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- उत्तर भारत में गर्मियों आते ही लोग कई तरह से सत्तू का सेवन करते हैं। दरअसल सत्तू से सेहत को कई फायदे मिलते हैं। इसके सेवन से पेट के कई विकार दूर होते हैं और शरीर को ठंडक मिलती है। सत्तू में सोडियम, आयरन, मैग्नीशियम, प्रोटीन, फैट और कॉर्बोहाइड्रेट पाया जाता है। इसका सेवन मुख्यतः लू से बचाव के लिए किया जाता है। सत्तू से पेट साफ रखने में मदद मिलती और मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है। साथ ही इसके सेवन से आपको लंबे समय तक भूख नहीं लगती है। जिसके उपयोग से आपको अपने वजन को कंट्रोल करने में भी मदद मिलती है। साथ ही आपकी थकान दूर होती है। अगर आप भी अपने वजन को कम करना चाहते हैं तो सत्तू को आहार में शामिल करें। इससे आप अपने मोटापे को तेजी से कम कर सकते हैं। इसके सेवन से आपको मोटापे की वजह से होने वाली अन्य समस्याओं का खतरा भी कम हो जाता है। आगे जानते हैं सत्तू को आप किस तरह से डाइट में शामिल कर सकते हैं।सत्तू कैसे बनाया जाता है?सत्तू का आटा मुख्य रुप से चने को पीसकर बनाया जाता है। भूने हुए चने को पीसकर ये आटा तैयार किया जाता है। कुछ लोग चने और जौं को भूनकर भी आटा तैयार करते हैं। इसे भी सत्तू ही कहा जाता है। इसके पौष्टिक गुणों की वजह से इसका उपयोग गर्मियों में किया जाता है।सत्तू से वजन कैसे कम होता है?सत्तू से आप अपने मोटापे को कम करने में मदद कर सकते हैं। सत्तू के सेवन से मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है। जिसकी वजह आपके आहार का फैट से बर्न होता है। वजन कम करने वाली डाइट को फॉलो करने वाले लोग सत्तू को अपनी डाइट में शामिल कर मोटापे को तेजी से कम कर सकते हैं। इसलिए यह कहा जाता है कि सत्तू के सेवन से मोटापे को कम करने में मदद मिलती है।वजन कम करने के लिए सत्तू का डाइट में कैसे करें शामिल?सत्तू का शर्बतसत्तू का शर्बत बिहार और उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्रों में पिया जाता है। इसे बनाने के लिए आपके पास सत्तू का आटा करीब एक चम्मच, एक नींबू का रस, पुदीने का करीब आधा चम्मच पेस्ट, चुटकी भर काला नमक और गुड़ या चीनी की आवश्यकता होती है। इन सभी चीजों को एक गिलास में डाले और ऊपर से ठंडे पानी को मिला दें। इसके बाद इसे अच्छे से मिक्स करें। यदि शर्बत ज्यादा गाढ़ा हो तो आप अपनी आवश्यकता अनुसार इसमें पानी मिला सकते हैं। इसमें फाइबर की उच्च मात्रा होती है, जो पेट की गर्मी को शांत कर आपके मोटापे को कम करने में सहायक होती है।सत्तू का चीलासत्तू का चीला बनाने के लिए आपके पास करीब दो से चार बड़े चम्मच सत्तू का आटा, करीब आधा प्याज बारीक काटा हुआ, बारीक काटा हुआ आधा टमाटर, पीसी हुई काली मिर्च चुटकी भर, नमक और मिर्च स्वादानुसार होनी चाहिए। इसे बनाने के लिए एक पैन में थोड़ा से तेल डाले और ऊपर बताई गई सभी चीजों को मिक्स करते हुए एक लिक्विड पेस्ट बना लें। ध्यान रहें कि पेस्ट ना तो ज्यादा गाढ़ा हो और ना ही ज्यादा पतला हो। तेल गर्म होने के बाद इसे पैन में डालें और अच्छे से दोनों तरफ सेक लें। इसके बाद गैस बंद करें और इसे हरे धनिये की चटनी के साथ खाएं।सत्तू को डाइट में शामिल करने से आपकी पाचन क्रिया बेहतर होती है और आपको पेट में गैस, एसिडिटी और अपच की समस्या नहीं होती है। इसे डाइट में लेने से यदि आपको कोई परेशानी महसूस हो तो एक बार डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।
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योग स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, लेकिन योग को न समझने वाले लोग इसे फायदों और असर पर सवाल उठाते हैं । हालांकि वैज्ञानिक शोध प्राणायाम के लाभों और सटीकता की पुष्टि करते हैं । सबसे मशहूर प्राणायामों में से एक है अनुलोम विलोम । किसी भी योग के अभ्यास के लिए सबसे जरूरी है , उस आसन को सही तरीके से करना । हालांकि अक्सर लोग गलत तरीके से योगाभ्यास करते हैं । अनुलोम विलोम प्राणानायाम को आसान अभ्यास समझा जाता है, जिसमें नाक से सांस खींच कर दूसरे नथुने से छोड़ा जाता है। लेकिन ये सही तरीका नहीं है। इस योग को नाड़ी शोधन प्राणायाम भी कहते है और नाम के अनुरूप ही इस योग का अभ्यास करते हैं । आइए जानते हैं, अनुलोम विलोम के अभ्यास का सही तरीका और इसके फायदे।
अनुलोम विलोम के अभ्यास का सही तरीका
स्टेप 1- अनुलोम-विलोम करने के लिए मैट पर पद्मासन या सुखासन की स्थिति में बैठ जाएं।
स्टेप 2- रीढ़ और गर्दन को सीधा रखते हुए आंखें बंद कर लें और ध्यान लगाएं।
स्टेप 3- कलाइयों को घुटनों पर टिकाकर दाहिने हाथ का उपयोग करते हुए मध्यमा और तर्जनी को हथेली की ओर मोड़ें।
स्टेप 4- अब अंगूठे से दाहिने नथुने को बंद करें और अनामिका को बाएं नथुने पर रखते हुए धीरे धीरे गहरी श्वास लें।
स्टेप 5- श्वास की गति पर ध्यान केंद्रित करें, फिर अंगूठा छोड़ते हुए अनामिका से बाएं नथुने को बंद करें।
स्टेप 6- दाहिने नथुने से धीरे धीरे श्वास छोड़ें। इसी क्रिया को दूसरी ओर से करें। इस बार दाएं नथुने से सांस लें और बाएं से श्वास छोड़ें।
अनुलोम विलोम के अभ्यास के फायदे
इस प्राणायाम के अभ्यास से कई गंभीर स्वास्थ्य विकार, जैसे हृदय की समस्याएं, गंभीर अवसाद, उच्च रक्तचाप, गठिया, माइग्रेन की समस्या में कमी आती है।
अनुलोम विलोम करने से चिंता, तनाव और अवसाद दूर हो सकता है।
श्वसन विकार जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस ठीक करने में भी अनुलोम-विलोम फायदेमंद है।
एकाग्रता और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है, साथ ही क्रोध, बेचैनी, निराशा और विस्मृति जैसी नकारात्मक भावनाएं दूर होती हैं।
इस योग के अभ्यास से वजन घटाया जा सकता है और मेटाबॉलिज्म ठीक रहता है।
त्वचा में चमक और आंखों की रोशनी बेहतर होती है। - बालों का झड़ना, कमजोर होना और वक्त से पहले सफेद होना। बालों से जुड़ी ये कुछ ऐसी समस्याए हैं, जिससे हर व्यक्ति परेशान रहता है। हालांकि, कई केमिकल बेस्ड प्रोडक्ट इसके लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। लेकिन एक समय के बाद केमिकल की वजह से स्कैल्प को नुकसान होने लगता है। ऐसे में जरूरी है कि आप प्राकृतिक तरीकों को अपनपाएं, जिससे बाल सुरक्षित भी रहे और लंबे, घने होने के साथ-साथ मजबूत भी बनें। इसके लिए आप रोजमेरी का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह बेहतरीन फूल है, जिसका कई तरीकों से उपयोग किया जा सकता है। तो चलिए, हम जानते हैं बालों की ग्रोथ के लिए किस तरह से रोजमेरी का प्रयोग कर सकते हैं।रोजमेरी शैंपू के रूप में यूज करेंहेयर ग्रोथ के लिए आप रोजमेरी को शैंपू के रूप में यूज किया जा सकता है। इसके लिए, आपको चाहिए हेयर वॉश के लिए जितना शैंपू चाहिए, उसे एक कटोरी में निकाल लें। अब इसमें 5-7 बूंदें रोजमेरी ऑयल की डालें। इसके बाद, इस मिश्रण को अच्छी तरह से मिक्स कर लें। अब इस शैंपू से आप अपने हेयर वॉश कर लें। इस शैंपू की मदद से आपकी स्कैल्प को फायदा होता है, साथ ही बाल भी सिल्की होते हैं। यही नहीं, इस तरह रोजमेरी ऑयल का इस्तेमाल करने से बालों की ग्रोथ भी बढ़ती है।रोजमेरी टी से हेयर वॉश करेंरोजमेरी की चाय तो शायद आपने पी होगी। रोजमेरी की चाय बनाना भी बहुत आसान है। इसे आप रोजमेरी की पत्तियों को गर्म पानी में उबाल लें। आप रोजमेरी की पत्तियां अपने हेयर लेंथ के अनुसार लें। उसी हिसाब से पानी भी लें। जरूरी हो तो एक लीटर पानी ले सकते हैं। अच्छी तरह उबलने के बाद गैस बंद कर दें। ठंडा होने पर रोजमेरी की पत्तियों को छलनी की मदद से अलग कर लें। शैंपू से हेयर वॉश करने के बाद रोजमेरी टी से फाइन वॉश करें। बालों को बेहतरीन कलर मिलेगा और बाल खूबसूरत-शाइनी भी बनेंगे। हेयर ग्रोथ में भी यह मदद करेगा।रोजमेरी का तेल करें यूजरोजमेरी का तेल भी बहुत उपयोगी है। यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है और इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते हैं। इसी वजह से ऐसा माना जाता है कि रोजमेरी ऑयल बालों की ग्रोथ को बढ़ाता है और बालों का झड़ना भी कम करता है। आप रोजमेरी के ऑयल से अपने सिर की मसाज कर सकते हैं। चूंकि, यह दूसरे तेलों की तरह चिपचिपा नहीं होता है, तो इसे अप्लाई करने के तुरंत बाद वॉश करने की जरूरत नहीं है। आप इसे अप्लाई करके पूरी रात के छोड़ सकते हैं। अगली सुबह हेयर वॉश करें। इससे बालों को भरपूर पोषण मिलेगा। साथ ही मसाज करने की वजह से स्कैल्प में ब्लड सर्कुलेशन भी बेहतर तरीके से होगा।एसेंशियल ऑयल के साथ मिक्स करेंरोजमेरी के तेल को आप एसेंशियल ऑयल जैसे लैवेंडर या बादाम तेल के साथ मिक्स करके भी अपने सिर पर अप्लाई कर सकते हैं। यह मिश्रण खासकर उन लोगों के लिए ज्यादा कारगर है, जिनके बाल बहुत ज्यादा झड़ते हैं। वैसे भी, अगर आप रोजमेरी को अलग-अलग तेलों के साथ मिक्स करके लगाते हैं, तो इससे बालों को दो किस्म के तेलों का फायदा मिलता है। इसके साथ ही, आप हेयर मसाज करना न भूलें।
- गर्मियों में हमेशा ठंडा खाने की इच्छा होती रहती है। गर्मियों में ठंडी तासीर की चीजों को खाने की सलाह दी जाती है। जैसे कि ठंडी तासीर का आटा, ठंडी तासीर के फल और ठंडी तासीर सब्जियां। इस लेख में हम आपको ठंडी तासीर की सब्जियों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं-1. लौकी या घीयालौकी एक ऐसी सब्जी है, जिसे अधिकतर लोग खाना पसंद नहीं करते हैं। लेकिन सभी लोगों को लौकी का सेवन जरूर करना चाहिए। खासकर, गर्मियों में लौकी का सेवन करना काफी फायदेमंद होता है। आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा बताते हैं कि लौकी की तासीर ठंडी होती है। ऐसे में अगर आप लौकी का सेवन करेंगे, तो पेट में ठंडक बनी रहेगी। साथ ही, पानी की कमी भी दूर होगी। लौकी खाने से शरीर हाइड्रेटेड रहता है। लौकी में विटामिन्स और मिनरल्स की मात्रा भी अधिक होती है। इसलिए अगर आप गर्मियों में लौकी की सब्जी खाएंगे, तो इससे शरीर में ठंडक बनी रहेगी और सभी जरूर पोषक तत्व भी मिलेंगे।2. सीताफलसीताफल पोषक तत्व से भरपूर होता है। सीताफल में कैल्शियम और फाइबर की मात्रा काफी अधिक होती है। साथ ही, सीताफल की तासीर भी ठंडी होती है। ऐसे में अगर गर्मी के मौसम में सीताफल का सेवन किया जाए, तो इससे स्वास्थ्य को कई लाभ मिल सकते हैं। इसलिए आपको अपनी डाइट में सीताफल को जरूर शामिल करना चाहिए। अगर आप गर्मियों में सीताफल की सब्जी बनाकर खाएंगे, तो इससे पेट को ठंडक मिलेगी और आप स्वस्थ महसूस करेंगे।3. पालकपालक प्रोटीन, आयरन और विटामिन सी का अच्छा सोर्स होता है। पालक की तासीर बेहद ठंडी होती है। इसलिए गर्मियों में पालक का सेवन करना फायदेमंद माना जाता है। पालक का नियमित सेवन करने से एनीमिया के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है। साथ ही, पालक को पचाना भी काफी आसान होता है। आप पालक का साग बनाकर खा सकते हैं।4. तोरीआयुर्वेद में तोरी की सब्जी को भी ठंडा बताया गया है। तोरी की सब्जी पचने में आसान होती है। यह पित्त को भी शांत करती है। इसलिए आप चाहें तो गर्मियों में तोरी की सब्जी को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। इसके अलावा, तोरी में कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, पोटैशियम और फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्व भी पाए जाते हैं। गर्मियों में तोरी की सब्जी खाना बेहद फायदेमंद होता है। तोरी की सब्जी खाने से आपको एनर्जी मिलेगी, वजन कंट्रोल में रहेगा और पेट में भी ठंडक बनी रहेगी।5. खीराखीरे में पानी की मात्रा काफी अधिक होती है। साथ ही, खीरे की तासीर भी ठंडी होती है। इसलिए आप चाहें तो अपनी समर डाइट में खीरे को भी शामिल कर सकते हैं। खीरे को आप सलाद के रूप में खा सकते हैं या फिर इसकी सब्जी बनाकर भी खाई जा सकती है।6. टिंडागर्मियों में टिंडा भी खाया जाता है, क्योंकि इसकी तासीर ठंडी होती है। लौकी की तरह टिंडा भी पाचन में आसान होता है। इसमें पानी की मात्रा भी अधिक होती है। अगर आप गर्मी में टिंडे की सब्जी खाएंगे, तो इससे शरीर को ठंडक मिलेगी और पाचन भी सही रहेगा।
- गर्मियों के मौसम में तरबूज बहुत अधिक मात्रा में खाया जाता है। इस फल में 90 प्रतिशत से ज्यादा पानी पाया जाता है, इसलिए यह शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद करता है। तरबूज की तासीर ठंडी होती है इसलिए भी यह गर्मियों में लोगों का फेवरेट फ्रूट होता है। लाल रंग का यह मीठा सा फल लोगों को कितना पसंद आता है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लोग इसे कभी भी खा लेते हैं। नाश्ते और इवनिंग स्नैक्स के तौर पर तरबूज खाया जाए तो ठीक है, लेकिन अगर इसका सेवन खाली पेट किया जाए तो यह सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। गर्मियों के मौसम में अगर आप भी खाली पेट तरबूज खा लेते हैं, तो हम हम आपको इस लेख में इससे सेहत को होने वाले नुकसान के बारे में बताने जा रहे हैं।डायबिटीज के मरीजों के लिए नुकसानदायकएक स्वस्थ व्यक्ति के अलावा खाली पेट तरबूज का सेवन डायबिटीज के मरीजों के लिए भी नुकसानदायक साबित होता है। डायबिटीज के मरीज अगर खाली पेट तरबूज का सेवन करें तो इससे शरीर में ग्लूकोज का लेवल बढ़ सकता है। हाई ब्लड शुगर, शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बढऩे की स्थिति है। इससे डायबिटीज के मरीजों की समस्या बढ़ सकती है। डाइटिशियन का कहना है कि डायबिटीज के मरीजों को भूलकर भी खाली पेट तरबूज का सेवन नहीं करना चाहिए।सीने में जलन का कारणतरबूज में पोटैशियम की मात्रा बहुत अधिक पाई जाती है। खाली पेट तरबूज खाने से शरीर में पोटैशियम का स्तर बिगड़ सकता है, जिसकी वजह से दिल की धड़कन बढ़ सकती है। कई रिसर्च में यह बात सामने आ चुकी है, जब शरीर में पोटेशियम का स्तर बढ़ता है तो सीने में तेज दर्द हो सकता है। पोटैशियम के स्तर के बढऩे पर उल्टी या मतली की समस्या हो सकती है। जब शरीर में पोटेशियम का स्तर बढ़ता है तो पेट में दर्द और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण भी नजर आ सकते हैं।
- स्ट्रेस, बिजी लाइफस्टाइल और खानपान की गड़बड़ी ने आज ज्यादातर लोगों को ब्लड प्रेशर का रोगी बना दिया है। ब्लड प्रेशर की वजह से व्यक्ति को कई अन्य रोग जैसे छाती में दर्द, चक्कर आना, चेहरा लाल होना, सांस लेने में मुश्किल, कमजोरी, धुंधली नजरें, पेशाब में खून आना, थकान, टेंशन, दिल की धड़कन में गड़बड़ी, सिरदर्द, नाक से खून आना जैसी समस्याएं परेशान कर सकती हैं। इन सब समस्याओं से खुद को दूर रखने और अपने बीपी को कंट्रोल रखने के लिए आजकल ज्यादातर घरों में बीपी नापने के लिए मशीन उपलब्ध होती है। जिसकी वजह से व्यक्ति अपने हाई या लो बीपी का पता आसानी से घर बैठे लगा सकता है। लेकिन क्या आप वाकई जानते हैं बीपी को नापने का सही तरीका क्या है? आइए इस लेख में जानते हैं आखिर क्या है ब्लड प्रेशर को नापने का सही तरीका।घर बैठकर ब्लड प्रेशर नापने की सही तरीका-खाने-पीने से बचें-ब्लड प्रेशर नापने से 30 मिनट पहले तक इस बात का ध्यान रखें कि आपको कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए।पेट खाली करके आएं-ब्लड प्रेशर नापने से पहले कोशिश करें कि आपका पेट खाली रहे।आराम से बैठें-बीपी नापते समय हमेशा आरामदेह कुर्सी पर 5 मिनट पहले बैठकर अपनी कमर को सीधा रखें।फर्श पर ऐसे रखें अपने पैर-बीपी नापते समय अपने दोनों पैरों को फर्श पर जमाकर रखें। ऐसा करते समय इस बात का खास ख्याल रखें कि आपने क्रॉस लेग न किए हुए हों।बाजू को रखने का सही तरीका-छाती की ऊंचाई जितने बड़े मेज पर अपना हाथ रखते हुए आराम से बीपी नापें।आस्तीन चढ़ा लें-ब्लड प्रेशर कफ को हमेशा कपड़ों के ऊपर नहीं बल्कि त्वचा के सीधे संपर्क में रखना चाहिए।कफ ठीक तरह पहनें-बीपी नापते समय सबसे पहले इस बात को सुनिश्चित कर लें कि कफ टाइट हो लेकिन बहुत ज्यादा तंग नहीं हो।चुपचाप रहें-बीपी नपवाते समय हमेशा चुपचाप रहें। ज्यादा या फिर तेज बोलने से आपके ब्लड प्रेशर पर फर्क पड़ सकता है।क्रॉस चेक जरूर करें-बीपी हमेशा एक बार नहीं दो बार एक-दो मिनट के अंतर में जरूर नापें। ताकि आपको यह पता चल जाए कि आपकी बीपी की रीडिंग एक दम सही है।
- कई लोग चावल बनाते समय इसके पानी को फेंक देते हैं। जबकि आपको जानकर हैरानी होगी कि चावल का पानी यानी मांड भी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसलिए आपको चावल के मांड को फेंकने के बजाय गिलास में निकालकर रखना चाहिए। फिर आप चावल के मांड का सेवन कर सकते हैं। जी हां, चावल के मांड को पिया जा सकता है। चावल के मांड को पीने से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं में आराम मिल सकता है। चावल का मांड विटामिन्स और मिनरल्स का काफी अच्छा सोर्स होता है। इसलिए चावल के मांड को सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। आप भी नियमित रूप से चावल के मांड का सेवन कर सकते हैं। तो चलिए, विस्तार से जानते हैं चावल का मांड पीने के फायदे1. एनर्जी बूस्ट करेअगर आप चावल का मांड पिएंगे, तो इससे आपकी एनर्जी बूस्ट होगी। चावल के पानी में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है। जिससे आपको पर्याप्त एनर्जी मिल सकती है। एनर्जी के लिए आप बच्चों को भी चावल का मांड पिला सकते हैं। चावल का मांड एनर्जी बूस्टर के रूप में काम करता है। रोज सुबह चावल का मांड लेने से आप में पूरे दिन चुस्ती बनी रहेगी।2. कब्ज से छुटकाराचावल का मांड के लिए भी काफी फायदेमंद होता है। चावल का मांड पीने से पेट से जुड़ी समस्याओं जैसे गैस, अपच और कब्ज से छुटकारा मिल सकता है। दरअसल, चावल का मांड आसानी से डाइजेस्ट हो जाता है। ऐसे में यह आंतों की सफाई करने में मदद करता है। इससे पेट आसानी से साफ हो जाता है। चावल का मांड पेट से विषाक्त पदार्थों को भी आसानी से निकाल देता है।3. त्वचा की समस्याएं ठीक करेचावल का मांड त्वचा के लिए भी लाभकारी होता है। अगर आप चावल के पानी का नियमित रूप से सेवन करेंगे, तो इससे आपको मुलायम और कोमल त्वचा मिल सकती है। चावल का मांड त्वचा को हाइड्रेट रखता है। त्वचा की समस्याओं को ठीक करने के लिए आप चावल के मांड का सेवन कर सकते हैं। इसके साथ ही, आप इस पानी से नहा भी सकते हैं। इससे आपकी त्वचा पर निखार बना रहेगा। चावल का पानी त्वचा की जलन, खुजली और रेडनेस को कम कर सकता है। चावल के मांड का इस्तेमाल एक्जिमा को ठीक करने के लिए भी किया जा सकता है।4. मांसपेशियों को मजबूत बनाएचावल का मांड हड्डियों और मांसपेशियों के लिए भी फायदेमंद होता है। चावल का मांड पीने से आपकी मांसपेशियां और हड्डियां मजबूत बनेंगी। चावल के मांड में अमीनो एसिड होता है, जो मांसपेशियों के विकास को बढ़ावा देता है। चावल का मांड मांसपेशियों के निर्माण और मजबूती में सहायता करता है।5. डायरिया का इलाज करेचावल का मांड डायरिया के इलाज में भी असरदार साबित हो सकता है। अगर छोटे बच्चों को भी डायरिया हो गया है, तो चावल का मांड पीना फायदेमंद हो सकता है। अगर आपको दस्त या डायरिया की समस्या हो रही है, तो आप अपनी डाइट में चावल के मांड को शामिल कर सकते हैं।
- नवजात शिशु को खास देखभाल की जरूरत होती है। माता-पिता को उन्हें दूध पिलाने से लेकर नहलाने और मालिश करने तक का खास ख्याल रखना पड़ता है। जरा सी भी गलती उनके लिए समस्या पैदा कर सकती है। नवजात शिशु बड़े बच्चों की तरह माता-पिता को अपनी समस्या बोलकर नहीं बता पाते हैं। ऐसे में मां ही उनके हाव-भाव देखकर उनकी परेशानियों को दूर करने की कोशिश करती है। ऐसी ही एक समस्या जो नवजात शिशु को अक्सर परेशान करती है वो है पेट में गैस बनना। अगर आपका बच्चा भी इस समस्या से परेशान रहता है तो अपनाएं ये घरेलू उपाय।शिशु को गैस से राहत दिलाने के लिए अपनाएं ये घरेलू नुस्खे-हींग-गैस की शिकायत होने पर शिशु की नाभि पर हींग का पेस्ट बनाकर लगाएं। ऐसा करने से शिशु की गैस बाहर निकल जाएगी और उसे दर्द से निजात मिलेगी।मालिश-नवजात शिशु को गैस के दर्द से राहत दिलाने के लिए उसके पेट की मालिश करना न भूलें। इसके लिए शिशु को सबसे पहले पीठ के बल लिटाकर पेट पर थोड़ी देर सर्कुलर मोशन में मसाज करें। शिशु की मालिश करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप उसके पेट पर I, L और Y अक्षर लिखने की नकल करें। इस 'आई लव यू' मसाज तकनीक को अपनाने से शिशु की गैस बाहर निकल जाएगी।दूध पिलाते समय बच्चे का सिर ऊपर रखें-नवजात शिशु को बोतल से दूध पिलाते समय उसका सिर पेट से थोड़ा ऊपर की तरफ रखें। ऐसा इसलिए क्योंकि कई बार बच्चा बोतल से दूध पीते समय तेजी से दूध खींचता है, जिसकी वजह से उसके पेट में हवा चली जाती है। लेकिन दूध पिलाते समय शिशु के सिर ऊंचा रखने से वह आसानी से डकार के साथ गैस को बाहर निकाल पाएगा।पेट की सिंकाई-पेट में गैस बनने से शिशु अगर परेशान हो रहा है तो उसे तुरंत राहत पहुंचाने के लिए उसके पेट की सिंकाई करें। इसके लिए गुनगुने पानी में तौलिया भिगोकर निचोड़ लें। इस तौलिए को शिशु के पेट के ऊपर रखें। इस उपाय को करने से शिशु को पेट में गैस और ऐंठन की समस्या में आराम मिलेगा।घुटनों से साइकिल चलवाएं-शिशु जब गैस पास नहीं कर पाता है तो दर्द से रोने लगता है। ऐसे में उसे राहत देने के लिए पीठ के बल लिटाकर उसके घुटनों को मोड़ते हुए पैरों को उठाएं और साइकिल चलाने जैसा बिहेव करें। ऐसा करने से पेट में फंसी गैस बाहर निकल जाती है।
- पका खरबूजा स्वास्थ्य के लिए अच्छा भोजन है। यह शरीर के वजन को बढ़ाता है। यदि रोज खरबूजा खाकर ऊपर से चीनी का शर्बत पी लिया जाये तो एक-डेढ़ मास में दो-तीन पाउण्ड वजन बढ़ जाता है। यह लू और ताप से भी बचाता है। दिल दिमाग को ताजा करता है। खरबूजे पर दूध पीना वर्जित है। इससे हैजा होने का भय है। खरबूजा खाली पेट नहीं खाना चाहिए, खाने के कुछ देर बाद खाना चाहिए। खरबूजा लू और धूप सहन करने से गर्म हो जाता है। इसे कुछ समय ठण्डे पानी में डाल दें, इससे इसकी गर्मी कम हो जायेगी। कई लोग इसे बर्फ में दबा देते हैं, इससे इसका स्वाद भी बढ़ जाता है और खूब खाया जाता है। कुछ लोग इसकी फाँकों को बर्फ से ठण्डा करते हैं। इस प्रकार यह स्वादु और ठण्डा तो हो जाता है परन्तु कभी- कभी कई रोगों का कारण भी बन जाता है। यदि बर्फ से ही ठण्डा करना हो तो इसे सालम ही बर्फ में लगाना चाहिए। आधा घण्टे के बाद निकाल कर काटकर खायें। पके खरबूजे का बीज भी एक मेवा है। स्त्रियाँ अप्रैल और मई के महीनों में खरबूजे के बीज एकत्र करके उन्हें दो-तीन दिन के लिए एक बर्तन में डाल देती हैं और उसमें कुछ पानी डाल देती हैं। ऐसा करने से बीज का छिलका कुछ मोटा हो जाता है और छीलने में आसानी हो जाती है। त्यौहार पर औरतें खरबूजे की गिरी से कई प्रकार की खाने की चीजें बनाती हैं। जैसे हलुआ और बरफी गिरी से नमकीन भी बनती हैं। ठण्डाई में भी इसके बीज डाले जाते हैं। इनकी खीर भी बनाते हैं और पीसकर दूध भी बनाया जाता है।खरबूजा खाने के लाभ और गुणकारी प्रयोग1. सीने में दर्द - खरबूजे का ठंडा-ठंडा शर्बत पीने से सीने का दर्द दूर होता ही है, साथ ही बढ़ी हुई तेज धड़कन भी फिर से सामान्य अवस्था में आ जाती है।2. लू लगना - गर्मियों में घर से बाहर निकलने के पूर्व इसका शर्बत पीने से शरीर को लू नहीं लगती तथा सूर्य की तेज किरणें चेहरे की त्वचा को क्षति भी नहीं पहुंचातीं ।3. पथरी - इस में तो यह अमृत फल से कम नहीं है, नित्य सुबह-शाम खरबूज की 3-4 फांकें खाने से पथरी गलकर निकलने लगती है।4. पीलिया - पीलिया रोग को शरीर से भगाने के लिए भरपूर मात्रा में इस फल का सेवन करें। इसका शर्बत भी फायदेमंद है।5. सनबर्न - सनबर्न होने पर खरबूज के गूदेदार छिलके चेहरे पर मलने से झुलती त्वचा फिर से अपनी अवस्था में आ जाएगी।6. पाचन शक्ति - कमजोर पाचन शक्ति को सुधारने के लिए अपने भोजन में खरबूज को जरूर शामिल करें। चीनी मिलाकर इसका पना चपातियों के संग खाने से पाचन शक्ति में वृद्धि होने लगती है।7. रक्तचाप • ताजा खरबूजे के सेवन से रक्तचाप तथा - रक्तसंचार संबंधी कई रोगों से छुटकारा मिलता है।8. घमौरियां • तेज' धूप से पसीने के कारण शरीर पर दाद, खाज, घमौरियां उभरने लगते हैं। इनसे छुटकारा पाने के लिए खरबूज के शर्बत में काली मिर्च पाउडर, नमक, नींबू का रस मिलाकर सेवन करें तथा दाद, खाज, घमौरियां वाले स्थानों पर खरबूज के गूदेदार छिलकों को धिरे धिरे मलें।9. खट्टी डकार - मीठे-मीठे खरबूज पर थोड़ा-सा सेंधा नमक व नींबू का रस छिड़ककर खाने से गले की जलन, खट्टी डकारों, हिचकी आदि से छुटकारा मिलता है।10. कील-मुंहासे - चेहरे पर कील-मुंहासे उभर आए हों तो खरबूजे के छिलके इन पर रगड़ें व खट्टे खरबूज सेवन करें।11. सौंदर्य - चेहरे का रूप-सौंदर्य निखारने के लिए हलके गुलाबी या पीले खरबूजे के गूदे में हलका-सा गुलाबजल चेहरे पर मलें। 10-15 मिनट उपरांत गुलाबजल मिले ठंडे-ठंडे पानी से चेहरा थपथपा लें। रूप की आभा दमकने लगेगी।12. स्मरणशक्ति - खरबूजे के बीजों को छीलकर उनकी गिरी को बादाम के साथ खाने से स्मरणशक्ति तेज होती है।13. ताकत - नित्य खरबूजे की गिरी (2 छोटे चम्मच) खाने से शरीर बलवान तथा त्वचा चिकनी व सुंदर बनती है।14. वाणी में मधुरता - अपनी वाणी में मधुरता लाने के लिए खरबूजे की गिरी मिश्री के साथ सेवन करें।15. चेहरे के दाग - चेहरे के दाग, धब्बों आदि से छुटकारा पाने के लिए खरबूजे का रेशेदार गूदा मलें।16. आतों की सफाई - अधिक मात्रा में तली और गली चीजें खाने से पेट खराब हो जाता है तथा आंतों में मल चिपककर सूख जाता है। बर्फ में ठंडा किया खरबूजे का शर्बत पीने से आंतों में चिपका मल निकलकर, पेट को स्वच्छ कर देता है।17. संग्रहणी - खरबूजे में विटामिन 'सी' पाया जाता है। इसके अतिरिक्त कुछ ग्लूकोज, प्रोटीन, नमक, पानी और कार्बोहाइड्रेट आदि भी होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार यह ठण्डा, वीर्यवर्द्धक, चित्त को शान्ति देने वाला, मूत्र तथा रक्त का शोधक, शक्तिदायक तथा जलन को दूर करने वाला है। इसे ठीक रीति से प्रयोग करने से संग्रहणी ठीक हो जाती है। पथरी के रोग को भी दूर करता है। मूत्र की शुद्धि के लिए यह जादू का प्रभाव रखता है।18. दस्त - खरबूजा निराहार खाने से कभी-कभी दस्त लग जाते हैं। अत: भोजन के एक घण्टे बाद खाना चाहिए।19. गुर्दे का दर्द - खरबूजे का खुश्क छिलका छह ग्राम लेकर उसे धोकर दो घण्टे तक चौथाई किलो जल में उबालें पुनः छानकर थोड़ी-सी खाण्ड मिलाकर आधाआधा कप प्रातः-सायं लगातार एक सप्ताह तक पियें। गुर्दे का दर्द जाता रहेगा।20. हैजा - खरबूजे के छिलके का चूर्ण तीन ग्राम को बीस ग्राम शराब और दस ग्राम पानी मिलाकर हैजे के रोगी को दें। इससे हैजे का प्रभाव नष्ट हो जाता है।
- हमारे देश में सुबह के नाश्ते से लेकर रात के डिनर तक खाने में अचार जरूर खाया जाता है। लेकिन आपको ये बात जानकर हैरानी होगी कि अचार एक ऐसी चीज है जो सेहत के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है। ज्यादा मात्रा में अचार खाने से शरीर पर कई तरह के साइड इफेक्ट हो सकते हैं। इतना ही नहीं, अचार पाचन संबंधी समस्याओं का कारण भी बन सकता है। आज इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं 5 ऐसी बीमारियों के बारे में, जो अचार के कारण बढ़ सकती है।हाई ब्लड प्रेशर के मरीजजिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होती है उन्हें अचार का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। अचार को बनाने में अधिक मात्रा में नमक और तेल का इस्तेमाल किया जाता है, जो ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकता है। कुछ जगहों पर अचार में कई तरह के तरह के मसाले भी डाले जाते हैं। ज्यादा मसाले होने की वजह से भी अचार हाई ब्लड प्रेशर का कारण बन सकता है। हाई प्रेशर की वजह से हार्ट अटैक, स्ट्रोक और हार्ट ब्लॉकेज जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।पाचन संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लोगों कोजिन लोगों को अक्सर पेट में गैस, अपच, दर्द और सीने में जलन जैसी समस्या होती है उन्हें भी अचार का सेवन न करने की सलाह दी जाती है। दरअसल, अचार को बनाने के बाद सालों तक स्टोर किया जाता है। लंबे समय तक डिब्बे में बंद रहने की वजह से अचार पेट के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। पाचन संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लोग अगर अचार का सेवन करते हैं तो ये कई बीमारियों की वजह बन सकता है।डायबिटीज के मरीजों के लिएडायबिटीज के मरीजों के लिए भी अचार अच्छा नहीं माना जाता है। कुछ अचार ऐसे होते हैं जिनमें गुड़, चीनी या विनेगर का इस्तेमाल किया जाता है। जिसकी वजह से शुगर लेवल बढ़ सकता है। शुगर लेवल बढऩा डायबिटीज के मरीजों के लिए खतरे की घंटी माना जाता है। अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं और किसी तरह की दवा का सेवन कर रहे हैं तो अचार खाने से पहले हेल्थ एक्सपर्ट और डॉक्टर की सलाह जरूर लें।अल्सर की समस्या के लिएजिन लोगों को अल्सर की समस्या होती है उन्हें भी अचार न खाने की सलाह दी जाती है। दरअसल, अचार में कुछ ऐसे मसालों का इस्तेमाल किया जाता है, जो आंतों के लिए अच्छे नहीं होते हंै।
- ऐसे तो कई तरह के सुपरफूड के विकल्प हमारे पास मौजूद हैं, लेकिन आजकल तेजी से चल रहे शोध से नए-नए सुपरफूड के साथ उनके स्वास्थ्य लाभ भी पता चल रहे हैं। इसी कड़ी में ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की एक नई रिपोर्ट जारी होने के साथ ब्रेडफ्रूट को सुपरफूड का अच्छा विकल्प बताया है। ये तब खाया जा सकता है जब ये पूरी तरह से पका हुआ हो, या इसे सुखाया जा सकता है और एक आटे में मिलाया जाए और कई प्रकार के भोजन में पुनर्निर्मित किया जा सके।ब्रेडफ्रूट क्या है?ब्रेडफ्रूट (Breadfruit) एक बड़ा, स्टार्चयुक्त फल है जो पेड़ों पर बढ़ता है। जब पके होते हैं, तो ये फल 4 से 8 इंच के आसपास होते हैं और ये हरे रंग के बाहरी होते हैं। इसमें आलू के समान एक बनावट है और इसे उबला हुआ, उबला हुआ या बेक किया जा सकता है, हालांकि भारतीय पारंपरिक खाने में इसका इस्तेमाल आग पर पकाने के साथ किया जाता है। 100 ग्राम ब्रेडफ्रूट में 4 ग्राम प्रोटीन और सिर्फ 5 ग्राम फाइबर होता है। यह मैग्नीशियम और पोटेशियम जैसे खास पोषक तत्वों का भी एक अच्छा स्रोत है और मध्यम ग्लाइसेमिक सूचकांक होने के दौरान ल्यूटिन जैसे कैरोटीनॉयड प्रदान करता है।ब्रेडफ्रूट पर क्या कहता है अध्ययनसुसान मर्च जो बार्बर फैकल्टी ऑफ साइंस में रसायन विज्ञान के प्रोफेसर हैं, वो बताते हैं कि ब्रेडफ्रूट (Breadfruit) प्रशांत द्वीपों से दुनियाभर में खाद्य सुरक्षा में सुधार करने और मधुमेह को कम करने की क्षमता के साथ एक पारंपरिक फसल है। मर्च कहते हैं कि सदियों से हजारों लोग इस पर अपना जीवन काट रहे हैं और सिर्फ मनुष्य ही नहीं बल्कि जानवर भी इस पर आधारित हैं। इसके लिए शोधकर्ताओं ने हवाई में एक ही पेड़ से चार ब्रेडफ्रूट थे, जिसे यूबीसी ओकेगन में मर्च लैब में भेजा गया। डॉक्टरेट के छात्र यिंग लियू ने ब्रेडफ्रूट-आधारित आहार के पाचन और अन्य स्वास्थ्य प्रभावों की जांच करने वाले अध्ययन का नेतृत्व किया। डॉक्टर लियू कहते हैं कि हम पर्यावरण के अनुकूल और उच्च उत्पादन वाली फसल के रूप में ब्रेडफ्रूड के विकास में योगदान करना चाहते है।'पाचन में काफी आसान होते हैं ब्रेडफ्रूट'ब्रेडफ्रूट को लेकर शोधकर्ताओं ने निर्धारित किया कि एंजाइम पाचन मॉडल में ब्रेडफ्रूट प्रोटीन को गेहूं के प्रोटीन की तुलना में पचाने में कााफी आसान होता है। लियू अध्ययन को लेकर बताते हैं कि हमारे अध्ययन में ब्रेडफ्रू़ट आहार किसी भी विषाक्त प्रभाव को लागू नहीं करता है। ब्रेडफ्रूट पाचन और आहार के स्वास्थ्य प्रभाव की समझ होना बहुत जरूरी है और भविष्य में सुपरफूड के तौर पर ब्रेडफ्रूट की स्थापना जरूरी है।'पोषण से है संतुलित आहार'लियू कहते हैं कि इस अध्ययन को देखते हुए ब्रेडफ्रूट एक स्वस्थ, पोषण से संतुलित आहार के हिस्से के रूप में इस्तेमाल का समर्थन करता हैं। ब्रेडफ्रूट से निर्मित आटा एक लस मुक्त, कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स, पोषक तत्व-घने और आधुनिक खाद्य पदार्थों के लिए पूर्ण प्रोटीन विकल्प है। जिसे आप एक सुपरफूड के तौर पर अपना सकते है। अगर आप भी अपने भोजन में इस सुपरफूड्स को शामिल करने के बारे में सोच रहे हैं, लेकिन आपके सामने सवाल है कि इसे कैसे शुरू करें? तो आप ग्रीन्स पाउडर की ओर देख सकते हैं जो सुपरफूड का एक बड़ा स्रोत है जिसे आप आसानी से अपनी रूटीन में शामिल कर सकते हैं।
- गर्मियों का मौसम आ चुका है। इस मौसम में बढ़ते तापमान का असर पाचन तंत्र पर पड़ता है। जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर होती है वो जल्दी पेट संबंधित बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। गर्मियों में पेट को दुरुस्त रखने के लिए नींबू पानी का सेवन कर सकते हैं। नींबू पानी में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं जिससे पाचन तंत्र को मजबूत रखने में मदद मिलती है। नींबू पानी में काब्र्स, प्रोटीन, फॉस्फोरस, सोडियम, पोटैशियम और मैग्नीशियम, विटामिन ई, फोलेट एसिड आदि पोषक तत्व भी पाए जाते हैं।1. पेट में गैस हो तो पिएंं नींबू पानीपेट में गैस होने पर नींबू पानी का सेवन कर सकते हैं। नींबू पानी में हाइड्रोक्लोरिक एसिड होता है। इससे गैस की समस्या दूर होती है। गर्मियों के दिनों में दिनभर में 1 से 2 गिलास नींबू पानी का सेवन कर सकते हैं।2. कब्ज होने पर पिएं नींबू पानीनींबू पानी का सेवन करेंगे तो हाजमा सही रहेगा। कब्ज की समस्या नहीं होगी। गर्मियों के मौसम में पेट में दर्द, एसिडिटी, खट्टी डकार, पेट में ऐंठन आदि समस्याओं को दूर करने के लिए एक गिलास पानी में नींबू का रस और काला नमक डालकर पी लें। कुछ ही देर में पेट से संबंधित शिकायतें कम होती महसूस होंगी।3. हेल्दी डिटॉक्स ड्रिक है नींबू पानीनींबू पानी पेट के लिए डिटॉक्स ड्रिक की तरह काम करता है। इसका सेवन करने से पेट और आंतों की सफाई हो जाती है। पेट में मौजूद विषैले तत्व, बीमारियों का कारण बनते हैं। इन खराब तत्वों को पेट से साफ करने के लिए हर दिन नींबू पानी का सेवन फायदेमंद माना जाता है।4. उल्टी-मतली को रोके नींबू पानीनींबू में मौजूद विटामिन और प्रोटीन की मदद से उल्टी और मतली यानी जी मिचलाने जैसे लक्षणों को रोकने में मदद मिलती है। कई लोगों को गर्मी के मौसम में सफर के दौरान उल्टी आती है। हीट स्ट्रोक के कारण भी उल्टी आ सकती है। ऐसे में एक गिलास नींबू पानी का सेवन फायदेमंद होता है। उल्टी-मतली रोकने के लिए एक गिलास पानी में नींबू का रस और शहद मिलाकर पी सकते हैं।5. डायरिया होने पर पिएं नींबू पानीगर्मियों में पानी की कमी के कारण डायरिया या दस्त की समस्या हो जाती है। गर्मियों में मसालेदार भोजन ठीक से पचता नहीं है, ऐसे में पेट में दर्द और दस्त आदि लक्षण नजर आने लगते हैं। इन लक्षणों को दूर करने के लिए गर्मियों में नींबू पानी का सेवन करें। पीरियड्स में दस्त की समस्या होने पर भी नींबू पानी का सेवन कर सकती हैं।
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साथ-सुथरी ग्लोइंग स्किन हर किसी को अच्छी लगती है। लेकिन कई बार ज्यादा देर धूप में रहने या फिर मिनरल्स की कमी से चेहरे पर पिग्मेंटेशन और डार्क स्पॉट की समस्या होने लगती है। जिसे दूर करना मुश्किल हो जाता है। वहीं पिंपल और एक्ने तो बहुत सारे लोगों की समस्या है। इन सबसे छुटकारा पाने में आयुर्वेदिक औषधि मुलेठी मदद कर सकती है। मुलेठी का इस्तेमाल ज्यादातर सर्दी-खांसी के लिए किया जाता है। गले में खराश होने और खांसी आने पर मुलेठी को चबाने या चूरण बनाकर खाने की सलाह दी जाती है। मुलेठी केवल गले की खराश के लिए ही फायदेमंद नही है बल्कि इससे चेहरे की झाईयों और पिंपल को भी कम किया जा सकता है।
मुलेठी के फेस पैक
मुलेठी को बारीक पीसकर पाउडर बना लें। फिर इस पाउडर को चेहरे पर झाईयों, पिंपल, डार्क स्पॉट के लिए इन सारी चीजों के साथ मिलाकर चेहरे पर लगाएं।
खीरे के साथ बनाएं मुलेठी का फेसपैक
मुलेठी के पाउडर को खीरे के जूस और हल्दी के साथ मिलाकर फेस पैक बनाकर तैयार करें। इसे चेहरे पर लगाकर सूखने दे और फिर पानी से चेहरा धो लें। सप्ताह में दो बार इस फेस पैक को लगाने से चेहरे पर निखार आता है और डार्क स्पॉट भी कम होते हैं।
शहद के साथ मिलाकर लगाएं
रात को सोने से पहले इस फेस पैक को लगाने से चेहरे की कई सारी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। मुलेठी के पाउडर में शहद और थोड़ा सा गुलाबजल मिलाकर पेस्ट तैयार करें। फिर इसे चेहरे पर लगाकर सूखने दें। फिर चेहरा धो लें। सप्ताह में दो से तीन बार इस फेस पैक को लगाएं।
टमाटर के साथ बनाएं फेसपैक
मुलेठी का चूर्ण लेकर इसे एलोवेरा जेल और टमाटर के रस के साथ मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को करीब 20 मिनट तक चेहरे पर लगा रहने दें और फिर चेहरा साफ कर लें। इस पैक से चेहरे की झाईयां दूर करने में मदद मिलेगी। -
शरीर के हर हिस्से में खून, ऑक्सीजन और पोषक तत्वों को पहुंचाने का काम रक्त वाहिकाएं करती हैं. जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती रहती है रक्त वाहिकाएं भी कमजोर होने लगती हैं, जिससे यह सही से सभी चीजों को शरीर के हर अंग तक पहुंचाने में असमर्थ होने लगती हैं, जिस कारण कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ता है. हालांकि, ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिन्हें खाने से आप अपनी रक्त वाहिकाएं को मजबूत कर सकते हैं. तो आइए जानते हैं उन चीजों के बारे में जिन्हें आपको अपनी डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए.
रक्त वाहिकाएं को मजबूत करती हैं ये चीजें--
बेरीज-
बेरीज एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती हैं, खासतौर पर इसमें एक एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है जिसे एंथोसायनिन कहा जाता है, जो रक्त वाहिका के कार्य को बेहतर बनाने का काम करता है. ब्लूबेरी, स्ट्रॉबेरी, रसभरी और ब्लैकबेरी में एंथोसायनिन का लेवल काफी ज्यादा पाया जाता है.
पत्तेदार सब्जियां-
पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, केल आदि में भरपूर मात्रा में नाइट्रेट पाया जाता है, जो ब्लड के फ्लो को बेहतर बनाने और ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद कर सकते हैं. इनमें विटामिन K की मात्रा भी काफी ज्यादा पाई जाती है, जिससे धमनियों को सख्त होने से रोका जा सकता है.
एवोकाडो-
एवोकाडो मोनोअनसैचुरेटेड फैट का एक बहुत अच्छा सोर्स माना जाता है जो रक्त वाहिकाओं के कार्य को बेहतर बनाने और सूजन को कम करने में मदद करता है. इसमें पोटेशियम की भी अधिक मात्रा पाई जाती है जो ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करता है.
साबुत अनाज-
साबुत अनाज, जैसे कि ब्राउन राइस, क्विनोआ और गेहूं से तैयार ब्रेड में भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करने और रक्त वाहिकाओं के कार्य में सुधार करने में मदद कर सकते हैं. साबुत अनाज में विटामिन B भी पाया जाता है जो धमनियों के सख्त होने से रोकता है.
प्याज-
प्याज में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट फ्लेवोनॉयड होता है. यह हमारी ओवरऑल हेल्थ के लिए फायदेमंद माना जाता है और शरीर में सर्कुलेशन को बढ़ाता है. एंटीऑक्सीडेंट के साथ प्याज में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते हैं जो नसों और धमनियों में सूजन को करते हैं.
हल्दी-
पुराने समय से ही इलाज के लिए हल्दी का इस्तेमाल किया जाता रहा है. हल्दी का सेवन करने से रक्त वाहिकाएं सिकुड़ती नहीं और सर्कुलेशन भी सही रहता है.
टमाटर-
टमाटर में भरपूर मात्रा में लाइकोपीन नाम का एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है. टमाटर में मौजूद ये एंटीऑक्सीडेंट रक्त वाहिकाओं के फंक्शन को सुधारने और सूजन को कम करने में मदद करता है. इसके साथ ही टमाटर में विटामिन C भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो अर्टरीज को सख्त होने से बचाता है. -
शरीर में कोलेस्ट्रॉल की बढ़ी हुई मात्रा काफी सारी बीमारियों का घर बन जाती है। जिसकी वजह से इंसान कभी भी गंभीर रूप से बीमार पड़ सकता है। बैड कोलेस्ट्रॉल की वजह से सबसे ज्यादा खतरा दिल की सेहत को होता है। वहीं शरीर के दूसरे अंग भी इसकी वजह से प्रभावित हो जाते हैं। बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा शरीर में ना बढ़े इसके लिए काफी सारे हेल्दी खानपान की सलाह दी जाती है। लेकिन डॉक्टर ने अगर हाई कोलेस्ट्रॉल बताया है। तो इसे आप आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से भी कम कर सकते हैं। ये जड़ी-बूटियां कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने में मदद करती हैं।
अर्जुन के पत्ते
अर्जुन की छाल काफी सारी बीमारियों में राहत पहुंचाती है। वहीं इसके पत्ते खाने से बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद मिलती है। खाली पेट रोजाना एक से दो पत्ते अर्जुन के पेड़ के चबाने से बैड कोलेस्ट्रॉल कम होता है।
त्रिफला चूर्ण
त्रिफला चूर्ण सूखे आंवले, हरण और बहेड़ा से मिलकर तैयार किया जाता है। इस चूर्ण को आयुर्वेद में कई सारी बीमारियों का हल बताया गया है। रोजाना एक चम्मच त्रिफला चूर्ण खाने से शरीर के बढ़े हुए बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद मिलती है।
ब्राह्मी
ब्राह्मी एक जड़ी-बूटी है जिसको साइंस ने भी फायदेमंद माना है। इसमे मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट कोलेस्ट्रॉल लेवल को सही रखने में मदद करते हैं। आप चाहें तो ताजी ब्राह्मी की पत्तियों को खा सकते हैं या फिर इसका चूर्ण मार्केट से लाकर सेवन कर सकते हैं।
कच्ची हल्दी
कच्ची हल्दी बहुत गुणकारी होती है। इसमे सूखी हल्दी से ज्यादा एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटी ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। कच्ची हल्दी की सब्जी बनाकर खाई जा सकती है। सप्ताह में दो से तीन बार सुबह खाली पेट आधा चम्मच कच्ची हल्दी को पीसकर गुनगुने पानी के साथ मिलाकर पिएं। ये बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करेगी।
नीम के पत्ते
रोजाना नीम का एक पत्ता काफी सारी बीमारियों से राहत पहुंचाता है। बैड कोलेस्ट्रॉल की शिकायत होने पर इसे रोजाना खाकर देखें। कुछ ही दिनों में कोलेस्ट्रॉल लेवल कम हो जाएगा। - लंबे, घने और मुलायम बाल हर व्यक्ति को पसंद होते हैं। लेकिन कई कारणों की वजह से लोगों को मनचाहे बाल नहीं मिल पाते हैं। ऐसे में अकसर लोग अपने बालों की लंबाई बढ़ाने के लिए हेयर केयर ट्रीटमेंट लेते हैं। वहीं, कई लोग नैचुरल तरीके से बालों को बढ़ाना पसंद करते हैं। अगर आप भी प्राकृतिक तरीके से अपने बाल बढ़ाना चाहते हैं, तो इसके लिए एलोवेरा, कैस्टर ऑयल और विटामिन ई कैप्सूल का इस्तेमाल कर सकते हैं। आप चाहें तो इन तीनों का अलग-अलग इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन अगर एलोवेरा, कैस्टर ऑयल और विटामिन ई कैप्सूल को एक साथ मिलाकर लगाया जाता है, तो इससे अधिक लाभ मिल सकता है। तो चलिए, जानते हैं बालों को बढ़ाने के लिए एलोवेरा, कैस्टर ऑयल और विटामिन ई कैसे लगाएं?1. एलोवेरा बालों के विकास को बढ़ावा देता है। एलोवेरा में कई ऐसे एंजाइम पाए जाते हैं, जो स्कैल्प को हेल्दी बनाए रखते हैं। साथ ही हेयर फॉलिकल्स को भी मजबूत बनाते हैं। इससे बाल मजबूत बनते हैं और बालों का विकास तेजी से होता है। एलोवेरा में मॉइश्चराइजिंग गुण भी होते हैं, जो बालों को मुलायम और चमकदार भी बनाते हैं। एलोवेरा ड्राई बालों से छुटकारा दिला सकता है।2. कैस्टर ऑयल या अरंडी का तेल भी बाल के विकास में मदद कर सकता है। कैस्टर ऑयल का इस्तेमाल करने से बालों को 2 से 3 गुना बढ़ाया जा सकता है। अरंडी का तेल स्कैल्प में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है। इससे बालों को बढ़ने में मदद मिलती है। अरंडी का तेल बालों की ड्राईनेस को भी कम कर सकता है। इससे बालों को बढ़ाने में मदद मिलती है और बाल खूबसूरत बनते हैं।3. विटामिन ई स्कैल्प और बालों को हेल्दी बनाने में मदद करता है। विटामिन ई कैप्सूल में एंटीऑक्सीडेंट्स प्रभाव होते हैं, जो बालों के विकास को बनाए रखने में सहायता करते हैं। विटामिन ई कैप्सूल को त्वचा के साथ ही बालों के लिए भी अच्छा माना जाता है। आप बालों की ग्रोथ करने के लिए विटामिन ई कैप्सूल का इस्तेमाल कर सकते हैं।बालों पर एलोवेरा, कैस्टर ऑयल और विटामिन ई कैसे लगाएं?बाल बढ़ाने के लिए आप एलोवेरा, कैस्टर ऑयल और विटामिन ई को एक साथ मिलाकर लगा सकते हैं। इसके लिए आप 5-6 चम्मच एलोवेरा जेल लें। इसमें कैस्टर ऑयल और विटामिन ई कैप्सूल ऑयल डालें। अब इन सभी को अच्छी तरह से मिक्स कर लें। इसे अपने बालों और स्कैल्प पर अच्छी तरह से लगा लें। एक घंट बाद बालों को माइल्ड शैंपू से धो लें। सप्ताह में 1-2 बार इस पेस्ट को लगाने से बालों की ग्रोथ में मदद मिलेगी। साथ ही, बाल मुलायम, चमकदार और खूबसूरत भी बनेंगे।
- गर्मियों की शुरुआत में बाजार में ककड़ी खूब मिलती है। यह एक बेहतरीन फूड है, जो पोषक तत्वों से भरपूर होता है और गर्मियों के दौरान इसका सेवन सेहत के लिए बहुत लाभकारी भी माना जाता है। यह न सिर्फ गर्मी के मौसम में शरीर को ठंडा रखने में मदद करता है, बल्कि शरीर को हाइड्रेट और एनर्जेटिक भी रखता है। इसमें विटामिन ए, के, और सी जैसे जरूरी विटामिन मौजूद होते हैं, साथ ही इसमें पोटेशियम से भी भरपूर होती है। शरीर को स्वस्थ रखने के अलावा, जो लोग वजन घटाने की कोशिश कर रहे हैं, उनके लिए भी यह इसका सेवन बहुत लाभकारी साबित हो सकता है। आप इसे अपनी वेट लॉस डाइट में शामिल करके अपनी वेट लॉस जर्नी में तेजी ला सकते हैं।इस लेख में हम आपको वेट लॉस के लिए ककड़ी खाने के फायदे और इसे डाइट में शामिल करने के आसान तरीके बता रहे हैं।ककड़ी की सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें कैलोरी की मात्रा बहुत कम होती है। इसमें पोषक तत्वों तो भरपूर मात्रा में होते हैं, लेकिन फैट 0 होता है और कैलोरी भी लगभग न के बराबर होती है। साथ ही इसमें पानी और डाइट्री फाइबर अच्छी मात्रा में होते हैं। यह आपके शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद करती है और एनर्जेटिक रखती है। इसमें मौजूद फाइबर आपको लंबे समय तक पेट भरा हुआ महसूस कराने, साथ ही पाचन शक्ति बढ़ाने में भी मदद करता है। इससे भोजन का पाचन और उनसे पोषक तत्वों को अवशोषण बेहतर होता है। यह पेट संबंधी समस्याओं को दूर रखता है। साथ ही मेटाबॉलिज्म में सुधार होता है। इसका सेवन करने से भूख कम लगती है और क्रेविंग्स भी कंट्रोल रहती हैं, जो इसे वेट लॉस करने वाले लोगों के लिए एक बेहतरीन स्नैक बनाता है।वजन घटाने के लिए ककड़ी का सेवन कैसे करेंवजन घटाने के लिए ककड़ी को डाइट में शामिल करने का सबसे आसान तरीका है, इसका सलाद के रूप में सेवन करना। आप भोजन से पहले इसका सेवन कर सकते हैं, ऐसा करने से आप ओवरईटिंग से बचेंगे और कम कैलोरी का सेवन करेंगे। इससे पाचन भी दुरुस्त रहेगा। इसके अलावा आप शाम के समय स्नैक्स के रूप में ककड़ी का सेवन कर सकते हैं। या फिर ब्रेकफास्ट और लंच के बीच में भी ककड़ी खा सकते हैं। इस तरह आपको दैनिक कैलोरी की खपत को कम करने में मदद मिलेगी। नियमित इसका सेवन करने आपको जल्द वेट लॉस में मदद मिलेगी।
- आज से पूरे देश में शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। कई लोग नवरात्रि के पहले और आखिरी दिन व्रत रखते हैं तो कुछ 9 दिन के व्रत रखते हैं। व्रत का सिर्फ सात्विक ही नहीं बल्कि धार्मिक महत्व भी हो। व्रत रखना सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। लेकिन व्रत के दौरान अक्सर लोग ऐसी गलतियां कर जाते हैं, जिससे सेहत हो नुकसान पहुंच सकता है। शारदीय नवरात्रि के मौके पर जो श्रद्धालु व्रत रख रहे हैं उन्हें आज हम बताने जा रहे हैं कि उपवास के दौरान आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं।खाली पेट न रहेंकिसी भी व्रत को करने का ये मतलब बिल्कुल नहीं है कि आप पूरे दिन खाली पेट रहें। खाली पेट उपवास करने से कमजोरी, चक्कर आना, घबराहट जैसी कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए व्रत के दौरान हमेशा खाली पेट न रहें। हर 3 से 4 घंटे पर जूस, फल या किसी भी एक ड्राई फ्रूट का सेवन जरूर करें।2 से 3 लीटर पानी जरूर पिएंव्रत के दौरान खाना नहीं खाया जाता है, लेकिन पानी पीना जरूरी होती है। व्रत में आपके शरीर को पर्याप्त मात्रा में एनर्जी मिले और शरीर अंदर से हाइड्रेटेड रहे इसके लिए दिन में कम से कम 2 से 3 पानी जरूर पिएं। व्रत में शरीर में पानी की कमी न हो इसके लिए आप नारियल पानी का भी सेवन कर सकते हैं। पानी कम पीने से सिर दर्द, चक्कर आना और जीभ के सूखने जैसी समस्या हो सकती है।एक साथ ज्यादा मात्रा में खाने से बचेकई बार व्रत के दौरान लोगों को ज्यादा भूख लगती है तो वो एक बार में ही सब कुछ एक साथ खाना ही सही मानते हैं। एक साथ सबकुछ खाने के बाद पूरा दिन भूखे रहने से पेट में दर्द, कब्ज और उल्टी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए व्रत में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में ही चीजें खाएं।तली हुई चीजों से बनाएं दूरीनवरात्रि के दौरान कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो पूरा दिन व्रत रखते हैं और रात में कुट्टू के आटे की डीप फ्राई पूड़ी, आलू की सब्जी जैसी चीजों का सेवन करते हैं। पूरा दिन भूखा रहने के बाद अगर आप इतना तला या मसालेदार खाना खाते हैं तो ये सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है। व्रत के दौरान तली हुई चीजों से परहेज करें। इसके बजाय नट्स, ड्राई फ्रूट्स और फल का सेवन करें।
- हरा लहसुन पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें विटामिन बी, विटामिन सी, पोटेशियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, सेलेनियम और एंटीऑक्सीडेंट जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। साथ ही, इसमें एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल, एंटी-फंगल और एंटी-माइक्रोबियल गुण भी मौजूद होते हैं। आइए, विस्तार से जानते हैं हरा लहसुन खाने के फायदे -इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाएहरे लहसुन का सेवन करने से शरीर की इम्यूनिटी बूस्ट होती है। दरअसल, इसमें विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं। साथ ही, यह एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुणों से भी भरपूर होता है। इसके सेवन से आप बैक्टीरिया और वायरस की चपेट में आने से बच सकते हैं।पाचन तंत्र दुरुस्त रखेहरा लहसुन खाने से पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है। इसके सेवन से पाचन क्रिया बेहतर होती है और पेट से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। नियमित रूप से हरे लहसुन का सेवन करने से पेट में गैस, कब्ज और अपच जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करेहरे लहसुन का सेवन दिल के स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होता है। इसमें मैग्नीशियम और फास्फोरस जैसे तत्व पाए जाते हैं, जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। यह शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। इसे खाने से हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी हार्ट से जुड़ी बीमारियों का जोखिम कम होता है।मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंदहरा लहसुन हमारी ब्रेन हेल्थ के लिए भी काफी फायदेमंद होता है। एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होने के कारण यह अल्जाइमर जैसे रोगों के खिलाफ प्रभावी रूप से काम करता है।जोड़ों के दर्द से दिलाए राहतहरे लहसुन में विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट और मिनरल्स भरपूर मात्रा में होते हैं। इसके सेवन से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर तरीके से होता है, जिससे जोड़ो के दर्द और सूजन से राहत मिलती है।हरे लहसुन का सेवन आपकी सेहत के लिए बहुत लाभकारी हो सकता है। हालांकि, अगर आप किसी स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं, तो इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर की राय अवश्य लें।
- खराब खान-पान और लाइफस्टाइल की वजह से अधिकतर लोगों को पाचन से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसमें एसिडिटी भी शामिल है। जब की गैस्ट्रिक ग्लैंड, एसिड का अधिक उत्पादन करने लगती है, तो इसी स्थिति को एसिडिटी कहते हैं। एसिडिटी बनने पर पेट और सीने में जलन होने लगती है। साथ ही अपच, हार्टबर्न, गैस्ट्रिक सूजन जैसे लक्षणों का भी सामना करना पड़ता है। वैसे तो एसिडिटी की समस्या किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। लेकिन इन 4 बीमारियों वाले लोगों को एसिडिटी की समस्या का सामना ज्यादा करना पड़ता है। तो चलिए, जानते हैं इन बीमारियों के बारे में-1. पेप्टिक अल्सरपेप्टिक अल्सर एक दर्दनाक बीमारी है। इसमें खुले घाव होते हैं, जो पेट की अंदरूनी परत और छोटी आंत के ऊपरी हिस्से में बनते हैं। पेप्टिक अल्सर वाले लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। पेट दर्द पेल्टिक अल्सर का सबसे आम लक्षण है। लेकिन जिन लोगों को पेप्टिक अल्सर होता है, उन्हें पेट में जलन यानी एसिडिटी की समस्या भी हो सकती है। इसके अलावा पेट का फूलना, उल्टी, मतली और वजन कम होना भी पेप्टिक अल्सर के लक्षण हो सकते हैं।2. हर्नियाहर्निया एक गंभीर स्थिति होती है। इसमें शरीर का कोई आंतरिक अंग दूसरे हिस्से में पहुंच जाता है। हर्निया की समस्या बेहद पीड़ादायक हो सकती है। इस स्थिति में व्यक्ति को पेट में असहनीय दर्द हो सकता है। इसके अलावा हर्निया से पीड़ित लोगों को एसिडिटी या पेट में जलन का भी सामना करना पड़ता है। यानी हर्निया की बीमारी वाले लोगों को एसिडिटी की समस्या ज्यादा हो सकती है। उल्टी, मुंह का खराब स्वाद और खट्टी डकारें भी हर्निया के लक्षण होते हैं।3. अस्थमाअस्थमा की बीमारी से पीड़ित लोगों को भी एसिडिटी से परेशान होना पड़ सकता है। इसे दमा और सांस फूलने की बीमारी भी कहा जाता है। अस्थमा वाले लोगों को सांस फूलने, सांस लेने में दिक्कत, अत्यधिक खांसी जैसे लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा इन लोगों को थकान भी अधिक बनी रहती है। एसिडिटी की समस्या भी अस्थमा वाले रोगियों में देखने को मिल सकती है। लेकिन ऐसा सभी मामलों में नहीं होता है।4. पित्त वाले लोगों मेंआयुर्वेद के अनुसार जिन लोगों को पित्त बढ़ने की दिक्कत होती है, उन्हें भी एसिडिटी की समस्या से ज्यादा परेशान होना पड़ता है। दरअसल, जब शरीर में पित्त बढ़ता है, तो गर्मी बढ़ने लगती है। इसकी वजह से व्यक्ति को पेट और सीने में जलन महसूस हो सकती है। साथ ही पाचन से जुड़ी समस्याएं भी परेशान कर सकती हैं। अगर आप भी पित्त प्रकृति के हैं, तो इसे कंट्रोल में रखना बहुत जरूरी है। अन्यथा आपकी दिक्कत बढ़ सकती है।
- अधिकतर लोग सेँधा नमक का सेवन व्रत के दौरान करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नियमित रूप से इसका सेवन करने से आपके स्वास्थ्य को कई लाभ होंगे। जी हां, सेधा नमक आपकी मांसपेशियों में होने वाली ऐंठन को कम करने के साथ-साथ वजन कम करना, पांचन संबंधी परेशानी दूर करना इत्यादि में फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, अधिक मात्रा में इसके सेवन से आपके शरीर को नुकसान भी हो सकता है। आइए जानते हैं सेंधा के फायदे और नुकसान क्या हैं?सेंधा नमक के फायदेसेंधा नमक का सेवन करने से पाचन संबंधी परेशानियां दूर होती हैं। इसके साथ ही यह आपकी मांसपेशियों को मजबूत करता है। आइए जानते हैं सेंधा नमक के अन्य लाभ क्या हैं?मांसपेशियों की ऐंठन करे दूरसेंधा नमक के सेवन से आपकी मांसपेशियों में होने वाली ऐंठन की परेशानियों को दूर किया जा सकता है। दरअसल, सेंधा नमक में इलेक्ट्रोलाइट्स के स्तर को कंट्रोल करने का गुण होता है जो मांसपेशियों की ऐंठन को कम कर सकता है। अगर आपकी मांसपेशियों में सूजन, दर्द या ऐंठन की परेशानी हो रही है तो इस स्थिति में गुनगुने पानी में सेंधा नमक को मिक्स करके पिएं। इससे आपको लाभ मिलेगा।पाचन की परेशानी से दिलाए राहतपाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए सेंधा नमक का सेवन करें। सेंधा नमक का सेवन करने से सीने में जलन, खट्टी डकार, कब्ज इत्यादि की परेशानी को दूर किया जा सकता है।गले की खराश करे दूरबदलते मौसम के साथ गले में खराश, सर्दी जुकाम की परेशानी होना काफी आम हो जाता है। इस परेशानी को दूर करने के लिए सेंधा नमक आपके लिए लाभकारी हो सकता है। इससे गले में फंसे बैक्टीरियल समस्याओं से राहत पा सकते हैं। इसके लिए गुनगुने पानी में सेंधा नमक मिक्स करके गरारे करें।मसूड़ों की परेशानीमसूड़ों की समस्याओं जैसे- दर्द, सूजन इत्यादि को दूर करने के लिए सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए गुनगुने पानी में सेंधा नमक मिक्स करके इससे कुल्ला करें। साथ ही खाने में इसे एड करें। इससे काफी लाभ मिलेगा।मेटाबॉलिज्म करे बूस्टसेंधा नमक का सेवन करने से आपकी मेटाबॉलिज्म प्रक्रिया बूस्ट हो सकती है। यह एलर्जी की समस्याओं से छुटकारा दिला सकता है। साथ ही शारीरिक कार्य प्रणाली में सुधार करता है। अगर आप वजन कम करना चाहते हैं तो नियमित रूप से सेंधा नमक का सेवन करें।सेंधा नमक के नुकसान --सेंधा नमक में आयोडीन की मात्रा काफी तम होती है इससे अगर आप लंबे समय तक सेंधा नमक खाते हैं तो इससे घेंघा रोग हो सकता है।-सेंधा नमक के अधिक सेवन से हाई ब्लड प्रेशर की परेशानी हो सकती है।-सेंधा नमक के कारण वॉटर रिटेंशन की परेशानी हो सकती है।-सेंधा नमक आपके शरीर में सूजन का कारण बन सकता है।
- बालों के अच्छे विकास के लिए जितना आपका खानपान जरूरी है, उतनी ही बालों में तेल लगाना भी है। क्योंकि भोजन आपको सिर्फ आंतरिक रूप से पोषण प्रदान करता है, लेकिन तेल लगाने से बालों को बाहरी रूप से पोषण प्रदान करने में भी मदद मिलती है। आमतौर पर लोग बालों में सरसों, नारियल, बादाम का तेल, अरंडी और जैतून के तेल के प्रयोग करते हैं। लेकिन जब बालों की ग्रोथ बढ़ाने की बात आती है, तो जैतून और अरंडी के तेल का प्रयोग सबसे अधिक किया जाता है। लेकिन लोगों के बीच में यह भी कंफ्यूजन देखने को मिलती है कि बालों के विकास के लिए दोनों में कौन से तेल अधिक लाभकारी है। किसे लगाने से बाल ज्यादा तेजी से बढ़ते हैं? इस लेख में हम आपको इसके बारे में विस्तार से बता रहे हैं।इसमें कोई संदेह नहीं है कि दोनों ही तेल बालों के लिए बहुत लाभकारी हैं। लेकिन जब बालो के तेजी से विकास की बात आती है, तो इस स्थिति में जैतून के तेल का प्रयोग अधिक लाभकारी माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह विटामिन ई से भरपूर होता है। यह बालों को पोषण प्रदान करने और स्कैल्प में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने में मदद करता है। साथ ही दो मुंहे और रूखे बालों की समस्या दूर करता है। बालों के विकास के लिए जैतून का तेल आदर्श होता है।लेकिन अगर बालों में डैंड्रफ और फंगस की समस्या है, तो इस स्थिति में अरंडी का तेल अधिक लाभकारी होता है। स्कैल्प में मौजूद गंदगी और डैंड्रफ भी बालों के विकास को रोकते हैं, साथ ही हेयर फॉल और बालों से जुड़ी कई समस्याओं का सामना करते हैं। इस स्थिति में अरंडी के तेल का प्रयोग करने से उनकी समस्याएं दूर हो सकती हैं और बालों के विकास में मदद मिल सकती है।बालों के विकास के लिए दोनों में से कौन से तेल का प्रयोग करें?बालों को स्वस्थ रखने और उनकी ग्रोथ बढ़ाने के लिए आप दोनों ही तेलों को समान मात्रा में मिलाकर लगा सकते हैं। इस तरह आपके बालों को दोनों का लाभ मिलेगा। अरंडी का तेल वैसे भी काफी गाढ़ा होता है, इसलिए बहुत से लोग इसका प्रयोग करने से बचते हैं। लेकिन जैतून के तेल में मिलाकर लगाने से यह पतला हो जाता है और बालों में आसानी से अवशोषित हो जाता है। इस तरह दोनों का प्रयोग करने से आपकी बालों से जुड़ी लगभग सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं।
- अगर आपको कब्ज की समस्या है तो रोजाना खीरे का सेवन कर सकते हैं। आगे जानते हैं इस समस्या में किसी तरह करें खीरे का सेवन?खीरे का जूस पिएंखीरे से मेटाबॉलिज्म तेज होता है। मेटाबॉलिज्म तेज होने से आपको आपको मल त्याग में परेशानी नहीं होती है। कब्ज की समस्या होने पर आप खीरे के जूस का सेवन कर सकते हैं। इसे बनाने के लिए आप करीब दो खीरे का जूस निकाल लें और इसमें एक नींबू का रस मिला दें। साथ ही इसमें एक चुटकी काला नमक भी मिला सकते हैं।खीरे का सलादखीरे में पानी की मात्रा अधिक होती है। इससे आपके पेट में मल सॉफ्ट बनता है। जिससे सुबह मल त्याग करते समय आपको परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। इसके लिए आप बाजार से करीब दो से चार खीरे ले आएं और इसे सलाद की तरह खा सकते हैं।खीरे की स्मूदीखीरे की स्मूदी से आप कब्ज की समस्या में आराम पा सकते हैं। इसे बनाने के लिए आप खीरे को मिक्स में पिस लें। इसके बाद इसमें धनिया और पुदीने के पत्तों को मिक्स में डाल कर पीस लें और खीरे की स्मूदी में मिला दें। इसके अलावा आप इसमें एक चुटकी भर नमक भी मिला सकते हैं।खीरा का रायताभारत में त्योहारों पर खीरे का रायता खाया जाता है। इससे पेट की समस्याओं में आराम मिलता है। साथ ही ये पाचन क्रिया को भी बेहतर करता है। रायता बनाने के लिए आपके पास खीरा, दही और जीरे का पाउडर व काले नमक की आवश्यकता होती है। इन सभी को अपनी आवश्यकतानुसार मिलाकर आप रायता बनाएं और डाइट में इसे शामिल करें।कब्ज में किस तरह से फायदेमंद होता है खीरा?-खीरा खाने से आपका मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है। सुबह के समय खीरा खाने से आपकी भूख शांत होती है।-पाचन क्रिया को बेहतर बनाने के लिए आप खीरे का सेवन कर सकते हैं।-आपके शरीर के विषैले तत्वों को बाहर निकालने में खीरा सहायक होता है।-खीरे में पानी की मात्रा अधिक होती है, जो आपके मल को नरम बनाती है।बाजार में खीरा आसानी से उपलब्ध होता है। ये आपकी कई समस्या को दूर करने के साथ कब्ज में भी लाभकारी होता है। सुबह के समय खीरा खाना ज्यादा उपयोगी होता है, लेकिन आप इसे अपने आहार के साथ भी ले सकते हैं।
- बहुमूल्य और गुणकारी मसालों में से एक हरड़ सेहत से लेकर सौंदर्य तक हर चीज़ का ख्याल रखती है। इस पेड़ की जड़, तना और फल सभी कुछ गुणकारी है। इसे हरीतकी कहकर भी पुकारा जाता है, जो त्रिफला रस या चूरन में पाए जाने वाले तीन फलों में से एक है। पांच रसों से परिपूर्ण हरड़ में खटास, मिठास, तीखापन, कसैला और कड़वाहट पाई जाती है। इसे आप चूस सकते हैं। पाउडर के तौर पर प्रयोग कर सकते हैं। साथ ही रस और काढ़े के रूप में भी पी सकते हैं।एंटी बैक्टीरियल और एंटी इंफ्लामेंटरी गुणों से भरपूर हरड़ रोग प्रतिरोधक क्षमता से भरपूर होती है। हरड़ में प्रोटीन, पोटैशियम, मैग्नीज़, विटामिन्स, आयरन और कॉपर पाया जाता है। मौसमी बीमारियों को दूर रखने में कारगर हरड़ की तासीर गर्म हरेती है। इसमें 24 से 32 फीसदी टैनिन पाया जाता है। इतना ही नहीं, इसमें 18 अमीनो एसिड और फॉस्फोरिक, सक्सिनिक, क्विनिक और शिकिमिक एसिड भी कम मात्रा में मिलता है। ये फल जैसे जैसे पकता है, वैसे वैसे इसमें टैनिन की संख्या कम और टॉक्सिंस की वृद्धि होने लगती है। जानते हैं इसके फायदेस्किन एलर्जीत्वचा संबधी रोगों में हरड़ का काढ़ा बेहद फायदेमंद साबित होता है। इसके अलावा हरड़ का चूरन खाने से शरीर में ब्लड फ्लो नियमित होता है और नई कोशिकाओं का भी विकास होने लगता है।दांतों की समस्यादांत में दर्द के चलते हरड़ के चूरन को मुंह के अंदर लगाएं। इससे राहत मिलती है। इसके अलावा हरड़ और कत्थे को मिलाकर लेने से दांतों का मज़बूती मिलती है। हरड़ पाउडर को मंजन की तरह प्रयोग में लाने से दांत संबधी रोगों से मुक्ति मिल जाती है। खाने खाने के बाद अगर आप अपने दांत साफ नहीं करते हैं, तो दांतों पर एक परत जम जाती है। इस चिपचिपी परत से जीवाणु मूंह में पनपने लगते हैं।जख्मों के लिए लाभकारीइसके लिए घावों को हरड़ के पानी से धोएं। उसके बाद दो ग्राम हरड़ को पांच ग्राम मक्खन में मिलाएं। उसके बाद उसे जख्म पर लगा दें। इससे जख्त जल्दी सूखने लगता है।यूरिन के दौरान जलनदो से पांच ग्राम हरड़ पाउडर लें। उसमें एक चम्मच शहद को मिला लें। इसके सेवन से यूरिन में जलन और इससे संबधी बाकी समस्याएं हल हो जाएंगी।डाइजेस्टिव सिस्टमहरड़ को चूसने से वो धीरे धीरे भोजन का रस बना देती है जो आसानी से हज़म हो जाता है। इस प्रकार से इनडाइजेशन की समस्या अपने आप हल हो जाती है। ऐसे में खाने के बाद हरड़ कैण्डी या हरड़ चूरन को ले सकते हैं। इसके नियमित सेवन से वेट रिडक्शन में भी फायदा मिलता है।सेवन से पहले इन बातों का रखें ख्याल- प्रेग्नेंट महिलाओं को हरड़ का चूरन लेने से बचना चाहिए।-अगर आप किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त है, तो डॉक्टरी सलाह के बाद ही हरड़ का सेवन करें।-इसके अधिक सेवन से जलन की समस्या हो सकती है।-इसमें पाए जाने वाले लैक्सेटिव तत्व के चलते ज्यादा मात्रा में खाने से दस्त का कारण भी सि़द्ध हो सकती है।
- कोलेस्ट्रॉल हमारे ब्लड वैसेल्स में पाया जाता है। कोलेस्ट्रॉल एक वैक्स जैसा पदार्थ होता है। शरीर के लिए कोलेस्ट्रॉल जरूरी है , लेकिन इसकी मात्रा ज्यादा हो जाए, तो बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाने से मोटापा, हार्ट डिसीज, हाई बीपी, डायबिटीज आदि समस्याएं हो सकती हैं। कुछ लोगों को इसका असर आंखों में भी दिखता है।आंखें कमजोर हो सकती हैंकोलेस्ट्रॉल बढऩे के साथ आंखें कमजोर होने लगती है। अचानक से व्यकित अंधेपन की ओर नहीं बढ़ता। लेकिन सामान्य दिखने वाली चीजें भी धुंधली नजर आने लगती हैं। आंखों से दिखना कम हो जाने पर आंखों की जांच तुरंत करवानी चाहिए। जिन लोगों की आंखें पहले से ही कमजोर हैं, उन्हें उच्च कोलेस्ट्रॉल का ज्यादा असर पड़ता है।कॉर्निया को प्रभावित करता हैकोलेस्ट्रॉल बढऩे का बुरा असर कॉर्निया पर पड़ता है। मरीज की आंख में आर्कस सेनिलिस नाम की बीमारी हो सकती है। इस बीमारी में कॉर्निया के चारों ओर भूरे या पीले रंग से छल्ले बन जाते हैं। कॉर्निया में कोलेस्ट्रॉल जमने के कारण ऐसा होता है। इसका इलाज सर्जरी से किया जाता है।रेटिना को प्रभावित करता हैकोलेस्ट्रॉल का स्तर बढऩे का बुरा असर रेटिना पर पड़ता है। कोलेस्ट्रॉल बढऩे के कारण रेटिनल वेन ऑक्लुजन नाम की बीमारी हो जाती है। इस बीमारी में रेटिना तक खून ले जाने वाली कोशिकाएं ब्लॉक हो जाती हैं। ग्लूकोमा, डायबिटीज, हाई बीपी और ब्लड डिसआर्डर के मरीजों को ये समस्या ज्यादा होती है।आंखों के आसपास पीलापन बढ़ सकता हैहाई कोलेस्ट्रॉल के कारण आंखों के आसपास की त्वचा पीली हो जाती है। ऐसा कोलेस्ट्रॉल जमा होने के कारण होता है। आंखों के आसपास छोटे दाने भी नजर आते हैं। इस समस्या को जैंथिलास्मा के नाम से जानते हैं। जो लोग स्मोकिंग करते हैं या जिन्हें डायबिटीज या हाई बीपी है उन्हें ये समस्या ज्यादा परेशान करती है।उच्च कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए क्या करें?--हाई कोलेस्ट्रॉल का स्तर जांचने के लिए लिपिड प्रोफाइल टेस्ट किया जाता है। समय-समय पर डॉक्टर की सलाह पर खून की जांच करवाते रहें।-खून में बैड कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल की आदतों को अपनाएं। जैसे- एक्सरसाइज करना, पानी का सेवन, हेल्दी डाइट लेना आदि।-अपनी डाइट में ताजे फल और सब्जियों को शामिल करें।-मीठी चीजों का सेवन न करें।-जंक फूड और फास्ट फूड का सेवन न करें।-अलसी के बीजों को हाई कोलेस्ट्रॉल कम करने में सहायक माना जाता है।-खाने में लहसून की कली, मेथी के दाने और नींबू पानी का सेवन करें। इससे कोलेस्ट्रॉल घटाने में मदद मिलती है।