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- 40 साल के बाद चेहरे पर झुर्रियां, फाइन लाइंस, पिग्मेंटेशन और झाइयां पड़ने लगती हैं। इसलिए इस उम्र के बाद ज्यादातर महिलाएं स्किन को यंग और ग्लोइंग बनाए रखने के लिए महंगे स्किनकेयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करती हैं। खासकर, महिलाएं महंगे क्लींजर का प्रयोग करती हैं। जबकि, इनमें कई तरह के केमिकल्स होते हैं, जो त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में फेस क्लींजिंग के लिए आप घरेलू उपायों को आजमा सकती हैं। बेसन एक ऐसा ही घरेलू नुस्खा है, जिसे चेहरा धोने के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। बेसन त्वचा की गहराई से सफाई करता है और सारी धूल-मिट्टी और गंदगी को निकाल देता है। इसलिए आप भी चाहें तो बेसन से चेहरा धो सकती हैं। आइए, जानते हैं 40 साल के बाद बेसन से चेहरा कैसे धोएं (बेसन का पेस्टअगर आप 40 साल से ज्यादा उम्र की हैं, तो चेहरा धोने के लिए बेसन का इस्तेमाल कर सकती हैं। इसके लिए आप 2-3 चम्मच बेसन लें और इसमें थोड़ा-सा पानी मिलाएं। अब इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं और धीरे-धीरे से स्क्रब करें। 20-30 मिनट बाद चेहरे को नॉर्मल पानी से धो लें। इससे त्वचा के दाग-धब्बे रिमूव होंगे और चेहरे का निखार भी बढ़ेगा।बेसन और गुलाब जल40+ महिलाओं की स्किन डल और बेजान होने लगती है। ऐसे में चेहरे का ग्लो बढ़ाने के लिए आप बेसन और गुलाब जल का इस्तेमाल कर सकती हैं। गुलाब जल त्वचा को नमी प्रदान करता है। यह त्वचा का निखार बढ़ाने में मदद करता है। गुलाब जल त्वचा के पीएच लेवल को भी बैलेंस में बनाए रखता है। बेसन और गुलाब जल त्वचा पर जमी सारी गंदगी और धूल-मिट्टी को आसानी से निकाल देते हैं।बेसन और कच्चा दूध40 साल के बाद चेहरा धोने के लिए आप बेसन और कच्चे दूध का इस्तेमाल भी कर सकती हैं। इसके लिए आप 2 चम्मच बेसन लें और इसमें कच्चा दूध मिक्स करें। अब इस पेस्ट को चेहरे पर अप्लाई करें और आधे घंटे बाद त्वचा को धो लें। कच्चा दूध त्वचा की गहराई से सफाई करने में मदद करता है। इससे झाइयों और पिग्मेंटेशन से भी छुटकारा मिलता है। कच्चा दूध त्वचा का निखार बढ़ाता है।बेसन और एलोवेरा40+ महिलाएं बेसन में एलोवेरा मिलाकर चेहरा धो सकती हैं। इसके लिए आप 2-3 चम्मच बेसन लें। इसमें एलोवेरा जेल मिक्स करें। इस पेस्ट को चेहरे पर अप्लाई करें। 30-35 मिनट बाद चेहरे को सादे पानी से धो लें। एलोवेरा त्वचा को हाइड्रेट और मॉइश्चराइज करता है। इससे त्वचा पर जमी सारी गंदगी और अशुद्धियां भी निकल जाती है। बेसन और एलोवेरा जेल को मिक्स करके लगाने से दाग-धब्बे और झुर्रियां भी कम होती हैं।बेसन और दही40 साल के बाद चेहरे पर दाग-धब्बे, पिग्मेंटेशन और झाइयां हो जाती हैं। अगर आप भी इन समस्याओं से परेशान हैं, तो चेहरा धोने के लिए बेसन और दही का इस्तेमाल कर सकती हैं। इसके लिए आप 2 चम्मच बेसन और दही लें। इसे चेहरे पर अप्लाई करें और 2-3 मिनट तक मसाज करें। फिर चेहरे को सादे पानी से धो लें। दही में लैक्टिक एसिड होता है, जो दाग-धब्बों को मिटाने में असरदार होता है।
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एक हेल्दी, टेस्टी और बजट फ्रेंडली स्नैक की बात करें तो भुने हुए चने का का नाम जरूर आएगा। बरसों से ये हम भारतीयों की डाइट का हिस्सा हैं। ये शरीर को तुरंत एनर्जी देने का काम करते हैं और इनमें आयरन, जिंक और मैग्नेशियम जैसे कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं। वेट लॉस हो या डायबिटीज, लगभग हर बीमारी में ये एक परफेक्ट स्नैक का काम करते हैं। हालांकि लोगों के मन में अक्सर ये सवाल बना रहता है कि इन्हें छिलके सहित खाना चाहिए या बिना छिलके सहित। अब खा तो इन्हें दोनों तरीकों से सकते हैं लेकिन सवाल है कि आपके लिए किस तरह इन्हें खाना ज्यादा फायदेमंद होगा। तो चलिए जानते हैं छिलका या बिना छिलका, कैसे चने खान आपके लिए सही है।
छिलके सही चने खाने के फायदे
भुने हुए चने का जो भूरा छिलका होता है, वो फाइबर से भरपूर होता है। ऐसे में जब आप इन्हें छिलके सहित खाते हैं जो शरीर को फाइबर मिलता है, जिससे पाचन और मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है। अगर आपको कब्ज की शिकायत बनी रहती है, तो भी ये आपके लिए बड़े फायदेमंद हो सकते हैं। छिलके सहित चने खाने से पेट लंबे समय तक भरा हुआ रहता है और अनहेल्दी क्रेविंग कंट्रोल होती हैं। ऐसे में वेट लॉस और डायबिटीज के लिए छिलके सहित चने खाना ज्यादा फायदेमंद होता है। ओवरऑल गट हेल्थ के लिए भी ये ज्यादा हेल्दी होता है।
बिना छिलके के चने खाने के फायदे
कुछ लोग चने का छिलका रिमूव कर के ही खाना पसंद करते हैं। कारण सिंपल है कि चने का छिलका बहुत हार्ड होता है, जिस वजह से ये कई बार गले में भी अटक जाता है। इसके अलावा बिना छिलके के ये काफी लाइट वेट भी लगता है। हालांकि सेहत के लिहाज से देखें तो बिना छिलके के चने खाना उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है, जिन्हें पाचन में समस्या होती है। दरअसल कई लोगों के लिए फाइबर को पचाना मुश्किल होता है। ऐसे में अगर आपको भी एसिडिटी, गैस या ब्लोटिंग बनी रहती है तो आप बिना छिलके के चने खा सकते हैं।
छिलका या बिना छिलका, कैसे चने खाएं?
छिलके सहित चने खाएं या छिलका उतार कर, दोनों ही तरह से ये आपके लिए काफी हेल्दी होते हैं। छिलके से इनके प्रोटीन, मिनरल या अन्य पोषक तत्वों पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता है। हालांकि हर बॉडी अलग होती है और जो भी आपकी बॉडी को सूट करे वही तरीका सही होता है। इसलिए अपनी हेल्थ कंडीशन के हिसाब से देखें आपको क्या सूट होता है। - ज्यादा मोबाइल, लैपटॉप या टैबलेट का इस्तेमाल आंखों पर सीधा असर डालता है, जिसके चलते हर वर्ग के लोग आंखों से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे हैं। ऐसे में आंखों की देखभाल करना बेहद जरूरी हो जाता है। काली किशमिश आंखों की रोशनी बढ़ाने में मददगार साबित हो सकती है, जिसमें भरपूर पोषक तत्व मौजूद होते हैं। आइए विस्तार से इस बारे में जानते हैं कि काली किशमिश खाने से आंखों को क्या फायदे मिलते हैं, दिन में कितनी काली किशमिश खानी चाहिए।काली किशमिश में मौजूद पोषक तत्वकाली किशमिश जिसे मुनक्का भी कहा जाता है, जिसमें भरपूर पोषक तत्व शामिल हैं। इस ड्राई फ्रूट को खाने से न सिर्फ आंखों की रोशनी बढ़ती है, बल्कि कई और अन्य फायदे भी मिलते हैं। यह विटामिन ए से भरपूर है जो आंखों की रेटिना को स्वस्थ रखने में मदद करती है। इसके अलावा इसमें कैलोरी, प्रोटीन, फैट्स, कार्बोहाइड्रेट्स, शुगर, विटामीन सी, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, एंटीऑक्सीडेंट और पॉलिफेनॉल जैसे पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं। ये पोषक तत्व आंखों को किसी भी तरह के नुकसान से बचाते हैं। साथ ही ये आंखों में आई कमजोरी को कम करने में मदद करते हैं।काली किशमिश को कैसे खाएं-काली किशमिश को भिगोकर खाने का तरीका सबसे अच्छा माना जाता है। रात में 3-4 मुनक्का भिगोने डाल दें और सुबह खाली पेट खांए। इसके अलावा बच्चों को यह दूध में डालकर भी दिया जाता है, जिससे भरपूर पोषण मिलता है। इसके अलावा दिन में इसे कभी भी खा सकते हैं। अगर आप निमयित रूप से तीन या चार हफ्तों तक मुनक्का खाते हैं, तो आंखों की थकान, जलन और ड्रायनेस जैसी समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं।काली किशमिश को खाने के अन्य फायदे-काली किशमिश में भरपूर पोषक तत्व होते हैं। यह आंखों की रोशनी बढ़ाने में मददगार साबित हो सकती है, लेकिन इसके कई अन्य फायदे भी हैं। काली किशमिश हाई ब्लड प्रेशर को कम करता है और वजन कम करने में सहायक होता है। जानिए काली किशमिश खाने के कई अन्य फायदे क्या हैं?आंखों की रोशनी बढ़ाने में मददगारकाली किशमिश में विटामिन ए, विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट और पॉलिफेनॉल पोषक तत्व पाए जाते हैं। यह आंखों की रेटिना को स्वस्थ रखने में मदद करता है, जिस कारण आंखों की रोशनी बढ़ाने में मदद मिलती है।हाई ब्लड प्रेशर को कम करता हैकाली किशमिश फाइबर का स्त्रोत है जो शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है। पौटेशियम जैसे पोषक तत्वों की वजह से यह हाई बीपी के स्तर को कम करने में मदद करता है और संतुलित रखने में मददगार है। रोज काली किशमिश खाने से हाई बीपी, हार्ट अटैक जैसी बीमारियों का जोखिम भी कम हो सकता है।वजन कम करने में सहायककाली किशमिश में कैलोरी की मात्रा कम पाई जाती हैं, जिसके चलते रात भर 3-4 काली किशमिश भिगोकर सुबह खाली पेट खाने से वजन कम करने में भी मदद मिल सकती है।काली किशमिश खाने के साइड इफेक्ट्सकाली किशमिश के कई फायदे हैं, लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं है कि इसे अधिक मात्रा में खाएं। इसमें प्राकृतिक रूप से शुगर होता है, जिसके चलते डायबिटीज के मरीजों के लिए यह खाना ठीक नहीं है। उनके लिए रोज 2 मुनक्का खाना ही फायदेमंद साबित हो सकता है।-रात में 3-4 काली किशमिश भिगोकर सुबह खाली पेट खाएं और उस पानी को पी सकते हैं। इससे शरीर में कई फायदे मिलते हैं।-काली किशमिश में मौजूद विटामीन-ए, पॉलीफेनोलिक और मौजूद एंटीऑक्सीडेंट आंखों की रोशनी बढ़ाने में मदद करते हैं।-काली किशमिश खाने कई फायदे हैं। यह आयरन की कमी को दूर करने में मदद करती है, हड्डियों को मजबूत बनाती है, आंखों की रोशनी बढ़ाने में मदद करती है।
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लेखिका-शहनाज हुसैन-
(लेखिका अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सौंदर्य विशेषज्ञ है)सुन्दर चमकीली त्वचा, गठीला शरीर, छरहरा बदन,चेहरे पर यौवनता, चमकीले बाल तथा प्राकृतिक रूप से सुन्दर दिखने की चाहत में आज कल पिफटनेस सैन्टरों, जिम, सैलून, स्पा तथा बहु राष्ट्रीय कम्पनियों के मंहगे सौदर्य प्रसाधनों को खरीदने की होड़ आम देखी जा सकती है/ आज कल के प्रदूषण,तनाव, लाइफ स्टाइल तथा दिन रात की भागदौड़ भरी जिन्दगी से आप समय से पहले ही बूढ़े दिखने लगते हैं तथा युवा उम्र में ही चेहरे पर झुर्रियां ,कील मुहाँसे ,फुंसियाँ ,काले धब्बे लगातार परेशानी का सबब बन जाते हैं / अधिकांश लोग सूंदर दिखने की लालसा क्या क्या नहीं कर देते लेकिन फिर भी ब्यूटी सैलूनों में घण्टों फेयरनेस ट्रीटमेंट तथा कॉस्मेटिक पर भारी खर्च करने के बाद भी चेहरे का निखार कुछ दिनों बाद ही गायब हो जाता है /ऐसे में लोग उदास होकर दिल तोड़ बैठते हैं तथा उन्हेँ लगता है की सुंदरता तो बिरासत में ही मिलती है /लेकिन कया आप जानते हैं की अगर आप शारीरिक रूप से सुन्दर हैं तो आपका सौन्दर्य चेहरे पर स्वभाबिक रूप से झलकेगा / कुछ योग आसनों के नियमित अभ्यास से आप प्राकृतिक सुन्दरता , दमकती त्वचा तथा शारीरिक आकर्षण ग्रहण कर सकते है / बास्तव में अगर आप योग साधना को अपने जीवन से जोड़ लें तो शरीर को स्वस्थ्य रखने के साथ ही प्रकृतिक तौर पर स्थाई रूप से सुन्दर तथा प्रभाबशाली भी बनाया जा सकता है तथा महँगे सौन्दर्य प्रसाधनों , ,ब्यूटी सैलूनों के महँगे उपचार तथा समय को बचाया जा सकता है /, भारतीय आर्युवैदिक पद्धति योग के साधारण आसनों के जरि आप स्थाई आन्तरिक तथा बाहरी सौन्दर्य मुफ़त में आसानी में पा सकते है।प्रतिदिन महज आध घण्टा सुबह तथा शाम सूर्या नमस्कार, प्राणायाम, उत्थान आसन, कपाल भाती, धनुर आसन तथा सांसो की क्रिया के माध्यम से आप अपने यौवन, सौन्दर्य तथा प्राकृतिक आकर्षण को जीवन पर्यन्त बनाऐ रख सकते है।बालों तथा त्वचा के सौंदर्य को बनाए रखने में प्राणायाम महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। प्राणायाम से जहां तनाव कम होता है वहीं दूसरी ओर शरीर में प्राण वायू का प्रभावी संचार होता है तथा रक्त का प्रभाव बढ़ता है। प्राणायाम सही तरीके से सांस लेने की बेहतरीन अदा है। प्रतिदिन 10 मिनट तक प्राणायाम से मानव शरीर की प्राकृतिक क्लीजिंग हो जाती है। प्राणायाम का आज पूरे विश्व में अनुसरण किया जाता है। प्राणायाम से मानव खोपड़ी में व्यापक आक्सीजन तथा रक्त संचार होता है। जिससे बालों की प्राकृतिक रूप से वृद्वि होती है तथा बालों का सफ़ेद होना तथा झड़ने जैसी समस्या को रोकने में भी मदद मिलती है। योगा का मानसिक शारीरिक, भावनात्मक तथा मनोभाव पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है जिससे आत्म विश्वास बढ़ता है। योगा से आप आत्मिक तौर पर शान्त महसूस करते हैं। जिससे आपके बाहरी सौन्दर्य में भी निखार आता है।आमतौर पर अनिद्रा, तनाव आदि में पैदा होने वाली कील, मुहांसे, काले धब्बों आदि की समस्याओं के स्थाई उपचार में योग महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। उत्थान आसन के लगातार उपयोग से आप कील, मुंहासे, काले धब्बों आदि की समस्याओं का स्थाई उपचार पा सकते है। कपालभाती शासीर में कार्बन डाईक्साईड को हटाकर खून को साफ करने में मदद मिलती है। उससे शरीर में हल्कापन महसूस होता है। धनुर ध्आसन से शरीर में रक्त का प्रभाव बढ़ता है तथा शरीर से विषैले पदार्थो को बाहर निकालने में मदद मिलती है इससे शरीर की त्वचा में प्राकृतिक चमक आती है तथा त्वचा की रंगत में निखार भी आता है।योग के लगातार अभ्यास से त्वचा तथा शरीर में यौवन को दीर्घ कालीन तौर पर बनाए रखने में मदद मिलती है। योगासन से रीढ़ की हड्डी तथा जोड़ों को लचकदार बनाया रखा जा सकता है। जिससे शरीर लम्बे समय तक लचीला तथा आकर्षक बनता है, योग से शरीर के भार को कम करने में भी मदद मिलती है तथा इससे मांस पेशियां नरम तथा मुलायम हो जाती है। योगा से थकान से मुक्ति मिलती है। तथा शरीर में उर्जा का प्रभावी संचार होता है सूर्यानमस्कार आसन से पूरे शरीर में नवयौवन का संचार होता है। सूर्यानमस्कार से शरीर पर बढ़ती आयु के प्रभाव को रोका जा सकता है तथा यह चेहरे तथा शरीर पर बुढ़ापे की भाव मुद्राओं के प्रभाव को रोकने में मददगार साबित होता है।चेहरे की झुर्रियों से मुक्ति पाने के लिए सूर्यानमस्कार तथा प्राणायाम दोनों प्रभावी आसन है।आपके सुन्दर दिखने के लिए जरूरी नहीं कि आप सुन्दर ही पैदा हुए हों आप अपने प्रयत्नों से सौंदर्य प्राप्त कर सकते है। अच्छा स्वास्थ्य तथा सौंदर्य एक ही सिक्के के दो पहलू है। यदि आप आन्तरिक रूप से सुन्दर नहीं है तब तक आपका सौंदर्य चेहरे पर नहीं झलक सकता। सुन्दर त्वचा, चमकीले बाल तथा छरहरे बदन के लिऐ अच्छी सेहत का होना परम आवश्यक है। वास्तव में मैंने समग्र स्वास्थ्य के लिए आर्युवैदिक सिद्धान्त को प्रोत्साहित किया। जिसमें योग को इस कार्यक्रम का अभिन्न अंग माना गया। मेरी समग्र सौंदर्य देखभाल की विशिष्ट अवधारणा को विश्व भर में सराहा गया है। वास्तव में मेरा विचार है कि आज की आधुनिक जीवनशैली में स्वास्थ्य तथा सौंदर्य के सन्दर्भ में योग काफी सार्थक है। योग मेरे व्यक्तिगत जीवन का अभिन्न अंग रहा है तथा मैंने इसके असंख्य लाभ महसूस किए है।योग से मानसिक तथा शारीरिक दोनों को प्रचुर लाभ मिलता है। इससे न केवल सभी मांस पेशियों को फायदा होता है बल्कि इससे प्राण शक्ति बढ़ती है तथा आन्तरिक अंगों की रंगत में निखार आता है।इससे नाड़ी तंत्र को स्थिर रखने में मदद मिलती है। इससे तनाव को कम करने तथा मानसिक संतुलन में भी लाभ मिलता है। योग प्राचीन भारतीय विद्या है तथा इसके निरन्तर अभ्यास से संयमित व्यक्तित्व तथा वृद्वावस्था की भाव मुद्राओं को रोकने में मदद मिलती है। योग का दूसरा महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इससे सांसों पर नियन्त्रण रहता है तथा योगाभ्यास के दौरान सांस खींचने तथा सांस बाहर निकलाने की उचित विधि से शवास को संयमित करने में मदद मिलती है जिससे शरीर में आक्सीजन को नियन्त्रित करने में सहायक सिद्ध होती है। योग से शारीरिक तथा मानसिक उल्लास की असीम अनुभूति प्राप्त होती है।योग सौन्दर्य के लिए अत्यन्त आवश्यक है क्योंकि आन्तरिक सौंदर्य से ही सही शारीरिक सौंदर्य की प्राप्ति की जा सकती है।येाग से रक्त संचार के प्रवह में सुधार होताहै जिससे त्वचा के स्तह तक पर्याप्त मात्रा में रक्त संचार होता है तथा यह रक्त संचार सुन्दर त्वचा के लिए अत्यधिक आवश्यक होता है क्योंकि इससे त्वचा को आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध होते हैं जिससे त्वचा सुन्दर तथा निखरी दिखाई देती है। योग के माध्यम से शरीर के विषैले तत्व त्वचा के माध्यम से बाहर आते है तथा रक्त संचित त्वचा के मामले में योग सबसे ज्यादा लाभदायक सिद्ध होते है। इससे त्वचा में रंगत तथा स्फूर्ति आ जाती है। योग से सौंदर्य में व्यापक निखार आता है तथा यह त्वचा को ताजा तथा बीमारियों से पूरी तरह मुक्त रखती है। यह अवधारणा बालों पर भी लागू होती है। योग से सिर की खाल तथा बालों के कोश में रक्त संचार तथा आक्सीजन का व्यापक निरन्तर प्रवाह होता है। इससे बालों के रक्त संचार को पोष्टिक तत्व पहुंचाने में काफी मदद मिलती है जिससे बालो की वृद्धि तथा सिर की खाल को स्वास्थ्य रखने में बहुत मदद मिलती है।जब हम सौंदर्य की बात करते है तो हम केवल बाहरी चेहरे की सौंदर्य की ही बात नहीं करते बल्कि इसमें आंतरिक सूरत भी शामिल होती है जिसमें लचकपन, हाव.भाव तथा शारीरिक आर्कषण होना नितान्त आवश्यक होता है।जहां तक बाहरी सौंदर्य का सम्बन्ध है वहां छरहरे बदन से व्यक्ति काफी युवा दिखाई देते हैं जो कि लम्बे समय तक यौवन बनाए रखने में सहायक होता है। योग से शरीर के हर टिशू को आक्सीजन प्राप्त होती है जिसे शरीर में सौंदर्य तथा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। यदि आप ऐसी जीवनशैली गुजार रहे हैं जिसमें शारीरिक गतिविधी नगण्य है तो आप वास्तव में बुढ़ापे को नियन्त्रण दे रहे है योग तथा शारीरिक श्रम से आदमी को यौवन की स्थिति को लम्बें समय तक बनाए रखने में मदद मिलती है क्योंकि इससे शरीर सुदृढ़ होता है तथा शरीर सुव्यवस्थित तथा तन्दुरूस्त रखने में भी मदद मिलती है योग आसनों से रीढ़ की हड्डी तथा हड्यिों के जोड़ों को लचकदार एवं कोमल बनाने में मदद मिलती है। इससे शरीर सुदृढ़ तथा फुर्तीला बनता है। मांसपेशियों में रंगत आती हैए रक्त संचार में सुधार होता हैए प्राण शक्ति का प्रवाह होता है तथा सौंदर्य एवं अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है।अनेक सौंदर्य समस्यायें मानसिक तनाव की वजह से उत्पन्न होती है। योग से तनाव को कम करने तथा स्वछन्द मानसिक उन्मुक्त वातावरण तैयार करने में मदद मिलती है तथा इससे तनाव से जुड़ी सौंदर्य समस्याओं को निजात प्रदान करने में मदद मिलती है। योग के लगातार अभ्यास से कील मुंहासोंए बालों के झड़ने की समस्याओंए सिर की रूसी आदि समस्याओं का स्थाई उपचार मिलता है योग तथा शारीरिक क्रियायें करने वाले युवाओं पर किए गए अध्ययन में यह पाया गया हैं उनके व्यक्तित्व में भावनात्मक स्थिरताए आत्म विश्वासए उचित मनोभावए जैसे सकारात्मक बदलाव महसूस किये जाते है। जिसका दिमाग भावनाओं तथा मिजाज पर सीधा प्रभाव दिखाई देता है। वास्तव में योग नियमित रूप से तनाव से मुक्ति प्रदान करता है। जिससे त्वचा पर रंगत वापिस आ जाती है। योग करने से आप तत्काल पुनः यौवन प्राप्त करके चित प्रसन्न महसूस कर सकते है।वास्तव में योग से बाहरी शारीरिक सौंदर्य को निखारने तथा संवारने में काफी मदद मिलती है।आज का समय लगातार बढ़ती जटिलताओं और गति का समय है। जीवन यापन के लिए हर कोई लगातार गतिमान है। भाग-दौड़ की इन स्थितियों में एक सुसंगत,संयमित और स्वस्थ्य जीवन दृष्टि की खोज हर व्यक्ति को है। हर कोई अपने शरीर को स्वस्थ्य रखना चाहता है। भारतीय परंपरा हमेशा से ही जीवन को समग्र और संतुलित रूप से जीने की दृष्टि देती रही है। भारतीय चिंतन और परंपरा का आधार रहा है योग-शास्त्र। योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है,वरन् यह जीवन को संतुलित रूप से जीने का शास्त्र है। यह निरंतर बढ़ती हुई भाग-दौड़ में व्यक्तित्व को एक ठहराव,एक गहराई देने की विद्या है। ऐसे में आज न केवल भारत बल्कि विश्व के दूसरे देश भी योग को जीवन शैली में सुधार लाने का एक प्रमुख उपाय मान रहे हैं।जीवन की भाग-दौड़ वाली जिंदगी से परेशान होकर हर कोई जिंदगी को आसान बनाना चाहता है। ऐसी स्थिति में क्या हम अपने जीवन को सुखी बनाने के लिए थोड़ा समय योग को नहीं दे सकते? योग एक ऐसी विधा है जिससे हम अपने मन को स्थिर कर सकते हैं। जब तक मन शुद्ध या स्थिर नहीं होता,हमारा तन भी अशुद्ध रहता है। योगाभ्यास द्वारा ही तन व मन की शुद्धि होती है और हमारा तन-मन निरोगी हो जाता है। योगाभ्यास से मन को स्वस्थ्य और शांत बनाया जा सकता है।शरीर को स्वस्थ्य बनाने में तन और मन का बेहतर योगदान होता है। आमतौर पर देखा गया है कि हमारी शारीरिक बीमारियों के मानसिक आधार होते हैं। क्रोध हमारे मन को विकृत करता है जिससे हम विभिन्न प्रकार की बीमारियों से घिर जाते हैं फिर भी क्रोध से बिल्कुल अनभिज्ञ रहते हैं। योगाभ्यास क्रोध पर नियंत्रण रखने में अहं भूमिका निभाता है। जब हम सौंदर्य की बात करते है तो हम केवल बाहरी चेहरे की सौंदर्य की ही बात नहीं करते बल्कि इसमें आकृतिए सूरत भी शामिल होती है जिसमें लचकपनए हावण्भाव तथा शारीरिक आर्कषण होना नितान्त आवश्यक होता है।जहां तक बाहरी सौंदर्य का सम्बन्ध है वहां छरहरे बदन से व्यक्ति काफी युवा दिखाई देते हैं जो कि लम्बे समय तक यौवन बनाए रखने में सहायक होता है। योग से शरीर के हर टिशू को आक्सीजन प्राप्त होती है जिसे शरीर में सौंदर्य तथा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। यदि आप से ऐसी जीवनशैली गुजर रहे हैं जिसमें शारीरिक गतिविधी नगण्य है तो आप वास्तव में बुढ़ापे को नियन्त्रण दे रहे है योग तथा शारीरिक श्रम से आदमी को यौवन की स्थिति को लम्बें समय तक बनाए रखने में मदद मिलती है क्योंकि इससे शरीर सुदृढ़ होता है तथा शरीर सुव्यवस्थित तथा तन्दुरूस्त रखने में भी मदद मिलती है योग आसनों से रीढ़ की हड्डी तथा हड्यिं के जोड़ों को लचकदार एवं कोमल बनाने में मदद मिलती है। इससे शरीर सुदृढ़ तथा फुर्तीला बनता है। मांसपेशियों में रंगत आती हैए रक्त संचार में सुधार होता हैए प्राण शक्ति का प्रवाह होता है तथा सौंदर्य एवं अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है।अनेक सौंदर्य समस्यायें मानसिक तनाव की वजह से उत्पन्न होती है। योग से तनाव को कम करने तथा स्वछन्द मानसिक उन्मुक्त वातावरण तैयार करने में मदद मिलती है तथा इससे तनाव से जुड़ी सौंदर्य समस्याओं को निजात प्रदान करने में मदद मिलती है। योग के लगातार अभ्यास से कील मुंहासोंए बालों के झड़ने की समस्याओंए सिर की रूसी आदि समस्याओं का स्थाई उपचार मिलता है योग तथा शारीरिक क्रियायें करने वाले युवाओं पर किए गए अध्ययन में यह पाया गया हैं उनके व्यक्तित्व में भावनात्मक स्थिरताए आत्म विश्वासए उचित मनोभावए जैसे सकारात्मक बदलाव महसूस किये जाते है। जिसका दिमाग एवं भावनाओं तथा मिजाज पर सीधा प्रभाव दिखाई देता है। वास्तव में योग नियमित रूप से तनाव से मुक्ति प्रदान करता है। जिससे त्वचा पर रंगत वापिस आ जाती है।वास्तव में योग से बाहरी शारीरिक सौंदर्य को निखारने तथा संवारने में काफी मदद मिलती है।आज का समय लगातार बढ़ती जटिलताओं और गति का समय है। जीवन यापन के लिए हर कोई लगातार गतिमान है। भाग.दौड़ की इन स्थितियों में एक सुसंगत ,संयमित ,और स्वस्थ्य जीवन दृष्टि की खोज हर व्यक्ति को है। हर कोई अपने शरीर को स्वस्थ्य रखना चाहता है। भारतीय परंपरा हमेशा से ही जीवन को समग्र और संतुलित रूप से जीने की दृष्टि देती रही है। भारतीय चिंतन और परंपरा का आधार रहा है योग.शास्त्र। योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है वरन् यह जीवन को संतुलित रूप से जीने का शास्त्र है। यह निरंतर बढ़ती हुई भाग.दौड़ में व्यक्तित्व को एक ठहरावएएक गहराई देने की विद्या है। ऐसे में आज न केवल भारत बल्कि विश्व के दूसरे देश भी योग को जीवन शैली में सुधार लाने का एक प्रमुख उपाय मान रहे हैं। जीवन की भाग.दौड़ वाली जिंदगी से परेशान होकर हर कोई जिंदगी को आसान बनाना चाहता है। ऐसी स्थिति में क्या हम अपने जीवन को सुखी बनाने के लिए थोड़ा समय योग को नहीं दे/ योग एक ऐसी विधा है जिससे हम अपने मन को स्थिर कर सकते हैं। जब तक मन शुद्ध या स्थिर नहीं होता तब तक हमारा तन भी अशुद्ध रहता है। योगाभ्यास द्वारा ही तन व मन की शुद्धि होती है और हमारा तन.मन निरोगी हो जाता है। योगाभ्यास से मन को स्वस्थ्य और शांत बनाया जा सकता है। - अखरोट और खजूर दोनों ही हेल्दी ड्राई फ्रूट्स में से एक हैं। इन दोनों में ही भरपूर मात्रा में विटामिन्स और मिनरल्स जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इनका सेवन करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने मिलते हैं, साथ ही, कई समस्याओं से राहत देने में भी मदद मिलती है। ऐसे में इन दोनों को साथ खाने से क्या होता है।खजूर और अखरोट में मौजूद पोषक तत्व -खजूर में भरपूर मात्रा में फाइबर, पोटैशियम, आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन-बी, विटामिन-सी और विटामिन-डी जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, साथ ही, इसमें भरपूर मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट्स के गुण पाए जाते हैं। वहीं, अखरोट में भरपूर मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड, फाइबर, प्रोटीन और विटामिन्स जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, साथ ही, इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स के गुण पाए जाते हैं। इनका सेवन करने से स्वास्थ्य को बेहतर कर हेल्दी बनाए रखने में मदद मिलती है।खजूर और अखरोट को खाने के फायदेखूजर और अखरोट हेल्दी ड्राई फ्रूट्स हैं। इनको खाने से स्वास्थ्य को कई तरीकों से लाभ मिलते हैं। ऐसे में अखरोट को भिगोकर और खजूर को दूध में उबालकर खाना फायदेमंद होता है।शरीर की इम्यूनिटी बूस्ट करेखजूर और अखरोट में हेल्दी फैट्स और एंटी-ऑक्सीडेंट्स के गुण पाए जाते हैं। ऐसे में इन दोनों को साथ खाने से शरीर की इम्यूनिटी को बूस्ट करने, बीमारियों से बचाव करने और इंफेक्शन से लड़ने में मदद मिलती है, साथ ही, इससे स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में भी मदद मिलती है।शरीर को दे एनर्जीखजूर नेचुरल स्वीटनर के तौर पर काम करता है। इसके अलावा, दोनों में प्रोटीन, हेल्दी फैट्स और एंटी-ऑक्सीडेंट्स के गुण पाए जाते हैं। इन दोनों को साथ खाने से शरीर में एनर्जी बनाए रखने और शरीर की कमजोरी को दूर करने में मदद मिलती है। इससे शरीर एनर्जेटिक बना रहता है।स्किन के लिए फायदेमंदअखरोट में मौजूद हेल्दी फैट्स और खजूर में मौजूद विटामिन्स पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से स्किन को हेल्दी बनाए रखने, त्वचा को अंदर से पोषण देने और त्वचा के स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में मदद मिलती है।खून की कमी दूर करेखजूर में भरपूर मात्रा में आयरन और विटामिन्स पाए जाते हैं। ऐसे में इनको साथ खाने से शरीर में हीमोग्लोबिन के स्तर को बेहतर करने और खून की कमी को दूर करने और शरीर में एनर्जी बनाए रखने में मदद मिलती है। इससे शरीर का इम्यून सिस्टम भी बेहतर होता है।पाचन को दुरुस्त करने में सहायकखजूर और अखरोट में भरपूर मात्रा में विटामिन्स और फाइबर के गुण पाए जाते हैं। ऐसे में इनका सेवन करने से पाचन तंत्र को दुरुस्त करने और इससे जुड़ी कब्ज और गैस जैसी पाचन से जुड़ी समस्याओं से राहत देने में भी मदद मिलती है।हार्ट के लिए फायदेमंदअखरोट में भरपूर मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड और विटामिन-ई जैसे हेल्दी फैट्स पाए जाते हैं। वहीं, खजूर में भरपूर मात्रा में पोटैशियम होता है। ऐसे में इनको खाने से हार्ट को मजबूती देने, ब्लड प्रेशर को कंट्रोल कर हार्ट को हेल्दी बनाए रखने में मदद मिलती है। इससे हार्ट के स्वास्थ्य बेहतर होता है।खजूर कितनी मात्रा में खाना चाहिए?खजूर कितनी मात्रा में खाना चाहिए?खजूर खाना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। 1 दिन में 3-4 खजूर को भिगोकर खाना फायदेमंद है। इसको खाने से शरीर में एनर्जी बनाए रखने और स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में मदद मिलती है।अखरोट खाने से कौन सी बीमारी ठीक हो सकती है?अखरोट में भरपूर पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से हार्ट को हेल्दी बनाए रखने, शरीर को एनर्जी देने, पाचन को दुरुस्त करने, कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बेहतर करने और ब्रेन के कार्यों को बेहतर करने में भी मदद मिलती है।खजूर खाने से क्या फायदा होता है?खजूर खाने से स्वास्थ्य को कई लाभ मिलते हैं। इसका सेवन करने से शरीर को एनर्जी देने, पाचन में सुधार करने, हार्ट के लिए फायदेमंद और हड्डियों को मजबूती देने में मदद मिलती है।
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भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास खाने-पीने का भी समय नहीं है। ऐसे में लोग सुबह जल्दबाजी में या तो नाश्ता नहीं करते या कुछ ऐसा खा लेते हैं जो डाइनिंग टेबल पर आसानी से मिल जाए और जिसे खाने में अधिक समय ना लगे। ऐसे में पेट भर नाश्ता करने के लिए लोग अगर ऑमलेट के साथ ब्रेड खाना पसंद करते हैं। इसी तरह ब्रेड-बटर-जैम या एवोकाडो टोस्ट जैसी चीजें खाना भी कई लोगों का डेली डाइट का हिस्सा है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि इस तरह रोज-रोज सफेद ब्रेड खाने से आपकी हेल्थ को बहुत गम्भीर नुकसान हो सकते हैं। आइए जानते हैं कि, अधिक मात्रा में ब्रेड खाने से क्या नुकसान हो सकते हैं।
बढ़ सकती है कब्जब्रेड एक प्रकार का रिफाइंड फूड है जिसमें फाइबर की मात्रा बहुत कम होती है। पाचन तंत्र को लो-फाइबर फूड खाने से नुकसान होता है। इस तरह का खाना खाने से कॉन्स्टिपेशन की शिकायत हो सकती है।मोटापे का खतराज्यादा मात्रा में ब्रेड खाने से आपके शरीर का वजन बढ़ सकता है। इससे मोटापा, बेली फैट निकलने और अन्य मेटाबॉलिज्म संबंधित समस्याएं भी बढ़ सकती हैं।लिवर को हो सकता है नुकसानब्रेड खाने से लिवर डैमेज का भी खतरा बढ़ सकता है। ब्रेड अधिक मात्रा में खाने से फैटी लिवर की समस्या भी हो सकती है।बढ़ सकता है ब्लड शुगर लेवलब्रेड अधिक मात्रा में खाने से आपका ब्लड शुगर लेवल तेजी से बढ़ सकता है। दरअसल, मैदे से बने होने के कारण ब्रेड में फाइबर की मात्रा बहुत कम होती है। इससे शरीर में ग्लूकोज का असंतुलन बढ़ सकता है और डायबिटीज से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं।बढ़ सकता है इंफ्लेमेशनब्रेड खाने से शरीर में इंफ्लेमेशन भी बढ़ सकती है। इससे आपको सूजन संबंधित बीमारियों जैसे गठिया और जॉइंट पेन की समस्या भी हो सकती हैं। - सभी ग्लोइंग स्किन की चाह रखते हैं। लेकिन, गलत खान-पान, तनाव और खराब जीवनशैली की वजह से त्वचा संबंधी समस्याएं होने लगती हैं। इसकी वजह से स्किन डल और बेजान हो जाती है। कई लोगों को चेहरे पर मुंहासे और दाग-धब्बे भी हो जाते हैं, जो पूरी खूबसूरती को खराब कर देते हैं। ऐसे में अक्सर लोग चेहरे का ग्लो बढ़ाने के लिए महंगे प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन, आप चाहें तो चेहरे पर ग्लो लाने के लिए घरेलू उपायों का सहारा भी ले सकते हैं। विटामिन-ई कैप्सूल एक ऐसा ही घरेलू उपाय है, जो चेहरे पर नेचुरल ग्लो लाने में असरदार हो सकता हैविटामिन-ई कैप्सूलचेहरे का ग्लो बढ़ाने के लिए आप विटामिन-ई कैप्सूल ऑयल को सीधे तौर पर लगा सकते हैं। इसके लिए आप 2 विटामिन-ई कैप्सूल लें। इसका ऑयल निकालें और फिर चेहरे पर अप्लाई करें। 3-4 मिनट तक त्वचा की धीरे-धीरे मालिश करें। इससे त्वचा पर ब्लड सर्कुलेशन बढ़ेगा और स्किन पोर्स हेल्दी होंगे। विटामिन-ई कैप्सूल त्वचा के दाग-धब्बों को कम करने में असरदार होता है। इसे लगाने से चेहरे का ग्लो भी बढ़ता है। विटामिन-ई कैप्सूल और एलोवेराचेहरे का ग्लो बढ़ाने के लिए आप विटामिन-ई कैप्सूल में एलोवेरा मिलाकर भी चेहरे पर लगा सकते हैं। इसके लिए आप 2 चम्मच एलोवेरा जेल लें। इसमें विटामिन-ई कैप्सूल ऑयल निकालकर मिक्स करें। अब इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं और 40 मिनट के लिए छोड़ दें। फिर चेहरे को सादे पानी से धो लें। एलोवेरा त्वचा को मॉइश्चराइज करके नमी प्रदान करता है। इससे त्वचा से जुड़ी कई समस्याएं दूर होती हैं और नेचुरल ग्लो आता है।विटामिन-ई कैप्सूल और गुलाब जलआप विटामिन-ई कैप्सूल ऑयल में गुलाब जल मिक्स करके भी चेहरे पर लगा सकते हैं। इससे भी चेहरे पर नेचुरल ग्लो आता है। गुलाब जल त्वचा का निखार बढ़ाता है और स्किन को हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है। इसके लिए आप 1-2 चम्मच गुलाब जल लें। इसमें विटामिन-ई कैप्सूल का ऑयल निकालकर मिलाएं। इसे चेहरे पर अप्लाई करें और 3-4 मिनट तक धीरे-धीरे मालिश करें। 45 मिनट बाद चेहरे को सादे पानी से धोकर मॉइश्चराइज कर लें।विटामिन-ई कैप्सूल और ग्लिसरीनअगर आपकी स्किन डल और बेजान है, तो आप विटामिन-ई कैप्सूल में ग्लिसरीन मिलाकर चेहरे पर अप्लाई कर सकते हैं। ग्लिसरीन त्वचा को कोमल, मुलायम और चमकदार बनाता है। विटामिन-ई कैप्सूल भी त्वचा के रूखेपन को कम करने में मदद करता है। इसके लिए आप एक चम्मच ग्लिसरीन लें। इसमें विटामिन-ई कैप्सूल ऑयल निकालकर मिक्स करें। इसे चेहरे पर अप्लाई करें और थोड़ी देर तक मसाज करें। इससे त्वचा का ग्लो बढ़ता है और स्किन सॉफ्ट बनती है।विटामिन-ई कैप्सूल और नींबू का रसअगर आपके चेहरे पर दाग-धब्बे हैं, तो आप विटामिन-ई कैप्सूल और नींबू के रस का इस्तेमाल कर सकते हैं। नींबू के रस में साइट्रिक एसिड होता है, जो दाग-धब्बों को मिटाकर चेहरे का ग्लो बढ़ाने में मदद करता है। आप 2 विटामिन ई कैप्सूल से ऑयल निकालें। अब इसमें नींबू का रस मिक्स करें और फिर चेहरे पर अप्लाई करें। इससे त्वचा से जुड़ी कई समस्याएं दूर होती हैं। चेहरे पर नेचुरल ग्लो भी आता है और स्किन की रंगत साफ होती है।
- चावल का पानी कोरियन स्किन केयर में सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाली चीजों में से एक है। कोरियन ब्यूटी सीक्रेट्स के प्रति दुनिया भर में लोगों की खास रूचि देखी जा रही है। चावल का पानी कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट्स और मिनरल्स से भरपूर होता है। यही न्यूट्रिएंट्स स्किन का पोषण करते हैं। इसीलिए, चावल का पानी स्किन पर लगाने के स्किन को कई तरह के फायदे है। विशेषकर रात में सोने से पहले चेहरे पर चावल का पानी लगाने से स्किन की कई तरह की समस्याएं भी कम होती हैं। आइए जानते हैं रात में चेहरे पर चावल का पानी लगाने के क्या फायदेड्राई स्किन से छुटकाराराइस वॉटर आपकी स्किन को हाइड्रेटेड रखता है। इससे स्किन सॉफ्ट और हेल्दी दिखायी देती है। यह स्किन की ड्राइनेस कम करता है।पिम्पल्स से आरामचेहरे पर चावल का पानी लगाने से स्किन पोर्स की सफाई होती है। इससे स्किन पर पिम्पल्स और फोड़े-फुंसी जैसी समस्याए कम होती है।डार्क स्पॉट्स कम करेस्किन पर डार्क स्पॉट्स को हल्का करने और स्किन की रंगत निखारने के लिए भी आप चेहरे पर चावल का पानी अप्लाई करें और उसे रातभर के लिए चेहरे पर लगाकर रखें।स्किन पर आता है ग्लोचेहरे पर अगर आप चावल का पानी लगाते हैं तो यह आपकी स्किन की चमक बढ़ाता है। इसी वजह से जब आप सुबह सोकर उठती हैं तो आपके चेहरे पर अच्छा ग्लो दिखायी देता है।चावल का पानी तैयार करने का तरीका2 चम्मच चावल को पानी में भिगोकर 6-7 घंटों के लिए रख दें। फिर इस पानी को छानकर अलग कर लें। अब यह पानी फ्रिज में रख दें और हर रात सोने से पहले चेहरे पर लगाएं।
- मुनगा या सहजन या फिर मोरिंगा को आयुर्वेद में औषधि माना जाता है। इसका सेवन करने से कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है। इसका इस्तेमाल कई व्यंजनों में किया जाता है। मोरिंगा को औषधि की तरह भी इस्तेमाल किया जाता है। इसमें कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, प्रोटीन, विटामिन ए, विटामिन सी और विटामिन बी कॉम्प्लेक्स काफी अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। यही वजह है कि मोरिंगा के पत्तों का सेवन करना बहुत फायदेमंद माना गया है। इसका सेवन करना बीमारियों में भी फायदेमंद होता है।क्या डायबिटीज में मोरिंगा के पत्ते खाना फायदेमंद है?एक्सपर्ट के मुताबिक डायबिटीज में मोरिंगा के पत्ते खाना फायदेमंद होता है। मोरिंगा में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण बॉडी में ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस कम करने में मदद करते हैं। इसे डेली डाइट में शामिल करने से इंसुलिन सेंसिटिविटी इंप्रूव होती है और इंसुलिन रेजिस्टेंस भी कंट्रोल रहता है। इसके अलावा, मोरिंगा का सेवन करने से बॉडी ग्लूकोज को एनर्जी के रूप में प्रयोग कर पाती है। यह ब्लड शुगर में अचानक स्पाइक होने से बचाता है। इसके सेवन से डायबिटीज कंट्रोल होने में मदद मिलती है। जिन लोगों का ब्लड शुगर हाई या डाउन रहता है, उन्हें किसी आयुर्वेदिक एक्सपर्ट की सलाह पर इसका सेवन करना चाहिए।डायबिटीज में मोरिंगा के पत्तों को सूखाकर और इसका पाउडर बनाकर सेवन किया जा सकता है। ऐसे में, अगर सुबह खाली पेट एक चम्मच मोरिंगा पाउडर का सेवन रोज किया जाए, तो इससे दिनभर ब्लड शुगर कंट्रोल रहने में मदद मिलती है। इसके अलावा, आप मोरिंगा की पत्तियों को चबाकर भी गर्म पानी के साथ खा सकते हैं।मोरिंगा के पत्ते खाने के अन्य फायदेइम्यूनिटी बूस्ट होती हैमोरिंगा के पत्तों में एंटीऑक्सीडेंट्स होने के साथ एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं। इसलिए इसके सेवन से इम्यूनिटी बूस्ट होती है और इंफेक्शन व बीमारियों का खतरा कम होता है। अगर रोज खाली पेट इनका सेवन किया जाए, तो इससे ओवरऑल हेल्थ को फायदा होता है।ब्रेन हेल्थ के लिए फायदेमंदमोरिंगा के पत्तों का सेवन करना ब्रेन हेल्थ के लिए भी फायदेमंद है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं, जो ब्रेन को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाते हैं। इससे कॉग्निटिव फंक्शन को सपोर्ट भी मिलता है। इसके सेवन से याददाश्त भी तेज होती है और नर्वस सिस्टम को फायदा मिलता है।पाचन तंत्र के लिए फायदेमंदपाचन तंत्र को स्वस्थ रखने के लिए मोरिंगा के पत्ते फायदेमंद होते हैं। इसके सेवन से कब्ज एसिडिटी और अपच जैसी समस्याओं में भी फायदा होता है। इसमें डाइटरी फाइबर मौजूद होता है, जो गट हेल्थ को इंप्रूव करने में मदद करता है। इसके सेवन से आंतों में मौजूद टॉक्सिन निकल जाते हैं और आंते साफ होती हैं। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं, जो पेट में इंफेक्शन होने से रोकते हैं।डायबिटीज में मोरिंगा के पत्ते खाना फायदेमंद होता है। मोरिंगा में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण बॉडी में ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस कम करने में मदद करते हैं। इसे डेली डाइट में शामिल करने से इंसुलिन सेंसिटिविटी इंप्रूव होती है और इंसुलिन रेजिस्टेंस भी कंट्रोल रहता है। लेख में आपको सामान्य जानकारी दी गई है। इस बारे में ज्यादा जानने के लिए एक्सपर्ट से संपर्क करें। अगर आप किसी स्वास्थ्य समस्या के लिए दवा लेते हैं, तो डॉक्टक की सलाह पर ही इसे डाइट में शामिल करें।क्या हम रोज मोरिंगा के पत्ते खा सकते हैं?आयुर्वेदिक एक्सपर्ट के मुताबिक, रोजाना मोरिंगा के पत्तों का सेवन करना फायदेमंद है। इससे डाइजेशन इंप्रूव होता है। इसके सेवन से डायबिटीज कंट्रोल रहती है और बॉडी में एनर्जी भी बनी रहती है।सहजन के पत्ते रोज खाने से क्या होता है?रोज सहजन के पत्ते खाने से ओवरऑल हेल्थ को फायदा होता है। इसके सेवन से वजन घटाने में मदद मिलती है। ये ब्लड शुगर कंट्रोल रखने और एनर्जेटिक रहने में भी मदद करते हैं। इनके सेवन से हार्ट हेल्थ इंप्रूव होती है।मोरिंगा के पत्ते कैसे खाए जाते हैं?डेली डाइट में मोरिंगा के पत्तों को दो तरह से शामिल किया जा सकता है। डायबिटीज में मोरिंगा के पत्तों को सूखाकर और इसका पाउडर बनाकर सेवन किया जा सकता है। इसके अलावा, आप मोरिंगा की पत्तियों को चबाकर भी गर्म पानी के साथ खा सकते हैं।
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बेसन एक नेचुरल क्लींजर के रूप में काम करता है। यह त्वचा पर जमी सारी गंदगी, अशुद्धियां और अतिरिक्त तेल को निकालने में असरदार होता है। बेसन त्वचा की गहराई से सफाई करता है और पोर्स को हेल्दी बनाए रखने में मदद करता है। यह त्वचा की रंगत को साफ करता है और दाग-धब्बों को मिटाने में असरदार होता है। बेसन चेहरे का ग्लो बढ़ाने में भी मदद करता है। अगर आप चेहरे पर ग्लो लाना चाहते हैं, तो बेसन का इस्तेमाल कर सकते हैं।
बेसन और एलोवेराचेहरे पर ग्लो लाने के लिए आप बेसन में एलोवेरा जेल मिलाकर लगा सकते हैं। इसके लिए आप 2 चम्मच बेसन लें। इसमें 1-2 चम्मच एलोवेरा जेल मिक्स करें। इस पेस्ट को चेहरे पर अप्लाई करें और 35 मिनट के लिए छोड़ दें। जब पेस्ट सूख जाए, तो चेहरे को सादे पानी से धो लें। एलोवेरा में मॉइश्चराइजिंग गुण होते हैं, जिससे त्वचा पर नमी बनी रहती है। एलोवेरा त्वचा को मुलायम और कोमल बनाता है। बेसन और एलोवेरा लगाने से चेहरे का ग्लो भी बढ़ाता है।बेसन और दहीग्लो लाने के लिए आप बेसन में दही मिक्स करके भी लगा सकते हैं। दही में मौजूद लैक्टिक एसिड दाग-धब्बों और पिग्मेंटेशन को कम करके चेहरे का ग्लो बढ़ाता है। इसके लिए आप 2 चम्मच बेसन लें और इसमें थोड़ा-सा दही मिलाएं। अब इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं और 30 मिनट के लिए छोड़ दें। आधे घंटे बाद चेहरे को सादे पानी से धो लें। आप कुछ दिनों तक इस पेस्ट का रोजाना इस्तेमाल कर सकते हैं।बेसन और हल्दीआप चेहरे पर बेसन में हल्दी मिलाकर लगा सकते हैं। बेसन और हल्दी को मिक्स करके लगाने से चेहरे का ग्लो बढ़ता है। हल्दी चेहरे के दाग-धब्बों को मिटाने और त्वचा का निखार बढ़ाने में मदद करता है। आप 2 चम्मच बेसन लें। इसमें आधी चम्मच हल्दी और थोड़ा-सा दूध मिलाएं। इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं और 20 मिनट बाद त्वचा को सादे पानी से धो लें। बेहतर रिजल्ट के लिए इस पेस्ट को सप्ताह में 2-3 बार लगाएं।बेसन और गुलाब जलगुलाब जल चेहरे पर नेचुरल ग्लो लाने में मदद करता है। इसके लिए आप 2 चम्मच बेसन लें और इसमें गुलाब जल मिलाएं और फिर चेहरे पर अप्लाई करें। 30-35 मिनट बाद चेहरे को नॉर्मल पानी से धो लें। गुलाब जल त्वचा का निखार बढ़ाने में सहायक होता है। यह डल और बेजान त्वचा से छुटकारा दिलाता है। गुलाब जल पीएच लेवल को भी मेंटेन बनाए रखता है।बेसन और आलू का रसअगर आप चेहरे के दाग-धब्बों से परेशान हैं, तो बेसन में आलू का रस मिलाकर चेहरे पर लगा सकते हैं। बेसन और आलू का पेस्ट दाग-धब्बों को मिटाकर चेहरे का ग्लो बढ़ाने में मदद करता है। इसके लिए आप 2 चम्मच बेसन लें और इसमें आलू कर रस मिक्स करें। अब इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं और सूखने के लिए छोड़ दें। 20-30 मिनट बाद चेहरे को नॉर्मल पानी से धो लें। इससे त्वचा का निखार बढ़ेगा और स्किन नेचुरली ग्लोइंग बनेगी। -
डेली डाइट के एक पोर्शन में ड्राई फ्रूट्स को शामिल करना भी जरूरी है। इनमें हेल्दी फैट्स और एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं, जो दिनभर एनर्जेटिक रहने में मदद करते हैं। हेल्दी रहने के लिए आप रोज कई तरह के ड्राई फ्रूट्स अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। इन्हीं में किशमिश का नाम भी शामिल है। इसमें भरपूर मात्रा में आयरन होने के साथ पोटेशियम, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट भी मौजूद होते हैं। इसे डेली डाइट में शामिल करने से शरीर में खून की कमी पूरी होती है और कमजोरी दूर होती है। इसका सेवन करना गट हेल्थ के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। रोज सेवन करने से गट हेल्थ से जुड़ी कई समस्याएं ठीक होती हैं।
आंतों की सेहत के लिए किशमिश के फायदे-डाइटरी फाइबर अधिक होता हैकिशमिश में डाइटरी फाइबर अधिक मात्रा में मौजूद होता है। इसके सेवन से बॉवेल मूवमेंट ठीक से होता है और डाइजेशन इंप्रूव होता है। इसमें सोर्बिटोल भी मौजूद होता है, जो एक नेचुरल लैक्सेटिव है और डाइजेशन को ठीक रखता है।बॉवेल मूवमेंट इंप्रूव होता है-डेली डाइट में किशमिश शामिल करने से बॉवेल मूवमेंट इंप्रूव होता है। इससे डाइजेस्टिव सिस्टम की मसल्स ठीक से काम करती हैं। इससे खाना ठीक से पचता है और ब्लोटिंग, एसिडिटी और अपच जैसी समस्याओं का खतरा कम होता है।लिवर डिटॉक्स होता हैरोज सुबह भीगी हुई किशमिश का सेवन किया जाए, तो इससे लिवर डिटॉक्सिफिकेशन में मदद मिलती है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स मौजूद होते हैं, जो गट हेल्थ इंप्रूव करने में मदद करते हैं। रोज इसका सेवन करने से लिवर डिटॉक्सिफिकेशन में मदद मिलती है और हार्ट हेल्थ को फायदा भी होता है।आंतों में गुड बैक्टीरिया बढ़ते हैंकिशमिश आंतों के लिए प्री बायोटिक की तरह भी काम करती हैं। इसके सेवन से आंतों में गुड बैक्टीरिया बढ़ते हैं और गट हेल्थ इंप्रूव होती है। इससे डाइजेशन ठीक से होता है और डाइजेस्टिव इशुज का खतरा कम होता है। इससे एसिडिटी और ब्लोटिंग की समस्या भी ठीक होती है।पेट साफ होता है-जिन लोगों को कब्ज या अपच की समस्या रहती है, उन्हें इसका सेवन रोज जरूर करना चाहिए। इसमें अधिक मात्रा में फाइबर मौजूद होते हैं, जो नेचुरल लेक्सेटिव की तरह काम करते हैं। इसलिए रोज सुबह किशमिश खाने या इसका पानी पीने से पेट ठीक से साफ हो पाता है।इन बातों का रखें ध्यान-अगर आपको डायबिटीज है या कोई हेल्थ इशु रहता है, तो अपने डॉक्टर की सलाह पर ही इसका सेवन रोज करें।-अगर आप रातभर पानी में भिगोकर सुबह इसका सेवन करते हैं, तो इससे पाचन तंत्र को कई फायदे मिलते हैं। इसके सेवन से पेट साफ होगा और बॉडी में एनर्जी बनी रहेगी।-ध्यान रखें कि इसका सेवन कम मात्रा में ही करें। क्योंकि, इसमें नेचुरल शुगर मौजूद होती है। अगर अधिक मात्रा में सेवन किया जाए, तो इस कारण वजन बढ़ सकता है।-जिन लोगों को इरिटेबल बॉवेल की समस्या रहती है, उन्हें डॉक्टर की सलाह पर ही इसका सेवन करना चाहिए।-किशमिश को हेल्दी स्नैकिंग के लिए डाइट में शामिल किया जा सकता है। अगर आप काली किशमिश का सेवन करते हैं, तो इससे हीमोग्लोबिन इंप्रूव होगा और एसिडिटी से राहत मिलेगी। - बालों की झड़ने की समस्या आजकल आम हो गई है। खराब खान-पान, तनाव, प्रदूषण और केमिकल युक्त उत्पादों का इस्तेमाल बालों की सेहत को बुरी तरह प्रभावित करता है। कई प्रोडक्ट आपको इस समस्या से निजात दिलाने की बात करते हैं, लेकिन उसका कोई सकारात्मक असर न दिखने पर आप निराश हो जाती हैं। ऐसे में अगर आप भी नेचुरल तरीके से बालों की ग्रोथ बढ़ाना चाहते हैं, तो कैस्टर ऑयल (अरंडी का तेल) आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है। खास बात ये है कि अगर इसे नारियल तेल के साथ मिलाकर लगाया जाए, तो इसका असर कई गुना बढ़ जाता है।कैस्टर ऑयल कैसे करता है कामकैस्टर ऑयल विटामिन ई, ओमेगा-6 फैटी एसिड्स और रिसिनोलेक एसिड से भरपूर होता है, जो स्कैल्प में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने में मदद करता है। यह बालों की जड़ों को पोषण देकर नए बालों के विकास को प्रोत्साहित करता है और बालों को घना और मजबूत बनाता है। साथ ही, इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण भी होते हैं, जो डैंड्रफ और स्कैल्प इंफेक्शन से बचाते हैं।नारियल तेल के फायदेनारियल तेल बालों के लिए एक बेहतरीन प्राकृतिक मॉइस्चराइजर है, जो उन्हें सूखने और टूटने से बचाता है। यह बालों को मुलायम, चमकदार और मजबूत बनाने में मदद करता है। जब नारियल तेल को कैस्टर ऑयल के साथ मिलाया जाता है, तो यह मिश्रण बालों की जड़ों तक गहराई से पोषण पहुंचाता है। कैस्टर ऑयल की ग्रोथ बढ़ाने वाली क्षमता और नारियल तेल के सुरक्षात्मक गुण मिलकर बालों को स्वस्थ, घना और चमकदार बनाते हैं। नियमित उपयोग से बालों में प्राकृतिक निखार आता है।कैसे करें इस्तेमालइसे इस्तेमाल करने का तरीका बेहद आसान है। बराबर मात्रा में कैस्टर ऑयल और नारियल तेल मिलाएं (जैसे 2-2 चम्मच)। इस मिश्रण को हल्का गर्म कर लें। उंगलियों की मदद से स्कैल्प में अच्छे से मसाज करें। कम से कम 1–2 घंटे या पूरी रात के लिए छोड़ दें। हल्के शैम्पू से धो लें।सप्ताह में कितनी बार लगाएंइस तेल का इस्तेमाल सप्ताह में 2 बार करें। नियमित उपयोग से कुछ ही हफ्तों में बालों की ग्रोथ में अंतर महसूस होने लगेगा। कैस्टर ऑयल और नारियल तेल का यह मिश्रण बालों की सेहत के लिए एक शक्तिशाली नैचुरल टॉनिक है। इसे अपनाकर आप बालों की ग्रोथ को कई गुना बढ़ा सकते हैं और उन्हें प्राकृतिक रूप से मजबूत और सुंदर बना सकते हैं।किस बात का रखें ध्यानहालांकि, बालों की ग्रोथ रुकना कई बार किसी अंदरुनी किसी बीमारी का कारण हो सकता है और इसलिए डॉक्टर से आपको संपर्क करना चाहिए।
- दूध हम भारतीयों के आहार का अहम हिस्सा है। बच्चों, बुजुर्गों और बीमार व्यक्ति को पोषण देने की बात आती है, तो दिमाग में पहला ख्याल ही दूध का आता है। भैंस के दूध की मलाईदार बनावट और स्वाद दोनों ही लोगों को खूब पसंद आता है। लेकिन कई लोगों का मानना होता है कि भैंस का दूध पीने से वजन बढ़ता है। लेकिन क्या वाकई भैंस का दूध पीने से वजन बढ़ता है, इस लेख में हम इसी दावे की सच्चाई जानने की कोशिश करेंगे। भैंस के दूध में गाय के दूध की तुलना में ज्यादा कैलोरी, फैट और प्रोटीन पाया जाता है। एक्सपर्ट के अनुसार, 100 मिलीलीटर भैंस के दूध में लगभग 97 कैलोरी, 4.5 ग्राम प्रोटीन और 6.9 ग्राम हेल्दी फैट होता है। ये सभी पोषक तत्व स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत फायदेमंद होते हैं।क्या भैंस का दूध पीने से वजन बढ़ता है?न्यूट्रिशनिस्ट के अनुसार, भैंस के दूध में हाई कैलोरी (Buffalo Milk) पाई जाती है। बाजार में विभिन्न जानवरों और वीगन दूध के मुकाबले भैंस के दूध में 2 से 3 गुणा तक अधिक कैलोरी होती है। भैंस के दूध में हाई प्रोटीन भी होता है, इसलिए ये उन लोगों के लिए फायदेमंद माना जाता है, जिन्हें दिन में अतिरिक्त एनर्जी की जरूरत होती है। जैसी की एथलीट्स और बॉडीबिल्डर्स। इसलिए ये कहना बिल्कुल सही है कि भैंस का दूध पीने से वजन बढ़ता है।- हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि भैंस के दूध में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा पाई जाती है। ये मांसपेशियों और हड्डियों के विकास में भी मदद करता है।- भैंस के दूध में हाई फैट के साथ मलाई भी ज्यादा पाई जाती है। यही कारण है कि भैंस का दूध भूख को बढ़ाता है, जिससे खाने की इच्छा ज्यादा होती है। यही कारण है कि भैंस का दूध पीने से वजन बढ़ने की बात कही जाती है।- भैंस के दूध में इम्युनोग्लोबुलिन्स और लैक्टोफेरिन की अतिरिक्त मात्रा में पाया जाता है, जो वजन बढ़ने में सहयोग दे सकता है।किन लोगों को भैंस का दूध नहीं पीना चाहिएभैंस का दूध बेशक से स्वाद में लाजवाब और सेहत के लिए फायदेमंद है, लेकिन कुछ लोगों को इसका सेवन करने की मनाही होती है।-पाचन संबंधी समस्याएं- हाई फैट और प्रोटीन होने के कारण भैंस का दूध पाचन तंत्रिका से जुड़ी परेशानियों वाले व्यक्तियों के लिए नुकसानदायक होता है।-लैक्टोज असहिष्णुता- लैक्टोज असहिष्णु लोगों को इससे बचना चाहिए।-हार्ट और हाई बीपी - हाई फैट होने के कारण भैंस का दूध कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। इसलिए जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट संबंधी समस्याएं हैं, उन्हें इसका सेवन करने से बचना चाहिए।रोज भैंस का दूध पीने से क्या होता है?भैंस के दूध में प्रोटीन, कैल्शियम, हेल्दी फैट पाया जाता है। रोजाना भैंस का दूध पीने से शरीर को पर्याप्त मात्रा में एनर्जी मिलती है। साथ ही, ये मांसपेशियों, हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है। प्रतिदिन 200 मिलीग्राम भैंस का दूध पीने से वजन और फैट तेजी से बढ़ता है। जो लोग वेटलॉस करना चाहते हैं, उन्हें किसी भी परिस्थिति में भैंस का दूध पीने की सलाह नहीं दी जाती है।क्या रोज दूध पीने से वजन बढ़ता है?इस सवाल का जवाब हां और ना दोनों ही हो सकता है। अगर आप रोजाना 1 गिलास भैंस का दूध पी रहे हैं, तो ये वजन बढ़ाने में योगदान दे सकता है। लेकिन अगर रोजाना 1 गिलास गाय, सोया मिल्क या बकरी का दूध पी रहे हैं, तो इससे ज्यादा वजन नहीं बढ़ता है। सोया और बकरी का दूध पीने से वजन कम हो सकता है, क्योंकि इसमें कैलोरी की मात्रा बहुत कम होती है।एक गिलास भैंस के दूध में कितना फैट होता है?एक गिलास भैंस के दूध में कितना फैट है, ये दूध कितना गाढ़ा है उस बात पर निर्भर करता है। आसान शब्दों में कहें तो एक गिलास भैंस के दूध में लगभग 15 से 20 ग्राम फैट होता है। निष्कर्षएक्सपर्ट के साथ बातचीत के आधार पर हम ये कह सकते हैं कि भैंस का दूध वजन बढ़ा सकता है। भैंस के दूध में हाई प्रोटीन और फैट पाया जाता है, जो वजन बढ़ा सकता है। अगर आप वजन घटाने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो भैंस का दूध पीने से बचें। लेकिन अगर आप वजन बढ़ाने की ख्वाहिश रखते हैं, तो भैंस का दूध आपकी मदद कर सकता है। लेकिन ध्यान रहे अगर आपके परिवार में किसी व्यक्ति को भैंस के दूध से एलर्जी है, तो इसे डाइट का हिस्सा बनाने से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
- आजकल के गलत खानपान और खराब जीवनशैली के कारण हाई यूरिक एसिड की समस्या लोगों में आम हो गई है। दरअसल, यूरिक एसिड हमारे शरीर में मौजूद एक अपशिष्ट पदार्थ होता है, जो प्यूरीन नामक केमिकल के टूटने से बनता है। आमतौर पर, किडनी इसे फिल्टर करके पेशाब के रास्ते शरीर से बाहर निकाल देती है। लेकिन जब किडनी सही ढंग से काम नहीं कर पाती है, तो यह जोड़ों के आसपास क्रिस्टल के रूप में जमा होने लगता है। इसकी वजह से जोड़ों में दर्द, सूजन और चलने-फिरने में दिक्कत जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में, यूरिक एसिड को कंट्रोल करना बहुत जरूरी हो जाता है। शरीर में यूरिक एसिड के स्तर को कंट्रोल करने के लिए आपको अपने खानपान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा, कुछ घरेलू उपायों की मदद से भी यूरिक एसिड को कंट्रोल किया जा सकता है।यूरिक एसिड कम करने में कैसे फायदेमंद है कच्चा पपीता?शरीर में यूरिक एसिड के स्तर को कम करने के लिए कच्चा पपीता बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। दरअसल, इसमें विटामिन ए, विटामिन-सी, फाइबर, मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो यूरिक एसिड को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। इसके अलावा, इसमें पपैन नामक एंजाइम मौजूद होता है, जो एक प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी है। यह खून में यूरिक एसिड के निर्माण को रोकने में मदद करता है। साथ ही, जोड़ों के दर्द और सूजन से राहत दिलाता है। नियमित रूप से इसका सेवन करने से पाचन तंत्र में सुधार होता है और शरीर में जमा विषाक्त पदार्थ आसानी से बाहर निकल जाते हैं, जिससे यूरिक एसिड को कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है।यूरिक तेज कम करने के लिए कैसे करें कच्चे पपीते का सेवन?शरीर में यूरिक एसिड के स्तर को कम करने के लिए आप सुबह खाली पेट कच्चे पपीते का काढ़ा बनाकर पी सकते हैं। इसे बनाने के लिए आप कच्चे पपीते को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। अब एक बर्तन में एक गिलास पानी डालें। इसमें पपीते के टुकड़ों को डालकर करीब 5 मिनट तक पकाएं। इसके बाद इसे मिक्सी में डालकर पीस लें। अब इस काढ़े को किसी कप में छान लें। इसमें थोड़ा सा काला या सेंधा नमक डालकर पिएं। इसके अलावा, आप कच्चे पपीते की सब्जी या जूस बनाकर भी सेवन कर सकते हैं।(यह आर्टिकल केवल सामान्य जानकारी और सलाह देता है। यह किसी भी तरह से चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। इसलिए अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर करें।)
- सौंफ और काली मिर्च दोनों सेहत के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। इसे खाने से स्वास्थ्य को कई जबरदस्त फायदे मिलते हैं। अगर इसे अलग-अलग न खाकर एकसाथ खाया जाए तो इसके फायदे दोगुने हो जाते हैं। इससे पाचन तंत्र अच्छा रहता है साथ ही साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।काली मिर्च में विटामिन ए, एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण, विटामिन सी और बीटा कैरोटीन आदि जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। वहीं, सौंफ में फाइबर, कैल्शियम, आयरन और विटामिन सी आदि पाए जाते हैं। यह सभी पोषक तत्व सेहत के लिए काफी गुणकारी होते हैं। हालांकि, इस कॉम्बिनेशन को ज्यादा मात्रा में न खाएं।सौंफ के साथ काली मिर्च मिलाकर खाने के फायदे1. पाचन तंत्र के लिए फायदेमंदअगर आप पाचन संबंधी समस्याओं से परेशान हैं तो ऐसे में सौंफ के साथ काली मिर्च मिलाकर खाया जा सकता है। इस कॉम्बिनेशन में मिलने वाले पोषक तत्व पेट संबंधी परेशानियों जैसे पेट फूलना, कब्ज और अपच आदि जैसी समस्याओं से राहत दिलाते हैं। इसमें फाइबर होता है, जो आपकी बॉवेल मूवमेंट को दुरुस्त कर मलत्याग में होने वाली कठिनाई को आसान बनाता है।2. वजन घटाने में मददगारअगर आप बढ़ते वजन से परेशान हैं तो भी अपनी रेगुलर डाइट में काली मिर्च और सौंफ को शामिल कर सकते हैं। इसे खाने से मेटाबॉलिज्म दुरुस्त होता है साथ ही साथ कैलोरी भी आसानी से बर्न होती है। काली मिर्च में पिपरीन नामक कंपाउंड पाया जाता है, जो फैट सेल्स के साथ ही पेट में जमा चर्बी को भी कट करने में मदद करता है। आप चाहें तो इसे खाना खाने के बाद खा सकते हैं। वहीं, वजन घटाने के लिए इसकी चाय पीना भी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है।3. इम्यूनिटी बढ़ाने में लाभकारीसौंफ और काली मिर्च खाना आपके इम्यून सिस्टम के लिए भी काफी लाभकारी होते हैं। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट्स और विटामिन-सी होता है, जो आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने (How to Boost Immunity in Hindi) में मदद करता है। इसमें एंटी-माइक्रोबायल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस को हटाकर बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं। इसे खाने से इंफेक्शन और बीमारियों का खतरा कम होता है।4. डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंदअगर आप डायबिटीज के मरीज हैं तो सौंफ और काली मिर्च का कॉम्बिनेशन ट्राई कर सकते हैं। डायबिटीज के रोगी अपनी रेगुलर डाइट में इसे शामिल करें तो इससे ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रहता है। इसमें हेल्दी एंजाइम्स होते हैं, जो डायबिटीज को नियंत्रित रखने में मददगार माने जाते हैं। लेकिन, ध्यान रहे कि इसे ज्यादा मात्रा में खाना कई बार सेहत के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है।5. हड्डियों के लिए फायदेमंदकाली मिर्च और सौंफ खाना हड्डियों को स्वस्थ रखने में भी काफी लाभकारी मानी जाती हैं। इसमें कैल्शियम, मैग्नीज और मैग्नीशियम की मात्रा होती है, जिसे खाने से हड्डियां मजबूत होती हैं साथ ही साथ इससे जोड़ों में होने वाला दर्द भी कम होता है। इसमें मिलने वाले एंटी-ऑक्सीडेंट्स सेल्स को डैमेज होने से बचाते हैं साथ ही हड्डियों की सूजन को भी कम करने में मददगार होते हैं।पुरुषों के लिए काली मिर्च के क्या फायदे हैं?-काली मिर्च खाना पुरुषों के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसे खाने से पुरुषों की प्रजनन क्षमता में सुधार होता है। इससे तनाव कम होता है साथ ही साथ तनाव कम करना, और पाचन में भी मददगार होता है।-काली मिर्च और सौंफ खाने से क्या होता है?-काली मिर्च और सौंफ खाना सेहत के लिए कई तरीकों से लाभकारी होता है। इससे पाचन तंत्र में सुधार होने के साथ ही हड्डियां मजबूत होती हैं। इसे खाने से आपका इम्यून सिस्टम बेहतर होता है।-सौंफ कब नहीं खाना चाहिए?कुछ शारीरिक स्थितियों जैसे प्रेग्नेंसी और ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं को सौंफ खाने से परहेज करना चाहिए। एलर्जी से पीड़ित लोगों को भी सौंफ खाने से बचना चाहिए।
- अजवाइन एक ऐसा मसाला है, जो हर भारतीय रसोई में मौजूद होता है। इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, फाइबर, आयरन और पोटैशियम जैसे कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो सेहत को कई लाभ पहुंचाते हैं। इसके अलावा, इसमें एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं, जो कई बीमारियों को दूर करने में मदद करते हैं। रोजाना रात को अजवाइन चबाकर सोने से सेहत को कई लाभ मिल सकते हैं। नियमित रूप से इसका सेवन करने से शरीर की कई समस्याएं दूर हो सकती हैं।इम्यूनिटी बूस्ट करेनियमित रूप से रात को सोते समय अजवाइन खाने से इम्यूनिटी बूस्ट हो सकती है। दरअसल, इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं। इसके नियमित सेवन से आप कई गंभीर बीमारियों और संक्रमण की चपेट में आने से बच सकते हैं।पाचन तंत्र को दुरुस्त रखेरोज रात को सोने से पहले अजवाइन चबाने पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है। दरअसल, इसमें फाइबर मौजूद होता है, जो पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद करता है। इसके नियमित सेवन से गैस, अपच, कब्ज, ब्लोटिंग और एसिडिटी जैसी पाचन संबंधी समस्याओं से राहत मिल सकती है।वजन घटाने में मददगाररात को सोते समय अजवाइन खाने से वजन घटाने में मदद मिल सकती है। दरअसल, इसके सेवन से मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है, जिससे शरीर में जमा अतिरिक्त चर्बी को बर्न करने में मदद मिल सकती है। नियमित रूप से इसका सेवन करने से धीरे-धीरे वजन कम होने लगेगा।जोड़ों के दर्द से राहत दिलाएरात को सोते समय अजवाइन खाने से जोड़ों के दर्द और सूजन से राहत मिल सकती है। दरअसल, इसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं, जो दर्द और सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं। इसके नियमित सेवन से शरीर के दर्द में भी आराम मिल सकता है।नींद अच्छी आती हैरात में सोते समय अजवाइन खाने से नींद अच्छी आती है। साथ ही, अनिद्रा की समस्या से भी छुटकारा मिल सकता है। दरअसल, इसमें मौजूद तत्व तंत्रिका तंत्र को शांत करने में मदद करते हैं। इससे अच्छी और गहरी नींद लाने में मदद मिल सकती हैं।
- हाई कोलेस्ट्रॉल आपको दिल की बीमारियों का शिकार बना सकती है। इसकी वजह से आपको अलग-अलग प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में जरूरी है कि आप डाइट कंट्रोल करें और कुछ बातों का ख्याल रखें। जैसे कि डाइट से जुड़ा एक ऐसा ही सवाल है कि क्या गेहूं की रोटी खाने से आपका कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है? दरअसल, गेहूं की रोटी की कैलोरी ज्यादा होने के साथ ये शुगर बढ़ाने वाला भी होता है। इसके अलावा इसका ज्यादा सेवन करने से आपको मोटापे से आप ज्यादा वेट गेन भी कर सकते हैं।गेहूं की रोटी खाने से कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है क्यागेहूं की रोटी खाने से कोलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता है, अगर इसे किसी भी भोजन की तरह संयमित मात्रा में खाया जाए। अगर यह साबुत गेहूं से बना है जिसमें चोकर हैं, तो कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद मिलेगी और यह एक स्वस्थ आहार का हिस्सा हो सकता है। हालांकि, जब लोग बहुत अधिक मात्रा में मक्खन लगाते हैं या घी या तेल लगाकर रोटी खाते हैं तो इससे शरीर का कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है। क्योंकि इन चीजों में सैचुरेटेड फैट ज्यादा होता है जिससे कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है और आपकी दिक्कत ज्यादा बढ़ सकती है। इसके अलावा आपका ब्लड शुगर, ट्राइग्लिसराइड्स और इंसुलिन प्रतिरोध में भी बढ़ोतरी हो सकती है और इससे समय के साथकोलेस्ट्रॉल में तेजी से बढ़ सकता है। इसके अलावा गेहूं के आटे का ग्लाइसेमिक इंडेक्स अधिक होता है, जिससे ब्लड शुगर के स्तर में तेजी से वृद्धि होती है। इससे इंसुलिन प्रतिरोध, सूजन और संभावित रूप से हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या हो सकती है।कोलेस्ट्रॉल कम करना है तो ऐसे खाएं गेहूं की रोटीसाबुत गेहूं को दरदरा पीसकर इसका आटा तैयार करें और फिर इसी की रोटी बनाकर खाएं। क्योंकि इसमें रिफाइंड गेहूं के आटे की तुलना में ज्यादा फाइबर और पोषक तत्व होते हैं। मल्टीग्रेन रोटी बनाने के लिए अलग-अलग तरह के आटे, जैसे कि साबुत गेहूं, जई या जौ को मिलाएं, जो पोषक तत्वों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करता है। क्विनोआ या फिर अमरनाथ जैसे प्राचीन अनाज का उपयोग करने पर विचार करें, जो फाइबर, प्रोटीन और पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इन अनाजों से बनी रोटियों को खाना कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने की जगह घटाने में मददगार है। जो लोग अपने कार्ब सेवन पर नजर रखते हैं, वे चने की आटे की रोटी खाने का विकल्प चुन सकते हैं।साबुत गेहूं के आटे से बनी रोटियां, अपने लो फाइबर तत्व के कारण कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद कर सकती है। फाइबर पित्त अम्लों से जुड़कर उन्हें शरीर से निकाल सकता है, जो बदले में लिवर में कोलेस्ट्रॉल के उत्पादन को कम करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा महीन आटा और मैदा ब्लड शुगर और इंसुलिन प्रतिरोध में वृद्धि का कारण बन सकता है, जिससे संभावित रूप से कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है। इसलिए जब भी खाएं मोटे अनाजों की रोटियां खाएं जो पित्त अम्लों से जुड़कर और उन्हें शरीर से निकालकर कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद कर सकती हैं।रोटी के लिए अनाज चुनते वक्त इन बातों रखें ध्यानअगर आप रोटी के लिए किसी भी प्रकार का अनाज चुन रहे हैं तो आपको कुछ बातों का ख्याल रखना चाहिए। जैसे कि सबसे पहले- रिफाइंड अनाज की जगह साबुत अनाज चुनें जिनसे बनी रोटियों को खाना कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करने में मदद कर सकता है।- पोषक तत्वों से भरपूर रोटी बनाने के लिए अलग-अलग आटे के मिश्रण इस्तेमाल करें जिससे आटे में फाइबर की मात्रा ज्यादा हो और इससे न शुगर बढ़े और न शरीर का कोलेस्ट्रॉल बढ़े।- मात्रा का ध्यान रखें, क्योंकि कार्बोहाइड्रेट का अत्यधिक सेवन कोलेस्ट्रॉल के स्तर को प्रभावित कर सकता है।इसके अलावा भोजन को संतुलित बनाने के लिए रोटी कम खाअं और सब्जियां, लीन प्रोटीन या फलियों का सेवन ज्यादा करें। गेहूं के प्रकार और इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री के बारे में जानकारीपूर्ण चुनाव करके, आप अपने कोलेस्ट्रॉल लक्ष्यों को पूरा करते हुए रोटी का आनंद ले सकते हैं। तो अब जब भी रोटी खाएं तो इन तमाम बातों का ध्यान रखें।
- विटामिन-ई (Vitamin-E) स्किन के लिए एक अच्छा मॉइस्चराइजिंग इंग्रीडिएंट है। यह स्किन की ड्राइनेस कम करता है जिससे कई तरह की स्किन प्रॉब्लम्स का रिस्क भी कम होता है। इसी तरह चेहरे पर दिखने वाली झुर्रियां और फाइन लाइंस को कम करने (Preventing wrinkles on face) में मदद करता है। झुर्रियां कम करने के लिए विटामिन ई कैसे अप्लाई करना चाहिए, उसी से जुड़ीं कुछ टिप्स पढ़ें यहां। साथ ही जानें किन चीजों के साथ मिक्स करके विटामिन ई (Vitamin E) लगाया जा सकता है।स्किन पर सीधे लगाएं विटामिन ईयह विटामिन ई कैप्सूल के इस्तेमाल का सबसे आसान तरीका है। आप रात में सोने से पहले चेहरे को पानी और फेस वॉश से साफ करें। फिर, विटामिन ई का एक कैप्सूल खोलें और सीरम को स्किन पर अप्लाई करें। 25-30 मिनट बाद चेहरे को ठंडे पानी से साफ करें।दही के साथस्किन को पोषण देने के लिए विटामिन-ई कैप्सूल को दही और थोड़े-से शहद के साथ मिक्स करें। चेहरे पर इस पैक को लगाएं और 20-25 मिनट बाद चेहरे को गुनगुने पानी से साफ करें।एलो वेरा के साथविटामिन-ई का कैप्सून एक चम्मच एलो वेरा जेल मिक्स करें और इसे स्किन पर अप्लाई करें। 20-25 मिनट बाद इसे चेहरे पर लगाएं। फिर चेहरे को पानी साफ करें।मुल्तानी मिट्टी के साथस्किन को क्लीन रखने और डेड स्किन सेल्स की परत को हटाने के लिए विटामिन ई (Vitamin E) और मुल्तानी मिट्टी को मिक्स करके लगाएं। 15-20 मिनट बाद इसे साफ कर दें।ग्लिसरीन के साथड्राई स्किन और झुर्रियों से आराम पाने के लिए ग्लिसरीन और गुलाब जल (Glycerin-rose water and vitamin E) के साथ विटामिन ई मिलाएं। इसे स्किन पर अप्लाई करें।नारियल तेल के साथविटामिन-ई कैप्सूल को आप नारियल के तेल में मिक्स करके चेहरे पर लगा सकते हैं। इससे स्किन को पोषण मिलता है और स्किन के डार्क स्पॉट्स भी कम होते हैं। साथ ही स्किन लम्बे समय तक झुर्रियों और फाइन लाइंस से बचाने का काम भी यह फेस पैक करता है।इसलिए अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर करें।
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चांदी के बर्तनों का इस्तेमाल भारतीय संस्कृति में प्राचीन समय से होता आ रहा है। शादी-ब्याह, त्योहारों और खास मौकों पर चांदी के बर्तनों का इस्तेमाल होता है। हालांकि, चांदी न सिर्फ एक प्राचीन सभ्यता है, बल्कि इसमें खाना खाने से आपके सेहत को कई तरह के फायदे मिल सकते हैं। चांदी के बर्तनों में खाना खाना सेहत से लिहाज से बहुत फायदेमंद माना जाता है। लेकिन, कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं, जिन्हें चांदी के बर्तन में खाने से बचना चाहिए, क्योंकि उन्हें केमिकल रिएक्शन हो सकता है, जो आपके चांदी के बर्तनों को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ, स्वाद और स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डाल सकते हैं।
चांदी के बर्तन में क्या नहीं खाना चाहिए? -चांदी के बर्तनों में भोजन करना सेहत के लिहाज से काफी फायदेमंद होता है, लेकिन कुछ फूड्स को चांदी के बर्तन में खाने से बचना चाहिए, जैसे-1. अंडेउबले हुए अंडों को चांदी के बर्तनों में रखना सही नहीं माना जाता है। अंडे की जर्दी में सल्फर पाया जाता है, जो चांदी के साथ रिएक्ट करके उसे काला या धब्बेदार बना सकते हैं। खासकर, जब अंडे को लंबे समय तक चांदी के बर्न में रखा जाए तो इसका रिएक्शन तेज हो जाता है। इसलिए, अंडे सर्व करने के लिए आप चीनी मिट्टी या स्टील के बर्न का उपयोग कर सकते हैं, चांदी के स्थान पर।2. टमाटरटमाटर स्वाद में खट्टे होते हैं और इसमें एसिड (Ample Acidity) होते हैं। टमाटर में पाए जाने वाला सिट्रिक एसिड (Citric Acid) चांदी के साथ रिएक्ट कर सकता है, जिससे चांदी पर धब्बे पड़ सकते हैं और उसका रंग फीका पड़ सकता है। इतना ही नहीं, यह केमिकल रिएक्शन खाने के स्वाद को भी बदल सकता है, खासकर खाने में मेटेलिक स्वाद महसूस हो सकता है। सलाद या ग्रेवी में टमाटर का उपयोग करते समय आप इसके लिए कांच या स्टील के बर्तनों का इस्तेमाल करने की कोशिश करें।3. खट्टे फलनींबू, संतरा, मौसंबी जैसे खट्टे फलों में भी सिट्रिक एसिड बहुत ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। यह एसिड चांदी के साथ रिएक्शन करके उसे बेरंग या फिका कर सकता है और बर्तन पर दाग छोड़ सकता है। अगर इन फलों का रस चांदी के गिलास या कंटोरी में रखा जाए तो कुछ ही समय में चांदी पर हानिकारक असर दिखने लगता है। इसलिए खट्टे फलों के रस को चांदी में परोसने के स्थान पर हमेशा चांदी या प्लास्टिक के बर्तन में दें।4. नमकनमक एक ऐसा तत्व है जो बहुत ही चुपचाप चांदी के बर्तन को नुकसान पहुंचा सकता है। दरअसल, जब नमक को लंबे समय तक चांदी के बर्तन में रखा जाता है या नमकीन खाना उसमें परोसा जाता है, तो यह चांदी की सतह को गला सकता है या उसमें छोटे-छोटे गड्ढे बना सकता है। यह असर धीरे-धीरे होता है लेकिन स्थायी होता है। इसलिए नमक या नमकीन खाद्य पदार्थों को चांदी में न परोसें और अगर परोसना हो तो तुरंत साफ कर दें।निष्कर्षचांदी के बर्तनों में खाना खाना स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है। लेकिन, कुछ तरह के फूड्स को चांदी के बर्तन में देने से बचें, क्योंकि ये न सिर्फ आपके बर्तन को नुकसान पहुंचा सकते हैं, बल्कि, स्वाद और सेहत के लिए भी हानिकारक हो सकते हैं।क्या चांदी के बर्तन के साथ खाना सुरक्षित है?चांदी के बर्तन में भोजन करना सुरक्षित माना जाता है। चांदी के बर्तन में खाने से इम्यून सिस्टम मजूबत होता है और पाचन तंत्र बेहतर रहता है। चांदी की गिलास में दूध पी सकते हैं। चांदी के बर्तन से दूध पिलाने से पेट से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं और ये सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। चांदी के बर्तन में पानी पीना का समय सुबह खाली पेट है, लेकिन आप रात को सोने से पहले चांदी की गिलास में पानी भरकर ढककररख दें और फिर अगली सुबह खाली पेट इस गिलास का पानी पी लें, इसेस पाचन में सुधार होगा औऱ इम्यूनिटी बढ़ेगी। - हेल्दी फलों में से एक अमरूद में कई गुण और पोषक तत्व होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। अमरूद के अलावा, इसके पत्तों में भी कई गुण होते है। ऐसे में इनको खाने से स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं से राहत देने में मदद मिल सकती है। अमरूद के पत्तों को कुछ लोग सीधे तौर पर खाते हैं, तो कुछ इनकी चटनी को बनाकर खाते हैं। जानें अमरूद के पत्तों की चटनी खाने से क्या फायदे होते हैं?अमरूद के पत्तों में मौजूद पोषक तत्वअमरूद के पत्तों में अच्छी मात्रा में फाइबर, फोलिक एसिड, पोटैशियम, कॉपर, मैंगनीज, जिंक, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, विटामिन-ए और विटामिन-सी जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, साथ ही, इनमें भरपूर मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट्स के गुण पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।अमरूद के पत्तों की चटनी खाने के फायदेइम्यूनिटी को बूस्ट करने में सहायकअमरूद के पत्तों में भरपूर मात्रा में विटामिन-सी जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इनकी चटनी का सेवन करने से शरीर की इम्यूनिटी को बूस्ट करने में मदद मिलती है, जिससे बीमारियों से बचाव करने और इंफेक्शन से बचाव करने में मदद मिलती है।कोलेस्ट्रॉल के लिए फायदेमंदअमरूद के पत्तों में पोटेशियम, मैग्नीशियम और एंटी-ऑक्सीडेंट्स के गुण पाए जाते हैं। ऐसे में इनकी चटनी का सेवन करने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कंट्रोल करने में मदद मिलती है।पाचन के लिए फायदेमंदअमरूद के पत्तों में भरपूर मात्रा में डायटरी फाइबर होता है, जिससे पाचन को दुरुस्त करने में मदद मिलती है। ऐसे में अमरूद के पत्तों की चटनी का सेवन करने से गैस, कब्ज, अपच और एसिडिटी जैसी पाचन से जुड़ी समस्याओं से राहत देने में मदद मिलती है, साथ ही, पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है।फैटी लिवर के लिए फायदेमंदनेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अध्ययन के अनुसार, अमरूद के पत्तों के अर्क में में मौजूद गुण एएसटी और एएलटी के स्तर को कम करने में मदद मिलती है, साथ ही, इससे ट्राइग्लिसराइड के स्तर को भी कम करने में मदद मिलती है, जिससे फैटी लिवर की समस्या में सुधार लाने में मदद मिलती है।ब्लड शुगर के लिए फायदेमंदअमरूद के पत्तों में मौजूद फाइबर जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। ऐसे में इसके पत्तों की चटनी का सेवन करने से ब्लड शुगर के स्तर को कंट्रोल करने में भी मदद मिलती है। वहीं, नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अध्ययन के अनुसार, अमरूद के अर्क से शरीर में इंसुलिन रेजिस्टेंस में सुधार करने में मदद मिलती है।
- तरबूज खाना सेहत के लिए कई तरीकों से फायदेमंद होता है। तरबूज खाने के साथ-साथ इसका जूस भी पिया जा सकता है, जो शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद करता है। आजकल गर्मियों के मौसम में लोग आसानी से लू और हीटवेव का शिकार हो जाते हैं। इससे बचने के लिए आप अपनी रेगुलर डाइट में तरबूज को शामिल कर सकते हैं। लेकिन, क्या तरबूज सनबर्न को कम करने में मदद करता है? जी हां, तरबूज सनबर्न को कम करने में काफी लाभकारी हो सकता है। तरबूज में शरीर को ठंडक देने वाले गुण मौजूद होते हैं। तरबूज खाना बेहद फायदेमंद होता है। तरबूज शरीर को ठंडा और हाइड्रेट रखने में काफी लाभकारी होता है। इसमें लाइकोपीन के साथ-साथ एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो आमतौर पर सूरज की हानिकारक रोशनी के प्रभाव को कम करने में मदद करता है। तरबूज में मिलने वाले पोषक तत्व स्किन डैमेज को कम करने में मदद करते हैं, जिससे सनबर्न की समस्या कम होती है। इसमें मिलने वाले लिकोपीन सूरज से निकलने वाले UVA और UVB रेडिएशन को अवशोषित करके सनबर्न के असर को कम करने में मदद करता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो तरबूज में लगभग 40 फीसदी तक लिकोपीन पाया जाता है।तरबूज सनबर्न को कम करने में कैसे मदद करता है?तरबूज में लिकोपीन के साथ ही विटामिन-सी की भी अच्छी मात्रा होती है। दरअसल, इसमें पानी की अच्छी मात्रा होती है, जो त्वचा को हाइड्रेट और नरिश रखने में मदद करता है। तरबूज खाने से त्वचा सूरज की हानिकारक किरणों से झुलसती नहीं है, बल्कि इससे त्वचा हेल्दी रहती है। तरबूज एक प्रकार से सनस्क्रीन का काम करता है, जिससे आपकी त्वचा ठंडी और अच्छी रहती है। इसके साथ ही साथ सनबर्न वाले हिस्से पर आप तरबूज के रस को लगा सकते हैं। ऐसे में आप तरबूज को पीसकर फेस मास्क बनाकर भी लगा सकते हैं। इससे सनबर्न वाली त्वचा पर काफी लाभ मिलता है।सनबर्न से राहत पाने के तरीके-सनबर्न से राहत पाने के लिए आपको धूप में निकलने से पहले सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए।-इसके लिए आपको मॉइश्चुराइजर लगाने के साथ ही बर्फ की सिकाई भी करनी चाहिए।-सनबर्न से बचने के लिए आपको धूप से बचने वाले कपड़े या फुल बाजू के कपड़े पहनने चाहिए।-इसके लिए आपको भरपूर मात्रा में पानी पीना चाहिए ताकि डिहाइड्रेशन से बचा जा सके।-इसके लिए आपको छाया में रहने की जरूरत है।-ऐसे में आप सनग्लासिस भी पहन सकते हैं।क्या तरबूज खाने से सनबर्न में मदद मिलती है?जी हां, तरबूज खाने से सनबर्न से झुलसी त्वचा आसानी से ठीक होती है। तरबूज खाने या इसका रस पीकर आप हीटस्ट्रोक और लू से भी बच सकते हैं।क्या तरबूज को काटकर फ्रिज में रखना चाहिए?तरबूज को काटकर फ्रिज में रखना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। अगर आप फ्रिज में कटा तरबूज रख रहे हैं तो अच्छे से कवर करके रखें । जितनी जल्दी हो सके इसके उपयोग कर लें।तरबूज कब और किस समय नहीं खाना चाहिए?तरबूज को आमतौर पर शाम और रात के समय में नहीं खाना चाहिए। कोशिश करें कि तरबूज को सुबह नाश्ते में या दोपहर में लंच के बाद खाएं।
- र्मी के मौसम में तोरई या तोरी का सेवन करना सेहत के लिए लाभकारी होता है। हालांकि, कई लोगों को इसका स्वाद पसंद नहीं होता है। लेकिन यह सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होती है। तोरई में विटामिन-बी6, विटामिन-सी, प्रोटीन, फाइबर, आयरन, सोडियम, पोटेशियम और एंटीऑक्सीडेंट जैसे पोषक तत्व मौजूद हैं, जो सेहत को कई लाभ पहुंचाते हैं। इसके अलावा, इसमें पानी की मात्रा भी अधिक होती है, इसलिए यह गर्मियों में शरीर को हाइड्रेटेड रखती है। तोरई को पचाना भी बेहद आसान होता है, जिसकी वजह से यह पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद मानी जाती है। इसे खाने से हड्डियां मजबूत बनती हैं, ब्लड शुगर कंट्रोल रहता है और वजन घटाने में भी मदद मिलती है। नियमित रूप से इसका सेवन करने से शरीर की कई परेशानियां दूर हो सकती हैं।इम्यूनिटी बूस्ट करेतोरई में विटामिन-सी और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। इसका सेवन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। गर्मियों में इसका सेवन करके आप कई तरह की बीमारियों और संक्रमण से छुटकारा पा सकते हैं।वजन घटाने में मददगारअगर आप वजन घटाना चाहते हैं, तो तोरई की सब्जी को अपनी डाइट में शामिल करें। दरअसल, इसमें कैलोरी की मात्रा कम होती है। साथ ही, इसमें फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो पेट को लंबे समय तक भरा हुआ रखता है। तरोई खाने से भूख कम लगती है और आप ओवरईटिंग करने से भी बच जाते हैं। इससे वजन घटाने में मदद मिल सकती है।पाचन तंत्र को दुरुस्त करेतोरई का सेवन पाचन तंत्र के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। दरअसल, इसमें मौजूद फाइबर पेट और आंतों की सफाई करने में मदद करता है। इसे खाने से पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है और पेट भी सही से साफ होता है। नियमित रूप से इसका सेवन करने से कब्ज की समस्या से भी राहत मिलती है।एनीमिया से बचाएतोरई एनीमिया को दूर करने के लिए भी बेहद फायदेमंद माना जाती है। दरअसल, इसमें आयरन भरपूर मात्रा में मौजूद होता है, जो शरीर में हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है। रोजाना तरोई खाने से शरीर में खून की कमी को दूर करने में मदद मिलती है।डायबिटीज में फायदेमंदतोरई की सब्जी डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंद होती है। इसमें पेप्टाइड और एल्कलॉइड होते हैं, जो मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में मदद करते हैं। तरोई की सब्जी खाने से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रहता है और यह इंसुलिन के स्तर को भी नियंत्रित करने में भी मदद करती है।
- गर्मियों में ज्यादातर लोग छाछ का सेवन करना पसंद करते हैं, जिससे शरीर को ठंडक देने के साथ-साथ पाचन को दुरुस्त करने और स्वास्थ्य को भी कई अन्य लाभ मिलते हैं। छाछ में लोग भूना जीरा जैसी कई चीजों को डालकर पीना पसंद करते हैं। ऐसे में इसमें दालचीनी को डालकर ले सकते हैं। औषधीय गुणों से भरपूर दालचीनी में बहुत से पोषक तत्व पाए जाते हैं।छाछ और दालचीनी में मौजूद पोषक तत्व -छाछ में अच्छी मात्रा में प्रोबायोटिक्स के गुण पाए जाते हैं। इसके अलावा, इसमें इलेक्ट्रोलाइस्ट्स कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन्स जैसे पोषक तत्व भी होते हैं, जो स्वास्थ्य के साथ-साथ पाचन के लिए फायदेमंद है। वहीं, औषधीय गुणों से भरपूर दालचीनी में अच्छी मात्रा में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-वायरल और एंटी-ऑक्सीडेंट्स के गुण पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।छाछ में दालचीनी डालकर पीने के फायदे"आंत" के लिए फायदेमंद"आंत"छाछ में अच्छी मात्रा में प्रोबायोटिक्स के गुण पाए जाते हैं, जो "आंत" ( गट) के लिए फायदेमंद है। ऐसे में इसमें दालचीनी को डालकर खाने से "आंत" के गुड बैक्टीरिया को बढ़ावा देने और पेट को दुरुस्त रखने में मदद मिलती है।गट हेल्थ (Gut Health) दुरुस्त रहती है तो उसका असर ओवर ऑल हेल्थ पर दिखता है। गट हेल्थ दुरुस्त रहने से आंतें भोजन को सही तरह से पचाने में मदद करती हैं, इम्यून सिस्टम मजबूत होता है, मानसिक सेहत ठीक रहती है और स्किन की रंगत में निखार आता है।ब्लड शुगर में फायदेमंददालचीनी ब्लड शुगर में फायदेमंद है। इसको छाछ में डालकर पीने से इंसुलिन संवेदनशीलता को बेहतर करने में मदद मिलती है, जिससे ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। ऐसे में ब्लड शुगर के कारण होने वाली समस्याओं से बचाव करने में मदद मिलती है।पाचन तंत्र रहता है दुरुस्तदालचीनी में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल के गुण पाए जाते हैं, साथ ही, इससे पाचन के लिए जरूरी एंजाइम्स को बढ़ावा देने में मदद मिलती है। वहीं, छाछ भी पाचन के लिए और गट बैक्टीरिया के लिए फायदेमंद है। ऐसे में छाछ में दालचीनी को डालकर पीने से ब्लोटिंग, सूजन, कब्ज, एसिडिटी और गैस जैसी पाचन से जुड़ी कई समस्याओं से राहत देने में मदद मिलती है, इससे स्वास्थ्य को कई लाभ मिलते हैं।
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नई दिल्ली। बॉलीवुड एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा बेहद खूबसूरत और हसीन हैं। इन्होंने कई फिल्मों में काम किया है। अनुष्का अब 37 साल की हो गईं हैं लेकिन उनका लुक अभी भी 25 साल की तरह लगता है। एक्ट्रेस का हुस्न और खूबसूरती लोगों को दीवाना बना देता है। एक्ट्रेस खुद को फिट और स्लिम रखने के लिए अच्छे डाइट को फॉलो करती हैं। एक्ट्रेस ने अपनी डाइट चार्ट से कुछ फूड को हटा दिया है। एक्ट्रेस की डाइट और उनकी लाइफस्टाइल बहुत अच्छा है, जिससे वो एकदम यंग और जवान रखती हैं।
अनुष्का शर्मा कई सुपरहिट फिल्मों में काम कर चुकी हैं। इनकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर भी हुई हैं.। बॉलीवुड में शानदार फिल्मों के बाद एक्ट्रेस ने इंडियन क्रिकेटर विराट कोहली को डेट किया और दोनों ने शादी भी रचा ली। शादी के बाद अनुष्का ने फिल्मी दुनिया से थोड़ी दूरी बना ली और पर्सनल लाइफ पर ध्यान देना शुरू किया। अनुष्का के दो बच्चे हैं। हाल ही में एक्ट्रेस ने अपना 37वां जन्मदिन मनाया है. लेकिन आज भी एक्ट्रेस को देखकर नहीं लगता है कि वो 37 की हो गईं हैं। एक्ट्रेस एकदम फिट और जवान लगती हैं। एक्ट्रेस की खूबसूरती के पीछे उनकी डाइट और एक्सरसाइज का कमाल है।अनुष्का शर्मा अपनी डाइट को बहुत अच्छे से फॉलो करती हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एक्ट्रेस ने कई बार अपनी डाइट को लेकर बातचीत की हैं।. एक्ट्रेस ने अपने फैंस से शेयर किया है कि वो क्या खाती हैं और किन चीजों से दूर रहती हैं। एक्ट्रेस ने बताया कि वो चीनी और गेहूं से बनीं चीजों से दूर रहती हैं.। एक्ट्रेस ने बताया कि गेहूं में ग्लूटन होता है, जिससे शरीर में कई रोग हो सकते हैं। एक्ट्रेस ने बताया कि वो गेहूं की जगह रागी, बाजरा की चीजें खाती हैं। वहीं एक्ट्रेस बादाम के दूध को अपनी डाइट में शामिल की हैं।. इसमें कई प्रकार के पोषक तत्व होते हैं।, जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। यह दूध स्किन के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। - लिवर शरीर का वह अंग है जो पाचन, डिटॉक्सिफिकेशन और मेटाबॉलिज्म जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में शामिल होता है। लेकिन आज की जीवनशैली और असंतुलित खानपान के चलते लिवर में फैट जमना आम समस्या बन गई है, जिसे "फैटी लिवर डिजीज" कहा जाता है। यह स्थिति शुरुआत में बिना लक्षणों के होती है, लेकिन समय रहते ध्यान न दिया जाए तो यह गंभीर रूप ले सकती है। अच्छी बात यह है कि कुछ प्राकृतिक उपायों से लिवर की सेहत को बेहतर बनाया जा सकता है और इसमें सबसे कारगर है – रोज खाली पेट सेब खाना।लाल सेब बेहद लाभकारीसेब, खासतौर पर लाल सेब फाइबर, एंटीऑक्सिडेंट्स और पेक्टिन से भरपूर होता है। यह शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है और लीवर पर जमी हुई चर्बी को धीरे-धीरे कम करता है। सेब को अगर रोज सुबह खाली पेट खाया जाए, तो यह लिवर की सफाई में बेहद कारगर होता है। इसमें मौजूद फाइबर, खासकर "पेक्टिन", शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है और लीवर पर दबाव को कम करता है। सेब में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स जैसे फ्लेवोनॉइड्स और विटामिन सी लिवर की कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं, जिससे सूजन और फैट जमने की संभावना घट जाती है।पाचन भी सुधारइसके अलावा सेब में प्राकृतिक डिटॉक्सिफाइंग गुण होते हैं, जो पाचन को सुधारते हैं और शरीर की सफाई प्रक्रिया को तेज करते हैं। जब आप सुबह खाली पेट सेब खाते हैं, तो यह न केवल पेट को साफ करता है, बल्कि लिवर की फैट बर्निंग प्रक्रिया को भी एक्टिव करता है। सेब कैलोरी में कम और पोषण में भरपूर होता है, जिससे यह वजन घटाने में भी सहायक होता है। यदि आप एक स्वस्थ लिवर और फिट शरीर चाहते हैं, तो हर सुबह 1-2 ताजे सेब खाना शुरू करें।कब और कैसे खाएं?- खाली पेट सुबह: सेब का सबसे अच्छा समय सुबह का होता है, जब पेट खाली हो। इस समय शरीर डिटॉक्स मोड में होता है और सेब उसमें सहायता करता है।- छिलके सहित खाएं: सेब के छिलके में फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट्स अधिक होते हैं, इसलिए अच्छी तरह धोकर छिलके सहित खाना फायदेमंद रहेगा।- रोजाना 1-2 सेब पर्याप्त: इससे ज्यादा मात्रा से पाचन पर असर पड़ सकता है, खासकर अगर आपको एसिडिटी की समस्या रहती है।- ध्यान रखें: सेब खाने के बाद कम से कम 30 मिनट तक चाय, कॉफी या भारी भोजन न करें, ताकि इसका पूरा लाभ मिल सके।यदि आपको डायबिटीज, एसिड रिफ्लक्स या कोई पुरानी पाचन समस्या है, तो सेब को अपनी डाइट में शामिल करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।