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घर पर लगा तुलसी का पौधा सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि सेहत के नजरिए से भी बेहद गुणकारी माना गया है। आयुर्वेद में तो तुलसी के पौधे को वरदान कहा जाता है। इसकी पत्तियों का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। नियमित रूप से तुलसी की पत्तियों का सेवन करने से व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार होने के साथ संक्रामक रोग भी दूर रहते हैं। आइए जानते हैं सुबह खाली पेट तुलसी की पत्तियां चबाने से सेहत को मिलते हैं क्या-क्या फायदे।
तनाव से छुटकारा-एक शोध में यह पाया है की तुलसी की पत्तियों में तनाव को कम करने वाला हार्मोन यानी कोर्टिसोल पाया जाता है। रोजाना खाली पेट तुलसी की 12 पत्तियां चबाने से व्यक्ति को तनाव से छुटकारा मिल जाता है।डायबिटीज रखें कंट्रोल-तुलसी में यूजीनोल, मिथाइल यूजेनॉल और कैरियोफिलिन जैसे तत्व पाए जाते हैं, जिससे पैन्क्रीऐटिक बीटा सेल्स सही से काम करते हैं। जिसकी वजह से शरीर में इन्सुलिन की मात्रा बनी रहती है, और ब्लड शुगर लेवल का स्तर भी ठीक रहता है। जो डायबिटीज होने से रोकता है।मुंह की बदबू-अगर आपके मुंह से बदबू आ रही हो तो तुलसी के कुछ पत्तों को चबा लें। इससे सांस की बदबू दूर हो जायेगी।सिरदर्द और सर्दी की शिकायत -अगर व्यक्ति को साइनसिस, एलर्जी, सिरदर्द और सर्दी की शिकायत रहती है तो तुलसी की पत्तियों को पानी में अच्छे से उबालने के बाद छान लें। इसके बाद छाने हुए पानी को थोड़ा-थोड़ा करके पीएं। ऐसा करने से आपको सिर दर्द में आराम मिलेगा।गले की खराश-तुलसी के पत्ते पानी में डालकर अच्छी तरह से उबाल लें। इसके बाद इस पानी का सेवन करें आपको जल्द ही गले की खराश से मुक्ति मिल जायेगी।- - बालों को हेल्दी रखने के लिए कई लोग नारियल तेल से सिर की नियमित मसाज करते हैं। नारियल तेल बालों को पोषण देकर बालों को मजबूत बनाने में मदद करता है। लेकिन क्या आप जानते हैं नारियल तेल के अलावा बालों पर नारियल का दूध को भी इस्तेमाल किया जा सकता हैं। नारियल के दूध भरपूर मात्रा में विटामिन सी और ई पाया जाता है, जो बालों को स्वस्थ रखने के साथ बालों को बढ़ाने में भी मदद करता हैं। नारियल का दूध दोमुंहे बालों और रूखे बालों की समस्या को दूर करके बालों को हेल्दी रखता हैं। आइए जानते हैं बालों पर नारियल का दूध लगाने के फायदों के बारे में।बालों को बढ़ाने में मददगारअगर आप भी बालों की स्लो ग्रोथ से परेशान हैं, तो बालों पर नारियल का दूध लगाकर देखें। ये बालों को तेजी से बढ़ाकर स्कैल्प को हेल्दी रखने में मदद करता हैं। नारियल के दूध में विटामिन बी1, बी6 और बी5 आदि पाए जाते हैं, जो बालों को बढ़ाने में मदद करते हैं। नारियल के दूध से मसाज करने से स्कैल्प को पोषण मिलेगा और बालों तेजी से बढ़ेंगे।डैंड्रफ की समस्या को करें दूरडैंड्रफ की समस्या को दूर करने के लिए नारियल के दूध को इस्तेमाल किया जा सकता है। नारियल के दूध में लॉरिक एसिड, एंटी बैक्टीरियल और एंटी माइक्रोबियल प्रॉपर्टीज पाई जाती हैं, जो डैंड्रफ को दूर करके बालों को हेल्दी रखने में मदद करता हैं। नारियल का दूध बालों से रूखेपन को दूर करके डैंड्रफ की समस्या से निजात दिलाता है।सफेद बालों को करें कमनारियल का दूध सफेद बालों की समस्या को कम करने में मदद करता है। इसका इस्तेमाल करने के लिए नारियल के दूध का हेयर मास्क का इस्तेमाल कर सकते हैं। सफेद बालों की समस्या विटामिन बी12 की कमी से होते हैं। वहीं नारियल का दूध विटामिन बी12 प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो बालों को सफेद होने से रोकता हैं।बालों को झड़ने से रोकेंनारियल का दूध बालों को झड़ने से रोकता है। ये बालों को पोषण देकर उन्हें मजबूत बनाता हैं। जिससे झड़ते बालों की समस्या दूर होती हैं। इसका इस्तेमाल करने के लिए नारियल के दूध में दही मिलाकर बालों पर एक घंटे के लिए लगाएं। उसके बाद बालों को नॉर्मल पानी से वॉश करें। ऐसा नियमित करने से हेयर फॉल कम होगा।फ्रिजी बालों की समस्या को करें दूरनारियल का दूध फ्रिजी बालों की समस्या को दूर करके बालों को चमकदार और स्मूद बनाता हैं। यह नैचुरल रूप से बालों की कंडीशनिंग करके बालों को उलझने से बचाता है। अगर आपके बाल बहुत ज्यादा उलझते हैं, तो बालों को शैंपू करने के बाद नारियल के दूध को कंडिशनर की तरह बालों पर लगाएं।नारियल का दूध बालों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। लेकिन ध्यान रखें अगर आपने बालों पर कोई ट्रीटमेंट कराया हैं, तो इसका इस्तेमाल करने से पहले अपने हेयर एक्सपर्ट की सलाह अवश्य लें।
- जीभ पर छाले होना मुंह की बीमारियों में से एक है और यह काफी सामान्य स्थिति है। जो किसी भी उम्र के लोगों में हो सकती है। जीभ के छाले आमतौर पर 10 से 12 दिन में ठीक हो जाते हैं। इनका दर्द बहुत ही अलग होता है। जीभ के छालों का कोई हानिकारक प्रभाव नहीं होता। लेकिन ये आपके स्वाद को प्रभावित कर सकते हैं। इनके कारण जीभ पर काफी दर्द होता है और कुछ भी खाया या पिया नहीं जाता। छालों के दर्द से छुटकारा पाने और इनके दर्द को कम करने के लिए कुछ घरेलू इलाज ट्राई कर सकते हैं। आइए जानते हैं कुछ प्राकृतिक और होम रेमेडीज के बारे में।नमकनमक को सोडियम क्लोराइड के नाम से भी जाना जाता है। नमक छाले से होने वाले दर्द को कम करने में मदद करता है। नमक में मौजूद एंटी बैक्टीरियल गुण इन्फेक्शन से लडने में मदद करते हैं। एक चम्मच नमक को एक कप पानी में अच्छी तरह से मिला लें। उसके बाद मिश्रण से कुल्ला कर लें। ऐसा दिन में कई बार करने से मुंह के छालों को ठीक किया जा सकता है।दहीदही एक प्राकृतिक रुप से पाया जाने वाला प्रो बायोटिक पदार्थ है। दही में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीबैक्टीरियल और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो दर्द और सूजन को कम कर सकते हैं और छाले से जुड़े किसी भी प्रकार के इन्फेक्शन का इलाज कर सकते हैं। हर रोज कम से कम एक बार दही का सेवन करने से छाले ठीक किए जा सकते हैं।लौंग का तेललौंग के तेल में यूजेनॉल नामक यौगिक पाया जाता है। युजेनॉल में एंटी बैक्टीरियल गुण इन्फेक्शन से लडऩे में मदद करते हैं। एक कप गर्म पानी में लॉन्ग के तेल की कुछ बूंदों को मिलाकर मुंह से कुल्ला करने पर फफोलो को ठीक किया जा सकता है। ऐसा दिन में तीन से चार बार करना चाहिए।टी ट्री ऑयलटी ट्री ऑयल में टेरपिनन-4-ओएल नामक एक यौगिक पाया जाता है। इसमें एंटी बैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक गुण भी होते है जो जीभ के छाले और उनके लक्षणों को ठीक करने में मदद कर सकते हैं। एक कप गर्म पानी में टी ट्री ऑयल की कुछ बूंदों को मिला लें। हर रोज तीन से चार बार इस घोल को माउथ वॉश के रुप में उपयोग करें।बेकिंग सोडाबेकिंग सोडा में एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। इसका एल्कलाइन गुण मुंह की पी एच वैल्यू को बैलेंस करने में मदद करता है। जिससे जीभ पर छाले से छुटकारा मिल सकता है। एक कप पानी में बेकिंग सोडा को मिलाएं। इस घोल से मुंह का कुल्ला करें। ऐसा हर रोज तीन से चार बार करना चाहिए। दूसरे रूप में बेकिंग सोडा और पानी को मिलाकर क्रीम भी बना सकते हैं और इसे छालों पर लगा सकते हैं।बर्फबर्फ में एनेस्थेटिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह सूजन और दर्दनाक जीभ के छाले से छुटकारा पाने में मदद कर सकता है। एक आइस क्यूब को जीभ के छाले पर सीधा रख दें,जब तक कि जीभ सुन्न ना हो जाए। ऐसा दिन में कई बार कर सकते हैं। दूसरे रूप में आइस क्यूब को पिघला कर ठंडे पानी के कुल्ले भी कर सकते हैं।हाइड्रोजन पेरोक्साइडहाइड्रोजन पेरोक्साइड छालों को ठीक करने का एक अच्छा विकल्प है। इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं जो मुंह के छालों से छुटकारा पाने में मदद कर सकते हैं। हाइड्रोजन पेरोक्साइड और गर्म पानी को बराबर मात्रा में मिला लें। एक सॉफ्ट रुई से इस घोल को अपने फफोलों पर सीधा लगाएं। 2 से 3 मिनट तक लगा रहने दें और फिर थोड़े गर्म पानी से अपना मुंह से कुल्ला कर लें।(नोट-इन सब टिप्स से मुंह के छालों का इलाज किया जा सकता है। लेकिन इसे इस्तेमाल करने से पहले एक बार योग्य चिकित्सक से परामर्श अवश्य ले लें।
- तुलसी का पौधा पौराणिक काल से ही काफी पवित्र माना जाता रहा है। हर भारतीय घर में तुलसी पूजन की परंपरा सदियों से चली आ रही है। औधषीय गुणों से भरपूर तुलसी के पौधे को अमृततुल्य माना गया है। तुलसी की प्रजातियां कई प्रकार की होती हैं, लेकिन मुख्य रूप से वन तुलसी, श्याम तुलसी, राम तुलसी ,श्वेत या विष्णु तुलसी और नींबू तुलसी लोकप्रिय है। । जिसके अपने-अपने औषधीय गुण हैं। आज हम बात कर रहे हैं नींबू तुलसी की-नींबू तुलसी को मुख्य रूप से पूर्वोत्तर अफ्रीका और दक्षिणी एशिया में नींबू की सुगंध के लिए उगाया जाता है और इसका उपयोग खाना पकाने में किया जाता है।नींबू तुलसी के तने 20-40 सेमी (8-20 इंच) तक लंबे हो सकते हैं। देर से गर्मियों में जल्दी गिरने के लिए इसमें सफेद फूल होते हैं। पत्ते तुलसी के पत्तों के समान होते हैं, लेकिन थोड़ा दांतेदार किनारों के साथ संकरा हो जाते हैं। फूल आने के बाद पौधे पर बीज बनते हैं और पौधे पर सूख जाते हैं। नींबू तुलसी अरबी , इंडोनेशियाई , फिलीपींस, लाओ , मलय , फारसी और थाई व्यंजनों में एक लोकप्रिय जड़ी बूटी है ।नींबू तुलसी सूप में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है। स्ट्यू, करी और हलचल फ्राई व्यंजन के रूप में यह सबसे अधिक इस्तेमाल की जाती है। कई लाओ स्टॉज में लेमन बेसिल के उपयोग की आवश्यकता होती है क्योंकि विकल्प के रूप में तुलसी की कोई अन्य किस्में स्वीकार्य नहीं हैं। सबसे लोकप्रिय लाओ स्टू जिसे या लैम कहा जाता है, एक प्रमुख घटक के रूप में नींबू तुलसी का उपयोग करता है।नींबू तुलसी एकमात्र ऐसी तुलसी है जो इंडोनेशियाई व्यंजनों में ज्यादा इस्तेमाल होती है , जहां इसे केमांगी कहा जाता है । यह अक्सर सलाद या साथ कच्चे खाया जाता है। नींबू तुलसी का उपयोग अक्सर कुछ इंडोनेशियाई व्यंजनों, जैसे करी, सूप, स्टू और उबले हुए या ग्रिल्ड व्यंजन बनाने के लिए किया जाता है।कुछ थाई करी में पत्तियों का उपयोग किया जाता है और यह नूडल डिश खानोम चिन नम या के लिए भी अनिवार्य है । फिलीपींस में, जहां इसे 'संगिग' कहा जाता है, विशेष रूप से सेबू और मिंडानाओ के कुछ हिस्सों में, लेमन बेसिल का उपयोग लॉ-यू में स्वाद जोडऩे के लिए किया जाता है, जो कि सब्जी-आधारित सूप में स्थानीय साग का एक वर्गीकरण है। पानी में भिगोने के बाद इसके बीज मेंढक के अंडे के समान होते हैं और मिठाइयों में उपयोग किए जाते हैं। इसका उपयोग भारत राज्य मणिपुर के उत्तर पूर्व भाग में भी किया जाता है। मणिपुर में, इसका उपयोग कद्दू की तरह करी में, सिंगजू (सलाद का एक रूप) में और लाल या हरी मिर्च के अचार में किया जाता है। मेघालय की गारो, खासी और जयंतिया जनजाति भी इसे अपने खाने में इस्तेमाल करती हैं। वे इसका उपयोग किण्वित मछली, मिर्च, प्याज कभी-कभी भुने हुए टमाटर जैसी अतिरिक्त सामग्री के साथ ठंडी चटनी तैयार करने के लिए करते हैं। त्रिपुरा में, इसे "बंता" के रूप में जाना जाता है, और त्रिपुरी समुदाय द्वारा "बंता मोसडेंग" बनाने के लिए उपयोग किया जाता है , जो एक किण्वित मछली आधारित मसालेदार चटनी है।
- वर्षों से तुलसी के बीज को औषधीय गुणों के कारण अनेक बीमारियों के उपचार में इस्तेमाल किया जा रहा है। तुलसी के गुणों का उल्लेख वेदों में भी किया गया है। तुलसी के बीज को सब्जा के बीज, फालूदा के बीज और तुकमरिया के बीज के नाम से भी जाना जाता है। ये बीज पोषक तत्वों का पॉवरहाउस हैं, जो इम्यूनिटी बूस्ट करने में मदद करते हैं। चलिए जानते हैं तुलसी के बीज का सेवन करने से कौन-कौन से फायदे मिल सकते हैं।पाचन में होता है सुधारतुलसी के बीजों का प्रयोग पेट के विकार और पाचन क्रिया को सुधारने में मदद करता है। ये शरीर को प्राकृतिक रूप से डिटॉक्स कर सकता है। इसके नियमित सेवन से मल त्याग करना भी आसान हो सकता है। तुलसी के बीज एक नैचुरल लेक्सेटिव के रूप में काम करते हैं, जो शरीर के बॉवल मूवमेंट्स को बढ़ाते हैं। तुलसी के बीज का सेवन यदि गर्म दूध और पानी के साथ किया जाए तो, पाचन संबंधी समस्याएं और पेट की सूजन को कम किया जा सकता है।सूजन को कम करने में सहायकतुलसी के बीज का सेवन करने से पेट में होने वाली या शरीर के किसी भी जगह में होने वाली सूजन कम करने में मदद मिल सकती है। तुलसी के बीज एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होते हैं, जो शरीर की सूजन को कम कर सकते हैं। तुलसी के बीज को रातभर पानी में भिगोकर रखने से पानी के ऊपर जिलेटिन की एक परत जमा हो जाती है जो सूजन से राहत दिला सकती है। इस डिटॉक्स वॉटर का सेवन करने से लाभ मिल सकता है।शुगर लेवल को कम करेंतुलसी के बीज में भरपूर मात्रा में डाइट्री फाइबर मौजूद होता है, जो ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है। ब्लड शुगर लेवल को कम करने के लिए तुलसी के बीज को रातभर पानी में भिगों दें। फिर सुबह एक गिलास दूध में इन बीजों को डालकर पीने से इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार किया जा सकता है।फ्लू में फायदेमंदतुलसी के बीज ठंडे होते हैं, जो शरीर की गर्मी को कम करने में मदद करते हैं। तुलसी के बीज का सेवन फ्लू के दौरान करने से फीवर, कोल्ड और कफ जैसी समस्याओं में भी राहत मिल सकती है। तुलसी के बीज में एंटी-स्पास्मेडिक गुण होता है, जो कॉमन कफ को कम कर सकता है। फ्लू होने पर तुलसी का काढ़ा पिया जा सकता है।वजन को करता है मेनटेनतुलसी के बीज का सेवन वजन को मेनटेन करने में भी सहायता करता है। तुलसी में हाई ओमेगा 3 फैटी एसिड होते हैं, जो वजन को कम करने में मदद करते हैं। इसमें अल्फा-लिनोलेनिक एसिड कंपाउंड होता है, जो पेट को लंबे समय तक भरा रखता है।आयुर्वेद के अनुसार तुलसी के बीज ओवरऑल हेल्थ के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। लेकिन किसी भी चीज का सेवन करने से पहले एक बार एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
- दही डाइजेशन सिस्टम के लिए बहुत अच्छी होती है। आप अगर खाने के साथ रोजाना एक कटोरी दही खाते हैं, तो आपको एसिडिटी जैसी प्रॉब्लम नहीं होती। साथ ही आपकी स्किन भी अच्छी बनती है। दही के पोषक तत्वों की बात करें, तो दही में कैल्शियम, विटामिन बी-12, विटामिन बी -2, मैग्नीशियम और पोटेशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। आपको अगर दही खाना पसंंद नहीं है, तो आप दही से कई रेसिपीज बना सकते हैं या दही को किसी और फूड के साथ मिलाकर खा सकते हैं। आइए, जानते हैं आप किन तरीकों से दही को खा सकते हैं।फ्रूट सलादआप अगर फ्रूट खाना पसंद करते हैं, तो फ्रूट को गिल्ड कर लें। इसके बाद इसमें दही और शहद डालकर खाएं। वेट लॉस के लिहाज से भी यह रेसिपी बहुत ही अच्छी है।फ्रूट कस्टर्डयह फ्रूट कस्टर्ड की रेसिपी थोड़ी डिफरेंट है। इसे बनाने के लिए आप अपने पसंद के फ्रूट्स को काट लें। इसके बाद इसे एक बाउल में रखें और दही को ऊपर से डाल दें। आप इसमें ड्राय फ्रूट्स भी मिला सकते हैं।गुड़-तिलसर्दियों के मौसम में गुड़ खाना बहुत फायदेमंद होता है। गुड़ खाने से न सिर्फ आपकी स्किन अच्छी होती है बल्कि हेल्थ भी ठीक रहती है। ऐसे में आप दही में गुड़, रोस्टेड तिल और ड्राय फ्रूट्स मिलाकर खा सकते हैं।रायतादही से आप खीरे, टमाटर, टमाटर प्याज, घीया, बूंदी या आलू का रायता बना सकते हैं। इसे गाढ़ा ही रखें और पुदीना और धनिया डालकर इसे गार्निश करें। इससे रायते का स्वाद बढ़ जाएगा।-------------
- लौंग सिर्फ आपके चाय, सब्जी, पकवानों आदि का स्वाद ही नहीं बढ़ाती, बल्कि सेहत के लिए बहुत फायदेमंद भी होती है। यह उन्हें एक बेहतरीन सुगंध और स्वाद प्रदान करती है। साथ ही लौंग को कई स्वास्थ्य समस्याओं के लिए रामबाण उपाय के रूप में प्रयोग किया जाता है। सुबह खाली पेट लौंग को पानी में उबालकर इसका सेवन करने से सेहत को कई फायदे मिलते हैं?पानी में लौंग उबालकर पीने के फायदे-1. मुंह रहता है स्वस्थपानी में लौंग उबाकर पीने से आपके मसूड़े मजबूत होते हैं और स्वस्थ रहते हैं। उनसे खून निकलने की समस्या नहीं होती है। साथ ही यह मुंह के बैक्टीरिया का सफाया करती है, जिससे कैविटी और दांतों में सडऩ जैसी समस्याएं नहीं होती है। यह मुंह के छालों को ठीक करने और उनसे बचाव में भी मदद करती है, साथ ही मुंह की दुर्गंध दूर भगाती है।2. शरीर की सूजन करे दूरएंटीइंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होने की वजह से यह सूजन से लडऩे में बहुत प्रभावी होती है। साथ ही इसके एंटीऑक्सीडेंट्स गुण फ्रीरेडिकल्स और हानिकारक कणों से लडऩे में मदद करते हैं, जो सूजन को ट्रिगर करते हैं। यह जोड़ों, मांसपेशियों, आंत और पेट आदि में सूजन को कम करने और बचाव में मदद करती है।3. शरीर डिटॉक्स होता हैएंटीऑक्सीडेंट्स और कई अन्य यौगिकों से भरपूर लौंग उबालकर पीने से शरीर में मौजूद गंदगी, हानिकारक और अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है, जो कई गंभीर रोगों का कारण बनते हैं। यह रक्त को शुद्ध करने में भी मदद करता है।4. पाचन रहेगा दुरुस्तसुबह लौंग उबालकर पीने से पाचन संबंधी समस्याएं नहीं होती हैं, साथ ही आपकी आंत में सूजन की समस्या भी नहीं होती है। इससे पाचन दुरुस्त रहता है, साथ हीम मेटाबॉलिज्म भी दुरुस्त होता है। जिससे यह आपको अपच, पेट में गैस, कब्ज, ब्लोटिंग आदि से दूर रखने में सहायक है।5. शुगर रहता है कंट्रोललौंग का पानी पीने से ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में मदद मलती है, साथ ही यह इंसुलिन के उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद करता है। जिससे यह ब्लड शुगर कंट्रोल रखने में बहुत सहायक है। साथ ही यह आपका पाचन भी सुधारता है, जिससे भोजन के पाचन और पोषक तत्वों के अवशोषण को बेहतर बनाता है। डायबिटीज रोगियों के लिए बहुत लाभकारी साबित हो सकता है।अगर आप रोजाना सुबह खाली पेट पानी में 4-5 लौंग उबालकर सेवन करते हैं, तो इससे सेहत को कई अन्य फायदे भी मिलेंगे। आप पानी छानकर पी सकते हैं और लौंग भी चबा सकते हैं। साथ ही आप इसमे शहद मिलाकर भी पी सकते हैं।
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बालों की ग्रोथ को बूस्ट करने के साथ ही नारियल तेल स्किन के लिए भी फायदेमंद होता है। दादी-नानी अक्सर इस तेल के फायदों को गिनवाती हैं। लेकिन क्या आप जानती हैं कि ये हेल्थ के लिए भी काफी ज्यादा फायदेमंद होता है। फंक्शनल न्यूट्रिशनल थेरेपी प्रैक्टिशनर मेग लैंगस्टन ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में रोजाना नारियल तेल खाने के फायदे बताए हैं।
नारियल तेल खाने के फायदे--
1) हीलिंग के लिए फायदेमंद- दूसरे सैट्यूरेटिड फैट्स के विपरीत, नारियल का तेल एक हेल्दी संतृप्त फैट है जो शरीर में हीलिंग को स्पोर्ट करता है। नारियल के तेल में 80% से ज्यादा संतृप्त वसा होता है।
2) फैट बर्निंग को बढ़ावा- इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह अविश्वसनीय रूप से फायदेमंद हो सकता है क्योंकि शरीर में सूजन को कम करने से थायराइड / मेटाबॉलिज्म को स्लो करने में मददगार हो सकता है। यह अपने एंटीमाइक्रोबियल और एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण वजन कम करने में मदद कर सकता है।
3) ब्लड शुगर में सुधार करता है- नारियल का तेल ग्लूकोज सहिष्णुता में सुधार करने में मदद करते हैं। इसका कारण यह है कि एमसीटी बिना पित्त ब्रेक के पाचन तंत्र से सीधे लिवर में जाते हैं। ऐसे में ये दूसरी तरह के फैट की तरह शरीर में जमा होने के बजाय एनर्जी के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं।
4) संक्रमण से लड़ने में मदद- नारियल के तेल में लॉरिक एसिड होता है और शरीर लॉरिक एसिड को मोनोलॉरिन में बदल देता है, जिसमें एक एंटीमाइक्रोबियल गुण होता है और यह बैक्टीरिया से लड़ने में बहुत अच्छा होता है।
5) कोलेस्ट्रॉल होता है कम- नारियल के तेल को रोजाना खाने से प्रेग्नेनोलोन और प्रोजेस्टेरोन में इसके रूपांतरण को बढ़ावा देकर कोलेस्ट्रॉल को सामान्य स्तर पर लाया जा सकता है। -
कुछ फलों को खाने का अलग ही मजा है। जैसे, अमरूद को बच्चे और बड़े दोनोंं ही पसंद करते हैं। अमरूद को काटकर इसकी स्लाइसेस पर काला नमक, लाल मिर्च डालकर खाने का मजा ही कुछ और है। स्वाद के मामले में ही नहीं बल्कि अमरूद सेहत के लिए भी बहुत अच्छा है। अमरूद में विटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन के, कार्बोहाइड्रेट्स, डायटरी फाइबर, कैलोरी और पोटेशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। आइए, जानते हैं इसे खाने के फायदे-
डाइजेशन बेहतर होता है
आप अगर पेट दर्द से परेशान रहते हैं या फिर आपको डाइजेशन से जुड़ीं प्रॉब्लम्स रहती हैं, तो रोजाना एक अमरूद खाना शुरू कर दें। इससे आपका डाइजेशन बेहतर होगा। साथ ही इससे सुबह के समय पेट भी आसानी से साफ हो जाता है।
दिल की बीमारियों का कम खतरा
आप अगर अपने दिल को हेल्दी रखना चाहते हैं, तो आप डाइट में अमरूद को जरूर शामिल करना चाहिए। अमरूद में मौजूद पोटैशियम और मैग्नीशियम दिल की सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। इससे दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है।
हेल्दी स्किन
हेल्थ के लिए ही नहीं बल्कि अमरूद स्किन के लिए भी बहुत फायदेमंद है। अमरूद एंटी-ऑक्सीडेंट प्रॉपर्टीज होती है, जिससे वह फ्री-रेडिकल्स से लड़ता है। इसके अलावा बॉडी को डिटॉक्स भी करता है।
वेट लॉस फ्रेंडली
आपको अगर ज्यादा भूख लगती है या मीठा खाने की क्रेविंग होती है, तो आप एक अमरूद खाना शुरू कर दें। इसे खाने से लम्बे समय तक पेट भरा रहता है और आपको कुछ भी खाने का मन नहीं करता। इससे आपको स्नैक्स क्रेविंग भी नहीं होती।
एक्टिव रखता है
आपको अगर मॉर्निंग सिकनेस होती है, तो भी आपको अमरूद खाना चाहिए। इससे आपकी बॉडी एक्टिव रहती है और आपका मूड भी ठीक रहता है। एक्टिव रहने के लिए बाकी फ्रूट्स के साथ अमरूद भी जरूर खाएं। -
हर दिन एक जैसा नहीं होता, किसी दिन आपका मूड बहुत अच्छा होता है तो किसी दिन आप बेवजह खराब महसूस कर सकते हैं। ऐसे में पूरे दिन अच्छा महसूस करने के लिए एक एक्टिव और हेल्दी मानसिकता बेहद जरूरी है। लाइफ में हो रही हर चीज का असर हमारे मूड पर होता है, फिर चाहें वह खाना हो या फिर सोच। इसी बारे में पोषण विशेषज्ञ अंजलि मुखर्जी ने डायट और लाइफस्टाइल में कुछ बदलावों के माध्यम से मूड को बूस्ट करने के बारे में बतायया है।
मूड को ठीक कर सकती हैं ये टिप्स
- सैल्मन, सार्डिन और अखरोट में पाए जाने वाले हेल्दी फैटी एसिड भी मूड को ठीक करने में मदद करते हैं।
- तली हुई खाने की चीजे दूसरी खाने की चीजों के पाचन को रोकती हैं, जिससे मानसिक सतर्कता और डिप्रेशन में कमी आती है।
- शराब मूड को प्रभावित करती है और डिप्रेशन का कारण बनती है। शराब को जल्द से जल्द छोड़ने की सलाह दी जाती है।
- मैग्नीशियम सेरोटोनिन के उत्पादन में मदद करता है जो मूड को स्थिर करने में मदद करता है। यह ज्यादातर मछली, केला, सूखे मेवे और सब्जियों में पाया जाता है।
- आशावादी मानसिकता जरूरी है। जिसमें सोने और काम करने का एक सही रूटीन मूड को बूस्ट करने में मदद करता है।
- मेलाटोनिन, एक हार्मोन जो डिप्रेशन को रोकने में मदद करता है। ये तब उत्पन्न होता है जब हमारा शरीर सूर्य की रोशनी के संपर्क में आता है।
- हर दिन एक्सरसाइज करने से एंडोर्फिन के उत्पादन में मदद मिलती है, जो आगे चलकर मूड को स्वाभाविक रूप से बूस्ट करने में मदद करता है।
- विटामिन, मैग्नीशियम, कैल्शियम और फोलिक एसिड की हेल्दी डायट, एक शांत प्रभाव पैदा करने में मदद करता है, जिससे मूड स्थिर होता है। - मूंगफली अधिकतर लोगों को काफी पसंद होती है। सर्दियों में अधिकतर लोग इसका सेवन करते हैं। मूंगफली में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट और फाइबर आदि पाए जाते हैं। मूंगफली खाने से शरीर को ऊर्जा मिलने के साथ शरीर की इम्यूनिटी भी मजबूत होती हैं। अधिकतर लोग मूंगफली को कभी भी खाना शुरू कर देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं मूंगफली खाने के जितने फायदे है। उसके कई नुकसान भी हैं। मूंगफली खाने से उन लोगों को बचना चाहिए। जिन लोगों को वजन बढऩे की टेंशन रहती है। साथ ही जिन लोगों को एलर्जी हैं उन लोगों को भी मूंगफली खाने से बचना चाहिए। आइए जानते हैं मूंगफली खाने के नुकसान।लिवर रोगलिवर से संबंधित कोई परेशानी है, तो ऐसे लोगों को मूंगफली खाने से बचना चाहिए। मूंगफली खाने से शरीर में अफलाटॉक्सिन की मात्रा बढ़ जाती है। जिस कारण लिवर को नुकसान हो सकता है। ऐसे में जिन लोगों को लिवर की समस्या है। मूंगफली नहीं खानी चाहिए।वजन तेजी से बढ़ता हैनियमित मूंगफली के सेवन से वजन तेजी से बढ़ता है। मूंगफली में हाई कैलोरी होती है। जिस कारण वजन तेजी से बढ़ता है। वजन तेजी से बढऩे के कारण शरीर में कई तरह की बीमारियां लगने का खतरा बना रहता हैं। ऐसे में अगर बढ़ते हुए वजन से परेशान है, तो मूंगफली खाने से बचें।एलर्जी संबंधी परेशानीमूंगफली खाने से एलर्जी संबंधित परेशानी बढ़ सकती है। इसको खाने से शरीर पर सूजन, लालिमा, खुजली और लाल चकत्ते हो सकते हैं। मूंगफली की तासीर गर्म होती है। ऐसे में ज्यादा मात्रा में इसके सेवन से परेशानी बढ़ सकती है। अगर एलर्जी की परेशानी है, तो डॉक्टर से पूछ कर ही इसका सेवन करें।एसिडिटीजिन लोगों को एसिडिटी की समस्या होती है। उन लोगों को मूंगफली खाने से बचना चाहिए। मूंगफली खाने से कब्ज, एसिडिटी, अपच और गैस आदि की समस्याएं बढ़ सकती हैं। इसके सेवन से पाचन तंत्र खराब हो सकता हैं। ऐसे में जिन लोगों को पेट से जुड़ी समस्या होती है। उन्हें मूंगफली खाने से बचना चाहिए।बढ़ जाती है सोडियम की मात्राकई मूंगफली में स्वाद बढ़ाने के लिए नमक के साथ कई तरह के मसालों का उपयोग किया जाता है। जिस कारण शरीर में सोडियम की मात्रा बढ़ सकती है। शरीर में सोडियम की मात्रा बढऩे से रक्तचाप और दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता हैं।मूंगफली फायदेमंद होने के साथ नुकसानदायक भी होती है। ऐसे में इसका सेवन सीमित मात्रा में ही करें। अगर आपको बीमारी हैं, तो डॉक्टर से पूछ कर ही इसका सेवन शुरू करें।
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छठ पूजा पर कई चीजें प्रसाद के रूप में चढ़ाई जाती हैं। ठेकुआ और कई तरह की फल और सब्जियांं भी छठ पूजा में रखे जाते हैं। इन फलों में से एक है डाब नींबू जिसे कई जगहों पर चकोतरा, गागर, डाभ भी कहा जाता है। दूसरे फलों की तरह यह फल इतना पॉप्युलर नहीं है लेकिन फिर भी फायदों की बात करें, तो इस फल को सिट्रेस फैमिली का ही माना जाता है। इंग्लिश में इसे ग्रेपफ्रूट (Grapefruit) और पॉमिलो (Pomelo) नाम से जाना जाता है। डाब नींबू विटामिन-सी से भरपूर होता है। इसके और भी पोषक तत्वों की बात करें, तो यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर फल है, जो कई तरह की बीमारियों से बचाव करता है।
आए, जानते हैं इसके फायदे-
इम्यूनिटी स्ट्रॉन्ग बनाने
इम्यूनिटी स्ट्रॉन्ग बनाने के लिए डाब नींबू बेहद कारगर है। जैसा कि आप जानते हैं कि यह विटामिन-सी से इम्यूनिटी मजबूत होती है। चकोतरा में भी काफी मात्रा में विटामिन-सी पाया जाता है। साथ ही इसमें मैग्नीशियम, पोटैशियम और डाइटरी फाइबर जैसे विटामिन पाए जाते हैं।
वेट लॉस करने में कारगर
आप अगर वेट लॉस करना चाहते हैं, तो बाकी वेट लॉस फ्रेंडली फलों की तरह यह फल भी बहुत ही फायदेमंद है। डाब नींबू को वजन घटाने के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। डाभ नींबू में बहुत कम मात्रा में कैलोरी पाई जाती है। साथ ही इसमें विटामिन ए, विटामिन सी, भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।
डाइजेशन सिस्टम बेहतर होता है
आपका पेट अगर हमेशा खराब रहता है, तो भी आपको डाब नींबू का सेवन जरूर करना चाहिए। इसमें नींबू जैसे गुण ही पाए जाते हैं, जो शरीर से टॉक्सिक निकालने में कारगर होता है। पेट दर्द और एसिडिटी से छुटकारा दिलाने में यह फल फायदेमंद है।
आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए
आपकी आंखों में अक्सर जलन या दर्द होता है, तो आपको डाब नींबू जरूर खाना चाहिए। इसमें बीटा कैरोटीन पाया जाता है, जो आंखों की हेल्थ के लिए बहुत फायदेमंद है।
एक्टिव रहने के लिए
आप अगर सुबह उठकर अगर कमजोरी फील करते हैं, तो आपको डाइट में डाब नींबू का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। इससे आपके शरीर में विटामिन-सी की मात्रा जाएगी, तो आप एक्टिव फील करेंगे।
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सर्दियां शुरू होने के साथ बैक्टीरियल और वायरल इन्फेक्शन ने भी दस्तक दे दी है। ऐसे में गला खराब और खासी जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं। यह सामान्य प्रक्रिया है। हालांकि कई बार यह तकलीफदेह हो जाता है। दरअसल शरीर में किसी पैथोजन के प्रवेश करने के साथ इम्यून सिस्टम एक्टिव हो जाता है। इसी के रिस्पॉन्स में म्यूकस बनने लगता है। इसमें पैथोजन्स, एलर्जी पैदा करने वाले कण या धूल-मिट्टी चिपक जाती है। खांसी के जरिए इसे शरीर से बाहर निकाला जाता है। कई दफा वायरल ठीक हो जाने के बाद यह कफ सीने में जकड़ा रहता है। इसको न निकाला जाए तो अंदर दूसरे इन्फेक्शंस भी हो सकते है। यहां जानें कुछ घरेलू उपचार।
पीएं खूब पानी
शरीर में कोई भी संक्रमण हो तो सबसे पहले पानी पीने पर फोकस करें। वायरल, बैक्टीरियल इन्फेक्शन या कफ जकड़ने पर भी यह नुस्खा काम करता है। पानी पीने से म्यूकस का गाढ़ापन कम होता है। आप अगर सिर्फ पानी नहीं पी पा रहे तो लिक्विड डायट ज्यादा लें। सूप, ग्रीन टी या दूसरे गरम पेय भी फायदा करेंगे।
भाप देगी राहत
खांसी और कफ के समय भाप लेना भी फायदेमंद होता है। आप बाजार के स्टीमर यूज कर सकते हैं। इसके अलावा घर पर भी पानी उबालकर भाप बना सकते हैं। भाप लेने से गले का इन्फ्लेमेशन कम होता है। खांसी में भी राहत मिलती है।
शहद-नींबू करें ट्राई
गुनगुने पानी में नींबू का पानी और शहद मिलाकर पीएं। शहद में ऐंटी बैक्टीरियल प्रॉपर्टीज होती हैं। नींबू में विटामिन सी होता है जो आपकी इम्यूनिटी के लिए बेस्ट है। शहद को नैचुरल डिकंजेस्टेंट माना जाता है। यह गले के दर्द में भी राहत देता है।
गोल्डेन मिल्क देगा आराम
फाइनली सोते समय आप हल्दी, काली मिर्च वाला दूध भी पी सकते हैं। इस दूध के फायदे कई बार बताए जाते रहे हैं। इसे गोल्डन मिल्क कहते हैं। हल्दी में एंटी इन्फ्लेमेट्री गुण होते हैं और यह ऐंटी बैक्टीरियल भी होती है। - मटर एक दलहन है, जिससे आप लोग अच्छे से परीचित होंगे। मटर का इस्तेमाल कई प्रकार के खाद्य पदार्थों में किया जाता है। ठंड के मौसम में तो मटर के बिना शायद ही कोई सब्जी बनाई जाती होगी। सच यह है कि मटर सभी लोगों को पसंद होता है, और लोग इससे बहुत पसंद से खाते हैं। मटर से सिर्फ सब्जी ही नहीं बनाई जाती है, बल्कि मटर का सेवन दाल, पराठे आदि अन्य आहार में भी किया जाता है। इसके अलावा और भी मटर के फायदे हैं। क्या आपको पता है कि आप मटर का इस्तेमाल बीमारियों की रोकथाम में भी कर सकते हैं?मटर में अनेक प्रकार के पौषक तत्व होते हैं। जो आपके शरीर के लिए फायदेमंद साबित होते हैं। मटर के उपयोग से आप शरीर की जलन, खून संबंधित विकार, सांसों के रोग, खांसी, भूख की कमी का इलाज कर सकते हैं। डायबिटीज, कुष्ठ रोग, चेचक जैसी कई बीमारियों में भी आप मटर का लाभ पा सकते हैं। आइए जानते हैं कि आप मटर का प्रयोग किस-किस रोग में कर सकते हैं।सौंदर्य बढ़ाने के लिए मटर का इस्तेमालभुनी हुई मटर, तथा नारंगी के छिलकों को दूध में पीस लें। आपको इस उबटन को शरीर पर लगाना है। इससे आपकी त्वचा में निखार आएगा।भूख को बढ़ाने के लिए मटर का उपयोगकई लोग भूख की कमी होने की शिकायत करते हैं। ऐसे लोग हरी मटर का लाभ ले सकते हैंं। हरी मटर में अरहर, दालचीनी तथा इलायची मिला लें। इसका जूस बना लें। इसका सेवन करने से भूख बढ़ जाती है।घाव सुखाने के लिए मटर का प्रयोगघाव को सुखाने के लिए भी मटर का इस्तेमाल बहुत लाभ पहुंचाता है। आप मटर , मसूर, गेहूं तथा हरेणु (छोटी मटर) को बराबर-बराबर मात्रा में मिला लें। इसे पीस लें, और लेप के रूप में घाव पर लगाएं। इससे घाव से होने वाली पीड़ा तो ठीक होती ही है, साथ ही कच्चा घाव जल्दी पक जाता है, तथा घाव का मवाद या पीव आसानी से बाहर निकल जाता है।त्वचा रोग में फायदेमंद मटर का इस्तेमालआप त्वचा रोग में भी मटर का उपयोग कर लाभ ले सकते हैं। सबसे पहले आप मटर का काढ़ा बनाएं, फिर इससे त्वचा पर जहां विकार हैं, वहां धोएं। इससे त्वचा के विकारों में फायदा होता है।कोलेस्ट्रॉल कम करने में मटर के फायदेपाचन तंत्र में स्वस्थ न होने के कारण शरीर में अत्यधिक आम की उत्पत्ति होती है, जो कि कोलेस्ट्रॉल जैसी परेशानियों को भी बढ़ावा देती हैं। मटर में रेचक गुण होने के कारण यह शरीर में जमे आम या अन्य विशुद्धियों को बाहर निकलने में मदद करता है जिससे कोलेस्ट्रॉल को सामान्य बनाये रखने में सहयोग मिलता है। साथ ही इसमें फाइबर अधिक पाए जाने के कारण भी यह पाचन को स्वस्थ कर कोलेस्ट्रॉल को करने में मदद करता है।कैंसर रोग में मटर के फायदेमटर में एंटी कैंसर गुण पाए जाने के कारण यह कैंसर में भी लाभदायक होती है। एक रिसर्च के अनुसार इसमें ऐसे पोषक तत्त्व पाए जाते है जो कि कैंसर के लक्षणों को कम करने में सहयोगी होता है।हड्डियों की बीमारियों में मटर के लाभहड्डियों की बीमारी में मटर लाभदायक होती है, क्योंकि इसमें कैल्शियम की भरपूर मात्रा उपस्थित होती है।चेहरे से झाइयां हटाने के लिए मटर का उपयोगएक रिसर्च के अनुसार मटर में एंटी रिंकल और एंटी ऑक्सीडेंट गुण पाए जाते है, जो कि चेहरे की झाइयों को हटाने में मदद करते है। साथ ही इसमें कषाय गुण होने के कारण यह त्वचा के लिए लाभदायक होती है।स्मरण शक्ति को बढ़ाने में मटर के फायदेएक रिसर्च के अनुसार मटर में अल्फा लिनोलीक एसिड, पायसमसैपोनिन्स और विटामिन बी, सी और ई पाये जाते हैं जिसके कारण यह स्मरण शक्ति बढ़ाने में भी मदद करती है।
- कब्ज यानी कॉन्सटिपेशन की समस्या। कब्ज होने पर पेट ठीक तरह से साफ नहीं होता। पेट साफ न होने के कारण व्यक्ति को आलस्य और पेट में मरोड़ जैसी समस्याओं से गुजरना पड़ता है। आयुर्वेद की मानें, तो शरीर को संतुलित रखने के लिए वात, पित्त और कफ जैसे दोषों का संतुलन जरूरी होता है। वात दोष के कारण कब्ज की समस्या होती है। कब्ज की समस्या दूर करने के लिए आयुर्वेद में मुनक्का के सेवन को फायदेमंद बताया गया है। मुनक्का में एंटीऑक्सीडेंट्स, कैल्शिमय, पोटेशियम, मैग्नीशियम और विटामिन सी आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं। मुनक्का में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है इसलिए कब्ज की शिकायत दूर होती है। पेट की गैस का इलाज भी मुनक्के का सेवन करके दूर किया जा सकता है। इस लेख में हम कब्ज में मुनक्के का सेवन करने का तरीका जानेंगे।1. मुनक्के का पानी पिएंमुनक्के का सेवन करने से शरीर में मौजूद टाक्सिन तत्व बाहर निकल जाते हैं। इससे पेट में मरोड़, दर्द, अपच आदि समस्याओं से छुटकारा मिलता है। पाचन तंत्र को बेहतर बनाने के लिए मुनक्के का पानी पीना फायदेमंद होता है।2. मुनक्का और दूधमुनक्का शरीर को डिटॉक्स करने का काम करता है। कब्ज की समस्या दूर करने के लिए 8 से 9 मुनक्कों को धोकर एक गिलास दूध के साथ उबाल लें। इस दूध को पीने से कब्ज से छुटकारा मिलेगा।3. मुनक्का चूर्णकब्ज की समस्या दूर करने के लिए मुनक्का चूर्ण का सेवन करें। चूर्ण बनाने के लिए मुनक्का को धूप में सुखा लें। सूखे मुनक्का को मिक्सी में डालकर पाउडर बना लें। मुनक्का पाउडर में अजवाइन, सेंधा नमक मिलाएं। चूर्ण तैयार है। मुनक्का के चूर्ण का सेवन 3 से 5 ग्राम की मात्रा में गुनगुने पानी के साथ कर सकते हैं।4. मुनक्का भिगोकर खाएंकब्ज की पुरानी समस्या है, तो भीगे हुए मुनक्के का सेवन फायदेमंद होगा। 8 से 10 ग्राम मुनक्का को पानी में भिगोकर छोड़ दें। सुबह पानी के साथ भिगोए हुए मुनक्के अच्छी तरह से चबाकर खाएं।5. खाली पेट खाएं मुनक्काकब्ज की समस्या दूर करने के लिए खाली पेट मुनक्के का सेवन करना चाहिए। सुबह खाली पेट मुनक्के का सेवन करने से पेट साफ होता है और कब्ज की शिकायत दूर होगी। मुनक्का में विटामिन बी1, बी2, बी3, विटामिन ई और विटामिन के आदि पोषक तत्व होते हैं। पाचन तंत्र के लिए ये विटामिन्स फायदेमंद माने जाते हैं।इन 5 तरीकों से मुनक्का का सेवन करेंगे, तो कब्ज की शिकायत दूर होगी और पाचन तंत्र मजबूत होगा। मुनक्का का चूर्ण, मुनक्का का पानी, दूध के साथ मुनक्का या भीगे हुए मुनक्के खा सकते हैं।
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एसिडिटी की समस्या से बहुत से लोग परेशान रहते हैं. एसिडिटी होने के कई कारण है. इसमें अनहेल्दी फूड, खराब जीवनशैली, धूम्रपान और शराब का अधिक सेवन आदि शामिल है. एसिडिटी की समस्या होने पर आप काफी असहज महसूस करते हैं. इस समस्या से राहत पाने के लिए आप आयुर्वेदिक तरीके भी आजमा सकते हैं. ये तरीके पाचन क्रिया को बेहतर बनाने का काम करते हैं. इससे आपका मेटाबॉलिज्म दर सही तरीके से काम करता है. आइए जानें एसिडिटी की समस्या से निपटने के लिए आप कौन से आयुर्वेदिक तरीके आजमा सकते हैं.
तुलसी के पत्ते
तुलसी के पत्तों का सेवन करें. इसके अलावा आप तुलसी के पत्तों का काढ़ा बनाकर भी सेवन कर सकते हैं. ये पेट की जलन को शांत करने में मदद करेंगे. तुलसी की पत्तियों को पानी में उबालकर काढ़ा तैयार कर सकते हैं. ये पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है.
गुनगुना पानी पिएं
एसिडिटी की समस्या को कम करने के लिए आप गुनगुने पानी का सेवन कर सकते हैं. इसके लिए रोजाना एक गिलास गर्म पानी पिएं. खाली पेट गुनगुने पानी का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है. ये पाचन संबंधित कई अन्य समस्याओं से भी छुटकारा दिलाने का काम करता है.
गुड़
गुड़ में मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में होता है. ये एसिड रिफ्लक्स और ब्लोटिंग को कम करने का काम करता है. ये आंतों को स्वस्थ रखता है. गुड़ का एक छोटा टुकड़ा खा सकते हैं.
छाछ
छाछ में अच्छे बैक्टीरिया होते हैं. इसमें लैक्टिक एसिड होता है. ये पेट के एसिड का मुकाबला करने में मदद करता है. ये आपको ब्लोटिंग और एसिडिटी की समस्या से छुटकारा दिलाता है. छाछ पेट को ठंडक पहुंचाने का काम करती है.
सौंफ के बीज
सौंफ के बीज न केवल माउथ प्रेशनर का काम करते हैं बल्कि ये पाचन तंत्र को भी स्वस्थ रखते हैं. इनका सेवन करने से आंतों को आराम मिलता है. ये गैस और एसिडिटी की समस्या से राहत दिलाने का काम करते हैं.
सब्जियों का सूप
आप सब्जियों का सूप पी सकते हैं. इसमें अदरक, काली मिर्च और दालचीनी आदि का इस्तेमाल करें. ये पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने का काम करते हैं. सब्जियों के सूप का सेवन आपके पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने का काम करता है. ये एसिडिटी और कब्ज की समस्या से राहत दिलाता है. -
जीरा का इस्तेमाल स्वाद में इजाफा करने के लिए किया जाता है. बता दें कि भारत के ज्यादातर घरों में जीरे का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन ये बात आप शायद ही जानते होंगे कि जीरे की अन्य वैरायटी हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है. इस वैरायटी का नाम काला जीरा है. बताया जाता है कि काला जीरा औषधीय गुणों से भरपूर होता है. इसका सेवन करने से कई गंभीर बीमारियों का खतरा कम जाता है. आज हम यहां आपको काले जीरे से होने वाले फायदे के बारे में बताएंगे.
काले जीरे के फायदे--
अगर गलत फूड हैबिट्स के कारण आपके शरीर में अनवांटेड फैट जमा होने लगा है, तो इसमें घबराने की बात नहीं है. काले जीरे का इस्तेमाल आपके फैट को कम करने में मददगार साबित हो सकता है.
इसके लिए आपको लगातार 3 महीने तक इसका इस्तेमाल करना है. बता दें कि काला जीरा फैट को गला करके शरीर से बाहर निकाल देता है.
वहीं, बदलते मौसम में शरीर की इम्यूनिटी कई तरह से प्रभावित होती है. काले जीरे को रोज डाइट में शामिल करने से शरीर की इम्यूनिटी में जबरदस्त इजाफा होता है.
शरीर की अच्छी इम्यूनिटी रोगों से लड़ने में मदद करती है. इसके रोजाना सेवन से आपके शरीर की थकान की समस्या से भी मुक्ति मिल जाती है.
ठंड के मौसम में लोगों को सर्दी-जुकाम की दिक्कत भी खूब होती है. काले जीरे का सेवन इन दिक्कतों में आपको आराम देता है. बता दें कि सर्दी-जुकाम होने पर भुने हुए जीरे को रूमाल में बांध कर सूंघने से सांस लेने में राहत और नाक जाम से आराम मिलता है.
इसके अलावा, काला जीरा सांस की बीमारी जैसे काली खांसी, ब्रोंकाइटिस और एलर्जी समेत कई बीमारियों को खिलाफ असर दिखाता है.
इसके अलावा, पेट से जुड़ी परेशानियों के लिए काला जीरा किसी रामबाण के जैसे काम करता है. यह हमारे पाचन तंत्र को ठीक रखने में मदद करता है. -
सेलिब्रिटीज की त्वचा देखकर आपको भी लगता होगा कि आखिर उनकी त्वचा इतनी साफ और ग्लोइंग कैसे दिखती है? चलिए जानते हैं कुछ खास टिप्स
अपने पसंदीदा एक्टर या एक्ट्रेस की खूबसूरत त्वचा आपको भी लुभाती है? ये कहना गलत नहीं होगा कि कुछ सेलिब्रिटीज बिना मेकअप किए भी बेहद खूबसूरत नजर आते हैं। जरूरी नहीं है कि खूबसूरत नजर आने के लिए ढेर सारा खर्चा करने की जरूरत हो। नैचुरल ब्यूटी के पीछे महंगे ट्रीटमेंट या खास उत्पाद नहीं है बल्कि कुछ खास आदतें है जिनकी मदद से आप भी सिलेब्रिटीज जैसी त्वचा पा सकते हैं। इस लेख हम कुछ खास टिप्स जानेंगे जिनकी मदद से आप भी सिलेब्रिटीज जैसी त्वचा के हकदार बन सकते हैं।सिलेब्रिटीज जैसी त्वचा पाने के लिए आपको सबसे पहले ये समझने की जरूरत है कि उनकी त्वचा भी हमारी तरह ही होती है। उन्हें भी मुंहासे, ड्राई त्वचा, सनबर्न आदि का सामना करना पड़ता है। बल्कि सिलेब्रिटीज, मेकअप, लाइट और केमिकल्स के संपर्क में ज्यादा आते हैं इसलिए उनकी त्वचा में ज्यादा समस्याएं होती हैं। मेकअप के ज्यादा इस्तेमाल से बचने के लिए सिलेब्रिटीज को त्वचा का खास ख्याल रखने की जरूरत होती है। जानते हैं कुछ आसान टिप्स-1. पानी का सेवनज्यादातर सिलेब्रिटीज को फोटोज में आपने पानी की बोतल के साथ देखा होगा। त्वचा को हेल्दी और ग्लोइंग बनाने के लिए सबसे पहले शरीर में पानी की मात्रा बढ़ाएं। पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करने से त्वचा को रूखा होने से बचाया जा सकता है। पानी का सेवन करने से शरीर से विषाक्त पदार्थ आसानी से बाहर निकल जाते हैं और त्वचा में बैक्टीरिया जमा नहीं होते।2. डाइट सुधारेंसिलेब्रिटीज की फिट बॉडी और चमकती त्वचा का सीक्रेट उनकी डाइट भी है। डर्मेटोलॉजिस्ट की मानें, तो डाइट का सीधा असर हमारी त्वचा पर पड़ता है। अगर आप ज्यादा तला-भुना या मिर्च-मसाले वाला खाना खाते हैं, तो त्वचा में पिंपल या पिगमेंटेशन की समस्या हो सकती है। अपनी डाइट में फाइबर रिच फूड्स, प्रोटीन, हरी सब्जियां शामिल करें। जंक और ऑयली फूड्स से बचें।3. कितना सोते हैं आप?शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए 7 से 8 घंटे की नींद लेना जरूरी होती है। व्यस्त दिनचर्या के बावजूद भी आपको पर्याप्त नींद लेना चाहिए। नींद न पूरी करने के कारण हार्मोन्स असंतुलित हो जाते हैं। ये त्वचा और शरीर के लिए सही नहीं है। अच्छी नींद न लेने से आंखों में सूजन, आंखें सूजन होना, काले घेरे और डल स्किन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।4. त्वचा को साफ रखेंसिलेब्रिटीज जैसी त्वचा चाहते हैं, तो त्वचा को साफ रखें। हफ्ते में 2 बार त्वचा को स्क्रब करें। मेकअप को त्वचा पर ज्यादा समय के लिए न रहने दें। अपनी त्वचा को साफ करने के लिए फेसवॉश का इस्तेमाल सुबह-शाम करें। रात को सोने से पहले क्रीम या लोशन अप्लाई करें।5. कसरत है खूबसूरत त्वचा का राजआपके सभी पसंदीदा सिलेब्रिटीज कसरत के किसी न किसी फॉर्म को जरूरी अपनाते होंगे। यही उनकी खूबसूरती का सबसे बड़ा सीक्रेट है। त्वचा में कसावट बनाए रखने के लिए कसरत और योगा को अपने रूटीन में शामिल करें। धनुरासन, मत्स्यासन, हलासन, अधोमुख श्वानासन, पश्चिमोत्तानासन आदि आसन का अभ्यास करें। रोजाना कम से कम 40 मिनट टहलने जाएं।इन टिप्स की मदद से आप भी ग्लोइंग स्किन पा सकते हैं| -
कई बार घर में कुछ चीजों को ना देखने के कारण बदबू होने लगती है, ऐसे में कई बार खूब सफाई के बाद भी ये नहीं जाती है। ये किसी भी तरह की गंदी स्मेल हो सकती है, जो या तो फलों के सड़ने से, या फिर पानी के कही जमा रहने से हो सकती है। इससे छुटकारा पाने के लिए आप कुछ नैचुरल चीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये चीजें घर को खुशबूदार बनाने के साथ ही घर से मच्छर और कीड़ों को भगाने में भी मदद करेंगी। यहां जानिए उन चीजों के बारे में-
1) कंडा
आप घर के आंगन या फिर गेट के बाहर कंडा जला सकते हैं। इससे घर में गांव वाली सौंधी खुशबू आती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गोबर के कंडे बहुत ही लाभकारी होते हैं। घर में अगर इनका इस्तेमाल किया जाए तो कोई बाधा आपको परेशान नहीं कर सकती है। इसके अलावा घर में गोबर के कंडे का धुंआ करने से कभी भी नकारात्मक दोष उत्पन्न नहीं होते हैं।
2) कपूर
पूजा में इस्तेमाल होने वाली कपूर भी काफी बेहतरीन होती है। इनका इस्तेमाल कर के घर से गंदी बदबू को खत्म किया जा सकता है। इसे जलाने के लिए आप डिफ्यूजर का इस्तेमाल कर सकते हैं या फिर इसे घर के कोने में भी डाल सकते हैं।
3) लौंग
किचन में लौंग का इस्तेमाल खूब किया जाता है। इसे खाने का स्वाद और खुशबू बनाने ते लिए यूज किया जाता है। आप घर से बदबू भगाने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकतं हैं। इसके लिए एक जालीदार कंटेनर में लौंग डालें और फिर इसे अपने ड्रॉइंग रूम में रखें।
4) गूगल गूगल का यूज हवन सामग्री में किया जाता है। इसकी खुशबू पूरे घर को महका सकती है। इसे जलाने के लिए आप या तो कंडे के साथ मिलाकर कर सकते हैं। या फिर इन दिनों बाजार में गूगल वाली स्पेशल अगरबत्ती मिलती हैं जो काफी बेहतरीन होती हैं। -
अक्टूबर का महीना जाने वाला है. हल्की-हल्की ठंड शुरू हो गई है. गर्मी के बाद अब सुबह और शाम ठंडक महसूस होने लगी है. कई लोगों को सर्दियां काफी पसंद होती है, लेकिन इस मौसम में इंफेक्शन और बीमारियां बेहद आम होती है. ज्यादातर लोग इसकी चपेट में आते हैं. मौसम में बदलाव के कारण ऐसा होता है. वैसे तो इन बीमारियों का इलाज आसानी से मिल जाता है लेकिन इन्हें नजरअंदाज भी नहीं करना चाहिए. इन समस्याओं से परेशान होने पर तत्काल डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए. आइए जानते हैं ठंड के मौसम में किन बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.
1) फीवर और ज़ुकाम
सर्दी का मौसम शुरू होते ही ज़ुकाम-खांसी की समस्या से दो चार होना पड़ता है. बदलते मौसम और किसी संक्रमित के संपर्क में आने से आसानी से चपेट में ले लेती हैं. नाक बंद, छींक आना, कमजोरी, सिरदर्द, बदन दर्द, खांसी सर्दी और फ्लू के संकेत हैं.
2) टॉन्सिल्स
ठंड के मौसम में टॉन्सिल्स की समस्या बेहद आम है. गले के पीछे अंडाकारनुमा टिशू पैड्स में सूजन आने से टॉन्सिल हो जाता है. इसकी वजह से काफी दर्द होता है. खाने-पीने में भी समस्या होती है. हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, हवा में मौजूद वायरस और बैक्टीरिया के कारण टॉन्सिल्स होते हैं.
3) कान का इंफेक्शन
जैसे-जैसे मौसम में ठंडापन आता है ठंड और नमी के चलते कान का इंफेक्शन बढ़ने लगता है. सर्दी में कान में इंफेक्शन होना नॉर्मल होता है, लेकिन इसका इलाज कराना चाहिए. इसे इग्नोर नहीं करना चाहिए.
4) जोड़ों का दर्द
कई लोगों में ठंड की वजह से जोड़ों में दर्द शुरू हो जाता है. ज्यादा उम्र के लोगों में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है. उनके जोड़ों में अकड़न आ जाती है. इससे उन्हें चलने-फिरने और काम करने में दिक्कत आने लगती है. गठिया से पीड़ित लोग के लिए यह काफी परेशान करने वाला होता है. मौसम में बदलाव के चलते टिशूज़ में सूजन आ जाती है और इसी वजह से जोड़ों में दर्द होने लगता है.
5) ब्रोंकाइटिस
फेफड़ों के सबसे छोटे वायु मार्ग में बलगम बनने से ये बीमारी होती है. ज्यादातर सर्दी के मौसम में ये बीमारी होती है. बलगम बनने से खांसी आने लगती है और समस्या बढ़ जाती है. ऐसे होने पर तत्काल डॉक्टर को दिखाना चाहिए. -
दांतों में कई कारणों से सड़न हो सकती है. इस सड़न को आम भाषा में कीड़े लगना भी कहते हैं. ज्यादातर पीछे वाले दांतों में यह सड़न होती है जो अंदर ही अंदर दांतों को खोखला कर देती है. दांतों की सतह पर काले रंग के तिल के आकार की कैविटी नजर आती है. इस कैविटी से दांत खोखले होने से उनके टूटकर गिरने की नौबत आ जाती है. वहीं, दांतों में दर्द, मुंह से खून होना और दांतों का पीलापन जैसे लक्षण भी नजर आने लगते हैं. इस कैविटी को दूर करने या कहें इससे छुटकारा पाने के लिए कुछ घरेलू उपाय अपनाए जा सकते हैं.
लौंग का तेल
दिन में 2 से 3 बार लौंग का तेल (Clove Oil) इस्तेमाल करने पर कैविटी ठीक होने में मदद मिल सकती है. इस तेल के एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण दांतों की सड़न को दूर करने में कारगर हैं. रूई में लौंग का तेल डालकर कैविटी वाले दांत पर सीधे लगाया जा सकता है.
अमरूद के पत्ते
एंटीमाक्रोबियल गुणों से भरपूर अमरूद के पत्तों को कैविटी (Tooth Cavity) दूर करने में अच्छा माना जाता है. इन पत्तों को आप माउथवॉश की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं. माउथवॉश बनाने के लिए अमरूद के पत्तों को छोटे टुकड़ों में तोड़कर पानी में उबाल लें. इस पानी को आप कुल्ला करने के काम में ले सकते हैं.
लहसुन
मुंह की सेहत बनाए रखने और कैविटी से छुटकारा पाने के लिए लहसुन का इस्तेमाल किया जा सकता है. लहसुन को आप अपनी डाइट का हिस्सा बना सकते हैं. इसे रोजाना खाली पेट खाने पर फायदा मिलता है. इसके अलावा लहसुन (Garlic) को छोटे टुकड़ों में कूटकर कैविटी वाले दांत पर रखा भी जा सकता है.
अंडे का छिलका
अगर आप अंडा खाते हैं तो दांतों की कैविटी को दूर करने के लिए अंडे से तैयार इस नुस्खे का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. इसके लिए सबसे पहले अंडे का छिलका धोकर सुखा लें. इस छिलके को पीसकर पाउडर बनाएं और इसमें बेकिंग सोडा (Baking Soda) डालें. इस तैयार मिश्रण को कुछ देर दांतों पर घिसकर धो लें. -
तरह-तरह के खाद्य पदार्थ, वातावरण और लाइफस्टाइल के कारण शरीर में जमा हुए टॉक्सिंस को डिटॉक्स करना बहुत जरूरी है। अन्यथा यह बाद में सेहत को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं। वहीं सही समय से बॉडी को डिटॉक्सिफाई कर लेने से आप लंबे समय तक स्वस्थ रह सकती हैं। साथ ही यह इंफेक्शन एलर्जी और विभिन्न प्रकार की बीमारियों की संभावना को कम कर देता है और वेट लॉस में भी आपकी मदद करता है। फ्रूट्स, वेजिटेबल, हर्ब्स, मसाले इत्यादि से तैयार ऐसी ही 5 तरह की चाय के बारे में जानते हैं, जो शरीर को डिटॉक्स करने में करेंगी आपकी मदद ।
दालचीनी की चाय
दालचीनी सेहत के लिए कई रूपों में फायदेमंद होती है। यह हार्ट डिजीज की संभावना को कम कर देती है और शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल को भी नियंत्रित रखती है। इसी के साथ ब्लड प्रेशर को सामान्य रहने में मदद करती है। यह डायबिटीज से पीड़ित मरीजों के लिए काफी फायदेमंद हो सकती है। इसकी एंटीऑक्सीडेंट और एंटीमाइक्रोबॉयल प्रॉपर्टीज बॉडी को डिटॉक्स करके विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं की संभावना को कम कर देती हैं। इसे बनाने के लिए आपको एक कप पानी में 3 से 4 दालचीनी के छोटे टुकड़ों को डालकर पानी मे 7 से 8 मिनट तक उबाल आने देना है। उसके बाद इसे छानकर निकाल लें और इसमें नींबू का रस निचोड़ कर पिएं।
हल्दी और अदरक की चाय
एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट के गुणों से भरपूर हल्दी और अदरक की चाय आपकी इम्युनिटी को बूस्ट करने के साथ ही पाचन क्रिया को संतुलित रखने में मदद करतीहैं। वहीं यह इंफेक्शन से लड़ने की क्षमता को बढ़ा देती हैं और आंतों की सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद होती हैं। यदि आप किसी प्रकार के दर्द से जूझ रही हैं तो यह दर्द और इन्फ्लेमेशन को कम करने में फायदेमंद होती है। इसे बनाने के लिए आपको एक कप पानी मे आधी उंगली के बराबर कसे हुए अदरक और चार चुटकी हल्दी डालनी है। फिर पानी में 10 मिनट तक उबाल आने दें। अब इसे छानकर निकाल लें और नींबू निचोड़ कर पिएं।
धनिया की पत्तियों की चाय
धनिया की पत्ती में पर्याप्त मात्रा में पानी होता है। यह आपके शरीर को लंबे समय तक हाइड्रेटेड रखता है। यदि शरीर हाइड्रेटेड हो तो इसे डिटॉक्सिफाई करना आसान हो जाता है। शरीर में पर्याप्त मात्रा में हो तो यह किडनी से हानिकारक सब्सटेंसस को बाहर निकाल कर इसे हेल्दी रहने मे मदद करता है। वहीं किडनी के साथ यह कई अन्य ऑर्गन को भी डिटॉक्स करता है। इसे बनाने के लिए एक कप पानी में ताजा धनिया की पत्तियों को डालकर पानी को 10 मिनट तक उबलने दें। अब इसमें ऊपर से नींबू का रस निचोड़ें और आधा चम्मच शहद मिलाकर पिएं।
सौंफ की चाय
सौंफ की चाय शरीर को डिटॉक्सिफाई करने का एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। यह खून को साफ करता है और आवश्यक पोषक तत्वों को शरीर में पूरी तरह लगने में मदद करता है। इसकेसाथ ही इसकी ड्यूरेटिक प्रॉपर्टी शरीर से एक्सेस फ्लूइड के साथ टॉक्सिंस को बाहर निकाल देती है और यूरिनरी ट्रैक्ट से संबंधित सभी प्रकार की समस्याओं को दूर रखती हैं। वहीं यह पाचन क्रिया के लिए भी काफी ज्यादा फायदेमंद होता है। इसे बनाने के लिए सबसे पहले एक कप पानी को उबालने के लिए गैस पर चढ़ा दें। अब इसमें हल्का क्रश किया हुआ 1 चमच्च सौंफ डालें, साथ ही इसमे अदरक के छोटे-छोटे 2 टुकड़े डाल दें। अब पानी को 10 मिनट तक उबलने दें। फिर यदि आप चाहें तो इसमें आधा चम्मच शहद मिला सकती हैं। -
एक शोध में दावा किया गया है कि बालों को सीधा करने वाले केमिकल महिलाओं में गर्भाशय से जुड़े कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। यह जानकारी अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ द्वारा की गई एक नई रिसर्च में सामने आई है। रिसर्च से पता चला है कि जिन महिलाओं ने हेयर स्ट्रेटनिंग उत्पादों का इस्तेमाल किया था उनमें दूसरी महिलाओं की तुलना में गर्भाशय के कैंसर का खतरा कहीं अधिक पाया गया था।
हालांकि रिसर्च में बालों से जुड़े अन्य उत्पादों जैसे हेयर डाई, ब्लीच, हाइलाइट्स या पर्म और गर्भाशय के कैंसर के बीच कोई संबंध नहीं पाया गया था। अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 35 से 74 आयु वर्ग की 33,497 अमेरिकी महिलाएं को शामिल किया था, जो सिस्टर स्टडी का ही हिस्सा थी।
यह नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनवायर्नमेंटल हेल्थ साइंसेज (एनआईईएचएस) के नेतृत्व में किया गया एक अध्ययन है, जो स्तन कैंसर और अन्य स्वास्थ्य स्थितियों के जोखिम और कारकों की पहचान के लिए किया गया था। इसमें करीब 11 वर्षों तक महिलाओं का अध्ययन किया गया। पता चला है कि इस दौरान गर्भाशय कैंसर के 378 मामले सामने आए थे।
शोधकर्ताओं को पता चला है कि जिन महिलाओं ने बालों को सीधा करने वाले उत्पादों के लगातार उपयोग की सूचना दी थी। मतलब की पिछले वर्ष में चार या उससे ज्यादा बार इनका उपयोग किया था, उनमें अन्य महिलाओं जिन्होंने उत्पादों का उपयोग नहीं किया था, उनकी तुलना में गर्भाशय कैंसर का शिकार बनने की संभावना दोगुनी से ज्यादा थी। इस बारे में अध्ययन से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता एलेक्जेंड्रा व्हाइट ने जानकारी दी है कि वो महिलाएं जिन्होंने कभी हेयर स्ट्रेटनर का इस्तेमाल नहीं किया उनमें से 1.64 फीसदी में 70 वर्ष की आयु तक गर्भाशय से जुड़े कैंसर के होने का खतरा है। वहीं दूसरी तरफ हेयर स्ट्रेटनर इस्तेमाल करने वाली 4.05 फीसदी महिलाओं में इस कैंसर के होने का खतरा है। - आहार की पौष्टिकता, सेवन का समय और इसके तरीके का सीधा असर हमारी सेहत को प्रभावित करता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, शरीर को स्वस्थ और पाचन क्रिया को बेहतर रखने के लिए भोजन का एक समय निर्धारित करें और रोजाना उसी समय पर ही भोजन करें। हाल ही में किए गए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि रात में देर से भोजन करने वाले लोगों में मोटापा बढऩे का जोखिम अधिक पाया गया है। मोटापे को अध्ययनों में हृदय रोग और डायबिटीज का कारक माना जाता है। ये दोनों स्थितियां वैश्विक स्तर पर मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक हैं।अध्ययनकर्ताओं की टीम ने पाया कि रात में देर से भोजन करने की आदत कैलोरी की मात्रा, मेटाबॉलिज्म और पाचन तंत्र को प्रभावित करती है जिसके कारण वजन बढऩे का खतरा हो सकता है। अध्ययन में शोधकर्ताओं में प्रयोगात्मक तथ्यों के आधार पर बताया है कि रात में देर से खाने की आदत ऊर्जा व्यय में कमी, भूख में वृद्धि और वसा ऊतकों में परिवर्तन को बढ़ा देती है। ये स्थितियां संयुक्त रूप से मोटापे के खतरे को बढ़ा देती हैं।अध्ययन में पाया गया कि निर्धारित समय से चार घंटे के बाद भोजन करने के कारण हमारे भूख के स्तर पर महत्वपूर्ण अंतर पड़ता है, जिससे कैलोरी बर्न और वसा का संचय भी प्रभावित होता है, जो मोटापे का कारण बनती है। अध्ययन के परिणामों से पता चला कि देर से भोजन करने वाले लोगों में लेप्टिन और ग्रेलिन जैसे भूख को नियंत्रित करने वाले हार्मोन्स पर असर देखा गया। लेप्टिन हार्मोन जो पेट भरा होने का संकेत देता है, इसकी देर से भोजन करने वाले लोगों में विशेष कमी देखी गई। ऐसे लोगों में दूसरे समूह वालों की तुलना में कैलोरी बर्न की गति भी कम देखी गई जिसके कारण वजन बढऩे का खतरा भी अधिक देखा गया।निष्कर्ष में टीम ने पाया कि देर से खाने वाले लोगों में शारीरिक और आणविक तंत्र प्रभावित होते हैं जो समय के साथ मोटापे के खतरे को बढ़ा सकते हैं। वैश्विक स्तर पर इस समस्या को बढ़ा हुआ देखा गया है।अध्ययन में शोधकर्ताओं की टीम ने मोटापे की स्थिति को कई प्रकार की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारक माना है, इसमें से कुछ को वैश्विक स्तर पर बढ़ते मृत्यु के प्रमुख कारकों के तौर पर भी देखा जाता रहा है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के विशेषज्ञों ने बताया कि मोटापा सीधे तौर पर हृदय संबंधी जोखिम वाले कारकों को बढ़ाता है जिसमें डिस्लिपिडेमिया, टाइप-2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और नींद संबंधी विकार शामिल हैं।कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों के बढ़ते खतरे के लिए भी मोटापे को जोखिम कारक के तौर पर देखा जा रहा, ऐसे में सभी उम्र के लोगों को अपने स्तर पर मोटापे से बचाव के उपाय करते रहना चाहिए। रात के समय में जल्दी भोजन करने और भोजन के बाद वॉक की आदत बनाकर इसके जोखिम को कम किया जा सकता है।
- मिठाइयों में मुख्य सामग्री होती है खोया। लेकिन नकली मावा या खोया का सेवन करने से सेहत को कई नुकसान हो सकते हैं। मिठाइयों को बनाने के लिए दुकानों में मिलावटी मावे का इस्तेमाल खुले आम किया जाता है। नकली मावे का सेवन सेहत के लिए हानिकारक होता है। इस लेख में नकली मावा खाने के नुकसान जानेंगे। साथ ही बताएंगे कि घर पर आप किस तरह से खोवा बना सकते हैं।1. उल्टी और दस्तनकली खोए को सिंंंथेटिक दूध से बनाया जाता है। इसका सेवन करने से उल्टी, दस्त, फूड पॉइजनिंग आदि की समस्या हो सकती है। सिंंंथेटिक मावा बनाने के लिए यूरिया का इस्तेमाल किया जाता है इसलिए आपको असली और खोया के बीच का अंतर भी पता होना चा्हिए।2. किडनी के लिए नुकसानदायकनकली खोया खाने से किडनी पर बुरा असर पड़ता है। नकली खोया का सेवन करने से लिवर को भी नुकसान पहुंचता है। नकली खोया बनाने के लिए डिटर्जेंट का इस्तेमाल किया जाता है इसलिए इसके सेवन से बचें।3. पेट दर्द होनानकली या मिलावट खोया खाने से पेट में दर्द की समस्या हो सकती है। अगर आपके घर में बच्चे हैं, तो ज्यादा मिठाइयों के सेवन से उनकी सेहत बिगड़ सकती है। गर्भवती महिलाओं को खोया का सेवन करने से बचना चाहिए। इससे कब्ज की समस्या हो सकती है।4. वजन बढऩामावे में स्टार्च, आलू, आयोडीन आदि भी मिलाया जाता है। इससे वजन बढ़ता है। नकली मावा को केमिकल्स डालकर बनाया जाता है। कई दुकानों पर मिल्क पाउडर में वनस्पति घी मिलाकर मावा तैयार किया जाता है। वेट लॉस करना चाहते हैं, तो नकली मावे से बचें।5. अपच की समस्यानकली मावा में टेलकम पाउडर, चूना, चॉक, सफेद केमिकल्स मौजूद होता है। बेकार क्वालिटी के मावे में सॉलिड मिल्क भी मिलाया जाता है। मिलावटी मावे का सेवन करने से इंडाइजेशन, पेट में मरोड़ की समस्या हो सकती है।नकली मावा कैसा होता है?-नकली मावा दानेदार होता है।-नकली मावा मुंह में चिपकता है।-मिलावटी मावा पानी में डालने से टूटकर अलग हो जाएगा।-नकली मावे में देसी घी की खुशबू नहीं आएगी।-नकली मावे में चीनी डालकर गरम करें। अगर वो पानी छोड़ेगा, तो मतलब वो मिलावटी है।घर पर मावा कैसे बनाएं?-घर पर खोया बनाने के लिए बर्तन में दूध डालकर उबालें। जब दूध गरम हो जाए, तो उसे 4 से 5 मिनट तक चलाते रहिए। जब दूध गाढ़ा होने लगे, तो करछी चलाते रहें। दूध को हलवे की तरह गाढ़ा होने पर चलाकर पकाते रहें। जब दूध गाढ़ा हो जाए, तो गैस बंद कर दें। मावा तैयार हो जाए, तो बर्तन में निकालकर रख दें। दीवाली पर सेहत को बेहतर बनाए रखने के लिए नकली मावे के सेवन से बचें। घर के बने ताजे पकवानों का सेवन करें।