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- उसना चावल यानी अधपका चावल जिसे अंग्रेजी में पारबॉइल्ड राइस कहा जाता है , एक खास तरीके से तैयार किया गया चावल होता है, जिसे सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसे तैयार करने के लिए एक विशेष तरीका फॉलो किया जाता है। दुनिया में हुए कई शोध और अध्ययन भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि पारबॉइल्ड राइस सेहत के लिए सामान्य राइस की तुलना में ज्यादा फायदेमंद होता है। आइये विस्तार से जानते हैं क्या है पारबॉइल्ड राइस और सेहत के लिए फायदे क्या हैं?पारबॉइल्ड राइस क्या है?पारबॉइल्ड राइस के फायदों को देखते हुए पूरी दुनिया में इसकी डिमांड काफी बढ़ गयी है। इस चावल को तैयार करने के लिए धान की भूसी निकलने से पहले इसे उबाला जाता है। पारबॉइल्ड राइस को तैयार करने के लिए धान को सबसे पहले कुछ समय के लिए पानी में भिगोकर रखा जाता है और इसके बाद भाप में इसे पकाया जाता है। फिर इसे सुखाकर इसकी भूसी निकाली जाती है। इस चावल को भले ही अलग तरीके से तैयार किया जाता है लेकिन खाद्य मंत्रालय या कोई अन्य संस्था ने इसे अलग तरीके से परिभाषित नहीं किया है।पारबॉइल्ड राइस खाने के फायदेउसना चावल या पारबॉइल्ड राइस खाना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। यह कहा जाता है कि इस चावल में मौजूद पौष्टिक तत्व सामान्य चावल की तुलना में कहीं ज्यादा होते हैं। वहीं इसको तैयार करने के लिए अपनाए गए खास तरीके के कारण इसे लंबे समय तक आसानी से स्टोर किया जा सकता है और इसमें कीड़े लगने का खतरा कम होता है। चूंकि उसना चावल या अधपका चावल को तैयार करने के इसे पानी में भिगोकर इसे भाप में पकाया जाता है इसलिए इस दौरान इसके छिलके पर मौजूद विटामिन चावल में आ जाते हैं। खास प्रक्रिया की वजह से इस चावल में विटामिन की मात्रा ज्यादा होती है और काब्र्स कम हो जाते हैं। उसना चावल या पारबॉइल्ड राइस खाने के फायदे इस प्रकार से हैं।1. यह माना जाता है कि उसना चावल या पारबॉइल्ड राइस में सामान्य चावलों की तुलना में पोषक तत्व अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। इस चावल में फाइबर, कैल्शियम, विटामिन और पोटेशियम पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। इसका सेवन करने से शरीर को अधिक पौष्टिक तत्व की आपूर्ति होती है।2. पारबॉइल्ड राइस में मैंगनीज की मात्रा सामान्य चावल की तुलना में ज्यादा पाया जाता है जिसकी वजह से इसका सेवन ब्लड प्रेशर के खतरे को कम करने में फायदेमंद माना जाता है। दिल के दौरे और दिल से जुड़ी अन्य समस्याओं के खतरे को कम करने के लिए भी इस चावल का सेवन बहुत फायदेमंद माना जाता है।3. डायबिटीज के मरीजों के लिए उसना चावल बहुत फायदेमंद माना जाता है। कई शोध और अध्ययन भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि पारबॉइल्ड राइस का सेवन करने से डायबिटीज की समस्या में बहुत फायदा मिलता है। पारबॉइल्ड राइस में मौजूद पोषक तत्व डायबिटीज की समस्या में बहुत फायदेमंद माने जाते हैं।4. इस चावल में एंटीऑक्सीडेंट पर्याप्त मात्रा पायी जाती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट आपको इन्फ्लेमेशन और कैंसर जैसी गंभीर समस्या से बचाने का काम करते हैं।5. पारबॉइल्ड राइस में काब्र्स की मात्रा अन्य चावल की तुलना में कम होती है और इसे पाचन के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। यह चावल पचने में आसान होता है।नोट- पारबॉइल्ड राइस सेहत के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है लेकिन किसी भी बीमारी में इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
- कैंसर एक जानलेवा बीमारी है। सारे कैंसर से बचना संभव नहीं है। लेकिन ज्यादातर कैंसर बचाव और उपचार योग्य होते हैं। अध्ययनों के अनुसार, कैंसर के जोखिम को हेल्दी लाइफस्टाइल की आदतों और डाइट से कम किया जा सकता है।कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जो असामान्य डीएनए कोशिकाओं में वृद्धि के कारण होती है। यह शरीर के कामों में बाधा उत्पन्न करती है। कैंसर के लक्षणों की अनदेखी आपके जान को खतरे में डाल सकती है। ऐसे में शुरुआती स्टेज में इसकी पहचान फायदेमंद होता है। लेकिन कई तरह के कैंसर इतने मामूली संकेत देते हैं, कि आखिरी स्टेज पर मरीज को अपनी बीमारी का पता चलता है। ऐसे में इससे बचाव के उपाय को जान लेना आपके लिए सेहतमंद साबित हो सकता है।अध्ययनों से पता चलता है कि आहार में कैंसर के विकास को रोकने की क्षमता होती है। ऐसा ही एक आहार व्हीटग्रास यानी ज्वारे का रस है। एक्सपर्ट के अनुसार, व्हीटग्रास के सेवन से ब्लड में कैंसर कोशिकाओं को कुछ ही दिनों में 65 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है।कैंसर के सामान्य लक्षणमल-मूत्र त्याग की आदतों में बदलावघाव जो जल्दी ठीक न होब्लीडिंग या डिस्चार्जगांठ बननाअपच या निगलने में कठिनाईमस्से या तिल के रंग आकार में परिवर्तनलगातार खांसीआवाज बैठनाशोध के अनुसार व्हीटग्रास के संपर्क में आने के बाद क्रमश: 24, 48 और 72 घंटों के लिए ल्यूकेमिया कोशिकाओं की मृत्यु में वृद्धि हुई, जो लगभग 65 प्रतिशत तक था। ऐसे में शोधकर्ताओं ने माना कि कैंसर से बचाव और उपचार में ज्वारे का रस का सेवन प्रभावी काम कर सकता है।वैज्ञानिकों ने पाया है कि व्हीटग्रास में हीमोग्लोबिन के समान तत्व होते हैं, जो एक प्रोटीन है। यह ऑक्सीजन को रक्त में पहुंचाने का काम करता है। ऐसे में व्हीटग्रास का सेवन ब्लड में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाता है। क्योंकि ऑक्सीजन से वंचित स्थितियों में कैंसर कोशिकाएं सबसे अच्छी तरह से बढ़ती हैं, इसलिए व्हीटग्रास कैंसर सेल के विकास को रोक सकती है। इसके साथ ही व्हीटग्रास कैंसर के उपचार में भी उपयोगी हो सकता है।व्हीटग्रास में एंटी कैंसर वाले गुण होने के साथ कई तरह के विटामिन्स, मिनरल्स और एंटी ऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं। जिसमें मुख्य रूप से ग्लूटेथिओन, आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम, फाइटोन्यूट्रिएंट्स, एमिनो एसिड, विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन ई, विटामिन के और बी कॉम्प्लेक्स, क्लोरोफिल और प्रोटीन शामिल है।कैसे करें गेंहू के ज्वारे का सेवनएक्सपर्ट बताते हैं कि इसका उपयोग किसानों द्वारा वर्षों से पशु आहार के रूप में किया जाता रहा है, लेकिन यह हाल ही में अपने प्रभावशाली स्वास्थ्य लाभों के कारण एक सुपर फूड के रूप में उभर रहा है। इसे कच्चा खाया जा सकता है या कैप्सूल के रूप में सेवन किया जा सकता है। लेकिन इसका उपयोग आमतौर पर पाउडर या स्मूदी और जूस जैसी चीजों में शामिल किया जाता है।
- अजवाइन का इस्तेमाल भारतीय रसोई में मसाले के रूप में किया जाता है। अजवाइन में मौजूद गुण शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। अजवाइन स्वाद में कड़वा होता है, इसका तड़का किसी भी डिश के फ्लेवर को बेहतर करने का काम करता है। मसाले के अलावा आयुर्वेद में अजवाइन को औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। सर्दी-जुकाम की समस्या हो या पेट आदि से जुड़ी कोई गंभीर परेशानी, इन सबमें अजवाइन का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद माना जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि अजवाइन के बीज के अलावा इसके पौधे की पत्तियां भी कई गंभीर बीमारियों में रामबाण होती हैं।अजवाइन की पत्तियों के फायदेअजवाइन की पत्तियों में एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बायोटिक गुण पाए जाते हैं। इसकी पत्तियों का आयुर्वेद में औषधि के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। सर्दी-जुकाम से लेकर पेट और पाचन से जुड़ी बीमारियों में अजवाइन की पत्तियों का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। अजवाइन की पत्तियों का सेवन करने से आपको इन समस्याओं में बहुत फायदा मिलता है-1. सर्दी-जुकाम में फायदेमंदअजवाइन की पत्तियों में मौजूद गुण सर्दी-खांसी और जुकाम की समस्या में बहुत फायदेमंद होते हैं। अजवाइन की पत्तियों का काढ़ा पीने से आपको सर्दी-जुकाम और खांसी में तुरंत फायदा मिलता है। अजवाइन की पत्तियों में मौजूद एंटी-बायोटिक और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण इन्फेक्शन को दूर करने का काम करते हैं।2. पेट और पाचन से जुड़ी परेशानियों मेंपेट और पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए अजवाइन की पत्तियों का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। अजवाइन की पत्तियां आप सुबह खाली पेट चबाएं, इससे पाचन ठीक होगा और पेट से जुड़ी अन्य परेशानियों में भी फायदा मिलेगा। भोजन के बाद अजवाइन की 2-3 पत्तियों को चबाने से आपका डाइजेशन ठीक रहता है।3. फेफड़ों को रखे हेल्दीफेफड़ों के लिए अजवाइन की पत्तियां बहुत फायदेमंद होती हैं। अजवाइन की पत्तियों में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण फेफड़ों की समस्याओं को दूर करने का काम करते हैं। आप फेफड़ों से जुड़ी परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए अजवाइन की पत्तियों का सेवन डॉक्टर की सलाह के आधार पर कर सकते हैं।4. बॉडी को डिटॉक्स करने में फायदेमंदअजवाइन की पत्तियों में मौजूद गुण शरीर में मौजूद टॉक्सिक पदार्थों को बाहर निकालने में बहुत फायदेमंद होता है। बॉडी को डिटॉक्स करने के लिए अजवाइन की पत्तियां का सेवन और इससे बनी चाय का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। अजवाइन की पत्तियों में मौजूद फोलेट, नियासिन और कैल्शियम जैसे गुण भी आपके लिए बहुत फायदेमंद होते हैं।5. अर्थराइटिस की समस्या में फायदेमंदअर्थराइटिस के मरीजों के लिए अजवाइन का सेवन बहुत फायदेमंद होता है। अजवाइन की पत्तियों का सेवन करने से अर्थराइटिस में दर्द और सूजन को कम करने में बहुत फायदा मिलता है। इस बीमारी में आप अजवाइन की पत्तियों के जूस का सेवन कर सकते हैं।अजवाइन की पत्तियों में मौजूद गुण शरीर के इम्यून सिस्टम को भी बेहतर बनाने का काम करते हैं। आप अजवाइन की पत्तियों को सुबह खाली पेट चबाएं, इससे कई गंभीर समस्याएं दूर होंगी। इसके अलावा अजवाइन की पत्तियों से बनी चाय या काढ़े का सेवन करने से भी आपको बहुत फायदा मिलता है। किसी भी बीमारी या समस्या में अजवाइन की पत्तियों का औषधीय इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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हाई यूरिक एसिड की समस्या से जूझ रहे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यूरिक एसिड ज्यादा बढ़ जाता है तो यह हाथ-पैर के छोटे जॉइंट्स में जमा हो जाता है और गाउट की समस्या हो जाती है। यूरिक एसिड की वजह से किडनी स्टोन की समस्या होना भी आम है। अगर व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहा है और उसका यूरिक एसिड बढ़ जाए तो सीवियर मामलों में किडनी फेलियर की नौबत आ जाती है।
क्या आप जानते हैं कि यूरिक एसिड की समस्या महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों को ज्यादा होती है. आखिर इसकी क्या वजह होती है और इससे किस प्रकार बचा जा सकता है? एक्सपर्ट से जान लेते हैं---
नई दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल के यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अमरेंद्र पाठक कहते हैं कि यह बात सही है कि हाई यूरिक एसिड की समस्या पुरुषों में महिलाओं की अपेक्षा करीब तीन गुना ज्यादा होती है. इसकी वजह दोनों की बॉडी और हार्मोनल फंक्शनिंग में अंतर हो सकता है. हालांकि यह कहना गलत होगा कि महिलाओं का यूरिक एसिड हाई नहीं हो सकता. इस बीमारी की चपेट में कोई भी आ सकता है. वर्तमान समय में यूरिक एसिड के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और इसकी कई वजह हैं. किडनी या लिवर की बीमारी, अनहेल्दी लाइफस्टाइल, नॉनवेज का ज्यादा सेवन और हाई प्रोटीन फूड्स से यूरिक एसिड बढ़ सकता है.
कैसे करें यूरिक एसिड से बचाव?
लाइफस्टाइल में करें जरूरी बदलाव : डॉ. अमरेंद्र पाठक के मुताबिक यूरिक एसिड की समस्या से बचने के लिए लोगों को हेल्दी लाइफस्टाइल फॉलो करनी चाहिए. सभी को समय से सोना-जागना और खाना-पीना चाहिए. हर दिन करीब 30 मिनट एक्सरसाइज करनी चाहिए. इससे शरीर को हेल्दी रखने में मदद मिलेगी और आपका वजन भी कंट्रोल रहेगा.
नॉन वेज और हाई प्रोटीन फूड्स न खाएं : डॉक्टर की मानें तो हाई यूरिक एसिड की समस्या की एक बड़ी वजह नॉन वेज का ज्यादा सेवन भी हो सकता है. इसलिए लोगों को नॉन वेज से दूरी बनानी चाहिए और हाई प्रोटीन फूड्स को भी लिमिट में खाना चाहिए. इनका ज्यादा सेवन करने से कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
पर्याप्त मात्रा में पीएं पानी : यूरिक एसिड एक वेस्ट प्रोडक्ट होता है जो हमारे शरीर से यूरिन के जरिए बाहर निकल जाता है. अगर आप पर्याप्त मात्रा में पानी पिएंगे तो यूरिक एसिड को बाहर निकलने में मदद मिलेगी. किडनी स्टोन से बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए. डाइट में फ्लूड भी शामिल कर सकते हैं. इस समस्या से बचने के लिए खुद को हाइड्रेट रखें.
समय-समय पर कराएं ब्लड टेस्ट: लोगों को समय समय पर अपना ब्लड टेस्ट के जरिए यूरिक एसिड की जांच कराते रहना चाहिए. खासतौर से 40 की उम्र के बाद यूरिक एसिड की समय-समय पर जांच करानी चाहिए. अगर शुरुआत में ही इसका इलाज कराया जाए तो कुछ ही महीनों में बीमारी को खत्म किया जा सकता है. यह कोई लाइलाज बीमारी नहीं है. - सर्दियों आते ही लोग हल्दी वाला दूध पीना शुरू कर देते हैं। ये हमें मौसम में बदलाव के कारण होने वाले कई रोगों से सुरक्षित रखने में सहायक होता है। यदि सर्दियों के मौसम में हल्दी वाला दूध नियमित रूप से पिया जाए तो आप वायरल इंफेक्शन और सर्दी-जुकाम से बचे रहते हैं। इस दूध से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है। हल्दी में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। इसके साथ ही दूध के साथ हल्दी लेने से इसके फायदे कई गुना बढ़ जाते हैं। हल्दी वाले दूध से आप घर के बच्चों और बुजुर्गों को बीमार होने से बचा सकते हैं। आगे जानते हैं हल्दी वाला दूध पीने के फायदों के बारे में ।किस तरह पीएं हल्दी वाला दूधइसे बनाने के लिए आपके पास दूध व हल्दी होनी चाहिए। सामान्य तौर पर एक गिलास गर्म दूध में एक चुटकी हल्दी डालकर इसे तैयार किया जाता है, लेकिन अब लोग इसमें भी कई प्रयोग करने लगे हैं। अब आप हल्दी वाले दूध में अपनी पसंद के अनुसार कोई फ्लेवर को मिक्स कर सकते हैं। दूध में पिसी इलायची, काली मिर्च पाउडर या लौंग भी मिला सकते हैं। ये सभी हल्दी दूध के औषधीय गुणों में इजाफा करते हैं। जिन लोगों को दूध और हल्दी के मिश्रण का स्वाद पसंद नहीं है, उनके लिए सुगंधित मसाले मिलाना एक अच्छा विकल्प हो सकता है।हल्दी दूध के फायदेआकाश हेल्थकेयर सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की सीनियर डायटिशियन डॉक्टर अनुजा गौर के मुताबिक हल्दी के दूध में प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं और ये एंटीऑक्सिडेंट से भी भरपूर होता है। हल्दी दूध में पाया जाने वाला कम्पाउंड करक्यूमिन सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। हल्दी वाला दूध इम्यूनिटी को बढ़ाता है, जिससे हार्ट डिजीज और अन्य जोखिमों का खतरा कम होता है। त्वचा के लिए फायदेमंद होने के साथ ही हल्दी वाला दूध हड्डियों के लिए भी एक बेहतरीन ड्रिंक होता है। हल्दी का दूध पाचन तंत्र को भी बेहतर बनाता है।सर्दी-जुकाम से राहतबदलते मौसम में वायरल इंफेक्शन का शिकार होने वाले लोगों के लिए हल्दी वाला दूध बहुत फायदेमंद होता है। रात में सोने से पहले गर्म हल्दी वाले दूध को पीने से सर्दी-फ्लू से बचा जा सकता है। हल्दी के एंटी-वायरल गुण इंफेक्शन से लड़ने में मदद करते हैं और इसके एंटी-इनफ्लेमेटरी गुण खांसी और सर्दी से राहत दिलाने में मदद करते हैं।बॉडी को करता है डिटॉक्सहल्दी वाला दूध पाचन को बेहतर बनाता है। ये गैस और ब्लोटिंग जैसी समस्याओं से भी छुटकारा दिलाता है। हल्दी वाले दूध के एंटी-इनफ्लेमेटरी गुण ठंड के मौसम में जोड़ों और मांसपेशियों में होने वाले दर्द से भी राहत दिलाने का काम करते हैं।साइनस को करता है ठीकरोजाना हल्दी वाला दूध पीने से बलगम बढ़ सकता है। इसके बावजूद ये साइनस से होने वाले सिरदर्द को भी कम करने का काम करता है, क्योंकि हल्दी में ब्लड को पतला करने वाले गुण होते हैं। इससे बॉडी में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर बनाता है।कब पीना चाहिए हल्दी वाला दूधहल्दी वाले दूध को रात में सोने से ठीक पहले और गर्म करके पीना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि हल्दी वाला दूध पीने से नींद बहुत अच्छी आती है और इसे पीने से गहरी नींद आती है। अगर आपको दूध पीना पसंद नहीं है तो आप छाछ में भी हल्दी मिलाकर पी सकते हैं।
- दूध का सेवन सेहत के लिए तो बहुत फायदेमंद होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं, त्वचा की कई समस्याएं दूर करने में भी दूध बहुत लाभकारी होता है। हम में से ज्यादातर लोग चेहरे पर दूध या इसकी मलाई लगाते हैं, क्योंकि यह आपकी त्वचा को मॉइश्चराइज रखता है और त्वचा को कोमल बनाता है। हालांकि इसके अलावा भी चेहरे पर दूध लगाने से त्वचा को कई फायदे मिलते हैं। अक्सर कुछ लोग चेहरे पर काले धब्बों की समस्या का सामना करते हैं। ऐसा कई बार कील-मुंहासों के कारण देखने को मिलता है, या फिर यह धूप के संपर्क में अधिक समय बिताने या पिगमेंटेशन के कारण भी हो सकता है। चेहरे के काले धब्बों से छुटकारा पाने के लिए लोग तरह-तरह के घरेलु नुस्खे ट्राई करते हैं, साथ ही कुछ लोग महंगी-महंगी क्रीम और अन्य स्किन केयर प्रोडक्ट्स का भी प्रयोग करते हैं। लेकिन फिर काले धब्बों से छुटकारा नहीं मिलता है।लेकिन क्या आप जानते हैं, चेहरे के काले धब्बे दूर करने में कच्चा दूध बहुत कारगर साबित हो सकता है? ऐसा इसलिए क्योंकि दूध में लैक्टिक एसिड मौजूद होता है, अध्ययन में पाया गया है कि लैक्टिक एसिड त्वचा की रंगत में सुधार करने और चेहरे के कालेपन को दूर करने में मदद कर सकता है। यह काले धब्बों को साफ करने के लिए भी एक रामबाण उपाय साबित हो सकता है। बस आपको सही तरीके से चेहरे पर इसका प्रयोग करना है। अब सवाल यह उठता है कि चेहरे के काले धब्बे साफ करने के लिए कच्चे दूध का प्रयोग कैसे करें? इस लेख में हम आपको इसके बारे में विस्तार से बता रहे हैं।काले धब्बे साफ करने के लिए कच्चे दूध का प्रयोग कैसे करें?-1. सीधे तौर पर प्रयोग हैआप चेहरे के काले धब्बे दूर करने के लिए दूध को सीधे अपनी त्वचा पर लगा सकते हैं और इससे त्वचा की सफाई कर सकते हैं। इसका प्रयोग करना भी बहुत आसानी है। बस 2 चम्मच दूध लें और इसे रूई की मदद से चेहरे पर लगाएं और क्लींजर की तरह प्रयोग करें। ऐसा तब तक करें, जब कि दूध पूरा खत्म न हो जाए। उसके बाद चेहरे को 10-15 मिनट के लिए या रात भर के लिए ऐसे ही छोड़ दें। फिर सादे पानी से धो लें।2. एक्सफोलिएटर के रूप में प्रयोग कर सकते हैंकच्चा दूध त्वचा के लिए एक बेहतरीन क्लींजर के रूप में काम करता है। आप इसका प्रयोग त्वचा को एक्सफोलिएट करने के लिए भी कर सकते हैं। इसके लिए आपको 2-3 बड़े चम्मच कच्चा दूध लेना है, फिर इसमें आपको समान मात्रा में गाजर का रस, साथ 1 चम्मच दही डालकर अच्छी तरह मिलाना है। इस मिश्रण को चेहरे पर लगाएं, फिर इससे चेहरे की कुछ मिनट सर्कुलर मोशन में मालिश करें। फिर कम से कम 10 मिनट के लिए चेहरे पर छोड़ दें। उसके बाद सादे या ठंडे पानी से धो लें। इसके बाद त्वचा को मॉइस्चराइज जरूर करें।3. फेस पैक की तरह प्रयोग करेंचेहरे के काले धब्बे हटाने के लिए आप कच्चे दूध को होममेड फेस पैक के रूप में अप्लाई कर सकते हैं। इसके लिए आप दूध में मुल्तानी मिट्टी, बेसन, चंदन पाउडर या कोई भी अन्य सामग्री मिलाकर इसका प्रयोग कर सकते हैं। इसके लिए आप दो चम्मच बेसन या मुल्तानी मिट्टी लेनी है, फिर उसमें बराबर मात्रा में कच्चा दूध मिलाना है। अगर पेस्ट गाढ़ा हो जाता है, तो आप जरूरत के अनुसार इसमें थोड़ा और दूध या नींबू का रस या फिर गुलाब जल भी मिला सकते हैं। फिर चेहरे पर एक अच्छा मॉइश्चराइजर लगाएं ।
- नारियल तेल का इस्तेमाल लगभग हर घर में होता है। सर्दियों में चेहरे पर अत्याधिक रूखेपन के कारण कई लोग चेहरे पर नारियल तेल लगाना पसंद करते हैं। सर्दियों में नारियल तेल चेहरे पर नियमित लगाने स्किन चमकदार बनती है और एक्ने की समस्या भी आसानी से दूर होती हैं। नारियल तेल चेहरे पर लगाने से त्वचा की कई समस्याएं आसानी से दूर होती हैं। नारियल तेल को चेहरे पर कभी भी आसानी से लगाया जा सकता हैं। लेकिन ध्यान रखें नारियल तेल को जब भी चेहरे पर लगाएं इससे चेहरे की 1 मिनट तक हल्के हाथ स मसाज करें। ऐसा करने से नारियल तेल को स्किन आसानी से सूख लेगी। आइए जानते हैं सर्दियों में चेहरे पर नारियल तेल लगाने के फायदों के बारे में।रूखेपन की समस्या कम होगीचेहरे पर सर्दियों में नारियल तेल लगाने से ड्राई स्किन की समस्या आसानी से दूर होती है। सर्दियों में कई बार स्किन फटने की वजह से चेहरे की खूबसूरती कम होती है। ऐसे में नारियल तेल चेहरे पर लगाने से स्किन फटने की समस्या दूर होती है और स्किन को भी पोषण मिलता है।दाग-धब्बे होते हैं दूरसर्दियों में चेहरे पर नारियल तेल लगाने से दाग-धब्बों की समस्या आसानी से दूर होती हैं। नारियल तेल में पाए जाने वाले गुण दाग-धब्बों को दूर करने के साथ स्किन भी ग्लोइंग बनती है। चेहरे के दाग-धब्बे हटाने के लिए सोने से पहले नारियल तेल से चेहरे की मसाज करें। ऐसा नियमित करने से पिंपल्स के दाग-धब्बे आसानी से दूर होंगे।टैनिंग से करें रक्षासर्दियों में चेहरे पर नारियल तेल लगाने से टैनिंग की समस्या भी दूर होती है। बाहर जाने से 10 मिनट पहले नारियल तेल से चेहरे की मसाज करें। ऐसा नियमित करने से सनबर्न की समस्या दूर होती है। नारियल तेल चेहरे से धूप के प्रभाव को बचाता है।ग्लोइंग स्किनअगर आप भी ग्लोइंग स्किन पाने की चाहत में महंगे प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं और आपको मन मुताबिक रिजल्ट नहीं मिलता, तो चेहरे पर नारियल तेल से अवश्य करें। ऐसा करने से स्किन चमकदार बनती है और दाग- धब्बे भी दूर होते हैं।झुर्रियों की समस्या होती है दूरचेहरे पर नारियल तेल लगाने से झुर्रियों की समस्या आसानी से दूर होती है। नारियल तेल में पाए जाने वाले एंटी एजिंग गुण झुर्रियों की समस्या को दूर करते हैं। चेहरे पर नियमित नारियल तेल से मालिश करने से बढ़ती उम्र के निशान भी दूर होते हैं।सर्दियों में नारियल तेल चेहरे पर लगाने से कई समस्याएं दूर होती हैं। लेकिन ध्यान रखें अगर आपने फेस पर कोई ट्रीटमेंट कराया हैं, तो ब्यूटी एक्सपर्ट की सलाह पर ही इसका इस्तेमाल करें। नारियल तेल को लगाने से पहले पैच टेस्ट अवश्य करें।
- प्रीति निगमठंड की वजह से होने वाला गले में खराश ज्यादातर एक हफ्ते में खुद-ब-खुद ठीक हो जाता है। लेकिन डॉक्टर जल्दी रिकवरी के लिए एंटीबायोटिक लिख सकते हैं। हालांकि, कुछ घरेलू नुस्खों से भी आप इस परेशानी को खत्म कर सकते हैं।शहदरिसर्च गेट में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, गले में इन्फेक्शन के लिए शहद सबसे अच्छा घरेलू उपाय है। शहद में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो खांसी और सर्दी के लक्षणों को दूर करने में मदद करते हैं। इसके अलावा, यह गले के दर्द के लिए भी एक प्रभावी उपाय है। गले में खराश और खांसी से राहत पाने के लिए ताजे अदरक के पेस्ट के साथ शहद का उपयोग आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।अदरकएनसीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, अदरक में जिंजरोन और जिंजरोल जैसे यौगिक होते हैं, जो शरीर में प्रवेश करने वाले बैक्टीरिया और वायरस को रोकने का काम करते हैं। जिससे गले में खराश सहित कई स्थितियों के जोखिम को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। एक कप पानी में ताजा अदरक के कुछ स्लाइस उबालकर अदरक की चाय बनाएं, और राहत के लिए इसे दिन में 2-3 बार पिएं।हल्दीहल्दी में करक्यूमिन नामक एक पॉलीफेनोल होता है। इसमें एंटीवायरस, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट और एंटी फंगल गुण होते हैं। यह वायरल संक्रमण के लक्षणों को रोकने के लिए इम्यूनिटी को बूस्ट करने का काम करता है। ऐसे में हल्दी गले के दर्द के लिए एक प्रभावी उपचार हो सकता है। गर्म दूध में थोडा सा हल्दी पाउडर डाल कर अच्छी तरह से मिला लें और इसे दिन में 2-3 बार पिएं।काली मिर्चकाली मिर्च में क्वेरसेटिन होता है जो सर्दी और खांसी के लक्षणों को कंट्रोल करने और इम्यूनिटी को बूस्ट करने का कार्य करता है। इसमें एंटीवायरस, एंटी बैक्टीरियल और एक्सपेक्टोरेशन गुण भी होते हैं, जो श्वसन पथ में बलगम और कफ के जमाव को हटाने में मदद करते हैं। थोड़ा गर्म पानी लें और दो चुटकी भर काली मिर्च पाउडर मिलाएं। अब इसे अच्छे से मिलाकर इसका सेवन करें।दालचीनीदालचीनी में एंटीवायरस, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीमाइक्रोबियल और एंटी फंगल गुण होते हैं। जो इम्यूनिटी सिस्टम को बेहतर बनाते हैं। दालचीनी के नियमित सेवन से गले में संक्रमण होने की संभावना कम हो सकती है। थोड़े से दूध में एक चुटकी दालचीनी और अदरक का पाउडर और थोड़ा सा शहद मिलाएं। गले के दर्द से राहत पाने के लिए इस दालचीनी वाले दूध को दिन में दो बार पिएं।हींगहींग की जड़ें प्राकृतिक एंटीवायरस यौगिक पैदा करती हैं। जो कफ के दवा के रूप में काम करती है। इसलिए यह काली खांसी में बहुत फायदेमंद मानी जाती है। हींग की गंध मात्र में बैक्टीरिया से लडऩे की क्षमता होती है। ऐसे में गले के दर्द के लिए आप हींग का सेवन कर सकते हैं। एक गिलास पानी में एक चम्मच हींग पाउडर, थोड़ी मात्रा में अदरक पाउडर और शहद मिलाएं। गले की खराश से राहत पाने के लिए इस मिश्रण को दिन में दो बार पिएं।
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शादियों और पार्टी का सीजन शुरू हो चुका है। ऐसे में जरूरत से ज्यादा बाहर का तला भुना और फ्राइड खाना खाने से आपको एसिडिटी और पेट में जलन की समस्या हो सकती है। अगर आप भी पेट की जलन और एसिडिटी से परेशान रहते हैं तो ये असरदार ड्रिंक आपकी परेशानी तुरंत ठीक करने में आपकी मदद कर सकते हैं। खास बात यह है कि इन ड्रिंक्स का सेहत पर कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है।
जीरा पानी-
पेट की जलन तुरंत शांत करने के लिए जीरा पानी बेहद फायदेमंद है। जीरे में मौजूद फाइबर और मिनरल पाचन तंत्र सुधारने का काम करते हैं। इससे आपका मेटाबॉलिज्म ठीक रहता है और पेट में होने वाले दर्द से निजात भी मिलती है। इस उपाय को करने के लिए जीरे को 15 मिनट पानी में उबालकर उसका पानी छानकर भी पीना है।
सौंफ का पानी-
पेट की जलन, डायरिया जैसी समस्याओं को दूर करने के साथ खून साफ और वेट लॉस में भी बेहद मददगार है सौंफ। इसके लिए सौंफ के कुछ दाने हाथ में लेकर उसे कच्चा या भुना दोनों तरह से खा सकते हैं। इसके अलावा पेट की जलन को ठीक करने के लिए रातभर पानी में भिगोकर रखी हुई सौंफ के पानी को सुबह उठकर पी लें। इसके अलावा एसीडिटी दूर करने के लिए अगर आपको इंस्टेंट उपाय करना है तो 1 गिलास गरम पानी के साथ सौंफ खा लें।
जिंजर ड्रिंक-
अदरक में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण एसिडिटी के लएि जिम्मेदार बैक्टेरिया को मारने में फायदेमंद होते हैं। इस ड्रिंक को बनाने के लिए अदरक को कुछ देर पानी में भिगोकर रख दें। पानी का रंग बदलने पर उसमें शहद मिलाकर पी लें। आप चाहें तो पानी को उबाल भी सकते हैं। इससे गैस की समस्या भी दूर होती है। अदरक का सेवन करने से गले की खराश भी दूर होती है। सर्दियों में आप रोज जिंजर ड्रिंक पी सकते हैं।
एलोवेरा जूस-
एलोवेरा में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं। जो पाचन तंत्र को मजबूत बनाकर पेट की कई समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं। इसका जूस पीने से व्यक्ति को पेट की जलन और दर्द दोनों से राहत मिलती है। अगर आपको एलोवेरा का स्वाद पसंद नहीं है तो आप इसे नारियल पानी के साथ पी सकते हैं। - दूध को सेहत का खजाना माना जाता है। रोजाना दूध पीने से न सिर्फ सेहत दुरुस्त रहती है बल्कि स्किन और बालों की समस्या से भी निजात पाई जाती है। दूध में भरपूर मात्रा में कैल्शियम, मैग्नीशियम और विटामिन पाए जाते हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा दूध विटामिन ए, डी, के और ई सहित फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, आयोडीन व कई खनिज का भी अच्छा सोर्स माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं दूध के साथ कुछ चीजों का सेवन करने की मनाही होती है। आयुर्वेद के अनुसार दूध के साथ नमक का सेवन करने से शरीर को कई बीमारियां घेर लेती हैं, साथ ही ये पाचन संबंधी समस्याओं का भी कारण बन सकता है।दूध के साथ नमक खाने के नुकसान1. चर्म रोग का कारणदूध के साथ नमक खाने से सफेद दाग यानी कि चर्म रोग की समस्या हो सकती है। दरअसल, दूध और नमक दोनों विपरीत प्रकृति के पदार्थ हैं। अगर इनका एक साथ सेवन किया जाता है तो शरीर पर बुरा प्रभाव डालते हैं।2. बालों का झड़नादूध के साथ नमक खाने से बालों का झड़ना, टूटना और गिरना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। दूध के साथ नमक का सेवन करने से बाल समय से पहले सफेद हो सकते हैं।3. बेचैनी महसूस होनादूध के साथ नमक का सेवन करने से बेचैनी या अचानक सीने में दर्द की समस्या भी हो सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि नमक और दूध का सेवन जब एक साथ किया जाता है, तो ये शरीर के अंगों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, जिसकी वजह से बेचैनी की समस्या हो सकती है और ये लंबे समय तक रह सकती है।दूध के साथ क्या नहीं खाना चाहिए?आयुर्वेद के अनुसार दूध के साथ दही, नमक, इमली, खरबूजा, बेल, नारियल, मूली, तोरई, तिल, तेल, कुल्थी, सत्तू जैसी चीजों को खाने से बचना चाहिए। दूध के साथ इस तरह के खाद्य पदार्थों का सेवन करने से पाचन, स्किन और बाल संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
- नई दिल्ली। दिल का दौरा पड़ने के मामले आमतौर पर 'मोटापे' और 'हाई कोलेस्ट्रॉल' के शिकार लोगों के बीच देखने को मिलते हैं। लेकिन, हाल ही में युवाओं में सामने आईं ऐसी घटनाएं एक अलग और चिंताजनक तस्वीर पेश करती हैं। ऐसे कई वीडियो सामने आए हैं, जिनमें सैर, जिम में कसरत जैसी रोजमर्रा की गतिविधियां करते और शादी में नाचते समय लोग हार्ट अटैक के शिकार हो गए। ऐसे में प्रख्यात हृदय रोग विशेषज्ञों का मानना है कि 'असामान्य व्यायाम' या 'अति व्यायाम' युवाओं में दिल के दौरे का कारण बन सकता है। पिछले कुछ वर्षों में हार्ट अटैक के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। विशेष रूप से 25 से 50 वर्ष की आयु के लोगों के बीच। हाल ही में कन्नड़ सुपरस्टार पुनीत राजकुमार, गायक केके और हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव जैसी कई हस्तियों का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। इसके बाद हृदयाघात के बारे में कुछ व्यापक रूप से गलत धारणाएं सामने आई हैं और उन्हें दूर करने की आवश्यकता है।कैसे पड़ता है दिल का दौरा?यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के हृदय रोग विभाग के प्रोफेसर डॉ. नीतीश नाइक कहते हैं, 'हृदय को रक्त और पोषण की आपूर्ति करने वाली धमनियों में अचानक रुकावट के कारण दिल का दौरा पड़ता है।'फोर्टिस अस्पताल, नोएडा के ‘कार्डियक साइंसेज’ के अध्यक्ष और ‘कार्डियक सर्जरी’ के प्रभारी डॉ. अजय कौल बताते हैं, 'धमनी में वसा की परत का निर्माण होता है। यह परत टूटकर रक्त वाहिका में प्रवेश कर जाती है, जिससे वाहिका में रक्त का थक्का बन जाता है, और वह बंद हो जाती है।'नाइक कहते हैं, 'धूम्रपान के आदी, सुस्त जीवन शैली वाले, मोटापे, खराब रक्तचाप से ग्रस्त, मधुमेह से पीड़ित या उच्च कोलेस्ट्रॉल के शिकार लोगों के साथ इस तरह की दिक्कत हो सकती हैं।'उन्होंने कहा कि इसके केवल यही कारण नहीं हैं। जिम में अत्यधिक कसरत करने से भी ऐसा हो सकता है।पैन मैक्स- कार्डिएक साइंसेज में कैथ लैब के प्रमुख निदेशक और प्रमुख डॉ. विवेक कुमार कहते हैं, 'अनियमित व्यायाम से दिल का दौरा पड़ सकता है, इसलिए बिना प्रशिक्षण के व्यायाम नहीं करना चाहिए।'ज्यादा व्यायाम से क्या हार्ट अटैक आ सकता है?उजाला सिग्नस ब्राइटस्टार हॉस्पिटल, मुरादाबाद के सीनियर कंसल्टेंट और ‘इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट’ डॉ. विजया कुमार कहते हैं, 'हां, ज्यादा व्यायाम करने से कोरोनरी वाहिकाओं में जमी परत फट सकती है, जिससे दिल का दौरा पड़ सकता है।'नई दिल्ली के पटपड़गंज में स्थित मैक्स अस्पताल में हृदय रोग विभाग के एसोसिएट डायरेक्टर विनीत भाटिया ने कहा, 'आंकड़ों की बात की जाए तो युवाओं में इसके 15-18 प्रतिशत मामले होते हैं।' लेकिन युवाओं में हृदयाघात के मामले केवल अत्यधिक व्यायाम के कारण नहीं देखे गए हैं। कोविड से भी दिल का दौरा पड़ने के मामले बढ़े हैं।कोविड से हार्ट अटैक का क्या है कनेक्शन?कौल कहते हैं, 'यह सच है कि कोविड ने बहुत दिक्कतें पैदा की हैं। कोविड से रक्त के थक्के जम सकते हैं। कोविड से हृदय और फेफड़ों की समस्याएं पैदा होती हैं।' ऐसे में सवाल उठता है कि कोई कैसे जान सकता है कि कोविड या अधिक व्यायाम हृदय की समस्याओं का कारण है?कौल कहते हैं, 'मूल्यांकन। किसी डॉक्टर के पास जाएं, और वह आपको बताएगा कि क्या कोविड केवल आपके फेफड़ों तक ही सीमित था या नहीं।' कोविड के खिलाफ लड़ाई में टीकों का अहम योगदान रहा है। हालांकि, कोविड रोधी टीके कुछ मामलों में हृदयाघात का कारण भी बने हैं। ऐसे में इस तरह के मामलों से कितना चिंतित होने की जरूरत है?इस बारे में कौल कहते हैं, 'लाभ, जोखिमों से कहीं अधिक हैं। टीकाकरण में कई अन्य समस्याएं हैं। हां, ऐसा है। लेकिन संख्या इतनी कम है कि उन्हें अनदेखा किया जा सकता है। दूसरा, यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि कोविड हृदय की समस्याओं को और अधिक बढ़ा सकता है।'
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सर्दियों में अजवाइन का पानी पीने से पाचन शक्ति ठीक होती है. दरअसल, सर्दियों में अक्सर लोग तरह-तरह के व्यंजनों का जमकर लुत्फ उठाते हैं. इसकी वजह से कई बार पेट भी खराब हो जाता है. ऐसी स्थिति में अजवाइन का पानी लाभकारी साबित हो सकता है.
अगर आप एसिडिटी से परेशान हैं तो अजवाइन का पानी आपके लिए बहुत ही अच्छा है. दरअसल, अजवाइन के पानी में एंटी- हाइपरएसिडिटी के गुण पाए जाते हैं जो एसिडिटी को कंट्रोल करने में मदद करते हैं
सर्दियों में आलस भरी जीवनशैली और गलत खानपान की वजह से लोगों का वजन बढ़ने लगता है. ऐसे में अजवाइन का पानी काफी फायदेमंद साबित होता है. इसमें लैक्सेटिव होता है जो वजन को कंट्रोल करने में मददगार है. अगर आप रोज एक गिलास अजवाइन का पानी पीते हैं तो आप आसानी से अपना वेट मेंटेन रख सकते हैं.
अजवाइन का पानी पीने से सर्दी और फ्लू को दूर रखा जा सकता है. दरअसल, अजवाइन के अंदर एंटी वायरल गुण होते हैं, जो सर्दियों में वायरल और फ्लू होने का खतरा कम करने में मददगार साबित होता है. -
आज की भागदौड़ वाली लाइफस्टाइल में रेडी टू ईट फू्ड्स का सेवन बहुत तेजी से बढ़ रहा है. रेडी टू ईट फूड्स में दाल, चावल, सब्जी समेत सभी तरह के स्नैक्स और मील शामिल हैं. ये एक तरह से रेडीमेड खाद्य पदार्थ होते हैं जिन्हें सिर्फ उबालने या फिर कुछ देर के लिए गर्म करने की जरूरत होती है. लेकिन ये रेडी टू ईट फूड्स आपको कई बीमारियों का शिकार बनाते हैं और ये आपके जीवन के कुछ साल छीन सकता है.
ब्राजील में हुई एक स्टडी में ये सामने आया है कि रेडी टू ईट मील का सेवन समय से पहले मृत्यु के खतरे को 10 फीसदी तक बढ़ाते हैं. ब्राजील में 2019 में हुई इस स्टडी में ये बताया गया है कि अगर आप इन 5 रेडी टू ईट मील का सेवन करते हैं तो आप समय से पहले मौत का शिकार बन सकते हैं.
क्या कहती है स्टडी
ये रिसर्च अमेरिकन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसिन में प्रकाशित हुई थी. शोधकर्ताओं ने बताया कि लंबे समय तक अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का सेवन मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियों का जोखिम बढ़ाता है.
ब्राजील के साओ पाउलो विश्वविद्यालय के प्रमुख और इस रिसर्च के लेखक एडुआर्डो निल्सन ने बताया, ''इन नतीजों के लिए उन्होंने स्वास्थ्य पर पड़ने वाले अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के जोखिम का तुलनात्मक मूल्यांकन किया था.''
रिसर्च में शोधार्थियों ने पाया कि 2019 में 30 से 69 वर्ष की आयु के पांच लाख से अधिक वयस्क लोगों की मौत हुई जिनमें 57,000 लोगों यानी करीब 10.5 प्रतिशत की मौत समय से पहले हुई जिसकी वजह अल्ट्रा-प्रॉसेस्ड फूड्स थे.
निल्सन ने ये भी कहा कि ये आंकड़ें उन देशों में और भी भयावह हो सकते हैं जहां बड़े पैमाने पर लोग रेडी टू ईट फूड्स का सेवन करते हैं.
क्या होते हैं रेडी टू ईट फूड्स
बदलती जीवनशैली में लोगों के पास समय की कमी है और उनके पास घर में खाना बनाने का समय नहीं है. ऐसे में लोग बाजार में मिलने वाले पैक्ड फूड्स का सेवन करने लगे हैं. पिछले कुछ सालों में रेडी टू ईट फूड का चलन तेजी से बढ़ा है. बाजार में मिलने वाले रेडी टू ईट फूड या पैकेज्ड फूड हेल्दी नहीं होते हैं. ये कितना भी हेल्दी होने का दावा कर लें लेकिन ये प्रिजर्वेटिव्स कार्ब्स, शुगर और सॉल्ट से भरपूर होते. इनमें अत्यधिक मात्रा में फ्लेवर्स डाले जाते हैं जो आपकी इम्युनिटी घटाते हैं. इनमें पोषक तत्व नहीं होते. लंबे समय तक इनका सेवन डायबिटीज, मोटापा, बैड कोलेस्ट्रोल और हृदय रोग का जोखिम बढ़ाते हैं.
क्या होते हैं अल्ट्रा-प्रॉसेस्ड फूड
लगभग सभी प्रकार के रेडी टू ईट फूड अल्ट्रा-प्रॉसेस्ड होते हैं. अल्ट्रा-प्रॉसेस्ड खाद्य पदार्थ वसा, स्टार्च, एडेड शुगर और अनहेल्दी फैट्स से भरपूर होते हैं. ये फैक्ट्रियों में कई प्रक्रियाओं से गुजरते हैं. इसमें खाने के नैचुरल तत्व हटा कर कृत्रिम तत्व डाल दिए जाते हैं. अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड्स में अत्यधिक कैलोरी, चीनी नमक से भरपूर होते हैं. फ्रोजन फूड जैसे पिज्जा, आलू टिक्की, कटलेट, चिप्स, पैक्ड सूप, ब्रेकफास्ट सीरियल्स, कुकीज जैसे फूड्स अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ की कैटेगरी में आते हैं.
अल्ट्रा-प्रॉसेस्ड फूड्स पर क्या कहते हैं डॉक्टर
निल्सन बताते हैं, ''अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड ताजा भोजन का विकल्प नहीं हो सकते. वास्तव में मुनाफा कमाने के लिए रेडी टू ईट फूड्स का औद्योगिकीकरण हुआ है. इसमें बहुत कम ताजी और हेल्दी चीजें होती हैं जबकि ये बहुत ज्यादा स्टार्च, अनहेल्दी फैट और प्रोटीन से भरपूर होते हैं. इन्हें सालों तक स्टोर करने और बड़े पैमाने पर बेचने के लिए बनाया जाता है. इनका प्रोडक्शन और स्टोर करने की लागत भी बहुत कम होती है.''
उन्होंने आगे कहा, ''इन खाद्य पदार्थों का अक्सर कम आय वाले समुदायों के लोग सबसे अधिक सेवन करते हैं क्योंकि वो खानपान पर ज्यादा खर्च नहीं कर पाते हैं. रेडी टू ईट खाद्य पदार्थ ताजा भोजन की तुलना में सस्ते और आसानी से मिलते हैं.' - पेट में कब्ज होना, पेट से जुड़ी सबसे आम समस्याओं में से एक है। हम सभी अक्सर ही ज्यादा मसालेदार भोजन करने, देर रात खाने, भोजन के खराब पाचन और कई अन्य कारणों के कब्ज का सामना करते हैं। जब हम पानी कम पीते हैं और गलत या मसालेदार भोजन करते हैं, तो इससे हमारा पाचन प्रभावित होता है। आज इस लेख में हम आपको उनके पोस्ट से प्राप्त जानकारी के माध्यम से कब्ज क्यों होती है और कब्ज से छुटकारा पाने के लिए सुबह खाए जाने वाले 5 फूड्स बता रहे हैं।कब्ज दूर करने के लिए सुबह क्या खाएं-1. खजूर खाएंखजूर स्वाद में मीठे और प्रकृति में ठंडे होते हैं। शरीर में वात और पित्त दोनों के संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं। साथ ही यह फाइबर से भी भरपूर होते हैं, जिससे ये कब्ज से भी राहत प्रदान करते हैं। इसके लिए आपको बस रातभर पानी में भीगे 2-3 भीगे सुबह खाली पेट गर्म पानी के साथ खाने हैं।2. मेथी के बीज खाएंआपको 1 चम्मच मेथी के बीज को रातभर पानी में भिगोकर रखना है, फिर सुबह खाली पेट इनका सेवन करना है। इसके अलावा मेथी के बीज का पाउडर बनाकर रात में सोने से पहले एक चम्मच गर्म पानी के साथ भी ले सकते हैं। यह अतिरिक्त वात और कफ वाले लोगों के लिए बेस्ट विकल्प है। हालंकि पित्त प्रकृति (गर्मी की समस्या) वाले लोगों को इसके सेवन से बचना चाहिए।3. गाय का घी खाएंयह एक नेचुरल मेटाबलिज्म बूस्टर है। यह आपको हेल्दी फैट प्रदान करता है, जो कि फैट में घुलनशील विटामिन और मिनरल्स के अवशोषण में मदद करता है जैसे विटामिन ए, डी, ई और के। आप कब्ज से छुटकारा पाने के लिए एक गिलास गर्म गाय के दूध में 1 चम्मच गाय का घी मिलाकर पी सकते हैं, यह पुरानी कब्ज वाले लोगों के लिए बेस्ट नुस्खा है।4. आंवला खाएंआंवला में रेचक गुण होते हैं, आप एक चम्मच आंवला पाउडर या ताजे आंवला का रस (3 आंवला) के रूप में इसका सेवन कर सकते हैं। यह सभी के लिए फायदेमंद है।5. भीगी किशमिश खाएंरातभर पानी में भीगी काली किशमिश खाने से भी बाउल मूवमेंट को ठीक करने में मदद मिलती है, क्योंकि ये फाइबर से भरपूर होती हैं। लेकिन किशमिश को भिगोकर ही खाएं। कब्ज के लिए आप लिए आप मुठ्ठी भर भीगी किशमिश खा सकते हैं।
- सर्दियों के मौसम में मूली, गाजर, गोभी और साग सहित विभिन्न सब्जियों की खूब उपज होती है। सब्जियों का सेवन स्वास्थ्य के लिए सबसे बेहतर माना गया है क्योंकि सब्जियों में वो सभी पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर को स्वस्थ और मजबूत बनाने के लिए जरूरी हैं। सब्जियों में विटामिन, मिनरल्स, फाइबर और प्रोटीन समेत सभी पोषक तत्व पाए जाते हैं।विभिन्न पोषक तत्वों से भरपूर एक ऐसी ही सब्जी मूली है जिसका ठंड में खूब सेवन किया जाता है। मूली को सलाद, अचार, पराठा और सब्जी के रूप में खाया जाता है। मूली विटामिन ए, बी और सी, प्रोटीन, कैल्शियम और आयरन जैसे कई खनिजों से भरपूर मानी जाती है। यह पाचन के लिए एक बेहतरीन सब्जी और इससे गैस की समस्या में काफी राहत मिलती है। लेकिन इस सब्जी का सेवन करते समय कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ होते हैं, जिनका सेवन करने से बचना चाहिए, क्योंकि ये व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकते हैं।मूली के साथ दूध पीने से बचेंअगर आपने मूली का सेवन किया है, तो आपको इसके बाद दूध का सेवन कभी नहीं करना चाहिए। इसकी वजह यह है कि इससे आपको स्किन की प्रॉब्लम होती है और कभी- कभी ये ठीक होने बहुत समय लेती है।मूली के साथ खीरमूली या इससे बनी कोई भी डिश खाने से पहले या बाद में आपको दूध से बनी खीर बिल्कुल भी नहीं खानी चाहिए। इसकी वजह यह है कि इससे आपको त्वचा से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।मूली के साथ करेलासर्दियों में करेला भी सबसे ज्यादा खाई जाने वाली सब्जी है। लेकिन ध्यान रहे कि मूली के साथ कभी भी करेला नहीं खाना चाहिए। इसकी वजह यह है कि इससे आपको सांस की प्रॉब्लम होती है। रात को ये प्रॉब्लम और ज्यादा बढ़ जाती है।मूली के साथ संतरासर्दियों में संतरे की खूब उपज होती है और खाया जाता है। लेकिन आपको मूली के साथ कभी भी संतरे नहीं खाने चाहिए क्योंकि इससे आप को कब्ज की शिकायत हो सकती है। इतना ही नहीं यह कॉम्बिनेशन आपके पेट के लिए कई जोखिम पैदा कर सकता है।मूली के साथ चाययह कॉम्बिनेशन बेहद खतरनाक है क्योंकि इससे कब्ज और एसिडिटी हो सकती है। क्योंकि मूली ठंडी होती है और चाय की तासीर गर्म बताई जाती है और दोनों एक दूसरे के बिल्कुल विपरीत होती हैं। यही वजह है कि चाय और मूली का मेल बेमेल बताया जाता है।मूली के साथ खीरालोग खीरे और मूली को बेस्ट कॉम्बिनेशन मानते हैं और सलाद के रूप में खाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि खीरा और मूली को एक साथ नहीं खाना चाहिए क्योंकि खीरे में एस्कॉर्बेट होता है, जो विटामिन सी को अवशोषित करने का काम करता है।मूली के साथ पनीरसर्दियों में मूली और पनीर दोनों का ही खूब सेवन किया जाता है। अगर आप मूली खा रहे हैं, तो आपको इसके बाद पनीर नहीं खाना चाहिए। जाहिर है इससे आपको चर्म रोगों का जोखिम बढ़ सकता है।
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अदरक को अगर आप सिर्फ चाय का स्वाद बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करते हैं तो यहां इसके कई सारे फायदे जान सकते हैं। आयुर्वेद में इसको औषधि के रूप में गिना जाता है।
आयुर्वेद में कई मर्जों की दवा है अदरक, जानें खाने का तरीका और फायदे
अदरक में कई सारे औषधीय गुण होते हैं। आयुर्वेद के साथ मेडिकल साइंस भी इस बात को मानता है। अगर आपका पेट फूलता है, खांसी है, गला खराब है, सर्दी हुई है या पाचन की समस्या है तो आप सर्दियों में अदरक को कई तरह से ले सकते हैं। आयुर्वेद डॉक्टर दीक्षा भावसार ने अपने इंस्टाग्राम पेज पर बताया है कि अलग-अलग समस्याओं में अदरक के क्या फायदे हैं। साथ ही इसे खाने का क्या तरीका है। खासतौर पर सर्दी में यह आपके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।
--अगर आपका हाजमा सही नहीं है तो छाछ में सोंठ मिलाकर पिएं।
--अगर आपका गला खराब है, खांसी, सर्दी हुई है या पेट फूल रहा है तो एक इंच अदरक लेकर इसे कद्दूकस कर लें। फिर इसे आधे ग्लास पानी में 3-5 मिनट तक पका लें। फिर इसे छानकर पी लें।
--सर्दियों में इम्यूनिटी अच्छी रखनी है और ब्लोटिंग, गले की खराश से बचना है तो एक लीटर पानी में आधा चम्मच सोंठ का पाउडर लें। इसे 15 मिनट तक धीमी आंच पर उबालें। इस पानी को पूरे दिन घूंट-घूंट कर पीते रहें।
--अगर आपका लिवर ठीक से काम नहीं कर रहा तो जीरा, धनिया और सौंफ वाली चाय में 1 इंच अदरक घिसकर डालें। खाना खाने के एक घंटे बाद इसे खाएं इससे लिवर फंक्शन ठीक होगा।
--अगर भूख नहीं लग रही और मुंह का स्वाद खराब है तो 5 एमएल अदरक का जूस लें। इसमें एक चम्मच शहद डालें। , चुटकीभर नमक और 5 बूंद नींबू की डालकर खाने के पहले पिएं।
--अगर आपका हाजमा सही नहीं है तो सोंठ और गुड़ की छोटी-छोटी गोलियां बनाएं।
--अदरक की प्रकृति गरम होती है। अगर आप पित्त या ब्लींडिंग डिसऑर्डर जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं तो इसे बिना डक्टर की सलाह के मत लें। - सौंफ का इस्तेमाल भारतीय रसोई में मसाले या तड़के के रूप में किया जाता है। इसके अलावा माउथ फ्रेशनर के रूप में भी सौंफ और मिश्री आदि का खूब इस्तेमाल किया जाता है। सौंफ में मौजूद गुणों और पोषक तत्वों के कारण इसका इस्तेमाल आयुर्वेद में औषधि के रूप में भी किया जाता है। सौंफ खाने से पेट से लेकर पाचन से जुड़ी कई गंभीर समस्याओं में फायदा मिलता है। सौंफ में कैल्शियम, आयरन, सोडियम, पोटैशियम जैसे पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, इन पोषक तत्वों की आपूर्ति से शरीर हेल्दी और फिट रहता है। इसके अलावा खाली पेट सौंफ का सेवन करना भी सेहत के लिए उपयोगी माना जाता है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं खाली पेट सौंफ खाने के फायदे।खाली पेट सौंफ खाने के फायदे-सौंफ में सेहत के लिए फायदेमंद कैल्शियम, विटामिन जैसे पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। इसके अलावा सौंफ में पर्याप्त मात्रा में मौजूद पोटैशियम हार्ट से जुड़ी बीमारियों में भी बहुत उपयोगी होता है। सौंफ खाने से आपको हाई ब्लड प्रेशर के समस्या में भी बहुत फायदा मिलता है। रोजाना खाली पेट सौंफ का सेवन करने से आपको ये फायदे मिलते हैं-1. कब्ज की समस्या में फायदेमंदसुबह खाली पेट सौंफ खाने से आपको कब्ज की समस्या में बहुत फायदा मिलता है। सौंफ में फाइबर की पर्याप्त मात्रा होती है, इसका सेवन पेट से जुड़ी बीमारियों में बहुत फायदेमंद होता है। रोजाना सुबह एक चम्मच सौंफ चबाने के बाद आधा गिलास गुनगुना पानी पीने से आपको कब्ज की समस्या में बहुत फायदा मिलेगा।2. हार्ट के लिए बहुत फायदेमंदसुबह खाली पेट सौंफ खाने से दिल की बीमारियों का जोखिम कम होता है। सौंफ में पोटैशियम की मात्रा पायी जाती है जो शरीर में ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने और दिल से जुड़ी बीमारियों के जोखिम को कम करने में बहुत फायदेमंद है।3. इम्यूनिटी बढ़ाएसौंफ में विटामिन सी की पर्याप्त मात्रा होती है। सुबह खाली पेट सौंफ खाने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी बढ़ाने में बहुत फायदा मिलता है।4. खून की कमी दूर करेशरीर में खून की कमी या एनीमिया की समस्या होने पर शरीर कदम कमजोर हो जाता है। इस समस्या में डॉक्टर आयरन की प्रचुर मात्रा वाले फूड्स का सेवन करने की सलाह देते हैं। सौंफ में आयरन की पर्याप्त मात्रा होती है, रोजाना सुबह के समय इसका सेवन करने से आपको खून की कमी दूर करने में मदद मिलेगी।5. हड्डियों के लिए फायदेमंदसौंफ में कैल्शियम की भी मात्रा होती है। सुबह खाली पेट इसका सेवन करने से हड्डियां मजबूत होती हैं और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी गंभीर बीमारी का खतरा भी कम होता है।रोजाना सौंफ का सेवन करने से आपको पाचन और पेट से जुड़ी समस्याओं में बहुत फायदा मिलता है। सुबह खाली पेट एक चम्मच सौंफ चबाकर गुनगुना पानी पीने से आपको कई समस्याओं में फायदा मिलेगा। इसके अलावा लोग सुबह के समय सौंफ के पानी का सेवन भी करते हैं, यह भी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
- दिनभर पेट में भारीपन या गैस महसूस होती है? हमेशा पेट फूला-फूला रहना हमेशा भोजन के कारण ही हो यह जरूरी नहीं है। अगर यह परेशानी महसूस होती है और लगातार बनी हुई है, तो इसके पीछे कई गंभीर हेल्थ प्रॉब्लम हो सकती हैं। कुछ विकार पेट और आंतों को प्रभावित करते हैं जिससे पाचन की समस्या बनी रह सकती है।पेट में गैस बनने के कारण क्या हैं? अक्सर अनहेल्दी डाइट, एक्सरसाइज की कमी या मसालेदार चीजों के अधिक सेवन से ऐसी समस्या होती है लेकिन ज्यादा गैस बनने की वजह कुछ गंभीर बीमारियां भी हैं। ऐसा माना जाता है कि अनिद्रा, पेट का कैंसर, सूजन, दस्त, पेट दर्द और कब्ज जैसी समस्याएं भी इसका कारण बन सकती हैं।नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्लीप एपनिया से पीडि़त लोग अक्सर मुंह से सांस लेते हैं और खर्राटे लेते समय हवा निगल लेते हैं। तो, अगर किसी को स्लीप एपनिया है तो गैस होने लगेगी क्योंकि प्रभावित व्यक्ति ने सारी रात सोते समय हवा निगल ली है। यदि कोई व्यक्ति भारी खर्राटे लेता है और स्लीप एपनिया की समस्या है तो इसके निदान के लिए डॉक्टर की मदद बहुत जरूरी है और इसे टालना अच्छा नहीं है।कोलन कैंसरयह बात बहुत ही कम लोग जानते हैं कि पेट के कैंसर और पेट फूलने के बीच संबंध है। पेट के कैंसर से पीडि़त लोगों में पेट फूलना, लगातार पेट की परेशानी जैसे ऐंठन, गैस या दर्द जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। इसलिए इन लक्षणों के प्रति सतर्क रहें। अत्यधिक गैस को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें। अगर यह बार-बार हो रहा है, तो समय रहते डॉक्टर के पास जायें और उचित इलाज करायें।इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोमइरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम की समस्या में पेट में ऐंठन, दस्त, कब्ज, सूजन और गैस जैसी परेशानी होती हैं। मेयो क्लिनिक की रिपोर्ट बताती है कि इससे पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। यह समस्या एक दिन की नहीं पुरानी हो सकती है इसलिए इसे नियंत्रित करने या इसके इलाज के लिए डॉक्टरी सलाह लेनी जरूरी है।डायवर्टिकलोसिसडायवर्टिकलोसिस रोग के लक्षणों में सूजन, दस्त, पेट दर्द और कब्ज शामिल हो सकते हैं। पेट की परेशानी जो आमतौर पर काफी गंभीर होती है और अक्सर गैस के साथ महसूस की जा सकती है डायवर्टिकलोसिस के सबसे आम लक्षणों में से एक है। विशेषज्ञों के अनुसार इन स्थितियों का सटीक कारण अब तक पता नहीं चला है लेकिन इसके इलाज के लिए डॉक्टर से मिलना सही है।हाइपोथायरायडिज्म भी है वजहपाचन संबंधी समस्याएं कभी-कभी थायरॉइड डिसफंक्शन के कारण भी हो सकती हैं। हाइपोथायरायडिज्म के मामले में व्यक्ति के पेट और आंतों के माध्यम से भोजन का मार्ग धीमा हो जाता है। इस समस्या में धीमी गति से पाचन होने से सीने में जलन, कब्ज, पेट फूलना और गैस जैसे लक्षण सामने आ सकते हैं।
- बेहतर स्वास्थ्य के लिए पौष्टिक चीजों का सेवन करना बहुत जरूरी होता है। इन्हीं पौष्टिक चीजों में अलसी और कद्दू के बीज भी शामिल हैं। अलसी के बीजों में काब्र्स, प्रोटीन, पानी, फाइबर और हेल्दी फैट पाया जाता है। वहीं, कद्दू के बीजों में भी पोषक तत्व अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। कद्दू के बीजों मे पोटैशियम, मैग्नीशियम, कॉपर, फाइबर और प्रोटीन पाया जाता है। चलिए, जानते हैं अलसी और कद्दू के बीज खाने के फायदे क्या हैं?1. पेट की समस्याएं दूर करेआजकल अधिकतर लोग पेट की समस्याओं से परेशान हैं। कोई कब्ज से तो, कोई गैस या अपच का सामना कर रहा है। अगर आपको भी पेट की समस्या रहती है, तो आप अलसी और कद्दू के बीजों का सेवन कर सकते हैं।2. मांसपेशियों को मजबूत बनाएअगर आपको अकसर ही मांसपेशियों में दर्द रहता है, तो आप अलसी और कद्दू के बीजों का सेवन कर सकते हैं। अलसी और कद्दू के बीजों में मौजूद पोषक तत्व मसल्स को मजबूत बनाते हैं। मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए आप अलसी और कद्दू के बीजो को दूध में मिलाकर ले सकते हैं।3. वजन कम करेअगर आप वजन घटाना चाहते हैं, तो भी अलसी और कद्दू के बीजों को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। रोजाना रात को सोते समय अलसी और कद्दू के बीजों का सेवन करने से आपको वजन घटाने में मदद मिल सकती है। दरअसल, अलसी और कद्दू के बीजों में फाइबर की मात्रा अधिक होती है। ऐसे में फाइबर भोजन को पचाने में मदद करता है और फैट को बर्न कर सकता है।4. स्किन के लिए फायदेमंदअलसी और कद्दू के बीज स्किन के लिए भी काफी फायदेमंद होते हैं। रोजाना रात को अलसी और कद्दू के बीज खाने से आपको निखरी हुई त्वचा मिल सकती है। दरअसल, अलसी और कद्दू के बीज खाने से बॉडी डिटॉक्स होती है। साथ ही स्किन की रंगत में भी सुधार होता है।5. फर्टिलिटी बढ़ाएमहिला हो या पुरुष, हर कोई अपनी फर्टिलिटी को बढ़ाने के लिए अलसी और कद्दू के बीजों का सेवन कर सकते हैं। इसके लिए रात में इसका सेवन करें।अलसी और कद्दू के बीजों का सेवन कैसे करें?-आप अलसी और कद्दू के बीजों का सेवन एक साथ मिलाकर कर सकते हैं। इसके लिए आप अलसी और कद्दू के बीजों का अलग-अलग पाउडर बना लें। अब इन दोनों को एक साथ मिक्स कर लें। एक गिलास दूध गर्म करें। इसमें थोड़ा अलसी का पाउडर और कद्दू के बीजों का पाउडर मिक्स करें। अब रात को सोते समय अलसी और कद्दू के बीजों का पाउडर वाला दूध पी सकते हैं।
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~प्रीति निगम
पनीर को अक्सर लोग खाना पसंद करते हैं। इसे अलग-अलग तरीकों से बनाया जा सकता है, जैसे दूध, सोया वगैराह। हालांकि हम यहां बता रहे हैं कि मूंगफली से पनीर बनाने का तरीका। इस मूंगफली पनीर की बनावट और स्वाद स्टोर से खरीदे पनीर की तुलना में बिल्कुल समान है। मूंगफली पनीर का इस्तेमाल कई तरह की डिश बनाने के लिए किया जा सकता है।
जानिए इसे बनाने का तरीका-
मूंगफली पनीर बानने की सामग्री
- मूंगफली
- विनेगर
- पानी
बिना दूध कैसे बनाएं पनीर
-एक बाउल में 2 कप मूंगफली के दाने डालें और इसे अच्छे से धोएं। फिर बाउल में गुनगुना पानी भर दें और मूंगफली के दानों को 1 घंटे के लिए भीगने दें। फिर सारा पानी निकाल दें और मूंगफली को ब्लेंडर में डालें। लगभग 1/4 कप पानी डालें और एक गाढ़ा पेस्ट बनने तक अच्छी तरह मिलाएं। ध्यान रखें कि मूंगफली ठीक से पीसी गई हो ।
-अब एक बर्तन में 1 लीटर पानी में मूंगफली का पेस्ट डालें। मीडियम आंच पर रखें और तब तक मिलाते रहें जब तक कि पेस्ट पानी में अच्छी तरह से मिक्स न हो जाए। मूंगफली के दूध को उबालने की जरूरत नहीं है, इसे 2-3 मिनिट लगातार चलाते रहने के बाद गैस बंद कर दीजिए।
-फिर छानने के लिए एक कपड़े में इसे रखें और उसमें से दूध को निकाल लें। एक पोटली बनाएं और अच्छी तरह निचोड़कर सारा दूध निकाल लें। मूंगफली के दूध को एक बर्तन में इकट्ठा कर लें। पोटली में आपको मूंगफली का गूदा मिलेगा जिससे आप बर्फी आदि बना सकते हैं.
-अब मूंगफली के दूध वाले बर्तन को मीडियम आंच पर रखें। इस बीच, 4 बड़े चम्मच पानी में 1 बड़ा चम्मच सफेद सिरका घोलें। जब दूध में उबाल आ जाए तो गैस बंद कर दें। फिर इसमें सिरका डालें और लगातार चलाते रहें। एक बार जब दूध फटने लगे, तो बचे हुए सिरके के मिश्रण को बर्तन में डालें और हिलाते रहें। मिश्रण को तब तक चलाएं जब तक कि सारा छैना अलग न हो जाए और पानी जैसा मिश्रण न रह जाए।
-जब सारा छैना अलग हो जाए तो इसे जल्दी से छान लें। इसके लिए एक बड़ी छलनी लें और इसे मलमल के कपड़े से ढंक दें। छैना में ठंडा पानी डालें ताकी इससे विनेगर की स्मेल निकल जाए।
-अब मलमल के कपड़े से एक पोटली बनाएं और उसमें से अतिरिक्त पानी को निचोड़ लें। पोटली को प्लेट में रखिये। इसे 1 घंटे के लिए ऐसे ही रहने दें।
-आपका बिना दूध वाला घर का बना पनीर अब इस्तेमाल के लिए तैयार है। स्टोरेज के लिए एक बाउल में पानी भरकर पनीर को उसमें डुबाकर फ्रिज में रख दें। इसे दो दिन से ज्यादा स्टोर न करें। - पालक पनीर की सब्जी अधिकांश लोगों को खूब पसंद आती है। ढाबे में तो लोग इसे बड़े चाव से खाते हैं, लेकिन इस पालक और पनीर को एक साथ खाने से कई दिक्कतें आ सकती हैं। विशेषज्ञों की राय में पालक- पनीर खाने से शरीर में आयरन की कमी और गुर्दे में पथरी होने की आशंका बढ़ जाती है।पालक पनीर एक नुकसानदायक कॉम्बिनेशन है, जो पालक के पोषण को मार देता है। पालक-पनीर खाने से आयरन और कैल्शियम एक साथ मिलता है। लेकिन फिर भी शरीर में आयरन की कमी हो जाती है। क्योंकि, आयरन बिना अवशोषित हुए बाहर निकल जाता है। पालक के साथ पनीर खाने से कैल्शियम और आयरन साथ में मिलता है। कैल्शियम के कारण आयरन का इस्तेमाल रुक जाता है। इस तरह शरीर को आयरन नहीं मिलता और इसकी कमी हो जाती है। पालक-पनीर की जगह पालक-आलू या पालक-कॉर्न खाना चाहिए। पालक पनीर खाने से बॉडी आयरन को एब्जोर्व नहीं कर पाती है। वैसे ही यह गुर्दे की पथरी भी बनाता है। क्योंकि एक स्टडी के मुताबिक, पालक में ऑक्सैलिक एसिड होता है, जो पनीर के कैल्शियम का इस्तेमाल नहीं होने देता। यह कैल्शियम किडनी में जाकर जम जाता है और पथरी बनने लगती है।दरअसल हेल्दी फूड्स खाना ही हेल्दी ईटिंग नहीं होती। आपको ये भी पता होना चाहिए कि कौन-से फूड्स किसके साथ खाने चाहिए या फिर नहीं खाने चाहिए। क्योंकि, फूड्स में मौजूद न्यूट्रिएंट्स एक दूसरे का अवशोषण रोक सकते हैं।पालक को हेल्दी मानकर अगर आप इसका बहुत ज्यादा सेवन करते हैं, तो भी साइड इफेक्ट हो जाते हैं। ज्यादा पालक खाने से गैस, किडनी स्टोन, जोड़ों में दर्द, खून गाढ़ा होना, पेट फूलना, क्रैम्प आदि समस्याएं हो सकती हैं।पालक के साथ कभी ना खाएं ये फूडपालक के साथ उन फूड्स को नहीं खाना चाहिए, जिनमें कैल्शियम बहुत ज्यादा होता है। जैसे- दही, दूध, टोफू और चीज़।--
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-प्रीति निगम
आइए, जानते हैं ऐसे ही कुछ कमाल के कुकिंग टिप्स-
चावल के कीड़े
चावल में कीड़े पड़ना आम बात है, अगर चावल में एक भी कीड़ा पड़ जाता है, तो फिर इसमें कई कीड़े पड़ते जाते हैं। ऐसे में अगर आपको चावल में कीड़े पड़ने से रोकना है, तो इसमें नीम की पत्तियां डंंठल सहित डाल दें।
छैना के पानी का क्या करें
आप अगर पनीर बनाने के लिए दूध फाड़ते हैं, तो इसका पानी बच जाता है। इसके पानी को आप पराठे का आटा गूंदने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे पराठे का स्वाद बढ़ जाता है।
चावल का रंग और स्वाद
चावल का रंग और स्वाद बढ़ाने के लिए इसे उबालते समय इसमें एक नींबू निचोड़कर डाल दें। इससे चावल का रंग और स्वाद बढ़ जाता है। आप कुकर या पतीले किसी भी बरतन में चावल बनाएं लेकिन यह तरीका जरूर अपनाएं।
समोसे का स्वाद
समोसे को क्रिस्पी बनाने के लिए मैदे में चावल का आटा डालकर गूंदे। इससे समोसे पहले से ज्यादा टेस्टी और क्रिस्पी बनेंंगे। साथ ही मैदे की कुछ मात्रा भी कम हो जाएगी। -
बाजार से अनार खरीदते समय अक्सर लोग उसका लाल रंग देखकर उसे घर ले आते हैं। लेकिन ये अनार खरीदने का सही तरीका नहीं है। ज्यादातर मामलों में ऐसे अनार काटने पर न तो मीठे होते हैं और न ही इनके दानों में रस होता है। जिसके बाद पैसे और मूड दोनों खराब हो जाते हैं। अगर आपके साथ भी ऐसा कई बार हो चुका है तो आज आपको बताते हैं बाजार से अनार खरीदने का क्या है परफेक्ट तरीका।
अनार खरीदते समय ध्यान रखें ये टिप्स-
वजनदार अनार-
बाजार से अनार खरीदते समय हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि उसका छिलका मुलायम होना चाहिए। इसके अलावा अनार के साइज और वेट पर भी ध्यान दें। वही अनार चुनें, जो फूले हुए और भारी हों। ऐसे अनार के दानों में जूस ज्यादा होता है।
अनार के रंग से ना हों कंफ्यूज-
आप रंग देखकर अनार खरीदते हैं, तो यह गलत तरीका है।अनार का रंग हल्के गुलाबी से लेकर एकदम लाल के बीच हो सकता है। इसके अलावा अनार के छिलकों पर मौजूद हल्की दरारों से परेशान ना हों। क्योंकि, इससे अनार के दानों पर खास फर्क नहीं पड़ता है।
मीठा अनार कैसे करें पसंद-
अनार मीठा है या नहीं, यह उसकी सुगंध यानि खुशबू से पता चल सकता है। अगर आपको अनार से कोई महक नहीं आ रही है, तो आप इसे दबाकर भी देख सकते हैं क्योंकि मीठे अनार रसीले होते हैं।
अनार स्टोर करने का सही तरीका-
अनार के दाने निकालकर उन्हें किसी एयर टाइट कंटेनर में भरकर फ्रिज में रख सकते हैं। इस तरह अनार के दाने 5 दिन से लेकर महीने भर तक खाने लायक रहते हैं। - प्रीति निगमदाल कई प्रकार की होती हैं। सभी दालें पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं। इनमें कई तरह के विटामिन्स और मिनरल्स पाए जाते हैं। इसलिए हेल्थ एक्सपट्र्स भी हमेशा अपनी डाइट में दालों को शामिल करने की सलाह देते हैं। लेकिन अधिकतर लोग दाल खाने के बाद गैस, सूजन और कब्ज की शिकायत कर सकते हैं। दाल खाने से कई लोगों को पाचन संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन अगर दालों को सही तरह से खाया जाए, तो इससे पाचन को दुरुस्त बनाया जा सकता है। अब आप सोच रहे होंगे कि फिर आखिर कौन सी दाल खाने से गैस नहीं बनती है?कौन सी दाल खाने से गैस नहीं बनती है?-अधिकतर दालें गैस बनाती हैं, क्योंकि अधिकतर दाल वातिक होते हैं। लेकिन अगर आप दाल में हींग और देसी घी का छौंक लगाते हैं, तो इससे गैस नहीं बनती है। चने की दाल, उड़द की दाल और काले चने अधिक गैस बनाते हैं। इसलिए अगर आपको अकसर ही गैस बनती है, तो इन दालों का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए। तो चलिए जानते हैं कौन सी दाल खाने से गैस नहीं बनती है?कौन सी दाल खाने से गैस नहीं बनती है?-मूंग की दालवैसे तो अधिकतर दालें गैस का कारण बनती हैं। लेकिन मूंग की दाल खाने से आप गैस से बच सकते हैं। मूंग की दाल सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद होती है। इसमें आयरन, जिंक, फॉस्फोरस, फाइबर और प्रोटीन की मात्रा अधिक पाई जाती है। मूंग की दाल खाने से पाचन तंत्र मजबूत बनता है, इससे कब्ज की समस्या से बचा जा सकता है। मूंग की दाल खाने से पेट से संबंधित समस्याओं में आराम मिल सकता है। लेकिन मूंग की दाल में फाइबर की मात्रा अधिक पाई जाती है, ऐसे में आपको मूंग की दाल का सेवन भी कम मात्रा में ही करना चाहिए। आप मूंग की हरी और पीली दाल खा सकते हैं।मसूर की दालअगर आप मूंग और मसूर की दाल को मिक्स करके खाएंगे, तो गैस की समस्या से बच सकते हैं। दरअसल, मूंग की तासीर ठंडी होती है और मसूर की दाल की तासीर गर्म होती है। ऐसे में अगर आप इन दोनों को एक साथ मिलाकर खाएंगे, तो इससे आपको अधिक लाभ मिल सकता है। मूंग और मसूर की दाल को आप सुबह, दिन या रात को किसी भी समय खा सकते हैं। लेकिन दिन में एक से अधिक बार मूंग और मसूर की दाल खाने से बचना चाहिए।अरहर की दालअगर आप अरहर की दाल खाते हैं, तो घबराए नहीं। यह बहुत अधिक गैस का उत्पादन नहीं करता है। अरहर की दाल पेट में बनने वाली गैस को दूर कर सकती है। साथ ही कब्ज के लिए भी फायदेमंद होती है। अरहर में प्रोटीन, विटामिन ए, विटामिन बी12 जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसलिए आप अरहर की दाल को अपनी डाइट का हिस्सा बना सकते हैं। आप अरहर की दाल में देसी घी और हींग का छौंक लगाकर अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। इससे आप गैस से बच सकते हैं।
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हम आपको ऐसे ही एक फल के बारे में बता रहे हैं। शरीफा ऐसा फल है जो हल्की ठंड में मार्केट में आना शुरू हो जाता है। कई लोग इस फल को सीताफल भी कहते हैं।
कुछ फल ऐसे होते हैं, जिन्हें लोग ज्यादा पसंद नहीं करते लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह फल गुणों से भरपूर नहीं होते। आज हम आपको ऐसे ही एक फल के बारे में बता रहे हैं। शरीफा ऐसा फल है जो हल्की ठंड में मार्केट में आना शुरू हो जाता है। कई लोग इस फल को सीताफल भी कहते हैं। इंग्लिश में इसे कस्टर्ड एप्पल कहा जाता है। गुणों की बात करें, तो यह फल विटामिन-सी, बी मैग्नीशियम जैसे कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है। आप अगर इस फल को नहीं खाते, तो इसके गुण जरूर जान लीजिए। आपको इस फल से प्यार हो जाएगा। आइए, जानते हैं शरीफा के फायदे-
शुगर लेवल कंट्रोल करता है
शरीफा शुगर लेवल कंट्रोल करता है। आप अगर शुगर लेवल कंट्रोल करने के लिए कई तरीके फॉलो कर चुके हैं, तो फिर आपको इस फल को भी डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए।
खून की कमी को करता है दूर
आपके शरीर में अगर खून कम बनता है, तो फिर यह फल आपका सच्चा दोस्त है। इसे खाने से एनीमिया की प्रॉब्लम दूर हो जाती है इसलिए आपको शरीफा जरूर खाना चाहिए।
वजन बढ़ाता है
आप अगर दिखने में कमजोर हैं या कोई भी डाइट आपके शरीर में नहीं लगती है, तो आपको शरीफा खाना चाहिए। शरीफा आपके डाइजेशन सिस्टम को बेहतर बनाने में बहुत कारगर है।
ओरल हेल्थ को बनाए रखता है
ओरल हेल्थ को बनाए रखने में भी शरीफ बहुत फायदेमंद है। खासकर अगर आपके दांतों में दर्द रहता है, तो फिर शरीफा को खाना बिल्कुल भी न भूलें। इससे आपके मुंह की बदबू भी दूर होती है।