वारा सोने को और समर्थन प्रदान करने के बाद इस साल अमेरिकी फेडरल रिजर्व की आक्रामक ब्याज दर कटौती पर भी अपना दांव बढ़ा दिया। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज में जिंस शोध के वरिष्ठ विश्लेषक मानव मोदी के अनुसार, पिछले सत्र में तेज वृद्धि के बाद सोने की कीमतें स्थिर रहीं, अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में गिरावट से बल मिला, क्योंकि निवेशकों को भरोसा था कि फेडरल रिजर्व इस साल सितंबर में ब्याज दरों को कम करेगा। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में चांदी 28.01 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गई।
- नयी दिल्ली। वृहद-आर्थिक आंकड़े, कंपनियों के जून तिमाही के नतीजे और वैश्विक रुझान आने वाले सप्ताह में शेयर बाजार की कारोबारी धारणा को प्रभावित करेंगे। विश्लेषकों ने यह अनुमान जताया है। इसके अलावा, विदेशी निवेशकों की व्यापारिक गतिविधि भी बाजार में गतिविधियों को निर्धारित करने में एक महत्वपूर्ण कारक होगी। इस सप्ताह चार दिन ही कारोबार होगा। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शेयर बाजार बंद रहेंगे। स्वास्तिका इन्वेस्टमार्ट लिमिटेड में वरिष्ठ तकनीकी विश्लेषक प्रवेश गौर ने कहा, "इस सप्ताह सबका ध्यान वैश्विक बाजारों पर रहेगा क्योंकि हम स्थिरता की लंबी अवधि के बाद कमजोरी का असर देख सकते हैं। भारतीय इक्विटी बाजार में भी इस सप्ताह कुछ हद तक स्तर बनाए रखने की स्थिति से जूझ सकते हैं। बाजार के ऊंचे मूल्यांकन के अलावा भू-राजनीतिक तनाव भी बढ़ रहे हैं।" उन्होंने कहा कि घरेलू मोर्चे पर अप्रैल-जून तिमाही के लिए कंपनियों के वित्तीय नतीजों का अंतिम दौर इस सप्ताह खास शेयरों की दिशा तय करेंगे। इस सप्ताह हीरो मोटोकॉर्प और हिंडाल्को जैसी कुछ बड़ी कंपनियों के नतीजे आने वाले हैं। गौर ने कहा, "संस्थागत प्रवाह भी बाजार की गतिशीलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।" वोडाफोन आइडिया, एनएमडीसी, आईआरसीटीसी, एसजेवीएन और पीसी ज्वैलर भी सप्ताह के दौरान अपनी तिमाही आय की घोषणा करेंगे। व्यापक आर्थिक मोर्चे पर सोमवार को जून के औद्योगिक उत्पादन आंकड़े और जुलाई की खुदरा मुद्रास्फीति दर की घोषणा की जाएगी। थोक मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति का आंकड़ा बुधवार को जारी किया जाएगा। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि इस सप्ताह आने वाले भारतीय मुद्रास्फीति के आंकड़ों के अलावा वैश्विक बाजार घरेलू बाजार की दिशा तय करेंगे। पिछले सप्ताह, बीएसई सेंसेक्स 1,276.04 अंक यानी 1.57 प्रतिशत गिरा जबकि एनएसई निफ्टी 350.2 अंक यानी 1.41 प्रतिशत की गिरावट पर रहा। येन कैरी ट्रेड के बंद होने और अमेरिका में मंदी की आशंकाओं के कारण पिछले सप्ताह वैश्विक स्तर पर शेयर बाजारों में तेज गिरावट आई।
- नयी दिल्ली। आयात बढ़ने के कारण घरेलू इस्पात की कीमतें तीन साल के निचले स्तर पर आ गई हैं। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। बाजार शोध कंपनी बिगमिंट ने एक रिपोर्ट में कहा कि हॉट रोल्ड कॉइल्स (एचआरसी) की कीमत गिरकर अब 51,000 रुपये प्रति टन पर आ गई हैं जो अप्रैल, 2022 में 76,000 रुपये प्रति टन थीं। रिपोर्ट के मुताबिक, कोल्ड रोल्ड कॉइल्स (सीआरसी) की कीमत अप्रैल, 2022 में 86,300 रुपये प्रति टन से गिरकर 58,200 रुपये प्रति टन हो गई है। इन कीमतों में वस्तु पर लगने वाला 18 प्रतिशत जीएसटी शामिल नहीं है। बिगमिंट ने कहा, “भारत में एचआरसी और सीआरसी की दरें तीन साल के निचले स्तर पर कारोबार कर रही हैं। आयात में उछाल से घरेलू कीमतों पर असर पड़ा है, जिससे मांग प्रभावित हुई है।” आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-जून तिमाही में आयात 68 प्रतिशत बढ़कर 19.3 लाख टन हो गया, जो 2023-24 की समान अवधि में 11.5 लाख टन था। इस्पात आयात 2023-24 में 38 प्रतिशत बढ़कर 83.19 लाख टन हो गया है, जो भारत को इसका शुद्ध आयातक बनाता है।
- नयी दिल्ली । सीमित शेयरों में निवेश करने वाले फोकस्ड म्यूचुअल फंड निवेशकों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। इस श्रेणी का परिसंपत्ति आधार चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 31 प्रतिशत बढ़कर 1.43 लाख करोड़ रुपये हो गया है। फोकस्ड म्यूचुअल फंड एक तरह का इक्विटी म्यूचुअल फंड है जो सीमित या कम संख्या में शेयरों में निवेश करता है। बाजार नियामक सेबी की तरफ से फोकस्ड फंड को अधिकतम 30 शेयरों में निवेश करने की अनुमति देने के दिशानिर्देश हैं। उद्योग जगत के आंकड़ों से पता चलता है कि इन्वेस्को इंडिया फोकस्ड फंड, महिंद्रा मनुलाइफ फोकस्ड फंड, जेएम फोकस्ड फंड और एचडीएफसी फोकस्ड 30 फंड जैसे कुछ फोकस्ड फंड ने पिछले साल में 40-60 प्रतिशत तक का उल्लेखनीय रिटर्न दिया है। फोकस्ड म्यूचुअल फंड के फंड मैनेजर को शेयरों के चयन में बेहद सजगता दिखानी होती है क्योंकि उन्हें किसी विशिष्ट बाजार मूल्यांकन या क्षेत्र के प्रति पूर्वाग्रह के बिना बाजार में सर्वोत्तम निवेश अवसरों की पहचान करनी होती है। एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के आंकड़ों के मुताबिक, फोकस्ड फंडों की प्रबंधन-अधीन संपत्ति (एयूएम) चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में 1.43 लाख करोड़ रुपये हो गई जबकि एक साल पहले की समान तिमाही में यह 1.09 लाख करोड़ रुपये थी। आनंद राठी वेल्थ लिमिटेड के उप मुख्य कार्यपालक अधिकारी फिरोज अजीज ने कहा कि एयूएम में यह बढ़ोतरी पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाओं (पीएमएस) के विकल्प के रूप में फोकस्ड फंडों के आकर्षण को दर्शाती है। खासकर हालिया कर बदलावों ने उच्च लागत और कर प्रभावों के कारण पीएमएस को कम आकर्षक बना दिया है। उद्योग के जानकार मौजूदा बाजार परिवेश में समझदार रणनीति के रूप में व्यवस्थित निवेश योजनाओं (एसआईपी) के जरिये फोकस्ड फंड में निवेश करने की सलाह देते हैं। ये फंड कम शेयरों में निवेश करते हैं लिहाजा एसआईपी समय के साथ निवेश बढ़ाकर जोखिम कम करने में मदद कर सकते हैं। कुल मिलाकर इस श्रेणी में विभिन्न म्यूचुअल फंड हाउस 31 केंद्रित योजनाएं पेश करते हैं। इन योजनाओं ने पिछले एक साल में 19-60 प्रतिशत का रिटर्न दिया है।
-
नयी दिल्ली. भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी सिद्धार्थ मोहंती ने कहा है कि बीमा कंपनी चालू वित्त वर्ष के दौरान शेयरों में करीब 1.30 लाख करोड़ रुपये का नया निवेश करने पर विचार कर रही है। एलआईसी ने वित्त वर्ष 2024-25 में अप्रैल-जून के दौरान शेयरों में करीब 38,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है। एक साल पहले इसी अवधि में यह राशि 23,300 करोड़ रुपये थी। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में एलआईसी ने इक्विटी बाजारों में अपने निवेश से 15,500 करोड़ रुपये का लाभ कमाया। उसका निवेश से लाभ तिमाही आधार पर 13.5 प्रतिशत अधिक रहा। मोहंती ने कहा, ''हम निश्चित रूप से बाजारों और कीमतों में उतार-चढ़ाव को देख रहे हैं... हम एक अच्छी राशि का निवेश करने पर विचार कर रहे हैं, कम से कम हमने पिछले वित्त वर्ष में जितना निवेश किया था। एलआईसी ने वित्त वर्ष 2023-24 में करीब 1.32 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था।'' उन्होंने कहा कि जून के अंत तक विभिन्न कंपनियों के शेयरों में एलआईसी के निवेश का बाजार मूल्य करीब 15 लाख करोड़ रुपये था। इस समय तक एलआईसी ने 282 कंपनियों के शेयरों में निवेश किया था। एलआईसी की प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियां (एयूएम) जून के अंत तक बढ़कर 53,58,781 करोड़ रुपये हो गईं, जबकि पिछले साल इसी तिमाही के अंत में यह 46,11,067 करोड़ रुपये थीं। इसमें 16.22 प्रतिशत की वृद्धि हुई। देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी का कुल निवेश मार्च 2024 तक 7,30,662 करोड़ रुपये बढ़कर 49,75,514 करोड़ रुपये हो गया। यह मार्च 2023 में 42,44,852 करोड़ रुपये था।
-
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि बैंकों को जमा राशि जुटाने के लिए अनूठी और आकर्षक योजनाएं लानी चाहिए। भारतीय रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल को संबोधित करने के बाद सीतारमण ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जमा और उधार एक गाड़ी के दो पहिए हैं और जमा धीरे-धीरे रही है।’’उन्होंने कहा कि बैंकों को कोर बैंकिग यानी मुख्य कारोबार पर ध्यान देने की जरूरत है। इसमें जमा राशि जुटाना और जिन्हें कोष की जरूरत है, उन्हें कर्ज देना शामिल है।
सीतारमण ने जमा और कर्ज के बीच अंतर को दूर करने के लिए बैंकों से लोगों से धन जुटाने के लिए ‘अनूठी और आकर्षक’ जमा योजनाएं लाने को कहा। आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्त दास ने कहा कि ब्याज दरें नियंत्रणमुक्त हैं और अक्सर बैंक धन आकर्षित करने के लिए जमा दरें बढ़ाते हैं। दास ने कहा, ‘‘बैंक ब्याज दर पर निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं।’’उन्होंने इसी सप्ताह द्विमासिक मौद्रिक नीति पेश करते हुए बैंकों में जमा और कर्ज के बीच बढ़ते अंतर पर चिंता जतायी थी। उन्होंने कहा था कि बैंक कर्ज की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अल्पकालिक गैर-खुदरा जमा और देनदारी के अन्य साधनों का अधिक सहारा ले रहे हैं।दास ने आगाह करते हुए कहा कि यह बैंकों में संरचनात्मक रूप से नकदी के मुद्दों को सामने ला सकता है। इसीलिए, बैंक नवीन उत्पादों और सेवा पेशकशों के माध्यम से और अपने विशाल नेटवर्क का लाभ उठाकर घरेलू वित्तीय बचत जुटाने पर अधिक ध्यान दे सकते हैं। -
मुंबई. आगामी त्यौहारी सीजन के दौरान मांग में वृद्धि को देखते हुए ई-कॉमर्स क्षेत्र में 10 लाख अस्थायी और 2.5 लाख अनुबंधित कर्मचारियों को नियुक्त किए जा सकते हैं। भर्ती और मानव संसाधन सेवा कंपनी टीमलीज सर्विसेज ने बृहस्पतिवार को एक बयान में कहा कि आगामी त्यौहारी सत्र के दौरान ई-कॉमर्स उद्योग की बिक्री में 35 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है। यह पिछले वर्ष की तुलना में काफी उछाल होगी। टीमलीज सर्विसेज के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और कारोबार प्रमुख बालासुब्रमण्यम ए ने बयान में कहा, “इस त्यौहारी सत्र में ई-कॉमर्स बिक्री को और रोजगार सृजन को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देगा। 10 लाख अस्थायी और 2.5 लाख अनुबंधित कर्मचारियों को रोजगार मिलने के कारण रोजगार सृजन में ई-कॉमर्स क्षेत्र की भूमिका काफी बढ़ेगी। यह भर्ती उछाल न केवल रोजगार सृजन में इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है, बल्कि 2025 तक पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के भारत के लक्ष्य में इसके महत्वपूर्ण योगदान को भी दर्शाता है।” उन्होंने कहा कि अनुमानों से पता चलता है कि 2026 तक इस क्षेत्र की समावेशी प्रकृति स्पष्ट हो जाएगी, जिसमें ई-कॉमर्स की मांग का 60 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के शहर और ग्रामीण भारत में होगी। बालासुब्रमण्यन ने कहा कि चूंकि ई-कॉमर्स सेवाओं की मांग लगातार बढ़ रही है, इसलिए यह देखा गया है कि ई-कॉमर्स क्षेत्र से जुड़ी कंपनियां आगे आ रही हैं। उन्होंने कहा कि वे डिलीवरी कर्मियों, गोदाम कर्मचारियों और ग्राहक सेवा प्रतिनिधियों के साथ-साथ पैकेजिंग, लेबलिंग, गुणवत्ता नियंत्रण और ऑर्डर पूर्ति में भूमिकाओं सहित कई भूमिकाओं के लिए भर्ती करने की तैयारी कर रही हैं। -
नयी दिल्ली. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बृहस्पतिवार को कहा कि देश की लॉजिस्टिक लागत अगले साल अप्रैल तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के नौ प्रतिशत पर आ जाएगी। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री गडकरी ने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि जब लॉजिस्टिक लागत इकाई अंक में आ जाएगी, तो देश का निर्यात भी बढ़ेगा। गडकरी ने कहा, ''हमारी लॉजिस्टिक लागत अभी 16 प्रतिशत है... यह अगले साल अप्रैल तक घटकर नौ प्रतिशत पर आ जाएगी।'' हालांकि, आर्थिक थिंक टैंक नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) का अनुमान है कि भारत में लॉजिस्टिक लागत 2021-22 में जीडीपी के 7.8 प्रतिशत से 8.9 प्रतिशत के बीच थी। गडकरी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को और अधिक रोजगार सृजित करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने ग्रामीण क्षेत्र पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार कृषि क्षेत्र को अधिक प्राथमिकता दे रही है। गडकरी ने कहा, ''हमें अपनी कृषि वृद्धि को बढ़ाने की जरूरत है... हमें ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने की जरूरत है।'' मंत्री ने कहा कि भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है और सरकार इसे दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। इस समय भारत वैश्विक स्तर पर पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। -
नयी दिल्ली. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसके पंजीकृत निवेशकों की संख्या 10 करोड़ का आंकड़ा पार कर गई है, जिसमें एक करोड़ की बढ़ोतरी सिर्फ पांच महीनों में हुई है। डिजिटलीकरण में तेजी से वृद्धि, निवेशक जागरूकता में वृद्धि, वित्तीय समावेशन और बाजार के सतत प्रदर्शन के कारण पिछले पांच वर्षों में निवेशक आधार में तीन गुना से अधिक का उछाल देखा गया है। एक्सचेंज ने एक बयान में कहा, ‘‘नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया पर पंजीकृत निवेशकों का आधार आठ अगस्त, 2024 को 10 करोड़ का आंकड़ा पार कर गया।'' इसके साथ ही एक्सचेंज में पंजीकृत ग्राहक कोड (खातों) की कुल संख्या 19 करोड़ हो गई है। इसमें आज तक किए गए सभी ग्राहक पंजीकरण शामिल हैं। खास बात यह है कि ग्राहक एक से अधिक ट्रेडिंग सदस्यों के साथ पंजीकरण करा सकते हैं।
पिछले कुछ वर्षों में एनएसई पर निवेशकों के पंजीकरण में तेजी आई है। एक्सचेंज ने कहा कि मार्च 2021 में पंजीकृत निवेशकों की संख्या चार करोड़ तक पहुंचने में 25 साल से ज़्यादा का समय लगा। इसके बाद एक-एक करोड़ की वृद्धि औसतन लगभग छह-सात महीनों में हुई है। आखिरी एक करोड़ निवेशक महज पांच महीनों में ही एनएसई से जुड़ गए। दस करोड़ पंजीकृत निवेशकों में से निवेशकों की औसत आयु 32 वर्ष है जबकि पांच साल पहले यह 38 वर्ष थी। यह युवाओं के बीच बाजारों के प्रति बढ़ती रुचि को दर्शाता है। आज लगभग पाँच में से एक निवेशक महिला है। एनएसई के मुख्य व्यवसाय विकास अधिकारी श्रीराम कृष्णन ने कहा, ‘‘इस वृद्धि का श्रेय कई प्रमुख कारकों को दिया जा सकता है, जिसमें सुव्यवस्थित ‘अपने ग्राहक को जाने' (केवाईसी) प्रक्रिया, अंशधारकों की अगुवाई वाले निवेशक जागरूकता कार्यक्रमों द्वारा सुगम वित्तीय साक्षरता में वृद्धि और सकारात्मक बाजार धारणा शामिल है।'' - मुंबई। घरेलू वाहन विनिर्माता टाटा मोटर्स ने कहा कि वह इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) खंड की दीर्घकालिक संभावनाओं को लेकर आश्वस्त है और इन वाहनों की बिक्री में आई हालिया गिरावट सिर्फ एक ‘अल्पकालिक’ मामला है। इसके साथ ही कंपनी ने कहा कि वह चालू वित्त वर्ष में एक लाख इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री का लक्ष्य लेकर चल रही है। इस दौरान कुछ नए वाहनों को भी पेश किया जाएगा।टाटा मोटर्स के यात्री वाहन एवं ईवी खंड के प्रबंध निदेशक शैलेश चंद्रा ने यहां कंपनी की नई एसयूवी कर्व.ईवी की पेशकश के मौके पर पीटीआई-भाषा के साथ बातचीत में यह बात कही।चंद्रा ने कहा, ‘‘ईवी खंड व्यापक यात्री वाहन उद्योग का ऐसा हिस्सा है जहां मांग को लेकर तनाव देखा जा रहा है। मुझे लगता है कि यह अस्थायी मसला है। अच्छी बात यह है कि ईवी को लेकर मांग और बुकिंग अच्छी बनी हुई है।’’टाटा मोटर्स ने मझोले आकार की अपनी पहली इलेक्ट्रिक एसयूवी कर्व.ईवी को पेश किया। इस नई एसयूवी की कीमत 17.49 लाख रुपये से शुरू होती है।यह नया मॉडल कंपनी के ईवी मॉडलों की शृंखला में नई कड़ी है। कंपनी की कुल बिक्री में ईवी खंड का योगदान करीब 12 प्रतिशत है।हालांकि, चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में टाटा मोटर्स की ईवी इकाइयों की बिक्री धीमी पड़ी है।इस बारे में पूछे जाने पर चंद्रा ने कहा, ‘‘अत्यधिक उच्च आधार प्रभाव के अलावा व्यापक वाहन उद्योग के रुझान ने भी ईवी बिक्री पर असर डाला।’’उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि दो साल पहले ईवी चार्जिंग, कीमत या तय की जाने वाली दूरी से जुड़ी चिंताएं कहीं अधिक थीं। बिक्री में गिरावट एक अल्पकालिक समस्या है और इसे लेकर हमें अधिक फिक्रमंद नहीं होना चाहिए।’’चंद्रा ने कहा कि टाटा मोटर्स चालू वित्त वर्ष में एक लाख इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री करना चाहती है। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ नए मॉडल भी आने वाले हैं और त्योहारी मौसम भी आ रहा है। ऐसे में हम अब भी इस आंकड़ों पर टिके हुए हैं।’’
- नई दिल्ली। भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने नीतिगत दर में एक बार फिर बदलाव नहीं किया है। एमपीसी ने अपनी 50वीं समीक्षा बैठक के बाद नीतिगत दर 6.5 प्रतिशत के स्तर पर बनाए रखी और उदार रुख वापस लेने के अपने नजरिये में भी कोई बदलाव नहीं किया। एमपीसी ने लगातार 9वीं बार नीतिगत दर अपरिवर्तित रखी।एमपीसी ने खाद्य महंगाई से जुड़े जोखिमों का हवाला देते हुए रेपो दर में बदलाव नहीं किया और यह भी कहा कि कुछ बैंक एवं वित्तीय संस्थान आवास ऋण पर टॉप-अप लोन से जुड़े नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। आरबीआई ने यह भी कहा कि जोखिम भार बढ़ने के बाद भी क्रेडिट कार्ड से खर्च लगातार बढ़ता ही रहा है।समिति में दो बाहरी सदस्य जयंत वर्मा और आशिमा गोयल रीपो दर 25 आधार अंक घटाने के पक्ष में थे और उन्होंने रुख भी ‘तटस्थ’ करने पर जोर दिया। एमपीसी के निर्णय पर आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘समग्र मुद्रास्फीति अप्रैल और मई में 4.8 प्रतिशत रहने के बाद जून 2024 में बढ़कर 5.1 प्रतिशत तक पहुंच गई। खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ने से इसमें इजाफा दिखा है और ये कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं।’दास ने कहा कि मुद्रास्फीति की चाल एवं इससे पैदा होने वाले जोखिमों को ध्यान में रखते हुए मौद्रिक नीति के लिए सटीक दिशा में काम करते रहना जरूरी है।एमपीसी के निर्णय पर एचडीएफसी बैंक की ट्रेजरी रिसर्च टीम ने कहा कि मौद्रिक नीति नीति का नजरिया सतर्क लग रहा है और आरबीआई खाद्य मुद्रास्फीति के खतरे को अधिक तवज्जो दे रहा है।केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2025 में आर्थिक वृद्धि एवं मुद्रास्फीति से जुड़े अनुमान में भी बदलाव नहीं किए हैं। चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि दर का अनुमान 7.2 प्रतिशत और मुद्रास्फीति को 4.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। हालांकि आरबीआई ने जुलाई-सितंबर के लिए मुद्रास्फीति अनुमान 3.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 4.4 प्रतिशत कर दिया है।नोमुरा में मुख्य अर्थशास्त्री (भारत एवं एशिया, जापान शामिल नहीं) ने कहा, ‘निकट अवधि में मुद्रास्फीति का अनुमान संशोधित किया गया है मगर चौथी तिमाही में इसमें कमी करने से यह बेअसर हो गया है। यह संकेत है कि खाद्य कीमतों में बढ़ोतरी अस्थायी है बाद में यह नरम हो जाएंगी।’ वित्त वर्ष 2024 की जनवरी-मार्च तिमाही के लिए मुद्रास्फीति दर 4.5 प्रतिशत से संशोधित कर 4.3 प्रतिशत कर दी गई है।पहली तिमाही के लिए आर्थिक वृद्धि दर भी संशोधित कर 7.3 प्रतिशत की जगह 7.1 प्रतिशत कर दी गई है। वर्मा ने कहा कि पहली तिमाही के लिए जीडीपी का अनुमान कम करना थोड़ा अचरज भरा जरूर है क्योंकि अब तक आरबीआई वृद्धि अनुमान बढ़ाता आ रहा था। पिछले कुछ महीनों के दौरान वित्तीय बाजारों में अस्थिरता पर आरबीआई गवर्नर ने कहा कि इससे किसी को फिक्र करने की जरूरत नहीं क्योंकि भारत की आर्थिक बुनियाद बहुत मजबूत है।दास ने कहा कि बैंक ऋण आवंटन जारी रखने के लिए छोटी अवधि की गैर-खुदरा जमा की तरफ बढ़ रहे हैं जिससे बाद में बैंकिंग तंत्र तरलता से जुड़ी समस्याओं में फंस सकता है। दास ने कहा, ‘बैंकों को नई योजनाओं के जरिये घरेलू बचत आकर्षित करने पर ध्यान देना चाहिए।’आरबीआई गवर्नर ने कहा कि कुछ वित्तीय इकाइयां आवास ऋण पर टॉप-अप देने में नियमों का पालन हीं कर रही हैं जिससे जोखिम लगातार बढ़ रहा है। एमपीसी की अगली बैठक 7 से 9 अक्टूबर के दौरान होगी।
- मुंबई. भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के यूपीआई मंच की क्रेडिट कार्ड से जुड़ी सुविधा में वृद्धि देखी जा रही है। इसमें एक महीने में लगभग 10,000 करोड़ रुपये का लेनदेन हो रहा है। एनपीसीआई के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक दिलीप अस्बे ने यहां संवाददाताओं से यह भी कहा कि यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) पर पहले से स्वीकृत कर्ज सुविधा भी जोर पकड़ रही है और हर महीने इसके माध्यम से 200 करोड़ रुपये तक वितरित किये जा रहे हैं। एनपीसीआई ने नवंबर, 2022 में क्रेडिट कार्ड सुविधा शुरू की। इसके तहत एक उपयोगकर्ता अपने क्रेडिट कार्ड को ऐप से जोड़ सकता है। इससे सभी मासिक भुगतान क्रेडिट कार्ड बिल में जुड़ जाते हैं। कई कर्जदाता अब क्रेडिट कार्ड सुविधाएं दे रहे हैं। अस्बे ने कहा कि यूपीआई पर पहले से स्वीकृत ‘क्रेडिट लिमिट' (कर्ज सीमा) सुविधा की बात आती है तो आईसीआईसीआई बैंक अग्रणी है। लगभग आधा दर्जन बैंकों ने अपने ग्राहकों के लिए यह सुविधा शुरू की है। यह बात ऐसे समय सामने आई है जब क्रेडिट कार्ड और व्यक्तिगत ऋण जैसे असुरक्षित माने जाने कर्ज में तेजी से वृद्धि पर चिंता जतायी जा रही है। यूपीआई व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला मंच है। इसमें जुलाई में 46.6 करोड़ लेनदेन हुए। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) का उद्देश्य यूपीआई के साथ प्रतिस्पर्धा करना नहीं है। सीबीडीसी में ऐसी कई विशेषताएं हैं जो भारत के लिए बहुत उपयोगी साबित होंगी।
- नयी दिल्ली. वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने मंगलवार को संसद में कहा कि सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ‘यूपीआई' की वैश्विक पहुंच बढ़ाने के लिए विभिन्न पहल कर रहे हैं। यूपीआई अभी सात देशों में शुरू हो चुका है। उन्होंने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा में कहा कि आरबीआई के भुगतान दृष्टिकोण पत्र 2025 में ‘यूपीआई' और रुपे कार्ड की वैश्विक पहुंच बढ़ाने को अंतरराष्ट्रीयकरण स्तंभ के तहत प्रमुख उद्देश्यों में से एक के रूप में रेखांकित किया गया है। मंत्री ने कहा, "सरकार आरबीआई के साथ मिलकर यूपीआई की वैश्विक पहुंच बढ़ाने के लिए समय-समय पर विभिन्न पहल कर रही है। यूपीआई की पहुंच बढ़ाने के लिए आरबीआई विभिन्न संबंधित पक्षों (विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंक, विश्व बैंक और अन्य संस्थान) के साथ सहयोग कर रहा है।'' उन्होंने कहा कि इन ठोस प्रयासों से ‘एकीकृत भुगतान इंटरफेस' (यूपीआई) सात देशों- भूटान, सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), फ्रांस, मॉरीशस, श्रीलंका और नेपाल में उपलब्ध है। चौधरी ने एक अन्य प्रश्न के उत्तर में कहा कि सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) समय-समय पर रुपे कार्ड को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न पहल कर रहे हैं, जिसमें विभिन्न शहरों में इसकी पहुंच बढ़ाना भी शामिल है।
- नयी दिल्ली। एअर इंडिया ने बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बीच मंगलवार को दिल्ली से ढाका के लिए अपनी सुबह की उड़ान रद्द कर दी। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि इंडिगो और विस्तारा ने बांग्लादेश की राजधानी के लिए मंगलवार की अपनी सभी उड़ानें रद्द कर दी हैं। विस्तारा मुंबई से ढाका के लिए दैनिक उड़ानों का संचालन करती है। कंपनी दिल्ली से ढाका के बीच तीन साप्ताहिक उड़ान सेवाएं भी उपलब्ध कराती है। एअर इंडिया के एक अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि कंपनी ने ढाका के लिए अपनी सुबह की उड़ान रद्द कर दी है । समयसारिणी के अनुसार, एअर इंडिया दिल्ली से ढाका के बीच रोज दो उड़ानें संचालित करती है।एअर इंडिया ने सोमवार को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा था, “बांग्लादेश में उभरती स्थिति को देखते हुए, हमने ढाका जाने और वहां से आने वाली अपनी उड़ानों के निर्धारित परिचालन को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है।” उसने कहा था, “हम स्थिति पर लगातार नजर रख रहे हैं और ढाका से आने-जाने के लिए कन्फर्म टिकट वाले अपने यात्रियों को सहायता प्रदान कर रहे हैं, जिसमें पुनर्निर्धारण और रद्दीकरण शुल्क पर एकमुश्त छूट शामिल है।” कंपनी ने कहा था, “यात्रियों और चालक दल की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।”
- नयी दिल्ली. देश में उभरते मधुमक्खीपालन उद्योग के समक्ष ‘ऑफसीजन' के दौरान फूलों की उपलब्धता की चुनौती से निपटने और मधुमक्खीपालन को बेरोकटोक जारी रखने के लिए कनफेडेरशन ऑफ़ एपीकल्चर इंडस्ट्री (सीएआई) ने सरकार से खाली सरकारी जमीन पर ऐसे पौधों एवं वृक्षों की रोपाई की मांग की जिससे मधुमक्खियों को पूरे साल फूलों की उपलब्धता हो सके। सीएआई के अध्यक्ष देवव्रत शर्मा ने बताया, ‘‘सीएआई, सरकार से, सड़कों के किनारे, रेलवे के अलावा खाली सरकारी जमीनों व नहरों के किनारे ऐसे फूल देने वाले पौधों की लगाने की कराने की मांग करती है जिससे मधुमक्खियों को पूरे साल फूलों की कमी न हो।'' सीएआई ने आज हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के नौणी स्थित डॉ. वाई.एस. परमार विश्वविद्यालय में ऑफसीजन के दौरान मधुमक्खियों के लिए फूलों की उपलब्धता बढ़ाने के बारे में जागरूकता अभियान के तहत एक सेमिनार का आयोजन किया। इस दौरान विश्वविद्यालय परिसर में मधुमक्खी-फ्लोरा का पौधरोपण किया गया और प्रतिभागियों के बीच मधुमक्खी-फ्लोरा का वितरण किया गया। शर्मा ने बताया कि मधुमक्खियों का ऑफसीजन अप्रैल से लेकर लगभग अक्टूबर महीने तक का होता है। पहले यह ऑफसीजन चार महीने का होता है पर सड़क एवं नहरों के किनारे के युक्लिप्टस के कटने से यह लगभग सात आठ महीने का हो चला है। पहले युकिलिप्टस से मधुमक्खियों को नेक्टर (पुष्प-रस) मिलता था लेकिन अब इस कमी के दूर करने के लिए आंवला, नींबू, बेर, जामुन, कटहल, नीम, शीशम, करी पत्ता के पेड़ जैसे पौधों को लगाने पर विशेष ध्यान दिया जाना आवश्यक है। शर्मा ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी) के तहत आने वाली ‘बी डेवलपमेंट कमेटी' ने भी ऐसी सिफारिश की है। सीएआई ने इस संदर्भ में सड़क परिवहन एवं रेल व ग्रामीण विकास मंत्रालय को भी पत्र लिखा है कि वे कृषि उत्पादकता और किसानों की आय बढ़ाने वाले मधुमक्खीपालन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए अपनी खाली जमीनों पर मधुमक्खी अनुकूल वृक्ष एवं पौधे लगवाएं।'' सीएआई की सोलन के डॉ. वाई.एस. परमार विश्वविद्यालय में आयोजित बैठक में मधुमक्खीपालन उद्योग के प्रमुख अंशधारक, विशेषज्ञ और उद्योग प्रतिनिधि शामिल हुए। सेमिनार का उद्घाटन विश्वविद्यालय के निदेशक अनुसंधान, डॉ. एस.के चौहान ने किया। उन्होंने आजीविका और कृषि उत्पादकता के लिए मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया। शर्मा ने कहा, ‘‘देश में सालाना करीब 1,80,000 टन शहद का उत्पादन होता है जिसमें से 1,50,000 टन शहद किसानों द्वारा किये जाने वाले मधुमक्खीपालन से प्राप्त होता है और करीब 30,000 टन शहद जंगलों में लगे मधुमक्खियों के छत्तों से मिलता है। किसानों द्वारा उत्पादित शहद में से लगभग आधे हिस्से का निर्यात किया जाता है और घरेलू खपत करीब 75,000 टन की है। शहद के निर्यात से देश को सालाना औसतन करीब 1,250-1,500 करोड़ रुपयों की प्राप्ति होती है। निर्यात के लिए सबसे अधिक मांग सरसों फूल से बने शहद की है क्योंकि इसमें सबसे अधिक औषधियों गुण पाये जाते हैं।'' सेमिनार के दौरान दो तकनीकी सत्र आयोजित किए गए और विभिन्न विषयों जैसे मधुमक्खी रोग, मधुमक्खी प्रबंधन, मधुमक्खी उत्पाद और विपणन मुद्दों पर विश्वविद्यालय, राज्य बागवानी विभाग और सीएआई के अधिकारियों द्वारा व्याख्यान दिए गए। इस बैठक का उद्देश्य उद्योग के सामने आने वाली चुनौतियों को हल करना, विकास के अवसरों का पता लगाना था।
-
नई दिल्ली। भारत की बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी ने सोमवार को कहा कि बांग्लादेश का उसका ऑफिस 7 अगस्त तक बंद रहेगा। खबरों के मुताबिक, बांग्लादेश के अलग-अलग हिस्सों में सुरक्षाकर्मियों और सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच पिछले दो दिनों में हुई हिंसक झड़पों में 100 से ज्यादा लोग मारे गए हैं।
एलआईसी ने बताया कि बांग्लादेश में चल रहे प्रदर्शन और हिंसा की वजह से वहां का उनका ऑफिस 5 अगस्त से 7 अगस्त तक बंद रहेगा। बांग्लादेश की सरकार ने भी इन दिनों के लिए कर्फ्यू लगा दिया है। ये प्रदर्शन पिछले महीने नौकरियों में कोटे को लेकर शुरू हुए थे, लेकिन अब ये सरकार विरोध में तब्दील हो गए हैं। इस सबके चलते एलआईसी के शेयरों में भी गिरावट आई है। ये आज 6.10% गिरकर 1110 रुपये पर बंद हुए। -
नई दिल्ली। खरीफ फसलों की बोआई में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। चालू सीजन में अब तक खरीफ फसलों की बोआई 900 लाख हेक्टेयर पार कर गई है। दलहन, तिलहन, मोटे अनाज की बोआई में इजाफा हुआ है। पिछले सप्ताह तक बोआई में पिछड़ने वाली इस सीजन की सबसे बड़ी फसल धान की बोआई में अब बढ़ोतरी देखी जा रही है। हालांकि कपास का रकबा घटा है।
2024 में कितनी हुई खरीफ फसलों की बोआई?कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के आंकड़ों के अनुसार 2 अगस्त तक 904.60 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बोआई हो चुकी है, जो पिछले साल की समान अवधि में 879.22 लाख हेक्टेयर में हुई बोआई से 2.88 फीसदी अधिक है। इस सप्ताह धान की बोआई में सुधार देखने को मिला है। अब तक 276.91 लाख हेक्टेयर में धान बोया जा चुका है, जो पिछले सीजन की समान अवधि में 263.01 लाख हेक्टेयर में बोये गए धान 5.28 फीसदी ज्यादा है। पिछले सप्ताह तक इसकी बोआई में गिरावट देखी गई। इस साल कपास की बोआई 8.25 फीसदी घटकर 108.43 लाख हेक्टेयर रह गई।कितना रहा दलहन फसलों का रकबा?चालू खरीफ सीजन में 2 अगस्त तक दलहन फसलों का रकबा 110.61 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया, जो पिछली समान अवधि के रकबा 99.71 लाख हेक्टेयर से 10.93 फीसदी अधिक है। अरहर की बोआई पिछले साल के 33.27 लाख हेक्टेयर से करीब 26 फीसदी बढ़कर 41.89 लाख हेक्टेयर और मूंग की 28.15 लाख हेक्टेयर से करीब 12 फीसदी बढ़कर 31.62 लाख हेक्टेयर हो गई, जबकि उड़द की बोआई पिछले साल के 26.21 लाख हेक्टेयर से मामूली घटकर 25.96 लाख हेक्टेयर रह गई।तिलहन फसलों की बोआई में कितना हुआ इजाफा?चालू खरीफ सीजन में अब तक 179.69 लाख हेक्टेयर में तिलहन फसलें बोई जा चुकी हैं, जो पिछले साल इसी अवधि में 174.53 लाख हेक्टेयर में बोई गई तिलहन फसलों से करीब 3 फीसदी ज्यादा है। इस दौरान इस सीजन की सबसे बड़ी तिलहन फसल सोयाबीन का रकबा 123.77 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया, पिछली समान अवधि में यह आंकड़ा 120.51 लाख हेक्टेयर था। इस सीजन में मूंगफली का रकबा पिछले साल के 39.20 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 44.06 लाख हेक्टेयर हो गया। तिल का रकबा पिछले साल के 10.07 लाख हेक्टेयर से घटकर 9.51 लाख हेक्टेयर रह गया।मोटे अनाजों की कितनी हुई बोआई?सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2 अगस्त तक मोटे अनाजों की 165.59 लाख हेक्टेयर में बोआई हो चुकी है, जो पिछले साल की समान अवधि में 160.38 लाख हेक्टेयर में हुई बोआई से 3.25 फीसदी ज्यादा है। मोटे अनाजों में मक्का का रकबा 10.31 फीसदी बढ़कर 82.25 लाख हेक्टेयर हो गया। हालांकि इस साल मोटे अनाजों में मक्का के बाद दूसरी बड़ी फसल बाजरा की बोआई करीब 5 फीसदी घटकर 62.70 लाख हेक्टेयर रह गई। -
नई दिल्ली। आयकर विभाग ने शुक्रवार को कहा कि 31 जुलाई की निर्धारित समयसीमा तक रिकॉर्ड 7.28 करोड़ से अधिक आयकर रिटर्न दाखिल किए गए, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 7.5 प्रतिशत अधिक है। कर विभाग ने एक बयान में कहा कि आकलन वर्ष 2024-25 के लिए रिकॉर्ड 7.28 करोड़ से अधिक आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल किए गए हैं। पिछले साल 6.77 करोड़ आईटीआर दाखिल किए गए थे।
विभाग के बयान के मुताबिक, ”आकलन वर्ष 2024-25 के लिए दाखिल किए गए कुल 7.28 करोड़ आईटीआर में से नयी कर व्यवस्था के तहत 5.27 करोड़ रिटर्न दाखिल किए गए हैं। वहीं पुरानी कर व्यवस्था में दाखिल रिटर्न की संख्या 2.01 करोड़ है।”इस प्रकार, लगभग 72 प्रतिशत करदाताओं ने नई कर व्यवस्था को चुना है, जबकि 28 प्रतिशत करदाता पुरानी कर व्यवस्था में बने हुए हैं। वेतनभोगी करदाताओं और अन्य गैर-कर लेखा परीक्षा मामलों के लिए आईटीआर दाखिल करने की अंतिम तारीख 31 जुलाई, 2024 थी। इस समयसीमा के अंतिम दिन यानी 31 जुलाई को 69.92 लाख से अधिक रिटर्न दाखिल किए गए।पहली बार रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या 58.57 लाख थी, जो कर आधार के विस्तार का एक अच्छा संकेत है। ऐतिहासिक रूप से पहली बार आईटीआर (आईटीआर-1, आईटीआर-2, आईटीआर-4, आईटीआर-6) को वित्त वर्ष के पहले दिन यानी एक अप्रैल, 2024 को ही विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल पर अपलोड कर दिया गया था।वित्त वर्ष 2023-24 में अर्जित आय के लिए दाखिल 7.28 करोड़ आईटीआर में से 45.77 प्रतिशत रिटर्न आईटीआर-1 (3.34 करोड़), 14.93 प्रतिशत आईटीआर-2 (1.09 करोड़), 12.5 प्रतिशत आईटीआर-3 (91.10 लाख), 25.77 प्रतिशत आईटीआर-4 (1.88 करोड़) और 1.03 प्रतिशत आईटीआर-5 से आईटीआर-7 तक (7.48 लाख) हैं।इसमें से 43.82 प्रतिशत से अधिक आईटीआर ई-फाइलिंग पोर्टल पर उपलब्ध ऑनलाइन आईटीआर का उपयोग करके दाखिल किए गए हैं और बाकी ऑफलाइन आईटीआर का उपयोग करके दाखिल किए गए हैं। इस दौरान ई-फाइलिंग पोर्टल ने अंतिम समय में रिटर्न दाखिल करने वालों की भारी भीड़ को सफलतापूर्वक संभाल लिया। इससे करदाताओं को आईटीआर दाखिल करने का सहज अनुभव मिला।अकेले 31 जुलाई, 2024 को ही सफल लॉगिन 3.2 करोड़ थे। बयान के मुताबिक, अगर कोई रिफंड जारी होना है, तो आईटीआर का प्रसंस्करण शुरू करने और रिफंड जारी करने के लिए ई-सत्यापन की प्रक्रिया महत्वपूर्ण है।उल्लेखनीय है कि 6.21 करोड़ से अधिक आईटीआर ई-सत्यापित किए जा चुके हैं, जिनमें से 5.81 करोड़ से अधिक आधार-आधारित ओटीपी (93.56 प्रतिशत) के जरिए सत्यापित किए गए। ई-फाइलिंग सहायता दल ने 31 जुलाई तक करदाताओं के लगभग 10.64 लाख सवालों को सुना और उनकी उचित मदद की।बयान में आईटीआर और फॉर्म दाखिल करने में समर्थन के लिए कर पेशेवरों और करदाताओं के प्रति आभार जताते हुए कहा गया कि आईटीआर दाखिल करने के 30 दिनों के भीतर अपने असत्यापित आईटीआर का सत्यापन कर लें।विभाग ने कहा कि जो करदाता किसी वजह से नियत तिथि के भीतर अपना आईटीआर दाखिल करने से चूक गए थे, वे इसे जल्द पूरा करें। -
नयी दिल्ली. सार्वजनिक क्षेत्र के पंजाब नेशनल बैंक ने सभी अवधि के लिए सीमांत निधि लागत आधारित ऋण दर (एमसीएलआर) में 0.05 प्रतिशत या पांच आधार अंकों की बृहस्पतिवार को वृद्धि की, जिससे अधिकतर उपभोक्ता ऋण महंगे हो गए। पीएनबी ने शेयर बाजार को दी सूचना में बताया कि एक साल की अवधि के लिए मानक एमसीएलआर अब 8.90 प्रतिशत होगी, जो पहले 8.85 प्रतिशत थी। इसका इस्तेमाल मोटर वाहन तथा व्यक्तिगत जैसे अधिकतर उपभोक्ता ऋणों के मूल्यांकन में किया जाता है। तीन वर्ष की एमसीएलआर पांच आधार अंक बढ़कर 9.20 प्रतिशत हो गई है। अन्य के अलावा एक माह, तीन माह और छह माह की अवधि के लिए ब्याज दर 8.35-8.55 प्रतिशत के दायरे में होगी। एक दिवसीय अवधि के लिए एमसीएलआर 8.25 प्रतिशत के स्थान पर 8.30 प्रतिशत होगी। नई दरें एक अगस्त 2024 से प्रभावी हो गईं।
बैंक ऑफ इंडिया ने भी एक वर्ष की अवधि के लिए एमसीएलआर में 0.05 प्रतिशत की वृद्धि कर इसे 8.95 प्रतिशत करने की बुधवार को घोषणा की थी। हालांकि, शेष अवधि के लिए दरें यथावत हैं।
-
मुंबई. स्थानीय शेयर बाजारों में बृहस्पतिवार को लगातार पांचवें कारोबारी सत्र में तेजी का सिलसिला जारी रहा और सेंसेक्स 126 अंक चढ़कर नये शिखर पर बंद हुआ। एनएसई निफ्टी भी पहली बार 25,000 अंक के स्तर को पार कर गया। उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में बैंक और पेट्रोलियम कंपनियों के शेयरों में तेजी से बाजार में मजबूती रही।
तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 126.21 अंक यानी 0.15 प्रतिशत की बढ़त के साथ अपने अबतक के उच्चतम स्तर 81,867.55 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 388.15 अंक की बढ़त के साथ 82,129.49 अंक तक चला गया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 59.75 अंक यानी 0.24 प्रतिशत की तेजी के साथ नये शिखर 25,010.90 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 127.15 अंक की बढ़त के साथ 25,078.30 अंक पर पहुंच गया था। सेंसेक्स के शेयरों में पावर ग्रिड, एनटीपीसी, एचडीएफसी बैंक, नेस्ले इंडिया, अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकनॉमिक जोन, मारुति सुजुकी इंडिया और रिलायंस इंडस्ट्रीज प्रमुख रूप से लाभ में रहे। इसके उलट, नुकसान में रहने वाले शेयरों में महिंद्रा एंड महिंद्रा, टाटा स्टील, बजाज फिनसर्व, भारतीय स्टेट बैंक, लार्सन एंड टुब्रो और टाटा मोटर्स शामिल हैं। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘फेडरल रिजर्व के प्रमुख के मुद्रास्फीतिक दबाव में कमी के कारण सितंबर में नीतिगत दर में कटौती पर विचार के संकेत से बाजार पर सकारात्मक असर पड़ा।'' उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, मझोली और छोटी कंपनियों के शेयरों का प्रतिनिधित्व करने वाला मिडकैप और स्मॉलकैप में गिरावट रही। इसका कारण पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने के कारण कच्चे तेल के दाम में तेजी है।'' बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक 0.70 प्रतिशत और मिडकैप 0.80 प्रतिशत नीचे आया। कारोबार के दौरान बीएसई मिडकैप रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था। एचडीएफसी सिक्योरिटरज के खुदरा शोध मामलों में उप-प्रमुख देवर्ष वकील ने कहा, ‘‘घरेलू शेयर बाजार में लगातार पांचवें दिन तेजी रही। अमेरिकी बाजार में सकारात्मक रुख के साथ भारतीय बाजार मजबूत खुला। फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) के प्रमुख जेरोम पावेल ने कहा कि सितंबर में नीतिगत दर में कटौती की संभावना है। इससे बाजार पर सकारात्मक असर पड़ा।'' वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा कारोबार में 0.98 प्रतिशत बढ़कर 81.63 डॉलर प्रति बैरल रहा।
एशिया के अन्य बाजारों में जापान का निक्की, चीन का शंघाई कम्पोजिट और हांगकांग का हैंगसेंग नुकसान में जबकि दक्षिण कोरिया का कॉस्पी लाभ में रहा। यूरोप के प्रमुख बाजारों में बृहस्पतिवार को शुरुआती कारोबार में गिरावट का का रुख रहा। अमेरिकी बाजार बुधवार को लाभ में रहे थे। शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक बुधवार को पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे। उन्होंने 3,462.36 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे। -
नई दिल्ली। आज के समय में कार चालकों की संख्या लगातार बढ़ रही है, और इसके साथ ही फास्टैग का उपयोग भी अत्यावश्यक हो गया है। फास्टैग न होने की स्थिति में टोल प्लाजा पर अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने फास्टैग के लिए नए नियम लागू किए हैं, जो 1 अगस्त यानी आज से प्रभावी हो गए हैं। इन नए नियमों के तहत, फास्टैग की केवाईसी (KYC) कराना अनिवार्य हो गया है। विशेष रूप से वे फास्टैग जो तीन साल पुराने हैं, उनकी KYC करवानी जरूरी है।यदि आपने अब तक फास्टैग की केवाईसी नहीं कराई है, तो यहां जानें कि आप इसे ऑनलाइन या ऑफलाइन कैसे कर सकते हैं।
फास्टैग KYC के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट्स:पासपोर्टवोटर आईडीआधार कार्डड्राइविंग लाइसेंसपैन कार्डNREGA जॉब कार्डवाहन की RC (रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट)ऑनलाइन KYC कराने का तरीका:IHMCL फास्टैग पोर्टल पर जाएं।अपने मोबाइल नंबर के जरिए लॉगिन करें।“My Profile” पर क्लिक करें।KYC स्टेटस चेक करें।“KYC” टैब पर क्लिक करें और कस्टमर टाइप चुनें।ID प्रूफ, एड्रेस समेत आवश्यक विवरण भरें।ऑफलाइन भी कर सकते हैं FASTag KYC अपडेटRBI की गाइडलाइंस के अनुसार, FASTag KYC को ऑनलाइन के साथ-साथ ऑफलाइन भी अपडेट किया जा सकता है। इसके लिए आपको फास्टैग जारी करने वाले बैंक से संपर्क करना होगा। बैंक शाखा में जाकर एप्लिकेशन फॉर्म भरें और KYC डॉक्यूमेंट्स समिट करें। इसके बाद बैंक आपके फास्टैग अकाउंट में डिटेल्स अपडेट कर देगा।किसे करानी है FASTag KYC अपडेटजिन लोगों का FASTag 3 साल पुराना है, उन्हें KYC अपडेट कराना अनिवार्य है। वहीं, जिनका FASTag 5 साल पुराना हो गया है, उन्हें इसे बदलना होगा। इसके अलावा, कुछ अन्य नियम भी आज से लागू हो गए हैं। -
नई दिल्ली। पब्लिक सेक्टर के पंजाब नेशनल बैंक (PNB) ने सभी अवधि के लिए सीमांत निधि लागत आधारित ऋण दर (MCLR) में 0.05 प्रतिशत या पांच आधार अंकों की गुरुवार को वृद्धि की, जिससे अधिकतर कंज्यूमर लोन महंगे हो गए।पीएनबी ने शेयर बाजार को दी सूचना में बताया कि एक साल की अवधि के लिए मानक एमसीएलआर अब 8.90 प्रतिशत होगी, जो पहले 8.85 प्रतिशत थी। इसका इस्तेमाल मोटर वाहन तथा व्यक्तिगत जैसे अधिकतर उपभोक्ता ऋणों के मूल्यांकन में किया जाता है।तीन वर्ष की एमसीएलआर पांच आधार अंक बढ़कर 9.20 प्रतिशत हो गई है। अन्य के अलावा एक माह, तीन माह और छह माह की अवधि के लिए ब्याज दर 8.35-8.55 प्रतिशत के दायरे में होगी। एक दिवसीय अवधि के लिए एमसीएलआर 8.25 प्रतिशत के स्थान पर 8.30 प्रतिशत होगी। नई दरें एक अगस्त 2024 से प्रभावी हो गईं। बैंक ऑफ इंडिया ने भी एक वर्ष की अवधि के लिए एमसीएलआर में 0.05 प्रतिशत की वृद्धि कर इसे 8.95 प्रतिशत करने की बुधवार को घोषणा की थी। हालांकि, शेष अवधि के लिए दरें यथावत हैं।
- नयी दिल्ली. केंद्र सरकार ने आयकर विभाग के प्रशासनिक निकाय - केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) में दो नए सदस्यों की नियुक्ति की है। रमेश नारायण पर्वत और प्रबोध सेठ 1989 बैच के भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारी हैं। वित्त मंत्रालय ने 30 जुलाई को उनकी नियुक्ति का आदेश जारी किया था।पर्वत लखनऊ में आयकर जांच के महानिदेशक के पद पर तैनात हैं, जबकि सेठ दिल्ली में आयकर (अंतरराष्ट्रीय कराधान) के मुख्य आयुक्त के पद पर तैनात हैं। सीबीडीटी का नेतृत्व एक अध्यक्ष करता है और इसमें छह सदस्य हो सकते हैं जो विशेष सचिव के पद पर होते हैं। सीबीडीटी के अध्यक्ष रवि अग्रवाल के अलावा, बोर्ड में अन्य सेवारत सदस्य प्रज्ञा सहाय सक्सेना, एचबीएस गिल, प्रवीण कुमार और संजय कुमार हैं।
- मुंबई. भारत के डेयरी उद्योग को चालू वित्त वर्ष में 13-14 प्रतिशत की स्वस्थ राजस्व वृद्धि देखने को मिलेगी। बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि उपभोक्ता मांग के साथ-साथ कच्चे दूध की बेहतर आपूर्ति जारी है, जिससे डेयरी उद्योग बेहतर तरीके से आगे बढ़ेगा। क्रिसिल रेटिंग्स ने एक रिपोर्ट में कहा कि जहां मूल्य वर्धित उत्पादों (वीएपी) की बढ़ती खपत से मांग को समर्थन मिलेगा, वहीं अच्छे मानसून की संभावनाओं से पर्याप्त दूध की आपूर्ति को बढ़ावा मिलेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि कच्चे दूध की आपूर्ति में वृद्धि से डेयरी कंपनियों के लिए कार्यशील पूंजी की आवश्यकता भी बढ़ेगी। हालांकि, अगले दो वित्त वर्षों में संगठित डेयरियों द्वारा जारी पूंजीगत व्यय के कारण ऋण का स्तर बढ़ेगा, लेकिन मजबूत बही-खाते की वजह से चीजें स्थिर रहेंगी। क्रिसिल ने रिपोर्ट में कहा है कि दूध खरीद की स्थिर कीमतें डेयरियों की लाभप्रदता के लिए शुभ संकेत हैं, और इस वित्त वर्ष में उनकी परिचालन लाभप्रदता में 0.40 प्रतिशत का सुधार होने की उम्मीद है और यह छह प्रतिशत पर पहुंच जाएगी।
- नयी दिल्ली. केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से जीवन बीमा एवं चिकित्सा बीमा के प्रीमियम पर 18 प्रतिशत की दर से लागू माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को हटाने का अनुरोध किया है। विपक्ष के कई नेताओं ने भी गडकरी की इस मांग का समर्थन किया है।वित्त मंत्री को लिखे पत्र में गडकरी ने नागपुर मंडल जीवन बीमा निगम कर्मचारी संघ की चिंताओं को उठाया, जिसने बीमा उद्योग के मुद्दों से संबंधित एक ज्ञापन उन्हें सौंपा था। गडकरी ने इस ज्ञापन का हवाला देते हुए पत्र में कहा, ‘‘जीवन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी लगाना जिंदगी की अनिश्चितताओं पर कर लगाने के समान है। कर्मचारी संघ का मानना है कि जो व्यक्ति अपने परिवार को सुरक्षा देने के लिए जीवन की अनिश्चितताओं के जोखिम को ‘कवर' करता है, उससे ‘कवर' खरीदने के लिए प्रीमियम पर कर नहीं लेना चाहिए।'' उन्होंने कहा कि कर्मचारी संघ का मुख्य मुद्दा जीवन तथा चिकित्सा बीमा प्रीमियम पर जीएसटी को हटाने से संबंधित है। जीवन बीमा और चिकित्सा बीमा प्रीमियम दोनों पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगता है।उन्होंने कहा, ‘‘इसी तरह चिकित्सा बीमा प्रीमियम पर 18 प्रतिशत जीएसटी इस व्यवसाय खंड के विकास में बाधक साबित हो रहा है, जो सामाजिक रूप से आवश्यक है।'' उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए आपसे अनुरोध है कि जीवन तथा चिकित्सा बीमा प्रीमियम पर जीएसटी हटाने के सुझाव पर प्राथमिकता से विचार करें, क्योंकि नियमों के अनुरूप उचित सत्यापन के बाद वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह बोझिल हो जाएगा।'' इस बीच, कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने इस बात पर खुशी जताई कि गडकरी ने वित्त मंत्री से बीमा पर जीएसटी हटाने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि बजट पर चर्चा के दौरान उन्होंने भी यही सुझाव दिया था। चिदंबरम ने कहा, ‘‘मुझे बहुत खुशी है कि गडकरी ने मेरी उस मांग का समर्थन किया है। मैंने सदन में स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर लगाए गए 18 प्रतिशत जीएसटी को हटाने की मांग की थी।'' चिदंबरम ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर लोकसभा में मंगलवार को दिए गए अपने भाषण का एक वीडियो भी साझा किया, जिसमें उन्होंने बीमा पर जीएसटी हटाने की मांग की थी। समाजवादी पार्टी के सांसद राजीव कुमार राय ने भी मांग का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार में वरिष्ठ मंत्री होने के बावजूद गडकरी को इस मुद्दे पर वित्त मंत्री को पत्र लिखना पड़ा, जो सरकार के ‘निरंकुश' रवैये का संकेत है। राय ने कहा, ‘‘बीमा प्रीमियम पर जीएसटी खत्म किया जाना चाहिए। यह हमारी लंबे समय से मांग रही है। हम नितिन गडकरी की मांग का समर्थन करते हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘इससे यह भी साबित होता है कि यह सरकार बजट बनाते समय अपने वरिष्ठ मंत्रियों से सलाह नहीं लेती है। गडकरी सबसे वरिष्ठ मंत्रियों में से एक हैं, (फिर भी) उन्हें पत्र लिखना पड़ा। यह सरकार के निरंकुश रवैये को दर्शाता है।'' राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद ए डी सिंह ने मांग का समर्थन करते हुए कहा, ‘‘स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी समाप्त किया जाना चाहिए। गडकरी ने अपने हिसाब से उचित सुझाव दिया है। वित्त मंत्री को देखना चाहिए कि इससे लोगों को कितना फायदा होगा।'' मांग का समर्थन करते हुए शिवसेना (यूबीटी) सांसद अनिल देसाई ने कहा कि उन्होंने बजट पर बहस के दौरान अपने भाषण में भी इस मुद्दे को उठाया था।