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- व्रत में ज्यादातर लोग साबूदाना खाते हैं। फिर इसका चाहे टिकिया, बड़ा, खीर हो या फिर खिचड़ी। साबूदाने का सेवन करने से शरीर को विटामिन और मिनरल मिलते हैं, पर इसमें कॉब्र्स की मात्रा ज्यादा होती है और प्रोटीन व फैट मौजूद नहीं होता जिसके चलते साबूदाने का सेवन करने के कुछ नुकसान भी हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि किन लोगों को साबूदाना का सेवन करने से बचना चाहिए।1. वजन कम करना चाहते हैं तो न करें साबूदाने का सेवनजो लोग वजन घटाना चाहते हैं, उनके लिए साबूदाने का सेवन अच्छा नहीं है। साबूदाने का सेवन करने से शरीर में स्टॉर्च के रूप में कैलोरीज बढ़ती हैं, इसमें फैट और प्रोटीन नहीं होता पर कॉब्र्स की अच्छी मात्रा होती है। जो लोग कॉब्र्स की मात्रा कम करना चाहते हैं उन्हें भी साबूदाने का सेवन नहीं करना चाहिए। साबूदाने में करीब 22 प्रतिशत कॉब्र्स होता है जो कि स्टॉर्च के फॉर्म में होता है इसलिए इसका सेवन नहीं करना चाहिए।2. डायबिटीज के मरीजों को नहीं करना चाहिए साबूदाने का सेवनडायबिटीज की समस्या से पीडि़त लोगों को भी साबूदाना का सेवन करने से बचना चाहिए। साबूदाने में ज्यादा ग्लाइसेमिक इंडेक्स नहीं होता पर अगर इसका सेवन रोजाना करें तो ये ब्लड शुगर लेवल बढ़ा देगा, डायबिटीज के मरीज हफ्ते में एक या दो बार इसका सेवन कर सकते हैं।3. लो बीपी की समस्या है तो अवॉइड करें साबूदानाजिन लोगों को लो-बीपी की समस्या है उन्हें साबूदाने का सेवन नहीं करना चाहिए। पथरी या कैंसर के केस में भी डॉक्टर ज्यादा साबूदाने का सेवन करने से मना करते हैं।4. दिल की बीमारी है तो साबूदाने का सेवन न करेंहार्ट के मरीजों को साबूदाने का का ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए। साबूदाने का सेवन करने से रक्तचाप की समस्या हो सकती है। साबूदाने में कई पोषक तत्व होते हैं पर इसमें प्रोटीन नहीं होता, प्रोटीन की कमी के चलते इसे रोजाना डाइट में शामिल नहीं किया जा सकता।.5. थायराइड है तो न करें साबूदाने का ज्यादा सेवनसाबूदाने को ज्यादा खाने से कई तरह की समस्याएं हो सकती है जिमें से एक है वेट गेन और वजन बढऩे के नुकसान कई बीमारियों के रूप में नजर आते हैं। वजन बढऩे के कारण थायराइड की समस्या हो सकती है और जिन लोगों को पहले से थायराइड है उन्हें भी साबूदाने का ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए। साबूदाने का ज्यादा सेवन करने से सांस लेने में परेशानी, सीने में दर्द, सिर में दर्द, थायराइड बढऩे की समस्या हो सकती है।साबूदाने का सेवन करने का सही तरीका-हमेशा पका हुआ साबूदाना ही खाना चाहिए, कच्चा साबूदाना खाने से पेट में दर्द, कब्ज की शिकायत हो सकती है।- बाजार से प्रोसेस्ड साबूदाना ही लेना चाहिए क्योंकि कच्चा साबूदाना शरीर के लिए टॉक्सिनल यानी जहरीला हो सकता है।-एक बार में एक कटोरी साबूदाने का ही सेवन करें, इसके साथ ही साबूदाने को हफ्ते में दो बार से ज्यादा न खाएं।-साबूदाने में विटामिन की अच्छी मात्रा होती है पर इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए सीमित मात्रा में ही सेवन करना चाहिए। इन 5 तरह के लोगों को नहीं खाना चाहिए साबूदाना, हो सकती हैं कई परेशानियांव्रत में ज्यादातर लोग साबूदाना खाते हैं। फिर इसका चाहे टिकिया, बड़ा, खीर हो या फिर खिचड़ी। साबूदाने का सेवन करने से शरीर को विटामिन और मिनरल मिलते हैं, पर इसमें कॉब्र्स की मात्रा ज्यादा होती है और प्रोटीन व फैट मौजूद नहीं होता जिसके चलते साबूदाने का सेवन करने के कुछ नुकसान भी हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि किन लोगों को साबूदाना का सेवन करने से बचना चाहिए।1. वजन कम करना चाहते हैं तो न करें साबूदाने का सेवनजो लोग वजन घटाना चाहते हैं, उनके लिए साबूदाने का सेवन अच्छा नहीं है। साबूदाने का सेवन करने से शरीर में स्टॉर्च के रूप में कैलोरीज बढ़ती हैं, इसमें फैट और प्रोटीन नहीं होता पर कॉब्र्स की अच्छी मात्रा होती है। जो लोग कॉब्र्स की मात्रा कम करना चाहते हैं उन्हें भी साबूदाने का सेवन नहीं करना चाहिए। साबूदाने में करीब 22 प्रतिशत कॉब्र्स होता है जो कि स्टॉर्च के फॉर्म में होता है इसलिए इसका सेवन नहीं करना चाहिए।2. डायबिटीज के मरीजों को नहीं करना चाहिए साबूदाने का सेवनडायबिटीज की समस्या से पीडि़त लोगों को भी साबूदाना का सेवन करने से बचना चाहिए। साबूदाने में ज्यादा ग्लाइसेमिक इंडेक्स नहीं होता पर अगर इसका सेवन रोजाना करें तो ये ब्लड शुगर लेवल बढ़ा देगा, डायबिटीज के मरीज हफ्ते में एक या दो बार इसका सेवन कर सकते हैं।3. लो बीपी की समस्या है तो अवॉइड करें साबूदानाजिन लोगों को लो-बीपी की समस्या है उन्हें साबूदाने का सेवन नहीं करना चाहिए। पथरी या कैंसर के केस में भी डॉक्टर ज्यादा साबूदाने का सेवन करने से मना करते हैं।4. दिल की बीमारी है तो साबूदाने का सेवन न करेंहार्ट के मरीजों को साबूदाने का का ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए। साबूदाने का सेवन करने से रक्तचाप की समस्या हो सकती है। साबूदाने में कई पोषक तत्व होते हैं पर इसमें प्रोटीन नहीं होता, प्रोटीन की कमी के चलते इसे रोजाना डाइट में शामिल नहीं किया जा सकता।.5. थायराइड है तो न करें साबूदाने का ज्यादा सेवनसाबूदाने को ज्यादा खाने से कई तरह की समस्याएं हो सकती है जिमें से एक है वेट गेन और वजन बढऩे के नुकसान कई बीमारियों के रूप में नजर आते हैं। वजन बढऩे के कारण थायराइड की समस्या हो सकती है और जिन लोगों को पहले से थायराइड है उन्हें भी साबूदाने का ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए। साबूदाने का ज्यादा सेवन करने से सांस लेने में परेशानी, सीने में दर्द, सिर में दर्द, थायराइड बढऩे की समस्या हो सकती है।साबूदाने का सेवन करने का सही तरीका-हमेशा पका हुआ साबूदाना ही खाना चाहिए, कच्चा साबूदाना खाने से पेट में दर्द, कब्ज की शिकायत हो सकती है।- बाजार से प्रोसेस्ड साबूदाना ही लेना चाहिए क्योंकि कच्चा साबूदाना शरीर के लिए टॉक्सिनल यानी जहरीला हो सकता है।-एक बार में एक कटोरी साबूदाने का ही सेवन करें, इसके साथ ही साबूदाने को हफ्ते में दो बार से ज्यादा न खाएं।-साबूदाने में विटामिन की अच्छी मात्रा होती है पर इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए सीमित मात्रा में ही सेवन करना चाहिए।
- सिर की मालिश तो हम सभी करते ही हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं पैरों के तलवों की मालिश करने से भी कई फायदे मिलते हैं। पैरों के तलवों की मालिश करने से शारीरिक और मानसिक रूप से लाभ मिलता है। इससे तनाव कम होता है, साथ ही नींद भी अच्छी आती है। तलवों की मालिश करने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है। इतना ही नहीं पैरों के तलवों की मालिश करने से त्वचा में भी निखार आता है। जानें तलवों की मालिश के फायदे-1. अनिद्रा की समस्या ठीक होती हैदिनभर की थकान के बाद रात को नींद मुश्किल से ही आती है। नींद न आने की समस्या को अनिद्रा कहा जाता है। अगर आप भी अनिद्रा से परेशान हैं, तो रोज रात को सोते समय अपने तलवों की मालिश जरूर करें। इससे आपकी थकान दूर होगी, तनाव कम होगा और बहुत अच्छी नींद आएगी। पैरों के तलवों की मालिश करने से शरीर को आराम मिलता है, मन शांत होता है।2. तनाव और चिंता दूर होती हैआजकल हर कोई किसी न किसी वजह से तनाव या चिंता में रहता है। लंबे समय तक तनाव में रहना डिप्रेशन का कारण बन सकता है। ऐसे में तनाव को दूर करने के लिए आप पैरों के तलवों की मालिश कर सकते हैं। तलवों की मालिश करने से तनाव दूर होता है, मानसिक सुकून मिलता है। तनाव और चिंता को दूर करने के लिए रात को पैरों के तलवों की मालिश जरूर करें।3. जोड़ों के दर्द में आरामपैरों के तलवों की मालिश करने से हमें मानसिक के साथ ही शारीरिक लाभ भी मिलते हैं। जी हां, रोजाना रात को सोते समय तलवों की मालिश करने से जोड़ों के दर्द में भी आराम मिलता है। इससे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है, नसों को आराम मिलता है और जोड़ों का दर्द कम होता है।4. ब्लड सर्कुलेशन बढ़ेगाआयुर्वेद में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने का सबसे अच्छा उपाय शरीर की मालिश करना है। हम सभी सिर, हाथ-पैरों की मालिश तो करते हैं, लेकिन तलवों को भूल जाते हैं। जबकि तलवों की मालिश करने से पूरे शरीर का ब्लड फ्लो बेहतर होता है। ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करने के लिए पैरों के तलवों की मालिश आपको जरूर करनी चाहिए।5.महिलाओं के लिए फायदेमंदपैरों के तलवों की मालिश हर किसी को करनी चाहिए। लेकिन महिलाओं को तलवों की मालिश करने से पीरियड्स के दर्द में आराम मिलता है। साथ ही इससे तनाव, थकान भी कम होता है। महिलाओं को अपनी तमाम समस्याओं से राहत पाने के लिए तलवों की मालिश जरूर करनी चाहिए।तलवों की मालिश के लिए तेलपैरों के तलवों की मालिश करने के लिए आपको सही तेल का चुनाव करना बहुत जरूरी है। आयुर्वेद में तिल के तेल ही अहम भूमिका है। इससे शरीर की मालिश करने से कई समस्याएं दूर होती हैं। लेकिन पैरों के तलवों की मालिश करने के लिए सरसों का तेल काफी फायदेमंद होता है। सरसों के तेल से तलवों की मालिश करने से कई समस्याएं दूर होती हैं। आप चाहें तो घी से भी रात को सोते समय अपने तलवों की मालिश कर सकते हैं। वैसे तलवों की मालिश करने के लिए तेल का चुनाव करने से पहले एक बार आयुर्वेदाचार्य की राय जरूर लें।
- गर्मियों में गन्ने का रस पीने से शरीर को ठंडक मिलती है। ये शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है और गर्मी के असर से बचाता है। इसके अलावा भी गन्ने का रस पीने के अनेक फायदे हैं, यहां जानिए इनके बारे में...1. लिवर के लिए वरदान : गन्ने के रस को लिवर के लिए वरदान माना जाता है। ये लिवर को डिटॉक्सीफाई करने के साथ मजबूत बनाता है। गन्ने के रस में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट लिवर को कई तरह के इंफेक्शन से बचाते हैं और बिलीरुबिन के स्तर को कंट्रोल रखते हैं। पीलिया रोग में गन्ने का जूस काफी फायदेमंद माना जाता है।2. हार्ट की सेहत के लिए अच्छा : गन्ने के जूस में पोटैशियम होता है। पोटैशियम को हार्ट की सेहत के लिए काफी अच्छा माना जाता है, लेकिन हार्ट के मरीजों को इसका सेवन बगैर नमक के करना चाहिए।3. पाचन तंत्र करता दुरुस्त : गन्ने के रस को पाचन तंत्र के लिए भी काफी अच्छा माना जाता है। ये पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है और कब्ज, गैस, एसिडिटी जैसी समस्याओं में राहत देता है।4. स्किन प्रॉब्लम्स में देता राहत : गन्ने में मौजूद ग्लाइकोलिक एसिड को स्किन के लिए काफी अच्छा माना जाता है। इसका नियमित सेवन करने से स्किन पर चमक आती है, एजिंग साइन कम होते हैं और मुंहासों में राहत मिलती है।5. हड्डियों की मजबूती के लिए : गन्ने के रस में कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, आयरन और पोटैशियम जैसे कई पोषक तत्व होते हैं। ये हड्डियों की मजबूत में अहम भूमिका निभाते हैं। तमाम जानकारों का मानना है कि रोजाना एक गिलास गन्ने का रस पीने से ऑस्टियोपोरोसिस का रिस्क कम होता है.6. यूरिन इंफेक्शन रोके : तमाम लोगों को यूरिन इंफेक्शन जल्दी जल्दी हो जाता है, या फिर यूरिन के दौरान जलन या इरिटेशन महसूस होती है। गन्ने का रस ऐसी परेशानियों से बचाव करने में मददगार है। इसे पीने से यूटीआई इंफेक्शन का रिस्क घटता है।7. डायबिटीज और कैंसर का रिस्क घटाए : गन्ने के रस में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स फ्री रेडिकल्स को संतुलित करने का काम करते हैं, इससे कैंसर और डायबिटीज का रिस्क घटता है। गन्ने के रस में पाए जाने वाले फ्लेवोनॉइड और फेनॉलिक एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर के लिए काफी लाभकारी माने जाते हैं।
- महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस पवित्र दिन पर भक्त व्रत-उपवास करते हैं। भगवान भोलेनाथ की पूजा और अर्चना करते हैं। शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। शास्त्रों के अनुसार इस दिन व्रत रखने का अपना अलग पुण्य मिलता है, लेकिन व्रत के दौरान कुछ चीजों का सेवन वर्जित माना गया है। आइये जानते हैं कि शिवरात्रि के दिन क्या खाएं और किन चीजों के सेवन से करें परहेज।फलों का सेवनव्रत में कई चीजे आप नहीं खा सकते हैं। ऐसे में व्रत में फलों का सेवन कर सकते हैं। यह सेहत के लिए फायदेमंद रहते हैं और व्रत में इन्हें खाया भी जा सकता है। शिवरात्रि के व्रत में आप केला, संतरा, सेब, लीची, अनार आदि फलों का सेवन कर सकते हैं।ठंडाई का सेवनव्रत में पेय पदार्थों का सेवन जरूर करना चाहिए। चाय पीने से बचे लेकिन दूध से बनी ठंडाई पी सकते हैं। इसमें कैल्शियम और प्रोटीन होता है, जो पेट के लिए भी लाभदायक है। सादा दूध न पीकर उसमें ड्राई फ्रूट्स, केसर, इलायची आदि वाला दूध पी सकते हैं। शिवरात्रि में पानी का भरपूर सेवन करें।सात्विक भोजनमहाशिवरात्रि के व्रत में सात्विक भोजन करना चाहिए। आलू, कद्दू, अरबी और लौकी जैसी सब्जियों का सेवन कर सकते हैं। सिंघाड़े या कुट्टू के आटे की पूड़ी खा सकते हैं।शिवरात्रि में क्या न खाएं?लहसुन- प्याज का सेवन न करेंआप महाशिवरात्रि का व्रत रहे या न रहें, लेकिन इस दिन लहसुन प्याज का सेवन न करें। पवित्र दिनों में लहसुन प्याज नहीं खाना चाहिए। इसलिए खाना बनाते समय लहसुन-प्याज न मिलाएं।सफेद नमक न खाएंसफेद नमक केमिकल बेस्ड होता है। इसे शुद्ध नहीं माना जाता है। इसलिए अगर व्रत रखें तो सफेद नमक का सेवन न करें। सफेद नमक की जगह आप सेंधा नमक का इस्तेमाल कर सकते हैं।तला भुना न खाएंव्रत में अधिक तला भुना खाने से बचना चाहिए। कई लोगों को तला भुना खाना ही पसंद होता है और वह व्रत में भी इसका सेवन करते हैं लेकिन उपवास में तला भुना खाने से पेट दर्द, गैस और अपच की समस्या हो जाती है। इसलिए इनका सेवन बेहद कम करना चाहिए।
- दही खाने के फायदे कई हैं। ये जहां विटामिन सी से भरपूर है वहीं, इसमें कैल्शियम भी है जो कि हड्डियों को स्वस्थ रखने में मदद करता है। दही को लोग कई तरह से खाते हैं। कुछ लोग इसे सुबह खाते हैं, तो कुछ लोग इसे शाम को खाते है या फिर रात के खाने में भी शामिल करते हैं। पर आज हम आपको लंच के बाद दही खाने के फायदे बताएंगे।1. अपच की समस्यादही एक प्रोबायोटिक फूड है जो कि हमारी आंतों में रहने वाले गुड बैक्टीरिया को बढ़ाता है। ये गुड बैक्टीरिया तेजी से खाना पचाने में मदद करते हैं। इसके अलावा दही में विटामिन बी 12 और लैक्टोबेसिल्स बैक्टीरिया भी होते हैं जो कि आंत बैक्टीरिया के विकास में मदद करते हैं, बदले में पाचन में सहायता करते हैं। ये सब मिल कर आपके दोपहर के भारी भोजन को आसानी से पचाने में मदद करते हैं और आपको हल्का महसूस करवाते हैं। जिससे आपको लंबे समय तक बैठ कर काम करने में परेशानी नहीं होगी।2. एसिडिटीबहुत से लोगों को दोपहर में खाने के बाद एसिडिटी की समस्या होती है। ऐसे में दही इस एसिडिटी को कम करता है। दरअसल, दही एक बेसिक नेचर वाला फूड है जो कि एसिडिटी से लडऩे में मदद करता है। दरअसल, खाने के बाद दही खाने से यह शरीर में एसिडिक पीएच को बेअसर करने में मदद करता है और पेट में प्रड्यूस हो रहे एसिड को कम करता है। इस तरह ये आपको एसिडिटी से निजात दिलाने में मदद करता है।3. मसालेदार खाने के नुकसान कम करता हैमसालेदार खाना खाने के नुकसान कई हैं और अगर आप दोपहर में ज्यादा मसालेदार खाना खा कर बैठे हैं, तो ये समस्या और बढ़ सकती है। ऐसे में दही का ठंडा गुण इन तमाम नुकसानों को शरीर में कम कर सकता है। साथ ही ये छाती में जलन की समस्या को भी कम करता है। इसलिए आपने देखा होगा कि बहुत ही जगहों पर लोग खाना खाने के बाद छाछ का सेवन करते हैं।4. कब्ज की समस्यादही में अच्छे बैक्टीरिया होते हैं जो पाचन तंत्र के काम काज तेज करने में मदद करते हैं। दही का प्रोबायोटिक गुण पेट के स्वास्थ्य में सुधार करता है और कब्ज को रोकता है। दरअसल, प्रोबायोटिक होने के कारण ये गुड बैक्टीरिया के काम काज को बेहतर बनाता है और यही बैक्टीरिया शॉर्ट-चेन फैटी एसिड और लैक्टिक एसिड का उत्पादन करते हैं जो बाउल मूवमेंट में सुधार कर सकते हैं। इस तरह ये खाना तेजी से पचाने में मदद करता है और पेट साफ करके कब्ज की समस्या से छुटकारा दिलाता है।5. स्ट्रेस और एंग्याटीदही का मस्तिष्क के कुछ अलग ही तरीके से काम करता है। ये सकारात्मक प्रभाव डालता है और आपके तनाव और चिंता के स्तर को कम करता है जो कि आज कल के समय में बेहद जरूरी है। ये मूड लिफ्टर है जो मूड फ्रेश करता है और खाने के बाद काम को फिर से फ्रेश तरीके से शुरू करने में मदद करता है।इन सबके अलावा दही में मौजूद पानी की महत्वपूर्ण मात्रा आपको लंबे समय तक अच्छी तरह से हाइड्रेट रखती है। इससे आपको दोपहर के खाने के बाद अपच की समस्या नहीं होती। इन तमाम फायदे के लिए दोपहर के खाने के बाद दही जरूर खाना चाहिए।
- स्किन और बालों के लिए व्हीट ग्रास या गेहूं की पत्तियां या फिर आम बोलचाल की भाषा में कहें ज्वार की पत्तियां... इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है, जानें स्किन और बालों के लिए इसके फायदे और इस्तेमाल का तरीका।स्किन और बालों को हेल्दी और खूबसूरत बनाने के लिए व्हीटग्रास या अंकुरित गेहूं की पत्तियों का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। हालांकि इसको पचाना बहुत मुश्किल होता है लेकिन अगर आप व्हीटग्रास का इस्तेमाल स्किन और बालों पर करते हैं तो इसके अनेक फायदे देखने को मिलेंगे। 'टॉक्सिकोलॉजी एंड इंडस्ट्रियल हेल्थ' जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार व्हीटग्रास सेहत से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करने में फायदेमंद होता है। व्हीटग्रास या गेहूं की पत्तियों में कैल्शियम, फाइटोन्यूट्रिएंट्स, एमिनो एसिड, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन ए, सी, ई, के और बी कॉम्प्लेक्स और प्रोटीन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो सेहत के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। स्किन पर मौजूद दाग-धब्बे, मुहांसे की समस्या और बालों से जुड़ी तमाम समस्याओं में व्हीटग्रास या गेहूं की पत्तियां बहुत फायदेमंद होती हैं।1. स्किन के टैन को दूर करने के लिए व्हीट ग्रास या गेहूं की पत्तियां बहुत फायदेमंद होती हैं। आप इसके पाउडर को पानी में मिलाकर लेप बनाएं और स्किन पर लेप के रूप में इसे लगाएं। लगाने के बाद 10 से 15 मिनट तक इसे स्किन पर लगा रहने दें उसके बाद चेहरे को पानी से धो लें। हफ्ते में एक से दो बार ऐसा करने से स्किन से टैन की समस्या दूर होती है।2. मुहांसों को दूर करने के लिए व्हीट ग्रास को पीसकर इसका पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को स्किन पर लगाएं और 10 मिनट बाद पानी से स्किन धो लें।3. स्किन पर मौजूद घावों को दूर करने के लिए व्हीट ग्रास के पेस्ट को स्किन पर प्रभावित जगह पर लगाएं और कुछ देर बाद इसे हल्के गुनगुने पानी से धो लें। ऐसा करने से स्किन से घाव की समस्या में फायदा मिलेगा।4. स्किन को डिटॉक्स करने के लिए व्हीट ग्रास का सेवन बहुत फायदेमंद माना जाता है। आप रोजाना इसके पेय का इस्तेमाल स्किन से जुड़ी समस्याओं के लिए कर सकते हैं। व्हीट ग्रास ड्रिंक को पीने से पहले आपको एक्सपर्ट की सलाह जरूर लेनी चाहिए।बालों के लिए व्हीट ग्रास का इस्तेमालबालों के लिए भी व्हीट ग्रास का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद माना जाता है। व्हीट ग्रास में एंटी ऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं जिसका इस्तेमाल सफेद बालों की समस्या में बहुत उपयोगी माना जाता है। इसके अलावा व्हीट ग्रास में मौजूद विटामिन और अन्य पोषक तत्व बालों को मजबूत करने के लिए उपयोगी माने जाते हैं। बालों में रुसी की समस्या को दूर करने के लिए व्हीट ग्रास का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद माना जाता है। आप व्हीट ग्रास या गेहूं का लेप सीधे बालों पर लगाकर थोड़ी देर के लिए लगाकर रखें उसके बाद सूख जाने के बाद हल्के गुनगुने पानी से धुल लें।
- बाग फूल के नाम से जाने जाने वाली भारंगी सेहत के लिए बेहद उपयोगी है। इसे ग्लोरी बोवल के रूप में भी जाना जाता है। इसकी जड़ें, पत्ते और छाल कफ और वात दोष को शांत करने के लिए बेहद उपयोगी है। भूख बढ़ाने हो या कफ को दूर करना हो, बुखार को कम करना हो या सूजन को कम करना है, भारंगी बेहद उपयोगी है। बता दें कि इसके अंदर एंटी इन्फ्लेमेटरी, एंटी टॉक्सिक, एंटीसेप्टिक ऐपेटाइजर, एस्ट्रीनजेंट आदि पाया जाता है जो शरीर को कई समस्याओं से दूर रख सकता है।आज जानते हैं भारंगी के फायदों के बारे में .....1 - सिर दर्द को दूर करें भारंगीजो लोग सिरदर्द की समस्या से परेशान रहते हैं या जिन लोगों को माइग्रेन रहता है , वे भारंगी की जड़ से बने पाउडर को पानी में मिलाकर उसका पेस्ट बनाएं और उसे अपने माथे पर लगाएं। ऐसा करने से सिर दर्द की समस्या दूर हो जाती है।2 - बुखार से लड़े भारंगीभारंगी के अंदर एंटीपायरेटिक गुण मौजूद होते हैं जो सर्दियों में होने वाले बुखार को दूर करने के साथ-साथ सर्दी, जुकाम से भी लडऩे में मदद करते हैं। यह गंभीर बुखार जैसे मलेरिया आदि को भी दूर रखते हैं। यह शरीर के तापमान को नियंत्रित करने और शरीर में ठंडक पहुंचाने का काम करते हैं।3 - फोड़े और घाव कुमारी भारंगीघाव को भरने में भी भारंगी बेहद उपयोगी है। यह एंटीसेप्टिक गुणों से भी भरपूर है। इसके उपयोग के तौर पर आपको भारंगी के पत्तों का पेस्ट बनाना होगा और उसे घाव पर लगाना होगा ऐसा करने से घाव जल्दी भरता है।4 - त्वचा के लिए भारंगीभारंगी के पत्तों से बना पेस्ट और जड़ चेहरे की कई समस्याओं को दूर करने में बेहद उपयोगी है। पर इसे त्वचा पर लगाने से पहले एक बार टेस्ट अवश्य कर लें।5 - जोड़ों के दर्द के लिए भारंगीयदि कोई व्यक्ति अर्थराइटिस, सूजन, दर्द, गाउट आदि से परेशान है तो इस समस्या से लडऩे में भारंगी की मदद ली जा सकती है। वहीं अगर किसी व्यक्ति को जोड़ों को हिलाने में कठिनाई महसूस होती है या जोड़ों में सूजन है तो वे भारंगी के उपयोग से इस समस्या को दूर कर सकते हैं।6 - सांस से संबंधित परेशानी के लिए भारंगीसांस से संबंधित परेशानी जैसे अस्थमा, राइनाइटिस, सर्दी, जुकाम आदि को दूर करने में भी भारंगी बेहद उपयोगी है।भारंगी के नुकसानबता दें कि किसी भी चीज की अति सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है ऐसा ही भारंगी के साथ भी है। अगर इसका सेवन सीमित मात्रा से बाहर किया जाए तो यह शरीर में कई प्रकार की एलर्जी को पैदा कर सकती है। हालांकि अभी तक इस तरह के कोई मामले सामने नहीं आए हैं। फिर भी इसके सेवन करने से पहले एक बार एक्सपर्ट से इसकी सीमित मात्रा का ज्ञान लेना जरूरी होता है।
- कब्ज की समस्या हम में से ज्यादातर लोगों को हो जाती है इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे फाइबर का कम सेवन, पानी न पीना, तला-भुना खाना आदि। कब्ज की समस्या से छुटकारा पाने के लिए आप घर के बने चूर्ण का सेवन भी कर सकते हैं। आज हम अदरक से बने चूर्ण के लाभ और उसे बनाने की विधि बताने जा रहे हैं।अदरक की मदद से इंटेस्टाइन पर पड़ रहा प्रेशर कम होता है और कब्ज की समस्या से राहत मिलती है। अदरक में जिजिंरोल नामक तत्व पाया जाता है जो एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लामेटरी और एंटी-ट्यूमर गुणों से भरपूर होता है, अदरक का सेवन करने से जी मिचलाना, फ्लू, कोल्ड, बोन्स की समस्या, हार्ट हेल्थ, कैंसर आदि समस्याएं भी नहीं होती। अपच की समस्या या कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए अदरक एक फायदेमंद हर्ब मानी जाती है। अदरक से बॉडी को हीट मिलती है और डाइजेशन बेहतर होता है।अदरक के चूर्ण के फायदेअदरक के चूर्ण का सेवन करने से कब्ज की समस्या, पेट दर्द या अपच की समस्या दूर होती है। अदरक के चूर्ण का सेवन करने से सर्दी-खांसी की समस्या भी दूर होती है। हार्ट डिसीज, डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए ये चूर्ण फायदेमंद माना जाता है। हार्ट की समस्या होने या फिर शरीर में दर्द होने पर भी इस चूर्ण का इस्तेमाल किया जा सकता है।अदरक का चूर्ण कैसे बनाएंं?सामग्री: अदरक, काला नमक, काली मिर्च पाउडर, सेंधा नमक, नींबू का रसविधि: अदरक को अच्छी तरह से धोकर छिल लें। अब आप अदरक को लंबे टुकड़ों में काट लें। आपको अदरक पर नींबू का रस डालना है। अब अदरक को एक बाउल में डालें। उस बाउल में काली मिर्च पाउडर, काला नमक, सेंधा नमक , जीरा पाउडल आदि चीजों को मिला दें। इस मिश्रण को धूप में सुखाएं और उसे किसी साफ बाउल में निकालकर स्टोर कर लें। इस मिश्रण को रोज कुछ देर के लिए धूप में सुखाना है ताकि यह अच्छी तरह से सूख जाए और फिर इसे कंटेनर में रख लें।चूर्ण को कब तक स्टोर कर सकते हैं?आप इस चूर्ण को एक माह तक इस्तेमाल कर सकते हैं पर इसे ड्राय ही रखें, अगर इसमें एयर जाएगी या ये पानी के संपर्क में आएगा तो खराब हो जाएगा। आपको चूर्ण को साफ और एयरटाइट कंटेनर में स्टोर करना है। अगर आपको इस चूर्ण का सेवन करने से जलन, एलर्जी या अन्य समस्या होती है तो आप इसका सेवन न करें।चूर्ण लेने के साथ इन बातों का ध्यान रखेंकब्ज की समस्या के दौरान फाइबर से युक्त चीजों का सेवन करें। डिहाइड्रेशन की समस्या के कारण भी कब्ज की समस्या हो सकती है इसलिए रोजाना 2 से 3 लीटर पानी का सेवन करें।
- आंखें आपकी सेहत का राज बयां कर सकती है। माना जाता है कि आंखें दिलों का हाल बयां करती हैं, लेकिन दिलों का हाल बयां करने के साथ ही ये आपकी सेहत का हाल भी बयां कर सकती है। यही वजह है किसी भी बीमारी का कारण पता लगाते समय डॉक्टर सबसे पहले आंखें देखते हैं। एक्सपट्र्स मानते हैं कि अगर आपको अपनी आंखों में कोई भी बदलाव नजर आए तो तुरंत डॉक्टर्स को दिखाना चाहिए। अगर आपको देखने में दिक्कत, जलन या दर्द किसी बड़ी बीमारी का संकेत तो इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए।आंखों में अगर आता है पानी तो...आंखों में बहुत ज्यादा पानी आते वक्त अगर आपकी आंखों में काले या भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। क्योंकि यह किसी परेशानी की निशानी है। यानी आपको किसी भी कंडीशन में आंखों से संबंधित परेशानी हल्के में नहीं लेनी है।धुंधला दिखाई देने पर न लें हल्के मेंइसके अलावा अगर आपको धुंधला दिखाई देता है तो भी आपको हल्के में नहीं लेना चाहिए। बता दें कि कई कारणों के चलते लोगों को धुंधला दिखाई दे सकता है। अगर आपको उजाले या फिर अंधेरे में धुंधला दिखाई देता है तो आपको इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए।आंखों में सूखापन होने परआंखों में सूखापन महसूस हो तो भी आप बिल्कुल हल्के में न लें। क्योंकि आंखों में सूखापन आने के कई कारण हो सकते हैं। जैसे देर रात तक बैठकर कंप्यूटर स्क्रीन पर काम करना, फोन का इस्तेमाल अधिक करना. ऐसे में तुरंत डॉक्टर्स से संपर्क करें।आंखों में सूजन होने परआंखों में सूजन और डार्क सर्कल्स होने पर भी हल्के में न लें. इसके कई कारण हो सकते हैं। माना जाता है कि कई वजह से आंखों में सूजन और डार्क सर्कल्स की समस्या होती है। इन कारणों के पहचान अगर आप नहीं कर पा रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर्स को दिखाएं।
- छत्तीसगढ़ में भी अब किसान रंगबिरंगी गोभी उगा रहे हैं। इससे उनकी आमदनी भी बढ़ी है। लोग चाव से इन रंगबिरंगी गोभियों का मजा ले रहे हैं। आज हम बात करेंगे लाल पत्ता या बैगनी गोभी की जिसे लाल करौत के नाम से भी जाना जाता है, यह ब्रैसिसेकी परिवार का एक सदस्य है और पूरे उत्तरी यूरोप, अमेरिका और चीन के कुछ हिस्सों में पाया जा सकता है।दिलचस्प रूप से पर्याप्त है, लाल गोभी का उपयोग अक्सर पीएच संकेतक के रूप में किया जाता है, क्योंकि यह रंग को विशेष रूप से उस सामग्री के पीएच संतुलन पर निर्भर करता है, जिसमें गोभी का रंग वास्तव में बढ़ता है, यह मिट्टी के पीएच संतुलन पर निर्भर करता है। यह पारंपरिक गोभी की तुलना में बहुत बेहतर है, जिसका अर्थ है कि इसे पिछले सर्दियों में सेवन करने या लेने की आवश्यकता नहीं है। इसका उपयोग अक्सर सलाद में किया जाता है, लेकिन इसे कुछ मांस के व्यंजनों में साइड डिश के रूप में पकाया और परोसा भी जा सकता है। इसके अलावा, यह भारत में भी अधिक प्रसिद्ध होता जा रहा है।लाल पत्ता गोभी के पौष्टिक तत्वइसमें मुख्य रूप से फाइटोकेमिकल्स, एंटीऑक्सिडेंट, पोषक तत्व, विटामिन और खनिजों का खजाना है। इन आवश्यक घटकों में थायमिन, राइबोफ्लेविन, फोलेट, कैल्शियम, मैंगनीज, मैग्नीशियम, लोहा, और पोटेशियम, साथ ही विटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन ई, विटामिन के, आहार फाइबर, और बी विटामिन शामिल हैं। इसके अलावा कार्बनिक यौगिकों की सूची में लगभग लाल पत्ता गोभी बहुत अधिक होता हैं, लेकिन एंथोसायनिन और इंडोल जैसे इसके एंटीऑक्सिडेंट मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होता है।लाल पत्ता गोभी के फायदे क्या हैरोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में :- लाल गोभी विटामिन का खजाना है, लेकिन कोई भी विटामिन सी के रूप में महत्वपूर्ण नहीं है। एस्कॉर्बिक एसिड एक महत्वपूर्ण एंटीऑक्सिडेंट है और हमारे प्रतिरक्षा प्रणाली का एक विशाल तत्व है। यह श्वेत रक्त कोशिकाओं की गतिविधि को उत्तेजित करता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए रक्षा की पहली पंक्ति बनाता है। इसके अलावा, कोलेजन के निर्माण में विटामिन सी महत्वपूर्ण है। जो हमारे शरीर और कोशिकाओं को जुड़ा और ठोस रखता है।कैंसर से बचाव :- लाल गोभी में एंथोसायनिन और इंडोल सहित एंटीऑक्सिडेंट का उच्च स्तर, एक निवारक उपाय के रूप में बेहद महत्वपूर्ण है। यह वास्तव में बैंगनी रंग का होता है, क्योंकि इनमें से कुछ फाइटोकेमिकल्स आमतौर पर इस रंग में दिखाई देते हैं। राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के अनुसार, लाल गोभी जैसी क्रूस सब्जियों में महिलाओं में स्तन कैंसर को कम करने के लिए जुड़ा हुआ है।वजन कम करने के लिए :- लाल गोभी कैलोरी में बहुत कम है, लेकिन आहार फाइबर में उच्च और महत्वपूर्ण विटामिन और खनिजों का खजाना है। यह आपके दैनिक आहार के लिए एक बढिय़ा अतिरिक्त हो सकता है यदि आप अपना वजन कम करने का प्रयास कर रहे है।हड्डिया मजबूत करने के लिए :- लाल गोभी में कैल्शियम, मैग्नीशियम, मैंगनीज व अन्य महत्वपूर्ण खनिजों से भरपूर होती है। जो हड्डियों के विकास और खनिज घनत्व में योगदान करती हैं। जो मनुष्य को ऑस्टियोपोरोसिस, गठिया और विभिन्न अन्य प्रकार की सूजन से बचाता है।आंखो को स्वस्थ रखने में :- विटामिन ए का उच्च स्तर न केवल आपकी त्वचा के लिए अच्छा है, बल्कि आपकी आंखों के लिए भी अच्छा है। विटामिन ए आंखों की रोशनी को स्वस्थ रखने में मदद करता है और मैक्यूलर डिजनरेशन और मोतियाबिंद को रोकता है। इसे बीटा-कैरोटीन में भी परिवर्तित किया जा सकता है, जो आपकी उम्र के अनुसार आँखों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।अल्जाइमर रोग का इलाज करे :- कुछ शोध के अध्ययन के अनुसार लाल गोभी में प्रचुर मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट और एंटीकोलिनेस्टरेज़ गुण होते है। जो अल्जाइमर रोग को रोकने में मदद कर सकता है। लाल गोभी की पूरी क्षमता का आकलन करने के लिए आगे के अध्ययन की आवश्यकता है।लाल पत्ता गोभी के खाने से कोई अधिक नुकसान देखने को नहीं मिलते हंै। किंतु अधिक मात्रा में खाने से पेट दर्द की समस्या हो सकती है। जिन लोगो को लाल पत्ता गोभी से एलर्जी है। उनको इसके सेवन से परहेज करना चाहिए।
- स्किन और बालों को प्राकृतिक रूप से निखारने के साथ ही सेहत के लिए भी कई तरह से फायदेमंद है चंदन। इन दिनों कई परफ्यूम और रूम फ्रेशनर्स में भी चंदन के तेल का इस्तेमाल होता है. पारंपरिक और आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने में इसका इस्तेमाल सदियों से हो रहा है। कई रिसर्च में भी यह बात सामने आयी है कि चंदन का तेल सेहत से जुड़ी कई समस्याएं दूर कर सकता है।चंदन के तेल के फायदेअमेरिकी हेल्थ वेबसाइट हेल्थलाइन डॉट कॉम में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक ट्रेडिशनल चाइनीज मेडिसिन के साथ ही भारत में भी आयुर्वेदिक दवाइयों में चंदन के तेल का इस्तेमाल विभिन्न बीमारियों के इलाज में किया जाता है, जैसे- सर्दी-जुकाम, पाचन से जुड़ी दिक्कतें, मानसिक बीमारियां, मांसपेशियों से जुड़ी दिक्कतें, लीवर और गॉल ब्लैडर से जुड़ी समस्याएं।1 चिंता और बेचैनी दूर करता है चंदन का तेलकोरोना वायरस महामारी की वजह से इन दिनों लोगों में चिंता और बेचैनी की समस्या ज्यादा देखने को मिल रही है। कॉम्प्लिमेंटरी थेरेपीज इन क्लीनिकल प्रैक्टिस की एक रिसर्च रिपोर्ट की मानें तो चंदन के तेल से मसाज किया जाए इस समस्या से राहत मिल सकती है। साथ ही यह तनाव को भी कम कर सकता है।2. घाव भरने में मददगारजर्मनी की एक यूनिवर्सिटी की रिसर्च रिपोर्ट की मानें तो अगर स्किन पर चोट लग जाए या किसी तरह का घाव हो जाए तो उसे भी जल्दी भरने और ठीक होने में मदद कर सकता है चंदन का तेल। इसका कारण ये है कि यह तेल स्किन सेल के ग्रोथ को बढ़ावा देता है।3. स्किन कैंसर से बचाने में मददगारआर्काइव्स ऑफ बायोकेमिस्ट्री एंड बायोफिजिक्स की एक स्टडी की मानें तो चंदन का तेल स्किन कैंसर से लडऩे में भी मदद कर सकता है। चंदन का तेल कैंसरकारी कोशिकाओं को मारने में मदद करता है।4. मुंहासों से बचाता है चंदन का तेलअपने एंटी-इंफ्लेमेंट्री गुणों के कारण मुंहासों की समस्या दूर करने में भी मदद करता है चंदन का तेल। यह स्किन को अंदर से साफ करता है जिससे कील-मुंहासे और पिंपल्स की समस्या नहीं होती।घर पर कैसे करें चंदन के तेल का इस्तेमाल?आप चंदन का तेल इन 5 तरीकों से इस्तेमाल कर सकते हैं:-स्किन पर सीधे लगा लें चंदन का तेल।-अपने लोशन में तेल की कुछ बूंदें मिलाकर यूज करें।-एक केतली पानी में चंदन के तेल की कुछ बूंदें डालें और उसे गर्म करें. ऐसा करने से पूरे घर में इसकी खुशबू फैल जाएगी।-Oil Infuser की मदद से भी इस तेल की खुशबू को घर के कोने-कोने तक पहुंचाया जा सकता है।-चंदन के तेल को अपने नहाने के पानी में मिलाएं?
- सुबह खाली पेट हम जो खाते या पीते हैं, उसका असर सीधा हमारी स्किन, बॉडी और शरीर के अन्य अंगों पर दिखायी पड़ता है। इसीलिए, आयुर्वेद में सुबह खाली पेट ऐसी चीज़ें ग्रहण करने की सलाह दी गयी है जिनसे शरीर को लाभ हो। कई लोग अपनी आदत और ज़रूरत के अनुसार सुबह गर्म पानी, शहद-नींबू पानी और अजवायन जैसी चीज़ों का सेवन करत हैं। इसी तरह खाली पेट गुड़ और गुनगुना पानी पीने से भी कई हेल्थ प्रॉब्लम्स ठीक होती हैं। आइए जानते हैं सुबह गुनगुना पानी और गुड़ पीने से सेहत को कौन-से फायदे होते हैं?वेट लॉसबढ़ते वजऩ को कंट्रोल करने के लिए सुबह गुनगुने पानी के साथ गुड़ का सेवन बहुत लाभकारी है। दरअसल, गुण में विटामिन बी1, विटामिन बी6, विटामिन सी के अलावा मैग्नीशियम, आयरन और पोटैशियम जैसे तत्व होते हैं। ये सभी तत्व शरीर का पोषण करते हैं और दिनभर एक्टिव रहने के लिए एनर्जी भी देते हैं। साथ ही गुड़ और पानी फैट बर्निंग में भी सहायता करते हैं। इससे बेली फैट कम होता है।डायजेस्टिव सिस्टम होता है बूस्टकमज़ोर पाचन की वजह से लोगों को पेट से जुड़ी कई समस्याएं होने लगती हैं। पेट में अपच, कॉन्स्टिपेशन गैस और एसिडिटी जैसी समस्याएं खराब खान-पान और लाइफस्टाइल की वजह से बहुत अधिक बढ़ गयी हैं। इनसे राहत पाने के लिए आप सुबह खाली पेट थोड़ा-सा गुड़ खाएं और गुनगुना पानी पीएं। इससे, आपका पाचम तंत्र सुधरेगा और आपको इन समस्याओं से आराम भी मिलेगा।ओरल हेल्थ में होता है सुधारजिन लोगों को मसूड़ों में अक्सर दर्द और सूजन की शिकायत होती है उन्हे गुड़ खाना चाहिए। इससे, मुंह में छुपे बैक्टेरिया कम होते हैं और दांतों की सडऩ, सांसों से आने वाली बदबू और मसूड़ों से जुड़ी कई समस्याएं कम होती हैं।नींद न आने की परेशानी होगी कमकई लोगों को रात में ठीक से सोने में बहुत अधिक परेशानी होती है। ये लोग पूरी रात बेचैन रहते हैं और ठीक से सो नहीं पाते। ऐसे लोगों को सुबह गुड़ और गुनगुना पानी पीना चाहिए। इससे आपका तनाव कम होगा और आप ठीक तरीके से सो भी पाएंगे।
- रोजाना योग करने के कई फायदे हैं. योग के कई प्रकार हैं जो अलग-अलग तरीके से शरीर को मजबूती देते हुए व्यक्ति को स्वस्थ रहने में मदद करते हैं. एक योग का तरीका ऐसा भी है जो आपके दिमाग को दुरुस्त तो करता ही है, साथ ही शरीर के एनर्जी लेवल को बढ़ाने में भी मदद करता है. अगर आप इस योग को रोजाना करीब आधे घंटे तक करेंगे तो इसके फायदे आप खुद महसूस कर सकेंगे.इस तरह काम करता है ये योगमहज आधे घंटे के लिए माइंडफुलनेस मेडिटेशन के साथ रोजाना हठ योग आसन, प्राणायाम और ध्यान का एक संयोजन करने से मस्तिष्क तंत्र के क्रियान्वयन व ऊर्जा स्तर में काफी सुधार हो सकता है.हठ योग क्यों है फायदेमंदएक सर्वे में पता चला है कि नियमित तौर पर हठ योग और माइंडफुलनेस मेडिटेशन (ध्यान की एक स्थिति) मस्तिष्क तंत्र के क्रियान्वयन, लक्ष्य-निर्देशित व्यवहार से जुड़ी आपकी प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करने की क्षमताओं, स्वाभाविक सोच की प्रक्रिया और क्रिया को बढ़ावा दे सकता है.योग से सूजन संबंधी बीमारियों का खतरा कमरिसर्च में सामने आया कि हठ योग और माइंडफुलनेस मेडिटेशन दोनों ही ध्यान सत्र के बाद कुछ सकारात्मक प्रभाव देते हैं जिससे लोग जो रोजमर्रा की जिंदगी में करना चाहते हैं उस पर अधिक आसानी से ध्यान केंद्रित कर पाते हैं.पश्चिमी देशों में मशहूर है हठ योगहठ योग पश्चिमी देशों में प्रचलित योगों की सबसे आम शैलियों में से एक है, जिसमें ध्यान को शारीरिक आसनों और सांस लेने के व्यायाम से जोड़ा जाता है. माइंडफुलनेस मेडिटेशन में विचारों, भावनाओं और शरीर की उत्तेजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया जाता है. माइंडफुलनेस मेडिटेशन और हठ योग दोनों ऊर्जा स्तर में सुधार के लिए प्रभावी पाए गए हैं, लेकिन सिर्फ ध्यान करने की तुलना में हठ योग व ध्यान दोनों एक साथ में काफी अधिक शक्तिशाली प्रभाव देते हैं.
- सेहतमंद जिंदगी के लिए हड्डियों को मजबूत बनाए रखना सबसे ज्यादा अहम है. सर्द मौसम में दिल्ली जैसे महानगर में प्रदूषण के कारण लोगों तक सूर्य की किरणों से मिलने वाले प्राकृतिक विटामिन-डी कम ही पहुंच पाती है. ऐसे में लोगों के शरीर में विटामिन-डी की कमी होना लाजमी है.विटामिन-डी पाने के लिए सेकें धूपदिन में धूप सेंकने के उचित समय और विटामिन-डी के पर्याप्त स्तर को बनाए रखने को लेकर कई रिसर्च किए गए हैं. आमतौर पर कहा जाता है कि शरीर का 20 फीसदी हिस्सा यानी बिना ढका हाथ और पैरों से प्रतिदिन 15 मिनट धूप का सेवन करने से विटामिन-डी अच्छी मात्रा में लिया जा सकता है.धूप सेंकने से लिए सबसे अच्छा वक्त क्या है?अब अगला सवाल ये उठता है कि दिन का कौन सा पहर सूर्य की रोशनी के संपर्क में आने का सबसे उपयुक्त होता है. आम धारणा के अनुसार, सुबह का धूप और देर शाम का धूप सेवन के लिए फायदेमंद रहता है, जबकि सच्चाई यह है कि सुबह 10 से दोपहर 3 बजे के बीच के दौरान धूप का सेवन मानव शरीर की त्वचा को विटामिन-डी प्रदान करता है. हालांकि धूप के सेवन के दौरान त्वचा पर सन-ब्लॉक क्रीम या लोशन नहीं लगे होने चाहिए.महिलाओं के लिए फायदेमंद है धूपदिल्ली जैसे शहर, जहां प्रदूषण के कारण लोगों तक धूप नहीं पहुंच पाती है, वहां लोग दुग्ध उत्पादों व आहार के जरिए विटामिन डी का सेवन कर सकते हैं. महिलाओं में खास तौर से प्री-मेनोपॉजल और पोस्ट-मेनोपॉजल की श्रेणी की महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोमलेशिया होने की संभावना होती है. वहीं खुद को पूरी तरह से ढकने वाली महिलाओं व सनक्रीम लगाने वाली महिलाओं में भी विटामिन-डी की मात्रा काफी कम होती है, क्योंकि उनकी त्वचा के अंदर धूप प्रवेश नहीं कर पाता है. वहीं बच्चों में विटामिन डी की कमी से रिकेट्स की समस्या होने लगती है.बच्चों को बीमारियों से बचाएंबच्चों को शुरुआत में ही पर्याप्त आहार के साथ-साथ अच्छी धूप का सेवन कराना आवश्यक होता है. बच्चों को खासकर उन बच्चों को जिन्होंने मां का दूध पीना छोड़ दिया है, उन्हें विटामिन डी से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन कराना आवश्यक है. वहीं सर्दियों में हड्डियों को स्वस्थ रखने में अच्छी मात्रा में कसरत करने से भी फायदा मिलता है. कसरत से हड्डियों का घनत्व बना रहता है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याओं से बचा जा सकता है.
- डॉक्टर्स और हेल्थ एक्सपर्ट्स अक्सर इस बात पर जो देते हैं कि सुबह-शाम पैदल चलने से हमारी बॉडी को काफी फायदा मिलता है, लेकिन क्या आपने पीछे की तरफ चलने के बारे में सोचा है. कई लोग मस्ती मजाक में रिवर्स वॉकिंग करते हैं, पर आप इस तरह अपने शरीर को लाभ भी पहुंचा सकते हैं.रिवर्स वॉकिंग के जबरदस्त फायदेएक्सपर्ट्स का मानना है कि रिवर्स वॉकिंग या बैकस्टेप वॉकिंग हमारे दिल, दिमाग और मेटाबॉलिज्म के लिए बेहद लाभदायक होती है, ये नॉर्मल वॉकिंग की तुलना में कहीं ज्यादा तेजी से कैलोरी घटाती है.'10 गुणा ज्यादा फायदेमंद है उलटा चलना'मशहूर राइटर और हेल्थ एक्सपर्ट लोरी शेमेक की मानें तो 100 कदम रिवर्स वॉकिंग नॉर्मल वॉर्किंग के 1000 कदम के बराबर है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि उलटा चलने से इंसानी दिल ज्यादा तेजी से पंप होता और शरीर के दूसरे अंगों में खून और ऑक्सिजन जल्दी सप्लाई होता है.उलटा चलने के 5 फायदे1. मांसपेशियों के लिए है लाभकारीरिवर्स वॉकिंग की वजह से हमारे काफ मसल , क्वाड्रीसेप्स , ग्लूट्स पर बेहतर असर पड़ता है और दिमाग को अलग तरह से संचालन में मदद करता है.2. स्ट्रोक के मरीजों जरूर ट्राई करेंयूनिवर्सिटी ऑफ सिनसिनाटी गार्डनर न्यूरोसाइंस इंस्टिट्यूट (University of Cincinnati Gardner Neuroscience Institute) के एक रिसर्चर का कहना है कि रिवर्स वॉकिंग (Reverse Walking) की प्रैक्टिस स्ट्रोक के मरीजों को फिर से चलना सिखा सकता है.3. दिल के लिए अच्छा है रेट्रो वॉकिंगऐसा माना जाता है कि रिवर्स वॉकिंग से शरीर के अंगों के संतुलन में सुधार होता है और निचले अंगों के प्रॉप्रायोसेप्शन और चाल में कोऑर्डिनेशन बैठता है. रेट्रो वॉकिंग को दिल की सेहत के लिए भी अच्छा बताया गया है और घुटनों में आर्थराइटिस के लक्षणों से राहत मिल सकती है.4. मेटाबॉलिज्म होता है बूस्टमुंबई (Mumbai) के सिम्बायसिस हॉस्पिटल के डायरेक्टर कैथ लैब, डॉ. अंकुर फातरपेकर ने एचटी मीडिया को बताया, 'पीछे की तरफ चलने से हमारा दिल ज्यादा तेजी से धड़कता है. इससे मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है और आप कम समय में ज्यादा कैलोरी बर्न कर पाते हैं. ये शरीर के बैलेंस के लिए भी शानदार व्यायाम है.'5. 'आंखों की रोशनी रहेगी बरकरार'वॉकहार्ट हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजिस्ट कंसल्टेंट डॉ. सौरभ गोयल के मुताबिक रिवर्स वॉकिंग हमारी बॉडी की ओवरऑल हेल्थ के लिए काफी फायदेमंद है. इससे आंखों की रोशनी भी अच्छी रहती है.
- लंबे सफर के दौरान जी मिचलाना या उल्टी जैसा महसूस होना सामान्य बात है। कई बार कुछ उल्टा-सीधा खा लेने पर भी एसिडिटी और उल्टी का मन हो जाता है। तबियत खराब होने या उल्टी जैसा मन होने पर लोग अक्सर दवा खाते हैं। ऐसे में कुछ घरेलू नुस्खे अपनाकर उल्टी आने से रोका जा सकता है।उल्टी रोकने के घरेलू उपाय- संतरे का रस पीने से या संतरा खाने से उल्टी जैसा महसूस होना बंद हो जाता है।- उल्टी जैसा महसूस होने पर पानी या नींबू पानी पिएं। इसे थोड़ा-थोड़ा करके पिएं, एकबार में बहुत सारा पीने से उल्टी बढ़ सकती है।- नमक और चीनी का पानी पीने से आपको राहत महसूस होगी।- नींबू चूसने से उल्टी रुकने में मदद मिलती है।- एक चम्मच सौंफ को एक कप पानी में 10 मिनट उबालकर पीने से भी उल्टी होना रुक जाती है।- गहरी और लंबी सांसें लें और कुछ अच्छे पलों को सोचने की कोशिश करें। सफर के दौरान उल्टी महसूस होने पर ये तरीका बहुत असरदार होता है।- एक कप गर्म पानी में एक चम्मच लौंग डालकर उबालें और छान कर पी लें। ये सफर में होने वाली उल्टी से राहत दिलाता है।- अदरक खाना उल्टी रोकने में फायदेमंद होता है। आप अदरक को पानी में हल्का गरम करके भी पी सकते हैं।देसी उपाय करने के बाद करें आरामउल्टी रोकने के ये देसी उपाय करने के बाद आप कुछ मिनट के लिए टहलें या बैठें। ऐसा करने से वे उपाय आराम करने लगते हैं। फिर आप बिस्तर पर आराम करें। आप महसूस करेंगे कि थोड़ी ही देर में आपका जी मिचलना बंद हो जाएगा और उल्टी नहीं आएगी।
- आजकल की खराब जीवनशैली का असर हमारे स्वास्थ्य पर बुरी तरह से पड़ रहा है। हम खाना खाते हैं, फिर लेट जाते हैं या लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठे रहते हैं, इसका सीधा असर हमारे पाचन तंत्र पर पड़ता है। पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने के लिए शारीरिक रूप से सक्रिय रहना जरूरी होता है, खाना खाने के बाद तो वॉक करना ज्यादा जरूरी हो जाता है। क्योंकि इससे पाचन क्रिया में सुधार होता है, हम कई सामान्य से लेकर गंभीर बीमारियों से बचे रहते हैं। हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, मोटापा, गैस्ट्रिक जैसी बीमारियों में खाना खाने के बाद वॉक करना बहुत जरूरी होता है।खाने के बाद वॉक के फायदे1.खाना खाने के बाद घूमने से पाचन में सुधार होता है। इससे पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है। गैस, अपच और कब्ज की संभावना कम रहती है।2.खाना खाने के बाद वॉक करने से वजन भी कंट्रोल में रहता है। जिन लोगों को मोटापे की समस्या है, उन्हें खाने के बाद वॉक जरूर करना चाहिए। वजन को कंट्रोल में रखने के लिए भी वॉक करना जरूरी है।3.खाना खाने के बाद वॉक करने से मेटाबॉलिज्म में सुधार होता है। मेटाबॉलिज्म सही से कार्य करता है, इससे हम हमेशा स्वस्थ रहते हैं।4.वॉक करने से पाचन तंत्र में सुधार होता है, साथ ही इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है।5.खाने के बाद घूमने से आंतरिक अंग स्वस्थ रहते हैं। वॉक करने से हमारी आंतों को खाना पचाने में अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ती है।6.खाना खाने के बाद पैदल चलने से शरीर में एंडोर्फिन हार्मोन रिलीज होता है, इससे तनाव कम होता है।7.वॉक करने से ब्लड सर्कुलेशन में भी सुधार होता है। इससे ब्लड सर्कुलेशन में आई रुकावट की समस्या दूर होती है।8.डायबिटीज रोगियों के लिए खाना खाने के बाद घूमने काफी फायदेमंद होता है। इससे रक्त शर्करा का स्तर संतुलन में रहता है।खाना खाने के बाद कितनी देर तक टहलना चाहिए?वॉक करने का सबसे अच्छा समय खाना खाने के बाद होता है। इससे पाचन में मदद मिलती है, थकान कम होती है। साथ ही कैलोरी भी बर्न होती है। शुरुआत में खाना खाने के बाद 10-20 मिनट वॉक करना सही रहता है। इससे पाचन तंत्र में सुधार होता है, गैस्ट्रिक समस्याएं दूर होती हैं। धीरे-धीरे आप वॉक के समय को 30-40 मिनट तक बढ़ा सकते हैं। खाना खाने के बाद करीब आधा घंटा वॉक करने से आप हमेशा स्वस्थ रह सकते हैं।
- मूंग दाल या हरी दाल में आयरन, पोटैशियम, मैग्नीशियम और कॉपर जैसे मिनरल्स होते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि इसमें फोलेट, फाइबर और विटामिन बी6 से भरपूर होने के साथ-साथ उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन भी होता है. इसमें विटामिन बी होता है. कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं हो जाने पर डॉक्टर अक्सर इस दाल का सेवन करने की सलाह देते हैं. ये आपके शरीर को ऊर्जा पैदा करती है. फोलिक एसिड हमारे मस्तिष्क के लिए बहुत फायदेमंद है. मूंग दाल का सेवन आप करी और स्प्राउट्स के रूप में कर सकते हैं. अपनी डाइट में मूंग दाल को शामिल करना बहुत फायदेमंद है. आइए जानें इसके स्वास्थ्य लाभ.हृदय को स्वस्थ रखता हैसप्ताह में कम से कम एक बार इस दाल का सेवन करना चाहिए. ये हाई ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करती है. ये मांसपेशियों की ऐंठन से बचाती है. ये हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करती है. हृदय रोगों से बचे रहने के लिए आप अंकुरित मूंग दाल का सेवन कर सकते हैं.वजन घटाने के लिएमूंग दाल कोलीसिस्टोकाइनिन हार्मोन के कार्य में सुधार के लिए बहुत अच्छी है. ये हार्मोन हमें भरा हुआ महसूस कराता है. ये मेटाबॉलिज्म दर में भी सुधार करता है. इस प्रकार वजन घटाने में मदद मिलती है. इसे चावल या रोटी के साथ दोपहर के भोजन में लें या शाम को नाश्ता करने का मन करें तो एक कटोरी स्प्राउट्स के रूप में लें.डायबिटीजमूंग दाल अपने कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स के लिए जानी जाती है. ये ब्लड शुगर के स्तर और डायबिटीज को नियंत्रण में रखता है. अंकुरित हरी मूंग दाल का सेवन डायबिटीज के मरीज के लिए बहुत फायदेमंद है.पाचनमूंग दाल आंत में ब्यूटायरेट नामक फैटी एसिड के उत्पादन में मदद करती हैं. ये हमारी आंतों के लिए बहुत अच्छा होता है. इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं. ये गैस को रोकने में मदद करते हैं. इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर होता है. ये पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है.ब्लड सर्कुलेशनइस दाल का सेवन आपके ब्लड सर्कुलेशन के लिए बहुत अच्छा है. इसमें आयरन होता है जो लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में मदद करता है. ये एनीमिया को रोकने में भी मदद करता है.इम्युनिटी को बढ़ाता हैमूंग दाल में इम्यून सेल्स को मजबूत बनाए रखने वाले विशेष गुण होते हैं. ये इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद करते हैं. सर्दी-जुकाम आदि की समस्या को दूर रखने में मदद करते हैं.
- हनी चिली पोटैटो एक बहुत ही पसंदीदा स्नैक है. ये सबसे लोकप्रिय स्ट्रीट फूड (Honey Chilli Potatoes) में से एक है. हनी चिली पोटैटो आप घर पर आसानी से बना सकते हैं. हनी चिली पोटैटो को डीप फ्राई आलू फिंगर्स से बनाया जाता है और टोमैटो चिली सॉस, शहद और लहसुन, सिरका, नमक, काली मिर्च और चिली फ्लेक्स के मिश्रण से कोट किया जाता है. आप इस स्नैक (Snack) को पार्टियों और गेट-टुगेदर के लिए बना सकते हैं. हनी चिली पोटैटो बच्चों (Chilli Potatoes) को पंसद है. आप इसे किसी भी पंसदीदा स्नैक के साथ परोस सकते हैं. इसे अक्सर स्टार्टर के रूप में परोसा जाता है. आइए जानें इसकी रेसिपी.हनी चिली पोटैटो की सामग्री500 ग्राम आलू1 बारीक कटी लाल मिर्च1 कप रिफाइंड तेल2 बड़े चम्मच तिल5 लौंग बारीक कटा लहसुन2 बड़े चम्मच मक्के का आटाआवश्यकता अनुसार नमक1 प्याजटॉपिंग के लिए2 चम्मच चिल्ली फ्लेक्स1 चम्मच सिरका1 छोटा चम्मच टमाटर चिली सॉस2 बड़े चम्मच शहदहनी चिली पोटैटो बनाने की विधिस्टेप – 1 आलू को प्रेशर कुक करेंहनी चिली पोटैटो को बनाने के लिए आलू को धोकर एक तरफ रख दें. एक प्रेशर कुकर को मध्यम आंच पर रखें और इसमें पर्याप्त पानी के साथ आलू डालें. साथ ही आधा चम्मच नमक भी मिला लें. इन्हें 1 सीटी के लिए प्रेशर कुक करें और भाप को अपने आप निकलने दें. आलू नरम होना चाहिए. आलू को ज्यादा न पकाएं. एक बार जब भाप निकल जाए, तो पानी निकाल दें और इन्हें एक बड़ी ट्रे में छील लें. इन्हें फ्रेंच फ्राई की तरह लंबे आकार में अच्छी तरह से काट लें और आवश्यकता होने तक एक तरफ रख दें.स्टेप – 2 कॉर्नफ्लोर का घोल तैयार करेंएक बड़ा कटोरा लें और इसमें कुटा हुआ लहसुन, लाल मिर्च, नमक और कॉर्नफ्लोर मिलाएं. घोल तैयार करने के लिए थोड़े से पानी का इस्तेमाल करें. इसे अच्छी तरह मिलाएं. 3 से 5 मिनट के लिए अलग रख दें. अब इसमें आलू डालें और अच्छी तरह टॉस करें ताकि मिश्रण आलू पर पूरी तरह से लग जाए.स्टेप – 3 आलू को डीप फ्राई करेंअब एक कड़ाही को मध्यम आंच पर रखें और इसमें तेल गर्म करें. जब तेल अच्छे से गर्म हो जाए तो इसमें आलू को क्रिस्पी होने तक डीप फ्राई कर लें. आवश्यक कुरकुरापन मिलने तक इन्हें डबल फ्राई भी कर सकते हैं.स्टेप – 4 तले हुए आलू की सीजनिंगअधिक तेल निकालने के लिए इसे अब्सॉर्बेंट पेपर पर रख दें. अब एक कढा़ई में थोड़ा सा तेल गरम करें. जब तेल पर्याप्त गर्म हो जाए तो आलू के साथ 2 कटी हुई लहसुन की कलियां, तिल, सिरका और टोमैटो चिली सॉस डालें. एक मिनट तक पकाएं और फिर आंच बंद कर दें. इसमें शहद, मसाला और प्याज डालें.स्टेप – 5 गार्निश करके सर्व करेंअच्छी तरह से टॉस करें और कुछ तिल छिड़कें और तुरंत परोसें. आप कटे हुए हरे प्याज को गार्निश के रूप में भी डाल सकते हैं.
- स्वस्थ आंत एक सुखी जीवन जीने और स्वस्थ शरीर रखने की कुंजी है. आप कुछ ऐसे व्यंजन डाइट में शामिल कर सकते हैं जो आंत को स्वस्थ रखने में मदद करते हों. ये व्यंजन आंत की समस्याओं (Healthy Recipes) का इलाज कर सकते हैं. आप फाइबर और प्रोटीन से भरपूर व्यंजन (Dishes) को डाइट में शामिल कर सकते हैं. इन भारतीय व्यंजनों (Indian foods) को बनाना बहुत आसान है. आप अपनी डाइट में आयुर्वेदिक खिचड़ी, कांजी, निंबू का अचार और घर के बने आंवले के अचार का सेवन कर सकते हैं. ये व्यंजन न केवल बहुत स्वादिष्ट हैं बल्कि ये आपको स्वस्थ रखने में भी मदद करते हैं.आयुर्वेदिक खिचड़ीआयुर्वेदिक खिचड़ी हेल्दी व्यंजन है. ये बच्चों और बुजुर्गों के पाचन के लिए अच्छा है. आयुर्वेद दिन में कम से कम एक बार हल्का भोजन करने की सलाह देता है. आयुर्वेदिक खिचड़ी पेट को साफ करने, कब्ज से राहत दिलाने और समग्र स्वास्थ्य में सुधार के लिए फायदेमंद होती है. आयुर्वेदिक खिचड़ी में मौजूद तत्व पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं. ये आपकी इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद करता है. इसमें जीरा, हल्दी, सौंफ, सरसों के बीज, हींग, दालचीनी और इलायची जैसी सामग्री होती है. ये सामग्री एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती हैं. ये मतली, सूजन और कब्ज सहित कई पाचन समस्याओं को दूर करने में मदद करती हैं.कांजी ड्रिंककांजी चावल और पानी से बना एक प्राकृतिक घर का बना प्रोबायोटिक है. ये आंत को स्वस्थ रखने के लिए एक दक्षिण भारतीय रेसिपी है. ये हेल्दी, स्वादिष्ट और बनाने में आसान है. अगर आप बीमार हैं या आप पेट खराब है तो आप इसका सेवन कर सकते हैं. इसे बनाने के लिए चावल को धोकर 4 कप पानी के साथ प्रेशर कुकर में डाल दें. हाई प्रेशर पर 6 से 7 सीटी आने तक पकाएं और फिर कम प्रेशर में 15 मिनट तक पकाएं. 15 मिनट के बाद इसे आंच से हटा दें. अगर आवश्यक हो चावल कांजी की स्थिरता को समायोजित करने के लिए और पानी डालें. तड़का लगाने के लिए एक तड़का पैन में नारियल का तेल गर्म करें फिर इसमें राई और करी पत्ता डालें और महक आने तक भूनें. अब तड़के को तैयार कांजी के ऊपर डालें. कटे हरे धनिये से गार्निश करें और सर्व करें.क्लासिक घर का बना निंबू अचारघर का बना नींबू का अचार एक प्राकृतिक पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है. ये पाचन में सहायता करता है. अपने भोजन में एक चम्मच अचार को शामिल करने से न केवल स्वाद में सुधार होता है बल्कि पाचन में भी मदद मिलती है.घर का बना आंवला अचारआंवला का अचार पोषक तत्वों से भरपूर होता है. आंवला के अचार में मौजूद सामग्री जैसे धनिया के बीज, सौंफ और अजवाइन जैसी सामग्री पाचन में सहायता करती है और अपच को कम करती है. आंवला का अचार उन सामग्रियों से बनाया गया है जो डायबिटीज रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद है. ये अपच, सूजन और गैस से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं.
- विटामिन हमारे लिए पोषण का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत हैं. शरीर अपने कार्यों को कुशलता से तभी करता है, जब ये अच्छी तरह से पोषित हो और किसी भी विटामिन या अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से गंभीर स्थिति और बीमारियां हो सकती हैं. विटामिन स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है. ये मस्तिष्क से लेकर हड्डियों तक शरीर के हर कार्य को बढ़ावा देते हैं. विटामिन आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं. अपनी डाइट (Diet) में विटामिन शामिल करने का सबसे आसान तरीका है विटामिन से भरपूर फूड्स का सेवन करना. आपके स्वास्थ्य के लिए कौन से विटामिन आवश्यक हैं आइए जानें.विटामिन एएक स्वस्थ इम्यून सिस्टम, अच्छी कोशिका वृद्धि और आंखों की रोशनी में सुधार के लिए आपको ये विटामिन जरूर लेना चाहिए. विटामिन ए मुंहासे, झुर्रियों और अन्य त्वचा की समस्याओं को ठीक करने के लिए बहुत अच्छा है. ये पाचन समस्याओं को दूर करने में मदद करता है. इस विटामिन का नियमित सेवन आपके इम्यूम सिस्टम को मजबूत रखता है. इसके लिए आप डाइट में अंडे और होल मिल्क आदि शामिल कर सकते हैं.विटामिन बीविटामिन बी में 8 प्रकार बी 1, बी 2, बी 3, बी 5, बी 6, बी 7, बी 9 और बी 12 शामिल हैं. ये सभी सामूहिक रूप से बी विटामिन का एक समूह बनाते हैं जो शरीर के विभिन्न कार्यों के लिए जिम्मेदार होते हैं. ये विटामिन तंत्रिका तंत्र को स्वस्थ रखते हैं. विटामिन बी के लिए आप अपनी डाइट में सादा दही, दूध, केला और मशरूम आदि शामिल कर सकते हैं.विटामिन सीये एस्कॉर्बिक एसिड के रूप में भी जाना जाता है. विटामिन सी सबसे महत्वपूर्ण विटामिनों में से एक है. ये न केवल इम्युनिटी को बढ़ाता है बल्कि इसमें एंटीऑक्सीडेंट होते हैं. ये शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले फ्री रेडिकल्स को रोकने में मदद करते हैं. ये आपकी त्वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद है. इसके लिए आप डाइट में खट्टे फल, टमाटर और हरी सब्जियां शामिल कर सकते हैं.विटामिन डीकैल्सिफेरॉल इसे आमतौर पर विटामिन डी के रूप में जाना जाता है. विटामिन डी एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है क्योंकि ये हड्डियों और दांतों को स्वस्थ रखने में मदद करता है. ये डायबिटीज टाइप 1 जैसी स्थितियों को ठीक कर सकता है. इतना ही नहीं विटामिन डी मस्तिष्क के कार्यों को बढ़ावा देता है और हृदय को स्वस्थ रखता है.विटामिन ईविटामिन ई त्वचा और बालों को बेहतर बनाने में मदद करता है. इसके अलावा भी ये कई अन्य स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाने में मदद करते हैं. ये मेटाबॉलिज्म सुधार करने में मदद करते हैं. विटामिन ई के लिए आप अपनी डाइट में एवोकैडो, लाल शिमला मिर्च, मूंगफली, कद्दू आदि शामिल कर सकते हैं.विटामिन केविटामिन के आपको कुछ प्रकार के कैंसर, स्पाइडर वेन्स और मॉर्निंग सिकनेस से लड़ने में भी मदद कर सकता है. इस विटामिन के लिए आप अपनी डाइट में पत्तेदार हरी सब्जियां और फिश शामिल कर सकते हैं.
- पेट को कई बीमारियों की जड़ माना जाता है. कहा जाता है कि अगर आप वाकई स्वस्थ रहना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने पेट को साफ रखिए. लेकिन आजकल के गलत खानपान के कारण हमारा पाचन तंत्र गड़बड़ा जाता है. इसके कारण पेट फूलने की समस्या बहुत आम हो गई है. कई बार तो हालत ऐसी हो जाती है कि हम अपनी भूख से कम भी खाएं तो भी कुछ देर में पेट फूलना शुरू हो जाता है. पेट गड़बड़ होने के कारण बेचैनी महसूस होती है और कोई काम ठीक तरीके से नहीं हो पाता. अगर आपके साथ भी ये परेशानी है, तो आपको कुछ घरेलू उपाय आजमाने चाहिए. इन उपायों से आपको काफी मदद मिल सकती है.ये हो सकते हैं कारणअनहेल्दी फूड, खाना ठीक से न चबाकर खाना, अत्यधिक कार्बोहाइड्रेटयुक्त भोजन, अधिक तेल और मसाले वाला भोजन करना, डिप्रेशन या तनाव, ऑक्सीजन की कमी, लंबे समय से दवाओं का सेवन करना, गैस और कब्ज की समस्या के कारण. इसके अलावा रोज रोज खाने के बाद पेट का फूलना किसी बीमारी का भी संकेत हो सकता है.ये हैं सामान्य उपाय– अगर आपको अक्सर पेट फूलने की समस्या रहती है तो आपको रोजाना खाने से पहले ईसबगोल की भूसी और सेब के सिरके का इस्तेमाल करना चाहिए. इसके लिए आप एक चम्मच ईसबगोल की भूसी में एक चम्मच सिरका मिक्स करें और इसमें पानी मिक्स कर दें. दोनों चीजों को मिलाकर खाने से आधे घंटे पहले पी लें.– खाना खाने के करीब 15 से 20 मिनट बाद आप आधा चम्मच अजवाइन को गुनगुने पानी से पी लें. अजवाइन शरीर में गैस की समस्या को दूर करती है. इससे आपको काफी राहत महसूस होगी.– रोजाना खाना खाने के बाद हरी इलायची खाने की आदत डालें. इसे मुंह में रखकर टॉफी की तरह चबाएं. इससे आपके पेट को काफी आराम महसूस होता है और ब्लोटिंग की समस्या कंट्रोल होती है.– खाने के बाद 4 से 5 पुदीने के पत्तों को काले नमक के साथ चबाएं. इसके बाद एक या दो घूंट गुनगुना पानी पी लें. इससे भी पेट फूलने की समस्या में काफी आराम मिलता है.ध्यान रहेपेट फूलने की समस्या अगर आपको रोज रोज होती है और इन उपायों से किसी तरह की राहत नहीं मिलती, तो आपको इसके बारे में किसी विशेषज्ञ की सलाह जरूर ले लेनी चाहिए. अगर ये किसी बीमारी का संकेत है, तो इसका सही तरीके से समय रहते इलाज किया जा सकेगा.
- बढ़ती उम्र के साथ कई लोगों को जोड़ों का दर्द (Joint Pain) अपनी जकड़ में लेने लगता है जिससे काफी तकलीफ होती है और इंसान बेहद परेशान हो जाता है. जोड़ों और गठिया के दर्द से आराम चाहते हैं तो अपने फूड हैबिट्स का जरूर ध्यान रखें.गठिया का बचाव है मुमकिनकई रिसर्च से पता चला है कि जो लोग नियमित रूप से खाने में लहसुन (Garlic) और प्याज (Onion) लेते हैं उनमें गठिया होने की संभावना कम हो जाती है. इसके अलावा, जोड़ों के दर्द में प्राकृतिक इलाज भी काफी फायदेमंद होता है. इस रोग का उपचार करने में तुलसी (Tulsi) बड़ी कारगर भूमिका निभाती है क्योंकि तुलसी में प्राकृतिक गुण होता है, इसका तेल बनाकर दर्द वाली जगह लगाने से तुरंत आराम मिलता है.गठिये के दर्द से छुटकारा पाने के लिए आजमाएं ये 4 तरीकें1. हॉट और कोल्ड थैरेपीहॉट और कोल्ड थैरेपी जोड़ों के दर्द में काफी आरामदेहक साबित होती है. एक पतीले में पानी गर्म करके उसमें एप्सम सॉल्ट मिलाएं. इस पानी में पैरों को 10 से 15 मिनट तक डुबोकर रखें. इस दौरान पैरों को हल्का-हल्का मलते रहें. पानी की गर्मी और मालिश से त्वचा के रोम-छिद्र खुल जाते हैं और एप्सम सॉल्ट शरीर के अंदर से यूरिक एसिड को बाहर खींच लेता है. पैरों को पोंछ लें और ढंक दें.इसके बाद हाथ और कोहनी को भी डुबोएं. ध्यान रहे कि पानी गर्म ही रहे. 10 से 15 मिनट बाद हाथों को भी पोंछकर ढंक लें. ताकि पसीना आ जाए. दिन भर में तीन बार इस क्रिया को दोहराएं.2. अपने खाने में सही फैटी एसिड शामिल करेंप्रत्येक व्यक्ति को अनुकूल स्वास्थ्य के लिए अपने खाने में ओमेगा-3 फैटी एसिड को शामिल करना चाहिए. इसमें शामिल वसा से भी गठिया के दर्द में फायदा मिलता है. फिश ऑइल में काफी मात्रा में ओमेगा-3 एसिड होता है. इसका सेवन जोड़ों के दर्द और गठिया में लाभकारी होता है.3. जमकर एक्सरसाइज करेंआप जितना ज्यादा एक्सरसाइज करते हैं आपको उतना फायदा होता है. एक्सरसाइज करने से वजन कम तो होता ही है साथ में जोड़ों के दर्द से भी निजात मिलता है. रोज एक्सरसाइज करने से जोड़ों में फेक्सविलिटी आती है और दर्द की संभावना कम रहती है. आप दौड़ने के अलावा, एरोबिक और तैराकी भी कर सकते हैं.4. अपना वजन कम करेंजोड़ो और गठिए के दर्द में बढ़ा हुआ वजन भी अहम भूमिका निभाता है. हम जानते हैं कि ज्यादा वजन जोड़ों में ज्यादा दवाब देता है और हमारे ज्वॉइन्ट्स में पेन होने लगता है. वजन बढ़ने से खासकर घुटनों, पैरों के तलवों और हिप्स में काफी दर्द होता है. इसलिए, अगर आप जोडो़ं के दर्द से निजात पाना चाहते हैं तो अपना वजन कम करें.
- किसी भी इंसान की जिंदगी में बढ़ती उम्र के साथ जिम्मेदारियां काफी बढ़ जाती है जिसकी वजह से टेंशन, गुस्सा, चिड़चिड़ापन और झुंझलाहट होना आम बात हो गई है, लेकिन ज्यादा इरिटेशन से वर्क लाइफ बैलेंस पूरी तरह बिगड़ जाता है और आप खुशहाल दिखने की जगह गुस्सैल हो जाते हैं. अगर आपको ऐसी परेशानी है तो इससे तुरंत छुटकारा पाना बेहद जरूरी है.1. ड्राई फ्रूट्सड्राई फ्रूट्स एक गर्म फूड है जिसकी वजह से दिमाम में गुस्सा बढ़ सकता, बेहतर है कि इसे रात भर पानी में भिगोएं और सुबह उठकर खा लें.2. बैंगनबैंगन को ज्यादा मात्रा में न खाएं क्योंकि ये गुस्से को काफी ज्यादा बढ़ा सकता है3. टमाटरटमाटर आपके शरीर में गर्मी को बढ़ा सकता है और इसे ज्यादा खाने से गुस्सा भी आता है, टमाटर को ज्यादा न खाएं.
- अपने हाथों को धोना कीटाणुओं, बैक्टीरिया और धूल से छुटकारा पाने (Health Tips) का एक प्रभावी तरीका है. अपने आप को बीमार होने से बचाने के लिए हाथों की अच्छी स्वच्छता बनाए रखना जरूरी है. अपने हाथों को बार-बार धोना ये सुनिश्चित करता है कि आप कीटाणुओं और अन्य जीवाणुओं को न फैलाएं. खाना खाने से पहले या खाना बनाने से पहले आपको अपने हाथ धोने (Hand wash) चाहिए. दिन भर हम लिफ्ट और हमारे कंप्यूटर आदि सहित (Hand wash tips) कीटाणुओं से भरी सतहों को छूते हैं. जब भी आप किसी व्यक्ति को छूते हैं, या सतह या वस्तु को छूते हैं तो आपका हाथ कीटाणुओं को इकट्ठा करता है.हाथों को धोते समय इन बातों का रखें ध्यानकम से कम 20 सेकंड के लिए हाथ धोएंआपको कम से कम 20 सेकंड के लिए अपने हाथों को धोना चाहिए. हाथों को धोते समय अपने नाखूनों को भी साफ करें. घर पर हों या यात्रा के दौरान आपको अपने हाथों को कीटाणु मुक्त रखने के लिए समय-समय पर हाथ धोते रहना चाहिए.अपने हाथों के पिछले हिस्से को धोएंअपने हाथों के पिछले हिस्से को धोना न भूलें. जब हम जल्दी में होते हैं तो हाथों को धोने में बड़ी लापरवाही करते हैं. लेकिन ये आपके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकता है. इसलिए जब भी आप हाथ धोएं तो अपने हाथों के पिछले हिस्से को भी साफ करें. अपने हाथों पर चिपके हुए कीटाणुओं को मारने के लिए अपने हाथों पर साबुन को अच्छी तरह से लगाना सुनिश्चित करें.अपने हाथों को सुखाएंअपने हाथों को धोने के बाद महत्वपूर्ण चरणों में से एक इन्हें सुखाना है. हाथ धोने के बाद अपनी हथेलियों को सुखाना जरूरी है. वरना इन पर फिर से गंदगी जमा हो जाएगी. गीले हाथों पर कीटाणु बहुत जल्दी इकट्ठा हो जाते हैं. अपने हाथों की स्वच्छता को प्रभावी ढंग से बनाए रखने के लिए ये सरल तरीके हैं.किसी भी नियमित साबुन का इस्तेमाल करेंहाथ धोने के लिए आप किसी भी नियमित साबुन का इस्तेमाल कर सकते हैं. साबुन का मुख्य कार्य आपके हाथों में मौजूद कीटाणुओं को मारना होता है. इसलिए हाथ धोने के लिए किसी भी नियमित साबुन का इस्तेमाल करना ठीक है.साबुन और पानी उपलब्ध न होने पर हाथ साफ करना न भूलेंहर जगह साबुन और पानी मिलना मुश्किल है. इसका मतलब ये नहीं है कि आप अपने हाथ साफ नहीं कर सकते हैं. इसके लिए आप हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल कर सकते हैं.-