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सनातन धर्म में नारियल को श्रीफल का दर्जा दिया गया है. श्रीफल यानी कि फलों में श्रेष्ठ, नारियल के उपयोग के बिना पूजा-पाठ, शुभ काम अधूरे हैं. वहीं ज्योतिष और लाल किताब में भी कई तरह के ग्रह दोष और बाधाओं को दूर करने में नारियल को बहुत प्रभावी माना गया है. आज हम नारियल के कुछ ऐसे ही उपाय और टोटके जानते हैं जो बहुत असरकारक हैं.
परेशानियां-बाधाएं दूर करने का उपाय
यदि जीवन में बार-बार परेशानियां आ रही हों और ऐसा लगे की कुछ भी अच्छा नहीं चल रहा है तो एक पानी वाला नारियल अपने ऊपर से 21 बार घुमाकर किसी मंदिर के हवनकुंड में मंदिर में जाकर जला दें. ये उपाय 5 हफ्तों तक हर मंगलवार और शनिवार को करें.
नौकरी-व्यापार में सफलता पाने का उपाय
यदि नौकरी या व्यापार में सफलता पाना चाहते हैं तो घर में नारियल का पेड़ लगाएं. इससे गुरु ग्रह मजबूत होकर आपको शुभ फल देगा और जल्द ही आपको सफलता मिलेगी. इससे घर में धन की आवक भी बढ़ेगी. नारियरल का पेड़ घर की दक्षिण या पश्चिम दिशा में ही लगाएं.
बुरी नजर उतारने का उपाय
बुरी नजर उतारने के लिए मंगलवार के दिन सवा मीटर लाल कपड़े में एक नारियल बांधकर जातक के ऊपर से 7 बार उतार कर हनुमान जी के चरणों में अर्पित कर दें.
पैसों की तंगी दूर करने का उपाय
शुक्रवार के दिन लाल कपड़े पहनकर मां लक्ष्मी की पूजा करें. पूजा में मां लक्ष्मी को नारियल अर्पित करें. अगले दिन यह नारियल लाल कपड़े में लपेट कर घर में ऐसी जगह रख दें जहां पर किसी बाहरी की नजर न पड़े. कुछ ही दिन में मां लक्ष्मी की कृपा बरसने लगेगी.
तरक्की में आ रही बाधाएं दूर करने का उपाय
मेहनत का फल न मिले, आय न बढ़े तो शनिवार के दिन शनि मंदिर में पानी वाले 7 नारियल शनि देव को अर्पित करें. फिर इन नारियल को उठाकर नदी में विसर्जित कर दें. बाधाएं दूर होंगी. -
लोग अपने घरों में सामान रखने के लिए लोहे या लकड़ी की अलमारी रखते हैं. अलमारी में हमारा जरूरी सामान सेफ रहता है. अलमारी के भीतर रखा सामान तो साफ और सेफ रहता है, लेकिन कई बार बाहर से अलमारी गंदी हो जाती है. अलमारी को साफ करना एक बड़ा टास्क होता है. आज हम आपको पुरानी अलमारी को साफ करने के हैक्स बता रहे हैं, इन्हें अपनाकर आपकी अलमारी नए की तरह चमकेगी.
लोहे की अलमारी साफ करना है बड़ा टास्क
लोहे की अलमारी पर चिपचिपा टार लग जाता है. इस पर धीरे-धीरे धूल जमा होती है और इससे इसका रंग भी काला पड़ जाता है. ऐसे में अलमारी को साफ करना बेहद मुश्किल होता है. अगर हम कपड़े से इसे साफ करने की कोशिश करते हैं, तो चिकनाहट की वजह से ये साफ नहीं हो पाता. वहीं इसको साफ करते वक्त ये भी ध्यान रखना होता है कि ज्यादा पानी के इस्तेमाल से कहीं इसमें जंग न लग जाए.
ऐसे साफ करें लोहे की अलमारी
लोहे की अलमारी को साफ करने के लिए आप बर्तन धोने वाले स्क्रबर को थोड़ा सा गीला करें और इसमें थोड़ा सा डिटर्जेंट और थोड़ा सा टूथपेस्ट मिला लें. अब इस पेस्ट को अलमारी पर हल्के हाथ से घिसें. ज्यादा पानी का इस्तेमाल न करें. जब आप पूरी अलमारी साफ कर लें, तो एक सूखा कपड़ा लेकर इसे पोंछ दें. आप देखेंगे कि कुछ मिनटों में ही आपकी अलमारी चमक जाएगी.
लकड़ी की अलमारी कैसे करें साफ?
लकड़ी की अलमारी को साफ करने के लिए ज्यादा पानी का इस्तेमाल नहीं कर सकते. इसे साफ करने के लिए दूसरे हैक का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके लिए एक होममेड लिक्विड तैयार करेंगे. आप एक बाउल में1 छोटा चम्मच बेकिंग सोडा, 3 बड़े चम्मच सफेद सिरका और 1 छोटा चम्मच डिश वॉश लिक्विड मिलाएं. इसमें थोड़ा सा पानी मिला लें. अब एक स्क्रबर की मदद से इसे अलमारी पर घिसें. जैसे ही ये काम पूरा हो आप एक सूखे कपड़े से अलमारी को पोंछ दें. आपकी अलमारी एकदम नई जैसे चमकने लगेगी. -
प्राणी मात्र को जीवित रहने के लिए आहार की आवश्यकता है। आहार में अन्न की प्रधानता है। विशेषकर मानव जीवन के लिए अन्न ही सर्वस्व है। पृथ्वी पर निवास करने वाले सभी प्राणी अन्न से ही उत्पन्न होते हैं और अन्न से ही जीवित रहते हैं। इसीलिए अन्न को ब्रह्मा और जल को विष्णु की संज्ञा प्रदान की गयी है। स्कन्दपुराण के अनुसार अन्न ही ब्रह्मा है और सबके प्राण अन्न मे ही प्रतिष्ठित हैं- अन्नं ब्रह्म इति प्रोक्तमन्ने प्राणा: प्रतिष्ठिता:।
अन्न ही जीवन का प्रमुख आधार है। इसलिए शास्त्रों मे अन्नदान तो प्राणदान के समान है। अन्नदान को सर्वश्रेष्ठ एवं प्रभूत पुण्यदायक माना गया है। यह धर्म का प्रमुख अंग है। अन्नदान के बिना कोई भी जप, तप या यज्ञ आदि पूर्ण नहीं होता है। जो व्यक्ति प्रतिदिन विधिपूर्वक अन्नदान करता है वह संसार के समस्त फल प्राप्त कर लेता है।
अन्नदान की कई विधियां हैं जैसे - भूखे व्यक्ति को भोजन कराना, पशु-पक्षियों को चारा-दाना देना, व्रत या त्योहार में भोजन कराना या तीर्थस्थलों में भिक्षुकों को भोजन कराना। पके हुए अन्न अर्थात् भोजन का दान करना अधिक श्रेयस्कर होता है। अपनी सामथ्र्य एवं सुविधा के अनुसार कुछ न कुछ अन्नदान अवश्य करना चाहिए। इससे परम कल्याण की प्राप्ति होती है।
जब किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि के क्षेत्र में चन्द्रमा स्थित हो और शनि से दृष्ट भी हो अथवा शनि और मंगल दृष्ट हो तो जातक विरक्ति का जीवन व्यतीत करता है। लेकिन इसके बाद भी वह संसार में ख्याति प्राप्त करता है। जब किसी व्यक्ति के लग्न, तीसरे, अष्टम या भाग्य स्थान में शनि तथा उस पर गुरू की किसी भी प्रकार से दृष्टि हो तो ऐसे लोग भोग विलास से दूर रहकर सादगीपूर्ण जीवन बिताते हैं। साथ ही यहीं ग्रह योग उन्हें जीवन में सफलता तथा मान भी प्रदान करता है।
किसी व्यक्ति को जीवन में सफलता के साथ मान भी प्राप्त करना हो तो अपने जीवन में सादगी तथा अनुशासन का पालन करना चाहिए और शनि तथा गुरू की शांति के साथ मंत्रजाप एवं दान करना चाहिए। विशेष रूप से अन्न का दान जीवन में सम्मान का कारक होता है। अत: जरूरतमंदों को अन्न का दान करना चाहिए, अन्न दान से समस्त पापों की निवृत्ति होकर इस लोक और परलोक में सुख प्राप्त होता है। - हर व्यक्ति मां लक्ष्मी का वास अपने घर में चाहता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, उत्तर दिशा धन के देवता कुबेर की दिशा मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिशा को साफ-सुथरा रखने से मां लक्ष्मी का घर में वास होता है। धन लाभ से जुड़े कुछ खास उपाय वास्तु शास्त्र में वर्णित हैं।--अगर आपके पास भी धन नहीं टिकता है और आर्थिक तंगी से परेशान हैं तो आजमाएं ये वास्तु उपाय-1. वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर की खिड़कियों और दरवाजों को हर दिन सुबह जरूर खोलना चाहिए। वास्तु के अनुसार ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है और धन आगमन होता है।2. वास्तु शास्त्र के अनुसार, शंख का संबंध मां लक्ष्मी से होता है। ऐसे में पूजा स्थल पर शंख अवश्य रखें। धन की देवी मां लक्ष्मी के साथ शंख की भी प्रतिदिन पूजा करें।3. वास्तु शास्त्र के अनुसार, धन प्राप्ति के लिए लोगों को झाड़ू हमेशा छिपाकर रखनी चाहिए। झाड़ू का संबंध मां लक्ष्मी से माना गया है। इसलिए इसे कभी इधर-उधर न फेंकें और न ही पैरों के नीचे आने दें।4. धार्मिक मान्यता के अनुसार, पीपल के पेड़ में मां लक्ष्मी का वास होता है। ऐसे में प्रतिदिन स्नान के बाद पीपल के पेड़ में जल देना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।5. वास्तु के अनुसार, आर्थिक तंगी से मुक्ति पाने के लिए फिटकरी को एक पात्र में किसी ऐसे स्थान पर रखना चाहिए जहां पर किसी की नजर न पड़े। साथ ही प्रतिदिन पानी में एक छोटा सा फिटकरी का टुकड़ा डालकर स्नान करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से धन का अभाव कम होता है।6. वास्तु के अनुसार, साफ-सफाई में मां लक्ष्मी का वास होता है। ऐसे में भूलकर भी घर को गंदा नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से घर में बरकत नहीं होती है।7. वास्तु के अनुसार, पूजा स्थल पर चावल के ढेर पर मां अन्नपूर्णा की विधि-विधान से स्थापना करके प्रतिदिन उनकी पूजा करें। मान्यता है कि मां अन्नपूर्णा की पूजा करने से घर में अन्न व धन का भंडार हमेशा भरा रहता है।
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हिंदू धर्म में अनंत चतुर्दशी व्रत का खास महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा का विधान है। यह हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस साल अनंत चतुर्दशी का व्रत 9 सितंबर 2022 को रखा जाएगा। इस दिन भगवान गणेश की पूजा का अंतिम दिन होता है। भादों शुक्ल चतुर्दशी के दिन गणेश महोत्सव का समापन होता है और घर में विराजे गणपति को धूमधाम से विदाई देकर उनका विसर्जन कर दिया जाता है।
लोग अनंत चतुर्दशी के दिन व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। पूजा के दौरान भगवान विष्णु के चरणों में रक्षा सूत्र, जिसे अनंता कहते हैं, अर्पित करते हैं। पूजा करने के बाद इस अनंता को व्रती अपने हाथों में बांध लेते हैं. पूजा के दौरान भक्त व्रत कथा का पठन या श्रवण करते हैं।
मान्यता है कि जो भक्त अनंत चतुर्दशी का व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु का पूजन करते हैं। उन्हें कभी धन दौलत की कमी नहीं होती है। उनके सुख समृद्धि और वैभव में वृद्धि होती है।
अनंत चतुर्दशी पूजा मुहूर्त---
9 सितंबर को सुबह 06 बजकर 02 मिनट से शाम 06 बजकर 09 मिनट तक
पूजा अवधि---12 घंटे 6 मिनट
अनंत चतुर्दशी व्रत कथा
एक पौराणिक कथा के मुताबिक सुमंत नामक ब्राह्मण और महर्षि भृगु की पुत्री दीक्षा से एक कन्या का जन्म हुआ, जिसका नाम सुशीला था। सुशीला की मां दीक्षा का असमय निधन हो गया। तब ब्राह्मण सुमंत ने कर्कशा नामक एक लड़की से विवाह किया जबकि ब्राह्मण सुमंत की पुत्री सुशीला का विवाह कौण्डिन्य मुनि से हुआ। कर्कशा के क्रोध के चलते और उसके कृत्यों से सुशीला अत्यंत गरीब हो गई। एक बार सुशीला अपने पति के साथ जा रही थी तो जाते समय उसने रास्ते में देखा कि एक नदी पर कुछ महिलायें व्रत कर रहीं हैं। सुशीला के द्वारा पूंछने से पता चला कि वहां पर महिलाएं अनंत चतुर्दशी का व्रत कर रही हैं। वे महिलाएं अनंत सूत्र की महिमा का गुणगान कर रही थी।
महिलाओं द्वारा व्रत करने और अनंत सूत्र बांधने को देखकर सुशीला ने भी ऐसा ही किया. उसके बाद उन्हें अनंत सुख मिला, किंतु कौण्डिन्य मुनि ने एक दिन गुस्से में आकर अनंत सूत्र तोड़ दिया। इसके बाद वे फिर से उन्हीं कष्टों से घिर गए। तब सुशीला ने अनुनय और विनय के साथ क्षमा-प्रार्थना की. तब अनंत देव की उन पर फिर से कृपा हुई। -
बुद्ध ग्रह का धन से गहरा संबंध है। बुद्ध ग्रह बुद्धि का प्रतीक है। बुद्धि से ही जीवन में धन और वैभव अर्जित किया जाता है। कुण्डली में अगर बुद्ध बलवान हो तो जीवन में धन की मिलती है सौगात।
हिंदू शास्त्रों के अनुसार हर व्यक्ति के लिए 4 पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष बहुत आवश्यक हैं। अर्थ का संबंध धन से है। बुध ग्रह का धन से गहरा संबंध है। बुध ग्रह बुद्धि का प्रतीक है। बुद्धि से ही जीवन में धन और वैभव अर्जित किया जाता है। कुण्डली में अगर बुद्ध बलवान हो तो जीवन में मिलती है धन की सौगात। ज्योतिष शास्त्र में राशि के अनुसार, कुछ उपाय बताए गए हैं, जिन्हें विधि पूर्वक करने से सभी प्रकार की फाइनेंशियल प्रॉब्लम दूर हो सकती हैं।
राशिनुसार करें ये उपाय---
मेष- तुलसी पर घी का दीपक जलाएं।
वृषभ- गरीब कन्याओं में इलायची बांटें।
मिथुन- पूजा घर में 3 साबुत सुपारी चढ़ाएं ।
कर्क-2 इलायची के दाने कर्पूर से जलाएं।
सिंह- सुपारी पर चंदन लगाकर तिजोरी में रखें।
कन्या- सौंफ-सुपारी खाएं।
तुला- पक्षियों के लिए साबुत धनिया रखें।
वृश्चिक- मूंग के दाने पर्स में रखें।
धनु- मूंग का दान करें।
मकर- राधा-कृष्ण मंदिर में तुलसी पत्र चढ़ाएं।
कुंभ- मिश्री पानी में बहा दें।
मीन- किसी गरीब महिला को पालक भेंट करें।
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गणपति बप्पा इस साल 31 अगस्त को लोगों के घरों में आगमन करेंगे। ऐसे में गणपति की मूर्ती स्थापित करने वाले लोगों को खास तैयारी करने की जरूरत होती है। लोग पूजा से लेकर सजावट तक का खास ख्याल रखते हैं। इसी के साथ गणपति का प्रसाद भी बहुत जरूरी होता है। 10 दिन तक चलने वाले इस पर्व में गणपति बप्पा को तरह-तरह के भोग लगाए जाते हैं। सभी भोग में भगवान को प्रिय मोदक भी होते हैं। हालांकि कई बार लोगों की शिकायत होती है कि घर में मोदक सही तरह से नहीं बनते, यहां हम कुछ ट्रिक्स बता रहे हैं जो मोदक बनाने में आपके काम आ सकती हैं।
गुड़ और नारियल को पकाएं
नारियल और गुड़ को एक साथ पकाते समय इसे सही तरीके से पकाना जरूरी है। इसे तब तक पकाना जरूरी है जब तक कि सारी एक्सट्रा नमी खत्म न हो जाए और ये सूखने लगे। हालांकि, इस बात का भी विशेष ध्यान रखना है कि आप इसे ओवरकुक न करें।
फ्रेश नारियल का करें इस्तेमाल
कई बार लेट होने से बचने के लिए तैयारियां एक दिन पहले से शुरू हो जाती हैं। तैयारी करते समय आप इस बात का ध्यान रखें की आपको हमेशा ताजे सूखे नारियल का इस्तेमाल करना है।
आटा लगाने के लिए अपनाएं सही तरीका
मोदक के लिए सही तरह से आटा लगाना जरूरी है। इसके लिए 1 कप चावल के आटे को लगाने के लिए आमतौर पर 1 कप से थोड़ा ज्यादा पानी की जरूरत होती है। अगर आप मात्रा का सही हिसब रखेंगे तो आपके द्वारा बनाए गए मोदक सॉफ्ट और टेस्टी बनेंगे। वहीं यह सुनिश्चित करने के लिए कि मिश्रण बिना दरार के और चिपचिपा न हो, इसके लिए थोड़ा गर्म पानी छिड़कें और इसे फिर से गूंथ लें। यह इसे एक अच्छी बनावट देने में मदद करता है। आटा सही तरह से गूंथा गया होगा तो मोदक सॉफ्ट और क्रैक फ्री बनेंगे।
हाथों को गीला कर बनाएं मोदक
हाथ से मोदक बनाते समय अपनी उंगलियों को एक कटोरी पानी में डुबोएं और फिर एक भाग लें जो गेंद के आकार का हो। आटे को दोनों हाथों के अंगूठे और तर्जनी की मदद से गोलाकार गति में फैलाकर बनाना शुरू करें। वहीं अगर आटा चिपचिपा है तो पानी की जगह घी का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। -
बाल गोपाल के जन्म के छह दिन बाद कृष्ण की छठी मनाई जाती है. हिंदू धर्म में नवजात शिशू की मंगल कामना के लिए छठी पूजन किया जाता है. इसी परंपरा के अनुसार हर साल लड्डू गोपाल का भी छठी पूजन होता है. इस साल कृष्ण की छठी 24 अगस्त 2022 को मनाई जाएगी.
क्यों किया जाता छठी पूजन है ?
हिंदू धर्म में बच्चे के जन्म के छह दिन बाद षष्ठी देवी की पूजा का विशेष महत्व है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार षष्ठी देवी की कृपा से राजा प्रियव्रत का मृतपुत्र दोबारा जीवित हो गया था. पुराणों में षष्ठी देवी को बच्चों की अधिष्ठात्री देवी माना गया है. कहते हैं कि इनकी पूजा करने से नवजात शिशु पर कोई आंच नहीं आती.
क्या होता है छठी पूजन में--
बच्चे को नए कपड़े पहनाए जाते हैं. छठी पर बच्चे का नामकरण करने की परंपरा है. इस दिन कढ़ी चावल बनाए जाते हैं. जानते है कृष्ण की छठी कैसे मनाएं.
कैसे मनाएं कृष्ण की छठी --
छठी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर बाल गोपाल को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल) से स्नान करवाएं.
अब दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल भरकर गोपाला का अभिषेक करें. उन्हें नए पीले रंग के वस्त्र पहनाएं. कान्हा को पीतांबर अधिक प्रिय है.
गिरधर गोपाल को चंदन का टीका लगाएं और विधिवत उनका श्रृंगार करें. धूप, दीप अर्पित करें.
श्रीकृष्ण का प्रिय भोग माखन मिश्री का प्रसाद चढ़ाएं. श्रीकृष्ण के अनेक नाम जैसे लड्डू गोपाल, ठाकुर जी, कान्हा, माधव, नंदलाला, देवकीनंदन किसी एक को चुनें और फिर उन्हें उसी नाम से बुलाएं. इस दिन घर में कढ़ी चावल बनाना शुभ माना जाता है.
---यहां सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.... -
कपूर को हिंदू धर्म में बहुत ही शुभ माना जाता है और यह कई तरह की मुसीबतों को भी दूर करता है। कपूर आपके घर में सुख और समृद्धि लाता है। इतना ही नहीं, आपको जीवन में जो भी दिक्कतें आ रही हैं वह भी दूर हो जाएंगी। खासतौर पर बुधवार को आप कपूर से घर पर ही कुछ उपाय करके लाभ कमा सकते हैं।
कार्यक्षेत्र में कपूर के उपाय
बुधवार के दिन गणेश जी को गुलाब के फूल के साथ 7 कपूर आर्पित करें। ऐसा करने से आपकी नौकरी में आ रही बाधा दूर हो जाती है। इतना ही नहीं, यह उपाय कार्यक्षेत्र में आ रही दिक्कतों को भी कम करता है। आप केवल गणेश जी के आगे नियमित 7 कपूर जलाएंगी, तो भी आपको लाभ होगा।
आर्थिक संकट के उपाय
यदि आप बहुत दिनों से आर्थिक संकट से जूझ रही हैं, तो आपको घर की उत्तर दिशा में तिजोरी रखनी चाहिए और तिजोरी के अंदर आपको 7 कपूर की गोलिया और गुलाब का फूल रखना चाहिए। ऐसा करने से आपकी तिजोरी में धन की कभी भी कमी नहीं होती है।
शुभ समाचार के लिए उपाय
कपूर को यदि आप एक लाल कपड़े की पोटली में बांध कर मुख्य द्वारा पर टांग देती हैं, तो यह और भी शुभ होता है। ऐसा करने से घर में किसी भी तरह का अशुभ समाचार और नकारात्मकता नहीं आती है। आप इस पोटली को अपने बेडरूम में भी रख सकती हैं।
कार्यक्षेत्र में नुकसान के उपाय
बुध ज्ञान और विवेक का प्रतिधित्व करता है। अगर आपको ज्ञान की कमी के चलते अपने कार्यक्षेत्र में नुकसान सहन करना पड़ रहा है, तो आप बुधवार के दिन अपने घर में शाम के समय 7 कपूर को एक साथ रख कर उसका दीपक मंदिर में रखें। ऐसा करने से आपके बिगड़े काम बन जाएंगे।
प्रामोशन के लिए उपाय
बहुत समय से यदि आप किसी प्रमोशन या फिर इंक्रीमेंट का इंतजार कर रही हैं, तो आपको बुधवार के दिन गणेश जी को 101 कपूर के दीपक जलाने चाहिए। ऐसा करने से आपका रुका हुआ धन आपको वापिस मिल जाएगा। इतना ही नहीं, अगर आपका धन कहीं खो गया है, तो उसके मिलने के संकेत भी आपको मिलेंगे। -
हिंदू पंचांग के अनुसार अजा एकादशी का व्रत प्रत्येक साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। इस बार अजा एकादशी का व्रत मंगलवार 23 अगस्त 2022 को रखा जाएगा। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि अजा एकादशी का व्रत रखने और पूजन करने से अध्वमेध यज्ञ के समान पुण्य फल की प्राप्ति होती है। साथ ही अजा एकादशी के दिन पूजन के समय व्रत कथा सुनने से पूजा सफल होती है और व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है। इसलिए यह व्रत अत्यंत फलदायी माना जाता है। जानते हैं अजा एकादशी की व्रत कथा और इसके महत्व के बारे में।
अजा एकादशी व्रत कथा
कथा के अनुसार, अयोध्या में चक्रवर्ती राजा हरिश्चन्द्र नाम के एक राजा थे। राजा अपनी सत्यनिष्ठा और ईमानदारी के लिए जाने जाते थे। एक बार सभी देवताओं ने राजा की परीक्षा लेने का विचार किया। राजा को स्वप्न आया कि उसने ऋषि विश्वामित्र को अपना राजपाट सबकुछ दान कर दिया। सुबह विश्वामित्र सच में उनके द्वार पर आए और कहने लगे कि तुमने स्वप्न में मुझे अपना राजपाट दान कर दिया है। राजा ने अपनी सत्यनिष्ठ का पालन किया और पूरा राज्य विश्वामित्र को दे दिया। इतना ही नहीं दान के लिए दक्षिणा चुकाने हेतु राजा को पूर्व जन्म के कर्म फल के कारण पत्नी, बेटा और खुद को भी बेचना पड़ा। हरिश्चन्द्र ने खुद को भी बेच दिया और एक चांडाल के पास नौकरी कर जीवन यापन करने लगा। लेकिन उसने सत्य का मार्ग नहीं छोड़ा।
इसी तरह सत्यनिष्ठा का पालन करते हुए कई साल बीत गए। राजा को एक दिन अपनी हालत पर दुख हुआ और वह सोचने लगा कि मैं क्या करूँ? कैसे इस कर्म से मुक्ति पाऊं? राजा इस बारे में चिंतन कर रहा था तभी उसके पास गौतम ऋषि पहुँचे। राजा हरिश्चन्द्र ने ऋषि को अपने दुख की व्यथा सुनाई।
महर्षि गौतम को राजा की बातें सुनकर दुख हुआ। वे राजा से बोले, हे राजन! तुम भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन अजा एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करो और रात्रि जागरण करो। इससे तुम्हारे सभी पाप नष्ट हो जाएंगे। यह कहकर ऋषि वहां से आलोप हो गए। भाद्रपद माह में अजा एकादशी आने पर राजा ने व्रत रखा और रात्रि जागरण किया। व्रत के प्रभाव से राजा के पाप नष्ट हो गये। राजा को पुन: उसके परिवार और राजपाट की प्राप्ति हो गई। -
भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव यानी जन्माष्टमी पर सभी अपने घरों को खूबसूरत चीजों से सजाना पसंद करते हैं. चाहे वह फूलदान हो, पेंटिंग हो या और कुछ ऐसी चीजें, जो हमारे घर की सुंदरता को बढ़ाती हैं. ऐसी ही एक वस्तु है मोर पंख. मोर पंख का इतिहास देवी-देवताओं से जुड़ा हुआ है. मोर पंख भगवान श्रीकृष्ण को अति प्रिय रहा है.
वास्तु शास्त्र में भी मोर पंख को लेकर उपाय बताए गए हैं. वास्तु में मोर पंख को घर पर रखने का महत्व बताया गया है. घर पर मोर पंख रखने से ना सिर्फ सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, बल्कि घर का वास्तु दोष भी दूर होता है.
वास्तु दोष होंगे समाप्त
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर पर मोर पंख रखने से वास्तु दोष समाप्त होते हैं. वास्तु के हिसाब से सबसे पहले 8 मोर पंख लें. सभी को एक साथ सफेद धागे से बांध दें. इसके बाद ओम सोमाय नम: मंत्र का जाप करते हुए अपने घर में कहीं साफ जगह पर रख दें. इससे घर में नकारात्मक शक्तियों का नाश होगा और सुख-समृद्धि का वास होगा.
बुरी नजर से होगी रक्षा
मोर पंख देवी-देवताओं से जुड़ा हुआ है. ऐसे में घर पर मोर पंख रखना शुभ माना जाता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के मुख्य द्वार पर मोर पंख लगाने से बुरी नजर नहीं लगती. ना ही नकारात्मक शक्तियां घर में प्रवेश कर पाती हैं. परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है. घर का माहौल खुशनूमा बना रहता है.
बच्चों का पढ़ाई में लगेगा मन
वास्तु शास्त्र के अनुसार, अगर बच्चे का पढ़ाई में मन नहीं लगता. बच्चा काफी जिद्द करता है तो ऐसी स्थिति में मोर पंख उसकी किताब में रखने से बच्चे का मन शांत रहता है. इससे बच्चे का मन पढ़ाई में लगेगा. साथ ही, वह पॉजिटिव महसूस करेगा. -
जन्माष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. इसमें बस कुछ ही दिन बचे हैं। मंदिरों में कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर जोर-शोर से तैयारी चल रही है। हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। कहते हैं कि कृष्ण जिससे प्रसन्न हो जाएं उनके जीवन में धन-धान्य, सुख-समृद्धि की कभी कोई कमी नहीं होती।
भगवान श्रीकृष्ण की कृपा पाने के लिए जन्माष्टमी का समय बेहद उपयुक्त माना जाता है. इस दिन राशि के अनुसार, बाल गोपाल को भोग अर्पित करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं कि कृष्ण की कृपा पाने के लिए किन राशि के लोगों को किस प्रकार का भोग अर्पित करना चाहिए.
मेष-- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मेष राशि के जातकों को माखन मिश्री का भोग लगाना चाहिए.
वृषभ--वृषभ राशि के लोगों को माखन का भोग लगाने से कृष्ण की कृपा प्राप्त होगी.
मिथुन--मिथुन राशि के जातकों को दही का भोग अर्पित करना चाहिए.
कर्क-- कर्क राशि के जातकों को दूध और केसर का भोग लगाना चाहिए.
सिंह--सिंह राशि के लोगों को माखन मिश्री का भोग अर्पित करना चाहिए.
कन्या-कन्या राशि के जातक बाल गोपाल को मावे की बर्फी का भोग लगा सकते हैं.
तुला-तुला राशि के लोगों को माखन मिश्री का भोग लगाना चाहिए.
वृश्चिक-वृश्चिक राशि वालों को भोग में मावा, माखन, या घी अर्पित करना चाहिए.
धनु- धनु राशि के जातकों को पीली मिठाई का भोग लगाना चाहिए.
मकर- मकर राशि वालों को भगवान कृष्ण को मिश्री का भोग लगाना चाहिए.
कुंभ-- कुंभ राशि के लोगों को बालूशाही का भोग लगाना चाहिए.
मीन--मीन राशि के जातक केसर और मावे की बर्फी का भोग लगा सकते हैं.
-- - जीवन में तरक्की और खुशहाली हर कोई चाहता है। इसके लिए हर कोई तरह-तरह के उपाय भी करता है, ताकि परिवार में सुख- शांति बनी रहे। लेकिन आपने देखा होगा कि कुछ लोग को कम मेहनत के बाद ही सफलता मिल जाती है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो मेहनत तो खूब करते हैं, लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें सफलता नहीं मिल पाती है। तरक्की और सफलता में रूकावट का कारण वास्तु दोष भी हो सकता है। ऐसे में यदि आप वास्तु दोष से छुटकारा पाना चाहते हैं तो अपने बेडरूम में रखी कुछ चीजों पर ध्यान होगा।-कुछ लोग बेडरूम में अपने सिरहाने के पास टेबल पर पानी का जग या बॉटल रख कर सोते हैं। जबकि वास्तु शास्त्र के अनुसार कभी भी अपने बेडरूम में सिरहाने पर पानी का गिलास या जग रखकर नहीं सोना चाहिए। इससे वास्तु दोष लगता है और तरक्की रुक जाती है।-यदि आपके बेडरूम में बेड का स्थान दरवाजे के ठीक सामने है, तो उसका भी स्थान बदल दें। वास्तु शास्त्र के अनुसार दरवाजे के सामने पलंग रखना सही नहीं माना जाता है। आप बेडरूम में बेड को दक्षिण या पश्चिम दिशा की तरफ रख सकते हैं।-वास्तु के अनुसार, बेड के सामने आईना भी नहीं होना चाहिए। यदि बेड के सामने आईना लगा है तो उसे रात में कपड़े से ढंककर सोना चाहिए। क्योंकि रात में सोते समय आईने में आपके शरीर के अंग दिखाई देना शुभ नहीं माना जाता। इससे जीवन में नकारात्मकता आती है।-इसके अलावा कभी भी अपने बेडरूम में किसी भी देवी-देवता या धार्मिक चीजों का चित्र नहीं लगाना चाहिए। इसे भी शुभ नहीं माना जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार बेडरूम या घर के किसी भी दरवाजे को खोलते या बंद करते समय आवाज भी नहीं आनी चाहिए।---
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ज्योतिष शास्त्र में ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति को देखते हुए जातक के भविष्य का आकंलन किया जाता है। राशि अनुसार रत्न धारण करने से जातक को जीवन में मनचाही सफलता हासिल हो सकती है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, रत्न में इतनी ताकत होती है कि वह व्यक्ति की किस्मत सूर्य के समान चमका सकते हैं। लेकिन आपने गलत रत्न पहन लिया तो भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए ज्योतिष सलाह के बाद ही रत्न धारण करना चाहिए। जानें कुंभ व मकर राशि के स्वामी ग्रह व उनके लिए रत्न-
मकर राशि- मकर राशि के स्वामी ग्रह शनिदेव हैं। शनि ग्रह का रंग काला है। ऐसे में मकर राशि के जातकों को नीलम रत्न पहनने की सलाह दी जाती है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, मकर राशि के लोग नीलम धारण करते हैं तो उन्हें आर्थिक लाभ, यश व ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
कुंभ राशि- कुंभ राशि के स्वामी ग्रह शनि हैं। शनि का रंग काला है। कुंभ राशि के जातकों को नीलम रत्न धारण करना लाभकारी माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर कुंभ राशि के लोग नीलम रत्न धारण करते हैं तो उन्हें धन लाभ के साथ तरक्की भी हासिल होती है।
मकर व कुंभ राशि के लोग न पहनें ये रत्न-
मकर व कुंभ राशि के स्वामी शनिदेव हैं। ऐसे में मकर राशि के जातकों को पुखराज रत्न से दूर रहना चाहिए। जबकि कुंभ राशि के लोगों को पन्ना रत्न नहीं पहनने की सलाह दी जाती है। - प्रत्येक वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व इस साल 19 अगस्त को है। ये पर्व पूरे देश में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी के दिन विधि-विधान से पूजा के अलावा लोग लड्डू गोपाल की कृपा पाने के लिए कई उपाय भी करते हैं। मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण को बांसुरी सबसे प्रिय है। वास्तु शास्त्र में भी बांसुरी को बेहद शुभ माना गया है। ऐसे में बांसुरी से जुड़े कुछ उपाय करने से आप अपने जीवन को खुशहाल बना सकते हैं। आइए जानते हैं क्या हैं ये उपाय...वास्तु दोष होगा दूरभगवान श्री कृष्ण को बांसुरी बेहद प्रिय थी। वे हर पल बांसुरी को अपने साथ रखते थे। ऐसे में यदि आपके घर में वास्तु दोष है और इस कारण आप परेशान हैं तो जन्माष्टमी के दिन आप घर में एक बांसुरी लाएं और रात्रि के समय पूजा में कृष्ण जी को अर्पित कर दें और दूसरे दिन उस बांसुरी को अपने घर में पूर्व की दीवार पर तिरछी लगा दें। वास्तु के अनुसार, ऐसा करने से आपके घर का वास्तु दोष धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगा।व्यापार में लाभ के लिएवास्तु शास्त्र के अनुसार, जिस घर में लकड़ी की बांसुरी होती है, उस घर पर सदैव कान्हा की कृपा बनी रहेगी। बांसुरी शांति व समृद्धि की प्रतीक मानी गई है। ऐसे में घर के मुख्य द्वार पर बांस की सुंदर सी बांसुरी लटकाना समृद्धि को आमंत्रित करेगा। इसके अलावा यदि आपका व्यापार ठीक नहीं चल रहा हो तो अपने कार्यालय या दुकान के मुख्य द्वार के ऊपर दो बांसुरी लगाएं।नकारात्मक ऊर्जा होगी दूरबांसुरी सम्मोहन, खुशी और आकर्षण का प्रतीक मानी गई है। हर कोई इसकी मधुर धुन से आकर्षित हो जाता है। बांसुरी बजाने पर उससे उत्पन्न होने वाली ध्वनि से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है एवं वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। ऐसे में यदि आपको लगता है कि घर में नकारात्मक शक्तियों का वास है तो चांदी की एक बांसुरी भगवान श्री कृष्ण को अर्पण करें। यदि आप चांदी की बांसुरी नहीं खरीद सकते तो आप एक बांस की बांसुरी भी ले सकते हैं। श्री कृष्ण को बांसुरी अर्पित करने के बाद वह बांसुरी अपने घर के ड्राइंग रूम में लगा दें।दांपत्य जीवन में प्रेम के लिएयदि पति-पत्नी के बीच अनबन रहती है तो जन्माष्टमी के दिन एक बांसुरी लाएं और उस बांसुरी को भगवान श्री कृष्ण को अर्पित करने के बाद वह बांसुरी अपने बेड के पास रखें। ऐसा करने से आपका वैवाहिक जीवन सुखमय हो जाएगा।---
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साइंस ने भी माने मेडिटेशन के फायदे, जीवन आसान बनाने के लिए जानें ध्यान लगाने का तरीका
भागदौड़ भरी जिंदगी में मानसिक शांति की हर किसी को जरूरत है। मेडिटेशन वो तरीका है जो आपकी लाइफ को आसान बना सकता है। भारत के ऋषि-मुनि हजारों सालों से ध्यान लगाते आ रहे हैं। योग के साथ मेडिटेशन के फायदों को अब साइंस ने भी मान लिया है। यह आपका स्ट्रेस कम करता है, ऐंग्जाइटी घटाता है, यादाश्त अच्छी करता है, ब्लड प्रेशर सामान्य रहता है, कई तरह की लतों से उबरने में मदद करता है और आपको नींद भी अच्छी आती है। कुल मिलाकर मेडिटेशन करने से आपके मानसिक स्वास्थ्य के साथ शारीरिक स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।बड़ी बीमारियों में मिलती है राहतहजारों साल पहले हमारे ऋषि-मुनि ध्यान लगाकर हमारे अंदर छिपे ज्ञान को पाने की कोशिश करते थे। आज मेडिटेशन दिमाग को शांत रखने और स्ट्रेस कम करने का तरीका माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि मेडिटेशन करने से आपका दिमाग शांत होता है और कई समस्याओं के हल खुद ब खुद मिल जाते हैं। मेयोक्लीनिक.ओआरजी की रिपोर्ट के मुताबिक कुछ रिसर्चेज में यह भी सामने आ चुका है कि ध्यान लगाने से ऐंग्जाइटी, अस्थमा, कैंसर, दर्द, डिप्रेशन, दिल की बीमारी, हाई ब्लड प्रेश, सोने की दिक्कत और सिरदर्द जैसी बीमारियों के लक्षणों को मैनेज कर सकते हैं।भागते मन को करता है कंट्रोलजब हम तनाव में होते हैं तो शरीर कई तरह के इनफ्लेमेटरी केमिकल निकालते हैं। इन्हें साइटोकाइन्स कहते हैं। ये हमें डिप्रेशन की ओर ले जाते हैं। तनाव के रिस्पॉन्स में शरीर फाइट और फ्लाइट मोड में होता है। जिससे हार्ट बीट तेज रहती है, नींद नहीं आती और कई तरह की समस्याएं शुरू हो जाती हैं। ऐसे मेडिटेशन हमारे भागते मन को कंट्रोल में रखता है।कैसे लगाएं ध्यानमेडिटेशन कई तरह के होते हैं। आप इंटरनेट पर कोई भी गाइडेड मेडिटेशन सर्च कर सकते हैं। इसके अलावा आप क्लासेज भी जॉइन कर सकते हैं या कई जगह ध्यान केंद्र होते हैं वहां जा सकते हैं। आप शुरुआत कर रहे हैं तो ब्रीदिंग एक्सरसाइज से शुरू कर सकते हैं। गहरी सांस लें। सारा ध्यान सांसों पर केंद्रित करें। सांस अंदर लेते और बाहर छोड़ते वक्त आप कैसा महसूस कर रहे हैं इस पर ध्यान लगाएं। सांसों की आवाज को सुनें। ध्यान भटके तो फिर से सांसों पर फोकस करें। आप सांस लेने के साथ आंखें बंद करके अंदर ही अंदर अपने बॉडी के हर हिस्से पर ध्यान ले जाने की कोशिश करें। -
घर बनवाते समय या खरीदते समय वास्तु के नियमों का पालन करना चाहिए। दरअसल वास्तु के नियमों से घर में खुशहाली और सुख समृद्धि आती है। अगर इन टिप्स को न देखा जाए तो कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। घर में बरकत और धन-धान्य के लिए भी ये वास्तु टिप्स महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इन टिप्स के लिए आपको घर में कुछ निर्माण तुड़वाने की जरूरत नहीं, बस घर में कुछ छोटे-छोटे उपाय करके घर में सुख समृद्धि पा सकते हैं।
घर में एक तरफ तीन दरवाजे नहीं होने चाहिए। एक तरफ सिर्फ दो दरवाजे ही वास्तु के हिसाब से सही माने जाते हैं।घऱ में अगर खाना बनाते हैं तो पहली रोटी गाय के लिए निकालें।वास्तु में सूखे फूल रखना अच्छा नहीं माना जाता है। इसलिए कोशिश करें कि घर में सूखे और आर्टिफिशियल फूल नहीं होने चाहिए।घर में अगर कोई चीज टूट गई हो, तो उसे घर से बाहर कर दें। कबाड़ घर में रखने से नकारात्मकता आती है।घर का दरवाजा दो फाटक वाला ही होना चाहिए, साथ ही इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि घर के मुख्य दरवाजे में किसी प्रकार की जंग आदि न लगी हो।घर की सेंट्रल टेबल गोल नहीं होनी चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि घर में गोल टेबल और गोल आइना नहीं रखना चाहिए।वास्तु के अनुसार घर में मोरपंक आदि भी रखना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि घर की तिजोरी में मोरपंख को खड़ा करके रखना चाहिए। इससे घर में धन की कमी नहीं होती है और मां लक्ष्मी का वास होता है। -
धन के लिए बेस्ट माने जाते हैं ये चार रत्न, किन राशियों को करेंगे सूट
हर राशि के लिए अलग-अलग रत्न निर्धारित किए गए हैं। रत्न हमेशा ज्योतिष से कुंडली में ग्रहों की स्थिति दिखाकर ही पहनने चाहिए . बिना किसी जानकारी के रत्न धारण नहीं करने चाहिए। कहा जाता है अगर बिना जानकारी के रत्न पहना तो यह नाकारात्मक प्रभाव भी डाल सकता है। ज्योतिष और रत्न शास्त्र में इन चार रत्नों को धन के लिए बहुत बेस्ट बताया गया है।सुनहला रत्न धन के मामले में बहुत खास माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इसे धारण करने से घर में धन संचित होता है। इसे पुखराज का सब्सीट्यूट भी कहते हैं। इसे पहनने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए।अगर काम कोई काम चलता नहीं और आपकी इनकम का साधन नहीं है तो जेड स्टोन बहुत सही रत्न है। इससे पहनने से आपका नया काम चल पड़ेगा।नौकरी करते हैं औऱ कन्या राशि है तो पन्ना बहुत ही खास है। इस राशि के लोगों को पन्ना पहनना चाहिए। इसे पहनने से नौकरी में प्रमोशन और सुख समृद्धि आती है।पुखराज ब़ृहस्पति का रत्न है। इसे सुख सौभाग्य के लिए पहना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस रत्न को पहनने से जीवन में समृद्धि आती है। -
वास्तु शास्त्र के अनुसार कई प्रकार के वास्तु नियमों को न मानकर कई जगह धन कभी ठहरता नहीं है। धन का संचय करना इसकी वजह से काफी मुश्किल हो जाता है। इसलिए हमें घर में वास्तु नियमों का पालन करना चाहिए। यहां हम आपको बता रहे हैं , ऐसे ही टिप्स के बारे में जिन्हें अपनाकर आप धन का संचय कर सकते हैं।
1.अगर आपके घर का दरवाजा आवाज करता है तो तुरंत इसका समाधान करें, वरना इससे आपको धन की समस्या हो सकती है। इसलिए बाहर का दरवाजा बिल्कुल भी आवाज न करे, इस बात का ध्यान रखना चाहिए।
2.घर में अगर दवाइयां रखते हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि घर के उत्तर पूर्व में दवाइयां न रखें। ऐसा करने से घर में बीमारी खत्म नहीं होती, और धन की समस्या भी बन जाती है।
3. अगर की दक्षिण पूर्व दिशा में नीला रंग है तो इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वहां से नीला रंग हटा दें। इस दिशा में पीला या गुलाबी रंग रखें। ऐसा करने से आपके घर में धन का आगमन रहेगा।
4.इस रंग के न पहनें कपड़े- वास्तु शास्त्र में काले रंग को अशुभ माना गया है। काला रंग नकारात्मकता को दर्शाता है। ऐसे में करियर में उतार-चढ़ाव से बचने के लिए काले रंग के कपड़े ना पहनें। - किसी को भी रक्षा सूत्र बांधते समय एक मंत्र बोला जाता है-येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥ इसके पीछे एक कथा प्रचलित है।भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर दैत्यराज बलि का मान मर्दन किया और उन्हें पाताल का राज्य दे दिया। उनकी आज्ञा का पालन करते हुए दैत्यराज बलि पाताल तो चले गए किन्तु वहाँ जाकर उन्होंने नारायण की घोर तपस्या की। जब श्रीहरि प्रसन्न हुए तब बलि ने वरदान माँगा कि वे वही पाताल में रहें। तब भगवान विष्णु वहीँ पाताललोक में स्थित हो गए। जब माँ लक्ष्मी को इस बात की जानकारी हुई तब वे घबरा कर पाताललोक पहुँची और दैत्यराज बलि की कलाई में रेशम की डोर बांध कर अपनी रक्षा की गुहार लगाई। इससे बलि ने देवी लक्ष्मी को अपनी भगिनी मानते हुए उन्हें उनकी रक्षा का वचन दिया। तब देवी लक्ष्मी ने दैत्यराज बलि से अपने पति को वापस मांग लिया। तब से भाइयों द्वारा बहनों को वचन के साथ-साथ कुछ उपहार देने की प्रथा भी चली और दैत्यराज बलि के नाम पर इस पर्व का एक नाम "बलेव" भी पड़ा। यही कारण है कि रक्षासूत्र बांधते हुए हम इस मन्त्र का उच्चारण करते हैं: येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥ - अर्थात: जिस सूत्र से महान दानवेन्द्र बलि को बाँधा गया था, उसी रक्षासूत्र से मैं तुम्हें बांधता हूँ। अत: हे रक्षे (राखी) तुम अपने संकल्प से कभी विचलित ना होना। तभी से आज तक ये मन्त्र किसी भी प्रकार के रक्षा सूत्र को बाँधते समय बोला जाता है।
- हिन्दू धर्म में पेड़ पौधे और फूलों का काफी विशेष महत्व माना जाता है। उनमें से एक है अपराजिता का फूल। अपराजिता के फूल को हिंदू धर्म में बहुत खास माना जाता है। बगीचों और घरों की शोभा बढ़ाने के लिए लगाया जाने वाला अपराजिता को आयुर्वेद में विष्णुक्रांता, गोकर्णी आदि नामों से जाना जाता है। अपराजिता का फूल मोर पंख जैसा दिखता है। यह फूल भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है। इसके अलावा नीले रंग का यह फूल शनि देव को प्रसन्न करने में भी काफी मददगार होता है। अपराजिता के फूल को धर्म के अलावा ज्योतिष में भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में अपराजिता के फूलों के लिए ऐसे कारगर उपाय बताए गए हैं जो तेजी से असर दिखाते हैं। बात चाहे धन प्राप्ति की हो या नौकरी-व्यवसाय में सफलता पाने की, अपराजिता फूल का उपाय इन सभी के लिए बहुत कारगर होता है। आइए जानते हैं अपराजिता फूल के विशेष उपाय-धन प्राप्ति के उपाय: धन की कमी को दूर करने के लिए और बहुत धन प्राप्त करने के लिए सोमवार या शनिवार को अपराजिता के 3 फूल बहते पानी में फेंक दें। कुछ ही देर में आपको फर्क समझ में आने लगेगा।नौकरी में प्रमोशन पाने के उपाय: अगर प्रमोशन या नई नौकरी पाने का हर प्रयास विफल हो रहा है, तो साक्षात्कार से पहले अपराजिता के 6 फूल, फिटकरी के 5 टुकड़े और कमर पर पट्टी बांधकर देवी मां को अर्पित करें। फिर अगले दिन उस बेल्ट को किसी लड़की को दे दें और फूलों को पानी में बहा दें। वहीं फिटकरी के टुकड़े जेब में रखें और इंटरव्यू के लिए जाएं। आपको सफलता अवश्य मिलेगी।मनोकामना पूर्ति के उपाय: यदि आपकी कोई मनोकामना लंबे समय तक अधूरी रह जाती है तो अपराजिता के फूलों की माला मां दुर्गा, भगवान शिव और भगवान विष्णु को अर्पित करें। ईश्वर शीघ्र ही आपकी मनोकामना पूर्ण करेंगे।इस दिन लगाएं पौधाअपराजिता का पौधा गुरुवार और शुक्रवार को घर में लगाना चाहिए। गुरुवार भगवान विष्णु को समर्पित है और शुक्रवार भगवान लक्ष्मी को समर्पित है। इन दोनों दिनों में अपराजिता का पौधा लगाना शुभ माना जाता है। आपके घर मां लक्ष्मी जी का आगमन होगा।
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सुखों के प्रदाता शुक्र का राशि परिवर्तन होने वाला है. रविवार, 7 अगस्त को शुक्र मिथुन से कर्क राशि में प्रवेश कर जाएंगे. शुक्र का यह राशि परिवर्तन सुबह करीब साढ़े पांच बजे होगा. इसके बाद शुक्र 31 अगस्त तक इसी राशि में रहेंगे. ज्योतिषियों का दावा है कि रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2022) से पहले शुक्र का यह गोचर चार राशियों के लिए बहुत लकी साबित होने वाला है.
वृषभ
आपके दांपत्य जीवन में सुधार आएगा. नौकरी में पद-प्रतिष्ठा बढ़ेगी. मानसिक समस्याएं दूर होंगी. लंबे समय से चली आ रही आर्थिक तंगी से मुक्त होंगे. लंबे समय से कर्ज में डूबा रुपया भी वापस मिल सकता है. इस दौरान सूर्य देव को जल अर्पित करें. गुलाबी आपका शुभ रंग रहेगा.
सिंह
सिंह राशि वाले प्रत्येक कार्यों में सफलता पाएंगे. नौकरी-व्यापार के लिए समय बहुत ही शुभ रहने वाला है. पेशेवर जीवन में आपके द्वारा किए गए कार्यों की खूब प्रशंसा होगी. आर्थिक मोर्चे पर धन कमाने के अच्छे अवसर प्राप्त होंगे. नौकरी-व्यापार में अच्छे लाभ की संभावना है. आपका शुभ रंग हरा है.
कन्या
कन्या राशि के जातकों की अर्थिक स्थिति मजबूत होगी. करोबार में लाभ बढ़ेगा. जमीन या वाहन खरीदने के लिए समय बहुत ही शुभ है. रिश्तों को प्राथमिकता देंगे. भाई-बहनों से रिश्ते बेहतर होंगे. इस गोचर के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करना शुरू करें. आपका शुभ रंग है नीला.
मीना
मीन राशि में संतान की उन्नति के योग बन रहे हैं. धन कमाने के अच्छे अवसर प्राप्त होंगे. छात्रों के लिए समय अनुकूल रहेगा. परीक्षाओं में अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे. शुक्र गोचर के बाद खाने की वास्तु का दान करें. आपका शुभ रंग है जामुनी - हिंदू कैलेंडर में श्रावण मास के बाद भाद्रपद का महीना आता है। भाद्रपद को भादो भी कहते हैं। इसमें कई खास व्रत-त्योहार आते हैं। इन्हीं में से एक है कजरी तीज। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज का त्योहार मनाने की परंपरा है। इस बार कजरी तीज का त्योहार 14 अगस्त को ही मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा से पति को दीर्घायु और घर में सुख-संपन्नता का वरदान प्राप्त होता है। आइए कजरी तीज का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में जानते हैं.....कजरी तीज के दिन सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं। हालांकि कुवांरी लड़कियों के लिए भी इस व्रत को बहुत फलदायी माना गया है। ऐसी मान्यताएं हैं कि शादीशुदा या कुंवारी लड़कियां अगर सच्चे मन से कजरी तीज का उपवास करें तो उन्हें सौभाग्यवती का वरदान प्राप्त होता है।कजरी तीज की तिथिकजरी तीज का त्योहार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाएगा। तृतीया तिथि 13 अगस्त की रात 12 बजकर 53 मिनट से शुरू होकर 14 अगस्त की रात 10 बजकर 35 मिनट तक रहेगी। इस बार कजरी तीज का त्योहार 14 अगस्त को ही मनाया जाएगा।कजरी तीज की पूजन विधिकजरी तीज के दिन सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लें। फिर नीमड़ी माता को जल, रोली और चावल चढ़ाएं। इसके बाद नीमड़ी माता को मेंहदी और रोली लगाएं। माता को काजल और वस्त्र अर्पित करें और फल-फूल चढ़ाएं।पूजा में इस्तेमाल होने वाले कलश पर रोली से टीका लगाकर कलावा बांधें। पूजा स्थल पर तेल या घी का दीपक जलाएं और मां पार्वती और भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें। पूजा खत्म होने के बाद किसी सौभाग्यवती स्त्री को सुहाग की वस्तुएं दान करें और उनका आशीर्वाद लें। रात में चंद्रमा के दर्शन और अघ्र्य देने के बाद ही व्रत खोलें।
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सनातन परंपरा में प्रत्येक दिन किसी किसी देवता या ग्रह विशेष की पूजा, व्रत और तीज-त्योहार आदि को लिए रहता है. यदि बात करें अगस्त महीने की तो इस साल इसमें कई बड़े प्रमुख पर्व, उत्सव और व्रत पड़ेंगे. इस माह जहां सावन की पूर्णिमा पर भाई और बहन के स्नेह से जुड़ा रक्षाबंधन पर्व मनाया जाएगा तो वहीं श्रीकृष्ण जन्मोत्सव और गणेश उत्सव जैसे बड़े महापर्व भी पड़ेंगे. इनके साथ हर महीने में पडऩे वाली एकादशी, प्रदोष व्रत जैसे कई व्रत एवं तुलसी जयंती भी मनाई जाएगी. आइए जानते हैं कि अगस्त महीने में कब कौन सा त्योहार पड़ेगा.
नाग पंचमी
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पडऩे वाली पंचमी तिथि को नाग पंचमी के पर्व के रूप में मनाया जाता है जो कि इस साल 02 अगस्त 2022 को मनाई जाएगी. इस दिन सुख-सौभाग्य की कामना लिए नाग देवता की पूजा का विधान है.
रक्षाबंधन एवं श्रावण पूर्णिमा
भाई-बहनों के स्नेह से जुड़ा पावन पर्व रक्षाबंधन हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को पड़ता है. इस साल यह पावन पर्व 11 अगस्त 2022 को मनाया जाएगा. इस दिन भगवान विष्णु और वरलक्ष्मी के लिए भी विशेष रूप से व्रत रखा जाता है.
श्री कृष्ण जन्माष्टमी
सनातन परंपरा में भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है. इस साल यह पावन पर्व 18-19 अगस्त को मनाया जाएगा. 18 अगस्त को स्मार्त को और 19 अगस्त को वैष्णव परंपरा के तहत जन्माष्टमी मनाई जाएगी.
कब पड़ेगा एकादशी व्रत
अगस्त के महीने में भगवान विष्णु की कृपा दिलाने वाले दो एकादशी पड़ेंगी. इनमें से पहली पुत्रदा एकादशी 08 अगस्त 2022 को और दूसरी अजा एकादशी 23 अगस्त 2022 को रखा जाएगा.
कब पड़ेगा प्रदोष व्रत
औढरदानी भगवान शिव की कृपा दिलाने वाला प्रदोष व्रत 09 अगस्त 2022 और 24 अगस्त 2022 तारीख को रखा जाएगा.
गणेश चतुर्थी व्रत
रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान ?श्री गणेश की पूजा और उत्सव से जुड़ा महापर्व इस साल 31 ?अगस्त से शुरु होगा. 10 दिनी गणेश उत्सव भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरु होकर अनंत चतुर्दशी को पूर्ण होता है.
अगस्त 2022 के तीज-त्योहार
02 अगस्त, 2022 (मंगलवार) - नाग पंचमी
05 अगस्त, 2022 (शुक्रवार) - दुर्गाष्टमी व्रत
08 अगस्त, 2022 (सोमवार) - पुत्रदा एकादशी
09 अगस्त, 2022 (मंगलवार) - प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)
11 अगस्त, 2022 (गुरुवार) - रक्षाबंधन
12 अगस्त, 2022 (शुक्रवार) - श्रावण पूर्णिमा एवं वरलक्ष्मी व्रत
13 अगस्त, 2022 (शनिवार) - भाद्रपद मास प्रारम्भ
14 अगस्त, 2022 (रविवार) - कजरी तीज
15 अगस्त, 2022 (सोमवार) - संकष्टी चतुर्थी
17 अगस्त, 2022 (बुधवार) - हलषष्ठी व्रत, सिंह संक्रांति
19 अगस्त, 2022 (शुक्रवार) - श्री जन्माष्टमी
23 अगस्त, 2022 (मंगलवार) - अजा एकादशी
24 अगस्त, 2022 (बुधवार) - प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
25 अगस्त, 2022 (गुरुवार) - मासिक शिवरात्रि
27 अगस्त, 2022 (शनिवार) - भाद्रपद अमावस्या
30 अगस्त, 2022 (मंगलवार) - हरतालिका तीज व्रत
31 अगस्त, 2022 (बुधवार) - गणेश चतुर्थी व्रत - हरियाली तीज आज मनाई जा रही है। इस दिन हरे रंग को पहनना बहुत ही शुभ माना जाता है. इसके पीछे का कारण और महत्व क्या है आइए जानें.-------------हिंदू धर्म में हरियाली तीज का विशेष महत्व है। इस दिन महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है। कुंवारी कन्याएं अच्छे पति की प्राप्ति के लिए इस दिन व्रत रखती हैं। इस दिन भगवान शिव और पार्वती पूजा करने और व्रत रखने से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस त्योहार के दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं, मेहंदी लगाती हैं और नए कपड़े पहनती हैं। इस दिन पर महिलाएं हरे रंग के कपड़े पहनती हैं। हरे रंग की चूडिय़ां पहनती हैं। श्रृंगार में हरे रंग की अधिकता ज्यादा होती है. लेकिन आपने कभी ये सोचा है कि हरे रंग के कपड़े इस दिन क्यों पहने जाते हैं। इसका महत्व क्या है आइए जानें...हरियाली तीज पर हरे रंग का महत्वहिंदू धर्म में इस रंग को बहुत ही पवित्र माना जाता है। सावन के महीने में इस रंग का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस महीने में बारिश होती है. चारों ओर हरियाली नजर आती है। मॉनसून में मौसम बहुत ही सुहावना होता है। ये मौसम भीषण गर्मी से राहत पहुंचाता है। इससे मन शांत और खुश रहता है। इसलिए हरे रंग को प्रकृति का भी रंग माना जाता है. इस रंग को सौभाग्य का भी प्रतीक माना जाता है। ऐसा माना जाता कि भगवान शिव को हरा रंग बहुत ही पसंद है। ये रंग बुध का भी माना जाता है। इस रंग के कपड़े पहनने से कुंडली में बुध को मजबूत बनाने में मदद मिलती है। इसलिए आप हरियाली तीज के दिन कुंडली में बुध ग्रह को मजबूत करने के लिए इस रंग के कपड़े भी पहन सकते हैं। यही कारण ही हरियाली तीज के दिन हरे रंग के कपड़े पहनकर पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है।हरियाली तीज का महत्वहरियाली तीज का व्रत पति की लंबी उम्र के लिए किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि अविवाहित कन्याएं अगर इस दिन व्रत रखें तो उन्हें मनचाहे जीवनसाथी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत को उत्तम संतान के लिए भी रखा जाता है। इस व्रत को रखने से दांपत्य जीवन की समस्याएं दूर होती हैं। इस व्रत को रखने से दांपत्य जीवन खुशहाल रहता है।