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- गांव में अरंडी के पौधे आज भी हर कहीं उगे हुए देखे जा सकते है... गांव के लोग अरंडी को बहुत अच्छे से जानते है, जब भी कभी मोच आ जाती हैं अरंडी के पत्ते सबसे पहले याद आते है... वैसे अब स्थिति बदली हैं, जरा सा कुछ होने पर भी डॉक्टर,मेडिकल पर टूट पड़ते है...हमनें अपनी स्थिति भले ही बदल ली हैं लेकिन पौधे ने अपना गुण धर्म नही खोया है...आज शहरी जगत में हर कहीं Castor-oil की चर्चा आपको सुनने को मिल जाएगी,उसके गुणों का बखान भी मिला जाएगा,,पर उसका सीधा इस्तेमाल कोई नही करता,और अधिकतर लोग पौधे को भी नही पहचानते.....अरंडी के तेल में पाए जाने वाले गुणों की वजह से यह स्वास्थ्य और सुंदरता दोनों में फायदा करता है।जानते है अरंडी के तेल के फायदे1. काले धब्बे साफ़ करे -अरण्डी का आयल और नारियल के तेल की कुछ बुँदे ले और इसे चेहरे के काले धब्बो पर लगाए इससे काले धब्बे मिट जाएंगे।2.गठिया रोग में -गठिया रोगी व्यक्ति की अरंडी के तेल से मालिश करने पर उसे दर्द में आराम होता हैं। यह मांसपेशियों के दर्द को कम करता है।3.कब्ज में फायदा -कब्ज के लिए कैस्टर ऑयल का उपयोग कैसे करें तो इसके लिए आधा चम्मच तेल एक कप गर्म दूध में मिलाकर पियें।4. बालों के लिए -इस तेल को बालों की सुंदरता और बालों की समस्या के लिए प्रयोग किया जाता है। बालों में अरंडी का तेल लगाने से बाल चमकदार, लम्बे, घने होते है। इससे बालों का रूखापन और डैंड्रफ भी खत्म हो जाती है।5.पेट की चर्बी कम करे -हरे अरंड की २० - ५० ग्राम जड़ ले इसे धोकर कूट ले। अब २०० मिली पानी में पका ले। ५० मिली रह जाने पर इसका सेवन करे इससे पेट कम होगा।6. पाइल्स से छुटकारा -20 से 30 मिली अरंड के पत्ते का काढ़ा बनाकर 25 मिली एलोवेरा के रस में मिलाकर सुबह शाम पीने से पाइल्स में लाभ होगा।7. किडनी की सूजन कम करने में सहायक -किडनी की सूजन को कम करने में अरंड की मींगी को पिसे। इसे गर्म करके पेट के आधे भाग में लेप करे सूजन में आराम होगा।8.आँखों में -अरंडी के तेल की कुछ बुँदे ले और आँखों के आसपास हल्की मालिश करे इससे आँखों की सूजन में आराम होगा।9. झुर्रिया मिटाये -यह मॉइश्चराइजर की तरह काम करता है जो समय से पहले आने वाले बुढ़ापे को रोकता है और झुर्रियों को खत्म करता है।10. साइटिका के दर्द को कम करे -यह साइटिका के दर्द को कम करने में मदद करता है।11. मासिक विकार में राहत -पीरियड्स में होने वाले दर्द से छुटकारा पाने के लिए अरंड के पत्ते गर्म करके पेट पर बाँधने से लाभ होता है।12.मस्से के लिए -एलोवेरा रस में अरंडी का तेल मिलाकर लगाने से मस्सों की जलन में राहत मिलती है।13.शरीर की मालिश -बॉडी मसाज के लिए इस तेल का उपयोग कर सकते है इससे बॉडी पर चमक आती है।
- शिमला मिर्च आखिर किसे पसंद नहीं होती है? भरवा शिमला मिर्च हो या आलू शिमला मिर्च, ये सब्जी किसी हर कोई बड़े चाव से खाता है। पोषक तत्वों से भरपूर ये सब्जी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होती है। इसे पास्ता से लेकर सब्जी बनाने तक कई व्यंजनों में इस्तेमाल किया जाता है। ये हरी, लाल और पीली तीन रंगों में पाई जाती हैं। रंगों के मुताबिक इनके फायदे भी अलग-अलग होते हैं। हर रंग की शिमला मिर्च के सेवन से सेहत को अलग-अलग फायदे मिलते हैं।सेहत के लिए रंग-बिरंगी शिमला मिर्च के फायदे-हरी शिमला मिर्च-हरी शिमला मिर्च में विटामिन-सी, विटामिन-के, पोटेशियम और फोलेट, फाइबर और कैरोटीनॉयड जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। ये सभी पोषक तत्व गट हेल्थ के लिए फायदेमंद होते हैं। इसमें कैलोरी की मात्रा भी कम होती है, जिससे यह वजन घटाने के लिए परफेक्ट ऑप्शन है। यह एंटीऑक्सीडेंट का भी बेहतरीन सोर्स है, जो समस्त स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।लाल शिमला मिर्चलाल शिमला मिर्च को हरी शिमला मिर्च से भी अधिक फायदेमंद माना जाता है। इसमें हरी शिमला मिर्च के मुकाबले ज्यादा बीटा-केरोटीन, विटामिन-ए, विटामिन-सी होता है। विटामिन-सी होने के कारण यह इम्यूनिटी के लिए ज्यादा फायदेमंद मानी जाती है। इसमें ल्यूटिन और जेक्सैन्थिन कैरोटीनॉयड भी होते हैं, जो आंखों को स्वस्थ रखने में भी मदद करते हैं। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट शरीर को ऑक्सीडेटिव डैमेज से बचाने में भी मदद करते हैं।पीली शिमला मिर्चपीली शिमला मिर्च में लाल और हरी शिमला मिर्च से ज्यादा विटामिन-सी पाया जाता है। लेकिन इसमें विटामिन-ए और बीटा-केरोटीन हरी शिमला मिर्च से कम होती है। इसमें भी कैरोटीनॉयड पाए जाते हैं, जो आंखों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। इसका सेवन करना त्वचा के लिए भी फायदेमंद होता है। पीली शिमला मिर्च में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो फ्री रेडिकल्स से लड़ने में मदद करते हैं। इसमें फाइबर भी पाया जाता है, जो पाचन को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है।काली शिमला मिर्चकाली शिमला मिर्च देश के बहुत कम हिस्सों में पाई जाती है। इसे हाइब्रीड के जरिए भी उगाया जाता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट काफी ज्यादा पाए जाते हैं, जो ऑक्सीडेटिव डैमेज से बचाने और कैंसर से लड़ने में मदद करते हैं।नारंगी शिमला मिर्चनारंगी शिमला मिर्च भी इसी प्रजाति में शामिल है। इसमें विटामिन-सी और बीटा-केरोटीन पाया जाता है, जो आंखों को स्वस्थ रखने में मदद करता है।
- युवावस्था में बदलते हार्मोंस, तनाव और खानपान में लापरवाही करने से पिम्पल्स यानी मुहांसे की समस्या आम है। अगर आप इनसे पीड़ित हैं तो सर्वप्रथम अपने खानपान में सुधार करे, तला हुआ, अधिक मिर्ची मसाले वाला, फ़ास्ट फ़ूड, जंक फ़ूड, कोल्ड ड्रिंक्स, डिब्बा बंद पेय नहीं पिए। इसके साथ में ये घरेलू उपाय करे।1. हल्दीहल्दी एंटीसेप्टिक का काम करती है। इसीलिए इसमें बैक्टीरिया से लड़ने की क्षमता पाई जाती है। एक चम्मच हल्दी पाउडर में थोड़ा सा पानी मिलाकर गाढ़ा पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को पिंपल्स पर लगाएं। कुछ मिनट के लिए लगा रहने दें। फिर ठंडे पानी से चेहरा धो लें। ऐसा एक हफ्ते तक करें। पिंपल्स खत्म हो जाएंगे।2. नींबूपिंपल्स मिटाने के लिए नींबू बहुत फायदेमंद होता है। नींबू में भरपूर मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है। दो नींबू का जूस निकाल लें। नींबू के रस को कॉटन में भिगोकर चेहरे पर लगा लें। सूख जाए तो ठंडे पानी से धो लें। दिन में दो बार इसे तीन-चार दिनों तक लगाएं। पिंपल्स दूर हो जाएंगे।3. लहसुन – लौंगलहसुन में एंटीफंगल तत्व पाए जाते हैं। इसीलिए यह पिंपल्स को बहुत जल्दी दूर कर देता है। लहसुन की दो कलियां और एक लौंग पीस लें। इस पेस्ट को सिर्फ पिंपल्स पर लगाएं। कुछ देर लगा रहने दें। फिर चेहरा धो लें। ऐसा करने से पिंपल्स खत्म हो जाएंगे।4. शहदशहद एक नेचुरल एंटीसेप्टिक है। पिंपल्स की समस्या में यह रामबाण है। कॉटन बॉल को शहद में डुबोकर चेहरे पर लगाएं। सूखने पर चेहरा धो लें। पिंपल्स खत्म हो जाएंगे।5. पपीतापपीता में बहुत अधिक मात्रा में एंटीआक्सीडेंट पाए जाते हैं। यह पिंपल्स को बहुत जल्दी खत्म करने की क्षमता रखता है। एक पपीता को छिलकर मिक्सर में पीस लें और चेहरे पर लगाएं। पपीते का जूस भी चेहरे पर लगाया जा सकता है। पंद्रह से बीस मिनट चेहरे पर लगा रहने दें। फिर ठंडे पानी से चेहरा धो लें।6. संतराझाई – मुहांसे की बात छोड़िये, चेचक तक के दाग आसानी से दूर हो सकते हैं। केवल संतरे के छिलके की मदद से, संतरे के छिलको को सुखाकर उनका महीन चूर्ण बना ले। उस चूर्ण में गुलाबजल और नींबू का रस डालकर मुंहासों पर लेप करे। ये प्रयोग जब तक संतरे का मौसम रहे, तब तक जारी रखे। मुंहासे हमेशा के लिए गायब हो जायेंगे।एक समय में एक ही उपाय करे।विशेष - इनके साथ में आप ब्लड प्यूरी फायर जिसमे नीम कुटकी और चिरायता मिला हो वो ज़रूर पिए। इस से खून में आई गंदगी दूर होगी और चेहरा और शरीर निर्मल होगा।
- गुनगुने पानी के साथ शहद और नींबू के नियमित सेवन से सेहत से जुड़ी कई समस्याओं से हमेशा के लिए निजात मिल सकता है।गुनगुने पानी में शहद के फायदे :-1. पाचन सुधारेअच्छे पाचन के लिए सुबह गर्म पानी में शहद और नींबू मिलाकर पीना चाहिए। यह पेट को साफ करने में मदद करता है। यह लीवर में रस के उत्पादन को बढ़ाता है जिससे पाचन में मदद मिलती है। नींबू में मौजूद एसिड आपके पाचन तंत्र में मदद करता है और अवांछित विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। इसके अलावा शहद एक एंटीबैक्टीरियल के रूप में कार्य करता है और आपके शरीर में मौजूद किसी भी तरह के संक्रमण को दूर करने में मदद करता है।2. कब्ज दूर करेंयह मिश्रण कब्ज के लिए तत्काल उपाय है। यह आंत को प्रोत्साहित कर मल त्यागने में मदद करता है। इसके अलावा यह आंत्र म्यूकस में बढ़ावा देता है, पेट को हाइड्रेट करता है और सूखे मल को पानी में भिगो देता है। इन सब की एक साथ मौजूदगी से मल त्यागने में मदद करता है।3. लसीका प्रणाली की सफाई में मददगारलसीका प्रणाली में पानी और आवश्यक तरल पदार्थ की कमी हो जाती है जिससे आपको सुस्त और थका हुआ महसूस होना, कब्ज, सोने में परेशानी, उच्च या निम्न रक्तचाप, तनाव और मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। सुबह-सुबह इस मिश्रण को पीने से लसीका प्रणाली को हाइड्रेट होने में मदद मिलती है जिससे न केवल सभी उपरोक्त लक्षणों बल्कि प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार होता है।4. मौखिक स्वास्थ्य में सुधारएसिडिक प्रकृति का नींबू, शहद और गुनगुने पानी के साथ सांसों की बदबू को तुरंत दूर करने में मददगार होता है। नींबू अपनी लार ग्रंथियों को सक्रिय और आक्रामक बैक्टीरिया को मार कर मुंह शुद्ध करने में मदद करता है। सांस में बदबू का कारण जीभ पर सफेद परत का गठन (मुख्य रूप से खाद्य और बैक्टीरिया से मिलकर) भी है, यह रस इस परत को प्रभावी ढंग से हटाकर सांस की बदबू से प्राकृतिक रूप से छुटकारा दिलाता है।5. मूत्रवर्धक के रूप में कार्यशहद में बहुत ही शक्तिशाली एंटी-बैक्टीरियल के गुण होते हैं। इसमें कई प्रकार के संक्रमण को दूर करने की क्षमता होती है। नींबू और पानी के साथ यह मिश्रित – एक उत्कृष्ट मूत्रल (आपके शरीर से पानी बाहर निकलवाने वाला एजेंट) के रूप में कार्य करता है। यह आपके मूत्र मार्ग को साफ करने का सबसे अच्छा तरीका है। यूटीआई (यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन) से पीड़ित महिलाओं के लिए यह रस एक वरदान की तरह है क्योंकि यह संक्रमण को दूर करने में मदद करता हे।6. एनर्जी लेवल बढ़ायेशहद और गर्म पानी से शरीर में एनर्जी में भी वृद्धि होती है। शरीर में ज्यादा एनर्जी उत्पन्न होने से शरीर का मेटाबॉलिज्म और कार्यप्रणाली में भी वृद्धि होती है। शहद शरीर के अंगों को ठीक से काम करने के लिए प्रेरित करता है। सुबह में गर्म पानी नींबू के साथ लेने से आप दिन भर ऊर्जावान बने रह सकते हैं।7. वजन घटाने में मददगारशहद और नींबू के साथ गर्म पानी लेने से भूख कम लगती है। शहद और नींबू के साथ गर्म पानी में बड़ी मात्रा में फाइबर मौजूद होता है, जो भूख की इच्छा और शूगर लेवल को कम करके पर्याप्त एनर्जी प्रदान करता है। इस तरह से नियमित रूप से सुबह इसका सेवन करने से दिन भर में आपके द्वारा लिए गए भोजन की मात्रा कम हो जाएगी। अपने दिन की शुरुआत गुनगुने पानी के साथ शहद और नींबू के साथ करने से आपका वजन काफी हद तक कम हो जाएगा।8. त्वचा के लिए लाभकारीत्वचा के लिए नींबू के लाभ अनगिनत है लेकिन इसके अलावा इसमें मौजूद क्लीजिंग तत्व रक्त को शुद्ध करने में मदद करता है, नई रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में मदद करता है। पानी और शहद का मिश्रण आपकी त्वचा के लिए एक अनूठा दृढ, जीवाणुरोधी और कोलेजन बढ़ाने वाले गुण होते है। इसलिए अगर आप स्वाभाविक रूप से चमकदार त्वचा चाहती हैं तो यह पेय आपके लिए बहुत लाभकारी साबित होगा।9. पोषक तत्वों और विटामिन से भरपूरशहद और नींबू के गर्म पानी में कई जरूरी एंटी-आक्सीडेंट, विटामिन और पोषक तत्व पाए जाते हैं, इसके अलावा इसमें एंटी इफ्लेमेंटरी गुण भी मौजूद होते है। इसलिए इसके सेवन से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है। साथ ही यह वजन कम करने में सहायक होती हैं।10. रोग प्रतिरोधी क्षमता में मजबूतीशहद का सेवन शरीर के लिए काफी फायदेमंद है इसीलिए डॉक्टर हमेशा इसके सेवन की सलाह देते हैं। शहद के साथ नींबू और गुनगुने पानी के नियमित सेवन शरीर की प्रतिरोधी क्षमता बढ़ती है। शहद और नींबू में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और कई पोषक तत्व शरीर को मौसम बदलने के साथ होने वाले संक्रमणों से दूर रखने में मदद रखता हैं।
- आपने अपनी दादी-नानी से सुना होगा कि पहले समय में लोगों के बाल ज्यादा घने हुआ करते थे। ऐसा इसलिए क्योंकि पहले लोग बालों की ज्यादा देखभाल कर पाते थे। लेकिन बिजी लाइफस्टाइल के कारण अब बालों की रोज देखभाल करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में ज्यादातर लोग वीकेंड पर ही अपने बालों की केयर कर पाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं अगर आप कुछ खास चीजों पर ध्यान देते हैं, तो आप बालों को हेल्दी रख सकते हैं। दरअसल, हमें अपने डेली लाइफस्टाइल में कुछ चीजें बदलनी होती हैं, जिससे बालों की ग्रोथ तेजी से हो सकती है।बालों को प्राकृतिक रूप से बढ़ाने के लिए अपनाए ये टिप्स-माइक्रो फाइबर टॉवल इस्तेमाल करेंहेयर वॉश के बाद हम बालों को टाइट टॉवल से पोछने लगते हैं। लेकिन ऐसा करने से बाल ज्यादा टूटने लगने हैं। गीले बालों को तेजी से बांधने या पोछने से बालों की जड़े भी कमजोर हो सकती हैं। इसलिए बाल धोने के बाद केवल माइक्रो फाइबर वाले टॉवल इस्तेमाल करें। इससे बाल सॉफ्ट रहते हैं और ज्यादा टूटते नहीं हैं।बालों की गर्म तेल से मसाज न करेंकुछ लोग हेयर मसाज के लिए गर्म तेल इस्तेमाल करते हैं। जबकि इससे बालों की जड़े कमजोर हो सकती हैं। इससे बाल बेजान और रूखे भी नजर आ सकते हैं। इसलिए बालों की मसाज के लिए गर्म तेल इस्तेमाल न करें। इसकी जगह आप गुनगुने तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं।ज्यादा टाइट हेयर स्टाइल न बनाएं-कुछ लड़कियों को टाइट हेयर स्टाइल की आदत होती है। लेकिन लंबे समय तक टाइट हेयर स्टाइल बनाए रखने से भी जड़े कमजोर हो सकती हैं। इसके कारण बाल माथे की ओर से कम होने लगते हैं, जो देखने में भी काफी अजीब लगते हैं। इसलिए ज्यादा देर तक टाइट हेयर स्टाइल न बनाकर रखें।ब्लो ड्राई कम करेंअगर आप बाल सुखाने के लिए ड्रायर इस्तेमाल करते हैं, तो उसकी हीट कम रखें। ज्यादा हीट पर बाल ड्राई करने से आपके बाल बेजान और रूखे नजर आ सकते हैं। इसलिए सप्ताह में कम से कम ही ब्लो ड्राई करें।घर में बने हेयर मास्क इस्तेमाल करेंबालों को घना बनाने के लिए आप होममेड हेयर मास्क इस्तेमाल कर सकते हैं। घर पर बने हेयर मास्क में केवल प्राकृतिक चीजें इस्तेमाल की जाती हैं, जो बालों को मजबूत बनाए रखने में मदद करती हैं।इन टिप्स को फॉलो करने से आपको तेजी से बाल बढ़ाने में मदद मिल सकती है। लेख में दी गई जानकारी पसंद आई हो, तो इसे शेयर करना न भूलें।
- आपने अपने बड़ों से जरूर सुना होगा कि जैसा हम खाना खाते हैं, वैसा हम दिनभर महसूस करते हैं। नाश्ता हमारे दिन का पहला मील होता है, जिसका सेवन हम खाली पेट करते हैं। इसलिए दिनभर एनर्जेटिक रहने के लिए नाश्ता हेल्दी होना जरूरी है। कई घरों में सुबह के नाश्ते में परांठे या छोले-भटूरे का सेवन किया जाता है। इस तरह से नाश्ते से दिनभर सुस्ती और भारीपन जैसा महसूस हो सकता है। इसी तरह अगर आप ब्रेकफास्ट में फल खाते हैं, तो आप एक्टिव महसूस करते हैं। कई ऐसे खाद्य पदार्थ हैं, जो हमें हेल्दी लगते हैं। जबकि खाली पेट इन चीजों के सेवन से आपको पाचन से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।खाली पेट भूलकर भी इन 5 चीजों को न बनाएं डाइट का हिस्सा-च्युइंग गम-अगर आप खाली पेट च्युइंग गम खाते हैं, तो इससे आपके पाचन तंत्र पर असर पड़ सकता है। च्युइंग गम खाने से हमारे पेट को सिग्नल मिलता है कि मुंह में खाना चबाना शुरू हो गया है। ऐसे में हमारा पेट पचाने के लिए तैयार हो जाता है। लेकिन कुछ पचाने के लिए न मिलने पर पाचन तंत्र पर बुरा असर पड़ता है। इससे खाली पेट एसिडिटी या पेट दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं।चाय-कॉफीअगर आप खाली पेट चाय या कॉफी का सेवन करते हैं, तो इससे आपको एसिडिटी या कब्ज की समस्या हो सकती है। इन दोनों में कैफीन भी ज्यादा पाया जाता है, जो ब्रेन पर भी असर डालता है। जब हमारा ब्रेन किसी एसिड की वजह से एक्टिव होता है, तो इससे ब्रेन की क्षमता पर भी बुरा असर पड़ता है।कच्ची सब्जियांकुछ लोग खाली पेट कच्ची सब्जियां खाना पसंद करते हैं। लेकिन इससे पाचन तंत्र पर बुरा असर पड़ सकता है। सब्जियों में फाइबर ज्यादा होता है, इनका खाली पेट सेवन करने से अपच या कब्ज की समस्या हो सकती है।चीनी युक्त चीजें-अगर आप सुबह खाली पेट चीनी युक्त चीजों का सेवन करते हैं, तो इससे आपको दिन भर थकावट और सुस्ती महसूस हो सकती है। साथ ही चीनी के सेवन से आपकी शुगर स्पाइक हो सकती है, जिससे आपको दिनभर क्रेविंग्स हो सकती है।खट्टे फल-अगर आप खाली पेट अंगूर, संतरा या आंवला जैसे फलों का सेवन करते हैं, तो इससे आपका पाचन खराब हो सकता है। खाली पेट खट्टे फल खाने से पेट में एसिड बनने लगता है। इससे आपको पेट दर्द, एसिडिटी या खट्टी डकार आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।पाचन स्वस्थ रखने के लिए सुबह के नाश्ते में प्रोटीन और हेल्दी फैट्स लेना शुरू करें। इससे आपको दिनभर एक्टिव रहने में मदद मिलेगी, साथ ही आपको जल्दी भूख नहीं लगेगी। इस बारे में और भी ज्यादा जानकारी के लिए आप डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं।
- काला चावल एक ऐसा अनाज, जिसे आज भी ज्यादा लोग नहीं जानते हैं। देश के उत्तर पूर्वी राज्यों में पाया जाने वाला काला चावल पोषक तत्वों का खजाना है। इसे मुख्यतौर पर मणिपुर में उगाया जाता है अब छत्तीसगढ़ में भी कुछ किसान इसकी फसल लेने लगे हैं। काले चावल के पोषक तत्वों की बात करें, तो इसमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-कैंसर एजेंट के गुण पाए जाते हैं. इसके साथ ही काला चावल प्रोटीन, आयरन और फाइबर का खजाना माना जाता है, ये सभी चीजें शरीर को बीमारियों से दूर हेल्दी रखने में मददगार होती है। तो चलिए आज जानते हैं काले चावल को खाने के 5 फायदे...प्रोटीन का अच्छा सोर्सअन्य चावलों की तुलना में काला चावल प्रोटीन का बेस्ट सोर्स माना जाता है। 100 ग्राम काले चावल में 9 ग्राम प्रोटीन होता है, जबकि ब्राउन चावल के लिए 7 ग्राम प्रोटीन पाया जाता है। जो लोग वजन घटाने की चाह रखते हैं उन्हें काला चावल खाने की सलाह दी जाती है।हार्ट को रखता है हेल्दीकाले चावल में एंटीऑक्सीडेंट के गुण पाए जाते हैं, जो हार्ट को हेल्दी रखने के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। रिसर्च में यह बात सामने आई है कि काले चावल का सेवन करने से शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है और बैड कोलेस्ट्रॉल कम होता है। शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल बढऩे से हार्ट से संबंधित बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।आंखों के लिए है फायदेमंदकाले चावल में पाए जाने वाला ल्यूटिन और जेक्सैन्थिन आंखों को लंबे समय तक स्वस्थ रखने में मददगार साबित होते हैं। काले चावल में पाए जाने वाला एंथोसायनिन आंखों के अच्छा माना जाता है। नियमित तौर पर काले चावल का सेवन करने से मोतियाबिंद और डायबिटिक रेटिनोपैथी जैसे जोखिमों को भी म रखने में मदद मिलती है।कैंसर के खतरे को करता है कमकाले चावल में 23 से अधिक प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। इसमें एंथोसायनिन से भी ज्यादा शक्तिशाली एंटी कैंसर गुण होते हैं। एंथोसायनिन एक पिगमेंट है, जिसकी वजह से ये चावल काले-बैंगनी रंग का होता है। रिसर्च में यह बात सामने आई है कि एंथोसायनिन ने मानव स्तन कैंसर कोशिकाओं की संख्या को कम कर करने और उन्हें फैलने से रोकने में मददगार साबित हो सकता है।वजन कम करने में मददगारकाले चावल में भरपूर मात्रा में प्रोटीन और फाइबर पाया जाता है। ये चीजें वजन घटाने और शरीर को पतला रखने में फायदेमंद माना जाता है। जो लोग जिम, योग और एक्सरसाइज करते हैं, उन्हें भी काले चावल का सेवन करने की सलाह दी जाती है।पेट के लिए है अच्छाकाला चावल ग्लूटेन फ्री अनाज होता है, इसलिए इसे पचाने के लिए शरीर को अतिरिक्त मेहनत नहीं करनी पड़ती है। काले चावल का सेवन करने से गैस, पेट में दर्द और अपच जैसी समस्याएं नहीं होती हैं। जिन लोगों को खाना पचाने में परेशानी होती है, उन्हें भी काले चावल का सेवन करने की सलाह दी जाती है।नोट-महिलाएं अगर प्रेगनेंट हैं, पीरियड्स में किसी तरह की समस्या जूझ रही हैं, तो काले चावल का इस्तेमाल करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
- दूध, स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होता है। दूध में कई पौष्टिक तत्व होते हैं जो बीमारियों से बचाते हैं। ये ही वजह है कि घरों में बच्चों को रोज दूध पीने की सलाह दी जाती है। दूध में कैल्शियम से लेकर प्रोटीन और विटामिन तक कई पौष्टिक तत्व होते हैं जो हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाते हैं। दूध पीने से तनाव दूर होता है और शरीर हाइड्रेड रहता है।गर्म दूध पीने के फायदे :-1. बेहतर नींदसोने से पहले गर्म दूध का सेवन करने का एक बड़ा फायदा है अच्छी नींद। दूध में अमीनो एसिड होता है जो अच्छी नींद लाने में मदद करता है। दूध गर्म होने पर ये एसिड सक्रिय हो जाते हैं।2. जुकाम का इलाजसर्दी-जुकाम को ठीक करने के लिए गर्म दूध और शहद पीना एक बेहतरीन घरेलू उपाय है। कहा जाता है कि पेय में एंटी-बैक्टीरियल प्रभाव होता है, जो आपको ऐसी बीमारियों से राहत दिलाने में मदद करता है।3. पीएमएस से राहतजिन महिलाओं को पीरियड्स के दौरान मुश्किल होती है, उनके लिए गर्म दूध और हल्दी इसका जवाब है। दूध में पोटेशियम की मौजूदगी ऐंठन को शांत करने में मदद करती है, जबकि गर्म दूध में हल्दी मिलाने से शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है।ठंडा दूध पीने के फायदे1. त्वचा के लिए अच्छाठंडा दूध इलेक्ट्रोलाइट्स से भरा होता है जो आपके शरीर को डिहाइड्रेशन से लड़ने में मदद कर सकता है। यह आपके शरीर को हाइड्रेट रखेगा और त्वचा को चमकदार बनाए रखेगा। ठंडा दूध पीने का सबसे अच्छा समय सुबह का है।2. वजन घटाने में मदद करता हैमानो या न मानो, ठंडा दूध वास्तव में वजन कम करने में मदद करता है। ठंडे दूध में कैल्शियम की उपस्थिति आपके शरीर के चयापचय में सुधार करती है, और इस प्रकार अधिक कैलोरी बर्न करती है। एक गिलास दूध पीने से आपका पेट भी लंबे समय तक भरा रहता है और साथ ही आपको अनावश्यक स्नैकिंग से बचने में भी मदद मिलती है।3. पेट के अल्सर से राहत दिलाता हैअगर आप अक्सर पेट के अल्सर और एसिडिटी से पीड़ित रहते हैं, तो ठंडा दूध एक जादुई उपाय की तरह काम करता है। यदि आप पाचन संबंधी समस्याओं से पीड़ित हैं, तो आप एक गिलास ठंडे दूध में एक बड़ा चम्मच ईसबगोल मिला सकते हैं, क्योंकि यह एसिड रिफ्लक्स के उपाय के रूप में कार्य करता है।इस बात का ध्यान रखें कि आप सर्दियों में ठंडा दूध पीने से बचें, क्योंकि इससे सर्दी-खांसी हो सकती है।दूध पीने के नियम :-बोर्नविटा, होर्लिक्स के विज्ञापनों के चलते माताओं के मन में यह बैठ जाता है की बच्चों को ये सब डाल के दो कप दूध पिला दिया बस हो गया. चाहे बच्चे दूध पसंद करे ना करे, उलटी करे, वे किसी तरह ये पिला के ही दम लेती है. फिर भी बच्चों में केशियम की कमी, लम्बाई ना बढना, इत्यादि समस्याएँ देखने में आती हैआयुर्वेद के अनुसार दूध पीने के कुछ नियम है।1. सुबह सिर्फ काढ़े के साथ दूध लिया जा सकता है ।2. दोपहर में छाछ पीना चाहिए दही की प्रकृति गर्म होती है जबकि छाछ की ठंडी।3. रात में दूध पीना चाहिए पर बिना शकर के, हो सके तो गाय का घी १- २ चम्मच डाल के ले . दूध की अपनी प्राकृतिक मिठास होती है वो हम शक्कर डाल देने के कारण अनुभव ही नहीं कर पाते।4. एक बार बच्चें अन्य भोजन लेना शुरू कर दे जैसे रोटी, चावल, सब्जियां तब उन्हें गेंहूँ, चावल और सब्जियों में मौजूद केल्शियम प्राप्त होने लगता है अब वे केल्शियम के लिए सिर्फ दूध पर निर्भर नहीं।5. कपालभाती प्राणायाम और नस्य लेने से बेहतर केल्शियम एब्जॉर्ब होता है और केल्शियम , आयरन और विटामिन्स की कमी नहीं हो सकती साथ ही बेहतर शारीरिक और मानसिक विकास होगा।6. दूध के साथ कभी भी नमकीन या खट्टे पदार्थ ना ले .त्वचा विकार हो सकते है।7. बोर्नविटा, कॉम्प्लान या होर्लिक्स किसी भी प्राकृतिक आहार से अच्छे नहीं हो सकते. इनके लुभावने विज्ञापनों का कभी भरोसा मत करिए . बच्चों को खूब चने, दाने, सत्तू , मिक्स्ड आटे के लड़डू खिलाइए।8. प्रयत्न करे की देशी गाय का दूध ले।9. जर्सी या दोगली गाय से भैंस का दूध बेहतर है।10. दही अगर खट्टा हो गया हो तो भी दूध और दही ना मिलाये, खीर और कढ़ी एक साथ ना खाए खीर के साथ नमकीन पदार्थ ना खाए।11. चावल में दूध के साथ नमक ना डाले।12. सूप में, आटा भिगोने के लिए, दूध इस्तेमाल ना करे।13. द्विदल यानी की दालों के साथ दही का सेवन विरुद्ध आहार माना जाता है अगर करना ही पड़े तो दही को हिंग जीरा की बघार दे कर उसकी प्रकृति बदल लें।14. रात में दही या छाछ का सेवन ना करे।15. ताजा, जैविक और बिना हार्मोन की मिलावट वाला दूध सबसे अच्छा होता है। पैकेट में मिलने वाला दूध नहीं पीना चाहिये।16. दूध को गरम या उबाल कर पियें। अगर दूध पीने में भारी लगे तो उसे उसमें थोड़ा पानी मिला कर उबालें।17. दूध में एक चुटकी अदरक, लौंग, इलायची, केसर, दालचीनी और जायफल आदि की मिलाएं। इससे आपके पेट में अतिरिक्त गर्मी बढ़गी जिसकी मदद से दूध हजम होने में आसानी मिलेगी।18. अगर आप को डिनर करने का मन नहीं है तो आप रात को एक चुटकी जायफल और केसर डाल कर दूध पियें। इससे नींद भी अच्छी आती है।19. किसी भी नमकीन चीज़ के साथ दूध का सेवन ना करें। क्रीम सूप या फिर चीज़ को नमक के साथ ना खाएं। दूध के साथ खट्टे फल भी नहीं खाने चाहिये।20. दूध और मछली एक एक साथ सेवन नहीं करना चाहिये, इससे त्वचा खराब हो जाती है
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गन्ने के रस से गुड और चीनी दोनों बनते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं चीनी बनने पर आइरन तत्व, पोटेशियम, गंधक, फासफोरस और कैल्शियम आदि तत्व नष्ट हो जाते हैं लेकिन गुड़ में ये तत्व पूरी मात्रा में मौजूद होते हैं। गुड़ विटामिन ए और विटामिन बी का बेहतर स्त्रोत है। गुड़ के कई एैसे फायदे हैं जिन्हें जानकर आपको भी गुड़ खाने की इच्छा बढ़ जाएगी। क्या है गुड़ में और कैसे आपके और आपके परिवार की सेहत के लिए सबसे अच्छा है। आज समय की ऐसी मार पड़ी है के अधिकतर गन्ना बनाने वाले भी इसकी शुद्धता का पूरा ध्यान नहीं देता, मगर फिर भी ये स्वास्थय के लिए बेहद अच्छा और फायदेमंद है.
गन्ना स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होने के साथ ही स्वादिष्ट भी होता है। गुड़ का नियमित थोडा थोडा सेवन करने से अनेक रोगों से बचा जा सकता है। आयुर्वेद संहिता के अनुसार यह शीघ्र पचने वाला,खून बढ़ाने वाला व भूख बढ़ाने वाला होता है। कभी घर में गुड के चावल और दलिया बना कर खा कर देखना. जो स्वाद इनमे आता है वो फाइव स्टार में भी नहीं आता । इसके अतिरिक्त गुड़ से बनी चीजों के खाने से इन बीमारियों में राहत मिलती है. आइये जानते हैं गुड के फायदे.बच्चों के लिए फायदेमंद है गुड – गुड के फायदेगुड़ में कैल्श्यिम की उचित मात्रा होने की वजह से यह बच्चों की हड्डीयों की कमजोरी को दूर करता है। साथ ही बच्चों के दांत टूटने पर होने वाली कमजोरी को भी दूर करता है। बढ़ते हुए बच्चों को गुड़ देना उनकी सेहत के लिए फायदेमंद होता है।बुढ़ापा और मानसिक स्वास्थ के लिए गुड :-विटामिन बी होने की वजह से गुड़ मानसिक रोगों को दूर करता है। प्राचीन ग्रंथों में कहा गया है कि गुड़, दही और मक्खन खाने वालों को बुढापा जल्दी नहीं आता है। इसलिए गुड़ जरूर खाएं।दिल की बीमारी में लाभदायक है गुड :-गुड़ में मौजूद पोटेशियम दिल संबंधी बीमारियों की रोकथाम करने में फायदेमंद होता है। दिल के रोगियों के लिए चीनी नुकसानदायक होती है एैसे में गुड़ खाना बेहद फायदेमंद होता है।आयरन की कमी के लिए बेहतर है गुड :-माताओं और बहनों में लौह तत्व की कमी पायी जाती है। एैसे में कई बार मासिक धर्म में परेशानी हो जाती है। वे यदि गुड़ का सेवन करें तो उन्हें फायदा मिल सकता है। शरीर में खून की कमी की वजह से आयरन की मात्रा भी कम हो जाती है। एैसे में गुड़ में 11 प्रतिशत मिलीग्राम लौह तत्व पाया जाता है जो खून की कमी और हीमोग्लोबिन का कम होने की समस्या को ठीक कर देता है।तुरंत शक्तिदायक है गुड :-पहले जब लोग मेहनत का काम करते थे तो काम शुरू करने से पहले गुड ज़रूर खाते थे, गुड खाने से तुरंत एनर्जी मिल जाती है. गाँवों में ऐसी अनेक उदाहरण मिल जाएँगी जहाँ बुजुर्गों ने गुड खाने के बाद किसी गाय या बैल को अपने कंधे पर उठा लिया हो या कोई बड़ा पेड़ उठा लिया हो. गुड तुरंत शक्ति देने में बहुत सहयोगी है.इसके अलावा गन्ने के ये निम्नलिखित गुण बहुत विशेष हैं.✤ सर्दी के दिनों में गुड़, अदरक और तुलसी के पत्तों का काढ़ा बना कर गरमा गर्म पीना काफी अच्छा रहता है और यह काढ़ा हमें सर्दी-जुकाम से भी बचाता है।✤ जुकाम जम गया हो तो गुड़ पिघलाकर उसकी पपड़ी बनाकर खिलाएं।✤ पांच ग्राम गुड़ को इतने ही सरसों के तेल में मिलाकर खाने से श्वास रोग से छुटकारा मिलता है।✤ गुड़ और काले तिल के लड्डू खाने से सर्दी में अस्थमा परेशान नहीं करता है।✤ गुड़, सेंधा नमक, काला नमक मिलाकर चाटने से खट्टी डकारें आना बंद हो जाती हैं।✤ सर्दियों के मौसम में गुड की चाय पीना ज्यादा स्वास्थवर्धक माना जाता है।✤ भोजन के बाद गुड़ खा लेने से पेट में गैस नहीं बनती है।✤ गुड़ उन लोगों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है जिनके शरीर में खून की कमी (एनीमिया) होती है, क्योंकि गुड आयरन का एक बहुत ही अच्छा स्रोत होता है और यह शरीर में हीमोग्लोबिन का लेवल बढाने में मदद करता है।✤ गुड हमारी पाचन क्रिया के लिए भी काफी अच्छा होता है इसलिए गुड को थोड़ी मात्रा में खाना खाने के बाद जरूर खाना चाहिए।✤ गुड का प्रयोग पीलिया रोग का उपचार करने के लिये भी किया जाता है। पांच ग्राम सौंठ, दस ग्राम गुड़ के साथ लेने से पीलिया रोग में लाभ होता है।✤ गुड का इस्तेमाल विभिन्न तरह की अलग अलग डिश बनाने में किया जाता है जैसे – तिल गुड की चिक्की, गुड की खीर, गुड का परांठा आदि।✤ गुड में अधिक मात्रा में पोटेशियम पाया जाता है जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने में सहायता करता है।✤ अगर आप कब्ज की समस्या से परेशान है तो रात में खाना खाने के बाद एक टुकड़ा गुड खाने से आप कब्ज की समस्या से मुक्ति पा सकते है।✤ पुराना गुड़ अधिक अच्छा होता है लेकिन अगर पुराना गुड़ न मिले तो नए गुड को ही थैली में डालकर कुछ देर धूप में रखने के बाद प्रयोग करें तो यह फिर से पुराने गुड के जैसा ही गुणकारी हो जाता है।✤ गैस की तकलीफ को दूर करने के लिए रोज सुबह के समय में खाली पेट थोड़ा सा गुड़ चूसना चाहिए।✤ गुड़ के साथ पकाए चावल खाने से बैठा हुआ गला व आवाज खुल जाती है।✤ गुड़ का हलवा खाने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।✤ बाजरे की खिचड़ी में गुड़ डालकर खाने से नेत्र-ज्योति बढ़ती है।✤ खट्टी डकारें आने पर गुड़ को काले नमक में मिलाकर चाटें।✤ छिलकेवाली मूंग की पानीवाली दाल में गुड़ मिलाकर खाना सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है। गुड़ की चक्की बनाकर भी आप इसका सेवन कर सकते हो।✤ खाली पेट गुनगुने पानी में गुड़ को घोलकर पीने से आपको फायदा मिलता है। जिससे शरीर कें अंदर की गंदगी साफ हो जाती है। - इम्यूनिटी के लिए आंवले जैसे पोषक तत्वों से भरपूर चीजों को खाना चाहिए जिनमें विटामिन C के साथ कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट्स शामिल हों, ये तत्व न सिर्फ आपके शरीर की इम्यूनिटी को बेहतर कर सकते हैं बल्कि स्किन और बालों की क्वालिटी सुधारने में भी सहायक हो सकते हैंआंवले के साथ शहद और काली मिर्च खाने के 7 फायदे1. आंवले में विटामिन C के साथ अच्छी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो इम्यून सिस्टम को बेहतर करने में सपोर्ट करते हैं। इसके सेवन से बदलते मौसम में होने वाली कई तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है।2. शहद और आंवले में पाए जाने वाला एंटीऑक्सीडेंट हार्ट हेल्थ के लिए फायदेमंद होते हैं, वहीं काली मिर्च में पाया जाने वाला पोटैशियम और मैग्नीशियम शरीर मे ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करता है।3. आंवले के साथ शहद और काली मिर्च के सेवन से वजन को कंट्रोल करना आसान हो सकता है। इसके साथ ही, काली मिर्च में पाया जाने वाला पिपेरिन शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाता है और इंफ्लेमेशन को कम करने में सहायक है।4. आंवले के साथ शहद और काली मिर्च का सेवन पाचन को सुधारने के साथ गैस और एसिडिटी को कम करने में मदद कर सकता है। इसके सेवन से गट हेल्थ बेहतर होती है।5. आंवले के साथ शहद और काली मिर्च के सेवन से थकान और कमजोरी का एहसास कम होता है। जिससे आप दिनभर एनर्जेटिक महसूस कर सकते हैं।आंवला के साथ शहद और काली मिर्च बनाने का तरीकाइस मिक्स को बनाने के लिए आपको आधा किलो आंवला, 3 चम्मच कुटी हुई काली मिर्च और 100ml शहद चाहिए होगा। सबसे पहले आंवले में कांटे या छुरी की मदद से छेद करें और फिर इन्हें पानी में डालकर 10 मिनट के लिए उबालें। इसके बाद जब आंवले ठंडे हो जाएं तो इन्हें एक जार में भरकर इसमें शहद और कुटी हुई काली मिर्च मिलाकर 2 दिन के लिए ढककर रखें और फिर इन्हें खाने के लिए इस्तेमाल करें। ध्यान रखें कि रोजाना 1 आंवला ही खाएं। यदि आप नियमित शहद, आंवला और काली मिर्च के मिश्रण का सेवन करते हैं, तो इससे आपके शरीर की इम्यूनिटी के साथ ब्लड सर्कुलेशन भी बेहतर हो सकता है और दिल की बीमारियों और हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या से छुटकारा मिल सकता है।
- हर महिला को खूबसूरत दिखने की चाह होती है। सदियों से महिलाएं निखरी त्वचा पाने के लिए घरेलू उपायों और आयुर्वेदिक तरीकों को अपने रूटीन में शामिल कर रही हैं। चेहरे को खूबसूरत दिखाने के लिए न सिर्फ ऊपर से उसे साफ रखना जरूरी है, बल्कि शरीर के अंदर से भी स्किन को हेल्दी रखना महत्वपूर्ण है। नेचुरल ग्लोइंग स्किन पाने के लिए आयुर्वेद में कई उपाय बताए गए हैं।नेचुरल त्वचा के लिए आयुर्वेदिक उपाय1. गोल्ड, घी और शहद का सेवनअपने दिन की शुरुआत गोल्ड, घी और शहद के मिश्रण की 2-3 बूंदों का सेवन करके करें। सोना त्वचा की रेडनेस को कम कर सकता है, पिंपल्स की सूजन को कम कर सकता है, हाइपरपिग्मेंटेशन से बचा सकता है और त्वचा को प्राकृतिक चमक देने में मदद करता है। जबकि घी त्वचा की लोच और एंटी-ऑक्सीडेंट बनाए रखने में मदद करता है। शहद आपकी त्वचा को नमी देने में मदद करता है और समय से पहले बूढ़ा होने से रोकता है। इस मिश्रण का सेवन हर उम्र के लोग कर सकते हैं।2. अनार और घी का सेवनदाडिमाडी घृत अनार, गाय के घी और अन्य आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से बना सबसे अच्छा आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन में से एक है। यह आपके एचबी को बेहतर बनाने में मदद करता है, आपके ब्लड को डिटॉक्स करता है, आपको शांत और स्थिर रहने में मदद करता है और यहां तक कि आपके पाचन में भी सुधार करता है। आधा-1 चम्मच सुबह या सोते समय गर्म दूध या पानी के साथ।3. आम्रपाली का सेवन करेंत्वचा को चमकदार बनाने के लिए आयुर्वेदिक आम्रपाली चाय का सेवन करें। यह चाय रंग निखारने वाली जड़ी-बूटियों से बनी है, जो खून को शुद्ध करती है और आपकी त्वचा को एकसमान रंगत और चमक देने में मदद करती है। 3 ग्राम आम्रपाली को 300 मिलीलीटर पानी में 7 मिनट तक उबालें और फिर इसे छान लें और खाली पेट इसका सेवन करें।4. आयुर्वेदिक फेस मास्क का इस्तेमाल करेंहिबिस्कस, लोध्र, मंजिष्ठा, चंदन, गुलाब, हल्दी, लाल मसूर, केसर जैसी जड़ी-बूटियों से तैयार आयुर्वेदिक फेस मास्क का इस्तेमाल करें। ये जड़ी-बूटियां आपकी स्किन में ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करती हैं और त्वचा में चमक बढ़ाने में मदद करती हैं।5. केसर सीरम का इस्तेमालरात को सोने से पहले अपने चेहरे पर केसर सीरम से सर्कुलर मोशन में मसाज करें।
- आज के समय में खाने की गलत आदतों और लाइफस्टाइल में हुए बदलाव का असर सेहत पर देखने को मिलता है। लोगों की शारीरिक गतिविधियों में आई कमी के कारण पाचन क्रिया प्रभावित होती है। जिसकी वजह से लोगों को गैस, अपच, एसिडिटी और कब्ज की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इससे बचने के लिए लाइफस्टाइल और डाइट में कुछ आवश्यक बदलाव करने की सलाह दी जाती है। बेर से कब्ज की समस्या को भी दूर किया जा सकता है। आगे जानते हैं कब्ज को दूर करने में बेर किस तरह से फायदेमंद होते हैं।बेर से कब्ज की समस्या को करें दूरफाइबर से भरपूरकब्ज से राहत पाने के लिए आप बेर का सेवन कर सकते हैं। इसमें मौजूद फाइबर आंतों के लिए फायदेमंद होते हैं। भोजन को पचाने और उसको आंतों में आगे की ओर ले जाने में फाइबर महत्वपूर्ण रोल अदा करते हैं। यह मल को एक साथ जोड़कर उसे बाहर करने में मदद करता है। इससे आपको कब्ज की समस्या में आराम मिलता है।आंतों के स्वस्थ बैक्टीरिया (माइक्रोबायोटा) को बढ़ाएंएक्सपर्ट के अनुसार आंतों में मौजूद स्वस्थ बैक्टीरिया (माइक्रोबायोटा) गैस्ट्रोइंंटेस्टाइनल ट्रैक्ट की समस्याओं को दूर करने में सहायक होते हैं। यह पाचन क्रिया को सुधारते हैं। साथ ही, गैस और कब्ज जैसे समस्या को दूर करते हैं। बेर के नियमित सेवन से माइक्रोबायोटा में वृद्धि होती है। इससे पाचन क्रिया बेहतर होती है।एंटीऑक्सीडेंट से भरपूरबेर में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो आंतों से जुड़ी समस्याएं जैसे कब्ज और एसिडिटी को कम करने में मददगार होते हैं। यह ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करते हैं। बेर को डाइट में शामिल कर आप कब्ज की समस्या को धीरे-धीरे आसानी से कम कर सकते हैं।शरीर को हाइड्रेट करने में सहायकशरीर में पानी की कमी के कारण लोगों को कब्ज की समस्या हो सकती है। इससे बचने के लिए रोजाना पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। बेर व अन्य फल के सेवन से आप पानी की आवश्यकता को पूरा कर सकते हैं। इससे भोजन तेजी से डाइजेस्ट होता है।पोषण तत्वों से भरपूरबेर में आवश्यक विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं। कुछ लोगों को पोषण की कमी के कारण भी पाचन से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। बेस में मौजूद विटामिन सी इम्यून सिस्टम और कोलेजन को बूस्ट करता है। साथ ही, पोटेशियम, मैग्नीशियम और आयरन शारीरिक कार्यों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। इसके नियमित सेवन से पाचन संबंधी समस्याएं जैसे कब्ज से छुटकारा मिलता है।बेर भारतीय बाजार में आसानी से उपलब्ध होते हैं। इनके नियमित सेवन से शरीर की समस्याओं को दूर किया जा सकता है। इससे सूजन, कब्ज, एसिडिटी, गैस, पेट फूलने आदि समस्या को दूर किया जा सकता है। यदि, आपको काफी समय से कब्ज की समस्या है, तो ऐसे में फलों को डाइट में शामिल कर सकते हैं।
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हृदय हमारे शरीर का एक अहम अंग होता है। लंबी उम्र तक जीने के लिए हृदय का स्वस्थ होना बहुत जरूरी होता है। आपको बता दें कि हृदय रोग, दुनियाभर में होने वाले मौतों का एक मुख्य कारण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मानें तो हर साल दुनियाभर में 17.9 मिलियन लोगों की जान चली जाती है। वैसे तो हृदय रोग कई तरह के होते हैं, लेकिन हार्ट अटैक और स्ट्रोक, दो ऐसे रोग हैं, जो सबसे ज्यादा मौतों का कारण बनते हैं। WHO के अनुसार 5 में से 4 मौतें हार्ट अटैक और स्ट्रोक के कारण होती हैं। इनमें से एक तिहाई मौतें 70 वर्ष से कम उम्र के लोगों की होती हैं। इसलिए हार्ट अटैक और स्ट्रोक के लक्षणों की समय पर पहचान करना बहुत जरूरी है, जिससे मृत्यु दर को कम किया जा सके। युवाओं में भी तेजी से हार्ट अटैक और स्ट्रोक के मामले देखने को मिल रहे हैं। इसी के बीच WHO ने ट्विटर पर हार्ट अटैक और स्ट्रोक के लक्षणों को सांझा किया है। आइए, जानते हैं इनके बारे में-
हार्ट अटैक के लक्षण-1. सीने के बीच में दर्दविश्व स्वास्थ्य संगठन ने जो लिस्ट शेयर की है, उसके अनुसार सीने के बीच में दर्द होना हार्ट अटैक का एक आम लक्षण होता है। अगर आपको अचानक से सीने में दर्द होता है, तो इसे नजरअंदाज न करें। इस दौरान आपको सीने में असहजता भी महसूस हो सकती है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करें।2. बाएं कंधे में दर्दबाएं कंधे, हाथ, कोहनी, कमर और जबड़े में दर्द होना भी हार्ट अटैक के लक्षण हो सकते हैं। WHO ने अपनी लिस्ट में इन्हें भी हार्ट अटैक का लक्षण बताया है। इन समस्याओं को अनदेखा न करें।3. सांस लेने में दिक्कतडब्ल्यूएचओ के अनुसार, सांस लेने में दिक्कत होना हार्ट अटैक का लक्षण हो सकता है। इसके अलावा, अगर आपको दम फूलने जैसा लग रहा है, तो यह भी हार्ट अटैक का एक लक्षण है।4. उल्टी आनाविश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो उल्टी आना और त्वचा का पीला पड़ना भी हार्ट अटैक के लक्षण माने जाते हैं। इसलिए अगर आपको अचानक से जी मिचलाने या उल्टी आने जैसी समस्याएं होती हैं, जो इन्हें अनदेखा न करें। त्वचा इसलिए पीली पड़ने लगती है, क्योंकि ब्लड सप्लाई कम होने लगती है।5. ठंडा पसीना आनाअगर आपको ठंडा पसीना आ रहा है, तो WHO के अनुसार यह भी हार्ट अटैक का लक्षण हो सकता है। इस स्थिति में आपका शरीर ठंडा रहता है, लेकिन आपको पसीना आ सकता है।स्ट्रोक के लक्षण1. अचानक कमजोरी महसूस होनाविश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो अचानक से कमजोरी महसूस होना स्ट्रोक का एक संकेत हो सकता है। इस स्थिति में आपको हाथ और पैरों में या शरीर के एक हिस्से में अचानक सुन्नपन भी महसूस हो सकता है।2. कंफ्यूजनअगर आपके दिमाग में अक्सर कंफ्यूजन रहती है, तो यह स्ट्रोक का लक्षण हो सकता है। इसके अलावा, बोलने में दिक्कत या फिर किसी बात को समझने में दिक्कत होना भी स्ट्रोक के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे में आपको डॉक्टर से जरूर संपर्क करना चाहिए।3. आंखों से देखने में दिक्कतअगर आपको एक या दोनों आंखों से देखने में दिक्कत हो रही है, तो विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यह भी स्ट्रोक का लक्षण हो सकता है।4. चलने में दिक्कत होनाअगर आपको चलने में दिक्कत, चलने के दौरान बैलेंस बनाने में परेशानी या फिर चक्कर जैसा महसूस होता है, तो भी डॉक्टर से जरूर मिलें। ये भी स्ट्रोक के संकेत हो सकते हैं।5. सिरदर्द होनाअगर आपको अक्सर ही सिरदर्द बना रहता है, तो इस लक्षण को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें। इसके अलावा, बेहोशी या चक्कर आना भी स्ट्रोक के लक्षण होते हैं। - सर्दियों में ब्लड सर्कुलेशन पर प्रभाव पड़ता है, जिसकी वजह से लोगों को हार्ट संबंधी समस्याएं होने लगती है। वैसे, सर्दियों से बचने के लिए कई तरह के उपाय हैं, लेकिन आप डाइट में कीवी को शामिल कर कई रोगों से खुद का बचाव कर सकते हैं। कीवी का नियमित सेवन करने से आपको कोलेस्ट्रॉल और हार्ट अटैक जैसी समस्याओं का खतरा कम हो सकता है ।सर्दियों में कोलेस्ट्रॉल और हार्ट अटैक से बचने के लिए करें कीवी का सेवन -फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूरकीवी में फाइबर पाए जाते हैं। हाई फाइबर युक्त आहार को कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करने में सहायक माना जाता है। कीवी में मौजूद सॉल्यूबल फाइबर पाचन तंत्र में कोलेस्ट्रॉल को बांधने को मदद करता है। साथ ही ब्लड में इसके अवशोषण को रोकता है। कीवी में विटामिन सी, विटामिन ई और एंटीऑकसीडेंट्स होते हैं। यह ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करते हैं। इससे सूजन कम होती है, सूजन हार्ट डिजीज को बढ़ा सकती है।पोटेशियम और मैग्नीशियमकीवी पोटेशियम और मैग्नीशियम मुख्य सोर्स होता है। पोटेशियम सोडियम के प्रभाव कम करके ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है। वहीं, मैग्नीशियम दिल की धड़कन को स्थिर बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐसे में सर्दियों में आप कीवी का सेवन कर सकते हैं। इससे हार्ट हेल्थ बेहत होती है।खराब कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल) के स्तर को कम करेंनियमित रूप से कीवी खाने से आपको खराब कोलेस्ट्रॉल यानी कि एलडीएल को कम करने में मदद मिलती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर खराब कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करते हैं। साथ ही, कीवी खाने से नसों की दीवारों पर पड़ने वाला हानिकारक प्रभाव कम होता है।ब्लड शुगर को नियंत्रित करेंब्लड शुगर के लेवल को नियंत्रित करना हृदय स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। डायबिटीज की वजह से भी हार्ट पर दबाव पड़ सकता है। कीवी में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जो डायबिटीज से जुड़ी अन्य समस्याओं का खतरा कम करता है। साथ ही, डायबिटीज को भी बढ़ने से रोकता है। ऐसे में सर्दियों के दौरान होने वाले हार्ट अटैक से भी बचा जा सकता है।वजन को करें कंट्रोलमोटापे को कंट्रोल कर आप हार्ट हेल्थ को बेहतर कर सकते हैं। कीवी का सेवन करने से मोटापा कंट्रोल में रहता है। इसमें मौजूद फाइबर आपको लंबे समय तक भूख नहीं लगने देत हैं। इससे आपका वजन नियंत्रित रहता है। साथ ही आप सर्दियों में होने वाली हार्ट संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं से बचे रहते हैं।कीवी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर की सूजन को कम करने में सहायक होते हैं। सूजन की वजह से हार्ट अटैक का खतरा अधिक होता है। वहीं, कीवी के नियमित सेवन से खराब कोलेस्ट्रॉल कम होता है और अच्छा कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है। कोलेस्ट्रॉल भी आपके हार्ट को नुकसान पहुंचा सकता है।
- सोना :-सोना एक गर्म धातु है। सोने से बने पात्र में भोजन बनाने और करने से शरीर के आन्तरिक और बाहरी दोनों हिस्से कठोर, बलवान, ताकतवर और मजबूत बनते है और साथ साथ सोना आँखों की रौशनी बढ़ता है।चाँदी :-चाँदी एक ठंडी धातु है, जो शरीर को आंतरिक ठंडक पहुंचाती है। शरीर को शांत रखती है इसके पात्र में भोजन बनाने और करने से दिमाग तेज होता है, आँखों स्वस्थ रहती है, आँखों की रौशनी बढती है और इसके अलावा पित्तदोष, कफ और वायुदोष को नियंत्रित रहता है।कांसा :-काँसे के बर्तन में खाना खाने से बुद्धि तेज होती है, रक्त में शुद्धता आती है, रक्तपित शांत रहता है और भूख बढ़ाती है। लेकिन काँसे के बर्तन में खट्टी चीजे नहीं परोसनी चाहिए खट्टी चीजे इस धातु से क्रिया करके विषैली हो जाती है जो नुकसान देती है। कांसे के बर्तन में खाना बनाने से केवल ३ प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते हैं।तांबा :-तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से व्यक्ति रोग मुक्त बनता है, रक्त शुद्ध होता है, स्मरण-शक्ति अच्छी होती है, लीवर संबंधी समस्या दूर होती है, तांबे का पानी शरीर के विषैले तत्वों को खत्म कर देता है इसलिए इस पात्र में रखा पानी स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है. तांबे के बर्तन में दूध नहीं पीना चाहिए इससे शरीर को नुकसान होता है।पीतल :-पीतल के बर्तन में भोजन पकाने और करने से कृमि रोग, कफ और वायुदोष की बीमारी नहीं होती। पीतल के बर्तन में खाना बनाने से केवल ७ प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं।लोहा :-लोहे के बर्तन में बने भोजन खाने से शरीर की शक्ति बढती है, लोह्तत्व शरीर में जरूरी पोषक तत्वों को बढ़ता है। लोहा कई रोग को खत्म करता है, पांडू रोग मिटाता है, शरीर में सूजन और पीलापन नहीं आने देता, कामला रोग को खत्म करता है, और पीलिया रोग को दूर रखता है. लेकिन लोहे के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसमें खाना खाने से बुद्धि कम होती है और दिमाग का नाश होता है। लोहे के पात्र में दूध पीना अच्छा होता है।स्टील :-स्टील के बर्तन नुक्सान दायक नहीं होते क्योंकि ये ना ही गर्म से क्रिया करते है और ना ही अम्ल से. इसलिए नुक्सान नहीं होता है. इसमें खाना बनाने और खाने से शरीर को कोई फायदा नहीं पहुँचता तो नुक्सान भी नहीं पहुँचता।एलुमिनियम :-एल्युमिनिय बोक्साईट का बना होता है। इसमें बने खाने से शरीर को सिर्फ नुक्सान होता है। यह आयरन और कैल्शियम को सोखता है इसलिए इससे बने पात्र का उपयोग नहीं करना चाहिए। इससे हड्डियां कमजोर होती है. मानसिक बीमारियाँ होती है, लीवर और नर्वस सिस्टम को क्षति पहुंचती है। उसके साथ साथ किडनी फेल होना, टी बी, अस्थमा, दमा, बात रोग, शुगर जैसी गंभीर बीमारियाँ होती है। एलुमिनियम के प्रेशर कूकर से खाना बनाने से 87 प्रतिशत पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं।मिट्टी :-मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से ऐसे पोषक तत्व मिलते हैं, जो हर बीमारी को शरीर से दूर रखते थे। इस बात को अब आधुनिक विज्ञान भी साबित कर चुका है कि मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से शरीर के कई तरह के रोग ठीक होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, अगर भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाना है तो उसे धीरे-धीरे ही पकना चाहिए। भले ही मिट्टी के बर्तनों में खाना बनने में वक़्त थोड़ा ज्यादा लगता है, लेकिन इससे सेहत को पूरा लाभ मिलता है। दूध और दूध से बने उत्पादों के लिए सबसे उपयुक्त हैमिट्टी के बर्तन। मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से पूरे १०० प्रतिशत पोषक तत्व मिलते हैं। और यदि मिट्टी के बर्तन में खाना खाया जाए तो उसका अलग से स्वाद भी आता है।पानी पीने के पात्र के विषय में 'भावप्रकाश ग्रंथ' में लिखा है....जलपात्रं तु ताम्रस्य तदभावे मृदो हितम्।पवित्रं शीतलं पात्रं रचितं स्फटिकेन यत्।काचेन रचितं तद्वत् वैङूर्यसम्भवम्।(भावप्रकाश, पूर्वखंडः4)अर्थात् - पानी पीने के लिए ताँबा, स्फटिक अथवा काँच-पात्र का उपयोग करना चाहिए। सम्भव हो तो वैङूर्यरत्नजड़ित पात्र का उपयोग करें। इनके अभाव में मिट्टी के जलपात्र पवित्र व शीतल होते हैं। टूटे-फूटे बर्तन से अथवा अंजलि से पानी नहीं पीना चाहिए।
- टॉन्सिल्स में होने वाले इन्फेक्शन को ही टॉन्सिलिटिस कहा जाता है। हमारे गले में टॉन्सिल्स मौजूद होता है। टॉन्सिल्स का काम है गले को सुरक्षा प्रदान करना और पैथोजन्स द्वारा गले को संक्रमित होने से बचाना। टॉन्सिलिटिस एक तरह का इन्फेक्शन है जो ज्यादातर वायरस के कारण होता है। हालांकि बैक्टीरिया के हमले के कारण भी टॉन्सिलिटिस हो सकता है। अगर टॉन्सिलिटिस इन्फेक्शन ज्यादा है, तो संक्रमण को डाइट में बदलाव करके और दवाओं की मदद से ठीक किया जा सकता है।टॉन्सिल्स होने पर डाइट में करें ये बदलाव1. टॉन्सिल्स होने पर ऐसे मसालों का सेवन करें जिनमें एंटीइंफ्लेमेटरी गुण हों। इन गुणों से भरपूर मसालों का सेवन करने से टॉन्सिल्स जल्दी ठीक हो जाते हैं। जैसे- अदरक और हल्दी आदि।2. टॉन्सिल्स होने पर एल्कोहल का सेवन बिल्कुल न करें, इससे गले में इरिटेशन हो सकता है।3. टॉन्सिल्स होने पर ठंडी चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए। इससे गले का दर्द बढ़ सकता है।4. अगर आपको टॉन्सिल्स हो गए हैं, तो घर का बना खाना ही खाएं। बाहर की चीजों का सेवन करने से बचें।5. टॉन्सिल्स होने पर आप ऐसी चीजों का सेवन करने से बचें जिससे इम्यूनिटी कमजोर होती हो, जैसे- फास्ट फूड या जंक फूड।टॉन्सिल्स होने पर कैसी डाइट लें?-कुरकुरी चीजें जैसे पॉपकॉर्न, फ्राइज और नमकीन खाने से बचें।-जंक फूड या ज्यादा मसाले वाला भोजन करने से बचना चाहिए।-ऐसी चीजों का सेवन न करें जो खाने में ड्राई हो, इससे खाना चबाने में तकलीफ हो सकती है।-खट्टे फलों का सेवन करने से बचें, इससे गले में इरिटेशन हो सकता है।-ज्यादा गर्म या ज्यादा ठंडी चीजों को न खाएं, इससे दर्द हो सकता है।-किसी भी प्रकार के नट्स जैसे- अखरोट, बादाम को खाने से बचें।
- आजकल की लाइफस्टाइल और बिगड़े खानपान का बुरा असर लोगों के शरीर पर पड़ रहा है और कब्ज जैसी पेट से जुड़ी समस्याएं आम हो चुकी हैं।इन गलत आदतों के कारण बढ़ती है कब्ज की समस्या1. एक्सरसाइज न करनाकई लोग बिजी लाइफस्टाइल के कारण एक्सरसाइज और योग के लिए समय नहीं निकालते हैं, जिसका बुरा असर सेहत पर पड़ता है। अगर आप नियमित रूप से व्यायाम नहीं करते हैं, तो इससे कब्ज का खतरा बढ़ सकता है। रोजाना एक्सरसाइज करने से आपकी पाचन शक्ति बेहतर हो सकती है और कब्ज की समस्या से छुटकारा मिल सकता है।2. कम पानी पीनाहेल्दी रहने के लिए शरीर को प्रतिदिन पर्याप्त मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है। अगर आप पर्याप्त पानी नहीं पीते तो आपको कब्ज की समस्या हो सकती है। ऐसे में रोजाना 2 से 3 लीटर पानी जरूर पिएं। पानी पीने से शरीर में मौजूद टॉक्सिन बाहर निकल जाते हैं, जिसका अच्छा असर स्किन और बालों पर भी देखने को मिलता है।3. शराब का अधिक सेवनआजकल लोग पार्टी करना काफी पसंद करते हैं, जहां ज्यादा मात्रा में शराब का सेवन करना शरीर के पाचन सिस्टम को प्रभावित कर सकता है। अधिक मात्रा में शराब का सेवन कब्ज का कारण बन सकता है। अगर आप सेहतमंद जीवन जीना चाहते हैं तो शराब का सेवन कम करें।4. तनावतनाव न केवल मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि आपके शरीर के पाचन सिस्टम को भी प्रभावित कर सकता है जिससे कब्ज की समस्या उत्पन्न हो सकती है। स्ट्रेस कम करने के लिए आप रोजाना योग और मेडिटेशन करें।5. फाइबर की कमीआजकल बाजार में मिलने वाले फास्ट फूड और तलेभुने खाने से शरीर को जरूरी मात्रा में फाइबर प्राप्त नहीं होता है, जिसके कारण कब्ज की समस्या होती है। कब्ज से बचने के लिए आप डाइट में फल, सब्जियां, अनाज, और दालें शामिल करें, जिससे शरीर को पर्याप्त मात्रा में फाइबर मिल सकता है।
- बदलते मौसम और सर्दियों के दौरान सर्दी-खांसी की समस्या होना तो बहुत आम बात है। लेकिन इसके बाद ज्यादातर लोगों के साथ यह देखने को मिलता है कि उन्हें गले में खराश, बलगम और गंभीर खांसी का सामना भी करना पड़ता है। इसके अलावा, गले में दर्द बहुत दर्द भी महसूस होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं, आज जो कुछ खाते हैं वह भी आपकी खांसी को ठीक करने और बलगम को ढीला करने में कई तरह से मदद करता है। अगर आप बलगम वाली खांसी होने पर कुछ फूड्स का सेवन बढ़ा दें, तो इससे आपको बलगम वाली खांसी के लक्षणों को कम करने और इससे जल्द छुटकारा पाने में बहुत मदद मिल सकती हैबलगम वाली खांसी में क्या खाना चाहिए?ये फल खाएंअनानास, जामुन और खट्टे फल, खासकर अंगूर जैसे फल बलगम को बाहर निकालने में बहुत प्रभावी हैं। अनानास में बायोफ्लेवोनॉइड ब्रोमेलैन एक प्रोटियोलिटिक एंजाइम होते हैं, जो प्रोटीन को तोड़ने में मदद करते हैं। साथ ही इनमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं। यह सूजन और बलगम के उपचार में बहुत प्रभावी है। इसी तरह अन्य फल भी गले की सूजन और बलगम को ठीक करने में मदद करते हैं।फैटी फिश खाएंइनमें ओमेगा-3 फैटी एसिड बहुत अच्छी मात्रा में होते हैं। इनका सेवन करने से बलगम कम करने में मदद मिलती है। ये आपकी इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ-साथ सूजन कम करने में भी मदद करती हैं।ये सब्जियां डाइट में शामिल करेंहल्की उबली हुई सब्जियां, ताजा, मौसमी साग और अन्य हरी सब्जियां डाइट में जरूर शामिल करें। इन्हें खाने से इम्यूनिटी मजबूत होती है और बलगम वाली खांसी के लक्षणों को गंभीर होने से रोकने में मदद मिलती है। अदरक, लहसुन और प्याज आदि को जरूर डाइट में शामिल करें।सूप और शोरबा का सेवन करेंसर्दी-खांसी, जुकाम और बलगम आदि की समस्या होने पर इनका सेवन बहुत लाभकारी माना जाता है। इनमें कुछ गर्म मसाले डालें और सेवन करें। ये बलगम को कम करने में बहुत मदद करते हैं।एप्पल साइडर विनेगर पिएंइसमें एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, यह हानिकारक बैक्टीरिया से लड़ने और बलगम को तोड़ने में मदद करता है। आप इसका चम्मच किसी भी हर्बल चाय में मिलाकर पी सकते हैं।
- शरीर को हेल्दी और फिट रखने के लिए सीड्स और नट्स का सेवन जरूर करना चाहिए। विटामिन, मिनरल्स और जरूरी पोषक तत्वों से युक्त सीड्स शरीर को बीमारियों से बचाने और हेल्दी रखने में मदद करते हैं।कुम्हड़े - कद्दू के बीज का सेवन भी शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद पोषक तत्व और गुण शरीर को कई गंभीर बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं। कद्दू के बीज में मिनरल्स और हेल्दी फैट पाए जाते हैं, जो ओवरऑल हेल्थ को ठीक रखने में मदद करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं सुबह खाली पेट कद्दू के बीज का पानी पीने से भी शरीर को कई अनोखे फायदे मिलते हैं।खाली पेट कद्दू के बीज का पानी पीने के फायदेकद्दू के बीजों में प्रोटीन, फाइबर, ओमेगा-3 फैटी एसिड और आयरन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसमें प्रोटीन, वसा, फाइबर, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटेशियम, जिंक और मैंगनीज की पर्याप्त मात्रा होती है। आरोग्यं हेल्थ सेंटर के क्लीनिकल डाइटिशियन डॉ वीडी त्रिपाठी कहते हैं, "कद्दू के बीज का पानी पीने से कब्ज समेत स्किन और बालों से जुड़ी समस्याओं में फायदा मिलता है। सुबह खाली पेट इसका सेवन शरीर के लिए फायदेमंद होता है।"खाली पेट कद्दू के बीज का पानी पीने के फायदे इस तरह से हैं-1. विटामिन और खनिजों की अच्छी मात्रापंपकिन सीड वॉटर या कद्दू के बीज के पानी में विटामिन्स और खनिजों की अच्छी मात्रा होती है, जो आपकी शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं। खाली पेट कद्दू के बीज का पानी पीने से इनका अवशोषण अच्छी तरह से होता है।2. पाचन तंत्र के लिए फायदेमंदपाचन तंत्र को हेल्दी रखने के लिए रोजाना सुबह खाली पेट कद्दू के बीज का पानी पीना फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद फाइबर और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण शरीर को हेल्दी रखने और पाचन तंत्र से जुड़ी परेशानियों के जोखिम को कम करने में मदद करते हैं।3. वजन कम करने में फायदेमंदवजन कम करने के लिए कद्दू के बीज का पानी पीना बहुत फायदेमंद होता है। कद्दू के बीज एंटी-ऑक्सीडेंट और फाइबर से भरपूर होते हैं। वजन कम करने के लिए रोजाना सुबह के समय इसका सेवन करने से फायदा मिलता है।4. एंटीऑक्सीडेंट्स का अच्छा सोर्सशरीर को स्वस्थ रखने के लिए एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करना बहुत जरूरी होता है। आप एंटीऑक्सीडेंट्स के लिए खाली पेट कद्दू के बीज खा सकते हैं। कद्दू के बीजों में फ्लेवोनॉइड्स और फेनोलिक एसिड नामक एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं। एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाने में मदद करते हैं। एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर और त्वचा, दोनों के लिए जरूरी होते हैं।कद्दू के बीज का पानी तैयार करने के लिए सबसे पहले इसे रात में भिगो दें। सुबह इस पानी को अच्छी तरह से उबालें और फिर छान लें। इस पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर खाली पेट इसका सेवन करें। नियमित रूप से कुछ दिनों तक इसका सेवन करने से शरीर को अनोखे फायदे मिलेंगे।
- घर में या ऑफिस में खाना गर्म करके खाने के लिए अब ज्यादातर लोग माइक्रोवेव का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन कई लोग ऐसे भी है, जो खाना गर्म करने के लिए माइक्रोवेव का उपयोग करने से परहेज करते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि माइक्रोवेव में खाना गर्म करके खाने से स्वास्थ्य से जुड़ी कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। लेकिन क्या सच में माइक्रोवेव में खाना गर्म करके खाना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है? आइए जानते हैं कि क्या माइक्रोवेव में खाना गर्म करना सुरक्षित है?माइक्रोवेव में कौन सा बर्तन यूज करना चाहिए?माइक्रोवेव में खाना गर्म करने से आपके सेहत पर बुरा असर नहीं पड़ता है, बल्कि इस बात से फर्क पड़ता है कि आप किस चीज में खाना रख कर माइक्रोवेव में गर्म कर रहे हैं। खाना गर्म करने के लिए अक्सर हम किसी भी माइक्रोवेव प्रूफ बर्तन का उपोयग कर लेते हैं। लेकिन आपको इस बात पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि माइक्रोवेव में किसी भी तरह के प्लास्टिक के कंटेनर का इस्तेमाल करना आपके सेहत पर बुरा असर डाल सकता है। कई प्लास्टिक में BPA होता है, एक तरह का केमिकल जिसका उपयोग प्लास्टिक का लचीलापन और स्थायित्व बढ़ाने के लिए किया जाता है। माइक्रोवेव में खाना गर्म करते समय यह BPA आपके खाने में मिल सकता है, जो शरीर के हार्मोन्स को बाधित कर सकता है और मोटापा, डायबिटीज और प्रजनन से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को बढ़ा सकता है।माइक्रोवेव का सुरक्षित तरीके से उपयोग करने के उपाय-माइक्रोवेव में खाना गर्म करने के लिए माइक्रोवेव सेफ कांच के कंटेनर का इस्तेमाल करें।-सिरेमिक कंटेनर (चीनी मिट्टी के बर्तन) का उपयोग करना भी एक बेहतर विकल्प है।-BPA-मुक्त प्लास्टिक के बर्तनों का इस्तेमाल भी आप कर सकते हैं। ये प्लास्टिक आपके खाने में हानिकारक केमिकल्स को को छोड़े बिना खाने को गर्माम कर सकते हैं।-जल्दी खाना गर्म करने के लिए माइक्रोवेव का इस्तेमाल एक आसान और बेहतर विकल्प है, लेकिन सही कंटेनर का उपयोग करना महत्वपूर्ण है।
- हरी मेथी पोषक तत्वों से भरपूर होती है, इसमें फाइबर, कैल्शियम, आयरन, प्रोटीन और विटामिन सी पाया जाता हैं। इसके सेवन से शरीर की हड्डियां मजबूत होने के साथ मौसमी बीमारियों का खतरा कम होता हैं। हरी मेथी को लोग सब्जी या फिर इसके परांठा बनाकर खाते हैं। हरी मेथी खाने से डायबिटीज लेवल कंट्रोल करने में मदद मिलती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं सर्दियों में हरी मेथी को ज्यादा मात्रा में खाने से शरीर को नुकसान होने के साथ शरीर में कई तरह की परेशानियां भी बढ़ सकती हैं।पाचन-तंत्र को करें खराबसर्दियों में मेथी का ज्यादा मात्रा में सेवन करने से पाचन-तंत्र संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। मेथी में पाए जाने वाले प्रोटीन का ज्यादा सेवन शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसके सेवन से पेट खराब, बदहजमी और पेट में गैस की समस्या हो सकती हैं।हाई ब्लड प्रेशरमेथी के ज्यादा से से से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है। हरी मेथी में सोडियम की मात्रा काफी कम होती है। ऐसे में इसको ज्यादा मात्रा में खाने से शरीर का सोडियम लेवल कम हो सकता है। इस कारण हाई ब्लड प्रेशर की समस्या बढ़ सकती है। हरी मेथी का उन लोगों को हरगिज भी सेवन नहीं करना चाहिए, जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या नहीं होती हैं।गर्भवती महिलाओं के लिए नुकसानदायकहरी मेथी शरीर के लिए फायदेमंद होती है। लेकिन क्या आप जानते है गर्भवती महिलाओं को इसके सेवन से बचना चाहिए। हरी मेथी की तासीर काफी गर्म होती है। ऐसे में इसके सेवन से महिलाओं को ब्लीडिंग की समस्या होने के साथ पाचन संबंधी समस्या भी हो सकती हैं।सांस संबंधी समस्याएंसर्दियों में ज्यादा हरी मेथी खाने से सांस संबंधी समस्या बढ़ सकती है। हरी मेथी की तासीर गर्म होती है, जो सांस की समस्या को बढ़ा सकती है। इसमे मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी गुण शरीर के लिए हानिकारक होने के साथ समस्या को बढ़ाते हैं।डायबिटीज मरीजों के लिए खतरनाकसर्दियों में ज्यादा हरी मेथी के सेवन से डायबिटीज मरीजों को ब्लड शुगर लेवल कम हो सकता है, जो शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। ऐसे में डायबिटीक मरीज को ज्यादा मात्रा में मेथी का सेवन नहीं करना चाहिए।ज्यादा मात्रा में हरी मेथी का सेवन शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। हालांकि, अगर आपको कोई बीमारी या एलर्जी की समस्या हैं, तो डॉक्टर सेस पूछकर ही इसका सेवन करें।
- सोयाबीन शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होती है। अधिकतर लोग बिना सोचे समझे सोयाबीन का सेवन करते रहते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सोयाबीन स्वास्थ्य के लिए जितनी फायदेमंद होती है। उतनी भी नुकसानदायक भी हो सकती है। सोयाबीन को खाने से कुछ लोगो को बचना चाहिए। सोयाबीन के जरूरत से ज्यादा सेवन से हृदय रोग के मरीजों को और थायराइड के लोगों को इसको खाने से परेशानी काफी बढ़ सकती हैं। सोयाबीन के ज्यादा खाने से प्रेगनेंट महिलाओं की समस्या भी बढ़ सकती हैं। आइए जानते हैं सोयाबीन खाने के नुकसान के बारे में।थायराइडथायराइड के मरीजों को सोयाबीन के सेवन से बचना चाहिए। क्योंकि इसको खाने से हाइपरथाइरोइडज्म का खतरा पैदा हो सकता है, जो मरीज थायराइड को कंट्रोल करने के लिए दवाई का सेवन करते हैं। ऐसे में सोयाबीन खाने से थायराइड में ली जाने वाली दवाई का असर भी कम हो सकता है। ऐसे में थायराइड के मरीजों को सोयबीन खाने से बचना चाहिए।गर्भवती महिलाएंगर्भवती महिलाओं को सोयाबीन खाने से बचना चाहिए। क्योंकि अधिक मात्रा में इसके सेवन से गर्भ में पल रहा शिशु के विकास पर असर पड़ सकता है। कई बार प्रेगनेंसी के समय में इसके सेवन से चक्कर आना, उल्टी आना और जी मिचलाने जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। ऐसे में प्रेगनेंसी में इसे खाने से बचें।हृदय रोग के मरीजहृदय रोग के मरीजों को सोयाबीन खाने से बचना चाहिए। क्योंकि इसमें मौजूद ट्रांसफैट कोलेस्ट्रॉल लेवल को बढ़ाता है और इससे हार्ट संबंधी बीमारियां होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। ऐसे में जिन लोगों को हार्ट संबंधी परेशानी है उन्हें ज्यादा सोयाबीन खाने से बचना चाहिए।अस्थमाअस्थमा के मरीजों को अपने खानपान का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। क्योंकि कई बार सोयाबीन खाने से उन्हें एलर्जी की शिकायत हो सकती है। ऐसे में सोयाबीन के ज्यादा सेवन से बचें। अस्थमा के मरीजों को सोयाबीन से बनी कोई चीज नहीं खानी चाहिए।वजन बढ़ता हैसोयाबीन के जरूरत के ज्यादा सेवन से वजन तेजी से बढ़ता है क्योंकि इसमें फैट की मात्रा ज्यादा होती है। अगर आप वजन घटाने के बारे में सोच रहे है, तो सोयाबीन के सेवन से बचें। क्योंकि इसको खाने से वजन बढ़ने के साथ बैली फैट भी बढ़ेगासोयाबीन के ज्यादा सेवन से बचना चाहिए। अगर आपको कोई बीमारी या एलर्जी की समस्या हैं, तो डॉक्टर से इसके मात्रा के बारे में पूछकर ही इसका सेवन करें।
- कुछ लोगों के मुंह से सुबह के समय गंदी बदबू आती है, जिसके कारण उन्हें हाथ से मुंह छिपाकर लोगों से बात करनी पड़ती है। मुंह से बदबू (Bad breath) आना एक ऐसी समस्या है, जिसका असर लोगों के आत्मविश्वास पर भी पड़ता है। मुंह की बदबू दूर करने के लिए कुछ घरेलू उपाय कारगर साबित होते हैं।1. नींबू के पानी से गरारामुंह से आने वाली दुर्गंध को दूर करन में नींबू पानी कारगर साबित होता है। इसके लिए रोजाना सुबह के समय 1 गिलास गुनगुने पानी में 1 चम्मच नींबू का रस मिलाकर इससे गरारा करें। नींबू में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं जो मुंह की गंदी बदबू को दूर करने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा नींबू पानी से गरारा करने के बाद आपको फ्रेश फील होगा।2. लौंग के पानी से गरारालौंग के एंटीमाइक्रोबियल गुण मुंह से आने वाली गंदी बदबू को दूर करने में कारगर साबित हो सकते हैं। इसके लिए आप 1 गिलास पानी के साथ 4 लौंग को पैन में डालकर उबालिए। इसके बाद पानी को गुनगुना होने तक ठंडा करें और फिर हल्के गुनगुने पानी से गरारा करें। लौंग के पानी से गरारा करने के बाद आपको ताजगी का एहसास होगा और मुंह की बदबू भी दूर होगी।3. तुलसी के पानी से गरारामुंह की बदबू दूर करने के लिए औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी फायदेमंद साबित होती है। 1 गिलास पानी के साथ 5 तुलसी के पत्तों को पैन में डालकर उबालें और फिर पानी हल्का ठंडा करके इससे गरारा करें। तुलसी के पानी में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो मुंह में मौजूद बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद कर सकते हैं, जिससे मुंह की दुर्गंध दूर हो सकती है।4. सौंफ के पानी से गराराऔषधीय गुणों से भरपूर सौंफ मुंह से जुड़ी कई समस्याओं को दूर करने में कारगर साबित होती है। 1 कप पानी के साथ 1 चम्मच सौंफ को पैन में डालकर उबालिए और फिर ठंडा होने के बाद इससे गरार करें। सौंफ के पानी में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण, मुंह से आने वाली बदबू को दूर करने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा मसूड़ों में होने वाली सूजन को कम कर सकते हैं।
- पिप्पली एक प्राचीन आयुर्वेदिक हर्ब है, जो आमतौर पर हम सभी भारतीयों के किचन में मौजूद होता है। इसका कई पकवान बनाने के लिए मसाले के तौर पर भी किया जाता है। यह मसाला सेहत के लिए बहुत लाभकारी होता है। इसमें शक्तिशाली औषधीय गुण होते हैं, इसलिए पारंपरिक चिकित्सा में इसका प्रयोग कई स्वास्थ्य समस्याओं को ठीक करने के लिए किया जाता है। पाचन को दुरुस्त करने से लेकर श्वसन प्रणाली से बेहतर बनाने तक इसके जबरदस्त लाभ मिलते हैं।सेहत के लिए पिप्पली के फायदे और प्रयोग का तरीका1. सर्दी-खांसी की समस्या का रामबाण इलाज है। यह खांसी और सर्दी से राहत प्रदान करने में मदद कर सकती है।2. शरीर के मेटाबॉलिज्म में सुधार करके वजन घटाने को बढ़ावा देने में मदद करती है।3. अपने रेचक गुण के कारण मल त्याग को बढ़ावा देकर कब्ज के प्रबंधन में मदद करती है।4. पिप्पली में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं और इसका कारण पिपेरिन जैसे यौगिकों की उपस्थिति को माना जा सकता है।पिप्पली में पाए जाने वाले पिपेरिन का इसके संभावित एंटी-इन्फ्लेमेटरी प्रभावों के लिए अध्ययन किया गया है। ऐसा माना जाता है कि ये यौगिक मसाले की प्रतिरक्षा प्रणाली को व्यवस्थित करने और एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव प्रदान करने की क्षमता को बढ़ाने में योगदान देते हैं।5. नींद से जुड़ी समस्याएं दूर करती है। साथ ही वात दोष को संतुलित करती है। वात संतुलन गुण के कारण पिप्पली का उपयोग अनिद्रा को प्रबंधित करने के लिए किया जा सकता है।पिप्पली का सेवन करने के तरीके-पिप्पली का सेवन चूर्ण, कैप्सूल और टैबलेट के रूप में किया जा सकता है।-सर्दी-खांसी से छुटकारा पाने के लिए भोजन के बाद शहद के साथ 1/4 चम्मच पिप्पली पाउडर लें। अपने कफ निस्सारक गुण के कारण यह बलगम को कम करने में मदद करती है, जिससे आपको चैन की सांस लेने में मदद मिलती है।-नींद से जुड़ी समस्याएं दूर करने के लिए आप पिप्पल का सेवन सोने से पहले दूध के साथ कर सकते हैं। 1/2 चम्मच पिप्पली पाउडर लें, इसे दूध में मिलाएं और सोने से ठीक पहले लें।
- जो लोग मोटापे को कम करना चाहते हैं वह भी चने का खूब सेवन करते हैं। शरीर की चर्बी को कम करने और बॉडी को टोन्ड व शेप में लाने में काले चने मुख्य भूमिका निभाते हैं। आपको बता दें कि शाम को भी चने का सेवन किया जा सकता है। शाम के समय काले चने खाने वालों का वजन तेजी से कम होता है। साथ ही, आपको कई बीमारियों से बचाव होता है। काले चने में विटामिन और मिनरल्स पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। इसमें मौजूद प्रोटीन और फाइबर आपको हेल्दी बनाने और पेट संबंधी समस्याओं को कम करने में सहायक होते हैं। फाइबर की वजह से आपका पेट लंबे समय तक भरा हुआ रहता है। इससे आप बेवजह बाहर का खाना खाने से बच जाते हैं। वहीं रात को भी आप कम आहार का सेवन करते हैं। इससे आपके शरीर का मोटापा कंट्रोल होता है।शाम के समय काले चने खाने के फायदेप्रोटीन का मुख्य सोर्सकाले चने प्लांट बेस्ट प्रोटीन का मुख्य सोर्स होते हैं। प्रोटीन मांसपेशियों को रिपेयर करने और इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में सहायक होता है। शाम के स्नैक्स में काले चने को शामिल करने से आप मांसपेशियों की कमजोरी को दूर कर सकते हैं।एनर्जी को बढ़ाएंकाले चने में कॉम्पलैक्स कार्बोहाइड्रेट होते है, जो शरीर को रेगूलर एनर्जी प्रदान करते हैं। कार्बोहाइड्रेट धीमी गति से पाचन होता है, जिससे ब्लड शुगर तेजी से नहीं बढ़ता है। ऐसे में एनर्जी लॉस से बचाव होता है। साथ ही, बॉडी में एनर्जी का लेवल बना रहता है।पाचन क्रिया में सहायककाले चने में फाइबर उच्चा मात्रा में होता है। यह फाइबर पाचन क्रिया को बेहतर करता है। इसके साथ ही, फाइबर कब्ज की समस्या को कम करने में सक्रिय भूमिका निभाता है। शाम को काले चने खाने से आप जंक फूड से दूरी बना सकते हैं। ऐसे में आपको कब्ज की समस्या में आराम मिलता है, क्योंकि जंक फूड कब्ज को बढ़ा सकते हैं।ब्लड शुगर को करें नियंत्रितकाले चने में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, इससे यह ब्लड शुगर के लेवल को नियंत्रित रखता है। ब्लड शुगर को कम करने और कंट्रोल करने के लिए आप शाम के समय काले चने का सेवन कर सकते हैं। यह डायबिटीज के अन्य जोखिम को भी कम करने में मददगार होता है।हार्ट हेल्थ के लिए आवश्यक-काले चने में मैग्नीशियम और पोटेशियम पाया जाता है। यह दोनों ही हार्ट हेल्थ के लिए आवश्यक होते हैं। मैग्नीशियम ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है। वहीं, पोटेशियम शरीर में सोडियम के स्तर को नियंत्रित करता है। ऐसे में जब आप शाम को काले चने का सेवन करते हैं, तो इससे हार्ट संबंधी समस्याओं का जोखिम कम होता है।इसके अलावा, काले में फोलेट और आयरन भी पाया जाता है। फोलेट गर्भावस्था में महिलाओं के लिए आवश्यक होता है। जबकि, आयरन महिलाओं में होने वाली खून की कमी को दूर करता है। जिन लोगों को अक्सर थकान व कमजोरी महसूस होती है, वह शाम के समय काले चने का सेवन कर सकते हैं।