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- सुबह सबसे पहले आपको खाली पेट 4 भीगे हुए बादाम खाने चाहिए. जिससे हमें कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं. बादाम में भरपूर मात्रा में विटामिन, मिनरल, एंटीऑक्सीडेंट्स, हेल्दी फैट्स आदि सबकुछ होता है, जिसकी शरीर को जरूरत हो सकती है. आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉ. अबरार मुल्तानी कहते हैं कि आप रात में एक कटोरी पानी में 4 बादाम भिगोकर रख दें और सुबह पेट साफ होने के बाद इन बादाम का छिलका उतारकर खा लें. इससे आपको निम्नलिखित फायदे प्राप्त होंगे. एक्सपर्ट के मुताबिक बादाम में विटामिन ई प्रचुर मात्रा में होता है. जो कि आपकी दिमागी क्षमता बढ़ाता है. इससे आपकी याद्दाश्त और सीखने की क्षमता बढ़ जाती है. इसके अलावा कई शोध में विटामिन ई का सेवन अल्जाइमर जैसी दिमागी समस्या को कम करने में भी मददगार देखा गया है.ग्लोइंग स्किन मिलती हैअगर आप ग्लोइंग स्किन पाना चाहते हैं, तो खाली पेट 4 भीगे हुए बादाम खाना फायदेमंद हो सकता है. इसमें विटामिन ई के साथ एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं, जो आपकी कोशिकाओं को डैमेज होने से बचाते हैं और झुर्रियां व बेजान त्वचा से राहत भी दिलाते हैं.वजन घटाने में मददगारडॉ. अबरार मुल्तानी के मुताबिक बादाम में प्रोटीन और फाइबर काफी होता है, जो पेट को देर तक भरा रखता है और अस्वस्थ चीजें खाने की आशंका कम कर देता है. इसके अलावा कई अध्ययन बताते हैं कि बादाम जैसे नट्स खाने से मेटाबॉलिज्म तेज हो जाता है और शरीर तेजी से फैट बर्न करता है.डायबिटीज से राहतडायबिटीज के मरीजों में अक्सर मैग्नीशियम की कमी देखी जाती है. मैग्नीशियम की कमी के कारण इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ जाता है, जिससे ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने लगता है. शरीर में इसकी पर्याप्त मात्रा ब्लड शुगर प्रोफाइल और मेटाबॉलिक सिंड्रोम को बेहतर बनाती है.
- बारिश का मौसम आते ही शुरुआत से ही बाजार में कुछ जगह भुट्टे नजर आने लगे हैं। आजकल तो वैसे भी भुट्टे न मिलने पर घरों में फ्रोजन कॉर्न का आसानी से उपयोग कर ही लिया जाता है क्योंकि ये आसानी से मिल तो जाता ही है साथ ही इसकी कीमत बहुत अधिक भी नहीं होती है। बारिश हो जाने पर मौसम में थोड़ी ठंडक घुल जाती है, ऐसे में लगता है कि पीने के लिए गर्मागर्म कोई सूप मिल जाए तो मजा ही आ जाए। टमाटर का सूप अधिकतर घरों में बनाया जाता है लेकिन यह अब बहुत कॉमन हो चुका है। ऐसे में आप घर पर कॉर्न सूप भी तैयार कर सकते हैं। ये सभी को अच्छा लगेगा।सामग्री-मक्के के दाने - 1 कटोरागाजर - 1प्याज - 1मैदा - 2 चम्मचबटर- 50 ग्रामकाली मिर्च पाउडर- आधा चम्मचनमक - स्वादानुसारथोड़ा सा विनेगरबनाने की विधि-मक्के के उबले हुए दाने या फ्रोजन भुट्टे के कुछ दाने पानी डालकर मिक्सर में पीस लें। अब नॉन स्टीक पैन रखें और उसमें मक्के के दाने, गाजर और प्याज डालकर 10 मिनट तक इन्हें पका लें। अब इन सब्जियों के साथ मक्के का पेस्ट डालकर थोड़ी देर और पकाएं। अब थोड़ा विनेगर और नमक डालें। थोड़ा पानी उबाल लें। अब इस पानी को सब्जियों में डाल लें और 2 चम्मच मैदा मिलाएं। ऊपर से काली मिर्च का पाउडर और बटर भी डालें और थोड़ी देर तक इन्हें पकने दें। जब यह मिलजुलकर एक जैसा हो जाए तो गैस को बंद कर दें। आपका सूप बनकर तैयार है।
- ड्रैगन फ्रूट मुख्य रूप से दक्षिण अमेरिका में पाया जाता है. ये एक तरह का फल है. ये बेल पर लगने वाला फल है. ये कैक्टेसिया परिवार से संबंधित है. ड्रैगन फ्रूट के तने गूदेदार और रसीले होते हैं. ये दो प्रकार का होता है. ये सफेद गूदे वाला और लाल गूदे वाला होता है. औषधि के रूप में भी ड्रैगन फ्रूट का इस्तेमाल किया जाता है. ये स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है. ड्रैगन फ्रूट में कई सारे पोषक तत्व होते हैं. इसमें फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट, मिनरल और विटामिन जैसे पोषक तत्व होते हैं. ये स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है. ड्रैगन फ्रूट में कैलोरी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फाइबर होता है. आप ड्रैगन फ्रूट का नियमित रूप से सेवन कर सकते हैं. ये सेहत के लिए काफी फायदेमंद है.वजन घटाने में मदद करता हैवजन घटाने के लिए आप अपनी डाइट में ड्रैगन फ्रूट भी शामिल कर सकते हैं. ये फैट बर्न करने में मदद करता है. ड्रैगन फ्रूट में कैलोरी कम होती है. आप नाश्ते के रूप में इसका सेवन कर सकते हैं. इससे आपको देर तक भरा हुआ महसूस होता है. ये अधिक खाने की इच्छा को कम करता है. ये वजन कम करने में आपकी मदद कर सकता है.सूजन को रोकता हैआप अगर क्रोनिक गठिया के दर्द से पीड़ित हैं, तो ड्रैगन फ्रूट का सेवन कर सकते हैं. ड्रैगन फ्रूट में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं. ये जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द में राहत दिलाने का काम करता है. गठिया रोग से पीड़ित लोगों को अक्सर डाइट में ड्रैगन फ्रूट शामिल करने की सलाह दी जाती है.त्वचा के स्वास्थ्य में सुधार करता हैड्रैगन फ्रूट त्वचा को हेल्दी रखने का काम करता है. ड्रैगन फ्रूट में विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है जो त्वचा के स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है. ड्रैगन फ्रूट के सेवन से मुंहासों को कम करने, ड्राई स्किन का इलाज करने के लिए और मुंहासों को कम करने के लिए इसका सेवन कर सकते हैं.पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने के लिएड्रैगन फ्रूट में फाइबर की मात्रा अधिक होती है. ये पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने का काम करता है. ये कब्ज और अन्य पाचन संबंधित समस्याओं को दूर रखने में मदद करता है.हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता हैड्रैगन फ्रूट लोगों के बीच लोकप्रिय होने का एक सबसे बड़ा कारण ये है कि ये हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है. ड्रैगन फ्रूट खाने से स्ट्रोक और हार्ट अटैक के खतरे को कम किया जा सकता है. फल के बीज शरीर को आवश्यक ओमेगा -3 और ओमेगा -6 फैटी एसिड देते हैं, जो हृदय स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं.ड्रैगन फ्रूट का सेवनड्रैगन फ्रूट का सेवन आप कई तरह से कर सकते हैं. इसकी स्मूदी और सलाद भी बना सकते हैं. ड्रैगन फ्रूट स्मूदी बनाने के लिए आपको 1 ड्रैगन फ्रूट, पुदीने के पत्ते और 1 कप दही की जरूरत होगी. इसके लिए आप ड्रैगन फ्रूट को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें या एक चम्मच लें और गूदे को निकाल लें. पुदीने की पत्तियां लें और काट लें. अब एक ब्लेंडर में दही डालें. तब तक ब्लेंड करें जब तक कोई गांठ न बने. मिश्रण को गिलास में डालें और बर्फ और ताजी पुदीने की पत्तियों के साथ परोसें.
- हेल्दी बॉडी के लिए प्रोटीन बहुत ही जरूरी तत्व है. यह हमारे मसल्स, स्किन, एन्जाइम्स और हॉर्मोंस के लिए एक बिल्डिंग ब्लॉक की तरह काम करता है. यही नहीं, ये सभी बॉडी टिश्यू के निर्माण में भी एक जरूरी एसेंशियल की तरह काम करता है. ऐसे में जब शरीर की जरूरत के हिसाब से पर्याप्त प्रोटीन इंटेक नहीं हो पाता तो इसे प्रोटीन डिफिशिएंसी कहा जाता है. हेल्थलाइन के मुताबिक, दुनियाभर में करीब एक अरब लोग प्रोटीन डिफिशिएंसी से जूझ रहे हैं. इनमें से अधिकतर लोग सेंट्रल अफ्रिका और साउथ एशिया से हैं . यह समस्या आमतौर पर बच्चों, बूढ़ों और मरीजों में देखने को मिलता है.प्रोटीन की कमी के ये हैं लक्षण-अगर आपके चेहरे, स्किन, पेट आदि में सूजन है तो हो सकता है कि आपके शरीर में प्रोटीन की कमी हो.-यदि तमाम प्रयासों के बाद भी बालों की खूबसूरती जा रही हो और बाल रूखे, बेजान हो रहे हों तो यह भी प्रोटीन की कमी के लक्षण हो सकते हैं.-शरीर में प्रोटीन की कमी की वजह से मांसपेशियां अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए हड्डियों से प्रोटीन सोखने लगती हैं. इससे हड्डियों में कमजोरी तो आती ही है, मांसपेशियों को अधिक ऊर्जा खर्च करना पड़ता है. इस वजह से मसल्स पेन की शिकायत देखने को मिलती है.-कैल्शियम की कमी के कारण नाखून बार-बार टूटते तो है और नाखूनों की सुंदरता कम होने लगती है. यही नहीं, कई बार नाखूनों में अंदर संक्रमण भी हो जाता है और ये काले और कमजोर हो जाते हैं.-प्रोटीन की कमी से हर समय थकान का अनुभव होता है. दरअसल प्रोटीन हमारे शरीर में ईंधन की तरह काम करता है और इसके अवशोषण से ही शरीर को एनर्जी मिलती है.-अगर आप तुरंत बीमार पड़ जाते हैं और आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है तो इसकी एक वजह प्रोटीन की कमी है.-कई बार हमारा शरीर अचानक से फूला हुआ और मोटा लगने लगता है जो दरअसल प्रोटीन की कमी के कारण हो सकता है. प्रोटीन की कमी से पर्याप्त ऊर्जा शरीर को नहीं मिल पाती और जिस वजह से उर्जा बनाने में अतिरिक्त तनाव होता है.टिश्यूज में प्रोटीन की कमी का प्रभाव-अगर शरीर में पर्याप्त प्रोटीन की आपूर्ति ना हो तो संक्रमित रोग और बैक्टीरिया-वायरस जनित दूसरी कई बीमारियां घेर लेती हैं.-प्रोटीन की कमी के कारण बच्चों की लंबाई बढ़ना रुक जाता है इसलिए प्रोटीन रिच फूड बच्चों के भोजन में जरूर शामिल करें.- प्रोटीन की कमी से हीलिंग प्रक्रिया कम हो जाती है. शरीर में रक्त का प्रभाव प्रभावित होता है और नई कोशिकाओं के निर्माण में देरी होती है.प्रोटीन की कमी को ऐसे करें दूरशरीर में प्रोटीन की कमी ना हो इसके लिए दूध और अंडा भोजन में जरूर शामिल करें. अगर आप नॉनवेज खाते हैं तो सप्ताह में तीन से चार दिन फिश या सीफूड खा सकते हैं. इसके अलावा प्रोटीन रिच फूड को अपने डाइट में शामिल करें.कितना प्रोटीन जरूरीहेल्थलाइन के मुताबिक, हर किसी की जरूरत के आधार पर ही प्रोटीन की जरूरत होती है. उदाहरण के तौर पर बॉडी वेट, फिजिकल एक्टिविटी, उम्र आदि. एक शोध में पाया गया कि प्रोटीन की सबसे ज्यादा जरूरत बुजुर्गों और एथलीट को होती है.
- अच्छे स्वास्थ्य के लिए दांतों का स्वस्थ और मजबूत होना बेहद जरूरी होता है। दांतों से जुड़ी समस्याएं बेहद तकलीफदेह भी होती है। दांतों का संक्रमण भी एक तकलीफदेह समस्या होती है। दांतों में संक्रमण होने से हमारे खानपान पर भी असर पड़ता है। दांतों में संक्रमण की स्थिति में अक्सर दांतों का दर्द भी शामिल होता है।कैसे होता है दांतों में संक्रमण?दांतों में संक्रमण की समस्या कई वजहों से हो सकती है। दांतों के दर्द की समस्या का समय पर इलाज न होने से भी दांतों में संक्रमण फैल जाता है। दांतों में घाव या दरार आदि की वजह से बैक्टीरिया अंदर चले जाते हैं और इससे भी दांतों में संक्रमण फैल सकता है। दांतों के संक्रमण में कई कारण होते हैं लेकिन सामान्यत: लोगों में इन कारणों की वजह से दांतों का संक्रमण होता है।- दांतों की उचित साफ-सफाई न होना।-मिठाई, सोडा आदि का अधिक सेवन।-मुंह सूखा रहना।-दांतों का पुराना दर्द।-दांतों के हिलने की समस्या।दांतों में इंफेक्शन होने पर कारगर 5 घरेलू नुस्खे1. एसेंशियल आयल का इस्तेमालएसेंशियल आयल का इस्तेमाल शरीर के लिए हर तरह से फायदेमंद माना जाता है। दांतों में संक्रमण होने पर आप लौंग, तुलसी या लेवेंडर के एसेंशियल आयल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इन तेलों के एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण दांतों के संक्रमण से लडऩे में हमारी मदद कर सकते हैं। इसका इस्तेमाल करते समय आप इसमें जैतून या नारियल का तेल मिलाकर इसे पतला कर लें और फिर इसका इस्तेमाल करें। दांतों पर आप इन्हें सीधे या फिर टूथब्रश के सहारे से लगा सकते हैं।2. नमक और पानी का कुल्लानमक और पानी का कुल्ला करने से मुंह में मौजूद तमाम कीटाणु और बैक्टीरिया खत्म होते हैं। आप आधा चम्मच सामान्य नमक लेकर उसे आधे गिलास हल्के गर्म पानी में मिलाएं और फिर इसे मुंह में लेकर लगभग 5 मिनट के लिए कुल्ला करें। सुबह के वक्त नियमित रूप से इसका कुल्ला करने से दांतों के इन्फेक्शन समेत कई समस्याओं में फायदा मिलता है।3. बेकिंग सोडाबेकिंग सोडा में जीवाणुरोधी गुण होते हैं जो कई प्रकार के संक्रमणों के इलाज में उपयोगी होते हैं। दांतों में संक्रमण की स्थिति में इसका इस्तेमाल करने के लिए बेकिंग सोडा का पेस्ट बना लें और इसे अपने दांतों और मसूढ़ों पर दिन में दो से तीन बार लगायें। कुछ देर तक इस पेस्ट को मुंह में घुमाने के बाद कुल्ला कर लें। संक्रमण ठीक होने तक इसका इस्तेमाल करें।4. लहसुनदांतों में संक्रमण की समस्या से छुटकारा पाने के लिए आप लहसुन के पेस्ट को दांतों और मसूढ़ों पर लगा सकते हैं।5. आयल पुलिंगदांतों के संक्रमण से छुटकारा पाने के लिए तेल का इस्तेमाल बेहद फायदेमंद होता है। इसके लिए आपको नारियल के तेल को मुहं में लगभग 20 मिनट तक रखकर घुमाना है। दो चम्मच नारियल का तेल लेकर इसे मुहं में इधर-उधर लगभग 15 से 20 मिनट के लिए घुमाएं और उसके बाद इसे थूक दें। ऐसा करने से संक्रमण की समस्या में फायदा मिलेगा। ध्यान रखें कि यह तेल पेट में ना जाएं।
- अब तक पपीता के सेवन के फायदे सुने होंगे, लेकिन क्या आप इसकी पत्तियों के फायदों के बारे में जानते हैं. जी हां, इसकी पत्तियां भी सेहत के लिए बेहद लाभकारी होती हैं. पपीता के पत्तों में पाए जाने वाले चमत्कारी गुण आपको न सिर्फ गर्मी से राहत देते हैं, बल्कि कई गंभीर बीमारियों से दूर भी रखते हैं.अगर आपको भूख नहीं लगती तो पपीते की पत्तियां आपकी मदद कर सकती हैं. इसके लिए आप पपीते के पत्ते के रस की चाय बनाकर पिएं, कुछ दिनों में ही आपकी खोई हुई भूख वापस आ जाएगी.मलेरिया से राहतजाने माने आयुर्वेद डॉक्टर अबरार मुल्तानी की मानें तो आयुर्वेद में पपीते की पत्तियों के जूस या अर्क का प्रयोग मलेरिया के इलाज के लिए भी किया जाता है. पपीते की पत्तियों में प्लाज्मोडीस्टैटिक प्रॉपर्टीज होती हैं जो मलेरिया के फीवर को कंट्रोल करने में मदद करता है. इसके अलावा इसमें 50 एक्टिव कॉम्पोनेंनट्स पाए जाते हैं, जो कि बैक्टीरिया, वायरस, फंगस, परजीवी और कैंसर सेल्स को खत्म करने में मदद करते हैं.डेंगू से राहतपपीते की पत्तियां डेंगू से राहत दिलाती हैं. डेंगू होने पर प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से गिरने लगती है. प्लेटलेट्स में कमी और तेज बुखार से शरीर टूटने जैसा महसूस होने लगता है. ऐसे में अगर पपीते के पत्ते का सेवन किया जाए तो प्लेटलेट्स की संख्या को तेजी से बढ़ोत्तरी होती है. पपीते में अल्कलॉइड, पेपैन जैसे कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है.पीरियड्स के दर्द से राहतआयुर्वेद डॉक्टर अबरार मुल्तानी के अनुसार, महिलाओं को पीरियड्स में होने वाले दर्द से जूझना पड़ता है. ऐसे में पपीते के पत्तियों का काढ़ा इस दर्द से निजात दिला सकता है. आप पपीते की पत्ती को इमली, नमक और पानी को मिक्स करके उबाल लें और फिर ठंडा करके पिएं, इससे जल्द ही आराम मिल जाएगा.बाल और त्वचा के लिएआयुर्वेद डॉक्टर अबरार मुल्तानी कहते हैं कि पपीते की पत्तियों का जूस पीने से स्किन और बाल की समस्याएं भी दूर रहती हैं. इसके सेवन से स्किन पर पिंपल, ऐक्ने आदि से छुटकारा मिलता है. इन पत्तियों को पीस कर आप बालों के स्कैल्प पर लगा सकते हैं जिससे डैंड्रफ भी दूर होता है.ऐसे तैयार करें पपीते की पत्तियों का काढ़ापपीते की पत्तियां लें और अच्छी तरह पानी से धोकर इन्हें जूसर में पीस लें.अब इसे छननी से छान लें.आप इसे कांच की बोतल में स्टोर कर फ्रिज में भी रख सकते हैं.ठंडा होने के बाद इसे पी लें.
- बारिश के मौसम में सर्दी-खांसी होना आम बात है, अगर ये लंबे समय तक रहे तो शरीर को कई बीमारियां हो सकती हैं. बारिश के मौसम में सूखी खांसी और जुकाम कुछ ज्यादा ही परेशान करते हैं, जो शरीर को बेहद कमजोर कर देती है. ऐसे में हम आपके लिए कुछ घरेलू उपाय लेकर आए हैं जिनको अपनाकर आप कुछ ही समय में सूखी खांसी और जुकाम से राहत पा सकते हैं. जाने माने आयुर्वेद डॉक्टर अबरार मुल्तानी कहते हैं कि अगर आप भी खांसी से परेशान हैं तो पिपली की गांठ को पीस लें और फिर इसमें एक चम्मच शहद मिला लें, फिर इसका नियमित सेवन करें. इससे सूखी खांसी ठीक हो जाएगी और आप राहत महसूस करेंगे.शहद का इस तरह करें इस्तेमालशहद कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है. इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण खांसी आदि दिक्कतें दूर करने में सहायक होते हैं. इसके अलावा गले में खराश खत्म करने में भी शहद मददगार हो सकता है. इसके लिए हर्बल चाय या नींबू पानी में दो चम्मच शहद मिला कर दिन में दो बार पिएं, आराम मिलेगा.नीलगिरी का तेल लाभकारीआयुर्वेद डॉक्टर अबरार मुल्तानी की मानें तो खांसी में राहत के लिए नारियल तेल के तेल में नीलगिरी तेल की कुछ बूंदें मिलाकर इससे छाती की मालिश करें. वहीं गर्म पानी में नीलगिरी के तेल की बूंदें मिलाकर भाप भी ले सकते हैं. इससे छाती हल्की होगी और सांस लेने में आसानी होगी.नमक का पानी फायदेमंदअगर आप भी सूखी खांसी से परेशान हैं तो नमक के गुनगुने पानी से गरारे करने से राहत मिलेगी. साथ ही गले को आराम मिलता है. नमक के पानी से गरारे करने पर फेफड़ों में जमा बलगम भी कम होता है. आप कप गुनगुने पानी में एक चौथाई नमक मिलाकर दिन में कई बार गरारे करें.अदरक का इस तरह करें उपयोगआयुर्वेद डॉक्टर अबरार मुल्तानी कहते हैं कि खांसी से निजात पाने के लिए अदरक भी कारगर है. यह कई औषधीय गुणों से भरपूर होती है. कालीमिर्च और अदरक की चाय पीने से आप खांसी की समस्या से निजात पा सकते हैं, हालांकि इसका सेवन सीमित मात्रा में ही करें.
- हींग की भारतीय भोजन में खास जगह है। अनेक व्यंजनों, अचार, चटनी आदि में तो इसका इस्तेमाल होता ही है, इसमें मौजूद कई पोषक तत्वों, एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटीबायोटिक गुणों की वजह से यह संक्रामक बीमारियों की रोकथाम में भी उपयोगी है। हींग में कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, केरोटीन, राइबोफ्लेविन और अच्छी मात्रा में प्रोटीन, फाइबर व कार्बोहाइड्रेट जैसे पोषक तत्त्व पाए जाते हैं जो हमें स्वस्थ रखते हैं।-गैस की समस्या में खाने के बाद आधा कप गुनगुने पानी या लस्सी में एक चुटकी हींग मिला कर पीना लाभकारी है। एक ग्राम भुनी हींग में अजवाइन और काला नमक मिला कर गर्म पानी के साथ लेने से गैस बननी बंद हो जाती है।-एक कप गर्म पानी में एक-चौथाई चम्मच सूखा अदरक पाउडर, एक-एक चुटकी काला नमक और हींग मिला कर पीने से पेट फूलने की समस्या पर काबू पाया जा सकता है।स्किन को ग्लोइंग बनाने के लिए कहीं भी बैठे-बैठे करें फेस योगासन-अपच से परेशान हैं तो एक-एक चम्मच सोंठ, काली मिर्च, करी पत्ता, अजवायन और जीरा मिला कर पीस लें। एक चम्मच तिल के तेल में चुटकी भर हींग भून कर इसमें मिलाएं। आखिर में थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाएं। इसे चावल के साथ खाने से आराम मिलेगा।-केले के गूदे या जरा-से गुड़ में हींग रख कर खाने से उल्टी, डकार और हिचकी बंद हो जाती है।-एक कप गर्म पानी में थोड़ी-सी हींग डाल कर उबालें। इस पानी में कपड़ा भिगो कर पेट की सिंकाई करें। पेट दर्द या अफरने पर अजवायन और नमक के साथ चुटकी भर हींग मिला कर खाएं।-मसूड़ों से खून बहने और दंत क्षय की स्थिति में एक कप पानी में हींग का छोटा टुकड़ा और एक लौंग उबालें। गुनगुना होने पर इस पानी से कुल्ला करने पर आराम मिलेगा।-दाग-धब्बों, पिंपल्स जैसी त्वचा की समस्याओं में हींग का उपयोग काफी मददगार साबित होता है। एक चुटकी हींग पाउडर में पानी मिला कर बने पेस्ट को मास्क की तरह नियमित रूप से पिंपल्स पर लगाएं।-शरीर के किसी हिस्से में कांटा चुभने पर वहां हींग का घोल भर दें। कुछ समय में कांटा अपने आप बाहर निकल आएगा और दर्द से भी तुरंत आराम मिलेगा।
- स्वाद के साथ फायदों की खान है आम। जी हां, आम को फलों का राजा माना जाता है। गर्मियां तो बिना आम के सेवन अधूरी है। आप कोई भी फल खा लें लेकिन आम को अपनी फ्रूट बास्केट में शामिल करना न भूलें। स्वाद के साथ आम खाने के कई फायदे हैं। आइए, जानते हैं 10 फायदे-कैंसर से बचावआम में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट कोलोन कैंसर, ल्यूकेमिया और प्रोस्टेट कैंसर से बचाव में फायदेमंद है। इसमें क्यूर्सेटिन, एस्ट्रागालिन और फिसेटिन जैसे ऐसे कई तत्व होते हैं जो कैंसर से बचाव करने में मददगार होते हैं।आंखें रहती हैं चमकदारआम में विटामिन ए भरपूर होता है, जो आंखों के लिए वरदान है। इससे आंखों की रौशनी बनी रहती है।कोलेस्ट्रॉल नियमित रखने मेंआम में फाइबर और विटामिन सी खूब होता है। इससे बैड कोलेस्ट्रॉल संतुलन बनाने में मदद मिलती है।त्वचा के लिए है फायदेमंदआम के गुदे का पैक लगाने या फिर उसे चेहरे पर मलने से चेहरे पर निखार आता है और विटामिन सी संक्रमण से भी बचाव करता है।पाचन क्रिया को ठीक रखने मेंआम में ऐसे कई एंजाइम्स होते हैं जो प्रोटीन को तोड़ने का काम करते हैं। इससे भोजन जल्दी पच जाता है। साथ ही इसमें उपस्थित साइर्टिक एसिड, टरटैरिक एसिड शरीर के भीतर क्षारीय तत्वों को संतुलित बनाए रखता है।मोटापा कम करने मेंमोटापा कम करने के लिए भी आम एक अच्छा उपाय है। आम की गुठली में मौजूद रेशे शरीर की अतिरिक्त चर्बी को कम करने में बहुत फायदेमंद होते हैं। आम खाने के बाद भूख कम लगती है, जिससे ओवर ईटिंग का खतरा कम हो जाता है।रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने मेंआम खाने से शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता में भी इजाफा होता है।सेक्स क्षमता बढ़ाने मेंआम में विटामिन ई अधिक पाया जाता है और इससे सेक्स क्षमता बढ़ती है। साथ ही ये पौरुष बढाने वाला फल भी माना गया है।स्मरण शक्ति में मददगारजिन लोगों को भूलने की बीमारी हो उन्हें आम का सेवन करना चाहिए। इसमें पाया जाने वाला ग्लूटामिन एसिड नामक एक तत्व स्मरण शक्ति को बढ़ाने में उत्प्रेरक की तरह काम करता है। साथ ही इससे रक्त कोशिकाएं भी सक्रिय होती हैं। इसीलिए गर्भवती महिलाओं को आम खाने की सलाह दी जाती है।गर्मी से बचावगर्मियों में अगर आपको दोपहर में घर से बाहर निकलना है तो एक गिलास आम का पना पीकर निकलिए। न तो आपको धूप लगेगी और न ही लू। आम का पना शरीर में पानी के स्तर को संतुलित बनाए रखता है।
- आजकल सदियों पुरानी मड थेरेपी का काफी चलन बढ़ गया है। आखिर ये मड थेरेपी है क्या? आसान भाषा में मिट्टी से शरीर पर लेप को मड थेरेपी कहते हैं। इस थैरेपी से हमारी त्वचा फ्रैश फील करती है और हर पल जवां नजर आती है. यह थैरेपी फाइन लाइन और झुर्रियों के खिलाफ भी कारगर है। दरअसल, महिला हो या पुरुष हर कोई अपनी त्वचा के लिए संवेदनशील होता है, कोई नहीं चाहता है कि वह कम उम्र में बूढ़ा दिखने लगे। इसीलिए अगर आप एंटी एजिंग की समस्या से छुटकारा पाना चाहते हैं तो मड थैरेपी आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है. नीचे जानिए इसके फायदे...क्या है मड थेरेपीआसान भाषा में मिट्टी से शरीर पर लेप को मड थेरेपी कहते हैं। नेचुरोपैथी यानी प्राकर्तिक चिकित्सा में मिट्टी की पट्टी या मिट्टी के लेप के ज़रिये कई रोगों का इलाज किया जाता है। इस थेरेपी के ज़रिये मिट्टी को शरीर के किसी एक हिस्से या पूरे शरीर में इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि इस थेरेपी के ज़रिये कई रोगों का इलाज किया जाता है, लेकिन यह स्किन रिलेटिड प्रॉब्लम्स और डिप्रेशन को दूर करने में कारगर मानी जाती है। खास बात ये है कि ये पूरी तरह से केमिकल फ्री और साफ होती है।जमीन के 5 फीट नीचे से निकालते हैं मिट्टीमड थेरपी के लिए खास तरह की मिट्टी का उपयोग किया जाता है, जो जमीन के लगभग चार-पांच फिट नीचे से निकाली जाती है। इस मिट्टी में एक्टिनोमाइसिटेस नाम का जीवाणु पाया जाता है, जो कि मौसम के अनुसार अपना रूप बदलता है और जब ये पानी के साथ मिल जाता है तो इसमें कई तरह के बदलाव होते हैं। इसी की वजह से मिट्टी के गीले होने पर इसमें मनमोहक ख़ुश्बू भी महसूस होती है।मड थेरेपी के अन्य फायदे-मड थेरेपी लेने से स्किन रिलेटेड जिन दिक्कतों को दूर किया जा सकता है।-मड थेरेपी से झुर्रियां, मुंहासे, त्वचा का रूखापन, दाग-धब्बे, सफेद दाग, कुष्ठ रोग से राहत मिलती है।- मड थेरेपी लेने से स्किन में ग्लो बढ़ता है, स्किन में कसाव आता है और स्किन सॉफ्ट भी होती है।-मड थेरेपी से पाचन शक्ति में सुधार आता है। आंतों की गर्मी दूर होती है।-डायरिया और उल्टी जैसी दिक्कत दूर होती है।-ये कब्ज़, फैटी लीवर, कोलाइटिस, अस्थमा, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, डायबिटीज को दूर करने में मदद करती है।
- स्वास्थ्य के लिहाज से नट्स और सीड्स को डाइट में शामिल करना काफी लाभदायक होता है. इन स्वास्थ्य लाभों को प्राप्त करने के लिए आप भी मुट्ठी भर सूरजमुखी के बीजों का हर रोज सेवन कर सकते हैं. जिनमें भारी मात्रा में प्रोटीन, फाइबर, विटामिन ई जैसे पौष्टिक तत्व प्राप्त होते हैं. मधुमेह और उच्च रक्तचाप के रोगियों को सूरजमुखी के बीजों का सेवन (Sunflower Seeds benefits) जरूर करना चाहिए. सूरजमुखी के फूल का साइंटिफिक नाम Helianthus Annuss है, सूरजमुखी के एक फूल के सिर से करीब 2000 सूरजमुखी के बीज प्राप्त किए जा सकते हैं. जिनकी ऊपरी परत काले रंग की होती है और उनपर सफेद धारी बनी होती है. सूरजमुखी के बीज आमतौर पर ड्राई और रोस्टेड (सूखे और भुने हुए) खाए जाते हैं. आइए सूरजमुखी के बीज के फायदे (surajmukhi ke bij ke fayde) जानते हैं.सूरजमुखी के बीजों में मौजूद पोषणटोटल फैट- 14 ग्रामप्रोटीन- 5.5 ग्रामफाइबर- 3 ग्रामकार्ब्स- 6.5 ग्रामसूरजमुखी के बीजों से मिलने वाले फायदेआयुर्वेदिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. अबरार मुल्तानी का कहना है, "सूरजमुखी के बीजों में स्वास्थ्य का खजाना छिपा हुआ है. जिससे डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर (हाई बीपी) और हार्ट डिजीज के रोगियों को काफी फायदा पहुंचता है. अगर आपको सर्दी-जुखाम जैसी समस्या होती रहती है, तो भी सूरजमुखी के बीज का नियमित सेवन आपके लिए अच्छा हो सकता है." आइए इसके फायदे जानते हैं.मधुमेह रोगी (डायबिटिक पेशेंट)आयुर्वेदिक एक्सपर्ट के मुताबिक मधुमेह रोगी को रोजाना मुट्ठी भर सूरजमुखी के बीज का सेवन करना चाहिए. सूरजमुखी के बीज में अपने पौधे से क्लोरोजेनिक एसिड कंपाउंड का प्रभाव आता है. जो कि ब्लड शुगर के स्तर को कम करने में असरदार देखा गया है. कई शोध में सामने आया है कि सूरजमुखी के बीजों को कार्ब्स रिच फूड्स के साथ खाने से हमारे शरीर पर होने वाला कार्ब्स का प्रभाव कम किया जा सकता है. इन बीजों में मौजूद प्रोटीन और फैट देर से पचते हैं, जिससे शुगर और कार्ब्स का उत्पादन बहुत धीमी गति से होता है.दिल का स्वास्थ्यसूरजमुखी के बीजों में हेल्दी फैट्स का भरपूर (Healthy Fats Source Foods) मात्रा होती है. इसकी 30 ग्राम मात्रा में 9.2 ग्राम पॉलीअनसैचुरेटेड फैट और 2.7 ग्राम मोनोअनसैचुरेटेड फैट होता है. कई शोध के मुताबिक, सूरजमुखी के बीज जैसे हेल्दी फैट्स से युक्त बीजों का सेवन करने से हाई कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol), हाई बीपी (High BP) और दिल के रोगों का खतरा (Heart Disease Risk) कम हो सकता है.इंफ्लामेशन कम करता हैएक्सपर्ट डॉ. अबरार मुल्तानी के अनुसार, क्रॉनिक इंफ्लामेशन के कारण अर्थराइटिस (Arthritis), जोड़ों में दर्द (Joint Pain Home Remedy) आदि समस्याएं हो सकती हैं. जिससे राहत पाने के लिए एंटी-इंफ्लामेटरी गुण प्रदान करने वाले सूरजमुखी के बीजों का सेवन किया जा सकता है. इसमें विटामिन ई, फ्लेवोनोइड्स और अन्य तत्व होते हैं, जो शरीर में इंफ्लामेशन को कम करते हैं.मजबूत इम्यून सिस्टमअगर इम्यून सिस्टम कमजोर होने के कारण आपको बार-बार सर्दी-जुखाम जैसी समस्या होती है, तो आपको सूरजमुखी के बीज का सेवन करना चाहिए। इसमें मौजूद जिंक, सेलेनियम और अन्य पौष्टिक तत्व इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने और इंफ्लामेशन, संक्रमण आदि से लड़ने में मदद करते हैं.
- मौजूदा समय में लोगों की सबसे बड़ी प्रथामिकता है- सेहत को ठीक रखना और इम्यूनिटी बढ़ाना। आप भी निश्चित ही तमाम प्रकार के उपायों को प्रयोग में लाकर स्वास्थ्य को ठीक रखने के प्रयास में लगे होंगे। आहार और पोषण विशेषज्ञों की मानें तो सेहत को ठीक रखने के लिए सभी लोगों के लिए रोजाना ड्राई-फ्रूट्स का सेवन करना चाहिए। इनमें कई ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर के लिए कई तरह से फायदेमंद साबित हो सकते हैं।इस लेख में हम सेहत के लिए बेहद फायदेमंद अखरोट के बारे में बताने जा रहा हैं। आहार विशेषज्ञों के मुताबिक अखरोट, शरीर के लिए बेहद फायदेमंद सुपरफूड है जो हृदय, मस्तिष्क और आंत को स्वस्थ रखने के साथ शरीर में आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति कर सकता है। इसका नियमित सेवन कई गंभीर रोगों में लाभदायक हो सकता है। आइए इस लेख में विस्तार से इससे होने वाले फायदों को समझते हैं।अखरोट के फायदेपोषण विशेषज्ञों के मुताबिक सभी लोगों को रोजाना कम से कम सात अखरोट (28 ग्राम) का सेवन करना चाहिए। यह करीब एक मुट्ठी की मात्रा के बराबर है। करीब 28 ग्राम अखरोट में 4 ग्राम प्रोटीन, 2 ग्राम फाइबर और 2.5 ग्राम ओमेगा-3 की मात्रा पाई जाती है। यह सभी पोषक तत्व शरीर के लिए बेहद फायदेमंद और आवश्यक हैं। अखरोट का सेवन वजन को नियंत्रित करने, भूख को शांत करने और शरीर के कई अंगों के लिए बेहद लाभकारी हो सकता है। आइए अध्ययन आधारित इन फायदों के बारे में जानते हैं।डायबिटीज रोगियों के लिए बेहद फायदेमंदइंटरनेशनल जर्नल ऑफ एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, डायबिटीज रोगियों के लिए अखरोट का सेवन काफी लाभदायक हो सकता है। विशेषकर टाइप-2 डायबिटीज के रोगियों के लिए अखरोट के तेल का सेवन फायदेमंद माना जाता है। यह रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में काफी मददगार है। इसके अलावा डायबिटीज रोगियों के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्व इससे प्राप्त किए जा सकते हैं।कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता हैअखरोट को स्वस्थ वसा का समृद्ध स्रोत माना जाता है। अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, रक्त लिपिड, एपोलिपोप्रोटीन और रक्तचाप को नियंत्रित रखने के लिए इस ड्राई फ्रूट का सेवन फायदेमंद हो सकता है। अखरोट में कोलेस्ट्रॉल को कम करने के गुण पाए जाते हैं। यह शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में सहायक है, जिससे हृदय की गतिविधियां सुचारू बनी रहती हैं।
- जामुन की गुठली के फायदे. अप्रैल से जुलाई के महीने तक उपलब्ध रहने वाला जामुन किसी औषधि से कम नहीं है. आयुर्वेद के अनुसार, जामुन डायबीटीज के मरीजों के लिए बेहतरीन औषधि है. जाने माने आयुर्वेद डॉक्टर अबरार मु्ल्तानी के अनुसार जामुन की गुठली को सुखाकर उनका पाउडर बनाया जाता है. इस पाउडर को खाली पेट लेने डायबीटीज या मधुमेह जैसी बीमारी में अत्यधिक लाभ मिलता है. इससे शुगर कंट्रोल में रहती है और अपनी लाइफ को पूरी तरह इंजॉय कर पाते हैं.ऐसे करें जामुन की गुठलियों का सेवनजामुन की गुठलियों से पाउडर बनाना बेहद आसान है.सबसे पहले जामुन खाने के बाद इसकी गुठलियों को धो लें.इन्हें हल्के कपड़े से ढककर धूप में सुखा लेंजब गुठलियां सूख जाएं तो इनको टुकड़ों में तोड़ लेंइसके लिए अदरक कूटने के मूसल का भी इस्तेमाल कर सकते हैंजब ये गुठलियां छोटे टुकड़ों में टूट जाएं तो इन्हें मिक्सी में पीसकर पाउडर बना लेंइस पाउडर को सुबह खाली पेट पानी के साथ लें.पथरी के रोगियों के लिए लाभकारीडॉक्टर अबरार मुल्तानी के अनुसार, जामुन का पका हुआ फल पथरी के रोगियों के लिए रोग निवारक दवा है. अगर पथरी बन भी गई तो इसकी गुठली के चूर्ण का प्रयोग दही के साथ करने से लाभ मिलता है. जामुन का लगातार सेवन करने से लीवर में काफी सुधार होता है. उल्टी होने पर जामुन का रस सेवन करेंमुंहासों की समस्या से राहतडॉक्टर अबरार मुल्तानी कहते हैं कि अगर आपको भूख नहीं लगती तो जामुन का सेवन लाभदाक होता है. मुंहासे होने पर जामुन की गुठलियों को सुखाकर पीस लें. इस पावडर में थोड़ा सा गाय का दूध मिलाकर मुंहासों पर रात को लगा लें, सुबह ठंडे पानी से मुंह धोएं लाभ मिलेगा. यह योनि के ph को नियंत्रित करती है, इसलिए जामुन की गुठली लुकोरिया या अन्य प्रदर रोगों में भी लाभकारी हैं.
- मखाना वजन में जितना हल्का होता है, इसके फायदे उतने ही वजनदार होते हैं. वैसे तो इसकी गिनती ड्राई फ्रूट्स के तौर पर होती है, लेकिन आजकल ये लोगों को फेवरेट स्नैक्स भी बन चुका है. कुछ लोग इसे घी में भूनकर, खीर बनाकर, मिठाइयों में ड्राई फ्रूट्स के तौर शामिल करके सेवन करते हैं. मखाने का नियमित सेवन करने से आप कई गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं.क्या कहते हैं डॉक्टरमखाने में कोलेस्ट्रॉल, फैट और सोडियम की मात्रा कम होती है, जबकि मैग्नेशियम, कैल्शियम, कार्ब्स और अच्छे प्रोटीन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. इसके अलावा मखाना ग्लूटेन फ्री होता है. आयुर्वेद डॉक्टर अबरार मुल्तानी की मानें तो यदि 4 से 5 मखाने रोजाना खाली पेट खा लिए जाएं तो शरीर को कई तरह के फायदे मिलते हैं.कम करता है बेली फैटआयुर्वेद डॉक्टर अबरार मुल्तानी के अनुसार, मखाने की मदद से आप पेट की चर्बी कम कर सकते हैं. वे कहते हैं कि जो लोग बेली फैट से परेशान हैं उन्हें डाइट में मखाना जरूर शामिल करना चाहिए, क्योंकि इसमें फैटी की मात्रा न के बराबर होती है जबकि मखाने को गुड फैट्स का सोर्स माना जाता है. साथ ही, इसमें कैलोरीज भी कम होती हैं, ऐसे में इसके सेवन से तोंद कम करना आसान हो जाता है.मखाने खाने से किडनी से विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं और किडनी स्वस्थ्य बनी रहती है.मखाने में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम होता है, इसलिए ये हड्डियों को मजबूत करने का काम करता है.प्रेगनेंट महिला को मखाने की खीर बनाकर खानी चाहिए. इससे मां की सेहत बेहतर होती है.डायबिटीज के रोगी रोजाना खाली पेट 4 से 5 मखाने नियमित रूप से खाएं तो उनकी शुगर नियंत्रित होती है.कैसे करें सेवनमखाने को आप कई तरीकों से डाइट में शामिल कर सकते हैं.आप चाहें तो इसे हल्का भूनकर कम नमक के साथ स्नैक्स के रूप में खा सकते हैंमखाने की सब्जी भी स्वादिष्ट होती हैमखाने की खीर भी लोगों को पसंद आती है.आप चाहें तो इसमें किशमिश और बादाम डालकर इसका न्यूट्रिशनल वैल्यू बढ़ा सकते हैं.
- मनुष्य को सेहत का ख्याल रखना बेहद अहम है. खासकर फेफड़ों का स्वस्थ्य होना जरूरी है ।डाइट एक्पसर्ट डॉक्टर रंजना सिंह कहती हैं कि फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए हेल्दी डाइट (Healthy Diet) जरूरी है. हालांकि कुछ ऐसी चीजें हैं भी हैं, फेफड़ों को कमजोर बनाती हैं, उनसे आप जितना जल्दी हों दूरी बना लें. धूम्रपान और तंबाकू के अलावा प्रोसेस्ड मीट, शुगर वाली ड्रिंक और अधिक शराब पीने के कारण भी आपके लंग्स डैमेज हो सकते हैं. इसलिए इनका सेवन न करें.इन चीजों से बना लें दूरीनमक का सेवन कम करेंडाइट एक्पसर्ट डॉक्टर रंजना सिंह के अनुसार, नमक स्वास्थ्य के लिए जरूरी माना जाता है, लेकिन एक सीमित मात्रा में. अधिक मात्रा में नमक का सेवन फेफड़ों की समस्याओं को बड़ा सकता है. इसलिए फेफड़ों को हेल्दी रखने के लिए नमक का कम सेवन करें.शुगर वाले ड्रिंक्स का सेवन न करेंफेफड़ों के लिए शुगर वाले ड्रिंक्स नुकसानदेह होते हैं, क्योंकि, इससे वयस्कों में ब्रोंकाइटिस होने की संभावना रहती है. ऐसे में शुगर वाले ड्रिंक्स के सेवन से बचना चाहिए. इसकी जगह आप पानी का ज्यादा सेवन करें.प्रोसेस्ड मीट से बना लें दूरीप्रेसेस्ड मीट फेफड़ों के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं माना जाता, क्योंकि, इसे प्रीजर्व रखने के लिए नाइट्राइट नामक तत्व मिलाया जाता है, जिससे फेफड़ों में सूजन और तनाव की स्थिति पैदा होती है. ऐसे में प्रोसेस्ड मीट जैसे बेकन, हैम, डेली मांस और सॉसेज आदि खाने से बचना चाहिए.डेयरी प्रोडक्ट्स का लिमिट में करे सेवनवैसे तो डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे दूध, दही और पनीर सेहत के लिए काफी लाभदायक होते हैं, लेकिन जब आप इनका अधिक सेवन करने लगते हैं तो यह फेफड़ों के लिए नुकसानदायक हो जाते हैं. इसलिए डेयरी प्रोडक्ट्स का अधिक सेवन न करेंअधिक शराब का सेवन नुकसानदायकडाइट एक्पसर्ट डॉक्टर रंजना सिंह की मानें तो शराब फेफड़ों के लिए नुकसानदायक होती है. इसमें मौजूद सल्फाइट अस्थमा के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं. शराब में इथेनॉल भी मौजूद होते हैं, जो फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. ऐसे में आपको अधिक शराब के सेवन से बचना चाहिए.
- खराब लाइफस्टाइल और अनहेल्दी डाइट के चलते लोग हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन के शिकार हो जाते हैं। हाई ब्लड प्रेशर होने पर नसों की दीवारों पर रक्त का दबाव बढ़ जाता है। अगर समय रहते इस बीमारी के मरीजों का इलाज नहीं किया गया तो यह हृदय रोगों को बढ़ावा दे सकता है.क्या है हाइपरटेंशनहाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप, जिसे कभी कभी धमनी उच्च रक्तचाप भी कहते हैं, एक पुरानी चिकित्सीय स्थिति है, जिसमें धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है. दबाव की इस वृद्धि के कारण, रक्त की धमनियों में रक्त का प्रवाह बनाये रखने के लिये दिल को सामान्य से अधिक काम करने की आवश्यकता पड़ती है। विशेषज्ञों के अनुसार हाई ब्लड प्रेशर के इलाज में डाइट से जुड़े कई बदलाव करने पड़ते है, जिनमें सबसे पहले है खाने में नमक की मात्रा कम कर देना। इसके अलावा इस बीमारी में अपने खानपान पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है. इस बीमारी के मरीजों के लिए नमक कम से कम खाना है। सलाद, दही, रायता बिना नमक के खाना चाहिए. आप सेंधा नमक कम मात्रा में खा सकते हैं।इन चीजों का सेवन जरूरीहरी सब्जियों का सेवन करेंहाई ब्लड प्रेशर के रोगियों को अपनी डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियों को जरूर शामिल करना चाहिए. क्योंकि यह अतिरिक्त सोडियम से निजात दिलाने का काम करती हैं। पोषक तत्वों से भरपूर हरी सब्जियां हार्ट को भी स्वस्थ रखती हैं। हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखने के लिए डाइट में पालक, गोभी, केले, सौंफ और लेट्यूस को जरूर शामिल करें।दही का सेवन भी जरूरीदही हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखने में मदद कर सकता है। इसलिए हाई बीपी के मरीजों को दही का सेवन जरूर करना चाहिए। दही में लो फैट होता है, जिसके चलते यह वजन को भी कंट्रोल में रखती है। यह कैल्शियम से भरपूर होती है और हड्डियों को मजबूत बनाता है।ओट्स का सेवन भी जरूरीहाई ब्लड प्रेशर के मरीज सुबह ब्रेकफास्ट में ओट्स का सेवन जरूर करें।यह सेहत के लिए बहुत ही अच्छा होता है, क्योंकि इसमें फा इबर की मात्रा ज्यादा होती है, जो यह शरीर में हॉर्मोन्स का बैलेंस सही रखता है और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखता है।कीवी को डाइट में शामिल करेंसुपरफूड कीवी सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। इसका सेवन करने से ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखने में मदद मिलती है। ये सेहत के साथ साथ बालों और स्किन के लिए भी बहुत अच्छा होता है। यह डाइजेशन को सुधारता है और इम्यूनिटी को मजबूत बनाता है। कोरोना काल में इसे खाने की सलाह भी दी जा रही है।लहसुन को खाना जरूरीहाई ब्लड प्रेशर के मरीज लहसुन को अपनी डाइट में जरूर शामिल करें। यह ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में मदद करता है। हाई बीपी के रोगी सुबह-सुबह पानी के साथ कच्चे लहसुन का सेवन कर सकते हैं।--
- आप शुगर पेशेंट हैं या फिर शारीरिक कमजोरी से जूझ रहे हैं तो ये खबर आपके काम की है. इस खबर में हम लेकर आए हैं कद्दू के बीज के फायदे. जी हां. कद्दू के बीज सेहत के लिए बेहद लाभकारी होते हैं. इनका नियमित सेवन करने से आप गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं. यह बीज पुरुषों के लिए बेहद लाभदायक होते हैं. जाने माने आयुर्वेद डॉक्टर अबरार मुल्तानी के अनुसार, कद्दू के बीज विटामिन K और विटामिन A से भरपूर होते हैं. एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर ये बीज फ्री रेडिकल से बचाव करते हैं और शरीर को कई गंभीर बीमारियों से बचाकर रखते हैं.शुगर पेशेंट के लिए फायदेमंदआयुर्वेद एक्सपर्ट अबरार मुल्तानी की मानें तो कद्दू के बीच इंसुलिन की मात्रा को संतुलित करने में मदद करते हैं. ऐसे में यह बीज मधुमेह के रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं. सोने से पहले कद्दू के कुछ बीज खाने से नींद जल्दी आती है. इनका सेवन करने से तनाव भी कम रहता है.कद्दू में क्या-क्या पाया जाता है?कद्दू के बीज में पाए जाने वाले तत्वों की बात करें तो इसमें विटामिन बी6. फाइबर, फोलेट, विटामिन ए, विटामिन सी, पोटेशियम, कॉपर, मैग्नीशियम और विटामिन ई आदि पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में होते हैं. इसके सेवन से इम्यून सिस्टम बूस्ट होना है और त्वचा समेत बालों की खूबसूरती बढ़ती है.पुरुषों के लिए फायदेमंदअबरार मुल्तानी के अनुसार, कद्दू के बीज पुरुषों के यौन स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने में अहम भूमिका निभाते हैं. पुरुषों में प्रोस्टेट ग्रंथि को मजबूत करने तथा हेल्दी हार्मोन्स प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए कद्दू के बीज का सेवन किया जाता है. कद्दू के बीज जिंक से भरपूर होते हैं, इसलिए इनके सेवन से शुक्राणुओं की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है.पुरुषों को प्रोस्ट्रेट कैंसर से बचाने में मददगारकद्दू के बीज में मैग्नीशियम, पोटैशियम, फॉस्फोरस, जिंक, फाइबर और सेलेनियम पाए जाते हैं, जो शरीर को फ्री सेल डैमेज से बचाता है. सेलेनियम पुरुषों को प्रोस्ट्रेट कैंसर से भी बचाते हैं.इम्युन सिस्टम को बनाते हैं बेहतरकद्दू के बीज जिंग से भरपूर होते हैं, जिंक इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाने में कारगर होता है और वायरल, सर्दी-खांसी-जुकाम जैसे संक्रमणों से सुरक्षित रखता है.किस समय करें सेवनआप सूखे भुने हुए कद्दू के बीजों को नाश्ते के रूप में ले सकते हैं. इसके अलावा आप सोने से पहले भी कद्दू के बीज का सेवन कर सकते हैं.
- भारत के लगभग सभी घरों की रसोई में बेसन का इस्तेमाल किसी न किसी रूप में जरूर किया जाता है। चाहे वह बेसन से बनने वाले पकौड़े हों या बेसन के लड्डू, ये पकवान सबको बेहद पसंद होते हैं। बेसन की तरह से ही भारत की रसोई में रोजाना कई तरह के मसालों, दाल, तेल आदि का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि पिछले कुछ सालों से इन सभी खाद्य सामग्री की शुद्धता और इनमें होने वाली मिलावट चिंता का विषय बन गयी है। आज के दौर में बाजार में बिकने वाला ऐसा कोई भी सामान नहीं है जिसमें मिलावट न की जाती हो। किचन में रोजाना इस्तेमाल होने वाले मसाले से लेकर दूध, तेल, दाल, घी, चीनी जैसे सभी खाद्य पदार्थों में मिलावट होती है। बेसन, जिसका इस्तेमाल लगभग रोजाना किया जाता है भी मिलावट से दूर नहीं है। ऐसे में इन पदार्थों का सेवन करने से हमारे स्वास्थ्य पर भी असर होता है। बेसन में किस तरह से मिलावट की जाती है और कैसे करें असली और नकली बेसन की पहचान? आइए जानते हैं।कैसे होती है बेसन में मिलावट?बेसन सामान्यत: चना दाल को पीसकर बनाया जाता है। घरों में रोजाना किसी न किसी रूप में इसका इस्तेमाल होने से इसकी मांग भी लगातार बढ़ रही है। ऐसे में मुनाफाखोरी करने की नीयत से कुछ लोग इसमें दूसरे आटे को मिलाकर बेचने का काम करते हैं। बेसन में सबसे ज्यादा मक्के का या गेंहू का आटा मिलाकर इसे बेचा जाता है। नकली बेसन बनाने के लिए लोग तरह-तरह की तरकीब अपनाते हैं। कुछ लोग तो बेसन में मटर दाल, सूजी, चावल पाउडर, मक्के और खेसारी (तिवरा दाल) के आटे को मिलाकर इसे बनाने का काम करते हैं। इस मिलावट में लगभग 25 से 30 प्रतिशत तक बेसन होता है और बाकी दूसरे आटे होते हैं।कैसे करें असली और नकली बेसन की पहचान?किचन में मौजूद लगभग सभी खाद्य पदार्थों में मिलावट होती है। मिलावटी बेसन का सेवन करने से सेहत पर बुरा असर भी होता है और ऐसे में पकवान का सही स्वाद भी नहीं मिलता है। अगर आप बेसन की शुद्धता को लेकर चिंतित हैं तो आप इसकी जांच कर सकते हैं। यह पता करने के लिए कि जिस बेसन को आप खरीदने जा रहे हैं या जिसका आप इस्तेमाल कर रहे हैं वो असली है या नकली, आपको एक छोटा सा टेस्ट करना पड़ेगा।हाइड्रोक्लोरिक एसिड की सहायता से जानें बेसन असली है या नकलीआप घर पर आसानी से हाइड्रोक्लोरिक एसिड की सहायता से असली और नकली यानि कि मिलावटी बेसन की पहचान कर सकते हैं। घर पर असली और नकली बेसन की जांच करने के लिए सबसे पहले आप किसी बर्तन में लगभग 3 या 4 चम्मच बेसन लेकर उसे पानी में घोल दीजिये। पानी में बेसन को घोलने के बाद उसमें एक से दो चम्मच हाइड्रोक्लोरिक एसिड डाल दीजिये। इसे डालने के कुछ देर बाद अगर आपके बेसन में कोई और रंग दिखाई दे तो समझ जाइये कि आपके बेसन में मिलावट की गयी है। अगर ये बेसन बिना मिलावट वाला होगा तो इसमें हाइड्रोक्लोरिक एसिड डालने के बाद भी कोई दूसर रंग नहीं दिखाई देगा।नींबू के रस से करें असली और नकली बेसन की पहचानआप नींबू के रस की सहयता से भी असली और नकली बेसन की पहचान कर सकते हैं। आप जिस बेसन का इस्तेमाल कर रहे हैं उसमें मिलावट की गयी है या नहीं ये जानने के लिए आपको नींबू के रस के साथ 2 चम्मच हाइड्रोक्लोरिक एसिड की जरुरत पड़ेगी। इसकी जांच करने के लिए आप दो चम्मच बेसन में दो चम्मच नींबू का रस मिला लें। अब इसके बाद इस मिश्रण में 2 चम्मच हाइड्रोक्लोरिक एसिड मिलकर इसे थोड़ी देर के लिए रख दें। अगर इसमें कुछ देर बाद लाल या भूरा रंग दिखाई दे या पूरा बेसन लाल या भूरे रंग में बदल जाए तो इसका मतलब आपका बेसन मिलावटी है। इसमें दूसरे आटे की मिलावट जरूर की गयी है।
- यात्रा के दौरान सिर घूमना, चक्कर आना, जी मिचलाना इत्यादि समस्या अगर आपको होती है, तो समझ जाएं कि आपको मोशन सिकनेस है। मोशन सिकनेस से ग्रसित लोगों गति की स्थिति में असहजता महसूस होती है। एक्सपर्ट के अनुसार, मोशन सिकनेस कोई बीमारी नहीं है, बल्कि यह एक स्थिति है, जिसमें कान, आंख और स्किन दिमाग को अलग-अलग संकेत देते हैं, जिसकी वजह से व्यक्ति को मोशन सिकनेस हो जाता है। यह समस्या दीर्घकालिक नहीं होती है, लेकिन थोड़े ही समय में लोगों के शरीर को कमजोर कर देती है। खासतौर पर यात्रा के दौरान आपका शरीर काफी डिस्टर्ब महसूस करता है।छोटे बच्चों (5 से 12 साल), महिलाओं और बुजुर्गों को मोशन सिकनेस की समस्या अधिक होती है। 2 साल से कम उम्र के बच्चों में यह परेशानी कम देखी गई है। मोशन सिकनेस को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है। जैसे- एयरसिकनेस, कारसिकनेस, सीसिकनेस ।मोशन सिकनेस के कारणमोशन सिकनेस यात्रा के दौरान शरीर के विभिन्न अंगों जैसे- आंख, नाक, कान और शरीर के अन्य ऊतकों द्वारा मस्तिष्क को अलग-अलग संदेश पहुंचाने की वजह से होता है। दरअसल, जब हमारा शरीर अनैच्छिक रूप से आगे बढ़ता है, (जैसे- कार से यात्रा करना, हवाई जहाज से यात्रा करना, ट्रेन से यात्रा करना) तो इस दौरान शरीर के अंग विभिन्न प्रकार के इनपुट्स मस्तिष्क को देते हैं। मस्तिष्क में इन इनपुट्स की वजह से संघर्ष उत्पन्न होता है। इसकी वजह से शरीर में कई तरह की परेशानी होती है। एक्सपर्ट की माने तो मोशन सिकनेस कान में संवेदी तंत्र को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है।कब डॉक्टर के पास जाएं?सफर के दौरान उल्टी या फिर अन्य समस्या होने पर ज्यादातर मामलों में डॉक्टर से पास जाने की जरूरत नहीं होती है। लेकिन अगर व्यक्ति को ज्यादा उल्टी और कमजोरी महसूस हो रही है, तो हो सकता है उन्हें डिहाइड्रेशन हो गया हो। इस स्थिति में डॉक्टर से पास जाना जरूरी हो जाता है।सफर में उल्टी रोकने के बचाव-सफर के दौरान व्यक्ति को अपने साथ वाले से बात करते रहना चाहिए।-सफर करने से पहले ज्यादा मसालेदार और तेलयुक्त आहार का सेवन न करें।-अगर आपको सफर में उल्टी होती है, तो इससे जुड़ी दवा अपने साथ पहले से ही रख लें।-सफर के दौरान धूम्रपान या शराब पीने से बचें।-मोशन सिकनेस होने पर तेज-तेज सांस लें। इससे आप हल्का महसूस करेंगे।-कार या फिर ट्रेन में बैठने के दौरान पास की चीजें देखने से बेहतर है कि आप दूर की चीजें देखें।-कार में सफर करने के दौरान खिड़की खोलकर ताजी हवा लें।-अगर आपको मोशन सिकनेस है, तो च्युइंगम अपने साथ जरूर रखें।-मोशन सिकनेस एक आम समस्या है। इस समस्या का आप घरेलू उपाय कर सकते हैं। हालांकि, अगर आपको अधिक उल्टी की वजह से डिहाइड्रेशन हो गया है, तो अपने नजदीकी डॉक्टर से जरूर दिखाएं।
- इन दिनों शाम के समय मौसम बदलने लगता है। हवाएं चलने लगती हैं, गर्मी से राहत मिलती है। कभी-कभी बूंदाबांदी भी हो जाती है। ऐसे में दिल करता है कि कुछ अच्छा बनाकर खाया जाए। जो लोग शाकाहारी हैं और उन्होंने कभी ऑमलेट नहीं खाया है तो वे इस बार टमाटर के ऑमलेट की यह आसान रेसिपी ट्राय कर सकते हैं। इसे बनाने में भी बहुत अधिक समय नहीं लगेगा, साथ ही यह स्वाद में भी बहुत अच्छी लगेगी। इसे बनाते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि टमाटर और सब्जी को बारीक काटें। इसे बनाना आपके लिए बहुत आसान हो जाएगा।सामग्री-बेसन- 1 कपटमाटर- 1 कटा हुआप्याज- 1 कटा हुआअदरक, हरी मिर्च का पेस्टहल्दी, गरम मसाला, लाल मिर्च- ¼ चम्मचहींग- एक चुटकीतेल और नमक- स्वादानुसारहरा धनियाविधि-एक बड़े कटोरे में बेसन, टमाटर, प्याज, अदरक और हरी मिर्च का पेस्ट मिला लें। अब उसमें लाल मिर्च, हल्दी, गरम मसाला, नमक, हींग और थोड़ा सा तेल डालकर अच्छे से फेंट लें। इसमें एक से डेढ़ कप पानी मिलाएं और अच्छे से घोल तैयार कर लें। अब हरा धनिया काटकर डालें। गैस पर नॉन स्टिक तवा रखें और उसके गर्म हो जाने पर थोड़ा तेल डालें अब उस पर चम्मच से घोल फैलाएं। मध्यम आंच पर इसे दोनों तरफ से पकाएं। तब तक पकाएं जब तक दोनों तरफ भूरे रंग के धब्बे न आने लग जाएं। अब इस गरमा-गरम शाकाहारी ऑमलेट को चटनी के साथ परोसें।
- अलसी के काढ़े के फायदे. घंटों एक जगह बैठकर काम करने वालों लोगों की वजन बढ़ने से अन्य शारीरिक परेशानियां भी बढ़ने लगती हैं. वजन बढ़ने से हार्ट संबंधी समस्याएं होने लगती हैं. बढ़े हुए वजन से छुटकारा पाने के लिए लोग डाइटिंग की मदद लेने लगते हैं. इसके बाद भी वजन कम नहीं होता. ऐसे में आपके लिए अलसी का काढ़ा काम आ सकता है.दरअसल, स्वस्थ रहने के लिए आहार विशेषज्ञ डाइट में फल-सब्जियों के साथ-साथ अलल-अलग तरह बीजों को भी शामिल करने की सलाह देते हैं. ऐसे ही बीजों में से एक है अलसी, अलसी के बीजों में ओमेगा-3 फैटी एसिड, प्रोटीन, फाइबर, विटामिन्स और मिनरल्स पाए जाते हैं.जाने-माने आयुर्वेद डॉक्टर अबरार मुल्तानी की मानें तो अलसी का काढ़ा वजन घटाने के साथ शरीर को स्वस्थ रखने में भी फायदेमंद हैं. डॉक्टर अबरार मुल्तानी के अनुसार वजन घटाने के साथ-साथ अलसी के बीज आपकी त्वचा को अंदरूनी सूजन से मुक्ति दिलाते हैं. नियमित रूप से इन बीजों का सेवन आपकी त्वचा के ग्लो को प्राकृतिक रूप से बढ़ाता है._अलसी का काढ़ा बनाने का सामानएक गिलास पानीएक चम्मच अलसी बीज पाउडरएक बड़ा चम्मच नींबू का रसगुड़ का एक छोटा टुकड़ा-------अलसी का काढ़ा बनाने की विधिसबसे पहले एक बर्तन में एक गिलास पानी डालें और उसे गैस पर धीमी आंच पर चढ़ाएं. अब इसमें एक चम्मच पिसी हुई अलसी का पाउडर डालें.इसे करीब 2 से 3 मिनट तक ऐसे ही उबलने दें.इसके बाद गैस को बंद कर दें और इसे एक कप में डाल लें.हल्का ठंडा होने पर इसमें एक चम्मच नींबू का रस और एक छोटा टुकड़ा गुड़ का डालें.इसे अच्छी तरह मिला लें.रोजाना इस काढ़े को पिएं.कुछ ही दिनों में आपको असर दिखाई देगा.
- सफेद प्याज भी खाने में उतना ही लाभदायक होता है जितना की लाल प्याज। भारत में प्याज की खेती खूब होती है। महाराष्ट्र में इसे साल में दो बार उगाया जाता है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, बिहार आदि राज्यों में प्याज की खेती की जाती है। सफेद प्याज में हाई शुगर और लो सल्फर होता है। इसका प्रयोग भारतीय घरों में सब्जी में डालने के अलावा सलाद के रूप में भी किया जाता है। सफेद प्याज का सेवन केवल इन्हीं रूपों में नहीं किया जाता है बल्कि इसका स्वादिष्ट मुरब्बा भी बनता है। जैसे आंवले का मुरब्बा बनता है, वैसे ही सफेद प्याज का मुरब्बा बनता है। इस मुरब्बे को खाने से पेट का स्वास्थ्य से लेकर दिल का स्वास्थ्य ठीक रहता है। आज के इस लेख में हम जानेंगे कि सफेद प्याज का मुरब्बा कैसे बनाते हैं और इसे खाने के क्या फायदे हैं।सफेद प्याज का मुरब्बा बनाने की विधिसफेद प्याज का मुरब्बा बनाने के लिए सफेद प्याज लें। अब इसमें करीब 10 से 12 छेद कर दें। किसी सुई से या किसी पतली नुकली चीज से छेद कर सकते हैं। बाद में इस प्याज को कांच के बर्तन में डाल दें। अब इस बर्तन में शहद डालकर रख दें। इसे करीब 40 दिनों तक स्टोर कर दें। इसके बाद आपका मुरब्बा तैयार है। जब भी शहद खत्म हो 40 दिनों बाद इसे फिर भर दें।सफेद प्याज का मुरब्बा खाने फायदेपाचन में सहायकप्याज में प्रीबायोटिक गुण पाए जाते हैं जो पाचन में सहायक हैं। इसके नियमित सेवन से पेट में गुड बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती है, जिससे में पेट में परेशानियों से लडऩे की क्षमता बढ़ जाती है। गर्मी के मौसम में पेट अक्सर खराब होता है, इसलिए इस मौसम में सफेद प्याज का मुरब्बा खाना ज्यादा फायदेमंद है।नई कोशिकाओं का निर्माणशरीर में पुरानी कोशिकाएं मृत हो जाती हैं। नई कोशिकाएं बनती हैं। इन नई कोशिकाओं को बनाने में सफेद प्याज का मुरब्बा बहुत लाभदायक है। रोज रात को सोने से पहले इसके सेवन से शरीर को बहुत फायदा मिलता है।चेहरे की रंगत बढ़ाए मुरब्बासफेद प्याज का मुरब्बा खाने से चेहरे की रंगत बढ़ जाती है। त्वचा संबंधी परेशानियां खत्म हो जाती हैं। सफेद प्याज में विटामिन सी पाया जाता है जिस कारण यह त्वचा की रंगत बढ़ाने में बहुत मददगार साबित होता है।सूजन को करे दूरशरीर में किन्ही वजहों से सूजन आ जाती है। सफेद प्याज में कई ऐसे एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं जो सूजन को कम करते हैं। इसलिए सफेद प्याज का मुरब्बा खाने से शरीर को लाभ मिलता है।यौन शक्ति बढ़ाएप्याज को यौन शक्ति बढ़ाने वाला कंद माना जाता है। इसमें ऐसे गुण पाए जाते हैं जो यौन शक्ति को बढ़ाते हैं। रोज सफेद प्याज के मुरब्बे का सेवन करने से यौन शक्ति बढ़ती है।इम्युनिटी बढ़ाएकोरोनाकाल में हर व्यक्ति इम्युनिटी बढ़ाने पर जोर दे रहा है। अगर आप भी इम्युनिटी बढ़ाना चाहते हैं तो सफेद प्याज का मुरब्बा खाएं। प्याज में विटामिन सी पाया जाता है जो इम्युनिटी को बढ़ाने का अच्छा स्रोत है।
- खाने का मन न हो या आप बदहजमी के शिकार हो, दोनों ही सूरतों में भोजन की थाली बनाते समय उसमें हरी चटनी को जगह देना बिल्कुल न भूलें। खाने में शामिल हरी चटनी न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाती है बल्कि आपको स्वास्थ्य लाभ देकर कई रोगों से भी दूर रखती है। आइए जानते हैं हरी चटनी का सेवन करने के ऐसे ही कुछ फायदों के बारे में।हरी चटनी का सेवन करने के फायदे-पाचन तंत्र को रखती है दुरुस्त-धनिया और पुदीना की चटनी बनाते समय उसमें डाला गया नींबू, काला नमक, जीरा, हरी मिर्च, हींग, अदरक और लहसुन न सिर्फ मुंह के स्वाद अच्छा करता है बल्कि आपके हाजमे को भी दुरुस्त रखता है।डायबिटीज कंट्रोल करने में मददगार-हरा धनिया का सेवन डायबिटीज रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। धनिया के सेवन करने से शरीर में इंसुलिन का स्तर सही बना रहता है। हरे धनिए से बनी चटनी में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर की हर तरह की सूजन या घाव को जल्दी ठीक करने में मदद करता है। वहीं धनिया और पुदीने की पत्तियों में मौजूद एंटीसेप्टिक गुण मुंह के छाले ठीक करने में भी मदद करते हैं।भूख बढ़ाती है-भूख न लगने की वजह से व्यक्ति को कमजोरी और थकान महसूस होने लगती है। ऐसे में भोजन के साथ परोसी गई हरी चटनी भूख बढ़ाने के साथ भोजन का स्वाद भी बढ़ा देती है।एनीमिया -शरीर में आयरन की कमी एनीमिया का कारण बनती है। ऐसे में हरा धनिया और पुदीना से बनी चटनी का सेवन एनीमिया की परेशानी दूर करता है। दोनों ही चीजों में आयरन प्रचूर मात्रा में होता है।त्वचा में चमक-हरे धनिया में एंटीफंगल और एंटीसेप्टिक गुण मौजूद होते हैं। इससे बनी चटनी का सेवन करने से त्वचा में संक्रमण और मुंहासे होने की संभावना कम हो जाती है। यह शरीर को अंदर से डिटॉक्सीफाई करके त्वचा की खोई चमक लौटाने में भी मदद करता है।=
- अगर आप मोटापे से परेशान हैं तो ये खबर आपके काम आ सकती है. हम आपके लिए लेकर आए हैं सौंफ का पानी. अधिकतर लोग खाना खाने के बाद सौंफ (Fennel) खाना पसंद करते हैं, ताकि मुंह की बदबू को दूर भगाया जा सके. सौंफ सिर्फ माउथ फ्रेशनर का काम ही नहीं करता है, बल्कि इसे खाने से शरीर की कई समस्याएं भी दूर होती हैं. सौंफ का पानी पीने से गर्मी के दिनों में शरीर ठंडा रहता है और पेट की समस्याएं भी दूर होती है.सौंफ में क्या पाया जाता है?सौंफ एक आयुर्वेदिक औषधि है, जो लगभग हर किचन में मौजूद होती है. सौंफ में काफी मात्रा में कैल्शियम, सोडियम, आयरन और पोटैशियम जैसे तत्व पाए जाते हैं. वहीं कई लोग गर्मियों में सौंफ का पानी पीते हैं.वजन घटाने में कारगरजाने माने आयुर्वेद डॉ. अबरार मुल्तानी के अनुसार, सौंफ में फाइबर की मात्रा बहुत अधिक होती है, जिससे व्यक्ति को पेट भरा हुआ महसूस होता है. सौंफ में कैलोरी न के बराबर होती है. इससे वजन कम करने में मदद मिलती है. यह शरीर में फैट को जमने नहीं देती, जिससे मोटापे का जोखिम कम रहता है. सौंफ का पानी पीने से शरीर के टॉक्सिन बाहर निकल जाते हैं. शरीर का मेटाबॉलिज्म मजबूत होता है. अच्छा मेटाबॉलिज्म वजन कम करने में मददगार होता है.ऐसे तैयार करें सौंफ का पानीरात में एक गिलास पानी में 2 चम्मच सौंफ और थोड़ी सी मिश्री भिगोकर रख दें.सुबह इस पानी को छानकर पी लें.ऐसा करने से कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है.सौंफ पानी के अन्य फायदेडॉ. अबरार मुल्तानी कहते हैं कि जिन लोगों को कब्ज की शिकायत होती है, उन्हें दिन में एक बार सैंफ का पानी जरूर पीना चाहिए.सौंफ आंखों की रोशनी बढ़ाती है. यदि रोज सौंफ का पानी पिया जाए तो इससे आंखें हेल्दी रहती हैं और इनमें कोई इंफेक्शन भी नहीं होता.नियमित रूप से सौंफ का पानी पीने से गैस और एसिडिटी की समस्या दूर होती है. जिन्हें हमेशा अपच और कब्ज की शिकायत होती है, उन्हें सौंफ का पानी पीना चाहिए.10 ग्राम सौंफ के रस को शहद में मिलाकर दिन में दो से तीन बार सेवन करने से भी खांसी ठीक हो सकती है.
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मौसम में बदलाव आते ही सेहत और स्किन पर भी असर दिखने लगता है. गर्मियों में फटी और सूखी एड़ियों की परेशानी ज्यादा हो जाती है. एड़ियों में किसी भी प्रकार का तेल नहीं होता है, इसी वजह से वहां की स्किन बेहद जल्दी ड्राय हो जाती है. जिन लोगों को यह समस्या ज्यादा होती है, उन्हें पैरों में दर्द और ब्लीडिंग की पेरशानी भी हो सकती है.
इस खबर में हम आपको कुछ घरेलू उपाय बता रहे हैं, जिनकी मदद से आप फटी एड़ियों से राहत पा सकते हैं.नारियल तेल का उपयोगनियमित रूप से नारियल तेल का इस्तेमाल करने से फटी एड़ी की दिक्कत दूर होती है.इसके लिए आपको रात को सोने से पहले प्रभावित स्थान पर नारियल तेल लगाना होगा.आप चाहें तो इसे हल्का गर्म करके भी लगा सकते हैंफटी एड़ियों पर इससे मालिश करने से आराम मिलेगासोते समय जुराबें पहनना न भूलें.सुबह उठकर सबसे पहले पैरों को पानी से धोएंसेब का सिरका और नींबू का उपयोगफटी और सूखी एड़ियों की समस्या को दूर करने में सेब का सिरका मददगार होता है. इसमें अगर नींबू का रस मिला दिया जाए तो ज्यादा बेहतर परिणाम मिल सकता है, इन दोनों में एंटी-इंफ्लेमेट्री और एसिडिक तत्व पाए जाते हैं, जो स्किन को एक्सफोलिएट करते हैं, ये डेड स्किन सेल्स को दूर करते हैं।सबसे पहले आप ताजे नींबू की ऊपरी सतह को ग्रेटर मदद से ग्रेट कर लेंएक बर्तन में 3 लीटर पानी इस मिक्सचर को डालकर उबालेंगैस बंद करें और जब ये गुनगुना हो जाए तो इस पानी में एक चम्मच सेब का सिरका डालेंअब इसमें करीब 15 से 20 मिनट तक पैर रखें.एलोवेरा और ग्लिसरीन का ऐसे करें उपयोगस्किन एक्सपर्ट्स कहते हैं कि एलोवेरा में हाइड्रेटिंग और हीलिंग प्रॉपर्टीज होती हैं, जो ड्राय स्किन की परेशानी को दूर करता है. इसमें ग्लिसरीन मिलाकर यूज करने से पैर अच्छी तरह मॉइश्चराइज हो जाते हैं. यही कारण है कि ड्राय और क्रैक्ड स्किन के लिए इसका इस्तेमाल प्रभावी है.इसके लिए आपको 2 चम्मच एलोवेरा जेल में एक चम्मच ग्लिसरीन मिलानी होगीगर्म पानी से पैरों को धोकर इस मिश्रण से मसाज करेंनियमित रूप से इसके इस्तेमाल से पैरों की ये परेशानी दूर होगी