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- आज के समय में लोग काम में इतना व्यस्त हो गए हैं कि उनको एक्सरसाइज व योग के लिए समय ही नहीं मिल पाता है। योग व एक्सरसाइज की कमी के कारण लोगों को मोटापा का शिकार होना पड़ रहा है। इसके अलावा, शारीरिक गतिविधियों में आई कमी के कारण लोगों को थकान होने लगी है। मोटापा बढ़ने के कारण शरीर कोलेस्ट्रोल और हाई बीपी की समस्या हो सकती है। इसके लिए मोटापे के कारण हार्ट संबंधी रोग होने के जोखिम भी बढ़ जाता है। लेकिन, कुछ आसान से आप वजन को तेजी से कम कर सकते हैं। इसमें सूर्य नमस्कार बेहद ही फायेमंद होता है। इसको लाइफस्टाइल में शामिल करने से आप मोटापे को तेजी से कम कर सकते हैं। योगा एक्सपर्ट रिप्सी अरोड़ा से जानते हैं कि सूर्य नमस्कार वजन को कम करने के लिए किस तरह से फायदेमंद होता है।वजन कम करने के लिए सूर्य नमस्कार करने के फायदेसूर्य नमस्कार में 12 आसन होते हैं, जो शरीर के अलग-अलग अंगों के लिए आवश्यक माने जाते हैं। सूर्य नमस्कार मेटाबॉलिज्म बूस्ट करता है। इसके नियमित अभ्यास से आप मांसपेशियों को लचीला बनाने में मदद मिलती है। इस आसन से शरीर की कैलोरी तेजी से बर्न होती है और मोटापा कम होने लगता है। इसके साथ ही सूर्य नमस्कार आपकी पाचन क्रिया को बेहतर करता है, इससे आहार से पोषण का अवशोषण सही तरह से होता है। साथ ही, शरीर के विषैले पदार्थ बाहर होते हैं। इससे कैलोरी तेजी से बर्न होती है, जिससे वजन कंट्रोल होने लगता है।सूर्य नमस्कार से होने वाले अन्य फायदेबढ़ाया लचीलापन और एनर्जीसूर्य नमस्कार का प्रत्येक आसन शरीर की सभी मांसपेशी को स्ट्रचे करता है और लचीला बनाता है। इससे एनर्जी बूस्ट होती है। इससे शरीर का दर्द कम होता है, शारीरिक क्षमता बेतर होती है।बेहतर पाचनसूर्य नमस्कार में शामिल आसन पाचन तंत्र को बेहतर करते हैं। बेहतर पाचन और मेटाबॉलिज्म को बूस्ट होता है। यह कब्ज को रोकने में मदद करता है, सूजन को कम करता है और पेट के अंगों के कामकाज को बढ़ाता है।ब्लड सर्कुलेशन होता है बेहतरसूर्य नमस्कार में गहरी सांस लेने से शरीर में ऑक्सीजन का लेवल बढ़ता है और एनर्जी का लेवल बहेतर होता है। इसे करने से बाद आपकी थकान जल्द दूर होती है।हार्मोन को बनाएं संतुलनसूर्य नमस्कार हार्मोन को संतुलित करता है। हार्मोन उत्पादन और कार्य को नियंत्रित करता है। यह महिलाओं के लिए विशेष रूप से फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि यह मासिक धर्म (पीरियड्स) की अनियमितता को कम कर सकता है और पीरियड्स के लक्षणों को कम कर सकता है।
- आम आखिर किसे पसंद नहीं होता? बच्चों से लेकर बड़ों तक हर कोई इसके स्वाद का दीवाना होता है। आम का शेक तैयार करके पीना सबसे ज्यादा प्रसिद्ध तरीका है। सड़क तक लगने वाले जूस के स्टाल्स से लेकर महंगे रेस्टोरेंट तक, आपको आम का शेक जरूर मिल जाएगा। अधिकांश लोग इसे घर पर तैयार करके पीना पसंद करते हैं, खासकर रात के समय। लेकिन क्या रात के दौरान आम के शेक का सेवन सुरक्षित है? क्या रात में मैंगो शेक पीने से वजन बढ़ सकता है?सेहत के लिए कैसे फायदेमंद है मेंगो शेकमेंगो शेक में विटामिन-ए के साथ आयरन, प्रोटीन और बीटा- केरोटिन पाया जाता है, जो इम्यूनिटी के साथ त्वचा के लिए भी फायदेमंद है। इसमें मौजूद विटामिन-ए और बीटा-केरोटिन आखों के लिए फायदेमंद माना जाता है। आयरन की मात्रा अधिक होने के कारण यह मसल्स क्रैम्प, चिंता, तनाव और दिल से जुड़ी समस्याओं के लिए फायदेमंद है।सही पोषण के लिए मैंगो शेक का सेवन कैसे करना चाहिएमैंगो शेक तैयार करने के लिए फेट फ्री मिल्क का इस्तेमाल न करें अन्यथा यह एक्स्ट्रा कैलोरी बढ़ाने का कारण बन सकता है। रात में दौरान सही मात्रा में ही इसका सेवन करें। यानी अगर आप डिनर के बाद इसका सेवन कर रहे हैं, तो कोशिश करें आधा गिलास ही लें। मैंगो शेक तैयार करने के लिए आर्टिफिशियल स्वीटनर या चीनी का प्रयोग न करें, क्योंकि रात के दौरान यह नुकसानदायक हो सकता है। अगर आप डिनर के लिए इसका सेवन कर रहे हैं तो कोशिश करें कि सोने से 2 या 3 घण्टे पहले ही मैंगो शेक पी लें।क्या डाइबिटीज के मरीज मैंगो शेक पी सकते हैंअगर मैंगो शेक का सेवन कम मात्रा में किया जाए, तो यह डाइबिटीज के मरीजो के लिए भी नुकसानदायक नही है। डाइबिटीज के मरीज नियमित रूप से 100 ग्राम आम का सेवन कर सकते हैं, अगर इस दौरान उनकी ब्लड शुगर नॉर्मल चल रही है। ध्यान रहे कि इसके सेवन के लिए आप कोई भी आर्टिफिशियल स्वीटनर का इस्तेमाल नहीं करें।
- रीठा एक ऐसी जड़ी-बूटी है, जिसका उपयोग बालों की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए प्राचीन समय से किया जा रहा है। आयुर्वेद में रीठा को बालों के लिए बहुत फायदेमंद बताया गया है। बालों में इसका इस्तेमाल करने से बाल लंबे और घने बनते हैं। साथ ही, यह बालों में नई जान भी डालता है। रीठा में आयरन और एंटीऑक्सीडेंट्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो बालों के विकास में मदद करते हैं। रीठा एक प्राकृतिक क्लींजर भी है। ग्रामीण क्षेत्रो में आज भी बाल धोने के लिए रीठा का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं, जो स्कैल्प पर जमा गंदगी, डैंड्रफ और बैक्टीरिया को हटाने में मदद करते हैं। रीठा बालों से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करने में काफी कारगर है। यह हेयर फॉल को कंट्रोल करता है और ड्राई हेयर की समस्या को भी दूर करता है। नियमित रूप से इसे बालों में लगाने से बाल मुलायम और चमकदार बनते हैं। अब सवाल यह उठता है कि रीठा को बालों में कैसे लगाएं? आज इस लेख में हम आपको बालों में रीठा लगाने के 4 तरीके बता रहे हैं -बाल धोने के लिए इस्तेमाल के रीठारीठा का इस्तेमाल एक नैचुरल क्लींजर के रूप में किया जा सकता है। यानी आप रीठा से अपने बालों को धो सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले आप रीठा के बीज हटा लें। फिर 2 कप गर्म पानी में इसे रातभर के लिए भिगो दें। अगली सुबह इस पानी को 15-20 मिनट तक उबालें। अब इसे ठंडा होने के लिए रख दें। फिर रीठा को अच्छी तरह मैश कर लें। इसके बाद इस पानी को छान लें। फिर इस पानी को बालों पर डालें और 2-4 मिनट तक हल्के हाथों से मसाज करें। 5-10 मिनट बाद बालों को पानी से धो लें।रीठा, आंवला और शिकाकाईआप बालों पर रीठा, आंवला और शिकाकाई का हेयर मास्क लगा सकते हैं। इसके लिए एक बाउल में एक-एक चम्मच रीठा, आंवला और शिकाकाई पाउडर लें। अब इसमें पानी डालकर पेस्ट तैयार कर लें। अब इस पेस्ट को अपने स्कैल्प और बालों पर लगाएं। आप इस हेयर मास्क को बाल धोने से 1-2 घंटे पहले लगा सकते हैं। उसके बाद बालों को पानी से धो लें। आप इस हेयर मास्क का इस्तेमाल सप्ताह में 2-3 बार कर सकते हैं। यह आपके बालों के लिए एक हेयर टॉनिक का काम करेगा। इससे आपको लंबे, घने और मजबूत बाल मिलेंगे।रीठा और नारियल का तेलआप रीठा को नारियल तेल के साथ मिलाकर भी बालों पर लगा सकते हैं। इसके लिए आप एक कटोरी में नारियल का तेल लें और इसे गर्म होने के लिए गैस पर रख दें। अब इसमें 3-4 टुकड़े रीठा और आंवला के डालें। इसे 5-10 मिनट तक अच्छी तरह उबाल लें। अब इसे ठंडा कर लें। इस मिश्रण को 1-2 दिन के लिए ऐसे ही छोड़ दें। फिर इसे छानकर किसी बॉटल में भरकर स्टोर कर लें। इस तेल को अपने स्कैल्प और बालों पर अच्छी तरह लगाएं। 10-15 मिनट तक हल्के हाथों से सर्कुलर मोशन में मसाज करें। करीब 1 घंटे बाद बालों को माइल्ड शैम्पू धो लें। इससे आपके बालों का झड़ना कम होगा और हेयर ग्रोथ भी तेजी से होगी। साथ ही, बाल मुलायम और चमकदार भी बनेंगे।रीठा का हेयर मास्कइसके लिए आप एक कटोरी में बराबर मात्रा में रीठा, शिकाकाई और आंवला पाउडर लें। इसमें थोड़ा सा पानी डालकर पेस्ट बना लें। अब इसमें धूप में सूखी गुड़हल की पत्तियां और दही मिलाएं। इन सभी चीजों को अच्छी तरह मिक्स कर लें और रात भर के लिए छोड़ दें। अगली सुबह इस मिश्रण को छान लें और अपने बालों में लगा लें। 1-2 घंटे बाद बालों को माइल्ड शैम्पू से धो लें।बालों को स्वस्थ रखने के लिए आप इन तरीकों से रीठा का प्रयोग कर सकते हैं। इससे आपके बालों लंबे, घने और मजबूत बनेंगे। हालांकि, अगर आपकी स्किन सेंसिटिव है या एलर्जी है, तो इस्तेमाल करने से पहले पैच टेस्ट कर लें।
- अनानास फल सेहत के लिहाज से भी बहुत फायदेमंद होता है। इसमें विटामिन ए, सी, फास्फोरस, पोटैशियम और सोडियम के साथ-साथ ब्रोमेलैन नामक एंजाइम भी होता है। इसे खाने से शरीर को भरपूर पोषण मिलता है। साथ ही, ब्रोमेलैन शरीर की सूजन को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा, अनानास में पानी भी अच्छी मात्रा में मौजूद होता है। यह शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद करता है। इसमें मौजूद शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर के भीतर मौजूद फ्री-रेडिकल्स को बेअसर करके शरीर से सभी हानिकारक कणों को बाहर निकालने में मदद करते हैं।क्या किडनी के लिए अनानास सुरक्षित है?किडनी स्वास्थ्य के लिए भी अनानास का सेवन बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। फिटनेस कोच, न्यूट्रिशनिस्ट और सप्लीमेंट स्पेशलिस्ट विनीत कुमार के अनुसार, ''अनानास खाने से किडनी फंक्शन में सुधार होता है। यह क्रोनिक किडनी रोगों के जोखिम को कम करने में भी मदद करता है। यह किडनी के खराब फंक्शन के कारण होने वाले रोगों के जोखिम को कम करने में भी मदद कर सकता है।'' जैसा कि हम शुरुआत में जिक्र कर चुके हैं, कि इसमें किडनी स्वस्थ रखने के लिए कई जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं। यह कई खराब किडनी फंक्शन से जुड़ी कई स्थितियों को लड़ने में भी मदद करता है जैसे,खराब पाचनहृदय स्वास्थ्यहाई कोलेस्ट्रॉल लेवलशरीर की सूजनहाई यूरिक एसिडगाउट या गठियाजब कोई व्यक्ति क्रोनिक किडनी रोग की स्थिति से जूझ रहा होता है, तो ऐसे में उसकी किडनी ठीक से काम नहीं करती है। वह अपशिष्ट पदार्थ और अतिरिक्त तरल पदार्थ को फिल्टर करने का काम ठीक से नहीं कर पाती है। लेकिन अनानास खाने से किडनी फंक्शन में सुधार करने में मदद मिल सकती है। इसके लिए आप अनानास का जूस, पैकेज्ड अनानास या फ्रोजन अनानास का सेवन कर सकते हैं। इससे किडनी को कई लाभ भी मिलेंगे जैसे,-शरीर की सूजन को दूर करने में मदद मिलेगी।-शरीर में पानी की कमी से बचाव होगा और हाइड्रेट रहने में मदद मिलेगी।-किडनी स्टोन से बचाव और इसके उपचार दोनों में ही लाभकारी है।-पेशाब के रास्ते अतिरिक्त कैल्शियम को बाहर निकालता है।-किडनी स्टोन से बचाने और उनके उपचार दोनों में मदद करता है।
- गर्मियां आते ही बाजार में तरह-तरह के फल आने लगते हैं। रसीले आम से लेकर लाल तरबूज तक शरीर को हाइड्रेट रखने वाले सभी फल बाजार में देखे जा सकते हैं। वहीं इस मौसम में खरबूज का सेवन भी फायदेमंद माना जाता है। यह पाचन को दुरुस्त रखने और शरीर को पर्याप्त हाइड्रेट रखने में मदद करता है। लेकिन क्या आप जानते हैं खरबूज की तरह इसके बीज भी सेहत के लिए फायदेमंद हो सकते हैं? जी हां, अक्सर कई ज्यादातर लोग खरबूज खाने के बाद इसके बीज फेक देते हैं। जबकि इन बीजों का सेवन स्वास्थ्य की कई समस्याओं पर असरदार हो सकता है। आइयें इस लेख में जानें खरबूज के बीज सेहत के लिए क्यों फायदेमंद है।पोषक तत्वों का भंडार है खरबूज के बीजखरबूज के बीज में अमीनो एसिड की अधिक मात्रा पायी जाती है, जो प्रोटीन का अच्छा स्त्रोत माना जाता है। इसके साथ ही इसमें आवश्यक विटामिन्स के साथ कॉपर, जिंक, मैग्नीशियम, आयरन, पोटेशियम, फॉस्फोरस, मैग्नीज और फैटी एसिड की अधिक मात्रा पायी जाती हैं। ये सभी पोषक स्वस्थ्य के लिए जरूरी माने जाते हैं।आंखों के लिए फायदेमंदखरबूज के बीज में विटामिन सी की अधिक मात्रा पायी जाती है, जो हमारी आंखों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक माना जाता है। वहीं इसमें बीटा-केरोटीन भी ज्यादा मात्रा में पाया जाता है, जो आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए फायदेमंद माना जाता है।इम्यूनिटी बनाए रखेखरबूज गर्मियों का मौसमी फल है, जिससे इसका सेवन इम्यूनिटी के लिए फायदेमंद माना जाता है। वहीं खरबूज के बीज में भी आवश्यक पोषक तत्व जैसे कि विटामिन-सी पाया जाता है, जो शरीर में व्हाइट ब्लड सेल्स बढ़ाने में मदद कर सकता है।माइंड रिलैक्स करेखरबूज के बीज का सेवन मस्तिष्क के लिए भी लाभदायक माना जाता है। इसके सेवन से मस्तिष्क में ऑक्सीजन का फ्लो बढ़ता है, जो ब्रेन टिशू को शांत करने में मदद कर सकता है। इससे तनाव कम होता है और माइंड रिलैक्स होने में मदद भी मिलती है।पाचन बेहतर बनाए रखेखरबूज में पानी की अधिक मात्रा होने के कारण यह पाचन के लिए फायदेमंद माना जाता है। ठीक इसी तरह खरबूज के बीज भी पेट के लिए फायदेमंद माने जाते हैं। इसमें शरीर के लिए आवश्यक पीएच होता है, जो पाचन को बेहतर बनाए रखने में मदद कर सकता है।गर्मियों की समस्याओं से बचाव करेखरबूज गर्मियों के मौसम का आवश्यक फल है, इसका सेवन वातावरण के तापमान का असर शरीर में नहीं होने देता। इसी तरह खरबूज के बीज भी गर्मियों की समस्याओं जैसे कि लू लगना या डिहाइड्रेशन में लाभदायक माना जाता है।खरबूजे के बीज कैसे खाएंखरबूज के बीज को धोकर दो दिन के लिए धूप में सूखा लें। इसके बाद इसे भूनकर रख लें और इसे व्यंजन तैयार करने के लिए इस्तेमाल कर। भूने हुए खरबूज का सेवन और खीर, हलवा, स्मूदी या अन्य चीज तैयार करने के लिए कर सकते हैं।फायदों के लिए गर्मियों में खरबूज के बीज का सेवन करना आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। लेकिन अगर आप किसी प्रकार की दवा का रोज कर रहे हैं, तो इसका सेवन अपने डॉक्टर की सलाह पर ही करे।
- दिल्ली के चांदनी चौक की पराठा गली में मिलने वाला करेले के पराठे का स्वाद लाजवाब होता है। करेले का पराठा सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसमें विटामिन-ए, विटामिन-बी, विटामिन-सी, फाइबर, आयरन, बीटा-कैरोटीन, पोटैशियम, मैग्नीशियम और एंटीऑक्सीडेंट्स जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर को कई लाभ पहुंचाते हैं। करेले के पराठा का सेवन करने से स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं को दूर करने में मदद मिल सकती है। यह ब्लड शुगर को कंट्रोल करने से लेकर वजन कम करने तक में फायदेमंद होता है। आज इस लेख में हम आपको करेले का पराठा खाने के फायदे और इसे बनाने का तरीका बता रहे हैं -करेले का पराठा खाने के फायदेहाई कोलेस्ट्रॉल में फायदेमंदकरेले का पराठा खाने से शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल का लेवल कम होता है। इसमें पोटैशियम पाया जाता है, जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मदद करता है। यह हार्ट को हेल्दी रखने में भी मदद करता है। इसके सेवन से हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी दिल से संबंधी बीमारियों का खतरा कम हो सकता है।ब्लड शुगर कंट्रोल करेडायबिटीज के मरीजों के लिए करेले के पराठा का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। इसमें एंटी-डायबिटिक गुण पाए जाते हैं, जो डायबिटीज को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट पेनक्रियाज के कामकाज को तेज करता है, जिससे ब्लड शुगर लेवल संतुलित रहता है। यह शरीर में अचानक इंसुलिन स्पाइक को रोकने में भी मदद करता है।पेट के लिए फायदेमंदकरेले का पराठा पेट के लिए भी काफी फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद फाइबर पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है, जिससे कब्ज और अपच की परेशानी दूर होती है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण भी पाए जाते हैं, जो पेट के कीड़ों को मारने के साथ ही पाचन से जुड़ी समस्याओं को दूर कर सकते हैं।वजन घटाने में मददगारअगर आप अपने बढ़े हुए वजन से परेशान हैं और वजन कम करना चाहते हैं, तो करेले के पराठे का सेवन कर सकते हैं। इसमें फाइबर मौजूद होता है, जो पेट को लंबे समय तक भरा हुआ रखता है। इसे खाने से मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है, जिससे शरीर का एक्स्ट्रा फैट बर्न करने में मदद मिलती है। इसमें कैलोरी की मात्रा काफी कम होती है, इसलिए यह वजन को बढऩे से रोकता है।लिवर को डिटॉक्स करेकरेले में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स लिवर की फंक्शनिंग को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। करेले का पराठा खाने से शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स बाहर निकल जाते हैं। इसके सेवन से लिवर मजबूत बनता है और आप लिवर की कई समस्याओं से बच सकते हैं।करेले का पराठा बनाने की रेसिपीसामग्री -2 करेल,1 कप आटा ,2 चम्मच बेसन ,1 बारीक कटा प्याज ,1 बारीक कटा हरी मिर्च ,बारीक कटा हरा धनिया,1 चम्मच जीरा,1 चम्मच चाट मसाला, स्वादानुसार नमक।विधि -करेले का पराठा बनाने के लिए सबसे पहले करेले के बीज हटा दें और इसे स्लाइस में काट लें। अब पानी में नमक मिलाएं और इसमें करेले को डालकर आधे घंटे के लिए छोड़ दें। इससे करेले की सारी कड़वाहट निकल जाएगी। इसके बाद करेले से सारा पानी निचोड़ लें। अब एक पैन में एक चम्मच तेल गर्म करें। इसमें जीरा डालकर भून लें। फिर इसमें कटा हुआ प्याज और हरी मिर्च डालकर भून लें। इसके बाद, इसमें करेला, बेसन, ओट्स, हरा धनिया चाट मसाला और नमक डालकर अच्छी तरह मिक्स कर लें। अब इस मिश्रण को प्लेट में निकालकर ठंडा कर लें। इसके बाद आटे की लोई में इस मिश्रण को भरकर बेल लें। अब तवे पर इसे दोनों साइड से घी लगाकर सेंक लें। आपका करेले का पराठा तैयार है। चटनी या अचार के साथ इसे परोसे। पर इसके साथ दही खाने से परहेज करें,क्योंकि करेले के साथ दही खाना शरीर के लिए हानिकारक होता है।
- आंखें शरीर का महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। इसके साथ ही ये शरीर का सबसे नाजुक अंग भी होती है। आजकल पोषक तत्वों की कमी, लंबे समय तक लैपटॉप पर काम करना, खराब लाइफस्टाइल और कई बार एक्सरसाइज न करने की वजह से भी आंखों की रोशनी प्रभावित होती है। शरीर की देखभाल के साथ आंखों की देखभाल भी बहुत जरूरी होती है। इसकी देखभाल करने के लिए समय- समय पर डॉक्टर को अवश्य दिखाते रहें। कई बार आंख खराब होने पर कई तरह के लक्षण काफी पहले से नजर आते है। लेकिन कई बार हम इन्हें लगातार नजरअंदाज करते रहते है। जिस कारण कई बार आंखों को बड़ा नुकसान भी हो जाता है। आंखों में किसी तरह की समस्या होने पर चेकअप अवश्य कराएं। साथ ही आंखों को हेल्दी रखने वाली डाइट का सेवन भी करते रहे। ऐसा करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है और आंखों में होने वाली समस्या भी दूर होने में मदद मिलती है। आइए जानते हैं आंखें खराब होने पर किस तरह के लक्षण नजर आ सकते हैं।धुंधला दिखाई देनाजी हां, अगर आपको धुंधला दिखना शुरू हुआ है, तो जल्द ही डॉक्टर को दिखा कर ड्राप्स लेकर ट्रीटमेंट शुरू करें। कई बार लोग आंखों में धुंधलापन को कई दिन तक नजरअंदाज करते है। जिससे ये परेशानी काफी बड़ी हो जाती है और आंखें खराब होने का डर भी रहता है।सिरदर्दआंखे खराब होने का एक आम लक्षण है सिरदर्द। अगर आपको जल्दी-जल्दी सिरदर्द हो रहा है, तो ये आंख खराब होने का लक्षण हो सकता है। कई बार आंखे कमजोर होने से सिरदर्द का लक्षण नजर आते है। जिस कारण नंगी आंखों से देखने पर आंखों पर दबाव पड़ता है और सिरदर्द की समस्या शुरू हो जाती है।दबाव महसूस होनाकई बार आंखें खराब होने से पहले यै कमजोर होने से पहले आंखों पर दबाव महसूस होता है। जिस कारण कुछ देखने का मन नहीं करता है और आंखों पर भारीपन और सिर में भी भारीपन लग सकता है। आंखों पर दवाब महसूस होने पर डॉक्टर को दिखाएं और डाइट में मछली, अंडे और हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल करें।आंखों में खुजली होनाजी हां, कई बार लगातार लगातार लैपटॉप पर काम करने के दौरान आंखों में खुजली के लक्षण नजर आ सकते है। इस कारण आंखों में पानी भी आ सकता है और खुजली करने से आंखें भी लाल हो सकती है। ये लक्षण आंखों का कमजोर होने के हो सकते है।सिर के पीछे दर्द होनाकई बार आंखों के कमजोर हो जाने पर सिर के पीछे हल्का दर्द होता रहता है। कई बार लोग इसे नॉर्मल समझ के नजरअंदाज करते है। जिस कारण समस्या बढ़ सकती है। लगातार सिर के पीछे दर्द रहने पर आंखों का टेस्ट अवश्य कराएं।आंखे खराब होने पर ये लक्षण नजर आ सकते हैं। आंखों को हेल्दी रखने के लिए डाइट में हरी सब्जियों, मौसमी फल और मछली को शामिल करें। साथ ही लैपटॉप पर काम करते समय भी थोड़े अंतराल के बाद आंखों को आराम दें। हालांकि, आंखों पर कोई भी समस्या होने पर डॉक्टर की राय अवश्य लें।
- गलत खानपान और खराब जीवनशैली के कारण आजकल लोगों में हाई यूरिक एसिड की समस्या काफी बढ़ गई है। यूरिक एसिड हमारे शरीर में बनने वाला एक तरह का वेस्ट प्रोडक्ट है, जो प्यूरीन के टूटने पर बनता है। आमतौर पर यूरिक एसिड खून में मिल जाता है और फिर किडनी इसे फिल्टर करके पेशाब के जरिए शरीर से बाहर निकाल देती है। लेकिन कई बार शरीर में यूरिक एसिड सामान्य से अधिक मात्रा में बनने लगता है। जब किडनी पर्याप्त मात्रा में यूरिक एसिड को फिल्टर नहीं कर पाती है, तो शरीर में इसका स्तर बढ़ने लगता है। यूरिक एसिड लेवल बढ़ने पर आपको कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इसकी वजह से जोड़ों और हड्डियों में दर्द, हड्डियों में सूजन और चलने-फिरने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। लंबे समय तक हाई यूरिक एसिड की समस्या होने के कारण अर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं। कुछ ऐसे फूड्स होते हैं, जो शरीर में यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ाने का काम करते हैं। अगर यूरिक एसिड की समस्या है या होने का खतरा है, तो इन फूड्स से दूरी बना लेनी चाहिए।मिठाईमिठाई खाना हम सभी को पसंद होता है। लेकिन ज्यादा मीठा खाना आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। मिठाई व शुगरी ड्रिंक्स में फ्रुक्टोज होता है, जो शरीर में यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ा सकता है। अगर आपको पहले से ही यूरिक एसिड की समस्या है, तो आपको मीठे चीजों और पेय पदार्थों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।अल्कोहलशराब का सेवन संपूर्ण स्वास्थ्य के हानिकारक होता है। अल्कोहल का सेवन करने से शरीर में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ सकता है। दरअसल, इसमें प्यूरिन मौजूद होता है, जो खून में यूरिक एसिड की मात्रा को तेजी से बढ़ा देता है। जो लोग शराब का ज्यादा सेवन करते हैं, उनकी किडनी ठीक तरह से काम नहीं कर पाती है। ऐसे में किडनी रक्त से यूरिक एसिड को फिल्टर नहीं कर पाती है, जिसकी वजह से इसका स्तर बढ़ने लगता है।खट्टे फलखट्टे फल विटामिन सी और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, जिनसे सेहत को कई लाभ मिलते हैं। लेकिन इनमें से कुछ फल ऐसे भी हैं, जो शरीर में यूरिक एसिड को बढ़ा सकते हैं। उदाहरण के लिए, नींबू और चकोतरा का ज्यादा सेवन करने से हाई यूरिक एसिड की समस्या हो सकती है। अगर आपको यूरिक एसिड की समस्या है, तो इनका सेवन कम मात्रा में ही करें।नॉन-वेजकुछ प्रकार के मांस भी यूरिक एसिड लेवल को बढ़ा सकते हैं। मछली, रेड मीट, मटन और पोर्क आदि नॉन-वेज फूड्स में प्यूरीन की मात्रा अधिक होती है।, जो खून में यूरिक एसिड को बढ़ा सकता है। इसलिए आपको इन सभी चीजों का सेवन करने से परहेज करना चाहिए।दालें और सब्जियांदालों में प्यूरीन की मात्रा काफी अधिक होती है, जो यूरिक एसिड लेवल को बढ़ा सकती है। गाउट की समस्या से बचने के लिए दालों का सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। वहीं, फूलगोभी, पालक, मटर और मशरूम जैसी सब्जियां भी हाई यूरिक एसिड का कारण बन सकती हैं। इसलिए आपको इनका कम सेवन करना चाहिए।ये सभी फूड्स खून में यूरिक एसिड के स्तर को तेजी से बढ़ा सकते हैं। इसलिए इनका सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। इसके अलावा, जिन फूड्स में प्यूरिन की मात्रा ज्यादा होती है, उनका सेवन करने से बचना चाहिए।
- गर्मियां आते ही बाजार में कई तरह की सब्जियां आ जाती हैं। इस मौसम में लौकी, तोरी, कद्दू , करेला व बीन्स आदि सब्जियों की बहार रहती है। गर्मियों में वजन कम करने के लिए इन सब्जियों का इस्तेमाल किया जा सकता है। वजन कंट्रोल करने के लिए आप इन सब्जियों को डाइट में शामिक कर सकते हैं। इसके अलावा, चिचिंडा भी आपके वजन को कम करने में मददगार साबित हो सकता है। इसमें विटामिन ए, बी6, सी, ई, कैल्शियम, फोस्फोरस, आयरन, जिंक और मैग्नीशियम आदि कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इसके नियमित सेवन से मेटाबॉलिज्म तेज होता है, जिससे शरीर का फैट तेजी से कम होने लगता है। इस सब्जी को अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग नामों जैसे चिचिंडा, पटल, कैता व बड़ा परवल आदि से जाना जाता है। आगे जानते हैं चिचिंडा किस तरह से वजन को कंट्रोल करने में सहायक होता है।फाइबर की मात्रा अधिक होनाचिचिंडा फाइबर से भरपूर होता है, इससे आपकी पाचन क्रिया बेहतर होती है और भोजन को पचाने में कम समय लगता है। फाइबर से आंतों की मांसपेशियां मजबूत होती है। साथ ही, फाइबर युक्त आहार से आपका पेट लंबे समय तक भरा हुआ रहता है, जिससे आपका भूख कम लगती है। इससे आपको बार-बार खाने की जरूरत महसूस नहीं होती है।कम कैलोरीचिचिंडे में कैलोरी कम मात्रा में होती है, जो इस सब्जी को आपके वजन घटाने का एक बेहतर विकल्प बनाती है। लो कैलोरी डाइट से आपका वजन तेजी से कम होता है।पोषण से भरपूरचिचिंडा में कई प्रकार को पोषण तत्व होते हैं। इसमें विटामिन ए, विटामिन सी, कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटैशियम आदि कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। ये सभी पोषक तत्वों शरीर को एनर्जी प्रदान करने और वजन को कंट्रोल करने में सहायक होते हैं।पाचन में आसानचिचिंडा आपकी पाचन क्रिया को बेहतर करता है। चिचिंडा पाचन जूस को बढ़ाने में सहायक होता है। जिससे आपकी पाचन क्रिया बेहतर होती है और शरीर में फैट नहीं बढ़ता है।वजन को कंट्रोल करने के लिए चिचिंडा का सेवन कैसे करें?चिचिंडा का जूस : इस जूस को बनाने के लिए आप चिचिंडा का कद्दूकस कर लें । इसके बाद इसे निचोड़कर जूस निकाल लें। इस जूस में कालानमक और काली मिर्च का पाउडर मिलाकर पी सकते हैं।चिचिंडे की सब्जी : इसको डाइट में शामिल करने के लिए आप सब्जी बना सकते हैं। इस सब्जी के सेवन से भी आप वजन को कंट्रोल कर सकते हैं।चिचिंडे के कोफते : चिचिंडे की सब्जी अगर आपको पसंद नहीं आ रही है, तो ऐसे में आप इसके कोफते बना सकते हैं। इसके कोफते बनाने के लिए आप इसे कद्दूकस कर लें। इसके बाद इसमें बेसन मिलाकर पकौड़ी बना लें। अब दूसरे पैन में इसकी ग्रैवी तैयार करें और पहले से तैयार कोफतों को इसमें मिला लें।चिचिंडे को उबाल कर खाएं : अगर आप अपना वजन तेजी से कम करना चाहते हैं, तो चिंचिडे को उबाल कर सेवन करें। इसे उबालकर काट लें। इसके बाद इसमें काली, धनिया व पुदिने की चटनी मिलाकर सेवन करें।वजन को कम करने के लिए आप डाइट में बदलाव के साथ ही, लाइफस्टाइल में भी चेंजस कर सकते हैं। इसके लिए आप बाहर का जंक फूड खाने से दूरी बनाएं और एक्सरसाइज करें। इससे आपको वजन कंट्रोल करने में मदद मिलती है।
- केले के साथ उसका फूल भी शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसके सेवन से शरीर की कई बीमारियां दूर होने के साथ शरीर भी हेल्दी रहता है। केले का फूल में पोटेशियम, आयरन, कैल्शियम, प्रोटीन और फाइबर आदि गुण पाए जाते हैं। इसके सेवन से पाचन तंत्र मजबूत होने के साथ हार्ट भी हेल्दी रखता है। इसका सेवन डायबिटीज के मरीज भी कर सकते है। ये शरीर से ब्लड शुगर को कम करने में मदद करता है और शरीर को स्वस्थ रखता है। इसके सेवन से किडनी संबंधी बीमारी होने का खतरा भी कम होता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स ब्रेस्ट मिल्क को बढ़ाने में मदद करते हैं। बंगाली परिवारों में केले के फूल की सब्जी खूब बनाई जाती है। आइए जानते हैं केले के फूल के अन्य फायदों के बारे में।डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंदकेले के फूल के सेवन से डायबिटीज को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। यह शरीर में ग्लूकोज के स्तर को कम करके ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मदद करता है। डायबिटीज रोगी इसका काढा बनाकर पी सकते है। इसके सेवन से शरीर हेल्दी रहता है।किडनी के लिए लाभदायकजी हां, केले का फूल किडनी रोगियों के लिए भी फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद नेफ्रोपोट्रैक्टिक तत्व किडनी को हेल्दी रखते है और बीमारियां से बचाते हैं। इसमें मौजूद फाइबर किडनी किडनी स्टोन को भी ठीक करने में मदद करता है। इसको सब्जी के रूप में भी खाया जा सकता है।हार्ट को रखें हेल्दीकेले के फूल के सेवन से हार्ट संबंधी बीमारी होने का खतरा कम होता है और हार्ट लंबे समय तक हेल्दी रहता है। केले का फूल के सेवन से हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा कम होता है। इसके सेवन से शरीर लंबे समय तक हेल्दी रहता है।वजन कम करने में मददगारकेले के फूल के सेवन से वजन कम करने में मदद मिलती है और बैली फैट भी तेजी से घटता है। केले का फूल में मौजूद फाइबर पेट को लंबे समय तक भरकर रखता है और वजन कम करने में मदद करता है। केले का फूल का सेवन करने के लिए काढा, सब्जी या सूप बनाकर पीया जा सकता है।हाई ब्लड-प्रेशर मरीजों के लिए फायदेमंदकेले के फूल के सेवन से हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को फायदा होता है। ये एंटी हाइपरटेंसिव एजेंट की तरह काम करता है, जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करके शरीर को हेल्दी रखने में मदद करता है। इसमें मौजूद फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं।ब्रेस्ट मिल्क को बढ़ाएंकई माएं कम बेस्ट मिल्क आने के कारण परेशान रहती है। ऐसे में केले का फूल उन मांओं की परेशानी को आसानी से दूर कर सकता है। इसमें मौजूद गैलेक्टागोग तत्व लैक्टेशन को बढ़ावा देता है। जिससे ब्रेस्ट मिल्क बनने लगता है और बच्चे का पेट आसानी से भर जाता है।डायरिया में फायदेमंदकेले का फूल डायरिया के मरीजों के लिए फायदेमंद रहता है। कई बार डायरिया होने पर दवाई का असर होने पर समय लगता है। ऐसे में केले का फूल का सेवन करने से डायरिया की समस्या को कम किया जा सकता है और इस परेशानी से छुटाकारा पाया जा सकता है।केले का फूल शरीर के लिए फायदेमंद होता है। लेकिन ध्यान रखें इसको सेवन से पहले डॉक्टर की राय अवश्य लें।
- मौजूदा समय में लोगों का आयुर्वेद की ओर काफी रुझान बढ़ा है। लोग इस विधा का इस्तेमाल अपने इलाज और कई तरह की बीमारियों से बचने के लिए कर रहे हैं। अष्ट चूर्णम, एक तरह की आयुर्वेदिक औषधि है। इसका इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों और अन्य समस्याओं में किया जाता है। आज हम इस लेख में जानेंगे, अष्ट चूर्णम के फायदे और इस्तेमाल का तरीका।अष्ट चूर्णम पाचन समस्याओं से राहत दिलाता हैअष्ट चूर्णम की मदद से पाचन संबंधी समस्याएं, जैसे अपच, गैस्ट्राइटिस, अम्लता से छुटकारा पाया जा सकता है। 2019 में साइमन एट एल द्वारा अष्ट चूर्णम पर एक अध्ययन किया गया था। इस अध्ययन में यह स्पष्ट हुआ कि अष्ट चूर्णम की मदद से कई तरह पेट संबंधी समस्याओं में राहत मिलती है। इनमें मुख्य रूप, से पेट फूलना, पांचन संबंधी समस्या, एसिडिटी आदि शामिल हैं। हालांकि, यह कहना गलत नहीं होगा कि अब भी अष्ट चूर्णम के विस्तरित उपयोग और लाभ के लिए और भी अध्ययनों का किया जाना जरूरी है।बालों के लिएअष्ट चूर्णम का इस्तेमाल बालों के लिए भी किया जाता है। हाल के सालों में हमने देखा है कि कम उम्र में ही लोगों के बाल सफेद होने लगे हैं। ऐसे में आप विशेषज्ञों की सलाह पर अष्ट चूर्णम का इस्तेमाल कर सकते हैं। माना जाता है कि अष्ट चूर्णम के इस्तेमाल से बालों के सफेद होने की प्रकिया को धीमा किया जा सकता है। हालांकि, इसके लिए विशेषज्ञ अष्ट चूर्णम के साथ कोई अन्य विशेष दवा मिक्स करके देते हैं, जिस संबंध में आप उनसे परामर्श कर सकते हैं।भूख के लिएअष्ट चूर्णम भूख बढ़ाने के काम भी आता है। असल में, मौजूदा समय में बच्चे हों या बड़े, शारीरिक गतिविधियों में कमी और सारा दिन कंप्यूटर स्क्रीन के पास बैठे रहने के कारण उनकी भूख में काफी कमी आ गई है। इसके पीछे, खराब जीवनशैली भी जिम्मेदार है। इन्हीं सब कारणों की वजह से कई लोग ऐसे हैं, जो कमजोरी और दुर्बलता का शिकार हो चुके हैं। इससे निपटने के लिए जरूरी है कि आप अष्ट चूर्णम की मदद लें। इसके सेवन से आपकी भूख में सुधार होगा, पेट संबंधी समस्याएं कम होंगी और कई संक्रामक बीमारियां भी खत्म होंगी।गठिया के लिएअष्ट चूर्णम में एनाल्जेसिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द को कम करने में बेहद फायदेमंद होते हैं। इसकी मदद से ऑटोइम्यून इंफ्लेमेटरी डिजीज जैसे रूमेटाइड अर्थराइटिस होने की संभावना में कमी आती है। इसके अलावा, मासंपेशियों में दर्द, जोड़ों में दर्द, चलने-फिरने में हो रही तकलीफ को भी अष्ट चूर्णम की मदद से ठीक किया जा सकता है।डायरिया में मददगारअष्ट चूर्णम एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-डायरियल गुणों से भरपूर होता है। इसकी मदद से पेट में मौजूद उन बैक्टीरिया को बाहर निकाला जाता है, जो डायरिया के लिए जिम्मेदार होते हैं। यही नहीं, आंतों से संबंधित संक्रमण में भी अष्ट चूर्णम महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसके अलावा, अष्ट चूर्णम की मदद से दस्त का इलाज भी किया जा सकता है।अष्ट चूर्णम का उपयोग कैसे करेंअष्ट चूर्णम पाउडर और सिरप दोनों रूप में आता है। आमतौर पर, महज 3 ग्राम तक ही अष्ट चूर्णम पाउडर का सिरप का सेवन किया जाता है। इसके बावजूद, आप इसका सेवन किस उद्देश्य से करना चाहते हैं, ये बात आप पर निर्भर करती है। इसके अलावा, ये लिवर की समस्या में, हेपेटाइटिस, फैटी लिवर, पीलिया जैसी बिमारियों में भी उपयोग की जाती है। इसलिए बेहतर होगा कि अष्ट चूर्णम का सेवन करने से पहले डॉक्टर की राय ले जरूर लें।अष्ट चूर्णम पाउडरजड़ी बूटी मात्रा--------------------------कैरम कॉप्टिकम 125 ग्रामजीरा सिमियम 125 ग्रामफेरुला हींग 125 ग्रामकलौंजी 125 ग्राममुरलीवाला longum 125 ग्रामपाइपर नाइग्रम 125 ग्रामजिंजिबर ऑफिसिनेल 125 ग्रामकाला नमक 125 ग्राम
- असंतुलित खानपान और खराब जीवनशैली के कारण लोगों में कब्ज और पाचन से जुड़ी परेशानियां होती हैं। कब्ज की समस्या बहुत गंभीर होती है और सही समय पर इसका इलाज नही होने पर यह समस्या और गंभीर हो जाती है। आज के समय में हर तीसरा व्यक्ति कब्ज या पाचन से जुड़ी परेशानी से जूझ रहा है। इस समस्या में आपको मल त्याग करने में गंभीर परेशानी का सामना करना पड़ता है। कब्ज की समस्या किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकती है। कब्ज से छुटकारा पाने के लिए डाइट में कम मसालेदार, बिना तले भुने और जल्दी पचने वाले फूड्स को शामिल करना चाहिए। कब्ज से छुटकारा पाने के लिए दूध और गुड़ का सेवन भी बहुत फायदेमंद माना जाता है। गुड़ में मौजूद औषधीय गुण कब्ज और पाचन से जुड़ी परेशानियों में बहुत फायदेमंद माने जाते हैं। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं कब्ज में दूध और गुड़ खाने के फायदे।कब्ज में गुड़ और दूध के फायदेकब्ज की समस्या में दूध और गुड़ खाना बहुत फायदेमंद होता है। गुड़ में मौजूद पोषक तत्व और गुण पाचन तंत्र को मजबूत बनाने और शरीर को कमजोरी से बचाने में बहुत फायदेमंद होते हैं। दूध और गुड़ का कॉम्बिनेशन न सिर्फ पाचन तंत्र को मजबूती देने का काम करता है बल्कि शरीर के लिए कई तरीके से फायदेमंद माना जाता है। एसिडिटी, कब्ज और गैस की समस्या में भी गुड़ और दूध का सेवन बहुत उपयोगी माना जाता है। दूध और गुड़ में मौजूद गुण पेट का मेटाबॉलिज्म ठीक रखने और खट्टी डकार, सीने में जलन, अपच और कब्ज की समस्या में बहुत फायदेमंद होते हैं।दूध और गुड़ का सेवन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी भी बूस्ट होती है। इसका सेवन शरीर को कई गंभीर बीमारी और परेशानियों से बचाने में भी बहुत उपयोगी माना जाता है। नियमित रूप से इसका सेवन करने से कमजोरी की समस्या दूर होती है और शरीर में खून की कमी होने पर भी बहुत उपयोगी होता है।कब्ज में कैसे करें गुड़ और दूध का सेवन?-कब्ज की समस्या में दूध और गुड़ का सेवन कई तरीके से कर सकते हैं। इसका सेवन रात में सोने से पहले करना ज्यादा फायदेमंद होता है। रात में सोने से पहले एक गिलास गुनगुने दूध में गुड़ के कुछ टुकड़े डालकर मिक्स कर लें। इस दूध को सोने से पहले रोजाना पिएं। कुछ दिनों तक इसका सेवन करने से आपका पाचन दुरुस्त होगा और कब्ज की समस्या में फायदा मिलेगा।हमारे देश में भोजन के बाद गुड़ का सेवन पुराने समय से ही किया जा रहा है। गुड़ डाइजेशन के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। गुड़ और दूध का सेवन करने से दूध में मौजूद एंटासिड गुड़ में मौजूद डाइजेस्टिव एजेंट मिल जाते हैं और यह पेट और पाचन तंत्र क बहुत फायदा पहुंचाते हैं।
- राजमा यानी रेड किडनी बींस, भारतीयों खासतौर पर पंजाबियों और उत्तर भारत की फेवरेट डिश है। इसे लोग चावल के साथ खाना खूब पसंद करते हैं। वेट लॉस करना हो या फिर मसल्स मजबूत बनानी हो डायटीशियन हमेशा इसे खाने की सलाह देते हैं। वेजिटेरियन लोगों के प्रोटीन के मुख्य स्त्रोत में राजमा भी शामिल रहता है। लेकिन कभी सोचा है कि आखिर चने और मूंग की तरह इसे कच्चा खाने की सलाह क्यों नहीं दी जाती। लाल राजमा को कच्चा ना खाने की सलाह देने के पीछे इसका जहरीला होना है।लाल राजमा होता है जहरीलारेड किडनी बींस यानी 100 ग्राम लाल राजमा में प्रोटीन करीब 9 प्रतिशत होता है। जो कि प्लांट बेस्ड प्रोटीन का सबसे रिच सोर्स माना जाता है। इसके साथ ही लाल राजमा में कार्ब्स, फाइबर भी अच्छी खासी मात्रा में होते हैं। लेकिन ये सारे गुण तभी मिल सकते हैं जब आप इसे अच्छी तरह से भिगोकर और पकाकर खाते हैं।कच्चा खाना होता है जहरीलाकच्चे लाल राजमा में टॉक्सिक तत्व फाइटोहेमग्लगुटिनिन होता है। जो कि एक जहर है। इसकी मात्रा शरीर में बढ़ जाने पर आंतों को डैमेज होने का खतरा रहता है। कच्चे किडनी बींस को खाने से डायरिया हो जाता है और ये पेट को बहुत तेजी से नुकसान पहुंचाता है।कनाडा की रिसर्च में भी हो गया खुलासाकनाडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फूड सेफ्टी में छपी रिपोर्ट के मुताबिक रेड किडनी बींस में फाइटोहेमग्लगुटिनिन नामका जहर होता है। जो आंतों को डैमेज कर देता है। रिपोर्ट के मुताबिक लाल राजमा को करीब 10 मिनट तक पकाना जरूरी है। इससे कम देर पकने पर रेड किडनी बींस में मौजूद जहर पांच गुना तक बढ़ सकता है और आंत को नुकसान पहुंचाता है। हालांकि लाल राजमा की तुलना में सफेद राजमा जिसमे लाल रंग के धब्बे होते हैं। उनमे किसी भी तरह के जहर के बारे में नहीं बताया गया है।इस तरह खाना होगा सेफराजमा को खाने के लिए जरूरी है कि अच्छी तरह से पकाकर ही खाया जाए। कम पका राजमा पेट की गड़बड़ी का कारण बन सकता है। इसलिए राजमा को पानी में भिगोकर और पकाकर ही खाएं।
- कटहल की सब्जी को अक्सर लोग नॉनवेज का सब्सटीट्यूड मानते हैं। ढेर सारे मसालों में लिपटे कटहल को काफी पसंद किया जाता है। गर्मियों में ज्यादातर मिलने वाले कटहल को सब्जी बनाकर खाना उत्तर भारत में लोग पसंद करते हैं। वहीं साउथ इंडिया में पके हुए कटहल को लोग खाना चाहते हैं। ऐसे में मन में सवाल उठता है कि आखिर कच्चा या पका, किस तरह का कटहल खाने से फायदा होता है। बता दें कि कटहल किसी सुपरफूड से कम नही हैं। जिसके फायदे किसी को भी हैरान कर सकते हैं।कटहल है न्यूट्रिशन का भंडारकटहल में विटामिन, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट ढेर सारे पाए जाते हैं। मीठे से लेकर स्पाइसी हर तरह से कटहल को खाया जा सकता है। जैकफ्रूट में विटामिन सी की अच्छी खासी मात्रा होती है। वहीं फाइबर के मामले में ये अमरूद और केला से भी ज्यादा फायदेमंद है।कच्चा या पका कौन सा कटहल है ज्यादा फायदेमंदस्टडीज के मुताबिक कच्चे कटहल में प्रोटीन और फाइबर की मात्रा पके कटहल की तुलना में ज्यादा होती है। वहीं कार्बोहाइट्रेड की मात्रा पके कटहल की तुलना में कम होती है। ऐसे में कच्चा कटहल सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद हो सकता है।कटहल खाने से होते हैं ये हेल्थ बेनिफिट्सब्लड शुगर करे कंट्रोलकटहल में लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है। जो ब्लड शुगर को खाने के बाद बढ़ने से रोकने में मदद करता है। डायबिटीज के पेशेंट कटहल को आसानी से खा सकते हैं। ये ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है।एनीमिया की कमी करे दूरकटहल में अच्छी खासी मात्रा में विटामिंस और मिनरल्स कॉपर, मैग्नीज, मैंग्नीशियम, विटामिन ए, सी और ई होते हैं। जो शरीर में खून बनने में मदद करते हैं। आयरन की कमी की वजह से एनीमिया हो जाता है। कटहल एनीमिया की समस्या को दूर करने में हेल्प करता है।आंखों की सेहत रखे दुरुस्तकई सारी स्टडीज में पता चला है कि आंखों की सेहत के लिए कटहल फायदेमंद है। इसमे मौजूद बीटा-कैरोटीन आंखों का ख्याल रखता है और कॉर्निया की फंक्शनिंग को सही रखने में मदद करता है।हड्डियों के लिए है फायदेमंदहड्डियों की मजबूती के लिए कैल्शियम के साथ ही पैटैशियम, फॉस्फोरस, कॉपर, जिंक की जरूरत होती है। कटहल में ये सारे न्यूट्रिशन होते हैं जो हेल्दी बोंस के लिए जरूरी हैं।डाइजेशन सही करने में मददकटहल में काफी ज्यादा मात्रा में सॉल्यूबल और इनसॉल्यूबल फाइबर पाया जाता है। फाइबर कान्सटिपेशन को दूर करने के लिए जरूरी है। कटहल की 100 ग्राम मात्रा में फाइबर इतना होता है कि इंसान के डेली जरूरत को पूरा कर देता है।इसके साथ ही कटहल पानी को तेजी से अब्जार्ब करता है। जिससे डाइजेस्टिव सिस्टम में कोलेस्ट्रॉल और फैट की समस्या को खत्म करता है।दिल की सेहत के लिए फायदेमंदकार्डियोवस्कुलर डिजीज में कटहल फायदेमंद है। हाई फाइबर और एंटी ऑक्सीडेंट हार्ट हेल्थ को ठीक रखता है। साथ ही ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करने में मदद करता है।कैंसर की रोकथामकटहल में कैंसर को रोकने वाले तत्व फ्लेवेनाएड्स, सेपोनिन, टैनिन्स होते हैं। ये तीनों कंपाउड्स मिलकर फ्री रेडिक्लस को रिमूव करने ट्यूमर सेल्स को रोकने में हेल्प करते हैं। कई सारी रिसर्च में पता चला है कि कटहल के बीजों में ऐंटी कैंसर इफेक्ट्स होते हैं।
- गर्मियां आते ही पसीना, धूल, मिट्टी स्किन पर बुरा असर डालती है। जिसकी वजह से रैशेज और दाने होने लगते हैं। लाल रंग के छोटे-छोटे दाने घमौरी होते हैं। जो खुजली और जलन देते हैं। वहीं कई बार ये दाने बड़े आकार के होने लगते है और गर्दन, पीठ, बगल के साथ ही चेहरे पर भी होने लगते हैं। इन खुजली और जलन वाले दानों से राहत पाने के लिए कुछ घरेलू उपाय अपनाएं जा सकते हैं। जो आपको गर्मी में स्किन को ठंडा करने में मदद करेंगे।बेकिंग सोडाघमौरी और दानों की वजह से हो रही जलन में राहत पाने के लिए बेकिंग सोडा का इस्तेमाल किया जा सकता है। एक चम्मच बेकिंग सोडा को ठंडे पानी में भिगोकर घोल बना लें। फिर इस घोल में कॉटन के कपड़े को भिगोकर गीला कर लें और दानों वाले हिस्से पर लगाएं। इससे जल्दी ही जलन और खुजली से राहत मिलती है।पानी में मिलाएं चंदन का पेस्टचंदन स्किन को ठंडक देता है। गर्मी से होने वाली जलन और खुजली वाले दानों को राहत देने के लिए चंदन का इस्तेमाल करें। इससे राहत मिलती है। चंदन की लकड़ी को लेकर घिस लें और इस पेस्ट को पानी में मिलाकर रखें। चेहरे के साथ ही दानों वाले हिस्से पर लगाकर कुछ देर के लिए छोड़ दें। करीब आधे से एक घंटे बाद पानी से साफ कर लें। गर्मी में स्किन को ठंडक पहुंचाने के साथ ही चंदन नेचुरल ग्लो देने का भी काम करेगा।आलू का पेस्टकच्चा आलू स्किन को ठंडक देता है। शरीर के जिन हिस्सों पर लाल दाने हुए हों वहां कच्चे आलू को घिसकर पेस्ट जैसा बना लें। इसे दानों वाली जगह पर लगाकर छोड़ दें। करीब आधे घंटे बाद साफ पानी से साफ कर लें। इससे सनबर्न और घमौरी की समस्या में राहत मिलती है।
- मांस-मछली में कई सारे विटामिन और मिनरल्स होते हैं। जो शरीर को ताकतवर और तंदरुस्त बनाते हैं। इनमें से कई सारे पोषक तत्व शाकाहारी फूड्स में कम होते हैं। लेकिन आपकी रसोई में ऐसा मसाला रखा है, जो एक तरह से मांस-मछली से ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है और ये है गरम मसाला। इसकी एक चुटकी मात्रा से ही कई सारी बीमारियों का नाम मिट जाता है। इतना ही नहीं, आयरन के मामले में यह दूसरे फूड्स से काफी आगे है। क्योंकि, इसे बनाने के लिए कई सारे आयरन से भरपूर मसालों का इस्तेमाल किया जाता है। इसे आप सब्जियों, पुलाव में डालें। स्वाद भी बढ़ेगा और सेहत भी।गरम मसाला बनाने में इलायची, धनिया, जीरा, काली मिर्च आदि का इस्तेमाल किया जाता है। जो कि आयरन के अच्छे स्त्रोत हैं। करीब 100 ग्राम धनिया पाउडर 17 एमजी, इतने ही जीरा में 20 एमजी और जावित्री में 20 एमजी आयरन होता है।घर पर ऐसे बनाएं गरम मसालानीचे दिए हुए सभी मसालों को भूनकर पीस लें और पाउडर बना लें।100 ग्राम जीरा75 ग्राम काली मिर्च75 ग्राम मोटी इलायची10 ग्राम छोटी इलायची10 ग्राम लौंग10 ग्राम दालचीनी5 ग्राम पिप्पली5 ग्राम जावित्री आदिइसे फायदेमंद जानकर इसे जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल ना करें। क्योंकि इसकी तासीर काफी गर्म होती है और जरूरत से ज्यादा लेने पर पित्त दोष, शरीर की गर्मी और एसिडिटी बढऩे लगती है।गरम मसाला इन बीमारियों में है फायदेमंदएनीमियाखराब पाचनज्यादा वजनकमजोर इम्युनिटीशारीरिक कमजोरीदिल की बीमारीकोलेस्ट्रॉलडायबिटीजआर्थराइटिसप्री-मेंस्ट्रुअल क्रैंप
- खराब जीवनशैली और अनहेल्दी भोजन की वजह से आज ज्यादातर लोग यूरिक एसिड की समस्या झेल रहे हैं। यूरिक एसिड शरीर में बनने वाला एक तरह का केमिकल है, जो बॉडी में प्यूरिन नाम के केमिकल के टूटने से बनता है। शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने पर गाउट यानी गठिया की समस्या उत्पन्न हो सकती है। जिसकी वजह से व्यक्ति में उंगलियों में सूजन, हाथ-पैरों में दर्द और जकड़न, पैर के अंगूठे में जलन या दर्द जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं। कुछ लोगों को बॉडी में बढ़े हुए यूरिक एसिड को कंट्रोल रखने के लिए दवा की आवश्यकता होती है, लेकिन इस समस्या को आहार और जीवनशैली में बदलाव करके भी कंट्रोल में रखा जा सकता है। आइए कैसे कुछ प्राकृतिक उपाय अपनाकर यूरिक एसिड की मात्रा को बढ़ने से रोका जा सकता है।यूरिक एसिड को कंट्रोल करने के उपाय-खूब पानी पिएं-यूरिक एसिड को प्रभावी रूप से कम करने के लिए दिनभर खूब पानी पिएं। बॉडी को हाइड्रेटेड रखने से शरीर में मौजूद अतिरिक्त यूरिक एसिड पेशाब के जरिए शरीर से बाहर निकाल जाता है। रोजाना कम से कम आठ गिलास पानी पीने का लक्ष्य रखें।हाई प्यूरीन फूड से रहें दूर-यूरिक एसिड से पीड़ित लोगों को प्यूरीन की अधिकता वाले फूड्स का सेवन करने से बचना चाहिए। हाई-प्यूरिन खाद्य पदार्थों में शराब, उच्च वसा वाले खाद्य पदार्थ, रेड मीट, सीफूड जैसे झींगा, लॉबस्टर और एंकोवी, गेम मीट और कुछ प्रकार की फलियां और सब्जियां शामिल हैं। इन सभी चीजों का सेवन सीमित मात्रा में करने से यूरिक एसिड के स्तर को स्वाभाविक रूप से कम करने में मदद मिल सकती है।मोटापा-जरूरत से ज्यादा वजन या मोटापा यूरिक एसिड के स्तर को बढ़ाकर गाउट के खतरे को बढ़ा सकता है। अपने आहार और व्यायाम की मदद से आप अपना वेट कंट्रोल करके यूरिक एसिड के स्तर को स्वाभाविक रूप से कम कर सकते हैं।चेरी का सेवन-वैज्ञानिकों की मानें तो गठिया रोग में चेरी का सेवन फायदा पहुंचा सकता है। एक्सपर्ट के मुताबिक चेरी में मौजूद कई पोषक तत्व शरीर में सूजन की समस्या को कम करते हैं।डाइट में चैरी को शामिल करने से गठिया के दर्द में राहत मिल सकती है।अदरक-अदरक में सूजन-रोधी गुण मौजूद होते हैं। जिसकी वजह से यह गठिया रोग में होने वाली सूजन और दर्द को कम करने में मदद कर सकता है।
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वजन कम करने के लिए एलोवेरा और आंवला जूस का सेवन करना बहुत फायदेमंद होता है। नियमित रूप से इसका जूस पीने से आपके शरीर में मौजूद एक्स्ट्रा फैट तेजी से बर्न होता है और कई फायदे मिलते हैं। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं वजन कम करने के लिए एलोवेरा और आंवला जूस के फायदे और पीने का सही तरीका।
एलोवेरा और आंवला दोनों ही औषधीय गुणों से युक्त होते हैं। आंवला जूस में काब्र्स, फाइबर, कैल्शियम, विटामिन सी जैसे पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। इसके अलावा एलोवेरा जूस में भी फाइबर, कैल्शियम, आयरन, पोटैशियम, सोडियम, कॉपर, जिंक, सेलेनियम, विटामिन सी, विटामिन बी, फोलेट, फैटी एसिड जैसे पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। नियमित रूप से इन जूस का सेवन करने से तेजी से वजन कम होता है और शरीर में मौजूद एक्स्ट्रा चर्बी बर्न करने में बहुत फायदा मिलता है। एनसबीआई पर प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक आंवला और एलोवेरा जूस में एंटी-ओबेसिटी गुण होते हैं जो वजन कंट्रोल करने का काम करते हैं। इसके अलावा शरीर में ऊर्जा की खपत बढ़ाने के लिए भी एलोवेरा जूस का सेवन बहुत फायदेमंद होता है।एलोवेरा और आंवला जूस न सिर्फ वजन कम करने में फायदेमंद होता है बल्कि डायबिटीज और ब्लड प्रेशर जैसी परेशानियों में भी बहुत फायदेमंद होता है। इसके अलावा शरीर में बढ़े हुए बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए भी एलोवेरा और आंवला जूस का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। लिवर और हार्ट को हेल्दी रखने के लिए भी एलोवेरा और आंवला जूस का सेवन बहुत फायदेमंद होता है।वजन कम करने के लिए एलोवेरा और आंवला जूस का सेवन कई तरीके से किया जा सकता है। इसका सेवन करने सुबह खाली पेट करना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। आंवला और एलोवेरा जूस पीने से आपका पाचन तंत्र भी मजबूत होता है और कई फायदे मिलते हैं। रोजाना 2 चम्मच एलोवेरा और आंवला का जूस पीने से आपको वजन कम करने के साथ-साथ कई अन्य फायदे मिलते हैं। आप मार्केट से आर्गेनिक आंवला और एलोवेरा जूस खरीद सकते हैं।इसके अलावा अगर आप चाहें तो घर पर आसानी से आंवला और एलोवेरा जूस तैयार कर सकते हैं। इसके लिए एलोवेरा का एक साफ पत्ता लें और इसे अच्छे से साफ कर लें। अब इस पत्ते को बीच से काट लें और इसके जेल को चम्मच से निकाल लें। इसके बाद इसे ब्लेंड कर अच्छी तरह से जूस बना लें। इसके बाद इस जूस में एक ताजा आंवले का जूस भी मिला लें। इन दोनों जूस को एकसाथ पीने से आपको वजन कम करने के अलावा कई अन्य फायदे भी मिलते हैं। - कामकाज का प्रेशर, बढ़ता तनाव और आधुनिक जीवनशैली के कारण कम उम्र में बाल सफेद होना, बाल झड़ने की समस्या और गंजापन आम हो गया है। बालों की सही देखभाल करने से आप इन गंभीर परेशानियों का शिकार होने से बच सकते हैं। बालों में ऑयलिंग करने से भी आपको इन परेशानियों से छुटकारा मिलता है। यही कारण है कि बचपन से ही बालों में तेल लगाने पर जोर दिया जाता है। बालों से जुड़ी तमाम समस्याओं से छुटकारा पाने या बचने के लिए आप रोजमेरी और लैवेंडर के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। रोजमेरी और लैवेंडर के तेल को मिक्स करके बालों में लगाने से आपके बाल मजबूत और घने होते हैं।बालों में रोजमेरी और लैवेंडर ऑयल लगाने के फायदेरोजमेरी और लैवेंडर एसेंशियल ऑयल होते हैं। बालों में इनका इस्तेमाल करने से डैंड्रफ से छुटकारा मिलता है और बालों की परेशानियां दूर होती हैं। लैवेंडर में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-इंफ्लेमेटरी, और एनजियोलिटिक गुण होते हैं। बालों को पोषण देने और हेयर फॉलिकल्स को डैमेज होने से बचाने में इसका इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। वहीं, रोजमेरी ऑयल में भी एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। इन दोनों तेलों को एक साथ मिक्स करके स्कैल्प और बालों में लगाने से आपके बालों को मजबूती मिलती है।1. बाल झड़ने की समस्या में फायदाबालों में नियमित रूप से लैवेंडर और रोजमेरी का तेल लगाने से आपके बाल घने और मजबूत होते हैं। इन तेलों में मौजूद पोषक तत्व न सिर्फ बालों को जड़ से मजबूत बनाते हैं बल्कि स्कैल्प में ब्लड सर्कुलेशन ठीक करने में भी मदद करते हैं। आप सप्ताह में दो से तीन बार बालों में इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।2. डैंड्रफ को कम करने में फायदेमंदबालों और स्कैल्प में गंदगी जमा होने के कारण डैंड्रफ की समस्या हो जाती है। इस परेशानी से बचने के लिए बालों में रोजमेरी और लैवेंडर का तेल मिक्स करके लगाने से फायदा मिलता है। इसका इस्तेमाल करने से स्कैल्प में खुजली की समस्या भी दूर होती है। डैंड्रफ से छुटकारा पाने के लिए बालों में रोजमेरी और लैवेंडर का तेल सप्ताह में दो से तीन बार लगा सकते हैं।3. एलर्जी की समस्या से छुटकारास्कैल्प और बालों में इन्फेक्शन की वजह से एलर्जी की समस्या हो जाती है। एलर्जी और खुजली से छुटकारा पाने के लिए लैवेंडर और रोजमेरी का तेल मिक्स करके लगाएं। इसमें मौजूद एंटी-बैक्टीरियल गुण फंगस और खुजली की समस्या को कम करने में मदद करते हैं।4. कंडीशनर की तरह काम करेबालों की चमक बरकरार रखने, बेजान और उलझे बालों को ठीक करने और बालों की नमी ठीक रखने के लिए लैवेंडर और रोजमेरी ऑयल का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। बालों में कंडीशनर की जगह लैवेंडर और रोजमेरी ऑयल को मिक्स करके लगा सकते हैं।बालों में कैसे लगाएं रोजमेरी और लैवेंडर का तेल?-बालों में रोजमेरी और लैवेंडर ऑयल का इस्तेमाल अलग-अलग भी किया जा सकता है। इन दोनों तेलों को एक साथ मिक्स करके लगाने से आपको कई फायदे मिलते हैं। लैवेंडर और रोजमेरी तेल को समान मात्रा में लें और अच्छी तरह से मिक्स कर लें। अब इसे बालों और स्कैल्प पर लगाने के बाद अच्छी तरह से मसाज करें। मसाज करने के बाद बालों को रातभर के लिए खुला छोड़ दें। सुबह माइल्ड शैंपू से बालों को धो लें। आप सप्ताह में दो से तीन बार इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
- अपच, गैस और एसिडिटी, ये ऐसी समस्याएं हैं, जिनसे आजकल ज्यादातर लोग परेशान रहते हैं। कई लोगों को रोज सुबह उठने के तुरंत बाद ही गैस के लक्षण महसूस होने लगते हैं। इसकी वजह से पेट दर्द, ऐंठन और ब्लोटिंग जैसे लक्षणों का अनुभव होने लगता है। यही वजह है कि अकसर लोग गैस से छुटकारा पाने के लिए रोज सुबह खाली पेट गैस की दवाई लेते हैं। जबकि लंबे समय तक गैस की दवा खाने से सेहत को नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए आप चाहें तो गैस से छुटकारा पाने के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपायों को भी आजमा सकते हैं।1. हींगअगर आपको सुबह उठने के बाद गैस बनती है, तो हींग का उपयोग करना फायदेमंद हो सकता है। आयुर्वेद में हींग को काफी अहम माना गया है। यह वात दोष को शांत करने में मदद करता है। हींग में एंटी-फ्लैटुलेंट, एंटीस्पास्मोडिक और एंटीसेप्टिक गुण पाए जाते हैं। गैस से राहत पाने के लिए हींग को सब्जी या दाल में डालकर खा सकते हैं। आप चाहें तो आधे गिलास गुनगुने पानी में भी हींग मिलाकर पी सकते हैं। इससे गैस से तुरंत राहत मिल सकती है। लेकिन हींग खरीदते समय उसकी गुणवत्ता की जांच जरूर करें।2. जीरा पानीगैस और एसिडिटी से छुटकारा पाने के लिए आप जीरा पानी का सेवन कर सकते हैं। अगर आपको सुबह उठने के बाद गैस बनी रहती है, तो जीरा पानी का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है। इसके लिए आप रात को एक गिलास पानी में जीरा भिगोकर रख दें। सुबह खाली पेट इस पानी को पी लें। इससे पाचन क्रिया सक्रिय रहेगी। जीरा पानी पीने से पित्त और अन्य एंजाइम भी मजबूत बनते हैं। जीरा पानी पेट और आंतों को भोजन को पचाने में मदद करता है।3. अदरकआयुर्वेद में अदरक को एक बेहतरीन उपाय माना जाता है। यह कार्मिनेटिव के रूप में काम करता है। अगर आपको गैस बनती है, तो आप अदरक का सेवन कर सकते हैं। अदरक में मौजूद गुण गैस और एसिडिटी को कम करने में सहायक होते हैं। इसके लिए आप अदरक का रस निकाल लें। इसमें गुनगुने पानी में मिलाएं और पी लें। आप चाहें तो इसमें शहद भी मिला सकते हैं। इससे आपको तुरंत ही गैस से राहत मिल जाएगी। आप रोज सुबह खाली पेट इस पानी का सेवन कर सकते हैं।4. पुदीने की पत्तियांरोज सुबह खाली पेट पुदीने का पानी पीने से भी आपको गैस से राहत मिल सकती है। इसके लिए आप पुदीने की पत्तियां लें। इन्हें पानी में उबालें और फिर छानकर पी लें। आप चाहें तो रातभर के लिए पुदीने की पत्तियों को पानी में भिगोकर रख सकते हैं और सुबह खाली पेट पी सकते हैं। पुदीने की पत्तियों की तासीर ठंडी होती है। इससे पेट की जलन और गर्मी शांत होती है। साथ ही, गैस और एसिडिटी के लक्षणों में भी आराम मिलता है।5. केलाआयुर्वेद में केले को गैस और एसिडिटी के लिए काफी फायदेमंद माना गया है। केले में पोटैशियम होता है, जो एसिडिक एपिसोड को दूर करने में मदद करता है। अगर आप रोजाना केले का सेवन करेंगे, तो इससे गैस और कब्ज से छुटकारा मिल सकता है। साथ ही, केला खाने से मल त्याग भी आसानी से हो जाता है।6. ठंडा दूधठंडे दूध में कैल्शियम और अन्य पोषक तत्व की मात्रा अधिक होती है। अगर आप सुबह उठने के बाद गैस बनने लगती है, तो ठंडा दूध पीना फायदेमंद हो सकता है। ठंडा दूध पीने से एसिड की समस्या को कम करने में मदद मिल सकती है। आयुर्वेद में ठंडे दूध को गैस के लिए काफी कारगर माना गया है। साथ ही, अगर आप रोजाना ठंडा दूध पिएंगे, तो इससे जलन से भी राहत मिल सकती है। इसलिए आपको ठंडा दूध जरूर पीना चाहिए। इससे आपको काफी लाभ मिलेगा।
- दही खाना ज्यादातर लोगों को पसंद होता है। कई लोग दही से रायता या लस्सी बनाकर पीना पसंद करते हैं। वहीं, कुछ लोगों को पराठे, रोटी या चावल के साथ दही खाना पसंद करते हैं। कई व्यंजनों को बनाने के लिए भी दही का इस्तेमाल किया जाता है। दही न सिर्फ खाने में स्वादिष्ट होती है, बल्कि सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है। दही में विटामिन, कैल्शियम, प्रोटीन,आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, फोलिक एसिड, राइबोफ्लेविन और लैक्टिक एसिड जैसे कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो हमारे शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं। दही खाने से पाचन दुरुस्त रहता है और हड्डियां मजबूत बनती हैं। रोजाना दही का सेवन करने से कई तरह की बीमारियां दूर होती हैं। लेकिन बहुत से लोग दही को गलत ढंग से खाते हैं, जिसकी वजह से सेहत को फायदे की जगह नुकसान हो सकता है। आयुर्वेद में दही का सेवन करने के कुछ खास नियम बताए गए हैं।दही को गर्म करके न खाएंदही को कभी भी गर्म करके नहीं करना चाहिए। गर्म करने पर इसमें मौजूद गुण नष्ट हो जाते हैं। इससे आपकी सेहत को काफी नुकसान पहुंच सकता है।रात में नहीं करना चाहिए दही का सेवनरात के समय दही का सेवन कभी नहीं करना चाहिए। यह कफ की समस्या को बढ़ा सकता है। इसके अलावा, दही का सेवन रोजाना नहीं करना चाहिए। रोजाना सिर्फ छाछ का सेवन किया जा सकते है, जिसमें सेंधा नमक, काली मिर्च और जीरा जैसे मसाले मिलाए गए हों।दही को फलों के साथ न खाएंदही को कभी भी फलों के साथ नहीं खाना चाहिए। लंबे समय तक दही और फलों का एक साथ सेवन करने से चयापचय संबंधी समस्याएं और एलर्जी हो सकती है।इन समस्याओं में दही से परहेज करें-मोटापा, कफ विकार, रक्तस्राव विकार और सूजन की समस्या से पीड़ित लोगों को दही का सेवन करने से बचना चाहिए। यह आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकती है।-मांस-मछली के साथ न खाएं दहीदही को मांस और मछली के साथ कभी नहीं खाना चाहिए। चिकन, मटन या मछली जैसे मीट के साथ पकाए गए दही से शरीर में विषाक्त पदार्थों का उत्पादन बढ़ता है।आयुर्वेद के अनुसार दही खाने का सही तरीकाडॉक्टर ने बताया कि बहुत सारे लोग बिना सोचे-समझे, ज्यादा मात्रा में और विशेष रूप से रात में दही खाते हैं। लेकिन ऐसा करना आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए यदि आप दही खाना चाहते हैं, तो इसे कभी-कभार, दोपहर के समय और कम मात्रा में ही खाएं। जो लोग दही का सेवन नहीं कर सकते हैं, उनके लिए सबसे अच्छा विकल्प छाछ है।
- गर्मी के मौसम में ऐसी चीजों का अधिक सेवन करना चाहिए, जो शरीर को ठंडक पहुंचाए। इनमें पुदीना भी शामिल है। अधिकतर लोग पुदीने की चटनी, पुदीने का रायता और पुदीने की चाय का सेवन करते हैं। इसके अलावा, गर्मियों में पुदीने का पानी पीना सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। इसे पीने से डिहाइड्रेशन और लू की समस्या से बचाव होता है। पुदीने में विटामिन-ए, विटामिन-सी, पोटैशियम, आयरन, कैल्शियम और थायमीन जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके अलावा, इसमें एंटी-वायरल, एंटी-माइक्रोबियल और एंटीऑक्सीडेंट गुण भी पाए जाते हैं। पुदीने की तासीर ठंडी होती है। ऐसे में पुदीने का पानी पीने से शरीर ठंडा और फ्रेश रहता है। साथ ही, कई बीमारियों से छुटकारा भी मिलता है। तो चलिए, विस्तार से जानते हैं गर्मियों में पुदीने का पानी पीने के फायदे -गर्मियों में पुदीने का पानी पीने के फायदेशरीर को ठंडक देगर्मियों में लू की समस्या से बचने के लिए आप पुदीने का पानी पी सकते हैं। पुदीने की तासीर बेहद ठंडी होती है। ऐसे में अगर आप गर्मियों में पुदीने के पानी का सेवन करेंगे, तो इससे शरीर को ठंडक मिलेगी। इसके नियमित सेवन से पेट की जलन और गर्मी भी शांत होती है।एसिडिटी से आराम दिलाएगर्मियों में अधिकतर लोगों को एसिडिटी की समस्या होने लगती है। ऐसे में पुदीने का पानी पीना काफी फायदेमंद हो सकता है।दरअसल, पुदीने में मौजूद मेंथॉल पेट की गर्मी को कम करने में मदद करता है। इससे पेट और सीने की जलन से काफी राहत मिल सकती है।इम्यूनिटी बूस्ट करेपुदीने का पानी पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। दरअसल, पुदीने में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो इम्यूनिटी को बूस्ट करने में मदद करते हैं। नियमित रूप से इसका सेवन करने से आप कई तरह की गंभीर बीमारियों और संक्रमण की चपेट में आने से बच सकते हैं।शरीर को हाइड्रेट रखेगर्मियों में शरीर से पसीना अधिक निकलता है। इसकी वजह से शरीर में पानी की कमी यानी डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है। ऐसे में पुदीना का पीने से शरीर हाइड्रेट रहता है। इसे पीने से बॉडी डिटॉक्स होती है और शरीर को एनर्जी मिलती है।सिरदर्द से आराम दिलाएगर्मी के मौसम में कई लोगों को सिरदर्द की समस्या का सामना करना पड़ता है। ज्यादा देर तक तेज धूप में रहने के कारण सिर में तेज दर्द होने लगता है। ऐसे में आपको पुदीने के पानी का सेवन करना चाहिए। पुदीने में मेंथॉल होता है, जो मसल्स को रिलैक्स करता है और दर्द से आराम दिलाता है।पुदीने का पानी कैसे बनाएं -पुदीने का पानी बनाने के लिए आप पानी की बोतल में पुदीना की 15-20 पत्तियों को डालें। इस पानी को 1-2 घंटे के लिए रख दें। फिर पूरे दिन इस पानी को पीते रहें। आप चाहें तो इसमें नींबू के स्लाइस भी डाल सकते हैं। इसे पीने से आप दिनभर फ्रेश महसूस करेंगे।
- दिमाग में कीड़ा होने की बीमारी (न्यूरोसिस्टीसर्कोसिस) दरअसल एक इन्फेक्शन होता है, जो तब होता है जब हमारे शरीर में टीनिया सोलियम परजीवी का लार्वा या अंडे हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। सरल भाषा में कहें तो जब कोई व्यक्ति टेपवर्म के अंडे निगल लेता है, तो यह न्यूरोसिस्टीसर्कोसिस संक्रमण का कारण बनता है। ये अंडे मांसपेशियों और मस्तिष्क के टिशू में घुस जाते है और वहां सिस्ट का निर्माण करते हैं। जब ये अंडे मस्तिष्क में सिस्ट बना देते हैं, तो इससे न्यूरोसिस्टीसर्कोसिस की स्थिति पैदा हो जाती है।नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफार्मेशन के अनुसार, इन दिनों ज्यादातर विकासशील देशों में न्यूरोसिस्टीसर्कोसिस मिर्गी के दौरे और अन्य न्यूरोलॉजिकल रोगों का एक सामान्य कारण बन चुका है। इसके अलावा, सिरदर्द, बोलने में परेशानी या जुबान लड़खड़ाना, आंखों की रोशनी कमजोर होना, बुखार, शरीर के कुछ अंग कमजोर महसूस होना, खासकर पैर और जोड़ों कमजोरी और दर्द इसके कुछ आम लक्षणों में से एक हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल जो लोगों को जहन में अक्सर आता है, कि क्या दिमाग में कीड़े की बीमारी का कोई इलाज है? क्या इसे ठीक किया जा सकता है?क्या दिमाग में कीड़ा या न्यूरोसिस्टीसर्कोसिस का इलाज है-अगर आप समय रहते न्यूरोसिस्टीसर्कोसिस के लक्षणों को पहचानकर एक अच्छे न्यूरोलॉजिस्ट से परामर्श करते हैं, तो इस इन्फेक्शन से आसानी से छुटकारा पा सकते हैं। डॉक्टर मस्तिष्क में सिस्ट की जांच के लिए कुछ सरल टेस्ट का सुझाव दे सकते हैं। आमतौर पर दिमाग में कीड़े का पता लगाने के लिए MRI या CT ब्रेन स्कैन कराने की सलाह दी जाती है। कुछ मामलों में संक्रमण के निदान के लिए कुछ ब्लड टेस्ट भी किये जाते हैं, लेकिन संक्रमण हल्का होने पर स्पष्ट रूप से इन टेस्ट से पता नहीं चल पाता है। इसलिए ब्रेन स्कैन टेस्ट की सलाह अधिक दी जाती है।एक बार दिमाग में कीड़े का निदान होने के बाद डॉक्टर इलाज के लिए कुछ दवाएं दे सकते हैं, जिनमें एंटी-पैरासिटिक दवाओं के साथ-साथ लक्षणों को कंट्रोल करने के लिए भी दवाएं दी जाती हैं।हालांकि, स्थिति गंभीर होने पर कुछ मामलों में डॉक्टर सर्जरी की मदद से भी सिस्ट को हटा सकते हैं। लेकिन आमतौर पर डॉक्टर दवाओं की मदद से ही सफलतापूर्वक इसका इलाज करने में सक्षम होते हैं। इसलिए अगर आप किसी भी उपरोक्त लक्षण अक्सर नोटिस करते हैं, तो ऐसे में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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मुश्किल स्थिति में शरीर जो प्रतिक्रिया देता है, उसे तनाव कहते हैं। यह हमें बेहतर काम करने में मदद करता है। लेकिन जरूरत से ज्यादा स्ट्रेस लेना नुकसान पहुंचाता है। इसकी वजह से बीपी तुरंत चढ़ जाता है और जो कि कई सारी बीमारियों को दावत दे सकता है। हेल्दी रहने के लिए स्ट्रेस मैनेजमेंट काफी जरूरी है। कोच्चि स्थित अमृता हॉस्पिटल की एसोसिएट प्रोफेसर और कंसल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सरिता शेखर बताती हैं कि तनाव में हमारा सिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम एक्टिव हो जाता है, जिससे एड्रेनेलाइन और कॉर्टिसोल नाम के स्ट्रेस हॉर्मोन रिलीज होते हैं।
डॉक्टर के अनुसार, स्ट्रेस हॉर्मोन पैदा होने से शरीर फाइट या फ्लाइट रेस्पॉन्स में चला जाता है। जिसकी वजह से नसें सिकुड़ने लगती हैं और हार्ट रेट बढ़ जाती है। ये स्थिति अंत में हाई ब्लड प्रेशर का कारण बन जाती है।
डॉक्टर के अनुसार, लंबे समय से चल रहा तनाव शरीर में इंफ्लामेशन पैदा कर देता है। इस सूजन के कारण खून ले जाने वाली नसें डैमेज हो जाती हैं और ढंग से अपना काम नहीं कर पाती हैं। जिसकी वजह से ब्लड प्रेशर हाई रहने लगता है।
मैनेज करके हाई बीपी कंट्रोल करने के टिप्स ----
मेडिटेशन, डीप ब्रीदिंग और योगा से स्ट्रेस लेवल कम होगा और ब्लड प्रेशर कंट्रोल में आएगा।
तेज चलना, जॉगिंग, स्विमिंग जैसी फिजिकल एक्टिविटी तनाव कम करने वाले हॉर्मोन पैदा करती हैं।
तनाव और बीपी कंट्रोल करने के लिए फल, सब्जियां, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन और लो फैट डेयरी प्रॉडक्ट वाली डाइट लें।
टाइम मैनेजमेंट से तनाव बढ़ने से रोका जा सकता है।
तनाव और बीपी कंट्रोल करने के लिए पर्याप्त नींद और आराम लें। - वर्कआउट करने से पहले प्रोटीन, आयरन और कार्ब्स से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करना बहुत जरूरी होता है। क्योंकि इससे मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूती मिलती है। साथ ही, वर्कआउट के दौरान मांसपेशियां रिपेयर भी होती हैं। वैसे तो वर्कआउट से पहले लोग मिल्क शेक या स्मूदी आदि का सेवन करते हैं, लेकिन आप चाहें तो भीगे चने का सेवन भी कर सकते हैं। भीगे चने आयरन, मैग्नीशियम, पोटैशियम और प्रोटीन के काफी अच्छे सोर्स होते हैं। ये सभी पोषक तत्व हर व्यक्ति के लिए बहुत जरूरी होते हैं। इसलिए आपको वर्कआउट से पहले अपनी डाइट में भीगे चने जरूर शामिल करने चाहिए।मॉर्निंग वर्कआउट से पहले भीगे चने खाने के फायदे-1. प्रोटीन से भरपूरवर्कआउट से पहले प्रोटीन लेना बहुत जरूरी होता है। प्रोटीन डाइट लेने के लिए आप वर्कआउट से पहले भीगे हुए चने खा सकते हैं। प्रोटीन मांसपेशियों की वृद्धि और मरम्मत करने के लिए बहुत जरूरी होता है। अगर आप वर्कआउट से पहले भीगे चने खाएंगे, तो मांसपेशियां मजबूत बनेंगी। इससे वर्कआउट के दौरान चोट लगने का जोखिम भी काफी कम होगा। इसलिए आपको अपनी डाइट में वर्कआउट से पहले भीगे चने जरूर खाने चाहिए।2. आयरन भरपूर मिलेआयरन एक जरूरी मिनरल है, जो हीमोग्लोबिन के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आयरन शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ाता है। वर्कआउट से पहले ऊर्जावान होना बहुत जरूरी होता है। इसके लिए आप भीगे चने खा सकते हैं। भीगे चने आयरन का अच्छा सोर्स होता है। आयरन मांसपेशियों के ऊतकों को बनाए रखने में मदद करता है। इससे मसल्स रिपेयर होती हैं। इसलिए वर्कआउट के दौरान या बाद में आप पूरे एनर्जेटिक रहे, इसके लिए भीगे चने जरूर खाएं।3. कार्ब्स मिलता हैवर्कआउट से पहले आपको कार्ब्स लेना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि इससे आपके शरीर में वर्कआउट करने की पूरी ताकत होती है। भीगे हुए चने में कॉम्प्लेक्स कार्ब्स की मात्रा काफी अधिक होती है। कार्ब्स भोजन को ऊर्जा में बदलने में मदद करता है। अगर आप मॉर्निंग वर्कआउट से पहले रोजाना भीगे चने खाएंगे, तो इससे एनर्जी मिलेगी। आप अच्छा महसूस करेंगे और स्वस्थ रहेंगे।4. ब्लड सेल्स के उत्पादन में मदद करेवर्कआउट करने से पहले अगर आप भीगे चने खाएंगे, तो इससे आपके शरीर में ब्लड सेल्स के उत्पादन में मदद मिलेगी। आपको बता दें कि भीगे चने में विटामिन बी कॉम्प्लेक्स होता है, जो ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है। यह मेटाबॉलिज्म प्रक्रियाओं को भी बेहतर बनाने में मदद करता है। विटामिन बी कॉम्प्लेक्स तंत्रिका तंत्र को बेहतर बनाए रखने में सहायक होता है।