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- जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 387
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज की भक्तवत्सलता और भक्तवश्यता भी अनुपम है। कोई भी सत्संगी इनकी छोटी से छोटी सेवा करता, ये उसके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते। यद्यपि अंदर से शक्ति देने वाले, प्रेरणा देने वाले ये स्वयं ही हैं किंतु किसी भी सत्संगी के द्वारा कोई भी सेवा की जाय ये उसका श्रेय उसे ही देते थे, यश का सेहरा उसी के सिर पर बाँधते थे। प्रेम-मंदिर, भक्ति-मंदिर जैसे दिव्यातिदिव्य स्मारक इनके कठिन प्रयास से ही बनें किन्तु कभी भी इन्होंने अपना सम्मान, अपना यश नहीं चाहा, उसमें जिन सत्संगियों ने सेवा की उन्हीं को इस महान कार्य का श्रेय दिया। आइये ऐसे भक्तवत्सल, भक्तवश्य अति कृपालु रसिकवर की अलौकिक वाणी से निःसृत तत्वज्ञान को आत्मसात करें....
★ 'जगदगुरुत्तम-ब्रज साहित्य'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज विरचित साहित्य/ग्रन्थ)
मम ठाकुर नंदकुमार, मम ठकुरानी सुकुमार।मम दोऊ प्राणाधार, जय जयति युगल सरकार।।भज प्यारिहिं नंदकुमार, भज प्यारिहुँ पिय रिझवार।दोउ सुख महँ दोउ बलिहार, जय जयति युगल सरकार।।
भावार्थ ::: भक्त कहता है - मेरे आराध्य नंदनंदन श्रीकृष्ण हैं। मेरी आराध्या सुकुमारी राधा है। दोनों ही मेरे प्राणों के अवलम्ब हैं। युगल सरकार की सदा जय हो। नंदपुत्र श्रीराधा का सेवन करते हैं। श्रीराधा रसिक शेखर श्रीकृष्ण की उपासना करती हैं। दोनों, दोनों के सुख पर बलिहार जाते हैं। युगल सरकार की सदा जय हो।
• संदर्भ ग्रन्थ ::: युगल रस, कीर्तन संख्या - 2----------------★ 'जगदगुरुत्तम-श्रीमुखारविन्द'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा निःसृत प्रवचन का अंश)
कोई भगवान या संत की निंदा करे तो उसके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए?-- अगर किसी से तुम्हारा 24 घंटे का घनिष्ट संबंध है, वह अगर कुछ कहता है तो मुस्कुरा कर सुन लो। यह देखकर कि इसको तो कुछ दुःख ही नहीं हुआ, वह खिसिया जायेगा फिर नहीं कहेगा। अगर अन्य कोई व्यक्ति है तो उसे झिड़क दो। उससे संबंध खत्म कर देने में कोई हानि नहीं है।
• संदर्भ पुस्तक ::: प्रश्नोत्तरी, भाग - 1, प्रश्न संख्या 120
★★★ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(5) www.youtube.com/JKPIndia(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - ऊर्जा, भाई, भूमि, शक्ति, साहस, पराक्रम, शौर्य, गतिशीलता और जीवन शक्ति के कारक ग्रह मंगल देव 6 सितंबर को कन्या राशि में प्रवेश कर जाएंगे। मंगल के कन्या राशि में प्रवेश करने से सभी राशियों पर प्रभाव पड़ेगा, लेकिन मेष, कर्क, वृश्चिक और धनु राशि वालों पर मंगल का सबसे अधिक प्रभाव पड़ने जा रहा है। मेष, कर्क, वृश्चिक और धनु राशि वालों पर 22 अक्टूबर तक मंगल देव की विशेष कृपा रहेगी। मंगल के शुभ प्रभावों से व्यक्ति का भाग्योदय हो जाता है। आइए जानते हैं 22 अक्टूबर तक कैसा रहेगा मेष, कर्क, वृश्चिक और धनु राशि का हाल....आत्मविश्वास में वृद्दि होगी।कार्यक्षेत्र में आपके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की जाएगी।धन- लाभ होगा।आय के स्रोतों में वृद्दि होगी।स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से छुटकारा मिलेगा।कार्यों में सफलता प्राप्त करेंगे।वैवाहिक जीवन सुखमय रहेगा।आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।कार्यों में सफलता प्राप्त करने के लिए अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ेगी।लेन- देन के लिए समय शुभ है।निवेश करने से लाभ होगा।नौकरी और व्यापार में तरक्की के योग बन रहे हैं।मान- सम्मान और पद- प्रतिष्ठा में वृद्दि होगी।नौकरी और व्यापार के लिए समय शुभ है।मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा।आपके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की जाएगी।ये समय किसी वरदान से कम नहीं कहा जा सकता है।भाग्योदय होना तय है।पारिवारिक जीवन सुखमय रहेगा।
- कुंडली की तरह अंक ज्योतिष से भी अपनी शादी के बारे में कई बातें जानी जा सकती हैं, जैसे-लव मैरिज होगी या अरेंज मैरिज , या किस मूलांक वाले व्यक्ति के साथ कम्पैटिबिलिटी अच्छी रहेगी. यह सब जानने के लिए केवल मूलांक की जरूरत होती है. मूलांक व्यक्ति की जन्म तारीख का जोड़ होता है, जैसे 15 तारीख को जन्मे व्यक्ति का मूलांक 6 होगा. आज न्यूमेरोलॉजी के जरिए सभी मूलांक वाले लोगों के विवाह के बारे में जानते हैं.किसी भी महीने की 1 या 10 तारीख को जन्मे लोग स्वभाव से बहुत प्रैक्टिकल होते हैं लेकिन प्यार-शादी के मामले में शर्मीले होते हैं. बचपन के प्यार को प्रपोज करने में ही ये कई साल लगा देते हैं लेकिन आखिर में शादी उसी से करते हैं. इनके लिए 2, 4 और 6 मूलांक वाले पार्टनर अच्छे रहते हैं.किसी भी महीने की 2, 11 या 20 तारीख को जन्मे लोगों का मूलांक 2 होता है. ये लोग मूडी होते हैं लेकिन प्यार बहुत सोच-समझकर करते हैं. आमतौर पर यह लव मैरिज ही करते हैं. इसके लिए 1,3 या 6 मूलांक वाला पार्टनर अच्छा रहता है.किसी भी महीने की 3, 12, 21, 30 तारीख को जन्मे लोगों का मूलांक 3 होता है. ये रोमांटिक नहीं होते और अपने पार्टनर को डोमिनेट करते हैं. इनके लिए 2, 6 या 9 मूलांक वाले पार्टनर अच्छे रहेंगे.4, 13, 22, 31 तारीख को जन्मे लोगों का मूलांक 4 होता है. अक्सर ये लोग एक से ज्यादा रिलेशनशिप में होते हैं. लव मैरिज करने के बाद भी इनके दूसरों से रिश्ते शादी टूटने की नौबत ला देते हैं. इनके लिए 1,2,7 या 8 अंक वाले लोग बेहतर जीवनसाथी साबित हो सकते हैं.किसी भी महीने की 5, 14, 23 तारीख को जन्मे लोगों का मूलांक 5 होता है. इन लोगों के लिए परिवार की मर्जी बहुत मायने रखती है, यदि लव मैरिज भी करें तो भी परिवार को इसके लिए राजी कर लेते हैं. 5 और 8 मूलांक वाले इनके लिए बेहतर पार्टनर साबित होंगे.किसी भी महीने की 6, 15, 24 तारीख को जन्मे लोगों का मूलांक 6 होता है. ये लोग बहुत आकर्षक होते हैं. लोग जल्दी ही इनसे इंप्रेस हो जाते हैं और प्रपोज कर बैठते हैं. हालांकि ये लोग बहुत जल्दी अपने पार्टनर से इमोशनली अटैच नहीं होते हैं. इनकी सभी लोगों से पट जाती है, ये किसी भी मूलांक वाले से शादी कर सकते हैं.7, 16 या 25 तारीख को जन्मे लोगों का मूलांक 7 होता है. ये बहुत रोमांटिक होते हैं. साथ ही अपने पार्टनर से सच्चा प्यार करते हैं. इनके लिए मूलांक 2 वाले पार्टनर सबसे अच्छे होते हैं.8, 17 या 26 तारीख को जन्मे लोगों का मूलांक 8 होता है. आमतौर पर यह प्यार में पड़ते नहीं हैं और यदि किसी से प्यार करें तो शादी करके ही दम लेते हैं. यह बहुत वफादार साबित होते हैं. इनके लिए मूलांक 8 वाला पार्टनर ही अच्छा रहता है.9, 18, 27 तारीख को जन्मे लोगों का मूलांक 9 होता है. ये लोग आमतौर पर अरेंज मैरिज करते हैं लेकिन शादी के बाद भी अफेयर कर लेते हैं. इनके लिए 2 और 6 मूलांक वाले पार्टनर अच्छे रहते हैं.
- चंद्रमा मन का कारक है। ज्योतिष में चंद्रमा को इंसान के सबसे करीब माना गया है। जिस तरह चंद्रमा कुंडली में व्यक्ति का भाग्य तय करता है उसी तरह हाथ में चद्रमा की स्थिति भी व्यक्ति के जीवन के बारे में बहुत कुछ स्पष्ट करता है। हथेली में चंद्रमा शुक्र ग्रह के ठीक उल्टी तरफ होता है। ज्योतिष विज्ञान में चंद्रमा को सुंदरता एवं भावना का ग्रह भी माना गया है। यदि किसी व्यक्ति की हथेली में चंद्र पर्वत विकसित है तो वह बेहद भावुक एवं कल्पनाशील होता है। विकसित चंद्रमा वाले लोग प्रकृति प्रेमी, सौंदर्यप्रिय और सपनों की दुनिया में विचरण करने वाले हाते हैं।ऐसे लोग हमेशा सपनों में रहते हैं। ऐसे लोगों में जीवन में कठिनाइयां झेलने की क्षमता नहीं होती। ऐसे जातक एकांत पसन्द करते हैं। मुख्यत: ऐसे व्यक्ति वाचक, कलाकार, संगीतज्ञ और साहित्यकार होते हैं। ऐसे व्यक्ति किसी के गुलाम होकर कार्य नहीं करते। यदि चंद्र पर्वत सामान्य रूप में ही विकसित हो तो जातक हद से ज्यादा भावुक हो जाते हैं। छोटी-छोटी बातें ऐसे लोगों को झकझोर देती है। इनके अंदर किसी भी स्थिति का सामना करने का साहस नहीं होता। ये लोग निराश होकर जल्दी पलायन कर जाते हैं। यदि चंद्र पर्वत का झुकाव शुक्र पर्वत की ओर हो तो जातक कामुक प्रवृत्ति का होता है। यदि चंद्र पर्वत पर आड़ी-टेड़ी रेखाएं हों तो जातक अपने जीवन में जल यात्रा करता है।
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तीज व्रत हिन्दू धर्म में सुहागिन महिलाओं द्वारा रखा जाने वाला अत्यंत कठिन और अति शुभ फलदायी व्रत माना गया है. हरतालिका तीज व्रत हर साल भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला और निराहार व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन करती हैं तथा उनसे अखंड सौभाग्यवती होने, पति की लंबी आयु की प्राप्ति और उनके जीवन में सुख शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं. इसके बाद अगले दिन पूजा के बाद महिलाएं अपने व्रत का पारण करती हैं.
हिंदी पंचांग के अनुसार, इस बार हरतालिका तीज व्रत पर रवियोग का निर्माण हो रहा है. इस दिन यह अद्भुत संयोग शाम को 5 बजकर 14 मिनट से शुरू हो रहा है. वहीं हरतालिका तीज व्रत के पूजन के लिए शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 10 मिनट से रात 7 बजकर 54 मिनट तक है. ऐसे में हरतालिका व्रत की पूजा के समय रवियोग रहेगा. ज्योतिष गणनाओं के मुताबिक इस अवसर पर रवियोग का दुर्लभ संयोग करीब 14 वर्ष बाद बन रहा है. ज्योतिशास्त्र में रवियोग को सभी प्रकार के दोषों का विनाश करने वाला बताया गया है. रवियोग बेहद प्रभावशाली होता है.
ज्योतिष शास्त्र की मान्यता है कि इस योग में कई अशुभ योगों के प्रभाव को कम करने की क्षमता है. जिन लोगो के वैवाहिक जीवन में कुछ बाधाएं है, तो उन्हें इस रवियोग में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करनी चाहिए. इससे रिश्तों में मजबूती आयेगी. अविवाहित कन्याएं यदि इस योग में शिव-पार्वती का पूजन करती हैं, तो विवाह में आने वाली बाधाएं दूर रहती है. धार्मिक मान्यता है कि हरतालिका तीज व्रत का पूजन रवियोग में करने से सभी मुरादें पूरी होती हैं. - जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 386
भक्तियोगरसावतार जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज अक्सर मृदंग बजाकर 'हरे राम' संकीर्तन कराते थे। जैसे ही मृदंग उनके हाथ में आता, संकीर्तन में प्राण आ जाते। उनकी लम्बी लम्बी अंगुलियों का थिरकना, उनकी थाप सभी कुछ अलौकिक था। सभी भक्त भक्तिरस में डूब जाते और अश्रुपूरित नेत्रों से उनकी उस मधुरातिमधुर मनोहारी छवि का दर्शन करते। ऐसा लगता, जड़-चेतन सभी प्रेमरस सिन्धु में डूबते चले जा रहे हैं। कभी कभी 'हरे राम' संकीर्तन के मध्य वे भावस्थ अवस्था में ही 'हरि-हरि बोल' संकीर्तन करते हुये दोनों भुजायें ऊपर उठाकर खड़े हो जाते थे। सामूहिक कीर्तन 'हरे राम' की जगह 'हरि बोल' में परिवर्तित हो जाता था। फिर आगे जो दिव्य दृश्य प्रगट होता था, उसका वर्णन लेखनी से सर्वथा असम्भव है। भक्तिरस का जन-जन में महान दान करने वाले रसिकवर श्री कृपालु महाप्रभु जी की दिव्य वाणी के अमृत कणों का आइये पान करें...
★ 'जगदगुरुत्तम-ब्रज साहित्य'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज विरचित साहित्य/ग्रन्थ)
भक्त के भीतर देखो गोविन्द राधे।बाहर का देखना है धोखा बता दे।।
भावार्थ ::: भक्तों की बाहरी क्रियाओं पर कभी ध्यान नहीं देना चाहिये। बाहर का व्यवहार, चेष्टा, क्रिया देखकर भ्रम हो सकता है। स्वयं को छिपाने के लिये अथवा साधक की मन, बुद्धि की शरणागति की परीक्षा लेने के लिये महापुरुष विपरीत क्रिया एवं चेष्टा भी करते हैं। अतः महापुरुष की आन्तरिक स्थिति पर ही ध्यान देना चाहिये।
• संदर्भ ग्रन्थ ::: गुरु गोविन्द, पृष्ठ संख्या 91 एवं 92----------------★ 'जगदगुरुत्तम-श्रीमुखारविन्द'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा निःसृत प्रवचन का अंश)
...हमने अपने आपको शरीर समझ लिया और उस शरीर के उपभोग के चक्कर में पड़ गये और संसार के समस्त पदार्थों को इस शरीर रूपी कुण्ड में डाल डालकर के अनन्त जन्म बिता दिये कि आत्मा को आनंद मिल जायेगा। आत्मा का सब्जेक्ट ही नहीं है क्योंकि आत्मा स्प्रिचुअल है। आध्यात्मिक है, तो आध्यात्मिक मैटर का सब्जेक्ट होता है ये आँख, कान, नासिका, रसना, त्वचा - ये पंचमहाभूत के अंश हैं इसलिये पंचमहाभूत के पदार्थ इनके सब्जेक्ट हैं। आत्मा ईश्वर का अंश है इसलिए ईश्वर आत्मा का सब्जेक्ट है सीधा सीधा...
• संदर्भ पुस्तक ::: प्राणधन जीवन कुंज बिहारी, पृष्ठ संख्या 184
★★★ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(5) www.youtube.com/JKPIndia(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) -
शनि को ज्योतिष में पापी और क्रूर ग्रह कहा जाता है। शनि के अशुभ प्रभावों से हर कोई भयभीत रहता है। इस समय शनि वक्री अवस्था में हैं। 11 अक्टूबर तक शनिदेव वक्री अवस्था में ही रहेंगे। शनिदेव के वक्री अवस्था में रहने से सभी राशियों पर शुभ- अशुभ प्रभाव पड़ता है। शनि के शुभ होने पर जहां व्यक्ति का भाग्य बदल जाता है तो वहीं शनि के अशुभ होने पर व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
आइए जानते हैं 11 अक्टूबर तक कैसा रहेगा सभी राशियों का हाल...
मेष राशि
मिले- जुले परिणाम मिलेंगे।
मेहनत करने से कार्यों में सफलता अवश्य प्राप्त करेंगे।
मानसिक तनाव को दूर करने के लिए योग करें।
आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए धन का खर्च अधिक न करें।
वृष राशि
आर्थिक पक्ष कमजोर हो सकता है।
सफलता प्राप्त करने के लिए आपको कड़ी मेहनत करनी होगी।
शनि के वक्री रहने तक आपको विशेष सावधानी बरतनी होगी।
मिथुन राशि
मिथुन राशि इस समय शनि की ढैय्या से प्रभावित है, जिस वजह से मिथुन राशि के जातकों को विशेष ध्यान रखना होगा।
आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
सोच- समझकर ही धन खर्च करें, नहीं तो मुश्किल में पड़ सकते हैं।
स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है।
मिथुन राशि के जातकों को शनि के वक्री रहने तक विशेष सतर्कता बरतनी होगी।
पंचांग-पुराण से और
सिंह, कन्या, तुला और वृश्चिक राशि वालों को 22 सितंबर तक मिलेंगे शुभ समाचार, मान- सम्मान और पद- प्रतिष्ठा में होगी वृद्धि
सिंह, कन्या, तुला और वृश्चिक राशि वालों को 22 सितंबर तक होगा महालाभ
आने वाले 2 दिन मिथुन, सिंह, तुला, धनु और कुंभ राशि के लिए बेहद फलदायी, शुक्र देव रहेंगे मेहरबान
आने वाले 2 दिन मिथुन, सिंह, तुला, धनु और कुंभ राशि के लिए बेहद फलदायी
वृश्चिक, धनु और मीन राशि पर हैं वक्री गुरु मेहरबान, 14 सितंबर तक सूर्य की तरह चमकेगा भाग्य
वृश्चिक, धनु और मीन राशि पर हैं वक्री गुरु मेहरबान, चमक उठेगा भाग्य
कुंभ, मकर, धनु, मिथुन और तुला राशि वाले शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति के लिए शनि प्रदोष व्रत के दिन करें ये छोटा सा काम
कुंभ, मकर, धनु, मिथुन और तुला राशि वाले शनि प्रदोष व्रत पर करें ये काम
आने वाले 2 दिन मिथुन, सिंह, तुला, धनु और कुंभ राशि के लिए बेहद फलदायी, शुक्र देव रहेंगे मेहरबान
कर्क राशि
विशेष सावधान रहना होगा।
दांपत्य जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
जीवनसाथी के साथ समय व्यतीत करने से रिश्ते मधुर होंगे।
आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
परिवार के सदस्यों के साथ मनमुटाव हो सकता है।
परिवार के सदस्यों के साथ समय व्यतीत करने से मनमुटाव दूर होगा।
सिंह राशि
स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना होगा।
शनि के वक्री होने से स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए धन का सोच- समझकर खर्च करें।
मानसिक तनाव की स्थिति रहेगी।
मानसिक तनाव को दूर करने के लिए ध्यान करें।
कन्या राशि
शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए यह समय शुभ नहीं कहा जा सकता है।
इस समय वाद- विवाद से दूर रहें।
परिवार के सदस्यों के साथ समय व्यतीत करें।
स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए स्वास्थ्या का विशेष ध्यान रखें।
तुला राशि
परिवार के सदस्यों से मनमुटाव हो सकता है।
परिवार के किसी भी सदस्य से वाद- विवाद न करें।
परिवरा के सदस्यों के साथ प्रेम से रहें।
यह समय धैर्य से काम लेने का है।
आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
शनि के वक्री रहने तक आपको अपना विशेष ध्यान रखना होगा।
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के जातकों का आर्थिक पक्ष कमजोर हो सकता है।
इस समय सोच- समझकर ही लेन- देन संबंधित कार्य करें।
परिवार के सदस्यों से किसी भी तरह का वाद- विवाद न करें।
परिवार के सदस्यों के साथ समय व्यतीत करें
धन सोच- समझकर ही खर्च करें, नहीं तो समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
धनु राशि
धनु राशि के लिए यह समय शुभ नहीं कहा जा सकता है।
धनु राशि के जातकों को सोच- समझकर बोलने की सलाह दी जाती है।
आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
इस समय लेन- देन न करें।
स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
मकर राशि
मकर राशि के जातकों को तनाव का सामना करना पड़ सकता है।
मन को शांत रखने के लिए ध्यान करें।
स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
परिवार के सदस्यों के साथ मनमुटाव हो सकता है।
परिवार के सदस्यों के साथ समय व्यतीत करें।
कुंभ राशि
कुंभ राशि के जातकों को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
इस समय धन की कमी हो सकती है।
कार्यों में सफलता के लिए अधिक मेहनत करनी होगी।
मेहनत करेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी।
इस समय धैर्य से काम लें।
मीन राशि
मीन राशि के जातकों का आर्थिक पक्ष कमजोर हो सकता है।
मीन राशि के जातक धन का खर्च सोच- समझकर ही करें।
धन- हानि हो सकती है।
इस समय आपको विशेष सावधानी बरतनी होगी।। - जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 385
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज शास्त्रज्ञ वेदज्ञ होने के साथ साथ भक्तिरस के महान आचार्य हैं। उनके रोम रोम से भक्तिरस प्रवाहित होता था। उनकी उपस्थिति मात्र शुष्क से शुष्क हृदयों में भी भक्तिरस का संचार करती थी। सदैव प्रेमानंद में निमग्न वे राधाकृष्ण भक्ति के मूर्तिमान स्वरूप ही थे यद्यपि उनका बाहरी रूप देखकर श्रद्धाहीन भ्रमित हो जाते थे। यश-ऐश्वर्य, श्री - सबके स्वामी होते हुये भी विरक्तों के शिरोमणि थे। गृहस्थ धर्म निभाते हुये भी संन्यासियों के सिरमौर थे। विश्व का परम सौभाग्य है कि ऐसी दिव्यतम विभूति धराधाम पर अवतरित हुई। आइये उनके द्वारा प्रदत्त तत्वज्ञान से हम भगवद-स्मरण हेतु सामग्री प्राप्त करें....
★ 'जगदगुरुत्तम-ब्रज साहित्य'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज विरचित साहित्य/ग्रन्थ)
गौरी सों सहस्त्र गुना गोरी मम श्यामा।फिर भी अचम्भो लखु श्यामा कहे धामा।।
भावार्थ ::: वस्तुतः श्याममयी अर्थात श्याम के प्रेम में तल्लीन होने के कारण ही श्रीराधा 'श्यामा' कही जाती हैं। किन्तु 'श्यामा' का एक अर्थ काले वर्ण वाली भी होता है। यहाँ इसी अर्थ को लेकर रसिक लेखक विनोद में कहते हैं - श्रीराधा अत्यंत गौरवर्णा पार्वती से भी सहस्त्र गुना गोरी हैं किन्तु फिर भी आश्चर्य देखो, संसार उन्हें श्यामा कहकर पुकारता है..
• संदर्भ ग्रन्थ ::: श्यामा श्याम गीत, दोहा संख्या 456----------------★ 'जगदगुरुत्तम-श्रीमुखारविन्द'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा निःसृत प्रवचन का अंश)
...जितने श्वांस बचे हैं मृत्यु के पहले वाले, उनको काम में लेना चाहिये। चाहे हजार लोग बैठे हों हम श्वांस श्वांस से राधे-राधे बोलें। कौन क्या जानेगा क्या कर रहे हैं हम। ये अवसर फिर नहीं मिलेगा। मनुष्य का शरीर, भारतवर्ष में जन्म और तत्वदर्शी का मिलना, तत्वज्ञान प्राप्त कर लेना, सब बनाव तो बन गया और अब कौन सी कृपा बाकी है भगवान की। अब तो तुम्हारी कृपा आवश्यक है। भगवान की तो सब हो गई..
• संदर्भ पुस्तक : प्रश्नोत्तरी भाग 2 , पृष्ठ संख्या 98 एवं 99
★★★ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(5) www.youtube.com/JKPIndia(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 384
जगद्गुरु बनने के उपरान्त श्री कृपालु जी महाराज ने राधाकृष्ण की माधुर्यमयी भक्ति के सिद्धांत का जन-जन में प्रचार किया। कलियुग के इस चरण में जीवों को भक्ति के लिए तत्वज्ञान की परम अनिवार्यता को जानकर आपने वेदों, शास्त्रों, उपनिषदों, पुराणों और अन्यान्य धर्मग्रंथों के वास्तविक रहस्य को संसार के मध्य बारम्बार प्रकट किया। वेदों के 'आवृत्ति रसकृदुपदेशात्' और गौरांग महाप्रभु के 'सिद्धांत बलिया चित्ते न कर आलस' की उक्तियों को लोगों की बुद्धि में भरकर बार बार महापुरुषों के सिद्धांतों को सुनने पर जोर दिया। जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित वैदिक रहस्य हमारे भवरोग निवारण हेतु महान औषधि है, जिनका बारम्बार चिन्तन मनन और अधिक अधिक लाभ प्रदान करता जाता है। आइये आज के प्रकाशित अंक से उनके सिद्धान्त का लाभ लें....
★ 'जगदगुरुत्तम-ब्रज साहित्य'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज विरचित साहित्य/ग्रन्थ)
ब्रह्म एक मधु रूप है, एक भ्रमर उनमान।एक रूप रस देत है, एक आपु कर पान।।52।।
भावार्थ ::: रस रूप ब्रह्म के दो स्वरूप होते हैं। एक रस रूप। दूसरा रसिक रूप। अर्थात् एक मधु के समान। दूसरा भौंरे के समान। एक रूप से स्वयं रस पान करते हैं। दूसरे रूप से जीवों को भी वही रस पान कराते है।
• संदर्भ ग्रन्थ ::: भक्ति-शतक, दोहा संख्या 52----------------
★ 'जगदगुरुत्तम-श्रीमुखारविन्द'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा निःसृत प्रवचन का अंश)
...डर से भक्ति नहीं, प्यार से भक्ति करनी चाहिये। हम मनुष्य हैं, ये देह हमको इसीलिये मिला है कि हम भगवान् की भक्ति करें। एक उद्देश्य है दूसरा नहीं है। पेट पालने के लिये नहीं, विषय के लिये नहीं कि आँख से संसार देखो, कान से संसार सुनो, नासिका से संसार सूँघो। इन्द्रियों से संसार के विषय का भोग करके और आनन्द लो। ये तो कुत्ते, बिल्ली, गधे भी करते हैं। फिर तुम मनुष्य होकर के क्या विशेषता रही तुम्हारी। तो, हमारी यही विशेषता है कि हमको भगवान् ने ज्ञान दिया है, भगवान् की भक्ति करने के लिये। उसका सदुपयोग न करेंगे तो फिर दुरुपयोग भी नम्बर एक होगा। फिर पाप करेंगे और बड़े-बड़े पाप करेंगे। कुछ चोरी चोरी करते हैं पाप और कुछ डिक्लेयर्ड पाप करते हैं। सब पाप करेंगे, कोई नहीं बच सकता। एक सैकिंड को आपने मन भगवान् से अलग किया, तो पाप ही करेंगे...
• संदर्भ पुस्तक ::: साधना नियम, पृष्ठ संख्या 77
★★★ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(5) www.youtube.com/JKPIndia(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - हर कोई व्यक्ति अपने जीवन को सुख, शांति और सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए दिन से लेकर रात तक मेहनत करता है। पैसे से वह अपनी और अपने परिवार की हर जरूरत को पूरा करने की कोशिश में लगा रहता है। लेकिन कई लोग ऐसे भी होते हैं जो दिनभर कड़ी मेहनत करने बाद भी उनको वैसी सफलता नहीं मिलती जितनी मिलनी चाहिए। कई ऐसे लोग भी होते हैं जो पैसा तो खूब कमाते हैं लेकिन उनके पास कमाया हुआ धन ज्यादा देर तक नहीं टिक पाता है। वास्तु शास्त्र में घर और धन से जुड़ी हुई कई परेशानियों के उपाय बताए गए हैं। इन वास्तु उपायों में घर के मुख्य द्वार से जुड़ी है जिसे करने से आपके घर पर सुख और शांति आती है।घर से जुड़े मुख्य द्वार के वास्तु उपायघर पर तुलसी का पौधा लगाना बहुत ही शुभ माना जाता है। हिंदू धर्म में यह एक पवित्र पौधा माना जाता है। तुलसी में माता लक्ष्मी का स्वरूप है जिस कारण से भगवान विष्णु को बेहद प्रिय होती हैं। वास्तु के अनुसार घर के मुख्य द्वार के सामने तुलसी का पौधा लगाने से घर में सुख समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बना रहता है। घर पर तुलसी का पौधा लगाने से उस घर में रहने वाले सदस्यों की आर्थिक स्थिति अच्छी रहती है।\अगर घर के किसी कोने में वास्तु दोष है तो इसका प्रभाव वहां पर रहने वाले सभी सदस्यों पर पड़ता है। घर पर वास्तु दोष होने पर परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं होता। वास्तु शास्त्र में घर से वास्तुदोष को दूर करने के लिए घर के मुख्य द्वार पर लाल रंग से स्वास्तिक का निशान बनाना चाहिए। इसके अलावा घर के दरवाजे के दोनों तरफ शुभ-लाभ भी लिख देना चाहिए।अगर आपके परिवार में लगातार धन से संबंधित कोई न कोई परेशानी चलती है तो घर के मुख्य द्वार पर बंदनवार बांधना चाहिए। मान्यता है कि जिन घरों के मुख्य द्वार पर बंदनवार होता है वहां पर मां लक्ष्मी सौभाग्य का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। बंदनवार में आम या अशोक के पत्तों का प्रयोग करना चाहिए।सूर्य से सभी प्राणियों को ऊर्जा और भोजन प्राप्त होता है। सूर्य को सभी ग्रहों का राजा कहा गया है। सूर्य आत्मा के कारक ग्रह भी है। ऐसे मे सूर्य से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए उनको प्रतिदिन प्रणाम और जल अर्पित करना चाहिए। इसके अलावा मुख्य द्वार पर सूर्य यंत्र भी स्थपित करें ताकि घर पर नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश न कर सके और आपके परिवार में सुख समृद्धि का वास बना रहें।
- सनातन धर्म में पूजा-पाठ के दौरान नारियल का महत्व माना जाता है. माना जाता है कि इसमें 'त्रिदेव' का वास होता है. पूजा-पाठ में शुभ माना जाने वाला नारियल हमारे स्वास्थ्य के लिए भी काफी शुभ है. नारियल के फायदे इतने हैं कि आप हैरान हो जाएंगे. बता दें कि हर साल 2 सितंबर को विश्व नारियल दिवस मनाती है.नारियल एक ऐसा फूड है, जिसके अंदर के फल, पानी और छिलके सभी चीजों का इस्तेमाल किया जाता है. नारियल पानी को तो सेहत के लिए काफी फायदेमंद () माना जाता है, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है. आइए, कोकोनट के स्वास्थ्य लाभ जानते हैं.पोषण का खजाना है नारियल1 सितंबर से 7 सितंबर तक national nutrition week भी मनाया जाता है. वर्ल्ड कोकोनट डे और न्यूट्रिशन वीक के मौके पर नारियल में मौजूद पोषण के बारे में जान लेते हैं. हेल्थलाइन के मुताबिक, नारियल में न्यूट्रिशन भरपूर होता है. इसमें प्रोटीन, फाइबर, मैंगनीज, कॉपर, सेलेनियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, आयरन, पोटैशियम, कार्ब्स और प्रचुर मात्रा में फैट होता है. यह फैट अन्य फैट की तुलना में जल्दी अवशोषित होता है और अलग तरीके से काम करता है. नारियल में मौजूद फैट तुरंत ऊर्जा देने और फैट लॉस में मदद कर सकता है.ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है नारियलनारियल में कार्ब्स काफी कम मात्रा में होते हैं और फाइबर व फैट्स अधिक होता है. जिस कारण यह शरीर में ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है. नारियल के गुदे में मौजूद फाइबर धीरे-धीरे पचता है और इंसुलिन की संवेदनशीलता को सुधारता है.शरीर के लिए जरूरी एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूरबता दें कि नारियल के गुदे में फेनोलिक कंपाउंड होता है, जो सेल्स को ऑक्सीडेटिव डैमेज से बचाता है. यह एंटीऑक्सीडेंट्स होता है. वहीं, इसमें मौजूद पॉलीफेनॉल कोलेस्ट्रॉल के कारण रक्त वाहिकाओं में जमने वाले प्लाक को भी रोकता है.दिल के लिए फायदेमंदहेल्थलाइन के मुताबिक, कई शोधों में पाया गया है कि नारियल का सेवन करने वाले लोगों में दिल के रोगों का खतरा कम होता है. वर्जिन नारियल तेल का इस्तेमाल बेली फैट को घटाने और दिल के रोग व डायबिटीज का खतरा कम करने में मदद करता है.नारियल के अनेक इस्तेमालनारियल की सबसे अच्छी बात है कि आप इसका इस्तेमाल कई तरीकों से कर सकते हैं. आप कच्चा नारियल खा सकते हैं, नारियल पानी पी सकते हैं, खाने में नारियल के आटे व नारियल तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं, नारियल की चटनी बना सकते हैं, कई मिठाई और डिश में कद्दूकस किया हुआ नारियल या नारियल का दूध (coconut milk) डाल सकते हैं. आप जैसे चाहे वैसे इस्तेमाल करके नारियल का फायदा प्राप्त कर सकते हैं.
- हर युवा का ये सपना होता है कि पढ़ाई पूरी करने के बाद उसको अच्छी नौकरी मिले। अपने इस सपने को पूरा करने के लिए वह जी जान से मेहनत करता है। कई लोगों को मनचाही नौकरी बहुत ही जल्दी प्राप्त हो जाती है, तो कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो कई बार प्रसास करने के बाद भी उन्हें दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं। लोगों के मन में यह सवाल पैदा होता है कि आखिर कुछ लोगों को जल्दी और कुछ को बहुत मेहनत करने पर बाद नौकरी क्यों मिलती है। इसका जवाब आपको हस्तरेखा ज्योतिष शास्त्र में मिलता है। आइए जानते हैं आपकी हथेली पर नौकरी के संकेत किन रेखाओं में छिपे हुए होते हैं।उन लोगों को नौकरी मिलने में किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है जिनकी हथेली में भाग्य रेखा सीधे निकलकर शनि पर्वत पर मिलती हो। हथेली पर यह रेखा बहुत ही शुभ और जीवन में लाभ पहुंचाने वाली रेखा होती है। ऐसे लोगों को बहुत की कम उम्र में मनचाही नौकरी मिल जाती है। इसके अलावा ये लोग नौकरी में काम करते हुए उच्च पदों पर आसीन होते हैं।ज्योतिष में शनिदेव को नौकरी का कारक ग्रह माना गया है। अगर किसी व्यक्ति की हथेली में शनि पर्वत में उभार बना हो और साथ ही उस जगह पर किसी भी तरह का कटा हुआ निशान न हो तो व्यक्ति को अच्छी नौकरी मिलने की संभावना होती है। ऐसे जातकों को नौकरी थोड़े से ही प्रयास में जल्दी मिल जाती है। शनि के अलावा सूर्य और गुरु दो ग्रह भी होते हैं जो नौकरी के कारक ग्रह माने गए हैं। अगर जातक की हथेली पर गुरु और सूर्य पर्वत उठा हुआ हो तो व्यक्ति को मनचाही नौकरी मिलती है।हस्तरेखा ज्योतिष के अनुसार हथेली पर मस्तिष्क रेखा भी अच्छी नौकरी और व्यवसाय शुरू करने का संकेत देती हैं। जिन लोगों की हथेली पर मस्तिष्क रेखा एकदम साफ और स्पष्ट होती है उन्हें भी मनचाही और कम समय में नौकरी की प्राप्ति होती है। वहीं दूसरी तरफ हथेली पर चंद्र पर्वत में उभार हो साथ कोई रेखा बुध पर्वत की तरफ जाती हो यह शुभ फल देने वाली रेखा होती है। ऐसे जातकों को अच्छी नौकरी और व्यापार में सफलता प्राप्त होती है। अगर किसी व्यक्ति की हथेली पर शनि पर्वत के ऊपर कोई चक्र का निशान बना हुआ दिखाई देता हो तो ऐसे जातकों को नौकरी में उच्च पद की प्राप्ति होती है।
- वास्तु भवन निर्माण करने की कला है जिसके माध्यम से घर में आने वाली विघ्न बाधाएं दूर हो जाती हैं। वास्तु प्राचीन भारत का एक महत्वपूर्ण और उपयोगी शास्त्र है। जिसमें भवन निर्माण के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गई है। इसमें बताए गए सिद्धांत प्रकृति में संतुलन बनाए रखते हैं। ये संतुलन पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश के माध्यम से बनाया जाता है। अगर आपके घर में इन चीजों का संतुलन सही नहीं है तो इससे घर में वास्तु दोष होता है, जिसके परिणाम से घर में कई तरह के परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिसमें आर्थिक तंगी, पारिवारिक कलह, वैवाहिक जीवन में परेशानी बनी रहती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर दिशा में कुछ विशेष तस्वीरों को लगाने पर आर्थिक तंगी से निजात मिल जाती है।घर के उत्तर-पूर्वी दिशा में नदियों और झरनों की तस्वीर लगाने से घर पर सकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है। यदि आपने घर में पूजा घर बना रखा है तो शुभ फलों की प्राप्ति के लिए उसमें नियमित रूप से पूजा होनी चाहिए एवं दक्षिण-पश्चिम की दिशा में निर्मित कमरे का प्रयोगपूजा-अर्चना के लिए नहीं किया जाना चाहिए।ऐसे में वास्तु कहता है कि अपने घर में मां लक्ष्मी और कुबेर की प्रतिमा को शुभ स्थान पर जरूर रखें। इसके लिए वास्तु में घर की उत्तर दिशा शुभ होती है। धन प्राप्ति के लिए उत्तर दिशा वास्तु शास्त्र में अच्छी मानी गई है।घर की दीवारों पर जहां सुंदर तस्वीरें लगाने पर घर की खूबसूरती बढ़ जाती है वहीं यह धन दौलत में वृद्धि होती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के दक्षिण और पूर्व दिशा की दीवारों में प्रकृति से जुड़ी चीजें की तस्वीर लगानी चाहिए।वास्तु शास्त्र के अनुसार घर पर हंसते हुए छोटे बच्चों की तस्वीर लगाने से घर पर हमेशा सकारात्मक ऊर्जा पैदा होती रहती है। बच्चों की तस्वीरों को पूर्व और उत्तर की दिशा में लगाना शुभ रहता है।
- जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 383
साधक का प्रश्न ::: मन से बुद्धि को कन्ट्रोल किया जा सकता है क्या?
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु महाप्रभु जी द्वारा उत्तर ::: उल्टा बोल रहे हो। बुद्धि से मन पर कंट्रोल होता है। वो तो होता ही है, करते ही हो। अब मन कह रहा है महाराज जी के पास मत जाओ। बुद्धि कह रही है, नहीं जाओगे तो फिर यह नुकसान हो जायेगा, बच्चे कैसे पढ़ेंगे, भविष्य क्या होगा? तो बुद्धि से तो मन पर कंट्रोल नैचुरल होता ही है। सब छोटे-छोटे बच्चों का भी होता है।
इस समय देखो! ये बच्चे बोल रहे हैं, चंचल हैं। जब हम लैक्चर देते हैं तो कोई बच्चा जरा सा हिलता नहीं, चुपचाप बैठे रहते हैं, समझते कुछ नहीं। उनकी बुद्धि से ही उनका मन कंट्रोल है। अगर बुद्धि से कंट्रोल न करे मन पर मनुष्य, तो ये सारा संसार लड़-कटकर मर जाये, एक दिन में समाप्त हो जाय।
मन करता है इसको झापड़ लगा दें, मन करता है इसको गाली दे दें, मन करता है ये सामान उठा लें, लेकिन बुद्धि कहती है पिट जाओगे, चुप। चोरी-चोरी जो सोचते हो, उसको बुद्धि काट देती है, ऐसा करोगे तो ये नुकसान हो जायेगा, मन पर कंट्रोल कर लेती है।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: अध्यात्म संदेश पत्रिका, जुलाई 2007 अंक०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
★★★ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(5) www.youtube.com/JKPIndia(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) -
हिंदू कैलेंडर के हिसाब से भाद्रपद मास की शुरुआत हो चुकी है. इस माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है. वैसे देखा जाए तो हर माह की चतुर्थी भगवान गणेश को ही समर्पित हैं, लेकिन भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को बेहद खास माना जाता है. मान्यता है कि इसी चतुर्थी को गणपति का जन्म हुआ था. इस बार गणेश चतुर्थी 10 सितंबर को पड़ रही है.
देशभर में इस गणेश चतुर्थी को भव्य उत्सव के रूप में मनाया जाता है. ये उत्सव पूरे दस दिनों तक चलता है. महाराष्ट्र में इस उत्सव की धूम को देखने के लिए दूर दूर से श्रद्धालु आते हैं. गणपति के भक्त चतुर्थी के दिन अपने बप्पा को ढोल नगाड़ों के साथ घर लेकर आते हैं और उन्हें घर में बैठाते हैं यानी स्थापित करते हैं. ये स्थापना 5, 7,9 या पूरे 10 दिन की होती है. इन दिनों में गणपति की भक्त गण खूब सेवा करते हैं. उनके पसंदीदा भोग उन्हें अर्पित करते हैं. पूजा पाठ और कीर्तन किया जाता है. इसके बाद उनका विसर्जन कर दिया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि गणेश स्थापना से लेकर विसर्जन तक के पीछे की मान्यता.
ये है कथा
धर्म ग्रंथों के अनुसार महाभारत की रचना महर्षि वेद व्यास ने की थी, लेकिन उसे लिखने का काम गणपति जी ने पूर्ण किया था. लेखन का कार्य पूरे 10 दिनों तक चला था. उस दौरान गणपति ने दिन और रात ये काम किया था. कार्य के दौरान गणपति के शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने के लिए महर्षि वेदव्यास जी ने उनके शरीर पर मिट्टी का लेप कर दिया था.
कहा जाता है कि चतुर्थी के दिन ही महाभारत के लेखन का ये कार्य पूरा हुआ था. कार्य पूर्ण होने के बाद वेद व्यास जी ने चतुर्थी के दिन उनकी पूजा की. लेकिन कार्य करते करते गणपति काफी थक गए थे और लेप सूखने से उनके शरीर में अकड़न आ गई थी और उनके शरीर का तापमान भी बढ़ गया था और मिट्टी सूखकर झड़ने लगी थी. इसके बाद वेद व्यास जी ने उन्हें अपनी कुटिया में रखकर उनकी काफी देखरेख की. उन्हें खाने पीने के लिए तमाम पसंदीदा व्यंजन दिए और उनके शरीर को ठंडक पहुंचाने के लिए सरोवर में डुबोया. तभी से चतुर्थी के दिन गणपति को घर लाने की प्रथा चल पड़ी. चतुर्थी के दिन गणपति के भक्त उन्हें घर लेकर आते हैं. उन्हें 5, 7, 9 दिनों तक घर में रखकर उनकी सेवा करते हैं. उनके पसंदीदा व्यंजन उन्हें अर्पित करते हैं और उसके बाद जल में उनकी प्रतिमा को विसर्जित कर देते हैं. -
हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से गणेशोत्सव की शुरुआत होती है. इस दिन लोग धूमधाम से गणपति को घर लेकर आते हैं और उन्हें 5, 7 या 10 दिनों के लिए घर में स्थापित करते हैं. आखिरी दिन पूजन के बाद धूमधाम से उनका विसर्जन किया जाता है.
वैसे तो हर महीने की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है, लेकिन भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को सबसे बड़ी गणेश चतुर्थी माना जाता है. माना जाता है कि इसी दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था. इस दिन लोग गणपति बप्पा को अपने घर लेकर आते हैं और 10 दिनों तक उनकी सेवा की जाती है.
मान्यता है कि घर में गणपति को लाने से वे घर के सारे विघ्न हर लेते हैं. गणेशोत्सव की धूम महाराष्ट्र में तो खासतौर पर होती है. दूर-दूर से गणेश भगवान के भक्त गणेशोत्सव को देखने के लिए महाराष्ट्र में आते हैं. अनन्त चतुर्दशी के दिन धूमधाम से गणपति का विसर्जन किया जाता है. इस बार गणेश उत्सव 10 सितंबर से शुरू हो रहा है. जानिए गणपति की स्थापना और पूजा के नियम.
गणपति स्थापना के नियम
चतुर्थी के दिन स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र पहनकर गणपति बप्पा को लोगों के साथ लेने जाएं. गणपति की मूर्ति खरीदते समय ध्यान रखें कि मूर्ति मिट्टी की होनी चाहिए, प्लास्टर ऑफ पेरिस या अन्य केमिकल्स की नहीं. इसके अलावा बैठे हुए गणेशजी की प्रतिमा लेना शुभ माना गया है. उनकी सूंड बांई और मुड़ी हुई होनी चाहिए और साथ में मूषक उनका वाहन जरूर होना चाहिए. मूर्ति लेने के बाद एक कपड़े से ढककर उन्हें ढोल नगाड़ों के साथ धूमधाम से घर पर लेकर आएं.
मूर्ति स्थापना के समय प्रतिमा से कपड़े को हटाएं और घर में मूर्ति के प्रवेश से पहले इस पर अक्षत जरूर डालें. पूर्व दिशा या उत्तर पूर्व दिशा में चौकी बिछाकर मूर्ति को स्थापित करें. स्थापना के समय चौकी पर लाल या हरे रंग का कपड़ा बिछाएं और अक्षत के ऊपर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें. भगवान गणेश की मूर्ति पर गंगाजल छिड़कें और गणपति को जनेऊ पहनाएं. मूर्ति के बाएं ओर अक्षत रखकर कलश स्थापना करें. कलश पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं और आम के पत्ते और नारियल पर कलावा बांधकर कलश के ऊपर रखें. इसके बाद विधि विधान से पूजा आरंभ करें.
ये हैं पूजन के नियम
स्वच्छ आसन पर बैठकर सबसे पहले गणपति को पंचामृत से स्नान करवाएं. इसके बाद केसरिया चंदन, अक्षत, दूर्वा, पुष्प, दक्षिणा और उनका पसंदीदा भोग अर्पित करें. जब तक गणपति घर में रहें, उस दौरान गणेश चतुर्थी की कथा, गणेश पुराण, गणेश चालीसा, गणेश स्तुति, श्रीगणेश सहस्रनामावली, गणेश जी की आरती, संकटनाशन गणेश स्तोत्र आदि का पाठ करें. अपनी श्रद्धानुसार गणपति के मंत्र का जाप करें और रोजाना सुबह और शाम उनकी आरती करें. माना जाता है कि ऐसा करने से गणपति परिवार के सभी विघ्न दूर करते हैं. -
ज्योतिष में मंगल और सूर्य को मित्र ग्रह कहा जाता है। इस समय दो मित्र ग्रहों की युति से कुछ राशियों को लाभ हो रहा है। सूर्य और मंगल की युति 6 सितंबर तक रहेगी। इस समय सूर्य और मंगल सिंह राशि में हैं। सूर्य को सभी ग्रहों का राजा माना जाता है और मंगल को सभी ग्रहों का सेनापित कहा जाता है। आइए जानते हैं सूर्य और मंगल की युति से किन राशियों को फायदा हो रहा है...
मिथुन राशि-----------
कार्यों में सफलता के योग बन रहे हैं।
भाग्य का साथ मिलेगा।
नौकरी और व्यापार के लिए समय शुभ रहेगा।
आपके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना होगी।
परिवार के सदस्यों के साथ समय व्यतीत करने का अवसर मिलेगा।
दांपत्य जीवन में सुख का अनुभव करेंगे।
परिवार से अचानक शुभ समाचार की प्राप्ति हो सकती है।
धन- लाभ होगा, जिससे आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।
व्यवसाय में लाभ के योग बनेंगे।
भाई-बहन से मदद मिल सकती है।
साहस और पराक्रम में वृद्धि होगी।
मान- सम्मान और पद- प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।
जीवनसाथी के साथ समय व्यतीत करने का अवसर मिलेगा।
वृश्चिक राशि---
आपको शुभ परिणाम प्राप्त होंगे।
नौकरी की तलाश कर रहे लोगों को शुभ समाचार मिल सकता है।
प्रमोशन या आर्थिक लाभ के भी योग बनेंगे।
किसी नए काम की शुरुआत के लिए सूर्य गोचर लाभकारी रहेगा।
शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए ये समय किसी वरदान से कम नहीं है।
लेन- देन के लिए समय शुभ है।
नौकरी और व्यापार के लिए समय शुभ है।
मान- सम्मान मिलेगा।
कार्यों में सफलता मिलेगी।
दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा।
परिवार के सदस्यों के साथ समय व्यतीत करेंगे। -
पितृ पक्ष सितंबर महीने में प्रारंभ होंगे। हिंदू पंचांग के अनुसार, अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि से पितृपक्ष आरंभ होंगे। पितृ पक्ष अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि से कुल 16 दिनों तक मनाए जाते हैं। इस साल पितृ पक्ष 20 सितंबर से शुरू होकर 6 अक्टूबर तक रहेंगे। मान्यता है कि पितृ पक्ष में पितरों से संबंधित कार्य करने पर उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। हिंदू धर्म में पितृ गण देवतुल्य होते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृपक्ष में पूर्वजों का तर्पण नहीं करने पर पितृ दोष लगता है। पितृ पक्ष में श्राद्ध अमावस्या तिथि पर की जाती है। पितृ पक्ष में मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राद्ध किया जाता है। अगर किसी मृत व्यक्ति की तिथि ज्ञात न हो तो ऐसी स्थिति में अमावस्या तिथि पर श्राद्ध किया जाता है। इस दिन सर्वपितृ श्राद्ध योग माना जाता है।
पितृ पक्ष की महत्वपूर्ण तिथियां-
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल पितृ पक्ष 20 सितंबर से शुरू होंगे, जो कि 6 अक्टूबर को समाप्त होंगे। इस साल 26 सितंबर को पितृ पक्ष की कोई तिथि नहीं है।
पितृ पक्ष 2021 की तिथियां
पूर्णिमा श्राद्ध – 20 सितंबर
प्रतिपदा श्राद्ध – 21 सितंबर
द्वितीया श्राद्ध – 22 सितंबर
तृतीया श्राद्ध – 23 सितंबर
चतुर्थी श्राद्ध – 24 सितंबर
पंचमी श्राद्ध – 25 सितंबर
षष्ठी श्राद्ध – 27 सितंबर
सप्तमी श्राद्ध – 28 सितंबर
अष्टमी श्राद्ध- 29 सितंबर
नवमी श्राद्ध – 30 सितंबर
दशमी श्राद्ध – 1 अक्तूबर
एकादशी श्राद्ध – 2 अक्टूबर
द्वादशी श्राद्ध- 3 अक्टूबर
त्रयोदशी श्राद्ध – 4 अक्टूबर
चतुर्दशी श्राद्ध- 5 अक्टूबर
श्राद्ध विधि
किसी सुयोग्य विद्वान ब्राह्मण के जरिए ही श्राद्ध कर्म (पिंडदान, तर्पण) करवाना चाहिए।
श्राद्ध कर्म में पूरी श्रद्धा से ब्राह्मणों को तो दान दिया ही जाता है साथ ही यदि किसी गरीब, जरूरतमंद की सहायता भी आप कर सकें तो बहुत पुण्य मिलता है।
इसके साथ-साथ गाय, कुत्ते, कौवे आदि पशु-पक्षियों के लिए भी भोजन का एक अंश जरूर डालना चाहिए।
यदि संभव हो तो गंगा नदी के किनारे पर श्राद्ध कर्म करवाना चाहिए। यदि यह संभव न हो तो घर पर भी इसे किया जा सकता है। जिस दिन श्राद्ध हो उस दिन ब्राह्मणों को भोज करवाना चाहिए। भोजन के बाद दान दक्षिणा देकर भी उन्हें संतुष्ट करें।
श्राद्ध पूजा दोपहर के समय शुरू करनी चाहिए. योग्य ब्राह्मण की सहायता से मंत्रोच्चारण करें और पूजा के पश्चात जल से तर्पण करें। इसके बाद जो भोग लगाया जा रहा है उसमें से गाय, कुत्ते, कौवे आदि का हिस्सा अलग कर देना चाहिए। इन्हें भोजन डालते समय अपने पितरों का स्मरण करना चाहिए. मन ही मन उनसे श्राद्ध ग्रहण करने का निवेदन करना चाहिए। - जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 382
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज ने विभिन्न धर्मानुयायियों को दिव्य प्रेम का संदेश देकर सबको एक सूत्र में बाँधकर आपसी झगड़े समाप्त करके श्रीकृष्ण भक्तिरूपी एक सार्वभौमिक मार्ग का प्रतिपादन किया जो सभी धर्मानुयायियों को मान्य है। 'जगदगुरु कृपालु परिषत' के सभी केन्द्रों में विश्वबन्धुत्व का सुन्दर स्वरूप देखने को मिलता है, जहाँ सभी जाति, सभी सम्प्रदाय, अनेक प्रान्तों, अनेक देशों के लोग पूर्ण समर्पण और त्याग के साथ सेवा करते हुये दिखाई देते हैं। विश्वशान्ति के हेतु विश्वबन्धुत्व ही आज की प्रमुख माँग है। आचार्य श्री के प्रवचन तथा सिद्धान्त इस ओर हमारा मार्ग प्रशस्त करते हैं। आइये ऐसे समन्वयवादी जगदगुरु के द्वारा प्रदत्त तत्वज्ञान का मनन करें....
★ 'जगदगुरुत्तम-ब्रज साहित्य'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज विरचित साहित्य/ग्रन्थ)
राधे नाम पुकारत राधे, बरसावति जलधार।मोहिं 'कृपालु' अब भय काको जब, श्री राधे रखवार।।
भावार्थ ::: किशोरी जी दीनों के लिये इतनी सरल हैं कि जब भी दीन, आर्त भाव से 'राधे' कहकर उन्हें पुकारता है तब किशोरी जी भी अधीर होकर अपनी आँखों से आँसू बहाने लगती हैं। 'श्री कृपालु जी' कहते हैं कि जब ऐसी ही सरल, सुकुमार, अलबेली सरकार वृषभानुदुलार (श्रीराधा) हमारी रखवार हैं तब मुझे डर ही किसका है।
• संदर्भ ग्रन्थ ::: प्रेम रस मदिरा, सिद्धान्त-माधुरी, पद संख्या 102 का अंश----------------
★ 'जगदगुरुत्तम-श्रीमुखारविन्द'(जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा निःसृत प्रवचन का अंश)
...पहले साधन करके हम अन्तःकरण शुद्ध करेंगे, तब भगवान् स्वरूप-शक्ति देंगे गुरु के द्वारा, तब अन्तःकरण दिव्य होगा। इन्द्रियाँ भी दिव्य हो जायेंगी। तब फिर वो नित्य सिद्ध प्रेम भगवत्कृपा या गुरु कृपा से मिलेगा, उसका दाम नहीं दे सकते हम। हमारी इन्द्रियाँ, हमारा मन, हमारी बुद्धि मैटेरियल है, मायिक है, मायिक साधन से दिव्य वस्तु नहीं मिल सकती। कोई भी ऐसी साधना नहीं है, तपश्चर्या नहीं है, जिससे भगवत्प्रेम मिल जाय। लेकिन भगवत्प्रेम भगवत्कृपा, गुरु-कृपा से जो मिलता है उसके लिए बर्तन चाहिए। तो बर्तन बनाने की ड्यूटी जीव की है। इसलिये साधन आवश्यक है। वेद से लेकर रामायण तक भगवान् और संत सब कहते हैं न, साधना करो, भक्ति करो। गीता हो, भागवत हो, हर ग्रन्थ में भरा पडा है। क्यों कहते हैं? इसलिये कि तुम्हारी ड्यूटी है अन्तःकरण का पात्र बनाना। उसमें सामान जो दिया जायेगा वो फ्री में, उसका दाम तुम दे भी नहीं सकते और लिया भी नहीं जायेगा। फ्री में भगवत्प्रेम मिलेगा। गुरु देगा, लेकिन पात्र बनाना हमारी ड्यूटी है। इसलिये साधना से साध्य मिलेगा, ऐसा कहा जाता है।
• संदर्भ पुस्तक ::: प्रश्नोत्तरी भाग – 3, पृष्ठ संख्या 67 एवं 68
★★★ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(5) www.youtube.com/JKPIndia(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - महान ग्रह शुक्र 5 सितंबर की मध्यरात्रि 12 बजकर 48 मिनट पर अपनी नीच राशि कन्या की यात्रा समाप्त करके स्वयं की राशि तुला में प्रवेश कर रहे हैं। इस राशि पर ये 2 अक्टूबर सुबह 9 बजकर 44 मिनट तक रहेंगे उसके बाद वृश्चिक राशि में प्रवेश कर जाएंगे। जिन जातकों की जन्मकुंडलियों में ये केंद्र और त्रिकोण में भ्रमण कर रहे होंगे उनके लिए तो किसी वरदान से कम नहीं है। अपनी राशि में पहुचकर ये पञ्चमहापुरुष योगों में से महान मालव्य योग का निर्माण करेंगे। जिनकी जन्मकुंडली में अशुभ भाव में रहेंगे उनके लिए कम फलदाई रहेंगे। शुक्र विलासितापूर्ण जीवन, ऐश्वर्य, जैविक संरचना, फिल्म उद्योग, भारी उद्योग कॉस्मेटिक, केंद्र अथवा राज्य सरकार के विभागों में उच्चपद दिलाने वाले ग्रह हैं। ये वृषभ और तुला राशि के स्वामी हैं। कन्या राशि इनकी नीच राशि तथा मीन राशि उच्च राशिगत संज्ञक है। तुला राशि में इनके प्रवेश का अन्य राशियों पर कैसा प्रभाव पड़ेगा इसका ज्योतिषीय विश्लेषण करते हैं।मेष राशिराशि से सप्तम दाम्पत्य भाव में गोचर कर रहे शुक्र आपके लिए बेहतरीन सफलता दायक रहेंगे। कार्य व्यापार में उन्नति तो होगी ही सोची समझी सभी रणनीतियां भी कारगर सिद्ध होगी। केंद्र अथवा राज्य सरकार के विभागों में प्रतीक्षित पड़े कार्यो का निपटारा होगा। शादी विवाह से संबंधित वार्ता सफल रहेगी। दांपत्य जीवन में भी मधुरता आएगी। अपनी योजनाओं को गोपनीय रखते हुए कार्य करेंगे तो अधिक सफल रहेंगे। नारी शक्ति के लिए समय और बेहतर रहेगा।वृषभ राशिराशि से छठे शत्रु भाव में गोचर कर रहे शुक्र का प्रभाव काफी मिलाजुला रहेगा। किसी न किसी कारण से पारिवारिक कलह एवं उदासीनता का सामना करना पड़ सकता है। पढ़े-लिखे गुप्त शत्रुओं से सावधान रहें। झगड़े विवाद तथा कोर्ट कचहरी के मामले भी आपस में सुलझा लेना समझदारी होगी। इस अवधि के मध्य किसी को भी अधिक धन उधार के रूप में देने से बचें। विदेशी कंपनियों में सर्विस अथवा नागरिकता के लिए किया गया प्रयास सफल रहेगा।मिथुन राशिराशि से पंचम विद्या भाव में गोचर करते हुए शुक्र का प्रभाव आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है। विद्यार्थियों एवं प्रतियोगिता में बैठने वाले छात्रों के लिए तो आशातीत एवं अप्रत्याशित सफलता मिलेगी। प्रेम संबंधी मामलों में प्रगाढ़ता आएगी। प्रेम विवाह भी करना चाह रहे हों तो अवसर पर अनुकूल रहेगा संतान के दायित्व की पूर्ति होगी। नव दंपति के लिए संतान प्राप्ति एवं प्रादुर्भाव के भी योग बनेंगे। परिवार के वरिष्ठ सदस्यों एवं बड़े भाइयों से सहयोग के योग।कर्क राशिराशि से चतुर्थ सुख भाव में गोचर करते हुए शुक्र आपको बेहतरीन कामयाबियां दिलाएंगे। कोई भी बड़े से बड़ा कारण कार्य आरंभ करना चाहें अथवा किसी नए अनुबंध पर हस्ताक्षर करना चाहें तो अवसर अनुकूल रहेगा। महिलाओं के लिए तो ग्रह गोचर और भी बेहतर रहेगा। मकान वाहन खरीदने का सपना पूर्ण हो सकता है विलासिता पूर्ण वस्तुओं में भी खर्च होगा। माता पिता के स्वास्थ्य के प्रति सावधान रहें। मित्रों तथा संबंधियों से भी सुखद समाचार प्राप्ति के योग।सिंह राशिराशि से तृतीय पराक्रम भाव में गोचर करते हुए शुक्र आपको बहु मुखी प्रतिभा का धनी बनाएंगे। साहस-पराक्रम की वृद्धि तो होगी ही लिए गए निर्णय और किए गए कार्यों की सराहना भी होगी। धर्म एवं अध्यात्म के प्रति रुचि बढ़ेगी। एक बार जो ठान लेंगे उसे पूरा करके ही छोड़ेंगे। यात्रा देशाटन का लाभ मिलेगा। किसी भी तरह की विदेशी कंपनी में सर्विस के लिए अथवा विदेशी नागरिकता के लिए आवेदन करना चाहें तो अवसर अनुकूल रहेगा। सामाजिक पद प्रतिष्ठा बढ़ेगी।कन्या राशिराशि से द्वितीय धन भाव में गोचर करते हुए शुक्र आपका आर्थिक पक्ष मजबूत करेंगे। काफी दिनों का दिया गया धन भी वापस मिलने की उम्मीद। अपनी ऊर्जा शक्ति का पूर्ण उपयोग करते हुए कार्य करेंगे तो अधिक सफल रहेंगे। जमीन जायदाद से जुड़े मामलों का निपटारा होगा। अपनी वाणी कुशलता के बल पर कठिन हालात को भी आसानी से नियंत्रित कर लेंगे कोर्ट कचहरी से जुड़े मामले भी बाहर ही सुलझाएं। महिलाओं के लिए ग्रह-गोचर और अनुकूल रहेगा।तुला राशिराशि में गोचर करते हुए शुक्र सभी संकल्प को पूर्ण करने में मदद करेंगे। शासन सत्ता का सहयोग मिलेगा। राजनीति में भी अपनी किस्मत आजमाना चाहें तो अवसर अनुकूल रहेगा। विद्यार्थियों एवं प्रतियोगिता में बैठने वाले छात्रों के लिए भी समय बेहतर रहेगा। संतान की चिंता में कमी आएगी। नव दंपति के लिए संतान प्राप्ति एवं प्रादुर्भाव के भी योग। दांपत्य जीवन में मधुरता आएगी। विवाह संबंधित वार्ता सफल रहेगी। परिवार में मांगलिक कार्यों का सुअवसर आएगा।वृश्चिक राशिराशि से द्वादश व्यय भाव में गोचर करते हुए शुक्र का प्रभाव बड़ा अप्रत्याशित रहेगा, कई बार कार्य होते-होते अंतिम समय में रुक जाएगा किंतु हताश न हो अंततः सफलता आपको ही मिलेगी। विलासिता पूर्ण वस्तुओं के क्रय पर अधिक खर्च होगा। प्रेम संबंधी मामलों में उदासीनता रहेगी। इसलिए कार्य पर ही ध्यान दें तो बेहतर रहेगा। स्वास्थ्य विशेष करके बाईं आंख से संबंधित समस्या से सावधान रहें। मित्रों अथवा संबंधियों से अप्रिय समाचार प्राप्त के योग।धनु राशिराशि से एकादश लाभ भाव में गोचर करते हैं शुक्र का प्रभाव अच्छा ही रहेगा जो भी संकल्प लेंगे उसे पूर्ण करके ही छोड़ेंगे। यह समय आपके लिए श्रेष्ठ फलदाई रहेगा इसलिए बड़े से बड़ा कार्य आरंभ करना हो, व्यापार आरंभ करना हो अथवा किसी नए अनुबंध पर हस्ताक्षर करना हो तो निर्णय लेने में विलंब न करें। शादी विवाह से संबंधित वार्ता सफल रहेगी। विद्यार्थियों एवं प्रतियोगिता में बैठने वाले छात्रों के लिए समय और अनुकूल रहेगा। सरकारी सर्विस के लिए प्रयास करें।मकर राशिराशि से दशम कर्म भाव में गोचर करते हुए शुक्र का प्रभाव आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है। सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। नौकरी में भी स्थान परिवर्तन के लिए प्रयास करना चाहें तो अवसर अनुकूल रहेगा। जमीन-जायदाद से जुड़े मामलों का निपटारा होगा। कोर्ट कचहरी के मामले भी आपके पक्ष में आने के संकेत। चुनाव से संबंधित निर्णय लेना चाह रहे हो तो भी अवसर अनुकूल है। ग्रह गोचर पूर्णतः आपके लिए लाभदायक रहेगा इसलिए जो चाहें जैसा चाहें करें।कुंभ राशिराशि से नवम भाग्य भाव में गोचर करते हुए शुक्र का प्रभाव धर्म एवं आध्यात्म के प्रति उन्नति देगा। विदेशी मित्रों तथा संबंधियोंसे सहयोग के योग। विद्यार्थियों को भी यदि विदेश में पढ़ाई करने के लिए प्रयास करना हो तो अवसर अनुकूल रहेगा। विदेशी नागरिकता के लिए किया गया प्रयास सफल रहेगा। धार्मिक ट्रस्टों तथा अनाथालय आदि में बढ़-चढ़कर दान-पुण्य करेंगे। केंद्र अथवा राज्य सरकार के विभागों में किसी टेंडर का आवेदन करना चाहें तो ग्रह गोचर अनुकूल रहेंगे।मीन राशिराशि से अष्टम आयु भाव में गोचर करते हुए शुक्र का प्रभाव काफी मिलाजुला रहेगा। आर्थिक उतार-चढ़ाव की अधिकता रहेगी। स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा किंतु आपके लिए किसी बड़े सामाजिक सम्मान अथवा सरकारी पुरस्कार की घोषणा हो सकती है। महिलाओं के लिए समय अपेक्षाकृत बेहतर रहेगा। गुप्त शत्रुओं से बचें। कार्यक्षेत्र में भी झगड़े विवाद से दूर रहें और कोर्ट कचहरी से सम्बंधित मामले भी बाहर ही सुलझा लेना समझदारी होगी।
- ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक ग्रह निरंतर अपनी राशि में परिवर्तन करते हैं। एक विशेष अवधि और चाल के अनुसार ये ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में जाते हैं। इन ग्रहों की हलचल से ही सभी राशियां प्रभावित होती हैं। इसी कड़ी में सितंबर माह 2021 में 5 ग्रह अपनी राशि बदलेंगे। इन ग्रहों में बुध, गुरु सूर्य, मंगल और शुक्र ग्रह शामिल हैं। 6 सितंबर को दो ग्रह अपनी राशियां बदलेंगे। इनमें शुक्र और मंगल ग्रह शामिल हैं। जहां शुक्र अपनी स्वराशि तुला में प्रवेश करेगा, तो वहीं मंगल कन्या राशि में गोचर करेगा। इसके बाद 14 सितंबर को गुरु का गोचर होगा, जो कि एक महत्वपूर्ण ग्रह परिवर्तन है। देवगुरु बृहस्पति इस दिन मकर राशि में आएंगे। फिर 17 सितंबर को सूर्य देव कन्या राशि में प्रवेश करेंगे और अंत में बुध देव 22 सितंबर को तुला राशि में आएंगे, जहां ये शुक्र ग्रह के साथ युति करेंगे। ग्रहों की इस चाल का प्रभाव सभी राशियों पड़ेगा। सितंबर माह में पांच राशि के जातकों को शानदार परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।वृष राशिवृष राशि के जातकों के लिए सितंबर का महीना शानदार बीत सकता है। ज्योतिषीय गणना के मुताबिक ग्रहों की स्थिति आपके अनुकूल होगी। सितंबर में भाग्य भी आपका साथ देगा। इस मास आप किसी नए कार्य का शुभारंभ कर सकते हैं। जहां तक आपकी आर्थिक स्थिति का सवाल है तो उसमें भी ग्रोथ होगा। यदि आप निवेश करेंगे तो उसमें आपको फायदा हो सकता है।मिथुन राशिमिथुन राशि के जातकों के लिए सितंबर मास अच्छा बीतेगा। इस माह में आपकी खुशियों में बढ़ोतरी होगी और आपका करियर भी उछाल मारेगा। तरक्की के पूरे आसार हैं। इस महीने में आपका तनाव भी काफी हद तक कम होगा। मानसिक और शारीरिक रूप से आप प्रसन्न दिखाई देंगे।सिंह राशिसिंह राशि के जातकों के लिए सितंबर माह कई खुशियां लेकर आ रहा है। इस माह में आपके बिगड़े हुए कार्य पूरे होंगे। परेशानियां कम होंगी और लाभ के योग बनेंगे। इस महीने आपको कोई शुभ समाचार प्राप्त हो सकता है। आर्थिक स्थिति बेहतर होगी। लाभ के साधनों में वृद्धि के प्रबल संकेत हैं।कन्या राशिकन्या राशि वालों के लिए यह माह किसी वरदान से कम नहीं होगा। आपके बिगड़े हुए कार्य बनेंगे। यदि आप इस महीने आर्थिक निवेश करेंगे तो आपको उसमें भी लाभ होगा। विद्यार्थियों के लिए भी यह माह भाग्यशाली साबित हो सकता है। प्रोफेशनल और पर्सनल दोनों ही लाइफ में आपको बेहतर परिणाम प्राप्त होंगे।वृश्चिक राशिवृश्चिक राशि के जातकों के लिए सितंबर का महीना शुभ साबित हो सकता है। इस अवधि में आपके घर पर कोई मंगल कार्य संपन्न हो सकता है। यह महीना आपके लिए काफी लाभ देने वाला रहेगा। रिश्तेदारों से आपके संबन्ध बेहतर होंगे और कहीं घूमने का प्लान बन सकता है। कार्य में आ रही बाधाएं दूर होंगी।
- जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 381
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज ने श्रीराधाकृष्णभक्तिपरक अनेकानेक ब्रजरस-साहित्य की रचना की है। इन कृतियों में उन्होंने श्रीराधाकृष्ण की परम निष्काम भक्ति को ही स्थान दिया है तथा प्रमुखतः श्रीयुगल लीलाओं के साथ श्रीकृष्ण के प्रति वात्सल्य एवं सख्य भावयुक्त लीला-पदों एवं संकीर्तनो की भी रचना की है, जो कि जीवों के हृदय में सहज में ही प्रेम तथा उनके प्रति अपनत्व की भावना का सृजन करते हैं तथा उसमें उत्तरोत्तर वृद्धि करते जाते हैं। आइये 'श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी' से पूर्व उन्हीं के द्वारा रचित ग्रंथ; युगल रस में वर्णित एक संकीर्तन के माध्यम से श्रीकृष्ण का रूपध्यानपूर्वक चिंतन करें। यहाँ उस संकीर्तन का केवल भावार्थ वर्णन है :::
...भक्त कहता है, श्रीकृष्ण के समान तो केवल श्रीकृष्ण ही हैं। माता यशोदा ने कन्हैया को जन्म दिया वस्तुतः वह कृष्ण अनोखा ही था।
उस यशोदा-नन्दन का दिव्य वपु अलसी पुष्प के समान श्याम वर्ण था। वह कन्हैया अपने अलौकिक रुप से कामदेव के मन को भी हरण करता था। कन्हैया के प्रत्येक रोम से ब्रज-रस की वर्षा होती थी, रसिक-जन उस मधुर रस का पान करते थे।
कन्हैया के शीश पर अनोखा मोर-मुकुट सुशोभित था। यशोदा के अनुपम शिशु की घुँघराली लट मुख-चन्द्र को घेरे रहती थीं। साक्षात रस से भी अधिक रसपूर्ण नेत्र चंचलता से भी चंचल थे। रत्नों से जड़े हुये कुंडल कानों में शोभा पाते थे। नासिका बेसर से छवि पा रही थी। उस अनोखे शिशु की मन्द-मन्द गति चपल चितवनि, एवं मुस्कान आश्चर्य से परिपूर्ण थीं। युगल स्कन्ध दुपट्टे से आच्छादित थे।
लकुटी कर में शोभा पा रही थी। कण्ठ कौस्तुभ मणि से देदीप्यमान था। हाथों में कंकणों की दमक थी। सूक्ष्म कटि प्रान्त किंकिणी की जगमगाहट से परिपूर्ण था। कन्हैया के चरण-प्रान्त नूपुर की छूम छननन ध्वनि से झंकृत थे। ग्रीवा कमर एवं चरण की तिरछी भंगिमा रसिकों के मन को मोहती थी। अरुण अधरों पर मुरली विराजमान थी। श्री कृपालु जी कहते हैं कि ऐसे रस सागर कृष्ण को सखियाँ प्रेम-वश काला कहती हैं।
(रचयिता : जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज)
०० स्त्रोत : 'युगल रस' संकीर्तन पुस्तक, कीर्तन संख्या 42०० सर्वाधिकार सुरक्षित : राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन
★★★ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(5) www.youtube.com/JKPIndia(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - Happy Shri Krishna Janmashtami(भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्योत्सव 'जन्माष्टमी' तथा ब्रजधाम में इस आनंदोत्सव पर मनाये जा रहे 'नन्दोत्सव' महापर्व की हार्दिक शुभकामनायें!!..)
आज श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी है। आप सभी श्रद्धालु पाठक समुदाय को भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्य-उत्सव की अनंत-अनंत शुभकामनायें. आइये जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित इस पद के भाव के माध्यम से हम सभी ब्रजधाम के गोकुल ग्राम में नंद-यशोदा के महल चलें और बधाई और उल्लास का आनंद देखें और स्वयं भी भाव-मन से इस नंद-महामहोत्सव में सम्मिलित होकर आनंद-रस में भींग जायँ....
नंद-महर-घर बजत बधाई।जायो पूत आजु नँदरानी, नाचत गावत लोग लुगाई।दूध दही माखन की काँदौ, सब मिलि भादौं मास मचाई।बाजत झाँझ मृदंग उपंगहिं, वीना वेनु शंख, शहनाई।छिरकत चोवा चंदन थिरकत, करि जयकार कुसुम बरसाई।शिव समाधि बिसराइ भजे ब्रज, देखन के मिस कुँवर कन्हाई।याचक भये अयाचक सिगरे, हम 'कृपालु' धनि ब्रजरज पाई।।
भावार्थ : गोकुल में नन्दराय बाबा के घर में श्रीकृष्ण के अवतार लेने के उपलक्ष्य में बधाई बज रही है। यद्यपि श्रीकृष्ण का अवतार मथुरा में लीला-रुप से देवकी के गर्भ से हुआ था एवं अर्धरात्रि के ही समय वसुदेव श्रीकृष्ण को उनकी योगमाया के सहारे यशोदा के पास सुला आये, एवं उसी समय यशोदा के गर्भ से उत्पन्न योगमाया को अपने साथ ले आये थे, किन्तु प्रकट रुप से यह रहस्य यशोदा भी नहीं जानती थी. केवल वसुदेव, देवकी ही जानते थे. अतएव समस्त गोकुल ग्रामवासियों को यही ज्ञान रहा कि आज रात को यशोदा के ही गर्भ से श्रीकृष्ण जन्म हुआ है. समस्त गोकुल के नर-नारी नाचते-गाते हुये आनंद विभोर होकर कह रहे हैं कि आज नन्दरानी के लाल हुआ. भादों के महीने में कृष्ण-पक्ष की नवमी तिथि पर समस्त नर-नारियों ने दूध, दही, मक्खन आदि को छिड़कते हुये सारे गोकुल में कीचड़-ही-कीचड़ कर दी. झाँझ, मृदंग, उपंग, वीणा, मुरली, शंख, शहनाई आदि विविध प्रकार के बाजे बजने लगे. चोवा, चंदन आदि सुगंधित द्रव्यों को एक दूसरे पर छिड़कते हुये नाच-नाचकर पुष्प-वर्षा करते हुये कन्हैया की जयकार करने लगे. शंकर जी भी अपनी निर्विकल्प समाधि भुलाते हुये अपने इष्टदेव, प्रेमावतार यशोदा के लाल कुँवर कन्हैया के दर्शन के लिये शिवलोक से भागे-भागे गोकुल चले आये. जिसने जो कुछ भी माँगा उस याचक को वही दिया गया। 'श्री कृपालु जी' कहते हैं कि जिनको बड़ी-बड़ी चीजें मिली वह अपनी जानें, हम तो ब्रज की धूल ही पाकर कृतार्थ हो गये.
०० पद स्त्रोत ::: प्रेम रस मदिरा ग्रंथ, श्रीकृष्ण बाल लीला माधुरी, पद संख्या०० रचयिता ::: भक्तियोगरसावतार जगदगुरुत्तम स्वामी श्री कृपालु जी महाराज
★★★ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(5) www.youtube.com/JKPIndia(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं, क्योंकि यह दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिवस माना जाता है। श्रीकृष्ण के बारे में कहा जाता है कि उनकी 16 हजार रानियां थीं। इस संबंध में कई कथाएं प्रचलित हैं।पौराणिक कथाओं के मुताबिक सबसे पहले कृष्ण ने रुक्मिणी का हरण कर उनसे विवाह किया था। बताया जाता है कि एक दिन अर्जुन को साथ लेकर भगवान कृष्ण वन विहार के लिए निकले। जिस वन में वे विहार कर रहे थे वहां पर सूर्य पुत्री कालिंदी, श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने की कामना से तप कर रही थी। कालिंदी की मनोकामना पूर्ण करने के लिए श्रीकृष्ण ने उसके साथ विवाह कर लिया। फिर एक दिन श्रीकृष्ण उज्जयिनी की राजकुमारी मित्रबिन्दा को स्वयंवर से वर लाए। उसके बाद श्री कृष्ण ने कौशल के राजा नग्नजित के सात बैलों को एक साथ नाथ कर उनकी कन्या सत्या से विवाह किया। उसके बाद उन्होंने कैकेय की राजकुमारी भद्रा से विवाह हुआ। भद्रदेश की राजकुमारी लक्ष्मणा भी कृष्ण को चाहती थी, लेकिन उनका परिवार कृष्ण से विवाह के लिए राजी नहीं था तब लक्ष्मणा को श्रीकृष्ण अकेले ही हरकर ले आए। इस तरह कृष्ण की आठ पत्नियां हुईं- रुक्मिणी, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा। इन 8 पटरानियों अष्टा भार्या कहा जाता था। इनसे श्रीकृष्ण के 80 पुत्र हुए हैं।1. श्रीकृष्ण-रुक्मिणी के पुत्रों के नाम- प्रद्युम्न, चारुदेष्ण, सुदेष्ण, चारुदेह, सुचारू, चरुगुप्त, भद्रचारू, चारुचंद्र, विचारू और चारू।2.जाम्बवती-कृष्ण के पुत्रों के नाम- साम्ब, सुमित्र, पुरुजित, शतजित, सहस्त्रजित, विजय, चित्रकेतु, वसुमान, द्रविड़ और क्रतु।3.सत्यभामा-कृष्ण के पुत्रों के नाम- भानु, सुभानु, स्वरभानु, प्रभानु, भानुमान, चंद्रभानु, वृहद्भानु, अतिभानु, श्रीभानु और प्रतिभानु।4.कालिंदी-कृष्ण के पुत्रों के नाम- श्रुत, कवि, वृष, वीर, सुबाहु, भद्र, शांति, दर्श, पूर्णमास और सोमक।5.मित्रविन्दा-श्रीकृष्ण के पुत्रों के नाम- वृक, हर्ष, अनिल, गृध्र, वर्धन, अन्नाद, महांस, पावन, वह्नि और क्षुधि।6.लक्ष्मणा-श्रीकृष्ण के पुत्रों के नाम- प्रघोष, गात्रवान, सिंह, बल, प्रबल, ऊध्र्वग, महाशक्ति, सह, ओज और अपराजित।7.सत्या-श्रीकृष्ण के पुत्रों के नाम- वीर, चन्द्र, अश्वसेन, चित्रगुप्त, वेगवान, वृष, आम, शंकु, वसु और कुंति।8.भद्रा-श्रीकृष्ण के पुत्रों के नाम- संग्रामजित, वृहत्सेन, शूर, प्रहरण, अरिजित, जय, सुभद्र, वाम, आयु और सत्यक।किसतरह हुई श्रीकृष्ण की 16 हजार रानियांपौराणिक कथाओं के मुताबिक एक दिन देवराज इंद्र ने भगवान कृष्ण को बताया कि प्रागज्योतिषपुर के दैत्यराज भौमासुर के अत्याचार से देवतागण त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। इंद्र की प्रार्थना स्वीकार कर के श्रीकृष्ण अपनी प्रिय पत्नी सत्यभामा को साथ लेकर गरुड़ पर सवार हो प्रागज्योतिषपुर पहुंचे। वहां पहुंचकर भगवान कृष्ण ने सत्यभामा की सहायता से सबसे पहले मुर दैत्य सहित मुर के छह पुत्र- ताम्र, अंतरिक्ष, श्रवण, विभावसु, नभश्वान और अरुण का संहार किया। दैत्य के वध हो जाने का समाचार सुन भौमासुर अपने सेनापतियों और दैत्यों की सेना को साथ लेकर युद्ध के लिए निकला। भौमासुर को स्त्री के हाथों मरने का श्राप था इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा को सारथी बनाया और घोर युद्ध के बाद अंत में कृष्ण ने सत्यभामा की सहायता से उसका वध कर डाला। इस तरह भौमासुर को मारकर श्रीकृष्ण ने उसके पुत्र भगदत्त को अभयदान देकर उसे प्रागज्योतिष का राजा बनाया। भौमासुर के द्वारा हरण कर लाई गईं 16 हजार कन्याओं को श्रीकृष्ण ने मुक्त कर दिया। ये सभी अपहृत नारियां थीं या फिर भय के कारण उपहार में दी गई थीं अन्यथा किसी और माध्यम से उस कारागार में लाई गई थीं। सामाजिक मान्यताओं के चलते भौमासुर द्वारा बंधक बनकर रखी गई इन नारियों को कोई भी अपनाने को तैयार नहीं था, तब अंत में श्रीकृष्ण ने सभी को आश्रय दिया और उन सभी कन्याओं ने श्रीकृष्ण को पति रूप में स्वीकार किया। इस तरह से श्रीकृष्ण की 16 हजार रानियां हुईं।
- हम सोते समय सपने देखते हैं। ये सपने अच्छे और बुरे दोनों तरह के होते हैं। कई सपने बेहद डरावने, तो कई सपने हसीन होते हैं। सपने महज सपने नहीं होते हैं बल्कि, स्वप्न शास्र के अनुसार, इन सभी सपनों का मतलब होता है। ये सपने हमें भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में बताते हैं। ये सपने शुभ और अशुभ दोनों प्रकार की घटनाओं के बारे में बताते हैं। स्वप्न शास्त्र के मुताबिक यदि आपको सपने में कुछ विशेष चीजें दिख जाएं या यू कहें की आपके सपने वे चीजें आ जाएं तो ऐसा समझा जाता है कि आपकी आर्थिक स्थिति पलटने वाली है। कुछ विशेष तरह के सपने इस बात का संकेत करते हैं कि निकट भविष्य में आपकी आर्थिक स्थिति बेहद मजबूत हो सकती है।हम जानेंगे कि ऐसे कौनसे शुभ सपने होते हैं जिन्हें देखने से आपको धन लाभ हो सकता है।स्वप्न शास्त्र के अनुसार, अगर आप अपने सपने में चूहे को देखते हैं तो यह आपके लिए शुभ संकेत हैं। यह सपना संकेत करता है कि आपके पास कहीं से अचानक धन आने वाला है। माना जाता है सपने में चूहा देखने से दरिद्रता दूर होती है। जीवन में समृद्धि आती है।स्वप्न शास्त्र के अनुसार, सपने में गाय को देखना बेहद शुभ होता है। गाय को अलग-अलग तरह से देखने का मतलब भी अलग होता है। अगर आप सपने में गाय को दूध देते हुए देखते हैं सुख-समृद्धि आने वाली है तो वहीं अगर आप चितकबरी गाय को देखते हैं तो सूद ब्याज के व्यापार में लाभ मिलने के संकेत होते हैं।असल जिंदगी में किसी लड़की को नाचते हुए देखना आपके मनोरंजन का हिस्सा हो सकता है। लेकिन अगर आप अपने सपने में किसी स्त्री को नृत्य करते देखते हैं तो इसका मतलब होता है कि आने वाले दिनों में आपको धन प्राप्त हो सकता है। यह सपना शुभ सपनों में से एक होता है।स्वप्न शास्त्र के अनुसार, अगर आप सपने में भगवान के दर्शन करते हैं तो यह बेहद ही शुभ होता है। स्वप्न शास्त्र में इस सपने का मतलब ये है कि आपके ऊपर दैवीय कृपा बरसने वाली है जिससे आपको आने वाले दिनों में सुख-समृद्धि और धन की प्राप्ति होने वाली है।सपने में जलते हुए दीपक को देखना अति शुभ माना जाता है। स्वप्न शास्त्र के मुताबिक यदि आप सपने में किसी जलते हुए दीये को देखते हैं तो यह संकेत है कि आपको भविष्य में प्रचुर मात्रा में धन प्राप्ति होगी। यह सपना आपके आर्थिक जीवन को संपन्न कर देगा।