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- आंवला का सेवन कई वर्षों से किया जा रहा है। इसमें कई तरह के विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं, जो सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं। बालों और स्किन के अलावा, पाचन क्रिया के लिए भी आंवला फायदेमंद माना जाता है। इसमें विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट्स और फाइबर पाए जाते हैं, जो इम्यूनिटी को बूस्ट करने में मदद करते हैं। शरीर के मोटापे को कम करने और बॉडी को डिटॉक्स करने के लिए भी आप आंवला का सेवन कर सकते हैं। वैसे को आंवला जूस पीना भी फायदेमंद होता है, लेकिन इसका अधिक सेवन करने से आपकी सेहत को नुकसान भी हो सकता है। खाली पेट आंवला का जूस अधिक पीने से आपकी पाचन क्रिया खराब हो सकती है। खाली पेट आंवला जूस पीने से क्या समस्याएं हो सकती हैं?पाचन संबंधी समस्याएं होनाआंवला का जूस प्राकृतिक रूप से एसिडिक नेचर का होता है। खाली पेट आंवला जूस अधिक मात्रा में पीने से पाचन तंत्र खराब होने की समस्या हो सकती है, जो पेट दर्द, ऐंठन, और डायरिया की समस्या को बढ़ा सकती है। इससे एसिडिटी की समस्या भी होने लगती है।पेट में जलन होनाआंवले का जूस खाली पेट पीने से लोगों को पेट में जलन की समस्या हो सकती है। लगातार कई दिनों तक अधिक मात्रा में आंवला का जूस पीने से पेट संवेदनशील हो सकता है। दरअसल, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्या वाले लोगों को आंवला का जूस सीमित मात्रा में ही पीना चाहिए।शुगर लेवल प्रभावित होनाजिन लोगों का ब्लड शुगर लेवल कम होता है उनको आयुर्वेदाचार्य की सलाह के बाद ही आंवला का जूस पीना चाहिए। दरअसल, आंवला का जूस ब्लड शुगर को तेजी से कम कर सकता है। ऐसे में जिन लोगों का ब्लड शुगर लेवल पहले ही लो होता है उनको समस्या का सामना करना पड़ सकता है।डिहाइड्रेशन की संभावनाआंवला जूस पीन से व्यक्ति को बार-बार यूरिन आ सकती है। आंवला में ड्यूरेटिक गुण होते हैं, जो बॉडी को तेजी से डिटॉक्स करते हैं। ऐसे में बार-बार पेशाब आने की समस्या हो सकती है। लेकिन, इसकी वजह से शरीर में पानी की कमी हो सकती है, इसके वजह से थकान बढ़ सकती है।आंवला जूस के फायदे अपनी जगह हैं, लेकिन इसका खाली पेट सेवन करना हर किसी के लिए फायदेमंद नहीं होता है। यदि आपको इसके सेवन से कोई समस्या महसूस होती है, तो इसे पीना बंद करें। साथ ही, इसका सेवन अपनी इच्छा से न करें, डॉक्टर की सलाह के बाद ही इसका सेवन करें।
- सर्दियों का मौसम हमारी त्वचा के लिए मुश्किल भरा हो सकता है। ठंडी और शुष्क हवाएं हाथों की नमी को छीन लेती हैं, जिससे त्वचा फटने लगती है। बार-बार हाथ धोने और सर्दियों में नमी की कमी के कारण त्वचा रूखी और खुरदरी महसूस होती है। ऐसे में हाथों की सही देखभाल करना बेहद जरूरी हो जाता है। सही स्किन केयर रूटीन अपनाकर आप न केवल अपने हाथों को सर्दियों में सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि उनकी कोमलता और नमी भी बरकरार रख सकते हैं। हम आपको ऐसे 7 स्किन केयर टिप्स बताने जा रहे हें, जो आपकी त्वचा को सर्दियों में हाइड्रेट रखेंगे और हाथों की त्वचा को फटने से बचाएंगे।1. हाथ धोने के बाद मॉइश्चराइजर लगाएं-सर्दियों में हाथ धोने से त्वचा की नमी तेजी से कम होती है। इसे रोकने के लिए हर बार हाथ धोने के तुरंत बाद मॉइस्चराइजर लगाएं। ऐसा हैंड मॉइश्चराइजर चुनें जो गहराई तक नमी देता हो और जिसमें विटामिन-ई जैसे गुण हों। इससे न केवल त्वचा मुलायम रहेगी, बल्कि फटी और रूखी त्वचा से भी राहत मिलेगी। अगर आपकी त्वचा बहुत रूखी है, तो हाथ धोने से पहले भी कुछ मात्रा में मॉइश्चराइजर अप्लाई करें।2. सल्फेट फ्री साबुन का इस्तेमाल करेंऐसा साबुन चुनें जिसमें सल्फेट न हो और जो त्वचा को हाइड्रेट रखने में मदद करे। बाजार में कई हर्बल और क्रीम बेस्ड साबुन उपलब्ध हैं जो नमी को बरकरार रखते हैं। एंटीबैक्टीरियल साबुन से बचें क्योंकि ये त्वचा को ज्यादा रूखा बना सकते हैं। इसके अलावा, हाथ धोते समय ज्यादा झाग बनाने वाले साबुनों का इस्तेमाल भी कम करें। साबुन के विकल्प के रूप में आप माइल्ड हैंडवॉश का इस्तेमाल कर सकते हैं।3. नाइट केयर रूटीन अपनाएंरात को सोने से पहले हाथों पर खास ध्यान दें और नाइट स्किन केयर रूटीन फॉलो करें। एक रिच हैंड क्रीम या वैसलीन लगाकर सोएं। इससे आपकी त्वचा को रातभर पोषण मिलेगा और फटी त्वचा रिपेयर होगी। यह आदत न केवल सर्दियों में, बल्कि पूरे साल आपकी त्वचा को कोमल बनाए रख सकती है।4. ठंडी हवा से हाथों को बचाएंसर्दियों में हाथों को ठंडी हवा से बचाएं। बाहर जाते समय दस्ताने पहनना न भूलें। ठंडी हवाएं त्वचा की नमी छीन सकती हैं, जिससे हाथ फटने लगते हैं। दस्ताने पहनने से त्वचा को ठंड से प्रोटेक्शन मिलती है। बाजार में वूलन और लेदर दस्ताने दोनों मौजूद हैं, लेकिन सुनिश्चित करें कि वे आरामदायक हों। अगर आप पानी में काम कर रहे हैं, तो रबर ग्लब्स पहनें ताकि हाथ गीले न हों।5. सर्दियों में त्वचा को स्क्रब करेंहफ्ते में एक बार हाथों की डेड स्किन हटाने के लिए हाथों के लिए स्क्रब जरूर तैयार करें। इसके लिए आप शुगर और ऑलिव ऑयल से बना होममेड स्क्रब इस्तेमाल कर सकते हैं। यह त्वचा को गहराई से साफ करता है। स्क्रब करने के तुरंत बाद एक अच्छा मॉइश्चराइजर लगाएं, ताकि त्वचा की खोई नमी वापस आ सके।6. गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें-हाथ धोने के लिए हमेशा गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें। बहुत गर्म पानी त्वचा के नेचुरल ऑयल को खत्म कर देता है, जिससे त्वचा और ज्यादा ड्राई हो जाती है। इसके अलावा, हाथों को धोने के बाद, हल्के तौलिए से थपथपाकर सुखाएं, ताकि त्वचा और ज्यादा न खिंचे।7. हेल्दी डाइट लेंसर्दियों में हम अक्सर पानी कम पीते हैं, लेकिन यह त्वचा को डिहाइड्रेट कर सकता है। अपनी दिनचर्या में पर्याप्त मात्रा में पानी शामिल करें। साथ ही, डाइट में ऐसी चीजों को शामिल करें जिनमें विटामिन ई, विटामिन-सी और ओमेगा-3 फैटी एसिड हो। ये पोषक तत्व त्वचा को अंदर से नमी देते हैं और हाथों को स्वस्थ बनाए रखते हैं।इन आसान टिप्स को अपनाकर आप सर्दियों में हाथों को न केवल कोमल और मुलायम रख पाएंगे, बल्कि फटने और रूखेपन से भी बचा सकेंगे।
- ठंड के मौसम में गठिया का दर्द बढ़ जाता है। यह एक ऐसा दर्द होता है, जो शरीर के किसी जोड़ पर हो सकता है। आमतौर पर हाथ, घुटने, कूल्हे और रीढ़ की हड्डी में यह ज्यादा परेशान करता है। गठिया के दर्द को मैनेज करने के कई तरीके हैं। हालांकि, कोई भी इलाज पूरी तरह से दर्द से राहत देने की गारंटी नहीं देता है। यहां हम गठिया के दर्द से आराम पाने के कुछ घरेलू तरीके बता रहे हैं। जानिए-गर्म-ठंडे की सिकाईदर्द वाले जोड़ पर ठंड और गर्म की सिकाई करने पर दर्द कम किया जा सकता है। जोड़ के आसपास की मांसपेशियों को आराम देने के लिए गर्मी अच्छी होती है। यदि जोड़ गर्म और सूजा हुआ है, तो ठंडे पैक का ऑप्शन चुनें।
मालिशदर्द वाले हिस्से या जोड़ों पर गर्म औषधीय तेलों से मालिश करने में बहुत मदद मिल सकती है। मालिश के बाद थेरेपी की सलाह दी जाती है। अगर औषधीय तेल न हो तो सरसों या तिल के तेल को गर्म करें। फिर उसमें लहसुन की 5-8 कलियां डाल दें। लहसुन की कलियों को तेल में अच्छी तरह से पकाएं और बर्तन को आंच से उतार लें। फिर दिन में कम से कम दो से तीन बार इस्तेमाल करें।एक्सरसाइज करेंऑस्टियोआर्थराइटिस के मरीजों को यह सलाह दी जाती है कि वे ऐसे व्यायाम करें जो जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत कर सकें। हालांकि, रुमेटीइड गठिया के मामले में हल्के व्यायाम की सलाह दी जाती है।हेल्दी डायट है सबसे जरूरीअपना वजन कम रखने से आपके जोड़ों पर तनाव कम हो सकता है। कुर्सी से उठने-बैठने या सीढ़ियों से ऊपर-नीचे जाने जैसी एक्टिविटीज कूल्हे और घुटने के जोड़ों पर शरीर का लगभग पांच गुना ज्यादा भार डाल सकती हैं। इसीलिए जब जोड़ों के दर्द की बात आती है तो वजन को मैंटेन करें। इसके लिए हेल्दी डायट लेना जरूरी है। - साबूत हरी मूंग दाल हम सभी की रसोई में मौजूद होती है। सेहत के लिए इसके बेजोड़ फायदे सभी जानते हैं, तभी तो बीमार पड़ने पर सबसे ज्यादा इसी का सेवन किया जाता है। खैर, इसके अलावा मूंग दाल के बारे में आपको ये भी जरूर पता होना चाहिए कि ये आपकी स्किन को ग्लोइंग बनाने में भी बहुत एक्सपर्ट है। साबूत हरी मूंग को आप कई तरीकों से अपने ब्यूटी रूटीन का हिस्सा बना सकती हैं। स्किन से जुड़ी ढेर सारी प्रॉब्लम्स में ये आपकी मदद कर सकती है। सबसे अच्छी बात है कि इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है और ये तेजी से अपना असर दिखाती है। तो चलिए जानते हैं कि कैसे आप हरी मूंग दाल को ग्लोइंग स्किन के लिए यूज कर सकती हैं।फेसपैक बनाकर करें मूंग दाल का इस्तेमालअपने चेहरे को हेल्दी और चांद सा चमकदार बनाने के लिए आप हरी मूंग दाल से फेसपैक बनाकर तैयार कर सकती हैं। इसके लिए रात में पानी या कच्चे दूध में दो चम्मच मूंग दाल भिगोकर रख दें। सुबह इसे पीसकर एक फाइन पेस्ट बना लें। अब आप इसमें अपने फेवरिट स्किनकेयर इंग्रेडिएंट्स मिक्स कर सकती हैं। कुछ सेफ और इफेक्टिव इंग्रेडिएंट्स जिन्हें मिक्स किया जा सकता है वो हैं- दही, गुलाबजल, शहद, मलाई, ऑरेंज पील पाउडर, बादाम का पाउडर, ऑलिव ऑयल, एलोवेरा, हल्दी आदि। अपनी स्किन की प्रॉब्लम और नीड के हिसाब से आप अपने लिए एक अच्छी फेस पैक तैयार कर सकती हैं।मूंग दाल से बनाएं फेसवॉशमहंगे और हार्ष केमिकल से भरे फेसवॉश नहीं लगाना चाहती हैं तो घर में ही हरी मूंग दाल से फेसवॉश तैयार कर सकती हैं। खूबसूरत ग्लोइंग स्किन पाने का ये बहुत सस्ता और इफेक्टिव तरीका है। फेसवॉश बनाने के लिए हरी मूंग दाल को मिक्सर में ग्राइंड कर के एक फाइन पाउडर तैयार कर लें। आप चाहें तो इसे यूं ही अपना चेहरा धोने करने के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं। इसके अलावा आप चाहें तो इसमें चंदन पाउडर, नीम पाउडर हल्दी, मुलेठी जैसी चीजें मिलाकर इसे और इफेक्टिव बना सकती हैं। इसे इस्तेमाल करने के लिए सबसे पहले चेहरे को हल्का गीला करें और इस पाउडर में पानी मिला कर एक लिक्विड बनाएं। चेहरे को इसकी मदद से मसाज करें और चेहरे को वॉश कर लें। कुछ ही दिनों में आपकी स्किन पर निखार साफ दिखाई देगा।स्किन को मिलेंगे ये गजब के फायदेअब आपने यह तो जान लिया कि हरी मूंग दाल को कैसे अपने ब्यूटी रूटीन में शामिल करना है। अब जानते हैं इससे होने वाले फायदों के बारे में। अगर आप नियमित रूप से हरी मूंग दाल को फेसवॉश या फेसपैक की तरह इस्तेमाल करती हैं तो इससे आपकी स्किन में एक हेल्दी निखार आता है। ये स्किन को हाइड्रेट और मॉइश्चराइज रखने में भी मदद करती है। इसके अलावा स्किन पर किसी भी तरह की टैनिंग है, तो वो भी कुछ ही दिनों में साफ होने लगती है। सर्दियों में रुखी और ड्राई स्किन को सॉफ्ट और शाइनी बनाए रखने में भी हरी मूंग दाल के जबरदस्त फायदे हैं।
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शरीर में कैल्शियम और कई पोषक तत्वों की कमी से जोड़ों में दर्द होना आम बात है। कई लोगों को जोड़ों में दर्द की समस्या गठिया, किसी क्रोनिक डिसऑर्डर, ऑस्टिओअर्थराइटिस या रूमैटॉइड अर्थराइटिस जैसे कारणों से भी हो सकता है। लेकिन मौसम में बदलाव के साथ जॉइन्ट्स में दर्द होने की समस्या कई लोगों को परेशान करती है। जोड़ों में दर्द से परेशान लोगों के लिए किचन में रोजाना इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ हर्ब्स किसी वरदान से कम नहीं हैं। हम आज आपको एक ऐसे ड्रिक के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके इस्तेमाल से जोड़ों में होने वाले दर्द से राहत पाई जा सकती है।
जोड़ो के दर्द से राहत पाने के लिए आयुर्वेदिक ड्रिंक के फायदे1. सूजनरोधी गुणों से भरपूरअजवाइन, जीरा, सौंफ और मेथी अपने नेचुरल सूजनरोधी गुणों के लिए जाने जाते हैं। इन सामग्रियों में ऐसे कंपाउंड्स होते हैं, जो जोड़ों में सूजन को कम करने में मदद करते हैं, जिससे दर्द और जकड़न से राहत मिलती है। इस ड्रिंक का नियमित सेवन गठिया जैसी स्थितियों से जुड़ी पुरानी सूजन को भी ठीक करने में मदद कर सकता है।2. एंटीऑक्सीडेंट से भरपूरयह ड्रिंक एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है, जो शरीर में मुक्त कणों को बेअसर करता है। मुक्त कण आपके शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव पैदा कर सकते हैं, जो जोड़ों के दर्द और नुकसान का कारण बन सकते हैं। ऐसे में इस ड्रिंक का सेवन जोड़ों के टिशू को बेहतर रखने, जोड़ों के स्वास्थ्य को बेहतर रखने और किसी भी तरह की असुविधा को कम करने में मदद करते हैं।3.शरीर को करें डिटॉक्सिफाईअजवाइन, जीरा, सौंफ और मेथी का ये पानी आपके शरीर से टॉक्सिक पदार्थों को बाहर निकालकर शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करेत हैं, जिससे जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद मिलती है।4. पाचन और पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ाएपाचन और पोषक तत्वों के अवशोषण में सुधार जोड़ों के स्वास्थ्य में जरूरी भूमिका निभाता है। जीरा और सौंफ, पाचन स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। इसलिए, विटामिन और मिनरल के बेहतर अवशोषण के लिए आप इस ड्रिंक का सेवन कर सकते हैं।5. पोषक तत्वों से भरपूरये ड्रिंक जरूरी विटामिन, मिनरल्स और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, जो ओवरऑल हेल्थ को बढ़ावा देते हैं। अजवाइन विटामिन K का एक अच्छा स्रोत है, जो हड्डियों को स्वस्थ रखने में मदद करता है।ड्रिंक बनाने की रेसिपीआधा-आधा चम्मच अजवाइन, जीरा, सौंफ और 2/3 चम्मच मेथी लेकर एक गिलास पानी में रातभर के लिए भिगोकर रख दें। इसके बाद सुबह इस पानी को अच्छी तरह उबाल लें और एक गिलास में ड्रिंक को छान लें। रोजाना सुबह की शुरूआत इस गुनगुने ड्रिंक से करें। 1 महीने तक लगातार इस ड्रिंक का सेवन करने से जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है।अजवाइन, जीरा, सौंफ और मेथी से बने इस ड्रिंक को रोजाना पीने से जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है। इसके अलावा ये ड्रिंक आपके ओवरऑल हेल्थ के लिए फायदेमंद होता है। लेकिन, इस ड्रिंक को पीने के बाद भी अगर आपको राहत न मिले तो अपने डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करें और अगर आप किसी तरह की दवाई ले रहे हैं तो इस ड्रिंक को डाइट में शामिल करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें। -
आयुर्वेद में उत्तराखंड में पाई जाने वाली गेठी की सब्जी के कई फायदे बताए गए हैं। इस अंग्रेजी में एयर पोटैटो (Air Potato Benefits) भी कहा जाता है। गेठी की सब्जी काफी हद तक आलू की तरह दिखाई देती है। लेकिन, इसकी तासीर गर्म होती है, जो पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों के शरीर को गर्म करने में मदद करती है। पहाड़ी क्षेत्र में इसकी सब्जी या सलाद के रूप में खाया जाता है। गेठी (Gethi Benefits) में कॉपर, आयरन, पोटैशियम और मैग्नीज जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो ठंड़ी जगहों पर होने वाली बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं।
गेठी खाने के फायदेडायबिटीज को कंट्रोल करने में सहायकएयर पोटैटो यानी गेठी की सब्जी में लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है, जिसका मतलब है कि यह धीरे-धीरे शुगर को ब्लड में रिलीज करता है। यह डायबिटीज रोगियों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है, क्योंकि इससे ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है।हृदय स्वास्थ्य को बेहतर करेंगेठी में उच्च मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करते हैं। इसके नियमित सेवन से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है और हृदय रोगों का खतरा कम होता है।इम्यूनिटी पावर को मजबूत बनाएंएयर पोटैटो यानी गेठी में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स की भरपूर मात्रा होते हैं, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं। इससे शरीर को संक्रमण और रोगों से लड़ने की ताकत मिलती है।पाचन में सुधार करेंएयर पोटैटो में मौजूद फाइबर हमारे पाचन तंत्र को सही तरीके से काम करने में मदद करते हैं। यह कब्ज और पेट की अन्य समस्याओं जैसे गैस, पेट फूलना, अपच और बदहजमी को दूर करने में सहायक होते हैं। इसके सेवन से गट हेल्त भी बेहतर रहती है।त्वचा और बालों के लिए फायदेमंदएयर पोटैटो में विटामिन सी, बी6, और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाए रखते हैं। इसके सेवन से बालों की ग्रोथ भी अच्छी होती है, और यह बालों को मजबूत बनाने में भी सहायक होता है।गेठी एक प्राकृतिक औषधि है जो कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। इसे अपने आहार में शामिल कर आप हृदय, पाचन, त्वचा और बालों की सेहत को बेहतर बना सकते हैं। हालांकि, इसे सीमित मात्रा में और डॉक्टर की सलाह से ही सेवन करें, क्योंकि अत्यधिक सेवन से कुछ हानिकारक प्रभाव भी हो सकते हैं। - हवा में मौजूद धूल के कण, कार्बन और अन्य विषैले तत्व आंखों में जलन, खुजली, रेडनेस और पानी आने जैसी समस्याओं का कारण बनते हैं। प्रदूषण भरी जगह में जाने पर ये कण आंखों की नाजुक सतह पर चिपक जाते हैं, जिससे आंखों में जलन और असुविधा का अनुभव होता है। अगर इस समस्या का समय पर इलाज न किया जाए, तो यह आंखों में इंफेक्शन या अन्य गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती है। इसलिए, प्रदूषण के कारण होने वाली इस परेशानी को कम करने के लिए कुछ घरेलू उपायों का इस्तेमाल किया जा सकता है, जो न केवल आंखों को राहत देंगे बल्कि उन्हें प्रदूषण के असर से सेफ भी रखेंगे।1. ठंडे पानी से आंखों को साफ करेंप्रदूषण के कॉन्टेक्ट में आने के बाद सबसे पहला और आसान उपाय है ठंडे पानी से आंखों को धोना। ठंडा पानी आंखों की जलन को कम करता है और गंदगी को बाहर निकालने में मदद करता है। सुबह उठने के बाद और बाहर से घर लौटने पर अपनी आंखों को 2-3 बार ठंडे पानी से धोएं। इससे तुरंत राहत मिलती है और आंखों में फ्रेशनेस महसूस होती है।2. गुलाब जल का इस्तेमाल करेंगुलाब जल एक नेचुरल कूलिंग एजेंट है और आंखों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसे आंखों के ऊपर या आसपास लगाएं। कॉटन पैड पर गुलाब जल लगाकर 10-15 मिनट तक आंखों पर रखने से जलन और पानी आने की समस्या में आराम मिलता है। गुलाब जल में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो प्रदूषण के कारण होने वाली आंखों में सूजन और जलन को कम करने में मदद करते हैं।3. खीरे का इस्तेमाल करेंखीरा आंखों को नेचुरल ठंडक देता है क्योंकि खीरे की तासीर ठंडी होती है। खीरे को पतले स्लाइस में काटकर कुछ देर के लिए फ्रिज में रख दें, फिर ठंडे खीरे के स्लाइस को आंखों पर 10-15 मिनट तक रखें। खीरे में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो आंखों की जलन, सूजन और आंखों से पानी आने की समस्या को कम करते हैं। यह आंखों की थकान दूर कर उन्हें राहत भी देता है।4. ग्रीन टी बैग का इस्तेमाल करेंग्रीन टी में मौजूद कैटेचिन्स और एंटीऑक्सीडेंट्स आंखों की सूजन को कम करने में मदद करते हैं। ग्रीन टी बैग को गर्म पानी में भिगोकर ठंडा कर लें और फिर इसे 10-15 मिनट के लिए आंखों पर रखें। ग्रीन टी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो आंखों की जलन और आंखों की रेडनेस को कम करते हैं। नियमित रूप से इसका इस्तेमाल आंखों को प्रदूषण से होने वाले नुकसान से बचाने में मदद कर सकते हैं।5. ठंडे दूध का इस्तेमाल करेंठंडा दूध आंखों की जलन को कम करने में मदद करता है। कॉटन बॉल को ठंडे दूध में भिगोएं और इसे हल्के से आंखों पर 10 मिनट के लिए रखें। ठंडा दूध जलन को शांत करता है और पानी आने की समस्या से राहत दिलाता है। इसके नियमित इस्तेमाल से आंखों में ताजगी महसूस होती है और प्रदूषण के कारण हुए नुकसान को कम किया जा सकता है।ये सभी घरेलू उपाय प्रदूषण के कारण होने वाले आंखों से पानी आने की समस्या को कम करने में मदद करते हैं। इनका नियमित इस्तेमाल करने से आंखों को राहत मिलेगी और प्रदूषण से आंखों को सुरक्षित रखा जा सकेगा।
- सर्दियों में नमी की कमी की वजह से ड्राई स्किन वाले लोगों की समस्याएं बढ़ जाती हैं। ऐसे में इस बार स्किन का ख्याल रखने के लिए आपको पहले ही तैयारी कर लेनी चाहिए। स्किन की नमी को बनाए रखने के लिए आप बादाम के तेल का इस्तेमाल करें। ये ड्राई स्किन के लिए बेस्ट है। इसके अलावा इस तेल के कई फायदे हैं। जानिए-बादाम तेल लगाकर कई समस्याएं हो सकती हैं दूर1) बादाम का तेल काले घेरों और आई बैग के लिए एक फायदेमंद इलाज साबित हो सकता है। बस इसके लिए रोजाना रात में सोने से पहले इसे अपनी आंखों के नीचे लगाएं और 2 हफ्ते में आपको फर्क नजर आने लगेगा।2) बादाम का तेल टैन खत्म करने में मदद करता है। टैन से छुटकारा पाने के लिए बस एक चम्मच में कुछ बूंदें बादाम तेल और उतनी ही मात्रा में नींबू का रस और शहद मिलाएं। इस मिक्स को टैनिंग वाले हिस्से में लगाएं। कुछ दिन लगाकर ही आपको असर दिखने लगेगा।3) बादाम का तेल स्किन पर चकत्ते के लिए बेस्ट है। इसका कोई साइड-इफेक्ट भी नहीं होता है। ऐसे में इसे लगाया जा सकता है।4) बादाम का तेल एक हल्का तेल है, जो स्किन को अच्छा पोषण देता है। इसे फटी एड़ियों पर लगा सकते हैं। इसे पूरी रात के लिए ऐसे ही छोड़ दें5) बादाम का तेल विटामिन ई से भरपूर होता है जो स्ट्रेच मार्क्स को कम करने में मदद करता है। इसे यूज करने के लिए थोड़ा सा बादाम का तेल लें और स्ट्रेच मार्क्स वाली जगह पर मालिश करें। कोशिश करें की तेल लगाने से पहले आप स्ट्रेच मार्क्स वाले हिस्से के एक्सफोलिएट करें और शॉवर लेने के तुरंत बाद बादाम का तेल लगाएं।6) सर्दियों के मौसम में होंठ बहुत ज्यादा फटने लगते हैं। ऐसे में बादाम का तेल आपके होठों को आराम और नमी दे सकता है। यह तेल काले होंठों को हल्का करता है, काले धब्बों को हटाता है और होंठों के रंग को एक समान करने की मदद करता है।7) सर्दियों में चेहरे का ग्लो गायब हो जाता है। ऐसे में चमक को बनाए रखने के लिए बादाम का तेल लगाएं। सोने से पहले अपने हाथ साफ करें और फिर बादाम के तेल की कुछ बूंदें लें और अपनी हथेलियों को आपस में रगड़कर गर्म करें। फिर साफ चेहरे पर लगाएं।
- एक्सपर्ट्स बताते हैं कि महिला हो या पुरुष दोनों को अपने दिन की शुरुआत एक पौष्टिक ब्रेकफास्ट से करनी चाहिए। इस लेख में जानते हैं कि स्किन को ग्लोइंग बनाने के लिए ब्रेकफास्ट में किन पोष्टिक आहार को शामिल करना चाहिए?अंकुरित अनाजअंकुरित अनाज में एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी भरपूर मात्रा में होते हैं जो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने वाले फ्री रेडिकल्स से लड़ते हैं और कोलेजन को बूस्ट करते हैं। इससे स्किन साफ होती है और उसमें निखार आता है।बादामआप अगर सुबह के समय स्मूदी पीते हैं, तो उसमें बादाम का सेवन कर सकते हैं। बादाम में विटामिन ई मौजूद होता है, यह झुर्रियों और फाइन लाइन्स को दूर रखने में मदद करता है। यह एंटीऑक्सीडेंट्स और सेलेनियम के स्तर को बढ़ाकर मुंहासों को कम करने में मदद करता है।अनार का सेवन करेंशरीर को रोजाना विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स की आवश्यकता होती है। यह विटामिन और एंटी-ऑक्सीडेंट्स फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान कम करने में मदद करते हैं। यह टैनिन, एलाजिक एसिड, एंथोसायनिन से भरपूर होता है। इसके साथ ही अनार रक्त को बढ़ाने में भी मदद करता है। नियमित रूप से अनार का सेवन करने से त्वचा में नई कोशिकाएं बनती है और स्किन के निशान, दाग-धब्बे दूर होते हैं।ओट्स का सेवन करेंसुबह के नाश्ते में आप ओट्स का सेवन करें। इसमें मौजूद फाइबर पाचन तंत्र को बेहतर करता है। जिससे स्किन पर सकारात्मक प्रभाव होता है। सुबह के नाश्ते में आप स्ट्रॉबेरी, एक केला और दही को मिलाकर ब्लेंड कर लें। इसे ओट्स में मिलाकर खाएं।एवोकाडो टोस्टएवोकाडो में हेल्दी फैट्स, विटामिन ई और सी होते हैं, जो त्वचा को हाइड्रेटेड रखते हैं और इसकी चमक बढ़ाते हैं। यह झुर्रियों को कम करने में भी सहायक है। आप सुबह के समय ब्राउन ब्रेड को टोस्ट करें। उस पर पका हुआ एवोकाडो को मैश करके फैलाएं। इसमें ऊपर से स्वादानुसार मसाले डालें और टोस्ट का सेवन करें।त्वचा की चमक और सेहत के लिए केवल बाहरी देखभाल ही नहीं, बल्कि स्वस्थ आहार भी बेहद आवश्यक होता है। ऊपर बताएं सभी हेल्दी ब्रेकफास्ट को अपनी दिनचर्या में शामिल करें और अपनी त्वचा की खूबसूरती को बढ़ाएं। डाइट में बदलाव करने से पहले आप डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
- प्रदूषण, खराब जीवनशैली और डाइट से जुड़ी समस्याएं अक्सर बालों और आपकी स्किन को प्रभावित करती है। एक्ने, कम उम्र में स्किन पर बूढ़ापे के लक्षण, रेडनेस, जलन और सूजन जैसी त्वचा से जुड़ी समस्याओं से महिलाएं काफी परेशान रहती हैं। वहीं बालों के झड़ने, टूटने और फ्रिजी बाल आपके तनाव बढ़ने का कारण बन रहे हैं। हेल्दी स्किन और मजबूत बाल पाने के लिए केसर और काली किशमिश का पानी पीना काफी फायदेमंद होता है।स्किन के लिए किशमिश और केसर के फायदेकेसर में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो पिगमेंटेशन को कम करने और त्वचा को चमकदार बनाने में मदद कर सकते हैं। आयरन और विटामिन सी से भरपूर काली किशमिश के साथ मिलकर यह ड्रिंक ब्लड सर्कुलेशन में सुधार कर सकता है, जिससे आपकी स्किन नेचुरल ग्लो करती है। काली किशमिश में जरूरी विटामिन और मिनरल्स होते हैं, जो स्किन को हाइड्रेट करते हैं और उसे मुलायम बनाए रखते हैं। गोंद कतीरा के साथ मिलाने से त्वचा को नमी और ठंडक मिलती है, जिससे स्किन मुलायम रहती है। किशमिश और केसर दोनों में प्राकृतिक सूजनरोधी और जीवाणुरोधी गुण होते हैं, जो मुँहासे पैदा करने वाले बैक्टीरिया से लड़ने, सूजन को कम करने और समय के साथ काले धब्बों को कम करने में मदद करते हैं।बालों के लिए किशमिश और केसर के फायदेकाली किशमिश आयरन का एक अच्छा स्रोत है, जो स्कैल्प में हेल्दी ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ावा देता है, बालों को जड़ों से मजबूत बनाता है, हेयर फॉल की समस्या को कम करता है। केसर में मौजूद विटामिन स्कैल्प को पोषण देते हैं और बालों के स्ट्रैंड को मज़बूत बनाते हैं, जिससे बाल घने और चमकदार बनते हैं।काली किशमिश और केसर का पानी कैसे बनाएं?सामग्री-काली किशमिश- 5-6केसर के रेशे- 2-3गोंद कतीरा- 2 चम्मच भिगोया हुआबनाने की विधि-किशमिश और केसर के रेशे को रात भर पानी में भिगोकर रख दें। सुबह दोनों चीजों को एक साथ मिला लें। एक गिलास में 2 चम्मच भिगोया हुआ गोंद कतीरा डालें, अच्छी तरह मिलाएं और घूँट-घूँट करके पिएं। यह आसान और स्वदिष्ट पेय आपके स्किन और बालों को स्वस्थ, मुलायम और चमकदार बनाए रखने में मदद करेंगे। लेकिन इसके साथ एक हेल्दी स्किन और हेयर केयर रूटीन भी फॉलो करें।
- ठंड के मौसम की शुरुआत हो चुकी है । ठंड के दिनों में त्वचा रूखी और बेजान नजर आने लगती है। ऐसे में सर्दियों में त्वचा को पोषण देने के लिए आप नेचुरल आयुर्वेदिक उपाय आजमा सकते हैं।आयुर्वेदिक उबटन फेस मास्क बनाने का तरीकाइस आयुर्वेदिक उबटन को बनाने के लिए आपको तिल, जौ, मुलैठी और अनंतमूल को बराबर मात्रा में मिलाकर इसका पाउडर तैयार करना होगा। उबटन बनाने के लिए इस पाउडर को दूध के साथ मिलाएं। दूध त्वचा के लिए एक प्राकृतिक मॉइश्चराइजर है, जो त्वचा में नमी बनाए रखने में मदद करता है। इस मिश्रण को चेहरे पर लगाएं और 10-15 मिनट के बाद हल्के हाथों से स्क्रब करते हुए धो लें। इस उबटन का नियमित उपयोग त्वचा को पोषण, नमी और निखार प्रदान करेगा।आयुर्वेदिक उबटन फेस मास्क के फायदे1. तिलतिल का तेल और तिल के बीज दोनों ही आयुर्वेद में त्वचा की देखभाल के लिए प्रयोग किए जाते हैं। तिल में पोषण और गर्माहट देने वाले गुण होते हैं जो सर्दियों के मौसम में त्वचा के लिए लाभकारी होते हैं। इसके अलावा, इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-एजिंग गुण होते हैं, जो त्वचा की लचक बनाए रखते हैं और बुढ़ापे के लक्षणों को कम करते हैं। उबटन में तिल का पाउडर मिलाकर इसका इस्तेमाल त्वचा को गहराई से पोषण देता है।2. जौजौ ठंडक प्रदान करता है और इसमें त्वचा को नम रखने के गुण होते हैं। इसके साथ ही, यह त्वचा की बाहरी सतह को मॉइश्चराइज करने में मदद करता है। जौ में हीलिंग प्रॉपर्टीज भी होती हैं, जो त्वचा पर किसी भी प्रकार की चोट या सूजन को ठीक करने में सहायक होती हैं। सर्दियों में उबटन में जौ का पाउडर मिलाने से त्वचा सॉफ्ट होती है।3. मुलेठीमुलेठी त्वचा के लिए बेहद लाभकारी होती है। यह त्वचा को टैनिंग और पिग्मेंटेशन से बचाता है। मुलेठी का पाउडर चेहरे के उबटन में मिलाने से चेहरे की रंगत में सुधार होता है।4. अनंतमूलअनंतमूल या सरिवा त्वचा की कई समस्याओं के लिए आयुर्वेद में उपयोग किया जाता है। इसमें ठंडक प्रदान करने वाले गुण होते हैं। यह त्वचा के घावों को जल्दी भरता है और एक्ने जैसी समस्याओं को दूर करता है। सर्दियों में त्वचा की देखभाल के लिए अनंतमूल का उबटन त्वचा को हेल्दी बनाए रखता है।निष्कर्षसर्दियों में त्वचा की देखभाल के लिए यह आयुर्वेदिक उबटन एक बेहतरीन विकल्प है। नियमित रूप से इस उबटन का उपयोग करने से त्वचा में निखार आता है और सर्दियों की ठंड और रूखेपन से भी सुरक्षा मिलती है।
- विटामिन और मिनरल्स आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं। इससे आप कई तरह के संक्रमण और रोग से सुरक्षित रहते हैं। इन्हीं पोषत तत्वों में ओमेगा 3 फैटी एसिड (Omega 3 Fatty Acid) को भी शामिल किया जाता है। यह लोगों को हार्ट, स्किन, बाल और जोड़ों को मजबूत करने में मुख्य भूमिका निभाता है। इससे आपको गठिया, जोड़ो में दर्द आदि रोग की संभावना कम होती है।ओमेगा 3 के क्या फायदे होते हैं? --ओमेगा-3 फैटी एसिड दिल के स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करता है, अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) को बढ़ाता है, और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है।-ओमेगा-3 में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर में सूजन को कम करते हैं। गठिया, अस्थमा और त्वचा संबंधी बीमारियों जैसे एक्जिमा और सोरायसिस जैसी सूजन से जुड़ी बीमारियों में ओमेगा-3 का सेवन फायदेमंद हो सकता है।-ओमेगा-3 त्वचा को हाइड्रेटेड और बालों को मजबूत बनाए रखने में मदद करता है। यह झुर्रियों को कम करता है और त्वचा को प्राकृतिक नमी प्रदान करता है। साथ ही, यह बालों की जड़ों को पोषण देता है, जिससे बाल स्वस्थ और चमकदार बने रहते हैं।-ओमेगा-3 हमारे मस्तिष्क के विकास और कार्यप्रणाली के लिए जरूरी है। यह याददाश्त को बढ़ावा देने में सहायक है और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं जैसे डिप्रेशन, चिंता और अल्जाइमर के जोखिम को कम कर सकता है।उम्र के अनुसार ओमेगा-3 फैटी एसिड की सही मात्रासाक्षी से जानते हैं कि किस उम्र में कितना ओमेगा 3 फैटी एसिड लेने की आवश्यकता होती है। At what age is omega-3 recommended- छह माह से 12 माह की आयु तक के लिए - 0.5 ग्राम-1 से 3 साल तक के बच्चों के लिए - 0.7 ग्राम-4 से 8 साल तक के बच्चों के लिए - 0.9 ग्राम-9 से13 साल तक के बच्चों के लिए-पुरुष - 1.2 ग्राम-महिला - 1 ग्राम-14 से18 साल तक के किशोर के लिए-पुरुष - 1.6 ग्राम-महिला - 1.1 ग्राम-19 से 50 साल तक के वयस्कों के लिएपुरुष - 1.6 ग्राममहिला - 1.1 ग्राम-51 से अधिक उम्र के लिएपुरुष - 1.6 ग्राममहिला - 1.1 ग्रामओमेगा 3 फैटी एसिड के लिए डाइट में क्या शामिल करें?चिया सीड्स - रोजाना दो चम्मच चिया सीड्स को डाइट में शामिल करें। इससे करीब 5 ग्राम ओमेगा 3 मिलता है।अखरोट - करीब 7 से 8 अखरोट से आपको रोजाना करीब 2.5 ग्राम ओमेगा 3 फैटी एसिड मिल सकता है।अलसी के बीज - एक चम्मच अलसी के बीजों से आपको करीब 1.6 ग्राम ओमेगा 3 फैटी एसिड मिलता है।ओमेगा-3 हमारे शरीर के लिए एक आवश्यक फैटी एसिड है जो हृदय, मस्तिष्क, त्वचा और संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। ओमेगा 3 फैटी एसिड सप्लीमेंट रूप में भी मिलता है, लेकिन किसी भी तरह के सप्लीमेंट्स को लेने और डाइट में बदलाव से पहले डॉक्टर से अवश्य संपर्क करें।
- भारतीय खान-पान में रोटी का एक अलग स्थान है। यह न केवल भोजन का एक प्रमुख हिस्सा है, बल्कि सेहत के लिए भी बेहद लाभकारी होती है। आयुर्वेद के अनुसार, विभिन्न प्रकार की रोटियों का सेवन हमारी सेहत पर गहरा असर डाल सकता है, खासकर जब हम इसे अपने शरीर की प्रकृति और मौसम के अनुसार चुनते हैं। भारत में कई प्रकार के अनाजों का उपयोग करके रोटियां बनाई जाती हैं, जैसे गेहूं, जौ, चना, बाजरा और रागी। प्रत्येक अनाज की अपनी खासियत और गुण होते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी साबित हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, गेहूं की रोटी पित्त और वात को संतुलित करती है, जबकि जौ की रोटी ठंडक प्रदान करती है।आयुर्वेद के अनुसार रोटी के प्रकार और उनके फायदे1. गेहूं की रोटी के फायदे और गुणगेहूं की रोटी हमारे भोजन का प्रमुख हिस्सा है। यह पौष्टिक होती है लेकिन पाचन में हल्की भारी होती है। यह रोटी वात और पित्त दोष को संतुलित करने में सहायक मानी जाती है। इसका सेवन उन लोगों के लिए फायदेमंद है जिनके शरीर में वात और पित्त असंतुलन होता है। यह रोटी दिन में एक बार मुख्य भोजन में शामिल की जा सकती है। लेकिन इसे रात में कम मात्रा में ही खाना चाहिए ताकि पाचन में कोई समस्या न हो।2. जौ की रोटी के फायदेजौ की रोटी को आयुर्वेद में ठंडा माना जाता है। यह पाचन तंत्र को बेहतर बनाने और कब्ज की समस्या को दूर करने में सहायक होती है। जौ की तासीर ठंडी होती है, जो शरीर को ठंडक प्रदान करती है। यह पित्त और कफ को संतुलित करने में मदद करती है और लाइफस्टाइल से संबंधित बीमारियों को दूर रखने में सहायक होती है। जौ की रोटी को गर्मियों में अधिक लाभकारी माना जाता है। इसे भोजन में शामिल करने से शरीर में ठंडक बनी रहती है और पाचन भी अच्छा होता है।3. चना या बेसन की रोटी के फायदेचना और बेसन की रोटी को ठंडा और शुष्क माना जाता है। यह कफ और पित्त को शांत करने में सहायक होती है और तैलीय त्वचा तथा मुंहासों से राहत प्रदान करती है। चना या बेसन की रोटी कफ और पित्त के दोषों को संतुलित करती है और खासकर उन लोगों के लिए फायदेमंद है जिन्हें त्वचा से संबंधित समस्याएं होती हैं जैसे कि मुंहासे आदि। चना या बेसन की रोटी को दोपहर के भोजन में शामिल करना सबसे अच्छा होता है।4. सत्तू या आलू से भरी हुई रोटीसत्तू, आलू या किसी भी प्रकार की भरी हुई रोटी का स्वाद बहुत ही लाजवाब होता है, लेकिन ये पाचन में भारी होती हैं। सत्तू या आलू भरी रोटी पित्त को संतुलित करती है और शारीरिक ऊर्जा को बढ़ाती है। यह पाचन तंत्र पर भारी प्रभाव डालती है, इसलिए इसे दिन के समय ही खाना चाहिए। इन रोटियों को दोपहर के समय में खाना बेहतर होता है। इसे सीमित मात्रा में खाने से पाचन सही रहता है और वजन बढ़ने का खतरा भी कम होता है।अलग-अलग प्रकार की रोटियों का आयुर्वेदिक गुणों के आधार पर चयन करना हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। हमें मौसम और शरीर की जरूरतों के अनुसार रोटियों का चयन करना चाहिए। सर्दियों में अपने पाचन और शरीर की ऊर्जा बनाए रखने के लिए दिन में एक बार पचने में हल्की रोटियों का सेवन करें। साथ ही, इसे घी के साथ खाने से इसके पौष्टिक गुण और भी बढ़ जाते हैं।
- छठ महापर्व नहाय-खाय के साथ शुरू हो जाती है। ये पूजा बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में खासतौर से मनाई जाती है। इस पूजा के पहले दिन कद्दू-भात, चने की दाल का प्रसाद बनाया जाता है। यहां जानिए चने की दाल के अनेक फायदे।खूब फायदेमंद है ये दालचना दाल प्रोटीन, बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन, आयरन, मैग्नीशियम, पोटेशियम और जिंक होता है। चना दाल में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट ऑक्सीडेटिव डैमेज से बचाने और पुरानी बीमारियों के खतरे को कम करने में मदद करते हैं।दाल में होती है खूब एनर्जीचना दाल में कार्बोहाइड्रेट होते हैं जिन्हें पचने में ज्यादा समय लगता है, जिससे खूब एनर्जी मिलती है। यह एथलीटों, बॉडीबिल्डरों या हाई तीव्रता वाले वर्कआउट करने वाले लोगों के लिए ये दाल बेस्ट है।हाई फाइबरचना दाल फाइबर का एक अच्छा स्रोत है। ज्यादा फाइबर होने की वजह से तृप्ति होती है। वहीं अधिक खाने से रोकने और वजन मैनेज करने में मदद मिलती है।डायबिटीज वालों के लिए है अच्छीरिपोर्ट्स कहती हैं कि चना दाल में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है। यह धीरे-धीरे ब्लड फ्लो में ग्लूकोज छोड़ता है, जिससे ब्लड शुगर के लेवल में अचानक नहीं बढ़ता।ब्रेन हेल्थ होगी बूस्टचना दाल आपकी ब्रेन हेल्थ के लिए भी फायदेमंद है। इसमें फोलेट और कोलीन होता है, जो ब्रेन ग्रोथ के लिए जरूरी है।बनी रहेगी आंखों की रोशनीभुनी हुई चना दाल आपकी आंखों के लिए फायदेमंद होती है। इसमें विटामिन ए होता है, जो आंखों की रोशनी बनाए रखने, रतौंधी और सूखी आंख को रोकने में मददगार साबित हो सकती है।
- त्योहारों का सीजन चल रहा है। ऐसे में लोग अपने हर त्योहार को खास और जायकेदार बनाने के लिए अलग-अलग तरह की मिठाई, तली-भूनी अनहेल्दी चीजों का सेवन कर रहे होंगे। ये सभी चीजें खाने में तो बेहद स्वादिष्ट लगती हैं, लेकिन अनजाने में आपकी बॉडी में फैट और टॉक्सिन्स जमा करती रहती हैं। जिससे आंतों को नुकसान पहुंचने के साथ पेट संबंधी कई समस्याएं भी पैदा होने लगती हैं। ऐसे में फिट और स्लिम बने रहने के लिए बॉडी को समय-समय पर डिटॉक्स करना जरूरी हो जाता है। अंग आपने भी इस त्योहारी सीजन खूब उल्टा-सीधा खाया है तो अब बॉडी को हेल्दी बनाए रखने के लिए ऐसे करें डिटॉक्स।2-3 बार पिएं अदरक का पानीअदरक का पानी शरीर में मौजूद गंदगी, टॉक्सिन्स और एक्स्ट्रा फैट को बाहर निकालने का एक अच्छा उपाय है। इस उपाय को करने के लिए एक कप गर्म पानी में सूखी अदरक का पाउडर मिलाकर पीने से आंतों को अच्छा बनाए रखने में मदद मिलती है।नींबू-पुदीना पानीनींबू और पुदीना भी एक अच्छा डिटॉक्स ड्रिंक है। नींबू में मौजूद विटामिन सी इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाए रखता है। जबकि पुदीना शरीर में फ्रेशनेस का अहसास दिलाकर पाचन में मदद करता है। इस डिटॉक्स ड्रिंक को बनाने के लिए एक गिलास पानी में आधा नींबू का रस और थोड़ी सी पुदीना पत्तियां मिलाकर कुछ मिनट अलग रख दें। इसके बाद इस पानी को छानकर पी लें। इस ड्रिंक को पीने से शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स बाहर निकल जाएंगे।अदरक-हल्दी वाला दूधयह बॉडी को डिटॉक्स करने का एक देसी आसान तरीका है। अदरक में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं, जबकि हल्दी में करक्यूमिन मौजूद होता है, जो बॉडी को डिटॉक्स करने में मदद करते हैं। इस उपाय को करने के लिए एक कप दूध में थोड़ा सा अदरक और एक चुटकी हल्दी मिलाकर उबाल लें। अब इस दूध को गर्मागर्म पी लें। इस ड्रिंक को पीने से इम्यूनिटी अच्छी होने के साथ स्किन का ग्लो भी बढ़ाता है।
- त्योहार नजदीक आते ही खाने की चीजों में मिलावटखोरी भी बढ़ जाती है। बाजार में दूध और दूध से बनने वाली चीजों जैसे घी, पनीर, मावे में लोग जमकर मिलावट करते हैं। यह मिलावटी दूध और खोया मिठाइयों में इस्तेमाल किया जाता है, जो आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इतना ही नहीं, तेल और मैदा भी मिलावट से बचे नहीं हैं। ऐसे में घर पर बनाई जानें वाले पकवान भी मिलावट से नहीं बच पाते हैं। यही कारण है कि डॉक्टर त्योहारों के मौसम में बाहरी चीजों को खाने से बचने की सलाह देते हैं।खाने की मिलावटी चीजों से होने वाले नुकसानमिलावटी भोजन में खाने की गुणवत्ता घटाने के लिए या लागत कम करने के उद्देश्य से हानिकारक रसायन, रंग, या अन्य सेहत को नुकसान पहुंचाने वाली चीजें मिलाई जाती हैं। इनमें सिंथेटिक रंग, कृत्रिम स्वाद, प्रिजर्वेटिव्स, और सस्ते विकल्प शामिल हो सकते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होते हैं। आगे जानते हैं कि मिलावटी चीजों से शरीर के किन अंगों पर बुऱा असर पड़ सकता है।लिगरमिलावटी भोजन में मौजूद केमिकल्स को तोड़ने और शरीर से बाहर निकालने का कार्य लिवर करता है। अधिक मात्रा में केमिकल या विषैले तत्वों का सेवन करने से लिवर पर अतिरिक्त भार पड़ता है, जिससे लीवर की कोशिकाओं को नुकसान हो सकता है। यह फैटी लीवर, हेपेटाइटिस, और लिवर सिरोसिस जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है।किड़नी प्रभावित होनाशरीर में मौजूद हानिकारक तत्वों को फिल्टर कर बाहर करने का कार्य किड़नी द्वारा किया जाता है। मिलावटी भोजन में मौजूद केमिकल और मेटरल जैसे लेड और आर्सेनिक, किड़नी पर प्रभाव डाल सकते हैं। यह धीरे-धीरे किड़नी की कार्यक्षमता को प्रभावित करता है और किडनी फेल्योर का कारण बन सकता है।हृदय पर दबाव बढ़नामिलावटी तेलों और फैट युक्त भोजन में अधिक मात्रा में ट्रांस फैट होते हैं, जो नसों में जमाव का कारण बनते हैं। इससे ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। लंबे समय तक मिलावटी खाद्य पदार्थों का सेवन हार्ट अटैक और स्ट्रोक का कारण बन सकता है।पाचन क्रिया प्रभावित होनामिलावटी खाना खाने से व्यक्ति की पाचन क्रिया प्रभावित होती है। इससे पाचन तंत्र पर बुरा असर पड़ता है। इससे व्यक्ति को पेट में दर्द, ऐंठन, खाना का देरी से पचना और हमेशा पेट फूला हुआ महसूस होता है। इसके अलावा, कुछ लोगों को पाचन क्रिया खराब होने के कारण रात में बार-बार नींद खुल जाती है।इम्यून सिस्टममिलावटी खाद्य पदार्थों का सेवन इम्यून सिस्टम को कमजोर कर सकता है। ऐसे भोजन में पोषक तत्वों की कमी होती है, जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। इससे बार-बार बीमार पड़ने का खतरा बढ़ जाता है।त्योहार के समय में बाहर की मिठाइयों और भोजन में मिलावटी चीजों के मिले होने की संभावना अधिक होती है। ऐसे में लोगोंं को डाइट में घर के बने संतुलित और पौष्टिक आहार को ही शामिल करना चाहिए। त्योहरों के सीजन में बाहर का खाना खाने से बचें और हो सके तो मिठाइयां भी घर ही बनाएं। इससे आप मिलावटी भोजन से बचेंगे।
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दिवाली पर घर की लक्ष्मी को चमकना तो जरूरी होता है लेकिन काम और साफ-सफाई की वजह से अक्सर हाथ-पैर बहुत गंदे हो जाते हैं। दिखने में काले लगते हैं। अब इन गंदे हाथ-पैरों को साफ करने के लिए अगर आप बहुत सारा टाइम नहीं बर्बाद करना चाहती हैं तो बस नहाने से पहले इस बॉडी पॉलिश करने वाले पैक को लगा लें। आधे घंटे में ही स्किन पर चमक दिखने लगेगी और सारी डेड स्किन साफ हो जाएगी। जानें कैसे बनाएं होममेड बॉडी पॉलिशिंग पैक।
काले दिख रहे हाथ-पैर को चमकाने के लिए ऐसे बनाएं होममेड पैकएक से दो नींबू का रसकिसी कांच के बाउल में नींबू का रस और बेकिंग सोडा मिला लें। साथ ही इसमे शैंपू डालें। बेसन और थोड़ा सा नारियल का तेल डालकर पैक तैयार कर लें।ऐसे करें घर में बॉडी पॉलिशिंगअब तैयार पैक को हाथ और पैर पर लगा लें। ध्यान रहे कि ये पैक चेहरे पर भूलकर भी ना लगाएं। नहीं तो बेकिंग सोडा फेस की नाजुक त्वचा पर नुकसान कर सकता है। हाथ-पैरों पर लगाकर आधे घंटे के लिए छोड़ दें। जब ये सूखने लगे तो हल्के हाथों से रगड़ें और साफ करें। फिर गुनगुने पानी से धो लें।नारियल का तेल स्किन के मॉइश्चर को बचाकर रखेगा और बेकिंग सोडा के साथ नींबू मिलकर स्किन पर जमा डेड स्किन को हटाने में मदद करेगा। जिससे हाथ-पैर की स्किन नेचुरली ग्लो करेगी और स्मूद नजर आएगी। लेकिन ध्यान रहे अगर स्किन सेंसेटिव है तो इस बॉडी पैक को ना लगाएं। इससे स्किन में इरिटेशन हो सकती है। -
त्योहारों का सीजन हो और बात मिठाइयों की ना हो, भारत में तो कम से कम ऐसा हो नहीं सकता है। 31 अक्तूबर को देशभर में दिवाली का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन लोग अपने घर को दीपों से सजाने के साथ दोस्तों-परिजनों को मिठाइयां भी बांटते हैं। खुशी और रोशनी का ये पर्व उस समय फीका पड़ने लगता है जब घर के किसी सदस्य को ब्लड शुगर हो और वो चाहकर भी अपनी मनपसंद मिठाई प्लेट से उठाकर नहीं खा पा रहा हो। अगर आप भी घर के ऐसे किसी सदस्य के साथ दिवाली की खुशियों की मिठास बांटना चाहते है तो ट्राई करें ये शुगर फ्री रेसिपी। ये सभी रेसिपी ना सिर्फ आपकी डायबिटीज को कंट्रोल रखने में मदद करेंगी बल्कि आपकी मीठा खाने के क्रेविंग को भी पूरा कर देंगी।
मावा बर्फीमावा बर्फी बनाने के लिए सबसे पहले एक पैन में 3 चम्मच घी गर्म करें। जब घी गर्म हो जाए तो उसमें आधा कप मावा डालकर हल्का भूरा होने तक भूनें, ताकि मावा का सारा कच्चापन दूर हो जाए। इसके बाद पैन में 1 कप कद्दूकस किया हुआ नारियल डालकर सारे मिश्रण को अच्छी तरह मिलाते हुए हल्की आंच पर 5 मिनट तक भूनने के बाद गैस बंद करके मिश्रण को ठंडा होने दें। जब मिश्रण ठंडा हो जाए तो उसे एक प्लेट में फैलाकर मनपसंद आकार में काट लें। आपकी टेस्टी शुगर फ्री मावा बर्फी बनकर तैयार है।शुगर फ्री बादाम बर्फीशुगर फ्री बादाम बर्फी बनाने के लिए सबसे पहले आधा किलो मावा को कद्दूकस करके रख लें। इसके बाद एक पैन को गर्म करके उसमें खोया डालकर भून लें। इसके बाद पैन में 40 ग्राम शुगर फ्री डालकर मावा को धीमी आंच पर पकाएं। इसके बाद पैन में पहले से रोस्ट और क्रश्ड 1 कप बादाम डालकर अच्छी तरह मिला लें। अब मावे के इस मिश्रण को सर्विंग डिश में डालकर फैलाकर ऊपर से कटे हुए बादाम गार्निश करें। मिश्रण के सूखते ही इसे अपने मनपसंद आकार में काट लें।बेसन पिन्नीबेसन पिन्नी बनाने के लिए सबसे पहले एक पैन में घी गर्म करके उसमें 1 कप बेसन डालकर हल्की आंच पर सुनहरा होने तक भून लें। बेसन को उस समय तक भूनें, जब तक उसमें से अच्छी खुशबू ना आने लगे। इस प्रकिया में आपको 10 मिनट तक का समय लग सकता है। इसके बाद गैस बंद करके बेसन को ठंडा होने के लिए रख दें। बेसन ठंडा होने पर इसमें कटे हुए बादाम डालकर मिश्रण से छोटे-छोटे लड्डू बना लें।शुगर फ्री मिठाई बनाते समय रखें इन बातों का ध्यानशुगर फ्री की मात्रा रखें ध्यानशुगर फ्री मिठाइयों में स्वीटनर की मात्रा सही होनी चाहिए। इसके अधिक उपयोग से मिठाई का स्वाद बेकार होने के साथ इसे पचाना भी मुश्किल हो सकता है।नींबू का रसमिठाइयां खाने से पहले उनके ऊपर थोड़ा सा नींबू का रस डाल दें। ऐसा करने से ग्लूज के स्तर को नियंत्रित रखने में मदद मिल सकती है। नींबू में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी ब्लड शुगर के स्तर को कंट्रोल रखने में मदद करते हैं।प्रोटीनजब कभी मीठा खाएं तो उसके साथ थोड़ी मात्रा में प्रोटीन और हेल्दी फैट्स का सेवन भी जरूर करें। मिठाई के साथ यह कॉम्बिनेशन ना सिर्फ मीठे का स्वाद बढ़ाता है बल्कि शरीर को ऊर्जा भी देता है।नट्स का करें यूजशुगर फ्री मिठाइयों को बनाते समय ज्यादा फैट और कैलोरी से बचने के लिए उनमें नट्स, सूखे मेवे और कम कैलोरी वाली चीजों का यूज करें। ताकि मिठाई खाने के बाद आपको सेहत से जुड़ी कोई परेशानी ना हो। - 6 महीने के बाद शिशु के विकास के लिए मां के दूध के साथ ठोस आहार खिलाने की सलाह दी जाती है। ऐसे में पेरेंट्स शिशु को दलिया, खिचड़ी और दूध-केले जैसी चीजें देते हैं। लेकिन रोजाना एक जैसी चीजें खाकर बच्चे बोर हो जाते हैं और फिर पेरेंट्स शिकायत करते हैं कि बच्चा ठीक से खाता नहीं है। अगर आप भी न्यू पेरेंट्स हैं और और 6 महीने के बाद के शिशु के लिए कुछ सॉलिड और नए फूड की खोज कर रहे हैं तो रागी और केले का हलवा जरूर ट्राई करें।रागी और केले के हलवे के फायदेरागी और केले के हलवे में आयरन, विटामिन और गुड फैट से भरपूर मात्रा में पाया जाता है। यह शिशु के शारीरिक व मानसिक विकास में मदद करता है। आइए जानते हैं इसके अन्य फायदों के बारे में...1. हड्डियों को मजबूत बनाता हैरागी में कैल्शियम की मात्रा बहुत अधिक होती है, जो बच्चों की हड्डियों को मजबूत बनाता है। बच्चों के बढ़ते शरीर को हड्डियों की मजबूती के लिए पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम की जरूरत होती है।2. पाचन तंत्र के लिए है फायदेमंदरागी और केला में मौजूद फाइबर बच्चों के पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है। यह हलवा बच्चों को कब्ज की समस्या से बचाता है और उनके मल को मुलायम बनाकर पेट को सही तरीके से साफ करने में मदद करता है।3. इम्यूनिटी को बनाता है मजबूतशिशु की इम्यूनिटी काफी कमजोरी होती है। इसके कारण शिशु बार-बार बीमार पड़ते हैं और शारीरिक तौर पर कमजोर हो जाते हैं। रागी और केले का हलवा बच्चों की इम्यूनिटी को भी मजबूत बनाने में मदद करता है। साथ ही, रागी और केले के पोषक तत्व संक्रमण के खतरे को कम करके बीमारियों से बचाव करते हैं।4. शरीर को मिलती है एनर्जीकेले में नेचुरल शुगर होती है जो शरीर को तुरंत एनर्जी देती है। हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि रागी में कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं, जो धीरे-धीरे पचते हैं और लंबे समय तक एनर्जी देते हैं।5. आयरन से भरपूररागी में आयरन की भी अच्छी मात्रा होती है, जो बच्चों में खून की कमी को दूर करने में मदद करती है। बच्चों में आयरन की कमी से एनीमिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं, जिन्हें दूर रखने के लिए यह हलवा फायदेमंद है।रागी और केले का हलवा बनाने की रेसिपी• 1 बड़ा चम्मच रागी (बाजरा) पाउडर• 1/2 पका हुआ केला (मैश किया हुआ)• 1/2 छोटा चम्मच घी• 1 कप पानीबनाने का तरीका- एक पैन में रागी का आटा और पानी मिलाएं। पानी मिलाने के कारण रागी में गांठ न आएं, इसके लिए इसे चम्मच से चलाते रहें।- रागी और पानी को धीमी आंच में पकाते रहें और चलाते रहें, जब तक कि यह गाढ़ा न हो जाए।- 5 से 7 मिनट तक पकाने के बाद रागी को गैस से नीचे उतारकर रखें।- रागी ठंडा हो जाए, तो उसमें मैश किया हुआ केला, घी मिलाएं।- शिशुओं को खिलाने के लिए आपका रागी और केले का हलवा तैयार हो चुका है।
- पानी हमारे शरीर के लिए कितना जरूरी है, ये शायद बताने की भी जरूरत नहीं। बिना खाना खाए तो आदमी फिर भी घंटों बीता ले लेकिन बिना पानी पीए कुछ ही देर में हालत खराब हो जाती है। वैसे तो अगर आप साफ-सुथरा पानी पीते हैं, तो ये आपकी सेहत के लिए हर तरफ से काफी फायदेमंद है। लेकिन अगर आपका पानी पीने का ढंग जरा सही नहीं है, तो ये पानी भी आपके कई रोगों का कारण बन सकता है। अब जरा लोगों कि ये एक आदत ही देख लीजिए। काफी सारे लोग होते हैं जो अपनी पानी की बोतल में मुंह लगाकर पानी पीते हैं। ये आदत देखने में भले ही नॉर्मल लगे लेकिन इसके भी कुछ नेगेटिव साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। तो चलिए आज इसी के बारे में बात करते हैं।पनप सकता है बैक्टीरियाबोतल में मुंह लगाकर पानी पीने के कई नुकसान हो सकते हैं। इनमें सबसे बड़ा नुकसान यही है कि ऐसा करने से इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। दरअसल जब कोई बोतल में मुंह लगाकर पानी पीता है, तो उसका सलाइवा यानी लार बोतल में चिपक जाती है। जिसकी वजह से इसमें कई बार बैक्टीरिया पनपने लगता है। अब जब आप दोबारा उसी बोतल से पानी पीते हैं तो ये बैक्टीरिया शरीर के अंदर चला जाता है, जो हेल्थ के लिए हानिकारक हो सकता है।एक बार में पानी पीना भी है खतरनाकबोतल से पानी पीते वक्त, पानी को घूंट-घूंट में पीने के बजाय अक्सर लोग एक ही सांस में ढेर सारा पानी पी जाते हैं, जो हेल्थ के लिए सही नहीं है। एक ही बार में तेजी से ढेर सारा पानी पीने से ये गले में अटक सकता है। इसके अलावा ऐसा करना पेट के लिए भी सही नहीं होता। इससे पेट फूलने की समस्या हो सकती है। इसीलिए बेहतर यही है कि पानी हमेशा गिलास से, घूंट-घूंट भर कर पीएं।जानिए पानी पीने का सही तरीकाशरीर को हाइड्रेटेड बनाए रखने के लिए दिन भर में पर्याप्त मात्रा में पानी पीना जरूरी है। लेकिन कभी भी एक साथ ढेर सारी मात्रा में पानी नहीं पीना चाहिए। पानी हमेशा गिलास में लेकर घूंट-घूंट में पीना चाहिए। हर घंटे थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पानी पीते रहना चाहिए। इसके अलावा पानी हमेशा बैठकर पीना चाहिए। अगर पॉसिबल हो तो हल्का गुनगुना पानी ही पीएं, ये पेट के लिए सही रहता है। पानी पीने के लिए अगर बोतल का इस्तेमाल कर रहे हैं तो उसकी साफ-सफाई भी नियमित रूप से करते रहें। अपना झूठा पानी किसी और के साथ शेयर करने से बचें और खुद भी किसी का झूठा पानी ना पीएं। साथ ही ज्यादा देर तक बोतल में पानी ना रहने दें।
- यंग लोगों में पीठ दर्द की समस्या आज के समय में काफी आम हो गई है। खासकर, ऑफिस में काम करने वाले लोगों में पीठ, कमर और गर्दन दर्द की समस्या बनी रहती है। दरअसल, ऑफिस में गलत तरीके से बैठने और कुछ खराब आदतों के कारण आप में पीठ दर्द की समस्या होती है, जिससे राहत पाने के लिए जरूरी है कि आप अपनी आदतों में बदलाव करें और पोश्चर को ठीक करें।ऑफिस में पीठ दर्द से राहत पाने के लिए क्या करें?1. कुर्सी का सही सेटअपअपनी कुर्सी को इस तरह से सेट करें कि आपकी पीठ के निचले हिस्से को अच्छी तरह से सहारा मिले। आपके पैर जमीन पर मजबूती से टिके होने चाहिए और आपके घुटने 90 डिग्री के कोण पर होने चाहिए ताकि आपकी पीठ के निचले हिस्से पर दबाव कम हो।2. आंखों के स्तर पर रखें मॉनिटरअपने मॉनिटर को इस तरह रखें कि स्क्रीन आपकी आंखोंके स्तर पर हो। इससे गर्दन पर दबाव कम पड़ता है और खराब मुद्रा से बचने में मदद मिलती है।3. कीबोर्ड और माउस की स्थिति का ध्यान रखेंअपने कीबोर्ड और माउस को अपने शरीर के करीब रखें ताकि आपकी बाहें ज्यादा न खिंचें। इस बात को तय करें कि आपके हाथों की कलाईकुर्सी के आर्मरेस्ट पर टिके हों ताकि कंधे का तनाव कम हो।4. नियमित ब्रेक लेंहर 25 से 30 मिनट में, खड़े होने, स्ट्रेच करने और इधर-उधर घूमने के लिए थोड़ा ब्रेक लें। इससे आपके शरीर का ब्लड फ्लो बेहतर रहता है, पीठ और गर्दन में अकड़न की समस्या से भी राहत मिलती है।5. स्वस्थ खाने की आदतेंकाम के दौरान खूब पानी पीकर खुद को हाइड्रेटेड रखने की कोशिश करें। ज्यादा कार्बोहाइड्रेट का सेवन करने से बचें और ध्यान रखें कि आप मांसपेशियों के स्वास्थ्य और स्वास्थ रहने के लिए पर्याप्त प्रोटीन का सेवन करें।इन टिप्स को फॉलो करके आप अपने वर्कप्लेस पर लंबे समय तक काम करने के दौरान किसी भी तरह की होने वाली असुविधा को कम कर सकते हैं और पीठ या कमर के दर्द के जोखिम को कम किया जा सकता है।
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त्योहारों के मौसम में जैसे-जैसे चीजों की मांग बढ़ती है, वैसे ही मिलावट भी तेजी से की जाती है। त्योहारी मौसम में लोग व्रत रखते हैं, तो फलों की मांग ज्यादा होती है। खासकर हर व्रत में केला जरूर खाया जाता है। क्योंकि केला एक सुपरफूड है और इसे खाने से पूरा दिन शरीर को एनर्जी मिलती है। लेकिन समस्या यह है कि मांग बढ़ने के कारण केले को जल्दी पकाने के लिए कार्बाइड केमिकल का इस्तेमाल किया जा रहा है। कार्बाइड केमिकल से पकाए गए केले का सेवन किया जाए, तो कई बीमारियों की वजह बन सकता है। यही कारण है आज इस लेख के माध्यम हम आपको बताने जा रहे हैं बाजार में मिलने वाले केले को कार्बाइड केमिकल से पकाया गया है या नहीं इसकी पहचान कैसे की जा सकती है, ताकि आप अपने परिवार और खुद को मिलावट से जहर से बचा सकें।
-पहला तरीकाभारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण के दिशा-निर्देशों के अनुसार, केले को कार्बाइड केमिकल से पकाया गया है या नहीं इसे समझने के लिए रंग पर ध्यान देना जरूरी होता है। अगर केले का छिलका पूरी तरह से चिकना और हल्के पीले रंग का और उस पर हल्का हरा रंग नजर आ रहा है, तो यह कार्बाइड या अन्य किसी केमिकल से पकाए गए केले की पहचान का पहला तरीका है। वहीं, प्राकृतिक तरीके से केले के Carbide-banana-inside छिलके गाढ़े पीले रंग का होता है और उस पर काले धब्बे दिखाई देते हैं।दूसरा तरीकाकार्बाइड केमिकल से पकाए गए केले काफी ठोस और आंखों लुभाने वाले होते हैं। वहीं, प्राकृतिक तरीके से पकने वाले केले थोड़े डल नजर आते हैं।तीसरा तरीका- केले को कार्बाइड केमिकल से पकाया गया है इसकी जांच आप पानी से भी कर सकते हैं।- इसके लिए एक बाल्टी भर पानी लें। पानी में एक साबुत केला डालें।- अगर आपका केला पानी में डूब जाता है, तो समझ लीजिए यह प्राकृतिक तरीके से पका हुआ है।- वहीं, अगर केला पानी में तैरने लगता है, तो यह कार्बाइड केमिकल से पके हुए केले की पहचान है।चौथा तरीकाकार्बाइड केमिकल से पकाए गए केले हर तरफ से एक नहीं होते हैं। अगर आपको बाजार में मिलने वाला केला कहीं से कच्चा और कहीं से ज्यादा पका हुआ नजर आता है, तो समझ लीजिए कि इसे कार्बाइड या अन्य प्रकार के केमिकल से पकाया गया है। वहीं, प्राकृतिक तरीके से पके हुए केले चारों तरफ से एक जैसे ही पके हुए होते हैं।पांचवां तरीकाकेमिकल वाले केले की पहचान करने का एक तरीका, उसे छूकर देखना भी है। जब कोई केला प्राकृतिक तरीके से पकता है, तो उसे छूने पर हाथों को एक मुलायम पन महसूस होता है। वहीं, कार्बाइड केमिकल से पकाए गए केले बाहर से पूरा पका हुआ दिखने के बावजूद छूने पर सख्त महसूस होता है। - दूध पीने के बाद घर से तुरंत बाहर जाना अशुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि दूध पीने के आधे एक घंटे इंतजार करना चाहिए और इसके बाद ही घर के बाहर जाना चाहिए। दूध पीकर बाहर जाने से आपके साथ नकारात्मक ऊर्जा आपके साथ आ जाती है और आप जिस काम के लिए जाते हैं वो विफल यानी खराब हो जाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि दूध चंद्रमा तत्व का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए जब आप दूध पीकर घर से निकलते हैं तो नेगेटिव ऊर्जा आपका पीछा करने लगती है। लेकिन दूध पीकर घर से न निकलने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। दरअसल खाली पेट दूध पीने से ये कई लोगों को पचता नहीं है, और आपको स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं हो सकती है।खाली पेट दूध पीकर घर से निकलने से सेहत पर क्या प्रभाव पड़ता है?सुबह खाली पेट दूध पीकर घर से निकलने पर स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ समस्याएं हो सकती हैं, खासकर अगर आप नियमित रूप से सुबह खाली पेट दूध का सेवन करते हैं।" आइए जानते हैं खाली पेट दूध पीने से आपके सेहत पर क्या-क्या प्रभाव पड़ सकता है।1. पाचन से जुड़ी समस्याएंखाली पेट दूध पीने से कई लोगों को पाचन से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि एसिडिटी, या पेट में जलन। दूध में लैक्टोज होता है, जिसे पचाना कुछ लोगों के लिए मुश्किल हो सकता है, जिससे पेट में भारीपन या गैस्ट्रिक समस्याएं हो सकती है।2. एनर्जी कम होनादूध पीने से शरीर को तुरंत एनर्जी नहीं मिलती है क्योंकि इसमें प्रोटीन और फैट होते हैं। इसलिए, सुबह बिना कार्बोहाइड्रेट या फाइबर के यह आपके शरीर में ब्लड शुगर के स्तर को बिगाड़ सकता है, जिससे दिन के दौरान आपको थकावट महसूस हो सकती है।3. मेटाबॉलिज्म धीमा होनासुबह खाली पेट दूध पीने से से आपका मेटाबॉलिज्म धीमा हो सकता है, जिससे आपके शरीर में एनर्जी का स्तर कम हो सकता है और वजन बढ़ने की संभावना बढ़ सकती है।4. लैक्टोज इन्टॉलरेंसजिन लोगों में लैक्टोज इन्टॉलरेंस यानी दूध में मौजूद लैक्टोज से एलर्जी होती है, उन्हें खाली पेट दूध पाने से पेट में दर्द, दस्त और उल्टी जैसी समस्याएं हो सकती है।5. भूख कम होनासुबह घर से निकलने से पहले दूध पीने से आप अन्य पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों को खाने से बचते हैं, जिससे आपके शरीर को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं। इससे सुबह शरीर को पर्याप्त मात्रा में पोषण नहीं मिल पाता है।आयुर्वेद के अनुसार दूध पीने का तरीका क्या है?आयुर्वेद में हेल्दी या मोटे व्यक्तियों के लिए सुबह के समय दूध पीना बेहतर होता है, क्योंकि दूध पीने के बाद आपके शरीर को देर तक एनर्जी मिलती है और कैलोरी मात्रा कम होने के कारण ये आप में मोटापाकम करने में मदद कर सकता है। जबकि कमजोर व्यक्तियों को सुबह के समय दूध पीने के स्थान पर रात को सोने से पहले दूध पीना चाहिए, इससे आप में एनर्जी का स्तर बढ़ाने में मदद मिल सकती है, क्योंकि रात के समय हमारे शरीर में वात दोष बढ़ता है, जिसे ये बैलेंस कर सकता है। इसके साथ ही रात में अग्नि यानी डाइजेशन कम होता है, जो दिन के समय ज्यादा बेहतर होता है।घर से निकलते समय दूध पीकर निकलना अशुभ नहीं होता है, बल्कि ये आपके स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। दरअसल जब आप खाली पेट घर से दूध पीकर निकलते हैं और आपकी तबीयत खराब हो जाए, तो आप जिस काम के लिए जा रहे हैं, उसे करने में दिक्कत आ सकती हैं, क्योंकि कमजोरी, चक्कर आने या स्वास्थ्य से जुड़ी अन्य समस्याएं होने पर आप अपने काम में फोकस नहीं कर पाएंगे। इसलिए अगर आपको सुबह खाली पेट दूध पीने की आदत है, तो कोशिश करें कि दूध के साथ अन्य पोषक तत्वों से भरपूर फूड्स का भी सेवन करें, जो आपके शरीर को ताकत देने और आपको स्वस्थ रखने में मदद करें।
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लंबे समय तक त्वचा की देखभाल न करने से स्किन हेल्थ खराब होने लगती है। इसके कारण चेहरे पर डार्क स्पॉट्स, डल स्किन, टैनिंग और ब्लैक व व्हाइटहैड्स जैसी समस्याएं होने लगती हैं। इतना ही नहीं, इसके कारण त्वचा का निखार खत्म होने लगता है और स्किन डल होने लगती है। लेकिन स्किन को हेल्दी और ग्लोइंग रखने के लिए पोषण और देखभाल दोनों पर ध्यान देना जरूरी है। हेल्दी और फ्रेश डाइट से आप पोषक की कमी पूरी कर सकते हैं। निखार लाने के लिए देखभाल करना ही जरूरी है। इसके लिए आप चावल के आटे और एलोवेरा से बना फेस मास्क भी लगा सकते हैं। इनके इस्तेमाल से आपको कई स्किन प्रॉब्लम्स से छुटकारा भी मिलेगा। आइए इस लेख में जानें चावल और एलोवेरा का फेस मास्क कैसे बनाना है।
ग्लोइंग स्किन के लिए चावल के आटा और एलोवेरा का फेस मास्कसामग्रीचावल का आटा- 3 चम्मचएलोवेरा- 2 चम्मचविटामिन ई- 1मिल्क- जरूरत मुताबिकविधिफेस मास्क बनाने के लिए बाउल में 3 चम्मच चावल का आटा लीजिए। अब इसमें 2 चम्मच एलोवेरा जेल मिलाएं। इसमें विटामिन ई का कैप्सूल मिलाएं और मिक्सचर बनाएं। अगर यह पेस्ट ज्यादा गाढ़ा है तो इसमें थोड़ा कच्चा दूध मिलाएं। पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाएं और सूखने के बाद सादे पानी से धो लें। इस फेस मास्क को आप सप्ताह में दो बार इस्तेमाल कर सकते हैं।चावल के आटा और एलोवेरा के फेस मास्क के फायदेस्किन को ग्लोइंग रखे-यह फेस मास्क स्किन को हेल्दी और ग्लोइंग रखने में मदद करता है। चावल त्वचा की सफाई में मदद करता है और एलोवेरा स्किन को मॉइस्चराइज करता है। विटामिन ई और दूध से स्किन हाइड्रेट रहती है और डलनेस कम होती है। इन सभी फायदों से त्वचा में निखार बना रहता है। इस मास्क में एलोवेरा जेल के साथ विटामिन-ई कैप्सूल भी है। इसके इस्तेमाल से स्किन मॉइस्चराइज और हाइड्रेट रहती है। इसके साथ ही, त्वचा की डलनेस और ड्राईनेस भी कम होती है।त्वचा की गहराई से सफाई होती हैचावल के आटे में बारीक कण पाए जाते हैं जो त्वचा की गहराई से सफाई करते हैं। इससे त्वचा की सफाई होती है और स्किन क्लीन रहती है।डलनेस कम होती है-स्किन डलनेस दूर करने के लिए आप एलोवेरा और चावल का आटा इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके इस्तेमाल से डार्क स्पॉट्स और डलनेस कम होते हैं। इससे चेहरे पर निखार आता है। अगर आप इनमें से कोई भी सामग्री पहली बार इस्तेमाल कर रहे हैं, तो पैच टेस्ट जरूर करें। लेकिन अगर आपको स्किन इंफेक्शन या एलर्जी रहती है, तो एक्सपर्ट से संपर्क करें। - वर्तमान में भारत में डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से पीड़ित लोगों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है, जो कि ज्यादातर खराब खानपान और बिगड़ी लाइफस्टाइल के कारण होती है। डायबिटीज के मरीजों को एक्टिव लाइफस्टाइल के साथ अपने खानपान का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। डायबिटीज से जूझ रहे लोगों को पाचन संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, ऐसे में प्याज का सेवन लाभदायक साबित हो सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि प्याज में क्वेरसेटिन और कार्बनिक सल्फर यौगिक होते हैं, जो शरीर में इंसुलिन को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं।डायबिटीज में प्याज खाने के फायदे1. प्याज में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स और फाइबर शरीर में इंसुलिन उत्पादन में सुधार कर सकते हैं, जो डायबिटिक मरीजों के लिए जरूरी है।2. प्याज में मौजूद पोषक तत्व शरीर में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं।3. डायबिटीज के मरीजों का वजन कंट्रोल कर में भी प्याज सहायक हो सकता है। पोषक तत्वों से भरपूर प्यार में कम कैलोरी होती है, जिससे डायबिटिक मरीजों को वजन कंट्रोल करने में मदद मिलती है।4. प्याज में मौजूद पोटेशियम और कैल्शियम हड्डियों के साथ-साथ हार्ट हेल्थ के लिए फायदेमंद हो सकता है और हार्ट के जुड़ी समस्याओं को कम करने में मदद कर सकता है।5. डायबिटीज में पेट के खराब पाचन क्रिया की वजह से इंसुलिन का प्रोडक्शन में कमी हो जाती है। ऐसे में पाचन सिस्टम को बेहतर करने में भी प्याज सहायक हो सकता है।6. प्याज में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स इम्यून सिस्टमको मजबूत बनाए रखने में मदद कर सकते हैं, जिससे कई तरह के इन्फेक्शन और बीमारियों से बचा जा सकता है।7. जिन लोगों को पेट से जुड़ी समस्याएं रहती हैं उनके लिए भी प्याज का सेवन लाभदायक होता है। प्याज में मौजूद फाइबर पाचन क्रिया को बेहतर करता है और कब्ज समस्या को कम करने में मदद कर सकता है।8. प्याज में क्वेरसेटिन नामक एक तत्व होता है जो मस्तिष्क स्वास्थ्य यानी ब्रेन हेल्थ को बनाए रखने में मदद कर सकता है।9. क्वेरसेटिन जैसे फ्लेवोनोइड्स शरीर में एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करते हैं और फ्री रेडिकल्स को खत्म करने में मदद करते हैं।10. प्याज में कैल्शियम, मैग्नीशियम के साथ अन्य पोषक तत्व होते हैं, जो हड्डियों और जोड़ों को मजबूत बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।11. जिन लोगों को एंग्जायटी और तनाव की समस्या रहती है उनके लिए भी प्याज का सेवन फायदेमंद साबित होता है। प्याज में क्वेरसेटिन ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस लेवल कम करता है।इन सभी फायदों को ध्यान में रखते हुए, डायबिटिक मरीजों को नियमित रूप से प्याज का सेवन करना चाहिए। लेकिन प्याज का सेवन करने से पहले, डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।