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मेथी दाने के निरन्तर उपयोग से आपको बालों को झड़ने ,टूटने और निर्जीव होने जैसी परेशानी से छुटकारा मिल सकता है । मेथी दाने में आयरन, जिंक, हेल्दी फैट और प्रोटीन पाए जाते हैं जो बालों को भरपूर पौषण प्रदान करते हैं । इसमें एंटी फंगस और एंटी इन्फ्लामेट्री तत्व होते हैं जो बालों को घना और लम्बा बनाते हैं। मेथी के दानों में फॉलिक एसिड, विटामिन ए, विटामिन के और विटामिन सी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।जिससे बाल घने ,मुलायम और लम्बे होते हैं । आयुर्वेद में बालों की समस्यायों के लिए मेथी दाने के उपयोग की सलाह दी जाती है। हम आपको बताते हैं कि किन मेथी के दानों को किन तरीकों से आप आज़माकर अपने बालों को खूबसूरत और घने बना सकते हैं।
-मेथी के दानों को पतले बालों पर लगाने के लिए आधा कप नारियल के तेल में 2 चम्मच मेथी के दाने डालकर तब तक पकाएं जब तक मेथी दान लाल न हो जाये / इस तेल को ठण्डा होने के बाद अच्छी तरह खोपड़ी पर लगाएं ताकि तेल बालों के छिद्रों में अच्छी तरह पहुंच जाये । इससे स्कैल्प का ब्लड सर्कुलेशन बढ़ेगा जिससे बाल स्वस्थ होंगे और घने और चमकीले बनेंगे ।-मेथी के दानों को रातभर के लिए पानी में भिगो दें। फिर इन दानों को ब्लेंडर में पीसकर बारीक पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को अपने स्कैल्प और बालों में लगाकर आधे घंटे के लिए छोड़ दें और फिर बालों को किसी माइल्ड शैंपू से धो लें । इससे बाल मजबूत ,चमकीले और कोमल बनते हैं । वे स्कैल्प को हाइड्रेशन भी प्रदान करते हैं, जिससे रूखापन और खुजली कम होती है।-दो तीन चमच्च मेथी को दूध में भिगो कर रात भर रखें । सुबह इनका पेस्ट बना कर बालों में लगा लें और एक घण्टे बाद गुनगुने पानी से धो लें । इससे आपके बाल चमकदार और आकर्षक होंगे ।-मेथी को पानी में भिगो दें और उसे रात भर के लिए रखें। इस पानी को सुबह बालों पर लगाएं और उसे एक घंटे तक रखें। फिर बालों को ठंडे पानी से धो लें। इससे बाल मजबूत होंगे और उनमें शाइन आएगी।-हेयर फॉल रोकने के लिए दो तीन चमच्च मेथी दाने को एक कप पानी में रातभर के लिए भिगा देंऔर सुबह इन्हें गैस पर उबाल लें। ठण्डा होने के बाद मेथी दाने को ब्लेंडर में पीस कर इसका पेस्ट बना लें ।मेथी दाना के बचे हुए पानी में थोड़ी सी गुड़हल की पत्तियां और फूल डालकर पेस्ट बना लें । पेस्ट और पानी को मिक्स कर तैयार हुए पेस्ट को स्कैल्प पर लगाकर एक घण्टा तक छोड़ दें और इसके बाद हल्के गर्म पानी और माइल्ड शैंपू से बालों को धो लें। इस हेयर मास्क को सप्ताह में दो बार लगाएं।-मेथी के पाउडर को हेयर मास्क के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।-मेथी के पाउडर को दही या शहद के साथ मिलाकर पेस्ट बनाया लें । पेस्ट को अपने स्कैल्प और बालों की जड़ों आहिस्ता आहिस्ता लगा कर एक घण्टे बाद ताजे पानी से धो डालें । - दांतों में दर्द होना एक आम समस्या है। अधिकतर लोगों को जीवन के किसी न किसी पड़ाव में दांतों में दर्द की समस्या होती ही है। दांतों के दर्द होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे मसूड़ों में जलन, मसूड़ों का फूलना, दांतों में कीड़े लगना, दांत कमजोर होना आदि। इस लेख में हम जानेंगे कि दांतों की समस्याओं को दूर करने के लिए आयुर्वेदिक औषधि एकमेला ओलेरासिया- अकरकरा का उपयोग कैसे कर सकते हैं।दांत दर्द के लिए एक्मेला ओलेरासिया के फायदे -दांतों के दर्द को कम करेंएक्मेला ओलेरासिया दांतों के दर्द को कम करने में सहायक होती हैं। दरअसल, इसके उपयोग से दांतों के आसपास के हिस्से में सुन्नता आती है। जिससे कुछ समय के लिए दांतों में दर्द कम हो जाता है। जिन लोगों को दांतों में तेज दर्द है, वह इस औषधि का इस्तेमाल कर सकते हैं।सूजन रोधी गुणदांत दर्द अक्सर सूजन के साथ होता है। ऐसे में आप एक्मेला ओलेरासिया का उपयोग कर सकते हैं। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। जो प्रभावित दांत और उसके पास के मसूड़ों की सूजन को कम करने में सहायक होते हैं। इसके इस्तेमाल से ओरल हेल्थ बेहतर होती है।एंटी-बैक्टीरियल गुणएक्मेला ओलेरासिया दांत के दर्द को सुन्न करने के साथ ही बैक्टीरिया की वजह से होने वाले इंफेक्शन को भी दूर करता है। दांतों में होने वाले बैक्टीरियल फंगल को दूर करने के लिए आप एक्मेला ओलेरासिया का उपयोग कर सकते हैं। इससे दांतों के इलाज में मदद मिलती है।दांत दर्द से राहत के लिए एक्मेला ओलेरासिया का उपयोग कैसे करेंऔषधि का अर्कदांतों के दर्द से राहत पाने के लिए आप एक्मेला ओलेरासिया के पौधे का अर्क निकाल कर उसे दांतों पर लगा सकते हैं। इससे दांतों का दर्द कम होता है और कुछ समय के लिए प्रभावित दांत सुन्न हो जाता है।पत्तियों के पानी से गरारे करेंएक्मेला ओलेरासिया के सूखे पत्तों का इस्तेमाल आप गरारे के लिए कर सकते हैं। इसे बनाने के लिए आप दो कप गर्म पानी में एक्मेला ओलेरासिया के सूखे पत्तों को डालकर पानी को उबाल लें। जब पानी आधा रह जाए तो इसे छानकर कप में डालें। इसके बाद आप इस पानी से गरारे कर सकते हैं।तेल के साथ उपयोग करेंएक्मेला ओलेरासिया की पत्तियों के अर्क को आप लौंग के तेल में मिलाकर दांतों पर लगाएं इससे दांतों का दर्द कम होता है। साथ ही, दांतों के पास मसूड़ों की सूजन को भी कम करने में मदद मिलती है।दांतों के दर्द को कम करने के लिए आप एक्मेला ओलेरासिया का उपयोग कर सकते हैं। इस औषधि का उपयोग करने से पहले आप डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। कई बार दांतों में सड़न और दांत इतना खराब हो जाता है कि उसे निकलवाने का जरूरत होती है। ऐसे में आपको डॉक्टर की सलाह के बाद ही किसी भी औषधि का इस्तेमाल करना चाहिए।
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शुगर या चीनी खाना सेहत के लिए कितनी हानिकारक होती है, यह तो सभी को पता है। चीनी खाने से न केवल आपके शारीरिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता बल्कि, इससे मेंटल हेल्थ भी गड़बड़ हो सकती है। इससे आप मोटापे का शिकार हो सकते हैं। आमतौर पर खाए जाने वाले अमूमन पदार्थों में चीनी का इस्तेमाल ज्यादा मात्रा में किया जाता है। इससे शरीर में तरह-तरह की बीमारियां होने लगती हैं। आइये जानते हैं दिमाग के लिए नुकसानदायक कुछ चीनी के बारे में।
सफेद चीनीसफेद चीनी या रिफाइंड व्हाइट शुगर का सेवन करना दिमाग के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। इससे ब्लड शुगर लेवल के साथ-साथ मूड स्विंग की समस्या हो सकती है। इसका सेवन करना आपके कॉग्निटिव फंक्शन्स पर भी असर डाल सकता है, जिससे कई बार दिमाग की क्षमता कम हो सकती है।हाई फ्रुक्टोज कॉर्न सिरपहाई फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप कई खाद्य पदार्थों में इस्तेमाल किया जाता है। इससे शरीर में सूजन और ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है। इसे ज्यादा मात्रा में लेने से आपके दिमाग पर प्रभाव पड़ सकता है। कई बार इसका सेवन ज्यादा करने से दिमाग की सेल्स नष्ट होने लगती हैं, जिससे दिमाग ठीक तरीके से काम नहीं करता है।आर्टीफिशियल स्वीटनरकुछ स्टडी की मानें तो आर्टीफिशियल स्वीटनर खाने से कई बार नर्व्स डैमेज भी हो सकती हैं। इससे आपके मूड पर बुरा असर पड़ता है। बेशक ये कैलोरी में लो हों, लेकिन इसे खाने से मोटापा बढ़ सकता है, जिससे कई बार ब्रेन से जुड़ी समस्याएं हो सकती है। यह स्वीटनर आमतौर पर कोल्ड ड्रिंक, सॉफ्ट ड्रिंक और शराब आदि में पाया जाता है।ब्राउन शुगरआमतौर पर लोगों को लगता है कि ब्राउन शुगर एक हेल्दी विकल्प है। जबकि ऐसा बिलकुल नहीं है। ब्राउन शुगर व्हाइट शुगर के मुकाबले कम नुकसानदायक जरूर हो सकती है। लेकिन इसे खाने से भी शरीर में सूजन बढ़ती है और ब्लड शुगर लेवल पर भी असर पड़ता है। इससे धीरे-धीरे आपके ब्रेन पर भी असर पड़ सकता है। -
स्ट्रेस और एंग्जाइटी सामान्य स्थिति है, जो नकारात्मक परिस्थितियों के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती है। हालांकि यदि आपको अक्सर ही तनाव बना रहता है तो इसपर गंभीरता से ध्यान देना जरूरी हो जाता है। ज्यादा तनाव लेने से सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य ही नहीं, शारीरिक सेहत पर भी नकारात्मक असर होने लगता है।
तनाव होना जीवन के अनुभवों के प्रति एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है। ये समस्या किसी को भी हो सकती है। काम और परिवार जैसी रोजमर्रा की जिम्मेदारियों से लेकर जीवन की गंभीर घटनाओं जैसे किसी प्रियजन की मृत्यु तक कुछ भी तनाव को ट्रिगर कर सकता है। वैसे तो तत्काल या अल्पकालिक स्थितियों के लिए तनाव आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकता है हालांकि अगर अक्सर ही ये समस्या बनी रहती है तो सावधान हो जाने की जरूरत है।
लंबे समय तक बने रहने वाले मानसिक तनाव को आमतौर पर डिप्रेशन जैसी समस्याओं का कारक माना जाता है पर क्या आप जानते हैं कि ये हृदय रोग, प्रतिरक्षा प्रणाली की समस्या, पाचन विकारों का भी कारण बन सकती है?
तनाव की स्थिति का शरीर पर असर
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, जब आप तनाव महसूस करते हैं, तो शरीर कुछ खास हार्मोन्स रिलीज करता है। हार्मोन वे रासायनिक संकेत हैं जिनका उपयोग आपका शरीर पूरे शरीर के सिस्टम को यह बताने के लिए करता है कि किस समय क्या करना है? तनाव प्रतिक्रिया के दौरान, आपका शरीर हृदय गति, श्वास दर और रक्तचाप को बढ़ाकर समस्या से निपटने के लिए प्रयास करता रहता है।
हो सकती है पाचन की समस्या
तनाव के दौरान आपका लिवर शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के लिए अतिरिक्त रक्त शर्करा (ग्लूकोज) का उत्पादन करने लगता है। अगर आप लगातार तनाव में हैं, तो आपका शरीर इस अतिरिक्त ग्लूकोज की वृद्धि को नियंत्रित करने में विफल हो जाता है जिससे टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ सकता है। इसी तरह स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल बढ़ने से तेजी से सांस लेने और हृदय गति का बढ़ने का भी खतरा रहता है जिससे आपके पाचन तंत्र पर असर सकता है। पेट में एसिड की मात्रा बढ़ने के कारण आपको हार्टबर्न या एसिड रिफ्लक्स होने की दिक्कत अधिक हो सकती है।
श्वसन और हृदय प्रणाली पर असर
स्ट्रेस हार्मोन की अधिकता आपके श्वसन और हृदय प्रणाली को प्रभावित करने लगती है। तनाव प्रतिक्रिया के दौरान, आपका शरीर ऑक्सीजन युक्त रक्त को तेजी से वितरित करने के प्रयास में तेजी से सांस लेने का संकेत देता है। ऐसे में जिन लोगों को पहले से ही अस्थमा या सांस लेने की समस्या है, उनके लिए मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। इसके अलावा तनाव के दौरान आपका दिल भी तेजी से धड़कता है। स्ट्रेस हार्मोन की अधिकता रक्त वाहिकाओं को संकुचित कर सकती है जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ने और हृदय रोगों की अन्य समस्याओं का भी खतरा हो सकता है।
लंबे समय तक बने रहने वाले तनाव का असर
लगातार बनी रहने वाली तनाव की स्थिति कई अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है।
मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे कि अवसाद, चिंता और व्यक्तित्व विकार।
हृदय रोग और इसके कारक जैसे उच्च रक्तचाप, असामान्य हृदय गति, दिल का दौरा और स्ट्रोक।
मोटापा और खाने के अन्य विकार।
मासिक धर्म संबंधी समस्याएं।
यौन रोग जैसे कि पुरुषों में नपुंसकता और शीघ्रपतन और महिलाओं में यौन इच्छा में कमी।
त्वचा और बालों की समस्याएं जैसे कि मुंहासे होना, एक्जिमा और स्थायी रूप से बालों का झड़ना।
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मानसून के दिनों में अक्सर लोगों के जोड़ों में दर्द की समस्या बढ़ जाती है। ऐसा ज्यादातर बुजुर्ग लोगों के साथ होता है या जिनकी हड्डियां कमजोर हैं, उन्हें इसकी शिकायत रहती है। हालांकि, आपको लग सकता है कि भला मानसून और जोड़ों के दर्द का आपस में क्या संबंध है? लेकिन, मानसून में ह्यूमीडिटी ज्यादा होती है। इस मौसम की वजह से ब्लड थोड़ा थिक या गाढ़ा हो जाता है, जिस वजह से ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। इस तरह की सिचुएशन में हमारे शरीर को ओवर मेहनत करनी पड़ती है, जिससे बॉडी डिहाइड्ेट हो सकती है। यही कारण है कि जोड़ों के आसपास मौजूद फ्लूइड का जमाव कम हो जाता है। नतीजतन, जिन लोगों को पहले से ही ज्वाइंट पेन रहता है, उनका दर्द बढ़ जाता है। मौजूद है मानसून के कारण हो रहे जोड़ों के दर्द को कम करने के लिए डाइट टिप्स।
मानसून के कारण हो रहे जोड़ों के दर्द से छुटकारा पाने के लिए क्या खाएं-खाएं अदरकमानसून के दिनों में लगभग हर दूसरे घर में अदरक की चाय बनती है। माना जाता है कि अदरक की चाय पीने से सर्दी-जुकाम जैसी परेशानियां दूर रहती हैं। अदरक में एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व होते हैं, जो अर्थराइटिस के के कारण हो जोड़ों में आई स्टिफनेस को दूर करने और दर्द को कम करने में मदद करते हैं। यहां तक कि जोड़ों के दर्द के कारण आई सूजन से भी राहत मिलती है।लहसुन का सेवन करेंअक्सर आपने सुना होगा कि हाथ-पांव में दर्द हो, तो लहसुन को सर्सों के तेल में हल्का गुनगुना करके इससे मालिश करनी चाहिए। इससे हाथ-पैरों में हो रहा दर्द छूमंतर हो जाता है। क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है? असल में लहसुन में कई ऐसे तत्व होते हैं, जो कार्टिलेज को डैमेज होने से रोकता है और जोड़ों में आई सूजन को कम करने में भी अहम भूमिका निभाता है। मानसून के दिनों में इसे अपनी डाइट का हिस्सा जरूर बनाएं।ग्रीन-टी पिएंग्रीन-टी कई तरह के गुणों से भरपूर है। ग्रीन-टी का सेवन करने से वजन संतुलित रहता है, त्वचा में निखार आता है और इम्यूनिटी भी बूस्ट होती है। मानसून के दिनों में ग्रीन-टी को अपनी डाइट का हिस्सा जरूर बनाना चाहिए। इसमें पोलिफेनल और एंटी-ऑक्सीडेंट्स जैसे तत्व होते हैं, जो सूजन को कम करते हैं और बढ़ती उम्र के कारण हो रही कार्टिलेज की क्षति की गति को धीमा करने में मदद करता है।एवोकाडो खाएंएवोकाडो बेहतरीन फलों में से एक है। इसमें हेल्दी फैट होता है। इसका सेवन करने से वजन नहीं बढ़ता है। इसके उलट, इसमें कई ऐसे तत्व होते हैं, जो अर्थराइटिस या जोड़ों के दर्द को सीमित करने में मदद करते हैं। असल में, एवोकाडो में एंटी-ऑक्सीडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व होते हैं। इसकी वजह से शरीर की सूजन कम होती है, जो जोड़ों पर पड़ रहे दबाव को कम करने में मदद करती है। इससे मानसून के कारण हो रहे जोड़ों के दर्द से राहत भी मिलती है।हल्दी का सेवन करेंहमारे यहां लगभग हर घर में हल्दी का सेवन किया जाता है। हल्दी कई तरह के तत्वों का बेहतरीन स्रोत है। आपने अक्सर देखा होगा कि मौसम बदलते ही कई घरों में हल्दी दूध का सेवन किया जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रॉपर्टी होती है। इसमें खासकर, कर्क्युमिन पाया जाता है। यह ज्वाइंट पेन को कम करता है और जोड़ों में आई सूजन से भी राहत दिलाता है। अर्थराइटिस के मरीजों को हल्दी का सेवन जरूर करना चाहिए। - आपने अपने बुजुर्गों को कहते सुना होगा कि रोज बादाम खाया करो, याददाश्त तेज हो जाएगी। बादाम खाने से त्वचा भी स्वस्थ रहती है। बादाम एक ऐसा ड्राई फ्रूट है जिसमें फाइबर, प्रोटीन, आयरन , मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर के बेहतर कामकाज के लिए जरूरी हैं। रोजाना बादाम खाने से दिमाग और दिमाग तंदरुस्त रहते हैं।कच्चा या भिगाकर, बादाम का कई तरीकों से सेवन किया जाता है। बादाम का इस्तेमाल कई तरीके व्यंजनों में भी किया जाता है। अक्सर लोग बादाम को कच्चा या किसी खाने में डालकर खाते हैं। बादाम गर्मियों में भी फायदा पहुंचाता है लेकिन ज्यादातर लोग इसका गलत तरीके से सेवन करते हैं। बादाम से ज्यादा ताकत और पोषण पाने के लिए आपको इसके सही उपयोग और सेवन का सही तरीका पता होना चाहिए।बादाम खाने के फायदे-बादाम विटामिन, मिनरल्स हेल्दी फैट से भरपूर होते हैं। इनमें विटामिन E, मैग्नीशियम, कैल्शियम, फाइबर, और मोनोअनसैचुरेटेड फैट (जैसे कि ओमेगा-3) प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।-बादाम में मौजूद मोनोअनसैचुरेटेड फैट और फाइबर कोलेस्ट्रॉल लेवल कम करने और दिल को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।-बादाम ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करते हैं, जो डायबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है।-बादाम फाइबर और प्रोटीन से भरपूर होते हैं जो आपको लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराते हैं और वजन कम करने में मदद कर सकते हैं।-बादाम विटामिन E और एंटीऑक्सीडेंट का अच्छा स्रोत हैं जो दिमाग को तेज करने और याददाश्त और एकाग्रता में सुधार करने में मदद करते हैं।-बादाम में मैग्नीशियम और कैल्शियम होता है जो हड्डियों को मजबूत बनाने और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों को रोकने में मदद करता है।-बादाम विटामिन E और एंटीऑक्सीडेंट का अच्छा स्रोत हैं जो त्वचा को स्वस्थ और चमकदार रखने और बालों को मजबूत और घना बनाने में मदद करते हैं।-बादाम में फाइबर होता है जो पाचन क्रिया को बेहतर बनाने और कब्ज को रोकने में मदद करता है।भीगे बादाम खाएंएक्सपर्ट के अनुसार, अधिकतर लोग कच्चे बादाम खाते हैं और भर भरकर खाते हैं। बादाम से ज्यादा पोषक तत्व लेने के लिए आपको इन्हें भिगोकर खाना चाहिए। बादाम को भिगोने से पोषक तत्व और गुण बढ़ जाते हैं और सबसे बड़ी बात इनकी विषाक्ता भी कम हो जाती है।योगर्ट पारफेट बनाएंबादाम और योगर्ट मिलाकर आप एक परफेक्ट पारफेट बना सकते हैं। यह न केवल एक टेस्टी स्नैक है बल्कि प्रोटीन, प्रोबायोटिक्स और एंटीऑक्सीडेंट का बेहतरीन सोर्स भी है।कैंडी बार बनाकर खाएंबादाम एनर्जी का बेहतरीन सोर्स है। यह न केवल आपको एक्टिव रखता है, बल्कि शरीर में ऊर्जा की कमी को भी पूरी करता है। इसलिए आप बादाम का सेवन कैंडी बार के रूप में कर सकते हैं। बादाम को पीसकर, उसमें नारियल, खजूर और शहद मिलाकर कैंडी बार बनाएं।फ्राइड सब्जी में करें उपयोगआप अपने भोजन में भी बादाम को शामिल कर सकते हैं। तली भुनी सब्जियों में बादाम को फ्राई करके डालें। इससे खाने में कुरकुरा बना रहेगा और सब्जी भी स्वादिष्ट बनेगी।बादाम के मक्खन का विकल्प चुनेंअगर आप कच्चे बादाम नहीं खा सकते, तो आल्मंड बटर का ऑप्शन चुनें। सुबह होल ग्रेन टोस्ट पर इसे लगाकर खा सकते हैं। बादाम के मक्खन में प्रोटीन और हेल्दी फैट का कॉम्बिनेशन आपको भरा हुआ और संतुष्ट महसूस करता है।डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
- आज दुनियाभर के लोगों कई किस्म की कॉफी पीना पसंद करते हैं। यही वजह है कि कुछ लोग कॉफी के बिना अपने दिन की शुरुआत नहीं करते हैं। कॉफी पीने के अपने फायदे और नुकसान हो सकते हैं। लेकिन इसके बावजूद इसे पीने वालों की संख्या में किसी भी तरह की गिरावट नहीं देखने को मिलती है। हालांकि, कॉफी पीना सेहत के लिए फायदेमंद है या नुकसानदायक यह लंबे समय से चर्चा का विषय बना हुआ है। कई विशेषज्ञ बताते हैं कि कॉफी में मौजूद कैफीन ब्लड वैसल्स (नसों) को सिकोड़ने का काम कर सकता है, जिससे ब्लड प्रेशर की संभावना बढ़ सकती है।क्या ब्लैक कॉफी हाई ब्लड प्रेशर में फायदेमंद होती है?कॉफी या ब्लैक कॉफी में बायोएक्टिव कंपाउंड, जिनमें कैफीन, क्लोरोजेनिक एसिड (chlorogenic acids) और डाइटरपेन्स (diterpenes) शामिल होते हैं। स्टडी के अनुसार कैफीन (vasoconstrictor) वाहिका संकुचन (नसों को सिकोड़ना) की तरह कार्य करता है, जिसका अर्थ है कि यह नसों के आकार को कम करता है और ब्लड प्रेशर बढ़ा सकता है। इसके अलावा, कैफीन ब्रेन में विभिन्न रिसेप्टर्स पर अपना प्रभाव डालता है। विशेषज्ञों का मानना है कि कॉफी में मौजूद अन्य कम्पाउंड, जैसे कि एंटीऑक्सीडेंट नसों के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। ऐसे में ब्लैक कॉफी हाई ब्लड प्रेशर में फायदेमंद हो सकती है या नहीं, यह रिसर्च का विषय है।लंबे समय तक कॉफी पीने के क्या प्रभाव हो सकते हैं?कॉफी के प्रभावों को जानने के लिए बीते वर्षों में एक रिव्यू किया गया। इसमें शोधकर्ता ने पाया कि रोजाना करीब 7 कप कॉफी पीने के वालों में हाई ब्लड प्रेशर का जोखिम 9 प्रतिशत तक कम हो सकता है, जबकि जो लोग रोजाना एक कप कॉफी पीते हैं, उनको ब्लड प्रेशर का जोखिम करीब एक फीसदी तक कम होता है। इस वजह से कहा जा सकता है कि कॉफी पीने के अपने फायदे और नुकसान हो सकते हैं। ऐसे में एक्सपर्ट कहते हैं कि जिन लोगों को ब्लड प्रेशर की समस्या है, उनको ब्लैक कॉफी पीते समय सावधानी बरतनी चाहिए। यह ब्लड प्रेशर को बढ़ाने का काम कर सकती है।हाई ब्लड प्रेशर में ब्लैक कॉफी पीते समय क्या सावधानी बरतें?ब्लड प्रेशर की जांच करें: यदि आपको हाई ब्लड प्रेशर है और आप ब्लैक कॉफी पीते हैं, तो ऐसे में आप नियमित रूप से अपने ब्लड प्रेशर की जांच करें, ताकि कॉफी से आपकी सेहत पर पड़ने वाले प्रभावों का पता चल सकेगा।समय का ध्यान रखें: कॉफी पीते समय का ध्यान जरूर दें। रात के समय कॉफी पीने से बचें, यह आपकी नींद में खलल डाल सकती है। इससे आपको ब्लड प्रेशर की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।डिकैफिनेटेड कॉफी खरीदें: बाजार में कई तरह की कॉफी उपलब्ध है। यदि, आपको कॉफी पीना पसंद है, तो ऐसे में आप डिकैफिनेटेड कॉफी खरीदें। इससे कैफीन से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है।ब्लैक कॉफी में मौजूद कैफीन ब्लड प्रेशर में वृद्धि का कारण बन सकता है। ऐसे में आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही ब्लैक कॉफी या अन्य कॉफी का सेवन करना चाहिए। जिनका ब्लड प्रेशर लो है, उनके लिए ब्लैक कॉफी फायदेमंद हो सकती है।
- कई लोग दो से तीन मसालों को पानी में भिगोकर सेवन करते हैं। लेकिन क्या दो से तीन मसालों का पानी एक साथ लेना सेफ होता है? क्या इससे शरीर में साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं? एक्सपर्ट कहते हैं कि दो मसालों वाला पानी एक साथ पीना सेफ है। जीरा और धनिया, अदरक और हल्दी, या सौंफ और इलायची जैसे मसालों को अगर आप पानी में एक साथ लेते हैं, तो इससे शरीर को कई फायदे होते हैं। ये कॉम्बिनेशन पाचन स्वस्थ रखने और बॉडी को डिटॉक्स करने में मदद करते हैं। अगर शरीर में पित्त-दोष असंतुलित हैं, तो ऐसे में भी यह कॉम्बिनेशन फायदेमंद है।हर किसी के लिए इसका असर अलग-अलग हो सकता है। अगर आपको किसी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या है, तो किसी आयुर्वेदिक एक्सपर्ट की सलाह पर ही कोई भी कॉम्बिनेशन ट्राई करें। क्योंकि लंबे समय में यह शरीर की प्रकृति को नुकसान कर सकता है।आयुर्वेद के अनुसार, कौन से मसालों का कॉम्बिनेशन ज्यादा फायदेमंद है?आयुर्वेद में सुंथी, मिरी और पिपली के कॉम्बिनेशन को अत्यधिक महत्व दिया जाता है। ये तीन मसाले दोषों को संतुलित करने में मदद करते हैं। पाचन क्रिया को तेज करते हैं और पेट को स्वस्थ रखते हैं। पाचन में सुधार करने के अलावा लिवर को हेल्दी रखने में भी ये मसाले फायदेमंद होते हैं। इससे पाचन तंत्र बेहतर तरीके से काम कर पाता है। इसके अलावा, ये कॉम्बिनेशन पूरे शरीर को स्वस्थ रखने में भी मदद करता है। ये बॉडी को डिटॉक्स भी करता है, जिससे अन्य बीमारियों का खतरा भी कम हो जाता है।आयुर्वेद के अनुसार कौन-से मसाले एक साथ इस्तेमाल नहीं करने चाहिए?आयुर्वेद के अनुसार विपरीत गुणों और तासीर वाले मसालों को एक साथ नहीं मिलाना चाहिए। उदाहरण के लिए, सौंफ जैसे ठंडे मसालेद को मीठी चीनी जैसे भारी मिठास के साथ नहीं मिलाना चाहिए। क्योंकि इससे पाचन तंत्र को नुकसान हो सकता है। इसके अलावा, लहसुन और प्याज जैसे गर्म मसालों को धनिया या सौंफ जैसे ठंडे मसालों के साथ नहीं मिलाना चाहिए। क्योंकि अलग-अलग तासीर वाले मसाले हार्मोन्स को असंतुलित कर सकते हैं। वहीं दूध को इमली या मेथी जैसे खट्टे या नमकीन मसालों के साथ नहीं मिलाना चाहिए।क्या सौंफ और दालचीनी मिला पानी पीना ठीक है?जी हां, दालचीनी और सौंफ वाला पानी सेहत के लिए फायदेमंद है। दोनों मसालों में गर्मी होती है। यह शरीर में एक साथ बेहतर तरीके से काम कर सकते हैं। जब रात के खाने या दोपहर के भोजन के बाद इसका सेवन किया जाता है, तो यह शरीर में अतिरिक्त कफ कम करने में मदद मिलती है। इससे पाचन क्रिया भी बेहतर होती है और पाचन संबंधी समस्याओं को रोकने में मदद मिलती है। दालचीनी ब्लड शुगर लेवल को संतुलित रखने में मदद करती है। जबकि सौंफ पाचन तंत्र को शांत रखती है और सूजन कम करती है। इन दोनों मसालों को साथ में लेने से मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है।
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बेजान बालों होने के कारण अक्सर लोगों को हेयर फॉल का सामना करना पड़ता है। बदलते मौसम, केमिकल वाले हेयर प्रोडक्ट्स और हीटिंग एसेसरीज का अत्याधिक उपयोग बालों को डैमेज कर सकते हैं। पिछले कुछ सालों से बालों की वॉल्यूम बढ़ाने या हेल्दी बाल पाने के लिए लोग हेयर बोटॉक्स ट्रीटमेंट लेते हैं। हेयर बोटॉक्स ट्रीटमेंट बालों को मजबूत करने और ज्यादा सुंदर बनाने में मदद का का काम करते हैं। लेकिन ये हेयर बोटॉक्स हेयर ट्रीटमेंट थोड़ा महंगा होता है, इसलिए हर व्यक्ति इसे करवाने से पहले कई बार सोचता है। तो आइए जानते हैं घर पर बालों के लिए बोटॉक्स कैसे करें?
घर पर हेयर बोटॉक्स क्रीम कैसे बनाएं?सामग्री-अलसी के बीज- 2 बड़े चम्मचअरंडी का तेल- 1 बड़ा चम्मचआंवला पाउडर- 1 बड़ा चम्मचकरी पत्ता पाउडर- 1 बड़ा चम्मचपानी- 1 कपक्रीम बनाने की विधि--एक छोटे सॉस पैन में 1 कप पानी उबालें।-उबलते पानी में 2 बड़े चम्मच अलसी के बीज डालें।-लगभग 5-10 मिनट तक अलसी के बीजों को पानी में उबालने दें और बीच-बीच में चलाते रहे।-जेल को एक महीन छलनी या चीजक्लोथ का उपयोग करके छान लें और ठंडा होने दें।-अब एक कटोरे में 1 बड़ा चम्मच अरंडी का तेल, 1 बड़ा चम्मच आंवला पाउडर और 1 बड़ा चम्मच करी पत्ता पाउडर मिलाएं।-ठंडा किया हुआ अलसी का जेल कटोरे में डालें और सभी सामग्रियों को ब्लेंडर में पीसकर चिकना पेस्ट बना लें।घर पर हेयर बोटॉक्स कैसे करें?-अपने बालों को भागों में बांट लें और पहले इस हेयर मास्क को स्कैल्प पर लगाएं।-फिर इसे अपने बालों की पूरी लंबाई में समान रूप से फैलाएं।-30 मिनट से 1 घंटे तक इस जेल को बालों पर लगा रहने दें।-जेल को अपने बालों में लगाने के बाद शॉवर कैप से सिर ढक लें।-जेल ड्राई होने के बाद अपने बालों को गुनगुने पानी और शैम्पू से अच्छी तरह धोएँ।-नियमित रूप से इस हेयर पैर का इस्तेमाल आप हफ्ते में एक बार जरूर करें।बालों के लिए अलसी के बीज और अरंडी के तेल के हेयर मास्क के फायदा-अलसी के बीज के जेल में ओमेगा-3 फैटी एसिड और विटामिन ई होता है, जो आपके बालों को नमी दोने और टूटना कम करने में मदद कर सकता है।-कैस्टर ऑयल बालों को घना और लंबा करने की अपनी क्षमता के लिए जाना जाता है, यह स्कैल्प के स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देता है।-आंवला पाउडर विटामिन सी से भरपूर होता है, जो बालों के पोर्स को मजबूत करता है और बालों के विकास को बढ़ावा देता है। इसके अलावा, समय से पहले बालों को सफेद होने से रोकता है।-करी पत्तों के पाउडर में एंटीऑक्सीडेंट और अमीनो एसिड होते हैं, जो बालों का झड़ना कम करते हैं और बालों की जड़ों को मजबूत करते हैं।-घर पर बालों को बोटॉक्स करने के लिए आप इस हेयर मास्क का इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर पहली बार आप इस मास्क का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो पैच टेस्ट जरूर कर लें। - स्वस्थ रहने के लिए और शरीर को बेहतर ढंग से काम करने में मदद करने के लिए आयरन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आयरन एक ऐसा मिनरल है, जो हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी होता है, क्योंकि यह हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन बनाने के लिए आवश्यक होता है। हीमोग्लोबिन,, रेड ब्लड सेल्स में पाए जाने वाला एक प्रोटीन है, जो हमारे ब्लड वेसल्स में ऑक्सीजन ले जाने का काम करता है। शरीर के स्वास्थ रहने, टिशू और मांसपेशिटों को बेहतर ढ़ग से काम करने के लिए हीमोग्लोबिन बहुत जरूरी है। अगर शरीर में हीमोग्लोबिन यानी खून की कमी हो जाए तो ब्लड में ऑक्सीजन के फ्लो के साथ कई अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती है। शरीर में आयरन होने पर ऐसे संकेत मिलते हैं, जिसे कई बार आप अनदेखा कर देते हैं।शरीर में आयरन की कमी होने पर क्या होता है?1. आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया से पीड़ित व्यक्ति को कच्चे चावल, मिट्टी, चाक, पेंसिल और बर्फ जैसे पदार्थों की क्रेविंग बढ़ सकती है।2. आयरन की कमी रेस्टलेस लेग सिंड्रोम का एक बड़ा कारण है।3. एनीमिया में शरीर में खराब ब्लड सर्कुलेशन के कारण लगातार ठंडे हाथ-पैर हो सकते हैं।4. आयरन की कमी से नाखूनों के कमजोर, पतले और टूटने की संभावना बढ़ सकती है।5. आयरन की कमी से मुंह के दोनों कोनों में ड्राईनेस और दरारें हो सकती हैं।6. जूभ में सूजन और पीलापन अक्सर आयरन की कमी का लक्षण हो सकता है।7. आयरन की कमी के कारण इम्यूनिटी कमजोर हो सकती है, जिससे बार-बार इंफेक्शन होने का जोखिम बढ़ जाता है।आयरन के स्तर को जल्दी कैसे बढ़ाएं?-अपनी डेली डाइट में अलग-अलग प्रकार के आयरन युक्त खाद्य पदार्थ शामिल करें।-विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थों के साथ पौधे आधारित आयरन सोर्स को भी मिलाएं।-आयरन-फोर्टिफाइड अनाज के विकल्पों को चुनें।-आयरन के अवशोषण में आ रही बाधा को रोकने के लिए भोजन के दौरान चाय और कॉफी का सेवन कम करें।-शरीर में ज्यादा खून की कमी होने पर डॉक्टर की सलाह पर आयरन सप्लीमेंट लें।- नियमित ब्लड टेस्ट के साथ आयरन के स्तर पर नजर बनाए रखें।शरीर में आयरन की कमी के लक्षणों को पहचानकर आप इसे ठीक करने की कोशिश कर सकते हैं। इसलिए, अगर आपको ये लक्षण नजर आए तो डॉक्टर से परामर्श करें और ब्लड टेस्ट जरूर करवाएं।
- अगर आपके घर में बच्चे हैं, तो आपको इस मानसून, बच्चों के हैंड हाइजीन पर फोकस करना चाहिए। हाथों की सफाई के जरिए, कई बीमारियों के खतरे को रोका जा सकता है। इस लेख में हम जानेंगे मानसून में बच्चों के लिए हाथों की सफाई क्यों जरूरी है और हाथों को साफ करने का सही तरीका कैसे होना चाहिए।मानसून में बच्चों के लिए क्यों जरूरी है हाथों की सफाई?-मानसून में बच्चों के लिए हाथों को साफ रखना जरूरी है। हाथों को साफ रखकर आप, उन्हें बीमारी और इंफेक्शन से बचा सकते हैं--मानसून में नमी और गंदगी बढ़ने के कारण बैक्टीरिया और वायरस तेजी से फैलते हैं। गंदे हाथों से संक्रमण का खतरा फैलता है।-मानसून में दूषित पानी के कारण डायरिया, हैजा और टायफाइड जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। हाथों की सफाई के साथ, इन बीमारियों से बचने में मदद मिलती है।-नमी के कारण बच्चों को सर्दी-खांसी और फ्लू जैसी समस्याएं हो सकती हैं। हाथों की सफाई से इन वायरस के असर को रोका जा सकता है।-मानसून के दौरान कीचड़ और गंदगी में खेलते समय बच्चों के हाथों में पैरासाइट्स और लार्वा चिपक सकते हैं। इनसे पेट संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।-गंदे और गीले हाथों से त्वचा पर रैशेज़, फंगल इंफेक्शन और अन्य त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।बच्चे को हाथ साफ करने का सही तरीका सिखाएं-बच्चे को हाथ धोने का सही तरीका सिखाने के लिए इन स्टेप्स को फॉलो करवाएं--सबसे पहले बच्चे को साफ पानी से हाथों को गीला करने के लिए कहें।-इसके बाद बच्चे को हाथों पर साबुन लगाना है।-बच्चे को साबुन से हाथों को अच्छी तरह से साफ करना है।-यह प्रक्रिया 20 सेकेंड्स तक होनी चाहिए।-सुनिश्चित करें कि वह उंगलियों के बीच और नाखूनों के नीचे भी रगड़कर त्वचा को साफ करे।-हाथों को साफ, बहते पानी के नीचे अच्छे से धोएं ताकि साबुन पूरी तरह से निकल जाए।-साफ तौलिए या एयर ड्रायर की मदद से हाथों को अच्छी तरह से सुखाएं।हैंड वॉश के फायदे-=मानसून में हाथों को साफ करके आप डायरिया, हैजा, टाइफाइड जैसी बीमारियों से बच्चे को बचा सकते हैं।=सर्दी-खांसी और फ्लू जैसी बीमारियों से बचने के लिए हाथों को साफ रखना जरूरी है।=हाथों को साफ रखकर आप पेट दर्द, उल्टी-दस्त जैसी बीमारियों के खतरे से बच सकते हैं।=हाथों की सफाई के जरिए स्किन इंफेक्शन, फंगल इंफेक्शन, रैशेज आदि से भी बचा सकता है।=हाथों को साफ रखकर आप माउथ इंफेक्शन, छाले आदि समस्याओं से भी बच्चे को बचा सकते हैं।उम्मीद करते हैं कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। इस लेख को शेयर करना न भूलें।
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भारत की अधिकतर महिलाएं और बहुत सारे पुरुष भी गोलगप्पे खाने के शौकिन है। भारत के अलग-अलग राज्यों में भले ही इसे अलग नामों (गोलगप्पा, पानीपूरी, पुचका, बताशे) से जाना जाता है। लेकिन इसके स्वाद के लोग काफी दिवाने हैं। हर गोल गप्पे वाले के पास आपको मजे से पानी पूरी खाते हुए लोग मिल जाएंगे। लेकिन क्या आप जो गोल गप्पा खा रहे हैं, वो आपके सेहत के लिए सही है? दरअसल कर्नाटक के खाद्य सुरक्षा और मानक विभाग ने हाल ही में पानी पूरी के कुछ सैंपलों की जांच की, जिसकी रिपोर्ट में सामने आया है कि इन गोपगप्पों में कुछ ऐसे केमिकल है, जो कैंसर पैदा करने का कारण बन सकते हैं। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला
कर्नाटक सरकार के खाद्य सुरक्षा और मानक विभाग ने पूरे राज्य में कॉटन कैंडी और गोभी मंचूरियन में आर्टिफिशियल रंग मिलाने पर इनके इस्तेमाल पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी थी, क्योंकि इन आर्टिफिशिल रंगों में मौजूद केमिकल हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते हैं। वहीं अब कर्नाटक के खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSA) के एक सर्व में कर्नाटक में चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें इकट्ठे किए गए पानी पूरी के लगभग 22% नमूनों में कैंसर पैदा करने वाले केमिकल मिले हैं। FSSAI ने सड़क किनारे दुकान लगाने वालों से लेकर अच्छे होटलों से लगभग 250 गोपगप्पों के नमूनों को इकट्ठा किया, जिसमें से 41 नमूनों में हानिकारक आर्टिफिशियल रंग और ब्रिलियंट ब्लू FCF, सनसेट येलो और टार्ट्राजिन जैसे केमिकल पाए गए हैं। ये केमिकल न सिर्फ पेट से जुड़ी समस्याओं का कारण बन सकते हैं, बल्कि कैंसर, दिल से जुड़ी बीमारी, स्किन एलर्जी और ऑटोइम्यून डिसऑर्डर जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण भी बन सकते हैं।
कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने FSSAI द्वारा गोलगप्पों के सैंपल की रिपोर्ट के सामने आने के बाद पानी पूरी की घटना पर भी कार्रवाई करने की बात कही है। स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने ट्विटर पर एक पोस्ट शेयर करके बताया कि "राज्य में बेची जा रही पानीपुरी के नमूने इकट्ठा कर जांच के लिए भेज दिए गए हैं क्योंकि कॉटन कैंडी, गोभी और कबाब को बनाने के लिए आर्टिफिशिल रंगों के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।पानीपुरी के कई नमूने भी खाद्य सुरक्षा परीक्षण में विफल रहे हैं और उनमें कैंसर पैदा करने वाले तत्व पाए गए हैं। इस पर और विश्लेषण किया जा रहा है और जांच रिपोर्ट आने के बाद स्वास्थ्य विभाग उचित कार्रवाई करेंगे। साथ ही आम जनता को अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए और ऐसे खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए जो हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव डालते हैं।" ज्यादा पानी पूरी खाने से क्या होता है या गोलगप्पे खाने से कौन सी बीमारी हो सकती है इस बात को नजरअंदाज किए बिना आप सही और हेल्दी फूड्स खाने की कोशिश करें और केमिकल वाले खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें। - भारत के अधिकतर घरों में सुबह की शुरुआत एक कप चाय के साथ होती है। कई लोग तो ऐसे भी हैं, जो सुबह की चाय किसी भी कारण न पी सके, तो उनके सिर में दर्द होने लगता है, या पूरा दिन उनका बेकार जाता है। वहीं कुछ लोगों का ये भी कहना है कि दूध वाली चाय से ज्यादा काली चाय सेहत के लिए फायदेमंद होता है। ऐसे में कई लोग बिना दूध वाली चाय यानी काली चाय पीना पसंद करते हैं। काली चाय टैनिन, फाइटोकेमिकल्स, एंटीऑक्सिडेंट जैसे कई पोषक तत्वों से भरपूर होती है। लेकिन काली चाय का सेवन ज्यादातर खाली पेट ही करना चाहिए, तभी इसका ज्यादा फायदा मिलता है।खाली पेट काली चाय पीना के फायदेमजबूत इम्यूनिटीब्लैक टी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है, जिसे पीने से मौसम में बदलाव होने के कारण होने वाले इंफेक्शन, फ्लू और एलर्जी जैसे वायरल संक्रमण से बचाने में मदद मिलती है।बेहतर हार्ट हेल्थदरअसल, ब्लैक टी की पत्तियों में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होती है, जो आपके हार्ट हेल्थ, हाई कोलेस्ट्रोल और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करती है।बेहतर डाइजेशनबहुत सारे लोगो को मिल्क टी लेने के बाद ब्लोटिंग और अपच की समस्या होती है। ऐसे लोगों के लिए ब्लैक टी एक बेहतर विकल्प है, क्योंकि काली चाय की पत्तियों में कैटेचिन (Catechins) होते हैं, जो अपने सूजनरोधी गुणों के लिए जाने जाते हैं और आपके पाचन में सुधार करते हैं।ब्लड शुगर करें कंट्रोलडायबिटीज के मरीजों के लिए ब्लैक टी फायदेमंद होता है। अगर आपको ब्लड शुगर है तो आप सुबह के समय खाली पेट ब्लैक टी पीना सेहते के लिए अच्छा होता है। यह चाय आपके ब्लड शुगरको कंट्रोल करने में मदद कर सकता है।ग्लोइंग स्किन और हेल्दी हेयरब्लैक टी एंटीऑक्सीडेंट और फाइटोन्यूट्रिएंट्स से भरपूर होती है, जो आपके सिस्टम को क्लीन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शरीर स्वस्थ रहने पर इसका असर आपका स्किन और बालों पर भी नजर आता है। इसलिए ब्लैक टी का सेवन करने से स्किन और बाल भी हेल्दी रहते हैं।फोकस बढ़ता हैकाली चाय में पतला करने वाले अमीनो एसिड होते हैं, जो स्थिर और स्तरीय ऊर्जा पैदा करते हैं, जो आपका फोकस बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं।काली चाय से मिलने वाले फायदों को पाने के लिए आप इसे अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे एक सीमित मात्रा में ही इसका सेवन करना है और अगर आप किसी बीमारी के शिकार है तो काली चाय का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें।
- मानसून आने से भले ही भीषण गर्मी से राहत मिल जाती है लेकिन इस मौसम में कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ जाती हैं। खासतौर पर 40 की उम्र से ज्यादा के लोगों को इस मौसम में जोड़ों में दर्द, थकान और कमजोरी का एहसास ज्यादा होता है। दरअसल, आजकल लोगों की लाइफस्टाइल काफी बदल चुकी है और इसके साथ ही खराब खानपान, तनाव और नींद की कमी के कारण शरीर में दर्द की शिकायत हो सकती है।बरसात के दिनों में अक्सर लोगों को जोड़ों में दर्द और अकड़न की शिकायत होती है, जिसकी वजह से व्यक्ति को कमजोरी का एहसास भी होता है। मानसून के दौरान हवा में नमी और तापमान में अचानक परिवर्तन होता है, तो व्यक्ति के शरीर में वायु इंबैलेंस हो जाती है, जिससे दर्द की शिकायत बढ़ जाती है। वात दोष के असंतुलन से जोड़ों और मांसपेशियों में सूजन और दर्द हो सकता है। जिन लोगों को बरसात के मौसम में जोड़ों और शरीर में दर्द की शिकायत रहती है उन्हें अपने शरीर में वायु का शमन करना चाहिए।शरीर में दर्द के लिए आयुर्वेदिक उपाय1. शरीर में वायु का शमन करने के लिए लोगों को सोंठ की चाय पीनी चाहिए। इसके लिए 1 कप पानी में एक चौथाई छोटी चम्मच सोंठ पाउडर डालकर उबालें और फिर इसे पिएं। इस चाय का सेवन सुबह और शाम दोनों वक्त 1-1 कप कर सकते हैं।2. दर्द वाली जगह पर कैस्टर ऑयल यानी अरंडी के तेल से मालिश करें, इससे वेदना शमन यानी दर्द कम हो सकता है और इंफ्लेमेशन की शिकायत कम हो सकती है।3. दर्द वाली जगह पर अजवाइन के तेल से भी मालिश कर सकते हैं, अजवाइन के तेल की मालिश से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है। ज्यादा फायदे के लिए रात के समय जोड़ों की मालिश करें और फिर सो जाएं, इससे रातभर में आपको ज्यादा आराम मिल सकता है।4. मानसून में दर्द से राहत पाने के लिए तुलसी, अदरक, दालचीनी और काली मिर्च का काढ़ा बनाकर पिएं। यह शरीर को गर्माहट देता है और दर्द से राहत दिलाता है। इसके साथ ही इस काढ़े को पीने से शरीर की इम्यूनिटी भी बेहतर होती है।5. गुनगुने पानी से स्नान करें, इससे मांसपेशियों की अकड़न कम होती है और शरीर को आराम मिलता है।मानसून के मौसम में शरीर दर्द एक सामान्य समस्या है, लेकिन आयुर्वेदिक उपचारों का सहारा लेकर इसे आसानी से कम किया जा सकता है। आयुर्वेदिक उपचार न केवल शरीर को आराम देते हैं, बल्कि अन्य शारीरिक लाभ भी पहुंचाते हैं। नियमित रूप से इन घरेलू उपायों को अपनाकर आप मानसून के मौसम में हेल्दी रह सकते हैं।
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किचन में काम करते या खाना बनाते समय हाथ जलने की समस्या बेहद आम है। दरअसल, कई बार ध्यान न देने के चलते महिलाओं या किचन में काम करने वालों की स्किन जल जाती है। इन पर यदि ध्यान न दिया जाए तो यह घाव व जख्म बन जाते हैं। वहीं, इलाज न करने की स्थिति में इन जख्मों पर घाव पर के निशान बन सकते हैं। बर्तन या तेल आदि से हाथ जलने पर आपको जलन और फफोले की समस्या महसूस होती है। इसलिए किचन में काम करने वालों को सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। लेकिन, कई बार जाने-अनजाने लोगों की स्किन जल जाती है। इस समस्या में आप घरेलू उपायों को अपनाकर त्वचा में होने वाली जलन और घाव को दूर कर सकते हैं। आगे जानते हैं कि जलने के घाव को ठीक करने के आसान घरेलू उपायों के बारे में।
गर्म बर्तन से जलने पर पड़ने वाले निशान को दूर करने के उपायत्वचा को ठंडे पानी से धोएंकिचन में काम करते समय स्किन जल जाने पर आप तुरंत स्किन को ठंडे पानी से धो लें। इससे त्वचा की जलन शांत होती है। जलने के घाव (Skin Burn) में होने वाले दर्द को दूर करने के लिए आप करीब 10 से 20 मिनट तक हाथों को पानी में डूबाकर रखें। इसके अलावा, बर्फ को एक कपड़ें से कवर करके आप स्किन के प्रभावित हिस्से पर लगाएं। इससे आपको राहत मिलेगी।एलोवेराबर्तन व तेल से जली स्किन पर आप एलोवेरा जेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। एलोवेरा जेल में स्किन की जलन को शांत करने के गुण होते हैं। साथ ही, यह बैक्टीरिया को पनपने से रोकता है। इसके लिए आप एलोवेरा की पत्तियों से फ्रेश जेल को निकालकर उसे जलने के हिस्से पर लगा सकते हैं। इस उपाय को आप दिन में दो से तीन बार तक दोहरा सकते हैं।शहद का उपयोग करेंस्किन से जुड़ी समस्याओं को ठीक करने के लिए सदियों से शहद का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे जलने और कटे के घाव व निशान को साफ करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यदि, हाल ही में आपकी स्किन बर्न हुई है, तो ऐसे में बर्फ की ठंडी सिकाई के बाद भी आप घाव पर शहद का इस्तेमाल कर सकते हैं। शहद में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी फंगल गुण होते हैं, जो स्किन के जलने के घाव को ठीक करने में मदद करते हैं।नारियल का तेलखाना बनाते समय त्वचा जलने पर आप जख्म में नारियल तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। नारियल का तेल स्किन पर होने वाली जलन और दर्द को दूर करने में सहायक होता है। इससे स्किन का जख्म तेजी से ठीक होता है और स्किन को राहत मिलती है।हल्दी का पेस्टहल्दी में एंटी बैक्टीरियल गुण होत हैं। साथ ही, यह घाव को तेजी से भरने के लिए भी इस्तेमाल की जाती है। हल्दी का इस्तेमाल त्वचा की समस्याओं के लिए सालों से किया जा रहा है। इसके नियमित इस्तेमाल से त्वचा के जलने का घाव तेजी से ठीक होता है और हल्दी से स्किन पर दाग बनने की संभावना को कम कर सकती है।किचन में काम करते समय महिलाओं और पुरुषों को सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। साथ ही, इस समस्या में आप पुदिने के पेस्ट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। स्किन में जलने के घाव को ठीक करने के लिए आप ऊपर बताए उपायों का अपना सकते हैं। लेकिन, यह उपाय स्किन के मालूमी जलने के मामलों पर ही अनपाए जा सकते हैं। यदि जलने का घाव ज्यादा है तो ऐसे में आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। - मौसम में बदलाव के कारण लोगों का बीमार होना बारिश के दौरान काफी आम हो जाता है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग और बड़े सभी सर्दी, जुकाम और खांसी जैसे वायरल इंफेक्शन के कारण परेशान रहते हैं। दरअसल, बारिश के मौसम में बैक्टीरिया एक्टिव हो जाते हैं, जो वायरल इंफेक्शन और बीमारियों का कारण बनते हैं। ऐसे में जरूरी है कि बारिश के मौसम में आप कुछ खास सावधानिया बरतें और अपनी डाइट में कुछ ऐसी चीजें शामिल करें, जो आपकी इम्यूनिटी को मजबूत बनाकर वायरल इंफेक्शन से बचाव कर सकें। ऐसे में आइए बारिश में सूखी अदरक का पानी पीने के फायदे और इस पानी को बनाने का तरीका जानते हैं।बारिश के मौसम में सूखी अदरक के क्या फायदे हैं?-सोंठ यानी सूखी अदरक पाचन तंत्र को बढ़ावा देता है, जिससे खाने को सही तरह से पचाने में मदद मिलती है।-सूखी अदरक चयापचय और वसा जलने को बढ़ावा देता है, जिससे वजन कम करने या कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है।-सूखी अदरक के गर्म गुण बारिश के मौसम में होने वाली सर्दी और खांसी को दूर रखने में मदद करते हैं।-अदरक में सूजनरोधी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत करते हैं।-ड्राई अदरक पेट फूलना और पेट की परेशानी को कम करने में फायदेमंद होता है।सोंठ का पानी बनाने का तरीकाआयुर्वेद में सूखी अदरक को शुंठी के नाम से भी जाना जाता है। यह ताजे अदरक की तुलना में पचने में आसान होता है। ताजे अदरक के विपरीत यह आंतों को बांधने का काम करता है। आयुर्वेद में सूखी अदरक कफ को कम करने और अग्नि को बढ़ाने के लिए एक बेहतर सामग्री है। इसलिए सूखी अदरक का इस्तेमाल मसाले या दवा के रूप में सभी मौसमों में किया जा सकता है। सोंठ का पानी तैयार करने के लिए 1 लीटर पानी लें। उसमें आधा चम्मच सूखी अदरक डालें और इसे तब तक उबालें जब तक यह 750 मिली लीटर न हो जाए। फिर बारिश के मौसम में सर्दी जुकामसे राहत पाने के लिए पूरे दिन इस पानी का सेवन करें। सूखी अदरक की तासीर गर्म होती है, इसलिए जिन लोगों को पित्त से जुड़ी समस्याएं ज्यादा होती है, वे लोग इस पानी को उबालते समय इसमें 1 दरदरी पिसी हुई इलायची मिला सकते हैं। वहीं, जिन लोगों को सूखी अदरक पसंद नहीं होती है, वे इसके स्थान पर 5 तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल कर सकते हैं।सर्दी, जुकाम और खांसी से राहत पाने के लिए आप इस पानी का सेवन कर सकते हैं, लेकिन अपनी डाइट में कोई भी नई सामग्री शामिल करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
- दाल को प्रोटीन का एक मुख्य सोर्स माना जाता है। यह शारीरिक कमजोरी और रोग से रिकवर होने के समय को तेजी से कम करने में मदद करती है। यही कारण है कि बच्चे हो या बुजुर्ग सभी को दाल का पानी पीने के लिए कहा जाता है। लेकिन, डाइटिशियन श्वेता शाह पंचाल के अनुसार अन्य दालों की तुलना में मूंग की दाल का पानी ज्यादा फायदेमंद होता है। यह आसानी से डाइजेस्ट हो जाता है, साथ ही इससे गैस और पाचन संबंधी अन्य समस्या का जोखिम काफी हद तक कम होता है। दालों में फाइबर, विटामिन, मिनरल्स जैसे पौटेशियम, फॉस्फोरस, फोलेट, मैग्नीशियम, कॉपर, आयरन, थायमिन आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं। मूंग की दाल को आप खिचड़ी, स्प्राउट्स व सलाद आदि के साथ खा सकते हैं। इस दाल के फायदों के चलते आप इसका हलवा भी बना सकते हैं। बारिशों के मौसम में अक्सर लोगों को पाचन संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बारिशों के मौसम में बैक्टीरियल व अन्य इंफेक्शन होने की संभावना अधिक होती है। साथ ही, पाचन क्रिया धीमी हो सकती है। आगे जानते हैं मूंग दाल के पानी के फायदे और इसे बनाने का तरीका।मूंग दाल के पानी के फायदेपाचन में सुधारमूंग दाल का पानी फाइबर से भरपूर होता है, जो पाचन तंत्र और बाउल मूवमेंट को बेहतर करता है। इससे आपकी पाचन क्रिया बेहतर होती है और आपको मौसम बदलते समय भी पेट में गैस, अपच और कब्ज आदि की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है।हाइड्रेशनमानसून के दौरान शरीर को हाइड्रेट रखना बहुत जरूरी है। मूंग दाल का पानी न केवल पानी की कमी को पूरा करता है, बल्कि इसमें आवश्यक इलेक्ट्रोलाइट्स भी होते हैं, जो शरीर को हाइड्रेटेड रखते हैं।ऊर्जा प्रदान करनामूंग दाल का पानी प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट्स का अच्छा स्रोत होता है, जो शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो अक्सर थकान महसूस करते हैं।पाचन क्रिया को बेहतर कराने के लिए मूंग दाल का पानी कैसे तैयार करें-मूंग दाल को उबालते समय आप उसमें थोड़ा पानी ज्यादा मिला दीजिए।-इसके बाद करीब एक 150 से 200 ग्राम पानी को निकाल लें।-इस पानी में करीब एक चम्मच देशी घी, एक चुटकी काली मिर्च और करीब एक चुटकी हल्दी मिलाएं।-इस पानी को आप किसी भी समय पी सकते हैं।-यह आपके पाचन को बेहतर करता है और मानसून में होने वाली गैस, अपच, कब्ज और एसिडिटी को दूर करने में मदद करता है।आयुर्वेद के अनुसार मौसम बदलते समय आप मूंग दाल की खिचड़ी का भी सेवन कर सकते हैं। मूंग दाल में मौजूद विटामिन्स और मिनरल्स प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं, जिससे शरीर इंफेक्शन से लड़ने के लिए तैयार होता है। मूंग दाल का पानी कम कैलोरी वाला होता है और पेट को लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराता है। यह वजन नियंत्रित करने वालों के लिए भी एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
- स्वस्थ रहने के लिए डाइट में रंग बिरेंगी सब्जियां और अलग-अलग प्रकार के फल शामिल करना बहुत जरूरी है। लेकिन आज के समय में सब्जियों और फलों को लंबे समय तक स्टोर करने के लिए उसकेे ऊपर कई तरह के केमिकल लगाए जाते हैं, जो सेहत के लिए काफी हानिकारक होते हैं। कई लोग सब्जियों और फलों को साफ करने के लिए नॉर्मल पानी लेकर धो देते हैं, लेकिन इससे उन पर लगा केमिकल साफ नहीं होता है। ऐसे में घर पर फलों और सब्जियों से कीटनाशक कैसे निकालें? यह सवाल हर व्यक्ति को परेशान करता है।फल और सब्जियां साफ करने के उपायएप्पल साइडर विनेगर से फल और सब्जी कैसे धोएं?सब्जियां और फल साफ करने के लिए आप एप्पल साइडर विनेगर का उपयोग कर सकते हैं। एप्पल साइडर विनेगर सब्जी और फलों से कीटनाशक से छुटकारा दिलाने, इन पर लगी गंदगी हटाने और फलों और सब्जियों पर मौजूद बैक्टीरिया को कम करने में मदद करता है। एप्पल साइडर विनेगर में रोगाणुरोधी गुण होते हैं, जो एक प्राकृतिक, नॉन टॉक्सिक सफाई विकल्प है, जो आपकी सब्जियों या फल पर किसी तरह का हानिकारक तत्व नहीं छोड़ता है। एप्पल साइडर विनेगर से सब्जियां धोने के लिए-- सबसे पहले किसी बड़े बर्तन में पानी भर लें।-अब इसमें 2 बड़े चम्मच सेब का सिरका डालें।-सब्जियों और फलों को 15 से 20 मिनट के लिए इस मिश्रण में रखकर छोड़ दें।-हाथों में दस्ताने पहनकर हल्के से सभी सामग्रियों को रगड़ें।-सब्जियों और फलों को साफ पानी से धोएं और अच्छी तरह सुखाएं, फिर फ्रिज में स्टोर करें।फलों और सब्जियों को नमक से कैसे साफ करें?फल और सब्जियों को साफ करने के लिए आप समुद्री नमक का उपयोग (Sea Salt For Cleaning Vegetables And Fruits) कर सकते हैं। दरअसल, समुद्री नमक अपने सफाई गुणों के लिए जाना जाता है, जो सब्जियों और फलों से गंदगी और मैल हटाने में मदद करता है। समुद्री नमक से सब्जियों या फलों को साफ करने के लिए आप एक बड़े बर्तन में नमक को मिलाएं और फिर सभी समाग्रियों को नमक वाले पानी में 15 मिनट के लिए भिगोकर रख दें। दस्ताने पहनकर सब्जियों और फलों को हल्के से रगड़कर साफ करें और फिर सुखाकर फ्रिज में स्टोर करके रख दें।सब्जियां और फल धोनों के लिए और उस पर मौजूद केमिकल को हटाने के लिए आप इन दोनों तरीकों का उपयोग कर सकते हैं।
- उम्र बढ़ने के साथ-साथ त्वचा पर कई तरह के बदलाव नजर आने लगते हैं। इनमें त्वचा पर झुर्रियां और फाइन लाइंस पड़ना सबसे आम हैं। क्योंकि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, त्वचा में कोलेजन और इलास्टिन नामक प्रोटीन की मात्रा लगातार कम होने लगती है। ऐसे में त्वचा की नमी, चमक और खूबसूरती कम होने लगती है। साथ ही त्वचा पर झुर्रियां और महीन रेखाएं भी पड़ने लगती हैं। खासकर, इसका असर सबसे ज्यादा चेहरे पर देखने को मिलता है। ऐसे में महिलाएं हो या पुरुष, अपनी झुर्रियों को छुपाने के लिए मेकअप का सहारा लेते हैं या फिर स्किन केयर ट्रीटमेंट लेते हैं। लेकिन यह एक महंगा प्रोसेस हो सकता है। ऐसे में आप चाहें तो कुछ आसान से उपायों की मदद से भी अपनी झुर्रियों को मिटा सकते हैं। तो चलिए, विस्तार से जानते हैं झुर्रियां पड़ने पर क्या करना चाहिए? या झुर्रियां पड़ जाए तो क्या करें1. चेहरे पर एलोवेरा लगाएंअगर आपके चेहरे पर झुर्रियां पड़ गई हैं, तो आप एलोवेरा का इस्तेमाल कर सकते हैं। एलोवेरा त्वचा से जुड़ी सभी समस्याओं को मिटाने में असरदार साबित हो सकता है। दरअसल, एलोवेरा पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें विटामिन ई होता है, जो एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है। इसके अलावा, एलोवेरा त्वचा को हाइड्रेट करता है और कोलेजन के उत्पादन को भी बढ़ावा देता है। इसके लिए आप एलोवेरा जेल लें, इसे अपने पूरे चेहरे पर अप्लाई करें। 20-25 मिनट बाद चेहरे को पानी से साफ कर लें। झुर्रियों को मिटाने के लिए आप दिन में 2-3 बार एलोवेरा का यूज कर सकते हैं।2. ऑयल मसाज करेंजिस तरह तेज से बालों की मालिश करना जरूरी होता है। उसी तरह चेहरे की भी ऑयल मसाज की जानी चाहिए। ऑयल मसाज करने से चेहरे में ब्लड सर्कुलेशन तेज होता है। साथ ही कोलेजन के उत्पादन को भी बढ़ावा मिलता है। ऑयल मसाज करने से आपके चेहरे से झुर्रियां और फाइन लाइंस रिमूव हो सकती हैं। इसके लिए आप बादाम तेल, नारियल तेल या ऑर्गन ऑयल का इस्तेमाल कर सकते हैं। आप चाहें तो एसेंशियल ऑयल से भी अपने चेहरे की मालिश कर सकते हैं। लेकिन इनमें नारियल का तेज जरूर मिलाएं, अन्यथा आपको खुजली और जलन की समस्या हो सकती है।3. केले का मास्क लगाएंकेला चेहरे का हाइड्रेट बनाने का काम करता है। केले में नैचुरल ऑयल और विटामिन्स होते हैं, जो स्किन हेल्थ के लिए बेहद जरूरी माने जाते हैं। अगर आपके चेहरे पर झुर्रियां पड़ गई हैं, तो आप केला फेस मास्क अप्लाई कर सकते हैं। इसके लिए आप एक केला लें और इसे अच्छी तरह से मैश कर लें। अब इसे अपने चेहरे पर लगाएं और आधे घंटे बाद चेहरे को धो लें। केले में मौजूद गुण त्वचा से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकते हैं। केला फेस मास्क झुर्रियों को मिटाकर चेहरे को मुलायम और चमकदार भी बनाता है।4. विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर डाइटचेहरे की झुर्रियों और फाइन लाइंस को मिटाने के लिए विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर डाइट लेना भी बहुत जरूरी होता है। चेहरे की झुर्रियों को मिटाने के लिए कोलेजन के उत्पादन को बढ़ावा देना बहुत जरूरी होता है। आप त्वचा पर कोलेजन को बढ़ाने के लिए विटामिन सी और विटामिन ई से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें। इसके अलावा, आप विटामिन सी और ई युक्त क्रीम या सीरम भी अप्लाई कर सकते हैं। इससे आपकी त्वचा का सूरज की हानिकारक किरणों से बचाव होगा। साथ ही झुर्रियों से भी छुटकारा मिलेगा।5. पर्याप्त मात्रा में पानी पिएंसिर्फ चेहरे पर तरह-तरह के फेस मास्क लगाने से ही आपकी झुर्रियां खत्म नहीं होती हैं। इसके लिए आपको अच्छा खाना-पीना भी बहुत जरूरी होता है। अगर आप चेहरे की झुर्रियों को खत्म करना चाहते हैं, तो इसके लिए पर्याप्त मात्रा में पानी जरूर पिएं। इससे आप हाइड्रेट बने रहेंगे और आपकी त्वचा पर निखार आएगा। साथ ही पानी पीने से काफी हद तक झुर्रियों और फाइन लाइंस से भी बचाव किया जा सकता है। पानी पीना सिर्फ सेहत ही नहीं, बल्कि त्वचा के लिए भी बहुत जरूरी होता है।
- अगर आपकी इम्यूनिटी मजबूत नहीं है, तो आप आसानी से बीमारी और इंफेक्शन की चपेट में आ सकते हैं। जिन लोगों में पोषक तत्वों की कमी होती है, उनकी इम्यूनिटी जल्दी कमजोर हो जाती है। इस लेख में हम आपको बताएंगे एक आसान इम्यूनिटी बूस्टिंग ड्रिंक के बारे में जिसे पीकर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और आप बीमारियों से खुद का बचाव कर सकते हैं।इम्यूनिटी बढ़ाने वाली ड्रिंक की रेसिपीकाली मिर्च, शहद और नींबू से बनी इम्यूनिटी ड्रिंक तैयार करना बहुत ही आसान है और यह ड्रिंक इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद मिलती है।सामग्री:1 गिलास गर्म पानीनींबू का रस1 चम्मच शहदकाली मिर्च का पाउडरविधि:- 1 गिलास पानी को उबालें।-गर्म पानी में नींबू का रस मिलाएं।-नींबू में विटामिन-सी होता है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है।-मिश्रण में 1 चम्मच शहद मिलाएं।-शहद में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करता है।-मिश्रण में काली मिर्च का पाउडर मिलाएं।-काली मिर्च में पिपेरिन होता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है।-सभी सामग्रियों को अच्छी तरह से घुलने तक मिलाएं।इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए काली मिर्च, शहद और नींबू के फायदे-काली मिर्च-काली मिर्च में पिपेरिन नामक तत्व होता है, जो एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है। यह फ्री रेडिकल्स को कम करने में मदद करता है।-काली मिर्च की मदद से पोषक तत्व आसानी से एब्सॉर्ब हो जाते हैं और शरीर उनका फायदा उठा पाता है।-काली मिर्च में एंटीबैक्टीरियल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो संक्रमण और सूजन को कम करने में मदद करते हैं।2. शहद के फायदे-शहद में नेचुरल एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं।-शहद में कई प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाते हैं।-शहद शरीर को ऊर्जा देता है और थकान को कम करने में मदद करता है।-शहद की मदद से, गले की खराश और खांसी में राहत मिलती है और सर्दी व फ्लू जैसे लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है।3. नींबू के फायदे-नींबू में उच्च मात्रा में विटामिन-सी होता है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है।-नींबू में फ्लेवोनॉइड्स और अन्य एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं।-नींबू शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है, जिससे इम्यून सिस्टम बेहतर तरीके से काम करता है।-नींबू शरीर के पीएच स्तर को संतुलित करने में मदद करता है, जिससे शरीर बेहतर ढंग से काम करता है।इस ड्रिंक को सुबह खाली पेट पिएं। इससे आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूती मिलेगी और आप दिनभर ताजगी महसूस करेंगे।उम्मीद करते हैं कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। इस लेख को शेयर करना न भूलें।
- : तोरई एक पोषक तत्वों से भरपूर सब्जी है। इसमें कई विटामिन, खनिज और अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। तोरई में विटामिन-सी होता है, जिससे इम्यूनिटी मजबूत बनती है। तोरई में फाइबर पाया जाता है जिससे कब्ज की समस्या दूर होती है और कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद मिलती है। वजन को कंट्रोल करने के लिए भी तोरई की सब्जी फायदेमंद मानी जाती है। तोरई में विटामिन-ए, मैग्नीशियम, कैल्शियम और विटामिन-बी6 जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। तोरई में कई प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट्स मौजूद होते हैं जिससे शरीर को फ्री रेडिकल्स के नुकसान से बचाया जा सकता है। इन पोषक तत्वों की मदद से, न केवल पाचन स्वास्थ्य सुधरता है बल्कि इम्यूनिटी, मस्तिष्क और ह्रदय भी मजबूत बनता है।हार्ट के लिए क्यों फायदेमंद है तोरई?--तोरई में फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है। तोरई खाने से कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद मिलती है जिससे हार्ट अटैक के जोखिम को कम किया जा सकता है।-तोरई में पोटैशियम की अच्छी मात्रा होती है, जो रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है। हाई बीपी हृदय रोगों का मुख्य कारण होता है, इसलिए इसे नियंत्रित रखना हृदय स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।-तोरई में कैलोरीज की मात्रा कम होती है और यह फाइबर से भरपूर होती है। इस सब्जी को खाने से वजन को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। इस सब्जी को खाकर हृदय रोगों का खतरा कम होता है।-तोरई में विटामिन-सी और अन्य एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो हृदय को फ्री रेडिकल्स के नुकसान से बचाते हैं। एंटीऑक्सीडेंट्स का सेवन हृदय को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है।-तोरई में मौजूद पोषक तत्वों में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर में सूजन को कम करने में मदद करते हैं। हृदय के आस-पास की सूजन कम होने से हृदय रोगों का जोखिम घटता है।हार्ट के मरीज डाइट में तोरई को कैसे शामिल करें?तोरई की सब्जी को कई तरह से खाया जा सकता है--तोरई को छोटे टुकड़ों में काटकर प्याज, टमाटर और मसालों के साथ पकाया जाता है। तोरई की सब्जी रोटी या चावल के साथ बहुत स्वादिष्ट लगती है।-कद्दूकस की हुई तोरई को थोड़ी देर उबालकर ठंडा करें। इसे दही, भुना जीरा पाउडर, काला नमक और थोड़े से पुदीने के पत्तों के साथ मिलाकर रायता बनाएं। यह रायता स्वादिष्ट होता है और शरीर में ताजगी भरा देता है।-तोरई को टुकड़ों में काटकर मूंग दाल या अरहर दाल के साथ पकाया जा सकता है। इसे चावल या रोटी के साथ परोसा जा सकता है।-तोरई को पीसकर उसका जूस तैयार कर सकते हैं। यह जूस हार्ट ओर डायबिटीज के मरीजों के लिए बेहद गुणकारी होता है।-इन तरीकों से आप तोरई को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं और इसके स्वास्थ्य लाभों का आनंद उठा सकते हैं। उम्मीद करते हैं कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। इस लेख को शेयर करना न भूलें।
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बहुत बार हम अक्सर नोटिस करते हैं कि कोई भी चीज रखकर भूल जाते हैं या कोई बात करते-करते अचानक ही भूल जाते है। दिमाग पर बहुत जोर डालने के बाद भी हमें चीजें याद नहीं आती हैं। आपको बदा दें कि इस तरह की समस्याएं आमतौर पर तब होती हैं, जब आपकी मेमोरी या याददाश्त कमजोर होने लगती है। बढ़ती उम्र के साथ याददाश्त कमजोर होना एक आम बात है, लेकिन अगर कोई व्यक्ति कम उम्र में ही मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का सामना करता है, तो इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। याददाश्त कमजोर होने का एक बड़ा कारण डाइट में पोषण की कमी भी हो सकती है। जब आप स्वस्थ, संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर आहार नहीं लेते हैं, तो इससे शरीर में कई जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। आपको बता दें कि कुछ ऐसे पोषक तत्व भी होते हैं, जो मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। मस्तिष्क के बेहतर फंक्शन और बेहतर याददाश्त के लिए यह बहुत जरूरी है कि आप पोषक तत्वों से भरपूर आहार लें। बहुत से लोग अक्सर यह सवाल पूछते हैं कि आखिर ऐसे कौन-कौन से पोषक तत्व या विटामिन होते हैं, जिनकी कमी से याददाश्त कमजोर हो सकती है? इस लेख में हम आपको मस्तिष्क के लिए जरूरी है विटामिन और मिनरल्स के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
किन पोषक तत्वों की कमी से याददाश्त कमजोर होती है-जब मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने की बात आती है, तो इसमें विटामिन डी, बी-12, आयरन और ओमेगा-3 फैटी एसिड बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। हालांकि कई अन्य पोषक तत्व भी मस्तिष्क को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं, लेकिन ये कुछ महत्वपूर्ण पोषक तत्व हैं।विटामिन डी (Vitamin D)अध्ययन में पाया गया है कि मस्तिष्क को स्वस्थ रखने में विटामिन डी कई तरह से भूमिका निभाता है। यह डिप्रेशन, ब्रेन फॉग और मेमोरी कमजोर होने से रोकने में मदद करता है।विटामिन बी 12 (Vitamin B12)नर्वस सिस्टम को दुरुस्त रखने, लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन और डीएनए के लिए यह बहुत आवश्यक विटामिन है। इस विटामिन की कमी से याददाश्त, सोच और निर्णय लेने में परेशानी संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।आयरन (Iron)शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने और मस्तिष्क तक जरूरी पोषक पहुंचाने के लिए यह बहुत आवश्यक मिनरल है। यह शरीर में खून की कमी को दूर करने और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी स्थितियों में सुधार करने में मदद करता है। यह मेमोरी और संज्ञानात्मक प्रदर्शन में सुधार करने में मदद करता है।ओमेगा -3 फैटी एसिड (Omega 3 Fatty Acid)यह मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत आवश्यक फैट होता है। यह मस्किष्क की सूजन कम करने और ब्रेन फंक्शन में सुधार करने में मदद करता है। याददाश्त को मजबूत बनाने के लिए यह बहुत जरूरी है। यह मस्तिष्क की सीखने और याद रखने की क्षमता में सुधार करता है।इन पोषक तत्वों के अलावा, मैग्नीशियम, विटामिन सी, कोलीन आदि जैसे न्यूट्रिएंट्स भी ब्रेन फंक्शन में सुधार करने और याददाश्त को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक हैं। बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए इन फूड्स को डाइट में शामिल जरूर करना चाहिए। -
आहार का असर हमारी सेहत पर देखने को मिलता है। जो लोग पौष्टिक आहार का सेवन नहीं करते हैं उनका इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। ऐसे में उनको कई तरह के रोग होने की संभावना अधिक होती है। विभिन्न रोगों से बचने के लिए आप फलों का सेवन कर सकते हैं। फलों में अनार का सेवन करना ब्रेन हेल्थ के लिए फायदेमंद होता है। इससे लोगों का दिमाग तेज होता है। जिससे वह हर स्थिति को बिना दबाव के आसानी से ठीक कर लेते हैं।
ब्रेन के लिए अनार खाने के फायदे -
एंटीऑक्सीडेंट से भरपूरअनार में पॉलीफेनोल्स और फ्लेवोनोइड्स सहित एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है, जो शरीर में फ्री रेडिकल्स के प्रभावों को कम करता है। फ्री रेडिकल्स की वजह से ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ सकता है। जिससे ब्रेन की कोशिकाओं को नुकसान हो सकता है। अनार में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट ब्रेन के लिए एक शिल्ड की तरह कार्य करता है, यह कॉग्नेटिव पावर (संज्ञानात्मक) को गिरने से बचाने में सहायक होता है।मेमोरी पावर को बढ़ानाएक्सपर्ट बताते हैं कि जो लोग नियमित रूप से अनार का सेवन करते हैं, उनकी याददाश्त बेहतर होती है। माना जाता है कि अनार में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट नर्वस सिस्टम को सपोर्ट करते हैं। अनार में पाए जाने वाले कम्पाउंड कॉग्नेटिव गतिविधियों को बढ़ा सकते हैं, जिससे ब्रेन तेजी कार्य कर सकता है।एंटी-इंफ्लेमेटरीसूजन को अल्जाइमर और पार्किंसंस रोग सहित कई नर्वस सिस्टम संबंधी डिसऑर्डर से जोड़ा जाता है। अनार में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। अनार मस्तिष्क में सूजन को कम करके न्यूरोइन्फ्लेमेशन से जुड़ी स्थितियों को कम करने में सहायक हो सकता है।न्यूरोलॉजिकल रिकवरी मे सपोर्ट करनाब्रेन में किसी तरह चोट या इंजरी होने पर आप अनार का सेवन कर तेजी से रिकवरी कर सकते हैं। अनार में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स डैमेज नर्वस सेल्स को रिपेयर करते हैं। साथ ही, नए सेल्स को बनाने में मदद करते हैं। साथ ही, अनार के सेवन से ब्रेन के इलाज की प्रक्रिया में रिकवरी तेजी से होती है।तनाव कम करने में सहायकस्ट्रेस और तनाव के कारण ब्रेन की पावर कमजोर होने लगती है। ऐसे में एक्सपर्ट्स लोगों को अनार का सेवन करने की सलाह देते हैं। दरअसल, अनार तनाव के लिए जिम्मेदार कार्टिसोल हार्मोन को नियंत्रित करने में सहायक होता है।समय और उम्र के साथ लोगों में न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों का खतरा बढ़ जाता है। अनार के न्यूरोप्रोटेक्टिव गुण उम्र के साथ होने वाले मेमोरी लॉस से लोगों का बचाव करते हैं। इसके अलावा, अनार से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है। यदि आपको ब्रेन संबंधित किसी तरह की समस्या है तो इसे अनदेखा न करें और तुरंत नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें। -
समय के साथ लोगों की बदलती आदतों का असर उनकी सेहत पर देखने को मिलता है। खाने की गलत आदतें, शारीरिक गतिविधियों में कमी और स्ट्रेस आदि के कारण लोगों में डायबिटीज और ब्लड प्रेशर की समस्या बढ़ने लगी है। यही कारण है कि आज डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के मरीजों की संख्या में खासा इजाफा हुआ है। इंसुलिन बनने की प्रक्रिया में आई बाधा के चलते व्यक्ति को यह समस्या होती है। इसके अलावा अन्य कारणों से भी डायबिटीज हो सकती है। डायबिटीज के रोगियों को हर समय थकान और कमजोरी महसूस होती है। साथ ही, ब्लड शुगर का लेवल बढ़ने से उनको हृदय संबंधी रोग होने का खतरा भी अधिक होता है। इन लक्षणों से बचाव के लिए ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखना बेहद आवश्यक है।
डायबिटीज में जामुन की पत्तियों के फायदे
आयुर्वेद में जामुन के फल, उसकी गुठलियों और पत्तियों का इस्तेमाल सदियों से डायबिटीज को दूर करने के लिए किया जा रहा है। इनके नियमित इस्तेमाल से ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद मिलती है।
ब्लड शुगर को करें कंट्रोलजामुन के पत्तों में जंबोलिन कम्पाउंड पाया जाता है, यह ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में सहायक होता है। यह कम्पाउंड इंसुलिन बनने की प्रक्रिया को बूस्ट करता है और शरीर में ग्लूकोज के अवशोषण को कम करता है। इससे डायबिटीज के रोगियों को ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।एंटीऑक्सिडेंट गुणजामुन के पत्तों में अधिक मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट्स पाए जाते हैं, जो शरीर में फ्री रेडिकल्स से होने वाले डैमेज को कम करते हैं। डायबिटीज के मरीजों में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस अधिक होने की संभावना होती है, जिससे विभिन्न समस्याएं शुरु हो सकती हैं। जामुन के पत्तों का सेवन करने से शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने में मदद करता है, जिससे डायबिटीज को कंट्रोल करने और इसके लक्षणों के प्रभाव को कम किया जा सकता है।एंटी-इन्फ्लेमेटरी प्रभावडायबिटीज में अक्सर सूजन की समस्या देखने को मिलती है, जो विभिन्न अंगों को प्रभावित कर सकती है। जामुन के पत्तों में मौजूद टैनिन और फ्लेवोनॉइड्स एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होते हैं। ये सूजन और दर्द को कम करने में सहायक होते हैं, जिससे डायबिटीज के रोगियों को समस्या में आराम मिलता है।जामुन के पत्तों का उपयोग कैसे करेंपत्तों का रसजामुन के ताजे पत्तों को तोड़ लें। इनको पानी से धोने के बाद इनसे रस निकाल लें। इस रस का सेवन सुबह खाली पेट करने से आपको कुछ ही दिनों में डायबिटीज में आराम मिलने लगेगा। साथ ही ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद मिलती है।जामुन के पत्तों का पाउडरइसके लिए आप जामुन के पत्तों को सूखाकर इसका पाउडर बना लें। ये पाउडर आप सुबह व शाम पानी के साथ ले सकते हैं। इस उपाय के साथ आपको डाइट में भी आवश्यक बदलाव करने की सलाह दी जाती है।जामुन के पत्तों की चायडायबिटीज में आप जामुन के पत्तों की चाय भी पी सकते हैं। इसके लिए आप पत्तों को पानी में उबालकर छान लें। इसके बाद इसे गुनगुना होने पर चाय की तरह पिएं।जामुन की पत्तियों को डायबिटीज में लेने से ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। लेकिन, इसके साथ आपको डाइट और लाइफस्टाइल में भी आवश्यक बदलाव करने की सलाह दी जाती है। डाइट में शुगर को बढ़ाने वाले आहार, जैसे आलू, चावल, आदि का सेवन न करें। इसके साथ ही रोजाना एक्सरसाइज करें। डायबिटीज की समस्या अधिक होने पर आप इसे अनदेखा न करें, ऐसे में आप तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। - वर्तमान समय में आपने अपने आस-पास कई लोगों को ये कहते हुए सुना होगा कि अक्सर उनके पूरे शरीर में दर्द रहता है। दरअसल, आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी के साथ अनहेल्दी लाइफस्टाइल और खानपान के चलते शरीर में कई तरह के विटामिन और खनिजों की कमी आम बात हो गई है। कई बार लोग शरीर में होने वाले दर्द को लंबे समय तक नजरअंदाज करते रहते हैं, जिसके कारण दिक्कतें बढ़ जाती हैं। शरीर में जब विटामिन्स और मिनरल्स की कमी होती है, तो इससे कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने लगती है। पूरे शरीर में दर्द होना भी विटामिन और मिनरल्स की कमी का ही एक लक्षण है, जिसे इग्नोर करना स्वास्थ्य के लिए भारी पड़ सकता है।किस की कमी से पूरे शरीर में दर्द होता है?1. विटामिन D की कमी - Vitamin D Deficiencyशरीर में विटामिन D की कमी आजकल आम हो गई है, जिसका एक बड़ा कारण है कि लोग सुबह की धूप में ज्यादा समय नहीं बिताते हैं, इसके साथ ही शरीर में विटामिन D का सही तरीके से अवशोषण न होना। विटामिन D की कमी के कारण मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द की शिकायत के साथ थकान और कमजोरी का एहसास होता है। विटामिन D की कमी दूर करने के लिए आप रोजाना कम से कम 15-20 मिनट धूप में बिताएं, खासकर सुबह के समय और डाइट में दूध, दही, अंडे की जर्दी, और सैल्मन मछली को शामिल करें। इसके अलावा आप डॉक्टर की सलाह पर विटामिन D के सप्लीमेंट्स भी ले सकते हैं।2. विटामिन B12 की कमी - Vitamin B12 Deficiencyपूरे शरीर में दर्द और कमजोरी के साथ अगर व्यक्ति को झनझनाहट का एहसास होता है और मांसपेशियों में ऐंठन रहती है तो यह विटामिन B12 की कमी के कारण हो सकता है। इसके लिए आप डाइट में मछली, अंडे और डेयरी उत्पादों का सेवन करें और डॉक्टर की सलाह पर विटामिन B12 के सप्लीमेंट्स लें।3. मैग्नीशियम की कमी - Magnesium Deficiencyसेहतमंद रहने के लिए जरूरी है कि आप ऐसी चीजों का सेवन करें जिनमें मैग्नीशियम की अच्छी मात्रा हो। शरीर में मैग्नीशियम की कमी होने पर थकान, कमजोरी, सिरदर्द और अनिद्रा की शिकायत होती है। इसकी कमी दूर करने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियों के साथ-साथ नट्स, बीज, और साबुत अनाज का सेवन करें और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह अनुसार मैग्नीशियम के सप्लीमेंट्स लें।4. आयरन की कमी - Iron Deficiencyशरीर में आयरन की कमी होने पर मांसपेशियों में दर्द और सूजन के अलावा थकान-कमजोरी और सिरदर्द की शिकायत हो सकती है। आयरन की कमी पूरी करने के लिए हरी पत्तेदार सब्जिया, लाल मांस, बीन्स का सेवन करें। शरीर में आयरन का अवशोषण को बढ़ाने के लिए विटामिन C युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें, जैसे संतरे, नींबू, और टमाटर आदि।किसी भी कमी के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें। हेल्दी लाइफस्टाइल और संतुलित आहार के माध्यम से आप इन पोषक तत्वों की कमी से बच सकते हैं।