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- मधुमेह न सिर्फ हमारी किडनी को प्रभावित करता है, बल्कि यह हमारे लिवर हेल्थ को भी नुकसान पहुंचा सकता है। ब्लड शुगर बढ़ने पर यकृत कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है और उनमें अधिक वसा जमा हो सकती है, जिस कारण लिवर डैमेज या इस पर असर होता है। इसे गैर-अल्कोहल फैटी लीवर रोग (एनएएफएलडी) के रूप में भी जाना जाता है। इस बीमारी या अधिक खतरा टाइप2 डायबिटीज वाले लोगों को ज्यादा होता है। डायबिटीज से पीड़ित लोगों में कोशिकाएं हार्मोन इंसुलिन के प्रति ठीक से रिस्पॉन्ड नहीं करती है, जिससे यह समस्या बढ़ सकती हैं। वहीं डायबिटीज लोगों में कोलेस्ट्रॉल स्तर होने की संभावना अधिक होती है। उच्च कोलेस्ट्रॉल का स्तर लिवर सेल्स को डैमेज कर सकता है।थकानडायबिटीज में थकान होना एक आम समस्या है। लेकिन अगर आपको ज्यादा थकान या जल्दी-जल्दी थकान का अनुभव हो रहा है, तो ये लिवर संबंधित हो सकता है। इससे बचाव के लिए ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल रखें। साथ ही समय पर दवाइयां भी लेते रहें।पेट दर्दजिन लोगों को डायबिटीज की समस्या होती है। अगर उनको लंबे समय से पेट के दाहिने ऊपरी हिस्से में दर्द का अनुभव हो, तो यह लिवर से संबंधित सकता है। वैसे, तो यह दर्द हल्का ही होता है लेकिन अचानक से तेज भी हो सकता है।पीलियाब्लड शुगर बढ़ने पर पीलिया की समस्या भी हो सकती है। पीलिया होने पर त्वचा और आंखों का पीला पड़ना है। यह लिवर खराब होने का संकेत है। इस तरह के लक्षण नजर आने पर डॉक्टर से संपर्क अवश्य करें। साथ ही अल्कोहल और शराब के सेवन से भी बचें।हेपेटोसप्लेनोमेगालीब्लड शुगर बढ़ने पर हेपेटोसप्लेनोमेगाली की समस्या भी हो सकती है। हेपेटोसप्लेनोमेगाली होने पर व्यक्ति के यकृत और प्लीहा पर सूजन आ जाती है। यह लीवर खराब होने का एक और संकेत है। ऐसे में डॉक्टरी देखभाल से इसे कंट्रोल किया जा सकता हैं।लिवर को हेल्दी रखने के लिए क्या करें?लिवर को हेल्दी रखने के लिए वजन को कंट्रोल में रखें। वजन कम होने से लिवर में वसा की मात्रा को कम करने में मदद मिल सकती है, साथ ही ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल रखें। हेल्दी डाइट के सेवन के साथ नियमित रूप से एक्सरसाइज करें। अल्कोहल का सेवन हरगिज न करें। ब्लड शुगर लेवल बढ़ने पर लिवर हेल्थ को नुकसान हो सकता हैं। हालांकि, अगर आपको कोई समस्या हैं, तो डॉक्टर की राय अवश्य लें।
- बवासीर एक खतरनाक बीमारी है। बवासीर या पाइल्स होने पर व्यक्ति को मल त्यागने में बहुत ज्यादा तकलीफ होती है। कई बार मल त्याग करते वक्त व्यक्ति के गूदा से खून भी निकल जाता है। इस स्थिति में व्यक्ति के लिए उठना-बैठना और चलना-फिरना भी काफी मुश्किल हो जाता है। बवासीर होने पर गूदा के अंदरूनी और बाहरी हिस्से की शिराओं में सूजन हो जाती है। ऐसे में बहुत जरूरी है कि व्यक्ति अपने खानपान का सही ध्यान रखे। अगर पाइल्स के मरीज की डाइट सही न हो और पानी भी कम मात्रा में पिएं, तो बीमारी और भी बढ़ सकती है। पाइल्स से छुटकारा पाने के लिए न सिर्फ डाइट का ध्यान रखा जाता है, बल्कि लाइफस्टाइल की भी अनदेखी नहीं की जा सकती है। अगर आप चाहते हैं कि इस समस्या से पूरी तरह मुक्ति मिले, तो आप आयुर्वेद अनुसार अपनी डाइट में कुछ चीजों को शामिल कर सकते हैं। इनका सेवन कर अपनी समस्या को जड़ से खत्म करने में सक्षम हो सकेंगे।त्रिफला से मिलेगी राहत"त्रिफला का उपयोग बवासीर में किया जा सकता है। त्रिफलता इतनी उपयोगी जड़ी-बूटियों में से एक है कि यह पाइल्स को स्थाई रूप से ठीक कर सकती है। त्रिफला में तीन जड़ी-बूटियों का मिश्रण होता है, अमलाकी, भिभीतकी और हरीतकी। त्रिफला के सेवन से कब्ज से राहत मिलती है और यह मल त्याग को भी आरामदायक बना देती है। यहां तक कि मल त्यागते समय अतिरिक्त दबाव बनाने की भी आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि, इसे कितनी मात्रा में लेना है और कब इस्तेमाल करना चाहिए, इस संबंध में आपको विशेषज्ञ की सलाह लेनी होगी।"गुग्गुलगुग्गुल आयुर्वेद की सबसे शक्तिशाली सूजनरोधी जड़ी-बूटियों में से एक है। बवासीर में काफी ज्यादा सूजन हो जाती है, जो मल त्यागते वक्त तकलीफ देती है। बवासीर को जड़ से खत्म करने के लिए आप गुग्गुल का इसतेमाल कर सकते हैं।" एनसीबीआई में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, "गुग्गुलु को आयुर्वेद में सबसे उपयोगी जड़ी-बूटियों में से एक माना गया है। यह सूजन को कम करने में अहम भूमिका निभाता है। यहां तक कि यह बाउल मूवमेंट में सुधार कर पाइल्स के रिस्क को कम करता है।" असल में, गुग्गुल शरीर से टॉक्सिंस को खत्म कर पाचन क्षमता में सुधार करता है। इससे ओवर ऑल हेल्थ पर भी बहुत अच्छा असर पड़ता है।लाजवंतीलाजवंती को भी आयुर्वेद में काफी खास महत्व दिया गया है। बवासीर कई बार इतना खतरनाक हो जाता है, जिससे ब्लीडिंग तक होने लगती है। इसे मैनेज करना काफी मुश्किल होता है। हालांकि, लाजवंती को ब्लीडिंग पाइल्स के लिए उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा, लाजवंती के पौधे में एल्कलॉइड मिमोसिन नाम का एक केमिकल होता है, जो दर्द से राहत दिलाने और सूजन को कम करेन में मदद कर सकते हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि आयुर्वेद में प्राचीन काल से ही लाजवंती का उपयोग बवासीर के ट्रीटमेंट के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहता है। इसका उपयोग करने के लिए आप सबसे पहले लाजवंती की पत्तियों का पेस्ट बना लें और इसे प्रभावित हिस्से में लगाएं। धीरे-धीरे बवासीर की समस्या कम होने लगेगी।
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करी पत्ता खाने के स्वाद को बढ़ाने के साथ-साथ सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है. भारतीय किचन में यह अक्सर इस्तेमाल किया जाता है. इससे खाने का स्वाद और सुगंध दोनों बढ़ते हैं. यह विटामिन, आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन और कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है. इसे शरीर से जुड़ी कई परेशानियों को दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. कई लोग अपने दिन की शुरुआत में इसे खाली पेट खाते हैं. खाली पेट करी पत्ता खाने से आपको कई फायदे मिलते हैं.
पर क्या आपने सोचा है कि अगर इसका रोज सेवन किया जाए तो शरीर में क्या बदलाव आते हैं. लोग इसे सांभर से लेकर उपमा जैसी चीजों में यूज करते हैं. इसका पानी पीने से डायबिटीज तक कंट्रोल में रहती है. चलिए आपको बताते हैं कि अगर इसे रोज खाया जाए तो शरीर में क्या होता है.
दिल को रखता है हेल्दी
करी पत्ता का सेवन रोजाना करने से बॉडी में बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होती है, जिससे आपका दिल स्वस्थ बना रहता है. इसमें विटामिन सी, विटामिन ए, और विटामिन ई पाए जाते हैं. ये तीनों विटामिन दिल को हेल्दी बनाए रखते हैं.
ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में असरदार
डायबिटीज के रोगियों को रोज सुबह करी पत्ता खाने की सलाह दी जाती है. डायबिटीज के मरीजों के लिए यह किसी जड़ी बूटी से कम नहीं है.हमारी बॉडी में अगर शुगर कंट्रोल में रहेगा तो इससे हमारी किडनी, आंखें और दिल भी हेल्दी रहता है.
पाचन संबंधी समस्याओं को करे दूर
करी पत्ता में पाए जाने वाले एंजाइम पाचन प्रक्रिया को मजबूत बनाते हैं. इसे सुबह खाली पेट खाने से पाचन संबंधी सारी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है. इसे रोजाना खाने से आपको गैस, कब्ज, बदहजमी जैसी परेशानियां नहीं होंगी.
बालों के लिए है वरदान
आपने अक्सर देखा होगा कि दक्षिण भारत में रहने वाली महिलाओं के बाल काले और घने होते हैं. उनके लंबे घने बालों का राज है करी पत्ता. इसके रोजाना सेवन से उनके बाल लंबे, घने और चमकदार बनते हैं.
मॉर्निंग सिकनेस को भी करता है दूर
कई लोगों को मॉर्निंग सिकनेस की समस्या होती है, ऐसे में उन्हें करी पत्ता जरूर खाना चाहिए. इस समस्या से निपटने के लिए रोज सुबह खाली पेच करी पत्ता जरूर खाएं.इसके साथ ही यह वजन कम करने में भी सहायक है. वेट लॉस के लिए आप रोजाना अपनी डाइट में करी पत्ता जरूर शामिल करें.
लेकिन हम सब ये जानते हैं कि किसी भी चीज की अधिकता आपको नुकसान भी पहंचाती है. इसलिए हमें करी पत्ता का सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए. आइए जानें इससे जुड़े नुकसान.
खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए करी पत्ता का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन इसके रोजाना इस्तेमाल से आपको हो सकते हैं ये नुकसान.
अधिक मात्रा में इसके सेवन से बॉडी में ब्लड शुगर लेवल कम होने की समस्या हो सकती है.
प्रेगनेंट महिलाओं को इसे खाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए
वैसे तो इसे बालों के लिए फायदेमंद माना जाता है लेकिन ज्यादा मात्रा में इसके सेवन से कुछ लोगों को हेयर फॉल की समस्या हो सकती है
अगर हरी पत्तेदार सब्जियों के सेवन से एलर्जी हो तो इसे खाने से बचना चाहिए
इसमें सोडियम की मात्रा ज्यादा होती है जिससे आपको शरीर में सूजन की समस्या हो सकती है.
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हल्दी किचन की सबसे जरूरी चीजों में से एक है. इसके बिना किसी भी चीज में स्वाद नहीं आता. लेकिन स्वाद के साथ-साथ हल्दी हेल्थ के लिए भी बेहद फायदेमंद है. आयुर्वेद में हल्दी का बेहद महत्व है. औषधीय गुणों से भरपूर हल्दीहमारी सेहत के लिए काफी फायदेमंद है. इसमें कई सारे पोषक तत्व विटामिन-सी, मैंगनीज, पोटैशियम, जिंक और कैल्शियम पाए जाते हैं.
हल्दी को आप कई तरीकों से अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं. ज्यादातर लोग दूध में हल्दी मिलाकर पीना पसंद करते हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो इससे कई सारी शारीरिक समस्याएं दूर होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हल्दी वाले दूध की तरह हल्दी वाला पानी भी फायदेमंद हो सकता है? दिन की शुरूआर हल्दी वाले पानी से करते हैं, तो ये बेहद फायदेमंद हो सकता.
हल्दी वाला दूध या पानी में क्या ज्यादा फायदेमंद
दरअसल, इसको लेकर लोगों में भी काफी कंफ्यूजन बनी रहती है कि हल्दी वाले दूध या पानी में क्या ज्यादा फायदेमंद है. हालांकि, हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि दोनों ही चीजों के अपने-अपने मायने और फायदे हैं. चूंकि दोनों के गुणों में भी काफी अंतर है. इसलिए, हल्दी वाला दूध और पानी में से किसी एक को बेहतर बताना थोड़ा मुश्किल है. लेकिन हल्दी वाले दूध की तरह इसके पानी के भी कई सारे फायदे है. आइे जानते हैं.
ग्लोइंग स्किन
हल्दी त्वचा को निखारने में बेहद फायदेमंद है. हल्दी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण त्वचा की फाइन लाइन्स और झुर्रियों को रोकने में मदद करते हैं. रोजाना हल्दी वाला पानी पीने से स्किन ग्लोइंग नजर आती है. इसके साथ ही, त्वचा हेल्दी रहती है.
जोड़ों का दर्द
सर्दियों में अक्सर लोगों के जोड़ों में दर्द की शिकायत होती है. जोड़ों के दर्द से बचने के लिए आप गुनगुने पानी में हल्दी मिलाकर पिएं. इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व गठिया का दर्द ठीक करते हैं.
घर पर कैसे बनाएं
सबसे पहले एक पैन में पानी को गर्म कर लीजिए
अब एक कप पानी में थोड़ी सी हल्दी और नींबू का रस मिलाएं
आप चाहें तो इसमें शहद भी मिला सकते हैं -
सर्दियों में अपनी सेहत का खास ख्याल रखने की जरूरत होती है. इस मौसम में सबसे ज्यादा खांसी, जुकाम और बुखार का खतरा रहता है. इन बीमारियों से बचने के लिए आप किचन में मौजूद मसालों का इस्तेमाल कर सकते हैं. इन दोनों मसालों को पोषक तत्वों का खजाना माना जाता है. लौंग में मैंगनीज, विटामिन के, पोटेशियम, बीटा कैरोटीन और प्रोटीन काफी अच्छी मात्रा में पाया जाता है.
वहीं, इलायची में भी भरपूर मात्रा में मैग्नीशियम, पोटेशियम, आयरन, कैल्शियम, विटामिन बी-6, प्रोटीन, फाइबर, रिबोफाल्विन और नियासिन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं. इनदोनों को एक साथ खाने से आपको कई तरीके के फायदे मिलते हैं, आइए जानते हैं उन फायदों के बारे में.
रोजाना लौंग खाने के फायदे
लौंग खाने के स्वाद को बढाने के साथ कई लाभ भी पहुंचाता है. इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं. ये ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में बी कारगर है. साथ ही बैक्टीरिया को मारने और किसी तरीके के संक्रमण से लड़ने के लिए बॉडी की इम्यूनिटी बढ़ाता है. इसके अलावा रोजाना लौंग खाने के और भी कई सारे फायदे हैं.
इम्यूनिटी बूस्ट करे:लौंग में विटामिन सी और जिंक पाए जाते हैं जो बॉडी की इम्यूनिटी मजबूत करता है. यह कई संक्रामक बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी प्रदान करता है. इन फयदों के लिए रोज कम से कम 3-4 लौंग जरूर खाएं. आप इसे दूध के साथ मिलाकर भी पी सकते हैं.
दांत के दर्द में दिलाए राहत:काफी लोग लौंग का इस्तेमाल दांतों के दर्द से आराम पाने के लिए भी करते हैं. इसके अलावा इसके नियमित सेवन से मुंह की बदबू भी दूर होती है. लौंग में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो दांतों में लगे कीटाणुओं से लड़ने में मदद करते हैं. दांत में दर्द होने पर आप लौंग का तेल लगा सकते हैं या फिर जिस दांत में दर्र हो उसके नीचें लौंग रखकर धीरे धीरे उसे चबा सकते हैं.
गले की खराश:खांसी हो या गला खराब हो ऐसे में लौंग खाने से काफी आराम मिलता है. लौंग का रस गले का खराश और दर्द को कम करने में कारगर है. इसके रस से आपका गला साफ भी हो जाता है.
इसके अलावा या ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में असरदार साबित होता है. लौंग में भरपूर मैग्निशियम, पोटेशियम और मिनरल्स होते हैं. इसे रोजाना खाने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल होता है साथ ही आपका स्टेमिना भी बढ़ता है.
रोजाना इलायची खाने के फायदे
हरी इलायची का इस्तेमाल तो आपने खूब किया होगा. ये ना सिर्फ आपके खाने का स्वाद और खुशबू बढ़ाती है ब्लकि सेहत के लिहाज से भी काफी गुणकारी होती है. ये हरी इलायची कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस और फाइबर जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होती है.
हार्ट को रखे हेल्दी:इसे रोजाना अपनी डाइट में शामिल करने से आप दिल की तमाम बीमारियों से बच सकते हैं. ये एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती है और इसके नियमित सेवन से आप अपने दिल को स्वस्थ रख सकते हैं.
ओरल हेल्थ: लोग खाने के बाद अक्सर हरी इलायची खाना पसंद करते हैं. इससे न सिर्फ मुंह की बदबू दूर होती है बल्कि ओरल इंफेक्शन, कैविटी और स्वेलिंग से भी छुटकारा मिलता है.
हेल्दी लिवर:हरी इलायची खाने से लिवर को हेल्दी रखा जा सकता है. दरअसल, हरी इलायची में डिटॉक्सीफाइंग एजेंट मौजूद रहता है जो टॉक्सिन को बाहर निकालकर लीवर सम्बन्धी बीमारी होने के खतरे को कम करता है. - पालक को सर्दियों का सुपरफूड कहा जाता है। यह हरी पत्तेदार सब्जी खाने में जितनी स्वादिष्ट होती है, उतनी ही स्वास्थ्य लाभों से भी भरपूर होती है। पोषण की बात करें, तो इस सब्जी पोषक तत्वों का पावर हाउस है। यह शरीर को जरूरी पोषण प्रदान करने और कई स्वास्थ्य समस्याओं को दूर रखने में मदद करती है। यह विटामिन ए, सी और के का अच्छा स्रोत है, इसके अलावा फाइबर, आयरन, फोलेट प्रोटीन और मैग्नीशियम जैसे जरूरी मिनरल्स का एक बेहतरीन स्रोत है। इसलिए हमेशा यह सलाह दी जाती है कि इसे अपनी डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए। जिन लोगों के शरीर में खून की कमी होती है, उनके लिए यह फूड एक शक्तिशाली औषधि है। पालक खाने से शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है। यह त्वचा और बालों के लिए भी लाभकारी है। इसे अपनी हेल्दी डाइट का हिस्सा बनाने से दिल को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है और संपूर्ण स्वास्थ्य बेहतर होता है।पुरुषों की आम समस्याओं को दूर करने में भी पालक बहुत लाभकारी है। आजकल हम देखते हैं कि काफी पुरुष तनाव, थकान और सेक्स संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इसके अलावा, भी पुरुषों की कई समस्याओं के लिए यह एक रामबाण उपाय है।पुरुषों के लिए पालक खाने के फायदेपालक में सिर्फ जरूरी पोषक तत्व ही नहीं, कई औषधीय गुण भी मौजूद होते हैं। यह शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होता है। इसके अलावा, इसमें फ्लेवोनोइड्स, ज़ेक्सैंथिन और कैरोटीनॉयड जैसे फाइटोन्यूट्रिएंट्स भी मौजूद होते हैं। पालक खाने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। यह फ्री-रेडिकल्स को बेअसर करने और ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस को कम करने में मदद करता है। इस तरह यह शरीर की कोशिकाओं को नुकसान से बचाता है। पालक में मौजूद फोलेट विटामिन बी12 के साथ मिलकर काम करता है। यह शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने, खून की कमी को दूर करने और नसों को खोलने में मदद करता है। पुरुषों के लिए कई तरह से लाभकारी हो सकता है....--पालक खाने से थकान दूर होती है और आप एनर्जेटिक महसूस करते हैं।-यह तनाव को कम करने में मदद करता है।-पालक खाने से कामेच्छा में सुधार होता है और सेक्स की इच्छा में कमी दूर होती है।-यह शुक्राणु बढ़ाने में मदद करता है और उन्हें नुकसान से भी बचाता है।-पालक खाने से टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर भी बेहतर होता है।-यह पुरुषों में इनफर्टिलिटी की समस्या भी दूर करता है।-पालक खाने से रक्त वाहिकाओं खोलने और लिंग में ब्लड फ्लो बेहतर बनाने में भी मदद करता है।पालक खाने का सही तरीका क्या है-बहुत से लोग कच्चे पालक का सलाद, स्मदूी और जूस आदि के रूप में सेवन करते हैं। लेकिन आपको बता दें कि ऐसा करना कुछ लोगों के लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है। असल में कच्चे पालक में ऑक्सालेट और कई एंटी-न्यूट्रिएंट्स होते हैं, जो दूसरे पोषक तत्वों के अवशोषण को प्रभावित करते हैं। साथ ही, ऑक्सालेट की अधिक मात्रा कई लोगों में किडनी स्टोन यानी पथरी का कारण भी बन सकती है। इसलिए हमेशा यह सलाह दी जाती है कि पालक को हमेशा पकाकर खाना चाहिए। इससे इसमें मौजूद ऑक्सालेट की मात्रा कम हो जाती है और एंटी-न्यूट्रिएंट्स भी नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा, पकाकर खाने से यह पचने में आसान हो जाते हैं और आपको इसका पूरा लाभ मिलता है। इसलिए हमेशा पालक को उबालकर, स्टीम करके या सब्जी बनाकर ही खाएं।
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निमोनिया एक तरह का इंफेक्शन है जो फेफड़ों में होता है। जिसकी वजह से फेफड़ों से एयर सैक में सूजन आ जाती है। कई बार निमोनिया जानलेवा भी हो जाता है। जिसका कारण फेफड़ों में पानी भर जाना होता है। ये पानी एक तरह का पस या लिक्विड होता है। जिसकी वजह से फेफड़े काम करना बंद कर देते हैं। इसलिए निमोनिया का सही समय पर इलाज बेहद जरूरी है। निमोनिया के शुरुआती लक्षण काफी ज्यादा सर्दी और जुकाम से मिलते जुलते होते हैं। सर्दी-जुकाम और कफ के साथ जब सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, तेज खांसी के साथ कोल्ड हो जाता है। तो ये लक्षण निमोनिया के होते हैं। ऐसे में सही इलाज बेहद जरूरी होता है। इलाज के साथ ही निमोनिया से जल्दी ठीक होने में डाइट में कुछ फूड्स को भी शामिल करना चाहिए।
संतरा
संतरे में विटामिन सी काफी ज्यादा मात्रा में होता है। ऐसे में हेल्दी रहने और किसी भी तरह के इंफेक्शन से बचने के लिए संतरे को जरूर खाना चाहिए। हालांकि गले की खराश और खांसी होने पर बहुत ज्यादा खट्टे संतरे को खाने से बचना चाहिए। संतरे के साथ विटामिन सी के लिए नींबू, बेरीज और कीवी जैसे फ्रूट्स को भी खाया जा सकता है।
साबुत अनाज
साबुत अनाज जैसे जौ, ब्राउन शुगर, ओट्स में कार्बोहाइड्रेट होता है जो कि निमोनिया से रिकवरी में एनर्जी देता है। साबुत अनाज में मौजूद सेलेनियम की मात्रा इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाती है। साथ ही विटामिन बी बॉडी टेंपरेचर को कंट्रोल करता है। जिससे निमोनिया के दौरान होने वाले बुखार और इंफेक्शन से लड़ने में शरीर को मदद मिलती है।
गर्म पानी, गर्म हेल्दी ड्रिंक
निमोनिया से रिकवरी में गर्म ड्रिंक काफी हेल्प करती है। लेकिन किसी भी गर्म ड्रिंक को थोड़ा-थोड़ा और घूंट-घूंट करके पीना फायदेमंद है। अगर आप ढेर सारा और एकसाथ पी लेते हैं तो इससे परेशानी हो सकती है। मुलेठी की चाय, हल्दी की चाय पीने से निमोनिया की रिकवरी में मदद मिलती है।
शहद
शहद को एंटी बैक्टीरियल और एंटी इंफ्लेमेटरी माना जाता है। सर्दी-जुकाम में ऑर्गेनिक शहद खाना काफी राहत देता है। खासतौर पर गले की खराश में शहद फायदेमंद है। निमोनिया के लक्षणों में शहद को डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए।
अदरक
अदरक फेफड़ों को हेल्दी रखने में मदद करता है और सांस से जुड़ी दिक्कतों को ठीक करता है। इसलिए निमोनिया की शिकायत होने पर अदरक को डाइट में लें। ये फेफड़ों में जमा म्यूकस को हटाने में मदद करता है - फूलगोभी में इंडोल-3-कार्बिनॉल और सल्फोराफेन जैसे यौगिक होते हैं, जो शरीर में इन्फ्लेमेशन को कम करते हैं। फूलगोभी में फाइबर, पोटैशियम, और एंटीऑक्सीडेंट्स हो सकते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल लेवल और बीपी को कंट्रोल करते हैं। यह पाचन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकती हैं। फूलगोभी में ग्लूकोसाइनोलेट्स और हाइड्रोजन सल्फाइड जैसे यौगिक होते हैं, जो पेट में गैस बना सकते हैं।सर्दियों के मौसम में सब्जियों की खूब पैदावार होती है। इन दिनों सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली एक सब्जी फूलगोभी भी है। ठंड में फूलगोभी की सब्जी, पराठे और पकौड़े खाने अपना एक अलग ही मजा है। यह सब्जी स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहत के लिए कई तरह फायदेमंद भी है।अगर बात करें फूलगोभी के पोषक तत्वों की तो विटामिन सी और के साथ फोलेट, विटामिन बी6, पोटैशियम, और मैंगनीज जैसे विटामिन और मिनरल का बढ़िया स्रोत है। साथ ही इसमें फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते हैं। इतनी टेस्टी और हेल्दी होने के बावजूद फूलगोभी की सब्जी के कई नुकसान भी हैं।फूलगोभी खाने के फायदेफूलगोभी के नुकसान जानने से पहले आपको इसके फायदे जानने चाहिए। इसमें इंडोल-3-कार्बिनॉल और सल्फोराफेन जैसे यौगिक होते हैं, जो शरीर में इन्फ्लेमेशन को कम करते हैं। फूलगोभी में फाइबर, पोटैशियम, और एंटीऑक्सीडेंट्स हो सकते हैं, जो चोलेस्ट्रॉल लेवल और बीपी को कंट्रोल करते हैं। इसके फाइबर गुण पाचन को बेहतर बनाकर कब्ज को रोकते हैं।फूलगोभी खाने के नुकसानपेट फूलने की समस्याऐसा माना जाता है कि गोभी परिवार की सब्जियों के अधिक सेवन से पेट फूलने जैसी पाचन समस्याएं हो सकती हैं। फूलगोभी के साथ भी यही दिक्कत है। यह पाचन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकती है। वास्तव में क्रूसिफेरस सब्जियों को पचाना मुश्किल होता है, खासकर जब कच्चा खाया जाता है। यह सूजन या गैस की समस्या पैदा कर सकती है।पेट में हो सकती है सूजनक्रूसिफेरस सब्जियों में रैफिनोज होता है, जो एक प्रकार का कार्बोहाइड्रेट है। शरीर में इसे तोड़ने में मदद करने के लिए उचित एंजाइम नहीं होता है। जब आप इस कार्बोहाइड्रेट वाली सब्जी का सेवन करते हैं, तो यह बिना पचे ही छोटी आंत से बड़ी आंत तक चला जाता है। वहां मौजूद बैक्टीरिया इसे किण्वित करना शुरू कर देते हैं, जिससे सूजन होती है।गंभीर गैस बना सकती है फूलगोभीफूलगोभी में ग्लूकोसाइनोलेट्स नामक सल्फर युक्त रसायन भी होते हैं। जब ये रसायन पेट में टूटते हैं, तो वे हाइड्रोजन सल्फाइड जैसे यौगिक बनाते हैं, जो पेट में भयंकर गैस बनाते हैं। यही वजह है कि इस सब्जी को खाने के बाद पेट भारी-भारी महसूस होता है।हाइपोथायरायडिज्मफूलगोभी जैसी सब्जियां ग्रंथि के कामकाज को बाधित कर सकती हैं। हाइपोथायरायडिज्म या इसी तरह की स्थिति से पीड़ित लोगों को इस सब्जी का सेवन न करने की सलाह दी जाती है।एलर्जी का खतराकुछ लोगों को फूलगोभी के सेवन से एलर्जिक रिएक्शन हो सकता है। ऐसी एलर्जी से त्वचा में खुजली, सांस लेने में दिक्कत और सूजन हो जाती है। अगर आप पहले से किसी तरह की एलर्जी से जूझ रहे हैं, तो बेहतर आप इससे दूरी बनाकर रखें।
- सर्दियां बढ़ रही हैं। एक्सपर्ट की मानें, तो छोटे बच्चों के लिए सर्दियों में धूप में बैठना बहुत फायदेमंद होता है। हालांकि, आज के समय में ज्यादातर बच्चे घर की चाहरदीवारी में फोन के साथ समय बिताना पसंद करते हैं। लेकिन, पेरेंट्स को चाहिए कि वे अपने बच्चों सर्दियों के दिनों में कुछ समय धूप में जरूर बैठने की सलाह दें।विटामिन-डी बनता हैविटामिन-डी एक बहुत ही जरूरी न्यूट्रिएंट है। इसके बिना शरीर कैल्शियम का सही तरह से इस्तेमाल नहीं कर सकता है। खासकर, बच्चों की ग्रोथ और मजबूत हड्डियों के लिए विटामिन-डी और ज्यादा जरूरी हो जाता है। विटामिन-डी एक मात्र ऐसा तत्व है, जिसका निर्माण हमारा शरीर अपने आप धूप में बैठने से करने लगता है। इसलिए, इन दिनों बच्चां को सर्दियों की धूप में जरूर बैठाएं। हर स्थिति में बच्चां से कहें कि कम से 15 से 20 मिनट बाहर गुनगुनी धूप में आउटडोर गेम्स खेलें।याददाश्त बेहतर होती हैमाना जाता है कि धूप में बैठने की वजह से हमारे मस्तिष्क में सेरोटोनिन नाम के हार्मोन के स्तर बढ़ता है। हेल्थलाइन वेबसाइट में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, "सेरोटोनिन एक बहुत ही महत्वपूर्ण हार्मोन है। यह हमारी ओवर ऑल हेल्थ को कई तरह से प्रभावित करता है। अगर सेरोटोनिन का स्तर शरीर में संतुलित रहे, तो इससे याददाश्त पर अच्छा असर पड़ता है और मूड भी बेहतर रहता है। यही नहीं, आप ज्यादा फोकस्ड और शांत महसूस कर सकते हैं।" इन फायदों को ध्यान में रखते हुए आप समझ सकते हैं कि अगर बच्चां को रोजाना कुछ सर्दियों के दिनों में धूप में बैठने की सलाह दी जाए, तो उनकी याददाश्त बेहतर हो सकती है, जो उन्हें पढ़ाई में मदद कर सकती है।इम्यूनिटी बूस्ट होती हैबच्चों की इम्यूनिटी का स्ट्रॉन्ग होना बहुत जरूरी है। अगर बच्चे की इम्यूनिटी मजबूत न हुई, तो बदलते मौसम में वे आसानी से बीमार पड़ सकते हैं। इस तरह की परेशानी से बचने के लिए अक्सर पेरेंट्स बच्चे की डाइट और हेल्दी लाइफस्टाइल पर फोकस करते हैं। इसी क्रम में पेरेंट्स को चाहिए कि वे बच्चे को धूप में बैठने की सलाह दें। जैसा कि पहले ही बताया गया है कि सूरज की रोशनी में कुछ देर बैठने की वजह से विटामिन-डी का निर्माण होता है। यह तत्व इम्यूनिटी को भी बूस्ट करने में मदद करता है। इससे बच्चे के बीमार होने का जोखिम भी कम हो जाता है।स्किन बेहतर होती हैशायद आपको यह पता न हो कि कई तरह की स्किन से जुड़ी परेशानियां धूप में बैठने से दूर हो जाती हैं। webmd में प्रकाशित एक लेख की मानें, तो नवजात शिशुओं को धूप में जरूर ले जाना चाहिए। असल में, जन्म के समय कई बच्चों को जॉन्डिस हो जाता है। ब्ल्ड में अतिरिक्त मात्रा में बिलिरुबिन होने के कारण जॉन्डिस यानी पीलिया जैसी बीमारी होती है। नतीजतन, बच्चों की स्किन का कलर पीला पड़ जाता है। ऐसे बच्चों को अगर धूप में बैठाया जाए, तो बिलिरुबिन की अतिरिक्त मात्रा घटने लगती है और धीरे-धीरे बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार होने लगता है। हालांकि, नवजात शिशु को सीधे-सीधे सूरज की रोशनी के संपर्क में नहीं रखना चाहिए। जहां हल्की धूप हो, वहां बच्चे को लिटा सकते हैं या फिर धूप में बैठे हैं, तो मां या पिता बच्चे को गोद में लेकर बैठ सकते हैं।इमोशनल हेल्थ अच्छी होती हैधूप में खेलने-कूदने के कारण बच्चों के लिए यह बहुत ही सुनहरा समय होता है। वे दूसरे बच्चों के साथ खेल-कूद सकते हैं। धूप में खेलने की वजह से बॉडी में सेरोटोनिन रिलीज होता है, जो फील गुड का अहसास कराता है। वेबएमडी के मुताबिक धूप में खेलने की वजह से बच्चों में सेरोटोनिन रिलीज होता है, जो उन्हें एनर्जी प्रदान करता है। साथ ही सीजनल एफेक्टिव डिसऑर्डर जैसी बीमारियों से भी दूर रखने में मदद करता है। यहां तक कि धूप में खेलने की वजह से डिप्रेशन जैसी बीमारियां भी दूर होती हैं।नवजात शिशु को धूप में कैसे रखें?नवजात शिशु को सीधे-सीधे धूप के संपर्क से दूर रखना चाहिए। यह उनकी स्किन के लिए सही नहीं है। इसके बजाय पेरेंट्स अपने नवजात शिशु को एक-दो सप्ताह में करबी 15 से 20 मिनट के लिए धूप में ले जा सकते है। नवजात शिशु के लिए सुबह-सुबह की धूप सही होती है। कड़ी धूप में उन्हें घर से बाहर न ले जाएं।क्या शिशुओं को धूप में रखना चाहिए?शिशुओं को धूप में ले जाने में कोई दिक्कत नहीं है। हालांकि, अगर आपका शिशु 6 माह से कम उम्र का है, तो उन्हें धूप के सीधे संपर्क में न ले जाएं।सर्दी में कितनी देर धूप में बैठना चाहिए?सर्दियों की धूप बच्चों के लिए ही नहीं, बल्कि बड़ों के लिए भी बहुत अच्छी होती है। इन दिनों आप कम से कम 15-20 मिनट धूप में जरूर टहलें। इससे आपको बहुत फायदे मिलेंगे।
- आज के समय में बालों से जुड़ी समस्या कॉमन हो गई है। कम उम्र में बाल सफेद होना, बाल झड़ने की समस्या और गंजापन आदि युवाओं में भी देखने को मिल रहे हैं। खानपान में गड़बड़ी, खराब जीवनशैली और सही देखरेख न मिलने की वजह से ये परेशानियां तेजी से बढ़ रही हैं। ऐसे में बालों को झड़ने और खराब होने से बचाने के लिए हर्बल और नेचुरल चीजों का इस्तेमाल करना सुरक्षित माना जाता है। हेयर फॉल को कंट्रोल करने के लिए प्याज के रस और मेथी दानों से बना हेयर मास्क बहुत फायदेमंद होता है।मेथी के बीज और प्याज के रस से बने हेयर मास्क के फायदेबाल झड़ने की समस्या हर व्यक्ति में अलग-अलग कारणों से होती है। कुछ लोगों में यह परेशानी जेनेटिक कारणों से होती है, तो कुछ लोगों में पोषण की कमी और खराब लाइफस्टाइल की वजह से होती है। इसके अलावा बालों की सही देखभाल न करने से भी हेयर फॉल की समस्या हो सकती है। हेयर फॉल को कंट्रोल करने के लिए प्याज के रस और मेथी के बीज से बने हेयर मास्क का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद माना जाता है। इन दोनों चीजों से बने हेयर मास्क का नियमित रूप से इस्तेमाल न सिर्फ बालों को झड़ने से बचाता है, बल्कि बाल उगाने में भी मदद करता है।मेथी और प्याज के रस में फोलिक एसिड, विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन के और पोटैशियम जैसे खनिज पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। इसके अलावा प्याज के रस में मौजूद गुण बालों की रिग्रोथ कराने और जड़ों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। कम उम्र में गंजेपन से बचने के लिए बालों में मेथी और प्याज के रस से बने हेयर मास्क का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। इसका इस्तेमाल करने से बालों का रंग ठीक करने, शाइनी और मुलायम बनाने और फ्रीजी बालों से छुटकारा पाने में भी मदद मिलती है। ड्राई हेयर की समस्या में भी इस हेयर मास्क का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है।कैसे बनाएं प्याज के रस और मेथी का हेयर मास्क?प्याज के रस और मेथी का हेयर मास्क आप आसानी से घर पर बना सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले 2 बड़े चम्मच मेथी के दानें लें और इन्हें 6-7 घंटे के लिए पानी में भिगो दें। इसके बाद एक मध्यम आकार की प्याज को टुकड़ों में काटकर जूस निकाल लें। अब मेथी दानों को हल्का ब्लेंड कर लें और प्याज के रस में इस पेस्ट को मिलाएं। अच्छी तरह मिलाने के बाद इसे स्कैल्प और बालों पर अच्छी तरह से लगाएं और हल्की मालिश करें।मालिश करने के बाद इस हेयर मास्क को बालों पर लगभग 40 मिनट तक लगा रहने दें। इसके बाद माइल्ड शैंपू से बालों को धो लें और साफ कर लें। सप्ताह में दो से तीन बार इस हेयर मास्क का इस्तेमाल करने से बालों को कई अनोखे फायदे मिलेंगे। अगर आपको किसी तरह की एलर्जी या स्कैल्प से जुड़ी कोई समस्या है, तो इसका इस्तेमाल करने से पहले एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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बहुत से लोग टमामटर का सूप पीना भी बहुत पसंद करते हैं। यह कैलोरी में कम होता है और कई जरूरी पोषक तत्वों से भरपूर भी होता है। लेकिन क्या आपने कभी टमाटर के जूस का सेवन किया है? क्या आप जानते हैं अगर आप रोज सुबह खाली पेट एक कप गिलास टमाटर का रस पिएं, तो इससे आपकी सेहत को जबरदस्त फायदे मिल सकते हैं? टमाटर का जूस कई जरूरी पोषक तत्वों और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। साथ ही इसमें, लाइकोपीन, पोटेशियम, फोलेट और विटामिन सी जैसे पोषक तत्व बहुत अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं। इस लेख में हम आपको इसके बारे मे विस्तार से बता रहे हैं....
-खाली पेट टमाटर का रस पीने के फायदे-यह हाई कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने में मदद करता है।-इसका सेवन करने से डायबिटीज रोगियों को ब्लड शुगर को रेगुलेट रखने में मदद मिल सकीत है।-शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचने से बचाता है।-यह आपकी पाचन क्रिया में सुधार करता है और मेटाबॉलिज्म भी बढ़ाता है।-यह शरीर में जमा गंदगी को बाहर निकालने और शरीर को प्राकृतिक रूप से डिटॉक्स करने में मदद करता है।-यह वजन घटाने वाले लोगों के लिए एक बेहतरीन वेट लॉस ड्रिंक है।-सुबह इसका सेवन करने से शरीर को ऊर्जावान बनाने में मदद मिलती है।-यह आपके पेट को आसानी से साफ करने, कब्ज दूर करने और बाउल मूवमेंट में सुधार करने में भी लाभकारी है।-पेट में गैस और एसिडिटी से भी राहत दिलाता है।टमाटर का जूस कैसे बनाएं रेसिपी-इसके लिए आपको बस एक जूसर में कुछ ताजे टमाटर को अच्छी तरह धोकर, कुछ धनिया की पत्तियां और एक अदरक का टुकड़ा डालना हैं। जब इनका जूस निकल जाए, तो इसे छानकर पी सकते हैं। अंत में जूस में नींबू का रस जरूर मिलाएं।यह भी रखें ध्यानहमेशा ध्यान रखें कि खाली पेट टमाटर का जूस बहुत अधिक मात्रा में न पिएं। सिर्फ एक कप जूस आपके लिए पर्याप्त है। क्योंकि अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से कुछ दुष्प्रभाव भी देखने को मिल सकते हैं जैसे, मतली और ऐंठन, सीने में जलन और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल, डिहाइड्रेशन आदि। -
आजकल मोटापा एक आम समस्या बन गई है। लोग मोटापा कम करने के लिए तरह-तरह के उपाय करते हैं। आज हम मोटापा कम करने के लिए कुछ आयुर्वेदिक घरेलू उपाय बताने जा रहे हैं।
1. नींबू- 25 ग्राम नींबू के रस में 25 ग्राम शहद मिलाकर 100 ग्राम गर्म पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से मोटापा दूर होता है।-एक नींबू का रस प्रतिदिन सुबह गुनगुने पानी में मिलाकर पीने से मोटापे की बीमारी दूर होती है।।- 1 नींबू का रस 250 ग्राम पानी में मिलाकर थोड़ा सा नमक मिलाकर सुबह-शाम 1-2 महीने तक पीएं। इससे मोटापा दूर होता है।-नींबू का 25 ग्राम रस और करेला का रस 15 ग्राम मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा नष्ट होता है।-250 ग्राम पानी में 25 ग्राम नींबू का रस और 20 ग्राम शहद मिलाकर 2 से 3 महीने तक सेवन करने से अधिक चर्बी नष्ट होती है।-1 कप गर्म पीनी प्रतिदिन सुबह-शाम भोजन के बाद पीने से शरीर की चर्बी कम होती है। इसके सेवन से चर्बी कम होने के साथ-साथ गैस, कब्ज, कोलाइटिस (आंतों की सूजन) एमोबाइसिस और कीड़े भी नष्ट होते हैं।2 : सेब और गाजर :-सेब और गाजर को बराबर मात्रा में कद्दूकस करके सुबह खाली पेट 200 ग्राम की मात्रा में खाने से वजन कम होता है और स्फूर्ति व सुन्दरता बढ़ती है। इसका सेवन करने के 2 घंटे बाद तक कुछ नहीं खाना चाहिए।3 : मूली :--मूली का चूर्ण 3 से 6 ग्राम शहद मिले पानी में मिलाकर सुबह-शाम पीने से मोटापे की बीमारी से छुटकारा मिलता है।-मूली के 100-150 ग्राम रस में नींबू का रस मिलाकर दिन में 2 से 3 बार पीने से मोटापा कम होता है।-मूली के बीजों का चूर्ण 6 ग्राम और ग्राम यवक्षार के साथ खाकर ऊपर से शहद और नींबू का रस मिला हुआ एक गिलास पानी पीने से शरीर की चर्बी घटती है।-6 ग्राम मूली के बीजों के चूर्ण को 20 ग्राम शहद में मिलाकर खाने और लगभग 20 ग्राम शहद का शर्बत बनाकर 40 दिनों तक पीने से मोटापा कम होता है।-मूली के चूर्ण को शहद में मिलाकर सेवन करने से मोटापा दूर होता है।4 : मिश्री :--मिश्री, मोटी सौंफ और सुखा धनिया बराबर मात्रा में पीसकर एक चम्मच सुबह पानी के साथ लेने से अधिक चर्बी कम होकर मोटापा दूर होता है।5 : चूना :--बिना बुझा चूना 15 ग्राम पीसकर 250 ग्राम देशी घी में मिलाकर कपड़े में छानकर सुबह-शाम 6-6 ग्राम की मात्रा में चाटने से मोटापा कम होता है।6 : सहजन (मुनगा) :--सहजन के पेड़ के पत्ते का रस 3 चम्मच की मात्रा में प्रतिदिन सेवन करने से त्वचा का ढीलापन दूर होता है और चर्बी की अधिकता कम होती है।7 : शहद :-120 से 240 ग्राम शहद 100 से 200 मिलीलीटर गुनगुना पानी के साथ दिन में 3 बार लेने से शरीर का थुलथुलापन दूर होता है।8 : तुलसी :--तुलसी के कोमल और ताजे पत्ते को पीसकर दही के साथ बच्चे को सेवन कराने से अधिक चर्बी बनना कम होता है।-तुलसी के पत्तों के 10 ग्राम रस को 100 ग्राम पानी में मिलाकर पीने से शरीर का ढीलापन व अधिक चर्बी नष्ट होती है।-तुलसी के पत्तों का रस 10 बूंद और शहद 2 चम्मच को 1 गिलास पानी में मिलाकर कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा कम होता है।9 : बेर :--बेर के पत्तों को पानी में काफी समय तक उबालकर पीने से चर्बी नष्ट होती है।10 : टमाटर :--टमाटर और प्याज में थोड़ा-सा सेंधानमक डालकर खाना खाने से पहले सलाद के रूप में खाने से भूख कम लगती है और मोटापा कम होता है।-11 : हरड़ :--हरड़ 500 ग्राम, 500 ग्राम सेंधानमक व 250 ग्राम कालानमक को पीसकर इसमें 20 ग्राम ग्वारपाठे का रस मिलाकर अच्छी तरह मिलाकर सूखा लें। यह 3 ग्राम की मात्रा में रात को गर्म पानी के साथ प्रतिदिन सेवन करने से मोटापे के रोग में लाभ मिलता है।12 : सोंठ :--सोंठ, जवाखार, कांतिसार, जौ और आंवला बराबर मात्रा में लेकर पीसकर छान लें और इसमें शहद मिलाकर पीएं। इससे मोटापे की बीमारी समाप्त हो जाती है।-सोंठ, कालीमिर्च, छोटी पीपल, चव्य, सफेद जीरा, हींग, कालानमक और चीता बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह से पीसकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण सुबह 6 ग्राम चूर्ण में गर्म पानी के साथ पीने से मोटापा कम होता है।13 : गिलोय :--गिलोय, हरड़, बहेड़ा और आंवला मिलाकर काढ़ा बनाकर इसमें शुद्ध शिलाजीत मिलाकर खाने से मोटापा दूर होता है और पेट व कमर की अधिक चर्बी कम होती है।-गिलोय 3 ग्राम और त्रिफला 3 ग्राम को कूटकर चूर्ण बना लें और यह सुबह-शाम शहद के साथ चाटने से मोटापा कम होता है।-गिलोय, हरड़ और नागरमोथा बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। यह 1-1 चम्मच चूर्ण शहद के साथ दिन में 3 बार लेने से त्वचा का लटकना व अधिक चर्बी कम होता है।14 : जौ :-जौ का रस व शहद को त्रिफले के काढ़े में मिलाकर पीने से मोटापा समाप्त होता है।15 तिल :-तिल के तेल से प्रतिदिन मालिश करने से शरीर पर बनी हुई अधिक चर्बी कम होती है।16 : सरसो :-सरसो के तेल से प्रतिदिन मालिश करने से मोटापा नष्ट होता है।17 : दही :-दही को पतला करके खाने से मोटापा कम होता है।18 छाछ :-छाछ में कालानमक और अजवायन मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है।19 : अपामार्ग :-अपामार्ग के बीजों को पानी में पकाकर खाने से भूख कम लगती है और चर्बी कम होने लगती है।20 : पीपल :-4 पीपल पीसकर आधा चम्मच शहद मिलाकर सेवन करने से मोटापा कम होता है।21 : पालक :-पालक के 25 ग्राम रस में गाजर का 50 ग्राम रस मिलाकर पीने से शरीर का फैट (चर्बी) समाप्त होती है। 50 ग्राम पालक के रस में 15 ग्राम नींबू का रस मिलाकर पीने से मोटापा समाप्त होता है।22 बबूल :-बबूल के पत्तों को पानी के साथ पीसकर शरीर पर करने से त्वचा का ढीलापन दूर होकर मोटापा कम होता है।23 अजवायन :-अजवायन 20 ग्राम, सेंधानमक 20 ग्राम, जीरा 20 ग्राम और कालीमिर्च 20 ग्राम को कूटकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण प्रतिदिन सुबह खाली पेट छाछ के साथ पीएं। इससे शरीर की अधिक चर्बी नष्ट होती है।24 करेला :-करेले के रस में 1 नींबू का रस मिलाकर सुबह सेवन करने से शरीर की चर्बी कम होती है।25 चावल :--चावल का गर्म-गर्म मांड लगातार कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा दूर होता है। मोटापा कम करने में सहायक है यह -
स्ट्रेस यानी तनाव होना मानसिक स्वास्थ्य की समस्या मानी जाती है। काम के दबाव और पारिवारिक-सामाजिक स्थितियों के कारण तनाव होना सामान्य है, पर अगर ये दिक्कत आपको लंबे समय तक बनी रहती है तो सावधान हो जाने की आवश्यकता है। स्ट्रेस की समस्या पर ध्यान न देना दीर्घकालिक तौर पर डिप्रेशन जैसी गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है। स्ट्रेस की स्थिति में ब्लड प्रेशर बढ़ने से लेकर, घबराहट, पसीना आने जैसी समस्या होना सामान्य है, पर क्या आप जानते हैं कि ये पाचन विकारों का भी कारण बन सकती है?
यह आश्चर्यजनक हो सकता है पर स्ट्रेस लेने या मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के कारण आपको पाचन से संबंधित लक्षण हो सकते हैं। इस तरह के लक्षण अक्सर पेट दर्द, कब्ज से संबंधित होते हैं जिनको लेकर आप कंफ्यूज हो सकते हैं।
स्ट्रेस और पाचन की समस्या
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, स्ट्रेस सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य समस्या ही नहीं, शरीर में और भी कई प्रकार की दिक्कतों को बढ़ाने वाली हो सकती है। तनाव की स्थिति हमारी आंत में बैक्टीरिया के संतुलन को प्रभावित करने लगती है जिससे पेट खराब हो सकता है। लंबे समय से तनाव और चिंता का अनुभव करने वाले लोगों में पेट की खराबी, दर्द, कब्ज, आंतों से संबधित विकारों के बढ़ने का भी खतरा रहता है। इसके लक्षणों पर ध्यान दिया जाना जरूरी है।
दस्त और अपच बने रहना
अगर आप भी अक्सर तनाव का शिकार रहते हैं तो ये पाचन विकारों जैसे दस्त और अपच के साथ कब्जियत का कारण बन सकती है। स्ट्रेस वाले हार्मोन बड़ी आंत में मोटर फंक्शन को तेज कर देते हैं जिससे इस तरह की दिक्कतों का जोखिम रहता है। इसके अलावा आपको मितली की भी दिक्कत बनी रहती है। आमतौर पर ये दिक्कतें पाचन के अन्य रोगों के कारण होती हैं, इसलिए आप इससे कंफ्यूज हो सकते हैं।
मूत्राशय का अतिसक्रिय होना
तनाव हार्मोन के स्राव के कारण आपको बार-बार पेशाब करने की इच्छा हो सकती है या रात में पेशाब के लिए अधिक बार जागना पड़ सकता है। पेशाब के इस तरह की दिक्कतें डायबिटीज की स्थिति में भी होती रहती हैं, ऐसे में इससे कंफ्यूज न हों। स्ट्रेस के कंट्रोल होते ही ये समस्याएं भी ठीक होने लग जाती हैं।
पेट में ऐंठन और दर्द
पेट में ऐंठन और दर्द की दिक्कत होना भी सामान्य तनाव प्रतिक्रिया है। स्ट्रेस हार्मोन के कारण हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ने लगता है जिसके कारण सूजन, दर्द और कब्ज होता है। स्ट्रेस की समस्या को कंट्रोल करना जरूरी माना जाता है, अगर इसपर ध्यान न दिया जाए तो इसके कारण आपकी शारीरिक स्वास्थ्य जटिलताओं के और भी बढ़ने का खतरा हो सकता है। -
जब कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है, तो कई तरह की शारीरिक समस्याएं होनी शुरू हो जाती हैं। कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर शरीर में दर्द भी होने लगता है।
कोलेस्ट्रॉल रक्त में पाया जाने वाला एक वैक्स जैसा पदार्थ है। स्वस्थ कोशिकाओं के निर्माण के लिए शरीर को कोलेस्ट्रॉल की जरूरत होती है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल की सही मात्रा होनी बहुत जरूरी होती है। जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर अधिक होता है, तो हृदय रोगों का जोखिम बढ़ जाता है। आपको बता दें कि कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर धमनियों में रक्त का पर्याप्त प्रवाह नहीं हो पाता है। इसकी वजह से थक्का बन सकता है और हार्ट अटैक या स्ट्रोक का कारण बन सकता है। हालांकि, अगर आप सही लाइफस्टाइल फॉलो करेंगे, तो इससे कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रहता है। जब कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है, तो कई तरह की शारीरिक समस्याएं होनी शुरू हो जाती हैं। कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर शरीर में दर्द भी होने लगता है। आइए जानते हैं कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर शरीर के कौन-से हिस्सों में दर्द होता है-कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर शरीर के इन हिस्सों में होने लगता है दर्द1. सीने में दर्दकोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर सीने में दर्द होने लगता है। जब दिल तक खून पहुंचाने वाली नसों में कोलेस्ट्रॉल जम जाता है, तो इस स्थिति में आपको सीने में दर्द हो सकता है। हाई कोलेस्ट्रॉल सीने में सामान्य या तेज दर्द का कारण बन सकता है। ऐसे में अगर आपको सीने में दर्द रहा है, तो इस संकेत को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें। सीने में दर्द होना हाई कोलेस्ट्रॉल का संकेत हो सकता है।2. पीठ के निचले हिस्से में दर्दहाई कोलेस्ट्रॉल पीठ के निचले हिस्से में भी दर्द का कारण बन सकता है। जब रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ता है, तो पीठ के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है। अगर आपको पीठ के निचले हिस्से में दर्द महसूस हो, तो इस संकेत को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें। पीठ के निचले हिस्से का दर्द आपकी समस्या की गंभीरता को दर्शाता है।3. पैरों में दर्दकोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर आपको पैरों में भी दर्द हो सकता है। आपको बता दें कि कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर पैरों की धमनियों तक रक्त का प्रवाह सही तरीके से नहीं हो पाता है। इसकी वजह से ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है और आपको दर्द महसूस हो सकता है। हाई कोलेस्ट्रॉल आपको चलने-फिरने की दिक्कत को भी बढ़ा सकता है।4. जबड़ों में दर्दहाई कोलेस्ट्रॉल जबड़ों में दर्द का भी कारण बन सकता है। अगर आपको अकसर ही जबड़ों में दर्द रहता है, तो इस संकेत को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें। दरअसल, जब आर्टरी में कोलेस्ट्रॉल जमा होता है, जो इससे जबड़ों का ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है। इस स्थिति में आपको ईसीजी जरूर करवाना चाहिए। जबड़ों का दर्द हृदय रोग की ओर भी संकेत कर सकता है।5. बाजुओं में दर्दकोलेस्ट्रॉल जमा होने पर आपको बाजुओं में भी दर्द हो सकता है। जब रक्त में अधिक कोलेस्ट्रॉल जमा होता है, तो इससे पैरों और हाथों की ब्लड वेसेल्स प्रभावित होते हैं। इससे बाजुओं में तेज दर्द का अनुभव हो सकता है। इस स्थिति में आपको झुनझुनी भी महसूस हो सकती है। अगर आपको बाजुओं में दर्द हो रहा है, तो इस स्थिति को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें।हाई कोलेस्ट्रॉल को कम करने के उपायकोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर आपको अपनी डाइट और लाइफस्टाइल का खास ख्याल रखना चाहिए। इसके लिए आप हरी सब्जियों और फाइबर युक्त अनाज को अपनी डाइट में शामिल करें। इसके साथ ही, आपको हल्के व्यायाम और प्राणायाम का भी अभ्यास करना चाहिए। कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में रखने के लिए आपको धूम्रपान छोड़ना चाहिए और शराब का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए। -
आज की बदलती लाइफस्टाइल और खराब खान-पान की बढ़ती आदतों के कारण, कम उम्र से ही आंतें कमजोर होने लगती हैं और पेट से जुड़ी समस्याएं शुरू हो जाती हैं। आंतों की सही देखभाल न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बेहद जरूरी है। अगर आपकी आंते कमजोर होंगी और सही से अपना काम नहीं करेंगी तो आपको कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। कई ऐसे फूड आइटम्स हैं जो लोग स्वाद के चलते खा लेते हैं लेकिन इनका आंतों पर बुरा असर पड़ सकता है।
आंतों के लिए नुकसानदायक फूड आइटमब्रोकलीआजकल ब्रोकली का इस्तेमाल कई तरह से खाने में किया जाता है। विटामिन C, फोलेट, और फाइबर से भरपूर ब्रोकली की गिनती सुपरफूड्स में होती है लेकिन इसे खाने से गैस और ब्लोटिंग की परेशानी बढ़ सकती है। कई लोग ब्रोकली को हल्का पकाकर पास्ता या सलाद में खाते हैं, जो आंतों को प्रभावित कर सकती है। जिन लोगों को अक्सर गैस की समस्या रहती है वह ब्रोकली के सेवन से बचें या इस सही मात्रा में और अच्छे से पकाकर खाएं। अगर आपकी आंतें पहले से कमजोर हैं तो ब्रोकली के सेवन से पहले आप डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।कोल्ड ड्रिंककोल्ड ड्रिंक पीना कई लोगों को पसंद होता है लेकिन यही कोल्ड ड्रिंक आपकी आंतों के हेल्थ को बिगाड़ सकती है। कोल्ड ड्रिंक के ज्यादा सेवन से पेट के अंदक का पीएच लेवल बिगड़ सकता है, जिससे कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। कोल्ड ड्रिंक पीने से गैस और सूजन की दिक्कत भी हो सकती है, जिसका असर आंतों पर भी पड़ता है।ज्यादा मात्रा में गेहूंफाइबर से भरपूर गेहूं के ज्यादा सेवन से भी आंतों की हेल्थ बिगड़ सकती है। गेहूं की ज्यादा रोटियां खाने से ब्लोटिंग, गैस और दर्द की समस्या हो सकती है। ज्यादा मात्रा में गेहूं के इस्तेमाल से ग्लूटेन संबंधित समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं। इसलिए, ज्यादा गेहूं का सेवन करने से बचें और गेहूं के साथ अन्य हेल्दी अनाजों का सेवन भी करें। सर्दी के मौसम में आप गेहूं की रोटियों के साथ बाजरा की रोटी डाइट में शामिल कर सकते हैं।बींसअगर आपकी आंतें पहले से कमजोर हैं तो बींस का सेवन भी आपके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता हैं। बींस में कई ऐसे तत्व मौजूद होते हैं जो आंतों की हेल्थ के लिए नुकसानदायक साबित हो सकते हैं। इसलिए, बींस को अधिक मात्रा में खाने से बचें और इसे पूरी तरह पकाकर ही खाएं। -
रिसर्च में हुआ खुलासा
हेल्दी और लंबी जिंदगी जीने के लिए एक बैलेंस रूटीन को फॉलो करना बेहद जरूरी होता है. जिसमें नींद के पैटर्न से लेकर डेली वर्कआउट और खानपान संबंधी अच्छी आदतें शामिल हैं. वहीं आजकल की बेहद व्यस्त दिनचर्या में लोग खुद के लिए बेहद कम वक्त निकाल पाते हैं. खानपान की गुड हैबिट्स आपको बीमारियों से दूर रखने में मदद करती हैं, जिससे निश्चित तौर पर एक स्वस्थ और लंबा जीवन जी सकते हैं. इसी को लेकर हाल ही में हुई एक रिसर्च में सामने आया है कि अगर रात का डिनर जल्दी कर लिया जाए तो यह आपकी उम्र को लंबी करने के फैक्टर्स में से बेहद अहम फैक्ट हो सकता है.
बैलेंस डाइट लेने के साथ ही पूरा पोषण पाने के लिए सही और फिक्स टाइम पर खाना खाना भी जरूरी होता है. जैसा कि एल अक्विला के एक अध्ययन से पता चलता है, रात का खाना जल्दी खा लिया जाए और अलग हेल्थ रूटीन को अपनाया जाए तो उम्र को बढ़ावा देने में भूमिका निभा सकता है। फ्रंटियर्स इन न्यूट्रिशन जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन की मानें तो रात का खाना जल्दी खाने और संभावित लंबी जिंदगी जीने के बीच दिलचस्प कनेक्शन खोजा है. तो चलिए जानते हैं शाम को किस वक्त खाना खाने से लंबी हो सकती है, आपकी उम्र.
शाम का खाना और लंबी जिंदगी का कनेक्शन
शाम के खाने और लंबी जिंदगी के फैक्टर्स को जानने के लिए इटली के अब्रुज़ो के एक प्रांत एल अक्विला में एक शोध किया गया जो बुजुर्गों (90 से 99 वर्ष की आयु के लोगों) पर आधारित है. इस क्षेत्र के 68 लोगों पर हुए इस अध्ययन में उनकी डाइट, बिहेवियर और खासतौर पर उनके शाम के खाने के समय को लेकर कुछ जरूरी बातें सामने आई हैं.
लंबी जिंदगी जीने के लिए किस वक्त करना चाहिए डिनर
शोधकर्ताओं द्वारा गहराई से किए गए इस अध्ययन में पाया गया कि एल अक्विला लंबी उम्र जीने वाले अधिकांश लोग अपना रात का खाना आमतौर पर शाम को 07 या फिर 07:13 मिनट तक खा लेते हैं.वहीं इन लोगों ने रात के खाने से लेकर अगले दिन दोपहर के खाने तक करीब 17.5 घंटे तक का अंतर रखा ताकि कैलोरी को बैलेंस किया जा सके.
इन फैक्टर्स पर आधारित हैं शोध के रिजल्ट
वहीं बात करें इस शोध में शामिल होने वाले लोगों के आहार की तो ये लोग अनाज, फलों, सब्जियों और फलियों जैसी पोषक तत्वों से भरपूर चीजों को अपनी डाइट में शामिल किया, वहीं इसके उलट नॉनवेज, प्रोसेस्ड मीट, अंडा और मिठाइयां बेहद कम मात्रा में लीं. शोधकर्ता कहते हैं कि हमारे अध्ययन के रिजल्ट डेली कैलोरी, फिजिकल एक्टिविटी, मेटाबॉलिक रिस्पॉन्स, जैसी चीजों पर निर्भर करता है, जो यहां लोगों की लंबी जिंदगी जीने में अहम फैक्टर है. -
आयरन एक ऐसा रासायनिक तत्व होता है जो हमारे शरीर के लिए काफी जरूरी माना जाता है. यह हीमोग्लोबिन का एक महत्वपूर्ण घटक होता है, लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाने वाला एक प्रोटीन जो पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाता है. पुरुषों की तुलना में महिलाओं में आयरन की कमी काफी ज्यादा होती है. आयरन की इस कमी का सामना महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान काफी ज्यादा करनी पड़ती है.
हर महीने महिलाओं को पीरियड्स होते हैं जिसकी वजह से उनके शरीर में आयरन का लेवल कम होने लगता है. ऐसे में खोए हुए आयरन को वापिस पाने के लिए महिलाओं को ज्यादा आयरन की जरूरत पड़ती है. इसके अलावा, गर्भावस्था के दौरान भ्रूण के विकास और महिलाओं के शरीर में खून को बढ़ाने के लिए भी आयरन काफी जरूरी होता है.
डॉक्टरों के अनुसार 19 से 50 साल की महिलाओं को हर दिन 18 मिलीग्राम आयरन लेना चाहिए, जबकि समान उम्र के पुरुषों को केवल 8 मिलीग्राम आयरन ही काफी है. वहीं प्रेग्नेंट या ब्रेस्ट फीड कराने वाली महिलाओं, किडनी की बीमारी वाले, अल्सर, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसऑर्डर, वेट लॉस सर्जरी, बहुत ज्यादा वर्कआउट करने वालों और शाकाहारी लोगों को आयरन की ज्यादा मात्रा लेने की सलाह दी जाती है.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि शरीर में आयरन की कमी तब होती है जब आप आयरन का अपर्याप्त मात्रा में सेवन कर रहे होते हैं या फिर जब आपका शरीर आयरन को अच्छे से अवशोषित नहीं कर पाता. ऐसे में शरीर में आयरन की कमी होने के कई कारण हैं जैसे खराब डाइट, बहुत ज्यादा ब्लड लॉस, प्रेग्नेंसी आदि.
शरीर में आयरन की कमी को पूरा करने के लिए हम इस आर्टिकल में आपके साथ कुछ टिप्स शेयर करने जा रहे हैं.
आयरन से भरपूर चीजें खाएं-
शरीर में आयरन की कमी को पूरा करने के लिए आयरन से भरपूर चीजों का सेवन करें जैसे लीन प्रोटीन, सीफूड, बीन्स, दालें, टोफू, पालक, केल, ब्रोकली आदि.
आयरन से भरपूर चीजें और विटामिन सी-
आयरन से भरपूर चीजों का सेवन जब आप विटामिन सी युक्त चीजों के साथ करते हैं तो इससे शरीर में आयरन का अवशोषण सही तरीके से हो पाता है.
इस चीजों का करें कम सेवन-
कोशिश करें कि चाय, कॉफी आदि चीजों का सेवन कम से कम करें. ये चीजें शरीर में आयरन के अवशोषण के रोकती हैं. इसके अलावा इन चीजों के साथ आयरन वाली चीजों का सेवन ना करें.
लोहे के बर्तन में बनाएं खाना-
ऐसा माना जाता है कि खट्टी चीजों को आयरन के बर्तनों में पकाने से आपके खाने में आयरन की मात्रा बढ़ जाती है.
आयरन सप्लीमेंट्स-
कुछ मामलों में, महिलाओं को आयरन सप्लीमेंट्स लेने की सलाह दी जाती है, खासकर गर्भावस्था के दौरान या गंभीर कमी के मामलों में.कोई भी सप्लीमेंट्स लेने से पहले डॉक्टर से जरूर संपर्क करें. - मौसम में बदलाव, अनहेल्दी खान-पान, प्रदूषण जैसे कारणों से बालों के झड़ने, टूटने की समस्या बढ़ जाती है। इतना ही नहीं कई लोगों में हेयर ग्रोथ की समस्या भी होने लगती हैं। लंबे, काले, घने बाल हर लड़की की पहली पसंद होते हैं, ऐसे में बालों से जुड़ी इन समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए लोग केमिकल युक्त महंगे-महंगे हेयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं, जिसके कारण आपके बाल और ज्यादा डैमेज हो सकते हैं। आज जानते हैं हेयर ग्रोथ बढ़ने और झड़ते बालों की समस्या को दूर करने के लिए एक होम रेमेडी बनाने का तरीका और बालों के लिए उसके फायदों के बारे में।चमकदार और स्वस्थ्य बालों के लिए हेयर मास्कसामग्री -मेथी - 1 कपहरा चना- 1 कपकलौंजी के बीज - 1 बड़ा चम्मचबादाम - 4गुड़हल का फूल - 4 फूलकरी पत्ता - एक मुट्ठीनारियल - एक कपहेयर पैक बनाने की विधि -मेथी, मूंग, कलौंजी और बादाम को रात भर पानी में भिगो कर रख दें। फिर अगले दिन गुड़हल के फूल, करी पत्ते, नारियल और रात भर भिगोई हुई सामग्री को हल्के पानी के साथ मिक्सर जार में डालकर पेस्ट तैयार कर लें। आप चाहे तो इसमें थोड़ी मात्रा में दही मिला सकते हैं। बस अब इस हेयर पैक को बालों में लगाए और आधे घंटे बाद पानी से धों लें। अच्छे रिजल्ट के लिए इस पैक को हफ्ते में एक बार अपने बालों में इस्तेमाल करें।हेयर मास्क लगाने के फायदेमेंथीयह फ्लेवोनोइड्स और सैपोनिन जैसे एंजाइमों से भरपूर होता है। मेंथी में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीफंगल गुण बालों को बढ़ने में मदद करते हैं।हरा चनाहरे चने में बालों को पोषण देने वाले पोषक तत्व जैसे सेलेनियम, सिलिका, फोलेट, आयरन, जिंक, विटामिन ए, बी, सी, बी -7 और एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो बालों के विकास को बढ़ावा देते हैं और झड़ते बालों से छुटकारा दिलाते हैं।कलौंजी के बीजकलौंजी या काले बीज में एंटीहिस्टामाइन यानी निगेलोन और थाइमोक्विनोन होते हैं जो बालों के विकास को बढ़ावा देने में मदद करते हैं।बादामबादाम विटामिन बी7 से भरपूर होते हैं, इसमें ओलिक एसिड और लिनोलिक एसिड भी होता है, जो बालों की लोच में सुधार करता है, जिससे बाल मजबूत बनते हैं।गुड़हल का फूलगुड़हल के फूल में फ्लेवोनोइड्स होते हैं जो हानिकारक यूवी किरणों से बालों को होने वाले नुकसान से बचाते हैं, इतना ही नहीं यह समय से पहले बालों को सफेद होने से भी रोकते हैं और प्राकृतिक चमक और ग्रोथ बढ़ाने में मदद करते हैं।करी पत्तेकरी पत्ते में मौजूद बीटा-कैरोटीन, प्रोटीन और एल्कलॉइड बालों के प्राकृतिक रंग को बनाए रखने, बालों के विकास को बढ़ावा देने और बालों के झड़ने और पतले होने की समस्या को रोकने में फायदेमंद होते हैं।नारियलनारियल में मौजूद एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण बालों को बैक्टीरिया से होने वाले नुकसान से बचाते हैं और हेयर ग्रोथ में मदद करते हैं।अगर आप भी बालों की समस्या से परेशान है, तो इस हेयर पैक को इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन किसी भी तरह के साइड इफेक्ट्स से बचने के लिए पहले पैच टेस्ट जरूर कर लें।
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शरीर को प्रोटीन और विटामिन की तरह ही पर्याप्त मात्रा में आयरन की जरूरत होती है। जिससे शरीर इंफेक्शन से लड़ सके। हीमोग्लोबिन के लिए आयरन बेहद जरूरी है। आयरन की मदद से शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई होती है। साथ ही ये मसल्स की ग्रोथ और मजबूती के लिए भी जरूरी है। लेकिन ज्यादातर महिलाएं आयरन की कमी से जूझती हैं और पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व ना मिलने के कारण एनीमिया की शिकार हो जाती है। शरीर में अगर आयरन की कमी हो गई है तो अनार या चुकंदर खाने की बजाय इन फ्रूट्स एंड फूड्स को खाएं। बढ़ने लगेगी आयरन की मात्रा।
मटरमटर या सूखी मटर में आयरन की मात्रा 100 ग्राम में 1.5 मिलीग्राम होती है। अगर हर दिन पर्याप्त मात्रा मे मटर खाया जाए तो रोज की जरूरत की आयनर की मात्रा मिल जाएगी। मटर के अलावा सोयाबीन, राजमा में भी आयरन पाया जाता है।खजूर, आलुबूखारा, अंजीर, किशमिशआयरन की कमी से एनीमिया होने का खतरा होता है। ऐसे में आयरन रिच फूड्स को जरूर खाना चाहिए। खजूर, आलुबूखारा, अंजीर और किशमिश आयरन रिच फूड्स हैं। आलुबूखारा में आयनर की मात्रा भले ही ज्यादा ना हो लेकिन इसमे मौजूद विटामिन सी शरीर को पर्याप्त मात्रा में आयरन सोखने में मदद करता है। अंजीर में आयरन की पर्याप्त मात्रा होती है। अंजीर में 29.49 मिलीग्राम आयरन की मात्रा होती है। हर दिन एक से दो अंजीर दैनिक आयरन की मात्रा की पूर्ति कर सकता है।काले तिलआयुर्वेद के अनुसार काले तिल में सफेद तिल की तुलना में ज्यादा आयरन की मात्रा होती है। हर दिन थोड़ी मात्रा में काले तिल को खाने से आयरन की पर्याप्त मात्रा मिल सकती है।काजूशरीर में आयरन की कमी है तो हर दिन काजू खाना बेस्ट ऑप्शन है। काजू खाने से कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का खतरा नहीं बल्कि प्रति 100 ग्राम काजू में आयरन की मात्रा करीब 6.68 मिलीग्राम होती है। - हम हमेशा से सुनते आ रहे हैं कि हरी सब्जियों को खाने से सेहत को फायदा होता है। लेकिन शायद ही किसी डॉक्टर या दादी-नानी ने बताया हो कि पीले फलों को खाना फायदेमंद है। कलरफुल फूड्स में पीले फलों को खाना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। ये स्किन को ग्लोइंग और रेडिएंट बनाने के साथ हेल्थ के लिए भी असरदार है। आगे जानें पीले फलों को खाने के फायदे।कैरेटोनॉएड्सपीले फ्रूट्स कैरोटेनॉएड्स एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं। जिसे खाने से कई सारी बीमारियों होने का खतरा कम होता है। ये सारे एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर और टिश्यू में सूजन कम करने में मदद करते हैं। साथ ही शरीर को फ्री रेडिकल्स से डैमेज होने से बचाते हैं।बायोफ्लेवेनॉएडपीले फलों में बायोफ्लेवेनॉएड होते हैं। जो विटामिन पी से जुड़ा है। विटामिन पी बॉडी के लिए काफी जरूरी है। क्योंकि ये विटामिन सी तोड़कर स्किन में अब्जॉर्ब होने में मदद करते हैं। इसकी मदद से कोलेजन का प्रोडक्शन तेज होता है। पीले फलों को खाने से एजिंग की समस्या कम होती है।विटामिन सीपीले फलों में विटामिन सी की मात्रा भरपूर होती है। केले में विटामिन सी के साथ पोटैशियम ज्यादा मात्रा में होता है। अगर हर दिन नींबू और मैंगो जैसे फ्रूट्स खाए जाएं तो स्किन ग्लो करती है। क्योंकि विटामिन सी बॉडी में खुद से नहीं बनता इसे खाद्य पदार्थों के जरिए ही बॉडी में पहुंचाना पड़ता है विटामिन सी हड्डियों की सेहत के साथ ही जोड़ों को हेल्दी रखता है।यही नहीं विटामिन सी की पर्याप्त मात्रा कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर को भी संतुलित करती है। पीले फूड्स को अगर डेली रूटीन में शामिल किया जाए तो दांतों के साथ ही बालों की सेहत दुरुस्त होती है। पीले फल मूड को भी ठीक करते हैं। इन पीले फलों को आसानी से डाइट में शामिल किया जा सकता है।केला- केला सबसे सस्ता और लगभग हर सीजन में मिल जाता है। साथ ही इसके कई सारे फायदे हैं।अनानास पीले फलों में अनानास बेहद फायदेमंद होता है।पीली शिमला मिर्च फाइबर, फोलेट, आयरन और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती है।नींबू मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने के साथ ही किडनी में बनने वाले स्टोन को भी रोकता है। साथ ही शरीर को हाइड्रेट करता है।पपीता में कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, प्रोटीन, के साथ ही विटामिन बी9, पोटैशियम और मैग्नीसिय़म होते हैं। साथ ही विटामिन बी1, बी3, बी5, विटामिन ई, विटामिन सी और ए भी मौजूद होते हैं। जो शरीर के लिए बेहद फायदेमंद है।
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मुनगा, मोरिंगा, सहजन या ड्रमस्टिक ये सभी एक ही चीज के नाम। मुनगा प्रकृति से मिली बहुत अनमोल चीज है। इसका सेवन करने से शरीर को जबरदस्त फायदे मिलते हैं। मुनगा की पत्तियों, फल, जड़, तने और फूल का सेवन कई गंभीर बीमारियों में रामबाण माना जाता है। शुगर या डायबिटीज से लेकर हाई कोलेस्ट्रॉल तक की समस्या को ठीक करने में सहजन का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। मुनगा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, पोटैशियम, विटामिन और मैग्नीशियम प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसका नियमित रूप से सेवन शरीर में बढ़े हुए ब्लड शुगर को कम करने में फायदा मिलता है।
डायबिटीज में सहजन खाने के फायदे
मुनगा को पोषक तत्वों का पावरहाउस कहा जाता है। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट, प्रोटीन और खनिज शरीर को बीमारियों से बचाने और पोषण देने का काम करते हैं। न्यूट्रिशनल सप्लीमेंट के रूप में भी सहजन का इस्तेमाल होता है। मुनगा में आयरन, कैल्शियम, विटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन ई, विटामिन बी 6 समेत राइबोफ्लेविन की पर्याप्त मात्रा होती है। इसके अलावा मुनगा में फाइबर की पर्याप्त मात्रा होती है, जो ब्लड शुगर और वजन को भी कंट्रोल करने में भी मदद करते हैं।"डायबिटीज में कैसे करें मुनगा का सेवन?मुनगा का नियमित रूप से सेवन करने से डायबिटीज के मरीजों को कई फायदे मिलते हैं। इसमें मौजूद फाइबर ब्लड शुगर कंट्रोल करने में मदद करता है। साउथ इंडियन फूड्स में मुनगा का इस्तेमाल खूब किया जाता है। आप रोजाना मुनगा की सब्जी या इसके सूप का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा मुनगा की पत्ती और फूल का सेवन भी डायबिटीज में फायदेमंद होता है।डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारी से बचने के लिए डाइट में सब्जियां, फल और साबुत अनाज को शामिल करना फायदेमंद होता है। इसके अलावा नियमित रूप से शारीरिक श्रम या व्यायाम करने वाले लोगों में भी डायबिटीज का खतरा कम रहता है। अगर आपको भी डायबिटीज के लक्षण दिखाई देते हैं तो सबसे पहले खानपान और लाइफस्टाइल में सुधार करें और डॉक्टर की सलाह जरूर लें। - छठ पर्व पर प्रसाद में कई सीजनल फल और सब्जियों को प्रसाद की रूप में चढ़ाया जाता है, जिसमें से एक डाभ नींबू भी है। इस डाभ नींबू को खाने से सेहत को फायदा पहुंचता है। आज जानेंगे डाभ नींबू के 5 बड़े फायदे क्या हैं।डाभ नींबू के 5 बड़े फायदे1- विटामिन C का सोर्सछठी मैया की पूजा में चढ़ाया जाने वाला डाभ नींबू पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है। डाभ नींबू में विटामिन C अच्छी मात्रा में पाया जाता है, जो हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी बूस्ट करता है और संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। विटामिन C हमारी स्किन और बालों के लिए भी बेहद जरूरी है। डाभ नींबू के सेवन से आपकी स्किन बेहतर होगी और बालों से जुड़ी समस्याएं भी कम होंगी।2- बॉडी डिटॉक्सडाभ नींबू का सेवन शरीर को डिटॉक्स करने का काम करता है। डाभ नींबू हमारे शरीर के विषाक्त पदार्थ बाहर निकालने का काम करता है, जिससे मेटाबॉलिज्म बढ़ता है और वजन कंट्रोल करने में मदद मिलती है। अगर आप वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं तो अपनी डाइट में डाभ नींबू जरूर शामिल करें।3- पाचन को बढ़ावाछठ महापर्व के प्रसाद में इस्तेमाल होने वाला डाभ नींबू विटामिन C के साथ फाइबर से भरपूर होता है। इसके सेवन से पाचन क्रिया बेहतर तरीके से काम करती है और पेट संबंधी समस्याएं भी कम होती हैं। डाभ नींबू के सेवन से पेट में अच्छे एंजाइम बनते हैं तो डाइजेशन में मदद करते हैं।4- हार्ट के लिए फायदेमंदडाभ नींबू में मौजूद पोटैशियम और मैग्नीशियम दिल के स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है और शरीर में ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है।5- वजन कंट्रोलडाभ नींबू में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है और कैलोरी कम, ऐसे में इसके सेवन से पेट लंबे समय तक भरा रहता है और आपको बार-बार भूख नहीं लगेगी। डाभ नींबू का सेवन वजन कंट्रोल करने में मदद कर सकता है। इसके सेवन से शारीरिक और मानसिक ताजगी महसूस होगी।
- आजकल वर्किंग पेरेंट्स के पास बच्चों के साथ वक्त बिताने का ज्यादा समय नहीं होता, ऐसे में वह बचपन से ही बच्चे के हाथ में मोबाइल थमा देते हैं। लेकिन कुछ समय के बाद बच्चे को मोबाइल की लत लग जाती है और वह हर वक्त मोबाइल में बिजी रहता है। कुछ बच्चों को तो मोबाइल की इतनी लत लगती है कि वह खाना भी मोबाइल में कुछ न कुछ देखते हुए ही खाना पसंद करते हैं। कई बार बच्चे मोबाइल में इंटरनेट पर कम उम्र में ऐसा कंटेंट भी चोरी-छिपे देखने लगते हैं जो कि उन पर गलत असर डाल सकता है। वहीं जब पेरेंट्स बच्चों से मोबाइल अलग करते हैं तो वह रोने लगते हैं या फिर चिड़चिड़े हो जाते हैं। यहां हम आपको कुछ ऐसी टिप्स देने वाले हैं, जिनकी मदद से आप अपने बच्चे की मोबाइल की लत को छुड़वा सकते हैं।बच्चे की मोबाइल यूज करने की आदत छुड़वाने के तरीकेआउटडोर गेम्सबच्चों को मोबाइल पर गेम्स खेलना बेहद पसंद होता है, जिसकी उन्हें लत लग जाती है। मोबाइल पर गेम्स खेलने के चक्कर में बच्चे समय से न तो खाना खाते हैं और न ही उनका मन पढ़ाई में लगता है। मोबाइल पर लंबे समय तक गेम्स खेलने के कारण बच्चों की नजर भी कमजोर होने लगती है। मोबाइल की लत छुड़वाने के लिए आप बच्चे को आउटडोर गेम्स और एक्टिविटी में बिजी रखें। बच्चे के साथ आप गार्डनिंग करें और उसे भी इसके गुर सिखाएं। इसके अलावा आप बच्चे को साइकिल चलाना सिखाएं और उसे डेली कम से कम 15 से 30 मिनट के लिए साइकिल चलाने के लिए प्रेरित करें। आप बच्चे को क्रिकेट, बैडमिंटन और अन्य गेम्स के लिए भी मोटिवेट कर सकते हैं।बचपन में न दें मोबाइलबच्चे को कम उम्र में मोबाइल फोन खरीदकर न दें, वहीं अगर वह आपका मोबाइल इस्तेमाल करता है तो इसका भी एक समय निर्धारित करें। अगर बच्चा ज्यादा मोबाइल मांगता है तो उसे प्यार से मना करें और उसके साथ वक्त बिताएं ताकि वह बिजी रह सके।फैमिली टाइमआजकल ज्यादातर पेरेंट्स वर्किंग होते हैं और ऐसे में बच्चे के साथ माता-पिता ज्यादा समय नहीं बिता पाते। आप कोशिश करें कि वीकेंड्स पर अपने बच्चे को पूरा समय दें और उसके साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करें। आप बच्चों के साथ गेम्स खेलें और उन्हें किसी न किसी एक्टिविटी में बिजी रखें। बच्चे अगर बिजी रहेंगे तो खुद ही मोबाइल से दूर रहेंगे।बच्चे को टास्क देंवर्किंग पेरेंट्स अपने बच्चों को हफ्तेभर में पूरे होने वाले टास्क दे सकते हैं, ऐसा करने पर बच्चा टास्क को पूरा करने में बिजी रहेगा। आप बच्चे को नई-नई एक्टिविटी में भी बिजी रख सकते हैं। आपका बच्चा जितना बिजी रहेगा वह उतना ही मोबाइल से दूर रहेगा। वहीं अगर आप बच्चे को डांटकर मोबाइल से अलग करेंगे तो वह चिड़चिड़ा हो सकता है।
- अनहेल्दी फूड, प्रदूषण, और खराब लाइफस्टाइल के कारण अधिकतर लोग एसिडिटी और कब्ज की समस्या से परेशान रहते हैं। पेट में गैस बनने के कारण किसी दूसरे काम में मन भी नहीं लगता और पूरा दिन बेकार जाता है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग सभी लोगों में एसिडिटी की समस्या काफी आम हो गई है। ऐसे में 3 फूड्स का इस्तेमाल करने से एसिडिटी की समस्या से राहत मिल सकता है, तो आइए जानते हैं क्या हैं वो फूड्स और उन्हें खाने के हेल्थ बेनिफिट्स…एसिडिटी में फायदेमंद है ये तीन फूड्सभिगी हुई काली किशमिशदही-पोहागुलकंद का पानीकाली किशमिश खाने के फायदे -काली किशमिश में पेक्टिन नाम का फाइबर मौजूद होता है, जो हमारे शरीर में जाकर खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है। इसका सेवन करने से एसिडिटी कंट्रोल होती है, आंखों की रोशनी बढ़ती है, हाई ब्लड प्रेशर कम होता है और वजन कम करने में भी मदद मिलती है। रात को सोने से पहले 4-5 काली किशमिश पानी में भिगोकर रख दें और सुबह उठने के बाद किशमिश को खा लें और एक गिलास पानी पी लें।पोहे के साथ दही खाने के फायदेदही के साथ पोहा खाने से आपके शरीर को जरूरी पोषक तत्व मिलते है। इतना ही नहीं यह पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में भी मदद करता है। उत्तर प्रदेश और बिहार में पेट खराब होने पर लोग इसे खाना बहुत पसंद करते हैं। पोहे को खाने से पहले इसे पानी से अच्छी तरह साफ कर लें, इसके बाद इसमें दही और काला नमक मिला लें। आप दही पोहे का स्वाद बढ़ाने के लिए हरी मिर्च भी इसमें मिला सकते हैं।गुलकंद का पानी पीने के फायदे -गुलकंद की तासीर ठंडी होती है, जिस कारण इसे पीने से एसिडिटी की समस्या दूर होती है, मुंह के छाले ठीक होते हैं और दिमाग भी तेज होता है। एसिडिटी की समस्या को दूर करने के लिए रात को सोने से पहले या दिन में किसी भी समय आप गुलकंद का पानी पी सकते हैं। आपको बस एक गिलास पानी में एक चम्मच गुलकंद मिलाना है और इसे पी जाना है।-स्वास्थ्य से जुड़ी ये समस्याएं भी होगी दूर-पेट की सूजन कम करने में फायदेमंद-प्री मेन्स्ट्रूअल सिंड्रोम से मिले राहत-हीट एक्जाशन करें दूरएसिडिटी से बचने के लिए इन बातों का भी रखें ध्यान-खाने के बीच में ज्यादा समय का अंतराल न रखें।-समय पर ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर करें।-अपने भूख लगने के संकेतों को पहचाने और थोड़ी-थोड़ी देर पर कुछ खाते रहें।-पेट भरने के संकेतों को पहचानने की कोशिश करें और भूख से अधिक खाने से बचें।-एसिडिटी की समस्या को नजरअंदाज न करें, यह किसी बड़ी बीमारी का भी संकेत हो सकता है। इसलिए एसिडिटी की परेशानी बढ़ने पर अपने निजी डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
- काढ़ा एक ऐसा पेयर है, जिसमें कई तरह की चीजों को शामिल एक ड्रिंक तैयार किया जाता है। इसमें हल्दी, दालचीनी, मोटी इलायची और मुलेठी जैसी चीजें यूज की जाती हैं। इन तमाम सामग्रियों के अपने-अपने विशेष फायदे हैं। लेकिन, क्या प्रदूषण की वजह से हो रही खांसी में भी काढ़ा फायदेमंद हो सकता है?विशेषज्ञों के अनुसार "काढ़ा एक तरह हर्बल ड्रिंक है। इससे काफी हद तक खांसी की समस्या से राहत पाई जा सकती है। कई लोग काढ़े में अदरक, तुलसी, काली मिर्च और अन्य मसालों को शामिल करते हैं। इनमें सूजन-रोधी और सुखदायक गुण होते हैं। ये सामग्रियां सांस से जुड़ी जलन से राहत प्रदान कर सकती हैं और सांस नली में आई फंसाहट को भी दूर करने में मदद करती है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि काढ़ा फायदेमंद हो सकता है, लेकिन इसे मेडिकल ट्रीटमेंट का विकल्पन नहीं मानना चाहिए। यदि प्रदूषण की वजह से आपकी खांसी बढ़ गई है, तो आप डॉक्टर के पास जाएं।इसे भी पढ़ें: Balgam Wali Khansi: बलगम वाली खांसी के लिए घर पर बनाएं ये खास काढ़ा, जल्द मिलेगा आरामकाढ़ा पीने के अन्य फायदेजुकाम से राहत मिलती हैप्रदूषण की वजह से न सिर्फ खांसी की समस्या हो रही है, बल्कि जुकाम की समस्या भी देखने को मिल रही है। ऐसे में अगर आप काढ़ा पीते हैं, तो आपकी खांसी के साथ-साथ जुकाम से भी राहत मिल सकती है। दरअसल, काढ़े में एंटीवायरल प्रॉपर्टीज होती हैं, जो आपको सर्दी-जुकाम से दूर रखने में मदद करती है।बलगम की समस्या कम होती हैप्रदूषण की वजह से हो रही खांसी के कारण गले में बलगम भी बनने लगता है। कई बार बलगम की प्रॉब्लम बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसें में, अगर आप काढ़ा पीते हैं, तो गले में बलगम बनना कम हो जाता है और आप इससे राहत पा सकते हैं।संक्रमण से बचाव करता हैप्रदूषण की वजह से कई तरह के संक्रमण होने का रिस्क बढ़ जाता है। वहीं, अगर आप काढ़ा पीते हैं, तो इससे इम्यूनिटी बूस्ट होती है, जो कि आपको संक्रमण से लड़ने में आपकी क्षमता को बेहतर बनाने में मदद करता है।