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सर्दियों का मौसम शुरू होते ही अकसर कुछ चटपटा और गरमा-गरम खाने की क्रेविंग भी शुरू हो जाती है। अपनी इस क्रेविंग को पूरा करने के लिए लोग कई बार अनहेल्दी ऑप्शन चुन लेते हैं। जो सेहत पर बुरा असर डालते हैं। ऐसे में ठंड के मौसम में आपकी सेहत और स्वाद दोनों का ख्याल रखता है टमाटर का सूप। टमाटर में क्रोमियम, पोटेशियम, विटामिन-ए, सी, इ, अल्फा, बीटा, ल्यूटिन और लाइकोपीन कैरोटेनॉयड्स जैसे कई गुण पाए जाते हैं, जो मोटापे से लेकर सेहत से जुड़ी कई समस्याओं को दूर रखने में मदद कर सकते हैं। आइए जानते हैं टमाटर का सूप पीने से सेहत को मिलते हैं क्या फायदे।
टमाटर का सूप पीने से सेहत को मिलते हैं ये फायदेबेहतर ब्लड सर्कुलेशनटमाटर के सूप में मौजूद सेलेनियम एनीमिया से बचाव करके बॉडी में ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाए रखने का काम करता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स भी बेहतर ब्लड सर्कुलेशन के लिए टमाटर का सूप पीने की सलाह देते हैं।हाई बीपी में फायदेमंदटमाटर में मौजूद पोटेशियम शरीर में सोडियम लेवल को संतुलित बनाए रखने में मदद करता है। अगर आप हाई बीपी रोगी हैं तो टमाटर के सूप का सेवन करें। हालांकि टमाटर का सूप बनाते समय उसमें नमक की मात्रा का ध्यान रखें या नमक डालने से बचें।वेट लॉसटमाटर का सूप नियमित पीने से वेट लॉस में भी मदद मिल सकती है। टमाटर का सूप फाइबर से भरपूर होता है, जो लंबे समय तक पेट को भरा रखता है। जिससे व्यक्ति को जल्दी भूख नहीं लगती और वो एक्स्ट्रा कैलोरी लेने से बच जाता है। जिससे वेट लॉस में मदद मिल सकती है।अच्छा पाचनसर्दियों में लोग अकसर पाचन संबंधी दिक्कतों से परेशान रहते हैं। ऐसे में आप पाचन तंत्र को बेहतर बनाए रखने के लिए टोमेटो सूप का सेवन कर सकते हैं।शुगर लेवल रखें कंट्रोलटमाटर में मौजूद क्रोमियम ब्लड शुगर कंट्रोल रखने में मदद कर सकता है। इसके अलावा टमाटर में मौजूद नारिंगिन नाम का फ्लेवोनोइड्स एंटी-डायबिटिक के रूप में काम करके ब्लड शुगर लेवल को कम कर सकता है। -
बच्चों की हेल्दी ग्रोथ के लिए उनके शारीरिक और मानसिक विकास दोनों पर ही बराबरी का ध्यान देने की जरूरत होती है। इसके लिए उनके खानपान का ध्यान रखना सबसे ज्यादा जरूरी होता है। हालांकि बच्चे ठहरे बच्चे, घर में बनी अधिकतर चीजों को तो देखते ही तो वो ऐसे दूर भागते हैं मानों शेर देख लिया हो। उन्हें बस बाजार वाले चाऊमीन, बर्गर, पिज्जा, मोमो जैसी चीजें ही भाती हैं; जो सेहत के लिए कितनी फायदेमंद हैं ये तो आपको बखूबी पता है। बस इसलिए अधिकतर बच्चे दुबले-पतले से हो जाते हैं और पैरेंट्स को चिंता सताने लगती है उनकी डाइट की। ऐसे में अगर आप भी अपने बच्चे की हेल्दी ग्रोथ को लेकर परेशान है, तो चलिए आज आपको कुछ ऐसे फूड आइटम्स के बारे में बताते हैं, जिन्हें खाने से बच्चे जल्दी ही तंदुरुस्त तो होने ही, साथ ही उनका दिमाग भी तेज होगा।
संडे हो या मंडे, रोज खाओ अंडेअंडे में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, विटामिन डी, विटामिन बी, ओमेगा 3 फैटी एसिड, फोलिक एसिड के साथ-साथ कई अन्य तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं। ऐसे में बच्चों की हेल्दी ग्रोथ के लिए उन्हें रोज एक या दो अंडे खिलाना काफी फायदेमंद है। अंडा बच्चे को हेल्दी और तंदुरुस्त तो बनाता ही है, साथ ही इसमें पाया जाने वाला फोलिक एसिड बच्चों को मेंटली स्ट्रांग बनाने में भी मदद करता है।डाइट में शामिल करें दूधबच्चों के संपूर्ण विकास के लिए उनकी डाइट में दूध शामिल करना बहुत जरूरी है। दूध में भरपूर मात्रा में कैल्शियम, विटामिन डी, फास्फोरस जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जिनसे हड्डियों को मजबूती मिलती है। इससे बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास दोनों की तेजी से होते हैं। बच्चे अक्सर दूध पीने में नखरे जरूर दिखाते हैं लेकिन आप तरह तरह के फ्लेवर एड कर के उन्हें दूध पिला सकते हैं।रोज दें मुट्ठी भर ड्राइफ्रूट्सअलग-अलग तरह के ड्राई फ्रूट्स में अलग-अलग प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत ही जरूरी होते हैं। इसलिए बच्चों को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में ड्राई फ्रूट्स खिलाना काफी फायदेमंद है। खास तौर पर बच्चों की डाइट में बादाम, अखरोट, किशमिश, काजू, मखाना जैसे ड्राइफ्रूट्स आपको जरूर शामिल करने चाहिए।इंस्टेंट एनर्जी के लिए दें केलाबढ़ती उम्र के बच्चों को रोज एक केला खिलाना काफी फायदेमंद है। केले में प्रचुर मात्रा में विटामिन बी 6, विटामिन सी, विटामिन ए, मैग्निशियम, पोटैशियम और फाइबर पाए जाते हैं। इसे खाने से बच्चे को इंस्टेंट एनर्जी मिलती है। इसके साथ ही केला खाने से बच्चों का शरीर तंदुरुस्त होता है। जो बच्चे रोज एक केला खाते हैं, उनकी मेंटली ग्रोथ भी कुछ फास्ट होने में मदद मिलती है।देसी घी से बनेंगे सेहतमंदबच्चों को शारीरिक रूप से हेल्दी और स्ट्रांग बनाए रखने के लिए उनकी डाइट में देसी घी को भी जरूर शामिल करना चाहिए। घी से बच्चों को गुड फैट और डीएचए मिलता है। नियमित रूप से घी खाने पर बच्चों का दिमाग भी तेज होता है। इसके अलावा घी में पाए जाने वाले एंटीफंगल, एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटीबैक्टिरियल गुण बच्चों की इम्यूनिटी को बूस्ट करने में भी काफी मददगार साबित होते हैं।- - स्प्राउट्स खाना सेहत के लिए कई तरीकों से फायदेमंद होते हैं। इसे खाने से पाचन तंत्र बेहतर रहने से लेकर वजन घटाने तक में मदद मिलती है। स्प्राउट्स सेहत के लिए किसी रामबाण से कम नहीं होते हैं। इसमें विटामिन C, फॉस्फोरस, प्रोटीन और विटामिन K समेत अन्य भी कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जिन्हें खाने से पोषक तत्वों की कमी पूरी होती है। आमतौर पर लोग नाश्ते में स्प्राउट्स का सेवन करना पसंद करते हैं। कुछ लोग शाम को स्नैक्स के रूप में भी स्प्राउट्स खाते हैं। लेकिन कई लोगों के मन में यह सवाल आता है कि क्या रात में स्प्राउट्स खाना सही होता है?क्या रात में स्प्राउट्स खाना सही होता है?स्प्राउट्स सेहत के लिए बेहद लाभकारी होते हैं। स्प्राउट्स को किसी भी समय खाया जा सकता है। अगर बात करें रात में स्प्राउट्स खाने की तो अगर आपको रात में स्प्राउट्स खाने से किसी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ रहा है तो आप निश्चित तौर पर इसे खा सकते हैं। लेकिन, अगर इसे खाने के बाद आपको गैस, अपच और पेट फूलने की समस्या, जोकि कुछ लोगों को होती भी है। अगर आपको भी ऐसा हो रहा है तो ऐसे में रात में स्प्राउट्स खाने से परहेज करें।स्प्राउट्स खाने के फायदे-स्प्राउट्स में विटामिन सी की मात्रा होती है, जिसे खाने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।-इसमें भरपूर फाइबर होता है, जिसे खाने से पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं कम होती हैं।-इसे खाने से कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होती है साथ ही हार्ट से जुड़ी बीमारियां भी कम होती हैं।-इसे खाने से ब्लड प्रेशर कम होता है।कैसे खाएं स्प्राउट्स?स्प्राउट्स खाने के लिए आपको कोशिश करनी है कि उसे कच्चा न खाएं। इसके बजाय आप स्प्राउट्स को पकाकर या स्टीम करके खा सकते हैं। क्योंकि, कच्चे स्प्राउट्स खाने से पेट फूलना, पेट में दर्द आदि जैसी समस्या हो सकती है।
- सर्दी के मौसम में बच्चों को सर्दी, खांसी और जुकाम की समस्या बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसे में छोटे बच्चे, खासकर शिशुओं को सुरक्षित रखना थोड़ा मुश्किल होता है। शिशुओं के जन्म के बाद का पहला साल काफी मुश्किल होता है, क्योंकि मौसम के अनुसार ढलने में उन्हें समय लगता है, जिस कारण सर्दी और खांसी आसानी से जकड़ लेती है। ऐसे में माता-पिता उनकी देखभाल में कोई कमी नहीं रखना चाहते हैं। इसलिए, अगर आप भी अपने बच्चे की सर्दी-खांसी और जुकाम की समस्या से परेशान हैं तो अजवाइन की पोटली ट्राई कर सकते हैं।सर्दी-खांसी में अजवाइन पोटली के फायदे"शिशुओं में सर्दी-खांसी की समस्या से राहत दिलाने के लिए आप अजवाइन की पोटली का इस्तेमाल कर सकते हैं। अजवाइन में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं, जो सर्दी, खांसी और कंजेशन की समस्या से राहत दिलाने में काफी फायदेमंद माने जाते हैं। इसके अलावा अजवाइन की पोटली एक नेचुरल इनहेलर के रूप में काम करती है, जो शिशुओं, बच्चों और बड़ें, सभी में बंद नाक और छाती में जमे कंजेशन को कम करने के लिए एक बेहतरीन घरेलू उपाय के रूप में काम करता है।"अजवाइन की पोटली कैसे बनाएं?-पोटली बनाने के लिए आप आधा कप अजवाइन और सूती कपड़ा लें।-इसके बाद एक पैन को गैस पर गर्म करें और उसमें अजवाइन डालें।-अजवाइन में खुशबू आने तक इसे चलाते हुए भूनते रहें।-अब इस अजवाइन को मलमल के छोटे-छोटे कपड़ों में डाल दें।-इन कपड़ों को लपेटें और गांठ बांधकर पोटली बना लें।-बस बच्चे के खांसी-जुकाम होने पर इन अजवाइन पोटलियों का इस्तेमाल करें।अजवाइन पोटली का उपयोग कैसे करें?अजवाइन की पोटली शिशुओं और बच्चों में होने वाली सर्दी, खांसी और जुकाम की समस्या को ठीक करने में काफी उपयोगी माना जाता है। अगर आप 1 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए इस पोटली का इस्तेमाल कर रहे हैं तो अजवाइन की पोटली को बच्चे के बिस्तर के पास कुछ दूरी पर रखा जा सकता है। इस पोटली को उनके आस-पास रखने से हवा में सांस लेने से बच्चे को कंजेशन से राहत मिलती है।मौसम में बदलाव के साथ शिशुओं में होने वाले सर्दी-जुकाम और खांसी की समस्या से राहत दिलाने के लिए आप अजवाइन पोटली का नियमित तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन बच्चे को ज्यादा सर्दी और खांसी होने पर डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करें।
- ठंड के मौसम में सर्द हवाओं के कारण लोग गर्म कपड़े पहनते हैं, रजाई, कंबल और हीटर का इस्तेमाल करते हैं। ठंड में कई लोगों को एक स्वेटर या जैकेट पहनकर गर्म महसूस होने लगता है। वहीं, कुछ लोगों को ठंड मिटाने के लिए 2 से 3 स्वेटर पहनने पड़ते हैं। अगर आपको भी दूसरों के मुकाबले ज्यादा ठंड महसूस होती है, तो इसका कारण बाहर चलने वाली हवाएं नहीं बल्कि आपके शरीर में पोषक तत्वों की कमी है। कई रिसर्च में यह बात सामने आ चुकी है पोषक तत्वों की कमी से हार्मोन असंतुलन होता है और ठंड ज्यादा महसूस होती है। किसी भी व्यक्ति को ज्यादा ठंड लगने के पीछे शरीर में 5 पोषक तत्वों की कमी होती है। अगर खानपान के जरिए इन पोषक तत्वों को पूरा कर लिया जाए, तो ठंड के मौसम में शरीर गर्म रहता है।किन पोषक तत्वों की कमी के कारण ज्यादा ठंड महसूस होती है?1. आयरन की कमीआयरन शरीर में हीमोग्लोबिन के निर्माण में मदद करता है। आयरन खून के जरिए पूरे शरीर में ऑक्सीजन का संचार करता है। आयरन की कमी की वजह से एनीमिया नामक घातक बीमारी हो सकती है। ठंड के मौसम में अगर आपके हाथ-पैर अक्सर ठंडे रहते हैं, त्वचा पीली पड़ जाती है या हमेशा ही आपको थकान व कमजोरी महसूस होती है, तो यह आयरन की कमी का संकेत है। हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि आयरन की कमी को पूरा करने के लिए डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियां (पालक, मेथी), गुड़, बीन्स और चुकंदर का सेवन करें। उम्र के हिसाब से आपके शरीर का हीमोग्लोबिन लेवल कितना होना चाहिए इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से बात करें।2. मैग्नीशियम की कमीजिन लोगों के शरीर में मैग्नीशियम की कमी होती है, उन्हें भी दूसरों के मुकाबले ज्यादा ठंड लगती है। मैग्नीशियम एक ऐसा पोषक तत्व है, जो शरीर की मांसपेशियों और तंत्रिकाओं को सुचारू रूप से कार्य करने में मदद करता है। इसकी कमी से शरीर की थर्मोरेगुलेशन की प्रक्रिया बाधित होती है। जिसकी वजह से आपको ज्यादा ठंड महसूस हो सकती है। मैग्नीशियम की कमी को पूरा करने के लिए रोजमर्रा की डाइट में नट्स, बीज और साबुत अनाज को शामिल करें। कुछ मामलों में मैग्नीशियम की कमी को पूरा करने के लिए सप्लीमेंट की भी जरूरत होती है।3. विटामिन बी12 की कमीविटामिन बी12 शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में मदद करता है। विटामिन बी12 की कमी होने पर खून द्वारा शरीर में ऑक्सीजन का संचार करने की प्रक्रिया बाधित हो जाती है। इसकी वजह से आपको दूसरों से ज्यादा ठंड महसूस हो सकती है। हेल्थ एक्सपर्ट की मानें, तो ज्यादा ठंड लगने के साथ शरीर में सुन्नता या झुनझुनी और याददाश्त कमजोर चक्कर आना विटामिन बी12 की कमी का संकेत हैं। इस पोषक तत्व की कमी को पूरा करने के लिए डाइट में दूध, अंडा, मछली और चिकन जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन करें।4. विटामिन डीविटामिन डी न केवल हड्डियों के लिए जरूरी है, बल्कि यह शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। विटामिन डी की कमी के कारण भी आपको ज्यादा ठंड महसूस हो सकती हैं। सर्दियों में आपको ज्यादा थकावट, बार-बार बीमार पड़ना और संक्रमित बीमारियां हो रही हैं, तो यह विटामिन डी की कमी के लक्षण हो सकते हैं। विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए रोजाना सुबह कम से कम 30 मिनट धूप में बिताएं।किसी भी व्यक्ति को ठंड का एहसास होना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। ठंड से बचाव करने के लिए पौष्टिक और संतुलित आहार लें व गर्म कपड़े पहने और शरीर को हाइड्रेट रखें।
- ओरल हेल्थ का सही ध्यान न रखने या गलत खान-पान के कारण दांतों से जुड़ी समस्याएं काफी आम हो गई है। छोटे बच्चों में भी दांत दर्द की परेशानी बढ़ गई है, जिससे राहत दिलाने के लिए पेरेंट्स बहुत कोशिश करते हैं। दांत में दर्द आमतौर पर दो तरह से होते हैं, जिसमें सेंसिटिविटी और कैविटी शामिल है। ऐसे में दांत दर्द से राहत पाने के लिए कई लोग घरेलू उपायों को भी ट्राई करते हैं, जिसमें लौंग का तेल भी काफी फायदेमंद माना जाता है।दांत दर्द में लौंग तेल के फायदेआयुर्वेद के अनुसार, लौंग के तेल में एनेस्थेटिक यानी दर्द निवारक गुण होते हैं। यह दांतों में कैविटी या ठंडी चीजें खाने से होने वाले दर्द से राहत दिलाने में मदद करते हैं। इस तेल को दर्द वाले दांत पर लगाने से उस जगह पर सुन्नपन आ जाता है और ठंडक भी महसूस होती है, जिससे दर्द कम करने में मदद मिल सकती है। लौंग का तेल दांतों पर लगाने के फायदे ये हैं-1. दर्द से राहतलौंग के तेल में नेचुरल एनेस्थेटिक गुण होते हैं, जो दांत के प्रभावित क्षेत्र को सुन्न करने और दांतों के दर्द को कम करने में मदद करते हैं, खासकर कैविटी या ठंड के कारण दांतों में होने वाली समस्या में। लौंग के तेल के कारण मिलने वाले ठंडक का एहसास, दांतों में हो रहे दर्द को कम करता है और सूजन को शांत करता है।2. एंटीबैक्टीरियल गुणलौंग के तेल में पाए जाने वाला यूजेनॉल ओरल बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करता है, जो दांतों में होने वाले इंफेक्शन से लड़ने और खराब सांस की समस्या को रोकने में फायदेमंद है।3. दांतों के सूजन को कम करेंमसूड़ों में होने वाली सूजन और जलन को कम करने में लौंग का तेल काफी फायदेमंद माना जाता है, जो दांत दर्द की समस्या का कारण बन सकते हैं।दांत दर्द में लौंग के तेल का उपयोग कैसे करें?दांत दर्द से राहत पाने के लिए आप अपने दांतों पर लौंग का तेल लगा सकते हैं। इस तेल का उपयोग करने के लिए सबसे पहले आप लौंग तेल की 1 या 2 बूंदे लें। आप इसे नारियल तेल में मिलाकर या सीधे तौर पर अपने दांतों पर लगा सकते हैं। इस तेल को दर्द वाले दांतों पर लगाने के लिए आप कॉटन या साफ ईयरबड का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस रूई या ईयरबड को आप दर्द वाले क्षेत्र पर 10 से 15 मिनट के लिए रखें। थोड़ें समय में आपको आराम मिल जाएगा।अगली बार जब आपको दांतों में दर्द हो तो ये सोचने के बजाए कि दांतों के दर्द को तुरंत कैसे दूर करें? आप लौंग के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस तेल में मौजूद एनेस्थेटिक गुण दर्द को कम करने में मदद करेंगे। लेकिन दांत में दर्द बरकरार रहने पर आप डेंटिस्ट से कंसल्ट करें।
- आपने तिल के लड्डू और तिल के तेल के बारे में तो सुना होगा। लेकिन क्या आपने कभी तिल के दूध के बारे में सुना है। दरअसल, तिल को पानी के साथ पीसकर तिल का दूध तैयार किया जाता है। जिन लोगों को लैक्टोज इंटॉलरेंस की समस्या रहती है, उन लोगों के लिए तिल का दूध परफेक्ट ऑप्शन है। इसके अलावा जिन लोगों को नट्स से एलर्जी रहती है, वो भी तिल के दूध का सेवन कर सकते हैं। इसमें फाइबर के साथ प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन डी पाया जाता है। इसका स्वाद क्रिमी और स्मूद होता है, इसलिए आप इसे कॉफी बनाने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं।तिल का दूध पीने से सेहत को मिलने वाले फायदे-पोषक तत्वों से भरपूरतिल के दूध में आवश्यक विटामिन्स और मिनरल्स पाए जाते हैं। इसमें फाइबर के साथ हेल्दी फैट्स, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन और विटामिन बी मौजूद होता है। इसके सेवन से हड्डियां मजबूत रहती हैं और बोन हेल्थ को फायदा होता है। इन पोषक तत्वों के कारण यह बॉडी में एनर्जी प्रोडक्शन में भी मदद करता है।इंफ्लेमेशन कम होती हैतिल के दूध में एंटीऑक्सीडेंट्स मौजूद होते हैं। ये एंटीऑक्सीडेंट्स बॉडी में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने में मदद करते हैं। इससे इंफ्लेमेशन कम होती है और कई बीमारियों का खतरा कम होता है।कोलेस्ट्रॉल मेंटेन रहता हैतिल के दूध में हेल्दी फैट्स भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं। इसमें पॉलीअनसैचुरेटेड फैट्स पाया जाता है, जो हार्ट को हेल्दी रखने के लिए जरूरी है। इसके सेवन से बॉडी में कोलेस्ट्रॉल लेवल भी मेंटेन रहता है।बोन हेल्थ को फायदा होता हैतिल से बने दूध में कैल्शियम और मैग्नीशियम कंटेंट अधिक होता है। इन पोषक तत्वों के कारण हड्डियों को मजबूती मिलती है और हड्डियों से जुड़ी बीमारियों का खतरा कम होता है।त्वचा के लिए फायदेमंदतिल से बने दूध में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन्स और मिनरल्स मौजूद होते हैं। ये मिनरल्स स्किन हेल्थ इंप्रूव करने में मदद करते हैं। इनसे स्किन में हाइड्रेशन और मॉइस्चर बना रहता है और त्वचा संबंधित समस्याओं का खतरा कम होता है। इसे चेहरे पर लगाने और पीने से स्किन एजिंग भी कंट्रोल रहती है।पाचन तंत्र को स्वस्थ रखेंपाचन तंत्र को स्वस्थ रखने के लिए तिल का दूध फायदेमंद है। इसमें फाइबर अधिक होता है जो पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसे डाइट में शामिल करने से कब्ज और अपच जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।घर पर कैसे बनाएं तिल का दूधतिल का दूध बनाने के लिए आपको तिल को पानी के साथ ग्राइंड करके इसका दूध बना लेना है। स्वाद के लिए आप इसमें खजूर और एक चुटकी दालचीनी पाउडर मिला सकते हैं।अगर आपको कोई स्वास्थ्य समस्या रहती है, तो डॉक्टर की सलाह पर ही इसका सेवन करें।
- आजकल सफेद बालों की समस्या तेजी से बढ़ रही है, यह समस्या केवल उम्रदराज़ लोगों तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि युवाओं में भी आम हो गई है। दरअसल, खराब खान-पान, तनाव और प्रदूषण जैसे कारण बालों के असमय सफेद होने की समस्या बढ़ रही है। ऐसे में ज्यादातर लोग सफेद बालों को छिपाने के लिए केमिकल युक्त हेयर डाई और प्रोडक्ट्स का सहारा लेते हैं, लेकिन ये समाधान अस्थायी और कभी-कभी नुकसानदायक हो सकते हैं। इसके बजाय, सफेद बालों को रोकने और बालों की प्राकृतिक खूबसूरती बनाए रखने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाना जरूरी है।सफेद बाल होने से कैसे रोकें? -1. हेल्दी डाइट और विटामिन्सबालों का स्वास्थ्य सीधे आपके खान-पान से जुड़ा होता है। बालों में रंग देने वाले मेलेनिन की कमी को सही डाइट से पूरा किया जा सकता है। जो लोग अपने सफेद बालों के लिए घरेलू नुस्खे ढ़ूंढ रहे हैं उन्हें बैलेंस डाइट लेनी चाहिए। संतुलित आहार यानी बैलेंस डाइट से मेलेनिन को बढ़ावा मिलता है, जिससे बालों का समय से पहले सफेद होना रोका जा सकता है।विटामिन B12: सफेद बालों को रोकने में मदद करता है। इसे दूध, अंडे और दही में पाया जा सकता है।आयरन और फोलिक एसिड: बालों की जड़ों को मजबूत करता है। पालक, चुकंदर, और अनार इसके अच्छे सोर्स हैं।ओमेगा-3 फैटी एसिड: बालों को नमी और मजबूती देता है। यह बादाम, अखरोट और मछली में पाया जाता है।2. तनाव मैनेजमेंट तकनीकतनाव बालों के स्वास्थ्य पर सीधा असर डालता है और सफेद बालों की समस्या को बढ़ा सकता है। डर्मेटोलॉजिस्ट के अनुसार, तनाव से फ्री रेडिकल्स बढ़ते हैं, जो बालों के सफेद होने की प्रक्रिया को तेज कर सकते हैं।योग और ध्यान: बालों की जड़ों में ब्लड सर्कुलेशन सुधारने के लिए रोजाना प्राणायाम करें।रोजाना एक्सरसाइज: नियमित वॉक और हल्की एक्सरसाइज तनाव को कम करती है।अच्छी नींद: 7-8 घंटे की नींद से शरीर में हार्मोन संतुलित रहते हैं।3. केमिकल बेस्ड प्रोडक्ट्स से बचावकेमिकल युक्त प्रोडक्ट्स बालों की प्राकृतिक नमी को खत्म कर देते हैं और बालों को जल्दी सफेद कर सकते हैं। हफ्ते में एक बार हेयर स्पा या डीप कंडीशनिंग बालों को मजबूत और स्वस्थ बनाए रखता है।-मेडिकेटेड या हर्बल शैंपू और कंडीशनर का इस्तेमाल करें।-केमिकल फ्री हेयर ऑयल जैसे नारियल तेल, आंवला तेल, और ब्राह्मी तेल बालों की जड़ों को पोषण देते हैं।-आंवला, रीठा, शिकाकाई और मेंहदी जैसी चीजों से बालों की देखभाल करें।सफेद बालों की समस्या को कंट्रोल करना संभव है, बशर्ते आप सही डाइट, तनाव मैनेजमेंट और नेचुरल हेयर केयर रूटीन अपनाएं। नियमित देखभाल से आप सफेद बालों की समस्या को काफी हद तक रोक सकते हैं।
- बिजी लाइफस्टाइल में लोगों को खुद अपनी फिटनेस मेंटेन करने तक के लिए समय निकालना आसान काम नहीं है। ऐसे में खानपान की खराब आदतें और सुस्त जीवनशैली लोगों के पेट के आसपास चर्बी जमा होने का कारण बनने लगती है। परेशानी की बात यह है कि पेट और कमर के आसपास जमे फैट को कम करने में व्यक्ति को लंबा समय लग जाता है। अगर आपका लाइफस्टाइल भी बेहद व्यस्त रहता है और आप अपना बेली फैट जल्द कम करना चाहते है तो सोने से पहले बिस्तर पर लेटे-लेटे खुद को ये 3 एक्सरसाइज करने की आदत डालें।बेली फैट से छुटकारा पाने के लिए बिस्तर पर लेटे-लेटे करें ये 3 एक्सरसाइजलेग रेजलेग रेज एक्ससाइज बिस्तर पर लेटकर भी बड़ी आसानी से की जा सकती है। इस एक्सरसाइज को करते समय पेट और जांघों पर दबाव पड़ता है, जिससे बेली फैट को कम करने में मदद मिलती है। लेग रेज एक्सरसाइज को करने के लिए सबसे पहले आप अपने बिस्तर पर सीधा लेट जाएं। इसके बाद अपने पैरों को साथ में मिलाकर धीरे-धीरे आकाश की तरफ उठाएं। पैर उठाते समय 45 डिग्री का एंगल बनाते हुए कुछ देर उसी अवस्था में रुकें। इसके बाद 60 डिग्री का एंगल बनाकर 2 से 3 मिनट होल्ड करें। धीरे धीरे आप 5 से 15 मिनट तक होल्ड करने का प्रयास करें।प्लैंक होल्डकोर को स्ट्रांग बनाकर पेट कम करने वाली इस एक्सरसाइज को भी आप बिस्तर पर लेटे-लेटे कर सकते हैं। प्लैंक एक्सरसाइज दिखने में भले ही बहुत ही आसान लगे। लेकिन अपने पंजों और फोर आर्म्स पर पूरी बॉडी वेट को बैलेंस करना कोई आसान काम नहीं होता है। प्लैंक के जरिए पेट की चर्बी से आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है। साल 2015 में प्लैंक एक्सरसाइज को लेकर एक स्टडी की गई थी। स्टडी में बताया गया कि प्लैंक एक्सरसाइज के जरिए ना केवल आप अपने पेट की मसल्स को टारगेट करते हैं, बल्कि इसका असर आपकी बैक, लैट्स, पैरों और एंकल तक पर भी आता है। जिससे इन सभी बॉडी पार्ट्स की मांसपेशियां मजबूत होती है। प्लैंक करने के लिए सबसे पहले आप पेट के बल लेटकर अपने पंजों और कोहनी के बल पर शरीर को ऊपर उठा कर रखें। ऐसा करते समय आपके हाथ आपके कंधों के ठीक नीचे होंगे। इसके बाद अपनी पूरे शरीर को सीधा रखते हुए ना तो पेट या कूल्हों को अधिक ऊपर उठाए और ना ही उन्हें ज्यादा अंदर करें। अपनी गर्दन को सीधा रखें और नीचे की ओर देखें। इस मुद्रा में कम से कम 10 से 30 सेकंड तक बने रहें।साइकिल क्रंचेससाइकिल क्रंचेस एक कोर व्यायाम है जो आपके पूरे कोर को मजबूत करने का काम करता है। यह रेक्टस एब्डोमिनिस, ऑब्लिक मांसपेशियों, और ट्रांसवर्स एब्डोमिनिस को टारगेट करता है। साइकिल क्रंचेस करने के लिए सिर के पीछे हाथ रखकर पीठ के बल लेट जाएं, घुटनों को छाती तक उठाएं और सिर और कंधों को जमीन से ऊपर उठाएं, इसे साइड बदलकर पैडल चलाने की गति में जारी रखें।
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लंग इंफेक्शन होने के कई कारण होते हैं, जैसे बैक्टीरिया, वायरस, फंगाई और एन्वायरमेंटल इर्रिटेंट। इसे विस्तार से समझें। किसी को बैक्टीरिया के कारण निमोनिया हो सकता है। यह लंग इंफेक्शन के कारण ही होता है। इसी तरह, वायरल निमोनिया भी हो सकता है, जो लंग इंफेक्शन होने पर देखा जाता है। हालांकि, वायरल निमोनिया, बैक्टीरियल निमोनिया की तरह खतरनाक नहीं है। कुछ मामलों में वायरल निमोनिया अपने आप ठीक हो जाता है। वहीं, कुछ गंभीर मामलों में मरीज को अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। फंगाई भी लंग इंफेक्शन की वजह बन सकता है। बहरहाल, सवाल यह है कि क्या वायु प्रदूषण के कारण फेफड़ों में इंफेक्शन हो सकता है? इस संबंध में विशेषज्ञों का कहना है, हां, यह सच है कि वायु प्रदूषण के कारण लंग इंफेक्शन का जोखिम बढ़ सकता है।
वायु प्रदूषण के कारण हुए लंग इंफेक्शन के लक्षणखांसीः खांसना सर्दी-जुकाम, लंग इंफेक्शन, अस्थमा आदि कई बीमारियों का कॉमन लक्षण है। इसके बावजूद, इसकी अनदेखी करना सही नहीं है। आप यह जरूर नोटिस करें कि अगर वायु प्रदूषण के बाद बढ़ने के बाद आपको खांसी की समस्या बढ़ी है, तो यह लंग इंफेक्शन का लक्षण हो सकता है। इसकी अनदेखी करना सही नहीं है।सांस लेने में तकलीफः अगर बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण आपको सांस लेने में तकलीफ हो रही है या सांस लेते हुए सीटी की आवाज आ रही है, तो इसे नजरअंदाज न करें। यह फेफड़ों में संक्रमण की ओर इशारा करता है।छाती में भारीपनः कई बार आपने नोटिस किया होगा कि जिन लोगों को निमोनिया होता है, उन्हें अक्सर छाती में भारीपन रहता है। असल में, यह लंग इंफेक्शन का ही लक्षण है। छाती में भारीपन, टाइटनेस और जकड़न महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाकर अपना इलाज करवाएं।सीने में दर्दः वैसे तो एसिडिटी आदि समस्याओं में सीने में दर्द की समस्या हो सकती है। लेकिन, अगर ऊपर बताए गए लक्षणों के साथ-साथ सीने में दर्द भी हो, तो यह भी लंग इंफेक्शन के खतरे की ओर इशारा करता है। यही नहीं, कई बार खांसने या छींकने के दौरान सीने का दर्द बढ़ जाता है।बुखार आनाः लंग इंफेक्शन होने पर मरीज को बुखार के लक्षण भी नजर आ सकते हैं। आपको बता दें कि बुखार का मतलब है कि आपका शरीर किसी बाहरी इंफेक्शन से लड़ने की कोशिश कर रहा है। जब आपके शरीर को अतिरिक्त किसी संक्रमण से लड़ने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है, तब बुखार जैसा महसूस होता है। - अकसर कई बार व्यक्ति खाने-पीने की जिन चीजों को हेल्दी समझकर लंबे समय से खा रहा होता है, वो असल जीवन में उसकी सेहत को फायदे की जगह नुकसान पहुंचा रही होती हैं। ऐसा ही कुछ अरहर दाल के साथ भी है। अरहर दाल की तासीर गर्म होने के साथ इसमें पोटेशियम, कार्बोहाइड्रेट, सोडियम, फाइबर, मैग्नीशियम, आयरन और कैल्शियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसके अलावा यह दाल प्रोटीन का रिच सोर्स होने की वजह से कई लोगों की सेहत को अच्छा बनाने की जगह बिगाड़ भी सकती है। आइए जानते हैं किन लोगों को अरहर दाल का सेवन करने से बचना चाहिए।इन लोगों को नहीं खानी चाहिए अरहर की दाल--किडनी रोगीकिडनी रोगियों को अरहर दाल का सेवन करने से बचना चाहिए। अरहर दाल में पोटैशियम प्रचूर मात्रा में मौजूद होता है, जो किडनी की समस्या को और ज्यादा बढ़ा सकती है। इस दाल के अधिक सेवन से पथरी की समस्या भी पैदा हो सकती है।मोटापाअरहर दाल में कैलोरी की मात्रा ज्यादा होती है। ऐसे में अगर आप पहले से ही अपनी वेट लॉस जर्नी पर हैं और अनजाने में इसका अधिक मात्रा में सेवन कर रहे हैं तो यह आपके वजन को कंट्रोल रखने की जगह और ज्यादा बढ़ा सकती है। बता दें, जरूरत से ज्यादा कैलोरी और प्रोटीन की मात्रा तेजी से वजन बढ़ाने का काम करती है।बवासीर रोगीअरहर दाल में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होने की वजह से बवासीर रोगियों को भी इसका सेवन अधिक मात्रा में करने से बचना चाहिए। अरहर दाल में मौजूद प्रोटीन को पचाने में पाचन तंत्र को अधिक समय लगता है। जिससे कई बार पेट में कब्ज की शिकायत के बाद बवासीर की समस्या पैदा हो जाती है। ऐसे में अगर आप पहले से ही बवासीर की समस्या झेल रहे हैं तो पाइल्स के मस्सों में सूजन, ब्लीडिंग आदि जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।बढ़ सकता है ब्लड शुगरअरहर दाल की अधिक मात्रा में सेवन करने से आपका शुगर लेवल बढ़ सकता है। दरअसल, अरहर दाल में ग्लाइसेमिक इंडेक्स ज्यादा होता है। जो ज्यादा मात्रा में खाने से ब्लड शुगर को तेजी से बढ़ा सकता है। जिससे डायबिटीज रोगियों की सेहत के लिए खतरा बढ़ सकता है।एलर्जीजिन लोगों को अरहर दाल खाने से एलर्जी है, उन्हें भी इसका सेवन करने से बचना चाहिए। इसका सेवन करने पर उनके लिए एलर्जी का खतरा बढ़ सकता है। जिससे उन्हें स्किन रैशेज, खुजली, लाल चकत्ते की समस्या हो सकती है।
- सर्दियों में इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए डाइट पर ध्यान देना जरूरी है। इस दौरान डाइट में उन चीजों को शामिल किया जाता है जिनकी तासीर गर्म होती है। गर्म तासीर वाली चीजें इम्यूनिटी बूस्ट करने और बीमारियों के खतरे से बचाने में मदद करती हैं। बॉडी में एनर्जी मेंटेन रखने के लिए इस दौरान काजू, बादाम, अखरोट और चिलगोजा जैसे ड्राई फ्रूटस भी खाने चाहिए। इनमें सबसे खास चिलगोजा है, जो सर्दियों में खाना ज्यादा फायदेमंद होता है। इसमें विटामिन ई, मैग्नीशियम, बी कॉम्पलैक्स, जिंक, कॉपर और फॉलिक एसिड जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं ये सर्दियों में ज्यादा क्यों फायदेमंद है? आइये लेख के माध्यम से जानें इस बारे में।एनर्जी बूस्ट करता है-सर्दियों में चिलगोजा खाने से एनर्जी लेवल भी बूस्ट होता है। इसमें विटामिन्स और मिनरल्स के साथ मोनोसैचुरेटेड फैट्स मौजूद होते हैं, जिससे एनर्जी बूस्ट होती है। ये हार्ट हेल्थ के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। सर्दियों में शरीर में गर्माहट बनाए रखने के लिए चिलगोजा खाना फायदेमंद है।इम्यूनिटी बूस्ट होती हैचिलगोजा में विटामिन ई, मैग्नीशियम, बी कॉम्पलैक्स, जिंक, कॉपर और फॉलिक एसिड जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। ये सभी पोषक तत्व इम्यून सिस्टम को स्ट्रांग रखने में मदद करते हैं। जिंक व्हाइट ब्लड सेल्स को बढ़ाने में मदद करते हैं जिससे इंफेक्शन का खतरा कम होता है।स्किन हेल्थ इम्प्रूव होती हैसर्दियों में स्किन में ड्राईनेस बढ़ जाती है। चिलगोजा स्किन को हाइड्रेट और मॉइस्चराइज रखता है। इसमें विटामिन ई और एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं, जो स्किन को हाइड्रेट रखने में मदद करते हैं। इससे स्किन हेल्दी रहती है और रंगत में निखार भी आता है।मूड बूस्ट होता हैसर्दियों में कई लोगों को मूड स्विंग्स भी रहते हैं। ऐसे में चिलगोजा खाना फायदेमंद होता है। चिलगोजा में मैग्नीशियम होता है, जो मूड को बूस्ट करने में मदद करता है। इसके सेवन से थकावट और कमजोरी नहीं होती है। इसके सेवन से माइंड और बॉडी दोनों रिलैक्स रहते हैं।पाचन तंत्र स्वस्थ रहता हैचिलगोजा में फाइबर मौजूद होता है, जो खाना पचाने में मदद करता है। इससे गट हेल्थ बूस्ट होती है जो पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है। इसके सेवन से ब्लोटिंग और कब्ज जैसी समस्याएं नहीं होती हैं, जो सर्दियों में होना आम बात है।इन फायदों के लिए चिलगोजा को सर्दियों में जरूर खाना चाहिए। इसे आप सूप, पास्ता या सलाद में डालकर खा सकते हैं। इसके अलावा, इसे स्नैक्स की तरह भी खाया जा सकता है।
- आंवला का सेवन कई वर्षों से किया जा रहा है। इसमें कई तरह के विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं, जो सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं। बालों और स्किन के अलावा, पाचन क्रिया के लिए भी आंवला फायदेमंद माना जाता है। इसमें विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट्स और फाइबर पाए जाते हैं, जो इम्यूनिटी को बूस्ट करने में मदद करते हैं। शरीर के मोटापे को कम करने और बॉडी को डिटॉक्स करने के लिए भी आप आंवला का सेवन कर सकते हैं। वैसे को आंवला जूस पीना भी फायदेमंद होता है, लेकिन इसका अधिक सेवन करने से आपकी सेहत को नुकसान भी हो सकता है। खाली पेट आंवला का जूस अधिक पीने से आपकी पाचन क्रिया खराब हो सकती है। खाली पेट आंवला जूस पीने से क्या समस्याएं हो सकती हैं?पाचन संबंधी समस्याएं होनाआंवला का जूस प्राकृतिक रूप से एसिडिक नेचर का होता है। खाली पेट आंवला जूस अधिक मात्रा में पीने से पाचन तंत्र खराब होने की समस्या हो सकती है, जो पेट दर्द, ऐंठन, और डायरिया की समस्या को बढ़ा सकती है। इससे एसिडिटी की समस्या भी होने लगती है।पेट में जलन होनाआंवले का जूस खाली पेट पीने से लोगों को पेट में जलन की समस्या हो सकती है। लगातार कई दिनों तक अधिक मात्रा में आंवला का जूस पीने से पेट संवेदनशील हो सकता है। दरअसल, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्या वाले लोगों को आंवला का जूस सीमित मात्रा में ही पीना चाहिए।शुगर लेवल प्रभावित होनाजिन लोगों का ब्लड शुगर लेवल कम होता है उनको आयुर्वेदाचार्य की सलाह के बाद ही आंवला का जूस पीना चाहिए। दरअसल, आंवला का जूस ब्लड शुगर को तेजी से कम कर सकता है। ऐसे में जिन लोगों का ब्लड शुगर लेवल पहले ही लो होता है उनको समस्या का सामना करना पड़ सकता है।डिहाइड्रेशन की संभावनाआंवला जूस पीन से व्यक्ति को बार-बार यूरिन आ सकती है। आंवला में ड्यूरेटिक गुण होते हैं, जो बॉडी को तेजी से डिटॉक्स करते हैं। ऐसे में बार-बार पेशाब आने की समस्या हो सकती है। लेकिन, इसकी वजह से शरीर में पानी की कमी हो सकती है, इसके वजह से थकान बढ़ सकती है।आंवला जूस के फायदे अपनी जगह हैं, लेकिन इसका खाली पेट सेवन करना हर किसी के लिए फायदेमंद नहीं होता है। यदि आपको इसके सेवन से कोई समस्या महसूस होती है, तो इसे पीना बंद करें। साथ ही, इसका सेवन अपनी इच्छा से न करें, डॉक्टर की सलाह के बाद ही इसका सेवन करें।
- सर्दियों का मौसम हमारी त्वचा के लिए मुश्किल भरा हो सकता है। ठंडी और शुष्क हवाएं हाथों की नमी को छीन लेती हैं, जिससे त्वचा फटने लगती है। बार-बार हाथ धोने और सर्दियों में नमी की कमी के कारण त्वचा रूखी और खुरदरी महसूस होती है। ऐसे में हाथों की सही देखभाल करना बेहद जरूरी हो जाता है। सही स्किन केयर रूटीन अपनाकर आप न केवल अपने हाथों को सर्दियों में सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि उनकी कोमलता और नमी भी बरकरार रख सकते हैं। हम आपको ऐसे 7 स्किन केयर टिप्स बताने जा रहे हें, जो आपकी त्वचा को सर्दियों में हाइड्रेट रखेंगे और हाथों की त्वचा को फटने से बचाएंगे।1. हाथ धोने के बाद मॉइश्चराइजर लगाएं-सर्दियों में हाथ धोने से त्वचा की नमी तेजी से कम होती है। इसे रोकने के लिए हर बार हाथ धोने के तुरंत बाद मॉइस्चराइजर लगाएं। ऐसा हैंड मॉइश्चराइजर चुनें जो गहराई तक नमी देता हो और जिसमें विटामिन-ई जैसे गुण हों। इससे न केवल त्वचा मुलायम रहेगी, बल्कि फटी और रूखी त्वचा से भी राहत मिलेगी। अगर आपकी त्वचा बहुत रूखी है, तो हाथ धोने से पहले भी कुछ मात्रा में मॉइश्चराइजर अप्लाई करें।2. सल्फेट फ्री साबुन का इस्तेमाल करेंऐसा साबुन चुनें जिसमें सल्फेट न हो और जो त्वचा को हाइड्रेट रखने में मदद करे। बाजार में कई हर्बल और क्रीम बेस्ड साबुन उपलब्ध हैं जो नमी को बरकरार रखते हैं। एंटीबैक्टीरियल साबुन से बचें क्योंकि ये त्वचा को ज्यादा रूखा बना सकते हैं। इसके अलावा, हाथ धोते समय ज्यादा झाग बनाने वाले साबुनों का इस्तेमाल भी कम करें। साबुन के विकल्प के रूप में आप माइल्ड हैंडवॉश का इस्तेमाल कर सकते हैं।3. नाइट केयर रूटीन अपनाएंरात को सोने से पहले हाथों पर खास ध्यान दें और नाइट स्किन केयर रूटीन फॉलो करें। एक रिच हैंड क्रीम या वैसलीन लगाकर सोएं। इससे आपकी त्वचा को रातभर पोषण मिलेगा और फटी त्वचा रिपेयर होगी। यह आदत न केवल सर्दियों में, बल्कि पूरे साल आपकी त्वचा को कोमल बनाए रख सकती है।4. ठंडी हवा से हाथों को बचाएंसर्दियों में हाथों को ठंडी हवा से बचाएं। बाहर जाते समय दस्ताने पहनना न भूलें। ठंडी हवाएं त्वचा की नमी छीन सकती हैं, जिससे हाथ फटने लगते हैं। दस्ताने पहनने से त्वचा को ठंड से प्रोटेक्शन मिलती है। बाजार में वूलन और लेदर दस्ताने दोनों मौजूद हैं, लेकिन सुनिश्चित करें कि वे आरामदायक हों। अगर आप पानी में काम कर रहे हैं, तो रबर ग्लब्स पहनें ताकि हाथ गीले न हों।5. सर्दियों में त्वचा को स्क्रब करेंहफ्ते में एक बार हाथों की डेड स्किन हटाने के लिए हाथों के लिए स्क्रब जरूर तैयार करें। इसके लिए आप शुगर और ऑलिव ऑयल से बना होममेड स्क्रब इस्तेमाल कर सकते हैं। यह त्वचा को गहराई से साफ करता है। स्क्रब करने के तुरंत बाद एक अच्छा मॉइश्चराइजर लगाएं, ताकि त्वचा की खोई नमी वापस आ सके।6. गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें-हाथ धोने के लिए हमेशा गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें। बहुत गर्म पानी त्वचा के नेचुरल ऑयल को खत्म कर देता है, जिससे त्वचा और ज्यादा ड्राई हो जाती है। इसके अलावा, हाथों को धोने के बाद, हल्के तौलिए से थपथपाकर सुखाएं, ताकि त्वचा और ज्यादा न खिंचे।7. हेल्दी डाइट लेंसर्दियों में हम अक्सर पानी कम पीते हैं, लेकिन यह त्वचा को डिहाइड्रेट कर सकता है। अपनी दिनचर्या में पर्याप्त मात्रा में पानी शामिल करें। साथ ही, डाइट में ऐसी चीजों को शामिल करें जिनमें विटामिन ई, विटामिन-सी और ओमेगा-3 फैटी एसिड हो। ये पोषक तत्व त्वचा को अंदर से नमी देते हैं और हाथों को स्वस्थ बनाए रखते हैं।इन आसान टिप्स को अपनाकर आप सर्दियों में हाथों को न केवल कोमल और मुलायम रख पाएंगे, बल्कि फटने और रूखेपन से भी बचा सकेंगे।
- ठंड के मौसम में गठिया का दर्द बढ़ जाता है। यह एक ऐसा दर्द होता है, जो शरीर के किसी जोड़ पर हो सकता है। आमतौर पर हाथ, घुटने, कूल्हे और रीढ़ की हड्डी में यह ज्यादा परेशान करता है। गठिया के दर्द को मैनेज करने के कई तरीके हैं। हालांकि, कोई भी इलाज पूरी तरह से दर्द से राहत देने की गारंटी नहीं देता है। यहां हम गठिया के दर्द से आराम पाने के कुछ घरेलू तरीके बता रहे हैं। जानिए-गर्म-ठंडे की सिकाईदर्द वाले जोड़ पर ठंड और गर्म की सिकाई करने पर दर्द कम किया जा सकता है। जोड़ के आसपास की मांसपेशियों को आराम देने के लिए गर्मी अच्छी होती है। यदि जोड़ गर्म और सूजा हुआ है, तो ठंडे पैक का ऑप्शन चुनें।
मालिशदर्द वाले हिस्से या जोड़ों पर गर्म औषधीय तेलों से मालिश करने में बहुत मदद मिल सकती है। मालिश के बाद थेरेपी की सलाह दी जाती है। अगर औषधीय तेल न हो तो सरसों या तिल के तेल को गर्म करें। फिर उसमें लहसुन की 5-8 कलियां डाल दें। लहसुन की कलियों को तेल में अच्छी तरह से पकाएं और बर्तन को आंच से उतार लें। फिर दिन में कम से कम दो से तीन बार इस्तेमाल करें।एक्सरसाइज करेंऑस्टियोआर्थराइटिस के मरीजों को यह सलाह दी जाती है कि वे ऐसे व्यायाम करें जो जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों को मजबूत कर सकें। हालांकि, रुमेटीइड गठिया के मामले में हल्के व्यायाम की सलाह दी जाती है।हेल्दी डायट है सबसे जरूरीअपना वजन कम रखने से आपके जोड़ों पर तनाव कम हो सकता है। कुर्सी से उठने-बैठने या सीढ़ियों से ऊपर-नीचे जाने जैसी एक्टिविटीज कूल्हे और घुटने के जोड़ों पर शरीर का लगभग पांच गुना ज्यादा भार डाल सकती हैं। इसीलिए जब जोड़ों के दर्द की बात आती है तो वजन को मैंटेन करें। इसके लिए हेल्दी डायट लेना जरूरी है। - साबूत हरी मूंग दाल हम सभी की रसोई में मौजूद होती है। सेहत के लिए इसके बेजोड़ फायदे सभी जानते हैं, तभी तो बीमार पड़ने पर सबसे ज्यादा इसी का सेवन किया जाता है। खैर, इसके अलावा मूंग दाल के बारे में आपको ये भी जरूर पता होना चाहिए कि ये आपकी स्किन को ग्लोइंग बनाने में भी बहुत एक्सपर्ट है। साबूत हरी मूंग को आप कई तरीकों से अपने ब्यूटी रूटीन का हिस्सा बना सकती हैं। स्किन से जुड़ी ढेर सारी प्रॉब्लम्स में ये आपकी मदद कर सकती है। सबसे अच्छी बात है कि इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है और ये तेजी से अपना असर दिखाती है। तो चलिए जानते हैं कि कैसे आप हरी मूंग दाल को ग्लोइंग स्किन के लिए यूज कर सकती हैं।फेसपैक बनाकर करें मूंग दाल का इस्तेमालअपने चेहरे को हेल्दी और चांद सा चमकदार बनाने के लिए आप हरी मूंग दाल से फेसपैक बनाकर तैयार कर सकती हैं। इसके लिए रात में पानी या कच्चे दूध में दो चम्मच मूंग दाल भिगोकर रख दें। सुबह इसे पीसकर एक फाइन पेस्ट बना लें। अब आप इसमें अपने फेवरिट स्किनकेयर इंग्रेडिएंट्स मिक्स कर सकती हैं। कुछ सेफ और इफेक्टिव इंग्रेडिएंट्स जिन्हें मिक्स किया जा सकता है वो हैं- दही, गुलाबजल, शहद, मलाई, ऑरेंज पील पाउडर, बादाम का पाउडर, ऑलिव ऑयल, एलोवेरा, हल्दी आदि। अपनी स्किन की प्रॉब्लम और नीड के हिसाब से आप अपने लिए एक अच्छी फेस पैक तैयार कर सकती हैं।मूंग दाल से बनाएं फेसवॉशमहंगे और हार्ष केमिकल से भरे फेसवॉश नहीं लगाना चाहती हैं तो घर में ही हरी मूंग दाल से फेसवॉश तैयार कर सकती हैं। खूबसूरत ग्लोइंग स्किन पाने का ये बहुत सस्ता और इफेक्टिव तरीका है। फेसवॉश बनाने के लिए हरी मूंग दाल को मिक्सर में ग्राइंड कर के एक फाइन पाउडर तैयार कर लें। आप चाहें तो इसे यूं ही अपना चेहरा धोने करने के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं। इसके अलावा आप चाहें तो इसमें चंदन पाउडर, नीम पाउडर हल्दी, मुलेठी जैसी चीजें मिलाकर इसे और इफेक्टिव बना सकती हैं। इसे इस्तेमाल करने के लिए सबसे पहले चेहरे को हल्का गीला करें और इस पाउडर में पानी मिला कर एक लिक्विड बनाएं। चेहरे को इसकी मदद से मसाज करें और चेहरे को वॉश कर लें। कुछ ही दिनों में आपकी स्किन पर निखार साफ दिखाई देगा।स्किन को मिलेंगे ये गजब के फायदेअब आपने यह तो जान लिया कि हरी मूंग दाल को कैसे अपने ब्यूटी रूटीन में शामिल करना है। अब जानते हैं इससे होने वाले फायदों के बारे में। अगर आप नियमित रूप से हरी मूंग दाल को फेसवॉश या फेसपैक की तरह इस्तेमाल करती हैं तो इससे आपकी स्किन में एक हेल्दी निखार आता है। ये स्किन को हाइड्रेट और मॉइश्चराइज रखने में भी मदद करती है। इसके अलावा स्किन पर किसी भी तरह की टैनिंग है, तो वो भी कुछ ही दिनों में साफ होने लगती है। सर्दियों में रुखी और ड्राई स्किन को सॉफ्ट और शाइनी बनाए रखने में भी हरी मूंग दाल के जबरदस्त फायदे हैं।
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शरीर में कैल्शियम और कई पोषक तत्वों की कमी से जोड़ों में दर्द होना आम बात है। कई लोगों को जोड़ों में दर्द की समस्या गठिया, किसी क्रोनिक डिसऑर्डर, ऑस्टिओअर्थराइटिस या रूमैटॉइड अर्थराइटिस जैसे कारणों से भी हो सकता है। लेकिन मौसम में बदलाव के साथ जॉइन्ट्स में दर्द होने की समस्या कई लोगों को परेशान करती है। जोड़ों में दर्द से परेशान लोगों के लिए किचन में रोजाना इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ हर्ब्स किसी वरदान से कम नहीं हैं। हम आज आपको एक ऐसे ड्रिक के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके इस्तेमाल से जोड़ों में होने वाले दर्द से राहत पाई जा सकती है।
जोड़ो के दर्द से राहत पाने के लिए आयुर्वेदिक ड्रिंक के फायदे1. सूजनरोधी गुणों से भरपूरअजवाइन, जीरा, सौंफ और मेथी अपने नेचुरल सूजनरोधी गुणों के लिए जाने जाते हैं। इन सामग्रियों में ऐसे कंपाउंड्स होते हैं, जो जोड़ों में सूजन को कम करने में मदद करते हैं, जिससे दर्द और जकड़न से राहत मिलती है। इस ड्रिंक का नियमित सेवन गठिया जैसी स्थितियों से जुड़ी पुरानी सूजन को भी ठीक करने में मदद कर सकता है।2. एंटीऑक्सीडेंट से भरपूरयह ड्रिंक एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है, जो शरीर में मुक्त कणों को बेअसर करता है। मुक्त कण आपके शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव पैदा कर सकते हैं, जो जोड़ों के दर्द और नुकसान का कारण बन सकते हैं। ऐसे में इस ड्रिंक का सेवन जोड़ों के टिशू को बेहतर रखने, जोड़ों के स्वास्थ्य को बेहतर रखने और किसी भी तरह की असुविधा को कम करने में मदद करते हैं।3.शरीर को करें डिटॉक्सिफाईअजवाइन, जीरा, सौंफ और मेथी का ये पानी आपके शरीर से टॉक्सिक पदार्थों को बाहर निकालकर शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करेत हैं, जिससे जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद मिलती है।4. पाचन और पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ाएपाचन और पोषक तत्वों के अवशोषण में सुधार जोड़ों के स्वास्थ्य में जरूरी भूमिका निभाता है। जीरा और सौंफ, पाचन स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। इसलिए, विटामिन और मिनरल के बेहतर अवशोषण के लिए आप इस ड्रिंक का सेवन कर सकते हैं।5. पोषक तत्वों से भरपूरये ड्रिंक जरूरी विटामिन, मिनरल्स और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, जो ओवरऑल हेल्थ को बढ़ावा देते हैं। अजवाइन विटामिन K का एक अच्छा स्रोत है, जो हड्डियों को स्वस्थ रखने में मदद करता है।ड्रिंक बनाने की रेसिपीआधा-आधा चम्मच अजवाइन, जीरा, सौंफ और 2/3 चम्मच मेथी लेकर एक गिलास पानी में रातभर के लिए भिगोकर रख दें। इसके बाद सुबह इस पानी को अच्छी तरह उबाल लें और एक गिलास में ड्रिंक को छान लें। रोजाना सुबह की शुरूआत इस गुनगुने ड्रिंक से करें। 1 महीने तक लगातार इस ड्रिंक का सेवन करने से जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है।अजवाइन, जीरा, सौंफ और मेथी से बने इस ड्रिंक को रोजाना पीने से जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है। इसके अलावा ये ड्रिंक आपके ओवरऑल हेल्थ के लिए फायदेमंद होता है। लेकिन, इस ड्रिंक को पीने के बाद भी अगर आपको राहत न मिले तो अपने डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करें और अगर आप किसी तरह की दवाई ले रहे हैं तो इस ड्रिंक को डाइट में शामिल करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर ले लें। -
आयुर्वेद में उत्तराखंड में पाई जाने वाली गेठी की सब्जी के कई फायदे बताए गए हैं। इस अंग्रेजी में एयर पोटैटो (Air Potato Benefits) भी कहा जाता है। गेठी की सब्जी काफी हद तक आलू की तरह दिखाई देती है। लेकिन, इसकी तासीर गर्म होती है, जो पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोगों के शरीर को गर्म करने में मदद करती है। पहाड़ी क्षेत्र में इसकी सब्जी या सलाद के रूप में खाया जाता है। गेठी (Gethi Benefits) में कॉपर, आयरन, पोटैशियम और मैग्नीज जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो ठंड़ी जगहों पर होने वाली बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं।
गेठी खाने के फायदेडायबिटीज को कंट्रोल करने में सहायकएयर पोटैटो यानी गेठी की सब्जी में लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है, जिसका मतलब है कि यह धीरे-धीरे शुगर को ब्लड में रिलीज करता है। यह डायबिटीज रोगियों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है, क्योंकि इससे ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है।हृदय स्वास्थ्य को बेहतर करेंगेठी में उच्च मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करते हैं। इसके नियमित सेवन से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है और हृदय रोगों का खतरा कम होता है।इम्यूनिटी पावर को मजबूत बनाएंएयर पोटैटो यानी गेठी में विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स की भरपूर मात्रा होते हैं, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं। इससे शरीर को संक्रमण और रोगों से लड़ने की ताकत मिलती है।पाचन में सुधार करेंएयर पोटैटो में मौजूद फाइबर हमारे पाचन तंत्र को सही तरीके से काम करने में मदद करते हैं। यह कब्ज और पेट की अन्य समस्याओं जैसे गैस, पेट फूलना, अपच और बदहजमी को दूर करने में सहायक होते हैं। इसके सेवन से गट हेल्त भी बेहतर रहती है।त्वचा और बालों के लिए फायदेमंदएयर पोटैटो में विटामिन सी, बी6, और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाए रखते हैं। इसके सेवन से बालों की ग्रोथ भी अच्छी होती है, और यह बालों को मजबूत बनाने में भी सहायक होता है।गेठी एक प्राकृतिक औषधि है जो कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। इसे अपने आहार में शामिल कर आप हृदय, पाचन, त्वचा और बालों की सेहत को बेहतर बना सकते हैं। हालांकि, इसे सीमित मात्रा में और डॉक्टर की सलाह से ही सेवन करें, क्योंकि अत्यधिक सेवन से कुछ हानिकारक प्रभाव भी हो सकते हैं। - हवा में मौजूद धूल के कण, कार्बन और अन्य विषैले तत्व आंखों में जलन, खुजली, रेडनेस और पानी आने जैसी समस्याओं का कारण बनते हैं। प्रदूषण भरी जगह में जाने पर ये कण आंखों की नाजुक सतह पर चिपक जाते हैं, जिससे आंखों में जलन और असुविधा का अनुभव होता है। अगर इस समस्या का समय पर इलाज न किया जाए, तो यह आंखों में इंफेक्शन या अन्य गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती है। इसलिए, प्रदूषण के कारण होने वाली इस परेशानी को कम करने के लिए कुछ घरेलू उपायों का इस्तेमाल किया जा सकता है, जो न केवल आंखों को राहत देंगे बल्कि उन्हें प्रदूषण के असर से सेफ भी रखेंगे।1. ठंडे पानी से आंखों को साफ करेंप्रदूषण के कॉन्टेक्ट में आने के बाद सबसे पहला और आसान उपाय है ठंडे पानी से आंखों को धोना। ठंडा पानी आंखों की जलन को कम करता है और गंदगी को बाहर निकालने में मदद करता है। सुबह उठने के बाद और बाहर से घर लौटने पर अपनी आंखों को 2-3 बार ठंडे पानी से धोएं। इससे तुरंत राहत मिलती है और आंखों में फ्रेशनेस महसूस होती है।2. गुलाब जल का इस्तेमाल करेंगुलाब जल एक नेचुरल कूलिंग एजेंट है और आंखों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसे आंखों के ऊपर या आसपास लगाएं। कॉटन पैड पर गुलाब जल लगाकर 10-15 मिनट तक आंखों पर रखने से जलन और पानी आने की समस्या में आराम मिलता है। गुलाब जल में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो प्रदूषण के कारण होने वाली आंखों में सूजन और जलन को कम करने में मदद करते हैं।3. खीरे का इस्तेमाल करेंखीरा आंखों को नेचुरल ठंडक देता है क्योंकि खीरे की तासीर ठंडी होती है। खीरे को पतले स्लाइस में काटकर कुछ देर के लिए फ्रिज में रख दें, फिर ठंडे खीरे के स्लाइस को आंखों पर 10-15 मिनट तक रखें। खीरे में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो आंखों की जलन, सूजन और आंखों से पानी आने की समस्या को कम करते हैं। यह आंखों की थकान दूर कर उन्हें राहत भी देता है।4. ग्रीन टी बैग का इस्तेमाल करेंग्रीन टी में मौजूद कैटेचिन्स और एंटीऑक्सीडेंट्स आंखों की सूजन को कम करने में मदद करते हैं। ग्रीन टी बैग को गर्म पानी में भिगोकर ठंडा कर लें और फिर इसे 10-15 मिनट के लिए आंखों पर रखें। ग्रीन टी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो आंखों की जलन और आंखों की रेडनेस को कम करते हैं। नियमित रूप से इसका इस्तेमाल आंखों को प्रदूषण से होने वाले नुकसान से बचाने में मदद कर सकते हैं।5. ठंडे दूध का इस्तेमाल करेंठंडा दूध आंखों की जलन को कम करने में मदद करता है। कॉटन बॉल को ठंडे दूध में भिगोएं और इसे हल्के से आंखों पर 10 मिनट के लिए रखें। ठंडा दूध जलन को शांत करता है और पानी आने की समस्या से राहत दिलाता है। इसके नियमित इस्तेमाल से आंखों में ताजगी महसूस होती है और प्रदूषण के कारण हुए नुकसान को कम किया जा सकता है।ये सभी घरेलू उपाय प्रदूषण के कारण होने वाले आंखों से पानी आने की समस्या को कम करने में मदद करते हैं। इनका नियमित इस्तेमाल करने से आंखों को राहत मिलेगी और प्रदूषण से आंखों को सुरक्षित रखा जा सकेगा।
- सर्दियों में नमी की कमी की वजह से ड्राई स्किन वाले लोगों की समस्याएं बढ़ जाती हैं। ऐसे में इस बार स्किन का ख्याल रखने के लिए आपको पहले ही तैयारी कर लेनी चाहिए। स्किन की नमी को बनाए रखने के लिए आप बादाम के तेल का इस्तेमाल करें। ये ड्राई स्किन के लिए बेस्ट है। इसके अलावा इस तेल के कई फायदे हैं। जानिए-बादाम तेल लगाकर कई समस्याएं हो सकती हैं दूर1) बादाम का तेल काले घेरों और आई बैग के लिए एक फायदेमंद इलाज साबित हो सकता है। बस इसके लिए रोजाना रात में सोने से पहले इसे अपनी आंखों के नीचे लगाएं और 2 हफ्ते में आपको फर्क नजर आने लगेगा।2) बादाम का तेल टैन खत्म करने में मदद करता है। टैन से छुटकारा पाने के लिए बस एक चम्मच में कुछ बूंदें बादाम तेल और उतनी ही मात्रा में नींबू का रस और शहद मिलाएं। इस मिक्स को टैनिंग वाले हिस्से में लगाएं। कुछ दिन लगाकर ही आपको असर दिखने लगेगा।3) बादाम का तेल स्किन पर चकत्ते के लिए बेस्ट है। इसका कोई साइड-इफेक्ट भी नहीं होता है। ऐसे में इसे लगाया जा सकता है।4) बादाम का तेल एक हल्का तेल है, जो स्किन को अच्छा पोषण देता है। इसे फटी एड़ियों पर लगा सकते हैं। इसे पूरी रात के लिए ऐसे ही छोड़ दें5) बादाम का तेल विटामिन ई से भरपूर होता है जो स्ट्रेच मार्क्स को कम करने में मदद करता है। इसे यूज करने के लिए थोड़ा सा बादाम का तेल लें और स्ट्रेच मार्क्स वाली जगह पर मालिश करें। कोशिश करें की तेल लगाने से पहले आप स्ट्रेच मार्क्स वाले हिस्से के एक्सफोलिएट करें और शॉवर लेने के तुरंत बाद बादाम का तेल लगाएं।6) सर्दियों के मौसम में होंठ बहुत ज्यादा फटने लगते हैं। ऐसे में बादाम का तेल आपके होठों को आराम और नमी दे सकता है। यह तेल काले होंठों को हल्का करता है, काले धब्बों को हटाता है और होंठों के रंग को एक समान करने की मदद करता है।7) सर्दियों में चेहरे का ग्लो गायब हो जाता है। ऐसे में चमक को बनाए रखने के लिए बादाम का तेल लगाएं। सोने से पहले अपने हाथ साफ करें और फिर बादाम के तेल की कुछ बूंदें लें और अपनी हथेलियों को आपस में रगड़कर गर्म करें। फिर साफ चेहरे पर लगाएं।
- एक्सपर्ट्स बताते हैं कि महिला हो या पुरुष दोनों को अपने दिन की शुरुआत एक पौष्टिक ब्रेकफास्ट से करनी चाहिए। इस लेख में जानते हैं कि स्किन को ग्लोइंग बनाने के लिए ब्रेकफास्ट में किन पोष्टिक आहार को शामिल करना चाहिए?अंकुरित अनाजअंकुरित अनाज में एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी भरपूर मात्रा में होते हैं जो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने वाले फ्री रेडिकल्स से लड़ते हैं और कोलेजन को बूस्ट करते हैं। इससे स्किन साफ होती है और उसमें निखार आता है।बादामआप अगर सुबह के समय स्मूदी पीते हैं, तो उसमें बादाम का सेवन कर सकते हैं। बादाम में विटामिन ई मौजूद होता है, यह झुर्रियों और फाइन लाइन्स को दूर रखने में मदद करता है। यह एंटीऑक्सीडेंट्स और सेलेनियम के स्तर को बढ़ाकर मुंहासों को कम करने में मदद करता है।अनार का सेवन करेंशरीर को रोजाना विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स की आवश्यकता होती है। यह विटामिन और एंटी-ऑक्सीडेंट्स फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान कम करने में मदद करते हैं। यह टैनिन, एलाजिक एसिड, एंथोसायनिन से भरपूर होता है। इसके साथ ही अनार रक्त को बढ़ाने में भी मदद करता है। नियमित रूप से अनार का सेवन करने से त्वचा में नई कोशिकाएं बनती है और स्किन के निशान, दाग-धब्बे दूर होते हैं।ओट्स का सेवन करेंसुबह के नाश्ते में आप ओट्स का सेवन करें। इसमें मौजूद फाइबर पाचन तंत्र को बेहतर करता है। जिससे स्किन पर सकारात्मक प्रभाव होता है। सुबह के नाश्ते में आप स्ट्रॉबेरी, एक केला और दही को मिलाकर ब्लेंड कर लें। इसे ओट्स में मिलाकर खाएं।एवोकाडो टोस्टएवोकाडो में हेल्दी फैट्स, विटामिन ई और सी होते हैं, जो त्वचा को हाइड्रेटेड रखते हैं और इसकी चमक बढ़ाते हैं। यह झुर्रियों को कम करने में भी सहायक है। आप सुबह के समय ब्राउन ब्रेड को टोस्ट करें। उस पर पका हुआ एवोकाडो को मैश करके फैलाएं। इसमें ऊपर से स्वादानुसार मसाले डालें और टोस्ट का सेवन करें।त्वचा की चमक और सेहत के लिए केवल बाहरी देखभाल ही नहीं, बल्कि स्वस्थ आहार भी बेहद आवश्यक होता है। ऊपर बताएं सभी हेल्दी ब्रेकफास्ट को अपनी दिनचर्या में शामिल करें और अपनी त्वचा की खूबसूरती को बढ़ाएं। डाइट में बदलाव करने से पहले आप डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
- प्रदूषण, खराब जीवनशैली और डाइट से जुड़ी समस्याएं अक्सर बालों और आपकी स्किन को प्रभावित करती है। एक्ने, कम उम्र में स्किन पर बूढ़ापे के लक्षण, रेडनेस, जलन और सूजन जैसी त्वचा से जुड़ी समस्याओं से महिलाएं काफी परेशान रहती हैं। वहीं बालों के झड़ने, टूटने और फ्रिजी बाल आपके तनाव बढ़ने का कारण बन रहे हैं। हेल्दी स्किन और मजबूत बाल पाने के लिए केसर और काली किशमिश का पानी पीना काफी फायदेमंद होता है।स्किन के लिए किशमिश और केसर के फायदेकेसर में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो पिगमेंटेशन को कम करने और त्वचा को चमकदार बनाने में मदद कर सकते हैं। आयरन और विटामिन सी से भरपूर काली किशमिश के साथ मिलकर यह ड्रिंक ब्लड सर्कुलेशन में सुधार कर सकता है, जिससे आपकी स्किन नेचुरल ग्लो करती है। काली किशमिश में जरूरी विटामिन और मिनरल्स होते हैं, जो स्किन को हाइड्रेट करते हैं और उसे मुलायम बनाए रखते हैं। गोंद कतीरा के साथ मिलाने से त्वचा को नमी और ठंडक मिलती है, जिससे स्किन मुलायम रहती है। किशमिश और केसर दोनों में प्राकृतिक सूजनरोधी और जीवाणुरोधी गुण होते हैं, जो मुँहासे पैदा करने वाले बैक्टीरिया से लड़ने, सूजन को कम करने और समय के साथ काले धब्बों को कम करने में मदद करते हैं।बालों के लिए किशमिश और केसर के फायदेकाली किशमिश आयरन का एक अच्छा स्रोत है, जो स्कैल्प में हेल्दी ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ावा देता है, बालों को जड़ों से मजबूत बनाता है, हेयर फॉल की समस्या को कम करता है। केसर में मौजूद विटामिन स्कैल्प को पोषण देते हैं और बालों के स्ट्रैंड को मज़बूत बनाते हैं, जिससे बाल घने और चमकदार बनते हैं।काली किशमिश और केसर का पानी कैसे बनाएं?सामग्री-काली किशमिश- 5-6केसर के रेशे- 2-3गोंद कतीरा- 2 चम्मच भिगोया हुआबनाने की विधि-किशमिश और केसर के रेशे को रात भर पानी में भिगोकर रख दें। सुबह दोनों चीजों को एक साथ मिला लें। एक गिलास में 2 चम्मच भिगोया हुआ गोंद कतीरा डालें, अच्छी तरह मिलाएं और घूँट-घूँट करके पिएं। यह आसान और स्वदिष्ट पेय आपके स्किन और बालों को स्वस्थ, मुलायम और चमकदार बनाए रखने में मदद करेंगे। लेकिन इसके साथ एक हेल्दी स्किन और हेयर केयर रूटीन भी फॉलो करें।
- ठंड के मौसम की शुरुआत हो चुकी है । ठंड के दिनों में त्वचा रूखी और बेजान नजर आने लगती है। ऐसे में सर्दियों में त्वचा को पोषण देने के लिए आप नेचुरल आयुर्वेदिक उपाय आजमा सकते हैं।आयुर्वेदिक उबटन फेस मास्क बनाने का तरीकाइस आयुर्वेदिक उबटन को बनाने के लिए आपको तिल, जौ, मुलैठी और अनंतमूल को बराबर मात्रा में मिलाकर इसका पाउडर तैयार करना होगा। उबटन बनाने के लिए इस पाउडर को दूध के साथ मिलाएं। दूध त्वचा के लिए एक प्राकृतिक मॉइश्चराइजर है, जो त्वचा में नमी बनाए रखने में मदद करता है। इस मिश्रण को चेहरे पर लगाएं और 10-15 मिनट के बाद हल्के हाथों से स्क्रब करते हुए धो लें। इस उबटन का नियमित उपयोग त्वचा को पोषण, नमी और निखार प्रदान करेगा।आयुर्वेदिक उबटन फेस मास्क के फायदे1. तिलतिल का तेल और तिल के बीज दोनों ही आयुर्वेद में त्वचा की देखभाल के लिए प्रयोग किए जाते हैं। तिल में पोषण और गर्माहट देने वाले गुण होते हैं जो सर्दियों के मौसम में त्वचा के लिए लाभकारी होते हैं। इसके अलावा, इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-एजिंग गुण होते हैं, जो त्वचा की लचक बनाए रखते हैं और बुढ़ापे के लक्षणों को कम करते हैं। उबटन में तिल का पाउडर मिलाकर इसका इस्तेमाल त्वचा को गहराई से पोषण देता है।2. जौजौ ठंडक प्रदान करता है और इसमें त्वचा को नम रखने के गुण होते हैं। इसके साथ ही, यह त्वचा की बाहरी सतह को मॉइश्चराइज करने में मदद करता है। जौ में हीलिंग प्रॉपर्टीज भी होती हैं, जो त्वचा पर किसी भी प्रकार की चोट या सूजन को ठीक करने में सहायक होती हैं। सर्दियों में उबटन में जौ का पाउडर मिलाने से त्वचा सॉफ्ट होती है।3. मुलेठीमुलेठी त्वचा के लिए बेहद लाभकारी होती है। यह त्वचा को टैनिंग और पिग्मेंटेशन से बचाता है। मुलेठी का पाउडर चेहरे के उबटन में मिलाने से चेहरे की रंगत में सुधार होता है।4. अनंतमूलअनंतमूल या सरिवा त्वचा की कई समस्याओं के लिए आयुर्वेद में उपयोग किया जाता है। इसमें ठंडक प्रदान करने वाले गुण होते हैं। यह त्वचा के घावों को जल्दी भरता है और एक्ने जैसी समस्याओं को दूर करता है। सर्दियों में त्वचा की देखभाल के लिए अनंतमूल का उबटन त्वचा को हेल्दी बनाए रखता है।निष्कर्षसर्दियों में त्वचा की देखभाल के लिए यह आयुर्वेदिक उबटन एक बेहतरीन विकल्प है। नियमित रूप से इस उबटन का उपयोग करने से त्वचा में निखार आता है और सर्दियों की ठंड और रूखेपन से भी सुरक्षा मिलती है।
- विटामिन और मिनरल्स आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं। इससे आप कई तरह के संक्रमण और रोग से सुरक्षित रहते हैं। इन्हीं पोषत तत्वों में ओमेगा 3 फैटी एसिड (Omega 3 Fatty Acid) को भी शामिल किया जाता है। यह लोगों को हार्ट, स्किन, बाल और जोड़ों को मजबूत करने में मुख्य भूमिका निभाता है। इससे आपको गठिया, जोड़ो में दर्द आदि रोग की संभावना कम होती है।ओमेगा 3 के क्या फायदे होते हैं? --ओमेगा-3 फैटी एसिड दिल के स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करता है, अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) को बढ़ाता है, और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है।-ओमेगा-3 में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर में सूजन को कम करते हैं। गठिया, अस्थमा और त्वचा संबंधी बीमारियों जैसे एक्जिमा और सोरायसिस जैसी सूजन से जुड़ी बीमारियों में ओमेगा-3 का सेवन फायदेमंद हो सकता है।-ओमेगा-3 त्वचा को हाइड्रेटेड और बालों को मजबूत बनाए रखने में मदद करता है। यह झुर्रियों को कम करता है और त्वचा को प्राकृतिक नमी प्रदान करता है। साथ ही, यह बालों की जड़ों को पोषण देता है, जिससे बाल स्वस्थ और चमकदार बने रहते हैं।-ओमेगा-3 हमारे मस्तिष्क के विकास और कार्यप्रणाली के लिए जरूरी है। यह याददाश्त को बढ़ावा देने में सहायक है और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं जैसे डिप्रेशन, चिंता और अल्जाइमर के जोखिम को कम कर सकता है।उम्र के अनुसार ओमेगा-3 फैटी एसिड की सही मात्रासाक्षी से जानते हैं कि किस उम्र में कितना ओमेगा 3 फैटी एसिड लेने की आवश्यकता होती है। At what age is omega-3 recommended- छह माह से 12 माह की आयु तक के लिए - 0.5 ग्राम-1 से 3 साल तक के बच्चों के लिए - 0.7 ग्राम-4 से 8 साल तक के बच्चों के लिए - 0.9 ग्राम-9 से13 साल तक के बच्चों के लिए-पुरुष - 1.2 ग्राम-महिला - 1 ग्राम-14 से18 साल तक के किशोर के लिए-पुरुष - 1.6 ग्राम-महिला - 1.1 ग्राम-19 से 50 साल तक के वयस्कों के लिएपुरुष - 1.6 ग्राममहिला - 1.1 ग्राम-51 से अधिक उम्र के लिएपुरुष - 1.6 ग्राममहिला - 1.1 ग्रामओमेगा 3 फैटी एसिड के लिए डाइट में क्या शामिल करें?चिया सीड्स - रोजाना दो चम्मच चिया सीड्स को डाइट में शामिल करें। इससे करीब 5 ग्राम ओमेगा 3 मिलता है।अखरोट - करीब 7 से 8 अखरोट से आपको रोजाना करीब 2.5 ग्राम ओमेगा 3 फैटी एसिड मिल सकता है।अलसी के बीज - एक चम्मच अलसी के बीजों से आपको करीब 1.6 ग्राम ओमेगा 3 फैटी एसिड मिलता है।ओमेगा-3 हमारे शरीर के लिए एक आवश्यक फैटी एसिड है जो हृदय, मस्तिष्क, त्वचा और संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। ओमेगा 3 फैटी एसिड सप्लीमेंट रूप में भी मिलता है, लेकिन किसी भी तरह के सप्लीमेंट्स को लेने और डाइट में बदलाव से पहले डॉक्टर से अवश्य संपर्क करें।
- भारतीय खान-पान में रोटी का एक अलग स्थान है। यह न केवल भोजन का एक प्रमुख हिस्सा है, बल्कि सेहत के लिए भी बेहद लाभकारी होती है। आयुर्वेद के अनुसार, विभिन्न प्रकार की रोटियों का सेवन हमारी सेहत पर गहरा असर डाल सकता है, खासकर जब हम इसे अपने शरीर की प्रकृति और मौसम के अनुसार चुनते हैं। भारत में कई प्रकार के अनाजों का उपयोग करके रोटियां बनाई जाती हैं, जैसे गेहूं, जौ, चना, बाजरा और रागी। प्रत्येक अनाज की अपनी खासियत और गुण होते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी साबित हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, गेहूं की रोटी पित्त और वात को संतुलित करती है, जबकि जौ की रोटी ठंडक प्रदान करती है।आयुर्वेद के अनुसार रोटी के प्रकार और उनके फायदे1. गेहूं की रोटी के फायदे और गुणगेहूं की रोटी हमारे भोजन का प्रमुख हिस्सा है। यह पौष्टिक होती है लेकिन पाचन में हल्की भारी होती है। यह रोटी वात और पित्त दोष को संतुलित करने में सहायक मानी जाती है। इसका सेवन उन लोगों के लिए फायदेमंद है जिनके शरीर में वात और पित्त असंतुलन होता है। यह रोटी दिन में एक बार मुख्य भोजन में शामिल की जा सकती है। लेकिन इसे रात में कम मात्रा में ही खाना चाहिए ताकि पाचन में कोई समस्या न हो।2. जौ की रोटी के फायदेजौ की रोटी को आयुर्वेद में ठंडा माना जाता है। यह पाचन तंत्र को बेहतर बनाने और कब्ज की समस्या को दूर करने में सहायक होती है। जौ की तासीर ठंडी होती है, जो शरीर को ठंडक प्रदान करती है। यह पित्त और कफ को संतुलित करने में मदद करती है और लाइफस्टाइल से संबंधित बीमारियों को दूर रखने में सहायक होती है। जौ की रोटी को गर्मियों में अधिक लाभकारी माना जाता है। इसे भोजन में शामिल करने से शरीर में ठंडक बनी रहती है और पाचन भी अच्छा होता है।3. चना या बेसन की रोटी के फायदेचना और बेसन की रोटी को ठंडा और शुष्क माना जाता है। यह कफ और पित्त को शांत करने में सहायक होती है और तैलीय त्वचा तथा मुंहासों से राहत प्रदान करती है। चना या बेसन की रोटी कफ और पित्त के दोषों को संतुलित करती है और खासकर उन लोगों के लिए फायदेमंद है जिन्हें त्वचा से संबंधित समस्याएं होती हैं जैसे कि मुंहासे आदि। चना या बेसन की रोटी को दोपहर के भोजन में शामिल करना सबसे अच्छा होता है।4. सत्तू या आलू से भरी हुई रोटीसत्तू, आलू या किसी भी प्रकार की भरी हुई रोटी का स्वाद बहुत ही लाजवाब होता है, लेकिन ये पाचन में भारी होती हैं। सत्तू या आलू भरी रोटी पित्त को संतुलित करती है और शारीरिक ऊर्जा को बढ़ाती है। यह पाचन तंत्र पर भारी प्रभाव डालती है, इसलिए इसे दिन के समय ही खाना चाहिए। इन रोटियों को दोपहर के समय में खाना बेहतर होता है। इसे सीमित मात्रा में खाने से पाचन सही रहता है और वजन बढ़ने का खतरा भी कम होता है।अलग-अलग प्रकार की रोटियों का आयुर्वेदिक गुणों के आधार पर चयन करना हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। हमें मौसम और शरीर की जरूरतों के अनुसार रोटियों का चयन करना चाहिए। सर्दियों में अपने पाचन और शरीर की ऊर्जा बनाए रखने के लिए दिन में एक बार पचने में हल्की रोटियों का सेवन करें। साथ ही, इसे घी के साथ खाने से इसके पौष्टिक गुण और भी बढ़ जाते हैं।