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- आयुर्वेद के अनुसार, गोंद की तासीर गर्म होती है, जिसे सर्दियों में खाने से आपके शरीर के तापमान को संतुलित रखने में मदद मिलती है, हड्डियां मजबूत होती हैं और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद मिलती है। इसलिए, सर्दियों में गोंद का सेवन आप कई तरीकों से अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं।1. गोंद का लड्डूसर्दियों में गोंद का लड्डू कई लोगों को खाना काफी पसंद होता है। यह स्वाद और सेहत दोनों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। गोंद का लड्डू आटे, ड्राई फ्रूट्स, गुड़ और अन्य चीजों को मिलाकर तैयार किया जा सकता है। सर्दियों में इस लड्डू का सेवन आपके शरीर को लंबे समय तक एनर्जी देता है और कड़ाके की ठंड से बचाने के साथ शरीर को अंदर से गर्म रखने में मदद करता है। रोज सुबह एक लड्डू दूध के साथ खाने से जोड़ों के दर्द से भी राहत मिलती है।2. गोंद की राबराजस्थान और गुजरात में गोंद की राब को एक हेल्दी ड्रिंक के रूप में उपयोग किया जाता है। यह उन लोगों के लिए ज्यादा फायदेमंद होता है, जिन्हें गोंद का लड्डू पसंद नहीं होता है या उसे खाना भारी लगता है। इसे घी, गुड़ और पानी में गोंद को भूनकर मिलाकर तैयार किया जाता है। सर्दियों में इस ड्रिंक को पीने से सर्दी-जुकाम से राहत मिलती है और शरीर का मेटाबॉलिज्म बूस्ट करने में मदद मिलती है, जिससे आपको ठंड कम लगती है।3. दूध के साथ भुना हुआ गोंदआप दूध के साथ भी गोंद को भूनकर खा सकते हैं। अगर आपके पास समय की कमी है तो गोंद का सेवन करने का ये सबसे बेहतर और प्रभावी तरीका है। गोंद को घी में अच्छी तरह भूनकर एक गिलास गर्म दूध में मिलाकर रात को सोने से पहले पी सकते हैं। आप चाहे तो इसमें शहद या मिश्री भी मिला सकते हैं। गोंद का दूध रातभर आपके शरीर को गर्म रखने में मदद करता है और अनिद्रा की समस्या को दूर कर गहरी नींद लेने में मदद मिलती है। यह शारीरिक कमजोरी को दूर करने का एक बेहतरीन तरीका है।4. गोंद की पंजीरीपंजीरी एक सूखा मिश्रण है, जिसे स्टोर करना भी काफी आसान होता है और यह पोषक तत्वों से भरपूर होता है। गोंद की पंजीरी मखाने, गोंद और ड्राई फ्रूट्स, आटा और चीनी का बूरा या गुड़ का पाउडर मिलाकर खा सकते हैं। पंजीरी में सोंठ और काली मिर्च मिलाने से ये सर्दियों में आपके लिए ज्यादा फायदेमंद होता है, जो शरीर की गर्माहट को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे यह छाती में जमा कफ और ठंड के कारण होने वाली समस्याओं से बचाव में मदद कर सकता है।5. गोंद और मेवों का हलवागोंद का सेवन आप हलवे के रूप में भी कर सकते है। सूजी या आटे के हलवे में गोंद और ड्राई फ्रूट्स ज्यादा मिलाकर खाना भी आपकी सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। गोंद के हलवे का सेवन करने से आपकी मांसपेशियां मजबूत बनती है। खासकर ये बुजुर्ग और बच्चों के लिए ज्यादा फायदेमंद माना जाता है, क्योंकि यह आसानी से पच जाता है और शरीर को तुरंत गर्मी देने में मदद करता है।निष्कर्षसर्दियों में गोंद का सेवन आप कई तरीकों से कर सकते हैं, जो आपके शरीर को सर्दी के मौसम में भी गर्म रखने में मदद कर सकता है। हालांकि, ध्यान रखें कि गोंद बहुत बारी और गर्म होता है इसलिए एक दिन में 15 ग्राम से ज्यादा गोंद का सेवन न करें। गोंद का सेवन करने के साथ दिनभर पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, ताकि गोंद को पचाने में मदद मिल सके।
- हरी मिर्च खाने का स्वाद तो बढ़ाता ही है, साथ ही स्किन के लिए भी फायदेमंद होता है। अक्सर लोग कहते हैं कि हरी मिर्च खाने से एसिडिटी हो सकती है, लेकिन अगर हरी मिर्च सही मात्रा और सही तरीके से खाई जाए, तो यह स्किन के साथ-साथ पूरे शरीर के लिए भी फायदेमंद होती है। हरी मिर्च डाइजेशन, इम्युनिटी और स्किन हेल्थ से जुड़ी हुई है।। इसके अलावा, हरी मिर्च खाने से स्किन को भी कई फायदे होते हैं।”विटामिन C से स्किन में नेचुरल चमकहरी मिर्च विटामिन C का बेहतरीन स्रोत है। विटामिन C स्किन में कोलेजन प्रोडक्शन को सपोर्ट करता है, स्किन को फर्म और हेल्दी बनाए रखता है और स्किन की चमक बनाए रखता है। जो लोग रेगुलर और सीमित मात्रा में हरी मिर्च खाते हैं, उनकी स्किन को अंदर से न्यूट्रशिन मिलता है और इसी वजह से नेचुरल ग्लो दिखाई देता है।पिंपल्स और मुहांसों से छुटकाराहरी मिर्च में कैप्साइसिन मिलता है, जो न सिर्फ तीखापन देता है, बल्कि इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं। ये मुहांसे वाले बैक्टीरिया को कंट्रोल करता है, स्किन की सूजन कम होती है और बार-बार पिंपल्स निकलने की समस्या घट सकती है।बेहतर मेटाबॉलिज्म से स्किन का क्लीयर होनाअच्छी स्किन के लिए महंगे प्रोडेक्ट्स लगाना ही काफी नहीं होता, बल्कि मेटाबॉलिज्म अच्छा होना जरूरी है। हरी मिर्च खाने से मेटाबॉल्जिम बूस्ट होता है, डाइजेशन बेहतर होता है और टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है। इससे स्किन साफ होती है और पिंपल्स से छुटकारा मिलता है।एंटीऑक्सीडेंट्स एजिंग कम करने में मदद मिलनाहरी मिर्च में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स फ्री रेडिकल्स को कम करते हैं, जो स्किन एजिंग का बड़ा कारण होते हैं। हरी मिर्च खाने वाले लोगों की फाइन लाइन्स और झुर्रियां धीमी होती है, स्किन लंबे समय तक यंग दिखती है और पॉल्यूशन से स्किन को जो नुकसान होता है, उससे भी बचाव होता है।हरी मिर्च कितनी खानी चाहिए?हरी मिर्च खाना फायदेमंद है, लेकिन ज्यादा मात्रा में खाना नुकसानदायक हो सकता है। जिन लोगों को एसिडिटी, अल्सर या बहुत सेंसिटिव स्किन की समस्या होती है, उन्हें ज्यादा हरी मिर्च खाने से बचना चाहिए। इसके अलावा, कच्ची, बहुत ज्यादा तीखी मिर्च रोज खाना सही नहीं है। इसलिए खाने में थोड़ी मात्रा में हरी मिर्च लेनी चाहिए। खाना पकाते समय हरी मिर्च डालनी चाहिए।”“दुनियाभर में हरी मिर्च का इस्तेमाल स्लाइवा और डाइजेशन एंजाइम्स को एक्टिव करती है और फूड-बर्न इन्फेक्शन के रिस्क को कम करती है। इसके अलावा, कई देशों में हरी मिर्च को खाने को सेफ करने में मदद करती है, बैक्टीरिया और फंगस की ग्रोथ को रोकती है। ठंडे देशों में पहले हरी मिर्च का इस्तेमाल सीमित था, लेकिन माइग्रेशन और ग्लोबलाइजेशन के कारण हरी मिर्च पॉपलर हो गई है।”
- सर्दियों का मौसम शुरू होते ही कई लोग कूल्हों में जकड़न और जोड़ों में दर्द की शिकायत करने लगते हैं। यह समस्या गर्मियों से ज्यादा सर्दियों के मौसम में अधिक परेशान करती है। एक्सपर्ट की मानें तो इस समस्या के पीछे ज्यादातर शारीरिक कारण छिपे हुए होते हैं। सीके बिरला हॉस्पिटल के ऑर्थोपेडिक डॉक्टर प्रवीण टिट्टल कहते हैं कि ठंड में मांसपेशियां और टिशू सिकुड़ जाते हैं। जिसकी वजह से खासतौर पर हिप जैसे वजन उठाने वाले जोड़ों में दर्द ज्यादा महसूस होने लगता है। आइए डॉक्टर प्रवीण से जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर सर्दियों में क्यों जाम होने लगते हैं आपके कूल्हे और क्या है इस समस्या का उपचार।कूल्हे की जकड़न बढ़ने का बड़ा कारणसर्दियों में ठंड का असर मांसपेशियों, टेंडन और लिगामेंट्स पर पड़ने से कूल्हे की जकड़न बढ़ जाती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि कम तापमान रक्त संचार को धीमा करता है, जिससे ऊतक सिकुड़कर कठोर हो जाते हैं। जिससे जोड़ों में अकड़न, दर्द और गतिशीलता कम हो जाती है। खासकर गठिया या पुरानी चोट वाले लोगों में यह समस्या ज्यादा देखी जाती है।हिप जॉइंट के आसपास की मांसपेशियों में जकड़न होने से चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है, खासकर सुबह उठते समय या देर तक बैठे रहने के बाद, दर्द ज्यादा महसूस होता है।खून का संचार कम होने से लचीलापन घटता हैठंड के मौसम में शरीर सबसे पहले अपने कोर यानी बीच के हिस्से को गर्म रखने की कोशिश करता है। इसके कारण हाथ-पैर और कूल्हों की तरफ खून का बहाव थोड़ा कम हो जाता है।जब हिप एरिया में खून का संचार कम होता है, तो वहां ऑक्सीजन और पोषण भी कम पहुंचता है, जिससे जॉइंट्स की रिकवरी और लचीलापन प्रभावित होता है।कम फिजिकल एक्टिविटी से जकड़न बढ़ती हैसर्दियों में लोग आमतौर पर बाहर कम निकलते हैं, जिससे एक्सरसाइज भी कम हो जाती है। जब मूवमेंट कम होता है, तो जोड़ों में मौजूद सिनोवियल फ्लूइड (जो जोड़ों को चिकनाई देता है) भी ठीक से सर्कुलेट नहीं हो पाता। इससे हिप जॉइंट्स और ज्यादा सख़्त महसूस होने लगते हैं।सर्दियों में बढ़ जाती है पहले से मौजूद जोड़ों की समस्याजिन लोगों को पहले से अर्थराइटिस की समस्या है या कभी हिप में चोट लगी हुई हो, उनके लिए सर्दियां ज्यादा मुश्किल हो सकती हैं।बारोमेट्रिक प्रेशर में बदलावठंड के मौसम में बारोमेट्रिक प्रेशर में बदलाव होता है, जिससे जोड़ों की सेंसिटिविटी बढ़ जाती है और दर्द व जकड़न ज्यादा महसूस होती है।गलत लाइफस्टाइल और बैठने की आदतें भी वजहसर्दियों में ज्यादा समय तक घर के अंदर बैठना आम बात है। लंबे समय तक बैठने से हिप फ्लेक्सर मसल्स छोटी और टाइट हो जाती हैं, खासकर अगर बैठने की पोजिशन सही न हो।इसका असर तब दिखता है जब आप खड़े होते हैं, चलते हैं या सीढ़ियां चढ़ते हैं। इसमें हिप मूवमेंट सीमित हो जाती है।सर्दियों में हिप की जकड़न कैसे कम करें?हिप जॉइंट्स को ठीक से काम करने के लिए एक्टिव रहना बहुत जरूरी है। इसके लिए इन चीजों से हिप्स को लचीला बनाया रखा जा सकता है--रोजाना वॉक-दिन में हल्की-फुल्की स्ट्रेचिंग करते रहें-योग-गुनगुने पानी में स्विमिंग-गर्म कपड़े पहनें-लंबे समय तक लगातार न बैठेंठंड में भी एक्टिव रहें, दर्द से बचेंसलाह----सर्दियों में हिप की जकड़न आम समस्या है, ऐसा इसलिए क्योंकि ठंड मांसपेशियों को सख्त बना देती है। जिससे एक्टिविटी कम हो जाती है। लेकिन अगर आप खुद को गर्म रखें और नियमित रूप से शरीर की मूवमेंट बनाए रखें, तो हिप्स के आसपास होने वाले दर्द से राहत पाई जा सकती है।
- सर्दियों में मूंगफली सबसे आम और पसंदीदा स्नैक बन जाती है। मूंगफली में प्रोटीन, हेल्दी फैट, फाइबर और कई जरूरी मिनरल्स पाए जाते हैं। सर्दियों में जब शरीर को ज्यादा एनर्जी की जरूरत होती है, तब मूंगफली एक आसान और स्वादिष्ट विकल्प बन जाती हैसर्दियों में मूंगफली क्यों खाई जाती है?सर्दियों में मूंगफली शरीर को अंदर से गर्म रखने में मदद करती है। इसमें प्रोटीन, हेल्दी फैट, फाइबर और कई जरूरी मिनरल्स पाए जाते हैं, जो ठंड के मौसम में शरीर को एनर्जी और मजबूती देते हैं। यही वजह है कि सर्दियों में मूंगफली का सेवन ज्यादा किया जाता है।सर्दियों में मूंगफली खाने के क्या फायदे हैं? -मूंगफली में मौजूद हेल्दी फैट शरीर को लंबे समय तक एनर्जी देता है। इसमें प्रोटीन की अच्छी मात्रा होती है, जो मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करती है। ठंड में मूंगफली खाने से थकान कम होती है और शरीर एक्टिव बना रहता है। साथ ही इसमें मौजूद फाइबर पाचन को बेहतर बनाता है और कब्ज की समस्या से राहत दिलाने में मदद करता है।-मूंगफली में मोनोअनसैचुरेटेड फैट और एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जो दिल की सेहत के लिए अच्छे माने जाते हैं।-नियमित और सीमित मात्रा में मूंगफली खाने से खराब कोलेस्ट्रॉल कम हो सकता है और हार्ट हेल्थ को सपोर्ट मिलता है।-सर्दियों में जब लोग कम एक्टिव रहते हैं, तब मूंगफली दिल के लिए लाभकारी हो सकती है।-मूंगफली पौष्टिक होती है, लेकिन जरूरत से ज्यादा खाने पर यह वजन बढ़ा सकती है।-डायबिटीज के मरीज भी मूंगफली खा सकते हैं, लेकिन नमक या चीनी लगी मूंगफली से बचना जरूरी है और मात्रा पर विशेष ध्यान देना चाहिए।भुनी हुई मूंगफली खाने के क्या नुकसान हैं? -कुछ लोगों के लिए सर्दियों में मूंगफली नुकसानदायक भी हो सकती है। जिन लोगों को गैस, एसिडिटी या पाचन की समस्या रहती है, उन्हें ज्यादा मूंगफली खाने से पेट में भारीपनऔर गैस की शिकायत हो सकती है। इसके अलावा मूंगफली तासीर में गर्म होती है, इसलिए ज्यादा मात्रा में खाने से मुंह में छाले, गले में खराश या स्किन पर फोड़े-फुंसी की समस्या भी हो सकती है। जिन लोगों को नट्स से एलर्जी होती है, उन्हें मूंगफली से पूरी तरह परहेज करना चाहिए। एलर्जी की स्थिति में खुजली, सूजन या सांस लेने में तकलीफ भी हो सकती है।इसके अलावा जिन लोगों को एक्ने या स्किन इंफ्लेमेशन की समस्या रहती है, उन्हें सर्दियों में भी मूंगफली सीमित मात्रा में ही खानी चाहिए।निष्कर्षसर्दियों में मूंगफली एक सस्ता, स्वादिष्ट और पौष्टिक स्नैक है, जो सही मात्रा में खाने पर सेहत के लिए कई फायदे देता है। यह शरीर को गर्म रखती है, एनर्जी देती है और दिल की सेहत को सपोर्ट करती है लेकिन ज्यादा मात्रा, गलत समय या गलत तरीके से खाने पर यही मूंगफली वजन बढ़ाने, गैस और स्किन समस्याओं का कारण भी बन सकती है। मूंगफली को संतुलित मात्रा में और अपनी सेहत को ध्यान में रखकर ही डाइट में शामिल करें।
- इन 7 टेस्टी डिशेज से सेहत और स्वाद दोनों मिलेगासर्दियों में काफी सारी हरी सब्जियां बाजार में आती हैं। बथुआ भी इन्हीं में से एक है। बथुआ काफी पौष्टिक होता है, इसमें विटामिन ए, बी, सी, आयरन, फॉस्फोरस, पोटैशियम और कैल्शियम जैसे कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं। साथ ही ये फाइबर रिच होता है और पानी की मात्रा ज्यादा होने के कारण, लंबे समय तक पेट को भरा हुआ रखता है। कुल मिलाकर आप वेटलॉस करना चाहते हों या ओवरऑल हेल्दी रहना आपका गोल है, बथुआ आपको अपनी डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए। यहां हम आपको बता रहे हैं कुछ मजेदार डिशेज के बारे में, जो आप बथुआ से बना सकते हैं।बथुआ वाली दाल बनाकर खाएंबथुआ को अपनी डाइट में शामिल करने का ये बेहतरीन तरीका है। इससे दाल का स्वाद भी बढ़ जाएगा और वो ज्यादा पौष्टिक भी हो जाएगी। नॉर्मली आप प्याज, लहसुन और मसालों का जो तड़का बनाती हैं, वो बना लें। फिर कटा हुआ बथुआ उसमें एड करें, कुछ देर पकाने से बाद उबली हुई दाल डालें और पका लें।बथुआ रायता: स्वाद से भरपूरसर्दियों में बथुआ का रायता खाने के मजा अलग है। इसके लिए बथुआ के पत्तों को उबाल लें और फिर ब्लेंड कर लें। इसे दही में अच्छे से मिक्स करें, फिर ऊपर से हींग, जीरा, सूखी लाल मिर्च का तड़का लगा दें। चाहे तो थोड़ा सा चाट मसाला भी मिला सकती हैं।बथुआ के कुरकुरे पकौड़ेसर्दियों की शाम को चाय के साथ कुछ चटपटा खाना है, तो क्रिस्पी पकौड़े बना लें। इसके लिए बथुआ के पत्तों को काट लें, उनमें बेसन मिलाएं, साथ ही हरी मिर्च, कटी हुई प्याज और नमक मिलाएं। अब हल्का पानी डालकर बैटर तैयार करें और गर्म तेल में तल लें। बहुत ही क्रिस्पी और टेस्टी पकौड़ी बनती है।बथुआ पूड़ीबथुए की पूड़ियां काफी टेस्टी लगती हैं और बच्चों को लंच में देने के लिए परफेक्ट हैं। इन्हें बनाने के लिए बथुआ के पत्तों को उबालकर, पीस लें। अब आटे में नमक, अजवाइन, मिर्च के साथ बथुआ का पेस्ट मिलाएं और इसकी मदद से आटा गूंथ लें। जरूरत पड़ने पर हल्का सा पानी भी इस्तेमाल कर सकती हैं। इस आटे से पूड़ी बना लें, बहुत ही टेस्टी बनती हैं।बथुआ आलू की सब्जीबथुआ आलू की सब्जी हेल्दी होने के साथ काफी टेस्टी भी है। बनाने के लिए एक पैन में तेल गर्म करें, जीरा, हरी मिर्च और लहसुन-प्याज भून लें। साथ में बेसिक मसाले मिलाएं। अब आलू डालें और जब ये आधा पक जाए तो कटा हुआ बथुआ मिलाएं। ढक कर 8-10 मिनट पका लें, सब्जी तैयार है।बथुआ आलू के भरवां पराठेबथुआ आलू के पराठे बच्चों के लिए परफेक्ट हैं। इन्हें बनाने के लिए बथुआ काट कर उबाल लें, साथ में आलू भी उबलने रख दें। अब बथुआ का पानी हाथों से निचोड़ दें, फिर इसे आलू के साथ मिलाएं। साथ में हींग, हरी मिर्च, नमक, लाल मिर्च, अमचूर पाउडर एड करें। अब इस फिलिंग को भर कर टेस्टी सा पराठा बना लें।बथुआ की कढ़ीबथुआ की कढ़ी बहुत टेस्ट बनती है। इसके लिए तेल में मेथी दाना, हींग चटका लें, फिर बथुआ के पत्ते एड करें। अब छाछ और बेसन का घोल एड करें, फिर हल्दी पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, धनिया पाउडर और जो भी बाकी मसाले आप कढ़ी बनाते हुए डालती हैं, वो मिला दें। कढ़ी उबलने दें, ये बहुत ही टेस्टी बनती है।--
- अधिकतर भारतीय रसोई में घी का इस्तेमाल खाने में किसी न किसी रूप में जरूर किया जाता है। घी न सिर्फ हमारी रसोई, बल्कि संस्कृति और आयुर्वेद में भी काफी महत्व रखता है। घी का इस्तेमाल न सिर्फ खाने के लिए किया जाता है, बल्कि ये स्किन की देखबाल और स्वास्थ्य रहने के लिए भी कई तरीको से किया जाता है। खासकर रात को सोने से पहले चेहरे पर घी लगाना आपके स्किन के लिए काफी फायदेमंद होता है। स्किन को नेचुरल तरीके से मॉइश्चराइज करने और हेल्दी रखने का ये एक नेचुरल तरीका है। तो आइए जानते हैं कि सोने से पहले चेहरे पर घी लगाने के क्या फायदे हैं?रात को चेहरे पर घी लगाने के फायदेरात को सोने से पहले चेहरे पर घी लगाना फायदेमंद हो सकता है। खासकर अगर आपकी स्किन ड्राई और रूखी है तो घी लगाने से आपको हेल्दी और मुलायम त्वचा मिल सकती है। इसके अलावा आपको रात को सोने से पहले चेहरे पर घी लगाने से ये फायदे भी मिल सकते हैं-1. स्किन को मॉइश्चराइज करेंघी में मौजूद फैटी एसिड के गुण आपकी स्किन को गहराई से मॉइश्चराइज करते हैं, जिससे ड्राई और फटी स्किन से राहत मिल सकती है। रात में चेहरे पर घी लगाकर सोने से आपकी स्किन अच्छे से हाइड्रेट होती है, जो सुबह मुलायम लगती है।2. नेचुरल चमक बढ़ाएंघी का उपयोग स्किन पर करने से चेहरे का निखार बढ़ता है। इसके नियमित इस्तेमाल से चेहरा चमकने लगता है। घी में मौजूद विटामिन ए, डी, ई और के स्किन को पोषण देकर उसका निखार बढ़ाने में मदद करते हैं।3. एंटी-एजिंग गुणघी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स आपकी स्किन पर समय से पहले उम्र बढ़ने के लक्षणों को धीमा करने में मदद करते हैं। घी का उपयोग आपके चेहरे पर झुर्रियों और फाइन लाइन्स को कम करते हैं और स्किन को जवां बनाए रखते हैं।4. डार्क सर्कल्स में राहतअगर आपके आंखों के नीचे डार्क सर्कल्स हैं तो भी घी का इस्तेमाल रात को सोने से पहले करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। रात को सोने से पहले हल्के हाथों से आंखों के नीचे घी लगाने से सूजन और काले घेरों को कम करने में मदद मिल सकती है।5. सनबर्न और जलन से राहततेज धूप के कारण चेहरे की स्किन पर हुए सनबर्न और जलन से राहत पाने के लिए भी आप रात को सोने से पहले घी का उपयोग कर सकते हैं। घी आपकी स्किन को ठंडक देकर हीलिंग प्रोसेस को बढ़ाती है।रात में चेहरे पर घी कैसे लगाएं? --सोने से पहले चेहरे पर घी लगाने के लिए आप इन आसान स्टेप्स को फॉलो कर सकते हैं--सबसे पहले अपने चेहरे को अच्छी तरह धोकर साफ कर लें-इसके बाद थोड़ी मात्रा में बिना मिलावट वाला घी लें।-अब अपनी उंगलियों की मदद से घी को चेहरे पर बिंदु-बिंदु करके लगाएं।-फिर हल्के हाथों से सर्कुलर मोशन में 5 से 10 मिनट तक अपने चेहरे की मालिश करें।-घी से चेहरे की मसाज करने से आपके स्किन पर ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है।-मालिश करने के बाद अपने चेहरे को रातभर के लिए छोड़ दें।-सुबह उठकर अपने चेहरे को गुनगुने पानी से धो लें।निष्कर्षरात को सोने से पहले चेहरे पर घी लगाने से आपकी स्किन नेचुरल तरीके से हेल्दी, सुंदर और चमकदार बनती है। लेकिन, ध्यान रहे आप हमेशा शुद्ध और बिना मिलावट वाले घी का ही इस्तेमाल करें और अगर आपकी स्किन ऑयली है तो घी का उपयोग करने से बचें।
- सर्दियों के कारण रूखी और बेजान त्वचा से परेशान? आपने भी अलग-अलग स्किन प्रोडक्ट्स के साथ अपनी कैबिनेट को भरना शुरू कर ही दिया होगा, लेकिन देसी नुस्खे अपनाने के बारे में सोचा है? सर्दियों की ठंडा और सूखी हवा का आपकी स्किन पर यह असर होना नेचुरल है और इसके लिए आपको नेचुरल चीजों का इस्तेमाल करने से ही ज्यादा फायदा मिल सकता है। चुकंदर एक ऐसी ही नेचुरल चीज है, जो सर्दियों में त्वचा के लिए बेहद फायदेमंद साबित होता है। इसमें प्राकृतिक रूप से एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं, जो स्किन को अंदर से हेल्दी बनाते हैं। तो चलिए आज हम आपको चुकंदर का फेस मास्क बनाना सिखाते हैं और बताते हैं इसके लाभों के बारे में।ऐसे बनाएं चुकंदर फेस पैकआप एक छोटे चुकंदर को उबालकर या कच्चा ही कद्दूकस कर उसका पेस्ट बना लें। अब इसमें 1 चम्मच शहद और 1 चम्मच कच्चा दूध या चाहें तो मलाई मिला लें। फिर इस मिश्रण को अच्छे से मिलाकर चेहरे और गर्दन पर लगाएं। 15–20 मिनट बाद हल्के गुनगुने पानी से धो लें। हफ्ते में 1–2 बार इस फेस पैक का इस्तेमाल करें। आप इसे दिन में सुबह उठने के ठीक बाद या फिर रात को सोने से पहले भी इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर आप इसे दिन में इस्तेमाल, करते हैं तो धूप में बैठ कर न करें।नहीं होगी स्किन ड्राईशायद ही आप जानते हो कि चुकंदर में प्राकृतिक नमी बनाए रखने वाले तत्व होते हैं। ऐसे में शहद और दूध के साथ मिलकर यह फेस पैक त्वचा को गहराई से मॉइस्चराइज करने में मदद करता है। इससे सर्दियों में होने वाला रूखापन, पपड़ी की समस्या और खिंचाव जैसी परेशानी कम हो जाती है और त्वचा सॉफ्ट दिखने लगती है। सर्दियों के मौसम में जिन लोगों को ज्यादा ड्राई स्किन की समस्या रहती है, उनके लिए यह एक काफी अच्छा विकल्प हो सकता है।दिखने लगता है नेचुरल ग्लोआयरन और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर चुकंदर ब्लड सर्कुलेशन को भी बेहतर बना सकता है, जिससे चेहरे पर नेचुरल पिंक ग्लो आने लगता है। ऐसे में इस फेस पैक का इस्तेमाल नियमित रूप से करने से त्वचा फ्रेश, हेल्दी और चमकदार दिखने लगती है। सर्दियों में ज्यादातर लोग अपने नेचुरल निखार के गायब होने से परेशान हो जाते हैं और इससे निपटने के लिए इस फेस पैक का इस्तेमाल करना अच्छा विकल्प हो सकता है।दाग-धब्बों होंगे दूरचुकंदर का फेस पैक पिगमेंटेशन और हल्के दाग-धब्बों को कम करने में भी सहायक करता है। साथ ही त्वचा की रंगत को निखारने में मदद करता है। ऐसे में आप इसके इस्तेमाल से एक निखरी और बिना दाग-धब्बे वाले त्वचा पा सकती हैं। नियमित रूप से और सही तरीके से इसे इस्तेमाल करने पर चेहरे के जिद्दी दाग-धब्बों को भी धीरे-धीरे करके कम किया जा सकता है।एजिंग के लक्षण दिखेंगे कमचुकंदर में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स फाइन लाइंस और डलनेस को कम करने का काम करते हैं, जिससे त्वचा यंग और फ्रेश नजर आने लगती है। बढ़ती उम्र की महिलाओं के लिए यह फेशपैक मुख्य रूप से लाभकारी सिद्ध हो सकता है। अगर आप भी लंबे समय तक जवान दिखना चाहते हैं और अपनी स्किन को हेल्दी रखना चाहते हैं, तो यह आपके लिए अच्छा विकल्प हो सकता है।
- शरीर के सभी अंग ठीक तरीके से काम करते रहें, शरीर के हर अंग तक ऑक्सीजन और पोषक तत्व ठीक तरीके से पहुंचता रहे इसके लिए शुद्ध खून का संचार होते रहना जरूरी है। बढ़ते प्रदूषण और खान-पान की अशुद्धि के कारण खून में गंदगी या विषैले तत्व जमा होने लगते हैं, इससे खून अशुद्ध हो जाता है। इसका असर सीधे हमारी त्वचा, पाचन, इम्युनिटी और पूरे स्वास्थ्य पर पड़ता है।मेडिकल एक्सपर्ट्स बताते हैं कि तला-भुना, जंक फूड, ज्यादा चीनी और प्रोसेस्ड फूड खाने से भी खून में टॉक्सिन्स बढ़ने लगते हैं। पर्याप्त पानी न पीना भी एक बड़ा कारण है, जिससे शरीर से गंदगी बाहर नहीं निकल पाती। धूम्रपान, शराब का सेवन, दवाओं का अधिक उपयोग भी खून को अशुद्ध बनाती है।अगर आपका खून भी अशुद्ध है तो ये कई बीमारियों का घर हो सकता है। तो फिर इसे साफ कैसे किया जाए? आइए इस बारे में जानते हैं।खून साफ न होने से बढ़ सकती हैं दिक्कतेंखून अशुद्ध होने पर सबसे पहले असर त्वचा पर दिखाई देता है। मुंहासे, फोड़े-फुंसी, खुजली, रैशेज और त्वचा का बेजान दिखना खून साफ न होने का आम लक्षण हैं। इसके अलावा बार-बार थकान, सिरदर्द, चक्कर आना और कमजोरी महसूस होती है। लंबे समय तक खून की अशुद्धि रहने पर लिवर और किडनी पर दबाव बढ़ता है, जिससे गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है। इन सभी समस्याओं से बचे रहने और खून को साफ करने के लिए आपके आसपास ही कारगर चीजें मौजूद हैं, जिनसे आप लाभ पा सकते हैं।नीम के सेवन से साफ होता है खूननीम को आयुर्वेद में खून साफ करने वाली सबसे प्रभावी औषधियों में से एक माना गया है। नीम की पत्तियों में मौजूद एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीऑक्सीडेंट गुण खून से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करते हैं। जब हम नीम का सेवन करते हैं, तो यह शरीर में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया और टॉक्सिन्स को नष्ट करता है, जिससे खून शुद्ध होता है।नीम के और भी कई लाभनीम की पत्तियां केवल खून साफ करने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि पूरे शरीर के लिए फायदेमंद मानी जाती हैं। नीम की पत्तियां त्वचा से बैक्टीरिया को खत्म करती हैं, जिससे मुंहासे, दाग-धब्बे और खुजली में राहत मिलती है।इतना ही नहीं नीम पेट में मौजूद हानिकारक कीटाणुओं को खत्म करता है, जिससे गैस, अपच और पेट के संक्रमण की समस्या कम होती है। यह आंतों को साफ रखने में भी मदद करता है। इसके साथ नीम शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है, जिससे सर्दी-खांसी, संक्रमण और मौसमी बीमारियों से बचाव होता है।इन उपायों से भी कर सकते हैं ब्लड प्यूरिफिकेशनखून को साफ रखने के लिए जरूरी है कि आप रोजाना पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें। रोज 2-3 लीटर पानी शरीर से विषैले तत्व बाहर निकालने में मदद करता है। हरी सब्जियां, फल, खासकर चुकंदर, अनार, आंवला, पालक और गाजर खून को शुद्ध करने में सहायक माने जाते हैं। हल्दी और तुलसी जैसे प्राकृतिक तत्वों में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो खून की सफाई में मदद करते हैं।
- सर्दियों के मौसम में शरीर को ज्यादा पोषण की आवश्यता होती है। ठंड में ऊर्जा, गर्माहट और मज़बूती के लिए खसखस (पोस्ता) का सेवन लाभदायक हो सकता है। आमतौर पर सर्दियों में भारतीय किचन गाजर का हलवा या मूंग दाल हलवा तक सीमित रह जाते हैं, लेकिन खसखस का हलवा स्वाद और सेहत, दोनों में उनसे कहीं आगे है। आयुर्वेद में खसखस को तासीर में गर्म, नसों को मजबूत करने वाला और दिमाग को शांत रखने वाला माना गया है। इसमें मौजूद कैल्शियम, आयरन और हेल्दी फैट्स सर्दियों में शरीर को भीतर से मजबूत बनाते हैं। खास बात यह कि खसखस का हलवा सिर्फ मीठा व्यंजन नहीं, बल्कि ऊर्जा और संतुलन देने वाला देसी टॉनिक है। एक बार सही तरीके से बना लिया तो इसका नर्म स्वाद और खुशबू आपको गाजर या मूंग के हलवे को भूलने पर मजबूर कर देगी।सर्दियों में खसखस खाने के फायदेशरीर को अंदर से गर्म रखता है।कमजोरी और थकान में फायदेमंद है।हड्डियों के लिए कैल्शियम का अच्छा स्रोत है।नींद और मानसिक शांति में मदद करता है।स्किन और बालों को पोषण देता है।खसखस का हलवा बनाने के लिए सामग्रीखसखस आधा कपदूध- 2 कपदेसी घी- 3 टेबलस्पूनचीनी या गुड़- स्वादानुसारइलायची पाउडर- आधा चम्मचड्राई फ्रूट्स इच्छानुसारखसखस हलवे की विधिस्टेप 1- खसखस को 4-5 घंटे भिगोकर बारीक पीस लें।स्टेप 2- कढ़ाही में घी गरम करें, पिसा खसखस डालकर धीमी आंच पर भूनें।स्टेप 3- खुशबू आने लगे तो दूध डालें और लगातार चलाएं।स्टेप 4- मिश्रण गाढ़ा होने पर चीनी या गुड़ और इलायची मिलाएं।स्टेप 5- ड्राई फ्रूट्स डालकर 2-3 मिनट पकाएं।
- सर्दियों का मौसम आते ही ठंड के साथ-साथ शरीर की कई अंदरूनी समस्याएं भी धीरे-धीरे सिर उठाने लगती हैं। सुबह उठते ही हाथ-पैरों में जकड़न, सुस्ती, नसों में खिंचाव, बार-बार ठंड लगना और ब्लड सर्कुलेशन का धीमा पड़ जाना आम शिकायत बन जाती है। आयुर्वेद कहता है कि अगर सही जड़ी-बूटियों को सही अनुपात में लिया जाए, तो एक साधारण सी हर्बल चाय भी दवा का काम कर सकती है।आयुर्वेद के अनुसार सर्दियों का मौसम मुख्य रूप से वात दोष को बढ़ाने वाला होता है। वात बढ़ने से शरीर में रूखापन, ठंडक, नसों की कमजोरी और ब्लड सर्कुलेशन से जुड़ी दिक्कतें हो सकती हैं। ऐसे में ऐसी चाय का सेवन करना चाहिए जो शरीर को ऊष्णता दे, अग्नि को मजबूत करे और नसों को पोषण पहुंचाए। आयुर्वेदिक हर्बल टी न सिर्फ ठंड से बचाती है बल्कि लंबे समय तक सेवन करने पर न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के जोखिम को भी कम कर सकती है।आयुर्वेदिक चाय बनाने के लिए क्या सामग्री चाहिए?सर्दियों में ब्राह्मी, तुलसी, अश्वगंधा, जटामांसी, सौंफ, दालचीनी, तेज पत्ता, गुलाब के फूल और मुलेठी को मिलाकर एक विशेष चाय बनाई जा सकती है।इन सभी जड़ी-बूटियों का संयोजन शरीर को गर्म रखने के साथ-साथ ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाता है। नियमित रूप से इस चाय का सेवन करने से नसों को मजबूती मिलती है और पैरालिसिस जैसी गंभीर समस्याओं से बचाव में भी मदद मिल सकती है।आयुर्वेदिक चाय कैसे बनती है?इस चाय को बनाने के लिए सभी जड़ी-बूटियों को सुखाकर हल्का कूट लें। एक कप पानी में आधा चम्मच यह मिश्रण डालकर 5-7 मिनट तक उबालें। बाद में छानकर गुनगुना पिएं। चाहें तो स्वाद के लिए थोड़ा शहद भी मिला सकते हैं, लेकिन चाय हल्की ठंडी होने पर ही शहद डालें।आयुर्वेदिक हर्बल टी को रोजाना सीमित मात्रा में पिया जा सकता है। यह शरीर को गर्म रखने, पाचन सुधारने और इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करती है, लेकिन किसी भी जड़ी-बूटी का अत्यधिक सेवन नहीं करना चाहिए।क्या आयुर्वेदिक चाय से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है?कई आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां रक्त संचार को सक्रिय यानी एक्टिव करने में मदद करती हैं। दालचीनी, तेज पत्ता और अश्वगंधा जैसी जड़ी-बूटियां नसों तक रक्त प्रवाह को बेहतर बनाने में सहायक मानी जाती हैं।-सामान्य तौर पर वयस्क इसे सुरक्षित रूप से पी सकते हैं। बुजुर्गों और बच्चों के लिए मात्रा और जड़ी-बूटियों का चयन आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से करना बेहतर होता है।हर्बल टी पीने का सही समय क्या है?आयुर्वेद के अनुसार सुबह खाली पेट या शाम के समय हर्बल टी पीना सबसे फायदेमंद माना जाता है। रात में बहुत देर से इसका सेवन करने से बचना चाहिए।
- आजकल बढ़ते प्रदूषण और बदलते मौसम में स्किन और बालों की समस्या सबसे ज्यादा देखने को मिलती है। बढ़ते AQI में खासतौर पर रूखी त्वचा, पिग्मेंटेशन, बार-बार पिंपल्स, बालों का झड़ना, डैंड्रफ और समय से पहले सफेद होते बाल आम हो गया है। इन समस्याओं से निजात पाने के लिए लोग अक्सर महंगे कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स खरीदना शुरू कर देते हैं या सैलून जाकर इलाज ढ़ूंढते हैं। हालांकि कुछ समय के लिए तो राहत मिल जाती है, लेकिन ये स्थायी इलाज नहीं है।स्किन और बालों को चमकदार बनाने के 5 उपायआयुर्वेद में त्वचा को रस धातु और रक्त धातु से जोड़ा गया है, जबकि बालों का संबंध अस्थि धातु से माना जाता है। जब शरीर में टॉक्सिन्स जमा हो जाते हैं, पाचन कमजोर होता है या वात-पित्त-कफ असंतुलित होते हैं, तो सबसे पहले असर स्किन और बालों पर दिखता है। इसलिए आयुर्वेदिक ब्यूटी रूटीन सिर्फ बाहरी देखभाल तक सीमित नहीं रहता, बल्कि शरीर को भीतर से बैलेंस करने पर भी जोर देता है।”चावल का पानीचावल के पानी की चर्चा आजकल कोरियन स्किन केयर से लेकर आयुर्वेद सभी जगह पर होती है। दरअसल, चावल के पानी में अमिनो एसिड, विटामिन B और मिनरल्स होते हैं, जो त्वचा की रंगत निखारने और बालों को मजबूत करने में मदद करते हैं। विटामिन B स्किन टोन सुधारने में मदद करता है और बालों को स्मूद करता है। इसे इस्तेमाल करने का तरीका बहुत आसान है। चावल को धोने के बाद पानी को छानकर चेहरे पर टोनर की तरह लगाएं। इसे बाल धोने के बाद आखीरी रिंस के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। यह स्किन को टाइट करता है और बालों में नेचुरल शाइन आती है।पंचपुष्प भापप्रदूषण और धूल-मिट्टी के कारण मुंह को सिर्फ धोना ही काफी नहीं है। स्किन के रोमछिद्रों में गंदगी जमा हो जाती है, जिससे पिंपल्स और ब्लैकहेड्स बढ़ते हैं। इसलिए पंचपुष्प भाप लेना बेहतरीन उपाय है। पंचपुष्प में गुलाब, चमेली, चंपा, कमल और मोगरा के फूलों को लेकर पानी में डालकर भाप लेने से रोमछिद्र खुलते हैं, टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं, स्किन में नेचुरल ग्लो आता है, पिंपल्स और ब्लैकहेड्स कम होते हैं। बस इस बात का ध्यान रखें कि भाप को 5 से 7 मिनट से ज्यादा न लें और हफ्ते में सिर्फ एक बार ही करें। ज्यादा भाप लेने से स्किन ड्राई हो सकती है।देसी घी-दूध से नहाना -अगर स्किन बहुत ज्यादा ड्राई है, तो घी-दूध से नहाना बहुत ही कारगर उपाय है। आयुर्वेद में देसी घी वात दोष को शांत करता है और दूध स्किन को गहराई से पोषण देता है। दूध-घी से स्नान करने से पहले थोड़े दूध में कुछ बूंदें शुद्ध देसी घी मिलाएं और इसे पूरे शरीर पर लगाएं। 10 मिनट बाद गुनगुने पानी से स्नान करें। इससे स्किन मुलायम बनी रहती है और लंब समय तक स्किन में नमी बनी रहती है।केसर जल छींटाकेसर को आयुर्वेद में वर्ण्य कहा गया है यानि कि जो रंगत निखारे। केसर का इस्तेमाल करने से स्किन में ग्लो, नेचुरल ब्राइटनिंग आती है और साथ ही स्किन टोन धीरे-धीरे सुधरता है। केसर का इस्तेमाल करने के लिए रात में 2-3 केसर के धागे पानी में भिगो दें। सुबह उठकर उसी पानी से चेहरे पर छींटे मारें। लगातार कुछ हफ्तों में फर्क साफ नजर आने लगता है।नीम-तुलसी हेयर पैकजिस तरह पॉल्यूशन बढ़ रहा है, उसे देखते हुए डैंड्रफ और बालों का झड़ना आज सबसे आम समस्या बन चुकी है। नीम और तुलसी दोनों ही आयुर्वेद में रक्तशोधक और एंटी-फंगल माने जाते हैं। नीम और तुलसी का पैक बालों पर लगाने से डैंड्रफ कम होता है, स्कैल्प साफ रहता है और बालों की जड़ें मजबूत होती हैं। इसे बनाने के लिए नीम और तुलसी के पत्तों का पेस्ट बना लें। फिर इसे बालों की जड़ों में लगा लें और 20 से 30 मिनट बाद हल्के शैंपू से धो लें।स्किन और बालों के लिए आयुर्वेदिक टिप्सघरेलू उपाय करने के साथ-साथ लोगों को अपने शरीर, मन और आहार का संतुलन रखना भी जरूरी है।-रोजाना नींद पूरी लें।-सात्त्विक और हल्का भोजन करें।-ज्यादा तला-भुना और प्रोसेस्ड फूड से परहेज करें।-सर्दियों में गुनगुना पानी पिएं।-स्ट्रेस कम लें।निष्कर्षआयुर्वेदिक तरीकों से स्किन और बाल तो सेहतमंद बनते ही है, साथ ही इन तरीकों को अपनाने से कोई साइड इफैक्ट नहीं होता। इसलिए लोगों को केमिकल्स से दूरी बनाकर ऐसे ही नेचुरल तरीके अपनाने चाहिए ताकि इनका असर लंबे समय तक रहे।
- आज के समय में बहुत से लोग जोड़ों के दर्द और मांसपेशियों के कमजोर होने की समस्याओं से परेशान रहते हैं। ऐसे में इससे राहत के लिए कैस्टर ऑयल का इस्तेमाल किया जा सकता है। कैस्टर ऑयल में अच्छी मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट्स, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल के गुण होते हैं, जो मांसपेशियों के लिए कई तरीकों से फायदेमंद है। अरंडी यानी कैस्टर ऑयल की तासीर गर्म होती है। ऐसे में इसका इस्तेमाल करने से मांसपेशियों को रिलैक्स करने और इससे जुड़ी समस्याओं से राहत देने में मदद मिलती है।मांसपेशियों के लिए अरंडी के तेल के फायदेमांसपेशियों की ऐंठन कम करेकैस्टर ऑयल की तासीर गर्म होती है। ऐसे में इसका इस्तेमाल करने से ये जोड़ों के दर्द या वातजन्य दर्द को कम करने और मांसपेशियों की ऐंठन या जकड़न को कम करने में मदद मिलती है।मांसपेशियों को एनर्जी देकैस्टर ऑयल से जोड़ों की मालिश करने से थकी हुई मांसपेशियों को एनर्जी देने में मदद मिलती है, जिससे चलने-फिरने, सीढ़िया-चढ़ने या अन्य कामों को करने में होने वाली परेशानियों को दूर करने में मदद मिलती है।जोड़ों की चिकनाई बढ़ाएकैस्टर ऑयल से मालिश करने से जोड़ों में चिकनाई को बनाए रखने, जोड़ों के दर्द को कम करने और मांसपेशियों को रिलैक्स करने में मदद मिलती है, जो स्वास्थ्य के लिए कई तरीकों से फायदेमंद है।मांसपेशियों को रिलैक्स करेकैस्टर ऑयल में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट्स के गुण होते हैं। इसका इस्तेमाल करने से मांसपेशियों को रिलैक्स करने और सूजन को कम करने में मदद मिलती है। इससे कार्यों को बेहतर करने और जोड़ों से जुड़ी समस्याओं से राहत देने में मदद मिलती है।मांसपेशियों के दर्द को कम करेकैस्टर ऑयल में एंटी-ऑक्सीडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी के गुण होते हैं। इसका इस्तेमाल करने से मांसपेशियों के दर्द को कम करने, रिलैक्स करने और सूजन को कम करने में मदद मिलती है। इससे घुटने, कमर और गर्दन के दर्द को कम करने और इनकी सूजन को कम करने में मदद मिलती है।मांसपेशियों के लिए कैस्टर ऑयल का इस्तेमाल कैसे करें?मांसपेशियों को रिलैक्स करने और दर्द को कम करने के लिए कैस्टर ऑयल को मालिश करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे मांसपेशियों की कई समस्याओं से राहत देने में मदद मिलती है।निष्कर्षअरंडी यानी कैस्टर ऑयल से जोड़ों की मालिश करने से मांसपेशियों की ऐंठन को कम करने, इनको रिलैक्स करने, मांसपेशियों को एनर्जी देने, जोड़ों की चिकनाई को बेहतर करने, सूजन को कम करने और मांसपेशियों के दर्द कम करने में मदद मिलती है। ध्यान रहे, कैस्टर ऑयल का इस्तेमाल करने से पहले पैच टेस्ट जरूर करें। किसी भी तरह की परेशानी होने पर इसका इस्तेमाल करने से बचें। इसके अलावा, जोड़ों से जुड़ी अधिक समस्या महसूस होने पर डॉक्टर से सलाह जरूर लें, हल्की एक्सरसाइज करें और हेल्दी लाइफस्टाइल को फॉलो करें।
- सर्दियों के दिनों में होंठों का फटना एक बहुत आम समस्या हो जाती है। विशेषकर, जो लोग बाइक से ट्रैवल करते हैं, चलती गाड़ी में हवा लगने की वजह से उनके होंठ फटने लगते हैं। अगर समय रहते होंठों की केयर न की जाए, तो होंठों से खून भी आना शुरू हो जाता है। ऐसे में कई लोग होंठों पर तरह-तरह के प्रोडक्ट्स यूज करते हैं या लिप बाम लगाते हैं। क्या आप जानते हैं कि होंठों को फटने से रोकने के लिए आप घी का इस्तेमाल कर सकते हैं? इससे होंठ सॉफ्ट हो जाते हैं। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि सर्दियों में फटे होंठों पर घी लगाने के क्या-क्या फायदे मिलते हैं।आयुर्वेदिक एक्सपर्ट्स की मानें, तो होंठों पर घी लगाना बहुत अच्छा होता है। इसमें फैटी एसिड, विटामिन A और E होता है, जिससे स्किन हाइड्रेट रहती है। यह स्किन को लंबे समय तक सॉफ्ट बनाए रखने में मदद करता है। NCBI की एक रिपोर्ट भी बताती है कि घी फैटी एसिड का अच्छा स्रोत है।बेहतर रिकवरी: एक्सपर्ट्स बताते हैं कि होंठ फटने पर न केवल दर्द का एहसास होता है, बल्कि कभी-कभी ब्लीडिंग भी होने लगती है। अगर समय पर ध्यान न दिया जाए, तो स्थिति और बिगड़ सकती है। नियमित रूप से घी लगाने से रिकवरी तेजी से होती है। असल में, घी में एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व होते हैं, जो घाव को भरने में मदद करते हैं।नेचुरल बैरियर: सर्दियों में हमारी स्किन की नेचुरल प्रोटेक्टिव लेयर को नुकसान पहुंचता है। घी में ऐसे तत्व होते हैं जो इस लेयर को प्रोटेक्ट करते हैं, जिससे होंठों का नेचुरल मॉइस्चर लॉक होता है और सर्द हवाओं से बचाव होता है।फटे होंठों पर घी लगाकर हल्के हाथों से मालिश करें। इससे लिप्स एक्सफोलिएट होते हैं और डेड सेल्स रिमूव हो जाते हैं, जिससे होंठ ज्यादा सॉफ्ट बनते हैं। साथ ही, होंठों का नेचुरल ग्लो भी बढ़ता है।पिग्मेंटेशन में कमी: नियमित रूप से घी लगाने से होंठों के डार्क स्पॉट्स कम होते हैं और पिग्मेंटेशन में कमी आती है। घी में मौजूद विटामिन E स्किन टोन में सुधार करता है और डार्कनेस को दूर कर होंठों के रंग को बेहतर बनाता है।होंठों पर घी लगाने के क्या फायदे हैं?-होंठों पर घी लगाने से वे सॉफ्ट, हाइड्रेटेड और गुलाबी होते हैं। घी एक नेचुरल मॉइस्चराइजर है जो फटे होंठों को ठीक करने और डेड सेल्स को हटाने में मदद करता है।-घी में विटामिन A, E और फैटी एसिड होते हैं, जो फटे होंठों को गहराई से रिपेयर करते हैं और उन्हें मॉइस्चराइज रखते हैं।-फटे होंठों पर घी, नारियल तेल, शहद या एलोवेरा जेल जैसी नेचुरल चीजें लगानी चाहिए। ये होंठों की नमी बरकरार रखते हैं और उन्हें सॉफ्ट बनाते हैं।
- डायबिटीज को कंट्रोल करने में सिर्फ क्या खाते हैं? ही नहीं, बल्कि कब खाते हैं? वाला सवाल भी खुद से पूछना चाहिए क्योंकि यह भी उतना ही जरूरी है। खाने का सही समय इंसुलिन सेंसिटिविटी, हार्मोनल बैलेंस और मेटाबॉलिक हेल्थ को प्रभावित करता है, जो ब्लड शुगर को संतुलित रखने के लिए बेहद अहम हैं। भारत में, जहां लाइफस्टाइल डिजीज तेजी से बढ़ रही हैं, यह समझना लाखों लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है कि डायबिटीज में समय पर खाने की आदत एक बड़ी भूमिका क्यों निभाती है? इस लेख में समझेंगे कि आखिर शुगर लेवल कंट्रोल करने के लिए मील टाइमिंग क्यों जरूरी है?समय पर खाने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल होता है-हमारे शरीर में सर्केडियन रिदम नाम की एक इंटरनल क्लॉक होती है, जो ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल करती है। तय समय पर खाना खाने से ब्लड शुगर के अचानक बढ़ने या गिरने की समस्या से बचाव होता है। इसके उलट, कभी देर रात खाना, कभी नाश्ता छोड़ देना, ये आदतें इंसुलिन रेजिस्टेंस को बढ़ाती हैं। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन में प्रकाशित अध्ययनों के अनुसार, 10 से 12 घंटे की तय ईटिंग विंडो में खाना खाने से टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में शुगर कंट्रोल 20 से 30% तक बेहतर हो सकता है।सुबह 8 बजे नाश्ता, 1 बजे लंच और 7 बजे डिनर करेंअगर नाश्ते की बात करें, तो डायबिटिक मरीजों के लिए नाश्ता दिन का अहम मील है। अगर नाश्ता स्किप करेंगे, तो कोर्टिसोल और ग्लूकागोन हार्मोन (Glucagon Hormone) बढ़ने की वजह से होता है। वहीं, हर तीन से चार घंटे में संतुलित भोजन करने से दवाओं का असर बेहतर होता है, एनर्जी बनी रहती है और ज्यादा भूख लगने से होने वाली ओवरईटिंग की समस्या कम होता है। जैसे सुबह आठ बजे ओट्स के साथ नट्स, दोपहर एक बजे लंच करना और शाम करीब सात बजे डिनर, यह बॉडी के नेचुरल इंसुलिन रिदम को फॉलो करता है।सोने से तीन घंटे पहले आखिरी मील लेंदिन के उजाले में खाना खाने से कई मरीजों का एचबीए1सी (HbA1c) लेवल काफी हद तक कम हुआ है। रात में देर से खाने से मेलाटोनिन कम होता है, जिससे नींद और ग्लूकोज एब्जॉर्ब होने की प्रक्रिया दोनों प्रभावित होते हैं। कोशिश करें कि सोने से कम से कम तीन घंटे पहले आखिरी मील हो। इससे ओवरनाइट फास्टिंग होती है, फैट बर्न बढ़ता है और सुबह होने वाला शुगर स्पाइक कम होती है।निष्कर्ष:लंबे समय में, मील टाइमिंग डायबिटीज कंट्रोल का एक मजबूत हथियार है। इसे पोर्शन कंट्रोल, एक्सरसाइज और शुगर मॉनिटरिंग के साथ जोड़ें। यह आसान और असरदार तरीका है। इसे आज से ही शुरू करें और खाने का सही समय अपनाकर अपनी सेहत को बेहतर बनाएं।
- मजबूत रोग प्रतिरोधक क्षमता बीमारियों से लड़ने और हमें स्वस्थ रखने के लिए शरीर का प्राकृतिक कवच है। हालांकि जब हम इम्यूनिटी की बात करते हैं, तो अक्सर हमारा ध्यान सिर्फ विटामिन C पर जाता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि मजबूत इन्यूनिटी के लिए विटामिन सी का सेवन करना बहुत जरूरी है।मगर विटामिन C के साथ-साथ कई अन्य प्रमुख पोषक तत्वों को डाइट में शामिल करना सेहत के लिए फायदेमंद होती है। यह एक जटिल प्रक्रिया है जहां प्रत्येक पोषक तत्व अपनी विशिष्ट भूमिका निभाता है। विटामिन C जहां संक्रमण से लड़ने वाली व्हाइट ब्लड सेल्स के उत्पादन को बढ़ाता है, वहीं जिंक T-सेल्स को सक्रिय करता है, और विटामिन D प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करता है।इसलिए अगर आप सचमुच अपनी इम्यूनिटी को मजबूत करना चाहते हैं, तो एक संतुलित आहार अपनाना जरूरी है जो इन सभी आवश्यक पोषक तत्वों की आपूर्ति करता हो, ताकि शरीर को रोगों से लड़ने के लिए एक संपूर्ण पोषण कवच मिल सके।विटामिन C और Eविटामिन C एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है जो आपकी व्हाइट ब्लड सेल्स को ठीक से काम करने में मदद करता है। इसके लिए संतरा, नींबू, शिमला मिर्च, और कीवी का सेवन करें। इसके साथ ही, विटामिन E भी एक बेहतरीन एंटीऑक्सीडेंट है जो कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्स से होने वाली क्षति से बचाता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को अच्छे से काम करने में मदद करता है। विटामिन E के लिए बादाम, सूरजमुखी के बीज और एवोकाडो का सेवन कर सकते हैं।जिंक: प्रतिरक्षा कोशिकाओं की कार्यक्षमताजिंक एक आवश्यक ट्रेस मिनरल है जो प्रतिरक्षा प्रणाली की लगभग हर अवस्था में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह T-कोशिकाओं और अन्य प्रतिरक्षा कोशिकाओं को विकसित करने और उन्हें सक्रिय करने में मदद करता है। जिंक की कमी से इम्यूनिटी कमजोर हो सकती है और संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। अपनी कोशिकाओं को स्वस्थ रखने के लिए कद्दू के बीज, काजू, छोले और दालों को आहार में शामिल करें।विटामिन D के कई स्वास्थ्य लाभविटामिन D केवल हड्डियों के लिए ही नहीं, बल्कि इम्यूनिटी के लिए भी बेहद महत्त्वपूर्ण है। यह प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करने में मुख्य भूमिका निभाता है। शोध बताते हैं कि विटामिन D की कमी से श्वास संबंधी संक्रमणों का खतरा बढ़ सकता है। विटामिन डी के लिए आप रोज एक घंटे धूप में रहें, इसके साथ आप वसायुक्त मछली, फिश लिवर ऑयल, और फोर्टिफाइड दूध जैसे आहारों का सेवन कर सकते हैं।अन्य महत्त्वपूर्ण पोषक तत्वमजबूत इम्यूनिटी के लिए प्रोटीन आवश्यक है, क्योंकि यह एंटीबॉडी और अन्य इम्यूनिटी से जुड़ी चीजों के लिए आधार प्रदान करता है। इसके लिए अंडे, पनीर, और लीन मीट लें। इसके अलावा आंत के स्वास्थ्य के लिए प्रोबायोटिक्स (दही, छाछ) और फाइबर भी जरूरी हैं, क्योंकि आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली का एक बड़ा हिस्सा आंतों में ही स्थित होता है।
- सर्दियों के सीजन में आने वाला अमरूद किसी सुपरफूड से कम नहीं है। इसमें संतरे से चार गुना ज्यादा विटामिन सी मौजूद होता है। साथ ही लाइकोपीन और फ्लेवनॉयड्स जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स मौजूद होते हैं, जो आपकी इम्यूनिटी, हार्ट हेल्थ, स्किन हेल्थ और गट हेल्थ के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। वैसे तो अमरूद को कच्चा खाना भी बेनिफिशियल होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं आयुर्वेद में भुना हुआ अमरूद खाने के और भी ज्यादा फायदे बताए गए हैं। हल्का सा रोस्ट करने के बाद अमरूद किसी दवा की तरह काम करता है और हीलिंग सुपरफूड बन जाता है। डॉ रविन्द्र कौशिक ने एक इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए भुना हुआ अमरूद खाने के फायदे शेयर किए हैं, आइए जानते हैं।भूनने से कई गुना बढ़ जाते हैं अमरूद के गुणडॉ रविन्द्र बताते हैं कि जब आप अमरूद को भूनकर खाते हैं, तो इसके गुण और भी ज्यादा बढ़ जाते हैं। ये एक तरह की दवा बन जाता है, जो आपके गट, मेटाबॉलिज्म, शुगर और गले के लिए बहुत फायदा करता है। हल्का भूनने से अमरूद के फाइबर सॉफ्ट हो जाते हैं, जिससे इसे पचाना भी आसान हो जाता है और आपका शरीर इसे बेहतर ढंग से एब्जॉर्ब कर पाता है।भुना अमरूद खाने से क्या-क्या फायदे होते हैं?डॉक्टर कहते हैं भुना हुआ अमरूद खाना एक पुरानी आयुर्वेदिक रेमेडी है। इसे खाने से डायरिया में तुरंत आराम मिलता है और गले का दर्द और खांसी भी दूर होती है। इतना ही नहीं ये ब्लड शुगर स्पाइक को कंट्रोल करने में भी मदद करता है। अगर आपको एसिडिटी, गैस बनी रहती है तो ये इवनिंग के लिए परफेक्ट वॉर्म स्नैक का काम कर सकता है।दो तरह से भूनकर खा सकते हैंअमरूद को भूनने के लिए आप दो आयुर्वेदिक तरीके अपना सकते हैं। पहला तो इसे सीधा आंच पर भून लें, फिर इसे छिलकर खा लें। दूसरा आप इसे तवे पर 2-3 मिनट के लिए रोस्ट कर सकते हैं। इससे ये बहुत ही खुशबूदार और सॉफ्ट बनता है। अब अगर आपको पाचन में दिक्कत है, तो काले नमक के साथ इसे खाएं। गले से जुड़ी समस्या है, तो काली मिर्च बुरक लें, वहीं एसिडिटी है तो 2-3 बूंद देसी घी की डालकर इसका सेवन करें।ये लोग खाने से परहेज करेंडॉ रविन्द्र कौशिक आगे बताते हैं कि यूं तो ज्यादातर लोगों के लिए भुना हुआ अमरूद खाना बहुत फायदेमंद है, लेकिन कुछ लोगों को इसे खाने से परहेज करना चाहिए। उदाहरण के लिए अगर आपको ज्यादा कब्ज की शिकायत है तो इसे अवॉइड करें। वहीं अगर आप ड्राई वात बॉडी टाइप वाले हैं या एनल फिशर (गुदा विदर) की समस्या है, तो डॉक्टर की सलाह के बिना खाना अवॉइड करें।
- सर्दियों की ठंडी हवा त्वचा से नमी छीन लेती है और सिर पर सफेद पपड़ी यानी डैंड्रफ आ सकता है। ड्राई स्किन और डैंड्रफ महंगे प्रोडक्ट से नहीं से नहीं जाता, बल्कि समझदारी से ठीक हो सकता है। हमारी दादी-नानी के नुस्खे आज भी काम के हैं।सर्दियों में रूखी त्वचा और डैंड्रफ कोई बीमारी नहीं, बल्कि गलत देखभाल का नतीजा है। केमिकल से भरे प्रोडक्ट पलभर की राहत तो देते हैं, पर जड़ से समस्या नहीं मिटाते हैं। अगर आप चाहते हैं आपकी त्वचा और बालों में नेचुरल चमक आए। स्कैल्प हेल्दी बनाने और डैंड्रफ से छुटकारा पाने के लिए कुछ घरेलू उपाय काम आएंगे, वो भी बिना किसी साइड इफेक्ट के। यहां सर्दियों की रूखी त्वचा और बालों में डैंड्रफ से छुटकारा दिलाने के घरेलू नुस्खों के बारे में बताया जा रहा है।नारियल तेल और कपूरये नुस्खा ड्राई स्किन और डैंड्रफ दोनों के लिए काम का है। गुनगुने नारियल तेल में चुटकीभर कपूर मिलाकर मालिश करें। यह स्कैल्प में रक्त संचार बढ़ाता है और फंगल डैंड्रफ को खत्म करता है। वहीं त्वचा को कोमल बनाता है।एलोवेरा जेलएलोवेरा सर्दियों की सबसे भरोसेमंद सामग्री है। एलोवेरा जेल को सीधे चेहरे और सिर की त्वचा पर लगाएँ। यह सूजन कम करता है, खुजली शांत करता है और खोई नमी लौटाता है।सरसों का तेलठंड में त्वचा की देखभाल के लिए यह असरदार नुस्खा है। रात को गुनगुना सरसों का तेल शरीर और सिर व बालों पर लगाएं। यह त्वचा को अंदर तक पोषण देता है और रूखापन दूर करता है।दही और नींबू का हेयर पैकसिर की रूसी से छुटकारा चाहिए तो दही में कुछ बूंद नींबू का रस मिलाकर स्कैल्प पर लगाएं। इससे डैंड्रफ साफ होता है और बाल मुलायम बनते हैं। आप ये पैक हफ्ते में 1 बार लगा सकते हैं।--
- आज की व्यस्त जीवन शैली में पेट से जुड़ी समस्याएं जैसे डायरिया, सूजन, कब्ज, गैस अपच और अनियंत्रित ब्लड शुगर होना काफी आम बात हो चुकी है। प्रोसैस्ड फूड, गलत खान-पान, अनियमित दिनचर्या और तनाव इन समस्याओं को और भी बढ़ा देते हैं।आयुर्वेद में ऐसे कई सरल घरेलू उपाय बताए गए हैं, जो बिना किसी साइड इफेक्ट के पेट की समस्याओं को सुधारने में मदद करते हैं। सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने अमरूद के पत्तों का पानी पीना बहुत ही प्रभावशाली बताया है।सद्गुरु के अनुसार (Ref) , अमरूद में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स, माइक्रोन्यूट्रिएंट्स और इसके एंटीमाइक्रोबियल गुण पेट के कई समस्या को भीतर से ठीक करने में सक्षम है। यह कब्ज दूर करने के साथ-साथ डायरिया में भी तुरंत राहत देता है। (Photo Credit): iStockकैसे बनाएं अमरूद के पत्तों का पानीअमरूद के पत्तों का पानी बनाना बहुत ही आसान है। सद्गुरु के अनुसार, इसे बनाने के लिए आपको ताजा और साफ अमरूद के 7 से 10 हरे पत्ते लेकर इन्हें अच्छी तरह धोकर धूल मिट्टी हटा लेना है। एक छोटे बर्तन में दो कप पानी लें और उसमें अमरूद के पत्तों को डालकर 8 से 10 मिनट तक उबालें। पानी का रंग हल्का भूरा होते ही गैस बंद कर दें। अब इसे थोड़ा ठंडा होने दें और छानकर पी लें। आप चाहे तो इसमें थोड़ा शहद भी मिला सकते हैं लेकिन डायबिटिक लोगों को इसे बिना मिठास के ही पीना चाहिए।कब्ज में तुरंत राहतआजकल हर उम्र के लोगों को कब्ज की समस्या हो रही है। अमरूद के पत्तों में मौजूद फाइबर, डिटॉक्सिफाइंग एजेंट और नेचुरल एंजाइम्स आंतों को सक्रिय बनाते हैं। अमरूद का पानी पेट में जमे हुए सुखे मल को नरम बनाता है और आंतों को लुब्रिकेट भी करता है। इससे मल त्यागने में आसानी होती है। अमरूद के पत्तों में क्वरसिटिन मौजूद होता है। यह आंतों की सूजन को कम करता है और गट माइक्रोबायोम को संतुलित बनाता है।फूड इन्फेक्शन और डायरिया में राहतअगर किसी को अचानक डायरिया या फूड इंफेक्शन हो जाए तो अमरूद के पत्तों का पानी पीने से तुरंत आराम मिलता है। अमरूद के पत्तों में पाए जाने वाले एंटीमाइक्रोबियल गुण हमारे पेट में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म करते हैं। यह आंतों की सूजन को कम करता है और इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस करने में भी मदद करता है। अमरूद के पत्ते का पानी पीने से पेट के इंफेक्शन और बैक्टीरियल ग्रोथ को नियंत्रित करने में आसानी होती है।ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में सहायकसद्गुरु के अनुसार, अमरूद के पत्तों का पानी पीने से ब्लड शुगर लेवल संतुलित होता है। अमरूद के पत्तों में मौजूद कंपाउंड ग्लूकोज के अब्जॉर्प्शन को स्लो करता हैं, जिससे भोजन के बाद शुगर स्पाइक तेजी से नहीं होता। टाइप टू डायबिटीज वाले लोगों के लिए यह फायदेमंद है। इसके सेवन से शुगर लेवल स्थिर रहता है और भूख भी संतुलित होती है।एसिडिटी, गैस और पेट फूलने में आरामअमरूद के पत्तों में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। इससे पेट फूलना, भारीपन, गैस या एसिडिटी जैसी समस्याओं में आराम मिलता है। इस पानी को पीने से पेट की गर्मी शांत होती है और एसिड का निर्माण कम होता है। जो लोग ज्यादा तेल मसाला खाते हैं उनके लिए इसे पीना फायदेमंद है। सद्गुरु कहते हैं कि अमरूद के पत्तों का पानी पीने से पाचन तंत्र बेहतर होता है।गट हेल्थ बनती है मजबूतअमरूद के पत्तों में विटामिन सी, नेचुरल एंटीबैक्टीरियल तत्व और भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है। इसका सेवन करने से गट हेल्थ बेहतर होती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है। इसका पानी पीने से आंतों में लाभदायक बैक्टीरिया बढ़ते हैं और हानिकारक बैक्टीरिया कम होते हैं। नियमित रूप से इसका सेवन करने से पेट से जुड़ी कई समस्याएं दूर होती हैं। यह एक नेचुरल प्रोबायोटिक की तरह काम करता है।
- सर्दियों में हरी और ताजी सब्जियों की भरमार रहती है। मूली, गाजर, गोभी और हरे साग के अलावा सांगरी भी खूब मिलती है। जिसे पंजाबी में मूंगरी और राजस्थान में सांगरी के नाम से जानते हैं। आमतौर पर मूली की फली या अंग्रेजी में रेडिश पॉड के नाम पर भी लोग इसे जानते हैं। ये सब्जी खाने के काफी सारे फायदे हैं। इसलिए डाइट में सांगरी को जरूर शामिल करना चाहिए। न्यूट्रिशनिस्ट लीमा महाजन इस न्यूट्रिशन से भरपूर सब्जी को खाने के पूरे 6 तरीके बता रही हैं। जिसे आप भी जरूर नोट कर लें।सांगरी के फायदेसांगरी या मूंगरी खाने के हेल्थ को कई सारे फायदे हैं। ये फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती है। इसलिए सांगरी खाने के ये फायदे जरूर नोट कर लें।हाई फाइबर से भरपूर होने की वजह से सांगरी पेट के लिए फायदेमंद बताया गया है। ये डाइजेशन को स्मूद करती है और…
- भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अपनी सेहत का सही ढंग से ख्याल नहीं रख पा रहे हैं। इससे उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, खराब खानपान से सबसे ज्यादा दिक्कत कब्ज से देखने को मिल रही है। ये एक आम दिक्कत है, लेकिन इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। सही खान-पान, पानी पीने का तरीका और लाइफस्टाइल में छोटे-मोटे बदलाव करके इस समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है।आयुर्वेद और घरेलू नुस्खों में ऐसी कई चीजें बताई गई हैं जो आपको कब्ज से राहत दिलाने में मददगार साबित हो सकती हैं। हाल ही में इंस्टाग्राम पर मुंबई की सेलिब्रिटी न्यूट्रिशनिस्ट श्वेता शाह ने एक पोस्ट शेयर किया है। इस दौरान उन्होंने जानकारी दी है कि आमतौर पर लोग कब्ज होने पर जीरा पानी पीते हैं। हालांकि घी का पानी पीने से भी आपको इस समस्या से निजात मिल सकती है।जीरा पानी की जगह पिएं घी का पानी--श्वेता ने बताया कि जीरा पानी डाइजेशन के लिए अच्छा माना जाता है, लेकिन कब्ज के लिए ये सही ऑप्शन नहीं हाे सकता है। य मल को मुलायम करने में सीधा फायदा नहीं देता है। उन्होंने कहा कि इसकी जगह घी का पानी ज्यादा फायदेमंद है। एक गिलास हल्के गुनगुने पानी में आधा से एक चम्मच देसी घी मिलाकर पीना काफी आराम देता है।कैसे काम करता है घी का पानी?घी आंतों में चिकनाई देता है, जिससे मल नरम होता है और आसानी से बाहर निकल जाता है। ये तरीका तुरंत असर दिखाता है। अगर आप कब्ज की समस्या से परेशान रहती हैं, तो ये आपकी मदद कर सकता है।कब्ज होने पर क्या खाएं?अगर आप अनार खाती हैं और आपको कब्ज है, तो ये आप पर भारी पड़ सकता है। दरअसल, अनार में टैनिन नाम का तत्व होता है, जो मल को बांध देता है। इसलिए कब्ज के समय अनार खाना पाचन को और धीमा कर सकता है। ऐसे में आपको पपीता खाना चाहिए। इसमें मौजूद पैपेन एंजाइम और भरपूर फाइबर आंतों को आराम पहुंचाते हैं।घी का पानी पीने से मिलते हैं और भी कई फायदे---00 डाइजेशन सुधारे00 मेटाबॉलिज्म बूस्ट करे00 त्वचा निखारने में कारगर00 एनर्जी लेवल बनाए रखे00 जोड़ों के दर्द से दिलाए राहतजरूरी सलाह---00 कब्ज के दौरान दिनभर सात से आठ गिलास पानी जरूर पिएं।00 थोड़ी-बहुत वॉक, स्ट्रेचिंग या हल्की एक्सरसाइज रोज करें।00 अगर समस्या कई दिनों से बनी हुई है, तो डॉक्टर या डाइटीशियन से सलाह लेना जरूरी है।
- यूरोलॉजिस्ट ने बताए 5 सॉल्यूशनट्रैवल के दौरान यूरिन रोकने की आदत महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए हार्मफुल होती है। आज के समय में हर कोई घर से बाहर निकल रहा। लेकिन साफ वाशरूम की दिक्कत की वजह से महिलाएं अक्सर पब्लिक टॉयलेट अवॉएड करती हैं। वहीं काफी सारे पुरुष भी अक्सर लंबे ट्रैवल, फ्लाइट में पेशाब जाना अवॉएड करते हैं। ऐसे में ये आदत किडनी पर बुरा असर डालती है और किडनी डैमेज के खतरे को बढ़ा देती है। इसलिए एम्स, भोपाल के यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर मोहित यूरोवाला ने ट्रैवल के दौरान पेशाब ना रोकना पड़े इसके लिए ये 5 सॉल्यूशन बताए हैं। जिससे किडनी पर बुरा असर ना पड़े।ट्रैवल के दौरान यूरिन रोकना पड़ जाता है तो यूरोलॉजिस्ट के ये 5 हैक जान लें। जिससे किडनी पर नहीं होगा बुरा असरस्मार्ट हाइड्रेशनयूरोलॉजिस्ट की ये सलाह ट्रैवल करने वाले हर इंसान के लिए फायदेमंद है। जो पेशाब रोकने के लिए घंटों पानी नहीं पीते। जिसकी वजह से किडनी डैमेज होने का खतरा रहता है। स्मार्ट हाइड्रेशन रूल को फॉलो करें। मतलब एक साथ ढेर सारा पानी पीने की बजाय थोड़ी-थोड़ी देर में एक-एक घूंट पानी पिएं। इससे जल्दी से पेशाब लगने की समस्या से बचे रहेंगे।ट्रैवल में ना पिएं ये ड्रिंकअगर आपको लंबी जर्नी करनी है, फ्लाइट या प्राइवेट कार, कैब या टैक्सी से तो इन डिहाइड्रेट करने वाले ड्रिंक्स को ना पिएं। चाय, कॉफी, एल्कोहल, सॉफ्ट ड्रिंक्स ये ड्रिंक्स बॉडी से सारे पानी को बाहर कर देती हैं। जिसकी वजह से किडनी को वर्क करने के लिए ज्यादा प्रेशर पड़ता है।लंबे टाइम तक ना रोकें पेशाबअगर किडनी को स्वस्थ रखने के साथ ही ब्लैडर को हेल्दी रखना चाहते हैं। साथ ही इंफेक्शन से बचना है तो ट्रैवल में रेस्टरूम का यूज जरूर करें। काफी लंबे टाइम तक पेशाब को रोककर रखने से ना केवल यूरिन इंफेक्शन का खतरा बढ़ता है बल्कि ये ब्लैडर को भी वीक कर देती है।राइट फूड्स् चुनेंट्रैवल के दौरान चिप्स, स्नैक्स, प्रोसेस्ड फूड्स को ना खाएं। एक्सेस सोडियम की वजह से पानी पीने की जरूरत महसूस होगी। और अगर पेशाब ना जाने के लिए पानी कम पिएंगे तो किडनी पर प्रेशर बढ़ेगा और अगर पानी पिएंगे तो पेशाब जाने की जरूरत पड़ेगी। जिसे होल्ड करने पर किडनी में इंफेक्शन का खतरा रहेगा। इसलिए हेल्दी फूड्स जैसे दही, नारियल पानी, फलों को ट्रैवल में खाएं।यूरिन कलर पर नजर रखेंअगर आप फ्रिक्वेंटली ट्रैवल करते हैं तो यूरिन कलर को जरूर मॉनिटर करते रहें। जिससे किडनी की समस्या का पता समय पर चल सके। हल्का पीला रंग हेल्दी यूरिन का सिग्नल होता है। अगर इसमे लगातार बदलाव दिख रहा तो मतलब किडनी या ब्लैडर में प्रॉब्लम है।
- पहले तो लोग सिर्फ टीवी देखा करते थे,वो भी दूर से। लेकिन आज हर किसी के पास फोन है, जिसमें सभी दिनभर घुसे रहते हैं। साथ ही कॉलेज की पढ़ाई और ऑफिस का काम भी लैपटॉप में होने लगा है। यह सभी आदतें हमारी आंखों को तो कमजोर कर रही रही है, साथ ही डार्क सर्कल्स की समस्या को भी बढ़ रही है। ऐसे में हर कोई परेशान रहता है कि आंखों के नीचे दिखने वाले इन काले घेरों को ठीक कैसे करें? आपकी परेशानी कम करने के लिए आज हम आपको इस लेख में 5 ऐसे तरीकों के बारे में बताने वाले हैं जो डार्क सर्कल्स की काफी हद तक हल्का करने में मदद करेंगे।पहला नुस्खा है आलू और शहद काआलू में ब्लिचिंग गुण होते हैं तो आंखों के नीचे जमे काले घेरों को हल्का करने में मदद करते हैं। वहीं शहद में मौदूज एंटीऑक्सीडेंट्स और हाइड्रेटिंग गुण होते हैं, जो त्वचा को ड्राई होने से बचाते हैं। इन दोनों का एक साथ इस्तेमाल आपको बेहतर रिजल्ट देगा। आपको बस एक चम्मच आलू के रस में आधा चम्मच शहद मिलाकर अपनी आंखों के नीचे लगाना है। इसे 10-15 मिनट तक रखने के बाद पोछ दें ।खीरे का रसखीरा आंखों के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद होता है। दरअसल आपका कम पानी पीना डार्क सर्कल्स का कारण बन सकता है। इसके इस्तेमाल करने के लिए आपको चाहिए 4-5 चम्मच खीरे का रस और 2 कॉटन पैड। कॉटन पैड को आप खीरे के रस में भिगोकर अपनी आंखों पर रख दें। इससे आपकी आंखों को आराम भी मिलेगा और डार्क सर्कल्स भी कम होंगे।हल्दी बेसन का पेस्टजिस तरह हेल्दी-बेसन का पेस्ट हमारे चेहरे से एक्ने-पिंपल्स के निशान को हल्का करने में फायदेमंद होता है। उसी तरह यह काले घेरों के लिए भी फायदेमंद होता है। आपको बस करना यह है कि सिर्फ आधा चम्मच बेसन लेना है और उसमें 1/4 चम्मच हल्दी डालकर अच्छे से मिक्स करनी है। इस पेस्ट को आप अपनी आंखों के आसपास काले घेरों पर लगाएं और 10 मिनट तक सूखने के लिए छोड़ दें।एलोवेरा जेल का इस्तेमालअगर आप हाइड्रेटिंग गुण वाले एलोवेरा जेल का अपनी आंखों पर लगाकर उससे मालिश करते हैं तो यह डार्क सर्कल्स को हल्का करने में फायदेमंद साबित हो सकता है। आपको बस जरूरत अनुसार एलोवेरा जेल लेना है और उसे आंखों पर लगाकर हल्के हाथों से सर्कुलेशन मोशन में मालिश करनी है। आप यह तरीका रात को सोने से पहले और सुबह उठकर भी आजमा सकते हैं।टमाटर का इस्तेमालअगर आप आलू का इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं तो फिर टमाटर का उपयोग कर सकते हैं। इसमें विटामिन सी, ब्लिचिंग प्रॉपर्टी और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जो त्वचा के जेंटली एक्सफोलिएट करने में मदद करता है। आप टमाटर के पल्प में थोड़ा सा शहद या गुलाब जल मिलाकर अपनी आंखों पर लगा सकते हैं।(यह आर्टिकल केवल सामान्य जानकारी और सलाह देता है। यह किसी भी तरह से चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। इसलिए अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर करें।)
- सर्दियों में जब ठंड शरीर को धीमा कर देती है और दिमाग भी थोड़ा सुस्त सा महसूस करता है, तब एक गर्म कप हॉट कोको सिर्फ टेस्ट ही नहीं, बल्कि हेल्थ बूस्ट भी देता है। कोको में मौजूद फ्लेवोनॉल्स, एंटी-ऑक्सीडेंट्स और अन्य कंपाउंड्स इसे एक ऐसा ड्रिंक बनाते हैं जो शरीर और दिमाग दोनों को अंदर से एनर्जी देता है। कई स्टडीज में भी देखा गया है कि हॉट कोको सिर्फ एक चॉकलेट ड्रिंक नहीं, बल्कि मेटाबॉलिज़्म, हार्ट हेल्थ, ब्रेन फंक्शन और ओवरऑल वेलनेस को सपोर्ट करने वाला एक नेचुरल टॉनिक है। कोको पाउडर को पानी में घोलकर पीने से मेटाबॉलिज़्म बेहतर होता है, कोलेस्ट्रॉल लेवल सुधरता है और स्टेम सेल हेल्थ को भी सपोर्ट मिलता है। एक से दो चम्मच कोको पाउडर का सेवन कर सकते हैं।कोको ड्रिंक का सेवन करने के फायदे-कोको ड्रिंक मेटाबॉलिज्म को सपोर्ट करती है।-कोको ड्रिंक पीने से टोटल कोलेस्ट्रॉल कम होता है।-इसे पीने से बैड कोलेस्ट्रॉल घटता है और गुड कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है।-ब्लड ग्लूकोज को बेहतर तरीके से कंट्रोल करने में मदद मिलती है।-नियमित रूप से कोको ड्रिंक पीने से बॉडी कंपोजिशन बेहतर होगा, कमर की चर्बी कम होगी और ओवरऑल वेलनेस में सुधार आएगा।कोको ड्रिंक पीने का सही तरीका-हाई-क्वालिटी, अनस्वीटेंड कोको पाउडर का इस्तेमाल करें।-एक कप गरम पानी में करीब दो चम्मच कोको पाउडर घोलें।इसमें चीनी न डालें।-दूध की बजाय पानी बेहतर रहता है क्योंकि इससे कैलोरी कम होती हैं।-इसे दिन में एक बार, खासकर सुबह या दोपहर के समय लें, ताकि एनर्जी और फोकस दोनों बेहतर बने।निष्कर्ष:हॉट कोको सिर्फ एक स्वादिष्ट ड्रिंक नहीं बल्कि शरीर और दिमाग दोनों के लिए नेचुरल हेल्थ बूस्टर है। अगर हेल्दी तरीके से इसका सेवन करेंगे, तो यह दिल की सेहत, ब्रेन फंक्शन और मूड को सपोर्ट करने में मदद करेगा।
- जैसे ही सर्दियां आती है, वैसे ही स्किन में ड्राई होने लगती है, बालों में रूखापन आ जाता है और कई लोगों को जोड़ों में दर्द की समस्या हो जाता है। इस मौसम में एनर्जी भी कम होने लगती है। आयुर्वेद के अनुसार, सर्दियों में वात दोष बढ़ जाता है और इसलिए इस मौसम में तेल का इस्तेमाल बेहद जरूरी है। तेल से न सिर्फ स्किन को नमी मिलती है, बल्कि यह मांसपेशियों को ताकत देता है। तेल का इस्तेमाल शरीर को अंदर से गर्म रखता है। इस लेख में आज जानते हैं कि आयुर्वेद के अनुसार, सर्दियों में कौन से तेल सबसे ज्यादा फायदेमंद होते हैं,....सर्दियों में बेस्ट आयुर्वेदिक 5 तेलनारियल तेलसर्दियों में जिन लोगों की स्किन बहुत ड्राई हो जाती है, पैची दिखती है, स्केली फील होती है या चमक गायब हो गई है, तो सर्दियों में नारियल तेल एक बेहतरीन विकल्प है। इसमें मौजूद वर्नेकर गुण होता है, जो स्किन को नेचुरल ग्लो देता है। स्किन की नमी को लंबे समय तक बनाए रखता है। दरअसल, नारियल का तेल हल्का होने की वजह से स्किन में जल्दी ऑब्जर्ब हो जाता है। इसके अलावा, जो लोग शारीरिक रूप से मजबूत होते हैं, यानी कि श्रेष्ठ बल वाले लोगों को एक्स्ट्रा मसल स्ट्रेंथ नहीं चाहिए, इसलिए उनके लिए नारियल तेल सबसे उपयुक्त है। कुल मिलाकर, सर्दियों में नारियल तेल सबसे आसान और सेफ ऑप्शन है।तिल का तेलआयुर्वेद में तिल के तेल को सर्दियों का राजा माना जाता है। यह बॉडी को गर्म रखता है, मांसपेशियों को एनर्जी देता है और पूरे शरीर को मजबूत बनाता है। हीन बल वाले लोग यानी की बहुत पतले और मध्यम बल वाले लोगों को मसल मास बढ़ाने की जरूरत होती है। उनके लिए तिल का तेल बहुत बेहतरीन विकल्प है। जिन लोगों को ठंड ज्यादा लगती है, उनके लिए भी तिल का तेल बहुत अच्छा रहता है। तिल का तेल शरीर को मजबूत बनाता है, वात दोष को संतुलित करता है। इस वजह से जोड़ों में दर्द को राहत मिलती है। बस इस बात का ध्यान रखें कि लंबे समय तक रोजाना तिल तेल लगाने से कुछ लोगों में स्किन थोड़ा डार्क दिख सकती है। ये हानिकारक नहीं है, बस मेलेनिन थोड़ा बढ़ जाता है।अरंडी का तेल - Caster Oilआयुर्वेद में अरंडी का तेल वातशामक तेल कहा गया है। इसका मतलब है कि यह हवा से जुड़े सारे लक्षण जैसे सूखापन, फड़कना, सूखे जोड़, अकड़न को कम करता है। जिन लोगों को सर्दियों में शरीर में फड़कन महसूस होती है, जोड़ों में अकड़न होती हो, बहुत ज्यादा ड्राई स्किन है, उन्हें अरंडी का तेल इस्तेमाल करना चाहिए। अरंडी का तेल वात और पित्त दोनों को शांत करता है, जोड़ों को आरामदायक बनाता है, कब्ज में फायदेमंद होता है और इसे अच्छा लुब्रिकेटिंग तेल माना जाता है। बस ध्यान रखने वाली बात यह है कि अरंडी का तेल थोड़ा भारी होता है, इसलिए इसे थोड़ा सा लेना ही काफी होता है।बादाम तेल - Almond Oilबादाम का तेल नरम, पोषक तत्वों से भरपूर तेल होता है। इसे विशेष रूप से चेहरे और संवेदनशील जगहों पर इस्तेमाल किया जाता है। जिन लोगों का चेहरा बहुत ज्यादा रूखा रहता है, चेहरे पर ग्लो नहीं है और ठंड में नाक सूखती है, उनके लिए बादाम का तेल बहुत ही बेहतरीन विकल्प है। बादाम का तेल स्किन को अंदर से पोषण देता है, चेहरे मुलायम हो जाता है, फाइन लाइन्स कम करने और स्किन का टेक्सचर सुधारने में मदद करता है। इसलिए लोग बादाम का तेल इस्तेमाल कर सकते हैं।देसी घी - Desi Gheeआयुर्वेद में घी को सर्वोत्तम माना गया है। सर्दियों में इसका आंतरिक सेवन (अभ्यंतर) भी किया जा सकता है या स्किन पर भी मालिश (अभ्यंग) की जा सकती है। सर्दियों में देसी घी शरीर को अंदर से लुब्रिकेशन देता है, वात दोष शांत करता है, मांसपेशियों और हड्डियों को पोषण देता है, स्किन और बालों पर ग्लो लाता है। बस, देसी घी की समस्या यह है कि यह काफी महंगा होता है और किसी के लिए रोजाना इसे लगाना संभव नहीं हो पाता, लेकिन सर्दियों में देसी घी का असर सबसे ज्यादा होता है।कौन सा तेल किसे चुनना चाहिए?तेल समस्यानारियल तेल- बहुत ज्यादा ड्राई स्किनतिल का तेल -पतली और मध्यम बॉडी वाले लोगअरंडी का तेल -जोड़ों में अकड़नबादाम का तेल -चेहरे पर ग्लो के लिएदेसी घी - संपूर्ण पोषण के लिएनिष्कर्षवैसे तो ऑलिव ऑयल भी सर्दियों में स्किन की ड्राईनेस कम करता है और बॉडी स्ट्रेंथ में मदद करता है, लेकिन आयुर्वेद में कहा गया है कि अपने देश से बाहर के तेलों को लंबे समय तक उपयोग करना उचित नहीं। इसलिए आयुर्वेदिक डॉक्टर इसे लेने की सलाह नहीं करते। लेकिन अगर किसी को सूट करता है तो इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन आयुर्वेदिक दृष्टि से सलाह नहीं दी जाती। आप अपने बॉडी टाइप को समझकर इन पांच तेलों में से किसी एक को चुन सकते हैं। नियमित अभ्यंग, सही आहार और अच्छी नींद के साथ यह मौसम बेहद आरामदायक और हेल्दी बन सकता है।
- सर्दियों का मौसम शुरू होते ही इम्यून सिस्टम धीमा होने लगता है और कई लोगों के बीमार होने की संभावना काफी ज्यादा बढ़ जाती है। ठंड के मौसम में सर्दी-जुकाम, बुखार, खांसी आदि समस्या बहुत आम होती है। खासकर बच्चों में वायरल इंफेक्शन, खांसी-जुकाम, बुखार और सर्दी लगना काफी सामान्य हो जाता है। आयुर्वेद में कई ऐसी जड़ी बूटियों के बारे में बताया गया है, जिसका सेवन बच्चों की इम्यूनिटी मजबूत करने के साथ, सर्दी-जुकाम, खांसी आदि जैसी वायरल समस्याओं से राहत दिलाने में मदद कर सकता है।1. अश्वगंधाअश्वगंधा एक शक्तिवर्धक और इम्यूनिटी बूस्टर जड़ी-बूटी के रूप में जानी जाती है। यह बच्चों के तनाव हार्मोन को कंट्रोल करने, एनर्जी बढ़ाने और इम्यूनिटी बूस्ट करने में मदद करती है। सर्दियों में बच्चों की कमजोरी, थकान, भूख न लगना और बार-बार बीमारी होने की समस्या को दूर करने में ये काफी फायदेमंद होती है।बच्चों को अश्वगंधा कैसे दें?बच्चों को अश्वगंधा खिलाना काफी आसान है। 5 से 12 साल के बच्चों को डॉक्टर की सलाह पर 1/4 से 1/2 चम्मच अश्वगंधा पाउडर गर्म दूध में मिलाकर पिला सकते हैं।। हालांकि, ध्यान रखें कि 2 साल से छोटे बच्चों को अश्वगंधा देने से बचें और अगर बच्चे के एलर्जी या पाचन समस्याएं है तो भी इससे परहेज करें।2. ब्राह्मीब्राह्मी को दिमाग के लिए सबसे बेहतरीन औषधि मानी जाती है। यह बच्चों की याददाश्त, एकाग्रता, मानसिक विकास और नींद के पैटर्न को बेहतर बनाने में मदद करता है। सर्दियों में जब ठंड की वजह से सुस्ती और थकान बढ़ जाती है तो ब्राह्मी का सेवन मन और शरीर दोनों को संतुलित रखती है।बच्चों को ब्राह्मी कैसे दें?आप अपने बच्चों को ब्राह्मी सिरप या ब्राह्मी घृत डॉक्टर की सलाह के अनुसार दे सकते हैं। 1/4 चम्मच ब्राह्मी घृत गर्म दूध में मिलाकर बच्चों को सुबह खिलाया जा सकता है। ध्यान रहे, इसकी खुराक हमेशा डॉक्टर की सलाह पर ही तय करनी चाहिए, अपनी मर्जी से कम या ज्यादा देने से बचें।3. मुलेठीमुलेठी एक बेहतरीन कफ नाशक जड़ी बूटी है, जो गले की खराश, खांसी, आवाज बैठना और सर्दी-जुकाम की समस्या में काफी फायदेमंद होती है। बच्चों को सर्दियों में होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं से राहत दिलाने के लिए मुलेठी काफी सुरक्षित आयुर्वेदिक उपाय है।बच्चों को मुलेठी कैसे दें?बच्चों को मुलेठी खिलाना काफी आसान है। इसके लिए आप 1–2 चुटकी मुलेठी पाउडर शहद के साथ मिलाकर बच्चों को रोजाना खिलाएं। मुलेठी का काढ़ा भी बच्चों के लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन, इसकी मात्रा का ध्यान रखें। बहुत लंबे समय तक बच्चे को मुलेय़ी देने से बचें, क्योंकि इससे हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है और अगर बच्चे में पहले से हाई बीपी की समस्या है तो भी उन्हें देने से बचें।4. च्यवनप्राशभारत में सर्दियों के मौसम में च्यवनप्राश का सेवन काफी ज्यादा बढ़ जाता है। च्यवनप्राश बच्चों की इम्यूनिटी बूस्ट करने में काफी फायदेमंद माना जाता है। इसमें बहुत सारी जड़ी बूटियां जैसे आंवला, इलायची, दालचीनी, पिप्पली, अश्वगंधा और घृत आदि शामिल होते हैं, जो बच्चों को ठंड के कारण होने वाली समस्याओं से बचाने में मदद करते हैं। सर्दियों में इसका नियमित सेवन शरीर को गर्माहट देता है, फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाता है, बच्चों को बार-बार होने वाली खांसी-जुकाम से बचाता है। इतना ही नहीं, इसका सेवन बच्चों के पाचन में सुधार भी करता है और भूख को बढ़ाता है।बच्चों को च्यवनप्राश कैसे खिलाएं?अगर बच्चा 2 से 3 साल का है तो आप उसे रोजाना 1/4 चम्मच खिलाएं, अगर 4 से 10 साल का बच्चा है तो रोजाना आधे से 1 चम्मच गुनगुने दूध के साथ खिला सकते हैं। ध्यान रहे कि जिन बच्चों के शरीर में गर्मी ज्यादा हो उन्हें ये कम मात्रा में दें और अगर बच्चे को एलर्जी या अस्थमा की समस्या है तो पहले डॉक्टर से कंसल्ट कर लें।5. शिलाजीतबहुत कम मात्रा में शिलाजीत बच्चों को खिलाने से उनकी इम्यूनिटी को बूस्ट करने में मदद मिल सकती है। यह बच्चों में कमजोरी, बार-बार थकान, भूख न लगना और सर्दियों में कमजोरी या एनर्जी की समस्या को दूर करने में फायदेमंद माना जाता है। इसका सेवन आपकी इम्यूनिटी बूस्ट करने के साथ-साथ हड्डियों और मांसपेशियों के विकास में भी मदद करता है। ध्यान रहे कि बिना डॉक्टर की सलाह के बच्चों को कभी भी शिलाजीत देने से बचें।बच्चों को शिलाजीत कैसे खिलाएं?बच्चों को शिलाजीत हमेशा बहुत कम मात्रा में देनी चाहिए और आमतौर पर 1 या 2 बूंद के रूप में ही दें। आप इसे बच्चों को गुनगुने दूध या पानी के साथ दे सकते हैंनिष्कर्षसर्दियों में बच्चों की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां देना एक सुरक्षित और नेचुरल विकल्प हो सकती है। इसलिए, आप अपने बच्चे का इम्यून सिस्टम मजबूत करने के लिए उनकी डाइट में अश्वगंधा, च्यवनप्राश, मुलेठी और शिलाजीत जैसी जड़ी बूटियां डॉक्टर की सलाह पर शामिल कर सकते हैं।


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