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- अधिकतर लोग व्रत के दौरान आलू से बनी चीजों का सेवन करते हैं। आलू लोगों को काफी पसंद होता है और व्रत के लिए इससे कई तरह की रेसिपीज तैयार की जा सकती हैं। आज हम आलू से बनी कुछ रेसिपी बताने जा रहे हैं, जो स्वादिष्ट होने के साथ ही शरीर के लिए फायदेमंद है।1. आलू फ्राईसामग्री-2 चम्मच- तेल, 1 चम्मच- मूंगफली,2 आलू- मीडियम साइज के कटे हुए, स्वादनुसार- सेंधा नमक, स्वादनुसार- काली मिर्च पाउडरबनाने का तरीकाआलू फ्राई की रेसिपी बनाने के लिए इन्हे धोकर छील लें और छोटे टुकड़े में काट लें। अब एक पैन लें इसमें तेल गर्म करके जीरा तडक़ाए। अब इसमें मूंगफली को हल्का सा फ्राई करें और निकाल लें। अब इस तेल में आलू डालकर कुछ देर चलाएं। आलू पकने के बाद इसमें सभी मसाले डालकर ढ़क्कर रख दें। जब बनने वाली हो, तो इसमें मूंगफली डालकर हरा धनिया से गर्निश करें। आलू फ्राई खाने से पेट लंबे समय तक भरा रहता है, इसके सेवन से पाचन-तंत्र से जुड़ी समस्याएं भी ठीक होती है। आलू को फ्राई करने से इसमें प्रोटीन की मात्रा बढ़ती है।2. आलू का मीठा हलवासामग्री-3 चम्मच- घी, 5 चम्मच- नारियल का बुरादा,1/2 चम्मच- चिरौंजी,स्वादनुसार- चीनी,2 से 3- इलायचीआलू का मीठा हलवा बनाने का तरीकाआलू का मीठा हलवा बनाने के लिए आलू को उबालकर अच्छे से मैश कर लें। अब कडाही में घी गर्म इसमें नारियल और चिरौंजी को हल्का फ्राई होने के बाद निकाल लें। अब इसमे मैश किए हुए आलू को डालें। आलू को ब्राउन तक रोस्ट करें। जब यह पक जाएं, तो इसमें चीनी और इलायची को डालकर मिक्सर करें। जब हलवा बनने हो, तो इसमें नारियल और चिरौंजी डालकर मिक्स करें। यह हलवा खाने से इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ वजन बढ़ाने में मदद मिलती है। व्रत में इसको खाने से पेट लंबे समय तक भरा रहता है।3. दही आलूसामग्री,3 से 4- आलू,1 कटोरी-दही,स्वादनुसार- सेंधा नमक, स्वादनुसार- काली मिर्च पाउडर, 1/2 चम्मच- भुना हुआ जीरा पाउडरदही आलू बनाने का तरीकादही आलू बनाने के लिए आलू को उबाल छील लें। अब इन आलू को छोटे टुकड़ों में काट कर प्लेट में रखें। ऊपर से दही, सेंधा नमक, काली मिर्च और भुना हुआ जीरा पाउडर मिला कर मिक्स करें। आपके दही आलू तैयार है। व्रत में खाने के लिए यह एक बढिय़ा ऑप्शन है। इसको खाने से शरीर लंबे समय तक हाइड्रेट रहता है, हड्डियां मजबूत होती है और पाचन-तंत्र भी हेल्दी रहता हैं।
- नवरात्र शुरू हो गए हैं। कई लोग व्रत के दौरान लोग गेहूं के आटे के बजाय अन्य तरह के आटे को खाते हैं, जिसे सात्विक और व्रत में खाए जाने योग्य समझा जाता है। ऐसे ही दो किस्म के आटे हैं, कुट्टू का आटा और सिंघाड़े का आटा। दोनों ही किस्म के आटों का अपन-अपना महत्व है। जहां एक ओर कुट्टू का आटा खाने की वजह से पाचन शक्ति बेहतर होती है, बाल और त्वचा पर इसका अच्छा असर पड़ता है और भी कई तरह के फायदे मिलते हैं। वहीं, सिंघाड़े के आटा विटामिन के का अच्छा स्रोत हैकुट्टू के आटे में मौजूद पोषक तत्वकुट्टू के आटे में डाइट्री फाइबर होता है। जब आप कुट्टू का आटा खाते हैं, तो लंबे समय तक पेट भरे रहने का अहसास होता है। इसका मतलब है कि कुट्टू का आटा खाने के बाद अप ओवर ईटिंग से बच जाते हैं यानी एस्क्ट्रा मंचिंग नहीं करते हैं। इसी तरह, इसमें सिंघाड़े की आटे की तुलना में प्रोटीन भी काफी मात्रा में होता है और इसमें ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी कम होता है, जो ब्लड शुगर के स्तर को स्थिर बनाए रखने में मदद करता है। हालांकि, सिंघाड़े के आटे की तुलना में इसमें कैलोरी काउंट थोड़ा ज्यादा होता है। यह नहीं, अगर कोई ग्लूटन इंटोलरेंस है, तो उन्हें कुट्टू के आटे का सेवन नहीं करना चाहिए।सिंघाड़े के आटे में मौजूद पोषक तत्वसिंघाड़े का आटा कोई भी आसानी से खा सकता है, क्योंकि इसे पचाना काफी आसान होता है। आमतौर पर, इसे खाने के बाद पेट से जुड़ी बीमारियां नहीं होती हैं। इसके अलावा, कुट्टू के आटे के मुकाबले कैलोरी काउंट भी इसमें कम पाया जाता है। वहीं, इसके साइड इफेक्ट की बात करें, तो सिंघाड़े के आटे में फाइबर और प्रोटीन की मात्रा कुट्टू के आटे की तुलना में कम होती है और ब्लड शुगर के स्तर को अचानक से बढ़ाने में अपने योगदान दे सकता है।वजन कम करने के लिए क्या है बेहतर?कुट्टू का आटा हो या सिंघाड़े का आटा। दोनों की अपनी-अपनी विशेषताएं हैं। इसके बावजदू, दोनों में किसी एक को बेहतर नहीं कहा जा सकता है। इसकी वजह है, हर व्यक्ति का स्वास्थ्य अलग होता है। किसी को कुट्टू का आटा सूट कर सकता है, तो किसी को सिंघाड़े का आटा। इसके अलावा, यह आपकी बॉडी प्रेफरेंस पर भी निर्भर करता है। कुछ लोग प्रोटी पर ज्यादा फोस करते हैं, इसके लिए कुट्टू का आटा बेहतर विकल्प है। वहीं, अगर आप कैलोरी सेवन को कम रखना चाहते हैं और आसानी से पचने वाला कुछ खाना चाहते हैं, तो सिंघाड़े के आटा एक अच्छा विकल्प हो सकता है। आप अपनी हेल्थ के अनुसार, इनमें से किसी भी एक आटे को चुन सकते हैं। अगर एलर्जी या कोई और हेल्थ कंडीशन है, तो एक बार एक्सपर्ट से बात कर लेना सही है।
- शारदीय नवरात्रि में कुछ लोग नौ दिनों तक व्रत रखते हैं, जबकि कुछ लोग केवल पहला और अंतिम नवरात्र ही व्रत रखते हैं। उपवास रखने से सेहत को कई फायदे मिलते हैं। लेकिन, जिन लोगों को पहले ही कुछ स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं, उनको उपवास रखते समय विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए। व्रत के दौरान कुछ लोगों को चक्कर और थकान महसूस होती है। ऐसे में आप फलों और पौष्टिक चीजों का सेवन कर सकते हैं। इस दौरान आप पनीर खीर का सेवन कर सकते हैं।पनीर खीर बनाने के लिए आवश्यक सामग्रीपनीर - करीब 200 से 300 ग्रामदूध - 200 से 250 ग्राम (बिना फैट वाला दूध भी ले सकते हैं)चीनी - करीब आधा कप (शहद का भी उपयोग कर सकते हैं)केसर - चार से पांच धागे (चार चम्मच दूध में भिगोए हुए)इलायची पाउडर - करीब एक चौथाईबादाम - 10 से 12 बारिक कटे हुएपिस्ता - 10 से 12 बारिक कटे हुएकिशमिश - 10 से 12गुलाब की पंखुडियां - 5 से 6 सजावट के लिए।पनीर खीर बनाने बनाने की रेसिपी-सबसे पहले आप एक कढ़ाई या पैन में दूध को डालकर गर्म करें।-इसके बाद आप दूध में ग्रेटेड (कद्दूकस किया हुआ) पनीर को मिक्स कर दें।-अब दूध को हिलाते रहें।-कुछ देर के बाद दूध गाढ़ा होने लगेगा।-करीब 10 से 15 मिनट के बाद जब दूध हल्का गाढ़ा हो जाए तो इसमें चीनी को मिला दें।-करीब एक से दो मिनट के बाद आप इसमें इलायची का पाउडर मिक्स कर दें।-इसके बाद कुछ देर खीर को पकाएं और आंच को बंद कर इसमें केसर वाले दूध को डालकर मिक्स करें।-अब, इसे अच्छी तरह मिक्स करें और ऊपर से बादाम, पिस्ता और किशमिश डालें।-साथ ही, सर्व करने से पहले गुलाब की पत्तियों को क्रश करके गार्निश कर सकते हैं।नवरात्रि में पनीर खीर रेसिपी के फायदे -प्रोटीन से भरपूर: पनीर की खीर में हाई प्रोटीन होता है। इससे आपकी मांसपेशियां मजबूत होती हैं। साथ ही व्रत में एनर्जी लेवल बना रहता है।एंटीऑक्सीडेंट: पनीर खीर में चीनी की जगह पर आप शहद का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। वहीं इसमें मौजूद केसर में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो आपको सेहतमंद बनाते हैं।कैल्शियमा का सोर्स: पनीर में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है। कैल्शियम से हड्डियों और दांतो को मजबूत बनाए रखने में मदद मिलती है।पोषण तत्व से युक्त: बादाम, पिस्ता और किशमिश पोषक तत्वों से युक्त होते हैं। इनमें हेल्दी फैट, फाइबर, मैग्निशियम, विटामिन ई जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं।व्रत में पनीर खीर खाने से आपका पेट लंबे समय तक भरा रहता है। इससे आपको व्रत में भूख का अहसास नहीं होता है। साथ ही, आपको कमजोरी और थकान भी महसूस नहीं होती है।
- शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होने जा रही है। ऐसे में लोग नवरात्रि की तैयारियों में जुट गए हैं। शारदीय नवरात्रों में नौ दिनों तक पूजा पाठ किया जाता है। लोग इन दिनों में व्रत रखते हैं, देवी का पूजन करते हैं। व्रत रखने से सेहत को कई फायदे मिलते हैं। इस दौरान साबूदाने का सेवन करने से शरीर को कई फायदे मिलते हैं। साथ ही, आपके शरीर का एनर्जी लेवल बना रहता है। आगे इस लेख में जानते हैं कि व्रत के दौरान साबूदाने का आप किस तरह से सेवन कर सकते हैं।व्रत में साबूदाने को डाइट में कैसे शामिल करें?साबूदाने की खिचड़ीसाबूदाने की खिचड़ी बनाने के लिए आवश्यक सामग्रीसाबूदाना - करीब एक कपनींबू का रस - दो से तीन चम्मचमूंगफली के दाने - करीब 50 ग्रामआलू - दो (कटे हुए)करी पत्ते - 8 से 10हरी मिर्च - आपके स्वादानुसारसेंधा नमक - स्वादानुसारघी - करीब दो बड़े चम्मचसरसों के बीज - करीब आधा चम्मचसाबूदाने की खिचड़ी बनाने की रेसिपीसाबूदाने की खिचड़ी बनाने के लिए आप साबूदाने को करीब 3 से 4 घंटे पहले भिगोकर रख दें।इसके बाद इसे छान लें।अब गैस पर आप कढ़ाई चढ़ाएं। इसमें घी डालें।जब घी गर्म हो जाए, तो इसमें सरसों को बीज डालें।इसके बाद आप इसमें मूंगफली, करी पत्ता, हरी मिर्च डालकर चला लें।जब यह पक जाए तो इसमें आलू डालकर थोड़ा पका लें।अंतिम में आप साबूदाने को डालें और इसे करीब 4 से 5 मिनट पकने दें।आपकी साबूदाने की खिचड़ी तैयार हैं। इसे नींबू का रस मिलाएं और हरे धनिये से खिचड़ी को गार्निश करें।साबूदाने की चाटसाबूदाने की चाट बनाने के लिए आवश्यक सामग्रीसाबूदाना - 1 कपआलू - 1 उबला हुआहरी मिर्च - 2घी या तेल - 2 बड़े चम्मचदही - करीब दो से चार बड़े चम्मचसेंधा नमक - स्वादानुसारटमाटर - दो बारीक कटे हुएखीरा - आधा बारीक कटा हुआसाबूदाने की चाट बनाने रेसिपीगैस पर पैन चढ़ाएं।इसे बाद पैन में तेल या घी को डालें।जब घी गर्म हो जाए तो इसमें पहले से भीगे हुए साबूदाने को डालें।साबूदाने को कुरकुरा होने तक पकाएं। इसके बाद इसे एक प्लेट में निकाल लें।इसके बाद एक कढ़ाई को गर्म करें। इसमें आलू और साबूदाने के डालें।अब कढ़ाई में मिर्च और नमका डालकर मिक्स कर दें।इसे एक प्लेट में निकालें। ऊपर से दही, टमाटर और खीरे को मिक्स कर दें।आपकी चाट तैयार है। आप व्रत में भी इसका सेवन कर सकते हैं।साबूदाना के लड्डू कैसे बनाएं?साबूदाने का लड्डू बनाने के लिए आवश्यक सामग्रीसाबूदाना - एक कपघी - करीब एक कपचीनी - एक कपनारियल - आधा कद्दूकस किया हुआइलायची पाउडर - करीब 2 चम्मचमेवे - बारिक कटे हुएसाबूदाना के लड्डू बनाने की रेसिपीलड्डू बनाने के लिए आप कढ़ाई को गैस पर रखें।इसके बाद उसमें साबूदाना डालकर धीमी आंच पर पकाएं।जब साबूदाना ब्राउन हो जाए और कुरकुरा हो जाए तो गैस बंद कर इसे प्लेट में निकाल लें।ठंडा होने पर आप साबूदाने को बारिक पीस लें।इसके बाद एक पैन में नारियल को भून लें।इसमें साबूदाना और चीनी मिला लें। इसके बाद गैस बंद कर दें।एक दूसरे पैन में घी डालकर मेवे को करीब 2 से 4 मिनट के लिए भून लें।अब लड्डू के मिक्सचर में इलायची पाउडर और भूनें मेवे को डालकर मिक्स करें।इसके बाद इससे लड्डू तैयार कर लें। व्रत में इस लड्डू को खाने से आपको काफी फायदे मिलती है।इसे भी पढ़ें: शरीर को एनर्जेटिक रखे साबूदाना, रोजाना खाने से मिलेंगे ये 6 लाभसाबूदाना खाने से हड्डियां मजबूत होती हैं। साथ ही, ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है, और पाचन शक्ति के साथ वजन नियंत्रित होने में मदद मिलती है। ऐसे में व्रत के दौरान साबूदाने का सेवन करने से आपको थकान और कमजोरी नहीं होती है।
- मान्यता है कि परिजात के फूलों का वृक्ष समुद्र मंथन से बाहर निकलता है। इसलिए हिन्दू धर्म में इस फूल को मंदिर में चढ़ाना काफी ज्यादा शुभ माना जाता है। परिजात के फूलों को हरसिंगार के नाम से भी जाना जाता है। कई लोग इसे सिंघाड़ा के फूल भी कहते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आयुर्वेद में भी इस फूल का काफी ज्यादा महत्व है। जी हां, परिजात के फूलों ही नहीं बल्कि इसकी पत्तियां, जड़ इत्यादि का इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद माना जाता है। आइए जानते हैं परिजात के फूल से स्वास्थ्य को होने वाले अद्भुत फायदे?1. बुखार को करता है कमपारिजात का फूल मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया बुखार सहित विभिन्न प्रकार के बुखार को ठीक करता है। हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि पारिजात की पत्ती और छाल का अर्क बुखार को तुरंत ठीक करने के लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकता है। इतना ही नहीं, यह डेंगू और चिकनगुनिया बुखार में प्लेटलेट काउंट बढ़ाने में भी आपकी मदद करता है।2. अर्थराइटिस के लक्षणों को करे कमपरिजात के फूल गठिया की परेशानियों को दूर करने में फायदेमंद साबित हो सकते हैं। इसके फूल और पत्तों में सूजनरोधी गुण होता है। साथ ही विशिष्ट तरह का ऑयल मौजूद होता है, जो घुटनों के दर्द का इलाज करने में फायदेमंद साबित हो सकता है। इसका इस्तेमाल आप चाय के रूप में या फिर इसके फूलों से तैयार ऑयल को मसाज के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।3. सूखी खांसी का करे इलाजक्या आप लगातार खांसी और गले में जलन से पीडि़त हैं? अगर हां, तो ऐसी स्थितियों में भी पारिजात की पत्तियों और फूलों से बनी चाय आपके लिए उपयोगी साबित हो सकती है। इसके इस्तेमाल से सर्दी-खांसी, ब्रोंकाइटिस जैसी समस्याओं का इलाज किया जा सकता है। यह अस्थमा मरीजों के लिए काफी ज्यादा प्रभावी माना जा सकता है। पारिजात के कुछ फूल और पत्तियां लें, इसमें अदरक और 2 कप पानी डालकर करीब 5-7 मिनट तक उबालें। इसके बाद पानी को छान लें और शहद मिक्स करके चाय की तरह पिएं।4. डायबिटीज का करे इलाजडायबिटीज की परेशानी से जूझ रहे मरीजों के लिए परिजात का फूल फायदेमंद हो सकता है। यह ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल कर सकता है। पिछले अध्ययनों से पता चलता है कि पारिजात के फूलों के अर्क में शक्तिशाली एंटी-डायबिटीज गुण होते हैं, जो डायबिटीज की परेशानी को दूर कर सकते हैं।5. इम्यूनिटी करे बूस्टपारिजात के फूल और पत्तियां इथेनॉल की उपस्थिति होती है, जो आपके रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा दे सकती है। यह आपके शरीर के लिए इम्यूनोस्टिम्युलेटरी के रूप में कार्य कर सकती है।ध्यान रखें कि परिजात के फूल और पत्तियां स्वास्थ्य के लिए कई तरह से लाभकारी हो सकती हैं। हालांकि, किसी भी परेशानी में इसका प्रयोग करने से पहले अपने हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
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वजन का बढ़ना जितना आसान है उसे घटाना उतना ही मुश्किल होता है। खूब मेहनत करने के बावजूद कई बार उतना वजन कम नहीं होता है, जितने की उम्मीद होती है। वजन घटाने के लिए सबसे अच्छा है कि आपको हेल्दी डायट फॉलो करनी चाहिए। कुछ लोगों को वेट लॉस करने के दौरान बाहर का खाना खाने की क्रेविंग होती है और शाम होते-होते वह लोग जंक फूड खा ही लेते हैं। ऐसे में आपको शाम 4-6 बजे के बीच में एक काम कर लेना चाहिए। जानिए क्या?
4-6 बजे के बीच करें ये काम
अगर आप वजन कम कर रहे हैं और दिन की शुरुआत हेल्दी करते हैं लेकिन शाम होते ही आप कुछ जंक फूड खा लेते हैं तो आपको न्यूट्रिशिनिस्ट द्वारा बताए गए इस तरीके को अपनाएं। हाल ही में करीना कपूर की न्यूट्रिशिनिस्ट ने बताया की अगर कोई व्यक्ति वजन घटाना चाहता है तो उसे शाम 4-6 बजे के बीच ईवनिंग स्नैक्स खा लेना चाहिए। ये नियम उनके लिए भी अच्छा है जो लोग हेल्दी खाने की शुरुआत करना चाहते हैं।
इस समय पर क्यों?
एक्पर्ट बताती हैं कि 4-6 बजे के बीच में कोर्टिसोल लेवल ड्रॉप होता है। ऐसे में इस दौरान आपको कुछ खाने की जरूरत होती है। अगर आप इस दौरान कुछ नहीं खाते हैं तो इससे आपको रात को नींद नहीं आएगी। जिसकी वजह से आपकी सेहत पर गलत असर होगा। इसी के साथ जब आप इस समय पर कुछ खाते हैं तो इससे आपको बहुत ज्यादा थकावट महसूस नहीं होगी।
ईवनिंग स्नैक में क्या खाएं
ईवनिंग स्नैक में आप कुछ ऐसा खा सकते हैं जो हल्का हो और जिसे आसानी से बनाया जा सके। आपको ज्यादा भूख नहीं है तो आप मुरमुरा, मखाना, भुना चना या कोई फ्रूट खा सकते हैं। अगर भूख ज्यादा है तो आप एक दाल चीला, वेजिटेबल सैंडविच, प्लेन डोसा खा सकते हैं। ध्यान रखें आपको कुछ हेल्दी ही खाना है। -
घरों में मौजूद एयरकंडीशनर और फ्रिज से निकलने वाली गैस से कई बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। अमेरिका में हुए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। अध्ययन में यह भी बताया गया है कि इस गैस के प्रभाव के कारण कैंसर, मलेरिया, मोतियाबिंद और त्वचा रोग जैसी गंभीर बीमारियों के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।
अध्ययन के शोधकर्ताओं ने बताया कि एयरकंडीशनर और फ्रिज में हाइड्रोफ्लोरोकार्बन यानी एचफएफसी गैस भरी जाती है और इनसे इसी गैस का उत्सर्जन होता है। एल्युमिनियम प्रोसेसिंग के समय भारी मात्रा में बनती हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक यह गैसें हमारे वायुमंडल में करीब 50 हजार साल तक बनी रह सकती हैं। जलवायु पर इनका काफी बुरा असर पड़ता है। फ्लोरीन और हाइड्रोजन के परमाणुओं से बनाई गई यह गैस धरती को सूर्य के विकिरण से बचाने वाली ओजोन परत को नुकसान पहुंचाती हैं। इससे निकलने वाली क्लोरीन गैस ओजोन के तीन ऑक्सीजन परमाणुओं में से एक के साथ क्रिया करती है। फ्लोरीन का एक परमाणु ओजोन के एक लाख अणुओं को खत्म करता है। नतीजतन ओजोन परत लगातार पतली होती रहती है और बीमारियां बढ़ रही हैं।
समुद्री तटों पर रहने वालों को ज्यादा खतरा-
शोधकर्ताओं ने बताया कि समुद्र तटों के नजदीक रहने वाली आबादी को इससे सबसे ज्यादा नुकसान उठाना होगा। ओजोन परत को धरती की छतरी और पर्यावरण का सुरक्षा कवच भी कहा जाता है। अगर ओजोन परत बहुत ज्यादा पतली हो जाती है तो धरती पर जीवन काफी मुश्किल हो जाएगा। दरअसल, ओजोन परत के ज्यादा पतला होने पर पराबैंगनी किरणें आसानी से धरती पर पहुंचेंगी। पराबैंगनी किरणों के घातक प्रभाव के तौर पर ही गंभीर बीमारियां बढ़ेंगी।
समुद्री जीवों विलुप्त हो रहे, ग्लेशियर पिघल रहे-
शोधकर्ताओं का कहना है कि ओजोन परत को होने वाले नुकसान के कारण पराबैंगनी किरणों के सीधे धरती पर पहुंचने से कई समुद्री जीव विलुप्त हो रहे हैं। वहीं, नासा के मुताबिक, ओजोन परत में उत्तरी अमेरिका के आकार से भी बड़ा छेद हो गया है, जो काफी चिंताजनक है। ओजोन परत में पहला छेद कंटार्कटिका के ठीक ऊपर बना है। इसलिए क्षेत्र के ग्लेशियर के पिघलने की रफ्तार बढ़ गई है। इससे कई समुद्र तटीय इलाकों के डूबने का खतरा भी बढ़ रहा है।
यूरोपीय देशों ने लगाई पाबंदी-
यूरोप में 2023 की शुरुआत से ही इन गैस के इस्तेमाल को धीरे-धीरे बंद करने की शुरुआत की जा चुकी है। यह गैस लोगों की सेहत को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाती हैं। इसके चलते यूरोपीय संघ के देशों के बीच एक संधि समझौता हुआ है। इसके तहत संघ के सभी 27 सदस्य देश साल 2050 तक इन गैसों के इस्तेमाल पर पूरी पाबंदी लगाने पर सहमत हुए हैं।
1913 में हुई थी ओजोन परत की खोज-
ओजोन लेयर की खोज 1913 में फ्रेंच वैज्ञानिक फैबरी चार्ल्स और हेनरी बुसोन ने की थी। ब्रिटेन के मौसम विज्ञानी जीएमबी डोबसन ने नीले रंग की गैस से बनी ओजोन परत के गुणों का विस्तार से अध्ययन किया। डोबसन ने 1928 से 1958 के बीच दुनियाभर में ओजोन परत के निगरानी केंद्रों का नेटवर्क स्थापित किया। ओजोन की मात्रा मापने की इकाई डोबसन को जीएमबी डोबसन के सम्मान में ही शुरू किया था। -
आंखों को कभी-भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। आंखों को स्वस्थ और सुरक्षित रखने के लिए जरूरी उपाय अपनाना चाहिए। आमतौर पर खराब जीवनशैली हमारी आंखों के स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं। स्ट्रेनफुल लाइफस्टाइल के कारण हमें लंबे समय तक स्क्रीन पर समय बिताने, स्क्रीन पर पढ़ने करने या अन्य गतिविधियों को अंजाम देना पड़ता है। इससे आंखों में तनाव और थकान हो सकती है। पर क्या वास्तव में स्ट्रेस आईसाइट को प्रभावित करता है?
तनाव पहुंचाता है आंखों को गंभीर नुकसान
लंबे समय तक स्क्रीन के संपर्क में रहने, खराब रोशनी, या लंबे समय तक एक ही काम पर ध्यान केंद्रित करने से सूखापन, लालिमा और असुविधा जैसे लक्षण हो सकते हैं। दूसरी ओर जब हम गंभीर रूप से तनावग्रस्त और एंग्जाइटी फील करते हैं, तो शरीर में एड्रेनालाइन का हाई लेवल आंखों पर दबाव पैदा कर सकता है। इसके कारण दृष्टि धुंधली हो सकती है। लंबे समय तक एंग्जाइटी से पीड़ित लोग पूरे दिन आंखों के तनाव से पीड़ित हो सकते हैं।
क्या होता है आंखों पर तनाव का असर
लोग अकसर यह सवाल करते हैं कि क्या भावनात्मक तनाव दृष्टि समस्याओं का कारण बन सकता है? तो इसका जवाब है हां। जब हम गंभीर रूप से तनावग्रस्त और एंग्जाइटी फील करते हैं, तो शरीर में एड्रेनालाइन का लेवल बढ़ जाता है, जो आंखों पर दबाव पैदा कर सकता है। इस तरह, भावनात्मक तनाव दृष्टि समस्याओं का कारण बन सकता है।
क्या हो सकते हैं आई स्ट्रेस के लक्षण
आंखों में दर्द, थकान, जलन या खुजली, आंखों से पानी आना या सूख जाना, धुंधली या डबल विजन होना, सिरदर्द, गर्दन, कंधे या पीठ में दर्द आई स्ट्रेस के लक्षण हो सकते हैं। इनके अलावा प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता में वृद्धि हो सकती है। इसे फोटोफोबिया कहा जाता है। यह भी महसूस हो सकता है कि आंखें खुली रखना मुश्किल है।
इन तरीकों से करें बचाव
एलोवेरा जेल का करें इस्तेमाल
आंखों की स्ट्रेस को कम करने के लिए एलोवेरा जेल को आंखों के चारों ओर धीरे-धीरे लगाया जा सकता है। इसे आंखों के अंदर नहीं लगायें। इससे जलन और लालिमा कम होगी।
खीरे के टुकड़े रखें
बंद पलकों पर खीरे के टुकड़े रखने का क्लासिक उपाय सूजन को कम करने और थकी हुई आंखों को शांत करने में मदद कर सकता है।
आंखों में गुलाब जल डालें
प्रत्येक आंख में शुद्ध गुलाब जल की कुछ बूंदें थकी हुई आंखों को ताजगी और रि जुवेनेशन प्रभाव डाल सकती हैं।
थोड़ी देर के लिए आंखें बंद करके रखें
एंग्जाइटी के कारण अगर ब्लर विजन हो रहा है तो बेहतर है कि थोड़ी देर के लिए अपनी आंखें बंद करके लेट जाएं। इससे विजन के बारे में घबराहट कम हो सकती है। एंग्जाइटी को ठीक कर और अपने पैनिक अटैक को रोककर ब्लर विजन को को रोका जा सकता है। बंद पलकों पर खीरे के टुकड़े रखने का क्लासिक उपाय सूजन को कम करने और थकी हुई आंखों को शांत करने में मदद कर सकता है। चित्र : अडोबी स्टॉक
आंखों के लिए हमेशा याद रखें ये नियम
लंबे स्क्रीन टाइम के दौरान आंखों के तनाव को रोकने के लिए हर 20 मिनट में 20 सेकंड का ब्रेक लें। इस समय कम से कम 20 फीट दूर किसी चीज़ पर ध्यान केंद्रित करें। नियमित रूप से पलकें झपकाएं: अधिक बार पलकें झपकाने का सचेत प्रयास करें, क्योंकि इससे आपकी आंखों में नमी बनी रहेगी और सूखापन कम होगा।
उचित प्रकाश व्यवस्था
सुनिश्चित करें कि आपके ऑफिस में अच्छी रोशनी हो। हार्ड और चमकदार रोशनी से बचें, जो आंखों की थकान में योगदान कर सकती हैं।
गर्म सेक
बंद आंखों पर गर्म सेक लगाने से आंखों की मांसपेशियों को आराम मिलता है और रक्त परिसंचरण में सुधार होता है। लंबे स्क्रीन टाइम के दौरान आंखों के तनाव को रोकने के लिए हर 20 मिनट में 20 सेकंड का ब्रेक लें - आयुर्वेद में आवंला मानव शरीर के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद माना गया है, इसका इस्तेमाल खाने और दवाई दोनों के रूप में किया जाता है। आंवले में विटामिन सी, कैल्शियम, पोटेशियम, एंटी-ऑक्सीडेंट, फाइबर जैसे जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जिसके सेवन से कई बीमारियां दूर होती है और व्यक्ति हेल्दी रहता है।आंवला में छिपे आयुर्वेदिक गुणआंवला में वयस्थापन ( Vayasthapana ) गुणआयुर्वेद के अनुसार आंवला में उम्र को कम करने वाले गुण मौजूद होते हैं, जिसे वयस्थापन गुण कहा जाता है। आंवले में वस्थापन वह इंग्रीडियंट है जो स्किन को पोषण देता है और व्यक्ति को जल्दी बूढ़ा होने से बचाता है, यानि इसमें एंटी एजिंग गुण मौजूद होते हैं। आंवले में मौजूद वयस्थापन ( Vayasthapana ) गुण तीनों दोषों को संतुलन में रखकर स्किन को हेल्दी रखने में मदद करती है।आंवला में वृष्य गुण ( Vrishya Quality )आयुर्वेद के अनुसार आंवले में वृष्य चित्कित्सा गुण होते हैं, जो प्रजनन क्षमता के लिए अच्छा माना जाता है। आंवले में मौजूद वृष्य ( Vrishya ) गुण प्रजनन से जुड़ी समस्याओं को कम कर बांझपन की समस्या को दूर करने में मदद करते हैं। वृष्य चिकित्सा आयुर्वेद की आठ प्रमुख विशेषताओं में से एक है, जो महिला और पुरुष के प्रजनन क्षमता को बढ़ा सकता है और व्यक्ति को यौन रूप से शक्तिशाली और सक्षम बना सकता है। अगर कोई कंसीव करने की कोशिश कर रहा है तो वह ज्यादा आंवले का सेवन कर सकता है।आंवला में त्रिदोष गुण ( Tridosha Quality )आयुर्वेद के अनुसार आंवले में त्रिदोष ( Tridosha ) गुण होते हैं, जो तीनों दोष यानि वात, पित और कफ को बैलेंस करने में मदद करता है। इसके सेवन से आंख की रोशनी तेज होती है, स्किन हेल्दी रहती है, फेफड़ों से जुड़ी समस्या समेत कई हेल्थ बेनिफिट्स मिलते हैं। ऐसे में किसी भी उम्र के लोग इसका सेवन कर सकते हैं।आंवला खाने के तरीके-पाउडर - आप आंवले का सेवन पाउडर के रूप में कर सकते हैं, आपको बस 1 चम्मच आंवला पाउडर को सुबह खाली पेट 1 चम्मच शहद या गर्म पानी के साथ लेना है।-रस - 20 मिलीलीटर आंवले का रस सुबह गर्म पानी के साथ लेना पेट के लिए काफी अच्छा माना जाता है।-च्यवनप्राश - च्यवनप्राश में मौजूद मुख्य सामग्री आंवला है, तो आप सुबह खाली पेट या खाना खाने के 2 घंटे बाद गर्म पानी के साथ 1 चम्मच च्यवनप्राश ले सकते हैं।आंवले का मुरब्बा या अचार - आप आंवले का मुरब्बा या अचार बना कर भी इसका सेवन कर सकते हैं।आंवला कैंडी - आप आंवले को टुकड़ों में काटकर धूप में सुखा सकते हैं और रोजाना कैंडी के रूप में खा सकते हैं।आंवला खाने के बेनिफिट्स-उम्र बढ़ने की समस्या को रोकने में फायदेमंद-प्रजनन क्षमता में सुधार करें-बालों के झड़ने की समस्या रोकें-पाचन संबंधी समस्याओं से दिलाए राहत-थायराइड करें कंट्रोल-ब्लड शुगर को करें संतुलित-आंखों की बढ़ाए रोशनी
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कई बार आपने महसूस किया होगा कि मोबाइल या कंप्यूटर में ज्यादा देर तक काम करने से हाथों की उंगलियों में दर्द होने लगता है। दरअसल, यह दर्द ट्रिगर फिंगर का संकेत हो सकता है। ट्रिगर फिंगर हाथों की एक समस्या है। इसे स्टेनोज़िंग टेनोसिनोवाइटिस (stenosing tenosynovitis) भी कहा जाता है। इसमें हाथों की उलगियों के टेंडन में सूजन आ जाती है। आइये जानते हैं कि एक्सरसाइज के ट्रिगर फिंगर की समस्या को कैसे कम किया जा सकता है।
उंगलियां झुकाना
उंगलियों को मोड़ने वाला व्यायाम करने के लिए आप उंगली के ऊपरी जोड़ के ठीक नीचे पकड़ें। इसके बाद आप अन्य उंगलियों को सीधा या स्थिर रहने दें और जिस उंगली को पकड़ा है उसे सिर को हल्के हाथों से मोड़े। इसे करते समय यदि उंगलियों में दर्द महसूस हो, तो इस एक्सरसाइज को तुरंत रोक दें।
बॉल को दबाना
हाथों की एक्सरसाइज के लिए एक फॉम की बनी हुई बॉल आती है। इस बॉल को हथेली पर रखें और हाथों से बॉल को दबाएं और दोबारा खोलें। इस प्रक्रिया को दो से चार बार करें। अगर, हाथों में दर्द हो रहा हो तो बॉल को बंद करने के लिए आप दूसरे हाथ का सपोर्ट ले सकते हैं।उंगलियों और अंगूठे को छुएंइसमें आपको उंगलियों के ऊपरी हिस्से को अंगूठे के ऊपरी हिस्से के साथ मिलाते हुए उंगलियों पर हल्का दबाव डालना होता है। यह किसी मुद्रा की तरह हो सकता है। इससे भी हाथों की उंगलियों के टेंडन में आराम आता है।टिप एंड रिस्ट बैंडइस एक्सरसाइज से हाथों की उंगलियों के लचीलेपन में सुधार होता है। इसे एक्सरसाइज को आप किसी भी समय कर सकते हैं। इसमें आपको उंगिलयों के ऊपरी भाग को हथेली पर छुकाने का प्रयास करना होता है। आप बारी-बारी हर उंगली के साथ ये अभ्यास कर सकते हैं। इससे आपको आराम मिलेगा।हैंड टर्नइस एक्सरसाइज को करने के लिए आप हाथ की हथेलियों को नीचे की ओर करते हैं हाथ को किसी टेबल पर रखें। इसके बाद हथेलियों को ऊपरी की ओर ले जाएं। इस स्थिति में हाथ को कुछ सेंकेड के लिए होल्ड करें। फिर उसे दोबारा पहले की पोजीशन में लाएं। इससे हाथोंं के टेंडन पर खिंचाव पड़ता है और उनमें आराम आने लगता है।अगर, दर्द ज्यादा हो रहा हो, तो अंतिम में आप उंगलियों पर ठंडे व गर्म पानी की सिकाई कर सकते हैं। इससे आपको उंगलियों के दर्द में राहत मिलती है। लेकिन, रोग को दूर करने के लिए डॉक्टर से संपर्क अवश्य करें। -
सेब खाने के फायदे बहुत हैं। आपने शायद ये भी सुना हो कि दिन में एक सेब खाने से आप डॉक्टर से दूर रह सकते हैं। दरअसल सेब अन्य फलों के मुकाबले सबसे ज्यादा लाभदायक और हेल्दी फल माना गया है। सेब में विटामिन्स और नुट्रिएंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं जो शरीर में मौजूद हर तरह की बीमारी को दूर करने में फायदेमंद होते हैं। जब आप सुबह सेब खाते हैं तो इसका प्रभाव दोगुना हो जाता है। कहते हैं कि रात में सेब खाना खराब होता है क्योंकि यह पेट में एसिड बनाता है। लेकिन यह उतना बुरा नहीं है जितना सोचा था क्योंकि सेब डाइजेशन में भी सहायक होता है। सेब बहुत हेल्दी अल्कलाइन खाद्य पदार्थ हैं। सेब में फाइबर और विटामिन सी, ए और के तो होता ही है साथ ही इनमें कैलोरी की मात्रा भी कम होती है। सेब में कोई फैट या कोलेस्ट्रॉल नहीं पाया जाता है।
खाली पेट सेब खाने के फायदेपेट से जुड़ी कैसी भी समस्या हो सेब के सेवन से बहुत राहत मिलती है। लेकिन सुबह सुबह खाली पेट सेब खाना सबसे ज़्यादा फायदेमंद होता है।1. दिल को रखता है हेल्दीअगर आप सुबह खाली पेट सेब खाते हैं तो इससे दिल की सेहत अच्छी रहती है। सेब में मौजूद फाइबर ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखता है। इसके अलावा सेब में विटामिन सी और पोटैशियम भी होता है। ये तत्व हृदय रोग के खतरे को काफी हद तक कम करते हैं। इसलिए जिसे हृदय रोग हो या ना हो, दोनों ही को सुबह खाली पेट सेब का सेवन करना चाहिए।2. वजन को रखता है नियंत्रितसुबह खाली पेट सेब खाना हर तरह से फायदा पहुंचता है। अगर आप अपने वजन को नियंत्रण में रखना चाहते हैं तो सुबह खाली पेट सेब का सेवन कर सकते हैं। रोज सुबह एक सेब खाने से आप अपना वजन कम करने में सफलता पा सकते हैं। सेब में फाइबर की मात्रा अधिक होती है। एक तो इसे खाने से आपको ज्यादा देर तक भूख नहीं लगती है। यही वजह है कि आप बार बार ज्यादा खाने से बचे रहते हैं और आपका वजन धीरे-धीरे कम होने लगता है। इस तरह सेब खाने के फायदे बहुत हैं।3. इम्युनिटी बढ़ाता हैसेब एक है मगर इसके गुण अनेक हैं। तमाम तरह कि बीमारियों से लड़ने के लिए शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना बहुत आवश्यक है। इसके लिए रोज सुबह खाली पेट एक सेब खाने से आप अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत कर सकते हैं। सेब में विटामिन सी, प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व होते हैं जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।4. खून की कमी दूर करता हैजब हमारी बॉडी में आयरन की कमी होने लगती है तब शरीर में कमजोरी महसूस होती है। ये इस बात का संकेत है कि हमारी बॉडी में खून की कमी हो गई है। अगर आप नियमित रूप से खाली पेट सेब का सेवन करते हैं तो इससे खून की कमी जैसी समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। सेब में आयरन की भरपूर मात्रा होती है जो खून को साफ करने के साथ साथ शरीर में पर्याप्त मात्रा में आयरन का उत्पादन भी करता है।5. उत्तम डीटॉक्सीफिकेशन प्रॉपर्टीजअगर आप सुबह सेब खाते हैं तो उससे आपके शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल और जमा हुआ नमक खत्म हो जाता है। इसलिए यदि आप लंबे समय तक सेब का सेवन करते हैं तो इससे मेटाबोलिज्म में सुधार होता है।6. नजर होती है तेजआंखों की कमज़ोरी को सेब दूर कर सकता है। इसलिए आपको चाहिए कि अगर आंखों की रोशनी बढ़ानी है तो बच्चों के साथ साथ आपको भी रोजाना एक सेब जरूर खाना चाहिए।7. अस्थमा रोग में फायदेमंदसेब खाने के फायदे तो कमाल के हैं। सेब अस्थमा के रोग में भी फायदा पहुंचाता है। दमा से छुटकारा दिलाने में सेब या फिर सेब का जूस आपकी बहुत मदद कर सकता है। सेब में मौजूद होता है फ्लेवोनोइड्स जो फेफड़ों को ताक़त देने का काम करता है। यही कारण है कि सेब खाने से अस्थमा रोग से राहत मिलती है।8. कब्ज़ दूर करता हैसेब कई मर्ज़ का इलाज है। अगर आपको सुबह पेट ना साफ होने की शिकायत है तो सुबह एक सेब आपको ज़रूर खाना चाहिए। ये आपकी कब्ज़ की समस्या का समाधान कर सकता है। कब्ज, गैस और डाइजेशन की समस्या में खाली पेट सेब का सेवन करना लाभदायक होता है। सेब में फाइबर होता है जो धीरे-धीरे कब्ज की समस्या को कम करता है। आप अगर चाहें तो सेब की जगह इसके मुरब्बे का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।9. पथरी से देता है राहतसेब एक खास फल है और इसमें कई तरह की बीमारियों का इलाज भी छुपा हुआ है। अगर किसी को पथरी की शिकायत है तो सेब उसका भी इलाज है। पथरी के रोगियों के लिए सिर्फ सेब ही नहीं बल्कि सेब का जूस और सेब का सिरका भी उनकी सेहत को बनाए रखने में सहायक होता है। सेब खाने से पथरी के दर्द में भी आराम मिलता है। सुबह खाली पेट सेब खाने के फायदे बहुत हैं और आपको भी इसका सेवन जरूर करना चाहिए I10. दाँत करता है मजबूतसेब खाने के फायदे कई हैं। सेब आपके शरीर से बीमारियों को तो दूर रखता ही है साथ ही ये बैक्टीरिया और वायरस को भी समाप्त करने में सक्षम है। सेब खाने से दांत की बहुत सी समस्याएं दूर हो जाती हैं। जिसको भी पायरिया की बीमारी हो उसे सेब जरूर खाना चाहिए क्योंकि सेब का छिलका दाँतों की कैविटी को दूर करता है।11. ब्लड शुगर कंट्रोल करने में सहायकसेब डायबिटीज के रोगियों के लिए भी बहुत बेहतर है। अगर आप सेब को छिलके समेत खाएं तो डायबिटीज में ये बहुत लाभ पहुंचाता है और ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में सहायक होता है। देखा, सेब खाने के फायदे कितने सारे हैं।12. हड्डियों को मजबूत करता हैसेब में भरपूर कैल्शियम होता है। इसको रोज़ खाने से हड्डियां मजबूत होती हैं। खाली पेट सेब खाने का फायदा ये है कि इससे आपकी हड्डियां मजबूत होंगी और आपके शरीर को कैल्शियम की भी भरपूर मात्रा मिलती रहेगी।13. थकान और स्किन के लिए उपयोगीस्किन यानी आपकी त्वचा बहुत सेंसेटिव होती है। इसको साफ़ रखना आपकी ज़िम्मेदारी है। आज पल्यूशन और गंदे वातावरण ने आपसे आपकी त्वचा का आकर्षण छीन लिया है। ऐसे में सेब का उपयोग आपकी त्वचा के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। सेब विटामिन सी से भरपूर होते हैं। सेब की विटामिन सी कंटेन्ट का लगभग आधा हिस्सा सिर्फ उसके छिलके में होता है। इसलिए सेब को छिलके के साथ खाना अच्छा होता है। सेब में एक एंटी-एजिंग का प्रभाव भी होता है जो सर्दी की रोकथाम और थकान पर काबू पाने में बहुत असरदार है। सच तो ये है कि सेब औषधि से भरपूर फल है और सेब के फायदे अनगिनत हैं। - चेहरे की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया पर स्किन केयर से जुड़े अलग-अलग ट्रेंड्स देखने को मिलते हैं। इन दिनों लोगों के बीच 'कोरियन ग्लास स्किन' ट्रेंड काफी फेमस हो रहा है। अक्सर लोगों को लगता है कि कोरियन स्किन पाने के लिए खूब मेहनत करनी पड़ती है। इसके लिए कोई सर्जरी या फिर इंजेक्शन का सहारा लेना पड़ता है। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। आप चाहें तो कुछ देसी नुस्खों को आजमाकर भी कोरियन ग्लास स्किन पा सकते हैं। तो आइए, जानते हैं कोरियन स्किन पाने के लिए देसी नुस्खे-कोरियन स्किन पाने के लिए देसी नुस्खे1. हल्दी फेस मास्कअगर आप कोरियन लोगों की तरह चमकदार स्किन चाहते हैं, तो हल्दी फेस मास्क अप्लाई कर सकते हैं। भारतीय घरों में त्वचा की खूबसूरती बढ़ाने के लिए हल्दी का उपयोग सदियों से किया जा रहा है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो त्वचा की रंगत में सुधार करने में मदद करते हैं। इसके लिए आप 2-3 चम्मच दही लें। इसमें चुटकीभर हल्दी मिलाएं। अब इसे चेहरे पर लगाएं और 15 मिनट बाद त्वचा को साफ कर लें।2. हल्दी-चंदन उबटनकोरियन ग्लास स्किन पाने के लिए आप हल्दी-चंदन उबटन भी अप्लाई कर सकते हैं। हल्दी और चंदन पाउडर, त्वचा की रंगत में सुधार करने में मदद करते हैं। हल्दी और चंदन में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो त्वचा की ब्राइटनेस बढ़ाते हैं। इसके लिए आप 2 चम्मचचंदन पाउडर लें। इसमें चुटकी भर हल्दी और गुलाब जल या दूध मिक्स करें। अब इसे अपने चेहरे पर अप्लाई करें और 15 मिनट बाद चेहरे को पानी से साफ कर लें।3. गुलाब जल टोनरगुलाब जल एक नेचुरल टोनर है, जो त्वचा के पीएच लेवल को बैलेंस रखने में मदद करता है। गुलाब जल त्वचा को रिफ्रेश करता है। इससे त्वचा पर ग्लो आता है और रंगत में सुधार होता है। इसके लिए आप चेहरे को फेस वॉश से धो लें। फिर चेहरे पर गुलाब जल अप्लाई करें। चेहरे पर गुलाब जल लगाने से आप कोरियन लोगों की तरह स्किन पा सकते हैं।4. एलोवेरा जेल लगाएंकोरियन ग्लास स्किन पाने के लिए आप एलोवेरा जेल भी अप्लाई कर सकते हैं। एलोवेरा जेल में मॉइश्चराइजिंग गुण होते हैं, जो त्वचा को मुलायम बनाते हैं। एलोवेरा जेल लगाने से स्किन हाइड्रेट रहती है। इसके लिए आप फ्रेश एलोवेरा पल्प लें। इसे अपने चेहरे पर लगाएं और आधे घंटे बाद त्वचा को पानी से साफ कर लें। एलोवेरा स्किन में नेचुरल ग्लो लाने में मदद करता है।5. ग्रीन टी टोनरग्रीन टी टोनर भी कोरियन ग्लास स्किन पाने में मददगार साबित हो सकता है। ग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, तो त्वचा को डैमेज होने से बचाते हैं। ग्रीन टी रंगत में भी सुधार करता है। इससे ड्राई स्किन की समस्या से छुटकारा मिलता है। इसके लिए आप गर्म पानी लें। इसमें ग्रीन टी बैग डालें और पानी को ठंडा होने दें। अब आप कॉटन पैड की मदद से इसे अपने चेहरे पर लगा सकते हैं।6. दही और शहद मास्कअगर आप कोरियन ग्लास स्किन पाना चाहते हैं, तो दही और शहद मास्क अप्लाई कर सकते हैं। इसके लिए आप दही और शहद मिक्स करके अपने चेहरे पर लगाएं। 15-20 मिनट बाद चेहरे को पानी से साफ कर लें। दही और शहद त्वचा पर ग्लो लगाने में मदद करते हैं। दही और शहद लगाने से त्वचा पर निखार और ग्लो आता है।7. पानी अधिक मात्रा में पिएंचेहरे पर ग्लो लाने के लिए आपको ज्यादा मात्रा में पानी पीना चाहिए। आप हर्बल टी का सेवन करें। आप चाहें तो नारियल पानी का भी सेवन कर सकते हैं। त्वचा पर निखार लाने के लिए आपको दिनभर में लगभग 8-10 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए।8. बैलेंस डाइट लेंस्किन में निखार लाने के लिए आपको अपनी बैलेंस डाइट पर भी ध्यान देना चाहिए। बैलेंस डाइट के लिए आपको पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, फाइबर और विटामिन्स का सेवन करना चाहिए। इसके लिए आप फलों, सब्जियों और अनाज का सेवन करना चाहिए।
- पेट में गैस की समस्या होने पर व्यक्ति को खाने पीने में परेशानी होती है। गैस रहने से पेट में भारीपन लगने के साथ, पेट फूला हुआ और कई बार जी मिचलाने की समस्या भी हो जाती हैं। ऐसे में पेट की गैस को कम करने के लिए डाइट में कई तरह के फूड्स को शामिल किया जा सकता है। आज जानते हैं इन फूड्स के बारे में।अदरकअदरक शरीर के लिए फायदेमंद होती है। अदरक में जिंगिबैन नामक एक पाचन एंजाइम होता है, जो शरीर को प्रोटीन को तोडऩे में मदद करता है। यह पेट पर पर दबाव कम करके ऐंठन और सूजन को कम करके पाचन तंत्र को हेल्दी रखता हैं। अदरक का सेवन करने के लिए भोजन से पहले या बाद में अदरक की चाय पी जा सकती हैं। यह चाय आंतों को भी हेल्दी रखती है।सौंफसौंफ पेट की गैस को कम करने के साथ सूजन को भी दूर करती है। सौंफ में एनेथोल, फेनचोन और एस्ट्रैगोल गुण पाए जाते हैं, जो आंतों की मांसपेशियों को आराम देते हैं और फंसी हुई गैस को बाहर निकलने देते हैं। सौंफ पेट में गैस के उत्पादन को भी कम कर सकती है। खाने के बाद सौंफ का सेवन करने से खाना ठीक से पचता है।केलाकेला में भरपूर मात्रा में पोटेशियम पाया जाता है। इस कारण यह पेट में गैस की समस्या को कम करता है। यह शरीर को हाइड्रेट रखता है और पेट की सूजन को कम करता है। पेट में गैस होने पर डाइट में केले को शामिल करें। यह पेट खराब की समस्या में भी फायदेमंद होता है।नींबूनींबू में मौजूद साइट्रिक एसिड खाने को पचाने के साथ पेट में गैस की समस्या को दूर करता है। इसके सेवन से पाचन तंत्र हेल्दी रहने के साथ खाना भी ठीक से पचता है। नींबू में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं जैसे सोडियम, पोटेशियम, प्रोटीन, आयरन और विटामिन सी। इसको हल्के गुनगुने पानी में मिलाकर इसका सेवन करें।दहीदही पोषक तत्वों से भरपूर होती है। इसमें सोडियम, कार्बोहाइड्रेट,फाइबर और प्रोटीन पाया जाता हैं, जो शरीर को हेल्दी रखता है। दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स पाचन-तंत्र को हेल्दी रखते हैं और पेट की सूजन को भी कम करते हैं। दही में फल डालकर भी इसका सेवन किया जा सकता है।गैस को कम करने के लिए इन फूड्स का सेवन किया जा सकता हैं। हालांकि, अगर आपको कोई बीमारी या एलर्जी की समस्या हैं, तो डॉक्टर से पूछकर ही इसका सेवन करें।
- कटरुआ की सब्जी काफी स्वादिष्ट लगती है। यह काफी महंगा बिकता है। इसमें मौजूद पोषक तत्वों के कारण लोग इसे खूब पसंद करते हैं। आइये इस लेख में विस्तार से जानते हैं कटरुआ की सब्जी खाने के फायदे। बारिश के मौसम में यह बाजार में बिकने के लिए पहुंचता है।कटरुआ की सब्जी खाने के कुछ प्रमुख फायदे इस तरह से हैं-1. कटरुआ की सब्जी में प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा होती है। इसका सेवन करने से शरीर में मांसपेशियों के विकास में मदद मिलती है।2. डायबिटीज के मरीजों के लिए कटरुआ की सब्जी बहुत फायदेमंद मानी जाती है।3. हार्ट से जुड़ी बीमारियों के मरीजों के लिए भी कटरुआ की सब्जी बहुत फायदेमंद होती है।4. शारीरिक कमजोरी और सुस्ती को दूर करने के लिए भी इसका सेवन फायदेमंद होता है।कैसे बनाते हैं कटरुआ की सब्जी?कटरुआ की सब्जी जमीन से निकलती है, इसलिए इसमें गंदगी और मिट्टी लगी रहती है। इसे अच्छी तरह से साफ करने के बाद टुकड़ों में काटकर काफी मसालों के साथ बनाया जाता है। बनाने से पहले इसे उबाल लेने से ज्यादा फायदा मिलता है। इस सब्जी को बनाने में गरम मसाले और प्याज का इस्तेमाल किया जाता है। वेज खाने वाले लोगों को यह सब्जी खूब पसंद आती है। स्वादिष्ट होने के साथ ही इसमें मौजूद पोषक तत्व शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं।
- संतरा एक खट्टा-मीठा फल है। कई पोषक तत्वों से समृद्ध इस फल के बीज भी गुणकारी होते हैं। संतरे के बीज में विटामिन-सी, विटामिन-बी6, मैग्नीशियम, ओमेगा-3 फैटी एसिड और फाइबर जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। ये सभी पोषक तत्व बालों की ग्रोथ में मदद करते हैं। संतरे के बीजों से एसेंशियल ऑयल भी बनाया जाता है जिसका उपयोग हेयर ग्रोथ के लिए किया जाता है। संतरे के बीजों से निकलने वाला ऑयल, बालों का रूखापन दूर करता है। संतरे के बीज के इस्तेमाल से स्कैल्प से आने वाली बदबू को भी दूर किया जा सकता है। आगे इस लेख में जानेंगे बालों के लिए संतरे के बीज के फायदे और इस्तेमाल का तरीका।बालों के लिए संतरे के बीज के फायदे-बालों को घना और मजबूत बनाते हैं संतरे के बीजसंतरे के बीजों में विटामिन-सी और बायोफ्लावोनोइड्स जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इन पोषक तत्वों से स्कैल्प का ब्लड सर्कुलेशन इंप्रूव होता है। इससे बाल मजबूत और हेल्दी बनते हैं। संतरे के बीजों में फोलिक एसिड भी पाया जाता है। इससे बालों की ग्रोथ होती है और कमजोर और डैमेज बाल मजबूत बनते हैं।फ्री रेडिकल्स से बालों को बचाते हैं संतरे के बीजसंतरे के बीज भी उसके फल की तरह एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं। यह बालों की उम्र को बढ़ाने वाले फ्री रेडिकल्स से लड़ने में मदद करेंगे। शरीर में फ्री रेडिकल्स की संख्या बढ़ने के कारण बाल झड़ने लगते हैं।डैमेज बालों को रिपेयर करते हैं संतरे के बीजसंतरे के बीज में फॉलिक एसिड पाया जाता है। इससे बालों की जड़ों को मजबूती मिलती है। सिर से स्कैल्प तक ऑक्सीजन न पहुंचने से बालों की ग्रोथ कम हो जाती है। इससे बाल कमजोर होकर टूटते और झड़ने लगते हैं। फोलिक एसिड केराटिन के उत्पादन में मदद करता है। फोलिक एसिड- बाल, त्वचा और नाखूनों को स्वस्थ रखने का काम करते हैं।बालों के लिए संतरे के बीजों का इस्तेमाल कैसे करें?--संतरे के बीजों को पीसकर कंडीशनर की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है।-संतरे के बीजों को सलाद में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।-संतरे के बीजों को हटाए बिना जूस का सेवन कर सकते हैं।-बीजों को सुखाकर, पीसकर पाउडर बना लें। इसे हेयर पैक की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं।-संतरे के बीजों से बने तेल को नारियल तेल के साथ मिलाकर स्कैल्प पर अप्लाई कर सकते हैं।
- शिशु की त्वचा बहुत कोमल होती है। माएं अक्सर शिशु का ख्याल रखने के लिए उनकी सभी चीज का खास ख्याल रखती है क्योंकि जरा सी लापरवाही से शिशु को नुकसान हो सकता है। वहीं, जब बात नहलाने की आती है, तो अधिकतर माएं शिशु को नहलाने के लिए बाजार में मिलने वाले साबुन या बॉडी वॉश से शिशु को नहलाते है। लेकिन यह चीजें महंगी होने के साथ कई बार इनको बनाने में कई तरह के केमिलकल का इस्तेमाल किया जाता हैं। ऐसे में शिशु की त्वचा पर इसे लगाने उनके शरीर पर एलर्जी होने के साथ स्किन संबंधी कई समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में शिशु को नहलाने के लिए घर पर ही उनके लिए होममेड बाथिंग पाउडर बनाया जा सकता हैं। यह पाउडर नेचुरल होने के साथ किचन में मौजूद चीजों से ही बनता है। यह पाउडर एक बार बनाने के बाद महीनों तक इसे स्टोर किया जा सकता है। यह पाउडर बच्चे की त्वचा को कोमल बनाने के साथ हानिकारक केमिकल से भी बच्चों को बचाएगा। आइए जानते हैं शिशु को नहलाने के लिए होममेड बाथिंग पाउडर बनाने के तरीके के बारे में।शिशु को नहलाने के लिए होममेड बाथिंग पाउडर बनाने का तरीकासामग्री1 कप- चावल1 कप- हरा चना1 कप- चना दाल2-3 चम्मच- मुल्तानी मिट्टी1 चुटकी- हल्दी पाउडर4 से 5- मेथी के पत्ते4 से 5- गुलाब की पंखुड़ियाँ1- पान के पत्तेहोममेड बाथिंग पाउडर कैसे बनाएंगुलाब की पंखुड़ियों, मेथी के पत्तो और पान के पत्ते को धूप में सुखा लें। सूखने पर इन्हें पीसकर पाउडर बना लें और एक तरफ रख दें। इसके बाद चावल और दाल को बारीक पाउडर बनने तक पीस लीजिए। इसमें पिसी हुई पत्तियां, हल्दी और मुल्तानी मिट्टी डालकर अच्छी तरह मिला लें। इसे एयरटाइट कंटेनर में स्टोर करें। अब शिशु को नहलाते समय पानी या दूध के साथ मिलाकर पेस्ट तैयार करें और हल्के हाथ से शिशु की त्वचा पर इसे लगाएं और पानी से वॉश करें।शिशु के लिए होममेड बाथिंग पाउडर के फायदे-यह पाउडर शिशु की त्वचा को नेचुरल चमक देता है।-मुल्तानी मिट्टी शिशु की त्वचा को मुलायम और कोमल बनाता है।-यह बाथ पाउडर शरीर पर बालों के विकास को भी धीमा कर देता है।-इस पाउडर को लगाने से शिशु को स्किन संबंधित समस्याओं से भी बचाव होता हैं।-यह पाउडर लगाने से शिशु की त्वचा में भी निखार आता है।शिशु को नहलाने के लिए यह होममेड बाथिंग पाउडर घर पर ही बनाया जा सकता है। हालांकि, लगाने से पहले शिशु की त्वचा पर पैच टेस्ट अवश्य करें।
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सुंदर दिखने की चाहत में न जाने लोग अपनी स्किन पर कितने केमिकल वाले प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल कर लेते हैं, जिनका नतीजा हमेशा पॉजिटिव हो ऐसा भी नहीं होता। कई बार तो केमिकल वाले प्रोडक्ट्स से लोगों को एलर्जी हो जाती है और उनका चेहरा भी खराब हो जाता है। अगर आप भी सुंदर दिखने की चाहत में रोजाना मेकअप करती हैं तो ये आपकी स्किन को खराब कर सकता है। बिना मेकअप गुलाबी गाल चाहिए तो इसके लिए आपको घरेलू नुस्खे अपनाने होंगे। यहां हम आपको 4 ऐसी चीजें बताने वाले हैं जो बेहद सस्ती हैं और आपके गालों को नेचुरल पिंक ब्लश वाला लुक देंगी।'
घर में नेचुरल ब्लश कैसे बनाएंचुकंदर ब्लशचुकंदर को खाने से सेहत बनती है और इसे चेहरे पर लगाने से भी रंगत निखरती है। पुराने समय में जब मेकअप के सामान नहीं होते थे उस जमाने से गालों को गुलाबी करने के लिए चुकंदर का इस्तेमाल किया जा रहा है। चुकंदर से ब्लश बनाने के लिए आपको उबले हुए चुकंदर का गाढ़ा पल्प चाहिए होगा। इस पल्प में कुछ बूंदें ग्लिसरीन की मिलाएं आपका नेचुरल ब्लश तैयार है। इसे आप एक छोटे कंटेनर में भरकर स्टोर कर सकते हैं और जब भी गुलाबी गाल चाहिए हों तब इसे ब्लश की तरह से इस्तेमाल करें।गुलाब से ब्लश कैसे बनाते हैंगुलाब की पंखुड़ियों से भी घर में नेचुरल ब्लश तैयार किया जा सकता है। गुलाब के ताजे फूल से अगर ब्लश बनाना चाहते हैं तो आप इमाम दस्ता में गुलाब की पंखुड़ियों को डालकर पेस्ट बनाएं और इसमें जरूरत के मुताबिक अरारोट पाउडर मिलाएं और अच्छे से दोनों को मिक्स करें। इसे आप एक कांच के छोटे कंटेनर में भरें, ताजे गुलाब से बना ब्लश गीला बनेगा। वहीं सूखी गुलाब की पंखुड़ियों से भी ब्लश बनाया जा सकता है, इसके लिए इमाम दस्ता में गुलाब की पंखुड़ियों और अरारोट पाउडर को साथ में डालकर अच्छे से पीसें। जब इसका पाउडर तैयार हो जाए तो इसे एक छोटे कांच के कंटेनर में रखें, इस ब्लश को आप ब्रश की मदद से लगा सकते हैं।गाजर से ब्लश कैसे बनाते हैंअगर आपको गालों पर हल्का पीच कलर चाहिए तो इसके लिए आपको नारंगी रंग की दिखने वाली गाजर चाहिए होगी। इस गाजर को कद्दूकस करके सुखा लें और फिर इसे मिक्सी या इमाम दस्ता में अरारोट के साथ मिलाकर पीसें। आपका गाजर से बना नेचुरल ब्लश तैयार है।गुड़हल से ब्लश कैसे बनाते हैंगुड़हल के फूल से भी ब्लश घर में आसानी से बनाया जा सकता है। इसके लिए आपको गुड़हल के फूलों को अरारोट पाउडर के साथ पीसना होगा, खुशबू के लिए आप इसमें अपनी पसंद का एसेंशियल ऑयल मिला सकते हैं। तैयार होने पर इसे कांच के छोटे कंटेनर में भरें। घर में बने नेचुरल ब्लश को फ्रिज में स्टोर कर के रखें, जिससे ये लंबे समय तक इस्तेमाल किया जा सकता है। -
बच्चों को खांसी होने के कई कारण हो सकते हैं। ऐसा मौसम बदलने की वजह से हो सकता है, या फिर कुछ गलतियों के कारण भी हो सकता है, जैसे पसीने में ठंडा पानी पीना, बदलते मौसम में खट्टा खाना वगैराह। छोटे बच्चे खांसी के कारण कई बार बहुत परेशान हो जाते हैं, ऐसे में उनके लिए खाना-पीना भी मुश्किल हो जाता है, साथ ही सोने में भी परेशानी होती है। बच्चों में खांसी को लेकर कोई भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए क्योंकि कई बार खांसी बच्चों के लिए गंभीर बन सकती है। बच्चों को इस समस्या से राहत दिलाने के लिए आप कुछ नुस्खों को अपना सकते हैं। इन नुस्खों को अपनाकर तुरंत आराम मिलेगा।
- बच्चों को खांसी से छुटकारा दिलाने के लिए आप शहद का इस्तेमाल कर सकते हैं। शहद एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है। ऐसे में बच्चों को खांसी में शहद चटाया जा सकता है। अगर बच्चा 1 साल से ज्यादा उम्र का है तो एक चम्मच शहद में 2 से 3 बूंद अदरक के रस की मिला सकते हैं।
- अदरक गले को शांत करने और खांसी को कम करने में मदद कर सकता है। आप 10-15 मिनट के लिए उबलते पानी में ताजा अदरक के कुछ स्लाइस डालकर अदरक की चाय बना सकते हैं। ऐसे में इस चाय को कप में निकाल लें और फिर इसमें थोड़ा शहद मिला लें और अपने बच्चे को दें।
-बच्चे को आप हर्बल चाय, चिकन सूप, या शहद के साथ गर्म दूध में हल्दी, खांसी से राहत देने और गले को शांत करने में मदद कर सकते हैं। गर्म लीक्विड छाती में बलगम को ढीला करने में भी मदद करते हैं, जिससे बलगम निकलना आसान हो जाता है।ध्यान रखें कि बच्चों को हॉट लिक्विड पिलाते समय से बहुत ज्यादा गर्म न हो। - आयुर्वेद में गुड़मार के पत्तों के कई फायदे बताए गए हैं। इससे डायबिटीज को भी कंट्रोल किया जा सकता है। आज जानते हैं कि डायबिटीज के मरीजों के लिए गुड़मार के क्या फायदे होते हैं?ब्लड शुगर को कंट्रोल करेंगुड़मार डायबिटीज के मरीजों के ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में सहायक होती है। इसमें जिम्नेमिक एसिड पाया जाता है, जो इंसुलिन के स्तर को नियंत्रित करता है। यह शरीर के शुगर रिसेप्टर्स के साथ जुडक़र ग्लूकोज के अवशोषण को कम करके ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक होता है। इससे इंसुलिन पर निर्भर रहने वाले मरीजों को भी लाभ मिल सकता है।मोटापा करें कंट्रोलमोटापा डायबिटीज के जोखिम कारकों को बढ़ा सकता है, ऐसे में आप डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए गुड़मार का सेवन कर सकते हैं। इससे आपको चीनी खाने की इच्छा कम होती है। साथ ही, यह आपके वजन को भी नियंत्रित रखता है।इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाएंटाइप 2 डायबिटीज में इंसुलिन प्रतिरोध एक आम समस्या है। इसमें कोशिकाएं इंसुलिन के संकेतों पर प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया नहीं करती हैं। गुड़मार इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाने में सहायक हो सकता है। जिससे कोशिकाओं के लिए ब्लड से ग्लूकोज लेना आसान हो जाता है।लिपिड प्रोफाइल सुधारडायबिटीज में लिपिड प्रोफ़ाइल असामान्य हो सकता है। यह कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स के उच्च स्तर को दर्शाता है। गुड़मार एचडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाक, एलडीएल कोलेस्ट्रॉल (खराब कोलेस्ट्रॉल) और ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को कम करके लिपिड प्रोफाइल में सुधार करने में मदद कर सकता है।एंटीऑक्सीडेंट गुणडायबिटीज अक्सर ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के साथ होता है, जिससे कोशिकाएं डैमेज और सूजन हो सकती है। गुड़मार एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है, जो हानिकारक फ्री रेडिकल्स के प्रभावों को कम करके ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से निपटने में मदद कर सकता है।डायबिटीज में गुड़मार को डाइट में कैसे शामिल करें?अर्क - आप गुड़मार की पत्तियों को पीसकर इसके अर्क (रस) का सेवन कर सकते हैं।चाय - इसके अलावा, आप करीब दो कप पानी में करीब 5 से 7 गुड़मार की पत्तियों को उबालकर चाय की तरह इसका सेवन कर सकते हैं।इसे भी पढ़ें: सर्दी-जुकाम और खांसी में रामबाण है अर्जुन की छाल, जानें इस्तेमाल का तरीकानोट- गुड़मार एक आयुर्वेदिक औषधि की तरह उपयोग की जाती है। इसे लेते समय आयुर्वेदाचार्य या डाइटिशियन की सलाह अवश्य लेनी चाहिए।
- खूबसूरत चेहरा किसी भी महिला की सुंदरता में चार-चांद लगा देता है। लेकिन पिचके हुए गाल खूबसूरती को बिगाड़ देते हैं। जी हां ज्यादातर महिलाएं अपने मोटापे को लेकर परेशान होती हैं। लेकिन कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं जो अपने दुबलेपन को लेकर टेंशन में रहती हैं। इसके कारण उनका फेस पतला दिखाई देता है और पिचके हुए गाल तो किसी को भी अच्छे नहीं लगते हैं। कई महिलाओं में खाने में पोषक तत्वों की कमी, बहुत ज्यादा स्मोकिंग, कम पानी पीने और कम सोने के कारण होता है। अगर आप भी पिचके हुए गालों से परेशान हैं और इन्हें गोल-मटोल करना चाहती हैं तो इस आर्टिकल में बताए 3 आसान नुस्खे अपनाएं।फिश फेस एक्सरसाइज करेंफिश फेस एक्सरसाइज भी पिचके हुए गालों को गोल-मटोल करने में मदद करता है। इस एक्सरसाइज को करना भी बेहद आसान है और आप इसे कहीं भी बैठे हुए कर सकती हैं।एक्सरसाइज करने का तरीका-सबसे पहले चेहरे की मसल्स को रिलैक्स होने दें।-फिर गालों को मुंह के अंदर की ओर करें।-आप गालों को जितना अंदर ले सकती हैं, उतना बेहतर होगा।अब आप इस पोजीशन को 2 सेकंड के लिए होल्ड करें।-इस एक्सरसाइज को कम से कम दिन में 2-3 बार 10 सेट्स में करें।-आपको इस एक्सरसाइज को करने से बहुत जल्द ही असर देखने को मिलेगा।रोजाना 1 सेब खाएंगालों के पिचकने का सबसे बड़ा कारण खाने में पोषक तत्वों की कमी है। जब शरीर को पर्याप्त पोषण नही मिलता है तो इससे हमारे शरीर और चेहरे पर बुरा असर पड़ता है। इससे चेहरे की रंगत खराब होने के साथ-साथ गाल भी अंदर की ओर धंस जाते हैं। लेकिन अपनी डाइट में फलों को शामिल कर आप इस समस्या से बच सकती हैं। इसके लिए सेब खासतौर से फायदेमंद होता है। इसलिए रोजाना 1 सेब जरूर खाएं। कई लोगों का मानना है कि क्योंकि उनमें एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन ए, बी और सी होते हैं, इसलिए सेब को नियमित रूप से खाया जाना चाहिए ताकि डैमेज टिशू को रोका जा सके। कुछ लोगों का दावा है कि सेब में कोलेजन और इलास्टिन आपकी त्वचा को मुलायम और कोमलबनाए रखता है।इसके अलावा आप अपने गालों को गोल-मटोल बनाना चाहती है तो सेब का पैक बनाकर भी लगा सकती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें कोलेजन, इलास्टिन और एंटी-ऑक्सीडेंट बहुत अधिक मात्रा में होते हैं। इसका पैक लगाने के लिए एक सेब को कद्दूकस कर लें, इसे अपने चेहरे पर लगाएं और मास्क को पानी से धोने से पहले इसे 20 मिनट के लिए छोड़ दें।एलोवेरा जैलत्वचा के लिए अन्य लाभकारी अवयवों में एलोवेरा में एंटीऑक्सीडेंट विटामिन सी और विटामिन ई होते हैं। इस कारण से, कई लोगों का मानना है कि एलोवेरा को गालों पर लगाने से एंटी-एजिंग प्रभाव पड़ता है। आप चाहे तो एलोवेरा जैल का सेवन कर सकती हैं। जर्नल एनल्स ऑफ डर्मेटोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन ट्रस्टेड सोर्स के अनुसार, ''जिन महिलाओं ने 90 दिनों तक एक चम्मच एलोवेरा जेल का सेवन किया, उनमें चेहरे की लोच में सुधार देखा गया। यह गोल-मटोल गाल पाने में आपकी मदद कर सकता है।गोल-मटोल गालों के लिए टिप्ससनस्क्रीन लगाएं। जब भी बाहर जाए तो अपने चेहरे पर सनस्क्रीन लगाएं। यह आपकी त्वचा को हानिकारक पराबैंगनी किरणों से बचाएगा।-मेकअप लगाने से बचें। यह आपकी त्वचा को सांस लेने की अनुमति देने के साथ ही त्वचा को जवां बनाए रखने में मदद करता है। सोने से पहले हमेशा अपने मेकअप को साफ करें और बिस्तर पर जाने से पहले अपने चेहरे को अच्छी तरह से धो लें।-स्मोकिंग बंद करें और शराब पीने से बचें। ये आदतें आपकी त्वचा की लोच खोकर आपको उम्र से ज्यादा दिखा सकती हैं।-भरपूर मात्रा में पानी पिएं। अपने शरीर को ठीक से हाइड्रेटेड रखने से आपकी त्वचा जवां और गाल भरे हुए दिखाई देते हैं।
- आंखें शरीर का सबसे जरूरी अंग है लेकिन सबसे ज्यादा लोग इसकी अनदेखी करते हैं। जिसका नतीजा होता है कि नजरें कमजोर हो जाती हैं औंर आंखों पर चश्मा लगाने की नौबत आ जाती हैं। लगातार कई घंटे तक कम्प्यूटर और मोबाइल की स्क्रीन पर देखना, धूप की तेज किरणें आंखों पर पड़ना और पॉल्यूशन से आंखों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जिसकी वजह से केवल धुंधलापन ही नहीं रहता बल्कि आंखों में सूखापन और खुजली होने लगती है। आंखों की इन समस्याओं को दूर करने में योग मुद्रा आराम पहुंचाती है। इन दो योग मुद्राओं से आंखों की सेहत ठीक की जा सकती है।प्राण मुद्रा करने के फायदे-प्राण मुद्रा का रोजाना अभ्यास करने से आंखों की रोशनी तेज होने में मदद मिलती है। जिससे नजर के चश्मे का नंबर कम होने लगता है।-इसके साथ ही प्राण मुद्रा दिमाग को एनर्जी देने में मदद करती है। अगर आप दिमाग से थकावट महसूस कर रहे हैं तो कुछ देर प्राण मुद्रा करने से एनर्जी महसूस होती है।-यहीं नहीं, प्राण मुद्रा करने से पैरों में होने वाले दर्द से राहत मिलती है। क्योंकि ये शरीर में ब्लड का सर्कुलेशन सही करती है।-मेंटल हेल्थ को मजबूत बनाती है प्राण मुद्रा-शरीर का इम्यूनिटी सिस्टम सही करती है प्राण मुद्रा।प्राण मुद्रा करने का सही तरीका-प्राण मुद्रा करने के लिए सबसे पहले सुखासन की मुद्रा में बैठ जाएं।-फिर हाथों को घुटनों पर रखें।-अब कनिष्ठा यानी सबसे छोटी उंगली, अनामिका यानी रिंग फिंगर और अंगूठे के ऊपरी हिस्से को आपस में मिलाएं।-बाकी दो उंगलियों को खुला ही रहने दें।-उंगलियों की ये मुद्रा प्राण मुद्रा होती है। इसी अवस्था में करीब 10-15 मिनट तक बैठें।-साथ ही सांसों पर पूरा ध्यान केंद्रित करें और गहरी सांस लें।-ये योग मुद्रा शरीर और दिमाग को एनर्जी देने में मदद करती है।कमजोर नजर को सही करती है प्राण मुद्रा-रोजाना करीब 15-20 मिनट इस मुद्रा का अभ्यास नजरों को तेज होने में मदद करता है।-प्राण मुद्रा को करने का सबसे सही समय सुबह का है। जब पेट बिल्कुल खाली होता है।-हालांकि इसे दिन में भी किया जा सकता है। बस ध्यान रहे कि खाना खाने के एक से दो घंटे बीत चुके हैं।-नजर ठीक हो गई है तो भी इस योग मुद्रा को करते रहें।ज्ञान मुद्राज्ञान मुद्रा करने से भी आंखों पर चढ़ा चश्मे का नंबर कम होता है। साथ ही ये मुद्रा रेटिना की कमजोरी को दूर करता है। ज्ञान मुद्रा करने के लिए इन स्टेप को फॉलो करें।-सबसे पहले सुखासन की मुद्रा में बैठ जाएं।-अब हाथों को घुटनों पर टिका लें।-हाथों की पहली उंगली और अंगूठे के ऊपरी सिरे को एक दूसरे से जोड़कर बैठ जाएं।-ध्यान रहे कि बाकी उंगलियां बिल्कुल सीधी हों। इस मुद्रा को रोजाना करीब 10-15 मिनट तक अभ्यास करें।ज्ञान मुद्रा करने के फायदे-ज्ञान मुद्रा आंखों की रोशनी बढ़ाने में मदद करती हैं।-साथ ही ये मुद्रा मेमोरी को शार्प करती है। इसलिए बच्चों को इस मुद्रा का अभ्यास जरूर करवाएं।-स्ट्रेस, डिप्रेशन, नींद ना आना, थकावट जैसी समस्या में ज्ञान मुद्रा बहुत मदद करती है।--
- लाइफ में कोई भी मुश्किल या चुनौती आने पर व्यक्ति को सबसे पहले स्ट्रेस महसूस होता है। हालांकि अगर यह तनाव थोड़ी देर के लिए बना रहता है तो इससे नुकसान नहीं बल्कि व्यक्ति को फायदा मिलता है। इस तरह का तनाव व्यक्ति को कठिन समय और हालात से लड़ने का हौसला देता है। लेकिन अगर यही तनाव किसी वजह से लंबे समय के लिए बना रहता है तो ये व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की सेहत को नुकसान पहुंचाने लगता है। लंबे समय तक बना रहने वाला तनाव शरीर के महत्वपूर्ण अंगों पर बुरा असर डालने लगता है। ऐसा ही एक नाजुक अंग व्यक्ति का 'दिल' है।अक्सर तनाव महसूस होने पर व्यक्ति का शरीर स्ट्रेस हार्मोन बनाने लगता है, जिसे कैटेक्लोमाइन्स कहते हैं। ये स्ट्रेस हार्मोन शरीर में तनाव से निपटने के लिए ऑक्सीजन की खपत को बढ़ा देते हैं। अगर लंबे समय तक शरीर में ऑक्सीजन की मांग अधिक बनी रहती है जो व्यक्ति के हृदय को लंबी अवधि के लिए जरूरत से ज्यादा काम करना पड़ता है। जिसकी वजह से कई बार व्यक्ति के दिल की धड़कन और ब्लड प्रेशर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। नतीजतन, व्यक्ति के हार्ट के साइज में बदलाव, दिल की धड़कन का आसामान्य होना और कोरोनरी धमनियों में सिकुड़न पैदा होने लगता है।तनाव से दिल की सेहत को होता है नुकसान-अध्ययनों से यह भी सामने आया है कि स्ट्रेस आर्टरीज में प्लाक के जमाव के सबसे बड़े जोखिम कारकों में से एक है। अगर लंबे समय तक स्ट्रेस हार्मोन्स बनते रहते हैं तो व्यक्ति के शरीर में ब्लड शुगर, ब्लड कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स की मात्रा बढ़ जाती है, जिसकी वजह से भी दिल की सेहत प्रभावित होती है।इमोशनल स्ट्रेस का भी पड़ता है दिल पर असर-इमोशनल स्ट्रेस की वजह से व्यक्ति की नींद भी प्रभावित होती है। लगातार कई दिनों तक पूरी नींद नहीं ले पाने की वजह से एकाग्रता में कमी के साथ काम करने की क्षमता पर भी गहरा असर पड़ता है। जो व्यक्ति के तनाव को बढ़ाने का काम करता है। जिसकी वजह से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या के साथ हृदय रोगों का जोखिम भी बढ़ जाता है।लंबे समय तक इमोशनल स्ट्रेस में रहने की वजह से व्यक्ति की सोशल लाइफ भी प्रभावित होती है। जरूरत से ज्यादा तनाव कई बार मोटापे का कारण बनता है, जिसकी वजह से हृदय रोगों की आशंका बढ़ जाती है। मोटापे की वजह से सोते समय सांस लेने में दिक्क्तें होती हैं, जिसे ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया कहते हैं, इसका इलाज नहीं होने पर ब्लड प्रेशर बढ़ता है जो हृदय के स्वास्थ्य की दृष्टि से खतरनाक होता है।इमोशनल स्ट्रेस की वजह से व्यक्ति को अनहेल्दी फूड खाने की आदत पड़ जाती है। फल और सब्जियों की जगह वह मिठाइयों और अन्य कार्बोहाइड्रेट्स से भरपूर खाद्य पदार्थों को खाना ज्यादा पसंद करता है। खानपान की ये अनहेल्दी आदतें हार्ट के लिए मुसीबत बन सकती हैं।शोध से यह बात सामने आई है कि अक्सर तनावग्रस्त व्यक्ति अपने तनाव से छुटकारा पाने के लिए शराब और धूम्रपान जैसी नशीली चीजों का आदी बन जाता है। ये पदार्थ न सिर्फ हार्ट के लिए बल्कि सेहत से जुड़े अन्य खतरे भी पैदा करते हैं।क्या कहता है अध्ययन-हाल के समय में हुए अध्ययनों में कार्डियोवैस्कुलर एक्सरसाइज और इंफ्लेमेशन बढ़ने के बीच कनेक्शन भी देखा गया है। दरअसल, बचपन में तनावपूर्ण स्थितियों से गुजरने और ट्रॉमा के चलते भी इंफ्लेमेशन मार्कर का अधिक स्तर पैदा होता है, जो आगे चलकर हृदय रोगों के लिए जोखिम बढ़ता है।इनके अलावा, ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम एक ऐसी ही बीमारी होती है जिसमें हार्ट का एक भाग अस्थायी रूप से कमजोर हो जाता है। इसकी मांसपेशियों में शिथिलता आ जाती है, जिससे इसकी पम्पिंग क्षमता कम हो जाती है। इसे स्ट्रेस कार्डियोमायोपैथी भी कहा जाता है। अक्सर यह बीमारी मानसिक अवसाद अधिक होने पर देखी जाती है। जिसकी वजह से व्यक्ति को कई तरह के इमोशनल स्ट्रेस जैसे दुख, डर, अत्यधिक क्रोध और हैरानी जैसी भावना से होकर गुजरना पड़ता है।
- बबूल ठंडी तासीर का है और इसका इस्तेमाल आयुर्वेद में कई बीमारियों के इलाज के लिए बनने वाली दवाइयों में किया जाता है। बबूल के पेड़ को अगर पोषक तत्वों का खजाना कहेंगे तो गलत नहीं होगा क्योंकि ये विटामिन और खनिजों का एक अच्छा सोर्स है। बबूल की छाल से लेकर इसके फूल और पत्ते तक सभी शरीर को स्वस्थ और बीमारियों से दूर रखने में असरदार साबित हो सकते हैं। बबूल की छाल टैनिन और पॉलीफेनोलिक से भरपूर होती है। आज जानते हैं बबूल की छाल के फायदे....दांतों की बीमारी के लिए बबूल की छालबबूल (कीकर) की छाल दांतों के लिए एक अच्छी आयुर्वेदिक दवाई है। दांतों में कीड़ा लगना, मसूड़ों में सूजन आना, दांतों में दर्द होना (toothache), मसूड़ों से खून आना जैसी समस्याओं के लिए बबूल की छाल फायदेमंद साबित होती है। दांतों के दर्द से आराम पाने के लिए आपको बबूल की छाल (acacia bark) के साथ इसके पत्तों, फूल और फलियां का भी पाउडर चाहिए होगा। डॉक्टर श्रेय ने बताया बबूल से दांतों की बीमारी कैसे दूर करें (how to cure dental disease), बबूल की छाल के साथ सभी को बराबर-बराबर मात्रा में मिलाएं और इससे मंजन करें। बबूल से बने इस मंजन से दांतों के रोग दूर होते हैं और साथ ही दांत मजबूत भी होते हैं।खांसी के लिए का इस्तेमाल-बदलते मौसम के साथ सर्दी और खांसी की समस्या एक आम बात है। इस मौसम में अगर खास ख्याल न रखा जाए तो शरीर जल्द ही बीमारियों की चपेट में आ सकता है, कई लोगों को एक बार खांसी जब शुरू हो जाए तो 15 से 20 दिन तक सही नहीं होती। अगर आप भी खांसी से परेशान हैं और ज्यादा खांसी आने पर क्या खाना चाहिए (how to stop uncontrollable coughing) इसका जवाब ढूंढ रहे हैं तो इसके लिए भी आयुर्वेद में बबूल का उपयोग बताया गया है। खांसी के लिए बबूल की छाल के 1 या 3 ग्राम चूर्ण (पाउडर) में शहद मिलाकर सेवन करने से खांसी में आराम मिलेगा।बबूल से नकसीर का आयुर्वेदिक इलाजशरीर में गर्मी बढ़ने के कारण कुछ लोगों को नकसीर की समस्या होती है। इस समस्या से लिए आयुर्वेद में बबूल का इस्तेमाल बताया गया है। बबूल की तासीर ठंडी होती है, ऐसे में नकसीर की समस्या के लिए यह लाभदायक साबित हो सकता है। इसके लिए बबूल की फली और गोंद का प्रयोग किया जाता है। इसके सेवन से आपको नाक से खून बहने की समस्या से आराम मिल सकता है।शरीर में जलन के इलाज में बबूल का इस्तेमालशरीर में जलन होने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन अगर आपके शरीर में गर्मी के कारण जलन होती है तो इसके इलाज में भी बबूल की छाल कारगर साबित हो सकती है। बबूल की छाल के साथ मिश्री मिलाकर काढ़ा तैयार करें और इसे पिएं। बबलू की छाल के काढ़े से आपके शरीर की जलन शांत हो सकती है।
- मौसम में बदलाव होते ही सदी-जुकाम, पेट से जुड़ी बीमारियां होने लगती हैं। लोग अक्सर इस तरह की समस्याओं से बचने के लिए अपनी डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव करते हैं। इसके अलावा, जब भी जरूरी होता है डॉक्टर से जरूरी ट्रीटमेंट करवाते हैं। जबकि इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए आप हरसिंगार के पौधे के फूल का इस्तेमाल कर सकते हैं। सदियों से हरसिंगार कर उपयोग स्वास्थ्य के लिए किया जा रहा है। हाल के सालों हरसिंगार के पौधे के फूल और पत्तियों का उपयोग बढ़ा है। इसकी मदद से कई तरह की बीमारियों से रिकवरी में मदद मिलती है। खासकर सर्दी-जुकाम से राहत के लिए आप इसका बेझिझक इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें विटामिन-सी और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं। हालांकि, इसका सही तरह सेवन किया जाना जरूरी ताकि इसका भरपूर लाभ उठाया जा सके।सर्दी-जुकाम में कैसे करें हरसिंगार के फूल का सेवनसामग्रीहरसिंगार की पत्तियांः 2-3हरसिंगार के फूलः 4-5तुलसी पत्तियांः 3-4पानीः एक गिलास (उबालने के लिए)बनाने का तरीकासबसे पहले हरसिंगार की पत्तियों और फूलों को अच्छी तरह पानी से धो लें ताकि इसमें मिट्टी न रह जाए। तुलसी की पत्तियों को भी सादे पानी से धो लें। अब सभी पत्तियों और फूलों को एक पतीले में डालें। इसमें एक गिलास पानी डालें। अब इसे गैस पर उबलने के छोड़ दें। जैसे ही पानी में उबाल आ जाए, आप इसे गैस से उतार लें। ठंड होने पर पानी को छलनी की मदद से छान लें। अब इस पानी का सेवन करें। यह हरसिंगार के फूल से बनी चाय है, जो कि सर्दी-जुकाम से राहत दिलाने में मदद करती है।हरसिंगार के फूलों के अन्य लाभ- अर्थराइटिस में कारगरः अर्थराइटिस और साइटिका जैसी बीमारियों से राहत पाने के लिए आप हरसिंगार के फूलों और पत्तियों का उपयोग कर सकते हैं। इसमें इंफ्लेमेशन के कम करने में मदद करते हैं। हरसिंगार के फूलों से बना एसेंशियल ऑयल का भी इस बीमारी के लिए उपयोग किया जा सकता है। अर्थराइटिस से राहत के लिए आप हरसिंगार के फूलों की चाय बनाएं और इसमें हरसिंगार के फूलों से बने एसेंशियल ऑयल की 5 से 7 बूंदों का उपयोग करें। आपको राहत मिलेगी।-ड्राई कफ से राहतः दिनों दिन प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। इस वजह से अस्थमा और सांस संबंधी समस्याओं में इजाफ हो रहा है। विशेषकर लोगों को सूखी खांसी भी काफी हो रही है। इस तरह की समस्या से राहत के लिए भी आप हरसिंगार के फूलों और पत्तों से बनी चाय का सेवन कर सकते हैं। यह अस्थमा के लक्षणों को भी कम करने में मदद करेगा। आप चाहें, तो इस चाय में एक चम्मच शहद मिलाकर पी सकते हैं। स्वाद भी बेहतर होगा।बुखार में फायदेमंद: हरसिंगार के फूलों और पत्तियों में ई.कोली जैसे कीटाणुओं से लड़ने की क्षमता होती है। इस तरह के जीवनाणु वायरल इंफेक्शन और फंगल इंफेक्शन का कारण बनते हैं। हरसिंगार के फूलों और पत्तों का सेवन कर आप बुखार से राहत पा सकते हैं और स्किन से जुड़ी एलर्जी या स्किन प्रॉब्लम को भी दूर कर सकते हैं।(नोट- इसका सेवन करने से पहले किसी योग्य चिकित्सक से अवश्य सलाह ले लें)
- लौकी और पेठा, दोनों का सेवन हम सब्जी और सूप आदि के रूप में तो करते हैं, लेकिन आपने बहुत से लोगों को देखा होगा कि वे इनके जूस का सेवन भी करते हैं। लौकी और पेठा दोनों ही बहुत स्वस्थ और कम कैलोरी वाले फूड हैं। साथ ही, ये पोषण से भरपूर होते हैं। इनका सेवन करने से सेहत को कई लाभ मिलते हैं। लौकी और पेठे का जूस भी सेहत के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है। बहुत से लोग वजन घटाने के लिए भी इनका सेवन करते हैं। लेकिन अक्सर लोगों पूछते हैं कि लौकी और पेठे के जूस में से सेहत के लिए कौन सा ज्यादा लाभकारी है? किसका सेवन करने से सेहत को अधिक लाभ मिलते हैं? अगर आप इस असमंजस का सामना कर रहे हैं, तो इस लेख में हम आपको बताएंगे कि आपके लिए दोनों में से कौन सा जूस लाभकारी है।लौकी या कद्दू पेठा, किसका जूस ज्यादा फायदेमंद होता हैपेठा स्वाद में थोड़ा खट्टा-मीठा होता है। इसे काफी शुद्ध माना जाता है और इसकी मिठाई भी बनाई जाती है। वहीं, लौका का सेवन तो हम सभी कई तरह से करते हैं। दोनों के जूस की बात करें, तो नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) के अनुसार, कद्दू पेठा एक अद्भुत फूड है, इसकी भारत में व्यापक रूप से खेती की जाती है। आयुर्वेद में इसका प्रयोग पेप्टिक अल्सर, यूरिन में इन्फेक्शन, डायबिटीज मेलेटस, मिर्गी और अन्य तंत्रिका तंत्र से जुड़े रोगों के उपचार के लिए किया जाता है।वहीं लौकी की बात करें, तो यह एक बेहतरीन प्रीबायोटिक है। इसमें मानव स्वास्थ्य के लिए जरूरी सभी अमीनो एसिड और जरूरी पोषक तत्व होते हैं। इसे कार्डियोटोनिक और सामान्य टॉनिक के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसमें शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, कैंसर से लड़ने वाले और मूत्रवर्धक गुण होते हैं। इसलिए इसका जूस भी सेहत के लिए बहुत लाभकारी होता है।दोनों में कौन सा ज्यादा फायदेमंद की बात करें, तो इसका कोई सटीक जवाब नहीं है। आपको किसका सेवन करना चाहिए या आपके लिए कौन सा लाभकारी साबित हो सकता है, यह आपकी जरूरत पर निर्भर करता है। कोई एक जूस आपको सभी लाभ प्रदान नहीं कर सकता है। आपको अपनी जरूरत के अनुसार इनका चुनाव करने की जरूरत है।एक्सपर्ट क्या सलाह देते हैं?लौकी और पेठा, दोनों का ही जूस आपके लिए बहुत लाभकारी साबित हो सकता है। इनका लाभ देने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप दोनों का ही सेवन करें। आप अलग-अलग दिन पर किसी एक जूस का सेवन कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि अधिक मात्रा में इनका सेवन न करें। सीमित मात्रा में सेवन करने से ही आपको अधिक लाभ मिल सकते हैं।