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गंगा दशहरा का पर्व महापर्व माना जाता है. इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है. माना जाता है कि गंगा स्नान मात्र से व्यक्ति के 10 तरह के पाप धुल जाते हैं. इसके अलावा भी ऐसी तमाम काम हैं जिन्हें 10 बार करने की बात कही गई है. जानिए गंगा दशहरा पर 10 अंक का क्या महत्व है !
हर साल ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मां गंगा के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है. माना जाता है कि इसी दिन भागीरथ की तपस्या सफल हुई थी और मां गंगा शिव की जटाओं में से होकर जमीन पर उतरी थीं. इस दिन को गंगा दशहरा (Ganga Dussehra) कहा जाता है. लोक भाषा में इसे ज्येष्ठ दशहरा या जेठ दशहरा भी कहा जाता है. इस बार गंगा दशहरा का पर्व 9 जून को गुरुवार के दिन है. गंगा दशहरा के दिन 10 अंक का विशेष महत्व है. कहा जाता है कि इस दिन गंगा स्नान से व्यक्ति के 10 तरह के पाप कटते हैं, वहीं 10 तरह की चीजों को दान करना शुभ माना गया है.
10 बार लगानी चाहिए गंगा जल में डुबकी
वैसे तो गंगा स्नान हमेशा ही शुभ माना गया है क्योंकि गंगा मैया को मोक्षदायिनी कहा जाता है. लेकिन गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान का खास महत्व माना गया है. इस दिन गंगा में 10 बार डुबकी लगाने की बात कही गई है. इसके अलावा गंगा मैया के मंत्र का कम से कम 10 बार जाप करना चाहिए. अगर आप गंगा स्तोत्र पढ़ रहे हैं तो इसे गंगा जल में खड़े होकर 10 बार पढ़ें. माना जाता है कि इससे आपके पाप तो कटते ही हैं, साथ ही व्यक्ति को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
इन 10 चीजों का करें दान
गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान और गंगा पूजन के बाद 10 चीजों का दान करने की बात कही गई है. माना जाता है कि इस दिन दान करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है. इसके अलावा ग्रहों से जुड़ी तकलीफें दूर होती हैं. गंगा दशहरा के दिन 10 चीजों को दान करने की बात कही गई है. ये चीजें हैं- जल, अन्न, फल, वस्त्र, पूजन या सुहाग सामग्री, घी, नमक, तेल, शक्कर और स्वर्ण.
गंगा स्नान से धुलते हैं 10 तरह के पाप
गंगा मैय्या को बहुत ही पवित्र माना गया है. मान्यता है कि गंगा स्नान मात्र से व्यक्ति के तमाम पाप धुल जाते हैं. शास्त्रों में गंगा दशहरा के दिन गंगा स्नान का महत्व बताते हुए 10 तरह के पाप मिटने की बात कही गई हैं. इन 10 तरह के पापों को तीन तरह के वर्गों में बांटा गया है.
दैहिक पाप : किसी की वस्तु को बिना अनुमति के रखना, निषिद्ध हिंसा, परस्त्री संगम, इन तीन तरह के पापों को दैहिक पाप माना गया है.
वाणी पाप : किसी को कटु वचन कहना, झूठ बोलना, चुगली करना और वाणी द्वारा मन को दुखाना. ये चार तरह के पाप वाणी से होने वाले पाप हैं.
मानसिक पाप : दूसरे के धन को लेने का विचार करना, मन से किसी का बुरा सोचना और असत्य वस्तुओं में आग्रह रखना. ये तीन गलत विचार मानसिक पाप माने गए हैं. मान्यता है कि गंगा स्नान से सभी तरह के पाप धुल जाते हैं. - वास्तु शास्त्र में मिट्टी के बर्तनों को बहुत शुभ माना गया है। इसके मुताबिक घर में मिट्टी के बर्तन, मटके, सुराही हों तो वहां मां लक्ष्मी का वास होता है। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि उन्हें सही जगह पर रखा जाए। साथ ही सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए। यदि इन सबका पालन किया जाए धन की देवी मां लक्ष्मी की कृपा से घर में खूब धन-वैभव होता है और किसी चीज की कमी नहीं रहती है। आइए जानते हैं घर में वास्तु के अनुसार सुराही रखने से क्या फायदे होते हैं और इसे घर में किस दिशा में किस तरह से रखना चाहिए।माता लक्ष्मी का वासवास्तु शास्त्र के अनुसार मिट्टी की सुराही घर में रखने से घर में माता लक्ष्मी का वास होता है। ऐसा माना जाता है कि घर की उत्तर दिशा में सुराही में पानी भर कर रखना बहुत शुभ होता है। वास्तु के अनुसार घर की उत्तर दिशा में देवताओं का वास होता है इसीलिए पानी से भरी सुराही को उत्तर दिशा में रखने से देवी देवता प्रसन्न होते हैं।ग्रहों को करता है नियंत्रितघर में रखा मिट्टी का घड़ा बुध और चंद्रमा की स्थिति को नियंत्रित करता है और उसके अशुभ प्रभावों से बचाता है। इसके साथ ही यदि मिट्टी के घड़े का पानी पिया जाए तो पानी पीने से कुंडली की स्थिति मजबूत रहती है। घड़े को हमेशा पानी से भरा रखना चाहिए, खाली घड़े से धन की हानि होती है।नौकरी में उन्नतियदि आपकी नौकरी में पदोन्नति नहीं हो रही तो नियमानुसार रोज सायंकाल के समय मिट्टी के घड़े के पास दीपक व कपूर जलाएं। ऐसा करने से करियर और व्यापार में उन्नति होती है।मंगल की स्थिति करता है मजबूतज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में मंगल की स्थिति को मजबूत करने के लिए मिट्टी के कुल्हड़ में पानी पीना चाहिए। यदि आप शनिदेव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो इसके लिए आप मिट्टी के बर्तन या फिर कुल्हड़ में पानी भरकर शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे रख दें। ऐसा करने से शनि से संबंधित कष्ट दूर होते हैं और कुंडली में भी शनि की स्थिति मजबूत होती है।चूल्हे से रखें दूरयदि मटका रसोई में रखा है तो उसे गैस या चूल्हे से दूर रखना चाहिए। अग्नि और जल को पास-पास नहीं रखना चाहिए। इससे पैसे की तंगी दूर होगी।
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वास्तु के नियमों का पालन करके जीवन में सुख एवं समृद्धि तो लाई जा सकती है, साथ ही परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य भी ठीक रखा जा सकता है. आपने घर में चीजों को व्यवस्थित करने के लिए या फिर कमरों की दिशाओं को लेकर वास्तु से जुड़े कई टिप्स के बारे में सुना होगा. लेकिन घर की में कुछ चीजें ऐसी भी होती हैं, जिनको लेकर अक्सर लोग वास्तु ( Vastu dosh ) संबंधी गलतियां कर देते हैं. इन्हीं में से है घर का फर्श, जिसके लिए बहुत कम लोग वास्तु से जुड़े नियमों का पालन करते हैं. फर्श के लिए बनाए गए वास्तु ( Vastu tips ) के नियमों या जरूरी बातों की अनदेखी घर में कलह या दरिद्रता का कारण बनती है.
आजकल लोग घर को स्टाइलिश बनाने के लिए टाइल्स या मार्बल जैसी फ्लोरिंग का इस्तेमाल कर रहे हैं. इस लेख में हम आपको फर्श से जुड़ी उन जरूरी बातों के बारे में बताएंगे, जिनका ध्यान रखकर आप घर-परिवार ही नहीं जीवन में सुख की प्राप्ति कर सकते हैं.
जानें इन अहम बातों के बारे मे---------
1. वास्तु के मुताबिक घर में फ्लोरिंग को लगाना शुभ नहीं माना जाता है, लेकिन फिर भी लोग इस अहम जानकारी की अनदेखी करते हैं. वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि ऐसा करने पर घर के मुखिया को मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है. इतना ही नहीं उसे स्वास्थ्य संबंधी बुरे प्रभावों का सामना करना पड़ सकता है.
2. अगर आप घर में टाइल्स या मार्बल लगवाना चाहते हैं, तो इसके रंग का आपको खास ध्यान रखना चाहिए. वास्तु के एक्सपर्ट्स के मुताबिक घर में एक ही रंग की फ्लोरिंग लगानी चाहिए. इतना ही नहीं हल्के रंग की फ्लोरिंग आपको आर्थिक संकट से बचा सकती है. कहा जाता है कि हल्का रंग घर में शुभता का प्रतीक होता है.
3. घर की दक्षिण दिशा में किस तरह का पत्थर लगाना चाहिए, इसकी जानकारी भी आपको होनी चाहिए. वास्तु के मुताबिक इस दिशा में फ्लोरिंग को लगवाते समय इसका रंग हमेशा लाल रखना चाहिए.
4. अगर आप घर में सिंथेटिक मार्बल का प्रयोग करने जा रहे हैं, तो इस गलती को करने की भूल बिल्कुल न करें. ऐसा मार्बल आपके घर में दरिद्रता ला सकता है. आप इसकी जगह प्राकृतिक रूप से मिलने वाले मार्बल को घर में लगवा सकते हैं.
5. घर में मार्बल या टाइल्स लगवाते समय ध्यान रहे कि मिस्त्री फ्लोरिंग में ऐसे किसी भी हिस्से को न लगाएं, जिसका कोना टूटा हुआ है. माना जाता है कि ये घर के लिए अच्छा नहीं होता. -
ऐसा माना जाता है कि शंख की उत्पत्ति सुमद्र मंथन के दौरान हुई थी. पूजा के दौरान शंख बजाना शुभ माना जाता है. शंख बजाने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है.
जानें शंख बजाने के फायदे--------------------------
हिंदू धर्म में पूजा के दौरान शंख बजाना बहुत ही शुभ माना जाता है. शंख बजाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. नकारात्मकता दूर होती है. आइए जानें शंख के चमत्कारी फायदे.
ऐसा माना जाता है कि जिस घर में शंख होता है वहां हमेशा भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा रहती है. इसे बजाने से घर में सुख-समृद्धि आती है. शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा के बाद शंख बजाना बहुत ही शुभ माना जाता है.
शंख बजाने से नकारात्मकता दूर होती है. सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. शंख में जल भरकर पूरे घर में छिड़कना भी बहुत अच्छा माना जाता है. शंख बजाने से घर के वास्तु दोष दूर होते हैं. शंख बजाने से सुख में वृद्धि होती है.
वैज्ञानिकों के अनुसार शंख बजाने से वातावरण भी शुद्ध होता है. शंख की आवाज से आसपास मौजूद जीवाणुओं-कीटाणुओं का नाश होता है. इसलिए नियमित रूप से शंख बजाना वातावरण साफ और शुद्ध रखने का काम भी करता है.
अस्थमा के मरीज के लिए शंख बजाना बहुत फायदेमंद है. अस्थमा के मरीज नियमित रूप से शंख बजा सकते हैं. शंख बजाने से फेफड़े मजबूत होते हैं. शंख में रखा हुआ पानी पीने से हड्डियों संबंधी समस्या दूर होती हैं. इस पानी में कैल्शियम और फास्फोरस होता है. - ऐसा माना जाता है कि कुछ विशेष पौधों को घर के भीतर या फिर गार्डन में लगाने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और घर में खुशहाली आती है। ऐसी ही पौधों में से एक है स्नेक प्लांट। दरअसल इस पौधे को घर की सजावट के लिए इस्तेमाल तो किया ही जाता है और यह वास्तु के अनुसार भी घर में समृद्धि का कारण बनता है। लेकिन क्या आप जानते हैं इस पौधे को घर में लगाने की एक सही दिशा है और घर के कुछ ऐसे हिस्से हैं जहां ये पौधा लगाना अत्यंत लाभकारी होता है।वास्तु शास्त्र की मानें तो घर की सुख समृद्धि के लिए स्नेक प्लांट को घर के अंदर और बाहर दोनों जगह उगाया जा सकता है और घर के सही क्षेत्र में रखने पर इसके कई फायदे होते हैं। इस पौधे का वास्तु में बाथरूम और बेडरूम के लिए अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे लिविंग रूम और हॉल में कुछ नुकीले कोनों में भी रखा जा सकता है। इसे हमेशा लिविंग रूम के उस हिस्से में रखा जाना चाहिए जो कि घर में आने जाने वाले लोगों की नजर में पड़े। कभी भी इस पौधे को दूसरों से छिपाकर नहीं रखना चाहिए। दरअसल ये घर के लोगों को किसी भी बुरी दृष्टि से बचाता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।स्नेक प्लांट के वास्तु लाभवास्तु के अनुसार, स्नेक प्लांट के कई फायदे हैं क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देता है। इसके अलावा यह पौधा ऐसा पौधा है जिसके एक पौधे से कई अन्य पौधे निकल आते हैं इसलिए इसे समृद्धि और आर्थिक लाभ का प्रतीक भी माना जाता है।स्नेक प्लांट के लिए वास्तु दिशास्नेक प्लांट को घर में रखने के लिए वास्तु की दिशा बहुत ज्यादा मायने रखती है। ऐसा माना जाता है कि वास्तु की सही दिशा के अनुसार रखा स्नेक प्लांट घर को कई समस्याओं से बचाता है। वास्तु के अनुसार, स्नेक प्लांट को घर के पूर्वी, दक्षिणी और दक्षिण-पूर्वी कोनों में सबसे अच्छी स्थिति में रखा जा सकता है। इन दिशाओं में रखे हुए स्नेक प्लांट घर के लाभ के लिए बहुत ही शुभ माने जाते हैं। यदि आप घर में वास्तु के अनुसार स्नेक प्लांट लगाना चाहते हैं तो आपको इसकी सही दिशा को ध्यान में जरूर रखना चाहिए।इस तरह रखें स्नेक प्लांटयदि वास्तु के अनुसार स्नेक प्लांट लगा रहे हैं तो ध्यान में रखें कि इसे कभी भी किसी मेज या किसी अन्य सतह में न रखें। इस पौधे को हमेशा जमीन में ही रखना अच्छा माना जाता है। इसके अलावा यह पौधा किसी अन्य इनडोर प्लांट से घिरा नहीं होना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि किसी अन्य पौधे से घिरा स्नेक प्लांट नकारात्मक ऊर्जा लाता है। हालांकि कई लोगों का माना है कि स्नेक प्लांट घर में दरिद्रता लाता है और घर में अशांति का कारण बनता है , लेकिन वास्तुशास्त्र इस बात को नहीं मानता है बल्कि ऐसा माना जाता है कि जिस घर में स्नेक प्लांट लगा होता है वहां सुख समृद्धि का वास होता है।कॅरिअर में सफलता दिलाता है स्नेक प्लांटएक स्नेक प्लांट आपके घर में स्थित स्टडी रूम में रखने पर आपके ध्यान केंद्रित करने और ज्यादा अच्छे तरीके से काम करने की क्षमता में सुधार करने में मदद कर सकता है। आप अपने कार्यालय में कहीं भी, अपनी डेस्क पर, खिड़की पर, या बुकशेल्फ़ पर स्नेक प्लांट लगा सकते हैं।डाइनिंग एरिया में लगाएं स्नेक प्लांटवास्तु विशेषज्ञों का सुझाव है कि डाइनिंग रूम में यदि आप विभिन्न आकार के स्नेक प्लांट लगाते हैं तो यह पौधा आपसी प्रेम भाव बढ़ाने का काम करता है। एक छोटा सा स्नेक प्लांट आप डाइनिंग टेबल के बीचों बीच भी रख सकते हैं। ये सकारात्मक ऊर्जा लाता है।
- हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व है। वट सावित्री का व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं। इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। वट सावित्री व्रत हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को रखा जाता है। इस साल वट सावित्री व्रत 30 मई, सोमवार को रखा जाएगा। सुहागिन महिलाएं इस दिन विधि-विधान के भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से सुख-समृद्धि व अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। आज जानते हैं इस पर्व का क्या है धार्मिक व वैज्ञानिक महत्व-शास्त्रों के अनुसार, बरगद के वृक्ष के तने में भगवान विष्णु, जड़ों में ब्रह्मा और शाखाओं में भगवान शिव का वास है। इस वृक्ष में कई सारी शाखाएं नीचे की ओर रहती हैं, जिन्हें देवी सावित्री का रूप माना जाता है। इसलिए मान्यता है कि इस वृक्ष की पूजा करने से भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। संतान प्राप्ति के लिए इस वृक्ष की पूजा करना लाभकारी माना जाता है।मान्यता है कि ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि के दिन वट वृक्ष की छांव में देवी सावित्री ने अपने पति की पुन: जीवित किया था। इस दिन से ही वट वृक्ष की पूजा की जाने लगी। हिंदू धर्म में जिस तरह से पीपल के वृक्ष को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है। उसी तरह बरगद के पेड़ को भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि तीर्थंकर ऋषभदेव ने अक्षय वट के नीचे तपस्या की थी। इस स्थान को प्रयाग में ऋषभदेव तपस्थली नाम से भी जाना जाता है।वटवृक्ष को क्यों कहा जाता है अक्षय वटवैदिक ग्रंथों से लेकर उपनिषद्, ब्राह्मण तथा पौराणिक ग्रंथों में मृत्यु को भी चुनौती देने वाले वट प्रजाति के वृक्षों में बरगद को अमूल्य बताया गया है। इसकी जड़, छाल, पत्ते, दूध, छाया और हवा को न सिर्फ मनुष्य बल्कि धरती, प्रकृति तथा समस्त जीव-जंतुओं के लिए जीवन-रक्षक कहा गया है। मनुष्य के शरीर में बीमारियों के रूप में यदि यमदूत प्रवेश कर गया हो और वह इस पेड़ की शरण में चला जाए, तो जैसे सावित्री ने अपने पति सत्यवान को यमराज के हाथ से जीवित लौटाने में सफलता हासिल की थी, उसी तरह सामान्य व्यक्ति भी यमदूतों से मुक्ति पा सकता है। कारण यह है कि इसकी हवा से मन की शक्ति बढ़ती है। मन मजबूत हो तो काल भी परास्त हो जाता है।यही कारण है कि जब श्रीराम वनवास के लिए निकले और प्रयागराज में भारद्वाज ऋषि के आश्रम में आए, तब ऋषि ने जिस पेड़ की पूजा करने को, वह बरगद ही था। यही 'अक्षयवटÓ बरगद का पेड़ है, जिसे आज भी आस्था का पेड़ माना जाता है। जब गोकुल में प्रकृति को प्रदूषित करने वाला कंस का दूत प्रलंबासुर आ गया था तथा प्रदूषित अग्नि से प्राकृतिक असंतुलन पैदा करने लगा था, तब कृष्ण ने बरगद के पेड़ पर चढ़कर उसका वध किया।हमारे ऋषियों ने ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को वट प्रजाति के वृक्षों में बरगद के पेड़ की पूजा का विधान इसीलिए किया, क्योंकि अन्य सभी वृक्षों में किसी एक देवता का निवास है, जबकि बरगद में त्रिदेवों का निवास है। इस पेड़ की छाल में साक्षात विष्णु, जड़ में ब्रह्मा और शाखाओं में देवाधिदेव महादेव का वास होता है। ज्येष्ठ मास की अमावस्या से पहले त्रयोदशी तिथि से इस पेड़ के पूजन का आशय भी त्रिदेवों का पूजन माना जा सकता है।
- सुख, वैभव, खुशी, तरक्की और मानसिक शांति के लिए व्यक्ति के आसपास सकारात्मक ऊर्जा का होना बहुत आवश्यक है। आज हम आपको व्यक्ति के आर्थिक जीवन पर असर डालने वाले कुछ कारणों की चर्चा करेंगे, जिसका सबंध घर में मौजूद वास्तु से होता है।झाड़ूहिंदू धर्म शास्त्रों में झाड़ू को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है और माता लक्ष्मी सुख, संपदा, ऐशोआराम,वैभव और धन प्रदान करने वाली देवी होती है। इसी वजह से आर्थिक और वैभव के लिए झाड़ू को काफी महत्वपूर्ण चीज माना गया है। वास्तु शास्त्र में झाड़ू के रखने के बारे में विस्तार से बताया गया है। वास्तु के अनुसार झाड़ू को हमेशा ऐसी जगहों पर रखना चाहिए जहां पर किसी की नजर आसानी से न पहुंच सके। इसके अलावा कभी भी घर में झाड़ू को खड़ा करके नहीं रखना चाहिए। वास्तु के अनुसार झाड़ू के संबंध में एक चीज और भी बताई गई है जिसमें घर में शाम के समय झाड़ू भूलकर भी नहीं लगाना चाहिए। ऐसे में जिन घरों में झाड़ू से सबंधित इन नियमों का पालन किया जाता है वहां पर कभी भी आर्थिक समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है।कबूतरकबूतर का घोंसला : वास्तु शास्त्र के अनुसार अगर किसी घर में कबूतर का घोंसला बना हुआ तो यह आर्थिक परेशानी का सूचक माना जाता है। ऐसी स्थिति में इस बात का ध्यान रखें कि आपके घर में कहीं भी कोई कबूतर अपना घोंसला न बना पाएं। ज्योतिष में कबूतर को राहु का प्रतीक माना गया है।कांटेदार पौधे :एक तरफ जहां घर पर फूल-पौधे होने से सुख और समृद्धि का वास माना जाता है तो वहीं घर में कांटेदार पौधे होने पर आर्थिक परेशानियों का ज्यादा प्रभाव होता है। वास्तु शास्त्र अनुसार घर या आंगन में ऐसा कोई भी पौधा नहीं लगाना चाहिए जिसमें कांटे हों। इससे उस घर के सदस्यों के जीवन में आर्थिक समस्याएं उत्पन्न होती हैंजाले व कबाड़ :मान्यता है जिन घरों में हमेशा साफ-सफाई होती है वहां पर हमेशा माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर का आशीर्वाद रहता है। घर में जाले व कबाड़ नकारात्मक ऊर्जा के सबसे बड़े स्रोत माने जाते हैं। ऐसे में कभी भी घर में जाले न लगने दें। समय-समय पर इन जालों की हटाते रहना चाहिए। जालों और गंदगी रहने से आर्थिक स्थिति खराब होती है।सीलन भरा भवनजिन घरों की दीवारों और कोने में हमेशा सीलन बनी हुई होती है वहीं पर कभी मां लक्ष्मी का वास नहीं होता है। पानी को धन का सूचक माना गया है। ऐसे में अगर घर में नल से पानी टपकता रहता है या सीलन बनी हुई होती है तो व्यक्ति के जीवन में आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
- चीनी वास्तु शास्त्र फेंगशुई में हाथी की मूर्ति, पेंटिंग या चित्र रखना बहुत शुभ बताया गया है। वहीं हिन्दू मान्यताओं के अनुसार हाथी धन की देवी लक्ष्मी के दोनों तरफ खड़े होकर उनकी सेवा में रहते हैं। घर में हाथी की प्रतिमा रखने से जीवन में सुख, समृद्धि और उन्नति की प्राप्ति होती है।1- हिंदू धर्म में हाथी को माता लक्ष्मी का वाहन और शुभता का प्रतीक जानवर माना जाता है। ऐसे में जिन घरों के मुख्य द्वार पर सूंड उठाए हुए हाथी की मूर्ति लगी होती है वहां पर हमेशा समृद्धि और सकारात्मकता का प्रवेश होता रहता है। फेंगशुई में घर के मुख्य दरवाजे पर हाथी की प्रतिमा या चित्र लगे होने पर व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्ति होती है।2- घर के मुख्य दरवाजे के दोनों छोर पर अगर हाथी की मूर्ति के जोड़े को रखा जाए तो इससे घर में सुख, सुरक्षा, सौभाग्य और संपत्ति का आवागमन होता रहता है। फेंगशुई में हाथी को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।3- फेंगशुई वास्तु शास्त्र के अनुसार हाथी की मूर्ति को अगर पढऩे की जगह पर रखा जाय तो इससे छात्रों के मन में एकाग्रता और करियर में सफलता प्राप्ति होती है। इस कारण से काम करने वाली जगह या स्टडी डेस्क का हाथी की मूर्ति को रखना शुभ माना जाता है।4- हाथी की मूर्ति को उसके छोटे बच्चे के साथ अगर बेडरूम में रखा जाए तो इससे संतान सुख की प्राप्ति होती है। बेडरूम में सफेद हाथी के बच्चे की मूर्ति रखने से संतान सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।5- चांदी के हाथी को उत्तर दिशा में रखना बहुत ही शुभ होता है। इसे लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी या गल्ले में रखने से आय के स्रोत बढ़ते हैं।
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जेठ का महीना गर्मी के हिसाब से सबसे ज्यादा कष्टकारी होता है। इस महीने में सबसे ज्यादा पानी की किल्लत रहती है। सूर्य के रौद्र रूप से धरती में मौजूद पानी का वाष्पीकरण सबसे तेज हो जाता है जिसके कारण से नदियां और तालाब सूख जाते हैं। हिन्दू मान्यता में इस महीने जल के संरक्षण का विशेष जोर दिया जाता है। ज्येष्ठ महीने में गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी जैसे व्रत रखे जाते हैं। ये व्रत प्रकृति में जल को बचाने का संदेश देते हैं। गंगा दशहरा में नदियों की पूजा और निर्जला एकादशी में बिना जल का व्रत रखा जाता है।
जल ही जीवन है। ज्येष्ठ मास में जल दान उपयुक्त माना गया है। पक्षियों के लिए घर की छत या बगीचे में जल का पात्र भर कर रखें। पशु-पक्षी भी प्रकृत्ति की अनमोल देन है और साथ-साथ ये ज्योतिष की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण हैं। आपने देखा होगा कि हर देवी-देवता का कोई ना कोई वाहन होता है जो पशु या पक्षी है,मान्यताओं के अनुसार इन वाहनों की पूजा करने से संबंधित देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कुछ ऐसा ही ज्योतिष के अंतर्गत भी है,ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सौरमंडल के हर ग्रह का संबंध किसी ना किसी पक्षी या पशु से होता है,अगर ग्रह को शांत या प्रसन्न करना है संबंधित पक्षियों या पशुओं की सेवा करनी चाहिए। ज्येष्ठ माह को आम बोलचाल की भाषा में जेठ का महीना भी कहा जाता है। इस महीने में भारत के उत्तरी भाग में भीषण गर्मी पड़ती है। महीने के शुरुआती दिनों में नौतपा के चलते तेज गर्म हवाएं चलती हैं। शास्त्रों में ज्येष्ठ के महीने का खास धार्मिक महत्व बताया गया है।
ज्येष्ठ माह नाम कैसे पड़ा
ज्येष्ठ या जेठ के महीने में गर्मी अपने चरम पर रहती है। इन दिनों सर्वाधिक बड़े दिन होते हैं इस कारण सूर्य की ज्येष्ठता के कारण इस महीने को ज्येष्ठ कहा जाता है,जेठ के महीने में धर्म का संबंध पानी से जोड़ा गया है,ताकि जल का संरक्षण किया जा सके। जेठ के महीने में पानी से जुड़े व्रत एवं त्योहार मनाए जाते हैं। जिसमें गंगा दशहरा और दूसरा निर्जला एकादशी प्रमुख है।
ज्येष्ठ माह का धार्मिक महत्व
1. ज्येष्ठ महीने में सूर्य अपने रौद्र रूप में होता है,जिसके चलते गर्मी बढ़ जाती है,साथ ही बढ़ जाता है पानी का महत्व। शास्त्रों में इस महीने में पानी के संरक्षण पर खास जोर दिया गया है।
2. ज्येष्ठ मास में जल के दान का बहुत बड़ा महत्व है। भीषण गर्मी में पानी की दिक्कत होने ही लगती है,जिसके चलते कई लोगों को पीने का पानी भी नहीं मिल पाता, इसलिए इस महीने जल का दान करना अत्यंत लाभकारी बताया गया है।
3. जेठ माह में घर की किसी भी खुली जगह या छत पर चिड़ियों के लिए दाना और पानी रखना चाहिए। गर्मी के कारण नदी-तालाब सूखने लगते हैं,जिसके चलते पक्षियों को पानी नहीं मिल पाता,इसलिए घर के बाहर या छत पर पक्षियों के लिए दाना-पानी जरूर रखें। मान्यता है कि पक्षियों को दाना-पानी देना लाभकारी होता है।
4. ज्येष्ठ के महीने में भगवान राम से पवनपुत्र हनुमान की मुलाकात हुई थी,जिसके चलते ये महीना हनुमानजी की पूजा के लिए बहुत खास है। जेठ में श्री राम के साथ हनुमानजी की पूजा करना शुभ फलदायी होता है। इसी महीने बड़े मंगलवार का पर्व मनाया जाता है,जिसमें हनुमानजी की खास पूजा होती है।
ज्योतिष शास्त्र में चन्द्रमा मन का कारक ग्रह है,मन के कारक चन्द्रमा को एक जल तत्व गृह के रूप में जाना जाता है। हमारे शरीर में मौजूद रक्त का 72% हिस्सा पानी ही है जिस पर चन्द्रमा का ही अधिकार है। इसलिए चन्द्र को मजबूत करने के लिए जल का संरक्षण करें। जल का दुरुपयोग चंद्रमा को दूषित करेगा। मन में कुंठाएं,चिंताए व्याप्त होगी,आर्थिक पक्ष डांवाडोल रहेगा। अपने चंद्र को मजबूत करें। जल का दुरुपयोग रोके। पक्षियों व प्राणियों के लिए पीने हेतु जल का दान करें। -
हिंदू धर्म में पूजा पाठ के दौरान दीपक या दीया जलाने का विशेष महत्व है। पौराणिक समय से ही हमेशा देवी-देवताओं की पूजा करते समय उनके सामने दीप प्रज्वलित किया जाता है। सिर्फ भगवान ही नहीं बल्कि कुछ धार्मिक पेड़-पौधे जैसे- तुलसी, बरगद आदि के नीचे भी दीया जलाया जाता है। मान्यता है कि घर में सुबह शाम दीपक जलाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। पूजा के दौरान एक मुखी दीपक के अलावा पंचमुखी दीपक प्रज्वलित करने का विशेष महत्व होता है। पंचमुखी दीपक को बेहद ताकतवर और चमत्कारी माना गया है। कहा जाता है कि घर में पंचमुखी दीपक प्रज्वलित करने से भगवान जल्द ही प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों का जीवन खुशियों से भर देते हैं। इसके अलावा ज्योतिष में पंचमुखी दीपक से जुड़े कुछ उपाय भी बताए गए हैं, जो बेहद चमत्कारी माने गए हैं।
प्रत्येक मंगलवार को पूजा के समय घर में चिरंजीवी भगवान बजरंगबली के सामने पंचमुखी दीपक जलाने से घर में सुख शांति आती है। घर से सारी नकारात्मकता खत्म हो जाती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
कोशिश करें कि दीपक हमेशा गाय के घी में ही जलाएं। गाय के घी से पंचमुखी दीपक जलाना घर में बरकत लाता है। साथ ही ये उपाय सारे वास्तु दोष दूर करता है।
कोशिश करें कि रोजाना शाम को घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर घी के पंचमुखी दीपक जलाएं। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों का जीवन धन-दौलत से भर देती हैं।
प्रतिदिन सुबह नहा धोकर एक तांबे के बर्तन में ताजा जल लें, उसमें 7 तुलसी के पत्ते डालकर भगवान विष्णु की मूर्ति के पास रखें और 11 बार “ओम नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप करें। साथ ही घर के पूजा स्थान पर घी का पंचमुखी दीपक हर मंगलवार जलाएं।
इसके अलावा यदि आप पर कोई पुराना मुकदमा चल रहा हो तो रोजाना पंचमुखी दीपक जलाएं। ज्योतिष के अनुसार इससे आपको मुकदमे में जीत मिलेगी। साथ ही इससे कार्तिकेय भगवान भी खुश होते हैं। -
हिंदू धर्म में ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि के दिन वट सावित्री का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करके सौभाग्यवती महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। धार्मिक मान्यताओं में वट सावित्री के व्रत का महत्व करवा चौथ जितना ही बताया गया है। इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखती हैं। पति के सुखमय जीवन और दीर्घायु के लिए वट वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा करती हैं और वृक्ष के चारों और परिक्रमा करती हैं। कहा जाता है कि ऐसा करने से पति के जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि के साथ लंबी आयु की प्राप्ति होती है। हर साल ये व्रत ज्येष्ठ अमावस्या तिथि के दिन रखा जाता है। इस साल ये व्रत 30 मई 2022, दिन सोमवार को रखा जाएगा।
वट सावित्री व्रत का मुहूर्त
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि प्रारंभ: 29 मई, 2022 दोपहर 02 बजकर 54 मिनट से शुरू होकर,
अमावस्या तिथि का समापन: 30 मई, 2022 को शाम 04 बजकर 59 मिनट पर होगा।
वट पूर्णिमा व्रत विधि
वट सावित्री व्रत वाले दिन सुहागिन महिलाएं प्रात: जल्दी उठें और स्नान करें। स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें। शृंगार जरूर करें। साथ ही इस दिन पीला सिंदूर लगाना शुभ माना जाता है। बरगद के पेड़ के नीचे सावित्री-सत्यवान और यमराज की मूर्ति रखें। बरगद के पेड़ में जल डालकर उसमें पुष्प, अक्षत, फूल और मिठाई चढ़ाएं। सावित्री-सत्यवान और यमराज की मूर्ति रखें। बरगद के वृक्ष में जल चढ़ाएं। वृक्ष में रक्षा सूत्र बांधकर आशीर्वाद मांगें। वृक्ष की सात बार परिक्रमा करें। इसके बाद हाथ में काले चना लेकर इस व्रत का कथा सुनें। कथा सुनने के बाद पंडित जी को दान देना न भूलें। दान में आप वस्त्र, पैसे और चने दें। अगले दिन व्रत को तोड़ने से पहले बरगद के वृक्ष का कोपल खाकर उपवास समाप्त करें।
वट सावित्री व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वट वृक्ष के नीचे बैठकर ही सावित्री ने अपने पति सत्यवान को दोबारा जीवित कर लिया था। कहा जाता है कि इसी दिन सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस ले आई थीं। इस व्रत में महिलाएं सावित्री के समान अपने पति की दीर्घायु की कामना तीनों देवताओं से करती हैं, ताकि उनके पति को सुख-समृद्धि, अच्छा स्वास्थ्य और दीर्घायु प्राप्त हो सके। -
भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को होता है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यह व्रत अति कल्याणकारी है। यह तिथि भगवान शिव को अति प्रिय है। इस व्रत में भगवान शिव की पूजा करने से जीवन सुखमय होता है और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। जब त्रयोदशी तिथि शुक्रवार को आती है तो उसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है।
प्रदोष व्रत में ऊं नम: शिवाय का जाप करते रहें। प्रदोष व्रत उन लोगों को विशेष रूप से करना चाहिए, जो कर्ज में डूबे हुए हैं या जो अपनी भूमि, भवन, संपत्ति खरीदना चाहते हैं। प्रदोष व्रत में शिव स्तोत्र का पाठ करें। केसर का तिलक मस्तक, कंठ और नाभि में लगाएं। प्रदोष व्रत के दिन पीपल के पेड़ की 108 परिक्रमा करते हुए जल अर्पित करें। प्रदोष तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए बेहद फलदायी माना जाता है। प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल संध्या के समय सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले आरंभ कर दी जाती है। इस व्रत को करने से दीर्घ आयु का वरदान प्राप्त होता है। मानसिक रोग हों या स्वास्थ्य से कमज़ोर लोगों के लिए इस दिन भगवान शिव की उपासना शुभ फलदायक है। इस दिन प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान के बाद भक्ति भाव और विधि-विधान से भगवान शिव का पूजन करें। इस व्रत को धारण करने से किसी तरह का कोई भय नहीं रहता। प्रदोष के दिन परिवार में सुख संपत्ति के लिए अपने घर में शिव परिवार का चित्र लगाएं। भगवान शिव की पूजा-आराधना से घर या प्रतिष्ठान में मौजूद वास्तुदोषों का शमन होता है। इस व्रत में शिव चालीसा का पाठ अवश्य करें। -
गर्मियों में डिहाइड्रेशन होना आम बात है. इस कारण न केवल थकान महसूस होती है, बल्कि होंठ फटने की समस्या का सामना भी करना पड़ता है. पानी की कमी के कारण होंठ ड्राई जाते हैं. वहीं कई तरह के पोषक तत्व जैसे फोलेट, राइबोफ्लेविन और विटामिन बी 6 आदि की कमी के कारण भी फटे होंठ की समस्या का सामना करना पड़ता है. ऐसे में मुलायम और गुलाबी होंठों के लिए लोग बहुत से ब्यूटी प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन ये केमिकल युक्त होते हैं. इनका अधिक इस्तेमाल लंबे समय में नुकसान दे सकता है. ऐसे में आप कुछ घरेलू उपाय आजमा सकते हैं. ये होंठों को मुलायम और गुलाबी बनाने में मदद करेंगे.
शहद
आप होंठों के लिए शहद का इस्तेमाल कर सकते हैं. ये फटे होंठों की समस्या को दूर करता है. इसके लिए वैसलीन में शहद मिलाएं. इसे होंठों पर 10 मिनट के लिए लगा कर रखें. इसके बाद इसे कॉटन बॉल से साफ करें. नियमित रूप से ऐसा करने से फटे होंठों की समस्या दूर होगी.
देसी घी
फटे होंठों के लिए देसी घी का इस्तेमाल करें. ये होंठों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है. गर्मियों में रोजाना फटे होंठों पर देसी घी लगाना चाहिए. इससे न केवल फटे होंठ ठीक होंगे बल्कि इससे होंठ गुलाबी भी होंगे. ये एक बहुत ही पुराना नुस्खा है. घी लगाने से आप जल्दी इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं.
गुलाब की पत्तियां
फटे होंठों की समस्या से छुटकारा पाने के लिए आप गुलाब की पत्तियों का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. इसके लिए कुछ गुलाब की पत्तियों को धो लें. इसे मिक्सी में पीस लें. इसमें थोड़ी से मलाई मिलाएं. इस पेस्ट को होंठों पर लगाएं. इससे होंठ गुलाबी और मुलायम हो जाएंगे.
गुलाब जल
फटे होंठों के लिए आप गुलाब जल का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए गुलाब जल को ग्लिसरिन के साथ मिलाएं. इसे होंठों पर लगाएं. इससे फटे होंठों की समस्या दूर होगी. ग्लिसरिन होंठों की ड्राइनेस दूर करने का काम करती है.
नारियल का तेल
नारियल का तेल पोषक तत्वों से भरपूर होता है. ये त्वचा के लिए बहुत ही फायदेमंद है. इसमें फैटी एसिड होता है. ये त्वचा को हाइड्रेट करता है. इसके लिए वर्जिन नारियल तेल में 1 से 2 बूंद एसेंशियल ऑयल की मिलाएं. इस पेस्ट को होंठों पर लगाएं. दिन में 2 से 3 बार इसका इस्तेमाल करें. ये फटे होंठों की समस्या को दूर करने में मदद करेगा. -
वास्तु के अनुसार ऐसे कई पौधे हैं जिन्हें ऑफिस डेस्क पर रखना बहुत ही शुभ माना जाता है. ये आपके मन को शांत रखते हैं. ये सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं. ये पौधे सौभाग्य और समृद्धि को आकर्षित करते हैं.
लकी बैंबू प्लांट
ऑफिस की डेस्क पर बैंबू प्लांट रख सकते हैं. वास्तु में इस पौधे को बहुत ही शुभ माना गया है. ये अच्छे भाग्य को आकर्षित करता है. इसे सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. इससे वातावरण शांत रहता है.
लिली प्लांट
लिली के पौधे को शांति का प्रतीक माना जाता है. ये आपके मूड को बेहतर बनाने का काम करता है. ये खुशहाली को आकर्षित करता है. ये पर्यावरण को साफ रखता है. आप इस पौधे को गिफ्ट के रूप में भी दे सकते हैं.
जेड प्लांट
ये पौधा धन और अच्छे भाग्य का प्रतीक माना जाता है. ऐसा माना जाता है इसे लगाने से आर्थिक सफलता मिलती है. ये पौधा सौभाग्य और समृद्धि आकर्षित करता है. इसे दक्षिण-पूर्व दिशा में रख सकते हैं.
मनी प्लांट
इस पौधे को ऑफिस डेस्क पर रख सकते हैं. ये न केवल किसी भी जगह की सुंदरता को बढ़ाता है बल्कि ये जीवन में सुख-समृद्धि को भी आकर्षित करता है. आप इस पौधे को उत्तर या पूर्व दिशा में रख सकते हैं. -
हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है. हर महीने में 2 एकादशी तिथि पड़ती हैं. साल में 24 एकादशी तिथियां होती हैं. ये दिन भगवान विष्णु को समर्पित है. वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी का व्रत रखता जाता है. इस दिन विष्णु भगवान के मोहिनी स्वरूप की पूजा की जाती है. इस दिन व्रत और पूजा करने से सारे दुख और पाप से मुक्ति मिलती है. इस दिन व्रत कथा का पाठ करने से 1000 गायों के दान करने के बराबर पुण्य मिलता है. इस बार मोहिनी एकादशी का व्रत 12 मई गुरूवार को रखा जाएगा----
मोहिनी एकादशी 2022 का शुभ मुहूर्त------------
मोहिनी एकादशी तिथि की शुरुआत 11 मई बुधवार शाम को 7:31 पर होगी.
मोहिनी एकादशी की तिथि का समापन 12 मई गुरुवार को शाम 6:51 पर होगा.
उदया तिथि के अनुसार मोहिनी एकादशी का व्रत 12 मई को रखा जाएगा.
ऐसे में आप सुबह के समय ही पूजा कर सकते हैं.
मोहिनी एकादशी 2022 पारण समय-----------
12 मई को जो लोग व्रत रखेंगे वे अगले दिन 13 मई शुक्रवार को सूर्योदय के बाद पारण करेंगे. पारण का समय सुबह 5:32 से शुरु होकर सुबह 8:14 मिनट तक रहेगा. द्वादशी तिथि का समापन 13 मई को शाम 5:42 पर होगा.
मोहिनी एकादशी का महत्व--------------
मोहिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप की पूजा की जाती है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा श्रद्धा भाव से की जाती है. इस दिन एकादशी की कथा सुनने से सारी समस्याओं से छुटकारा मिलता है. ऐसा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. सभी पापों से मुक्ति मिलती है. इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को हर काम में सफलता मिलती है.
इस विधि से करें पूजा---------------------
मोहिनी एकदशी के दिन सुबह जल्दी उठें. स्नान करने के बाद घर की साफ सफाई करें.
नए कपड़े पहनें पूजा घर की साफ सफाई करें.
एक चौकी पर पीले या लाल रंग का कपड़ा बिछाएं.
चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें. भगवान को चंदन का तिलक लगाएं.
भगवान विष्णु को पीले रंग के फूल अर्पित करें. धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें.
मोहिनी एकदशी की कथा का पाठ करें.
इस दिन जरूरतमंद लोगों को दान करें.
शाम के समय आरती करें. अगले दिन द्वादशी तिथि के दिन व्रत का पारण करें. -
जीवन में सुख एवं समृद्धि बनी रहे, इसके लिए अमूमन हर कोई किसी न किसी तरह की कोशिशों में जुटा रहता है. कभी-कभी लाख कोशिशों के बावजूद जीवन में वो सब नहीं मिल पाता, जिसकी तलाश एक व्यक्ति को रहती है. वह इस सोच में रहता है कि आखिर ऐसी क्या कमी रह गई है कि तरक्की उससे दूर भाग रही है. कठिनाइयों व अन्य समस्याओं को दूर करने के लिए ज्योतिष शास्त्र की मदद ली जा सकती है. ज्योतिष शास्त्र में बताए गए नियम बेहद प्रभावी होते हैं. ज्योतिष शास्त्र में गुड़ को भी बेहद लाभकारी माना गया है. भारतीय रसोई में आसानी से मिलने वाला गुड़ खाने के अलावा जीवन में आने वाली कई समस्याओं को दूर कर सकता है.
गुड़ का धार्मिक महत्व होने के चलते पूजा-पाठ में इसका उपयोग बहुत शुभ माना जाता है. शास्त्रों के मुताबिक आप इससे स्थायी संपत्ति पाने के अलावा कई अन्य लाभ पा सकते हैं. इस लेख में हम आपको गुड़ का उपयोग और इससे मिलने वाले लाभों के बारे में जान पाएंगे.
स्थायी संपत्ति के लिए
अधिकतर लोगों को किराये के घर पर अपना ज्यादातर जीवन बिताना पड़ता है. लोगों का सपना होता है कि उनकी एक स्थायी संपत्ति होती है. अगर आप लाख जतन करने के बाद भी अपनी स्थायी संपत्ति हासिल नहीं कर पा रहे हैं, तो ऐसे में आपको ज्योतिष उपाय अपनाने की जरूरत है. गुड़ से जुड़ा उपाय करने के लिए हर शुक्रवार को गरीब व्यक्ति को भोज कराएं और उसके हाथ में गुड़ का टुकड़ा रखें. साथ ही रविवार के दिन गाय को गुड़ खिलाएं. ऐसा करने से संपत्ति का योग शुरू हो सकता है.
कामना की पूर्ति के लिए
अगर आप किसी मनोकामना के पूर्ण होने के लिए लंबे समय से प्रयास कर रहे है और लेकिन परिणाम मन मुताबिक नहीं मिल रहे हैं, तो इस स्थिति में आपको गुड़ से जुड़ा उपाय करना चाहिए. एक लाल कपड़े में कुछ गुड़ की डलियां लें और इसमें एक रुपये का सिक्का व हल्दी की गाठ रखें. इसे किसी गरीब को दान करें.
आर्थिक तंगी
कई बार कोशिशों के बावजूद कुछ लोग धन को जोड़ नहीं पाते हैं, बल्कि उन्हें अक्सर आर्थिक तंगी से जूझना पड़ता है. जो लोग लंबे समय से आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं, वे इस समस्या को दूर करने के लिए गुड़ से जुड़ा ज्योतिष उपाय अपनाएं. एक लाल कपड़े में गुड़ का टुकड़ा और एक रुपये का सिक्का मां लक्ष्मी के चरणों में रख दें. कहते हैं कि माता लक्ष्मी इस उपाय से प्रसन्न हो सकती हैं और आपके कष्टों को दूर कर सकती हैं. -
लाइफ में सुख एवं समृद्धि बनी रहे इसके लिए अमूमन हर कोई कोशिशें करता है, लेकिन लाख जतन के बावजूद कुछ लोगों को असफलता और कठिनाइयां तंग करती रहती हैं. हो सकता है इसके लिए पीछे किसी तरह का दोष हो. ऐसे दोषों को दूर करने के लिए लोग तरह-तरह के ज्योतिष उपाय अपनाते हैं. कुछ लोग वास्तु दोष को दूर करने के लिए वास्तु शास्त्र के बनाए हुए नियमों की मदद लेते हैं. ज्योतिष शास्त्र के उपायों की बात करें तो इनमें से एक है शरीर में काले धागे को बांधना. इस धागे को बांधने का चलन आजकल काफी बढ़ गया है. लोग इसे बाजू, पैर या फिर कमर में बांधते हैं और उन्हें यकीन होता है कि इससे बुरी नजर उनसे दूर रहेगी. कुछ लोग शनि देव के प्रकोप से बचने के लिए काले धागे को धारण करते हैं.
कहते हैं कि शनि देव को काला रंग अति प्रिय होता है और इसलिए इस धागे को बांधना लाभकारी सिद्ध हो सकता है. वैसे काले धागे को हाथ या पैर पर बांधने के कुछ नियम होते हैं, जिनमें बताया गया है कि कुछ राशि के जातकों के लिए ये हानिकारक साबित हो सका है. इस लेख में हम आपको ऐसी राशि के लोगों के बारे में बताएंगे, जिन्हें शरीर में काला धाग नहीं बांधना चाहिए.
वृश्चिक राशि के लोग
इस राशि का स्वामी मंगल ग्रह को माना जाता है और कहते हैं कि काला रंग पहनने से मंगल देव नाराज हो सकते हैं. ऐसे में इस राशि के जातकों को भूल से भी काला धागा हाथ या पैर में नहीं डालना चाहिए. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक ऐसी भूल करने वाले लोगों को तरक्की में बाधाएं आ सकती हैं, साथ ही इन्हें शारीरिक समस्याएं भी हो सकती है.
मेष राशि
इस राशि के जातकों को भी काला रंग की चीजों का कल ही उपयोग करना चाहिए. इसका स्वामी भी मंगल ग्रह ही माना जाता है, इसलिए मेष राशि के जातकों को हाथ या पैर में किसी भी प्रकार की काली चीज या काला धागा नहीं डालना चाहिए. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक अगर ये भूल हो जाए, तो इसमें सुधार के लिए मंगल देवता को प्रसन्न करने का प्रयास करना चाहिए.
शनि ग्रह होता है मजबूत
काला धागा बांधने के लाभ भी हैं. कहते हैं कि जो जातक सही नियमों के तहत काले धागे को पहनता है, उसकी कुंडली में शनि ग्रह की स्थिति मजबूत हो सकती है. शनि की साढ़े साती और ढैय्या से बचने में काले धागे का अहम रोल रहता है. - हिंदू धर्म में गुरुड़ पुराण में जीवन के बहुत से पहलूओं के बारे में बताया गया है. 18 पुराणों में से एक गुरुड़ पुराण है, जिसमें मरने के बाद आत्मा के सफर की बातों को तो बताया ही गया है. लेकिन साथ ही व्यक्ति को जीवन को बेहतर कैसे बनाया जा सकता है इस बारे में भी व्याख्या की गई है. गरुड़ पुराण में कुछ ऐसी बातों और कामों के बारे में बताया गया है, जो जीवन में अमल करने पर व्यक्ति का जीवन सुखमय व्यतीत होता है. साथ ही, पुण्य की प्राप्ति होती है. आज हम ऐसी ही कुछ चीजों के बारे में जानेंगे, जिनका जिक्र गुरुड़ पुराण में किया गया है. और जीवन में इन्हें एक बार देख लेने मात्र से ही व्यक्ति का जीवन संवर जाता है.- गुरुड़ पुराण में गाय के दूध के बारे में विशेष रूप से जिक्र किया गया है. कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति गाय का दूध देख लेता है, तो उसे अनेकों पूजा-पाठ के सामान पुण्य की प्राप्ति होती है. बता दें कि हिंदू धर्म को पूजनीय स्थान प्राप्त है.- गरुड़ पुराण में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि जो व्यक्ति गाय को अपने पैरों से जमीन खुरचते हुए देख लेता है, उसे पुण्य की प्राप्ति होती है.- प्राचीन समय में लोग अपने घरों में ही गौशाला बनवा कर रहते थे. गायों की सेवा करते थे. लेकिन आज कल गौशाला का दिखाना भी कम हो गया है. ऐसे में गुरुड़ पुराण में बताया गया है कि गाय की गौशाला को देखने मात्र से ही शुभ फल की प्राप्ति होती है. और गाय की सेवा से पुण्य की प्राप्ति होती है.- मान्यता है कि गाय के पैरों के दर्शन करना तीर्थ करने के सामन है. इसलिए गाय के पैर छूने की मान्यता है. ऐसा बताया गया है कि गाय के खुरों को देख लेने मात्र से ही पुण्य की प्राप्ति होती है.- सनातन धर्म में शुद्धि के लिए गोमूत्र का इस्तेमाल किया जाता है. आयुर्वेद में भी गोमूत्र का इस्तेमाल कई औषधीयों के लिए किया जाता है. गुरुड़ पुराण के मुताबिक गोमूत्र बहुत ही शुभ होता है. इसे सिर्फ देख लेने से ही पुण्य की प्राप्ति होती है.- गाय के गोबर का इस्तेमाल घरों को लीपने के लिए किया जाता था. और उपलों का इस्तेमाल पूजा पाठ और हवन आदि में किया जाता है. गुरुड़ पुराण में वर्णित है कि अगर गाय घर के सामने गोबर कर दे तो ये शुभ संकेत होते हैं.- अगर कोई व्यक्ति खेतों में लहराती फसल को देखता है तो उसे भी पुण्य की प्राप्ति होती है. साथ ही, इससे दिमाग स्थिर और मन को सुकून मिलता है.-
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अक्षय तृतीया के दिन को कोई भी नई शुरुआत करने के लिए साल का सबसे शुभ दिन माना जाता है । इस बार अक्षय तृतीया 3 मई को है। अक्षय तृतीया एक हिंदू और जैन वसंत त्यौहार है।
अक्षय तृतीया को जप, दान या पुण्य जैसे कई अच्छे कामों के लिए भाग्यशाली माना जाता है। अक्षय शब्द का मतलब होता है कभी कम नहीं होन। इसका सीधा मतलब ये है कि इस दिन किए जाने वाले कामों का फायदा कभी कम नहीं होगा। इसलिए इस दिन लोग शादी , नई इंवेस्टमेंट या व्यापार भी शुरू करते हैं। बहुत से लोग इस दिन गोल्ड इंवेस्टमेंट भी करते हैं।
क्या है अक्षय तृतीया का इतिहास?
ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने पांडवों को अक्षय पात्र दिया था। इस पात्र ने उनके निर्वासन के दौरान अंतहीन भोजन की आपूर्ति सुनिश्चित की थी.। लोगों ने इस दिन को संपत्ति के बढ़ते रहने की उम्मीद के साथ शुभ मानना शुरू कर दिया। ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन कुबेर को धन का मालिक बनाया गया था।
त्यौहार के लिए पूजा करने की विधि
नए कपड़े पहनकर अक्षय तृतीया की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान गणेश, माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु को ज्यादा महत्व दिया जाता है.। भगवान को पीले रंग के कपड़े पहनाकर उनकी पूजा की जाती है। दूध , चावल समेत चने दाल का प्रसाद पूजा में देवी-देवताओं को चढ़ाने के बाद परिवार में बांटा जाता है।
पूजा का मुहूर्त
अक्षय तृतीया की पूजा का मुहूर्त 3 मई 2022 की सुबह 5:39 बजे से लेकर दोपहर के 12:18 बजे के बीच है। इसके अलावा सोना खरीदने के लिए 3 मई को सुबह 5:18 बजे से लेकर अगले दिन यानी 4 मई को सुबह 5:38 बजे के बीच का समय सबसे अच्छा रहेगा। -
हिन्दू धार्मिक कथाओं को पढ़ते कई बार असुर, दैत्य, दानव, राक्षस, पिशाच और बेताल का वर्णन आता है। आम तौर पर हम इन सभी को एक ही मान लेते हैं और इसका उपयोग एक पर्यायवाची शब्द के रूप में करते हैं, किन्तु ये सभी अलग-अलग हैं। आइये इन सभी के बीच के अंतर को जानते हैं।
इनमें से एक "असुर" तो एक प्रतीकात्मक शब्द है। "जो सुर नहीं है वो असुर है।" अर्थात - जो कोई भी देवता नहीं है वो सभी असुर कहलाते हैं। किंतु इस वाक्य में देवता का अर्थ बहुत व्यापक है। मूल रूप से देवता केवल 12 हैं जिन्हें हम आदित्य कहते हैं। महर्षि कश्यप और दक्षपुत्री अदिति के गर्भ से उत्पन्न 12 पुत्र ही आदित्य अथवा देवता कहलाते हैं। किन्तु यहाँ देवता का अर्थ सभी 33 कोटि देवता, उप-देवता, यक्ष, गन्धर्व इत्यादि है। ये सभी सम्मलित रूप से "सुर" कहलाते हैं। तो इस प्रकार दैत्य, दानव, राक्षस, पिशाच, बेताल इत्यादि को भी हम असुर कह सकते हैं। महर्षि कश्यप ने ब्रह्मापुत्र प्रजापति दक्ष की 17 कन्याओं से विवाह किया जिससे समस्त जातियां उत्पन्न हुईं। ये सभी भी उन्हीं में से एक हैं।
दैत्य: महर्षि कश्यप और दक्ष की पुत्री दिति के पुत्र दैत्य कहलाये। इस प्रकार ये देवताओं (आदित्यों) के छोटे भाई हुए। कश्यप और दिति के दो पुत्र - हिरण्यकश्यप एवं हिरण्याक्ष हुए जहां से दैत्य जाति का आरम्भ हुआ। इन्हीं के गुरु भृगु पुत्र शुक्राचार्य थे। इन दोनों की होलिका नामक एक पुत्री भी हुई। हिरण्याक्ष का वध भगवान वाराह ने किया। हिरण्याक्ष का पुत्र ही कालनेमि था जिसने द्वापर तक श्रीहरि के सभी अवतारों से प्रतिशोध लिया और बार-बार उनके हाथों मारा गया। बड़े भाई हिरण्यकशिपु के सबसे छोटे पुत्र प्रह्लाद थे जो महान विष्णु भक्त हुए। उन्हीं को मारने के प्रयास में होलिका मारी गयी। होलिका का पुत्र स्वर्भानु था जिसे हम राहु-केतु के नाम से जानते हैं। अंत में अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा हेतु नारायण ने नृसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध कर दिया। प्रह्लाद के पुत्र विरोचन हुए और विरोचन के पुत्र दैत्यराज बलि हुए। इन्हीं बलि को श्रीहरि ने वामन रूप लेकर पराभूत किया और पाताल का राज्य दे दिया। इन बलि के पुत्र महापराक्रमी बाण हुए जो महान शिवभक्त हुए। कालांतर में इन्हें श्रीकृष्ण ने परास्त किया और इनकी पुत्री उषा श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध से ब्याही गयी। बलि की पुत्री वज्रज्वला रावण के भाई कुम्भकर्ण से ब्याही गयी। इनके कुल का भी अनंत विस्तर हुआ।
दानव: ये दैत्यों और आदित्यों के छोटे भाई थे जिनकी उत्पत्ति महर्षि कश्यप और दक्षपुत्री दनु से हुई। दानवों के 114 कुल चले जिनमें से 64 मुख्य माने जाते हैं। ये आकार में बहुत बड़े होते थे और बहुत बर्बर माने जाते थे। ये दैत्य और राक्षसों की भांति उतने सुसंस्कृत नहीं होते थे। पहली पीढ़ी के दानवों में विप्रचित्ति प्रमुख है जो होलिका का पति था। मय दानव को तो सभी जानते हैं जो असुरों के शिल्पी थे। इन्हीं की पुत्री मंदोदरी रावण की पत्नी थी। इसके अतिरिक्त कालिकेय दानवों का वंश भी बहुत प्रसिद्ध था। कालिकेय कुल में जन्मा विद्युतजिव्ह ही रावण की बहन शूर्पणखा का पति था। बाद में रावण ने युद्ध में उसका वध कर दिया और शूर्पणखा को दंडकवन का राज्य प्रदान किया। दानवों में वृषपर्वा का नाम भी बहुत प्रसिद्ध है जो ययाति की दूसरी पत्नी शर्मिष्ठा के पिता थे।
राक्षस: ये सभी असुरों में सबसे सुसंस्कृत और विद्वान माने जाते हैं। इनकी उत्पत्ति की दो कथा प्रसिद्ध है। एक कथा के अनुसार महर्षि कश्यप और दक्षपुत्री सुरसा के पुत्र ही राक्षस कहलाये। हालांकि राक्षसों की उत्पत्ति की दूसरी कथा ही अधिक मान्य है जिसके अनुसार ब्रह्मा जी के क्रोध से हेति और प्रहेति नामक दो असुरों का जन्म हुआ और वहीं से राक्षस वंश की शुरुआत हुई। प्रहेति तपस्वी बन गया और हेति ने यमराज की बहन भया से विवाह किया जिससे उसे विद्युत्केश नामक पुत्र प्राप्त हुआ। विद्युत्केश की पत्नी सलकंटका थी जिससे उसे सुकेश नामक पुत्र हुआ, जिसे उसने त्याग दिया। तब माता पार्वती ने उसे गोद ले लिया और वो शिव पुत्र कहलाया। सुकेश ने देववती से विवाह किया जिससे उसे तीन पुत्र प्राप्त हुए - माल्यवान, सुमाली एवं माली। सुमाली के 10 पुत्र और 4 पुत्रियां हुई जिनमें से एक कैकसी थी। कैकसी ने ब्रह्मा के पौत्र और महर्षि पुलस्त्य के पुत्र विश्रवा से विवाह किया जिससे रावण, कुम्भकर्ण और विभीषण पैदा हुए। रावण की दो पत्नियों - मंदोदरी और धन्यमालिनी से 7 पुत्र हुए जिनमें मेघनाद ज्येष्ठ था। कुम्भकर्ण के वज्रज्वला से कुम्भ एवं निकुम्भ नामक पुत्र हुए। उसने एक विवाह विराध राक्षस की विधवा कर्कटी से भी किया जिससे भीम नामक पुत्र हुआ। इसी पुत्र को मारकर भगवान शंकर भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हुए। विभीषण की पत्नी सरमा से एक पुत्री त्रिजटा हुई। कैकसी की एक पुत्री शूर्पणखा हुई जो विद्युतजिव्ह से ब्याही जिसका वध रावण ने कर दिया। दुर्भाग्य से विभीषण को छोड़ सभी राक्षसों का वध लंका युद्ध में हो गया।
पिशाच: इनका वर्णन हिन्दू ग्रंथों में थोड़ा कम मिलता है किन्तु कुछ ग्रंथों के अनुसार पिशाच महर्षि कश्यप और दक्षपुत्री क्रोधवर्षा के पुत्र माने जाते हैं। इनके अतिरिक्त सर्पों और अन्य विषैले जीव की उत्पत्ति भी क्रोधवर्षा से ही हुई। पुराणों में इन्हें मांसभक्षी बताया गया है जो रक्त का पान करते हैं। अन्य सभी असुर भी निशाचर होते थे किन्तु पिशाचों को पूर्ण रूप से निशाचर ही माना गया है। ये इच्छाधारी होते थे और किसी भी रूप को धारण कर सकते थे। पश्चिमी संस्कृति में "वैम्पायर" का जो वर्णन किया जाता है वो वास्तव में हमारे पिशाच का ही स्वरुप है।
बेताल: पिशाचों में जो सर्वाधिक शक्तिशाली होते थे उन्हें ही बेताल कहा जाता है। कई स्थानों पर इन्हे पिशाचों का स्वामी भी बताया गया है। शैव धर्म में इन्हे भगवान शंकर का गण और कई स्थानों पर उनका वाहन भी कहा गया है। कुछ स्थानों पर इन्हे माँ शांतादुर्गा का भाई भी माना गया है। ये काल भैरव के भक्त और सेवक के रूप में नियुक्त होते थे। बेतालों में ही एक शाखा "अग्नि बेताल" की मानी गयी है जो माता काली के भक्त थे। गोवा के अमोना गांव में बेताल स्वामी का विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। - अक्सर आपने बड़े-बुजुर्गों से सुना होगा कि कभी दूसरों की चीजों को मांगकर इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। वास्तु शास्त्र में भी ऐसा करने की मनाही है। वास्तु के अनुसार, कुछ चीजें दूसरों से मांगकर इस्तेमाल करने से हमारे अंदर नकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। कहते हैं कि इन छोटी-छोटी चीजों से बड़ा नुकसान हो सकता है। जानिए वास्तु शास्त्र के अनुसार, दूसरों की किन चीजों को मांगकर नहीं करना चाहिए इस्तेमाल-रुमालवास्तु शास्त्र के अनुसार, किसी दूसरे इंसान का रुमाल पास रखने से रिश्तों में दूरियां आ सकती हैं। इसे वाद-विवाद से भी जोड़कर देखा जाता है। इसलिए कभी भी किसी दूसरे व्यक्ति का रुमाल अपने पास नहीं रखना चाहिए।घड़ीवास्तु शास्त्र में घड़ी को सकारात्मकता और नकारात्मकता दोनों से जोड़कर देखा जाता है। कलाई पर किसी दूसरे व्यक्ति की घड़ी को पहनना अशुभ माना जाता है। कहते हैं कि ऐसा करने से व्यक्ति का खराब समय शुरू हो सकता है।अंगूठीवास्तु में किसी व्यक्ति की अंगूठी मांगकर पहनना अशुभ माना जाता है। कहते हैं कि ऐसा करने व्यक्ति के सेहत, जीवन व आर्थिक स्थिति पर प्रभाव पड़ता है।पेनवास्तु शास्त्र के अनुसार, कभी भी किसी व्यक्ति को किसी दूसरे का पेन अपने पास नहीं रखना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से करियर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे धन हानि भी हो सकती है।कपड़े- वास्तु के अनुसार, कभी भी किसी इंसान को दूसरे के कपड़े नहीं पहनने चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से हमारे अंदर नकारात्मकता का प्रवेश होता है और जीवन में मुश्किलें आती हैं।
- सूर्य ग्रहण का वैज्ञानिक महत्व होने के साथ ही बहुत अधिक ज्योतिष और धार्मिक महत्व भी होता है। सूर्य ग्रहण का सभी राशियों पर शुभ- अशुभ प्रभाव पड़ता है। 30 अप्रैल को सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, 30 अप्रैल 2022 को सूर्य ग्रहण वृषभ राशि में लगेगा। साल का पहला सूर्य ग्रहण आंशिक होगा। आइए जानते हैं साल का पहला सूर्य ग्रहण सभी राशियों के लिए कैसा रहेगा।मेष राशि- आत्मविश्वास भरपूर रहेगा। क्षणे रुष्टा-क्षणे तुष्टा की मनःस्थिति हो सकती है। पारिवारिक जीवन सुखमय रहेगा। मित्रों का सहयोग मिलेगा। मन अशान्त रहेगा, परन्तु वाणी में सौम्यता रहेगी। परिवार में धार्मिक कार्यक्रम हो सकते हैं। कारोबार में किसी मित्र का सहयोग मिलेगा।वृष राशि- किसी अज्ञात भय से परेशान हो सकते हैं। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। अति उत्साही होने से बचें। धार्मिक कार्यों में व्यस्तता बढ़ सकती हैं। किसी धार्मिक भवन के निर्माण में सहयोग कर सकते हैं। आत्मसंयत रहें। क्रोध के अतिरेक से बचें। लेखनादि-बौद्धिक कार्यों में व्यस्तता बढ़ेगी। परिश्रम अधिक रहेगा।मिथुन राशि- मन में उतार-चढ़ाव रहेगा। धैर्यशीलता में कमी आ सकती है। नौकरी में विदेश यात्रा के योग बन रहे हैं। यात्रा लाभप्रद रहेगी। क्षणे रुष्टा-क्षणे तुष्टा की मनःस्थिति रहेगी। माता-पिता को स्वास्थ्य विकार हो सकते हैं। जीवनसाथी का साथ मिलेगा। उच्चाधिकारियों से मतभेद हो सकते हैं।कर्क राशि- आत्मविश्वास में कमी आएगी। शैक्षिक कार्यों के सुखद परिणाम मिलेंगे। माता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। वाहन के रख-रखाव पर खर्च बढ़ सकते हैं। मानसिक शांति तो रहेगी, लेकिन बातचीत में संयत रहें। वाणी में कठोरता का प्रभाव हो सकता है। भाइयों से धन प्राप्ति के योग बन रहे हैं।सिंह राशि- मानसिक शान्ति रहेगी, परन्तु आत्मविश्वास में कमी भी आ सकती है। नौकरी में तरक्की के मार्ग प्रशस्त हो सकते हैं। परिवार का साथ मिलेगा। सन्तान को कष्ट होगा। माता के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित रहेंगे। कारोबार में धनलाभ के योग हैं। सुखद समाचार की प्राप्ति होगी।कन्या राशि- मन परेशान रहेगा। बातचीत में सन्तुलित रहें। व्यर्थ के वाद-विवाद से बचें। परिवार का साथ मिलेगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। किसी मित्र का आगमन हो सकता है। धर्म-कर्म में रुचि बढ़ेगी। जीवनसाथी का सहयोग मिलेगा। लंबी यात्रा के योग बन रहे हैं। यात्रा सुखद रहेगी।तुला राशि- क्षणे रुष्टा-क्षणे तुष्टा के भाव भी मन में हो सकते हैं। नौकरी में स्थान परिवर्तन के योग बन रहे हैं। आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। वाहन सुख में वृद्धि होगी। अनियोजित खर्च बढ़ेंगे। स्वास्थ्य को लेकर कुछ परेशानी हो सकती हैं। मित्रों के सहयोग से कारोबार में तरक्की के मार्ग बनेंगे।वृश्चिक राशि- मन परेशान रहेगा। आत्मविश्वास में कमी रहेगी। नौकरी में इच्छा-विरुद्ध कोई अतिरिक्त जिम्मेदारी मिल सकती है। धार्मिक एवं शैक्षिक कार्यों में व्यवधान आ सकते हैं। भवन के निर्माण में व्यवधान आ सकते हैं। लंबे समय से रुका हुआ काम पूरा होगा। शिक्षा के क्षेत्र में सफलता मिलेगी।धनु राशि- कला या संगीत में रुचि बढ़ सकती है। नौकरी में स्थान परिवर्तन की सम्भावना बन रही है। परिवार से अलग रहना भी पड़ सकता है। आत्मविश्वास से लबरेज रहेंगे, परन्तु मन में आशंका भी रहेगी। नौकरी में कार्यक्षेत्र में कठिनाइयों सामना करना पड़ सकता है। स्वास्थ्य का ध्यान रखें।मकर राशि- मन परेशान हो सकता है। शैक्षिक कार्यों में व्यवधान आ सकते हैं। पिता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। कारोबार में सुधार होगा। आत्मविश्वास से परिपूर्ण रहेंगे। नौकरी में अफसरों का सहयोग तो मिलेगा, लेकिन स्थानांतरण की भी संभावना है। मित्रों से भेंट होगी। प्रापर्टी में निवेश कर सकते हैं।कुंभ राशि- आशा-निराशा के भाव मन में रहेंगे। आय में कमी एवं खर्च अधिक की स्थिति हो सकती है। परिवार का साथ मिलेगा। मानसिक शान्ति रहेगी। पारिवारिक जीवन सुखमय रहेगा। नौकरी में तरक्की के अवसर मिल सकते है। आय में वृद्धि होगी। तरक्की के योग बन रहे हैं।मीन राशि- मन परेशान रहेगा। आत्मविश्वास में कमी भी रहेगी। परिवार के साथ किसी धार्मिक स्थान की यात्रा पर जा सकते हैं। आत्मसंयत रहें। अपनी भावनाओं को वश में रखें। नौकरी के लिए प्रतियोगी परीक्षा एवं साक्षात्कार आदि कार्यों में सफलता मिलेगी। लंबी यात्रा के योग बन रहे हैं।
- वास्तु शास्त्र में कुछ विशेष पेड़-पौधों का जिक्र मिलता है, जिन्हें घर में लगाने से बरकत होती है। आज हम आपको ऐसे ही एक पौधे के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे लगाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा और लक्ष्मी का वास रहेगा। इस पौधे का नाम मोरपंखी है। यूं तो लोग घर की शोभा बढ़ाने के लिए इस पौधे को लगाते हैं, लेकिन कम लोग ही जानते हैं कि इस पौधे को लगाने से जीवन में खुशियां बनी रहती हैं। साथ ही कभी भी पैसों की तंगी नहीं आती है। आइए जानते हैं इस पौधे के बारे में खास बातें...कई जगहों पर इसे विद्या का पौधा भी कहा जाता है। यही वजह कि बचपन में अक्सर लोग अपनी किताब में भी इसे रखते थे, ताकि पढ़ाई में मन लगा रहे। मान्यता है कि मोर पंखी का पौधा घर में लगाने से घर के सदस्यों की बुद्धि तेज होती है।मोरपंखी का पौधा लगाने का सही तरीकावास्तु के अनुसार जब भी आप अपने घर में मोरपंखी का पौधा लगाएं, तो इसे अकेले न लगाकर हमेशा जोड़े में लगाएं। इससे पति-पत्नी का रिश्ता सही रहता है। हमेशा दोनों लोगों में प्यार बना रहता है। साथ ही घर के अंदर कभी भी नकारात्मक ऊर्जा नहीं आती है। कई बार मोरपंखी का पौधा सूखने लगता है। ऐसा शुभ नहीं होता है। इसलिए जब पौधे सूखने लगें तो उसे हटाकर तुरंत दूसरा मोरपंखी पौधा लगाएं। इस पौधे में नियमित रूप से जल देते रहें।घर की इस दिशा में लगाएं मोरपंखी का पौधायदि परिवार में आपसी कलह की वजह से अशांति बनी रहती है, तो मोरपंखी का पौधा लगाने से छोटी-छोटी बातों पर होने वाले तनाव खत्म हो जाते हैं। ध्यान रखें जहां भी ये पौधा लगाएं वहां पर हल्की-हल्की धूप आती हो। इससे पौधे का विकास होता रहेगा। मोरपंखी के पौधे को भूलकर भी दक्षिण दिशा में ना रखें। इसे हमेशा पूर्व दिशा में लगाएं। इससे आपको घर में अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे। साथ ही परिवार में हमेशा खुशी बनी रहेगी। वास्तु शास्त्र के मुताबिक मोर पंखी का पौधा लगाने से घर में बरकत आती है। सकारात्मकता के साथ ही घर में धन की कमी नहीं होती। आय के रास्ते खुलते हैं। यानी इस पौधे की बदौलत घर में सुख समृद्धि का आगमन होता है।
- पूजा-पाठ के दौरान कपूर का प्रयोग खास महत्व रखता है. सनातन धर्म में कपूर को पवित्र माना गया है. कपूर का इस्तेमाल आरती और हवन में किया जाता है. वैदिक ज्योतिष में कपूर के कई उपायों के बारे में भी बताया गया है. इन उपायों को करने से व्यक्ति को ग्रह दोष, वास्तु दोष और कालसर्प योग जैसे कई दोषों से मुक्ति तो मिलती ही है. साथ ही, इसके कई लाभ भी हैं. आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में.कपूर ये उपाय हैं बेहद चमत्कारी1. ज्योतिषीयों का मानना है कि घर में सुबह-शाम कपूर जलाने से घर का वातावरण शुद्ध रहता है. घर में उपस्थित नकारात्मक शक्तियों को दूर करने में भी कपूर सहायक है. इससे सकारात्मकता का संचार होता है और घर परिवार में सुख-शांति आती है.2. घर के किसी भी कोने या फिर किसी जगह पर वास्तु दोष होने पर उसे दोष मुक्त करने के लिए भी कपूर का इस्तेमाल किया जाता है. एक कटोरी में कुछ कपूर के टुकड़े रखने के बाद उसे दोष वाले स्थान पर रख दें. कुछ दिन में कपूर के टुकड़े खत्म होने पर उसमें नए कपूर के टुकड़े रख दें. ऐसा करने से धीरे-धीरे वास्तु दोष खत्म हो जाते हैं.3. कई बार व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष या फिर कालसर्प दोष होने पर उसकी उन्नति रुक जाती है. बता दें कि व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष राहु और केतु ग्रह के कारण होता है. इन दोषों से मुक्ति पाने के लिए दिन में तीन बार सुबह, शाम और रात के समय कपूर जलाएं.4. शनि दोष दूर करने के लिए शनिवार के दिन नहाने के पानी में कपूर और चमेली के तेल की कुछ बूंदे डालकर स्नान करें. ऐसा करने से शनि दोष दूर होगा. साथ ही, राहु-केतु भी परेशान नहीं करेंगे.5. पति-पत्नी के बीच संबंधों में मिठास न होने पर या फिर अनबन रहने पर शयनकक्ष में कपूर रखने की सलाह दी जाती है. इससे पति-पत्नी के बीच रिश्ते मधुर होने लगते हैं.6. सोते समय अगर बुरे सपने आते हैं या फिर डर जाते हैं, तो शयनकक्ष में कपूर जलाएं. ऐसा करने से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं.
- भारतीय रसोई में ऐसी कई चीजें होती हैं, जिनका उपयोग तंत्र-मंत्र व ज्योतिष उपायों में किया जाता है। ऐसी ही एक चीज है छोटी इलाइची। छोटी इलायची अपनी खुशबू के लिए जानी जाती है। लेकिन क्या कभी आपने ये सोचा है कि चाय और खाने में स्वाद बढ़ाने वाली छोटी सी इलायची आपकी सोई हुई किस्मत को भी जगा सकती है? इलायची के कुछ टोटके आपके जीवन में बड़ा बदलाव ला सकते हैं।धन प्राप्ति के लिए के लिए उपायअगर आप आर्थिक संकट से परेशान हैं। पैसे आते तो हैं, लेकिन पास में टिकते नहीं तो अपने पर्स में या जहां भी आप पैसे रखते हैं वहां पर 5 हरी इलायची रखें। ऐसा करने पर आय में वृद्धि होती है और पैसे कम खर्च होते हैं।दरिद्रता दूर करने के लिए उपायदरिद्रता दूर करने के लिए के लिए किसी दरिद्र असहाय या किन्नर को एक सिक्का दान करें, साथ ही उसे हरी इलायची खिलाएं। माना जाता है कि ऐसा नियमित तौर पर करने से घर से दरिद्रता दूर होती है।नौकरी में प्रमोशन के लिए करें उपायनौकरी में प्रमोशन चाहते हैं तो एक हरे कपड़े में इलायची को बांधकर रात में तकिए के नीचे रख दीजिए। फिर सुबह उठ कर किसी भी व्यक्ति को दे दीजिए। इससे आपको प्रमोशन मिल सकता है।शुक्र को मजबूत करने के लिए उपाययदि आपका शुक्र कमजोर है, तो एक लोटा जल में दो इलायची डालकर आधा जल होने तक उबालें। अब इसे पानी में मिलाकर स्नान करें। स्नान करते समय ओम जयंती मंगला काली भद्रकाली का जाप करें, इस उपाय को कर शुक्र को मजबूत कर सकते हैं।शीघ्र विवाह के लिएयदि आप विवाह योग्य हैं और विवाह में देरी हो रही है, तो किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार को दो हरी इलाइची के साथ पांच प्रकार की मिठाई गुरु मंदिर में चढ़ाएं। इससे जल्दी ही अच्छे रिश्ते आने लगेंगे।परीक्षा में सफलता के लिएपरीक्षा में सफलता पाने के लिए शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार को सूर्यास्त से ठीक आधा घंटा पहले बड़ के पत्ते पर पांच अलग-अलग प्रकार की मिठाइयां और दो छोटी इलायची पीपल के वृक्ष के नीचे श्रद्धा भाव से रख आएं। साथ ही परीक्षा में सफल होने के लिए प्रार्थना करें। लगातार 3 गुरुवार तक ये उपाय करने से आपको जरूर सफलता मिलेगी।--