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- जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 436
महत्वपूर्ण बिन्दु :• भाव भक्ति के 7 लक्षण• भक्ति मार्ग की सर्वोत्कृष्टता• सम्पूर्ण शरणागति का स्वरूप....आदि प्रश्नों पर जगदगुरु श्री कृपालु महाप्रभु जी द्वारा मार्गदर्शन!!
भाव भक्ति का पहला लक्षण है - सहनशीलता। अर्थात क्रोध का कारण हो पर क्रोध न आये। कोई हमारा अपमान की और हमारे ऊपर कोई प्रभाव न हो, तो समझना चाहिये कि हम भाव भक्ति में प्रवेश कर रहे हैं। भाव भक्ति का दूसरा लक्षण है - एक क्षण को भी संसारी विषयों में रुचि न उत्पन्न हो, एक क्षण भी व्यर्थ न हो, भगवान और गुरु का ही चिंतन रहे। एक क्षण को भी मन भगवान के क्षेत्र से बाहर न जाये। संसार में अपना कर्तव्य करो, पर मन का लगाव केवल भगवान और गुरु में रहना चाहिये। समय का मूल्य हृदय से मानना चाहिये।
भाव भक्ति का तीसरा गुण है - विरक्ति। अर्थात संसार के समस्त विषयों की रुचि समाप्त हो जाये। उद्धव परमहंस भगवान श्रीकृष्ण से कहते हैं कि आपका प्रसाद रूप, सब कुछ सेवन करके मैं आपकी माया को चुनौती दूँगा, वो मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती। अर्थात संसार के पदार्थों का उपभोग करने पर भी उनमें मन की आसक्ति न हो। भक्तों में भी सर्वश्रेष्ठ भक्त वो है जो संसार के विषयों का भगवान का प्रसाद रूप मानकर ग्रहण करे और मन में उन संसारी विषयों के प्रति रुचि या आनंद की भावना न हो। शरीर को भोजन देना अनिवार्य है, अन्यथा साधना में विघ्न उत्पन्न होगा। विरक्ति अर्थात संसार के विषयों में मन की आसक्ति न हो।
भाव भक्ति का चौथा गुण है - मानशून्यता। अर्थात सम्मान में विभोर न हो, अपमान में विभोर हो जाओ, जब ये अवस्था आ जाये तब समझो हम भाव भक्ति में गये। हमारा अपमान हो, ये भीतर से शौक पैदा हो और जब अपमान मिले तो विभोर हो जाओ। पाँचवाँ गुण है - आशाबन्ध; अन्तःकरण में निराशा न आने पाये, पूर्ण विश्वास होना चाहिये कि सफलता अवश्य मिलेगी। भाव भक्ति का छठा गुण है - समुत्कण्ठा, अर्थात हमारी आशा आगे की ओर बलवती होनी चाहिये और सातवाँ गुण है - नामगानेसदारुचि:। अर्थात भगवान के नाम में इतना माधुर्य का अनुभव हो कि लगातार उसको पीने पर भी तृप्ति न हो। इसी प्रकार भगवान के गुण में आसक्ति, उनके धाम में अनुराग अर्थात भगवान, उनका नाम, उनका रूप, उनका गुण, उनकी लीला, उनके धाम और उनके संत हमारा मन इतना अनुरक्त हो कि यदि निराशा का कारण भी हो तो निराशा न आने पाये। ये सब जब स्वतः होने लगे तो समझो कि भाव भक्ति पर हम पहुँच रहे हैं, पहुँच गये नहीं, अभी प्रवेश हो रहा है। अब अन्तःकरण शुद्ध होने लगा इसलिये ये सब बातें हो रही हैं।
इस प्रकार आगे बढ़ते हुये जब अन्तःकरण पूर्ण शुद्ध हो जायेगा, तब इन सब भाव भक्ति के अनुभावों में इतनी दृढ़ता आ जाती है कि फिर कोई इनको टस से मस नहीं करा सकता। जब भाव भक्ति की वो परिपक्व अवस्था आ जायेगी, तब उसी समय अन्तःकरण की शुध्दि हो जायेगी, उसी को कहते हैं सम्पूर्ण शरणागति। उस अवस्था में को अलौकिक प्रेम, दिव्य प्रेम मिलेगा जो ह्लादिनी शक्ति का सारभूत तत्व है, जिसके अधीन भगवान रहते हैं। मायाधीन जीव कर्म के बंधन में होता है, कर्म से परे ज्ञान, ज्ञान से परे मोक्ष, मोक्ष से परे भगवान, भगवान से परे प्रेम। प्रेम के अधीन भगवान, भगवान के अधीन मोक्ष, मोक्ष के अधीन ज्ञान, ज्ञान के अधीन कर्म, कर्म के अधीन जीव। सर्वोच्च कक्षा है, वो प्रेम की जो भगवान की भगवत्ता को समाप्त कर देती है।
• सन्दर्भ ::: जगदगुरु कृपालु परिषत द्वारा प्रकाशित मासिक सूचना पत्र, जुलाई 2012 अंक.
★★★ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(5) www.youtube.com/JKPIndia(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 435
महत्वपूर्ण बिन्दु :• किन कामनाओं को त्यागना होगा?• रागानुगा भक्ति या नवधा भक्ति• कलियुग के लिये सर्वसुगम साधना....आदि पर जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा मार्गदर्शन!!
...भक्ति में सर्वाभिलाषिता शून्यं की शर्त है, अर्थात सब प्रकार की कामनाएँ त्याज्य हैं। सब प्रकार की कामनाएँ अर्थात दो ही कामनाएँ प्रमुख हैं - (1) भुक्ति और (2) मुक्ति। जितना संसार अर्थात माया का सुख एवं ऐश्वर्य है, इनकी कामना का नाम भुक्ति और संसार की बीमारी से मुक्त हो जाना मुक्ति।
इन दोनों कामनाओं को छोड़ दो तो आ गई भक्ति। सब प्रकार की कामनाओं से रहित होना है। वैधी भक्ति में ज्ञान, कर्म आदि सब दास बनकर रहेंगे, अनुगत बनकर रहेंगे, परंतु रागानुगा भक्ति में ज्ञान, कर्म आदि का स्पर्श भी नहीं रहेगा। वैधी भक्ति, गीता का सिद्धान्त है और रागानुगा भक्ति भागवत का सिद्धान्त है, भागवत परमहंस संहिता कहलाती है, परमहंस लोग जहाँ खड़े हैं, वहाँ से भागवत प्रारंभ होती है और गीता तो जहाँ अर्जुन आसक्तिवश अज्ञान अवस्था में खड़ा है, वहाँ से प्रारंभ होती है। अज्ञानी के लिये गीता और ज्ञानियों की अंतिम सीमा पर पहुँचे हुए जीवन्मुक्त शुकदेव परमहंस के लिये भागवत।
रागानुगा भक्ति में कोई विधि, कोई निषेध, कोई वैदिक कायदे-कानून नहीं। रागानुगा भक्ति वालों के लिये ज्ञान, कर्म, योग, तपश्चर्या सब त्याज्य है, इनका स्पर्श भी न होने पाये। शास्त्र वेद को समझना, फिर उसके अनुसार चलना, ये कलियुग में तो असंभव है। जो अपने को भीतर से निर्बल, असहाय, अकिंचन, निराधार स्वीकार कर ले, बस! उस पर कृपा हो जाती है। जब कभी ये संयोग बनेगा, कोई महापुरुष मिलेगा और उसके प्रति अनुकूल ही चिंतन होगा, तब शरणागति का अध्याय प्रारंभ होगा। तब उसके आदेश के अनुसार हम साधना करेंगे, तब हमारा अंतःकरण शुद्ध होगा, तब अपने लक्ष्य की प्राप्ति होगी। रागानुगा भक्ति में मोक्ष पर्यन्त की कामनाएँ न हो और ज्ञान, कर्म, योग, तपश्चर्या किसी प्रकार के साधन का हस्तक्षेप न हो।
नवधा भक्ति में भी स्मरण भक्ति है और साथ में कीर्तन भी महत्वपूर्ण है। जब हम महापुरुषों द्वारा रचित पदों को बार बार कहेंगे तो उनमें वर्णित लीला, गुण आदि का चिंतन कुछ न कुछ मात्रा में तो अवश्य होगा। इसलिये शास्त्रों वेदों में संकीर्तन का विशेष महत्व बताया गया है, परन्तु स्मरण प्रमुख है। इस प्रकार साधना भक्ति करने के पश्चात हम भाव भक्ति पर पहुँचते हैं। प्रेमाभक्ति और साधना भक्ति के बीच में है - भाव भक्ति। भाव भक्ति उसे कहते हैं जिसमें भगवान में मन लगने लगे। जिस दिन वो कीर्तन, भजन, स्मरण हमको न मिले, हम न करें तो परेशान हों कि आज का दिन तो व्यर्थ गया। मन लगाने का अभ्यास करना, ये साधना भक्ति और मन लगने लगना, ये भाव भक्ति और मन लग गया तो भाव भक्ति सम्पूर्ण हो गई, तब गुरुकृपा से वो प्रेमाभक्ति मिलती है। प्रेम कृपा साध्य ही है।
• सन्दर्भ ::: जगदगुरु कृपालु परिषत द्वारा प्रकाशित मासिक सूचना पत्र, जून 2012 अंक.
★★★ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(5) www.youtube.com/JKPIndia(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - नए साल 2022 से हर किसी को अनेक उम्मीदें हैं। अब जब नए साल में कुछ ही दिन बचे हैं तो अभी से हर कोई सोचने लगा है कि आने वाले साल में वह क्या नया करें। आइए जानते हैं कि 2022 में घर और वाहन के मामले में भाग्य आपका कितना साथ देगा-मेषइस राशि के लिए वाहनों के लिए कारक शुक्र है। ऐसे में 2022 की शुरुआत में आपके लिए वाहन खरीदने की संभावना प्रबल है। इसके साथ ही वृहस्तपति 11वें घर में है जिस कारण से आप संपत्ति या घर खरीद सकते हैं।वृषभवृषभ राशि के जातकों के लिए यह वर्ष संपत्ति और वाहन के लिए शुभ रहने वाला है। इसके अलावा आप परिवार या रिश्तेदारों के समारोह में काफी खर्चा करने वाले हैं। हालांकि कोई बड़ा निवेश करने से पहले बहुत बार सोच लें। अगर संपत्ति को लेकर कोई बड़ा निर्णय लें तो किसी जानकार से सलाह जरूर ले लें।मिथुनइस राशि के जातकों के 11वें भाव पर शनि की दृष्टि होने के कारण इस वर्ष आपके पास सभी सुख-सुविधाएं होंगी। अप्रैल के बाद से गुरु की दिशा बदलने से आपकी किस्मत भी बदलने वाली है। जिस कारण से भवन और वाहन प्राप्ति की भी प्रबल संभावना बन रही है।कर्ककर्क राशि के जातक अपनी अधिकांश जरूरतों को अच्छी वित्तीय स्थिति से पूरा कर सकते हैं। आने वाले साल में भवन और वाहन खरीदने की प्रबल संभावना बन रही है। निवेश के लिए यह समय इन जातकों के लिए सबसे खास है।सिंहसिंह राशि के जातक काफी दिग्गज होते हैं जो अपने जीवन में अपने दिमाग में एक लक्ष्य बनाकर चलते हैं। ऐसे में अगर 2022 में ये संपत्ति और वाहनों को लेकर कोई निर्णय लेते हैं, तो शुभ साबित होगा।कन्याकन्या राशि के जातकों के लिए 2022 काफी शुभ रहेगा। दूसरे भाव में बृहस्पति और शनि की युति होने से आप काफी जगहों पर बचत करेंगे। जिससे आर्थिक स्थित मजबूत होगी। साल के अंत में आप संपत्ति को लेने का कोई भी फैसला लें।तुलातुला राशि के जातकों के लिए वाहन खरीदने और बेचने के लिए ये साल फलदायी साबित हो सकता है। हालांकि विरासत में मिली हुई संपत्ति को आप इस साल ना बेचें। इससे आपको सौदे में काफी तगड़ा नुकसान हो सकता है।वृश्चिकवृश्चिक राशि के जातकों के लिए वर्ष 2022 संपत्ति के मामले में शानदार वर्ष होगा। आप वाहन और घर दोनों को सही समय पर ले सकते हैं। आपके लिए घर या भवन खरीदने के लिए यह एक अच्छा वर्ष है। जो लोग कोई डील करना चाहते हैं, उन्हें साल के दूसरे भाग में सफलता मिलने की संभावना है।धनुधनु राशि के जातकों को गुरु के चौथे भाव में होने से संपत्ति अर्जित करने का बहुत बढिय़ा मौका है। आप पैतृक संपत्ति का लाभ प्राप्त हो सकता है। आप पूरी साल में कभी भी नया घर खरीद सकते हैं।मकरमकर राशि के जातकों के लिए संपत्ति खरीदने के दृष्टिकोण से साल 2022 अनुकूल रहने की संभावना है। हालांकि अप्रैल के बाद इनके लिए सभी स्थितियां अनुकूल होंगी। पैतृक संपत्ति से जुड़ी परेशानियों से मुक्ति मिलेगी।कुंभकुंभ राशि के जातकों के लिए संपत्ति के दृष्टिकोण से साल 2022 अच्छा रह सकता है। हालांकि इस राशि के जातकों को कुछ मामलों में थोड़ी परेशानी होने वाली है। जिस कारण से खर्च सोच समझकर ही करें। इस साल आपको सलाह दी जाती है कि हड़बड़ी में कोई संपत्ति न खरीदें अन्यथा नुकसान हो सकता है।मीनवर्ष 2022 मीन राशि के जातकों के लिए वाहन या संपत्ति खरीदने या बेचने के दृष्टिकोण से बेहद लाभदायक रहने की संभावना है। अप्रैल से लेकर सितंबर तक का महीना क्रय-विक्रय के कार्य हेतु अनुकूल रह सकता है।
- सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए अपने परिवेश में वास्तु स्थापित करना बहुत महत्वपूर्ण है, जो हमारे जीवन में समृद्धि, विकास और खुशी लाने की शक्ति रखता है। आइये जानते हैं कि घर में सुख समृद्धि बनाए रखने के लिए आपको अपने घर में किन वस्तुओं को रखने से बचना चाहिए।-वास्तु के अनुसार आपके घर का मुख्य द्वार घर के बाहर मुख्य सड़क के समान स्तर या उससे ऊंचा होना चाहिए। यह मुख्य सड़क के निचले स्तर पर नहीं होना चाहिए। यदि आपका मुख्य द्वार वास्तु के इस सिद्धांत का पालन नहीं करता है तो इसे ठीक कर लें या आपको अपने घर और जीवन में बहुत सारी परेशानियों और उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ेगा।-विशेष रूप से भारत में घर के बाहर बिजली के खंभे और तारों का चलना एक आम बात है। यह खतरनाक ही नहीं आंखों के लिए भी खतरनाक है। इसके अलावा इन्हें खराब वास्तु भी माना जाता है। बिजली के खंभों के उलझे तारों की तरह आपका जीवन भी जीवन की समस्याओं और मुश्किलों में उलझा रहेगा। तारों और खंभों को अपने घर से दूर रखें या ऐसा घर लें जो बिजली के तारों और खंभों से दूर हो।-हम अपने घर के आसपास हरियाली रखना पसंद करते हैं। आपके आस-पास प्रकृति होना अच्छा है। लेकिन अपने घर के आसपास बड़े और घने पेड़ों से बचें। वास्तु के अनुसार यह ठीक नहीं है। बड़े और घने पेड़ धूप और ताजी हवा के प्रवाह में बाधा डालते हैं और इसके साथ ही सकारात्मक ऊर्जा और ताजी ऊर्जा का प्रवाह भी अवरुद्ध हो जाता है। अपने घर और उसके आस-पास छोटे-छोटे पेड़ लगाएं लेकिन यह सुनिश्चित करें कि यह ज्यादा मोटा न हो।-कांटेदार पौधे और कैक्टस आकर्षक लगते हैं लेकिन इसकी सुंदरता से मोहित नहीं होते हैं। घर के अंदर कभी भी कांटेदार पौधे न लगाएं, यहां तक कि बगीचे में भी नहीं। अगर आप वाकई इन्हें रखना चाहते हैं तो इसे घर के बाहर रख दें। माना जाता है कि कांटेदार पौधे परिवार में खराब स्वास्थ्य और संघर्ष लाते हैं।-अपने घर के बाहर गंदा पानी जमा न होने दें। यदि आपके पास एक पूल या टैंक है, तो सुनिश्चित करें कि पानी साफ और साफ है। वास्तु के अनुसार घर के अंदर और आसपास गंदा पानी नकारात्मकता को आकर्षित करता है और घर के लोगों में अपमान लाता है।-वास्तु के अनुसार, पत्थर रास्ते में परेशानी और रुकावट का संकेत देते हैं। घर के अंदर और बाहर पत्थर रखने से परिवार की सफलता के मार्ग में रुकावट आएगी। इससे आपको भी अपने जीवन में परेशानियों और समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। कोई कसर न छोड़ें और सफलता का रास्ता साफ करें।-अपने घर के अंदर और बाहर लताओं को उगाने से बचें। वास्तु का मानना है कि यह आपके शत्रुओं को जोड़ता है। हम स्पष्ट रूप से अपने जीवन में दुश्मन और दुश्मनी नहीं चाहते हैं। अपने घर और जीवन को लताओं से साफ रखें और शत्रुओं को दूर रखें।-हमारे घर में पुरानी वस्तुओं को रखने की प्रवृत्ति होती है। या तो यह एक स्मृति है जिसे हम उनसे जुड़े भावनात्मक मूल्यों के लिए संजोना चाहते हैं या हम यह मानते रहते हैं कि किसी दिन हमें उनकी आवश्यकता होगी। लेकिन वास्तव में वे हमारे घर का कचरा मात्र हैं जिनका हम कभी उपयोग नहीं करते हैं। यह हमारे घर में नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करेगा जो जल्द ही वित्तीय परेशानी का कारण बन सकती है। अगर आप कर्ज और आर्थिक समस्याओं से बचना चाहते हैं तो इससे बचें।
- जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 434
महत्वपूर्ण बिन्दु :• साधन भक्ति के प्रकार• भक्ति की अनिवार्य शर्त• भक्ति किसे करनी है?...आदि प्रश्नों पर जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा मार्गदर्शन!
...साधन भक्ति 2 प्रकार से की जाती है - (1) वैधी भक्ति और (2) रागानुगा भक्ति। शास्त्र वेद की विधि के अनुसार जो भक्ति की जाती है उसे वैधी भक्ति कहते हैं, अर्थात वर्णाश्रम धर्म का पालन भी करे और भक्ति भी करे। वैधी अर्थात विधि से युक्त; वेद के संविधान के अनुसार कर्म करना, ये वैधी भक्ति है। इसमें नरक और शास्त्र आदि का भय रहता है।
रागानुगा भक्ति में शास्त्र वेद के कायदे-कानून, वर्णाश्रम धर्म के विधि-निषेधात्मक कायदे-कानून, ये सब कुछ लागू नहीं होता। रागानुगा भक्ति, केवल भक्ति है। रागानुगा भक्ति में दो बातें प्रमुख हैं, (1) सर्वाभिलाषिता शून्यं, (2) ज्ञानकर्मद्यनावृतं।
सर्वाभिलाषिता शून्यं, अर्थात सभी कामनाओं रहित भक्ति। अर्थात अपने सुख की कामनाओं का त्याग। अपने सुख के लिये प्रेम करना, जो जीव का स्वभाव है, इसको बदलना होगा, इसके विपरीत अपने प्रेमास्पद के सुख के लिये ही प्रेम करना होगा। आनंद की कामना करना, ये जीव का स्वभाव है, परन्तु प्रियतम की सेवा करने से उनको जो आनंद प्राप्त हो, उसे देखकर हम आनन्दमय हों, ऐसा आनंद चाहना है। इस प्रकार का आनंद प्राप्त करने के लिये पाँचों मुक्तियाँ त्याज्य हैं।
सनकादिक परमहंसों ने भगवान से कहा कि हमें नरकवास प्रदान कर दीजिये, परन्तु मेरा मन आपके चरणारविन्द मकरन्द का मिलिन्द बना रहे, आपकी भक्तियुक्त नरक अनंतकोटि ब्रम्हानंद के बराबर है। कामनाओं को छोड़ना होगा, क्योंकि ये कामनाएँ अंतःकरण में रहती हैं और उस अंतःकरण से सेवा भावना पैदा करनी है तो जब तक कामनाओं का त्याग करके सेवा की कामना नहीं लाई जाएगी, तब तक साधना का स्वरूप ही नहीं बनेगा, साधना भक्ति प्रारंभ ही नहीं होगी।
साधना भक्ति मन से करनी है, वो वैधी भक्ति हो या रागानुगा भक्ति। नवधा भक्ति रागानुगा भक्ति वालों के लिये है और वही वैधी भक्ति वालों के लिये भी है। नवधा भक्ति में सबसे प्रमुख है - स्मरण। स्मरण के साथ चाहे जप करो, चाहे कीर्तन करो, चाहे श्रवण करो, जो चाहे करो, परन्तु स्मरण परमावश्यक है। मन ही भगवान का स्मरण करेगा और यदि स्मरण नहीं किया तो मन संसार में आसक्त रहेगा और इंद्रियों से कीर्तन आदि करने का कोई लाभ नहीं। मन की आसक्ति को ही भगवान देखते हैं, शारीरिक कर्म को देखा ही नहीं जाता। यदि मन का लगाव भगवान में है तो अर्जुन द्वारा करोड़ों हत्यायें करने को भी भगवान नहीं देखते। नवधा भक्ति में मन ही प्राण है, स्मरण साधना का प्राण है। नवधा भक्ति में स्मरण ही एकमात्र वास्तविक भक्ति है, उसके साथ जो करो। नवधा भक्ति को वैधी भक्ति वाला भी स्वीकार करेगा, इसी को रागानुगा भक्ति वाला भी स्वीकार करेगा, दोनों के लिये यही साधना है। यदि कामना रखकर भक्ति की तो फिर कामना की भक्ति हो रही ही, श्रीकृष्ण की भक्ति नहीं हो रही है।
यदि हम भगवान के समक्ष आँसू बहाकर संसार माँगते हैं, तो वो संसार की भक्ति है। भक्ति अर्थात मन का लगाव भगवान में हो। वेद कहता है कि कामनाओं को छोड़कर उपासना करनी है। मन से ही भगवान की उपासना करनी है और मन से ही संसार की कामना होती है, परन्तु मन एक है, चाहे संसार की कामना बना लो, चाहे भगवान की कामना बना लो। कामना बनाना, यही उपासना है, भक्ति है। भगवान की भक्ति अर्थात भगवान की कामना बनाना। वेद कहता है जो कामना होगी, उसी का संकल्प होगा, बार-बार उसी का चिंतन, मनन होगा और जितना चिंतन होगा, उतनी आसक्ति होगी, वही भक्ति है।
• सन्दर्भ ::: जगदगुरु कृपालु परिषत द्वारा प्रकाशित मासिक सूचना पत्र, मई 2012 अंक.
★★★ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(5) www.youtube.com/JKPIndia(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - दिसंबर माह की पहली मासिक शिवरात्रि 2 तारीख को है. मासिक शिवरात्रि हर माह की कृष्णपक्ष का चतुर्दशी को पड़ती है. इस अवसर पर पार्वती और शिव की पूजा साथ में की जाती है. मान्यता है कि शिव और पार्वती की विशेष कृपा पाने के लिए मासिक शिवरात्रि बहुत खास है. इसके अलावा विवाह से संबंधित परेशानियां दूर करने के लिए भी मासिक शिवरात्रि विशेष है. जिन लोगों की शादी नहीं हो पा रही है या शादीशुदा लाइफ में कष्ट है, उनके लिए शिवरात्रि का व्रत खास है. मासिक शिवरात्रि के दिन शिव-पार्वती की पूजा के साथ-साथ कुछ खास उपाय करके शादी से जुड़ी तमाम समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है.मनचाहा वर पाने के लिएअगर शादी के लिए योग्य वर की तलाश पूरी नहीं हो रही है तो ऐसे में शिवरात्रि के दिन शिव-पार्वती की पूजा करें. इसके बाद रुद्राक्ष की माला से 'ओम् गौरी शंकराय नमः' का 108 बार जाप करें. जाप पूरा होने के बाद रुद्राक्ष को गंगाजल से साफ करकेलाल धागे में पिरोकर गले में धारण करें. जल्द शादी की बात बन सकती है.मैरिड लाइफ की समस्या दूर करने के लिएअगर वैवाहिक जीवन में बराबर समस्या आती रहती है तो उसे दूर करने के लिए शिव और पार्वती की तस्वीर पूजा स्थान पर रखें. इस तस्वीर की रोज पूजा करें. साथ ही रुद्राक्ष माला से "हे गौरी शंकर अर्धागिंनी यथा त्वं शंकर प्रिया तथा माम कुरू कल्याणी कान्त कान्ता सुदुर्लभम्" मंत्र का 108 बार जाप करें. नियमित तौर पर ऐसा करने से धीरे-धीरे वैवाहिक जीवन की समस्या दूर होने लगती है.शादी की अड़चन को दूर करने के लिएअगर शादी में किसी प्रकार की अड़चनें आ रही हैं तो इससे छुटकारा पाने के लिए किसी शिव मंदिर में 5 नारियल साथ लेकर जाएं. शिवलिंग के सामने आसन बिछाकर बैठें. शिव को जल आर्पित करने के बाद धतूरा, बेलपत्र आदि चाढ़ाएं. इसके बाद 'ओम् श्रीं वर प्रदाय श्रीं नमः' का पांच माला जाप करें. इसके बाद 5 नारियल शिवलिंग पर चढ़ाएं. इससे विवाह में आ रही अड़चनें दूर हो जाएंगी.
- जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 433
(भूमिका - विगत एक वर्षों से अधिक समय से प्रकाशित होती रहने वाली यह श्रृंखला पिछले तीन हफ्तों से किसी कारणवश अप्रकाशित रही, जिसका हमें अत्यंत खेद है। आप सभी ने जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज के श्रीमुख से निःसृत तत्वज्ञान का इस मंच पर पठन करके अपने आध्यात्मिक दृष्टिकोण, समझ और उन्नति में अवश्य ही लाभ प्राप्त किया होगा, ऐसा हमारा विश्वास है। पुनः इस श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुये आप सबकी सेवा में इसे प्रस्तुत किया जा रहा है। आशा करते हैं कि पहले की ही भाँति आप सभी सुधी पाठकगण स्वयं तो लाभ लेंगे ही, अपने परिचितों को भी इस ओर प्रेरित करेंगे...)
....भगवान तो महानतम बुद्धिमानों की बुद्धि से भी परे हैं, क्योंकि वह इन्द्रिय मन बुद्धि का विषय ही नहीं है। वह इन्द्रिय मन बुद्धि का प्रेरक, धारक आदि है। साथ ही साथ वह दिव्य है। भगवान सृष्टि के प्रत्येक परमाणु में व्याप्त हैं किन्तु हमारी इन्द्रिय मन बुद्धि प्राकृत होने के कारण उसका अनुभव नहीं कर पाती। जैसे पीलिया के रोगी को सफेद फूल की सफेदी का अनुभव नहीं होता, उसी प्रकार हमारे अन्दर जो त्रिगुण (सात्विक, राजस, तामस) है, बस हमें उन्हीं का सर्वत्र अनुभव होता है। जब तक ये माया का रोग समाप्त नहीं होगा, तब तक न तो हम सर्वव्यापक भगवान का अनुभव कर सकते हैं और न अवतार लेकर आने वाले राम, कृष्ण आदि की अलौकिकता का ही अनुभव कर सकते हैं। इसलिए शास्त्र वेद कहते हैं कि इस माया के रोग को दूर करो। जिनका यह रोग दूर हो जाता है वो सदा सर्वत्र कण कण में अपने इष्टदेव का दर्शन करते हैं।
रवं वायुमग्निं सलिलं महीं च, ज्योतींषि सत्त्वानि दिशो दृमादीन।सरितसमुद्रांश्च हरे: शरीरं, यत किंच भूतं प्रणमेदनन्यः।।(भागवत 11-2-41)
अर्थात आकाश में, पृथ्वी में, वायु में, अग्नि में, जल में, नदी, नाले, पहाड़ किसी भी वस्तु पर उस महापुरुष की दृष्टि जाती है तो वह उनमें साक्षात अपने इष्टदेव का ही दर्शन करता है। इसके अलावा उसको कुछ दिखाई नहीं पड़ता, कितनी ही आँखें बंद करे, कितना ही कान में उँगली डाल लो फिर भी सर्वत्र उनकी मुरली ही सुनाई पड़ेगी, उनके शब्द सुनाई पड़ेंगे। साकार भगवान के उपासक को हर इन्द्रिय से उनका अनुभव होगा।
दोष हमारा है कि हम माया के परदे के कारण भगवान की सर्वव्यापकता का अनुभव नहीं कर पाते। अतएव किसी श्रोत्रिय ब्रम्हनिष्ठ महापुरुष की शरण ग्रहण कर, श्रीराधाकृष्ण की निष्काम भक्ति की प्रैक्टिकल साधना करने से ही हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
• सन्दर्भ ::: जगदगुरु कृपालु परिषत द्वारा प्रकाशित मासिक सूचना पत्र, अप्रैल 2010 अंक.
★★★ध्यानाकर्षण/नोट (Attention Please)- सर्वाधिकार सुरक्षित ::: © राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली।- जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vaidik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(5) www.youtube.com/JKPIndia(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - अपने मकान का सपना हर किसी का होता है, लेकिन नया मकान बनाते समय बहुत सी चीजों का ध्यान भी रखना होता है। वास्तुशास्त्र ने मकान निर्माण के लिए कुछ नियम बताएं हैं। मकान बनाने की शुरुआत जमीन के चयन से होती है। हर कोई चाहता है कि नए मकान में प्रवेश करने के साथ ही उसके जीवन में खुशी, शुभता और सकारात्मकता का भी प्रवेश हो, लेकिन कई बार देखने में आता है कि नए मकान में प्रवेश करने के बाद एक के बाद एक समस्याएं आने लगती हैं। इसके पीछे जमीन खरीदते समय वास्तु दोष भी एक कारण हो सकता है। आज हम जानते हैं कि किस प्रकार की जमीन पर मकान बनाने से बचना चाहिए।ऐसी भूमि पर भूलकर भी नहीं बनाना चाहिए घर--जिस भूमि में खुदाई करते समय कोयला, हड्डियां, कपाल, भूसा आदि चीजें निकलें उस पर मकान नहीं बनाना चाहिए।-भूमि खरीदते समय देख लें कि उस पर या उसके आस-पास कोई पुराना कुंआ, खंडहर, शमशान, या कब्रिस्तान आदि न हो।-घर या प्लॉट खरीदते समय ध्यान रखें कि वह उत्तर मुखी या पूर्व मुखी होना चाहिए।-दक्षिण मुखी घर शुभ नहीं माना जाता है, इसलिए हो सके तो ऐसा मकान लेने से बचें।-जिस जमीन पर कांटेदार वृक्ष या कंटीली झाडिय़ां उगी हुई हो उसे मकान बनाने के लिए नहीं खरीदना चाहिए।-यदि जिस स्थान पर आप जमीन खरीद रहे हैं और उसके दक्षिण में हैंडपंप, कोई जलस्तोत्र जैसे तालाब आदि हो तो उसे खरीदने से बचना चाहिए।-गड्ढे वाली जमीन पर मकान बनाने से धन संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है इसलिए ऐसे स्थान पर मकान बनाने से बचें।
- मेष राशिमेष राशि वालों की बातों से सामने वाले बहुत जल्दी प्रभावित हो जाते हैं. इस राशि के लोगों में लीडरशिप क्वालिटी होती है. ये जानते हैं की समस्याओं का हल कैसे निकालना है. ये लोग बहुत ही एनर्जेटिक होते हैं और बहुत आत्मविश्वास के साथ काम करते हैं.सिंह राशि - इस राशि के लोगों में लीडरशिप क्वालिटी होती है. ये हर काम बहुत ही जुनून के साथ करते हैं. लोग इनकी बातों से बहुत जल्दी प्रभावित हो जाते हैं. यहीं कारण है कि ये लोग एक बेहतरीन लीडर की भूमिका निभाते हैं और बहुत जल्द सफलता हासिल कर लेते हैं.तुला राशिइस राशि के लोग बहुत ही समझदार होते हैं. ये हर काम सोच समझकर करते हैं. कोई भी फैसला लेने से पहले ये अपना फायदा और नुकसान देखते हैं. यही कारण है कि ये कार्यस्थल में बहुत ही जल्दी बॉस बन जाते हैं. लोग अक्सर इनकी राय लेना पसंद करते हैं.वृश्चिक राशिइस राशि के लोग बहुत ही बुद्धिमान होते हैं. इन लोगों के अंदर जन्म से ही लीडरशिप क्वालिटी होती है. इस राशि के लोगों को हर चीज अपने हिसाब से करना पसंद होता है. ये जीवन में अपनी एक अलग पहचान बनाना चाहते हैं. इसी जुनून के चलते हैं ये करियर में बहुत तेजी से आगे बढ़ते हैं और कार्यस्थल में बहुत ही जल्दी बॉस बन जाते हैं.
- रुद्राक्ष शब्द हिंदू धर्म से संबंधित है. रुद्राक्ष वृक्ष और बीज दोनों ही रुद्राक्ष कहलाते हैं. संस्कृत में, रुद्राक्ष का अर्थ रुद्राक्ष फल के साथ-साथ रुद्राक्ष का पेड़ भी है. रुद्राक्ष का पेड़ नेपाल, इंडोनेशिया, जावा, सुमात्रा और बर्मा के पहाड़ों और पहाड़ी क्षेत्रों में उगता है. इसके पत्ते हरे रंग के और फल भूरे रंग के और स्वाद में खट्टे होते हैं. रुद्राक्ष के फल आध्यात्मिक मूल्यों के कारण मनुष्य को भी सुशोभित करते हैं.प्राचीन भारतीय शास्त्रों के अनुसार रुद्राक्ष भगवान शिव की आंखों से विकसित हुआ है, इसलिए इसे रुद्राक्ष कहा जाता है. रुद्र का अर्थ है शिव और अक्ष का अर्थ है आंखें शिव पुराण में रुद्राक्ष की उत्पत्ति को भगवान शिव के आंसू के रूप में वर्णित किया गया है. सभी प्राणियों के कल्याण के लिए कई वर्षों तक ध्यान करने के बाद जब भगवान शिव ने अपनी आंखें खोलीं, तो आंसुओं की बूंदें गिरी और धरती मां ने रुद्राक्ष के पेड़ों को जन्म दिया.शरीर और मन के लिए लाभदायकरुद्राक्ष शरीर में शक्ति उत्पन्न करता है, जो रोगों से लड़ता है जिससे स्वास्थ्य में सुधार होता है. आयुर्वेद के अनुसार रुद्राक्ष शरीर को मजबूत करता है. ये रक्त की अशुद्धियों को दूर करता है. ये मानव शरीर के अंदर के साथ-साथ बाहर के बैक्टीरिया को भी दूर करता है. रुद्राक्ष सिर दर्द , खांसी , लकवा, ब्लड प्रेशर और हृदय रोग से संबंधी समस्याओं को दूर करता है.रुद्राक्ष को धारण करने से चेहरे पर चमक आती है, जिससे व्यक्तित्व शांत और आकर्षक होता है. जप के लिए रुद्राक्ष की माला का इस्तेमाल किया जाता है. जप की प्रक्रिया जीवन में आगे बढ़ने के लिए आध्यात्मिक शक्ति और आत्मविश्वास को बढ़ाती है. इसलिए रुद्राक्ष के बीज स्वास्थ्य लाभ और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करने के लिए उपयोगी हैं.रुद्राक्ष को धारण करने से पूर्व जन्म के पापों का नाश होता है जो वर्तमान जीवन में कठिनाइयों का कारण बनता है. रुद्राक्ष धारण करने से भगवान रुद्र का रूप प्राप्त कर सकते हैं. ये सभी पापों से छुटकारा पाने में मदद करता है और अपने जीवन में सर्वोच्च लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करता है.रुद्राक्ष बुराई और नकारात्मक प्रभाव को दूर करता हैरुद्राक्ष को आध्यात्मिक मनका माना जाता है. प्राचीन काल से आध्यात्मिक शक्ति, आत्मविश्वास, साहस को बढ़ाने और सकारात्मक दृष्टिकोण के निर्माण के लिए उपयोग किया जाता है.
- हम सभी ने एक शादी का सपना देखा है और हमने अपनी योजनाएं बना ली हैं. एक ड्रीमी शादी एक ऐसी चीज है जो हम में से हर कोई चाहता है.एक फिल्मी बॉलीवुड स्टाइल की शादी और हमारे अपने संगीत पर डांस और हमारे पास हमारे संगीत गीतों की लिस्ट है. हमारे पास हमारी सजावट की प्लानिंग है और हमारे ऑर्गेनाइजेशन और वो सभी बेहतरीन फोटोग्राफर हैं जिन्हें हम किराए पर लेना चाहते हैं. एक बार जब हम पाते हैं कि हम एक व्यक्ति से शादी करना चाहते हैं, तो ये सब योजना बनाने के लिए हमारे पास सभी शादी के ऐप्स हैं. हम में से बहुत से लोग चाहते हैं कि शादी किसी भी चीज से ज्यादा फिल्मी फील के लिए हो. भागने या फेरों को लेने के विचार से हमें चीख-पुकार मच जाती है.लेकिन हर कोई शादी के बारे में इतना सपना नहीं देखता है कुछ लोग अपने करियर पर ध्यान केंद्रित करते हैं जबकि दूसरे अपने करियर और जीवन और दूसरी चीजों पर ध्यान केंद्रित करते हैं. ये वो जगह है जहां राशि व्यक्तित्व खेल में आते हैं. कुछ राशियों के लोग अपनी शादी के लिए बस दीवाने होते हैं और बस इसके लिए इंतजार नहीं कर सकते और ये सिर्फ उनकी राशि के लक्षणों के साथ आता है.वो अपना ज्यादातर समय अपनी शादी की योजना बनाने और इसके बारे में सपने देखने में बिताते हैं.1. मेष राशिवो बहुत सहज होने के लिए जाने जाते हैं और उनका दिल बहुत बड़ा होता है. एक बार प्यार करने के बाद, वो आपको ये दिखाने के लिए नदियों को पार करेंगे कि वो आपसे कितना प्यार करते हैं.जब वो किसी के दीवाने होते हैं तो वो अपने प्यार का इजहार कई तरीकों से करते हैं. वो बहुत भावुक और आवेगी होते हैं और जब वो जानते हैं कि वो क्या चाहते हैं तो वो इंतजार नहीं करेंगे. वो बस सही खोजने के लिए इंतजार नहीं कर सकते हैं और बस जल्द से जल्द शादी कर सकते हैं.2. वृषभ राशिवो मजबूत दिमाग वाले होते हैं और जब प्यार में होते हैं, तो वो सोचने के लिए अपना खुद का मीठा समय लेते हैं और एक बार जब वो सुनिश्चित हो जाते हैं कि वो क्या चाहते हैं, तो वो इसे पाने के लिए अपनी शक्ति में सब कुछ करेंगे.वो बहुत वफादार होते हैं और जब उन्हें पता चलता है कि उनके पास कुछ लंबे समय तक एक शॉट है तो वो इसे छोड़ना नहीं चाहते हैं. वो बिना समय बर्बाद किए इसे अंतिम रूप देना चाहते हैं.3. सिंह राशिवो प्रेमी के रूप में प्रखर होते हैं और अपने “एक” को खोजने के बाद बस शादी करने का इंतजार नहीं कर सकते.वो सच्चे प्यार में विश्वास करते हैं और एक लंबे समय तक चलने वाला रिश्ता चाहते हैं और शादी की योजना बनाना उनके लिए थोड़ा मुश्किल हो सकता है. वो धैर्यवान हो सकते हैं लेकिन एक दिन वो अपना धैर्य खो देते हैं और बस भागना चाहते हैं और इसे पूरा करना चाहते हैं.4. तुला राशिउनके पास प्यार और शादी का एक ड्रीमी विचार है, लेकिन वो बहुत ही अनिर्णायक होते हैं. वो बहुत आसानी से प्यार में पड़ जाते हैं और लंबी अवधि के लिए निर्णय लेना उनके लिए एक कठिन काम हो सकता है.लेकिन एक बार जब वो निश्चित हो जाते हैं, तो वो फिर से भ्रमित होने से पहले बस इसे करना चाहते हैं. इसलिए, अगर आपका तुला राशि का साथी थोड़ी जल्दी शादी करने का सुझाव देता है, तो आश्चर्यचकित न हों.5. कुम्भ राशिएक कुंभ राशि वाले सोलमेट में विश्वास करते हैं और एक बार जब वो किसी ऐसे व्यक्ति के साथ मिल जाते हैं जो उनके लिए एकदम सही है तो वो बहुत लंबा इंतजार नहीं करेंगे. वो हर जागने वाले पल को अपनी आत्मा के साथी के साथ बिताना चाहते हैं और उनके पास एक बड़ी भव्य शादी की योजना बनाने के लिए नहीं है, लेकिन वेगास जाना उनके लिए एक सपने के सच होने जैसा लगता है.
- आईना न देखनासुबह उठने के बाद आपको पहले शीशा नहीं देखना चाहिए. क्योंकि आईने को देखकर आप रात भर की नेगेटिव एनर्जी को खुद खींच लेते हैं और नेगेटिव एनर्जी आपके विचारों में दिन भर बनी रहती है. जिससे आपका मन किसी काम में नहीं लगता.गंदे बर्तनरात को सोने से पहले अपने घर के सभी गंदे बर्तनों को साफ करके सोएं. क्योंकि सुबह के समय गंदे बर्तन देखने से आपको अशुभ संदेश मिल सकता है और आपका पूरा दिन तनाव में बीत सकता है. इसलिए हो सके तो रात के समय बर्तन साफ करके ही सोएं.परछाईं न देखेंसुबह उठकर अपनी या किसी और की परछाईं को न देखें. अगर आप सुबह उठने के बाद परछाई को देखते हैं, तो इसका असर आपके पूरे दिन पर पड़ता है और आप दिन भर तनाव, डर, गुस्सा महसूस करते हैं. इसलिए कभी भी बिस्तर से उतरने के बाद परछाई न देखें.बंद घड़ीवास्तु शास्त्र के अनुसार सुबह के समय बंद घड़ी को नहीं देखना चाहिए. इसके अलावा सुबह के समय सुई- धागे नहीं देखने चाहिए. ये चीजें अशुभ मानी जाती हैं. सुबह उठकर इन्हें देखने से आपका पूरा दिन खराब हो सकता है.सुबह उठने के बाद क्या देखेंसुबह सबसे पहले अपनी हथेली को देखना अच्छा होता है और गायत्री मंत्र या किसी अन्य मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है. इसी तरह बिस्तर से उठने के बाद सकारात्मक चीजें जैसे भगवान का फोटो, मोर की आंखें, फूल आदि दिखाई देते हैं तो आपका दिन अच्छा जाता है.
- मोरपंख को घर में रखना बहुत ही शुभ माना जाता है. इसे घर में रखने से धन और बुद्धि दोनों प्राप्त होते हैं. ये भाग्य में आने वाली रुकावटों को दूर करता है. ये नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है. इससे घर में सुख और शांति भी बनी रहती है. लेकिन एक साथ बहुत सारे मोरपंख को घर में नहीं रखना चाहिए, केवल 1 से 2 ही मोरपंख रखने चाहिए.गोमती चक्रऐसा माना जाता है कि गोमती चक्र समृद्धि, खुशी, अच्छा स्वास्थ्य, धन, मन की शांति देते हैं और बुरे प्रभावों से बचाते हैं. आप 11 गोमती चक्र को पीले कपड़े में बांधकर तिजोरी में रख सकते हैं ऐसा माना जाता है कि इससे बरकत बनी रहती है.लघु नारियललघु नारियल को श्रीफल भी कहते हैं. ये नारियल आम नारियल से आकार में थोड़ा छोटा होता है. ऐसा माना जाता कि इसे घर में रखने से धनलाभ होता है. इसे घर में रखने से कभी भी धन और अनाज की कमी नहीं होती है. लघु नारियल को तिजोरी या धन रखने के स्थान पर करना चाहिए. इसकी स्थापना करने से पहले ‘ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं’ मंत्र का जाप करें.धातु का कछुआचांदी, पीतल या कांसे की धातु से बना कछुआ घर में रखना शुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इसे उत्तर दिशा में रखने से नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है. इससे घर में सुख-समृद्धि आती है.तुलसी और मनी प्लांटनए साल के दिन घर में तुलसी और मनी प्लांट लगाना बहुत शुभ माना जाता है. तुलसी का पौधा घर में रखने से सुख-समृद्धि और सौभाग्य बना रहता है. वहीं मनी प्लांट धन की वर्षा करता है.
- मेष -ज्योतिषियों के अनुसार मेष राशि के जातकों के लिए ये सूर्य ग्रहण अशुभ रहेगा. इससे उनकी सेहत पर असर पड़ेगा. इसलिए मेष राशि के लोगों को सावधान रहने की जरूरत है.कर्क -कर्क राशि के जातकों के लिए ये सूर्य ग्रहण अशुभ रहेगा. किसी से भी वाद-विवाद से बचें. मित्रों से विवाद हो सकता है. परिवार के सदस्यों के साथ बातचीत करते समय सावधान रहें. बच्चों का खास खयाल रखें.तुला -ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तुला राशि के जातकों के लिए भी ये सूर्य ग्रहण अशुभ रह सकता है. क्रोध से बचें. किसी को अपशब्द कहना नुकसानदायक हो सकता है. सेहत पर बुरा असर पड़ने की संभावना है. इसलिए अपना विशेष ध्यान रखें.वृश्चिक -वृश्चिक राशि के जातकों पर भी सूर्य ग्रहण का प्रभाव देखने को मिलेगा. तनाव हो सकता है. आप बेचैन या भ्रमित महसूस करेंगे. इस राशि के लोग कार्यक्षेत्र में धैर्य रखें.धनु -ये सूर्य ग्रहण आपके लिए अनावश्यक भागदौड़ लाएगा. इस दौरान खर्चे बढ़ने की संभावना है. कार्यों को पूरा करने के लिए आपको कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी. यात्रा करने की संभावना है.
- भगवान श्रीकृष्ण को प्रिय माह मार्गशीर्ष माह में कई उत्सव और त्योहार मनाए जाते हैं। मृगशिरा नक्षत्र से संबंध होने के कारण इस माह का नाम मार्गशीर्ष पड़ा। इस माह श्रद्धा और भक्ति से प्राप्त किए पुण्य से सभी सुखों की प्राप्ति होती है। इस माह नदी में स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व माना जाता है।इस मास में शुक्ल पंचमी को विवाह पंचमी कहा जाता है। माना जाता है कि प्रभु श्रीराम-सीता का विवाह इसी दिन संपन्न हुआ था। यह दिन मांगलिक कार्यों के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इस माह आने वाली उत्पन्ना एकादशी को भगवान विष्णु के लिए व्रत-उपवास किए जाते हैं। इस मास की अमावस्या पर पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध कर्म करने की परंपरा है। मार्गशीर्ष माह में कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को मार्गशीर्ष अमावस्या होती है। मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितरों का पूजन और व्रत करने से पितृ दोष समाप्त हो जाता है। परिवार में सुख और संपन्नता आती है। पितृ पूजन के लिए यह विशेष दिन बताया गया है। इस मास की पूर्णिमा को दत्त पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन भगवान दत्तात्रेय की पूजा की जाती है। इस माह अपने पूर्वजों का स्मरण करें और उनके प्रति आभार प्रकट करें। इस माह अन्न दान करना सर्वश्रेष्ठ पुण्य कर्म माना गया है। ऐसा करने पर सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। मार्गशीर्ष माह में गुरुवारी पूजा में माता लक्ष्मी को प्रत्येक गुरुवार को अलग-अलग व्यंजनों का भोग लगाने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस माह भगवान शिव का कच्चे दूध और दही से अभिषेक करें और काले तिल अर्पित करें। शाम को घी का दीपक शिवालय में जलाएं। इस माह भगवान सत्यनारायण की पूजा और कथा अवश्य करें। भगवान श्री हरि विष्णु के मंदिर में पीले रंग का ध्वज अर्पित करें।
- ग्रह-नक्षत्रों के लिहाज से दिसंबर का महीना खास है। इस महीने कई ग्रह-नक्षत्र राशि परिवर्तन करेंगे। ग्रहों के राशि परिवर्तन का प्रभाव सभी 12 राशियों पर पड़ता है। 5 दिसंबर को मंगल वृश्चिक राशि में गोचर करेंगे। उसके बाद 8 दिसंबर को शनि की राशि मकर में शुक्र का प्रवेश होगा। फिर 10 दिसंबर को धनु राशि में बुध का गोचर होगा। इसके बाद 16 दिसंबर को सूर्य और बुध की युति से धनु राशि में बुधादित्य योग बनेगा। दिसंबर महीने में शुक्र उल्टी चाल चलना भी शुरू करेंगे। 19 दिसंबर को शुक्र मकर राशि में वक्री अवस्था में आ जाएंगे। फिर 29 दिसंबर को धनु राशि से निकलकर बुध मकर राशि में प्रवेश करेंगे। उसके बाद 30 दिसंबर को शुक्र वक्री गति में फिर से धनु राशि में गोचर कर जाएंगे। जानिए ग्रह-नक्षत्रों के परिवर्तन का किन राशियों को होगा लाभ-1. मेष- दिसंबर का महीना मेष राशि वालों के जीवन में कई बड़े बदलाव करेगा। इस दौरान गुरु आपके लाभ भाव में विराजमान रहेंगे। गुरु के प्रभाव से आपको नौकरीपेशा और कारोबार में तरक्की मिल सकती है। इस दौरान मानसिक तनाव कम होगा। कई मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। भाई-बहन का साथ मिलेगा।2. मिथुन- मिथुन राशि वालों के लिए दिसंबर का महीना अच्छा रहेगा। इस दौरान शिक्षा विभाग से जुड़े लोगों को तरक्की मिलने की संभावना है। माता-पिता के साथ संबंध में सुधार होगा। इस महीने भाग्य का साथ मिलेगा। रुका हुआ धन वापस मिलने के योग बनेंगे।3. सिंह- आपके वैवाहिक जीवन में सुखद बदलाव हो सकते हैं। साथी के साथ मनमुटाव दूर हो सकता है। पार्टनरशिप के कारोबार में लाभ हो सकता है। मान-सम्मान की प्राप्ति हो सकती है। जीवन को सुधारने के लिए प्लानिंग बना सकते हैं।4. धनु- झनु राशि वालों को इस महीने उनकी मेहनत का पूरा फल मिलेगा। इस दौरान आपके आत्मविश्वास व पराक्रम में वृद्धि होगी। धनु राशि वाले अपनी भावनाओं को जाहिर कर सकते हैं। पारिवारिक जीवन सुखद रहेगा। नया व्यापार शुरू करने की प्लानिंग कर रहे हैं तो यह माह उत्तम है।5. कुंभ- कुंभ राशि वालों को कार्यक्षेत्र में तरक्की मिलने का आसार रहेंगे। इस दौरान मेहनत का पूरा फल मिलेगा। पहले किए गए धन निवेश का लाभ मिल सकता है। घर के किसी सदस्य की तबीयत खराब है तो ठीक हो सकती है। इस राशि के जातकों को धन लाभ हो सकता है।
- हस्तरेखा शास्त्र (Palmistry) में केवल हाथ पर उकरी लकीरों के बारे में ही बात नहीं की जाती बल्कि इसके जरिए किसी भी इंसान का संपूर्ण व्यक्तित्व तक जांचा जा सकता है. माना जाता है कि जिन लोगों की उंगलियां खास शेप वाली हों, उनसे हमेशा बचकर रहना चाहिए. ऐसे लोग किसी को भी धोखा दे सकते हैं. आइए जानते हैं कि उंगलियों के वे विशेष आकार क्या हैं.जिनकी उंगलियां हों लंबीअगर किसी जातक की उंगलियां सामान्य से ज्यादा लंबी हों तो वे हर बात की जड़ कुरेदने वाले होते हैं. ऐसे लोग कोई भी बात सुनने पर उसकी गहराई तक जानने की कोशिश करते हैं. ऐसे लोगों से नॉर्मल बात तो की जा सकती है लेकिन निजी बातें कहने से बचना चाहिए.ऐसे लोगों पर यकीन करने से बचेंहस्तरेखा शास्त्र (Hastarekha Shastra) के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की उंगलियां ज्यादा चौड़ी हो तो उस पर आप आंख बंद करके यकीन करने से बचें. मान्यता है कि ऐसे लोग स्वच्छंद प्रकृति के होते हैं. वे केवल अपने फायदे के बारे में सोचते हैं और दूसरे की इच्छाओं पर कोई ध्यान नहीं देते. इसलिए ऐसे लोगों पर भरोसा करने से पहले एक बार उन्हें अच्छी तरह परख लें.इन लोगों से रहें सतर्कअगर किसी जातक की उंगली ज्यादा मुड़ी हुई हों तो आप उससे सतर्क हो जाइए. माना जाता है कि ऐसे लोग दिखावा करने वाले होते हैं और इनकी मीठी बातें केवल दिखावटी होती हैं. अपना काम निकालने के लिए ये किसी के साथ भी चीनी की तरह मीठे बन सकते हैं लेकिन काम निकलने के बाद उस आदमी से बात करना भी पसंद नहीं करते.इनसे दोस्ती करना फायदेमंदहस्तरेखा शास्त्र (Palmistry) के मुताबिक अगर किसी इंसान की उंगलियों के सिरे वर्गाकार हों तो उनसे दोस्ती करना फायदेमंद होता है. माना जाता है कि ऐसे लोग अपना हर रिश्ता बेहद ईमानदारी से निभाते हैं. कोई भी परेशानी आने पर वे किसी का साथ नहीं छोड़ते. ऐसे लोग दार्शनिक प्रवृति के माने जाते हैं.
- हिंदू धर्म में विवाह से पहले कुंडली मिलान किया जाता है। कुंडली मिलान में राशि का ध्यान भी किया जाता है। ज्योतिषशास्त्र में 12 राशियां होती हैं। इन राशियों के आधार पर व्यक्ति के भविष्य और स्वभाव के बारे में जानकारी प्राप्त हो जाती है। ज्योतिष के अनुसार कुछ राशि वाले परफेक्ट कपल बनते हैं। इन राशि वालों का वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। इन लोगों को वैवाहिक जीवन में समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है।मेष और कुंभ राशि----ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मेष और कुंभ राशि वाले परफेक्ट कपल बनते हैं।इन राशि वालों का वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है।ये राशि वाले आपस में प्रेम से रहते हैं।ये दोनों ही खुलकर जीवन जीना पसंद करते हैं।इन लोगों के बीच मनमुटाव नहीं होता है।मेष और कुंभ राशि वाले रिश्ते को निभाने में माहिर माने जाते हैं।सिंह और धनु राशि----ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सिंह और धनु राशि के जातक परफेक्ट कपल साबित होते हैं।सिंह और धनु राशि के जातकों का दांपत्य जीवन खुशियों से भरा रहता है।सिंह और धनु राशि वाले लोग जीवनसाथी की खुशी के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं।ये दोनों ही मेहनती और ईमानदार स्वभाव के होते हैं।सिंह और धनु राशि वाले जीवन को खुलकर जीना पसंद करते हैं।ये लोग रिश्ते के प्रति काफी ईमानदार होते हैं।वृष और कन्या राशि--ज्योतिषशास्त्र के अनुसार वृष और कन्या राशि वाले सबसे प्यारे कपल साबित होते हैं।वृष और कन्या राशि वाले प्रेम के मामले में लकी होते हैं।ये दोनों ही जीवनसाथी का पूरा ध्यान रखते हैं।वृष और कन्या राशि वाले कभी भी अपने जीवनसाथी का साथ नहीं छोड़ते हैं।ये दोनों ही काफी ईमानदार होते हैं।ये लोग भरोसेमंद होते हैं।
- देवगुरु बृहस्पति को ज्योतिष में विशेष स्थान प्राप्त है। देवगुरु बृहस्पति को ज्ञान, शिक्षक, संतान, बड़े भाई, शिक्षा, धार्मिक कार्य, पवित्र स्थल, धन, दान, पुण्य और वृद्धि आदि का कारक ग्रह कहा जाता है। बृहस्पति ग्रह 27 नक्षत्रों में पुनर्वसु, विशाखा, और पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र के स्वामी होते हैं। देवगुरु बृहस्पति ने 21 नवंबर को कुंभ राशि में प्रवेश कर लिया है। गुरु अप्रैल 2022 तक इसी राशि में विराजमान रहेंगे। देवगुरु बृहस्पति 13 अप्रैल, 2022 को कुंभ से मीन राशि में प्रवेश करेंगे। 13 अप्रैल 2022 तक का समय कुछ राशियों के लिए बेहद शुभ कहा जा सकता है। इन राशियों पर देवगुरु बृहस्पति की विशेष कृपा रहेगी।मेष राशिशुभ परिणाम मिलेंगे।धन- लाभ होगा।आध्यात्मिक और धार्मिक कार्यों में हिस्सा लेने का अवसर मिलेगा।नौकरी और व्यापार में तरक्की करेंगे।वैवाहिक जीवन सुखमय रहेगा।नया वाहन या मकान खरीदने के योग भी बन रहे हैं।कार्यों में सफलता प्राप्त करेंगे।मिथुन राशिधन- लाभ होगा, जिससे आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।किस्मत का पूरा साथ मिलेगा।मिथुन राशि के जातकों के लिए ये समय वरदान के समान है।वैवाहिक जीवन सुखमय रहेगा।परिवार के सदस्यों का सहयोग मिलेगा।खूब मान- सम्मान मिलेगा।पद- प्रतिष्ठा में वृद्धि के योग बन रहे हैं।तुला राशितुला राशि के जातकों के लिए समय बेहद फलदायी रहने वाला है।नौकरी और व्यापार के लिए ये समय शुभ रहेगा।वैवाहिक जीवन में सुख का अनुभव करेंगे।धन- लाभ होगा।कार्यक्षेत्र में आपके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना होगी।आपको नौकरी में नए अवसर प्राप्त होंगे।धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों में हिस्सा लेंगे।वृश्चिक राशिधन लाभ होगा जिससे आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।मान- सम्मान और पद- प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।नौकरी और व्यापार में लाभ के योग बन रहे हैंशिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों को शुभ फल की प्राप्ति होगी।दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा।कार्यक्षेत्र में सब आपके कार्य की तारीफ करेंगे।परिवार के सदस्यों का सहयोग प्राप्त होगा।सिंह राशिआर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलेगा।नया वाहन या मकान खरीदने के योग बन रहे हैं।कार्यों में सफलता प्राप्त करेंगे।दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा।परिवार के सदस्यों और मित्रों का सहयोग मिलेगा।यह समय आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं रहने वाला है।
- लकी बैम्बू प्लांटएक अध्ययन के अनुसार जो छात्र अपने कमरे में लकी बैम्बू प्लांट रखते हैं, वे बेहतर तरीके से पढ़ाई में फोकस कर पाते हैं. लकी बैम्बू प्लांट के आसपास सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होगा. इस पौधे को कम रोशनी और नियमित रूप से पानी देने की जरूरत होती है. ये पौधा जीवन में कई सकारात्मक बदलाव लाएगा.चमेली का पौधाचमेली एक इनडोर और आउटडोर दोनों तरह का पौधा है. इस महक बहुत अच्छी होती है. ये मोहक सुगंध इंद्रियों को शांत करने और अच्छी नींद को बढ़ावा देने में मदद करती है. ऐसा माना जाता है कि चमेली के पौधे को स्टडी रूम में रखने से लोगों का तनाव और चिंता दूर हो जाती है. एक बार जब मन आराम महसूस करता है, तो ये बेहतर निर्णय लेने की प्रक्रिया में मदद करता है. बेहतर एकाग्रता और बेहतर निर्णय लेने की क्षमता के साथ, छात्र जीवन में अधिक आत्मविश्वास लाता है.ऑर्किड प्लांटइन पौधों के फूल देखने में काफी आकर्षक होते हैं और सबसे अच्छी बात ये है कि ये पूरे साल खिलते रहते हैं. ऑर्किड रंगीन और मनोरम होते हैं और ये सकारात्मक ऊर्जा भी फैलाते हैं. ये मूड को बेहतर करने में भी मदद करते हैं. एक बार जब मूड खुशनुमा हो जाता है, तो व्यक्ति बेहतर तरीके से सोच-विचार कर पाता है.पीस लिली प्लांटपीस लिली सबसे अच्छे इनडोर पौधों में से एक है. इसे न्यूनतम देखभाल की आवश्यकता होती है. सफेद फूलों वाले पौधे को स्टडी रूम में कहीं भी रखा जा सकता है. एक रिपोर्ट के अनुसार ये हवा की गुणवत्ता में सुधार करता है. ये वातावरण को साफ और मन को शांत करता है जिससे आप एकाग्रता से पढ़ाई कर पाते हैं.
- ज्योतिषशास्त्र के अनुसार हर साल मार्गशीर्ष माह और पौष माह के मध्य खरमास लगता है. इस दौरान सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं. इसके साथ ही खरमास की शुरुआत हो जाती है. एक माह तक धनु में रहकर जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब खरमास का समापन हो जाता है. खरमास के महीने को ज्योतिष में पूजा पाठ के लिए तो शुभ माना जाता है, लेकिन इसमें किसी भी तरह के मांगलिक कार्यों की मनाही होती है.इस बार खरमास का महीना 14 दिसंबर से शुरू हो रहा है और 14 जनवरी तक चलेगा. इसी के साथ शादी, सगाई, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश, मुंडन आदि तमाम शुभ कार्यों पर भी रोक लग जाएगी. इसके अलावा नया घर या नया वाहन खरीदने जैसे कार्य भी नहीं किए जाएंगे. यहां जानिए क्या होता है खरमास और इसमें मांगलिक कार्यों की क्यों है मनाही.इसलिए नहीं किए जाते हैं शुभ कार्यज्योतिष के मुताबिक सूर्य हर राशि में करीब एक माह तक रहते हैं और इसके बाद राशि बदल देते हैं. इसी क्रम में जब वे धनु राशि में प्रवेश करते हैं तो खरमास लग जाता है. धनु गुरु बृहस्पति की राशि है. मान्यता है कि सूर्यदेव जब भी देवगुरु बृहस्पति की राशि पर भ्रमण करते हैं तो उसे प्राणी मात्र के लिए अच्छा नहीं माना जाता. ऐसे में सूर्य कमजोर हो जाते हैं और उन्हें मलीन माना जाता है. सूर्य के मलीन होने के कारण इस माह को मलमास भी कहा जाता है. वहीं इस बीच गुरु के स्वभाव में उग्रता आ जाती है. चूंकि सनातन धर्म में सूर्य को महत्वपूर्ण कारक ग्रह माना जाता है, ऐसे में सूर्य की कमजोर स्थिति को अशुभ माना जाता है. इसके अलावा बृहस्पति को देवगुरु कहा जाता है और उनके स्वभाव में उग्रता शुभ नहीं होती. इस कारण खरमास में किसी भी तरह के मांगलिक कार्यों पर रोक लगा दी जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार ये महीना पौष का होता है, इसलिए इसे पौष मास के नाम से भी जाना जाता है.ये है पौराणिक कथाखरमास को लेकर प्रचलित कथा के अनुसार भगवान सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करते रहते हैं. उन्हें कहीं पर भी रुकने की इज़ाजत नहीं है. लेकिन जो घोड़े उनके रथ में जुड़े होते हैं, वे लगातार चलने व विश्राम न मिलने के कारण भूख-प्यास से बहुत थक जाते हैं. उनकी इस दयनीय दशा को देखकर एक बार सूर्यदेव का मन भी द्रवित हो गया. भगवान सूर्यदेव उन्हें एक तालाब के किनारे ले गए, लेकिन उन्हें तभी यह भी आभास हुआ कि अगर रथ रुका तो अनर्थ हो जाएगा.लेकिन जब सूर्य देव घोड़ों को लेकर तालाब के पास पहुंचे तो देखा कि वहां दो खर मौजूद हैं. भगवान सूर्यदेव ने घोड़ों को पानी पीने व विश्राम देने के लिए वहां पर छोड़ दिया और खर यानी गधों को अपने रथ में जोड़ लिया. घोड़े के मुकाबले गधों को रथ खींचने में काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है. इस दौरान रथ की गति धीमी हो जाती है. किसी तरह सूर्यदेव इस दौरान एक मास का चक्र पूरा करते हैं. इस बीच घोड़े भी विश्राम कर चुके होते हैं. इसके बाद सूर्य का रथ फिर से अपनी गति में लौट आता है. इस तरह हर साल ये क्रम चलता रहता है. इसीलिए हर साल खरमास लगता है.
- हिंदू धर्म में पंचांग के सभी 12 महीनों का अलग-अलग महत्व है. ये महीने अलग-अलग देवी-देवताओं को समर्पित हैं और उन महीनों में संबंधित भगवान की पूजा-आराधना करने से वे जल्दी प्रसन्न होते हैं. 20 नवंबर 2021 मार्गशीर्ष मास (Margshirsh Maas) शुरू हो चुका है. इसे अगहन का महीना भी कहते हैं. यह महीना भगवान कृष्ण का प्रिय महीना है और इसमें शंख की पूजा (Shankh Puja) करने का बहुत महत्व है.सामान्य शंख को मान लें पांचजन्य शंखइस महीने में सामान्य शंख को भी भगवान श्रीकृष्ण का पांचजन्य शंख मानकर पूजा करने से भगवान बहुत प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त की इच्छा पूरी करते हैं. मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय शंख भी प्रकट हुआ था. पुराणों के मुताबिक मां लक्ष्मी (Maa Laxmi) समुद्र की पुत्री हैं और शंख को मां लक्ष्मी का भाई माना गया है. इसलिए शंख की पूजा करने से मां लक्ष्मी भी कृपा करती हैं. यही वजह है कि लक्ष्मी पूजा में शंख बजाना बहुत शुभ माना जाता है. साथ ही आरती के बाद भक्तों पर शंख से जल छिड़का जाता है.धन-प्राप्ति के लिए कर लें शंख के ये उपायअगहन महीना खत्म होने में अभी 25 दिन बाकी हैं. तब तक किसी भी दिन शंख के यह उपाय करने से जातक पर पैसा बरसने लगता है.- दक्षिणावर्ती शंख में दूध भरकर उससे भगवान विष्णु का अभिषेक करें. इससे नारायण की कृपा से खूब धन लाभ होगा.- अगहन मास में मोती शंख में साबूत चावल भरें और फिर इसकी पोटली बनाकर अपनी तिजोरी में रख लें. कुछ ही दिन में पैसा बरसने लगेगा.- विष्णु मंदिर में शंख का दान करना भी पैसों की सारी समस्याओं को दूर कर देता है.- मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए अगहन महीने में दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल और केसल मिलाकर उनका अभिषेक करें. मां लक्ष्मी की कृपा से धनवान हो जाएंगे.- शंख की विधि-विधान से स्थापना करने के लिए अगहन का महीना सबसे ज्यादा शुभ होता है. जिस घर में दक्षिणावर्ती शंख स्थापित होता है, वहां कभी सुख-समृद्धि कम नहीं होती.- यदि धनवान बनने में शुक्र दोष आड़ आ रहा है तो एक सफेद कपड़े में सफेद शंख, चावल और बताशे लपेटकर नदी में प्रवाहित कर दें. दिन बदलते देर नहीं लगेगी.
- प्रकृति के बिना जीवन संभव नही हमारे जीवन में पेड़ पौधों का काफी ज्यादा महत्व होता है। वास्तु शास्त्र के मुताबिक कई प्रकार के ऐसे पेड़ हैं जिन्हें घर में लगाने से सुख संपत्ति का आगमन होता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का बनी रहती है। लेकिन आज हम आप लोगों को ऐसे पौधों के बारे में बताने जा रहे हैं जो सूख जाता है या फिर मुरझा जाता है तो वह धन हानि का संकेत देता है।शमी का पौधाजैसा कि हम जानते है कि शमी का पेड़, शनिदेव को बेहद प्रिय माना जाता है और ऐसी मान्यता है कि शनि ग्रह से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए शमी का पौधा लगाना एक अच्छा उपाय है। साथ ही शमी का पेड़ शिवजी को भी प्रिय है। ऐसे में शमी के पेड़ का सूखना या मुरझाना शनि की खराब स्थिति या शिवजी के नाराज होने का संकेत देता है। ऐसा होने पर कार्यों में बाधा आ सकती है और कई तरह की समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है। अगर घर पर शमी का पौधा हो तो उसकी अच्छे से देखभाल करें।मनी प्लांटवास्तु शास्त्र की मानें तो मनी प्लांट को हमेशा दक्षिण-पूर्व दिशा में ही लगाना चाहिए क्योंकि इस दिशा के देवता गणेशजी हैं और इस दिशा में मनी प्लांट लगाने से घर में कभी धन की कमी नहीं होती और घर में सुख-शांति बनी रहती है। ऐसी मान्यता है कि जिस घर में मनी प्लांट खूब हरा-भरा रहता है उस घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। मनीप्लांट जब भी लगाएं ये ध्यान दे कि इसकी बेल ऊपर की तरफ हो। मनी प्लांट का मुरझाना या सूखना भी धन हानि का संकेत है।अशोक का पेड़वास्तु शास्त्र में अशोक के पेड़ को सकारात्मक ऊर्जा देने वाला पौधा माना गया है, इसलिए लोग घर के आंगन या मुख्य द्वार पर अशोक का पौधा लगाते हैं। ये बेहद शुभ होता है इस पेड़ का सूखना या मुरझाना घर की शांति भंग होने का संकेत देता है। ऐसे में रोजाना अशोक के पेड़ का ध्यान रखें और अगर किसी वजह से यह पौधा सूख जाए तो तुरंत इसे बदलकर दूसरा पौधा लगा दें।----
- धन वृद्धि के लिए कुछ लोग मनी प्लांट लगाते हैं, लेकिन इस बात की जानकारी बहुत कम लोगों को होगी कि क्रोसुला मनी प्लांट से भी ज्यादा फायदेमंद पौधा है। आइए जानते हैं इस पौधे के बारे में-क्रासुला को मनी ट्री भी कहा जाता है। फेंगशुई में इसका काफी महत्व है। कहते हैं यह पौधा चुंबक की तरह पैसों को अपनी ओर खींचता है। यह छोटा सा मखमली पौधा गहरे हरे रंग का होता है। इसकी पत्तियां चौड़ी होती हैं और यह फैलावदार होता है। इसे लगाने में ज्यादा मेहनत नहीं लगती। इसका पौधा खरीद के किसी गमले या जमीन में लगा दें, फिर यह अपने आप फैलता रहेगा। इसे धूप या छांव कहीं भी लगाया जा सकता है। इस पौधे के बारे में मान्यता है कि यह सकारात्मक ऊर्जा और धन को अपनी ओर खींचता है। इसे घर के मुख्य द्वार के दायीं तरफ लगाएं। फिर देखिए, कैसे आपके घर में धन की वर्षा होने लगेगी।क्रासुला प्लांट को हिंदी में पुलाव का पौधा कहा जाता है। क्रासुला एक बहुत ही मुलायम और फैलावदार पौधा है जिसकी पत्तियां चौड़ी होती है। इनकी पत्तियों का रंग हरा और पीला मिश्रित होता है।क्रासुला का पौधा दिखने में सुंदर और छूने में मुलायम होता है। सबसे ख़ास बात यह है की इस पौधे की पत्तियां मजबूत होती है, क्योंकि यह रबड़ जैसी होती है जिससे छुने से टूटने का डर नहीं रहता। फेंगसुई के अनुसार क्रासुला का पौधा घर के प्रवेश द्वार दाहिनी दिशा में रखना चाहिए, जहां से सूर्य की रौशनी इस पर पड़े। फेंगसुई में क्रासुला का पौधा सकारात्मक ऊर्जा को प्रवेश देता है। इस पौधे को घर में रखने से धन में वृद्धि होती है। पैसों के लिए क्रसुला का पौधा बहुत अच्छा माना गया है । यह पौधा धन को आपके घर की और खींचता है। अगर आपके घर में धन नहीं रहता और आते ही चला जाता है तो आप इस पौधे को घर में रखें, आपको बहुत फायदा मिलेगा। इससे घर में पॉजिटिव एनर्जी आएगी और बरकत बढ़ेगी।कहा जाता है की इस पौधे को लगाने के बाद आपको धन-प्राप्ति के नए-नए अवसर मिलेंगे और आपका मन भी खुश रहेगा। माना जाता है कि यह पैसे को चुम्बक की तरह आपके घर की और खींचता है।
- ऐसे लोग फेयरीटेल रोमांस में विश्वास करते हैं और सनकी लोगों को अपने पास नहीं आने देते. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, 3 ऐसी राशियों वाले लोग हैं जो सच्चे प्यार की शक्ति में विश्वास करते हैं.राशियां अपने व्यक्तित्व गुणों के कारण लोगों के बीच जानी जाती हैं और उसी कए अनुरूप वो जीवन में होने वाले सारे कार्यों का निष्पादन करती हैं. कुछ राशियां प्रेम का सही अर्थ समझ पाती हैं तो कुछ नहीं समझ पातीं. प्रेम सही अर्थों में किसी सीमा में बंधता नहीं है, वो स्वछंद होता है.कुछ राशियों वाले लोग बहुत अधिक रोमांटिक होते हैं और वो सच्चे प्रेम में विश्वास करते हैं. आज यहां हम आपको कुछ ऐसी ही राशियों के बारे में बताने जा रहे हैं जो बहुत अधिक रोमांटिक होते हैं. कुछ लोग ऐसे होते हैं जो इतने निंदक होते हैं कि सच्चे प्यार और रोमांस में विश्वास नहीं करते. उन्हें लगता है कि बिना शर्त प्यार जैसी कोई चीज नहीं होती है और ये व्यावहारिक और यथार्थवादी होने में मदद नहीं कर सकता. दूसरी ओर, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो कट्टर रोमांटिक और आशावादी होते हैं. उनका मानना है कि वहां कोई खास उनका इंतजार कर रहा है. ऐसे लोग फेयरीटेल रोमांस में विश्वास करते हैं और सनकी लोगों को अपने पास नहीं आने देते. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, 3 ऐसी राशियों वाले लोग हैं जो सच्चे प्यार की शक्ति में विश्वास करते हैं.इन राशियों पर एक नजर डालें.कर्क राशिकर्क राशि के लोग प्यार में विश्वास करने वाले होते हैं. वो अविश्वसनीय रूप से रोमांटिक होते हैं और अपनी इमोशंस और फीलिंग्स के आधार पर अधिकांश निर्णय लेने की प्रवृत्ति रखते हैं. वो दृढ़ता से मानते हैं कि वहां कोई है जो उनके साथ रहने के लिए है.तुला राशितुला राशि के लोग हर चीज के अच्छे पक्ष को देखते हैं. वो आशावादी होते हैं और प्यार और रोमांस में विश्वास करते हैं. उनके लिए कुछ भी संभव होता है.वो उस तरह के लोग हैं जो अपने प्रियजनों के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं और जिन्हें वो गहराई से और बेहद प्यार करते हैं और उन्हें प्राथमिकता देते हैं.मीन राशिमीन राशि के जातक सपनों और कल्पनाओं की अपनी ही दुनिया में जीते हैं. वो बेहद रोमांटिक हैं और बिना शर्त और अमर प्रेम की अवधारणा में विश्वास करते हैं.वो एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जो वास्तविकता से बहुत अलग है और इसमें कोई सनकीपन शामिल नहीं है.