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6 जनवरी को पौष मास की पूर्णिमा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन विधि- विधान से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा- अर्चना करनी चाहिए। मां लक्ष्मी को धन की देवी भी कहा जाता है। जिस व्यक्ति पर मां लक्ष्मी की कृपा हो जाती है उसको जीवन में कभी भी आर्थिक समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है। मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए मां लक्ष्मी के दिन कुछ खास उपाय किए जाते हैं। इन उपायों को करने से मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
आइए जानते हैं मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए क्या करें-
मां को लाल वस्त्र अर्पित करें--
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूर्णिमा के दिन मां को लाल वस्त्र अर्पित करने चाहिए। आप मां को सुहाग का सामान भी अर्पित कर सकते हैं। ऐसा करने से मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है और आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
मां लक्ष्मी को पुष्प अर्पित करें--
पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी को पुष्प अर्पित करें। अगर संभव हो तो मां को लाल रंग के पुष्प अर्पित करने चाहिए।
विष्णु भगवान की पूजा करें--
पूर्णिमा के दिन धन- प्राप्ति के लिए विष्णु भगवान की पूजा भी करें। विष्णु भगवान की पूजा करने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए हर शुक्रवार को माता लक्ष्मी और विष्णु भगवान की पूजा करें।
खीर का भोग लगाएं---
पूर्णिमा के दिन श्री लक्ष्मीनारायण भगवान और मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं। इस उपाय को करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है और धन- लाभ होता है। -
- बालोद से प्रकाश उपाध्याय
सूर्यदेव को सभी ग्रहों का राजा कहा जाता है। सूर्यदेव हर माह में राशि परिवर्तन करते हैं। ज्योतिषशास्त्र में सूर्यदेव को विशेष स्थान प्राप्त है। 14 जनवरी को सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्यदेव इस दिन धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही कुछ राशि वालों का भाग्योदय होगा तो कुछ राशि वालों को विशेष सावधान रहने की आवश्यकता है। आइए जानते हैं, सूर्य के राशि परिवर्तन करने से किन राशि वालों के अच्छे दिन शुरू हो जाएंगे और किन राशि वालों को सावधान रहने की आवश्यकता है-
मेष राशि - मन परेशान हो सकता है। नौकरी में तरक्की के अवसर मिल सकते हैं। किसी दूसरे स्थान पर जाना पड़ सकता है। परिवार का सहयोग मिलेगा। वाहन सुख में वृद्धि होगी। कला एवं संगीत के प्रति रुझान बढ़ सकता है। भाइयों के सहयोग से आय के स्रोत बनेंगे।
वृष राशि -संयत रहें। धैर्यशीलता बनाये रखने के प्रयास करें। घर-परिवार में धार्मिक कार्य हो सकते हैं। सन्तान को स्वास्थ्य विकार हो सकते हैं। मित्रों का सहयोग मिलेगा। घरेलू मित्रों का सहयोग रहेगा। घरेलू समस्याएं परेशान कर सकती हैं। रहन-सहन कष्टमय रहेगा।
कर्क राशि - आत्मविश्वास में कमी रहेगी। शैक्षिक कार्यों के प्रति सचेत रहें। कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। जीवनसाथी का साथ मिलेगा। मानसिक शान्ति रहेगी। कुछ पुराने मित्रों से भेंट हो सकती है। सुस्वादु खान-पान में रुचि रहेगी। आय में वृद्धि होगी।
सिंह राशि - मानसिक शान्ति रहेगी। किसी पुराने मित्र से भेंट हो सकती है। सुस्वादु खान-पान में रुचि बढ़ सकती है। सेहत का भी ध्यान रखें। नौकरी में कोई अतिरिक्त जिम्मेदारी मिल सकती है। परिश्रम अधिक रहेगी। खर्च अधिक रहेंगे। माता-पता का सानिध्य मिलेगा।
कन्या राशि - संयत रहें। अपनी भावनाओं को वश में रखें। मीठे खान-पान में रुचि बढ़ सकती हैं। जीवनसाथी के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। मानसिक शान्ति रहेगी, परन्तु आत्मविश्वास में कमी भी रहेगी। खर्चों की अधिकता होगी। कार्यक्षेत्र में बदलाव हो सकता है।
तुला राशि - धार्मिक संगीत में रुचि बढ़ सकती है। नौकरी में अफसरों का सहयोग मिलेगा। कोई अतिरिक्त जिम्मेदारी मिल सकती है। आत्मविश्वास से लवरेज रहेंगे। धैर्यशीलता में कमी रहेगी। शैक्षिक एवं शोधादि कार्यों में सफलता मिलेगी। आय में कमी रहेगी।
वृश्चिक राशि - आत्मविश्वास से लबरेज रहेंगे। बातचीत में संयत रहें। व्यर्थ के क्रोध से बचें। नौकरी में तरक्की के मार्ग प्रशस्त होंगे। वाणी में कठोरता का प्रभाव रहेगा। बातचीत में सन्तुलित रहें। माता के परिवार को किसी महिला से धन प्राप्ति के योग बन रहे हैं।
धनु राशि - मानसिक शान्ति रहेगी। धर्म के प्रति श्रद्धाभाव रहेगा। किसी मित्र के सहयोग से आय के साधन बन सकते हैं। आत्मसंयत रहें। क्रोध एवं आवेश के अतिरेक से बचें। मन में नकारात्मकता का प्रभाव हो सकता है। संचित धन में वृद्धि होगी। यात्रा पर जाने के योग बन रहे हैं।
मकर राशि - आत्मविश्वास में कमी रहेगी। नौकरी में तरक्की के अवसर मिल सकते हैं। कार्यक्षेत्र में परिवर्तन भी हो सकता है। मन अशान्त रहेगा। परिवार की समस्याएं परेशान कर सकती हैं। रोजमर्रा के कार्यों में कठिनाइयां आ सकती हैं। आर्थिक लाभ के योग बन रहे हैं।
कुंभ राशि - संयत रहें। क्रोध से बचें। सन्तान के स्वास्थ्य में सुधार होगा। कारोबार में परिश्रम अधिक रहेगा। लाभ में वृद्धि होगी। आत्मविश्वास में कमी आएगी। अनियोजित खर्चों से परेशान रहेंगे। नौकरी में इच्छाविरुद्ध कोई अतिरिक्त जिम्मेदारी मिल सकती है।
मीन राशि - मन अशान्त रहेगा। संयत रहें। क्रोध से बचें। नौकरी में बदलाव के योग बन रहे हैं। स्थान परिवर्तन भी हो सकता है। आत्मविश्वास से लवरेज रहेंगे। क्षणे रुष्टा-क्षणे तुष्टा के भाव रहेंगे। शैक्षिक कार्यों के सुखद परिणाम मिलेंगे। घर में धार्मिक कार्यक्रम हो सकते हैं। -
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब किसी जातक की कुंडली में कोई ग्रह कमजोर होता है या फिर अशुभ फल प्रदान करता है तो ग्रह के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है. आज हम आपको माणिक्य रत्न की विशेषताओं के बारे में बताने जा रहे हैं. माणिक्य रत्न को रूबी स्टोन के नाम से जाना जाता है. जब किसी जातक की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है तो व्यक्ति को माणिक्य रत्न धारण करना चाहिए. आइए जानते हैं माणिक रत्न पहनने के लाभ और विधि.
माणिक्य पहनने के फायदे
रत्न ज्योतिष शास्त्र में माणिक्य रत्न पहनने से सूर्य मजबूत होता है. रत्न ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जो लोग राजनीति, सेवा और प्रशासन के क्षेत्र से जुड़े हुए होते हैं उनके लिए माणिक्य रत्न पहनना शुभ होता है. माणिक्य रत्न पहनने से सूर्य का प्रभाव जातकों के जीवन में बढ़ जाता है. इससे व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है. वहीं माणिक्य रत्न ह्रदय, आंख और पित्त विकार से संबंधी बीमारियां दूर होती हैं.
इन राशि वालों के लिए माणिक्य रत्न पहनना शुभ
कुंडली में सूर्य को मजबूत करने के लिए माणिक्य रत्न पहनने की सलाह दी जाती है. रत्न ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मेष, सिंह और धनु लग्न के जातकों को माणिक्य रत्न पहनना शुभ होता है. इसके अलावा जब किसी जातक की कुंडली में सूर्य की स्थिति 11वें, 10वें, 9वें,5वें भाव में हो तो माणिक्य रत्न पहना जा सकता है. लेकिन कभी भी माणिक्य रत्न के साथ गोमेद और नीलम रत्न को नहीं पहनना चाहिए. वहीं जिन जातकों की लग्न राशि कन्या, मकर, मिथुन , तुला और कुंभ हो तो उन्हें माणिक्य रत्न धारण करने से बचना चाहिए..
माणिक्य रत्न धारण करने के नियम
ज्योतिष के अनुसार माणिक्य रत्न को तांबे या सोने की धातु से बनी अंगूठी में पहनना चाहिए. रविवार के दिन सुबह के समय उंगली में माणिक्य रत्न को धारण करना चाहिए. वहीं जब भी माणिक्य रत्न को धारण करें तो इसे पहले गाय के दूध और गंगाजल से शुद्ध करें. -
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
हर साल मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से निकल कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन सूर्य देव उत्तर दिशा की ओर गमन करते हैं जिसे उत्तरायण कहा जाता है। इस दिन स्नान और दान करने का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में आते हैं। इस साल 14 जनवरी को उत्तरायण होने का रहा है।
उत्तरायण का महत्व-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य उत्तरायण के बाद से सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है। उत्तरायण काल को देवताओं का समय कहा जाता है इस समय कोई भी मांगलिक कार्य करने के लिए बेहद शुभ माना जाता है। सूर्य साल में दो बार अपनी राशि में परिवर्तन करता है जब सूर्य कर्क से धनु राशि में विचरण करता है तो इसे दक्षिणायन कहते हैं। इस समय कोई भी शुभ काम करने की मनाही होती है। वहीं जब सूर्य मकर से मिथुन राशि में विचरण करता है तो इसे उत्तरायण कहते हैं।
कथा-
श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरायण के महत्व को बताते हुए कहा था कि यदि कोई व्यक्ति उत्तरायण के समय दिन के उजाले में अपने प्राणों का त्याग करता है तो उसे जीवन मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। वह मोक्ष को प्राप्त करता है भगवान श्रीकृष्ण के इन्हीं बातों को सुनकर महाभारत के भीषण युद्ध में बाणों की शय्या पर लेटे गंगा पुत्र भीष्म ने उत्तरायण की प्रतीक्षा की और ठीक उसी दिन अपने प्राणों का त्याग कर मोक्ष को प्राप्त किया। -
हिंदू धर्म में पूर्णिमा का बहुत अधिक महत्व होता है। पौष मास की पूर्णिमा साल की पहली पूर्णिमा होती है। हर साल जनवरी माह में ही पौष माह की पूर्णिमा पड़ती है। पूर्णिमा तिथि पर भगवान विष्णु की विधि- विधान से पूजा- अर्चना की जाती है। पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा- अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान का भी बहुत अधिक महत्व होता है। इस दिन दान करने से भी कई गुना फल की प्राप्ति होती है।
आइए जानते हैं पौष माह पूर्णिमा डेट, पूजा- विधि...
मुहूर्त-
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - जनवरी 06, 2023 को 02:29 ए एम बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त - जनवरी 07, 2023 को 04:52 ए एम बजे
पूजा -विधि-
इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का बहुत अधिक महत्व होता है। आप नहाने के पानी में गंगा जल डालकर स्नान भी कर सकते हैं। नहाते समय सभी पावन नदियों का ध्यान कर लें।
नहाने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।
पूर्णिमा के पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना का विशेष महत्व होता है।
इस दिन विष्णु भगवान के साथ माता लक्ष्मी की पूजा- अर्चना भी करें।
भगवान विष्णु को भोग लगाएं। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को भी शामिल करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी के बिना भगवान विष्णु भोग स्वीकार नहीं करते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें।
इस पावन दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का अधिक से अधिक ध्यान करें।
पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व होता है।
चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा की पूजा अवश्य करें।
चंद्रमा को अर्घ्य देने से दोषों से मुक्ति मिलती है।
इस दिन जरूरतमंद लोगों की मदद करें।
अगर आपके घर के आसपास गाय है तो गाय को भोजन जरूर कराएं। गाय को भोजन कराने से कई तरह के दोषों से मुक्ति मिल जाती है।
स्नान- दान का समय- 6 जनवरी, 2023 को 02:29 ए एम बजे से प्रारंभ। -
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्य धनु राशि से निकल कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस दिन पवित्र नदी में स्नान व उसके पश्चात दान किया जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन सुबह 08:21 मिनट पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा। आइए जानते हैं मकर संक्रांति के दिन किन चीजों का दान करना चाहिए।
काले तिल का दान
मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदी में स्नान करने के बाद गरीब और जरूरतमंद को काले तिल का दान करने से शनि दोष दूर होता है।
उड़द
शनि दोष दूर करने के लिए मकर संक्रांति के दिन उड़द की दाल या उससे बनी खिचड़ी दान गरीबों को दान करना बेहद शुभ माना जाता है।
ऊनी वस्त्र या कंबल
मकर संक्रांति के दिन गरीब व जरूरतमंद को ऊनी वस्त्र व कंबल दाल करने से राहु दोष से छुटकारा मिलता है।
गुड़ का दान
मकर संक्रांति के दिन गुड़ का दान करने से सूर्य और शनिदेव प्रसन्न होते हैं। -
वर्ष 2023 के राजा और मन्त्री शनिदेव रहेंगे। ग्रह गोचर में शनि देव कुंभ राशि पर विचरण करेंगे। भारत में स्वतंत्रता की जन्म कुंडली के अनुसार वृषभ लग्न में राहु विराजमान हैं। कर्क राशि में शनि देव पराक्रम भाव में बैठे हुए हैं और वर्ष 2023 में शनिदेव शुक्र के साथ पंचम भाव में विराजमान हैं। लग्नेश बुध राहु के नक्षत्र में विचरण कर रहे हैं। इस विवेचना के अनुसार यह वर्ष भारत के लिए चुनौतियों से भरा हुआ रहेगा। यद्यपि राजनीतिक सूझबूझ से अधिकतर समस्याओं का समाधान हो जाएगा। विश्व और भारत में हिंसा का दौर शुरू होने के योग बन रहे हैं। एक-देश दूसरे देश को नीचे दिखाने के लिए कुटिल चाल चलेंगे। इन विषम परिस्थितियों में भारत सबको अपना मार्गदर्शन करेगा। भारत की नीतियों के कारण विश्व में उसकी प्रशंसा होगी। किसी राजनेता अथवा किसी मंत्री का आकस्मिक अवसान होने के योग भी हैं।
खेती-बाड़ी फसल के लिए 2023 बहुत अच्छा है। समय अनुसार वर्षा होगी। हालांकि प्राकृतिक विषमताएं बनी रहेंगी। भू- स्खलन, अतिवृष्टि ,भूकंप, चक्रवात एवं वज्रपात की घटनाएं बढ़ेंगी। वर्ष कुंडली के अनुसार बृहस्पति अपनी राशि में सप्तम भाव में, शनिदेव अपनी स्वराशि में पंचम भाव में और मंगल भाग्य भाव में विराजमान हैं। इसके परिणाम स्वरूप वर्ष कुंडली बहुत ही शुभ है। भारत के विदेश नीति की सराहना पूरा विश्व करेगा। विश्व में भारत का बहुत ही बड़ा योगदान होगा। 2023 में भारत में कोरोना महामारी भयावह नहीं होगी, किंतु सावधानी अवश्य बरती जानी चाहिए। मौसमी बीमारियों से भी जनधन की हानि के संकेत हैं। आतंक, चोरी, डकैती, अपहरण एवं बलात्कार की घटनाओं में वृद्धि हो सकती है। वैज्ञानिक क्षेत्र में भारत के नई उपलब्धियां हासिल करेगा। बुध के दुषप्रभाव से अंतरिक्ष में विस्मयकारी घटनाएं घट सकती हैं। वृश्चिक राशि के मंगल होने से विश्व में रेल दुर्घटना, हवाई दुर्घटना और सड़क दुर्घटना के योग बन रहे हैं। बृहस्पति अपनी राशि में होने से भारत सनातन संस्कृति की ओर अग्रसर होता रहेगा। संविधान में भी कुछ बड़े परिवर्तन होने के योग भी बन रहे हैं। आध्यात्मिक श्रेणी के लोगों का प्रभुत्व और वर्चस्व पूरे विश्व में बढ़ेगा। शिक्षा,खेल और योग के क्षेत्र में भारत का कीर्तिमान बना रहेगा। - आमतौर पर व्यक्ति के शरीर के विभिन्न अंगों पर तिल मिलता है। लेकिन हथेली में मिलने वाला तिल व्यापक प्रभाव डालता है। विभिन्न पर्वतों पर तिल के परिणाम भी अलग-अलग होते हैं। यदि किसी महिला या पुरुष के गुरु पर्वत पर तिल है तो यह आर्थिक समृद्धि का संकेत है। ऐसे लोग आर्थिक रूप से बहुत ही संपन्न प्रवृत्ति के होते हैं और इनके हाथों में निरंतर पैसा आता रहता है। हालांकि ऐसे लोगों के विवाह में कुछ अड़चन अवश्य आती हैं। यदि किसी पुरुष या महिला की हथेली में शुक्र पर्वत पर तिल हो तो पत्नी या पति से निरंतर विवाद रहता है। ऐसे लोगों का वैवाहिक जीवन का अधिकांश समय विवादों में ही गुजरता है। इसी तरह यदि मंगल पर्वत और जीवन रेखा की उत्पत्ति के स्थान पर तिल हो तो सिर मंग चोट लगने की आशंका बनी रहती है। इस तरह के लोगों का स्वभाव भी थोड़ा सख्त प्रकृति का होता है।बुध पर्वत के नीचे मंगल क्षेत्र पर तिल होने की स्थिति में व्यक्ति को संपत्ति में नुकसान की आशंका रहती है। गुरु पर्वत पर तिल का परिणाम अच्छा माना गया है। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार शनि पर्वत पर तिल होना भी व्यक्ति के धनी होने का संकेत है। लेकिन ऐसे लोगों को बिजली और आग से बचकर रहना चाहिए। सूर्य पर्वत पर तिल को अच्छा नहीं माना गया है। हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार यदि सूर्य पर्वत पर तिल है तो व्यक्ति को जीवन में किसी मामले में अपमान का सामना करना पड़ सकता है।
- महाभारत के सन्दर्भ में एक प्रश्न बहुत प्रमुखता से पूछा जाता है कि क्या महाभारत के समय ऐसा कोई राजा था जो श्रीराम के वंश से सम्बंधित हो। तो इसका उत्तर है हाँ। महाभारत काल में श्रीराम के वंश के एक राजा थे जिन्होंने युद्ध में कौरवों की ओर से युद्ध किया था। उनका नाम था बृहद्बल।विष्णु पुराण और भागवत पुराण के अनुसार बृहद्बल श्रीराम के पुत्र कुश के वंशज थे। श्रीराम से 32वीं पीढ़ी में इनका जन्म हुआ और ये कोसल राज्य के अंतिम प्रतापी राजा माने जाते हैं। ब्रह्मा से 66वीं पीढ़ी में श्रीराम का जन्म हुआ। उसके बाद श्रीराम के पुत्र कुश का कुल चला जिसमें श्रीराम से 32वीं पीढ़ी में बृहद्बल जन्में। इस प्रकार ब्रह्मा से 97वीं पीढ़ी में इनका जन्म हुआ।संक्षेप में यदि जानें तो ये क्रम इस प्रकार है: श्रीराम -> कुश -> अतिथि -> निषध -> नल -> नभस -> पुण्डरीक -> क्षेमधन्वा -> देवानीक -> अहीनगर -> रूप -> रुरु -> पारियात्र -> दल -> शल -> उक्थ -> वज्रनाभ -> शंखनाभ -> व्यथिताश्व -> विश्वसह -> हिरण्यनाभ -> पुष्य -> ध्रुवसन्धि -> सुदर्शन -> अग्निवर्णा -> शीघ्र -> मुरु -> प्रसुश्रुत -> सुगन्धि -> अमर्ष -> महास्वन -> विश्रुतावन्त -> बृहद्बल।महाभारत काल में कोसल साम्राज्य पांच भागों में विभक्त हो गया। ये थे - उत्तर कोसल, दक्षिण कोसल, पूर्व कोसल, मध्य कोसल एवं मध्य कोसल का दक्षिणी भाग। पूर्व कोसल को जरासंध ने जीत लिया। बाद में भीम ने जरासंध का वध कर पूर्व कोसल को इंद्रप्रस्थ के आधीन कर लिया। मध्य कोसल वो भाग था जहां श्रीराम ने राज्य किया और महाभारत काल में भी अयोध्या उसकी राजधानी थी। उस समय धीर्गयाघ्न्य उसके राजा थे। राजसूय यज्ञ से पहले चारों पांडवों ने दिग्विजय किया और भीम ने अपने दिग्विजय के दौरान धीर्गयाघ्न्य को परास्त कर मध्य कोसल और उत्तर कोसल पर अधिकार कर लिया।दक्षिण कोसल वो स्थान था जहां से श्रीराम की माता कौशल्या आती थी। ये श्रीराम का ननिहाल था। राजसूय यज्ञ से पहले अपने दिग्विजय के दौरान सहदेव ने दक्षिण कोसल पर अधिकार प्राप्त किया था। कोसल साम्राज्य का जो पांचवा भाग था जो मध्य कोसल का दक्षिणी हिस्सा था, वहीं पर कुश के वंशज बृहद्बल का शासन था।हालाँकि कोसल प्रदेश महाभारत काल तक पांच हिस्सों में बंट गया था किन्तु फिर भी महाभारत में बृहद्बल को ही "कोसल नरेश" बताया गया है। युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में उनके सम्मलित होने का वर्णन है। हालाँकि जब बाद में पांडवों को वनवास हुआ तब अपनी दिग्विजय यात्रा में कर्ण ने पुन: बृहद्बल को परास्त कर कोसल साम्राज्य को हस्तिनापुर के आधीन कर लिया। यही कारण है कि बृहद्बल और कोसल साम्राज्य ने महाभारत युद्ध में कौरवों का साथ दिया। महाभारत के सभा पर्व के 31वें अध्याय में बृहद्बल का वर्णन मिलता है।सह सर्वैस तदा मलेच्छै: सागरानूपवासिभि:पार्वतीयाश च राजान? राजा चैव बृहद्बल:अर्थात: राजा भगदत्त सभी मलेच्छ राजाओं, सागर तट के अन्य राजाओं, पर्वतों के राजाओं एवं महाराज बृहद्बल के साथ राजसूय यज्ञ में आये।महाराज बृहद्बल की गिनती कौरव सेना के प्रमुख योद्धाओं में की जाती है। अपने पक्ष के योद्धाओं का वर्णन करते समय भीष्म पितामह ने बृहद्बल की गिनती एक रथी योद्धा के रूप में की थी। उन्होंने 13 दिनों तक पांडवों की सेना से घोर युद्ध किया और उनके कई योद्धाओं का वध किया। युद्ध के 13वें दिन जब गुरु द्रोण ने चक्रव्यूह की रचना की तो बृहद्बल को उन्होंने उस चक्रव्यूह के दूसरे द्वार की रक्षा का दायित्व दिया। जब अभिमन्यु ने चक्रव्यूह में प्रवेश किया तो प्रथम द्वार तो उन्होंने सहज ही तोड़ दिया किन्तु चक्रव्यूह के मध्य में जाने के मार्ग में दूसरे द्वार के रक्षक के रूप में उनका सामना बृहद्बल से हुआ।बृहद्बल ने बहुत वीरता से युद्ध लड़ा और अभिमन्यु को बहुत देर तक उसी द्वार पर रोके रखा। दोनों में बहुत भीषण युद्ध हुआ किन्तु अंतत: अभिमन्यु ने अपने बाणों से बृहद्बल का वक्षस्थल चीर दिया जिससे वे वीरगति को प्राप्त हुए। बृहद्बल की मृत्यु के बाद उनके राज्य को उनके ज्येष्ठ पुत्र बृहत्क्षण ने संभाला।
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पंडित प्रकाश उपाध्याय
हिंदू धर्म में जनेऊ का बहुत अधिक धार्मिक महत्व है. इसे 'यज्ञोपवीत' के नाम से भी जाना जाता है. सनातन परंपरा के अनुसार जनेऊ के तीन धागे ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक होते हैं. ऐसे में इसे धारण करते वक्त कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. आइए जानें क्या हैं वो..
सनातन परंपरा में वैसे तो कई रीति-रिवाज होते हैं लेकिन उनमें से यज्ञोपवीत संस्कार सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है. ‘यज्ञोपवीत’ को जनेऊ के नाम से भी जाना जाता है. इस संस्कार के तहत सूत से बने तीन धागों वाले यज्ञोपवीत को धारण किया जाता है. जो भी इसको पहनता है उसको कई नियमों का पालन भी करना पड़ता है. मान्यता है कि इसको धारण करने से मनुष्य के द्वारा किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं. लेकिन, इसको धारण करने के कुछ विशेष नियम होते हैं, जिनकी अनदेखी आपके लिए अशुभ साबित हो सकती है. आइए जाने क्या है जनेऊ का महत्व और क्या हैं इसको पहनने के नियम.
सनातन परंपरा के अनुसार तीन धागे वाले जनेऊ को धारण करने वाले व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है. माना जाता है कि जनेऊ के तीन धागे देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण का प्रतीक माना जाता है. वहीं, जो व्यक्ति विवाहित होता है या गृहस्थ जीवन जीता है उसे छह धागों वाला जनेऊ धारण करना होता है. इन छह धागों में तीन अर्धांगिनी के लिए और तीन स्वंय के लिए माने जाते है.
जनेऊ पहनने का नियम--
जनेऊ को हमेशा बाएं कंधे से दाये कमर पर पहनना चाहिए. इस बात का विशेष ध्यान रखें कि मल-मूत्र विसर्जन के समय जनेऊ को दाहिने कान पर चढ़ा लेना चाहिए. ऐसा इसलिए किया जाता है कि मल-मूत्र विसर्जन करते समय जनेऊ आपकी कमर के ऊपर रहे और अपवित्र न हो जाए. इसके अलावा यदि आपके परिवार या घर में किसी के जन्म अथवा मृत्यु के दौरान, सूतक लगने के बाद तुरंत बदल लेना चाहिए. ध्यान रखें कि इस पवित्र धागे में कभी भी कोई चीज न बांधे. ऐसा करना आपको अशुभ फल दे सकता है.
जनेऊ धारण की सही उम्र--
माना जाता है कि गर्भ धारण के आठ वर्ष के अंदर बच्चे का यज्ञोपवीत संस्कार करवा देना चाहिए. हालांकि आज के समय में अधिकतर लोग ऐसा नहीं करते हैं. कई लोग विवाह के दौरान ही यज्ञोपवीत करवा लेते हैं. असल मायने में किसी भी धार्मिक कार्य या पूजा अनुष्ठान करने से पहले जनेऊ धारण करना चाहिए. अधिकतर लोग इससे जुड़े नियमों को जानकर डर जाते हैं और इसे धारण नहीं करते हैं.
- - न्यू इयर के जश्न का आगाज शुरू हो गया है. लोग 25 दिसंबर यानी क्रिसमस के दिन से ही न्यू इयर सेलिब्रेट करने लगते हैं. लोग नए साल की शुरूआत अपने दोस्तों करीबियों और परिवार के साथ मानातें हैं. पार्टी के अलावा घर में खुशियां बरकरार रहें, इसके लिए पूजा-पाठ , दान-पुण्य भी करते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि अगर आप भी अपने घर में खुशियां चाहते हैं तो 1 जनवरी की घर में जरूर लाएं ये चीजें. वास्तु शास्त्र के अनुसार इन चीजों को साल के पहले दिन घर लाया जाए तो सकारात्मका रहेगी. साथ ही आपके तरक्की के रास्ते भी खुल जाते हैं और सम्सया आपसे दूर रहेगी.घर के मुख्य द्वार को रखें साफसबसे पहले आपको अपने घर को साफ-सुथरा जरुर रखें. घर के मुख्य द्वार हमेशा बड़े आकार का होना चाहिए. मुख्य द्वार पर गंदगी न रहे इसका खास ख्याल रखें. वहां रंगोली बनाकर दीपक जलाएं और फूलों से मुख्य द्वार को सजाएं. घर का मुख्य द्वार व्यक्ति के जीवन में आने वाली सुख-समृद्धि तो दर्शाता है. द्वार हमेशा साफ-सुथरा होना चाहिए. तभी मां लक्ष्मी आपके घर में वास करें और घर का वातावरण सुखद रहे.1.नए साल के पहले दिन खरीदें मोरपंखमोर पंख का संबंध भगवान श्रीकृष्ण से होता है. घर में मोर का पंख रखना शुभ माना जाता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मोर पंख रखने से दरिद्रता नहीं आती है औक घर का वातावरण सकारात्मता और खुशी से भरा रहता है.2. लाफिंग बुद्धा खरीदेंनए साल के पहले दिन लाफिंग बुद्धा घर लाएं. माना जाता है कि इसे घर में रखने से नए अवसर प्राप्त होते हैं और आपके काम में कोई रुकावट नहीं आती है. घर के आपसी रिश्तों में हमशेा प्रेम बढ़ता है साथ ही लाफिंग बुद्धा को अपने ड्राइंग रुम में रखें.3. घर में लाएं एक्वेरियमघर में एक्वेरियम रखना शुभ माना जाता है. इसके अलावा अगर आपके परिवार में किसी को बुरी नजर बार-बार लगती रहती है, तो आपको अपने घर में एक्वेरियम जरूर रखना चाहिए और इसे घर के उत्तर दिशा में रखें. क्योंकि ये दिशा कुबेर देवता का स्थान माना जाता है.4. नए साल के पहले दिन खरीदें कछुआवास्तु शास्त्र के अनुसार घर में कछुआ रखने से सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है. अगर आपके घर में बात-बात पर बहस होती है, तो आपको नए साल में कछुआ जरूर खरीदना चाहिए, इससे घर का वातावरण सुखद और खुशहाली बरकरार रहेगा.
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फेस रीडर्स किसी व्यक्ति की नाक के आकार से भी उनके चरित्र और व्यक्तित्व लक्षणों के बारे में बता सकते हैं. क्या आप जानते हैं कि चेहरा पढ़ने की कला 3,000 साल पुरानी हैं. फेस रीडिंग विशेषज्ञ और लेखक जीन हैनर के अनुसार, फेस रीडिंग आपके व्यक्तित्व लक्षणों को एक खुली किताब की तरह प्रकट कर सकती है और आपको यह जानने में मदद कर सकती है कि आप एक व्यक्ति के रूप में कैसे हैं।
फेस रीडिर्स के अनुसार नाक के आकार से जानें अपने व्यक्तित्व की खास बातें..
सीधी नाक
यदि आपकी सीधी नाक है, तो आप बेहद आकर्षक, स्पष्ट सोच, सहनशीलता, धैर्य, करुणा, सादगी, ईमानदारी, अनुशासन, विश्वसनीयता और भरोसेमंद व्यक्तित्व के धनी हैं. आप बहुत दृढ़निश्चयी, व्यावहारिक और विवेकपूर्ण व्यक्ति हैं. आप वफादार हैं और अपने प्रियजनों के साथ रहने के लिए अपना सब कुछ झोंक सकते हैं. आपके बारे में एक दिलचस्प बात यह है कि आप किसी के राज को गुप्त रख सकते हैं. हालांकि आप लोगों पर जल्दी भरोसा नहीं कर पाते हैं. आप विनम्र और मिलनसार हैं लेकिन आपका विश्वास जीतने में किसी को भी मसय लग सकता है. आप स्पष्ट और संक्षिप्त तरीके से बातें करते हैं. आप खुद को भीड़ में सबसे शांत और सबसे अलग व्यक्ति के रूप में पेश करने में सक्षम होते हैं. आपमें सौंदर्य और कला क्षेत्र के विशेषज्ञ बनने के गुण होते हैं. ऐसी नाक के आकार वाले पुरुष और महिला मीडिया, निजी सहायक, मॉडलिंग या कुछ कलात्मक क्षेत्र में अपना करियर बनाते हैं. आप किसी के जीवन को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में खुशी और गर्व महसूस करते हैं।
डेढ़ी नाक
यदि आपकी नाक टेढ़ी है, तो आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि आप टेढ़े शब्द के बिल्कुल विपरीत हैं. आप सबसे सरल और सीधे किस्म के व्यक्ति हैं. आपकी नाक का आकार एक अलग कहानी कह सकता है लेकिन आप एक मजबूत चरित्र और उदारता वाले व्यक्ति हैं. आप एक अच्छे श्रोता हैं. अपनी राय व्यक्त करते समय आप एक असभ्य व्यक्ति के रूप में सामने नहीं आते हैं. आपको चीजों को उलझाना पसंद नहीं है. आपका व्यक्तित्व सरल और सटीक होता है. साधारण चीजों के प्रति आपका लगाव है. आप जटिल बातचीत और नाटकीय रिश्तों से दूर रहने की कोशिश करते हैं. आप अपने सद्गुणों और जीवन मूल्यों पर दृढ़ता से बने रहते हैं जो आपको महान साथी, मित्र, माता-पिता भी बनाता है. आप शांति से सुनते हैं और निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले प्रतिक्रिया देते हैं. आपको डोरमैट की तरह व्यवहार करना पसंद नहीं है. सार्वजनिक स्थानों पर या किसी स्थिति का अंदाजा लगाने के लिए आप जिद्दी या ठंडे दिख सकते हैं लेकिन वह केवल एक आवरण है. वास्तव में टेढ़ी नाक वाले बहुत से लोगों ने स्पष्ट रूप से अत्यधिक प्रसिद्धि प्राप्त की है।
मांसल नाक
यदि आपकी मांसल नाक है, तो आप एक तेज विचारक, चतुर, समझदार और सतर्क किस्म के व्यक्ति हैं. आप उदार, दयालु, संवेदनशील और भावुक भी हैं, लेकिन लोग आपके इन गुणों का अनुभव तभी कर सकते हैं जब वे आपको व्यक्तिगत रूप से जानते हों. आमतौर पर आप अटकलों से दूर रहते हैं. हालांकि, दिलचस्प बात यह है कि आप तेजी से सोचते हैं और अपने विचारों पर तेजी से कार्य करते हैं. कई बार आप आक्रामक भी हो सकते हैं. आप अपने पैसों को लेकर भी काफी सतर्क रहते हैं. आप अपने पैसे बचाने में अच्छे हैं. आप उन खर्चों को दिखाने या कवर करने के लिए खर्च नहीं करते हैं जो आपके लिए मायने नहीं रखते. आप एक सकारात्मक जीवन जीते हैं क्योंकि आप सकारात्मक पहलुओं पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं. आप तेजी से आगे बढ़ते हैं और जितना संभव हो उतना पूरा करते हैं. लोगों की नजरों में आप गलाकाट और आक्रामक हो सकते हैं, लेकिन साथ रहने के लिए आप एक बहुत ही देखभाल करने वाले और वफादार साथी हैं. आप बिना चीनी की परत चढ़ाए सच बोल देते हैं।
बटन नाक
यदि आपके पास एक बटन नाक (Button nose) है, तो आपकी नाक न केवल दुनिया में सबसे प्यारी नाक है, बल्कि आपका व्यक्तित्व क्यूटनेस से भरा है. लेकिन किसी को यह सोचने की गलती नहीं करनी चाहिए कि सिर्फ क्यूटनेस ही आपके पास है. आप एक दृढ़ इच्छाशक्ति, दृढ़ निश्चयी और सहज व्यक्ति हैं. आप जीवन में अत्यधिक आशावादी हैं. आप बेकार नहीं बैठेंगे, आप ज्यादातर तरह-तरह की गतिविधियों में उलझे पाए जाते हैं. आप अपना समय बुद्धिमानी से और सावधानीपूर्वक योजना के साथ निवेश करते हैं. अपना समय और ऊर्जा इसमें लगाने से पहले आपको पता चल जाता है कि किसी निश्चित गतिविधि से आपको क्या लाभ होगा. आप अपने नियोजित कार्यों को समय पर पूरा करने में कुशल हैं. आप सभी को सुन सकते हैं लेकिन आप अपनी सहज प्रवृत्ति या आंतरिक आवाज के माध्यम से पालन करेंगे. आप ज्यादातर वही प्राप्त करते हैं जो आप चाहते हैं. आप एक वफादार साथी और दोस्त बनाते हैं. आप अपने प्रियजनों के दर्द को दूर करने में उनकी मदद करते हैं।
बाज के जैसी नाक
यदि आपके पास हॉक नाक है, तो महत्वाकांक्षा, स्वतंत्रता और नेतृत्व की एक स्वस्थ भावना आपके अंदर मौजूद है. मौकों को भांपने में आपकी पैनी नजर है. आध्यात्मिक विषयों में भी आपकी विशेष रुचि है. आप सफलता के लिए अपना रास्ता खुद बनाने में अत्यधिक कुशल और सफल हैं. आपके पास उच्च स्तर का आत्मविश्वास है. कई बार आप जिद्दी भी हो सकते हैं. लिंग की परवाह किए बिना, बाज नाक के आकार वाले लोग अपने करियर में वित्तीय स्वतंत्रता अधिक प्राप्त करते हैं. आप उस तरह के व्यक्ति के रूप में भी जाने जाते हैं जो पहले अपने बारे में सोचेगा. इसका मतलब है कि आप स्वार्थी व्यवहार करते हैं. आप जोखिम लेने से नहीं डरते हैं और हो सकता है ऐसा करते समय आप दूसरे लोगों की भावनाओं की परवाह भी न करें. आप किसी स्थिति से सर्वोत्तम लाभ उठाने पर नजर रखते हैं. आप निडर होकर अपनी बात जोर से कहेंगे और जरूरत पड़ने पर उसका बचाव भी करेंगे. आप अपने आत्मविश्वास के लिए भीड़ में सबसे अलग दिखते हैं. ऐसी नाक वाली महिलाएं उत्कृष्ट शैक्षिक योग्यता के साथ-साथ व्यावसायिक कौशल भी अर्जित करती हैं।
छोटी नाक
यदि आपकी नाक छोटी है जिसे स्नब नोज भी कहते हैं. ऐसी नाक की नोक ऊपर की ओर इशारा करती है और नथुने थोड़े दिखाई देते हैं. आप एक टीम प्लेयर हैं, इसलिए आपको ग्रुप सेटिंग में संपन्न होने में कोई परेशानी नहीं होती है. आप आमतौर पर प्यारे, हंसमुख और स्नेही व्यवहार रखते हैं. आप एक सहायक व्यक्ति हैं और लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपनी रचनात्मकता का उपयोग करते हैं. आप एक अच्छे योजनाकार भी हैं. आप काम पूरा कर लेते हैं और अगले कार्य के लिए आगे बढ़ जाते हैं. आप ज्यादातर बहुत लापरवाह होते हैं. आपको अपने लापरवाह स्वभाव के कारण कभी-कभी परिपक्वता के एक निश्चित स्तर तक पहुंचने में भी परेशानी होती है. दूसरे शब्दों में, कभी-कभी आप अपने भीतर के बच्चे जैसी प्रवृत्तियों को प्रोजेक्ट करते हैं. आप काफी अधीर भी होते हैं और अशांत परिस्थितियों में हताशा प्रदर्शित करते हैं. आपका गुस्सा कहीं से भी निकल सकता है. उदाहरण के लिए, आपको ऐसे लोगों के साथ घुलने-मिलने में परेशानी हो सकती है जो चीजों को जाने नहीं दे सकते. आप बहुत ही निजी व्यक्ति भी हैं।
बड़ी नाक
यदि आपके पास एक उभरी हुई टिप और बड़े नथुने के साथ एक बड़ी नाक है, तो आपके पास खुद का दिमाग है और आप किसी और के लिए काम करना पसंद नहीं करते हैं. आप दूसरों के आदेश से काम करने के बजाय आप अपना खुद का बॉस बनना पसंद करते हैं. आप बड़ी चाल चलने या कमरे में आकर्षण का केंद्र बनने के लिए जाने जाते हैं. ऐसे कई अध्ययन हैं जो बताते हैं कि बड़ी नाक का संबंध शक्ति, नेतृत्व, अहंकार और स्वतंत्रता की भावना से है. आप एक व्यावहारिक व्यक्ति हैं जो अपना रास्ता खुद बनाता है और काम करने के लिए किसी और पर निर्भर नहीं रहता है. आप एक जन्मजात नेता के रूप में जाने जाते हैं. आप लोगों के साथ बहुत दयालु और अच्छे व्यवहार के लिए जाने जाते हैं. वास्तव में, लोग समाधान के लिए आपकी ओर देखते हैं क्योंकि आप कुशल विचारों के साथ आने की सबसे अधिक संभावना रखते हैं. आप पैसे के मामले में भी अच्छे हैं. आपको आय के अच्छे स्रोत मिलने का योग होते हैं. आप अपने पैसे का प्रबंधन भी कुशलता से करते हैं।
- - पंडित प्रकाश उपाध्यायज्योतिषशास्त्र की तरह अंक ज्योतिष से भी जातक के भविष्य, स्वभाव और व्यक्तित्व का पता लगता है। जिस तरह हर नाम के अनुसार राशि होती है उसी तरह हर नंबर के अनुसार अंक ज्योतिष में नंबर होते हैं। अंकशास्त्र के अनुसार अपने नंबर निकालने के लिए आप अपनी जन्म तिथि, महीने और वर्ष को इकाई अंक तक जोड़ें और तब जो संख्या आएगी, वही आपका भाग्यांक होगा। उदाहरण के तौर पर महीने के 2, 11 और 20 तारीख को जन्मे लोगों का मूलांक 2 होगा। जानें कैसा रहेगा आपका 1 जनवरी का दिन...मूलांक 1- आज आपका दिन खुशनुमा रहेगा। कार्यक्षेत्र और व्यापार में वातावरण आपके अनुकूल रहेगा। संपत्ति से जुड़े मामलों में किसी अनुभवी से सलाह कर निर्णय लें। कार्यक्षेत्र में नई जिम्मेदारियां आपको सौंपी जा सकती हैं। व्यापार में अचानक लाभ के अवसर सामने आएंगे। परिवार में खुशियों का वातावरण रहेगा। दांपत्य जीवन में मधुरता रहेगी। आपका स्वास्थ्य सामान्य रहेगा।मूलांक 2- आज आपका दिन उपलब्धियों भरा रहेगा। कार्यक्षेत्र और व्यापार में वातावरण आपके अनुकूल रहेगा। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। साथियों के सहयोग से मुश्किल कार्य भी बन सकेंगे। व्यापार में अचानक लाभ के अवसर सामने आएंगे। घर पर किसी अतिथि का आगमन हो सकता है। परिवार में खुशियों का वातावरण रहेगा। दांपत्य जीवन में मधुरता रहेगी। आपका स्वास्थ्य सामान्य रहेगा।मूलांक 3- आज आपका दिन मिला जुला असर देने वाला रहेगा। भविष्य को लेकर योजनाएं बनाएंगे। मन में किसी बात को लेकर चिंता बनी रहेगी। कार्यक्षेत्र में साथियों का सहयोग और अधिकारियों का सानिध्य प्राप्त होगा। एकाग्रता बनाए रखें। मेहनत से किए गए कार्यों में सफलता मिलेगी। परिवार में किसी का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। वाहन के प्रयोग में सावधानी बरतें।मूलांक 4- आज आपका दिन खुशियों भरा रहेगा। कार्यक्षेत्र और व्यापार में वातावरण आपके अनुकूल रहेगा। साथियों का सहयोग मिलेगा। अधिकारियों का सानिध्य प्राप्त होगा। व्यापार में लाभ के अवसर सामने आएंगे। व्यापार के सिलसिले में कहीं यात्रा पर जाने का कार्यक्रम बन सकता है। परिवार में खुशियों का वातावरण रहेगा। दांपत्य जीवन में मधुरता रहेगी। आपका स्वास्थ्य सामान्य रहेगा।मूलांक 5- आज आपका दिन मिला जुला असर देने वाला रहेगा। कार्यक्षेत्र और व्यापार में वातावरण आपके अनुकूल कम ही रहेगा। नई योजनाओं पर कार्य आरंभ न करें। महत्वपूर्ण मामलों में सोच विचार कर निर्णय लें। जोखिमभरे मामलों में निर्णय फिलहाल टाल दें। परिवार का सहयोग मिलेगा। विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता मिल सकती है। मौसम के बदलाव से आपका स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।मूलांक 6- आज आपका दिन मिला जुला असर देने वाला रहेगा। कार्यक्षेत्र और व्यापार में वातावरण आपके अनुकूल कम ही रहेगा। नई योजनाओं पर कार्य आरंभ न करें। जोखिमभरे मामलों में निर्णय फिलहाल टाल दें। मन किसी बात को लेकर खिन्न हो सकता है। परिवार में किसी बात पर अनबन हो सकती है। मानसिक तनाव आपको परेशान कर सकता है। वाहन के प्रयोग में सावधानी बरतें।मूलांक 7- आज आपका दिन उतार चढ़ावभरा रहेगा। कार्यक्षेत्र और व्यापार में वातावरण आपके अनुकूल कम ही रहेगा। नई योजनाओं पर कार्य आरंभ न करें। बनते हुए कार्यों में बाधाएं आ सकती हैं। विवादों की स्थिति से दूर रहें। आर्थिक हानि हो सकती है। जोखिमभरे मामलों में निर्णय लेने से पहले किसी अनुभवी से सलाह अवश्य कर लें। पारिवारिक समस्याएं आपको परेशान कर सकती है।मूलांक 8- आज आपका दिन खुशनुमा रहेगा। कार्यक्षेत्र और व्यापार में वातावरण आपके अनुकूल रहेगा। साथियों का सहयोग मिलेगा। अधिकारियों का सानिध्य प्राप्त होगा। नई योजनाओं पर कार्य आरंभ कर सकते हैं। व्यापार में लाभ के अवसर सामने आएंगे। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। परिवार का सहयोग मिलेगा। दांपत्य जीवन में मधुरता रहेगी। आपका स्वास्थ्य सामान्य रहेगा।मूलांक 9- आज आपका दिन मिला जुला असर देने वाला रहेगा। कार्यक्षेत्र और व्यापार में वातावरण आपके लिए कम ही अनुकूल रहेगा। नई योजनाओं पर कार्य आरंभ न करें। व्यापार में लाभ के अवसर कम ही सामने आएंगे। आर्थिक हानि हो सकती है। परिवार में किसी का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। मानसिक तनाव की स्थिति बनी रहेगी। संतान पक्ष से शुभ समाचार की प्राप्ति हो सकती है।
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-बालोद से प्रकाश उपाध्याय
हनुमान जी इस कलयुग में जागृत देव हैं। हनुमान जी की कृपा से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। जिस व्यक्ति पर हनुमान जी की कृपा हो जाए, उसके जीवन से दुख-दर्द दूर रहते हैं। हनुमान जी इस कलयुग में जागृत देव हैं। माता सीता ने हनुमान जी को अजर- अमर रहने का वरदान दिया है। हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए रोजाना श्री हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए और भगवान राम और माता सीता के नाम का सुमिरना करना चाहिए।
श्री हनुमान चालीसा
श्रीगुरु चरन सरोज रज
निजमनु मुकुरु सुधारि
बरनउँ रघुबर बिमल जसु
जो दायकु फल चारि
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर
राम दूत अतुलित बल धामा
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुण्डल कुँचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे
काँधे मूँज जनेउ साजे
शंकर सुवन केसरी नंदन
तेज प्रताप महा जग वंदन।।
बिद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबे को आतुर
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
बिकट रूप धरि लंक जरावा
भीम रूप धरि असुर सँहारे
रामचन्द्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये
श्री रघुबीर हरषि उर लाये
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना
लंकेश्वर भए सब जग जाना
जुग सहस्र जोजन पर भानु
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रच्छक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै
तीनों लोक हाँक तें काँपै
भूत पिसाच निकट नहिं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरे सब पीरा
जपत निरन्तर हनुमत बीरा
संकट तें हनुमान छुड़ावै
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा
तिन के काज सकल तुम साजा
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा
है परसिद्ध जगत उजियारा
साधु सन्त के तुम रखवारे
असुर निकन्दन राम दुलारे।।
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता
अस बर दीन जानकी माता
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुह्मरे भजन राम को पावै
जनम जनम के दुख बिसरावै
अन्त काल रघुबर पुर जाई
जहां जन्म हरिभक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई
सङ्कट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जय जय जय हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बन्दि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।। -
हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल माघ शुक्ल की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से बुद्धि और विवेक में वृद्धि होती है। इस साल बसंत पंचमी का त्योहार 26 जनवरी को बनाया जाएगा।
इस साल बसंत पंचमी गुरुवार को पड़ रही है। हिंदू धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवताओं को समर्पित है। गुरुवार का दिन मां सरस्वती को समर्पित है। इस साल उसी दिन बसंत पंचमी पड़ रही है। ऐसे में उस दिन मां सरस्वती प्रसन्न होकर अपने भक्तों को अपना विशेष आशीर्वाद प्रदान करेगी।
बसंत पंचमी के दिन क्या करें- --
1. बसंत पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
2. इस दिन पीले वस्त्र धारण करना चाहिए।
3. बसंत पंचमी के दिन पूरे विधि- विधान से मां सरस्वती की पूजा करें।
4. पूजा के समय सरस्वती वंदना का पाठ अवश्य करें।
सरस्वती वंदना
या कुन्देन्दु तुषारहार धवला
या शुभ्र परिधानानविता ।
या वीणा वर दंड मंडितकरा
या श्वेत पद्मासना ||
या ब्रह्मा परमयुत शंकर प्रभृतिभिः
देवै सदा पूजिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती
निःश्यॆश जाद्यपह ॥ -
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
नया साल 2023 शुरू होने में थोड़ा ही समय बाकी रह गया है. हर कोई नए साल के मंगलकारी होने की उम्मीद में बैठा है. आपने कई बार लोगों को ये कहते सुना होगा कि नए साल का पहला दिन पूरे साल का हाल बयां करता है. यानी साल का पहला दिन जैसा होगा, उसके बाकी दिन भी लगभग वैसे ही गुजरते हैं. ये सिर्फ एक धारणा है, लेकिन इसे मानकर अगर हम पहले दिन को थोड़ा बेहतर बनाने का प्रयास कर लें तो इसमें कोई आपत्ति नहीं है. वास्तु शास्त्र के मुताबिक, राशिनुसार शुभ रंग के कपड़े पहनने से इंसान का दिन अच्छा गुजरता है. अगर आप चाहते हैं कि मां लक्ष्मी की कृपा पूरे साल आप पर बनी रहे तो नए साल की पहली तारीख को राशि के हिसाब से शुभ रंग के कपड़े पहनें.
मेष- मेष राशि के जातकों के लिए लाल रंग के कपड़ों को शुभ माना गया है. इस रंग के कपड़े पहनने से आपका दिन मंगलमयी रहेगा. मेष राशि के जातक काले रंग के कपड़े पहनने से बचें.
वृषभ- वृष राशि के जातकों के लिए सफेद, गुलाबी और क्रीम कलर के कपड़े पहनना शुभ माना गया है. इसलिए आप 1 जनवरी 2023 को इस रंग के कपड़े ही धारण करें. इस राशि के जातक लाल रंग के कपड़े पहनने से बचें.
मिथुन- मिथुन राशि वालों के लिए हरे रंग के कपड़ों को सबसे अच्छा माना जाता है. इस रंग के कपड़े पहनने से उनकी क्रिएटिविटी में निखार आता है. इस राशि के जातक अगर साल के पहले दिन हरे रंग के कपड़े पहन लेंगे तो उनकी किस्मत पूरे साल चमकती रहेगी.
कर्क- नए साल पर पीले और हरे रंग के कपड़े पहनने से कर्क राशि के जातकों का सोया भाग्य जाग सकता है. ये शुभ रंग आपके रुके हुए कार्यों में सक्रियता लाता है. कर्क राशि के जातकों को काले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए.
सिंह- सिंह राशि के जातकों को साल के पहले दिन लाल या केसरिया रंग के कपड़े पहनने चाहिए. हालांकि इस राशि के जातक पीले या गोल्डन कलर के वस्त्र भी धारण कर सकते हैं. आप इनमें से किसी भी रंग के कपड़े पहनकर मां लक्ष्मी को प्रसन्न कर सकते हैं.
कन्या- कन्या राशि के जातक साल के पहले दिन अगर हल्का नीला, हल्का गुलाबी या हरा रंग पहनें तो बेहतर होगा. ये रंग न केवल आपकी पर्सनैलिटी को चार चांद लगाएंगे, बल्कि किस्मत भी चमकाएंगे. इस राशि के जातक साल के पहले दिन लाल रंग के कपड़े पहनने से बचें.
तुला- तुला राशि वालों के लिए नीले रंग को सबसे शुभ माना गया है. अगर आप वर्ष के पहले दिन इस रंग को धारण करेंगे तो उन्नति और उपलब्धि के द्वार पूरे साल आपके लिए खुले रहेंगे. आपको काले, सफेद या लाल रंग के कपड़े पहनने से परहेज करना चाहिए.
वृश्चिक- 01 जनवरी 2023 को वृश्चिक राशि के जातक अगर मैरून या लाल रंग के कपड़े पहनेंगे तो दिन अच्छा रहेगा. ये दोनों ही रंग आपकी बंद किस्मत के दरवाजे खोल सकते हैं. आपको हरे रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए.
धनु- धनु राशि के जातकों को पीले या नारंगी रंग के कपड़े पहनने चाहिए. इस रंग के कपड़े धारण करने से आपकी सफलता की राह में आने वाली मुश्किलें खुद ब खुद दूर हो जाएंगी. आपको सुर्ख लाल रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए.
मकर- मकर राशि वाले साल के पहले दिन नीले रंग के कपड़े पहनें. ये रंग पूरे साल आपको शुभ समाचार मिलने के संकेत देता रहेगा. मकर राशि वालों को काले रंग के कपड़े पहनने से बचना होगा.
कुंभ- कुंभ राशि के जातकों के लिए बैंगनी और नीले रंगे के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है. ऐसा कहते हैं कि इस रंग के कपड़े पहनने से घर में पूरे साल सुख-समृद्धि बनी रहती है. इस राशि के जातक काले रंग के कपड़े पहनने से बचें.
मीन- मीन राशि के जातक साल के पहले दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करें. इस राशि के जातकों के लिए यह रंग सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. इस राशि के जातक लाल या काले रंग के कपड़े पहनने से बचें.-----पंडित प्रकाश उपाध्याय (9406363514)
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पंडित प्रकाश उपाध्याय
नाम का सीधा संबंध हमारी पहचान से जुड़ा हुआ है। इसके साथ ही साथ नाम का पहला अक्षर ग्रह, नक्षत्र और एक अंक का बोध कराता है। नाम का पहला अक्षर आपके व्यक्तित्व को कई तरह से प्रभावित करता है। शायद इसी वजह से हिंदू धर्म में बच्चे के नामकरण समारोह को इतना अधिक महत्व दिया गया है।
अंकशास्त्र के अनुसार, अक्षर 'L' अंक 3 का प्रतीक है। नंबर 3 का स्वामी बृहस्पति है। L अक्षर मेष राशि से संबंधित है जिसका स्वामी मंगल है। मंगल और बृहस्पति उग्र ग्रह हैं। जिसके कारण वह व्यक्ति बेहद आशावादी स्वभाव का होता है।
बृहस्पति को 9 ग्रहों में गुरु की उपाधि प्राप्त है। किसी व्यक्ति की कुंडली में बृहस्पति की उपस्थिति अपने साथ बहुत सारे सकारात्मक बदलाव लेकर आता है। जिसकी वजह से उस व्यक्ति को दूसरों की तुलना में अधिक सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही यदि आपका जन्मदिन इनमें से किसी एक अंक 3 (3, 12, 21 या 30) को पड़ती है, तो बृहस्पति से मिलने वाला आशीर्वाद और भी बढ़ जाता है।
बृहस्पति ग्रह के प्रभाव के कारण L नाम के लोगों के अंदर ज्ञान और विश्लेषण करने की अच्छी समझ होती है। वह अच्छे वक्ता होते हैं। वह पूरे दिल से प्यार कर रहे हैं और अपने रिश्ते को निभाने की पूरी कोशिश करते हैं। मंगल, ऐसे जातकों में की ऊर्जा में बढ़ोतरी करता है। इस नाम के लोग ईमानदार होते हैं। वह अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए आत्मविश्वास, साहस और दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ते हैं।
जिन लोगों के नाम L से शुरू होते हैं, वह अतीत में रहना बिल्कुल भी पसंद नहीं करते हैं और हमेशा पॉजिटिव उम्मीद के साथ भविष्य की ओर बढ़ते रहते हैं। जैसे-जैसे वह जीवन में आगे बढ़ते जाते हैं सफलता हासिल करते जाते हैं। इनमें लीडर बनाने का गुण पहले से होता है। मल्टी-टास्किंग होते हैं और यह आसानी से लोगों के दिलों में अपनी एक खास जगह बना लेते हैं। उनकी साहसी और उदार प्रवृत्ति उन्हें अच्छा प्रशासक बनाती है।
उनके लिए वफादारी सबसे महत्वपूर्ण है। वह आपको साथ अपनी पूरी वफादारी दिखाएंगे और आपसे भी ऐसी ही उम्मीद करेंगे। समर्पित और वफादार साथी होने के नाते, वह अपने रिश्ते की प्रतिबद्धता में विश्वास रखते हैं। यदि आप उनके साथ प्यार में हैं, तो जान लें कि यह अपने पार्टनर को हर तरह से खुश रखने की कोशिश करेंगे।
यह निराशावाद से दूर भागते हैं और यदि उनका साथी निराशावादी निकला तो इनके चुलबुले व्यक्तित्व में बाधा उत्पन्न होने लगती है। यदि उन्हें एक निगेटिव वातावरण में रहने के लिए मजबूर किया जाता है या वह अपने आस-पास में वातावरण के कारण खुद को फंसा हुआ महसूस करते हैं। तो उनका आशावादी स्वभाव जल्द ही जिद्दी और क्रोध में बदल सकता है।
वह आम तौर पर अपने जीवन में हर चीज के लिए समाधान खोजते हैं। लेकिन कई बार वह इस विषय पर कुछ ज्यादा ही सोच सकते हैं। जिसकी वजह से इनके तनाव का स्तर बढ़ सकता है और स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। -
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
नौ ग्रहों में राहु को सबसे बलवान माना गया है। किसी भी व्यक्ति को राजा से रंक और रंक से राजा बना सकता है। अच्छा राहु व्यक्ति को आसमान की बुलंदियों तक पहुंचाता है। हस्तरेखा विज्ञान में भी राहु पर्वत के अच्छे या बुरे का संकेत देते हैं। वाद-विवाद और मुकदमेबाजी भी राहु ही कराता है। हाथ के बीचोंबीच का क्षेत्र राहु का होता है। यदि राहु के बीचोबीच में कोई त्रिभुज बने तो यह बहुत अच्छा है। ऐसे लोगों का भाग्योदय बचपन से ही हो जाता है। ऐसे लोग बहुत यात्राएं भी करते हैं। बशर्ते इस त्रिभुज को ना तो कोई रेखा काटे और ना ही यह यह कटा हुआ हो। यदि राहु क्षेत्र में स्टार का निशान हो तो व्यक्ति को माता के कष्ट केा दिखाता है। ऐसे लेाग घर से दूर जाकर बसते हैं। इन लोगों को पित्त और गैस की समस्याएं पैदा करता है।
इन लोगों को पार्टनरशिप में कोई काम नहीं करना चाहिए। यदि यह स्टार भाग्य रेखा के नीचे की ओर बने तो यह आकस्मिक धन को दर्शाता है। यदि स्टार के साथ कोई राहु रेखा भी हो तो व्यक्ति के जीवन में धन की कमी हमेशा बनी रहती है। ऐसे लोगों को साझेदारी में भूलकर भी कोई काम नहीं करना चाहिए। लेकिन यदि स्टार भाग्य रेखा के ऊपर बन जाए तो यह व्यक्ति को क्रोधी बनाता है। यह जमीन, कोर्ट-कचहरी का विवाद भी दर्शाता है। यदि स्टार भाग्य रेखा के ऊपर और नीचे दोनों ओर हो तो यह ससुराल से विवाद को दिखाता है। लेकिन धन और व्यवसाय के लिए यह शुभ है। यदि राहु पर रेखाओं का जाल बन रहा हो तो यह किडनी रोग को दर्शाता है। इसके प्रभाव से शारीरिक कमजोरी की स्थिति बनती है। इन लोगों को जीवन में धोखे बहुत मिलते हैं। ऐसे लोगों को कभी भी गोमेद भूलकर भी नहीं पहनना चाहिए। -
-पंडित प्रकाश उपाध्याय
नया साल 2023 शुरू होने में अब थोड़ा ही समय बाकी रह गया है. ज्योतिषियों की मानें तो नया साल आर्थिक मोर्चे पर काफी उतार चढ़ाव वाला रहेगा. इस साल कर्क, तुला, धनु और कुंभ राशि के जातकों को आर्थिक मोर्चे पर अपार सफलता मिलेगी तो वहीं कन्या राशि के जातकों को बहुत संभलकर रहना होगा. कन्या राशि वाले वाहन या संपत्ति में निवेश करने से बचें. आइए जानते हैं कि नया साल रुपये, पैसे के मामले में आपके लिए कैसा रहने वाला है.
मेष राशि- जीवन में तमाम परिवर्तनों का सामना करना पड़ेगा. करियर में बदलाव के साथ बड़ी सफलता भी मिलेगी. बदलाव के बाद से खूब धन मिलेगा. आने वाले वर्ष के आरम्भ में संपत्ति का लाभ हो सकता है. सूर्य देव की उपासना विशेष लाभकारी होगी.
वृष राशि- शुरुआत में काम को लेकर थोड़ी मुश्किलें परेशान कर सकती हैं. परन्तु आर्थिक दशाओं में धीरे धीरे सुधार होता जाएगा. वर्ष के मध्य के बाद संपत्ति का लाभ भी होगा. इस वर्ष डूबे हुए और रुके हुए पैसे निकालने में सफल हो सकते हैं. शनि देव की उपासना से लाभ होगा.
मिथुन राशि- आर्थिक स्थिति में धीरे धीरे सुधार होगा. पुरानी समस्याओं को निपटने में काफी पैसा खर्च होगा. लेकिन आपका आर्थिक मैनेजमेंट बहुत अच्छा बना रहेगा. इस वर्ष नए व्यवसाय के शुरुआत का योग बनता है. पूरे वर्ष भगवान शिव की उपासना करें.
कर्क राशि- तमाम समस्याएं हल होने वाला वर्ष होगा. धन के और संपत्ति के मामले बहुत अच्छे रहेंगे. वर्ष की शुरुआत से ही धन मिलना शुरू हो जाएगा. इस वर्ष आप नया वाहन खरीद सकते हैं. नियमित रूप से शनि देव की उपासना करें.
सिंह राशि- करियर और धन के मामले में मध्यम वर्ष रहेगा. हालांकि धन सम्बन्धी कार्य भी पूरे होंगे. नई संपत्ति का लाभ होने की संभावना बनती है. शेयर बाजार, जुए, सट्टे से दूर रहें. नियमित रूप से सूर्य देव की उपासना करें.
कन्या राशि- कुल मिलाकर वर्ष मध्यम कहा जाएगा. आर्थिक और संपत्ति के मामले साधारण रहेंगे. दिया हुआ धन फंस सकता है, सावधान रहें. अभी वाहन और संपत्ति न खरीदें. बृहस्पति देव की उपासना करना लाभकारी होगी.
तुला राशि- आर्थिक पक्ष बहुत अच्छा होने से तमाम समस्याएं दूर हो जायेंगी. रोजगार के बेहतरीन अवसर प्राप्त होंगे. रुका हुआ या डूबा हुआ धन मिलने की संभावना बनती है. कर्ज के लेन देन में थोड़ी सावधानी रखनी होगी. भगवान शिव को जल अर्पित करने से लाभ होगा.
वृश्चिक राशि- इस वर्ष आर्थिक स्थिति में धीरे धीरे सुधार होता जाएगा. आपको अपने खर्चों पर नियंत्रण रखना चाहिए. फंसे हुए और डूबे हुए धन को निकालने का प्रयास करें. धन उधार देने और बांटने से बचाव करें. शनिवार को कुछ न कुछ दान करते रहने से लाभ होगा.
धनु राशि- नया कारोबार और संपत्ति सुख प्राप्त होगा. धन की स्थिति में लगातार सुधार होता जाएगा. वाहन और भवन का लाभ हो सकता है. इस वर्ष धन के निवेश में सावधानी रखें. सूर्य देव को जल अर्पित करें.
मकर राशि- करियर में परिवर्तन और बड़ी सफलताएं मिलेंगी. आर्थिक रूप से मजबूत होंगे. इस वर्ष सम्पत्ति खरीदने और बेचने के योग बनते हैं. इस वर्ष खर्चों पर नियंत्रण बनाए रखें. सुन्दरकाण्ड का पाठ करने से लाभ होगा.
कुम्भ राशि- कुल मिलाकर वर्ष उत्तम कहा जाएगा. आर्थिक और कारोबार के मामले में काफी सफलताएं मिलेंगी. बिना वजह कर्ज लेने देने से बचाव करें. स्वास्थ्य के मामले में खर्चे बढ़ सकते हैं. शिव जी की नियमित रूप से उपासना करें.
मीन राशि- आर्थिक दशाओं और नौकरी में स्थिरता आएगी. बहुत हद तक कर्जों के बोझ से छुटकारा मिलेगा. रुका हुआ धन प्राप्त होने की संभावना बनती है. अनावश्यक फिजूलखर्ची से बचाव करें. नियमित रूप से शनि मन्त्र का जप करना लाभकारी होगा. -
--पंडित प्रकाश उपाध्याय
सभी का जीवन विभिन्न रंगों से मिलकर बना है। हर रंग का एक खास गुण होता है जो हमारे मूड, व्यवहार और यहां तक कि भावनाओं को भी प्रभावित करता है। प्राचीन काल से ही रंग और उनके विशेष महत्व को महसूस किया गया है। इस बात में किसी भी तरह का कोई संदेह नहीं कि रंग एक अच्छे वास्तु के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। वास्तु को बेहतर बनाने के लिए घर के अंदर कुछ खास रंगों को शामिल करना जरूरी है।
लाल रंग: खून का रंग भी लाल होता है। लाल रंग जुनून, उत्साह और ऊर्जा का प्रतीक है यह रंग अग्नि से भी संबंधित है। यह जीवन को आगे बढ़ने के लिए गति और ऊर्जा प्रदान करता है।
लिविंग रूम की दक्षिणी दीवार को लाल रंग का पेंट करने से कमरे में एक अलग तरह की पॉजिटिव एनर्जी बनी रहती है। लिविंग रूम के अलावा बेडरूम की दीवारों पर लाल के शेड गुलाबी रंग का इस्तेमाल किया जा सकता है। लाल व गुलाबी नव विवाहित जोड़ों के लिए एक आदर्श रंग है। इससे वैवाहिक जोड़ों के बीच प्यार बना रहता है।
यदि घर में कोई प्रेग्नेंट महिला है तो उसके कमरे में गुलाबी रंग का पेंट या गुलाबी रंग की चीजें रखना वास्तु शास्त्र के अनुसार बेहद अच्छा माना जाता है।
गहरा लाल रंग गुस्से का प्रतीक होता है। बेडरूम में भूलकर भी इस रंग का प्रयोग न करें इससे रिश्तों में कड़वाहट आती है।
ऑरेंज रंग: यह रंग गर्व, महत्वकांक्षा और संचार का प्रतिनिधित्व करता है। जो व्यक्ति अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहा है उसके बेडरूम की दक्षिणी दीवार पर ऑरेंज रंग का पेंट करना चाहिए। वास्तु के अनुसार ऐसा करने से उसे बेहद जल्द सफलता मिलती है।
वास्तु के अनुसार दक्षिण और दक्षिण- पूर्व दिशा में स्थित किचन में ऑरेंज रंग का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा पूजा कक्ष में भी इस रंग का इस्तेमाल किया जा सकता है।
पीला रंग: यह रंग बुद्धि, तेज और प्रकाश का प्रतीक है। यदि किसी घर का मुख उत्तर दिशा की ओर है तो वास्तु शास्त्र के अनुसार उस घर की दीवारों पर पीला रंग करना बेहद शुभ माना जाता है।
स्टडी रूम के लिए पीला रंग काफी अच्छा माना जाता है पीले रंग से एकाग्रता बढ़ती है और पढ़ाई में भी मन लगने लगता है।
हरा रंग: यह रंग पॉजिटिव एनर्जी, समृद्धि को बढ़ाने में काफी मदद करता है। यह प्रकृति के साथ तालमेल बैठाने में मदद करता है। चिड़चिड़े और जिद्दी स्वभाव के लोगों के मन को शांत रखने के लिए इनके बेडरूम में हरे रंग का इस्तेमाल कर सकते हैं।
वैवाहिक जीवन में संघर्ष करने वाले जोड़ों के दक्षिण- पूर्वी बेडरूम की दीवारों पर पेस्टल ग्रीन शेड्स सुखदायक होता है। - ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह को सेनापति ग्रह माना गया है। मंगल ग्रह नए साल के मार्च में मिथुन राशि में गोचर करेंगे। मिथुन राशि में मंगल ग्रह के आने से कुछ राशियों पर शुभ प्रभाव पड़ेगा और कुछ राशियों पर अशुभ प्रभाव पड़ेगा। जानें मंगल राशि परिवर्तन का नए साल में किन राशियों को होगा लाभ-मिथुन राशि- मिथुन राशि वालों के लिए मंगल गोचर बेहद लाभकारी रहने वाला है। इस राशि के जातकों को करियर में तरक्की मिल सकती है। नौकरी की तलाश करने वाले जातकों को नौकरी के प्रस्ताव मिल सकते हैं। नौकरी पेशा करने वाले जातकों को उन्नति मिल सकती है।कन्या राशि- कन्या राशि के जातकों के लिए मंगल गोचर बेहद शुभ रहने वाला है। मंगल गोचर आपकी राशि के 10वें भाव में होगा। ऐसे में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले जातकों को शुभ समाचार मिल सकता है। नौकरी पेशा करने वाले जातकों को मनचाहा ट्रांसफर मिल सकता है। आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।मीन राशि- मीन राशि के जातकों के लिए मंगल गोचर अति शुभ रहने वाला है। मंगल गोचर आपकी राशि के चतुर्थ भाव में होगा। आपकी सुख-सुविधाएं बढ़ सकती हैं। नौकरी पेशा करने वाले जातकों को जॉब के नए अवसर मिलेंगे। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले जातकों को शुभ समाचार मिल सकता है।
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- पंडित प्रकाश उपाध्याय
मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित है। मान्यता है कि मंगलवार के दिन विधि-विधान से हनुमान जी की पूजा करने से सुखों की प्राप्ति होती है और सभी प्रकार का भय समाप्त हो जाता है। मंगलवार के दिन हनुमान जी के लिए व्रत रखने से जातक के सभी संकट टल जाते हैं। इसीलिए हनुमान जी को संकटमोचन भी कहा जाता है। इस दिन वास्तु में बताए गए कुछ उपाय अवश्य करने चाहिए, आइए जानते हैं इनके बारे में।
मंगलवार के दिन सुबह और शाम के समय हनुमानजी की मूर्ति के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करें। दीप में लाल रंग की बाती का प्रयोग करें। अगर लाल रंग की बाती न हो तो घी में थोड़ा सा सिंदूर डाल दें। मंगलवार को एक निश्चित समय पर हनुमानजी की मूर्ति के समक्ष बैठकर दीप प्रज्ज्वलित कर पाठ करें। मंगलवार के दिन गुड़ और भुने हुए चने बंदरों को या फिर लाल रंग की गाय को खिला सकते हैं। हनुमानजी को बूंदी का प्रसाद प्रिय है। मंगलवार के दिन हनुमानजी के मंदिर में बूंदी का प्रसाद भेंट करें। प्रसाद को घर पर नहीं लाना है। इसे मंदिर के आसपास मौजूद लोगों में बांट दें। मंगलवार को 108 तुलसी के पत्तों पर राम नाम लिखकर हनुमानजी को तुलसी माला पहनाएं। इस दिन जरूरतमंदों को भोजन कराएं। ऐसा करने से कभी भी धन और अन्न की कमी नहीं होगी। मंगलवार के दिन हनुमान जी को चोला चढ़ाएं। इस दिन सुंदरकांड का पाठ करें। हनुमान जी को केवड़े का इत्र और गुलाब के फूलों की माला अर्पित करें। मंगलवार के दिन बजरंगबाण का पाठ करने से शत्रुओं से मुक्ति मिलती है। मंगलवार को नमक का सेवन करने से बचें। मंगलवार के दिन किसी को ऋण नहीं दें। किसी पर भी इस दिन क्रोध न करें। मंगलवार के दिन कांटा, छुरी, कैंची जैसी धारदार चीजें नहीं खरीदनी चाहिए। - बालोद से पंडित प्रकाश उपाध्यायजीवन में हर कोई सुख-समृद्धि व तरक्की चाहता है। लेकिन कई बार लोग कड़ी मेहनत करने के बाद भी सफलता हासिल नहीं कर पाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी परेशानियो का कारण वास्तु दोष भी हो सकता है। अनजाने में हम अक्सर ऐसी चीजों को घर ले आते हैं जो वास्तु दोष का कारण बनती है। वास्तु शास्त्र में कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं जिन्हें अपनाकर व्यक्ति जीवन में सुख-समृद्धि हासिल कर सकता है।जानें मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कुछ आसान वास्तु टिप्स-रात को सोने से पहले अपनाएं ये वास्तु टिप्स-1. वास्तु शास्त्र में घर का हर कोना काफी महत्वपूर्ण माना गया है। ऐसे में रात को सोने से पहले घर की रसोई, बाथरूम के अलावा कुछ हिस्सों से संबंधित कार्य करके घर की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त किया जा सकता है।2. रात को सोने से पहले किचन में एक बाल्टी पानी भरकर रख दें। वास्तु के अनुसार, ऐसा करने से जातक को कर्ज से मुक्ति मिलती है और आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।3. वास्तु शास्त्र के अनुसार, बाथरूम में कभी बाल्टी खाली नहीं रखनी चाहिए। मान्यता है कि रात को सोने से पहले बाथरूम में भरी बाल्टी रखनी चाहिए। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।4. वास्तु शास्त्र के अनुसार, रोजाना शाम को मुख्य द्वार पर दीपक जलाना चाहिए। इसके साथ ही मुख्य द्वार पर एक लाइट भी जलानी चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी का घर में आगमन होता है।
- पंडित प्रकाश उपाध्यायसाल 2023 की शुरुआत होने में अब थोड़ा ही समय बाकी रह गया है. ज्योतिषविदों का कहना कि साल 2023 लव और रिलेशनशिप के मामले में सिंह, कन्या और वृश्चिक राशि के जातकों के लिए बहुत लकी रहने वाला है. जबकि धनु और मकर राशि के जातकों को बहुत संभलकर रहना होगा. आइए जानते हैं कि ये नया साल प्रेम संबंधों के मोर्चे पर सभी राशियों को कैसे परिणाम देने वाला है.मेषरिलेशनशिप के मामले में साल 2023 मेष राशि के लिए मिला जुला रहने वाला है. रिश्तों के प्रति आप ईमानदार रहेंगे. यदि आप अविवाहित हैं तो अप्रैल से अगस्त माह के दौरान आपके जीवन में किसी खास इंसान की एंट्री हो सकती है. वैवाहिक जीवन की बात करें तो राहु-केतु की स्थिति के प्रभावस्वरूप दांपत्य जीवन में तनाव बढ़ने की आशंका है.वृषभ- वृषभ राशि के जातकों के लिए यह वर्ष प्रेम संबंधों में मधुरता लेकर आएगा. खासतौर से जनवरी से अप्रैल तक आपके रिश्ते में बहुत मजबूती रहेगी. 2023 में विवाह के योग बनते दिखाई दे रहे हैं. रिश्ते में मिठास और रोमांस बढ़ेगा. हालांकि साल के आखिरी महीने दिसंबर में आपको थोड़ा सावधान रहने की आवश्यकता होगी. स दौरान आपकी टेढ़ी बातचीत रिश्ते में तनाव आ सकता है।मिथुन-मिथुन राशि के लिए यह साल औसत रहेगा. वैवाहिक जीवन में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं. जनवरी के महीने में आपको बहस, वाद-विवाद और झगड़े से जुड़ी परेशानियां होंगी. हालांकि ये ऐसी समस्याएं धीरे-धीरे दूर होने लगेंगी. जो लोग प्रेम संबंध में हैं, वे अप्रैल के बाद अपने प्रिय को शादी के लिए प्रपोज कर सकते हैं.कर्कप्रेम और वैवाहिक जीवन की बात करें तो इस वर्ष कर्क राशि के जातकों को अपने रिश्ते में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं. साल की शुरुआत में आपके वैवाहिक जीवन में तनाव और टकराव की स्थिति बन सकती है. हालांकि अप्रैल में गुरु देव बृहस्पति की चाल बदलने के बाद रिश्तों में सकारात्मकता आएगी. इसके बाद आप पार्टनर के साथ सुखद पलों का आनंद लेते दिखाई देंगे.सिंहसिंह राशि के जातकों के लिए महीना प्रेम संबंधों के लिहाज से बहुत अच्छा रहने वाला है. इस वर्ष आपका पार्टनर बेहद समझदार और बुद्धिमान होगा. उनकी बुद्धिमानी से आपके रिश्ते में खुशहाली आएगी. आपके रिश्ते से कड़वाहट, शिकायत, नीरसता जैसे शब्द गायब हो जाएंगे. अविवाहित जातकों के लिए विवाह के योग बनेंगे।कन्यारिलेशनशिप के लिहाज से कन्या राशि के जातकों के लिए साल 2023 बहुत ही अच्छा रहेगा. साल की शुरुआत में शनि और शुक्र आपके पांचवें भाव में स्थित होंगे, जिसके परिणामस्वरूप आपको अपना रिश्ता मजबूत बनाने के कई मौके मिलेंगे. ऐसे में यदि आप अपने रिश्ते के प्रति सच्चे और ईमानदार होंगे तो आपके रिश्ते में मधुरता आएगी और नजदीकियां बढ़ेंगी.तुलाइस वर्ष तुला राशि के जातकों के प्रेम जीवन में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहेगी. आपके रिश्ते में मिठास और रोमांस बढ़ेगा. पार्टनर के साथ मिलकर खुशी के पलों का लुत्फ भी उठाएंगे. लेकिन आपको अपने रिश्ते के प्रति ईमानदार, वफादार रहना होगा, अन्यथा आपके रिश्ते में कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.वृश्चिकवृश्चिक राशि के जातकों के लिए साल 2023 प्रेम के मोर्चे पर महत्वपूर्ण रहने वाला है. यदि आप सिंगल हैं तो आपके जीवन में प्यार दस्तक दे सकता है, जिसके साथ आप बेहद सहज महसूस करेंगे. रिश्तों आपको गजब का सामंजस्य देखने को मिलेगा. फरवरी से लेकर मार्च तक की अवधि में आपके संबंध में प्रेम और रोमांस की वृद्धि होगी. प्यार और भी ज्यादा गहरा होता प्रतीत होगा. आप बेझिझक अपने दिल की बात एक-दूसरे से कह सकेंगे.धनु-लव या रिलेशनशिप के मामले में धनु राशि राशि वालों को साल 2023 में ज्यादा सावधान रहना होगा. आपको कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. प्रेम संबंध में तनाव बढ़ने की संभावना रहेगी. पार्टनर के साथ आपकी नोक-झोंक, झड़प बढ़ सकती है. रिश्ते टूटने की कगार तक जा सकते हैं. खासतौर से आपको अक्टूबर तक बहुत संभलकर रहना होगा.मकर- मकर राशि के जातकों को इस साल रिश्तों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होगी. इस दौरान यदि आप अपने पार्टनर के दृष्टिकोण को समझने का प्रयास नहीं करेंगे तो वे आपसे नाराज हो सकते हैं. रिश्ता टूटने तक की नौबत आ सकती है। इसलिए सलाह दी जाती है कि सावधान रहें और परिस्थितियों को प्यार से हैंडल करने की कोशिश करें.कुंभकुंभ राशि के जातकों के लिए वर्ष की शुरुआत प्रेम संबंधों के लिहाज से अच्छी रहेगी। जनवरी और फरवरी के महीने आपको बेहद खुशनुमा महसूस होंगे. लेकिन 13 मार्च 2023 को जब पांचवें भाव में मंगल का गोचर होगा, तब आपके रिश्ते में तनावपूर्ण स्थितियां पनप सकती हैं. ऐसे में आपका प्रियतम के साथ वाद-विवाद या झगड़ा होने की भी आशंका है.मीनमीन राशि को भी इस साल प्यार के मामले में मिले-जुले परिणाम प्राप्त हो सकते हैं. आपको अपने प्रियतम से दूर रहना पड़ सकता है. रिश्तों के प्रति आपको बहुत ईमानदार रहने की जरूरत होगी. हालांकि इस राशि के जातकों को पार्टनर का पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा. पार्टनर की सलाह लेकर किए गए फैसलें कभी विफल नहीं होंगे. जो लोग किसी को पसंद करते हैं या किसी से शादी करना चाहते हैं तो उनके लिए भी समय अनुकूल रहने वाला है.
- भगवान श्रीराम के दो पुत्र हुए - लव और कुश। निर्वाण लेते समय श्रीराम ने अपने साम्राज्य को स्वयं और अपने अनुज पुत्रों में समान रूप से बाँट दिया। लव को जो राज्य मिला उसका नाम उन्होंने लव नगर रखा। आज पाकिस्तान का लाहौर ही वो नगर था। कुश के राज्य का नाम कुश नगर पड़ा जिसे आज पाकिस्तान के कसूर के नाम से जाना जाता है। लव का वंश अधिक नहीं चला किन्तु कुश के वंशजों से अपने राज्य को बहुत बढ़ाया। आइये इस पर एक दृष्टि डालते हैं:श्रीराम के दो पुत्र हुए - लव और कुश।कुश के पुत्र अतिथि हुए।अतिथि के पुत्र का नाम निषध था।निषध के पुत्र नल हुए।नल के पुत्र नभस हुए।नभस के पुत्र का नाम पुण्डरीक था।पुण्डरीक के क्षेमधन्वा नामक पुत्र हुए।क्षेमधन्वा के देवानीक हुए।देवानीक के अहीनगर हुए।अहीनर के पुत्र का नाम रूप था।रूप के रुरु नामक पुत्र हुए।रुरु के पारियात्र नामक पुत्र हुए।पारियात्र के पुत्र का नाम दल था।दल के पुत्र शल हुए।शल के पुत्र का नाम उक्थ था।उक्थ के वज्रनाभ नामक पुत्र हुए।वज्रनाभ से शंखनाभ हुए।शंखनाभ के व्यथिताश्व नामक पुत्र हुए।व्यथिताश्व से विश्?वसह हुए।विश्वसह के पुत्र का नाम हिरण्यनाभ था।हिरण्यनाभ से पुष्य हुए।पुष्य से ध्रुवसन्धि का जन्म हुआ।ध्रुवसन्धि से सुदर्शन हुए।सुदर्शन के पुत्र अग्निवर्णा थे।अग्निवर्णा से शीघ्र नामक पुत्र हुए।शीघ्र से मुरु हुए।मरु से प्रसुश्रुत हुए।प्रसुश्रुत के पुत्र का नाम सुगन्धि था।सुगवि से अमर्ष नामक पुत्र हुए।अमर्ष से महास्वन हुए।महास्वन से विश्रुतावन्त हुए।विश्रुतावन्त के पुत्र का नाम बृहदबल था। ये कोसल साम्राज्य के अंतिम प्रतापी राजा माने जाते हैं। महाभारत में दिग्विजय के समय भीम ने इन्हें परास्त किया और उसके बाद कर्ण ने अपनी दिग्विजय यात्रा में इनपर विजय प्राप्त की। इन्होंने महाभारत के युद्ध में कौरवों का साथ दिया और युद्ध के 13वें दिन अभिमन्यु के हाथों इनकी मृत्यु हुई।बृहदबल के पुत्र बृहत्क्षण थे।वृहत्क्षण से गुरुक्षेप का जन्म हुआ।गुरक्षेप से वत्स हुए।वत्स से वत्सव्यूह हुए।वत्सव्यूह के पुत्र का नाम प्रतिव्योम था।प्रतिव्योम से दिवाकर का जन्म हुआ।दिवाकर से सहदेव नामक पुत्र जन्मे।सहदेव से बृहदश्व हुए।वृहदश्व से भानुरथ हुए।भानुरथ से सुप्रतीक हुए।सुप्रतीक से मरुदेव का जन्म हुआ।मरुदेव ने सुनक्षत्र को पुत्र रूप में प्राप्त किया।सुनक्षत्र से किन्नर नामक पुत्र हुए।किन्नर से अंतरिक्ष हुए।अंतरिक्ष से सुवर्ण हुए।सुवर्ण से अमित्रजित् हुए।अमित्रजित् के पुत्र का नाम वृहद्राज था।वृहद्राज से धर्मी का जन्म हुआ।धर्मी से कृतन्जय का जन्म हुआ।कृतन्जय से जयसेन हुए।जयसेन से सिंहहनु हुए।सिंहहनु से शुद्धोदन का जन्म हुआ।शुद्धोदन ने माया देवी से विवाह किया जिनसे इन्हें सिद्धार्थ नामक पुत्र की प्राप्ति हुई। सिद्धार्थ ने राज्य त्याग दिया और संन्यास ग्रहण कर लिया। यही आगे चल कर गौतम बुद्ध के नाम से प्रसिद्ध हुए और इन्होंने अपना बौद्ध धर्म चलाया। सद्धार्थ ने यशोधरा से विवाह किया जिनसे उन्हें राहुल नामक पुत्र की प्राप्ति हुई। चूँकि उनके पिता ने संन्यास ग्रहण कर लिया था इसी कारण अपने दादा शुद्धोधन के बाद सीधे उन्हें ही सिंहासन प्राप्त हुआ। यहाँ से आप इक्षवाकु कुल का अंत मान सकते हैं क्यूंकि इनके पिता सिद्धार्थ ने हिन्दू धर्म छोड़ बौद्ध धर्म चलाया और राहुल को भी बौद्ध धर्म की दीक्षा दी। हालाँकि आगे इनके वंश में भी कई राजाओं ने बौद्ध धर्म को मानने से इंकार कर दिया और हिन्दू धर्म के साथ जुड़े रहे।राहुल से प्रसेनजित का जन्म हुआ।प्रसेनजित् से क्षुद्रक जन्मे।क्षुद्रक से कुंडक का जन्म हुआ।कुंडक के पुत्र सुरथ हुए।सुरथ के दो पुत्र हुए - सुमित्र और कुरुम। सुमित्र प्रसिद्ध राजा बनें किन्तु वंश कुरुम का ही चला।कुरुम से कच्छ हुए।कच्छ से बुधसेन हुए।बुधसेन के पश्चात जो वंश वर्णन उपलब्ध हंै किन्तु इसकी प्रमाणिकता के विषय में कोई ठोस प्रमाण नहीं है। बुधसेन का वंश राजस्थान के राज परिवार तक जाता है और उनके आखिरी वंशज सवाई भवानी सिंह माने जाते हैं जिनकी मृत्यु 2011 में हो गयी। उनकी केवल एक पुत्री दीया कुमारी है। दीया कुमारी जयपुर राजघराने की राजकुमारी व राजसमंद लोकसभा क्षेत्र से भाजपा सांसद है।