- Home
- सेहत
-
बारिश का मौसम भीषण गर्मी से राहत पहुंचाने का काम करता है. इस मौसम में बीमारी बहुत ही तेजी से फैलती है. बारिश का मौसम स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को भी साथ लेकर आता है. इस मौसम में थोड़ी सी लापरवाही आपको बीमार कर सकती है. मौसमी फ्लू और बुखार के अलावा मानसून के मौसम में पानी से होने वाली बीमारियां काफी आम हैं. ऐसे में सावधानी बरतने की जरूरत पड़ती है. मॉनसून में खानपान को लेकर भी ध्यान रखना चाहिए. ये भी बीमारी का कारण बन सकता है. इस मौसम में खानपान का किस तरह ध्यान रखें आइए जानें.
सी फूड के सेवन से बचें
बहुत से लोगों को सी फूड खाना बहुत पसंद होता है. इस मौसम में सी फूड के सेवन से बचें. बरसात के मौसम में पानी के दूषित होने का खतरा होता है. इस कारण फिश या अन्य सी फूड आसानी से संक्रमित हो जाते हैं. इसलिए बारिश के मौसम में सी फूड खाने से बचना चाहिए.
कच्चा खाना खाने से बचें
इस मौसम में कच्चा खाने से बचना चाहिए. कच्चा खाना हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस से संक्रमित हो सकता है. इस कारण आप बीमार पड़ सकते हैं. इसके अलावा इस मौसम में मेटाबॉलिज्म बहुत धीरे काम करता है. ऐसे में खाना पचने में काफी समय लगता है. ऐसे में कच्चा खाना खाने के कारण परेशानी हो सकती है.
स्ट्रीट फूड से बचें
स्ट्रीट फूड भला किसे नहीं पसंद होता है. लेकिन बारिश के मौसम स्ट्रीट फूड के सेवन से बचाना चाहिए. स्ट्रीट फूड को बनाते समय हाइजिन का ज्यादा ध्यान नहीं रखा जाता है. ये बीमार होने का कारण बन सकता है. इसलिए बारिश के मौसम में आपको स्ट्रीट फूड से दूर रहना चाहिए या बाहर का खाना कम खाना चाहिए.
कुछ भी खाने से पहले धो लें
वैसे तो साल का कोई भी मौसम हो कोई भी फूड धोकर ही खाना चाहिए, लेकिन बारिश के मौसम में इस चीज का खासतौर से ध्यान रखना चाहिए. बारिश के मौसम में बैक्टीरिया अक्सर सब्जियों और फलों, खासकर हरी पत्तेदार सब्जियों में काफी ज्यादा रहते हैं. ऐसे में खाने से पहले अपने फूड को ठीक से धोना बेहद जरूरी हो जाता है. फल और सब्जियां खरीदते समय सावधानी बरतें. अगर आपको इनमें से किसी पर कोई कट नजर आता है तो इसे खरीदने से बचें.
ठंडी और खट्टी चीजें खाने से बचें
इस मौसम में गले का इंफेक्शन बहुत ही तेजी से होता है. ऐसे में आइसक्रीम, जूस और खट्टी चीजों का सेवन करने से बचें. ये गले को खराब कर सकती हैं. - बॉलीवुड एक्ट्रेस सोनम कपूर इन दिनों अपनी प्रेग्नेंसी पीरियड को एन्जॉय कर रही हैं। प्रेग्नेंसी पीरियड्स में एक महिला को क्या कुछ करना चाहिए, किस तरह की डाइट लेनी चाहिए, कौन से फ्रूट्स का सेवन मां और गर्भ में पलने वाले शिशु के लिए बेहतर है सोनम कपूर ये सारी बातें अपने इंस्टाग्राम हैंडल से शेयर करती रहती हैं। सोनम कपूर ने हाल ही में एक स्टोरी को किया है, जिसमें उन्होंने बताया है कि प्रेग्नेंट महिलाओं को रोजाना एक गिलास अनार का जूस जरूर पीना चाहिए। सोनम कपूर ने अपनी स्टोरी में बताया है कि गर्भवती महिला के अनार का जूस पीने से बच्चे का दिमाग बूस्ट होता है। अपनी स्टोरी में सोनम कपूर ने डॉ. रोंडा पैट्रिक को टैग किया है।डॉ. रोंडा ने बायोमेडिकल साइंस में पीएचडी की है। वह सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं और अपने फॉलोवर्स के साथ हेल्दी डाइट की जानकारी शेयर करती रहती हैं। अपने इस पोस्ट में डॉ. रोंडा ने प्रेग्नेंसी में महिलाओं को कितना और कैसे अनार के जूस का सेवन करना चाहिए, ताकि गर्भ में पलने वाले बच्चे का सही दिमागी विकास हो सके। डॉ. रोंडा के अनुसार, प्रेग्नेंट महिलाएं रोजाना अगर 240 मिलीलीटर यानी की 8 औंस अनार का जूस पिएं तो इससे गर्भ में पलने वाले बच्चे का सही दिमागी विकास होता है। डॉ. रोंडा ने पब्लिक लाइब्रेरी ऑफ साइंस में छपी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि अनार के जूस में पॉलीफेनॉल्स पाए जाते हैं, जो दिमागी विकास के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि अनार के जूस के अलावा बेरी, नट्स में पॉलीफेनॉल्स पाए जाते हैं, जिनका सेवन एक गर्भवती महिला कर सकती है।इम्यून सिस्टम स्ट्रांग करता है अनार का जूसप्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं में बीमारियों की आशंका काफी बढ़ जाती है। अनार का जूस पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। अनार के जूस में पर्याप्त मात्रा में विटामिन, फॉलिक एसिड और खनिज तत्व पाए जाते हैं जो शरीर को अंदर से मजबूत बनाते हैं। अगर एक महिला प्रतिदिन अनार का जूस पीती है तो यह शरीर को रोगों से लडऩे में मददगार साबित हो सकता है।जर्नल ऑफ एग्रीकल्चर एंड फूड केमिस्ट्री में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार अनार के जूस में तीन गुना अधिक एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो शरीर को सूजन से बचाने में मदद करते हैं। प्रेगनेंसी के दौरान अक्सर महिलाओं के हाथ-पैर में सूजन देखने को मिलती है। ऐसे में वो अपनी डेली डाइट में अनार का जूस शामिल कर सकती हैं यह शरीर से विषाक्त पदार्थ को बाहर निकालकर सूजन को कम करने में मददगार साबित हो सकता है। डॉ. रोंडा पैट्रिक ने अपने पोस्ट में कहा है कि अनार में पॉलीफेनॉल्स तत्व पाए जाते हैं। पॉलीफेनॉल्स दिमाग की रक्षा करने के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसके अलावा यह गर्भ में पलने वाले बच्चे की याददाश्त, सीखने की क्षमता और जानने की ललक को भी बढ़ावा देने में मददगार होता है। पॉलीफेनॉल्स तत्व आईक्यू लेवल को भी बढ़ाते हैं।अनार का जूस प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले हाई ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करने में मददगार साबित हो सकता है। अगर प्रेग्नेंट महिला प्रतिदिन अनार के जूस का सेवन करती है तो यह गर्भ में पलने वाले शिशु को कई तरह के नुकसान से भी बचाने में सहायक साबित होता है।प्रेगनेंसी में अनार का जूस कब पिएं?गर्भवती महिला सुबह के नाश्ते या शाम को अनार के जूस का सेवन कर सकती है। हर इंसान की बॉडी अलग-अलग होती है, ऐसे में आपको अनार का जूस किस समय करना चाहिए इसके लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकती हैं। प्रेगनेंसी में अनार का जूस पीने के ढेरों फायदे हैं, लेकिन यह वक्त महिला के लिए काफी नाजुक होता है। प्रेगनेंसी में किसी भी तरह के खाद्य पदार्थ या जूस का सेवन करने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
- चाय हम में से ज्यादातर लोगों के पसंदीदा ड्रिंक्स में से एक है। बहुत से लोग अपने दिन की शुरुआत एक कप चाय के करना पसंद करते हैं। लेकिन अक्सर लोग इस बात को लेकर काफी असमंजस में रहते हैं कि क्या चाय में चीनी के बजाए शहद का प्रयोग करना हेल्दी विकल्प है? ऐसे बहुत से लोग हैं जो सोचते हैं कि अगर आप अपनी चाय में से चीनी निकाल दें तो चाय से सेहत को नुकसान नहीं पहुंचता है। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि अगर चाय में चीनी की बजाए चीने के हेल्दी विकल्प जैसे शहद और गुड़ का प्रयोग करें तो इसे चाय हेल्दी हो जाती है। लेकिन यह एक गलत धारणा है।अब सवाल यह उठता है कि चाय में चीनी के बजाए शहद का प्रयोग क्या वाकई हेल्दी होता है? एक्सपर्ट के अनुसार इसमें कोई संदेह नहीं है कि चीनी के बजाए शहद का प्रयोग सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद है। लेकिन ऐसा चाय के साथ नहीं है। यह सही है कि चीनी की तुलना मे शहद बेहतर विकल्प है। लेकिन चाय के लिए नहीं, यह अन्य हॉट ड्रिंक्स के लिए।विशेषज्ञों के अनुसार आयुर्वेद कहता है कि शहद को कभी भी गर्म नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन ऐसे बहुत से लोग हैं जो दिन में 3-4 कप चाय पीते हैं जिसमें वे चीनी के बजाए शहद का प्रयोग करते हैं सिर्फ यह सोचकर कि यह सेहत के लिए फायदेमंद है। बहुत से लोग शहद-नींबू-पुदीने की चाय का रोजाना सेवन करते हैं। लेकिन सही मायनों में यह सिर्फ सेहत को नुकसान पहुंचाएगा।आयुर्वेद के अनुसार जब शहद को गर्म किया जाता है या किसी गर्म ड्रिंक में मिलाया जाता है तो यह गर्म होने पर शरीर में सूजन ट्रिगर करता है। जिससे यह सेहत के लिए कई तरह से नुकसानदायक साबित हो सकता है। सरल शब्दों कहें तो जब शहद का रंग बदलता है, बनावट बदल जाती है, पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं तो यह गोंद जैसा पदार्थ बन जाता है जिसे अमा कहते हैं जो कि सूजन पैदा करने वाला होता है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी (एनसीबीआई) का भी यही मानना है कि जब शहद को पकाया या गर्म किया जाता है तो इससे शहद की गुणवत्ता खराब हो सकती है और इसके आवश्यक एंजाइम और पोषक तत्व खो सकते हैं। पाश्चराइज्ड शहद खराब होता है क्योंकि पाश्चुरीकरण के दौरान शहद को उच्च तापमान पर पकाया जाता है, जो नियमित शहद की तुलना में घावों को भरने और संक्रमण से लडऩे के लिए शहद के प्राकृतिक गुणों को नष्ट कर देता है। अगर आप भी उन लोगों में से हैं जो अपनी चाय में शहद का प्रयोग करते हैं, तो सावधान हो जाएं, क्योंकि यह आपकी सेहत के लिए बहुत नुकसानदायक हो सकता है। हालांकि आप चाय के बजाए आप अन्य हॉट ड्रिंक्स में अलग से शहद मिलाकर पी सकते हैं।
- कन्नड़ ऐक्ट्रेस स्वाति सतीश का रूट कैनाल सर्जरी के बाद चेहरा बिगड़ गया है। इस सर्जरी के बाद स्वाति की कुछ तस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें उनके चेहरे पर सूजन आसानी से देखा जी सकती है। तस्वीरों में स्वाति को पहचानना मुश्किल हो गया है। मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक रूट कैनाल सर्जरी के बाद स्वाति सतीश को हल्का दर्द महसूस और चेहरे में सूजन आ गई। स्वाति की इस हालात के बाद यह जानना बहुत जरूरी है कि रूट कैनाल सर्जरी क्या है और इसको करवाते वक्त आपको क्या सावधानियां बरतने की जरूरत होती है।रूट कैनाल सर्जरी क्या है?दिल्ली स्थित संतोष डेंटल कॉलेज में प्रैक्टिस कर रहीं डॉ युक्ता श्रीवास्तव का कहना है कि रूट कैनाल ट्रीटमेंट एक डेंटल ट्रीटमेंट है। सडऩ, कीड़े लगने की स्थिति में दांतों को बचाने के लिए डेंटिस्ट इस सर्जरी का सहारा लेते हैं। रूट कैनाल सर्जरी के दौरान डेंटिस्ट जबड़े की नसे और संक्रमित हुए गूदे को जड़ से हटा देते हैं। इसके बाद दांतों को क्लीन किया जाता है और उस हिस्से पर दूसरा दांत लगाया जाता है या फिर उस हिस्से पर सील कर दिया जाता है।डॉ युक्ता श्रीवास्तव के मुताबिक रूट कैनाल सर्जरी उस स्थिति में की जाती है जब सडऩ या कैविटी दांतों की जड़ तक पहुंच गई हो। कुछ स्थितियों में रूट कैनाल सर्जरी में थोड़ा दर्द होता है और यह एक या दो दिनों तक बना रहता है। इससे दांतों को कैविटी से काफी हद तक बचाया जा सकता है।रूट कैनाल करवाते वक्त सावधानियां- रूट कैनाल सर्जरी करवाते वक्त अक्सर लोगों को दर्द सहन पड़ता है। मरीज इस दर्द को महसूस न कर पाए इसके लिए डेंस्टिस्ट उन्हें एनेस्थीसिया देते हैं। एक आंकड़े के मुताबिक 10 में से 9 मरीजों में रूट कैनाल सर्जरी के बाद दांतों की सडऩ 10 साल तक रोकी जा सकती है।- रूट कैनाल करवाते वक्त ध्यान दें कि डेंटिस्ट आपको दर्द महसूस न करवाने के लिए एनेस्थीसिया के बजाय सेलिसिलिक एसिड न दे दें।- रूट कैनाल सर्जरी के बाद दांतों की देखभाल और भी ज्यादा जरूरी हो जाती है। आम तौर पर एक या दो सीटिंग में डेंटिस्ट रूट कैनाल सर्जरी का इलाज कर देते हैं।- रूट कैनाल सर्जरी के बाद खाने में ऐसी चीजों का इस्तेमाल बिल्कुल न करें जो चबाने में मुश्किल हो।- चाय, कॉफी जैसी गर्म चीजों का सेवन करने की बजाय, जूस, शिकंजी जैसे ठंडे पदार्थों को लें।- मुंह की स्वच्छता को बनाए रखने के लिए दिन में दो बार ब्रश करें।- अगर धूम्रपान या शराब का सेवन करते हैं तो इसे बंद कर दें।- अपने आहार में मीठा और तला हुआ बिल्कुल न खाएं।- मुंह तो धोने के लिए सॉफ्ट ब्रिसल वाले टूथब्रश का इस्तेमाल करें।रूट कैनाल सर्जरी को करवाने के बाद ध्यान दें कि जब आपको डेंटिस्ट बुलाए तो उसके पास जाएं और दांतों से जुड़े सभी मेडिकल ट्रीटमेंट लें। रूट कैनाल सर्जरी के बाद आपको चेहरे में सूजन, दांतों में दर्द जैसी परेशानी होती है तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
- अपनी विशालता के लिए जाना जाने वाला बरगद का पेड़ कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है। शरीर की कई बीमारियों को दूर करने के लिए इसकी पत्तियों से लेकर छाल तक का इस्तेमाल किया जाता है। आइए जानते हैं बरगद की छाल से बने काढ़े के क्या फायदे हैं?बरगद के पेड़ का लगभग हर हिस्सा औषधीय गुणों से भरपूर होता है। आयुर्वेद में इसकी पत्तियां, दूध, छाल, जड़ इत्यादि का इस्तेमाल होता है। इसके इस्तेमाल से आप शरीर की कई परेशानियों को दूर कर सकते हैं।1. घाव को सुखाने में असरदारघाव को सुखाने के लिए आप बरगद की छाल का काढ़ा इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए काढ़ा पीने की जरूरत नहीं होती है। बल्कि आप इससे तैयार काढ़े से अपने घाव को धोएं। इससे घाव जल्द से जल्द ठीक हो सकता है। साथ ही अगर घाव ज्यादा पुराना है, तो इस परेशानी से भी निजात दिलाने में बरगद की छाल का काढ़ा लाभकारी हो सकता है।2. खांसी-जुकाम से राहतबरगद की छाल का काढ़ा खांसी-जुकाम की परेशानी को दूर करने में असरदार होता है। इसके लिए बरगद की छाल का काढ़ा नियमित रूप से दिन में 2 बार पिएं। इससे जुकाम दूर होगा। साथ ही मानसिक दुर्बलता भी दूर होगी।3. अनिद्रा की परेशानी होगी दूरबरगद की छाल का काढ़ा पीने से अनिद्रा की शिकायत दूर हो सकती है। नियमित रूप से दिन में 2 बार इस काढ़े को पीने से आपको नींद अच्छी आती है। साथ ही मानसिक तनाव से छुटकारा मिल सकता है।4. झड़ते बालों के लिए असरदारबरगद की छाल का काढ़ा झड़ते बालों के लिए भी असरदार होता है। इसके लिए सप्ताह में दो बार इस काढ़े से अपने बालों को धोएं। आप चाहे, तो काढ़े में 2 से 3 बूंदें तिल के तेल को भी मिक्स कर सकते हैं। इससे आपको काफी लाभ मिलेगा। इसके अलावा नारियल तेल में बरगद की छाल को भिगोकर रख दें। इस तेल को नियमित रूप से लगाने से काफी लाभ मिलेगा।कैसे तैयार करें बरगद की छाल का काढ़ा?बरगद की छाल का काढ़ा तैयार करने के लिए 1 लीटर पानी लें। अब इस पानी को सामान्य आंच पर चढ़ाएं। इसके बाद इसमें 2 से 3 चम्मच बरगद की छाल का चूर्ण डालें। इस पानी को करीब 5 से 7 मिनट उबलने दें। इसके बाद इसे आंच से उतार लें। इस काढ़े को पीने के लिए आप अपने स्वाद के अनुसार शहद या चीनी मिक्स कर सकते हैं। सुबह-शाम चाय की तरह इस काढ़े को पीने से लाभ मिलेगा।प्रतिदिन कितनी मात्रा में पी सकते हैं काढ़ा?एक्सपर्ट के अनुसार, बरगद की छाल का काढ़ा किसी भी आयुर्वेद एक्सपर्ट की सलाह पर ही पिएं। वहीं, इस काढ़ा का सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। प्रतिदिन 50-100 मिलीग्राम बरगद की छाल का काढ़ा पी सकते हैं।नोट-बरगद की छाल का काढ़ा स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो सकता है। हालांकि, ध्यान रखें कि बिना एक्सपर्ट की सलाह के इस काढ़े का सेवन न करें। इससे आपके स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ सकता है।
-
प्रोटीन से भरपूर चीजें हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी होती हैं। प्रोटीन ना सिर्फ हमारी मांसपेशियों को बनाने में मदद करता है, बल्कि वेट लॉस के लिए भी अच्छा होता है। शाकाहारी लोगों के लिए प्रोटीन की कमी पूरी करने के लिए यह सबसे अच्छा विकल्प है। सोया से बने सोया चंक्स स्वादिष्ट होने के साथ-साथ प्रोटीन से भी भरपूर होते हैं। सोया चंक्स अपने हाई प्रोटीन कंटेंट की वजह से काफी लोकप्रिय हैं। 100 ग्राम सोयाबीन खाने से शरीर की दैनिक प्रोटीन की जरूरत लगभग 70% तक पूरी हो जाती है। इसके अलावा सोया चंक्स में विटामिन, मिनरल्स और ओमेगा 3 फैटी एसिड जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर के लिए अच्छे होते हैं।
आइए जान लेते हैं सोया चंक्स खाने के फायदे -
दिल की बीमारियों के लिए - सोया चंक्स फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं जो कि शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं। इसके अलावा इनमें मौजूद अनसैचुरेटेड फैट्स भी बैड कलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करते हैं। दिल की सेहत के लिए यह बहुत फायदेमंद हैं।
मजबूत हड्डियां - सोयाबीन में विटमिन, मिनरल के अलावा कैल्शियम, मैग्निशियम और कॉपर जैसे कई पोषक तत्व होते हैं जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।
वेट लॉस - सोया चंक्स हमारे शरीर में अतिरिक्त फैट को बढ़ने से रोकते हैं। दरअसल, सोया चंक्स में काफी मात्रा में फाइबर होता है जिससे पेट लंबे समय तक भरा हुआ महसूस होता है और बार-बार भूख नहीं लगती है। वेट लॉस जर्नी के लिए यह एक टेस्टी और हेल्दी ऑप्शन है।
एनीमिया रोगियों के लिए - शरीर में खून की कमी से बहुत जल्दी थकान महसूस होने लगती है जिसे एनीमिया कहा जाता है। सोया चंक्स इस समस्या से राहत दिलाने में भी मददगार हैं। इनमें भरपूर मात्रा में आयरन भी पाया जाता है जो शरीर में खून की कमी को पूरा करता है। -
सूखे मेवे यानी ड्राय फ्रूट्स हमारी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। यही वजह है कि हेल्थ एक्सपट्र्स भी ड्राय फ्रूट्स खाने की सलाह देते हैं। ड्राय फ्रूट्स कई तरह के होते हैं, ये पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। हम सभी बादाम, किशमिश, काजू, अखरोट, अंजीर आदि को अपनी डाइट में शामिल करते भी हैं। लेकिन कुछ ऐसे ड्राय फ्रूट्स हैं, जिन्हें एक साथ लेने के शरीर को अधिक लाभ मिल सकते हैं।
काजू ,बादाम, पिस्ता, अखरोट में पोषक तत्व-काजू में कैलोरी, हेल्दी फैट, पोटेशियम, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, प्रोटीन, आयरन, विटामिन बी6 और मैग्नीशियम पाया जाता है।-बादाम में फाइबर, प्रोटीन, विटामिन ई, मैग्नीशियम, मैंगनीज, तांबा और फास्फोरस पाया जाता है।-पिस्ता में कैलोरीज, पोटेशियम, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, प्रोटीन, विटामिन सी, कैल्शियम, आयरन, विटामिन बी6 और मैग्नीशियम अच्छी मात्रा में होता है।-अखरोट में हेल्दी फैट, पोटेशियम, कार्बोहाइड्रेट, डाइटरी फाइबर, प्रोटीन, विटामिन सी, कैल्शियम, आयरन, विटामिन बी6 और मैग्नीशियम होता है।काजू ,बादाम, पिस्ता, अखरोट खाने के फायदे1. ड्राय फ्रूट्स में पोटेशियम काफी अधिक मात्रा में पाया जाता है, इसलिए ये हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं।2. सूखे मेवे में फाइबर पाया जाता है, जो भोजन पचाने में आंतों की मदद करता है। मल को नरम बनाता है और मल त्याग को आसान बनाता है।3. काजू, पिस्ता और अखरोट में आयरन पाया जाता है। इनके सेवन से एनीमिया को दूर किया जा सकता है। इससे शरीर में हीमोग्लोबिन बढ़ता है।4. काजू पिस्ता अखरोट में कार्बोहाइड्रेट भी होता है। इन सभी को एक साथ खाने से शरीर में एनर्जी बनी रहती है।5. बादाम में विटामिन ई होता है। यह त्वचा, बालों और सेहत के लिए बहुत जरूरी विटामिन होता है।6. काजू बादाम पिस्ता अखरोट में प्रोटीन अधिक होता है। इसलिए इन्हें खाने से शरीर की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं। नई मांसपेशियों का निर्माण भी होता है।7. काजू पिस्ता अखरोट में विटामिन बी6 भी होता है। ये विटामिन हमारी सेहत के लिए बहुत जरूरी होता है। यह रक्तवाहिकाओं को स्वस्थ बनाता है, मूड को ठीक रखता है। साथ ही हड्डियों को भी मजबूत बनाता है।काजू ,बादाम, पिस्ता, अखरोट कितनी मात्रा में खाना चाहिए?ड्राय फ्रूट्स का सेवन हमेशा सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। आप 3-5 बादाम, 2-3 काजू, 1-2 पिस्ता और 1 अखरोट की गिरी का सेवन कर सकते हैं। रोजाना इतनी मात्रा में ड्राय फ्रूट्स खाने से आप हमेशा फिट और हेल्दी रहेंगे। शरीर बीमारियों से लडऩे में आपकी मदद करेगा।काजू ,बादाम, पिस्ता, अखरोट खाने का सही समयड्राय फ्रूट्स खाने का सबसे सही समय सुबह का होता है। आप सुबह खाली पेट काजू, बादाम, पिस्ता और अखरोट खा सकते हैं। इससे आपको पूरे दिन एनर्जी मिलेगी, कमजोरी और थकान भी दूर होगी। ड्राय फ्रूट्स को हमेशा भिगोकर खाने की सलाह दी जाती है। इसलिए आप रात को ड्राय फ्रूट्स को रातभर पानी में भिगोकर रख दें। सुबह उठकर इनके छिलके निकालकर खा लें। इससे ड्राय फ्रूट्स की गर्म तासीर, सामान्य हो जाती है। बादाम और अखरोट को जरूर भिगोकर ही खाना चाहिए। क्योंकि बादाम का छिलका इसके पोषक तत्वों को अवशोषित नहीं करने देता है, इसलिए छिलका निकालकर ही बादाम खाना चाहिए। - घर की रसोई में आमतौर पर उपयोग होने वाली मेथी तड़का लगाने के साथ ही कई रोगों के इलाज में भी बहुत उपयोगी है। इसमें कई ऐसे स्वास्थ्यवर्धक गुण पाए जाते हैं, जिससे इसका प्रयोग मसालों के साथ-साथ औषधि के रूप में भी किया जाता है। मेथी के दाने में खूब सारे विटामिन, मिनरल्स और न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं। मेथी और मेथी के तेल में गांठ को बनने से रोकने के गुण होते हैं। यह गठिया की बीमारी में भी लाभप्रद है। दरअसल गठिया (अर्थराइटिस) वात दोष के कारण होता है। मेथी में वात को संतुलित करने के गुण पाए जाते हैं। यह गठिया के दर्द को कम करने में मदद करता है।शासकीय आयुर्वेदिक कॉलेज, रायपुर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि मेथी के दानों में प्रोटीन, फाइबर, आयरन, पोटेशियम, नियासिन, विटामिन सी के साथ ही कई और पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं जो हमारे लिए फायदेमंद होते हैं। इसके अलावा इसमें डाओस्जेनिन नामक यौगिक पाया जाता है जो एस्ट्रोजन/टेस्टेस्टेरॉन हार्माेन को बढ़ाने के लिए फायदेमंद होता है।आयुर्वेद में बताया गया है कि मेथी अनेक रोगों की दवा भी है। इसके बीजों का प्रयोग मसालों के साथ-साथ औषधि के रूप में किया जाता है। प्रसूता स्त्री को मेथी के लड्डू विशेष रूप से दिए जाते हैं। मेथी और मेथी के तेल में डायबिटीज को नियंत्रित करने और गाँठ को बनने से रोकने के गुण होते हैं। मेथी के दानों के प्रयोग से बालों का झड़ना रोका जा सकता है। इसके लिए 1-2 चम्मच मेथी के दानों को रात भर के लिए भिगो दें। इसे सुबह पीसकर बालों की जड़ों में लगाएं। एक घण्टे बाद बालों को धो लें। सप्ताह में दो से तीन बार लगाने से बालों का गिरना बंद हो जाता है।असंतुलित भोजन और खानपान के कारण पैदा हुई कब्ज की समस्या में भी मेथी का प्रयोग औषधि के रूप में कर सकते हैं। मेथी में पाए जाने वाले बहुत से गुणों में एक यह भी है कि वह कब्ज की परेशानी में मदद कर सकती है। इसके लिए आप मेथी के पत्तों की सब्जी का प्रयोग कर सकते हैं। इसमें पाया जाने वाला फाइबर आपको कब्ज की समस्या से मुक्ति दिला सकता है। इसके अलावा आप मेथी दानों के पाउडर का प्रयोग कर सकते हैं। एंटी-आक्सीडेंट गुणों के कारण मेथी हृदय रोग के लिए भी लाभकारी है। यह रक्त-संचार को सही रखता है। मेथी में घुलनशील फाइबर होता है जो हृदय रोग के खतरे को घटाता है। हृदय को स्वस्थ रखने के लिए मेथी क्वाथ पीना लाभदायक होता है।मेथी का नियमित सेवन करने से खून में चीनी की मात्रा नियंत्रित रहती है। एक चम्मच मेथी के दानों का चूर्ण बना लें। इसे रोज सुबह खाली पेट गुनगुने पानी के साथ लें। मेथी के दानों को रोज पानी में भिगो दें। इसे सुबह चबा-चबा कर खाएं। ऊपर से मेथी दाने का पानी भी पी लें।मेथी का प्राचीन काल से ही खाद्य पदार्थों में डालकर सेवन किया जा रहा है और इसलिए इसे पूरी तरह से सुरक्षित माना गया है। हालांकि, अधिक मात्रा में और लंबे समय तक मेथी का सेवन करने से स्वास्थ्य संबंधी कुछ समस्याएं हो सकती हैं जिनमें मुख्य रूप से पेट दर्द, जी मिचलाना, उल्टी और दस्त आदि शामिल हैं। कुछ लोगों में मेथी रक्त शर्करा को कम करने में प्रभावी रूप से काम करती है। इसलिए इसका अधिक सेवन करने से ब्लड शुगर सामान्य स्तर से कम हो सकता है जो स्वास्थ्य के लिए घातक समस्याएं पैदा कर सकता है। वहीं कुछ लोग मेथी से एलर्जिक हो सकते हैं और मेथी उनके शरीर के संपर्क में आने पर उन्हें एलर्जी संबंधी लक्षण होने लगते हैं। मेथी का औषधीय प्रयोग आयुर्वेद चिकित्सा विशेषज्ञ के मार्गदर्शन और परामर्श में करना चाहिए।
- रोटी हमारी डाइट का अहम हिस्सा होता है। हम सभी दिन में 2 बार रोटी जरूर खाते हैं। रोटी तरह-तरह के आटे जैसे गेहूं, बाजरा, जौ, कुट्टू के आटे से बनाई जाती है। लेकिन अधिकतर घरों में गेहूं के आटे से रोटियां बनाई जाती है। वही कुछ घरों में रागी के आटे से भी रोटियां बनाई जाती है। ऐसे में अकसर लोग परेशान रहते हैं कि गेहूं और रागी के आटे में से कौन-सा अधिक फायदेमंद होता है। खासकर, वजन घटाने के लिए।रागी के आटे में पोषक तत्वकैलोरीज: 354कार्बोहाइड्रेट: 80 ग्रामप्रोटीन: 13 ग्रामशुगर: 0.6 ग्रामडाइटरी फाइबर: 2.7 ग्रामफैट: 3.4 ग्राममोनोअनसैचुरेटेड फैट: 0.7 ग्रामपॉलीअनसैचुरेटेड फैट: 2 ग्रामगेहूं या रागी: वजन घटाने के लिए क्या है फायदेमंद?जो लोग वजन घटाना चाहते हैं, उनके लिए रागी का आटा फायदेमंद हो सकता है। वेट लॉस डाइट में रागी का आटा शामिल किया जाना चाहिए। रागी में गेहूं के आटे की तुलना में फाइबर अधिक होता है। फाइबर लेने से पेट लंबे समय तक भरा रहता है और भूख जल्दी नहीं लगती है। इससे ओवरइटिंग से बचा जा सकता है और वजन कंट्रोल में रहता है।रागी के आटे में गेहूं के आटे की तुलना में काब्र्स भी कम होते हैं। ऐसे में वजन घटाने में मदद मिल सकती है। जो भोजन आसानी से पच जाता है, उससे वेट लॉस में मदद मिल सकती है। रागी का आटा आसानी से डायजेस्ट हो जाता है और बॉडी से टॉक्सिंस भी निकालता है। रागी में प्रोटीन अधिक होता है। इससे मांसपेशियों का निर्माण होता है। लेकिन यह शरीर में फैट नहीं बढऩे देता है। वजन कम करने वाले लोग सीमित मात्रा में रागी के आटे का सेवन कर सकते हैं।वजन घटाने के लिए रागी कैसे खाएं?वजन घटाने के लिए आप रागी का सुबह ब्रेकफास्ट में सेवन कर सकते हैं। ब्रेकफास्ट में रागी लेने से वजन घटाने में मदद मिल सकती है। आप इन तरीकों से रागी के आटे का सेवन कर सकते हैं--रागी की खिचड़ी वजन घटाने में मदद कर सकती है।-रागी के आटे की इडली खाने से वजन घटाया जा सकता है।-रागी का डोसा भी वजन घटाने में असरदार हो सकता है।-आप चाहें तो रागी के आटे की रोटी बनाकर भी खा सकते हैं।-रागी का सेवन कुकीज के रूप में भी किया जा सकता है। रागी के आटे की कुकीज काफी हेल्दी होती है। इससे वजन कंट्रोल में रहता है।-रागी के आटे का पैनकेक भी वजन को कंट्रोल में रखने में मदद करता है।रागी ग्लूटेन फ्री होता है। यह हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। इसमें फाइबर अधिक होता है, यह पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में मदद करती है। रागी का आटा वजन घटाने के लिए फायदेमंद हो सकता है।
- आम बीमारियों के उपचार से जुड़ी कई चीजें हमारी रसोई में उपलब्ध हैं। उनमें कई गुणों से युक्त हल्दी भी एक है। अपने विशिष्ट औषधीय एवं एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों के कारण हल्दी का आयुर्वेद में भी विशेष महत्व है। हल्दी रोगाणुओं को रोकने वाली (रोगाणुरोधक या एंटी-सेप्टिक) होती है। साथ ही यह हमारी इम्युनिटी को बढ़ाता है और कई तरह के संक्रमण की रोकथाम में सहायक है। हल्दी के औषधीय गुण कई बीमारियों के बचाव और उपचार में मदद कर सकते हैं। हल्दी को लेकर किए गए एक शोध में पाया गया कि इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, केलोरेटिक, एंटी-माइक्रोबियल (लिवर को सुरक्षित रखने वाला गुण), कार्डियो-प्रोटेक्टिव और नेफ्रो-प्रोटेक्टिव गुण होते हैं। चाहे अंदरूनी घाव हो या शरीर के बाहर के घाव, हल्दी उन्हें भरने का काम करती है। खून के रिसाव को रोकने या चोट को ठीक करने के लिए हल्दी का आमतौर पर उपयोग होता है। हाथ-पैरों में होने वाले दर्द से राहत पाने के लिए भी हल्दी वाला दूध फायदेमंद है। सर्दी, जुकाम या कफ की शिकायत हो तो हल्दी वाला दूध पीना लाभकारी होता है। हल्दी मिला गर्म दूध यानि गोल्डन मिल्क सामान्य मौसमी बीमारियों जैसे सर्दी-जुकाम में राहत दिलाते हैं। वहीं यह फेफड़ों के कफ को भी बाहर निकालने यानि एक्सपेक्टोरेंट के रूप में कारगर है। आयुर्वेद पद्धति में हल्दी को रक्त विकारों को दूर करने और एंटी-हिस्टामाइन के रूप में कारगर माना गया है। फलस्वरूप यह एलर्जिक सर्दी-जुकाम तथा इओसिनोफिलिया जैसे रोगों के उपचार में सहायक है।आयुर्वेदिक कॉलेज के सह-प्राध्यापक डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि हल्दी तिक्त, उष्ण, रक्तशोधक और वायु विकारों को नष्ट करने वाली होती है। हल्दी के सेवन से पेट के नुकसानदेह जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। हल्दी एंटी-बायोटिक की तरह ही रोगाणुजनित रोगों के उपचार में सहायक है। हल्दी का उपयोग सदियों से सौंदर्यवर्धक के रूप में होते आया है। इसके उबटन से चेहरा निखरता है तथा यह अनेक चर्म रोगों में भी प्रभावी है। भारत में पाई जानी वाली हल्दी में रासायनिक पदार्थ करक्यूमिन की मात्रा अधिक होती है। हल्दी का इस्तेमाल आयुर्वेदिक (हर्बल) दवाओं में होता है और इससे बनी औषधियां बदन दर्द, थकान दूर करने और सांस संबंधी परेशानियों में असरदार हैं। बाह्य लेप और आन्तरिक सेवन दोनों प्रकार से प्रयोग करने पर शीघ्र लाभ होता है। हल्दी का औषधि के रूप में उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा विशेषज्ञ के परामर्श में करना चाहिए।
-
कई बार व्यक्ति शरीर से मिलने वाले संकेतों को नजरअंदाज कर देता है। जिसकी वजह से भविष्य में उसे अपनी सेहत से जुड़े कई जोखिमों का सामना करना पड़ता है। ऐसे ही जोखिम में से एक है खून में प्लेटलेट काउंट की कम का होना। दरअसल, शरीर में तीन तरह के ब्लड सेल्स लाल रक्त कोशिकाएं, व्हाइट ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स मौजूद होते हैं। यह ब्लड कोशिकाएं प्लाज्मा नामक द्रव में तैरती हैं। शरीर में जब कहीं चोट या फिर कट लगती है, तो प्लेटलेट्स की कोशिकाएं ब्लड को थक्के के रूप में परिवर्तित कर देती है, जिससे ब्लीडिंग रूक जाती है। अगर प्लेटलेट की संख्या में कमी हो जाए, तो ब्लड के थक्के नहीं बनते हैं। जो कि एक गंभीर स्थिति हो सकती है।
स्वस्थ व्यक्ति में कितने होने चाहिए प्लेटलेट काउंट-
एक स्वस्थ व्यक्ति में सामान्य प्लेटलेट काउंट 150 हजार से 450 हजार प्रति माइक्रोलीटर होता है। जब यह काउंट 150 हजार प्रति माइक्रोलीटर से नीचे चला जाता है तो इसे लो प्लेटलेट माना जाता है।
प्लेटलेट संख्या कम होने के कारण
डेंगू ही नहीं शरीर में प्लेटलेट्स कम होने के पीछे कई अन्य कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं। उदाहरण के लिए खून में बैक्टीरियल संक्रमण, अस्थि मज्जा की परेशानी, आईडियोपैथिक थ्रोम्बोसाइटोपेनिक पुरपुरा, हीमोलाइटिक यूरीमिक सिंड्रोम ,हाइपरसप्लेनिज्म,स्वप्रतिरक्षित रोग इत्यादी।
प्लेटलेट संख्या कम होने पर नजर आते हैं ये लक्षण--
-सामान्य खरोंच का भी गंभीर हो जाना। लंबे समय तक घावों से खून बहना।
-त्वचा पर नीले रंग के छोटे-छोटे लाल और बैंगनी रंग के निशान उभर आना।
-नाक और मसूड़ों से काफी ज्यादा खून आना
-मल का रंग काला या खून जैसा दिखना।
-लाल या गुलाबी रंग का यूरिन निकलना
-खून के साथ उल्टी आना।
-पीरियड्स के दौरान महिलाओं को असामान्य ब्लीडिंग होना।
-तेज सिरदर्द होना।
-मांसपेशियों या जोड़ों में दर्द बने रहना।
-कमजोरी या चक्कर जैसा महसूस होना
शरीर में प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए क्या करें-------
-शरीर में प्लेटलेट्स बढ़ाने के लिए अपनी डाइट में फोलेट, विटामिन-बी12, विटामिन-सी, विटामिन-डी और विटामिन-के से भरपूर चीजें शामिल करें।
-प्लेटलेट्स की मात्रा बढ़ाने के लिए आप पपीते का सेवन कर सकते हैं। चूहों पर हुई एक एक स्टडी के अनुसार, पपीते के पत्ते भी प्लेटलेट काउंट और रेड ब्लड सेल्स को बढ़ाने का काम करते हैं। इसके लिए इन पत्तों को उबालकर इसका रस निकालकर पीने से भी लाभ मिलता है।
-कद्दू का सेवन भी आप प्लेटलेट्स की मात्रा को बढ़ाने के लिए कर सकते हैं। इसके लिए आप कद्दू का रस निकालकर पी सकते हैं। आप चाहें तो इस रस का स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें थोड़ा सा शहद भी मिला सकते हैं। - आयुर्वेद में आंवला को धात्री यानि धाय मां के समान पोषण प्रदान करने वाला कहा गया है। यह एक ऐसा फल है जिसके अनगिनत लाभ हैं। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है एवं अनेक रोगों के बचाव और उपचार में कारगर है। आंवला का उपयोग फल, मुरब्बा, अचार, शरबत, जूस और औषधि के रूप में किया जाता है। यह रसोई से लेकर उपचार के लिए बहु-उपयोगी है। शासकीय आयुर्वेदिक कालेज, रायपुर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि आयुर्वेद पद्धति में आंवले का अवलेह और चूर्ण के रूप में औषधीय उपयोग है। यह स्वस्थ और दीर्घायु जीवन के लिए रसायन के तौर पर बुखार, सर्दी- खांसी और कुष्ठ रोग के उपचार में प्रयुक्त होता है। सुश्रुत संहिता में आंवला के औषधीय गुणों के बारे में बताया गया है। इसे अधोभागहर संशमन औषधि बताया गया है, यानि ऐसी औषधि जो शरीर के दोष को मल के द्वारा बाहर निकालने में मदद करता है। पेट से संबंधित रोगों जैसे अम्लपित्त, अपचन, कब्जियत और पीलिया के उपचार में आंवला का विभिन्न विधियों में उपयोग किया जाता है।आंवला में प्रचुर मात्रा में विटामिन-सी, आयरन, मिनरल और न्यूट्रिएन्ट्स होते हैं जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और कुपोषण व एनीमिया दूर करने में सहायक होता है। नेत्र रोगों में आंवला भीगे पानी का बाह्य उपयोग तथा आंवला घृत का अभ्यांतर प्रयोग लाभकारी होता है। आंवला सौंदर्यवर्धक और बालों से संबंधित समस्याओं को दूर करने में सहायक है।डॉ. शुक्ला ने बताया कि आंवला हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है, जिसकी वजह से हृदय रोग का खतरा कम हो जाता है। आंवला का आहार या औषधि के रूप में उपयोग केवल आयुर्वेद चिकित्सा विशेषज्ञों के परामर्श एवं मार्गदर्शन में करना चाहिए अन्यथा नुकसानदेह हो सकता है।
- अकसर आपने सुना होगा कि कुछ लोगों की शिकायत रहती है कि वे दिन भर काम करने के बाद, इतनी थकान महसूस करने के बाद भी भरपूर नींद नहीं ले पाते हैं और ना ही अगले दिन फ्रेश महसूस कर पाते हैं। अपनी नींद की समस्या को दूर करने के लिए लोग न जानें किन-किन तरीकों को अपनाते हैं। लेकिन आपको बता दें कि थकान, नींद, ऊर्जा आदि के लिए रात को सोने से पहले पैरों को धोना एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। यदि व्यक्ति रात को सोने से पहले अपने पैरों को अच्छे से धोता है तो इससे सेहत को कई फायदे हो सकते हैं।1- पैरों की मांसपेशियों के लिए आरामदायकहमारे शरीर का पूरा भार हमारे पैर उठाते हैं। ऐसे में आप पैरों में अकडऩ या ऐंठन जैसी समस्याओं का सामना कर सकते हैं। बता दें कि रात को सोने से पहले यदि पैरों को धोया जाए तो इससे ना केवल पैरों की मांसपेशियों को राहत मिल सकती है बल्कि जोड़ों के दर्द से भी आराम मिल सकता है।2 - मिलती है एनर्जीपूरे दिन जब हमारे पैर पृथ्वी की सतह के संपर्क में रहते हैं तो इससे उन्हें गर्मी का एहसास होता है। ऐसे में रात को सोने से पहले पैर धोना जरूरी हैं। ऐसा करने से जब व्यक्ति अगले दिन सो कर उठेगा तो अपने अंदर एक ऊर्जा महसूस करेगा।3 - सही रह सकता है शरीर का तापमानरात को सोने से पहले दर्द होना शरीर के तापमान को नियंत्रित रख सकता है। जी हां जब व्यक्ति पैर धोता है तो इससे पैर ठंडे महसूस होते हैं, जिसके कारण व्यक्ति के शरीर का तापमान भी सामान्य रहता है। बता दें कि आयुर्वेद में भी रात को सोने से पहले पैर धोने पर जोर दिया जाता है। इससे ना केवल नींद बेहतर आ सकती है बल्कि व्यक्ति फ्रेश भी महसूस कर सकता है।4 - पैरों की त्वचा हो कोमलसोने से पहले पैर धोने की आदत न केवल पैरों के तनाव को दूर करने में उपयोगी है। बल्कि पैरों की त्वचा को कोमल बनाए रखने में भी आपके काम आ सकती है। जब व्यक्ति पूरे दिन की धूल मिट्टी और गंदगी पैरों पर लिए बिस्तर पर आता है और उसी के साथ सोता है तो इससे पहले कि त्वचा भी नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकते हैं।रात को सोने से पहले पैर धोने का तरीकाआप चाहे तो साधारण पानी से भी अपने पैरों को धो सकते हैं और पैरों को धोने के लिए आप गुनगुने पानी का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। ऐसे में आप आधी बाल्टी गुनगुने पानी लें और अपने पैरों को थोड़ी देर उसमें डिबोकर रखें। अब पानी से पैर निकालकर उसे अच्छे से पौंछ लें और उसके बाद पैरों की नमी बनाए रखने के लिए किसी तेल या क्रीम का इस्तेमाल करें। आप चाहे तो नारियल के तेल से पैरों में नमी बनाए रख सकते हैं।
-
गर्मियों में अधिक मसाले वाले खाने और तले हुआ खाने के कारण कई बार एसिडिटी हो जाती है. एसिडिटी के दौरान जी मिचलाना, उल्टी आना, ब्लोटिंग और सीने में जलन जैसी समस्या हो सकती है. ऐसे में काफी असहज महसूस होता है. एसिडिटी की समस्या आपको कभी भी और कहीं भी हो सकती है. एसिडिटी को दूर करने के लिए आप दवाई ले सकते हैं. लेकिन कुछ लोग इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए घरेलू नुस्खे आजमाते हैं. एसिडिटी की समस्या से छुटकारा पाने के लिए आप कौन से घरेलू नुस्खे आजमा सकते हैं आइए जानें.
एसिडिटी से छुटकारा पाने के लिए घरेलू उपचार
आंवला
आंवला का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक होता है. ये कब्ज की समस्या से राहत दिलाने का काम करता है. इसमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है. ये गैस, ब्लोटिंग और एसिडिटी से छुटकारा दिलाने में मदद करता है. ये त्वचा और बालों के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है.
अजवाइन
आप एसिडिटी की समस्या से छुटकारा पाने के लिए अजवाइन का सेवन कर सकते हैं. इसे खाने से पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है. एसिडिटी से छुटकारा पाने का ये बहुत ही पुराना नुस्खा है.
गुड़
गुड़ में पोटैशियम और मैग्निशियम होता है. गुड़ का सेवन करने से आपको आराम मिल सकता है. इसलिए एसिडिटी की समस्या से छुटकारा पाने के लिए आप गुड़ के छोटे टुकड़े को भी खा सकते हैं.ये सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है.
काला जीरा
काला जीरा भी एसिडिटी से राहत दिलाने का काम करता है. इसके लिए एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच काला जीरा डालें. इसका सेवन करें. ये एसिडिटी की समस्या को दूर करने में मदद करेगा.
सौंफ का पानी
आप सौंफ का पानी पी सकते हैं. इसके लिए एक गिलास गुनगुने पानी के साथ एक चम्मच सौंफ का सेवन करें. ये पेट को ठंडक पहुंचाती है. ये सीने में जलन और एसिडिटी की समस्या को दूर करने का एक बहुत ही बेहतरीन तरीका है.
केला
केले में पोटैशियम होता है. इसमें फाइबर होता है. ये पेट को स्वस्थ रखने काम करता है. ये पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है. इसका सेवन करने से एसिडिटी और जलन से तुरंत छुटकारा मिलता है.
पेपरमिंट टी
पेपरमिंट टी पी सकते हैं. ये पाचन तंत्र को स्वस्थ रखती है. ये पेट दर्द की समस्या से छुटकारा दिलाती है. एसिडिटी से छुटकारा पाने के लिए आप पेपरमिंट टी सकते है. -
योगाभ्यास और मेडिटेशन के कई लाभ हैं. नियमित रूप से योगाभ्यास और मेडिटेशन मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों के लिए बहुत अच्छा है. मेडिटेशन करने से हम मानसिक रूप से स्वस्थ रहते हैं. ये हमारी एकाग्रता को बढ़ाता है. मेडिटेशन तनाव को कम करता है. इससे दिमाग शांत रहता है. इससे हम हर कार्य को बेहतर तरीके से कर पाते हैं. वहीं रोजाना योगाभ्यास करने से हमारी सेहत अच्छी रहती है. कई स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से छुटकारा मिलता है. योगाभ्यास कमजोर मांसपेशियों और हड्डियों को ताकतवर और मजबूत बनाने का काम करता है. आइए जानें योगाभ्यास और मेडिटेशन के फायदे.
योगाभ्यास और मेडिटेशन के फायदे
गठिया के दर्द
गठिया एक आम स्वास्थ्य समस्या है. बढ़ती उम्र और खराब जीवनशैली के कारण बहुत से लोगों को जोड़ों में दर्द की समस्या का सामना करना पड़ता है. ऐसे में नियमित रूप से योगाभ्यास बहुत ही जरूरी है. योगाभ्यास करने से मांसपेशियां मजबूत होती हैं.
हृदय को स्वस्थ रखने के लिए
हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के लिए आप नियमित रूप से योगाभ्यास कर सकते हैं. ये हृदय संबंधित समस्याओं को दूर करने का काम करता है. ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करता है.
पीठ दर्द का इलाज
कुछ हफ्तों तक नियमित रूप से योगाभ्यास करने से पीठ दर्द से राहत मिलती है. स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज और आसन आपकी रीढ़ की हड्डी के लचीलेपन को बढ़ाते हैं. ये पीठ दर्द को कम करने में मदद करते हैं.
अच्छी नींद के लिए
नियमित रूप से योगाभ्यास अच्छी नींद लाने में मदद करता है. योगाभ्यास आपके स्लीप साइकिल को बेहतर बनाने और आपको आराम देने में मदद कर सकता है.
चिंता को दूर करता है
मेडिटेशन चिंता को दूर करने में मदद करता है. मेडिटेशन करने से मन शांत रहता है. नियमित रूप से मेडिटेशन अच्छी नींद लेने में मदद करता है. मेडिटेशन करने से आप शांतिपूर्ण तरीके से काम करते हैं.
याद्दाश्त अच्छी होती है
बढ़ती उम्र में अक्सर याद्दाश्त कमजोर होने लगती है. बुजुर्गों को आमतौर से इस समस्या का सामना करना पड़ता है. ऐसे में नियमित रूप से मेडिटेशन करने से स्मृति शक्ति बढ़ाने में मदद मिलती है.
बुरी आदत को छोड़ने के लिए
मेडिटेशन करने से बुरी आदत छोड़ने में मदद मिलती है. ये आत्म-नियंत्रण को बढ़ाने और नशे की लत जैसी खराब आदतों को छुड़ाने में आपकी मदद करता है. मेडिटेशन आपके शरीर को आराम देने और तनाव मुक्त रहने में मदद करता है. मेडिटेशन करने से आप खुद के और दूसरों के प्रति सकारात्मक रहते हैं. - आलू बुखारा गर्मियां शुरू होते ही आलू बुखारा बाजार में आने लगते हैं। यह फल खाने में काफी स्वादिष्ट होता है। आज हम जानेंगे कि आलू बुखारा खाने से शरीर को क्या- क्या फायदे मिलते हैं।आलू बुखारा कब्ज को करता है दूरआलू बुखारा और उसका जूस उन लोगों के लिए काफी लाभदायक है जिन लोगों को कब्ज की दिक्कत रहती है। एक आलू बुखारे में 1 ग्राम तक फाइबर पाया जाता है। जिन लोगों को कब्ज रहता है उन लोगों को रोजाना आलू बुखारा खाना चाहिए।शुगर पेशेंट्स के लिए भी लाभदायकआलू बुखारा शुगर पेशेंट्स के लिए भी लाभदायक माना जाता है। यह शरीर में एडिनोपेक्टिन नाम का एक हॉर्मोन में इजाफा करता है जो शुगर लेवल को कम करने के काम करता है। इसके अलावा आलू बुखारा में पाए जाने वाला फाइबर शरीर में ब्लड में शुगर को तेजी से नहीं घुलने देता है।हड्डियों के लिए भी फायदेमंदआलू बुखारा हड्डियों के लिए भी फायदेमंद होता है। यह फल हड्डियों को कमजोर करने वाली प्रक्रिया को धीमा करने का काम करता है.दिल के लिए फायदेमंदआपको जानकर हैरानी होगी कि आलू बुखारा दिल के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। यह ब्लड प्रेशर को मैंटेन करता है और हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करता है। दोनों ही दिक्कतें ऐसी हैं जिसकी वजह से लोगों को हार्ट अटैक और हार्ट स्ट्रोक का खतरा रहता है।----
- अकरकरा का फूल आयुर्वेदिक औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसके इस्तेमाल से शरीर की कई परेशानियां दूर की जा सकती हैं। खासतौर पर अकरकरा दांतों में दर्द, मुंह से बदबू आना, हिचकी जैसी परेशानी को दूर करने में प्रभावी होता है। इसके अलावा अकरकरा फूलों से स्वास्थ्य को कई अन्य लाभ होते हैं।अकरकरा फूलों के फायदे और इस्तेमाल का तरीका1. सर्दी-जुकाम करे दूरअकरकरा फूल सर्दी-जुकाम की परेशानी को दूर कर सकता है। दरअसल, इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-वायरल गुण पाए जाते हैं, जो सिरदर्द को दूर करने के साथ-साथ वायरल इंफेक्शन को दूर कर सकता है।2. हिचकी करे कमबिना वजह बार-बार हिचकी आने पर आप अकरकरा के फूलों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए अकरकरा के फूलों के चूर्ण को पीस लें। अब इसमें थोड़ा सा शहद मिक्स करके चाटें। इससे हिचकी दूर होगी।3. दांतों के दर्द से दिलाए छुटकाराअकरकरा के फूलों का इस्तेमाल दांतों के दर्द की परेशानी को कम करने के लिए कर सकते हैं। इसके लिए अकरकरा के फूलों को पीस लें। अब इसमें थोड़ा सा कपूर, सेंधा नमक मिक्स करके चूर्ण तैयार कर लें। अब इसे मंजन की तरह दांतों को साफ करें। इससे दांतों में दर्द की परेशानी कम होगी।4. मुंह की बदबू करे दूरमुंह से आने वाली बदबू को कम करने के लिए आप अकरकरा के फूलों का इस्तेमाल करें। इससे मुंह की दुर्गंध और मसूड़ों में होने वाली परेशानी दूर हो सकती है।5. पेट की समस्याओं को करे दूरअकरकरा के फूल पेट की परेशानियों को दूर करने में प्रभावी हो सकता है। इन दिनों बदलते लाइफस्टाइल में लोगों को पेट से जुड़ी परेशानियां काफी ज्यादा हो रही हैं। इन परेशानियों से राहत पाने के लिए आप अकरकरा के फूलों को शामिल कर सकते हैं। यह अपच की परेशानी को दूर करने में लाभकारी होता है। अकरकरा के फूलों में डाइजेस्टिव गुण पाए जाते हैं, जो पाचन प्रक्रिया को दुरुस्त कर सकते हैं।6. सांस संबंधी समस्याएं करे दूरअकरकरा के फूलों में छिपे औषधीय गुण सांस संबंधी परेशानी को दूर करने में प्रभावी हो सकता है। अगर आपको सांस से जुड़ी परेशानी है, तो इसके फूलों से तैयार चूर्ण को सूंघे। इससे आपको काफी राहत मिलेगी।7. सूखी खांसी से दिलाए छुटकाराअकरकरा के फूल सूखी खांसी की परेशानी को दूर कर सकता है। इसका इस्तेमाल करने के लिए अकरकरा के फूलों को सोंठ के साथ मिक्स करके काढ़ा तैयार करके पिएं। सुबह-शाम इस काढ़े को पीने से आपको काफी लाभ मिलेगा।8. सिरदर्द से दिलाए राहतकाम और तनाव की वजह से लोगों को सिरदर्द की परेशानी काफी ज्यादा रहती है। इस परेशानी से बचने के लिए आप अकरकरा के फूलों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए अकरकरा के फूलों को पीसकर हल्का सा गर्म कर लें। अब इस लेप को अपने सिर पर लगाएं। इससे सिरदर्द की समस्या कम हो सकती है।
- गुड़हल या गुड़हल का फूल न सिर्फ अपनी सुंदरता के लिए मशहूर है, बल्कि इसमें मौजूद गुण आपकी स्किन और बालों की केयर के लिए भी काफी विश्वसनीय है। इसके रंगीन फूल और पत्तियों स्किन और बालों की कई तरह की परेशानियों को दूर करने में प्रभावी होता है। इसके इस्तेमाल से आप झड़ते-टूटते बालों, ड्राई और पतले हेयर, पिंपल्स, झुर्रियां इत्यादि को दूर कर सकते हैं। आप इसके फूलों से तैयार पानी का इस्तेमाल स्किन और बालों की नैचुरल चमक को बढ़ाने के लिए कर सकते हैं।बालों के लिए गुड़हलगुड़हल में फ्लेवोनोइड्स, फेनोलिक, एंथोसायनिन, फैटी एसिड और अन्य पिगमेंट गुण पाए जाते हैं। ऐसे में यह बालों की केयर के लिए एक बेहद ही गुणकारी फूल माना जा सकता है। इसके इस्तेमाल से आपके बालों की जड़ें मजबूत होती हैं। साथ ही यह आपके बालों की स्कैल्प की ड्राईनेस और रोम के गैप को कम करता है। इसके इस्तेमाल से बालों की ग्रोथ अच्छी हो सकती है। गुड़हल के फूलों का आमतौर पर तेल, शैंपू, कंडीशनर और हेयर मास्क के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा आप इसका इस्तेमाल रिंस के रूप में कर सकते हैं।हिबिस्कस हेयर वॉटरबालों की देखभाल के लिए कई तरह के शैंपू और कंडीशनर में गुड़हल का इस्तेमाल किया जाता है। आप इन शैंपू और कंडीशनर का इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि, अगर आप घर पर तैयार वॉटर का इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो यह आपके लिए बेस्ट ऑप्शन हो सकता है। आइए जानते हैं बालों के लिए कैसे तैयार करें गुड़हल का पानी....-सबसे पहले एक पैन में आधा कप पानी डालें। अब इसमें थोड़े से गुड़हल के ताजे फूल और पत्तियां डालें। इसके बाद इसे कुछ देर के लिए भीगने दें। बाद में इन सभी को अच्छे से ब्लेंड कर लें। अब इसे अपने स्कैल्प पर लगाकर अच्छे से मसाज करें। करीब 5 से 6 मिनट तक मसाज करने के बाद अपने बालों को धो लें। सप्ताह में एक बार इस तरह गुड़हल का बालों पर इस्तेमाल करने से आपके बालों की ग्रोथ अच्छी होती है। साथ ही बालों से जुड़ी अन्य समस्याएं भी दूर हो सकती हैं।स्किन के लिए हिबिस्कस वॉटरस्किन के लिए गुड़हल वॉटर तैयार करने के लिए सबसे पहले सूखे गुड़हल की 20 से 30 पंखुडिय़ां लें। अब इसमें 2 बड़े चम्मच जैतून का तेल या बादाम का तेल मिलाएं। इसके बाद इसमें 2 से 3 चम्मच पानी डालें। अब इसे अच्छे से पीस लें और थोड़ी देर के लिए गर्म करें। फिर ठंडा होने दें। इसके बाद एक कॉटन बॉल की मदद से इसे अपने चेहरे पर लगाएं। करीब 20 मिनट बाद स्किन को अच्छे से साफ कर लें। इससे आपकी स्किन पर चमक आएगी।
- रसदार लीची स्वाद में काफी लाजबाव होता है। इसके सेवन से आपका मन खुश हो जाता है। हम में से कई लोगों को लीची काफी ज्यादा पसंद होती है। स्वाद के साथ-साथ यह स्वास्थ्य के लिए भी बेमिसाल होती है। लेकिन क्या आपने कभी लीची की पत्तियों का इस्तेमाल किया है। जी हां, लीची की तरह इसकी पत्तियों में भी कई गुण होते हैं। इसके इस्तेमाल से आप शरीर की कई समस्याओं को दूर कर सकते हैं।1. कैंसर रोधी गुणलीची और इसकी पत्तियों में कैंसररोधी गुण होता है, जो कैंसर से लडऩे में आपकी मदद करता है। इसकी पत्तियों का इस्तेमाल करने से आपके शरीर में रोगों से लडऩे की क्षमता बढ़ती है। यह कैंसर के सेल्स को बढऩे से रोकता है। साथ ही अन्य बीमारियों को दूर रखने में भी प्रभावी हो सकता है।2. कीड़ों के काटने का करे इलाजलीची की पत्तियों में कीड़े काटने पर होने वाली समस्याओं को दूर करने का गुण होता है। अक्सर छोटे-मोटे कीड़े जब आपको काट लेते हैं, तो प्रभावित हिस्से पर काफी दर्द, जलन और सूजन होने लगती है। इस समस्या को दूर करने के लिए लीची के पत्तों को पीस लें। अब इसे अपने प्रभावित हिस्से पर लगाएं। इससे दर्द, सूजन और जलन की परेशानी दूर हो सकती है।3. खांसी से दिलाए राहतलीची की पत्तियों में खांसी और जुकाम की परेशानी को कम करने का गुण होता है। इसके लिए इसकी पत्तियों से चाय तैयार करके पिएं। इससे खांसी और जुकाम की परेशानी कम होगी।4. सूजन और दर्द करे कमलीची की पत्तियों में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है, जो सूजन और दर्द को कम कर सकता है। इतना ही नहीं लीची के फूलों और पत्तियों में ऑक्सीकारक रोधी गुण होते हैं। साथ ही इसमें सूक्रोज, फ्ऱक्टोस और ग्लूकोज पाए जाते हैं। इसके अलावा यह विटामिन सी का भी अच्छा स्त्रोत होता है।5. हृदय के लिए बेहतरलीची की पत्तियों से तैयार चाय का सेवन करने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल होता है। साथ ही यह दिल की धड़कनों को सामान्य कर सकता है। ऐसे में यहस्ट्रोक और हृदय रोगों से आपको सुरक्षित रख सकता है।6. आंतों को रखता है सुरक्षितलीची की पत्तियों में फाइबर होता है, जो आपको आंतों की परेशानियों से दूर कर सकता है। इसमें बी कॉम्प्लेक्स विटामिन पाए जाते हैं, जो आपके शरीर को एक्टिव रखता है। साथ ही ऊर्जा प्रदान करता है। साथ ही पाचन को भी दुरुस्त कर सकता है।7. वजन करे कमलीची की पत्तियों में काफी कम कैलोरी होती है। साथ ही यह फाइबर से भी भरपूर होता है। ऐसे में लीची की पत्तियों का इस्तेमाल करने से आपके शरीर का वजन भी कंट्रोल हो सकता है। साथ ही यह स्किन को भी पोषण प्रदान करता है, जिससे कील और मुंहासों से जुड़ी परेशानी दूर रहती है। लीची की पत्तियां स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होती हैं। लेकिन ध्यान रखें कि अगर पहले से किसी तरह की परेशानी है या फिर लीची से एलर्जी है, तो इसकी पत्तियों का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
-
-प्रतिरोधक क्षमता और पोषण बढ़ाने में मुनगा है काफी लाभदायक
छत्तीसगढ़ में सब्जी के रूप में लोकप्रिय मुनगा अनेक गुणों की खान है। मुनगा के बारे में विज्ञान में प्रमाणित किया गया है कि इसके पेड़ का हर अंग स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। मुनगा (सहजन) लम्बी फलियों वाली एक सब्जी का पेड़ है। स्थानीय बोलियों में मुनगा को सहजना, सुजना, सैजन या सहजन के नाम से भी जाना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम मोरिंगा ओलिफेरा है। मुनगा के जड़, फूल, पत्तियों और फलियों का आयुर्वेद में विस्तार से औषधीय और उपयोगी गुण बताए गए हैं। इसके फूल और फली दोनों का सब्जी में प्रयोग किया जाता है। मुनगा न केवल स्वादिष्ट है, बल्कि पौष्टिकता से भरपूर भी है। मुनगा में आयरन, विटामिन-सी विटामिन-ए के साथ-साथ पोषक खनिज तत्व भी पाए जाते हैं जो शरीर को पर्याप्त उर्जा प्रदान करते हैं। मुनगा की पत्तियों में प्रोटीन और विटामिन-बी-6, विटामिन-सी, विटामिन-ए और विटामिन-ई होता है। इसमें आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम, पोटेशियम और जिंक जैसे मिनरल भी पाए जाते हैं। शरीर में खून की कमी जिसे हम एनीमिया कहते हैं, उसे ठीक करने में मुनगा को कारगर माना गया है। मुनगा महिलाओं का कुपोषण दूर करने में भी कारगर है। शासकीय आयुर्वेदिक कालेज, रायपुर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि आयुर्वेद में मुनगा की छाल, पत्ती, फूल, जड़ ,फल का रस व इनसे बने पाउडर का उपयोग किया जाता है। मुनगा में दूध की तुलना में चार गुना अधिक कैल्शियम और दोगुना प्रोटीन पाया जाता है। मुनगा का रस सुबह-शाम पीने से उच्च रक्त चाप में लाभ मिलता है। पत्तियों के रस का सेवन करने से मोटापा कम होता है। छाल से बने काढ़ा से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़े से राहत और दर्द में आराम होता है। कोमल पत्तों का उपयोग साग बनाकर खाने से कब्ज की समस्या में लाभ होता है। सेंधा नमक और हींग के साथ जड़ का काढ़ा बनाकर पीने से मिर्गी के रोग में लाभ होता है। इसकी पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सूजन ठीक होती है। शरीर में बनी पुरानी गांठ या फोड़े में भी मुनगा के जड़ के साथ अजवाइन, हींग और सोंठ मिलाकर काढ़ा बनाकर पीने से लाभ मिलता है।डॉ. शुक्ला ने बताया कि मुनगा का काढ़ा पैरों व जोड़ों के दर्द, लकवा, दमा, सूजन, पथरी में लाभकारी है। मुनगा की गोंद को जोड़ों के दर्द व दमा में लाभदायक माना गया है। मुनगा की सूखी पत्तियों के चूर्ण का नियमित सेवन करना स्वास्थ्यवर्धक होता है। मुनगा के फल और पत्तियों को सब्जी और दाल में डालकर बना सकते हैं। इसमें पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए यह सबसे सस्ता उपाय है। ज्यादा उम्र के लोगों को मुनगा अवश्य ही खाना चाहिए।
मुनगा में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते है एवं यह शरीर को कई तरह के संक्रमण से सुरक्षित रखने में मददगार है। सर्दी-खांसी और बलगम से छुटकारा पाने के लिए इसका इस्तेमाल आयुर्वेदिक औषधि के रूप में होता है। इसमें मौजूद विटामिन-सी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में मददगार है। मुनगा खून की बीमारी को दूर करने में भी मदद करता है। खून साफ होने से चेहरे में भी निखार आता है। इसका सूप पाचन तंत्र को भी मजबूत बनता है। इसमें मौजूद फाइबर्स कब्ज की समस्या दूर करते हैं। दमा की शिकायत में भी मुनगा का सूप फायदेमंद माना गया है। मुनगा का औषधि के रूप में प्रयोग किसी आयुर्वेद विशेषज्ञ के परामर्श और मार्गदर्शन में ही करना चाहिए। -
रीडिंग (यूके)। पिछले एक दशक में, गाय का दूध पीने वालों की संख्या में गिरावट आई है - लोगों ने डेयरी उत्पाद के स्थान पर जई और बादाम के दूध जैसे पौधों पर आधारित विकल्पों को लेना शुरू किया है। हर हफ्ते पौधों पर आधारित नये उत्पादों के सामने आने के साथ, इस प्रवृत्ति के रूकने की संभावना नहीं है। ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से लोग डेयरी से पौधों पर आधारित विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं। इसका एक कारण यह है कि बहुत से लोग डेयरी उत्पादों का सेवन नहीं कर सकते। ब्रिटेन के लगभग 5% वयस्क लैक्टोज का सेवन नहीं कर सकते और बच्चों में डेयरी उत्पादों से एलर्जी होना आम है। एक अन्य प्रमुख कारण यह है कि लोग पशु कल्याण और पर्यावरण संबंधी चिंताओं के कारण पौधे आधारित डेयरी विकल्पों पर स्विच कर रहे हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि डेयरी दूध अधिक पर्यावरणीय उत्सर्जन पैदा करता है और पौधों पर आधारित डेयरी विकल्पों की तुलना में इसके लिए अधिक भूमि और पानी के उपयोग की आवश्यकता होती है। लेकिन डेयरी के विकल्प के रूप में पेश किए जाने के बावजूद, पौधे आधारित उत्पाद बिल्कुल डेयरी के समान नहीं हो सकते हैं। इसलिए यदि आप स्विच करने की सोच रहे हैं, तो यहां कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।
पोषक तत्वों पर ध्यान दें
गाय का दूध प्रोटीन, कैल्शियम, आयोडीन और विटामिन बी12 जैसे कई महत्वपूर्ण पोषक तत्वों का समृद्ध स्रोत है। लेकिन कई पौधे आधारित डेयरी विकल्पों में स्वाभाविक रूप से इन पोषक तत्वों और सूक्ष्म पोषक तत्वों की मात्रा डेयरी दूध के समान नहीं होती है। औसतन, अधिकांश पौधे-आधारित विकल्पों में लगभग कोई प्रोटीन नहीं होता है - जबकि एक गिलास गाय के दूध में लगभग आठ ग्राम प्रोटीन होता है। सोया दूध अपवाद है, जिसमें डेयरी के रूप में प्रति गिलास समान मात्रा में प्रोटीन होता है। स्वस्थ वृद्धि और विकास के लिए प्रोटीन आवश्यक है। जबकि सभी को प्रोटीन की आवश्यकता होती है, कुछ समूहों को दूसरों की तुलना में अधिक की आवश्यकता हो सकती है। उदाहरण के लिए, वृद्धों को उम्र बढ़ने के साथ मांसपेशियों की ताकत बनाए रखने के लिए इसकी आवश्यकता होती है और बच्चों को विकास के लिए इसकी आवश्यकता होती है। औसतन, यूके के अधिकांश वयस्क अपने प्रोटीन सेवन का लगभग 15% डेयरी उत्पादों से प्राप्त करते हैं। लेकिन अगर पौधे आधारित डेयरी विकल्पों का उपयोग समान विकल्प के रूप में किया जाता है, तो यह संख्या 1.8% से कम हो सकती है। इसलिए यदि आप पौधे आधारित डेयरी उत्पादों पर स्विच करते हैं, तो प्रोटीन प्राप्त करने के लिए सोया दूध आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है। यदि आप अन्य प्रकार के पौधे-आधारित दूध विकल्पों का उपयोग करते हैं, तो यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप यह पर्याप्त मात्रा में प्राप्त कर रहे हैं, अपने आहार में अन्य उच्च-प्रोटीन खाद्य पदार्थों, जैसे टोफू या अंडे को शामिल करना महत्वपूर्ण होगा। अधिकांश पौधे आधारित डेयरी विकल्पों में स्वाभाविक रूप से वही विटामिन और खनिज नहीं होते हैं जो डेयरी उत्पाद में होते हैं। कई उत्पादों की निर्माण प्रक्रिया के दौरान इन्हें जोड़ा जाता है, जिसके बारे में उल्लेख भी किया जाता है, लेकिन यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि ‘‘ऑर्गेनिक'' लेबल वाले किसी भी पौधे-आधारित विकल्प में किसी तरह का विटामिन और खनिज जोड़ना नियमों के विरुद्ध होगा। दूध में पाया जाने वाला कैल्शियम एक बहुत ही महत्वपूर्ण सूक्ष्म पोषक तत्व है। हड्डियों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए इसकी आवश्यकता होती है, खासकर बच्चों और किशोरों में। लेकिन शोध से पता चला है कि केवल 57% दूध के विकल्प, 63% दही के विकल्प और 28% पनीर के विकल्प कैल्शियम से भरपूर होते हैं। तो यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप अपने आहार में पर्याप्त कैल्शियम ले रहे हैं, लेबल की जांच करें और उन उत्पादों की तलाश करें जो कैल्शियम से समृद्ध हैं। या, ऐसे खाद्य पदार्थ खाने पर ध्यान दें जिनमें कैल्शियम होता है - जैसे कि फोर्टिफाइड ब्रेड और अनाज या टिन वाली सार्डिन या सैल्मन। आयोडीन एक और महत्वपूर्ण पोषक तत्व है, खासकर गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों के लिए क्योंकि यह मस्तिष्क के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। यह थायराइड हार्मोन बनाने में भी मदद करता है, जो विकास और चयापचय दोनों के लिए महत्वपूर्ण हैं। दूध और डेयरी उत्पाद आहार आयोडीन का मुख्य स्रोत होने के बावजूद, केवल कुछ मुट्ठी भर पौधे आधारित उत्पाद आयोडीन युक्त होते हैं। फिर, यह देखने के लिए उत्पाद के लेबल को पढ़ना महत्वपूर्ण है कि यह आयोडीन युक्त है या नहीं। अन्यथा, उन खाद्य पदार्थों को खाने पर ध्यान दें जिनमें आयोडीन होता है, जैसे मछली या समुद्री शैवाल - या यदि यह संभव न हो तो सप्लीमेंट लें। आप जो भी पौधे-आधारित डेयरी विकल्प खरीदें उसमें विटामिन बी12 की तलाश करें। यह विटामिन मस्तिष्क, तंत्रिकाओं और रक्त कोशिकाओं के लिए आवश्यक है। जबकि कुछ पौधे-आधारित डेयरी विकल्पों में विटामिन बी 12 होता है, अधिकांश में नहीं, इसलिए आपको अन्य खाद्य स्रोतों से विटामिन बी 12 प्राप्त करने पर ध्यान देने की आवश्यकता होगी। मांस में आम तौर पर विटामिन बी 12 का उच्चतम स्तर होता है, लेकिन यदि आप शाकाहारी आहार का पालन करते हैं तो यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप पर्याप्त मात्रा में यह ले रहे हैं, आपको खमीर निकालने, साबुत अनाज या सप्लीमेंट का सेवन करने की आवश्यकता हो सकती है।
पौधे आधारित डेयरी विकल्प सस्ते नहीं हैं - यह गाय के दूध और अन्य डेयरी उत्पादों (जैसे दही) की कीमत से लगभग तीन गुना ज्यादा महंगे हैं । - खूब मसालेदार और तला हुआ खाने के बाद एसिडिटी की दिक्कत होने लगती है। ऐसे में एंटेसिड की गोली ले लेना आसान तो लगता है लेकिन यह नुकसान भी करती है। बेहतर है, ये घरेलू नुस्खे अपनाएं..केलाकेला में ढेर सारा फाइबर होता है और भारी मात्रा में पोटैशियम भी। एंटेसिड की गोलियों में भी अधिकतर कैल्शियम और पोटैशियम होते हैं, जो एसिड पर वार करते हैं, लेकिन जरूरत से ज्यादा मात्रा में इन्हें लेने से ये कैल्शियम शरीर में ही जमा होने लगता है और किडनी स्टोन का रूप ले लेता है। इसलिए केला का सेवन फायदेमंद होता है।तुलसीखाना खाने के बाद चार-पांच तुलसी के पत्ते खा लेंं। इससे आपका हाजमा भी अच्छा रहेगा और एसिडिटी भी नहीं होगी। तुलसी के पत्तों को गर्म पानी में डाल कर, उसे ग्रीन टी के तौर पर भी पी सकते हैं।दूधआधे ग्लास ठंडे दूध में आधा ग्लास पानी मिला लें। इससे भी एसिडिटी में फायदा मिलता है। दूध पसंद नहीं है तो आइसक्रीम भी खा सकते हैं, लेकिन चौकलेट या स्ट्रॉबेरी फ्लेवर वाली नहीं, सिर्फ दूध वाली सफेद आइसक्रीम और ध्यान दें कि ज्यादा ना खाएं।सौंफखाने के बाद सौंफ चबाने से पेट में एसिड नहीं बनता। एसिडिटी के कारण सीने में जो जलन महसूस होती है, उससे छुटकारा पाने में भी सौंफ मदद करती है।जीराखाने में प्याज या लहसुन की जगह जीरे का तड़का लगाना लाभकारी होता है। एसिडिटी होने पर जीरे के कुछ दाने चबाएं या फिर एक चम्मच जीरे को एक ग्लास पानी में उबाल लें और पानी को ठंडा कर के पिएं।इलाइचीखाने की खुशबू बढ़ाने वाली इलाइची भी एसिडिटी दूर करने में मददगार होती है एसिडिटी गोली लेने की जगह, दो इलाइचियां मुंह में रख लें और टॉफी की तरह इसे चूसते रहें।लौंगइलाइची के साथ लौंग मिला दें तो और भी अच्छा। खाना खाने के बाद एक लौंग और एक इलाइची मुंह में रखना अच्छी आदत है। अगर चाय से एसिडिटी होती है, तो चाय में भी एक लौंग और एक इलाइची मिला सकते हैं।अदरकसर्दी जुकाम और खांसी में मदद करने वाला अदरक एसिडिटी में भी फायदेमंद होता है। गर्म पानी में अदरक काट कर डालें और ठंडा होने पर इसे धीरे धीरे पिएं। इसमें थोड़ी सी चीनी और बर्फ डाल कर आइस टी भी बना सकते हैं।पुदीनाअदरक वाले ही पानी में पुदीना भी मिला सकते हैं। पुदीने से ठंडक का अहसास होता है और एसिडिटी के कारण कलेजे में होने वाली जलन से फौरन राहत मिलती है।आंवलाआंवला में भारी मात्रा में विटामिन सी मौजूद होता है, जो इम्यूनिटी बढ़ाने में फायदेमंद होता है और पेट की अंदरूनी लाइनिंग को एसिड से बचाता है। रोज सुबह आंवले का चूरन या मुरब्बा खाना फायदेमंद होता है।-----
- सर्दियों में रागी, बाजरा, कुट्टू आदि से बनी रोटियों का सेवन किया जाता है। लेकिन गर्मियों में भी आपको आटा बदलने की जरूरत होती है। गर्मियों में आपको ठंडी तासीर वाले आटे से बनी रोटियों का सेवन करना चाहिए। इससे पेट में गर्मी नहीं बनेगी, आपको हल्का और अच्छा महसूस होगा। चलिए जानते हैं गर्मियों में कौन-कौन से आटे की बनी रोटियां खानी चाहिए।1. गेहूं का आटावैसे तो अधिकतर लोग गेहूं से बनी रोटियां ही खाते हैं। लेकिन सर्दियों में इसकी जगह बाजरा, मक्का आदि की रोटियां खाना पसंद करते हैं। अब गर्मी का मौसम आ गया है, तो आप दोबारा से गेहूं की रोटियों को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। गेहूं की तासीर ठंडी होती है, इसलिए गर्मियों में इसका सेवन किया जा सकता है। गेहूं का आटा पोषक तत्वों से भरपूर होता है। चोकर वाला गेहूं खाने से पाचन क्रिया में सुधार होता है। गेहूं के गुण रक्त को भी साफ करते हैं। गेहूं में फाइबर अधिक होता है, जो वजन घटाने में कारगर होता है। थायराइड रोगियों के लिए भी गेहूं का आटा फायदेमंद होता है।2. चने का आटागर्मियों में चने के आटे से बनी रोटियां भी खाई जा सकती हैं। चने के आटे की तासीर ठंडी होती है, इसलिए यह गर्मी के मौसम के अनुकूल होती है। चने के आटे में प्रोटीन अधिक होता है। 1 कप चने के आटे में करीब 20 ग्राम प्रोटीन होता है। चने का आटा मांसपेशियों का निर्माण करने, वजन को कंट्रोल रखने में भी सहायक होता है। अधिकतर लोग बेसन को ही चने का आटा समझ लेते हैं, लेकिन ये बेसन और चने का आटा एक-दूसरे से अलग होते हैं। बेसन को रिफाइन किया जाता है, इससे इसका सारा फाइबर निकल जाता है। वही आटे को छिलके सहित पीसा जाता है, यह बेसन से मोटा होता है और इसमें फाइबर भी भरपूर होता है।3. जौ का आटागर्मियों में अधिकतर लोग पेट को ठंडा रखने के लिए जौ का पानी पीते हैं। लेकिन आप चाहें तो जौ को पीसकर इसका आटा भी तैयार कर सकते हैं, गर्मियों में इसकी रोटियां बना सकते हैं। गर्मियों में जौ को इसलिए फायदेमंद माना जाता है, क्योंकि इसकी तासीर ठंडी होती है। साथ ही जौ पोषक तत्वों से भी भरपूर होता है। जौ के आटे से बनी रोटियां खाने से पेट से संबंधित समस्याएं दूर होती हैं। जौ ठंडा होता है, इसलिए यह गर्मी से होने वाले कील मुहांसों से भी बचाता है। डायबिटीज रोगियों के लिए भी जौ की रोटियां लाभकारी होती है।4. ज्वार का आटाज्वार में पोषक तत्व होते हैं। ज्वार प्रोटीन, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स और मिनरल्स से भरपूर होता है। इसके अलावा ज्वार में पोटैशियम, फॉस्फोरस, कैल्शियम और आयरन भी होता है। ज्वार की तासीर ठंडी होती है, इसलिए पित्त प्रकृति के लोग भी इसकी रोटियां खा सकते हैं। वात के लोगों को इसका सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए। ज्वार का आटा पित्त और कफ को शांत करता है। ज्वार में कैलोरी कम होती है, पोषण अधिक होता है। इससे वजन घटाने में मदद मिलती है। ज्वार के आटे की रोटियां खाने से थकान दूर होती है, शरीर को बल मिलता है।गर्मियों में आप भी ज्वार, जौ, गेहूं और चने के आटे से बनी रोटियां खा सकते हैं। लेकिन वात वाले लोगों ज्वार का आटा खाने से बचना चाहिए।
- बढ़ती उम्र के साथ ज्यादातर लोगों को घुटने और जोड़ों के दर्द की समस्या हो जाती है। ये समस्या सुनने में तो आम समस्या लगती है, लेकिन इस दर्द को झेलना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे में लोग तमाम तरह की दवाइंया और तेलों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन ये दर्द आसानी से पीछा नहीं छोड़ता। ऐसे में घर में बनाया लहसुन का तेल जोड़ों के दर्द से राहत दिलाने में काफी कारगर होता है।लहसुन का तेल बनाने की विधिलहसुन का तेल बनाने के लिए 250 एमएल सरसों के तेल में लहसुन की 10-12 कलियां छीलकर कूटकर डालें। इसके साथ ही इसमें 2 जायफल को कूटकर डालें। अब इसमें 50-60 ग्राम गुडूची (गिलोय) की सूखी डंठल को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर डाल लें। इन सभी चीजों को सरसों के तेल में डालकर 1 घंटे तक धीमी आंच पर पकाते रहें। इस तेल को पकाने के बाद ठंडा करके छान लें और एक शीशी में करके रख लें। अब आपका तेल तैयार है। अब आप इस तेल को जोड़ों के दर्द से निजात पाने के लिए रोजाना इस्तेमाल कर सकते हैं।लहसुन के तेल को इस्तेमाल करने का तरीकाजोड़ों के दर्द से निजात पाने के लिए लहसुन के तेल से जोड़ों पर 5-7 मिनट तक मालिश करनी चाहिए। वैसे तो ठंडा तेल भी फायदेमंद होता है, लेकिन हल्का गर्म तेल दर्द और सूजन को जल्दी दूर करने में कारगर होता है। हर रोज रात को सोने से पहले लहसुन के तेल से जोड़ों की मालिश करनी चाहिए। हफ्तेभर में आपको दर्द से आराम मिलना शुरू हो जाएगा।लहसुन है अच्छा दर्दनिवारकलहसुन एक अच्छा दर्दनिवारक माना जाता है। आयुर्वेद में भी लहसुन की खास अहमियत है। दरअसल, लहसुन में विटामिन, एंटी-बैक्टीरियल, मिनरल्स और एंटीफंगल गुण पाए जाते हैं, जो कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने में कारगर माने गए हैं। लहसुन को कच्चा खाने से जोड़ों के दर्द की तो समस्या दूर होती ही है, साथ ही ये हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से भी निजात दिलाने में सहायक होता है। वहीं, बढ़े हुए वजन को कंट्रोल करने और आंखों की रोशनी बढ़ाने में भी कच्चा लहसुन काफी फायदेमंद होता है।जायफल के लाभजायफल जोड़ों के दर्द को ही नहीं बल्कि किसी भी तरह के दर्द को दूर करने में कारगर होता है। दरअसल, जायफल में प्रचुर मात्रा में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द को दूर करने में कारगर होते हैं। दर्द के साथ ही जायफल सूजन को भी कम करने का काम करता है। आयुर्वेद के अनुसार, जायफल को पीसकर तेल में पकाने और फिर उस तेल से मालिश करने से हर तरह के दर्द की छुट्टी हो जाती है। इसके अलावा जायफल का इस्तेमाल चेहरे से दाग-धब्बों और मुहांसों को दूर कर स्किन में चमक लाने के लिए भी किया जाता है।जोड़ों के दर्द में गुडूची (गिलोय) के फायदेगुडूची को ज्यादातर लोग गिलोय के नाम से जानते हैं। गिलोय एक आयुर्वेदिक औषधि होती है, जो कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद करती है। गिलोय एंटी-वायरल होने के साथ-साथ दर्दनिवारक भी होता है। इसके प्रयोग से बने तेल से घुटनों की मालिश करने से दर्द जल्द ही दूर हो जाता है। आयुर्वेद में कहा गया है कि नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय की बेल सबसे ज्यादा फायदेमंद होती है, क्योंकि नीम के गुण भी गिलोय की बेल में आ जाते हैं। दरअसल, गिलोय के बारे में कहा जाता है कि ये जिस पेड़ पर चढ़ती है, उसी पेड़ के गुण अपना लेती है। इसलिए नीम के पेड़ पर चढ़ी हुई बेल काफी फायदेमंद होती है, क्योंकि उसमें नीम के गुण भी आ जाते हैं।
- चना और किशमिश एक साथ खाने से सेहत को तमाम फायदे मिलते हैं। रोजाना सुबह चना और किशमिश को भिगोकर खाने से शरीर में मौजूद कई समस्याओं में फायदा मिलता है। चना का सेवन करने से विशेष रूप से मांसपेशियों, हड्डियों, त्वचा और बालों के साथ-साथ चयापचय के सिलसिले में उत्पन्न सभी प्रकार के अपशिष्ट जमाओं को हटाने में फायदा मिलता है। वहीं किशमिश शरीर की कई गंभीर परेशानियों को दूर करने के लिए भी उपयोगी मानी जाती है। चना और किशमिश का एकसाथ सेवन करने से मिलने वाले फायदे इस प्रकार से हैं।1. शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए उपयोगीचना और किशमिश का सेवन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में बहुत उपयोगी माना जाता है। चने में मौजूद प्रोटीन, कार्बोहायड्रेट, विटामिन, आयरन और कैल्शियम आदि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में उपयोगी माने जाते हैं। किशमिश में भी सेहत के लिए फायदेमंद पोटेशियम, आयरन, विटामिन बी 6 आदि शरीर में पोषक तत्वों की कमी को दूर करने में बहुत उपयोगी होते हैं। चना और किशमिश को एक साथ भिगोकर रोजाना सुबह खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।2. खून की कमी दूर करने में फायदेमंदशरीर में खून की कमी दूर करने के लिए चना और किशमिश खाना फायदेमंद होता है। खानपान में गड़बड़ी और खराब जीवनशैली के कारण शरीर में खून की कमी की समस्या या एनीमिया की समस्या होती है। चना और किशमिश में आयरन की प्रचुर मात्रा होती है जो खून बढ़ाने में बहुत मदद करता है। एनीमिया की समस्या में चना और किशमिश का सेवन बहुत फायदेमंद होता है।3. कब्ज की समस्या में फायदेमंदकब्ज की समस्या में चना और किशमिश का सेवन बहुत फायदेमंद माना जाता है। रोजाना सुबह में भिगोए हुए चने और किशमिश का सेवन करने से कब्ज और पाचन से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं। चने में मौजूद फाइबर का सेवन कब्ज की समस्या में बहुत फायदेमंद माना जाता है।4. मोटापे की समस्या को दूर करने में फायदेमंदचने में फैट को कम करने वाले मॉलिक्यूल्स होते हैं। जिनसे वजन कम होता है। इसके अलावा चने में आयरन, विटामिन-बी जैसे पोषक तत्व होते हैं। वहीं किशमिश में मौजूद पोषक तत्व भी शरीर के लिए उपयोगी होते हैं और इसके सेवन से शरीर में एनर्जी कम नहीं होती है। इसके सेवन से मोटापे की समस्या को दूर करने में फायदा मिलता है।5. आंख की रोशनी बढ़ाने में फायदेमंदआंख की सेहत के लिए चना और किशमिश खाना बहुत फायदेमंद होता है। किशमिश और चना उन लोगों के लिए बहुत फायदेमंद है जिनकी आंखें कमजोर हैं या रोशनी कम हो गयी हैं। किशमिश में पॉलीफेनोल्स से भरपूर है, जो कि एक ऐसा एंटीऑक्सीडेंट है जो कि आंखों की सेल्स की रक्षा करता है। ये फ्री रेडिकल्स के कारण आंखों को होने वाले नुकसान को कम करता है। इस तरह ये आंखों से जुड़ी बीमारियों को रोकता है। जैसे कि मस्कुलर डीजेनरेशन और मोतियाबिंद। चने और किशमिश को एक साथ भिगोकर खाने से आंखों को फायदा मिलता है।नोट-डायबिटीज की समस्या में इनका सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह बहुत जरूरी है।