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- डेंगू होने पर लोगों की प्लेटलेट्स बहुत कम हो जाती हैं। अगर इस दौरान सही उपचार और अच्छा खानपान नहीं लिया जाता है, तो इसके कारण प्लेटलेट्स का स्तर बहुत अधिक गिर सकता है, जिसके सेहत पर गंभीर दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। इसके अलावा, प्लेटलेट्स कम होने पर कुछ फूड्स से सख्त परहेज करने की भी सलाह दी जाती है। बहुत से लोग डेंगू में कुछ ऐसे फूड्स का सेवन करते हैं, जो उनकी प्लेटलेट्स को बढ़ने नहीं देते हैं। इसकी वजह से उनकी स्थिति में सुधार देखने को नहीं मिलता है। इसलिए इन फूड्स के सेवन से सख्त परहेज किया जाना चाहिए। इस लेख में हम आपको ऐसे 5 फूड्स बता रहे हैं, जिनका सेवन डेंगू रोगियों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।प्लेटलेट्स कम होने पर कौन से फूड्स नहीं खाने चाहिएपैकेज्ड फूड्सइन फूड्स में लंबे समय तक खराब होने से बचाने के लिए कई केमिकल डाले जाते हैं। समय के साथ इनका पोषण भी कम हो जाता है। प्रोसेस्ड और जंक फूड्स से भी परहेज करना चाहिए। ये पचने में भारी होते हैं और शरीर की थकान बढ़ाते हैं।डेयरी प्रोडक्ट्स कम खाएंदूध और दूध से बने उत्पादन जैसे, दही और पनीर आदि के सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। इनका अधिक सेवन शरीर में बलगम का कारण बन सकता है। इसके कारण कुछ ऑटोइम्यून बीमारियों का जोखिम भी बढ़ता है।मीठे फूड्स से परहेज करेंचीनी युक्त फूड्स और ड्रिंक्स का सेवन कम से कम करें। सिर्फ इतना ही नहीं, आर्टिफिशियल स्वीटनर्स, शहद और फलों के जूस से भी इस दौरान परहेज करना चाहिए। यह शरीर के पीएच स्तर को प्रभावित कर सकते हैं और शरीर अम्लता को बढ़ा सकते हैं।मीट खाने से बचेंइसमें कोई संदेह नहीं है, कि मीट, चिकन और मछली आदि में प्रोटीन और कई अन्य पोषक तत्व अच्छी मात्रा में होता हैं। लेकिन ये पचने में भारी होते हैं, साथ ही इनमें फैट भी अधिक होता है। इनका सेवन से शरीर में थकान बढ़ती है।ब्लड क्लॉट को प्रभावित करने वाले फूड्स कम खाएंफल खाना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। लेकिन कुछ फलों का सेवन रक्त में थक्कों को बनने से रोकता है। इनमें ब्लूबेरी, अंगूर और इससे बने उत्पाद और टमाटर सभी रक्त के थक्के को रोकने के लिए दिखाए गए हैं। इसके अलावा लहसुन, प्याज, अदरक और जिनसेंग आदि का सेवन भी सीमित मात्रा में ही किया जाना चाहिए।
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समर सीजन में लोग तमाम तरह के मौसमी फलों को अपने फ्रिज में स्टोर करने लगते हैं। क्योंकि फ्रिज में फलों को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। लेकिन कुछ फलों को हमेशा रेफ्रिजरेटर में स्टोर करना सही नहीं होता है। क्योंकि फ्रिज में रखने से न सिर्फ उस खाद्य पदार्थ का स्वाद बदल जाता है, बल्कि इसका असर हमारी सेहत पर भी पड़ता है। एक्सपर्ट के अनुसार, गर्मी में आने वाले आम और तरबूज जैस मौसमी फलों को फ्रिज में बिल्कुल भी नहीं रखना चाहिए। बेशक, आप में से कई लोगों के लिए यह आश्चर्यजनक हो सकता है, लेकिन यही उचित है। बहरहाल, यहां हम आपको इसके पीछे की वजह भी बता रहे हैं।
कम तामपान में रहता है खराब होने का खतरासमर सीजन में तरबूज और आम सबसे ज्यादा खाए जाने वाले फलों में आते हैं। दोनों में ही पानी की मात्रा काफी ज्यादा रहती है लिहाजा ये फल हमें सनस्ट्रोक से बचाते हैं और हाइड्रेट रखते हैं। लेकिन इन दोनों ही फलों को फ्रिज में नहीं रखना चाहिए। एक्सपर्ट का कहना है कि आम और तरबूज जैसे फलों को गर्मियों में फ्रिज से बाहर ही रखना चाहिए, क्योंकि कम तापमान में इनके खराब होने का खतरा ज्यादा रहता है। गर्मी के सुपरफूड हैं आम और लीची, लाल- पीले फलों में से कौन है सेहत के लिए ज्यादा बेहतरभूलकर भी न रखें कटे फलएक्सपर्ट के अनुसार, आम और तरबूज को काटकर फ्रिज में स्टोर नहीं करना चाहिए। इस तरह रखने पर ये फल 'चिल इंजरी' का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में इनका स्वाद भी अच्छा नहीं रहता और रंग भी फीका हो जाता है। साथ ही खुला रखने पर इनकी सतह पर बैक्टीरिया भी पनपने का डर रहता है जिससे सेहत को नुकसान पहुंच सकता है।रूम टेम्प्रेचर पर ही रखें ये फलएक्सपर्ट का सुझाव है कि आप तरबूज, खरबूज और आम जैसे गूदेदार फलों को मार्केट से लाकर सीधे फ्रिज में स्टोर न करें। पहले इन फलों को कुछ देर तक ठंडे पानी में रखा रहने दें। इसके बाद इन्हें रूम टेम्प्रेचर पर ही रहने दें। हालांकि, खाने से पहले इन्हें काटकर कुछ देर फ्रिज में स्टोर कर सकते हैं। क्योंकि कटे हुए फल खुले में रखने से बेस्वाद हो सकते हैं।फ्रिज में अलग-अलग रखें फल और सब्जियांफ्रिज में कभी भी फल और सब्जियों को एक शेल्फ में स्टोर नहीं करना चाहिए। इन्हें अलग-अलग रखना चाहिए। क्योंकि फल और सब्जियां अलग तरह की गैस रिलीज करते हैं। साथ में स्टोर करने से इनके टेस्ट पर फर्क पड़ सकता है।रूम में रखने से बेहतर रहते हैं फलों के एंटीऑक्सीडेंट्सयूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर (USDA) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, तरबूज, खरबूजा या आम जैसे फलों को रूम टेंपरेचर में रखना ज्यादा बेहतर विकल्प होना चाहिए। बाहर रखने से इन फलों में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स सही रहते हैं जो हमारे शरीर के लिए कई तरह से लाभकारी होते हैं। - डायबिटीज के मरीजों को ब्लड शुगर का स्तर कंट्रोल में रखना बहुत जरूरी होता है। ब्लड शुगर स्तर नियंत्रण में रखने के लिए अच्छी डाइट और लाइफस्टाइल को फॉलो करना जरूरी होता है। गर्मियों में अनाज खाने की इच्छा कम होती है। ऐसे में अधिकतर लोग फलों का सेवन ज्यादा करते हैं। हालांकि, डायबिटीज रोगियों को गर्मियों में कुछ फलों का अधिक मात्रा में सेवन करने से बचना चाहिए।डायबिटीज रोगी गर्मियों में न खाएं ये फल1. तरबूजतरबूज गर्मियों में सबसे अधिक खाए जाने वाले फलों में से एक है। अधिकतर लोगों को तरबूज खाना बेहद पसंद होता है। इसमें पानी की मात्रा अधिक होती है। इसके साथ ही, तरबूज में चीनी भी होती है, जो डायबिटीज रोगियों में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ा सकती है। इसलिए अगर आपको डायबिटीज है, तो गर्मियों में कम मात्रा में ही तरबूज का सेवन करें। तरबूज शरीर को हाइड्रेटेड रखता है। इसे खाने से पेट की गर्मी शांत होती है और रिलैक्स फील होता है। अगर आप तरबूज का सेवन करना चाहते हैं, तो अपनी डाइट से चीनी की मात्रा को मैनेज करें। इससे ब्लड शुगर का स्तर भी कंट्रोल में रहेगा।2. आमआम अधिकतर लोगों का पसंदीदा फल होता है। गर्मियों में आम को खाना खूब पसंद किया जाता है। कोई आम को फल के रूप में खाता है, तो कोई मैंगो शेक पीना पसंद करता है। अकसर लोग एक दिन में खाना खाने के बाद खूब आम खा जाते हैं। लेकिन अगर आप डायबिटीज रोगी हैं, तो आम का सेवन अधिक मात्रा में करने से बचें। आम में शुगर और कार्ब्स अधिक होते हैं, जो रक्त में शुगर के स्तर को बढ़ा सकते हैं। आम दिन में एक आम खा सकते हैं। हालांकि, ज्यादा आम खाने से आपको बचना चाहिए।3. केलाकेला सभी मौसमों में मिलता है। केले में भी चीनी और कार्ब्स अधिक होते हैं। इसलिए डायबिटीज रोगियों को ज्यादा मात्रा में केले का सेवन नहीं करना चाहिए। केला डायबिटीज रोगियों में ब्लड शुगर के स्तर को अनियंत्रित कर सकता है।4. अनानासगमियों में शरीर में पानी की कमी को दूर करने के लिए अधिकतर लोग अनानास का सेवन करते हैं। अनानास एक खट्टा-मीठा फल है। इसमें कार्बोहाइड्रेट भी पाए जाते हैं। आपको बता दें कि 100 ग्राम अनानास में लगभग 13.1 ग्राम कार्ब्स होते हैं। अगर आप डायबिटीज रोगी हैं, तो अधिक मात्रा में अनानास का सेवन करने से बचें।
- भारतीय आयुर्वेद में दूध को बेहद महत्वपूर्ण बताया गया है। दूध पीने से आपकी हड्डियांं मजबूत होती है। साथ ही, रात के समय हल्का गर्म दूध केसर और जायफल के साथ पीने आपको कई बेहतरीन फायदे देखने को मिल सकते हैं। सामान्य प्रवृत्ति के लोगों द्वारा इस दूध को किसी भी मौसम में पिया जा सकता है। लेकिन, ज्यादातर इस दूध को सर्दियों के मौसम में पीना बेस्ट माना जाता है। यह दूध आपके नींद की क्वालिटी में सुधार लाता है। इसके साथ ही पाचन क्रिया व इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। इस दूध को पीने से आपको वायरल इंफेक्शन होने का खतरा कम होता है।रात में जायफल और केसर वाला दूध पीने के फायदेनींद की क्वालिटी को बेहतर बनाएंजायफल और केसर वाला दूध आपकी नींद के लिए आवश्यक होता है। यह नींद को बेहतर करने में सहायक होता है। जायफल में मिरिस्टिसिन नामक एक प्राकृतिक कम्पाउंड होता है, इसमे स्मुदिंग गुण होते हैं जो नींद लाने में मदद कर सकते हैं। वहीं, केसर में क्रोसिन और सफ़रनल जैसे एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो मूड को बेहतर बनाने और हल्के डिप्रेशन को दूर करने में मददगार होते हैं।पाचन क्रिया को बेहतर करनाजायफल और केसर का दूध पाचन क्रिया के लिए फायदेमंद होता है। पारंपरिक चिकित्सा में जायफल का इस्तेमाल लंबे समय से पेट फूलने, गैस और दस्त जैसी पाचन समस्याओं के लिए किया जाता रहा है। यह पाचन एंजाइम्स को बूस्ट करता है और भोजन को पचाने में मदद करता है। वहीं, केसर एसिडिटी और पाचन अग्नि को बनाए रखता है।इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाएंजायफल और केसर के दूध का नियमित सेवन आपकी इम्यून सिस्टम मजबूत बनती है। जायफल में विटामिन ए, सी और ई जैसे आवश्यक पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं, साथ ही मैग्नीशियम, कैल्शियम और मैंगनीज जैसे मिनरल्स भी होते हैं। ये पोषक तत्व इम्यून सिस्टम को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।हार्ट हेल्थ के लिए आवश्यकजायफल और केसर वाला दूध हार्ट हेल्थ के लिए फायदेमंद होता है। जायल के एक्टिव कम्पाउंड ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने और सर्कुलेशन को बेहतर करने में मदद करते हैं। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते है, जो नसों की सूजन को कम करते हैं। इससे हार्ट संबंधी बीमारियों का जोखिम कम होता है। वहीं केसर नसों में प्लाक को बनने से रोकता है। इससे हार्ट हेल्थ बेहतर होती है।संज्ञानात्मक कार्य को बढ़ाएं (कॉग्नेटिव कार्य)जायफल और केसर का दूध संज्ञानात्मक स्वास्थ्य को भी लाभ पहुंचा सकता है। जायफल में मिरिस्टिसिन और मैसेलिगनन जैसे आवश्यक तेल होते हैं, जो संज्ञानात्मक कार्य को बेहतर बनाने और न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों को रोकने में सहायक होते हैं।इस दूध के नियमित सेवन से आपको कई तरह के संक्रमण से बचाव होता है। इससे बनाने के लिए आप गर्म दूध में थोड़ा सा केसर और जायफल मिला दैं। रात को सोने से पहले इस दूध पीने से अधिक फायदेमंद देखने को मिल सकते हैं।
- गर्मियों में अंडरआर्म्स एरिया में अक्सर रैशेज और खुजली की समस्या रहती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अंडरआर्म्स में पसीना जल्दी इकट्ठा हो जाता है। पसीने के कारण अंडरआर्म्स में रैशेज और खुजली की समस्या होती है। रैशेज और खुजली की समस्या समय के साथ बढ़ सकती है। इसका इलाज करने के लिए तवचा को मॉइश्चराइज करना जरूरी है। त्वचा को मॉइश्चराइज करने के लिए बाजार में कई प्रकार के क्रीम और लोशन मिलते हैं। इनका इस्तेमाल करने के बजाय आप घर पर होममेड क्रीम बना सकते हैं। होममेड क्रीम में नेचुरल इंग्रीडिएंट्स होते हैं और ये त्वचा को नमी प्रदान करने में फायदेमंद माने जाते हैं। इस लेख में जानें अंडरआर्म्स में रैशेज और खुजली दूर करने के लिए होममेड क्रीम बनाने का तरीका और फायदे।अंडरआर्म्स के लिए होममेड क्रीम बनाने का तरीकानारियल तेल ,एलोवेरा जेल ,टी ट्री ऑयल,शिया बटरविधि:-सबसे पहले एक छोटे बर्तन में नारियल तेल को गर्म करें।-इस तेल में एलोवेरा जेल मिलाएं और अच्छी तरह से मिक्स करें।-इसके बाद मिश्रण में टी ट्री ऑयल की 3 से 4 बूंदें मिक्स करें।-अब मिश्रण में शिया बटर मिलाएं।-सभी सामग्रियों को अच्छी तरह से मिलाएं ताकि समान मिश्रण तैयार हो जाए।अंडरआर्म्स के लिए होममेड क्रीम का इस्तेमाल कैसे करें?अंडरआर्म्स के लिए होममेड क्रीम का इस्तेमाल करने के लिए पहले अंडरआर्म्स को अच्छी तरह से साफ करें। अंडरआर्म्स को अच्छी तरह से साफ करने के बाद होममेड क्रीम को अप्लाई करें। क्रीम को लगाकर हल्के हाथ से मालिश करें ताकि क्रीम त्वचा में अच्छी तरह से समा जाए। बेहतर परिणाम के लिए क्रीम को दिन में 2 बार लगाएं। सुबह और शाम क्रीम को लगाएंगे, तो त्वचा मुलायम रहेगी।अंडरआर्म्स के लिए होममेड क्रीम के फायदे-अंडरआर्म्स के लिए होममेड क्रीम का इस्तेमाल फायदेमंद है क्योंकि इसमें शिया बटर मौजूद है।-शिया बटर की मदद से त्वचा मुलायम बनती है और खुजली की समस्या दूर होती है।-इस क्रीम में मौजूद टी ट्री ऑयल की मदद से त्वचा को रैशेज और खुजली से बचाया जा सकता है।-अंडरआर्म्स के लिए इस क्रीम को इस्तेमाल करने से त्वचा को एलोवेरा जेल के फायदे मिलेंगे, एलोवेरा जेल में एंटीबैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं। एंटीबैक्टीरियल गुणों की मदद से त्वचा को इंफेक्शन से बचाया जा -सकता है।
- पैनिक अटैक एक तरह की मानसिक स्थिति है। इसमें व्यक्ति कई बार कुछ निगेटिव विचारों के चलते अचानक घबराहट, किसी चीज का डर और बैचेनी होने लगती है। यह लक्षण कुछ मिनटों पर ही अधिक बढ़ सकते हैं। इस दौरान व्यक्ति को पसीना आना, कांपना, सांस फूलने लगती है। यह समस्या ट्रिगर करने वाले कई कारक जैसे रिश्तों में दरार, फाइनेंशियल प्रॉब्लम, दवाओं का साइड इफेक्ट, शराब, आसपास लोगों का बुरा बर्ताव, पोषक तत्वों की कमी और तनाव का स्तर बढ़ने आदि की वजह से हो सकती हैं। पैनिक अटैक एक गंभीर समस्या है जो किसी भी समय हो सकती है। लेकिन, रात में होने वाले पैनिक अटैक अधिक परेशान करने वाले होते हैं। ये न केवल आपकी नींद में खलल डालते हैं बल्कि आपकी मानसिक और शारीरिक सेहत पर भी बुरा असर डालते हैं।रात में पैनिक अटैक से बचने के उपाय -रिलैक्सेशन तकनीक अपनाएंरात में पैनिक अटैक को रोकने का एक सबसे अच्छा तरीका है रिलैक्सेशन तकनीकों का अभ्यास करना। डीप ब्रीदिंग, प्रोग्रेसिव मसल रिलैक्सेशन, और मेडिटेशन जैसी तकनीकों का नियमित अभ्यास आपकी नर्वस सिस्टम को शांत करने में मदद करता है। इससे आप मानसिक रूप से शांत और स्थिर रह सकते हैं।सोने की नियमित दिनचर्या बनाएंअच्छी नींद के लिए नियमित दिनचर्या बहुत महत्वपूर्ण है। हर दिन एक ही समय पर सोने और जागने की आदत डालें। इससे आपका शरीर और मस्तिष्क एक नियमित पैटर्न में आ जाते हैं, जिससे पैनिक अटैक का खतरा कम हो जाता है। सोने से पहले थोड़ी देर किताब पढ़ें या संगीत सुनने से भी आपको आराम मिल सकता है।कैफीन और शराब से बचेंकैफीन और शराब आपके नर्वस सिस्टम को ट्रिगर कर सकती हैं, जिससे पैनिक अटैक की संभावना बढ़ जाती है। सोने से कम से कम 4-6 घंटे पहले कैफीन और शराब का सेवन बंद कर दें। इसके बदले में हर्बल चाय या गर्म दूध का सेवन कर सकते हैं।स्वस्थ भोजन करेंस्वस्थ और संतुलित आहार आपके मानसिक और शारीरिक सेहत के लिए महत्वपूर्ण है। अत्यधिक चीनी और प्रौसेस्ड फूड आपके ब्लड शुगर के स्तर को बढ़ा सकते हैं, जिससे पैनिक अटैक का खतरा बढ़ जाता है। अपने आहार में अधिक फल, सब्जियां, प्रोटीन और साबुत अनाज शामिल करें।नियमित व्यायाम करेंनियमित व्यायाम तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है। दिन में कम से कम 30 मिनट का व्यायाम आपके मूड को सुधारने और पैनिक अटैक की संभावना को कम करने में सहायक हो सकता है। ध्यान रखें कि सोने से ठीक पहले अत्यधिक शारीरिक गतिविधि न करें, क्योंकि यह आपकी नींद को प्रभावित कर सकती है।सकारात्मक सोचेंसकारात्मक सोच से आपको पैनिक अटैक में आराम मिलता है। नकारात्मक विचार और चिंता को दूर करने के लिए सकारात्मक विचारों पर फोकस करें। हर दिन कुछ मिनट निकालकर अपने बीते दिनों की सकारात्मक बातों पर ध्यान केंद्रित करें।रात में पैनिक अटैक को नियंत्रित करना बेहद कठिन हो सकता है। लेकिन, सही तकनीकों को अपनाकर आप इसे आसानी से नियंत्रित कर सकते हैं। नियमित रिलैक्सेशन, हेल्दी लाइफस्टाइल और एक्सपर्ट के सपोर्ट से आप पैनिक अटैक को रोक सकते हैं।
- पोटैशियम हमारे शरीर के लिए जरूरी है। जिन लोगों को डायबिटीज या हाई बीपी की समस्या है, उन्हें किडनी डिजीज से बचने के लिए पोटैशियम रिच फूड्स का सेवन करने की सलाह दी जाती है। पोटैशियम रिच फूड्स का सेवन करने से स्ट्रोक से भी बचाव होता है। लेकिन कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि अगर आपको किडनी से संबंधित कोई समस्या है, तो केला खाना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। केला, आलू, स्वीट पोटैटो और पकी हुई पालक में पोटैशियम की मात्रा ज्यादा होती है। जिन लोगों को किडनी संबंधित समस्या होती है, उनके लिए पोटैशियम रिच फूड्स को पचाना मुश्किल हो जाता है। अगर पोटैशियम रिच फूड्स का ज्यादा सेवन करेंगे, तो शरीर में पोटैशियम की मात्रा तेजी से बढ़ने लगेगी। किडनी स्टेज 3, किडनी स्टेज 4 के मरीज या जो मरीज डायलिसिस पर हैं, उनके शरीर में पोटैशियम की मात्रा कभी-कभी जल्दी बढ़ जाती है। ऐसे में लोगों को अक्सर यह कंफ्यूजन रहता है कि केला और आलू खाएं या नहीं।किडनी की समस्याओं से जूझ रहे कुछ लोगों के लिए ज्यादा केला खाना हानिकारक हो सकता है। केले में कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं। यह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद फल है। केला खाने से इलेक्ट्रोलाइट का संतुलन बना रहता है और किडनी ठीक ढंग से काम करती है। केले में फाइबर होता है, जो पाचन क्रिया को आसान बनाता है और किडनी से विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है। केला ऊर्जा का अच्छा स्रोत है जो किडनी और अन्य अंगों की कार्यक्षमता में सुधार लाता है। लेकिन केला उच्च पोटैशियम का स्रोत है। किडनी रोग में डॉक्टर लो पोटैशियम डाइट लेने की सलाह देते हैं। ऐसे में केले का अधिक सेवन उनके लिए हानिकारक हो सकता है। डायलिसिस और क्रॉनिक किडनी रोग होने पर पोटैशियम की मात्रा कम करनी होती है। इसलिए डाइट में किसी भी तरह का बदलाव करने से पहले डॉक्टर से संपर्क करें। दवा और डाइट के आधार पर डॉक्टर बताएंगे कि आपको डाइट में केला और आलू को शामिल करना चाहिए या नहीं।क्या आलू खाना किडनी के लिए हानिकारक है?-किडनी की समस्याओं वाले व्यक्तियों को आलू के सेवन में सावधानी बरतनी चाहिए। खासकर अगर उन्हें पोटैशियम के उच्च स्तर से बचना है। आलू में पोटैशियम की मात्रा को कम करने के लिए, आलू को छोटे टुकड़ों में काटकर पानी में भिगोकर रखें और फिर पकाकर खाएंगे, तो पोटैशियम की मात्रा कम हो सकती है। आलू का सेवन संतुलित मात्रा में और सही तरीके से किया जाए तो यह किडनी स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन किडनी रोग से पीड़ित लोगों को अपने आहार में आलू शामिल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए। आलू में फाइबर की भी अच्छी मात्रा होती है, जो पाचन तंत्र को सुधारता है जिससे किडनी की समस्याओं से बचा जा सकता है लेकिन इसकी सीमित मात्रा ही खानी चाहिए।
- स्किन को हेल्दी रखने के लिए देखभाल करना सबसे ज्यादा जरूरी है। सही देखभाल के जरिये आप स्किन इंफेक्शन और एलर्जी के खतरे को भी कम कर सकते हैं। कई बार हम स्किन रूटीन तो फॉलो करते हैं, लेकिन इसका असर हमें नजर नहीं आता है। क्योंकि हम ऐसी चीजें इस्तेमाल कर रहे होते हैं, जो असल में हमारी स्किन को नुकसान करती हैं। इस लेख के माध्यम से जानें इन चीजों के बारे में।चेहरे पर साबुन लगानाकई लोग चेहरा धोने के लिए साबुन इस्तेमाल करते हैं। लेकिन इससे चेहरे की त्वचा को नुकसान हो सकता है। साबुन में सोडियम लॉरिल सल्फेट नामक केमिकल मौजूद होता है। साबुन में यह केमिकल झाग पैदा करने के लिए डाला जाता है। लेकिन लंबे समय तक इसके इस्तेमाल से त्वचा को नुकसान हो सकता है। इसके इस्तेमाल से आपकी स्किन डैमेज हो सकती है और आपको स्किन प्रॉब्लम्स हो सकती है। लंबे समय तक इसके इस्तेमाल से स्किन से ऑयल कम होने लगता है। इससे स्किन में ड्राईनेस और इरिटेशन बढ़ सकती है।पेट्रोलियम जेलीकुछ लोग स्किन को मॉइस्चराइज करने के लिए पेट्रोलियम जेली लगाते हैं। लेकिन चेहरे पर पेट्रोलियम जेली लगाना आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है। अगर आपको एक्ने या ब्रेकआउट की समस्या रहती है, तो आपको इसे चेहरे पर नहीं लगाना चाहिए। अगर आपकी ड्राई स्किन है, तो आप इसे थोड़ी मात्रा में त्वचा पर इस्तेमाल कर सकते हैं।बॉडी लोशनअगर आप स्किन को मॉइस्चराइज और हाइड्रेट रखने के लिए बॉडी लोशन इस्तेमाल करते हैं, तो इससे आपकी त्वचा को नुकसान हो सकता है। क्योंकि बॉडी लोशन को शरीर के लिए बनाया जाता है। हमारे चेहरे की त्वचा शरीर के मुकाबले थोड़ी हल्की होती है। ऐसे में इसे चेहरे पर इस्तेमाल करने से त्वचा को नुकसान हो सकता है।टोनर लगानात्वचा में निखार लाने के लिए कई लोग चेहरे पर टोनर भी इस्तेमाल करते हैं। यह स्किन पर ग्लोइंग रखने में मदद करता है। लेकिन मार्केट के ज्यादातर टोनर में ऐल्कोहॉल इस्तेमाल किया जाता है। इनके इस्तेमाल से आपको त्वचा निखरी और सॉफ्ट लग सकती है। लेकिन लंबे समय तक इसके इस्तेमाल से स्किन ड्राई होने लगती है। यह स्किन को ड्राई कर देता है। जिससे स्किन और भी ज्यादा ऑयल बनाने लगती है।इन बातों का विशेष रखें ध्यानस्किन को हेल्दी रखने के लिए रिफाइंड प्रोडक्ट अवॉइड करें। क्योंकि ये चीजें स्किन एलर्जी और इंफेक्शन का कारण बन सकती हैं।अपनी स्किन टाइप के मुताबिक ही स्किन केयर प्रोडक्ट्स चुनें। क्योंकि इससे स्किन को हेल्दी रहने में मदद मिलती है।दिन में दो बार स्किन को क्लीन जरूर करें। इससे त्वचा की गहराई से सफाई होती है।Advertisementअगर आपकी स्किन सेंसिटिव है, तो कोई भी प्रोडक्ट इस्तेमाल करने से पहले एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। लेख में दी गई जानकारी पसंद आई हो, तो इसे शेयर करना न भूलें।
- रसोई में कभी बर्तनों के ऊपर तो कभी पके हुए भोजन के आसपास आपने कई बार सेहत के दुश्मन कॉकरोचों को घूमते हुए देखा होगा। रसोई में इधर-उधर घूमकर भोजन को दूषित करने वाले कॉकरोच घर की महिलाओं के लिए सिरदर्द का कारण होते हैं। जिनसे छुटकारा पाने के लिए कई बार लोग बाजार में मिलने वाले केमिकल्स और दवाओं का सहारा तक लेने से पीछे नहीं हटते हैं। लेकिन समस्या तब और ज्यादा बढ़ जाती है, जब इन दवाओं से कॉकरोच तो नहीं भागते लेकिन घर के सदस्य जरूर बीमार पड़ने लगते हैं। अगर आप भी तिलचट्टों के आतंक से परेशान हैं तो मिनटों में इनका सफाया करने के लिए अपनाएं ये किचन टिप्स।कॉकरोच से छुटकारा पाने के लिए अपनाएं ये घरेलू उपाय-तेज पत्ता-खाने का स्वाद बढ़ाने वाला तेजपत्ता आपके घर से कॉकरोच का सफाया करने में भी मदद कर सकता है। इस उपाय को करने के लिए तेजपत्ते को हाथ से मसलकर उसका चुरा बनाकर रसोई के हर उस कोने में डाल दें, जहां से आपको लगता है कॉकरोच आते हैं। तेजपत्ते की गंध से कोने में छिपे हुए कॉकरोच भी बाहर निकल आते हैं।बोरिक पाउडर-बोरिक पाउडर को आप आटे में गूंधकर आटे की छोटी-छोटी गोलियां बना लें। अब इन गोलियों को रसोईघर के हर उस कोने में रख दें, जहां भी कॉकरोच आते हों। आप देखेंगे कि धीरे-धीरे कॉकरोच गायब हो जाएंगें।लौंग-खाने में खुशबू बढ़ाने वाली लौंग, कॉकरोचों की दुश्मन होती है। अपनी किचन से कॉकरोच का सफाया करने के लिए आप नीम के तेल में लौंग का पाउडर बनाकर अच्छी तरह मिला लें। अब इस तेल को स्प्रे बोतल में डालकर कॉकरोच वाली जगहों पर स्प्रे करें। लौंग की गंध सूंघते ही कॉकरोच भाग जाएंगे।बेकिंग सोडा-बेकिंग सोडा की मदद से भी आप अपनी रसोई को कॉकरोच फ्री बना सकती हैं। इसके लिए एक कप में पानी,चीनी और बेकिंग सोडा डालें। अब इस घोल को घर के हर उस कोने में डाल दें जहां पर कॉकरोच होते हैं। घोल में मौजूद चीनी कॉकरोच को अपनी तरफ खींचती है और बेकिंग सोडा कॉकरोच के लिए जहर की तरह होता है। कॉकरोच घोल से चिपकते ही भाग जाते हैं या फिर मर जाते हैं।
- तपती धूप में शरीर तो डिहाइड्रेट होता ही है साथ ही साथ सनबर्न की समस्या भी बढ़ जाती है। तेज धूप में ज्यादा समय बिताने के कारण त्वचा पर जलन और लालिमा हो सकती है, जिसे आमतौर पर सनबर्न कहा जाता है। धूप से झुलसी त्वचा को रिपेयर करने के लिए लोग पार्लर में कई तरह के महंगे ट्रीटमेंट्स लेते हैं, लेकिन इनका कुछ खास असर नहीं होता है। अगर आप भी सनबर्न से परेशान हैं तो नेचुरल आयुर्वेदिक उपाय आजमा सकते हैं।धूप से झुलसी त्वचा का इलाज कैसे करें? -1. चंदन लेपआयुर्वेद में गर्मियों में शरीर पर चंदन लेप लगाने के अनेक फायदे बताए गए हैं। चंदन लेप में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, जो धूप से झुलसी त्वचा की लालिमा और जलन को कम करने में मदद कर सकते हैं। इसके लिए आपको एक बाउल में 4 चम्मच चंदन पाउडर को जरूरत अनुसार गुलाबजल मिलाकर एक पेस्ट तैयार करना होगा। चंदन के इस लेप को चेहरे समेत शरीर के उन हिस्सों पर लगाएं, जहां सनबर्न हुआ हो। चंदन के लेप को 15-20 मिनट तक लगा रहने दें और फिर ताजे पानी से इसे साफ करें। चंदर का लेप त्वचा को ठंडक प्रदान करता है और सनबर्न को कम करने में सहायक होता है। इसके साथ ही यह त्वचा की जलन और सूजन को कम करने त्वचा को नेचुरली ग्लोइंग बनाने में भी सहायक होता है। गर्मियों में आ चंदन लेप का इस्तेमाल नियमित कर सकते हैं।2. एलोवेराऔषधीय गुणों से भरपूर एलोवेरा का इस्तेमाल त्वचा को हील करने के लिए किया जा सकता है। हाइड्रेटिंग गुणों से भरपूर एलोवेरा में मौजूद गुण त्वचा को ठंडक पहुंचाते हैं और इसे रिपेयर करने में मदद करते हैं। एलोवेरा में विटामिन्स, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो धूप से झुलसी त्वचा की जलन को कम करते हैं और ठंडक पहुंचाते हैं। आप ताजे एलोवेरा जेल से अपने शरीर की मसाज कर सकते हैं और जब ये जेल सूख जाए तो ताजे पानी से साफ करें। एलोवेरा जेल सनबर्न को कम करता है और त्वचा को मॉइश्चराइज करता है।3. दहीसनबर्न की समस्या में दही का उपयोग कारगर साबित होता है। इसमें मौजूद लैक्टिक एसिड त्वचा को एक्सफोलिएट करता है जिससे त्वचा सॉफ्ट होती है। धूप से झुलसी त्वचा पर दही लगाने से तुरंत ठंडक मिलती है और त्वचा की जलन और लालिमा भी कम होती है। इसके लिए आप ताजे दही को अपने शरीर पर लगाकर मसाज कर सकते हैं और फिर स्नान कर लें। दही त्वचा को मॉइश्चराइज करके ठंडक और राहत प्रदान करता है।4. नारियल तेलएंटी-बैक्टीरियल गुणों से भरपूर नारियल का तेल सनबर्न की समस्या को कम करने में सहायक हो सकता है। आप नहाने के पहले नारियल तेल से अपने शरीर की मालिश कर सकते हैं, यह त्वचा को पोषण देता है। धूप से झुलसी त्वचा पर नारियल तेल लगाने से जलन से राहत मिलती है। नारियल तेल का इस्तेमाल करने से त्वचा की नमी बरकरार रहती है, ये त्वचा को अंदर से रिपेयर करने में सहायक होता है।
- गर्मियों में लीची खाना भला किसे पसंद नहीं होगा। आगे जानते हैं गर्मी को शांत के लिए लीची से हेल्दी ड्रिंक्स कैसे तैयार करें। लीची में एंटीऑक्सीडेंट्स (Antioxidants), विटामिन, और मिनरल्स पाए जाते हैं। लीची से कई तरह की ड्रिंक्स तैयार की जा सकती हैं। यह ड्रिंक्स शरीर की गर्मी को कम करने और गर्मी के दुष्प्रभावों को भी दूर करने में सहायक होती हैं।लीची समर ड्रिंक्सलीची मेलन बॉल (Lychee Melon Balls)-इस ड्रिंक को बनाने के लिए आप करीब 8 से 10 लीची के पल्प को मिक्सी में मैश कर लें।-इसके बाद इसमें करीब दो से चार चम्मच नींबू का रस मिलाएं।-अब इसमें करीब आधा बोतल सोडे की मिलाएं।-इसके बाद इस ड्रिंक्स में बर्फ को क्रश करके डालें।-अब सभी को अच्छे से मिला लें।-अंत में इसमें तरबूज के गोल या चोकर काटकर पीस डालें।-तैयार ड्रिंक को कांच के गिलास में सर्व करें और ऊपर से पुदिने की दो पत्तियां डाल दें।लीची लेमनेड (Lychee Lemonade)-इस ड्रिंक को बनाने के लिए आप एक कप लीची का पल्प निकाल लें।-इसके बाद पल्प में पुदिने की करीब छह-सात पत्तियां मिलाकर मिक्सी में पीस लें।-तैयार पल्प को एक बाउल में निकाल लें।-इसमें करीब एक कप लीची का जूस मिलाएं और ऊपर से दो नींबू का रस मिलाएं।-अंत में आवश्यकतानुसार नमक और क्रश बर्फ मिलाएं।-आपकी ड्रिंक्स सर्व कनरे के लिए तैयार हैं।लीची कोकोनट मॉकटेल (Lychee Coconut MockTail)-इसे बनाने के लिए आप करीब 5 से 8 लीची का पल्प ले लें।-इस पल्प को पीस लें।-अब इसे एक बड़े बाउल में निकालें। इसके बाद इसमें करीब 200 मिली ग्राम नारियल पानी मिलाएं।-इसके बाद इसमें लीची का 100 ग्राम जूस मिलाएं।-ऊपर से करीब दो नींबू का रस और सूखा जीरे का पाउडर मिलाएं।-अब इसमें क्रश्ड बर्फ को मिलाकर कुछ देर चलाएं।-गर्मियों में आपकी लीची कोकोनट कूलिंग मॉकटेल तैयार हैं।इन ड्रिंक्स को आप गर्मियों में किसी भी समय पी सकते हैं। यदि, आपको पहले से ही किसी तरह की स्वास्थ्य समस्या या एलर्जी है, तो ऐसे में डॉक्टर की सलाह के बाद ही इस तरह के ड्रिंक्स पिएं। गर्मियों के सामान्य लक्षण जैसे थकान और कमजोरी इससे दूर हो सकती है।
- पीरियड्स एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। हर लड़की को एक उम्र के बाद पीरियड्स होते हैं। यह हर महिला के लिए बहुत ज्यादा जरूरी माना जाता है। पीरियड्स लड़कियों को हर महीने होते हैं। पीरियड्स के दौरान महिलाओं को साफ-सफाई का भी खास ध्यान रखना पड़ता है। पीरियड्स के दौरान अगर महिलाएं सफाई का ध्यान न रखें, तो इससे वजाइना में इंफेक्शन और कई तरह की गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। आज के जमाने में जब सोशल मीडिया, टीवी और यूट्यूब पर पैड्स, पीरियड्स हाइजीन को लेकर कई तरह के विज्ञापन चलाए जाते हैं, तब भी महिलाओं में पीरियड्स को लेकर कई तरह की भ्रांतियां फैली हुई हैं। ऐसे में पीरियड्स के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 28 मई को विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस यानी ‘वर्ल्ड मेंसट्रुअल हाइजीन डे’ (World Menstrual Hygiene Day) मनाया जाता है। आइए जानते हैं इस दिन का इतिहास और महत्व।मेंसट्रुअल हाइजीन डे का इतिहास-मेंसट्रुअल हाइजीन डे को मनाने की शुरुआत 2013 में जर्मन की एक नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन डब्ल्यूएएसएच (WASH) यूनाइटेड द्वारा की गई थी। इस संस्थान के लोगों का कहना था कि महिलाओं को अपने संवैधानिक अधिकारों के साथ-साथ पर्सनल हाइजीन से जुड़ी जानकारी भी होनी चाहिए। संस्थान का कहना था कि पीरियड्स हेल्थ और स्वच्छता महिलाओं और लड़कियों के मौलिक अधिकारों को कम कर देती है, जिससे सामाजिक और आर्थिक असमानताएं बिगड़ती हैं। इसलिए सबसे पहले महिलाओं को पीरियड्स और मेंसट्रुअल हाइजीन के बारे में बताना जरूरी है। इस शुरुआत के बाद संस्थान द्वारा पहली बार 28 मई को 2013 को मेंसट्रुअल हाइजीन डे मनाया गया। इसके बाद साल 2014 से हर साल 28 मई को मेंसट्रुअल हाइजीन डे मनाया जाता रहा है।मेंसट्रुअल हाइजीन डे का महत्व-इस दिन को 28 मई को मनाने का उद्देश्य बहुत खास है। दरअसल, महिलाओं को महीने से 3 से 5 दिन पीरियड होते हैं। अमूमन पीरियड्स का सर्कल 28 दिनों का माना जाता है। यही वजह है कि मेंसट्रुअल हाइजीन डे को मानने के लिए 28 तारीख को चुना गया।मेंसट्रुअल हाइजीन डे की थीमहर साल 28 मई को नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन डब्ल्यूएएसएच यूनाइटेड द्वारा एक खास थीम पर मेंसट्रुअल हाइजीन डे मनाया जाता है। इस साल संस्थान द्वारा मेंसट्रुअल हाइजीन डे की थीम "टुगेदर फॉर ए #पीरियडफ्रेंडलीवर्ल्ड" रखी गई है। इस खास मौके पर विश्व स्तर पर कई तरह के नुक्कड़ नाटक और कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।मेंस्ट्रुअल हाइजीन के प्रति जागरूकता क्यों जरूरी है?आधुनिक भारत में आज भी पीरियड्स को लेकर जागरूकता नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी महिलाएं पीरियड्स के दौरान सैनिटरी पैड नहीं बल्कि घर में मौजूद कोई पुराने और गंदे कपड़े का इस्तेमाल करती हैं। जिसकी वजह से महिलाओं को वेजाइना में खुजली, जलन और रैशेज की समस्या का सामना करना पड़ता है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के अनुसार लगभग 50 प्रतिशत महिलाएं पीरियड्स में कपड़ों का इस्तेमाल करती हैं। गंदे कपड़े का इस्तेमाल करने की वजह से महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर, प्रजनन मार्ग में संक्रमण, हेपेटाइटिस बी और मूत्र मार्ग में संक्रमण जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। महिलाओं को इन बीमारियों से बचाने के लिए मेंस्ट्रुअल हाइजीन के प्रति लोगों में जागरूकता फैलना बहुत जरूरी है।
- न्यूट्रिशनिस्ट से लेकर आयुर्वेदिक एक्सपर्ट तक हर कोई पानी पीना फायदेमंद मानता है। अगर आप पर्याप्त पानी पीते हैं, तो इससे आपकी बॉडी हाइड्रेटेड रहती है। ज्यादा पानी पीने से बीमारियों का खतरा भी कम होता है। पानी पीने से बॉडी से टॉक्सिन्स बाहर आते हैं। इससे बॉडी एक्टिव और एनर्जेटिक भी रहती है। पानी पीने से आपको वेट लॉस में भी मदद मिल सकती है। यह बॉडी को कैलोरी बर्न करने में भी मदद कर सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं वेट लॉस के लिए कितना पानी पीना जरूरी है?वेट लॉस के लिए पानी पीना क्यों फायदेमंद है?आयुर्वेदिक एक्सपर्ट कहते हैं कि पानी पीना हमारे समस्त स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। यह बॉडी से टॉक्सिन्स निकालने में मदद करता है, जिससे बीमारियों का खतरा कम होता है। लेकिन वेट लॉस के लिए कितना पानी पीना चाहिए, यह शरीर की जरूरत पर निर्भर करता है। इसके अलावा शरीर के दोष, शारीरिक गतिविधि और प्यास के मुताबिक ही पानी की मात्रा रखनी चाहिए।वेट लॉस के लिए पानी कैसे पीना चाहिएहल्का गर्म पानी पिएं-आयुर्वेद के अनुसार वजन घटाने के लिए ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए। क्योंकि इससे पेट की अग्नी शांत हो जाती है, जिससे वजन घटाने में मुश्किल होती है। इसकी जगह आप सादा पानी या हल्का गर्म पानी पी सकते हैं। इससे पेट की अग्नी तेज होती है और कैलोरी बर्न करने में मदद करती है।घूंट-घूंट करके पिएंआयुर्वेद के मुताबिक एक बार में ज्यादा पानी पीने के बजाय घूंट-घूंट करके पिएं। क्योंकि इससे बॉडी की हाइड्रेशन मेंटेन रहती है। साथ ही, इससे पाचन तंत्र भी स्वस्थ रहेगा। इसलिए एक बार में कई गिलास पानी पीने के बजाय थोड़-थोड़ा पानी पीते रहें।खाने से पहले पानी पिएंअगर आप खाने से पहले पानी पीते हैं, तो इससे आप ज्यादा कैलोरी इनटेक नहीं करते हैं। यह पाचन क्रिया तेज करता है और कब्ज का खतरा कम करने में मदद करता है। इससे भूख भी कंट्रोल रहती है और आप ओवरईटिंग नहीं करते हैं। आयुर्वेद के मुताबिक अगर आप खाने से पहले पानी पी रहे हैं, तो खाने से 30 मिनट पहले पानी पिएं।अपने शरीर की जरूरत समझेंआपको अपनी शरीर की जरूरत के मुताबिक भी पानी पीना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार एक दिन में दो लीटर पानी पीना शरीर के लिए जरूरी है। लेकिन अगर आपके शरीर की जरूर ज्यादा है, तो आपको ज्यादा पानी का सेवन करना चाहिए।वेट लॉस के लिए कितना पानी पीना जरूरी है?आयुर्वेद के अनुसार केवल पानी पीने से आपको वजन घटाने में मदद नहीं मिलती है। इसके लिए डाइट और वर्कआउट फॉलो करना भी जरूरी है। दिनभर में कम से कम 2 लीटर यानी 8 से 10 गिलास पानी जरूर पिएं। यह डेली हाइड्रेशन को मेंटेन करेगा। साथ ही, इससे आप एक्स्ट्रा कैलोरी इनटेक भी नहीं करेंगे। हर किसी के शरीर के मुताबिक उसे अपना वाटर इनटेक रखना चाहिए।
- चिलचिलाती धूप, गर्म हवाओं और गर्मी की वजह से त्वचा से जुड़ी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। गर्मी की वजह से बेचैनी, दस्त, उल्टी जैसी समस्याओं से परेशान होना पड़ सकता है। इस मौसम में लू लगना बेहद आम है। लू लगने पर आपको चक्कर आने, सिरदर्द, पसीना आना, बेहोशी, कमजोरी जैसा अनुभव हो सकता है। लू से बचने के लिए आपको अपनी डाइट और लाइफस्टाइल का खास ख्याल रखना जरूरी होता है। अगर आपको लू लग गई है या लू की वजह से दिक्कते हो रही हैं, तो जानें क्या खाएं और क्या नहीं।लू लगने पर क्या खाएं?-1. नारियल पानीनारियल पानी विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर होता है। नारियल पानी पीने से शरीर हाइड्रेटेड रहता है। आपको गर्मियों में नारियल पानी जरूर पीना चाहिए। लू लगने पर नारियल पानी पीना फायदेमंद होता है। इससे शरीर को एनर्जी मिलती है और बेचैनी भी दूर होती है। आप रोज सुबह खाली पेट नारियल पानी पी सकते हैं।2. नींबू पानीलू लगने पर आपको नींबू पानी का सेवन जरूर करना चाहिए। नींबू पानी पीने से शरीर को एनर्जी मिलती है। इससे ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल में रहता है। इसके लिए आप एक गिलास पानी लें। इसमें नींबू का रस मिलाएं और काला नमक डालें। अब आप इस पानी को पी लें। इससे आपको काफी आराम मिलेगा।3. ओआरएस घोललू लगने पर आप ओआरएस घोल पी सकते हैं। लू लगने या ब्लड प्रेशर कम रहने पर डॉक्टर भी ओआरएस घोल पी सकते हैं। इस घोल को पीने से शरीर से पानी की कमी दूर होती है। अगर आप रोज ओआरएस घोल पिएंगे, तो इससे शरीर को कई लाभ मिलते हैं।4. बेल का शरबतगर्मियों में लू लगने पर बेल का शरबत पी सकते हैं। बेल की तासीर ठंडी होती है। अगर आप गर्मियों में बेल का शरबत पिएंगे, इससे शरीर को ठंडक मिलेगी। आप बेल का शरबत घर पर बना सकते हैं। बेल का शरबत स्वादिष्ट होने के साथ ही पौष्टिक भी होता है। गर्मियों में आपको बेल का शरबत जरूर पीना चाहिए। बेल का शरबत पीने से शरीर आपकी बेचैनी और घबराहट भी ठीक हो सकती है।5. धनिया पुदीने का पानीगर्मियों में धनिया औप पुदीने का पानी पीना सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है। इसके लिए एक बोतल पानी लें। इसमें धनिया और पुदीने के पत्ते डालें। अब इन्हें अच्छी तरह से उबाल लें। फिर छानकर इस पानी को पी लें। इससे आपको रोज सुबह खाली पेट पी सकते हैं।लू लगने पर क्या नहीं खाना चाहिए?--लू लगने पर आपको चाय-कॉफी का सेवन करने से बचना चाहिए। गर्मियों में ज्यादा कैफीन इनटेक से परहेज करें।-लू लगने पर आपको सोडा या कार्बोनेटेड पेय पीने से बचें।लू लगने पर आपको गर्म तासीर की चीजों का सेवन करने से परहेज करना चाहिए।-लू लगने पर आपको ज्यादा मसालेदार चीजों से बचना चाहिए। साथ ही, ज्यादा मात्रा में चीनी के सेवन से भी परहेज करें।
- खानपान में गड़बड़ी और खराब जीवनशैली के कारण पेट से जुड़ी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। पेट में गैस और एसिडिटी की समस्या सबसे कॉमन है। बहुत ज्यादा तला-भुना और मसालेदार भोजन का सेवन, शराब पीने और स्मोकिंग अदि की वजह से एसिडिटी का खतरा रहता है। एसिडिटी से छुटकारा पाने के लिए खानपान और जीवनशैली से जुड़े सुधार करने चाहिए। एसिडिटी या पेट में गैस की समस्या से छुटकारा पाने के लिए लौकी का जूस पीना फायदेमंद होता है। आइए इस लेख में विस्तार से समझते हैं, एसिडिटी में लौकी का जूस पीने के फायदे और सही तरीका।एसिडिटी में लौकी का जूस पीने के फायदे-लौकी एक पौष्टिक सब्जी है जिसमें 96% पानी होता है। इसमें विटामिन सी, विटामिन बी, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम, आयरन और फाइबर जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। ये सभी तत्व मिलकर लौकी को स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद बनाते हैं। "पेट में गैस, एसिडिटी या पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याओं में लौकी के जूस का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। नियमित रूप से सुबह के समय लौकी के जूस का सेवन करने से पेट और पाचन तंत्र को फायदा मिलता है।"लौकी के जूस के फायदेलौकी के जूस में कई गुण होते हैं जो एसिडिटी के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं-1. पेट में शांति: लौकी का जूस पेट को ठंडा रखने में मदद करता है, जो पेट और गले में जलन को कम करने में मदद करता है। यह तुरंत राहत देता है और एसिडिटी के लक्षणों को कम करता है।2. पाचन में सुधार: लौकी के जूस में फाइबर की उच्च मात्रा होती है, जो पाचन को सुधारता है। यह पेट में एसिड के उत्पादन को नियंत्रित करता है और कब्ज जैसी समस्याओं से भी राहत दिलाता है।3. एसिड को न्यूट्रलाइज: लौकी का जूस प्राकृतिक रूप से क्षारीय होता है, जो पेट के एसिड को न्यूट्रलाइज करता है। यह एसिडिटी के लक्षणों को कम करने में मदद करता है और पेट को आराम देता है।4. हाइड्रेशन: लौकी में 96% पानी होता है, जो शरीर को हाइड्रेटेड रखता है। हाइड्रेशन पाचन क्रिया को सही रखने में मदद करता है और एसिडिटी को नियंत्रित करता है।5. डिटॉक्सिफिकेशन: लौकी का जूस शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है। यह लिवर और किडनी की सफाई करता है, जिससे पाचन तंत्र बेहतर तरीके से काम करता है और एसिडिटी की समस्या कम होती है।लौकी का जूस कैसे बनाएं?-जरूरी सामग्री-एक मध्यम आकार की लौकी-एक छोटा टुकड़ा अदरक-एक चुटकी काला नमक (स्वाद अनुसार)-पानीइसे बनाने के लिए इन तरीकों को फॉलो करें--लौकी को धोकर छील लें और छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें।-मिक्सर या जूसर में लौकी के टुकड़े डालें।-अदरक का टुकड़ा भी डालें (वैकल्पिक)।-थोड़ा पानी मिलाकर अच्छी तरह से पीस लें।-जूस को छान लें और एक गिलास में निकाल लें।-स्वाद अनुसार काला नमक मिलाएं और ताजगी के साथ पिएं।सुबह खाली पेट लौकी का जूस पीना सबसे अधिक फायदेमंद होता है। यह पाचन तंत्र को सक्रिय करता है और दिनभर पेट को ठंडा रखता है। हमेशा ताजे लौकी के जूस का ही सेवन करें। बोतलबंद या पैकेज्ड जूस में संरक्षक और अतिरिक्त शर्करा हो सकती है, जो एसिडिटी को बढ़ा सकती है।
- दूध पीना हमारे समस्त स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। यह हड्डियों को मजबूती देने के कारण शरीर को मजबूत बनाने में मदद करता है। दूध में सभी पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो इम्यूनिटी बनाए रखने में मदद करते हैं। अगर आप रोज सुबह दूध पीते हैं, तो इससे आपको काफी देर तक भूख नहीं लगती है। कुछ लोगों को गर्म दूध का सेवन करना पसंद होता है, तो कई लोग ठंडा दूध पीना पसंद करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं गर्मियों में गर्म दूध पीना ज्यादा बेहतर है या ठंडा दूध। क्या गर्मियों में गर्म दूध पीने से परेशानी हो सकती है? आइए इस लेख में जानें इन प्रश्नों के उत्तर।गर्म और ठंडे दूध में से गर्मियों में क्या ज्यादा फायदेमंद है?गर्मियों में आप गर्म या ठंडा दोनों तरह से दूध का सेवन कर सकते हैं। दोनों प्रकार से दूध का सेवन करने के अलग-अलग फायदे होते हैं। लेकिन आपको वातावरण का तापमान और अपनी सेहत के मुताबिक ही सही विकल्प चुनना चाहिए। ऐसे में आपको कुछ चीजों का ध्यान रखकर ही दूध का सेवन करना चाहिए।गर्मियों में गर्म दूध का सेवन कब करना चाहिए?गर्मियों में गर्म दूध का सेवन आपको रात में सोते समय कर सकते हैं। इस दौरान आप गुनगुना दूध पी सकते हैं। अगर आपको कब्ज या पाचन संबंधित समस्याएं रहती हैं, तो आप गुनगुने दूध का सेवन कर सकते हैं। इसके सेवन से आपकी पाचन क्रिया तेज होगी और आपको एसिडिटी से भी काफी राहत मिलेगी। लेकिन अगर आपको गर्मियों में हीट स्ट्रोक या लू लगने जैसी समस्या हो गई है, तो आपको गर्म दूध अवॉइड करना चाहिए।गर्मियों में ठंडे दूध का सेवन कब करना चाहिए?पेट में जलन या पेट फूलने की समस्या में आप ठंडे दूध का सेवन कर सकते हैं। इससे आपको पाचन की समस्याओं में काफी आराम मिलेगा। इसके लिए आप एक गिलास सादा ठंडा दूध ले सकते हैं। इसके अलावा, इससे स्मूदी या शेक बनाकर भी इसका सेवन किया जा सकता है। आप गर्मियों में सुबह नाश्ते या लंच में भी ठंडे दूध का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा आप शाम के स्नैक्स में भी शेक या स्मूदी बनाकर भी इसका सेवन कर सकते हैं।गर्मियों में ठंडे दूध का सेवन करने के फायदेगर्मियों में ठंडे दूध का सेवन करने से आपकी बॉडी हाइड्रेट रहेगी। इससे आपके पेट को ठंडक मिलेगी। साथ ही आपकी बॉडी भी रिलैक्स रहेगी। गर्मियों में ठंडा दूध पीने से आपको काफी देर तक भूख नहीं लगेगी। जिससे यह आपके लिए वेट लॉस का भी अच्छा विकल्प हो सकता है।अगर आपको किसी स्वास्थ्य समस्या के लिए रोज दवा लेते हैं, तो आपको एक्सपर्ट की सलाह पर ही इसका सेवन करना चाहिए।
- सोलकढ़ी कोंकण क्षेत्र का एक फेमस पाचक ड्रिंक है। महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के कई राज्यों में गर्मियों के मौसम में विशेषतौर पर सोलकढ़ी ड्रिंक को बनाया जाता है। सोलकढ़ी की तासीर ठंडी होती है, इसलिए जब भी घर में कोई मेहमान आता है, तो उसे सोलकढ़ी ही सर्व की जाती है। इस ड्रिंक के सेवन से आपकी बॉडी को तुरंत ठंडक मिलती है। सोलकढ़ी को खासतौर पर कोकम और नारियल से तैयार किया आ जाता है। हम आपके लिए लेकर आए हैं इस स्पेशल एनर्जी ड्रिंक की रेसिपी और फायदे।सोलकढ़ी से सेहत को मिलने वाले फायदे-सोलकढ़ी हार्ट हेल्थ, स्किन और बालों के लिए बहुत फायदेमंद होती है। सोलकढ़ी में एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-कैंसर, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल और कार्डियो-प्रोटेक्टिव जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। आइए जानते हैं सोलकढ़ी से सेहत को मिलने वाले फायदों के बारे में।1. हार्ट को रखता है हेल्दीसोलकढ़ी हार्ट हेल्थ के लिए बहुत फायदेमंद होती है। इसको बनाने के लिए नारियल का दूध और चुकंदर का इस्तेमाल किया जाता है। एनसीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, नारियल का दूध शरीर में अच्छे HDL कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने का काम करता है। जब शरीर में अच्छे एचडीएल का लेवल बढ़ता है, तो इससे ब्लड प्रेशर नॉर्मल रहता है और हार्ट से जुड़ी बीमारियां नहीं होती हैं।2. पेट को रखता है ठंडागर्मियों में अक्सर लोगों को पाचन से जुड़ी समस्याएं हो जाती हैं। इन समस्याओं से राहत दिलाने में भी सोलकढ़ी काफी फायदेमंद होती है। सोलकढ़ी में फाइबर होता है। फाइबर पेट को डिटॉक्सीफाई करता है और खाना पचाने की प्रक्रिया को आसान बनाता है। गर्मियों में सोलकढ़ी पीने से मल को मुलायम बनाने और मल त्याग की प्रक्रिया को ठीक किया जा सकता है।3. बालों और स्किन को रखता है ग्लोइंगसोलकढ़ी बालों और स्किन के लिए बहुत फायदेमंद होती है। सोलकढ़ी में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट तत्व मौजूद होते हैं। जिसकी वजह से बालों को मजबूत और त्वचा को ग्लोइंग बनाने का काम करता है।कोकम सोलकढ़ी बनाने के लिए सामग्री-गर्मियों के मौसम में सोलकढ़ी को विशेषतौर पर महाराष्ट्र में पिया जाता है। इस ड्रिंक को घर पर बनाना बहुत ही आसान है। आइए जानते हैं कैसे बनाई जाती है सोलकढ़ी...आधा कप कोकमअदरक का आधा टुकड़ा2-3 हरी मिर्च1 कच्चा नारियल6 से 7 लहसुनकाली मिर्च2 चम्मच जीराचुटकी भर हींगचाट मसालानमक1 बड़ा पीस चुकंदरगुड़धनिया के पत्ते और बर्फ के टुकड़े ड्रिंक को सजाने के लिए।कोकम सोलकढ़ी बनाने की विधिसोलकढ़ी को बनाने के लिए सबसे पहले एक छोटा कप पानी में कोकम को भिगोने के लिए 1 घंटे के लिए छोड़ दें। जब तक कोकम भीग रहा है, तब तक एक कच्चा नारियल लें और उसके छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें।इसके बाद एक बड़ा ब्लेंडर जार लें और उसमें भीगा हुआ कोकम, नारियल के टुकड़े, हरी मिर्च, अदरक, काली मिर्च, हींग, चाट मसाला, नमक और कटा हुआ चुकंदर काटकर डालें और ब्लेंड कर लें।सभी चीजों को ब्लेंड करने के बाद इसमें थोड़ा सा पानी और गुड़ डालकर 1 मिनट के लिए पीस लें। अब इस मस्लिन का कपड़ा लेकर ब्लेंड किए हुए मिश्रण को छानकर एक जार में निकाल लें।आपकी सोलकढ़ी सर्व करने के लिए तैयार हो चुकी है। अब एक गिलास में बर्फ, बारीक कटा हुआ हरा धनिया और सोलकढ़ी को डालकर ठंडा-ठंडा सर्व करें।क्या होता है कोकमगार्सिनिया इंडिका , मैंगोस्टीन परिवार (क्लूसियासी) का एक पौधा, जिसे आमतौर पर कोकम के नाम से जाना जाता है, एक फल देने वाला पेड़ है जिसका पाक, औषधीय और औद्योगिक उपयोग होता है। यह मुख्य रूप से भारत के पश्चिमी घाटों में उगता है: महाराष्ट्र , गोवा , कर्नाटक और केरल राज्यों में।इसके गहरे लाल रंग के छिलके को सुखाकर अम्चूर जैसा खट्टा मसाला बनाया जाता है, जो सब्जियों, दाल और मछली की करी में डाला जाता है। कोकम का उपयोग पारंपरिक भारतीय चिकित्सा में सदियों से किया जाता रहा है और यह अपने विभिन्न स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है।. इस फल में कई औषधीए गुण भी पाए जाते हैं । देखने में यह सेब की तरह लगता है।
- भारतीय खाने का स्वाद उसके तड़के में छिपा होता है। दाल, सब्जी या चटनी किसी भी खाने में छौंका (तड़का) लग जाने के बाद स्वाद दोगुना हो जाता है। भारतीय व्यंजनों में प्राचीन समय से ही तड़के के लिए अलग-अलग तरह के हर्ब्स का उपयोग किया जा रहा है क्योंकि ये न सिर्फ खाने का स्वाद दोगुणा करते हैं बल्कि सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होते हैं। इंडियन फूड्स में लगने वाले इन तड़कों में कई तरह की जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है, जो हमारे किचन में मौजूद होती हैं। वहीं भारतीय खाने में कुछ ऐसी जड़ी-बूटियां हैं, जिनका उपयोग नियमित रूप से खाने में तड़ता लगाने के लिए किया जाता है, जो सेहत के लिए काफी लाभकारी होते हैं।खाने में तड़का लगाने के आयुर्वेदिक फायदेसरसों के बीज के फायदे -सरसों का तड़का लगाने से हमारे शरीर में वात और कफ खत्म हो जाते हैं। खाने में सरसों का तड़का लगाने से दिल से जुड़ी बीमारियों का जोखिम कम होता है। खाने में सरसों के बीज से तड़का लगाने से आपका पाचन बेहतर रहता है क्योंकि सरसों आपके पाचन को बढ़ावा देते हैं, जिससे खाना आसानी से पच जाता है। सरसों के बीज में डिटॉक्सीफिकेशन गुण भी होते हैं, जो शरीर से टॉक्सिक पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं। इस बीज के सूजनरोधी गुण शरीर में सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं।जीरा के फायदे -दाल या कई व्यंजनों में जीरा का तड़का जरूर लगता है। जीरा में ऐसे गुण होते हैं, जो पाचन को बढ़ावा देने, पेट की ऐंठन को कम करने और एसिडिटी की समस्या दूर करने में मदद कर सकते हैं। जीरा एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं, जो सेल्स को मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचा सकते हैं। जीरा का सेवन इम्यूनिटी बूस्ट करने और शरीर को इंफेक्शन या बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं।हींग के फायदेहींग में कार्मिनेटिव गुण होते हैं, जो हमारे शरीर के पाचन एंजाइमों के उत्पादन को बढ़ावा देकर ब्लोटिंग की समस्या को कम करने और खाना पचाने में मदद करता है। हींग में सूजन रोधी गुण भी होते हैं, जो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में सूजन से राहत दिलाने का काम कर सकते हैं। आयुर्वेद में हींग का उपयोग अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और खांसी जैसी सांस से जुड़ी बीमारियों के इलाज के लिए भी किया जाता है।मेथी के बीज के फायदेमेथी दाने इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार और इंसुलिन रेसिसटेंश को कम करके ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं। खाने में मेथी के बीज का तड़का लगने से पाचन बेहतर रहता है, कब्ज की समस्या से राहत मिलता है और टॉक्सिक पादर्थों को शरीर से बाहर निकालने में मदद मिलती है। मेथी दाने एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर और ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने में मदद कर सकते हैं, जो हार्ट हेल्थ के लिए जरूरी है।करी पत्ते के फायदेकरी पत्ते अपने पाचन गुणों के लिए जाने जाते हैं, जो अपच से राहत दिलाने और पाचन को बेहतर रखने का काम करते हैं। करी पत्ते एंटीऑक्सिडेंट और पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, जो बालों के विकास को बढ़ावा देते हैं, समय से पहले बालों को सफेद होने से रोकते हैं और बालों को मजबूत करते हैं। इनके जीवाणुरोधी गुण इंफेक्शन से लड़ने और समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।इन आयुर्वेदिक हर्ब्स का खाने में तड़का लगाने से आपके खाने का स्वाद भी बढ़ता है और सेहत भी बेहतर रहती है।
- 55 साल की उम्र में भी बॉलीवुड एक्ट्रेस भाग्यश्री काफी यंग और खूबसूरत नजर आती हैं। हर कोई एक्ट्रेस की खूबसूरती और फिटनेस का राज जानने की कोशिश करने में लगा रहता है। एक्ट्रेस भाग्यश्री सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं, जहां वे अपने लाइव अपडेट्स के साथ अपने फैंस को फिट रहने के टिप्स और स्किन को हेल्दी और ग्लोइंग रखने के सीक्रेट्स शेयर करती हैं। अगर आप भी एक्ट्रेस भाग्यश्री की तरह ग्लोइंग और हेल्दी स्किन चाहती हैं, तो परेशान न हो भाग्यश्री ने इंस्टाग्राम पर हालही में एक पोस्ट शेयर करके अपनी दमकती त्वचा का राज बताया है। एक्ट्रेस अपनी स्किन को हेल्दी रखने के लिए घर पर बने इस उबटन का इस्तेमाल करती हैं। आइए जानते हैं स्किन को ग्लोइंग बनाने वाले इस उबटन को बनाने के तरीके और इसके फायदों के बारे में।ग्लोइंग स्किन के लिए फेस पैक कैसे बनाएं?ओट्स- 2 बड़े चम्मचदूध- 2 बड़े चम्मचशहद- 1 बड़ा चम्मचफेस मास्क बनाने की विधि--सबसे पहले ओट्स को एक ब्लेंडर जार में डाल लें और उसे बारीक पीस लें।-अब पिसे हुए जई को एक मिक्सिंग बाउल में डालें।-बाउल में दूध और शहद डालकर अच्छी तरह मिला दें।-इन सभी सामग्रियों को तब तक मिलाएं जब तक आपको एक चिकना पेस्ट न मिल जाए।-अगर आपको मिश्रण बहुत गाढ़ा लगे तो इसमें आप थोड़ी और मात्रा में दूध मिला सकते हैं।-पेस्ट तैयार होने के बाद अपने चेहरे पर मास्क लगाने से पहले फेस अच्छी तरह धो लें।-अब साफ उंगलियों या ब्रश की मदद से आंखों को बचाते हुए, मास्क को अपने चेहरे पर समान रूप से लगाएं।-मास्क को अपने चेहरे पर लगभग 15 से 20 मिनट तक लगा रहने दें।-मास्क ड्राई होने के बाद गुनगुने पानी से धीरे-धीरे अपने चेहरे को धो लें।-अपने चेहरे को साफ तौलिये से थपथपाकर सुखाएं और फेस पर मॉइस्चाराइजर लगाएं।चेहरे पर फेस पैक लगाने के फायदे-ओट्स में सैपोनिन होता है, जो स्किन को धीरे से एक्सफोलिएट करने, डेड स्किन सेल्स और चेहरे की अशुद्धियों को हटाने में मदद करता है, जिससे स्किन चिकनी और चमकदार बनती है।-दूध लैक्टिक एसिड से भरपूर होता है, जो स्किन को हाइड्रेट और मॉइस्चराइज करने में मदद करता है, जिससे त्वचा मुलायम होती है।-शहद एक प्राकृतिक ह्यूमेक्टेंट है, जो स्किन को नमी खींचने में मदद करता है। साथ ही इसमें सूजन-रोधी गुण भी होते हैं, जो खुजली वाली स्किन को शांत करने में मदद करता है।-जई, दूध और शहद का मिश्रण आपकी स्किन के रंग को बढ़ावा देने में मदद करता है, जिससे स्किन चमकदार बनती है।-शहद एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है, जो स्किन को डैमेज होने और समय से पहले बूढ़ा होने से बचाने में मदद करता है, जिससे त्वचा स्वस्थ रहती है।ओट्स, दूध और शहद फेस मास्क का नियमित इस्तेमाल करने से स्किन हेल्दी, पोषित और चमकदार बनाने में मदद मिलती है।
- हाई यूरिक एसिड शरीर में बनने वाला एक अपशिष्ट पदार्थ है। शरीर में इसकी मात्रा बढ़ने पर जोड़ों में दर्द, उंगलियों और हड्डियों में सूजन समेत कई गंभीर समस्याओं का खतरा रहता है। यूरिक एसिड वैसे तो पेशाब के रास्ते फिल्टर होकर बाहर निकल जाता है। लेकिन खानपान में गड़बड़ी, खराब जीवनशैली और कुछ कारणों से जब इसकी मात्रा शरीर में बढ़ने लगती है, तो यह ब्लड में जाकर जमा हो जाता है। यूरिक एसिड का बढ़ना एक सामान्य समस्या नहीं है, इसकी वजह से कई गंभीर समस्याओं का खतरा रहता है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं, शरीर में यूरिक एसिड बढ़ने पर किन सब्जियों का सेवन नहीं करना चाहिए और इसके नुकसान।यूरिक एसिड बढ़ने पर कौन सी सब्जियां नहीं खानी चाहिए?-हाई यूरिक एसिड शरीर में प्यूरीन नामक प्रोटीन से बनता है। प्यूरीन कुछ खाद्य पदार्थों में पाया जाता है और इसकी अधिक मात्रा का सेवन करने से शरीर में यूरिक एसिड बढ़ने का खतरा रहता है। शरीर में यूरिक एसिड बढ़ने की स्थिति को हाइपरयूरिसीमिया (Hyperuricemia) कहते हैं। "हाई यूरिक एसिड की समस्या में हाई प्यूरीन फूड्स का सेवन करने से बचना चाहिए। ऐसा करने से जल्दी यूरिक एसिड को कंट्रोल करने में मदद मिलेगी और शरीर हेल्दी रहेगा।"हाई यूरिक एसिड की समस्या में इन सब्जियों का सेवन करने से बचना चाहिए-1. पालक: पालक एक स्वादिष्ट और पौष्टिक सब्जी है, लेकिन इसमें प्यूरीन की मात्रा ज्यादा होती है। इसलिए, हाई यूरिक एसिड की समस्या में पालक का सेवन न करने की सलाह दी जाती है। यूरिक एसिड बढ़ने पर पालक खाने से शरीर को गंभीर नुकसान पहुंच सकते हैं।2. मशरूम: मशरूम में भी प्यूरीन की मात्रा ज्यादा होती है। इसका ज्यादा सेवन करने से यूरिक एसिड का स्तर बढ़ सकता है और कई गंभीर समस्याओं का खतरा रहता है। यूरिक एसिड बढ़ने पर इसका बहुत ज्यादा सेवन करने से बचना चाहिए।3. फूलगोभी: फूलगोभी का सेवन भी यूरिक एसिड के मरीजों के लिए फायदेमंद नहीं होता है। फूलगोभी में प्यूरीन की अधिक मात्रा होती है, इसका सेवन करने से कई गंभीर समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।4. अंडे: अंडे में भी प्यूरीन की मात्रा ज्यादा होती है और इसका ज्यादा सेवन यूरिक एसिड में नुकसानदायक हो सकता है।5. ब्रोकली: हाई यूरिक एसिड में ब्रोकली का सेवन नुकसानदायक होता है। इसमें प्यूरीन की मात्रा ज्यादा होती है और हाई यूरिक एसिड में ब्रोकली का ज्यादा सेवन करने से दर्द और सूजन बढ़ सकती है।हाई यूरिक एसिड के लक्षणशरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने पर ये लक्षण दिखाई देते हैं--जोड़ों में गंभीर दर्द और सूजन-बार-बार पेशाब आना-जोड़ों को छूने पर दर्द होना-किडनी स्टोन की समस्या-किडनी से जुड़ी गंभीर समस्याएं-पीठ में गंभीर दर्द-उठने-बैठने में परेशानी होना-उंगलियों में सूजन आनाशरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने पर आपको खानपान और जीवनशैली में सुधार जरूर करना चाहिए। शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने पर प्यूरीन से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसे फूड्स जिनमें प्यूरीन की मात्रा अधिक होती है उसका सेवन बहुत कम मात्रा में करना चाहिए।
- वर्तमान समय में हाइपरटेंशन एक आम समस्या बन चुकी है, जिसके कारण हर साल लाखों लोग हार्ट और किडनी की गंभीर समस्याओं से पीड़ित हो जाते हैं। हाई ब्लड प्रेशर यानी हाइपरटेंशन को साइलेंट किलर भी कहा जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि कि यह धीरे-धीरे व्यक्ति के शरीर को अंदर से खोखला करता है। हाइपरटेंशन की समस्या स्ट्रेसफुल और अनहेल्दी लाइफस्टाइल के कारण सबसे ज्यादा होती है। इसके अलावा यह एक जनेरेशन से अगली जनेरेशन में भी हो सकती है, यानी अगर आपके परिवार में किसी को हाइपरटेंशन की समस्या है तो आने वाली पीढ़ी में भी ये गंभीर समस्या हो सकती है।उच्च रक्तचाप के लिए आयुर्वेदिक घरेलू उपचार1. अर्जुन की छालहाइपरटेंशन को कंट्रोल करने और हार्ट को हेल्दी रखने के लिए आप फ्लेवोनोइड्स और पोषक तत्वों से भरपूर अर्जुन की छाल का सेवन कर सकते हैं। इससे मांसपेशियों को ताकत मिलती है और हार्ट हेल्थ बेहतर होती है। हाइपरटेंशन कंट्रोल करने के लिए 1 इंच अर्जुन की छाल को एक कप पानी में डालकर 5-10 मिनट तक उबालें। अब उबाले हुए पानी को ठंडा होने दें और फिर इसे छानकर पिएं। इसके अलावा आप गाय के दूध में भी इसे उबालकर पी सकते हैं। इसे रोजाना पीने से हाइपरटेंशन की समस्या कम हो सकती है, साथ ही कमजोरी भी दूर होती है और शरीर एनर्जेटिक रहता है।2. लहसुनलहसुन का इस्तेमाल लगभर हर घर में होता है, जो कि हाई ब्लड प्रेशर की समस्या को कंट्रोल करने में सहायक हो सकता है। लहसुन का सेवन हाइपरटेंशन को कंट्रोल कर सकता है और हार्ट हेल्थ को बेहतर बना सकता है। लहसुन को कच्चा या पका हुआ खाने में शामिल किया जा सकता है। आप लहसुन को गुनगुने पानी के साथ मिलाकर भी ले सकते हैं। ध्यान रखें कि लहसुन का सेवन डॉक्टर की सलाह पर उचित मात्रा में ही करें। ज्यादा लहसुन का इस्तेमाल आपके लिए नुकसानदायक भी हो सकता है।3. तुलसीऔषधीय गुणों से भरपूर तुलसी का इस्तेमाल आयुर्वेद में कई समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है। हाई ब्लड प्रेशर में भी तुलसी का उपयोग लाभकारी होता है। तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो रक्तचाप यानी हाइपरटेंशन को नियंत्रित कर सकते हैं। 3-4 तुलसी की पत्तियों को 1 गिलास पानी में उबालकर पीने से फायदा होता है। इसके अलावा आप तुलसी की पत्तियों का पेस्ट भी पानी में मिलाकर पी सकते हैं।4. दालचीनीदालचीनी में मौजूद मिनरल्स, एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण हाइपरटेंशन को कंट्रोल करने में सहायक हो सकते हैं। हार्ट को हेल्दी रखने और हाइपरटेंशन की समस्या को दूर करने के लिए आप डॉक्टर या आयुर्वेदाचार्य की सलाह पर रोजाना उचित मात्रा में दालचीनी के पानी का सेवन कर सकते हैं। 1 इंच दालचीनी के टुकड़े को रातभर के लिए 1 गिलास पानी में भिगोकर अगली सुबह आप पी सकते हैं। इसके अलावा आप पानी में दालचीनी को उबालकर भी इसे तैयार कर सकते हैं। दालचीनी का पानी पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में भी मदद कर सकता है।5. इलायचीइलायची एक ऐसा मसाला है, जो लगभग हर भारतीय किचन में मौजूद होता है। हरी इलायची का इस्तेमाल खाने में कई तरीकों से किया जाता है। पोटैशियम, मैग्नीशियम के साथ एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर इलायची शरीर में हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में सहायक हो सकती है और दिमाग भी को शांत करती है। हाइपरटेंशन कंट्रोल करने के लिए आप इलायची का सेवन चबाकर कर सकते हैं। इसके अलावा रात में सोने से पहले गाय के दूध में भी इलायची पाउडर डालकर पी सकते हैं। इससे न सिर्फ हाइपरटेंशन की समस्या कंट्रोल होने में मदद मिल सकती है बल्कि पाचन से जुड़ी अन्य समस्याएं भी दूर हो सकती हैं।(नोट कोई भी उपाय करने से पहले किसी योग्य चिकित्सक की सलाह अवश्य लें)
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आमतौर पर लोग दूध वाली चाय का ही सेवन करते हैं। भारत में मसाला चाय और हर्बल चाय का भी चलन है। सावधानीपूर्वक और सही तरीके से चाय का सेवन करने से शरीर को फायदे भी मिलते हैं। लेकिन गलत तरीके से इसका सेवन करना सेहत के लिए गंभीर होता है। चाय का सेवन करने वाले कुछ लोग इसमें नमक मिलाकर भी पीते हैं। नमक वाली चाय सेहत के लिए बहुत नुकसानदायक हो सकती है।
नमक वाली चाय पीने के नुकसान-नमकीन चाय एक प्रकार की चाय है जिसमें नमक और अन्य मसाले डाले जाते हैं। अक्सर लोग चाय बनाते समय दूध के साथ कुछ मात्रा में नमक भी डाल देते हैं। सर्दी-जुकाम या इन्फेक्शन होने पर भी लोग नमकीन चाय का सेवन करते हैं। चाय में दूध के साथ नमक मिलाकर पीना नुकसानदायक होता है। नमक वाली चाय का सेवन करने से कई गंभीर नुकसान का खतरा रहता है। इसलिए चाय में दूध के साथ नमक मिलाकर पीने से बचना चाहिए।नमक वाली चाय पीने के नुकसान इस तरह से हैं-1. हाई ब्लड प्रेशर: दूध वाली चाय में नमक डालकर पीने से हाई ब्लड प्रेशर का खतरा रहता है। नमक ज्यादा खाने से ब्लड में नाट्रियम की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे बीपी बढ़ सकता है।2. शरीर में पानी भरना: नमक वाली चाय का ज्यादा सेवन करने से शरीर में पानी भर सकता है। इसकी वजह से पेशाब की समस्या भी हो सकती है।3. गैस और एसिडिटी: नमक के अधिक सेवन से पाचन तंत्र में समस्याएं हो सकती हैं, जिससे गैस और एसिडिटी का खतरा रहता है। यह पेट में असहजता और तकलीफ का कारण बन सकता है।4. पाचन तंत्र के लिए हानिकारक: नमकीन चाय का अधिक सेवन करने से पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचता है। इससे कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।5. शरीर में पानी की कमी: नमक के अत्यधिक सेवन से शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है, जिससे कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।नुकसान से कैसे बचें?नमक वाली चाय का सेवन शरीर में ऊपर बताई गई समस्याओं का कारण हो सकता है। इसके अलावा चाय का भी ज्यादा मात्रा में सेवन करने से कई गंभीर नुकसान होने का खतरा रहता है। चाय पीने की वजह से होने वाले नुकसान से बचने के लिए हेल्दी डाइट और एक्टिव लाइफस्टाइल अपनानी चाहिए। इसके नुकसान से बचने के लिए डाइट में फल, सब्जी और हेल्दी चीजों को शामिल करें। नियमित रूप से व्यायाम और एक्सरसाइज का अभ्यास करने से भी इसके नुकसान को कम करने में मदद मिलती है। - बॉडी को हाइड्रेट रखने के लिए पानी पीना जरूरी है। अगर आप पूरी तरह हाइड्रेट नहीं है, तो इससे आपको कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इससे आपकी पाचन क्रिया धीमी हो सकती है, साथ ही आपको कब्ज, अपच और एसिडिटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। डिहाइड्रेट होने के कारण आपको उल्टी, चक्कर आना और शरीर में थकावट रहने जैसी समस्याएं होने लगेंगी। बॉडी को हाइड्रेट रखने के साथ वजन घटाने के लिए भी पानी पीना जरूरी है। कई लोग तो केवल पानी की मात्रा बढ़ाकर ही वजन घटाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं वजन घटाने के लिए पानी कब पीना चाहिए?सुबह खाली पेटसुबह की शुरुआत आपको हमेशा पानी पीकर करनी चाहिए। इस दौरान गुनगुना पानी पीना फायदेमंद होता है। आप अपनी दिनचर्या की शुरुआत करने से पहले दो गिलास गुनगुना पानी जरूर पिएं। इसके बाद अगर आप वर्कआउट करते हैं या वॉक पर जाते हैं, तो आपकी बॉडी हाइड्रेट रहेगी। साथ ही इससे बॉडी वेस्ट भी बाहर आ जाएगा।खाने से पहलेअपना कोई भी मील लेने से आधे घंटे पहले पानी जरूर पिएं। इससे भूख कंट्रोल होती है। जिससे आप अपने मील में कम कैलोरी इनटेक करते हैं। इसलिए हर मील से पहले एक गिलास पानी जरूर पिएं।वर्कआउट के दौरानवर्कआउट करते दौरान पानी जरूर पिएं। इस दौरान आप इलेक्ट्रोलाइट वाटर या सादा पानी भी ले सकते हैं। इससे आपको वर्कआउट करते दौरान एनर्जी मिलेगी। साथ ही, आप हाइड्रेट भी रहेंगे।ज्यादा भूख लगने परकई बार बॉडी डिहाइड्रेट होने के कारण भी हमें ज्यादा भूख लगती है। अगर आपको सभी मील समय पर लेने के बावजूद भूख लगती रहती है, तो एक गिलास पानी पी लें। इससे आपकी भूख कंट्रोल होगी और आप कम कैलोरी इनटेक करेंगे।सोने से पहले-बॉडी में हाइड्रेशन मेंटेन रखने के लिए आप सोने से एक घंटा पहले पिएं। आप एक गिलास पानी सोने से पहले ले सकते हैं। लेकिन इस दौरान बहुत ज्यादा भी पानी न पिएं। क्योंकि इससे आप रातभर परेशान हो सकते हैं।वेट लॉस के लिए पानी पीना क्यों फायदेमंद है?खराब खानपान के कारण हमारे शरीर में टॉक्सिन्स जमा होने लगते हैं। यह टॉक्सिन्स एक्स्ट्रा कैलोरी इनटेक होने और वजन बढ़ने का कारण बनने लगते हैं। ऐसे में अगर आप पानी पीते हैं, तो इससे बॉडी से टॉक्सिन्स बाहर आने लगते हैं। पानी पीते रहते से मेटाबॉलिज्म भी बूस्ट होता है। इससे वजन तेजी से घटने लगता है। शरीर का मेटाबॉलिज्म जितना अच्छा होता है, उतनी जल्दी वजन घटाने में मदद मिलती है। अगर आप वेट लॉस कर रहे हैं, तो आप गुनगुने पानी का सेवन कर सकते हैं। साथ ही, ध्यान रखें कि एक बार में पीने के बजाय घूंट-घूंट करके पानी पिएं।
- जिन लोगों को कब्ज की समस्या रहती है, उन्हें भीगे हुए किशमिश खाने की सलाह दी जाती है। इसमें मौजूद फाइबर पाचन क्रिया तेज करने में मदद करता है। कई लोग वजन घटाने के लिए भी किशमिश के पानी का सेवन करते हैं। लेकिन क्या किशमिश का पानी पीने से सच में वजन घटाने में मदद मिलती है?किशमिश में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो आपके सेल्स को खतरनाक पदार्थों से बचाते हैं। किशमिश में फेरुलिक एसिड, रुटिन, क्वेरसेटिन और ट्रांस-कैफ्टेरिक एसिड जैसे कई कंपाउंड होते हैं। इसमें लेप्टिन और घ्रेलिन जैसे कंपाउंड होते हैं, जो क्रेविंग कंट्रोल रखने में मदद कर सकते हैं। इसमें प्राकृतिक रूप से शुगर की मात्रा कम होती है, जिससे यह ब्लड शुगर लेवल के कंट्रोल करने में मदद कर सकती है। इससे बॉडी में ब्लड शुगर कंट्रोल रहती है और कैलोरी इनटेक कम होता है। ये तेजी से वजन घटाने में मदद करता है।किशमिश का पानी पीने के फायदेइंसुलिन कंट्रोल रहता हैकिशमिश में प्राकृतिक रूप से शुगर की मात्रा कम होती है। भोजन के बाद किशमिश खाने से इंसुलिन कंट्रोल रहता है। साथ ही, ग्लाइसेमिक इंडेक्स बैलेंस रखने में मदद मिलती है।पाचन तंत्र के लिए फायदेमंदकिशमिश में नेचुरल मीठास होने के कारण यह एक हेल्दी स्नैक्स भी होता है। अगर आपको पेट में एसिड की समस्या रहती है, तो किशमिश का पानी पीने से राहत मिल सकती है। इसमें फाइबर होने के साथ एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो गट को हेल्दी रखने में मदद करते हैं। यह पाचन क्रिया को तेज करने में भी मदद करता है।बॉडी डिटॉक्स करता हैकिशमिश के पानी में मौजूद प्राकृतिक गुण बॉडी क्लीन करने में मदद करते हैं। यह नेचुरल डिटॉक्सिफायर की तरह काम करता है। इसके सेवन से शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स बाहर आ जाते हैं। किशमिश में आयरन की मात्रा अधिक होती है, जिससे बॉडी में रेड ब्लड सेल्स बनने में मदद मिलती है। रोज किशमिश का पानी पीने से शरीर में आयरन की कमी पूरी होती है। इससे एनीमिया को रोकने में भी मदद मिलती है।किशमिश के पानी का सेवन कैसे और कितनी मात्रा में करेंएक पैन में 2 कप पानी उबालें। अब इसमें 15-30 किशमिश डालें और रात भर भीगने के लिए छोड़ दें। सुबह पानी को छानकर गर्म कर लें। किशमिश के पानी को खाली पेट पियें। इसका स्वाद बढ़ाने के लिए आप इसमें नींबू भी मिला सकते हैं। ध्यान रखें कि किशमिश का पानी पीने के बाद आप अगले 30 मिनट तक कुछ भी न खाएं। क्योंकि इससे शरीर को इसके पूरे पोषक तत्व नहीं मिल पाएंगे।
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सूजन को कम करने के लिए कुछ घरेलू उपाय हो सकते हैं। ये उपाय सूजन को ठीक करने में मददगार साबित हो सकते हैं। जैसे कि, ठंडे पानी की एक ताव पर सूजन वाले स्थान पर लगाना, ताजा नींबू का रस पीना, और अदरक का सेवन करना।
लेकिन, ध्यान देने वाली बात यह है कि अगर सूजन लंबे समय तक बनी रहती है या बार-बार होती है, तो यह बीमारी का संकेत हो सकती है और इसे नज़दीकी डॉक्टर से जाँच करवाना चाहिए। सूजन के अनेक कारण हो सकते हैं, और सही उपचार के बिना, समस्या और बढ़ सकती है।
सूजन क्यों होती है--
शरीर में सूजन (Swelling) होने के कई कारण होतें। थायरॉयड, शुगर और किडनी की समस्या में सूजन शरीर में होती है। कई बार दवाओं के कारण भी ऐसा होता है। वाटर रिटेंशन के कई कारण होते हैं। हार्मोनल इम्बैलेंस और स्टेरॉयडयुक्त दवाओं के सेवन की वजह से सूजन (Swelling) की समस्या होती है। वहीं, पीरियड्स के एक सप्ताह पहले भी सूजन पेट में आ जाती है। कुछ सूजन (Swelling) अस्थाई होते हैं वहीं, कुछ सूजन (Swelling) शरीर में बने रहते हैं। ऐसे में जरूरी है कि इन सूजन से मुक्ति के उपाय किए जाएं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हमारे किचन में ही कई ऐसी होम रेमेडीज मौजूद हैं जो सूजन (Swelling) को कम करने में सहायक होती हैं।
सूजन को दूर करने के ये है अचूक घरेलू उपाय--
तुलसी– तुलसी की पत्तियों से बने काढ़े का सेवन करने से शरीर की सूजन को दूर करने में मदद मिल सकती है।
हल्दी– हल्दी एंटीसेप्टिक और एंटी-बायोटिक से भरी होती है। सूजन को दूर करने के लिए हल्दी को डाइट में शामिल करना चाहिए। हल्दी वाला दूध या हल्दी का पानी पीना फायदेमंद होता है।
जीरा– जीरा और चीनी को बराबर मात्रा में पीसकर दिन में तीन बार एक चम्मच खाने से सूजन को दूर किया जा सकता है।
ग्रीन टी- ग्रीन को सेहत के लिए काफी गुणकारी माना जाता है. ग्रीन टी और शहद के सेवन से सूजन की समस्या को दूर किया जा सकता है।
अलसी के बीज-अलसी के बीज भी सूजन को कम करने में सहायक होते हैं।