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- बालों की समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए आप करी पत्ता, मेथी और प्याज के रस से हेयर ऑयल बना सकते हैं। तो आइए, जानते हैं इसके फायदे और तरीका-करी पत्ता, मेथी और प्याज के रस का हेयर ऑयल लगाने के फायदे1. बालों का झडऩा रुकेअगर आप करी पत्ता, मेथी और प्याज के रस से बना हेयर ऑयल लगाएंगे, तो इससे बालों का झडऩा रुक सकता है। प्याज का रस, बालों को मजबूत बनाता है। इस तेल को लगाने से बाल मजबूत बनते हैं। इससे हेयर फॉल रुकता है और बाल घने होते हैं। अगर आपके बाल झड़ रहे हैं, तो आप इस हेयर ऑयल का इस्तेमाल कर सकते हैं।2. स्कैल्प से जुड़ी समस्याएं दूर करेंअगर आपको स्कैल्प से जुड़ी कोई समस्या है, तो आप करी पत्ता, मेथी और प्याज के रस से बना हेयर ऑयल लगा सकते हैं। अगर आप इस तेल का इस्तेमाल करेंगे, तो आपको डैंड्रफ से छुटकारा मिल सकता है। इस तेल को लगाने से सिर की खुजली में भी आराम मिलता है। डैंड्रफ या रूसी की समस्या से परेशान हैं, तो इस तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं।3. सफेद बालों से मिलेगा छुटकाराआजकल कम उम्र में ही लोगों के बाल सफेद होने लगे हैं। अगर आपके बाल भी सफेद हो रहे हैं, तो आप करी पत्ता, मेथी और प्याज के रस से बना तेल अप्लाई कर सकते हैं। इस तेल को लगाने से बाल काले और घने बनते हैं। इस तेल में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो स्कैल्प में कोलेजन को बूस्ट करते हैं। इससे ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होता है और बालों की रंगत में सुधार होता है।4. बालों की ग्रोथ करेकई लड़कियां बालों को लंबा और घना बनानी चाहती हैं। लेकिन कुछ कारणों की वजह से उनके बाल छोटे ही रह जाते हैं। ऐसे में आप करी पत्ता, मेथी और प्याज के रस से बना तेल लगा सकते हैं। अगर आप भी तेजी से हेयर ग्रोथ चाहते हैं, तो इस तेल को सप्ताह में एक से दो बार जरूर लगाएं। इससे आपको काफी फर्क देखने को मिलेगा।करी पत्ता, मेथी और प्याज के रस का हेयर ऑयल कैसे बनाएं?-करी पत्ता, मेथी और प्याज के रस का हेयर ऑयल बनाना बेहद आसान है।-इसके लिए आप करी पत्तों को धो लें।-अब नारियल के तेल में करी पत्ते, मेथी के बीज और प्याज का रस मिलाएं।-इन सभी चीजों को अच्छी तरह से पका लें।-फिर ठंडा होने दें और छानकर एक कटोरी में निकाल लें।-अब इस तेल का इस्तेमाल आप अपने बालों को मजबूत बनाने के लिए कर सकते हैं।आप भी बालों से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए करी पत्ता, मेथी और प्याज के रस से बना हेयर ऑयल लगा सकते हैं। इस ऑयल से सप्ताह में 1-2 बार सिर की मालिश जरूर करें।
- अमरूद का सेवन सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अमरूद के साथ-साथ अमरूद के पत्ते भी स्वास्थ्य के लिए गुणकारी होते हैं। अमरूद के पत्तों में विटामिन-बी, विटामिन-सी, कैल्शियम, आयरन, प्रोटीन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम और एंटीऑक्सीडेंट्स जैसे कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं। अमरूद के पत्तों से बनी चाय का सेवन करने से सेहत को कई लाभ मिल सकते हैं, तो जानते हैं इसके बारे में विस्तार से......अमरूद के पत्तों की चाय पीने के फायदे -इम्यूनिटी मजबूत होती हैअमरूद के पत्तों की चाय पीने से इम्यूनिटी बूस्ट हो सकती है। दरअसल, इसमें विटामिन-सी और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं। नियमित रूप से चाय का सेवन करने से कई तरह की गंभीर बीमारियों और संक्रमण से बचाव हो सकता है।ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता हैडायबिटीज के मरीजों के लिए अमरूद के पत्तों की चाय का सेवन फायदेमंद साबित हो सकता है। दरअसल, इसमें कई तरह के एंजाइम्स होते हैं, जो पाचन के समय कार्बोहाइड्रेट को ग्लूकोज में बदल देते हैं। इसके सेवन से ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है, जिससे मधुमेह में लाभ मिलता है।पाचन बेहतर होता हैअमरूद के पत्तों की चाय का सेवन पाचन स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। इसमें मौजूद तत्व पाचन क्रिया में सुधार करते हैं। इसके सेवन से गैस, अपच और एसिडिटी जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद मिल सकती है।कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल होता हैहाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या में अमरूद के पत्तों की चाय का सेवन फायदेमंद साबित हो सकता है। दरअसल, इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाने में मदद करते हैं। इसके सेवन से शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है, जिससे दिल से जुड़ी बीमारियों का जोखिम कम होता है।वजन घटाने में मदद मिलती हैअगर आप वजन कम करना चाहते हैं, तो अमरूद के पत्तों की चाय का सेवन आपके लिए लाभकारी हो सकता है। इसमें कुछ बायोएक्टिव कंपाउंड्स होते हैं, जो शरीर में कार्बोहाइड्रेट के अवशोषण को रोकने में मदद करते हैं। इसके सेवन से शरीर में शुगर और कैलोरी की मात्रा नहीं बढ़ती है, जिससे वजन कंट्रोल करने में मदद मिलती है।अमरूद के पत्तों की चाय कैसे बनाएं -अमरूद के पत्तों की चाय बनाने के लिए सबसे पहले एक पैन में पानी डालकर गर्म कर लें। अब इसमें 4-5 ताजा अमरूद के पत्ते डालकर 2 से 4 मिनट के लिए उबाल लें। फिर इस चाय को छान लें और इसमें शहद मिलाकर पिएं।(नोट- अमरूद के पत्तों की चाय का सेवन सेहत के लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है। हालांकि, अगर आप किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का सामना कर रहे हैं, तो इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।)
- नॉर्मल लाइफ में कई बार ऐसा होता है कि एसिडिटी और कब्ज जैसी समस्या परेशान करने लगती है। खराब खाने या फिर ज्यादा खा लेने की वजह से पेट फूलने, पेट दर्द तो कभी गैस बनने की शिकायत होने लगती है। पेट की इन कॉमन समस्याओं में घर के ये नुस्खे बड़े काम आते हैं। हालांकि ये नुस्खे केवल घरेलू नही हैं ये पूरी तरह से आयुर्वेदिक हैं और इसका फायदा स्टमक को मिलता है। जिससे जल्दी ही पेट की कॉमन प्रॉब्लम से छुटकारा मिल जाता है।कब्ज में पिएं घी और नमक से बनीं ड्रिंककब्ज की समस्या अक्सर परेशान कर देती है तो देसी घी और नमक से बनी ड्रिंक को पीकर देखें। ये आपकी कॉन्स्टिपेशन की समस्या में आराम दिलाने में हेल्प करेगी। रात को खाने के करीब एक घंटा बाद इस ड्रिंक को पीने से कब्ज नहीं होती। इस ड्रिंक को ऐसे तैयार करेंदेसी घीसेंधा नमकगर्म पानीएक चम्मच देसी घी और आधा चम्मच सेंधा नमक को गुनगुने पानी में मिक्स कर इस ड्रिंक को धीरे-धीरे पिएं। ये नेचुरल होम रेमेडी आपके बहुत काम आएगी।ब्लॉटिंग की समस्या को खत्म करेगा ये पानीअगर खाने के घंटों बाद भी ब्लॉटिंग रहती है और पेट फूला हुआ महसूस होता है तो गर्म पानी को पीने से राहत मिलती है। गर्म पानी में एक चम्मच सौंफ मिलाकर पीने से ब्लॉटिंग की समस्या खत्म हो जाती है। खाना खाने के बाद इस सौंफ वाटर या सौंफ चाय को पीने से फायदा होता है।एसिडिटीएसिडिटी की समस्या परेशान करती रहती है या फिर खट्टी डकारें आती हैं तो छाछ पिएं। ये एसिड रिफ्लक्स और इनडाइजेशन की समस्या को खत्म करने में मदद करती है।एक चौथाई कप दही में एक गिलास पानी डालें और मिक्स करें। साथ में सेंधा नमक, रोस्टेड जीरा पाउडर, अदरक की दो से तीन बूंद और पुदीने के पत्ते डालकर मिक्स कर लें। बटरमिल्क एसिडिटी की प्रॉब्लम का आयुर्वेदिक नुस्खा है।डायरिया या लूज मोशन होने पर लौकी है बेस्टलूज मोशन की प्रॉब्लम हो गई है तो एक कप पानी में अदरक की कुछ बूंदों को डालें। साथ में सौंफ डालकर उबाल लें। इस चाय को पीने से लूज मोशन की प्रॉब्लम में राहत मिलती है।अपच की समस्याअपच की समस्या अक्सर परेशान करती है तो जरूरी है खानपान में सुधार करें। फ्रूट्स एंड वेजिटेबल को डाइट में शामिल करें। सब्जियों का सूप पिएं। इसमे लहसुन, अदरक, बेसिल लीव्स को डालें। ये सारे हब्र्स इनडाइजेशन की प्रॉब्लम को खत्म करने में हेल्प करते हैं।
- बारिश के मौसम में लोगों के साथ सिर्फ वायरल संक्रमण, फ्लू या बुखार ही नहीं, बल्कि पाचन संबंधी समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। इसलिए इन दिनों पाचन को दुरुस्त रखने के लिए कुछ जरूरी सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है। बरसात के मौसम में हमारी पाचन अग्नि प्राकृतिक रूप से मंद होती है। आपको यह जानकार भी थोड़ी हैरानी हो सकती है कि इन दिनों आपके द्वारा खाए जाने वाली सब्जियां भी पाचन को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इन सब्जियों के बारे में जानने के लिए आगे पढ़ते रहें...बेहतर पाचन शक्ति के लिए न खाएं ये 5 सब्जियां -1. शिमला मिर्चशिमला मिर्च की कच्ची और ठंडी प्रकृति पाचन अग्नि को अधिक मंद कर सकती है, जिससे पेट में एसिडिटी के साथ ही वात और पित्त दोष में वृद्धि हो सकती है।2. पालकबरसात के मौसम में पालक के सेवन से बचने की सलाह दी जाती है। क्योंकि यह शरीर में वात और पित्त दोष को बढ़ाता है और कफ दोष को कम करता है। इन दिनों पालक का सेवन कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। यह बारिश के मौसम में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण और पाचन संबंधी समस्याओं का कारण कारण भी बन सकता है।3. गोभीगोभी भी प्रकृति में ठंडी होती है। इसमें अच्छी मात्रा में पानी होता है। इसका सेवन करने से पाचन अग्नि मंद होती है। यह शरीर में वात दोष को बढ़ाती है, साथ ही कफ और पित्त दोष को कम करती है। इस तरह यह हमारे पाचन को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है।4. पत्ता गोभीयह प्रकृति में ठंडी और पचने में भारी होती है। यह बरसात के मौसम में हमारी पाचन अग्नि को प्रभावित कर सकती है।5. टमाटरटमाटर प्रकृति में गर्म और खट्टा होता है। यह पेट में एसिडिटी का कारण बनता है। साथ ही, शरीर में त्रिदोष (वात, पित्त और कफ) के संतुलन को भी प्रभावित कर सकता है। इसलिए आपको इनका सेवन भी सीमित मात्रा में ही करना चाहिए।
- हम में से ज्यादातर लोग कुकिंग के लिए रिफाइंड तेलों का प्रयोग करते हैं, जो कि सेहत सेहत के लिए बहुत नुकसानदायक साबित हो सकते हैं। जबकि तिल का तेल कुकिंग के लिए एक स्वस्थ विकल्प है। इसे अपने आहार में शामिल करने से आपको जबरदस्त लाभ मिल सकते हैं। दिल को सेहतमंद रखने और हृदय रोगों के जोखिम को कम करने में भी तिल का तेल कई तरह से फायदेमंद साबित हो सकता है।हृदय स्वास्थ्य के लिए तिल के तेल के फायदेतिल के तेल में विटामिन ई और फाइटोस्टेरॉल, हेल्दी फैट्स और शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। इसमें पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड (PUFA) की बहुत अच्छी मात्रा होती है, जो हृदय स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। ओमेगा-3, ओमेगा-6 और ओमेगा-9 फैटी एसिड से भरपूर होने की वजह से यह सूजन से लड़ने और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को सामान्य रखने में मदद करता है। यह धमनियों में जमा खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद करता है। तिल के तेल में मौजूद फाइटोस्टेरॉल, लिगनेन, सीसमोल और सेसमिनोल नामक यौगिक भी होते हैं। ये फ्री-रेडिकल्स को बेअसर करने और शरीर में ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस को कम करने में मदद करते हैं। यह शरीर में सूजन को भी कम करते हैं। तिल के तेल को डाइट में शामिल करने से वजन कंट्रोल, डायबिटीज, हाई बीपी और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल रखने में मदद मिल सकती है। ये सभी हार्ट अटैक, स्ट्रोक और फेलियर जैसे रोगों के प्रमुख जोखिम कारकों में शामिल हैं।"
- पौष्टिक आहार का सेवन करने से त्वचा में निखार आता है और बालों का टूटना झड़ना भी बंद हो जाता है। एक्सपर्ट की मानें तो डाइट में मंकी जैकफ्रूट यानी बड़हल को शामिल किया जाए तो आपको बालों की कई समस्याओं से छुटकारा मिलता है।बड़हल से बालों पर होने वाले फायदेआयुर्वेद में इस फल के कई औषधीय गुण बताए गए हैं। इसको बड़हल, बड़हर, मंकी फ्रूट, आर्टोकार्पस लकूचा आदि नामों से भी जाना जाता है। इसका आकार बेहद अलग होता है। यह केवल मानसून के दौरान ही मिलता है। इसका स्वाद खट्टा-मीठा होता है। आगे जानते हैं इसके फायदे।पोषक तत्वों से भरपूरबड़हल में विभिन्न प्रकार के आवश्यक विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं, जो बालों के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसमें विटामिन ए पाया जाता है, जो सीबम के उत्पादन में सहायता करता है। सीबम एक नेचुरल हेयर कंडीशनर की तरह कार्य करता है। इसके अतिरिक्त, इसमें विटामिन सी अधिक मात्रा में होता है, जो एक बेहतरीन एंटीऑक्सीडेंट है। यह कोलेजन के निर्माण में सहायक होता है। जिससे बालों को मजबूती मिलती है। इसके अलावा विटामिन ई स्कैल्प में ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करता है, जिससे बाल टूटना बंद हो जाते हैं।बालों को प्रोटीन प्रदान करेंबालों के बनने में प्रोटीन मुख्य भूमिका निभाता है। बड़हल में पाए जाने वाला प्रोटीन बालों को बनने और मजबूती प्रदान करने में सहायक होता है। इससे बालों का झड़ना कम हो जाता है। प्रोटीन की कमी से आपके बाल तेजी से झड़ने लगते हैं।हार्मोन को करें नियंत्रितहार्मोनल असंतुलन बालों के झड़ने का एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है, खासकर उन महिलाओं के लिए जो गर्भावस्था के बाद बालों के झड़ने या मेनोपॉज के बाद बालों के पतले होने का अनुभव कर रही हैं। बड़हल में फाइटोएस्ट्रोजेन होता है, जो हार्मोन को संतुलित करने में मदद करता है। इससे बालों का झड़ना भी कम हो जाता है।बड़हल का सेवन कैसे करेंनाश्ते में खाएंपके हुए बड़हल को आप नाश्ते में खा सकते हैं। यह मीठा होता है। इससे आपको पूरा दिन थकान नहीं होती है और आपकी इम्यूनिटी पावर बेहतर होती है।स्मूदीइस फल को आप स्मूदी बनाकर भी सेवन कर सकते हैं। इसके लिए आप बड़हल को छीलकर इसे मिक्सी में डालकर स्मूदी बना लें। इसमें बर्फ के टुकड़े मिलाएं। आप इस ड्रिंक को किसी भी समय पी सकते हैं।फ्रूट चाटबड़हल का सेवन आप फ्रूट चाट की तरह भी कर सकते हैं। इसके साथ ही आप केला या अन्य फलों को मिलाकर फ्रूट चाट बनाएं और सेवन करें।बड़हल में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट गुण बालों को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाने में सहायक होते हैं। साथ ही आपके बालों को झड़ने और टूटने से बचाते हैं।
- आंवला न्यूट्रिशन पैक्ड फूड है। इसे अगर डेली डाइट में शामिल किया जाए तो शरीर की काफी सारी समस्याओं से निजात मिल जाती है। इसमे विटामिन सी के साथ ही आयरन, फास्फोरस, कैल्शियम भरपूर मात्रा में होते हैं। इसलिए आयुर्वेद में भी इसे बेहतरीन औषधि माना गया है। बॉडी में हो रही स्किन, हेयर से लेकर हेल्थ से जुड़ी इन समस्याओं में आंवले का जूस पीना फायदेमंद होता है। साथ ही जानें कि इसे कैसे पिया जा सकता है।डाइजेशन की दिक्कत दूर करेकई रिसर्च में पता चला है कि आंवले के जूस को पीने से पाचन से जुड़ी कई सारी समस्याओं कम होने में मदद मिलती है। एसिडिटी, पेट का दर्द, डायरिया और पेट में अल्सर में आंवला जूस पीना फायदेमंद है।लिवर को ठीक रखेलिवर ठीक तरीके से काम नहीं कर रहा है और फैटी लिवर की समस्या होने लगती है तो रोजाना आंवले का जूस पिएं। ये लिवर फंक्शन को सही करने में मदद करती है। इसमे मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होता है। जो लिवर को हेल्दी रखने में मदद करता है।इम्यूनिटी बढ़ाएबार-बार सर्दी जुकाम होने लगता है तो आंवले का जूस पिया जा सकता है। इसमे विटामिन सी काफी ज्यादा मात्रा में होता है। जो फ्लू, इंफेक्शन इन सबसे बचाता है और इम्यूनिटी को बढ़ाता है।कोलेस्ट्रॉल कम करेशरीर में बढ़ रहे बैट कोलेस्ट्रॉल को कम करने में आंवले का जूस काफी तेजी से मदद करता है। कई शोध से पता चला है कि करीब 3 महीने तक लगातार अगर 2 टाइम आंवले का जूस करीब 500 मिली ग्राम मात्रा में पिया जाए, तो कोलेस्ट्रॉल कम होता है।बालों के लिए फायदेमंदआंवले का जूस पीने से बाल हेल्दी होते हैं। जल्दी सफेद नहीं होते हैं और उनका झडऩा भी रुकता है। यहां तक कि बालों का रंग गहरा काला करने में भी आंवले का जूस मदद करता है।आंवले का जूस पीने के तरीकेआंवले के जूस को आप सीधे पानी में मिलाकर भी सकते हैं। इसमे आधी मात्रा आंवले के जूस और आधी मात्रा पानी की मिलाकर पीने से फायदा होता है।एलोवेरा जूस के साथआंवले के जूस को एलोवेरा की बराबर मात्रा में मिलाकर पीना फायदेमंद है। ये ड्रिंक इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ ही डाइजेशन को सही करता है।लौकी के जूस में मिलाकर पिएंहार्ट हेल्थ के लेकर वेट लॉस के लिए आंवले के जूस को लौकी के रस में मिलाकर पीने से फायदा होता है।
- ब्लैकहेड्स की समस्या कई लोगों को परेशान करती है। इससे चेहरा का लुक भी बिगड़ता है। वैसे तो यह बहुत ही सामान्य स्किन से जुड़ी समस्या है और समय के साथ-साथ समस्या में कमी भी आ जाती है। लेकिन, इससे निपटने के लिए बहुत जरूरी है कि इसके होने की वजह को जाना जाए। आमतौर पर, विशेषज्ञों का मानना है कि ऑयली स्किन होने की वजह से इस तरह की समस्या हो सकती हैं। सामान्यत: टीनेज के बच्चों को ब्लैकहेड्स की समस्या ज्यादा होती है। लेकिन, बदलती जीवनशैली और खानपान की बुरी आदतों के कारण, अब यह समस्या किसी को भी हो रही है। इससे निपटने के लिए आप ब्राउन शुगर और खीरे का उपयोग कर सकते हैं।ऐसे बनाएं स्क्रबसामग्रीब्राउन शुगर: आधा कपखीरे का पेस्ट: 5 चम्मचएवोकाडो पेस्ट: जरूरत अनुसारस्क्रब बनाने का तरीकासभी सामग्री को एक कटोरी में डालें।अच्छी तरह चम्मच या काटे की मदद से मिक्स करें।तब तक मिक्स करते रहें, जब तक कि आपके सामने एक बेहतरीन और कंसीस्टेंट मिश्रण तैयार न हो जाए।अब इस मिश्रण को अपने फेस पर अप्लाई करें।सर्कुलर मोशन में मिश्रण को चेहरे पर स्क्रब करें।आप नोटिस करेंगे कि धीरे-धीरे चेहरा साफ हो रहा है।15 से 20 मिनट तक ऐसा करने के बाद गुनगुने पानी से फेस वॉश कर लें।ब्राउन शुगर और खीरा के स्क्रब फायदेस्किन एक्सफोलिएट होती हैब्लैकहेड्स रिमूव करने के लिए आप ब्राउन शुगर और खीरे का उपयोग करते हैं। ये दोनों ही सामग्री स्किन के लिए बेहतरीन है। खासकर, ब्राउन शुगर की बात करें, तो इससे स्किन एक्सफोलिएट होती है और डेड स्किन रिमूव होते हैं। इसके अलावा, ब्लैकहेड्स की मदद से स्किन क्लीन और जवां नजर आती है।स्किन हाइड्रेट रहती हैब्लैकहेड्स रिमूव करने के लिए खीरे का भी उपयोग किया जाता है। खीरे से स्किन सॉफ्ट होती है और हाइड्रेट भी होती है। इससे स्किन प्रॉब्लम होने की आशंकाओं में कमी आती है।स्किन ग्लोइंग होती हैब्लैकहेड्स खत्म करने के साथ-साथ ब्राउन शुगर और खीरे के पेस्ट से जब आप स्किन को स्क्रब करते हैं, तो इससे आपकी स्किन में ग्लो भी बढ़ता है। दरअसल, ब्राउन शुगर में प्राकृतिक रूप से ह्यूमेक्टेंट होता है। नेचुरल मॉइस्चराइजर होने की वजह से यह स्किन को मुलायम भी रखता है।झुर्रियों कम होती हैब्लैकहेड्स कम होने के साथ-साथ खीरे का मिश्रण झुर्रियों और झाइयों को कम करने में भी मददगार साबित होता है। असल में, खीरे में एंटीऑक्सीडेंट कॉम्पोनेंट होते हैं, जो एजिंग लक्षणों को कम करते हैं। इसके अलावा, इसमें फॉलिक एसिड और विटामिन सी भी होता है। ये दोनों ही तत्व स्किन के लिए काफी उपयोगी माने जाते हैं।
- हल्दी का उपयोग कई तरह से किया जाता है। हल्दी के फेस पैक से आप त्वचा के पिंपल्स, मुंहासे, दानें, रैशेज, झाइया, झुर्रियां और टैन की समस्या को आसानी से दूर कर सकते हैं। इस लेख में आपको हल्दी से टैनिंग दूर करने के तरीके को बताया गया है।हल्दी और नींबू के पैक से टैन को करें दूरइस फेसपैक को बनाने के लिए आप एक चम्मच हल्दी ले लें। इसके साथ ही आपको करीब दो नींबू के रस की आवश्यकता होगी। चेहरे या त्वचा की टैनिंग को दूर करने के लिए आप एक बाउल में हल्दी और नींबू को मिक्स कर लें। इसके बाद इस पैक को प्रभावित त्वचा पर करीब 20 मिनट के लिए लगाकर छोड़ दें। जब पैक हल्का सूख जाए तो इसे नॉर्मल पानी से धोकर साफ कर लें। बेहतर रिजल्ट पाने के लिए आप इस पैक को सप्ताह में तीन बार लगा सकते हैं। इस पैक में मौजूद साइट्रिक एसिड त्वचा की टैनिंग को दूर कर, उसके रंग को एक समान बनाता है।हल्दी और दही के उपयोग से टैन को करें दूरहल्दी और दही के पैक से मेलेनिन को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इससे चेहरे और त्वचा का कालापन दूर होता है। दही से रंग में निखार आता है, साथ ही ये सन टैन की समस्या को दूर करने में सहायक होते हैं। इस पैक को बनाने के लिए एक बड़ा चम्मच दही लें। एक बाउल में दही और हल्दी को मिला लें। इसके साथ ही आप पैक में गुलाब जल करीब एक चम्मच मिलाएं। इस पैक को चेहरे पर करीब 20 से 25 मिनट तक लगाएं। जब ये पैक हल्का सूख जाए तो आप इसे पानी से साफ कर लें।बेसन और हल्दी से सन टैन दूर करेंइस पैक से आप त्वचा को एक्सफोलिएट कर सकते हैं। इस पैक को बनाने के लिए आप एक चम्मच बेसन और एक चौथाई चम्मच हल्दी को लें। इन दोनों को एक बाउल में मिक्स कर लें। इस पैक को त्वचा पर करीब 20 मिनट के लिए लगाएं। इसके बाद इसे नॉर्मल पानी से धो लें।
- मूंग दाल पोषक तत्वों से भरपूर होती है। इसमें विटामिन बी-6, विटामिन-सी, आयरन, फाइबर, पोटैशियम, कॉपर, फॉस्फोरस, फोलेट, राइबोफ्लेविन, मैग्नीशियम, नियासिन और थायमिन जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। मूंग दाल का सेवन करने से सेहत को कई फायदे मिलते हैं। यह पाचन-तंत्र को स्वस्थ रखने से लेकर ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने तक में लाभकारी होती है। दिल के स्वास्थ्य के लिए भी मूंग दाल का सेवन लाभकारी माना जाता है। इसके अलावा, मूंग दाल वजन घटाने में भी आपकी मदद कर सकती है। इसमें फाइबर भरपूर मात्रा में होता है, जो पेट को लंबे समय तक भरा हुआ रखता है।1. मूंग दाल चीलाअगर आप वजन कम करना चाहते हैं, तो मूंग दाल चीला खा सकते हैं। यह खाने में स्वादिष्ट होने के साथ-साथ काफी हेल्दी भी होता है। इसके लिए आप मूंग दाल को रातभर पानी में भिगोकर रख दें। सुबह इसका पानी छान लें और दाल को मिक्सी में अच्छी तरह ब्लेंड कर लें। अब इसे एक बाउल में निकाल लें। फिर इसमें कटा हुआ प्याज, हरी मिर्च, अदरक, हरा धनिया, मसाले और नमक मिलाएं। सब चीजों को अच्छी तरह मिक्स करके एक स्मूद बैटर तैयार कर लें। अब थोड़ा बैटर पैन पर डालें और दोनों तरफ से सेंक कर चीला बना लें। आप रोज सुबह नाश्ते में मूंग दाल चीला का सेवन कर सकते हैं। इससे आपको बार-बार क्रेविंग्स नहीं होंगी और वेट लॉस में मदद मिलेगी।2. मूंग दाल स्प्राउट्सवजन घटाने के लिए रोजाना मूंग दाल स्प्राउट्स का सेवन काफी लाभकारी हो सकता है। इसके लिए आप मूंग दाल को रातभर के लिए पानी में भिगोकर रख दें। अगले दिन इसे पानी से अच्छी तरह धोकर एक छलनी में डाल दें। एक-दो दिन बाद मूंग दाल अंकुरित हो जाएगी। अब इस अंकुरित मूंग की दाल को उबाल लें। फिर इसमें कटा हुआ प्याज, टमाटर, खीरा, हरी मिर्च, नींबू का रस और नमक डालें। अब इसे अच्छी तरह मिक्स कर लें और हरी धनिया से गार्निश करके खाएं। रोज इसका सेवन करने से पाचन-तंत्र दुरुस्त होगा और शरीर में जमा एक्स्ट्रा फैट भी कम होने लगेगा।3. मूंग दाल खिचड़ीअपने बढ़ते वजन को कम करने के लिए आप मूंग दाल खिचड़ी का सेवन कर सकते हैं। इसके लिए आप एक कप पीली मूंग दाल और एक कप चावल को अच्छी तरह धो लें। फिर इसे कुकर में डालें और 4 कप पानी, नमक और हल्दी डालकर 15-20 मिनट प्रेशर कुक करें। अब एक पैन में एक चम्मच घी गर्म करें। इसमें जीरा डालकर भून लें। फिर इसमें कटा हुआ प्याज डालकर 1-2 मिनट तक भूनें। इसके बाद इसमें हरी मिर्च और टमाटर डालकर भून लें। अब इसमें अपनी पसंद की हरी सब्जियां भी डाल सकते हैं। इसमें मसाले मिलाएं और ढंककर कुछ मिनट तक पकाएं। उसके बाद इसमें दाल-चावल वाला मिश्रण डालकर अच्छी तरह मिक्स कर लें। आपकी मूंग दाल खिचड़ी बनकर तैयार है।आप इसे लंच और डिनर में खा सकते हैं। रोजाना इसका सेवन करने से आपका वजन धीरे-धीरे कम होने लगेगा।4. मूंग दाल सूपवजन घटाने के लिए आप मूंग दाल सूप का सेवन कर सकते हैं। इसे बनाना बहुत ही आसान है। इसके लिए आप भीगी हुई मूंग दाल में लहसुन, अदरक, नमक, जीरा, हींग और मसाले डालकर उबालें। फिर इसमें थोड़ी-सी कटी हुई काली मिर्च डालकर इसका सेवन करें। नियमित रूप से इस सूप के सेवन से आपको वेट लॉस में मदद मिल सकती है।अगर आप भी वजन कम करना चाहते हैं, तो इन तरीकों से मूंग दाल का सेवन कर सकते हैं। हालांकि, अगर आप किसी बीमारी से जूझ रहे हैं, तो इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
- वजन कम करने के लिए एलोवेरा और आंवला जूस का सेवन करना बहुत फायदेमंद होता है। नियमित रूप से इसका जूस पीने से आपके शरीर में मौजूद एक्स्ट्रा फैट तेजी से बर्न होता है और कई फायदे मिलते हैं। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं वजन कम करने के लिए एलोवेरा और आंवला जूस के फायदे और पीने का सही तरीका।एलोवेरा और आंवला दोनों ही औषधीय गुणों से युक्त होते हैं। आंवला जूस में काब्र्स, फाइबर, कैल्शियम, विटामिन सी जैसे पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। इसके अलावा एलोवेरा जूस में भी फाइबर, कैल्शियम, आयरन, पोटैशियम, सोडियम, कॉपर, जिंक, सेलेनियम, विटामिन सी, विटामिन बी, फोलेट, फैटी एसिड जैसे पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। नियमित रूप से इन जूस का सेवन करने से तेजी से वजन कम होता है और शरीर में मौजूद एक्स्ट्रा चर्बी बर्न करने में बहुत फायदा मिलता है। एक स्टडी के मुताबिक आंवला और एलोवेरा जूस में एंटी-ओबेसिटी गुण होते हैं जो वजन कंट्रोल करने का काम करते हैं। इसके अलावा शरीर में ऊर्जा की खपत बढ़ाने के लिए भी एलोवेरा जूस का सेवन बहुत फायदेमंद होता है।एलोवेरा और आंवला जूस न सिर्फ वजन कम करने में फायदेमंद होता है बल्कि डायबिटीज और ब्लड प्रेशर जैसी परेशानियों में भी बहुत फायदेमंद होता है। इसके अलावा शरीर में बढ़े हुए बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए भी एलोवेरा और आंवला जूस का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। लिवर और हार्ट को हेल्दी रखने के लिए भी एलोवेरा और आंवला जूस का सेवन बहुत फायदेमंद होता है।वजन कम करने के लिए एलोवेरा और आंवला जूस का सेवन कई तरीके से किया जा सकता है। इसका सेवन करने सुबह खाली पेट करना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। आंवला और एलोवेरा जूस पीने से आपका पाचन तंत्र भी मजबूत होता है और कई फायदे मिलते हैं। रोजाना 2 चम्मच एलोवेरा और आंवला का जूस पीने से आपको वजन कम करने के साथ-साथ कई अन्य फायदे मिलते हैं। आप मार्केट से आर्गेनिक आंवला और एलोवेरा जूस खरीद सकते हैं।इसके अलावा अगर आप चाहें तो घर पर आसानी से आंवला और एलोवेरा जूस तैयार कर सकते हैं। इसके लिए एलोवेरा का एक साफ पत्ता लें और इसे अच्छे से साफ कर लें। अब इस पत्ते को बीच से काट लें और इसके जेल को चम्मच से निकाल लें। इसके बाद इसे ब्लेंड कर अच्छी तरह से जूस बना लें। इसके बाद इस जूस में एक ताजा आंवले का जूस भी मिला लें। इन दोनों जूस को एकसाथ पीने से आपको वजन कम करने के अलावा कई अन्य फायदे भी मिलते हैं।
- मानसून में मच्छर मौसमी बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ता हैं। इस मौसम मे अगर सेहत के साथ जरा सी लापरवाही की जाती है, तो कई तरह की बीमारियां लग सकती हैं। ऐसे में अगर इम्यूनिटी बढ़ाने पर ध्यान न दिया जाएं, तो वायरल इंफेक्शन हो सकता है। इस मौसम में हेल्दी रहने के लिए लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव किए जा सकते हैं। जैसे ताजा खाना खाएं, फुलस्लीव्स के कपड़े पहने और वर्कआउट करें। बहुत से लोग इस मौसम में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए कई तरह के काढ़े और दवाइयों का सेवन भी करते हैं। यह चीजें इम्यूनिटी को बढ़ाते हैं। लेकिन ज्यादा मात्रा में इनका सेवन करने से शरीर को नुकसान हो सकता है। ऐसे में इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए कुछ टिप्स की मदद ली जा सकती हैं।विटामिन सीमानसून में इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए डाइट में खट्टी चीजें जैसे नींबू, संतरा, ब्रोकली, स्प्राउट, टमाटर और कीवी को शामिल किया जा सकता हैं। इन चीजों को सेवन करने से इम्यूनिटी बढ़ती है और मौसमी संक्रमण से भी बचाव होता है। यह फूड्स बैक्टीरिया को नष्ट करके शरीर को हेल्दी रखते हैं।विटामिन डीमानसून में इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए विटामिन डी का लेना भी जरूरी होता है। विटामिन डी हड्डियों को मजबूत करने के साथ बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने में मदद करता है। विटामिन डी का सेवन करने के लिए आहार में साबुत अनाज, नट्स और अंडे का सेवन करें। कोशिश करें कि रोज दिन में थोडी देर धूप अवश्य लें।हाइड्रेट रहेंहाइड्रेशन शरीर के लिए बहुत जरूरी होता है। मानसून में बारिश के कारण कई बार प्यास का एहसास कम होता है। ऐसे में पानी की बॉटल अपने साथ हमेशा रखें। निश्चित अंतराल पर पानी पीते रहे। दिन भर में 1.5 से 2 लीटर पानी पीने की कोशिश करें। सही मात्रा में पानी पीने शरीर डिटॉक्स होने के साथ मौसमी बीमारियों का खतरा भी कम होता हैं।जड़ी-बूटियांमानसून में इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए जड़ी- बूटियों का सेवन भी किया जा सकता है। डाइट में तुलसी, पुदीना, लौंग, अदरक और हल्दी जैसे मसालों को शामिल करें। यह मसालें संक्रामक बीमारियों से बचाएंगे और शरीर को स्वस्थ रखेंगे। इन मसालों से शरीर को गर्माहट मिलने के साथ इम्यूनिटी भी मजबूत होती हैं।प्रोबायोटिक्स का सेवन करेंमॉनसून में इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए प्रोबायोटिक्स का सेवन किया जा सकता है। प्रोबायोटिक्स इम्यूनिटी को मजबूत करते हैं और शरीर को हेल्दी रखते है। इनके सेवन से हानिकारक बैक्टीरिया का विकास रोकने में मदद मिलती है और मौसमी बीमारियों से बचाव होता हैं। प्रोबायोटिक्स का सेवन करने के लिए डाइट में दही, इडली और किमची को शामिल करें।
- बारिश के मौसम में स्वस्थ रहने के लिए आपको फलों का सेवन जरूर करना चाहिए। नाशपाती भी ऐसा ही एक मौसमी फल है, जिसे आप अपनी मानसून डाइट में शामिल कर सकते हैं। नाशपाती खाने में स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहत के लिए काफी फायदेमंद भी होती है। इसमें कैलोरी की मात्रा काफी कम होती है, इसलिए यह वजन घटाने में भी मददगार साबित हो सकती है। तो आइए, जानते हैं मानसून में नाशपाती खाने के फायदों के बारे में-इम्यूनिटी मजबूत करेशरीर को बीमारियों से दूर रखने के लिए इम्यूनिटी का मजबूत होना जरूरी है। बारिश के मौसम में नाशपाती का सेवन करने से शरीर की इम्यूनिटी बूस्ट हो सकती है। दरअसल, इसमें विटामिन-सी और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं। नियमित रूप से इसका सेवन करने से कई तरह के संक्रमण और बीमारियों से बचाव हो सकता है।शरीर में सूजन से राहत दिलाएबारिश के मौसम में शरीर में सूजन और दर्द की समस्या हो सकती है। ऐसे में नाशपाती का सेवन आपके लिए काफी लाभकारी हो सकता है। दरअसल, इसमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं, जो शरीर की सूजन को दूर करने में मदद करते हैं। अगर आप मानसून में गठिया के दर्द से परेशान हैं, तो अपनी डाइट में नाशपाती शामिल कर सकते हैं।पाचन को दुरुस्त करेमानसून के दौरान पेट के संक्रमण का जोखिम काफी बढ़ जाता है। पेट की समस्याओं से बचने के लिए आप नाशपाती को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। इसमें मौजूद गुण पाचन-तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। नाशपाती में फाइबर होता है, जो मल त्याग की प्रक्रिया को आसान बनाने में मदद करता है। इसके नियमित सेवन से अपच और कब्ज की समस्या दूर हो सकती है।वजन घटाने में मददगारनाशपाती का सेवन वजन घटाने के लिए भी लाभकारी हो सकता है। इसमें फाइबर भरपूर मात्रा में होता है, जो पेट को लंबे समय तक भरा हुआ रखता है। इसे खाने से आपको जल्दी भूख नहीं लगती है, जिससे आप ओवरईटिंग से बच जाते हैं। इसमें कैलोरी की मात्रा काफी कम होती है, इसलिए इसे खाने से वजन कंट्रोल में रहता है।दिल के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंदनाशपाती हृदय स्वास्थ्य के लिए भी काफी अच्छी होती है। यह शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने और गुड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने में मदद करती है। इसमें पोटैशियम होता है, जो ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में सहायता करता है। इसके नियमित सेवन से दिल की बीमारियों के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है।नाशपाती खाने का सही समय क्या है?नाशपाती सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है। आपका इसका सेवन दिन में किसी भी समय कर सकते हैं। हालांकि, सुबह खाली पेट नाशपाती खाना काफी अच्छा माना जाता है। इससे शरीर को कई लाभ मिल सकते हैं और कई समस्याएं दूर हो सकती हैं। अगर आप किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं, तो एक्सपर्ट की सलाह से ही इसका सेवन करें।
- - देश में तेजी से फैल रहा कंजंक्टिवाइटिसवरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञ डॉ दिनेश मिश्र ने कहा कंजंक्टीवाईटिस आँख का आना या नेत्र ''शोथ आँखों'' का एक आम संक्रमण है। कंजंक्टीवाइटिस के शिकार लोग साल भर होते रहते हैं। कभी-कभी यह बरसात में काफी तीव्रता से एक बड़े क्षेत्र की जनसंख्या को प्रभावित करती है, यह एक छुतहा इंफेक्शन (संक्रमण) है और निकट सम्पर्ग के कारण एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता रहता है। जैसा कि वर्तमान में हो रहा है.देश के अनेक हिस्सों से कंजंक्टिवाइटिस के सामूहिक रूप से फैलने के समाचार मिल रहे हैं .डॉ दिनेश मिश्र ने कहा आँखों में कंजंक्टाइवा नामक श्लेष्मा झिल्ली होती है जो पलकों के भीतरी हिस्सों तथा नेत्र गोलक में कार्निया को छोड़कर नेत्र गोलक को घेरे रहती है। इस झिल्ली में ही होने वाला इन्फेक्शन कंजंक्टीवाइटिस कहलाता है.इसमें कंजंक्टिवा गुलाबी,लाल रंग की दिखने लगती है इस लिए इसे पिंक आई ,रेड आई भी ,आँखे आना भीकहते हैं .कंजंक्टीवाइटिस की तीव्रता तथा लक्षण संक्रमण करने वाले रोगाणु की घातक क्षमता पर निर्भर है। कंजंक्टीवाइटिस मुख्यत: इन्फेक्शन (संक्रमण) एलर्जी तथा चोट लगने से होती है। संक्रमण के कारण होने वाली कंजंक्टीवाइटिस बैक्टीरिया तथा वायरस दोनों में से ही किसी के भी संक्रमण से हो सकती है। ये रोगाणु अनुकूल मौसम में तेजी से वृद्धि करते हैं,एक से दूसरे व्यक्ति मेंनिकट सम्पर्क के कारण कंजंक्टाइवा में पहुँचते हैं तथा संख्या में बढऩे लगते हैं। जिससे लक्षण प्रकट होने लगते हैं.कंजंक्टीवाइटिस होने पर आँखों का लाल हो जाना, पलकों का सूजना, हल्का सिर दर्द, आँखों से पानी आना, आँखों से सफेद कचरा, डिस्चार्ज आना, पलकों का चिपक जाना, इत्यादि की शिकायतें मरीज करते हैं। संक्रमण के कारण होने वाली कंजंक्टभ्वाइटिस सामान्य सर्दी, बुखार, खाँसी के साथ या बाद में भी हो सकती है। एलर्जी के कारण होने वाली कंजंक्टीवाइटिस में मुख्य कारण पराग कण धूल से दवाओं से एलर्जी हो जाना होता है। इसमें मरीज आँखों में सूजन, लालिमा, खुजलाहट, पानी आना, जलन की शिकायत करते हैं। आँखों में बाहरी कण चले जाने, चोट लगने के कारण भी कंजंक्टीवाइटिस हो जाती है, जिसके कारण आँख लाल होना, पानी आना, दर्द होना आम लक्षण हैं। एलर्जी के कारण होने वाली कंजंक्टभ्वाइटिस का इलाज के कारण का निदान करने से ही हो जाता है। यदि किसी दवा के कारण एलर्जी हो गई हो तो उस दवा को बंद कर एलर्जी प्रतिरोधक दवा लेने से ठीक हो जाती है। आँख में कचरा जाने, चोट लगने के कारण होने वाली कंजंक्टीवाइटिस कण निकालने, चोट के ठीक होने पर ही ठीक हो सकती है। संक्रमण के कारण होने वाली कंजंक्टीवाइटिस सबसे आम है। यह बरसात में स्कूल के बच्चों में, ऑफिस में, हॉस्टल में निकट सम्पर्क के कारण सामूहिक रूप से प्रभावित करती है। डॉ दिनेश मिश्र ने कहा कंजंक्टीवाइटिस से बचने के लिए आवश्यक है कि मरीज के सम्पर्क से यथासम्भव बचा जावे। यदि फिर भी कंजंक्टीवाइटिस के प्रकोप के शिकार हो जावे, तब रंगीन चश्मे का उपयोग करें, जिससे आँखों को आराम मिलेगा। अपना तौलिया, रूमाल, पेन इत्यादि व्यक्तिगत वस्तुएँ अलग रखें। ऑफिस, शाला से अवकाश लेकर विश्राम करें, जिससे संक्रमण सहकर्मियों व दोस्तों में न फैल जावे। आँखों से पानी, डिस्चार्ज साफ रूमाल से साफ करें, आँखे बार बार साफ करें. हाथ साबुनसे धोवें।.डॉ दिनेश मिश्र ने कहा कंजंक्टीवाइटिस के फैलने के बारे में कुछ भ्रांतियाँ हैं, जैसे कि पहले यह माना जाता था यह मरीज की आँखों में देख लेने से ही हो जाती है, जबकि वास्तविकता यह नहीं है।यह सिर्फ देखने से नहीं होता बल्कि किसी मरीज के निकट सम्पर्क में जाने से,स्पर्श, हाथ मिलाने, संक्रमित व्यक्ति की व्यक्तिगत वस्तुओं के उपयोग से हो सकता है।.कंजक्टिवाइटिस होने पर आँखों में लालिमा,दर्द, धुँधला दिखने पर नेत्र विशेषज्ञ से सम्पर्क करें। रोगी का चश्मा न लगावें। यथासम्भव रेल, बस इत्यादि साधनों से यात्रा न करें। स्विमिंग पुल में न जाए, सामूहिक कार्यक्रम में जाने से बचें.आँखों में सूरमा, काजल का प्रयोग न करें।कॉन्टेक्ट लेंस न लगाएं. आंखों को बार बार न रगड़े.मूवी,वीडियो गेम देखते रहने की बजाय आँखों को आराम दें. अपनी आँखों में कोई भी दवा किसी परामर्श के स्वयं ही न डालें। स्टेरॉयड युक्त दवा न डालें. आँख में दवाएँ नेत्र विशेषज्ञ से सम्पर्क तथा परामर्श के बाद ही डालनी चाहिए। आँखों में दवा डालने के पूर्व उसकी एक्सपायरी तारीख ठीक से देख लेवें, ताकि वह बाद में हानिकारक सिद्ध न हो।डॉ. दिनेश मिश्रवरिष्ठ नेत्र विशेषज्ञरायपुर नेत्र चिकित्सालयनयापारा फूल चौक रायपुर
- हमारे पूरे शरीर के अंगों से नसें जुड़ी हुई हैं। जब नस पर किसी तरह का दबाव पड़ता है, तो नसें दब जाती हैं। यह समस्या पैर, हाथ, कमर, पीठ या अन्य किसी भाग में भी हो सकती है। नस पर दबाव पड़ने से नस संकुचित और सुन्न हो जाती है, साथ ही दर्द महसूस होता है। नस पर दबाव पड़ने से सुई चुभने जैसा एहसास होता है। जिन लोगों की उम्र ज्यादा होती है या जिनकी नसें कमजोर होती हैं, उन्हें नस दबने की समस्या ज्यादा होती है। वैसे तो यह समस्या शरीर के कई भागों में हो सकती है लेकिन आज हम पैर की दबी नस को खोलने के उपायों पर बात करेंगे।पैर की दबी हुई नस खोलने के घरेलू उपाय-1. बर्फ की सिंकाई करें-नस दबने के कारण पैर के उस हिस्से में सूजन नजर आ सकती है। इसका इलाज करने के लिए बर्फ की सिंकाई करें। जब त्वचा में ठंडी सिंकाई होती है, तो रक्त का संचार बढ़ता है और दर्द कम करने में मदद मिलती है। सूजन कम करने के लिए 10 से 15 मिनट सिंकाई करें। दिन में 2 बार सिंकाई करना फायदेमंद होता है।2. नमक से सिंकाई करें-जिस तरह दबी नस को खोलने के लिए ठंडी सिंकाई की जाती है, उसी तरह गर्म सिंकाई से भी नस खोलने में मदद मिलती है। गर्म सिंकाई करने के लिए नमक को तवे पर गर्म कर लें। फिर सूती कपड़ा लें। नमक की पोटली बांध लें। इस पोटली से पैर की सिंकाई करें, तो दर्द में आराम मिलेगा और नसें खुल जाएंगी।3. अदरक के तेल से पैर की मालिश करेंपैर की दबी हुई नस को खोलने के लिए अदरक के तेल का इस्तेमाल करें। अदरक की तासीर गर्म होती है। अदरक में एंटीइंफ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते हैं। सूजन और दर्द को कम करने के लिए अदरक के तेल से पैर की मालिश करें। तेल को पैरों पर लगाएं और हल्के हाथ से मालिश करें। इस तरह आपको आराम मिलेगा। तेल बनाने का तरीका बेहद आसान है। नारियल तेल को हल्का गर्म करें। तेल में अदरक के छोटे टुकड़ों को डालकर उबालें। जब तेल के साथ अदरक का अर्क मिल जाए, तो तेल को छान लें। इसे एक एयरटाइट कंटेनर में स्टोर करें और इससे पैरों की मालिश करें।4. पैर की दबी नस का इलाज है हल्दीहल्दी में करक्यूमिन होता है। हल्दी को कई तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं। बंद नसों को खोलने के लिए हल्दी के दूध का सेवन फायदेमंद होता है। मालिश करने के लिए हल्दी के तेल की मालिश भी कर सकते हैं। हल्दी को गुनगुने पानी के साथ मिलाकर पेस्ट बनाएं। इस पेस्ट को नीम के पत्ते पर रखकर त्वचा पर लगाएं। इससे दर्द जल्दी दूर होगा। नीम और हल्दी के इस्तेमाल से नसों का ब्लॉकेज खोलने में मदद मिलती है।5. नीलगिरी का तेल लगाएंपैर की दबी हुई नस का इलाज करने के लिए नीलगिरी तेल का इस्तेमाल करें। नीलगिरी तेल में दर्द-निवारक गुण पाए जाते हैं। नीलगिरी तेल को किसी अन्य कैरियर ऑयल के साथ मिलाकर दिन में 2 बार मालिश करना फायदेमंद होता है।
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भुट्टा बारिश के दिनों में मिलने वाला सुपरफूड है। यह सेहत के लिए बहुत लाभकारी होता है। इसमें आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम जैसे मिनरल्स के साथ ही विटामिन ए और बी कॉम्प्लेक्स जैसे विटामिन की अच्छी मात्रा होती है। अगर आप मानसून में इसका नियमित सेवन करते हैं, तो इससे आपकी सेहत को कई लाभ मिल सकते हैं।
भुना हुआ भुट्टा खाने के फायदे-कफ और पित्त प्रकृति वाले लोगों के लिए भुट्टा बहुत लाभकारी माना जाता है। आयुर्वेद में भुट्टा को कफ और पित्त के संतुलन को बनाए रखने के लिए जाना जाता है। यह आपकी इम्यूनिटी को मजबूत बनाता है और आपको बारिश के मौसम में संक्रमण से बचाने में मदद करता है। यह गर्मियों का एक बेहतरीन नाश्ता है, क्योंकि यह पित्त को शांत कर सकता है। यह रस धातु (प्लाज्मा) को पोषण देते हुए ब्लड प्रेशर और वॉटर रिटेंशन को भी को कम करता है। इसके अलावा, इसमें मैक्रो और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स के साथ ही कई जरूरी पोषक तत्व बहुत अच्छी मात्रा में मौजूद होते हैं जैसे विटामिन ए, बी6।" इसका नियमित करने से आपको कई लाभ मिल सकते हैं जैसे,-यह कोलेस्ट्रॉल को कम करता है-ब्लड प्रेशर को सामान्य रखता है-वजन प्रबंधन में मदद करता है-यह ग्लूटेन फ्री होता है-इसे डाइट में शामिल करने से डाइजेशन मजबूत होता है-किडनी में पथरी वाले लोगों के लिए भी यह लाभकारी है। इसके रेशों को पानी में घोलकर पीने से पथरी के उपचार में मदद मिलती है।-हृदय रोगों के जोखिम को कम करने में मदद करता है और दिल को स्वस्थ रखता हैतो अब अपनी डाइट से जंक फूड को बाहर करें और इस हेल्दी स्नैक को शामिल करें। इससे न सिर्फ आपको पेट भरेगा, बल्कि सेहत को भी जबरदस्त लाभ मिलेंगे। - आजकल आधे से ज्यादा बीमारियों की जड़ गलत खान-पान है। अगर आप हेल्दी डाइट लेते हैं और उसके बाद भी बीमार रहते हैं या आपका पेट खराब रहता है, तो संभव है कि आपके खाने-पीने की टाइमिंग गड़बड़ है। गलत टाइम पर सही चीज खाने से भी कोई फायदा नहीं होता है। अक्सर देखा जाता है कि लोग रात को हैवी खाना खाते हैं। कुछ लोग शराब का भी सेवन करते हैं। पेट भरकर खाने या शराब पीने से नींद तो अच्छी आएगी,लेकिन इससे पाचन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आज जानते हैं कि रात में किन चीजों के सेवन से बचना चाहिए।हैवी फूडरिपोर्ट के अनुसार भारी भोजन को पचने में अधिक समय लगता है। रात को फैट और ऑयली फूड खाने से अपच की समस्या हो सकती है नींद बाधित हो सकती है। रात को चीज़बर्गर, फ्राइज़, फ्राई आइटम्स और मीट खाने से बचें।कैफीनचाय, कॉफी और सोडा जैसी चीजों में कैफीन होता है और इनके अलावा कुछ आइसक्रीम और डेसर्ट में भी यह पाया जाता है। ऐसी चीजों के सेवन से नींद बाधित हो सकती है और यह चीजें पेट में भयंकर एसिड बना सकती हैं।मीठे खाद्य पदार्थों से करें तौबाआपको रात को सोने से पहले मीठे स्नैक्स से बचना चाहिए जो आपके ब्लड शुगर को बढ़ा सकते हैं। रात को कैंडी या मिठाई खाने से आपकी नींद उड़ सकती है और गैस-एसिडिटी का कारण बन सकती हैं।टायरामाइन-रिच फूड्सनींद में खलल न पड़े इसलिए सोने से पहले टायरामाइन वाले फूड्स से बचना चाहिए। यह अमीनो एसिड दिमाग को उत्तेजित करता है और नींद को दूर भगाता है। यह टमाटर, सोया सॉस, बैंगन, रेड वाइन जैसी चीजों में पाया जाता है।स्पाइसी फूडरात को सोने से पहले मसालेदार चीजें खाने से पेट में तेजाब बनने की समस्या हो सकती है। यह नींद को भी प्रभावित कर सकते हैं। अगर आप चटपटा या मसालेदार खाना पसंद करते हैं, तो बेहतर है कि इसे रात के खाने के बजाय नाश्ते या दोपहर के भोजन में खाने की कोशिश करें।एसिड बनाने वाले फूडसाइट्रस जूस, कच्चा प्याज, व्हाइट वाइन और टोमैटो सॉस जैसी चीजें रात को नहीं खाने चाहिए। यह चीजें पेट में भयंकर तेजाब बनाती हैं और नींद में खलल डाल सकती हैं। पेट और पाचन को दुरुस्त रखने और अच्छी नींद लेने के लिए रात को हमेशा हल्का और कम मसालेदार भोजन करना चाहिए।शराबबहुत से लोग रात को सोने से पहले बियर या शराब पीते हैं, यह सोचकर कि उन्हें अच्छी नींद आएगी। बेशक किसी-किसी को इससे अच्छी नींद आती है लेकिन इसके कई नुकसान है। इससे ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया या खर्राटों की समस्या बढ़ सकती है। इससे इसोफेजियल स्फिंक्टर पर प्रभाव पड़ता है जिससे एसिड रिफ्लक्स की समस्या हो सकती है।पानी वाली चीजेंरात को पानी से भरपूर खाद्य पदार्थों को खाने से आपकी नींद बाधित हो सकती है और आपको बार-बार पेशाब आ सकता है। सोने से पहले अजवाइन, तरबूज और खीरा जैसे पदार्थों को खाने से बचना चाहिए।(नोट- यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।)
- गर्म पानी पीना स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है। इससे शरीर डिटॉक्स होता है, मोटापा कम होता है और डाइजेस्टिव सिस्टम भी हेल्दी रहता है। यही कारण है कि मौजूदा समय में कई लोग ठंडे पानी के बजाय गर्म पानी पीना पसंद करते हैं। वहीं, कुछ लोग गर्म पानी इसलिए पीते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि गर्म पानी पीने से लिवर स्वस्थ रहता है और बीमारियों से सुरक्षा भी प्रदान करता है। मगर, सवाल है कि क्या यह वाकई सच है? क्या यह महज एक मिथ या फिर सही मायनों में गर्म पानी पीने से लिवर स्वस्थ रह सकता है? आइए जानते हैं, इस बारे में विस्तार से।लिवर के स्वास्थ्य के लिए सिर्फ गर्म पानी पीना पर्याप्त नहीं है। क्योंकि यह सीधे-सीधे तौर पर लिवर को प्रभावित नहीं करता है। हालांकि, पानी पीने से शरीर हाइड्रेट रहता है, जो कि संपूर्ण स्वास्थ्य के फायदेमंद होता है। असल में पानी पीने से शरीर से टॉक्सिंस बाहर निकालने में मदद मिलती है, जिससे पाचन शक्ति बेहतर रहती है, जिसका पोजिटिव असर लिवर पर भी पड़ता है।" मेडिकल न्यूज टुडे के अनुसार, "जब कोई व्यक्ति पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीता है, तो इससे डिहाइड्रेशन की समस्या हो जाती है और मल त्यागने में भी दिक्कत आने लगती है। ऐसा पानी की कमी के कारण, स्मॉल इंटेस्टाइन में हो रही प्रॉब्लम की वजह से होता है। कई बार डिहाइड्रेशन के कारण कब्ज हो सकता है और मल त्यागने के दौरान व्यक्ति को काफी दर्द, बवासीर और सूजन जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। ठंडे पानी की तुलना में गर्म पानी पीना ज्यादा लाभकारी होता है, क्योंकि इससे भोजन तेजी से पचता है और मल त्यागने में भी मदद मिलती है।" कहने की जरूरत नहीं है, जब आपके शरीर में पानी की कमी होगी और शरीर में अन्य समस्याएं पैदा होंगी, तो इसका बुरा प्रभाव आपके लिवर पर भी पड़ेगा।पानी पीने के अन्य फायदे-गर्म पानी पीने से ब्लड वेसल्स खुलती हैं, जिससे ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होने में मदद मिलती है। इससे मसल्स रिलैक्स होती हैं और आपको शरीर में हो रहे दर्द से भी राहत मिलती है।-गर्म पानी पीने से वजन कम करने में भी मदद मिलती है। विशेषज्ञों की मानें, तो आप जितना पानी पीते हैं, शरीर से उतने टॉक्सिंस बाहर चले जाते हैं और अगर आप गर्म पानी पीते हैं, तो इससे बॉडी इंफ्लेमेशन में भी कमी आती है।-गर्म पानी पीने से सर्दी-जुकाम से रिकवरी में भी मदद मिलती है। यही नहीं, गर्म पानी पीने के कारण बंद नाक से छुटकारा मिल सकता है, क्योंकि यह नाक में बन रहे म्यूकस (बलगम) को तेजी से मूव करने में मदद करता है। इससे नाक खुल जाती है और सर्दी-जुकाम से भी राहत मिल जाती है।लिवर को स्वस्थ्य रखने के उपायहाइड्रेटेड रहेंः पूरे दिन खूब पानी पिएं। आप चाहें, तो ठंडा पानी भी पी सकते हैं। इससे बॉडी को हाइड्रेट रखने में मदद मिलती है, जिससे शरीर कई तरह की संभावित बीमारियों से बचा रह सकता है।शराब का सेवन सीमित करेंः वैसे तो लोगों को शराब पीना ही नहीं चाहिए। लेकिन, अगर आपको शराब पीना ही है, तो इसकी मात्रा सीमित रखें। आपको बता दें कि शराब का सेवन करने से सबसे पहले लिवर प्रभावित होता है। अगर समय रहते खुद को कंट्रोल न किया जाए या लिवर के स्वास्थ्य पर ध्यान न रखा जाए, तो इससे लिवर फेलियर की समस्या भी हो सकती है।संतुलित आहार लेंः फल, सब्जियां, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन से भरपूर आहार लें। प्रीजर्व्ड फूड और शुगर बेस्ड फूड आइटम खाने से बचें।रेगुलर एक्सरसाइज करेंः किसी भी तरह की बीमारी से बचने के लिए रेगुलर एक्सरसाइज करना बहुत जरूरी है। इससे आपकी ओवर ऑल हेल्थ पर भी अच्छा असर पड़ता है।वजन कंट्रोल करेंः बढ़ता वजन लिवर के लिए सही नहीं होता है। मोटापे के कारण फैटी लिवर की समस्या हो सकती है। इसलिए, अपने वजन को कंट्रोल करने की कोशिश करें। इसके लिए, बैलेंस्ड डाइट लें और नियमित रूप से एक्सरसाइज करें।
- मौजदा समय में लोगों में मोटापा भी काफी तेजी से बढ़ रहा है। वहीं, हर कोई यह भी चाहता है कि वह अपनी डाइट को कंट्रोल में रखे और एक्सरसाइज की मदद से अपने मोटापे कम करे। इसी क्रम में, कई लोग चावल खाना छोड़ देते हैं। माना जाता है कि चावल खाने से मोटापा बढ़ता है? यहां सवाल उठता है कि क्या वाकई चावल न खाने से मोटापे पर कोई फर्क पड़ता है? किसी भी कार्बोहाइड्रेट रिच फूड की तरह चावल से आपको कैलोरी के रूप में एनर्जी मिलती है। वहीं, अगर आप रोजाना की जरूर से ज्यादा कैलोरी का सेवन करते हैं, तो इससे आपका वजन बढ़ने की संभावना भी बढ़ जाती है। इसके उलट, अगर आप जरूर के अनुसार कम कैलोरी का सेवन करते हैं, वजन घटने में मदद मिलती है।” जब कोई व्यक्ति चावल खाना कम करता है, तो इससे कैलोरी काउंट अपने आप कम होने लगता है। वहीं, अगर आप रोजाना की जरूरत भर की कैलोरी में कटौती करते हैं, तो इससे वजन घटने की संभावना बढ़ने लगती है।”हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्सचावल में ग्लाइसेमिक ज्यादा होता है। ग्लाइसेमिक इंडेक्स एक तरह की मापन प्रणाली होती है। इसके माध्यम से पता लगाया जा सकता है कि आपके खानपान की चीजों में मौजूद कार्बोहाइड्रेट कितनी तेजी से ग्लूकोज में बदल सकता है और ब्लड फ्लो में एंटर (प्रवेश) कर सकता है। हाई ग्लाइसेमिक फूड होने के कारण चावल खाने के तुरंत बाद ही ब्लड शुगर का स्तर बढ़ सकता है। यही नहीं, अगर आप हाई ग्लाइसेमिक फूड का सेवन करते हैं, तो इससे आपके और भी खाने की चाह बढ़ सकती है, जिससे आप ओवर ईटिंग तक कर सकते हैं। इसीलिए, अगर आप चावल के अन्य विकल्पों को चुनें, तो बेहतर रहेगा। वजन कम करने के लिए आपको अपनी डाइट में लो ग्लाइसेमिक फूड शामिल करने चाहिए और ओवर कैलोरी इनटेक को भी कम करना चाहिए।”पोषक तत्वों की कमीचावल कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होता है। इसके अलावा, इसमें अन्य पोषक तत्वों की काफी कमी होती है। इसलिए, अगर आप डाइट में से चावल को कम कर, अन्य विकल्पों को चुनें, जैसे फल और सब्जियां, तो आपको भरपूर पोषक तत्व, जैसे प्रोटीन, हेल्दी फैट आदि मिल सकता है। अगर आपको चावल खाने ही हैं, तो बेहतर होगा कि इसके पोर्शन साइज को कम कर लें। जब आप कम मात्रा में चावल खाएंगे, तो अपने आप कैलोरी इनटेक कम हो जाएगा।”वजन कम करने के लिए क्या करेंसबका शरीर अलग-अलग होता है। कई लोगों का मेटाबॉलिज्म रेट काफी हाई होता है, जिस कारण वे जो भी खाते हैं, उनका वजन नहीं बढ़ता है। वहीं, कुछ लोगों इतनी सारी फिजिकल एक्टिविटी करते हैं कि वजन बढ़ने की संभावना न के बराबर होती है। ऐसे लोग अगर चावल खाएं, तो भी उनके वजन में कोई विशेष फर्क नजर नहीं आएगा। वहीं, इसके उलट कुछ लोग ऐसे हैं, जो अपनी डाइट में जरा-सा भी फेरबदल करते ही मोटापे का शिकार हो जाते हैं। ऐसे लोगों को अपने वजन को कंट्रोल करने के लिए फिजिकल एक्टिविटी करनी चाहिए, हेल्दी ईटिंग पैटर्न अपनाना चाहिए और जरूर पड़ने पर एक्सपर्ट की मदद लेनी चाहिए।”
- भारत में चाय को एनर्जी ड्रिंक की तरह पिया जाता है। कुछ लोगों के लिए यह नींद भगाने का उपाय है तो कुछ इसे पेट साफ करने की दवा मानते हैं। लेकिन चाय के साथ कुछ चीजें कभी नहीं खानी चाहिए। जिनमें से एक बिस्कुट है। अधिकतर लोग इस स्नैक को चाय के साथ खाते हैं।विशेषज्ञों के अनुसार चाय के साथ बिस्कुट खाने से कई सारी बीमारियां पैदा हो सकती हैं। यह आपका डीएनए तक डैमेज कर सकता है। बिस्कुट का हेल्दी ऑप्शन है, जो एकदम देसी और स्वास्थ्यवर्धक है। दरअसल बिस्कुट में सोडियम ज्यादा होता है, जो ब्लड प्रेशर बढ़ाता है। जो कि हार्ट अटैक और दिल की बीमारी का कारण बन सकता है।डायबिटीज का खतराबिस्कुट बनाने के लिए रिफाइंड शुगर का इस्तेमाल किया जाता है। जो कि इंसुलिन के अवशोषण में बाधा डाल सकता है। यह इंसुलिन हॉर्मोन को असंतुलित करके डायबिटीज का खतरा बढ़ा सकता है। वहीं, रिफाइंड फ्लोर पाचन को खराब कर देता है। जिससे कब्ज हो सकती है।डीएनए डैमेज और हॉर्मोन इम्बैलेंसयह हाई प्रोसेस्ड फूड है, जिसमें डीएनए डैमेज करने वाले बीएचए और बीएचटी होता है। इस फूड में हाइड्रोजेनेटेड वेजिटेबल ऑयल भी होता है, जो शरीर के हॉर्मोन बिगाड़ सकता है।चाय के साथ खाएं भुना चनाभुना चना इंसुलिन रेगुलेट करके ब्लड शुगर कंट्रोल रखता है। इसमें इम्युनिटी बढ़ाने वाला बी-कॉम्प्लैक्स होता है। डायजेशन बढ़ाने वाला फाइबर होता है। हड्डियों को मजबूत बनाने वाला कैल्शियम, मैग्नीशियम मिलता है। सूजन घटाने वाला कोलीन होता है।( नोट- यह केवल एक सामान्य जानकारी है। कोई समस्या होने पर पहले विशेषज्ञ की सलाह लें।
- बालों की समस्याओं को दूर करने के लिए आप करी पत्ते और कलौंजी का उपयोग कर सकते हैं। करी पत्ते और कलौंजी के तेल से बालों की कई समस्याए सदियों से दूर की जा रही हैं। इस तेल में बीटा-कैरोटीन और प्रोटीन पाया जाता है, जो बालों के झड़ने को रोकने और बालों की ग्रोथ में सहायक होता है। इससे सिर की त्वचा मॉइस्चर होती है जिससे बालों के रूखे होने और डैंड्रफ की समस्या से छुटकारा मिलता है।करी पत्ते और कलौंजी के तेल से बालों को मिलते हैं कई फायदेबालों की ग्रोथ में सहायककरी पत्ते और कलौंजी के तेल से आपके बाल तेजी से बढ़ते हैं। इन दोनों के तेल में फैट एसिड पाया जाता है, जो बालों की जडों को पोषित करने का काम करता है। इस तेल के नियमित इस्तेमाल से बालों की ग्रोथ बेहतर होती है और आपके बाल कुछ ही दिनों में बढ़ने लगते हैं। इसके साथ ही आपके बाल घने भी होते हैं। इस तेल पाए जाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट बालों को फ्री रेडिकल्स से होने वाले डैमेज से बचाते हैं। जिससे बालों की ग्रोथ होती है।बालों का झड़न करें कमकरी पत्ते और कलौंजी के तेल में बीटा कैरोटीन पाया जाता है। इसके साथ ही इसमें प्रोटीन की भी उच्च मात्रा होती है। इन दोनों ही पोषक तत्वों से बालों के झड़ने की समस्या कम होती है और बालों को गहराई से पोषण मिलता है।बालों को रखें कालापोषण की कमी की वजह बाल समय से पहले ही सफेद होने लगते हैं। यदि आपको भी इस तरह की परेशानी है तो ऐसे में आप करी पत्ते और कलौंजी के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस तेल के नियमित इस्तेमाल से बालों की जड़ों को पोषण मिलता है और वह समय से सफेद नहीं होते हैं।ब्लड सर्कुलेशन होता है ठीकबालों में करी पत्ते और कलौंजी के तेल की मसाज करने से सिर की त्वचा में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है। इससे बालों की जड़ों तक ऑक्सीजन आसानी से पहुंचती है और बालों से जुड़ी समस्याएं कम होती है।बालों को बनाएं शाइनीकरी पत्ते और कलौंजी के तेल से आप बालों को शाइनी बना सकते हैं। इस तेल में मौजूद गुणों से बालों को पोषण मिलता है। साथ ही बालों की समस्याएं कम होती है, जिसकी वजह से बालों में चमक आती है।इस तेल को बनाने का तरीकाइसे बनाने के लिए आप नारियल तेल में कुछ करी पत्ते और करीब आधा चम्मच कलौंजी के बीज डाल उबाल लें। जब तेल गर्म हो जाए तो गैस को बंद करें और इसे ठंडा होने पर एक बोतल में भर लें। जब जरुरत हो इस तेल से सिर की मसाज करें। कुछ ही दिनों में आपको बालों पर फर्क देखने को मिलेगा।
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हाल के सालों में हमने देखा है कि ज्यादातर युवा वर्ग एमएनसी में काम करते हैं, जो लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठे-बैठे काम करते हैं। जब व्यक्ति की शारीरिक गतिविधियां कम हो जाती हैं, धूप के साथ संपर्क कम हो जाता है, तो व्यक्ति की ज्वाइंट्स, कमर और रीढ़ की हड्डी में दर्द होने लगते हैं। वहीं, अगर व्यक्ति एसी में ज्यादा समय बिताता है, तो उसकी हड्डियों में हो रहे दर्द में इजाफा हो सकता है। यही नहीं, अगर किसी को अर्थराइटिस है, तो उसकी स्थिति बिगड़ सकती है। आपको बता दें कि एसी में बैठे रहने के कारण ज्वाइंट्स और मसल्स में हो रहा दर्द बढ़ सकता है, जो कि हड्डी की किसी बीमारी जैसा प्रतीत हो सकता है। अगर समय रहते इलाज न कराया जाए या सावधानियां न बरती जाएं, तो सामान्य ज्वाइंट पेन अर्थराइटिस में बदल सकता है।
एसी के कारण हो रहे हड्डी के दर्द से कैसे बचेंअगर आपके ऑफिस या घर में लंबे समय तक एसी चलता है, तो कोशिश करें कि एसी का टेंप्रेचर 20 डिग्री सेल्सियस से नीचे ने ले जाएं। वैसे, विशेषज्ञों की सलाह है कि 25 से 27 डिग्री उपयुक्त तापमान होता है। इस तापमान में रखने से हड्डियों को एसी के कारण किसी तरह का नुकसान नहीं होता है। इसके अलावा, अगर संभव हो, तो एसी में लंबे समय तक रहने से बचें। पूरे दिन में कम से कम दो से तीन बार एसी रूम से बाहर जरूर जाएं। वहां वॉक करें। शरीर को सामान्य तापमान में एड्जेस्ट करने का मौका दें। इस तरह, ज्वाइंट पेन में आराम मिलने की संभावना बढ़ सकती है।एसी से होने वाले अन्य नुकसान-शरीर डिहाइड्रेट हो जाता हैः सामान्यतौर पर एसी कमरे का सारा मॉइस्चर खींच लेता है। कमरा तो ठंडा हो जाता है, लेकिन स्किन, आंखें की नमी भी खत्म हो जाती है। वहीं, तामान ठंडा होने के कारण व्यक्ति को लंबे समय तक प्यास भी नहीं लगती है, जो कि बॉडी को डिहाइड्रेट कर सकता है। ऐसा आपके साथ न हो, इसके लिए जरूरी है कि आप समय-समय पर पानी पीते रहें।-सांस संबंधी समस्या हो सकती हैः जब व्यक्ति लंबे समय तक एसी में अपना वक्त बिताता है, तो उसे सांस संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। खासकर, नाक, गले और आंखों में संक्रमण देखने को मिल सकता है। कई बार, एसी के कारण नाक भी बंद हो जाता है। अगर समय रहते इलाज न किया जाए, तो यह समस्या वायरल इंफेक्शन में बदल सकता है।-सिरदर्द हो सकता हैः अगर लंबे समय तक एसी में रहने के कारण बॉडी डिहाईड्रेट हो गई है, तो इससे आपको माइग्रेन या सिरदर्द की समस्या हो सकती है। विशेषकर, ऐसा तब होता है, जब व्यक्ति बार-बार एसी के कमरे के अंदर और कमरे से बाहर निकलता है। कमरे के अंदर ठंड, वहीं कमरे के बाहर तापमान सामान्य होता है। ऐसे में जब व्यक्ति अचानक ठंडे तापमान से बाहर जाता है, तो वह उसे गर्म महसूस होता है। गर्म-ठंडे के कारण अचानक सिर में तीव्र दर्द उठ सकता है। इसलिए, कोशिश करें कि एक मॉडरेट टेंप्रेचर में रहें। - मानसून बारिश के अलावा अपने साथ कई तरह की मौसमी बीमारियां भी लेकर आता है। इस मौसम में सर्दी-जुकाम, बुखार, फूड पॉइजनिंग, डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड और हेपेटाइटिस-ए जैसी बीमारियों का जोखिम काफी अधिक बढ़ जाता है। इस मौसम में शरीर की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है, जिसकी वजह से लोग बीमारियों और वायरल संक्रमण की चपेट में जल्दी आ सकते हैं। इसलिए, मानसून में स्वस्थ रहने से और बीमारियों से बचाव के लिए इम्यूनिटी का मजबूत होना बहुत जरूरी है। इस मौसम में इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए आपको अपने खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। मानसून में घी का सेवन काफी फायदेमंद माना जाता है। इसमें विटामिन, प्रोटीन, हेल्दी फैट्स और एंटीऑक्सीडेंट जैसे कई पोषक तत्व भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं। मानसून में घी खाने से इम्यूनिटी बूस्ट होती है, शरीर को ऊर्जा मिलती है और पाचन-तंत्र दुरुस्त रहता हैमानसून में घी खाने के फायदे -इम्यूनिटी मजबूत करेमानसून में घी खाने से इम्यूनिटी बूस्ट हो सकती है। इसमें विटामिन-ए, विटामिन-डी, विटामिन-ई, विटामिन-के और हेल्दी फैट्स मौजूद होते हैं, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं, जो शरीर को संक्रमण से बचाने में मदद करते हैं। नियमित रूप से घी का सेवन करने से आप कई तरह की मौसमी बीमारियों और इंफेक्शन की चपेट में आने से बच सकते हैं।पाचन-तंत्र को दुरुस्त करेघी का सेवन पाचन स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर करने मदद करते हैं। रोजाना थोड़ी मात्रा में घी का सेवन करने से पाचन क्रिया बेहतर होती है। यह मल त्याग की प्रक्रिया को आसान बनाता है, जिससे कब्ज से राहत मिल सकती है। मानसून के दौरान पेट के संक्रमण से बचने के लिए आप रोजाना घी का सेवन कर सकते हैं।दिल को हेल्दी रखेघी का सेवन दिल के स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद गुण न सिर्फ बैड कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करते हैं, बल्कि गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में भी मदद करते हैं। नियमित रूप से घी का सेवन करने से दिल से जुड़ी बीमारियों के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है।शरीर को गर्म रखेंघी शरीर को गर्म रखने के लिए अच्छा माना जाता है। इसमें मौजूद गुण संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं, जिससे मानसून में सर्दी-जुकाम की समस्या में बहुत फायदा मिलता है। इसके लिए आप एक चम्मच घी को गर्म कर लें। इसमें थोड़ी सी काली मिर्च और मिश्री मिलाकर सेवन करें। दिन में 1-2 बार इसका सेवन करने से आपको जल्द राहत मिलेगी।एनर्जी से भरपूरघी हेल्दी फैट का एक अच्छा स्त्रोत है, जो शरीर में एनर्जी बढ़ाने का काम करता है। रोज एक चम्मच घी खाने से कमजोरी और थकान से निपटने में मदद मिलती है। यह शरीर में मौजूद एक्सट्रा फैट को कम करने में भी मदद करता है। इसके सेवन से आप एक्टिव महसूस करेंगे। हालांकि, ध्यान रखें कि घी का सेवन हमेशा सीमित मात्रा में ही करें।मानसून में घी का सेवन सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। हालांकि, अगर आप किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं, तो इसका सेवन करने से पहले हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
- सावन माह शुरू हो चुका है। इस माह में ही भगवान शिव के भक्त सावन व्रत रखते हैं। व्रत रखना सेहत के लिए फायदेमंद होता है। कुछ लोग पूरे दिन व्रत रखते हैं, तो कुछ शाम के समय व्रत खोलते हैं। शाम को व्रत खोलते समय अगर आपने डाइट पर ध्यान नहीं दिया, तो सेहत बिगड़ भी सकती है। यह जानना उन लोगों के लिए जरूरी है जो इस साल पहली बार व्रत रख रहे हैं। व्रत के दौरान शरीर में एनर्जी कम होती है और ब्लड शुगर लेवल लो रहता है। ऐसे में एक्सपर्ट कुछ चीजों से परहेज करने के लिए कहते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम आपको बताने जा रहे हैं कि शाम के दौरान व्रत में क्या खाएं और क्या नहीं।सावन व्रत में शाम को क्या खाना चाहिए?--व्रत खोलने के बाद आलू चाट, साबुदाने की खीर, फ्रूट चाट और छाछ का सेवन कर सकते हैं।-सावन व्रत के दौरान या बाद में खीरा खा सकते हैं। व्रत में लोग पानी कम पीते हैं जिससे डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है। डिहाइड्रेशन के लक्षणों से बचने के लिए खीरे का सेवन करें।-व्रत के दौरान या इसके बाद आलू खा सकते हैं। आलू खाने से पेट भरा रहता है और एनर्जी भी बरकरार रहती है।-व्रत में केला खाएं। केले में पोटेशियम होता है और इसे खाने से भूख भी नहीं लगती।-व्रत खोलते समय आपको सौंफ और अजवाइन का पानी पीना चाहिए। इससे ब्लोटिंग और डायरिया की समस्या से निजात मिलेगा।-सावन व्रत में शाम को न खाएं ये चीजें--सावन व्रत में बेसन, मैदा, अनाज से परहेज किया जाता है। व्रत रखने से शरीर को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है इसलिए आपको इस दौरान मांस, मछली और अंडे का सेवन करने से भी बचना चाहिए।-सावन व्रत में कुछ लोग सफेद नमक का सेवन नहीं करते। इसकी जगह आप सेंधा नमक खा सकते हैं।-अगर आपका उपवास है, तो मीठी चीजों का सेवन करने से भी बचें। ज्यादा मीठी चीजों का सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है।-सावन व्रत में ज्यादा तेल या मिर्च-मसाले वाले भोजन को खाने से बचें। इस तरह के खाने से अपच या कब्ज हो सकता है।-सावन व्रत में फल-सब्जियों को खाते समय सावधानी बरतें। हरी पत्तेदार सब्जियां, ज्यादा पके फल खाने से बचें। ऐसे फल या सब्जी में बरसाती कीड़े हो सकते हैं।व्रत के दौरान इन सावधानियों का ख्याल रखें--व्रत के दौरान आपको ज्यादा शारीरिक मेहनत करने से बचना चाहिए। इससे आप कैलोरीज बचा पाएंगे। खाली पेट शारीरिक श्रम करने से कमजोरी और चक्कर आ सकते हैं।-व्रत में मानसिक तनाव से दूर रहें। खाली पेट रहने और तनाव महसूस करने से आपको हाई बीपी की समस्या हो सकती है।-व्रत में डॉक्टर प्रेग्नेंट महिलाओं को व्रत रखने की सलाह नहीं देते। इससे भ्रूण की सेहत पर नकारात्मक असर पड़ता है।
- हल्दी का उपयोग कई तरह से किया जाता है। हल्दी के फेस पैक से आप त्वचा के पिंपल्स, मुंहासे, दानें, रैशेज, झाइया, झुर्रियां और टैन की समस्या को आसानी से दूर कर सकते हैं। इस लेख में आपको हल्दी से टैनिंग दूर करने के तरीके को बताया गया है।हल्दी और नींबू के पैक से टैन को करें दूरइस फेसपैक को बनाने के लिए आप एक चम्मच हल्दी ले लें। इसके साथ ही आपको करीब दो नींबू के रस की आवश्यकता होगी। चेहरे या त्वचा की टैनिंग को दूर करने के लिए आप एक बाउल में हल्दी और नींबू को मिक्स कर लें। इसके बाद इस पैक को प्रभावित त्वचा पर करीब 20 मिनट के लिए लगाकर छोड़ दें। जब पैक हल्का सूख जाए तो इसे नॉर्मल पानी से धोकर साफ कर लें। बेहतर रिजल्ट पाने के लिए आप इस पैक को सप्ताह में तीन बार लगा सकते हैं। इस पैक में मौजूद साइट्रिक एसिड त्वचा की टैनिंग को दूर कर, उसके रंग को एक समान बनाता है।हल्दी और दही के उपयोग से टैन को करें दूरहल्दी और दही के पैक से मेलेनिन को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इससे चेहरे और त्वचा का कालापन दूर होता है। दही से रंग में निखार आता है, साथ ही ये सन टैन की समस्या को दूर करने में सहायक होते हैं। इस पैक को बनाने के लिए एक बड़ा चम्मच दही लें। एक बाउल में दही और हल्दी को मिला लें। इसके साथ ही आप पैक में गुलाब जल करीब एक चम्मच मिलाएं। इस पैक को चेहरे पर करीब 20 से 25 मिनट तक लगाएं। जब ये पैक हल्का सूख जाए तो आप इसे पानी से साफ कर लें।बेसन और हल्दी से सन टैन दूर करेंइस पैक से आप त्वचा को एक्सफोलिएट कर सकते हैं। इस पैक को बनाने के लिए आप एक चम्मच बेसन और एक चौथाई चम्मच हल्दी को लें। इन दोनों को एक बाउल में मिक्स कर लें। इस पैक को त्वचा पर करीब 20 मिनट के लिए लगाएं। इसके बाद इसे नॉर्मल पानी से धो लें।