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- दही बड़ा ऐसी पारंपरिक डिश है जिसे ज्यादातर लोग खाना पसंद करते हैं। वैसे तो बड़ा बनाने के लिए उड़द की दाल की जरूरत होती है। लेकिन अगर आप चाहती हैं कि फटाफट दही बड़े बनकर तैयार हो जाएं और पहले से कोई तैयारी ना करनी पड़े। तो ब्रेड से भी बड़े बनाएं जा सकते हैं। अगर आप सोच रही हैं कि ब्रेड के बड़े किस तरह से बनकर तैयार होंगे। तो ये रेसिपी जरूर आपकी मदद करेगी।ब्रेड से दही बड़ा बनाने के लिए सामग्री4 स्लाइस ब्रेड3/4 कप दहीथोड़ी सी धनिया की चटनीआवश्यकतानुसार हरी मिर्चआवश्यकतानुसार इमली की चटनी1 छोटा चम्मच चीनीआवश्यकतानुसार भुना हुआ जीरा पाउडर1 छोटी चम्मच लाल मिर्च पाउडरआवश्यकतानुसार नमक1 छोटी चम्मच ड्राई मैंगो पाउडरजरूरत के अनुसार किशमिश1 बड़ी चम्मच धनिये के पत्ते2 उबले हुए आलूआवश्यकतानुसार काला नमकदही बड़ा बनाने की रेसिपीब्रेड लेकर इनके भूरे किनारों को काट कर अलग रख दें। अब एक बाउल लें और आलू को मैश करें। अब इसमें हरी मिर्च, अमचूर पाउडर, किशमिश, भुना हुआ जीरा और नमक डालें। सभी चीजों को अच्छी तरह मिलाएं और एक तरफ रख दें। दही में चीनी मिलाकर फेंट कर किनारे रख दें। पहले जो मसाला बनाया है उससे एक बॉल बनाएं और ब्रेड स्लाइस को कवर करके उस पर कोट करें।एक कढाही लें और उसमें थोड़ा घी डालें। आप चाहें तो तेल का इस्तेमाल भी कर सकते है। घी गर्म होने के बाद, ब्रेड के बने गोलों को डीप फ्राई कर लें। अब एक प्लेट में ब्रेड से बने इन बड़ों को निकाल लें। अब ऊपर से उसमें मीठा दही, इमली की चटनी, धनिए की चटनी, भुना जीरा पाउडर, लाल मिर्च पाउडर डालें। आप चाहें तो आखिरी में हरी धनिया की पत्ती और काला नमक डाल दें।
- अगर आप शारीरिक कमजोरी के शिकार हैं तो यह खबर आपके काम आ सकती है. आज हम आपके लिए लेकर आए हैं, एक ऐसा ड्रिंक जिसका सेवन करने से आप कई गंभीर समस्याओं से बच सकते हैं. हम जिस ड्रिंक के बारे में आपको बता रहे हैं, वह दूध और मिश्री से तैयार होता है. इसका नियमित सेवन करने से आप एक्टिव रहेंगे. एक तरफ जहां दूध को पौष्टिकता की दृष्टि से एक सम्पूर्ण आहार माना गया है. वहीं दूसरी तरफ मिश्री की मिठास मन के साथ-साथ दिमाग को भी खुश कर देती है. अगर इन दोनों का एक साथ सेवन किया जाए तो शरीर के लिए गजब के फायदे मिलते हैं.दूध में क्या-क्या पाया जाता है?दूध में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, कैल्शियम, नियासिन, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, आयोडीन, मिनरल्स, फैट, ऊर्जा, राइबोफ्लेविन (विटामिन बी -2) के अलावा विटामिन ए, डी, के और ई मौजूद होते हैं, जबकि मिश्री का भी अपना एक खास महत्व है.मिश्री में क्या-क्या पाया जाता है?मिश्री विटामिन बी 1, बी 2, बी 3, बी 6 और बी 12 का अच्छा स्रोत है. यह आयरन से भरपूर होने के कारण एनीमिया का इलाज करने में मदद कर सकती है.इन लोगों के लिए फायदेमंदरात सोने से पहले गर्म दूध में मिश्री के साथ केसर मिलाकर इसका सेवन किया जाए तो पुरुषों को गजब के फायदे हो सकते हैं. शरीर में एनर्जी और एक्टिवनेस आती है. साथ ही शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ती है. जिससे त्वचा में ग्लो भी आता है. इसके अलावा यह ड्रिंग पुरुषों की यौन दुर्बलता को दूर करने में भी काफी मदद कर सकती है.दूध-मिश्री के पांच अन्य फायदेगुनगुने दूध में मिश्री डालकर नियमित रूप से सेवन करना आंखों के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है.मोतियाबिंद जैसी समस्याओं में भी इस ड्रिंक का सेवन करने की सलाह दी जाती है.गुनगुने दूध में मिश्री मिलाकर पीने से आपका दिमाग फ्रेश रहता है.मिश्री का दूध का सोने से पहले सेवन करने पर याददाश्त मजबूत होती है दिमाग तेज होता है.इसके सेवन से टेंशन और मानसिक थकान भी दूर होती है.
- जामुन एक ऐसा फल है, जो स्वादिष्ट होने के साथ फायदेमंद भी होता है. इसे ब्लैक प्लम या इंडियन ब्लैकबेरी भी कहा जाता है. इस फल में कई आयुर्वेदिक गुण मौजूद होते हैं. जामुन को पोषक तत्वों का 'पावर हाउस' भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें विटामिन ए, कैल्शियम, आयरन, फाइबर, मैग्नीशियम, पोटैशियम, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट्स पर्याप्त मात्रा में होते हैं. ज्यादातर लोग जामुन खाकर उसके बीज को फेंक देते हैं. लेकिन आज हम आपको जामुन के बीज के फायदों के बारे में बताएंगे, जिसके बाद से आप जामुन के बीज को कभी कचरे में नहीं फेकेंगे. आपको बता दें कि आयुर्वेद, यूनानी चिकित्सा और चीनी चिकित्सा पद्धति में भी जामुन के बीज का उपयोग दवाईयां बनाने में और कई बीमारियों का इलाज करने में होता है.डायबिटीज में लाभदायकजामुन के बीज डायबिटीज के मरीजों के लिए एक रामबाण इलाज है. इसके लिए जामुन के बीज को सुखाकर उसका पाउडर बना लें. रोजाना सुबह एक चम्मच गुनगुने पानी के साथ लें. ऐसा करने से आपको लाभ मिलेगा.किडनी स्टोन में फायदेमंदकिडनी स्टोन होने पर जामुन की गुठली का चूर्ण बेहद लाभदायक माना जाता है. इसके लिए रोजाना सुबह-शाम इसके चूर्ण को एक चम्मच की मात्रा में पानी के साथ पीएं.डाइजेशन के लिएस्वस्थ रहने के लिए किसी भी व्यक्ति का डाइजेशन ठीक होना बेहद जरूरी है. इसके लिए जामुन के बीज का उपयोग असरदार साबित हो सकता है. जामुन के बीज में क्रूड फाइबर (Crude Fiber) पर्याप्त मात्रा में मौजूद होता है, जो बेहतरीन पाचन क्रिया के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है. इसके लिए आप बीज से बनाये गए चूर्ण को रात में पानी के साथ खा सकते हैं.स्किन के लिएस्किन के लिए भी जामुन के बीज बेहद फायदेमंद होते हैं, क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं. दरअसल, एंटीऑक्सीडेंट क्रिया फ्री रेडिकल्स को खत्म कर त्वचा को बचाती है. अगर फ्री रेडिकल्स को न रोका जाए, तो इससे त्वचा कैंसर और एजिंग की परेशानी हो सकती है. इसलिए जामुन के बीज त्वचा के लिए भी लाभदायक हैं.दांतों और मसूड़ों के लिएदांत व मसूड़ों से संबंधित समस्याओं में जामुन के बीज बेहद लाभदायक हैं. इसमें पाए जाने वाले कैल्शियम दांत को मजबूत बनाने में सहायक हैं. इसके लिए आप बीज के पाउडर को मंजन की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं, इससे आपको लाभ हो सकता है.प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगारजामुन के बीज में फ्लेवोनोइड और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं, जो हमारे इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करता है.
- पहाड़ी दाल (भट्ट) उत्तराखंड में खूब खाई जाती है। इसे चैंसु भी कहते हैं। पहाड़ी लोग भट्ट की दाल को चूड़कानी बोलते हैं। भट्ट दो तरह के होते हैं एक काले भट्ट और दूसरे सफेद भट्ट। इस दाल को सेहत के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है। अगर इसे लोहे की कढ़ाई में बनाया जाए तो इसके फायदे और बढ़ जाते हैं। इस दाल को खाने के एक नहीं बल्कि अनेक फायदे मिलते हैं। भट्ट की दाल स्वाद के साथ ही सेहत का खजाना भी है। पहाड़ी लोग अकसर ही भट्ट की दाल खाते रहते हैं। इसलिए पहाड़ के लोगों को बेहद सेहतमंद भी कहा जाता है। इसमें प्रोटीन, विटामिन, खनिज, विटामिन बी कॉम्पलेक्स और विटामिन ए भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसके साथ ही इसमें अमीनो एसिड, आयरन और कैल्शियम भी पाया जाता है।आइये जानें इसके फायदों के बारे में1. हड्डियां मजबूत बनाएअगर आपके जोड़ों में दर्द रहता है। आपको बॉडी पेन रहता है, तो भट्ट की दाल खाना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। क्योंकि अकसर कैल्शियम की कमी की वजह से जोड़ों और शरीर में दर्द रहता है। भट्ट की दाल में कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है।2. लीवर को रखे हेल्दीस्वस्थ रहने के लिए लीवर को हेल्दी रखना बहुत जरूरी है। भट्ट में लेसीथिन पाया जाता है, जो लीवर को स्वस्थ रखने में मदद करता है।3. डायबिटीज में भी फायदेमंदइन दिनों मधुमेह एक बहुत ही आम बीमारी बन गई है। इसकी सख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही हैं। इसे नियंत्रण में लाना बहुत जरूरी है। इसके लिए अपनी डाइट में भट्ट की दाल को शामिल करना चाहिए। इससे शुगर कंट्रोल में रहता है।4. इम्यून सिस्टम बढ़ाएबुखार, खांसी-जुकाम और किसी भी तरह का इंफेक्शन होने पर हमारा इम्यून सिस्टम का स्ट्रांग होना बहुत जरूरी है। भट्ट की दाल में कई ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं।भट्ट की दाल को खाने के अन्य फायदे- भट्ट की दाल खाने से मेमोरी पावर बढ़ाती हैं।- दिल के रोगियों के लिए भी भट्ट की दाल खाना फायदेमंद है।- हाई ब्लड प्रेशर होने पर इस दाल का सेवन जरूर करें।
- चमेली कई गुणों से भरपूर एक तरह का औषधिय पौधा है, जिससे सभी परिचित हैं। चमेली के पौधे में खिलने वाले फूलों को ही चमेली का फूल कहा जाता है। यह फूल बहुत सुगंधित होता है। इसकी खुशबू मात्र से ही किसी का भी मूड अच्छा हो सकता है। चमेली एक तरह की जड़ी बूटी भी है। आयुर्वेद में चमेली के बहुत से चमत्कारी फायदों के बारे में वर्णन किया गया है। चमेली से बुखार, दर्द, घाव, मोतियाबिंद, सूजन आदि का उपचार किया जाता है। चमेली से बनी दवाइयों का उपयोग कैंसर और लिवर के उपचार में भी किया जाता है। दर्द की दवाइयों में भी चमेली के गुण डाले जाते हैं। चमेली से तेल, औषधियां, इत्र आदि बनाएं जाते हैं। चमेली के स्वास्थ्य समंधित फायदों के साथ-साथ आध्यात्मिक फायदे भी होते हैं। ऐसा माना जाता है कि घर में चमेली का पौधा लगाने से नकारात्मक ऊर्जा नहीं आती। खुशबू के साथ घर में सकारात्मकता भी फैलती है। चमेली के रस को पीने से भी शरीर में काफी लाभ होते हैं। वात से लेकर खांसी - कफ को भी चमेली हील करती है। यही नहीं चमेली का उपयोग एरोमाथेरेपी में भी किया जाता है। यह थेरेपी डिप्रेशन को ठीक करने के लिए की जाती है। जानें चमेली के तेल के फायदे....अनिद्राअनिद्रा नींद ना आने की बीमारी है। अनिद्रा में व्यक्ति को रात-रात भर नींद नहीं आती। इस कारण वह अन्य बीमारियों को न्योता दे बैठता है। अनिद्रा से स्ट्रेस, डिप्रेशन, थकान, कमजोरी, माइग्रेन, डार्क सर्कल्स आदि जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है। ऐसे में चमेली के तेल की कुछ बूंदे गले, छाती, बाल या नाक के पास लगाने से नींद की बीमारी का स्थायी रूप से इलाज होता है। ऐसा करने से चमेली कि सुगंध हमारे मन को शांत कर स्किन के अंदर तक अवशोषित हो जाती है। रात में चमेली का तेल लगाकर सोने से आराम और सुकून भरी नींद आती है।खूबसूरत त्वचाचमेली का तेल एक प्रकार का प्राकृतिक स्किन मॉइश्चराइजर है। चमेली का तेल लगाने से त्वचा बिलकुल मुलायम और मखमली रहती है। अगर आप चमेली का तेल अपनी स्किन पर लगते हैं तो किसी और क्रीम या मॉइश्चराइजर की जरूरत नहीं पड़ेगी। चमेली का तेल स्किन को हाइड्रेट भी करता है। यह स्किन के अंदर तक जाता है और प्राकृतिक रूप से स्किन को हाइड्रेट करता है।प्रीमैच्योर एजिंग को रोकने में समर्थकप्रीमैच्योर एजिंग उम्र से पहले ही बुढ़ापा आने को कहते हैं। इसके पीछे कई कारण होते हैं। सन एक्स्पोज़ इसका एक प्रमुख कारण है। साथ ही त्वचा की देखभाल ना रखने से भी चेहरे पर झुर्रियां और त्वचा ढीली होने लगती है। ऐसे में त्वचा पर रोज़ाना चमेली का तेल लगाने से प्रीमैच्योर एजिंग को रोका जा सकता है। यह तेल लगाने से चेहरे की झुर्रियां, खिंचाव, रेखाएं धीरे-धीरे मिटने लगते हैं। इस तेल में मौजूद पोषक तत्व त्वचा को हेल्दी और स्मूद बनाते हैं।एंटी पैरासाइट दवाचमेली का तेल एक एंटी पैरासाइट दवा के तौर पर भी काम करता है। इस तेल मै मौजूद बेंजाइल अल्कोहल बालों में पनपने वाली जुओं को जड़ से खत्म करता है। यह ना केवल जुओं को ही खत्म करेगा बल्कि डैंड्रफ की समस्या भी दूर कर देगा। साथ ही चमेली का तेल बालों के लिए बहुत हेल्दी होता है। इस तेल को लगाने से बालों का झडऩा बंद हो जाता है।चर्म रोग को ठीक करने में मददगारचमेली के तेल को चर्म रोगों के लिए एक चमत्कारी औषधि माना जाता है। बहुत से मामलों में चर्म रोगियों को भी ठीक होते देखा गया है। चमेली का तेल लगाने से स्किन रैशेज़, दाग धब्बे, घाव के निशान आदि ठीक होते हैं। चमेली के तेल में मौजूद बैंजाइल बेंजोएट खुजली को ठीक करने में मददगार साबित होता है।प्राकृतिक एंटीसेप्टिक गुणचमेली का तेल एक तरह का एंटीसेप्टिक तेल भी माना जाता है। यह तेल स्किन पर बैक्टीरिया और फंगी को पनपने से रोकता है। किसी भी तरह के घाव पर चमेली का तेल लगाने से वह घाव जल्दी भर जाता है।
- तापमान में बढ़ोतरी के साथ ही तेज गर्मी पड़नी शुरू हो गई है. गर्मी के मौसम में हीट स्ट्रोक यानी लू लगना, डिहाइड्रेशन (शरीर में पानी की कमी होना), जॉन्डिस, सन बर्न, एसिडिटी और बदहजमी, फूड पॉयजनिंग, टायफाइड जैसी बीमारियां सबसे कॉमन हैं. साथ ही गर्मियां आते ही आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक, बर्फ वाला ठंडा पानी, गोला- ये सारी चीजें खाने का ज्यादा मन करता है. लेकिन आपको इनसे बचकर रहना है, वरना आपकी सेहत खराब हो सकती हैगर्मी के मौसम में बीमार पड़ने से बचने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि आप शरीर को अंदर से ठंडा रखें. इसके लिए आपको अपने खान-पान में थोड़ा सा बदलाव करना चाहिए. लिहाजा अपनी डाइट में इन फूड्स को जरूर शामिल करें.1. तरबूज- तरबूज गर्मियों के लिहाज से सबसे अच्छा फल है क्योंकि इसमें 92 से 93 प्रतिशत तक पानी होता है. यह एक ऐसा फल है जिसे खाने के बाद आपको प्यास नहीं लगती और शरीर में पानी की कमी भी नहीं होती. तरबूज शरीर को अंदर से ठंडा रखता है.2. टमाटर- एंटीऑक्सिडेंट्स, विटामिन सी और लाइकोपीन से भरपूर टमाटर आपकी स्किन के साथ ही ओवरऑल हेल्थ के लिए भी फायदेमंद है. सूरज की रोशनी से स्किन को होने वाले नुकसान से भी बचाता है टमाटर. आप चाहें तो टमाटर को सलाद, रायता, सैंडविच किसी भी रूप में खा सकते हैं.3. आम का पना- गर्मियों का मौसम सिर्फ पके हुए मीठे आम का नहीं बल्कि कच्चे और खट्टे आम का भी होता है ताकि आप उनका पना बनाकर पी सकें. कच्चे आम का पना लू लगने से बचाने में मदद करता है.4. बेल का शरबत- कच्चे आम की ही तरह बेल भी लू लगने से बचाने में मददगार साबित हो सकता है. गर्मी के मौसम में बेल का शरबत भी काफी फायदेमंद माना जाता है.5. छाछ- गर्मी के मौसम में पसीना अधिक निकलने की वजह से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स का बैलेंस बिगड़ जाता है. छाछ में दही के अलावा नमक और पानी होता है जो शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स के बैलेंस को बनाए रखने में मदद करता है. लिहाजा एक गिलास छाछ गर्मी में आपको एनर्जी देता है और थकान से भी बचाता है.
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गर्मियों का मौसम आते ही शरीर को ठंडा रखने और खुद को रिफ्रेश करने के लिए लोग लस्सी पीना बेहद पसंद करते हैं। लेकिन साधारण मीठी लस्सी पेट ठंडा तो करती है लेकिन स्वाद में थोड़ी फीकी पड़ जाती है। अगर आप भी ऐसा ही मानते हैं तो आइए जानते है लस्सी बनाने की एक और खास रेसिपी, नाम है पाइनेप्पल लस्सी। यह लस्सी बनने में जितनी आसान है, पीने में उतनी ही टेस्टी भी होती है।
पाइनेप्पल लस्सी बनाने के लिए सामग्री-
-1 कप दही
-1/2 कप कटे हुए पाइनएप्पल
-1/4 इंच का अदरक का टुकड़ा
-2-3 चम्मच शक्कर
-चुटकी भर इलाइची पाउडर
-चुटकी भर काला नमक (ऑप्शनल)
पाइनेप्पल लस्सी बनाने की विधि-
पाइनेप्पल लस्सी बनाने के दो तरीके है। अगर आप हाथ से लस्सी मथ रहे हैं तो सबसे पहले अदरक, शक्कर और पाइनएप्पल को पहले ही ब्लेंड कर लें। इसके बाद इसे दही और काला नमक, इलाइची पाउडर के साथ हाथ से मथें। अगर आप आसान तरीका अपनाना चाहते हैं तो सभी चीज़ों को एकसाथ ब्लेंड कर लें। लेकिन इस तरीके में भी आप पहले ही पाइनएप्पल और अदरक को एक साथ पीस लें। ऐसा करने से लस्सी में चंक्स रहने की समस्या नहीं होती है। - चीनी मीठी तो होती है, लेकिन क्या सेहत के लिए भी? हमारे जीवन में कई तरह से चीनी का उपभोग बढ़ता जा रहा है और इसका असर सीधा सेहत पर पड़ रहा है। जानिए चीनी के असर के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें.मोटा बनाती है चीनीअनाज के मुकाबले चीनी 5 गुना ज्यादा जल्दी फैट में बदल जाती है और मोटापा लाती है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो जब आप चीनी खाते हैं तो मतलब आप अपनी मोटापे वाली कोशिकाओं को खाना खिलाते हैं।चीनी अवसाद में डालती हैकम मात्रा में हो तो चीनी सेरोटोनिन नाम के हार्मोंस का इजाफा कर देती है। यह आपके मिजाज को खुशनुमा बनाता है, लेकिन ज्यादा चीनी का इस्तेमाल आपको अवसाद में डालता है और एंक्जायटी यानि घबराहट होती है।बूढ़ा बनाती है चीनीत्वचा पर भी चीनी का असर होता है। ग्लाइकेशन की प्रक्रिया में चीनी के अणु कोलेजन फाइबर से मिलते हैं। इससे कोलेजन फाइबर की प्राकृतिक इलास्टिसिटी धीरे-धीरे खत्म होती जाती है। इससे आपकी त्वचा में झुर्रियां बनने लगती हैं और आप उम्रदराज दिखने लगते हैं।आंतों के लिए खतरनाक है चीनीआपकी आंतों का माइक्रोफ्लोरा पाचनक्रिया को बढ़ाता है और आपके पाचन तंत्र को बैक्टीरिया से सुरक्षित रखता है, लेकिन अधिक चीनी खाने से आपकी आंतों का माइक्रोफ्लोरा बाहर निकल जाता है। इससे कई किस्म के रोग संभव हैं।लत बन सकती है चीनीअधिक वजन वाले लोगों में चीनी खाने पर मष्तिष्क डोपोमीन छोडऩे लगता है। ठीक उसी तरह जिस तरह शराब और दूसरी नशे की चीजों के इस्तेमाल में होता है। इससे किसी भी चीज की लत लग जाती है।गुस्सैल बनाती है चीनी!जो लोग ज्यादा चीनी खाते हैं वे गुस्सैल स्वभाव के होते हैं। इसलिए खासकर बच्चों को स्कूल के घंटों में चीनी ना खाने की सलाह दी जाती है।रोगप्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करती है चीनीचीनी का ज्यादा इस्तेमाल रोगप्रतिरोधक क्षमताओं पर भी प्रतिकूल असर डालता है। चीनी के उपभोग के बाद रोग प्रतिरोधी तंत्र की कीटाणुओं को मारने की क्षमता 40 प्रतिशत तक घट जाती है।एल्जाइमर को बढ़ाती है चीनी2013 में हुए एक अध्ययन के मुताबिक इंसुलिन प्रतिरोध और उच्च रक्तचाप जो कि सामान्यतया मधुमेह से जुड़े होते हैं, ये न्यूरोडिजेनरेटिव रोगों जैसे एल्जाइमर में भी खतरनाक साबित होते हैं।कैंसर का खतरा बढ़ाती है चीनीकैंसर की कोशिकाओं को बढऩे के लिए चीनी की जरूरत होती है। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के लेविस कैंटले के नेतृत्व में एक अंतराष्ट्रीय शोध संस्थान इस विषय पर ही शोध कर रहा है कि कैसे घातक कोशिकाओं की बढ़ोत्तरी में शुगर का योगदान होता है।मूर्ख भी बनाती है चीनीचीनी के अधिक इस्तेमाल का असर याददाश्त पर भी पड़ता है। एक अध्ययन के मुताबिक हाई ब्लड शुगर वाले लोग याददाश्त के परीक्षण में उन लोगों के मुकाबले पीछे थे जिनका ब्लड शुगर कम था।
- इमली के पत्तों के उपयोग से शरीर की अनेक समस्याओं से दूर किया जा सकता है। सदियों से इमली के पत्तो का उपयोग कई समस्याओं को दूर करने में किया जा सकता है। इमली के पत्तों में विटामिन सी पाया जाता है। वहीं यह सूजनरोधी के रूप में भी कार्य करता है। इमली के पत्तों के ये हैं औषधीय गुण-1. सांसों की बदबू को दूर करना हो या दांतों के दर्द की समस्या से छुटकारा पाना हो, इन दोनों समस्याओं के लिए इमली की पत्तियां बेहद उपयोगी हैं। मौखिक स्वच्छता के लिए इमली के पतियों का इस्तेमाल किया जा सकताहै। यह दांत की कई समस्याओं को दूर करने में बेहद उपयोगी है। आप इमली के पत्तों के पानी से कुल्ला करके भी अपने मौखिक स्वच्छता को पर ध्यान दे सकते हैं।2 - जोड़ों के दर्द को कम करे इमली का पत्तायदि कोई व्यक्ति जोड़ों के दर्द से परेशान हैं साथ ही सूजन के कारण असहाय महसूस करता है इस समस्या को दूर करने में भी इमली का पत्ता बेहद उपयोगी है। बता दें कि इमली के पत्तों के अंदर सूजनरोधी गुण पाए जाते हैं जो न केवल जोड़ों में दर्द की समस्या को दूर करते हैं बल्कि सूजन से भी छुटकारा दिलाते हैं।3 - पेट की समस्या को कम करे इमली का पत्ताअक्सर आपने देखा होगा कि मासिक धर्म के दौरान पेट में दर्द या ऐंठन जैसी समस्या भी नजर आती है। यह समस्या कभी-कभी गंभीर रूप ले लेती है और महिलाओं को उल्टी आनी शुरू हो जाती है। ऐसे में इस समस्या को कम करने में इमली की पत्तियों का अर्क बेहद उपयोगी है। साथ ही आप इमली के पत्तों के साथ नमक को भी मिला सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि नमक की मात्रा का ज्यादा उपयोग करने से दर्द बढ़ सकता है।4 - इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत बनाए इमली का पत्तासंक्रमण से लडऩे में इम्यूनिटी सिस्टम का मजबूत होना बेहद जरूरी है। इमली की पत्तियां संक्रमण को दूर करने में बेहद उपयोगी हैं। इसमें पाए जाने वाला विटामिन सी सूक्ष्मजीव संक्रमण से भी हमारे शरीर को बचाता है।5 - पीलिया से लड़े इमली का पत्तापीलिया होने पर व्यक्ति की आंखें पीली नजर आती है ऐसे में यह लोग पीलिया को ठीक करने के लिए इमली के पत्तों का लाभ उठा सकते हैं। इसके अलावा जो लोग शुगर की बीमारी यानी मधुमेह से परेशान हैं उन्हें बता दें कि यह ब्लड में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है और इंसुलिन की संवेदनशीलता को विकसित करता है।6 - इमली के पत्ते के अंदर एंटी ऑक्सीडेंट तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं जो न केवल पुरानी त्वचा में नई जान डालते हैं बल्कि कैंसर जैसी समस्या से लडऩे में मददगार हैं।7 - इमली के पत्तों के इस्तेमाल से अल्सर के कारण होने वाले दर्द से राहत मिलती है।8 - जिस तरह की जीवन शैली हम जी रहे हैं इस जीवन शैली में उच्च रक्तचाप का होना बेहद आम बात है। ऐसे में इमली के पत्ते का पाउडर इस समस्या को दूर करने में बहुत उपयोगी है।9 - स्ट्रोक और दिल से संबंधित समस्या को कम करने में भी इमली के पत्तों का पाउडर बेहद उपयोगी है।इमली के पत्ते से होने वाले नुकसानकुछ लोगों में इमली के पत्तों से एलर्जी की समस्या देखने को मिली है। ऐसे में अगर आपको भी इनके पत्तों का सेवन करने या उपयोग करने से किसी भी प्रकार की एलर्जी नजर आए तो तुरंत इसका उपयोग बंद करें। गर्भवती महिलाएं इसके सेवन करने या उपयोग करने से पहले एक बार एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
- स्किन केयर रूटीन ही नहीं बल्कि हमारा खान-पान भी स्किन प्रॉब्लम्स और एलर्जी के लिए जिम्मेदार होता है। जैसे, आयुर्वेद के अनुसार कुछ ऐसी चीजें बताई गई हैं जिनका सेवन एक-साथ नहीं करना चाहिए। उदाहरण के तौर पर नॉनवेज के साथ दूध से बनी कोई भी चीज नहीं खानी चाहिए। आइए, जानते हैं किन चीजों को एक साथ खाने से बचना चाहिए-दूध के साथ ये चीजें खाना हानिकारकउड़द की दाल, पनीर, अंडा, मीटउड़द की दाल खाने के बाद दूध नहीं पीना चाहिए। हरी सब्जिियां और मूली खाने के बाद भी दूध नहीं पीना चाहिए। अंडा, मीट, और पनीर खाने के बाद दूध पीने से बचना चाहिए। इनको एक साथ खाने से डाइजेशन में दिक्कअत आ सकती है।दही के साथ न खाएं ये चीजेंखट्टे फलदही के साथ खासतौर पर खट्टे फल नहीं खाने खहिए। दरअसल, दही और फलों में अलग-अलग एंजाइम होते हैं। इस कारण वे पच नहीं पाते, इसलिए दोनों को साथ लेने की सलाह नहीं दी जाती।मछलीदही की तासीर ठंडी है। उसे किसी भी गर्म चीज के साथ नहीं लेना चाहिए। मछली की तासीर काफी गर्म होती है, इसलिए उसे दही के साथ नहीं खाना चाहिए।शहद के साथ क्या न खाएंशहद को कभी गर्म करके नहीं खाना चाहिए। चढ़ते हुए बुखार में भी शहद का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे शरीर में पित्त बढ़ता है। शहद और मक्ख न एक साथ नहीं खाना चाहिए। घी और शहद कभी साथ में नहीं खाना चाहिए। यहां तक कि पानी में मिलाकर भी शहद और घी का सेवन नुकसानदेह हो सकता है।इन चीजों को भी एक साथ खाने से करें परहेज- ठंडे पानी के साथ घी, तेल, खरबूज, अमरूद, खीरा, जामुन और मूंगफली नहीं खानी चाहिए।- खीर के साथ सत्तू, शराब, खटाई और कठहल नहीं खाना चाहिए।- चावल के साथ सिरका नहीं खाना चाहिए।
- वजन घटाने के साथ ही अपनी हेल्थ को लेकर सजग रहने वाले ज्यादातर लोग इन दिनों सामान्य गेहूं के आटे की जगह जौ का आटा, बाजरे का आटा, राजगीरा या अमरंथ का आटा, सोया का आटा, कुट्टू का आटा आदि यूज करने लगे हैं. ऐसा ही एक हेल्दी ऑप्शन है रागी जिसे फिंगर मिलेट के नाम से भी जाना जाता है. रागी को ही कई जगहों पर नाचनी भी कहा जाता है.ढेर सारे पोषक तत्वों से भरपूर है रागीसबसे अच्छी बात ये है कि रागी के आटे में कोलेस्ट्रॉल और सोडियम जीरो पर्सेंट होता है जबकि फैट की मात्रा केवल 7 प्रतिशत होती है. इसके अलावा इसमें डाइट्री फाइबर, कैल्शियम, प्रोटीन, पोटैशियम, आयरन भी भरपूर मात्रा में होता है. प्रोटीन और फाइबर के कारण इसे वेट लॉस के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. इसके अलावा भी रागी के कई फायदे हैं.1. डायबिटीज कंट्रोल करने में मददगार- गेंहू या चावल के आटे की तुलना में रागी में पॉलिफेनॉल्स और फाइबर की मात्रा अधिक होती है और इसका ग्लाइसिमिक इंडेक्स भी कम होता है. इसलिए यह ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है. सुबह का नाश्ता या दिन के लंच में रागी को शामिल करना फायदेमंद हो सकता है.2. एनीमिया में फायदेमंद- आयरन का बेहतरीन सोर्स है रागी इसलिए अगर किसी व्यक्ति को एनीमिया की बीमारी हो या शरीर में हीमोग्लोबिन का लेवल कम हो तो उसे रागी का सेवन जरूर करना चाहिए.3. प्रोटीन का बेहतरीन सोर्स है- शरीर के लिए जरूरी एमिनो एसिड और प्रोटीन से भरपूर होता है रागी. शाकाहारी लोगों की डाइट में अक्सर प्रोटीन सोर्स की कमी होती है. ऐसे में वे प्रोटीन की कमी को पूरा करने के लिए रागी का सेवन कर सकते हैं.4. तनाव होता है कम- रागी में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं जो तनाव को घटाने में मदद करते हैं. अगर आपको एंग्जाइटी, डिप्रेशन या अनिद्रा की समस्या हो तो आप रागी जरूर खाएं. इससे फायदा होगा.रागी के नुकसान-अगर किडनी में स्टोन या किडनी से जुड़ी कोई और समस्या हो तो ऐसे लोगों को रागी का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इसमें कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है.-थायरॉयड के मरीजों को भी रागी का सेवन नहीं करना चाहिए वरना उनकी दिक्कतें बढ़ सकती हैं.-बहुत ज्यादा रागी खाने की वजह से कब्ज, डायरिया, पेट में गैस, पेट फूलने जैसी दिक्कतें हो सकती हैं.
- सेब का सिरका सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है. इसे एप्पल साइडर विनेगर के नाम से भी जाना जाता है. ये सेब से तैयार एक तरह का मिश्रण है जो कई दिनों तक खराब नहीं होता है. अम्लीय स्वाद होने के कारण इसे सीधे तौर पर खाने से मना किया जाता है. एप्पल साइडर विनेगर का उपयोग हजारों सालों से एक स्वास्थ्य टॉनिक के रूप में किया जाता रहा है. कई शोधों से पता चलता है कि इसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं. एप्पल साइडर विनेगर को अपने आहार में शामिल करने से आपको वजन कम करने में भी मदद मिल सकती है? सोच रही हैं कैसे? तो चलिए हम आपको बताते हैं. सबसे पहले जानते हैं कि ये कैसे बनता है और होता क्या है?क्या होता है सेब का सिरका?सेब का सिरका इस तरह का सिरका है जिसमें साइडर मुख्य हिस्सा है. ये उस लिक्विड से बनता है जो सेब को निचोड़ने से मिलता है. फर्मेंटेशन के बाद जो सिरका बचता है उसे हम सेब का सिरका कहते हैं.क्यों खास है सेब का सिरकाएप्पल साइडर विनेगर का मुख्य सक्रिय घटक एसिटिक एसिड है. इसे एथेनोइक एसिड के रूप में भी जाना जाता है. यह एक खट्टे स्वाद और मजबूत गंध का एक कार्बनिक यौगिक है. एप्पल साइडर विनेगर के लगभग 5-6% में एसिटिक एसिड होता है. इसमें पानी और अन्य एसिड की मात्रा भी होती है, जैसे मैलिक एसिड। एप्पल साइडर विनेगर के एक चम्मच में लगभग 3 कैलोरी होती हैं और वस्तुतः कोई कार्ब नहीं होता.सेब के सिरके के फायदेसेब के सिरके के फायदे तो अनगिनत हैं, आपको अपनी ज़रुरत और बीमारी के हिसाब से इसका उपयोग करना चाहिए. सेब के सिरके को सेवन करने के कई तरीके हैं. आप सलाद में इसका सेवन कर सकते हैं या कुछ पेय पदार्थों में इसकी थोड़ी मात्रा मिलाकर पी सकते हैं. आइये जानते हैं इससे कैसे कम होता है वजन.वजन घटाने में मददगार है विनेगरसेब के सिरके का सबसे ज्यादा उपयोग वजन कम करने के लिए ही किया जाता है. मोटापे से परेशान लोगों के लिए सेब का सिरका उनकी समस्या दूर करने में काफी हद तक लाभकारी है. यह शरीर की अतिरिक्त कैलोरी को बर्न करती है और खासतौर पर बेली फैट को कम करने में मदद करती है. सेब का सिरका पेट की चर्बी कम करने में मदद करता है. मोटापा कम करने के लिए प्रतिदिन रात को गुनगुने पानी के साथ सिरका मिलाकर पिएं. यह ब्लड शुगर को नियंत्रण में रखता है, जिससे वेट लॉस में मदद मिलती है. इसमें एसिटिक एसिड होता है जो भूख को दबाने में मदद करता है. यह चयापचय भी बढ़ाता है और पानी के प्रतिधारण को कम करता है. इसलिए यदि आप कुछ वजन कम करना चाहते हैं, तो यह अच्छा माना जाता है.सेवन विधिवजन कम करने के लिए एक गिलास गुनगुने पानी में एक से दो चम्मच सेब का सिरका मिलाकर सुबह खाली पेट इसका सेवन करें. लगातार इसका इस्तेमाल करें और देखें इसका फायदा.पोषक तत्वों से भरपूर होता है सेब का सिरकासेब का सिरका घर के कई कामों में इस्तेमाल होता है. इसका खाना पकाने में भी काम लिया जाता है. पोषक तत्वों से भरपूर सेब का सिरका सेहत को कई तरीके से फायदा देता है. सेब के सिरके की तासीर न गर्म, न ठंडी होती है, इसलिए इसका इस्तेमाल किसी भी मौसम में कर सकते हैं. पानी के साथ सेब के सिरके की कम मात्रा को मिलाकर इसका सेवन कर सकते हैं या फिर शहद के साथ भी मिलाया जा सकता है. मधुमेह, कैंसर, हृदय की समस्याओं और हाई कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है.और भी हैं गुण----वजन कम करता हैमांसपेशियों को ऊर्जा उत्पन्न करने में मदद करता हैमधुमेह से बचने के लिएबेहतर पाचन के लिएत्वचा और बालों के लिए फायदेमंदबढ़ाता है नाखून की चमकजोड़ों के दर्द से राहतवसा के भंडारण को कम करता हैहार्ट बर्न और एसिड रिफ्लक्स के लिए
- सलाद से लेकर सूप और सब्जी तक टमाटर के बिना हमारी डिश का स्वाद कुछ अधूरा रह जाता है, है ना? विटामिन सी, पोटैशियम, फोलेट और विटामिन के के साथ ही लाइकोपीन और एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर टमाटर वैसे तो सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद है टमाटर, कैंसर से बचाने के साथ ही हार्ट को भी हेल्दी रखने में मदद करता है. लेकिन चूंकि टमाटर खट्टा होता है इसलिए बहुत ज्यादा टमाटर खाने से भी सेहत को नुकसान हो सकता है.1. किडनी में स्टोन का खतरा- चूंकि टमाटर में ऑक्सलेट और कैल्शियम ज्यादा होता है इसलिए ये चीजें कई बार शरीर में जमा होने लगती हैं जिनकी वजह से किडनी में स्टोन का खतरा बढ़ जाता है. लिहाजा टमाटर जरूर खाएं लेकिन सीमित मात्रा में.2. जोड़ों में दर्द- बहुत ज्यादा टमाटर खाने की वजह से जोड़ों में दर्द और सूजन का भी खतरा बढ़ जाता है. टमाटर में एक तरह का कम्पाउंड होता है जिसकी वजह से टीशूज में कैल्शियम जमा होने लगता है और इन्फ्लेमेशन की वजह से जोड़ों में दर्द की समस्या होती है.3. ज्यादा टमाटर खाने से हो सकती है एलर्जी- टमाटर में हिस्टामिन नाम का एक कम्पाउंड पाया जाता है जिसकी वजह से एलर्जी का खतरा (Allergy Risk) हो सकता है. अगर कोई बहुत ज्यादा टमाटर खा ले तो खांसी, छींक, एग्जिमा, स्किन पर रैशेज, गले में खुजली, चेहरे पर सूजन जैसी समस्याएं देखने को मिल सकती हैं.4. एसिड रिफ्लक्स- टमाटर में मैलिक एसिड और साइट्रिक एसिड दोनों होता है और इसलिए बहुत ज्यादा टमाटर खाने की वजह से सीने में जलन या एसिड रिफ्लक्स की समस्या हो सकती है.5. डायरिया- बहुत से टमाटर ऐसे भी होते हैं जिसमें सैल्मोनेला नाम का बैक्टीरिया होता है जिसकी वजह से पेट खराब होने और डायरिया का खतरा हो सकता है. इसके अलावा कुछ लोगों को tomato intolerance की भी समस्या हो सकती है. ऐसे लोग अगर टमाटर खाएं तो उनका पेट खराब हो सकता है और डायरिया की समस्या हो सकती है.
- मकोय एक पौधा है। इसके कई आयुर्वेदिक फायदे हैं। मकोय का पौधा धान, गेहूं, मक्का के खेत में छांव वाली जगह पर मिल जाता है। यह हर साल और कहीं भी उग जाता है। बिना किसी विशेष देखभाल के यह खरपतावार के रूप में उगता है। मकोय के फल खाने से बुखार, एक्जिमा, सांस संबंधी परेशानियां ठीक होती हैं। इसके फल कच्चे होने पर हरे और पकने पर पीले, लाल और बैंगनी रंग के होते हैं। बैंगनी मकोय खाने में बहुत मीठी होती है। यह दिखने में टमाटर की तरह होती है। पर आकार में बहुत छोटी। इसका पौधा दिखने में हरी मिर्च के पौधे के समान होता है। इस छोटे से पौधे के कई फायदे हैं जो शरीर के विकारों को दूर करते हैं। मकोय वाक, पित्त और कफ के दोष को खत्म करता है। इसके फल गुच्छे में पौधे पर आते हैं। इसके फायदे निम्न हैं-बुखार को करे दूरमकोय का सेवन करने से बुखार दूर होता है। यह गुणकारी औषधि है कि अगर आप मकोय के फल का सेवन सीधे कर रहे हैं तो बुखार उतरने में मात्र एक घंटा लगेगा। अगर आपके पास मकोय नहीं है तो आजकल बाजार में मकोय के चूर्ण भी आने लगे हैं। यह चूर्ण किसी भी आयुर्वेदिक दुकान से मिल जाता है।भूख बढ़ाएमकोय केवल बुखार ही दूर नहीं करता है। बल्कि यह भूख भी बढ़ाता है। इस पौधे की आयुर्वेद में विशेष अहमियत है। भूख बढ़ाने के लिए मकोय के पत्तों का साग बनाकर खाएं। या फिर सीधे मकोय के मीठे फल का सेवन करें। यह फल रसभरी की तरह होते हैं।पीलिया में फायदेमंदमकोय के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से पीलिया रोग जल्दी ठीक हो जाता है। पीलिया में जो दवाएं चल रही हैं उनको खाते हुए भी मकोय का सेवन किया जा सकता है। मकोय वाक, पित्त और कफ के दोष को खत्म करता है।बालों की समस्या से दिलाए निजातजिन लोगों को काले बाल करने हैं। उनके लिए मकोय फायदेमंद है। मकोय के बीज से बनने वाले तेल की दो बूंदें नाक में डालने से बाल काले होने लगते हैं।मुंह के छोले दूर भगाएमकोय के पत्ते मुंह के छाले भगाने में कारगर हैं। इसके लिए बस छाले होने पर 5-10 पत्ते चबा लें। इनसे मुंह के छालों में फायदा मिलता है।खाज-खुजली से दिलाए निजातगर्मी में होने वाली तमाम त्वचा संबंधी रोगों से बचाने में मकोय फायदा करता है। मकोय के पत्तों को पीसकर खुजली वाली जगह पर लगाने से खाज-खुजली में फायदा मिलता है। तो वहीं, मकोय के पत्ते पीसकर दाद पर लगाने से दाद खत्म होता है। मकोय में खून को साफ करने वाले गुण पाए जाते हैं, त्वचा संबंधी रोगों को खत्म करता है।(नोट-इन सभी आयुर्वेदिक उपायों का आपको सही उपयोग मालूम होना चाहिए। तभी इसका उपयोग करें। बेहतर होगा इस्तेमाल से पहले योग्य चिकित्सक की सलाह ले लें)
- सड़कों पर लगे पेड़ों पर एक हल्के पीले और हरे रंग का बेल कई बार देखा है, जिसमें कई ऐसे गुण छिपे हैं, जो हम सभी के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं। इस हल्के पीले हरे बेल को हम अमरबेल कहते हैं। आकाशीय बेल और अमर बेल सबसे ज्यादा मशहूर नाम हैं। संभव है कि इस बेल को आपने पहले कई बार देखा हो और इसके फायदों के बारे में आपको ना पता हो। आइए जानते हैं अमरबेल के क्या फायदे होते हैं--आंखों की परेशानी को दूर करने के लिए भी अमरबेल काफी फायदेमंद होता है। आंखों के लिए इसका इस्तेमाल करने के लिए 10 मिली। अमरबेल के रस को थोड़ी सी चीनी में मिलाएं। इस रस को अपने आंखों के आसपास लगाएं। इससे आंखों में जलन और आंख आने की समस्या दूर हो जाती है।-पेट में गर्मी या फिर किसी तरह की समस्या को दूर करने के लिए अमरबेल काफी फायदेमंद हो सकता है। अमरबेल की शाखाओं को उबाल लें। इसके बाद इसे अच्छी तरह से पीस लें और इस पेस्ट को पेट के चारो ओर लगाएं। इससे आपके पेट की गर्मी कुछ ही समय में ठीक हो जाएगी।-बवासीर की परेशानी को दूर करने में भी यह मदद कर सकता है। अगर बवासीर की समस्या है, तो अमरबेल का 10 मिली ग्राम रस लें। इसमें 5 ग्राम काली मिर्च का चूर्ण डालें। इसे सुबह घोंटकर पीएं। तीन दिन तक लगातार इसका सेवन करने से बवासीर की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।-लिवर की समस्या से ग्रसित लोगों के लिए भी यह बहुत ही फायदेमंद हो सकता है। नियमित रूप से 5 से 10 ग्राम अमरबेल का रस पीने से लिवर की समस्या से निजात पाया जा सकता है। फैटी लिवर की समस्या से परेशान लोगों को रोजाना 10-20 मिली अमरबेल का रस पीने से काफी आराम मिलता है। इसके अलावा आप इसके रस को अपने अमाशय के आसपास लगाएं।-मुंह में अल्सर की समस्या को दूर करने में भी यह मदद कर सकता है। मुंह के अल्सर को दूर करने के लिए अमरबेल का पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को अपने छालों पर लगाएं। इससे तुरंत राहत मिल सकेगी।-अमरबेल का सबसे बढिय़ा औषधीय इस्तेमाल गंजेपन को दूर करने के लिए किया जाता है। गंजापन दूर करने के लिए अमरबेल को तिल के तेल के साथ पीसकर इस पेस्ट को सिर में नियमित रूप से मालिश करते रहें।-एक रिसर्च के अनुसार अमरबेल में एंटी डायबिटिक गुण पाए जाते है। इसके कारण यह डायबिटीज जैसी समस्या में उसके लक्षणों को कम कर लाभ पहुंचता है।-अमरबेल में बल्य गुण पाए जाने के कारण यह हड्डियों को मजबूत बनाये रखने में भी सहयोगी होता है ।- प्रतिरक्षा प्रणाली सुधारने में भी अमरबेल मदद करती है क्योंकि इसमें रसायन गुण पाया जाता है।
- नॉन वेज के शौकीन आपको बताएंगे कि कोई भी सब्जी उतनी स्वादिष्ट और मजेदार नहीं होती, जितना कि चिकन और मटन, लेकिन ये स्वाद आपको नुकसान भी पहुंचाता है। जानिए, वेजेटेरियन होने से क्या क्या फायदा होता है।-पर्यावरण और जीवनशैली से जुड़े कारक जेनेटिक्स को भी प्रभावित करते हैं। हमारे भोजन में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट्स और अन्य पोषक तत्व शरीर में क्षतिग्रस्त डीएनए की मरम्मत में मदद करते हैं। शाकाहारी भोजन के सेवन से प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को भी कम किया जा सकता है.ा।-मांस या प्रोसेस्ड फूड खाकर अक्सर सीने या पेट में जलन का अहसास होता है। कभी कभार जलन होना बड़ी बात नहीं लेकिन इसका बना रहना खतरनाक है। शाकाहारी खानपान से इसमें कमी आती है क्योंकि इसके फाइबर में एंटी ऑक्सीडेंट होते हैं।-कोलेस्ट्रॉल से दिल की बीमारियों का भारी खतरा रहता है। शोध के मुताबिक जो लोग सब्जियां खाते हैं उनमें कोलेस्ट्रॉल का स्तर 35 फीसदी तक कम होता है। पौधों से मिलने वाले उत्पादों में सैचुरेटेड फैट बहुत ही कम होता है।-जीवों से मिलने वाला प्रोटीन, खासकर रेड मीट या प्रोसेस्ड मीट, टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को बढ़ाता है। पशुओं की चर्बी, आयरन और अक्सर इस्तेमाल होने वाले प्रेजर्वेटिव अग्नाशय की कोशिकाओं को बर्बाद करते हैं।-शाकाहारी भोजन में पाया जाने वाला फाइबर उन बैक्टीरिया के विकास में मदद करता है जो हमारी आंतों के लिए अच्छे हैं। ये पाचन में मदद करते हैं। पौधों से मिलने वाले जरूरी बैक्टीरिया शरीर के इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाने, डायबिटीज, एथीरोस्क्लेरोसिस और लिवर की बीमारियों से शरीर की रक्षा करते हैं।-भोजन में बाहरी प्रोटीन से ना तो शरीर ताकतवर बनता है ना ही पतला. फालतू प्रोटीन या तो वसा बन जाता है या फिर मल बनकर निकल जाता है। पशुओं से मिलने वाला प्रोटीन वजन बढऩे का मुख्य कारण है।-एकैडमी ऑफ न्यूट्रिशन एंड डायटीटिक्स पत्रिका में छपी रिपोर्ट दिखाती है कि अगर कोई व्यक्ति सब्जियां, फल, अनाज और दालें खाता है तो उसके लिए वजन घटाना मांसाहारी भोजन खाने वाले व्यक्ति के मुकाबले कहीं आसान होता है।- न्यूट्रिशन विशेषज्ञ सूजन टकर के मुताबिक शाकाहारी भोजन में फाइबर और एंटी ऑक्सीडेंट्स की पर्याप्त मात्रा के कारण शरीर को खुद की सफाई का अवसर मिलता है और त्वचा में निखार आता है। शाकाहारी भोजन से त्वचा संबंधी समस्याओं से निपटने में आसानी होती है।---
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फागुन माह में कांजी पीने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। कांजी को वैसे तो गाजर, मूली डालकर बनाया जाता है पर कुछ लोग इसमें मूंग दाल का बड़ा भी डालते हैं। कांजी में एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं, इसमें विटामिन के, विटामिन सी, पोटैशियम और मैग्निशियम की अच्छी मात्रा होती है। कांजी डाइजेशन को भी अच्छा रखती है। कांजी पीने से भूख बढ़ जाती है। स्वाद में यह चटपटी और सेहतमंद होती है। इसमें खमीर उठने से स्वाद दोगुना हो जाता है।
कांजी बनाने का तरीकासाम्रगी: गाजर, मूली, राई, हल्दी, नमक, काली मिर्च, लाल मिर्च1. कांजी बनाने के लिए आप गाजर और मूली को लंबाई में काट लें।2. गैस पर बर्तन चढ़ाकर पानी गरम करें और उसमें गाजर, मूली डाल दें।3. जब उबाल आ जाए तो गैस को बंद कर दें।4. पानी ठंडा होने पर उसमें पिसी राई, काली मिर्च, लाल मिर्च पाउडर डालें।5. मिश्रण को एक जार में डालकर ऊपर से कपड़ा बांध दें।6. आप इसे पीने से पहले 2 से 3 दिन धूप में रखें।7. कुछ लोग कांजी में वड़ा डालकर पीते हैं।8. वड़ा बनाने के लिए मूंग दाल पीसकर बड़े बनाकर तल लें।9. ठंडा होने पर कांजी में डाल दें।आप केवल राई दाल, हींग और नमक डालकर भी कांजी बना सकते हैं।थकान से बचाएगी कांजीगर्मी के दिनोंं में तापमान बढऩे के साथ थकान और कमजोरी की शिकायत हो जाती है पर अगर आप कांजी का सेवन करेंगे तो गर्मी के दिनोंं में आपको थकान का अहसास नहीं होगा। कांजी में कॉर्बोहाइड्रेट की अच्छी मात्रा होती है जब आप घर से बाहर निकलें एक गिलास कांजी पी लें तो पूरे दिन आपके शरीर में एनर्जी रहेगी।कांजी पीने से गर्मी नहीं करेगी परेशानकांजी में एंटी-ऑक्सीडेंट्स मौजूद होते हैं, इसे पीने से आपको स्ट्रेस नहीं होगा, बल्कि आप फ्रेश फील करेंगे। गर्मी के दिनों में तापमान से स्ट्रेस होने लगता है, कांजी को पीने से आप ताजगी का अहसास कर पाएंगे। कांजी को बनाकर आप फ्रिज में स्टोर करके 1 हफ्ता पी सकते हैं। या चाहें तो इसे मिट्टी के बर्तन में भी स्टोर कर सकते हैं।कांजी पीने से नहीं होगा डिहिाइड्रेशनअगर आप गर्मियों के दिनों में कांजी का सेवन करेंगे तो आपको डिहाइड्रेशन नहीं होगा। इसमें बहुत से न्यूट्रिएंट्स मौजूद होते हैं। आप गर्मी के दिनोंं में धूप से जब घर आएं तो कांजी पिएं आपको लू लगने की समस्या भी नहीं होगी।वायरल फीवर से बचाए कांजीकांजी पीने से आपके शरीर में पानी की मात्रा बनी रहती है और गर्मियों में उल्टी की समस्या नहीं होती। अगर आपको बार-बार बुखार आता है या सर्द-गरम होने से फीवर आ रहा है तो कांजी का सेवन करें।कांजी पीने से नहीं होगी पेट की समस्याअगर पेट खराब हो तो आप कांजी पिएं इससे पेट में हो रही गुडग़ुड़ और दस्त की समस्या दूर होती है। कांजी बच्चों के पेट के लिए भी फायदेमंद होती है। - जायफल यह दिखने में सुपारी जैसा होता है और इसे सब्जी, डिजर्ट या फिर चाय में हल्का सा घिसकर बेहद कम मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है. जायफल की तासीर गर्म होती है और इसका स्वाद हल्का नटी फ्लेवर जैसा होता है. इसमें मैग्नीशियम, कॉपर, विटामिन बी1, बी6 के अलावा एंटीऑक्सिडेंट्स भी पाए जाते हैं. पारंपरिक दवाइयों और आयुर्वेद में तो हजारों सालों से दवा बनाने के लिए जायफल का इस्तेमाल हो रहा है. जायफल हमारी सेहत के लिए किस तरह से फायदेमंद है, यहां जानें.1. दर्द दूर करता है जायफल- जायफल में एंटी-इन्फ्लेमेटरी प्रॉपर्टीज होती हैं जिसकी वजह से यह हड्डियों के जोड़ या मांसपेशियों में होने वाले दर्द को दूर करने में मदद करता है. इसके अलावा सूजन की समस्या दूर करने में भी मदद करता है जायफल, इसलिए गठिया के मरीजों के लिए जायफल फायदेमंद है.2. अनिद्रा से राहत दिलाता है- जायफल का सेवन करने से शरीर और दिमाग दोनों शांत हो जाता है, तनाव कम होता है और नींद को उत्तेजित करने में मदद मिलती है. आयुर्वेद की मानें तो जिन लोगों को अनिद्रा की समस्या हो वे सोने से पहले 1 गिलास गर्म दूध में चुटकी भर जायफल पाउडर मिलाकर पी सकते हैं. ऐसा करने से उन्हें अच्छी नींद आएगी.3. शिशु के लिए जायफल- नवजात शिशुओं को अक्सर कॉलिक यानी पेट में दर्द और गैस की समस्या रहती है. जायफल देने से बच्चे ऐसी परेशानी से दूर रहते हैं. साथ ही बच्चों को अच्छी नींद आए, इसके लिए भी बच्चे के दूध में मिला कर चुटकी भर जायफल दिया जाता है. लेकिन बच्चे के लिए जायफल की कितनी मात्रा सही है इस बारे में अपने डॉक्टर से जरूर बात कर लें.4. ब्रेन हेल्थ के लिए- डिप्रेशन और ऐंग्जाइटी के इलाज में भी जायफल के तेल का इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि यह थकान और स्ट्रेस को दूर करने में मदद करता है. साथ ही ब्रेन की नसों को भी रिलैक्स करने में मदद करता है. साथ ही यह मूड को भी बेहतर बनाने में मदद करता है.5. सेक्स ड्राइव बढ़ाने में मददगार- कई स्टडीज में यह बात सामने आयी है कि जायफल में कामोत्तेजक क्वॉलिटी होती है जो सेक्स ड्राइव यानी कामेच्छा को बढ़ाने में मदद करता है. यूनानी दवा पद्धति में सेक्शुअल हेल्थ से जुड़ी कई बीमारियों के इलाज में जायफल का इस्तेमाल होता है.
- खजूर में नैचुरल मिठास होती है इसलिए अगर आपको मीठा बहुत पसंद है लेकिन आपको कैलोरीज बढ़ने और वेट गेन की चिंता सताती है तो आप चीनी की जगह खजूर का इस्तेमाल कर सकते हैं. विटामिन, प्रोटीन, फाइबर और कार्बोहाइड्रेट से भरपूर खजूर एक ऐसा ड्राई फ्रूट है जो आपकी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है और कई बीमारियों को भी दूर रखता है. जो खजूर पूरी तरह से सूखा हुआ होता है उसे छुहारा कहते हैं. खजूर को ऊर्जा का भी बेहतरीन सोर्स माना जाता है.खजूर वाला दूध कैसे बनाएं?वैसे तो दूध और खजूर ये दोनों ही चीजें अलग-अलग भी काफी फायदेमंद होती हैं और जब इन्हें साथ मिलाकर खाया जाता है तो इसके फायदे दोगुने से भी ज्यादा हो जाते हैं. आप चाहें तो 1 गिलास गर्म दूध के साथ 2-3 खजूर खा सकते हैं या फिर 1 गिलास दूध में 4-5 खजूर डालें और धीमी आंच पर 10-15 मिनट तक पकाएं. जब खजूर दूध में अच्छी तरह से मिक्स हो जाए उसके बाद इसे आंच से उतारें और गुनगुना रहने पर पी लें.दूध और खजूर साथ खाने के फायदे1. कब्ज की समस्या करता है दूर- अगर किसी व्यक्ति को लंबे समय से कब्ज की समस्या हो तो उसके लिए तो रामबाण की तरह है खजूर वाला दूध. इसमें फाइबर भरपूर मात्रा में होता है इसलिए यह पाचन तंत्र की सफाई करता है जिससे कब्ज की दिक्कत दूर हो जाती है.2. हार्ट को रखता है हेल्दी- खजूर में फाइबर के साथ ही पोटैशियम और मैग्नीशियम भी होता है जो रक्तवाहिकाओं को रिलैक्स करने में मदद करता है जिससे ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में मदद मिलती है. साथ ही खजूर कोलेस्ट्रॉल को भी कम करता है. जब बीपी और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रहता है तो हृदय रोग का खतरा कम हो जाता है.3. गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद- आयरन से भरपूर खजूर गर्भवती महिला और उसके बच्चे दोनों के लिए फायदेमंद है. यह खून बनाने में मदद करता है और दूध तो गर्भवती महिला के लिए जरूरी है ही. तो कुल मिलाकर देखें तो खजूर वाला दूध प्रेग्नेंसी में काफी फायदेमंद हो सकता है.4. डायबिटीज के मरीजों के लिए- खजूर में नैचुरल शुगर होती है और इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी कम होता है इसलिए यह ब्लड शुगर के लेवल को कम करने में मदद कर सकता है. डायबिटीज के मरीज कभी कभार सीमित मात्रा में खजूर खा सकते हैं.5. कमजोरी दूर करता है- कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, कैल्शियम आदि से भरपूर खजूर का सेवन करने से तुरंत एनर्जी मिलती है और कमजोरी दूर हो जाती है. इसके अलावा दूध और खजूर का साथ में सेवन करने से हड्डियों भी मजबूत बनती हैं.
- सेहतमंद रहने के लिए हमेशा से ही हरी सब्जियों का सेवन करने की सलाह दी जाती रही है। यह शरीर को कई तरह के लाभ पहुंचाकर स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करती हैं। ऐसी ही एक हरी सब्जी है तुरई। कई लोग इसे खाना पसंद नहीं करते, पर बहुत से लोगों को इसका स्वाद बहुत भाता है। पोषक तत्वों से भरपूर होने की वजह से यह शरीर को कई तरह से फायदा पहुंचाती है। यह एक ऐसी बेल है, जिसका फल, पत्ते, जड़ और बीज सभी लाभकारी हैं । आज हम बता रहे हैं तुरई खाने के फायदे....1. एंटी-इंफ्लामेटरीएंटी-इंफ्लामेटरी प्रभाव तुरई के सूखे पत्तों के इथेनॉल अर्क में पाया जाता है। इस प्रभाव को एडिमा (शरीर के ऊतकों में तरल जमने की वजह से सूजन) और ग्रेन्युलोमा (इंफ्लामेशन) प्रभावित व्यक्तियों पर जांचा गया। शोध में पाया गया कि इथेनॉल अर्क एडिमा को कम करने में मदद कर सकता है। इसी आधार पर कहा जा सकता है कि तुरई एंटी-इंफ्लामेटरी की तरह भी कार्य कर सकती है।2. सिरदर्द के लिए तुरई के फायदेमाना जाता है कि तुरई सिर दर्द को भी ठीक करने में मदद कर सकती है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर मौजूद एक शोध के मुताबिक तुरई के पत्ते और इसके बीज के एथनॉलिक अर्क दर्द को कम करने में सहायक हो सकते हैं। रिसर्च के अनुसार इसमें एनाल्जेसिक और एंटीइंफ्लामेटरी गुण होते हैं। यह दोनों गुण दर्द को कम करने और राहत दिलाने के लिए जाने जाते हैं।3. एंटी-अल्सरतुरई को पेट के अल्सर यानी ग्रेस्ट्रिक अल्सर को कम करने के लिए भी जाना जाता है। इसमें मौजूद गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव प्रभाव कुछ हद तक अल्सर के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है। यह प्रभाव सूखे तुरई के गूदे के अर्क के मेथोनॉलिक और पानी के अर्क में पाया जाता है। यह प्रभाव गैस्ट्रिक म्यूकोसा (पेट की एक झिल्ली) के म्यूकोसल ग्लाइकोप्रोटीन के स्तर को ठीक करने में मदद करके अल्सर के लक्षण को कुछ हद तक कम कर सकता है।4. डायबिटीज के लिए तुरई के फायदेतुरई को पुराने समय से ही डायबिटीज को नियंत्रित करने वाली सब्जी के रूप में जाना जाता है। प्राचीन समय से चली आ रही इस मान्यता को लेकर चूहों पर शोध भी किया गया। शोध में कहा गया है कि तुरई के एथनॉलिक अर्क में ग्लूकोज के स्तर को कम करने वाला हाइपोग्लाइमिक प्रभाव पाया जाता है।5. पेचिश में तुरई के फायदेपेचिश को रोकने में भी तुरई को लाभदायक माना गया है। सालों से तुरई के बीज में मौजूद नरम खाद्य हिस्से को पेचिश से राहत पाने के तरीके के तौर पर इस्तेमाल में लाया जाता रहा है । साथ ही इसके पत्तों को भी पेचिश के लिए लाभकारी माना जाता है ।6. पीलिया में तुरई के फायदेपीलिया से बचाव के लिए भी तुरई को इस्तेमाल में लाया जाता है। यह स्वास्थ्य समस्या, शरीर में सिरम बिलीरुबिन नामक कंपाउंड के बढऩे की वजह से होती है। साथ ही इसके इलाज के लिए दुनियाभर में तुरई की पत्तियां, तना और बीज को कुचलकर पीलिया के रोगियों को सुंघाया जाता है ।7. दाद में तुरई के फायदेरिंगवॉर्म (दाद) में भी तुरई को लाभदायक माना जाता है। इसकी पत्तियों को पीसकर, दाद प्रभावित जगह पर लगाने से आराम मिलने की बात कही जाती है। दरअसल, रिंगवॉर्म फंगस की वजह से होता है और तुरई में और इसके पत्तों के पानी से बने अर्क में एंटीफंगल गुण पाए जाते हैं। इसी आधार पर कहा जा सकता है कि दाद से राहत दिलाने में तुरई मदद कर सकता है
- होलिका दहन के दिन गाय के गोबर से बने कंडे या उपलों को जलाना शुभ माना जाता है। हमारी परंपरा का हिस्सा रहे इन कंडों की अहमियत देश में अधिक है। गाय के गोबर से बॉयोगैस तैयार होता है जिसके अपने अलग फायदे हैं पर होलिका दहन पर जलने वाले कंडे की राख के कई फायदे आयुर्वेद में बताए गए हैं। गाय के गोबर में विटामिन बी12 पाया जाता है। होलिका दहन में कंडों के साथ आम, पलाश, बरगद, पीपल की पत्तियों को भी हवन में डाला जाता है। पूजा के बाद आसपास के वातावरण में कीड़ या मच्छर भाग जाते हैं और वातावरण शुद्ध नजर आता है। कहते हैं गोबर के कंडे जलने से उनमें ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है। इन कंडों के उपयोग या इस्तेमाल का कोई ठोस प्रमाण नहीं है पर फिर भी इनका इस्तेमाल किया जाता है।1. जलन में राख का इस्तेमालगाय के उपलों से बनी राख से त्वचा की जलन शांत होती है। राख को मक्खन में लगाकर प्रभावित जगह पर लगाए या मच्छर काटने पर इसे लगाएं तो जलन से आराम मिलेगा। खुजली दूर करने के लिए भी राख का इस्तेमाल किया जाता है। अगर किसी तरह की कोई एलर्जी है तो आप डॉक्टर से पूछे बिना इसका इस्तेमाल न करें।2. कंडे के धुएं से नहीं काटेंगे मच्छरइस समय मच्छर की संख्या बढ़ गई है। इन्हें भगाने के लिए आप गोबर के कंडे का इस्तेमाल कर सकते हैं। होलिका दहन की पूजा में इस्तेमाल किए कंडों को आप घर के किसी कोने या कमरे में रख सकते हैं। गोबर के कंडे के छोटे टुकड़े को जलाकर उसका धुंआ पूरे कमरे में कर दें। इस धुंए से मच्छर और कीड़े दूर भागते हैं। आप चाहें तो मार्केट में गाय की गोबर से बनी धूपबत्ती का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे मच्छर, मक्खी, मकड़ी कमरे में नहीं आएंगे।3. वातावरण शुद्ध करता है गोबर का कंडाविशेषज्ञों का मानना है कि उपले जलाने के बाद उसमें ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है जिससेे वातावरण शुद्ध होता है। होलिका दहन के बाद कई लोग साफ हवा महसूस करते हैं। हालांकि जिन लोगों को अस्थमा या सांस की बीमारी है उन्हें ्किसी भी तरह के धुंए से बचना चाहिए।4. उपले की राख से स्वस्थ्य रहेंगे दांतहोलिका दहन की अग्नि की राख स्वास्थ्य के लिए कितनी लाभदायक है। अग्नि की इस राख में गाय के गोबर से बने उपले भी मौजूद होते हैं जिससे इनका महत्व और भी बढ़ जाता है। इस राख को आप घर ले जाएं और रोजाना अपने टूथपेस्ट में मिलाकर इससे मंजन करें। आपके दांत साफ हो जाएंगे क्योंकि इसमें कॉर्बन की मात्रा अधिक होती है, ये दांतों के लिए स्वस्थ माना जाता है। अगर आपको दांतों की बीमारी है तो डेंटटिस्ट से सलाह लेकर इसका इस्तेमाल करें।गोबर के उपले होली के त्यौहार पर शुभ माने जाते हैं, ऊपर दिए उपयोग घरेलू उपाय के तौर पर प्रचलित हैं, इसलिए डॉक्टर से सलाह लेकर ही इनका इस्तेमाल करें।
- किसी व्यक्ति को सर्दी जुकाम होना एक आम सी बात है। नाक में बलगम बढ़ जाने से यह समस्या उत्पन्न हो जाती है। बलगम के कारण शरीर सर्दी जुकाम, एलर्जी, फ्लू वायरस आदि परेशानियों का शिकार हो सकता है। सामान्य कारणों की बात करें तो सर्दी जुकाम मौसम बदलने के कारण या साइनस संक्रमण के कारण या किसी एलर्जी के कारण होते हैं। वही लक्षणों में गले में दर्द, खांसी आदि आते हैं। लेकिन इससे अलग कुछ और भी कारण और लक्षण हैं जिनके बारे में जानना और समझना जरूरी है।नाक बहने के पीछे कारणबता दें कि सामान्य लक्षणों के बारे में तो हमने ऊपर बताया लेकिन कुछ ऐसे लक्षण भी हैं जो बहती नाक का कारण बनते हैं-1 - सूखी हवा के कारण व्यक्ति की नाक बहने लगती है।2 - जो लोग तंबाकू और धूम्रपान का सेवन करते हैं उन लोगों में भी यह समस्या देखी जाती है।3 - सिर दर्द से परेशान लोग अक्सर नाक बहने की समस्या से भी परेशान होते हैं।4 - मौसम में अचानक परिवर्तन आने के दौरान की समस्या देखी गई है।5 - जब कोई व्यक्ति नाक में इस्तेमाल करने वाले स्प्रे का अधिक प्रयोग करता है तब भी समस्या होती है।6 - कुछ दवाओं के सेवन करने से व्यक्ति को दुष्परिणाम झेलने पड़ते हैं। उन दुष्परिणामों में नाक का बहना भी आता है।7 - अस्थमा यानी दमा की समस्या के कारण भी नाक बहनी शुरू हो जाती है।8 - किसी व्यक्ति की नाक में कुछ फस जाता है या अटक जाता है तब भी यह समस्या हो जाती है।9 - हार्मोन परिवर्तन के दौरान नाक बहना स्वभाविक है।10 - सर्दी जुकाम के कारण नाक बहना एक आम लक्षण होता है। जो हर व्यक्ति में देखा गया है। इसके जरिए शरीर में जमा बलगम बाहर आता है।11 - कभी-कभी तो बलगम नाक के माध्यम से बाहर आता है तो कुछ परिस्थितियां ऐसी भी बन जाती हैं जब बलगम गले में जाता है। ये बलगम गाढ़ा होता है।12 - जो लोग साइनस के शिकार होते हैं उनकी नाक के मार्ग में दर्द, सूजन और जलन पैदा हो जाती है। ऐसे में सांस लेने में दिक्कत महसूस होती है और व्यक्ति के शरीर में बलगम बनने लगती है इस कारण नाक बहने की समस्या पैदा हो जाती है।13 - एलर्जी के कारण भी व्यक्ति को नाक बहने की समस्या हो सकती है। जिन लोगों के घर में पशु होते हैं या वे हानिकारक बैक्टीरिया के संपर्क में आते हैं तब उन्हें एलर्जी महसूस होती है और नाक बहना शुरू हो जाती है।नाक बहने से बचाव- अपने आहार में विटामिन सी का सेवन करें।- गर्म चाय नाक बहने की समस्या को दूर कर सकती है। ऐसे में आप गर्म चाय का सेवन करें। इसके लिए आप गर्म चाय में कुछ जड़ी बूटियों को जैसे- अदरक, पुदीना, कैमोमाइल आदि को जोड़ सकते हैं।- नमक के पानी से बहती नाक को रोका जा सकता है। बता दें कि नमक शरीर में जमा बलगम को बाहर निकालने में मदद करता है। ऐसे में आप गर्म पानी में नमक को मिलाएं और ड्रॉपर की मदद से नाक में डालें। ऐसा करने से समस्या दूर हो सकती है।-लाल मिर्च एंटीहिस्टामाइन के रूप में काम करती है ऐसे में इसके सेवन से ना केवल बलगम निकलती है बल्कि शरीर से विषाक्त पदार्थों को भी बाहर निकाला जा सकता है। यह रक्त परिसंचरण को बढ़ाती है। ऐसे में अपनी डाइट में लाल मिर्च को जोड़ें।
- चिरायता (Swertia chirata) ऊंचाई पर पाया जाने वाला औषधीय पौधा है । इसके पेड़ 2 से 4 फुट ऊंचे एक-वर्षायु या द्विवर्षायु होते हैं । इसकी पत्तियां और छाल बहुत कड़वी होती और ज्वर-नाशक तथा रक्तशोधक मानी जाती है। इसकी छोटी-बड़ी अनेक जातियां होती हैं; जैसे-कलपनाथ, गीमा, शिलारस, आदि। किरात और चिरेट्टा इसके अन्य नाम हैं। इसका जिक्र चरक संहिता मेंं भी मिलता है।यह हिमालय प्रदेश में कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक 4 से 10 हजार फीट की ऊंचाई पर मिलता है । नेपाल इसका मूल उत्पादक देश है । कहीं-कहीं मध्य भारत के पहाड़ी इलाकों और दक्षिण भारत के पहाड़ों पर उगाने के प्रयास किए गए हैं ।चिरायता एक जड़ी-बूटी है। आयुर्वेद के मतानुसार चिरायता का रस तीखा, गुण में लघु, प्रकृति में गर्म तथा कड़वा होता है। यह बुखार, जलन और कृमिनाशक होता है। चिरायता त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) को नष्ट करने वाला, प्लीहा व यकृत (तिल्ली और जिगर) की वृद्धि को रोकने वाला, आमपाचक, उत्तेजक, अजीर्ण, अम्लपित्त, कब्ज, अतिसार, प्यास, पीलिया, अग्निमान्द्य, संग्रहणी, दिल की कमजोरी, रक्तपित्त, रक्तविकार, त्वचा के रोग, मधुमेह, गठिया का नाशक, जीवनीशक्तिवद्र्धक गुणों से युक्त है। इसका उपयोग अनेक बीमारियों के उपचार में किया जाता है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी यह काफी मददगार है।.चिरायता मन को प्रसन्न करता है। इसके सेवन से पेशाब खुलकर आता है। यह सूजनों को नष्ट करता है। दिल को मजबूत व शक्तिशाली बनाता है। चिरायता जलोदर (पेट में पानी भरना), सीने का दर्द और गर्भाशय के विभिन्न रोगों को नष्ट करता है। यह खून को साफ करता है तथा कितना भी पुराना बुखार क्यों न हो चिरायता उसे नष्ट कर देता है। इसका कड़वापन ही इस औषधि का विशेष गुण होता है।चिरायता में पीले रंग का एक कड़ुवा अम्ल-ओफेलिक एसिड होता है । इस अम्ल के अतिरिक्त अन्य जैव सक्रिय संघटक -दो प्रकार के कडुवे ग्लाग्इकोसाइड्स चिरायनिन और एमेरोजेण्टिन, दो क्रिस्टलीयफिनॉल, जेण्टीयोपीक्रीन नामक पीले रंग का एक न्यूट्रल क्रिस्टल यौगिक तथा एक नए प्रकार का जैन्थोन जिसे सुअर्चिरन नाम दिया गया है । एमेरोजेण्टिन नामक ग्लाईकोसाइड विश्व के सर्वाधिक कड़वे पदार्थों में से एक है । यह सक्रिय घटक ही चिरायता की औषधीय क्षमता का प्रमुख कारण भी है ।
- हॉर्सटेल यानी सांप घास एक प्रकार की जड़ी-बूटी है, जो से बालों, त्वचा और हड्डी की कई समस्याओं के निदान में सहायक होती है। इसे अश्व पुच्छा भी कहा जाता है। सांप घास का वैज्ञानिक नाम इक्विटेसी है। इसमें कई तरह के मिनरल्स, विटामिंस और पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर के रोगों को कम करने या ठीक करने में मददगार होते हैं। आयुर्वेद में इसे बेहद गुणकारी बताया गया है, इसके पत्तों को औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। हॉर्सटेल कैंसर और डायबिटीज जैसी गंभीर बिमारियों को ठीक करने में सहायक है। इसके साथ ही यह त्वचा और बालों के विकारों में भी मददगार होता है।सांप घास सूजन कम करता है, हड्डियों को मजबूत बनाता है, यूरिक एसिड कम खत्म करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। हॉर्सटेल से हमारे शरीर को कई तरह से स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। रहॉर्सटेल में मौजूद पोषक तत्व- - फ्लेवोनोइड , फाइटोस्टेरॉल ,विटामिंस , मिनरल्स , सैलिसिलिक एसिड, कैफीक एसिड, कैरोटीन , पोटैशियम लवण।हॉर्सटेल के फायदेसूजन करे कमसांप घास का पौधा सूजन से राहत प्रदान करने में मदद करता है। यह किसी भी तरह के सूजन जैसे चोट, गांठ और गठिया से पीडि़त रोगों को ठीक करने में कारगर है। हॉर्सटेल में मौजूद प्रज्वलनरोधी और दर्दनाशक औषधि गुणों की वजह से यह सूजन को कम करने में मददगार है।बालों को बनाए स्वस्थधूल, धूप और मिट्टी से बाल बेजान और रूखे होकर टूटने लगते हैं। लड़कियों में यह समस्या काफी ज्यादा बढ़ रही है। ऐसे में हॉर्सटेल का सेवन करना लाभकारी हो सकता है। इसमें मौजूद मिनरल्स बालों की गुणवत्ता में सुधार करते हैं और बालों को टूटने से बचाते हैं। हॉर्सटेल का इस्तेमाल कई हेयर प्रोडक्ट्स में भी किया जाता है। इसके इस्तेमाल से बालों के झडऩे की समस्या कम होती है। यह बालों को चमकदार और लंबे बनाने में भी मदद करता है।त्वचा रोगों में फायदेमंदआयुर्वेद में त्वचा के रोगों को ठीक करने के लिए भी सांप घास का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट और सिलिका पाया जाता है, जो त्वचा को स्वस्थ रखने और त्वचा रोगों को ठीक करने में सहायक होता है। इसके सेवन से त्वचा संबंधित रोग ठीक होते हैं साथ ही इसका सेवन किया जाए तो स्किन हमेशा स्वस्थ भी रहती है।हड्डियां मजबूत बनाएआयुर्वेद में वात रोगों को ठीक करने के लिए हॉर्सटेल का इस्तेमाल किया जाता है। जोड़ों में दर्द और हड्डियों में कमजोरी होने पर इसका सेवन करना फायदेमंद होता है। इसमें पर्याप्त मात्रा में सिलिकॉन पाया जाता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाते हैं और वात रोग को कम करने में मदद करते हैं।रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाएसांप घास या हॉर्सटेल में किसी भी तरह के इंफेक्शन और बैक्टीरिया से लडऩे की पूरी क्षमता होती है। इसके सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है ।डायबिटीज रोगियों के लिए लाभकारीमधुमेह से पीडि़त रोगियों के लिए हॉर्सटेल का सेवन करना लाभकारी साबित हो सकता है। यह शरीर में इंसुलिन लेवल को संतुलित करता है। इसके साथ ही हॉर्सटेल शरीर में रक्त शर्करा के स्तर में अचानक और भारी उतार-चढ़ाव का भी प्रबंधन करता है।यूरिक एसिड खत्म करेहॉर्सटेल शरीर से विषैले और विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है। इसके सेवन से यूरिक एसिड कम या खत्म किया जा सकता है क्योंकि इसमें मूत्रवद्र्धक गुण होते हैं, जिससे ठीक तरह से पेशाब आती है। इसके साथ ही यह किडनी, किडनी स्टोन और लिवर को भी स्वस्थ रखता है।हॉर्सटेल के नुकसानवैसे तो हॉर्सटेल का सेवन करना एकदम सुरक्षित है लेकिन इसे सीमित मात्रा में और योग्य चिकित्सकों की सलाह पर ही लेना चाहिए।
- गर्मियों में भूख कम हो जाती है और हर वक्त बस पानी पीने का मन करता है। ऐसे में आप चाहें तो पानी के साथ ही फ्रूट जूस भी पी सकते हैं जो शरीर को ठंडा रखने के साथ ही शरीर में पानी की कमी होने से भी बचा सकते हैं। इन्हीं में से एक है गन्ने का जूस पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, जिंक, और ढेर सारे अमिनो एसिड से भरपूर गन्ने का जूस आपकी सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद है।इस्टेंट एनर्जी देता है गन्ने का जूसगन्ने में नैचरल सुक्रोज होता है जो शरीर को इंस्टेंट एनर्जी देने में मदद करता है. अगर बहुत ज्यादा गर्मी की वजह से थकान महसूस हो रही हो या ऐसा लगे कि शरीर में पानी की कमी हो रही है तो गन्ने का जूस आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है।लीवर के लिए फायदेमंदआयुर्वेद में भी जॉन्डिस के इलाज में गन्ने के जूस को फायदेमंद माना गया है. इसका कारण ये है कि गन्ने का जूस लीवर को मजबूत बनाने में मदद करता है. गन्ने के जूस में पाया जाने वाला एंटीऑक्सिडेंट्स इंफेक्शन के खिलाफ लीवर को सुरक्षा देता है और बिलिरुबिन के लेवल को कंट्रोल करता है जिससे जॉन्डिस जल्दी ठीक हो जाता है।कैविटीज और सांस की बदबू को करता है दूरगन्ने के जूस में कैल्शियम और फॉस्फोरस होता है जो दांतों के इनैमल को मजबूत बनाता है ताकि उनमें कीड़े न लगें और दांतों में सड़न यानी कैविटीज की समस्या ना हो. इसके अलावा सांस की बदबू की समस्या भी दूर करने में मदद करता है गन्ने का रस।किडनी में स्टोन होने से बचाता हैगन्ने का जूस पीने से यूटीआई (यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन) की बीमारी ठीक करने में मदद मिलती है, खासकर तब जब आपको यूरिन पास करने के दौरान जलन महसूस होती हो. इसके अलावा किडनी में स्टोन होने से भी बचाता है गन्ने का रस।पाचन को मजबूत बनाता हैपोटैशियम और फाइबर से भरपूर होने के कारण गन्ने का जूस पाचन को बेहतर बनाता है, जिससे पेट में किसी तरह का इंफेक्शन नहीं होता और कब्ज की समस्या भी दूर होती है