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- धनतेरस के दिन से दीपों के पंचदिवसीय त्योहार का आगाज होता है. माना जाता है कि इसी दिन भगवान धन्वंतरि का भी जन्म हुआ था. भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के जनक माने जाते हैं और भगवान विष्णु का अंश हैं. तेरस तिथि के दिन धन्वंतरि के जन्म के कारण ही इस दिन को धनतेरस कहा जाता है.माना जाता है कि यदि धनतेरस के दिन विधिपूर्वक भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाए तो वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं. ऐसे में परिवार के लोग निरोगी रहते हैं. इस बार धनतेरस का पर्व 2 नवंबर को मंगलवार के दिन पड़ रहा है. यहां जानिए भगवान धन्वंतरि की की पूजा विधि, मंत्र, शुभ मुहूर्त और अन्य जानकारी.ये है पूजा विधिसबसे पहले भगवान धन्वंतरि की पूजा करने के लिए उनकी तस्वीर को ऐसे स्थापित करें कि आपका मुंह पूजा के दौरान पूर्व की ओर रहे. इसके बाद हाथ में जल लेकर तीन बार आचमन करें और भगवान धन्वंतरि का आवाह्न करें. इसके बाद तस्वीर पर रोली, अक्षत, पुष्प, जल, दक्षिणा, वस्त्र, कलावा, धूप और दीप अर्पित करें. इसके बाद नैवेद्य चढ़ाएं और भगवान धन्वंतरि के मंत्रों का जाप करें. इसके बाद आरती करें और दीपदान करें.इन मंत्रों से करें जाप1. ॐ श्री धनवंतरै नम:2. ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धनवंतराये:,अमृतकलश हस्ताय सर्वभय विनाशाय सर्वरोगनिवारणाय,त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप,श्री धन्वंतरि स्वरूप श्री श्री श्री अष्टचक्र नारायणाय नमः3. ॐ शंखं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्मिः,सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम,कालाम्भोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारूपीतांबराढ्यम,वन्दे धन्वंतरिं तं निखिलगदवनप्रौढदावाग्निलीलम.शाम को जरूर करें दीपदानधनतेरस के दिन शाम को दीपदान जरूर करना चाहिए. इसका जिक्र स्कंद पुराण और पद्मपुराण में भी किया गया है. ये दीपदान यमदेवता के नाम पर किया जाता है. इससे परिवार के लोगों की रक्षा होती है. इस दीपक को घर के मुख्य द्वार की दहलीज पर रखा जाता है. शाम को सूर्यास्त के बाद जब घर पर सभी सदस्य मौजूद हों, तब इस दीपक को घर के अंदर से जलाकर लाएं और घर से बाहर उसे दक्षिण की ओर मुख करके नाली या कूड़े के ढेर के पास रख दें. इसके बाद ‘मृत्युना पाशहस्तेन कालेन भार्यया सह, त्रयोदश्यां दीपदानात्सूर्यज: प्रीतयामिति’ मंत्र बोलें और दीपक पर जल छिड़कें. इसके बाद दीपक को बगैर देखे घर में आ जाएं.ये है दीपदान का शुभ समयधनतेरस के दिन दीपदान और पूजन का अतिशुभ समय शाम 5 बजे से 06:30 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा शाम 06:30 मिनट से रात 08:11 मिनट का समय भी पूजा और दीपदान के लिए शुभ है.=
- कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi 2021) का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन को नरक चौदस, रूप चतुर्दशी और छोटी दीपावली के नाम से भी जाना जाता है. इसी दिन हनुमान जयंती भी मनाई जाती है. वाल्मीकि रचित रामायण के अनुसार हनुमानजी का जन्म कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मंगलवार के दिन हुआ था.इस तरह छोटी दीपावली यानी नरक चौदस का दिन हनुमान जी की पूजा के लिए बहुत अच्छा माना जाता है. हनुमान बाबा संकटमोचन हैं और हर तरह की समस्याओं को दूर कर सकते हैं, मान्यता है कि यदि नरक चौदस के दिन आप कुछ उपाय कर लें तो संकटमोचन आपके बड़े से बड़े संकट भी दूर कर देंगे. इस बार नरक चौदस 3 नवंबर बुधवार के दिन पड़ रही है. यहां जानिए हनुमान बाबा को प्रसन्न करने वाले उपाय जिन्हें करने से आपकी हर पीड़ा समाप्त हो जाएगी.नरक चौदस पर हर दुख दूर करेंगे ये उपाय1. अगर आपके जीवन में संकटों का अंत नहीं होता, आप कोशिशें करके हार मान बैठे हैं, तो आपको हनुमान बाबा को चोला चढ़ाना चाहिए. चोला बाबा को अति प्रिय होता है. इसे चढ़ाने वाले के वे सारे संकटों को हर लेते हैं. चोला चढ़ाते समय श्रीराम का नाम जपें. इसके अलावा संकटमोचन को बूंदी या बेसन के लड्डू का भोग लगाएं और एक नारियल को अपने सिर से 7 बार वारकर हनुमान जी के चरणों में रख दें. इस उपाय को करने से आपके जीवन में काफी बदलाव आएंगे और धीरे धीरे आपको हर संकट से मुक्ति मिलना शुरू हो जाएगी.2. अगर आपके जीवन में पैसों की तंगी समाप्त होने का नाम ही नहीं लेती तो आपको छोटी दीपावली के दिन पीपल के 11 पत्तों पर श्रीराम का नाम लिखकर उसकी माला बनाकर हनुमान जी को पहनाना चाहिए. साथ ही उनसे अपनी समस्या के समाधान की प्रार्थना करनी चाहिए. इससे आपकी परेशानी बाबा जरूर दूर करेंगे. इसके अलावा बिजनेस में मुनाफ के लिए सिंदूरी रंग का लंगोट हनुमानजी को पहनाइए.3. अगर आपका बुरा समय चल रहा है और दुश्मन बहुत बढ़ गए हैं तो हनुमान बाबा को गुलाब की माला पहनाएं. इसके बाद एक नारियल पर स्वस्तिक बनाएं और इस नारियल को हनुमान जी को अर्पित करें. उन्हें पांच देसी घी की रोटी का भोग लगाएं. इससे आपका बुरा समय जल्द ही समाप्त होगा और दुश्मनों से छुटकारा मिल जाएगा.4. हनुमान जी को विशेष पान का बीड़ा बहुत पसंद है. उन्हें ये अर्पित करें और इसमें सभी मुलायम चीजें जैसे खोपरा बूरा, गुलकंद, बादाम कतरी आदि डलवाएं. भगवान भक्त के सिर्फ भाव के भूखे होते हैं. यदि आप भावपूर्वक उन्हें ये अर्पित करेंगे तो वे आपकी हर फरियाद को सुनेंगे और उसे दूर करेंगे.
- दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन का त्योहार मनाया जाता है. इस बार गोवर्धन का पर्व 5 नवंबर शुक्रवार को है. इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र का घमंड चूर करके गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी और लोगों को प्रकृति का महत्व समझाया था. इसीलिए दीपावली के अगले दिन लोग घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की प्रतिमा बनाकर और श्रीकृष्ण की प्रतिमा बनाकर उनका पूजन करते हैं, साथ ही अन्नकूट के रूप में प्रकृति से मिलने वाली अधिक से अधिक चीजों को अर्पित करते हैं.इस बार गोवर्धन का पर्व 5 नवंबर शुक्रवार को है. यहां घर घर में अन्नकूट तैयार किया जाता है. अन्नकूट सभी सब्जियों से मिलकर तैयार होता है और खाने में बेहद स्वादिष्ट होता है. अगर आप भी इस बार अन्नकूट को घर में बनाना चाहते हैं तो यहां जानिए इसकी रेसिपीसामग्री 250 ग्राम आलू, 250 ग्राम टमाटर, एक-एक शिमला मिर्च-बैंगन-मूली-गाजर-सहजन की फली-टिंडा-तोरई-अरबी-आंवला और बेबीकॉर्न, दो-दो भिंडी-परवल, 8-8 सभी तरह की फलियां, 50-50 ग्राम पालक-मेथी और सरसों का साग, आधा चुकंदर, 4 मूली के पत्ते, एक टुकडा गोभी-पत्तागोभी और ब्रोकली का, एक टुकडा लौकी और एक टुकड़ा जिमीकंद, 8-10 हरी मटर, 6-7 सिंघाड़े, हरी धनिया और हरी मिर्च स्वादानुसार, एक इंच अदरक का टुकड़ा.सब्जी बनाने के लिए4 बड़े चम्मच तेल, दो बड़े चम्मच देशी घी, दो चुटकी हींग, दो चम्मच जीरा, 3 चम्मच धनिया पाउडर, एक चम्मच लाल मिर्च पाउडर, एक चम्मच गरम मसाला, एक चम्मच हल्दी पाउडर, दो चम्मच सब्जी पाउडर, आधा चम्मच काली मिर्च पाउडर और स्वादानुसार नमक.बनाने का तरीका– सभी सब्जियों को धोकर अच्छे से काट लें. टमाटर को अलग काटें. अब एक बड़ी कड़ाही में तेल डालकर गर्म करें और उसमें जीरा, हींग, डालकर हल्दी पाउडर को भी डाल दें और सब्जियों को थोड़ा-थोड़ा डालकर चलाते जाएं.– इसके बाद इसमें गरम मसाला छोड़कर सारे मसाले भी डाल दें और मीडियम आंच पर सब्जी को चलाते रहें. इसके बाद ढककर पकने दें. पानी नहीं डालना है क्योंकि सब्जियां खुद ही काफी पानी छोड़ देंगी.– थोड़ी देर में टमाटर और स्वादानुसार नमक डालें और फिर से ढककर पकने दें. बीच बीच में सब्जी को चलाते रहें. जब सब्जी का पानी सूख जाए तब उसमें गरम मसाला डाल दें और दो चम्मच घी डाल दें फिर गैस को बन्द कर दें.– तैयार है अन्नकूट की सब्जी, इसका पूड़ी के साथ भगवान को भोग लगाएं. आप इसे पूड़ी, परांठा, रोटी या चावल किसी भी चीज के साथ खाएं.सुझाव : अन्नकूट की सब्जी में आप अपनी इच्छानुसार सब्जियां और मसाले कम या ज्यादा कर सकते हैं. साथ ही इसे जल्दी बनाने के लिए कुकर में भी बना सकते हैं. हालांकि कड़ाही में ये ज्यादा स्वादिष्ट बनती है.
- भारत एक ऐसा देश है जहां त्योहारों का सीजन हमेशा बना ही रहता है. हर एक महीने में कोई ना कोई बड़ा त्योहार आ ही जाता है. खास बात ये है कि इन सभी त्योहारों का खास रूप से इंतजार भी किया जाता है और इनकी तैयारी की जाती हैं. ऐसे में जब भी त्योहार का मौसम आता है तो घर में पकवानों को खास महत्व दिया जाता है, खासकर मिठाइयों को.शायद ही कोई ऐसा कोई त्योहार हो जिसमें मुंह मीठा न किया जाए. ऐसे में अब जल्द ही दीपावली का त्योहार आने वाला है. इस त्योहार की तैयारियां भी जोर शोर से चल रही हैं. खुशियों को लाने वाला ये त्योहार 4 नवंबर को मनाया जाएगा. दीपावली पर मिठाइयों को खास महत्व दिया जाता है. घरों में इस त्योहार पर अलग अलग तरह की मिठाई बनती हैं.इस कोरोना काल में लोग घर की मिठाई को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं. ऐसे में आज हम आपको आपको दिपावली के खास मौके पर घर में ही काजू पिस्ता रोल बनाना सिखाएंगे, जो इस त्योहार को और मीठा बनाएंगी. यहां आप इसे बनाने की पूरी विधि पढ़ सकते हैं-काजू पिस्ता रोल बनाने की मुख्य सामग्रीबनाने के लिए चाहिए 750 ग्राम काजू300 ग्राम पिस्ता800 ग्राम शुगर क्यूब्स5 ग्राम इलाइची पाउडरसिल्वर लीफ (गार्निशिंग के लिए)काजू पिस्ता रोल बनाने की विधि --काजू पिस्ता रोल बनाना बेहद ही आसान है, इसको बनाने के लिए आपको सबसे पहले एक बर्तन में काजू को पानी डालकर भिगो देना होगा. इसके बाद अब आप पिस्ता को ब्लांच करके उसके छिलके को उतार लें और नार्मल बेस उनका निकाल लें.जब पिस्ता का छिलका अच्छी तरह से उतर जाए उसको बाद पिस्ता और काजू दोनों को अलग अलग करके मिक्सी में अच्छी तरह से पीस लें.अब जब दोनों चीजें अच्छी तरह पिस जाएं तो काजू और पिस्ता को किसी बर्तन में अच्छी तरह से मिलाएंगे. फिर इस मिक्स सामग्री में चीनी डालकर अलग-अलग गैस पर धीमी आंच में पकने के लिए छोड़ दें. जब चीनी अच्छी तरह से मिल जाए, (चीनी स्वाद के अनुसार ले सकते हैं) तो फिर उसमें आप इलायची पाउडर ऊपर से डाल दें. अब काजू और पिस्ता की शीट बनाकर बीच से रोल करे लें.इसके बाद में आप ऊपर से सिल्वर लीफ लगाकर उसे गार्निश करें. इस तरह से आपकी काजू पिस्ता रोल मिठाई पूरी तरह से तैयार है. आप दीपावली के खास मौके पर इस मिठाई को घर पर बना सकते हैं.
- दीपावली का त्योहार देश के हर एक कोने में मनाया जाता है. रोशनी से भरा ये त्योहार सनातन धर्म के लिए शुरू से खास रहा है. सनातन धर्म में शुरू से ही इस त्योहार खास महत्व के साथ मनाया जाता है. दीपावली पांच दिनों का खास पर्व होता है. धनत्रयोदशी या धनतेरस से ही दीपावली की शुरुआत होती है. धनतेरस इस त्योहार का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है. धनतेरस का ये पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को हर घर में धूम धाम से मनाया जाता है. हर बार धरतेरस का पर्व मंगलवार यानी कि 2 नवंबर को मनाया जाएगा. धनतेरस को धन, समृद्धि और वैभव का प्रतीक माना जाता है. आपको बता दें कि धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की विशेष पूजा की जाती है.धनतेरस को करें ये अचूक उपाएधार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन ही भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था. ऐसे में इन दिन आभूषण, बर्तन, वाहन आदि खरीदना बेहद शुभ होता है. आज हम आपको कुछ ऐसे उपाय बताएंगे जिनको धनतेरस पर करने से आपके घर कभी किसी चीज की कमी नहीं होगी. आइए जानते हैं क्या हैं वो उपाय-साबुत धनिया से होगा कमालधनतेस वाले दिन किसी भी दुकान से महज 5 रुपए के साबुत धनिया को खरीदें और फिर माता लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि के सामने रख दें. इसके साथ ही भगवान के सामने अपनी मनोकामना बताएं और फिर उनको मिट्टी में गाड़ दें. इतना ही नहीं कुछ धनिया को लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी में रख दें. ऐसा करने से जीवन में खुशियों का दस्तक होती है.जरूर करें दीपदानअगर आप किसी तरह की आर्थिक परेशानी का सामना कर रहे हैं और खुद को कर्ज से मुक्त करना चाहते हैं, तो धनतेरस वाले 5 रुपए के दीपक खरीद कर लाएं और घर के बाहर दीप माला बनाकर जलाएं.इस उपाय को करने से सभी मनोकामना पूरी होगी.मां लक्ष्मी को लगाएं भोगहिन्दू धर्म के सभी शुभ काम में बताशे का प्रयोग भोग के रूप में किया जाता है. ऐसे में जब धनतेरस की पूजा करें तो बताशे का प्रयोग करें. मां लक्ष्मी को धनतेरस को पूजा करते हुए बताशे का भोग लगाएं. इससे आपके ऊपर लक्ष्मी मां की कृपा होगी.तिजोरी पर उल्लू की तस्वीर चिपकाएंदेवी लक्ष्मी का वाहन उल्लू नकारात्मक उर्जा का नाश करता है. ऐसे में घर में जहां भी आप पैसे रखते हों ऐसे स्थान पर धनतेरस वाले दिन उल्लू की तस्वीर लगाएं. इससे धन का आगमन बढ़ता है और घर में बरकत आती है
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ग्रहों का हमारे भविष्य पर बहुत ही ज्यादा प्रभाव पड़ता है। ग्रह विभिन्न राशियों में भ्रमण करते हैं। ग्रहों के भ्रमण का जो प्रभाव राशियों पर पड़ता है उसे गोचर फल कहते हैं। यदि हम ग्रहों के राशियों में गोचर काल कि बात करें तो सूर्य, शुक्र, बुध का गोचर काल 1 माह, चंद्र का सवा दो दिन, मंगल का 57 दिन, गुरू का 1 वर्ष, राहु-केतु का डेढ़ वर्ष व शनि का गोचर काल ढाई वर्ष का होता है। साल 2021 में भी आए दिन ग्रहों का गोचर या राशि परिवर्तन हो रहा है। अब नवंबर माह का आरंभ होने वाला है और यह माह भी ग्रह-नक्षत्रों के हिसाब से ज्यादा ही प्रभावशाली माना जा रहा है। ज्योतिष के अनुसार नवंबर 2021 में भी कई ग्रहों का राशि परिवर्तन होगा और इस राशि परिवर्तन का प्रभाव सभी 12 राशियों पर पडऩे वाला है। नवंबर माह में बुध, गुरु और सूर्य राशि परिवर्तन कर रहे हैं। जैसा कि सब जानते हैं कि ये तीनों ग्रह बुद्धिमत्ता, भाग्य और सफलता के द्योतक हैं। इन ग्रहों का राशि परिवर्तन इन राशियों के लिए बहुत शुभ हैं। आइए जानते हैं कि आखिर किन राशियों के लिए नवंबर का महीना तरक्की के योग और सुख समृद्धि लेकर आएगा।
वृषभ
वृषभ राशि के जातकों के लिए नवंबर का महीना बहुत ही ज्यादा शुभ परिणाम लेकर आएगा। इस दौरान इन ग्रहों के राशि परिवर्तन के कारण आपका भाग्योदय होगा। आपके लंबे समय से अटके हुए काम बनेंगे। अगर आप लंबे समय से नौकरी खोज रहे हैं तो अब आपकी तलाश खत्म होगी। आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा और कार्यस्थल पर आपके कार्य की सराहना होगी।
मिथुन राशि
ग्रहों का राशि परिवर्तन मिथुन राशि के जातकों के लिए आर्थिक लाभ लेकर आएगा। धन के आने के आपको की नए मार्ग नजर आएंगे। इतना ही नहीं आप निवेश की योजना बना सकते हैं। यदि आप नौकरी में परिवर्तन चाहते हैं तो इसके लिए यह समय बहुत ही अनुकूल है। इसके अलावा आपको नौकरी में पदोन्नति मिलने की भी संभावना है।
कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों के ग्रहों का राशि परिवर्तन पदोन्नति के शुभ समाचार लेकर आएगा। नवंबर में नौकरी में आपको पदोन्नति मिल सकती है। यदि अप अभी भी नौकरी तलाश है तो आपकी यह तलाश अंतिम दौर में है, आपको जल्द ही नौकरी मिलेगी। यदि आप निवेश में रुचि रखते हैं तो यह समय बहुत ही अच्छा है, आपको आर्थिक लाभ भी प्राप्त होगा।
सिंह
सिंह राशि के जातकों के लिए ग्रहों का राशि परिवर्तन उन्हें आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाएगा। इस दौरान आपको आय के नए साधन प्राप्त होंगे। सिंह राशि के जातकों आखिरकार उनकी मेहनत का पूरा फल प्राप्त होगा। इतना ही नहीं रुका हुआ धन के वापस आने कि भी उम्मीद है। इसके अतरिक्त आमदनी में वृद्धि के योग बनेंगे। कार्यस्थल पर बॉस आपसे प्रसन्न रहेंगे।
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के जातकों के लिए यह काफी राहत भरा समय रहेगा। नवंबर माह में होने वाले ग्रहों के राशि परिवर्तन से आपकी सभी परेशानियां खत्म हो जाएंगी। आपको कार्यक्षेत्र में भी खूब मान सम्मान प्राप्त होगा। नवंबर में आप आर्थिक रूप से और भी सम्पन्न होंगे।
धनु राशि
ग्रहों के राशि परिवर्तन से धनु राशि के लोगों को अपने कार्य में सफलता प्राप्त होगी। धनु राशि के जातकों को उनकी मेहनत का पूरा फल प्राप्त होगा। नवंबर का महीना आप लोगों के करियर के लिए शानदार रहेगा। इसके साथ ही आपको आर्थिक लाभी भी मिलेगा।
मीन राशि
ग्रहों का राशि परिवर्तन मीन राशि के जातकों के जीवन में खुशियां भर देगा। नवंबर के महीने में आपको किसी महत्वपूर्ण काम में सौ फीसदी सफलता प्राप्त होगी। आपको आर्थिक लाभ के साथ मनचाही नौकरी भी प्राप्त होने कि संभावना है। -
दिवाली के जाते ही शादियों का सीजन आ जाता है और लोग शुभ मुहूर्त देख कर शादियों की तैयारिओं में लग जाते हैं. ऐसे में हमने आपके लिए कुछ शुभ मुहूर्त निकाल कर रखे हैं. आपको बता दें इस सीजन में 19 नवंबर से 13 दिसंबर तक केवल 15 मुहूर्त हैं. जिन मुहूर्तों को शुभ माना जाता है उनपर शादियां ज्यादा होती हैं. हिंदुओं में देवउठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi) से शादियां शुरू हो जाती हैं. इस साल 15 नवंबर को देवउठनी एकादशी से शुभकार्य प्रारंभ हो जाएंगे. लेकिन इस बार शादियों के मुहूर्त कम हैं इसलिए अधिकतर जगह पर मैरिज गार्डन, होटल में लोगों को मनचाही तारीख की बुकिंग नहीं मिल रही है. पंडितों के पास भी मुहूर्त की सभी तारीखें बुक हो चुकी है.
कितने दिनों के हैं मुहूर्त?
इस सीजन में देवउठनी एकादशी 15 नंवबर की है, लेकिन पहला शुभ मुहूर्त 19 नंवबर का है और आखिरी मुहूर्त 13 दिसंबर को है. इस हिसाब से इन आगामी 2 महीनों में सिर्फ 15 शुभ मुहूर्त ही हैं. इसके बाद अगले साल 15 जनवरी 2022 से शुभ मुहूर्त प्रारंभ होंगे. देवउठनी एकादशी पर अबूझ मुहूर्त की वजह से भी खूब विवाह होंगे.
यह रहेंगे शादी के मुहूर्त
साल 2021 में नवंबर महीने में (19, 20, 21, 26, 28, 29 व 30) इन 7 तारीखों पर शुभ मुहूर्त बन रहे हैं. इसके अलावा दिसंबर महीने में 8 शुभ मुहूर्त हैं जोकि 1, 2, 5, 6, 7, 11, 12 और 13 तारीख को बन रहे हैं.
फिर लौटेगी खुशियों की रौनक
दुनिया भर में जब से कोरोना आया है, हर व्यक्ति को काफी नुकसान उठाना पड़ा है. ऐसे में उन व्यापारियों को तो खासा नुकसान हुआ है जो कि सीजनल व्यापार करते हैं. लेकिन इस बार शादियों के सीजन से मैरिज गार्डन, होटल से लेकर बैंड, ढोल, कैटर्स, हलवाई आदि को काफी उम्मीदें हैं. हालांकि नवंबर-दिसंबर महीने में सीमित मुहूर्त हैं. ऐसे में होटल, हलवाई आदि लोगों को भारी बुकिंग मिल रही हैं. लेकिन जिनके घर में शादियां हैं उन्हें मैरिज हॉल की बुकिंग न होने की वजह से अब परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. यही हालात बैंड-बाजों, ढोल, घोड़ी-बग्गी वालों की भी है. उम्मीद है कि इस बार कोरोना के केस कम होने से लोगों खुले मन से इस सीजन का आनंद ले सकेंगे. - मिट्टी की बनी चीजें सुंदर तो होती ही हैं साथ ही वास्तु में भी इनका एक अलग महत्व माना जाता है। वास्तु में मिट्टी की बनी कुछ ऐसी चीजों के बारे में बताया गया है जिन्हें घर में लाकर रखने से सुख व सौभाग्य बना रहता है। आप भी अपने घर में इन चीजों को लाकर अपना भाग्य चमका सकते हैं। तो चलिए जानते हैं कि कौन सी हैं वे चीजें।मिट्टी का घड़ा-आज मिट्टी के घड़े की जगह फ्रीज ने ले ली है लेकिन मिट्टी के घड़े का पानी पीना सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद रहता है। इसी के साथ यह जीवन में सुख-समृद्धि भी ला सकता है। वास्तु के अनुसार,उत्तर दिशा कुबेर कि दिशा मानी गई है। घर में मिट्टी का घड़ा लाकर इसे अपने घर की उत्तर दिशा में रखना चाहिए, लेकिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इसमें सदैव पानी भरा रहे, थोड़े-थोड़े दिन पर इसके पानी को बदलते रहें। इससे सारी नकारात्मकता समाप्त हो जाती है, व आपके घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।इस दिशा में रखें मिट्टी की बनी चीजेंवास्तु शास्त्र के अनुसार घर की उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) और दक्षिण-पश्चिम दिशा का संबंध भी पृथ्वी तत्व से होता है। इस दिशा में यदि आप मिट्टी की बनी चीजें रखते हैं तो लाभ प्राप्त किया जा सकता है। इन दोनों ही दिशाओं में आप सजावट के लिए मिट्टी की बनी कलाकृतियां रख सकते हैं, लेकिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ईशान कोण में हल्की चीजें रखें तो वहीं और दक्षिण-पश्चिम दिशा में भारी चीजें रखना चाहिए। इससे संतुलन बना रहता है। वास्तु शास्त्र कहता है कि हमें घर के मंदिर में भी मिट्टी से बनी प्रतिमाओं का पूजन करना चाहिए। यह अत्यंत शुभ रहता है।मिट्टी के बने दीपकवैसे तो हम लोग घर के पूजा स्थान में ज्यादातर धातु के बने दीपक ही प्रज्ज्वलित करते हैं लेकिन वास्तु शास्त्र कहता है कि मिट्टी के बने दीपक प्रज्जवलित करना बेहद शुभ होता है। यदि प्रतिदिन घर के द्वार और तुलसी में मिट्टी का दीपक प्रज्जवलित किया जाए तो घर में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है।--------
- सनातन धर्म में दान को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। साल में कई व्रत-त्योहार ऐसे पड़ते हैं जिनका पूरा फल तब ही मिलता है, जब जरूरतमंदों-गरीबों को दान दिया जाए। यहां तक कि दान में कब क्या देना चाहिए और क्या नहीं, इसके बारे में भी धर्म-पुराणों और ज्योतिष में बताया गया है। आज हम ऐसी चीजों के बारे में जानते हैं जो कभी भी दान में नहीं देनी चाहिए। इन चीजों का दान करना व्यक्ति की जिंदगी में मुश्किलें लाता है।-कभी भी दान में स्टील के बर्तन नहीं देना चाहिए, खासकर इस्तेमाल किए हुए बर्तन तो बिल्कुल नहीं देना चाहिए। ऐसा करना आपके घर की सुख-समृद्धि को कम करता है। यदि दें भी तो नए बर्तन ही दें।-प्लास्टिक की चीजों का दान करने से कारोबार पर बुरा असर पड़ता है। लिहाजा कभी भी प्लास्टिक की चीजें दान न करें।-कभी भी नुकीली चीजें दान में नहीं देनी चाहिए। मसलन- चाकू, कैंची आदि। ऐसा करने से घर में अशांति होती है, झगड़े-कलह होते हैं।-झाडू दान देना गरीबी को बुलावा देना है इसलिए कभी भी किसी को दान में झाड़ू न दें। ना ही अपनी पुरानी झाड़ू दान में दें। झाड़ू पुरानी हो जाए तो उसे फेंक दें।-ऐसी कोई भी चीज जो आपके खाने योग्य नहीं है, जैसे-सड़ा, बासी खाना वो किसी और को भी न दें। ऐसा करना अशुभ होता है। हमेशा ताजी और अच्छी चीजें ही दान में दें। इसी तरह उपयोग किया हुआ तेल भी दान में न दें।-यदि कोई ऐसा जरूरतमंद व्यक्ति है, जिसे इनमें से किसी चीज की सख्त जरूरत है तो उसे वह चीज खरीदवा दें या उसके पैसे दे दें , लेकिन अपने हाथ से ये चीजें गलती से भी दान न करें।
- जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 430
★ जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज निर्देशित साधना नियम
(1) सतर्क होकर साधना करने के लिए बैठो। यदि आलस्य आने लगे तो अपने आप खड़े हो जाओ। लेकिन शर्त यह है, चिन्तन श्याम सुंदर का ही हो।
(2) अपने इष्टदेव का गुणगान करो। ध्यान रखो, किसी का मन किसी के गुण पर ही रीझता है। जैसे संसार में कोई किसी के गुण पर ही रीझता है। (सुन्दर रूप भी एक गुण है), इसी प्रकार अधम-उधारनहार, पतित-पावन, भक्त-वत्सल आदि ठाकुर जी के अनन्त गुण हैं। इन गुणों का निरन्तर चिन्तन करें।
(3) केवल गुणगान करने से भी काम नहीं चलेगा। गान तो गवैये भी करते हैं, लेकिन उनको भगवत्प्राप्ति नहीं होती। अतएव गुणगान करते समय तदनुसार भाव भी लाओ। जैसे, हम वस्तुत: अधम हैं, पतित हैं, अनन्त जन्मों के किये अनन्त पापों की गठरी सिर पर लिये हैं और वे अकारण करुण, भक्त-वत्सल, पतित-पावन, अधम-उधारनहार आदि हैं।
(4) हमें कीर्तन में नींद क्यों आती है? क्योंकि हम अपने इष्टदेव का रूपध्यान नहीं करते, श्याम सुन्दर को प्यार नहीं करते। प्यार नहीं है, इसलिये गुणगान करते समय हृदय नहीं पिघलता व हम ऊँघने लगते हैं।
(5) नेत्र बन्द करके रूपध्यान करो, क्योंकि प्राथमिक अवस्था में आँखें खोलकर कीर्तन करने से दूसरे लोग आते जाते दिखाई देते हैं, श्यामसुन्दर नहीं। रूपध्यान की अत्यन्त आवश्यकता है। रूपध्यान नहीं करेंगे तो शारीरिक क्रिया का कोई फल नहीं मिलेगा।
(6) ठाकुर जी का जैसा भी चाहें, रूपध्यान बना लें। बाल्यावस्था का, किशोर रूप का, युवावस्था का। ठाकुर जी उसी रूप में मिल जायेंगे। लेकिन भगवान को पहले देखकर फिर रूपध्यान करने वाले नास्तिक बन जायेंगे, क्योंकि हमारी प्राकृत आँखें 'प्राकृत राम' को देखेंगी, भगवान राम को नहीं।
चिदानन्दमय देह तुम्हारी,विगत विकार जान अधिकारी।
अत: अधिकारी बनने के पूर्व देखने की बात न करो।
(7) रूपध्यान करते हुए प्रिया प्रियतम के साथ जिस लीला में जाना चाहो, चले जाओ तथा उनके दिव्य मिलन व दर्शन के लिये अत्यन्त तड़पन पैदा करो। लाख आँसू बहाओ, लेकिन किसी भी आँसू को तब तक सच्चा न मानो, जब तक स्वयं श्यामसुन्दर आकर उसे अपने पीताम्बर से न पोंछ लें। इतनी व्याकुलता पैदा करो कि नेत्र और प्राणों में बाजी लग जाये। एक-एक पल युग के समान लगने लगे। लेकिन यदि प्राणवल्लभ न आयें तो निराशा न आने पाये, प्रेमास्पद में दोष बुद्धि न आने पाये।
(8) पूर्ण लाभ लेने हेतु साधना समय के अतिरिक्त समय में गुरु एवं ईश्वर को साक्षी व अन्तर्यामी रूप में नित्य अपने साथ अनुभव करते हुए, मौन नियम का पूर्ण पालन करो।
• सन्दर्भ - साधन साध्य एवं साधना नियम
★★★(ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)*- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(5) www.youtube.com/JKPIndia(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - धनतेरस और दिवाली में अब कुछ ही दिन का समय बचा है. ऐसे में लोग खरीदारी करने के लिए घरों से निकलने लगे हैं. लेकिन अगर आप 28 अक्टूबर को खरीदारी करते हैं तो आपको ज्यादा लाभ मिल सकता है. ज्योतिषों के अनुसार, इस दिन पुष्य नक्षत्र रहेगा और गुरु शनि का दुर्लभ संयोग बनेगा. गुरु पुष्य नक्षत्र पर ग्रहों की ऐसी स्थिति 60 साल बाद बन रही है.ज्योतिषों के मुताबिक, दिवाली से पहले कार्तिक कृष्ण पक्ष को आने वाले पुष्य नक्षत्र में नया सामान खरीदना शुभ माना जाता है. इस दिन नई चीजें घर लाने से सुख-समृद्धि का आगमन होता है. शनि देव पुष्य नक्षत्र के स्वामी हैं. ऐसी मान्यताएं हैं कि शनि के नक्षत्र में मिलने वाले शुभ परिणाम लंबे समय तक बने रहेते हैं. हालांकि इस बार का पुष्य नक्षत्र खास होगा, क्योंकि पुष्य नक्षत्र पर मकर में राशि शनि-बृहस्पति का ऐसा संयोग 60 साल पहले 5 नवंबर 1344 को बना था.शास्त्रों के अनुसार, इस साल गुरु शनि के स्वामित्व वाली राशि मकर में शनि के साथ ही विराजमान हैं. दोनों ही ग्रहों की चाल सीधी है और इन ग्रहों पर चंद्र की भी दृष्टि रहेगी जिससे गजकेसरी योग का भी निर्माण होने जा रहा है. चंद्रमा धन का कारक है और बृहस्पति के साथ इसकी युति से बन रहा गजकेसरी योग लोगों को भाग्योदय करता है. इस महासंयोग में निवेश करना बहुत फलदायक माना गया है जिसका लाभ आपको लंबे समय तक मिलता है. ज्योतिषों के अनुसार, बृहस्पति और शनि के बीच कोई शत्रुता भी नहीं है, इसलिए गुरुवार का दिन पुष्य नक्षत्र इसकी शुभता बढ़ाएगा.पुष्य नक्षत्र पर लोग अपनी जरूरत के हिसाब से चीजें खरीद सकते हैं. घर-संपत्ति, सोना-चांदी, गाड़ी, इलेक्ट्रानिक्स आइटम्स, फर्नीचर आदि खरीद सकते हैं. इसके अलावा बहीखाते खरीदने के लिए यह दिन बहुत ही शुभ है. इस दौरान धन का दान करना भी बहुत शुभ होता है. आप गौशाला में हरी घास का दान भी कर सकते हैं. शास्त्रों के अनुसार, इस शुभ घड़ी में भगवान शिव को प्रसन्न करने से आपका भाग्योदय हो सकता है.-
- धनतेरस पर सदियों से बर्तन, सोना-चांदी, कपड़े, धन-संपत्ति, खरीदने (Buy) की परंपरा चली आ रही है. गुजरते समय के साथ इस लिस्ट में गाड़ियों, इलेक्ट्रानिक आइटम्स जैसी चीजें भी शामिल होती गईं. लेकिन धनतेरस पर चीजें खरीदने के साथ-साथ दान देने (Donation) की भी परंपरा है. इस दिन जरूरत मंदों को दान देने से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं और पूरे साल खूब धन-दौलत देती हैं. इस साल 2 नवंबर 2021, मंगलवार को धनतेरस -2021 है. यदि आप भी धनवान होना चाहते हैं तो इस दिन कुछ चीजों का दान जरूर करें.धनतेरस के दिन खरीदारी करने के साथ-साथ दान जरूर करें लेकिन ये याद रखें कि दान सूर्यास्त से पहले करें. वहीं इस दिन किसी को भी सफेद चीजें जैसे दूध, दही, सफेद मिठाई दान में न दें. ऐसा करना अशुभ होता है. वहीं कुछ ऐसी चीजें होती हैं, जिन्हें धनतेरस के दिन दान करना बहुत अच्छा और शुभ होता है.अनाज: धनतेरस के दिन अनाज दान करने से आपके घर का भंडार हमेशा भरा रहेगा. यदि अनाज दान में नहीं दे रहे हैं तो किसी गरीब को भोजन करा दें. भोजन में उसे मिठाई भी खिलाएं. इसके बाद अपनी सामर्थ्य के अनुसार कुछ पैसे भी दें.लोहा: धनतेरस के दिन लोहे का दान करने से किस्मत बदल जाती है. दुर्भाग्य सौभाग्य में बदल जाता है. रुके हुए काम पूरे होने लगते हैं.कपड़े: धनतेरस के दिन गरीब और जरूरतमंद लोगों को कपड़े जरूर दान करें. ऐसा करने से दिन बदल जाते हैं. कुबेर देव की कृपा से खूब धन-दौलत मिलती है. हो सके तो पीले रंग के कपड़े दान में दें.झाड़ू: धनतेरस पर नई झाड़ू खरीदने की भी परंपरा है लेकिन इस दिन झाड़ू दान देना भी बहुत शुभ होता है. किसी सफाईकर्मी को मंदिर में नई झाड़ू दान करने से अपार दौलत मिलती है.-
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ज्योतिष शास्त्र में राशि परिवर्तन का विशेष महत्व है। ग्रह के राशि परिवर्तन का प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है। 2 नवंबर को बुध कन्या राशि से निकलकर तुला राशि में गोचर करेंगे। इसके बाद फिर 21 नवंबर तक इसी राशि में रहेंगे, बाद में बुध का गोचर वृश्चिक राशि में होगा। ज्योतिष शास्त्र में बुध को प्रभावशाली ग्रह माना गया है। यह वाणी और बुद्धि को प्रभावित करते हैं, इससे करियर पर भी प्रभाव पड़ता है। बुध ग्रह का तुला राशि में गोचर होने से इन 4 राशि वालों को होगा लाभ-
1. कर्क- बुध राशि परिवर्तन से कर्क राशि वालों को शुभ परिणाम मिलेंगे। इस राशि में बुध चतुर्थ भाव में रहेंगे और पारिवारिक परेशानियों से मुक्ति मिलेगी। करियर में भी सफलता मिलने की संभावना है। बुध राशि परिवर्तन से कर्क राशि वालों को धन लाभ भी हो सकता है।
2. कन्या- कन्या राशि वालों के साहस और पराक्रम में वृद्धि होगी। इस दौरान बुध आपके द्वितीय और तृतीय भाव में रहेंगे। बुध के इस गोचर से आर्थिक परेशानियां दूर होंगी और धन लाभ के योग बनेंगे।
3. मेष- 2 नवंबर को बुध का तुला राशि में गोचर होने से आपका वैवाहिक जीवन सुखद रहेगा। इस दौरान सभी परेशानियों से मुक्ति मिलेगी। आर्थिक लाभ होने के साथ मान-सम्मान में वृद्धि की संभावना है।
4. मकर- गोचर काल में मकर राशि वालों के सभी बिगड़े काम बनेंगे। बुध राशि परिवर्तन से आपको करियर में सफलता हासिल होगी। हालांकि आर्थिक मामलों में थोड़ा सावधान रहने की जरूरत है। - जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 429
★ 'सेवाभिमान' पर जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा उदबोधन ::::
...सब कुछ त्यागो और त्यागने के अहंकार को भी त्यागो। गुरु सेवा करते हुए गुरु सेवाभिमान न लाओ। सेवाभिमान न आने पावे। तब वो असली त्यागी है।
एक राजा था उसको वैराग्य हुआ तो वो एक महात्मा के पास गया जंगल में। जैसे जिस पोज में वह बैठा हुआ था राजा उसी पोज में भाग पड़ा। महात्मा जी को प्रणाम किया और कहा कि हम आपके शिष्य बनना चाहते हैं। उन्होंने देखा। प्राचीन काल में महात्माओं की ऐसी परंपरा थी तपस्वियों की, उन्होंने कहा कि भाग यहां से, सब छोड़कर तब आ हमारे पास। उसने कहा कि महाराज! सब छोड़ आये। ए झूठ बोलता है।
अब वो चला गया बेचारा। उन्होंने जाकर स्वयं सोंचा, अरे राजा के भेष में ही मैं आ गया। महात्मा के पास मुकुट पहन कर के मैं आया, ये मुझसे गलती हो गई।
एक लंगोटी लगा कर के सब फेक-फाँक करके तब गया कि महाराज गलती हो गई। फिर देखा उन्होंने और कहा कि मैंने कहा ना कि सब छोड़ कर आ। तुमने सुना नहीं।
अब वो हैरान, सब कुछ तो छोड़ दिया मैंने! तो लँगोटी भी फेंक कर आया, दिगंबर। तो अबकी बार और जोर से डाँटा। उन्होने कहा कि देख अब अगर बिना छोड़े मेरे पास आया तो दंड दूँगा? तूने तीन बार आज्ञा का उल्लंघन किया। ऋषि मुनि तपस्वी का दंड क्या? कोई भक्ति मार्ग महापुरुष थे नहीं। तो राजा जाकर दूर एक पेड़ के नीचे बैठ गया और सोचने लगा कि महात्मा जी क्या छोड़ने के लिए कह रहे हैं।
शरीर छोड़ा जा नहीं सकता और क्या है मेरे पास? रोने लगे। उन्होंने सोचा कि अब गुरुजी नहीं अपनाएंगे तो अब शरीर रखना भी बेकार है। संसार में कुछ नहीं है, ये तो समझ ही लिया और अब छोड़ भी आए अब दोबारा जाना भी गलत है और ये शरणागति नहीं स्वीकार कर रहे हैं हमारी। तो फिर अब देह ही छोड़ देते हैं।
तीन-चार दिन बाद गुरुजी उधर से निकले और उन्होंने कहा क्यों राजन! यहां कैसे बैठे हो? चुप। वो त्यागी जी! अब भी चुप। उन्होंने कहा कि हाँ। अच्छा आजा-आजा। अब तूने त्याग दिया सब कुछ। राजा होने का अभिमान भी त्यागने का मेरा आदेश था और त्यागने का अहंकार भी छोड़ो। 'मैंने सब छोड़ दिया है' - ये अहंकार भी छोड़ो। तब वो त्याग असली हुआ।
तो जो सत्कर्म करे कोई व्यक्ति उस सत्कर्म का अहंकार ना होने पावे उसको गुरु कृपा माने। उनकी कृपा से इतना हमने भगवन्नाम ले लिया, इतनी सेवा कर ली, वरना मुझसे होता भला?
एक भिखारी भी अगर मुझसे मांगता कभी पैसा तो मैंने कभी एक रूपया भी नहीं दिया लाइफ में, उन्होंने कैसे करा लिया हमसे? ये कृपा रियलाइज करना। सब कुछ त्यागो और त्यागने के अहंकार को भी त्यागो। और कुछ मत त्यागो और त्यागने का या आसक्ति का अहंकार छोड़ दो तो भी त्याग है। दोनों प्रकार का त्याग है...
• सन्दर्भ - 'गुरु सेवा' पुस्तक
★★★ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(5) www.youtube.com/JKPIndia(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - देश का सबसे बड़ा त्योहार दिवाली (Diwali 2021) आने में अब बस कुछ ही दिन बचे हैं. मान्यता है कि उस दिन मां लक्ष्मी घर में प्रवेश करती हैं और सालभर परिवार में खुशहाली बरसाती हैं. यही वजह है कि माता लक्ष्मी के आगमन से पहले लोग अपने घरों की साफ-सफाई करने में जुट जाते हैं. शकुन शास्त्र (Shakun Shastra) के मुताबिक अगर दिवाली (Diwali 2021) की रात को कुछ जीव आपको घर में या आसपास नजर आ जाएं तो इसे माता लक्ष्मी (Maa Lakshmi) के आगमन का सूचक माना जाता है. आइए जानते हैं कि वे कौन से जीव हैं, जिनका दिवाली की रात दिखना शुभ माना जाता है.छिपकलीछिपकली घरों में दिखने वाला एक सामान्य जीव है. जिसे हम अक्सर कमरे से भगाने की कोशिश करते हैं. हालांकि यह हमें कोई नुकसान नहीं पहुंचाती और मच्छर-मक्खी जैसे छोटे जीवों को खाकर घर की सफाई करती रहती है. शकुन शास्त्र (Shakun Shastra) के मुताबिक दिवाली की रात को छिपकली देखना शुभ माना जाता है. कहा जाता है कि इससे घर में खुशियां और सुख-समृद्धि आने लगती है.बिल्लीशकुन शास्त्र (Shakun Shastra) के अनुसार दिवाली (Diwali 2021) की रात घर में या आस-पास बिल्ली दिखना मां लक्ष्मी के आने का सूचक होता है. माना जाता है कि बिल्ली दिखने से घर में खुशहाली आने लगती है.गायभारतीय संस्कृति में गाय हमेशा से एक पवित्र जीव रहा है. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो गाय को देवत्व का प्रतीक माना जाता है. दिवाली (Diwali 2021) की रात में गाय का दिखना बहुत शुभ माना जाता है. इसे घर में मां लक्ष्मी के आगमन का प्रतीक होता है. इससे परिवार के लोगों में स्नेह बढ़ता है और एका मजबूत होती है.उल्लूउल्लू को मां लक्ष्मी का वाहन माना जाता है. शकुन शास्त्र (Shakun Shastra) के मुताबिक दिवाली की रात उल्लू का दिखना बहुत शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इससे साल भर घर में मां लक्ष्मी का वास बना रहता है. इसको देखने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है.छछूंदरछछूंदर चूहे की तरह दिखने वाला एक छोटा जीव होता है. आमतौर पर इस जीव को घर में दिखना खराब माना जाता है. हालांकि शकुन शास्त्र में कहा गया है कि अगर दिवाली (Diwali 2021) की रात को छछूंदर दिख जाए तो वह शुभ होता है. मान्यता है कि ऐसा करने से घर की आर्थिक तंगी दूर होती है और परिवार के सारे बिगड़े काम बनने लगते हैं.
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पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है करवा चौथ का व्रत
वां सृष्टि सम्वत
चंद्र दर्शन के साथ ही करवा चौथ का व्रत तोड़ा जाता है
शाम 5:29 से 6:46 के मध्य शुभ मुहूर्त है शाम 6:45 से 8:45 वृषभ लग्न में बहुत ही शुभ मुहूर्त बन रहा है
--पढि़ए ज्योतिषी व वास्तुशास्त्री विनीत शर्मा का आलेख
करवा का अर्थ है मिट्टी का बर्तन और चौथ चतुर्थी तिथि को कहा जाता है. आज के शुभ दिन महिलाएं करवा के शुद्ध बर्तन में गेहूं, चावल या जौ आदि रख कर चंद्रदेव की पूजा उपासना करती हैं. इस बार 24 अक्टूबर को संकष्टी चतुर्थी और करवा चौथ का व्रत मनाया जाएगा.
करवा का अर्थ है मिट्टी का बर्तन और चौथ चतुर्थी तिथि को कहा जाता है. आज के शुभ दिन महिलाएं करवा के शुद्ध बर्तन में गेहूं, चावल या जौ आदि रख कर चंद्रदेव की पूजा उपासना करती हैं. करवा चौथ का पर्व प्रमुख रूप से सनातनी महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, सौभाग्य, आरोग्य, श्री और ऐश्वर्य की वृद्धि के लिए रखती हैं. इस बार 24 अक्टूबर को संकष्टी चतुर्थी और करवा चौथ का व्रत मनाया जाएगा.
करवा चौथ का पर्व बहुत ही विशिष्ट माना गया है. करवा चौथ के दिन संपूर्ण शिव परिवार की पूजा उपासना की जाती है. आज के दिन भगवान शिव, गणेश, माता पार्वती और कार्तिकेय स्वामी की पूजा का विधान है. माता पार्वती ने ब्रह्मचारिणी रूप में शिव को पाने के लिए कठिन साधना और व्रत किया था.होती है चंद्रदेव की पूजाकरवा का अर्थ है मिट्टी का बर्तन (Clay Pot) और चौथ चतुर्थी तिथि को कहा जाता है. आज के शुभ दिन महिलाएं करवा के शुद्ध बर्तन में गेहूं, चावल या जौ आदि रख कर चंद्रदेव की पूजा-उपासना (Worship) करती हैं. करवा चौथ का पर्व प्रमुख रूप से सनातनी महिलाएं (Sanatani Women) अपने पति की लंबी आयु, सौभाग्य, आरोग्य, श्री और ऐश्वर्य की वृद्धि के लिए रखती हैं. माता के इस निश्चल त्याग तप और महान श्रद्धा से प्रभावित होकर भगवान शिव प्रकट हो जाते हैं और माता पार्वती को अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार करते हैं.इसी से प्रेरित होकर सौभाग्यवती महिलाएं (Lucky Ladies) आज के दिन निराहार निर्जला रहते हुए पति की आयुष्य की कामना करते हुए इस व्रत को धारण करती हैं और चंद्र दर्शन (Moon Sighting) के पश्चात ही इस व्रत को तोड़ती हैं. अनेक जगहों पर छन्नी के द्वारा चांद को देख कर इस व्रत को तोड़ा जाता है. उत्तर भारत में यह पर्व बहुत ही वृहद उत्सव के रूप में मनाया जाता है. संपूर्ण घर (Perfect House) परिवार में रौनक का वातावरण रहता है. महिलाएं मेहंदी (Mehndi) लगा कर इस व्रत को करती हैं.
अखंड सुहाग के लिए महिलाएं रखेंगी निर्जला व्रतकरें शीतकारी प्राणायामआज के दिन कुमकुम, शहद, रौली सामाग्री, हल्दी, दूध, शक्कर, मेहंदी आदि चीजों से भगवान की पूजा की जाती है. यह उपवास एक कठिन उपवास है. इसे श्रद्धा, आस्था, धीरज और संयम से किया जाना चाहिए. इस व्रत को करते समय कुशलतापूर्वक शीतकारी प्राणायाम का उपयोग किया जाना चाहिए. जिससे शरीर को बल और ऊर्जा मिलती है. रात के समय चंद्र देवता का दर्शन कर दूध आदि सामग्रियों से व्रत को तोड़ा जाता है. संकष्टी चतुर्थी रोहिणी नक्षत्र वरीयान और प्रजापति योग (Prajapati Yoga) में मनाया जाएगा. इसे करक चतुर्थी या दासरथी चतुर्थी भी कहा जाता है. आज के दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि में विराजमान रहेगा. आज के शुभ दिन भद्र योग (Bhadra Yoga) शश योग नीच भंग राजयोग का सुखद संयोग बन रहा है
- 'Happy KARWACHAUTH''करवाचौथ' पर्व की हार्दिक शुभकामनायें!!
• जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा 'करवाचौथ' पर्व के महात्म्य व उद्देश्य पर दिया गया प्रवचन :::
करवा चौथ आज गोविन्द राधे,पतिव्रता पति हित व्रत करवा दे..(स्वरचित दोहा)
यह पर्व पति के हित के लिये होता है. तो संसारी पति के हित के लिये लोग करते हैं. किन्तु आप लोग तो माधुर्य भाव के उपासक हैं. श्यामसुंदर के सुख के लिये, उनके हित के लिये, ये व्रत कर सकते हैं.
ये पतिव्रता स्त्रियाँ करती हैं. अनन्य भक्त जो केवल हरि और गुरु दो ही से मन का सम्बन्ध रखते हैं और किसी में मन का अटैचमेंट (attachment) नहीं होने देते, ऐसे अनन्य भक्तों का ये करवा चौथ व्रत होना चाहिये. यद्यपि होता है संसारी पति के लिये, वो तो एक्टिंग (acting) है. दिन भर स्त्री पति से लड़ती रहती है और करवा चौथ का व्रत करती है. वो तो अनन्य है भी नहीं. क्यूंकि मन का निरंतर अनुकूल होना पतिव्रत धर्म है. यानि एक सेकंड (second) को भी पति के विपरीत न सोचे, न सोचे - बोले वोले की बात छोड़ो. हमारा पति, क्या हमारा भी भाग्य है ऐसा पति मिला ! दिन भर आप लोग अपने पति के प्रति ऐसी बातें पचास बार सोचते हैं. वो पतिव्रता नहीं.
एक पतिव्रता स्त्री धान कूट रही थी. पति बाहर से आया उसने कहा पानी पिला दे. तो उसने मूसल को ऊपर ही छोड़ दिया हाथ से ये वाक्य सुनते ही. तो वो मूसल ऊपर ही टंगा रहा. वो गई, पानी दिया, पानी पी के पति चला गया. उसकी पड़ोसन भी वहीं बैठी हुई थी, उसने देखा कि ये अजीब जादू है. ये मूसल ऊपर ऐसे रुका रहा आकाश में, तो उसने पूछा तूने कोई मंत्र सिद्ध किया है ? कैसे ये ऐसा हो गया ? उसने कहा नहीं ये तो पतिव्रत धर्म में ये कमाल होता है. ऐसी बातें कर सकती है वो स्त्री. तो वो पतिव्रता का अर्थ समझती थी कि शरीर का सम्बन्ध खाली पति में हो और कहीं न हो वो पतिव्रता है. ऐसा समझती थी वो पतिव्रता का अर्थ और लड़ती रहती थी दिन भर.
वो अपने घर गई और पति से कहती है देखो जी मैं ऐसे मूसल करुँगी तो तुम कहना पानी लाओ, तो ये मूसल ऊपर टंगा रहेगा ऐसे. पति ने कहा क्यों? पतिव्रत धर्म में ये कमाल होता है. पति को बड़ा कौतुहल हुआ उन्होंने कहा ठीक है मैं ऐसे बोलूँगा. तो उसने ऐसे मूसल को जो ऊपर किया, पति ने कहा पानी लाओ, तो मूसल छोड़ दिया वो नाक के ऊपर होता हुआ नीचे गिर गया ,पति हँसने लगा. अब स्त्री को बड़ी शर्म आई कि अब तो इसको हमारे केरेकटर (character) पर भी डाऊट (doubt) हो जाएगा कि मैं पतिव्रता नहीं हूँ. वो गई पड़ोसन के यहाँ लड़ने कि क्यों रे! तूने तो मेरी नाक कटा दी...
तो उसने समझाया देख सखी ! पतिव्रता का अर्थ होता है जो पति के खिलाफ कभी कुछ मन से भी न सोचे. मन से भी. तो तूने तो पति के खिलाफ हज़ार बार सोचा है. क्या हमारी भी तकदीर है ऐसा पति मिला और ज़बान से भी लड़ती रहती है. उसको पतिव्रता नहीं कहते.
तो ऐसे ही जो भक्त भगवान् की हर क्रिया में विभोर हों. गौरांग महाप्रभु ने कहा था.. 'हे श्यामसुंदर ! तुम चाहे मेरा आलिंगन करके प्यार कर लो और चाहे चक्र चला करके गर्दन काट दो और चाहे उदासीन हो जाओ, हम तो उसी प्रकार प्यार करेंगे तुम्हारे हर क्रिया में, विभोर होंगे.' ये व्रत है, भगवत्व्रत कहो, पतिव्रत कहो.
तो कोई भी व्रत मन से होता है. अगर मन गड़बड़ हो गया तो वो व्रत नहीं है. वो मातृव्रत, पितृव्रत हो, गुरुव्रत हो, भगवत्व्रत हो, कोई व्रत हो. तो ये करवा चौथ पतिव्रता स्त्रियों के लिये होता है, जो पति की भक्त होती हैं और असली पति आत्मा का भगवान् है. इसलिए श्री कृष्ण के प्रति आप लोगों को यदि इच्छा हो तो व्रत करो. व्रत का मतलब ये नहीं है कि खाना न खाना. ये तो ढोंग है, दंभ है, पाखण्ड है, दिखावा है. खाना न खाना एक दिन अच्छा है पेट अच्छा हो जाएगा. एक टाइम (time) न खाओ, दोनों टाइम न खाओ, खाली फल खाओ, फल भी न खाओ - ये सब तो बाहरी क्रियाएं हैं. असली व्रत है मन का चिंतन, मन का अनुकूल होना, मन से उनकी उपासना करना, सेवा करना - ये असली चीज़ है. तो करवा चौथ का ये अभिप्राय असली है, स्पिरिचुअल (spiritual)। उसी को मान कर आप लोग श्री कृष्ण भक्ति करें. ये संसारी पति-वति का मामला आपके व्रत करने से सब निरर्थक है. न पति की उमर बढ़ेगी, न कल्याण होगा. आप चाहे दस बीस दिन भूखे रहें उससे कुछ नहीं होना जाना..
• सन्दर्भ - साधन साध्य पत्रिका
★★★ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(5) www.youtube.com/JKPIndia(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर तरह के ग्रहण को अशुभ ही माना जाता है। ग्रहण के दौरान सभी जीव-जंतुओं और मनुष्यों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कहा जाता है कि चंद्र ग्रहण के दौरान किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य को नहीं किया जाना चाहिए। साल 2021 में सबसे पहला चंद्र ग्रहण 26 मई 2021 को लगा था और साल 2021 का आखिरी चंद्र ग्रहण 19 नवंबर को लगने वाला है। ये ग्रहण आंशिक रूप से लगेगा जो कि भारत, अमेरिका, उत्तरी यूरोप, पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया और प्रशांत महासागर क्षेत्र में दिखाई देगा। इस बार साल का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण कुछ राशियों के साथ देश-दुनिया के लिए भी काफी महत्वपूर्ण बताया जा रहा है।किस पर पड़ेगा प्रभाव?ये आखिरी ग्रहण वृषभ राशि में लगने वाला है और इन राशि के लोगों को तंग भी कर सकता है, हालांकि ये आंशिक ग्रहण है इसलिए इसका सूतक काल नहीं लगेगा।कैसे लगता है ग्रहण?चंद्र ग्रहण एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है। जब सूर्य और चंद्रमा के बीच में पृथ्वी आ जाती है तो चंद्रमा पूरी तरह या आंशिक रूप से ढंक जाता है और सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में आ जाते हैं इसे चंद्र ग्रहण कहते हैं। शास्त्रों के अनुसार जब ग्रहण पूर्ण होता है तो उसका प्रभाव अधिक होता है। जब पूर्ण चंद्र ग्रहण होता है तभी सूतक के नियमों का पालन करने की सलाह दी जाती है, लेकिन अगर उपछाया ग्रहण हैं तो इसमें सूतक के नियमों का अधिक पालन नहीं किया जाता है। आपको बताते चलें कि चंद्र ग्रहण हमेशा 'पूर्णिमा' को लगता है।कब है चंद्र ग्रहण?ज्योतिष गणना के अनुसार साल का अंतिम चंद्र ग्रहण दिवाली के बाद 19 नवंबर 2021 को लगने जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार चंद्र ग्रहण विक्रम संवत 2078 में कार्तिक मास की पूर्णिमा को कृत्तिका नक्षत्र और वृषभ राशि में लगने वाला है। यह चंद्र ग्रहण 19 नवंबर को 11 बजकर 34 मिनट से शुरू होकर शाम 05 बजकर 33 मिनट पर खत्म होगा।चंद्र ग्रहण तीन तरह के होते हैं -पूर्ण चंद्र ग्रहण , आंशिक चंद्र ग्रहण और उपछाया चंद्र ग्रहण।आपको बता दें कि 19 नवंबर को उपछाया चंद्र ग्रहण लगेगा, जिसे कि पेनुमब्रल भी कहते हैं।
- • जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 427
साधक का प्रश्न ::: जैसे हम कर्म का फल भोगते हैं क्या सन्त महात्मा भी कर्म का फल भोगते हैं?
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा दिया गया उत्तर ::: दो प्रकार की माया होती है एक तो त्रिगुणात्मिका माया तीन गुण वाली सत्व गुण, रजोगुण, तमोगुण और एक योगमाया दिव्य माया, इन दोनों का कार्य तो एक सा होता है कार्य में अन्तर नहीं है। जैसे माया वाला कर्म करता है सब इन्द्रियों से ऐसे ही योगमाया वाला भी सब कर्म करता है इन्द्रियों से लेकिन योगमाया वाले के कर्म का फल उसको नहीं मिलता, उसका बन्धन उसको नहीं होता और माया वाले को बन्धन हो जाता है, इतना सा अन्तर है। माया वाले के मन का अटैचमेन्ट कर्म में हो जाता है और योगमाया वाले के मन का अटैचमेन्ट भगवान् में ही रहता है क्योंकि वह भगवत्प्राप्ति कर चुका है। अब उसके मन को संसार में खिंचने का कोई साधन ही नहीं। कोई भगवान् से बड़ी चीज हो, बड़ा आनन्द हो, मैटीरियल हैपीनेस हो कोई ऐसी तब तो वो खिंच जाय। जब इसका अनन्त गुना आनन्द भगवान् में है स्वर्गादिक लोकों का भी अनन्त गुना, करोड़ अरब नहीं तो फिर उसका मन संसार में क्या खिंचेगा। हाँ, ये ठीक है रसगुल्ला खायेगा महापुरुष भी और रसगुल्ला खायेगा संसारी भी, दोनों सिर हिलायेंगे, बड़ा अच्छा है। वो भगवान् का प्रसाद समझकर खा रहा है, उसका मन भगवान में अटैच्ड है वो रसगुल्ले का आनन्द नहीं ले रहा है वो अपना रामानन्द, कृष्णानन्द, प्रेमानन्द, श्यामानन्द ले रहा है और हम समझ रहे हैं जैसे हम रसगुल्ला खाके सिर हिला रहे हैं ऐसे ही यह भी हिला रहा है हमारी तरह यह भी है। यानी माया का और योगमाया का कार्य एक सा है। हम लोग शादी ब्याह करते हैं एक स्त्री होती है दो चार बच्चे होते हैं उसी में परेशान रहते हैं टेन्शन रहता है और भगवान् ने सोलह हजार एक सौ आठ शादी की और एक-एक स्त्री से दस-दस बच्चे, फिर उनके करोड़ों बच्चे इतनी बड़ी फैमिली और कोई कहीं आसक्ति नहीं, कहीं अटैचमेन्ट नहीं, कहीं टेन्शन नहीं सबको मरवा दिया आपस में लड़ा करके और हमेशा मुस्कराते रहे, शादी के पहले भी, शादी के समय भी, शादी के बाद भी, सबको मरवाने के बाद भी, एक सी स्थिति।
प्रह्लाद एक महापुरुष थे आप लोग नाम सुने होंगे। एक बार प्रह्लाद के लड़के विरोचन और प्रह्लाद के गुरु के लड़के इन दोनों में होड़ हो गयी। प्रह्लाद के लड़के ने कहा मैं राजा का लड़का हूँ, इसलिये मैं तुमसे बड़ा हूँ हमारा सम्मान करो और गुरु पुत्र कहे तुम्हारे बाप का पूज्य हमारा बाप इसलिये तुम्हारे पूज्य हम, हम बड़े हैं। अब कोई किसी की माने ही न। दोनों लड़के। तो यह हुआ कि भई इसका फैसला कैसे हो? शर्त लग गयी अगर तुम्हारी बात सही तो हमारा प्राण तुम्हारे हाथ और अगर हमारी बात सही हुई तो तुम्हारा प्राण हमारे हाथ इतनी बड़ी शर्त लग गयी, लेकिन अब फैसला कौन करे? तो गुरु पुत्र ने कहा कि तुम्हारे बाप। गुरु पुत्र के बाप ने बता दिया था कि प्रह्लाद महापुरुष है उसका कहीं लगाव नहीं है, न हो सकता है। बचपन में ही उसने भगवत्प्राप्ति कर ली थी। भगवान् का अवतार हुआ था उसके लिये। इसलिये उसने कह दिया कि तुम्हारे बाप फैसला करेंगे । गये दोनों प्रह्लाद के पास। प्रह्लाद ने कहा, तुम दोनों हमारा फैसला मानोगे, वादा करो। उन्होंने कहा, हाँ मानेंगे। तो प्रह्लाद ने कह दिया अपने पुत्र से कि तुम हार गये। यह गुरु पुत्र हमसे भी पूज्य है तुम ही से नहीं। हूँ, चढ़ा दो फाँसी पर। फाँसी के तख्ते पर खड़े कर दिये गये विरोचन। अकेला पुत्र और सारी पृथ्वी का राजा प्रह्लाद। उस जमाने में प्रजातंत्र नहीं था और मुस्कराते रहे। तब गुरु पुत्र ने कहा कि मैं तुम्हारा पूज्य हूँ, बड़ा हूँ? हाँ हाँ । तो तुमको हमारी आज्ञा मानना होगा। जो आज्ञा। इसको छोड़ दो, अपने बेटे को। उसने कहा छोड़ दो भाई। दोनों अवस्थाओं में एक सी स्थिति।
तो भगवान् और महापुरुष इन दोनों का कार्य योगमाया से होता है इसलिये कार्य तो मायिक होता है लेकिन फल कुछ नहीं मिलता उस कर्म का, वह कर्म दिव्य माना जाता है। तुलसीदास ने लिखा;
जाको हरि दृढ़ करि अंग कर् यो।उत्पत्ति पांडु सुतन की करनी , सुनि सतपंथ डरयो।(विनय पत्रिका)
पाण्डवों की उत्पत्ति, पाँच पति से पाँच बच्चे हुये, पाण्डव। कितना खराब करैक्टर और फिर पाँचों ने एक पत्नी बना लिया। और सुनो द्रोपदी । जहाँ कानून बना रहे हैं रामावतार में कि;
अनुज वधू भगिनी सुत नारी।सुनु सठ कन्या सम ए चारी।।
छोटे भाई की बीबी में दुर्भावना करने वाले को मार देने में कोई पाप नहीं। और यहाँ बड़ा भाई , छोटे भाई सबकी बीबी एक और वो सब महापुरुष हैं। ये योगमाया का कार्य है। इसलिये उसका कोई फल नहीं मिलता है। वह देखने मे आता है मायिक कर्म। कर्म का स्वरूप एक-सा लेकिन एक कर्म योगमाया से, एक कर्म माया से। तो मायिक कर्म का फल मिलता है, योगमाया के कर्म का फल नहीं मिलता है। भगवत्प्राप्ति के बाद कुछ भी करे महापुरुष फिर उसको कोई न अच्छे कर्म का फल मिलता है न बुरे कर्म का।
नैव तस्य कृतेनार्थो नाकृतेनेह कश्चन।(गीता 3-18)
अच्छा कर्म करे तो;
कुशलाचरितेनैषामिह स्वार्थो न विद्यते।विपर्ययेण वानर्थो निरहंकारिणां प्रभो।।(भागवत 10-33-33)
शुभ आचरण करे तो फल नहीं मिलेगा। विपर्यय; उलटा करे तो भी उसको फल नहीं मिलेगा। जैसे - गेहूँ है, चना है, ये बोरे में बन्द है; अगर उसको हम डाल देते हैं खेत में तो उसमें पेड़ पैदा हो जाता है अंकुर होकर के लेकिन अगर गेहूँ को, चने को, लावा बना लें, भून लें भाड़ में और फिर खेत में डालें तो;
भर्जिताः क्वथिता धानः प्रायो बीजाय नेष्यते।
फिर उसमें पेड़ नही पैदा होगा क्योंकि बीज शक्ति भस्म हो गयी। ये माया की जो शक्ति है अविद्या ये समाप्त हो जाती है, भगवत्प्राप्ति के बाद। इसलिए उसके कार्य को संसार देखता है लेकिन वह कार्य नहीं वह कर्म नहीं। वह अलौकिक कर्म है। उसके नीचे होता है निष्काम कर्म, वो अलौकिक कर्म है योगमाया वाला और साधक जो कर्म करता है जिसमे मन का अटैचमेंट भगवान में हो और इन्द्रियों से कर्म हो, थोड़ा बहुत करते हैं आप लोग भी, जैसा मैंने बताया रूपध्यान भी कर रहे है कर रसना से लाइन भी गा रहे हैं पद की, बाजा भी बजा रहे हैं, झाँझ भी बजा रहे हैं, ये थोड़ा-थोड़ा आप भी कर लेते हैं। यही अभ्यास बढ़ते-बढ़ते ये उच्च कोटि के साधक को वहाँ पहुँचा देता है कि अटैचमेन्ट नहीं है कर्म हो रहा है। तो ये उच्च कोटि के साधक भी ऐसे कर्म कर लेते हैं जिसका फल न मिले। बस मन का अटैचमेन्ट न हो सीधी-सीधी बात है। यह कर्म की संक्षिप्त परिभाषा है।
• सन्दर्भ - प्रश्नोत्तरी, भाग 2, प्रश्न संख्या 30
★★★ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(5) www.youtube.com/JKPIndia(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - इस साल धनतेरस 2 नवंबर मंगलवार को मनाई जाएगी. ये कार्तिक मास के 13वें दिन पड़ती है. इस दिन को ‘उदयव्यपिनी त्रयोदशी’ के नाम से भी जाना जाता है. ये दीपावली से 2 दिन पहले मनाई जाती है. इस दिन लोग अपने घरों की सफाई करते हैं, दिवाली का सामान खरीदते हैं और मिठाइयां बनाते हैं.धनतेरस को सोना या रसोई का नया सामान खरीदने के लिए शुभ दिन माना जाता है. दीपों का त्योहार दीपावली धनतेरस से शुरू होकर भैया दूज पर समाप्त होता है.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दीपावली के दो दिन पूर्व धनतेरस को भगवान धन्वंतरि का जन्म धनतेरस के रूप में मनाया जाता है. जब भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे तब उनके हाथ में अमृत से भरा कलश था. हिन्दू धर्म के अनुसार ये आयुर्वेद के देवता हैं. इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है. धनतेरस को धनत्रयोदशी और धन्वंतरि जयंती के नाम से भी जाना जाता है.महालक्ष्मी महालक्ष्मी की पूजाहिंदू पौराणिक कथाओं में ‘धनत्रयोदशी’ को शुभ माना जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी, धन के देवता भगवान कुबेर के साथ, समुद्र के मंथन के दौरान समुद्र से निकली थीं. तब से लोगों ने एक सफल जीवन जीने के लिए देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर से दिव्य आशीर्वाद लेने के लिए प्रार्थना करना शुरू कर दिया. धनतेरस के दिन सोना या चांदी जैसी कीमती धातु खरीदना भी घर में देवी लक्ष्मी का स्वागत करने के संकेत के रूप में शुभ माना जाता है. धनतेरस का दिन नया व्यवसाय शुरू करने या घर, कार और गहने खरीदने के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है.धनतेरस 2021: मुहूर्त और पूजा का समयत्रयोदशी तिथि शुरू- 02 नवंबर, 2021 11:31त्रयोदशी तिथि समाप्त- 03 नवंबर, 2021 09:02सूर्योदय- 02नवंबर, 2021 06:36सूर्यास्त- 02 नवंबर, 2021 05:44धनतेरस की पूजा विधिधनतेरस की पूजा के लिए सबसे पहले एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं. इसके बाद गंगाजल छिड़ककर भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर की प्रतिमा स्थापित करें. भगवान के सामने घी का दिया जलाएं. धूप और अगरबत्ती लगाएं. भगवान को लाल रंग के फूल अर्पित करें. इस दिन आप जो भी धातु , ज्वेलरी या बर्तन खरीदें उसे चौकी पर रखें. पूजा के दौरान “ॐ ह्रीं कुबेराय नमः” का जाप करें. धनवंतरि स्तोत्र का पाठ करें. लक्ष्मी स्तोत्र और लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें..
- कुछ लोगों को सालों तक ढूंढने और इंतजार करने के बाद भी जीवनसाथी नहीं मिलता है तो कुछ लोगों को घंटों के सफर में हमसफर मिल जाता है. वे अपने सहयात्री के ही प्यार में पड़ जाते हैं और उसे जिंदगी भर का साथी बना लेते हैं. हस्तरेखा के मुताबिक इन स्थितियों के लिए हाथ की रेखाएं भी जिम्मेदार होती हैं. आज शादी से जुड़े ऐसे ही संयोगों के बारे में जानते हैं जिनके बारे में हस्तरेखा शास्त्र से पता चल जाता है.ऐसे बनते हैं शादी के अजीब संयोगकई लोगों के हाथ में यात्रा से जुड़े शादी (Marriage) के योग भी बनते हैं. यानी ऐसे लोग जो यात्राओं के दौरान ही किसी को दिल दे बैठते हैं. वहीं हाथ ही रेखाएं यात्राओं से जुड़े अन्य शुभ-अशुभ संकेत भी देती हैं.- जिन लोगों के हाथ में चंद्र पर्वत से कोई रेखा निकलकर बुध पर्वत तक जाए तो उसे यात्रा से अचानक धन लाभ होता है.- जिन जातकों के हाथ में चंद्र पर्वत से निकली यात्रा रेखा हथेली के मध्य से ही मुड़कर वापस चंद्र पर्वत पर ही लौट आए तो ऐसा व्यक्ति अपने काम के लिए विदेश तो जाता है, लेकिन वापस भी लौट आता है.- चंद्र पर्वत से रेखा निकलकर गुरु पर्वत तक जाए तो व्यक्ति के विदेश में बसने की बहुत ज्यादा संभावना होती है. ऐसे लोग विदेश में ही शादी रचा लेते हैं.- ऐसे जातक जिनके हाथ में चंद्र पर्वत से निकली रेखा हृदय रेखा तक जाए तो व्यक्ति को यात्रा में ही अपना जीवनसाथी मिल जाता है. ऐसे लोगों को अपना प्यार यात्रा के दौरान ही मिलता है.- यदि चंद्र और शुक्र पर्वत उभरे हुए हों और जीवन रेखा पूरे शुक्र क्षेत्र को घेरकर शुक्र पर्वत के मूल तक जाए तो ऐसे लोग ढेर सारी यात्राएं करते हैं
- इस समय बुध कन्या राशि में संचार कर रहे हैं और गुरु मकर राशि में। गुरु और बुध 18 अक्टूबर को वक्री से मार्गी हुए हैं। ज्योतिष में गुरु और बुध को विशेष स्थान प्राप्त है। ज्योतिष में बुध को बुद्धि, तर्क, संवाद, गणित, चतुरता और मित्र का कारक ग्रह कहा जाता है। सूर्य और शुक्र, बुध के मित्र हैं जबकि चंद्रमा और मंगल इसके शुत्र ग्रह हैं। वहीं देवगुरु बृहस्पति को ज्ञान, शिक्षक, संतान, बड़े भाई, शिक्षा, धार्मिक कार्य, पवित्र स्थल, धन, दान, पुण्य और वृद्धि आदि का कारक ग्रह कहा जाता है। बृहस्पति ग्रह 27 नक्षत्रों में पुनर्वसु, विशाखा, और पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र के स्वामी होते हैं। बुध देव 2 नवंबर को राशि परिवर्तन करेंगे और गुरु 20 नवंबर को राशि परिवर्तन करेंगे। ज्योतिष गणनाओं के अनुसार आने वाले 12 दिनों तक कुछ राशियों पर गुरु और बुध की विशेष कृपा रहेगी।वृष राशिवृष राशि के जातकों के लिए ये समय किसी वरदान से कम नहीं कहा जा सकता है।दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा।कार्यों में सफलता प्राप्त करेंगे।आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।मित्रों का सहयोग मिलेगा।धार्मिक कार्यों में हिस्सा लेने का अवसर मिलेगा।कन्या राशिकन्या राशि के जातकों के लिए ये समय शुभ रहने वाला है।आत्मविश्वास में वृद्धि होगी।नौकरी और व्यापार में लाभ होगा।आपके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की जाएगी।धन- लाभ होगा, जिससे आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलेगा।जीवनसाथी के साथ समय व्यतीत करेंगे।वृश्चिक राशिगुरु और बुध का मार्गी होना वृश्चिक राशि के जातकों के लिए शुभ कहा जा सकता है।नौकरी और व्यापार के लिए ये समय किसी वरदान से कम नहीं कहा जा सकता है।आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।वैवाहिक जीवन सुखमय रहेगा।परिवार के सदस्यों के साथ समय व्यतीत करेंगे।इस समय निवेश करने से लाभ हो सकता है।धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों में हिस्सा लेने का अवसर मिलेगा।धनु राशिबुध और गुरु के मार्गी होने से धनु राशि के जातकों को शुभ फल की प्राप्ति होगी।भाग्य का पूरा साथ मिलेगा।धन- लाभ होगा, जिससे आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।मान- सम्मान और पद- प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।नौकरी और व्यापार में लाभ के योग बन रहे हैं।सामाजिक कार्यों में हिस्सा लेंगे।मीन राशिमीन राशि के जातकों के लिए बुध और गुरु का मार्गी होना किसी वरदान से कम नहीं है।व्यापार में लाभ होगा।कार्यक्षेत्र में आपके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की जाएगी।जीवनसाथी के साथ समय व्यतीत करेंगे।नौकरीपेशा लोगों के लिए भी ये समय शुभ रहेगा।
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Happy
MAA BHAGWATI MAHOTSAVA
(जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज के अवतरण पर उनकी जननी अखंड सौभाग्यवती माता भगवती जी के आँगन में मनाये जाने वाले अनंत हर्षोल्लास और बधाई के पर्व 'माँ भगवती महोत्सव' की आप सभी को शुभकामनायें...)
आरति भगवति माँ की कीजै,
जय जय जननि जगदगुरु की जै।
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु महाप्रभु जी का अवतरण शरद-पूर्णिमा की महारात्रि में इलाहाबाद के निकट मनगढ़ नामक छोटे से ग्राम में उच्च ब्राम्हण कुल में हुआ। वे इस युग के परमाचार्य हैं, भक्तियोगरसावतार हैं, निखिलदर्शनसमन्वयाचार्य हैं। एक अलौकिक व्यक्तित्व हैं, अपने शरणागतों के लिये उनका स्थान ऐसा है जैसे श्रीराधाकृष्ण तथा गुरु में कुछ भेद रह ही नहीं गया हो। ऐसी विभूति की जननी होने का सौभाग्य जिन्हें प्राप्त हो, उनके सौभाग्य की क्या तुलना हो सकती है। अखंड सौभाग्यवती माँ भगवती! जिनकी गोद में यह विभूति अवतरित हुई, आइये मन के भावराज्य में जाकर उनके श्रीचरणों में वन्दना के कुछ पुष्प अर्पित करें ::::::
हे भगवती मैया!!
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु महाप्रभु जी की जननी होने
का परमातिपरम सौभाग्य प्राप्त करने वाली हे माता!
आपके चरणारविन्दों की बारम्बार वंदना..
आपकी गोद में शरद-पूर्णिमा की रात्रि में 'कृपा-शक्ति' का अवतरण हुआ है, इस युग के पंचम मूल जगदगुरुत्तम और भक्तियोग रस के अवतार श्री कृपालु महाप्रभु जी की जननी होने का परमातिपरम सौभाग्य आपको प्राप्त हुआ है। आपके ये लाड़ले सुत (पुत्र) उनके हम शरणागतों के लिये 'शरद-चंद्र' हैं। समस्त जगत आज उनके ज्ञान से आलोकित तथा प्रेम से सराबोर है। आज आपके द्वार पर उनके 'जन्म' का अनोखा महोत्सव दर्शनीय है!!
जैसा आनन्द ब्रम्ह श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव में 'नन्द-महामहोत्सव' में बरसा था, वैसा ही आनंदोल्लास आज आपके आँगन में बरस रहा है। इस 'भगवती-महामहोत्सव' के हम भी साक्षी बनने की याचना करते हैं।
वेद और शास्त्रों ने न जाने कहाँ उन पुण्यों का वर्णन किया है, जिसका सुफल यह होता है कि ऐसा सौभाग्य प्राप्त हो। लगता तो ऐसा है कि वेदादि श्रुतियाँ भी स्वयं आपके सौभाग्य की स्तुति करती होंगी!! आपने तथा पूजनीय पिता (श्री लालता प्रसाद त्रिपाठी जी) ने अपने 'कृपालु' सुपुत्र का आनंद और मस्ती से भरा बालपन देखा और जीया है।
★★ याद आता है वह एक संस्मरण....
एक दिन गाँव के ही एक प्रसिद्ध पंडित श्री नागेश्वर जी आपके (भगवती मैया) पास आये थे। आपने 'कृपालु' की जन्मपत्री उनके सामने रखी और अपने सुपुत्र का भविष्य पूछा। वे बड़ी देर तक गणना करते रहे फिर बोले :
'माँ जी! इसके नक्षत्र तो कहते हैं, यह कोई देव-पुरुष है. संसार का उद्धार करने आया है...'
आज विश्वविदित है कि आपका वह 'लाड़ला' सारे जगत का पूज्यनीय बना और सारे जगत पर अपनी दया, कृपा और प्रेम की वृष्टि की. वह 'जगदगुरुत्तम' कहलाया!!
आपके सुपुत्र सदैव आपके आज्ञाकारी रहे। आपने अपने लाड़-दुलार से सदैव उनका पालन किया है। हे भगवती मैया! हम भी आपके पुत्र-पुत्रियाँ ही तो हैं, हम भी आपका दुलार पाने और आपके 'लाड़ले' की सेवा करने को व्याकुल हैं। हे माँ! हम पर कृपा करो, हमें अपनी चेरी (दासी) बना लो और अपने 'कृपालु' की सेवा करने का सौभाग्य दे दो, हम सदा-सदा आपके ऋणी बने रहेंगे!!
आज आपके द्वार पर हर्षोल्लास है!! बधाईयाँ गाई जा रही हैं। सब एक-दूसरे को 'बधाई हो, बधाई हो' कह-कहकर प्रसन्नता बाँट रहे हैं। क्या स्त्री, क्या पुरुष? आपके दुआर पर तो देवी-देवता भी वंदन कर रहे हैं। ऐसे दुआर पर हम विश्व के प्रेम-पिपासु व्याकुल जीव याचना करते हुये आपको बधाई देने आये हैं। टूटे-फूटे शब्दों में आपकी तथा आपके सुपुत्र की स्तुति गाने का प्रयास करते हुये हे माँ! आपके चरणों पर हम सभी बारम्बार बलिहारी जाते हैं। आपको बहुत सारी बधाई, हमारा हृदय आपके 'कृपालु' की कृपाओं का चिरयुगी ऋणी है, आभारी है, कृतज्ञ है।
उनके द्वारा प्रदत्त, प्रगटित प्रवचन-साहित्यों, स्मृतियों तथा प्रेम, भक्ति तथा कीर्ति मन्दिर जैसे दिव्योपहारों के दर्शन, सँग करते-करते निश्चय ही हम सभी अपने कल्याण के पथ पर अग्रसर करेंगे और उनकी दिव्य सन्निधि का अनुभव कर-करके श्यामा-श्याम की सेवा प्राप्त कर लेंगे।
समस्त विश्व-परिवार को 'माँ भगवती-महोत्सव' की अनंत शुभकामनायें!!
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- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।
- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -
(1) www.jkpliterature.org.in (website)
(2) JKBT Application (App for 'E-Books')
(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)
(4) Kripalu Nidhi (App)
(5) www.youtube.com/JKPIndia
(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.)
- भारत में भगवान राम के सबसे बड़े भक्त बजरंग बली के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। श्रीराम भक्त हनुमान को अनेक नामों से उनके भक्त पुकारते हैं। भगवान बजरंगबली को लोग संकटमोचक कहकर भी पुकराते हैं। मान्यता है कि हनुमानजी की पूजा करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।बजरंग बली के प्रसिद्ध मंदिरों में राजस्थान का मेहंदीपुर बालाजी मंदिर भी शामिल है। यह मंदिर राजस्थान के दौसा की दो पहाडिय़ों के बीच स्थित है। इस मंदिर में सालभर भक्त आते हैं और यहां से खुश होकर जाते हैं। .मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में महाबली हनुमान जी अपने बाल स्वरूप में विराजमान हैं। उनके ठीक सामने भगवान राम और माता सीता की प्रतिमा स्थापित है। बताया जाता है कि यहां आने वाले भक्तों के लिए एक खास नियम है। इस नियम के मुताबिक, दर्शन से कम से कम एक हफ्ते पहले से भक्तों को प्याज, लहसुन, नॉनवेज, शराब आदि का सेवन बंद कर देना चाहिए।खुश होकर लौटते हैं भक्तमान्यता है कि मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में हनुमान जी के दर्शन के बाद ऊपरी बाधाओं से लोगों को मुक्ति मिल जाती है। इससे छुटकारा के लिए बड़ी संख्या भक्त यहां पहुंचते हैं। यहां पर प्रेतराज सरकार और भैरव बाबा की प्रतिमा भी स्थापित है। हर दिन प्रेतराज सरकार के दरबार में पेशी (कीर्तन) किया जाता है। यह दो बजे होता है। माना जाता है कि यहां पर आने से लोगों पर मंडरा रहा ऊपरी साया दूर हो जाता है। मान्यता है कि हनुमानजी के इस मंदिर में दर्शन करने के बाद व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ्य होकर वापस आता है।इसलिए मंदिर से नहीं लाया जाता है प्रसादमेहंदीपुर बालाजी मंदिर का एक और नियम है। मान्यता है कि यहां के प्रसाद को न तो खाया जा सकता है और न ही किसी को दिया जा सकता है। इसके अलावा प्रसाद को घर भी नहीं लाया जा सकता है। प्रसाद को मंदिर में ही चढ़ाया जाता है। इस मंदिर से कोई भी खाने-पीने की चीज या सुगंधित चीज को अपने घर नहीं ला सकते हैं। कहा जाता है कि ऐसा करने से ऊपरी साया का प्रकोप उस इंसान पर हो जाता है।---------
- रत्नों का जिंदगी पर बहुत असर होता है। जिंदगी के तमाम पहलूओं और उनसे जुड़ी समस्याओं को लेकर रत्न शास्त्र में रत्न सुझाए गए हैं। फिर चाहे वह पैसे या करियर की बात हो या फिर रिश्तों की। रत्न शास्त्र में कुछ रत्न ऐसे बताए गए हैं जो बेहद प्रभावी होते हैं। माना जाता है कि ये रत्न पहनने से व्यक्ति मालामाल हो जाता है और उसकी जिंदगी खुशियों से भर जाती है। हालांकि इन रत्नों को धारण करने से पहले अपनी कुंडली दिखाकर विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लेनी चाहिए।मालामाल कर देते हैं ये रत्ननीलम रत्ननीलम रत्न सबसे प्रभावी रत्नों में से एक है। जिन जातकों की कुंडली में नीलम रत्न शुभ होता है, उन्हें यह रत्न पहनते ही तुरंत फर्क नजर आने लगता है, लेकिन याद रखें कि जब नीलम पहनें तो उसके साथ माणिक्य, मूंगा और पुखराज रत्न न पहनें। रत्नों का यह कॉम्बिनेशन नुकसादेह होता है।पन्ना रत्नपन्ना रत्न संकटों से बचाने में बहुत प्रभावी है, साथ ही कॅरिअर में तरक्की और धन-लाभ में भी उपयोगी है। इस रत्न को पहनने से व्यक्ति का आत्मविश्वास और बुद्धिमत्ता बढ़ जाती है। उसकी पर्सनालिटी आकर्षक हो जाती है, लेकिन इसके साथ मोती, मूंगा और पुखराज न पहनें।टाइगर रत्नयह रत्न नीलम की तरह बहुत जल्दी असर दिखाता है। यह रत्न पहनने से पैसों की तंगी दूर होती है और जल्दी ही धन लाभ होना शुरू हो जाता है। इसके अलावा जिंदगी की तमाम मुश्किलें भी दूर हो जाती हैं। यह रत्न करियर में तरक्की भी दिलाता है।जेड स्टोनजेड स्टोन धन लाभ कराने के साथ-साथ एकाग्रता भी बढ़ाता है । जॉब और बिजनेस में तरक्की के लिए हरे रंग का जेड स्टोन बहुत ही लाभदायक है। यह पदोन्नति-सम्मान और पैसा सब कुछ दिलाता है।