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अप्रैल के महीने में इस कदर गर्मी पड़ रही है कि कई राज्यों में तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंच गया है. गर्म हवाएं और तेज धूप के चलते लोगों ने घर से बाहर निकलना तक बंद कर दिया है क्योंकि इस दौरान डिहाइड्रेशन, त्वचा का जलना और ज्यादा पसीना निकलना जैसी समस्या तंग करती है. जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी भारत में लू लगने का खतरा भी बढ़ता जाएगा. लू लगने के बाद उल्टी, मतली या फिर दस्त यानी डायरिया तक हो जाता है.
कई बार लोग लू लगने को थकान समझकर नजरअंदाज करते हैं. उन्हें कुछ लक्षण नजर आते हैं लेकिन इसे वे आम समस्याएं समझकर ऐसे ही छोड़ देते हैं और नौबत अस्पताल में भर्ती होने तक की आ जाती है. जानें लू लगने के 4 लक्षण और आप किस तरह रिकवरी कर सकते हैं.
लू लगने के लक्षण
स्किन पर रैशेज: क्या आप जानते हैं कि स्किन पर जलन, खुजली या रैशेज हो तो ये भी लू लगने का एक संकेत है. गर्मी से त्वचा पर घमौरियों का निकलना आम है, लेकिन अगर स्किन ज्यादा लाल नजर आने लगे तो तुरंत डॉक्टर से इलाज कराएं.
उल्टी या मतली: अगर आपको मतली या फिर लगातार उल्टी की समस्या होने लगे तो इलाज में देरी न करें. उल्टी के बंद न होने पर शरीर में पानी की कमी होने लगती है और हॉस्पिटल में भर्ती होने तक की सिचुएशन बन जाती है.
थकान: अगर गर्मी के दौरान लगातार थकान रहे तो हो सकता है कि आप गर्मी की चपेट में आ गए हो. एक्सपर्ट्स के मुताबिक जो लोग धूप या गर्मी में ज्यादा समय बाहर बिताते हैं उनमें हीट एग्जॉशन का खतरा ज्यादा बना रहता है. इस कंडीशन में शरीर में थकान रहने लगती है और अगर ये लगातार बनी रहे तो इसे बिल्कुल नजरअंदाज न करें.
ये भी हैं लक्षण: लगातार चक्कर आना या फिर बेहोश हो जाना भी लू लगने के बड़े लक्षण हैं. गर्मी में लगातार सिर में दर्द में भी लू लगने का संकेत है.
ऐसे करें रिकवर
किसी कारण लू लगने की सिचुएशन को महसूस कर रहे हैं या फिर इस समस्या की चपेट आ जाए तो सबसे पहले डॉक्टरी इलाज लें.
तबीयत को खराब होने से बचाने के लिए डब्ल्यूएचओ का सजेस्ट किया हुआ ओआरएस पीते रहे. घर में बच्चे हैं तो उन्हें इसे जरूर पिलाएं.
गर्मी की चपेट में आने के बाद शरीर में पानी की कमी को सबसे पहले पूरा करना चाहिए. इसके लिए आप दिन में एक बार नारियल पानी पी सकते हैं. -
अगर आप भी गर्मी के बढ़ते तापमान और मोटापे जैसी समस्या से परेशान हैं तो टेंशन छोड़कर अपनी डाइट में आइस एप्पल को जगह दीजिए। जी हां, आइस एप्पल न सिर्फ इस मौसम में आपकी बॉडी को हाइड्रेड और कूल रखेगा बल्कि आपकी वेट लॉस जर्नी में भी मदद करेगा। आइस एप्पल को ताड़गोला नाम से भी जाना जाता है। इस फल में विटामिन बी, आयरन, जिंक, पोटेशियम, फॉस्फोरस, कैल्शियम जैसे कई गुण मौजूद होते हैं, जो सेहत को कई गजब के फायदे पहुंचाते हैं। आइए जानते है आइस एप्पल खाने से सेहत को मिलते हैं कौन से फायदे।
वेट लॉस-
आइस एप्पल का सेवन करने से वेटलॉस में काफी मदद मिलती है। इस फल में कैलोरी की मात्रा कम और पानी की मात्रा ज्यादा होने की वजह से यह व्यक्ति का पेट लंबे समय तक भरा हुआ रखता है। यही वजह है कि लोग इसे अपनी वेट लॉस जर्नी में शामिल करते हैं। इस फल में मौजूद फाइबर पाचन को दुरुस्त करके मेटाबॉलिज्म को ठीक बनाए रखता है।
बॉडी टेम्परेचर रखें कंट्रोल-
आइस एप्पल की तासीर ठंडी होने की वजह से यह शरीर को ठंडा बनाए रखने में मदद करता है। गर्मी में पसीना ज्यादा आने की वजह से शरीर में पानी की कमी हो सकती है। जिसकी वजह से त्वचा में जलन और डिहाइड्रेशन की समस्या पैदा होने लगती है। ऐसे में इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए आइस एप्पल का सेवन बेहतरीन उपाय हो सकता है।
वाइट डिस्चार्ज की समस्या-
महिलाओं को वाइट डिस्चार्ज होने पर कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में आइस एप्पल नाम का यह फल आपकी इस समस्या का भी समाधान करता है। इस फल में मौजूद फॉस्फोरस और कैल्शियम की भरपूर मात्रा इस समस्या में राहत देती है।
डायबिटीज-
आइस एप्पल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स काफी कम होने की वजह से यह डायबिटीज कंट्रोल करने में भी मदद करता है। डायबिटीज रोगी इस फल का सेवन करके अपनी इम्यूनिटी को भी बूस्ट कर सकते हैं।
त्वचा से जुड़ी समस्याएं-
आइस एप्पल आपकी त्वचा का भी खास ख्याल रखता है। इस फल को खाने से चकते और घमौरी जैसी त्वचा से जुड़ी समस्याओं से बचा जा सकता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण त्वचा की सूजन और जलन को कम करने में मदद कर सकते हैं। - मलाई सेहत के साथ स्किन के लिए भी बहुत फायदेमंद होती है। अक्सर लोग स्किन पर इसे लगाते हैं। ये स्किन को मुलायम बनाने के साथ ग्लोइंग भी बनाती है। मलाई को चेहरे पर लगाकर स्किन को ग्लोइंग बनाया जा सकता है। मलाई नैचुरल तौर पर स्किन को पोषण देती है और स्किन को एक्सफोलिएट भी करती है। गर्मियों में मलाई लगाने से टैनिंग की समस्या भी दूर होती है और स्किन मुलायम बनती है। स्किन को चमकदार बनाने के लिए मलाई में कई चीजों को मिलाकर भी लगाया जा सकता है। इन चीजों को मिलाकर लगाने से स्किन नैचुरल तौर पर चमकदार बनेगी और दाग-धब्बे भी आसानी से दूर होंगे। आइए जानते हैं स्किन को चमकदार बनाने के लिए मलाई में मिलाकर क्या लगाएं?मलाई में हल्दी मिलाकरचेहरे को ग्लोइंग बनाने के लिए 2 चम्मच मलाई में 2 चुटकी हल्दी को मिलाकर पेस्ट बनाएं। अब इस पेस्ट को चेहरे पर 15 से 20 मिनट के लिए लगा के रखें। उसके बाद चेहरे को नॉर्मल पानी से वॉश करें। इस मिश्रण को लगाने से दाग-धब्बे दूर होते है और सनबर्न से भी त्वचा का बचाव होता है।मलाई में चंदन पाउडर मिलाकरत्वचा को चमकदार बनाने के लिए मलाई और चंदन पाउडर का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। चंदन पाउडर और मलाई स्किन को पोषण देने के साथ स्किन को ग्लोइंग भी बनाता है। चंदन पाउडर स्किन को ठंडक देने के साथ, डार्क सर्कल और पिंपल्स आदि को भी दूर करता है। इसका इस्तेमाल करने के लिए 1 चम्मच चंदन पाउडर में 1 चम्मच मलाई को मिलाकर गाढ़ा मिश्रण तैयार करें। अब इस मिश्रण को स्किन पर 20 मिनट के लिए लगा के रखें। उसके बाद चेहरे को नॉर्मल पानी से वॉश करें।मलाई में बेसन मिलाकरस्किन को नैचुरल तौर पर ग्लो लाने के लिए मलाई और बेसन को मिलाकर लगाया जा सकता है। इन दोनों को इस्तेमाल करने के लिए 1 चम्मच बेसन में 1 चम्मच मलाई को मिलाकर गाढ़ा मिश्रण तैयार करें। अब इस मिश्रण को चेहरे पर 15 मिनट के लिए लगा लें। उसके बाद चेहरे को नॉर्मल पानी से वॉश करें। ये मिश्रण स्किन से एक्सट्रा ऑयल को हटाकर स्किन को ग्लोइंग बनाता है। बेसन पिंपल्स और डेड स्किन सेल्स को भी आसानी से हटाता है।मलाई में शहद मिलाकरशहद में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण पिंपल्स को दूर करके स्किन को साफ करने में मदद करता है। इसका इस्तेमाल करने के लिए 1 चम्मच मलाई में 1 चम्मच शहद को मिलाकर हल्के हाथ से स्किन की मसाज करें। 20 मिनट के बाद स्किन को वॉश कर लें। इस तरह से मलाई लगाने से स्किन ग्लोइंग बनने के साथ मुलायम भी बनती है।स्किन को चमकादर बनाने के लिए मलाई का उपयोग इन तरीकों से किया जा सकता है। हालांकि चेहरे पर लगाने से पहले पैच टेस्ट अवश्य करें।
- फलों का राजा आम सभी के लिए खास होता है। इन दिनों बाजार आम के फलों से सजा हुआ है। आम की हर किस्म का स्वाद बेहद अलग और स्वादिष्ट होता है। आम सेहत के लिए फायदेमंद होता है। इसमें विटामिन ए, बी, सी, कैल्शियम, पोटेशियम और मैग्नीनियम पाया जाता है। इससे आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है और आपको मौसम की वजह से होने वाले संक्रमण की संभावना कम हो जाती है। रात में आम और रोटी का स्वाद भला कौन भूल सकता है। आज हम जानेंगे कि रात में आम खाने के क्या फायदे होते हैं।अच्छी नींद के लिए आवश्यकआम में अमीनो एसिड पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है, जो सेरोटोनिन यानी "फील-गुड" हार्मोन का लेवल बढ़ाने में सहायक होता है। रात में आम खाने से शरीर में सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ातरी होने में मदद मिलती है। जिसकी वजह से आपको रात के समय अच्छी नींद आती है। इसके साथ ही आम में पाये जाने वाले मैग्नीशियम आपकी मांसपेशियों को आराम पहुंचाने का काम करता है।कोलेस्ट्रॉल को करें कंट्रोलआम में उच्च स्तर के फाइबर पाए जाते हैं, जो शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद कर सकते हैं। रात में आम खाने से हृदय रोग और स्ट्रोक का जोखिम हो सकता है। हार्ट हेल्थ के लिए आप रात के समय सीमित मात्रा में आम का सेवन कर सकते हैं।पाचन क्रिया को करे बेहतरआम फाइबर अधिक मात्रा में होता है। फाइबर पाचन तंत्र को बेहतर करने के लिए आवश्यकत होता है। रात को आम खाने से पाचन क्रिया बेहतर होती है और आपको कब्ज की समस्या से निजात मिलती है। आम के सेवन से आपका पेट भरा रहता है और आपको रात के समय भूख नहीं लगती है।इम्यून सिस्टम को करें मजबूतआम विटामिन सी सहित आवश्यक विटामिन और मिनरल्स से भरपूर होता है। इसके सेवन से आपका इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। जिसकी वजह से आप बार-बार बीमार नहीं पड़ते हैं।ब्लड शुगर को करें कंट्रोलआम में ग्लाइसेमिक इंडेक्स पाया जाता है, जिसकी वजह से ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है। रात के समय में सीमित मात्रा में आम खाने से आप डायबिटीज को कंट्रोल कर सकते हैं। साथ ही डायबिटीज की वजह से होने वाले अन्य जोखिम का खतरा भी कम हो जाता है।नोट- आम सेहत के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन इसका सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। अधिक मात्रा में आम खाने से कई अन्य तरह की समस्याएं हो सकती हैं। साथ ही अधिक सेवन करने से शुगर का स्तर बढ़ सकता है।
- गर्मियों में लू एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर का तापमान बढ़ जाता है। हीट स्ट्रोक के कारण दिमाग, हार्ट, किडनी, मांसपेशियों पर बुरा असर पड़ सकता है। लू लगने पर बुखार जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। लू लगने पर चक्कर आना, जी मिचलाना, उल्टी आना, सिर दर्द, शरीर का तापमान बढ़ना आदि लक्षण नजर आ सकते हैं। हीट स्ट्रोक के पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे तेज धूप में बाहर जाना, धूप में काम करना, पानी का सेवन न करना, एल्कोहल का ज्यादा सेवन करना आदि। वैसे तो लू की समस्या से बचने के कई उपाय हैं, लेकिन देसी इलाज की बात करें, तो लू में मूंग दाल का सेवन फायदेमंद माना जाता हैगर्मियों के मौसम में पानी की कमी के कारण डिहाइड्रेशन की समस्या हो जाती है। डिहाइड्रेशन के कारण हीट स्ट्रोक यानी लू लग सकती है। मूंग दाल में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। मूंग दाल का पानी या मूंग दाल का सूप पीना फायदेमंद माना जाता है। एक शोध के अनुसार, मूंग दाल में विटेक्सिन (vitexin) और आइसोविटेक्स (isovitexin) जैसे तत्व पाए जाते हैं, ये हीट स्ट्रोक से बचाव में मदद करते हैं। मूंग दाल में एंटीमाइक्रोबियल, एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीट्यूमर गुण भी पाए जाते हैं। कई बीमारियों से शरीर को सुरक्षा प्रदान करने में मूंग दाल फायदेमंद होती है।मूंग दाल से रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल रहेगागर्मियों में तापमान बढ़ने के कारण रक्तचाप भी बढ़ जाता है। ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के लिए मूंग दाल का सेवन करना फायदेमंद होता है। मूंग दाल में एंटीहाइपरटेंसिव गुण पाए जाते हैं। गर्मियों के मौसम में ज्यादा तला-भुना खाने के कारण कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी बढ़ जाता है। मूंग दाल का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित होता है। मूंग दाल का सेवन करने से बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कंट्रोल करने में भी मदद मिलती है।सेहत के लिए मूंग दाल के फायदे- ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करने के लिए मूंग दाल का सेवन फायदेमंद माना जाता है। मूंगदाल में एंटीडायबिटिक गुण होते हैं। इसकी मदद से हाई ग्लूकोज का स्तर कम करने में मदद मिलती है।-100 ग्राम मूंगदाल में करीब 600 माइक्रोग्राम फाेलेट पाई जाती है। फोलेट का सेवन गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद होता है। फोलेट का सेवन करने से भ्रूण के विकास में मदद मिलती है। इसके सेवन से जन्मदोष से बचाव होता है। हालांकि प्रेग्नेंसी में कच्चे स्प्राउट्स खाने से बचना चाहिए। मूंग दाल का सेवन उबालकर ही करें।-मूंग दाल, पेट के लिए फायदेमंद होती है। ये आसानी से पच जाती है। मूंग दाल में फाइबर और प्रोटीन की उच्च मात्रा होती है। इसका सेवन करने से पाचन तंत्र मजबूत होता है।मूंग दाल का सेवन कैसे करें?-मूंग दाल को उबालकर चावल या रोटी के साथ खा सकते हैं।-उबली हुई मूंग दाल को छानकर उसके पानी का सेवन कर सकते हैं।-मूंग दाल स्प्राउट्स की चाट बनाकर खा सकते हैं।-मूंग दाल से स्वादिष्ट और पौष्टिक हलवा बना सकते हैं।-दिनभर में 100 ग्राम मूंग दाल का सेवन कर सकते हैं।-जिन लोगों को लो-शुगर और लो-बीपी की समस्या है, उन्हें डॉक्टर की सलाह पर ही इसका सेवन करना चाहिए।
- आंखों के नीचे काले घेरे होने से, आपका चेहरा मुरझाया हुआ नजर आता है। काले घेरे होने पर, आंखों के नीचे, काली परत नजर आती है। अगर आप ज्यादा तनाव में है, तो काले घेरे नजर आ सकते हैं। जिन लोगों की नींद पूरी नहीं होती, उनकी आंखों के नीचे भी डार्क सर्कल्स नजर आने लगते हैं। शराब या धूम्रपान का अधिक सेवन करने के कारण, आंखों के नीचे काले घेरे हो सकते हैं। इसके अलावा और भी कई कारण हैं, जिनके वजह से डार्क सर्कल बढ़ सकते हैं। जैसे- बढ़ती उम्र, धूप में रहना, स्क्रीन पर ज्यादा देर काम करना, हेल्दी डाइट न लेना, थकान होना, ज्यादा सोना आदि।डार्क सर्कल्स का इलाज करने के लिए, कॉफी का प्रयोग कर सकते हैं। कॉफी में मौजूद कैफीन की मदद से, रक्त वाहिकाएं एक्सपैंड होती हैं और काले घेरों को कम करने में मदद मिलती है। कॉफी में, क्लोरोजेनिक एसिड और मेलेनोइडिन जैसे तत्व पाए जाते हैं, जो हाइपरपिगमेंटेशन की समस्या को कम करता है। आगे जानते हैं, काले घेरों का इलाज करने के लिए, कॉफी को इस्तेमाल करने का तरीका।1. डार्क सर्कल हटाने के लिए कॉफी आई मास्क लगाएं-डार्क सर्कल का इलाज करने के लिए, कॉफी से बनने वाला आई मास्क लगा सकते हैं। कॉफी में एंटीऑक्सीडेंट्स की भरपूर मात्रा होती है। इसके अलावा कॉफी एक्सफोलिएशन का भी काम करती है। कॉफी से आई मास्क बनाने के लिए, इन स्टेप्स को फॉलो करें--कॉफी पाउडर को एक बाउल में निकाल लें। इस पाउडर में, शहद मिलाएं।अगर 1 चम्मच कॉफी पाउडर लिया है, तो आधा चम्मच शहद मिलाएं। फिर मिश्रण को आंखों पर, आई मास्क की तरह लगा लें।आंखों को बंद करके, आधा घंटा रिलैक्स करें। फिर आंखों के नीचे के हिस्से को साफ करके, कोई भी क्रीम या मॉइश्चराइजर अप्लाई कर लें।2. कॉफी से बना आई पैड इस्तेमाल करेंडार्क सर्कल का इलाज करने के लिए, कॉफी से बने आई पैड का इस्तेमाल कर सकते हैं। आई पैड को बनाने के लिए आलू का भी प्रयोग करेंगे। आलू में आयरन, एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जिससे डार्क सर्कल्स को कम करने में मदद मिलती है। कॉफी से आई पैड बनाने के लिए, इन स्टेप्स को फॉलो करें-सबसे पहले आलू की 2 पतली स्लाइस काट लें।फिर कॉफी पाउडर को नारियल तेल में मिलाकर पेस्ट बना लें।इस पेस्ट को आलू की स्लाइस पर लगाकर, आंखों के नीचे रखें।आई पैड को, 20 मिनट तक लगाकर रखें, फिर साफ पानी से त्वचा को धो लें।3. काले घेरों पर कॉफी ऑयल लगाएंडार्क सर्कल का इलाज करने के लिए, तेल की मालिश फायदेमंद होती है। काले घेरों का इलाज करने के लिए, कॉफी ऑयल का इस्तेमाल कर सकते हैं। कॉफी ऑयल को आसान तरीके से घर पर तैयार करें। कॉफी ऑयल बनाने के लिए, इन स्टेप्स को फॉलो करें-एक बाउल में आधा चम्मच कॉफी पाउडर निकालें।कॉफी पाउडर में, नारियल का तेल मिलाकर पेस्ट तैयार करें। इस पेस्ट को काले घेरों पर लगाकर छोड़ दें।फिर 20 मिनट बाद, कॉटन की मदद से तेल को साफ कर लें।आप चाहें, तो रातभर के लिए भी इस तेल को, डार्क सर्कल पर लगाकर रख सकते हैं।4. कॉफी से बनी आई क्रीम लगाएंकॉफी की मदद से, आप आई क्रीम तैयार कर सकते हैं। काले घेरे हटाने के लिए, त्वचा को नमी देना जरूरी है। कॉफी पाउडर के अलावा इस क्रीम को बनाने के लिए शिया बटर और बादाम के तेल का इस्तेमाल करेंगे। शिया बटर, त्वचा को नमी देता है, वहीं बादाम तेल में मौजूद एमोलिएंट गुण के कारण, काले घेरे कम हो सकते हैं।कॉफी से बनी आई क्रीम लगाने के लिए, इन स्टेप्स को फॉलो करें-एक बाउल में शिया बटर निकालें।इस बटर में, कॉफी पाउडर मिलाएं। इस मिश्रण में, बादाम का तेल मिलाएं।कॉफी से बनी क्रीम तैयार है, इसे एक एयरटाइट कंटेनर में स्टोर करके रखें। कॉफी से बनी क्रीम का इस्तेमाल, रात को सोने से पहले करें।एक हफ्ते में ही आपको फर्क देखने को मिलेगा।
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घर के आंगन में तुलसी का पौधा लगाया जाता है। तुलसी का सिर्फ धार्मिक महत्व ही नहीं है, आयुर्वेद में तो इसे सेहत के लिए वरदान तक माना गया है। माना जाता है कि तुलसी ऐसी औषधि है जो ज्यादातर बीमारियों को दूर करने की क्षमता रखती है। तुलसी का सेवन करने से न सिर्फ इम्यूनिटी बूस्ट होती है बल्कि कई संक्रामक रोगों को भी ठीक करने में भी मदद मिलती है। आइए जानते हैं तुलसी का रोजाना सेवन आपको किस-किस रोग से बचा सकता है।
तुलसी का सेवन करने के फायदे-
डायबिटीज के खतरे को करे कम-
तुलसी में मौजूद यूजीनोल, मिथाइल यूजेनॉल और कैरियोफिलिन जैसे तत्वों की वजह से पैन्क्रीऐटिक बीटा सेल्स सही तरीके से काम करते हैं। जिसकी वजह से शरीर में इन्सुलिन की मात्रा बनती है, ब्लड शुगर लेवल ठीक बना रहता है और डायबिटीज होने से बचाव होता है।
किडनी की पथरी-
किडनी की पथरी को हटाने के लिए सुबह सबसे पहले तुलसी के रस में शहद मिलाकर छह महीने तक पीने से ना सिर्फ किडनी की पथरी की समस्या दूर होगी बल्कि इससे होने वाले दर्द से भी राहत मिलेगी।
बुखार से राहत-
तुलसी की मदद से पुराने से पुराने बुखार को ठीक करने में मदद मिलती है। इसके लिए 20 तुलसी की पत्ती और 10 काली मिर्च मिलाकर काढ़ा बनाकर पिएं।
सांस की बदबू-
सांसों की बदबू को दूर करने में भी तुलसी के पत्ते बेहद फायदेमंद माने जाते हैं। यह नेचुरल होने की वजह से इसका कोई साइडइफेक्ट भी नहीं होता है। मुंह से बदबू आने पर तुलसी के कुछ पत्ते चबा लें। ऐसा करने से सांसों की बदबू दूर हो जाएगी।
पेट के कीड़े-
तुलसी के रस की मदद से पेट के कीड़े, उल्टी, हिचकी, भूख अच्छी लगना, पेट की गैस, दस्त, कोलाइटिस, जैसे रोगों को दूर करने में मदद मिलती है। इसके लिए आधा चम्मच तुलसी का रस या दस तुलसी के पत्ते रोजाना खाएं। -
गर्मी शुरू होते ही डाइट में ऐसे फलों और जूस को जगह दी जाती है, जो स्वाद में अच्छे होने के साथ बॉडी को भी कूल बनाए रखने में मदद करते हैं। जामुन भी गर्मियों का सबसे पसंद किया जाने वाला फल है। जामुन में कई तरह के विटामिन, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो इम्यूनिटी दुरुस्त करने के साथ स्टैमिना भी अच्छा बनाए रखने में मदद करते हैं। डायबिटीज रोगियों के लिए तो जामुन वरदान माना जाता है। ऐसे में इस समर फूड का मजा और फायदे लेने के लिए अगर आप सीधा जामुन को नहीं खाना चाहते हैं तो इसका जूस बनाकर भी पी सकते हैं।
जामुन का शरबत बनाने के लिए सामग्री-
-500 ग्राम जामुन
-2 लीटर पानी
-1/2 कप चीनी
-नमक-स्वाद अनुसार
-1/4 छोटा चम्मच काली मिर्च पाउडर
-काला नमक- स्वाद अनुसार
- 1/2 बड़ा चम्मच भुना जीरा
- 1/4 कप नींबू का रस
-जरूरत अनुसार आइस क्यूब्स (ऑप्शनल)
- मुट्ठी भर पुदीने की पत्तियां
जामुन का शरबत बनाने का तरीका-
जामुन का शरबत बनाने के लिए सबसे पहले जामुन को अच्छी तरह धोकर पैन में पानी के साथ उबाल लें। इसके बाद गैस की आंच हल्की करके इस पानी में नमक, काला नमक, जीरा पाउडर, काली मिर्च पाउडर और चीनी डालें। इस पानी को तब तक उबालें जब तक जामुन की गुठली गुदा न छोड़ने लगे। इसके बाद गैस बंद करके पानी को ठंडा होने के लिए रख दें। अब एक पोटैटो मैशर की मदद से पैन में ही जामुन को मैश करके छानने के बाद इसका जूस छानकर अलग कर लें। ध्यान रखें जामुन का जूस बनाते समय आपको इसकी गुठली को नहीं पीसना है वरना आपका जूस कड़वा हो जाएगा। इसके बाद इस जूस में थोड़ा सा लेमन जूस मिला लें। इस जूस में अपने स्वाद के अनुसार नमक और चीनी चेक कर लें। इसके बाद जामुन जूस के गिलास को बर्फ के कुछ टुकड़े और पुदीना पत्ती डालकर गार्निश करते हुए सर्व करें।
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आमतौर पर हर व्यक्ति के लिए पोषक तत्वों की आवश्यकता उसकी उम्र और सेहत के आधार पर निर्भर करती है। हालांकि, उम्र बढ़ने के साथ, यह अवश्यकता लगातार बदलती भी रहती है। बात अगर महिलाओं की सेहत की करें तो वो अक्सर अपने परिवार के सदस्यों का ध्यान रखने के चक्कर में खुद अपनी स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं की उपेक्षा करती हैं। जिसकी वजह से कई बार उन्हें कई बार सेहत से जुड़ी कई समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। ऐसे में सेहतमंद बने रहने के लिए एक उम्र के बाद महिलाओं को अपने रूटिन में इन 5 सप्लीमेंट्स को जरूर शामिल करना चाहिए। आइए जानते हैं इनके बारे में।
विटामिन B12-
प्रोटीन, कैल्शियम और अन्य विटामिन की तरह विटामिन B12 भी शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्वों में से एक है। शरीर में इसका काम न केवल रेड ब्लड सेल्स और डीएनए को बनाना है बल्कि यह नर्वस सिस्टम और दिमागी स्वास्थ्य का भी ध्यान रखता है। शरीर में विटामिन बी12 की कमी से महिला को कई गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं। जिसमें कमजोरी, थकान, दिल की धड़कन का बढ़ना, सांस की तकलीफ, पीली त्वचा, जीभ का लाल होना, कब्ज, दस्त, भूख न लगना, गैस बनना, तंत्रिका संबंधी समस्याएं और आंखों का कमजोर होना शामिल है।
कैल्शियम-
कैल्शियम शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्वों में से एक है। यह व्यक्ति की हड्डियों और दांतों की सेहत को बेहतर बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इतना ही नहीं हृदय और शरीर की मांसपेशियों के लिए भी कैल्शियम बेहद जरूरी होता है। कैल्शियम की कमी होने पर व्यक्ति को ऑस्टियोपोरोसिस, ब्लड प्रेशर, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में जकड़न और हृदय रोग जैसे कई रोग घरे सकते हैं। ऐसे में कैल्शियम की कमी दूर करने के लिए दूध या उससे बनें प्रॉडक्ट्स डाइट में शामिल करें।
मैग्नीशियम-
मैग्नीशियम शरीर के लिए जरूरी खनिज पदार्थ यानी मिनरल्स में से एक है। इसका सेवन करने से डीएनए निर्माण के अलावा शरीर के मेटाबॉलिज्म में भी मदद मिलती है, जिससे व्यक्ति का शुगर लेवल भी नियंत्रित रहता है। मैग्नीशियम चिंता और अनिद्रा की समस्या को दूर करके जिंक और कैल्शियम के साथ मिलकर हृदय, मांसपेशियों और किडनी को भी मजबूत बनाने का काम करता है।
विटामिन डी-
विटामिन डी एक-मात्र ऐसा पोषक तत्व है, जिसे शरीर सूरज की रोशनी से प्राप्त करता है। विटामिन डी शरीर को स्वस्थ रखते हुए हड्डियों, दांतों और मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। शरीर में इस पोषक तत्व की कमी आपके हड्डियों के स्वास्थ्य के साथ-साथ आपके मानसिक स्वास्थ्य तक को भी बिगाड़ सकती है। इसके अलावा विटामिन ड की कमी मधुमेह, हृदय रोग, मल्टीपल स्केलेरोसिस, स्तन कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा भी बढ़ा सकती है।
ओमेगा 3-
दिल को स्वस्थ और मजबूत बनाए रखने में ओमेगा-3 फैटी एसिड बेहद जरूरी है। यह एक ऐसा बेहतरीन सप्लीमेंट है। जिसका सेवन करने से व्यक्ति की ब्रेन हेल्थ बेहतर होने के साथ जॉइंट पेन भी कम होता है। यह शरीर की सूजन से लड़ते हुए उम्र से जुड़े हुए कई स्वास्थ्य परिवर्तनों और जोड़ों के दर्द से भी व्यक्ति का बचाव करता है। - कैल्शियम की कमी से हड्डियां कमजोर और बीमार हो सकती हैं, अगर आप दही-दूध नहीं लेते हैं, तो आपके लिए कैल्शियम से भरपूर कई चीजें हैं, जो आपको ऑस्टियोपोरोसिस जैसी घातक बीमारी से बचा सकती हैं। ऑस्टियोपोरोसिस हड्डियों से जुड़ी एक गंभीर समस्या है, जो आज के समय में एक आम समस्या बन गई है। यह बीमारी कैल्शियम की कमी वजह से होती है। इस बीमारी में हड्डियां कमजोर और बेजान हो जाती हैं जिससे उनमें हल्की चोट से फ्रैक्चर हो सकता है। हड्डियां कैल्शियम से बनी होती हैं और शरीर में 99 प्रतिशत कैल्शियम स्टोर करती हैं। इसलिए कहा जाता है कि रोजाना कम से कम 1,000 मिलीग्राम कैल्शियम का सेवन करना ही चाहिए।अगर आपको अपने रोजाना के खाने से पर्याप्त कैल्शियम नहीं मिल रहा है, तो आपका शरीर अन्य कार्यों को बनाए रखने के लिए इसे आपकी हड्डियों से खींचना शुरू कर देता है। साथ ही, पेशाब के जरिये भी थोड़ा-थोड़ा कैल्शियम भी निकलता रहता है। यही वजह है कि अगर आप कैल्शियम वाली चीजें कम खा रहे हैं, तो आपकी हड्डियों में कैल्शियम कम हो जाएगा जिससे आपको भी ऑस्टियोपोरोसिस की बीमारी हो सकती है।कैल्शियम की कमी कैसे पूरी करें? ऐसा माना जाता है कि दही, दूध और पनीर जैसे डेयरी उत्पादों में भरपूर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है। यह बात सच है लेकिन बहुत से लोग ऐसे भी हैं, जो डेयरी उत्पाद का सेवन नहीं करते हैं, तो वो अपनी कैल्शियम की रोजाना की जरूरत कैसे पूरा करें? जानें कैल्शियम के स्रोत वाले पदार्थ-शलजमहरी पत्तेदार सब्जी शलजम कैल्शियम का बढिय़ा स्रोत है। अगर आप नॉन-वेज या डेयरी उत्पाद नहीं खाते हैं, तो आपको इस सब्जी को खाना शुरू कर देना चाहिए। एक कप शलजम में लगभग 200 मिलीग्राम कैल्शियम पाया जाता है।तिल के बीजतिल के बीज कैल्शियम के अलावा में प्रोटीन, ऊर्जा, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, आयरन, मैग्नीशियम और फास्फोरस,जैसे पोषक तत्वों का भी खजाना हैं। एक चम्मच तिल के बीज में लगभग 146 मिलीग्राम कैल्शियम पाया जाता है।सोयाबीनसोयाबीन प्रोटीन और फाइबर का बढिय़ा स्रोत है। अगर बात करें कैल्शियम की तो एक कप सोयाबीन में 175 मिलीग्राम कैल्शियम पाया जाता है, जो आपकी रोजाना की जरूरत का कुछ हिस्सा पूरा कर सकता है।सरसों का सागइस हरे पत्तेदार साग को आयरन और कैल्शियम का पावरहाउस कहा जाता है। अगर आपको कैल्शियम की कमी है, तो आपको इसे खाना शुरू कर देना चाहिए। एक कप सरसों के साग में 120 मिलीग्राम कैल्शियम पाया जाता है।भिंडीभिन्डी की सब्जी भला किसे पसंद नहीं है। मगर आपको जानकार हैरानी होगी कि यह सब्जी कैल्शियम का भी अच्छा स्रोत है। एक कप भिन्डी से आपको लगभग 120 मिलीग्राम कैल्शियम मिल सकता है।(नोट- यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है)
- डोसा एक साउथ इंडियन डिश है, जिसे सांभर और नारियल की चटनी के साथ परोसा जाता है। इसे लोग ब्रेकफास्ट, लंच या फिर डिनर में खाना पसंद करते हैं। आज हम इस लेख के माध्यम से आपको बता रहे है कुछ ऐसे आसान टिप्स और ट्रिक्स जिसे अपनाने के बाद आपको डोसा बनाने में कोई परेशानी नहीं होगी। तो देर किस बात की आइए जानते हैं डोसे का परफेक्ट बैटर बनाने का तरीका क्या है।डोसा का बैटर तभी सही बनेगा जब आप चावल और उड़द की दाल का अनुपात सही रखेंगे। जैसे- आप परफेक्ट डोसा बैटर बनाने के लिए एक बाउल में 4 कप चावल ले रही हैं, तो आपको 1 कप उड़द की दाल का अनुपात रखें। साथ बैटर बनाने से पहले आप इसे रातभर के लिए भिगोकर दें। फिर सुबह मिक्सी में इसे डालकर बैटर तैयार कर लें।दादी मां का नुस्खा-आप बैटर को ज्यादा गाढ़ा न रखें क्योंकि ये तवे पर चिपक सकता है। इसलिए डोसे का बैटर ज्यादा गाढ़ा या फिर पतला नहीं होना चाहिए।-अगर आप चाहती हैं कि आपका डोसा एकदम परफेक्ट बनें, तो आप इसमें एक मु_ी पोहा मिला सकती हैं।-अगर आप डोसा का कलर गोल्डन चाहती हैं तो बैटर तैयार करते समय मेथी का पेस्ट भी मिला सकती हैं।-आप क्रिस्पी डोसा बनाने के लिए बैटर में सूजी का भी इस्तेमाल कर सकती हैं।- बैटर बनाने के तुरंत बाद आप डोसा नहीं बनाएं क्योंकि इससे आपका डोसा अच्छा नहीं बनेगा।-बैटर को पीसने के बाद आप फ्रिज में नहीं रखें क्योंकि इससे बैटर को तवे पर डालने में दिक्कत होगी।-जब भी आप डोसा के लिए बैटर तैयार करें तो इसमें पानी धीरे-धीरे मिक्स करें।-आप एक बाउल में 1 चम्मच बेसन और 2 चम्मच चीनी का घोल तैयार करें और बैटर में मिक्स कर दें।डोसा बनाने की आसान रेसिपीसामग्री1 कप- चावल1/2 कप- उड़द की दाल2- हरी मिर्च1/2 कप- प्याज (कटा हुआ)1 चम्मच- धनिया (कटा हुआ)1/4 चम्मच- बेकिंग सोडास्वादानुसार- नमकतेल-डोसा बनाने के लिए सबसे पहले रात भर के लिए भिगोने के लिए रख दें। फिर इसे मिक्सी में पीस लें और स्मूथ बैटर बना लें।-अब एक बाउल में बैटर डालें और हरी मिर्च, धनिया, किंग सोडा और नमक डालकर पतला घोल तैयार कर लें।-अब एक नॉन स्टिक पैन में तेल डालें और इसमें बैटर डालकर गोलाई में फैला लें। फिर डोसे को गोल्डन को ब्राउन कलर होने तक पका लें। बस आपका एकदम परफेक्ट डोसा तैयार है।
- जीभ पर छाले होना एक सामान्य समस्या है। अक्सर कुछ गर्म चीज खाने, पेट में पित्त बनने, चोट लगने या किसी अंदरूनी बीमारी की वजह से जीभ पर छाले हो जाते हैं। छाले होने की स्थिति में जीभ पर छोटे-छोटे लाल या सफेद रंग के दाने हो जाते हैं। वैसे तो जीभ के छाले आमतौर पर 10 से 12 दिनों में ठीक हो जाते हैं। लेकिन कई बार छालों की वजह से काफी ज्यादा दर्द होता है और कुछ खाने-पीने में भी दिक्कत होती है। जीभ के छालों से छुटकारा पाने के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपायों की जानकारी हम आज दे रहे हैं।मुलेठीजीभ के छालों को ठीक करने के लिए आप मुलेठी का प्रयोग कर सकते हैं। आयुर्वेद में मुलेठी को एक बेहद शक्तिशाली जड़ी-बूटी माना गया है। इसमें मौजूद गुण जलन और गर्मी को कम करते हैं और छालों को दूर करने में मदद करते हैं। इसके लिए आप मुलेठी पाउडर को देसी घी के साथ मिलाकर गर्म पानी के साथ लें।तुलसीतुलसी औषधीय गुणों से भरपूर होती है। तुलसी के पत्तों में एंटी-बैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं, जो संक्रमण से लडऩे में मदद करते हैं। तुलसी की पत्तियों को पानी में उबालकर, इसके पानी से कुल्ला करने से जीभ के छालों से छुटकारा मिल सकता है।एलोवेराआयुर्वेद में एलोवेरा का प्रयोग कई बीमारियों के इलाज के लिए सदियों से किया जा रहा है। एलोवेरा में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं, जो जीभ के छालों और सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं। इसके लिए आप एलोवेरा के पत्तों से ताजा जेल निकालकर अपनी जीभ पर लगाएं। 5 से 10 मिनट बाद पानी से कुल्ला कर लें। दिन में दो से तीन बार इस प्रक्रिया को दोहराने से आपको जल्द राहत मिल सकती है।लौंग का तेलजीभ के छालों से राहत पाने के लिए आप लौंग के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो छालों के दर्द और सूजन को दूर करने में मदद करते हैं। इसके लिए आप रूई को लौंग के तेल में डुबोकर छाले वाली जगह पर लगाएं। 10 से 15 मिनट बाद पानी से कुल्ला कर लें।शहदजीभ के छालों की समस्या को दूर करने के लिए शहद का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। शहद में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो घाव को जल्दी ठीक करने में मदद करते हैं। इसके लिए शहद में चुटकीभर हल्दी मिलाकर अपनी जीभ पर लगाएं। लगभग 10 मिनट बाद गुनगुने पानी से साफ कर लें। बेहतर परिणाम के लिए दिन में दो से तीन बार इस प्रक्रिया को दोहराएं।जीभ के छालों की समस्या से राहत पाने के लिए आप ऊपर बताए गए आयुर्वेदिक उपाय को आजमा सकते हैं। हालांकि, किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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पूरे दिन लैपटॉप पर एकटक देखना, मोबाइल चलाना, नींद पूरी ना होना, तेज रोशनी और एलर्जी के कारण आंखों में थकान होने लगती है। हमारी आंखें हमेशा एक्टिव रहती हैं, ऐसे में ज्यादातर लोग आंखों में जलन, लालपन, खुजली का शिकार हो जाते हैं। इसके अलावा कुछ लोगों की आंखों में पानी आता है, तो कुछ लोगों को धुंधला दिखने लगता है। अगर आपके साथ ऐसा होता है तो आपको रोजाना कुछ एक्सरसाइज करनी चाहिए जो आंखों की थकान से छुटकारा दिलवा सकते हैं।
ब्लिंकिंग
ज्यादा देर तक स्क्रीन पर एक्टिव रहने वाले लोग इस एक्सरसाइज को कर सकते हैं। इसे करने के लिए आपको अपनी पलकों को जल्दी-जल्दी झपकाना है, जिससे आंखे साफ होती है। ऐसा करने पर आपकी आंखों से ड्राईनेस खत्म होती है। ऐसा करने पर आंखों को खूब आराम मिलता है।
फोकस करें
आंखों के लिए फोकसिंग एक्सरासइज भी बेहतरीन है। इसके लिए अपने आंखों के सामने किसी ऑब्जेक्ट को रखें और उस पर फोकस बनाएं। ऐसा करने पर आपको खूब आराम मिलेगा, साथ ही इससे फोकस पॉवर बढ़ेगी।
हथेलियां लगाएं
आंखों में भारीपन होने पर आप पामिंग एक्सरसाइज कर सकते हैं। इसे करने के लिए अपनी दोनों हथेलियों को आपस में थोड़ी देर के लिए रगड़ें, अब गर्म हथेली को बंद आंखों पर रखें। इसे करते समय ध्यान रखें कि आंखों पर बिल्कुल रोशनी नहीं आए। - कब्ज की समस्या से निपटने के लिए आप फल और सब्जियों से बनी स्मूदी पी सकते हैं। दरअसल, स्मूदी में फाइबर की मात्रा काफी ज्यादा होती है, जिससे कब्ज की प्रॉब्लम से छुटकारा आसानी से मिल जाता है। इसके अलावा, स्मूदी आंत के स्वास्थ्य में सुधार कर पाचन क्षमता को बेहतर करता है। इसके साथ-साथ स्मूदी पीने में बहुत टेस्टी होती है, जिसे लोग आसानी से अपनी डाइट का हिस्सा बना लेते हैं।चिया सीड स्मूदीअगर आपकी पाचन क्षमता कमजोर है और अक्सर कब्ज की समस्या बनी रहती है, तो आपको चिया सीड्स से नबी स्मूदी को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए। चिया सीड से बने इस स्मूदी की मदद से आपकी आंत क्लीन होती है, पाचन तंत्र बेहतर होता है और प्रतिरक्षा प्रणाली भी सही तरह से काम करने लगती है। चिया सीड से स्मूदी बनाने के लिए आपको चाहिए दो कप पालक, एक कसा हुआ अदरक, 1 कप जमी हुई रसभरी, 1/2 एवोकैडो, 2 बड़े चम्मच चिया सीड्स, 2 बड़े चम्मच दही और 250 मिली पानी या दूध। अब इन सभी सामग्रियों को अच्छी रतह से पीस लें। ध्यान रहे, कि मिक्सचर में किसी तरह की गांठ बाकी न रह जाए। अच्छी तरह स्मूदी तैयार होने के बाद इसे गिलास में डालें और पी लें।कीवी, तोरी और सेब की स्मूदीकीवी, सेब और तोरी को कब्ज दूर करने के लिए बेहतरीन माना जाता है। जहां, एक ओर कीवी में पाचक एंजाइम्स होते हैं, जो पाचन तंत्र को मजबूत बनाने का काम करते हैं, आंत में रुकावट को कम करते हैं और मल को नर्म करने का काम भी करते हैं। सेब की बात करें, तो इसमें फ्रुक्टोज होता है, यह एक ऐसा तत्व है, जो पेट को साफ रखने में मदद करता है। जबकि तोरी भी अघुलनशील यानी इनसॉल्यूबल फाइबर (फाइबर, जो पानी में नहीं घुलते) का एक स्रोत है। इस स्मूदी को बनाने के लिए आप चाहें, तो सभी सामग्रियों को उबाल लें। तीनों सामग्री की मात्रा एक समान रखें। आप अपने स्वाद अनुसार मात्रा कम-ज्यादा कर सकते हैं। स्वाद अनुसार अन्य चीजें जैसे चीनी या क्रीम भी इसमें मिक्स कर सकते हैं। उबालने के बाद सामग्री को ठंडा होने दें। अब इसे मिक्सर में पीस लें। इसमें जरूरत अनुसार पानी भी मिक्स करें।आम से बनी स्मूदीआम पेट के लिए बहुत ही अच्छा फल माना जाता है। गर्मी के सीजन में लोग इसे बहुत ही चाव से खाना पसंद करते हैं। लोग आम से बनी स्मूदी, शेक आदि खूब खाना पसंद करते हैं। अगर आप आम से बनी स्मूदी पीना चाहते हैं, तो इसमें चिया सीड, दही, 250 मिली लीटर बादाम का दूध और आधा चम्मच नींबू का रस भी मिक्स कर लें। इन्हें अच्छी तरह ग्राइंड करें। गिलास में डालें। अब इसे पी लें। इस स्मूदी में पाचन एंजाइम होते हैं, जो कब्ज की समस्या को दूर करने में मददगारा साबित होते हैं।ध्यान रखें की अगर यहां बताए गए किसी भी खाने की चीज से आपको एलेर्जी है, तो उसे अपनी स्मूदी में न डालें।
- दलिया का नाम सुनते ही ज्यादातर लोग मुंह बना लेते हैं। उन्हें लगता है कि दलिया सिर्फ बीमार लोगों के खाने वाली चीज है, लेकिन यह बहुत हेल्दी होता है। दलिया में फास्फोरस, थायमिन, फोलेट, मैग्नीशियम, पोटैशियम, आयरन, जिंक, फाइबर और प्रोटीन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। भारत के विभिन्न हिस्सों में दलिया कई तरीकों से खाया जाता है। कुछ लोग मीठा दलिया बनाते हैं, तो कुछ इसमें बहुत सारी सब्जियां डालकर खाते हैं। हालांकि दलिया से जुड़ी ये सारी रेसिपी अब बोरिंग हो चुकी हैं। ऐसे में अगर आप दलिया के साथ कुछ नया ट्राई करना चाहते हैं, तो दलिया लड्डू ट्राई कर सकते हैं।दलिया लड्डू की रेसिपी -सामग्री की लिस्टदलिया - 1 से 2 कपदूध - 2 से 3 कपघी- 2 बड़े चम्मचनट्स - काजू, बादाम और सूखा नारियल (बारीक कटे हुए)चीनी - 1 कपबनाने का तरीकासबसे पहले कुकर पर गैस को गर्म होने के लिए रखें। गर्म होने के बाद उसमें घी पिघलने दें। जब घी गर्म हो जाए तो इसमें दलिया डालकर हल्का ब्राउन होने तक भून लें। दलिया भूनने के बाद उसमें दूध डालें और कुकर का ढक्कन बंद करके दो सीटी तक पकाएं। जब कुकर ठंडा हो जाए इसे खोलकर बचे हुए दूध को सुखा लें। अब एक पैन को गर्म करके पका हुआ दलिया उसमें डालें और चीनी के साथ पकाएं। आप चाहें तो चीनी की जगह पर गुड़ या गुड़ के बुरादे का भी प्रयोग कर सकते हैं। अब दलिया के मिश्रण में इलायची का पाउडर और कटे हुए नट्स (काजू, बादाम और सूखा नारियल) को मिला लें। इस मिश्रण को थोड़ी देर ठंडा होने के लिए छोड़ दें और बाद में लड्डू का शेप दें।आपके टेस्टी और हेल्दी दलिया के लड्डू खाने के लिए तैयार हो चुके हैं।दलिया लड्डू खाने के फायदे -1. दलिये के लड्डू में प्रोटीन, फाइबर और आयरन पाया जाता है। इसका सेवन करने से पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है।2. लड्डू फाइबर का अच्छा सोर्स होते हैं, इसलिए यह वजन घटाने में भी मददगार साबित होते हैं।3. दलिया के लड्डू में कैल्शियम पाया जाता है, जो हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाने में मदद करता है। जिन बच्चों की हड्डियां कमजोर होती हैं उन्हें रोजाना सुबह दलिया के लड्डू खाने की सलाह दी जाती है।4. दलिया के लड्डूबनाने में कई तरह के ड्राई फ्रूट्स और दूध का इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए यह शरीर को एनर्जी देने में बहुत फायदेमंद होता है।5. दलिया के पोषक तत्व शरीर की सूजन को भी कम करने में मदद करते हैं। जिन महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान हाथ और पैर में सूजन हो जाती है, उन्हें रोजाना 1 दलिया का लड्डू खाना चाहिए।
- गर्मियों में शरीर को ठंडा रखने के लिए छाछ का सेवन फायदेमंद माना जाता है। जो लोग गर्मियों में, पानी की कमी से डिहाइड्रेशन का शिकार हो जाते हैं, वो लोग भी छाछ का सेवन कर सकते हैं। छाछ पीने से शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद मिलती है। आयुर्वेद में भी छाछ को, शरीर के लिए फायदेमंद बताया गया है। छाछ का सेवन करने से कफ और वात दोष को शांत रखने में मदद मिलती है। एक गिलास छाछ पी लेंगे, तो लंबे समय तक भूख भी नहीं लगेगी। जानें टेस्टी रेसिपीज...1. प्लेन छाछ का सेवन करेंप्लेन छाछ बनाने के लिए दही और पानी को एक बर्तन में मिलाकर, अच्छी तरह से मथ लें।दही को मथाने के लिए मिक्सी या हैंड ब्लेंडर का इस्तेमाल कर सकते हैं।फिर उसमें धनिया पत्तियों डालकर पी सकते हैं।छाछ का सेवन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।छाछ का सेवन करने से ब्लड प्रेशर को सामान्य रखने में भी मदद मिलती है।2. जीरे वाली छाछजीरे वाली छाछ बनाने के लिए दही और पानी को मिलाकर छाछ तैयार करें।तैयार छाछ में जीरा और सेंधा नमक डालकर पी सकते हैं।जीरे वाली छाछ, शरीर के लिए एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है।जीरे वाली छाछ का सेवन करने से पाचन दुरुस्त होता है और ब्लड शुगर लेवल भी कंट्रोल रहता है।जीरे वाली छाछ का सेवन करने से मेटाबॉलिज्म मजबूत होता है और वजन घटाने में मदद मिलती है।3. मिंट वाली छाछमिंट वाली छाछ बनाने के लिए दही के साथ मिंट की पत्तियों को पीसकर मिला लें।इस मिश्रण को पानी डालकर पीस लें और छाछ तैयार कर लें। छाछ में खीरा भी डालकर पी सकते हैं।मिंट की छाछ पीने से पाचन तंत्र मजबूत रहता है।पेट दर्द और इन्डाइजेशन की समस्या दूर करने के लिए मिंट वाली छाछ का सेवन फायदेमंद होता है।4. सत्तू वाली छाछगर्मियों में कब्ज और एसिडिटी की समस्या दूर करने के लिए सत्तू वाली छाछ का सेवन करें।सत्तू वाली छाछ को बनाने का तरीका आसान है। पानी में दही और सत्तू पाउडर मिला लें।इस मिश्रण को पीस लेने के बाद मिश्रण का सेवन करें।सत्तू में फाइबर पाया जाता है, फाइबर रिच ड्रिंक का सेवन करने से पेट लंबे समय तक भरा रहता है और जल्दी भूख नहीं लगती।गट की समस्या और कब्ज दूर करने के लिए सत्तू वाली छाछ का सेवन कर सकते हैं।5. मसाला छाछमसाला छाछ बनाने के लिए पहले मसाला का पाउडर बना लें। एक चम्मच सूखा धनिया, आधा चम्मच अजवाइन, आधा चम्मच जीरा, आधा चम्मच सौंफ को भूनकर पीस लें। इसमें स्वाद अनुसार हींग, काला नमक, सेंधा नमक और पोदिना पाउडर मिला दें। बन गया छाछ मसाला। मसाला छाछ पीने से पेट में गैस की समस्या दूर होती है और पाचन भी दुरुस्त होता है।छाछ पीने का सही समयदोपहर के समय छाछ का सेवन कर सकते हैं। दोपहर के समय, छाछ आसानी से पच जाती है। रात को छाछ नहीं पीना चाहिए। छाछ, दही से बनता है। दही की तासीर ठंडी होती है। रात को छाछ पीने से सर्दी-जुकाम, गले में खराश की समस्या हो सकती है। यही कारण है कि रात के दौरान छाछ का सेवन नहीं करना चाहिए।
- मीठी लस्सी शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होती है। इसमें भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, सोडियम, प्रोटीन, कैल्शियम और फाइबर आदि पाए जाते हैं। इसके सेवन से पाचन तंत्र मजबूत होने के साथ हड्डियां भी हेल्दी रहती हैं। गर्मियों में लस्सी पीना स्वास्थ्य की दृष्टि से काफी अच्छा होता है। ये पेट को ठंडा रखने के साथ शरीर में गर्मी लगने से भी बचाती है। मीठी लस्सी पीने में काफी स्वादिष्ट होने के साथ शरीर के लिए भी अनेक फायदे लेकर आती है। इसमें मौजूद इलेक्ट्रोलाइट शरीर में पानी की कमी नहीं होने देते और पेट को हेल्दी रखते हैं। मीठी लस्सी पीने से इम्यूनिटी भी मजबूत होती हैं। आइए जानते हैं मीठी लस्सी पीने के अन्य फायदों के बारे में।पाचन तंत्र को मजबूत करेगर्मियों में मीठी लस्सी पीने से पाचन तंत्र मजबूत होता है और पेट स्वस्थ रहता है। मीठी लस्सी पोषक तत्वों से भरपूर होती है। इसमें मौजूद फाइबर पेट में कब्ज, गैस और एसिडिटी की समस्या को आसानी से दूर करता है। मीठी लस्सी को दिन में पीना शरीर के लिए अधिक फायदेमंद होता है।हड्डियों को मजबूत करेगर्मियों में मीठी लस्सी पीने से हड्डियां मजबूत होने के साथ मांसपेशियों का दर्द भी आसानी से दूर होता हैं। मीठी लस्सी में मौजूद कैल्शियम थकान को भी आसानी से दूर करता है। इसको रोजाना पीने से दांत भी मजबूत और हेल्दी रहते है।लू से बचाएगर्मी में मीठी लस्सी पीने से शरीर का लू से बचाव होता है। गर्मियों में लू के प्रकोप से बचने के लिए इसे रोज दिन में अवश्य पिएं। घर से बाहर निकलने पर लस्सी पीने से लू नहीं लगती और शरीर भी स्वस्थ रहता है। कई बार धूप से आने के बाद सिरदर्द की समस्या हो जाती है। लस्सी पीने से लू से होने वाला सिरदर्द भी आसानी से दूर होता है।वजन घटाने में मददगारअगर आप लंबे समय से वजन घटाने के बारे में सोच रहे हैं, तो गर्मियों में डाइट में मीठी लस्सी को अवश्य शामिल करें। मीठी लस्सी पीने से वजन घटाने में मदद मिलती है और बेली फैट भी कम होता है। लेकिन ध्यान रखें वजन घटाने के लिए लस्सी में चीनी की जगह किसी और चीज का इस्तेमाल करें।तनाव होता है दूरगर्मियों में मीठी लस्सी पीने से दिमाग ठंडा रहता है और तनाव दूर होता है। ये शरीर को इंस्टैट एनर्जी देती है। जिससे मूड फ्रेश होता है और शरीर हेल्दी रहता है। गर्मियों में मीठी लस्सी पीने से शरीर की कई बीमारियां दूर होती हैं और शरीर स्वस्थ रहता है।मीठी लस्सी पीने से शरीर को कई तरह के फायदे मिलते हैं। लेकिन ध्यान रखें अगर आपको कोई बीमारी या एलर्जी की समस्या हैं, तो डॉक्टर से पूछ कर ही इसका सेवन करें।
- क्या आपको भी चलते समय टखनों (एंकल) में दर्द होता है? इसके पीछे कई कारण या लाइफस्टाइल से जुड़ी गलतियां हो सकती हैं। इस लेख में हम ऐसी ही 5 गलतियों के बारे में बात करेंगे।1. कैल्शियम रिच डाइट न लेना40 की उम्र के बाद हड्डियां अपनी ताकत खोने लगती हैं। इसी कारण ज्यादातर लोगों को हड्डियों से जुड़ी शिकायत शुरू हो जाती है। इसका कारण है कैल्शियम रिच डाइट का सेवन न करना। कैल्शियम की कमी दूर करने के लिए नट्स का सेवन करें। अखरोट, पिस्ता, मूंगफली, अंजीर में कैल्शियम की अच्छी मात्रा होती है। तिल के बीज, चिया सीड्स में भी कैल्शियम होता है। इन चीजों को अपनी डाइट में शामिल करेंं। इसके अलावा डेयरी प्रोडक्ट्स को डाइट में एड करें। दही और पनीर सेहत के लिए फायदेमंद आहार हैं।2. वजन कंट्रोल न करनावजन ज्यादा है, तो चलते समय टखनों में या एंकल में दर्द उठ सकता है। 40 की उम्र के बाद वेट मैनेजमेंट पर गौर करें। वजन कंट्रोल करके आप शरीर को कई तरह से फिट रख सकते हैं। ज्यादा वजन का भार हड्डियों पर पड़ता है। लंबे समय तक हड्डियों पर वजन का भार पड़ने से हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। जिन लोगों का वजन ज्यादा होता है, उन्हें चलते समय हड्डियों का फ्रैक्चर भी हो सकता है। 40 की उम्र के बाद संतुलित आहार का सेवन करें, तेल और मसालों से दूर रहें और रोजाना एक्सरसाइज करें जिससे वजन कंट्रोल रहेगा।3. आरामदायक जूते न पहननानिजी अनुभव के आधार पर मैं ये कह सकती हूं कि आपको चलने के लिए आरामदायक जूतों का चयन करना चाहिए। ऐसा न करने पर चलते-चलते भी फ्रैक्चर हो सकता है। मेरे पेरेंट्स को अलग-अलग मौकों पर एंकल फ्रैक्चर हुआ है। दोनों ही समय फ्रैक्चर का सबसे बड़ा कारण था आरामदायक जूते न पहनना। चलने के दौरान पैर में उठने वाले दर्द का कारण पता किया, तो फ्रैक्चर निकला। डॉक्टर से सलाह लेने पर उन्होंने बताया कि 40 की उम्र के बाद हड्डियां कमजोर होने लगती हैं और हल्के से झटके से भी फ्रैक्चर हो सकता है। पैरों को सपोर्ट देने के लिए आरामदायक जूते ही पहनें। जूते खरीदते समय गौर करें कि जूता ज्यादा भारी न हो। अगर पैर की बनावट चौड़ी है, तो नैरो टो वाले शूज खरीदें।4. मीठी चीजों का ज्यादा सेवन करनाचलते समय टखनों में दर्द हो रहा है, तो इसका एक कारण ये भी हो सकता है कि आप मीठी चीजों का ज्यादा सेवन करते हैं। मीठी चीजों का सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है जिसके कारण हाथ-पैरों में दर्द हो सकता है। मीठी चीजों का ज्यादा सेवन करने से वजन भी बढ़ जाता है जिसके कारण चलते समय हड्डियों पर जोर पड़ता है और दर्द उठ सकता है। 40 की उम्र के बाद मीठी चीजों से दूरी बनाएं। मीठा खाने की क्रेविंग होने पर फ्रूट सलाद का सेवन कर सकते हैं। चीनी, गुड़, जूस, मिठाई, बिस्किट्स, कुकीज आदि के सेवन से बचें।5. एक्सरसाइज न करना40 की उम्र के बाद एक्सरसाइज न करने के कारण एंकल पेन हो सकता है। कसरत न करने से मांसपेशियों में लचीलापन कम हो जाता है और टखनों का दर्द चलते समय बढ़ सकता है। इस समस्या से बचने के लिए अपने रोज के रूटीन में एक्सरसाइज का समय फिक्स करें। 40 से 50 मिनट फिजिकल वर्कआउट को दें। इसमें ब्रिस्क वॉक, जॉगिंग, योगा, साइकिल चलाना, रनिंग, जंपिंग आदि को शामिल कर सकते हैं। कसरत करने से पहले वार्मअप जरूर करें, इससे मसल्स में ट्विस्ट होना या मोच आने जैसी समस्या से बचाव होता है।इन 5 गलतियों को सुधार लेंगे, तो 40 की उम्र के बाद चलने में तकलीफ नहीं आएगी और न ही टखनों का दर्द सताएगा।
- पेट में जमा जिद्दी चर्बी कम करना कोई सरल काम नहीं है, लेकिन अगर आप सही डाइट और रूटीन को फॉलो करें, तो इससे आसानी से छुटकारा पा सकते हैं। बहुत से लोगों के साथ एक समस्या काफी देखने को मिलती है, कि उनका पेट की चर्बी तो कम हो जाती है, लेकिन ऊपरी और बीच वाले हिस्से की चर्बी तो कम हो जाता है, लेकिन निचले हिस्से की चर्बी कम नहीं होती। इस लेख में हम आपके साथ पेट के निचले हिस्से की चर्बी कम करने के लिए 5 सरल टिप्स शेयर कैसे कर रहे हैं।1. सुबह की शुरुआत गर्म पानी या हर्बल चाय के साथ करेंकोशिश करें कि आप सुबह उठने के बाद सबसे पहले गुनगुने पानी का सेवन करें। उसके बाद आप गर्म पानी में दालचीनी, मेथी के बीज, सौंफ या जीरा (किसी भी एक) को पानी में उबालकर, छानकर इसमें शहद और नींबू का रस मिलाकर सेवन कर सकते हैं। आप ग्रीन टी, कैमोमाइल टी आदि जैसी हर्बल चाय भी पी सकते हैं। इससे इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार करने में मदद मिलेगी। साथ ही मेटाबॉलिज्म भी बढ़ेगा। जिससे आपको अधिक एनर्जी या कैलोरी खर्च करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा इससे पाचन को दुरुस्त रखने में भी मदद मिलेगी। पूरा दिन गुनगुना पानी पीने से भी अधिक कैलोरी बर्न करने में मदद मिलेगी।2. संतुलित आहार जरूर लेंअक्सर लोग गलती करते हैं, कि वे संतुलित आहार नहीं लेते हैं। वे कार्ब और फैट से परहेज करते हैं। जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए। वेट लॉस हो या फैट लॉस हमें एक ऐसा आहार लेने की जरूरत होती है, जिसमें काब्र्स, फैट्स और प्रोटीन प्रचुर मात्रा में मौजूद हों। इस दौरान बस आपको अधिक कैलोरी के सेवन से बचना होता है। इसलिए कोशिश करें, कि अपनी डाइट में फल, सब्जियां, दूध और इससे बने उत्पाद, मीट, मछली आदि का सेवन करें।3. पेट की एक्सरसाइज करेंकुछ सरल पेट की एक्सरसाइज जैसे क्रंचेस या अन्य पेट की एक्सरसाइज जरूर करनी चाहिए। इससे पेट की मांसपेशियों को टोन करने में मदद मिलती है। संपूर्ण शारीरिक व्यायाम के साथ सप्ताह में 2-3 बार पेट की एक्सरसाइज करें, इससे बहुत लाभ मिलेगा।4. मीठी चीजों और जंक फूड्स से परहेज करेंअगर आप पेट की जिद्दी चर्बी से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो आपको मीठे और चीनी युक्त फूड्स का सेवन कम से कम करना चाहिए। क्योंकि इनमें कैलोरी की मात्रा बहुत अधिक होती है। इसी तरह आपको ज्यादा तला-भुना, पैकेज्ड, नमकीन और मसालेदार भोजन करने से भी बचना चाहिए। इनमें ट्रांस फैट मौजूद होता है, साथ ही कैलोरी भी बहुत अधिक होती हैं। यह आपके पाचन को भी खराब करते हैं।5. रात में देर से खाने से बचेंरात में देर से खाने की आदत भी आपके पेट की चर्बी कम न होने का कारण बन सकती है। इसलिए कोशिश करें कि अपना आखिरी भोजन रात को 8 बजे से पहले कर लें। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि आपको रात में बहुत भारी भोजन भी करने से बचना चाहिए। हल्का और पोषण से भरपूर भोजन लें।6. फिजिकली एक्टिव रहेंजिम जाकर एक्सरसाइज करने या अन्य शारीरिक गतिविधियों के साथ ही यह बहुत जरूरी है कि आप दिन भर एक्टिव रहें। लंबे-लंबे समय तक लेटे या बैठें नहीं, कोशिश करें कि आप चलते-फिरते रहें। कोशिश करें कि आप 20 मिनट पैदल जरूर चलें।7. अच्छी नींद लेना भी है जरूरीनींद संपूर्ण स्वास्थ्य की भलाई के लिए बहुत जरूरी है। यह वजन कम करने में भी बहुत अहम भूमिका निभाती है। इसलिए आपको रात को देर से सोने से बचना चाहिए। रोजाना एक ही समय पर सोने की आदत डालें और रात को देर से न सोएं। 7-8 घंटे की एक अच्छी नींद लें। इससे आपके संपूर्ण स्वास्थ्य को बहुत लाभ मिलेगा।---
- तीखुर हल्दी के जैसा ही होता है, और हल्दी के फायदे की तरह ही तीखुर के सेवन से शरीर को बहुत अधिक लाभ होता है। आयुर्वेद के अनुसार, तीखुर एक जड़ी-बूटी है, और तीखुर के अनेक औषधीय गुण हैं। घाव, बुखार, खांसी, सांसों की बीमारी, अधिक प्यास लगने की समस्या में तीखुर के इस्तेमाल से फायदे मिलते हैं। इतना ही नहीं, एनीमिया, मूत्र रोग, डायबिटीज, पीलिया आदि रोगों में भी तीखुर के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।आप भूख की कमी, जलन, कुष्ठ रोग में तीखुर के औषधीय गुण के फायदे ले सकते हैं। आप पथरी, रक्त-विकार, रक्त की कमी, किडनी विकार, और टीबी रोग में भी तीखुर से लाभ ले सकते हैं। आइए जानते हैं कि तीखुर के सेवन या उपयोग करने से कितनी सारी बीमारियों में फायदा होता है, और तीखुर से क्या-क्या नुकसान हो सकता है।तीखुर के औषधीय गुण1. पेट फूलने और गैस की परेशानी होगी दूरकई बार गैस की परेशानी लोगों के लिए बड़ी समस्या का कारण बन जाती है। गैस की परेशानी होने से कई लोगों का पेट फूलने लगता है। तीखुर को 2-3 ग्राम मात्रा में रोज लें और साथ में पानी पी लें। यह गैस की समस्या से आपको मुक्ति देगा और पेट फूलने की परेशानी को भी दूर होगी।2. दस्त के लिए तीखुर चूर्ण का करें इस्तेमालअगर आपको दस्त की समस्या है तो तीखुर राइजोम को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को दूध और शक्कर के साथ मिलाकर खाएं। यह दस्त की परेशानी में लाभ करेगा।3. यूरिन में जलन के लिए बहुत है फायदेमंदगर्मियों के समय में बहुत से लोगों को पेशाब में जलन, रुक-रुक कर यूरिन आना जैसी समस्या होती है। तीखुर की तासीर ठंडी होने के कारण यह यूरिन इन्फेक्शन को दूर करने में मदद करता है। अगर आपको भी यूरिन में जलन हो तो तीखुर के प्रकंद का चूर्ण बनाकर उसे 1-2 ग्राम मात्रा में लें। यह जलन को दूर करने में मदद करेगा। अगर यूरिन में दर्द की परेशानी है तो तीखुर के प्रकंद के चूर्ण को दूध और शक्कर में मिलाएं और इसका सेवन करें। पेशाब में दर्द की समस्या जल्द दूर होगी।4. खांसी को करता है दूरअगर आपको लंबे समय से खांसी आ रही है तो 2-3 ग्राम तीखुर चूर्ण को गाय के घी में मिलाकर खाएं। यह खांसी को दूर करने में मदद करता है। इस उपाय को अपनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि घी थोड़ा गर्म करके ही उसमें तीखुर चूर्ण मिलाएं।
- होठों की त्वचा काफी ज्यादा संवेदनशील होती है। होठों की त्वचा बदलता मौसम, ठंड हो या गर्मी इन सभी को झेल नहीं पाती और रूखी पडऩे लगती है। रूखेपन के कारण होंठ फटने की समस्या देखने को मिलती है। वहीं यदि होठों में ज्यादा दरारे आने लगती हैं, तो इन्फेक्शन होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। आज हम आपको कुछ ऐसे उपाय बता रहे हैं जिसे अपनाकर आप सूखे होंठों से छुटकारा पा सकते हैं।1. शहदनेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा शहद को लेकर की गई स्टडी के अनुसार इसमें मौजूद एंटीमाइक्रोबॉयल और एंटी इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टी होठों की सेहत को बनाए रखने के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। यह होठों को मॉइश्चराइज करती है, साथ ही इसकी हीलिंग प्रॉपर्टी फटे होठों को जल्दी हील होने में मदद करती है।इस तरह इस्तेमाल करें - अपने होठों पर शहद की एक मोटी लेयर लगा लें। अब इसे 20 से 30 मिनट तक लगा हुआ छोड़ दें। उसके बाद अपनी उंगलियों से होठों को सर्कुलर मोशन में मसाज दें और इसे पोछ लें।2. एलोवेरात्वचा से लेकर बालों की समस्या से निजात पाने में एलोवेरा को काफी ज्यादा प्रभावी माना जाता है। वहीं एलोवेरा में मौजूद एंटी इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टी फटे होठों को हील करने में काफी ज्यादा प्रभावी मानी जाती है। यह होठों की त्वचा को हाइड्रेटेड रखने के साथ ही इसे मॉइश्चर प्रदान करती हैं।इस्तेमाल करने का तरीका - आपको एलोवेरा की पत्ती लेनी है और इनमें से जेल को बाहर निकाल लेना है। इन्हें किसी कंटेनर में बंद करके रख लें। उचित परिणाम के लिए इन्हें दिन में दो से तीन बार अपने होठों पर अप्लाई करें।3. घी और मलाई रहेंगे काफी असरदारकटे-फटे और सूखे होठों पर घी और मलाई का इस्तेमाल काफी फायदेमंद माना जाता है। पोषक तत्वों से भरपूर यह डेयरी प्रोडक्ट होठों के हाइड्रेशन को भी लंबे समय तक बनाए रखते हैं।इस तरह इस्तेमाल करें - हर रोज कम से कम एक बार मलाई या घी को अपने होंठों पर जरूर लगाएं। इसे लगा कर उंगलियों की मदद से होठों पर थोड़ी देर मसाज करें। उसके बाद इसे 10 से 15 मिनट तक लगा हुआ छोड़ दें और फिर किसी कपड़े से होठों को साफ कर लें।4. कोकोनट ऑयलकई महत्वपूर्ण पोषक तत्वों एवं एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टी से भरपूर कोकोनट ऑयल त्वचा से जुड़ी सभी समस्याओं में काफी कारगर माना जाता है।इस तरह इस्तेमाल करें - इसे इस्तेमाल करने के लिए आपको कॉटन पैड लेना है, उस पर कोकोनट ऑयल लगाएं और इसे अपने होठों पर अच्छी तरह अप्लाई करें। उसके बाद होठों को 1 मिनट तक कोकोनट ऑयल से मसाज दें। इसे रात को सोने से पहले अप्लाई करें और फिर रात को लगा कर सो जाएं।अब जानें फटे होंठो से छुटकारा पाने के लिए और क्या कर सकती हैं- पर्याप्त पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं-अपने होठों पर बार बार जीभ न लगाएं।- नाक से सांस लेने की कोशिश करें।----
- उत्तर भारत में गर्मियों आते ही लोग कई तरह से सत्तू का सेवन करते हैं। दरअसल सत्तू से सेहत को कई फायदे मिलते हैं। इसके सेवन से पेट के कई विकार दूर होते हैं और शरीर को ठंडक मिलती है। सत्तू में सोडियम, आयरन, मैग्नीशियम, प्रोटीन, फैट और कॉर्बोहाइड्रेट पाया जाता है। इसका सेवन मुख्यतः लू से बचाव के लिए किया जाता है। सत्तू से पेट साफ रखने में मदद मिलती और मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है। साथ ही इसके सेवन से आपको लंबे समय तक भूख नहीं लगती है। जिसके उपयोग से आपको अपने वजन को कंट्रोल करने में भी मदद मिलती है। साथ ही आपकी थकान दूर होती है। अगर आप भी अपने वजन को कम करना चाहते हैं तो सत्तू को आहार में शामिल करें। इससे आप अपने मोटापे को तेजी से कम कर सकते हैं। इसके सेवन से आपको मोटापे की वजह से होने वाली अन्य समस्याओं का खतरा भी कम हो जाता है। आगे जानते हैं सत्तू को आप किस तरह से डाइट में शामिल कर सकते हैं।सत्तू कैसे बनाया जाता है?सत्तू का आटा मुख्य रुप से चने को पीसकर बनाया जाता है। भूने हुए चने को पीसकर ये आटा तैयार किया जाता है। कुछ लोग चने और जौं को भूनकर भी आटा तैयार करते हैं। इसे भी सत्तू ही कहा जाता है। इसके पौष्टिक गुणों की वजह से इसका उपयोग गर्मियों में किया जाता है।सत्तू से वजन कैसे कम होता है?सत्तू से आप अपने मोटापे को कम करने में मदद कर सकते हैं। सत्तू के सेवन से मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है। जिसकी वजह आपके आहार का फैट से बर्न होता है। वजन कम करने वाली डाइट को फॉलो करने वाले लोग सत्तू को अपनी डाइट में शामिल कर मोटापे को तेजी से कम कर सकते हैं। इसलिए यह कहा जाता है कि सत्तू के सेवन से मोटापे को कम करने में मदद मिलती है।वजन कम करने के लिए सत्तू का डाइट में कैसे करें शामिल?सत्तू का शर्बतसत्तू का शर्बत बिहार और उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्रों में पिया जाता है। इसे बनाने के लिए आपके पास सत्तू का आटा करीब एक चम्मच, एक नींबू का रस, पुदीने का करीब आधा चम्मच पेस्ट, चुटकी भर काला नमक और गुड़ या चीनी की आवश्यकता होती है। इन सभी चीजों को एक गिलास में डाले और ऊपर से ठंडे पानी को मिला दें। इसके बाद इसे अच्छे से मिक्स करें। यदि शर्बत ज्यादा गाढ़ा हो तो आप अपनी आवश्यकता अनुसार इसमें पानी मिला सकते हैं। इसमें फाइबर की उच्च मात्रा होती है, जो पेट की गर्मी को शांत कर आपके मोटापे को कम करने में सहायक होती है।सत्तू का चीलासत्तू का चीला बनाने के लिए आपके पास करीब दो से चार बड़े चम्मच सत्तू का आटा, करीब आधा प्याज बारीक काटा हुआ, बारीक काटा हुआ आधा टमाटर, पीसी हुई काली मिर्च चुटकी भर, नमक और मिर्च स्वादानुसार होनी चाहिए। इसे बनाने के लिए एक पैन में थोड़ा से तेल डाले और ऊपर बताई गई सभी चीजों को मिक्स करते हुए एक लिक्विड पेस्ट बना लें। ध्यान रहें कि पेस्ट ना तो ज्यादा गाढ़ा हो और ना ही ज्यादा पतला हो। तेल गर्म होने के बाद इसे पैन में डालें और अच्छे से दोनों तरफ सेक लें। इसके बाद गैस बंद करें और इसे हरे धनिये की चटनी के साथ खाएं।सत्तू को डाइट में शामिल करने से आपकी पाचन क्रिया बेहतर होती है और आपको पेट में गैस, एसिडिटी और अपच की समस्या नहीं होती है। इसे डाइट में लेने से यदि आपको कोई परेशानी महसूस हो तो एक बार डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।
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योग स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, लेकिन योग को न समझने वाले लोग इसे फायदों और असर पर सवाल उठाते हैं । हालांकि वैज्ञानिक शोध प्राणायाम के लाभों और सटीकता की पुष्टि करते हैं । सबसे मशहूर प्राणायामों में से एक है अनुलोम विलोम । किसी भी योग के अभ्यास के लिए सबसे जरूरी है , उस आसन को सही तरीके से करना । हालांकि अक्सर लोग गलत तरीके से योगाभ्यास करते हैं । अनुलोम विलोम प्राणानायाम को आसान अभ्यास समझा जाता है, जिसमें नाक से सांस खींच कर दूसरे नथुने से छोड़ा जाता है। लेकिन ये सही तरीका नहीं है। इस योग को नाड़ी शोधन प्राणायाम भी कहते है और नाम के अनुरूप ही इस योग का अभ्यास करते हैं । आइए जानते हैं, अनुलोम विलोम के अभ्यास का सही तरीका और इसके फायदे।
अनुलोम विलोम के अभ्यास का सही तरीका
स्टेप 1- अनुलोम-विलोम करने के लिए मैट पर पद्मासन या सुखासन की स्थिति में बैठ जाएं।
स्टेप 2- रीढ़ और गर्दन को सीधा रखते हुए आंखें बंद कर लें और ध्यान लगाएं।
स्टेप 3- कलाइयों को घुटनों पर टिकाकर दाहिने हाथ का उपयोग करते हुए मध्यमा और तर्जनी को हथेली की ओर मोड़ें।
स्टेप 4- अब अंगूठे से दाहिने नथुने को बंद करें और अनामिका को बाएं नथुने पर रखते हुए धीरे धीरे गहरी श्वास लें।
स्टेप 5- श्वास की गति पर ध्यान केंद्रित करें, फिर अंगूठा छोड़ते हुए अनामिका से बाएं नथुने को बंद करें।
स्टेप 6- दाहिने नथुने से धीरे धीरे श्वास छोड़ें। इसी क्रिया को दूसरी ओर से करें। इस बार दाएं नथुने से सांस लें और बाएं से श्वास छोड़ें।
अनुलोम विलोम के अभ्यास के फायदे
इस प्राणायाम के अभ्यास से कई गंभीर स्वास्थ्य विकार, जैसे हृदय की समस्याएं, गंभीर अवसाद, उच्च रक्तचाप, गठिया, माइग्रेन की समस्या में कमी आती है।
अनुलोम विलोम करने से चिंता, तनाव और अवसाद दूर हो सकता है।
श्वसन विकार जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस ठीक करने में भी अनुलोम-विलोम फायदेमंद है।
एकाग्रता और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है, साथ ही क्रोध, बेचैनी, निराशा और विस्मृति जैसी नकारात्मक भावनाएं दूर होती हैं।
इस योग के अभ्यास से वजन घटाया जा सकता है और मेटाबॉलिज्म ठीक रहता है।
त्वचा में चमक और आंखों की रोशनी बेहतर होती है। - बालों का झड़ना, कमजोर होना और वक्त से पहले सफेद होना। बालों से जुड़ी ये कुछ ऐसी समस्याए हैं, जिससे हर व्यक्ति परेशान रहता है। हालांकि, कई केमिकल बेस्ड प्रोडक्ट इसके लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। लेकिन एक समय के बाद केमिकल की वजह से स्कैल्प को नुकसान होने लगता है। ऐसे में जरूरी है कि आप प्राकृतिक तरीकों को अपनपाएं, जिससे बाल सुरक्षित भी रहे और लंबे, घने होने के साथ-साथ मजबूत भी बनें। इसके लिए आप रोजमेरी का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह बेहतरीन फूल है, जिसका कई तरीकों से उपयोग किया जा सकता है। तो चलिए, हम जानते हैं बालों की ग्रोथ के लिए किस तरह से रोजमेरी का प्रयोग कर सकते हैं।रोजमेरी शैंपू के रूप में यूज करेंहेयर ग्रोथ के लिए आप रोजमेरी को शैंपू के रूप में यूज किया जा सकता है। इसके लिए, आपको चाहिए हेयर वॉश के लिए जितना शैंपू चाहिए, उसे एक कटोरी में निकाल लें। अब इसमें 5-7 बूंदें रोजमेरी ऑयल की डालें। इसके बाद, इस मिश्रण को अच्छी तरह से मिक्स कर लें। अब इस शैंपू से आप अपने हेयर वॉश कर लें। इस शैंपू की मदद से आपकी स्कैल्प को फायदा होता है, साथ ही बाल भी सिल्की होते हैं। यही नहीं, इस तरह रोजमेरी ऑयल का इस्तेमाल करने से बालों की ग्रोथ भी बढ़ती है।रोजमेरी टी से हेयर वॉश करेंरोजमेरी की चाय तो शायद आपने पी होगी। रोजमेरी की चाय बनाना भी बहुत आसान है। इसे आप रोजमेरी की पत्तियों को गर्म पानी में उबाल लें। आप रोजमेरी की पत्तियां अपने हेयर लेंथ के अनुसार लें। उसी हिसाब से पानी भी लें। जरूरी हो तो एक लीटर पानी ले सकते हैं। अच्छी तरह उबलने के बाद गैस बंद कर दें। ठंडा होने पर रोजमेरी की पत्तियों को छलनी की मदद से अलग कर लें। शैंपू से हेयर वॉश करने के बाद रोजमेरी टी से फाइन वॉश करें। बालों को बेहतरीन कलर मिलेगा और बाल खूबसूरत-शाइनी भी बनेंगे। हेयर ग्रोथ में भी यह मदद करेगा।रोजमेरी का तेल करें यूजरोजमेरी का तेल भी बहुत उपयोगी है। यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है और इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते हैं। इसी वजह से ऐसा माना जाता है कि रोजमेरी ऑयल बालों की ग्रोथ को बढ़ाता है और बालों का झड़ना भी कम करता है। आप रोजमेरी के ऑयल से अपने सिर की मसाज कर सकते हैं। चूंकि, यह दूसरे तेलों की तरह चिपचिपा नहीं होता है, तो इसे अप्लाई करने के तुरंत बाद वॉश करने की जरूरत नहीं है। आप इसे अप्लाई करके पूरी रात के छोड़ सकते हैं। अगली सुबह हेयर वॉश करें। इससे बालों को भरपूर पोषण मिलेगा। साथ ही मसाज करने की वजह से स्कैल्प में ब्लड सर्कुलेशन भी बेहतर तरीके से होगा।एसेंशियल ऑयल के साथ मिक्स करेंरोजमेरी के तेल को आप एसेंशियल ऑयल जैसे लैवेंडर या बादाम तेल के साथ मिक्स करके भी अपने सिर पर अप्लाई कर सकते हैं। यह मिश्रण खासकर उन लोगों के लिए ज्यादा कारगर है, जिनके बाल बहुत ज्यादा झड़ते हैं। वैसे भी, अगर आप रोजमेरी को अलग-अलग तेलों के साथ मिक्स करके लगाते हैं, तो इससे बालों को दो किस्म के तेलों का फायदा मिलता है। इसके साथ ही, आप हेयर मसाज करना न भूलें।
- गर्मियों में हमेशा ठंडा खाने की इच्छा होती रहती है। गर्मियों में ठंडी तासीर की चीजों को खाने की सलाह दी जाती है। जैसे कि ठंडी तासीर का आटा, ठंडी तासीर के फल और ठंडी तासीर सब्जियां। इस लेख में हम आपको ठंडी तासीर की सब्जियों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं-1. लौकी या घीयालौकी एक ऐसी सब्जी है, जिसे अधिकतर लोग खाना पसंद नहीं करते हैं। लेकिन सभी लोगों को लौकी का सेवन जरूर करना चाहिए। खासकर, गर्मियों में लौकी का सेवन करना काफी फायदेमंद होता है। आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा बताते हैं कि लौकी की तासीर ठंडी होती है। ऐसे में अगर आप लौकी का सेवन करेंगे, तो पेट में ठंडक बनी रहेगी। साथ ही, पानी की कमी भी दूर होगी। लौकी खाने से शरीर हाइड्रेटेड रहता है। लौकी में विटामिन्स और मिनरल्स की मात्रा भी अधिक होती है। इसलिए अगर आप गर्मियों में लौकी की सब्जी खाएंगे, तो इससे शरीर में ठंडक बनी रहेगी और सभी जरूर पोषक तत्व भी मिलेंगे।2. सीताफलसीताफल पोषक तत्व से भरपूर होता है। सीताफल में कैल्शियम और फाइबर की मात्रा काफी अधिक होती है। साथ ही, सीताफल की तासीर भी ठंडी होती है। ऐसे में अगर गर्मी के मौसम में सीताफल का सेवन किया जाए, तो इससे स्वास्थ्य को कई लाभ मिल सकते हैं। इसलिए आपको अपनी डाइट में सीताफल को जरूर शामिल करना चाहिए। अगर आप गर्मियों में सीताफल की सब्जी बनाकर खाएंगे, तो इससे पेट को ठंडक मिलेगी और आप स्वस्थ महसूस करेंगे।3. पालकपालक प्रोटीन, आयरन और विटामिन सी का अच्छा सोर्स होता है। पालक की तासीर बेहद ठंडी होती है। इसलिए गर्मियों में पालक का सेवन करना फायदेमंद माना जाता है। पालक का नियमित सेवन करने से एनीमिया के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है। साथ ही, पालक को पचाना भी काफी आसान होता है। आप पालक का साग बनाकर खा सकते हैं।4. तोरीआयुर्वेद में तोरी की सब्जी को भी ठंडा बताया गया है। तोरी की सब्जी पचने में आसान होती है। यह पित्त को भी शांत करती है। इसलिए आप चाहें तो गर्मियों में तोरी की सब्जी को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। इसके अलावा, तोरी में कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, पोटैशियम और फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्व भी पाए जाते हैं। गर्मियों में तोरी की सब्जी खाना बेहद फायदेमंद होता है। तोरी की सब्जी खाने से आपको एनर्जी मिलेगी, वजन कंट्रोल में रहेगा और पेट में भी ठंडक बनी रहेगी।5. खीराखीरे में पानी की मात्रा काफी अधिक होती है। साथ ही, खीरे की तासीर भी ठंडी होती है। इसलिए आप चाहें तो अपनी समर डाइट में खीरे को भी शामिल कर सकते हैं। खीरे को आप सलाद के रूप में खा सकते हैं या फिर इसकी सब्जी बनाकर भी खाई जा सकती है।6. टिंडागर्मियों में टिंडा भी खाया जाता है, क्योंकि इसकी तासीर ठंडी होती है। लौकी की तरह टिंडा भी पाचन में आसान होता है। इसमें पानी की मात्रा भी अधिक होती है। अगर आप गर्मी में टिंडे की सब्जी खाएंगे, तो इससे शरीर को ठंडक मिलेगी और पाचन भी सही रहेगा।