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- होली से कुछ दिनों पहले फाल्गुन के महीने (Phalguna Month) में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi) कहा जाता है. आमतौर पर सभी एकादशी पर नारायण की पूजा होती है, लेकिन ये एकमात्र ऐसी एकादशी है, जिसमें नारायण के साथ महादेव और माता पार्वती की भी पूजा की जाती है. उन पर रंग और गुलाल डालकर होली खेली जाती है. इस दिन आंवले के पेड़ की भी पूजा की जाती है, इसलिए इस एकादशी को आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) और आंवला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस बार रंगभरी एकादशी 14 मार्च को है. यहां जानिए रंगभरी एकादशी से महादेव और माता पार्वती का संबन्ध कैसे जुड़ा और क्यों उनके साथ होली खेलने की परंपरा शुरू हुई.इस दिन हुआ था माता पार्वती का गौनाकहा जाता है कि महाशिवरात्रि पर माता पार्वती से विवाह करने के बाद महादेव ने रंगभरी एकादशी के दिन ही माता पार्वती का गौना करवाया था. मान्यता है कि इस दिन वो पहली बार उन्हें लेकर काशी विश्वनाथ होते हुए कैलाश पर्वत पर पहुंचे थे. उस समय बसंत का मौसम होने की वजह से चारों ओर से प्रकृति मुस्कुरा रही थी. महादेव के भक्तों ने माता पार्वती का स्वागत रंगों और गुलाल से किया था. साथ ही उन पर रंग बिरंगे फूलों की वर्षा की थी. तब से ये दिन अत्यंत शुभ हो गया और इस दिन महादेव और माता पार्वती की पूजा और उनके साथ होली खेलने का चलन शुरू हो गया.काशी में निकलता है भव्य डोलारंगभरी एकादशी के दिन आज भी वाराणसी में उत्सव का माहौल होता है. हर साल इस मौके पर बाबा विश्वनाथ माता पार्वती का भव्य डोला निकाला जाता है. इस मौके पर बाबा विश्वनाथ माता गौरी के साथ नगर भ्रमण करते हैं और उनके भक्त रंग और गुलाल डालकर उनका स्वागत करते हैं. इसके बाद काशी विश्वनाथ मंदिर में उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है.शोक समापन का दिनहिंदू समाज में जब किसी की मृत्यु हो जाती है, तो शादीशुदा बेटी किसी बड़े त्योहार से पहले अपने मायके मिठाई लेकर त्योहार उठाने के लिए जाती है. इसके बाद मृत्यु के शोक को समाप्त करके फिर से परिवार में शुभ कार्य शुरू किए जा सकते हैं. होली से कुछ दिन पड़ने वाली रंगभरी एकादशी को शोक समापन के लिहाज से काफी शुभ दिन माना जाता है.
- हर साल रंगों की होली (Holi) खेलने से पहले होलिका दहन किया जाता है. माना जाता है कि होलिका दहन (Holika Dahan) बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. इस मौके पर आहुति देना शुभ माना जाता है. मान्यता है कि होलिका दहन की अग्नि में आहुति देने से जीवन की नकारात्मकता समाप्त होती है. इस बार होली का त्योहार 18 मार्च 2022 को मनाया जाएगा. भद्राकाल (Bhadra Kaal) होने की वजह से होलिका दहन 17 और 18 मार्च की आधी रात को होगा. माना जाता है कि होलिका दहन के दौरान अगर कुछ उपाय किए जाएं तो जीवन की तमाम समस्याओं का अंत हो जाता है. यहां जानिए इन उपायों के बारे में.सुख समृद्धि के लिएकहा जाता है कि होलिका दहन के समय अगर अनाज की आहुति दी जाए तो परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है. ऐसे में आप भुट्टे के दाने, उड़द, गेहूं, मसूर, चना, चावल या जौ में किसी एक चीज को चढ़ा सकते हैं.आर्थिक संकट से छुटकारा पाने के लिएअगर आपके परिवार में आर्थिक संकट है तो आपको देसी घी में भीगे हुए दो बताशे, दो लौंग और एक पान के पत्ते की आहुति देनी चाहिए. इससे घर में धीरे धीरे धन का संकट समाप्त होने लगता है और आर्थिक समस्याएं दूर हो जाती हैं.विवाह की अड़चनों को दूर करने के लिएअगर आपके तमाम प्रयासों के बाद भी विवाह की बात कहीं नहीं बन पा रही है, तो शादी की अड़चनों को दूर करने के लिए एक पान के पत्ते पर एक साबुत बताशा और हल्दी की साबुत गांठ रखकर होलिका दहन की अग्नि में आहुति दें. इसके साथ महादेव और माता पार्वती का ध्यान करें और उनसे इस समस्या को दूर करने की प्रार्थना करें.बीमारी से छुटकारा पाने के लिएबीमारी से छुटकारा पाने के लिए होलिका दहन की रात में एक सफेद कपड़े में 11 गोमती चक्र, नागकेसर के 21 जोड़े तथा 11 कौड़ियां बांधें और कपड़े पर हरसिंगार व चन्दन का इत्र लगाएं. इसके बाद रोगी के सिर से सात बार उतारें. होली के अगले दिन इसे शिव मंदिर में रख आएं. इस उपाय को बहुत गुपचुप तरीके से करें. इससे काफी फायदा मिलेगा.लंबी आयु के लिएअपनी लंबाई का काला धागा नापें. इसे दो से तीन बार उसी लंबाई के बराबर लपेटकर तोड़ लें. होलिका दहन करते समय अग्नि में ये धागा भी डाल दें. इससे आपकी सारी बलाएं कट जाएंगी और लंबी आयु मिलेगी.
- फाल्गुन मास (Phalguna Month) की पूर्णिमा तिथि (Purnima Tithi) को होलिका दहन किया जाता है. इसके अगले दिन धुलेंडी का पर्व मनाया जाता है, जिसमें रंगों की होली खेली जाती है. हिंदू धर्म ग्रन्थों के अनुसार, होलिका दहन (Holika Dahan) पूर्णिमा तिथि में सूर्यास्त के बाद करना चाहिए. लेकिन अगर इस बीच भद्राकाल (Bhadra Kaal) हो, तो भद्राकाल में होलिका दहन नहीं करना चाहिए. इसके लिए भद्राकाल के समाप्त होने का इंतजार करना चाहिए. होलिका दहन के लिए भद्रामुक्त पूर्णिमा तिथि का होना जरूरी है. शास्त्रों में भद्राकाल को अशुभ माना गया है. मान्यता है कि इसमें किया गया कोई भी काम सफल नहीं होता और उसके अशुभ परिणाम मिलते हैं. इस बार भी पूर्णिमा तिथि दो दिन है, साथ ही पूर्णिमा तिथि पर भद्राकाल होने के कारण लोगों में होली और होलिका दहन को लेकर संशय की स्थिति है. यहां जानिए किस दिन मनाई जाएगी होली और क्या है होलिका दहन के शुभ समय .ये है होलिका दहन का शुभ समयपूर्णिमा तिथि 17 मार्च 2022 को दोपहर 01:29 बजे से शुरू होकर 18 मार्च दोपहर 12:52 मिनट तक रहेगी. वहीं 17 मार्च को 01:20 बजे से भद्राकाल शुरू हो जाएगा और देर रात 12:57 बजे तक रहेगा. ऐसे में शाम के समय होलिका दहन नहीं किया जा सकेगा. चूंकि होलिका दहन के लिए रात का समय उपर्युक्त माना गया है, ऐसे में 12:57 बजे भद्राकाल समाप्त होने के बाद होलिका दहन संभव हो सकेगा. इसके लिए शुभ समय 12:58 बजे से लेकर रात 2:12 बजे तक है. इसके बाद ब्रह्म मुहूर्त की शुरुआत हो जाएगी.जानें होली की सही तिथिइस बार होली की तिथि को लेकर भी लोगों के मन में संशय की स्थिति है. पूर्णिमा तिथि 17 मार्च से शुरू होकर 18 मार्च को दोपहर 12:52 मिनट तक रहेगी. इसके बाद प्रतिपदा तिथि लग जाएगी. प्रतिपदा तिथि 19 मार्च को दोपहर 12:13 बजे तक रहेगी. रंगों की होली प्रतिपदा तिथि में खेली जाती है. ऐसे में कुछ लोग रंगोत्सव के लिए 18 मार्च को सही तिथि मान रहे हैं, वहीं कुछ लोग 19 मार्च को, क्योंकि 19 मार्च को उदय काल में प्रतिपदा तिथि होगी. लेकिन इस मामले में ज्योतिष विशेषज्ञ डॉ. अरविंद मिश्र की मानें तो पूर्णिमा तिथि में चंद्रमा का महत्व होता है, इसलिए इसमें उदय काल का महत्व नहीं माना जाता. इसलिए पूर्णिमा तिथि 17 मार्च को ही मान्य होगी. 17 मार्च की रात को होलिका दहन के बाद 18 मार्च को प्रतिपदा तिथि में रंगों की होली खेली जा सकती है. इसके अलावा कुछ जगहों पर 18 और 19 मार्च को दोनों दिन रंगों की होली खेली जाएगी.
- होली का त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है. होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है. ये त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इस साल होली (Holi 2022) का त्योहार 17 मार्च को मनाया जाएगा. इस दिन लोग होलिका दहन से पहले विधि विधान से होलिका की पूजा करते हैं. होलिका (Holika Dahan) की अग्नि में घर की सभी समस्याओं को दहन करने की प्रार्थना करते हैं. होलिका को रोली, धूप, फूल, गुड़, हल्दी, बताशे, गुलाल और नारियल जैसी चीजें अर्पित की जाती है. इस दिन होलिका दहन (Holi) की पौराणिक कथा का पाठ करने का भी बहुत महत्व होता है. इस दौरान कथा का पाठ पढ़ने या सुनने से घर में सुख-समृद्धि आती है.होलिका दहन की कथाहोलिका की कहानी मुख्य रूप से भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार और भक्त प्रहलाद से जुड़ी है. मान्यताओं के अनुसार विष्णु के एक भक्त प्रहलाद का जन्म एक असुर परिवार में हुआ था. प्रहलाद भगवान विष्णु का भक्त था. हिरण्यकश्यप को भगवान के प्रति उसकी भक्ति पसंद नहीं थी. हालांकि प्रहलाद किसी और चीज की चिंता किए बिना भक्ति में लीन रहते थे.हिरण्यकश्यप को ये पसंद नहीं आया और उसने प्रहलाद को कई तरह से प्रताड़ित किया. हिरण्यकश्यप ने कई बार प्रहलाद को मारने की कोशिश की लेकिन भगवान विष्णु के प्रभाव के कारण हमेशा असफल रहा. फिर हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से बात की. होलिका को वरदान था कि वह आग में नहीं जल सकती है. होलिका के पास एक ऐसा वस्त्र था जो आग में नहीं जल सकता था. होलिका ने वस्त्र पहना और प्रहलाद के साथ अग्नि में बैठ गई.हालांकि प्रहलाद सुरक्षित रहा और होलिका जलकर राख हो गई थी. इसी कथा को ध्यान में रखते हुए होलिका दहन की प्रथा शुरू हुई और अब तक चल रही है. इस खुशी में अगले दिन रंगों से होली खेली जाती है. होलिका पूजा के दौरान इस कथा को पढ़ने का विधान है. ऐसा माना जाता ही अगर ये कथा पूरी श्रद्धा से पढ़ी जाए तो भगवान आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.होली के दिन लोग रंगों से क्यों खेलते हैं?होली के त्योहार से जुड़ी कई कहानियां हैं. ऐसी ही एक और कहानी है. माना जाता है कि भगवान कृष्ण राधा के गांव बरसाने गए और राधा और सभी गोपियों के साथ होली खेली. अगले दिन बरसाने के लोग नंदगांव में होली मनाते हैं. इस परंपरा के चलते बरसाने और नंदगांव के लोग आज भी रंगों की होली के साथ-साथ लट्ठमार होली भी खेलते हैं.
- रंगों से जुड़े वास्तु नियम बताने जा रहे हैं, जिन्हें बेडरूम के लिए अपनाकर आप अपने रिश्ते और घर में सुख एवं समृद्धि भरा माहौल बना सकते हैं. जानें आपको बेडरूम के लिए रंगों से जुड़ी किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए.लाल रंग न कराएंकहते हैं कि बेडरूम में किसी भी तरह की ऐसी चीज को नहीं लगाना चाहिए, जो लाल रंग की हो. इसमें कमरे का लैंप, नाइट बल्ब और कमरे में किया हुआ कलर शामिल है. कमरे में लाल रंग करवाने से क्रोध और आक्रामकता बढ़ती है और इसी कारण लाल रंग को बेडरूम में न किए जाने की सलाह दी जाती है. अगर आप बेडरूम में नाइट बल्ब का इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो उसका कलर नीला चूज करें.हल्के रंग कराएंबेडरूम घर का एक अहम हिस्सा होता है, यहां भी ऐसा कलर करवाना चाहिए, जो मन को शांति दे. कई बार लोग अपने फर्नीचर के मुताबिक बेडरूम का कलर चुनते हैं, लेकिन वास्तु के मुताबिक ये नुकसानदायक साबित हो सकता है. बेडरूम में हमेशा हल्के रंगों को करना चाहिए. इससे नेगेटिव एनर्जी दूर रहती है और पॉजिटिव माहौल बना रहता है. आप बेडरूम में हल्का हरा, गुलाबी या फिर लाइट ब्लू कलर करवा सकते हैं.पर्दों का रंगबेडरूम में लगाए जाने वाले पर्दों का रंग भी रिश्ते के लिए बहुत अहम माना जाता है. कहते हैं कि इन पर्दों का रंग भी हल्का होना चाहिए. आप बेडरूम के लिए सफेद, नारंगी, क्रीम या फिर पीले रंग के पर्दे चुन सकते हैं. मान्यता है कि पर्दों का कलर भी बेडरूम में पॉजिटिविटी लाता है और इस कारण पति-पत्नी के बीच मिठास भी बनी रहती है, इसलिए यहां पर हल्के रंग के ही पर्दों को लगाएं.बेडरूम में इन रंगों का करें इस्तेमाल, रिश्ते में रहेगी मिठासरंगों से जुड़े वास्तु नियम बताने जा रहे हैं, जिन्हें बेडरूम के लिए अपनाकर आप अपने रिश्ते और घर में सुख एवं समृद्धि भरा माहौल बना सकते हैं. जानें आपको बेडरूम के लिए रंगों से जुड़ी किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए.लाल रंग न कराएंकहते हैं कि बेडरूम में किसी भी तरह की ऐसी चीज को नहीं लगाना चाहिए, जो लाल रंग की हो. इसमें कमरे का लैंप, नाइट बल्ब और कमरे में किया हुआ कलर शामिल है. कमरे में लाल रंग करवाने से क्रोध और आक्रामकता बढ़ती है और इसी कारण लाल रंग को बेडरूम में न किए जाने की सलाह दी जाती है. अगर आप बेडरूम में नाइट बल्ब का इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो उसका कलर नीला चूज करें.हल्के रंग कराएंबेडरूम घर का एक अहम हिस्सा होता है, यहां भी ऐसा कलर करवाना चाहिए, जो मन को शांति दे. कई बार लोग अपने फर्नीचर के मुताबिक बेडरूम का कलर चुनते हैं, लेकिन वास्तु के मुताबिक ये नुकसानदायक साबित हो सकता है. बेडरूम में हमेशा हल्के रंगों को करना चाहिए. इससे नेगेटिव एनर्जी दूर रहती है और पॉजिटिव माहौल बना रहता है. आप बेडरूम में हल्का हरा, गुलाबी या फिर लाइट ब्लू कलर करवा सकते हैं.पर्दों का रंगबेडरूम में लगाए जाने वाले पर्दों का रंग भी रिश्ते के लिए बहुत अहम माना जाता है. कहते हैं कि इन पर्दों का रंग भी हल्का होना चाहिए. आप बेडरूम के लिए सफेद, नारंगी, क्रीम या फिर पीले रंग के पर्दे चुन सकते हैं. मान्यता है कि पर्दों का कलर भी बेडरूम में पॉजिटिविटी लाता है और इस कारण पति-पत्नी के बीच मिठास भी बनी रहती है, इसलिए यहां पर हल्के रंग के ही पर्दों को लगाएं.
- इस समय लोगों का दिल फिल्म 'पुष्पा' पर आया हुआ है । इस फिल्म के गानों से लेकर एक्टर अल्लू अर्जुन की एक्टिंग तक ने लोगों को अपना दीवाना बना दिया है । लाल चंदन की तस्करी पर बनी इस फिल्म ने गजब पॉपुलरिटी पाई है । लाल चंदन अंतरराष्ट्रीय बाजार में जितना कीमती है । धर्म और ज्योतिष में भी इसकी उतनी ही अहमियत है । जिस पर लाल चंदन के टोटके-उपाय तो किस्मत बदलने की ताकत रखते हैं ।बहुत प्रभावशाली हैं लाल चंदन के टोटकेलाल चंदन को रक्त चंदन भी कहते हैं । कारोबार में तरक्की से लेकर, वास्तु दोष दूर करने, ढेर सारा पैसा कमाने, घर में सुख-समृद्धि, शांति लाने और शत्रु को मात देने जैसे तमाम कामों में लाल चंदन के टोटके बेहद कारगर माने जाते रहे हैं। इसके अलावा तंत्र-मंत्र के लिए तो लाल चंदन बहुत उपयोगी है। अधिकांश तंत्र प्रयोगों में लाल चंदन का उपयोग होता है।हर तरह के कष्ट दूर करने का उपाय: यदि लाल चंदन की माला से मां काली के सिद्ध मंत्रों का जाप करें तो जीवन का बड़े से बड़ा कष्ट भी दूर हो जाता है।सुख-समृद्धि पाने का उपाय: यदि हर शुक्रवार को मां लक्ष्मी की पूजा करें और उनका लाल चंदन से तिलक करें तो मां लक्ष्मी बहुत जल्दी प्रसन्न होकर खूब सुख-समृद्धि देती हैं।कारोबार में तरक्की पाने का उपाय: हर मंगलवार को पीपल के 11 पत्तों में लाल चंदन से राम-राम लिखकर हनुमान मंदिर में चढ़ाने से कुछ ही दिन में कारोबार दिन दूनी और रात चौगुनी तरक्की करेगा, लेकिन कोशिश करें कि यह उपाय ऐसे करें कि कोई आपको देखे नहीं।वास्तु दोष दूर करने के उपाय: लाल चन्दन के चूरा, अश्वगंधा और गोखरूचूर्ण में कपूर मिलाकर 40 दिन तक लगातार घर में हवन करने से बड़े से बड़ा दोष दूर हो जाता है। घर में सकारात्मक बढ़ेगी और चौतरफा फायदा होगा। घर में एक के बाद एक खुशियां आएंगी।शत्रु को मात देने का उपाय: भोज पत्र के ऊपर लाल चंदन से शत्रु का नाम लिखें और पत्र को शहद में डुबों दें। इससे शत्रु से होने वाली परेशानी खत्म हो जाएगी।अपार पैसा पाने का उपाय: कड़ी मेहनत के बाद भी मनमाफिक धन कमाने में सफल नहीं हो पा रहे हैं तो मंगलवार को लाल चंदन, लाल गुलाब के फूल और रौली को लाल कपड़े में बांधकर पैसे रखने की जगह पर रख दें। हर 6 महीने में ऐसा करते रहें। माना जाता है कि इससे धन की आवक बढ़ेगी और हमेशा मालामाल बने रहेंगे।सफलता पाने का उपाय: लाल चंदन का तिलक लगाने से आत्मविश्वास बढ़ता है और हर काम में सफलता मिलने लगती है।
- महकता हुआ घर सकारात्मकता तो देता ही है, साथ ही परिवार के सदस्यों के लिए भी अच्छे होते हैं. वास्तु में ऐसे ही कुछ खुशबूदार पौधों के बारे में बताया गया है. जिन्हें घर में सही दिशा में लगाने से करियर में तरक्की, सुख-समृद्धि और सफलता का कारण बनता है.रजनीगंधा का पौधा बहुत ही प्रभावी माना गया है. कहते हैं इसे लगाते ही घर में कमाई के कई नए रास्ते खुलने शुरू हो जाते हैं.रजनीगंधा पौधे को ट्यूबरोज के नाम से भी जानते हैं. रजनीगंधा के फूलों की माला देवी-देवताओं को अर्पित की जाती है. वास्तु शास्त्र में इसे बेहद शुभ पौधे के रूप में जाना जाता है. घर में सही दिशा में लगाने से इसके कई लाभ मिलते हैं.रजनीगंधा का पौधा घर की पूर्व या उत्तर दिशा में लगाने से घर में बरकत होती है. और धन की आवक बढ़ती है. घर की पूर्व या उत्तर दिशा में इस पौधे को लगाने से परिवार के सदस्यों की खूब तरक्की होती है. वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के आंगन में रजनीगंधा का पौधा रखने से पति-पत्नी के रिश्ते मजबूत होते हैं. और दोनों के बीत प्यार बढ़ता है. कहते हैं कि रजनीगंधा पौधा घर के कई वास्तु दोषों को दूर करता है और सकारात्मकता लाता है.
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महाशिवरात्रि के पर्व का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। शिवरात्रि का पर्व भगवान शिव को समर्पित है। मान्यतानुसार शिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था । इस दिन भगवान शिव की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है और साथ ही व्रत उपवास करने का विधान है। इस दिन किए गए अनुष्ठानों, पूजा व व्रत का विशेष लाभ मिलता है।
इस साल शिव-शक्ति के मिलन का महापर्व महाशिवरात्रि शिव योग में मनाई जा रही है,साथ में चतुर्ग्रही योग भी बनेगा। यह पर्व फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी 1 मार्च,मंगलवार को है । चतुर्दशी मुहूर्त एक मार्च सुबह 03:16 से शुरू होकर देर रात्रि 1 बजे समाप्त होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और सभी कष्टों का निवारण होता है।चार प्रहर की पूजा का महत्वमहाशिवरात्रि के दिन चार प्रहर की पूजा का विधान है। मान्यता है कि चार प्रहर की पूजा करने से व्यक्ति जीवन के सभी पापों से मुक्त हो जाता है। धर्म,अर्थ काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। चार पहर की पूजा संध्याकाल यानि प्रदोष वेला से शुरू होकर अगले दिन ब्रह्ममुहूर्त तक की जाती है। पहले प्रहर में दूध से शिव के ईशान स्वरूप को,दूसरे प्रहर में दही से अघोर स्वरुप को,तीसरे प्रहर में घी से वामदेव रूप को और चौथे प्रहर में शहद से सद्योजात स्वरुप को अभिषेक कर पूजन करें। महाशिवरात्रि की रात महासिद्धिदायिनी है इसलिए इस महारात्रि में की गई पूजा-अर्चना विशेष पुण्य प्रदान करती है। अगर कोई शिवभक्त चार बार पूजन और अभिषेक न कर सके और पहले प्रहर में एक बार ही पूजन कर लें,तो भी उसको कष्टों से मुक्ति मिलती है।पहला पहर1 मार्च शाम 6:23 से 9:31 तकदूसरा पहररात्रि 9:32 से 12:39 तकतीसरा पहरमध्यरात्रि 12:40 से सुबह 3:47 तकचौथा पहरमध्य रात्रि बाद 3:48 से अगले दिन सुबह 6:54 तककैसे करें शिव पूजाश्रद्धा भाव से महाशिवरात्रि का व्रत सात्विक रहते हुए विधिपूर्वक रखकर शिवपूजन,शिवकथा,शिव चालीसा,शिवस्रोंतों का पाठ और 'ॐ नमः शिवाय'का जप करते हुए रात्रि जागरण करने से अश्वमेघ के समान फलों की प्राप्ति होती है। व्रत के दूसरे दिन पुनः प्रातः शिवलिंग पर जलाभिषेक कर ब्राह्मणों को यथाशक्ति दक्षिणा आदि दें।रुद्राभिषेक करना शुभदायकइस दिन रुद्राभिषेक करना शुभदायक होगा। इस दुर्लभ योग में भगवान शिव की आराधना करने पर दोष भी दूर हो सकेंगे और कष्टों से मुक्ति मिलेगी। इस दिन कई प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान जैसे रूद्राभिषेक और महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है। इस मंत्र के जाप से कई कष्टों का निवारण होता है।महाशिवरात्रि की पूजा विधिशिव रात्रि को भगवान शंकर को पंचामृत से स्नान करा कराएं। केसर के 8 लोटे जल चढ़ाएं। पूरी रात को दीपक जलाकर रखें। चंदन का तिलक लगाएं, बेलपत्र, भांग,गन्ने का रस, धतूरा, तुलसी, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिठाई, मीठा पान इत्र और दक्षिणा चढ़ाए। इसके बाद खीर का भोग लगाकर प्रसाद बांटें. ओम नमो भगवते रूद्राय, ओम नम: शिवाय रूद्राय् शम्भवाय् भवानीपतये नमो नम: मंत्र का जाप करें। इस दिन शिव पुराण का पाठ जरूर करें। अगर इस दिन जागरण हो तो अति उत्तम है।महाशिवरात्रि पूजा का महत्वइस दिन काले तिलों सहित स्नान करके व व्रत रखकर रात्रि में भगवान शिव की विधिवत आराधना करना कल्याणकारी माना जाता है। दूसरे दिन अर्थात अमावस के दिन मिष्ठान्नादि सहित बाह्मणों तथा शारीरिक रुप से असमर्थ लोगों को भोजन देने के बाद ही स्वयं भोजन करना चाहिए। यह व्रत महा कल्याणकारी होता है और अश्वमेध यज्ञ तुल्य फल प्राप्त होता है। -
हिंदी पंचांग के आखिरी महीने फाल्गुन की शुरुआत हो चुकी है और फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दौरान हर एक श्रद्धालु की यही कोशिश रहती है कि वे भोलेनाथ भगवान शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकें। वैसे तो देशभर में शिव जी के कई प्रसिद्ध मंदिर और शिवालय हैं, लेकिन भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का अपना अलग ही महत्व है। पुराणों और धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इन 12 स्थानों पर जो शिवलिंग मौजूद हैं उनमें ज्योति के रूप में स्वयं भगवान शिव विराजमान हैं। यही कारण है कि इन्हें ज्योतिर्लिंग कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन मात्र से ही श्रद्धालुओं के सभी पाप दूर हो जाते हैं। आइये जानते हैं इन 12 ज्योतिर्लिंग की महिमा.....
1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, गुजरातगुजरात के सौराष्ट्र में अरब सागर के तट पर स्थित है देश का पहला ज्योतिर्लिंग जिसे सोमनाथ के नाम से जाना जाता है। शिव पुराण के अनुसार जब चंद्रमा को प्रजापति दक्ष ने क्षय रोग का श्राप दिया था तब इसी स्थान पर शिव जी की पूजा और तप करके चंद्रमा ने श्राप से मुक्ति पाई थी। ऐसी मान्यता है कि स्वयं चंद्र देव ने इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी।2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, आंध्र प्रदेशआंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के किनारे श्रीशैल पर्वत पर स्थित है मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग। इसे दक्षिण का कैलाश भी कहते हैं और माना जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेशमध्य प्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग। ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है जहां रोजाना प्रात: होने वाली भस्म आरती विश्व भर में प्रसिद्ध है।4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेशओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र में स्थित है और नर्मदा नदी के किनारे पर्वत पर स्थित है। मान्यता है कि तीर्थ यात्री सभी तीर्थों का जल लाकर ओंकारेश्वर में अर्पित करते हैं तभी उनके सारे तीर्थ पूरे माने जाते हैं।5. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तराखंडकेदारनाथ ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में अलखनंदा और मंदाकिनी नदियों के तट पर केदार नाम की चोटी पर स्थित है। यहां से पूर्वी दिशा में श्री बद्री विशाल का बद्रीनाथधाम मंदिर है। मान्यता है कि भगवान केदारनाथ के दर्शन किए बिना बद्रीनाथ की यात्रा अधूरी और निष्फ्ल है।6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्रभीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र में पुणे से करीब 100 किलोमीटर दूर डाकिनी में स्थित है। यहां स्थित शिवलिंग काफी मोटाई लिए हुए है, इसलिए इसे मोटेश्वर महादेव भी कहा जाता है।7. विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तर प्रदेशउत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर जिसे धर्म नगरी काशी के नाम से जाना जाता है। यहीं पर गंगा नदी के तट पर स्थित है बाबा विश्व नाथ का मंदिर जिसे विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि कैलाश छोड़कर भगवान शिव ने यहीं अपना स्थाई निवास बनाया था।8. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्रत्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्रा के नासिक से 30 किलोमीटर दूर पश्चिम में स्थित है। गोदावरी नदी के किनारे स्थित यह मंदिर काले पत्थरों से बना है। शिवपुराण में वर्णन है कि गौतम ऋषि और गोदावरी की प्रार्थना पर भगवान शिव ने इस स्थान पर निवास करने निश्चय किया और त्र्यंबकेश्वर नाम से विख्यात हुए।9. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, झारखंडवैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर में स्थित है। यहां के मंदिर को वैद्यनाथधाम के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि एक बार रावण ने तप के बल से शिव को लंका ले जाने की कोशिश की, लेकिन रास्ते में व्यवधान आ जाने से शर्त के अनुसार शिव जी यहीं स्थापित हो गए। इसलिए इस क्षेत्र की अलग ही महिमा है।10. नागेश्वल ज्योतिर्लिंग, गुजरातनागेश्वथर मंदिर गुजरात में बड़ौदा क्षेत्र में गोमती नदी. द्वारका के करीब स्थित है। धार्मिक पुराणों में भगवान शिव को नागों का देवता बताया गया है और नागेश्वर का अर्थ होता है नागों का ईश्वर। कहते हैं कि भगवान शिव की इच्छा अनुसार ही इस ज्योतिर्लिंग का नामकरण किया गया है। यहां पर भक्त भगवान शिव में चांदी के नाग समर्पित करते हैं। .11. रामेश्वर ज्योतिर्लिंग, तमिलनाडुभगवान शिव का 11वां ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामनाथम नामक स्थान में हैं। ऐसी मान्यता है कि रावण की लंका पर चढ़ाई करने से पहले भगवान राम ने जिस शिवलिंग की स्थापना की थी, वही रामेश्वर के नाम से विश्व विख्यात हुआ।12. घृष्णेवश्वृर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्रघृष्णेवश्वृर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के संभाजीनगर के समीप दौलताबाद के पास स्थित है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है। इस ज्योतिर्लिंग को घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। - वास्तु शास्त्र में घर की हर दिशा का अपना महत्व है। घर में रखी कोई भी वस्तु तभी शुभ फल देती है जब उसे सही दिशा या सही जगह पर रखा जाए। वास्तु के अनुसार घर का इंटीरियर दिशा के अनुसार होना चाहिए। उत्तर दिशा के स्वामी कुबेर देवता हैं। इसलिए इस दिशा में कुछ विशेष ध्यान देने की जरूरत है। वास्तु के अनुसार घर की उत्तर दिशा दोषों से मुक्त होनी चाहिए। ऐसा होने पर घर धन-धान्य से भरा रहता है। वहीं इसके विपरीत यदि घर वास्तु के अनुसार नहीं बना हो मतलब घर की हर चीज की दिशा वास्तु के अनुसार नहीं हो तो घर में बेवजह क्लेश होता है और दरिद्रता छा जाती है, जिससे मां लक्ष्मी रूठ कर चलीं जातीं हैं। आइए जानते हैं इस दिशा में क्या रखना चाहिए, ताकि धन के देवता कुबेर की विशेष कृपा बनी रहे।-घर की तिजोरीधन और समृद्धि के देवता कुबेर उत्तर दिशा के स्वामी हैं। इसलिए उत्तर दिशा में घर की तिजोरी रखने से घर में कभी पैसे की कमी नहीं होगी और घर में हमेशा बरकत बनी रहेगी।-नीले रंग का पिरामिडवास्तु शास्त्र के अनुसार घर की उत्तर दिशा में नीले रंग का पिरमिड लगाना चाहिए। ऐसा करने से आपका घर धन-धान्य से भरा रहेगा। यदि हो सके तो घर की उत्तर दिशा की दीवारों को नीले रंग से पेंट करवा दें।भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की मूर्तिहर घर में मंदिर और भगवान की प्रतिमा देखने को मिलेगी , लेकिन इसकी सही दिशा भी जरूरी है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की पूर्व-उत्तर दिशा में भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की मूर्ति जरूर रखनी चाहिए। इसके अलावा इस स्थान की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। ऐसा करने से घर में रुपए-पैसों की तंगी नहीं रहेगी।-तुलसी या आंवले का पौधावास्तुशास्त्र के अनुसार घर में आर्थिक संपन्नता बनाए रखने के लिए घर की उत्तर दिशा में तुलसी का पौधा या आंवले का पेड़ लगाने से लाभ होता है। साथ ही उत्तर दिशा में पानी की व्यवस्था रखने से घर में धन का प्रवाह होता रहता है।
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एक मार्च को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। यह त्योहार हिन्दू धर्म में बहुत हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन शिव जी और माता पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि पर शिव जी के भक्त निर्जला व्रत रखते हैं, क्योंकि इसका बहुत विशेष महत्व बताया गया है। माता पार्वती और शिव जी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। साथ ही सभी संकट दूर हो जाते हैं। माना जाता है कि अगर शिव की आराधना किसी भी रुप में हो कल्याणकारी होती है। इस पर्व के मौके पर अगर आप अपनी राशि के अनुसार शिव जी का पूजन करेंगे, तो आपको विशेष लाभ होगा, साथ ही सभी मनोकामनाएं भी पूरी होंगी।
मेष राशि: मेष राशि वाले लोग तांबे के लोटे में जल लें और उसमें थोड़ा सा गुड़ मिलाएं.। इस गुड़ और जल से भगवान शिव का अभिषेक करें। इसके साथ ही मेष राशि वालों को लाल फूल भी अर्पित करने चाहिए।वृषभ राशि: वृषभ राशि के लोगों को चांदी या स्टील के लोटे में दूध और जल के मिश्रण से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए। साथ ही इस राशि के लोगों को शिवलिंग पर सफेद चंदन, दही, सफेद फूल, चावल, सफेद चंदन और अर्पित करने चाहिए। तांबे बर्तन से दूध समर्पित नहीं करते हैं।मिथुन राशि: मिथुन राशि के लोगों को शिव जी की पूजा 3 बिल्व पत्रों से करनी चाहिए। मिथुन राशि के लोग शिवलिंग का अभिषेक गन्ने के रस से कर सकते हैं। शिवलिंग का गन्ने के रस से अभिषेक करने से विशेष लाभ होगा और शिव जी की कृपा बरसती है।कर्क राशि: कर्क राशि वाले लोगों को घी से शिव जी का अभिषेक करना चाहिए। कर्क राशि के लोग अगर कच्चे दूध से भगवान शिव पर अर्पित करेंगे तो उनको मनचाही मनोकामना में सहायता मिलेगी। साथ ही सफेद चंदन से शिव जी का तिलक भी करें।सिंह राशि: सिंह राशि के लोगों को भगवान शिव का अभिषेक गुड़ और जल के मिश्रण से करना चाहिए। अगर आप शिव जी को गेहूं अर्पित करेंगे तो आपको विशेष लाभ होगा।कन्या राशि: कन्या राशि के लोगों को भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए गन्ने के रस से अभिषेक करना चाहिए। शिवलिंग पर बेलपत्र और भांग के पत्ते चढ़ाने भी चाहिए।तुला राशि: तुला राशि के लोगों को शिवरात्रि पर इत्र, फूलों से सुगंधित जल या तेल से शिव का अभिषेक करना चाहिए क्योंकि इससे भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। तुला राशि के लोगों को शिव जी को शहद भी अर्पित करना चाहिए इससे लाभ होता है।वृश्चिक राशि: वृश्चिक राशि वाले लोगों को अगर भगवान शिव को प्रसन्न करना है तो पंचामृत से शिव जी का अभिषेक करें। पंचामृत से अभिषेक करने से शिव जी बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं।धनु राशि: इस राशि के लोगों को केसर या हल्दी युक्त दूध भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। साथ ही बेल पत्र और पीले फूल अर्पित करने चाहिए।मकर राशि: इस राशि वाले भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए काले तिल से भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए।कुंभ राशि: कुंभ राशि वाले लोगों को भगवान शिव पर काले तिल अर्पित करने चाहिए और गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से सभी संकट दूर होते हैं।मीन राशि: मीन राशि वाले लोगों को शिवलिंग का अभिषेक करते समय पीले रंग के फूल अर्पित करने चाहिए और शिव जी को पीले रंग का भोग भी लगाना चाहिए।----- - पौधे हमेशा से मन को सुकून और शांति देते हैं। हमारे घर को प्राकृतिक सुंदरता प्रदान कर सकारात्मक ऊर्जा और शुद्ध वायु देते हैं । फेंगुशई की मानें तो कुछ पौधे ऐसे होते हैं जिनको घर में लगाने से आर्थिक समस्या दूर होती है और सुख-शांति आती है। आइए जानते हैं ऐसे ही पौधों के बारे में जो आपकी आर्थिक उन्नति में मददगार हो सकते हैं।मनी प्लांटज्योतिष के अनुसार मनी प्लांट का संबंध शुक्र ग्रह से है इसलिए मनी प्लांट के पौधे को आग्नेय दिशा यानी दक्षिण पूर्व में ही रखना शुभ माना गया है, यहां रखा मनी प्लांट सुख-सौभाग्य को बढ़ाता है। इसे लगाने से परिवार के लोगों में प्रेम बना रहता है और आर्थिक तंगी नहीं होती। मनी प्लांट को कभी भी उत्तर-पूर्व दिशा यानि ईशान कोण में ना रखें।बांस का पौधाबांस के पौधे को शुभ, सौभाग्य और लम्बी आयु का प्रतीक माना गया है। वास्तुविज्ञान के अनुसार यदि बांस के पौधे को दिशाओं के अनुरूप सही स्थान दिया जाए तो ये चमत्कारिक लाभ प्रदान करता है। बांस का अद्भुत पौधा नकारात्मक ऊर्जा को ख़त्म करता है,वहीं यह अपने आस-पास के वातावरण को भी शुद्ध करता है अत: इसे घर में अवश्य लगाना चाहिए। इसे लाल रिबन से बांधकर और कांच के बाउल में पानी डालकर रखना चाहिए। कांच के जार में छोटे आकार के बांस के पौधों को लाल धागे में बांधकर दुकान, प्रतिष्ठान में ईशान या उत्तरी दिशा में रखने से आर्थिक प्रगति होने लगती है। जीवन में धन की कभी कमी महसूस न हो इसके लिए 6 बांस के डंठल का प्रयोग आपको लाभ देगा।तुलसीदेवी लक्ष्मी का स्वरुप तुलसी को घर के उत्तर, ईशान या पूर्व दिशा में लगाने से माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है, जीवन में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती। घर के आंगन में या छत पर तुलसी को रोज सुबह-शाम जल चढ़ाएं। शाम को तुलसी के पास घी का दीपक जलाएं ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है एवं धन की कमी नहीं रहती।लिली का पौधासकारात्मक ऊर्जा से भरपूर यह पौधा घर के लोगों में खुशियां, सौहार्द बढ़ाता है। लिली के पौधे की खासियत है कि इसे घर में लगाने से घर के सदस्यों का व्यवहार आपस में अच्छा रहता है। इसलिए इस पौधे को अपने घर के लिविंग रुम या फिर मेडिटेशन वाले कमरे में लगाना चाहिए।आर्थिक उन्नति के लिए सफ़ेद लिली को घर की दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना चाहिए।मनीट्री या क्रासुलाफेंगशुई के अनुसार छोटे-छोटे गोल पत्ते वाले जेड पौधे को घर या ऑफिस में रखना बहुत शुभ होता है,धन लाभ होता है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इसे दरवाज़े के पास प्रवेशद्वार पर अंदर की ओर लगाना चाहिए। कहते हैं यह पौधा चुंबक की तरह पैसों एवं सकारात्मक ऊर्जा को अपनी ओर खींचता है।---
- ज्यादातर घरों में पूजा घर में बहुत से भगवान की प्रतिमाएं या तस्वीरें देखने को मिलती हैं। जाने-अनजाने हम एक के बाद एक भगवान की तस्वीरें पूजा घर में रखते जाते हैं, लेकिन ऐसा करना शुभ नहीं होता है। साथ ही शास्त्रों के अनुसार पूजा करते समय भी कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। पूजा करने की विधि कैसी हो इस प्रकार के विषय में अधिकांश लोगों को जानकारी नहीं होती। इसलिए घर में पूजा स्थान पर होने वाले दोष आपको इससे मिलने वाले फल से वंचित रख सकते हैं। घर में की जाने वाली पूजा का सम्पूर्ण फल पाने के लिए आप पूजा स्थान से जुड़ीं जानकारियों को अच्छे से समझकर उनका उपयोग करें।1. पूजागृह में दो शिवलिंग, तीन गणेश, दो शंख, दो सूर्य प्रतिमा, तीन देवी प्रतिमा, दो गोमती चक्र या दो शालिग्राम का पूजन नहीं करना चाहिए।2. घर में 9 इंच (22 सेंटीमीटर) या उससे छोटी प्रतिमा होनी चाहिए। इससे बड़ी प्रतिमा घर के लिए शुभ नहीं होती है। उसे मंदिर में ही स्थापित करना चाहिए।3. देवी की 1 बार, सूर्य की 7 बार, गणेश की 3 बार, विष्णु की 4 बार तथा शिव की आधी परिक्रमा करनी चाहिए।4. आरती करते समय भगवान विष्णु के समक्ष 12 बार, सूर्य के समक्ष 7 बार, दुर्गा के समक्ष 9 बार, शंकर के समक्ष 11 बार और गणेश के समक्ष 4 बार आरती घुमानी चाहिए।5. पूजा करते समय बिना आसन के भूमि पर नहीं बैठना चाहिए।6. शास्त्रों के अनुसार घर में पूजा करने का स्थान ईशान कोण में होना चाहिए। उत्तर दिशा और पूर्व दिशा के बीच का भाग ईशान कोण होता है। ईशान कोण को शुभ कार्यों के लिए सबसे उत्तम दिशा माना गया है। इस दिशा में पूजा के मंदिर को स्थापित करें।7.पूजा स्थल में गणेश जी की स्थापना अवश्य करें। इसके लिए एक सुपारी पर लाल धागे (मौली) को लपेट लें और कुमकुम से तिलक कर एक कटोरी में थोड़े चावल रखकर स्थापित करें।8. पूजा स्थल में एक कोने में बंद पात्र में गंगाजल अवश्य रखना चाहिए।9. एक तांबे के छोटे से लोटे में जल को पूजा स्थल में अवश्य रखना चाहिए। प्रतिदिन इस पात्र का जल बदलना चाहिए व पुराने जल को पीपल के पेड़ या तुलसी के पौधे में डाल सकते हैं।ॉ10. पूजा करने के स्थान पर भूलकर भी अपने पित्र देव (स्वर्गीय माता, पिता या गुरु) की फोटो न लगाए। उनका स्थान अलग रखें।11. पूजा स्थल में कूड़ा-कचरा एकत्रित न होने दें। प्रतिदिन पूजा घर की सफाई करें।12. अगर आपने पूजा घर में कोई मूर्ति की स्थापना की हुई है तो ध्यान दें, मूर्ति का कोई भी हिस्सा खंडित नहीं होना चाहिए। मूर्ति खंडित होने पर तुरंत उसे वहां से हटा दें। खंडित मूर्ति को बहते जल में विसर्जित कर सकते हैं।13. पूजा के समय यदि संभव हो तो शुद्ध देसी गाय के घी का प्रयोग करें, व भोग लगाने के लिए अग्नि में गाय के गोबर के कंडो (ऊपलों) का ही प्रयोग करना उत्तम माना गया है।14. पूजा-पाठ के समय दीपक कभी भी बुझना नहीं चाहिए, शास्त्रों में यह एक बड़ा अपशगुन माना गया है।15. पूजा-पाठ के समय गुग्गल युक्त धूपबत्ती का प्रयोग करें। गुग्गल घर के वातावरण को शुद्ध और घर से नकारात्मक ऊर्जा या बुरे दोष को दूर करती है।16. रात्रि को सोते समय पूजा स्थल को लाल पर्दे द्वारा ढंक दें व सुबह होने पर पर्दे को हटा दें।
- सेहत को सबसे बड़ी संपत्ति कहा गया है क्योंकि दुनिया के तमाम सुख हों लेकिन व्यक्ति का शरीर बीमारियों से जकड़ा हो तो उसके लिए कोई भी चीज सुख नहीं दे सकती है। सेहत के खराब होने के पीछे कई तरह के कारण होते हैं और इसमें एक प्रमुख कारण वास्तु दोष भी हैं। इसके चलते दवाइयां लेने के बाद भी बीमारी ठीक होते नजर नहीं आती हैं। वास्तु शास्त्र के मुताबिक गलत जगह पर रखीं दवाइयां न केवल घर के लोगों की सेहत में सुधार नहीं होने देतीं, बल्कि उन्हें हमेशा किसी न किसी बीमारी का शिकार बनाए रखती हैं।इन जगहों पर कभी न रखें दवाइयांघर के वायव्य कोण यानी उत्तर और पश्चिम के कोण वाली दिशा में कभी भी दवाइयां न रखें। इससे दवाओं का असर बहुत धीमे होता है। वहीं दक्षिण पूर्व या दक्षिण दिशा में दवाएं रखने की गलती कभी न करें। ऐसा करना आपको कभी स्वस्थ ही नहीं रहने देगा। इसी तरह किचन में और खासतौर पर प्लेटफॉर्म पर दवाइयां न रखें। ऐसा करने से व्यक्ति को जीवन भर कोई न कोई बीमारी के चलते दवाइयों पर ही निर्भर रहना पड़ता है।जानें दवाइयां रखने की सही जगहघर में हमेशा ईशान कोण यानी कि उत्तर- पूर्व में दवाएं रखें। यहां फस्ट एड किट रखना भी अच्छा होता है। इससे व्यक्ति हमेशा सेहतमंद रहता है और यदि वह बीमार हो भी जाए तो जल्दी ठीक भी हो जाता है।
- इंसान नींद की अवस्था में कई तरह के सपने देखता है। कुछ सपने स्मरण में नहीं रहते हैं जबकि कुछ सपने ऐसे भी होते हैं जो याद रहते हैं। स्वप्न शास्त्र के अनुसार हर कुछ सपने शुभ फल देते हैं। वहीं कुछ सपने अशुभ संकेत भी देते हैं। सपने में पानी देखना भी एक शुभ स्वप्न होता है। आइए जानते हैं सपने में पानी देखने का अर्थ.....सपने में बारिश देखनास्वप्न शास्त्र के अनुसार सपने में बारिश होते देखना शुभ संकेत देता है। यह सपना करियर में सफलता का शुभ संकेत देता है। ऐसे सपने का मतलब ये भी होता है कि भविष्य में घर में लक्ष्मी की आगमन होने वाला है।सपने में नदी देखनास्वप्न शास्त्र के मुताबिक अगर कोई नदी सपने में देखता है तो उसे शुभ फल प्राप्त होता है। इसके अलावा सपने में खुद को पानी में तैरते देखना भी शुभ है। ऐसे सपने भविष्य में मनोकामना पूर्ति का संकेत देते हैं।सपने में बाढ़ का पानी देखनासपने में बाढ़ का पानी देखना शुभ संकेत माना जाता है। स्वप्न शास्त्र के मुताबिक इसका अर्थ है कि जल्द ही कोई शुभ समाचार मिलने वाला है। वहीं सपने में गंदा पानी देखना शुभ नहीं माना जाता है।सपने में कुंए का पानी देखनास्वप्न शास्त्र के मुताबिक सपने में कुंए का पानी देखना शुभ है। ऐसा सपना अचानक धन प्राप्ति का संकेत देता है। साथ ही सपने में साफ पानी देखना भी शुभ संकेत देता है। इसका अर्थ होता है कि नौकरी-व्यापार में तरक्की हो सकती है।
- कुछ ही हफ्तों में गर्मी के मौसम की दस्तक हो जाएगी और इसके साथ ही शुरू होगा रसीले आम का इंतजार। आम को फलों का राजा कहा जाता है और पूरे देश में इसे बेहद चाव से खाया जाता है, लेकिन शहरीकरण की वजह से कई लोग आम के पेड़ को घर में नहीं उगा सकते, लेकिन अब ऐसी दिक्कतें शायद आपको नहीं आएगी।घर के गमले में उगाएं आमआम के फल में में प्रोटीन, फाइबर, विटामिन ए, विटामिन सी, कार्बोहाइड्रेट जैसे कई न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं और ये पाचन से जुड़ी बीमारियों और कैंसर तक में कारगर है। ऐसे में हम आपको गमले में आम उगाने का तरीका बता रहे हैं। आप इसकी पैदावार अपनी बालकनी और छत पर कर सकते हैं.ग्राफ्टिंग तकनीक का करें इस्तेमालआम के पौधे को गमले में उगाने के लिए आपको ग्राफ्टिंग तकनीक का इस्तेमाल करना होगा, क्योंकि रोपाई के तरीके से आम आने में काफी वक्त लगता है। पहले आम के बीच को जमीन की मिट्टी में डालकर कुछ दिनों में पौधा उगने का इंतजार करें। इसके बाद पुराने फलदार पेड़ से 10 इंच की टहनी काट लें और चाकू से नीचे का हिस्सा छील लें।कटी हुई टहने से निकलेगा पौधाइसके बाद जमीन में लगाए गए पौधे के ऊपर का एक हिस्सा दो इंच काट लें और उसकी परत का छील लें, इसके बाद दूसरी काटी हुई टहनी को उसपर लगा लें और फिर प्लास्टिक से बांघ लें। ऐसा करने से करीब एक महीने में आम का पौधा तैयार हो जाएगा। फिर इसे जमीन की मिट्टी से बाहर निकालकर गमले में लगा लें।मिट्टी तैयार करने का तरीकाआम के पौधे के लिए मिट्टी तैयार करने के लिए कुछ सावधानी जरूर बरतें नहीं तो पौधा सूख सकता है। जमीन की उपजाऊ मिट्टी में गोबर की खाद और नीम की खली मिलाकर तैयार कर लें, इससे पौधे की ग्रोथ अच्छी रहती है।कुछ सावधानियां भी हैं जरूरीगमले में पौधा लगाने के बाद कुछ महीनों में इसकी ग्रोथ काफी ज्यादा ग्रोथ हो जाती है और नीम की खली की वजह से इसमें कीड़े भी नहीं लगते। अगर पत्ते का रंग पीला हो जाए तो इसमें नीम का तेल का छिड़काव करें, इससे पौधे नही सूखेंगे। मिट्टी की नमी बरकरार रहनी जरूरी है, ऐसे में नियमित तौर पर पानी डालते रहें।एक से दो साल में उगेंगे आमगमला 15 से 20 इंच का रखें ताकी पौधे की जड़ों का समुचित विकास हो सके, ऐसा करने से पौधे को भरपूर पोषण मिलेगा और एक से दो साल के अंदर आप ताजे, मीठे और रसीले आमों का स्वाद ले सकेंगे।
- फाल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी विजया एकादशी कहलाती है। इस एकादशी का व्रत रखने से कार्यों में सफलता मिलती है। इस साल विजया एकादशी 27 फरवरी, रविवार के दिन है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन की गई भगवान विष्णु की उपासना से हर कामना पूरी होती है। साथ ही भयानक विपत्तियों से भी छुटकारा मिल जाता है। आइए जानते हैं कि विजया एकादशी शुभ मुहूर्त और क्या करें.विजया एकादशी के दिन शुभ योगपंचांग के मुताबिक फल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 26 फरवरी, सुबह 10 बजकर 39 मिनट से शुरू होगी। जो कि 27 फरवरी सुबह 8 बजकर 12 मिनट तक रहेगी। विजया एकादशी का व्रत 27 फरवरी को रखा जाएगा। इस बार विजया एकादशी पर सर्वार्थसिद्धि योग बन रहा है. यह योग एकादशी के दिन 8 बजकर 49 मिनट से शुरू होगा, जो कि अगले दिन सुबह 6 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। धार्मिक मान्यता है कि सर्वार्थसिद्धि योग में किए गए व्रत से कार्य में सिद्धि प्राप्त होती है। इसके अलावा इस दिन त्रिपुष्कर योग भी बन रहा है। त्रिपुष्कर योग सुबह 8 बजकर 49 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 5 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। वहीं इस दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से लेकर 12 बजकर 57 मिनट तक है।विजया एकादशी पर क्या करेंएक कलश पर भगवान श्री हरी की स्थापना करें। इसके बाद भगवान का पूजन करें। माथे पर सफेद चंदन या गोपी चंदन लगाकर पूजन करें। भगवान को पंचामृत, पुष्प और ऋतु फल अर्पित करें। इस दिन उपवास करना अच्छा होता है। शाम के वक्त भगवान की आरती जरूर करें। अगले दिन सुबह उसी कलश का और अन्न वस्त्र आदि का दान करें। विजया एकादशी व्रत के दौरान दिन चावल और भारी खाद्य का सेवन ना करें। रात्रि के समय पूजा उपासना का विशेष महत्व होता है। क्रोध न करें, कम बोलें और आचरण पर नियंत्रण रखें।
- वास्तु किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य और धन और उसके रहने की जगह को समान रूप से प्रभावित करता है. घर की वास्तुकला और फर्नीचर सदस्यों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं. हम सभी एक स्वस्थ जीवन के साथ एक शांतिपूर्ण घर चाहते है. कुछ वास्तु टिप्स को आजमाने से हमें सुखद और शांत ऊर्जा मिल सकती है. काम पर एक थकाऊ दिन के बाद हम मानसिक शांति और आराम के लिए घर पर रहना चाहते हैं. ऐसे में आप कुछ वास्तु टिप्स फॉलो कर सकते हैं. ये बीमारी, मानसिक पीड़ा, नकारात्मक ऊर्जा को रोकने और अच्छे स्वास्थ्य और मन की शांति को बढ़ावा देने में मदद करते हैं.सामान्य वास्तु टिप्सउत्तर-पूर्व दिशा में प्रतिदिन मोमबत्ती या दीपक जलाएं. ये अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है.नल का लगातार टपकना नकारात्मक ऊर्जा पैदा करता है. ये स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं. सुनिश्चित करें कि आपके घर में नल टपकता न हो.सीढ़ियों के नीचे की जगह को टॉयलेट, स्टोर या किचन के रूप में इस्तेमाल करने से नर्वस सिकनेस और दिल की बीमारियां हो सकती हैं.पढ़ाई या काम करते समय उत्तर या पूर्व की ओर मुंह करें. ये अच्छी याददाश्त को बढ़ावा देता है.तुलसी के पौधे लगाने से घर में वायु शुद्ध होती है. कैक्टस और कांटेदार पौधे घर पर लगाने से बचें. ये आपकी बीमारी और तनाव को बढ़ा सकते हैं.अपने घर के उत्तर-पूर्वी कोने में सीढ़िया या शौचालय का निर्माण न करें. ये स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारण बनता है और बच्चों के विकास में बाधा डालता है.बेडरूम वास्तु टिप्सदक्षिण-पश्चिम दिशा में एक मास्टर बेडरूम शारीरिक और मानसिक स्थिरता सुनिश्चित करता है. उत्तर-पूर्व दिशा में कभी भी बेडरूम का निर्माण न करें. ये स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है.सोते समय हमेशा दक्षिण दिशा में सिर करके लेटें. ये एक शांतिपूर्ण और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देता है. उत्तर दिशा में सिर करके सोना सही नहीं है क्योंकि इससे तनाव और दर्द होता है.गर्भपात की संभावना को रोकने के लिए गर्भवती महिला को उत्तर-पूर्व दिशा में सोने से बचना चाहिए.प्रकाश की किरणों के नीचे सोने से बचें क्योंकि इससे अवसाद, सिरदर्द और स्मृति हानि होती है.अपना बिस्तर शीशे के सामने न रखें. इससे बुरे सपने आते हैं.कभी भी अपने बेड को शौचालय की दीवार के साथ संरेखित न करें, क्योंकि इससे नकारात्मक ऊर्जा आती है.अच्छी नींद लेने के लिए मोबाइल फोन और अन्य गैजेट्स को बिस्तर से दूर रखें.स्वास्थ्य और रसोई वास्तु टिप्सरसोई घर के लिए दक्षिण-पूर्व दिशा को अच्छा माना जाता है.पूर्व दिशा खाना पकाने और खाने के लिए सबसे अच्छी दिशा मानी जाती है, क्योंकि ये प्रभावी पाचन और अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है.शौचालय और रसोई एक साथ बनाने से बचें. दोनों को एक दूसरे से कुछ दूरी पर रखें.
- पौष्टिक भोजन हमें स्वाद के साथ अच्छा स्वास्थ्य भी देता है। परंतु सिर्फ अच्छा या स्वादिष्ट भोजन ही अच्छे स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त नहीं है। वास्तुशास्त्र में भोजन करने के लिए दिशाओं का निर्धारण किया गया है। आप भोजन कौन सी दिशा में कर रहे हैं? इसका वास्तु के अनुसार बहुत महत्व है और आपके स्वास्थ्य और शरीर पर भी इसका अनुकूल और प्रतिकूल असर पड़ता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार यदि घर की सही दिशा में बैठकर भोजन किया जाए तो इससे परिवार के सदस्यों की सेहत अच्छी बनी रहती है। यदि भोजन गलत दिशा में बैठकर किया जाए तो स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती है। वास्तुशास्त्र के अनुसार उन दिशाओं का संबंध देवताओं और ऊर्जा से माना जाता है। इस आधार पर भोजन करते समय दिशा का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं कौन सी दिशा में मुख करके भोजन करना उत्तम माना जाता है।पूर्व दिशा में मुख करके भोजन करना उत्तमवास्तु शास्त्र के अनुसार पूर्व या उत्तर पूर्व दिशा में मुख करके भोजन करना उत्तम माना जाता है। पूर्व दिशा की ओर मुख करके भोजन करने से रोग और मानसिक तनाव दूर होते है। दिमाग को स्फूर्ति मिलती है। पूर्व या उत्तर पूर्व दिशा में मुख करके भोजन अच्छी तरह से पचता है जिससे आपका स्वास्थ्य ठीक रहता है। पूर्व दिशा में मुख करके भोजन करने से आयु में भी वृद्धि होती है।छात्र करें उत्तर दिशा की पर मुख करके भोजनवास्तु शास्त्र के अनुसार जो लोग धन, विद्या या अन्य ज्ञान अर्जन करना चाहते हैं उन्हें उत्तर दिशा की ओर मुख करके भोजन करना चाहिए। विद्यार्थियों और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे लोगों का इस दिशा में भोजन करना लाभदायक है। यदि आप अपने करियर की शुरुआत कर रही हैं जो लोग अपने करियर के प्रारंभिक अवस्था में हैं, उनको भी उत्तर दिशा में मुख करके ही भोजन करना चाहिए।नौकरीपेशा के लिए भोजन की पश्चिम दिशा उत्तमवास्तु शास्त्र के अनुसार पश्चिम दिशा लाभ की दिशा मानी जाती है। को लोग व्यवसाय से जुड़े हैं या कोई नौकरी कर रही हैं या फिर जो लोग लेखन, शोध या शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हैं उनको पश्चिम दिशा की ओर मुख करके भोजन करना चाहिए।दक्षिण दिशा में भोजनवास्तु नियम के अनुसार दक्षिण दिशा यम की दिशा मानी जाती है। इस दिशा में भोजन करने से आयु का ह्रास होता है। और आप कई प्रकार की समस्या से घिर सकते हैं। लेकिन अगर समूह में बैठकर भोजन कर रहे हैं तो किसी भी दिशा का कोई असर नहीं पड़ता है।भोजन कक्ष की दिशाचूंकि भोजन का संबंध हमारी सेहत से है। इसलिए भोजन कक्ष की दिशा भी वास्तु के अनुसार बहुत मायने रखती है वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में भोजन कक्ष या डाइनिंग रूम की उत्तम दिशा पश्चिम दिशा है। अतः घर की पश्चिम दिशा में बना डाइनिंग हॉल शुभ प्रभाव देने वाला होता है। इस दिशा में भोजन करने से भोजन से जुड़ी सभी आवश्यकताएं पूर्ण होती हैं और स्वास्थ्य अच्छा रहता है। यदि पश्चिम दिशा में डाइनिंग हॉल संभव नहीं है तो उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा दूसरा विकल्प है।
- स्वप्न अवचेतन मन में चल रहे विचारों के अलावा भविष्य की घटनाओं का भी इशारा देते हैं। स्वप्न शास्त्र में हर तरह के सपने के शुभ-अशुभ मतलब बताए गए हैं। कुछ सपने ऐसे होते हैं, जिनका आना जिंदगी में सुख-संपत्ति, वैभव-ऐश्वर्य आने का साफ संकेत होता है। स्वप्न शास्त्र के अनुसार सब तो नहीं लेकिन कुछ सपने ऐसे जरूर होते हैं जो हमारे भविष्य से जुड़े हुए होते हैं। अक्सर हमें कई बार बहुत डरावने सपने आते हैं, लेकिन जरूरी नहीं सभी डरावने सपने अशुभ संकेत देते हैं। वास्तव में बहुत से ऐसे डरावने सपने हैं जो हमे शुभ संकेत देते हैं। आइए जानते ऐसे कौन से डरावने सपने हैं जो शुभ संकेत देते हैं।यदि दिखाई दे कोई जलता हुआ व्यक्तिस्वप्नशास्त्र के अनुसार यदि सपने में आपको कोई जलता हुआ व्यक्ति दिखाई देता है तो यह स्वप्न संकेत आपके धन लाभ से जुड़ा हुआ है। इसका अर्थ है कि आपको शीघ्र ही धन लाभ होने वाला है।यदि दिखे किसी करीबी की मृत्युयदि आपको सपने में किसी करीबी की मृत्यु दिखाई देती है तो स्वयं यह संकेत देता है कि उस व्यक्ति के ऊपर जो भी संकट आया है वो टल गया है और उस व्यक्ति की आयु बढ़ गई है।यदि स्वप्न में दिखे आत्महत्याअगर सपने में खुद को या फिर किसी और को आत्महत्या करते हुए देखें तो यह शुभ संकेत है। अगर ऐसा सपना देखने वाला व्यक्ति काफी समय से बीमार है तो इस स्वप्न संकेत के आधार पर वह शीघ्र ही स्वस्थ हो सकता है।स्वप्न में दिखे अर्थी या शव यात्रायदि स्वप्न में आपको अर्थी या कोई शवयात्रा दिखती है तो स्वप्न शास्त्र के अनुसार आपका भाग्य जागने वाला है। यदि कोई रुग्ण व्यक्ति ऐसा स्वप्न देखे तो इसका अर्थ है वह जल्द ही सही होने वाला है।स्वप्न में देखें खुद का कटा हुआ सिर या चोटस्वप्न शास्त्र के अनुसार अगर सपने में आपने खुद का कटा हुआ सिर देखते हैं तो इसका मतलब है आपको आर्थिक लाभ प्राप्त होगा। यदि सपने में सिर पर चोट लगे देखने का अर्थ है कि काफी समय से आपका जो धन रुका हुआ है वो आपको जल्द ही वापस मिल सकता है या फिर आप जिस काम में प्रयासरत हैं उसमें आपको सफलता मिलने वाली है।
- मोर शब्द के उल्लेख के साथ ही हमारे सामने नीले, हरे और बैंगनी रंग के सुंदर रंगों का इंद्रधनुष उभर आता है. मोर न केवल भारत का राष्ट्रीय पक्षी है बल्कि वास्तु के अनुसार इसे बहुत भाग्यशाली भी माना जाता है. विशेषज्ञों के अनुसार मोर पंख (Peacock feathers) सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है. ये शरीर और स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव डालता है. प्राचीन काल में शरीर से विष को दूर करने के लिए मोर पंख का इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता था. प्राचीन काल से ही मोर पंख को घर में रखना बहुत शुभ माना जाता है. वास्तु के अनुसार भी मोर पंख घर से कई प्रकार के वास्तु दोषों को दूर करता है और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है, इसलिए वास्तु (Vastu) में मोर पंख बहुत (Peacock feathers Upay) उपयोगी माना गया है. आइए जानें आप मोर पंख के कौन से उपाय आजमा सकते हैं.सुखी दांपत्य जीवन के लिएपति-पत्नी के बीच मनमुटाव आज के दौर में एक आम बात हो गई है. वैवाहिक जीवन में किसी न किसी दिन विवाद की स्थिति बनी रहती है. ऐसे में शयन कक्ष में पूर्व या उत्तर दिशा में दीवार पर दो मोर पंख एक साथ लगाने से दांपत्य जीवन से जुड़ी परेशानियां खत्म होंगी साथ ही रिश्तों में मधुरता आएगी.परेशानियों को दूर करने के लिएकाल सर्प दोष सहित राहु-केतु कुंडली में कई प्रकार के दुष्प्रभाव उत्पन्न करता है. इससे जातक को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में माना जाता है कि अगर जातक अपनी कुंडली से इस अशुभ प्रभाव को खत्म करना चाहता है तो शयन कक्ष की पश्चिम दीवार पर मोर पंख लगाना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से घर की नकारात्मकता दूर होने के साथ-साथ ढेर सारे फायदे भी मिलते हैं.आर्थिक तंगी को दूर करने के लिएमान्यता है कि अगर आपको पैसों की समस्या है, तो इसके लिए भी मोर पंख का उपाय आपकी आर्थिक तंगी को दूर करने में मददगार है. घर की तिजोरी में दक्षिण-पूर्व कोने में मोर पंख को रख दें. इससे आर्थिक समस्या दूर हो जाती है. इसके अलावा रुके हुए धन की भी प्राप्ति होती है. इससे रुके हुए काम भी पूरे हो जाते हैं.काम में रुकावट दूर करने के लिएवास्तु शास्त्र के अनुसार अगर आपके काम में लगातार रुकावट आती है और कोई काम समय पर पूरा नहीं होता है तो सामान्य दिनों में अपने घर के पूजा स्थल में पांच मोर पंख रखें और उनकी रोजाना पूजा करें. 21वें दिन इन मोरपंखों को अलमारी में रखें ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से अटके हुए काम भी होने लगेंगे.किताब रखने के फायदेवहीं जिन बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता है उनकी मेज पर सात मोर पंख रखने से लाभ होगा. इसके अलावा शुभ फल के लिए किसी किताब या डायरी में मोर पंख जरूर रखना चाहिए.
- हम सभी अपने समूह में किसी ऐसे व्यक्ति को जानते होगें जिसे हर चीज बड़े ही आसानी से मिल जाती है. ये अपनी ओर अच्छे वाइब्स, सफलता, खुशी, प्रसिद्धि, शक्ति और धन को आकर्षित करते हैं. कोई फर्क नहीं पड़ता कि भले ही ये चीजों में पीछे रह गए हों परिणाम हमेशा सकारात्मक होते हैं. अगर आप सोच रहे हैं कि ये कैसे संभव है. इन्हें इतना सौभाग्य कहां से मिलता है. इसमें ज्योतिष (Astro Tips) की भूमिका हो सकती है. ज्योतिष (astrology) के अनुसार के इन 4 राशियों (Zodiac Signs) के जातक किस्मत के धनी होते हैं. आइए जानें कौन सी हैं ये राशियां.सिंह राशिसिंह राशि के जातक किस्मत के धनी होते हैं. ये हमेशा जैसा चाहते हैं वैसा ही सर्वश्रेष्ठ प्राप्त करते हैं. ये हमेशा खुशी और सकारात्मकता को आकर्षित करते हैं. ये आशावादी और आशावान होते हैं. इनकी कड़ी मेहनत का हमेशा अच्छा फल मिलता है और इनके जीवन में बेहद सफल होने की संभावना होती है. इनके रिश्ते और काम का जीवन खुश और व्यवस्थित होता है.कुंभ राशिकुंभ राशि के जातकों को वो सब मिलता है जो वे चाहते हैं. हालांकि इसके लिए इन्हें थोड़ी अधिक मेहनत करनी पड़ सकती है. लेकिन परिणाम हमेशा इनके पक्ष में होते हैं. कुंभ राशि के जातक खुशमिजाज लोग होते हैं. वे जहां भी रहते हैं वहां खुशियां फैलाने में विश्वास रखते हैं. इनके पास एक अच्छा अनुभव होता है और ये कई चीजों में भाग्यशाली होते हैं.वृषभवृषभ राशि के जातकों को भी सौभाग्य की प्राप्ति होती है. ये भाग्यशाली होते हैं. वृषभ राशि के जातक आमतौर पर जो चाहते हैं उसे हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं. मेहनत के साथ इनकी किस्मत का मेल इन्हें सफल बनाता है.तुलातुला राशि के जातक एक अच्छे लीडर होते हैं. इन्हें सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इनके भाग्य का प्रभाव इनकी टीम पर भी पड़ता है. इन्हें सर्वोत्तम परिणाम, सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिलती हैं. ये हमेशा उच्च उपलब्धियों के लिए तैयार रहते हैं. तुला राशि के लोग आशावादी और आत्मविश्वासी होते हैं. यही वजह है कि इनका भाग्य हर बार इनका साथ देता है. तुला राशि वालों को किसी और की तुलना में अधिक मेहनत करने में कोई परेशानी नहीं होती है. इस वजह से इन्हें सफलता भी मिलती है.
- जीवन में धन का अहम स्थान है. कई लोगों को इसके लिए बहुत अधिक मेहनत करना पड़ता है. लाइफ में कई बार ऐसा भी होता है कि पैसा पास में आने पर भी टिकता नहीं है. धन, तरक्की और आर्थिक संमृद्धि के लिए वास्तु शास्त्र के कुछ नियम कारगर साबित होते हैं. ऐसे में जानते हैं कि वास्तु शास्त्र के मुताबिक घर की दिशा को किस प्रकार सजाना चाहिए.पूर्व, उत्तर और पूरब-उत्तर दिशा में कुबेर यंत्रभगवान कुबेर धन और समृद्धि के देवता हैं. वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर-पूर्व दिशा पर कुबेर देवता आधिपत्य रहता है. ऐेसे में इस दिशा में किसी प्रकार का के रैक, जूते-चप्पल और फर्नीचर नहीं रखना चाहिए. घर के उत्तरी हिस्से की दीवार पर कुबेर यंत्र या दर्पण लगाने से आर्थिक स्थिति अच्छी रहती है.दक्षिण-पश्चिम में रखें तिजोरीघर के दक्षिण-पश्चिम दिशा में धन या तिजोरी रखना चाहिए. इसके अलावा इस दिशा में आभूषण और महत्वपूर्ण दस्तावेज रख सकते हैं. वास्तु शास्त्र के मुताबिक इस दिशा में रखी गई चीज कई गुना बढ़ जाती है.उत्तर-पूर्व में रखें एक्वेरियमघर के भीतर उत्तर पूर्व दिशा में छोटी वस्तुओं के रखने से सकारात्मक ऊर्जा बरकरार रहती है. साथ भी धन का आगमन होता है. वास्तु के अनुसार इस दिशा में एक्वेरियम रखना शुभ होता है.दक्षिण-पश्चिम में नहीं होना चाहिए शौचालयवास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय नहीं बनवाने पर आर्थिक नुकसान होता रहता है. साथ ही सेहत ही अच्छी नहीं रहती है. शौचालय हमेशा घर के उत्तर-पश्चिम या उत्तर पूर्व में होना चाहिए. दक्षिण-पश्चिम में शौचालय नहीं बनवाना चाहिए. इसके अलावा जहां तक संभव हो शौचालय और स्नानघर अलग से बनवाए जाने चाहिए.
- मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहे, इसके लिए उनकी भक्ति में जुटे श्रद्धालु हर तरीके से उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं. वे उनकी पूजा-अर्चना ( Worship of Lord Laxmi ) में कोई कमी नहीं छोड़ते हैं. साथ ही श्रद्धालु माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए व्रत भी रखते हैं. कभी-कभी इतना सब करने के बावजूद अक्सर लोग धन की कमी या धन की हानि जैसी बड़ी समस्या का सामना करते हैं. दरअसल, इसके पीछे वास्तु दोष भी हो सकता है. वास्तुशास्त्र में कई ऐसे नियम बनाए गए हैं, जिनकी अनदेखी वास्तु दोष का कारण बन सकती है. इन दोषों की वजह से लाइफ और काम में नेगेटिविटी भरा माहौल बना रहता है. ऐसे में आर्थिक और शारीरिक दोनों तरह की परेशानियां बनी रहती है.कहते हैं कि वास्तुशास्त्र में ऐसे चीजें बताई गई हैं, जिनके मुताबिक देवी-देवताओं को भी प्रसन्न किया जा सकता है. हम आपको उत्तर दिशा में ऐसी चीजें रखने के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनसे मां लक्ष्मी को प्रसन्न किया जा सकता है. जानें..प्रवेश द्वारघर को वास्तुशास्त्र के मुताबिक व्यवस्थित करना बहुत शुभ माना जाता है. कहते हैं कि घर का मुख्य द्वार अगर सही दिशा में न हो, तो कई तरह की दिक्कतें प्रभावित व्यक्ति का पीछा कभी नहीं छोड़ती. मान्यता है कि घर का मुख्य या प्रवेश द्वार सदैव उत्तर दिशा में होना चाहिए. वहीं अगर घर का प्रवेश द्वार उत्तर दिशा में हो, तो इससे भी मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और व्यक्ति को धन की कमी भी सताती नहीं है.शीशाघर में मौजूद शीशे से जुड़ा वास्तु दोष भी समस्याओं का कारण बन सकता है. कहते हैं कि अगर शीशा सही दिशा में नहीं लगाया जाए, तो इससे भी धन की कमी हो सकती है. वास्तु के मुताबिक घर का शीशा उत्तर दिशा में होना चाहिए. घर में मौजूद शीशे को उत्तर दिशा में लगाना बहुत शुभ माना जाता है.मनी प्लांटघर में मनी प्लांट लगाना काफी शुभ माना जाता है. मान्यताओं के मुताबिक घर में लगाया गया मनीप्लांट जितनी तेजी से बढ़ता है, उस घर में उतनी ही तेजी से सुख-समृद्धि और धन भी बढ़ता है. इतना ही नहीं, मनी प्लांट लगाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का भी वास होता है और घर के मुखिया की कई चिंताएं दूर हो जाती हैं. ध्यान रहे कि मनी प्लांट घर में उत्तर दिशा में लगाएं।
- हिंदू धर्म में उगते सूरज को जल चढ़ाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। शास्त्रों के अनुसार सूर्य को अघ्र्य देते समय कुछ बातों का ध्यान रखना होता है। ऐसा माना जाता है कि सूर्य को अघ्र्य देते समय अगर ये गलतियां हो जाएं तो भगवान प्रसन्न होने के स्थान पर क्रोधित हो जाते हैं। सूर्य को शांति और शालीनता का प्रतीक माना जाता है। इसलिए सूर्य को जल चढ़ाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।ऐसे करें सूर्य को जल अर्पित करें-सूर्यदेव को जल चढ़ाने के लिए स्नान के बाद तांबे के बर्तन से सूर्य को अघ्र्य दें ।-सूर्य को जल चढ़ाने से पहले पानी में लाल फूल, कुमकुम और चावल भी अवश्य डालें और जल अर्पित करें।-सूर्य को अघ्र्य देते समय जल की गिरती धार के साथ सूर्य की किरणों को अवश्य देखना चाहिए।-पूर्व दिशा की ओर मुंह करके ही सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए।-इस बात का ध्यान रखें कि जल आपके पैरों तक न पहुंचें।-जल चढ़ाते समय सूर्य मंत्र का जाप करते रहना चाहिए।जल चढ़ाते समय न करें ये गलतियां-सूर्य को जल चढ़ाने का सबसे उत्तम समय सुबह का होता है।-जल चढ़ाते समय जूते-चप्पल नहीं पहनने चाहिए। नंगे पैर सूर्य को जल अर्पित करें।-जल अर्पित करते समय इस बात का ध्यान रखें कि पानी आपके पैरों में न जाए। इन बातों का ध्यान न रखने पर अशुभ फल मिल सकते हैं।प्रतिदिन सूर्य के जल अर्पित करने के फायदे-जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर है, उन्हें प्रतिदिन सूर्य को जल चढ़ाना चाहिए। इससे उनका आत्म विश्वास मजबूत होता है। सूर्य को जल देने से समाज में मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। सूर्य को जल अर्पित करते समय अपना मुख पूर्व दिशा की ओर रखें।-ज्योति शास्त्र में सूर्य को आत्मा का कारक बताया गया है। इसलिए आत्मशुद्धि और आत्मबल को बढ़ाने के लिए नियमित रूप से सूर्य को जल देना चाहिए। इससे शरीर ऊर्जावान बनता है।-अगर आपको नौकरी में परेशानी हो रही है तो नियमित रूप से सूर्य को जल देने से अधिकारियों का सहयोग मिलने लगता है और मुश्किलें दूर हो सकती हैं।-सूर्य को जल देने के लिए तांबे के पात्र का इस्तेमाल करना अच्छा होता है।सूर्य को जल चढ़ाने से पहले पानी में एक चुटकी रोली और लाल फूलों के साथ जल अर्पित करें। सूर्य देवता को जल अर्पित करते समय 11 बार ऊं सूर्याय नम: का जाप करना चाहिए।