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मुंह खोलते ही अगर पीले और गंदे दांत दिखने लगते हैं तो शर्मिंदगी उठानी पड़ जाती है। कई बार तो गंदे दांतों की वजह से लोग खुलकर हंस भी नहीं पाते। अगर आपके दांत भी पीले हो गए हैं तो समय रहते घरेलू नुस्खों से चमकाया जा सकता है। क्योंकि दांतों पर जमा गंदगी और पीलापन प्लाक और टार्टर होता है। जो एक तरह का बैक्टीरिया है। लगातार इसके जमने से मुंह से बदबू आने लगती है और डॉक्टर के पास जाकर ही इसे साफ कराना पड़ता है। इन घरेलू नुस्खों से दांतों के पीलेपन को साफ किया जा सकता है।
दो बार ब्रश है जरूरी
एक्सपर्ट हमेशा दो बार ब्रश करने की सलाह देते हैं। सुबह और रात को सोने से पहले ब्रश करने से मुंह में जमा बैक्टीरिया साफ हो जाते हैं। लेकिन इससे दांतों पर जमी पीलेपन की परत नहीं साफ होती है। दांत के पीले दाग को हटाने के लिए इन नुस्खों को आजमाएं।
बेकिंग सोडा
बेकिंग सोडा दांत को साफ करने में मदद करता है। कुछ दिनों तक इसका इस्तेमाल करने से फर्क दिख सकता है। टूथब्रश में बेकिंग सोडा लेकर दांतों को साफ करें। फिर पानी से कुल्ला कर लें और दांतों को उंगलियों से रगड़कर साफ कर लें। कुछ दिनों में दांतों पर जमा पीली परत साफ होने लगती है।
सेंधा नमक है दादी मां का नुस्खा
दांतों पर जमा पीली गंदगी को साफ करने के लिए दादी-नानी के समय से इस नुस्खे को आजमाते आ रहे हैं। इससे पीली परत के साथ ही पायरिया में भी राहत मिलती है। सेंधा नमक में सरसों का तेल मिलाकर दांतों को साफ करें। इससे दांत चमकेंगे और मुंह से आने वाली बदबू से निजात मिलेगी।
दांतों पर रगड़े स्ट्राबेरी
स्ट्राबेरी का इस्तेमाल दांत को साफ करने के लिए भी किया जा सकता है। ये काफी सुरक्षित नुस्खा हो सकता है। दांतों पर स्ट्राबेरी के टुकड़े को रगड़ें फिर ब्रश कर लें। इससे दांत चमकने लगेंगे।
नीम की दातून
दांतों पर पीली परत को जमने नहीं देना चाहते हैं तो नीम की दातून को लेकर रगड़ें। इससे दांत साफ होते हैं और चमकदार बने रहते हैं।
दांतों के पीलेपन को साफ करने का ये नुस्खा मात्र सुझाव है। इसे किसी चिकित्सा के विकल्प के तौर पर ना समझें। - शकरकंद सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन, आयरन, सोडियम और आयरन पोषक तत्व आदि पाए जाते हैं। इसको नियमित खाने से पाचन तंत्र मजबूत होता है और हड्डियां भी मजबूत होती हैं। सर्दियों में लोग इसे चाट बनाकर खाना काफी पसंद करते है। शकरकंद खाने में काफी स्वादिष्ट होने के साथ शरीर के लिए काफी हेल्दी भी होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ज्यादा मात्रा में शकरकंद खाने से शरीर को कई तरह के नुकसान भी हो सकते हैं। आइए जानते हैं ज्यादा शकरकंद खाने के नुकसान के बारे में।किडनी स्टोन की समस्याज्यादा शकरकंद खाने से किडनी में स्टोन की समस्या हो सकती है। शकरकंद में ऑक्सलेट की मात्रा काफी ज्यादा होती है और जब ये शरीर के कैल्शियम से मिलती है, तो किडनी में स्टोन होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। ऑक्सलेट और कैल्शियम स्टोन बनाने की प्रक्रिया को काफी तेज करता है।स्किन एलर्जीशकरकंद खाने से स्किन एलर्जी की समस्या हो सकती है। क्योंकि इसमें मैनिटोल युक्त पदार्थ पाया जाता है। जिस कारण शकरकंद खाते ही स्किन एलर्जी की समस्या देखने को मिल सकती है। कई बार शकरकंद खाने से स्किन में खुजली और रैशेज की संभावना भी कई गुना बढ़ जाती है।डायबिटीजशकरकंद खाने से डायबिटीज की समस्या बढ़ सकती है क्योंकि इसमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स काफी कम होता है। जिस कारण डायबिटीज मरीज अगर इसका सेवन करते है, तो डायबिटीज काफी बढ़ सकती है। अगर आपको डायबिटीज की समस्या है, तो शकरकंद खाने से बचें।सिरदर्दज्यादा शकरकंद खाने से सिरदर्द की समस्या बढ़ सकती है। शकरकंद में प्रचुर मात्रा में विटामिन ए आदि पाया जाता है, जो ज्यादा मात्रा में खाने से सिरदर्द की समस्या बढ़ सकती है। इस समस्या से बचने के लिए ज्यादा मात्रा में शकरकंद न खाएं। शकरकंद शरीर के लिए फायदेमंद होता है। लेकिन ज्यादा मात्रा में इसके सेवन से बचें।
- फिटकरी कई औषधीय गुणों से भरपूर होती है। आयुर्वेद में फिटकरी का उपयोग कई समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है। फिटकरी न केवल स्वास्थ्य, बल्कि त्वचा और बालों से संबंधित समस्याओं को भी दूर करती है। शरीर को स्वस्थ रखने से लेकर त्वचा और बालों को खूबसूरत बनाने तक के लिए फिटकरी का प्रयोग आसानी से किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल करके कई बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है। फिटकरी की तासीर गर्म होती है, इसलिए इसका उपयोग सीमित मात्रा में ही करना चाहिए।फिटकरी के औषधीय गुण -एंटी-बायोटिकफिटकरी में एंटी-बायोटिक गुण पाए जाते हैं, जिसकी वजह से यह कई तरह के इंफेक्शन से लड़ने में काफी प्रभावी है। बुखार, खांसी और अस्थमा जैसी समस्याओं में फिटकरी का इस्तेमाल कारगर साबित हो सकता है। अगर आपको खांसी की शिकायत है, तो आप फिटकरी पाउडर को शहद के साथ मिलाकर इसका सेवन कर सकते हैं। ऐसा करने से खांसी से राहत मिलसकती है। इसके अलावा, फिटकरी दांतों में कैविटी या मसूड़ों में इंफेक्शन को ठीक करने में भी फायदेमंद मानी जाती है। दांतों में दर्द या सूजन होने पर फिटकरी के पानी से कुल्ला करना चाहिए। इससे दांतों और मसूड़ों को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।एंटी-बैक्टीरियलफिटकरी में एंटी-बैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं। इसी गुण के कारण यह बैक्टीरिया को नष्ट करने में काफी प्रभवी है। फिटकरी गले की खराश, शरीर की दुर्गंध, खुजली, एक्जिमा, डैंड्रफ आदि समस्याओं में काफी लाभकारी होती है। अगर आपके शरीर से पसीने की बदबू आती है तो आप पानी में फिटकरी मिलकर नहा सकते हैं।फिटकरी के पानी से गरारे करने से गले की खराश से राहत मिलती है। बालों में डैंड्रफ और जुओं से छुटकारा पाने के लिए पानी में फिटकरी पाउडर मिलाएं। इसे अपने स्कैल्प पर लगाकर मसाज करें। इसके बाद शैंपू से बाल धो लें। ऐसा करने से आपको काफी फायदा होगा।एंटी-इंफ्लेमेटरीफिटकरी में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण दर्द और सूजन को कम कर सकते हैं। अगर आपके शरीर के किसी हिस्से में दर्द या सूजन है, तो फिटकरी से पानी से सिंकाई करने से आराम मिल सकता है। जिन लोगों के जोड़ों में दर्द रहता है, वे फिटकरी के पानी में पैरों को डुबोकर बैठ सकते हैं। इसके अलावा, आप फिटकरी पाउडर और हल्दी को मिलाकर प्रभावित हिस्से पर लगा सकते हैं। ऐसा करने से दर्द से काफी राहत मिलेगी।एस्ट्रिंजेंटफिटकरी में एस्ट्रिंजेंट गुण भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। फिटकरी के उपयोग से चेहरे के मुंहासों, दाग-धब्बों और झुर्रियों की समस्या से राहत मिल सकती है। फिटकरी चेहरे का कालापन दूर करने में भी काफी कारगर है। फिटकरी में मौजूद एस्ट्रिंजेंट गुण के कारण त्वचा के रोम छिद्रों में कसाव लाने में मदद मिलती है। रोमछिद्रों के बड़े होने के कारण मुंहासे होने की संभावना अधिक रहती है। चेहरे पर फिटकरी रगड़ने से पिंपल्स और झुर्रियों की समस्या दूर हो सकती है। इसके अलावा, आप फिटकरी के पानी से मुंह भी धो सकते हैं। ऐसा करने से स्किन संबंधी समस्याओं में काफी लाभ हो सकता है।फिटकरी अपने औषधीय गुणों की वजह से जानी जाती है। लेकिन ध्यान रखें कि फिटकरी का ज्यादा सेवन या उपयोग करने से आपको नुकसान पहुंच सकता है। किसी भी समस्या या बीमारी में फिटकरी का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर या एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।
- दुनिया में शायद ही ज्यादातर लोग कभी अपनी जीभ पर ध्यान देते हों, लेकिन डॉक्टर जीभ को शरीर का आइना मानते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यह बीमारियों की चेतावनी देने में सबसे आगे रहती है। जीभ की मदद से शरीर में विटामिन की कमी, एलर्जी और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली जैसी समस्याओं के बारे में सबसे पहले पता चलता है। हाल ही में हुए एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया कि जीभ का चिकना होना, लाल दिखना, संक्रमित होना या सफेद धब्बे का बनना बताता है कि आपका शरीर किसी वायरस से पीड़ित है। उनके मुताबिक, स्वास्थ्य के बारे में सारे लक्षण लोगों की जुबान पर दिख जाते हैं।यह अध्ययन पेंसिल्वेनिया के दंत विशेषेज्ञों की टीम ने किया है, जिन्होंने इस अध्ययन के जरिए बताने की कोशिश की है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीभ पर ध्यान देने की जरूरत है। अध्ययन के दौरान यह भी पता चला कि अमेरिका में लगभग 10 मिलियन लोगों में आयरन की कमी है, जबकि छह प्रतिशत लोगों में विटामिन बी-12 की कमी है।सफेद दाग फंगल संक्रमण के संकेत-हर व्यक्ति को कभी न कभी जीभ पर सफेद धब्बे हुए होंगे, लेकिन यह फंगल इंफेक्शन हो सकता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, यह कवक कैंडिडा (खमीर का एक प्रकार) की छोटी मात्रा होती है, जो अमूमन त्वचा, मुंह, गले या आंत में रहती है। इस पर किसी का ध्यान नहीं जाता है, लेकिन इसका अचानक अनियंत्रित रूप से बढ़ना खतरनाक है। इससे जीभ पर सफेद परत दिखाई देने लगती है। यह तब होता है, जब एंटीबायोटिक्स या दवाएं फंगस को रोककर रखने वाली सहायक बैक्टीरिया को मार देती है। इससे यह जल्दी बढ़ते हैं। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करने वाले तनाव के कारण भी होता है।चिकनी जीभ, मतलब विटामिन की कमी-शोधकर्ताओं के मुताबिक, जीभ विटामिन की कमी के बारे में भी चेतावनी देते हैं। जैसे आयरन और विटामिन बी 12 की कमी। यह शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने के लिए महत्वपूर्ण है, जो ऑक्सीजन को विभिन्न अंगों तक ले जाती है। आम तौर पर, जीभ की सतह पर सैकड़ों छोटे-छोटे उभार होते हैं। इन्हें पपिल्ले के रूप में जाना जाता है, जिनमें से प्रत्येक में कई टेस्ट बड्स होती हैं। जब विटामिन की कमी होती है तो ऑक्सीजन की कमी से पपिल्ले बर्बाद होने लगते हैं और जीभ से गिर जाते हैं। इस बारे में पेंसिल्वेनिया के दंत चिकित्सक डॉ. मार्क वोल्फ ने बताया कि विटामिन की कमी से जीभ चमकदार हो जाती है। विटामिन की कमी से व्यक्ति को अत्यधिक थकान, सीने में दर्द और पीली त्वचा शामिल जैसे कारक शामिल हैं। इस बारे में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने कहा कि वयस्क पुरुषों को एक दिन में लगभग 8 मिलीग्राम आयरन मिलना चाहिए, जबकि महिलाओं को 18 मिलीग्राम मिलना चाहिए।बार-बार घाव बनना तनाव की वजह-अगर किसी व्यक्ति के जीभ पर कभी-कभी घाव बन जाए तो मुंह में दांत से कटने या जोर से ब्रश करने से हो सकता है, लेकिन अगर यह घाव नियमित तौर पर हो रहा है तो इसे तनाव का संकेत माना जा सकता है। मानसिक तनाव की स्थिति में लोग अपने गाल या जीभ को काटने की कोशिश करती हैं। वहीं कॉफी, स्ट्रॉबेरी और पनीर जैसे खाद्य पदार्थों से होने वाली एलर्जी से भी यह घाव होते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, अगर यह घाव असामान्य रूप से बड़े होते हैं और खाने-पीने में कठिनाई होती हैं तो इसके तुरंत इलाज कराने की जरूरत है।स्ट्रॉबेरी जीभ एलर्जी का संकेत-यदि किसी व्यक्ति के भोजन के बाद जीभ स्ट्रॉबेरी जैसी लाल हो गई है तो यह एक छिपी हुई एलर्जी का संकेत हो सकता है। हल्के खाद्य एलर्जी वाले लोगों की जीभ चमकदार लाल हो जाती है। एलर्जी के कारण भी यह गले में खराश और सूजन हो सकता है। यह विशेष रूप से कुछ फलों और सब्जियों के खिलाफ खाद्य एलर्जी का संकेत दे सकता है। स्ट्रॉबेरी वाले जीभ में जीवाणु संक्रमण भी शामिल हैं जो तब विकसित होते हैं, जब गले में खराश होती है। बैक्टीरिया जीभ में एक विष छोड़ते हैं, जिससे लालिमा आ जाती है। इसे स्कारलेट फीवर के रूप में जाना जाता है। इसमें एक चमकदार लाल दाना होता है।पीले धब्बे मतलब गैस्ट्राइटिस होना-शोधकर्ताओं ने बताया कि मृत त्वचा कोशिकाओं के निर्माण के कारण जीभ की सतह पीली होती है। यह बाद में बैक्टीरिया द्वारा पीला रंग देने का कारण दिखती है। यह पेट की परत में सूजन का संकेत देती है। यानि व्यक्ति गैस्ट्राइटिस से पीड़ित है। इससे पीड़ित व्यक्ति अपनी जीभ पर कम लार का उत्पादन कर रहा है और जीभ की सतह से मृत त्वचा कोशिकाओं को अच्छे से साफ नहीं किया गया। पीली जीभ के अन्य लक्षणों में सांसों की बदबू, मुंह का स्वाद खराब, बुखार शामिल है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, गैस्ट्राइटिस से एक साल में लगभग 2 मिलियन लोग पीड़ित होते हैं। वहीं कुछ कारणों में व्यक्ति अपनी जीभ को सही ढंग से साफ नहीं करता है, इस वजह से भी मृत कोशिकाएं जमा हो जाती हैं।ऐसे पहचाने स्वस्थ जीभ-- स्वस्थ जीभ का रंग गुलाबी होना चाहिए।-हल्के से गहरे रंग में हो।- जीभ की सतह पर टेस्ट बड्स वाले छोटे उभार भी हो।- छोटो पिंड (पपिल्ले) से ढकी होनी चाहिए।जीभ को इस तरह से रखें साफ-- दांतों को ब्रश करने के तुरंत बाद दिन में दो बार अपनी जीभ को साफ करें।- धूम्रपान का सेवन न करें।- तंबाकू या माउथवॉश का प्रयोग नहीं करें।- दैनिक स्तर पर जांच कराएं।- गांठ, घाव या दर्द में अच्छे डॉक्टर को दिखाएं।
- लाइफस्टाइल में छोटे-मोटे बदलाव हमारी हेल्थ पर बहुत बड़ा असर डाल सकते हैं। ऐसा ही बदलाव है रोजाना नींबू-पानी पीना। नींबू-पानी के एक ऐसा ड्रिंक है जिसे पीने में न ज्यादा पैसे खर्च होते हैं न मेहनत। नींबू विटामिन सी और ऐंटी ऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है। यह आपकी इम्यूनिटी मजबूत करता है साथ ही स्किन के लिए भी अच्छा होता है। इतना ही नहीं अगर आपको किडनी स्टोन या कब्ज की समस्या है तो भी राहत मिलती है।विटामिन सी का सोर्सनींबू विटामिन सी का बढ़िया सोर्स है। इसमें ऐंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो सेल डैमेज से बचाते हैं। इसके अलावा अगर आप पर्याप्त विटामिन सी नहीं लेते तो आपको दांतो से जुड़ी समस्या, ड्राई स्किन, थकान जैसी दिक्कतें भी होती हैं। अगर आपको जल्दी-जल्दी इन्फेक्शंस होते हैं तो भी आपको नींबू पानी डेली रूटीन में शामिल करना चाहिए।पाचन में करता है मददखाने से पहले अगर आप नींबू-पानी पीते हैं तो आपका डाइजेशन सही रहता है। ऐसा माना जाता है कि नींबू का साइट्रिक एसिड गैस्ट्रिक एसिड का सीक्रेशन बढ़ाता है। अगर आपको जलन की समस्या है तो इसे अवॉइड कर सकते हैं।बढ़ा सकते हैं न्यूट्रिशनल वैल्यूरूटीन में नींबू-पानी ऐड करना का एक फायदा यह भी है कि आप इसमें हल्दी भी मिला सकते हैं। यह ऐंटी-इनफ्लेमेटरी होती है। हल्दी ऐसे ही खाना जरा मुश्किल होता है तो आप पानी में नींबू, हल्दी, शहद और थोड़ी काली-मिर्च मिलाकर पी सकते हैं।
- आंवला को आयुर्वेद में अमृतफल कहा जाता है। आंवले का सेवन करने से शरीर को ऊर्जा मिलती है। सुबह-सुबह आंवले का हलवा खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ेगी। आंवला में एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं। आंवले में मौजूद विटामिन सी हड्डियों के लिए भी फायदेमंद होता है। जो बच्चे कैल्शियम के लिए दूध का सेवन नहीं करते, उन्हें रोजाना सुबह 1 चम्मच आंवले का हलवा खिलाएं। आइये जानते हैं आंवले का हलवा किस तरह से बनाएं-सामग्री- आंवला, घी, काली मिर्च, छोटी इलायची, दालचीनी, चीकू और बादाम का पाउडरविधि- आंवले का हलवा बनाने के लिए कढ़ाई में घी गरम कर लें। घी में आंवले को मैश करके डालें और भून लें। अब इसमें काली मिर्च, छोटी इलायची, दालचीनी डालें। आंवले का रस सूखने तक मसालों को अच्छी तरह से पका लें। आंवले के हलवे में मिठास के लिए चीकू का पेस्ट मिला सकते हैं। आंवले के हलवे में बादाम को भूनकर डालने से भी नैचुरल मिठास बढ़ेगी। आंवले के हलवे में मेवे भी मिला सकते हैं।एक आंवले में करीब 33 कैलोरीज होती हैं। एक बड़ा चम्मच आंवले के हलवे में लगभग 30 से 35 कैलोरीज होंगी। वहीं एक कटोरी आंवले के हलवे में करीब 100 से 120 कैलोरीज मौजूद होती हैं। आंवले के हलवे को घी में भूना जाता है इसलिए इसमें ओमेगा-3, ओमेगा-9 फैटी एसिड और विटामिन ए, के और ई पाए जाते हैं। आंवले में विटामिन्स के अलावा, इसमें फाइबर, फोलेट, फास्फोरस, आयरन, काब्र्स, मैग्निशियम और कैल्शियम व विटामिन सी आदि पोषक तत्व मौजूद होते हैं।सर्दियों में आंवले का हलवा खाने के फायदे-आंवले के हलवे का सेवन करने से सर्दी-जुकाम और वायरल संक्रमण से छुटकारा मिलेगा।-ें सुबह 1 चम्मच आंवले का हलवा खाने से लो-एनर्जी की समस्या दूर होगी।-आंवले का हलवा खाने से रक्त साफ होगा और त्वचा हेल्दी रहेगी।-आंखों की रौशनी बढ़ाने के लिए आंवले के हलवे का सेवन फायदेमंद होगा।-सर्दियों में जोड़ों का दर्द सताता है, तो आंवले का हलवा खाएं।-आंवले में मौजूद एंटीइंफ्लेमेटरी गुण की मदद से जोड़ों और हड्डियों का दर्द दूर होता है।-बालों की अच्छी ग्रोथ के लिए आंवले का हलवा फायदेमंद होगा।-ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने के लिए आंवले का सेवन फायदेमंद होता है।
- इमली अपने खट्टे और चटपटे स्वाद के लिए जानी जाती है। इसलिए इसका प्रयोग कई प्रकार के सूप और ग्रेवी में तीखे स्वाद के लिए किया जाता है। स्टाइलक्रेज डॉट कॉम के मुताबिक इसका ज्यादा उपयोग करने के कुछ हानिकारक प्रभाव हो सकते हैं जो ज्यादातर लोग नही जानते। हालांकि रोजाना 10 ग्राम इमली का सेवन सुरक्षित है।खासकर उन लोगों को इमली के साइड इफेक्ट्स जानने की काफी ज्यादा जरूरत होती है जो इमली के स्वाद के कारण इसकी ज्यादा मात्रा का सेवन कर लेते हैं। इसका मुख्य साइड इफेक्ट दांतों को खराब करना है। इसके अलावा भी इमली का सेवन करने से शरीर कई तरह से प्रभावित हो सकता है। आइए जानते हैं कैसे इमली शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है।दांत के इनेमल को नुकसान पहुंचा सकती हैइमली का स्वाद ज्यादा खट्टा होता है जिसको अधिक खाने से दांतों में नुकसान हो सकता है। यदि अधिक मात्रा में इमली खाते हैं, तो दांतों के इनेमल में एसिड कंपोनेंट के कारण जंग लगने की संभावना होती है। बहुत ज्यादा इमली खाना दांतों के लुक के लिए भी बेहद खराब है।एलर्जी का कारण हो सकती हैएलर्जी इमली के सबसे आम नुकसान में से एक है। ऐसे बहुत से लोग हैं जो इस फल को खाने को प्राथमिकता देते हैं, लेकिन इसके खाने से कई लक्षण जैसे दाद, खुजली, सूजन, चक्कर आना, बेहोशी, उल्टी, सांस की तकलीफ जैसी समस्याएं हो सकती हैं।एसिड रिफ्लेक्सइमली एक एसिडिक फल है। जब इसे खाते हैं तो पेट में गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में एसिड का स्तर बढ़ जाता है। एसिड रिफ्लक्स’ जैसी पाचन संबंधी समस्या हो सकती है। इसलिए इससे दूरी करना बेहतर है।वेसो कंस्ट्रिक्शन को बढ़ावा देती हैअगर किसी प्रकार की दवाई का उपयोग कर रहे हैं तो इमली को खाने से बचना चाहिए। इसका अधिक सेवन ब्लड की सेल्स को सिकोड़ सकता है।इमली का उपयोग करते समय एक बात का ध्यान रखें कि इसमें टैनिन और अन्य यौगिक होते हैं, जो पाचन को मुश्किल बना सकते हैं। इसलिए, यह सुझाव दिया जाता है कि पानी में उबालने या भिगोकर रखने के बाद इसका सेवन करें। एस्पिरिन (दर्द निवारक दवा) आइबूप्रोफेन (नॉन स्टेरॉयडल एंटी इंफ्लेमेटरी ड्रग) का सेवन कर रहे हैं, तो इमली का उपयोग बिल्कुल न करें। इमली इन दवाओं के असर को प्रभावित कर सकती है।गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इमली के अधिक सेवन से बचना चाहिए, नहीं तो इसके दुष्परिणाम देखने को मिल सकते हैं। विशेष रूप से कच्ची इमली का सेवन शरीर में गर्मी पैदा कर सकता है।
- आंवला को अमृततुल्य माना गया है। इसे सुपरफूड भी कहते हैं। इसके सेवन से शरी की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। एंटीऑक्सीडेंट्स, विटामिन सी जैसे कई सारे पोषक तत्वों से भरपूर आंवला कई स्वास्थ्य समस्याओं से निजात दिलाने में मदद करता है। सर्दियों में आंवले की पैदावार बहुत होती है। इसका मुरब्बा, अचार तो बनाया ही जाता है। इसकी कैंडी भी लाजवाब होती है। कैंडी के सेवन से गली की खराश और जुकाम से छुटकारा मिलता है। आइये आज जानते हैं आंवले की कंैडी बनाना और इसके फायदे.....आंवले कैंडी बनाने के लिए सामग्रीकच्चा आंवला - 2 से 3 पीसजीरा - 1/2 चम्मचचीनी- 3 चम्मचचाट मसाला - 1/2 चम्मचभुना हुआ जीरा - 1/2 चम्मचआंवले कैंडी बनाने की विधिसबसे पहले आंवले की कैंडी को धोकर साफ कर लें और इसे कुकर में 1 सीटी आने तक पका लें। जब कुकर का प्रेशर निकल जाए तो आंवले को छिलकर बीज निकाल लें और छोटे-छोटे टुकड़े करें। अब उबले हुए आंवले को एक प्लेट या पेपर पर फैला लें और इसके ऊपर चीनी को छिड़कें। आंवले पर भुने हुए जीरे का पाउडर और चाट मसाला डालकर छोड़ दें। इसमें शक्कर ना डालना चाहें तो इसमें अजवाइन, जीरा, धनिया और काला नमक का पाउडर डाल सकते हैं। आंवला कैंडी को करीब दो दिन तक धूप में सूखने के लिए रख दें। दो दिन के बाद आपकी आंवला की कैंडी खाने के लिए तैयार है। आप इसे किसी भी एयर टाइट कंटेनर में स्टोर करें और सेवन करें।आंवला खाने के फायदे -सर्दी-खांसी को रखता है दूरआंवला का सेवन करने से इम्यूनिटी को मजबूत बनाने में मदद मिलती है। आंवले में विटामिन सी पाया जाता है, जो न केवल शरीर से टॉक्सिन को बाहर निकाल सकता है बल्कि फंगल इंफेक्शन और बैक्टीरिया से भी लडऩे में मददगार है। नियमित तौर पर आंवले का सेवन करने से सर्दी-खांसी जैसी मौसमी बीमारियों को दूर रखने में मदद मिलती है।हड्डियों को बनाता है मजबूतआंवला कैल्शियम का अच्छा सोर्स है। कैल्शियम हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाने में मदद करता है। रिसर्च में ये बात सामने आई है कि नियमित तौर पर आंवले का सेवन करने से शरीर में कैल्शियम की कमी को पूरा करने में मदद मिलती है।स्किन और बालों को बनाता है खूबसूरतस्किन और बालों के लिए भी आंवला बहुत फायदेमंद माना जाता है। नियमित तौर पर आंवले का सेवन करने से स्किन के दाग-धब्बे को दूर करने और बालों को घना बनाने में मदद मिलती है।आंवला को अमृततुल्य माना गया है। इसे सुपरफूड भी कहते हैं। इसके सेवन से शरी की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। एंटीऑक्सीडेंट्स, विटामिन सी जैसे कई सारे पोषक तत्वों से भरपूर आंवला कई स्वास्थ्य समस्याओं से निजात दिलाने में मदद करता है। सर्दियों में आंवले की पैदावार बहुत होती है। इसका मुरब्बा, अचार तो बनाया ही जाता है। इसकी कैंडी भी लाजवाब होती है। कैंडी के सेवन से गली की खराश और जुकाम से छुटकारा मिलता है। आइये आज जानते हैं आंवले की कंैडी बनाना और इसके फायदे.....आंवले कैंडी बनाने के लिए सामग्रीकच्चा आंवला - 2 से 3 पीसजीरा - 1/2 चम्मचचीनी- 3 चम्मचचाट मसाला - 1/2 चम्मचभुना हुआ जीरा - 1/2 चम्मचआंवले कैंडी बनाने की विधिसबसे पहले आंवले की कैंडी को धोकर साफ कर लें और इसे कुकर में 1 सीटी आने तक पका लें। जब कुकर का प्रेशर निकल जाए तो आंवले को छिलकर बीज निकाल लें और छोटे-छोटे टुकड़े करें। अब उबले हुए आंवले को एक प्लेट या पेपर पर फैला लें और इसके ऊपर चीनी को छिड़कें। आंवले पर भुने हुए जीरे का पाउडर और चाट मसाला डालकर छोड़ दें। इसमें शक्कर ना डालना चाहें तो इसमें अजवाइन, जीरा, धनिया और काला नमक का पाउडर डाल सकते हैं। आंवला कैंडी को करीब दो दिन तक धूप में सूखने के लिए रख दें। दो दिन के बाद आपकी आंवला की कैंडी खाने के लिए तैयार है। आप इसे किसी भी एयर टाइट कंटेनर में स्टोर करें और सेवन करें।आंवला खाने के फायदे -सर्दी-खांसी को रखता है दूरआंवला का सेवन करने से इम्यूनिटी को मजबूत बनाने में मदद मिलती है। आंवले में विटामिन सी पाया जाता है, जो न केवल शरीर से टॉक्सिन को बाहर निकाल सकता है बल्कि फंगल इंफेक्शन और बैक्टीरिया से भी लडऩे में मददगार है। नियमित तौर पर आंवले का सेवन करने से सर्दी-खांसी जैसी मौसमी बीमारियों को दूर रखने में मदद मिलती है।हड्डियों को बनाता है मजबूतआंवला कैल्शियम का अच्छा सोर्स है। कैल्शियम हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाने में मदद करता है। रिसर्च में ये बात सामने आई है कि नियमित तौर पर आंवले का सेवन करने से शरीर में कैल्शियम की कमी को पूरा करने में मदद मिलती है।स्किन और बालों को बनाता है खूबसूरतस्किन और बालों के लिए भी आंवला बहुत फायदेमंद माना जाता है। नियमित तौर पर आंवले का सेवन करने से स्किन के दाग-धब्बे को दूर करने और बालों को घना बनाने में मदद मिलती है।
- पोहा खाना अधिकतर लोगों को पसंद होता है। कुछ लोग नाश्ते में पोहा खाते हैं, तो कुछ इसे शाम को टी टाइम स्नैक के तौर पर खाते हैं। अलग-अलग जगहों पर पोहा बनाने का तरीका अलग होता है। यह खाने में स्वादिष्ट होता है और इसे बनाना बहुत आसान। पोहा प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट और फाइबर जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है। सुबह नाश्ते में पोहा खाने से पेट लंबे समय तक भरा हुआ रहता है। यह वेट लॉस के लिए अच्छा माना जाता है, क्योंकि इसमें कैलोरी की मात्रा भी बहुत कम पाई जाती है। वैसे तो पोहा हमारी सेहत के लिए फायदेमंद होता है। लेकिन किसी भी चीज का अत्यधिक सेवन आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है। आज हम आपको बताएंगे कि रोजाना पोहा खाने के क्या नुकसान हैंवजन बढ़ सकता हैवैसे तो वेट लॉस के लिए नाश्ते में पोहा खाना फायदेमंद माना जाता है। लेकिन अगर आप रोजाना पोहा का सेवन करते हैं, तो इससे आपका वजन बढ़ सकता है। दरअसल, पोहे में कार्बोहायड्रेट की मात्रा काफी अधिक होती है, जो वजन को बढ़ा सकती है। इसके अलावा, कई लोग पोहे में मूंगफली और आलू का इस्तेमाल भी करते हैं। मूंगफली और आलू का ज्यादा सेवन करने से शरीर में फैट और मोटापा बढ़ सकता है।ब्लड शुगर लेवल बढ़ता हैडायबिटीज के मरीजों को चावल से परहेज करने की सलाह दी जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि चावल खाने से ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है। पोहा भी चावल से ही बनाया जाता है। खासतौर पर, जिन लोगों को डायबिटीज है, उन्हें पोहे का सेवन नहीं करना चाहिए।एसिडिटी की समस्यानाश्ते में पोहा खाने से पेट लंबे समय तक भरा रहता है। लेकिन पोहे का ज्यादा सेवन करने से कुछ लोगों को पेट में एसिडिटी और ऐंठन की समस्या हो सकती है। ज्यादा पोहा खाने से आपको पेट में भारीपन भी महसूस हो सकता है। इन सभी समस्याओं से बचने के लिए पोहे का सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए।कब और कितनी मात्रा में खाएं पोहा?पोहा खाने से सेहत को कई लाभ मिल सकते हैं। लेकिन इसका सेवन हमेशा सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। पोहे का अधिक मात्रा में सेवन करने से सेहत को फायदे के बजाय नुकसान हो सकता है। अगर आप पोहा खाना पसंद करते हैं, तो इसे हफ्ते में दो-तीन दिन ब्रेकफास्ट या टी टाइम स्नैक के तौर पर खा सकते हैं। पोहा खाते समय ध्यान रखें कि आप एक कटोरी से ज्यादा पोहे का सेवन न करें। अगर आप वेट लॉस करना चाहते हैं, तो पोहा बनाते समय उसमें मूंगफली या आलू न डालें।
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रसोई में रखें मसाले कई मामलों में फायदेमंद होते है। खासतौर पर बीमारियों में इन मसालों का इस्तेमाल करने से शरीर को फायदा पहुंचता है। मसालों में की लिस्ट में मेथी और अजवाइन का नाम सबसे ऊपर रहता है। इन्हें रोजाना खाने से डायबिटीज से लेकर मोटापा, अपच और कई सारी सेहत से जुड़ी दिक्कतों में आराम मिलता है। इसलिए रसोई में इन दो मसालों को हमेशा रखना चाहिए। चलिए जानें मेथी और अजवाइन को कैसे इस्तेमाल में लाकर बीमारियों को दूर किया जा सकता है।
मोटापे पर करता है असर
महिलाओं में उम्र बढ़ने के साथ मेटाबॉलिज्म सिस्टम कमजोर होने लगता है। जिससे वजन भी बढ़ता है। अजवाइन और मेथी का पाउडर मिलाकर गर्म पानी के साथ सुबह खाने से शरीर का एक्स्ट्रा फैट कम होता है और वजन तेजी से घटता है। अजवाइन और मेथी में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं। साथ ही ये पाचन क्रिया को भी बेहतर बनाता है।
ब्लड शुगर को करता है कंट्रोल
जिन लोगों को डायबिटीज और ब्लड में शुगर की मात्रा के ज्यादा होने की शिकायत होती है। उन्हें अजवाइन और मेथी को मिलाकर खाना चाहिए। ब्लड शुगर में होने वाले उतार-चढ़ाव को मेथी कंट्रोल करता है।
अपच और पेट की गैस को सही करता है
पेट में होने वाली गैस, बदहजमी, अपच, कब्ज, पेट फूलने जैसी समस्याओं को कम करने के लिए अजवाइन और मेथी असरदार है। इन दोनों को मिलाकर पाउडर बना लें और इसे सुबह खाली पेट खाएं। पेट की समस्याओं से राहत मिलती है और तनाव भी कम होता है।
सर्दी-जुकाम पर करे असर
सर्दी-जुकाम होने पर अजवाइन पीने से फायदा मिलता है। बैक्टीरियल इंफेक्शन और वायरल से सर्दी-जुकाम हो तो अजवाइन के पानी को गर्म करके पीने से राहत मिलती है। साथ ही गले की खराश भी दूर होती है। -
हेल्दी रहने के लिए सही खानपान की सलाह दी जाती है। सुबह के वक्त क्या खाएं, इस बारे में हर किसी की राय अलग रहती है। खाली पेट कुछ लोग बादाम खाते हैं तो कुछ किशमिश खाने की सलाह देते हैं। लेकिन न्यूट्रशनिस्ट का मानना है कि हर इंसान को अपने दिन की शुरूआत के लिए अपनी बीमारियों और लक्षणों को देखकर ही फूड चुनना चाहिए। बादाम, केला या किशमिश इन तीन चीजों को खाली पेट खाया जा सकता है।
सुबह उठते ही क्या पिएं
सुबह की शुरूआत एक गिलास पानी के साथ करनी चाहिए। पेट साफ होने के बाद केवल पानी पीना ही ठीक होता है। इसमे किसी भी तरह के हर्बल चीजों को डालने की जरूरत नहीं होती है।
खाली पेट क्या खाएं
मॉर्निंग में सबसे पहले आप केला, बादाम या किशमिश में से किसी एक को चुन सकते हैं। अलग समस्याओं और लक्षणों में हर फूड का अपना महत्व है।
खाली पेट केला किसे खाना चाहिए
दिन की शुरूआत केला खाकर करनी चाहिए। जिन लोगों को अपच, गैस, ब्लॉटिंग, एनर्जी की कमी और मीठा खाने की इच्छा ज्यादा होती है, वो केला खाकर दिन शुरू कर सकते हैं। हालांकि केला पसंद नहीं तो दूसरे मौसमी फल को भी खाया जा सकता है।
सुबह बादाम कौन खा सकता है
डायबिटीज के मरीजों को सुबह खाली पेट बादाम खाना चाहिए। अगर आंख कमजोर है और त्वचा खुरदुरी सी रहती है तो बादाम को रात में भिगो लें। सुबह छिलका उतारकर इन बादाम को खाएं। - सर्दियां की शुरूआत होते ही अधिकतर घरों में लड्डू बनाने लगते हैं। ये लड्डू जितने हेल्दी होते हैं उतने ही ये खाने में भी टेस्टी होते हैं। ये लड्डू इम्युनिटी को बूस्ट करने के साथ ही हमें कई रोगों से भी सुरक्षित रखने में मदद करते हैं। इन लड्डू को बनाने में घी, तेल, गुढ व गोंद का उपयोग किया जाता है। आगे जानते हैं सर्दियों में बनाए जाने वाले लड्डूओं के बारे में। जो शरीर के लिए फायजेमंद हैं।अलसी के लड्डूअलसी में विटामिन, एंटीऑक्सीडेंट्स, ओमेगा 3 फैटी एसिड व विटामिन बी जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके साथ ही ये खाने में भी बहुत टेस्टी होते हैं। इसके लड्डू बनाने के लिए अलसी के बीच में आटा, गोंद, सूखे मेवे और घी चाहिए। घी में सभी चीजों को भूनकर इसके लड्डू बनाए जाते हैं।पिन्नी के लड्डूपिन्नी के लड्डू उत्तर भारत और पंजाब क्षेत्र में खूब पसंद किए जाते हैं। इसे बनाने के लिए आटा, घी, ड्राई फ्रूट और कद्दूकस किया हुआ नारियल चाहिए होता है। इसे बनाने के बाद इसमें चीनी, बूरा या गुड़ में से किसी एक चीज को मिठास के लिए मिलाया जाता है। पिन्नी के लड्डू आयरन से भरपूर होते हैं। इससे एनर्जी का लेवल बढ़ता है और कमर या शरीर का अन्य दर्द दूर होता है।तिल के लड्डूतिल के लड्डू सेहत के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। तिल में मैग्निनीशियम, कॉपर, आयरन, विटामिन्स, नियासिन, फॉस्फोरस, प्रोटीन व अन्य मिनरल्स पाए जाते हैं। ये सभी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। साथ ही सर्दी के कारण होने वाले रोगों से व्यक्ति को दूर रखते हैं। तिल के लड्डू बनाने के लिए आपके पास सफेद या काले तिल, गुड़, घी, इलायची पाउडर होना चाहिए।गोंद के लड्डूसर्दियों में अन्य लड्डू की तरह ही गोंद के लड्डू भी बेहद ही लाभकारी होते हैं। गोंद के लड्डू में कैल्शियम, प्रोटीन, मैग्नीशियम, व अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं। मुख्य रूप से ये लड्डू हड्डी के दर्द को दूर करने का काम करता है। इसलिए सर्दियों में हड्डियों की समस्या से बचने के लिए गोंद के लड्डू को खाया जाता है। इसे बनाने के लिए आपके पास आटा, गोंद, गुड़ या चीनी होनी चाहिए। इसके अलावा आप अपनी इच्छा अनुसार ड्राई फ्रूट्स का भी उपयोग कर सकते हैं।डायबिटीज व अन्य रोगों के मरीजों को मीठा ज्यादा नहीं खाना चाहिए। लड्डू में मिठास के लिए प्राकृतिक रूप से बनाए गए गुड़ का उपयोग करें। साथ ही लड्डूओं को ज्यादा खाने से अन्य तरह की परेशानियां भी हो सकती हैं। इसलिए इसका सेवन कम मात्रा में करें।
- भला ये कैसे हो सकता है कि मकर संक्रांति के मौके पर कुछ स्वादिष्ट न बनाया जाएं। वैसे, तो लोग मकर संक्रांति के मौके पर कई तरह के पकवान बनाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं मकर संक्रांति के मौके पर खिचड़ी बनाना शुभ होता है और शरीर के लिए भी खिचड़ी बहुत फायदेमंद होती है। मकर संक्राति के मौके पर ये परंपरा है कि खिचड़ी बनाने से ग्रहों की स्थिति मज़बूत बनी रहती हैंमकर संक्रांति पर खिचड़ी कैसे बनाई जाती है?सामग्रीचावल- 1 कपमूंग दाल- 1 कपहरी मिर्च- 1हल्दी पाउडर- 1 चम्मचहींग- चुटकीभरजीरा- 1 छोटा चम्मचनमक- स्वादानुसारघी- स्वादनुसारमटर- 12 मटरगोभी- 12 कपआलू- 1 छोटाटमाटर- 1 छोटाबनाने का तरीका-खिचड़ी बनाने के लिए दाल और चावल को धो लें।-उसके बाद गैस पर कुकर रखें।-उसमें घी डालकर जीरा, हरी मिर्च और हींग डालकर कुछ देर के लिए चटकाएं।-उसके बाद उसमें सब्जियां मटर, गोभी, आलू और टमाटर डालें और 4 से 5 मिनट तक भूनें।-जब सब्जियां सारी भून जाएं, तो इसमें साफ किए हुए चावल और दाल को डाल दें।-अब इसमें 4 कप पानी, नमक और हल्दी डालकर कुकर में 3 से 4 सीटी लगाएं।-कुकर में सीटी आने के बाद कुछ देर कुकर के ढक्कन को न खोलें।-जब कुकर ठंडा हो जाएं, तो प्लेट में गर्म गर्म खिचड़ी सर्व करें।-इसमें आप अपने स्वादनुसार के अनुसार घी, अचार और पापड़ के साथ आसानी से खा सकते हैं।खिचड़ी खाने के फायदे-खिचड़ी पेट के लिए बहुत फायदेमंद होती है। इसको खाने से मेटाबोलिज्म तेज होता है और पाचन क्रिया दुरुस्त होती हैं।-खिचड़ी में भरपूर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है, जो मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करता है।-खिचड़ी खाने से पेट लंबे समय तक भरा रहता है। जिससे भूख नहीं लगती और वजन कम करने में मदद मिलती है।-खिचड़ी खाने से ब्लोटिंग की समस्या आसानी से दूर होती है।-सर्दियों में खिचड़ी खाने से बॉडी डिटॉक्स होती है।मकर संक्रांति के मौके पर खिचड़ी आसानी से बनाई जा सकती है। लेकिन ध्यान रखें अगर आपको कोई बीमारी या एलर्जी की समस्या है, तो डॉक्टर से पूछ कर ही इसका सेवन करें।
- भिलाई से डॉ. शिखा शर्मामकर संक्राति हो और घर में तिल के लड्डू ना बने, ऐसा तो कभी हो नहीं सकता। चलिए हम इस बार आपको तिल के लड्डू बनाने की एक ऐसी विधि बताने जा रहे हैं, जो काफी जायकेदार है। इन्हें बनाने के लिए आपको तिल, घी, गुड़, केसर और फुल क्रीम वाले दूध की जरूरत होती है।सामग्री (चार लोगों के लिए)1 कप सफेद तिल, 1/2 कप खोया, 1/2 कप गुड़, एक चुटकी केसर,,2 टी स्पून घी , 2 टेबल स्पून फुल क्रीम दूधतिल के लड्डू बनाने की विधिएक पैन लें उसमें घी डालें फिर इसमें तिल डालें। इसे लगातार चलाते रहे जब तक तिल हल्के गोल्डन ब्राउन न हो जाएं। पैन को आंच से हटा लें और भूने हुए तिल को एक प्लेट में निकाल लें। केसर को गर्म दूध में भिगों दें। जिस पैन में तिल भूना गया था, उसमें गुड़ को डालकर पिघलाएं। इसे लगातर तब तक चलाते रहे जब तक वह आधा न रह जाए। इसे आंच से हटा लें। इसके सख्त होने से पहले इसमें केसर वाला दूध डालें और मिलाएं। फिर इसमें मुलायम खोया और तिल डालकर चम्मच की मदद से अच्छी तरह मिक्स करें। अब अपने हाथ में थोड़ा सा घी लगाएं और तैयार किए गए मिश्रण से मीडियम आकार के लडूड बनाएं। आप चाहे तो इसमें ड्राई फ्रूट्स जैसे बादाम , हेजऩट्स और अखरोट भी डाल सकते हैं। लेकिन इन्हें हल्का भून लें और क्रश करके मिश्रण में डालें। इसके बाद आप लड्डू बना सकते हैं। इस प्रकार बने लड्डू का स्वाद पारंपरिक विधि से बनाए जाने वाले लड्डू से कुछ अलग होता है।
- करी पत्ता का सेवन जितना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है, उतना ही हमारी त्वचा और बालों के भी लाभकारी होता है। क्या आप जानते हैं बालों की लंबाई बढ़ाने में भी करी पत्ता बहुत लाभकारी है? जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा! जिन लोगों के बाल नहीं बढ़ते हैं, बहुत झड़ते हैं और उनकी जगह नए बाल नहीं उगते हैं वे अगर बालों में करी पत्ता लगाते हैं तो उन्हें लगभग सभी समस्याओं से छुटकारा पाने में मदद मिल सकती है। बस आपको सही तरीके से बालों में इसका प्रयोग करना है। अगर आप भी बालों की लंबाई न बढ़ने या बहुत धीरे-धीरे बढ़ने से परेशान हैं, तो इस लेख में हम आपको करी पत्ता से बाल बढ़ाने के 3 तरीके1. तेल में मिलाकर लगाएंएक पैन में जरूरत के अनुसार नारियल, सरसों, जैतून, कैस्टर या बादाम का तेल लें। फिर इसमें 7-8 करी पत्ता डालें और कुछ मिनट के लिए गर्म करें। आप चाहें तो करी पत्तों को पीसकर भी नारियल तेल में पका सकते हैं। मिश्रण को ठंडा होने दें उसके बाद बालों में लगाएं। स्कैल्प की अच्छी तरह मालिश करें। इसे कम से कम 1 घंटे के लिए बालों में लगाकर छोड़ दें। उसके बाद हल्के शैंपू का प्रयोग करके सिर धो लें।2. मेथी के बीज और करी पत्ता लगाएं1 चम्मच मेथी के बीज को आधा कप पानी में 7-8 घंटों के लिए भिगोकर रख दें। इसे पीसकर एक महीन पेस्ट बना लें। अब एक पैन में नारियल या सरसों तेल ले, इसमें 7-8 करी पत्ता डालकर गर्म करें। फिर इसमें मेथी के बीज डालकर हल्का रोस्ट कर लें। मिश्रण को ठंडा होने के बाद स्कैप्ल से लेकर पूरे बालों में अप्लाई करें, मालिश करें और 1 घंटे बाद धो लें।3. एलोवेरा और करी पत्ता लगाएंएलोवेरा और करी पत्ता दोनों ही बालों की ग्रोथ में बहुत लाभकारी हैं और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं। 1-2 चम्मच एलोवेरा जेल लें, फिर इसमें 7-8 करी पत्ता को पीसकर डालें। अच्छी तरह मिक्स करें और एक पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को बाल, स्कैप्ल और स्प्लिट एंड्स तक लगाएं और 1 घंटे बाद धो लें।इस तरह बालों में करी पत्ता का प्रयोग करके आप अपने बालों की लंबाई जल्दी बढ़ा सकते हैं। लेकिन कोशिश करें कि सप्ताह में 2-3 बार बालों में जरूर लगाएं।
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ठंड का मौसम बीमारियां लेकर आता है। खासतौर पर जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है, उन्हें बार-बार जुकाम हो जाता है। ठंड लगने की वजह से सर्दी-खांसी हो जाए तो समझ जाएं कि शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है। इसके लिए खाने-पीने में ऐसी चीजों को शामिल करें जिसमे पोषण की मात्रा ज्यादा हो। बच्चे और बूढ़े ही नहीं बल्कि जवान लोगों को भी सही डाइट लेनी चाहिए। अगर आपके घर में भी सर्दी से लोग बीमार हो रहे हैं तो उन्हें फलों का मुरब्बा बनाकर खिलाएं।
मुरब्बा
मुरब्बा फल को लंबे समय तक बिना खराब हुए स्टोर करने का देसी तरीका है। गुड़, चीनी और मसालों को डालकर तैयार ये मुरब्बा सेहतमंद होते हैं और आसानी से खाए जा सकते हैं। आंवले को डाइट में शामिल करने के लिए बहुत सारे घरों में लोग आंवले का मुरब्बा खाते हैं। इसी तरह से और भी फल हैं जिनके मुरब्बे को डाइट में शामिल करने से पौष्टिक तत्व मिलते हैं।
सेब का मुरब्बा
सेब को सेहत के लिए बहुत फायदेमंद बताया गया है। लेकिन बच्चे या बड़े कोई भी रोज सेब को नहीं खा पाते। कुछ दिन खाने के बाद सेब से मन ऊब जाता है। आप चाहें तो घर में सेब का मुरब्बा बनाकर रख सकती हैं। इसे हर कोई बड़े चाव से खाएगा और सेहत भी सही रहेगी।
आंवले का मुरब्बा
आंवले का मुरब्बा सबसे ज्यादा लोग खाते हैं। आंवले को कच्चा खाना थोड़ा सा मुश्किल होता है। ऐसे में मुरब्बा हर किसी को पसंद आ जाता है। आंवला गुणों की खान है। विटामिन सी और इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए सर्दियों में आंवले की खुराक बहुत जरूरी है।
गाजर का मुरब्बा
गाजर विटामिन ए का अच्छा खासा स्त्रोत है। इसे खाने से विटामिन के, पोटैशियम, आयरन और बीटा कैरोटिन मिलते हैं। लेकिन रोज गाजर खाना मुश्किल लग सकता है। इसलिए गाजर का मुरब्बा बनाकर रख लें। रोजाना थोड़ा सा गाजर का मुरब्बा कई सारी बीमारियों को खत्म करेगा।
अदरक का मुरब्बा
सर्दी के बाद होने वाली खांसी परेशान करती है तो उसमे गुड़ और अदरक का मुरब्बा फायदा पहुंचाता है। सर्दियों में अदरक का मुरब्बा खाने से सर्दी खांसी की समस्या ना के बराबर होगी। अदरक में विटामिन के, बी6 और सी होते हैं। साथ ही आयरन, जिंक और सोडियम कैंसर जैसी बीमारियों से भी लड़ते हैं। -
आप भी उन लोगों में शामिल हैं जो रात को ठंड से बचने के लिए ऊनी कपड़े पहनकर ही बिस्तर पर सो जाते हैं, तो अपनी ये आदत तुरंत बदल डालिए। जी हां, सर्दियों में ठंड से बचने के लिए गर्म कपड़े तो हर व्यक्ति पहनता है। लेकिन रात को भी शरीर में गर्माहट बनी रहे, इसके लिए सोते समय भी ऊनी कपड़े पहनना आपको नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसा करने से बेशक आपको तुरंत गर्माहट महसूस होने के साथ आरामदायक और गर्माहट भरी नींद भी आ जाए। लेकिन क्या आप जानते हैं स्वेटर या ऊनी कपड़े पहन कर सोने से आपके शरीर पर कई तरह के दुष्प्रभाव हो सकते हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में।
स्वेटर पहनकर सोने से होने वाले साइड इफेक्ट्स-
स्किन एलर्जी-
स्वेटर पहनकर सोने से स्किन जरूरत से ज्यादा ड्राई हो सकती है, जिससे त्वचा से जुड़े कई तरह के इंफेक्शन होने लगते हैं। एक्जेमा की दिक्कत भी स्वेटर पहनकर सोने से हो सकती है। एक्जेमा होने पर स्किन पर रूखापन और खुजली की समस्या होने लगती है। इस परेशानी से बचने के लिए स्वेटर पहनकर ना सोएं और अगर सो रहे हैं तो मॉइश्चराइजर लगाना ना भूलें।
ठंड बर्दाश्त करने की क्षमता पर असर-
ज्यादा समय तक मोटे और ऊनी कपड़े पहने रहने से शरीर के ठंड बर्दाश्त करने की क्षमता कम हो जाती है। ऐसे में अगर आप थोड़े कम गर्म कपड़े पहन कर बाहर निकलते हैं तो आपको बहुत ही आसानी से ठंडी लग सकती है।
पिंपल्स की समस्या-
अगर आपको लगता है कि सर्दियों में आपको पसीना नहीं आता है तो ये आपकी गलतफहमी है। सर्दियों में भी आपको पसीना होता है बस आपको इसका एहसास नहीं होता है। इसके साथ ही हम आपको ये भी बता दें कि आपके स्वेटर या ऊनी कपड़ों की पसीना सोखने की क्षमता अच्छी नहीं होती है, जिसकी वजह से पसीना आपके शरीर पर ही लगा रहता है। इस पसीने को जब स्वेटर की वजह से शरीर का गर्म तापमान मिलता है तो ये एक अलग तरह के पिंपल्स को जन्म देता है जिन्हें स्वेट पिंपल्स कहा जाता है। अगर इन पिंपल्स के बाद भी आप लगातार स्वेटर पहने रहते हैं तो ये पिंपल्स जल्दी ठीक भी नहीं होते हैं।
रिप्रोडक्टिव हेल्थ पर असर-
गर्म कपड़े पहन कर सोने से रिप्रोडक्टिव हेल्थ को नुकसान पहुंच सकता है। रात को सोते वक्त शरीर में उत्पन्न होने वाली अत्यधिक मात्रा में गर्मी की वजह से जेनाइटल एरिया में भी पसीना होता है जिससे ना सिर्फ प्राइवेट पार्ट्स में इनफ्लेमेशन बल्कि तरह-तरह के इनफेक्शन भी हो सकते हैं। -
जल्दी उठने के फायदे हम बचपन से पढ़ते और सुनते आ रहे हैं। आयुर्वेद में भी ब्रह्म मुहुर्त में उठना सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद बताया गया है। सुबह उठना सिर्फ सेहत के लिहाज से ही अच्छा नहीं बल्कि इससे आपकी लाइफ भी व्यवस्थित रहती है। ज्यादातर घरों में बुजुर्ग सूरज उगने से पहले जाग जाते हैं। वहीं यूथ्स को यह काम जरा मुश्किल लगता है। अगर आप भी उन लोगों में से हैं जो देर तक सोते रहते हैं तो जल्दी उठने के कुछ फायदे जान सकते हैं। हो सकता है इसके बाद आपको जल्दी उठने का मोटिवेशन मिल सके।
जानें क्या कहता है आयुर्वेद
आयुर्वेदिक की मानें तो ब्रह्म मुहूर्त में जागने से आपको ज्ञान मिलता है। आप सुबह बैठकर आत्मचिंतन कर सकते हैं या मेडिटेशन बेस्ट तरीका है। अगर आप स्टूडेंट हैं तो इससे आपकी यादाश्त तेज होगी। आपकी कार्य क्षमता बढ़ती है और आप पूरे दिन फ्रेश रहेते हैं। अब सवाल उठता है कि ब्रह्म मुहूर्त कहते किसे हैं? इस सवाल का जवाब है, सूरज उगने से 1 घंटा 36 मिनट पहले का वक्त। यह 48 मिनट तक रहता है। ब्रह्म मुहुर्त में उठ सकते हैं तो बेस्ट अगर नहीं तो आप सूरज निकलने के साथ भी जाग सकते हैं। आयुर्वेदिक डॉक्टर दीक्षा भावसार के मुताबिक, आयुर्वेद में वात, कफ और पित्त प्रकृति के लोगों को जागने के लिए अलग-अलग वक्त दिया गया है। अगर आपको अपनी प्रकृति नहीं पता तो 6:30 से लेकर 7 बजे के बीच उठ जाएं।
सक्सेसफुल होने का राज
आप कई सफल लोगों की लाइफस्टाइल के बारे में पढ़ेंगे तो पता चलेगा कि सुबह जल्दी उठना उनकी लाइफस्टाइल का हिस्सा जरूर होता है। जल्दी उठने से आपके पास दूसरे लोगों से ज्यादा वक्त रहता है। आपका दिन हड़बड़ी में शुरू नहीं होता और आप चीजें प्लान करके चलते हैं। आप इस समय में कई प्रोडक्टिव चीजें कर सकते हैं। इतना ही नहीं एक्सरसाइज के लिए भी सुबह का वक्त बेस्ट माना जाता है।
नहीं चढ़ता है मोटापा
आप जल्दी जागते हैं तो नींद भी जल्दी आती है। ऐसे में जो लोग वजन कम कर रहे हैं उनके लिए भी सुबह जल्दी जागना और सोना जरूरी है। टाइम से सोएंगे तो लेट नाइट भूख लगने पर आप जरूरत से ज्यादा खाना भी नहीं खाएंगे। ऐसा माना जाता है कि जो लोग सुबह जल्दी उठते हैं उनमें मोटापा (कोई जेनेटिक समस्या न हो तो) और खतरनाक बीमारियां होने की संभावना कम रहती है।
मिलते हैं इतने सारे फायदे
जल्दी उठने वालों को गहरी और अच्छी नींद आती है। आप अच्छी तरह सो लेते हैं तो पूरे दिन एनर्जेटिक रहते हैं। इससे आपकी हेल्थ के साथ ब्यूटी भी अच्छी रहती है। नींद न पूरी होने से ऐक्ने, चेहरे पर पफीनेस दिख सकती है। जल्दी उठना फिजिकल हेल्थ, मेंटल हेल्थ, ब्यूटी के साथ सक्सेसफुल होने के लिए भी बेहद जरूरी है। आपको बस यह याद रखना है कि जल्दी उठने के चक्कर में नींद के साथ समझौता न करें। वर्ना कम नींद लेने से होने वाली दिक्कतें भी हो सकती हैं। - बादाम और अंजीर का सेवन सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इन दोनों ड्राई फ्रूट्स में मौजूद गुण और पोषक तत्व शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। इनमें मौजूद गुण कई गंभीर बीमारियों में भी बहुत फायदेमंद होते हैं। बादाम में मौजूद विटामिन ई ओमेगा 3 फैटी एसिड और अन्य पोषक तत्व हार्ट से जुड़ी बीमारियों का जोखिम करने के साथ शरीर को ताकत देने और बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में भी बहुत फायदेमंद होता है। इसके अलावा अंजीर में विटामिन ए, विटामिन बी, प्रोटीन, फाइबर आदि भी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। शरीर की कमजोरी दूर करने से लेकर पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याओं में अंजीर और बादाम का सेवन सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। आइए इस लेख में जानते हैं बादाम और अंजीर एक साथ खाने के फायदे और तरीका।बादाम और अंजीर खाने के फायदे-नियमित रूप से बादाम और अंजीर खाने से आपके शरीर का ब्लड शुगर कंट्रोल करने से लेकर कब्ज और अपच की समस्या से भी छुटकारा मिलता है। अंजीर में मौजूद गुण शरीर में खून की कमी से लेकर अपच और खानपान से जुड़ी समस्या में भी इसका सेवन बहुत फायदेमंद होता है। अंजीर में मौजूद गुण और पोषक तत्व शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम करते हैं। अंजीर और बादाम को भिगोकर एक साथ खाने से आपको ये फायदे मिलते हैं-1. वजन कम करने में फायदेमंदवजन कम करने के लिए अंजीर और बादाम का एक साथ सेवन बहुत फायदेमंद होता है। अंजीर और बादाम को भिगोकर सुबह के समय खाने से आपका पेट भरा रहता है और भूख नियंत्रित रहती है। वजन कम करने के लिए नियमित रूप से इसका एक साथ सेवन बहुत फायदेमंद माना जाता है।2. कब्ज की समस्या में उपयोगीअसंतुलित खानपान और खाराब जीवनशैली के कारण कब्ज और अपच की समस्या लोगों में तेजी से बढ़ती है। कब्ज से छुटकारा पाने के लिए अंजीर और बादाम का एक साथ सेवन करना बहुत फायदेमंद होता है। अंजीर और बादाम में फाइबर की पर्याप्त मात्रा होती है जो कब्ज से निजात दिलाने में बहुत फायदेमंद मानी जाती है।3. शुगर में फायदेमंदशरीर में ब्लड शुगर की मात्रा को कंट्रोल करने के लिए रोजाना अंजीर और बादाम का एकसाथ सेवन बहुत फायदेमंद होता है। अंजीर में पोटैशियम और क्लोरोजेनिक एसिड की पर्याप्त मात्रा होती है। इसका नियमित रूप से सेवन करने से आपका ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है।4. कमजोरी में फायदेमंदकमजोरी दूर करने के लिए अंजीर और बादाम एक साथ खाना बहुत फायदेमंद होता है। अंजीर और बादाम दोनों ही पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इनमें मौजूद गुण और पोषक तत्व शरीर में खून की कमी दूर करने से लेकर कई गंभीर समस्याओं से छुटकारा दिलाने में बहुत फायदेमंद होते हैं।5. हड्डियों के लिए फायदेमंदअंजीर और बादाम का सेवन करने से आपकी हड्डियां मजबूत होती हैं। बादाम और अंजीर दोनों में ही कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा होती है, इसका नियमित रूप से सेवन करने से हड्डियां मजबूत होती हैं और बीमारियों का खतरा कम होता है।रोजाना मुट्ठीभर बादाम और 2 से 3 अंजीर को पानी में भिगोकर सुबह के समय खाने से आपको बहुत फायदा मिलता है। इनका सेवन करने से आपके शरीर में हाई कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होती है और दिल से जुड़ी बीमारियों का जोखिम भी कम होता है।
- सर्दियों के मौसम में खांसी, जुकाम और इन्फेक्शन की समस्या बढ़ जाती है। इस मौसम में खानपान में लापरवाही सेहत पर भारी पड़ सकती है। सर्दियों में शरीर की इम्यूनिटी बूस्ट करने और शरीर को इन्फेक्शन, सर्दी-जुकाम या कफ की समस्या से बचाने के लिए कुछ चीजों का सेवन करने से परहेज करना चाहिए। सर्दियों में कफ की समस्या भी तेजी से बढ़ती है। इस लेख में जानते हैं कौन सी चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए।1. कॉफी का बहुत ज्यादा सेवनसर्दियों में बहुत ज्यादा कॉफी पीने से आपको कई गंभीर परेशानियां हो सकती हैं। कैफीन की अधिक मात्रा वाले ड्रिंक्स का सेवन करने से आपका शरीर अंदर से डिहाइड्रेट हो जाता है। इसकी वजह से आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और शरीर में बलगम या कफ बनने लगता है। कफ की समस्या से छुटकारा पाने के लिए कैफीन वाले ड्रिंक्स का सेवन करने से बचना चाहिए।2. डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवनसर्दियों में बहुत ज्यादा डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन करने से आपकी परेशानियां बढ़ सकती हैं। सर्दी के मौसम में डेयरी प्रोडक्ट्स का बहुत ज्यादा सेवन करने से आपके शरीर में कोल्ड और कफ बढ़ सकता है। हालांकि इसका सीमित मात्रा में सेवन करने से आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।3. हिस्टामिन की अधिकता वाले फूड्ससर्दियों में हिस्टामिन की अधिकता वाले फूड्स का सेवन करने से आपको कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। दरअसल हमारा शरीर एलर्जी या कोल्ड आदि से लडऩे के लिए हिस्टामिन रिलीज करता है। लेकिन सर्दी में फ्लू या कोल्ड आदि होने पर हिस्टामिन की अधिक मात्रा के कारण आपकी परेशानियां बढ़ जाती हैं। इसलिए सर्दियों में कफ से बचने के लिए हिस्टामिन की अधिकता वाले फूड्स जैसे मशरूम, शराब, स्ट्रॉबेरी, ड्राई फ्रूट्स, दही या सिरका आदि का सेवन करने से बचना चाहिए।4. शराब पीने से बचेंसर्दियों में बहुत ज्यादा शराब पीने से आपको कई परेशानियां हो सकती हैं। इसकी वजह से आपके शरीर में कफ की अधिकता हो सकती है। बहुत ज्यादा शराब पीने से आपका इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और लिवर को भी नुकसान होता है।5. तला भुना खाना या जंक फूड्ससर्दियों में लोग तली-भुनी चीजों का ज्यादा सेवन करना पसंद करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं बहुत ज्यादा तला-भुना या जंक फूड खाने से आपकी परेशानियां और बढ़ सकती हैं। इसकी वजह से आपको फ्लू या कोल्ड का खतरा भी बढ़ जाता है। सर्दियों में बहुत ज्यादा तला-भुना खाना खाने से शरीर में कफ बढ़ जाता है।
- रायता खाना तो हम सभी को बहुत पसंद होता है। हम में से ज्यादातर लोग भोजन से पहले, साथ में या बाद में खाना बहुत पसंद करते हैं। यह हमारे भोजन के स्वाद को कई गुना बढ़ा देता है, साथ ही ऐसा माना जाता है कि यह भोजन के बेहतर पाचन में भी मदद करता है। आयुर्वेद की मानें तो भले ही रायता दही से बनता है और आपके आंत स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। लेकिन आयुर्वेद के अनुसार रायता एक विरूद्ध आहार है, यानी यह दो ऐसी चीजों के कॉम्बिनेशन से बनता है जो प्रकृति में एक दूसरे से भिन्न होते हैं और इनका साथ में सेवन सेहत के लिए नुकसानदायक होता है। उदाहरण के लिए रायता में दही के साथ में नमक भी डाला जाता है, जो कि असंगत फूड कॉम्बिनेशन है। भले ही यह आपको खाने में बहुत स्वादिष्ट लगता है, लेकिन अगर इसका सही तरीके और समय से सेवन न किया जाए तो आपकी सेहत को नुकसान भी पहुंचा सकता है।अब सवाल यह उठता है कि आयुर्वेद के अनुसार रायता कब खाना चाहिए? वहीं अक्सर लोगों के मन में यह सवाल भी उठता है कि रायता भोजन से पहले खाना चाहिए, साथ में या बाद में? अगर आप रायता खाते हैं, तो इसका सेवन आपको हमेशा भोजन के हिसाब से करना चाहिए। क्योंकि अगर आप इसका भोजन की शुरुआत से पहले, साथ में या तुरंत बाद सेवन करते हैं तो यह आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार यह एक विरूद्ध आहार है। इसलिए आपको हमेशा यह कोशिश करनी चाहिए कि आप रायते का सेवन हमेशा भोजन से 1 से 2 घंटे पहले या फिर 1 घंटा बाद करना चाहिए। आपको भोजन के साथ में रायते का सेवन करने से बचना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि दही को पचाने में भी समय लगता है। साथ ही जब रायता बनाया जाता है तो दही में कई अन्य सब्जियां, बूंदी और नमक आदि डाला जाता है। जिससे यह पचने में और भी अधिक भारी हो जाता है। इसलिए आपको रायता हमेशा भोजन से पहले या बाद में करना चाहिए। जिससे कि यह भोजन के पाचन में बाधा न बने और आपका पाचन ठीक से काम करें।किन लोगों को रायते के सेवन से बचना चाहिए-जिन लोगों को दूध से एलर्जी है, उन्हें रायता खाने से बचना चाहिए।-रात को रायता का सेवन करते समय ध्यान रखें कि ज्यादा रात न हो, डिनर से पहले करें।-अगर आपका पाचन पहले से खराब है, तो ऐसा में भी आपको रायते से परहेज करना चाहिए।-सर्दी-खांसी और जुकाम आदि में दही के सेवन से बचने की सलाह दी जाती है। क्योंकि कुछ लोगों में इससे बलगम की समस्या हो सकती है।
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सर्दियां आते ही बाजारों में तिल के लड्डू से लेकर गजक, चिक्की, गोंद के लड्डू और गर्मागर्म भुनी मूंगफली मिलने लगती है। सर्दी की ये मिठाईयां दुकानों पर मिलने वाली रोजाना की मिठाईयों से बेहतर होती हैं। इन्हें खाने का मजा भी अलग होता है। सर्दी की गुनगुनी धूप में बैठकर भुने शकरकंद और मूंगफली खाना लोग पसंद करते हैं। क्या आप जानते हैं ये सारी चीजें केवल स्वाद के लिए ही नहीं बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद होती हैं। अगर आप चिक्की या गजक खाने के शौकीन हैं लेकिन सेहत को लेकर चिंतित रहते हैं तो इसके फायदे जानकर खुश हो जाएंगे।
संक्राति और लोहड़ी पर बनती है तिल की मिठाईयां
जनवरी की कड़कड़ाती सर्दी में त्योहारों पर तिल और मूंगफली की मिठाईयां बनाने का चलन हैं। लोहड़ी और संक्राति के मौके पर तिल के लड्डू और गजक हर घर में बनते हैं। जिसे खाने से सर्दी से भी बचाव होता है।
तिल है फायदेमंद
सर्दी के मौसम में शरीर में वात का प्रभाव बढ़ जाता है। ऐसे में हड्डियों और मांसपेशियों में जकड़न हो जाता है। तिल और गुड़ से बने लड्डू जोड़ों की अकड़न को कम करता है। तिल में कैल्शियम पर्याप्त मात्रा में होता है जो हड्डियों को मजबूत करता है। साथ ही तिल शरीर को गर्म रखने में भी मदद करता है। ऐसे में तिल का सेवन सर्दी-जुकाम से भी शरीर को बचाता है।
इन रोगों में तिल खाना है फायदेमंद
हड़्डी और जोड़ों के दर्द से परेशान लोगों को भुने तिल और कच्चे तिल का सेवन करना चाहिए। वहीं डायबिटीज के मरीज भी तिल आसानी से खा सकते हैं। जिन लोगों को मीठे की क्रेविंग होती है वो गुड़ और तिल से बने लड्डुओं को आराम से खा सकते हैं।
भुने शकरकंद खाने के फायदे
भुनी शकरकंद खाना बहुत सारे लोगों को पसंद होता है। शकरकंद गुणों का भंडार है। इसमे आलू से ज्यादा स्टार्च होता है। फाइबर, प्रोटीन, कैलोरी के साथ ही शकरकंद में कैल्शियम और कैरोटेनॉयड्स होते हैं। जो हड़्डियों को मजबूत बनाते हैं।
डायबिटीज के मरीज खा सकते हैं
डायबिटीज के मरीज शकरकंद को आराम से खा सकते हैं। इसमे मौजूद यौगिक रक्त शर्करा को नियंत्रित करते हैं। हालांकि डॉक्टर की सलाह पर ही शकरकंद का सेवन करना चाहिए। अगर आप वजन कम करने के लिए सेहतमंद खाना खाते हैं तो शकरकंद खाएं। ये शरीर में फैट को बढ़ने से रोकता है। भुना शकरकंद खाने से भूख कम लगती है और वजन तेजी से कम होता है। इसलिए सर्दियों में आसानी से भुना शकरकंद खाएं। ये सेहत को हर तरह से फायदा पहुंचाता है। -
सर्दी का सितम जोरों पर है। कोहरा और ठंडी हवाओं ने हर किसी को बेहाल कर दिया है। खुद को गर्म रखने के लिए गर्म कपड़ों के साथ ही हीटर और आग का सहारा सब ले रहे हैं। ऐसे में मन में ये सवाल उठता है आखिर क्यों सर्दी से बचने के लिए कई सारे कपड़े पहनना जरूरी है। बहुत सारे लोगों को कपड़ों की परत पहनना पसंद नहीं होता, ऐसे में वो केवल एक स्वेटर से ही सर्दी दूर भगाना चाहते हैं लेकिन हाड़ कंपाती ठंड में केवल एक स्वेटर शरीर को गर्म रखने में फेल हो जाता है। अगर आपके मन में भी ये सवाल पैदा हो रहा है तो जान लें कि कई कपड़े पहनने का वैज्ञानिक कारण भी है।
क्यों एक कपड़े से ठंड में शरीर गर्म नहीं होता
ठंड से बचने के लिए अक्सर लोग एक मोटा ऊनी स्वेटर पहन लेते हैं। लेकिन ये मोटा कपड़ा शरीर को पूरी तरह से गर्म रखने में फेल हो जाता है। वहीं पतली परत का दो से तीन कपड़ा कड़कड़ाती सर्दी में भी शरीर को तेजी से गर्म कर देता है। इसका कारण शरीर की गर्मी है, जो कि एक मोटे कपड़े से आसानी से बाहर निकल जाती है।
कई परत के कपड़े शरीर को रखते हैं गर्म
जबकि पतली परत के दो से तीन कपड़े शरीर की गर्मी को आसानी से रोक लेते हैं। जब हम दो ऊनी कपड़े पहनते हैं तो शरीर की गर्मी इन दो कपड़ों के बीच फंस जाती है और बाहर नहीं निकलती, जिसकी वजह से शरीर आसानी से गर्म हो जाता है और हमें सर्दी नहीं लगती।
ठंड से बचने के लिए जरूरी है दो से तीन परत का कपड़ा
इसलिए सर्दियों के मौसम में एक मोटा ऊनी कपड़ा पहनने से बेहतर है कि दो से तीन परत के ऊनी कपड़े पहने जाएं। जो शरीर को गर्म रखने में मदद करें।
ठंड में चुनें इस फैब्रिक को
सर्दियों से बचने के लिए ऊनी कपड़े पहने जाते हैं लेकिन आप चाहें तो ऊनी कपड़ों के अलावा हल्की सर्दी में सिल्क फैब्रिक को भी चुन सकते हैं। ये ना केवल शरीर की गर्मी को बाहर आने से रोकते हैं बल्कि कई परत के कपड़े पहनने के लिए कॉटन फैब्रिक से ज्यादा बेहतरीन विकल्प है। - सौंफ हमारे किचन में मौजूद एक अद्भुत मसाला है। हम में से ज्यादातर लोग अपने दैनिक जीवन किसी न किसी रूप में इसका सेवन जरूरी करते हैं। यह खाने में मीठी और बहुत स्वादिष्ट होती हैं, साथ ही हमारे द्वारा खाए जाने वाले कई व्यंजनों को एक बेहतरीन खुशबू और स्वाद प्रदान करता है। लेकिन हम शायद ही कभी इसके स्वास्थ्य लाभों के बारे में सोचते हैं। जबकि इसका सेवन सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है, खासकर जब आप एक चम्मच सौंफ को रातभर पानी में भिगोकर सुबह इसका सेवन करते हैं।भीगी सौंफ के फायदे-1. पेट के लिए है लाभकारी हैरोजाना नियमित सुबह भीगी सौंफ खाने से पाचन संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। यह पेट में गैस, कब्ज, अपच, ब्लोटिंग जैसी समस्याओं का रामबाण उपाय है। यह आपके पाचन को दुरुस्त करता है, साथ ही नेचुरल मेटाबॉलिज्म बूस्टर है। यह मल को सख्त करने और मलत्याग की प्रक्रिया को बेहतर करने में भी लाभकारी है। उल्टी, दस्त आदि में भी इसका सेवन बहुत फायदेमंद है।2. दिमाग होगा तेजसौंफ के बीज पोटेशियम से भरपूर होते हैं, यह मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद करते है। यह ब्रेन फंक्शन में सुधार कर, मेमोरी बूस्ट करने, साथ ही आपके मस्तिष्क को एक्टिव रखने में भी मदद करता है। साथ यह रक्त में ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाती है, तनाव, चिंता और अवसाद जैसी स्थितियों को कम करती है और मूड में सुधार करती है।3. दिल को रखे स्वस्थफाइबर, पोटेशियम जैसे जरूरी मिनरल से भरपूर सौंफ सिस्टोलिक हाई बीपी, कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मददगार है। जिससे यह हृदय रोगों के जोखिम को कम करने में मदद करती है। दिल को स्वस्थ रखने के लिए आपको रोज इसका सेवन करना चाहिए।4. पुरुषों की कई समस्याएं करे दूरपुरुषों में लो स्पर्म काउंट, इन्फर्टिलिटी और यौन इच्छाओं में कमी को दूर रखने में सौंफ के बीज बहुत लाभकारी हैं। इनके नियमित सेवन से पुरुषों की ये समस्याएं जल्द दूर होती हैं। यह हार्मोनल संतुलन को भी बनाए रखते हैं।5. महिलाओं के लिए है लाभकारी हैमहिलाओं में पीएमएस, पीरियड्स की ऐंठन और पीरियड्स के दौरान ब्लड फ्लो को सामान्य रखने में सौंफ के बीज बहुत लाभकारी हैं। साथ ही इसके सेवन से हार्मोनल समस्याओं को दूर करने में मदद करती है।
- अक्सर हम देखते हैं कि बहुत से लोगों के शरीर के अन्य हिस्सों की तुलना में पेट के एरिया में अधिक चर्बी देखने को मिलती है। पेट में जमा यह जिद्दी चर्बी कई गंभीर रोगों के प्रमुख जोखिम कारकों में से एक है। इसलिए इसे कम करना बहुत जरूरी है।पेट में जमा यह जिद्दी चर्बी हमारी जीवनशैली की खराब आदतें, गतिहीन जीवनशैली और जंक, प्रोसेस्ड, ज्यादा तला-भुना खाने का परिणाम है। इसे कम करने में काफी समय लगता है, इससे छुटकारा पाने का कोई इंस्टेंट उपाय नहीं है। हालांकि अगर आप संतुलित आहार लें और नियमित व्यायाम करें, तो इसके साथ कुछ आयुर्वेदिक उपायों को फॉलो करके अपने बैली फैट लॉस जर्नी में तेजी ला सकते हैं।1. अग्नि को बढ़ाएंहमारी शारीरिक और पाचन अग्नि आपके द्वारा खाए जाने वाले भोजन के बेहतर पाचन और मेटाबॉलिज्म की दर को तेज करने में अहम भूमिका निभाती है। शरीर में जमा अतिरिक्त कैलोरी बर्न करने के लिए अग्नि तेज होना बहुत जरूरी है। इसलिए आपको गर्म तरल पदार्थों का सेवन अधिक करना चाहिए और ठंडे फूड्स, ड्रिंक्स से परहेज करना चाहिए।2. पूरा दिन गर्म पानी पिएंअगर आप पूरा दिन गुनगुने या गर्म पानी का सेवन करते हैं, तो इससे शरीर की अतिरिक्त कैलोरी बर्न करने में मदद मिलती है। साथ ही इससे आपका पाचन भी दुरुस्त होता है, साथ ही भोजन को पचाने और इससे पोषक तत्वों के अवशोषण में भी आसानी होती है। यह मेटाबॉलिज्म की दर को भी तेज करता है, जिससे आप अधिक तेजी से कैलोरी बर्न करते हैं।3. डिनर 7 बजे तक कर लेंआयुर्वेद यह सुझाव देता है कि जैसे जैसे दिन ढलने लगता है, तो हमारी पाचन अग्नि भी कमजोर हो जाती है। हमारी पाचन अग्नि सूर्य की नकल करती है। जब सूर्य निकलता है तो पाचन अग्नि भी मंद होती है, दोपहर में तेज और दिन ढलने के साथ फिर से मंद हो जाती है। अगर आप सूरज ढलने के बाद कुछ भारी खाते हैं, तो इसे पचने में अधिक समय लगता है और भोजन ठीक से पच नहीं पाता है, अनपचा भोजन चर्बी बढ़ाने में योगदान देता है।4. चबा-चबा कर भोजन करेंआयुर्वेद के अनुसार भोजन को मन लगाकर और अच्छी तरह चबा-चबा कर खाना चाहिए। इससे भोजन में लार और पाचक रस अच्छी तरह मिल जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि हमारे द्वारा खाया जाने वाले भोजन मुंह में 70 प्रतिशत तक पचने योग्य हो जाते है। इसलिए आपको भोजन अच्छी तरह-चबाकर और शांति पूर्व करना चाहिए।5. कुछ आयुर्वेदिक हब्र्स हैं मददगारसुबह खाली पेट पानी में जीरा, सौंफ, अदरक, दालचीनी, धनिया जैसी हब्र्स और मसाले में से कोई भी एक उबालकर, इनमें शहद मिलाकर पीने से वजन घटाने में बहुत लाभ मिलता है। इसके अलावा त्रिफला, आंवला, गुडुची का चूर्ण भी वजन घटाने में मदद करता है। आप किसी आयुर्वेदिक एक्सपर्ट से इनके सेवन सही तरीका पूछ सकते हैं।अगर आप संतुलित आहार और नियमित व्यायाम के साथ इन सरल टिप्स को फॉलो करते हैं, तो आपको जल्द स्लिम और फ्लैट बैली पाने में मदद मिलेगी।