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न्यूयॉर्क/वाशिंगटन. अमेरिका में भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा ने कहा कि भारत द्वारा एक अमेरिकी संचार उपग्रह का सफल प्रक्षेपण वाशिंगटन और नयी दिल्ली के बीच साझेदारी के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक पल है, और यह वर्ष 2025 में द्विपक्षीय अंतरिक्ष सहयोग के दौरान हासिल हुई सबसे बड़ी उपलब्धि है। क्वात्रा ने कहा कि अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत-अमेरिका साझेदारी के लिए आज वास्तव में एक बहुत महत्वपूर्ण दिन है।” उन्होंने कहा, “ यह हमारे अंतरिक्ष इंजीनियरों और हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के लिए बड़ा दिन है। यह आत्मनिर्भरता के प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) के दृष्टिकोण के हिसाब से एक बड़ा दिन है। यह भारत-अमेरिका सहयोग के लिए बड़ा दिन है। मुझे लगता है कि कम से कम इस क्षेत्र में तो हम वर्ष 2025 का इससे बेहतर अंत नहीं कर सकते थे, और अगले वर्ष और अधिक उपलब्धियां हासिल करने की पूरी तैयारी है।” भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए अपने सबसे भारी रॉकेट एलवीएम3-एम6 से बुधवार को अमेरिका वाणिज्यिक संचार उपग्रह ब्लूबर्ड-6 (ब्लॉक-2) को सटीक तरीके से उसकी निर्धारित कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया। क्वात्रा ने कहा, “आज की इस अद्वितीय उपलब्धि से हमने जो हासिल किया वह 2025 में दोनों देशों के बीच अंतरिक्ष सहयोग में हासिल हुई सबसे बड़ी उपलब्धि है।” क्वात्रा ने जोर देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उद्योग तथा सरकारी विभागों को 'आत्मनिर्भरता' की दिशा में आगे बढ़ने के प्रेरित किया है। उन्होंने कहा, “यह अंतरिक्ष क्षेत्र में बढ़ती आत्मनिर्भरता का एक स्पष्ट उदाहरण है। आत्मनिर्भरता को हमें एक रणनीतिक दृष्टिकोण से देखना चाहिए, न कि इसे केवल एक साधारण वाणिज्यिक आदान-प्रदान मानना चाहिए।”
- नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने उत्तर-पश्चिम नाइजीरिया में आईएसआईएल (आईएसआईएस) के लड़ाकों के खिलाफ हवाई हमला किया है। खास बात रही कि ट्रंप ने यह सूचना देने के लिए क्रिसमस के दिन को चुना।ट्रंप ने गुरुवार को अपने ट्रुथ सोशल प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट में कहा, “आज रात, कमांडर इन चीफ के तौर पर दिए मेरे निर्देश पर अमेरिका ने उत्तर-पश्चिम नाइजीरिया में आईएसआईएस आतंकवादियों के खिलाफ एक शक्तिशाली और घातक हमला किया।उन्होंने कहा कि आईएस आतंकवादियों ने मुख्य रूप से निर्दोष ईसाइयों को निशाना बनाया और बेरहमी से मारा, जो कई सालों और सदियों में नहीं देखा गया था। मैंने पहले ही इन आतंकवादियों को चेतावनी दी थी कि अगर उन्होंने ईसाइयों का नरसंहार बंद नहीं किया तो उन्हें इसका अंजाम भुगतना पड़ेगा और आज रात ऐसा ही हुआ।अमेरिकी सेना की अफ्रीका कमांड (एएफआरआईसीओएम) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि हवाई हमला नाइजीरियाई अधिकारियों के अनुरोध पर किया गया था और इसमें ‘कई आतंकवादी’ मारे गए।अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने लिखा, “मैं नाइजीरियाई सरकार के समर्थन और सहयोग के लिए आभारी हूं।” उन्होंने चेतावनी दी कि और भी बहुत कुछ होने वाला है। एएफआरआईसीओएम ने कहा कि यह हमला ‘सोबोटो राज्य’ में हुआ, जो नाइजीरिया के सोकोटो राज्य का हिस्सा है।अमेरिकी सैन्य कार्रवाई ट्रंप के उस बयान के हफ्तों बाद हुई है जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने पेंटागन को देश में ईसाइयों के उत्पीड़न के दावों के बाद नाइजीरिया में संभावित सैन्य कार्रवाई की योजना शुरू करने का आदेश दिया था।नाइजीरिया की सरकार ने ट्रंप के दावों को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि सशस्त्र समूह देश में मुस्लिम और ईसाई दोनों समुदायों को निशाना बनाते हैं। साथ ही अमेरिकी दावे कि ईसाइयों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है, एक कठिन सुरक्षा स्थिति का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए नाइजीरियाई अधिकारियों के प्रयासों को नजरअंदाज करते हैं।ट्रंप द्वारा अमेरिकी हमले की घोषणा के तुरंत बाद नाइजीरिया के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया, जिसमें शुक्रवार सुबह पुष्टि की गई कि नाइजीरियाई अधिकारी आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद के लगातार खतरे से निपटने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका सहित अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ संरचित सुरक्षा सहयोग में लगे हुए हैं।
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संयुक्त राष्ट्र. दुनिया के कई इलाकों में जारी संघर्षों, वित्तीय संकट और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना के बीच, संयुक्त राष्ट्र ने 2025 में अपनी 80वीं वर्षगांठ मनाई, जबकि भारत ने विश्व निकाय से ‘‘नेतृत्व और आशा'' पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया और एक बड़ी भूमिका निभाने की इच्छा व्यक्त की। यूक्रेन और गाजा में संघर्ष, सूडान से लेकर म्यांमा तक दुनिया भर के कई अन्य हिस्सों में युद्ध की स्थिति ने 2025 में भी वैश्विक चुनौतियों से निपटने में संयुक्त राष्ट्र और उसकी शक्तिशाली, लेकिन ध्रुवीकृत, सुरक्षा परिषद की अक्षमता को उजागर किया। जैसे-जैसे राष्ट्र मानवीय आपात स्थितियों, जलवायु संकट और आर्थिक असमानता से जूझ रहे हैं, वैसे-वैसे संयुक्त राष्ट्र की प्रासंगिकता पर सवाल और मुखरता से उठाए जा रहे हैं जिनमें प्रमुख सवाल यह है कि क्या 1945 में स्थापित 80 साल पुराने इस संगठन के पास 21वीं सदी में अस्थिर दुनिया की समस्याओं का समाधान है। इस पृष्ठभूमि में, भारत ने इस बहुपक्षीय संगठन में सुधार के लिए जोरदार आह्वान किया है। सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच से विश्व नेताओं को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि एक ‘‘निष्पक्ष रिपोर्ट कार्ड'' से पता चलेगा कि संयुक्त राष्ट्र संकट की स्थिति में है। उन्होंने कहा, ‘‘जब संघर्षों से शांति खतरे में पड़ती है, जब संसाधनों की कमी से विकास पटरी से उतर जाता है, जब आतंकवाद से मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है, तब संयुक्त राष्ट्र गतिरोध में फंसा रहता है। आम सहमति बनाने की इसकी क्षमता कम होने के साथ-साथ बहुपक्षीय मंच के तौर पर इसके प्रति विश्वास भी घटता जाता है।'' भारत ने स्पष्ट रूप से दुनिया को बताया कि संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता में कमी का मुख्य कारण सुधारों का प्रतिरोध रहा है, और नयी दिल्ली विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अधिक जिम्मेदारियां संभालने के लिए तैयार है, जो अपने वर्तमान 15 सदस्यों के साथ 2025 की दुनिया का प्रतिनिधित्व नहीं करती है। जयशंकर ने कहा, ‘‘परिषद की स्थायी और अस्थायी दोनों प्रकार की सदस्यता का विस्तार किया जाना चाहिए। एक सुधार किये गए परिषद को सही मायने में प्रतिनिधि होना चाहिए। भारत अधिक जिम्मेदारियां संभालने के लिए तैयार है।'' उन्होंने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र का नौवां दशक नेतृत्व और आशा का दशक होना चाहिए। भारत अपनी पूरी भूमिका निभाएगा, और उससे भी अधिक करेगा।'' जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत अग्रणी भूमिका निभाना जारी रखेगा।
दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट' नामक आतंकवादी संगठन ने 26 लोगों की निर्मम हत्या कर दी जिसके मद्देनजर, भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से आतंकवाद के खिलाफ अपने लोगों की रक्षा करने के अपने अधिकार का प्रयोग किया और पाकिस्तान तथा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकी ढांचे को निशाना बनाया। ऐसे समय में जब पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का गैर-स्थायी सदस्य था तब परिषद ने पहलगाम हमले की कड़ी निंदा करते हुए एक बयान जारी किया और इसके अपराधियों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता पर जोर दिया। पाकिस्तान से संचालित लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटा संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट का भी पहलगाम हमले में उसकी भूमिका के लिए पहली बार सुरक्षा परिषद की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया। संयुक्त राष्ट्र में सुधार की मांग विश्व निकाय के सर्वोच्च स्तर से भी उठी, जब महासचिव एंटोनियो गुतारेस ने सुरक्षा परिषद में सुधार करने के लिए पुरजोर तरीके से आह्वान किया ताकि इसे अधिक प्रतिनिधित्व युक्त, पारदर्शी और प्रभावी बनाया जा सके। संयुक्त राष्ट्र अपनी 80वीं सालगिरह में असंख्य चुनौतियों से जूझ रहा था, और डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में वापसी के बाद उसकी चुनौती बढ़ गई है। ट्रंप के अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी संयुक्त राष्ट्र से रिश्ते बहुत सौहार्दपूर्ण नहीं रहे और उस समय उन्होंने इस विश्व निकाय को ‘‘लोगों के एक साथ आने, बात करने और अच्छा समय बिताने के लिए सिर्फ एक क्लब'' के रूप में वर्णित किया था। दूसरे कार्यकाल में उनकी संयुक्त राष्ट्र के प्रति तल्खी और बढ़ गई। जनवरी में शपथ ग्रहण करने के कुछ ही घंटों के भीतर, ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसमें अमेरिका को पेरिस जलवायु समझौते से फिर से हटने का निर्देश दिया गया था, जो उनके पहले कार्यकाल के इसी तरह के निर्देश की प्रतिध्वनि थी। अपने दूसरे कार्यकाल के कुछ ही हफ्तों के भीतर, ट्रंप ने एक आदेश जारी किया जिसमें निर्देश दिया गया कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में भाग नहीं लेगा, यूनेस्को में अपनी सदस्यता की समीक्षा करेगा और फलस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी के लिए धन निलंबित करेगा। ट्रंप सितंबर में 80वें महासभा सत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय पहुंचे और तब भी वह विश्व निकाय की कड़ी आलोचना करने से नहीं झिझके। -
ह्यूस्टन. भारतीय मूल की चिकित्सक पद्मजा पटेल को गवर्नर ग्रेग एबॉट ने ‘टेक्सास पोषण सलाहकार कमेटी में नियुक्त किया। एक प्रेस विज्ञिप्त में यह जानकारी दी गयी। मिडलैंड में रहने वाली चिकित्सक पटेल एक सितंबर, 2029 तक कमेटी में अपनी सेवाएं देंगी।
यह कमेटी राज्य को आहार एवं पोषण संबंधी सलाह देती है और दीर्घकालिक रोगों की रोकथाम व प्रबंधन में भोजन की भूमिका का अध्ययन करती है। विज्ञप्ति में बताया गया कि सदस्यों की नियुक्ति गवर्नर द्वारा अलग-अलग कार्यकालों के लिए की जाती है और वे चिकित्सा एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य के विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह नियुक्ति गवर्नर कार्यालय द्वारा घोषित व्यापक नियुक्तियों का हिस्सा थी।
पटेल के अलावा शेरिल सेउ होय, जैकलिन एल्बिन और कैथलीन डेविस को कमेटी में नियुक्त किया गया हैं तथा ये सभी 2029 तक अपनी सेवाएं देंगे। एन शिप्पी, कमिश्नर सिड मिलर और नताली बाचिन्स्की को कमेटी का सदस्य बनाया गया तथा इनका कार्यकाल 2027 में समाप्त होगा। भारत में जन्मी पटेल ने बड़ौदा मेडिकल कॉलेज से मेडिकल की डिग्री प्राप्त की और बाद में अमेरिका में अपना मेडिकल प्रशिक्षण पूरा किया। प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि वह नुडज हेल्थ में मुख्य चिकित्सा अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं और ‘अमेरिकन कॉलेज ऑफ लाइफस्टाइल मेडिसिन' की अध्यक्ष हैं। पटेल, ‘मिडलैंड क्वालिटी एलायंस' और ‘हेल्दी सिटी मिडलैंड' में भी नेतृत्व की भूमिका निभाती हैं तथा टेक्सास मेडिकल एसोसिएशन, अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन और अमेरिकन कॉलेज ऑफ फिजिशियंस से संबद्ध हैं। -
अंकारा. लीबिया के सैन्य प्रमुख, चार अन्य अधिकारियों और चालक दल के तीन सदस्यों को लेकर जा रहा एक निजी विमान तुर्किये की राजधानी अंकारा से उड़ान भरने के बाद मंगलवार को दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिससे उसमें सवार सभी लोगों की मौत हो गई। लीबिया के अधिकारियों ने बताया कि विमान में तकनीकी खराबी के कारण यह दुर्घटना हुई।
तुर्किये के अधिकारियों ने बताया कि दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से उच्चस्तरीय रक्षा वार्ता के लिए लीबिया का प्रतिनिधिमंडल अंकारा में था। लीबिया के प्रधानमंत्री अब्दुल-हामिद दबीबा ने जनरल मोहम्मद अली अहमद अल-हद्दाद और चार अन्य अधिकारियों की मौत की पुष्टि करते हुए फेसबुक पर जारी एक बयान में कहा कि यह ‘‘दुखद दुर्घटना'' उस समय हुई जब प्रतिनिधिमंडल स्वदेश लौट रहा था। प्रधानमंत्री ने इसे लीबिया के लिए ‘‘बड़ी क्षति'' बताया। अल-हद्दाद पश्चिमी लीबिया के शीर्ष सैन्य कमांडर थे और संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से जारी लीबिया की सेना के एकीकरण के प्रयासों में उनकी अहम भूमिका थी। लीबिया की अन्य संस्थाओं की तरह ही वहां की सेना भी बंटी हुई है। इस दुर्घटना में मारे गए अन्य चार अधिकारी लीबिया के जमीनी बलों के प्रमुख जनरल अल-फितौरी घ्रैबिल, सैन्य विनिर्माण प्राधिकरण के प्रमुख ब्रिगेडियर जनरल महमूद अल-कतावी, चीफ ऑफ स्टाफ के सलाहकार मोहम्मद अल-असावी दियाब और चीफ ऑफ स्टाफ के कार्यालय में कार्यरत सैन्य फोटोग्राफर मोहम्मद उमर अहमद महजूब थे। चालक दल के तीन सदस्यों की पहचान का अभी पता नहीं चल सका है।
तुर्किये के अधिकारियों ने बताया कि ‘फाल्कन-50' प्रकार के व्यावसायिक विमान का मलबा अंकारा से करीब 70 किलोमीटर (लगभग 43.5 मील) दक्षिण में स्थित हायमाना जिले के केसीक्कावाक गांव के पास मिला है। इससे पहले मंगलवार शाम तुर्किये के हवाई यातायात नियंत्रकों ने बताया था कि अंकारा के एसेनबोआ हवाई अड्डे से उड़ान भरने के बाद लीबिया वापस जा रहे विमान से उनका संपर्क टूट गया। तुर्किये के गृह मंत्री अली येरलिकाया ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि विमान ने रात साढ़े आठ बजे उड़ान भरी और 40 मिनट बाद उससे संपर्क टूट गया। येरलिकाया ने बताया कि हायमाना के पास विमान ने आपात स्थिति में उतरने का संकेत भेजा था जिसके बाद उससे संपर्क टूट गया। तुर्किये के राष्ट्रपति कार्यालय में संचार विभाग के प्रमुख बुरहानत्तिन दुरान ने बताया कि विमान ने हवाई यातायात नियंत्रण को विद्युत संबंधी खराबी की सूचना दी थी और आपात स्थिति में विमान उतारे जाने का अनुरोध किया था। उन्होंने बताया कि विमान को वापस एसेनबोआ की ओर मोड़ दिया गया, जहां उसके उतरने की तैयारी शुरू कर दी गई लेकिन नीचे आते समय विमान रडार से गायब हो गया। इससे पहले अल-हद्दाद ने अंकारा में तुर्किये के रक्षा मंत्री यासार गुलर और अन्य अधिकारियों से मुलाकात की थी। अंकारा का हवाई अड्डा अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है और कई उड़ानों का मार्ग परिवर्तित कर दिया गया है। तुर्किये के न्याय मंत्रालय ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है। फेसबुक पर जारी सरकार के एक बयान के अनुसार, लीबिया तुर्किये के अधिकारियों के साथ मिलकर जांच करने के लिए अंकारा में एक दल भेजेगा। - न्यूयॉर्क/वाशिंगटन. ट्रंप प्रशासन ने एच-1बी वीजा कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए ‘रैंडम' लॉटरी प्रणाली को समाप्त करने की घोषणा की है, जिसके तहत वीजा लाभार्थियों का चयन किया जाता था। इसकी जगह अब ऐसी प्रक्रिया लागू की जा रही है, जिसमें अधिक कुशल और अधिक वेतन पाने वाले व्यक्तियों को वीजा आवंटन में प्राथमिकता दी जाएगी। यह नया नियम ऐसे समय में निर्धारित किया गया है जब ट्रंप प्रशासन एच-1बी वीजा समेत कानूनी व अवैध दोनों तरह के वीजा आवेदनों को लेकर सख्त रुख अपनाए हुए है। अमेरिका की कंपनियां एच1बी वीजा के जरिये विदेशी दक्ष व्यक्ति को नौकरी पर रखती हैं। इस वीजा के तहत काम करने वालों में भारतीय पेशेवरों की संख्या सबसे ज़्यादा है। मंगलवार को जारी बयान में अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग ने कहा कि एच1-बी वीजा की चयन प्रक्रिया में बदलाव किया जा रहा है। अब ज्यादा कुशल और ज्यादा वेतन पाने वाले लोगों को पहले मौका दिया जाएगा। बयान में कहा गया है कि इसका मकसद अमेरिकी कामगारों के वेतन, काम करने की स्थिति और नौकरी के अवसरों की रक्षा करना है। नया नियम 27 फरवरी 2026 से लागू होगा और वित्त वर्ष 2027 की एच-1बी वीज़ा पंजीकरण प्रक्रिया में इस नियम का इस्तेमाल किया जाएगा। बयान में कहा गया है कि इसके तहत वीजा पाने वालों का चयन अब लॉटरी से नहीं होगा, बल्कि अधिक कौशल वाले लोगों को ज्यादा प्राथमिकता दी जाएगी। एजेंसी ने कहा कि एच-1बी वीजा के लिए लॉटरी प्रणाली का काफी दुरुपयोग हो रहा था और कुछ कंपनियां इसका इस्तेमाल कम वेतन पर विदेशी कर्मचारियों को रखने के लिए कर रही थीं। अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) के प्रवक्ता मैथ्यू ट्रैगेसर ने कहा, “ अमेरिकी नियोक्ताओं मौजूदा लॉटरी प्रणाली का दुरुपयोग कर रहे हैं। वे अमेरिकी कामगारों की तुलना में कम वेतन पर विदेशी कर्मचारियों को लाना चाहते थे।” उन्होंने कहा, “नयी चयन प्रक्रिया एच-1बी कार्यक्रम को संसद की मंशा के अनुसार बेहतर बनाएगी और अमेरिकी कंपनियों को अधिक वेतन पाने वाले, अधिक कुशल विदेशी कर्मचारियों को चुनने के लिए प्रोत्साहित करेगी। इससे अमेरिका की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता मजबूत होगी।
- काठमांडू. नेपाल की प्रधानमंत्री सुशीला कार्की, पूर्व प्रधानमंत्रियों और तीन प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं शेर बहादुर देउबा, के पी शर्मा ओली और पुष्प कमल दहाल ‘‘प्रचंड'' ने पांच मार्च को होने वाले आम चुनाव के लिए "अनुकूल" माहौल बनाने का मंगलवार को संकल्प लिया। आठ और नौ सितंबर के ‘जनरेशन जेड' आंदोलन के परिणामस्वरूप ओली के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार सत्ता से हट गई थी और उसके बाद कार्यवाहक सरकार का गठन हुआ था। सरकार गठन के बाद शीर्ष राजनीतिक नेताओं और प्रधानमंत्री कार्की के बीच यह पहली बैठक थी। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल की पहल पर आयोजित संयुक्त बैठक में हिमालयी देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति और आगामी आम चुनाव पर चर्चा हुई। इस बैठक में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री कार्की, पूर्व प्रधानमंत्री एवं नेपाली कांग्रेस अध्यक्ष देउबा, नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) अध्यक्ष एवं पूर्व प्रधानमंत्री ओली तथा पूर्व प्रधानमंत्री एवं नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के समन्वयक ‘प्रचंड' उपस्थित थे। राष्ट्रपति के प्रेस सलाहकार किरण पोखरेल के अनुसार, शीर्ष नेताओं ने आगामी आम चुनाव के लिए अनुकूल माहौल बनाने पर सहमति जतायी। नेपाल के राष्ट्रपति कार्यालय के अनुसार, उन्होंने अनुकूल चुनावी माहौल बनाने के लिए गहन चर्चा हेतु जल्द ही प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास पर एक बैठक आयोजित करने पर भी सहमति जतायी। बैठक के दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि ‘जनरेशन जेड' आंदोलन के बाद देश में उत्पन्न हुई गंभीर और संवेदनशील स्थिति से निपटने के उपाय के रूप में चुनाव की घोषणा की गई है। उन्होंने कहा, "इसलिए देश की गंभीर स्थिति को ध्यान में रखते हुए आगामी चुनाव को सफल बनाना हम सभी का कर्तव्य है।"
- वाशिंगटन. अमेरिकी अर्थव्यवस्था इस साल की जुलाई-सितंबर तिमाही में 4.3 प्रतिशत की दर से बढ़ी है, जो जो पिछले दो वर्षों में सबसे तेज वृद्धि है। उपभोक्ता खर्च, सरकारी व्यय और निर्यात में मजबूती के चलते यह वृद्धि अनुमान से कहीं अधिक रही। अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि अप्रैल-जून तिमाही के 3.8 प्रतिशत से तेज रही। यह वृद्धि दर विश्लेषकों के अनुमान से तेज रही है। डेटा फर्म फैक्टसेट के सर्वे में इस अवधि के लिए करीब तीन प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया गया था। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि मुद्रास्फीति अभी भी अमेरिकी फेडरल रिजर्व की वांछनीय सीमा से ऊपर बनी हुई है। फेड रिजर्व का पसंदीदा महंगाई संकेतक निजी उपभोग व्यय सूचकांक सितंबर तिमाही में बढ़कर 2.8 प्रतिशत हो गया, जो जून तिमाही में 2.1 प्रतिशत था। अमेरिकी अर्थव्यवस्था में करीब 70 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाला उपभोक्ता व्यय पिछली तिमाही में बढ़कर 3.5 प्रतिशत पर पहुंच गया। वहीं, सरकार का उपभोग और निवेश 2.2 प्रतिशत बढ़ा, जिसे राज्य और स्थानीय स्तर पर खर्च एवं संघीय रक्षा व्यय से समर्थन मिला। इसके उलट पिछली तिमाही में निजी व्यवसाय निवेश में 0.3 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। हालांकि, यह जून तिमाही में आई 13.8 प्रतिशत की तेज गिरावट की तुलना में काफी कम रही। आलोच्य अवधि में अमेरिका के निर्यात में 8.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई जबकि आयात 4.7 प्रतिशत घट गया।रिपोर्ट के अनुसार, अर्थव्यवस्था की बुनियादी मजबूती दर्शाने वाला एक सूचकांक तीन प्रतिशत की दर से बढ़ा जबकि जून तिमाही में यह 2.9 प्रतिशत बढ़ा था। मुद्रास्फीति के दबाव के बावजूद अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने 2025 के अंत तक लगातार तीन बार ब्याज दरों में कटौती की है जिसके लिए श्रम बाजार में आई कमजोरी एक प्रमुख कारण रही है। पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर में 64,000 नई नौकरियां जुड़ीं जबकि अक्टूबर में रोजगार में 1.05 लाख की गिरावट दर्ज की गई थी। पिछले महीने बेरोजगारी दर बढ़कर 4.6 प्रतिशत हो गई, जो 2021 के बाद सबसे ऊंचा स्तर है।
- बीजिंग. दिल्ली स्थित चीनी दूतावास ने भारतीय पासपोर्ट धारकों को ऑनलाइन वीज़ा आवेदन की सुविधा प्रदान करने के लिए ‘चीन ऑनलाइन वीजा एप्लिकेशन सिस्टम' शुरू किया है। यह जानकारी एक सोशल मीडिया रिपोर्ट में सोमवार को दी गई। शेनझेन स्थित चीनी ऑनलाइन पोर्टल ग्रेटर बे एरिया (जीबीए) के अनुसार, यह प्रक्रिया पिछली प्रक्रिया की तुलना में आसान है, जिसमें आवेदकों को कई कागजी दस्तावेज भौतिक तौर पर प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती थी। इससे पहले, भारत में चीनी दूतावास ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट ‘वीचैट' पर घोषणा की थी कि ऑनलाइन वीजा सेवा प्रणाली 22 दिसंबर से शुरू की जाएगी। दूतावास ने कहा था कि चीनी ऑनलाइन वीजा आवेदन प्रणाली को भारत में चीनी दूतावास द्वारा 22 दिसंबर 2025 को आधिकारिक तौर पर शुरू किया जाएगा। उसने कहा कि आवेदक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन फॉर्म भरने और आवेदन सामग्री अपलोड कर सकते हैं।जीबीए की रिपोर्ट में कहा गया है कि पात्र आवेदक -- पर्यटक (एल), व्यावसायिक (एम), छात्र (एक्स) और कार्य (जेड) -- वीजा के लिए इलेक्ट्रॉनिक रूप से फॉर्म भर सकते हैं, दस्तावेज अपलोड कर सकते हैं और बायोमेट्रिक प्रक्रिया कर सकते हैं। इस महीने की शुरुआत में, भारत ने चीनी पेशेवरों के लिए व्यावसायिक वीजा जारी करने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए कदम उठाए थे। हालांकि, सभी चीनी वीजा आवेदकों के लिए मौजूदा जांच प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
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ह्यूस्टन (अमेरिका). अमेरिका की बहुराष्ट्रीय कंपनी ‘स्टारबक्स' ने भारतीय मूल के आनंद वरदराजन को अपना नया कार्यकारी उपाध्यक्ष और मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी (सीटीओ) नियुक्त किया है। करीब दो दशकों तक अमेजन में काम कर चुके वरदराजन को दुनियाभर में कॉफीहाउस श्रृंखला के लिए मशहूर इस कंपनी के वैश्विक प्रौद्योगिकी संचालन की कमान सौंपी गई है। स्टारबक्स के अनुसार, वरदराजन 19 जनवरी से पदभार संभालेंगे, कंपनी की कार्यकारी नेतृत्व टीम में शामिल होंगे और मुख्य कार्यकारी अधिकारी ब्रायन निकोल के मातहत काम करेंगे। वह डेब हॉल लेफेवर का स्थान लेंगे, जो सितंबर में सेवानिवृत्त हुई थीं। अमेजन में अपने लगभग 19 वर्षों के कार्यकाल के दौरान वरदराजन ने बड़े पैमाने पर ग्राहक-केंद्रित प्रौद्योगिकी मंच विकसित किए। हाल के वर्षों में वह अमेजन के ‘वर्ल्डवाइड ग्रॉसरी स्टोर' कारोबार के लिए प्रौद्योगिकी और आपूर्ति श्रृंखला की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। इससे पहले उन्होंने अमेरिकी प्रौद्योगिकी कंपनी ‘ओरेकल' में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में और कई स्टार्टअप के साथ भी काम किया। स्टारबक्स ने कहा कि वरदराजन को सुरक्षित और भरोसेमंद प्रणालियां विकसित करने तथा परिचालन उत्कृष्टता के लिए प्रौद्योगिकी को बड़े पैमाने पर लागू करने का गहरा अनुभव है, जिसमें ग्राहकों को केंद्र में रखा जाता है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के पूर्व छात्र वरदराजन ने पर्ड्यू विश्वविद्यालय से सिविल इंजीनियरिंग में परास्नातक डिग्री और वाशिंगटन विश्वविद्यालय से कंप्यूटर साइंस में परास्नातक डिग्री हासिल की है।
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जकार्ता। इंडोनेशिया के मुख्य द्वीप जावा में एक यात्री बस के रविवार देर रात दुर्घटनाग्रस्त होने से कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई। अधिकारियों ने यह जानकारी दी है। खोज और बचाव एजेंसी के प्रमुख बुडियोनो ने बताया कि 34 लोगों को ले जा रही बस टोल रोड पर नियंत्रण खो बैठी और कंक्रीट के एक अवरोधक से टकराने के बाद पलट गई। उन्होंने बताया कि अंतर-प्रांतीय बस राजधानी जकार्ता से देश के प्राचीन शाही शहर योग्याकार्ता जा रही थी तभी यह हादसा हुआ।
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लंदन । प्रिंस विलियम और उनके सबसे बड़े बेटे प्रिंस जॉर्ज बेघर लोगों के आश्रय स्थल पर पहुंचे और वहां एप्रन पहनकर क्रिसमस का दोपहर का भोजन बनाने में मदद की। इस आश्रय स्थल में प्रिंस ऑफ वेल्स पहली बार बचपन में अपनी मां (दिवंगत राजकुमारी डायना) के साथ गए थे। शनिवार को विलियम के यूट्यूब अकाउंट पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में पिता-पुत्र मध्य लंदन के ‘द पैसेज' स्थित रसोई में क्रिसमस ट्री सजाते और भोजन तैयार करने में मदद करते देखे गए। विलियम और उनकी पत्नी (राजकुमारी कैथरीन) ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, ‘‘क्रिसमस के दोपहर का भोजन तैयार करने में ‘द पैसेज' के स्वयंसेवकों और कर्मचारियों के साथ जुड़कर गर्व महसूस हो रहा है, इस साल मदद करने के लिए एक जोड़ा हाथ और साथ हैं।'' विलियम ‘द पैसेज' के शाही संरक्षक हैं और वह यहां पहली बार 11 साल की उम्र में अपनी मां डायना के साथ गए थे। राजगद्दी के उत्तराधिकारी ने हाल के वर्षों में इस आश्रय स्थल का दौरा किया है, लेकिन यह पहली बार है जब 12 वर्षीय जॉर्ज उनके साथ गए।
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कोलंबो. हिंदी फिल्म संगीत को ‘बिनाका गीतमाला' जैसे अनूठे साप्ताहिक कार्यक्रम के जरिये लोकप्रिय बनाने वाली श्रीलंका की रेडियो सेवा ने इस हफ्ते अपने सौ वर्ष पूरे कर लिए। श्रीलंका की यह रेडियो सेवा पूरे भारत में कभी ‘रेडियो सीलोन' के नाम से लोकप्रिय थी। श्रीलंका की रेडियो सेवा आधिकारिक तौर पर 16 दिसंबर, 1925 को शुरू की गई थी। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, यह एशिया का पहला व्यावसायिक ‘शॉर्ट-वेव' स्टेशन था। श्रीलंका ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (एसएलबीसी) ने शताब्दी वर्ष के अवसर पर एक बयान में कहा, ‘‘राष्ट्रीय रेडियो के पास एशिया में रिकॉर्ड किए गए गानों का सबसे बड़ा संग्रह है, जिसमें भारत में भी ना पाए जाने वाले दुर्लभ हिंदी गाने और विश्व नेताओं की आवाजों की रिकॉर्डिंग का एक अनूठा संग्रह शामिल है।'' मूल रूप से दूरसंचार विभाग का हिस्सा रही इस रेडियो सेवा का एक अक्टूबर, 1949 को पुनर्गठन किया गया और इसे ‘रेडियो सीलोन' नाम दिया गया। लेकिन बाद में पांच जनवरी, 1967 को इसका नाम बदलकर श्रीलंका ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (एसएलबीसी) कर दिया गया। रेडियो सीलोन पर लगभग चार दशकों तक हर सप्ताह ठीक रात आठ बजे हजारों भारतीय अमीन सयानी की सुरीली आवाज सुनने के लिए उत्सुक रहते थे। सयानी के दमदार स्वर में किया गया उद्घोष ‘भाइयो और बहनो' हिंदी फिल्म संगीत के दीवाने भारतीय उपमहाद्वीप में गूंजता था और लाखों श्रोताओं में उस दिन के गानों को लेकर उत्सुकता पैदा करता था। बिनाका गीतमाला का प्रसारण रेडियो सीलोन पर 1952 से 1988 तक हुआ। इसके बाद 1989 में यह ‘ऑल इंडिया रेडियो' की विविध भारती सेवा के तहत प्रसारित किया गया जो 1994 तक जारी रहा। आज एसएलबीसी घरेलू स्तर पर तीन सिंहली, दो तमिल और एक अंग्रेजी सेवा प्रसारित करता है, साथ ही हिंदी, कन्नड़, तेलुगु और मलयालम में विदेशी सेवाएं भी प्रसारित करता है। इस वर्ष 16 दिसंबर को हिंदी उद्घोषक ने यह कहकर शुरुआत की कि 60 और 70 के दशक के गाने, जिन्हें हिंदी फिल्म संगीत का स्वर्ण युग कहा जाता है, श्रीलंका में इतने लोकप्रिय थे कि उनकी प्रतियां सिंहली भाषा में भी उपलब्ध थीं।
- नई दिल्ली। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को बड़ा झटका लगा है। संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) की विशेष अदालत ने शनिवार को तोशाखाना-2 मामले में दोनों को 17-17 साल की कैद की सजा सुनाई।अदालत ने दोनों पर 1.64 करोड़ पाकिस्तानी रुपए का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना न भरने की स्थिति में उन्हें अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। पाकिस्तानी मीडिया द डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक विशेष न्यायाधीश (सेंट्रल) शाहरुख अर्जुमंद ने रावलपिंडी की अदियाला जेल में सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया, जहां इमरान खान पहले से ही बंद हैं।यह मामला मई 2021 का है, जब इमरान खान को सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस ने एक आधिकारिक दौरे के दौरान बुल्गारी ब्रांड का महंगा आभूषण सेट उपहार में दिया था। आरोप है कि बाद में सरकारी खजाने से इस कीमती तोहफे को बेहद कम कीमत पर खरीद लिया गया, जो नियमों का उल्लंघन है।केस की सुनवाई के दौरान इमरान खान ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 342 के तहत विशेष अदालत में अपना बयान दर्ज कराते हुए अभियोजन पक्ष के आरोप को खारिज कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि पूरा मामला दुर्भावनापूर्ण, मनगढ़ंत और राजनीतिक रूप से प्रेरित है।उन्होंने तर्क दिया कि वे पाकिस्तान दंड संहिता के तहत लोक सेवक की श्रेणी में नहीं आते, क्योंकि प्रधानमंत्री होने के बावजूद उन्हें उस उपहार के विशिष्ट विवरणों की जानकारी नहीं थी, जो उनकी पत्नी को दिया गया था। पीटीआई के संस्थापक ने कहा कि तोशाखाना नीति 2018 के अनुसार उचित प्रक्रिया का पालन किया गया। दान की सूचना प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रोटोकॉल अनुभाग को विधिवत दी गई, उसका मूल्यांकन किया गया और भुगतान राष्ट्रीय खजाने में जमा होने के बाद उसे कानूनी रूप से अपने पास रख लिया गया। उन्होंने कहा कि हमने तोशाखाना नीति का भावना पूर्वक पालन किया है।अदालत ने इमरान खान को पाकिस्तान दंड संहिता की धारा 34 और धारा 409 के तहत 10 साल की कठोर कैद, जबकि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 5(2) के तहत 7 साल की सजा सुनाई। इसी तरह बुशरा बीबी को भी उन्हीं धाराओं के तहत कुल 17 साल की सजा सुनाई।अदालत के आदेश में कहा गया कि सजा तय करते समय इमरान खान की उम्र और बुशरा बीबी के महिला होने के पहलू को ध्यान में रखा गया। इसी आधार पर अपेक्षाकृत नरमी बरती गई और कम सजा दी गई। साथ ही अदालत ने कहा कि जेल में बिताई गई अवधि को सजा में जोड़ा जाएगा। फैसले के बाद इमरान खान और बुशरा बीबी के वकीलों ने संकेत दिए हैं कि वे इस निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे। इस मामले में दोनों को पिछले साल दिसंबर में आरोपी बनाया गया था। इस साल अक्टूबर में इमरान और बुशरा बीबी ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए इसे राजनीतिक साजिश करार दिया था।
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लॉस एंजिलिस. दशकों तक अपनी जान जोखिम में डालकर युद्ध की आंखों देखी रिपोर्टिंग करने वाले वरिष्ठ पत्रकार पीटर अर्नेट का निधन हो गया है। ‘पुलित्जर पुरस्कार' से सम्मानित अर्नेट 91 वर्ष के थे। उनके बेटे एंड्रयू अर्नेट ने बताया कि पीटर ने बुधवार को ‘न्यूपोर्ट बीच' में अंतिम सांस ली और उनके आखिरी पलों में उनके परिवार के सदस्य और दोस्त वहीं मौजूद थे। वह प्रोस्टेट कैंसर से जूझ रहे थे और शनिवार को उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अर्नेट पत्रकारिता जगत का एक बड़ा नाम रहे हैं। वर्ष 1966 में 'द एसोसिएटेड प्रेस' (एपी) के लिए वियतनाम युद्ध की कवरेज करने पर उन्हें अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टिंग की श्रेणी में ‘पुलित्जर पुरस्कार' से नवाजा गया था। वर्ष 1962 से 1975 तक वियतनाम युद्ध की उनकी रिपोर्टिंग ने उन्हें साथी पत्रकारों के बीच समाचार एजेंसी संवाददाता के तौर पर पहचान दिलाई। हालांकि, पीटर अर्नेट को असली पहचान 1991 में मिली, जब पहले खाड़ी युद्ध के दौरान उन्होंने ‘सीएनएन' के लिए युद्ध के मैदान से लाइव रिपोर्टिंग की थी।
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मस्कट. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत और ओमान के बीच व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (सीईपीए) द्विपक्षीय संबंधों को नया विश्वास एवं ऊर्जा प्रदान करेगा और दोनों देशों में वृद्धि के अवसर भी पैदा करेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने यहां आयोजित ‘भारत-ओमान व्यापार शिखर सम्मेलन' में यह बात कही।
उन्होंने अपने संबोधन में मांडवी से मस्कट तक दोनों देशों के बीच सदियों पुराने समुद्री व्यापारिक संबंधों का उल्लेख किया जो वर्तमान समय में जीवंत वाणिज्यिक आदान-प्रदान की आधारशिला हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के 70 वर्ष पुराने कूटनीतिक संबंध सदियों से निर्मित विश्वास और मित्रता का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में भारत और ओमान ने मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते के तहत वस्त्र, कृषि उत्पाद तथा चमड़े के सामान सहित भारत के 98 प्रतिशत निर्यात को ओमान में शुल्क-मुक्त पहुंच मिलेगी। इसे आधिकारिक तौर पर व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (सीईपीए) कहा गया है। सीईपीए को भारत-ओमान के साझा भविष्य की रूपरेखा करार देते हुए प्रधानमंत्री ने व्यापार जगत के लोगों से इस समझौते की पूरी क्षमता का लाभ उठाने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आज हम एक ऐसा ऐतिहासिक निर्णय ले रहे हैं, जिसकी गूंज आने वाले कई दशकों तक सुनाई देगी। व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (सीईपीए) हमारी साझेदारी को 21वीं सदी में नया विश्वास एवं नई ऊर्जा प्रदान करेगा।'' उन्होंने कहा कि यह समझौता द्विपक्षीय व्यापार को नई गति देगा, निवेश में नया विश्वास उत्पन्न करेगा और हर क्षेत्र में अवसरों के नए द्वार खोलेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले 11 वर्षों में भारत की आर्थिक सफलता का उल्लेख करते हुए कहा कि अगली पीढ़ी के सुधारों, नीतिगत स्थिरता, सुशासन एवं निवेशकों के उच्च विश्वास के दम पर देश विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर अग्रसर है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत ने पिछले 11 वर्ष में न केवल नीतियों में बदलाव किया है, बल्कि अपने आर्थिक स्वरूप को भी बदल दिया है।'' मोदी ने कहा कि वैश्विक अनिश्चितता के माहौल में पिछली तिमाही में भारत की आठ प्रतिशत से अधिक की उच्च वृद्धि इसकी मजबूत प्रकृति और अंतर्निहित शक्तियों को उजागर करती है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत की प्रगति हमेशा से साझा प्रगति की कहानी रही है। भारत जब आगे बढ़ता है, तो वह अपने मित्रों को भी अपने विकास में भागीदार बनाता है। हम आज भी यही कर रहे हैं।'' प्रधानमंत्री ने साथ ही कहा कि भारत की वृद्धि की यात्रा में ओमान के लिए पर्याप्त अवसर मौजूद हैं।
मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे, लॉजिस्टिक, संपर्क, विश्वसनीय आपूर्ति शृंखलाओं, विनिर्माण क्षमताओं और हरित विकास को विकसित करने के लिए तेजी से और बड़े पैमाने पर काम कर रहा है ताकि ‘जीवन की सुगमता' एवं ‘कारोबार की सुगमता' को बढ़ावा दिया जा सके। उन्होंने हाल के वर्षों में भारत द्वारा लागू किए गए सुधारों का भी उल्लेख किया जिनमें वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता (आईबीसी) शामिल हैं। मोदी ने ओमान की कंपनियों को ऊर्जा, तेल एवं गैस, पेट्रोरसायन और उर्वरकों के पारंपरिक क्षेत्रों से परे देखने और हरित ऊर्जा, सौर पार्क, ऊर्जा भंडारण, स्मार्ट ग्रिड, कृषि-प्रौद्योगिकी, वित्तीय प्रौद्योगिकी, कृत्रिम मेधा (एआई) और साइबर सुरक्षा के क्षेत्रों में अवसरों का पता लगाने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने व्यापार साझेदारी को भविष्य के लिए तैयार करने हेतु भारत-ओमान कृषि नवाचार केंद्र और भारत-ओमान नवाचार सेतु के गठन का भी प्रस्ताव रखा। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि ये मात्र विचार नहीं हैं बल्कि निवेश करने, नवाचार करने और मिलकर भविष्य का निर्माण करने का निमंत्रण है। प्रधानमंत्री मोदी दो दिवसीय यात्रा पर बुधवार को यहां पहुंचे थे। - वाशिंगटन. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने मंगलवार को घोषणा की कि उसने 20 और देशों पर यात्रा प्रतिबंध लगाए हैं जिसमें फलस्तीनी प्राधिकरण भी शामिल है। अमेरिका की यात्रा करने और वहां प्रवास करने को लेकर इस साल पहले घोषित व्यापक प्रतिबंधों से प्रभावित देशों की संख्या ट्रंप प्रशासन की इस घोषणा के बाद दोगुनी हो जाएगी। ट्रंप प्रशासन ने उन देशों की सूची में पांच अन्य देशों को शामिल किया है जो यात्रा संबंधी पूर्ण प्रतिबंध झेल रहे हैं। इसके अलावा, फलस्तीनी प्राधिकरण द्वारा जारी दस्तावेजों पर यात्रा करने वाले लोगों को भी इस पूर्ण प्रतिबंध के दायरे में लाया गया है, जबकि 15 अन्य देशों पर नयी पाबंदियां लगाई गई हैं। यह कदम यात्रा और आव्रजन के लिए अमेरिका में प्रवेश के मानकों को और सख्त करने के प्रशासन के जारी प्रयासों का हिस्सा है। आलोचकों का कहना है कि इससे कई देशों के लोगों की यात्रा पर अनुचित रूप से रोक लग रही है। जिन लोगों के पास पहले से वीजा है, जो अमेरिका के वैध स्थायी निवासी हैं, जो राजनयिकों या खिलाड़ियों जैसी कुछ विशेष वीजा श्रेणियां के तहत अमेरिका आते हैं या जिनका अमेरिका में प्रवेश देश के हित में माना जाता है, उन्हें इन प्रतिबंधों से छूट दी गई है। घोषणा में कहा गया है कि ये बदलाव एक जनवरी से प्रभावी होंगे। जून में ट्रंप ने घोषणा की थी कि 12 देशों के नागरिकों को अमेरिका आने से पूरी तरह प्रतिबंधित किया जाएगा, जबकि सात अन्य देशों के नागरिकों पर यात्रा संबंधी पाबंदियां लगाई जाएंगी। उस समय प्रतिबंध की सूची में अफगानिस्तान, म्यांमा, चाड, कांगो गणराज्य, इक्वेटोरियल गिनी, इरिट्रिया, हैती, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान और यमन शामिल थे, जबकि बुरुंडी, क्यूबा, लाओस, सिएरा लियोन, टोगो, तुर्कमेनिस्तान और वेनेजुएला से आने वाले आगंतुकों पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए थे। ट्रंप प्रशासन ने मंगलवार घोषणा की कि अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध झेल रहे देशों की सूची का विस्तार करते हुए इसमें बुर्किना फासो, माली, नाइजर, दक्षिण सूडान और सीरिया को भी शामिल किया जा रहा है। प्रशासन ने फलस्तीनी प्राधिकरण द्वारा जारी यात्रा दस्तावेजों के आधार पर यात्रा को भी पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया है। इसे फलस्तीनियों के खिलाफ अमेरिका के यात्रा प्रतिबंध के रूप में देखा जा रहा है। दक्षिण सूडान पहले से ही कड़े यात्रा प्रतिबंधों का सामना कर रहा था। इसके अलावा, आंशिक प्रतिबंधों का सामना करने वाले देशों की सूची में 15 और देशों को जोड़ा गया है। इनमें अंगोला, एंटीगुआ और बारबुडा, बेनिन, आइवरी कोस्ट, डोमिनिका, गैबॉन, गाम्बिया, मलावी, मॉरिटानिया, नाइजीरिया, सेनेगल, तंजानिया, टोंगा, जाम्बिया और जिम्बाब्वे शामिल हैं। ये प्रतिबंध अमेरिका की यात्रा करने वाले आगंतुकों के साथ-साथ वहां स्थायी रूप से बसने के इच्छुक लोगों पर भी लागू होंगे।
- लॉस एंजिलिस. टेलीविजन के सबसे प्रतिष्ठित आयोजनों में से एक में बड़ा बदलाव करते हुए ‘एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर्स आर्ट्स एंड साइंसेज' ने बुधवार को घोषणा की कि ऑस्कर पुरस्कार समारोह वर्ष 2029 से एबीसी से हटकर यूट्यूब पर प्रसारित होगा। एबीसी 2028 तक वार्षिक समारोह का प्रसारण जारी रखेगा। उस वर्ष ऑस्कर पुरस्कार का 100वां संस्करण होगा। वर्ष 2029 से शुरू होकर, यूट्यूब के पास 2033 तक ऑस्कर के प्रसारण के वैश्विक अधिकार बने रहेंगे।
- काठमांडू. नेपाल ने एक दशक से अधिक समय से जारी प्रतिबंध को समाप्त करते हुए अब भारतीय उच्च मूल्य वर्ग की मुद्रा को हिमालयी राष्ट्र में ले जाने संबंधी नियमों में ढील दी है। एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गई। कैबिनेट सूत्रों के अनुसार, सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया गया, जिसके तहत अब व्यक्ति 200 रुपये और 500 रुपये के भारतीय नोट अधिकतम 25,000 रुपये प्रति व्यक्ति की सीमा तक अपने पास रख सकते हैं। संशोधित प्रावधान के तहत नेपाली और भारतीय दोनों नागरिक भारत से नेपाल आते समय या नेपाल से भारत जाते समय उच्च मूल्य वर्ग के भारतीय बैंक नोटों को अपने साथ ला या ले जा सकते हैं। सोमवार को हुआ यह कैबिनेट निर्णय भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंधन (मुद्रा का निर्यात और आयात) विनियम, 2015 में किए गए संशोधन के अनुरूप है। यह संशोधन भारतीय, नेपाली और भूटानी नागरिकों को भारत की यात्रा के दौरान उच्च मूल्य वर्ग की भारतीय मुद्रा ले जाने की अनुमति देता है। नेपाल राष्ट्र बैंक (एनआरबी) के प्रवक्ता गुरु प्रसाद पौडेल ने कहा कि यह दोनों देशों के पर्यटकों और व्यापारियों के लिए यात्रा करना या कारोबार करना आसान बनाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारी लंबे समय से चली आ रही मांग थी और भारत ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।''यह कदम उन प्रवासी श्रमिकों के लिए विशेष रूप से मददगार होगा जो भारत में कमाते हैं और प्रतिबंधों के कारण कम मूल्य वर्ग के नोटों में अपनी कमाई घर लाते थे।
- सिंगापुर. भारतीय पर्यटक सिंगापुर में विलासिता की वस्तुओं पर सबसे अधिक खर्च करने वालों में से हैं। सिंगापुर पर्यटन बोर्ड (एसटीबी) के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय पर्यटकों ने 2025 की पहली छमाही में सिंगापुर में 81.217 करोड़ सिंगापुर डॉलर खर्च किए जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 4.40 प्रतिशत अधिक है। ऑर्केड रोड बिजनेस एसोसिएशन (ओआरबीए) के चेयरमैन मार्क शॉ ने कहा, ‘‘ भारतीय यात्री, द्वीप राष्ट्र के सबसे व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण बाजारों में से एक बने हुए हैं और वे उन पर्यटकों में शामिल हैं जो सिंगापुर में विलासितापूर्ण खर्च को बढ़ाने में मदद कर रहे हैं।'' ओआरबीए सिंगापुर की प्रमुख संस्था है जो ऑर्केड रोड का प्रबंधन एवं प्रचार करती है जो एक प्रमुख ‘शॉपिंग बेल्ट' है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के अलावा, चीन और इंडोनेशिया के पर्यटक भी विलासितापूर्ण खर्च में वैश्विक गिरावट के बावजूद सिंगापुर में विलासिता पर काफी खर्च कर रहे हैं। शॉ ने कहा, ‘‘ भारतीय यात्रियों का खर्च अधिक होता है और वे औसत से अधिक यानी 6.3 दिन तक ठहरते हैं। इन लंबी यात्राओं के परिणामस्वरूप वे खुदरा, भोजन, मनोरंजन, दर्शनीय स्थलों और आवास पर अधिक खर्च करते हैं।'' एसटीबी के आंकड़ों के अनुसार, सिंगापुर में भारतीय पर्यटकों की संख्या साल के पहले 10 महीनों में 10 लाख तक पहुंच गई जो पिछले साल की तुलना में 2.6 प्रतिशत अधिक है। कुल मिलाकर जनवरी से अक्टूबर 2025 के दौरान सिंगापुर में 1425 लाख पर्यटक आए जो 2.5 प्रतिशत की वृद्धि है।
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नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि रूस–यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की दिशा में बातचीत आगे बढ़ रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि कई महीनों से चल रही लड़ाई को रोका जा सकता है। ट्रंप ने यह बात बर्लिन में यूरोपीय नेताओं और यूक्रेनी अधिकारियों के साथ लंबी बातचीत के बाद कही।
ट्रंप ने पत्रकारों से कहा कि उन्होंने यूरोप के कई बड़े नेताओं से बहुत लंबी और अच्छी चर्चा की। इन बातचीतों में यूक्रेन युद्ध मुख्य विषय रहा। उन्होंने कहा कि अभी कुछ समय पहले ही यूरोपीय नेताओं के साथ उनकी बातचीत हुई है और हालात सही दिशा में जाते दिख रहे हैं।ट्रंप ने कहा कि उन्होंने सीधे यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की और जर्मनी, इटली, नाटो, फिनलैंड, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम, पोलैंड, नॉर्वे, डेनमार्क और नीदरलैंड के नेताओं से बात की। उन्होंने कहा कि ये सभी बातचीत गंभीर और आपसी तालमेल के साथ हुईं। राष्ट्रपति ने युद्ध में हो रही भारी जनहानि पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि यह युद्ध नहीं होना चाहिए था और इसे कभी शुरू ही नहीं होना चाहिए था। हर महीने हजारों सैनिक और आम लोग मारे जा रहे हैं।उन्होंने यह भी कहा कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से उनकी कई बार बातचीत हुई है और अब शांति समझौते के और करीब पहुंचा जा रहा है। ट्रंप ने कहा, “हमने रूस के राष्ट्रपति पुतिन के साथ कई बातचीत की है, और मुझे लगता है कि हम अब पहले से कहीं ज्यादा करीब हैं। उनका लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान बचाना है। चुनौती दोनों पक्षों को “एक ही पेज पर” लाना है, और कहा, “मुझे लगता है कि यह काम कर रहा है।”ट्रंप ने कहा कि युद्ध में तबाही का स्तर बहुत बड़ा है और दूसरे विश्व युद्ध के बाद यूरोप में ऐसा नुकसान पहले कभी नहीं देखा गया। उन्होंने बताया कि यूरोपीय नेता भी चाहते हैं कि युद्ध जल्द खत्म हो और नाटो देशों के साथ सहयोग मजबूत बना हुआ है।सवालों के जवाब में ट्रंप ने यह भी माना कि राष्ट्रपति पुतिन भी अब युद्ध खत्म करना चाहते हैं और सामान्य जीवन की ओर लौटना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य में दोबारा युद्ध न हो, इसके लिए सुरक्षा व्यवस्था पर भी चर्चा चल रही है, जिसमें यूरोप की बड़ी भूमिका होगी।यूक्रेन में युद्ध अब चौथे साल में पहुंच चुका है और यह दूसरे विश्व युद्ध के बाद यूरोप का सबसे बड़ा संघर्ष बन गया है। इस युद्ध का असर दुनिया की ऊर्जा व्यवस्था, खाद्य आपूर्ति और सुरक्षा संबंधों पर पड़ा है। अमेरिका और नाटो देशों ने यूक्रेन को सैन्य और आर्थिक मदद दी है, वहीं युद्ध रोकने के कूटनीतिक प्रयास भी तेज हुए हैं। इस मामले में भारत ने भी लगातार बातचीत और कूटनीति के जरिए समाधान पर जोर दिया है। भारत ने रूस और यूक्रेन दोनों से संवाद बनाए रखा है और कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर युद्ध तुरंत रोकने और देशों की संप्रभुता का सम्मान करने की बात दोहराई है। -
सिडनी. ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि सिडनी के बॉन्डी बीच पर हनुक्का उत्सव के दौरान दो बंदूकधारियों ने अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसमें एक बच्चे सहित 15 लोगों की मौत हो गई। देश के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने इसे यहूदी-विरोधी आतंकवाद का कृत्य बताया। अधिकारियों के अनुसार, हमलावर पिता और पुत्र थे। ऑस्ट्रेलिया के सबसे लोकप्रिय समुद्र तटों में से एक पर हुआ यह नरसंहार पिछले एक साल में देश में लगातार हुईं यहूदी-विरोधी घटनाओं के बाद सामने आया। हालांकि, अधिकारियों ने इन घटनाओं और रविवार की गोलीबारी के बीच कोई सीधा संबंध नहीं बताया। सख्त बंदूक कानूनों वाले इस देश में यह लगभग तीन दशकों में सबसे वीभत्स हमला था।
न्यू साउथ वेल्स पुलिस आयुक्त माल लैनन ने बताया कि 50 वर्षीय एक हमलावर को पुलिस ने मार गिराया, जबकि उसका 24 वर्षीय बेटा घायल हुआ और अस्पताल में उसका उपचार हो रहा है। पुलिस ने कहा कि एक हमलावर सुरक्षा एजेंसियों के लिए जाना-पहचाना था, लेकिन किसी हमले की पूर्व योजना के संकेत नहीं मिले थे। न्यू साउथ वेल्स के प्रीमियर क्रिस मिंस ने बताया कि मृतकों की उम्र 10 से 87 वर्ष के बीच थी। सोमवार सुबह तक कम से कम 42 लोग अस्पतालों में भर्ती थे, जिनमें कई की हालत गंभीर थी। प्रधानमंत्री अल्बनीज ने कहा, ‘‘जो हमने देखा वह पूरी तरह यहूदी-विरोधी आतंकवाद का कृत्य था। यह ऑस्ट्रेलिया के उस महत्वपूर्ण स्थान बॉन्डी बीच पर हुआ, जो खुशी, परिवारों और उत्सवों से जुड़ा है। जो हुआ है, उसने इसे हमेशा के लिए कलंकित कर दिया है।'' यह हमला ऐसे दिन किया गया जब हजारों लोग बॉन्डी बीच पर जुटे थे। इनमें सैकड़ों लोग आठ दिन चलने वाले हनुक्का उत्सव की शुरुआत के अवसर पर आयोजित ‘‘चानुका बाय द सी'' कार्यक्रम में शामिल थे। इजराइल के विदेश मंत्रालय ने एक इजराइली नागरिक की मौत की पुष्टि की, जबकि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने बताया कि मारे गए लोगों में फ्रांसीसी नागरिक डैन एल्कायम भी शामिल था। ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों ने किसी भी पीड़ित या हमलावर का आधिकारिक रूप से नाम जारी नहीं किया। हालांकि, ‘द ऑस्ट्रेलियन अखबार' के अनुसार लारिसा क्लेटमैन नाम की महिला ने बताया कि उनके पति अलेक्ज़ेंडर क्लेटमैन की भी मौत हो गई है। यह दंपति नरसंहार के जीवित बचे लोगों में शामिल था। हनुक्का समारोह में मौजूद वकील आर्सेन ओस्त्रोव्स्की के सिर को गोली छूकर निकल गई। उन्होंने बताया कि ‘‘यह पूरी तरह से नरसंहार था, चारों ओर लाशें बिखरी थीं। मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऑस्ट्रेलिया में ऐसा होगा।'' सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2.8 करोड़ की आबादी वाले ऑस्ट्रेलिया में लगभग 1.17 लाख यहूदी रहते हैं। सरकार की विशेष दूत जिलियन सेगल के अनुसार, अक्टूबर 2023 के बाद यहूदी-विरोधी घटनाएं तीन गुना से अधिक बढ़ीं। पुलिस ने कहा है कि इस नरसंहार से जुड़े किसी अन्य व्यक्ति की तलाश नहीं है और घटना की गहन जांच की जाएगी। मौके से दो देसी बम भी बरामद किए गए हैं जिन्हें निष्क्रिय कर दिया गया। ब्रिटेन के महाराज चार्ल्स तृतीय, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने इसे यहूदी-विरोधी आतंकवादी हमला बताया और इसकी कड़ी निंदा की है। -
अम्मान/ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सोमवार को दो दिवसीय दौरे पर जॉर्डन पहुंचे, जिसका उद्देश्य अरब देश के साथ द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करना है। दोनों देशों के बीच घनिष्ठ संबंधों का एक विशेष संकेत देते हुए, जॉर्डन के प्रधानमंत्री जाफर हसन ने हवाई अड्डे पर मोदी की गर्मजोशी से अगवानी की और फिर उनका रस्मी स्वागत किया गया। मोदी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, "अम्मान पहुंच गया हूं। हवाई अड्डे पर गर्मजोशी से स्वागत करने के लिए जॉर्डन के हाशमी साम्राज्य के प्रधानमंत्री जाफर हसन का शुक्रगुजार हूं। मुझे विश्वास है कि यह यात्रा हमारे देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देगी।" जॉर्डन की यह पूर्ण द्विपक्षीय यात्रा 37 वर्षों के अंतराल के बाद हो रही है और ऐसे वक्त हो रही है, जब दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75 वर्ष हो रहे हैं। मोदी के तीन देशों के चार दिवसीय दौरे का पहला पड़ाव जॉर्डन है। इसके बाद वह इथियोपिया और ओमान भी जाएंगे। जॉर्डन के प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, "आज जॉर्डन में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का एक सम्मानित अतिथि के रूप में स्वागत करना हमारे लिए सम्मान की बात है। यह यात्रा हमारे 75 वर्षों के घनिष्ठ और स्थायी संबंधों को दर्शाती है।" उन्होंने कहा, "हम दोनों देशों के बीच विशेष रूप से आर्थिक, निवेश और तकनीकी क्षेत्रों में सहयोग के नए आयाम तलाशने के इच्छुक हैं।'' जब मोदी होटल पहुंचे, तो भारतीय समुदाय के सदस्यों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने लोगों से हाथ मिलाया और बातचीत की। स्थानीय कलाकारों ने पारंपरिक भारतीय नृत्य प्रस्तुत किए, जो देश की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते थे। मोदी आज बाद में शाह अब्दुल्ला द्वितीय इब्न अल हुसैन से बातचीत करेंगे, जिसके बाद प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता होगी। प्रधानमंत्री और शाह के मंगलवार को भारत-जॉर्डन व्यापार कार्यक्रम को संबोधित करने की उम्मीद है, जिसमें दोनों देशों के प्रमुख व्यवसायी शामिल होंगे। प्रधानमंत्री जॉर्डन में भारतीय समुदाय के साथ भी बातचीत करेंगे और देश के युवराज के साथ पेत्रा शहर का दौरा करेंगे, जो भारत के साथ प्राचीन व्यापारिक संबंधों को साझा करने वाला एक ऐतिहासिक शहर है। हालांकि, उनकी यह यात्रा मौसम की परिस्थितियों पर निर्भर करती है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी की जॉर्डन की यह पहली पूर्ण द्विपक्षीय यात्रा है। मोदी फरवरी 2018 में फलस्तीन जाते समय जॉर्डन में कुछ देर रुके थे।
विदेश मंत्रालय ने पिछले सप्ताह दिल्ली में एक विशेष प्रेस वार्ता में कहा कि हालांकि यह एक पारगमन यात्रा थी, लेकिन शाह द्वारा उन्हें विशेष सम्मान दिया गया था, जिससे यह महज एक पारगमन यात्रा से कहीं अधिक बन गई... किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह वर्तमान पूर्ण द्विपक्षीय यात्रा 37 वर्षों के अंतराल के बाद हो रही है।" भारत और जॉर्डन के बीच मजबूत आर्थिक संबंध हैं, और दिल्ली अम्मान का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार का मूल्य 2.8 अरब अमेरिकी डॉलर है। जॉर्डन भारत को उर्वरकों, विशेष रूप से फॉस्फेट और पोटाश का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता भी है। इस अरब देश में 17,500 से अधिक भारतीय प्रवासी रहते हैं, जो कपड़ा, निर्माण और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में कार्यरत हैं। -
नई दिल्ली। कांगो के पूर्वी हिस्से में पिछले 15 दिन से भीषण संघर्ष जारी है। इसके कारण दक्षिण किवु प्रांत में पांच लाख से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं, जिनमें लगभग एक लाख बच्चे शामिल हैं। यूनाइटेड नेशंस चिल्ड्रेंस फंड (यूनिसेफ) ने यह जानकारी दी। यूनिसेफ ने लाखों लोगों के विस्थापन पर अपनी चिंता जताई। उसने एक बयान में कहा, “वह दक्षिण किवु में बढ़ती शत्रुता से ‘बहुत चिंतित’ है, जिसके कारण लाखों बच्चों और परिवारों को सुरक्षा के लिए ‘डीआरसी’ (पूर्वी डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो) के अंदर और पड़ोसी बुरुंडी और रवांडा में सीमाओं के पार भागने के लिए मजबूर होना पड़ा है।”यूनिसेफ ने संघर्ष में शामिल सभी पक्षों से बच्चों की रक्षा करने और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत अपने दायित्वों का सम्मान करने का आग्रह किया। यूनिसेफ ने कहा, “जैसे-जैसे हिंसा फैल रही है, विस्थापन के आंकड़ों में और वृद्धि होने की उम्मीद है, क्योंकि दक्षिण किवु में भारी लड़ाई के बीच चार बच्चों सहित सैकड़ों लोग मारे गए हैं।”हिंसा से भागते लोगों का अचानक आगमन पड़ोसी बुरुंडी में भी दर्ज किया गया है। 6 दिसंबर से 11 दिसंबर के बीच 50 हजार से अधिक नए लोग आए, जिनमें से लगभग आधे बच्चे थे। यूनिसेफ ने कहा कि यह आंकड़ा बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि अधिकारी शरण लेने वाले लोगों की पहचान करना जारी रखे हुए हैं।इस सप्ताह की शुरुआत में ‘मार्च 23 मूवमेंट (एम23)’ विद्रोही संगठन ने बुरुंडी सीमा के पास दक्षिण किवु के दूसरे सबसे बड़े शहर उविरा पर कब्जा करने का दावा किया। प्रांतीय राजधानी बुकावु के फरवरी में ‘एम23’ के हाथ में आने के बाद उविरा ने दक्षिण किवु के लिए अस्थायी प्रशासनिक केंद्र के रूप में काम किया। सिन्हुआ समाचार एजेंसी ने बताया कि बुरुंडी सीमा के पास एक प्रमुख वाणिज्यिक केंद्र होने के कारण इस शहर का पूर्वी डीआरसी में महत्वपूर्ण रणनीतिक महत्व है।विशेषज्ञों और स्थानीय सूत्रों ने चेतावनी दी है कि उविरा को खोने से समय के साथ ‘डीआरसी’ के दक्षिण-पूर्वी प्रांतों की ओर एक गलियारा खुल सकता है, जिसमें एक प्रमुख आर्थिक क्षेत्र हाउट-कटंगा भी शामिल है। इसके साथ ही दक्षिण में बाराका और फिजी इलाकों में भी एम-23 लड़ाकों और कांगो सरकार की सेना के बीच झड़पों की खबरें सामने आई हैं।(
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न्यूयॉर्क/वॉशिंगटन. अमेरिका के 19 राज्यों ने नए एच-1बी वीजा आवेदनों पर 1,00,000 अमेरिकी डॉलर शुल्क लगाने के देश के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के फैसले को “गैरकानूनी” बताते हुए मुकदमा दायर किया है। राज्यों ने चेतावनी दी है कि इस कदम से स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और प्रौद्योगिकी जैसे प्रमुख क्षेत्रों में श्रमिकों की कमी और बढ़ जाएगी। न्यूयॉर्क की अटॉर्नी जनरल लेटिशिया जेम्स ने 18 अन्य अटॉर्नी जनरल के साथ मिलकर शुक्रवार को मैसाचुसेट्स जिले के अमेरिकी जिला न्यायालय में यह मुकदमा दायर किया। उन्होंने कानूनी अधिकार या उचित प्रक्रिया के बिना एच-1बी शुल्क में “भारी” बढ़ोतरी किए जाने को चुनौती दी है। एच-1बी वीजा कार्यक्रम के तहत उच्च कौशल वाले विदेशी पेशेवरों को अमेरिका में काम करने की अस्थायी रूप से अनुमति मिलती है और भारतीय नागरिक इसका व्यापक रूप से उपयोग करते हैं। मुकदमे में दलील दी गई है कि नए शुल्क से उन सरकारी और गैर-लाभकारी नियोक्ताओं के लिए व्यावहारिक रूप से मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी जो स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, प्रौद्योगिकी और अन्य क्षेत्रों में आवश्यक सेवाएं प्रदान करने के लिए एच-1बी वीजा धारकों पर निर्भर हैं। मुकदमे में कहा गया है, “एच-1बी वीजा से प्रतिभाशाली चिकित्सकों, नर्स, शिक्षकों और अन्य कामगारों को हमारे देश के जरूरतमंद समुदायों की सेवा करने का अवसर मिलता है।” जेम्स ने एक बयान में कहा, “इस कार्यक्रम को बर्बाद करने की प्रशासन की अवैध कोशिश से न्यूयॉर्कवासियों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं हासिल करना दूभर हो जाएगा, हमारे बच्चों की शिक्षा बाधित होगी और हमारी अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा। मैं प्रवासी समुदायों को निशाना बनाने वाली इस अव्यवस्था और क्रूरता को रोकने के लिए लड़ाई जारी रखूंगी।” सितंबर में ट्रंप ने घोषणा की थी कि उनका प्रशासन सभी नए एच-1बी आवेदनों पर एकमुश्त 1,00,000 अमेरिकी डॉलर का शुल्क लगाएगा।


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