- Home
- सेहत
- भारत के लगभग सभी घरों की रसोई में बेसन का इस्तेमाल किसी न किसी रूप में जरूर किया जाता है। चाहे वह बेसन से बनने वाले पकौड़े हों या बेसन के लड्डू, ये पकवान सबको बेहद पसंद होते हैं। बेसन की तरह से ही भारत की रसोई में रोजाना कई तरह के मसालों, दाल, तेल आदि का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि पिछले कुछ सालों से इन सभी खाद्य सामग्री की शुद्धता और इनमें होने वाली मिलावट चिंता का विषय बन गयी है। आज के दौर में बाजार में बिकने वाला ऐसा कोई भी सामान नहीं है जिसमें मिलावट न की जाती हो। किचन में रोजाना इस्तेमाल होने वाले मसाले से लेकर दूध, तेल, दाल, घी, चीनी जैसे सभी खाद्य पदार्थों में मिलावट होती है। बेसन, जिसका इस्तेमाल लगभग रोजाना किया जाता है भी मिलावट से दूर नहीं है। ऐसे में इन पदार्थों का सेवन करने से हमारे स्वास्थ्य पर भी असर होता है। बेसन में किस तरह से मिलावट की जाती है और कैसे करें असली और नकली बेसन की पहचान? आइए जानते हैं।कैसे होती है बेसन में मिलावट?बेसन सामान्यत: चना दाल को पीसकर बनाया जाता है। घरों में रोजाना किसी न किसी रूप में इसका इस्तेमाल होने से इसकी मांग भी लगातार बढ़ रही है। ऐसे में मुनाफाखोरी करने की नीयत से कुछ लोग इसमें दूसरे आटे को मिलाकर बेचने का काम करते हैं। बेसन में सबसे ज्यादा मक्के का या गेंहू का आटा मिलाकर इसे बेचा जाता है। नकली बेसन बनाने के लिए लोग तरह-तरह की तरकीब अपनाते हैं। कुछ लोग तो बेसन में मटर दाल, सूजी, चावल पाउडर, मक्के और खेसारी (तिवरा दाल) के आटे को मिलाकर इसे बनाने का काम करते हैं। इस मिलावट में लगभग 25 से 30 प्रतिशत तक बेसन होता है और बाकी दूसरे आटे होते हैं।कैसे करें असली और नकली बेसन की पहचान?किचन में मौजूद लगभग सभी खाद्य पदार्थों में मिलावट होती है। मिलावटी बेसन का सेवन करने से सेहत पर बुरा असर भी होता है और ऐसे में पकवान का सही स्वाद भी नहीं मिलता है। अगर आप बेसन की शुद्धता को लेकर चिंतित हैं तो आप इसकी जांच कर सकते हैं। यह पता करने के लिए कि जिस बेसन को आप खरीदने जा रहे हैं या जिसका आप इस्तेमाल कर रहे हैं वो असली है या नकली, आपको एक छोटा सा टेस्ट करना पड़ेगा।हाइड्रोक्लोरिक एसिड की सहायता से जानें बेसन असली है या नकलीआप घर पर आसानी से हाइड्रोक्लोरिक एसिड की सहायता से असली और नकली यानि कि मिलावटी बेसन की पहचान कर सकते हैं। घर पर असली और नकली बेसन की जांच करने के लिए सबसे पहले आप किसी बर्तन में लगभग 3 या 4 चम्मच बेसन लेकर उसे पानी में घोल दीजिये। पानी में बेसन को घोलने के बाद उसमें एक से दो चम्मच हाइड्रोक्लोरिक एसिड डाल दीजिये। इसे डालने के कुछ देर बाद अगर आपके बेसन में कोई और रंग दिखाई दे तो समझ जाइये कि आपके बेसन में मिलावट की गयी है। अगर ये बेसन बिना मिलावट वाला होगा तो इसमें हाइड्रोक्लोरिक एसिड डालने के बाद भी कोई दूसर रंग नहीं दिखाई देगा।नींबू के रस से करें असली और नकली बेसन की पहचानआप नींबू के रस की सहयता से भी असली और नकली बेसन की पहचान कर सकते हैं। आप जिस बेसन का इस्तेमाल कर रहे हैं उसमें मिलावट की गयी है या नहीं ये जानने के लिए आपको नींबू के रस के साथ 2 चम्मच हाइड्रोक्लोरिक एसिड की जरुरत पड़ेगी। इसकी जांच करने के लिए आप दो चम्मच बेसन में दो चम्मच नींबू का रस मिला लें। अब इसके बाद इस मिश्रण में 2 चम्मच हाइड्रोक्लोरिक एसिड मिलकर इसे थोड़ी देर के लिए रख दें। अगर इसमें कुछ देर बाद लाल या भूरा रंग दिखाई दे या पूरा बेसन लाल या भूरे रंग में बदल जाए तो इसका मतलब आपका बेसन मिलावटी है। इसमें दूसरे आटे की मिलावट जरूर की गयी है।
- यात्रा के दौरान सिर घूमना, चक्कर आना, जी मिचलाना इत्यादि समस्या अगर आपको होती है, तो समझ जाएं कि आपको मोशन सिकनेस है। मोशन सिकनेस से ग्रसित लोगों गति की स्थिति में असहजता महसूस होती है। एक्सपर्ट के अनुसार, मोशन सिकनेस कोई बीमारी नहीं है, बल्कि यह एक स्थिति है, जिसमें कान, आंख और स्किन दिमाग को अलग-अलग संकेत देते हैं, जिसकी वजह से व्यक्ति को मोशन सिकनेस हो जाता है। यह समस्या दीर्घकालिक नहीं होती है, लेकिन थोड़े ही समय में लोगों के शरीर को कमजोर कर देती है। खासतौर पर यात्रा के दौरान आपका शरीर काफी डिस्टर्ब महसूस करता है।छोटे बच्चों (5 से 12 साल), महिलाओं और बुजुर्गों को मोशन सिकनेस की समस्या अधिक होती है। 2 साल से कम उम्र के बच्चों में यह परेशानी कम देखी गई है। मोशन सिकनेस को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है। जैसे- एयरसिकनेस, कारसिकनेस, सीसिकनेस ।मोशन सिकनेस के कारणमोशन सिकनेस यात्रा के दौरान शरीर के विभिन्न अंगों जैसे- आंख, नाक, कान और शरीर के अन्य ऊतकों द्वारा मस्तिष्क को अलग-अलग संदेश पहुंचाने की वजह से होता है। दरअसल, जब हमारा शरीर अनैच्छिक रूप से आगे बढ़ता है, (जैसे- कार से यात्रा करना, हवाई जहाज से यात्रा करना, ट्रेन से यात्रा करना) तो इस दौरान शरीर के अंग विभिन्न प्रकार के इनपुट्स मस्तिष्क को देते हैं। मस्तिष्क में इन इनपुट्स की वजह से संघर्ष उत्पन्न होता है। इसकी वजह से शरीर में कई तरह की परेशानी होती है। एक्सपर्ट की माने तो मोशन सिकनेस कान में संवेदी तंत्र को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है।कब डॉक्टर के पास जाएं?सफर के दौरान उल्टी या फिर अन्य समस्या होने पर ज्यादातर मामलों में डॉक्टर से पास जाने की जरूरत नहीं होती है। लेकिन अगर व्यक्ति को ज्यादा उल्टी और कमजोरी महसूस हो रही है, तो हो सकता है उन्हें डिहाइड्रेशन हो गया हो। इस स्थिति में डॉक्टर से पास जाना जरूरी हो जाता है।सफर में उल्टी रोकने के बचाव-सफर के दौरान व्यक्ति को अपने साथ वाले से बात करते रहना चाहिए।-सफर करने से पहले ज्यादा मसालेदार और तेलयुक्त आहार का सेवन न करें।-अगर आपको सफर में उल्टी होती है, तो इससे जुड़ी दवा अपने साथ पहले से ही रख लें।-सफर के दौरान धूम्रपान या शराब पीने से बचें।-मोशन सिकनेस होने पर तेज-तेज सांस लें। इससे आप हल्का महसूस करेंगे।-कार या फिर ट्रेन में बैठने के दौरान पास की चीजें देखने से बेहतर है कि आप दूर की चीजें देखें।-कार में सफर करने के दौरान खिड़की खोलकर ताजी हवा लें।-अगर आपको मोशन सिकनेस है, तो च्युइंगम अपने साथ जरूर रखें।-मोशन सिकनेस एक आम समस्या है। इस समस्या का आप घरेलू उपाय कर सकते हैं। हालांकि, अगर आपको अधिक उल्टी की वजह से डिहाइड्रेशन हो गया है, तो अपने नजदीकी डॉक्टर से जरूर दिखाएं।
- इन दिनों शाम के समय मौसम बदलने लगता है। हवाएं चलने लगती हैं, गर्मी से राहत मिलती है। कभी-कभी बूंदाबांदी भी हो जाती है। ऐसे में दिल करता है कि कुछ अच्छा बनाकर खाया जाए। जो लोग शाकाहारी हैं और उन्होंने कभी ऑमलेट नहीं खाया है तो वे इस बार टमाटर के ऑमलेट की यह आसान रेसिपी ट्राय कर सकते हैं। इसे बनाने में भी बहुत अधिक समय नहीं लगेगा, साथ ही यह स्वाद में भी बहुत अच्छी लगेगी। इसे बनाते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि टमाटर और सब्जी को बारीक काटें। इसे बनाना आपके लिए बहुत आसान हो जाएगा।सामग्री-बेसन- 1 कपटमाटर- 1 कटा हुआप्याज- 1 कटा हुआअदरक, हरी मिर्च का पेस्टहल्दी, गरम मसाला, लाल मिर्च- ¼ चम्मचहींग- एक चुटकीतेल और नमक- स्वादानुसारहरा धनियाविधि-एक बड़े कटोरे में बेसन, टमाटर, प्याज, अदरक और हरी मिर्च का पेस्ट मिला लें। अब उसमें लाल मिर्च, हल्दी, गरम मसाला, नमक, हींग और थोड़ा सा तेल डालकर अच्छे से फेंट लें। इसमें एक से डेढ़ कप पानी मिलाएं और अच्छे से घोल तैयार कर लें। अब हरा धनिया काटकर डालें। गैस पर नॉन स्टिक तवा रखें और उसके गर्म हो जाने पर थोड़ा तेल डालें अब उस पर चम्मच से घोल फैलाएं। मध्यम आंच पर इसे दोनों तरफ से पकाएं। तब तक पकाएं जब तक दोनों तरफ भूरे रंग के धब्बे न आने लग जाएं। अब इस गरमा-गरम शाकाहारी ऑमलेट को चटनी के साथ परोसें।
- अलसी के काढ़े के फायदे. घंटों एक जगह बैठकर काम करने वालों लोगों की वजन बढ़ने से अन्य शारीरिक परेशानियां भी बढ़ने लगती हैं. वजन बढ़ने से हार्ट संबंधी समस्याएं होने लगती हैं. बढ़े हुए वजन से छुटकारा पाने के लिए लोग डाइटिंग की मदद लेने लगते हैं. इसके बाद भी वजन कम नहीं होता. ऐसे में आपके लिए अलसी का काढ़ा काम आ सकता है.दरअसल, स्वस्थ रहने के लिए आहार विशेषज्ञ डाइट में फल-सब्जियों के साथ-साथ अलल-अलग तरह बीजों को भी शामिल करने की सलाह देते हैं. ऐसे ही बीजों में से एक है अलसी, अलसी के बीजों में ओमेगा-3 फैटी एसिड, प्रोटीन, फाइबर, विटामिन्स और मिनरल्स पाए जाते हैं.जाने-माने आयुर्वेद डॉक्टर अबरार मुल्तानी की मानें तो अलसी का काढ़ा वजन घटाने के साथ शरीर को स्वस्थ रखने में भी फायदेमंद हैं. डॉक्टर अबरार मुल्तानी के अनुसार वजन घटाने के साथ-साथ अलसी के बीज आपकी त्वचा को अंदरूनी सूजन से मुक्ति दिलाते हैं. नियमित रूप से इन बीजों का सेवन आपकी त्वचा के ग्लो को प्राकृतिक रूप से बढ़ाता है._अलसी का काढ़ा बनाने का सामानएक गिलास पानीएक चम्मच अलसी बीज पाउडरएक बड़ा चम्मच नींबू का रसगुड़ का एक छोटा टुकड़ा-------अलसी का काढ़ा बनाने की विधिसबसे पहले एक बर्तन में एक गिलास पानी डालें और उसे गैस पर धीमी आंच पर चढ़ाएं. अब इसमें एक चम्मच पिसी हुई अलसी का पाउडर डालें.इसे करीब 2 से 3 मिनट तक ऐसे ही उबलने दें.इसके बाद गैस को बंद कर दें और इसे एक कप में डाल लें.हल्का ठंडा होने पर इसमें एक चम्मच नींबू का रस और एक छोटा टुकड़ा गुड़ का डालें.इसे अच्छी तरह मिला लें.रोजाना इस काढ़े को पिएं.कुछ ही दिनों में आपको असर दिखाई देगा.
- सफेद प्याज भी खाने में उतना ही लाभदायक होता है जितना की लाल प्याज। भारत में प्याज की खेती खूब होती है। महाराष्ट्र में इसे साल में दो बार उगाया जाता है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, बिहार आदि राज्यों में प्याज की खेती की जाती है। सफेद प्याज में हाई शुगर और लो सल्फर होता है। इसका प्रयोग भारतीय घरों में सब्जी में डालने के अलावा सलाद के रूप में भी किया जाता है। सफेद प्याज का सेवन केवल इन्हीं रूपों में नहीं किया जाता है बल्कि इसका स्वादिष्ट मुरब्बा भी बनता है। जैसे आंवले का मुरब्बा बनता है, वैसे ही सफेद प्याज का मुरब्बा बनता है। इस मुरब्बे को खाने से पेट का स्वास्थ्य से लेकर दिल का स्वास्थ्य ठीक रहता है। आज के इस लेख में हम जानेंगे कि सफेद प्याज का मुरब्बा कैसे बनाते हैं और इसे खाने के क्या फायदे हैं।सफेद प्याज का मुरब्बा बनाने की विधिसफेद प्याज का मुरब्बा बनाने के लिए सफेद प्याज लें। अब इसमें करीब 10 से 12 छेद कर दें। किसी सुई से या किसी पतली नुकली चीज से छेद कर सकते हैं। बाद में इस प्याज को कांच के बर्तन में डाल दें। अब इस बर्तन में शहद डालकर रख दें। इसे करीब 40 दिनों तक स्टोर कर दें। इसके बाद आपका मुरब्बा तैयार है। जब भी शहद खत्म हो 40 दिनों बाद इसे फिर भर दें।सफेद प्याज का मुरब्बा खाने फायदेपाचन में सहायकप्याज में प्रीबायोटिक गुण पाए जाते हैं जो पाचन में सहायक हैं। इसके नियमित सेवन से पेट में गुड बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती है, जिससे में पेट में परेशानियों से लडऩे की क्षमता बढ़ जाती है। गर्मी के मौसम में पेट अक्सर खराब होता है, इसलिए इस मौसम में सफेद प्याज का मुरब्बा खाना ज्यादा फायदेमंद है।नई कोशिकाओं का निर्माणशरीर में पुरानी कोशिकाएं मृत हो जाती हैं। नई कोशिकाएं बनती हैं। इन नई कोशिकाओं को बनाने में सफेद प्याज का मुरब्बा बहुत लाभदायक है। रोज रात को सोने से पहले इसके सेवन से शरीर को बहुत फायदा मिलता है।चेहरे की रंगत बढ़ाए मुरब्बासफेद प्याज का मुरब्बा खाने से चेहरे की रंगत बढ़ जाती है। त्वचा संबंधी परेशानियां खत्म हो जाती हैं। सफेद प्याज में विटामिन सी पाया जाता है जिस कारण यह त्वचा की रंगत बढ़ाने में बहुत मददगार साबित होता है।सूजन को करे दूरशरीर में किन्ही वजहों से सूजन आ जाती है। सफेद प्याज में कई ऐसे एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं जो सूजन को कम करते हैं। इसलिए सफेद प्याज का मुरब्बा खाने से शरीर को लाभ मिलता है।यौन शक्ति बढ़ाएप्याज को यौन शक्ति बढ़ाने वाला कंद माना जाता है। इसमें ऐसे गुण पाए जाते हैं जो यौन शक्ति को बढ़ाते हैं। रोज सफेद प्याज के मुरब्बे का सेवन करने से यौन शक्ति बढ़ती है।इम्युनिटी बढ़ाएकोरोनाकाल में हर व्यक्ति इम्युनिटी बढ़ाने पर जोर दे रहा है। अगर आप भी इम्युनिटी बढ़ाना चाहते हैं तो सफेद प्याज का मुरब्बा खाएं। प्याज में विटामिन सी पाया जाता है जो इम्युनिटी को बढ़ाने का अच्छा स्रोत है।
- खाने का मन न हो या आप बदहजमी के शिकार हो, दोनों ही सूरतों में भोजन की थाली बनाते समय उसमें हरी चटनी को जगह देना बिल्कुल न भूलें। खाने में शामिल हरी चटनी न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाती है बल्कि आपको स्वास्थ्य लाभ देकर कई रोगों से भी दूर रखती है। आइए जानते हैं हरी चटनी का सेवन करने के ऐसे ही कुछ फायदों के बारे में।हरी चटनी का सेवन करने के फायदे-पाचन तंत्र को रखती है दुरुस्त-धनिया और पुदीना की चटनी बनाते समय उसमें डाला गया नींबू, काला नमक, जीरा, हरी मिर्च, हींग, अदरक और लहसुन न सिर्फ मुंह के स्वाद अच्छा करता है बल्कि आपके हाजमे को भी दुरुस्त रखता है।डायबिटीज कंट्रोल करने में मददगार-हरा धनिया का सेवन डायबिटीज रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। धनिया के सेवन करने से शरीर में इंसुलिन का स्तर सही बना रहता है। हरे धनिए से बनी चटनी में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर की हर तरह की सूजन या घाव को जल्दी ठीक करने में मदद करता है। वहीं धनिया और पुदीने की पत्तियों में मौजूद एंटीसेप्टिक गुण मुंह के छाले ठीक करने में भी मदद करते हैं।भूख बढ़ाती है-भूख न लगने की वजह से व्यक्ति को कमजोरी और थकान महसूस होने लगती है। ऐसे में भोजन के साथ परोसी गई हरी चटनी भूख बढ़ाने के साथ भोजन का स्वाद भी बढ़ा देती है।एनीमिया -शरीर में आयरन की कमी एनीमिया का कारण बनती है। ऐसे में हरा धनिया और पुदीना से बनी चटनी का सेवन एनीमिया की परेशानी दूर करता है। दोनों ही चीजों में आयरन प्रचूर मात्रा में होता है।त्वचा में चमक-हरे धनिया में एंटीफंगल और एंटीसेप्टिक गुण मौजूद होते हैं। इससे बनी चटनी का सेवन करने से त्वचा में संक्रमण और मुंहासे होने की संभावना कम हो जाती है। यह शरीर को अंदर से डिटॉक्सीफाई करके त्वचा की खोई चमक लौटाने में भी मदद करता है।=
- अगर आप मोटापे से परेशान हैं तो ये खबर आपके काम आ सकती है. हम आपके लिए लेकर आए हैं सौंफ का पानी. अधिकतर लोग खाना खाने के बाद सौंफ (Fennel) खाना पसंद करते हैं, ताकि मुंह की बदबू को दूर भगाया जा सके. सौंफ सिर्फ माउथ फ्रेशनर का काम ही नहीं करता है, बल्कि इसे खाने से शरीर की कई समस्याएं भी दूर होती हैं. सौंफ का पानी पीने से गर्मी के दिनों में शरीर ठंडा रहता है और पेट की समस्याएं भी दूर होती है.सौंफ में क्या पाया जाता है?सौंफ एक आयुर्वेदिक औषधि है, जो लगभग हर किचन में मौजूद होती है. सौंफ में काफी मात्रा में कैल्शियम, सोडियम, आयरन और पोटैशियम जैसे तत्व पाए जाते हैं. वहीं कई लोग गर्मियों में सौंफ का पानी पीते हैं.वजन घटाने में कारगरजाने माने आयुर्वेद डॉ. अबरार मुल्तानी के अनुसार, सौंफ में फाइबर की मात्रा बहुत अधिक होती है, जिससे व्यक्ति को पेट भरा हुआ महसूस होता है. सौंफ में कैलोरी न के बराबर होती है. इससे वजन कम करने में मदद मिलती है. यह शरीर में फैट को जमने नहीं देती, जिससे मोटापे का जोखिम कम रहता है. सौंफ का पानी पीने से शरीर के टॉक्सिन बाहर निकल जाते हैं. शरीर का मेटाबॉलिज्म मजबूत होता है. अच्छा मेटाबॉलिज्म वजन कम करने में मददगार होता है.ऐसे तैयार करें सौंफ का पानीरात में एक गिलास पानी में 2 चम्मच सौंफ और थोड़ी सी मिश्री भिगोकर रख दें.सुबह इस पानी को छानकर पी लें.ऐसा करने से कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है.सौंफ पानी के अन्य फायदेडॉ. अबरार मुल्तानी कहते हैं कि जिन लोगों को कब्ज की शिकायत होती है, उन्हें दिन में एक बार सैंफ का पानी जरूर पीना चाहिए.सौंफ आंखों की रोशनी बढ़ाती है. यदि रोज सौंफ का पानी पिया जाए तो इससे आंखें हेल्दी रहती हैं और इनमें कोई इंफेक्शन भी नहीं होता.नियमित रूप से सौंफ का पानी पीने से गैस और एसिडिटी की समस्या दूर होती है. जिन्हें हमेशा अपच और कब्ज की शिकायत होती है, उन्हें सौंफ का पानी पीना चाहिए.10 ग्राम सौंफ के रस को शहद में मिलाकर दिन में दो से तीन बार सेवन करने से भी खांसी ठीक हो सकती है.
-
मौसम में बदलाव आते ही सेहत और स्किन पर भी असर दिखने लगता है. गर्मियों में फटी और सूखी एड़ियों की परेशानी ज्यादा हो जाती है. एड़ियों में किसी भी प्रकार का तेल नहीं होता है, इसी वजह से वहां की स्किन बेहद जल्दी ड्राय हो जाती है. जिन लोगों को यह समस्या ज्यादा होती है, उन्हें पैरों में दर्द और ब्लीडिंग की पेरशानी भी हो सकती है.
इस खबर में हम आपको कुछ घरेलू उपाय बता रहे हैं, जिनकी मदद से आप फटी एड़ियों से राहत पा सकते हैं.नारियल तेल का उपयोगनियमित रूप से नारियल तेल का इस्तेमाल करने से फटी एड़ी की दिक्कत दूर होती है.इसके लिए आपको रात को सोने से पहले प्रभावित स्थान पर नारियल तेल लगाना होगा.आप चाहें तो इसे हल्का गर्म करके भी लगा सकते हैंफटी एड़ियों पर इससे मालिश करने से आराम मिलेगासोते समय जुराबें पहनना न भूलें.सुबह उठकर सबसे पहले पैरों को पानी से धोएंसेब का सिरका और नींबू का उपयोगफटी और सूखी एड़ियों की समस्या को दूर करने में सेब का सिरका मददगार होता है. इसमें अगर नींबू का रस मिला दिया जाए तो ज्यादा बेहतर परिणाम मिल सकता है, इन दोनों में एंटी-इंफ्लेमेट्री और एसिडिक तत्व पाए जाते हैं, जो स्किन को एक्सफोलिएट करते हैं, ये डेड स्किन सेल्स को दूर करते हैं।सबसे पहले आप ताजे नींबू की ऊपरी सतह को ग्रेटर मदद से ग्रेट कर लेंएक बर्तन में 3 लीटर पानी इस मिक्सचर को डालकर उबालेंगैस बंद करें और जब ये गुनगुना हो जाए तो इस पानी में एक चम्मच सेब का सिरका डालेंअब इसमें करीब 15 से 20 मिनट तक पैर रखें.एलोवेरा और ग्लिसरीन का ऐसे करें उपयोगस्किन एक्सपर्ट्स कहते हैं कि एलोवेरा में हाइड्रेटिंग और हीलिंग प्रॉपर्टीज होती हैं, जो ड्राय स्किन की परेशानी को दूर करता है. इसमें ग्लिसरीन मिलाकर यूज करने से पैर अच्छी तरह मॉइश्चराइज हो जाते हैं. यही कारण है कि ड्राय और क्रैक्ड स्किन के लिए इसका इस्तेमाल प्रभावी है.इसके लिए आपको 2 चम्मच एलोवेरा जेल में एक चम्मच ग्लिसरीन मिलानी होगीगर्म पानी से पैरों को धोकर इस मिश्रण से मसाज करेंनियमित रूप से इसके इस्तेमाल से पैरों की ये परेशानी दूर होगी - आयुर्वेद में हमारी कई बीमारियों का प्राकृतिक इलाज है। इन प्राकृतिक इलाजों के लिए आमतौर पर जड़ीबूटियों, मसालों और हब्र्स की मदद ली जाती है। ऐसा ही एक आयुर्वेदिक हर्ब है भुई आंवला या भूमि आंवला । ये पतली-पतली आंवले की पत्तियों जैसा पौधा हमारे यहां पानी वाली जगहों के पास या पानी की क्यारियों के पास हर जगह मिल जाता है। पर क्या आपको पता है कि ये छोटा सा पौधा आपके लिए कितना फायदेमंद है? इस छोटे से पेड़ के बड़े फायदों के बारे में इनक्रेडिबल आयुर्वेद संस्था के संस्थापक और आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉ. अबरार मुल्तानी बताते हैं कि ये एक पौधा कई एंटीवायरल गुणों की भरमार है।भूमि आंवला के फायदे1. लिवर टॉनिक है भूमि आंवलाभूमि आंवला लिवर की बीमारियों के लिए रामबाण इलाज है। ये लिवर में हेपेटोप्रोटेक्टिव, एंटीऑक्सिडेंट और एंटीवायरल गतिविधियों के कारण होने वाले किसी भी नुकसान से बचाता भूमि आंवला लिवर में सूजन, पीलिया और कमजोर लिवर की समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। इसके अलावा ये लिवर के काम-काज को भी तेज करता है और डिटॉक्सीफिकेशन के प्रोसेस को तेज करता है। जिन लोगों को मतली या खाना न पचा पाने की परेशानी है या खाने के बाद दस्त आने की परेशानी होती है, उनके लिए भी ये बहुत फायदेमंद है।2. पेशाब से जुड़ी परेशानियों को कम करता हैपेशाब से जुड़ी परेशानियों को दूर भगाने में भूमि आंवला बहुत फायदेमंद है। असल में ये डाइयूरेटिक गुणों से भरपूर है, जो कि पेशाब की परेशानी को दूर करते हैं और यूटीआई इंफेक्शन को भी दूर करते हैं। इसके अलावा ये शरीर से पानी और सोडियम को बाहर निकालने में भी मदद करते हैं। ये हाई ब्लड प्रेशर को भी कम करने में मदद करते हैं।3. डायबिटीज को कंट्रोल करने में मददगारपुराने जमाने में डायबिटीज में मरीज भुई आंवला को चबाया करते थे और उनका मानना था कि ये ब्लड शुगर को संतुलित करने में भी मददगार है। वहीं कुछ शोध बताते हैं कि इसका अर्क या रस ब्लड शुगर को कम करने और इसमें अचानक होने वाली बढ़ोतरी को कम करते हैं। साथ ही ये डायबिटीज के मरीज में मेटाबोलिज्म को सही करके वजन संतुलित रखने में मदद करते हैं।4. खांसी और जुकामभूमि आंवला में कफ को संतुलित करने का गुण होता है इसलिए ये खांसी, अस्थमा, सांस फूलना और सांस से जुड़ी परेशानियों को कम करता है। इसका आप काढ़ा बना कर या कई प्रकार से इस्तेमाल कर सकते हैं। दरअसल इसके एंटी वायरल गुण मौसी इंफेक्शन और बीमारियों से बचाने का काम करते हैं। इसमें कुछ एंटी ऑक्सीडेंट गुण भी जाते हैं, जो कि आपकी इम्यूनिटी बूस्ट करके आपको मौसम बदलने के साथ होने वाले फ्लू और सर्दी जुकाम से बचाते हैं।5. टायफाइड के बुखार को कम करता हैभूमि आंवला अपने कड़वे रस के कारण और पित्त संतुलन में मदद करता है। ये टायफाइड के बुखार को भी कम करता है और दवाओं के साथ इसके प्रभाव को बढ़ाता है। ये चयापचय को भी ठीक करने में मदद करता है और शरीर से गंदगी को डिटॉक्स करने में मदद करता है।6. अपच और एसिडिटी में कारगरअपच और एसिडिटी होने पर भूमि आंवला के पत्तों को चबाने से इससे राहत मिलती है। दरअसल ये पित्त संतुलन को सही करता है और पेट की गर्मी को शांत करता है। इसके अलावा इसका रेगुलर सेवन करने से ये पाचनतंत्र को सही करता है और अपच और एसिडिटी की परेशानियों को कम करने में मदद करता है। साथ ही पेट में एसिड के रिलीज को भी कम करता है। इसके अलावा अगर आपका पेट खराब है ये आपको दस्त की परेशानी हो रही है, तो भूमि आंवला को पानी में पकाएं। जब पानी एक चौथाई रह जाए तो मेथी का चूर्ण 5 ग्राम मिलाएं। इसे उबालते रहें और इसे छानकर पिएं। इसे थोड़ा-थोड़ा पीने से दस्त पर रोक लगाने में मदद मिल सकती है।7. गठिया के दर्द से आराम दिलाता हैअगर आपके शरीर में वात ज्यादा है या आपको गठिया की समस्या है तो भूमी आंवला का सेवन इस परेशानी को कम करने में मदद कर सकता है। इसके लिए भूमी आंवला को पीस कर इसमें काला नमक मिलाकर दर्द वाली जगह पर लगाएं। इससे गठिया के दर्द से आराम मिलेगा।
- आप कब्ज की समस्या से परेशान हैं तो ये खबर आपके काम आ सकती है. आज हम आपके लिए कब्ज का इलाज लेकर आए हैं. आयुर्वेद के अनुसार, नारियल का तेल कब्ज के लिए एक बहुत अच्छा प्राकृतिक उपचार है, क्योंकि यह उचित मात्रा में उपयोग किए जाने पर प्रभावी तरीके से काम करता है. यह कठोर मल को नरम कर सकता है. नारियल का तेल लिपिड से भरपूर होता है, जो स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है.जाने माने आयुर्वेद डॉक्टर अबरार मुल्तानी के अनुसार, नारियल के तेल में मध्यम मात्रा में फैटी एसिड होता है, जो आपके कोलन और पाचन तंत्र को लाइन करने वाली कोशिकाओं को उत्तेजित करने का काम करता है, जिससे इन कोशिकाओं की ऊर्जा और मेटाबॉलिक क्षमता बढ़ती है. यह आपकी पाचन दर में सुधार कर सकता है और अधिक पोषक तत्वों को अवशोषित कर सकता है.डॉक्टर अबरार मुल्तानी कहते हैं कि नारियल का तेल आंत को चिकनाई देता है, जो शरीर की आसान गति में मदद करता है और कब्ज को रोकता है. नारियल का तेल मेटोबॉलिज्म को बढ़ा सकता है, जो बदले में शरीर से अतिरिक्त अपशिष्ट को निकालता है और कब्ज को रोकता है.ऐसे करें उपयोगडॉक्टर अबरार मुल्तानी कहते बताते हैं कि वर्जिन कोकोनट ऑयल कब्ज के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. इस प्रकार का नारियल तेल ताजे नारियल के दूध से निकाला जाता है, जिन लोगों को अक्सर कब्ज की शिकायत रहती है, उनके लिए रोजाना एक या दो चम्मच नारियल तेल का सेवन फायदेमंद साबित हो सकता है.क्या कहते हैं डॉक्टरडॉक्टर अबरार मुल्तानी के अनुसार कब्ज से तत्काल राहत के लिए नारियल तेल का सेवन करने के दो तरीके हैं. आप हर सुबह एक चम्मच वर्जिन नारियल का तेल का सेवन कर सकते हैं या आप इसे अपनी सुबह की कॉफी या एक गिलास जूस में मिला सकते हैं. नारियल का तेल सेवन करने के लिए सुरक्षित है और इसका कोई ज्ञात दुष्प्रभाव नहीं है. हालांकि अगर आपको कोई पुरानी बीमारी है या आप गर्भवती हैं या स्तनपान करा रही हैं तो इस घरेलू उपाय को आजमाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें.
- योग का जीवन में अति विशेष महत्व है. योग करने से न केवल हम स्वस्थ रहते हैं, बल्कि हमारा मन-मस्तिष्क भी एकाग्रचित रहता है, जिससे हम तनाव और अनेकों बीमारियों से दूर रहते हैं. वैसे तो योग के अनेक आसन हैं, जिनके अपने-अपने फायदे हैं, लेकिन आज हम आपको जिस आसन के बारे में बता रहे हैं वो है नौकासन. नौकासन दिखने में बेहद आसान है पर इस आसन में एक जैसे बने रहना इतना आसान नहीं, हालांकि नियमित अभ्यास से कुछ ही दिनों में यह संभव हो सकता है.क्या है नौकासननौकासन का अर्थ उसके नाम से ही समझ आ जाता है. इस आसन में शरीर की मुद्रा नाव के समान बनती है इसलिए इसे नौकासन कहते हैं. अंग्रेजी में इसे बोट पोज भी कहा जाता है.कैसे करें नौकासननौकासन करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल पर लेटें.दोनों पैरों को एकसाथ जोड़कर रखें एवं हाथों को भी शरीर के पास ही रखेंलंबी गहरी सांस लें और सांस को छोड़ते हुए हाथ, पैर, छाती, सिर आदि को उठाएंहाथ और पैर एकदम सीधे रखें और घुटनों को न मोड़ेंपैरों को उतना उठाएं कि जबतक पेट में खिंचाव न महसूस होने लगेशरीर के पूरे वजन को नितंब पर संतुलित करने का प्रयास करेंनौकासन के लाभनौकासन करने से पीठ, पैर, कमर और पेट की मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं.प्रतिदिन इसका अभ्यास करने से पेट की अतिरिक्त चर्बी गायब होने लगती है. पेट के साथ ही कमर का मोटापा भी कम हो जाता है.मेरूदंड को मजबूत करने के लिए भी नौकासन करना चाहिए. इससे कमर दर्द में भी आराम मिलता है.जिन लोगों को कब्ज की समस्या होती है, उन्हें भी नौकासन करने से बहुत फायदा पहुंचता है.इस योग को करने से पेट संबंधी विकार जैसे एसिडिटी, अपच दूर होती है.सावधानियांगर्भावस्था और मासिक धर्म में इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिएयदि पेट से जुड़े कोई ऑपरेशन को ज्यादा समय नहीं हुआ है तो नौकासन न करेंअस्थमा और दिल के मरीजों को भी इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए
- सूखे बादाम खाने की अपेक्षा हरे बादाम खाने से स्वास्थ्य को अधिक लाभ मिलते हैं। इसका सेवन आपको कई रोगों से बचाता है। हरा बादाम भी सूखे बादाम के ही आकार का होता है, लेकिन हरा बादाम सूखे बादाम से ज्यादा गुणकारी माना जाता है। इस बादाम के सेवन से आपको सूखे बादाम के मुकाबले अधिक फायदा पहुंचता है। हरे बादाम में फ्लेवेनॉइड्स, एंटीऑकसीडेंट्स और विटामिन की प्रचुरता होती है, जो आपके दिल, पेट और मांसपेशियों आदि में होने वाली समस्याओं को काफी कम करता है। आइये जानते हैं कि हरा बादाम आपके लिए कैसे फायदेमंद है।1. हड्डियों को करे मजबूतहरे बादाम मे कैल्शियम की भी अधिक मात्रा पाई जाती है, जो हड्डियों के विकास के लिए बहुत जरूरी होता है। हरे बादाम में पाए जाने वाले गुण शरीर में हो रहे हड्डियों के विकार को कम करने मे मदद करते हैं। इसके सेवन से न सिर्फ हड्डियां मजबूत रहती हैं बल्कि हड्डियों से संबंधित समस्याएं जैसे स्पॉंडिलाइटिस, स्लिप डिस्क और ओस्टियोपोरोसिस आदि का भी खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। खासतौर पर बच्चों को शुरू से ही इसका सेवन कराना चाहे, जिससे उनकी हड्डियां मजबूत रहें। हरे बादाम में विटामिन डी की भी मात्रा पाई जाती है।2. खून साफ करने में करे मददहरे बादाम में अच्छी मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जो आपकी शरीर में से जहरीले तत्वों को निकाल देते हैं और रक्त संचार को सुचारू बनाकर उसे साफ करते हैं। इसका सेवन करने से खून हमेशा स्वच्छ और शुद्ध रहता है। वहीं इसमें आयरन की भी मात्रा पाई जाती है, जो खून साफ करने में मददगार है। शरीर में गंदा खून बहुत सी बीमारियों को आमंत्रित करता है। लेकिन हरा बादाम के पोषक तत्व खून में घुसकर विषैले तत्वों का खात्मा करते हैं।3. हृदय के लिए फायदेमंदहरे बादाम में फ्लेवेनॉइड्स और बायोफ्लेवेनॉइड्स की मात्रा मौजूद होती है, जो हृदय की रक्त वाहिकाओं को क्षति पहुंचने से बचाती हैं और हृदय में सुचारू रूप से खून का संचार करती है। इसलिए इसका नियमित सेवन करने से वॉल्व्यूलर हार्ट डिजीज, कोरोनरी आर्टरी डिजिज समेत कार्डियोवैस्कुलर डिजीज से भी खुद को बचाकर रखा जा सकता है। फ्लेवेनॉइड्स की मात्रा शरीर में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट्स की कार्यक्षमता को भी बढ़ाती हैं।4. रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएरोग प्रतिरोधक क्षमता को बरकरार रखने और बढ़ाने के लिए हरे बादाम का सेवन किसी औषधि से कम नहीं है। इसमें एंटी ऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता की गतिशीलता में इजाफा लाते हैं। यही नहीं इसके सेवन से पेट संबंधी विकारों में भी राहत मिलता है।5. याददाश्त बढ़ाएसूखा बादाम दिमाग को तेज करता है। वहीं हरा बादाम आपकी याददाश्त को तेज करने में काम आता है। अल्जाइमर और डिमेंशिया के मरीजों के लिए भी हरा बादाम काफी काम आता है। हरा बादाम न्यूरोट्रांसमीटर का कार्य करते हैं। इसमें पाए जाने वाले तत्व आपके न्यूरोलॉजिकल विकास में अहम भूमिका निभाते हैं। साथ ही मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं। जिससे दिमाग सुचारू रूप से कार्य कर ने में सक्षम रहता है।6. पीएच के स्तर को संतुलित रखेशरीर में पीएच के स्तर को संतुलित रखने के लिए हरे बादाम का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। इसके सेवन से शरीर में क्षारीयता बनी रहती है। कई बार हमारे शरीर की संपूर्ण प्रणाली अम्लीय हो जाती है, जिस कारण शरीर में पीएच का स्तर सामान्य से परिवर्तित हो जाता है। ऐसे समय में हरे बादाम का सेवन आपको इस समस्या से छुटकारा दिला सकता है।7. त्वचा के लिए फायदेमंदत्वचा को मखमली और खूबसूरत बनाने के लिए भी हरे बादाम का सेवन काफी अच्छा माना जाता है। इसमें विटामिन ई की भरपूर मात्रा के साथ ही एंटी ऑक्सीडेंट भी मौजूद होते हैं। यह आपको फ्री रेडिकल्स से छुटकारा दिलाने में सहायक माने जाते हैं।8. बालों के विकास के लिए अच्छाअगर आप बालों के रुके हुए विकास से परेशान हैं तो हरा बादाम आपकी मदद कर सकता है। इसमें पाए जाने वाले विटामिन,. मिनिरल्स के साथ ही अन्य तत्व आपके स्रकैल्प को पोष्कता प्रदान करते हैं। लंबे और खूबूसूरत बालों के लिए इसमें जिंक की भी मौजूदगी रहती है। जो बालों के विकास के लिए अच्छा माना जाता है।
- भारत के कई हिस्सों में मॉनसून ने कदम रख दिया है और कई हिस्सों में आने वाले कुछ दिन में पहुंच जाएगा. क्या आप जानते हैं बरसात का मौसम कई बीमारियों का स्वागत कर सकता है. ये बीमारियां बरसात के कारण पानी भरने, गंदगी, कीड़े-मकौड़े या मच्छरों के कारण हो सकती हैं. अगर आप बरसात में होने वाली इन बीमारियों के बारे में जानकारी रखेंगे, तो इनसे बेहतर तरीके से बचाव कर सकते हैं. आइए, बारिश के मौसम में होने वाली 10 बीमारियों के बारे में जानते हैं.मॉनसून में होने वाली खतरनाक बीमारियांमॉनसून में अत्यधिक बारिश होने के कारण जगह-जगह पानी भरने लगता है. जहां गंदगी, मच्छर या कीड़े-मकोड़े पनपने की ज्यादा आशंका रहती है. बरसात का मौसम संक्रमण के जोखिम को भी बढ़ा देता है. आइए, इन बीमारियों के बारे में जानते हैं.डेंगू - बरसात के मौसम में मच्छरों के कारण होने वाली बीमारी की बात की जाए, तो पिछले कुछ वर्षों में डेंगू का सबसे ज्यादा प्रकोप रहा है. यह बीमारी एडीज एजिप्टी मच्छरों के काटने से फैलती है. सिरदर्द, थकान, जोड़ों में दर्द, प्लेटलेट्स कम होना आदि डेंगू के लक्षण हो सकते हैं.येलो फीवर - एडीज एजिप्टी मच्छर ही येलो फीवर का कारण भी बनता है. इस बुखार में मरीज के अंदर पीलिया के लक्षण भी दिखने लगते हैं. हालांकि, इस बुखार के मामले भारत में दिखने दुर्लभ हैं. इसमें बुखार, मतली, उल्टी, सिरदर्द जैसी समस्या होने लगती है.मलेरिया- डेंगू से पहले लोगों के मन में मलेरिया का काफी डर था. बारिश के कारण मलेरिया के भारी तादाद में मामले देखे जाते थे. यह बीमारी संक्रमित फीमेल एनोफिलीज मच्छर के काटने से फैलती है. इसमें भी बुखार, सिरदर्द, उल्टी जैसे लक्षण दिखते हैं.चिकनगुनिया- डेंगू के बाद भारत में चिकनगुनिया के मामलों में भी बढ़ोतरी देखी गई है. चिकनगुनिया भी डेंगू और येलो फीवर वाले मच्छरों के काटने से ही फैलता है. इस बीमारी में बुखार, जोड़ों में दर्द, त्वचा पर लाल चकत्ते आदि लक्षण दिखते हैं.लाइम डिजीज- यह बीमारी मुख्यतः Borrelia burgdorferi बैक्टीरिया के कारण होती है. जो कि संक्रमित काली टांगों वाले कीड़ों के काटने से फैलती है. इस बीमारी के मामले भी भारत में कम ही देखने को मिलते हैं.कोल्ड और फ्लू- बरसात के मौसम में वातावरण में कई बैक्टीरिया और वायरस जिंदा रहते हैं. जो नाक, मुंह या आंखों के रास्ते हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और शरीर को बीमार कर देते हैं. इसके कारण सर्दी-जुकाम, खांसी, बुखार जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है.हैजा- विब्रियो कोलेरी नामक जीवाणु से दूषित भोजन या पानी का सेवन करने से हैजा की समस्या हो सकती है. इसके कारण शरीर में डायरिया के लक्षण दिखने लगते हैं और आपको दस्त, पैरों में अकड़न और उल्टी की समस्या हो सकती है.लेप्टोस्पायरोसिस- यह बीमारी मॉनसून (मानसून) के दौरान काफी बढ़ जाती है. 2013 के दौरान भारत में इसके मामले देखे गए थे. जानवरों के यूरिन व स्टूल में लेप्टोस्पाइरा नामक बैक्टीरिया होने के कारण यह बीमारी होती है. जो कि जानवरों के संक्रमित यूरिन-स्टूल के संपर्क में आने से इंसानों या दूसरे जानवरों में फैल सकती है. इस बीमारी में भूख में कमी, पीठ के निचले हिस्से में दर्द, खांसी आदि मुख्य लक्षण शामिल होते हैं.हेपेटाइटिस ए- हैजा की तरह हेपेटाइटिस भी दूषित पानी या खाने के सेवन से होता है. इस बीमारी के कारण लिवर सबसे ज्यादा प्रभावित होता है. इसमें बुखार, उल्टी आदि समस्याएं होने लगती हैं.टाइफाइड- टाइफाइड बुखार के मामले बारिश के मौसम में बढ़ जाते हैं. जो कि साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया के कारण होता है. इस बीमारी के कारण शरीर में सिरदर्द, बुखार, भूख में कमी, कब्ज, दस्त आदि समस्याएं हो सकती हैं
- अनहेल्दी लाइफस्टाइल और गलत खान-पान के कारण अधिकतर लोगों का वजन ज्यादा ही होता है. मोटापे के चलते हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, यूरिक एसिड का बढ़ना और डायबिटीज जैसी खतरनाक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. यही वजह है कि इस समय रहते कम कर लिया जाए. हम जिस घरेलू उपाय के बारे में आपको बता रहे हैं वो जीरा-अजवाइन से तैयार होता है. जीरा और अजवाइन दोनों में ही कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो वजन घटाने में मददगार होते हैं. इन दोनों का एक साथ सेवन करने से आप तेजी से वजन घटा सकते हैंवजन घटाने में कैसे मददगार है जीराजाने माने आयुर्वेद डॉक्टर अबरार मुल्तानी की मानें तो जीरा में एंटी-इंफ्लेमेट्री और एंटी-बायोटिक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर से सूजन कम करने में मददगार हो सकता है. साथ ही इसमें पाए जाने वाले तत्व कोलेस्ट्रॉल लेवल भी काबू करते हैं, जिससे मोटापा का खतरा कम होता है. इसके अलावा, जीरा शरीर से टॉक्सिक पदार्थों को दूर करने में मदद करता है, इससे वेट लॉस में मदद मिलती है. जीरा मेटाबॉलिज्म बूस्ट करने में भी मदद करता है. इससे मोटापा व बेली फैट कम करने में मदद मिलती है.अजवाइन से कम होगा है वजनआयुर्वेद डॉक्टर अबरार मुल्तानी कहते हैं कि अजवाइन में आयरन, कैल्शियम, फाइबर, फॉस्फोरस के अलावा और भी कई पोषक तत्व मौजूद होता है, जो संपूर्ण सेहत के लिए फायदेमंद है. अजवाइन एक लो कैलोरी फूड है, जिसके इस्तेमाल से वजन कम करने में मदद मिलेगी. इसमें पाए जाने वाले तत्व मेटाबॉलिक रेट को स्ट्रॉन्ग बनाता है. ये फाइबर का बेहतरीन स्रोत होता है, जिसके सेवन से पेट लंबे समय तक भरा रहता है.अजवाइन और जीरे का ड्रिंकअजवाइन और जीरे के ड्रिंक से वजन कम करने में आसानी होती है. इस को तैयार करने के लिए आपको एक चम्मच जीरा, इतने ही मात्रा में सौंफ, एक चम्मच सोडा और चम्मच भर अजवाइन की जरूरत होगी.सबसे पहले एक बर्तन में 2 गिलास पानी डालकर उबालें.अब इसमें जीरा, सोडा, सौंफ और अजवाइन गिराएं.जब यह अच्छे से उबल जाए, तो इसमें शहद भी मिला देंजब ये बर्तन में आधा रह जाए तो इस पेय को छान लें और हल्का गुनगुना होने पर पीएं
- चोट लगने पर अक्सर चोट वाले स्थान पर ब्लड क्लॉटिंग हो जाती है, यानी खून एक जगह इक_ा हो जाता है। इसी कारण त्वचा पर काले, लाल या नीले धब्बे नजर आते हैं जिसे हम नील पडऩा कहते हैं। नील पडऩे पर दर्द होता है और उस जगह सूजन भी नजर आती है। नील पडऩे पर आप कुछ आसान घरेलू नुस्खों की मदद से इस समस्या से निजात पा सकते हैं जैसे- एलोवेरा का इस्तेमाल, एसेंशियल ऑयल लगाना आदि। नील पडऩे पर आप हेल्दी डाइट की मदद से उसे ठीक कर सकते हैं। कुछ घरेलू उपाय भी हम बता रहे हैं।1. नील पडऩे पर लगाएं एलोवेरानील पडऩे पर सबसे आसान नुस्खा है एलोवेरा का इस्तेमाल। आप चाहें तो पत्ते को सीधा चोट पर भी लगा सकते हैं। एलोवेरा में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं, इससे दर्द और नील का निशान हटाने में मदद मिलती है।2. नील पडऩे पर इन चीजों का सेवन करेंअगर आपके शरीर में नील पड़ गया है तो आप इन चीजों का सेवन करें, इससे आपकी बॉडी अंदर से हील होगी या अंदरूनी चोट का उपचार जल्द हो सकेगा।-आप पाइनएप्पल खाएं। पाइनएप्पल में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण होते हैं जिससे चोट के आसपास पड़े नील के निशान ठीक हो जाएंगे।-आप ऐसी चीजों का सेवन करें जिसमें जिंक मौजूद हो। जिंक से शरीर के घाव जल्दी भरते हैं और टिशू रिपेयर हो जाते हैं। जिंक आधारित फूड में पालक, कद्दू के बीज आदि शामिल हैं।3. एप्पल साइडर विनेगरएप्पल साइडर विनेगर की मदद से आप नील पडऩे की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। सेब का सिरका इस्तेमाल करने के लिए आधा कप पानी लें उसमें सेब के विनेगर की कुछ बूंदें मिला दें फिर हल्के हाथ से नील वाले स्थान पर इसे कॉटन की मदद से लगा दें, आपको जल्द आराम मिल जाएगा। सेब को अंदरूनी चोट के ऊपर वाली त्वचा पर लगाया जा सकता है पर अगर खून निकल रहा हो तो डॉक्टर से सलाह लेकर ही इस नुस्खे का इस्तेमाल करें।4. नील पडऩे पर लगाएं रोज़मेरी ऑयलचोट के कारण शरीर में नील पड़ जाने पर आप एसेंशियल ऑयल की मदद भी ले सकते हैं। इसे किसी कैरियर ऑयल जैसे नारियल का तेल में मिलाकर लगाएं। आपको रोज़मेरी ऑयल की दो बूंद ही डालनी है। आप रोज़मेरी की जगह लैवेंडर ऑयल भी इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर आपको एसेंशियल ऑयल से एलर्जी है तो दूसरे तरीके अपनाएं।वहीं दो से तीन दिन में यदि चोट वाली जगह पर सूजन कम न हो तो चिकित्सक की मदद लें।
- आप रूखी त्वचा से परेशान रहती हैं तो ये खबर आपके काम आ सकती है, क्योंकि हम आपके लिए लेकर आए हैं आंवला. अब तक आपने आंवला के सेवन से होने वाले फायदों के बारे में तो काफी सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह त्वचा के लिए भी बेहद फायदेमंद है? आंवला का इस्तेमाल प्राकृतिक रूप से त्वचा और बालों की समस्याओं को दूर करने के लिए किया जा सकता है. आंवला आपकी त्वचा को टोन करने और टाइट करने में मदद करता है.ऐसे हटाएं चेहरे के दाग-धब्बे और मुंहासों के निशानअगर आपके चेहरे पर दाग-धब्बे और मुंहासों के निशान हैं तो आंवला आपकी मदद कर सकता है.आंवले के रस को अपने चेहरे पर लगाना होगा और 30 मिनट के लिए उसे वैसा ही छोड़ देना होगा.अब चेहरे को गुनगुने पानी से धो लें.अगर आपकी त्वचा संवेदनशील है, तो रस को पानी से पतला करें और लगाएं.ये दाग-धब्बों को दूर करने में आपकी मदद करेगा.रूखी त्वचा से छुटकारा पाने में मदद करता हैअगर आपकी त्वचा रुखी रहती है तो आंवले के रस का इस्तेमाल फेस स्क्रब के रूप में किया जा सकता है, क्योंकि ये त्वचा को अच्छी तरह से एक्सफोलिएट करने में मदद करता है. आंवला में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी त्वचा को टोन करने, टाइट और हेल्दी बनाने में मदद करते हैं.इसके लिए आप एक चम्मच आंवला पाउडर लें और इसे गर्म पानी में मिलाएं.अब अपने चेहरे को स्क्रब करने के लिए इस पेस्ट का इस्तेमाल करें.पांच मिनट के बाद इसे धो लें.बालों के झड़ने से राहतअगर आपके बाल झड़ते हैं तो इस समस्या को रोकने में आंवला कारगर हो सकता है. इसके लिए आप थोड़ा सा सूखा आंवला लें और इसे पानी में उबाल लें. एक बार जब ये अच्छी तरह से उबल जाए तो इन्हें मैश करके इसका गूदा पेस्ट बना लें. आंवला तेल एक बेहतरीन कंडीशनर है और बालों को प्राकृतिक चमक देता है.अब आप इसे स्कैल्प के साथ-साथ बालों पर पेस्ट के रूप में भी लगा सकते हैं.ऐसा आप सप्ताह में एक बार कर सकते हैं.ये बालों के झड़ने को नियंत्रित करता है.अपने बालों पर आंवले के रस का इस्तेमाल करें और आधे घंटे के बाद धो लें.पतले और रूखे बालों की समस्या को दूर करने के लिए आप बालों को नियमित रूप से धोने से पहले आंवला हेयर ऑयल का इस्तेमाल कर सकते हैं.
- हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए बहुत जरूरी है कि हमारे शरीर को पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व मिलते रहें। यदि शरीर में किसी भी पोषक तत्व की कमी होती है तो हम बीमार पड़ते हैं या शरीर का सिस्टम बिगड़ जाता है। ऐसे में आहार ऐसा ही खाएं जिससे कि शरीर को स्वास्थ्य लाभ पहुंचे। विटामिन बी 12 की कमी होने पर शरीर में रेड ब्लड सेल्स कम होने लगती है, जो कि आगे चलकर गंभीर समस्या का विषय बन सकती है। चिकित्सक इस समस्या को दूर करने के लिए दवाइयां तो देते ही हैं ताकि विटामिन बी 12 की कमी पूरी हो सके लेकिन साथ ही यदि आप सही आहार का सेवन करते हैं तो आपके लिए यह और भी फायदेमंद साबित हो सकता है।फल और सब्जियांफल और सब्जियों का सेवन जब ठीक तरह से नहीं होता है, तभी हमारे शरीर में अक्सर पोषक तत्वों की कमी होती है इसलिए प्रतिदिन इनका सेवन करना बहुत आवश्यक होता है। सेब, आम, केले और संतरे जैसे फलों से शरीर में विटामिन बी 12 की कमी की पूर्ति होती है। सब्जियों में शल्जम और अन्य जड़ों वाली सब्जियां आपको फायदा पहुंचा सकती हैं इसलिए इनका सेवन अपनी आदत बना लें। नाश्ते में फलों का रस भी आप ले सकते हैं।डेयरी प्रोडक्ट्सदूध से निर्मित प्रोडक्ट्स यदि खाने में आप मुंह बनाते हैं तो इस बात पर ध्यान दें कि इनका ही सेवन अब आपको अधिक करना होगा क्योंकि दूध, दही, पनीर, चीज आदि से आपको विटामिन बी 12 मिलता है इसलिए रोज एक से दो बार दूध पिएं और खाने के साथ पनीर का सेवन शुरू कर दें। जल्द ही आपके शरीर से विटामिन बी 12 की कमी दूर हो जाएगी।सोया से बने प्रोडक्ट्ससोया से बने प्रोडक्ट्स से भी विटामिन बी-12 प्राप्त होता है। इसके लिए सोयाबीन और सोयामिल्क को अपनी डाइट में शामिल करना लाभकारी साबित होगा। आप चाहें तो सोया पनीर भी खा सकते हैं। सोयाबीन की सब्जी खाना या कच्चा ही इसका सेवन करना आपको कई सारे फायदे पहुंचा सकता है। दिन में एक बार सोया से बने किसी भी प्रोडक्ट का सेवन जरूर करें।न्यूट्रीशनल यीस्टन्यूट्रीशनल यीस्ट में अच्छी मात्रा में विटामिन बी 12 पाया जाता है। न्यूट्रीशनल यीस्ट को कोरा खाना तो संभव नहीं है लेकिन पॉपकॉर्न या सलाद के साथ आप इसे जरूर खा सकते हैं, इसलिए दिन में यदि आपको थोड़ी-बहुत भूख लगती है तो यह उपाय आपके लिए काम करेगा, साथ ही आपको लाभ भी पहुंचाएगा।
- मीठा खाने के शौकीन हैं तो हर दिन कुछ नया और टेस्टी खाने का दिल करता होगा। लेकिन मीठे के विकल्प बहुत कम हैं जो आसानी से बनकर तैयार हो जाएं। ज्यादातर मीठी डिश बनाने के लिए बहुत सारा समय, सामान और मेहनत चाहिए होती है। लेकिन अगर आप चाहें तो साबुदाने से तैयार इस खास डिश को जरूर ट्राई कर सकती हैं। खीर या सेंवई से अलग साबुदाने और फलों को मिलाकर तैयार ये कस्टर्ड बच्चों से लेकर बड़ों तक को पसंद आएगा। तो चलिए जानें कैसे तैयार करें फ्रूट साबुदाना बाउल।साबुदाना फ्रूट बाउल बनाने की सामग्रीआधा कप साबुदाना, आधा कप नारियल का दूध, तीन बड़े चम्मच कंडेस्ड मिल्क, ड्राई फ्रूट कटे हुए, कटे हुए फल (जिसमें सेब, अनार, संतरा, अन्नास) या फिर अपने पसंद के फल शामिल ले सकते हैं।बनाने की विधिसाबुदाने को पानी में भिगो दें। इसके बाद इसे उबाल लें। साबुदाने को उबालने के बाद ठंडे पानी से धो दें। अब एक कड़ाही में कंडेंस्ड मिल्क और नारियल के दूध को डाल कर गरम कर लें। थोड़ी देर चलाने के बाद इसमें साबुदाना डाल कर एक से दो मिनट तक चला लें। जब ये मिक्सचर अच्छे से ठंडा हो जाए तो इसमें सर्व करते समय कटे हुए फल और ड्राई फ्रूट्स डाल दें। अब इसे कटोरियों में निकालकर सर्व करें।
- आप जल्दी थक जाते हैं तो ये खबर आपके काम आ सकती है. हम आज आपके लिए नारियल पानी के फायदे लेकर आए हैं. विशेषज्ञों ने नारियल के पानी को एक चमत्कारी ड्रिंक के रूप में माना है. सख्त गर्मी से निपटने के लिए ये एक शानदार और ऊर्जा को फौरन बढ़ानेवाला ड्रिंक है. गर्भवती महिलाओं को नारियल पानी पीने की सलाह दी जाती है क्योंकि इससे कब्ज की शिकायत दूर होती है. साथ ही दिल में होने वाली जलन में भी आराम मिलता है.नारियल पानी में क्या पाया जाता हैडाइट एक्सपर्ट्स डॉ. रंजना सिंह बताती हैं कि नारियल पानी में विटामिन सी, फाइबर और मिनरल बड़ी मात्रा में पाए जाते हैं. कैलोरी में ये ड्रिंक कम और प्राकृतिक एंजाइम अधिक रखता है. उसमें पाए जाने वाले मिनरल्स जैसे पोटैशियम उसे सुपर ड्रिंक बनाते हैं. नारियल पानी में विटामिन सी, फाइबर भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, उसके अलावा 94 फीसद पानी होने से स्किन के साथ-साथ शरीर के लिए भी बहुत अच्छा है.किस समय पीना चाहिए नारियल पानीडाइट एक्सपर्ट्स डॉ. रंजना सिंह बताती हैं कि नारियल पानी ड्रिंक किडनी, मेटाबोलिक प्रक्रिया और अन्य बीमारियों में बेहद प्रभावी है. नारियल पानी का दिन के किसी भी समय सेवन अच्छा है, लेकिन इसे खाली पेट पीना ज्यादा फायदेमंद माना जाता है.नारियल पानी के फायदेडाइट एक्सपर्ट्स डॉ. रंजना सिंह की मानें तो नारियल पानी में मौजूद लोरिक एसिड इम्यूनिटी, मेटाबोलिज्म बढ़ाने और वजन कम करने में बहुत बढ़िया साबित हुआ है.भोजन से पहले नारियल पानी का पीना आपको भरा हुआ बनाता है जो ज्यादा खाने से आपको रोकता है. नारियल पानी की कम कैलोरी मात्रा पाचन सिस्टम को सुधारने में भी मदद करता है.नारियल पानी का नियमित सेवन आपके शरीर में इलेक्ट्रोलाइट नियंत्रण बनाए रखता है, और इस तरह आपके ब्लड प्रेशर को काबू में रखता है.नारियल पानी मूत्रवर्धक के तौर पर काम करता है, पेशाब के प्रवाह को बढ़ावा देता है. यूरिन संबंधी समस्या वाले लोगों के लिए ये बहुत मददगार है.नारियल पानी दिमागी तनाव से लड़ने का सबसे अच्छा ड्रिंक समझा जाता है और मन को शांति प्रदान करता है. सोने के समय नारियल के पानी पीने से आपके दूषित पदार्थ बाहर निकलते हैं.बच्चे और शिशुओं को नारियल पानी हाइड्रेटेड रख सकता है. छह महीने तक या उससे ऊपर की उम्र के बच्चों को नारियल पानी दिया जा सकता है.
- आयुर्वेद में दालचीनी और शहद का मिश्रण कई समस्याओं को दूर करने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है। दालचीनी के अंदर भरपूर मात्रा में आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, सोडियम, जिंक, मैग्नीज, कॉपर, सेलेनियम, आदि गुण मौजूद होते हैं। जबकि शहद के अंदर भरपूर मात्रा में कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, पोटेशियम, सोडियम, जिंक, फाइबर, प्रोटीन, विटामिन सी, फोलेट, नियासिन आदि पोषक तत्व मौजूद होते हैं। ऐसे में इन दोनों का मिश्रण सेहत के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। दोनों को एक साथ लेने से मिलते हैं ये फायदे.....1 - प्रतिरक्षा प्रणाली के लिएप्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने में विटामिन सी और लोहा शहद और दालचीनी के अंदर यह दोनों भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। ऐसे में यह न केवल इम्यून सिस्टम को बेहतर करता है बल्कि संक्रमण और कीटाणुओं को शरीर से दूर करता है। साथ ही इसका मिश्रण सफेद रक्त कोशिकाओं को मजबूती देता है।2 - त्वचा के संक्रमण के लिएअगर आप त्वचा के किसी भी प्रकार के संक्रमण से परेशान हैं तो शहद और दालचीनी आपकी इस परेशानी को दूर करने में उपयोगी है। प्रभावित क्षेत्रों में दालचीनी और शहद को लगाने से एग्जिमा, दाद, चकते, दाग-धब्बे आदि समस्याएं दूर हो जाती हैं। इसके अलावा शहद और दालचीनी का मिश्रण कवक संक्रमण और बैड बैक्टीरिया से लडऩे में भी सहायक है।3 - फंगल इंफेक्शन के लिएदालचीनी और शहद फंगल इन्फेक्शन की समस्या को दूर करने करने में मददगार हैं। दालचीनी के अंदर एंटीफंगल गुण मौजूद होते हैं जो न केवल शरीर को फंगल इंफेक्शन से बचाते हैं बल्कि कैंडिडा ट्रॉपिकल आदि से भी लडऩे में सहायक है।4 - ओरल हेल्थ के लिएशहद और दालचीनी के पानी से कुल्ला करने से जबड़े, दांत, दातों में कीड़े आदि की समस्या दूर हो सकती है। हालांकि दालचीनी का ज्यादा इस्तेमाल दांतों को नुकसान भी पहुंचा सकता है। ऐसे में सबसे पहले एक्सपर्ट से जाने की दालचीनी और शहद की कितनी मात्रा का इस्तेमाल आप ओरल हेल्थ कर सकते हैं।5 - मूत्राशय संक्रमण के लिएपाचन संबंधित समस्या या मूत्राशय में कीड़े की समस्या से पीडि़त शहद और दालचीनी पाउडर का सेवन फायदेमंद है। शहद और दालचीनी ना केवल कीड़ों को बाहर निकालता है बल्कि पाचन संबंधी समस्याएं भी दूर करता है। ऐसे में शहद के साथ एक चुटकी दालचीनी पाउडर मिलाएं और गुनगुने पानी के साथ सेवन करें। इसके अलावा पेट दर्द, पेट की सूजन, दस्त, पेट में अल्सर आदि की समस्या में भी दालचीनी और शहद का सेवन लाभकारी है। .6 - गठिया के लिएशहद और दालचीनी पाउडर को गर्म पानी के साथ मिलाएं और इसका तुरंत सेवन करें। सुबह और शाम खाली पेट सेवन करने से गठिया की समस्या काफी हद कम हो जाती है।7 - पिंपल्स के लिएचेहरे पर हुए पिंपल्स, काले निशान आदि को दूर करने में भी शहद और दालचीनी पाउडर का सेवन लाभकारी है। इसके लिए सबसे पहले शहद में एक चुटकी दालचीनी पाउडर मिलाएं और प्रभावित स्थान पर लगा दें। रात भर इस मिश्रण को चेहरे पर लगाने के बाद सुबह उठकर सादे या गुनगुने पानी से अपने चेहरे को धोएं।सावधानीआमतौर पर दालचीनी का नियमित रूप से सेवन करना हानिकारक हो सकता है। अगर इसकी अधिकता ज्यादा हो जाए तो शरीर में टॉक्सिक प्रभाव पडऩे की संभावना होती है। जबकि शहद का सेवन नियमित रूप से किया जा सकता है लेकिन इसकी अधिकता भी सेहत के लिए नुकसानदेह है।
- जिस किसी ने भी पथरी का दर्द सहा होगा, वह ही जानता होगा कि उस समय क्या हालत होती है. ऐसा लगता है कि जैसे जान निकल ही जाएगी. दरअसल, जब हमारे गुर्दे में मिनरल्स (मुख्यत: कैल्शियम) और नमक के सख्त कण आपस में जुड़कर छोटे-छोटे पथरों का निर्माण कर लेते हैं, तो उन्हें किडनी स्टोन या गुर्दे की पथरी कहा जाता है. यह समस्या आपके आहार, अत्यधिक शारीरिक वजन, कुछ दवा या सप्लीमेंट या फिर किसी शारीरिक समस्या के कारण हो सकती है. किडनी स्टोन गुर्दे के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकते हैं. लेकिन पथरी जब पेशाब की नली में फंस जाती है, तो असहनीय दर्द का कारण बन सकती है. मगर एक्सपर्ट के मुताबिक, आयुर्वेद में बताया गया छोटा-सा नुस्खा (Ayurvedic Treatment for Ureter Stone) आपके पेशाब की नली में फंसी पथरी को सिर्फ 2 से 3 दिन के अंदर बाहर निकालने में मदद करेगा.पेशाब की नली में पथरी से क्या दिक्कत हो सकती है?किडनी से होते हुए जब कोई पथरी यूरेटर की एक या दोनों ट्यूब में अटक जाती है, तो उसे यूरेटरल स्टोन्स कहा जाता है. दरअसल, यूरेटर की दोनों ट्यूब किडनी से ब्लैडर तक यूरिन (पेशाब) को ले जाने का कार्य करती हैं. पेशाब की नली में पथरी अटक जाने से पेशाब करने में बाधा व असहनीय दर्द हो सकता है. इसके साथ ही आपको जी मिचलाने या उल्टी की समस्या हो सकती है. आमतौर पर, पथरी इतनी छोटी होती है कि उसे आंखों से देख पाना आसान नहीं होता. आइए अब जानते हैं कि आयुर्वेद के कौन-से नुस्खे से पेशाब की नली में फंसी पथरी को निकाला जा सकता है.पेशाब की नली में फंसी पथरी को निकालने का घरेलू नुस्खा (Pathri nikalne ka gharelu upay)देश के जाने-माने आयुर्वेदिक एक्सपर्ट व ‘‘इंक्रेडिबल आयुर्वेदा’’ के संस्थापक डॉ. अबरार मुल्तानी ने अपने यूट्यूब चैनल पर वीडियो शेयर करते हुए पेशाब की नली में फंसी छोटी-मोटी पथरी को निकालने का आसान तरीका बताया. उनके मुताबिक पथरी निकालने के इस घरेलू नुस्खे को अपनाने से सिर्फ 2 से 3 दिन के भीतर पेशाब की नली से पथरी को निकाला जा सकता है. आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉ. अबरार मुल्तानी बताते हैं कि आपको सिर्फ एक केला लेकर उसके अंदर पुदीना (पेपरमिंट) के दो से तीन छोटे-छोटे टुकड़ों को लगाकर खा लेना है. केला खाने के थोड़ी देर बाद आधा गिलास गुनगुना दूध और आधा गिलास पानी पी लें. दो से तीन दिन में पेशाब की नली में फंसी छोटी-मोटी पथरी निकल जाएगी.-fILE PHOTO
- इस मौसम में खासकर अगस्त तक कुछ खास सब्जियों का सेवन जरूर करना चाहिए। इन सब्जियों के बारे में डाइटीशियन और न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. रंजना सिंह ने चर्चा की। अप्रैल से अगस्त के दौरान इस सब्जियों के खाने की सलाह के पीछे एक बड़ी वजह है। दरअसल, इन महीनों के दौरान भारत के अधिकतर क्षेत्रों में गर्मी की भयंकर मार पड़ती है। जिसके कारण शरीर में पानी की कमी यानी डिहाइड्रेशन की समस्या होना आम है। डिहाइड्रेशन की समस्या छोटे बच्चों और नवजात शिशु के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक हो सकती है, हालांकि, इससे वयस्क लोगों में भी कई गंभीर समस्याएं देखने को मिल सकती हैं। जिसमें हीटस्ट्रोक, किडनी व पेशाब के रोग, सिजर्स, लो ब्लड वॉल्यूम शॉक आदि शामिल हैं, लेकिन, गर्मी में इन खास सब्जियों का सेवन करने से डिहाइड्रेशन की समस्या में काफी राहत मिलती है। कंसल्टेंट डाइटीशियन डॉ. रंजना सिंह के मुताबिक निम्नलिखित सब्जियों के सेवन से ना सिर्फ जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं, बल्कि गर्मी के कारण शरीर में हो रही पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) को भी पूरा किया जा सकता है।1. लौकी के फायदेलौकी में सोडियम, पोटैशियम आदि पोषक तत्व होते हैं, जो पाचन संबंधी बीमारियों को तो दूर करते ही हैं, साथ में वेट लॉस करने में भी मददगार होते हैं। लौकी में भरपूर मात्रा में पानी होता है। लौकी का जूस पीने से शारीरिक ऊर्जा मिलती है और शरीर में पानी की कमी नहीं होती।2. पुदीना के फायदेडाइटीशियन, डॉ. रंजना सिंह के मुताबिक पुदीना में औषदीय गुण पाये जाते हैं। पुदीना की पत्तियां चबाने से मुंह की दुर्गंध कम हो जाती है । अगर आपको पेट दर्द है, तो आप पुदीना के रस में जीरा, हींग, काली मिर्च को मिलाकर भी पी सकते हैं। पुदीना सिर्फ इतना ही नहीं, बल्कि वेट लॉस में भी मददगार है। आपको जानकर खुशी होगी कि पुदीना के पत्ते और नींबू को पानी में मिलाकर पीने से मोटापा कम हो सकता है।3. टिंडा खाने के फायदेटिंडा खाना गर्मियों की वजह से शरीर में हो रही डिहाइड्रेशन की समस्या को दूर करने में मदद कर सकता है, क्योंकि, इसमें करीब 80 प्रतिशत पानी पाया जाता है। इसके अलावा, इसमें मौजूद फाइबर की मात्रा पाचन क्रिया को मजबूत बनाती है। टिंडे में एंटी-इंफ्लामेटरी गुण पाये जाते हैं, जो शरीर में सूजन को कम करते हैं।4. खीरा खाने के फायदेविटामिन-सी व बीटा कैरोटीन जैसे एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर को गर्मी से सुरक्षा प्रदान करने के लिए काफी जरूरी होते हैं और खीरा खाने से हमें यह आराम से प्राप्त हो सकते हैं। डाइटीशियन डॉ. रंजना सिंह का कहना है कि खीरा खाने से इम्युनिटी भी बेहतर बनती है। खीरे में कैल्शियम और विटामिन-के की पर्याप्त मात्रा होती है, जो हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए जाने जाते हैं. इसके अलावा, खीरे के सेवन से वजन कम करने में भी मदद मिल सकती है।-
- अधिकतर मांगलिक कार्यों में नारियल का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा कई स्वादिष्ट भोजन बनाने में नारियल का इस्तेमाल होता है। खासतौर पर साउथ इंडियन्स नारियल का इस्तेमाल खाने की कई चीजों को बनाने के दौरान करते हैं। इतना ही नहीं नारियल का पानी स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा माना जाता है, लेकिन क्या आपने कभी नारियल के छिलके यानि नारियल की झटा का इस्तेमाल किया है? अगर नहीं, तो बता दें कि नारियल ही नहीं, बल्कि इसकी जटा भी कई गुणों से भरपूर होती है।नारियल का छिलका कई समस्याओं को दूर करने में काफी गुणकारी साबित हो सकता है। खासतौर पर बवासीर से पीडि़त मरीजों के लिए नारियल की जटा काफी फायदेमंद होती है।नारियल की जटा के फायदे-नारियल की जटा में फाइबर की अधिकता होती है, यह पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में असरकारी माना जाता है।-बवासीर से पीडि़त मरीजों के लिए नारियल की जटा काफी फायदेमंद हो सकती है। इसके इस्तेमाल से पुरानी से पुरानी बवासीर की समस्या को दूर कर सकते हैं।-दांतों की सफाई करने में नारियल का छिलका असरकारी होता है। इसके इस्तेमाल से दांतों की चमक बढ़ती है। साथ ही दांतों का पीलापन दूर होता है।-रक्तविकार को दूर करने में नारियल की जटा काफी फायदेमंद हो सकती है।-नारियल के भस्म का इस्तेमाल हैजा और हिचकी की परेशानी को दूर करने के लिए भी किया जाता है।इसके अलावा कई लोग नारियल के छिलके का पाउडर बनाकर इसका इस्तेमाल प्लांटिंग करने के लिए करते हैं।कैसे करें नारियल के छिलके का इस्तेमाल?-नारियल की जटा बवासीर के लिए काफी कारगर इलाज माना जाता है। बवासीर की समस्याओं में इसका इस्तेमाल करने के लिए नारियल की जटाओं को जलाकर इसका भस्म तैयार कर लें। अब इस भस्म को एक शीशी में भरकर रख लें। अब जरूरत पडऩे पर इसको दही या फिर छाछ के साथ मिक्स करके पिएं। ध्यान रखें कि दही या छाछ ज्यादा खट्टी न हो। इसके इस्तेमाल से बवासीर की परेशानी दूर हो सकती है।- इसके लिए नारियल के छिलके से तैयार भस्म को पानी में 1 गिलास पानी में मिक्स करके पिएं। इससे ना सिर्फ मासिक धर्म में होने वाली परेशानी, बल्कि हिचकी, हैजा और वमन जैसी समस्याओं को भी दूर किया जा सकता है।-दांतों की समस्या से अगर आप परेशान हैं, तो नारियल के छिलको का पाउडर बना लें या फिर इसके भस्म को अपने दांतों पर मंजन की तरह रगड़ें। इससे आपके दांतों की चमक बढ़ेगी। साथ ही दांतों से जुड़ी अन्य परेशानी भी दूर होगी।(नोट-ध्यान रखें कि इसका इस्तेमाल करने से पहले एक बार डॉक्टर या फिर आयुर्वेदाचार्य से जरूरी सलाह जरूर लें।)
- चावल खाने और पकाने के हेल्दी तरीके को लेकर लंबे समय से चर्चा होती रही है। खास कर डायबिटीज, मोटापा और दिल से जुड़ी बीमारी से पीडि़त लोगों के लिए हमेशा से ही ये स्वास्थ्य से जुड़ा बड़ा मुद्दा रहा है। शोधकर्ता और विशेषज्ञ हमेशा से इस खोज में लगे हुए हैं कि चावल खाने और पकाने का कौन सा तरीका सबसे ज्यादा सेहतमंद है। हाल ही में आया शोध चावल पकाने के एक स्वस्थ तरीके के बारे में बताता है। 'साइंस ऑफ द टोटल इनवारमेनट ' में प्रकाशित इस शोध की मानें, तो सफेद चावल और ब्राउन राइस में आर्सेनिक जैसे हानिकारक तत्वों की एक बड़ी मात्रा पाई जाती है। इस आर्सेनिक तत्व को बाहर निकालने का एक हेल्दी तरीका ये है कि हम चावल पकाने के लिए 'परबॉइलिंग विद अब्जॉप्र्शन मेथड' अपनाएं ।साइंस ऑफ द टोटल इनवारमेनट में प्रकाशित इस रिसर्च में चावल पकाने के एक हेल्दी तरीके के बारे में बताया गया है। चावल पकाने के इस तरीके को 'परबॉइलिंग विद अब्जॉप्र्शन मेथड' कहते हैं। शोध में बताया गया है चावल पकाने के इस तरीको को अगर आप अपनाएं, तो ब्राउन राइस से 50 प्रतिशत तक आर्सेनिक को बाहर निकाल सकते हैं। इसी तरह आप सफेद चावल से 74 प्रतिशत तक आर्सेनिक निकाल सकते हैं।चावल का आर्सेनिक शरीर के लिए कैसे नुकसानदेह है?चावल को अन्य अनाजों की तुलना में लगभग दस गुना अधिक आर्सेनिक जमा करने के लिए जाना जाता है। चावल के दाने में आर्सेनिक एंडोस्पर्म के आसपास की बाहरी परत पर जमा होते हैं। इसका मतलब यह है कि अगर आप रेगुलर ढंग से चावल बनाते हैं, तो ब्राउन राइस हो या सफेद चावल, दोनों में आर्सेनिक रह ही जाता है । हालांकि मिलिंग प्रक्रिया सफेद चावल से आर्सेनिक को हटा देती है लेकिन 75-90 प्रतिशत पोषक तत्वों को भी हटा देती है। ध्यान देने वाली बात ये है आर्सेनिक को इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर द्वारा ग्रुप 1 कार्सिनोजेन के रूप में वर्गीकृत किया गया है। ये पानी में घुलनशील है इसलिए यह चावल में जमा हो जाता और खाने के बाद शरीर को नुकसान पहुंचाता है। इसलिए इसका संपर्क शरीर के लगभग हर अंग को प्रभावित करता है और इन तमाम अंगों से जुड़ी बीमारियों का कारण बनता है। जैसे कि- त्वचा से जुड़ी परेशानियां, कैंसर, डायबिटीज , फेफड़ों का रोग।कैसे पकाएं चावल?शेफील्ड विश्वविद्यालय द्वारा चावल पकाने के लिए इस मेथड को खोजने के दौरान चावल से आर्सेनिक सामग्री को कम करने के लिए अलग-अलग तरीकों का परीक्षण किया गया। इस दौरान इंस्टीट्यूट फॉर सस्टेनेबल फूड से टीम ने पाया कि चावल पकाने के घरेलू तरीके के उपयोग से चावल का न्यूट्रिशन भी चला जाता है। इसलिए अच्छा ये है कि चावल पकाने के लिए प्री बॉइलिंग अपनाया जाए और चावल बनाने से पांच मिनट पहले आर्सेनिक हटाने के लिए इसे उबाला जाए। इसके बाद फिर से पानी डालकर धीमी आंच पर चावल पकाया जाए।क्यों खास है 'परबॉइलिंग विद अब्जॉप्र्शन मेथड'चावल पकाने का 'परबॉइलिंग विद अब्जॉप्र्शन मेथड' खास इसलिए है क्योंकि-इसमें आप बस 5 मिनट तक चावल को उबालकर हानिकारक तत्वों को बाहर निकाल सकते हैं।-इस विधि से जब आप चावल पकाएंगे, तो आप चावल के ज्यादा से ज्यादा न्यूट्रिएंट्स को बचा कर रख पाएंगे, जो कि आपके नॉर्मल चावल बनाने के तरीके में नहीं हो पाता है।-इस विधि से चावल पकाने से चावल के माइक्रोन्यूट्रिएंट्स इसमें बने रहेंगे।-ये आसान है और कम समय लेता है।इस विधि से चावल पकाने का सबसे ज्यादा लाभ बच्चों, डायबिटीज और मोटापे से पीडि़त लोगों को मिलेगा। ऐसा इसलिए कि आर्सेनिक का उच्च स्तर छोटे बच्चों को नुकसान पहुंचा सकता है। साथ ही इस विधि से चावल में स्टार्च की मात्रा कम हो जाएगी, जो कि डायबिटीज और मोटापे से पीडि़त लोगों के लिए अनहेल्दी माना जाता है। तो भले ही आप ब्राउन राइस या सफेद चावल ही क्यों न खा रहे हों, आपको चावल पकाने के इस आसान से विधि का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए।
- चमकती और दमकती त्वचा पाना चाहती हैं तो ये खबर आपके काम आ सकती है. हम आपको अलसी के बीज के फायदों के बारे में जानकारी दे रहे हैं. इसके बीज आपके चेहरे को न सिर्फ निखारेंगे, बल्कि खूबसूरत भी बनाने में मदद करेंगे.हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो अलसी बीजों को खाने से त्वचा पर बढ़ती उम्र के निशान नहीं आते हैं, क्योंकि इनके सेवन से आपकी त्वचा में कसावट बनी रहती है. इसलिए झुर्रियां आपकी त्वचा को छू भी नहीं पाती हैं.अलसी के बीज में क्या पाया जाता हैदेश के मशहूर आयुर्वेद डॉक्टर अबरार मुल्तानी के अनुसार, अलसी के बीजों में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है, जो आपकी त्वचा को अंदरूनी सूजन से मुक्ति दिलाता है. नियमित रूप से इन बीजों का सेवन आपकी त्वचा के ग्लो को प्राकृतिक रूप से बढ़ाता है. इसके साथ ही ये शरीर के लिए एनर्जी बूस्टर की तरह काम करते हैं. त्वचा के लिए ये कई तरह से लाभकारी होते हैं.त्वचा के लिए अलसी से होने वाले फायदेआयुर्वेद डॉक्टर अबरार मुल्तानी, अलसी के बीज स्किन ग्लो बढ़ाते हैं, पिग्मेंटेशन को रोकते हैं, त्वचा को गोरा बनाने में मददगार हैं, खुजली और रैशेज से बचाते हैं, स्किन को हाइड्रेट रखने में मददगार, अनचाही सूजन से बचाते हैं और स्किन रिपेयरिंग की स्पीड को बढ़ाते हैं.चेहरे के लिए खास है अलसी के बीजों का फेस पैकअगर आपके चेहरे पर दाग धब्बे या फिर स्किन संबंधी दूसरी तरह की समस्या है तो आप अलसी के बीजों से फेस पैक तैयार करके अपनी त्वचा का ग्लो बढ़ा सकती हैं. इसके लिए एक ही बार करीब एक कप अलसी के बीज पीसकर इन्हें कांच के जार में भरकर रख लें. ताकि बार-बार पीसने की जरूरत ना पड़े और आप आसानी से फेस पैक बना सकें.ऐसे करें इस्तेमालसबसे पहले 2 चम्मच पिसे हुए अलसी के बीज लेंअब एक चम्मच ऐलोवेरा जेल रख लेंफिर गुलाबजल को एकत्रित कर लेंतीनों चीजों को मिलाकर पेस्ट तैयार करेंफिर इसे फेस पैक की तरह चेहरे पर लगा लेंइस फेस पैक को चेहरे पर लगाने से पहले फेशवॉश का उपयोग जरूर करें.25 मिनट तक फेस पैक लगाने के बाद ताजे पानी से चेहरा धो लेंइस बात का रखें ख्यालयह फेस पैक आपकी त्वचा पर स्क्रब का काम भी करेगा. इसे हटाते समय चेहरे पर सर्कुलर मोशन में हल्के हाथों से मसाज करें. ऐसा करने से स्किन की डेड सेल्स आसानी से हट जाएंगी और त्वचा में ब्लड सर्कुलेशन भी बढ़ेगा.