- Home
- सेहत
- प्रोटीन, आयरन, मिनरल्स और विटामिन्स का खजाना दाल सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। खासकर सर्दियों में कुछ दालों का सेवन किया जाए, यह शरीर को पर्याप्त गर्माहट देने में भी मदद करते हैं। इन्हीं दालों में से एक है उड़द की दाल। उड़द दाल में मैग्नीशियम, फाइबर, पोटेशियम और अन्य पोषक तत्व मौजूद होते हैं। जो दिल की सेहत के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं। आज इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं सर्दियों में उड़द की दाल खाने के 5 फायदों के बारे में।सर्दियों में उड़द की दाल खाने के फायदे -1. शरीर को रखता है गर्मसर्दियों में तापमान कम होने की वजह से शरीर को गर्म रखने की जरूरत होती है। ऐसे में डाइट में उड़द की दाल का सेवन फायदेमंद होता है। उड़द की दाल के पोषक तत्व शरीर को गर्म रखने में मदद करते हैं।2. शरीर का खून बढ़ाने में मददगारउड़द की दाल में आयरन की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। आयरन शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में बहुत अहम भूमिका निभाता है। एक्सपर्ट का कहना है कि उड़द की दाल का सेवन करने शरीर में आयरन की कमी पूरी होती है और शरीर में खून की मात्रा भी बढ़ती है।3. हड्डियों को बनाता है मजबूतउड़द की दाल में कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। जो हड्डियों के लिए फायदेमंद होते हैं। प्रतिदिन 10 से 15 ग्राम उड़द की दाल का सेवन करने से हड्डियां मजबूत होती हैं और उम्र के साथ होने वाली हड्डियों की समस्या से भी बचा जा सकता है।4. पाचन को बनाता है स्ट्रांगसर्दियों में जिन लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं जैसे कि कब्ज, पेट में दर्द होती है उनके लिए भी उड़द की दाल काफी फायदेमंद साबित होती है। उड़द की दाल में फाइबर की मात्रा काफी ज्यादा होती है, जो मल को मुलायम बनाती है और पाचन संबंधी परेशानियों से बचाती है।5. हार्ट को बनाए हेल्दीउड़द दाल में मैग्नीशियम, फाइबर, पोटेशियम और अन्य पोषक तत्व मौजूद होते हैं। जो हार्ट को हेल्दी बनाए रखने में मदद करते हैं।
-
सर्दियों के मौसम में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कच्ची हल्दी का सेवन कारगर साबित हो सकता है। कच्ची हल्दी में कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं, जिससे सर्दी और जुकाम जैसी बीमारियों का खतरा कई गुना कम हो सकता है। इस लेख से जानिए सर्दियों में कच्ची हल्दी खाने का तरीका और फायदे।
सर्दियों में कच्ची हल्दी का सेवन कैसे करें?1. दूध के साथ कच्ची हल्दी -दूध का सेवन शरीर के लिए फायदेमंद होता है। सर्दियों के मौसम में आप रात के समय दूध में कच्ची हल्दी को उबालकर पी सकते हैं। कच्ची हल्दी के साथ बना दूध पीने से सर्दी से जुड़ी समस्याएं कम होती हैं और नींद अच्छी आती है। 1 कप दूध में आधा इंच कच्ची हल्दी का टुकड़ा कद्दूकस करके डालें और फिर उबाल आने के बाद छानकर गुनगुना ही पिएं। इस दूध को पीने से शरीर अंदर से गर्म होता है, जिससे ठंड का एहसास कम होता है।2. कच्ची हल्दी का काढ़ा -पोषक तत्वों से भरपूर कच्ची हल्दी के साथ तुलसी की पत्तियां मिलाकर काढ़ा तैयार किया जा सकता है। इस काढ़े का सेवन करने से सर्दी-जुकाम जैसी बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है। काढ़ा बनाने के लिए आपको 1 कप पानी में 5 तुलसी की पत्तियां और 1 इंच कच्ची हल्दी का टुकड़ा डालकर उबालना होगा। इसके बाद इसे छानकर इसमें 1 चम्मच शहद मिला सकते हैं। काढ़े में शहद मिलाने से इसका स्वाद बढ़ जाता है। तुलसी और कच्ची हल्दी में एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो सर्दियों के मौसम में आपको हेल्दी रखने में मदद करेंगे।सर्दियों में कच्ची हल्दी का सेवन करने के फायदे1. हल्दी में मौजूद करक्यूमिन एक पावरफुल एंटीऑक्सीडेंट है जो शरीर से रोगाणुओं (Germs) को खत्म करने में मदद करता है।2. कच्ची हल्दी में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण भी होते हैं जो सर्दी-जुकाम से लड़ने में मदद कर सकते हैं।3. कच्ची हल्दी में एंटी-क्लॉटिंग गुण होते हैं, जो खून का थक्का नहीं बनने देते हैं, जिससे शरीर में ब्लड फ्लो बेहतर होता है।4. कच्ची हल्दी का सेवन करने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल हो सकता है। इसके साथ ही हार्ट हेल्थ के लिए भी कच्ची हल्दी फायदेमंद होती है।हल्दी एक प्राकृतिक औषधि है जो सर्दी और जुकाम से बचाव में मदद कर सकती है। ध्यान रखें कि सही मात्रा में हल्दी का सेवन करने से ही इसके लाभ प्राप्त होंगे। - खाने की अनियमित आदतों के कारण पाचन क्रिया प्रभावित हो सकती है। पाचन क्रिया के प्रभावित होने पर लोगों को कब्ज, पेट में दर्द, गैस, एसिडिटी आदि की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। कुछ लोगों को दाल खाने के बाद गैस और एसिडिटी की समस्या होने लगती है। गैस की समस्या होने पर लोगों को बैचेनी होने लगती है। जिसकी वजह से उनका किसी भी काम में मन नहीं लगता है। इस समस्या को दूर करने के लिए आप कई घेरलू उपायों को अपना सकतो हैं। लेकिन, यदि आपको दाल खाने के बाद गैस की समस्या होती है, तो ऐसे में आप इसे बनाने के तरीके में बदलाव कर सकते हैं।गैस और एसिडिटी से बचने के लिए दाल बनाने का सही तरीका -यदि आपको दाल खाने के बाद गैस की समस्या हो रही है तो ऐसे में आप दाल को बनाने से पहले करीब एक घंटे पहले उसे भिगोना न भूलें। इसके अलावा, आप दाल को एक रात पहले करीब एक चम्मच एप्पल साइडर विनेगर के पानी में भिगोने के लिए रख सकते हैं।पोषण तत्वों का अवशोषण न होना पेट की समस्या का एक मुख्य कारण माना जाता है। दाल में नींबू मिलाने से उसको पचाना आसान होता है।दाल को बनाते समय आप उसमें हींग, जीरा, करी पत्ता व अदरक का तडक़ा लगाना न भूलें। यह सभी मसाले आपकी पाचन क्रिया को बेहतर करते हैं। इससे गैस और अपच की समस्या नहीं होती है।वैसे, तो इस रेसिपी से दाल बनाने के बाद आपको किसी तरह की समस्या नहीं होगी। लेकिन, यदि आपको इसके बाद भी गैस या एसिडिटी होती है, तो आप दाल को खिचड़ी, इडली या डोसे के साथ खा सकते हैं।दाल में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है, जो आपको एनर्जी प्रदान करने में सहायक होती है। इसके साथ ही, दाल मांसपेशियों के दर्द को दूर करने में मददगार होती है। दाल के सेवन से थकान व आलस को भी दूर किया जा सकता है। इससे आयरन की कमी को दूर किया जा सकता है। साथ ही, खून से होने वाली समस्याओं से बचा सकता है। ऐसे में आप दाल को अपनी डाइट का हिस्सा बना सकते हैं।
- हम सभी रोज कई तरह से देसी घी का सेवन करते हैं। कई मिठाइयां और पकवान बनाने के लिए भी देसी घी का प्रयोग काफी किया जाता है। लेकिन अक्सर हम देखते हैं कि कुछ लोग भैंस के दूध से बने घी का सेवन करते हैं, तो वहीं कुछ गाय के दूध से बने देसी घी का। हालांकि, दोनों ही दूध से बने देसी घी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। लेकिन कुछ मामलों में देसी गाय का घी अधिक फायदेमंद माना जाता है। इसका सेवन करने से न सिर्फ शरीर को कई फायदे मिलते हैं, बल्कि यह कई रोगों से आपको दूर रखने में मदद करता है। गाय का घी हेल्दी फैट्स से भरपूर होता है। इसमें विटामिन ए, ई ब्यूटिरिक एसिड और कई जरूरी विटामिन और मिरल्स बहुत अच्छी मात्रा में होते हैं। नियमित गाय का घी खाने से पाचन को दुरुस्त, आंत को स्वस्थ रखने, आंखों की रोशनी बढ़ाने, त्वचा और बालों से जुड़ी कई समस्याओं से निजात पाने में मदद मिलती है।विभिन्न रोगों से बचने के लिए रोज ऐसे खाएं गाय का घीएक चम्मच देसी गाय का घी आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है। हम नियमित रूप से बेहतर गुणवत्ता वाले देसी गाय के घी का उपयोग करने की सलाह देते हैं। सेहतमंद रहने और कई रोगों से बचने के लिए आप इस तरह गाय के घी को डाइट में शामिल कर सकते हैं....1. सही समय पर सेवन करें (दोपहर का भोजन या सोते समय)2. सही मात्रा में (5 मि.ली. - 10 मि.ली.)3. अपने शरीर के प्रकार के अनुसार सेवन करें (सभी का बॉडी टाइप अलग होता है)सेहतमंद रहने के लिए साथ इन समस्याओं को दूर करता है देसी घी-1. आंखों में सूखापन या ड्राई आई की समस्या2. रात में नींद न आने या अनिद्रा की समस्या3. योनि में सूखापन4. सेक्स की इच्छा में कमी5. त्वचा की चमक में सुधार होता है
- सर्दियों के मौसम में ठंडी हवाओं की वजह से बीमारियों का खतरा कई गुणा बढ़ जाता है। सर्दी में गीली खांसी हो तो गले से बलगम निकालकर अच्छा महसूस किया जा सकता है, लेकिन खांसी सूखी हो जाए तो यह जी का जंजाल बन जाती है। सूखी खांसी की वजह से कई बार गले और सीने में भी दर्द की समस्या भी होती है। सर्दी के मौसम में अगर आप भी सूखी खांसी की समस्या से जूझ रहे हैं तो ये नुस्खे आजमा सकते हैं।घूंटघूंट करके पानी पिएंसूखी खांसी में घूंटघूंट कर पानी पीना सही रहता है। थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पानी पीने से गला गीला रहता है, जिससे खराश नहीं होती है और खांसी से भी राहत मिलती है। सर्दियों के मौसम में जो लोग कम पानी पीते हैं उन्हें डिहाइड्रेशन की समस्या होती है। ऐसे में घूंट घूंटकर पानी पिया जाए तो शरीर हाइड्रेट रहता है।कफ ड्रॉप और कैंडीखी खांसी की वजह से जिन लोगों को गले में खराश, गले में दर्द या किसी तरह का इंफेक्शन होता है उनके लिए कफ ड्राप या कैंडी एक अच्छा ऑप्शन है। दिन में 1 से 2 कफ कैंडी चूसने से गला साफ रखने में मदद मिलती है।भांप लेनाशुष्क हवा से सूखी खांसी की दिक्कत को ठीक करने के लिए भांप लेना एक अच्छा विकल्प है। भांप लेने के लिए आप गर्म पानी में थोड़ा सा पिपरमिंट ऑयल, सरसों का तेल या फिर कोई बाम डाल सकते हैं। आप चाहें तो अपने कमरे में ह्यूमिडिफायर लगाकर भी गले की खराश और सूखी खांसी से राहत पा सकते हैं।शहदसूखी खांसी को कम करने के लिए एक चम्मच शहद का सेवन भी किया जा सकता है। शहद गले को गर्माहट देता और सूखी खांसी से आराम दिलाने में मदद करता है। ध्यान रहे कि अगर आपका बच्चा 1 साल से कम उम्र का है तो उसे शहद न दें।
- खूबसूरत और ग्लोइंग स्किन हर व्यक्ति को पसंद होती है। लेकिन कुछ लोगों को मनचाही स्किन नहीं मिल पाती है। कोई मुंहासों, तो कोई दाग-धब्बों से परेशान रहता है। ऐसे में लोग मनचाही स्किन पाने के लिए तरह-तरह के प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं।आप चाहें तो स्किन पर ग्लो लाने के लिए चावल के पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं।त्वचा के लिए चावल के पानी के फायदे-अगर आप चेहरे पर चावल का पानी लगाएंगे, तो इससे बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं।-चावल का पानी त्वचा को जवां बनाए रखने में मदद करता है। चावल का पानी चेहरे की झुर्रियों और फाइन लाइंस को कम करने में मदद करते हैं।-चावल का पानी दाग-धब्बों को भी कम करने में मदद करता है। इससे चेहरे की डार्कनेस कम होती है।-अगर आप चेहरे पर चावल का पानी लगाएंगे, तो इससे मुंहासों और पिंपल्स से छुटकारा मिलता है।-चावल के पानी से चेहरे की चमक भी बढ़ती है। चावल का पानी चेहरे की त्वचा को मुलायम और चमकदार बनाता है।चेहरे पर चावल का पानी कैसे लगाएं?चेहरे पर चावल का पानी आप फेस वॉश या फेस पैक के रूप में लगा सकते हैं। इसके लिए आप चावल का पानी लें। इसे चेहरे पर लगाएं और फिर 30 मिनट के लिए साफ कर लें। इससे त्वचा की कोशिकाओं को पोषण मिलता है। इससे चेहरा साफ होता है। साथ ही, मुंहासों और झुर्रियों से भी छुटकारा मिलता है। चेहरे पर चावल का पानी लगाने से दाग-धब्बे पूरी तरह से मिट जाते हैं और त्वचा की चमक बढ़ती है।चावल का पानी सभी स्किन टाइप के लिए अच्छा माना जाता है। लेकिन अगर आपकी सेंसिटिव स्किन है, तो पहले पैच टेस्ट जरूर करें।
- सर्दियों के मौसम को सब्जियों का मौसम कहा जाए तो गलत नहीं होगा। सर्दियों में पालक, मटर, गोभी, गाजर, चुकंदर और कई तरह के साग मिलते हैं। ये सब्जियां न सिर्फ खाने में स्वादिष्ट होती हैं, बल्कि सेहत को भी दुरुस्त रखती हैं। यही वजह है कि भारतीय घरों में आज भी ठंड के मौसम में हरी सब्जियों से कई तरह के पकवान बनाए और खाए जाते हैं। अब सब्जियों से बनने वाली ट्रेडिशनल रेसिपी तो आप सबने खाई होगी। यह स्वादिष्ट तो होती है, लेकिन बनाने में थोड़ी ट्रिकी होती है। सही मसाले, सब्जियां को पकाने का समय सही न हो तो इसका स्वाद निखर कर नहीं आता है। अगर आप भी मेरी ही तरह ट्रेडिशनल सब्जियां पकाने में कच्चे हैं तो इस बार सर्दियों में ढेर सारी हरी सब्जियों से वेजिटेबल स्टू ट्राई कर सकते हैं।वेजिटेबल स्टू न सिर्फ स्वाद में लजीज होता है बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद है। इसलिए आज हम आपके लिए लेकर आए हैं वेजिटेबल स्टू की रेसिपी और इसके फायदे।वेजिटेबल स्टू बनाने के लिए सामग्रीहरी सब्जियां - 2 बड़े बाउल (गाजर, आलू, प्याज, टमाटर, बेल पेपर, अजवाइन, मटर, मशरूम, स्क्वैश, तोरी, पालक)प्याज- 1 बड़ा (बारीक कटा हुआ)हरी मिर्च- 1 छोटीनारियल या सरसों का तेल - 2 चम्मचनारियल का दूध- आधा कपकरी पत्ते- 1 चम्मचअदरक - 1 चम्मच (बारीक कटा हुआ)दाल चीनी - 1 बड़ा पीसलौंग - 3 से 4 पीसतेजपत्ता- 1 पीससौंफ - 1 बड़ा चम्मचवेजिटेबल स्टू बनाने की विधि-सबसे पहले हरी सब्जियां गाजर, आलू, प्याज, टमाटर, बेल पेपर, अजवाइन, मटर, मशरूम, स्क्वैश, तोरी, पालक को पानी से धोकर क्लीन कर लें।- इसके बाद एक कुकर में हरी सब्जियां और 2 गिलास पानी डालकर 2 सीटी आने तक प्रेशर कुक करें।- जब तक सब्जियां प्रेशर कुक हो रही हैं तब तक एक पैन में सरसों या नारियल का तेल गर्म कर लें।-पैन का तेल गर्म होने के बाद इसमें करी पत्ता, दालचीनी, लौंग, तेजपत्ता और सौंफ को हल्का भून लें।-प्रेशर कुक की हुई सब्जियों में से पानी निकाल कर पैन में डालें। इसके बाद पैन में नारियल का दूध डालकर ढक्कन बंद करके धीमी आंच पर पकने दें।-अपने वेजिटेबल स्टू को 10 से 15 मिनट तक धीमी आंच पर गाढ़ा होने तक पकाए।-जब आपका स्टू सही तरीके से पक जाए तो इसमें स्वादानुसार नमक और काली मिर्च का पाउडर डालकर गर्मागर्म सर्व करें।वेजिटेबल स्टू से सेहत को मिलने वाले फायदेवेजिटेबल स्टू को बनाने के लिए कई तरह की सब्जियों का इस्तेमाल किया जाता है। इन सब्जियों में विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो सर्दियों में शरीर को एनर्जी देने का काम करते हैं। स्टू में पाई जाने सब्जियां, जैसे गाजर, टमाटर और पत्तेदार साग, पोटेशियम और एंटीऑक्सीडेंट जैसी सब्जियां हार्ट को हेल्दी बनाए रखने में मदद करती हैं। कई तरह की हरी सब्जियों का इस्तेमाल होने की वजह से वेजिटेबल स्टू में फाइबर की मात्रा प्रचुर होती है। फाइबर पाचन को दुरुस्त कर मल को मुलायम बनाता है। जिससे कब्ज और पेट के दर्द की समस्या नहीं होती है।एक्सपर्ट के मुताबिक वेजिटेबल स्टू वेटलॉस में भी मददगार है। एक बड़ा बाउल वेजिटेबल सूप पीने से पेट को लंबे समय तक भरा हुआ महसूस होता है, जिससे भूख कंट्रोल रहती है।
- भारतीय घरों में दाल -चावल अकसर ही खाया जाता है। दाल -चावल को काफी हेल्दी खाना माना जाता है। आइए जानते हैं दाल चावल खाने के फायदे-पाचन में होगा सुधारदाल-चावल हल्का भोजन होता है। इससे शरीर आसानी से पचा लेता है। अगर आप नियमित रूप से दाल चावल का सेवन करेंगे, तो इससे आपके पाचन में भी सुधार होगा। दाल-चावल खाने से पाचन से जुड़ी समस्याओं में भी आराम मिलता है।प्रोटीन प्राप्त होता हैदाल प्रोटीन का अच्छा सोर्स होता है। नियमित रूप से दाल-चावल खाने से आपको पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन की पूर्ति होती है। इसलिए आपको अपनी डाइट में दाल चावल जरूर शामिल करना चाहिए।वेट कंट्रोल करेदाल-चावल हल्का भोजन होता है। अगर आप दाल-चावल का सेवन करेंगे, तो इससे वजन भी कंट्रोल में रहेगा। दरअसल, यह भोजन आसानी से पच जाता है और कैलोरी को भी कंट्रोल रहता है। हालांकि, आपको अधिक मात्रा में चावल का सेवन करने से बचना चाहिए।दाल-चावल खाने का सही तरीकादाल-चावल एक हेल्दी भोजन है। अगर आपको दाल-चावल पसंद है, तो आप अपनी डाइट में इसे शामिल कर सकते हैं। अगर आप दाल चावल में घी मिलाकर खाएंगे, तो इससे आपको सभी पोषक तत्व आसानी से मिल जाएंगे। यह एक बैलेंस डाइट बन जाता है, जिससे शरीर को विटामन, मिनरल्स पर्याप्त मिल जाते हैं।
- कुछ लोगों की खाना खाने के बाद पेट में भारीपन लगने लगता है। दरअसल, जिन लोगों की पाचन क्रिया कमजोर होती है उनको पेट में गैस, अपच, भारीपन और एसिडिटी की समस्या हो सकती है। पाचन संबंधी समस्याओं को दूर रने के लिए आप घरेलू उपायों की मदद ले सकते हैं। घर में रखें मसालों का उपयोग पेट की समस्याओं को दूर करने के लिए सालों से किया जा रहा है। लौंग की चाय (Clove Tea Benefits) पेट के भारीपन, गैस, एसिडिटी और कब्ज की समस्या (Constipation) को दूर करने में मददगार होती है। आप खाना खाने के बाद इस चाय का सेवन कर सकते हैं। इससे पाचन क्रिया (Digestion) बेहतर होती है और पेट के दर्द में भी आराम मिलता है।पाचन सहायतालौंग की चाय से पाचन क्रिया को ठीक किया जा सकता है। लौंग में यूजेनॉल सहित सक्रिय यौगिक, पाचन एंजाइमों को रिलीज करने में सहायक होते हैं। इससे पाचन को बढ़ावा मिलता है। लौंग की चाय को आप खाना खाने के करीब 20 से 25 मिनट बाद पी सकते हैं। इससे भोजन में मौजूद विटामिन और मिनरल्स का अवशोषण भी बेहतर ढंग से हो पाता है।गैस और सूजन को कम करने में सहायकज्यादा खाना खा लेने या बाहर का खाना खाने के बाद अधिकतर लोगों को गैस और एसिडिटी की समस्या हो सकती है। लौंग में वातनाशक गुण होते हैं, जो आपके पाचन तंत्र से गैस को बाहर निकालने में सहायक होते हैं। लौंग की चाय के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट को शांत करने में सहायक होते हैं, इससे आपको गैस से जुड़ी परेशानियों में राहत मिलती है।एंटीऑक्सीडेंट से भरपूरएंटीऑक्सिडेंट शरीर के फ्री रेडिकल्स को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। फ्री रेडिकल्स शरीर के ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को दूर करने और कोशिकाओं को नष्ट करने में सहायक होते हैं। लौंग की चाय में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट बाहर के खाने की वजह से पेट के भारीपन को दूर करने में मदद कर सकते हैं। साथ ही, यह संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए भी उपयोगी होते हैं।पेट के भारीपन को दूर करने के लिए लौंग का चाय कैसे बनाएं --पेट के भारीपन को दूर करने के लिए आप लौंग की चाय बनाने के लिए करीब 2 लौंग लें। इन लौंग को कूट लें।-इसके बाद एक पैन में करीब डेढ़ कप पानी को गर्म करें।-जब पानी हल्का गर्म हो तो इसमें लौंग को मिला दें।-इसके बाद जब पानी करीब एक कप रह जाए तो आप गैस को बंद कर दें।-इसे छानकर एक कप में रखें और इसमें अपनी स्वादानुसार शहद मिलाएं। इस चाय को धीरे-धीरे पिएं।कुछ ही देर में आपका पेट हल्का हो जाएगा। बेहतर परिणाम के लिए आप इस उपाय को खाली पेट भी अपना सकते हैं।
-
सर्दियों का मौसम शुरू होते ही मार्केट में हरी पत्तेदार सब्जियां और साग मिलनी शुरू हो जाती हैं। शरीर को हेल्दी और फिट रखने के लिए साग खाना बहुत फायदेमंद होता है। बथुआ का साग इस सीजन का सबसे पौष्टिक साग माना जाता है। बथुए की पत्तियों में मौजूद पोषक तत्व और गुण न सिर्फ शरीर को पोषण देते हैं, बल्कि बीमारियों से बचाने में भी मदद करते हैं। इसके साग का सेवन तो अक्सर लोग करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बथुआ की पत्तियों को चबाने से भी शरीर को बीमारियों से बचाने में मदद मिलती है। दरअसल इसकी पत्तियों में मौजूद गुण ओरल हेल्थ को बेहतर बनाने और इन्फेक्शन आदि से बचाने में भी मदद करते हैं। आइये इस लेख में विस्तार से जानते हैं बथुआ की पत्तियों को चबाने के फायदे और सही तरीका।
बथुआ की पत्तियों को चबाने के फायदे-कई शक्तिशाली गुणों और पोषक तत्वों से भरपूर बथुआ की पत्तियों का सेवन कई बीमारियों के इलाज में भी फायदेमंद होता है। आरोग्यं हेल्थ सेंटर के क्लिनिकल डाइटिशियन डॉ वीडी त्रिपाठी कहते हैं, "बथुआ की पत्तियों में विटामिन ए, विटामिन सी, कैल्शियम, आयरन, फॉस्फोरस, पोटैशियम, एमिनो एसिड और एंटी-ऑक्सीडेंट की पर्याप्त मात्रा होती है। इसका सेवन करने से डायबिटीज, एनीमिया और ब्लड प्रेशर जैसी गंभीर बीमारियों में भी फायदा मिलता है।"बथुआ की पत्तियों को चबाने से शरीर को ये फायदे मिलते हैं-1. सांस की बदबू दूर करने के लिए बथुआ की पत्तियों को चबाना फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद गुण सांस से आने वाली बदबू को कम करने में मदद करते हैं और रेस्पिरेटरी सिस्टम को फायदा पहुंचाते हैं।2. पायरिया की समस्या में बथुआ की पत्तियों को चबाना फायदेमंद माना जाता है। पायरिया में दांतों को होने वाले नुकसान और मुंह की दुर्गंध से छुटकारा पाने के लिए बथुआ की पत्तियों को चबाने से फायदा मिलता है।3. दांतों में कीड़ा लगने की समस्या समेत दांतों से जुड़ी परेशानियों में बथुआ की पत्तियों को चबाने से बहुत फायदा मिलता है।4. कब्ज की समस्या में बथुआ की पत्तियों को चबाने से पाचन तंत्र मजबूत होता है और कब्ज से छुटकारा मिलता है। इसमें मौजूद डाइटरी फाइबर कब्ज से राहत दिलाने में मदद करता है।5. भूख कम लगने की समस्या में भी बथुआ की पत्तियों को चबाने से फायदा मिलता है। बथुआ की पत्तियों में मौजूद गुण भूख बढ़ाने में मदद करते हैं।बथुआ की पत्तियों को चबाने का तरीकारोजाना सुबह के समय बथुआ की ताज़ी पत्तियों को अच्छी तरह से साफ करके चबाने से फायदा मिलता है। लेकिन ध्यान रहे इसकी पत्तियों का कम और संतुलित मात्रा में ही सेवन करना चाहिए। इसमें मौजूद ऑक्सालेट और कैल्शियम किडनी की पथरी में नुकसानदायक होते हैं। किसी भी समस्या या परेशानी में बथुआ की पत्तियों का सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए। - कैंसर एक जटिल समस्या है, जो मरीज को बुरी तरह से प्रभावित करता है। इस बीमारी के मामले दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके पीछे खराब जीवनशैली, तंबाकू या शराब पीने आदि जैसी गलत आदतें शामिल हैं। हाल ही में द लांसेट रीजनल हेल्थ साउथईस्ट एशिया जर्नल के मुताबिक में प्रकाशित एक स्टडी में चौंका देने वाला खुलासा हुआ है। आइये विस्तार से जानते हैं कैंसर पर हुई इस स्टडी के बारे में।क्या कहती है स्टडी?स्टडी के शोधकर्ताओं के मुताबिक कैंसर के मामले पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़े हैं। स्टडी की मानें तो भारत में साल 2019 में कैंसर के कारण 9.3 यानि 93 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। यही नहीं साल 2019 में ही कैंसर के करीब 12 लाख नए मरीजों की भी पुष्टि की जा चुकी है। आंकड़ों के मुताबिक चीन के बाद एशिया में ये कैंसर के मरीजों की यह सबसे बड़ी संख्या है। नेश्नल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कुरुक्षेत्र और ऑल इंडिया मेडिकल इंस्टीट्यूट (AIIMS) द्वारा साल 1990 से लेकर 2019 तक के कैंसर डेटा को खंघालने के बाद यह स्टडी सामने आई है।चीन और जापान में भी बढ़े कैंसर के मामलेशोधकर्ताओं की मानें तो भारत में भी इस भयंकर बीमारी के मामले तेजी से बढ़े हैं। भारत के साथ ही चीन और जापान में भी कैंसर के मरीजों के आंकड़े काफी ज्यादा हैं। चीन में अबतक 48 लाख मरीजों की पुष्टि हो चुकी है, जिसमें से 27 लाख लोगों की जान भी जा चुकी है। आंकड़ों की मानें तो एशिया के बाद जापान में इस बीमारी के सबसे ज्यादा मामले देखे जा चुके हैं। जापान में अब तक 4.4 लाख लोग कैंसर के चलते जान गंवा चुके हैं।कैंसर बढ़ाने में तंबाकु-गटखा की भी अहम भूमिकाशोधकर्ताओं ने पाया कि कैंसर के जोखिम कारकों में गुटखा, तंबाकु या फिर अन्य नशीले पदार्थ अहम भूमिका निभाते हैं। इस प्रकार की गतिविधियों में शामिल रहने से मुंह के कैंसर यानि ओरल कैंसर बढ़ने की अधिक आशंका रहती है। यही नहीं इस बीमारी के पीछे कुल 34 जोखिम कारक पाए गए हैं, जिनमें शराब पीना और प्रदूषण भी शामिल हैं।
- पेट से जुड़ी ज्यादातर परेशानियां खानपान में गड़बड़ी और निष्क्रिय जीवनशैली के कारण होती हैं। इन समस्याओं में डॉक्टर भी खानपान और लाइफस्टाइल का विशेष ध्यान रखने की सलाह देते हैं। अपच, पेट में गैस, एसिडिटी, ब्लोटिंग जैसी समस्याओं में नेचुरल चीजों का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। आयुर्वेद में जायफल को तमाम गैस्ट्रिक समस्याओं का रामबाण इलाज बताया गया है। आमतौर पर जायफल का इस्तेमाल मसाले के रूप में किया जाता है। जायफल गरम मसाला होता है और इसमें मौजूद गुण शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। कब्ज, अपच, एसिडिटी, ब्लोटिंग समेत तमाम तरह की परेशानियों में जायफल का सेवन बहुत फायदेमंद होता है।पेट के लिए जायफल के फायदे-जायफल तमाम औषधीय गुणों से युक्त शक्तिशाली मसाला है, इसमें मौजूद गुण और पोषक तत्व शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। जायफल में विटामिन, फाइबर, थियामिन, मैक्लिग्नान जैसे गुण और तत्व पाए जाते हैं, जो पेट से जुड़ी कई गंभीर परेशानियों से छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं। जायफल में फोलेट, मैग्नीशियम, कॉपर, थियामिन जैसे पोषक तत्व शरीर को बीमारियों से बचाने और हेल्दी रखने में मदद करते हैं। पेट से जुड़ी समस्याओं में इसका सही ढंग से सेवन बहुत फायदेमंद होता है।पेट की इन समस्याओं में रामबाण है जायफल-1. अपच की समस्या में जायफल का सेवन करने से बहुत फायदा मिलता है। जायफल में मौजूद गुण बहुत अच्छे पाचक एजेंट के रूप में काम करते हैं और पाचन शक्ति को बढ़ाने में मदद करते हैं। पेट से जुड़ी परेशानियों में नियमित रूप से इसका सेवन करने से फायदा मिलता है।2. लंबे समय से कब्ज की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए जायफल बहुत ही फायदेमंद होता है। जायफल में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है, जो कब्ज को कम करने में मदद करती है।3. पेट दर्द की समस्या में जायफल का सेवन करने से बहुत फायदा मिलता है। जायफल में दर्द कम करने वाले गुण पाए जाते हैं, जो पेट दर्द से राहत दिलाने में मदद करते हैं।4. गैस्ट्रोपैरीसिस जैसी गंभीर समस्या में भी जायफल का सेवन करने से बहुत फायदा मिलता है। जायफल के चूर्ण का सेवन करने से गैस्ट्रोपैरीसिस में फायदा मिलेगा।5. पेट के अल्सर की समस्या में भी जायफल का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। पेट में अल्सर होने पर मरीज को तेज दर्द के साथ जलन का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति में जायफल के चूर्ण को पानी में डालकर खाने से फायदा मिलता है।पेट की परेशानियों में कैसे करें जायफल का सेवन?पेट से जुड़ी परेशानियों में जायफल के चूर्ण का सेवन फायदेमंद होता है। आप इसे मार्केट से खरीदने के बजाय घर पर तैयार करें। जायफल के चूर्ण को गुनगुने पानी में डालकर पीने से बहुत फायदा मिलता है। लेकिन किसी भी बीमारी या समस्या में इसका सेवन करने से इसकी डोज के बारे में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
- खजूर पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें प्रोटीन, पोटैशियम, मैग्नीशियम, कॉपर और कैल्शियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके अलावा, खजूर में मैंगनीज, आयरन और विटामिन बी6 भी होते हैं। खजूर स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होता है। आप स्वस्थ रहने के लिए नियमित रूप से खजूर का सेवन कर सकते हैं। खजूर की तासीर बेहद गर्म होती है। ऐसे में आप खजूर का सेवन सर्दियों के मौसम में कर सकते हैं। आइए, जानते हैं सर्दियों में खजूर कैसे खाएं1. खजूर और दूधआप सर्दियों में खजूर का सेवन कर सकते हैं। आप खजूर और दूध को एक साथ मिला सकते हैं। इसके लिए आप दूध में खजूर डालें और अच्छी तरह से उबाल लें। फिर आप दूध पी लें और खजूर को चबाकर खा लें। रोजाना रात में खजूर वाला दूध पीने से आप सेहतमंद रहेंगे। खजूर वाला दूध पीने से हड्डियां मजबूत बनेंगी। साथ ही, शरीर की इम्यूनिटी भी बूस्ट होगी। खजूर और दूध, एक साथ लेने से पाचन-तंत्र भी मजबूत बनता है।2. भीगे हुए खजूरआप सर्दियों में भीगे हुए खजूर का सेवन भी कर सकते हैं। इसके लिए आप 2-3 खजूर लें। इसे पानी में भिगोएं और सुबह खाली पेट खा लें। आप रोजाना खाली पेट भीगे हुए खजूर खा सकते हैं। भीगे हुए खजूर खाने से आपका हृदय स्वास्थ्य बेहतर होगा। डायबिटीज रोगियों के लिए भी भीगे हुए खजूर फायदेमंद होते हैं। आप रोजाना भीगे हुए खजूर का सेवन कर सकते हैं। भीगे हुए खजूर खाने से कब्ज और एसिडिटी की समस्या से भी छुटकारा मिलता है।3. खजूर का हलवाअकसर लोग गाजर और सूजी का हलवा खाते हैं। आप खजूर का हलवा भी खा सकते हैं। इसके लिए आप खजूर लें। इसके बीज निकाल लें और फिर एक पैन में घी डालें। खजूर को बारीक पीस लें और फिर पैन में खजूर का पेस्ट डालें। अब खजूर को अच्छी तरह से पकाएं और इसमें दूध डालें। इसके बाद आप खजूर में गुड़ डालें और गर्मा-गर्म सर्व करें। आप सर्दियों में नियमित रूप से खजूर के हलवे का सेवन कर सकते हैं।4. खजूर और किशमिशसर्दियों में आप खजूर और किशमिश का सेवन एक साथ मिलाकर भी कर सकते हैं। इसके लिए आप खजूर और किशमिश को पानी में भिगोकर रख दें। सुबह इन दोनों का सेवन एक साथ करें। इससे आपकी मांसपेशियां मजबूत बनेंगी और जोड़ों के दर्द में आराम मिलेगा।
- गुड़ की मीठी चाय से लेकर कड़क मसाला चाय तक, देश में चाय की अलग-अलग वैरायटी लोगों को पसंद होती हैं। कई लोगों को चाय इतनी पसंद होती है, कि उनकी सुबह भी चाय पीने के बाद ही होती है। वहीं कुछ लोगों को सुबह के नाश्ते और शाम के स्नैक्स के साथ चाय जरूर चाहिए होती है। अगर खड़े मसाले और जड़ी-बूटियां के साथ चाय बनाई जाए, तो यह सेहत के लिए हेल्दी होती है। लेकिन अगर आप चाय पीने के दौरान कुछ जरूरी चीजों को नजरअंदाज करते हैं, तो यह आपकी सेहत को नुकसान भी कर सकती है।चाय पीने के दौरान रखें इन बातों का खास ध्यान-खाली पेट चाय न पिएंचाय में कैफीन ज्यादा मात्रा में होती है। अगर आप इसका सेवन खाली पेट करते हैं, तो इससे आपको एसिडिटी की समस्या हो सकती है। यह लंबे समय में गंभीर समस्याओं का कारण भी बन सकता है।रात में सोते समय चाय न पिएंकैफीन शरीर को एक्टिव रखने में मदद करता है। लेकिन अगर आप सोते दौरान चाय लेते हैं, तो इससे आपके स्लीप पैटर्न पर असर पड़ सकता है। इसलिए सोने से करीब चार घंटे पहले तक कैफीन का सेवन न करें।दो बार से ज्यादा चाय न लेंदिनभर में दो कप से ज्यादा चाय का सेवन न करें। क्योंकि चाय के ज्यादा सेवन से शरीर में कैफीन की मात्रा बढ़ने लगती है। इससे आपको कई स्वास्थ्य समस्याएं होने का खतरा भी हो सकता है।चाय से पहले पानी जरूर पिएंअगर आपको खाली पेट चाय पीने की आदत है, तो चाय से पहले गुनगुना पानी जरूर पिएं। इससे आपको चाय पीने के साथ एसिडिटी या कब्ज की समस्या नहीं होगी।खाने के बाद चाय न लेंकई लोगों को खाने के बाद चाय-कॉफी पीने की आदत होती है। लेकिन अगर आप खाने के बाद कैफीन लेते हैं, तो इससे भोजन के पोषक तत्व कम हो सकते हैं। साथ ही इससे पाचन क्रिया भी धीमी हो सकती है। इसलिए खाने के 2 घंटे बाद तक चाय का सेवन न करें।चाय के साथ भारी चीजें न खाएंशाम की चाय के साथ कई लोग नमकीन, बिस्किट, समोसे या पकोड़े खाना पसंद करते हैं। लेकिन चाय के साथ इन चीजों के सेवन से आपकी सेहत को काफी ज्यादा नुकसान हो सकता है।चाय को हेल्दी बनाने के लिए अपनाएं ये टिप्स-अगर आपको चाय में मीठा पसंद है, तो चीनी की जगह देसी खांड या गुड़ इस्तेमाल करें। इससे आप एक्स्ट्रा कैलोरी इंटेक नहीं करेंगे।-चाय को ज्यादा हेल्दी बनाने के लिए इसमें इलायची, अदरक, लौंग मिलाएं। इससे चाय आपके लिए ज्यादा हेल्दी होगी।इन चीजों का ध्यान रखने से चाय का सेवन करना आपके लिए नुकसानदेह नहीं होगा।
- हम किसी भी खाद्य पदार्थ को खाने या पेय पदार्थों को पीने के लिए मुंह का इस्तेमाल करते हैं। मुंह से खाद्य पदार्थों को एक नली द्वारा पेट तक ले जाया जाता है जिसे आहार नली या खाने की नली कहते हैं। यह नली हमारे मुंह को पेट से जोड़ती है जिसके द्वारा भोजन को पेट तक ले जाने का काम किया जाता है। जब किसी भी व्यक्ति को खाने, पीने या किसी चीज को निगलने में परेशानी होती है तो इस स्थिति में खाने की नली में इन्फेक्शन की समस्या हो सकती है। खाने की नली में होने वाला इन्फेक्शन बैक्टीरियल, वायरल और फंगल अटैक के कारण हो सकता है। खाने की नली में होने वाले इन्फेक्शन को इसोफेगाइटिस (Esophagitis) कहते हैं। अगर इस समस्या का समय पर उपचार नहीं किया जाता है तो यह गंभीर रूप ले सकती है। आइये विस्तार से जानते हैं खाने की नली में होने वाले इन्फेक्शन के कारण, लक्षण और बचाव के बारे में।क्यों होती है खाने की नली में इन्फेक्शन की समस्या?खाने की नली में इन्फेक्शन की समस्या कई कारणों से हो सकती है। इसमें खानपान से जुड़े कारकों के अलावा शरीर की कुछ स्थितियों का भी योगदान होता है। आमतौर पर खाने की नली में एसोफेजियल स्फिंक्टर नामक एक वाल्व पेट की अम्लीय सामग्री को इस नली से बाहर रखने का काम करती है। कई बार कुछ वजहों से यह वाल्व ठीक से बंद नहीं हो पाता है जिसकी वजह से पेट की अम्लीय सामग्री वापस नली में आ जाती है और इसकी वजह से नली में सूजन के साथ-साथ इन्फेक्शन की समस्या भी हो सकती है। अलग-अलग कारणों से होने वाली खाने की नली में इन्फेक्शन की समस्या को अलग-अलग प्रकार में विभाजित किया गया है। इसके कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार से हैं।-वाल्व के सही से बंद न होने के कारण।-खाने की एलर्जी की वजह से।-सांस में किसी तरह के दूषित कणों की वजह से।-दवाओं के सेवन से इन्फेक्शन की समस्या।-संगल इन्फेक्शन के कारण संक्रमण।-सोने से तुरंत पहले भोजन करने की वजह से।-अधिक शराब, कैफीन, चॉकलेट और पुदीने के स्वाद वाले खाद्य पदार्थ का सेवन।-धूम्रपान और शराब का सेवन।-अत्यधिक फैट से युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन।-खट्टे फलों का अधिक सेवन।खाने की नली में इन्फेक्शन के लक्षणजैसे कि ऊपर हमने बताया कि खाने की नली में इन्फेक्शन की समस्या कई कारणों से हो सकती है। सामान्य रूप से बैक्टीरियल, फंगल और वायरल इन्फेक्शन की वजह से खाने की नली में संक्रमण होने पर भोजन करने में परेशानी, नली में सूजन आदि की समस्या होती है लेकिन जब यह समस्या अन्य कारणों से होती है तो इसके लक्षण भी गंभीर हो जाते हैं। खाने की नली में इन्फेक्शन या इसोफेगाइटिस की समस्या में दिखने वाले प्रमुख लक्षण इस प्रकार से हैं।-भोजन निगलने में परेशानी।-भोजन करते समय दर्द।-सीने में दर्द (विशेष रूप से ब्रेस्टबोन) के पीछे।-भोजन का ग्रासनली में फंसना।-पेट में अत्यधिक जलन।-बच्चों को दूध पीने में समस्या।खाने की नली में इन्फेक्शन की समस्या से बचाव और इलाज
खाने की नली या ग्रासनली में इन्फेक्शन होने पर मरीज को ऊपर बताये गए लक्षण दिखाई देते हैं। इन लक्षणों के आधार पर चिकित्सक इस समस्या में जांच कर दवाओं के सेवन की सलाह देते हैं। डॉक्टर की सलाह के बाद ही मरीजों को इस समस्या में इलाज के लिए कदम उठाने चाहिए। खाने की नली में इन्फेक्शन होने पर डॉक्टर इस बात की जांच कर सकते हैं कि मरीज की पहले से कोई और दवा तो नहीं चल रही है? दरअसल ऐसा इसलिए है कि कई बार कुछ दवाओं के सेवन से भी मरीजों में यह समस्या हो जाती है। इस समस्या से बचाव के लिए आपको इन्फेक्शन होने के कारणों का ध्यान रखना चाहिए। खानपान में सुधार और दवाओं का सेवन करते समय डॉक्टर द्वारा बताई गयी बातों को ध्यान में रखकर आप इस समस्या से बच सकते हैं।
-
एक्टर आमिर खान की बेटी इरा खान फिटनेस के मामले में काफी एक्टिव हैं। फिटनेस के मामले में वे कई बॉलीवुड एक्ट्रेसिस को टक्कर दे रही हैं। इरा फिट रहने के लिए कोई भी तरीका नहीं छोड़ती हैं। पिछले साल यानि 2022 में उन्होंने उपवास के जरिए 15 दिनों में 20 किलो तक वजन घटाया था। आमतौर पर भी वे फैंस को फिट रहने की टिप्स देती रहती हैं। आइये जानते हैं इरा की फिटनेस सीक्रेट के बारे में।
इरा खान का फिटनेस सीक्रेटइरा फीजिकली फिट रहने के साथ ही मेंटल हेल्थ को भी प्राथमिकता देती हैं। इरा अपनी मेंटल हेल्थ को दुरुस्त बनाए रखने के लिए प्राणायाम और मेडिटेशन जैसी अध्यात्मिक गतिविधियों में भी शामिल रहती हैं। यही नहीं इसके लिए वे भरपूर मात्रा में पानी पीने के साथ ही साथ पर्याप्त मात्रा में नींद भी लेती हैं।एक्सरसाइज पर ध्यान देती हैं इराइरा खान एक्सरसाइज और वर्कआउट करने के मामले में बिलकुल भी पीछे नहीं हटती हैं। वे नियमित तौर पर एक्सरसाइज करने के साथ जिम जाती हैं। कई बार वे पिता आमिर खान के साथ ही वर्कआउट करती नजर आती हैं। इरा आमतौर पर स्क्वैट्स, पिलाटे, पुशअप्स, पुलअप्स, एब्स, एक्सरसाइज, लंजीस, बर्पी और कार्डियो एक्सरसाइज करती हैं। शारीरिक क्षमता को बढ़ाने के लिए वे कई बार स्ट्रेंथ ट्रेनिंग भी करती हैं। इसके साथ ही वे एरोबिक्स, साइकिलिंग या फिर स्विमिंग आदि जैसी अन्य शारीरिक गतिविधियों में शामिल होती हैं।इरा का डाइट प्लानइरा की ग्लोइंग स्किन और टोंड बॉडी के पीछे काफी हद तक उनके द्वारा सख्ती से पालन किए जाने वाला डाइट प्लान भी है। इरा बाहर का कुछ भी खाने के बजाय हमेशा घर का बना खाना खाना ही पसंद करती हैं। वे डाइट में सब्जियां, फल और पोषक तत्वों से भरपूर आहार ही शामिल करती हैं। इरा डिनर काफी लाइट लेती हैं साथ ही साथ वे डाइट में चीनी की मात्रा काफी कम रखती हैं। - बॉलीवुड एक्टर आदर्श गौरव अपनी दमदार एक्टिंग और फिटनेस के लिए बखूबी जाने जाते हैं। वे अक्सर सोशल मीडिया पर भी फिटनेस से जुड़ी वीडियोज शेयर करते रहते हैं, जिससे फैंस को भी फिट रहने की प्रेरणा मिल सके। आदर्श अपनी आने वाली फिल्म "कहां खो गए हम" के लिए काफी मेहनत कर रहे हैं। इस दौरान उनकी बॉडी ट्रांसफॉर्मेशन की एक फोटो सामने आ रही है।आदर्श फिल्म के किरदार में ढ़लने के लिए अपनी बॉडी पर मेहनत कर रहे हैं। दरअसल, जोया अख्तर की आने वाली फिल्म "कहां खो गए हम" में आदर्श एक कैलिस्थेनिक्स ट्रेनर की भूमिका निभा रहे हैं, जिसके लिए उन्होंने अपना बॉडी ट्रांसफॉर्मेशन किया है। दरअसल, कैलिस्थेनिक्स एक प्रकार की स्ट्रेंथ ट्रेनिंग है, वेट ट्रेनिंग से थोड़ी अलग है। कैलिस्थेनिक्स शरीर के वजन को प्रतिरोध की तरह इस्तेमाल करता है। यह ट्रेनिंग जोड़ों और मांसपेशियों को ठीक रखने में भी मददगार साबित होती है।एक्सरसाइज पर काम कर रहे हैं आदर्शआदर्श के फिटनेस ट्रेनर रॉबिन बहल के मुताबिक वे ट्रांसफॉर्मेशन के लिए एक्सरसाइज और डाइट पर पूरी तरीके से ध्यान दे रहे हैं। अपने स्टैमिना और शारीरिक स्ट्रेंथ को बढ़ाने के लिए आदर्श पुशअप्स, पुलअप्स, पैरलल बार डिप्स और प्लैंक आदि कर रहे हैं। रॉबिन ने बताया कि किरदार में ढ़लने के लिए आदर्श ने वजन को भी नियंत्रित रखा है, जिसे घटाकर हमने उनकी शरीर में 8 प्रतिशत फैट मेनटेन करा दिया है, जिससे उन्हें एक अच्छा लुक मिल सके। एक्सरसाइज करने के मामले में आदर्श बिलकुल भी पीछे नहीं हटते हैं।बॉडी बनाने के लिए बने नॉन-वेजिटेरियनआदर्श की एक्सरसाइज न्यूट्रीशनिस्ट मिश्टी खतरी उनके लिए डाइट प्लान तैयार करती हैं। मिश्टी के मुताबिक आदर्श की डाइट उनकी एक्सरसाइज के अनुसार ही रखी जाती है। उन्होंने बताया कि आदर्श वेजिटेरियन हैं, लेकिन वे बॉडी बनाने के लिए नॉन-वेजिटेरियन बन गए। शुरूआत में उनकी नियमित कैलोरी 3400 तय की गई थी, जो अब एक्सरसाइज के आधार पर होती है।
- 1. भूख लगाने के हेतुः-प्रातःकाल खाली पेट नींबू का पानी पियें। खाने से पहले अदरक को कद्दूकस करके सैंधा नमक के साथ लें।2. रक्तशुद्धि हेतु :-नींबू, गाजर, गोभी, चुकन्दर, पालक, सेव, तुलसी,नीम और बेल के पत्तों का रस प्रयोग करें ।3. दमाः-लहसुन, अदरक, तुलसी, चुकन्दर, गोभी, गाजर, मीठी द्राक्ष का रस, भाजी का सूप अथवा मूँग का सूप और बकरी का शुद्ध दूध लाभदायक है। घी, तेल, मक्खन वर्जित है।4. उच्च रक्तचापः-गाजर, अंगूर, मोसम्मी और ज्वारों का रस।मानसिक तथा शारीरिक आराम आवश्यक है।5. निम्न रक्तचापः-मीठे फलों का रस लें, किन्तु खट्टे फलों का उपयोग ना करें। अंगूर और मोसम्मी का रस अथवा दूध भी लाभदायक है।6. पीलियाः-अंगूर, सेव, रसभरी, मोसम्मी, अंगूर की अनुपलब्धि पर लाल मुनक्के तथा किसमिस का पानी। गन्ने को चूसकर उसका रस पियें। केले में 1.5 ग्राम चूना लगाकर कुछ समय रखकर फिर खायें।7. मुहाँसों के दागः-गाजर, तरबूज, प्याज, तुलसी , घृतकुमारी और पालक का रस ।8. संधिवातः-लहसुन, अदरक, गाजर, पालक, ककड़ी, गोभी, हरा धनिया, नारियल का पानी तथा सेव और गेहूँ के ज्वारे।9. एसीडिटीः-गाजर, पालक, ककड़ी, तुलसी का रस, फलों का रस अधिक लें। अंगूर मोसम्मी तथा दूध भी लाभदायक है।10. कैंसरः-गेहूँ के ज्वारे, गाजर और अंगूर का रस।11. सुन्दर बनने के लिएः-सुबह-दोपहर नारियल का पानी या बबूल का रस लें। नारियल के पानी से चेहरा साफ करें।12. फोड़े-फुन्सियाँ:-गाजर, पालक, ककड़ी, गोभी और नारियल का रस।13. कोलाइटिसः-गाजर, पालक और अन्नानास का रस। 70 प्रतिशत गाजर के रस के साथ अन्य रस समप्राण।चुकन्दर, नारियल, ककड़ी, गोभी के रस का मिश्रण भी उपयोगी है।14. अल्सरः-अंगूर, गाजर, गोभी का रस, केवल दुग्धाहार पर रहना आवश्यक है, खूब गर्म दूध में 2 चम्मच देशी गाय का घी डालकर मिक्स करके पियें ।15. सर्दी-कफः-मूली, अदरक, लहसुन, तुलसी, गाजर का रस, मूँग अथवा भाजी का सूप।16. ब्रोन्काइटिसः-पपीता, गाजर, अदरक, तुलसी, अनन्नास का रस,मूँग का सूप। स्टार्चवाली खुराक वर्जित।17. दाँत निकलते बच्चे के लिएः-अन्नानास का रस थोड़ा नींबू डालकर रोज चार औंस(100-125 ग्राम)।18. रक्तवृद्धि के लिएः-मोसम्मी, अंगूर, पालक, टमाटर, चुकन्दर, सेव,रसभरी का रस रात को। रात को भिगोया हुआ खजूर का पानी सुबह में। इलायची के साथ केले भी उपयोगी हैं।19. स्त्रियों को मासिक धर्म कष्टः-अंगूर, अन्नानास तथा रसभरी का रस।20. आँखों के तेज के लिएः-गाजर का रस तथा हरे धनिया का रस श्रेष्ठ है।21. अनिद्राः-अंगूर और सेव का रस। पीपरामूल शहद के साथ।22. वजन बढ़ाने के लिएः-पालक, गाजर, चुकन्दर, नारियल और गोभी के रस का मिश्रण, दूध, दही,सूखा मेवा, अंगूर और सेवों का रस।23. डायबिटीजः-गोभी, गाजर, नारियल, करेला और पालक का रस।24. पथरीः-पत्तों वाली शब्जी, पालक, टमाटर ना लें। ककड़ी का रस श्रेष्ठ है। सेव अथवा गाजर या कद्दू का रस भी सहायक है। जौ एवं सहजने का सूप भी लाभदायक है।25. सिरदर्दः-ककड़ी, चुकन्दर, गाजर, गोभी और नारियल के रस का मिश्रण।26. किडनी का दर्दः-गाजर, पालक, ककड़ी, अदरक और नारियल का रस।27. फ्लूः-अदरक, तुलसी, गाजर का रस।28. वजन घटाने के लिएः-अन्नानास, गोभी, तरबूज का रस, नींबू का रस।29. पायरियाः-गेहूँ के ज्वारे, गाजर, नारियल, ककड़ी, पालक और सोया की भाजी का रस। कच्चा अधिक खायें।30. बवासीरः-मूली का रस, अदरक का रस घी डालकर, नागर मोथा , नारियल पानी ।
- सिर्फ एक्सरसाइज करने और ढेर सारा पानी पीने से ही एंटी-एजिंग की समस्या से आप नहीं बच सकते हैं, बल्कि डाइट में हेल्दी और एंटी-एजिंग फूड्स भी शामिल करना जरूरी है। पालक सेहत और त्वचा के लिए फायदेमंद है ।पालक के एंटी एजिंग बेनिफिट्सआंखों की तेज रोशनी करें पालकपालक ल्यूटिन का एक अच्छा स्रोत है जो आंखों के बेहतर स्वास्थ्य में मदद करता है। पालक में मौजूद ल्यूटिन और जेक्सैंथिन आंखों की रोशनी को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पालक के सेवन से मोतियाबिंद सहित आंखों के बढ़ते जोखिम को कम किया जा सकता है।स्वस्थ त्वचा के लिए फायदेमंद है पालकपालक में पाए जाने वाला विटामिन ए त्वचा की प्रतिरक्षा प्रणाली को बीमारियों और किसी भी तरह के नुकसान से बचाने में मदद करता है। पालक के सेवन से शरीर के टिशू को विकसित करने में मदद मिलती है, जो स्किन को भी हेल्दी रखता है। विटामिन ए न सिर्फ आपकी स्किन को हेल्दी रखता है बल्कि यह त्वचा को हाइड्रेटेड रहने में भी मदद करता है, जिससे फाइन लाइन्स और झुर्रियां कम हो सकती हैं।पालक खाने से बढ़ती है मेमोरीपालक विशेष रूप से दिमाग के लिए अच्छा माना जाता है, क्योंकि इसमें ल्यूटिन नामक एंटी-ऑक्सीडेंट ज्यादा मात्रा में पाया जाता है, जो दिमाग से विषाक्त पदार्थों को साफ करने में मदद करते हैंं। पालक खाने से सोचने की क्षमता, याददाश्त, तर्क क्षमता बेहतर होती है और व्यक्ति मानसिक तौर पर स्वस्थ रहता है।पालक खाने से हड्डियां होती हैं मजबूतपालक विटामिन K से भरपूर होता है जो हड्डियों के स्वास्थ्य और विकास के लिए एक आवश्यक मिनरल्स है।सिर्फ 1 कप पालक खाने से आपके शरीर में विटामिन K की दैनिक मात्रा पूरी हो सकती है। अगर आपकी हड्डियां कमजोर हो रही है तो आप अपनी डाइट में पालक को शामिल कर सकते हैं।
- पेट की गर्मी या अन्य कारणों से मुंह में छाले हो जाते हैं, जिसे ठीक करने के लिए आप करी पत्ते का सेवन कर सकते हैं। करी पत्ता मिनरल्स, कैल्शियम, फॉस्फोरस, कार्बोहाइड्रेट, आयरन, विटामिन जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो न सिर्फ खाने के स्वाद को बढ़ाता है बल्कि आपके सेहत, त्वचा और बालों से जुड़ी समस्याओं को भी दूर करने में मदद करता है। मुंह के छाले से राहत पाने के लिए करी पत्ते का सेवन मुंह के छाले ( Mouth Ulcer ) से राहत पाने के लिए आप 10 से 12 करी पत्तों को अच्छे से साफ कर लें और फिर एक गिलास पानी में इन्हे उबलने के लिए गैस पर रख दें। आपको इस पानी को तब तक उबालना है, जब तक पानी आधा न हो जाए। अब पानी को कपड़े की मदद से छान लें और कांच की गिलास में रख लें। बस अब आपको 2-2 मिनट पर एक-एक घूंट पानी पीकर कुल्ला करना है। 2 से 3 दिन रोज आप 1 से 2 बार ये प्रक्रियां दोहराएं।मुंह में छाला होने के कारण-मुंह के अंदर दांत से चोट लगने पर छाले हो सकते हैं।-फंगल इंफेक्शन के कारण भी मुंह में छाले होना आम बात है।-किसी खाने से एलर्जी होने पर भी मुंह में छाला हो सकता है।-विटामिन की कमी के कारण भी मुंह में छाला हो सकता है।-पेट साफ न होने या ज्यादा तेल-मसाले की चीज खाने के कारण भी मुंह में छाला हो सकता है।-दांत साफ न होना भी मुंह में अल्सर होने की समस्या को बढ़ा सकता है।करी पत्ते के स्वास्थ्य फायदे-ब्लड प्रेशर कम करने में प्रभावी-शरीर के घाव जल्दी भरने में मददगार-शरीर का सूजन कम करने में फायदेमंद-वजन कम करने में फायदेमंद-डायबिटीज करें कंट्रोल-पाचन तंत्र को रखें स्वस्थ-दिल का भी रखें ख्यालत्वचा के लिए करी पत्ते के फायदे-स्किन को पिंपल फ्री रखे।-स्किन इंफेक्शन से बचाए।-चेहरे से दाग-धब्बों को दूर करे।-ड्राई स्किन को मॉइस्चराइज करे।-त्वचा का निखार बढ़ाए।
-
माना जाता है कि इलायची के बीज, तेल और अर्क में प्रभावशाली औषधीय गुण होते हैं, जो सेहत के लिए बहुत लाभकारी होता है। दो इलायची अगर आप खाना खाने के बाद खा लेते हैं तो फिर आपको इसको ढेरो फायदे होंगे। यह माउथ फ्रेशनर का भी अच्छा काम करता है, तो चलिए आपको बताते हैं इलायची खाने के कितने फायदे हैं-
-इलायची के एंटीऑक्सीडेंट्स गुण होते हैं, जो मांसपेशियों को तंदुरुस्त रखने में का काम करते हैं, लेकिन ज्यादा सेवन शरीर में गर्मी पैदा कर सकता है, जिससे पेट खराब हो सकता है।
-इलायची का इस्तेमाल पेट से जुड़ी परेशानियों से निजात पाने के लिए किया जाता है। यह स्वाद में तीखी होती है लेकिन फायदे बहुत होते हैं। इसके सेवन से दिल की सेहत भी अच्छी होती है। यह नींद की समस्या से भी निजात दिलाने का काम करती है।
- यह मसाला गुर्दे की पथरी को ठीक करने में भी मदद कर सकता है। इसके अलावा सर्दी जुकाम में इससे से बनी चाय आराम पहुंचाती है, तो आज से ही आप इसको अपनी डाइट का हिस्सा बना लीजिए।
- त्योहारों के सीजन में बाजार में मिलने वाले पनीर के मिलावट होने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में कई लोग घर पर ही पनीर बनाकर इस्तेमाल करते हैं। इसे बनाने के लिए दूध को फाड़कर उसमें से छेना अलग किया जाता है, जिसे बाद में पनीर की तरह इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, कुछ लोग इसका बचा हुआ पानी फेंक देते हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि छेने का बचा यह पानी हमारे लिए कितना फायदेमंद है? दरअसल, इसे प्राकृतिक तरीके से तैयार किया जाता है। ऐसे में यह फायदेमंद भी है।,छेना के पानी के फायदेवजन कंट्रोल करेछेना के पानी में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है।साथ ही, इसमें कैलोरी कम पाई जाती है। ऐसे में वजन घटाने के लिए यह एक परफेक्ट ड्रिंक हो सकता है। इसे आप नियमित रूप से अपने वर्कआउट ड्रिंक की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। इसका सेवन करने से लंबे समय तक भूख नहीं लगती। इससे आप अगले मील में कम कैलोरी लेते हैं।इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करेइम्यूनिटी बढ़ाने के लिए पनीर का पानी एक अच्छा विकल्प हो सकता है। इसमें प्रोटीन के साथ अन्य पोषक तत्व भी होते हैं। वहीं, दूध फाड़ने के लिए इस्तेमाल किए गए नींबू के कारण इसमें विटामिन-सी भी होता है। यह इम्यूनिटी बनाए रखने के लिए एक आवश्यक मिनरल है।मांसपेशियों को मजबूत बनाए रखता हैमसल्स को हेल्दी रखने के लिए प्रोटीन आवश्यक माना जाता है। वहीं, छेना के पानी में प्रोटीन अधिक पाया जाता है। इसके सेवन से मांसपेशियां मजबूत होती हैं। साथ ही, मसल्स स्ट्रेंथ को बढ़ावा भी मिलता है।छेना के पानी का सेवन कैसे करें-छेना यानी पनीर के पानी को आप पीने के लिए इस्तेमाल भी कर सकते हैं।-इसे जूस या सूप तैयार करने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं।-त्वचा और बालों के लिए भी छेना के पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है।-इसे आप चावल उबालने या आटा गूंथते वक्त भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे रोटियां सॉफ्ट बनती है।-आप इसे सब्जियां तैयार करने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं।अगर आपको प्रोटीन इनटेक बढ़ाना है, तो आप इसका इस्तेमाल सूप या सब्जी की ग्रेवी तैयार करने के लिए भी कर सकते हैं। छेना के पानी का सेवन एक प्रोटीन ड्रिंक के रूप में भी किया जा सकता है। इसे आप अलग-अलग तरीकों से अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। साथ ही, इसके सेवन से आपको फिट रहने में भी मदद मिल सकती है।
- सर्दी के मौसम में कई लोगों को खासकर बुजुर्गों में जोड़ों का दर्द, मांसपेशियों में ऐंठन की समस्या बढ़ जाती है। सर्दी के मौसम में जोड़ों में दर्द के कई कारण हो सकते हैं, जैसे विटामिन डी की कमी, खून की कमी, ठंड के कारण जोड़ों का जाम होना है। लहसुन के सेवन से जोड़ों के दर्द से राहत मिल सकती है, क्योंकि यह प्राकृतिक रूप से एंटीऑक्सिडेंट और एलिसिन जैसे सल्फर यौगिकों से भरपूर होते है, जो अपने दर्द निवारक गुणों के लिए जाना जाता है। कई अध्ययनों के अनुसार, लहसुन जोड़ों में ब्लड फ्लो को भी बढ़ाता है, जो बेहतर गतिशीलता में मदद करता है।”जोड़ों के दर्द के लिए कैसे करें लहसुन का सेवन?-सबसे पहले 2 लहसुन की कलियां लें, और उन्हें छिल लें।-अब इसे अच्छे से कूट लें।-2 से 3 मिनट इसे खुला रहने दें।-ऐसा करने से इसके एंजाइमों को सक्रिय होने में मदद मिलेगी।-अब एक गिलास गर्म पानी की मदद से लहसुन को खा लें।जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द में लहसुन खाने के फायदेलहसुन के सूजनरोधी गुण जोड़ों के दर्द से दे राहतसूजनरोधी गुण से भरपूर लहसुन में ऐसे यौगिक पाए जाते हैं, जो शरीर में हो रही सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं, जिनके कारण जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द हो सकता है। लहसुन की गर्म तासीर जोड़ों और मांसपेशियों में होने वाले दर्द को कम करने में मदद कर सकते हैं। सर्दी के मौसम में लहसु का सेवन करने से जोड़ों की सूजन को भी कम किया जा सकता है।जोड़ों के दर्द में फायदेमंद है लहसुन के एंटीऑक्सीडेंट प्रभावलहसुन में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट सेल्स को किसी भी तरह के होने वाली नुकसान से बचाने में मदद कर सकते हैं और आपके समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकते हैं।लहसुन से ब्लड सर्कुलेसन में होता है सुधारलहसुन आपके ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करने की क्षमता के लिए जाना जाता है, जो मांसपेशियों के दर्द को कम करने और उपचार को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है। इसमें एलिसिन नामक सल्फर यौगिक होता है, जो ब्लड सेल्स को आराम देने में मदद करता है, जिससे आपको अन्य स्वास्थ्य लाभ भी मिल सकते हैं।लहसुन के सेवन से इम्यूनिटी करे बूस्टसर्दी के मौसम में अक्सर हमारी इम्यूनिटी पावर कमजोर हो जाती है, जिसके कारण जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में ऐंठन की समस्या बढ़ जाती है। लहसुन में प्रतिरक्षा-बढ़ाने वाले गुण पाए जाते हैं, जो ठंड के महीनों में आपको स्वस्थ रहने में मदद कर सकते हैं।अगर आपको किसी तरह की एलर्जी या स्वास्थ्य समस्या है, तो इसका सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें।
-
दूध से जुड़ी कई बातें हम बचपन से सुनते आए हैं जैसे कि दूध पीने से हड्डियां मजबूत होती हैं या रात में दूध पीने से पाचन तंत्र खराब हो सकता है। दूध पीने से कफ होता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है दूध से जुड़ी क्या यह सभी बातें ंसच हैं या महज मिथक हैं। चलिए आज ऐसे ही कई मिथक पर बात करते हुए जानें इनकी सच्चाई।
दूध पीने से हड्डियां मजबूत होती हैंदूध के बारे में अक्सर ज्यादातर लोगों का यही मानना होता है, कि दूध पीने से हड्डियां मजबूत होती हैं। जबकि यह पूरी तरह से सच नहीं है। दूध में कैल्शियम के साथ अन्य पोषक तत्व भी होते हैं, जो हड्डियों को मजबूत करने में मदद कर सकते हैं। लेकिन सिर्फ दूध पीने से हड्डियां मजबूत होती हैं, क्योंकि हमारी हड्डियों को मजबूती के लिए सभी पोषक तत्वों की जरूरत होती है। इसलिए यह बात महज मिथक है।दूध पीने से वजन बढ़ता हैदूध से जुड़ा यह मिथक भी गलत है, क्योंकि दूध में मौजूद पोषण तत्व समस्त स्वास्थ्य के लिए जरूरी होते हैं। दूध से आपका वजन बढ़ेगा या नहीं, यह निर्भर करता है कि आप दूध की कितनी मात्रा का सेवन कर रहे हैं। साथ ही अगर दूध से मलाई हटाकर सेवन किया जाए, तो इसमें कैलोरी की मात्रा कम हो जाती है और इससे वजन घटाने में भी मदद मिल सकती है।दूध ज्यादा उबालने से उसके पोषक तत्व कम होते हैंकुछ लोग मानते हैं कि दूध को बार-बार उबालने से दूध के पोषक तत्व कम होने लगते हैं। दूध से जुड़ा यह मिथक बिल्कुल गलत है, क्योंकि दूध को हेल्दी बनाने के लिए उबालना जरूरी होता है। दूध को उबालने से इसमें मौजूद बैक्टीरिया कम होने लगते हैं, जिससे दूध पीने लायक बनता है। साथ ही दूध को बार-बार उबालने से भी इसके पोषक तत्वों को कोई नुकसान नहीं होता है।दूध पीने से ब्लोटिंग हो सकती हैजिन लोगों को दूध से एलर्जी है या लैक्टोज इंटॉलरेंस की समस्या है, उन्हें दूध के सेवन से समस्या हो सकती है। साथ ही अगर भारी खाने के सेवन के बाद या ज्यादा मात्रा में दूध का सेवन करते हैं, तो इससे कुछ लोगों को एसिडिटी और ब्लोटिंग की समस्या हो सकती है।दूध पीने से बलगम बनता हैकुछ लोगों का मानना होता है कि दूध के सेवन से बलगम बनता है। हालांकि खांसी में मलाई वाले दूध का सेवन करने से कफ बढ़ सकता है, लेकिन दूध पीने से जुड़ा यह मिथक पूरी तरह ठीक नहीं है। - सर्दियों में गर्म तासीर वाले खाद्य पदार्थों का सेवन ज्यादा किया जाता है। क्योंकि इनसे शरीर में गरमाहट बनी रहती है और इम्यूनिटी भी मजबूत होती है। सर्दियों में गुड़ से बनी चीजों का सेवन भी काफी किया जाता है। जैसे कि गुड़ के लड्डू, गुड़ की खीर, हलवा या गुड़ की पंजीरी। इसी तरह गुड़ की चिक्की भी सर्दियों में काफी ज्यादा खाई जाती है। मूंगफली और गुड़ के मिश्रण से तैयार होने वाली ये डिश सेहत के लिए भी फायदेमंद होती है। तो आइए इस लेख के माध्यम से जानें गुड़ की चिक्की के फायदे और बनाने का तरीका।पाचन के लिए फायदेमंदसर्दियों में पाचन से जुड़ी समस्याएं ज्यादा होती हैं। गुड़ और मूंगफली दोनों ही पाचन को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। ऐसे में गुड़ की चिक्की खाना फायदेमंद हो सकता है। खाने के बाद या स्नैक्स टाइम में आप गुड़ की चिक्की का आनंद ले सकते हैं।वेट लॉस में मदद करेगुड़ की चिक्की में कैलोरी की मात्रा कम होती है। इसके सेवन से आपको काफी देर तक भूख नहीं लगती है, जिससे आप अगले मील में भी कम कैलोरी लेते हैं। इसे आप अपने स्नैक्स टाइम में एंजॉय कर सकते हैं, यह आपकी फूड क्रेविंग को कंट्रोल में रखने में भी मददगार हो सकती है।इम्यूनिटी मजबूत बनाए रखेगुड़ की चिक्की खाने से आपकी इम्यूनिटी मजबूत होती है। गुड़ और मूंगफली दोनों की तासीर गर्म होती है। साथ ही मूंगफली में मौजूद हेल्दी फैट्स इम्यूनिटी स्ट्रांग करने में मदद करते हैं। इससे आपको बार-बार बीमार होने का खतरा नहीं रहता है।ब्लड डिटॉक्सिफाई होता हैगुड़ में मौजूद आवश्यक पोषक तत्व बॉडी डिटॉक्स करने के साथ ब्लड डिटॉक्सिफाई करने में भी मदद कर सकते हैं। यह हीमोग्लोबिन लेवल में सुधार करने और एनिमिया से बचाव करने में मदद करती है। इसलिए ब्लड डिटॉक्सिफाई करने के लिए गुड़ की चिक्की अच्छा विकल्प है।गुड़ की चिक्की बनाने की विधि-सामग्रीमूंगफली- 3 कपदेसी घी- जरूरत अनुसारगुड़- 200 ग्रामपानी- जरूरत अनुसारइलायची- 7-8बनाने की विधि-सबसे पहले मूंगफली के छिलके उतारकर घी में भून लें। ध्यान रखें कि ज्यादा न भूने, नहीं तो चिक्की में कड़वाहट आ जाएगी।-अब पैन में गुड़ को पिघलाएं और चाशनी तैयार करें। इसमें थोड़ा गर्म पानी मिलाते रहें जिससे चाशनी चिपके नहीं।-अब इसमें मूंगफली मिलाएं और मिक्सचर अच्छे से तैयार करें। साथ ही इसमें इलायची भी मिलाएं।-अब इसे किसी प्लेट में ठंडा करें और शेप में काटकर चिक्की तैयार करें।