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- मौजूदा दौर में कमर दर्द (Back Pain) एक आम समस्या बन चुकी है, बढ़ती उम्र के साथ इस परेशानी में इजाफा हो सकता है. लोअर बैक पेन आमतौर पर 4 से लेकर 12 हफ्ते तक बरकरार रह सकता है, लेकिन कुछ उपायों के जरिए इसे ठीक करना मुमकिन है.क्यों होता है कमर दर्द?कमर दर्द (Back Pain) की परेशानी कई वजहों से हो सकती हैं, जिसमें उम्र का बढ़ना, माइनर या मेजर स्लिप डिस्क शामिल है. इसके अलावा गलत पोस्चर में बैठने या लेटने से भी इस समस्या का जन्म होता है.कमर दर्द के क्या हैं उपाय?कमर दर्द से निजात पाने के कई उपाय हैं, लेकिन इसमें आमतोर पर हीटिंग पैड (Heating Pad) या आइस पैड (Ice Pad) का इस्तेमाल किया जाता है. आइये आज हम आपको बताते हैं कि इन पैड के जरिए आपको किस तरह से फायदा मिल सकता है.आइस पैड के फायदेडॉक्टर्स आइस पैड (Ice Pad) के इस्तेमाल की सलाह तब देते हैं जब दर्द या चोट तुरंत लगी हो इससे जल्द आऱाम मिलता है. कई बार एक्सरसाइज के बाद भी काफी दर्द होता है ऐसे में बर्फ के इस्तेमाल करने से निजात मिल जाती है.कैसे करें आइस पैड का इस्तेमाल?आइस पैड का इस्तेमाल करने ने लोअर बॉडी का टेम्प्रेचर कम हो जाता है और धमनियां भी सिकुड़ जाती हैं. इसकी वजह से सूजन से भी आराम मिलता है. आप एक दिन में 10 से 20 मिनट तक आइस पैड से सिकाई कर सकते हैं. ये भी ख्याल रखना बेहद जरूरी है कि ज्यादा देर तक इसका इस्तेमाल न करें वर्ना नुकसान हो सकता है.हीटिंग पैड से मिलेगी दर्द से निजात!हीटिंग पैड के जरिए ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है. इसकी वजह से टिशू को पोषक तत्व मिलते हैं और ये जल्दी ठीक होने लगते हैं. इस बात ख्याल रखें कि हीटिंग थेरेपी का इस्तेमाल रुक-रुक कर 20 से 30 मिनट तक किया जाना चाहिए और पैड का टेम्प्रेचर ज्यादा न रखें.अगर दर्द ठीक न हुआ तो क्या करें?ऐसा देखा गया है कि कई बार आइस पैड (Ice Pad) या हीटिंग पैड (Heating Pad) के इस्तेमाल के बाद भी लोअर बैक पेन से निजात नहीं मिल पाती है ऐसे कंडीशन में इनका ज्यादा इस्तेमाल करने के बजाए डॉक्टर्स से संपर्क करें क्योंकि जांच के बाद ही पता चल पाएगा कि इसका सही इलाज क्या है.-
- तेज पत्ता हमारे घर की रसोई में इस्तेमाल होने वाली सामान्य वस्तु है. सब्जी में तेज पत्ता (Bay Leaf) के डालते ही उसका स्वाद और महक दोनों बढ़ जाते हैं. हालांकि बहुत कम लोग जानते हैं कि तेज पत्ता (Tej Patta) स्वाद के साथ ही सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है. इसके सेवन से न केवल शरीर की इम्यूनिटी मजबूत होती है बल्कि कई सारी बीमारियां भी दूर भाग जाती हैं. आइए आपको बताते हैं कि तेजपत्ता के नियमित सेवन के क्या-क्या फायदे (Tej Patta ke Fayde) हैं.गुर्दे की बीमारियों में फायदातेज पत्ता के सेवन से किडनी यानी गुर्दे की समस्याओं में काफी फायदा होता है. इसके इस्तेमाल से किडनी में पथरी नहीं बनती और वह स्मूथ तरीके से अपना कार्य करती है. इससे पेशाब से जुड़े दिक्कतें भी हमेशा के लिए दूर हो जाती हैं.खाना पचाने में मददगारकई लोगों को खाने पचाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. भोजन करते ही उन्हें कब्ज, मरोड़ या एसिडिटी जैसी परेशानियां घेर लेती हैं. ऐसे में अगर तेज पत्ता (Bay Leaf) के इस्तेमाल वाली सब्जियां खाएं तो पेट से जुड़ी बीमारियों से काफी हद तक राहत पा सकते हैं.आंखों और खून के लिए फायदेमंदतेज पत्ता में विटामिन सी और विटामिन ए पाए जाते हैं. ये दोनों विटामिन हमारे शरीर के विकास के लिए बहुत जरूरी हैं. विटामिन-सी हमारे शरीर में सफेद रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने का काम करता है. इससे शरीर की इम्यूनिटी मजबूत होती है. वहीं विटामिन-ए हमारी आंखों की क्षमता को बढ़ाता है.इंसुलिन को करता है कंट्रोलजो लोग शुगर के मरीज हैं, उनके लिए तेज पत्ता (Bay Leaf) किसी चमत्कार से कम नहीं है. इसका सेवन शुगर के रोगियों में इंसुलिन की बढ़ती-घटती मात्रा को कंट्रोल करने का काम करता है. आप इसे चावल, दाल या पुलाव नें पूरा पत्ता डालकर या सूप में छोटे पीस के रूप में डालकर प्रयोग कर सकते हैं.अनिद्रा की समस्या को करता है दूरअगर आप अनिद्रा की समस्या से परेशान हैं तो तेज पत्ता (Tej Patta) आपके लिए रामबाण का काम कर सकता है. आप रात को सोने से पहले तेज पत्ता का प्रयोग कर इस परेशानी से निजात पा सकते हैं. तेज पत्ता के तेल की कुछ बूंदों को गर्म पानी में मिलाकर पीने से अच्छी नींद आती है.
- खांसी एक ऐसी बीमारी है जो किसी को भी हो सकती है। इसके लिए कोई उम्र मायने नहीं रखती है। यह धूल, धुआं, मौसम में परिवर्तन, एकाएक ठंडे गर्म आदि का सेवन करना इत्यादि के कारण हो जाती है। यह दो प्रकार की होती है- एक सूखी खांसी और दूसरी गीली खांसी। इसमें कभी-कभी खांसी इतनी तेज हो जाती है कि खांसते- खांसते लोग हाफऩे लगते हैं, दम घुटने लगता है और कई बार उल्टियां भी हो जाती है। खांसी को ठीक करने के लिए लोग कई तरह की दवाएं एवं सिरप का सेवन करते हैं, जबकि खांसी को घरेलू उपचार से भी आसानी से ठीक किया जा सकता है।खांसी सूखी हो या गीली, जानें ठीक करने के घरेलू उपाय1 .भुनी हुई फिटकरी 10 ग्राम और देसी खांड सौ ग्राम दोनों को बारीक पीसकर आपस में मिलाकर बराबर मात्रा में 14 पुडिय़ा बना लें। अब एक पुडिय़ा नित्य 125 ग्राम दूध के साथ सेवन करने से सूखी एवं गीली दोनों तरह की खांसी ठीक हो जाती है।2 .अदरक पीसकर कपड़े की सहायता से निचोड़ कर रस निकाल लें और बराबर मात्रा में शहद मिलाकर एक-एक चम्मच की मात्रा में मामूली गर्म करके दिन में तीन से चार बार सेवन करने से खांसी ठीक हो जाती है। नजला, जुकाम में यह प्रयोग अचंभे से कम नहीं है। बुढ़ापे या कमजोरी से दमा उठता हो तो इसे 8 दिन लगातार सेवन करने से दमे की खांसी मिटती है। साथ ही अरुचि मिटकर भूख लगती है और गला बैठ जाने पर गर्म करके दिन में दो बार पीने से बंद गला और जुकाम ठीक हो जाता है।3 .अगर रात को बार- बार खांसी हो तो एक हरे का टुकड़ा या छिले हुए अदरक का टुकड़ा सोते समय मुंह में रखकर चूसते रहें। यह बलगम आसानी से निकाल देती है। रात को खांसी से आराम मिलेगी।4 .किसी भी तरह के खांसी को ठीक करने का तुलसी सबसे बेहतर उपायों में से एक है। इसके लिए तुलसी के 10-12 पत्ती को एक कप पानी में उबालें। इसमें दो काली मिर्च, एक छोटा टुकड़ा अदरक और स्वाद के लिए गुड़ मिलाकर चाय की तरह बना लें। अब इसे हल्का गरम- गरम ही चाय की तरह पी लें। इससे किसी भी तरह की खांसी से तुरंत राहत मिलती है।
- डैंड्रफ बालों की एक बहुत ही परेशान करने वाली समस्या है. ये न केवल हमारे बालों और स्कैल्प पर सफेद रूसी होने का कारण बनती है, बल्कि रूसी के साथ आने वाली खुजली और सूजन बेहद असहज होती है.बाजार में ऐसे कई एंटी डैंड्रफ शैंपू हैं जो डैंड्रफ से निजात दिलाने में मदद करते हैं. इसमें अधिकतर प्रोडक्ट केमिकल से भरे होते हैं जो लंबे समय तक हमारे बालों को नुकसान पहुंचाते हैं. आप बालों डैंड्रफ से निजात पाने के लिए नीम के तेल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. आप नीम के तेल का इस्तेमाल नींबू के रस, टी ट्री ऑयल और एलोवेरा जेल के साथ कर सकते हैं.नीम के तेल का इस्तेमाल करेंएक छोटी कटोरी में थोड़ा सा नीम का तेल लें. इस तेल को स्कैल्प पर लगाएं. अपनी उंगलियों से कुछ देर तक हल्के हाथों से मसाज करें. इसे दो घंटे के लिए या हो सके तो रात भर के लिए छोड़ दें. इसके बाद माइल्ड शैम्पू से धो लें. डैंड्रफ से प्राकृतिक रूप से छुटकारा पाने के लिए सप्ताह में दो या तीन बार इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.नीम का तेल और नींबू का रसएक नींबू लें और इसे आधा काट लें. आधे नींबू का रस निकाल लें और ताजा नींबू के रस को 2-3 टेबल स्पून नीम के तेल में मिला लें. इसे एक साथ मिलाएं और इसका इस्तेमाल स्कैल्प की अच्छी तरह से मसाज करने के लिए करें. माइल्ड शैम्पू से धोने से पहले इसे 30-40 मिनट के लिए स्कैल्प पर लगा रहने दें. हफ्ते में 2 से 3 बार इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.नीम का तेल और दहीएक बाउल में 1-2 टेबल स्पून नीम का तेल और 4 टेबल स्पून ताजा सादा दही लें. इसे एक साथ मिलाएं और हेयर मास्क को पूरे बालों और स्कैल्प पर लगाएं. अपनी उंगलियों से धीरे-धीरे सिर की मसाज करें. एक बार हो जाने के बाद अपने बालों को ढकने के लिए एक शॉवर कैप पहनें. एक हल्के शैम्पू से धोने से पहले 40-60 मिनट तक इसे लगा रहने दें. डैंड्रफ दूर करने के लिए हफ्ते में एक या दो बार इस हेयर मास्क का इस्तेमाल कर सकते हैं.नीम का तेल, टी ट्री ऑयल और एलोवेरा जेलएक बाउल में 1-2 टेबल स्पून नीम का तेल लें. इसमें 2-3 टेबल स्पून एलोवेरा जेल मिलाएं. टी ट्री एसेंशियल ऑयल की 3-4 बूंदें भी डालें. सब कुछ एक साथ मिलाएं और मिश्रण को पूरे स्कैल्प पर लगाएं. इसे 40-45 मिनट के लिए स्कैल्प पर लगा रहने दें. इसके बाद एक माइल्ड शैम्पू से धो लें. हफ्ते में दो या तीन बार इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.-
- हेल्दी रहने के लिए हरे पत्तेदार सब्जियों के सेवन की सलाह दी जाती है. ये सब्जियांशरीर को पोषण तो देती हैं, साथ ही इनसे इम्यूनिटी को बूस्ट करने में भी मदद मिलती है. हम बात कर रहे हैं पालक की, जिसका सेवन बड़े और बच्चों दोनों के लिए फायदेमंद होता है. पालक में कई गुण मौजूद होते हैं. ये पोषक तत्वों से भरपूर होता है. इसमें आवश्यक विटामिन और मिनरल जैसे कैरोटीन, अमीनो एसिड, आयरन, आयोडीन, पोटेशियम और मैग्नीशियम के साथ विटामिन ए, विटामिन ई, विटामिन के, विटामिन सी और विटामिन बी कॉम्प्लेक्स होता है. इसका स्वाद बहुत ही अच्छा होता है.आप पालक को सलाद, सूप या सब्जी के रूप में अपनी डाइट का हिस्सा बना सकते हैं. पालक के कई फायदे होने के बावजूद ये नुकसान भी पहुंचा सकता है. हम आपको ऐसे लोगों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें पालक के सेवन से परहेज करना चाहिए.किडनी की समस्याजिन लोगों को किडनी की समस्या हो, कहते हैं कि उन्हें पालक का सेवन करने से बचना चाहिए. इसका सेवन करने से शरीर में ऑक्सालिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है. विशेषज्ञों के मुताबिक ये किडनी के लिए ठीक नहीं माना जाता है. इससे किडनी में कैल्शियम ऑक्सालेट जमा हो जाता है, जो शरीर में कई बीमारियों को दस्तक का कारण बन सकता है.पथरीपालक के कारण किडनी में जमा होने वाला कैल्शियम ऑक्सालेट पथरी होने का खतरा बढ़ा देता है. जिन्हें स्टोन की समस्या हो, उन्हें पालक का सेवन न करने की सलाह दी जाती है. दरअसल, पालक को धोने के बावजूद अक्सर उसमें लगी हुई मिट्टी ठीक से साफ नहीं हो पाती. ये मिट्टी स्वाद में पता भी नहीं चलती है, लेकिन धीरे-धीरे करके यह स्टोन का कारण बन जाती है. आप पथरी से जूझ रहे हैं, तो रोजाना ज्यादा से ज्यादा पानी पीएं.जोड़ों में दर्दऐसा माना जाता है कि पालक में प्यूरिन भी भरपूर मात्रा में उपलब्ध होता है और ये एक तरह का यौगिक होता है. विशेषज्ञों के मुताबिक ऑक्सालिक एसिड और प्यूरीन मिलकर गठिया का कारण बन जाते हैं. जिन लोगों को जोड़ों में दर्द की समस्या चल रही हो, उन्हें इस कंडीशन में पालक का सेवन न करने की सलाह दी जाती है. क्योंकि ऐसा करने पर जोड़ों में दर्द और भी बढ़ सकता है.ब्लड थिनर दवाअगर आप ब्लड को थिन करने वाली दवा ले रहे हैं, तो भी आपको पालक नहीं खाना चाहिए. रिपोर्ट्स के मुताबिक पालक में विटामिन ए भी प्रचुर मात्रा में मौजूद होता है. कहते हैं कि विटामिन ए इस दवा के साथ मिलकर रिएक्ट कर सकता है.
- बालों को प्राकृतिक रूप से काला बनाने के लिए आंवला पाउडर बेस्ट माना जाता है। आंवला में एंटीऑक्सीडेंट गुण और विटामिन ई जैसे गुण होते हैं, जो बालों को कई तरीके से फायदा पहुंचाते हैं। हेयर ग्रोथ और डैंड्रफ फ्री स्कैल्प के लिए भी यह काफी मददगार है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि सफेद बालों को कलर करने के लिए आंवला पाउडर का किन-किन तरीकों से इस्तेमाल किया जा सकता है।मेहंदी के साथ मिक्स करें आंवला पाउडरबालों को कलर करने के लिए कई महिलाएं मेहंदी का भी इस्तेमाल करती हैं। ऐसे में आप इसमें आंवला पाउडर भी मिक्स कर सकती हैं। इसके लिए पानी को हल्का गर्म कर लें और फिर उसमें मेहंदी और आंवला पाउडर मिक्स कर दें। आप चाहें तो यह काम लोहे की कढ़ाई में भी कर सकते हैं। मेहंदी और आंवला का यह पैक रात में ही बना लें और उसे सुबह अपने बालों पर लगाएं। यह ना सिर्फ सफेद बालों को कलर करेगा बल्कि उन्हें पोषण भी देगा।शिकाकाई और रीठा पाउडर के साथ करें मिक्सलोहे की कढ़ाई में शिकाकाई, रीठा और आंवला पाउडर तीनों को अच्छी तरह मिक्स कर लें। आप चाहें तो रीठा, शिकाकाई और आंवला पाउडर से कम भी ले सकते हैं। तीनों को लोहे की कढ़ाई में अच्छी तरह मिक्स करने के बाद उसे रातभर के लिए ढंक कर छोड़ दें। अगले दिन इसे अपने बालों पर लगाएं और फिर एक घंटे के लिए छोड़ दें। एक घंटे बाद आप अपने बालों को पानी से रिंस कर लें। ध्यान रखें कि शैंपू का इस्तेमाल अगले दिन करें। 2 महीने लगातार इस्तेमाल करने से आपको बेहतर रिजल्ट देखने को मिल सकता है।तेल में मिक्स करें आंवला पाउडरसर्दियों में हेयर पैक लगाना काफी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में बालों को काला बनाने के लिए आप तेल का भी इस्तेमाल कर सकती हैं। इसके लिए अपने बालों की लेंथ के अनुसार एक कटोरी में नारियल तेल लें। अब इसे एक बड़े बर्तन में रखकर गर्म करें। कुछ मिनट बाद इसमें आंवला पाउडर मिक्स कर दें। ध्यान रखें कि आपको 2 चम्मच नारियल तेल में एक चम्मच आंवला पाउडर मिक्स करना है। इसे तब तक गर्म करें, जब तक कि दोनों इंग्रेडिएंट्स पूरी तरह से काले ना हो जाएं। इसके बाद गैस ऑफ कर दें और ठंडा होने दें। ठंडा हो जाने के बाद इसे अपने बालों पर अप्लाई करें और कुछ देर के लिए छोड़ दें। फिर हर्बल शैंपू की मदद से हेयर वॉश कर लें।आंवला से बनाएं नेचुरल डाईबिना किसी इंग्रेडिएंट्स में मिक्स किए भी आप आंवला अपने बालों में लगा सकती हैं। यह नेचुरल डाई की तरह काम करता है। इसके लिए सबसे पहले कच्चा आंवला लें और उसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर उसके बीज निकाल लें। अब इन टुकड़ों को धूप में दो दिन तक सुखाएं। सूखने के बाद अपने बालों की लेंथ के अनुसार आंवला लें और उसे लोहे की कढ़ाई में रोस्ट करें। वहीं इसे तब तक रोस्ट करना है, जब तक यह पूरी तरह से काला ना हो जाए। काला हो जाने के बाद एक या डेढ़ कप पानी डालें और फिर उसे अच्छी तरह उबाल दें। उबालने के बाद सभी आंवला को मिक्सर में डालकर पीस लें। अब इसका पेस्ट वापस से कढ़ाई में रखें और रातभर के लिए ढंककर छोड़ दें। अगले दिन इसे अपने बालों पर अप्लाई करें और 45 मिनट बाद हेयर वॉश कर लें।एलोवेरा के साथ मिक्स कर लगाएं आंवला पाउडरबालों में आंवला पाउडर हेयर पैक के तौर पर भी लगाया जा सकता है। एलोवेरा के साथ मिक्स कर इसे लगाने से सफेद बालों की समस्या भी दूर होगी। इसके लिए एलोवेरा के ताजे पत्ते लें और पीसकर पेस्ट बना लें। अब आंवला पाउडर के साथ इसे मिक्स कर दें। ऊपर से हल्का गर्म पानी डालें, ताकि इसका पेस्ट तैयार हो जाए। अब इसे कुछ देर के लिए ठंडा होने दें। ठंडा हो जाने के बाद इसे अपने बालों में लगाएं। 45 मिनट बाद नॉर्मल पानी से अपने बालों को धो लें। अगले दिन शैंपू से हेयर वॉश करें।
- भारतीय रसोई हो या विदेशी, एक चीज तो हर हाल में मिलेगी ही मिलेगी और वो है सरसों का तेल। न सिर्फ खाने में बेहतर बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी बेमिसाल है। सरसों के तेल का इस्तेमाल हमारे देश में काफी ज्यादा होता है। खाने से लेकर स्किन और बालों तक के इस्तेमाल के लिए सरसों का तेल बेमिसाल है। भले ही इसका स्वाद कसैला हो लेकिन हेल्थ के लिहाज से काफी अच्छा है। अकसर कहा जाता है कि, तेल खाने में हानिकारक होते हैं, लेकिन सरसों का तेल नहीं। विशेषज्ञों के अनुसार हमारे शरीर को दैनिक जिन पोषण की जरूरत होती है, वो पोषण हमें सरसों के तेल से मिलते हैं। इसमें गुड फैटी एसिड, ओमेगा-3, गुड फैट, लिनोलिक एसिड जैसे तत्व होते हैं।-सरसों के तेल में बैड फैटी एसिड के बजाय गुड फैटी एसिड ज्यादा होते हैं। जिसके वजह से आपका दिल बीमार होने से बचा रहता है। अगर आप दिल के रोगी हैं, तो सरसों का तेल इस्तेमाल कर सकते हैं।-सरसों का तेल बैड कोलेस्ट्रोल को बढऩे नहीं देता। इससे ब्लड प्रेशर कंट्रोल रहता है, और सूजन भी कम होती है।-खांसी-जुकाम या किसी भी तरह की एलर्जी से परेशान हैं, तो सरसों का तेल यहां आपका अच्छा केयर टेकर बन सकता है।-सरसों का तेल एंटीबायोटिक की तरह भी काम करता है। इसमें कैंसर की रोकथाम की भी पूरी ताकत होती है। हमारी लाइफ में सरसों का सेवन किसी डॉक्टर से कम नहीं है।-सरसों का तेल कोलेस्ट्रोल को भी कम करने में मदद करता है।-बच्चों को सरसों के तेल से मालिश करने से उनकी हड्डी मजबूत होती है। मालिश से बच्चों की ग्रोथ सही होती है।-सरसों के तेल से अगर आप मसूड़ों की मसाज करते हैं, तो प्लाक से छुटकारा मिलता है।-सरसों के तेल से बालों की मसाज करेंगे तो, बाल तेजी से बढ़ेंगे।-सरसों के तेल से डैंड्रफ से छुटकारा पाया जा सकता है।-स्किन से टैन हटाने के लिए सरसों का तेल इस्तेमाल कर सकते हैं।साइड-इफेक्ट्ससरसों के तेल में खूबियां कूट-कूटकर भरी हुई हैं। क्योंकि सरसों के तेल में सभी पोषक तत्व होते हैं। लेकिन कहते हैं न जहां इतनी खूबियां, वहीं कुछ साइड-इफेक्ट्स यानि की दुष्परिणाम भी है, जिनके बारे में जानना बेहद जरूरी है। जैसे कि लम्बे समय तक सरसों का तेल लगाए रहने से स्किन पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है। सरसों के तेल का ज्यादा सेवन आपको बीमार बना सकता है।प्रेगनेंसी के समय महिलाओं को सरसों के तेल के सेवन से बचना चाहिए। इससे बच्चे पर बुरा असर पड़ सकता है। सरसों का तेल का अधिक प्रयोग छोटे-छोटे ब्लिस्टर कारण भी बन सकता है।कहते हैं, हर चीज का संतुलन बनाकर रखना चाहिए। उसका इस्तेमाल न ही जरूरत से कम करें, और ना ही जरूरत से ज्यादा। अगर आप भी हेल्थ को लेकर काफी सजग हैं, तो आज से ही सरसों के तेल का इस्तेमाल शुरू कर दीजिये।
- सर्पगंधा एक आयुर्वेदिक औषधि है, जो एक तरह के फूल के पौधे की जड़ की तरह ही दिखती है। इसकी बनावट किसी सांप की तरह होती है। इसमें कई औषधीय गुण हंै। इस पौधे की जड़ें जितनी उपयोगी हैं, उतनी ही उपयोगी इसकी पत्तियां भी हैं। माना जाता है कि प्रेगनेंसी के दौरान अगर महिला इसके पत्तों का सेवन करती है तो, इससे होने वाले बच्चे का दिमाग काफी तेज होता है। सर्पगंधा से ऐसे कई फायदे हैं, जिनके बारे में जितना बताएं, उतना ही कम होगा। आइए जानते हैं--सर्पगंधा के सेवन से दिमाग तेज होता है।-डिप्रेशन को रोकने में मिलती है।-नींद से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं।-थकान को दूर करने में मदद मिलती है।-बुखार को जड़ से उखाड़कर फेंकता है।-स्किन के लिए भी सर्पगंधा काफी फायदेमंद है।-पेट से जुड़ी हर तरह की समस्या दूर होती है।-डाईजेशन को दुरुस्त करने में मदद मिलती है।दुष्प्रभावसर्पगंधा के जितने फायदे हैं, उतने ही उसके दुष्प्रभाव भी हैं। जैसे कि--इसका ज्यादा सेवन भूख में कमी कर सकता है।-पेट में दर्द, उल्टी आना, सिर दर्द जैसी समस्याएं भी सामने आ सकती हैं।-सांस लेने में तकलीफ, छाती में दर्द की समस्याएं हो सकती हैं।-अगर स्टोन की समस्या है तो इसके सेवन से बचें।-जो महिलाएं बच्चे को स्तनपान कराती हैं, इसका सेवन बिलकुल न करें।सर्पगंधा आयुर्वेदिक गुणों का उपहार है। यहां आपको कुछ सावधानियां बरतने की भी जरूरत है। अगर आप किसी दवा का इस्तेमाल करते हैं तो उस बीच सर्पगंधा का इस्तेमाल बिलकुल भी न करें। अगर फिर भी आप इसका सेवन करना चाहते हैं, तो किसी एक्सपर्ट की सलाह जरुर लें।
- दालचीनी का सेवन पुरूषों के लिए फायदेमंद होता है। दालचीनी को आप पीसकर उसका पाउडर बनाकर दूध के साथ या गुनगुने पानी के साथ ले सकते हैं। दालचीनी को लोग सब्जी में मिलाते हैं इसके अलावा आप दालचीनी की चाय बनाकर भी पी सकते हैं। दालचीनी में एंटीऑक्सीडेंट्स की अच्छी मात्रा होती है। इसका सेवन करने से दर्द से राहत मिलती है। दालचीनी वाला दूध पीने से शरीर को मैग्निशियम, पोटैशियम, विटामिन ए, सेलेनियम जैसे पोषक तत्व मिलते हैं। दालचीनी में एंटी-बैक्टिीरियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं। इसके सेवन से पुरुषों को ये 5 लाभ मिलते हैं-1. इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या दूर करे दालचीनीदालचीनी का सेवन करने से पुरूषों में इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या या स्तंभन दोष की समस्या दूर होती है। इसके लिए रोजाना दालचीनी को दूध में डालकर उसका सेवन करें। इरेक्टाइल डिस्फिंक्शन की समस्या ज्यादा एल्कोहल के कारण हो सकती है या हार्मोन में बदलाव के कारण भी ऐसा होता है, इससे बचने के लिए दालचीनी का सेवन करना चाहिए। अगर किसी तरह का कोई स्किन इंफेक्शन है तो डॉक्टर की सलाह पर ही दालचीनी का सेवन करना चाहिए।2. ताकत बढ़ाए दालचीनीदालचीनी का सेवन करने से पुरूषों में ताकत बढ़ती है। दूध में एक चुटकी दालचीनी पाउडर मिलाकर पीने से शरीर में एनर्जी रहेगी। इसका सेवन हींग और अदरक के साथ भी किया जा सकता है। दालचीनी का दूध बनाने के लिए एक कप दूध में दो चम्मच दालचीनी पाउडर को अच्छी तरह से मिला लें और सोने से पहले रात में इसका सेवन करें।3. ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करे दालचीनीडायबिटीज के मरीजों के लिए भी दालचीनी का सेवन फायदेमंद माना जाता है। ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिए दालचीनी का पानी या दालचीनी की चाय का सेवन किया जा सकता है। इसके साथ ही जिन पुरूषों को जोड़ों में दर्द की शिकायत है , उन्हें भी दालचीनी और दूध का सेवन करना चाहिए, हड्डियों में अकडऩ और सूजन की समस्या को दूर करने में दालचीनी फायदेमंद है। दालचीनी वाले दूध में शहद भी मिलाया जा सकता है। डायबिटीज के मरीज दवा के ठीक बाद दालचीनी का सेवन न करें, दोनों के बीच अंतराल रखें।4. मेटाबॉलिज्म को बढ़ाती है दालचीनीमेटाबॉलिज्म बढ़ाने के लिए दालचीनी फायदेमंद मानी जाती है। दालचीनी की चाय का सेवन करेंगे तो वजन भी कम होगा और मेटाबॉलिज्म रेट भी बढ़ेगा। जिन पुरूषों को अनिद्रा की समस्या है उनके लिए भी दूध के साथ दालचीनी का सेवन फायदेमंद है। डाइजेशन और पेट से जुड़ी समस्याएं जैसे कब्ज की समस्या, एसिडिटी, गैस की समस्या आदि में दालचीनी का सेवन फायदेमंद माना जाता है। इसका सेवन करने से पाचन तंत्र भी मजबूत होता है।5. इनफर्टिलिटी की समस्या दूर करे दालचीनीपुरूषों में इनफर्टिलिटी की समस्या दूर करने के लिए दालचीनी का सेवन फायदेमंद माना जाता है। इनफर्टिलिटी की समस्या को दूर करने के लिए सुबह शाम गुनगुने पानी के साथ दालचीनी पाउडर का सेवन करें। इसे घरेलू नुस्खे के तौर पर कई लोगों को फायदा होता है पर इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।नोट- दालचीनी का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
- खाना बनाने के लिए कई तरह के कुकिंग ऑयल का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन अगर आप डाइट में जैतून के तेल को शामिल करते हैं तो ये आपके लिए बेहद फायदेमंद होगा. जैतून तेल में विटामिन-ई, विटामिन के, आयरन, ओमेगा-3 फैटी एसिड और एंटीऑक्सीडेंट के गुण पाए जाते हैं. इसका सेवन हार्ट हेल्थ के लिए अच्छा माना जाता है.मोटापा कम करना चाहते हैं, तो जैतून तेल से बने खाने का सेवन करें. जैतून तेल में फैट की मात्रा बहुत कम पाई जाती है. ये वेट लॉस में मददगार होगा.जैतून का तेल कोलेस्ट्रॉल लेवल को भी कंट्रोल करता है. खाना पकाने के लिए अगर आप इसका इस्तेमाल करते हैं तो ये हार्ट हेल्थ के लिए अच्छा होगा.जैतून का तेल डायबिटीज के मरीजों के लिए भी फायदेमंद है. इससे ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद मिलेगी.जैतून का तेल इम्यूनिटी को मजबूत करेगा. इससे आप मौसमी बीमारियों से बचेंगे. खाने में जैतून के तेल का नियमित इस्तेमाल रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है.ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा कम करेहड्डियों के दर्द से राहत पाने के लिए आप जैतून तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं. जैतून तेल में कैल्शियम के अलावा, ऐसे कई गुण होते हैं जो ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या में राहत दिलाने में मददगार होंगे.
- सर्दियों का मौसम साग का मौसम कहलाता है. इस मौसम में मेथी, बथुआ, चौलाई, पालक, सरसों, कुल्फा और चने का साग आदि मिलते हैं. ऐसे में आज हम बात करेंगे चने के साग की. चने का साग (Chana Saag) सिर्फ स्वाद में ही नहीं बल्कि सेहत के लिहाज से भी काफी लाभकारी होता है और सर्दियों में अगर इसका बाजरे की रोटी के साथ सेवन किया जाए तो ये आपके शरीर को गर्माहट देता है, इम्यून सिस्टम (Immune System) को मजबूत करता है और शरीर को फ्लू, सर्दी-जुकाम, खांसी जैसी तमाम समस्याओं से बचाता है. यहां जानिए चने के साग को बनाने का तरीका.चने के साग की सामग्री250 ग्राम चने का साग, 10 से 15 लहसुन की कलियां, एक इंच अदरक का टुकड़ा, 4 से 5 हरी मिर्च, दो टमाटर, देसी घी दो चम्मच, एक चमचा सरसों का तेल, स्वादानुसार नमक, दो चम्मच बेसन, आधा चम्मच सूखा धनिया, आधा चम्मच मिर्च पाउडर और हींग आवश्यकतानुसार.बनाने का तरीका– सबसे पहले चने के साग को अच्छी तरह से धोकर बारीक बारीक काट लें. अब एक कड़ाही एक गिलास पानी डालकर गर्म करें और उबाल आने पर ये साग डाल दें और थोड़ा नमक डाल कर ढक दें. इसके बाद धीमी आंच पर पकने दें.– इस बीच आप लहसुन को छीलकर कूट लें, दो हरी मिर्च को बारीक काट लें और तीन को लंबे आकार में दो टुकड़ों में काटें. टमाटर को बारीक काट लें और अदरक को घिस लें.– बीच बीच में चने का साग चलाते रहें और इसे मैशर से मैश करते रहें. इस बीच आप बेसन को हल्का ब्राउन होने तक भून लें. ध्यान से भूनें, बेसन जलने न पाए. जब साग पक जाए तो इसमें बेसन डाल दें और मैशर से अच्छी तरह से मिक्स करें. अगर पानी कम लगे तो इसमें पानी को गर्म करने के बाद मिला सकती हैं.– इसके बाद एक अलग बर्तन में सरसों का तेल डालें और इसमें कुटा लहसुन डालें, थोड़ा सा लहसुन बचा लें. घिसी अदरक डालें. कटी हुई हरी मिर्च डाल दें और हींग डालें. इन्हें हल्का सा भूनने के बाद टमाटर डाल दें और नमक डाल दें. टमाटर को पकने दें.– इसके बाद इसमें धनिया पाउडर और मिर्च पाउडर डालें. अब इसमें चने का साग डालें और सारी चीजों को अच्छी तरह से मिक्स करें. थोड़ी देर पकाएं. इसके बाद एक बर्तन में दो चम्मच घी को गर्म करें. इसमें बचा हुआ लहसुन, थोड़ी हींग डालें और लंबी कटी हुई हरी मिर्च डालें. और साग पर इस तड़के को डालकर साग को ढक दें. 5 मिनट बाद इसे बाजरे की गर्मागर्म रोटी के साथ सर्व करें और इसमें घी डालें और इसके साथ गुड़ भी खाएं.सुझावचने के साग में अगर खट्टापन पहले से है तो आप टमाटर को स्किप कर सकती हैं. इसमें मिर्च अच्छी लगती है. लेकिन आप इसकी मात्रा को अपने स्वाद के अनुसार बढ़ा या घटा सकती हैं. अदरक को बहुत ज्यादा मात्रा में न डालें, वर्ना स्वाद बिगड़ सकता है.
- लौंग (Clove) एक ऐसा मसाला है जो हर घर की रसोई में आपको आसानी से मिल जाएगा. इसका इस्तेमाल तमाम सब्जियों, पुलाव आदि को बनाने के लिए किया जाता है. लौंग में तमाम औषधीय तत्व पाए जाते हैं. ये एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-वायरल, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल गुणों से भरपूर होती है. अगर आप सर्दी के मौसम में नियमित रूप से लौंग की चाय (Clove Tea) पीने की आदत डाल लें तो जुकाम-खांसी समेत तमाम समस्याओं से आसानी से खुद को बचा सकते हैं. लेकिन लौंग की चाय को बनाने के लिए आपको दूध का इस्तेमाल नहीं करना है. यहां जानिए लौंग की चाय के फायदे (Benefits of Clove Tea) और इसे बनाने का तरीका.लौंग की चाय के फायदे– लौंग की तासीर गर्म होती है. इस कारण ये सर्दी में शरीर को गर्म रखने का काम करती है और गले में खराश, जलन, खांसी, जुकाम आदि की समस्याओं में राहत देती है.– लौंग में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत करते हैं. अगर आप वजन कम करना चाहते हैं तो लौंग की चाय आपके लिए काफी उपयोगी साबित हो सकती है.– लौंग आपके पाचन तंत्र को दुरुस्त करती है और आपके शरीर के मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाती है. इससे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और आप फुर्तीले बने रहते हैं.– अगर आपके दांतों में दर्द है, मसूड़ों में सूजन है तो आपको लौंग की चाय पीनी चाहिए. ये इन समस्याओं में राहत देती है. साथ ही मुंह के बैक्टीरिया को मारती है.– लौंग की चाय आपके शरीर को डिटॉक्सीफाई करती है. स्किन से जुड़ी तमाम समस्याओं को ठीक करती है और फंगल संक्रमण से बचाव करती है.लौंग की चाय बनाने का तरीकालौंग की चाय बनाने के लिए डेढ़ कप पानी में दो लौंग अच्छी तरह कूटकर डालें. इसे उबलकर एक कप रहने दें. इसके बाद गैस बंद कर दें और चाय को एक मिनट के लिए प्लेट से ढक दें. इसके बाद चाय को छानें और इसमें एक चम्मच शहद मिक्स करें. इसके बाद चाय को पीएं. इस चाय को पीने का सबसे अच्छा समय सुबह है. लेकिन इसे बहुत ज्यादा न पीएं क्योंकि लौंग गर्म तासीर की होने के कारण नुकसान भी पहुंचा सकती है. बेहतर होगा कि इसे शुरू करने से पहले आप किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से परामर्श कर लें. वो आपकी सेहत के हिसाब से आपको लौंग की चाय पीने के बारे में सारी बातें स्पष्ट कर देंगे.
- शरीर को स्वस्थ और फिट बनाए रखने के लिए आहार का संतुलित होना सबसे आवश्यक माना जाता है। संतुलित आहार का मतलब, तरह-तरह की सब्जियां, फल, साबुत अनाज औऱ अन्य पौष्टिक चीजों का अधिक से अधिक मात्रा में सेवन। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक रोजाना फल का सेवन करना सभी लोगों के लिए बहुत आवश्यक होता है। फल खाने से आहार में विविधता आती है, साथ ही इसमें मौजूद पोषक तत्व शरीर के लिए विटामिन्स, प्रोटीन और अन्य आवश्यक तत्वों की पूर्ति कर सकते हैं। आहार विशेषज्ञ कहते हैं, बेहतर स्वास्थ्य के लिए दिन में तीन बार अलग-अलग तरह की सब्जियां खानी चाहिए, वैसे ही फलों को भी अपने आहार में शामिल बहुत जरूरी है।दैनिक आहार में दो तरह के फलों का रोजाना सेवन करना बहुत बेहतर माना जाता है। ज्यादातर फलों के सेवन से शरीर को हाइड्रेटेड रखने, वजन को कम करने और पोषक तत्वों की आसानी से पूर्ति की जा सकती है। हालांकि यहां ध्यान रखना आवश्यक है कि फलों का सेवन सही समय और सही मात्रा में किया जाए। आयुर्वेद के अनुसार भोजन के साथ फलों का सेवन नहीं करना चाहिए, क्यों? आइए आगे की स्लाइडों में जानते हैं।भोजन के साथ नहीं खाना चाहिए फलआपने भी अक्सर सुना होगा कि भोजन के साथ फलों का सेवन नहीं करना चाहिए, पर क्या आपने सोचा ऐस क्यों? आयुर्वेद के अनुसार किसी भी अन्य भोजन की तुलना में फलों को ब्रेक डाउन तेजी से होता है। ऐसे में इसे किसी भी अन्य खाद्य पदार्थ के साथ खाने से शरीर में विषाक्त पदार्थों का निर्माण हो सकता है, जिसे सामान्य भाषा में आम के नाम से जाना जाता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि कई अलग-अलग तरह के खाद्य पदार्थों का एक साथ सेवन करने से पाचन प्रक्रिया धीमी हो सकती है।इस तरह की समस्याओं का हो सकता है खतरास्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक अन्य चीजों या भोजन के साथ फलों के सेवन की स्थिति में सबसे पहले भारी भोजन का पाचन होता है, जिसके कारण फलों को लंबे समय तक बिना पचे ही पेट में रहना पड़ सकता है। यह स्थिति अपच के साथ शरीर के लिए पोषक तत्वों को अवशोषित करने में भी समस्या खड़ी कर सकती है। इसके अलावा, दूध और दही जैसे डेयरी उत्पादों के साथ फल खाने से त्वचा से संबंधित समस्याएं जैसे मुंहासे, सोरायसिस और एक्जिमा का खतरा बढ़ जाता है।फलों को खान का सही समय क्या है?आयुर्वेद के अनुसार सुबह खाली पेट फल खाना सबसे फायदेमंद माना जाता है। इस समय आपका पेट फलों से अधिकतम पोषक तत्वों को अवशोषित कर सकता है। इसके अलावा, साधारण कार्ब्स का सेवन सुबह और कसरत से पहले और बाद शाम के समय नहीं खाने चाहिए फलस्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक शाम के समय फलों का सेवन नहीं करना चाहिए। शाम को फल खाने से नींद और पाचन प्रक्रिया में गड़बड़ी हो सकती है। आयुर्वेद के अनुसार शाम 4 बजे से पहले या सूर्यास्त से पहले फल खाया जा सकता है। फलों में सिंपल कार्ब्स होते हैं जिसका अर्थ है कि उनका आसानी से ब्रेक डाउन होता है। इससे यह आपको तुरंत ऊर्जा प्रदान करने के साथ रक्त शर्करा के स्तर को तुरंत बढ़ा सकते हैं। सोने के समय रक्त शर्करा में बढ़ोतरी आपकी नींद को बाधित कर सकती है। इसके अलावा सूर्यास्त के बाद, हमारा मेटाबॉलिजम धीमा हो जाता है और पाचन तंत्र के लिए कार्ब्स को पचाना मुश्किल हो जाता है। यही कारण है कि शाम को कार्ब्स का सेवन सीमित मात्रा में करना बेहतर है।
- शरीर को स्वस्थ और फिट बनाए रखने के लिए पौष्टिक आहार का सेवन करना सबसे आवश्यक माना जाता है। पौष्टिक आहार का मतलब, ऐसी चीजों का सेवन जिससे शरीर के लिए आवश्यक मैक्रोन्यूट्रिएंट्स की आसानी से पूर्ति की जा सके। जब हम स्वस्थ शरीर की बात करते हैं, तो इसके लिए कुछ पोषक तत्वों की सबसे अधिक आवश्यकता होती है- आयरन उनमें से एक है। आयरन वह मूल घटक है जो शरीर को हीमोग्लोबिन बनाने में मदद करता है। हीमोग्लोबिन, लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाने वाला एक प्रोटीन है जो फेफड़ों से ऑक्सीजन को पूरे शरीर के ऊतकों और अंगों तक पहुंचाता है। यदि शरीर में आयरन की कमी हो जाए तो ऊतकों तक ऑक्सीजन पहुंचने में दिक्कत हो सकती है, जो सेहत के लिए गंभीर समस्याओं का कारण बनती है।शरीर में आयरन की कमी का पता लगाने के लिए आमतौर पर खून की जांच कराने की सलाह दी जाती है, पर क्या आप जानते हैं कि शरीर में दिखने वाले कुछ संकेतों के आधार पर भी आसानी से इसका पता लगाया जा सकता है?आइए हाथों और पैरों में आयरन की कमी के कारण दिखने वाले संकेतों के बारे में जानते हैं जिनके आधार पर समस्या का आसानी से निदान किया जा सकता है?आयरन की कमी के सामान्य लक्षण क्या हैं?स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक शरीर में आयरन की कमी के कारण लोगों को एनीमिया की समस्या हो सकती है। अक्सर प्रारंभिक अवस्था में लोगों का इस तरफ ध्यान नहीं जाता है जिसके कारण बाद में गंभीर समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। आयरन की कमी के एनीमिया से संबंधित इन लक्षणों पर सभी को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।हाथों-पैरों का ठंडा हो जानास्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक आयरन की कमी के सामान्य लक्षणों के अलावा कुछ लोगों को हाथों और पैरों में भी इसके संकेत महसूस हो सकते हैं। जिन लोगों के शरीर में आयरन की कमी होती है उनके हाथ और पैर अक्सर ठंडे बने रहते हैं। यदि आपको भी लगातार इस तरह की समस्या का अनुभव होता है तो इस बारे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करके समस्या का निदान कराना आवश्यक हो जाता है।क्यों होता है शरीर में आयरन की कमी?स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसे कई कारण है जिनके चलत शरीर में इस बेहद आवश्यक मैक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी हो सकती है। रक्त में मौजूद लाल रक्त कोशिकाओं के भीतर आयरन होता है, कई स्थितियों में शरीर से खून ज्यादा निकल जाने के कारण आयरन की कमी हो सकती है। माहवारी के कारण महिलाओं को आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया का खतरा अधिक होता है। इसके अलावा भोजन में पौष्टिकता और आयरन वाली चीजों की कमी के कारण भी इस समस्या आयरन की पूर्ति कैसे करें?अध्ययनों से पता चलता है कि यदि हम अपने आहार को सही कर लें तो शरीर में आयरन की कमी को आसानी से पूरा किया जा सकता है। इसके लिए उन चीजों का अधिक से अधिक सेवन किया जाना चाहिए जिसमें आयरन की मात्रा अधिक होती है। रेड मीट और पोल्ट्री, समुद्री भोजन, बीन्स, गहरी हरी पत्तेदार सब्जियां, जैसे पालक, सूखे मेवे, जैसे किशमिश और खुबानी आदि को आयरन का अच्छा स्रोत माना जाता है। आहार में इन चीजों को जरूर शामिल किया जाना चाहिए।
- मौसम में बदलाव के साथ लोगों को सर्दी-जुकाम की समस्याएं हो ही जाती हैं। ऐसे में अगर किसी को बगलम वाली खांसी हो जाए तो उसे कुछ चीजों से परहेज करना चाहिए। जैसे कि मलाईदार दूध और तली-भूनी चीजें। दरअसल, ये दोनों ही चीजें बलगम को और बढ़ा सकती हैं जो कि सीने को जकड़ लेती है और खांसी और कंजेशन को बढ़ा देती है। ऐसे में हम आपके लिए कुछ ऐसे ड्रिंक्स लाएं हैं जिसे आप बलगम वाली खांसी के दौरान ले सकते हैं। इन ड्रिंक्स की खास बात ये हैं कि इनमें एंटी बैक्टीरियल, एंटी वायरल और कुछ एंटीऑक्सीडेंट गुण हैं। साथ ही इनमें कुछ ऐसे गुण भी हैं जो कि सीने में कफ को पिघला देते हैं और उन्हें बाहर निकालने में मदद करते हैं। साथ ही खांसी करने के बाद ये खराब गले को भी आराम पहुंचाने में मदद करते हैं। तो, आइए जानते हैं ऐसे ही 5 ड्रिंक्स के बारे में जिन्हें आप खांसी होने पर ले सकते हैं।1. तुलसी-गिलोय ड्रिंकखांसी में आप तुलसी और गिलोय से बना ये खास ड्रिंक ले सकते हैं। जैसा कि तुलसी खांसी को ठीक करने के लिए हमेशा से जाना जाता रहा है। इसका एंटीबैक्टीरियल और एंटी वायरल गुण मौसमी इंफेक्शन के असर को कम करता है और खांसी से राहत दिलाता है। साथ ही गिलोय एंटीबायोटिक गुणों से भरपूर है जो कि शरीर में ताप बढ़ा कर कफ को पिघलाने में मदद करता है। इसके अलावा ये दोनों मौसमी फ्लू और बुखार को कम करने में भी मदद करते हैं। इस ड्रिंक को बनाने के लिए तुलसी की पत्तियों और गिलोय के जड़ों को एक साथ पीस कर रख लें, फिर एक पैन में ये पेस्ट डालें। दालचीनी को कूट कर इसका पाउडर डालें। -शहद और हल्का सा नमक मिलाएं। आधा गिलास पानी मिलाएं। उबलने के बाद इसे एक गिलास में डाल लें। अब दिन में दो बार पिएं।2. लौंग-गुड़ शरबतलौंग बलगम वाली खांसी काफी मददगार है। लौंग में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल, एंटीऑक्सीडेंट और एंटीसेप्टिक जैसे कई गुण पाए जाते हैं। ये जहां गले की खराश भी खत्म करता है वहीं कफ को बाहर निकालने में भी मदद करता है। इसके अलावा गुड़ की तासीर गर्म होने के कारण यह सर्दी, जुकाम और खांसी में खासतौर पर फायदेमंद है। गुड़ शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है और इसका एंटी एलर्जिक तत्व सांस की बीमारियों से बचाव में मदद करता है। इसके लिए एक ग्लास पानी को उबलने डाल दें। अब इसमें लौंग और अदरक कूट कर डालें। गुड़ डालें और पूरा उबलने दें। अब जब पूरी तरह से शरबत तैयार हो जाए तो, इसका सेवन करें।3. अनानास का जूसब्रोमेलैन एक एंजाइम है जो अनानास से आता है। ब्रोमेलैन में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं और इसमें म्यूकोलाईटिक गुण भी हो सकते हैं, जिसका अर्थ है कि यह बलगम को तोड़ सकता है और इसे शरीर से निकाल सकता है। कुछ लोग गले में बलगम को कम करने और खांसी को दबाने के लिए रोजाना अनानास का जूस पीते हैं। पर ध्यान रखें कि जो लोग ब्लड थिनर या विशिष्ट एंटीबायोटिक्स लेते हैं उन्हें ब्रोमेलैन नहीं लेना चाहिए। लेकिन स्वस्थ व्यक्ति जिसे बलगम वाली खांसी है वो इसे ले सकता है।4. नींबू और शहद से बनी ड्रिंकनींबू और शहद दोनों ही एंटीबैक्टीरियल है और बलगम वाली खांसी को कम करने में मदद कर सकती है। दरअसल, नींबू में विटामिन-सी होता है और शहद के साथ इसे लेने से ये गले में जमे हुए कफ से भी छुटकारा दिलाने में मदद करता है। क्योंकि नींबू में सिट्रिक एसिड होता है जो कि कफ तोड़ता है और शहद गले को आराम दिलाता है। इस ड्रिंक के लिए एक गिलास पानी गर्म करें। इसमें हल्का सा नींबू का रस, अदरक और दालचीनी मिला लें। अब उबालने के बाद इसे छान लें। शहद मिला कर इसका सेवन करें।5. कहवाकहवा में मौजूद मसाले आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और मौसमी संक्रमणों को दूर रखते हैं। ये कफ को कम करता है और इसके ताप से कफ पिघलता है और बाहर निकलने लगता है। इसके लिए हरी चाय की पत्तियों के साथ, दालचीनी और केसर मिलाएं। फिर इसमें कटे हुए बादाम डालें और इसका सेवन करें।इस तरह ये 5 ड्रिंक आपको कफ और फ्लू से बनाव में मदद करते हैं। इसके अलावा ये इम्यूनिटी बूस्टर भी हैं जो कि शरीर की मौसमी बीमारियों से बचाव में मदद करते हैं।
- हड्डियों के बेहतर फंक्शन के लिए हेल्दी डाइट जरूरी हैैं। कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर डाइट हड्डियों को मजबूत रखती है। वहीं कुछ ऐसी चीजें हैं जो आपकी हड्डियों को कमजोर कर सकती हैं। रोज खाई जाने वाली ये चीजें शरीर को कैल्शियम अवशोषित करने से रोक सकती हैं. इससे हड्डियां कमजोर होने लगती हैं।अधिक सोडियम वाली चीजेंनमक के अधिक मात्रा में सेवन से शरीर में कैल्शियम कम होता है। इससे ओस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। एशिया पैसिफिक जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन में प्रकाशित एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया कि जिन लोगों को नमकीन खाद्य पदार्थ ज्यादा खाने की आदत थी, उनमें ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा अधिक था।मीठी चीजेंज्यादा मात्रा में मीठे का सेवन भी बोन हेल्थ के लिए नुकसानदेह होगा। जब लोग बहुत अधिक चीनी का सेवन करते हैं और उन्हें आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर भोजन नहीं मिलता है, इससे हड्डियां कमजोर होती हैं।कैफीनकैफीन का सेवन भी महिलाओं में हड्डियों के घनत्व को कम कर सकता है। कैफीन हड्डियों से कैल्शियम का रिसाव करता है, जिससे ये कमजोर होने लगती हैं।सोडाअगर आप अधिक सोडा पीते हैं, तो ये आपकी हड्डियों के लिए हानिकारक हो सकता है। ये महिलाओं में हिप फ्रैक्चर के जोखिम को भी बढ़ा देता है। द अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक, सोडा वाली चीजें पीने से हड्डियां कमजोर होती हैं।चिकनबहुत ज्यादा चिकन खाने से भी हड्डियों को नुकसान हो सकता है। एनिमल प्रोटीन से रक्त थोड़ा अम्लीय हो जाता है। ऐसे में शरीर रक्त में श्चद्ध के इस परिवर्तन पर तुरंत प्रतिक्रिया करता है और हड्डियों से कैल्शियम निकालकर इसे निष्क्रिय कर देता है। प्रकृति में क्षारीय होने के कारण, कैल्शियम इसे निष्क्रिय करने में मदद करता है, लेकिन शरीर में कैल्शियम की मात्रा कम होने लगती है।शराब का सेवनसाल 2015 में बीएमजे ओपन में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक, शराब के सेवन से बोन डेनसिटी स्कोर कम हो सकता है। इसलिए हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए शराब का सेवन न करें। नेशनल ऑस्टियोपोरोसिस फाउंडेशन के अनुसार, अगर आप पूरी तरह इसे छोड़ नहीं सकते तो मात्रा को कम करें।रेड मीटअगर आप ऑस्टियोपीनिया या ऑस्टियोपोरोसिस से पीडि़त हैं, तो रेड मीट का अधिक मात्रा में सेवन न करें। एक स्टडी के मुताबिक, रेड और प्रोसेस्ड मीट के साथ कोल्ड ड्रिंक्स और मिठाइयों का सेवन हड्डियों को नुकसान पहुंचा सकता है।
- काले चने में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन और विटामिन्स प्रचुर मात्रा में मौजूद होते हैं। इसके अलावा काले चने एंटीऑक्सीडेंट्स से भी भरपूर होते हैं। काला चना शरीर में मौजूद एक्स्ट्रा ग्लूकोज की मात्रा को कम करके शुगर को कंटेरोल रखने में भी मदद करता है। आइए जानते हैं काले चने का पानी पीने से सेहत को मिलते हैं कौन-कौन से लाभ और क्या है काले चने का पानी पीने का सही तरीका।जानें कब और कैसे करें इसका सेवन-डायबिटीज रोगी रोजाना दो मुट्ठी चने अच्छी तरह धोकर भिगो दें। सुबह इस चने के पानी को खाली पेट पिएं। रोजाना इसे पीने से आपको ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में आने लगेगा।इम्यूनिटी बढ़ाए-रोगों को दूर रखने के लिए इम्यूनिटी का अच्छा होना बेहद जरूरी है। इसके लिए चने का पानी आपकी मदद कर सकता है। काले चने विटामिन्स से भरपूर होने के साथ क्लोरोफिल और फास्फोरस से भी भरपूर होते हैं। भी प्रचुर मात्रा में मौजूद होती है। यदि डायबिटीज के रोगी के अलावा अन्य लोग भी इसका प्रतिदिन सेवन करें, तो वह हमेशा स्वस्थ बने रह सकते है।पेट की चर्बी करें कम-नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन के अनुसार रात को भीगे हुए चने को उबालकर सुबह उसका पानी छानकर उसमें काला नमक, पुदीना, जीरा पाउडर मिला कर पीने से बैली फैट बर्न करने में मदद मिलती है।पेट की समस्या में राहत-पेट की समस्याएं ज्यादातर रोगों का घर बनती हैं। ऐसे में पेट दर्द और कब्ज जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए भीगे हुए चने का सेवन बेहद फायदेमंद होता है। इसके लिए आप भीगे हुए चने के पानी में जीरा और काला नमक मिलाकर पीएं।
- अधिकांश लोगों का बैंगन की सब्जी का स्वाद पसंद नहीं आता है वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनका मानना है कि बैंगन से सेहत को कोई फायदा नहीं होता है। जबकि ऐसा नहीं है, बैंगन हमारी सेहत के लिए बहुत ही गुणकारी है। यह पेट के रोगों से लेकर बवासीर जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में फायदा पहुंचाता है। आइए आगे बैंगन के फायदों के बारे में विस्तार से जानते हैं :कान के दर्द से राहतअगर आप कान दर्द से परेशान हैं तो बैंगन का उपयोग करके आप इस समस्या से राहत पा सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार बैंगन के जड़ के रस की 1-2 बूँद मात्रा कान में डालने से कान का दर्द और सूजन कम होता है।दांत दर्द से आराम दिलाने में सहायक है बैंगनदांत में दर्द होना एक आम समस्या है, ठीक से दांतों की साफ-सफाई का ध्यान ना रखना इसका मुख्य कारण है। अगर आप भी दांतों के दर्द से परेशान हैं तो बैंगन की जड़ का इस्तेमाल करें.ॉ। बैंगन की जड़ का पाउडर बना लें और इसे दांतों पर रगड़ें. इससे दांतों का दर्द दूर होता है।पेट के रोगों में उपयोगीपेट फूलना, अपच और भूख ना लगने जैसी समस्याओं से राहत पाने के लिए भी बैंगन का उपयोग किया जा सकता है। इन समस्याओं से राहत पाने के लिए कच्चे बैंगन की सब्जी बनाकर खाएं।उल्टी रोकने में मदद करता है बैंगनउल्टी हो रही है या जी मिचला रहा है तो इसे रोकने के लिए बैंगन का उपयोग करें। विशेषज्ञों के अनुसार, 5 मिली बैंगन की पत्तियों के रस में 5 मिली अदरक का रस मिलाकर पीने से उल्टी रुक जाती है।बवासीर के रोगियों के लिए उपयोगीबवासीर होने पर बैंगन के पत्तों को महीन पीसकर उसमें जीरा और शक्कर मिलाकर सेवन करें। इसके सेवन से बवासीर में रक्तस्राव और दर्द दोनों से आराम मिलता है।पेशाब के समय होने वाले दर्द से राहतकई लोग पेशाब करते समय जलन एवं दर्द की समस्या से परेशान रहते हैं। इसके लिए बैंगन के जड़ के रस की 5 मिली मात्रा का सेवन करें। इस समस्या से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए नजदीकी आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क करें।जोड़ों के दर्द से राहतजाड़ों का मौसम आते ही कई लोग जोड़ों के दर्द से परेशान हो जाते हैं, खासतौर पर बुजुर्गों में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। इसके लिए बैंगन को भूनकर उसे पीस लें और दर्द वाली जगह पर कपड़े में लपेटकर बांधें। इससे दर्द जल्दी दूर होता है।घाव को जल्दी भरने में सहायकविशेषज्ञों के अनुसार बैंगन की जड़ के चूर्ण को पानी में उबालकर और फिर ठंडा करके घाव को धोने से घाव जल्दी ठीक होता है।खुजली दूर करेखुजली की समस्या दूर करने के लिए बैंगन के पत्तों और फलों को कुचलकर उसमें शक्कर मिलाकर खुजली वाली जगह पर लगाएं। इस लेप को लगाने से खुजली जल्दी मिटती है।बैंगन का इस्तेमाल कैसे करें?अगर आप बैंगन का इस्तेमाल सब्जी या भोजन के रूप में कर रहे हैं तो बाकी सब्जियों की तरह की इसका सेवन करें, लेकिन अगर आप किसी बीमारी के घरेलू उपाय के रूप में इसका उपयोग करना चाहते हैं तो खुराक की सही जानकारी के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क करें।
- भारतीय रसोई में धनिया का इस्तेमाल आमतौर से किया जाता है। धनिया के स्वाद और खुशबू को कई तरीके से प्रयोग में लाते हैं। चाहें तो धनिया के पत्तों की चटनी बनानी हो या फिर किसी सब्जी को धनिया पत्तियों से गार्निश करना हो। सब्जी मसाले के तौर पर भी धनिया का इस्तेमाल किया जाता है। धनिया स्वाद और सुगंध के साथ ही औषधीय गुणों से भरपूर होती है। इसके सेवन से कई बीमारियों से बचाव हो सकता है। सेहतमंद रहने के लिए रोजाना हरा धनिया या धनिया के बीजों का सेवन करना लाभदायक होता है। थायराइड और वजन कम करने जैसी समस्याओं में धनिया रामबाण का काम करता है। धनिया के सेवन का एक बेहतर तरीका रोजाना सुबह धनिया के पानी को खाली पेट पीना हो सकता है। चलिए जानते हैं कि खाली पेट धनिया पानी पीने के क्या फायदे हैं, और सेवन का सही तरीका क्या है?पाचन में सुधारधनिया का पानी पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने का काम करता है। रोजाना धनिया पानी का सेवन शरीर के पाचन अग्नि को नियंत्रित करता है, जिससे पेट में एसिडिटी का स्तर बढ़ने से रोकता है। पेट दर्द, जलन और गैस जैसी समस्याओं से निजात मिलता है।वजन घटता हैअगर आप वजन कम करना चाहते हैं तो धनिया के पानी को डाइट में शामिल करें। धनिया पानी में ऐसे तत्व होते हैं जो मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया को तेज करते हैं। इससे शरीर में जमा फैट कम होने लगता है और तेजी से वजन कम होने लगता है।थायराइड की समस्या में फायदेमंदथायराइड के मरीजों को भी धनिया के पानी को प्रतिदिन सुबह खाली पेट पीना चाहिए। थायराइड की कमी हो या अधिकता दोनों में यह फायदेमंद है। धनिया में पाए जाने खनिज और विटामिन थायराइड हार्मोन को विनियमित करने में मदद करते हैं।इम्युनिटी बढ़ती हैधनिया पानी के सेवन से इम्यूनिटी लेवल बढ़ता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट शरीर में फ्री रेडिकल्स को कम करता है, जो कई बीमारियों से लड़ने में मदद करता है।बालों की मजबूतीधनिया में विटामिन के, सी और ए से भरपूर होता है। धनिया पानी का सेवन बालों को मजबूत बनाने और तेजी से ग्रोथ में मदद करता है। रोजाना धनिया के पानी के सेवन से बालों का झड़ना और टूटना कम हो सकता है। इसके अलावा आप धनिया के तेल और हेयरमास्क के तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं।
- कोविड-19 महामारी के इस दौर में इस बात को लेकर सबको चिंता रहती है कि खाने में कौन सी चीजों का इस्तेमाल करें कि शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी हो. दूसरी तरफ किन चीनों का सेवन करें कि प्रतिरोधक क्षमता में किसी भी तरह का प्रभाव न पड़े। ऐसे में आज उन वस्तुओं के बारें में बताने जा रहे हैं, जिनको खाने से दूर रखकर प्रतिरोधक क्षमता को बरकरार रख सकते हैं।बाहर का खाना खाने से बचेंजहां तक संभव हो, घर पर बना खाना ही खाना चाहिए। बाहर के खाने से परहेज करना चाहिए। बाहर का खाना देखने में भले ही अच्छा हो सकता है, लेकिन यह स्वास्थ्य के हिसाब से ठीक नहीं रहता। इसको खाने से शरीर की प्रतिरोधनक क्षमता बढऩे की बजाय कम हो सकती है।फास्ट फूड से दूरी बनाएंबाजार जाते हैं, तो अक्सर चाट, गोल-गप्पे, बर्गर, चाउमीन आदि देखकर मुंह में पानी आ जाता है, लेकिन क्या आपको पता है कि फास्ट फूड सेहत के नजरिए से बिल्कुल भी अच्छे नहीं होते हैं। ये न केवल शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कम कर सकते है, बल्कि आपको बीमार भी बना सकते हैं।पैक्ड फूड से करें तौबाडिब्बाबंद और प्रोसेस्ड फूड शरीर के लिए अच्छे नहीं माने जाते हैं। ऐसे में चिप्स, केक और कुकीज़, डेयरी के मीठे प्रोडक्ट आदि का सेवन करने से बचें।बिना कार्बोहाइड्रेट वाला खानाजिन भी वस्तुओं में अधिक मात्रा में कार्बोहाइड्रेड हो, उनसे दूरी बनाने में ही भलाई हैै। सफेद आटा, सफेद चावल और कुकीज़, केक, ब्रेड आदि कार्बोहाइड्रेट की मात्रा होती हैै। ऐसे में इन वस्तुओं का सीमित मात्रा में ही सेवन करें ।नमक व चीनी का करें कम इस्तेमालशुगर का अधिक मात्रा में सेवन शरीर के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं हैै। इससे शरीर की प्रतिरोधम क्षमता में कमी आती हैै। इसकी बजाय जिन वस्तुओं में नैचुरल शुगर होता है, जैसे कि फल, उनका सेवन करें। वहीं, नमक का अधिक इस्तेमाल से जहां बीमारियों को दावत देती है, यह प्रतिरोधक क्षमता पर भी गलत असर डालता हैै। खाने में नमक को अधिक मात्रा में लेने से ब्लड-प्रेशर की समस्या भी हो सकती है।
- जिन्को बाइलोबा या गिंको बाइलोबा एक औषधीय बूटी है। इसके अर्क का उपयोग हर्बल दवा के रूप में किया जाता है। इस औषधीय बूटी में कई एंटी इंफ्लामेटरी और एंटीऑक्सीडेंट्स गुणों से भरपूर है। यह आयुर्वेदिक बूटी आपको शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मददगार है। यह औषधीय जड़ी बूटी ऑनलाइन आपको आसानी से मिल सकती है। आइए यहां हम आपको जिन्को बाइलोबा के कुछ फायदे बताते हैं।मानसिक स्वास्थ्य के लिएजिन्को बाइलोबा एक ऐसी बूटी है, जो आपकी सभी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने में मदद करती है। अल्जाइमर या डिमेंशिया से लेकर डिप्रेशन और एंग्जायटी के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है। जिन्को बाइबोला के अर्क में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो चिंता, तनाव और डिप्रेशन को कम करने में मददगार हैं। यह हर्बल दवा में न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों के इलाज और संज्ञानात्मक कार्यों मे सुधार करने में सहायक है। मिर्गी जैसी गंभीर स्थिति के इलाज में भी जिन्को बाइलोबा संभावित रूप से मददगार हो सकता है।आंखों के लिएजिन्को बाइलोबा आपकी आंखों की सेहत के लिए भी फायदेमंद है। यह आपकी नजर को तेज और ग्लूकोमा के संभावित उपचार के रूप में काम कर सकता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि जिन्को बाइलोबा अर्क में आंखों की रोशनी में सुधार के लिए लाभकारी प्रभाव पाए गए हैं। इसके अलावा, एक अध्ययन में पाया गया है कि जिन्को बाइलोबा इंफ्लेमेशन को कम करने में भी मदद करता है और यह गठिया के दर्द को कम करने व राहत पाने में भी मदद करता है।हृदय के लिएजिन्को बाइलोबा अर्क आपके हृदय स्वास्थ्य में बढ़ावा देने में भी मददगार है। जिन्को बाइलोबा अर्क का उपयोग रक्त परिसंचरण में मददगार है और रक्त वाहिकाओं के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि जिन्को बाइलोबा कोरनरी आर्टरी डिजीज से बचाने में मदद करता है। इतना हही नहीं, यह न्यूरोलॉजिकल, कार्डियो-सेरेब्रोवास्कुलर विकारों और डायबिटिक मायोकार्डियल इंजरी (दिल की झिल्ली से संबंधित समस्या) के इलाज में मददगार है।सिरदर्द और माइग्रेन के लिएजिन्को बाइलोबा एक चीनी हर्बल दवा है, जो इंफ्लेमेशन से लडऩे में भी मदद करता है और रक्त प्रवाह को बढ़ाने में भी मददगार है। इसके अलावा, जिन्को बाइबोला आपको वजन घटाने में भी मदद करता है। यह इंसुलिन प्रतिरोध में सुधार कर सकता है और ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करता है। यह महिलाओं को रजोनिवृत्ति से संबंधित मोटापे को भी कम करने में सहायक है।त्वचा और बालों के लिएजिन्को बाइलोबा में एंटी-एजिंग गुण होते हैं। जिन्को बाइलोबा के अर्क में क्वेरसेटिन और केम्पफेरोल होते हैं, जो फ्लेवोनोइड्स जो एंटीऑक्सिडेंट के रूप में कार्य करते हैं और आपको फ्री रेडिकल्स से लडऩे में मदद करते हैं। यह आपकी त्वचा की उम्र बढऩे के संकेतों को धीमा करने में मदद करता है। जिससे कि आप जवां और खूबसूरत दिख सकते हैं। इसके अलावा, यह आपके बालों को झडऩे से रोकने और बालों के विकास को बढ़ावा देने में मदद करता है।
- शरीर को अन्य पोषक तत्वों की तरह विटामिन डी की भी आवश्यकता होती है। विटामिन डी को सनशाइन विटामिन के नाम से भी जाना जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ शरीर में विटामिन डी की पूर्ति के लिए सूरज की रोशनी लेने की सलाह देते हैं। यह विटामिन डी की पूर्ति का अच्छा तरीका है। हालांकि इसके अलावा भरपूर पौष्टिक चीजों के सेवन से भी विटामिन डी की कमी पूरी की जा सकती है। विटामिन डी से सेहत को होने वाले फायदे की बात करें तो यह शरीर की इम्यूनिटी को मजबूत करने का काम करता है। इसके साथ ही मांसपेशियों की कोशिकाओं को सेहतमंद रखता है। विटामिन डी के फायदे और विटामिन डी की पूर्ति के स्रोत के बारे में तो आपने जान लिया लेकिन क्या आपको पता है कि शरीर को कितना विटामिन डी चाहिए होता है? आपके शरीर में विटामिन डी की कमी है, इसके क्या लक्षण हैं? और विटामिन डी का अगर जरूरत से ज्यादा सेवन कर लिया जाएं तो क्या नुकसान हो सकते हैं? चलिए जानते हैं शरीर में विटामिन डी की कमी के लक्षण, विटामिन डी अधिक होने के नुकसान के बारे में...विटामिन डी की कमी के लक्षणशरीर में विटामिन डी की कमी होने पर थकान और कमजोरी महसूस होती है। विटामिन डी की कमी से हड्डियों में दर्द, मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन हो सकती है। घुटनों में भी दर्द की समस्या रहती है।विटामिन डी की कमी को कैसे पूरा करें?विटामिन डी अन्य विटामिनों से अलग है। विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए आहार में बहुत ही कम विकल्प हैं। सूरज की रोशनी विटामिन डी की पूर्ति का बड़ा और प्रमुख स्त्रोत है। ये एक तरह का हार्मोन होता है, जो सूर्य की रोशनी पड़ने पर त्वचा से निकलता है। सर्दियों में धूप न निकलने पर विटामिन डी की कमी बढ़ सकती है। ऐसे में विटामिन डी की पूर्ति के लिए सूरज की रोशनी के अलावा विटामिन डी की गोलियों का सेवन कर सकते हैं लेकिन अधिक विटामिन डी की दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए।विटामिन डी ज्यादा होने के नुकसानसूर्य के प्रकाश से विटामिन डी शरीर में ज्यादा नहीं होता लेकिन अगर आप विटामिन डी सप्लीमेंट का अधिक मात्रा में सेवन करते हैं तो शरीर में जरूरत से ज्यादा विटामिन डी बढ़ जाता है। ऐसा होने पर सबसे पहले आपको विटामिन डी की गोलियां लेने पर रोक लगा देनी चाहिए। शरीर में विटामिन डी बढ़ जाना या हाइपरविटामिनोसिस डी होना एक खतरनाक स्थिति है। ऐसा होने से शरीर को कई तरह के नुकसान हो सकते हैं।हड्डियों में दर्दविटामिन डी बढ़ने के कारण रक्त प्रवाह में ज्यादा कैल्शियम बढ़ सकता है। इससे हार्मोन के लिए हड्डियों को पोषक तत्व पहुंचाना मुश्किल हो जाता है। इस वजह से हड्डियों में दर्द होने लगता है और फ्रेक्चर या अंदरूनी चोट का खतरा बढ़ जाता है।किडनी में दिक्कतविटामिन डी की अधिकता से किडनी डैमेज का खतरा हो सकता है। विटामिन डी बढ़ने से खून में कैल्शियम का स्तर बढ़ने लगता है, जो यूरिन की मात्रा को भी बढ़ा सकता है। यूरिन बढ़ने हमेशा टॉयलेट जाने की परेशानी होती है। इस दिक्कत को ‘पॉल्यूरिया’ कहा जाता है।
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मूंगफली का सेवन आमतौर पर हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। हममें से ज्यादातर लोग मूंगफली और उससे बने प्रोडक्ट्स का सेवन करते हैं। मूंगफली एक ऐसा स्नैक्स है, जिसे बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सभी पसंद करते हैं। लेकिन मूंगफली का सेवन सभी के लिए फायदेमंद नहीं होता। क्योंकि कुछ लोगों को मूंगफली से एलर्जी होती है। मूंगफली के सेवन से होने वाली समस्या से अगर आप अपने बच्चों को बचाना चाहते हैं तो उन्हें छोटी उम्र में ही मूंगफली का सेवन शुरू कराएं। प्रतिष्ठित पत्रिका द लैंसेट में प्रकाशित शोध में सामने आया है कि छोटी उम्र से बच्चों को मूंगफली का सेवन शुरू कराने से पीनट एलर्जी से बचाया जा सकता है।
मूंगफली प्रोटीन से भरा एक सस्ता और बढ़िया स्नैक्स है, लेकिन कुछ लोगों को ये एलर्जी करती है। इसे खाते ही उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्या होने लगती हैं। ये समस्या विश्वभर में बच्चों से लेकर बड़ों तक में देखी जा रही है। इस समस्या से निजात पाने के लिए वैज्ञानिक सलाह देते हैं कि बच्चों को कम उम्र में ही मूंगफली का सेवन कराए जाए। इससे उन्हें पीनट एलर्जी से बचाया जा सकता है।
146 बच्चों को किया गया शामिल
शोधकर्ताओं ने अपने शोध में पीनट एलर्जी से जूझ रहे जीरो से तीन साल तक के बच्चों को शामिल किया। इनमें से 96 बच्चों को हर दिन मूंगफली प्रोटीन का पाउडर दिया गया। इनकी खुराक को धीरे-धीरे बढ़ाया गया। जबकि अन्य बच्चों को जई के आटे से बनी खुराक दी गई। शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन बच्चों को पीनट डाइट दी गई थी, उनमें से बीस बच्चों में पीनट एलर्जी की समस्या पूरी तरह खत्म हो गई थी और थैरेपी दिए जाने के छह महीने बाद उनमें पीनट एलर्जी के कोई लक्षण नहीं नजर आए। इनमें से हर बच्चा कम से कम सोलह मूंगफली की बराबर खुराक सहन कर सकता था। शोधकर्ता स्टेसी जोंस ने कहा कि कम उम्र में मूंगफली के सेवन से इससे संबंधित एलर्जी का खतरा कम हो जाता है। इस थैरेपी का सबसे ज्यादा असर 12 महीने की उम्र के बच्चों में देखा गया जो जल्द ही एलर्जी की समस्या से दूर हो गए थे।
दो प्रतिशत बच्चे होते हैं प्रभावित
शोधकर्ताओं का कहना है कि पश्चिमी देशों में पीनट एलर्जी से दो प्रतिशत बच्चें प्रभावित होते हैं, जो उम्रभर इससे जूझते रहते हैं। हालांकि प्रभावित बच्चों को मूंगफली का सेवन नहीं करना चाहिए। शोधकर्ताओं का कहना है कि पीनट एलर्जी के लक्षण तब भी सामने आ सकते हैं, जब किसी व्यक्ति ने मूंगफली खाई हो और बच्चे के संपर्क में आ गया हो। इस एलर्जी के उपचार का कोई विकल्प अभी नहीं है, जो बच्चों में जोखिम को काफी बढ़ा देता है। - भूलने की बीमारी काफी परेशान कर सकती है. वैसे इस बीमारी का सामना ज्यादातर बुजुर्गों को करना पड़ता है, क्योंकि उम्र के साथ-साथ याददाश्त कम होने लगती है. हालांकि, कॉम्पटीशन के इस टाइम में भूलने की समस्या आजकल युवाओं में भी आम बनती जा रही है. याद करने के बावजूद चीजों को भूलने की वजह से स्टूडेंट्स को स्ट्रैस परेशान करता है और वे मानसिक तौर पर डिस्टर्ब रहते हैं. कहते हैं कि अगर भूलने की बीमारी बच्चे को तंग कर रही है, तो इससे एकाग्रता में भी कमी आ सकती है.जो लोग भूलने जैसी गंभीर समस्या को फेस कर रहे हैं, वे पहले डॉक्टर की सलाह लें. इसके लिए डाइट में ऐसी चीजों को शामिल किया जा सकता है, जो याददाश्त को बढ़ाने में कारगर होती हैं. जानें इन मेमोरी बढ़ाने वाली चीजों के बारे में…हरी पत्तेदार सब्जियांशरीर के लिए बेहद फायदेमंद मानी जाने वाली हरी पत्तेदार सब्जियों में कई ऐसे विटामिन्स होते हैं, जो याददाश्त को बढ़ाने में कारगर होते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करने से याददाश्त में कमी को रोका जा सकता है.अखरोटदिमाग को तेज करने के लिए अखरोट का सेवन बेस्ट रहता है. इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है, जो दिमाग के लिए बहुत जरूरी माना जाता है. इसमें मौजूद अल्फा लिनोलेनिक एसिड दिल और दिमाग दोनों की हेल्थ के लिए अच्छा होता है.ऑयली फिशऑयली फिश में ओमेगा-3 फैटी एसिड की मात्रा अधिक होती है. ये मस्तिष्क के विकास और स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है. ओमेगा -3 फैटी एसिड कोशिका के निर्माण के लिए आवश्यक होते हैं. सैल्मन, मैकेरल, ताज़ी टूना, सार्डिन और हेरिंग जैसी मछलियों में ओमेगा -3 फैटी एसिड अधिक होता है और इसका सेवन सप्ताह में एक बार कर सकते हैं.जामुनइसमें कई ऐसे एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जिनकी मदद से बढ़ती उम्र के साथ याददाश्त की होने वाली कमी को रोका जा सकता है. इतना ही नहीं इसमें मौजूद विटामिन ई दिमाग की हेल्थ के लिए बेहद फायदेमंद होता है. दिन में करीब 8 से 10 जामुन का सेवन करना बेस्ट रहता है, इसलिए आज से ही इसे अपनी डाइट का हिस्सा बनाएं.दूध, दही और पनीरदूध, दही और पनीर में प्रोटीन और बी विटामिन की मात्रा अधिक होती है, जो मस्तिष्क के टिश्यू, न्यूरोट्रांसमीटर और एंजाइम के विकास के लिए आवश्यक हैं, ये सभी मस्तिष्क में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इन फूड्स में कैल्शियम भी अधिक होता है, जो मजबूत और स्वस्थ दांतों और हड्डियों के विकास के लिए आवश्यक हैं. बच्चों में कैल्शियम की आवश्यकता उनकी उम्र के आधार पर अलग-अलग होती है, लेकिन उन्हें हर दिन दो से तीन कैल्शियम युक्त भोजन का सेवन करना चाहिए.
- उम्र का असर (Age Effect) हमारी स्किन पर भी नजर आता है. विशेषज्ञों की मानें तो ज्यादातर 40 साल की उम्र के बाद हमारी स्किन में फर्क पड़ने लगता है. कोलेजन के निर्माण (Collagen Production) में कमी आने से स्किन ड्राई होने लगती है और स्किन में ढीलापन आना शुरू हो जाता है. इसके कारण बढ़ती उम्र का असर चेहरे (Face) पर नजर आने लगता है. ऐसे में स्किन को खास देखभाल की जरूरत होती है. अगर आप भी उम्र के इस पड़ाव पर पहुंच चुकी हैं, या इसके करीब हैं, तो अभी से अपनी स्किन की केयर शुरू कर दीजिए. इससे आप खुद को लंबे समय तक जवां बनाकर रख सकती हैं.हफ्ते में एक बार स्क्रब जरूर करेंहफ्ते में कम से कम एक बार स्किन को स्क्रब जरूर करें. इसके लिए अपनी स्किन टाइप का स्क्रब चुनें या आप देसी चीजों के जरिए भी स्क्रब कर सकती हैं. इससे आपकी डेड स्किन बाहर निकल जाएगी. इसके अलावा हर दिन स्किन को मॉइश्चराइज जरूर करें. अगर आपकी स्किन ऑयली है तो जेल बेस्ड स्क्रब को चुनें.स्किन पर जेंटल प्रोडक्ट्स यूज करेंइस उम्र में कभी भी स्किन पर हार्ड चीजों का इस्तेमाल न करें, उनका नेगेटिव असर होता है. इसलिए हमेशा लाइट और जेंटल प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें. आप हर्बल प्रोडक्ट्स का विकल्प भी चुन सकती हैं.विटामिन सी युक्त चीजें लेंविटामिन सी युक्त चीजों को अपनी डाइट में शामिल करें. विटामिन सी आपकी स्किन में कसाव लाने का काम करता है. इसके अलावा अलसी, अखरोट, बादाम आदि नट्स खाएं. ज्यादा से ज्यादा पानीदार सब्जियां, फल आदि लें और भरपूर मात्रा में पानी पीएं ताकि स्किन हाइड्रेट रहे.सनस्क्रीन का इस्तेमाल करेंअपनी स्किन टाइप के हिसाब से सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें. ये आपकी स्किन को सूरज की हानिकारक अल्ट्रावॉयलेट किरणों से बचाने का काम करता है. सर्दियों में भी धूप लेते समय सनस्क्रीन क्रीम का इस्तेमाल जरूर करें.रात के समय स्किन को क्लीन करेंरात को सोते समय रोजाना स्किन को क्लीन करना बहुत जरूरी है. इसलिए रात के समय मुंह को माइल्ड फेसवॉश से अच्छे से साफ करें. इसके बाद बादाम, नारियल या जैतून के तेल से चेहरे की हल्के हाथों से मसाज करें. आप मसाज के लिए एलोवेरा जेल का इस्तेमाल भी कर सकती हैं. अगर मेकअप किया है तो रात को मेकअप हटाकर स्किन को क्लीन करने के बाद ही सोएं.