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- करौंदे का स्वाद खट्टा होता है। इसका इस्तेमाल अचार, चटनी, जूस और सब्जी के लिए जाता है। ये न केवल स्वादिष्ट होते हैं बल्कि ये स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद है। आइए जानें इसके स्वास्थ्य लाभ-पेट को स्वस्थ रखते हैं - करौंदे का सेवन करने से पेट स्वस्थ रहता है। ये कब्ज, गैस और एसिडिटी आदि की परेशानी से छुटकारा दिलाते हैं। ये लूज मोशन जैसी समस्या को दूर करते हैं। ये आंतों को स्वस्थ रखते हैं.इम्युनिटी को बढ़ाते हैं - करौंदे इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करते हैं। ये शरीर की बीमारियों को दूर करने का काम करते हैं। इसमें आयरन होता है। ये शरीर में खून की कमी को पूरा करता है।वजन कम करने में फायदेमंद -करौंदे में फाइबर अधिक मात्रा में होता है। इससे आपको देर तक भरा हुआ महसूस होता है। इस प्रकार ये वजन घटाने में मदद करते हैं।कोलेस्ट्रॉल कम करते हैं-करौंदे का सेवन कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है। ये हृदय संबंधी समस्याओं से छुटकारा दिलाता है। ये हाई बल्ड प्रेशर को कंट्रोल करता है।
- अगर आप अपने दिन की शुरुआत एक हेल्दी नोट पर करना चाहते हैं, तो ब्रेकफास्ट में चीला खा सकते हैं। यह सबसे जल्दी और आसानी से तैयार होने वाले नाश्ते में से एक है। आज हम आपको 5 दालों से तैयार होने वाला पंचरत्न चीला बनाने का तरीका बता रहे हैं। यह खाने में जितना स्वादिष्ट लगता है, उतना ही फायदेमंद सेहत के लिए भी होता है। इसे खाने से आपको सिर्फ एक नहीं, बल्कि 5 दालों का पोषण एक साथ मिल जाएगा। अगर आप हाई प्रोटीन ब्रेकफास्ट ऑप्शन ढूंढ रहे हैं, तो पंचरत्न चीला आपके लिए बेस्ट है। तो आइए, जानते हैं पंचरत्न चीला खाने के फायदे और इसकी रेसिपी -कैसे बनाएं हाई प्रोटीन पंचरत्न चीलासामग्री-1/4 कप मूंग दाल1/4 कप हरी मूंग दाल1/4 कप उड़द दाल1/4 कप चना दाल1/4 कप अरहर दाल1 चम्मच अजवायन1 बारीक कटा प्याज1 बारीक कटा टमाटर2-3 बारीक कटी हरी मिर्चहरा धनियानमकतेलपंचरत्न चीला बनाने की विधिपंचरत्न चीला बनाने के लिए पांचों दालों को अच्छी तरह धो लें और रात में पानी में भिगोकर रख दें।सुबह दालों का पानी छान लें। फिर मिक्सर में डालकर दालों को पीस लें। आपको इसका एक दरदरा सा बैटर तैयार करना है।इस बैटर में प्याज, टमाटर, हरी मिर्च, अजवाइन और नमक डालें और अच्छी तरह फेंट लें।अब गैस पर एक पैन गर्म करें और तेल डाल दें।फिर तवे पर चीला बैटर को डालें और मीडियम आंच पर दोनों तरफ से सेंक लें।आपका पंचरत्न चीला तैयार है। इसका आनंद धनिया-पुदीना की चटनी के साथ लें।पंचरत्न चीला के फायदेपंचरत्न चीला बनाने के लिए 5 दालों का प्रयोग किया जाता है। आइए, जानते हैं इन सभी दालों के क्या-क्या फायदे हैं -मूंग दालमूंग दाल में प्रोटीन और फाइबर भरपूर मात्रा में होते हैं। ये पेट को लंबे समय तक भरा रखते हैं। साथ ही, मेटाबोलिज्म को तेज करने में मदद करते हैं। मूंग दाल को डायबिटीज, वेट लॉस और हार्ट हेल्थ के लिए भी काफी फायदेमंद माना जाता है।हरी मूंग दालहरी मूंग दाल में प्रोटीन, फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। यह शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने और फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसानों को कम करने में मददगार होती है। यह पाचन को स्वस्थ रखने और वजन घटाने के लिए भी काफी फायदेमंद होती है।उड़द की दालउड़द की दाल में आयरन भरपूर मात्रा में होता है, जिससे यह एनर्जी बूस्ट करने का काम करती है। इसमें विटामिन प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम और कार्बोहायड्रेट जैसे पोषक तत्व भी प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।चना दालचना दाल वजन घटाने से लेकर ब्लड शुगर को कंट्रोल करने तक में लाभकारी होती है। इसका सेवन करने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है और हड्डियां भी मजबूत बनती है।अरहर दालअरहर की दाल में विटामिन-बी, प्रोटीन, फाइबर, फोलिक एसिड जैसे कई पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं। यह ब्लड शुगर को कंट्रोल करती है, पाचन को बेहतर बनाती है और वजन घटाने में भी मददगार होती है।
- सौंफ का इस्तेमाल भारतीय रसोई में मसाले या तड़के के रूप में किया जाता है। इसके अलावा माउथ फ्रेशनर के रूप में भी सौंफ और मिश्री आदि का खूब इस्तेमाल किया जाता है। सौंफ में मौजूद गुणों और पोषक तत्वों के कारण इसका इस्तेमाल आयुर्वेद में औषधि के रूप में भी किया जाता है। सौंफ खाने से पेट से लेकर पाचन से जुड़ी कई गंभीर समस्याओं में फायदा मिलता है। सौंफ में कैल्शियम, आयरन, सोडियम, पोटैशियम जैसे पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, इन पोषक तत्वों की आपूर्ति से शरीर हेल्दी और फिट रहता है। इसके अलावा खाली पेट सौंफ का सेवन (Khali Pet Saunf Khane Ke Fayde) करना भी सेहत के लिए उपयोगी माना जाता है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं खाली पेट सौंफ खाने के फायदे।खाली पेट सौंफ खाने के फायदे-सौंफ में सेहत के लिए फायदेमंद कैल्शियम, विटामिन जैसे पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। इसके अलावा सौंफ में पर्याप्त मात्रा में मौजूद पोटैशियम हार्ट से जुड़ी बीमारियों में भी बहुत उपयोगी होता है। सौंफ खाने से आपको हाई ब्लड प्रेशर के समस्या में भी बहुत फायदा मिलता है। रोजाना खाली पेट सौंफ का सेवन करने से आपको ये फायदे मिलते हैं-1. कब्ज की समस्या में फायदेमंदसुबह खाली पेट सौंफ खाने से आपको कब्ज की समस्या में बहुत फायदा मिलता है। सौंफ में फाइबर की पर्याप्त मात्रा होती है, इसका सेवन पेट से जुड़ी बीमारियों में बहुत फायदेमंद होता है। रोजाना सुबह एक चम्मच सौंफ चबाने के बाद आधा गिलास गुनगुना पानी पीने से आपको कब्ज की समस्या में बहुत फायदा मिलेगा।2. हार्ट के लिए बहुत फायदेमंदसुबह खाली पेट सौंफ खाने से दिल की बीमारियों का जोखिम कम होता है। सौंफ में पोटैशियम की मात्रा पायी जाती है जो शरीर में ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने और दिल से जुड़ी बीमारियों के जोखिम को कम करने में बहुत फायदेमंद है।3. इम्यूनिटी बढ़ाएसौंफ में विटामिन सी की पर्याप्त मात्रा होती है। सुबह खाली पेट सौंफ खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी बढ़ाने में बहुत फायदा मिलता है।4. खून की कमी दूर करेशरीर में खून की कमी या एनीमिया की समस्या होने पर शरीर कदम कमजोर हो जाता है। इस समस्या में डॉक्टर आयरन की प्रचुर मात्रा वाले फूड्स का सेवन करने की सलाह देते हैं। सौंफ में आयरन की पर्याप्त मात्रा होती है, रोजाना सुबह के समय इसका सेवन करने से आपको खून की कमी दूर करने में मदद मिलेगी।5. हड्डियों के लिए फायदेमंदसौंफ में कैल्शियम की भी मात्रा होती है। सुबह खाली पेट इसका सेवन करने से हड्डियां मजबूत होती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी गंभीर बीमारी का खतरा भी कम होता है।रोजाना सौंफ का सेवन करने से आपको पाचन और पेट से जुड़ी समस्याओं में बहुत फायदा मिलता है। सुबह खाली पेट एक चम्मच सौंफ चबाकर गुनगुना पानी पीने से आपको कई समस्याओं में फायदा मिलेगा। इसके अलावा लोग सुबह के समय सौंफ के पानी का सेवन भी करते हैं, यह भी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
- खराब जीवनशैली और खराब आदतों की वजह से भी आंखों के नीचे काले घेरे बढ़ रहे हैं। इनसे बचने के लिए अपनी बुरी आदतों में सुधार करें। दरअसल, डार्क सर्कल कम करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप डार्क सर्कल होने की वजह को जानें और फिर उस पर काम करें। डार्क होने की मूल वजह आपकी खराब जीवनशैली ही नहीं, बल्कि खराब आदतें भी हैं। डार्क सर्कल को कम करने के लिए उन आदतों में सुधार करना जरूरी है।आंखों को मलनालोगों की अक्सर आदत होती है, वे अपने आंखों को रगड़ने या मलने लगते हैं। शायद आपको पता न हो, आंखों को बार-बार अपनी हाथों से छूने की वजह से आंखों के नीचे डार्क सर्कल बढ़ सकते हैं। इसके साथ ही, आंखों के नीचे स्क्रैच या अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं। इसलिए कोशिश करें कि आप आंखों न मलें।स्क्रीन पर समय बितानाफोन या लैपटॉप पर लोगों ने बहुत ज्यादा समय बिताना शुरू कर दिया है। इसका बहुत बुरा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसके साथ ही, जब आप देर रात तक जगकर स्क्रीन पर समय गुजारते हैं, जो इससे आंखें न सिर्फ कमजोर होती हैं, बलिक डार्क सर्कल भी बढ़ने लगते हैं।पानी कम पीनाएसी में ज्यादातर समय बिताने के कारण यह समस्या होती है कि लोगों को प्यास नहीं लगती, जिस वजह से शरीर में डिहाइड्रेशन होने लगता है। जब शरीर में पानी कमी होने लगती है, जो इससे कई तरह की परेशानी होने लगती हैं, जिनमें से एक है डार्क सर्कल होना। कहने का मतलब यह है कि खूब पानी पिएं, ताकि डार्क सर्कल कम हो सकें।स्मोक करनामॉडर्निटी के नाम पर पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं ने भी स्मोक करना शुरू कर दिया है। इससे कैंसर जैसी घातक बीमारियां तो हो ही सकती हैं, साथ ही कई तरह की छोटी-छोटी समस्याएं भी आपको परेशान कर सकती हैं। इन्हीं में डार्क सर्कल होना भी शामिल है। आप अपनी इस आदत को खत्म करके, खुद को बेहतर स्वास्थ्य का उपहार दे सकते हैं।ज्यादा मात्रा में नमक का सेवन करनाखाने में नमक की मात्रा हमेशा कम होनी चाहिए। लेकिन, अब लोग स्वाद के नाम पर बहुत ज्यादा चटपटा और अनहेल्दी आहार खाते हैं। इनमें सॉल्ट यानी नमक की मात्रा काफी ज्यादा होती है। नमक का अतिरिक्त सेवन करने से भी आंखों के नीचे काले घेरे बढ़ जाते हैं।समय पर न सोनाआज की युवा पीढ़ी रात को जगती है और दिन में सोती है। यही नहीं, काम के प्रेशर की वजह से रात को नींद भी नहीं लेती है। आपकी यही आदत, आपके डार्क सर्कल को बढ़ाती है। विशेषज्ञ भी यह सलाह देते हैं कि अच्छी नींद लें और सही समय पर सोएं। ऐसा करके आपका स्वास्थ्य पर अच्छा असर पड़ेगा। इसके साथ, काले घेरे की समस्या में भी कमी आएगी।
- तेज धूप, धूल मिट्टी, अनियमित खानापान और अनहेल्दी लाइफस्टाइल की वजह से सेहत के साथ ही त्वचा पर भी कई तरह के दुष्प्रभाव देखने को मिलते हैं। यदि आप लंबे समय तक त्वचा की देखभाल न करें तो इससे चेहरे पर दाग-धब्बों के साथ ही, पिंपल्स और झाइंयां होने लगती हैं। चेहरे की झाइयों को दूर करने के लिए आप केले से बने फेस मास्क का उपयोग कर सकते हैं। केले में विटामिन ई, विटामिन बी और कैरोटीन आदि कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो आपकी त्वचा को चमकदार और खूबसूरत बनाने का कार्य करते हैं।केले के फेस मास्क के फायदे -कोलेजन को बेहतर करने में सहायककेले के फेस मास्क से चेहरे का कोलेजन स्तर बेहतर होता है। इससे आपके चेहरे पर आने वाली झाइयां और दाग धब्बे दूर होते हैं। साथ ही स्किन साफ और खूबसूरत बनती है।विटामिन ए से भरपूरकेले के फेसमास्क में पाया जाने वाला विटामिन ए त्वचा की सूजन और विकारों को दूर करने में सहायक होता है। जिससे चेहरे में चमक आती है।सूर्य से बचाने में सहायककेले में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट सूर्य की किरणों से त्वचा पर होने वाले हानिकारक प्रभावों को दूर करने का काम करते हैं। इससे झाइयां की समस्या कम होती है।त्वचा में कसाव लाएकेले के फेस मास्क से त्वचा में कसाव आता है और समय से पहले दिखने वाले एजिंग के लक्षण दूर होने लगते हैं। इसके साथ ही चेहरे की त्वचा की झुर्रियांचेहरे की झाइयों को दूर करने के लिए केले का फेस मास्क कैसे बनाएं?चेहरे की झाइयों को कम करने के लिए आप एक केले के फेस मास्क को बनाने के लिए एक केला लें। इसके साथ ही करीब एक चम्मच शहद लें। इसके अलावा करीब एक चम्मच दही को ले लें। एक बाउल में केले को मैश करें। इसमें शहद और दही को मिला लें। सभी चीजों अच्छी तरह से मिलाएं। इसके बाद चेहरे को गुलाब चल से साफ कर। मास्क को चेहरे पर लगाएं। फेस मास्क को 20 से 25 मिनट तक लगाएं। जब मास्क थोड़ा हल्का सूख जाए तो इसे नॉर्मल पानी से साफ कर लें।
- मौसम बदलने के साथ गले में खराश, सर्दी और खांसी होना एक आम समस्या है। कई लोग इस समस्या को दूर करने के लिए कई तरह की दवाइयों का सेवन शुरू कर देते है। लेकिन कई बार जल्दी आराम नहीं मिलता है। ऐसे में दवाइयों के सेवन के साथ आयुर्वेदिक काढ़ा भी बनाया जा सकता है। ये आयुर्वेदिक काढ़ा पीने से गले की खराश दूर होने के साथ मौसमी बीमारियों से भी शरीर को बचाव होता है। ये शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाने के साथ इंफेक्शन को दूर करने में मदद करता है।सामग्रीपानी- 1 गिलासहल्दी- 1/4 चौथाई चम्मचकाली मिर्च- 2-3लहसुन- 1 से 2 कलीअजवायन- 1/4 चौथाई चम्मचअदरक- 1 इंच का टुकड़ातुलसी के पत्ते- 8 से 10आयुर्वेदिक काढ़ा बनाने का तरीकागले की खराश को दूर करने के लिए इस आयुर्वेदिक काढ़ा को बनाया जा सकता है। इसको बनाने के लिए पानी में सभी चीजों को डालकर जब पानी आधा रह जाएं, तो गुनगुना होने पर छानकर पिएं। स्वाद के लिए इसमें शहद को भी मिलाया जा सकता है।आयुर्वेदिक काढ़ा पीने के फायदेसर्दी-जुकाम से राहतइस आयुर्वेदिक काढ़ा को पीने से सर्दी-जुकाम से राहत मिलने के साथ ठंड की समस्या भी दूर होती है। कई बार मौसम बदलने की वजह से लगातार छींके आती रहती है। ऐसे में इस काढ़े को बनाकर पीने से शरीर को गर्माहट मिलती है।गले की खराशइस आयुर्वेदिक काढ़ा में मिलाए जाने वाली सभी सामग्री गले के लिए बहुत फायदेमंद है। इसको पीने से गले में होने वाला इंफेक्शन दूर होता है और बंद आवाज भी खुल जाती है। ये आयुर्वेदिक काढ़ा गले की कई समस्याओं को आसानी से दूर करता है।खांसी को दूर करेये आयुर्वेदिक काढ़ा खांसी को दूर करने में भी मदद करता है। कई बार गले में इंफेक्शन होने के कारण खांसी और बलगम की समस्य हो जाती है। ऐसे में इसके सेवन करने से खांसी की समस्या आराम मिलता है और बलगम भी दूर होता है। गले में खराश की समस्या होने पर इस काढ़े को बनाकर पीया जा सकता है। हालांकि, अगर आपको कोई बीमारी या एलर्जी की समस्या है, तो डॉक्टर से पूछ कर ही इसका सेवन करें। साथ ही इस काढ़े को नियमित मात्रा में ही पिएं।
- आज के समय में कब्ज एक गंभीर समस्या बन चुका है। गलत खानपान और सुस्त जीवनशैली के कारण काफी लोग कब्ज से परेशान रहते हैं। आज इस लेख में हम आपको ऐसे ही 5 घरेलू उपाय बता रहे हैं, जो पुरानी से पुरानी कब्ज को जड़ से खत्म कर देंगे -फाइबर का अधिक सेवन करेंकब्ज की समस्या को जल्दी ठीक करने के लिए अपनी डाइट में अधिक से अधिक फाइबर युक्त चीजों को शामिल करें। फाइबर पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है और आंतों को स्वस्थ रखने में मदद करता है। फाइबर युक्त चीजों के सेवन से मल मुलायम होकर आसानी से बाहर आ जाता है। आपको रोज 25 से 30 ग्राम फाइबर अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए। इसके लिए आप हरी पत्तेदार सब्जियां, साबुत अनाज और फल आदि खा सकते हैं।आलूबुखारा खाएंकब्ज की समस्या से छुटकारा पाने के लिए आप आलूबुखारा का सेवन कर सकते हैं। इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर होता है, जो पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद करता है। साथ ही, आलूबुखारा में लैक्सेटिव गुण होते हैं, जिससे मलत्याग की प्रक्रिया आसान बनती है। पुरानी से पुरानी कब्ज को खत्म करने के लिए आप रात को सोने से पहले 5-6 सूखे आलूबुखारा को पानी में भिगो दें। सुबह खाली पेट इन्हें खाएं और बचा हुआ पानी पी लें। इससे आपको जल्द राहत मिलेगी।प्रोबायोटिक्स लेंप्रोबायोटिक्स पुरानी से पुरानी कब्ज को दूर में मदद कर सकते हैं। प्रोबायोटिक्स अच्छे बैक्टीरिया होते हैं, जो हमार आंत में मौजूद होते हैं। जिन लोगों को पुरानी कब्ज होती है, उनकी आंत में इन बैक्टीरिया का असंतुलन होता है। ऐसे में अधिक प्रोबायोटिक फूड्स का सेवन इस संतुलन को बेहतर बनाने और कब्ज को रोकने में मदद कर सकता है। इसके लिए आप दही, किमची, अचार आदि खा सकते हैं।व्यायाम करेंलगातार एक ही जगह पर बैठे रहने या शारीरिक गतिविधि की कमी की वजह से कब्ज की समस्या हो जाती है। इससे बचने के लिए रोजाना कुछ देर व्यायाम जरूर करें। रोजाना एक्सरसाइज करने से पाचन क्रिया को दुरुस्त बनाने में मदद मिलती है और कब्ज से राहत मिलती है। इसके लिए आप अपने रूटीन में वॉकिंग, जॉगिंग और स्विमिंग को शामिल कर सकते हैं।दूध और घी का सेवन करेंघी का सेवन करने से पुरानी से पुरानी कब्ज की शिकायत दूर हो सकती है। इसमें ब्यूटीरिक एसिड होता है, जो मल त्याग की प्रक्रिया को आसान बनाने में मदद करता है। रोजाना घी का सेवन करने से पाचन क्रिया बेहतर होती है और पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है। कब्ज की समस्या से छुटकारा पाने के लिए आप दूध और घी का सेवन कर सकते हैं। इसके लिए रात में सोने से पहले एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच घी मिलाकर पिएं। इससे आप पेट अच्छी तरह साफ होगा।इन घरेलू उपायों की मदद से आप पुरानी से पुरानी कब्ज को दूर कर सकते हैं। हालांकि, अगर आपकी समस्या अधिक बढ़ रही है, तो आपको डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
- मीठा और ताजा खरबूजा, खाने में तो स्वादिष्ट होता ही है साथ ही सेहत के लिए भी यह फायदेमंद होता है। इसमें पोटैशियम, विटामिन-बी।, विटामिन-बी6, विटामिन-के, फॉलेट, कॉपर, मैग्नीयशियम और डायटरी फाइबर जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं।खरबूजे में विटामिन-सी होता है। विटामिन-सी का सेवन करने से इम्यूनिटी बढ़ती है और मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाने में मदद मिलती है। खरबूजे में एंटी-डायबिटिक, एंटी-हाइपरलिपिडेमिक, जीवाणुरोधी, एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी आदि गुण पाए जाते हैं। आज हम जानेंगे कि क्या खरबूजा खाने से ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है?-खरबूजे का स्वाद भले ही खाने में थोड़ा मीठा होता है लेकिन इसे खाने से ब्लड शुगर लेवल अचानक से नहीं बढ़ता। खरबूजे में 95 प्रतिशत पानी होता है। खरबूजे में करीब 38 कैलोरीज होती हैं। 1 खरबूजे में करीब 13 ग्राम शुगर पाई जाती है। इसमें प्राकृतिक मिठास होती है। डायबिटीज के मरीज खरबूजे का सेवन कर सकते हैं। हालांकि डायबिटीज मरीजों को पोर्शन साइज पर गौर करने की जरूरत है। डायबिटीज है तो दिनभर में एक छोटा बाउल खरबूजा खा सकते हैं। खरबूजे का ग्लाइसेमिक इंडेक्स या जीआई स्कोर करीब 65 होता है। इसलिए इसे मध्यम जीआई खाद्य श्रेणी में गिना जाता है। 70 और उससे ज्यादा जीआई वाले खाद्य पदार्थ, उच्च जीआई श्रेणी में आते हैं और ऐसी चीजों का सेवन करने से शुगर लेवल तेजी से बढ़ता है। जिन लोगों को टाइप 2 डायबिटीज है, उन्हें फलों को मील्स के साथ मिलाकर नहीं खाना चाहिए। इसके अलावा फलों में नमक या मसाला डालकर भी खाने से बचना चाहिए। ऐसा करने से फल के पूरे फायदे आपको नहीं मिलेंगे।कब खाएं खरबूजा?-खरबूजे को मिड-मील स्नैक्स के तौर पर खा सकते हैं। नाश्ते और खाने के बीच लगने वाली हल्की भूख के लिए यह फल खाना फायदेमंद है। इसे खाने से भूख शांत होती है। पेट लंबे समय तक भरा हुआ महसूस होता है। शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए भी खरबूजा खा सकते हैं। खरबूजे में वॉटर कंटेंट ज्यादा होता है। शरीर में पानी की कमी दूर करने के लिए खरबूजा खाएं। पोस्ट वर्कआउट डाइट में भी खरबूजे को शामिल कर सकते हैं।
- आयरन हमारे शरीर के लिए एक बहुत जरूरी मिनरल है। यह शरीर के विकास में मदद करता है। आयरन फेफड़ों से पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है। इतना ही नहीं, आयरन हीमोग्लोबिन बनाता है और लाल रक्त कोशिकाओं के कार्य को आसान बनाता है। इसलिए स्वस्थ रहने के लिए शरीर में आयरन के स्तर का संतुलन में होना बहुत जरूरी होता है। आप चाहें तो सिर्फ खाना पकाने के लिए लोहे की कड़ाही का इस्तेमाल करके भी आयरन की कमी को पूरा कर सकते हैं। आज हम जानेंगे कि लोहे की कड़ाही में खाना पकाने से क्या लाभ होता है।आयरन का स्तर बढ़ाएलोहे की कड़ाही में पका खाना खाने से आयरन की कमी को दूर किया जा सकता है। अगर आप रोजाना लोहे की कड़ाही में पका खाना खाएंगे, तो इससे शरीर में आयरन का स्तर बढ़ेगा। इससे आपको थकान, कमजोरी और शरीर में होने वाले दर्द से आराम मिलेगा।खून की कमी दूर करेशरीर में खून की कमी को पूरा करने के लिए आप कड़ाही में पका खाना खा सकते हैं। अगर आप नियमित रूप से कड़ाही में पका हुआ खाना खाएंगे, तो इससे खून की कमी यानी एनीमिया से बचा जा सकता है। वहीं, जिन लोगों को एनीमिया है, उनके लिए लोहे की कड़ाही में पका हुआ भोजन खाना फायदेमंद होता है। लोहे की कड़ाही में पका खाना नैचुरल आयरन का काम करता है।भोजन को गर्म रखेअगर आप लोहे की कड़ाही में खाना पकाएंगे, तो खाना लंबे समय तक गर्म रहेगा। लोहे की कड़ाही में पका खाना गर्म रहता है। इस बर्तन में खाना लंबे समय तक भी ठंडा नहीं होता है।सेहत के लिए कैसे फायदेमंद है लोहे की कड़ाही में पका खाना?जब लोहे की कड़ाही में खाना पकाया जाता है, तो यह धातु की सतह के साथ प्रतिक्रिया करता है। इसकी वजह से कड़ाही में मौजूद आयरन खाने में मिल जाता है। अगर किसी खाद्य पदार्थ में आयरन नहीं है, लेकिन आप इसे लोहे की कड़ाही में पकाते हैं, तो इससे वह खाद्य पदार्थ आयरन युक्त हो सकता है। यानी उस खाद्य पदार्थ में आयरन की मात्रा बढ़ सकती है। इतना ही नहीं, लोहे के बर्तन में पका खाना कोई हानिकारक गंध या प्रभाव नहीं छोड़ता है। इससे आप आसानी से लोहे की कड़ाही में पका खाना खा सकते हैं।
- आंखों के नीचे मौजूद काले घेरों की समस्या दूर करने में भी नारियल तेल बहुत लाभकारी है। इन दिनों लोगों में डार्क सर्कल की समस्या बहुत आम हो गई है। इसके पीछे शरीर में पोषण की कमी से लेकर, नींद में कमी तक कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। अगर अपने खानपान और नींद में सुधार कर, अपनी आंखों के नीचे नियमित रूप से नारियल तेल लगाएं, तो यह जल्द आपको डार्क सर्कल से छुटकारा दिला सकता है।आमतौर पर डार्क सर्कल शरीर में पानी, पोषण और नींद की कमी के कारण देखने को मिलते हैं। इसके अलावा कुछ मामलों में यह समस्या एलर्जी के कारण भी हो सकती है। यह पिगमेंटेशन और सनबर्न के कारण भी डार्क सर्कल हो सकते हैं। जब आप आंखों के नीचे नारियल तेल लगाते हैं, तो इससे त्वचा को मॉइस्चराइज और हाइड्रेशन को बढ़ावा देने में मदद मिलती है। यह आंखों के नीचे ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाता है। यह डैमेज रक्त वाहिकाओं को ठीक करने में मदद करता है। यह त्वचा की रंगत में सुधार करता है, जिससे यह पिगमेंटेशन और त्वचा का कालापन दूर करने में बहुत सहायक है। यह झुर्रियों और फाइन लाइन्स को भी कम कम करता है। इससे काले घेरे कम नजर आते हैं।डार्क सर्कल्स के लिए नारियल तेल का इस्तेमाल कैसे करेंअगर आप डार्क सर्कल से परेशान हैं और इससे छुटकारा पाने के लिए नारियल तेल प्रयोग करने का सोच रहे हैं, तो ध्यान रखें कि आपको वर्जिन कोकोनट ऑयल का ही प्रयोग करना है। आंखों के नीचे नारियल तेल लगाएं। इससे कुछ मिनट धीरे-धीरे उंगलियों की मदद मालिश करें। इसे अच्छी तरह त्वचा में अवशोषित होने दें और छोड़ दें। ऐसा रोज रात में सोने से पहले करें। आप दिन में 2 बार भी इसका प्रयोग कर सकते हैं। इस तरह आपको जल्द डार्क सर्कल से छुटकारा मिल सकता है।
- हरी सब्जियों में वे सभी विटामिन्स और मिनरल्स पाए जाते हैं, जो हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी होते हैं। इनमें विटामिन ए, सी और के पाए जाते हैं। इसके अलावा, हरी सब्जियों में मैग्नीशियम, कैल्शियम, आयरन और फाइबर जैसे मिनरल्स भी होते हैं। इसलिए हेल्थ एक्सपर्ट्स डाइट में हरी सब्जियां शामिल करने की सलाह देते हैं। हरी सब्जियां खाने से दिमाग मजबूत बनता है। हरी सब्जी खाने से लिवर और किडनी के स्वास्थ्य में सुधार होता है। अगर आप हरी सब्जियां खाएंगे, तो गट हेल्थ में भी सुधार होने लगेगा। इसलिए अगर आपको आंतों से जुड़ी कोई समस्या है या फिर आप अपने आंतों को मजबूत बनाता चाहते हैं, तो हरी सब्जियों का सेवन जरूर करें। अब आप सोच रहे होंगे कि आंतों के स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए कौन-सी हरी सब्जियां खानी चाहिए?आंतों के लिए पत्तीदार सब्जियां:1. केल-आंतों के स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए आप केल का सेवन कर सकते हैं। केल में विटामिन ए और सी की मात्रा काफी अधिक पाई जाती है। इसके अलावा, केल में विटामिन के भी होता है, जो सेहत के लिए बहुत जरूरी होता है। इसमें मैग्नीशियम, कैल्शियम और आयरन पाए जाते हैं। अगर आप नियमित रूप से केल का सेवन करेंगे, तो आपका गट हेल्थ बेहतर बना रहेगा। केल खाने से फैट को बर्न करने में मदद मिलती है। इतना ही नहीं, केल खाने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी नियंत्रण में रहता है।2. ब्रोकलीब्रोकली में विटामिन सी और के की मात्रा काफी अधिक पाई जाती है। इसमें आयरन, पोटैशियम और फाइबर की मात्रा भी अधिक होती है। इसलिए आप चाहें तो अपनी गट हेल्थ को इंप्रूव करने के लिए ब्रोकली का सेवन कर सकते हैं। ब्रोकली में सल्फर यौगिक सल्फोराफेन और ग्लूकोसिनेट होते हैं, जो आंतों की सूजन को कम करने में मदद करते हैं। आप ब्रोकली को सलाद या सूप के रूप में खा सकते हैं।3. पालकपालक में फोलेट काफी अधिक होता है। फोलेट पाचन एसिड के उत्पादन को उत्तेजित करता है, इससे आंतों के स्वास्थ्य में सुधार होता है और कब्ज की समस्या दूर होती है। अगर आप नियमित रूप से पालक का सेवन करेंगे, तो इससे प्रोटीन और आयरन पर्याप्त मिलेगा। साथ ही, आंतों से जुड़ी समस्याएं भी दूर होंगी। इसलिए आपको अपनी डाइट में पालक को जरूर शामिल करना चाहिए।4. शतावरीशतावरी में सल्फोराफेन होता है, जो पाचन प्रक्रिया को मजबूत बनाता है। आप शतावरी के पत्तों की सब्जी बनाकर खा सकते हैं। रोजाना शतावरी के पत्तों का साग खाने से आपको विटामिन बी भी अधिक मात्रा में मिलेगा। अगर आप नियमित रूप से शतावरी की सब्जी खाएंगे, तो आपके संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। शतावरी खाने से आंतों में जमा विषाक्त पदार्थ आसानी से निकल सकते हैं। साथ ही, आंतों से जुड़ी समस्याओं में भी आराम मिलेगा।5. चुकंदर के पत्तेगट हेल्थ को इंप्रूव करने के लिए आप चुकंदर के पत्तों को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। चुकंदर के पत्ते विटामिन्स और मिनरल्स का काफी अच्छे सोर्स होते हैं। आपको बता दें कि चुकंदर के पत्तों में मैग्नीशियम और पोटैशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। ये मिनरल्स नर्वस सिस्टम और मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं। आंतों के स्वास्थ्य को मजबूत बनाने के लिए भी आप चुकंदर के पत्तों का सेवन कर सकते हैं।
- आंवले का मुरब्बा सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। क्योंकि इसमें विटामिन सी,होता है। यह विटामिन एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है। इसके अलावा, यह मुरब्बा डाइट्री फाइबर, कैल्शियम, आयरन, पोटैशियम आदि से भी भरपूर होता है। इसलिए, सेहतमंद रहने के लिए हेल्थ एक्सपट्र्स की आंवले का मुरब्बा खाने की सलाह देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं, आंवले का मुरब्बा खाने से आपको लाभ सिर्फ तभी मिल सकते हैं, जब आप इसका सीमित मात्रा में और सही समय पर सेवन करें। इस लेख में हम आपको आंवले का मरब्बा खाने का सही समय और मात्रा बता रहे हैं।आंवले के मुरब्बे से अधिकतम स्वास्थ्य लाभ पाने के लिए सुबह खाली पेट इसका सेवन सबसे अच्छा माना जाता है। हालांकि, आप आप दिन में किसी भी समय इसका सेवन कर सकते हैं। आमतौर पर लोग सुबह और शाम, दिन में 2 बार आंवले का मुरब्बा खाते हैं। इसके अलावा, मीठे की क्रेविंग होने पर भी आप आंवले का मुरब्बा खा सकते हैं। लेकिन आपको अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से बचना चाहिए। इसका अधिक सेवन सेहत को नुकसान भी पहुंचा सकता है।आंवले का मुरब्बा खाने के फायदे-त्वचा और बाल दोनों की सेहत को स्वस्थ रखने में मदद करता है-मीठे की क्रेविंग को कंट्रोल करता है और आपको जंक फूड्स से दूर रखता है-नियमित इसके सेवन से वजन घटाने मं मदद मिल सकती है-पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में यह बहुत लाभकारी है-पाचन में सुधार करता है और मेटाबॉलिज्म बढ़ााता है-यह शरीर की सूजन कम करने में मदद करता है-शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और मौसमी फ्लू, वायरस आदि से सुरक्षित रखता है।
- दही में प्रोटीन, कैल्शियम, राइबोफ्लेविन, विटामिन B6 और विटामिन B12 जैसे पोषक तत्व होते है, जो सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। यह प्रोटीन, कैल्शियम, राइबोफ्लेविन, विटामिन B6 और विटामिन B12 जैसे पोषक तत्वों से समृद्ध होता है। इसकी तासीर ठंडी होती है इसलिए यह सेहत के लिए बहुत फायदेमंद मानी जाती है। हालांकि इस सेहतमंद चीज को सही तरीके से न खाया जाए, तो यह सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है। ज्यादातर लोग दही में नमक या फिर शक्कर डाल कर खाते हैं। आज हम जानेंगे कि दही में क्या डालकर खाना सेहत होता है-दही और नमक डालकर सही है?दही अम्लीय होता है। उसमें नमक मिलाकर खाने से पित्त और कफ बढ़ जाता है। खासकर गर्मियों के मौसम में दही में नमक मिलाकर खाया जाए, तो यह सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। एक्सपर्ट का कहना है कि दही में नमक मिलाकर खाने की बजाय, आप इसका सेवन छाछ के रूप में कर सकते हैं। गर्मी में छाछ में आप काला नमक और जीरे का पाउडर मिलाकर सेवन कर सकते हैं। छाछ पीने से पाचन तंत्र तो मजबूत बनाने, वजन घटाने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद मिलती है। साथ ही, यह स्किन और हेयर प्रॉब्लम से छुटकारा दिलाने में मदद करता है।दही में चीनी मिलाकर खाना सही है?किसी भी मौसम में दही के साथ चीनी मिलाकर खाना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। दही के साथ चीनी मिलाकर खाने से पेट की समस्याएं नहीं होती है। एक्सपर्ट का कहना है कि दही और चीनी खाने से शरीर को अच्छी मात्रा में ग्लूकोज मिलता है जिससे तुरंत एनर्जी मिलती है। साथ ही, यह गर्मी में पानी की कमी की वजह से होने वाली हाइड्रेशन की समस्या को ठीक करने में मदद करता है। दही में चीनी खाने से यूटीआई और सिस्टिटिस जैसी परेशानियां भी कम होती हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि हमेशा दही में चीनी मिलाकर ही खाना चाहिए। यह सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। हमारी परंपरा चली आ रही है कि किसी भी शुभ काम के लिए जाते समय दही और शक्कर खिलाया जाता है। माना जाता है कि इससे सफलता मिलती है। इसके पीछे का विज्ञान ये है कि इससे व्यक्ति को भरपूर एनर्जी भी मिलती है।
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स्वस्थ रहने के लिए बहुत से लोग आयुर्वेद चिकित्सा की मदद लेते हैं. इस दौरान बीमारियों को ठीक करने के लिए हर्ब्स, ऑयल और डाइट का सहारा लिया जाता है. ऐसे में यहां आयुर्वेदिक डिटॉक्स ड्रिंक्स के बारे में बताया गया है. ये डिटॉक्स ड्रिंक्स आपके शरीर से टॉक्सिन बाहर निकालने का काम करते हैं. ये आपको स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं जैसे थकान, सिरदर्द, कैंसर, हृदय रोग और त्वचा की समस्याओं से बचाने का काम करते हैं. डिटॉक्स करने के लिए कई अलग-अलग तरीके हैं. लेकिन फिलहाल हम आयुर्वेद में इस्तेमाल होने वाले डिटॉक्स ड्रिंक्स के बारे में बात करेंगे.
इन डिटॉक्स को आप आसानी से घर पर बना सकते हैं. ये आयुर्वेदिक डिटॉक्स ड्रिंक्स आपके शरीर से टॉक्सिन निकालकर आपको स्वस्थ रखने में मदद करेंगे. घर पर आप कौन से डिटॉक्स ड्रिंक्स बना सकते हैं आइए जानें.
त्रिफला डिटॉक्स ड्रिंक्स
आप त्रिफला का इस्तेमाल करके भी डिटॉक्स ड्रिंक्स बना सकते हैं. इस ड्रिंक को बनाने के लिए 3 हर्ब्स का इस्तेमाल किया जाता है. त्रिफला को आंवला, हरड़ और बहेड़ा का इस्तेमाल करके बनाया जाता है. इस ड्रिंक को बनाने के लिए एक चम्मच त्रिफला चूर्ण को गर्म पानी में मिलाएं. इसे 5 से 10 मिनट के लिए ऐसे ही रहने दें. इसके बाद इसमें शहद मिलाएं. फिर इसे चाय की तरह पिएं.
अदरक और नींबू डिटॉक्स ड्रिंक
अदरक में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं. ये शरीर से टॉक्सिन बाहर निकालने का काम करता है. इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं. अदरक शरीर की सूजन को ठीक करने में मदद करता है. वहीं नींबू में विटामिन सी होता है. ये इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करता है. ये शरीर को डिटॉक्स करता है. इस डिटॉक्स ड्रिंक को बनाने के लिए सबसे पहले अदरक को कद्दूकस कर लें. एक गिलास पानी में मिलाएं. इस पानी को कुछ देर के लिए उबाल लें. इसके बाद इसमें थोड़ा सा नींबू का रस मिलाएं. इसमें थोड़ा शहद मिलाएं. फिर इस ड्रिंक को पिएं.
हल्दी और शहद मिल्क
हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं. ये पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करती है. ये इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाती है. इसके लिए आपको एक गिलास दूध में हल्दी मिलानी है. इसमें शहद मिलाना है. इन चीजों को अच्छे से मिलाएं और पिएं. ये ड्रिंक बहुत हेल्दी और टेस्टी होता है. ये आयुर्वेदिक ड्रिंक भी शरीर को डिटॉक्सीफाई करता है.
- - डाइट में कटहल शामिल करने से डायबिटीज के रोगियों को आराम मिलता है। इससे ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। कटहल की सब्जी का सेवन आपने कई बार किया होगा, लेकिन इसका आटा भी डायबिटीज को नियंत्रित करने में सहायक होता है। कटहल के बीज के आटे में विटामिन ए, विटामिन सी, नियासिन, कैल्शियम, थियामिन, राइबोफ्लेविन, पोटेशियम, आयरन और मैग्नीशियम पाए जाते हैं। कटहल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है। इसलिए इसे गेहूं के आटे से अच्छा माना जा सकता है।उच्च फाइबरकटहल के बीजों में फाइबर उच्च मात्रा में पाया जाता है, जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में सहायक होता है। इसमें मौजूद फाइबर ब्लड में शुगर को बढ़ने नहीं देता है और यह कार्बोहाइड्रेट के अवशोषण को धीमा कर देता है। फाइबर से व्यक्ति को कब्ज व पेट संबंधी अन्य समस्याएं नहीं होती हैं। डायबिटीज के रोगियों को कब्ज की समस्या होना एक आम बात है, लेकिन कटहल के आटे से उनको इस परेशानी में आराम मिलता है।प्रोटीन से भरपूरकटहल के बीज प्रोटीन से भरपूर होते हैं। प्रोटीन शरीर में इंसुलिन के स्तर को बेहतर करता है, जिससे शरीर में ग्लूकोज का उपयोग सही तरह से होता है। इसके अलावा, प्रोटीन शरीर के लिए एक आवश्यक तत्व होता है, जो मांसपेशियों को मजबूत बनाने में सहायक है।एंटीऑक्सीडेंट युक्त आहारकटहल के बीज में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। एंटीऑक्सीडेंट शरीर को फ्री रेडिकल्स की वजह से होने वाले डैमेज से बचाने का कार्य करते हैं। इसकी वजह कोशिकाओं को नुकसान पहुंच सकता है, जो डायबिटीज होने की संभावना को बढ़ाता है। लेकिन कटहल के बीज के आटे में विटामिन सी, फ्लेवोनोइड्स और एंटीऑक्सीडेंट जैसे आवश्यक विटामिन और यौगिक पाए जाते हैं, जो डायबिटीज के खतरे को कम करने में सहायक होते हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार कटहल का आटा ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन (HbA1c), फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज (FBG) और खाने के बाद के ग्लूकोज (PPG) को कम करता है।कटहल का आटा कैसे बनता है?कटहल का आटा बाजार व इंटरनेट पर आसानी से उपलब्ध है। लेकिन आप इसे घर पर भी बना सकते है। इसे बनाने के लिए कटहल के बीज को निकालकर उसे सुखा लें। जब ये सूख जाएं , तो इसके छिलके को उतारकर पीस लें। आप गेंहू के आटे में भी कटहल के आटे को मिलाकर यूज कर सकते हैं।डायबिटीज के रोगियों को नर्वस सिस्टम, किडनी और हार्ट संबंधी रोग होने की संभावना अधिक होती है । ऐसे में उनको डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए योग व एक्सरसाइज को लाइफस्टाइल का हिस्सा बनाना चाहिए। साथ ही, डायबिटीज ज्यादा होने पर आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
- शरीर में सीरम बिलीरुबीन की मात्रा अधिक हो जाने के कारण पीलिया होता है। इस स्थिति में हमारे शरीर से फिल्टर होकर निकलने वाल बिलीरुबीन लिवर तक नहीं पहुंच पाता है। इसके लक्षण नोटिस होने पर तुरंत उपचार लेने की सलाह दी जाती है। अगर समय रहते उपचार नहीं लिया जाता है, तो इससे सेहत को गंभीर नुकसान हो सकते हैं।अच्छी बात यह है कि डॉक्टर से उपचार के साथ, डाइट में कुछ फूड्स को शामिल करने से आपको जल्द पीलिया को ठीक करने और इसके लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है। गर्मियों में पीलिया होने पर गन्ने के जूस का सेवन बहुत लाभकारी साबित हो सकता है। आयुर्वेद में पीलिया के उपचार के लिए गन्ने के जूस का सेवन औषधि के तौर पर करने की सलाह दी जाती है। यह लिवर को मजबूत बनाता है। एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर होने की वजह से गन्ने का जूस लिवर को संक्रमण से बचाने में मदद करता है। यह आपके लिवर को मजबूत बनाता है और बिलीरुबिन के स्तर को सामान्य करने में मदद करता है।इसके अलावा, पाचन को दुरुस्त करने में भी गन्ने का जूस बहुत लाभकारी है। पीलिया में हमारा शरीर अधिक प्रोटीन तोड़ता है, इससे प्रोटीन का नुकसान होता है और रक्त में बिलीरुबिन का स्तर बढ़ता है। लेकिन अगर आप गन्ने का रस पीते हैं, तो इससे प्रोटीन के नुकसान की रिकवरी तेजी से होती है।पीलिया में गन्ने का जूस कैसे पिएं-रक्त में बिलीरुबिन के स्तर को कंट्रोल करने और पीलिया से जल्द छुटकारा पाने के लिए आपको रोज सुबह खाली पेट गन्ने के जूस का सेवन करना चाहिए। लेकिन आपको ताजा गन्ने का जूस ही पीना चाहिए। आप गन्ने के जूस में नींबू का रस और पुदीना के पत्ते भी शामिल कर सकते हैं। इससे भी सेहत को कई लाभ मिलेंगे। साथ ही, पीलिया के लक्षण जैसे त्वचा और आंखों में पीलापन, बुखार, पेट में दर्द आदि से भी राहत मिलेगी।यह सही है कि गन्ने के जूस का सेवन पीलिया रोगियों के लिए लाभकारी साबित हो सकता है। लेकिन यह डॉक्टर के उपचार का कोई विकल्प नहीं है, बल्कि उपचार के साथ आपकी स्थिति में सुधार करने में मदद करता है। इसलिए डॉक्टर से उपचार जरूर लें।
- गर्मियों में शरीर को ठंडा रखने के लिए लोग कई तरह के बाजार में मिलने वाली ड्रिंक्स आदि का सेवन करते हैं। ये ड्रिंक्स ज्यादा पानी से शरीर को कई तरह के नुकसान हो सकते हैं। ऐसे में गर्मियों में शरीर को हाइड्रेट रखने और लू से बचने के लिए घर में शिकंजी बनाकर पी जा सकती है। शिकंजी नींबू से बनी होने के कारण ये शरीर को कई तरह के फायदे देती है और गर्मियों में शरीर को ठंडक देती है। शिकंजी पीने से पाचन तंत्र भी मजबूत रहता है और मौसमी बीमारियों का खतरा भी कम होती है। आइए जानते हैं गर्मियों में कौन सी शिकंजी पी जा सकती है और इसके फायदों के बारे में।नींबू शिकंजीपोषक तत्वों से भरपूर नींबू शिकंजी शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होती है। इसको पीने से शरीर को ठंडक मिलने के साथ गर्मियों में होने वाली ब्लोटिंग की समस्या से भी बचाव होता है। ये इम्यूनिटी को भी मजबूत करती है और शरीर को डिटॉक्स भी करती है। नींबू शिकंजी बनाने के लिए 1 गिलास पानी लें। इसमें 1/2 चम्मच काला नमक और 1 नींबू का रस और 1/2 चम्मच शहद को मिलाकर अच्छे से मिलाएं। इसको ठंडा करने के लिए बर्फ की क्यूब का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।पुदीना शिकंजीऔषधियों गुणों से भरपूर पुदीना शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसको पीने से पेट को ठंडक मिलती है शरीर में पानी की पूर्ति होती है। इसको बनाने के लिए गिलास में पुदीना के पत्ते को कूट लें। अब इसमें चीनी या शहद, नींबू का रस और ठंडा पानी डालकर सब को मिलाएं। आपकी पुदीना शिकंजी तैयार है। दिन के समय इसे पीने से मूड भी फ्रेश रहता है।सत्तू की शिकंजीसत्तू की शिकंजी शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। सत्तू पेट को ठंडा रखने के साथ कई बीमारियों को भी दूर करता है। गर्मी में इसको पीने से शरीर को इंस्टैट एनर्जी भी मिलती है और शरीर हाइड्रेट भी रहता है। सत्तू की शिकंजी बनाने के लिए 1 गिलास में 1 चम्मच सत्तू, चीनी या शहद को मिलाएं। ठंडा करने के लिए इसमें बर्फ के टुकड़ें भी डाल सकते हैं। आपकी सत्तू की शिकंजी तैयार है।मसाला शिकंजीमसाला शिकंजी गुणों से भरपूर होती है। ये पाचन को दुरुस्त करके इम्यूनिटी को भी मजबूत करती है। गर्मियों में शिकंजी पीने से शरीर हाइड्रेट रहता है और गर्मी में होने वाली समस्याएं भी कम होती है। इसको बनाने के लिए 1/2 चम्मच भूना जीरा, काला नमक, 1/2 चम्मच सौंफ और 1 नींबू का रस को ठंडे पानी में मिलाकर मिश्रण तैयार करें। पेट को ठंडा रखने के लिए पुदीना के पत्तों को भी इस्तेमाल किया जा सकता है। ये शिकंजी में मौजूद मसाले पेट की कई समस्याओं को आसानी से दूर करते हैं।गर्मियों में शरीर को ठंडा रखने के लिए ये शिकंजी बना कर पी जा सकती है। लेकिन अगर आपको कोई बीमारी या एलर्जी की समस्या है, तो डॉक्टर से पूछ कर ही इनका सेवन करें।
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लौकी का जूस सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। लौकी के जूस में फाइबर, कैल्शियम, विटामिन ए और विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाया जाता हैं। इसके सेवन से पाचन तंत्र मजबूत होता है, बाउल मूवमेंट सही होता है और इम्यूनिटी भी मजबूत होती है। जिस कारण मौसमी बीमारियां लगने का खतरा कम होता हैं। वहीं गर्मी में इसकी महत्वता और बढ़ जाती है क्योंकि गर्मियों पेट अक्सर गर्म रहता है। ऐसे में लौकी का जूस पीने से पेट ठंडा रहने के साथ लू से भी शरीर का बचाव होता है। गर्मियों में सुबह की शुरुआत के लिए लौकी का जूस एक अच्छा ऑप्शन है। इसको डायबिटीक मरीज भी आसानी से पी सकते हैं। इसको पीने से शरीर हाइड्रेट रहता है। गर्मियों में सुबह लौकी का जूस पीने के अन्य फायदों के बारे में जानने के लिए हमने बात की लखनऊ के विकास नगर की रहने वाली फिटनेस एक्सपर्ट पायल अस्थाना से।
एक्सरसाइज करने के बाद पिएंजी हां, अगर आप भी एक्सरसाइज करने के बाद प्रोटीन शेक पीते है, तो कुछ दिन के लिए लौकी का जूस ट्राई करें। लौकी का जूस पीने शरीर को कार्बोहाइड्रेट मिलता है, जो एक्सरसाइज करने के बाद काफी कम हो जाता है। ये शरीर को तुरंत ऊर्जा देता है।यूटीआईअगर आपको पेशाब करते समय जलन या दर्द का अनुभव हो रहा है, तो आपको यूटीआई की समस्या हो सकती है। ऐसे में गर्मियों में दिन की शुरुआत लौकी के जूस के साथ करें क्योंकि ये पेशाब में एसिड की मात्रा को कम करता है और जलन और दर्द को कम करता है।शरीर को डिटॉक्स करेसुबह की शुरुवात लौकी का जूस से करने से शरीर को ऊर्जा मिलती है और शरीर हेल्दी रहता है। इस जूस में में 98% पानी और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो शरीर से हानिकारक विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं और शरीर को स्वस्थ रखते है।वजन को कम करेअगर आप लंबे समय से वजन कम करने के बारे में सोच रहे है, तो गर्मियों में सुबह की शुरुआत लौकी के जूस के साथ करें। क्योंकि इस जूस में कैलोरी की मात्रा काफी कम होती है और फैट भी नहीं होता। इसको पीने से शरीर को ऊर्जा मिलने के साथ वजन कम होता है।पाचन तंत्र को मजबूत करेगर्मियों में अक्सर कब्ज या पेट फूलने की समस्या हो जाती है। ऐसे में रोज सुबह लौकी का जूस पीने से पाचन तंत्र मजबूत होता है और पेट संबंधी बीमारियां भी दूर होती हैं। इसमें मौजूद फाइबर और इलेक्ट्रोलाइट्स खाना पचाने में मदद करता है।गर्मियों में सुबह लौकी का जूस पीने से शरीर को कई फायदे मिलते हैं। लेकिन ध्यान रखें अगर आपको कोई बीमारी या एलर्जी की समस्या है, तो डॉक्टर से पूछ कर ही इसका सेवन करें।लौकी का जूस बनाने की सामग्रीआधी लौकी1 इंच अदरक का टुकड़ाआधा नींबूधनिया पत्तापुदीना पत्तालौकी का जूस बनाने की विधिसबसे पहले हम लौकी को धो लेंगे, ताकि उसके ऊपर लगी धूल साफ हो जाए। फिर हम लौकी को ऊपर से छील लें ।कई बार लौकी कड़वी होती है इसलिए पहले लौकी का एक छोटा-सा टुकड़ा लें और उसे टेस्ट करके चैक कर लें कि कहीं लौकी कड़वी तो नहीं। कड़वी लौकी सेेहत के लिए नुकसानदायक होती है।फिर लौकी को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। अगर लौकी कच्ची है तो बीज निकालने की कोई जरूरत नहीं है। परन्तु अगर लौकी के बीज पके हुए है तो बीज को पहले निकाल दें और फिर लौकी को काटें।अब हम एक मिक्सी जार लेंगे और उसमें लौकी, पुदीना के पत्ते, धनिया, अदरक, नींबू का रस और एक चुटकी काला नमक डाल दें ।साथ ही हम इसमें आधा गिलास पानी भी डाल देंगे और मिक्सी को चलाकर इसका जूस बना लें ।जूस बनाने के बाद हम इसे गिलास में सर्व करें -
आजकल ऑफिस जाने वाले व्यस्क से लेकर स्कूल गोइंग बच्चों तक को तनाव ने घेरा हुआ है। जरूरत से ज्यादा तनाव न सिर्फ आपका मूड बल्कि आपकी सेहत को भी खराब कर सकता है। ऐसे में तनाव से होने वाले नुकसान से बचे रहने के लिए समय रहते इसका उपाय खोजना जरूरी हो जाता है। ऐसे ही एक प्राकृतिक उपायों में से एक है नौकासन। नौकासन बिना किसी साइड इफेक्ट के आपकी लाइफ से स्ट्रेस को दूर करने में मदद कर सकता है। इस आसन को नौकासन इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसे करते समय व्यक्ति का आकार नाव की तरह बन जाता है। आइए जानते हैं क्या है नौकासन को करने का सही तरीका और फायदे।
नौकासन करने का सही तरीका-
नौकासन करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेटकर अपने हाथ जांघ के बगल और शरीर को एक सीध में रखते हुए अपने शरीर को ढीला छोड़े और सांस लेते हुए अपने सिर, पैर, और पूरे शरीर को 30 डिग्री पर उठाएं। ऐसा करते समय अपने हाथ ठीक अपनी जांघ के ऊपर रखें। धीरे-धीरे सांस लेते हुए सांस छोड़ें। शरीर को नीचे लाते समय लंबी गहरी सांस छोड़ते हुए जमीन की ओर आएं। शुरुआत में ये आसन 3 से 5 बार करें।
नौकासन के फायदे-
-नौकासन करने से पेट की चर्बी कम होने के साथ हाथों और कंधों को मजबूत बनाने में मदद मिलती है।
-नौकासन आपके दिमाग को शांत रखने के साथ तनाव को दूर करने में मदद करता है।
-नौकासन कब्ज दूर करके पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। -
भारतीय रसोई में पकने वाली ज्यादातर सब्जियों का स्वाद प्याज के बिना अधूरा रहता है। इतना ही नहीं बात जब भीषण गर्मी से राहत पाने की होती है तो भी बड़े बुजुर्ग हमेशा कच्चा प्याज सलाद में खाने की सलाह देते हैं। प्याज में सल्फर, फाइबर, पोटैशियम, कैल्शियम, विटामिन B, विटामिन C मौजूद होने के साथ कई ऐसे न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं, जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने में भी मदद करते हैं। आइए जानते हैं गर्मियों में कच्चा प्याज खाने से सेहत को मिलते हैं क्या फायदे।
कच्चा प्याज खाने के फायदे-
पाचन-
कच्चे प्याज में मौजूद फाइबर की अच्छी मात्रा गट हेल्थ को बेहतर बनाए रखने में मदद करती है। इसका सेवन करने से पाचन ही नहीं बल्कि इम्यूनिटी भी मजबूत होती है। गर्मियों में लोग अक्सर पाचन संबंधी दिक्कतों जैसे की पेट में दर्द, कब्ज, पेट फूलना और हाजमा खराब होने की शिकायत करते हैं। ऐसे में डाइट में शामिल कच्चा प्याज पाचन संबंधी इन समस्याओं से राहत पाने में मदद करता है। कच्चे प्याज को नींबू के रस के साथ खाना चाहिए।
शरीर को दे ठंडक-
प्यार की तासीर ठंडी होने की वजह से इसका सेवन गर्मियों में करने की सलाह दी जाती है। प्याज शरीर को अंदर से ठंडक देकर व्यक्ति को कई रोगों से बचाए रखने में मदद करता है।
हीट स्ट्रोक से बचाव-
गर्मियों के मौसम में तेज धूप की वजह से हीट स्ट्रोक की समस्या हो सकती है। इससे बचने के लिए आपको रोज कच्चा प्याज खाना चाहिए।
सनबर्न से बचाव-
गर्मियों में ज्यादातर लोग सनबर्न की समस्या से परेशान रहते हैं। ऐसे में प्याज न सिर्फ आपके शरीर को फायदा पहुंचाती है बल्कि त्वचा और बालों को भी हेल्दी बनाए रखने में मदद करती है। सन बर्न होने पर त्वचा पर प्याज का रस लगाएं।
ब्लड शुगर और बल्ड प्रेशर करें कंट्रोल-
प्याज में ग्लाइसेमिक इंडेक्स 10 होता है, जो ब्लड शुगर के मरीजों के लिए अच्छा माना जाता है। जबकि इसमें मौजूद कम कार्ब्स और ज्यादा फाइबर डायबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद माने जाते हैं। प्याज में मौजूद पोटेशियम रक्तचाप को नियंत्रित रखने में मदद करता है। - आयुर्वेद में त्रिफला का इस्तेमाल कई स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है। खासतौर पर पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में त्रिफला बहुत प्रभावी उपचार है। त्रिफला तीन आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों- आंवला, हरड़ और बहेड़ा को मिलाकर बनता है। इस मिश्रण में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसमें विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं। यह शरीर में त्रिदोष (वात, पित्त और कफ) के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। इसका सेवन संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है। इसके नियमित सेवन से इम्यूनिटी मजबूत होती है और कई बीमारियों से बचाव होता है। हालांकि, कुछ स्वास्थ्य समस्याओं में त्रिफला का सेवन नुकसानदायक साबित हो सकता है। आइए, विस्तार से जानते हैं कि त्रिफला का सेवन कब नहीं करना चाहिए -गर्भावस्था के दौरान न करें त्रिफला का सेवनप्रेगनेंट महिलाओं को त्रिफला का सेवन नहीं करना चाहिए। दरअसल, इसकी तासीर गर्म होती है और गर्भावस्था के दौरान गर्म चीजों के ज्यादा सेवन से गर्भपात का खतरा रहता है। इसके अलावा, स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को भी त्रिफला का सेवन करने से परहेज करना चाहिए। इससे आपके शिशु को दस्त की समस्या हो सकती है।दस्त होने पर न खाएं त्रिफला चूर्णपेट से जुड़ी समस्याओं में त्रिफला चूर्ण का सेवन लाभकारी माना जाता है। लेकिन ध्यान रखें कि इसका ज्यादा सेवन करने से पेट खराब हो सकता है। दरअसल, गर्म तासीर होने की वजह से यह पेट की गर्मी को बढ़ा सकता है। त्रिफला का ज्यादा सेवन करने से पेट में दर्द की समस्या हो सकती है। इसके अलावा, अगर आपको दस्त लगे हुए हैं, तो त्रिफला का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए। इसका ज्यादा सेवन आपकी स्थिति को और अधिक बिगाड़ सकता है।वजन कम होने पर न खाएं त्रिफला चूर्णत्रिफला का सेवन वजन घटाने के लिए फायदेमंद माना जाता है। लेकिन अगर आपका वजन पहले से ही कम है, तो आपको त्रिफला का ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अधिक सेवन से लगातार वजन घटने की समस्या हो सकती है। इसकी वजह से आपको कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए अगर आपका बेवजह वजन कम हो रहा है, तो त्रिफला का सेवन करने से बचें।अनिद्रा की शिकायत में न करें त्रिफला का सेवनअगर आपको अनिद्रा की शिकायत है, तो त्रिफला का सेवन करने से बचें। इसका सेवन करने से आपको रात में नींद लेने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। नींद पूरी न होने के कारण चिंता और अवसाद जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए नींद से जुड़ी समस्या होने पर त्रिफला का सेवन नहीं करना चाहिए।अगर एलर्जी है तो न करें त्रिफला का सेवनजिन लोगों की स्किन सेंसिटिव है, उन्हें त्रिफला का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा, अगर आपको किसी नई चीज से एलर्जी हो जाती है, तो आपको त्रिफला का सेवन कम करना चाहिए। अगर त्रिफला खाने के बाद आपको पेट में दर्द, उल्टी या पित्त जैसे लक्षण दिखाई दें, तो इसका मतलब यह हो सकता है कि आपको त्रिफला से एलर्जी है। अगर आपके साथ भी ऐसा होता है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- । वॉक करना, अब एक फिटनेस ट्रैंड बन चुका है। कई एक्सपर्ट्स ऐसा मानते हैं कि दिनभर में 10 हजार कदम चलना फायदेमंद होता है। 10 हजार कदम चलने का मतलब है, दिन में 7.6 किलोमीटर चलना। दिनभर में 10 हजार कदम पूरा करने से, मांसपेशियों की ताकत बढ़ती है, शरीर की ऊर्जा भी बढ़ती है। आगे लेख में जानेंगे, 10 हजार कदम चलने के अन्य फायदे।एक अनुमान की मानें, तो 1 हजार कदम चलने से करीब 30 से 40 कैलोरीज बर्न होती हैं। वहीं जो व्यक्ति 10 हजार कदम चलता है, वो 300 से 400 कैलोरीज बर्न कर सकता है। हालांकि आप 10 हजार कदम चलकर कितनी कैलोरीज बर्न करेंगे, ये इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितनी गति से और किस सतह पर चल रहे हैं। केवल 10 हजार स्टेप्स चलने से वजन कम नहीं होता। वजन घटाने के लिए, अन्य एक्सरसाइज और हेल्दी डाइट का सेवन भी जरूरी है।वजन कम करने के लिए, रोज 10 हजार स्टेप्स काउंट पूरा करना एक पॉजिटिव लक्ष्य है। रोजाना पैदल चलकर आप हफ्ते में 1 से 2 किलो वजन घटा सकते हैं।-हर दिन 10 हजार कदम चलने से, हार्ट की बीमारियों का खतरा घटता है। हार्ट अटैक आने की आशंका भी कम होती है।-10 हजार कदम चलने से, ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल होता है। पहले से ज्यादा एक्टिव रहने से, बीपी कंट्रोल करने में मदद मिलती है।-एंग्जाइटी और डिप्रेशन कम करने के लिए, 10 हजार स्टेप्स फायदेमंद होता है।-जिन लोगों को अनिद्रा की समस्या है, अगर वो हर दिन 10 हजार स्टेप्स काउंट पूरा करते हैं, तो स्लीप पैर्टन में सुधार होगा।10 हजार कदम चलने की शुरुआत कैसे करें?अचानक से 10 हजार कदम चलना सही नहीं है। जो लोग पहले से ही वॉक कर रहे हैं, वो उनके लिए ये लक्ष्य पूरा करना थोड़ा आसान हो सकता है। लेकिन 10 हजार कदम चलने के लिए, पहले से प्रैक्टिस होनी चाहिए। अगर आप अचानक से ये लक्ष्य पूरा करने की कोशिश करेंगे, तो मांसपेशियों में तनाव, हड्डियों में दर्द या अधिक थकान महसूस हो सकती है।10 हजार कदम चलने का लक्ष्य पूरा करने के लिए ये स्टेप्स फॉलो करें--आपकी उम्र और वजन ज्यादा है, तो पहले दिन 1 हजार कदम चलने का लक्ष्य बनाएं।-पहले दिन, लक्ष्य को पूरा करना मुश्किल हो सकता है, 3 से 4 दिनों के बाद कदमों को ढाई हजार तक करें।-फिर जब आप आसानी से 5 हजार कदम चल सकें, तो 10 हजार कदम चलने का लक्ष्य बनाएं।-हर व्यक्ति की क्षमता अलग होती है। किसी को ये लक्ष्य पूरा करने में महीनों का समय लग सकता है।-जब आप 10 हजार कदम तक पहुंच जाएं, तो स्टेप्स को जॉगिंग और रनिंग जैसी एक्टिविटीज में बदल दें। इस तरह आप कैलोरीज बर्न करके फिट बन सकेंगे।10 हजार स्टेप्स चलने के साथ-साथ हेल्दी डाइट का सेवन करें।
- संतुलित और पौष्टिक आहार से आप अपने शरीर को स्वस्थ और तंदुरुस्त बना सकते हैं। डाइट में फल और सीड्स को शामिल करने से आपको पर्याप्त पोषण मिलते हैं, जिसकी वजह से आपको रोग होने की संभावना कम होती है। सीड्स मौजूद ओमेगा 3 फैटी एसिड, प्रोटीन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं। इससे शरीर को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है। साथ ही, ब्लड शुगर और बीपी को भी कंट्रोल करने में मदद मिलती है। महिलाओं में हड्डियों की समस्या का जोखिम अधिक होता है, लेकिन यदि महिलाएं अपनी डाइट में सीड्स को शामिल करती हैं, तो इससे उनको हड्डियों की समस्या होने की संभावना कम होती है। इस लेख में महिलाओं को सीड्स खाने के फायदे के बारे में बताया गया है।चिया बीजचिया बीज में फाइबर उच्च मात्रा में पाया जाता है, जो आपकी पाचन क्रिया को बेहतर करता है और कब्ज को रोकने में मदद कर सकता है। चिया के बीज में ओमेगा -3 फैटी एसिड भी होते हैं, जो मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होते हैं। इसके अलावा इस सीड्स में मौजूद कैल्शियम महिलाओं की हड्डियों को मजबूत बनाता है।अलसी के बीजअलसी के बीज में लिग्नांस पाया जाता है, जो महिलाओं में हार्मोन को संतुलित करने में मदद कर सकता है। अलसी के बीज फाइबर का उच्च स्रोत होते हैं, जो आपकी गट हेल्थ में सुधार करता है। इसके अलावा अलसी के बीज महिलाओं की हार्ट हेल्थ को बेहतर करते हैं।कद्दू के बीजकद्दू के बीज में मैग्नीशियम पाया जाता है। मैग्नीशियम हड्डियों के स्वास्थ्य और शरीर में ऊर्जा प्रदान करता है। इसके अलावा महिलाओं के शरीर का ब्लड सर्कुलेशन नियंत्रित रखने में मैग्नीशियम भी महत्वपूर्ण है। कद्दू के बीजों में जिंक भी पाया जाता है। जिंक इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है, जिससे महिलाओं को संक्रमण होने का खतरा कम हो जाता है।सूरजमुखी के बीजसूरजमुखी के बीज विटामिन ई से भरपूर होते हैं। इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। इसमें मैग्नीशियम और सेलेनियम भी पाए जाते हैं, जो महिलाओं की इम्यूनिटी को बढ़ाने में आवश्यक होते हैं।तिल के बीजतिल के बीज में कैल्शियम पाए जाते हैं, जो महिलाओं को बोन डेंसिटी की समस्या से बचाने का काम करते हैं। इसके अलावा तिल के बीज में मौजूद अन्य पोषक तत्व नसों और मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं।भांग के बीजभांग (Hemp) के बीज में प्रोटीन पाया जाता है। इसके साथ ही इसमें अमीनो एसिड होता है, जो मस्तिष्क स्वास्थ्य को बेहतर करता है। इसमें मौजूद मैग्नीशियम इम्यूनिटी को मजबूत करने का काम करता है।अनार के बीजअनार के बीज में एंटीऑक्सिडेंट पाए जाते हैं, जिसकी वजह से आपको संक्रमण होने की संभावना कम हो जाती है। इसके अलावा पाचन तंत्र बेहतर होता है।
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बच्चों के पेट में कीड़े होना बेहद सामान्य बात है। लेकिन इस सामान्य सी बात को समय पर ठीक कर लेना जरूरी है। अक्सर बढ़ते हुए बच्चों में हाइजीन की कमी की वजह से पेट में कीड़े पड़ जाते हैं। बच्चे जमीन से लेकर मिट्टी और तमाम तरह की चीजों को छूते हैं और उसे मुंह में डालते हैं। कई बार तो दांत निकलते वक्त बच्चे अपने हाथ को, उंगलियों को मुंह में डाले रहते हैं। जिसकी वजह से हाथों की गंदगी पेट में चली जाती है और कीड़े पनपने लगते हैं। ये परजीवी पेट में पहुंचते ही बहुत तेजी से अपनी संख्या बढ़ाने लगते हैं। वैसे तो पेट में कीड़े होने के कुछ खास लक्षण नहीं दिखते लेकिन फिर भी कुछ ऐसे संकेत हैं जो बच्चे के शरीर में दिखने से समझ आता है कि पेट में कीड़े पड़ गए हैं।
पेट में कीड़े होने के लक्षण
-बच्चे के पेट में दर्द बने रहना
-बच्चे का वजन घटने लगना
-भूख ना लगना
-खाने में रूचि खोना
-उल्टी या खांसी होना
-कई बार बच्चे काफी चिड़चिड़े से हो जाते हैं।
-दस्त होने लगना या फिर मिचली आना।
-मलद्वार में खुजली और लालपन
बच्चों में दिख रहें इन लक्षणों पर पेट के कीड़े मारने के लिए कुछ घरेलू नुस्खों को आजमाया जा सकता है। जिससे उन्हें राहत मिले।
पेट के कीड़े मारने के लिए घरेलू नुस्खे
-अजवाइन में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। अजवाइन को भूनकर इसका पाउडर बना लें। फिर इसे गुड़ के साथ मिलाकर छोटी-छोटी गोली बना दें। इन गोलियों को बच्चों तो दिन में तीन बार खाने के लिए दें। ये गोली बच्चों के पेट में पनप रहे कीड़ों को मारने में मदद करेगी।
-अजवाइन के पाउडर को काला नमक मिलाकर रात को गुनगुने पानी के साथ देने से भी पेट के कीड़ों को बाहर निकलने में मदद मिलती है।
-बच्चे को टमाटर काटकर उस पर सेंधा नमक और काली मिर्च का पाउडर लगाकर दें। इसे खाने से भी बेट के कीड़े मरकर बाहर निकल जाते हैं।
-बच्चे को कद्दू के बीज खाने के लिए दें। इसे खाने से भी पेट के कीड़े बाहर निकलने में मदद मिलती है।
-इसके साथ ही अपने नन्हें मुन्हें को हल्दी और लहसुन किसी ना किसी रूप में जरूर खिलाएं। ये एंटी बैक्टीरियल गुणों वाले फूड हैं। जिन्हें खाने से पेट के कीड़ों को खत्म करने में मदद मिलती है। -
अप्रैल के महीने में इस कदर गर्मी पड़ रही है कि कई राज्यों में तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच गया है. गर्म हवाएं और तेज धूप के चलते लोगों ने घर से बाहर निकलना तक बंद कर दिया है क्योंकि इस दौरान डिहाइड्रेशन, त्वचा का जलना और ज्यादा पसीना निकलना जैसी समस्या तंग करती है. जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी भारत में लू लगने का खतरा भी बढ़ता जाएगा. लू लगने के बाद उल्टी, मतली या फिर दस्त यानी डायरिया तक हो जाता है.
कई बार लोग लू लगने को थकान समझकर नजरअंदाज करते हैं. उन्हें कुछ लक्षण नजर आते हैं लेकिन इसे वे आम समस्याएं समझकर ऐसे ही छोड़ देते हैं और नौबत अस्पताल में भर्ती होने तक की आ जाती है. जानें लू लगने के 4 लक्षण और आप किस तरह रिकवरी कर सकते हैं.
लू लगने के लक्षण
स्किन पर रैशेज: क्या आप जानते हैं कि स्किन पर जलन, खुजली या रैशेज हो तो ये भी लू लगने का एक संकेत है. गर्मी से त्वचा पर घमौरियों का निकलना आम है, लेकिन अगर स्किन ज्यादा लाल नजर आने लगे तो तुरंत डॉक्टर से इलाज कराएं.
उल्टी या मतली: अगर आपको मतली या फिर लगातार उल्टी की समस्या होने लगे तो इलाज में देरी न करें. उल्टी के बंद न होने पर शरीर में पानी की कमी होने लगती है और हॉस्पिटल में भर्ती होने तक की सिचुएशन बन जाती है.
थकान: अगर गर्मी के दौरान लगातार थकान रहे तो हो सकता है कि आप गर्मी की चपेट में आ गए हो. एक्सपर्ट्स के मुताबिक जो लोग धूप या गर्मी में ज्यादा समय बाहर बिताते हैं उनमें हीट एग्जॉशन का खतरा ज्यादा बना रहता है. इस कंडीशन में शरीर में थकान रहने लगती है और अगर ये लगातार बनी रहे तो इसे बिल्कुल नजरअंदाज न करें.
ये भी हैं लक्षण: लगातार चक्कर आना या फिर बेहोश हो जाना भी लू लगने के बड़े लक्षण हैं. गर्मी में लगातार सिर में दर्द में भी लू लगने का संकेत है.
ऐसे करें रिकवर
किसी कारण लू लगने की सिचुएशन को महसूस कर रहे हैं या फिर इस समस्या की चपेट आ जाए तो सबसे पहले डॉक्टरी इलाज लें.
तबीयत को खराब होने से बचाने के लिए डब्ल्यूएचओ का सजेस्ट किया हुआ ओआरएस पीते रहे. घर में बच्चे हैं तो उन्हें इसे जरूर पिलाएं.
गर्मी की चपेट में आने के बाद शरीर में पानी की कमी को सबसे पहले पूरा करना चाहिए. इसके लिए आप दिन में एक बार नारियल पानी पी सकते हैं.