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- भागदौड़ भरी जिंदगी में सेहत को लेकर हर कोई फिक्रमंद रहता है। ऐसे में ये बेहद जरूरी है कि दिन की शुरुआत हेल्दी ब्रेकफास्ट से हो। अगर हेल्दी फूड के साथ टेस्ट भी मिल जाए तो क्या कहने। चाट खाना तो हर किसी को पसंद होता है लेकिन अगर कुछ हेल्दी और चटपटा मिल जाता है तो मजा और बढ़ जाता है। हम आपको ऐसी ही हेल्दी और चटपटी हरी मटर की चाट बनाना सिखाने जा रहे हैं।हरी मटर की चाट बनाने की सामग्रीमटर - 1 कपटमाटर - 1/4 कपप्याज - 1लाल मिर्च पाउडर - 1/2 टी स्पूनहरी मिर्च (कटी हुई) - 2नींबू रस - 1 टी स्पूनमीठी चटनी - 1 टेबल स्पूनचाट मसाला - स्वादानुसारनमक - स्वादानुसारकाला नमक - स्वादानुसारतेल - आवश्यकतानुसारविधिहरी मटर की चाट बनाना बेहद आसान है. इसके लिए सबसे पहले प्रेशर कुकर में मटर डालें और उसे दो सीटी आने तक पकने दें। कुकर का प्रेशर खत्म होने के बाद खोलें और मटर नर्म हो गए हैं या नहीं चेक कर लें। इसके बाद पानी अलग कर दें और हरे मटर को एक कटोरी में निकाल लें। आप चाहें तो इस चाट को थोड़े से तेल में एक पैन में फ्राई भी कर सकते हैं। इससे इसका स्वाद बढ़ जाएगा। अब इसमें टमाटर, हरी मिर्च, प्याज (जो प्याज नहीं खाते हैं वे इसके बिना भी चाट बना सकते हैं.)अब इसमें लाल मिर्च, काला नमक, सादा नमक, चाट मसाला सहित अन्य मसाले डाल दें। इसके बाद इसे निकालकर इसमें मीठी चटनी अच्छी तरह से मिक्स करें। इस तरह अब हरी मटर की चाट तैयार हो चुकी है। यह खाने में स्वादिष्ट होने के साथ ही पौष्टिकता से भी भरपूर है।
- फिट और हेल्दी रहने के लिए मेटाबॉलिज्म का सही तरीके से काम करना बहुत जरूरी होता है। जब मेटाबॉलिज्म धीमा पड़ता है, तो आपको मेटाबॉलिक डिसऑर्डर हो सकता है। या फिर आपका वजन तेजी से बढ़ सकता है। ऐसे में मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करना बहुत जरूरी हो जाता है। मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करके वजन को कंट्रोल में रखा जा सकता है। साथ ही कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से भी बचा जा सकता है।मेटाबॉलिज्म बूस्ट करने के लिए सुबह खाली पेट क्या खाएं?-1. अदरकअपने मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने के लिए आप अदरक का सेवन कर सकते हैं। इसके लिए आप एक गिलास गर्म पानी लें। इसमें अदरक का पाउडर डालें और फिर सुबह खाली पेट पी लें। आप चाहें तो अदरक का काढ़ा या फिर चाय बनाकर भी पी सकते हैं। सुबह खाली पेट अदरक का सेवन करने से आपको 43 कैलोरी अधिक बर्न करने में मदद मिल सकती है।2. सेब का सिरकासेब का सिरका भी मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने में मदद कर सकता है। आप अपने मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने के लिए सुबह खाली पेट सेब का सिरका पी सकते हैं। इसके लिए आप 1 गिलास गुनगुना पानी लें। इसमें 1-2 चम्मच सेब का सिरका मिक्स करें। लेकिन सेब के सिरके को पानी के साथ मिलाकर ही पिएं, अन्यथा पाचन तंत्र को नुकसान पहुंच सकता है।3. दाल और बींसदाल और बींस , अंकुरित चना, मूंग प्रोटीन से भरपूर होते हैं। प्रोटीन मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने में मदद कर सकता है। दरअसल, हाई प्रोटीन फूड्स को पचाने के लिए शरीर को अधिक कैलोरी बर्न करने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में जब आप प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं, तो इससे मेटाबॉलिज्म तेजी से काम करता है। इससे आपका वजन भी कंट्रोल में रह सकता है।4. मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने के लिए नट्स और सीड्सअपने मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने के लिए आप रोज सुबह नट्स और सीड्स का सेवन कर सकते हैं। नट्स और सीड्स खाने से आपके शरीर को ऊर्जा का उपयोग करने की जरूरत होती है। इससे कैलोरी को बर्न करने में मदद मिलेगी।5. अंडेसुबह खाली पेट अंडे का सेवन करना काफी फायदेमंद हो सकता है। अंडा प्रोटीन का अच्छा सोर्स होता है। एक उबले हुए अंडे में करीब 6.29 ग्राम प्रोटीन पाया जाता है। अंडा खाने से आपका मेटाबॉलिज्म तेजी से काम करेगा, क्योंकि शरीर को प्रोटीन को पचाने में अधिक ऊर्जा की जरूरत होती है। इससे आपका वजन भी कंट्रोल में रह सकता है।6. अलसी के बीजअलसी के बीजों में प्रोटीन, विटामिन्स पाए जाते हैं। इसके अलावा इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड भी पाया जाता है। अगर आप रोज सुबह खाली पेट अलसी के बीजों का सेवन करेंगे, तो इससे आपके मेटाबॉलिज्म को बूस्ट होने में मदद मिल सकती है। आप अलसी के बीजों को रोस्ट करके, या फिर पाउडर के रूप में खा सकते हैं। इसके अलावा आप रातभर अलसी के बीजों को पानी में भिगोकर रख दें, सुबह खाली पेट इनका सेवन करें।7. ग्रीन टीग्रीन टी को हेल्थ के लिए काफी अच्छा माना जाता है। आप रोज सुबह खाली पेट ग्रीन टी पीकर अपने मेटाबॉलिज्म को बूस्ट कर सकते हैं। ग्रीन टी आपके मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने में मदद कर सकता है।
- बाजरा शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। सर्दियों में इसे कई तरह से खाया जाता है। लेकिन इसकी रोटी बनाकर खाना शरीर के लिए फायदेमंद होने के साथ खाने में काफी स्वादिष्ट भी लगती है। बाजरा में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, फाइबर, आयरन और फोलेट आदि पाए जाते हैं। इसको खाने से पाचन तंत्र मजबूत होने के साथ वजन कम करने में भी मदद मिलती है। कई लोग सरसों के साग के साथ खाना काफी पसंद करते हैं। इसे डायबिटीज मरीज भी आसानी से खा सकते हैं। बाजरे की रोटी पर मक्खन लगाकर खाने से इसका स्वाद कई गुना बढ़ जाता है। सर्दियों में बाजरे की रोटी खाने से शरीर गर्म रहता है और मौसमी बीमारियों से भी शरीर का बचाव होता हैं। आइए जानते हैं सर्दियों में बाजरे की रोटी खाने के अन्य फायदों के बारे में।पाचन तंत्र को करे मजबूतबाजरे की रोटी में भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है। जिसे खाने से पाचन तंत्र हेल्दी रहने के साथ गैस, एसिडिटी और अपच जैसी समस्याएं भी आसानी से दूर होती हैं। इसके सेवन से कब्ज की समस्या भी आसानी से दूर होती है। बाजरे की रोटी पेट फूलने जैसी प्रॉब्लमस को भी दूर रखती हैं।वजन कम करने में मददगारसर्दियों में अगर आप भी अपने बढ़े हुए वजन से परेशान है, तो डाइट में बाजरे की रोटी को शामिल करें। बाजरे की रोटी खाने से वजन कम होने के साथ शरीर भी लंबे समय तक हेल्दी रहता है। बाजरे की रोटी में कैलोरी की मात्रा काफी कम होती है और इसे खाने से लंबे समय तक भूख भी नहीं लगती। जिससे वजन कम करने में मदद मिलती है।डायबिटीज के मरीज के लिए लाभदायकबाजरे की रोटी को डायबिटीज के मरीज भी आसानी से खा सकते है। बाजरे के आटे में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है। जिस कारण डायबिटीज के रोगी इसे आसानी से खा सकते हैं। बाजरे की रोटी खाने से डायबिटीज कंट्रोल रहने में मदद मिलती है।इम्यूनिटी को करे मजबूतसर्दियों में बाजरे की रोटी खाने से इम्यूनिटी मजबूत होने के साथ शरीर भी हेल्दी रहता है। सर्दियों में इसके सेवन से मौसमी बीमारियों से बचाव होता हैं। बाजरा शरीर को अंदर से गर्म रखता है। जिससे शरीर को हेल्दी रखने में मदद मिलती है।त्वचा के लिए फायदेमंदजी हां, बाजरे की रोटी खाने से त्वचा भी हेल्दी रहती है। बाजरे में आयरन, जिंक और विटामिन बी9 आदि पाए जाते हैं, जो त्वचा का ख्याल रखने के साथ त्वचा संबंधी समस्याओं से भी बचाव करते हैं। बाजरे की रोटी खाने से स्किन स्वस्थ रहती है। बाजरे की रोटी शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। लेकिन ध्यन रखें अगर आपको कोई बीमारी या एलर्जी की समस्या है, तो डॉक्टर से पूछ कर ही इसका सेवन करें।
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सर्दियां शुरू होते ही लोगों को सर्दी-जुकाम जैसी समस्याएं परेशान करने लगती हैं, ऐसे में अगर आप सर्दी-जुकाम के साथ अपने बढ़ते वजन से भी परेशान है तो भुनी हुई अजवाइन आपकी समस्या को दूर करने में आपकी मदद कर सकती है। जी हां, आपने आजतक अजावइन का इस्तेमाल खाने की खुशबू बढ़ाने और हाजमें को दुरूस्त रखने के लिए तो कई बार किया होगा लेकिन क्या आप जानते हैं अजवाइन न सिर्फ आपके हाजमे का बल्कि सर्दी-जुकाम के साथ आपके बढ़ते वजन को भी कंट्रोल करने में आपकी मदद कर सकता है। आइए जानते हैं भुनी हुई अजवाइन खाने से व्यक्ति को मिलते हैं कौन से गजब के फायदे।
अजवाइन में एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं जो शरीर को कई बीमारियों से बचाने के साथ, इंफेक्शन को कम करके दर्द से भी बचाते हैं। इतना ही नहीं वेट लॉस के लिए लोग अजवाइन का पानी और अजवाइन के चूर्ण का भी इस्तेमाल करते हैं।
भुनी हुई अजवाइन खाने के फायदे-
वेट लॉस-
भुनी हुई अजवाइन पेट के एंजाइम को बढ़ाकर पाचन क्रिया को तेज करने का काम करती है। वेट लॉस की इच्छा रखने वाले लोगों को इसका सेवन सुबह खाली पेट करना चाहिए। इस उपाय को करने के लिए अजवाइन, मेथी और कलौंजी को बराबर मात्रा में भूनकर एक साथ मिलाने के बाद इसका सेवन करें। इस मिश्रण को स्टोर करने के लिए एक एयरटाइट कंटेनर में स्टोर करके रख लें। इस मिश्रण को रोजाना सोने से पहले एक चम्मच पाउडर गर्म पानी के साथ लें।
ब्लोटिंग से करे बचाव-
अजवाइन का इस्तेमाल न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाने बल्कि पाचन संबंधी दिक्कतों को भी दूर करने के लिए किया जाता है। भोजन करने के बाद कई बार लोगों को ब्लॉटिंग की समस्य हो जाती है ऐसे में अजवाइन डाइजेस्टिव एंजाइम्स को बढ़ा कर खाना पचाने में तेजी से मदद करता है। इसका एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पेट की सूजन को कम करके ब्लोटिंग की समस्या से बचाव करने में मदद करते हैं।
एसिडिटी-
अजवाइन एसिडिटी और अपच की समस्या को दूर करने में भी बेहद मददगार है। अजवाइन में मौजूद सक्रिय एंजाइम, थाइमोल, गैस्ट्रिक जूस के स्राव में मदद करता है जो पाचन में सुधार करता है। पेट से जुड़ी समस्या से छुटकारा पाने के लिए अजवाइन का सेवन पानी के साथ करें।
सर्दी-जुकाम में फायदेमंद-
अजवाइन खांसी के साथ-साथ बलगम की समस्या में भी राहत पहुंचाने का काम कर सकती है।यह ब्रोन्कियल नलियों को चौड़ा करने में भी मदद करके अस्थमा पीड़ित लोगों की मदद कर सकती है। इसके एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण व्यक्ति का मौसमी इंफेक्शन से भी बचाव करने में मदद करते हैं। - आजकल अधिकतर लोग बैली और कमर के फैट से परेशान हैं। कोई अपना वजन कम करने जिम जाकर हैवी वर्कआउट करता है, तो कोई डाइट प्लान को फॉलो करता है। अगर आप भी अपने बैली और बैक के फैट को बर्न करना चाहते हैं, तो डाइट और एक्सरसाइज के कुछ टिप्स फॉलो कर सकते हैं। रोजाना डाइट और एक्सरसाइज को फॉलो करके आपको वजन घटाने में मदद मिल सकती है। दरअसल, बैली और बैक का फैट व्यक्ति की पूरी पर्सनालिटी को खराब कर सकता है। ऐसे में आपको अपनी पर्सनालिटी को इंप्रूव करने के लिए बैली और बैक फैट को कम करना बहुत जरूरी होता है। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर बैली और बैक फैट को कम कैसे किया जा सकता है? या फिर बैली और कमर की चर्बी को कम कैसे करें? पेट और कमर का मोटापा कैसे कम करें?-1. फाइबर रिच फूड्स का सेवन करेंअगर आप अपने बैली और कमर के फैट को कम करना चाहते हैं, तो फाइबर रिच फूड्स का सेवन कर सकते हैं। दरअसल, फाइबर पाचन को बेहतर बनाने में मदद करता है। फाइबर भोजन को सही तरह से डाइजेस्ट करने में मदद करता है। साथ ही फाइबर पेट को लंबे समय तक भरा हुआ रखता है। इससे आपको लंबे समय तक भूख नहीं लगती है और आप ओवरइटिंग से बच सकते हैं। पेट और कमर के फैट को कम करने के लिए आप फलों, सब्जियों को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। नियमित रूप से फाइबर लेने से आपको पेट और कमर की चर्बी को कम करने में मदद मिल सकती है।2. ट्रांस फैट का सेवन करने से बचेंअगर आप ट्रांस फैट खाएंगे, तो इससे आपके पेट और कमर की चर्बी बढ़ सकती है। इसलिए अगर आप अपने कमर और पेट की चर्बी को कम करना चाहते हैं, तो ट्रांस फैट से पूरी तरह से परहेज करें। ट्रांस फैट आपके वजन को बढ़ा सकता है, साथ ही हृदय रोग और डायबिटीज का भी कारण बन सकता है। अगर आप कमर और बैली के फैट को कम करना चाहते हैं, तो हेल्दी फैट को अपनी डाइट का हिस्सा बना सकते हैं।3. रेगुलर एक्सरसाइज करेंपेट और कमर के फैट को कम करने के लिए आपके लिए एक्सरसाइज और योग करना भी बहुत जरूरी होता है। पेट और कमर की चर्बी को कम करने के लिए आप एरोबिक एक्सरसाइज कर सकते हैं। सप्ताह में कम से कम 75 मिनट दौड़ जरूर लगाएं। रोजाना वॉक करने, एक्सरसाइज करने से आपको वजन घटाने में मदद मिल सकती है। अगर आप शारीरिक रूप से सक्रिय रहेंगे, तो आपको अपने पेट और कमर की चर्बी को कम करने में काफी हद तक मदद मिल सकती है।4. तनाव कम लेंतनाव भी बढ़ते वजन का एक मुख्य कारण बन सकता है। इसलिए अगर आपका वजन अधिक है या आप बैली और कमर के फैट को कम करना चाहते हैं, तो तनाव लेने से भी बचना बहुत जरूरी होता है। तनाव कम लें, अच्छी नींद लें और खुश रहने की कोशिश करें।5. शुगर से दूरी बनाएंशुगर बैली और कमर के फैट को कम करने में मदद कर सकता है। अगर आपका बैली फैट निकला हुआ है, तो आपको शुगर से पूरी तरह से दूरी बना लेनी चाहिए। शुगर फैट को बढ़ा सकता है। आपको सोडा, स्वीट डिश, आइसक्रीम आदि से परहेज करना चाहिए। इसके अलावा आपको फास्ट फूड, जंक फूड, तले-भूने खाने से भी दूरी बनाकर रखनी चाहिए।कमर और पेट की चर्बी को कम करने के लिए आपको पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए।
- सर्दी के मौसम में खाने-पीने के कई ऑप्शन मिल जाते हैं। सर्दियों में पालक, मेथी, बथुआ, मूली, गोभी जैसी कई सब्जियां बाजारों में मिलती हैं। ऐसी ही एक और सब्जी है जो सर्दियों में खूब बिकती है, वो है हरा चना (Green Chickpeas)। इसे आम भाषा में छोलिया के नाम से भी जाना जाता है। यह आकार में काले चने की तरह होता है, लेकिन यह हरे रंग का होता है। सर्दियों में लोग हरे चने की चाट, सब्जी या कढ़ी बनाकर खाते हैं। हरा चना खाने में स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। हरा चना प्रोटीन, फाइबर, आयरन और मिनरल्स से भरपूर होता है। हरा चना खाने से सेहत को कई फायदे मिलते हैं। हरा चना खाने से वजन घटाने में भी मदद मिलती है। तो आइए, जानते हैं सर्दियों में हरा चना खाने के फायदे -प्रोटीन से भरपूरहरा चना में प्रोटीन की उच्च मात्रा मौजूद होती है, जो हमारी मांसपेशियों के लिए बहुत जरूरी है। इसके साथ ही, हरे चने में विटामिन ए और विटामिन सी भी पाया जाता है। हरे चने का सेवन करने से शरीर की इम्यूनिटी मजबूत बनती है और कई बीमारियों से बचाव होता है। हरे चने में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स स्किन और बालों को स्वस्थ रखने में फायदेमंद होते हैं।वजन घटाने में मददगारहरा चना वजन घटाने में भी मददगार साबित हो सकत है। हरा चना फाइबर का भंडार है। फाइबर को पचाने में समय लगता है, इसलिए इसे खाने से पेट लंबे समय तक भरा हुआ रहता है। हरा चना खाने से भूख को कंट्रोल करने में मदद मिलती है, जिससे वजन कम करने में आसानी होती है। हरे चने में सोडियम और फैट भी कम होता है। इसके साथ ही, हरा चना प्रोटीन का भी अच्छा स्रोत है, जो वजन घटाने और मसल्स बनाने में मदद करता है।बीपी और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करेहरा चना हमारे दिल को दुरुस्त रखने में भी मददगार साबित हो सकता है। हरा चना खाने से ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। दरअसल, हरे चने में मैग्नीशियम और पोटैशियम जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में मदद करते हैं। हरे चने का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल करने में भी मदद मिलती है।स्किन और बालों के लिए फायदेमंदहरे चने का सेवन हमारी त्वचा और बालों के लिए भी फायदेमंद होता है। इसमें प्रोटीन मौजूद होता है, जो बालों को मजबूत और घना बनाने के लिए जरूरी है। वहीं, हरे चने में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स फ्री रेडिकल्स से लड़ने में मदद करते हैं, जिससे त्वचा हेल्दी रहती है।डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने में मददगारहरे चने का सेवन करने से डिप्रेशन और एंग्जायटी के लक्षणों को कम करने में भी मदद मिल सकती है। दरअसल, हरे चने में विटामिन बी9 यानी फोलेट पाया जाता है। हरे चने का सेवन करने से मूड को बेहतर बनाने में भी मदद मिलती है। अगर आप अवसाद से ग्रस्त हैं, तो हरे चने को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं।हरे चने का सेवन कैसे करें:आप किसी भी मौसम में हरे चने का सेवन कर सकते हैं। आप इसे सर्दियों में अपनी डाइट का हिस्सा बना सकते हैं। आप हरे चने को सलाद के तौर पर खा सकते हैं या इसकी सब्जी बना सकते हैं। आप हरे चने की कढ़ी, सूप या कटलेट बनाकर भी इसका सेवन कर सकते हैं।
- सर्दियों में एडिया फटने की समस्या काफी आम है। एड़िया फटने की वजह से रोजमर्रा के काम करने में भी परेशानी आने लगती है। फटी एड़ियों की समस्या पानी में बहुत अधिक देर तक रहने की वजह से और एड़ियों की देखभाल नहीं करने की वजह से होती हैं। फटी एड़ियों अगर ज्यादा समय तक रहे,तो इसका पकने का डर भी रहता है। कई लोग फटी एड़ियों की समस्या को ठीक करने के लिए कई तरह की क्रीम्स और लोशन का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन ये प्रोडक्ट्स थोड़ी देर के लिए ही राहत पहुंचाते हैं। ऐसे में फटी एड़ियों की समस्या को ठीक करने के लिए घर में मौजूद नारियल तेल का इस्तेमाल किया जा सकता हैं। नारियल तेल पाए जाने वाला एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण फटी एड़ियों की समस्या को आसानी से ठीक करता हैं। आइए जानते हैं इस समस्या को ठीक करने के लिए नारियल तेल का इस्तेमाल कैसे करें।नारियल तेल और शहदनारियल तेल और शहद फटी एड़ियों के लिए बहुत फायदेमंद है। सर्दियों में फटी एड़ियों की समस्या होने पर नारियल तेल में शहद को मिलाकर आसानी से लगाया जा सकता है। इनको लगाने के बाद पैरों को नॉर्मल पानी से धो लें। ऐसा नियमित करने से फटी एड़ियों की समस्या ठीक होती हैं। नारियल तेल और शहद को एड़ियों पर लगाने से पैरों को पोषण मिलता है और फटी एड़ियां की समस्या भी ठीक होती है।नारियल तेल और ग्लिसरीननारियल तेल में ग्लिसरीन मिलाकर लगाने से फटी एड़ियों की समस्या आसानी से ठीक होती हैं। नारियल तेल और ग्लिसरीन को मिलाकर लगाने के लिए दोनों को मिलाकर मिश्रण बनाएं। अब इस मिश्रण से एड़ियों की 2 से 3 मिनट तक मसाज करें। आप सोने से पहले इसे लगाकर सो भी सकते हैं। सुबह उठकर पैरों को नॉर्मल पानी से वॉश करें। नारियल तेल और ग्लिसरीन को नियमित लगाने से एड़ियों को पोषण मिलता है और एड़िया मुलायम बनती है।नारियल तेल और एलोवेरा जेलफटी एड़ियों की समस्या को ठीक करने के लिए नारियल तेल और एलोवेरा को मिलाकर लगाएं। 2 चम्मच नारियल के तेल में 1/2 चम्मच एलोवेरा जेल को मिलाकर मिश्रण तैयार करें। अब इस मिश्रण को एड़ियों पर 5 से 10 मिनट तक लगा के रखें। उसके बाद एड़ियों को हल्के गुनगुने पानी से एड़ियों को वॉश करें। ऐसा नियमित करने से एड़ियां सॉफ्ट और मुलायम बनती है।फटी एड़ियों की समस्या को ठीक करने के लिए नारियल के तेल में इन तीन चीजों को मिलाकर लगाया जा सकता है। लेकिन अगर आपको एड़ियों में कोई और भी समस्या हैं, तो डॉक्टर को दिखाकर ही दवाई लें।
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ज्यादातर लोग चाय के बाद नाश्ता करना पसंद करते हैं. लोग सुबह सवेरे पोहा, समोसा, ऑमलेट या फिर फ्रूट जूस लेना पसंद करते हैं. लेकिन सुबह खाली पेट कुछ भी खाने से पहले थोड़ा ध्यान रखना चाहिए. कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे हैं, जिन्हें खाली पेट खाने से बचना चाहिए नहीं तो उनसे शारीरिक समस्या पैदा हो सकती है. आईए जानते हैं कि किन फूड्स को खली पेट नहीं खाना चाहिए.
नाशपाती में पाया जाने वाला कच्चा फाइबर पेट की नाजुक श्लेष्मा झिल्ली को नुकसान पहुंचा सकता है. अगर नाशपाती को खाली पेट खाया जाए तो पेट में दर्द हो सकता है। इसलिए सुबह खाली पेट इसका सेवन करने से बचें.
दही में लैक्टिक एसिड होता है, जो पेट की अम्लता के स्तर को बिगाड़ देता है. खाली पेट दूध के उत्पादों के सेवन से उनमें मौजूद लैक्टिक एसिड, पेट के अच्छे बैक्टीरिया को मार सकते हैं, जो कि एसिडिटी को बढ़ा सकते हैं.
हम से बहुत से लोग ऐसा सोचते हैं कि दिन की शुरुआत करने के लिए एक गिलास फल के जूस से बेहतर और कुछ नहीं हो सकता. लेकिन खाली पेट जूस पीने से अग्न्याशय में बहुत ज्यादा भार पड़ता है, जो की शरीर के लिए अच्छा नहीं होता.
खाली पेट मसाले और मिर्च खाने से पेट की परत में जलन हो सकती है, जिससे एसिडिक रिएक्शन और पेट में ऐंठन करी शिकायत हो सकती है. आपको पता ही होगा की मसालों की प्रकृति तीखी होती है, जो अपच को बढ़ा सकती है.
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-जानिए रेसिपी प्रीति निगम
मसालेदार सब्जी तो आप हर रोज खाते होंगे लेकिन क्या आने क्रीमी ग्रेवी वाली सब्जी ट्राई की है? ठंड का मौसम क्रीमी सब्जी बनाने के लिए सबसे अच्छा ऑप्शन है। आप भी अगर क्रीमी सब्जी बनाना चाहते हैं, तो मेथी मटर मलाई की सब्जी ट्राई कर सकते हैं। यह सब्जी न सिर्फ जल्दी बनकर तैयार हो जाती है बल्कि इसे बनाना बहुत आसान भी है। आइए, जानते हैं कि कैसे बनाएं मेथी मटर मलाई की क्रीमी सब्जी। सबसे अच्छी बात यह है कि आपको इसमें मसाले नहीं डालने हैं।
मेथी मटर मलाई बनाने की विधि-
सबसे पहले आप मेथी को धोकर तोड़ लें। अब आप एक पैन लें इसमें घी या तेल डालें। अब इसमें जीरा और सूखी मिर्च डाल दें। इसे तड़का लें। अब आपको प्याज को पीसकर इसमें डालना है। इसे अच्छी तरह से मिला लें। अब आधा कटोरी दही लेकर इसमें डाल दें। इसे चलाते रहें। अब आपको इसे पकने देना है। एक अलग पैन लेकर इसमें घी डालें और एक कटोरा मटर लेकर इसे अच्छी तरह रोस्ट करें। इसमें मेथी भी पलट दें। मेथी और मटर जब रोस्ट हो जाएं, तो इसे दही और प्याज वाले पैन में डाल दें। अब इसे अच्छी तरह पकने दें। काली मिर्च पाउडर और नमक स्वादानुसार डाल दें। इसे पकाएं। अब दो चम्मच मलाई डाल दें। इसे पका लें। आप देखेंगे कि आपकी व्हाइट ग्रेवी तैयार हो चुकी है। अब आपको इसे गैस से उतार लेना है। इसमें हरा धनिया डालकर सर्व करें। आपको इसमें मसाले नहीं डालने हैं। आपकी क्रीमी ग्रेवी तभी तैयार होगी। - पका हुआ खाना और फूड आइटम को खराब होने से बचाने के लिए फ्रिज में रख दिया जाता है। फ्रिज इन फूड्स को फ्रेश रखने में भी मदद करता है। लेकिन फ्रिज में खाना रखते हुए काफी सावधान रहना चाहिए। क्योंकि, कुछ चीजें फ्रिज में रखने के बाद खराब हो जाती हैं और शरीर में टॉक्सिन पैदा करती हैं।प्याजफ्रिज में प्याज को कभी नहीं रखना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से उनमें मॉइश्चर चला जाता है और फफूंद लगने का खतरा बन जाता है। इन्हें प्लास्टिक बैग के अंदर या आलू के बराबर में भी नहीं रखना चाहिए।लहसुनप्याज की तरह लहसुन को भी फ्रिज में नहीं रखना चाहिए। यह अंदर से रबड़ की तरह बन जाते हैं। लहसुन और प्याज को हमेशा सूखी और ठंडी जगह रखना चाहिए।टमाटरअधिकतर लोग टमाटर को फ्रिज में स्टोर करते हैं। लेकिन ऐसा करने से इनका स्वाद, फ्लेवर और रस खत्म हो जाता है। यह गलती टमाटर का पोषण भी खत्म कर देती है। टमाटर को स्टोर करने का बेस्ट तरीका रूम टेंप्रेचर पर है।शिमला मिर्चअगर आप शिमला मिर्च को भी फ्रिज में रखते हैं, तो तुरंत बंद कर दें। क्योंकि, कम तापमान पर शिमला मिर्च का छिलका मुलायम हो जाता है और अपना कुरकुरापन खो देता है। जो कि इसके स्वाद को बिल्कुल खत्म कर देता है।
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सर्दियों के मौसम में वजन का बढ़ना, इम्यूनिटी का कमजोर हो जाना एक कॉमन समस्या है। इस परेशानी से निपटने के लिए आयुर्वेद एक्सपर्ट दीक्षा भावसार ने अपने हालिया इंस्टाग्राम पोस्ट में सुझाव दिया है। एक्सपर्ट नें अपने पानी में मिलाई जाने लायक कुछ चीजों के बारे में बताया है।एक्सपर्ट द्वारा बताए गए पानी को दिन भर घूंट-घूंट करके पीने से कई तरह के फायदे मिल सकते हैं। यहां जानिए इस पानी को बनाने का तरीका।
कैसे बनाएं ये पानी...
इसे बनाने के लिए सबसे पहले 1 लीटर पानी लें, उसमें सिर्फ आधा चम्मच सोंठ डालें और इसे तब तक उबालें जब तक कि यह 750 मिलीलीटर न रह जाए। फिर ठंड के दिनों में इसे दिन भर घूंट-घूंट करके पीएं।
क्यों पीएं ये पानी
एक्सपर्ट की मानें तो यह पानी पाचन में सुधार करने में मदद करता है। इसके अलावा वजन को मैनेज करने और सर्दी-खांसी से दूर रखता है। ये पानी आपकी प्रतिरक्षा में सुधार करता है। इसी के साथ ये सूजन, गैस, पेट दर्द को कम करता है।
सौंठ के फायदे
आयुर्वेद में सौंठ को शुंथि के नाम से जाना जाता है। ये जड़ी बूटी ताजा अदरक की तुलना में पचाने में हल्की या आसान होती है। ताजा अदरक के अलावा यह प्रकृति में आंत्र बाध्यकारी है। कफ को कम करने और अग्नि को बढ़ाने के लिए यह एक बेहतर उत्तेजक है। इसलिए सोंठ को हर मौसम में मसाले या औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
रक्तस्राव की परेशानी वाले लोग मिलाएं ये चीज
यह पानी प्रकृति में गर्म होता है, इसलिए जिन लोगों को अत्यधिक पित्त (रक्तस्राव/ताप) विकार है तो वह 1 दरदरी कुचली हुई इलायची इस पानी में मिलाएं।
अदरक की जगह तुलसी
जिन लोगों को अदरक सूट नहीं करता है, उन्हें सोंठ को छोड़ देना चाहिए और इसके बजाय 5 तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल करना चाहिए। -
आमतौर पर मेथी के दानों का इस्तेमाल बहुत से व्यंजन में स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है.।आपको बात दें कि किचन में मौजूद मेथी के दाने आपकी सेहत और स्वाद दोनों के लिए बेहद गुणकारी हैं. मेथी के दानों, पत्तों में सोडियम, जिंक, फॉस्फोरस, फॉलिक एसिड, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम जैसे मिनरल्स और विटामिन ए, बी और अनेक पोषक तत्व होते हैं जो आपकी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद हैं. यह स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से बचाने में मददगार माने जाते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि किस प्रकार मेथी दानों का उपयोग करके आप अपने स्वास्थ्य का ख्याल रख सकते हैं।
डाइजेशन के लिए
अगर आप गैस की समस्या से जूझ रहे हैं तो मेथी आपके लिए फायदेमंद हो सकती है. अंकुरित मेथी में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, जो पेट के गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम को ठीक करने में मदद कर सकते हैं. गैस कि समस्या से छुटकारा पाने के लिए रोज सुबह खाली पेट मेथी-अजवाइन का पानी पिएं. ऐसा करने से डाइजेशन को सही रखने में मदद मिलती है. इसमें मौजूद पोषक तत्व एसिडिटी, पाचन और पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं. कब्ज को दूर करने के लिए एक चम्मच मेथी के दानों को एक गिलास पानी में रातभर भिगोकर रखें. अगली सुबह इस पानी को छानकर पी लें. कुछ दिन इसके सेवन से कब्ज दूर हो जाएगी. आप इस पानी को उबालकर चाय की तरह चुस्कियां लेकर भी पी सकते हैं. रोजाना सीमित मात्रा में इसका सेवन करें।
वजन कम करने में है मददगार
अगर आप वजन कम करना चाहते है, तो रोज सुबह खाली पेट मेथी-अजवाइन के पानी का करें सेवन. मेथी-अजवाइन के पानी से फैट को तेजी से बर्न करने में मदद मिलती है।
सर्दी-खांसी से मिलेगी राहत
सर्दी-खांसी की समस्या में भी मेथी-अजवाइन का पानी बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है. मेथी और अजवाइन में कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जो सर्दी-खांसी के साथ-साथ वायरल फ्लू से भी आपको बचाएंगे।
डायबिटीज पर है असरदार
मेथी वाला पानी पीने से और अंकुरित मेथी खाने से शरीर का ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित रहता है. इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर्स, प्रोटीन, स्टार्च, शुगर, फॉस्फोरिक एसिड जैसे न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं जो डायबिटीज को कंट्रोल करने में मददगार हैं।
हृदय संबंधित रोगों से करेगा बचाव
मेथी को दिल की सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है. मेथी में पोटैशियम भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं जो कि ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने मे असरदार है. अंकुरित मेथी के सेवन से कोलेस्ट्रॉल लेवल संतुलित रहता है, जो हार्ट अटैक के खतरे को कम करने में मददगार साबित हो सकता है।
पीरियड्स के कष्ट का होगा निवारण
बहुत सी महिलाओं को पीरियड्स के दिनों मे अत्यधिक दर्द और ऐंठन महसूस होती है. ऐसे में अंकुरित मेथी का सेवन करने से महिलाओं को राहत मिलती है. अंकुरित मेथी में ब्लड के सर्कुलेशन को नॉर्मल करने की क्षमता होती है, इससे पीरियड्स की अनियमितता को कंट्रोल करने और दर्द में आराम मिल सकता है। -
स्टर्लिंग (स्कॉटलैंड)। व्यायाम करने की आदत डालना आसान नहीं है। लोगों के लिए न केवल व्यायाम के लिए समय निकालना एक प्रमुख कारक है बल्कि दर्द और चोटों का डर भी एक कारण है कि लोग व्यायाम शुरू करने से कतराते हैं। हालांकि, जरूरी नहीं कि व्यायाम करने से दर्द हो या चोट लगे। यहां कुछ सरल चीजें दी गई हैं, जिन्हें आप व्यायाम शुरू करते समय दर्द और चोट के जोखिम से बचने के लिए कर सकते हैं। ‘वार्म-अप' (व्यायाम से पहले शरीर का तापमान बढ़ाना)
व्यायाम से पहले खुद को ‘वार्म-अप' करना महत्वपूर्ण है। इससे मांसपेशियों और पूरे शरीर का तापमान बढ़ जाता है। यह आपके शरीर को व्यायाम के बढ़ते बोझ के लिए भी तैयार करता है। वार्म-अप के बाद गर्म हुई मांसपेशियां लंबे समय तक व्यायाम करने में सक्षम हो पाती हैं। इससे दर्द और चोट का जोखिम भी कम हो जाता है। असल में एक प्रभावी वार्म-अप अलग-अलग व्यायाम के लिए भिन्न हो सकते हैं। लेकिन, सामान्य तौर पर आपको कसरत शुरू करने से पहले कम से कम पांच से दस मिनट का समय वार्म-अप करने के लिए देना चाहिए। उदाहरण के तौर पर दौड़ने से पहले टहलना या तेज कदमों से चलना चाहिए या भारी वजन उठाने से पहले हल्का वजन उठाना चाहिए। आप जो कर सकते हैं उससे अधिक का प्रयास न करें :
व्यायाम शुरू करते समय अपनी क्षमता से अधिक कसरत करना एक सामान्य गलती है। इससे व्यायाम के बाद दर्द हो सकता है और आपके चोटिल होने की आशंका भी बढ़ सकती है। जब आप पहली बार कसरत शुरू करते हैं, तो धीरे-धीरे और अपनी क्षमता अनुसार इसकी शुरुआत और आगे बढ़ना महत्वपूर्ण होता है। व्यायाम के लाभ दिखने में सप्ताह या महीने भी लग सकते हैं, इसलिए अपने स्वास्थ्य और फिटनेस में रातोंरात सुधार देखने की अपेक्षा न करें। कुछ दिनों में आपको पिछले सत्र जितना लंबा या कठिन व्यायाम करना मुश्किल लग सकता है। ऐसे में चोट से बचने के लिए अपने शरीर की सुनें और जब आप थका हुआ महसूस करें तो रुक जाएं। थकान से उबरने के लिए पूरा समय दें :
प्रत्येक सप्ताह आराम करने के लिए एक या दो दिन का समय देना व्यायाम की थकान से उबरने के लिए महत्वपूर्ण है। हालांकि, इन दिनों में केवल बैठे रहना और कुछ भी नहीं करने की आवश्यकता नहीं है। मांसपेशियों को उचित आराम मिलने से दर्द और चोट के जोखिम से बचाव संभव है। आराम के दिनों में टहलना या योग जैसे कम थकाने वाले व्यायाम शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा, अलग-अलग दिन भिन्न तरह की कसरत करने से यह आपकी मांसपेशियों को बार-बार एक ही तरह का काम करने से बचाएगा। उचित तरीका सीखें
व्यायाम शुरू करते समय शुरुआती दौर में ही कसरत का सही तरीका विकसित करना महत्वपूर्ण है। शुरुआत में, धीमी गति बनाएं और विभिन्न प्रकार के व्यायामों को करने की आदत डालें और तुरंत बहुत अधिक वजन नहीं उठाएं। इससे आपको चोट लगने से बचने में मदद मिलेगी। यदि आप जिम या फिटनेस सेंटर में व्यायाम करना चुनते हैं, तो जिम प्रशिक्षक की मदद ले सकते हैं। यदि आप अकेले व्यायाम करना पसंद करते हैं, तो आपके मार्गदर्शन के लिए बहुत सारे विकल्प ऑनलाइन उपलब्ध हैं। सही जूतों को तरजीह दें
जूतों की सही जोड़ी आपकी कसरत में खासा फर्क ला सकती है। दौड़ने के लिए यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि आरामदायक जूते दर्द को कम करने में मददगार साबित होंगे और आपकी कसरत को और अधिक मनोरंजक बना देंगे। - सर्दियों में शकरकंद खाया जाता है। कई घरों में शकरकंद का पराठा शौक से खाया जाता है। सर्दियों में गरम-गरम पराठे और तीखी चटनी खाने का मजा ही कुछ और है। ठंड के दिनों में पराठों का लुत्फ उठाने से पहले आपको ये भी जानना चाहिए कि ये पराठे आपकी सेहत के लिए हेल्दी हैं या नहीं। वैसे तो शकरकंद के पराठे में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं जैसे कार्बोहाइड्रेट, जिंक, फाइबर आदि। लेकिन इसका सेवन करने से सेहत को कुछ नुकसान भी हो सकते हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि सर्दियों में शकरकंद के पराठे खाने के फायदे और नुकसान।सर्दियों में शकरकंद खाने के फायदेसर्दियों में शकरकंद खाने से इम्यूनिटी मजबूत होती है। फ्लू जैसी समस्याओं से बचाव में शकरकंद का सेवन फायदेमंद होता है। शकरकंद खाने से शरीर में गरमाहट रहती है। शकरकंद में विटामिन सी पाया जाता है। शकरकंद का सेवन करने से कब्ज की समस्या भी दूर होती है। पाचन तंत्र के लिए शकरकंद का सेवन फायदेमंद होता है। शकरकंद में कैल्शियम मौजूद होता है। जिन लोगों को सर्दियों के दिनों में जोड़ों में दर्द होता है उन्हें शकरकंद का सेवन करना चाहिए। डायबिटीज के मरीज भी सीमित मात्रा में शकरकंद का सेवन कर सकते हैं।क्या शकरकंद से बने पराठे खाना सेहतमंद है?शकरकंद के पराठे का सेवन सर्दियों में करना फायदेमंद माना जाता है। शकरकंद के एक पराठे में करीब 88 कैलोरीज होती हैं। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स की भरपूर मात्रा होती है। शकरकंद को सुपरफूड भी कहा जाता है क्योंकि ये खुद में एक पूरक आहार है। लेकिन आपको बता दें कि लोग इसे अलग-अलग तरीकों से खाते हैं। सर्दियों में कई लोग आलू के पराठे की तरह शकरकंद का पराठा खाना पसंद करते हैं। सर्दियों में गरम-गरम पराठे का सेवन भी फायदेमंद होता है लेकिन ज्यादा तेल या मिर्च मसाले का इस्तेमाल करने से पराठे की कैलोरीज बढ़ जाती हैं जो आपके शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकती हैं। पराठे की कैलोरीज बैलेंस करने के लिए तेल का प्रयोग कम से कम करें।शकरकंद का पराठा खाने के नुकसान-ज्यादा मात्रा में शकरकंद के पराठे का सेवन करने से पेट खराब हो जाता है क्योंकि कच्चा का कच्चा कूद पेट दर्द और अपच का कारण बन सकता है।-शकरकंद में मैनिटोल नाम का पदार्थ पाया जाता है जिससे कई लोगों को त्वचा में एलर्जी हो सकती है।-शकरकंद का ज्यादा सेवन करने से हाइपरकलेमिया की शिकायत हो सकती है।-शकरकंद में ऑक्सलेट की मात्रा ज्यादा होती है। इसका ज्यादा सेवन करने से किडनी में स्टोन हो सकता है।शकरकंद के पराठे खाने से पहले किन बातों का ख्याल रखें?-शकरकंद के पराठे का सेवन रात में न करें। शकरकंद में मौजूद कैल्शियम को पचाने के लिए 4 से 5 घंटे लगते हैं और पराठे को रात में खाने से कब्ज हो सकता है इसलिए इसका सेवन दिन या सुबह के समय करें।-कई लोग शकरकंद का पराठा बनाने के लिए गूदे में कच्चा शकरकंद डाल देते हैं। ये पेट के लिए हानिकारक हो सकता है। शकरकंद का सेवन केवल उबालकर या पीसकर करना चाहिए।-शकरकंद का पराठा बनाने के लिए ज्यादा तेल का इस्तेमाल न करें।-पराठा बनाने के लिए ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल करें।-पराठे को गेहूं के आटे से बनाने के बजाय होलवीट ग्रेन के आटे से बनाएं।-एक बार में केवल एक पराठे का सेवन करें। 2 पराठों की कैलोरीज करीब 160 होंगी।ऊपर बताई टिप्स का ख्याल रखेंगे, तो सर्दियों के दिनों में शकरकंद के पराठे का सेवन कर सकते हैं। लेख पसंद आया हो, तो शेयर करना न भूलें।
- सर्दियों में लोगों को सिर्फ त्वचा की नहीं, बल्कि बालों से जुड़ी कई समस्याएं भी काफी परेशान करती हैं। इन दिनों लोगो ठंड से बचने के लिए कैप लगाते हैं, जिससे बाल चिपक जाते हैं और स्कैल्प में भी काफी पसीना जमा हो जाता है। ठंड के मौसम में लोग सिर जल्दी नहीं धोते हैं, जिसकी वजह से स्कैल्प में गंदगी जमा होती रहती है। इसके अलावा लोग इस दौरान लोग बालों की देखभाल भी ठीक से नहीं करते हैं। साथ ही लोग बाल धोने के लिए भी गर्म पानी का प्रयोग करते हैं, गर्म पानी से सिर धोने पर स्कैल्प में मौजूद प्राकृतिक तेल हट जाता है और स्कैल्प ड्राई हो जाती है। स्कैल्प की ड्राईनेस और गंदगी के कारण डैंड्रफ की समस्या हो जाती है और बाल झड़ना शुरु हो जाते हैं।हालांकि शरीर में पोषण की कमी भी बालों के झड़ने का एक बड़ा कारण हैं। इसलिए सर्दियों के मौसम में आपको बालों को स्वस्थ रखने और झड़ने से रोकने के लिए सिर्फ पर्याप्त देखभाल की ही नहीं, बल्कि अपनी डाइट में भी कुछ फूड्स को शामिल करने की जरूरत होती है। क्या आप जानते हैं अगर आप सर्दियों में आंवला, चुकंदर और गाजर का जूस या ABC जूस पिएं तो इससे बालों के झड़ने की समस्या कम हो सकती है और आपके मजबूत-घने बाल मिल सकते हैं?सर्दियों में बालों का झड़ना रोकने में ABC जूस कैसे फायदेमंद है-ABC जूस के साथ आप बड़े पैमाने पर बालों के झड़ना रोग सकते हैं और शुष्क त्वचा से राहत पा सकते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं यह शरीर में हीमोग्लोबिन को बढ़ाने और खून की कमी दूर करने में भी मदद करता है साथ ही शरीर को जरूरी पोषण प्रदान करता है। क्योंकि यह जूस कई विटामिन और मिनरल्स और औषधीय गुणों से भरपूर होता है। शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी भी बालों के झडऩे का एक बड़ा कारण है। साथ ही इसकी कमी से आप थका हुआ महसूस करते हैं और आपकी इम्यूनिटी भी कमजोर होती है। इस जूस का सेवन करने से आपको बालों आंतरिक रूप से पोषण मिलता है और बाल मजबूत बनते हैं।एबीसी जूस रेसिपी- ABC juice recipeइसके लिए आपको चाहिए:3 आंवला1 चुकंदर (उबला हुआ)2 गाजर (उबली हुई)अन्य सामग्री:मुट्ठी भर धनिया पत्ती7-8 करी पत्तेमुट्ठी भर पुदीने के पत्तेअदरक का एक टुकड़ाआधा नींबू (वैकल्पिक)कुछ किशमिश (इसे मीठा बनाने के लिए)नमक - 1 छोटा चम्मचएबीसी जूस कैसे बनाएं-एक जूसर या मिक्सर में अपनी पसंद की सामग्रियों का काटकर डालें, इसमें 1 गिलास पानी डालें, कुछ मिनट के लिए ब्लेंड करें। जब यह अच्छी तरह से पिस जाए और एक स्मूद ड्रिंक बन जाए तो एक गिलास में निकाल लें। इसमें थोड़ा नींबू का रस मिलाएं और काला नमक डालें। आपको एबीसी जूस तैयार है। इसका आनंद लें। सुबह खाली पेट पिएं, सेहत को बहुत लाभ मिलेंगे।उबले हुए चुकंदर और गाजर पचाने में आसान होते हैं। कम हीमोग्लोबिन, थकान, बहुत अधिक बालों का झड़ना, त्वचा की समस्याओं और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों के पाचन स्वास्थ्य भी कमजोर होता है, उन्हें कच्ची सब्जियों को पचाने में परेशानी होती है। उबालने से यह सब्जियां हल्की हो जाती हैं और इनका रस भी पचने में अधिक आसान होता है। इस तरह बनाने से यह जूस आपको पूर्ण लाभ प्रदान करता है।नोट: जिन लोगों को गठिया (जोड़ों का दर्द) है, उन्हें जूस में आंवला और नींबू न मिलाने से बचना चाहिए।
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सर्दियों में स्किन काफी रूखी और बेजान हो जाती है। इस मौसम में सर्द हवाएं त्वचा की नमी छीनकर उसे बेजान बना देती है। ऐसे में जरूरी है कि इस मौसम में व्यक्ति अपनी त्वचा का खास ख्याल रखें। स्किन को रूखेपन से बचाने के लिए कई लोग महंगे प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं। ये प्रोडक्ट्स कुछ घंटे तो त्वचा की नमी बनाए रखते हैं लेकिन कुछ समय बाद त्वचा पर रूखापन वापस लौटने लगता है। अगर आपकी भी यही समस्या है तो आप इस समस्या से निजात पाने के लिए दादी-नानी के जमाने से चले आ रहे कुछ असरदार घरेलू नुस्खे अपना सकते हैं। जो शरीर की ड्राईनेस को दूर करने में आपकी मदद कर सकते हैं। आइए जानते हैं कैसे-
नारियल तेल-
त्वचा की ड्राईनेस दूर करने के लिए नारियल तेल का इस्तेमाल बेहद कारगर उपाय हो सकता है। इस उपाय को करने के लिए नहाने से पहले नारियल तेल से शरीर की मालिश करें। ऐसा करने से शरीर को पोषण मिलता है और त्वचा मुलायम बनी रहती है।
ओटमील-
ओटमील शरीर की ड्राईनेस को दूर करने में मदद करता है। ओटमील को शरीर पर लगाने के लिए इसे पानी के साथ मिलाकर शरीर पर 10 से 15 मिनट के लिए लगा के रखें। उसके बाद नहा लें। ऐसा करने से शरीर को पोषण मिलेगा और डाईनेस की समस्या भी दूर होगी।
एलोवेरा -
शरीर की ड्राईनेस को दूर करने के लिए नहाने के बाद एलोवेरा को शरीर पर लगाकर हल्के हाथ से मसाज करें। ऐसा करने से शरीर पर खुश्की की समस्या आसानी से दूर होगी। एलोवार स्किन को माश्चराइज करके स्किन को कोमल बनाने में मदद करता है। -
लोगों के बीच इस वक्त किचन और रूफ गार्डनिंग का चलन तेजी से बढ़ा है. इससे आपके घर के अंदर की हवा साफ बना रहती है. साथ ही आपकी घर की खूबसूरती में भी चार चांद लगते हैं. कई पौधे ऐसे हैं जिन्हें, अपनी बालकनी में लगाकर सेहत लाभ भी ले सकते हैं. वहीं कुछ पौधे के फल या सब्जी का इस्तेमाल रसोई में पकवान बनाने का काम भी किया जा सकता है.
किचन गार्डन में लगाएं रोजमेरी का पौधा
रोजमेरी का पौधा आप अपने किचन गार्डन में लगा सकते हैं. इस फ्रूट में आयरन, कैलशियम और विटामिन बी6 की भरपूर. इसे गमले में लगाने के बाद ऐसी जगह लगाएं, जहां डायरेक्ट सूरज की रोशनी नहीं पड़े.
गमले में लगाएं पुदीना का पौधा
पुदीना किचन का सबसे जरूरी हर्ब माना जाता है. घर की बालकनी में इसे गमले में लगा सकते हैं. मिन्ट या पुदीने की चटनी लोग बड़े चाव से खाते हैं. साथ ही इसका उपयोग हर्बल टी बनाने में भी किया जाता है. इसका उपयोग सलाद वगैरह में भी किया जाता है.
स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद लेमन बाम
लेमन बाम आपके स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है. यह अनिद्रा के खिलाफ काफी कारगर हर्बल है. साथ ही पेट भी साफ रखने में ये अहम भूमिका निभाता है.. यह पौधा एक पेस्ट कन्ट्रोलर के तौर पर काम करता है. ये कीटाणुओं को दूर रखने में मदद करता है.
तुलसी के पौधे में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं
तुलसी के पौधे में एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल और एंटीबायोटिक गुण होते हैं. इसकी पत्तियां शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं. इम्यूनिटी को बढ़ाते हैं. यह शरीर को अंदरूनी रूप से भी मजबूती प्रदान करता है. -
भारत में अधिकतर लोग चाय पीना पसंद करते हैं। सुबह की भागदौड़ में ये मिस हो जाती है लेकिन शाम की चाय को टी लवर्स कभी मिस नहीं करते हैं। लेकिन क्या शाम को चाय पीना हेल्दी है? मेडिकल साइंस के अनुसार- सोने से 10 घंटे पहले कैफीन से बचना सबसे अच्छा है, इष्टतम लिवर डिटॉक्स, कम कोर्टिसोल (सूजन) और स्वस्थ पाचन के लिए।
आयुर्वेद एक्सपर्ट डॉ दीक्षा भावसार ने अपने हालिया इंस्टाग्राम पोस्ट में चाय पीने से जुड़े कुछ पॉइंट्स को शेयर किया है। इन पॉइंट्स को ध्यान में रखते हुए, अपने लिए देखें कि शाम को चाय पीना या चाय से बचना आपके लिए सबसे अच्छा है या नहीं।
शाम को चाय कौन पी सकता है?-----------
1) जो लोग नाइट शिफ्ट में काम करते हैं।
2) जिन्हें एसिडिटी या गैस्ट्रिक की समस्या नहीं है।
3) जिनका पाचन हेल्दी है।
4) जिसे चाय की लत नहीं है।
5) जिन लोगों को नींद की समस्या नहीं हो।
6) जो रोजाना समय पर खाना खाते हैं।
7) जो आधा या 1 कप से कम चाय पीते हैं।
शाम की चाय से किसे बचना चाहिए?----------
1) जो लोग अनिद्रा के शिकार हैं।
2) जो चिंता से ग्रस्त हैं और तनावपूर्ण जीवन जीते हैं।
3) जिनको ज्यादा वात की समस्या है (शुष्क त्वचा और बाल)
4) जो वजन बढ़ाना चाहते हैं।
5) जिन लोगो को अनियमित भूख लगती है।
6) जो लोग हार्मोनल मुद्दों से पीड़ित हैं।
7) जिन्हें कब्ज/एसिडिटी या गैस की समस्या है।
8) मेटाबॉलिक और ऑटो-इम्यून बीमारियों वाले।
9) जिनका वजन कम है।
10) जो हेल्दी त्वचा, बाल और आंत की इच्छा रखते हैं। - डेड स्किन को रिमूव करने के लिए स्क्रबिंग करना बेहद जरूरी है। इसके लिए यह जरूरी नहीं है कि आप केमिकल वाले स्क्रब का इस्तेमाल करें बल्कि आप घर पर भी स्क्रब तैयार कर सकते हैं। यह स्क्रब न सिर्फ आपकी डेड स्किन को रिमूव कर देगा बल्कि इससे आपकी स्किन प्रॉब्लम्स भी काफी हद तक ठीक हो जाएगी और फिर आपकी स्किन नेचुरल ग्लो नजर आएगी। आइए, जानते हैं कि कैसे नेचुरल स्क्रब कैसे बनाएं।नेचुरल हल्दी और चावल का स्क्रबहल्दी और चावल का स्क्रब बनाने के लिए सबसे पहले चावल को लेकर भिगा दें। अब भिगाए हुए चावल को बारीक पीस लें। अब इसमें एक चम्मच हल्दी, एक चम्मच एलोवेरा और टी ट्री ऑयल डालकर मिक्सचर बना लें। अब चेहरे को धोकर साफ कर लें। अब इस पर यह मिक्सचर अप्लाई करके चेहरे की अच्छी तरह से मसाज करें। याद रखें कि आपको बहुत तेज से चेहरे को नहीं रगडऩा है, वरना आपको पिम्पल्स हो सकते हैं। 5-7 मिनट तक चेहरे पर हल्के हाथों से मसाज करें। इससे बाद सादे पानी से चेहरे को धो लें।शहद का फेस मास्कचेहरे को क्लीन करके अब चेहरे पर फेस मास्क लगाएं। फेस मास्क बनाने के लिए आप एक चम्मच गुलाब पाउडर लेकर इसमें दो चम्मच शहद डालकर मिक्स कर लें। अब इसे चेहरे पर अप्लाई कर लें। इसे 20 मिनट तक चेहरे पर लगे रहने दें। अब जब यह सूख जाए, तो इसे पानी से धो लें। आप देखेंगे कि आप चेहरा काफी ग्लोइंग नजर आएगा। इस तरीके को सप्ताह में दो बार अपनाएं।
- सर्दियों के मौसम में सर्दी-खांसी, जुकाम और बुखार जैसी कई समस्याएं होने लगती हैं। सर्दी के मौसम में कई लोगों के सीने या छाती में कफ या बलगम जम जाता है। बलगम हमारे फेफड़ों में बनने वाला एक पदार्थ है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए बलगम जरूरी होता है। बलगम हमारे फेफड़ों में धूल कणों को जमने से बचाता है और बैक्टीरिया-वायरस से रक्षा करता है। लेकिन, जब किसी व्यक्ति के शरीर में बलगम बढ़ जाता है, तो उसे कई तरह की परेशानियां होने लगती हैं। इसकी वजह से व्यक्ति को खांसी, जुकाम, नाक और गले में जलन और सांस लेने में भी समस्या हो सकती है। छाती में कफ या बलगम जमने पर आपको अपने खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। कुछ लोगों का यह सवाल होता है कि छाती में बलगम निकालने के लिए क्या खाना चाहिए? कुछ ऐसी सब्जियां हैं, जो छाती में जमा बलगम को बाहर निकालने में मदद करती हैं। अगर आप छाती और गले में जमा बलगम से परेशान हैं, तो आप इन सब्जियों का सेवन कर सकते हैं1. अदरकअदरक को नैचुरल डिकॉन्गेस्टेंट और एंटीहिस्टामाइन के रूप में जाना जाता है। छाती में जमा बलगम को बाहर निकालने के लिए अदरक का सेवन फायदेमंद साबित हो सकता है। अदरक के एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो खांसी-जुकाम और कफ की समस्या को दूर करते हैं। अदरक का सेवन करने से छाती और गले में जमा अतिरिक्त बलगम आसानी से बाहर निकाल सकता है। इसके लिए आप अदरक की चाय या काढ़ा पी सकते हैं।2. प्याजसर्दी-जुकाम और छाती में जमे बलगम को दूर करने के लिए आप प्याज का इस्तेमाल कर सकते हैं। प्याज बुखार और गले की खराश में भी काफी फायदेमंद होता है। अगर आप सीने या छाती में जमा बलगम से परेशान हैं, तो इसके लिए एक प्याज को कद्दूकस करके 6 से 8 घंटे के लिए पानी में भिगो दें। रोजाना तीन से चार चम्मच इस पानी को पीने से बलगम और कफ की समस्या जल्द दूर होगी।3. लाल मिर्चहर भारतीय रसोई में आपको लाल मिर्च मिल जाएगी। लाल मिर्च का इस्तेमाल खाने में मसाले के तौर पर किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि छाती में जमा बलगम के इलाज के लिए भी लाल मिर्च का इस्तेमाल किया जा सकता है। लाल मिर्च बलगम और खांसी को दूर करने में प्रभावी है। लाल मिर्च में कैपसाइसिन नामक यौगिक होता है, जो बलगम को पतला करने में मदद करता है। लाल मिर्च के सेवन से छाती में जमा बलगम टूटकर आसानी से बाहर निकल सकता है।4. लहसुनलहसुन न सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाता है, बल्कि हमारी सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। लहसुन में नेचुरल एक्सपेक्टोरेंट होते हैं, जो बलगम बनने से रोकते हैं। लहसुन में एंटीबैक्टीरियल और एंटी फंगल गुड भी मौजूद होते हैं। लहसुन का सेवन करने से शरीर से कफ बाहर निकालने में मदद मिलती है।5. अजमोदअजमोद एक ऐसी सब्जी है, जिससे बलगम या कफ को खत्म करने में मदद मिलती है। अजमोद में कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो गले की सूजन, खराश और दर्द से राहत दिलाते हैं। अजमोद का सेवन आप सब्जी, सलाद या सूप के रूप में कर सकते हैं।
- भारतीय खानपान में टमाटर बहुत खास है। सलाद से लेकर करी तक, इसके बिना भारतीय व्यंजनों का स्वाद अधूरा है। इसके अलावा जो लोग खाने में प्याज का इस्तेमाल नहीं करते हैं उनके लिए टमाटर ही सब्जी में स्वाद और ग्रेवी जोड़ने के काम आता है। कई लोग इसे सलाद के तौर पर भी खाना पसंद करते हैं, क्योंकि इसमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व मौजूद होते हैं। मगर क्या आप जानती हैं कि टमाटर आपका वज़न घटाने में भी मदद कर सकता है? जी हां… टमाटर आपके पाचन तंत्र के लिए भी बहुत फायदेमंद है। जानिए इससे जुड़े अध्ययन में क्या सामने आया।माइक्रोबायोलॉजी स्पेक्ट्रम जर्नल में प्रकाशित हुए एक अध्ययन के अनुसार टमाटर वज़न घटाने में मदद कर सकता है। साथ ही, यह गट हेल्थ के लिए भी फायदेमंद है और इन्टेस्टाइन में मौजूद माइक्रोब्स को बढ़ाने में मदद करता है।जानिए इस अध्ययन में क्या सामने आया?ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में किये गए इस अध्ययन में टमाटर और गट हेल्थ से जुड़े इस अध्ययन में सूअरों पर एक्सपेरिमेंट किया गया। जिसमें यह सामने आया कि यह सूअरों पर बहुत प्रभावी साबित हुआ।शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन सूअरों नें दो हफ्ते तक टमाटर से भरपूर डाइट ली उनमें रोगाणुओं की विविधता में वृद्धि हुई है। यह डाइट फाइबर, शुगर, प्रोटीन, वसा और कैलोरी दोनों में समान थी। साथ ही, यह कुछ प्रकार के कैंसर और ह्रदय रोग के जोखिम को कम करने में भी मददगार साबित हुई।जिन सूअरों को टमाटर से भरपूर आहार खिलाया गया था उनका वज़न कम होते हुए देखा गया। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि टमाटर से भरपूर डाइट की वजह से सूअरों का वज़न 10% तक कम हुआ।ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में बागवानी और फसल तकनीकी ज्ञान और भोजन प्रौद्योगिकी और पीढ़ी के सहायक प्रोफेसर, वरिष्ठ लेखक जेसिका कूपरस्टोन ने कहा, ‘’टमाटर गट माइक्रोबायोम के मॉड्यूलेशन के माध्यम से लाभ प्रदान करते हैं।’’वज़न घटाने में कैसे मदद कर सकते हैं टमाटर?माइक्रोबायोम में मौजूद बैसिलोटा की तुलना में फ़ाइला बैक्टेरॉइडोटा का यह उच्च अनुपात सेहत के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। मगर अन्य अध्ययनों ने इस अनुपात को रिवर्स में, बैक्टेरियोडोटा की तुलना में उच्च बैसिलोटा यानी, मोटापे से जोड़ा है।विशेषज्ञों की मानें तो टमाटर में पानी और फाइबर कि काफी अच्छी मात्रा में होती है। इसलिए, टमाटर का वजन घटाने में सहायक साबित हो सकते हैं।मगर इस बारे में अभी और भी शोध होना बाकी है। टमाटर पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद है, लेकिन यह वज़न घटाने में मदद कर सकता है कि नहीं, इस बारे में अभी और पुख्ता जांच की ज़रुरत है।इस तरह करें अपने आहार में टमाटर को शामिल--1 जब भी आप सैंडविच खाएं तो उसमें एक स्लाइस टमाटर का ज़रूर लगाएं। इससे आपके सैंडविच का स्वाद भी बढ़ जायेगा।2 अपने सलाद को ताज़े कटे टमाटरों और या वेजीस से सजाएं।3 उबले अंडे और आमलेट में कच्चे कटे हुए टमाटर भी मिला सकती हैं आप।4 आप जन भी पिज़्ज़ा या पास्ता बनाएं तो इसमें टमाटर का सौस ज़रूर एड करें। साथ ही, अआप जब भी पानीर की या कोई अन्य सब्जी बनाएं तो टमाटर की ग्रेवी रख सकती हैं।5 आप टमाटर का रस, सूप, जूस स्मूदी आदि कुछ भी बना सकती हैं।6 खाने के साथ आप टमाटर का सलाद भी खा सकती हैं।
- च्यवनप्राश एक आयुर्वेदिक औषधि मानी जाती है। सर्दियों का मौसम आते ही ज्यादातर भारतीय घरों में च्यवनप्राश का सेवन बहुत ही अधिक मात्रा में किया जाता है। सर्दियों में च्यवनप्राश खाने का मुख्य कारण है इसके पोषक तत्व। च्यवनप्राश के पोषक तत्व शरीर की इम्यूनिटी को बूस्ट करने में मददगार साबित होते हैं। शहद, नागकेसर, सफेद मूसली, पिप्पली, तेजपत्ता, पाटला, अरणी, गंभारी, कमल गट्टा जैसी कई जड़ी बूटियों को मिलाकर बनाए गए च्यवनप्राश की जब बात होती है तो ज्यादातर लोगों के मुंह से आप सिर्फ इसके फायदों के बारे में ही सुनेंगे। लेकिन हैरानी की बात ये है कि कुछ स्थितियों में च्यवनप्राश का सेवन न करने की सलाह दी जाती है। आज इस लेख में हम आपको बताएंगे च्यवनप्राश का सेवन किन लोगों को नहीं करना चाहिए।डायबिटीज के मरीजों के लिए है हानिकारकडायबिटीज के मरीजों को च्यवनप्राश का सेवन न करने की सलाह दी जाती है। क्योंकि च्यवनप्राश के स्वाद को बैलेंस करने के लिए मीठे का इस्तेमाल होता है। च्यवनप्राश में मौजूद मीठा शरीर का ब्लड शुगर लेवल बढ़ा सकता है। अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं और च्यवनप्राश का सेवन करना चाहते हैं इसके लिए अपने डॉक्टर या डाइटिशियन से सलाह जरूर लें।किडनी के मरीजों कोच्यवनप्राश की तासीर गर्म होती है इसलिए इसको पचाना मुश्किल होती है। अगर कोई व्यक्ति किडनी संबंधी बीमारियों से जूझ रहा है तो उसे च्यवनप्राश पचाने में मुश्किल हो सकती है। ऐसे में किडनी के मरीजों को च्यवनप्राश का सेवन न करने की सलाह दी जाती है।पेट संबंधी परेशानियों के लिएच्यवनप्राश का सेवन उन लोगों को नहीं करना चाहिए जिन्हें पेट में दर्द, गैस, कब्ज जैसी समस्याएं अक्सर परेशान करती हैं। च्यवनप्राश को पचाने में थोड़ी मुश्किल होती है इसलिए जिन लोगों को पेट संबंधी बीमारियां उन्हें इसका सेवन न करने की सलाह दी जाती है।एक दिन में कितना च्यवनप्राश खाना चाहिए?हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि च्यवनप्राश या किसी भी चीज का सेवन एक सीमित मात्रा में करना चाहिए। किसी भी चीज का अधिक मात्रा में सेवन करने से स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। हेल्थ एक्सपट्र्स के मुताबिक एक व्यस्क आदमी को प्रतिदिन 1 चम्मच च्यवनप्राश और छोटे बच्चों को प्रतिदिन आधा चम्मच च्यवनप्राश का सेवन करना चाहिए।
- सेहत को लेकर हुए 30 साल लंबे शोध में पाया गया है कि जो लोग बचपन से ही नियमित रूप से अखरोट खाते हैं, उनके दिल और सेहत बेहतर होने की ज्यादा संभावना होती है। ऐसे लोगों अपने जीवन के बाद के सालों में शारीरिक तौर पर ज्यादा सक्रिय तो होते ही हैं। उनमें दिल, मोटापा, डाइबिटीज जैसी लाइफस्टाइल संबंधित बीमारियां होने का जोखिम भी बहुत कम हो जाता है।अखरोट उन सूखे मेवों में से है जिसे सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसे दिमाग की सेहत के लिए बहुत अच्छा फल माना जाता है साथ ही इसे प्रतिरोधक क्षमता के लिए भी फायदा पहुंचाने वाला मेवा माना जाता है । लंबे समय तक किए गए अध्ययन मे पाया गया है, अखरोट को खुराक में नियमित रूप से शामिल करने से लोगों को सेहतमंद लाइफस्टाइल की आदतें अपनाने में मदद मिलती है। इस अध्ययन नतीजे इस विचार का भी समर्थन करते हैं कि बचपन से लेकर यौवन काल तक अखरोट खाने से बाद में दिल की बीमारी होने का जोखिम कम हो जाता है।शोधगकर्ताओ ने पाया कि जिन प्रतिभागियों ने जीवन की शुरुआत अखरोट खाए थे उनके जीवन में आगे शारीरिक रूप से ज्यादा सक्रिय रहने की संभावना पाई गई। उनके खुराक की गुणवत्ता ज्यादा अच्छी थी और उनकी दिल की बीमारी के जोखिम की प्रोफाइल ज्यादा अच्छी थी जब 20 साल बाद उनकी सेहत का मूल्यांकन किया गया। शोधकर्ता मुख्य रूप से समय के साथ दिल की बीमारी विकसित होने की संभावनाओं का अध्ययन कर रहे थे.।अखरोट अकेला ऐसा पेड़ है जिसमें से ओमेगा-3 एल्पा लिनोलेनिक एसिड का स्रोत होता है जिसका दिल, दिमाग और बढ़ती उम्र संबंधी सेहत से गहरा संबंध होता है। अखरोट में प्रोटीन फाइबर, मैग्नीशियम, और बहुत से एंटीऑक्सीडेंट भी मिलते हैं। शोधकर्ताओं का कहना कि अखरोट खाने वाले लोगों की शरीर में खास बॉडी फीनोटाइप होता है जिससे बेहतर खुराक की गुणवत्ता जैसे सकारात्मक फायदे देखने को मिलते हैं, खास तौर से अगर व्यक्ति ने बचपन से ही अखरोट खाए हों तो। इसके अलावा दिल की बीमारी, मोटापा और डायबिटीज जैसी बीमारियों का खतरा भी कम होता है।
- सर्दी के मौसम में कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं। दरअसल, सर्दियों में हमारी इम्यूनिटी काफी ज्यादा कमजोर हो जाती है, जिसके कारण कई तरह की बीमारियों और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इस मौसम में सर्दी-खांसी और जुकाम की परेशानी होना काफी आम है।लेकिन, अगर यह समस्या ज्यादा बढ़ जाए तो इससे छाती में कफ जमने और सांस की तकलीफ हो सकती है। ज्यादातर लोग सर्दी-खांसी होने पर दवाइयों या कफ सिरप का सेवन करते हैं। लेकिन आप चाहें तो सर्दी-खांसी दूर करने के लिए आयुर्वेदिक काढ़े का सेवन कर सकते हैं। इन काढ़ों को पीने से आपकी इम्यूनिटी मजबूत होगी। आज हम आपको सर्दी-खांसी दूर करने के लिए 3 तरह के आयुर्वेदिक काढ़े बनाने की विधि बता रहे हैं1. अदरक का काढ़ासर्दी-खांसी की समस्या को दूर करने के लिए अदरक का काढ़ा पीना अच्छा विकल्प हो सकता है। अदरक का काढ़ा सेहत के लिए बहुत लाभकारी होता है। अदरक में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जिससे सर्दी-खांसी खत्म होती है। अदरक की तासीर भी गर्म होती है, इसलिए यह शरीर को गर्माहट देता है। अदरक का काढ़ा पीने से गले की खराश और गले में दर्द से भी राहत मिलती है। अदरक का काढ़ा बनाने के लिए एक पैन में एक गिलास पानी डालकर उबाल लें। फिर इसमें अदरक, तुलसी, काली मिर्च, अजवाइन और हल्दी डालकर उबालें। जब काढ़ा आधा रह जाए तो इसे छान लें। फिर इसमें थोड़ा नींबू का रस और शहद मिलाएं। दिन में दो बार इस काढ़े को पीने से सर्दी-खांसी की परेशानी दूर हो सकती है।2. लौंग और काली मिर्च का काढ़ासर्दी-खांसी दूर करने के लिए लौंग और काली मिर्च का काढ़ा पिया जा सकता है। यह जुकाम और पेट में दर्द को भी कम करने में आपकी मदद कर सकता है। दरअसल, लौंग और काली मिर्च की तासीर गर्म होती है, इसलिए इसे पीने से सर्दी-खांसी जैसी समस्याएं दूर होती हैं। इस काढ़े को बनाने के लिए एक पैन में एक गिलास पानी डालकर उबाल लें। इसके बाद इसमें दो लौंग, 3-4 काली मिर्च के दाने, एक इलायची, और आधा चम्मच चाय पत्ती डालें। इसमें 4-5 तुलसी की पत्ती, एक टुकड़ा अदरक और थोड़ा सा गुड़ का टुकड़ा डालकर अच्छी तरह से उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो इसे गिलास में छानकर पिएं। इससे सर्दी-खांसी और गले की खराश से जल्द आराम मिलेगा।3. अजवाइन का काढ़ासर्दी-खांसी की परेशानी को दूर करने के लिए आप अजवाइन का काढ़ा पी सकते हैं। अजवाइन का काढ़ा आपके स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। बच्चों को सर्दी-खांसी होने पर उन्हें भी अजवाइन का काढ़ा दिया जा सकता है। यह सर्दी-जुकाम के साथ-साथ पेट में दर्द को भी कम कर सकता है। अजवाइन का काढ़ा बनाने के लिए एक पैन में एक गिलास पानी डालकर अच्छी तरह से उबाल लें। फिर इसमें आधा चम्मच अजवाइन और थोड़ा सा गुड़ डालकर उबालें। जब पानी आधा रह जाए, तो इसे गिलास में छानकर पी जाएं। इससे सर्दी-खांसी और कफ की समस्या जड़ से दूर होगी।सर्दी-खांसी और बुखार जैसी समस्याओं से परेशान हैं, तो आप इन काढ़ों का सेवन कर सकते हैं। इन काढ़ों को पीने से इम्यूनिटी मजबूत होती है और बीमारियों से लडऩे में मदद मिलती है। हालांकि, अगर आपकी परेशानी ज्यादा बढ़ रही है, तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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सर्दियों के मौसम में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए नारियल पानी पीना बेहद फायदेमंद माना जाता है. नारियल पानी में पोटैशियम, मैंगनीज, विटामिन सी, और कैल्शियम जैसे तमाम पोषक तत्व पाए जाते हैं. आईए जानते हैं कि सर्दियों में नारियल पानी पीने के क्या-क्या फायदे हैं.
सर्दियों में नारियल पानी का सेवन करने से इम्यूनिटी मजबूत होती है. नारियल पानी विटामिन C से भरपूर होता है, जो आपको सर्दियों के मौसम में वायरस और बैक्टीरिया से सुरक्षित रखने में मदद करते हैं.
हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होने पर नारियल पानी का सेवन फायदेमंद होता है. नारियल पानी पोटेशियम से भरपूर होता है, जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मदद करता है.
सर्दियों में प्यास न लगने की वजह से डिहाइड्रेशन की शिकायत हो जाती है. लेकिन अगर आप सर्दियों में नारियल पानी का सेवन करते हैं, तो इससे शरीर में पानी की कमी नहीं होती है और शरीर हाइड्रेट रहता है.
सर्दियों के मौसम में स्किन संबंधी समस्या ज्यादा देखने को मिलती है, लेकिन अगर आप सर्दियों के मौसम में नारियल पानी का सेवन करते हैं, तो इससे स्किन हेल्दी रहती है और स्किन हाइड्रेट भी रहती है.