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बचपन से आप यह कहावत सुनते आए होंगे कि रोजाना एक सेब खाने से व्यक्ति खुद को कई रोगों से दूर रख सकता है। सेब खाने से न सिर्फ व्यक्ति की कब्ज की शिकायत दूर होती है बल्कि बढ़ते वजन से भी छुटकारा मिल सकता है। लेकिन कई बार सेब खाने का सही तरीका और समय पता न होने की वजह से व्यक्ति को फायदे की जगह नुकसान होने लगता है। ऐसे में आइए जान लेते हैं खाली पेट सेब खाने से व्यक्ति को मिलते हैं कौन से गजब के फायदे और क्या है इसे खाने का सही समय।
खाली पेट सेब खाने के फायदे-खून की कमी-सेब में आयरन की भरपूर मात्रा पाई जाती है, जो खून साफ करने के साथ शरीर में पर्याप्त मात्रा में आयरन का निर्माण भी करती है। जिससे व्यक्ति के शरीर में खून की कमी दूर होती है।कब्ज से छुटकारा-अगर आप कब्ज, गैस और पाचन क्रिया से परेशान हैं तो खाली पेट सेब का सेवन करें। सेब में मौजूद फाइबर धीरे-धीरे कब्ज को कम करता है। अगर आप चाहें तो सेब की जगह उसका मुरब्बा भी खा सकते हैं।ब्लड शुगर रखता है कंट्रोल-सेब डायबिटीज रोगी के लिए सबसे बढ़िया विकल्प हो सकता है। सेब को छिलके समेत खाने से डायबिटीज रोगियों को ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रखने में मदद मिल सकती है।वेट लॉस में फायदेमंद-वजन कम करने के लिए रोज सुबह खाली पेट एक सेब का सेवन करना बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। क्योंकि सेब में फाइबर भरपूर पाया जाता है। जिसकी वजह से पेट लंबे समय तक भरा हुआ महसूस होता है और भूख भी कम लगती है। जिससे वजन को कम करने में मदद मिलती है।इम्यूनिटी करें बूस्ट-इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाए रखने के लिए रोज सुबह खाली पेट सेब का सेवन करें। सेब में मौजूद कई पोषक तत्व इम्यूनिटी मजबूत बनाने में मदद करते हैं।सेब खाने का सही तरीका-कभी भी सेब के छिलके उतारकर नहीं खाना चाहिए। इसका सेवन सुबह खाली पेट करें। सेब के छिलके में पेक्टिन पाया जाता है। सेब के छिलके में मौजूद पेक्टिन फाइबर के साथ मिलकर दिल के रोगों और ब्लड वैसल्स में मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाने में मददगार है। सेब का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल रहता है और दिल के रोगों का खतरा कम होता है। ध्यान रखें, सेब का सेवन कभी भी शाम या सोते समय नहीं करना चाहिए। -
आज हाइपरटेंशन और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से ज्यादातर लोग जूझ रहे हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में 12.8 फीसदी मौतें सिर्फ हाई ब्लड प्रेशर के कारण होती हैं। समय रहते अगर इस समस्या का इलाज नहीं किया जाए तो व्यक्ति को स्ट्रोक और हार्ट अटैक होने का खतरा बना रहता है। ऐसे में हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों को अपना बीपी कंट्रोल रखने के लिए अपनी डाइट का खास ख्याल रखने की सलाह दी जाती है।
कई ऐसे ड्राई फ्रूट्स हैं, जिनमें मौजूद पोषक तत्व हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। इन ड्राई फ्रूट्स में हेल्दी फैट्स के साथ ओमेगा-3 फैटी एसिड, पोटैशियम, मैग्नीशियम, डाइट्री फाइबर, कैल्शियम, कॉपर, आयरन, विटामिन A, C, E, K जैसे जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं। जो व्यक्ति के बीपी को सामान्य बनाए रखने में काफी फायदेमंद हो सकते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं 5 ऐसे ड्राई फ्रूट्स के बारे में जिनका सेवन हाई बीपी के रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद हो सकता है।
ब्लडप्रेशर कंट्रोल करने के लिए रोजाना खाएं ये 5 ड्राई फ्रूट्स-
पिस्ता-
हाई बीपी के रोगियों को पिस्ता का सेवन करने से काफी लाभ मिल सकता है। पिस्ता में पोटेशियम, मैग्नीशियम और मोनोअनसैचुरेटेड फैट जैसे तत्व होते हैं, जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। आप पिस्ता को सलाद या स्मूदी में डालकर खा सकते हैं।
काजू-
काजू खाने से खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद मिलती है। इसमें सोडियम का स्तर कम होने के साथ पोटेशियम की अच्छी मात्रा मौजूद होती है। जिसकी वजह से हाई बीपी को कंट्रोल करने में मदद मिलती है।
बादाम-
बादाम में मौजूद अल्फा टोकोफेरोल नामक यौगिक शरीर में ब्लड प्रेशर को सामान्य स्तर पर बनाए रखने के लिए जाना जाता है। इसके अलावा ये हेल्दी फैट्स और विटामिन ई का बेहतरीन स्रोत हैं। हाई ब्लड प्रेशर के रोगी रातभर 7-8 भीगे हुए बादाम का सेवन कर सकते हैं।
सूखे अंजीर-
सूखे अंजीर में डाइट्री फाइबर, मैग्नीशियम, पोटैशियम की अच्छी मात्रा मौजूद होती है। जो ब्लड प्रेशर के रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकती है। इसका सेवन करने के लिए आप रात भर सूखे अंजीर का सेवन कर सकते हैं।
सूखे आलूबुखारा-
आलूबुखारा पोटेशियम का रिच सोर्स है। जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने में अहम भूमिका निभाता है। इसके लिए आप रात भर भीगे हुए सूखे आलूबुखारे का सेवन सुबह कर सकते हैं। इसके अलावा आप नाश्ते में या सुबह खाली पेट दूध के साथ भी सूखे आलूबुखारा का सेवन कर सकते हैं -
साल दर साल उम्र का बढ़ना तो कोई नहीं रोक सकता। लेकिन शरीर और दिमाग को मजबूत जरूर बना सकता है। उम्र ढलने के साथ याददाश्त में कमी और तमाम तरह की बीमारियों का होना आम बात है। लेकिन सही डाइट की मदद से बुढ़ापे तक शरीर को फिट और दिमाग को तंदरुस्त रखा जा सकता है।
नई रिसर्च में बात सामने आई है कि अलग तरह की डाइट का असर लंबे समय में बीमारियों और डेथ पर दिखता है। बढ़ती उम्र में भी फिट और रोगों से दूर रहना है तो इस तरह की डाइट को अपने रूटीन का हिस्सा बना लें। हर डाइट के अलग फायदे होते हैं। जिन्हें अपनाने से दिमाग और दिल के साथ सेहत को दुरुस्त रखा जा सकता है। यहां तक कि असमय बीमारियों से होने वाली मौत पर भी असर पड़ता है।
मेडिटेरेनियन डाइट
मेडिटेरेनियन डाइट प्लांट बेस्ड डाइट है। जिसमे फल, सब्जियों के साथ नट्स शामिल होते हैं। जिन्हें पकाने के लिए ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल किया जाता है। इन फूड्स में सैचुरेटेड फैट बहुत कम होता है। जो हेल्दी रहने के लिए जरूरी है। दिमाग के जल्दी कमजोर होने के पीछे सैचुरेटेड फैट जिम्मेदार होता है। ऐसे में मेडिटेरेनियन डाइट दिमाग को समय से पहले बूढ़ा होने से बचाती है।
डैश डाइट
डैश डाइट हाई बीपी को ध्यान में रखकर दी जाती है। इसमे भी फ्रूट्स, वेजिटेबल्स, अनाज और बींस शामिल होते हैं। जिसमे फैट और सोडियम की मात्रा कम होती है। इस डाइट को फॉलो करने से हाइपर टेंशन और हाई बीपी की समस्या को कम किया जाता है। जिससे इंसान की उम्र बढ़ने के साथ भी हाई बीपी की समस्या परेशान नहीं करती है। रिसर्च में सामने आया है कि डैश डाइट शरीर में उम्र बढ़ने की गति को कम करता है।
MIND डाइट
मेडिटेरेनियन और डैश डाइट का काम्बिनेशन है माइंड डाइट। जिसमे हरी पत्तेदार सब्जियों और बेरीज को शामिल करते हैं। जो दिमाग की सेहत को तंदरुस्त रखने के लिए जरूरी होते हैं। स्टडी में खुलासा हुआ है कि मिडिल एज की महिलाएं जिनमे अल्जाइमर का खतरा ज्यादा होता है। वो इस डाइट को फॉलो करने से 35% इस रिस्क को कम कर सकती हैं। हालांकि पूरी तरह से इस डाइट को फॉलो करने की बजाय आप मॉडरेट तरीके से फॉलो करें।
हाइड्रेशन है जरूरी
नेशनल हार्ट, लंग एंड ब्लड इंस्टीट्यूट के रिसर्चर्स ने पाया कि शरीर में सीरम सोडियम का हाई रेट डिहाइड्रेशन की निशानी होता है। डिहाइड्रेशन की वजह से हॉर्मोंस को तेजी से और ज्यादा मेहनत से काम करना पड़ता है। जिससे शरीर के अंग उम्र से भी ज्यादा बूढ़े हो जाते हैं। हेल्दी रहना चाहते हैं तो पानी पीने की मात्रा पर खास ध्यान दें और डिहाइड्रेशन से बचें। -
बच्चे के 6 महीने के होने के बाद माएं अक्सर उन्हें ठोस आहार देना शुरू कर देती हैं। इस तरह के आहार में मूंग दाल खिचड़ी या दलिया ज्यादातर मां अपने बच्चे को देने के लिए पसंद करती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं इन दोनों ही चीजों से अलग बाजरे की खिचड़ी भी इस उम्र के बच्चों को दी जा सकती है।
बाजरे की खिचड़ी में विटामिन-बी, फाइबर, प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, आयरन और एंटीऑक्सीडेंट्स की अच्छी मात्रा मौजूद होती है। ये सभी पोषक तत्व शिशु के विकास के लिए जरूरी होते हैं। आइए जानते हैं शिशु को बाजरे की खिचड़ी खिलाने से मिलते हैं कौन से गजब के फायदे।
खून की कमी होगी दूर-
जो बच्चे एनीमिया रोग से जुझ रहे होते हैं आप उन्हें बाजरे की खिचड़ी खिला सकते हैं। इसमें पाया जाने वाला आयरन उनके शरीर में एनीमिया की कमी पूरी करने में मदद कर सकता है।
हड्डियां बनेंगी मजबूत-
बाजरे की खिचड़ी में कैल्शियम काफी अच्छी मात्रा में पाया जाता है जो बच्चे की हड्डियों का विकास करने में मदद करता है। इसके अलावा बाजरे की खिचड़ी देने से बच्चे की हड्डियां भी मजबूत होती हैं।
मजबूत पाचन तंत्र-
बाजरे की खिचड़ी बच्चों को खिलाने से उनका पाचन तंत्र भी मजबूत बनता है। इसमें पाया जाने वाला फाइबर बच्चों के पाचन को दुरुस्त रखता है। इसके अलावा बच्चे को पेट में अपच, कब्ज, गैस और बदहजमी जैसी समस्याओं में भी राहत दिलाता है।
बच्चों की ग्रोथ-
बाजरे की खिचड़ी बच्चे को खिलाने से उनका विकास भी अच्छा होता है। इसमें मौजूद प्रोटीन, फाइबर, आयरन, विटामिन जैसे पोषक तत्व बच्चों को शरीर की ग्रोथ में मदद करते हैं। -
बैंगन की सब्जी हो या फिर बैंगन का भर्ता, ये हर किसी की फेवरिट होती है। यूं तो ये आपको हर मौसम में आसानी से मिल जाता है। लेकिन सर्दियों के मौसम में बैगन खाने के अपने ही फायदे हैं क्योंकि इसमें कई ऐसे गुण पाए जाते हैं जो बाकी की अन्य सब्जियों में नहीं पाए जाते हैं। बैगन के सेवन से दिल से जुड़ी बीमारियों के जोखिम को कम करने से लेकर ब्लड शुगर को कंट्रोल करने तक मदद करता है। यहां तक कि इसके सेवन से वजन भी कम हो सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कई ऐसे भी लोग हैं जिन्हें बैंगन के सेवन से बचना चाहिए? जी हां, जब आप कुछ समस्याओं का शिकार हो जाते हैं तो आपके लिए बैंगन हानिकारक हो सकता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर वो कौन से लोग हैं जिन्हें बैंगन का सेवन बैगन का सेवन नहीं करना चाहिए।
ये लोग न करें बैगन का सेवन1. पेट से जुड़ी समस्याओं में या फिर पाचन तंत्र कमजोर होने परअगर आपका पाचन तंत्र कमजोर है तो बैंगन का सेवन न करें। वरना इससे आपको गैस की समस्या हो सकती है। वहीं, यदि आपको पेट से जुड़ी समस्याएं हैं तो बैगन का सेवन करने से बचें।2. एलर्जी होने परअगर आपको किसी भी तरह की एलर्जी है तो बैंगन से दूरी बना कर रखें, क्योंकि ये एलर्जी को ट्रिगर कर सकता है जिसकी वजह से आपके पूरे शरीर में एलर्जी फैल सकती है। इसलिए ऐसे लोग बैंगन का सेवन न करें।3. डिप्रेशनअगर आप डिप्रेशन की दवा लें रहे हैं या फिर डिप्रेशन से जूझ रहे हैं तो आपको बैगन का सेवन करने से बचना चाहिए। क्योंकि इसके सेवन से आपके शरीर पर दवा का असर कम होने लगता है।4. खून की कमीअगर आपके शरीर में खून की कमी है तो भी आपको बैंगन का सेवन करने से बचना चाहिए। क्योंकि इसके सेवन से रक्त की मात्रा बढ़ने में दिक्कत होती है।5. आंखों में जलनजिन लोगों की आंखों में किसी तरह की समस्या है या फिर आप जलन या सूजन से परेशान हैं तो ऐसे में आपको बैगन का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि ये आपके समस्या को और बढ़ा सकता है।6. बवासीरअगर आप बवासीर से पीड़ित हैं तो बैंगन से दूरी बना लें। वरना आपकी समस्या और बढ़ जाएगी।7. पथरीपथरी से पीड़ित लोगों को भी बैंगन का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए। बैंगन में पाया जाने वाला ऑक्सलेट पथरी की समस्या को बढ़ा सकता है। -
दिनभर की थक कर घर पहुंचने के बाद पैरों में दर्द महसूस होने लगता है। इस दर्द से निपटने के लिए कुछ लोग पैरों को गुनगुने पानी में भिगोते हैं तो कुछ हीटिंग पैड का इस्तेमाल करते हैं। जिससे यकीनन आराम तो मिलता है लेकिन नींद नहीं आ पाती है। ऐसा थकान और स्ट्रेस के कारण होता है। इन सभी परेशानियों से निपटने में फुट मसाज आपकी मदद कर सकता है। जी हां, मेंटल और फिजिकल हेल्थ के लिए फुट मसाज फायदेमंद हो सकती है। यहां जानिए इसके कुछ बेनिफिट्स-
फुट मसाज के फायदे
जोड़ों के दर्द में आराम
तलवों की मालिश करने पर आपको कई तरह के फायदे मिल सकते हैं। रोजाना ऐसा करने पर जोड़ों के दर्द में आराम मिल सकता है। जब आप तलवों की मालिश करते हैं तो ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है, जिससे नसों को आराम मिलता है।
दिमाग होगा शांत
कई बार तनाव और थकान के कारण नींद नहीं आती है ऐसे में अगर आप रात को सोने से पहले तलवों की मालिश करेंगे तो दिमाग को शांत करने में भी मदद मिलती है।
मोटापा होता है कम
ये शायद आपको अजीब लग सकता है कि रोजाना फुट मसाज करने पर आप वजन घटा सकते हैं। जी हां, फुट मसाज मेटाबॉलिज्म को बेहतर करती है जिससे वेट लॉस में मदद मिल सकती है। मसाज शरीर के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद फैट को दूर करने में मदद कर सकता है। ये पसीने की मदद से टॉक्सिक तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है।
बनी रहेगी गर्माहट
मसाज के दौरान तलवों के अलग-अलग पॉइंट पर दबाव बनाया जाता है, जिससे ब्लड फ्लो बेहतर होता है। ऐसा होने पर शरीर के अलग-अलग हिस्सों को आराम मिलता है और ये शरीर में गर्मी पैदा करने में मदद करते हैं।फाइल फोटो
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वाशिंगटन। निराशा या अवसाद से गुजर रहे युवा वयस्कों में दिल की बीमारी होने का खतरा अधिक हो सकता है तथा उनका हृदय संबंधी स्वास्थ्य खराब होता है। एक नए अध्ययन में यह भी पाया गया है कि जो युवा वयस्क अवसादग्रस्त या खराब मानसिक सेहत वाले होते हैं उनमें दिल का दौरा पड़ने, आघात तथा दिल की बीमारी के अन्य खतरे होने की आशंका अधिक होती है।
जॉन्स हॉप्किंस मेडिसिन अनुसंधानकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में 18 से 49 वर्ष की आयु के बीच के पांच लाख से अधिक लोगों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है। यह अध्ययन ‘जर्नल ऑफ द अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन' में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन के निष्कर्षों से पता चलता है कि युवा तथा मध्यम आयु के वयस्कों में दिल की बीमारी का संबंध अवसाद से है तथा इसमें संकेत दिया गया है कि इन दोनों परिस्थितियों के बीच संबंध वयस्कता की शुरुआत से ही शुरू हो सकता है।
अध्ययन में कहा गया है, ‘‘जब आप तनाव में, बेचैन या अवसाद में होते हैं तो आपके भीतर बहुत भावनाएं उमड़ रही होती हैं तथा आपकी हृदय गति और रक्तचाप बढ़ता है।'' अध्ययन की वरिष्ठ लेखक गरिमा शर्मा ने कहा, ‘‘यह आम बात है कि हताश महसूस करने से आप खराब जीवनशैली अपना सकते हैं जैसे कि धूम्रपान, शराब पीना, कम सोना और शारीरिक रूप से सक्रिय न होना - ये सभी विपरीत स्थितियां आपके हृदय पर नकारात्मक असर डालती हैं।''
अध्ययन के अनुसार, दिल की बीमारी के जोखिम में उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, अत्यधिक वजन/मोटापा, धूम्रपान, मधुमेह और खराब शारीरिक गतिविधि तथा आहार शामिल है। - स्ट्रीट फूड में गोलगप्पे का स्वाद तो लगभग हर किसी को पसंद आता है। बच्चे हो या बड़े सड़क के किनारे लगे ठेले पर गोलगप्पों का स्वाद हर कोई चखना चाहता है। अगर आप उन गोलगप्पों को हाईजीन की वजह से बच्चों को नहीं खाने देती। तो घर में ही चटपटे पुदीने वाली पानी के साथ घर में खिला सकती हैं। फूले हुए गोलगप्पों में मटर और आलू की स्टफिंग के साथ पानी का स्वाद हर किसी को पसंद आएगा। तो चलिए जानें कैसे बनाएं घर में चटपटा पुदीने वाला पानी।गोलगप्पे बनाने की सामग्रीएक चौथाई कप मैदाएक कप सूजीचार से पांच उबले आलूबारीक कटा प्याज2 हरी मिर्चपुदीने का पत्ताजलजीरा पाउडरदही आधा कपइमली चटनी दो चम्मचचाट मसालाबूंदीकाली मिर्च पाउडर आधा चम्मचधनिया की पत्तीतलने के लिए तेलनमक स्वादानुसारगोलगप्पे बनाने की विधिफूले हुए गोलगप्पे बनाने के लिए सबसे पहले किसी बर्तन में सूजी और मैदा को लें। इसमे चुटकीभर नमक डालकर मिला लें। पानी से सख्त आटा गूंथ लें। आटे को ढंककर रख दें। कुछ देर बाद सारे आटे की छोटी लोई बनाकर बेल लें। कड़ाही में तेल गर्म करें और तल लें। स्टफिंग बनाने के लिए आलू और मटर को उबाल लें। आलू को छीलकर मैश कर लें और इसमे बारीक कटी हरी मिर्च, प्याज डालें। साथ में चाट मसाला, नमक, काली मिर्च डालें।चटपटा पानी तैयार करेंचटपटा पानी बनाने के लिए पानी को हल्का सा गुनगुना कर लें। अब इसमे जलजीरा पाउडर और नमक मिलाकर रख दें। मिक्सी के जार में पुदीना और धनिया की पत्ती डालें। साथ में हरी मिर्च, काला नमक और अमचूर पाउडर डालकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को पानी में मिलाएं। स्वादानुसार नमक बढ़ाएं। बस पानी में बूंदी डालें और तैयार है गोलगप्पे का चटपटा पानी। इसे थोड़ी देर रखकर ठंडा कर लें और सर्व करें।
- वजन कम करने के कई तरीके हैं, जो हर तरह की बॉडी के साथ डिफरेंट तरह से काम करता है। बेहतर पाचन, नींद और वजन घटाने के लिए सोने से दो घंटे पहले रात का खाना खाने का सुझाव दिया जाता है। इसी के साथ आप डायट में कुछ ड्रिंक्स को शामिल कर सकते हैं जो वेट लॉस में मदद करती हैं।ये ड्रिंक्स आपको सोने से पहले पीने पर वजन घटाने में मदद मिलेगी।चर्बी घटाने के लिए बेडटाइम ड्रिंक्सहल्दी-अदरक की चायसर्दी, खांसी और चोटों को ठीक करने के अलावा हल्दी मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने और पाचन क्रिया को ठीक करने में भी मदद करती है। इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण हमारे शरीर से हानिकारक टॉक्सिन को बाहर निकालते हैं। इसे बनाने के लिए हल्दी अदरक की चाय के लिए सबसे पहले एक पैन में 1 कप पानी अच्छी तरह उबाल लें। फिर कच्ची हल्दी की एक इंच लंबी गांठ कद्दूकस और अदरक डालें। इसे पियें।कैमोमाइल चायकैमोमाइल चाय एक कैफीन फ्री ड्रिंक है। यह ब्लड फ्लो से शक्कर को हटाने और ब्लड शुगर के लेवल को स्थिर करने में मदद करता है। यह आपको शुगर क्रेविंग और कैलोरी के अधिक सेवन से रोकता है, जो वजन नहीं बढ़ाता है। इसके लिए आप एक कप गर्म पानी में 5 से 10 मिनट के लिए कैमोमाइल फूलों को डुबोएं और पीएं। वेट लॉस के साथ ही कैमोमाइल अच्छी नींद को बढ़ावा दे सकता है।दालचीनी की चायदालचीनी हेल्थ के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद होती है, यह वजह है कि इसका इस्तेमाल भारतीय रसोई में खूब किया जाता है। शहद के साथ दालचीनी कुछ किलो वजन कम करने में आपकी मदद करती है। उबलते पानी में आधा चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाएं। इसे छान लें और इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर दालचीनी की चाय तैयार करें।
- लिवर शरीर के सबसे जरूरी अंगों में से एक है। शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को फिल्टर करने से लेकर पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में लिवर सबसे अहम होता है। असंतुलित खानपान और खराब जीवनशैली के कारण लिवर से जुड़ी परेशानियां बहुत आम हैं। लिवर में खराबी होने पर इसके संकेत को पहचानकर सही कदम उठाने से आप गंभीर परेशानी से शिकार होने से बच सकते हैं। लिवर से जुड़ी परेशानियों को नजरअंदाज करने से आपकी जान भी जा सकती है। लिवर शरीर में ब्लड शुगर कंट्रोल करने से लेकर एंजाइम के निर्माण और फैट को पचाने में बहुत अहम भूमिका निभाता है। लेकिन खराब खानपान और असंतुलित जीवनशैली के कारण लिवर में खराबी आ सकती है। वैसे तो लिवर में खराबी आने पर आपके शरीर में कई लक्षण दिखाई देते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं आपके पैरों में दिखने वाले कुछ लक्षण भी लिवर में खराबी का संकेत हो सकते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं इनके बारे में।लिवर में खराबी होने पर आपके पैरों में दिखने वाले लक्षणलिवर से जुड़ी परेशानी की शुरूआती स्टेज पर दिखने वाले लक्षण लगभग न के बराबर होते हैं। लेकिन जैसे ही शरीर में यह समस्या बढ़ने लगती है वैसे ही इसके लक्षण भी गंभीर होने लगते हैं। लिवर में खराबी आने पर पेट में दर्द, सूजन, अपच, भूख की कमी, स्किन का पीला पड़ना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। लेकिन हाल ही में एक शोध में इस बात की पुष्टि हुई है कि लिवर में खराबी आने पर आपके पैरों में भी कुछ लक्षण दिखाई दे सकते हैं, इन लक्षणों को नजरअंदाज करना आपकी सेहत पर भारी पड़ सकता है।1. पैरों में सूजनपैरों में सूजन तो वैसे कई कारणों से हो सकती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब लिवर अपना काम सही ढंग से नही कर पाता है, तो शरीर में विषाक्त पदार्थ जमा होने लगते हैं। इन विषाक्त पदार्थों का निर्माण शरीर के निचले हिस्से में ज्यादा होता है, इस स्थिति को पेरीफेरल एडिमा भी कहा जाता है। इसकी वजह से आपके पैरों में गंभीर सूजन हो सकती है। लंबे समय से पैरों में सूजन की समस्या को भी लिवर में खराबी का संकेत माना जाता है।2. पैरों में गंभीर दर्दपैरों में दर्द की समस्या भी लिवर में खराबी के कारण हो सकता है। दरअसल शरीर के निचले हिस्से में विषाक्त पदार्थों के बढ़ने से आपको पेरीफेरल एडिमा की समस्या हो सकती है। इसके कारण आपको पैरों में तेज दर्द की समस्या हो सकती है।3. पैर के तलवे में खुजलीपैर के तलवे में लंबे समय से खुजली होना भी लिवर में खराबी का लक्षण माना जाता है। लिवर में खराबी के कारण हेपेटाइटिस की समस्या हो सकती है। इसकी वजह से आपको हाथ और पैर के तलवों में खुजली की परेशानी बढ़ जाती है।4. पैरों में सुन्नताहेपेटाइटिस सी इन्फेक्शन के कारण आपको पैरों में सुन्नता, झुनझुनी जैसी परेशानियां हो सकती है। इस समस्या को पेरेस्टेसिया के नाम से भी जाना जाता है। लिवर में खराबी की समस्या के कारण आपकी तंत्रिकाओं में परेशानी हो सकती है, जिसके कारण झनझनाहट और सुन्नता की समस्या हो सकती है।पैरों और तलवों में दिखने वाले ये लक्षण लिवर में खराबी के संकेत माने जाते हैं। लिवर को हेल्दी रखने के लिए आपको डाइट का विशेष ध्यान रखना चाहिए। मौसमी फल और सब्जियों का सेवन लिवर के लिए बहुत फायदेमंद होता है, आप इन्हें डाइट में जरूर शामिल करें।
- आंखों के नीचे काले घेरे या डार्क सर्कल की समस्या काफी आम है। खराब जीवनशैली और गलत खानपान डार्क सर्कल्स के मुख्य कारण माने जाते हैं। इसके अलावा नींद पूरी न होना, पोषक तत्वों की कमी, बहुत ज्यादा तनाव या लंबे समय तक लैपटॉप के सामने बैठने से भी डार्क सर्कल की समस्या हो सकती है। आंखों के नीचे काले घेरे होने की वजह से आपकी खूबसूरती प्रभावित होती है। इसकी वजह से आंखों की खूबसूरती कम हो जाती है और पूरा लुक खराब हो जाता है। गुलाब जल हमारी त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसमें विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन डी, विटामिन ई, जिंक, सिट्रिक एसिड, मैलिक एसिड जैसे कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं। चेहरे पर गुलाब जल का प्रयोग करने से कील-मुंहासों, पिगमेंटशन और डार्क स्पॉट्स की समस्या दूर होती है। गुलाब जल त्वचा पर मौजूद दाग-धब्बों को दूर करता है और स्किन की रंगत को सुधारने में भी मदद करता है। गुलाब जल में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण डार्क सर्कल्स को हटाने में मदद करते हैं। अब सवाल यह उठता है कि गुलाब जल से डार्क सर्कल कैसे हटाएं ? आज इस लेख में हम आपको इसके 4 आसान तरीके बता रहे हैं -गुलाब जल और दूधआंखों के नीचे मौजूद डार्क सर्कल्स को हटाने के लिए आप गुलाब जल और दूध लगा सकते हैं। इसके लिए आप एक बाउल में 2 चम्मच ठंडा दूध लें। इसमें 2 चम्मच गुलाब जल मिला लें। अब इसे आंखों के नीचे लगाएं और 20 मिनट बाद धो लें। दूध एक नैचुरल टोनर है। दूध में लैक्टिक एसिड मौजूद होता है, जो स्किन की रंगत को लाइट करने में मदद करता है। वहीं, गुलाब जल त्वचा को ठंडक पहुंचाता है और स्किन की सूजन को भी कम करता है। गुलाब जल और दूध का कॉम्बिनेशन कुछ ही दिनों में डार्क सर्कल को छूमंतर कर सकता है।गुलाब जल और बादाम का तेलबादाम का तेल पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें विटामिन ई, विटामिन के, एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और मॉइश्चराइजिंग गुण होते हैं। यह न सिर्फ त्वचा को मुलायम बनाता है, बल्कि त्वचा की रंगत में सुधार करने में भी मदद करता है। गुलाब जल और बादाम का तेल मिक्स करके लगाने से डार्क सर्कल्स की समस्या आसानी से दूर हो सकती है। इसके लिए एक चम्मच गुलाब जल में कुछ बूंदें बादाम के तेल की मिलाएं। इसे आंखों के नीचे लगाएं और 20 मिनट बाद पानी से धो लें। कुछ दिनों तक इसका इस्तेमाल करने से आपको फर्क नजर आने लगेगा।गुलाब जल और एलोवेरागुलाब जल और एलोवेरा को मिक्स करके लगाने से डार्क सर्कल्स कम हो सकते हैं। एलोवेरा में मॉइस्चराइजिंग और हीलिंग गुण होते हैं। यह त्वचा को पोषण देता है और स्किन के कालेपन को भी कम करता है। इसके लिए आप एक चम्मच एलोवेरा जेल में एक चम्मच गुलाब जल मिलाएं। इन दोनों को अच्छी तरह मिक्स करके डार्क सर्कल्स पर लगाएं। 15-20 मिनट बाद चेहरे को पानी से धो लें। कुछ दिनों तक रोजाना ऐसा करने से आंखों के काले घेरे कम होने लगेंगे।गुलाब जल और चंदन पाउडरगुलाब जल और चंदन पाउडर, दोनों ही त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। डार्क सर्कल्स से छुटकारा पाने के लिए आप इन दोनों को एक साथ मिलाकर लगा सकते हैं। इसके लिए 2 चम्मच चंदन पाउडर लें। इसमें एक चम्मच गुलाब जल मिला लें। अब इसे मिक्स करके डार्क सर्कल्स पर लगाएं। 15-20 मिनट बाद पानी से धो लें। चंदन पाउडर और गुलाब जल आंखों के नीचे की स्किन को हाइड्रेट करते हैं। इससे आंखों के नीचे का कालापन दूर होगा और त्वचा चमकदार बनेगी।इन तरीकों से गुलाब जल का इस्तेमाल करके आप डार्क सर्कल की समस्या से आसानी से छुटकारा पा सकते हैं। इससे आपकी आंखों के नीच का कालापन दूर होगा और स्किन ग्लोइंग बनेगी। हालांकि, कोई भी तरीका आजमाने से पहले एक बार पैच टेस्ट अवश्य कर लें।
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सर्दियों का मौसम शुरू होते ही ज्यादातर लोगों को जोड़ों के दर्द की समस्या परेशान करने लगती है। हालांकि पहले इस समस्या को उम्र से जोड़कर देखा जाता था लेकिन आजकल की लाइफस्टाइल की वजह से युवा लोग भी इससे पीड़ित रहने लगे हैं। जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए लोग बाम, दवाइयां, तेल आदि चीजों का इस्तेमाल करते हैं लेकिन उससे भी कई बार कोई आराम नहीं मिलता है।
दरअसल, सर्दियों में हमारे शरीर में मौजूद कोशिकाएं सिकुड़ने लगती हैं। इससे जोड़ों के पास की हड्डियां कठोर हो जाती हैं। कठोर होने के कारण जोड़ों का लचीलापन कम हो जाता है। रक्त की धमनियां, संकुचित होने के कारण शरीर के विभिन्न अंगों तक ब्लड, ऑक्सीजन की आपूर्ति ठीक से नहीं हो पाती है और व्यक्ति को जोड़ों में दर्द होने लगता है। अगर मौसम में ठंड बढ़ते ही आपके भी जोड़ों में दर्द होने लगता है तो आप हल्दी का ये उपाय आजमा सकते हैं।हल्दी एक आयुर्वेदिक औषधि है। हल्दी का तेल शरीर में सूजन को बढ़ने से रोकनेवाले गुण, त्वचा पर किसी भी तरह के फंगस को पनपने से रोकनेवाले गुण, वायरस और वायरल को खत्म करने की क्षमता और शरीर की कोशिकाओं में हुई टूट-फूट की मरम्मत करने की क्षमता रखता है। इतना ही नहीं हल्दी में मौजूद एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों की वजह से आप जोड़ो के दर्द को भी दूर कर सकते हैं। आइए जानते हैं कैसे।जोड़ों के दर्द के लिए फायदेमंद है हल्दी-हल्दी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर के फ्री रेडिकल्स को खत्म करने में मदद करते हैं। इसके अलावा हल्दी में एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण मौजूद होने के साथ प्रोटीन, विटामिन सी, विटामिन के, फाइबर, पोटैशियम, कैल्शियम, कॉपर, आयरन, मैग्नीशियम और जिंक भी मौजूद होता है। हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन सर्दियों में होने वाले घुटने या जोड़ों के दर्द को दूर करने के लिए फायदेमंद होता है।कैसे बनाएं हल्दी का तेल-हल्दी का तेल जोड़ों के दर्द का असरदार इलाज है। आप इस तेल को बाजार से भी खरीद सकते हैं। लेकिन मिलावट के डर से अगर आप इसे घर पर ही बनाकर इस्तेमाल करना चाहते हैं तो यह तरीका अपनाएं। हल्दी के तेल को घर पर तैयार करना बेहद आसान है। हल्दी का तेल बनाने के लिए आपको सबसे पहले हल्दी पाउडर भूनना है। इसके बाद इस भुने हुए हल्दी पाउडर को नारियल या बादाम तेल के साथ उबाल लें। हल्दी का अर्क तेल में जब अच्छी तरह मिल जाए, तो गैस बंद करके तेल को हल्का ठंडा होने दें। इस तेल से सुबह-शाम अपने जोड़ों की मालिश करें। आपको जल्द दर्द से आराम मिलेगा।जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए इस तरह भी तैयार कर सकते हैं हल्दी पेस्ट-जोड़ों के दर्द से निजात पाने के लिए आप सबसे पहले एक पैन में एक चम्मच हल्दी और एक चम्मच एलोवेरा जेल मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें। अब पैन को गैस पर रखकर दो मिनट तक पेस्ट को गर्म करें। इसके बाद गैस को बंद करके इसमें एक चम्मच सरसों या तिल का तेल डाल दें। इस पेस्ट का इस्तेमाल जोड़ों पर दर्द वाली जगह पर करें। इस पेस्ट को लगाने के बाद लगभग 10 मिनट तक हल्के हाथों से मसाज करें। इसके बाद कुछ देर के लिए हल्के गर्म कपड़े से सिकाई करें। अब प्रभावित जगह पर गर्म पट्टी बांध दें। इस पेस्ट का इस्तेमाल दिन में कम से कम दो बार करें। -
भागदौड़ भरी जिंदगी और खान-पान का अच्छे से ध्यान नहीं रखने की वजह से आजकल ज्यादातर लोग हार्मोन इम्बैलेंस का शिकार हो रहे हैं। दरअसल, हार्मोन्स एंडोक्राइन ग्रंथि से बनने वाले ऐसे रसायन होते हैं, जो खून के जरिए शरीर के अन्य हिस्सों में पहुंच कर उन्हें अलग-अलग कार्य करने का संदेश देते हैं। हार्मोन्स की छोटी सी मात्रा के घटने-बढ़ने भर से ही शरीर की कोशिकाओं का मेटाबॉलिज्म प्रभावित होने लगता है। आपको बात दें कि मानव शरीर में कुल 230 हार्मोन्स होते हैं। जो कई बार उम्र, तनाव की अधिकता, अस्वस्थ जीवनशैली, स्टेरॉएड दवाओं का अधिक सेवन या फिर वजन ज्यादा बढ़ने से भी गड़बड़ा जाते हैं।
हार्मोन्स में आए इस असंतुलन का असर हमारी सेहत से लेकर बाल और त्वचा तक पर साफ नजर आता है। मूड में बदलाव, रोशनी के प्रति संवेदनशीलता, तैलीय त्वचा और बाल, कुछ खाने का मन नहीं करना, नींद न आना, चिंता, तनाव और चिड़चिड़ापन ये सब हार्मोनल बदलावों के संकेत हो सकते हैं। गर्भावस्था, पीरियड और मेनोपॉज के दौरान हार्मोन का यह संतुलन ज्यादा बिगड़ता है। खास बात यह है कि आज हार्मोन इम्बैलेंस की समस्या केवल एक विशेष उम्र तक सीमित नहीं रही है। यह समस्या व्यस्त दिनचर्या और तनावभरी जीवनशैली के चलते कम उम्र में ही महिलाओं में खूब देखी जाती है। अगर आप भी हार्मोन इम्बैलेंस की समस्या को प्राकृतिक उपाय आजमाकर ठीक करना चाहते हैं तो अलसी के बीज आपकी मदद कर सकते हैं।बता दें, अलसी के बीज का सेवन करने से हार्मोन को संतुलित रखा जा सकता है। अलसी के बीज के अंदर ओमेगा 3 फैटी एसिड पाया जाता है जो हार्मोंन्स को संतुलित रखने में मददगार साबित हो सकता है। विभिन्न अध्ययनों से यह स्पष्ट हो गया है कि जो महिलाएं नियमित रूप से अलसी के बीज का सेवन करती हैं, उनके शरीर में प्रोजेस्टेरॉन और एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर संतुलित रहता है।हार्मोन्स संतुलित करने के लिए इस तरह खाएं अलसी के बीज-अलसी के बीज को पीसकर उसके पाउडर को आप तरह-तरह से अपने आहार का हिस्सा बना सकती हैं। यह साबुत या सीधे तौर पर खाने की तुलना में पचने में अधिक आसान और बेहतर अवशोषित होते हैं। इसके अलावा आप 5-6 घंटे पानी में भिगोकर भी इनका सेवन कर सकते हैं।कितने अलसी के बीज खाएं-1-2 चम्मच अलसी के बीज का सेवन स्वस्थ और हार्मोन्स के संतुलन के लिए आदर्श माना जाता है। लेकिन आपको इसके अधिक सेवन से बचना चाहिए। किसी भी चीज की अति सेहत के लिए नुकसानदायक होता है।अलसी के बीज खाने के फायदे-फाइबर से भरपूर-अलसी के बीज फाइबर से भरपूर होते हैं, यह आंत स्वस्थ रखने और हार्मोन्स के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है।एस्ट्रोजन के संतुलन में मददगार-अलसी के बीज में लिगनेन नामक फाइटोएस्ट्रोजन होते हैं। जो सीधे तौर पर एस्ट्रोजन के संश्लेषण से जुड़े होते हैं। इस तरह यह हार्मोन्स के संतुलन में सुधार करने में मदद करते हैं।ब्लड शुगर कंट्रोल-ब्लड शुगर का रेगुलेट न रहना अक्सर हार्मोन्स के असंतुलन का कारण बनता है। अध्ययन में पाया गया है कि अलसी के बीज खाने से हाई ब्लड शुगर और इंसुलिन रेजिस्टेंस को कम करने में मदद मिलती है।ओमेगा 3 फैटी एसिड-अलसी के बीज के अंदर ओमेगा 3 फैटी एसिड पाया जाता है जो हार्मोंन्स को संतुलित रखने में मददगार साबित हो सकता है। - जो लोग ताजे फलों का सेवन करते हैं, उनकी सेहत काफी हद तक अच्छी रहती है। फल हमारी डाइट का अहम हिस्सा हैं। लेकिन अच्छी सेहत के लिए केवल फल खाना काफी नहीं है। इन्हें सही ढंग से खाने का तरीका पता होना चाहिए। कई फलों को छिलके समेत खाया जाता है क्योंकि ऐसा न करने से उनके पोषक तत्व कम हो जाते हैं। फलों के छिलकों में भी कई न्यूट्रिएंट्स मौजूद होते हैं। आजकल फलों पर केमिकल्स डाले जाते हैं इस कारण से लोग फलों का छिलका निकालकर खाते हैं। लेकिन ऐसा करना भी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। फलों के छिलके में विटामिन्स, मिनरल्स, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते है। वहीं कुछ ऐसे भी फल हैं जिन्हें छिलके के बिना खाना सेहतमंद होता है। इस लेख में आपको बताएंगे ऐसे फलों के बारे में जिन्हें छीलकर खाना फायदेमंद होता है और वो फल जिन्हें छिलके समेत ही खाना चाहिए।किन फलों को छिलके समेत खाना चाहिए?- Fruits With Peelsनाशपाती-नाशपाती का सेवन छिलके के साथ करना चाहिए। इसके छिलके में एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन्स पाए जाते हैं। नाशपाती को छिलके समेत खाएंगे, तो शरीर को डायट्री फाइबर मिलेगा।अमरूदअमरूद का सेवन छिलके समेत कर सकते हैं। अमरूद में एंटीऑक्सीडेंट्स, विटामिन्स, फाइबर, मिनरल्स पाए जाते हैं। अगर सर्दी-जुकाम या खांसी है, तो अमरूद का सेवन करने से बचना चाहिए।सेबकई लोग सेब का छिलका निकालकर खाते हैं। लेकिन आपको बता दें कि सेब के छिलके में एंटीऑक्सीडेंट्स और फाइबर पाया जाता है। सेब की ऊपरी सतह को पानी से अच्छी तरह से साफ करके ही खाना चाहिए।चीकूचीकू का सेवन छिलके समेत किया जाता है। इसके छिलके में विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट्स, पोटैशियम, आयरन पाया जाता है। त्वचा और गट हेल्थ के लिए चीकू फायदेमंद माना जाता है।कीवीकीवी का सेवन छिलके के समेत करना फायदेमंद होता है। कीवी के छिलके में फाइबर, फोलेट, विटामिन ई जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। हार्ट और डायबिटीज के मरीजों के लिए कीवी का सीमित सेवन फायदेमंद माना जाता है। कीवी में विटामिन सी भी पाया जाता है। जिन लोगों को कीवी का छिलका खाने में परेशानी होती है, वो छीलकर भी इसे खा सकते हैं।संतरा-संतरे में विटामिन सी, विटामिन बी6, कैल्शियम, पोटैशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके छिलके को निकालकर खाना चाहिए। संतरे के छिलके का पाउडर, त्वचा के लिए फेसपैक के रूप में उपयोग किया जा सकता है।अनारअनार में आयरन की प्रचुर मात्रा होती है। इसे छीलकर ही खाना चाहिए। अनार का छिलका स्वाद में कढ़वा होता है और इसका सेवन करने से पेट में दर्द की समस्या हो सकती है।केलाकेले का सेवन भी छिलका निकालकर ही किया जाता है। केले के छिलके का पानी पी सकते हैं। इसमें फाइबर और ट्राइप्टोफॉन नाम का कंपाउंड पाया जाता है जिससे सेरोटोनिन का स्तर बढ़ता है। हालांकि केले का छिलका खाना पाचन तंत्र के लिए अच्छा नहीं होता इसलिए इसके बिना ही फल को खाना चाहिए।अन्नानासपाइनएप्पल का सेवन छिलके के बिना ही करना चाहिए। इसका छिलका काफी मोटा होता है। अन्नानास का छिलका फल को सुरक्षा प्रदान करने के लिए होता है। इसका छिलका खाने लायक नहीं होता। अन्नानास के छिलके का इस्तेमाल आप फुट स्क्रब के तौर पर कर सकते हैं।फलों के छिलके सेहत और त्वचा के लिए कई तरह से फायदेमंद होते हैं। लेकिन हर फल के छिलके को कच्चा खा लेना हानिकारक हो सकता है। अगर किसी फल को छिलके समेत खाने से आपको असहज महसूस हो रहा है, तो बेशक आप उसे छीलकर भी खा सकते हैं।
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किडनी अवश्यकतानुसार यूरिक एसिड को शरीर में छोड़ कर बाकि को फिल्टर कर बाहर करती है। ताकि शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा सामान्य रहे। जब किडनी अपना काम ठीक से नहीं कर पाती, तो यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने लगती है। जिससे शरीर के जोड़ों में दर्द शुरू हो जाता है। गठिया के इलाज के लिए कुछ लोगों को दवा की जरूरत होती है। मगर आहार और जीवनशैली में बदलाव करके भी इस समस्या से बचा जा सकता है। कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ होते है जो शरीर में प्यूरीन की मात्रा को बढ़ा देते हैं। जिनसे शरीर में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ जाता है। जो शरीर में गाउट या गठिया की समस्या का कारण बन जाता है। इसलिए गठिया की समस्या से बचने के लिए जरूरी है कि इस तरह के खाद्य पदार्थों से परहेज किया जाए।
1 वजन घटाएं
अगर आपका वजन अधिक है, तो इससे भी गाउट विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है और वजन कम करने से गाउट का खतरा कम हो जाता है। वजन कम करने से जोड़ों पर पड़ने वाले तनाव को भी कम किया जा सकता है।
2 कॉम्प्लेक्स कार्ब्स करें आहार में शामिल
कार्बोहाइड्रेट से भरपूर अधिक फल, सब्जियां और साबुत अनाज खाएं। उच्च फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप वाले खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों से बचें, और प्राकृतिक रूप से मीठे फलों के जूस के सेवन से भी बचें।
3 विटामिन सी
विटामिन सी का सेवन यूरिक एसिड के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है। यह बात अभी तक रिसर्च में सामने नहीं आई है कि यह कैसे काम करता है। यूरिक एसिड को नियंत्रित करने के लिए आपके लिए विटामिन सी का सेवन बढ़ाना फायदेमंद है या नहीं इसके लिए आपको अपने डॉक्टर से बात करने की जरूरत है।
साथ ही विटामिन सी के सप्लीमेंट को भी शामिल किया जा सकता है।
यह भी ध्यान रखें
खूब पानी पिएं – शरीर की अवश्यकतानुसार पानी पीएं ताकि अच्छी तरह से शरीर को हाइड्रेटेड रखा जा सके।
वसा- रेड मीट, वसायुक्त पोल्ट्री और उच्च वसा वाले डेयरी उत्पादों के सैचुरेटेड वसा को कम करें।
प्रोटीन– प्रोटीन के स्रोत के रूप में लीन मांस और पोल्ट्री, कम वसा वाले डेयरी और दालों पर ध्यान दें। - वक्त के साथ उम्र का बढ़ना एक नैचुरल प्रक्रिया है। किसी ने सही कहा है वक्त के साथ बढ़ती उम्र पर रोक लगाना किसी के बस की बात नहीं है। बढ़ती उम्र के साथ शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं। हार्मोनल बदलाव के कारण शरीर के कई हिस्सों में दर्द, कई तरह की बीमारियां होना बहुत ही आम बात मानी जाती है। बढ़ती उम्र का जितना सेहत पर असर पड़ता है उससे कहीं ज्यादा असर स्किन पर पड़ता है। पुरुष बेशक बढ़ती उम्र के साथ स्किन पर होने वाले बदलावों को स्वीकार कर लें, लेकिन महिलाओं के लिए स्किन एजिंग को स्वीकार करना बहुत मुश्किल होता है।अब ये बात तो हर कोई जानता है कि अच्छी सेहत और स्किन के लिए हेल्दी डाइट को फॉलो करना बहुत जरूरी है। अगर डाइट सही तो स्किन पर एजिंग के निशान तो आएंगे, लेकिन वक्त बीत जाने के बाद। इसलिए आज इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ खास फूड्स के बारे में। जो 40 साल का होने तक आपको अपनी डाइट में शामिल कर लेना चाहिए। इन फूड्स को डाइट में शामिल करके आप बढ़ती उम्र पर ब्रेक लगा सकते हैं।पपीतापपीता एक सुपरफूड है। पपीते में पर्याप्त मात्रा में विटामिन ए, सी, के और ई, कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस और कई तरह के एंटीऑक्सिडेंट पाए जाते हैं। पपीते पर हुई कई रिसर्च में ये बात सामने आ चुकी है कि इसका सेवन करने से बढ़ती उम्र के साथ चेहरे पर आने वाली झुर्रियों और महीन रेखाओं को रोकने में मदद करता है। पपीते में पपैन नामक एक एंजाइम भी होता है, जो एंटी-इंफ्लेमेटरी एजेंट के तौर पर काम करता है और एजिंग पर रोक लगाता है।पालकपालक एक सुपर हाइड्रेटिंग फूड माना जाता है। पालक में विटामिन ए, सी, ई और के, मैग्नीशियम और आयरन पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। पालक के एंटीऑक्सीडेंट्स तत्व स्किन में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करते हैं, जिससे त्वचा की मृत कोशिकाओं को खत्म करके नई कोशिकाओं को बनाने में मदद मिलती है। पालक में मौजूद विटामिन ए स्किन और बालों को चमकदार बनाने में मदद करता है। आप पालक का साग, परांठे, सलाद और चिप्स अपनी डाइट में शामिल करें।अनारअनार के पोषक तत्व शरीर में खून की कमी को पूरा करने के लिए जाने जाते हैं। अनार में प्यूनिकैगिन्स (punicalagins) नामक एक यौगिक पाया जाता है। ये स्किन में कोलेजन को बढाने में मदद करता है। स्किन में कोलेजन का स्तर सही होने से बढ़ती उम्र पर ब्रेक लगाया जा सकता है।दहीस्किन को ग्लोइंग बनाने के लिए दही को फेसपैक के तौर पर अक्सर इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन इसका सेवन किया जाए तो बढ़ती उम्र पर ब्रेक लगाया जा सकता है। दही में पर्याप्ता मात्रा में प्रोबायोटिक्स पाए जाते हैं जो आंत के बैक्टीरिया के लिए बहुत अच्छे माने जाते हैं। इसके साथ ही दही के लैक्टिक एसिड स्किन पोर्स को टाइट करने में मदद करते हैं। इतना ही नहीं दही का सेवन स्किन को हाइड्रेट रखता है, जिससे स्किन को जवां रखने में मदद मिलती है।
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आपने आजतक करी पत्ते का इस्तेमाल या तो खाने का स्वाद बढ़ाने या फिर बालों की खूबसूरती बनाए रखने के लिए किया होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं रोजाना करी पत्ते का सेवन करने से व्यक्ति न सिर्फ अपने मोटापे से निजात पा सकता है बल्कि सेहत से जुड़ी कई समस्याओं को भी आसानी से दूर कर सकता है।
करी पत्ता में फाइबर, आयरन, कॉपर, कैल्शियम, फॉस्फोरस समेत विटामिन बी2, बी6, बी9 प्रचूर मात्रा में पाए जाते हैं। करी पत्ते में मौजूद ये सभी औषधीय गुण व्यक्ति को कई गंभीर रोगों से बचाए रखने में मदद करते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो ब्लड शुगर की समस्या में करी पत्ता बहुत अधिक फायदेमंद होता है। ऐसे में आइए जानते हैं कैसे रोजाना करी पत्ते का सेवन करने से व्यक्ति को मिलते हैं क्या-क्या फायदे।
करी पत्ते को डाइट में शामिल करने से होते हैं ये फायदे-
बालों को झड़ने रोके-
घने और लंबे बालों के लिए शरीर में विटामिन बी2, बी6 और बी9 की जरूरत होती है और ये सभी तत्व करी पत्ता में खूब पाए जाते हैं। खूबसूरत बाल पाने के लिए आप सुबह उठकर पानी पीने के बाद कुछ करी पत्ते चबा सकते हैं। अगर आप पत्तियों को नहीं चबाना चाहते तो इसकी पत्तियों को उबालकर इसका पानी छान लें और 15-20 मिनट तक रोजाना इससे मालिश करें।
वेट लॉस-
आपकी वेट लॉस जर्नी में करी पत्ता आपकी मदद कर सकता है। करी पत्ता में डाइक्लोरोमेथेन, एथिल एसीटेट और महानिम्बाइन जैसे तत्व होते हैं जो कि कोलेस्ट्रॉल घटाने के साथ वजन कम करने में भी मदद करते हैं।
खून की कमी करें दूर-
करी पत्ता एनीमिया की कमी दूर करने में भी फायदेमंद होता है। इसमें एंटी एनीमिया गुण मौजूद होने के साथ कैल्शियम, आयरन, जिंक की उच्च मात्रा भी पाई जाती है जो एनीमिया रोग से लड़ने में मदद करती है।
डायबिटीज करें कंट्रोल-
डायबिटीज से पीड़ित लोगों को करी पत्ता खाने की सलाह दी जाती है क्योंकि इसमें कई तरह के एंटी डायबिटीज गुण पाए जाते हैं। इतना ही नहीं इसमें मौजूद फाइबर इंसुलिन पर पॉजिटिव असर डालता है जिससे ब्लड शुगर कंट्रोल रहता है।
त्वचा के लिए फायदेमंद-
करी पत्ते में कई एंटी-ऑक्सिडेंट, एंटी-बैक्टीरियल के साथ एंटी-फंगल गुण भी पाए जाते हैं। जो ब्लड सर्कुलेशन ठीक रखने के साथ त्वचा का रूखापन भी दूर करने में मदद करते हैं। -
छोटे बच्चे बेहद नाजुक होते हैं। ऐसे में अगर आप पहली बार मां बनी हैं तो आपके लिए मुश्किलें थोड़ी ज्यादा हो सकती हैं। खासतौर पर तब जब आप बच्चे को पहली बार नहलाने जा रही हों। नवजात शिशु को पहली बार नहलाते समय मां को सभी जरूरी सावधानियां बरतनी होती हैं। लेकिन पहली बार बनी मां को कई बार ये समझ नहीं आता कि वो अपनी नन्हीं सी जान का नहलाते समय किस तरह ख्याल रखें। अगर आप भी इस समस्या से जुझ रही हैं तो आपके लिए लेकर आए हैं ये कुछ टिप्स।
नवजात शिशु को नहलाना कब से शुरू करें?
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार जन्म के 24 घंटे बाद नवजात शिशु को नहला देना चाहिए। यदि किसी कारण से पूरा दिन इंतजार न कर पाएं, तो नवजात शिशु को नहलाने के लिए कम से कम छह घंटे का इंतजार जरूर करना चाहिए। वहीं, कुछ संस्थानों का मानना है कि जन्म के बाद शिशु को एक या दो घंटे के भीतर ही नहला देना चाहिए।
नहलाने से पहले करें बच्चे की मालिश-
बच्चे को नहलाने से पहले उसके शरीर की गुनगुने तेल से मालिश करें। ध्यान रखें कि मालिश धूप में ही करें। इसके अलावा मालिश करते समय बच्चे के शरीर पर एक कपड़ा डाल दें ताकि उसे ठंड ना लगे। इसके अलावा बच्चे को हमेशा गुनगुने पानी से ही नहलाएं। बच्चे की मालिश करने के लिए नारियल तेल, सरसों या जैतून तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
बच्चे को नहलाते समय उसके साथ करें बातें-
बच्चे को नहलाते समय आप बच्चे से बातें कर सकती है या फिर बच्चे के साथ खेल सकती है, कोइ गाना बच्चे के लिए गुनगुना सकती हैं। इससे बच्चे का धयान नहाने से हटकर आप पर जायेगा। बच्चा आपके साथ खेलेगा और नहाने को एन्जॉय करेगा।
स्पॉन्ज बाथ दें -
शिशु के शुरूआती दिनों में बच्चे को स्पॉन्ज बाथ देना चाहिए। दरअसल, स्पॉन्ज बाथ नवजात शिशु को नहलाने का सबसे सुरक्षित तरीका होता है। आप ऐसा तब तक कर सकते हैं जब तक उनकी गर्भनाल न गिर जाए। गर्भनाल गिरने के बाद आप बच्चे को टब में नहला सकती हैं।
ज्यादा गर्म पानी से ना नहलाएं-
बच्चे को नहलाते समय इस बात का ध्यान रखें कि पानी बहुत ज्यादा गर्म ना हो। छोटे बच्चे की स्किन बहुत कोमल होती है। तेज गर्म पानी उसकी त्वचा को नुकसान पहुंचा सकता है। पानी को गुनगुना रखें और चेक करके ही बच्चे को नहलाएं।
रोज नहलाने से बचें-
सर्दियों के मौसम में बच्चों को रोज नहलाने से बचें। हफ्ते में दो तीन बार ही बच्चे को नहलाएं। इस बीच बच्चे को गर्म पानी का स्पॉन्ज दे सकते हैं।
तौलिया साथ रखना ना भूलें-
बच्चे को नहलाते समय आप अपने साथ तौलिया रखना ना भूलें। बच्चे को बहुत देर तक ना नहलाएं। नहलाने के तुरंत बाद बच्चे को तौलिए में लपेटकर कमरे का दरवाजा बंद कर दें ताकि बच्चे को हवा ना लगे। इसके बाद बच्चे को पोछकर गर्म कपड़े तुरंत पहना दें। -
शरीर की नसें अक्सर अकड़ जाती हैं, चढ़ जाती हैं या फिर हाथों-पैरों में झुनझुनी चढ़ने लगती है। तो इसको नजरअंदाज ना करें। लगातार इस तरह की समस्या शरीर में विटामिन बी 12 की कमी की निशानी हो सकती है। विटामिन बी 12 शरीर के लिए जरूरी न्यूट्रिशन है। इसकी कमी से कई सारी परेशानियां घेरने लगती है। जिसमे खून की कमी से लेकर नसों का खराब होना शामिल है।
नसों में आ जाती है खराबी
विटामिन बी 12 दिमाग में माइलिन नामक पदार्थ को बनने में मदद करता है। माइलिन नसों के ऊपर सुरक्षा कवच का काम करता है और उसे किसी भी नुकसान से बचाता है। विटामिन बी 12 की कमी से ये पदार्थ नहीं बन पाता। जिससे नसों के नुकसान होने का खतरा बढ़ जाता है। विटामिन बी 12 तंत्रिका कोशिका और रक्त कोशिकाओं की सेहत के लिए बहुत जरूरी है।
होने लगती है खून की कमी
विटामिन बी 12 की कमी होने से शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं नहीं बन पाती। जिसकी वजह से एनीमिया की समस्या होने लगती है। विटामिन बी 12 की कमी को समय रहते दूर करना जरूरी है क्योंकि इससे होने वाले पर्निशियस एनीमिया में शरीर विटामिन बी 12 को अवशोषित ही नहीं कर पाता।
पेट से जुड़ी बीमारियां और सांस फूलना
विटामिन बी 12 की कमी से सांस फूलने की दिक्कत भी परेशान करती है। हालांकि सांस फूलने की समस्या के और कारण भी हो सकते हैं। गैस्ट्रिटिस विटामिन बी 12 की कमी होने का आम कारण है।
विटामिन बी 12 की कमी होने पर दिखते हैं ये लक्षण
विटामिन बी 12 की कमी होने पर कुछ सामान्य लक्षण दिखते हैं जिनसे इनकी पहचान होना मुश्किल लगता है।
थकान या कमजोरी
भूख ना लगना, वजन घटना
उल्टी, मिचली आना
मुंह या जीभ में दर्द, त्वचा में पीलापन।
कुछ लक्षण होते हैं न्यूरोलॉजिकल
हाथों-पैरों में झुनझुनी या सुन्न पड़ना
नजर कमजोर होना
याददाश्त में कमी
चलने या बोलने में कठिनाई
कैसे दूर हो विटामिन बी12 की कमी
विटामिन बी 12 की कमी को दूर करने के लिए कई सारे तरीके डॉक्टर के पास होते हैं। लेकिन खान-पान से भी कमी को दूर किया जा सकता है।
फिश और मीट
विटामिन बी 12 की कमी को दूर करने फिश अच्छा स्त्रोत है। शेलफिश, टुना जैसी मछलियों में ये विटामिन ढेर सारी मात्रा में होती है। मीट में कई सारे विटामिन के साथ ही विटामिन बी 12 की अच्छी खासी मात्रा में पाए जाते हैं।
डेयरी प्रोडक्ट
डेयरी प्रोडक्ट जैसे लो फैट मिल्क और चीज को खाने से विटामिन बी 12 की थोड़ी मात्रा मिलती है। हालांकि केवल डेयरी प्रोडक्ट पूरी तरह से इस विटामिन की कमी को दूर नहीं कर सकते। फोर्टिफाइड फूड्स यानी सीरियल्स को भी खाने से विटामिन बी 12 कुछ मात्रा में मिल सकता है।
बीमारी या शरीर में होने वाली कमी के लक्षण दिखने पर डॉक्टर की सलाह लेना उचित है। -
मुंह खोलते ही अगर पीले और गंदे दांत दिखने लगते हैं तो शर्मिंदगी उठानी पड़ जाती है। कई बार तो गंदे दांतों की वजह से लोग खुलकर हंस भी नहीं पाते। अगर आपके दांत भी पीले हो गए हैं तो समय रहते घरेलू नुस्खों से चमकाया जा सकता है। क्योंकि दांतों पर जमा गंदगी और पीलापन प्लाक और टार्टर होता है। जो एक तरह का बैक्टीरिया है। लगातार इसके जमने से मुंह से बदबू आने लगती है और डॉक्टर के पास जाकर ही इसे साफ कराना पड़ता है। इन घरेलू नुस्खों से दांतों के पीलेपन को साफ किया जा सकता है।
दो बार ब्रश है जरूरी
एक्सपर्ट हमेशा दो बार ब्रश करने की सलाह देते हैं। सुबह और रात को सोने से पहले ब्रश करने से मुंह में जमा बैक्टीरिया साफ हो जाते हैं। लेकिन इससे दांतों पर जमी पीलेपन की परत नहीं साफ होती है। दांत के पीले दाग को हटाने के लिए इन नुस्खों को आजमाएं।
बेकिंग सोडा
बेकिंग सोडा दांत को साफ करने में मदद करता है। कुछ दिनों तक इसका इस्तेमाल करने से फर्क दिख सकता है। टूथब्रश में बेकिंग सोडा लेकर दांतों को साफ करें। फिर पानी से कुल्ला कर लें और दांतों को उंगलियों से रगड़कर साफ कर लें। कुछ दिनों में दांतों पर जमा पीली परत साफ होने लगती है।
सेंधा नमक है दादी मां का नुस्खा
दांतों पर जमा पीली गंदगी को साफ करने के लिए दादी-नानी के समय से इस नुस्खे को आजमाते आ रहे हैं। इससे पीली परत के साथ ही पायरिया में भी राहत मिलती है। सेंधा नमक में सरसों का तेल मिलाकर दांतों को साफ करें। इससे दांत चमकेंगे और मुंह से आने वाली बदबू से निजात मिलेगी।
दांतों पर रगड़े स्ट्राबेरी
स्ट्राबेरी का इस्तेमाल दांत को साफ करने के लिए भी किया जा सकता है। ये काफी सुरक्षित नुस्खा हो सकता है। दांतों पर स्ट्राबेरी के टुकड़े को रगड़ें फिर ब्रश कर लें। इससे दांत चमकने लगेंगे।
नीम की दातून
दांतों पर पीली परत को जमने नहीं देना चाहते हैं तो नीम की दातून को लेकर रगड़ें। इससे दांत साफ होते हैं और चमकदार बने रहते हैं।
दांतों के पीलेपन को साफ करने का ये नुस्खा मात्र सुझाव है। इसे किसी चिकित्सा के विकल्प के तौर पर ना समझें। - शकरकंद सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन, आयरन, सोडियम और आयरन पोषक तत्व आदि पाए जाते हैं। इसको नियमित खाने से पाचन तंत्र मजबूत होता है और हड्डियां भी मजबूत होती हैं। सर्दियों में लोग इसे चाट बनाकर खाना काफी पसंद करते है। शकरकंद खाने में काफी स्वादिष्ट होने के साथ शरीर के लिए काफी हेल्दी भी होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ज्यादा मात्रा में शकरकंद खाने से शरीर को कई तरह के नुकसान भी हो सकते हैं। आइए जानते हैं ज्यादा शकरकंद खाने के नुकसान के बारे में।किडनी स्टोन की समस्याज्यादा शकरकंद खाने से किडनी में स्टोन की समस्या हो सकती है। शकरकंद में ऑक्सलेट की मात्रा काफी ज्यादा होती है और जब ये शरीर के कैल्शियम से मिलती है, तो किडनी में स्टोन होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। ऑक्सलेट और कैल्शियम स्टोन बनाने की प्रक्रिया को काफी तेज करता है।स्किन एलर्जीशकरकंद खाने से स्किन एलर्जी की समस्या हो सकती है। क्योंकि इसमें मैनिटोल युक्त पदार्थ पाया जाता है। जिस कारण शकरकंद खाते ही स्किन एलर्जी की समस्या देखने को मिल सकती है। कई बार शकरकंद खाने से स्किन में खुजली और रैशेज की संभावना भी कई गुना बढ़ जाती है।डायबिटीजशकरकंद खाने से डायबिटीज की समस्या बढ़ सकती है क्योंकि इसमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स काफी कम होता है। जिस कारण डायबिटीज मरीज अगर इसका सेवन करते है, तो डायबिटीज काफी बढ़ सकती है। अगर आपको डायबिटीज की समस्या है, तो शकरकंद खाने से बचें।सिरदर्दज्यादा शकरकंद खाने से सिरदर्द की समस्या बढ़ सकती है। शकरकंद में प्रचुर मात्रा में विटामिन ए आदि पाया जाता है, जो ज्यादा मात्रा में खाने से सिरदर्द की समस्या बढ़ सकती है। इस समस्या से बचने के लिए ज्यादा मात्रा में शकरकंद न खाएं। शकरकंद शरीर के लिए फायदेमंद होता है। लेकिन ज्यादा मात्रा में इसके सेवन से बचें।
- फिटकरी कई औषधीय गुणों से भरपूर होती है। आयुर्वेद में फिटकरी का उपयोग कई समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है। फिटकरी न केवल स्वास्थ्य, बल्कि त्वचा और बालों से संबंधित समस्याओं को भी दूर करती है। शरीर को स्वस्थ रखने से लेकर त्वचा और बालों को खूबसूरत बनाने तक के लिए फिटकरी का प्रयोग आसानी से किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल करके कई बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है। फिटकरी की तासीर गर्म होती है, इसलिए इसका उपयोग सीमित मात्रा में ही करना चाहिए।फिटकरी के औषधीय गुण -एंटी-बायोटिकफिटकरी में एंटी-बायोटिक गुण पाए जाते हैं, जिसकी वजह से यह कई तरह के इंफेक्शन से लड़ने में काफी प्रभावी है। बुखार, खांसी और अस्थमा जैसी समस्याओं में फिटकरी का इस्तेमाल कारगर साबित हो सकता है। अगर आपको खांसी की शिकायत है, तो आप फिटकरी पाउडर को शहद के साथ मिलाकर इसका सेवन कर सकते हैं। ऐसा करने से खांसी से राहत मिलसकती है। इसके अलावा, फिटकरी दांतों में कैविटी या मसूड़ों में इंफेक्शन को ठीक करने में भी फायदेमंद मानी जाती है। दांतों में दर्द या सूजन होने पर फिटकरी के पानी से कुल्ला करना चाहिए। इससे दांतों और मसूड़ों को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।एंटी-बैक्टीरियलफिटकरी में एंटी-बैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं। इसी गुण के कारण यह बैक्टीरिया को नष्ट करने में काफी प्रभवी है। फिटकरी गले की खराश, शरीर की दुर्गंध, खुजली, एक्जिमा, डैंड्रफ आदि समस्याओं में काफी लाभकारी होती है। अगर आपके शरीर से पसीने की बदबू आती है तो आप पानी में फिटकरी मिलकर नहा सकते हैं।फिटकरी के पानी से गरारे करने से गले की खराश से राहत मिलती है। बालों में डैंड्रफ और जुओं से छुटकारा पाने के लिए पानी में फिटकरी पाउडर मिलाएं। इसे अपने स्कैल्प पर लगाकर मसाज करें। इसके बाद शैंपू से बाल धो लें। ऐसा करने से आपको काफी फायदा होगा।एंटी-इंफ्लेमेटरीफिटकरी में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण दर्द और सूजन को कम कर सकते हैं। अगर आपके शरीर के किसी हिस्से में दर्द या सूजन है, तो फिटकरी से पानी से सिंकाई करने से आराम मिल सकता है। जिन लोगों के जोड़ों में दर्द रहता है, वे फिटकरी के पानी में पैरों को डुबोकर बैठ सकते हैं। इसके अलावा, आप फिटकरी पाउडर और हल्दी को मिलाकर प्रभावित हिस्से पर लगा सकते हैं। ऐसा करने से दर्द से काफी राहत मिलेगी।एस्ट्रिंजेंटफिटकरी में एस्ट्रिंजेंट गुण भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। फिटकरी के उपयोग से चेहरे के मुंहासों, दाग-धब्बों और झुर्रियों की समस्या से राहत मिल सकती है। फिटकरी चेहरे का कालापन दूर करने में भी काफी कारगर है। फिटकरी में मौजूद एस्ट्रिंजेंट गुण के कारण त्वचा के रोम छिद्रों में कसाव लाने में मदद मिलती है। रोमछिद्रों के बड़े होने के कारण मुंहासे होने की संभावना अधिक रहती है। चेहरे पर फिटकरी रगड़ने से पिंपल्स और झुर्रियों की समस्या दूर हो सकती है। इसके अलावा, आप फिटकरी के पानी से मुंह भी धो सकते हैं। ऐसा करने से स्किन संबंधी समस्याओं में काफी लाभ हो सकता है।फिटकरी अपने औषधीय गुणों की वजह से जानी जाती है। लेकिन ध्यान रखें कि फिटकरी का ज्यादा सेवन या उपयोग करने से आपको नुकसान पहुंच सकता है। किसी भी समस्या या बीमारी में फिटकरी का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर या एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।
- दुनिया में शायद ही ज्यादातर लोग कभी अपनी जीभ पर ध्यान देते हों, लेकिन डॉक्टर जीभ को शरीर का आइना मानते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यह बीमारियों की चेतावनी देने में सबसे आगे रहती है। जीभ की मदद से शरीर में विटामिन की कमी, एलर्जी और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली जैसी समस्याओं के बारे में सबसे पहले पता चलता है। हाल ही में हुए एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया कि जीभ का चिकना होना, लाल दिखना, संक्रमित होना या सफेद धब्बे का बनना बताता है कि आपका शरीर किसी वायरस से पीड़ित है। उनके मुताबिक, स्वास्थ्य के बारे में सारे लक्षण लोगों की जुबान पर दिख जाते हैं।यह अध्ययन पेंसिल्वेनिया के दंत विशेषेज्ञों की टीम ने किया है, जिन्होंने इस अध्ययन के जरिए बताने की कोशिश की है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीभ पर ध्यान देने की जरूरत है। अध्ययन के दौरान यह भी पता चला कि अमेरिका में लगभग 10 मिलियन लोगों में आयरन की कमी है, जबकि छह प्रतिशत लोगों में विटामिन बी-12 की कमी है।सफेद दाग फंगल संक्रमण के संकेत-हर व्यक्ति को कभी न कभी जीभ पर सफेद धब्बे हुए होंगे, लेकिन यह फंगल इंफेक्शन हो सकता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, यह कवक कैंडिडा (खमीर का एक प्रकार) की छोटी मात्रा होती है, जो अमूमन त्वचा, मुंह, गले या आंत में रहती है। इस पर किसी का ध्यान नहीं जाता है, लेकिन इसका अचानक अनियंत्रित रूप से बढ़ना खतरनाक है। इससे जीभ पर सफेद परत दिखाई देने लगती है। यह तब होता है, जब एंटीबायोटिक्स या दवाएं फंगस को रोककर रखने वाली सहायक बैक्टीरिया को मार देती है। इससे यह जल्दी बढ़ते हैं। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करने वाले तनाव के कारण भी होता है।चिकनी जीभ, मतलब विटामिन की कमी-शोधकर्ताओं के मुताबिक, जीभ विटामिन की कमी के बारे में भी चेतावनी देते हैं। जैसे आयरन और विटामिन बी 12 की कमी। यह शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने के लिए महत्वपूर्ण है, जो ऑक्सीजन को विभिन्न अंगों तक ले जाती है। आम तौर पर, जीभ की सतह पर सैकड़ों छोटे-छोटे उभार होते हैं। इन्हें पपिल्ले के रूप में जाना जाता है, जिनमें से प्रत्येक में कई टेस्ट बड्स होती हैं। जब विटामिन की कमी होती है तो ऑक्सीजन की कमी से पपिल्ले बर्बाद होने लगते हैं और जीभ से गिर जाते हैं। इस बारे में पेंसिल्वेनिया के दंत चिकित्सक डॉ. मार्क वोल्फ ने बताया कि विटामिन की कमी से जीभ चमकदार हो जाती है। विटामिन की कमी से व्यक्ति को अत्यधिक थकान, सीने में दर्द और पीली त्वचा शामिल जैसे कारक शामिल हैं। इस बारे में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने कहा कि वयस्क पुरुषों को एक दिन में लगभग 8 मिलीग्राम आयरन मिलना चाहिए, जबकि महिलाओं को 18 मिलीग्राम मिलना चाहिए।बार-बार घाव बनना तनाव की वजह-अगर किसी व्यक्ति के जीभ पर कभी-कभी घाव बन जाए तो मुंह में दांत से कटने या जोर से ब्रश करने से हो सकता है, लेकिन अगर यह घाव नियमित तौर पर हो रहा है तो इसे तनाव का संकेत माना जा सकता है। मानसिक तनाव की स्थिति में लोग अपने गाल या जीभ को काटने की कोशिश करती हैं। वहीं कॉफी, स्ट्रॉबेरी और पनीर जैसे खाद्य पदार्थों से होने वाली एलर्जी से भी यह घाव होते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, अगर यह घाव असामान्य रूप से बड़े होते हैं और खाने-पीने में कठिनाई होती हैं तो इसके तुरंत इलाज कराने की जरूरत है।स्ट्रॉबेरी जीभ एलर्जी का संकेत-यदि किसी व्यक्ति के भोजन के बाद जीभ स्ट्रॉबेरी जैसी लाल हो गई है तो यह एक छिपी हुई एलर्जी का संकेत हो सकता है। हल्के खाद्य एलर्जी वाले लोगों की जीभ चमकदार लाल हो जाती है। एलर्जी के कारण भी यह गले में खराश और सूजन हो सकता है। यह विशेष रूप से कुछ फलों और सब्जियों के खिलाफ खाद्य एलर्जी का संकेत दे सकता है। स्ट्रॉबेरी वाले जीभ में जीवाणु संक्रमण भी शामिल हैं जो तब विकसित होते हैं, जब गले में खराश होती है। बैक्टीरिया जीभ में एक विष छोड़ते हैं, जिससे लालिमा आ जाती है। इसे स्कारलेट फीवर के रूप में जाना जाता है। इसमें एक चमकदार लाल दाना होता है।पीले धब्बे मतलब गैस्ट्राइटिस होना-शोधकर्ताओं ने बताया कि मृत त्वचा कोशिकाओं के निर्माण के कारण जीभ की सतह पीली होती है। यह बाद में बैक्टीरिया द्वारा पीला रंग देने का कारण दिखती है। यह पेट की परत में सूजन का संकेत देती है। यानि व्यक्ति गैस्ट्राइटिस से पीड़ित है। इससे पीड़ित व्यक्ति अपनी जीभ पर कम लार का उत्पादन कर रहा है और जीभ की सतह से मृत त्वचा कोशिकाओं को अच्छे से साफ नहीं किया गया। पीली जीभ के अन्य लक्षणों में सांसों की बदबू, मुंह का स्वाद खराब, बुखार शामिल है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, गैस्ट्राइटिस से एक साल में लगभग 2 मिलियन लोग पीड़ित होते हैं। वहीं कुछ कारणों में व्यक्ति अपनी जीभ को सही ढंग से साफ नहीं करता है, इस वजह से भी मृत कोशिकाएं जमा हो जाती हैं।ऐसे पहचाने स्वस्थ जीभ-- स्वस्थ जीभ का रंग गुलाबी होना चाहिए।-हल्के से गहरे रंग में हो।- जीभ की सतह पर टेस्ट बड्स वाले छोटे उभार भी हो।- छोटो पिंड (पपिल्ले) से ढकी होनी चाहिए।जीभ को इस तरह से रखें साफ-- दांतों को ब्रश करने के तुरंत बाद दिन में दो बार अपनी जीभ को साफ करें।- धूम्रपान का सेवन न करें।- तंबाकू या माउथवॉश का प्रयोग नहीं करें।- दैनिक स्तर पर जांच कराएं।- गांठ, घाव या दर्द में अच्छे डॉक्टर को दिखाएं।
- लाइफस्टाइल में छोटे-मोटे बदलाव हमारी हेल्थ पर बहुत बड़ा असर डाल सकते हैं। ऐसा ही बदलाव है रोजाना नींबू-पानी पीना। नींबू-पानी के एक ऐसा ड्रिंक है जिसे पीने में न ज्यादा पैसे खर्च होते हैं न मेहनत। नींबू विटामिन सी और ऐंटी ऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है। यह आपकी इम्यूनिटी मजबूत करता है साथ ही स्किन के लिए भी अच्छा होता है। इतना ही नहीं अगर आपको किडनी स्टोन या कब्ज की समस्या है तो भी राहत मिलती है।विटामिन सी का सोर्सनींबू विटामिन सी का बढ़िया सोर्स है। इसमें ऐंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो सेल डैमेज से बचाते हैं। इसके अलावा अगर आप पर्याप्त विटामिन सी नहीं लेते तो आपको दांतो से जुड़ी समस्या, ड्राई स्किन, थकान जैसी दिक्कतें भी होती हैं। अगर आपको जल्दी-जल्दी इन्फेक्शंस होते हैं तो भी आपको नींबू पानी डेली रूटीन में शामिल करना चाहिए।पाचन में करता है मददखाने से पहले अगर आप नींबू-पानी पीते हैं तो आपका डाइजेशन सही रहता है। ऐसा माना जाता है कि नींबू का साइट्रिक एसिड गैस्ट्रिक एसिड का सीक्रेशन बढ़ाता है। अगर आपको जलन की समस्या है तो इसे अवॉइड कर सकते हैं।बढ़ा सकते हैं न्यूट्रिशनल वैल्यूरूटीन में नींबू-पानी ऐड करना का एक फायदा यह भी है कि आप इसमें हल्दी भी मिला सकते हैं। यह ऐंटी-इनफ्लेमेटरी होती है। हल्दी ऐसे ही खाना जरा मुश्किल होता है तो आप पानी में नींबू, हल्दी, शहद और थोड़ी काली-मिर्च मिलाकर पी सकते हैं।
- आंवला को आयुर्वेद में अमृतफल कहा जाता है। आंवले का सेवन करने से शरीर को ऊर्जा मिलती है। सुबह-सुबह आंवले का हलवा खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ेगी। आंवला में एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं। आंवले में मौजूद विटामिन सी हड्डियों के लिए भी फायदेमंद होता है। जो बच्चे कैल्शियम के लिए दूध का सेवन नहीं करते, उन्हें रोजाना सुबह 1 चम्मच आंवले का हलवा खिलाएं। आइये जानते हैं आंवले का हलवा किस तरह से बनाएं-सामग्री- आंवला, घी, काली मिर्च, छोटी इलायची, दालचीनी, चीकू और बादाम का पाउडरविधि- आंवले का हलवा बनाने के लिए कढ़ाई में घी गरम कर लें। घी में आंवले को मैश करके डालें और भून लें। अब इसमें काली मिर्च, छोटी इलायची, दालचीनी डालें। आंवले का रस सूखने तक मसालों को अच्छी तरह से पका लें। आंवले के हलवे में मिठास के लिए चीकू का पेस्ट मिला सकते हैं। आंवले के हलवे में बादाम को भूनकर डालने से भी नैचुरल मिठास बढ़ेगी। आंवले के हलवे में मेवे भी मिला सकते हैं।एक आंवले में करीब 33 कैलोरीज होती हैं। एक बड़ा चम्मच आंवले के हलवे में लगभग 30 से 35 कैलोरीज होंगी। वहीं एक कटोरी आंवले के हलवे में करीब 100 से 120 कैलोरीज मौजूद होती हैं। आंवले के हलवे को घी में भूना जाता है इसलिए इसमें ओमेगा-3, ओमेगा-9 फैटी एसिड और विटामिन ए, के और ई पाए जाते हैं। आंवले में विटामिन्स के अलावा, इसमें फाइबर, फोलेट, फास्फोरस, आयरन, काब्र्स, मैग्निशियम और कैल्शियम व विटामिन सी आदि पोषक तत्व मौजूद होते हैं।सर्दियों में आंवले का हलवा खाने के फायदे-आंवले के हलवे का सेवन करने से सर्दी-जुकाम और वायरल संक्रमण से छुटकारा मिलेगा।-ें सुबह 1 चम्मच आंवले का हलवा खाने से लो-एनर्जी की समस्या दूर होगी।-आंवले का हलवा खाने से रक्त साफ होगा और त्वचा हेल्दी रहेगी।-आंखों की रौशनी बढ़ाने के लिए आंवले के हलवे का सेवन फायदेमंद होगा।-सर्दियों में जोड़ों का दर्द सताता है, तो आंवले का हलवा खाएं।-आंवले में मौजूद एंटीइंफ्लेमेटरी गुण की मदद से जोड़ों और हड्डियों का दर्द दूर होता है।-बालों की अच्छी ग्रोथ के लिए आंवले का हलवा फायदेमंद होगा।-ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने के लिए आंवले का सेवन फायदेमंद होता है।