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- हस्तरेखा विज्ञान में नाखूनों के बारे में भी विस्तार से बताया गया है. नाखूनों के आकार, उनकी बनावट और रंग कई तरह के होते हैं. हस्तरेखा (Hastrekha) विज्ञान के मुताबिक नाखून भी व्यक्ति के भविष्य और उसके बारे में काफी कुछ बताते हैं. आज जानते हैं कि अलग-अलग तरह के नाखून कैसे संकेत देते हैं.लंबे नाखूनलंबे नाखून वाले लोगों का स्वभाव सरल और सहज होता है, लेकिन इनके अंदर रचनात्मकता और कल्पनाशीलता कूट-कूट कर भरी होती है. ऐसे लोग हर काम उत्साह के साथ करते हैं और उसका आनंद लेते हैं. इनमें बस एक कमजोरी होती है कि ये लोग दूसरों पर जल्दी भरोसा कर लेते हैं, जिससे उन्हें कई बार धोखे और नुकसान का सामना करना पड़ता है.गोल या अंडाकार नाखूनऐसे नाखूनों वाले लोग बहुत मिलनसार होते हैं. ये लोग अपने खुशनुमा व्यवहार से जल्दी ही दूसरों को अपना बना लेते हैं. इनकी बातें लोगों को बहुत बहुत प्रभावित करती हैं.चौड़े नाखूनजिन लोगों के नाखून चौड़े होते हैं, वे लोग अपने दिमाग का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं. यह काफी सोच-विचार और चिंतन करते हैं. हर काम बुद्धिमत्ता और सोच-विचार से करने के कारण ये लोग जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाते हैं.चौकोर नाखूनचौकोर नाखून वाले लोग गंभीर स्वभाव के होते हैं. ये शांत और सरल प्रवृत्ति वाले होते हैं. इन लोगों में नेतृत्व करने की अच्छी क्षमता होती है. ऐसे लोग राजनीति के क्षेत्र में सफलता पाते हैं.बादाम के आकर जैसे नाखूनऐसे लोग बहुत दयालु और ईमानदार होते हैं. ऐसे लोगों को किसी काम की जिम्मेदारी सौंपते वक्त उन पर पूरा भरोसा किया जा सकता है. ये लोग गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करते हैं और अन्याय के खिलाफ आवाज भी उठाते हैं.तलवार जैसे आकार के लंबे नाखूनऐसे नाखून वाले जातक बहुत मेहनती होते हैं और उसी की दम पर जीवन में सफलता पाते हैं. ये लोग मन में जो भी ठान लें उसे पूरा करके ही दम लेते हैं.त्रिकोणीय नाखूनऐसे नाखून वाले लोग जिद्दी होते हैं और उन्हें गुस्सा भी ज्यादा आता है. ऐसे लोग बहुत जल्दी उत्तेजित हो जाते हैं.
- शुक्र देव ने 29 मई को मिथुन राशि में प्रवेश किया है। इस राशि में ये 22 जून 2021 तक विराजमान होंगे। ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह को वृषभ और तुला राशि का स्वामित्व प्राप्त है। कन्या शुक्र की नीच राशि है जबकि मीन उच्च राशि मानी जाती है। शुक्र देव समस्त प्रकार के भौतिक सुखों को प्रदान करने वाले हैं। शुक्र के मिथुन राशि में आने से कुछ विशेष राशियों को शुभ फलों की प्राप्ति होगी। ये राशियां इस प्रकार हैं-वृषभ राशि: धन बचत करने में होंगे सफलशुक्र के गोचर से आप धन की बचत करने में सफल होंगे। इस अवधि में आपका आर्थिक पक्ष मजबूत होगा। काफी दिनों पहले दिया हुआ धन वापस मिल सकता है। जमीन जायदाद से संबंधित मामले सुलझेंगे। आपकी संवाद शैली में सुधार होगा जिसके जरिए आप अपनी बातों से लोगों को प्रभावित कर पाने में सफल होंगे। वहीं विलासिता पूर्ण वस्तुओं पर भी अधिक धन खर्च कर सकते हैं। सामाजिक जीवन में जिम्मेदारियां बढ़ सकती हैं। समाज में मान-सम्मान, पद और प्रतिष्ठा भी बढ़ेगी।मिथुन राशि: व्यर्थ की चिंता से मुक्ति मिलेगीशुक्र के गोचर से आप बेकार की चिंताओं से मुक्त होंगे। साथ ही आपको इस अवधि में कई तरह के अप्रत्याशित शुभ फलों की प्राप्ति भी होगी। यदि आपकी सेहत कमजोर थी तो आपको इस समय स्वास्थ्य लाभ मिलने के योग बनेंगे। कला के क्षेत्र में रुचि बढ़ेगी। सरकारी कामकाज संपन्न होंगे। संतान के दायित्व की पूर्ति होगी। नव दंपति के लिए संतान प्राप्ति के योग बन सकते हैं।सिंह राशि: धन लाभ के बनेंगे योगइस अवधि में आपको धन लाभ के प्रबल योग बनेंगे। एक से अधिक स्रोतों से आय प्राप्त हो सकती है। इस अवधि में आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। ये समय बेहतरीन सफलता दायक रहेगा। यदि आप कोई भी बड़े से बड़ा कार्य आरंभ करना चाहें अथवा किसी नए अनुबंध पर हस्ताक्षर करना चाहें तो उस दृष्टि से भी अवसर बेहतरीन रहेगा। परिवार के वरिष्ठ सदस्यों और भाइयों से सहयोग मिलेगा। उच्चाधिकारियों से भी संबंध बिगडऩे न दें। विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षा में सफलता मिलेगी।कन्या राशि: कार्यक्षेत्र में होगी तरक्कीशुक्र के गोचर से आपको कार्यक्षेत्र में तरक्की मिलने की संभावना है। यदि नौकरी करते हैं तो उसमें इंक्रीमेंट या फिर पदोन्नति हो सकती है। वहीं व्यापार से जुड़े हैं तो लाभ प्राप्ति के योग बनेंगे। इस अवधि में आपको शासन सत्ता का पूर्ण सहयोग मिलेगा। अगर सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करना चाह रहे हों तो परिस्थितियां अनुकूल हैं। ठेकेदारी के काम से जुड़े हैं तो आपको बड़ा टेंडर मिल सकता है। बस अपनी योजनाओं को गोपनीय रखें।तुला राशि: भाग्य में होगी वृद्धिशुक्र के गोचर से आपके भाग्य में वृद्धि होगी। कर्म और भाग्य का मेल आपको बड़ी कामयाबी दिला सकता है। इस अवधि में आपकी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं। अगर कोई व्यापार शुरू करना चाहें या फिर नौकरी में परिवर्तन करना चाहते हैं तो सफलता मिलेगी। परिवार में मांगलिक कार्यों का भी शुभ अवसर आएगा। धर्म एवं आध्यात्म के प्रति रुचि बढ़ेगी। दान-पुण्य के कार्य कर सकते हैं।धनु राशि: वैवाहिक जीवन में आएंगे सुखी पलइस अवधि में आपके वैवाहिक जीवन में सुखी पल आएंगे। जीवनसाथी के साथ रिश्ते मधुर होंगे। यदि जीवनसाथी से मनमुटाव चल रहा था तो वह दूर होगा और रिश्ते में प्रेम बढ़ेगा। प्रेम विवाह करना चाह रहे हैं तो अवसर अनुकूल रहेगा। केंद्र अथवा राज्य सरकार के विभागों में प्रतिक्षित कार्य संपन्न होंगे। दैनिक व्यापारियों के लिए तो समय किसी वरदान से कम नहीं है।मीन राशि: भौतिक सुखों में वृद्धि होगीशुक्र के गोचर से आपके भौतिक सुखों में वृद्धि होगी। इस अवधि में आपकी प्रॉपर्टी में इजाफा हो सकता है। मकान-वाहन के खरीदने की संभावना है। जमीन जायदाद से जुड़े कार्य संपन्न होंगे। माता जी की सेहत बढिय़ा रहेगी। उनका आशीर्वाद आपको प्राप्त होगा। मानसिक अशांति दूर होगी। पारिवारिक जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वहन करेंगे। मित्रों और संबंधियों से सहयोग प्राप्त होगा।
- किसी व्यक्ति को हम उसके तौर-तरीके, आचार-व्यवहार, पसंद-नापसंद, बोलचाल आदि चीजों से परखते हैं। कुंडली और राशि से तो व्यक्ति के बारे में बहुत कुछ जाना जाता है। लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि आपका जन्म का महीना भी आपके बारे में बहुत कुछ बातें बताता है। जून का महीना शुरू होने जा रहा है। ऐसे में जानते हैं कि जून में जन्म लेने वाले जातक कैसे होते हैं?गुस्से के होते हैं तेजजून का महीना गर्म होता है। इस महीने जन्म लेने वाले जातक भी गर्म दिमाग के होते हैं। ये गुस्से के तेज होते हैं। इन्हें किसी भी समय गुस्सा आ सकता है और फिर गुस्से में ये किसी की भी नहीं सुनते हैं। यानी जून माह में जन्म लेने वालों को गुस्सा आना उनकी खास पहचान होती है।होते हैं मिलनसारजून माह में जन्म लेने वाले मिलनसार होते हैं। इस कारण इनके दोस्तों की संख्या अधिक होती है। ये अपने दोस्तों को भी खूब प्यार देते हैं। लेकिन अपने गर्म स्वभाव के कारण ये अपने दोस्तों से भी झगड़ा कर लेते हैं। हालांकि बाद में इन्हें उस बात का पछतावा भी होता है।रिलेशनशिप में होते हैं रोमांटिकजून में जिन जातकों का जन्म होता है वे रोमांटिक स्वभाव के होते हैं। अपने रिलेशनशिप से भावनात्मक रूप से जुड़ते हैं। लेकिन सार्वजनिक रूप से रोमांस करना इन्हें पसंद नहीं होता है, बल्कि चोरी-छिपे रोमांस करने में इन्हें खूब आनंद आता है। अपने रिश्ते को महत्व देते हैं। रिश्ते की खातिर ये दुनिया से भी भिड़ने को तैयार रहते हैं।किसी के अधीन रहकर कार्य करना पसंद नहींजिन जातकों का जन्म जून माह में होता है वे किसी के अधीन रहकर कार्य करना पसंद नहीं करते हैं। ये स्वतंत्र प्रवृत्ति के होते हैं। यदि कोई इन्हें किसी काम के लिए अधिक रोक-टोक करता है तो इन्हें सहन नहीं होता है। यदि जून माह में जन्म लेने वाले जातक किसी के अधीन रहकर कार्य भी करते हैं तो इन्हें उस काम में संतुष्टी नहीं होती है।स्वभाव से होते हैं चंचलजून माह में जन्मा व्यक्ति स्वभाव से चंचल होता है। अपने चंचल स्वभाव के कारण आप कई लोगों पर अपनी छाप छोड़ने में कामयाब होते हैं। आप पार्टियों में अपनी उपस्थिति से जान फूंक देते हैं। लेकिन अपने हितों को साधने के लिए ये डिप्लोमैटिक भी बन जाते हैं।अपने कार्य को देते हैं महत्वजिन लोगों का जन्म जून माह में होता है वे अपने कार्य के प्रति समर्पित होते हैं। अपने निजी जीवन के साथ साथ आप अपने व्यावसायिक जीवन में भी अधिक व्यस्त दिखाई पड़ते हैं। कई बार काम और अपने निजी जीवन के बीच तालमेल बनाना आपके लिए कठिन हो जाता है।
- वास्तुशास्त्र में बताई गई बातों और नियमों को ध्यान में रखा जाए तो जीवन की कई समस्याओं का समाधान हो सकता है। वास्तु में ऐसी बातें बताई गई हैं जिनको ध्यान में रखकर पारिवारिक, सामाजिक, कार्यक्षेत्र और आर्थिक हर तरह की समस्या से राहत पाई जा सकती है। यदि आप धन की तंगी से जूझ रहे हैं, तो वास्तु शास्त्र में इससे छुटकारा पाने के लिए भी उपाय बताए गए हैं। क्या आपको पता है कि घर में दर्पण का प्रयोग वास्तु के अनुसार करने से आप धन संबंधी समस्याओं से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। चलिए जानते हैं कैसे।यदि आपके घर में धन संबंधित समस्याएं चल रही हैं तो वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की डाइनिंग टेबल के सामने इस तरह से दर्पण लगाएं कि उसमें पूरी डाइनिंग टेबल दिखे। मान्यता है कि इससे घर में धन संबंधित समस्याएं नहीं होती हैं।वास्तुशास्त्र के अनुसार धन संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए घर में उत्तर और पूर्व दिशा की दीवार की ओर दर्पण लगाना चाहिए। वास्तु के अनुसार इन दिशाओं में दर्पण लगाने से व्यवसाय में आने वाली धन संबंधित समस्याएं दूर होती हैं इसके साथ ही अचानक धन लाभ के योग भी बनते हैं।वास्तुशास्त्र के अनुसार शयनकक्ष के दरवाजे के ठीक सामने दर्पण लगाने से घर में चल रही धन संबंधित समस्याएं धीरे-धीरे दूर होने लगती हैं। यदि आपके घर में किसी प्रकार से धन संबंधित समस्याएं चल रही हैं तो दर्पण के इस उपाय को आजमा सकते हैं।वास्तुशास्त्र के अनुसार दर्पण से जुड़ी हुई कुछ बातों को ध्यान में रखना भी आवश्यक होता है अन्यथा जहां दर्पण से धन की समस्याएं दूर हो सकती हैं वहां परेशानियां बढ़ भी सकती हैं। वास्तु कहता है कि मुख्य द्वार के ठीक सामने कभी दर्पण नहीं लगाना चाहिए। इससे आपके जीवन में धन संबंधित समस्याएं बढ़ सकती हैं। इसके अलावा घर में कभी भी आमने-सामने दो दर्पण नहीं लगाने चाहिए। इससे आपसी टकराव और कलह बढ़ती है। शयनकक्ष में कभी भी पलंग के सामने या पलंग के ठीक पीछे दर्पण नहीं लगाना चाहिए। इससे पति-पत्नी में अनबन हो सकती है।
- चीनी वास्तु को फेंगशुई कहा जाता है। इसके टिप्स बहुत ही आसान और कारगर माने गए हैं। इसलिए अब हमारे देश में भी फेंगशुई बहुत लोकप्रिय हो गया है। फेंगशुई के गैजेट्स को घर और व्यापार स्थल दोनों जगहों पर रखा जा सकता है। इससे सौभाग्य में वृद्धि होती है घर में सुख-शांति बनी रहती है। व्यापार और नौकरी में भी तरक्की होती है। फेंगशुई में ऐसी ही दो चीजें बताई गई हैं, जिन्हें घर में रखने से आप चोरी, डकैती जैसी घटनाओं से बच सकते हैं। फेंगशुई में नीले हाथी और गेंडे के आकार और स्वाभाव के कारण इन्हें बहुत शक्तीशाली प्रतीक माना गया है। घर के मुख्य द्वार पर इन्हें लगाने से सुरक्षा प्राप्त होती है। इन्हें घर और व्यापार स्थल पर रखकर आप कई तरह के लाभ प्राप्त कर सकते हैं।नीला हाथी और फिर गेंडे के शोपीस को लिविंग रुप के मुख्य द्वार के ऊपर बाहर की ओर मुंह करके रखना चाहिए। इससे आपके घर में किसी भी दुर्भावाना वाले व्यक्ति का आगमन नहीं होता है, जिससे आप कई तरह की अनुचित घटनाओं से बचे रह सकते हैं। फेंगशुई की इन चीजों को घर में रखने से चोरी जैसी दुर्घटनाएं होने के संभावना नहीं रहती है।अगर आप नौकरी पेशा हैं तो आपको आप इन दोनों मूर्तियों को अपनी काम करने की टेबल पर रखकर लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इन दोनों मूर्तियों के अपने कार्य स्थल पर रखने से आप ऑफिस में होने वाली बिन वजह की राजनीति से बच सकते हैं। इन्हें कार्य स्थल पर रखने से वातावरण शांत रहता है।व्यापार करने वालों के लिए नीला हाथी और गेंडे की मूर्ति व्यवसाय के स्थान पर रखने से लाभ प्राप्त होता है, क्योंकि जिस स्थान पर यह हाथी रखा होता है वहां की ऊर्जा में वृद्धि होती है। व्यापार स्थल पर यह मूर्तियां रखने से आपके प्रतियोगी और विरोधी आपसे आगे नहीं निकल पाते हैं। जिससे आपके व्यापार में तरक्की होती है।लेकिन हमेशा ध्यान रखें की हाथी की सूंड ऊपर की ओर होनी चाहिए। नीचे की तरफ सूंड वाली मूर्ति नहीं लगानी चाहिए।
- जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 300
(अनन्यता के पालन तथा साधना की निरंतरता के संबंध में जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज के द्वारा निःसृत प्रवचन अंश...)
...मेन पॉइन्ट ध्यान में रखो कि अंतःकरण गन्दा है, इसको शुद्ध करने के लिये शुद्ध में डुबोना है। तो इतनी चीज शुद्ध हैं - भगवान, भगवान को पा लेने वाला सन्त और भगवाब का नाम, रूप, गुण, लीला, धाम। इतने में कहीं मन रहे सब ठीक है, वो अनन्य है।
लेकिन इसके नीचे जो चार हैं - सात्विक, राजस, तामस और मायिक सामान - इनमें अटैचमेन्ट कहीं हुआ तो अनन्यता भंग हो गई। जैसे आप संसार में अपनी माँ से प्यार करते हैं, अपने बाप से प्यार करते हैं, अपनी बीबी से प्यार करते हैं, अपने पति से करते हैं, अपने बेटा, भाई, बहन, नाती, पोते से प्यार करते हैं, तो कोई बुरा नहीं मानता। किसी माँ ने कहा कि तुम अपनी स्त्री से क्यों प्यार करते हो जी, खाली हमसे किया करो। अरे हमारे चार बेटे हैं, तो किसी बेटे ने कहा कि और बेटों से प्यार न करना पापा, खाली हम ही से करना।
तो जैसे संसार में अपने ब्लड रिलेशन में प्यार करना मना नहीं। ऐसे ही भगवान कहते हैं कि हमारे परिवार में खूब प्यार करो, हमारे सन्त से, हमारे नाम से, हमारे गुण से, हमारी लीला से, हमारे धाम से। तो हमारा ही प्यार कहलायेगा वो। क्योंकि इनमें भेद नहीं होता। भगवान का नाम, रूप, लीला, गुण, धाम, सन्त इनमें सबमें सबका निवास है। कोई छोटा बड़ा नहीं है। भगवान में सब रहते हैं, सबमें भगवान रहते हैं। इसलिये भगवान श्रीकृष्ण सम्बन्धी सब वस्तुओं से कहीं भी मन का अटैचमेन्ट करो तो सही है और मायिक जीव या मायिक सामान में अटैचमेन्ट हुआ तो वो अन्य हो गया, वो अपराध हो गया। उस पर कृपा नहीं होगी। जरा भी कहीं गड़बड़ है, अटैचमेन्ट है, पॉइन्ट वन परसेन्ट भी, तो भगवान कहते हैं कि अभी दूर है।
यदा ह्योवैष एतस्मिन्नुदरमन्तरं कुरुते। अथ तस्य भयं भवति।(तैत्तिरियोपनिषद 2-7)
देखो पारस और लोहा अगर मिल जायें तो लोहा सोना बन जाता है। लेकिन अगर पारस लोहे के पास आ गया तो नहीं बनेगा। एक नंगा तार जा रहा है उसमें इलैक्ट्रिसिटी है, हम उसके पास उँगली ले गये, कोई बात नहीं, अभी नहीं बिजली आई तुम्हारे शरीर में, जब छू गया तो उसने पकड़ लिया। ऐसे ही मन केवल भगवान के एरिया वालों में 'ही' रहे, 'भी' नहीं।
अभ्यास करते-करते होगा एक दिन, एक साल में हो, एक जन्म में हो, हजार जन्म में करो। ये तो तुम्हारी स्पीड पर निर्भर है। एक आदमी दो कदम चले आगे और एक कदम पीछे तो वो बहुत दिन में पहुँचेगा मथुरा, एक आदमी लगातार चले तो जल्दी पहुँचेगा। एक दौड़ता हुआ चले तो और जल्दी पहुँचेगा, एक कार से जाय तो वो और जल्दी पहुँचेगा। तो ये तो अपनी अपनी साधना पर निर्भर है। लेकिन एक दिन वहीं पहुँचना होगा कि राधाकृष्ण के नाम, रूप, लीला, गुण, धाम, जन में ही मन लग जाय और कहीं न जाय। उसको कहते हैं अनन्य।
(प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज)
०० सन्दर्भ ::: 'हरि गुरु स्मरण' पुस्तक, प्रवचन संख्या 23०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vedik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - अपरा एकादशी व्रत 6 जून 2021 को है। अपरा एकादशी को अचला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, हिन्दू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को ही अपरा एकादशी या अचला एकादशी कहते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस एकादशी व्रत से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति और सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यह व्रत द्वादशी तिथि के दिन विधि-विधान से खोला जाता है।अपरा एकादशी 2021 का मुहूर्तएकादशी तिथि प्रारंभ- 04:07 एएम, जून 05, 2021एकादशी तिथि समाप्त- 06:19 एएम, जून 06, 2021व्रत पारण मुहूर्त- 05:12 ए एम से 07:59 ए एम, जून 07, 2021अपरा एकादशी व्रत विधिप्रातः सूर्योदय से पहले उठें। शौच क्रिया से निवृत्त होकर स्नान-ध्यान करें। व्रत का संकल्प लेकर विष्णु जी की पूजा करें। पूरे दिन अन्न का सेवन न करें। जरूरत पड़े तो फलाहार लें। शाम को विष्णु जी की आराधना करें। विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें। व्रत पारण के समय नियमानुसार व्रत खोलें। व्रत खोलने के पश्चात् ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा दें।इन बातों का रखें विशेष ध्यानएकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान नहीं करना चाहिए। जो लोग व्रत कर रहे हैं उन्हें व्रत तोड़ने से पहले हरि वासर समाप्त होने की प्रतीक्षा करनी चाहिए। हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि है। व्रत तोड़ने के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रातःकाल होता है। मध्याह्न के समय व्रत तोड़ने से बचना चाहिए।अपरा एकादशी का महत्वधार्मिक मान्यता के अनुसार, अपरा एकादशी अपार पुण्य फल प्रदान करने वाली पावन तिथि है। इस तिथि के दिन व्रत करने से व्यक्ति को उन सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है, जिसके लिए उसे प्रेत योनि में जाना पड़ सकता है। पद्मपुराण में बताया गया है कि इस एकादशी के व्रत से व्यक्ति को वर्तमान जीवन में चली आ रही आर्थिक परेशानियों से राहत मिलती है। अगले जन्म में व्यक्ति धनवान कुल में जन्म लेता है और अपार धन का उपभोग करता है। शास्त्रों में बताया गया है कि परनिंदा, झूठ, ठगी, छल ऐसे पाप हैं, जिनके कारण व्यक्ति को नर्क में जाना पड़ता है। इस एकादशी के व्रत से इन पापों के प्रभाव में कमी आती है और व्यक्ति नर्क की यातना भोगने से बच जाता है।
- जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 299
(आध्यात्मिक जगत के साथ ही भौतिक जगत के मनुष्यों के लिये भी लाभदायक मार्गदर्शन, यहाँ से पढ़ें..)
..निराशा आने का मतलब ये कि उसने (साधक) सारी भगवत्कृपाओं पर लात मार दिया। जितनी भगवत्कृपा उसके ऊपर हुई, महापुरुष कृपा हुई, उसका बार-बार चिन्तन नहीं किया। निराशा आते ही बुद्धि को फटकारना चाहिए, फिर तुमने अपराध किया, क्या कृपा बाकी है जो तुम्हारे ऊपर नहीं हुई।
प्रतिकूल चिन्तन की धारा चलने न पावे, चिन्तन शुरू होते ही तुरन्त समाप्त करो। जैसे किसी स्त्री के कपड़े में आग लग गई, खाना बनाते समय, वह वहीं दबा देती है उसको। अगर वो लापरवाही करे तो सब कुछ जल जायेगा। अतः हम खाली समय का सदुपयोग नहीं करते, गलत चिन्तन करते हैं। इससे निराशा आती है।
इसका सबसे बढ़िया इलाज ये ही है, मन को खाली न रहने दो। जहाँ जाओ, भगवत चिन्तन में लग जाओ। 'आनुकूलस्य संकल्पः'। याद रखो शरणागति में अनुकूल चिन्तन ही हो, इसी की प्रैक्टिस करो, कुछ और न सुनो, न कुछ और पढ़ो, न कुछ और सोचो और अगर कुछ पढ़ने, कुछ सुनने, कुछ सोचने में आवे, तुरन्त होशियार हो जाओ। तत्काल होशियार हो जाओ, जैसे कोई खाना चबाता है, कंकड़ आया और दाँत से दबाकर आँख को मींचकर कहता है, अरे! कंकड़ आ गया। फेंक दिया उसको। और चबाये ही जाय उसको तो लोग पागल कहेंगे। अरे! कंकड़ आया, दाँत के नीचे कट से हुआ और स्वाद खराब हुआ फिर भी तुम खाये जा रहे हो। बाल आया तुम्हारे खाने के साथ, तुम्हारी समझ में आ गया और फिर भी चबाये जा रहे हो, तो लोग उसको पागल कहेंगे।
तो उसी प्रकार कोई गड़बड़ आये, खोपड़ी में तुरन्त निकालो। जब ये ज्ञान है कि निराशा हानिकारक चीज है और वो आने लगी, होशियार क्यों नहीं हो गये, धिक्कारा क्यों नहीं, अपने आपको। तुरन्त सही चिन्तन शुरू क्यों नहीं किया? जब जानते हो कि चिन्तन में अनन्त शक्ति है, राक्षस बना दे, महापुरुष बना दे। सारा काम चिन्तन का है और कुछ है ही नहीं विश्व में। अधिक चिन्तन जिस चीज का करोगे वैसे ही बन जाओगे। अच्छाई का चिन्तन करो, अच्छे बन जाओगे। बुराई का चिन्तन कुछ दिन करो, कितना भी अच्छा हो, बुरे बन जाओगे।
चिन्तन की लिंक के अनुसार उत्थान-पतन दोनों संभव है। इसलिए मन को खाली नहीं रखो, गलत संग में नहीं डालो। गलत व्यक्तियों से बात न सुनो, न करो और कहीं कान में पड़ जाय तो उसको ऐसे फेंक दो जैसे कंकड़ को खाना खाते समय फेंक देते हैं।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: साधन साध्य पत्रिका, मार्च 2014 अंक०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vedik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 298
(संत तथा भगवान का जन्म/अवतार साधारण जीवों के जन्म से कैसे भिन्न है, जगदगुरु श्री कृपालु महाप्रभु जी की वाणी में यहाँ से पढ़ें...)
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एष आत्मापहृतपाप्मा विजरो विमृत्युर्विशोको।विजिघत्सोपिपासः सत्यकामः सत्यसंकल्पः।।(छांदोग्योपनिषद, 8-1-5)
वह ब्रम्ह पापरहित है, जरारहित है, उसकी मृत्यु नहीं होती, वह शोकरहित है, उसे भूख नहीं लगती, प्यास नहीं लगती, वह सत्यकाम है, सत्यसंकल्प है।
ब्रम्ह अथवा भगवान के ये आठ गुण भगवत्प्राप्ति के पश्चात जीव में भी आ जाते हैं। तत्पश्चात वह जीव महापुरुष अथवा भगवत्प्राप्त संत के नाम से अभिहित होता है।
किन्तु जब भगवान अथवा महापुरुष, मनुष्य रूप में इस धरा पर हमारे बीच अवतरित होते हैं, उनका तो जन्म भी देखा जाता है, जरा भी होती है, मृत्यु भी देखी जाती है। वे पाप अथवा पुण्य के कार्य करते दिखाई देते हैं। भूख लगने पर खाना भी खाते हैं तथा प्यास लगने पर पानी भी पीते हैं। फिर कैसे मानें कि वे आठ गुणों से युक्त हैं?
यों तो साधारण जीवों की आत्माओं के लिये भी कहा जा सकता है कि आत्मा का न जन्म होता है, न मृत्यु होती है, उसे न आग जला सकती है और न पानी ही गला सकता है। इत्यादि। फिर भगवान, महापुरुष अथवा साधारण जीव में हम भेद कैसे मानें?
कारागार में एक ही वेशभूषा में तीन व्यक्ति खड़े हैं। आप कहेंगे कि तीनों ही जेल में हैं, अवश्य कैदी हैं तीनों। किन्तु ऐसा नहीं है। उनमें एक कैदी है, दूसरा जेल का अधीक्षक है और तीसरा देश का राजा अथवा मिनिस्टर है। देखने में तीनों एक समान कैदी लगते हैं किन्तु कैदी को न्यायाधीश द्वारा उसके कुकृत्य की सजा देकर जेल में भेजा गया है। जबकि राजा अथवा मिनिस्टर जेल का निरीक्षण करने आया है, अधीक्षक जेल में प्रबंध करने आया है। ये दोनों स्वयं आये हैं और स्वयं जा सकते हैं किन्तु कैदी जेल में लाया गया है और सजा पूरी करने तक बंधन में रहेगा।
इसी प्रकार साधारण व्यक्ति (जीव) कर्मबन्धन में बंधकर प्रारब्धवश संसार में लाये जाते हैं किन्तु भगवान अथवा महापुरुष का कोई कर्मबन्धन नहीं है, वे स्वयं लोकहितार्थ संसार में स्वयं अवतरित होते हैं।
साधारण जीव अपने पूर्व निश्चित प्रारब्ध को भोगकर निश्चित समय पर मृत्यु को प्राप्त होता है किन्तु भगवान अथवा महापुरुष अपने निश्चित कार्यक्रम के पूरा होने पर, जब चाहें तब अपनी लीला संवरण करके, अपने लोक को प्रस्थान कर सकते हैं। वे आवश्यकतानुसार अपने समय में कमी अथवा वृद्धि करने में भी समर्थ हैं।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: अध्यात्म सन्देश पत्रिका, नवम्बर 1998 अंक०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vedik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - भारतीय वास्तु की तरह ही चीनी वास्तु भी होता है, जिसे फेंगशुई कहा जाता है। फेंगशुई में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देने और समस्याओं को दूर करने के लिए फेंगशुई प्रतीकों का प्रयोग किया जाता है। फेंगशुई के ये प्रतीक बाजार में आसानी उपलब्ध हो जातें हैं, इसलिए आजकल बहुत प्रचलित भी हो गए हैं। यदि किसी को व्यापार में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हो तो फेंगशुई के कुछ प्रतीको का प्रयोग करके समस्याओं से निजात पा सकते हैं साथ ही व्यवसाय में तरक्की भी होती है। तो आइए जानते हैं व्यापार में तरक्की प्राप्त करने के उपाय।यदि आप व्यवसाय करते हैं और आपको आए दिन व्यापार में कुछ न कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। अपने कार्यस्थल (ऑफिस, फैक्ट्री और दुकान) की उत्तर-पश्चिम दिशा में क्रिस्टल बॉल लटकानी चाहिए। इससे वहां कार्य करने वालों की ऊर्जा में वृद्धि होती है, जिससे आपके व्यवसाय को बढ़ावा मिलता है। इसके साथ ही इससे व्यपारिक घाटे में भी कमी आती है। इसके अलावा घर और कार्यालय में नौ छड़ी वाली विंड चाइम लगानी चाहिए। जब हवा से विंड चाइम हिलती हैं तब उसकी मधुर ध्वनि से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।कार्यक्षेत्र में प्रतियोगिता तो बनी ही रहती है यदि आपको अपने व्यवसाय में बार-बार विरोधियों के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हो, तो अपने घर और ऑफिस में ड्रैगन की मूर्ति रखनी चाहिए। लेकिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि कछुए की पीठ पर बैठे ड्रैगन की ही मूर्ति लगाएं। माना जाता है कि इससे आपके विरोधी धीरे-धीरे विरोधी खुद ही परास्त होने लगते हैं।फेंगशुई के अनुसार प्रसिद्धि प्राप्त करने के लिए घर की दक्षिण दिशा में संध्या के समय लाल रंग का बल्ब जलाना चाहिए। इसके अलावा आप घर की दक्षिण-पूर्व दिशा यानी आग्नेय कोण में दीपक जलाना चाहिए। इससे घर की नकारात्मकता दूर होती है जिससे जातक को तरक्की और प्रसिद्धि पाने में सहायता मिलती है।
- ज्योतिष में शुक्र ग्रह को भौतिक सुख, वैवाहिक सुख, भोग-विलास, शौहरत, कला, प्रतिभा, सौन्दर्य, रोमांस, काम-वासना और फैशन-डिजाइनिंग आदि का कारक ग्रह माना जाता है। शुक्र के शुभ होने पर जहां व्यक्ति को भौतिक, शारीरिक और वैवाहिक सुखों की प्राप्ति होती है, वहीं शुक्र के अशुभ होने पर व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 28 मई को शुक्र मिथुन राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं। शुक्र का मिथुन राशि में प्रवेश कुछ राशियों के लिए अशुभ रह सकता है। इन राशियों के लोगों को विशेष सावधानी बरतनी होगी। आइए जानते हैं शुक्र का राशि परिवर्तन किन लोगों की मुश्किलें बढ़ा सकता है...कर्क राशिशुक्र का गोचर आपके 12वें भाव में होगा, जिसके कारण यह समय आपके लिए अच्छा साबित नहीं होगा।इस दौरान खर्चों में वृद्धि हो सकती है।धन खर्च सोच- समझकर ही करें।वाद- विवाद से दूर रहें।सेहत का ध्यान रखें।वृश्चिक राशिशुक्र गोचर काल में आपको शत्रुओं से सावधान रहने की जरूरत है।पैसों को सोच-समझकर खर्च करने की जरूरत है।इस दौरान मानसिक तनाव हो सकता है।वैवाहिक जीवन में उतार-चढ़ाव आ सकते हैं।स्वास्थ्य का ध्यान रखने की आवश्यकता है।मकर राशिमकर राशि वालों के 5वें भाव में शुक्र गोचर होगा।आपके लिए यह समय शुभ साबित नहीं होगा।धनी- हानि हो सकती है।इस दौरान आपको मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।स्वास्थ्य का ध्यान रखें।मीन राशिइस समय आपको कड़ी मेहनत करनी होगी।प्रेम-संबंध में परेशानी आ सकती है।सेहत का ध्यान रखने की जरूरत है।आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
- अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छी नींद लेना बहुत आवश्यक होता है। रात को सही प्रकार से नींद न आने पर हमारे पूरे दिन की गतिविधियों पर प्रभाव पड़ता है। आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में कभी काम के दबाव के चलते तो कभी तनाव के कारण नींद न आने की समस्या आम हो गई है। कई बार लोग रात को नींद के लिए दवाओं का सहारा भी लेने लगते हैं लेकिन यह आपके स्वास्थय पर बुरा प्रभाव डलती हैं। इसके लिए आपको संतुलित दिनचर्या और खान-पान अच्छा रखने की आवश्यकता होती है लेकिन कई बार नींद में रात को बार-बार बाधा पड़ने के कई और कारण भी हो सकते हैं। वास्तु में नींद न आने और बार-बार नींद में बाधा आने के पीछे कई कारण बताए गए हैं। यदि आप वास्तु में बताई गई इन बातों को ध्यान में रखते हैं तो नींद न आने की सममस्या से छुटकारा पा सकते हैं।कई बार यदि कुछ सामान ज्यादा हो जाए तो पलंग के नीचे खसका देते हैं, लेकिन वास्तु के अनुसार पलंग के नीचे भूलकर भी बिन वजह का सामान नहीं रखना चाहिए। इससे नकारात्मक ऊर्जा बढ़ने लगत है जिसके कारण रात में बार-बार नींद में बाधा पड़ने की समस्या हो सकती है। इसके साथ ही अपना बिस्तर या फिर पलंग ठीक दरवाजे के सामने नहीं लगाना चाहिए। इससे भी आपकी नींद में रुकावट आती है।कई बार शयन कक्ष में फ्रिज आदि भी रख देते हैं लेकिन वास्तुशास्त्र कहता है कि शयनकक्ष में फ्रिज, इन्वर्टर या गैस सिलेंडर आदि चीजें नहीं रखनी चाहिए। ये चीजें आपकी आपकी नींद में रुकावट पैदा करने का कारण बन सकती हैं। इनसे आपको मानसिक तनाव का सामना भी करना पड़ सकता है, इसलिए यदि आपके शयनकक्ष में यदि ये सारी चीजें रखी हुई हैं तो वहां से हटा दें।वास्तुशास्त्र के अनुसार कभी भी लोहे का पलंग नहीं होना चाहिए पलंग हमेश लकड़ी का ही सही रहता है। वास्तु कहता है कि पलंग का आकार वृत्ताकार, अर्धचंद्राकार या धनुष के आकार का नहीं होना चाहिए। इससे आपको मानसिक बैचेनी हो सकती है। पलंग हमेशा आयताकार ही सही रहता है।वास्तुशास्त्र के अनुसार शयनकक्ष में कभी भी पलंग के सामने या फिर पीछे की और शीशा नहीं लगा होना चाहिए। इसके साथ ही शयनकक्ष में फालतू के बिजली उपकरण नहीं रखने चाहिए। यदि शयनकक्ष की कोई पंखा आदि खराब है या फिर आवाज करता है तो उसे तुरंत ठीक करवाना चाहिए। इसके अलावा शयनकक्ष में कभी भी कांटेदार पौधा या फिर नुकीला शोपीस नहीं रखना चाहिए।
- सुखी जीवन के लिए अपने तन और मन को सकारात्मक बनाए रखना जरूरी है। अगर इंसान सकारात्मक रहेगा तो परिवार के बाकी लोगों पर भी इसका असर पड़ेगा और घर में नकारात्मकता ऊर्जा कभी नहीं आएगी। इसके लिए इन उपायों का पालन करें ....1. सूर्यदेव हमारे जीवन की ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत हैं। सूर्यदेव के प्रकाश में रहने का प्रयास करें। घर के हर कोने में सूर्यदेव का प्रकाश अवश्य पहुंचे, ऐसा प्रबंध करें।2. प्रतिदिन प्रात: स्नान करें और स्नान के बाद शरीर को अच्छी तरह से सुखाएं। रोजाना नहाने से शरीर तो साफ रहता ही है। साथ ही तन और मन भी तरोताजा हो जाते हैं।3. प्रतिदिन सुबह उठकर गायत्री मंत्र का जाप करें। यह मंत्र मन को संतुष्टि देने वाला होता है और जीवन में सकारात्मक सोच का प्रवाह करता है।4. दिन में हल्का भोजन करें। जितनी भूख हो, उससे थोड़ा कम खाने का प्रयास करें। खाने के बाद टहलने की कोशिश जरूर करें। रात्रि को 6-7 बजे तक भोजन कर लेने की कोशिश करें।5. अपने दैनिक क्रियाकलाप में नारंगी रंग का प्रयोग करें, इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार बना रहता है। यह रंग आंखों को बेहद प्रिय लगता है और मन को खुशियां देने वाला होता है।6. घर में तुलसी का पौधा लगाएं। यह पौधा सकारात्मकता में वृद्धि करता है। इस पौधे का पौराणिक महत्व तो है ही। साथ ही इसका चिकित्सकीय महत्व भी है। इस पौधे की वजह से बहुत सारे बैक्टीरिया और वायरस घर में प्रवेश नहीं कर पाते।7. घर में गूगल का धुआं करें। इस धुएं से घर में छिपे वायरस और बैक्टीरिया मर जाते हैं। साथ ही मच्छर-मक्खी जैसे कीटाणु भी घर से दूर भाग जाते हैं। जिससे मन में प्रसन्नता आती है।8. घर में सरसों के तेल के दीये में लौंग डालकर जलाएं, ऐसा करने से सकारात्मकता में वृद्धि होती है। इस लौंग की खुशबू से जब घर महकता है तो इससे मन को खुशी और पॉजिटिविटी का संचार होता है।9. शीशे के बर्तन में नमक डालकर घर के किसी भी कोने में रख दें। घर में सुगंधित धूप जलाएं। धूप जलाने के बाद उसे घर के हर कोने में दिखाना बहुत जरूरी होता है।10. घर में समय-समय पर के कोने-कोने में गंगाजल का छिड़काव करते रहें। गंगाजल पवित्र होने के साथ ही चिकित्सकीय गुणों से भरपूर भी होता है। ऐसे में गंगाजल छिड़कने से बुरी शक्तियों का अंत होता है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ जाता है।
- माता लक्ष्मी हिन्दू धर्म की प्रमुख देवियों में से एक हैं. वे भगवान विष्णु की पत्नी हैं. उन्हें धन सम्पदा, शांति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है.शुक्रवार को होती है पूजासनातन धर्म में शुक्रवार को मां लक्ष्मी का दिन माना गया है. कहते हैं कि इस दिन लक्ष्मी पूजन (Devi Laxmi Puja) करने से धन की प्राप्ति होती है. ऐसे में अगर आपके घर भी मां लक्ष्मी नहीं टिक रही हैं तो शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी का पूजन करें. ऐसा करने से व्यक्ति को दरिद्रता, दुर्बलता, कृपण, असंतुष्टिपन और पिछड़ेपन से मुक्ति मिल जाती है.धन संपदा की होती है बरसातमान्यता है कि शुक्रवार को अगर पूरे विधि-विधान के साथ मां लक्ष्मी (Devi Laxmi) की पूजा की जाए तो व्यक्ति पर धन की वर्षा होती है. इस दिन लोगों को व्रत भी रखना चाहिए. इससे आपकी सारी मनोकामना पूर्ण हो सकती हैं. ऐसी मान्यता है कि शुक्रवार को मां लक्ष्मी की पूजा करने से वह जातकों पर धन वर्षा करती हैं.शुक्रवार को लक्ष्मी पूजन का तरीका1. अगर आपके हाथों में पैसा नहीं रुकता और बहुत ज्यादा खर्च होता है तो ऐसी तस्वीर लगाएं जिसमें मां लक्ष्मी खड़ी हों और उनके हाथों से धन गिर रहा हो.2. मां की तस्वीर के सामने दीया जलाएं.यह दीया हमेशा घी का ही होना चाहिए.3. मां लक्ष्मी को इत्र चढ़ाएं और उसी इत्र का नियमित प्रयोग करें.4. अगर बेवजह धन का ज्यादा खर्च हो रहा है तो मां के चरणों में हर दिन एक रुपये का सिक्का अर्पित करें और उसे जमा कर महीने के अंत में किसी सौभाग्य की धनी स्त्री को दे दें.5. मेष, सिंह और धनु राशि के लोगों के लिए वरलक्ष्मी के स्वरूप की पूजा करनी चाहिए.सही तरीके से करें आरतीअगर आप हर दिन मां लक्ष्मी का विधिवत पूजन नहीं कर पा रहे हैं तो हर शुक्रवार मां लक्ष्मी की आरती का पाठ करें. ऐसा करने से आपके सारे पाप नाश हो जाएंगे और मां की कृपा प्राप्त होगी. जातक इस बात का ध्यान रखें कि मां लक्ष्मी की आरती का उच्चारण गलत ना हो क्योंकि गलत उच्चारण के साथ आरती गाने का फल प्राप्त नहीं होता.ये है माता लक्ष्मी की आरतीॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी मातातुम को निश दिन सेवत, हर विष्णु विधाता….ॐ जय लक्ष्मी माताउमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग मातासूर्य चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाताॐ जय लक्ष्मी मातादुर्गा रूप निरंजनि, सुख सम्पति दाताजो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धि धन पाताॐ जय लक्ष्मी मातातुम पाताल निवासिनी, तुम ही शुभ दाताकर्म प्रभाव प्रकाशिनी, भव निधि की त्राताॐ जय लक्ष्मी माताजिस घर तुम रहती सब सद्गुण आतासब संभव हो जाता, मन नहीं घबराताॐ जय लक्ष्मी मातातुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाताखान पान का वैभव, सब तुमसे आताॐ जय लक्ष्मी माताशुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जातारत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाताॐ जय लक्ष्मी मातामहालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर गाताउर आनंद समाता, पाप उतर जाताॐ जय लक्ष्मी मातापिछड़ेपन से मिल जाती है मुक्तिमान्यता है कि गायत्री की एक किरण लक्ष्मी भी है. जो व्यक्ति इसे प्राप्त कर लेता है उसका जीवन सदा सुसम्पन्नों जैसी प्रसन्नताओं से भर जाता है. श्रद्धालुओं को शुक्रवार को मां लक्ष्मी का वृत भी रखना चाहिए. ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और मुंहमांगा वरदान देती हैं.
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जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 297
(भूमिका - जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज ने प्रस्तुत उद्धरण में यह समझाया है कि साधना, पूजा अथवा किसी भी प्रकार के आध्यात्मिक कर्म में कौन सी बात सर्वप्रमुख है? इस उद्धरण को पढ़कर हम यह समझेंगे कि किस प्रकार सभी साधनाओं में इस एक 'सावधानी' को जोड़ देने से हम उन साधनाओं के फल को प्राप्त कर लेते हैं, अन्यथा चूक जाते हैं...)
..वेद से लेकर रामायण तक सभी ग्रन्थ एक स्वर से कहते हैं कि भगवान् का ध्यान करना चाहिये। भगवान् के ध्यान से भगवान् मिलते हैं। वेदव्यास ने कहा;
आलोड्य सर्वशास्त्राणि विचार्य च पुनः पुन:।इदमेकं सुनिष्पन्नं ध्येयो नारायणो हरिः॥(महाभारत, नरसिंह पुराण)
मैंने छहों शास्त्रों को और पुराणों को बार-बार मथा और बार-बार चिन्तन किया तो एक निर्णय निकला - 'ध्येयो नारायणो हरिः', भगवान् का ध्यान करना चाहिये।
स्मर्तव्यः सततं विष्णुर्विस्मर्तव्यो न जातुचित्।(पद्म पुराण, उत्तर खण्ड 71.100)
भगवान् का निरन्तर स्मरण करो, उनको भूलो मत।
यहुर्लभं यदप्राप्यं मनसो यत्र गोचरम् ।तदप्यप्रार्थितो ध्यातो ददाति मधुसूदन:॥(गरुड़ पुराण)
ध्यान करने से जो अप्राप्य है वो भी भगवान् दे देते हैं।
भगवान् ब्रह्म कार्त्स्न्येन त्रिरन्वीक्ष्य मनीषया।तदध्यवस्यत् कूटस्थो रतिरात्मन् यतो भवेत्॥(भागवत 2.2.34)
तीन बार ब्रह्मा ने वेदों को मथा और मथकर एक निष्कर्ष निकला - भगवान् का ध्यान करना चाहिये। ध्यान, स्मरण। 'मनेर स्मरण प्राण'। समस्त साधनाओं में 'स्मरण' प्राण है और सब शरीरेन्द्रियाँ हैं। प्राण निकल गया तो ये शरीर शव हो जाता है, मुर्दा, मिट्टी। मिट्टी भी अच्छी होती है, उसमें खुशबू होती है। और इस मिट्टी में तो बदबू हो जाती है 24 घण्टे में। तो भगवान् का ध्यान करना चाहिये। ये सब शास्त्र वेद कह रहे हैं।
गीता में भरा पड़ा है। भगवान् बड़े सुलभ हैं, लेकिन कैसे? 'अनन्यचेता:', चित्त को भगवान् में ही लगाये रहो। 'ही'; अनन्य। फिर 'यो मां स्मरति'। 'स्मरण।'
अनन्याश्चिन्तयंतो मां ये जना: पर्युपासते।
चिन्तन, ध्यान।
ये तु सर्वाणि कर्माणि मयि संन्यस्य मत्पराः।अनन्येनैव योगेन मां ध्यायन्त उपासते॥(गीता 12.6)
'ध्यायन्त' मेरा ध्यान करे निरन्तर। यानी मन मुझमें लगा दे।
मय्येव मन आधत्स्व मयि बुद्धिं निवेशय।(गीता 12.8)
ध्यान करना है, ध्यान। ये ध्यान का काम कौन करता है? आँख, कान, नाक, त्वचा, रसना - ये पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ ध्यान नहीं कर सकती। आँख देखने का काम करती है, कान सुनने का, नासिका सूँघने का, रसना रस लेने का, त्वचा स्पर्श करने का। ध्यान करने का काम कौन करता है? मन, अन्त:करण, चित्त अनेक नाम हैं उसके।
तो ध्यान करना चाहिये भगवान् का, उसी का नाम भक्ति, उपासना, पूजा, पाठ जो कुछ शब्द बोलो। वो सब मन को करना है, इन्द्रियों को नहीं। तो भगवान् का ध्यान करना है, बस एक बात। दूसरी कोई बात न सुनो, न पढ़ो, न सोचो, न करो। ध्यान करना है और अगर कोई और बात पढ़ो, सुनो, करो, तो ध्यान नम्बर एक, बाद में और सब कुछ जैसे कीर्तन, भगवान् का नाम, रूप, गुण, लीला धाम ये गाते हैं। ये रसना का काम है बोलना। लेकिन नम्बर एक ध्यान, फिर गान। यानी इन्द्रियों को अगर साथ लेते हो तो कोई एतराज नहीं है, लेकिन अगर मन साथ में नहीं है तो जीरो में गुणा हो जायेगा। जीरो गुणा जीरो बराबर जीरो, जीरो गुणा लाख बराबर जीरो, जीरो गुणा करोड़ बराबर जीरो। उसका कोई परिणाम नहीं होगा। इसलिये ध्यान ही साधना है, उपासना है, भक्ति है।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: 'रूपध्यान विज्ञान' पुस्तक०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vedik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) -
जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 296
(भूमिका - जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा निम्न उद्धरण में 'अहंकार' के विषय में प्रकाश डाला गया है कि जैसे जीव यानी कि हम मायाधीन मनुष्य छोटी सी बुद्धि और थोड़ा सा संसार पाकर ही अहंकार के वश में हो जाते हैं और फिर कैसे भगवान की शक्ति माया हमें अनेक प्रकार से दण्ड देकर याद दिलाती है कि हमें भगवान की ओर ही चलना है, उन्मुख होना है......)
..मनुष्य गुरु की नहीं सुनता, सुनकर अनसुनी कर देता है, उधार कर देता है। वो प्यार से समझाता है, अपनेपन से ज्ञान देता है; लेकिन जीव अहंकार के कारण नहीं समझता। बहुत से अहंकार होते हैं - ज्ञान का अहंकार कि हम बहुत समझते हैं। लोग ऐसी ऐसी बातें करते हैं गीता की पुस्तक नहीं देखा कभी और हमसे ये जानते हुए कि इनको जगद्गुरु की उपाधि मिली है ज्ञान के बल पर। फिर भी महाराज जी! गीता में तो कर्म लिखा है, हम तो कर्म करते हैं गृहस्थ का। लो हम ही को उपदेश दे रहे हैं कि गीता में कर्म लिखा है इतना अहंकार है ज्ञान का! अरे! अगर गीता पढ़ा होता तो भी चलो मान लेते। तुमने गीता पढ़ा है? नहीं। पुस्तक देखी है? नहीं। तो गीता में क्या लिखा है तुम्हें कैसे मालूम?
लोग कहते हैं कि गीता में तो कर्म लिखा है, अर्जुन से कहा है कर्म करो। तो हम कर्म करते हैं, आप कहते हैं माँ, बाप, बेटा, स्त्री, पति से प्यार न करो और गीता तो कहती है कि कर्म करो। लो, हम ही को उपदेश देने लगे। ये बुद्धि का अहंकार है। देखो! हमारे देश में अनपढ़ गँवार करोड़ों है। गाँवों में तो चार-छः गाँव के गँवार बैठते हैं जब, तो आपस में बात करते हैं, ये सरकार को अकल नहीं है, इतनी गरीबी है, एक-एक करोड़ के नोट छाप दे खूब। अरे, जरा-सा कागज दो पैसे का उसमें लिख दे एक करोड़ और पैसा ही पैसा हो जाय हमारे देश में। सोचो! इतने मूर्ख होने पर भी इतना अहंकार है। वो पूरी सरकार को बेवकूफ बता रहे हैं कि नोट छापने से देश धनी हो जायगा। सबको अहंकार है। जब लेक्चर सुनते हैं लोग वो चाहे पढ़ा लिखा हो, चाहे घोर मूर्ख हो, रास्ते में कमेंट्री करते हुए जाते हैं, उन्होंने ऐसा कहा । लेकिन ऐसा है कि......
हमने एक बार सुना है अपने कान से। जबलपुर में हमारी स्पीच हो रही थी, पच्चीस हजार आदमी थे। तो लेक्चर देने के बाद मैं कार से चला और एक किलोमीटर के बाद ही मैंने कार छोड़ दी और एक काला कम्बल ओढ़ लिया और रोड पर खड़ा हो गया। अब पब्लिक आई, कार वाले से मैंने कहा कि तुम चले जाओ आगे और पब्लिक के साथ हम चले कम्बल ओढ़े हुए सिर से ऐसे। अब कौन क्या कहता है, दोनों तरफ सुनते जा रहे हैं। बड़ी बड़ी तारीफ भी करते थे और कुछ कमेंट्री हमारे खिलाफ भी करते थे। तो वो इतना बुद्धि का अहंकार है मनुष्य को, भगवान् ने ऐसा क्यों किया? भगवान् ने दुनिया बनाया क्यों? भगवान् ने माया लगाया क्यों? लो भगवान् पर भी अटैक हो रहा है। भगवान् गलती तो नहीं करता, फिर क्यों गलती किया? तो ये अहंकार। कभी और कुछ नहीं, शरीर का ही अहंकार!!
सोलह, अठारह साल की उमर में लड़के लड़की अपने शरीर को ही भगवान् मानने लगते हैं। चाहे कितना ही कोई मूर्ख हो, शरीर का अहंकार सबको होता है, सबको। इसी प्रकार धन हो किसी के पास तो फिर क्या बात है। यानी, संसार का कोई भी सामान हो तो उसका अहंकार होता है। बड़ा सामान नहीं, छोटे सामान में भी अहंकार। कैसे? आप क्या पढ़े-लिखे हैं? हाईस्कूल। अच्छा, आपके बगल में एक बैठा है तुमने कितना पढ़ा है? दर्जा चार। हम हाईस्कूल हैं, हो गया अहंकार और अब उसके बगल में आप कहाँ तक पढ़े हैं? डी.लिट. हैं । हाँ हाँ , डी. लिट. हैं!! पिचक गया। अब किसी न किसी के तो आगे होने की बात भी है और कोई न कोई हमसे पीछे भी है ज्ञान में, बल में, धन में, बुद्धि में सबमें। हमसे नीचे भी लोग हैं, हमसे आगे भी लोग हैं। तो नीचे वालों को देखकर अहंकार।
तो ये अहंकार जो है देहाभिमान कहते हैं इसको। देह का, देह सम्बन्धी विषय का अहंकार होना। इस अहंकार के कारण हम वेदशास्त्र की बात, सन्त की बात, भगवान् की बात नहीं मानते। अपनी बुद्धि के अनुसार काम करते हैं। तो ऐसे लोगों को जैसे संसार में कोई बेटा छोटा-सा माँ की बात नहीं मानता समझाने पर, प्यार से समझाती है बेटा! ऐसा नहीं बोलते, ऐसा नहीं करते और फिर भी करता है, तो दण्ड देती है माँ, सगी माँ। कहीं खाना बन्द कर देगी, कहीं हाथ पैर बाँध देगी, कहीं झापड़ लगा देगी। ये दण्ड क्यों देती है अपनी माँ? तो बेटा गुस्सा करता है, कैसी माँ है, हमको मार दिया। हमारा हाथ-पैर बाँध दिया, हमको खाना नहीं दे रही है। ये दुश्मन है हमारी। लेकिन ऐसा है नहीं। माँ तो उसके कल्याण के लिये ये सब कर रही है। ये हमारा बेटा अच्छा बेटा बने। अच्छे कैरक्टर का बने। डरा रही है।
तो ऐसे ही जब (भगवान् की, संत/गुरु की) नहीं सुनता मनुष्य तो दूसरी दासी वो भी दासी है भगवान् की, माया भी, वो कहती है बेटा ! तुमको हमारे भाई साहब ने समझाया था, गुरु ने? हाँ। नहीं माना? हाँ। अच्छा आओ हमारे पास, हम तुम्हारी पिटाई करते हैं। तो पिटाई करने पर जब वो धन गया, ये पिटाई हो गई। धन गया तो;
असतः श्री मदान्धस्य दारिद्र्यं परमञ्जनम्।(भागवत 10.10.13)
जब धनी का धन नष्ट होता है तो अहंकार गया।
त्वमेव सर्वं मम देव देव।
अब भगवान् की ओर देखने लगा। ऐसे ही बीमार हो गया, कैन्सर हो गया, शरीर का अहंकार करने वाला, मैं मर जाऊँगा, कैंसर हो गया, हे भगवान्......!! ये अहंकार शरीर का गया। जो भी चीज हमारे पास है वो गड़बड़ हुई कि हम भगवान् की ओर देखते हैं - भगवान् की शरण में जाते हैं। तो ये क्या मतलब है इसका? माया ने दण्ड दिया, तुलसीदास की बीबी ने डाँट लगाई, होश आ गया, सूरदास को होश आ गया। बड़े-बड़े सन्त हमारे यहाँ हुए हैं जो चपत खाने से सन्त हुए। माया ने मार लगाई, उसने कहा - हाँ ठीक है, अब मैं उधर जाऊँगा। इधर (माया) की मार खाने पर उधर (भगवान) गया है। हमारे संसार में बहुत से बच्चों को गाँव में झापड़ लगा देता है बाप अपराध पर तो वो तुनुक करके चल देता है परदेश। घर से निकल जाता है और बाईचांस बाहर जा करके कहीं नौकरी लग गई, मुनीम हो गया और फिर मुनीम होकर के चार सौ बीस सीखा और सेठ जी को कब्जे में लिया। अरे! करोड़ीमल सेठ बन गया, करोड़ों का। हमारे यहाँ बड़े-बड़े प्राइम मिनिस्टर तमाम देशों के ऐसे हुए हैं जो गाँव के गरीब घर के, बाप की पिटाई से भाग कर शहर में गये और वहाँ किसी पॉलीटिशियन के यहाँ नौकरी मिली फिर पॉलिटिक्स में आगे बढ़े और फिर प्राइम मिनिस्टर हो गये। तो देखो मार खाने का कितना बढ़िया परिणाम मिला उनको। तो माया नौकरानी है भगवान् की, वो दण्ड देकर के हमारा कल्याण करती है, इसकी बुराई नहीं करना है।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: 'साधन साध्य' पत्रिका, अंक 2019०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vedik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - -जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 295
साधक का प्रश्न ::: महाराज जी! हम लोग लोगों को सिद्धान्त समझाते है कि भगवान् की ओर चलो। अच्छे-अच्छे हमारे रिश्तेदार, हमारे दोस्त; वो बात नहीं समझते और हम दुःखी हो जाते हैं। लेकिन महापुरुष पूरी लाइफ समझाता रहता है तो लोग कितने समझते हैं। तो क्या वो महापुरुष दुःखी होता है, उनको भी परेशानी होती है क्या?
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा दिया गया उत्तर ::: जैसी परेशानी मायाबद्ध को होती है, ऐसी परेशानी उनको नहीं होती। मायाबद्ध को तो ऐसा है कि उसने कुछ अपमानजनक बात जवाब में कह दिया बजाय मानने के और उल्टा भगवान् के खिलाफ ही बोल दिया कुछ तो दुःखी होता है गृहस्थी आदमी। फील करता है और द्वेष बुद्धि होने लगती है उसकी उसके प्रति। महापुरुष को ये सब कुछ नहीं। वो समझ लेता है कि संस्कार नहीं है इसके। ये यह नहीं समझ रहा है। हो सकता है भविष्य में समझे। वो उदासीन रहते हैं। उनका अपना जन (अनुयायी) जो शरणागत हो रहा है, फिफ्टी परसेन्ट शरणागत हो रहा है और वो गड़बड़ करता है तो दुःखी होते हैं। जैसे पड़ोसी का बेटा बीमार है तो पड़ोसी दुःखी नहीं होता। उसका अपना बेटा बीमार होता है तब दुःखी होता है।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: 'प्रश्नोत्तरी' पुस्तक (भाग - 2)०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vedik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - घर की दीवारों को खूबसूरत बनाने के लिए लोग कई तरह की कलाकृतियां, तस्वीरें आदि लगाते हैं. इन चीजों का मन-मस्तिष्क और सोच पर गहरा असर पड़ता है. लिहाजा इन चीजों का चुनाव करते समय बहुत ध्यान रखना चाहिए. इसके अलावा धन-दौलत, सौभाग्य, संतान प्राप्ति जैसी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए भी तस्वीरें अहम हैं. आज जानते हैं कि किस मनोकामना को पूरी करने के लिए घर में कैसी तस्वीर लगानी चाहिए.धनलाभ के लिए लगाएं ये तस्वीरेंआर्थिक संपन्नता पाने के लिए घर में मंदिर या पूजा स्थान पर बैठी हुई लक्ष्मी जी का चित्र लगाना शुभ होता है. वहीं घर में प्रेम बढ़ाने के लिए ड्राइंग रूम या मुख्य द्वार के आस-पास फूलों या पानी का चित्र लगा सकते हैं. ख्याल रहे कि पानी की तस्वीर शांत जल वाली है. वहीं अच्छे स्वास्थ्य के लिए काम करने के स्थान पर उगते हुए सूरज का चित्र लगाएं.श्रीकृष्ण की तस्वीर करती है परेशानियां दूरभगवान शिव या भगवान श्रीकृष्ण की आर्शीवाद देती हुई तस्वीर लगाने से हर तरह के कष्ट दूर होते हैं और खुशहाली आती है.शिक्षा में सफलता के लिए भगवान गणेश का चित्रशिक्षा में सफलता पाने के लिए और एकाग्रता के लिए बुद्धि के देवता भगवान गणेश का चित्र लगाना बहुत लाभकारी होता है. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों को यह तस्वीर लगानी चाहिए. वे एकाग्रता पाने के लिए श्री यंत्र भी लगा सकते हैं. ख्याल रखें कि पढ़ने की जगह पर कार्टून आदि के चित्र कभी न लगाएं.खुशहाल दांपत्य के लिए लगाएं फैमिली फोटोखूबसूरत यादों को संजोने के अलावा आपस में प्यार बढ़ाने के लिए फैमिली फोटो बहुत काम की चीज है. घर में पूर्वी या उत्तरी दीवार पर पूरे परिवार का फोटो लगाने से घर में सुख-शांति रहती है. साथ वैवाहिक जीवन में भी खुशहाली आती है. याद रखें कि फैमिली फोटो को कभी भी दक्षिणी दीवार पर ना लगाएं.ड्राइंगरूम में लगाएं फूलों की तस्वीरेंअलग-अलग रंगों और फूलों की तस्वीरों के सेट लिविंग रूम या बैडरूम में लगाना शुभ माना जाता है.घर में भूलकर भी न लगाएं ये तस्वीरेंसौभाग्य, खुशहाली लाने वाली तस्वीरों के बाद अब जानते हैं कि घर में कौन सी तस्वीरें गलती से भी नहीं लगानी चाहिए. घर में कभी भी जंगली जानवर का चित्र, मूर्ति या प्रतीक न रखें. वहीं बेडरूम में भगवान के चित्र न लगाएं. आग और कांटों के चित्र भी नहीं लगाने चाहिए, यह रिश्तों में तल्खियां लाते हैं. ध्यान रखें कि तस्वीरों पर धूल न जमे, उन्हें समय-समय पर साफ जरूर करते रहें.
- 26 मई को है साल का पहला चंद्रग्रहणरखें इन बातों का खास ख्यालसूतक काल नहीं होगा मान्यसाल 2021 का पहला चंद्रग्रहण 26 मई को लगने जा रहा है. वैशाख पूर्णिमा के दिन लगने वाला यह ग्रहण पूर्ण चंद्रग्रहण होगा. हालांकि यह उपछाया चंद्रग्रहण है, लिहाजा इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा. ज्योतिष के मुताबिक सिर्फ उन्हीं ग्रहणों का धार्मिक महत्व होता है, जिन्हें खुली आंखों से देखा जा सके. उपछाया चंद्रग्रहण को देखने के लिए खास सोलर फिल्टर वाले चश्मों की जरूरत होती है.चंद्रग्रहण के दौरान इन बातों का रखें खास ध्यानहिंदू धर्म में ग्रहण को बहुत अहम माना गया है. ग्रहण के दौरान क्या काम करने चाहिए और क्या नहीं, इसे लेकर विस्तार से बताया गया है. ग्रहण के दौरान शुभ कामों के अलावा कई अन्य कामों को भी वर्जित किया गया है. साथ ही ग्रहण के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए दान-पुण्य करने के लिए भी कहा गया है. जानते हैं ग्रहण के समय क्या करना चाहिए और क्या नहीं.- वास्तविक ग्रहण के समय किसी भी तरह का शुभ काम नहीं करना चाहिए.- चंद्रग्रहण के समय ना तो भगवान की मूर्ति छूनी चाहिए और ना ही मंदिर के कपाट खुले रखने चाहिए.- ग्रहण के दौरान भोजन बनाने और खाने दोनों को ही वर्जित बताया गया है. ताकि सेहत पर ग्रहण का बुरा असर न पड़े. इसके अलावा पहले से बनाकर रखे हुए भोजन, दूध आदि में भी ग्रहण शुरू होने से पहले ही तुलसी के पत्ते डाल देने चाहिए.- ग्रहण के दौरान वाद-विवाद नहीं करना चाहिए. साथ ही पति-पत्नी को इस दौरान संयम रखने के लिए भी कहा गया है.- ग्रहण काल में गर्भवती स्त्रियों को बाहर नहीं निकलना चाहिए. हो सके तो इस दौरान उन्हें अपने पास एक नारियल रखना चाहिए.मटमैला दिखाई देगा चंद्रमाउपछाया चंद्रग्रहण में चंद्रमा पर कुछ देर के लिए पृथ्वी की छाया पड़ती है जिस कारण से चंद्रमा मटमैला दिखाई देता है. हालांकि भारत में यह ग्रहण दिन के समय होगा लिहाजा इसे यहां नहीं देखा जा सकेगा. यह चंद्रग्रहण 26 मई 2021, बुधवार को दोपहर में 2 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगा और शाम 7 बजकर 19 मिनट तक रहेगा. यह अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी यूरोप, पूर्वी एशिया और प्रशांत महासागर में दिखाई देगा.
- 26 मई, बुधवार को वैशाख पूर्णिमा पर पहला चंद्रग्रहण सायंकाल, पश्चिमी बंगाल, अरुणाचल, नागालैंड, आसाम, त्रिपुरा, मेघालय में बहुत कम समय के लिए दिखाई देगा। भारत के शेष भागों में यह नहीं दिखेगा। भारत के अलावा यह ग्रहण, जापान, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, सिंगापुर, बर्मा, आस्ट्रे्लिया ,दक्षिणी अमरीका,प्रशांत व हिन्दमहासागर में भी दिखेगा। चंद्रमा पर आंशिक ग्रहण दोपहर में करीब सवा तीन बजे शुरू होगा और शाम को 7 बजकर 19 मिनट तक रहेगा। पूरब में 26 मई की शाम आसमान पर पूर्ण चंद्रग्रहण के ठीक बाद एक दुर्लभ विशाल व सुर्ख चंद्रमा, सुपर ब्लड मून नजर आएगा। ज्योतिष में मान्यता है कि किसी भी ग्रहण से 41 दिन पहले और 41 दिन बाद तक ग्रहण का प्रभाव प्राकृतिक आपदाओं जैसे चक्रवात, भूकंप, भूस्ख्लन में दिखता रहता है। जैसे ताउते नामक समुद्री तूफान ग्रहण से एक हफ्ते पहले आ गया। चंद्रग्रहण का चंद्र राशि अनुसार कैसा रहेगा आपका आने वाला 41 दिन तक का समय ?मेष: चंद्र ग्रहण थोड़े परेशानियों वाले संकेत दे रहा हैं। अपनी परेशानियों की वजह से गुस्सा दिखाने की जगह शांत रहें। स्वास्थ्य के हिसाब से थोड़ा मुश्किल समय है, इसलिए सेहत का ध्यान रखना जरूरी है। धन लाभ के लिए ये समय शुभ संकेत दे रहा है। चंद्र ग्रहण के दौरान मंत्र जप करना शुभ रहता है। आप इस समय में ऊॅं हं हनुमंते नम: का जप करें।वृषभ: स्वास्थ्य में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है लेकिन साथ ही कुछ रुके हुए कार्य पूर्ण होने और मनोकामनाएं पूरी होने के संकेत मिल रहे हैं। वैवाहिक जीवन में अशांति हो सकती है लेकिन वित्तीय लाभ के लिए अच्छा समय है। संयम बनाए रखें और किसी को कठोर शब्द न बोलें। पार्टनर की सेहत का भी विशेष ध्यान रखें। जहां तक संभव हो अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें और व्यर्थ के खर्चों से बचें।मिथुन: ग्रहण शुभ संकेत लेकर आएगा। इस राशि के लोगों के खर्चों में थोड़ी कटौती होगी। शत्रु पर विजय प्राप्त करेंगे और परिश्रम अधिक करना पड़ेगा किंतु सफलता मिलेगी। जहां तक हो सके तर्क-वितर्क से बचें। धन-लाभ होने के योग बन रहे हैं। कार्यों में सफलता हासिल करेंगे। वाद- विवाद से दूर रहना होगा।कर्क: इस समय में आप अधिक आध्यात्मिक हो जाएंगे। ईश्वर भक्ति की और ध्यान केंद्रित करेंगे और मानसिक तनाव से बचेंगे। नौकरी या व्यापार में अच्छे परिणाम मिलने के संकेत हैं। चिकित्सा मुद्दों के लिए सचेत होने की आवश्यकता है। धन लाभ होगा लेकिन समाज में अपयश की प्राप्ति हो सकती है। ऊॅं शब्द का उच्चारण करते रहने से मन शांत रहेगा।सिंह: रिश्तों के लिए अच्छा समय है। व्यापार में सफलता मिलने के संकेत हैं। मामूली आर्थिक नुकसान के साथ, वित्त और खर्च होने के संकेत हैं। नौकरी के लिए प्रयासरत हैं तो उसमें सफलता मिलेगी। परिवार से सहयोग मिलेगा, आर्थिक रूप से सफलता मिलेगी। ग्रहण अच्छे प्रभाव लेकर आएगा। व्यापार में लाभ होगा। परिवार के सदस्यों का ध्यान रखें। कार्यों में सफलता हासिल करेंगे। भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करने से लाभ मिलेगा।कन्या: नौकरी में वृद्धि और स्थिरता प्राप्त कर सकते हैं। पेशे में भाग्य और आर्थिक लाभ मजबूत होगा। जल्दबाजी में लिए गए फैसलों से बचें और अपने आसपास के लोगों के साथ धैर्य रखें। इस राशि के लोगों को परिश्रम अधिक करना पड़ेगा किंतु आमदनी कम होगी। व्यर्थ के खर्चे करने से बचें। आर्थिक पक्ष मजबूत होगा। नौकरी और व्यापार में तरक्की के योग भी बन रहे हैं। कार्यों में सफलता मिलेगी।तुला: तुला राशि के लोगों को धन की प्राप्ति के संकेत मिल रहे हैं, इसलिए फिजूल खर्चों से बचें। स्वास्थ्य के क्षेत्र में हल्के-फुल्के उतार-चढ़ाव संभव हैं किंतु कोई बड़ी बीमारी होने का कोई संकेत नहीं है। स्वास्थ्य का ध्यान रखें और पार्टनर की सेहत के प्रति भी सचेत रहें।वृश्चिक: अपने स्वास्थ्य और मानसिक तनाव का ध्यान रखें। जीवनसाथी के साथ वाद-विवाद और मतभेद के संकेत है। आर्थिक नुकसान होने के भी संकेत मिल रहे हैं इसलिए फिजूल के खर्चों को नियंत्रित करें। ईश्वर की भक्ति में लीन होने की कोशिश करें सफलता अवश्य मिलेगी। इस दौरान आपके कार्यों में बाधाएं उत्पन्न होंगी। करियर में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। वाद विवाद में फंस सकते हैं। मातापिता की सेहत बिगड़ सकती है।धनु: वाद -विवाद से बचें और वाणी पर नियंत्रण रखें। खर्चों पर नियंत्रण रखने की भी आवश्यकता है आर्थिक नुकसान के संकेत दे रहा है। शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगी और स्वास्थ्य लाभ मिलेगा।मकर: अनपेक्षित प्रेम का संचार होगा। आर्थिक लाभ के लिए भी आपके लिए अच्छा समय है। पार्टनर के साथ संबंध अच्छे रहेंगे धैर्य रखें और ध्यान करें। संतान के सुख की प्राप्ति होगी, विद्या अध्ययन कर रहे लोगों को विद्या के क्षेत्र में सफलता मिलेगी। आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा। नौकरी और व्यापार में सफलता हासिल करेंगे। स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां दूर होंगी। इस दौरान आर्थिक पक्ष मजबूत बनेगा। कार्यक्षेत्र में आपकी प्रशंसा होगी। व्यापार में तरक्की मिलेगी। नई योजनाएं बनाएंगे।कुंभ राशि: कुंभ राशि के लोगों के लिए यह चंद्र ग्रहण थोड़ा कष्टप्रद साबित हो सकता है। बिजनेस में हानि हो सकती है। कोई भी काम समझदारी से करें। वाहन को सावधानी से चलाएं। सिरदर्द से परेशान हो सकते हैं। माता को कष्ट मिलने के संकेत मिल रहे हैं, साथ ही थोड़े शुभ संकेत भी मिल सकते हैं जैसे भूमि, वाहन से लाभ मिल सकता है। व्यापार में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। यह समय आपके लिए बहुत अच्छा नहीं है इसलिए कार्यस्थल पर सामंजस्य बनाकर रखें। अपने और परिवार के अन्य सदस्यों के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचने के लिए हनुमान जी का ध्यान करें।मीन : बच्चों के स्वास्थ्य के लिए अधिक देखभाल की आवश्यकता है। वाद-विवाद से बचें और गलतफहमी को दूर करने के लिए संवाद करने का प्रयास करें। कोर्ट कचहरी के मामलों में अगर फंसे हुए हैं तो विजय प्राप्त होने के संकेत हैं। भाग्य का साथ मिलेगा। धन -लाभ होने के योग भी बन रहे हैं। इस समय परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना होगा।
- व्यक्ति के हाथ की रेखाएं कई बातें बताती हैं। उसके स्वभाव से लेकर भविष्य के बारे में भी अहम इशारें देती हैं। हाथों की रेखाओं और आकृतियों से मिलने ऐसे ही कुछ संकेतों की बारे में आज जानते हैं। ऐसी रेखाओं का होना व्यक्ति के जीवन में कई संदेह लाता है। यह संदेह व्यक्ति को अपने विचारों पर दृढ़ नहीं रहने देते, इससे उसे कई बार कोशिशें करने के बाद भी सफलता नहीं मिलती है।सूर्यरेखा का चंद्रक्षेत्र से शुरू होनायदि किसी व्यक्ति के हाथों में सूर्यरेखा चन्द्रक्षेत्र से शुरू तो उस व्यक्ति का भाग्य तो चमकेगा लेकिन उसकी यह तरक्की उसके परिश्रम बजाय दूसरों की इच्छा और सहायता पर ज्यादा निर्भर करती है। ऐसे में व्यक्ति को मित्रों से सहायता मिलने के योग बनते हैं। वहीं सूर्यरेखा चन्द्रक्षेत्र से शुरू होकर अनामिका तक पहुंचे और वह गहरी भी हो तो ऐसे व्यक्ति का जीवन अनेक घटनाओं से भरा और संदेहपूर्ण होता है। उसकी जिंदगी में अक्सर परिवर्तन होते रहते हैं। हालांकि, यदि रेखा चन्द्रस्थान से निकलकर भाग्य-रेखा के समानान्तर जा रही हो तो भविष्य सुखमय हो सकता है।विचारों में नहीं रहती स्थिरताव्यक्ति के विचारों में दृढ़ता हो और उसकी मस्तिष्क रेखा भी अपना फल शुभ दे रही हो तो ऐसा व्यक्ति तेजस्वी और प्रसन्नचित्त होता है। हालांकि ऐसे लोगों के साथ एक बड़ी समस्या यह रहती है कि उनके विचार कभी स्थिर नहीं रह पाते हैं। वे अनायास ही पूर्व में तय की गई योजना या विचारों को बदल देते हैं। अपने संकल्प पर दृढ़ न रहने के कारण उन्हें कई बार प्रयत्न करने पर भी ज्यादा सफलता नहीं मिल पाती है।--
- अक्सर शनिवार-रविवार की छुट्टियों के लिए कई काम पहले से तय होते हैं। हफ्ते के बाकी दिन ऑफिस-बिजनेस के कामों में लगे रहने के कारण लोग इन कामों के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं, जैसे- घर की साफ-सफाई, नाखून काटना या हेयर कट कराना आदि। जबकि वीकेंड के इस समय में बाल कटवाना बहुत नुकसानदेह है।होता है धन-बुद्धि का नाशमहाभारत के अनुशासन पर्व में बताया गया है कि रविवार का दिन सूर्य का दिन है। ऐसे में रविवार के दिन बाल कटवाने से धन, बुद्धि और धर्म का नाश होता है। लिहाजा कभी भी इस दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए, जबकि छुट्टी होने के कारण आमतौर पर लोग इसी दिन हेयर कट कराते हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि किस दिन बाल कटवाने के क्या नतीजे होते हैं और इस काम के लिए सबसे अच्छा दिन कौन सा है।- सोमवार के दिन भी बाल कटवाना अच्छा नहीं माना जाता है। इस दिन बाल कटवाने से मानसिक दुर्बलता आती है। साथ ही यह संतान के लिए भी ठीक नहीं है।- शास्त्रों के मुताबिक मंगलवार के दिन बाल कटवाना असामयिक मृत्यु का कारक बनता है।- बाल और नाखून काटने के लिए सबसे शुभ दिन बुधवार का होता है। इससे धन-दौलत भी बढ़ती है और खुशहाली बनी रहती है।- गुरुवार के दिन बाल कटवाने से धनहानि के साथ-साथ मान-सम्मान को भी ठेस पहुंचती है।- बुधवार के अलावा शुक्रवार का दिन भी इस काम के लिए अच्छा होता है। चूंकि यह शुक्र ग्रह से प्रभावित होता है और यह ग्रह सौन्दर्य का प्रतीक है। ऐसे में इस दिन बाल काटने से लाभ और यश में बढ़ोतरी होती है।- शनिवार के दिन बाल कटवाना भी अशुभ होता है। इसे भी असमय मृत्यु का कारण माना जाता है।
- जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 294
(भूमिका - आज के अंक में प्रकाशित दोहा तथा उसकी व्याख्या जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा विरचित ग्रन्थ 'भक्ति-शतक' से उद्धृत है। इस ग्रन्थ में आचार्यश्री ने 100-दोहों की रचना की है, जिनमें 'भक्ति' तत्व के सभी गूढ़ रहस्यों को बड़ी सरलता से प्रकट किया है। पुनः उनके भावार्थ तथा व्याख्या के द्वारा विषय को और अधिक स्पष्ट किया है, जिसका पठन और मनन करने पर निश्चय ही आत्मिक लाभ प्राप्त होता है। आइये उसी ग्रन्थ के 35-वें दोहे पर विचार करें, जो कि 'भक्ति' के महत्व पर प्रकाश डाल रही है...)
• भक्ति-शतक | दोहा संख्या 35
सत्य अहिंसा आदि मन!, बिन हरिभजन न पाय।जल ते घृत निकले नहीं, कोटिन करिय उपाय।।35।।
भावार्थ ::: सत्य, अहिंसादि दैवीगुण केवल श्री कृष्ण भक्ति से ही मिल सकते हैं। जैसे पानी मथने से घी नहीं निकल सकता। ऐसे ही अन्य करोड़ों उपायों से भी दैवीगुण नहीं मिलते।
व्याख्या ::: सत्य बोलना आदि दैवी गुण हैं। सभी व्यक्ति इन गुणों से प्यार भी करते हैं। क्योंकि दैवी गुणों के अध्यक्ष श्रीकृष्ण के अंश हैं। हम दूसरों से जो चाहते हैं वही हमारा स्वभाव है। किसी के झूठ बोलने आदि पर हम लोग एतराज़ करते हैं, भले ही स्वयं दिन में सैकड़ों झूठ बोलते हों। इससे सिद्ध हुआ कि दैवी गुण सत्य अहिंसादि भगवान् से ही संबंध रखते हैं एवं इसके विपरीत झूठ, हिंसादि, माया से संबंध रखते हैं। इसी से मायिक वस्तुओं के लोभ में हम लोग झूठ आदि का अवलंब (सहारा) लेते हैं। अतः जब तक भगवान् की भक्ति न की जायगी तब तक अंतःकरण शुद्ध ही न होगा। बिना अंतःकरण शुद्ध हुये हम सत्य आदि दैवीगुणों का प्रदर्शन मात्र कर सकते हैं किंतु वास्तव में दैवीगुण युक्त नहीं हो सकते। केवल मन से सोचने मात्र से हमारा मन शुद्ध न होगा। हां, यह हो सकता है कि बार-बार सोचने से, परलोक के भय से कुछ मात्रा में बहिरंग रूप से इन गुणों का दिखावा कर लें।
०० व्याख्याकार ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: 'भक्ति-शतक' (दोहा संख्या - 35)०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
*+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -((1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vedik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.) - शनि वर्तमान में अपनी स्वराशि मकर में विराजमान हैं। शनि ने 24 जनवरी 2020 को मकर राशि में गोचर किया था। यह 29 अप्रैल 2022 तक इसी राशि में रहेंगे, इसके बाद कुंभ राशि में गोचर कर जाएंगे। मकर राशि में शनि के गोचर करने के कारण मकर समेत कुंभ और धनु राशि पर शनि की साढ़े साती महादशा चल रही है। शनि अन्य ग्रहों की तुलना में धीमी गति से चलता है, जिसके कारण शनि का प्रभाव एक राशि पर ज्यादा समय तक रहता है। शनि को राशि परिवर्तन करने में करीब ढाई साल का समय लगता है, जबकि एक चक्र पूरा करने में करीब 30 साल का समय लगता है। जानिए मकर राशि वालों को शनि की साढ़े साती से कब मिलेगी मुक्ति-मकर राशि पर शनि की साढ़ेसाती 29 मार्च 2025 तक चलेगी। मकर राशि पर शनि की साढ़े साती का दूसरा चरण चल रहा है। शनि की साढ़े साती महादशा के दौरान आपके कार्यों बाधाएं आएंगी लेकिन काम रुकेगा नहीं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस समय शनि सूर्य के नक्षत्र में हैं। शनि की साढ़े साती के दौरान कुछ बड़े फैसले लेने में परेशानी हो सकती है। विदेश यात्रा या विदेश संबंधित कार्यों में सफलता हासिल करेंगे।मकर राशि वालों की आर्थिक स्थिति-शनि की साढ़े साती दशा के दौरान आर्थिक मामलों में संयम बनाकर रखें। भविष्य के लिए रखे पैसे भी खर्च हो सकते है। लग्न राशि में शनि के विराजमान होने के कारण आपको मेहनत से सफलता हासिल होगी। आपके कार्य में भी परिवर्तन हो सकता है। नौकरी में बदलाव भी संभव है।स्वास्थ्य-साढ़े साती के दौरान सेहत को लेकर थोड़ा सजग करने की जरूरत है। अगर पहले से कोई शारीरिक कष्ट है तो थोड़ा ध्यान रखें। सहज स्थान पर शनि की दृष्टि होने के कारण आलस के कारण कुछ दिक्कतें आ सकती हैं।शनि की साढ़े साती से बचाव के उपाय-शनि के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। मान्यता है कि हनुमान जी की पूजा करने से शनि दोष से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा शनिवार के दिन हनुमान जी के मंदिर जाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। हालांकि कोरोना काल में घर के मंदिर में ही हनुमान चालीसा का पाठ किया जा सकता है। भगवान शिव की पूजा से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं। शनि मंत्रों का जाप करने से लाभ होता है। शनिवार के दिन शनिदेव से जुड़ी चीजों का दान करना लाभकारी साबित होता है। पीपड़ के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।
- जगदगुरु कृपालु भक्तियोग तत्वदर्शन - भाग 293
साधक का प्रश्न ::: महाराज जी! यदि कोई स्त्री कमाती नहीं है और पुरुष कमाता है, लेकिन स्त्री से पुरुष दान करवाता है, तो दान का फल किसे मिलेगा?
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज द्वारा दिया गया उत्तर ::: वो जिस निमित्त दान कर रहा है, वो चाहे स्त्री से करवाये, चाहे नौकर से करावे, चाहे तुम से करावे, उससे क्या मतलब है? फल तो उसी को मिलेगा, जो करा रहा है। भगवान् के यहाँ स्त्री-पति नहीं चलता, स्वर्ग तक चलता है। यज्ञ हो रहा है, जो स्वर्ग सम्बन्धी काम है, उनमें स्त्री आधे की हकदार है और संसार में भी आधे की हकदार है ही है। लेकिन भगवान् के यहाँ नहीं।
अब किसी के द्वारा करावे, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। दान तो जितना गुप्त हो उतना अधिक फल मिलता है।
ऐसे भी हमारे सत्संग में चार-छः लोग हैं जो चुपचाप तकिया के नीचे रख जाते हैं। हल्ला मचाते रहो, किसका रुपया है? किसने रखा है? बोलते ही नहीं। कुछ लोग दूसरे से दिला देते हैं। ये तो अच्छी बात है।
लेकिन फल उसी को मिलेगा जिसने परिश्रम करके कमाया है, जिसका पैसा है। लेकिन जिसके पास पैसा नहीं है, तो कोई स्त्री निराश न हो कि हमारा क्या होगा? मन से ही स्मरण करे और मन से ही दान की भावना रखे। तन और मन ये दो चीज तो सबके पास है। धन नहीं है तो इसके लिये माफी है भगवान् के यहाँ। जिसके पास कम धन है, कम दान करो। बिल्कुल नहीं है, बिल्कुल मत करो। उसके लिये दण्ड नहीं है। जिसके पास है और नहीं दान करता, उसके लिये दण्ड है।
द्वावंभसि निवेष्टव्यौ गले बद्ध्वा दृढ़ां शिलाम्। (महाभारत)
(अर्थात) ऐसे व्यक्ति को गले में चट्टान पत्थर बाँध के कुएँ में डाल दो जो पैसा हो और दान न करे (दान की महत्त्वता बतलाने के लिये 'महाभारत' में यह श्लोक आया है)। ये जानते हुए कि ये सब छोड़ कर जाना पड़ेगा। ये हम ले नहीं जायेंगे। और फिर भी दान नहीं करता।
०० प्रवचनकर्ता ::: जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज०० सन्दर्भ ::: 'द द द' पुस्तक ('दान' विषयक प्रश्नोत्तरी)०० सर्वाधिकार सुरक्षित ::: राधा गोविन्द समिति, नई दिल्ली के आधीन।
+++ ध्यानाकर्षण/नोट ::: जगदगुरु श्री कृपालु जी महाराज द्वारा प्रगटित सम्पूर्ण साहित्यों की जानकारी/अध्ययन करने, साहित्य PDF में प्राप्त करने अथवा उनके श्रीमुखारविन्द से निःसृत सनातन वैदिक सिद्धान्त का श्रवण करने के लिये निम्न स्त्रोत पर जायें -(1) www.jkpliterature.org.in (website)(2) JKBT Application (App for 'E-Books')(3) Sanatan Vedik Dharm - Jagadguru Kripalu Parishat (App)(4) Kripalu Nidhi (App)(उपरोक्त तीनों एप्लीकेशन गूगल प्ले स्टोर पर Android तथा iOS के लिये उपलब्ध हैं.)