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- गहरे काले रंग की दिखने वाली कलौंजी पुरुषों के लिए किसी औषधि से कम नहीं है। कलौंजी के बीज का सेवन करने से शरीर की कई समस्याएं दूर होती हैं और बीमारियों में भी फायदा मिलता है। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट, कैल्शियम, कॉपर, आयरन और फोलिक एसिड शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। आइए जानते हैं पुरुषों के लिए कलौंजी के फायदे और सेवन का तरीका।1. इनफर्टिलिटी की समस्या में फायदेमंदकलौंजी के बीज का सेवन करने से शरीर में टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन का स्तर बढ़ता है। टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन को सेक्स हॉर्मोन कहा जाता है। इनफर्टिलिटी की समस्या से निपटने के लिए कलौंजी के बीज का सेवन आप डॉक्टर की सलाह लेकर कर सकते हैं। इसका सेवन प्रजनन स्वास्थ्य को ठीक करने के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है।2. प्रोस्टेट कैंसर में फायदेमंदकई शोध और अध्ययन इस बात की पुष्टि करते हैं कि कलौंजी के बीज का सेवन करने से प्रोस्टेट कैंसर की समस्या में फायदा मिलता है। इसमें मौजूद निगेला सैटिवा और थाइमोक्विनोन जैसे तत्व प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को कम करने में बहुत फायदेमंद होते हैं। प्रोस्टेट कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए भी कलौंजी का सेवन फायदेमंद होता है।3. स्टैमिना बढ़ाने में उपयोगीपुरुषों की शारीरिक स्टैमिना बढ़ाने के लिए कलौंजी के बीज का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। कलौंजी को दूध के साथ मिलाकर पीने से आपकी स्टैमिना बूस्ट होती है। इसका सेवन करने से कमजोरी की समस्या में भी फायदा मिलता है और शरीर में खून की कमी दूर होती है।4. बाल झडऩे की समस्या में फायदेमंदबाल झडऩे की समस्या में कलौंजी के बीज का इस्तेमाल बहुत उपयोगी होता है। कलौंजी के तेल का इस्तेमाल बालों के लिए बहुत फायदेमंद है। इसमें मौजूद एंटी-माइक्रोबियल और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण बाल झडऩे से रोकते हैं और बालों को घना और मजबूत बनाने का काम करते हैं। कलौंजी के तेल को नारियल के तेल में मिलाकर बालों में लगाना इस समस्या में बहुत फायदेमंद होता है।5. इम्यूनिटी बढ़ाने में उपयोगीकलौंजी में मौजूद गुण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी को बढ़ाने का काम करते हैं। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट गुण शरीर को संक्रमण से लडऩे के लिए तैयार करते हैं और इम्यूनिटी बूस्ट करते हैं। सर्दी-जुकाम और वायरल संक्रमण की समस्या में कलौंजी के बीज को दूध में मिलाकर पीने से फायदा मिलता है।पुरुषों के लिए कलौंजी का सेवन कई अन्य समस्याओं में भी फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद गुण शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित करने में उपयोगी होते हैं। इसके अलावा बैक्टीरियल इन्फेक्शन की समस्या में भी कलौंजी का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। कलौंजी का सेवन आप कई तरीकों से कर सकते हैं। लेकिन ऊपर बताई गयी समस्याओं में कलौंजी और दूध को एक साथ मिलाकर पीने से फायदा मिलता है। कलौंजी का औषधीय इस्तेमाल करने से पहले आपको डॉक्टर या एक्सपर्ट की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
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ऑयल पुलिंग
मुंह से बैक्टीरिया और कीटाणुओं को दूर करने के लिए एक फेमस पारंपरिक आयुर्वेदिक तकनीक है, जो दांतों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करती है। अपनी सुबह के रूटीन में इसे शामिल करना आसान है क्योंकि यह न केवल ओरल हेल्थ बल्कि ओवरऑल हेल्थ के लिए भी फायदेमंद होता है।
बांस ब्रश का इस्तेमाल
इन दिनों हर कोई एंवायरमेंट फ्रेंडली चीजों का इस्तेमाल करता है। ऐसे में बायोडिग्रेडेबल टूथब्रश और लकड़ी के टूथब्रश भी खूब फेमस हो रहे हैं। बांस के टूथब्रश का इस्तेमाल करने के भी कई फायदे हैं। लकड़ी के नैचुरल एंटीमाइक्रोबिअल को तोड़ते और मारते हैं, जो आपके शरीर से टॉक्सिन को दूर करने में मदद करते हैं।
जीभ साफ करना
जीभ पर भी बैक्टीरिया और डेड सेल्स जमा हो सकते हैं। जिसकी वजह से मुंह से बदबू आने लगती है और इसका असर आपके ओरल हेल्थ पर होता है। इसलिए, जीभ को साफ करना जरूरी है। दिन में दो बार जीभ को साफ करने से आपके टेस्ट बड मजबूत होते हैं। यह हानिकारक बैक्टीरिया को दूर करने और आपके पाचन तंत्र को बेहतर बनाने के लिए भी अच्छे हैं।
पानी पीएं
पानी पीने के फायदे सभी जानते हैं। आपको पूरे दिन अपने आप को हाइड्रेट करना चाहिए, लेकिन सुबह सबसे पहले एक गिलास पानी इस से शुरू करें। पानी आपके शरीर के अंगों और टिशू की प्रॉपर फंक्शनिंग के लिए एक जरूरी पोषक तत्व है। बैठने और पानी पीने से मांसपेशियों और नसों को आराम मिलता है, जिससे आपकी नसों के लिए खाने और अन्य लिक्विड को पचाना आसान हो जाता है।
मी टाइम है जरूरी
जागने के बाद और सोशल मीडिया ब्राउज करने से पहले पहले खुद से जुड़ें। ऐसा करने से आप अपने दिमाग, दिल और शरीर को जोड़ पाएंगे। बस अपने लिए 5 मिनट अलग रखें और माइंडफुलनेस, कृतज्ञता की प्रेक्टिस करें, या बस सांस लें और ओम मंत्र का जाप करें। -
हेल्दी डाइट देने से बच्चों की ग्रोथ तेजी से होती है। पौष्टिक भोजन मस्तिष्क को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है और इस प्रकार बच्चे के सीखने, याद रखने, ध्यान अवधि और व्यवहार को बढ़ाने में मदद करता है। एक संपूर्ण और स्वस्थ आहार में खनिज, विटामिन और एंटीऑक्सिडेंट शामिल होते हैं, जो मस्तिष्क को पोषण प्रदान करते हैं और इसे तनाव या चिंता से बचाते हैं। इसलिए, माता-पिता को अपने बच्चों की ग्रोथ के लिए स्वच्छ और हेल्दी डाइट देनी चाहिए। कुछ ऐसी चीजें हैं, जो मेंटल ग्रोथ के लिए बहुत जरूरी है।
अंडे
प्रोटीन और पोषक तत्वों से भरपूर, अंडे में बच्चों की एकाग्रता और ध्यान अवधि में सुधार करने की शक्ति होती है। अंडे की जर्दी मस्तिष्क के कामकाज में सुधार करती है। अंडे खुशी के हार्मोन 'सेरोटोनिन' के निर्माण में मदद करते हैं, जो एक बच्चे को पूरे दिन खुश रखता है।
मछली
मछली में पर्याप्त मात्रा में ओमेगा -3 वसा, आयोडीन और जिंक होता है, जो मस्तिष्क के कार्य के लिए आवश्यक होता है। मछली दिमाग में ग्रे मैटर को तेज करती है और उम्र के कारण दिमाग को खराब होने से भी बचाती है। अध्ययनों से साबित हुआ है कि मछली खाने वालों में ग्रे मैटर अधिक होता है जिससे बच्चे का मूड नियंत्रित होता है और उसकी याददाश्त में भी सुधार होता है। जो बच्चे हर हफ्ते मछली खाते हैं, उनके उदास होने की संभावना कम होती है क्योंकि इसमें बहुत अधिक ओमेगा -3 वसा होता है। मछली डायबिटीज है।
जामुन
जामुन में एंथोसायनिन नामक यौगिक होते हैं, जो मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं। जामुन का सेवन मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है, सूजन-रोधी होता है और नई तंत्रिका कोशिकाओं के उत्पादन में भी सहायक होता है। जामुन का सेवन बच्चों में के मानसिक विकास के लिए बहुत जरूरी है।
दही
प्रोटीन से भरपूर बिना मीठा दही दिमाग की सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है। दही में आयोडीन होता है जो मस्तिष्क को प्रभावी ढंग से कार्य करने में मदद करता है। दही प्रोटीन, जिंक, बी 12 और सेलेनियम से भी भरा होता है, जो मस्तिष्क के विकास के लिए महत्वपूर्ण पोषक तत्व हैं। अपने बच्चे को नाश्ते के लिए फलों और नट्स के साथ सादा दही दें।
संतरा
संतरा विटामिन-सी से भरपूर होता है, जो स्वस्थ मस्तिष्क के लिए महत्वपूर्ण है। संतरे के सेवन से बच्चों में बेहतर प्रदर्शन, ध्यान केंद्रित करने में सुधार, प्रतिधारण शक्ति, एकाग्रता, पहचान जैसे लाभ होते हैं और वे अच्छे निर्णय लेने वाले भी होते हैं। संतरा बच्चे की स्किल्स में भी सुधार करता है। -
पैदल चलना हमारे लिए फायदेमंद होता है. यह बात तो हम सभी जानते हैं. लेकिन मुद्दा ये है कि हम इसे कितना फॉलो करते हैं. घर से स्कूल-कॉलेज, दफ्तर या बाजार वगैरह जाने के लिए ज्यादातर लोग प्राइवेट या पब्लिक ट्रांसपोर्ट का सहारा लेते हैं. घर से कहीं निकलना हुआ तो बाइक, कार वगैरह से निकल लिए. जल्दी हो और जरूरी हो तो ऐसा करना ठीक है, लेकिन पैदल चलना भी हमारे लिए उतना ही जरूरी है. पैदल चलना सामान्यत: हमारे लिए तीन तरह से फायदेमंद है. पहला- सामान्य स्वास्थ्य के लिए, दूसरा- वजन कम करने के लिए और तीसरा- फिजिकल स्ट्रेंथ यानी शारीरिक मजबूती के लिए. अब सवाल ये है कि आखिर हमें कितना पैदल चलना चाहिए?
पैदल चलने के और भी कई फायदे हैं. हार्ट और लंग्स यानी दिल और फेफड़े की फिटनेस के लिए फायदेमंद है. पैदल चलने से हार्ट की बीमारियों और स्ट्रोक का खतरा कम होता है. ऐसा करना हाई ब्लडप्रेशर और हाइपरटेंशन जैसी समस्याओं से दूर रखता है. हाई कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज मेंटेन रखने में अहम रोल है. जॉइंट और मांसपेशियों के दर्द को दूर रखता है. हड्डियों को मजबूत बनाता है और हमारे शरीर पर हमारा संतुलन इंप्रूव होता है. पैदल चलना मशल स्ट्रेंथ बढ़ाता है और वजन नियंत्रित रखता है. फायदों की बात हो गई, अब जानते हैं कि कितना पैदल चलना चाहिए.
ऑस्ट्रेलियाई स्टेट विक्टोरिया की स्वास्थ्य एजेंसी कहती है कि पैदल चलने के लिए हमें हर दिन कम से कम 30 मिनट जरूर निकालना चाहिए. अगर आप इतना समय भी नहीं निकाल सकते तो जितना ही समय निकले, पैदल जरूर चलें. हालांकि एजेंसी का कहना है कि ज्यादा समय निकालना ज्यादा फायदेमंद साबित होगा. फैमिली मेंबर्स, दोस्त, रिश्तेदारों या पड़ोसियों के साथ टहलने की आदत आपके लिए प्रैक्टिस आसान बना सकती है. हालांकि अन्य कुछेक स्वास्थ्य एजेंसी इससे ज्यादा पैदल चलने की सलाह देती हैं.
अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी सीडीसी सामान्य व्यस्कों को हर दिन 10 हजार कदम पैदल चलने की सलाह देती है. सीडीसी के मुताबिक, यह करीब 5 मील या 8 किलोमीटर के बराबर होगा. ऐसा करने पर फायदे भी लाजवाब मिलेंगे. हालांकि अमेरिका में औसतन लोग डेढ़ से दो मील पैदल चलते हैं. मेडिकल न्यूज टूडे के मुताबिक, एक्सपर्ट जेनरली 5000 स्टेप चलने की सलाह तो देते ही हैं. यह करीब 4 किलोमीटर के बराबर होगा.
दिल्ली में भी डॉक्टर्स 30 से 40 मिनट पैदल चलने की सलाह देते हैं. हमने जिन कुछेक डॉक्टर्स से बात की, सभी ने पैदल चलने को अपनी रोजाना की आदत में शामिल करना जरूरी बताया. उनका कहना है कि पैदल चलने से आपके शरीर में ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है और इसके ढेरों फायदे हैं. जरूरी नहीं कि आप एक ही बार में 4 किलोमीटर पैदल चलें. आप दिनभर में ऐसा कर सकते हैं, सुबह, शाम या रात कभी भी. वे बताते हैं कि आजकल स्मार्टफोन में स्टेप ट्रैकर ऐप होता है, जो आपके डेली स्टेप काउंट करता है. पैदल चलने के हिसाब-किताब के लिए यह एक आसान तरीका होगा. -
भुने हुए चने सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं. अक्सर लोग इनका सेवन स्नैक के रूप में करते हैं. इसमें मिनरल, प्रोटीन, फाइबर और फैटी एसिड जैसे पोषक तत्व होते हैं. ये हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने, वजन घटाने और पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं. आइए जानें भुने हुए चने खाने के फायदे---
इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए
भुने चने खाने से इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद मिलती है. ये कई बीमारियों से बचाने में मदद करता है. ये आपको मौसमी बीमारियों से बचाते हैं. ये आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं. आप रोजाना मुट्ठी भर चने का सेवन कर सकते हैं.
वजन कम करने में मदद करता है
आप वजन घटाने के लिए भी एक मुट्ठी भुने हुए चने का सेवन भी कर सकते हैं. भुने चने में कैलोरी बहुत कम मात्रा में होती है. आप वजन घटाने की डाइट में भी भुने हुए चने को शामिल कर सकते हैं. इसका सेवन करने से आपको देर तक भरा हुआ महसूस होता है. ये वजन को कंट्रोल करने में मदद करता है.
एनीमिया रोकने का काम करता है
चने में आयरन भरपूर मात्रा में होता है. ये खून की कमी को दूर करने में मदद करता है. आप नियमित रूप से एक मुट्ठी भुने हुए चने का सेवन कर सकते हैं. अक्सर महिलाओं को खून की कमी की समस्या का सामना करना करना पड़ता है. ऐसे में महिलाओं को भुने हुए चने खाने की सालह दी जाती है.
हृदय को स्वस्थ रखते हैं
भुने हुए चने में कई सारे पोषक तत्व होते हैं. इसमें मैग्नीशियम, फोलेट और प्रोटीन होता है. ये हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करता है. ये हृदय संबंधित कई समस्याओं को दूर रखने में मदद करता है. आप नियमित रूप से एक मुट्ठी भुने हुए चने का सेवन कर सकते हैं. - आजकल वजन घटाने, स्किन को हेल्दी रखने और बालों की समस्याओं से बचने के लिए ग्लूटेन फ्री डाइट का क्रेज लोगों में तेजी से बढ़ रहा है। जिन लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं होती हैं, उन्हें भी ग्लूटेन फ्री खाना खाने की सलाह दी जाती है। ग्लूटेन एक तरह का प्रोटीन होता है। ये गेहूं, जौ, ब्रेड और पास्ता जैसे खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। ग्लूटेन फ्री डाइट शरीर को एनर्जी दिलाने और कई तरह के दर्द से भी राहत दिलाने में मदद करती है। ग्लूटेन फ्री डाइट के इन्हीं फायदों को देखते हुए आज हम आपको ऐसे 5 अनाज के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें यह नहीं पाया जाता है।मक्कामक्का या मकई एक ग्लूटेन फ्री अनाज है। जिन लोगों को गेहूं और जौ जैसे अनाज खाने के बाद हेल्थ प्रॉब्लम होती है, उन्हें मक्का या इससे बनी चीजें इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। मक्के में पाया जाने वाला कैरोटिनॉइड, विटामिन सी और फाइबर हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है। नियमित तौर पर मक्का का सेवन किया जाए तो इससे शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है।क्विनोआक्विनोआ सबसे हेल्दी अनाज माना जाता है। क्विनोआ में आयरन, फाइबर, प्रोटीन, एंटी-कैंसर, एंटी एजिंग गुण, एंटी-सेप्टिक जैसे कई गुण पाए जाते हैं। जो लोग प्रोटीन के लिए दूध, दही और पनीर जैसी चीजें नहीं खा सकते हैं, उन्हें क्विनोए खाने की सलाह दी जाती है। क्विनोआ में पर्याप्त मात्रा में अमीनो एसिड पाए जाते हैं, जो एनीमिया से बचने और दिल से संबंधित बीमारियों के निजात दिलाने में मदद करते हैं। कई रिसर्च में यह बात सामने आई है कि क्विनोआ का सेवन करने वाले लोगों को कैंसर का खतरा कम रहता है।जई यानी ओट्सजई यानी की ओट्स भी एक ग्लूटेन फ्री अनाज है। ये सीलिएक रोग से पीडि़त लोगों के लिए काफी सहायक अच्छा माना जाता है। ओट्स में जिंक, कैल्शियम, प्रोटीन, आयरन, विटामिन- बी और विटामिन ई पाया जाता है, जो वजन कंट्रोल करने, इम्यूनिटी बढ़ाने और शरीर को लंबे समय तक एनर्जेटिक बनाए रखने में मदद करता है। ज्यादातर लोग नाश्ते में ओट्स का सेवन करना पसंद करते हैं। जई में बीटा ग्लूटेन पाया जाता है, जो ब्लड शुगर लेवल को भी नियंत्रित रखने में मदद करता है।ब्राउन राइसरिपोर्ट के मुताबिक, ब्राउन राइस में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं। ब्राउन राइस में मौजूद मिनरल्स , आयरन , जिंक, मैग्नीशियम और कैल्शियम शरीर को एनर्जी देने में मदद करता है। ब्राउन राइस का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह और कैंसर के जोखिमों को कम करने में मदद मिलती है। जिन लोगों को पाचन संबंधित समस्याएं होती है, उन्हें भी ब्राउन राइस का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
- कुछ विटामिन की अगर शरीर में कमी हो, तो इसका असर बालों पर भी नजर आता है। हम आपको ऐसे विटामिन के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी कमी होने पर बालों में डैंड्रफ रहने लगता है. जानें इनके बारे में...बायोटिनये एक ऐसा विटामिन है, जो स्कैल्प को हेल्दी रखता है। विटामिन बी 7 के रूप में पहचाने जाने वाला ये पोषक तत्व शरीर में रेड ब्लड सेल्स का निर्माण करता है। बादाम, मीट और साबूत अनाज से इसकी पूर्ति का ज ा सकती है।विटामिन सीस्किन की तरह बालों के लिए शरीर में कोलेजन का निर्माण होना बहुत जरूरी है। विटामिन सी शरीर में कोलेजन के प्रोडक्शन में अहम रोल निभाता है। जिन लोगों के बालों में डैंड्रफ या अन्य बालों की समस्याएं हो रखी हैं, उनके शरीर में जरूर विटामिन सी की कमी होती है। आप नींबू जैसी चीजों का सेवन करके या इनका हेयर मास्क बनाकर लगा सकते हैं।हेयर केयर रूटीन में बदलावइन विटामिन्स के सोर्स को डाइट का हिस्सा बनाने के अलावा आपको हेयर रूटीन को फॉलो करना चाहिए। इसके लिए हफ्ते में दो बार बालों की ऑयलिंग करें और एक घंटे के अंदर शैंपू व कंडीशनर का इस्तेमाल भी करें। आप चाहे तो ट्रेंड में चल रहे सैलिसिलिक एसिड बने हेयर सीरम को भी रूटीन का हिस्सा बना सकते हैं।
- एड़ियों का फटना एक आम समस्या है। एड़ियां फटने के कई कारण हो सकते हैं । इसमें वजन बढ़ने के कारण एड़ी पर दबाव पड़ना, देर तक खड़े रहना, रूखी त्वचा, कॉलस होना, खुले जूते या सैंडल पहनना आदि शामिल हैं । ऐसे में फटी एड़ियों से छुटकारा पाने के लिए आप कई तरह के घरेलू उपचार आजमा सकते हैं।पैरों की सफाई करेंफटी एड़ियों से छुटकारा पाने के लिए ये जरूरी है कि आप नियमित रूप से फटी एड़ियों में जमी गंदगी को साफ करें। इसके लिए एक टब में गर्म पाने लें इसमें सेंधा नमक और थोड़ा शैंपू डालें। इसे अच्छे से मिलाएं। इसमें कुछ देर के लिए अपने पैर डालकर रखें। ये पैरों में जमा गंदगी और मृत कोशिकाओं को हटाने में मदद करता है।शहद और दूध से बनी क्रीम का इस्तेमाल करेंइसके लिए एक पैन लें.। इसमें दूध और शहद डालें। इसे धीमी गैस पर गर्म करें। इसमें संतरे का रस डालें। इसे गैस से उतार लें। इसे थोड़ी देर के लिए ठंडा होने दें। अब इस क्रीम को किसी जार में डालकर रख दें। रोजाना इस क्रीम का फटी एड़ियों के लिए इस्तेमाल करें।मॉइस्चराइज रखेंफटी एड़ियों से छुटकारा पाने के लिए पैरों को मॉइस्चराइज करना बहुत ही जरूरी है। ऐसे में रात को सोने से पहले पैरों को मॉइस्चराइज करें। पैरों के लिए नारियल का इस्तेमाल करें.। रात को सोने से पहले पैरों पर नारियल के तेल से मसाज करें। ये आपके पैरों को मुलायम बनाने में मदद करता है।फटी एड़ियों के लिए ग्लिसरीन का इस्तेमाल करें- आप फटी एडियों के लिए ग्लिसरीन का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। ये त्वचा को हेल्दी बनाए रखने में मदद करता है। आप रोजाना रात को सोने से पहले फटी एड़ियों पर ग्लिसरीन लगा सकते हैं। आप इसमें नींबू का रस भी मिला सकते हैं। ये मृत कोशिकाओं को हटाने में मदद करता है।
- आज के समय में आरओ का पानी शहरी इलाके के लगभग सभी घरों में इस्तेमाल होता है। दूषित पानी की समस्या की वजह से हर घर आरओ का पानी इस्तेमाल किया जाता है। आरओ वाटर प्यूरीफायर के पानी को पीने को लेकर सोशल मीडिया पर तमाम तरह की बाते कही जा रही हैं। तमाम सोशल मीडिया पोस्ट यह दावा करते हैं, कि आरओ का पानी पीना सेहत के लिए नुकसानदायक होता है। वहीं कई सोशल मीडिया पोस्ट में यह कहा जाता है, कि आरओ का पानी सेहत के लिए बिलकुल सुरक्षित है। आइये जानते हैं कि आरओ यानी रिवर्स ऑस्मोसिस सिस्टम से फिल्टर किया गया पानी सेहत के लिए वाकई नुकसानदायक है या नहीं?नोएडा हेल्थ प्लस क्लिनिक की जनरल फिजिशियन डॉ. स्वाति चौहान के अनुसार आरओ के पानी में फिल्टर करने की प्रक्रिया के दौरान मौजूद मिनरल्स और अन्य जरूरी तत्व नष्ट हो जाते हैं। लंबे समय तक बोतलबंद आरओ का पानी पीना हानिकारक हो सकता है, लेकिन सामान्य आरओ का पानी पीने से शरीर को ना तो कोई फायदा मिलता है और ना ही कोई नुकसान। आरओ से पानी फिल्टर करते समय टीडीएस लेवल 70 से 150 के बीच होना ज्यादा सुरक्षित होता है।नल का पानी आरओ के पानी से ज्यादा सुरक्षित है?कई लोगों का मानना है कि आरओ का पानी से ज्यादा सुरक्षित नल का पानी होता है। आरओ का पानी रिवर्स ऑस्मोसिस वाटर प्यूरीफायर द्वारा फिल्टर किया जाता है। इंटरनेशनल वाटर एसोसिएशन की एक रिपोर्ट में कहा गया कि, रिवर्स ऑस्मोसिस वाटर प्यूरीफायर (आरओ) के पानी के फिल्टरेशन के दौरान मैंगनीज, लोहा, फ्लोराइड, सीसा और कैल्शियम आदि खत्म हो जाते हैं। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आरओ सिस्टम से फिल्टर किये गए पानी के दूषित या हानिकारक होने की संभावना कम होती है। ऐसे में यह कहना कि नल का पानी, आरओ के पानी ज्यादा बेहतर है गलत होगा।आरओ के पानी और मिनरल वाटर में अंतर?आरओ का पानी दरअसल वाटर प्यूरीफायर में फिल्टर किया जाने वाला पानी है। इस पानी में मौजूद सभी फायदेमंद और नुकसानदायक मिनरल्स निकल जाते हैं। वहीं मिनरल वाटर में जरूरी मिनरल्स पाए जाते हैं। आरओ वाटर को बहुत लोग डेड वाटर के नाम से भी जानते हैं, क्योंकि इस पानी में मिनरल्स (ना तो हानिकारक और ना ही फायदेमंद ) खत्म हो जाते हैं।दूषित पानी वाले इलाकों में नल का पानी पीने से बेहतर है कि आरओ के पानी का इस्तेमाल किया जाए। लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि आरओ के पानी में शरीर के लिए जरूरी मिनरल्स और अन्य तत्व निकल जाते हैं। दूषित पानी पीने से आपकी सेहत को कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए पानी पीते समय आपको पानी की गुणवत्ता का ध्यान जरूर रखना चाहिए। आरओ का पानी पीने को लेकर आपको सोशल मीडिया पर फैली अफवाहों पर ध्यान देने के बजाय एक्सपर्ट डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
- भारतीय खाने की थाली में मीठे व्यंजनों का एक विशेष महत्व है। भारत के लगभग सभी हिस्सों में खाने के साथ कुछ न कुछ मीठा खाने की परंपरा है। लेकिन क्या आयुर्वेद खाने के साथ मीठा खाने को सही मानता है? कुछ लोग खाने के साथ मीठा गलत तरीके से खाते हैं, जिसके कारण उनकी सेहत और पाचन पर बुरा असर पड़ता है। जी हां, आयुर्वेद के अनुसार भोजन मीठा, तीखा और नमकीन चीजें खाने के कुछ नियम हैं, जिन्हें नजरअंदाज करने पर लंबे समय में सेहत पर बुरा असर पड़ता है। आयुर्वेद भोजन की तासीर और स्वाद के अनुसार खाने को एक खास क्रम में खाने की बात कहता है।खाने में मीठा और तीखा एक साथ क्यों नहीं खाना चाहिए?आयुर्वेद के अनुसार मीठा और तीखा एक साथ नहीं खाना चाहिए क्योंकि इससे पाचन धीमा हो जाता है और शरीर भोजन के पोषक तत्वों को अवशोषित नहीं कर पाता है। विज्ञान भी यही मानता है कि मीठी चीजों में कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है, जिसे तोडऩे में पाचनतंत्र को ज्यादा समय लगता है। इसलिए मीठा, तीखा एक साथ खाने पर अपच और गैस की समस्या हो सकती है। इससे भोजन को पचने में समय लगता है और व्यक्ति को आलस आता है।आयुर्वेद के अनुसार क्या है मीठा, तीखा और नमकीन खाने का सही नियम?आयुर्वेद की मानें तो खाने में सबसे पहले कच्चे सलाद खाने चाहिए, जिनका स्वाद उनके गुण के अनुसार कसैला, मीठा या अम्लीय कैसा भी हो सकता है। इसके बाद आपको खट्टी चीजें, फिर नमकीन चीजें और अंत में तीखी चीजें खानी चाहिए। लेकिन मीठा खाने से थोड़े समय पहले या बाद में ही खाना चाहिए। खाने के बाद मीठा खाने से शुगर बढ़ता है और ये जठराग्नि (पाचन अग्नि) को धीमा कर सकता है, जिससे खाना पचता नहीं। इस कारण से व्यक्ति को सीने में जलन, अपच, एसिडिटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।अगर आप खाने के पहले या बाद में भी मीठा खाते हैं, तो ध्यान रखें कि मीठे व्यंजन की मात्रा कुल भोजन का 1/8 वां हिस्सा ही होना चाहिए। यानी यह सही नहीं है कि आप नमकीन चीजें कम खाएं और मीठा ढेर सारा खा लें।नमकीन और तीखी चीजें पहले क्यों खाना चाहिए?आयुर्वेद में 6 रस बताए गए हैं, जिनका संतुलन आपके भोजन में होना चाहिए। ये रस हैं- लवण, मधुर, अम्ल, तिक्त, कटु और कषाय। मधुर रस का मतलब मीठी चीजों से हैं। यहां यह जरूरी नहीं कि स्वाद में मीठी चीजों में ही मधुर रस हो क्योंकि दूध, घी, बादाम, अखरोट जैसे भोज्य भी मधुर रस के अंतर्गत ही आते हैं। इनमें से घी को छोड़कर अन्य चीजों का सेवन मुख्य भोजन के साथ नहीं करना चाहिए।तीखे और नमकीन व्यंजन आपके पाचनतंत्र को सक्रिय करते हैं। इनके सेवन से शरीर तुरंत पाचक रस उत्पादित करने लगता है और भोजन को पचाने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इस बीच शरीर का तापमान बढ़ जाता है, इसीलिए तीखा खाने के बाद कुछ लोगों को पसीना आता है और गर्मी लगने लगती है। लेकिन यहां भी लोग गलती करते हैं कि तीखा खाने के तुरंत बाद पानी पी लेते हैं। ऐसा करने से भी पाचन पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए खाना उतना ही तीखा खाएं, जिसे आप बिना पानी पिए पूरा खा सकें। भोजन के बीच में पानी पीना सही नहीं है।प्राकृतिक और सेहतमंद मीठी चीजें खाएंपहले के समय में इतने तरह की मिठाइयां और व्यंजन नहीं होते थे, जितने आज हैं और न ही उन्हें बनाने में सफेद चीनी का इस्तेमाल होता था। तब मीठे व्यंजन बनाने के लिए सूखे फलों (ड्राई फ्रूट्स), फलों के रस (फ्रूट जूस), शहद, गुड़, महुआ, दूध का खोया आदि का प्रयोग किया जाता था। लेकिन आजकल मीठे व्यंजनों में पेस्ट्री, डोनट्स, ब्राउनीज, चीनी घोलकर बनाई गई मिठाइयां आदि खाने का चलन बढ़ गया है। ये सभी चीजें सेहत को नुकसान पहुंचाती हैं। अगर आपको खाने के बाद मीठा खाने की तीव्र इच्छा होती है, तो थोड़ा सा गुड़ का टुकड़ा चूस लें या ड्राई फ्रूट्स खा लें। कभी-कभार खीर, हलवा, लस्सी, गुड़ दही आदि भी खा सकते हैं।
- बारिश के मौसम में अक्सर लोग कुछ चटपटा खाना चाहते हैं। ऐसे में तली-भुनी चीजों का सेवन अधिक कर लेते हैं। इससे सेहत खराब होने का खतरा बना रहता है। ऐसे में हम आपको कुछ ऐसी हेल्दी चाट की रेसिपीज के बारें में बता रहे है जिनसे आपकी चटपटा खाने की इच्छा भी रह जाएगी और सेहत पर भी बुरा असर नहीं पड़ेगा।1. झालमुड़ीझालमुड़ी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होती है। ये एक बंगाली डिश है। इसे खाने से आपकी भूख तो शांत होगी ही, साथ में ये आपके हेल्थ को भी नुकसान नहीं पहुंचाएगी। झालमुड़ी से शरीर को इंस्टैंट एनर्जी मिलती है। इसमें पडऩे वाले मुरमुरे में विटामिन बी1और विटामिन बी2 पाया जाता है, जिससे हड्डियों को मजबूती मिलती है। झालमुड़ी से आपका वजन तो कंट्रोल रहेगा ही, साथ ही ये मस्तिष्क के लिए भी फायदेमंद है। इसको बनाने के लिए तीन से चार कप मुरमुरा एक बड़े कटोरे में लें। इसमें उबले हुए आलू, टमाटर और खीरा काटकर डालें। बारीक कटा हुआ प्याज और हरा धनिया भी डालकर मिक्स करें। अब इस मिक्सचर में हरी चटनी, काला नमक, चाट मसाला और लाल मिर्च का पाउडर डाल कर मिक्स करें। तैयार है आपकी झालमुड़ी चाट।2. पालक पत्ता चाटपालक खाने के कई फायदे हैं लेकिन कई बार हम इसे खाने में हिचकते हैं। ऐसे में आप इस बरसात के मौसम में पालक चाट ट्राई कर सकते है। इसमें आयरन और कई तरह के अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं, जिससे आपको एनीमिया जैसी समस्या नहीं होती है। इसमें मौजूद कैल्शियम और मैग्नीशियम आपकी हड्डियों के लिए लाभकारी होते हैं। पालक चाट बनाने के लिए सबसे पहले पालक के पत्तों को अच्छे से धो कर साफ कर लें। उसके बाद पत्तों को बेसन में डुबोकर फ्राई करें। अतिरिक्त तेल को टिश्यू पेपर की मदद से निकाल दें और फिर दही, चटनी और मसाले डालकर सर्व करें।3. आलू चाटआलू बच्चों से लेकर बड़ों तक सबका फेवरेट होता है। ये सेहत के लिए काफी हेल्दी भी होता है। आलू से कब्ज की समस्याओं को दूर किया जा सकता है। आलू में कार्बोहाइड्रेट, पोटेशियम, मैग्नीशियम, आयरन, कैल्शियम, विटामिन सी और फाइबर जैसे तत्व मौजूद होते हैं। यह हेल्थ के साथ स्किन के लिए भी काफी फायदेमंद होते हैं। आलू चाट को बनाना काफी आसान है। आलू को स्लाइस में काटकर फ्राई करें। फिर इसमें टमाटर, नमक, हरी मिर्च, चाट मसाला, धनिया और चिली फ्लेक्स डालकर अच्छे से मिला लें। सर्व करते समय हरा धनिया डालें।4. स्वीट कॉर्न चाटस्वीट कॉर्न सेहत के लिए काफी हेल्दी माना जाता है। इसमें विटामिन ए, बी, ई, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं। स्वीट कॉर्न में मौजूद फाइबर्स पाचन क्रिया को बेहतर बनाते हैं। इसको बनाने के लिए स्वीट कॉर्न को उबालें। एक कटोरे में लाल मिर्च पाउडर, चाट मसाला, नमक और नींबू डालकर मिला लें। तैयार है स्वीट कॉर्न चाट। हरे धनिया के साथ सर्व करें।5. काले चने की चाटकाला चना कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें विटामिन ए, फॉस्फोरस, पोटैशियम, मैग्नीशियम जैसे जरूरी तत्व पाए जाते हैं। चने में आयरन की मात्रा काफी होती है, जो इसे और पौष्टिक बनाता है। इसे बनाने के लिए एक कप उबले चने लें। इसमें बारीक कटा प्याज, टमाटर और नींबू का रस डालें। तैयार है आपके काले चने की चाट।
- जामुन खाने में जितनी स्वादिष्ट होती हैं उतना ही सेहत के लिए फायदेमंद भी होती हैं। जामुन बारिश के मौसम में बाजार में देखने को मिलती है। पोषक तत्वों से भरपूर जामुन के स्वास्थ्य संबंधी अनेक लाभ हैं। फाइबर, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक जैसे जरूरी मिनरल्स के साथ ही जामुन में विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट्स और फ्लेवोनोइड्स भी मौजूद होते हैं, जिससे यह न सिर्फ शरीर को पर्याप्त पोषण प्रदान करने में सहायक है बल्कि कई गंभीर रोगों को भी दूर रखने में मदद करती है। यहां तक कि डायबिटीज के रोगियों के लिए यह एक बेहतरीन फूड है, क्योंकि यह ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में सहायक है।जब हम जामुन का सेवन करते हैं तो इस दौरान बहुत सी सावधानी बरतने की जरूरत होती है। अगर आप जामुन के तुरंत बाद कुछ चीजों का सेवन करते हैं तो इससे सेहत को काफी नुकसान पहुंच सकता है। इस लेख में हम ऐसी चीजों के बारे में जानेंगे जिनका सेवन जामुन खाने के बाद नहीं करना चाहिए।1. भूलकर भी न खाएं अचारअचार खाना वैसे तो सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है लेकिन अगर जामुन खाने के बाद आप अचार का सेवन करते हैं तो यह कॉम्बिनेशन आपके पेट को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे आंतों में सूजन की समस्या हो सकती है और पेट में गैस, उल्टी-दस्त, ब्लोटिंग, अपच, गैस जैसी समस्साएं हो सकती हैं। आपको कम से 1 घंटे तक अचार नहीं खाना चाहिए।2. पानी का सेवन न करेंजामुन खाने के तुरंत बाद अगर आप पानी का सेवन करते हैं तो यह दस्त और उल्टी जैसी समस्याओं पेट संबंधी समस्या का कारण बन सकता है। यही कारण है कि हमारी मम्मी-दादी जामुन खाने के बाद पानी पीने से बचने की सलाह देते हैं। यह खराब पाचन और आंत में सूजन को भी ट्रिगर कर सकता है। आपको जामुन खाने के बाद कम से कम 30-40 मिनट तक पानी पीने से बचना चाहए।3. हल्दी से परहेज करेंअगर आप जामुन खाने के तुरंत बाद हल्दी या हल्दी युक्त किसी चीज का सेवन करते हैं तो इससे पेट में जलन की समस्या हो सकती है। जिसके चलते आप काफी अहसज महसूस कर सकते हैं। अगर आप लगातार जामुन खाने के बाद में हल्दी का सेवन करते हैं तो इससे डाइजेशन भी खराब हो सकता है। आपको जामुन खाने के बाद कम से कम 30 मिनट तक हल्दी युक्त फूड्स का सेवन नहीं करना चाहिए।4. दूध और दूध से बने उत्पाद न खाएंदूध और दूध से बने उत्पाद सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। लेकिन अगर आप जामुन खाने के बाद डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन करते हैं तो खराब पाचन, अपच, ब्लोटिंग, पेट में गैस जैसी समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि, आप आधे घंटे के बाद पानी पी सकते हैं।
- लंबे जीवन के लिए जरूरी है दिल को स्वस्थ रखा जाए और हार्ट को हेल्दी रखने के लिए खाने पीने पर ध्यान देना बहुत जरूरी होता है। इसके लिए आप अपने रोजाना के खाने में कुछ खास नट्स को शामिल कर सकते हैं। ये नट्स आपके लिए इवनिंग स्नैक्स या हल्की फुल्की भूख का हेल्दी ऑप्शन हो सकते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक नट्स में विटामिन, प्रोटीन, कई तरह के मिनरल्स और प्रोटीन पाया जाता है। अगर नियमित तौर पर नट्स का सेवन किया जाए तो दिल को बीमारियों से बचाया जा सकता है।एक निश्चित मात्रा में नट्स का सेवन किया जाए यह शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल, ब्लड क्लॉट्स के रिस्क को कम करने में मदद करता है। इससे हार्ट में ब्लॉकेज या हार्ट अटैक की संभावना कम हो जाती है। तो आइए आज जानते हैं उन 5 नट्स के बारे में जो न सिर्फ आपके दिल को बीमारियों से दूर रखने में मददगार साबित हो सकते हैं बल्कि शरीर के लिए भी फायदेमंद माने जाते हैं।मूंगफलीमूंगफली में प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। एक कटोरी मंगूफली का सेवन करने से यह पेट को ज्यादा देर तक भरा होने का अहसास करवाता है, जिससे वजन कंट्रोल करने में मदद मिलती है। जर्नल ऑफ अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी की एक स्टडी के मुताबिक अगर सप्ताह 2 बार मूंगफली एक सीमित मात्रा में सेवन किया जाए तो यह दिल से संबंधित बीमारियों के खतरे के जोखिम को 15 फीसदी तक कम कर सकता है।दिल के स्वास्थ्य के लिए काजू है फायदेमंदड्राई फ्रूट्स और नट्स का जिक्र हो और काजू का नाम न आए ऐसा हो ही नहीं सकता है। काजू में ओलिक एसिड पाया जाता है, जो दिल को मजबूत बनाने में मदद करता है। इसके साथ ही काजू में आयरन, जिंक, कॉपर, मैग्नीशियम जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर को कई बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं। एक शोध के अनुसार रोजाना 7 से 8 काजू का सेवन करने से दिल की बीमारियों से बचा जा सकताहै।दिल और दिमाग दोनों के लिए है अखरोटजब बात आती है दिमाग को तेज बनाने की तो बड़े-बुजुर्ग अखरोट खाने की सलाह देते हैं। ओमेगा 3 फैटी एसिड भरपूर अखरोट दिल और दिमाग दोनों के लिए फायदेमंद होता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स और फाइटोस्टेरॉल्स पाए जाते हैं जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने में मदद करते हैं। प्रतिदिन 1 से 2 अखरोट का सेवन करने से हार्ट ब्लॉकेज की प्रॉब्लम से बचा जा सकता है।बादाम भी है दिल के लिए सेहतमंदफाइबर, विटामिन ई, मैग्नीशियम और प्रोटीन से भरपूर बादाम में अनसैचुरेटेड फैट होता है। ये शरीर के खराब कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करते हैं और अच्छे कोलेस्ट्रॉल लेवल को बढ़ाते हैं। जो लोग वजन कम करना चाहते हैं उन्हें भी प्रतिदिन बादाम खाने की सलाह दी जाती है। नियमित रूप से बादाम का सेवन करने से दिल की बीमारियों का खतरा कम हो सकता है।
- कमल ककड़ी को काफी हेल्दी सब्जी माना जाता है। ये कई तरह के पोषक तत्वों जैसे- कार्बोहाइड्रेट्स, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स इत्यादि का काफी अच्छा स्त्रोत माना जाता है, जो कई बीमारियों को दूर करने में प्रभावी हो सकते हैं। पोषक तत्वों से भरपूर इस खाद्य पदार्थ को आहार में जोडऩे से आप कई तरह की बीमारियां जैसे- पेट में अल्सर, सूजन, डायबिटीज, गट हेल्थ इत्यादि में सुधार कर सकते हैं।100 ग्राम कमल ककड़ी में मौजूद पोषक तत्वकैलोरी - 86प्रोटीन - 1.54कार्बोहाइड्रेट - 15.5 ग्रामकैल्शियम - 26 द्वद्दमैग्नीशियम - 21 द्वद्दपोटैशियम - 352 द्वद्दफास्फोरस - 76 द्वद्दआयरन - 0.87 द्वद्दकमल ककड़ी के फायदेलिवर को रखे सुरक्षितकमल ककड़ी का सेवन करने से आप फैटी लिवर की परेशानी को दूर सकते हैं। दरअसल, कमल ककड़ी में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सीरम एडिपोनेक्टिन के स्तर को बढ़ा सकती हैं, जो लिवर को सुरक्षित रखने में असरदार होती हैं।पेट के अल्सर से करे बचावपेट के अल्सर से बचाव करने में कमल ककड़ी का सेवन किया जा सकता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव प्रभाव को बढ़ाते हैं, जिससे पेट के अल्सर में होने वाली परेशानी कम हो सकती है।सूजन करे कमकमल ककड़ी में लिनोलिक एसिड होता है, जो फैटी एसिड इंफ्लेमेटरी प्रतिक्रयाओं को कम करने में मददगार हो सकता है। साथ ही यह हेपेटाइटिस और ऑटोइम्यून बीमारियों जैसी - अर्थराइटिस, यूरिक एसिड की वजह से होने वाली सूजन को कम करने में आपकी मदद कर सकता है।डायबिटीज करे कंट्रोलकमल ककड़ी में डायबिटीज को कंट्रोल करने का गुण होता है। यह आपके शरीर में ब्लड शुगर को कंट्रोल कर सकता है। रिसर्च में देखा गया है कि कमल ककड़ी से ग्लूकोज का स्तर कंट्रोल होता है। साथ ही यह इंसुलिन को बढ़ाने में प्रभावी हो सकता है।पाचन क्रिया और वजन करे कमकमल ककड़ी में फाइबर भरपूर रूप से होता है, जो पाचन क्रिया को दुरुस्त कर सकता है। साथ ही पाचन क्रिया बेहतर होने से आपका मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है। इससे वजन कंट्रोल करने में मदद मिलती है।एलर्जी का करे इलाजकमल ककड़ी के सेवन से एलर्जी की प्रतिक्रिया को कम किया जा सकता है। दरअसल, इसमें विटामिन सी और अन्य पॉलीफेनोलिक यौगिक होते हैं, जो सीरम हिस्टामाइन (कोशिकाओं द्वारा रिलीज किया गया एक ऐसा यौगिक जो एलर्जी प्रतिक्रियाओं को ट्रिगर करता है) के स्तर को कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं।कमल ककड़ी के नुकसानकमल ककड़ी स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होती है। हालांकि, ध्यान रखें कि इससे कुछ लोगों को एलर्जी की समस्या हो सकती है। वहीं, अगर आप अधिक मात्रा में इसका सेवन करते हैं, तो इससे अपच, कब्ज जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
- शरीर में गैस बनना एक सामान्य समस्या है, लेकिन इससे व्यक्ति काफी परेशान हो जाता है। गैस शरीर के किसी भी हिस्से में बन सकती है। इनमें से एक है आंत। जी हां, आंतों में भी गैस बन सकती है। इस दौरान पेट दर्द, पेट फूलना और कब्ज जैसे लक्षण व्यक्ति में नजर आ सकते हैं। कामिनेनी अस्पताल, हैदराबाद के वरिष्ठ सामान्य चिकित्सक और मधुमेह विशेषज्ञ डॉक्टर मुक्शीथ कादर से जानें आंतों में गैस बनने के लक्षण, कारण और बचाव के उपाय-आंतों में गैस के लक्षणपेट फूलना, पेट में दर्द होना, गुदा से बार-बार गैस निकलना, छाती में दर्द होना, पेट का आकार बढ़ा होना, दबाव जैसा महसूस होना।आंतों में गैस बनने के कारण1. शरीर में हवा ले जानाअत्यधिक पेट फूलना खाने या पीने के दौरान बहुत अधिक हवा निगलने के कारण होता है। अगर आपको बहुत अधिक गैस बनती है, तो इसका मुख्य कारण शरीर में हवा प्रवेश करना हो सकता है। यानी जब शरीर में हवा जाती है, तो गैस बन सकती है। यह गैस डकार या गैस के रूप में बाहर निकलती है।2. कुछ खाद्य पदार्थकुछ खास तरह के खाद्य पदार्थ भी गैस बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं। इन खाद्य पदार्थों में ब्रसेल्स स्प्राउट्स, अंकुरित नट्स, गोभी, बीन्स, शतावरी, ब्रोकोली, मूंगफली, सेब, फलों का रस, कृत्रिम मिठास, दूध, ब्रेड, आइसक्रीम, गेहूं, आलू, नूडल्स और मटर शामिल हैं।3. खाने के साथ पानी पीनाकई लोग खाना खाने के साथ-साथ पानी पीते रहते हैं, यह भी गैस का कारण बन सकता है। साथ ही खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना भी गैस पैदा कर सकता है। इसलिए आपको खाना खाने से आधे घंटे और खाना खाने के एक घंटे बाद पानी पीना चाहिए। भोजन के दौरान पानी पीने से बचें।4. खाने के बाद वॉक न करनाखाना खाने के बाद 10-15 मिनट वॉक करने की सलाह हमेशा दी जाती है। जो लोग खाना खाने के बाद तुंरत लेट जाते हैं या बैठे रहते हैं, उनमें आंतों में गैस बनने की समस्या अधिक देखने को मिलती है। आंतों में गैस बनने से बचने के लिए आपको खाना खाने के बाद वॉक जरूर करना चाहिए। इससे पाचन क्रिया में सुधार होता है, गैस और कब्ज से बचाव होता है।गैस से छुटकारा कैसे पाएं?-अक्सर आप जो खाते हैं उसके कारण गैस होती है। भोजन मुख्य रूप से आपकी छोटी आंत में पचता है। कई लोगों के लिए आहार की आदतों को बदलना गैस और उसके साथ होने वाले लक्षणों को कम करने के लिए पर्याप्त है।-उच्च फाइबर खाद्य पदार्थों को अपनी डाइट में शामिल करें।-हाई फैट, तला मसालेदार भोजन और कार्बोनेटेड पेय से दूरी बनाकर रखें।-पुदीने की चाय गैस की समस्या से छुटकारा दिला सकता है।-खाना खाने से पहले सेब का सिरका पानी के साथ लेने से गैस की समस्या दूर होती है।-शारीरिक रूप से सक्रिय रहें। व्यायाम या योग को अपनी जीवनशैली में शामिल करें।आंतों में गैस बनने से रोकने के उपाय-हर चीज आराम से बैठकर खाएं और अच्छी तरह से चबाकर खाएं।-खाना खाते समय बात करने से बचें। इससे पेट में हवा प्रेवश कर सकता है, जो गैस का कारण बनता है।-च्युइंग गम चबाना बंद करें। साथ ही सोडा और अन्य कार्बोनेटेड पेय पीने से बचें।-व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। खाना खाने के बाद टहलने की आदत बनाएं।अगर आपको भी अक्सर गैस बनती हैं, तो आपको अपनी आदतों और डाइट में बदलाव करके देखना चाहिए। अगर फिर भी गैस बने, तो डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए।
- आजकल की अनहेल्दी लाइफस्टाइल, वर्क शेड्यूल और बीमारियों के चलते मोटापा एक आम समस्या बन गया है। खास कर घर पर या ऑफिस में घंटों बैठकर काम करने वाले लोग बढ़ते हुए पेट यानी की बै बेली फैट से परेशान हैं। अगर आप भी बेली फैट से छुटकारा पाने की चाहत रखते हैं, तो बॉलीवुड एक्ट्रेस भाग्यश्री का फिटनेस फॉर्मूला अपना सकते हैं। भाग्यश्री ने ऑफिशियल इंस्टाग्राम हैंडल से एक वीडियो शेयर कर अपना फिटनेस सीक्रेट शेयर किया है। इस वीडियो को शेयर करते हुए भाग्यश्री ने कैप्शन में लिखा, 'दुबला होना और मजबूत होना दो अलग-अलग चीजें हैं। मेरे लिए एक फ्लैट टमी की तुलना में टाइट कोर होना ज्यादा जरूरी है।' भाग्यश्री ने अपने वीडियो में 3 एक्सरसाइज के बारे में बताया है, जो बेली फैट को कम करने और कोर को मजबूत करने में फायदेमंद हैं।खास बात यह है कि इन एक्सरसाइज को करने के लिए आपको जिम जाने की जरूरत नहीं हैं। आप घर पर 10 से 15 मिनट का समय निकालकर इसे आसानी से कर सकते हैं।टो टचइसको करने के लिए डॉग पोज की मुद्रा में आएं और हाथों से पैरों की उंगलियों को टच करने की कोशिश करें। हर बार जब आप पैरों की उंगलियों को छुएं तो ध्यान दें कि पीठ बिल्कुल सीधी हो। आप इस प्रक्रिया को 3 से 4 बार दोहरा सकते हैं।प्लैंकयह एक्सरसाइज बेली फैट के साथ-साथ हाथों पर चढ़ी हुई चर्बी को खत्म करने में मदद करती है। प्लैंक को करने के लिए दो छोटे डंबल लें और डॉग पोजिशन में हाथों का सहारा लेते हुए उठें। अब भाग्यश्री की तरह एक हाथ को उठाते हुए एक्सरसाइज करें। आप एक दिन में प्लैंक के 3 से 5 सेट कर सकते हैं।सिट अप्सनाम से ही जाहिर है कि इस एक्सरसाइज में पूरी बॉडी की उठक- बैठक हो जाती है। इसको करने के लिए योगा मैट या जमीन पर आराम से लेट जाएं। हाथों में कोई हल्की चीज जैसे- बॉल या तकिया लें और ऊपर-नीचे उठक- बैठक करें। इसको करते वक्त ध्यान दें कि ऊपर आते समय ही सांस छोडऩी है।भाग्यश्री की तरह हमेशा फिट दिखने के लिए आप रेगुलर बेसिस पर इन एक्सरसाइज को आराम से सप्ताह में 3 दिन कर सकते हैं। इन तीनों एक्सरसाइज को करते समय आपको बस बॉडी पॉश्चर का ध्यान रखना होगा। अगर आपको पीठ, कमर या घुटने में दर्द है अथवा किसी तरह की स्वास्थ्य समस्या है, तो इन एक्सरसाइज को करने से पहले डॉक्टर या फिटनेस ट्रेनर की सलाह जरूर लें।
- बॉलीवुड फिल्म "इश्क विश्क" की एक्ट्रेस शेनाज ट्रेजरी ने खुलासा किया है कि प्रोसोपैग्नोसिया नामक बीमारी से पीडि़त हैं। एक्ट्रेस ने इंस्टाग्राम पर स्टोरी शेयर करते हुए अपनी स्थिति बताई है। प्रोसोपैग्नोसिया के अर्थ को समझाने के लिए उन्होंने स्टोरी पर इस विकार से जुड़े हुए स्क्रीनशॉट शेयर किए हैं। बता दें कि हाल ही में हॉलीवुड स्टार ब्रैड पिट ने भी इस बात का खुलासा किया था कि उन्हें प्रोसोपैग्नोसिया है। इस स्थिति में उन्हें लोगों के चेहरे याद नहीं रहते हैं।एक्ट्रेस शेनाज ट्रेजरी ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट पर लिखा, "मुझे पता चला है कि मैं प्रोसोपैग्नोसिया से ग्रसित हूं। अब मुझे समझ आ गया है कि मैं चेहरे को एक साथ याद क्यों नहीं रख पाती हूं? यह एक कॉगनेटिव डिसऑर्डर है। मुझे शर्म आती है कि मैं चेहरे को पहचान नहीं सकती हूं, मैं बस आवाजें पहचानती हूं।" बता दें कि प्रोसोपैग्नोसिया एक मानसिक स्थिति है, जिसमें लोगों को चेहरा याद नहीं रहता है।क्या है प्रोसोपैग्नोसियादिल्ली के एसएल रहेजा हॉस्पिटल के कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर कौस्तुभ महाजन का कहना है कि प्रोसोपैग्नोसिया एक तरह की मानसिक समस्या है, जिससे पीडि़त व्यक्ति लोगों की पहचान करने में सक्षम नहीं हो पाता है। इससे पीडि़त व्यक्ति को अनजान या ज्ञात चेहरों को याद रखने की क्षमता नहीं होती है। ऐसे में कई बार सामने वाले व्यक्ति को लगता है कि वह उसे इग्नोर कर रहा है या फिर जान कर ऐसा कर रहा है। यह काफी दुर्लभ स्थिति है। इस तरह की समस्या लगभग दो प्रतिशत लोगों में देखी गई है।प्रोसोपैग्नोसिया के कारणमस्तिष्क के फ्यूजीफॉर्म गाइरस हिस्से में किसी तरह की समस्या, क्षति या फिर चोट लगने की वजह से प्रोसोपैग्नोसिया होने का खतरा रहता है। इस तरह की समस्या में टेम्पोरल लोब का एक हिस्सा प्रभावित होता है। मस्तिष्क के इस हिस्से का इस्तेमाल चेहरे को याद करने के लिए किया जाता है। ध्यान रखें कि यह स्थिति मेमोरी लॉस, ब्लाइंडमेड या किसी अन्य विकलांगता की वजह से नहीं होता है।प्रोसोपैग्नोसिया के लक्षण-चेहरा याद न रहना प्रोसोपैग्नोसिया का आम लक्षण है। इसके अलावा कई बार ऐसे व्यक्ति के लिए चेहरों के बीच अंतर करना मुश्किल हो सकता है।-इस समस्या सेगंभीर रूप से प्रभावित व्यक्तियों में ऐसे लोगों को पहचानने की भी क्षमता नहीं रह जाती है, जिनसे वो रोज मिल रहा होता है जैसे- परिवार के सदस्य, सहकर्मी, पड़ोसी आदि।-पीडि़त व्यक्ति जब किसी को देखता है या फिर मिलता है, तो वह उसके चेहरे को पहचानने की बजाय उनकी विशेषताओं को याद रखने की कोशिश करता है।-इसके अलावा इस समस्या के कुछ अन्य लक्षण भी हो सकते हैं, जैसे--सार्वजनिक स्थानों पर जाने में असहज महसूस करना।-दोस्त बनाने में परेशानी होना।-बाहर न जाना।-घर में अधिक समय बिताना-स्कूल, कॉलेज और ऑफिस जैसे स्थानों पर अलग-थलग रहना।प्रोसोपैग्नोसिया का इलाजडॉक्टर महाजन बताते हैं कि प्रोसोपैग्नोसिया का कोई विशेष इलाज नहीं है। यदि किसी व्यक्ति के मस्तिष्क में चोट या फिर ब्लड क्लॉट की परेशानी हुई है, तो इसका समय पर इलाज होना जरूरी है। समय पर इलाज के जरिए प्रोसोपैग्नोसिया होने की संभावना को कम किया जा सकता है। इसके साथ ही कुछ प्रशिक्षण प्रोग्राम के जरिए पीडि़त व्यक्ति को चेहरा पहचानने में मदद मिल सकती है, जैसे- व्यक्ति की आवाज को याद रखना, शरीर पर टैटू इत्यादि।ध्यान रखें कि प्रोसोपैग्नोसिया की स्थिति के कारण पीडि़त व्यक्ति के व्यक्तिगत संबंधों पर प्रभाव पडऩे की संभावना बढऩे लगती है। ऐसे में पीडि़त व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान रहने लगता है और उसे डिप्रेशन, चिंता जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इस स्थिति में व्यक्ति को डॉक्टर से सलाह की जरूरत होती है।
- साउथ इंडियन फूड्स, जैसे डोसा, इडली-सांभर, अप्पे और वड़े को ब्रेकफास्ट का हेल्दी वर्जन माना जाता है। इनको बनाने में चावल, दाल, हल्दी, करी पत्ता, राई का इस्तेमाल किया जाता है, इसलिए ये स्वास्थ्य के लिए अच्छे माने जाते हैं। बनाने में आसान होने की वजह से ज्यादातर लोग इडली और अप्पे को नाश्ते में ज्यादा तवज्जो देते हैं। हालांकि अक्सर इस बात को लेकर कंफ्यूजन बनी रहती है कि इन दोनों में से ज्यादा हेल्दी मील कौन सा है। आज आपकी इसी परेशानी को दूर करने के लिए हम बताने जा रहे हैं अप्पे और इडली में से कौन ज्यादा हेल्दी है।इडली क्यों मानी जाती है हेल्दी?चावल, उड़द की दाल और मेथी से बनने वाली इडली आज ब्रेकफास्ट में काफी पापुलर है। जो लोग वजन घटाना चाह रहे हैं वो भी इडली को नाश्ते में बहुत चाव से खाते हैं। इसे स्टीम करके बनाया जाता है, जिसकी वजह इसमें कैलोरी बहुत कम पाई जाती है। एक इडली में लगभग 40 कैलोरी होती है, जिसे वजन घटा रहे लोग आराम से खा सकते हैं।अप्पे क्यों होते हैं हेल्दी?पारंपरिक तौर पर अप्पे को चावल और उड़द दाल के घोल से बनाया जाता है। कुछ लोग सूजी, दही और सब्जी को मिक्स करके भी अप्पे बनाते हैं। अप्पे में फाइबर पाया जाता है जो हेल्दी बॉडी के लिए बहुत जरूरी है। डाइटिशियन के मुताबिक 4-5 अप्पे में 43 कैलोरी होती है, इससे वजन कम करने या हेल्दी ब्रेकफास्ट के तौर पर लेना अच्छा है।इडली और अप्पे में कौन ज्यादा हेल्दी है?इडली और अप्पे दोनों ही चावल और उड़द की दाल से बनते हैं इसलिए इन्हें खाने से लंबे समय तक पेट भरा रहता है। अगर आप नाश्ते में 2 से 3 इडली या 10 अप्पे खाते हैं तो यह भूख को कंट्रोल करने में मदद करता है, जिससे वजन भी मैनेज रहता है।इडली और अप्पे दोनों ही पेट के लिए अच्छे माने जाते हैं। जिन लोगों को गर्मियों या मानसून के मौसम में कब्ज, पेट में दर्द जैसी समस्या हो रही है वो भी इन साउथ इंडियन फूड्स का सेवन बिना कुछ सोचे समझे कर सकते हैं। एक्सपट्र्स का कहना है कि जो लोग इडली और अप्पे को और भी हेल्दी बनाना चाहते हैं वो इन्हें ओट्स से बना सकते हैं।इडली में कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, फैट्स, अमिनो एसिड और फाइबर की मात्रा अधिक होती है। इसके अलावा इडली में सोडियम भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह सभी चीजें हड्डियों और किडनी को स्वस्थ रखने में मदद करती है। इसलिए सेहत के लिहाज से इडली और अप्पे दोनों ही हेल्दी होते हैं।किन्हें नहीं खाना चाहिए इडली और अप्पेइडली और अप्पे फर्मेंटेड फूड्स होते हैं, अगर ज्यादा मात्रा में इसका सेवन किया जाए तो यह शरीर में सूजन, सिर दर्द का कारण बन सकते हैं। अगर पेट से संबंधित कोई समस्या है तो नाश्ते में इडली या किसी भी साउथ इंडियन फूड का सेवन करने से बचें।-----
- फिटकरी एक रंगहीन क्रिस्टलीय पदार्थ हैं। जिसका इस्तेमाल पानी को साफ करने के साथ-साथ आफ्टर शेव लोशन के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा दांतों को साफ करने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है। लेकिन इन सबके अलावा भी फिटकरी हमारे सेहत को कई तरह से फायदा पहुंचाता है। आइए जानते से फिटकरी से मिलने वाले कई और फायदें।1.एंटी एजिंग का काम करता है फिटकरीफिटकरी में एक प्राकृतिक एंटी एजिंग गुण मौजूद होते हैं। इसे पानी में भिगोकर चेहरे पर धीरे-धीरे लगाने से झुर्रियां दूर हो जाती है। इसके अलावा पिंपल्स से भी छुटकारा मिलता है। इसके साथ चेहरे पर मौजूद दाग धब्बे हट जाते हैं। इसे नियमित रूप से इस्तेमाल करके अपनी खूबसूरती को हमेशा के लिए बरकरार रख सकते हैं।2. शरीर और पसीने के बदबू को करता है दूरफिटकरी को पानी में डालकर नहाना अच्छा होता है। इससे शरीर पर जमी हुई गंदगी और कीटाणु खत्म हो जाते हैं। इसके साथ ही शरीर से निकलने वाले पसीने की बदबू को दूर करता है।3. दांतों के लिए फायदेमंदफिटकरी में एंटी बैक्टीरियल तत्व पाए जाते हैं। फिटकरी पाउडर से अगर आप दांतों की मसाज करते हैं तो सारे बैक्टीरिया मर जाते हैं। दांत दर्द दूर होता है। इसके साथ ही मुंह की बदबू भी खत्म हो जाती है। दांत चमकीले बनते हैं।3. यूरीन इंफेक्शन को करता है कमयूरीन संबंधी समस्या या इंफेक्शन से परेशान हैं तो फिटकरी इसे दूर करने में मदद कर सकता है। फिटकरी के पानी से यूरीन वाले हिस्से को साफ करना चाहिए। इससे इससे बैक्टीरिया खत्म हो जाएंगे और इंफेक्शन फैलने से रूक जाएगा।4. खांसी-बलगम से राहतसर्दी में जब खांसी और बलगम की समस्या हो तो फिटकरी से इसे दूर किया जा सकता है। शहद में फिटकरी का चूर्ण मिलाकर लेने से राहत मिलती है।5. घाव भरने का करती है कामफिटकरी से किसी भी चोट को ठीक करने में मदद मिलती है। अगर कही कट लग जाता है तो फिटकरी लगाने से खून रूक जाता है और इंफेक्शन नहीं फैलता है। हालांकि कुछ केस में फिटकरी से नुकसान भी होता है।आइए जानते हैं साइड इफेक्ट------------फिटकरी को सूंघने से गले और नाक में जलन होता है। खांसी, घरघराहट और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।-ज्यादा मात्रा में फिटकरी चेहरे पर लगाने से स्किन में जलन और रैशेज हो सकती है। इसके अलावा अगर पानी में मिलाई गई फिटकरी जब आंखों के संपर्क में आती है तो जलन होने की वजह बन सकती है।
- बारिश की बूंदे और हाथों में चाय की प्याली शायद ही कोई हो जिसे ये दोनों चीजें पसंद नहीं होती है। बरसात के मौसम में सबसे ज्यादा किसी चीज की तलब होती है वो गरमा गर्म चाय। वैसे तो हर घर में चाय बनाने के तरीके अलग होते हैं। ज्यादातर लोग अदरक वाली चाय पीना पसंद करते हैं। तो कुछ उसमें इलाइची डालकर पीते हैं। लेकिन हम आपके लिए लेकर आए हैं अदरक मसाला वाली चाय। चाय में तीन सीक्रेट मसाला डालकर आप चाय के स्वाद को और भी बढ़ा सकते हैं। आइए बता हैं चाय की बेहद आसान रेसिपी जो बारिश का मजा दोगुना कर देगा।अदरक मसाला चाय रेसिपी----------इस चाय को बनाने के लिए मसाला तैयार करना होगा।-दालचीनी, इलायची और लौंग लेकर इसे पीस लें।-अदरक को अलग से कूट लें।-एक सॉस पैन स्टोव पर रखें और पानी को उबाल लें। इसमें पहले अदरक डालकर उबाले और फिर स्वाद के अनुसार मसाला डाल दें।-इसके बाद चाय पत्ती डालें। अच्छी तरह उबाल आने पर चीनी डालें। जब चाय की पत्तियां रंग छोड़ दे तो फिर इसमें दूध डालें। उबाल आने पर इसे गैस से उतार लें।-इसके बाद चाय को छान लें और फैमिली के साथ इस टेस्टी चाय का आनंद लें।है ना अदरक मसाला चाय की आसान रेसिपी। आप चाहे तो दालचीनी, लौंग और इलाइची का पाउडर बनाकर स्टोर कर लें। जब जरूरत हो तो इसका इस्तेमाल कर सकती हैं।चाय का इतिहास----------चलिए इसके साथ चाय के इतिहास के बारे में भी थोड़ी सी जानकारी दे दें। भारत के चाय प्रेमी को लगता है कि इसका आविष्कार भारत में हुआ, जो कि गलत है। चाय का आविष्कार चीन में हुआ था। कहा जाता है कि करीब 2700 ईसापूर्व चीनी शासक शेन नुंग बगीचे में बैठे थे। वो गर्म पानी पी रहे थे। तभी एक पेड़ की पत्ती उस पानी में आ गिरी और उसका रंग बदल गया और खुशबू भी आई। राजा ने जब पत्ती वाला पानी पिया तो उन्हें बहुत पसंद आया। कहा जाता है इस तरह चाय का आविष्कार हुआ।
- लगभग हर प्रकार के खाने में लहसुन का इस्तेमाल किया जाता है। यह ना सिर्फ खाने में स्वाद को बढ़ाता है, बल्कि यह सेहत के हिसाब से भी बेहद फायदेमंद माना जाता है। दाल हो, सब्जी हो या चाइनीस डिश लहसुन का इस्तेमाल जरूर होता है। लेकिन लहसुन को छीलना बेहद टाइम टेकिंग काम होता है और इसे छीलने से उंगलियों में भी दर्द होने लगता है। ऐसे में आज हम आपको बताते हैं लहसुन छीलने के 6 आसान तरीके, जिसके जरिए आप झटपट लहसुन छील सकते हैं, वह भी बिना किसी मेहनत के...लहसुन छीलने का आसन तारीका1. लहसुन को छीलने का सबसे आसान तरीका यह है कि लहसुन की कली को एक कपड़े में रखें और अब कपड़े को ढ़ककर उसे जोर से हाथ से मलिए। आप चाहे तो बेलन से भी मल सकते हैं। आप देखेंगे अपने आप ही लहसुन का छिलका उतर जाता है और कचरा कपड़े में रह जाता है।2. लहसुन छीलने का तरीका जो काफी लोकप्रिय है उसमें आप लहसुन को बीच से काट लीजिए। अब उसे प्लेट के ऊपर रखें और ऊपर से चाकू की मदद से ठोके। आप देखेंगे कि अपने आप ही लहसुन की कलियां छिलकों से अलग हो जाएंगी।3. इसके अलावा लहसुन को छीलने के लिए आप इसे हल्का सा तवा पर गर्म कर लें। इससे इसके छिलके आसानी से उतर जाते हैं।4. अगर आप घर में माइक्रोवेव का इस्तेमाल करते हैं तो लहसुन को छीलने के लिए इसे 30 सेकेंड के लिए माइक्रोवेव कर लें और जब आप इसे बाहर निकालेंगे तो उसके छिलके आसानी से उतर जाएंगे।5. लहसुन छीलने का एक आसान तरीका यह भी है कि दो कटोरिओं के बीच में लहसुन को रखें और उस कटोरी को जोर-जोर से हिलाएं। आप देखेंगे कटोरी को खोलने के बाद इसके छिलके अपने आप ही उतरे मिल जाएंगे।6. लहसुन को छीलने के लिए आप इसे आधे घंटे पहले गर्म पानी में भिगोकर रख दें। इससे इसके छिलके आसानी से उतर जाते हैं और लहसुन में लगी धूल-मिट्टी भी निकल जाती है।
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शारीरिक संरचना और संतुलन को बेहतर बनाए रखने के लिए हड्डियों का स्वस्थ रहना बहुत आवश्यक माना जाता है। इसमें होने वाली किसी भी तरह की समस्या का असर पूरी सेहत को प्रभावित कर सकता है। हड्डियों की समस्या के कारण जीवनशैली के सामान्य कामकाज करने तक में दिक्कत हो सकती है, यही कारण है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को हड्डियों को स्वस्थ रखने वाले उपाय करते रहने की सलाह देते हैं।
कुछ वर्षों पहले तक हड्डियों की समस्या को उम्र बढ़ने के साथ होने वाली दिक्कतों के तौर पर देखा जाता था, हालांकि पिछले कुछ वर्षों में कम आयु के लोगों में भी इस तरह की दिक्कतों का निदान किया जा रहा है।
विशेषज्ञों की मानें तो पिछले कुछ वर्षों में लोगों में बढ़ी आहार और जीवनशैली की गड़बड़ आदतों ने कम उम्र में ही हड्डियों से संबंधित खतरों को बढ़ा दिया है। यही कारण है कि ज्यादातर लोगों में 30 साल की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते हड्डी के द्रव्यमान में कमी की समस्या देखी जा रही है। ये स्थितियां आगे चलकर ऑस्टियोपोरोसिस या आर्थराइटिस जैसी समस्याओं के जोखिम को बढ़ा देती हैं। हड्डियों को स्वस्थ रखने में आहार की विशेष भूमिका होती है, ऐसे में सभी लोगों को स्वस्थ और पौष्टिक चीजों के सेवन पर अधिक ध्यान देना चाहिए। आइए जानते हैं कि दैनिक जीवन और खान-पान की कौन सी खराब आदतें हड्डियों की समस्या को बढ़ा देती हैं, साथ ही इनसे कैसे बचाव किया जा सकता है?
बहुत अधिक प्रोटीन का सेवन
मांसपेशियों को स्वस्थ रखने और शरीर को बेहतर ढंग से काम करते रहने के लिए प्रोटीन वाली चीजों का सेवन करना बहुत आवश्यक माना जाता है, हालांकि यदि आप प्रोटीन का सेवन बहुत अधिक मात्रा में करते हैं तो इससे हड्डियों को नुकसान भी हो सकता है। बहुत अधिक मात्रा में प्रोटीन वाली चीजों के सेवन की स्थिति में शरीर को अधिक मात्रा में कैल्शियम का उत्सर्जन करना पड़ता है जिससे हड्डियों को यह आवश्यक खनिज पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पाता है। कैल्शियम की कमी हड्डियों को कमजोर कर देती है।
सेंडेंटरी लाइफस्टाल के नुकसान
सेंडेंटरी लाइफस्टाल यानी कि शारीरिक निष्क्रियता के शरीर पर कई प्रकार के दुष्प्रभाव हो सकते हैं, हड्डियों की समस्याएं भी इनमें से एक हैं। एक ही स्थान पर ज्यादा देर तक बैठे रहने या फिर घर के अंदर रहने की ही आदत आपके लिए मुश्किलें बढ़ा सकती है। यह आदत न सिर्फ शारीरिक निष्क्रियता को बढ़ाती है साथ ही आपका सूर्य के प्रकाश से संपर्क भी कम हो जाता है।
सूरज की रोशनी विटामिन-डी का अच्छा स्रोत है, जो कैल्शियम के अवशोषण के लिए आवश्यक है। ऐसे में घर से बाहर न जाने की आदत भी आपकी हड्डियों के लिए नुकसानदायक हो सकती है।
धूम्रपान से शरीर को होने वाले नुकसान
सोडियम वाली चीजों के अधिक सेवन को हाई ब्लड प्रेशर के कारक के तौर पर जाना जाता है, पर क्या आप जानते हैं कि इससे हड्डियों को भी नुकसान पहुंचता है। सोडियम के साथ-साथ धूम्रपान को भी हड्डियों के लिए नुकसानदायक माना जाता है। शोध के अनुसार, धूम्रपान करने वाली महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन का उत्पादन कम हो जाता है जिससे समय पहले रजोनिवृत्ति हो सकती है। यह स्थिति आपमें ऑस्टियोपोरोसिस जैसे हड्डियों के तमाम रोगों के जोखिम को बढ़ा देती है।
हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए क्या करें?
हरी सब्जियों का सेवन करें।
नियमित रूप से योग-व्यायाम की आदत बनाएं।
कैल्शियम और विटामिन-डी वाली चीजों का सेवन करें।
शराब-धूम्रपान से हड्डियों को नुकसान पहुंचता है, इससे परहेज करें।
हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए सूर्य के संपर्क में रहने की कोशिश करें। -
शरीर को व्यवस्थित ढंग से काम करते रहने के लिए कई प्रकार के पोषक तत्वों की नियमित रूप से आवश्यकता होती है। इन पोषक तत्वों के संतुलन में आने वाली कमी कई प्रकार की जटिलताओं का कारण बन सकती है। कॉपर ऐसा ही एक आवश्यक ट्रेस मिनरल है जो शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अति आवश्यक माना जाता है। कॉपर शरीर के सभी ऊतकों में पाया जाता है और मुख्यरूप से लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण और तंत्रिका कोशिकाओं तथा प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है।
यही कारण है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को आहार में उन चीजों को शामिल करने की सलाह देते हैं जिससे शरीर के लिए जरूरी सभी पोषक तत्वों की आसानी से पूर्ति की जा सके।
अध्ययनों से पता चलता है कि शरीर में कॉपर की अधिकता और कमी, दोनों ही स्थितियां शारीरिक कार्यों, विशेषकर मस्तिष्क के काम करने के तरीके को प्रभावित कर सकती है। जिन लोगों में कॉपर की कमी होती है उनमें मेनकेस और अल्जाइमर जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
आइए जानते हैं कि इसे कैसे प्राप्त किया जा सकता है, साथ ही कॉपर युक्त चीजों के सेवन से क्या लाभ हैं?
कॉपर वाले आहार
विशेषज्ञ बताते हैं कि आहार के माध्यम से आसानी से कॉपर की पूर्ति की जा सकती है। 20 वर्ष और उससे अधिक उम्र के पुरुषों को 1,400 माइक्रोग्राम और महिलाओं के लिए 1,100 माइक्रोग्राम की मात्रा में इस पोषक तत्व की रोजाना जरूरत होती है। कई प्रकार की सब्जियों जैसे कद्दू, आलू, टमाटर आदि से इसकी आसानी से पूर्ति की जा सकती है। इसके अलावा पत्तेदार साग जैसे स्विस चर्ड और पालक आसानी से आपके कॉपर की दैनिक आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं। आइए इससे होने वाले फायदों के बारे में जानते हैं।
गठिया से बचाव के लिए करें सेवन
हड्डियों से संबंधित समस्या जैसे गठिया या ऑस्टियोपोरोसिस रोगों से बचाव के लिए कॉपर वाले आहार का सेवन करना विशेष लाभप्रद हो सकता है। पशुओं पर किए गए अध्ययनों से संकेत मिलता है कि कॉपर युक्त आहार गठिया को रोकने में मदद कर सकते हैं। पहले लोग इसी कारण से तांबे के कंगन पहनते थे। आहार में इसकी मात्रा को सुनिश्चित करना बहुत आवश्यक माना जाता है। कॉपर की कमी की स्थिति में शरीर क्षतिग्रस्त ऊतकों को ठीक नहीं कर पाता है।
कैसा होना चाहिए आहार?
कॉपर हमारे शरीर के प्रमुख संरचनात्मक घटकों जैसे कोलेजन और इलास्टिन को व्यवस्थित बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वैज्ञानिकों ने अध्ययन में पाया कि कॉपर में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो त्वचा की उम्र बढ़ने को रोकने में मदद कर सकते हैं। कॉपर की कमी की स्थिति में शरीर क्षतिग्रस्त ऊतकों को ठीक नहीं कर पाता है।
प्रतिरक्षा प्रणाली की समस्या
शरीर की इम्युनिटी को बेहतर बनाए रखने के लिए कॉपर की महत्वपूर्ण आवश्यकता होती है। इसकी कमी के कारण न्यूट्रोपेनिया होने का खतरा बढ़ सकता है। न्यूट्रोपेनिया, सफेद रक्त कोशिकाओं या न्यूट्रोफिल की कमी की स्थिति है, ये संक्रमण से मुकाबले के लिए आवश्यक होता है। न्यूट्रोफिल में कमी के कारण व्यक्ति में संक्रामक रोग होने की आशंका काफी बढ़ जाती है। -
गर्मी में लोग स्किन और हाइड्रेशन की समस्याओं से परेशान रहते हैं, वहीं मॉनसून या बारिश के मौसम में इंफेक्शन जैसी प्रॉब्लम्स ज्यादा तंग करती हैं. इस मौसम में बैक्टीरिया तेजी से पनपता है और इस कारण फंगल इंफेक्शन होने के ज्यादा आसार बने रहते हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक मौसम में नमी होने के चलते ऐसा होता है. इस मौसम में फंगल इंफेक्शन के ज्यादा मामले कान में होते हैं. इसकी वजह कान में जमने वाली नमी है. बैक्टीरिया या फंगल के पनपने के लिए ये जगह सबसे ज्यादा बढ़िया होती है और वह धीरे-धीरे इंफेक्शन ( Ear infection ) को अधिक बढ़ा देते हैं. कान का इंफेक्शन होने पर ये दर्द के साथ-साथ बड़ी दिक्कत का कारण भी बन सकता है. अगर इसका इलाज न करवाया जाए, तो इस स्थिति में सुनने की क्षमता भी जा सकती है.
इस लेख में हम आपको कान में होने वाले इंफेक्शन के कारण, लक्षण और इससे राहत पाने के उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं. मॉनसून में इन उपायों को अपनाकर आप खुद को कान के इंफेक्शन से काफी हद तक सुरक्षित रख सकते हैं. जानें इनके बारे में…
इसके कारण
1. बारिश में भीगना: कई बार लोग मजबूरी या फिर अन्य कारणों से बारिश में भीग जाते हैं. बारिश में भीगने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन ये कान में ही नहीं शरीर के अन्य हिस्सों पर भी इंफेक्शन का कारण बन सकता है. कान में नमी के बाद इंफेक्शन का अहम कारण बैक्टीरिया स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया या हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा होता है. इस स्थित में यूटेशिय ट्यूब ब्लॉक होने लगती है और कान में द्रव का निर्माण होने लगता है. बारिश में ये द्रव नमी के साथ मिलकर इंफेक्शन को जन्म देता है.
2. साबुन का पानी: बारिश के मौसम में अगर नहाते समय साबुन का पानी कान में चला जाए, तो इस कारण भी इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. साबुन के संपर्क में आकर भी बैक्टीरिया इंफेक्शन को क्रिएट कर सकता है.
3. ठंडी चीजें: गर्मी में राहत देने वाली ठंडी चीजों को लोग मॉनसून में भी बड़े शौक से खाते हैं. ये ठंडी चीजें इंफेक्शन के होने का कारण बन सकती हैं. ठंडी चीजों को खाने की वजह से ग्रंथियों को नुकसान होता है और ऐसे में इंफेक्शन होने का खतरा बना रहता है.
लक्षण
अगर आपके कान में इंफेक्शन है, तो इस स्थिति में आपके काने से द्रव बाहर आएगा. साथ ही कान में दर्द होगा और ये सिर में दर्द की वजह भी बन सकता है. इतना ही नहीं अगर किसी को नींद नहीं आ रही हो, तो ऐसे में हो सकता है कि वह इस हेल्थ प्रॉब्लम की चपेट में हो.
उपाय
कान में इंफेक्शन के लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं और सुझाई गई दवा का सेवन करें. इसके अलावा आप मॉनसून में बाहर निकलते समय अपने कानों को रूई या कॉटन से बंद करके रख सकते हैं. ये तरीका कान में नमी नहीं बनने देगा. -
मॉनसून का मौसम गर्मियों से राहत दिलाता है. लेकिन ये कई बीमारियों को भी साथ लेकर आता है. मॉनसून में अक्सर दस्त, संक्रमण, फ्लू और सर्दी का खतरा काफी बढ़ जाता है. ऐसे में सावधानियां बरतना बहुत जरूरी है. ऐसे में जरूरी है कि आप अपनी डाइट (Monsoon Diet) में हेल्दी और पौष्टिक फूड्स शामिल करें. ये फूड्स हेल्दी रखने में मदद करते हैं. ये फूड्स आपको कई स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से बचाते हैं. मॉनसून में हेल्दी रहने के लिए आप डाइट में भुट्टा, अंडे, नारियल पानी और दही जैसे कई फूड्स शामिल कर सकते हैं. इसके अलावा आप कौन से फूड्स डाइट में शामिल कर सकते हैं आइए जानें.
भुट्टा या मकई
मॉनूसन के मौसम में उबला या भूना हुआ भुट्टा खाने का मजा ही अलग है. ये स्वादिष्ट होने के साथ बहुत ही हेल्दी भी होता है. इसमें कैलोरी कम मात्रा में होती है. इसमें फाइबर अधिक मात्रा में होता है. ये पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है. वजन घटाने में मदद करता है. मौसमी बीमारियों से बचाने का काम करता है. आप इसका सेवन कई तरीकों से कर सकते हैं. आप उबले, स्टीम्ड या भुने हुए भुट्टे का सेवन कर सकते हैं.
अंडे
अंडे में प्रोटीन भरपूर मात्रा में होता है. ये एक सुपरफूड के रूप में जाना जाता है. ये मांसपेशियों के निर्माण में मदद करता है. इसमें विटामिन भी होते हैं जैसे विटामिन बी12, बी2, ए और डी. इसके अलावा इसमें जिंक, आयरन और एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं. ये इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करते हैं. ये संक्रमण से बचाने में मदद करते हैं.
नारियल पानी
नारियल पानी हाइड्रेटेड रखने में मदद करता है. ये स्वस्थ रहने और बैक्टीरिया के संक्रमण से बचाने का काम करता है. नारियल पानी में इलेक्ट्रोलाइट्स की मात्रा अधिक होती है. ये शरीर से टॉक्सिन बाहर निकालता है. ये इम्युनिटी को बढ़ाता है. ये त्वचा और हृदय को स्वस्थ रखता है. इसमें विटामिन सी होता है. ये संक्रमण से बचाने का काम करता है.
मौसमी फल
इस मौसम में मौसमी फल का सेवन करें. डाइट में लीची, पपीता और नाशपाती आदि शामिल करें. ये कई बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं. इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं. ये हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखने और संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं. जामुन आयरन, फोलेट, पोटैशियम और विटामिन से भरपूर होता है. इसका सेवन करना चाहिए.
अदरक
अदरक एक बहुत ही बेहतरीन जड़ी बूटी है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट भरपूर होते हैं. ये सर्दी, खांसी, गले में खराश और शरीर में दर्द जैसी की बीमारियों से बचाने में मदद करती है. ये इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाती है.