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नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज अपने सौर मिशन आदित्य-एल1 का एक महत्वपूर्ण कार्य सफलतापूर्वक पूरा कर लिया। अंतरिक्ष यान ने अब एल1 तक पहुंचने की लगभग 110 दिन की यात्रा शुरू कर दी है। इसरो ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा है कि 110 दिन के बाद एक प्रक्रिया के माध्यम से इसे सूर्य और पृथ्वी के बीच एल1 प्वाइंट के आसपास की कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
आदित्य-एल1 पहली भारतीय अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला है जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी दूर स्थित लैग्रेंजियन प्वाइंट (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा से सूर्य का अध्ययन करेगा। सूर्य गैस का एक विशाल गोला है और आदित्य-एल1 सूर्य के बाहरी वातावरण का अध्ययन करेगा।इसरो के अनुसार, L1 प्वाइंट के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में स्थापित अंतरिक्ष यान बिना किसी बाधा के लगातार सूर्य को देखने में सक्षम हो पायेगा। इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव को देखा जा सकेगा। -
नई दिल्ली। एक खालिस्तानी अलगाववादी नेता की जून में हुई हत्या (Nijjar Killing Case) से भारत के ‘‘संभावित’’ संबंध के आरोपों का हवाला देकर एक भारतीय अधिकारी को कनाडा से निष्कासित किए जाने के कुछ ही घंटे बाद भारत ने एक कनाडाई राजनयिक को निष्कासित करने की मंगलवार को घोषणा की।
भारत में कनाडा के उच्चायुक्त को विदेश मंत्रालय द्वारा तलब किया गया और वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को निष्कासित करने के फैसले के बारे में सूचित किया गया। मंत्रालय ने कहा कि कनाडाई राजनयिक को निष्कासित करने का फैसला ‘‘हमारे आंतरिक मामलों में कनाडाई राजनयिकों के हस्तक्षेप और भारत विरोधी गतिविधियों में उनकी संलिप्तता’’ को लेकर भारत की बढ़ती चिंता को दर्शाता है।उसने एक बयान में कहा, ‘‘संबंधित राजनयिक को अगले पांच दिन में भारत से जाने का निर्देश दिया गया है।’’ इससे पहले, भारत ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के इन आरोपों को ‘‘बेतुका’’ और ‘‘बेबुनियाद’’ बताकर सिरे से खारिज कर दिया था कि खालिस्तानी अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंट का ‘‘संभावित हाथ’’ है।ट्रूडो द्वारा संसद में Nijjar Killing के संबंध में आरोप लगाए जाने के बाद कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने घोषणा की कि ‘‘एक वरिष्ठ भारतीय राजनयिक’’ को कनाडा से निष्कासित कर दिया गया है। कनाडाई नागरिक निज्जर की दो अज्ञात बंदूकधारियों ने गत 18 जून को कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी थी।ट्रूडो ने संसद में कहा था कि जून में हुई निज्जर की हत्या और भारत सरकार के एजेंट के बीच ‘‘संभावित संबंध के पुख्ता आरोपों’’ की कनाडा की सुरक्षा एजेंसियां पूरी सक्रियता से जांच कर रही हैं।विदेश मंत्रालय ने भारत पर लगाए गए आरोपों को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कनाडा में हिंसा के किसी भी कृत्य में भारत की संलिप्तता के आरोप ‘‘बेतुके’’ और ‘‘बेबुनियाद’’ हैं। -
नई दिल्ली। सरकार ने संसद के निचले सदन, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने से संबंधित ऐतिहासिक नारीशक्ति वंदन विधेयक को मंगलवार को लोकसभा में पेश कर दिया। विधि एवं न्याय मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुनराम मेघवाल ने विपक्ष के शोर-शराबे के विपक्ष संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) विधेयक, 2023 पेश किया। नए संसद भवन में पेश होने वाला यह पहला विधेयक है।
मेघवाल ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि यह विधेयक महिला सशक्तीकरण से संबंधित विधेयक है और इसके कानून बन जाने के बाद 543 सदस्यों वाली लोकसभा में महिला सदस्यों की मौजूदा संख्या (82) बढ़कर 181 हो जाएगी। इसके पारित होने के बाद विधानसभाओं में भी महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि विधेयक में फिलहाल 15 साल के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है और संसद को इसे बढ़ाने का अधिकार होगा।मेघवाल ने 2010 में महिला आरक्षण विधेयक राज्यसभा में पारित होने के बाद उसे लोकसभा से पारित न कराने को लेकर तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार की मंशा पर संदेह व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में पारित होने के बावजूद महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा में पारित नहीं कराया जा सका, यह तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार की नाकामी को दर्शाता है।इस बीच अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि विधेयक पर चर्चा बुधवार को होगी। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा को संबोधित करते हुए कहा की उनकी सरकार लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं में महिला आरक्षण के प्रावधान वाले ‘‘नारीशक्ति वंदन विधेयक’’ को कानून बनाने के लिए संकल्पबद्ध है। मोदी ने कहा, ‘‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम के माध्यम से हमारा लोकतंत्र और मजबूत होगा। मैं देश की माताओं, बहनों और बेटियों को नारी शक्ति वंदन अधिनियम के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।’’ -
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत का सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरना कोई संयोग नहीं है क्योंकि इसके सरल और टिकाऊ समाधानों ने कमजोर और वंचित लोगों को देश की विकास गाथा का नेतृत्व करने के लिए सशक्त बनाया है। सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ई-बुक, 'पीपुल्स जी-20' में एक लेख में, श्री मोदी ने कहा कि भारत के लिए, जी-20 की अध्यक्षता केवल एक उच्च स्तरीय राजनयिक प्रयास नहीं है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की जननी और विविधता के मॉडल के रूप में इसने दुनिया के लिए इस अनुभव के द्वार खोले। भारत नवंबर तक अध्यक्ष पद पर बना रहेगा और दिसंबर से ब्राजील इसकी अध्यक्षता करेगा। प्रधान मंत्री ने कहा कि यह एक जन-संचालित आंदोलन बन गया है और हमारे देश के 60 शहरों में दो सौ से अधिक बैठकें आयोजित की गई हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी अध्यक्ष देश ने कभी भी इतने विशाल और विविध स्तर पर कार्यक्रम आयोजित नहीं किये है। प्रधान मंत्री ने कहा कि भारत की जी-20 की अध्यक्षता ने मतभेद दूर करने, बाधाएं खत्म करने और सहयोग बढाने का प्रयास किया है।
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जयपुर। राजस्थान पुलिस ने प्रतापगढ़ जिले के देवगढ़ सर्कल के खूंटगढ़ गांव के जंगल में दिव्यांग युवती की हत्या कर शव को पेड़ से लटकाने के मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने यह जानकारी दी। पुलिस अधीक्षक अमित कुमार ने बताया कि आरोपी युवक कुलदीप गहलोत को गिरफ्तार कर उससे पूछताछ की जा रही है। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को मृतका के मामा भंवरलाल गुर्जर ने धमोतर थाने में तहरीर दी थी कि उसकी मानसिक रूप से कमजोर और दिव्यांग भांजी घर पर किसी को बिना बताए कहीं चली गई है। इसी दौरान शनिवार को थाना देवगढ़ सर्कल के खूंटगड गांव के जंगल में एक युवती का शव पेड़ से लटका मिला। जिसकी पहचान भंवरलाल ने अपनी भांजी के रूप में की। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि विशेष पुलिस दल ने साइबर सेल की मदद से आरोपी कुलदीप गहलोत को पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया है। उन्होंने बताया कि पूछताछ में आरोपी ने बताया कि घटना के दिन वह युवती को बहला फुसलाकर खूंटगड के जंगल में ले गया। जहां उसने युवती पर शादी का दबाव बनाया। मना करने पर दोनों का झगड़ा हो गया। अधिकारी ने बताया, युवती ने उसे धमकी दी थी कि वह अपने मामा को कहकर उसका गांव छुड़ा देगी। इस पर गुस्से में आकर आरोपी ने गला दबाकर युवती की हत्या कर दी और फिर उसी के दुपट्टे से बांधकर शव को पेड़ पर लटका दिया।
- जयपुर। राजस्थान में बाड़मेर जिले के धोरीमन्ना थाना क्षेत्र में रविवार देर रात पानी की टंकी में नाबालिग युवक-युवती के शव पाये गये। थानाधिकारी सुखराम विश्नोई ने बताया कि लुखू गांव में 17 वर्षीय एक किशोर और 16 वर्षीय एक किशोरी के शव एक खेत में पानी की टंकी में पाये गये। उनके अनुसार दोनों रिश्ते में चचेरे भाई-बहन थे। विश्नोई ने बताया कि किशोर 11 वीं कक्षा में पढ़ता था जबकि किशोरी नौवीं कक्षा की छात्रा थी। उनके मुताबिक शव के आसपास दोनों की चप्पल आदि मिले हैं लेकिन कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि प्रथम दृष्टया यह आत्महत्या का मामला लग रहा है। उन्होंने बताया कि सोमवार को पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिये गये। उन्होंने बताया कि परिजनों ने बकरियां चराने के दौरान पैर फिसल जाने से उनके टंकी में गिरने की रिपोर्ट दी है। उन्होंने कहा कि मामले की जांच की जा रही है। file photo
- नयी दिल्ली। मानवीय गतिविधियां ग्रह को लगातार प्रभावित कर रही हैं, जिसके चलते पृथ्वी की समग्र परिस्थितियों में भारी परिवर्तन का जोखिम बढ़ गया है। ‘ग्रहीय सीमा ढांचा' के अद्यतन शोध में यह जानकारी सामने आई है। शोधकर्ताओं ने कहा कि मानवीय जीवन की बेहतरी के लिये नौ “ग्रहीय सीमाएं” वैश्विक पर्यावरण के घटकों का प्रतिनिधित्व करती हैं जो ग्रह की स्थिरता और लोगों के लिए रहने की स्थितियों के लिहाज से उसको नियंत्रित करती हैं। उन्होंने कहा कि सुरक्षित ग्रहीय सीमा स्तरों के उल्लंघन का अनुपात मानव-संचालित गतिविधियों पर निर्भर करता है, जो घटकों को प्रभावित करता है। ग्रहीय सीमाओं की रूपरेखा मानवता के लिए ‘‘रहने के सुरक्षित स्थान'' की पहचान करने के वास्ते पृथ्वी के तंत्र के कामकाज की नवीनतम वैज्ञानिक समझ को लागू करती है। यह उस सीमा का निर्धारण करता है, जिस हद तक मानवीय गतिविधियों को पृथ्वी की उन स्थितियों में संभावित परिवर्तन के जोखिम की अनुमति दी जा सकती है, जो मानव जीवन को प्रभावित नहीं करे। शोधकर्ताओं ने कहा कि पहली बार, सभी ग्रहीय सीमाओं के लिए पैमाना प्रस्तुत किया गया है।उन्होंने कहा कि यह पाया गया कि इसकी छह सीमाओं का अतिक्रमण किया गया है और पृथ्वी की ओजोन परत के क्षरण को छोड़कर सभी सीमाओं का उल्लंघन बढ़ रहा है। शोधकर्ताओं के अनुसार, जलवायु को लेकर वैश्विक स्तर पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उनके मुताबिक, ‘पृथ्वी प्रणाली मॉडल' विकसित करना एक तत्कालिक प्राथमिकता है, जो ग्रहीय सीमाओं, विशेष रूप से जलवायु और जीवमंडल के बीच संबंधों को सटीक तौर पर नए सिरे से पेश करता है। जर्नल ‘साइंस एडवांसेज' में प्रकाशित शोध आठ अलग-अलग देशों के 29 वैज्ञानिकों द्वारा किए गए ग्रहीय सीमा ढांचे के तीसरे अद्यतन अध्ययन को पेश करता है। डेनमार्क में कोपेनहेगन विश्वविद्यालय की प्रोफेसर और अध्ययन की नेतृत्वकर्ता कैथरीन रिचर्डसन ने कहा कि ग्रहीय सीमाओं के बढ़ते उल्लंघन की प्रवृत्ति चिंताजनक है। रिचर्डसन ने कहा, ‘‘छह ग्रहीय सीमाओं का उल्लंघन करने से यह जरूरी नहीं है कि कोई आपदा आएगी, लेकिन यह एक स्पष्ट चेतावनी संकेत है। हम इसे अपने रक्तचाप के रूप में मान सकते हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘120/80 से अधिक का रक्तचाप दिल के दौरे की गारंटी नहीं है, लेकिन इससे दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, हम इसे नीचे लाने की कोशिश करते हैं। अपने और अपने बच्चों के हित के लिए हमें इन छह ग्रहीय सीमाओं पर दबाव कम करने की जरूरत है।
- हैदराबाद। निर्वाचन आयोग के “शीर्ष अधिकारियों” की एक टीम तीन अक्टूबर को तेलंगाना की यात्रा कर चुनाव तैयारियों का जायजा लेगी और विभिन्न हितधारकों से बात करेगी। राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी विकास राज की ओर से सोमवार को जारी आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि तीन दिवसीय यात्रा के दौरान टीम राज्य प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों के साथ समन्वय कायम करने के लिए मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के साथ बैठक करेगी। पहले दिन, टीम राष्ट्रीय और राज्य स्तर के मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक करेगी। इसके बाद, टीम की आगामी चुनावों से संबंधित प्रमुख मामलों पर चर्चा करने के लिए प्रवर्तन एजेंसियों के साथ बैठक होगी। दूसरे दिन, जमीनी स्तर पर चुनाव तैयारियों के आकलन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा और तेलंगाना के सभी 33 जिलों के जिला निर्वाचन अधिकारी और पुलिस अधीक्षक/पुलिस आयुक्त आयोग की टीम के सामने विस्तृत प्रस्तुति देंगे। अंतिम दिन लोकतांत्रिक प्रक्रिया में जागरूकता और भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए टीम राज्य के प्रतिष्ठित व्यक्तियों, दिव्यांग व युवा मतदाताओं के साथ बातचीत करेगी। तेलंगाना में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना है।
- आइजोल।असम राइफल्स के जवानों ने सोमवार को मिजोरम के चम्फाई जिले से 30 करोड़ रुपये की कीमत वाली 10 किलोग्राम मेथामफेटामाइन (मादक पदार्थ) की गोलियां बरामद की। मेथामफेटामाइन, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को उत्प्रेरित करने में सक्षम है जिसका उपयोग मुख्य रूप से मादक पदार्थ के रूप में किया जाता है। अर्धसैनिक बल ने यहां एक बयान में बताया कि एक गुप्त सूचना के आधार पर जोकवथर इलाके में एक अभियान शुरू किया गया और मादक पदार्थ की जब्ती की इस कार्रवाई में म्यांमा के एक नागरिक को भी गिरफ्तार किया गया। आरोपी को आगे की कानूनी कार्रवाई के लिए जोकवथर पुलिस थाने को सौंप दिया गया है।
- नयी दिल्ली। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने कहा कि कर्नाटक में ‘होयसल के पवित्र मंदिर समूह' को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किए जाने से भारत में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों की संख्या बढ़कर 42 हो गई है। इससे एक दिन पहले संगठन ने पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल करने की घोषणा की थी। शांतिनिकेतन में ही कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने एक सदी पहले विश्वभारती की स्थापना की थी। कर्नाटक में ‘होयसल के पवित्र मंदिर समूह' - बेलूर, हलेबिड और सोमनाथपुरा के होयसल मंदिरों को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने सोमवार को ‘एक्स' पर यह जानकारी साझा की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यूनेस्को के इस फैसले को लेकर बयान दिया है। यूनेस्को ने ‘एक्स' पर कहा, ‘‘भारत में कर्नाटक के ‘होयसल के पवित्र मंदिर समूह' को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। बधाई।'' यह निर्णय सऊदी अरब के रियाद में जारी विश्व धरोहर समिति के 45वें सत्र के दौरान लिया गया।भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने यूनेस्को द्वारा होयलस राजवंश को धरोहर सूची में शामिल किए जाने की घोषणा के बाद कहा कि कर्नाटक में होयसल राजवंश के 13वीं सदी के खूबसूरत मंदिरों को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है जिससे भारत में सूची में शामिल ऐसे स्थलों की कुल संख्या 42 हो गई है। एएसआई ने एक बयान में कहा, ''यह पूरे भारत के लिए बेहद खुशी और जश्न का अवसर है।"प्रधानमंत्री मोदी ने ‘एक्स' पर कहा, ‘‘भारत के लिए और भी गौरव की बात। होयसल के शानदार पवित्र मंदिरों को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। होयसल मंदिरों की शाश्वत सुंदरता भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और हमारे पूर्वजों के असाधारण शिल्प कौशल का प्रमाण है।'' शाह ने 'एक्स' पर कहा, ''यह हमारे देश के लिए खुशी का अवसर है कि हमारी दो सांस्कृतिक विरासतों को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया गया है। पश्चिम बंगाल में शांतिनिकेतन और कर्नाटक में होयसल के पवित्र मंदिर समूह हमारी संस्कृति की अनंत काल के जीवित प्रमाण हैं।" यूनेस्को की घोषणा के बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, ‘‘एक और अच्छी खबर आ रही है। हमारी पारंपरिक कला और वास्तुकला के लिए एक और मान्यता।'' कर्नाटक की धरोहर को शामिल किए जाने पर राज्य के मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ‘एक्स' पर कहा, "हमारी सरकार, राज्य के पर्यटन स्थलों पर आने वाले पर्यटकों को विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा और सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। ऐतिहासिक स्थानों और तीर्तस्थलों के उद्गम स्थल कर्नाटक में आपका स्वागत है।" ‘होयसल के पवित्र मंदिर समूह' यूनेस्को की संभावित सूची में अप्रैल, 2014 से ही शामिल थे। भारत ने इसे वर्ष 2022-2023 के लिए विश्व धरोहर के रूप में विचार के लिए नामांकन के रूप में भेजा था।
- मुंबई। मुंबई में गणेश उत्सव के दौरान सुरक्षा के लिए 13,750 से अधिक पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है, जो आज से शुरू हो गया है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पुलिसकर्मियों में 11,726 कांस्टेबल, उप निरीक्षक से लेकर सहायक आयुक्त स्तर तक के 2,024 अधिकारी और 15 उपायुक्त शामिल हैं। अधिकारी ने कहा,"पुलिस कानून-व्यवस्था की किसी भी समस्या से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।"यातायात पुलिस द्वारा जारी अधिसूचना में मुंबई में वाहनों के सुचारू आवागमन के लिए कई उपाय किये गए हैं, जिनमें कुछ दिनों तक भारी वाहनों पर प्रतिबंध भी शामिल है।
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नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि जीवन साथी चुनना आस्था और धर्म के मामलों से प्रभावित नहीं हो सकता है और शादी का अधिकार मानव स्वतंत्रता का मामला है। उच्च न्यायालय ने कहा कि अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने का अधिकार न सिर्फ मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा में रेखांकित किया गया है, बल्कि यह संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) का एक अभिन्न पहलू भी है। न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी ने कहा,“जीवन साथी चुनना किसी भी तरह से आस्था और धर्म के मामलों से प्रभावित नहीं हो सकता है। जब भारत का संविधान प्रत्येक व्यक्ति को किसी भी धर्म का स्वतंत्र रूप से आचरण करने, मानने और उसका प्रसार करने का अधिकार देता है, तो यह प्रत्येक व्यक्ति को विवाह के मामलों में इन पहलुओं के लिए स्वायत्ता की भी गारंटी देता है।” उच्च न्यायालय ने कहा कि जब दोनों वयस्कों की सहमति हो तो राज्य, समाज या यहां तक कि संबंधित पक्षों के माता-पिता भी उनके जीवनसाथी चुनने के फैसले पर अपनी पसंद नहीं थोप सकते हैं, या ऐसे अधिकारों को कम या सीमित नहीं कर सकते हैं। उच्च न्यायालय का आदेश एक अंतरधार्मिक जोड़े की याचिका पर आया है। जोड़े ने अपने परिवारों की मर्जी के विरुद्ध शादी की थी। उन्होंने अधिकारियों को उन्हें सुरक्षा मुहैया करने का निर्देश देने की मांग की थी क्योंकि उन्हें उनके परिवारों से खतरा है। अदालत ने याचिका स्वीकार कर ली और निर्देश दिया कि याचिकाकर्ताओं को संबंधित पुलिस अधिकारियों का संपर्क नंबर प्रदान किया जाए और वे जरूरत पड़ने पर उनसे संपर्क कर सकते हैं। अदालत ने कहा कि महिला के माता-पिता को याचिकाकर्ताओं के जीवन और स्वतंत्रता को खतरे में डालने की अनुमति नहीं दी जा सकती, जिन्हें अपने व्यक्तिगत निर्णयों और पसंद के लिए किसी सामाजिक स्वीकृति की जरूरत नहीं है।
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नई दिल्ली। देश में कृषि-क्रांति लाने के उद्देश्य से सरकार आज परिवर्तनकारी पहलों की एक श्रृंखला का शुभारंभ करेगी। इन पहलों में किसान ऋण पोर्टल, घर-घर किसान क्रेडिट कार्ड वितरण अभियान और मौसम सूचना नेटवर्क डेटा प्रणाली शामिल हैं। इस योजना का शुभारंभ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर करेंगे। श्री तोमर ने बताया है कि इनका उद्देश्य वित्तीय समावेशन को बढ़ाना, डेटा उपयोग को सुव्यवस्थित करना, प्रौद्योगिकी का उपयोग करना और कृषि समुदाय की आजीविका में वृद्धि करना है। किसानों के कल्याण के लिए कृषि-ऋण और फसल बीमा पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। कई सरकारी विभागों के सहयोग से विकसित किसान ऋण पोर्टल और किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से किसानों को ऋण सुविधाएं प्राप्त होंगी।
घर-घर किसान क्रेडिट कार्ड अभियान पूरे भारत में प्रत्येक किसान को इस योजना का लाभ पहुंचाने का एक महत्वाकांक्षी अभियान है। मंत्रालय ने बताया है कि मार्च 2023 तक सक्रिय किसान क्रेडिट कार्ड खातों की कुल संख्या 7 करोड़ 35 लाख थी जबकि कुल स्वीकृत सीमा 8 लाख 85 हजार करोड़ रुपये है। -
बेंगलुरु. भारत के ‘आदित्य एल-1' सूर्य मिशन अंतरिक्ष यान ने आंकड़े जुटाने शुरू कर दिए हैं, जो पृथ्वी के चारों ओर मौजूद कणों के व्यवहार के विश्लेषण में वैज्ञानिकों की मदद करेंगे। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को यह जानकारी दी। इसरो ने कहा, ''भारत की पहली सौर वेधशाला में लगे सेंसरों ने पृथ्वी से 50 हजार किलोमीटर से ज्यादा की दूरी पर आयन और इलेक्ट्रॉन को मापना शुरू कर दिया है।'' राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ''ये आंकड़े पृथ्वी के चारों ओर मौजूद कणों के व्यवहार के विश्लेषण में वैज्ञानिकों की मदद करेंगे।'' 'सुप्रा थर्मल एंड एनर्जेटिक पार्टिकल स्पेक्ट्रोमीटर' (एसटीईपीएस) उपकरण 'आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्पेरिमेंट' अंतरिक्ष उपकरण का एक हिस्सा है। इसरो ने कहा, ''जैसे-जैसे आदित्य एल-1 सू्र्य-पृथ्वी के बीच मौजूद एल1 बिंदु की ओर आगे बढ़ेगा वैसे-वैसे एसटीईपीएस की यह माप अंतरिक्ष यान मिशन के 'क्रूज फेज' के दौरान भी जारी रहेगी। अंतरिक्ष यान के अपनी इच्छित कक्षा में स्थापित होने के बाद भी यह जारी रहेगा।'' इसने कहा, ''एल-1 के आसपास जुटाए गए आंकड़ों से सौर वायु की उत्पति, इसकी गति और अंतरिक्ष मौसम से संबंधित चीजों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकेगी।'' एसटीईपीएस को अहमदाबाद स्थित अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के सहयोग से भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला द्वारा तैयार किया गया है। इसमें छह सेंसर लगे हुए हैं, जो अलग-अलग दिशाओं में अवलोकन कर रहे हैं और एक मेगा इलेक्ट्रॉन वोल्ट (एमईवी) से अधिक के इलेक्ट्रॉन के अलावा, 20 किलोइलेक्ट्रॉन वोल्ट (केईवी) /न्यूक्लियॉन से लेकर पांच एमईवी/न्यूक्लियॉन तक के ‘सुपर-थर्मल' और शक्तिशाली आयनों को माप रहे हैं। पृथ्वी की कक्षाओं के दौरान के आंकड़ों से वैज्ञानिकों को पृथ्वी के चारों ओर, विशेष रूप से इसके चुंबकीय क्षेत्र में मौजूद कणों के व्यवहार का विश्लेषण करने में मदद मिलेगी। एसटीईपीएस, पृथ्वी से 50 हजार किलोमीटर से ज्यादा की दूरी पर 10 सितंबर को सक्रिय हुआ था। यह दूरी पृथ्वी की त्रिज्या के आठ गुना से भी अधिक है। इसरो ने गत दो सितंबर को पीएसएलवी-सी57 रॉकेट के जरिए ‘आदित्य-एल1' का प्रक्षेपण किया था जिसे पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर ‘लैग्रेंजियन' बिंदु-1 (एल1) पर प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
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बेंगलुरु. कर्नाटक के बेंगलुरु में जेपी नगर स्थित सत्य गणपति मंदिर परिसर को करीब ढाई करोड़ रुपये के सिक्कों और नोटों से सजाया गया है । बेंगलुरु और समूचे कर्नाटक में सोमवार से गणेश चतुर्थी उत्सव धार्मिक उत्साह के साथ शुरू हो गया। श्रद्धालु भगवान गणेश का आशीर्वाद लेने के लिए मंदिरों और पंडालों में जा रहे हैं। अपनी अनूठी सजावट के चलते सत्यगणपति मंदिर श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित कर रहा है।
न्यासियों के मुताबिक, इस मंदिर का प्रबंधन संभाल रहे गणपति शिर्डी साई न्यास ने पांच, 10 और 20 रुपये के सिक्कों की मालाएं तैयार की हैं। इसी के साथ-साथ 10,20,50,100,200 और 500 रुपये के नोटों की भी मालाएं तैयार की गई हैं। ये सभी मालाएं करीब ढाई करोड़ रुपये की हैं। एक न्यासी ने बताया कि करीब 150 लोगों की टीम ने एक महीने के दौरान सिक्कों और नोटों की मालाओं से मंदिर की सजावट की। उनके मुताबिक, इसके लिए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं और सीसीटीवी से भी निगरानी रखी जा रही है। सिक्कों का इस्तेमाल कर कलात्मक चित्रण किया गया है। इनमें भगवान गणेश, 'जय कर्नाटक', 'राष्ट्र प्रथम', 'विक्रम लैंडर', 'चंद्रयान' और 'जय जवान जय किसान' की छवियां शामिल हैं। एक न्यासी ने बताया कि नोटों और सिक्कों से की गई यह सजावट एक हफ्ते के लिए रहेगी। -
नासिक. महाराष्ट्र के नासिक जिले में मुंबई-आगरा राजमार्ग पर सोमवार सुबह एक कार खड़े कंटेनर ट्रक से टकरा गई। हादसे में कार सवार कम से कम चार लोगों की मौत हो गई। पुलिस ने यह जानकारी दी। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि दुर्घटना सुबह करीब सात बजे चंदवाड तालुका के मल्साणे शिवार इलाके की है। नासिक से धुले की ओर जाते समय कार सड़क किनारे खड़े कंटेनर ट्रक से टकरा गई। अधिकारी ने बताया कि कार में सवार सभी चार लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। ट्रक टायर फटने के कारण सड़क किनारे खड़ा था। अधिकारी ने बताया कि मृतकों की पहचान धुले के रहने वाले किरण अहिरराव(47), कृष्णकांत माली (43), प्रवीण पवार (38) और अनिल पाटिल (38) के रूप में हुई है। इस घटना के चलते मुंबई-आगरा मार्ग पर सुबह वाहनों की आवाजाही प्रभावित रही।
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मुंबई. नए संसद भवन की रोशनी व्यवस्था में ऊर्जा दक्षता प्रमुख केंद्र रहेगी और इससे पारंपरिक प्रणाली की तुलना में बिजली की खपत 50 प्रतिशत कम होगी। उद्योग के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। नए संसद भवन का उद्घाटन इस साल मई में किया गया था। मंगलवार से इसमें पहला सत्र आयोजित किया जाएगा। अधिकारी ने बताया कि इसमें बहुत सारी अनुकूलित प्रकाश व्यवस्था और यहां तक कि झूमर भी लगे हैं।
पैनासोनिक लाइफ सॉल्यूशंस के कारोबार समूह प्रमुख-लाइटिंग प्रभाग राजा मुखर्जी ने कहा, ‘‘ हम... ऐसे उत्पाद मुहैया कर रहे हैं, जो बेहद ऊर्जा कुशल हैं। हमने उत्पादों के साथ सेंसर को जोड़ा है और इससे इसका पूर्ण समाधान भी मिला।'' उन्होंने कहा कि इसमें डेलाइट इंटिग्रेशन सेंसर और मोशन ऑक्यूपेंसी सेंसर हैं, जो कुल ऊर्जा बचत में इजाफा करते हैं। पैनासोनिक ने प्रकाश नियंत्रण पहलू पर काम किया है, न कि संपूर्ण प्रकाश व्यवस्था पर। मुखर्जी ने कहा, ‘‘ पारंपरिक प्रणाली से हटकर जब आप एलईडी का इस्तेमाल करते हैं, तो आप पहले से ही करीब 50 प्रतिशत ऊर्जा बचाते हैं और इसके अलावा इन नियंत्रणों के साथ आप 15-20 प्रतिशत तक अतिरिक्त ऊर्जा बचा सकते हैं।'' उन्होंने कहा कि प्रणाली पर काम लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन ‘साइट' को अभी आधिकारिक तौर पर सौंपा जाना बाकी है। -
मुंबई. मुंबई में गणेश मंडलों ने 18 सितंबर से शुरू होने वाले गणपति उत्सव के लिए अपने पंडालों की थीम तैयार कर ली है, जिसमें चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण और अयोध्या में बन रहा राम मंदिर भी शामिल है। मुंबई 10 दिवसीय उत्सव के लिए तैयार है, जिसका समापन 28 सितंबर को होगा। इस वर्ष लोगों को कई शानदार थीम देखने को मिलेंगी, क्योंकि शहर के गणपति मंडल अपने पंडालों के लिए आकर्षक विषयों पर काम कर रहे हैं। इस बार चंद्रयान -3 के प्रक्षेपण, अयोध्या राम मंदिर और मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगांठ की थीम देखने को मिलेगी। शहर के बड़े मंडल इन्हें प्रदर्शित करेंगे। इस बीच, जीएसबी सेवा मंडल के 'महागणपति' इस साल 66.5 किलोग्राम सोने के आभूषणों, 295 किलोग्राम से अधिक चांदी के साथ-साथ अन्य कीमती वस्तुओं से जगमगाएगा। महागणपति संभवतः भारत की सबसे अमीर मूर्ति के रूप में प्रसिद्ध हैं और इसकी साज-सज्जा के भव्य तरीके के कारण यह शहर में हमेशा चर्चा में रहता है। जीएसबी सेवा मंडल के एक प्रवक्ता ने सोमवार को कहा कि शहर के पूर्वी हिस्से में किंग्स सर्कल में स्थित मंडल अपनी 69वीं वर्षगांठ मना रहा है और सुरक्षा व्यवस्था के तहत चेहरे की पहचान करने वाले कैमरों की स्थापना पहली बार की जा रही है। उन्होंने बताया, “मंडल ने इस साल 360.40 करोड़ रुपये का बीमा कवर लिया है। भक्तों के लिए आयोजकों ने क्यूआर कोड और डिजिटल लाइव प्रसारण की व्यवस्था की है।
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-प्रधानमंत्री ने लोकसभा में संसद के विशेष सत्र को संबोधित किया
- “आज भारत की 75 वर्षों की संसदीय यात्रा का पुनः स्मरण करने का अवसर है”-“हम भले ही नए भवन में शिफ्ट हो रहे हैं लेकिन यह भवन आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा देता रहेगा क्योंकि यह भारतीय लोकतंत्र की यात्रा का एक स्वर्णिम अध्याय है”- “अमृत काल की प्रथम प्रभा का प्रकाश, राष्ट्र में एक नया विश्वास, नया आत्मविश्वास भर रहा है”- “भारत इस बात के लिए गर्व करेगा कि जब भारत जी-20 का अध्यक्ष रहा, तब अफ्रीकन यूनियन इसका सदस्य बना”-“जी-20 के दौरान भारत 'विश्व मित्र' के रूप में उभरा”- “सदन का समावेशी माहौल पूरी शक्ति के साथ जन-आकांक्षाओं को अभिव्यक्त करता रहा है”- “75 वर्षों की सबसे बड़ी उपलब्धि है कि देश के जन सामान्य का हमारी संसद पर विश्वास बढ़ता ही गया है”- “संसद पर आतंकी हमला, सिर्फ लोकतंत्र पर ही नहीं, बल्कि हमारी आत्मा पर हमला था”- भारतीय लोकतंत्र के तमाम उतार-चढ़ाव देखने वाला हमारा यह सदन जनविश्वास का केंद्र बिंदु रहा है”नई दिल्ली। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज लोकसभा में संसद के विशेष सत्र को संबोधित किया। विशेष सत्र 18 से 22 सितंबर, 2023 तक आयोजित किया जा रहा है।सदन को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि आज कार्यवाही को हाल में उद्घाटन किए गए भवन में स्थानांतरित करने से पहले भारत की 75 वर्षों की संसदीय यात्रा का पुनः स्मरण करने का अवसर है। पुराने संसद भवन के बारे में चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह भवन भारत की स्वतंत्रता से पहले इम्पीरियल लेजिस्लेटिव कॉउन्सिल के रूप में कार्य करता था और स्वतंत्रता के बाद इसे भारत की संसद के रूप में मान्यता दी गई थी। उन्होंने बताया कि भले ही इस इमारत के निर्माण का निर्णय विदेशी शासकों द्वारा किया गया था, लेकिन यह भारतीयों द्वारा की गई कड़ी मेहनत, समर्पण और धन से विकसित हुआ। श्री मोदी ने कहा, 75 साल की यात्रा में इस सदन ने सर्वोत्तम परंपराएं और प्रथाएं बनाई हैं, जिसमें सभी का योगदान रहा है और सभी इसके साक्षी हैं। उन्होंने कहा, “हम भले ही नए भवन में शिफ्ट हो रहे हैं लेकिन यह भवन आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा देती रहेगी। चूंकि यह भारतीय लोकतंत्र की यात्रा का एक स्वर्णिम अध्याय है।”प्रधानमंत्री ने कहा कि अमृत काल की प्रथम प्रभा का प्रकाश, राष्ट्र में एक नया विश्वास, नया आत्मविश्वास भर रहा है। उन्होंने कहा कि दुनिया भारत और भारतीयों की उपलब्धियों पर चर्चा कर रही है। उन्होंने कहा, "यह हमारे 75 साल के संसदीय इतिहास के सामूहिक प्रयास का परिणाम है।”चंद्रयान 3 की सफलता का जिक्र करते हुए श्री मोदी ने कहा कि यह भारत की क्षमताओं का एक और आयाम सामने लाता है जो आधुनिकता, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और हमारे वैज्ञानिकों के कौशल और 140 करोड़ भारतीयों की ताकत से जुड़ा है। प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों को उनकी उपलब्धि के लिए सदन और राष्ट्र की ओर से बधाई दी।प्रधानमंत्री ने याद किया कि कैसे सदन ने अतीत में गुटनिरपेक्ष आंदोलन के शिखर सम्मेलन के समय देश के प्रयासों की सराहना की थी और अध्यक्ष द्वारा जी-20 की सफलता की स्वीकृति के लिए आभार व्यक्त किया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि जी-20 की सफलता 140 करोड़ भारतीयों की है, किसी व्यक्ति विशेष या पार्टी की नहीं। उन्होंने भारत में 60 से अधिक स्थानों पर 200 से अधिक आयोजनों की सफलता को, भारत की विविधता की सफलता की अभिव्यक्ति के रूप में चिन्हित किया। उन्होंने समावेशन के भावनात्मक क्षण को याद करते हुए कहा, “भारत इस बात के लिए गर्व करेगा कि जब भारत जी-20 का अध्यक्ष रहा, तब अफ्रीकन यूनियन इसका सदस्य बना।”भारत की क्षमताओं के बारे में संदेह पैदा करने की कुछ लोगों की नकारात्मक प्रवृत्ति की ओर इशारा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जी-20 घोषणापत्र के लिए सर्वसम्मति और भविष्य के लिए एक रोडमैप तैयार किया गया। इस बात पर जोर देते हुए कि भारत की जी-20 अध्यक्षता नवंबर के अंतिम दिन तक है, और राष्ट्र इसका पूरा उपयोग करने का इरादा रखता है, प्रधानमंत्री ने अपनी अध्यक्षता में पी-20 शिखर सम्मेलन (संसदीय 20) आयोजित करने के अध्यक्ष के संकल्प का समर्थन किया।उन्होंने कहा, “यह सभी के लिए गर्व की बात है कि भारत ने 'विश्व मित्र' के रूप में अपनी जगह बनाई है और पूरी दुनिया भारत को एक मित्र के रूप में देख रही है। उसका कारण वेदों से लेकर विवेकानन्द तक से मिले हमारे संस्कार हैं। सबका साथ सबका विकास का मंत्र हमें दुनिया को अपने साथ लाने के लिए एकजुट कर रहा है।”एक नए घर में स्थानांतरित होने वाले परिवार की उपमा देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि पुराने संसद भवन को विदाई देना एक बहुत ही भावनात्मक क्षण है। उन्होंने इन सभी वर्षों में सदन द्वारा देखी गई विभिन्न मनोभावों पर विचार करते हुए कहा कि ये यादें सदन के सभी सदस्यों की संरक्षित विरासत हैं। उन्होंने कहा, “इसका गौरव भी हमारा है।” उन्होंने कहा कि इस संसद भवन के 75 साल के इतिहास में देश ने नए भारत के निर्माण से जुड़ी अनगिनत घटनाएं देखी हैं और आज का दिन भारत के आम नागरिकों के प्रति सम्मान व्यक्त करने का अवसर है।प्रधानमंत्री ने उस दिन को याद किया जब पहली बार सांसद के रूप में वे संसद आये थे और भवन को नमन किया था। उन्होंने कहा कि यह एक भावनात्मक क्षण था और वह इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते थे। उन्होंने यह भी कहा, “यह भारत के लोकतंत्र की शक्ति है कि एक गरीब बच्चा जो रेलवे स्टेशन पर आजीविका कमाता था वह संसद तक पहुंच गया। मैंने कभी नहीं सोचा था कि देश मुझे इतना प्यार, सम्मान और आशीर्वाद देगा।”प्रधानमंत्री ने संसद के गेट पर अंकित उपनिषद वाक्य का हवाला देते हुए कहा कि संतों ने कहा है कि लोगों के लिए दरवाजे खोलो और गौर करो कि उन्हें उनका अधिकार कैसे मिलता है। श्री मोदी ने कहा कि सदन के वर्तमान और पूर्व सदस्य इस कथन की सत्यता के गवाह हैं।प्रधानमंत्री ने समय के साथ सदन की बदलती संरचना पर प्रकाश डाला क्योंकि यह अधिक समावेशी हो गया और समाज के सभी वर्गों के प्रतिनिधि सदन में आने लगे। उन्होंने कहा, ''समावेशी माहौल लोगों की आकांक्षाओं को पूरी शक्ति से प्रकट करता रहा है।'' प्रधानमंत्री ने महिला सांसदों के योगदान के बारे में बताया कि इससे सदन की गरिमा बढ़ाने में मदद मिली है।मोटे तौर पर अनुमान लगाते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों सदनों में 7500 से अधिक जन प्रतिनिधियों ने सेवा की है, जहां महिला प्रतिनिधियों की संख्या लगभग 600 रही है। उन्होंने यह भी बताया कि श्री इंद्रजीत गुप्ता जी ने इस सदन में लगभग 43 वर्षों तक सेवा की है, और श्री शफीकुर रहमान ने 93 साल की उम्र में सेवा की। उन्होंने सुश्री चंद्रानी मुर्मु का भी जिक्र किया जो 25 वर्ष की कम उम्र में सदन के लिए चुनी गईं थीं।प्रधानमंत्री ने तर्क-वितर्क और कटाक्ष के बावजूद सदन में परिवार की भावना का जिक्र किया और इसे सदन का प्रमुख गुण बताया क्योंकि कड़वाहट कभी नहीं टिकती। उन्होंने यह भी याद किया कि कैसे, गंभीर बीमारियों के बावजूद, सदस्य महामारी के कठिन समय सहित अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए सदन में आए।एक ही सदन में 2 साल और 11 महीने तक संविधान सभा की बैठकों और संविधान को अपनाने और लागू करने के दिनों का स्मरण करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि “75 वर्षों में सबसे बड़ी उपलब्धि साधारण व्यक्ति का उनकी संसद में बढ़ता विश्वास रहा है।” उन्होंने कहा कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. कलाम से लेकर श्री रामनाथ कोविन्द और श्रीमती द्रौपदी मुर्मु तक विभिन्न राष्ट्रपतियों के अभिभाषण से सदन लाभान्वित हुआ है।प्रधानमंत्री ने पंडित नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के समय का स्मरण करते हुए कहा कि उन्होंने अपने नेतृत्व में देश को नई दिशा दी है और आज उनकी उपलब्धियों को सामने लाने का अवसर है। उन्होंने सरदार वल्लभभाई पटेल, राम मनोहर लोहिया, चंद्र शेखर, लाल कृष्ण आडवाणी और अन्य लोगों का भी जिक्र किया जिन्होंने सदन में सार्थक चर्चा की और आम नागरिकों की आवाज को अभिव्यक्ति दी। श्री मोदी ने सदन में विभिन्न विदेशी नेताओं के संबोधन को भी याद किया जो देश के प्रति उनके सम्मान को प्रदर्शित करता है।उन्होंने पीड़ा के उन क्षणों को भी याद किया जब देश ने तीन पदासीन प्रधानमंत्रियों - नेहरू जी, शास्त्री जी और इंदिरा जी को खो दिया था।प्रधानमंत्री ने कई चुनौतियों के बावजूद वक्ताओं द्वारा सदन के कुशल संचालन को भी याद किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने निर्णयों में संदर्भ बिंदु बनाए। उन्होंने याद किया कि श्री गणेश वासुदेव मावलंकर से श्रीमती सुमित्रा महाजन और श्री ओम बिड़ला तक 2 महिलाओं सहित 17 अध्यक्षों ने सभी को साथ लेकर, सदन की कार्रवाई को सुनियोजित ढंग से चलाने में योगदान दिया। प्रधानमंत्री ने संसद के कर्मचारियों के सराहनीय योगदान को य़ाद किया।प्रधानमंत्री ने संसद पर हुए आतंकी हमले को याद करते हुए कहा कि यह इमारत पर हमला नहीं बल्कि लोकतंत्र की जननी पर हमला था। प्रधानमंत्री ने कहा, "यह भारत की आत्मा पर हमला था।" प्रधानमंत्री ने उन वीरों के योगदान को स्वीकार किया जो अपने सदस्यों की रक्षा के लिए आतंकवादियों और सदन के बीच अटल खड़े थे उन्होंने संसद की रक्षा में जान न्यौछावर करने वाले बहादुरों को श्रद्धांजलि अर्पित की।प्रधानमंत्री ने उन पत्रकारों को भी याद किया जिन्होंने नवीनतम तकनीक के उपयोग के बिना भी संसद की कार्यवाही की रिपोर्टिंग के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने कहा कि पुरानी संसद को विदा कहना उनके लिए और भी कठिन काम होगा क्योंकि वे संसद से एक सदस्य के रूप में ही नहीं बल्कि इस प्रतिष्ठान से भावात्मक रूप से जुड़े हुए हैं।नाद ब्रह्म के अनुष्ठान पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई भी स्थान अपने आसपास के क्षेत्र में निरंतर मंत्रोंच्चार से तीर्थ स्थली के रूप में परिवर्तित हो जाता है, प्रधानमंत्री ने कहा कि 7500 प्रतिनिधियों की गूंज ने संसद को तीर्थस्थल के रूप में बदल दिया है, भले ही यहां चर्चाएं बंद हो जाएं।प्रधानमंत्री ने कहा, "संसद वह स्थल है जहां भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने अपनी शौर्य और साहस से अंग्रेजों में दहशत पैदा कर दी थी।" उन्होंने कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू के 'स्ट्रोक ऑफ मिडनाइट' की गूंज भारत के प्रत्येक नागरिक को प्रेरणा देती रहेगी। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के प्रसिद्ध भाषण को भी याद किया और कहा, “सरकारें आएंगी और जाएंगी। पार्टियां तो बनेंगी और टूटेंगी। यह देश बचना चाहिए, इसका लोकतंत्र बचना चाहिए”।पहली मंत्रिपरिषद का स्मरण करते हुए, श्री मोदी ने याद किया कि कैसे बाबा साहेब अम्बेडकर ने दुनिया भर की सर्वोत्तम प्रथाओं को शामिल किया था। उन्होंने नेहरू मंत्रिमंडल में बाबा साहेब द्वारा निर्मित उत्कृष्ट जल नीति का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब ने दलितों के सशक्तिकरण के लिए औद्योगीकरण पर बल दिया। उन्होंने इस बात का भी स्मरण किया कि कैसे डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी पहले उद्योग मंत्री के रूप में पहली औद्योगिक नीति लाए थे।प्रधानमंत्री ने कहा कि संसद में ही लाल बहादुर शास्त्री ने 1965 के युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों के उत्साह को बढ़ाया था। उन्होंने शास्त्री जी द्वारा रखी गई हरित क्रांति को भी याद किया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई भी श्रीमती इंदिरा गांधी के नेतृत्व में इसी सदन का परिणाम थी। उन्होंने आपातकाल के दौरान लोकतंत्र पर हमले और आपातकाल हटने के बाद लोगों की शक्ति के फिर से उभरने का भी स्मरण किया।प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह के नेतृत्व में ग्रामीण विकास मंत्रालय के गठन को याद किय। प्रधानमंत्री ने कहा, "मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 इसी सदन की विशेषता रही।" उन्होंने कहा कि उस समय पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व में नई आर्थिक नीतियों और उपायों को अपनाया गया जब देश आर्थिक संकट से जूझ रहा था। उन्होंने अटल जी द्वारा शुरू किए गए 'सर्व शिक्षा अभियान', जनजातीय मामलों के मंत्रालय के गठन और परमाणु युग के आविर्भाव के बारे में भी बात की। श्री मोदी ने 'वोट के बदले नोट' घोटाले का भी जिक्र किया।दशकों से लंबित ऐतिहासिक फैसलों को मंजूरी देने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने अनुच्छेद 370, जीएसटी, वन रैंक वन पेंशन और गरीबों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का मुद्दा उठाया।प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सदन लोगों के विश्वास का साक्षी है और लोकतंत्र के उतार-चढ़ाव के बीच उस विश्वास का केंद्रबिन्दु रहा है। उन्होंने उस समय को भी याद किया जब अटल बिहारी सरकार एक वोट से गिर गई थी। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों से पार्टियों के उद्भव होने को आकर्षण के एक केंद्र बिंदु के रूप में बताया।प्रधानमंत्री ने अटल जी के नेतृत्व में छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और झारखंड सहित 3 नए राज्यों के गठन पर भी प्रकाश डाला और तेलंगाना के गठन में सत्ता हथियाने के प्रयासों पर खेद जताया। उन्होंने कहा कि दोनों राज्यों में उत्सवों का आयोजन नहीं किया गया क्योंकि विभाजन दुर्भावनापूर्ण इरादे से किया गया था।श्री मोदी ने याद किया कि कैसे संविधान सभा ने अपना दैनिक भत्ता कम कर दिया था और कैसे सदन ने अपने सदस्यों के लिए कैंटीन सब्सिडी समाप्त कर दी थी। इसके अतिरिक्त, संसद सदस्यों ने अपनी संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना निधि से महामारी के दौरान देश की मदद की और वेतन में 30 प्रतिशत की कटौती की। उन्होंने यह भी बताया कि किस तरह सदस्यों ने जन प्रतिनिधित्व कानून में बदलाव लाकर खुद को अनुशासित किया।प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि सदन के वर्तमान सदस्य बेहद भाग्यशाली हैं क्योंकि उन्हें अतीत को भविष्य के साथ जोड़ने का अवसर मिला है। वे कल पुरानी इमारत को विदाई देंगे। श्री मोदी ने कहा, "आज का अवसर उन 7500 प्रतिनिधियों के लिए गौरवान्वित क्षण है जिन्होंने संसद दीर्घा से प्रेरणा हासिल की है।"संबोधन का समापन करते हुए, प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि सदस्य बड़े जोश और उत्साह के साथ नए भवन में पदार्पण करेंगे। उन्होंने ऐतिहासिक क्षणों का स्मरण करने का अवसर प्रदान करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष को धन्यवाद दिया। -
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शांतिनिकेतन को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किये जाने पर देशवासियों को बधाई दी है। प्रधानमंत्री मोदी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि यह सभी भारतीयों के लिए गर्व का क्षण है। श्री मोदी ने कहा कि शांतिनिकेतन गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर के दृष्टिकोण और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।
पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के शांतिनिकेतन को कल यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित रविन्द्र नाथ टैगोर के पिता महाऋषि देबेन्द्रनाथ टैगोर ने 1901 में इसकी स्थापना की थी। यह प्राचीन भारतीय पंरपराओं पर आधारित एक आवासीय विद्यालय और कला केन्द्र है। शान्तिनिकेतन धार्मिक और सांस्कृतिक विरोधाभासों से परे मानवता की एकता का दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है। मानवता की एकता या विश्व भारती को मान्यता देते हुए 1921 में शांतिनिकेतन में एक वैश्विक विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी। -
नई दिल्ली। संसद का पांच दिन का विशेष सत्र आज से शुरू हो रहा है। संसदीय कार्यवाही आज सामान्य रूप से पुराने भवन में होगी और कल से नये संसद भवन में शुरू हो जाएगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस वर्ष 28 मई को नये संसद भवन का उद्घाटन किया था। विशेष सत्र से पहले सरकार ने कल सदन नेताओं की सर्वदलीय बैठक बुलाई। लोकसभा में सदन के उपनेता, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल और संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बैठक में सरकार का प्रतिनिधित्व किया।
कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी, नेशनल कांफ्रेंस के फारुख अब्दुल्ला, तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ. ब्रायन, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव और राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा सहित विपक्षी दलों के अनेक नेता बैठक में उपस्थित थे। संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने मीडिया को बताया कि बैठक में 34 दलों के नेता शामिल हुए और सरकार ने सुचारू सत्र के लिए सभी दलों का सहयोग मांगा।अनेक विपक्षी दलों ने सत्र के दौरान महिला आरक्षण विधेयक पारित किए जाने की जोरदार वकालत की। यह विधेयक लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीट आरक्षित करने का प्रावधान करता है। बैठक में नेताओं ने जम्मू-कश्मीर में हाल की मुठभेड़ में शहीद होने वाले सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इससे पहले उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने नये संसद भवन के गज द्वार पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश भी इस अवसर पर मौजूद थे। - नयी दिल्ली । देश की पवित्र विधायिका के रूप में अपना दर्जा जल्द ही नए परिसर को सौंपने वाला पुराना संसद भवन 96 वर्ष से अधिक समय तक कई महत्वपूर्ण घटनाक्रम और भारत की लोकतांत्रिक यात्रा का साक्षी रहा। पुराने संसद भवन का उद्धाटन तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने 18 जनवरी, 1927 को किया था। इस इमारत ने औपनिवेशिक शासन, द्वितीय विश्व युद्ध, स्वतंत्रता की सुबह, संविधान को अंगीकार किए जाते और कई विधेयकों को पारित होते देखा, जिनमें से कई ऐतिहासिक एवं कई विवादित रहे।संसद के 18 सितंबर से शुरू होने वाले पांच दिन के विशेष सत्र के दौरान पहले दिन संविधान सभा से लेकर आज तक संसद की 75 वर्षों की यात्रा, उपलब्धियों, अनुभवों, स्मृतियों और सीख पर चर्चा होगी।विशेष सत्र की शुरुआत पुराने संसद भवन से होगी और अगले दिन कार्यवाही नए भवन में होने की संभावना है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 28 मई को नए संसद परिसर का उद्घाटन किया था और आशा व्यक्त की थी कि नया भवन सशक्तीकरण, सपनों को प्रज्वलित करने और उन्हें वास्तविकता में बदलने का उद्गम स्थल बनेगा। उद्घाटन के समय कई सांसदों और मशहूर हस्तियों सहित विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोगों ने नए परिसर के निर्माण की प्रशंसा की थी।विधायी कामकाज के नए अत्याधुनिक भवन में स्थानांतरित होते ही भारत कई मायनों में इतिहास का एक पन्ना पलटेगा।इतिहासकार और वास्तुकार, पुरानी इमारत को ‘‘भारत के इतिहास और इसके लोकतांत्रिक लोकाचार के केंद्र’’ और दिल्ली के ‘‘वास्तुशिल्प आभूषण’’ के रूप में वर्णित करते हैं।पहली मंजिल पर लाल बलुआ पत्थर के 144 स्तंभ वाला गोलाकार पुराना संसद भवन वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। पुरानी इमारत का उस समय बहुत धूमधाम से उद्घाटन किया गया था, जब ब्रितानी राज की नयी शाही राजधानी – नयी दिल्ली – का रायसीना हिल क्षेत्र में निर्माण किया जा रहा था।अभिलेखीय दस्तावेजों और दुर्लभ पुरानी तस्वीरों के अनुसार, इस भव्य इमारत के उद्घाटन के लिए 18 जनवरी, 1927 को एक भव्य आयोजन किया गया था। उस समय इसे ‘काउंसिल हाउस’ के रूप में जाना जाता था।कुल 560 फुट के व्यास और एक-तिहाई मील की परिधि वाली इस इमारत को सर हर्बर्ट बेकर ने डिजाइन किया था, जिन्हें सर एडविन लुटियंस के साथ रायसीना हिल क्षेत्र में नई शाही राजधानी को डिजाइन करने के लिए चुना गया था।‘न्यू डेल्ही – मेकिंग ऑफ ए कैपिटल’ पुस्तक के अनुसार, लॉर्ड इरविन अपनी गाड़ी में ‘ग्रेट प्लेस’ (अब विजय चौक) पहुंचे थे और फिर उन्होंने ‘‘सर हर्बर्ट बेकर द्वारा उन्हें सौंपी गई सुनहरी चाबी से ‘काउंसिल हाउस’ का दरवाजा खोला था।’’उस समय घरेलू और विदेशी मीडिया में संसद भवन के उद्घाटन ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं।लगभग छह एकड़ क्षेत्र में फैली यह विशाल इमारत दुनिया की सबसे विशिष्ट संसद भवनों में से एक है और व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त संरचनाओं में शामिल है। इस भवन में संसद की पिछली बैठक अगस्त में मानसून सत्र के दौरान हुई थी। यह सत्र 11 अगस्त को समाप्त हुआ। इस दौरान 23 दिन में 17 बैठक हुईं।प्रसिद्ध वास्तुकार और शहरी योजनाकार ए जी के मेनन ने कहा, ‘‘संसद भवन सिर्फ एक प्रतिष्ठित इमारत नहीं है, यह इतिहास और हमारे लोकतंत्र का भंडार है।’’उन्होंने कहा कि सरकार ने भविष्य में जगह की अधिक आवश्यकता का हवाला देते हुए नया परिसर बनाया और कहा कि यह ‘सेंट्रल विस्टा’ पुनर्विकास परियोजना का हिस्सा है।उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन, सवाल यह है कि क्या वास्तव में इसकी आवश्यकता थी? क्या हम इस पर विचार-विमर्श नहीं कर सकते थे, पुरानी संसद (भवन) में सुविधाओं में सुधार के तरीके नहीं ढूंढ सकते थे और इसमें लोकतंत्र की परंपरा को जारी नहीं रख सकते थे, जिसका यह भवन प्रतीक है? इस तरह की परियोजना के साथ आगे बढ़ने से पहले व्यापक विचार-विमर्श किया जाना चाहिए था।’’मेनन ने कहा कि इस ऐतिहासिक इमारत ने देश में आजादी का सवेरा होते देखा, इसके कक्षों ने 15 अगस्त 1947 को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के ऐतिहासिक ‘ट्राइस्ट विद डेस्टिनी’ (नियति से साक्षात्कार) भाषण की गूंज सुनी और यहां संविधान सभा की बैठक हुई, उस पर चर्चा हुई और संविधान को पारित किया गया।संविधान सभा की मसौदा समिति का हिस्सा रहे दिवंगत केवल कृष्ण के बेटे अनिल कृष्ण (74) ने कहा, ‘‘मैं बचपन में अपने पिता के साथ संसद गया था। जो दो स्थान मुझे अच्छी तरह याद हैं, वे हैं मेरे पिता का कार्यालय और संसद कैंटीन।’’जब ‘संविधान सभा से लेकर आज तक संसद की 75 वर्षों की यात्रा, उपलब्धियों, अनुभवों, स्मृतियों और सीख’ पर चर्चा होगी, तो उसी के साथ पुराना संसद भवन भी देश की पवित्र विधायिका के स्थान के रूप में अपना वर्षों पुराना दर्जा नए भवन को सौंप देगा।
- नई दिल्ली। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज यशोभूमि द्वारका सेक्टर 25 में, द्वारका सेक्टर 21 से 'यशोभूमि द्वारका सेक्टर 25' स्टेशन तक एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस लाइन के विस्तार का उद्घाटन किया। नए मेट्रो स्टेशन में तीन सबवे होंगे – स्टेशन को प्रदर्शनी हॉल, कन्वेंशन सेंटर और सेंट्रल एरिना से जोड़ने वाला 735 मीटर लंबा सबवे; द्वारका एक्सप्रेसवे में प्रवेश/निकास को जोड़ने वाला दूसरा सबवे; जबकि तीसरा सबवे मेट्रो स्टेशन को 'यशोभूमि' के भावी प्रदर्शनी हॉल के फ़ोयर से जोड़ता है।दिल्ली मेट्रो एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन पर मेट्रो ट्रेनों की परिचालन गति को 90 से बढ़ाकर 120 किमी/घंटा करेगी, जिससे यात्रा समय में कमी आएगी। 'नई दिल्ली' से 'यशोभूमि द्वारका सेक्टर 25' तक की यात्रा में लगभग 21 मिनट लगेंगे।प्रधानमंत्री धौला कुआं मेट्रो स्टेशन से मेट्रो के जरिए यशोभूमि द्वारका सेक्टर 25 मेट्रो स्टेशन पहुंचे।प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक्स पर पोस्ट किया:“दिल्ली मेट्रो में सभी मुस्कुराए! प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यशोभूमि कन्वेंशन सेंटर के चरण-1 का उद्घाटन करने के लिए द्वारका की अपनी यात्रा के दौरान विभिन्न वर्गों के लोगों से बातचीत की।”प्रधानमंत्री ने एक्स पर पोस्ट किया:"द्वारका और वहां से वापसी के मेट्रो के यादगार सफर को विभिन्न वर्गों के अद्भुत सह-यात्रियों ने और भी खास बना दिया।"
- नयी दिल्ली ।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर ‘पीएम विश्वकर्मा’ योजना की शुरुआत की और इसके तहत कारीगरों व शिल्पकारों को तीन लाख रुपये तक कर्ज उपलब्ध कराए जाने की व्यवस्था का उल्लेख करते हुए कहा कि सबको सम्मान का जीवन देना तथा सभी को सुविधा पहुंचाना ‘मोदी की गारंटी’ है।यहां नवनिर्मित इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्सपो सेंटर ‘यशोभूमि’ में देशभर के कारीगरों व शिल्पकारों को प्रधानमंत्री ने ‘विश्वकर्मा’ कहकर संबोधित किया और कहा कि जैसे शरीर में रीढ़ की हड्डी की भूमिका होती है वैसे ही ‘विश्वकर्मा’ लोगों की समाज के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है।उन्होंने कहा, ‘‘उनके बगैर रोजमर्रा की जिंदगी की कल्पना भी मुश्किल है। यह योजना उन लाखों कारीगरों और शिल्पकारों के लिए आशा की किरण है जो हाथों और औजारों से काम करते हैं।’’प्रधानमंत्री ने कहा कि लोहार हो या दर्जी या कोई अन्य कारीगर, इनकी अहमियत कभी खत्म नहीं होने वाली है। उन्होंने कहा कि दुनिया कितनी भी आगे बढ़ जाए और प्रौद्योगिकी कहीं भी पहुंच जाए लेकिन इनकी भूमिका हमेशा बरकरार रहेगी क्योंकि फ्रिज के जमाने में भी लोग सुराही का पानी पीना पसंद करते हैं।उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए आज समय की मांग है कि इन विश्वकर्मा साथियों को पहचाना जाए और उन्हें हर तरीके से समर्थन दिया जाए। हमारी सरकार अपने विश्वकर्मा भाई-बहनों को उनका सम्मान, सामर्थ्य और समृद्धि बढ़ाने के लिए एक सहयोगी बनकर आई है।’’इस योजना के अंतर्गत 18 विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले कारीगरों और शिल्पकारों पर विशेष ध्यान दिया गया है। सरकार ‘पीएम विश्वकर्म’ योजना पर अभी 13,000 करोड़ रुपये खर्च करने वाली है।मोदी ने कहा, ‘‘जब बैंक आपसे गारंटी नहीं मांगता है तो आपकी गारंटी मोदी देता है। बिना गारंटी मांगे तीन लाख रुपये तक का आपको कर्ज मिलेगा और यह भी सुनिश्चित किया गया है कि इस कर्ज का ब्याज बहुत ही कम रहे।’’उन्होंने कहा कि आज देश में एक ऐसी सरकार है जो वंचितों को वरीयता देती है और ‘एक जिला, एक उत्पाद’ योजना के तहत हर जिले के विशेष उत्पादों को बढ़ावा दे रही है।मोदी ने कहा, ‘‘हमारी सरकार ने ही पहली बार रेहड़ी-पटरी वालों को पीएम सम्मान निधि के साथ मदद की है। आजादी के बाद पहली बार बंजारा और घुमंतू जनजातियों की परवाह की गई है।’’उन्होंने कहा, ‘‘जिसे कोई नहीं पूछता, गरीब का यह बेटा मोदी उसका सेवक बनकर आया है। सबको सम्मान का जीवन देना, सभी तक सुविधा पहुंचाना यह मोदी की गारंटी है।’’प्रधानमंत्री ने कहा कि जी20 शिखर सम्मेलन में आए विश्व के नेताओं को ‘विश्वकर्मा’ लोगों के हाथों से बने सामान भेंट किए गए जो कि स्थानीय सामान को बढ़ावा देने के सरकार के संकल्प को दर्शाता है।उन्होंने देशावासियों से अपील करते हुए कहा कि ‘वोकल फॉर लोकल’ के प्रति समर्पण सभी का, पूरे देश का दायित्व है।उन्होंने कहा, ‘‘लोकल के लिए वोकल बनना पड़ेगा और फिर लोकल को ग्लोबल करना पड़ेगा। अब अनेक त्योहार आने वाले हैं। मैं सभी देशवासियों से लोकल खरीदने का आग्रह करूंगा।’’प्रधानमंत्री ने इससे पहले इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्सपो सेंटर ‘यशोभूमि’ के पहले चरण को राष्ट्र को समर्पित किया और दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस लाइन पर द्वारका सेक्टर 21 से सेक्टर 25 तक के विस्तार का भी उद्घाटन किया।उन्होंने ‘यशोभूमि’ को देश के प्रत्येक श्रमिक और प्रत्येक विश्वकर्मा को समर्पित किया तथा कहा कि विश्वकर्मा हजारों वर्षों से भारत की समृद्धि के मूल में रहे हैं।उन्होंने कहा, ‘‘प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी और उपकरण हमारे कारीगरों के लिए महत्वपूर्ण हैं।’’‘पीएम विश्वकर्मा’ योजना का उद्देश्य न केवल देशभर के ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों के कारीगरों और शिल्पकारों को आर्थिक रूप से समर्थन देना है, बल्कि स्थानीय उत्पादों, कला और शिल्प के माध्यम से सदियों पुरानी परंपरा, संस्कृति तथा विविध विरासत को जीवित और समृद्ध रखना भी है। ‘पीएम विश्वकर्मा योजना’ में 18 पारंपरिक शिल्प-कलाओं को शामिल किया गया है।केंद्र सरकार ने ‘पीएम विश्वकर्मा’ योजना को शुरू करने की घोषणा केंद्रीय बजट 2023-24 में की थी। इस योजना के लिए वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2027-28 तक वित्तीय परिव्यय 13,000 करोड़ रुपये रखा गया है।इसके तहत, ‘विश्वकर्मा’ (कारीगरों व शिल्पकारों) को बायोमेट्रिक आधारित ‘पीएम विश्वकर्मा पोर्टल’ का उपयोग करके सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से नि:शुल्क पंजीकृत किया जाएगा।उन्हें पीएम विश्वकर्मा प्रमाणपत्र और पहचान पत्र के माध्यम से मान्यता प्रदान की जाएगी और कौशल उन्नयन के लिए बुनियादी तथा उन्नत प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।यशोभूमि पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री ने इस केंद्र का मुआयना भी किया। ‘यशोभूमि’ में विश्वस्तरीय बैठक, सम्मेलन और प्रदर्शनियों की मेजबानी की जा सकेगी।
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नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि ''एक राष्ट्र एक चुनाव'' समिति की पहली बैठक इस महीने की 23 तारीख को होगी। पूर्व राष्ट्रपति ने ओडिसा की राजधानी भुवनेश्वर में एक निजी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेने के बाद संवाददाताओं को यह जानकारी दी।
यह समिति लोकसभा, विधानसभाओं, नगर निकायों और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने की संभावनाओं पर विचार के बाद अपनी सिफारिशें देगी। सरकार ने इस महिने की दो तारीख को श्री कोविंद की अध्यक्षता वाली 8 सदस्यीय समिति के संबंध में अधिसूचना जारी की थी। इस समिति के सदस्यों में केन्द्रिय गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस के लोकसभा में नेता अधीर रंजन चौधरी, राज्यसभा के पूर्व नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद, 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एन के सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप, वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सर्तकता आयुक्त संजय कोठारी शामिल हैं। विधि राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल बैठक में विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में हिस्सा लेंगे।