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-लेखिका-डॉ. दीक्षा चौबे, दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
बरसों बाद आज जयपुर में महेश से मिलकर शिखर का मन फिर अतीत के गलियारों में भटकने चला गया था । इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए उसका चयन एन. आई टी . भोपाल में हुआ था। एक तो पहली बार घर छोड़कर बाहर आने की झिझक ,ऊपर से रैगिंग का डर दोनों वजहों ने उसकी हालत खराब कर दी थी ।डरते-डरते सामान सहित कॉलेज हॉस्टल पहुँचा , पापा जी छोड़ने आये थे ..उनके साथ होने से थोड़ा ठीक लग रहा था पर उसका कमरा अलॉट होने के बाद वे घर चले गये । प्रथम वर्ष के तीन लड़कों को एक कमरे में रहना था , सबकी हालत एक जैसी थी इसलिए जल्दी ही उसके कई मित्र बन गये ।
बॉयज हॉस्टल में रैगिंग की मनाही थी , पर सीनियर्स का दबदबा रहता था । वार्डन पुरोहित सर बड़े कठोर मिजाज और अनुशासन प्रिय थे और नियम तोड़ने पर सख्त दण्ड भी देते थे । उनकी पीठ पीछे सीनियर भी अपने नियम - कानून बताया करते थे लेकिन पढ़ाई में उनका सहयोग भी मिलता था । उनकी किताबें , नोट्स आदि की मदद भी उन्हें खूब मिलती थी । हॉस्टल का एक कमरा किसी को अलॉट नहीं किया गया था , वहाँ रहते - रहते मालूम हुआ कि वह कमरा हॉन्टेड होने के कारण किसी को नहीं दिया जाता । बहुत पहले वहाँ रहने वाले एक लड़के मोहित ने खुदकुशी कर ली थी । उसके बाद जितने लोगों को वह कमरा मिला , उन लोगों ने भी खुदकुशी कर ली । सबको यह यकीन हो गया था कि वहाँ कुछ न कुछ अदृश्य शक्ति है जिसकी वजह से लड़के मर रहे हैं ।
शिखर और उसके दोस्त रात को ही पढ़ते थे क्योंकि दिन में कक्षा लगने के कारण सेल्फ स्टडी के लिए समय नहीं मिल पाता था । वे देर रात तक पढ़ते और सुबह दस - ग्यारह बजे तक सोते रहते । वह रात बहुत ही भयावह थी । बारिश का मौसम था । बादलों की गरज और बिजली की गड़गड़ाहट रह रहकर चौंका देती थी । बिजली गुल होने के कारण वे हॉस्टल के गलियारों में टहलने लगे थे ..तभी दीवार पर कुछ आकृतियाँ उभरीं , उसके दोस्त तो भाग गए पर शिखर के पैर मानो जमीन में धँस गये हों । वह स्तम्भित सा वहीं खड़ा रहा मानो किसी ने उसे सम्मोहित कर दिया हो । शायद वह आत्मा कुछ कहना चाहती थी , वह उस परछाई के साथ चलता रहा । शायद यह मनुष्य की प्रवृत्ति ही है कि उसे जिस बात के लिए मना किया जाए ,उसकी रुचि उसमें और अधिक बढ़ जाती है । वह जान लेना चाहता है भूत - भविष्य के सारे रहस्य...शायद इसलिए वह नवीन सन्धान करता रहता है । डर के साथ अतीत को जानने की उत्सुकता में शिखर के कदम बढ़े चले जा रहे थे । उन परछाइयों में वह उस रात को देख रहा था ,, वहाँ चार - पाँच लड़के और दो लड़कियाँ भी दिख रही थीं । वे मोहित के कमरे में पार्टी कर रहे थे ,टेबल पर प्लेट्स और बोतलें दिख रही थीं , सभी बहुत खुश दिख रहे थे । मोहित ने एक लड़की का हाथ पकड़ा था और किसी दूसरे लड़के ने उस पर आपत्ति की थी । कुछ पलों में वहाँ का माहौल बदल गया था । गाली - गलौच के साथ हाथापाई भी शुरू हो गई थी । तभी मोहित के सिर पर किसी ने वार किया था और वह बेहोश होकर गिर गया था । घबराए हुए उन लोगों ने उसके बिस्तर से चादर खींच कर उसका फंदा बनाया और मोहित को पंखे से लटका दिया था । किसी चलचित्र की भाँति सारी घटनाएं शिखर की नजरों के आगे उद्घाटित हुई थी । भयाक्रांत सा वह चुपचाप अपने कमरे में आ गया था और चेतनाशून्य होकर बिस्तर पर गिर गया था । शिखर की जब आँख खुली तो वह अस्पताल में था और दोस्तों के अनुसार वह दो दिन से सो रहा था ।
जागकर भी शिखर वह सब भूल नहीं पा रहा था , वह क्या करे ,किसी को बताए कि नहीं । वह खुदकुशी नहीं हत्या थी और इसीलिए मोहित की आत्मा भटक रही है । शिखर ने पुराने कर्मचारियों , पुस्कालय और कार्यालय के माध्यम से वहाँ मरने वाले बाकी लड़कों का पता लगाया । वे सब मोहित की बैच के ही विद्यार्थी थे । शिखर उन्हें पहचान तो नहीं पाया था ,पर यह जान गया था कि मोहित ने उन्हें उनके किये की सजा दे दी है और यह घटनाएं शायद तभी खत्म होंगी जब तक वे सभी गुनहगार सजा नहीं पा जाते जो उस घटना से जुड़े हैं ।
बार - बार भयावह घटनाएँ होने के कारण अब उस कमरे को अलॉट करना बंद कर दिया गया था । कमरा बन्द रहने पर भी वहाँ से गुजरने पर शिखर को एक डर सा लगता था , कई बार अजीब सी आकृतियाँ रात को दिखाई देती थीं । अजीबोगरीब आवाजें सुनाई देती थीं मानो कोई सिसक रहा हो । इसी कारण उस कमरे के बगल वाले कमरों के लड़के एक साल में कमरा खाली कर शहर में किराये के घर में चले जाते थे । धीरे - धीरे उस हॉन्टेड कमरे की कहानियों की वजह से वह विंग लगभग खाली हो गया था। शिखर और उसके दोस्त दूसरे विंग में रहते थे ,साथ ही हॉस्टल सस्ता पड़ता था और वहाँ मेस होने के कारण खाने की सुविधा थी इसलिए बहुत लोगों के लिए वहाँ रहना मजबूरी थी ।
जब शिखर छठवें सेमेस्टर की तैयारी कर रहा था । वह और उसके दोस्त देर रात तक पढ़ रहे थे कि बाहर हॉल में जोर से बहस व झगड़े की आवाजें सुनाई पड़ीं । वे बाहर आये तो देखा उनके सीनियर राहुल और प्रेम आपस में लड़ रहे थे ,वे एक - दूसरे को किसी बात के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे थे और मार डालने की धमकी दे रहे थे...वहाँ उपस्थित सभी लोगों ने उन्हें समझाने की कोशिश की पर नतीजा बेअसर रहा । फिर वे अपने कमरे में चले गए ...वह रात बड़ी मनहूस थी , सबको डर लग रहा था पर किसी ने वार्डन को खबर नहीं किया । आँखों में ही रात गुजर गई , लगभग तीन या चार बजे शिखर सोने गया और सुबह नींद खुली तो हॉस्टल में हंगामा
मचा हुआ था , राहुल मरा हुआ पाया गया था । उसका चेहरा बहुत वीभत्स हो गया था , कपड़े फ़टे हुए थे ...उसके खून के छीटे यहाँ - वहाँ बिखरे पड़े थे मानो मरने से पहले उसने बहुत संघर्ष किया हो और दीवार पर लिखा था 220 । वो बड़े दहशत भरे दिन थे । पुलिस की पूछताछ की कार्यवाही बहुत दिनों तक चलती रही । पुलिस प्रेम पर हत्या का शक कर उसे पूछताछ के लिए पकड़कर ले गई थी । वह तो पागल सा हो गया था । हॉस्टल में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति होने के कारण यह केस सी. बी. आई. को सौंप दिया गया था ।
पढ़ाई में व्यवधान होने के कारण शिखर ने भी हॉस्टल छोड़ दिया था और किराये का घर लेकर रहने लगा था । वहीं उसने अपनी पढ़ाई पूरी की , तब तक कमरा नम्बर 220 के मुकदमे का कोई फैसला नहीं हुआ था । अपनी पढ़ाई पूरी कर वह जयपुर आ गया था , उसके बाद वह कभी भोपाल नहीं गया । आज उसका रूममेट महेश मिला तो फिर वही डर ,वही खौफ उसके सामने आ खड़ा हुआ था । उससे मालूम हुआ कि बाद में कोई सुबूत नहीं मिलने के कारण प्रेम
छूट गया था । वह राहुल की मौत के बाद अपने होशोहवास खो बैठा था । पढ़ाई छोड़कर बस इधर - उधर भटकता रहता । एक दिन हॉस्टल के ही पीछे बगीचे में पेड़ से लटककर उसने खुदकुशी कर ली । मोहित ने सबसे बदला ले लिया था , शिखर को आज तक समझ नहीं आया कि उसने अपना रहस्य उसके आगे क्यों खोला । हो सकता है वहाँ रह रहे और भी लोग इस रहस्य से परिचित हों और यह चाहते रहे हों कि मोहित उन सभी दोषियों को सजा दे । उस हॉन्टेड कमरा नम्बर 220 का रहस्य हॉस्टल के बन्द होने पर बाकी लोगों के लिए रहस्य ही बना रहा । -
-लेखिका-डॉ. दीक्षा चौबे, दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
खेला बचपन , सींचा यौवन,
यादों के कितने दर्पण।
घर की हर दीवार पर छाप है मेरी ,
हर कोने में समाई हूँ ।
पापा मैं आपकी परछाई हूँ।।
पालन-पोषण और दुलार,
मर्यादा का दृढ़ आधार।
नियम-संयम,आचार-विचार,
आपने दिए जो सुसंस्कार।
अपनाया है उन्हें, नहीं भुलाई हूँ ।।
पापा मैं आपकी परछाई हूँ।।
मेरी सफलता मेरी जीत,
सब आपको समर्पित।
आपसे है मेरा अस्तित्व,
सँवरा निखरा व्यक्तित्व ।
सुविचार,सदव्यवहार सब,
आपसे ही पाई हूँ।।
पापा मै आपकी परछाई हूँ।।
पौधा कितना ही बढ जाए,
जड़ से दूर रह न पाए।
अलग रहकर जुड़ी हूँ ,
साथ आपके खड़ी हूँ ।
महसूस किया आपका दर्द
सदैव आपकी नही पराई हूँ
पापा मै आपकी परछाई हूँi . -
विशेष लेख
आनंद प्रकाश सोलंकी, सहायक संचालकरायपुर / आजादी के 100 वर्ष पूरे होने पर छत्तीसगढ़ एक समृद्ध और विकसित राज्य के रूप में आकार लेगा तथा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘‘विकसित भारत‘‘ के संकल्प को पूरा करने में महत्वपूर्ण योगदान देगा। इस संकल्प को पूरा करने के प्रथम कदम के रूप में मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय और राज्य मंत्रिमण्डल के सदस्यों ने ‘विकसित छत्तीसगढ़’ के विजन पर गत दिनों भारतीय प्रबंधन संस्थान रायपुर में नीति निर्माताओं और विभिन्न क्षेत्रों के विषय विशेषज्ञों के साथ दो दिनों तक विचार मंथन किया गया।छत्तीसगढ़ प्राकृतिक संसाधनों, खनिज और वन सम्पदा तथा कुशल मानव संसाधन से सम्पन्न राज्य है। छत्तीसगढ़ को वर्ष 2047 तक विकसित राज्य बनाने के लिए विशेषज्ञों ने शासन-प्रशासन के विभिन्न क्षेत्रों में आधुनिक तकनीकी के दक्षतापूर्ण उपयोग, नवाचार, राज्य के संसाधनों के कुशलतापूर्वक उपयोग की आवश्यकता बताई। इसे पूरा करने के लिए ‘‘विकसित छत्तीसगढ़‘‘ का स्पष्ट विजन तय कर उस पर दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ना होगा।विकसित छत्तीसगढ़ निर्माण के लिए विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य, अधोसंरचना, प्राकृतिक संसाधनों के कुशल उपयोग, खनन क्षेत्र में सुधार, प्रगतिशील अर्थव्यवस्था के लिए कुशल वित्त प्रबंधन, सुशासन के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी और डेटा विश्लेषण, कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्रों के विकास, शिक्षा और लोगों के जीवन को आसान बनाने की दिशा में कार्य करने की आवश्यकता बताई। प्रदेश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाएं विकसित करने, कृषि के क्षेत्र में भण्डारण सुविधा बढ़ाने, मंडी विकास, सिंचाई सुविधा में बढ़ोत्तरी, उत्पादकता में वृद्धि, फसल विविधिकरण और फूड प्रोसेसिंग को प्रोत्साहन, पर्यटन से जुड़ी अधोसंरचना के विकास, उद्योग हितैषी नीतियों के निर्माण और विभिन्न क्षेत्रों में निजी क्षेत्रों के सहयोग से आगे बढ़ने पर विशेषज्ञों ने बल दिया।मजबूत निगरानी और नियंत्रण तंत्रविकास परियोजनाओं के क्रियान्वयन में राज्य सरकार की भूमिका के संबंध में विशेषज्ञों का सुझाव था कि विकास योजनाओं के निर्माण के साथ-साथ विकसित छत्तीसगढ़ के विजन के क्रियान्वयन की निगरानी और नियंत्रण का लगातार कार्य राज्य सरकार को करना होगा। इसके लिए कुशल निगरानी तंत्र बनाने की जरूरत होगी, उन्होंने कहा कि वर्तमान में निगरानी और नियंत्रण तंत्र को और अधिक मजबूत बनाने की जरुरत है। इसके साथ ही साथ आर्थिक प्रगति के लिए राज्य की नई क्षमताएं पहचाननी होगी। यह भी आवश्यक है कि स्थानीय स्तर पर योजनाएं बनाई जाए और नागरिकों के साथ निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी का प्रयास सुनिश्चित की जाए।सरप्लस रिवेन्यू अर्थव्यवस्था की ताकतसाथ ही निजी क्षेत्र को परियोजनाओं में निवेश और संचालन के लिए प्रोत्साहित किया जाए। विशेषज्ञों ने छत्तीसगढ़ की बेहतर अर्थव्यवस्था का उल्लेख करते हुए कहा कि सरप्लस रिवेन्यू, अच्छा फिजिकल डिसीप्लिन, लो डेब्ट एण्ड जीडीपी रेश्यो राज्य की अर्थव्यवस्था की ताकत है। भौगोलिक रूप से देश के मध्य में स्थित छत्तीसगढ़ के आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर उद्योगों के विकास और उद्यमिता को बढ़ावा देना अर्थव्यवस्था को और अधिक मजबूती प्रदान करेगा।योजना में जियो टैगिंग का उपयोगखनन, पर्यावरण, स्वाईल हेेल्थ, विकास परियोजनाओं के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी और डेटा विश्लेषण का उपयोग कर अच्छे परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जहां सैटेलाईट मैपिंग का कार्य 1990 के दशक में हो चुका है। जियो टैगिंग ऑफ विलेज का काम पूरा होने पर जिला, तहसील, गांव, सर्वे नंबर, ऑनरशिप, क्षेत्रफल, टाइप ऑफ लैंड सहित अनेक जानकारियां एक क्लिक पर उपलब्ध हो सकेंगे, इससे नीतियों का निर्माण और परियोजनाओं का क्रियान्वयन कुशलतापूर्वक और तेजी से किया जा सकेगा। छत्तीसगढ़ को विकसित राज्य बनाने के लिए ‘विजन डाक्यूमेंट’ बनाने का काम राज्य योजना आयोग को सौंपा गया है। उम्मीद है कि आने वाले समय में समृद्ध और विकसित छत्तीसगढ़ राज्य जन-आकांक्षाओं को पूरा करने वाला एक हरित राज्य भी होगा। -
-नसीम अहमद खान, उप संचालक
देश की जीडीपी में कृषि का बड़ा योगदान है। छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था का मूल आधार भी कृषि ही है और यह धान का कटोरा कहलाता है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने अल्पावधि में राज्य के किसानों के हित में कई फैसले लिए हैं, इससे राज्य में खेती-किसानी को नया सम्बल मिला है। किसान बेहद खुश है। उनके मन में एक नई उम्मीद जगी है।
छत्तीसगढ़ की नई सरकार ने प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की समर्थन मूल्य पर खरीदी तथा दो साल के बकाया धान बोनस की राशि 3716 करोड़ रूपए का भुगतान करके एक ओर जहां अपना संकल्प पूरा किया है, वहीं दूसरी ओर किसानों से बीते खरीफ विपणन वर्ष में 144.92 लाख मेट्रिक टन धान की रिकार्ड खरीदी की है। किसानों को समर्थन मूल्य के रूप में 31,914 करोड़ रूपए का भुगतान एवं किसान समृद्धि योजना के माध्यम से मूल्य की अंतर की राशि 13,320 करोड़ का भुगतान करके यह बता दिया है कि छत्तीसगढ़ की खुशहाली और अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने का रास्ता खेती-किसानी से ही निकलेगा।
किसानों का मानना है कि राज्य सरकार के अब तक के फैसलों से यह स्पष्ट हो गया है कि यह सरकार किसानों की हितैषी है। खेती-किसानी ही छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार है। कृषि के क्षेत्र में सम्पन्नता से ही छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी और विकसित राज्य बनाने का सपना साकार होगा। इस बात को ध्यान में रखते हुए छत्तीेसगढ़ सरकार ने इस साल कृषि के बजट में 33 प्रतिशत की वृद्धि की है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने संकल्प के मुताबिक समर्थन मूल्य पर खरीदे गए धान में प्रति क्विंटल 917 रूपए के मान से अंतर की राशि भी दे दी है। किसानों को प्रति क्विंटल के मान से 3100 रूपए के भुगतान की यह राशि देश में सर्वाधिक है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा इस साल के बजट में कृषक उन्नति योजना के अंतर्गत 10 हजार करोड़ की व्यवस्था की गई है।
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य में कृषि को बढ़ावा देने के लिए कई अभिनव पहल की जा रही है। जशपुर जिले के कुनकुरी में कृषि व्यवसाय प्रबंधन महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र तथा बलरामपुर जिले के रामचंद्रपुर में पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट एवं प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी महाविद्यालय, सूरजपुर जिले के सिलफिली एवं रायगढ़ में शासकीय उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय, तथा मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के खडगंवा में कृषि महाविद्यालय खोलने की व्यवस्था बजट में की है।
कृषि में आधुनिक उपकरणों के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय की स्थापना एवं राज्य स्तरीय नवीन कृषि यंत्र परीक्षण प्रयोगशाला के भवन का निर्माण, दुर्ग एवं सरगुजा जिले में कृषि यंत्री कार्यालय तथा रासायनिक उर्वरकांे की जांच के लिए सरगुजा जिले में गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशाला की स्थापना की जाएगी।
राज्य के किसानों को सहकारी एवं ग्रामीण बैंकों से ब्याज मुक्त कृषि ऋण उपलब्ध कराने के लिए 8 हजार 500 करोड़ का लक्ष्य तथा भूमिहीन कृषि मजदूरों की सहायता हेतु दीनदयाल उपाध्याय भूमिहीन कृषि मजदूर योजना के तहत भूमिहीन परिवारों को प्रतिवर्ष 10 हजार रूपये की आर्थिक सहायता देने के लिए बजट में 500 करोड़ रुपए का प्रावधान है।
छत्तीसगढ़ में किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री सिंचाई योजना, सौर सुजला योेजना के माध्यम से सिंचित रकबे में बढ़ोत्तरी का प्रयास किया जा रहा है। नवीन सिंचाई योजना के लिए 300 करोड़ रूपए, लघु सिंचाई की चालू परियोजनाओं के लिए 692 करोड़ रूपए, नाबार्ड पोषित सिंचाई परियोजनाओं के लिए 433 करोड़ रूपए एवं एनीकट तथा स्टाप डेम निर्माण के लिए 262 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान छत्तीसगढ़ सरकार ने किया है।
छत्तीसगढ़ में किसानों एवं भूमिहीन मजदूरों की स्थिति में सुधार, कृषि एवं सहायक गतिविधियां के लिए समन्वित प्रयास पर राज्य सरकार का फोकस है। चालू वित्तीय वर्ष कृषि बजट 33 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए 13 हजार 435 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। किसानों को सहकारी एवं ग्रामीण बैंकों से ब्याज मुक्त कृषि ऋण उपलब्ध कराने के लिए 8500 करोड़ रूपए की साख सीमा छत्तीसगढ़़ सरकार ने तय की है।मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने वर्तमान खरीफ सीजन को देखते हुए राज्यभर की सहकारी समितियों में सोसायटियो में गुणवत्तापूर्ण खाद-बीज भंडारण एवं उठाव की स्थिति पर निरंतर निगरानी रखने को कहा है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि किसानों को खाद-बीज के लिए किसी भी तरह की दिक्कत का सामना न करना पड़े, इसलिए पर्याप्त व्यवस्था की जानी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने अपने खेती-किसानी के दीर्घ अनुभव के आधार पर कहा है कि खरीफ सीजन में किसान भाईयों द्वारा डी.ए.पी. खाद की मांग ज्यादा की जाती है। इसको ध्यान में रखते हुए डी.ए.पी. खाद की मांग और सप्लाई पर विशेष निगरानी रखी जानी चाहिए। खाद-बीज की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सेंम्पलिंग एवं प्रयोगशाला के माध्यम से जांच का विशेष अभियान संचालित किया जाए।
खरीफ सीजन 2024-25 के लिए राज्य में 13.68 लाख मैट्रिक टन उर्वरकों की मांग के विरूद्ध अब तक 9.13 लाख मैट्रिक टन उर्वरक की उपलब्धता सुनिश्चित कर ली गयी है, जो मांग का 67 प्रतिशत है। सोसायटियों में विभिन्न खरीफ फसलों के बीज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। खरीफ सीजन 2024-25 में 5 लाख 59 हजार 203 क्ंिवटल बीज की मांग के विरूद्ध 6 लाख 39 हजार 4 क्ंिवटल बीज उपलब्ध है, जो कि मांग का 114 प्रतिशत है। सोसायटियों से किसान लगातार बीज का उठाव कर रहे है। अब तक 03 लाख 75 हजार क्ंिवटल बीज का उठाव किसानों ने किया है, जो कि बीज की डिमांड का 67 प्रतिशत है।
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- गीत
-लेखिका-डॉ. दीक्षा चौबे, दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
हर पल गीत खुशी के गाओ
हर पल गीत खुशी के गाओ ।
मन-मंदिर में दीप जलाओ ।।
सद्भावों की पावन धरती ।
पीड़ा तन-मन जन की हरती ।
पुष्पित सुरभित यौवन डाली ।
नीति पत्र से रहे न खाली ।
दंभ-द्वेष के कलुष मिटाओ ।।
मन-मंदिर में दीप जलाओ ।। 1 ।।
जीवन-सरिता बहती जाए ।
बाधा पथ को रोक न पाए ।
मृदुल मंद शुचि मंथर लहरें ।
शुभ्र चंद्रिका आकर ठहरें ।
आभा मुख की दीप्त बनाओ ।।
मन-मंदिर में दीप जलाओ ।। 2।।
सुविचारों का बृहद गगन हो ।
सुखदा शीतल मंद पवन हो ।
शुचिता शुभता करें नमन हम ।
कुसुमित सुरभित करें चमन हम ।
शस्य-श्यामला धरा सजाओ ।।
मन-मंदिर में दीप जलाओ ।। 3 ।। - 2 जून पुण्यतिथि पर विशेषआलेख- प्रशांत शर्मा , वरिष्ठ पत्रकार2 जून 2024 को जाने-माने फिल्मकार, अभिनेता और फिल्म इंडस्ट्री के शो मैन राजकपूर को इस दुनिया से अलविदा कहे पूरे 36 साल हो जाएंगे। .2 जून 1988 को फिल्मी दुनिया का एक चमकता सितारा सदा के लिए एक किवदंती बन गया। उनकी पुण्यतिथि जब भी आती है, सोशल मीडिया हो या फिर रेडियो, टीवी की दुनिया, उनके गाने जरूर बजते हैं। उन पर फिल्माए ऐसे- ऐसे सुरीरे नगमे हैं, जब कभी सुनाई दे जाएं तो लोग अपने आप को गुनगुनाने से रोक नहीं पाते हैं। गीत जब मधुर होता है और लोकप्रिय भी तो लोग उसके संगीतकार और गायक कलाकारों को याद करते हैं, लेकिन राजकपूर के साथ ऐसी बात नहीं थी, वे बकायदा गाने में रुचि लेते थे और जब भी उसकी रिकॉर्डिंग होती थी, वे वहां पहुंच जाते थे और फिर चाहे पूरा दिन ही उन्हें क्यों ना देना पड़े वे एक - एक गाने को वक्त देते थे। इसलिए हर गाना उनका अपना गाना बन जाता था। फिल्म के निर्माता राजकपूर होते थे तो वे फिर क्या कहने। दरअसल इसके पीछे उनका संगीत के प्रति प्रेम ही था। वे अच्छे गायक भी थे और ठीकठाक हारमोनियम और तबला भी बजा लिया करते थे। इसलिए रिकॉर्डिंग स्टुडियो में उनकी आखिरी तक दखल रही।फिल्म हीना का निर्देशन का जिम्मा भी उन्होंने उठाया था। इसी फिल्म एक गाने की रिकॉर्डिंग का एक वीडियो अक्सर सोशल मीडिया में दिख जाता है जिसमें राजकपूर साहब रिकर्ॉंिडग स्टुडियो के बाहर बैठे हुए हैं और लता मंगेशकर माइक में गाना गा रही हैं-गीत "चि_ीए नि दर्द फिऱाक वालिये" । संगीतकार रवीन्द्र जैन भी वहां पर मौजूद थे। फिल्म में एकमात्र यही गाना था जिसे नक्श लायलपुरी ने लिखा बाकी सभी गाने रवीन्द्र जैन की रचना थे। यह दूसरी फिल्म थी, जिसमें राजकपूर ने रवीन्द्र जैन को संगीत का जिम्मा सौंपा था। फिल्म के गाने सभी लोकप्रिय हुए थे। फिल्म 28 जून 1991 को रिलीज हुई थी। राजकपूर ने संगीतकार रवीन्द्र जैन ने पहली बार 1985 में राम तेरी गंगा मैली फिल्म में मौका दिया था। लता मंगेशकर टेक 6 में यह गाना शुरू करती हैं- चिट्ठी.. ना ना ना और वे दोबारा टेक 7 में गाना शुरू करती हैं। इस गाने को रिकॉर्ड करने के दौरान राजकपूर आंखे मूंदकर लता की आवाज और गाने के भाव को महसूस करते नजर आते हैं। उनके चेहर पर एक संतोषजनक मुस्कान हैं जो यह बताती हैं कि वे इस गाने को लेकर कितने संतुष्ट हैं। पर इस फिल्म का वे निर्देशन कर पाते उसके पहले ही भगवान के घर से उनका बुलावा आ गया। बाद में उनके बड़े बेटे रणधीर कपूर ने फिल्म के निर्देशन का जिम्मा उठाया।खैर हम बात कर रहे थे राजकपूर के संगीत पक्ष की खूबियों की, तो इस महान कलाकार की एक आदत थी कि उन्हें यदि कोई धुन पसंद आ जाती थी तो वे अपनी अगली फिल्म में उसे लेकर एक गाना जरूर बनाते थे और वो गाना फिल्म का टाइटिल सॉग हुआ करता था। यही बात गाने की थी। राजकपूर को यदि कोई गाना पसंद आ जाता तो वे तत्काल उसे अपने फिल्म के लिए बुक कर लेते थे फिर उस फिल्म को बनने में कितना ही वक्त क्यों ना लगे उस दौर में गीतकारों को वाहवाही तो मिलती थी, लेकिन उन्हें मेहनताना कम मिलता था। राजकपूर ने यह ट्रैंड बदला और गीतकारों को तवज्जो भरपूर दी।राजकपूर की फिल्मों के गाने लोगों को इसलिए भी पसंद आते हैं, क्योंकि उनमें जान हुआ करती है। उन्होंने बहुत से संगीतकारों - गीतकारों के साथ काम किया , लेकिन सबसे ज्यादा मौका शंकर- जयकिशन और गीतकार शैलेन्द्र को दिया।आज उनके एक लोकप्रिय गीत रमैया वस्तावैया' पर हम चर्चा करते हैं। इस गाने के बनने के पीछे की एक रोचक कहानी है। दरअसल, ‘वस्ता वैया’ तेलुगू शब्द है। जब 1955 को श्री 420 फि़ल्म की शूटिंग चल रही थी, तो पूरी म्यूजिक टीम मस्ती करने के लिए खंडाला जाया करती थी।इस टीम में शंकर,-जयकिशन , गीतकार शैलेन्द्र और हजऱत जयपुरी शामिल थे और वो अक्सर चाय और नाश्ता के लिए रोड साइड रेस्टोरेंट में चले जाया करते थे। उसी रेस्टोरेंट में एक वेटर था जिसका नाम 'रमैया' था।संगीतकार शंकर हमेशा अपना आर्डर उस वेटर को ही देते थे क्योंकि शंकर भी हैदराबाद से ही थे और उन्हें तेलगु भी आती थी। उस दिन भी शंकर ने ऑर्डर के लिए रमैया को आवाज़ दी , लेकिन वह किसी और काम में व्यस्त था तो उसने उन्हें इंतज़ार करने को कहा। थोड़ा इंतजार करने के बाद उन्होंने फिर कहा 'वस्तावैया?' जिसका मतलब होता है 'जल्दी आओ'। इसके बाद शंकर 'रमैया वस्तावैया' गुनगुनाने लगे जिसके साथ साथ जयकिशन टेबल बजाने लगे। लेकिन सिर्फ एक लाइन से मामला न जमते देख, शैलेन्द्र ने तुरंत जोड़ा- 'मैंने दिल तुझको दिया।' इस तरह बेहतरीन गाना बन गया। राज कपूर को भी यह गाना काफी पसंद आया और उन्होंने फिल्म में इसे शामिल किया। गाने का फिल्मांकन जरा भी बनावटी नहीं है। यह राजकपूर की अपनी सादगी थी जो लोगों को छू जाती थी।गीतकार शैलेन्द्र के साथ उनका ऐसा अटूट रिश्ता बना कि लोग उनकी जोड़ी को कभी भूला नहीं पाए। शैलेन्द्र को इप्टा के एक कार्यक्रम में राजकपूर ने सुना था। शैलेन्द्र ने गीत पढ़ा था - 'जलता है पंजाब हमारा जलता है पंजाब.' कार्यक्रम समाप्त होने के बाद राज कपूर शैलेन्द्र के पास गए. बोले ,'मैं राज कपूर हूँ. पृथ्वीराज कपूर का बेटा। फिल्म 'आग' बना रहा हूँ. आप उसके लिए गीत लिखेंगे। ' उन दिनों शैलेन्द्र का आदर्शवाद चरम पर था। उन्होंने उत्तर दिया ,'मैं साहित्य रचता हूँ फि़ल्मों - इल्मों में पैसे के लिए नहीं लिखता। ' राज कपूर उदास लौट आए। बात आई गई हो गई.। इसी बीच शैलेन्द्र की पत्नी शकुंतला माँ बनने वाली ली। बंबई में शैलेन्द्र के पास घर नहीं था। पत्नी शकुन झाँसी की रहने वाली थीं। शैलेन्द्र ने सोचा उन्हें झाँसी भेज दिया जाए. कम से कम आने वाले मेहमान का स्वागत अच्छा हो जाएगा। उस वक्त शैलेन्द्र कडक़ी में थे। जेब में दो चार सौ रूपए भी नहीं थे कि शकुन को दे सकते। उन्हें तब राज कपूर की याद आई। वे राज कपूर के महालक्ष्मी दफ़्तर में जा पहुँचे। राजकपूर से कहा-, 'आपको याद है. एक दिन आप मुझसे गाना मांगने आए थे। ' राजकपूर ने कहा ,'कविराज ! बिलकुल याद है। ' शैलेन्द्र ने कहा ,'मुझे पाँच सौ रूपए अभी चाहिए। आपको जो भी काम कराना है करा लीजिए। ' राज कपूर ने उन्हें पाँच सौ रूपए तुरंत दे दिए. बोले ,'कविराज ! आप चिंता न करें। कोई जल्दी नहीं है, मैं आपको बता दूँगा। 'शैलेन्द्र ने पाँच सौ रूपए पत्नी शकुन के हाथ में रखे और कहा ,'जाओ, अच्छी तरह झाँसी जाओ और नए मेहमान का स्वागत धूम धाम से होना चाहिए। 'इसके बाद वे पिता बने और कुछ पैसा आया तो शैलेन्द्र राज कपूर के पास गए और पाँच सौ रूपए लौटाने लगे। राज कपूर ने कहा 'कविराज ! इसे अपने पास रखो। मेरी फि़ल्म 'बरसात' के दो गीत बचे हैं। आपका मन हो तो लिख दीजिए। ' फिर शैलेन्द्र ने दो गीत दिए, जो बरसात के सुपर हिट गीत थे। एक गीत उसका टाइटल सांग था - 'बरसात में हमसे मिले तुम सनम, तुमसे मिले हम। 'इसके बाद शैलेन्द्र फि़ल्मी दुनिया के पहले टाइटल सांग राइटर बन गए।शीर्षक गीत लिखने का यह रिकॉर्ड हमेशा शैलेन्द्र के नाम रहा। इस फि़ल्म के बाद शैलेन्द्र और राजकपूर की जोड़ी ऐसी जमी कि लोग देखते रह गए। राज कपूर उन्हें अपना पुश्किन कहते थे। जब शैलेन्द्र ने फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी 'मारे गए गुलफ़ाम' के आधार पर फि़ल्म 'तीसरी क़सम' बनाने का फ़ैसला किया तो उसके नायक राज कपूर ही थे। हीरामन के अनूठे रोल में। दिलचस्प यह है कि एक दिन राज कपूर ने शैलेन्द्र से कहा ,'मेरा मेहनताना दो। ' शैलेन्द्र के पास उन्हें देने के लिए सौ रूपए भी नहीं थे। फिर भी उन्होंने दुखी होकर पूछा ,'भाई ! कितना मेहनताना चाहिए तुम्हें ?'राज कपूर ने शैलेन्द्र की जेब में हाथ डाला और उसमें से एक रूपए का सिक्का निकाला। बोले ,'मुझे मेरा मेहनताना मिल गया।' तो यह था राज कपूर का सोने का दिल।
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- गीत
-लेखिका-डॉ. दीक्षा चौबे, दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
नाविक तूफानों में फँसकर, संयम धीरज मत खोना ।
भावी तो होकर रहता है , बीते पर अब क्या रोना ।।
सोया गहन अँधेरे में वह, बीज मृदा के अंतस में।
धूप थपथपाकर है कहती, भोर हुई अब क्या सोना ।।
नहीं धुले कीचड़ से कीचड़, स्वच्छ नीर ही चाहें सब।
करके शुभ कर्मों का सिंचन, पाप-पंक को तुम धोना ।।
बुरे कर्म से महल बनाए , औरों ने यह मत सोचो।
शूल बिछाए लोगों ने पर , फूल राह में तुम बोना ।।
नहीं विकल्प परिश्रम का है ,सरल राह मत ढूँढो तुम ।
कर्मठता से जीत मिलेगी ,नहीं चले जादू-टोना ।। -
-कहानी
माँ मैं कॉलेज जा रही हूँ... कहते हुए विधि घर से बाहर निकली तो माँ ने अंदर से ही कई हिदायतें दे डालीं.
देर मत करना ...समय पर खा लेना आदि आदि । विधि बी. एस. सी. प्रथम वर्ष की छात्रा थी , अपनी सहेलियों के साथ वह सुबह नौ बजे घर से निकलती..उसकी क्लास चार बजे खत्म होती थी.. पहला साल होने के कारण सीनियर द्वारा उनका इंट्रोडक्शन होता था और उनके लिए ढेर सारे नियम बनाये गए थे जैसे बिना चुनरी के सूट नहीं पहनना , स्लीवलेस कपड़े नहीं पहनना , सीनियर्स को नाइंटी डिग्री झुककर विश करना आदि..तो उन्हें बहुत डर कर रहना पड़ता ताकि वे परेशान न करें । अंतिम वर्ष के सीनियर निनाद सर उसे बहुत अच्छे लगते थे.. उन्होंने कई बार उसकी मदद की थी और अपने साथियों की डाँट पड़ने से भी बचाया था । फिजिक्स का प्रैक्टिकल समझ न आने पर वह निनाद सर से समझने गई .. उन्होंने बहुत अच्छे से उसे समझाया था.. वह कॉलेज के ब्रिलिएंट स्टूडेंट्स में से एक थे । कहीं भी मिलते वे बहुत अच्छी बातें करते व विधि को सृजनात्मक कार्यों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करते । वाद - विवाद प्रतियोगिता में पक्ष में विधि और विपक्ष में निनाद सर का चयन हुआ था और उन्हें यूनिवर्सिटी में भाग लेने के लिए जाना था । कॉलेज की मैडम भी साथ गई थी , निनाद सर के साथ दो दिन रहकर उनके बीच अच्छी दोस्ती हो गई थी , वैसे ही विधि उनके व्यक्तित्व और प्रतिभा से बहुत प्रभावित थी । मासूमियत लिए उसकी उम्र भी थी सपने बुनने की..वह निनाद सर के लिए आदर के साथ कुछ और भी महसूस करने लगी थी.. शायद यह एहसास प्यार ही है.. वह सोचने लगी थी । घर में रहती तो उनके बारे में ही सोचती..पढ़ते - पढ़ते किताबों के बीच बरबस उनका चेहरा आ जाता और वह कल्पनालोक में खो जाती । उसके हर क्रियाकलाप में निनाद सर उसके साथ होते..वह पढ़ाई में ध्यान नहीं लगा पा रही थी.. कितना ही वक्त उनके बारे में सोचकर व्यतीत कर देती । परंतु बाद में पछतावा भी होता कि समय व्यर्थ बीता जा रहा है और वह पढ़ाई नहीं कर पा रही है । सबसे बड़ी बात तो यह थी कि उसका प्यार व लगाव एकतरफा था । निनाद सर के प्रति उसका लगाव बढ़ता ही जा रहा था और वह भावनाओं के मकड़जाल में फँसती ही चली जा रही थी । पल्लवित हुए नये कोंपल की तरह उसकी भावनाएँ बहुत ही मासूम थीं पर यह उसके जीवन की उलझन बढ़ा रही थी । निनाद सर ने कभी अपना झुकाव उसकी तरफ नहीं दिखाया था.. वह तो सिर्फ उसकी मदद कर दिया करते थे... उसे आगे बढ़ने को प्रेरित करते थे । विधि के बदलते व्यवहार ने शायद उन्हें भी यह एहसास करा दिया था कि विधि क्या महसूस कर रही है । अचानक उन्हें अपने सामने पाकर उसका ठिठकना , अक्सर उसकी नजरों का निनाद को ढूँढना , उसका अधिक साथ पाने के बहाने बनाना...इस उम्र का प्यार महज शारीरिक आकर्षण होता है.. समझदारी भरा निर्णय नहीं होता है वह जानते थे । लेकिन विधि को कैसे समझाया जाए वह सोच में पड़ गए थे । प्रैक्टिकल परीक्षा के बाद निनाद सर से उसकी मुलाकात हुई तो उन्होंने उसकी पढ़ाई के बारे में पूछा और परीक्षा की ठीक ढंग से तैयारी करने के लिए विधि को कुछ टिप्स भी दिये । परीक्षा की तैयारी में वे दोनों ही व्यस्त हो गये थे । विधि का मन होता उन्हें फोन कर बात कर ले पर वे भी अपनी पढ़ाई में व्यस्त होंगे यह सोचकर नहीं कर पाई ।
विधि जानना चाहती थी कि निनाद सर के दिल में उसके लिए कोई जगह है या नहीं । न भी हो तो उसे फ़र्क नहीं
पड़ता क्योंकि चकोर का काम चाँद को चाहते रहना है ..चाँद को यह खबर भी नहीं तो उसे कोई फर्क नहीं पड़ता..वह तो अपने प्रेम के मधुर एहसास में डूबा रहता है । प्रेम कभी प्रतिदान नहीं चाहता.. विधि प्रेम की मधुरता से सराबोर थी...यथार्थ के ठोस धरातल पर उसने कदम ही नहीं रखा था ।
निनाद बेहद समझदार व सुलझे व्यक्तित्व का लड़का था.. वह नहीं चाहता था कि विधि के साथ कभी कुछ गलत हो..इस उम्र में सही दिशा निर्देश मिलना अत्यंत आवश्यक होता है नहीं तो कदम भटकने की पूरी गुंजाइश रहती है । कम उम्र में ही मोहब्बत में नाकाम युवा मौत को गले लगा लेते हैं.. अति भावुकता सोचने - समझने की क्षमता को खत्म कर देती है । निनाद ने विधि को परीक्षा के बाद उससे बात करने का निश्चय किया और उसे मिलने के लिए बुलाया । विधि बेहद प्रसन्न थी उसके लिए तो "अंधा क्या चाहे दो आँखें" वाली कहावत सार्थक हो रही थी । उसका दिल जोरों से धड़क रहा था पता नहीं क्या कहने बुला रहे हैं निनाद सर...कहीं उन्हें भी तो...इससे आगे सोचने में भी उसे शर्म आ रही थी । खैर , हल्के गुलाबी सूट में तैयार होकर वह निनाद सर से मिलने लायब्रेरी गई । पेपर के बारे में बात करने के बाद निनाद ने उससे कहा..विधि , मैं आगे की पढ़ाई करने के लिए बाहर जा रहा हूँ... मैं चाहता था उससे पहले तुमसे बात करूँ । तुम एक बहुत अच्छी लड़की हो..पढ़ाई में भी अच्छी हो । अभी का समय बहुत महत्वपूर्ण रहता है , इधर - उधर ध्यान दोगी तो अपने करियर पर फोकस नहीं कर पाओगी ।
प्रेम और श्रद्धा में थोड़ा सा ही अंतर होता है... कई बार किसी के प्रति हमारे मन में श्रद्धा या आदर भाव प्रेम का एहसास कराता है... पर वह प्रेम नहीं होता है ।श्रद्धा में कोई बुराई नहीं है ,हम ईश्वर के प्रति भी श्रद्धा रखते हैं पर उन्हें सिर्फ अपना कहकर अधिकार नहीं जताते । प्रेम एकाधिकार चाहता है.. कई ख्वाहिशें जगाता है.. और उन ख्वाहिशों के पूरे न होने पर मन में निराशा घर कर लेती है और हम जिंदगी में बहुत पीछे रह जाते हैं ।
मैं यह सब तुम्हें इसीलिए बताना चाहता हूँ कि कुछ वर्ष पहले मेरी एक कजिन ने प्रेम में निराश होकर खुदकुशी कर ली थी । शायद उसे कोई समझा नहीं पाया कि जीवन में और भी राहें हैं.. जीने के हजार तरीके हैं । निराशा और तनाव ये दो बातें हमारे मन को कुंठाग्रस्त कर देती हैं और हमें कुछ भी सोचने नहीं देती..हम अच्छे - बुरे का फर्क नहीं कर पाते । मैं एक बड़े और दोस्त के रूप में तुम्हें समझा रहा हूँ इसे अन्यथा मत लेना और बहुत सोच समझ कर जीवन की राहें तय करना । मैं यहाँ नहीं रहूँगा पर फोन के जरिये तुम अपनी बातें मुझसे शेयर कर सकती हो..एक सीनियर , दोस्त के रूप में मैं हमेशा तुम्हारी मदद करूँगा ।
विधि समझ गई थी निनाद सर क्या कहना चाह रहे थे.. नहीं सर मैं भावुकता में कभी भी कोई गलत कदम नहीं उठाउँगी.. क्योंकि मुझे आप जैसे समझदार और दूसरों का भला सोचने वाले सर मिले हैं । आप बिलकुल सच कह रहे हैं , अभी अपने करियर के बारे में सोचने का वक्त है.. मैं इस पर पूरा ध्यान दूँगी । शुक्रिया ! आपने मुझे जीवन की एक बहुत बड़ी उलझन से बाहर निकाला.. अब मैं किसी बात से बहकने वाली नहीं । पर आप मुझसे बात करने व मुझे दिशा निर्देश देने के लिए समय जरूर निकलेंगे, वादा कीजिये । निनाद सर के मुस्कुराते हुए हाँ सुनकर विधि की आँखें खुशी से नम हो गई थीं । - - 22 मई अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर विशेषदुनिया के जैव विविधता के मुद्दों को बढ़ावा देने और जैव विविधता के संरक्षण और उचित उपयोग के लिए बनाए जा रहे सतत विकास लक्ष्यों को अपनाने के लिए हर साल 22 मई को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस मनाया जाता है इस क्रम में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर छत्तीसगढ़ अपने माननीय कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल के नेतृत्व में कृषि-जैव विविधता संरक्षण और जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए इसके सतत उपयोग के क्षेत्र में काम कर रहा है। विश्वविद्यालय में अनेक अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय परियोजनाएँ संचालित की जा रही हैं। पौधा किस्म और किसान अधिकार संरक्षण प्राधिकरण, भारत सरकार, नई दिल्ली किसानों की विभिन्न फसलों की किस्मों को सुरक्षा प्रदान करती है इसी श्रृखला में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर ने कुल १८३० पौधा किस्मो के पंजीकरण के आवेदन जमा किये हैं जिनमे से ५२६ कृषक प्रजातियों को पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी किया जा चुका है. पौधा किस्म और किसान अधिकार संरक्षण प्राधिकरण विशेष गुणों वाली दुर्लभ भूमि प्रजातियों का संरक्षण करने वाले प्रमुख किसानों को पुरस्कारों से सम्मानित किया करती है। कृषक प्रजातियाँ युगों से कृषको द्वारा उपयोग की जा रही है इसलिए यह किस्मे विशेष गुणों से ओत-प्रोत है तथा इनमे जलवायु परिवर्तन से जूझने के गुण मौजूद हैं. ऐसी ही किस्मो के संरक्षण करने के लिए पौधा किस्म और किसान अधिकार संरक्षण प्राधिकरण, भारत सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के कुल १७ किसानों को पुरस्कार दिये गये हैं, जिसमें 0२ कृषक सामुदायों को १०-१० लाख रुपए का पुरस्कार, ०६ कृषकों को १.५-१.५ लाख रूपये, ०९ किसानों को १ लाख रूपये के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने राज्य में कुल ०९ जैव विविधता हॉटस्पॉट की पहचान की गई है जहाँ असीमित जैव विविधता की विवेचना की गई है तथा छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र को देश के मेगा जैव विविधता हॉटस्पॉट बनाने के लिए राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (एनबीए), चेन्नई को प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है। विश्वविद्यालय की संयुक्त राष्ट्र वैश्विक पर्यावरण वित्त पोषित परियोजना के माध्यम से किसानों की किस्मों को मुख्यधारा में लाया गया तथा कृषक किस्मो को बौना और शीघ्र पकने वाली किस्म के रूप में, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के सहयोग से विकसित किया गया है। हाल ही में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने जर्मप्लाज्म से विकसित जलवायु स्मार्ट किस्मों, टीसीडीएम-1 (छोटी ऊंचाई और प्रारंभिक दुबराज), विक्रम टीसीआर (छोटी ऊंचाई और अवधि सफ़री -17), टीसीवीएम (छोटी और प्रारंभिक विष्णुभोग), बाउना लुचाई (छोटी और प्रारंभिक) के साथ आए। लुचाई), टीसीएसएम (अधिक उपज देने वाली और मजबूत कद वाली सोनागाथी)। कृषि-जैव विविधता के उत्सव में एक विशेष योगदान संजीवनी चावल है जो राज्य और देश की पहली औषधीय चावल किस्म है जो शरीर की रोग प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाने और कैंसर कोशिका की वृद्धि को रोकने में सक्षम साबित हुई है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय को जर्मप्लाज्म के उपयोग के लिए दो पुरस्कार जीते हैं, पहला डॉ. एस. के. वासल पुरस्कार २०२२ और दूसरा वार्षिक चावल समूह बैठक नई दिल्ली में सर्वश्रेष्ठ केंद्र पुरस्कार २०२३। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर छत्तीसगढ़ इसी तारात्यम में सैदव कृषको का विकास कृषको के साथ करने की अभिलाषा रखता है.
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लघुकथा
- स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
स्वाति आज पहली बार सीमा के साथ बाजार गई थी । उसने देखा सीमा कुछ चुनिंदा दुकानदारों से ही खरीदारी कर रही थी । उसके कई काम की चीजें उनके पास न होने पर वह किसी और से वह सामान नहीं खरीद रही थी बल्कि उन्हें ही अगली बार मँगाकर रखने के लिए कह रही थी । स्वाति ने सीमा को किसी भी दूसरे दुकानदार से वह सामान खरीदने को कहा तो उसने मना कर दिया यह कहकर कि वे ईमानदार नहीं हैं ।
थोड़ी देर में किसी का चेहरा देखकर तुम कैसे कह सकती हो कि यह ईमानदार है या बेईमान ?" स्वाति ने अपनी शंका प्रकट करते हुए कहा । " मैं जान - बूझकर कई बार उन्हें दो - चार रुपये अधिक दे देती हूँ जो ईमानदार होते हैं वे सच बताते हुए पैसे वापस कर देते हैं , खोटी नीयत वाले चंद रुपयों के लाभ का मोह नहीं छोड़ पाते और ग्राहकों का विश्वास खो देते हैं । बस , यही है मेरा ईमानदारी परखने का थर्मामीटर "।स्वाति को भी भा गया था यह थर्मामीटर । -
-लघुकथा
- स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
काम माँगने आये उस लड़के को देखकर संदीप को अपना गाँव, अपना बचपन और उनसे जुड़ी हर वो बात याद आ गई थी जो जीवन की आपाधापी में वे भुला बैठे थे। साधारण से कपड़े और चेहरे में मासूमियत , वह बातचीत में भी सीधा सा लगा था ...संदीप ने तुरंत उसे काम पर रख लिया था। वह भी तो एक दिन ऐसे ही चला आया था गाँव से.. काम तलाशने। एक अदद डिग्री , निश्छल मन और परिश्रम करने की जिजीविषा बस यही साथ लेकर निकला था घर से। किसी ने उसके भीतर अपने आप को ढूँढा था और उसे मौका दिया। अब उसकी बारी है ...शायद माली दिन भर के सूखे पौधों में पानी दे रहा था... मिट्टी की सोंधी महक उसके तन - मन को सुवासित कर गई थी। -
- गीत
-लेखिका-डॉ. दीक्षा चौबे, दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
मर्यादित करने इस जग को , हे राम पुनः आ जाओ ।
माया छल में लिप्त मनुज को , शुचिता की राह दिखाओ ।।
भाई-भाई में स्नेह नहीं है , माया आँगन को बाँटे ।
स्वजन स्वार्थ की तुला विराजे , ढुलमुल होते हैं काँटे ।
मात-पिता का अंतस छलनी , होकर निज सुध बुध खोता ।
सिंचित ममता की धारा से, तुलसी का बिरवा रोता ।
लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न जैसे, भ्रातृप्रेम इन्हें बताओ ।
राजा होकर भी निषाद को, राम आपने गले लगाया ।
मित्र की वेदना के आगे, अपना दुख भी बिसराया ।
निश्छल प्रेम भक्ति को माना, वंचित को अपना कर ।
चखे बेर जूठे शबरी के, जाति वर्ग सभी भुला कर ।
जाति पाति की गहरी खाई , बढ़ती है इन्हें मिटाओ ।।
सिया राम की थी परछाई, विलग हुई वह तुमसे क्यों कर ।
धन वैभव सुख त्याग चली जो, मोहित वह स्वर्ण हिरण पर ।
ज्ञानी बुद्धि अतुल बलशाली, परनारी का हरण किया ।
ध्वस्त हुई रावण की लंका, दानव दल का क्षरण किया ।
पैठे दुष्ट कई उनको भी, स्त्री का सम्मान सिखाओ ।। -
- गीत
-लेखिका-डॉ. दीक्षा चौबे, दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)चूस आम को फेंक दिया ज्यों,
ऐसे ही इंसान हो गए।
स्वार्थ-सिद्धि के बाद न पूछें,
रिश्ते कूड़ेदान हो गए।।
शर्म न आती रिश्वत लेते ,
चोरी ऊपर सीनाजोरी।
धौंस दिखाते हैं धन-बल का,
देख सभी हैरान हो गए।।
कमजोरों को सभी लूटते,
रिश्तों का अब मोल कहाँ।
रीत गया घट संस्कारों का,
मूल्य बेच धनवान हो गए।।
अंधानुकरण करके भूले,
गौरवशाली संस्कृतियों को।
अपने ही घर में निर्वासित,
बिना राज्य सुल्तान हो गए।।
घर की मुर्गी दाल बराबर,
चाइनीज के दीवाने हम।
बिसरी ताजी रोटी-सब्जी,
मोमो मैगी जलपान हो गए।।
गमलों में सिमटे हैं पौधे,
अब हरी दूब ढूँढें न मिलें।
हरी-भरी वसुधा यह रोती,
बंजर सब मैदान हो गए।
रोजगार पाने को निकले,
चौखट से बाहर लोग सभी।
भौंक रहे गलियों में कुत्ते,
खाली गली मकान हो गए।। -
- गीत
-लेखिका-डॉ. दीक्षा चौबे, दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
ज्वाला में तपकर साँचे में ढाले होंगे ।
कुंदन आसानी से नहीं निकाले होंगे ।।
खत्म नहीं यूँ ही हुआ होगा यह अँधेरा ।
राहों में किसी ने तो दिए बाले होंगे ।।
मंजिल कब मिलती है यूँ बैठे-ठाले ।
चलने वाले के पैरों में छाले होंगे ।।
ईमान की रोटी श्रम स्वेद माँगती है ।
लगती भूख के स्वाद बड़े निराले होंगे ।।
इतनी आसानी से बुझते नहीं हैं दिए ।
जरूर आँधियों ने ही इन्हें पाले होंगे ।।
अनमोल बहुत मोती जो अबकी पाए हैं ।
बरसों वे जाल समंदर में डाले होंगे ।।
बहुत मुश्किल है घर को घर बनाना दीक्षा ।
बंद मकानों में सिर्फ लगे जाले होंगे ।। -
-डॉ. दीक्षा चौबे
दूर चले जाते जो अपने, याद बहुत आते हैं।
जीवित रह जाते यादों में, भूल कहाँ पाते हैं।।
आसपास उनके होने का, मन विश्वास दिलाता।
घर का हर कोना-ऑंगन,उनसे नित्य मिलाता।
उनकी प्रिय चीजें, गाने, याद दिला जाते हैं।।
दूर चले जाते जो अपने, याद बहुत आते हैं।।
स्नेहभरी वे प्यारी बातें, संचित धन हैं अपने।
क्रूर काल ले गया चुरा कर, जीवन-सुख के सपने।
उनके साथ बिताए हर पल, हमको अब भाते हैं।।
दूर चले जाते जो अपने, याद बहुत आते हैं।।
मुस्काती मनभावन वह छवि, मन में सदा बसाया।
स्मृति-शेष अनमोल धरोहर, हमने गले लगाया।
श्रद्धांजलि में अश्रु बूँद के, दो सुमन चढ़ाते हैं।।
दूर चले जाते जो अपने, याद बहुत आते हैं।। -
उपलब्ध संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल व समन्वय से शीघ्र रोकथाम ,जनहानि,जनसंपत्ति हानि का बचाव
-- उमेश कुमार मिश्र
एक कहावत है 'जान है तो जहान है ' लेकिन यह समय की शिला पर उकेरा गया सबसे बड़ा सच भी है। दुनियाभर में जितने भी कर्म किये जाते हैं, उनमें सबसे बड़ा काम वही माना जाता है, जो किसी की जान बचाने के लिए किया गया हो।
05 अप्रैल 2024 को छत्तीसगढ़ की राजधानी, रायपुर के आसमान पर जो काले धुंये का गुबार छाया था, वह सारे शहर में दहशत फैला रहा था कि पता नहीं कितनों की जान और माल पर कितना खतरा मंडरा रहा है?
आग के बारे में कहा जाता है कि वह पानी से बुझती है लेकिन तेल की आग पर पानी भी बेअसर होता है, तो सवाल उठता है कि ऐसी आग कैसे बुझेगी ? अब इस आग की विकरालता के साथ जुड़ी अन्य चुनौतियों पर भी गौर करना जरूरी है।
घनी बस्ती व ऑयल से भरे डिब्बा बन्द
एक ओर 132 के.वी. क्षमता का विद्युत उपकेंद्र और दूसरी ओर घनी बस्ती। उस घनी बस्ती और भभकती ज्वाला के बीच ऑयल से भरे हुए डिब्बाबंद ड्रम। एक छोटी सी बोतल में भरा पेट्रोल कितना विध्वंसक होता है, यह सब को पता है, तो ऑयल भरा हुआ डिब्बाबंद ड्रम कितना कहर ढा सकता है?
दूसरों की जान की परवाह करना ही सबसे बड़ा कर्तव्य
यह सोचकर भी आत्मा कांप उठे। वह पर ऐसा एक नहीं, अनेक ड्रम थे। इन ड्रमों को वहां से हटा देना ही भयानक शक्तिशाली बमों को डिफ्यूज करने जैसा राहतकारी कदम था। थोड़ी ही दूरी पर, खुले मैदान पर पड़े ऑयल भरे ट्रांसफार्मर बमों की तरह फट रहे थे और उससे थोड़ी दूर ऑयल के ड्रमों को हटाने के लिए अपनी जान की बाजी वही लगा सकता है, जो दूसरों की जान की परवाह करता हो और जान बचाने को ही सबसे बड़ा कर्तव्य समझता हो।
अधिकारियों के फर्ज तो औरो के लिए प्रेरणा
ऐसे कुछ वीडियोज वायरल हुए हैं, जिसमें एक महिला और कुछ पुरुष अधिकारी स्वयं ऑयल भरे ड्रमों को धकेलकर आग की जद से दूर ले जाते दिख रहे हैं। जैसे कि युद्ध जैसी बमबारी और धमाकों के बीच भी उन्हें सिर्फ एक ही आवाज सुनाई दे रही हो, बचाव, बचाव, बचाव। इनके साहस और जज्बे को सलाम करने के बजाय जो लोग दूरबीन लेकर लापरवाही ढूंढ रहे हैं, उनसे कुछ कहना निरर्थक है ।
श्रेष्ठतम प्रबंधन ही सर्वश्रेष्ठ रास्ता होता
जाहिर है कि ऐसे हालातों के बीच वही व्यक्ति काम कर पाता है, जो यह जानता हो कि प्रिवेंटिव मेन्टेनेन्स की अपनी अहमियत तो है ही, लेकिन जब कोई आपदा आ ही गई हो तो उससे निपटने का हर संभव और श्रेष्ठतम प्रबंधन ही सर्वश्रेष्ठ रास्ता होता है ।
न्यूनतम क्षति के साथ संकट से निजात
आपदा प्रबंधन का सबसे बड़ा सिद्धांत है, न्यूनतम क्षति के साथ संकट से निजात। छत्तीसगढ़ स्टेट पाॅवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के क्षेत्रीय भंडार के अग्निकांड में जन हानि न होना और आम जनता की निजी संपत्तियों का लेशमात्र भी नुकसान न होना आपदा प्रबंधन की सबसे बड़ी कसौटी थी। इस कसौटी और चुनौती में खरा उतरना बेहद राहतदायी है। शहर के बड़े हिस्से में विद्युत आपूर्ति करने वाले 132 केवी उपकेंद्र, ऑयल के ड्रम, लगभग 100 ट्रांसफार्मर और अन्य कीमती उपकरण आग की भेंट चढ़ने से बच गए, यह निश्चय ही उपलब्धि है लेकिन इतनी भयानक आग में जनहानि नहीं होना अतुलनीय उपलब्धि है और इसके लिए मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की प्रेरणा, उनके संबल की बहुत बड़ी प्रेरणा ने अपना काम किया।
बेहतर समन्वय से उत्कृष्ट परिणाम
छत्तीसगढ़ पाॅवर कंपनियों के अध्यक्ष और छत्तीसगढ़ शासन के ऊर्जा विभाग के सचिव श्री पी.दयानंद की भूमिका भी रेखांकित करने योग्य है। श्री दयानंद ने पहले भी कई बार कहा है कि दुर्घटना न हो, इससे सुखद कुछ हो नहीं सकता लेकिन अगर कुछ अनहोनी घट ही गई हो तो संसाधनों के बेहतर समन्वय और सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन का कोई विकल्प नहीं होता। यही सीख 5 अप्रैल को काम आ गई। - मर्यादित करने इस जग को , हे राम पुनः आ जाओ ।माया छल में लिप्त मनुज को , शुचिता की राह दिखाओ ।।
भाई-भाई में स्नेह नहीं है , माया आँगन को बाँटे ।स्वजन स्वार्थ की तुला विराजे , ढुलमुल होते हैं काँटे ।मात-पिता का अंतस छलनी , होकर निज सुध बुध खोता ।सिंचित ममता की धारा से , तुलसी का बिरवा रोता ।लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न जैसे , भ्रातृप्रेम इन्हें बताओ ।
राजा होकर भी निषाद को , राम आपने गले लगाया ।मित्र की वेदना के आगे ,अपना दुख भी बिसराया ।निश्छल प्रेम भक्ति को माना , वंचित को अपना कर ।चखे बेर जूठे शबरी के , जाति वर्ग सभी भुला कर ।जाति पाति की गहरी खाई , बढ़ती है इन्हें मिटाओ ।।
सिया राम की थी परछाई ,विलग हुई वह तुमसे क्यों कर ।धन वैभव सुख त्याग चली जो , मोहित वह स्वर्ण हिरण पर ।ज्ञानी बुद्धि अतुल बलशाली , परनारी का हरण किया ।ध्वस्त हुई रावण की लंका , दानव दल का क्षरण किया ।पैठे दुष्ट कई उनको भी , स्त्री का सम्मान सिखाओ ।।
-डॉ. दीक्षा चौबे - -स्वामी स्मरणानंदजी का जीवन, रामकृष्ण मिशन के सिद्धांत 'आत्मनो मोक्षार्थ जगद्धिताय च' का अमिट उदाहरण रहालेखक - प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीलोकसभा चुनाव के महापर्व की भागदौड़ के बीच एक ऐसी खबर आई, जिसने मन-मस्तिष्क में कुछ पल के लिए एक ठहराव सा ला दिया। भारत की आध्यात्मिक चेतना के प्रखर व्यक्तित्व श्रीमत स्वामी स्मरणानंद जी महाराज का समाधिस्थ होना, व्यक्तिगत क्षति जैसा है। कुछ वर्ष पहले स्वामी आत्मास्थानंद जी का महाप्रयाण और अब स्वामी स्मरणानंद का अनंत यात्रा पर प्रस्थान कितने ही लोगों को शोक संतप्त कर गया है। मेरा मन भी करोड़ों भक्तों, संत जनों और रामकृष्ण मठ एवं मिशन के अनुयायियों सा ही दुखी है।इस महीने की शुरुआत में, अपनी बंगाल यात्रा के दौरान मैंने अस्पताल जाकर स्वामी स्मरणानंद जी के स्वास्थ्य की जानकारी ली थी। स्वामी आत्मास्थानंद जी की तरह ही, स्वामी स्मरणानंद जी ने अपना पूरा जीवन आचार्य रामकृष्ण परमहंस, माता शारदा और स्वामी विवेकानंद के विचारों के वैश्विक प्रसार को समर्पित किया। ये लेख लिखते समय मेरे मन में उनसे हुई मुलाकातें, उनसे हुई बातें, वो स्मृतियां जीवंत हो रहीं हैं।जनवरी 2020 में बेलूर मठ में प्रवास के दौरान, मैंने स्वामी विवेकानंद जी के कमरे में बैठकर ध्यान किया था। उस यात्रा में मैंने स्वामी स्मरणानंद जी से स्वामी आत्मास्थानंद जी के बारे में काफी देर तक बात की थी।आप जानते हैं कि रामकृष्ण मिशन और बेलूर मठ के साथ मेरा कितना आत्मीय संबंध रहा है। आध्यात्म के एक जिज्ञासू के रूप में, पांच दशक से भी ज्यादा के समय में, मैं भिन्न-भिन्न संत-महात्माओं से मिला हूं, अनेकों स्थलों पर रहा हूं। रामकृष्ण मठ में भी मुझे आध्यात्म के लिए जीवन समर्पित करने वाले जिन संतों का परिचय प्राप्त हुआ था, उसमें स्वामी आत्मास्थानंद जी एवं स्वामी स्मरणानन्द जी जैसे व्यक्तित्व प्रमुख थे। उनके पावन विचारों और उनके ज्ञान ने मेरे मन को निरंतर संतुष्टि दी। जीवन के सबसे महत्वपूर्ण कालखंड में ऐसे ही संतों ने मुझे जन सेवा ही प्रभु सेवा का सत्य सिद्धांत सिखाया।स्वामी आत्मास्थानंद जी एवं स्वामी स्मरणानन्द जी का जीवन, रामकृष्ण मिशन के सिद्धांत 'आत्मनो मोक्षार्थ जगद्धिताय च' का अमिट उदाहरण है।रामकृष्ण मिशन द्वारा, शिक्षा के संवर्धन और ग्रामीण विकास के लिए किए जा रहे कार्यों से हम सभी को प्रेरणा मिलती है। रामकृष्ण मिशन, भारत की आध्यात्मिक चेतना, शैक्षिक सशक्तिकरण और मानवीय सेवा के संकल्प पर काम कर रहा है। 1978 में जब बंगाल में बाढ़ की विभिषिका आई, तो रामकृष्ण मिशन ने अपनी निस्वार्थ सेवा से सभी का हृदय जीत लिया था। मुझे याद है, 2001 में कच्छ के भूकंप के समय स्वामी आत्मास्थानंद उन सबसे पहले लोगों में से एक थे, जिन्होंने मुझे फोन करके ये कहा कि आपदा प्रबंधन के लिए रामकृष्ण मिशन से हर संभव मदद करने के लिए तैयार है। उनके निर्देशों के अनुरूप, रामकृष्ण मिशन ने भूकंप के उस संकट काल में लोगों की बहुत सहायता की।बीते वर्षों में स्वामी आत्मास्थानंद जी एवं स्वामी स्मरणानंद जी ने विभिन्न पदों पर रहते हुए सामाजिक सशक्तिकरण पर बहुत जोर दिया। जो भी लोग इन महान विभूतियों के जीवन को जानते हैं, उन्हें ये जरूर याद होगा कि आप जैसे संत मॉर्डर्न लर्निंग, स्किलिंग और नारी सशक्तिकरण के प्रति कितने गंभीर रहते थे।स्वामी आत्मास्थानंद जी के विराट व्यक्तित्व की जिस विशिष्टता से मैं सबसे अधिक प्रभावित था, वो थी हर संस्कृति, हर परंपरा के प्रति उनका प्रेम, उनका सम्मान। इसका कारण था कि उन्होंने भारत के अलग अलग हिस्सों में लंबा समय गुजारा था और वो लगातार भ्रमण करते थे। उन्होंने गुजरात में रहकर गुजराती बोलना सीखा। यहां तक कि मुझसे भी, वो गुजराती में ही बात करते थे। मुझे उनकी गुजराती बहुत पसंद भी थी।भारत की विकास यात्रा के अनेक बिंदुओं पर, हमारी मातृभूमि को स्वामी आत्मास्थानंद जी, स्वामी स्मरणानंद जी जैसे अनेक संत महात्माओं का आशीर्वाद मिला है जिन्होंने हमें सामाजिक परिवर्तन की नई चेतना दी है। इन संतों ने हमें एक साथ होकर समाज के हित के लिए काम करने की दीक्षा दी है। ये सिद्धांत अब तक शाश्वत हैं और आने वाले कालखंड में यही विचार विकसित भारत और अमृत काल की संकल्प शक्ति बनेंगे।मैं एक बार फिर, पूरे देश की ओर से ऐसी संत आत्माओं को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। मुझे विश्वास है कि रामकृष्ण मिशन से जुड़े सभी लोग उनके दिखाए मार्ग को और प्रशस्त करेंगे।ओम शांति। (file photo)
- होली गीत- डॉ. दीक्षा चौबेमस्ती में निकले हुरियारे , सजकर आए टोली में ।एक-दूजे को रंग डालें , आज परस्पर होली में ।।
अंबर सारा हुआ गुलाली , लाली मुखड़ों पर छाई ।मंगल भावों से भीगा मन , समरसता जग में आई ।दुश्मन दोस्त गले मिलते हैं , पनपा भाईचारा है ।खुशियों की पिचकारी बरसीं ,चढ़ा प्रेम का पारा है ।गुझिया लड्डू सेव मिठाई , भरें मधुरता बोली में ।।
मस्ती की लो भाँग घुल गई , झूम-झूम सब नाचे हैं ।मुखरित मौन अधर की भाषा , नैनों ने ही बाँचे हैं ।फागुन की मस्त बयारों ने , प्रेमिल मन उकसाया है ।कोयल कूक उठी बागों में , सुना आम बौराया है ।पियराई सरसों हठ करती , चलो बिठा दो डोली में ।।
द्वेष दंभ कलुषित भावों की , आज जला दो होली रे ।कटुता बैर भुला दो सारे , बन जाओ हमजोली रे ।प्रियता के रंगों में रँग दें , जग को पावन कर जाएँ ।संस्कृतियों को आदर देकर ,खुशहाली हर घर लाएँ ।लक्ष्मण रेखा पार न करना , देखो हँसी-ठिठोली में ।।
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विशेष लेख -जी.एस. केशरवानी, उप संचालक
छत्तीसगढ़ में पिछले पांच सालों में फैले कुशासन और अव्यवस्था से मुक्ति मिल गई है। आम जनता को नई सरकार बनने से राहत मिली है। नई सरकार के गठन के मात्र तीन माह में ही लोगों ने महसूस किया है कि आम जनता की हर बात सुनी जाएगी। राज्य के गरीब, किसान महिलाओं और युवाओं को तरक्की की राह पर लाने के लिए नई-नई योजनाएं शुरू की गई है। यह राज्य सरकार के सुशासन की संकल्पना की सफलता को दर्शाता है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने राज्य की बागडोर सम्हालते ही राज्य में फिर से विकास के लिए नया वातावरण बना है। श्री साय का मानना है कि लोकतंत्र का मूल मंत्र सुशासन हैं। सुशासन के बिना सच्चे लोकतंत्र की कल्पना नहीं की जा सकती।सौम्य सरल व्यक्तित्व के धनी मुख्यमंत्री श्री साय ने राज्य की कमान सम्हालते ही उन्होंने राज्य की जनता को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दी गई गारंटी पर काम करना शुरू किया और मात्र तीन माह में ही अधिकांश गारंटियों को पूरा कर दिखाया। इतने कम समय में जनता को दी गई गारंटी को पूरा करने के लिए यह उनकी प्रशासनिक कुशलता और सफल नेतृत्व का ज्ञोतक है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वंय श्री साय के नेत्त्व में छत्तीसगढ़ में हो रहे काम काज की तारीफ की थी।मुख्यमंत्री श्री साय का मानना है कि विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए छत्तीसगढ़ का विकसित होना जरूरी है। इसको ध्येय में रखकर छत्तीसगढ़ की सरकार वर्ष 2047 तक विकसित छत्तीसगढ़ बनाने के लिए रोड मैप बनाने का काम शुरू कर दिया है। राज्य की अर्थव्यवस्था को गतिमान बनाए रखने नई संभावनाओं वाले सेक्टरों पर विशेष फोकस किया जाएगा। वनांचल क्षेत्रों विशेषकर बस्तर और सरगुजा के विकास को प्राथमिकता में रखा गया है। यहां सड़क, रेल, वायू और संचार कनेक्टिविटी पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। नवा रायपुर में आई.टी. हब के रूप में विकसित करने की योजना है। इसके अलावा पुराने रायपुर और भिलाई में आई.टी. आधारित उद्योगों को बढ़ावा देना शामिल है।नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन और तकनीकी शिक्षा के विस्तार से राज्य में कुशल मानव संसाधन तैयार करने पर भी फोकस रखा गया है, जिससे युवाओं को आसानी से रोजगार मिल सके। इसके लिए शिक्षा अधोसंरचना हो मजबूत किया जा रहा है। राज्य में संचालित आई.टी.आई का उन्नयन किया जा रहा है। तकनीकी शिक्षा को मजबूत बनाने के लिए आईआई टी की तर्ज पर जशपुर, बस्तर, कबीरधाम , रायपुर और रायगढ़ में इसी सत्र से प्रौद्योगिकी संस्थानों का निर्माण किया जाएगा। राज्य में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ उच्च शिक्षा मिशन योजना लागू करने की तैयारी है।राज्य में भ्रष्टाचार के लिए जीरो टालरेंस की नीति अपनायी जा रही है। आईटी आाधरित टूल के माध्यम से कर वंचन को रोकने के इंतजाम किए जा रहे हैं। योजना आयोग अब राज्य नीति आयोग कहलाएगा। देश के अन्य राज्यों में बेस्ट प्रेक्टिसेस का अध्ययन कर राज्य में इसका क्रियान्वयन के लिए काम किया जा रहा है।राज्य की अर्थव्यस्था की धुरी यहां के किसान और खेती-किसानी है। इसको ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री श्री साय ने देश की सबसे बड़ी आदान सहायता योजना शुरू की है। किसानों को यहां धान की सबसे ज्यादा कीमत मिल रही है। मोदी की गारंटी को पूरा करते हुए श्री साय ने यहां के किसानों को धान का 31 सौ रूपए प्रति क्विंटल धान की कीमत दी है। समर्थन मूल्य और राज्य द्वारा घोषित उपार्जन मूल्य के अंतर की राशि कृषक उन्नति योजना में किसानों को दी जा रही है। किसानों को प्रति एकड़ 19257 रूपए की अदान सहायता दी जा रही है।कृषक उन्नति योजना में किसानों पर हो रही धन वर्षा ने राज्य में खुशहाली का नया वातावरण निर्मित हुआ है। इस योजना में 24.72 लाख से अधिक किसानों को 13,320 करोड़ से अधिक की राशि उनके बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से राशि अंतरित की जा रही है। इससे राज्य में खेती किसानी के साथ-साथ व्यापार और उद्योग जगत में भी उत्साह का संचार हुआ है। पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न स्वर्गीय श्री अटल बिहारी बाजपेयी ने छत्तीसगढ़ राज्य बनाया उनके जन्मजयंती सुशासन दिवस के मौके पर छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य कें किसानों को धान खरीदी में दो साल के बकाया बोनस की 3617 करोड की राशि देकर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया।प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विगत 10 मार्च को राजधानी रायपुर में आयोजित कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ की माताओं-बहनों को नमन करते हुए कहा की आज उनकी एक और गारंटी पूरी हो रही है। उन्होंने कार्यक्रम में 70 लाख से अधिक विवाहित महिलाओं को उनके बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से के एक-एक हजार रूपए की राशि के मान से 655 करोड़ रूपए अंतरित की। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ की माताओं के स्वावलंबन में यह योजना बहुत कारगर सिद्ध होगी।राज्य के वनांचल क्षेत्रों में भी सुशासन की नई अलख जगाने में श्री साय सफल हुए हैं। उन्होंने बस्तर और सरगुजा जैसे पिछडें़ क्षेत्रों के विकास को अपनी प्राथमिकता में शामिल किया है। यहां सडक, संचार इंटरनेट कनेक्टिविटी के साथ ही अति पिछड़े जनजाति समूह के लोगों को प्रधानमंत्री जनमन योजना के तहत आवास, पेयजल, सड़क बिजली जैसी सुविधाओं पर तेजी से काम हो रहा है। इससे वनवासियों में नई आशा का संचार हुआ है।राज्य के गरीब परिवारों को पांच साल तक मुफ्त चांवल, 18 लाख परिवारों को प्रधान मंत्री आवास की स्वीकृति, महिला समूहों को फिर से रेडीटू ईट बनाने दायित्व, युवाओं को रोजगार के लिए छत्तीसगढ़ उद्यम क्रांति योजना, नवा रायपुर में को आई हब बनाने की दिशा में पहल जैसे अनेक कार्य हुए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में घरों तक नल के माध्यम से जल पहुचाने के लिए भी तेजी से काम हो रहा है। कृषि मजदूरों के लिए दीन दयाल उपाध्याय भूमिहीन कृषि मजदूर योजना में प्रति वर्ष दस हजार रूपए की आर्थिक सहायता देने के लिए 500 करोड रूपए का बजट रखा गया है।राज्य में औद्योगिक विकास को गति देने के लिए इनवेस्ट छत्तीसगढ़ का योजन भी करने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा राष्ट्रीय राजमार्गों के निकट औद्योगिक गतिविधयों को बढ़ावा देने के लिए कोरबा-बिलासपुर इंडस्ट्रियल कारिडोर के निर्माण की योजना है। राज्य में नई उद्योगनीति भी सभी हितधारको के चर्चा कर तैयार करने का निर्णय लिया गया है। राज्य में रेल कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए कटघोरा-डोंगरगढ़ रेल लाइन का भी निर्माण किया जाएगा। राज्य में युवाओं के लिए राजधानी के नालंदा परिसर की तर्ज पर अन्य शहरों में हाईटेक लाइब्रेरी प्रारंभ करने और नवा रायपुर में लाईवलीहुड सेंटर आफ एक्सीलेंस की स्थापना भी की जाएगी। -
विशेष लेख-ललित चतुर्वेदी, उप संचालक
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने सुशासन और विकास का संकल्प लेकर काम करना प्रारंभ कर दिया है। छत्तीसगढ़ सरकार, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की गारंटियों को पूरा करते हुए छत्तीसगढ़ राज्य के लोगों के खुशहाली के सपने को साकार कर रही है। मुख्यमंत्री श्री साय का कहना है कि शिक्षा विकास का मूलमंत्र है। इसके लिए नई शिक्षा नीति के अनुरूप छत्तीसगढ़ में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार कर बच्चों को आने वाले जीवन के लिए तैयार करेंगे। प्रधानमंत्री ने सबका साथ, सबका विकास के ध्येय वाक्य के साथ विकसित भारत बनाने का लक्ष्य दिया है। इसे प्राप्त करने के लिए हम शिक्षित और विकसित छत्तीसगढ़ बनाएंगे।‘प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राईजिंग इंडिया’ प्रधानमंत्री श्री मोदी के विकसित भारत की परिकल्पना के आधार पर छत्तीसगढ़ के 211 स्कूलों में पीएम श्री योजना में शामिल किया गया है, जिसके तहत 2-2 करोड़ प्रति स्कूल राशि खर्च कर स्कूलों को बड़े शहरों और विश्व स्तर के आदर्श स्कूल के रूप में विकसित किया जाएगा। पीएम श्री योजना में छत्तीसगढ़ के चयनित 211 स्कूलों में एलीमेन्ट्री स्तर पर 193 और सेकेंडरी स्तर पर 18 स्कूल शामिल हैं। विद्यार्थियों को इन स्कूलों में आईसीटी, डिजिटल क्लास रूम के माध्यम से प्रदान की जाएगी। इन स्कूलों के विद्यार्थियों को व्यावसायिक शिक्षा एवं स्थानीय उद्योगों के साथ इंटर्नशिप, उद्यमिता के अवसरों से जोड़ा जाएगा। पीएम श्री योजना के द्वितीय चरण में छत्तीसगढ़ की अपेक्षाओं के अनुरूप अधिक से अधिक स्कूलों को शामिल किया जाएगा।नई शिक्षा नीति 2020 में कक्षा 8वीं तक बच्चों को मातृभाषा और स्थानीय भाषा में शिक्षा दी जाएगी। इसके लिए केन्द्र सरकार सरकारी चैनल शुरू करेगी, जिसमें छत्तीसगढ़ी सहित हल्बी, गोंडी, भतरी, सरगुजिया जैसी भाषाएं भी शामिल होंगी। नई शिक्षा नीति में कौशल विकास और टेक्नालॉजी पर विशेष जोर दिया गया है। कक्षा 6वीं से 12वीं तक सभी विद्यार्थियों को भाषा, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, आर्ट, स्पोर्टस, पेंटिंग, संगीत-नृत्य जैसे विषय पढ़ाए जाएंगे। स्कूली बच्चों को 10 दिनों का शैक्षणिक भ्रमण कराया जाएगा।प्रदेश के स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए 33 हजार शिक्षकों की भर्ती अगले सत्र में की जाएगी। समग्र शिक्षा के अंतर्गत 1086 नये पदों का सृजन किया जाएगा। स्कूलों के रखरखाव और अधोसंरचना विकास के लिए बजट में 265 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र सूरजपुर एवं गरियाबंद में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना के साथ ही जिला कोण्डागांव, सुकमा एवं बलरामपुर के विकासखण्ड कुसमी के बाइट को उन्नत करते हुए जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान बनाया जाएगा।प्रदेश के 25 हजार स्कूलों में पहली से लेकर 12वीं तक एक सेक्शन इंग्लिश मीडियम स्थापित किया जाएगा। प्रदेश के स्कूलों में स्मार्ट क्लास के तहत इंटरनेट प्रोजेक्टर की सहायता से शिक्षा प्रदान की जाएगी। स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति, शिक्षकों द्वारा अध्ययन, अध्यापन, शैक्षणिक मूल्यांकन की नियमित एवं त्वरित मॉनिटरिंग के लिए केन्द्रीयकृत विद्या समीक्षा केन्द्र स्थापित किया जाएगा। सरस्वती सायकल योजना के तहत अब 9 वीं कक्षा के सभी छात्राओं को निःशुल्क सायकल मिलेगी। राज्य सरकार ने छात्रवृत्ति योजना के तहत अनुसूचित जाति वर्ग को मिलने वाली छात्रवृत्ति संत शिरोमणि गुरू घासीदास, अनुसूचित जनजाति वर्ग की छात्रवृत्ति को वीर गुण्डाधुर के नाम पर किए जाने का निर्णय लिया है।प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना की तर्ज पर स्कूल अवधि में बच्चों को गर्म पका भोजन उपलब्ध कराने ’न्यौता भोजन’ शुरू किया गया है। यह सामुदायिक भागीदारी पर आधारित है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय 21 फरवरी को अपना जन्मदिन अपने पैतृक गांव बगिया के बालक आश्रम शाला के बच्चों के बीच पहुंचे और बच्चों के साथ ’न्योता भोज’ किया। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने एक परंपरा की शुरुआत की है जिसमें प्रधानमंत्री पोषण शक्ति योजना को सामुदायिक सहयोग से और अधिक पोषक बनाने की पहल की गई है।छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बोर्ड परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों के हित में एक बड़ा निर्णय लिया गया है। राज्य शासन के निर्णय अनुसार एक शैक्षणिक सत्र में दो बार बोर्ड की परीक्षाएं आयोजित की जाएगी। छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मण्डल रायपुर द्वारा प्रथम मुख्य परीक्षा मार्च माह में आयोजित हो रही है एवं द्वितीय मुख्य परीक्षा जून-जुलाई में आयोजित की जायेगी। स्वामी आत्मानंद स्कूलों का संचालन अब शिक्षा विभाग द्वारा किया जाएगा।छत्तीसगढ़ राज्य के उच्च शिक्षा विभाग ने ’राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020’ को लागू करने का निर्णय लिया गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी के तहत प्रदेश के विद्यार्थियों को कॉलेज आने-जाने के लिए मासिक ट्रैवल्स अलाउंस दिया जाएगा। प्रदेश के तीन लाख विद्यार्थियों को 6000 रूपए प्रतिवर्ष डीबीटी से सीधे उनके खाते में भुगतान की जाएगी। प्रदेश के विद्यार्थियों को नियमित अध्ययन के साथ-साथ विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं एवं राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा जैसे- यूपीएससी, पीएससी, सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा की कोचिंग की व्यवस्था भी सरकार करने जा रही है। छत्तीसगढ़ सरकार ने शासकीय दूधाधारी श्री राजेश्री महंत वैष्णव दास स्नातकोत्तर संस्कृत महाविद्यालय रायपुर को विश्वविद्यालय में अपग्रेड करने का संकल्प लिया है।प्रदेश के विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में 4200 से अधिक रिक्त पदों पर भर्ती की जाएगी। राज्य के 15 शासकीय महाविद्यालयों में नवीन स्नातक विषय संकाय एवं 23 शासकीय महाविद्यालयों में नवीन स्नातकोत्तर संकाय प्रारंभ किए जाएंगे। प्रदेश के 12 महाविद्यालयों के भवन का निर्माण और 9 महाविद्यालयों में अतिरिक्त कक्ष निर्माण किया जाएगा। शासकीय महाविद्यालय दुर्गकोंदल जिला-कांकेर एवं भोपालपट्नम् जिला बीजापुर में छात्रावास भवन के निर्माण के साथ ही 50 शासकीय महाविद्यालयों में शौचालय निर्माण किया जाएगा। प्रदेश के विश्वविद्यालयों के वार्षिक अनुदान राशि में वृद्धि की गई है। -
विशेष लेख-नूतन सिदार, सहायक संचालक
छत्तीसगढ़ में नई सरकार की कमान संभालते ही मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के साथ ही वनांचलों में विकास की रोशनी, पहुंचाने, प्रशासन ने पारदर्शिता और सुशासन लाने के लिए पहल शुरू की। इस पहल का ही परिणाम है की राज्य की जनता को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दी गई गारंटी का तेजी से क्रियान्वयन हो रहा है। बीते तीन माह में छत्तीसगढ़ में जिस तेजी से सरकार ने फैसले और निर्णय लिए हैं। वो देश के किसी भी अन्य राज्यों के लिए उदाहरण है। राज्य की जनता को वादे के अनुरूप सभी निर्णय लिए जा रहे हैं। इससे राज्य की युवाओं, महिलाओं और किसानों में नया उत्साह जगा है। विष्णु देव साय की सरकार ने देश में सबसे बड़ी किसानों को अदान सहायता देने की शुरूआत की है। कृषक उन्नति योजना में 12 मार्च को बालोद में आयोजित कार्यक्रम में राज्य के 24.72 लाख किसानों को 13,320 करोड़ रूपए की अदान सहायता राशि सीधे उनके बैंक खातों में दी गई है।प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले बख्से नहीं जाएंगे। मुख्यमंत्री ने मोदी की इस गारंटी पर त्वरित अमल करते हुए पिछले सरकार के कार्यकाल में पीएससी में हुई गड़बड़ी और अनिमियतता की जांच का काम सीबीआई को सौंप दिया है। मुख्यमंत्री द्वारा युवाओं से किए गए वादे के अनुरूप संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा के तर्ज में छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की परीक्षाएं आयोजित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएं जा रहे हैं। राज्य के युवा इस निर्णय प्रसन्न है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने राज्य की कमान संभालने के 15 दिनों के भीतर किसानों के धान का बकाया बोनस की राशि 3716 करोड़ रूपए किसानों के खाते में सीधे देकर बड़ा तोहफा दिया।मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय सरकार ने एक और गारंटी को पूरा करने के लिए महतारी वंदन योजना शुरूआत की। इस योजना में राज्य की महिलाओं की पोषण और स्वास्थ्य संबंधी जरूरतें और उन्हें सशक्त बनाने के लिए विवाहित महिलाओं को हर महिने एक हजार रूपए की राशि के मान से साल में 12 हजार रूपए की राशि दी जा रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विगत 10 मार्च को इस योजना तहत 655 करोड़ रूपए की राशि अंतरित की। इस योजना से राज्य में 70 लाख से अधिक महिलाएं लाभान्वित हो रही हैं।विष्णु सरकार ने मोदी की गारंटी के अनुरूप श्रीराम लला दर्शन योजना शुरूआत की है। देश में अपने आप में यह एक अनूठी और अनुकरणीय योजना है। इस योजना में श्रद्धालुओं को सरकारी खर्च में अयोध्या धाम का दर्शन कराया जा रहा है। छत्तीसगढ़ गांव-गांव में प्रभु श्रीराम के दर्शन के लिए अपार उत्साह दिख रहा है। इस योजना का शुभारंभ राजधानी रायपुर में 5 मार्च को मुख्यमंत्री श्री साय ने 12 कोच वाली विशेष ट्रेन के जरिए 850 श्रद्धालुओं के दल को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।मुख्यमंत्री श्री साय ने शपथ लेने के बाद कुछ ही घंटो के भीतर 18 लाख परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत पक्के आवास दिए जाने का लिया गया है 11 मार्च 2024 को 65,615 आवास पूर्ण किए गए हैं एवं 457 करोड़ की राशि जारी की गई है। निर्माणाधीन आवासों को पूर्ण किये जाने के लिए 711 करोड़ रूपए की राशि शासन द्वारा जारी की गई है। इसके लिए बजट में 12,168 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है।विष्णु देव सरकार के कार्यकाल में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का नया रिकार्ड बना है। राज्य में 24 लाख 72 हजार से अधिक किसानों से 145 लाख मीट्रिक टन कीे धान खरीदी कीे गई है। धान खरीदी के एवज में इसके एवज में किसानों को 31 हजार 914 करोड़ रूपए का भुगतान किया गया है। छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के अंत्योदय एवं प्राथमिकता राशनकार्डधारी परिवारों को आगामी 5 वर्ष तक निःशुल्क खाद्यन्न वितरण शुरू हो गया है। राज्य के 67 लाख 92 हजार 153 राशनकार्डधारी परिवार लाभान्वित हो रहे है। प्रदेश की महिलाओं को प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत 36.76 लाख गैस कनेक्शन का लाभ मिला है।मुख्यमंत्री श्री साय ने प्रदेश के शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध कराने के लिए एक बड़ा फैसला लेते हुए छत्तीसगढ़ के स्थानीय निवासियों को निर्धारित आयु सीमा मे ं5 वर्ष की छूट की अवधि को 5 साल के बढ़ा दिया गया है। अभ्यर्थियों को आयु सीमा में 5 वर्ष की छूट का लाभ 31 दिसम्बर 2028 तक मिलेगा। इससे प्रदेश के युवाओं में भारी उत्साह है और युवाओं में शासकीय नौकरी प्रति एक आस जग गई है। जिनकी उम्र पार हो चुकी थी उन युवाओं को 5 वर्ष तक का लाभ सीधा मिलेगा।विष्णु देव सरकार ने आबकारी नीति वित्तीय वर्ष 2024-25 में कोई भी नई मदिरा दुकान नहीं खुलेगी का निर्णय लिया गया। वनांचल में तेन्दूपत्ता संग्रहकों को उनकी परिश्रम का प्रतिफल देने के लिए 4000 रूपए प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 5500 रूपए प्रति मानक बोरा किया गया है। लोकतंत्री सेनानियों (मीसाबंदियों) की सम्मान निधि को फिर से प्रारंभ करने और बकाया राशि प्रदान करने का निर्णय लिया गया। यह राशि 01 नवम्बर 2024 को प्रदान की जाएगी। -
विशेष लेख- नसीम अहमद खान, उप संचालक
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में गठित छत्तीसगढ़ द्वारा मात्र तीन माह की अल्पावधि में राज्य के किसानों के हित में लिए गए फैसले से राज्य भर के किसान बेहद खुश है। उनके चेहरे खिल गए हैं और मन में एक नई उम्मीद जागी है। प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की समर्थन मूल्य पर खरीदी तथा दो साल के बकाया धान बोनस की राशि 3716 करोड़ रूपए का भुगतान होने से किसान खुश हैं।किसानों संगठनों के पदाधिकारियों का कहना है कि उन्होंने यह सोचा नहीं था कि धान खरीदी और बकाया बोनस को लेकर विष्णु देव सरकार इतनी तेजी से फैसला लेकर उसे लागू भी कर देगी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी में शामिल किसानों के हित से जुड़े मामलों को जिस तेजी से छत्तीसगढ़ सरकार ने अमल में लाया है, यह स्वागत योग्य है।छत्तीसगढ़ की जनता ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी पर भरोसा जताया है। इस भरोसे को राज्य सरकार ने सर्वाेच्च प्राथमिकता दी है। राज्य सरकार ने राज्य के 18 लाख से अधिक पात्र परिवारों को प्रधानमंत्री आवास की स्वीकृति दी है। किसानों से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की खरीदी की गई है।किसानों का मानना है कि राज्य सरकार के अब तक के फैसलों से यह स्पष्ट हो गया है कि यह सरकार किसानों की हितैषी है। राज्य के किसान भाईयों को 2183 रूपए प्रति क्विंटल के मान से समर्थन मूल्य का भुगतान 48 घण्टे के भीतर उनके बैंक खातों में किया गया है। किसानों को उनकी उपज का वाजिब मूल्य दिलाने के लिए राज्य सरकार ने कृषक उन्नति योजना के माध्यम से 24.72 लाख किसानों को धान के मूल्य के अंतर की राशि 13320 करोड़ रूपए का भुगतान का प्रदेशव्यापी शुभारंभ भी हो चुका है।भारत कृषि प्रधान देश है। देश की जीडीपी में कृषि का बड़ा योगदान है। छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था का मूल आधार भी कृषि ही है और यह राज्य धान का कटोरा कहलाता है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय कहते है कि एक दौर ऐसा था जब किसानों के पास उन्नत और बेहतर खेती के लिए पूंजी नहीं होती थी। किसानों को साहूकारों से ऊंची ब्याज दर पर रकम लेकर खेती-किसानी करनी पड़ती थी। किसान हमेशा कर्ज में फंसे रहते थे। इस स्थिति को देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किसानों के हित में सबसे बड़ा कदम उठाया और किसान क्रेडिट कार्ड की योजना लागू की। इससे किसानों को कम दर पर सोसायटियों एवं बैंकों से कर्ज मिलने लगा।छत्तीसगढ़ में वर्ष 2003 में छत्तीसगढ़ में डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में पहली बार भाजपा की सरकार बनी, उस समय सहकारी बैंकों से किसानों को रियायती ब्याज दर पर खेती के लिए कर्ज मिलता था, जिसे धीरे-धीरे घटाकर शून्य प्रतिशत कर दिया गया। किसानों को बिना ब्याज के खेती-किसानी के लिए ऋण देने का काम छत्तीसगढ़ की रमन सरकार के दौर में शुरू हुआ था। आज भी किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर खेती के लिए लोन मिल रहा है। फसल बीमा जिसका लाभ पूरे देश के किसानों को सहजता से मिल रहा है। इसका श्रेय भी तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी को जाता है। उनके कार्यकाल में ही फसल बीमा योजना का सरलीकरण किया गया।छत्तीसगढ़ में किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री सिंचाई योजना लागू की गई है। सौर सुजला योेजना के माध्यम से सरकार ने दूरस्थ वनांचल में, जहां बिजली की सुविधा नहीं है, वहां किसानों के खेतों में भी इस योजना के माध्यम से सौर सुजला सिंचाई पंप स्थापित कर सिंचाई की व्यवस्था की गई है। राज्य में सिंचाई रकबे में विस्तार के लिए नवीन सिंचाई योजना के लिए 300 करोड़ रूपए, लघु सिंचाई की चालू परियोजनाओं के लिए 692 करोड़ रूपए, नाबार्ड पोषित सिंचाई परियोजनाओं के लिए 433 करोड़ रूपए एवं एनीकट तथा स्टाप डेम निर्माण के लिए 262 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान छत्तीसगढ़ सरकार ने किया है। छत्तीसगढ़ में किसानों एवं भूमिहीन मजदूरों की स्थिति में सुधार, कृषि एवं सहायक गतिविधियां के लिए समन्वित प्रयास पर राज्य सरकार का फोकस है। कृषि विभाग के बजट में बीते वर्ष की तुलना में वर्ष 2024-25 में 33 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए 13 हजार 435 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। किसानों को सहकारी एवं ग्रामीण बैंकों से ब्याज मुक्त कृषि ऋण उपलब्ध कराने के लिए 8500 करोड़ रूपए की साख सीमा छत्तीसगढ़़ सरकार ने तय की है।मुख्यमंत्री ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास‘ का उल्लेख करते हैं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी सभी वर्गों के विकास और उत्थान के लिए प्रयासरत् है। उन्होंने दूरस्थ वनांचल में रहने वाले आदिवासी भाईयों विशेषकर पिछड़ी जनजाति के लोगों के कल्याण के लिए प्रधानमंत्री जनमन योजना शुरू की है। छत्तीसगढ़ में निवासरत् विशेष पिछड़ी जनजातियों की बसाहटों में पक्का मकान, रोड, नाली, बिजली-पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य की बेहतर व्यवस्था के साथ ही सरकार की 11 योजनाओं का लाभ दिलाने का काम तेजी से किया जा रहा है। यह योजना छत्तीसगढ़ में 9 सरकारी विभागों के समन्वय से क्रियान्वित की जा रही है। -
- गीत
-लेखिका-डॉ. दीक्षा चौबे, दुर्ग ( वरिष्ठ साहित्यकार और शिक्षाविद)
महादेव मैं याचक बनकर ,
तेरे दर पर आया हूँ ।
भक्ति-भाव के पुष्प-मनोहर,
अन्तस् में भर लाया हूँ ।।
देव-दनुज जो भी तप करते,
दर्शन देने आ जाते ।
शुचिता पूर्वक करें साधना ,
मनवांछित फल सब पाते ।
कल्याण सभी का करते हो,
माँगे बिना बहुत पाया हूँ ।।
भक्ति भाव....
सुन लेना प्रभु यही प्रार्थना ,
मुझे शरण अपनी रखना ।
धीरज संयम देना विष यदि,
पड़े उपेक्षा का चखना ।
नीलकंठ हे आशुतोष शिव,
आगे शीश झुकाया हूँ ।।
भक्ति भाव....
निर्विवाद छवि रही सदा ही,
निर्विकार संतोषी तुम ।
द्वेष-दंभ सब हुए तिरोहित,
जलवाष्प धूप में ज्यों गुम ।
आत्मलीन हो जानूँ खुद को,
अहंकार बिसराया हूँ ।।
भक्ति भाव....
शिव ही सत्य जगत सब मिथ्या,
शक्ति भक्ति के शुचि साधक ।
कुपित हुए जब तांडव करते,
भस्म हुए हैं सब बाधक ।
विश्वनाथ की वह अनुपम छवि,
मन में सदा बसाया हूँ ।।
भक्ति भाव.... -
आलेख-रीनू मिश्रा, सहायक जनसंपर्क अधिकारी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा छत्तीसगढ़ की महिलाओं को दी गई गारंटी को पूरा कर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में नई सरकार ने महिला सशक्तिकरण का एक नया रास्ता तैयार किया है। इससे महिलाओं में भारी उत्साह है। महतारी वंदन योजना के तहत प्रदेश की पात्र विवाहित महिलाओं को 12 हजार रूपए वार्षिक भुगतान किये जाएंगे। इससे महिलाओं के खाते में हर माह डीबीडी के माध्यम से एक हजार रूपए आएंगे। इसका उपयोग वह अपनी जरूरत और इच्छा के अनुसार कर सकेंगी। इससे महिलाओं की छोटी-छोटी खुशियों को अब गारंटी मिल गई है।महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई महतारी वंदन योजना के लिए राज्य सरकार ने वर्ष 2024-25 के बजट में 3,000 करोड़ रूपए का प्रावधान किया है। इससे महिलाओं की न सिर्फ रोजमर्रा की छोटी-मोटी जरूरतें पूरी होंगी बल्कि उन्हें आर्थिक संबल भी मिलेगा। महतारी वंदन योजना को लेकर महिलाओं के उत्साह का प्रमाण है कि 05 फरवरी को आवेदन करने के पहले ही दिन 1 लाख 81 हजार से अधिक महिलाओं ने आवेदन किया। दिन-प्रतिदिन योजना की लोकप्रियता के साथ फार्म भरने का सिलसिला भी बढ़ता रहा। योजना के तहत 20 फरवरी को अंतिम तिथि तक लगभग 70 लाख महिलाओं ने आवेदन जमा कर दिया। आवेदनों की स्क्रूटनी के बाद हितग्राहियों को दावा आपत्ति के लिए समय दिया गया। दावा आपत्ति के निराकरण के बाद अंतिम सूची जारी कर दी गई है। अंतिम सूची के आधार पर पात्र महिला के खाते में मार्च माह में प्रथम बार राशि का अंतरण किया जाएगा। इससे छत्तीसगढ़ की लगभग 70 लाख पात्र महिलाओं को लाभ होगा।राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी महतारी वंदन योजना का सुचारू क्रियान्वयन हो और बड़ी संख्या में आवेदन करने वाली महिलों को असुविधा न हो इसका ध्यान रखते हुए पुख्ता व्यवस्था की गई। राज्य स्तर पर महिला एवं बाल विकास विभाग को योजना के क्रियान्वयन के लिए नोडल विभाग बनाया गया। जिला स्तर पर कलेक्टर और मुख्य कार्यपालन अधिकारी और शहरी क्षेत्रों में आयुक्त नगर निगम और मुख्य नगरपालिका अधिकारी सहायक नोडल अधिकारी बनाए गए। आवेदन के लिए ऑनलाईन पोर्टल https://www.mahtarivandan.cgstate.gov.in तथा मोबाईल एप बनाया गया।पोर्टल में हितग्राहियों को आवेदन की स्थिति की जानकारी की सुविधा भी दी गई। साथ ही राज्य स्तर पर योजना से संबंधित समाधान के लिए टोल फ्री हेल्प लाइन नंबर 1800233448 भी जारी किया गया। जिला प्रशासन द्वारा पात्रता संबंधी नियमों को बताने के लिए कर्मचारी नियुक्त किये गए। आंगनबाड़ी और ग्राम पंचायत स्तर पर विशेष शिविरों का भी आयोजन किया गया। घर-घर सर्वे कर फार्म भरवाए गए। इसके साथ ही प्रतिदिन राज्य स्तर पर योजना की समीक्षा और निगरानी की जा रही है।महिलाएं विशेषकर विवाहित महिलाएं घर-परिवार की देखभाल, प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। महिलाएं अपनी छोटी-मोटी बचत का उपयोग ज्यादातर परिवार और बच्चों के पोषण में खर्च करती हैं। लेकिन आर्थिक मामलों में उनकी सहभागिता अभी भी बहुत कम है। इसे देखते हुए राज्य सरकार महिलाओं की आर्थिक सहभागिता बढ़ाने के लिए काम कर रही है। महिलाओं के स्वास्थ्य की बात की जाए तो 2020-21 में हुए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 के अनुसार 23.1 प्रतिशत महिलाएं मानक बॉडी मास इंडेक्स से कम स्तर पर हैं। 15 से 49 वर्ष के आयु की महिलाओं में एनीमिया का स्तर 60.8 प्रतिशत और गर्भवती महिलाओं में यह 51.8 प्रतिशत है। ऐसे में महतारी वंदन योजना उनके लिए बड़ी राहत बनकर आई हैं।महिलाओं ने प्रतिमाह एक हजार रूपए मिलने से अपनी पारिवारिक जरूरतों को पूरा करने की तैयारी भी कर ली है। धमतरी में रुद्री निवासी लोमेश्वरी ओझा कहती हैं कि मेरी छोटी-छोटी खुशियां इस राशि से पूरी होगी। मैं अपने बच्चों के लिए भी राशि खर्च कर सकूंगी। रायपुर की सविता साहू का कहना है कि कि तीज-त्यौहार में उन्हें, मायके से जो भेंट मिलती है, उसको वह मनचाहा खर्च करती हैं। ऐसे में मुझे मुख्यमंत्री श्री साय भी भाई की तरह लग रहे हैं, जो हर महीने तीज की राशि हजार रुपए देंगे। यह राशि महिलाओें के स्वास्थ्य और पोषण में सुधार के साथ परिवार के निर्णयों में उनकी भूमिका के सुदृढ़ीकरण में भी सहायक साबित होगी।महतारी वंदन योजना से मिली राशि से महिलाओं को परिवार के साथ खुद के स्वास्थ्य, पोषण और जीवन स्तर को उठाने का एक मजबूत आधार मिलेगा। महिलाओं की आर्थिक मजबूती से समाज में उनके प्रति भेदभाव में कमी और जागरूकता आएगी। निश्चित रूप से आने वाले दिनों में महतारी वंदन योजना छत्तीसगढ़ की आधी आबादी की आत्मनिर्भरता की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।